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NWP 2012 Hindi 7441235822
NWP 2012 Hindi 7441235822
जल संसाधन मत्रालय
ं
1.1 जल एक दलभ
ु र् प्राकितक
ृ ससाधन
ं है जो जीवन, जीिवका, खाɮय सरक्षा
ु और
िनरं तर िवकास का आधार है । भारत मɅ ससार
ं की 18% से अिधक आबादी है जबिक
िवæव का केवल 4% नवीकरणीय जल ससाधन
ं और िवæव के भू क्षेत्र का 2.4% भू क्षत्र
े
है । इसके अितिरक्त, समय और èथान के साथ असमान िवतरण के कारण जल की
उपयोग योग्य मात्रा भी सीिमत है , इसके अलावा, दे श के िकसी न िकसी िहèसे मɅ प्राय:
बाढ़ और सख
ू े की चुनौितयɉ का भी सामना करना पड़ता है । एक तेजी से िवकासशील
राçट्र मɅ जनसंख्या बढ़ने तथा आवæयकताओं मɅ बढ़ोतरी और जलवायु पिरवतन
र् के
प्रभावɉ को दे खते हुए, भिवçय मɅ उपयोग योग्य जल की और कमी होगी तथा िविभÛन
प्रयोक्ता समह
ू ɉ के बीच जल िववादɉ के और गहराने की संभावना है । जनता मɅ जल की
कमी तथा उसके जीवन रक्षक और आिथर्क मह×व के िवषय मɅ जागǾकता की कमी के
कारण जल का कुप्रबधन,
ं जल की बबार्दी और अकुशल उपयोग होता है और प्रदषण
ू तथा
Ûयूनतम पािरिèथितकीय आवæयकताओं से भी कम प्रवाह हो पाता है । इसके अितिरक्त,
जल संसाधनɉ का बंटवारा असमान है तथा जल संसाधनɉ की आयोजना, प्रबंधन और
उपयोग के िवषय मɅ समǾप पिरप्रेêय की कमी है । राçट्रीय जल नीित का उƧæय
े मौजद
ू ा
िèथित का संज्ञान लन,
े े िनयमɉ और संèथाओं की प्रणाली के सजन
ृ और समǾप राçट्रीय
पिरप्रेêय समेत कायर् योजना हे तु ढाच
ं े का प्रèताव रखना है ।
(vi) भजल
ू हालािक
ं जल िवज्ञानीय चक्र और सामदाियक
ु ससाधन
ं का िहèसा है लेिकन
इसे अभी भी वैयिक्तक सपि×त
ं मानकर इसकी िनरतरता
ं के िवषय मɅ सोचे समझे िबना
इसका असमान दोहन िकया जाता है िजसके कारण कई क्षेत्रɉ मɅ अित-दोहन की िèथित
बन गई है ।
(viii) जल की िहèसदारी
े के संबंध मɅ अंतराचल,
ं अंतराÏयीय,
र् अंत:राÏयीय और
अंतरक्षत्रीय
े िववादɉ के कारण, संबधɉ
ं मɅ तनाव तथा बेिसन/उप बेिसन आधार पर
वैज्ञािनक योजना के माÚयम से जल के अनकलतम
ु ू उपयोग मɅ बाधा आती ह।ै
(ix) मौजदा
ू िसचाई
ं अवसंरचनाओं के कल
ु िमलाकर अपयार्Üत अनरक्षण
ु के फलèवǾप
उपलÞध संसाधनɉ की बबादी
र् होती है और उपयोग कम हो पाता है । सिजत
ृ िसचाई
ं क्षमता
और उपयोग की गई िसंचाई क्षमता मɅ भारी अंतर ह।ै
(xiv) वज्ञािनक
ै आयोजना, सचना
ू प्रौɮयोिगकी का प्रयोग करके आधिनक
ु तकनीक और
