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‭UPSC MAINS HANDOUT‬

‭GEOGRAPHY & ENVIRONMENT‬


‭By‬‭Sudarshan Gurjar‬


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‭भारत में जल प्रदू षण की समस्या‬
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‭UPSC MAINS HANDOUT‬‭GEOGRAPHY & ENVIRONMENT‬‭By‬‭Sudarshan‬‭Gurjar‬


‭भारत में जल प्रदू षण की समस्या-‬

‭भारत में जल प्रदू षण से संबंधित प्रमुख आं कड़े-‬


‭●‬ ‭भारत में लगभग 80% सतही जल अत्यधिक प्रदू षित है।‬
‭●‬ ‭CPCB के अनुसार, 2021 में भारत में 311 प्रदू षित नदी खंड थे, जिनमें से 45 गंभीर रूप से प्रदू षित थे।‬
‭जबकि गुजरात और उत्तर प्रदेश में 'प्राथमिकता 1' नदी खंडों की अधिकतम संख्या (6) थी, महाराष्ट्र में प्रदू षित‬
‭नदी खंडों की अधिकतम संख्या (55) थी, इसके बाद मध्य प्रदेश (19), बिहार (18), के रल (18), कर्नाटक‬
‭(17) और उत्तर प्रदेश (17) थे।‬


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‭●‬ ‭भूजल विभिन्न विषैले तत्वों से दू षित है। 12 भारतीय राज्यों के भूजल में यूरेनियम का स्तर स्वीकार्य सीमा से भी‬
‭अधिक है। इसके अलावा, अतिरिक्त नाइट्रेट 386 जिलों में मौजूद है, इसके बाद 335 जिलों में फ्लोराइड,‬

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‭301 जिलों में लोहा, 212 जिलों में लवणता, 153 जिलों में आर्सेनिक, 93 जिलों में सीसा, 30 जिलों में‬
‭क्रोमियम और 24 जिलों में कै डमियम मौजूद है।‬
‭●‬ ‭भारत में नदियों का बहाव क्षेत्र, प्रदू षित हिस्सों में होने के कारण कृ षि राजस्व में 9% की कमी और अनुप्रवाह‬

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‭कृ षि उपज में 16% की गिरावट आई है।‬
‭●‬ ‭NSSO के अनुसार, भारत में शहरी क्षेत्रों में के वल 21.4% घरों में शुद्ध पेयजल हेतु नल कनेक्शन व्यवस्था है।‬

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‭ग्रामीण भारत में स्थिति और भी चिं ताजनक है, जहां मात्र 11.3% परिवारों को ही सीधे शुद्ध पेयजल मिलता है।‬
‭●‬ ‭भारत की शहरी आबादी 2030 तक 600 मिलियन तक पहुंचने की संभावना है, उस समय तक जल की मांग‬

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‭दोगुनी होने की आशंका है।‬
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‭प्रभाव-‬
‭●‬ ज ‭ ल की निम्न गुणवत्ता, निम्न तबके (गरीबों) को सर्वाधिक प्रभावित करती है, यह लैंगिक मुख्यधारा में भी बाधा‬
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‭उत्पन्न कर सकती है, अंतरराज्यीय जल नदी विवादों को और बदतर बना सकती है और आर्थि क स्थिरता और‬
‭विकास को खतरे में डाल सकती है।‬
‭●‬ ‭जल संकट गहराने से पर्यावरणीय जोखिम बढ़ जाते हैं, जिससे देश की जैव विविधता, पर्यावरण और‬
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‭पारिस्थितिक संतुलन के लिए गंभीर संकट पैदा हो सकते हैं। एक निश्चित स्तर पर प्रदू षित जल, फसलों के ‬
‭लिए भी हानिकारक हो सकता है और मृदा की उर्वरता को कम कर सकता है और इस प्रकार यह, समग्र कृ षि‬
‭क्षेत्र और देश को नुकसान पहुंचा सकता है।‬
‭●‬ ‭कार्बनिक एवं रेडियोधर्मि क संदू षक, मानव शरीर में भी कई खतरनाक स्वास्थ्य प्रभावों का कारण बन सकते हैं‬
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‭जैसे कि कैं सर, यकृ त और गुर्दे की क्षति, प्रजनन और अंतःस्रावी विकार, जन्मजात दोष इत्यादि।‬
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‭●‬ ‭जल की निम्न गुणवत्ता, मीठे जल के पारिस्थितिकी तंत्र में भी मृत क्षेत्र और जैविक रेगिस्तान का निर्माण कर‬
‭सकती है।‬
‭●‬ ‭दू षित जल, मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण में भी अपना योगदान दे सकता है, जिससे भूजल और क्षेत्रीय जल‬
‭स्तर के पुनर्भरण की भूमि की क्षमता क्षीण हो सकती है।‬
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‭जल प्रदू षण की समस्या से निपटने में चुनौतियाँ‬ ‭समाधान और आगे की राह‬

