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भारत में जल प्रदू षण की समस्या
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● भूजल विभिन्न विषैले तत्वों से दू षित है। 12 भारतीय राज्यों के भूजल में यूरेनियम का स्तर स्वीकार्य सीमा से भी
अधिक है। इसके अलावा, अतिरिक्त नाइट्रेट 386 जिलों में मौजूद है, इसके बाद 335 जिलों में फ्लोराइड,
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301 जिलों में लोहा, 212 जिलों में लवणता, 153 जिलों में आर्सेनिक, 93 जिलों में सीसा, 30 जिलों में
क्रोमियम और 24 जिलों में कै डमियम मौजूद है।
● भारत में नदियों का बहाव क्षेत्र, प्रदू षित हिस्सों में होने के कारण कृ षि राजस्व में 9% की कमी और अनुप्रवाह
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कृ षि उपज में 16% की गिरावट आई है।
● NSSO के अनुसार, भारत में शहरी क्षेत्रों में के वल 21.4% घरों में शुद्ध पेयजल हेतु नल कनेक्शन व्यवस्था है।
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ग्रामीण भारत में स्थिति और भी चिं ताजनक है, जहां मात्र 11.3% परिवारों को ही सीधे शुद्ध पेयजल मिलता है।
● भारत की शहरी आबादी 2030 तक 600 मिलियन तक पहुंचने की संभावना है, उस समय तक जल की मांग
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दोगुनी होने की आशंका है।
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प्रभाव-
● ज ल की निम्न गुणवत्ता, निम्न तबके (गरीबों) को सर्वाधिक प्रभावित करती है, यह लैंगिक मुख्यधारा में भी बाधा
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उत्पन्न कर सकती है, अंतरराज्यीय जल नदी विवादों को और बदतर बना सकती है और आर्थि क स्थिरता और
विकास को खतरे में डाल सकती है।
● जल संकट गहराने से पर्यावरणीय जोखिम बढ़ जाते हैं, जिससे देश की जैव विविधता, पर्यावरण और
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पारिस्थितिक संतुलन के लिए गंभीर संकट पैदा हो सकते हैं। एक निश्चित स्तर पर प्रदू षित जल, फसलों के
लिए भी हानिकारक हो सकता है और मृदा की उर्वरता को कम कर सकता है और इस प्रकार यह, समग्र कृ षि
क्षेत्र और देश को नुकसान पहुंचा सकता है।
● कार्बनिक एवं रेडियोधर्मि क संदू षक, मानव शरीर में भी कई खतरनाक स्वास्थ्य प्रभावों का कारण बन सकते हैं
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जैसे कि कैं सर, यकृ त और गुर्दे की क्षति, प्रजनन और अंतःस्रावी विकार, जन्मजात दोष इत्यादि।
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● जल की निम्न गुणवत्ता, मीठे जल के पारिस्थितिकी तंत्र में भी मृत क्षेत्र और जैविक रेगिस्तान का निर्माण कर
सकती है।
● दू षित जल, मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण में भी अपना योगदान दे सकता है, जिससे भूजल और क्षेत्रीय जल
स्तर के पुनर्भरण की भूमि की क्षमता क्षीण हो सकती है।
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रूप से उपचारित और अनुपचारित अपशिष्ट जल संदर्भ में, नदी बेसिन के समग्र विकास के लिए
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के प्रवाह के कारण होती हैं। जलविभाजक और नदी बेसिन-आधारित
➢ नगरीय निकायों से उत्पन्न ठोस अपशिष्ट और दृष्टिकोण का भी सुझाव दिया गया है।
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ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के गोबर का अनुचित
प्रबंधन
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सरकार की प्रमुख पहल-
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● राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (NRCP)-इसके तहत प्रदू षणनिवारण कार्य, कें द्र सरकार एवं राज्य सरकारों के
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बीच लागत साझाकरण के आधार पर कार्यान्वित किए जाते हैं। इन कार्यों में शामिल हैं; नगरपालिका सीवेज
का संग्रहण, परिवहन और उपचार, रिवर फ्रं ट डेवलपमेंट (RFD), कम लागत स्वच्छता (Low Cost
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Sanitation) आदि।
● नमामि गंगे कार्यक्रम (या स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन)-एक एकीकृ त संरक्षण मिशन, जिसे राष्ट्रीय
नदी गंगा के प्रदू षण को प्रभावी ढंग से कम करने, संरक्षण और कायाकल्प के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करने के
लिए 2014 में कें द्र सरकार द्वारा 'प्रमुख कार्यक्रम' के रूप में अनुमोदित किया गया था।
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● अटल भूजल योजना (ABY)-सामुदायिक भागीदारी के साथ भूजलके स्थायी प्रबंधन के लिए 7 राज्यों में शुरू
की गई एक कें द्रीय योजना। घटकों में शामिल हैं - संस्थागत सुदृढ़ीकरण, क्षमता निर्माण और प्रोत्साहन।
● राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना (NLCP)-MOFCC के तहत शुरूकी गई इस योजना में झीलों और
आर्द्रभूमियों का संरक्षण शामिल है, जिसमें एक सूची, एक सूचना प्रणाली और एक नियामक ढांचा शामिल है।
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● जल जीवन मिशन-2019 में अनुमोदित किया गया, इसमें 2024तक कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन के
माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण घर में प्रति व्यक्ति 55 लीटर जल की आपूर्ति की परिकल्पना की गई है।
● जल शक्ति अभियान-3 श्रृंखलाओं में शुरू किया गया, एकसमयबद्ध मिशन मोड जल संरक्षण अभियान है।
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○ प्रथम, जल संकट से ग्रसित जिलों में जल संरक्षण और जल संकट प्रबंधन को बढ़ावा देना।
○ द्वितीय, कै च द रेन अभियान, जिसमें वर्षा जल संचयन, जियो टैगिं ग और जल शक्ति कें द्र स्थापित
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● स्वच्छ भारत मिशन 2.0 (SBM 2.0)-सभी शहरों को 'कचरामुक्त' बनाने और गंदे और अपशिष्ट जल का
प्रबंधन सुनिश्चित करने की कल्पना करता है।
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