िवæलेषणा×मक क्षमताओं के उपयोग हे तु पयाÜत
र् प्रिशिक्षत किमयɉ
र् की कमी के कारण
अÍछे जल प्रबंधन मɅ बाधा आती ह।ै
(xv) जल संबधी
ं समèयाओं के िवषय मɅ समग्र और अंतर-िवषयक Ǻिçटकोण नहीं ह।ै
(xvi) जल संबधी
ं िनणय
र् लन
े े वाले प्रभारी सावर्जिनक अिभकरण भागीदारɉ से परामशर्
िकए बगैर अपने आप िनणर्य लत
े े हɇ िजसके कारण प्राय: खराब और अिवæवसनीय सवाएं
े
िमलती हɇ िजनमɅ िविभÛन प्रकार की असमानताएं होती हɇ।
(xvii) जलधाराओं, निदयɉ के आवाह-क्षेत्रɉ और जलदायी èतर के पनभरण
ु र् क्षत्रɉ
े की
िवशेषताएं बदल रही हɇ िजसके फलèवǾप भिम
ू उपयोग और शािमल भिम
ू म
Ʌ पिरवतन
र्
हो रहा है िजससे जल संसाधन उपलÞधता और गणव×ता
ु प्रभािवत हो रह
ी है ।
1.3 जल ससाधनɉ
ं के िवषय मɅ सावजिनक
र् नीितयɉ का सचालन
ं कितपय बिनयादी
ु
िनयमɉ ɮवारा करने की आवæयकता है, तािक जल संसाधनɉ की आयोजना, िवकास और
प्रबंधन के Ǻिçटकोणɉ मɅ कुछ साझापन हो। ये बिनयादी
ु िनयम इस प्रकार हɇ :-
(ix) जल गणव×ता
ु और मात्रा एक दसर
ू े से जड
ु े हुए हɇ और इनके एकीकत
ृ ढगं से प्रबधन
ं
की आवæयकता है िजसके िलए अÛय बातɉ के साथ-साथ लगातार प्रदषण ू और जल
बबादी
र् को कम करने हत
े ु आिथक
र् प्रो×साहन और दड
ं िविधयɉ के उपयोग समेत åयापक
पयार्वरणीय प्रबंधन Ǻिçटकोण अपनाने की आवæयकता है ।
2. जल सबं
ं धी ढांचागत कानन
ू
3. जल के उपयोग
3.2 कद्र,
Ʌ राÏयɉ और èथानीय िनकायɉ (सचालक
ं संèथाए)ं को अपने सभी नागिरकɉ
को आवæयक èवाèØय और èवÍछता के िलए èवÍछ जल की Ûयनतम
ू मात्रा की
उपलÞधता सिनिæचत
ु करनी चािहए, िजससे सभी पिरवारɉ को शƧ
ु जल आसानी से प्राÜत
हो सके।
4. जलवायु पिरवतन
र् के अनǾप
ु अनकलन
ु ू
4.3 अनक
ु ू लन कायनीितयɉ
र् मɅ िवशेषत: संगत कृिष कायर्नीितयां और फसलीय चक्रɉ
तथा जल अनप्रयोग
ु पद्धितयɉ जसे
ै भिम
ू समतलीकरण तथा/अथवा टपक/िछड़काव िसचाई
ं
को अपनाकर बेहतर मांग प्रबधन
ं को भी शािमल िकया जा सकता है क्यɉिक इससे जल
उपयोग दक्षता मɅ विद्ध
ृ होती है तथा जलवायु पिरवतर्न के कारण िवषमता के बढ़ने का
समाधान करने के िलए क्षमता प्राÜत की जा सकती है । इसी तरह औɮयोिगक प्रिक्रयाओं
की जलीय दक्षता को भी बढ़ाया जाना चािहए।
5.5 अतरबिसन
ं े अंतरण के वल उ×पादन बढ़ाने के िलए नहीं होता बिãक आधारभत
ू
मानवीय आवæयकताओं को पूरा करने के िलए और समानता एवं सामािजक Ûयाय
हािसल करने के िलए भी होता है । जल के अंतबिसन
ȶ अतरण
ं को प्र×येक मामले को