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➢ ‭ र्षा की अस्थायी और स्थानिक भिन्नता‬ ‭➢‬ न ‭ दियों का सफाई अभियान तैयार करने के लिए,‬
‭➢‬ ‭सतही जल संसाधनों का असमान भौगोलिक‬ ‭उसके किनारे की पंचायतों और शहरों को शामिल‬
‭वितरण‬ ‭करते हुए एक विके न्द्रीकृ त और भागीदारी‬
‭➢‬ ‭लगातार पड़ने वाला सूखा‬ ‭दृष्टिकोण आवश्यक है।‬
‭➢‬ ‭भूजल का अति प्रयोग एवं संदू षण‬ ‭➢‬ ‭CPCB, राज्य प्रदू षण नियंत्रण बोर्ड (SPCB)‬
‭➢‬ ‭जल निकासी, लवणीकरण और जल की गुणवत्ता‬ ‭और भूजल प्राधिकरण जैसी एजेंसियों की मदद‬
‭की सम्बन्धी समस्याएं , शहरी बस्तियों, औद्योगिक‬ ‭से नदी जल की गुणवत्ता की निरंतर निगरानी।‬
‭प्रतिष्ठानों और सिं चाई क्षेत्र से उपचारित, आं शिक‬ ‭➢‬ ‭जल की गुणवत्ता और नदी पारिस्थितिकी तंत्र के ‬


‭रूप से उपचारित और अनुपचारित अपशिष्ट जल‬ ‭संदर्भ में, नदी बेसिन के समग्र विकास के लिए‬

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‭के प्रवाह के कारण होती हैं।‬ ‭जलविभाजक और नदी बेसिन-आधारित‬
‭➢‬ ‭नगरीय निकायों से उत्पन्न ठोस अपशिष्ट और‬ ‭दृष्टिकोण का भी सुझाव दिया गया है।‬

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‭ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के गोबर का अनुचित‬
‭प्रबंधन‬

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‭सरकार की प्रमुख पहल-‬

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‭●‬ ‭राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (NRCP)-‬‭इसके तहत प्रदू षण‬‭निवारण कार्य, कें द्र सरकार एवं राज्य सरकारों के ‬

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‭बीच लागत साझाकरण के आधार पर कार्यान्वित किए जाते हैं। इन कार्यों में शामिल हैं; नगरपालिका सीवेज‬
‭का संग्रहण, परिवहन और उपचार, रिवर फ्रं ट डेवलपमेंट (RFD), कम लागत स्वच्छता (Low Cost‬
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‭Sanitation) आदि।‬
‭●‬ ‭नमामि गंगे कार्यक्रम (या स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन)-‬‭एक एकीकृ त संरक्षण मिशन, जिसे राष्ट्रीय‬
‭नदी गंगा के प्रदू षण को प्रभावी ढंग से कम करने, संरक्षण और कायाकल्प के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करने के ‬
‭लिए 2014 में कें द्र सरकार द्वारा 'प्रमुख कार्यक्रम' के रूप में अनुमोदित किया गया था।‬
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‭●‬ ‭अटल भूजल योजना (ABY)-‬‭सामुदायिक भागीदारी के साथ भूजल‬‭के स्थायी प्रबंधन के लिए 7 राज्यों में शुरू‬
‭की गई एक कें द्रीय योजना। घटकों में शामिल हैं - संस्थागत सुदृढ़ीकरण, क्षमता निर्माण और प्रोत्साहन।‬
‭●‬ ‭राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना (NLCP)-‬‭MOFCC के तहत शुरू‬‭की गई इस योजना में झीलों और‬
‭आर्द्रभूमियों का संरक्षण शामिल है, जिसमें एक सूची, एक सूचना प्रणाली और एक नियामक ढांचा शामिल है।‬
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‭●‬ ‭जल जीवन मिशन-‬‭2019 में अनुमोदित किया गया, इसमें 2024‬‭तक कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन के ‬
‭माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण घर में प्रति व्यक्ति 55 लीटर जल की आपूर्ति की परिकल्पना की गई है।‬
‭●‬ ‭जल शक्ति अभियान-‬‭3 श्रृंखलाओं में शुरू किया गया, एक‬‭समयबद्ध मिशन मोड जल संरक्षण अभियान है।‬
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‭○‬ ‭प्रथम, जल संकट से ग्रसित जिलों में जल संरक्षण और जल संकट प्रबंधन को बढ़ावा देना।‬
‭○‬ ‭द्वितीय, कै च द रेन अभियान, जिसमें वर्षा जल संचयन, जियो टैगिं ग और जल शक्ति कें द्र स्थापित‬
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‭करना शामिल था।‬


‭○‬ ‭मानसून पूर्व और मानसून अवधि के दौरान सभी ब्लॉकों और जिलों को शामिल करने हेतु 2022 में‬
‭तीसरी श्रृंखला शुरू की गई थी।‬
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‭●‬ ‭स्वच्छ भारत मिशन 2.0 (SBM 2.0)-‬‭सभी शहरों को 'कचरा‬‭मुक्त' बनाने और गंदे और अपशिष्ट जल का‬
‭प्रबंधन सुनिश्चित करने की कल्पना करता है।‬

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‭ श्न- भारत में जल प्रदू षण के पीछे के कारकों की जाँच करें। इसका पर्यावरण और उसमें रहने वाले लोगों पर क्या‬
प्र
‭प्रभाव पड़ रहा है? देश में जल संकट को कम करने के लिए उठाए गए कदमों और पहलों के बारे में भी बताएं ।‬


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