उसकी िवशेषताओं के आधार पर ऐसे अतरणɉ
ं के पयावरणीय,
र् आिथक
र् और सामािजक
प्रभावɉ का मãयाकन
ू ं करके िवचार िकया जाना चािहए।
5.6 मदा
ृ मɅ नमी बढ़ान,े गाद मɅ कमी लाने एवं समग्र भिम
ू व जल उ×पादकता को
बढ़ाने के िलए जल ग्रहण क्षेत्र िवकास िक्रयाकलापɉ को åयापक Ǿप से िक्रयािÛवत िकये
जाने की आवæयकता है । िकसानɉ ɮवारा खेत के तालाबɉ एवं अÛय मदा
ृ व जल सरक्षण
ं
उपाय अपना कर वषार् जल संचयन के िलए मनरे गा (एमजीएनआरईजीए) जैसे वतर्मान
कायर्क्रमɉ का लाभ उठाया जा सकता ह।ै
6. माग
ं प्रबंधन एवं जल उपयोग दक्षता
6.2 िवशषत:
े औɮयोिगक पिरयोजनाओं के िलए जल उपयोग हत
े ु पिरयोजना मãयां
ू कन
एवं पयार्वरणीय प्रभाव अÚययन से अÛय बातɉ के साथ-साथ जल उपयोग हत
े ु जल
फुटिप्रंटɉ के िवæलेषण को शािमल करना चािहए।
6.5 िसचाई
ं उपयोग मɅ जल बचाना अ×यिधक मह×वपणर्
ू ह।ै प्राकितक
ृ ससाधन
ं अक्षय
िनिध के अनसार
ु फसल प्रणाली, सêम
ू िसंचाई (टपक, िछड़काव, आिद), èवचािलत
िसंचाई प्रचालन, वाçपीकरण-वाçपो×सजर्न Ûयनीकरण
ू आिद जसी
ै पद्धितय
ɉ को बढ़ावा एवं
प्रो×साहन िदया जाना चािहए। भजल
ू के संयक्त
ु उपय
ोग से नहर के िरसाव जल का
पन
ु :चक्रण िकये जाने पर भी िवचार िकया जा सकता है ।
7.1 जल के मãय
ू िनधारण
र् ɮवारा इसका प्रभावी उपयोग तथा सरक्षण
ं को बढावा दना
े
सिनिæचत
ु िकया जाय। सभी भागीदारɉ से åयापक िवचार िवमशर् करके प्र×येक राÏय
ɮवारा èथािपत èवतंत्र जल िविनयामक प्रािधकरण के माÚयम से सभी के िलये जल की
समान उपलÞधता तथा पेयजल और अÛय उपयोगɉ जस
ै े साफ-सफाई, किष
ृ तथा उɮयोगɉ
के िलये इसका उिचत मãय
ू िनधारण
र् िकया जाय।
7.2 समानता, दक्षता तथा आिथर्क िसद्धांतो को प्राÜत करने के िलये जल प्रभार
अिधमानत:/िनयम के तौर पर èवैिÍछक आधार पर तय िकये जाने चािहये। ऐसे प्रभारɉ
की आविधक समीक्षा की जाए।
7.6 भजल
ू के दोहन हत
े ु िवɮयत
ु के उपयोग का िविनयमन करके भजल
ू के अिधकतम
दोहन को कम से कम िकया जाना होगा। कृिष हत
े ु उपयोग के िलए भजल
ू को पàप
करने के िलये अलग िवɮयत
ु फीडसर् के उपयोग पर िवचार िकया जाना चािहए।
8. नदी मागɟ, जल िनकायɉ एवं अवसरचनाओं
ं का सरक्षण
ं
8.4 योजना बनाते समय िहमालय क्षेत्रɉ, जलीय पािरिèथितकी, नम भिू म तथा तटबध
ं
बाढ़ मैदानɉ की पयावरण
र् ीय आवæयकताओं को Úयान मɅ रखना चािहए।
8.6 भज
ू ल के िलए गुणव×ता को बनाए रखना और इसमɅ सध
ु ार और भी अिधक
मह×वपूणर् ह,ɇ चंिक
ू इसकी सफाई करना अ×यत
ं किठन है। यह सिनिæचत
ु िकये जाने की
आवæयकता हɇ िक औɮयोिगक बिह:İाव, èथानीय उपकर पोखरɉ, उवर्रकɉ एवं रसायनɉ के
अवशेष आिद भजल
ू तक न पहुं चɅ।
8.7 अभीçट लाभ प्राÜत करना जारी रखने के िलए जल संसाधन अवसंरचना का उिचत
रखरखाव िकया जाना होगा। मरàमत एवं रखरखाव के िलए एकित्रत जल शãक
ु के साथ-
साथ अवसंरचना िवकास की लागत का एक उिचत प्रितशत िहèसा अलग रखा जाए।
पिरयोजनाओं के िनमार्ण के िलए संिवदा मɅ उिचत रखरखाव की अिधक लंबी अविध एवं
अवसंरचना को अÍछी हालत मɅ सɋपने का प्रावधान अंतिनिहत
र् होना चािहए।
9.2 अतिवषयक
ं र् प्रकृित की होने के कारण जल संसाधन पिरयोजनाओं की आयोजना
के समय पिरयोजना प्रभािवत एवं लाभाथीर् पिरवारɉ के साथ परामशर् से तकनीकी-आिथर्क
मƧɉ
ु के अितिरक्त सामािजक एवं पयार्वरणीय पक्षɉ पर भी िवचार िकया जाना चािहए।
जल संसाधन पिरयोजनाओं की आयोजना एवं प्रबंधन के िलए अिधकतर भागीदारɉ हे तु
Ûयायोिचत एवं सामाÛयत: èवीकायर् समाधान खोजने पर जोर दे ते हुए एकीकृत जल
संसाधन प्रबधन
ं अपनाया जाना चािहए।
9.4 िनधार्िरत समय एवं लागत से उपर समय व लागत से बचने के िलए समय पर
िनरीक्षण हे तु राÏय एवं केÛद्र èतर पर पिरयोजना की समवतीर् िनगरानी शǾ
ु की जानी
चािहए।
9.5 जल संसाधन पिरयोजनाओं के सभी घटकɉ की आयोजना एवं िनçपादन समǾप
प्रकार से िकया जाना चािहए िजससे अभीçट लाभ तरु ं त िमलने शुǾ हो जाएं और सिजत
ृ
क्षमता व उपयोग की गई क्षमता के बीच कोई अतर
ं न हो।
9.7 जल िवɮयत
ु पिरयोजनाओं सिहत सभी जल संसाधन पिरयोजनाओं की आयोजना
अिधकतम åयवहायर् सीमा तक बहुउƧशीय
े पिरयोजनाओं के Ǿप मɅ की जानी चािहए
िजनमɅ उपलÞध èथलाकृ ित एवं जल संसाधन से अिधकतम लाभ लेने के िलए भंडारण
का प्रावधान हो।
10.2 सखे
ू से िनपटने के िलए िविभÛन कृ िष कायनीितयɉ
र् को िवकिसत करने तथा मदा
ृ
एवं जल उ×पादकता मɅ सधार
ु करने के िलए èथानीय, अनसधान
ु ं एवं वैज्ञािनक सèथानɉ
ं
से प्राÜत वैज्ञािनक जानकारी सिहत भिम,
ू मदा,
ृ ऊजार् एवं जल प्रबंधन करना चािहए।
आजीिवका सहायता और गरीबी उपशमन के िलए समेिकत खेती प्रणािलयɉ और गैर किष
ृ
िवकास पर भी िवचार िकया जा सकता है ।
10.4 बाढ़ का सामना करने के िलए तैयार रहने के िलए बाढ़ पूवानमान
र् ु अित मह×वपण
ू र्
है तथा इसका दे श भर मɅ सघन िवèतार िकया जाना चािहए और वाèतिवक समय
आंकड़ा सग्रहण ं प्रणाली का उपयोग करते हएु आधिनकीकरण
ु िकया जाना चािहए और
इसे पूवानमान
र् ु मॉडल से जोड़ा जाना चािहए। पूवानमान
र् ु समय को बढ़ाने के िलए िविभÛन
बेिसन भागɉ के िलए भौितक मॉडल िवकिसत करने के प्रयास िकये जाने चािहए, िजÛहɅ
आपस मɅ और मÚयम अविध के बाढ़ पूवानमान
र् ु से जोड़ा जाना चािहए।
11.2 भजल
ू एवं वषार् जल के साथ सतही जल से ग्रामीण एवं नगरीय धरल
े ू जल
आपित
ू र् प्राथिमकता के आधार पर िकया जाना चािहए। जहां आपित
ू र् का िवकãप उपलÞध
हो, वहां घरे लू जल आपित
ू र् के िलए बेहतर िवæवसनीयता और गणव×ता
ु के İोत को चना
ु
जाना चािहए ।घरल
े ू जल की आपितर्
ू को प्राथिमकता दते
े हए
ु उपयोग के िलए İोतɉ का
अदल-बदल संभव होना चािहए । साथ ही शहरɉ मɅ रसोई और èनानागारɉ से बिहİािवत
जल को प्रारं िभक पिरशोधन के पæचात ् प्रसाधनɉ की सफाई के िलए पन
ु : इèतेमाल करने
को बढ़ावा दना
े चािहए, िजसमɅ मानव संपकर् न होना सिनिæचत
ु िकया जाए।
12 सèथागत
ं åयवèथाएं
12.2 िववादɉ का सàयक तरीके से तीĭ समाधान करने के िलए केÛद्र मɅ एक èथायी
जल िववाद अिधकरण èथािपत िकया जाना चािहए। िववादɉ के समाधान के िलए केÛद्र
अथवा राÏय सरकारɉ के अÍछे कायालयɉ
र् के अलावा, माÚयèथम एवं मÚयèथता का
राèता जैसा मामला हो, भी अपनाया जाना चािहए।
13.2 अंतराçट्रीय
र् निदयɉ के जल के बंटवारे और प्रबंधन हे तु सवȾपिर राçट्रीय िहतɉ को
Úयान मɅ रखते हुए तटवतीर् राÏयɉ के परामशर् से ɮिवपक्षीय आधार पर िवचार-िवमशर्
िकया जाना चािहए। अंतरार्çट्रीय समझौतɉ को लागू करने के िलए कÛद्र
े मɅ पयाÜत
र्
संèथागत åयवèथा की जानी चािहए।
14.3 जल से संबिधत
ं समèत आकड़ɉ
ं जस
ै े वषार्, िहम वषार्, भ-ू आकृितिवज्ञान, जलवाय,ु
भ-िवज्ञानी,
ू सतही जल, भजल,
ू जल गणव×त
ु ा, पािरिèथितकी, जल िनकासी एवं उपयोग,
िसंिचत क्षत्र,
े ग्लिशयर
े इ×यािद से संबिधत
ं आकड़ɉ
ं को सपिरभािषत
ु प्रिक्रया से समेिकत
िकया जाना चािहए तथा आंकड़ɉ को ऑनलाईन अɮयतन करने तथा जल के प्रबंधन के
िलए पूणर् सचन
ू ा के आधार पर िनणर्य लन
े े हे तु डाटाबेस िवकिसत करने की åयवèथा हे तु
आंकड़ɉ के èथांतरण को सिनिæचत
ु करने के िलए प्राǾप तैयार िकया जाना चािहए।
15 अनसं
ु धान एवं प्रिशक्षण की आवæयकता
15.1 जल क्षत्र
े के मƧɉ
ु का वैज्ञािनक पद्धित से समाधान करने के िलए िनरतर
ं
अनुसधान
ं और प्रौɮयोिगकी की प्रगित को अवæय बढ़ावा िदया जाएगा। जल संसाधन
क्षेत्र मɅ नवाचार कायɟ को प्रो×साहन, माÛयता और परèक
ु ृ त िकया जाना चािहए।