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ू ण पर निबं ध

प्रदष

संकेत बिंदु - (Content)


प्रस्तावना
ू ण का अर्थ
प्रदष
ू ण के कारण
प्रदष
ू ण के स्त्रोत
प्रदष
ू ण के परिणाम व् प्रभाव
प्रदष
ू ण को रोकने के उपाय
प्रदष
उप-सं हार / सारां श

प्रकृति और उसका पर्यावरण अपने स्वभाव से शु द्ध, निर्मल और समस्त जीवधारियों के लिए स्वास्थ्य-
ू त हो जाता है तो पर्यावरण में मौजूद समस्त जीवधारियों
वर्द्धक होता है ,| किसी कारणवश यदि वह प्रदषि
के लिए वह विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करता है ।

ू ण की मात्रा बढ़ती ही जा रही


ज्यों-ज्यों मानव सभ्यता का विकास हो रहा है , त्यों-त्यों पर्यावरण में प्रदष
है । इसे बढ़ाने में मनु ष्य के जीवनशै ली काफी हद तक जिम्मे वार है ।

कहीं अत्यधिक गर्मी सहन करनी पड़ रही है तो कहीं अत्यधिक ठं ड। इतना ही नहीं, समस्त जीवधारियों
को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है । ग्लोबल वार्मिंग या वै श्विक तापमान बढ़ने
का मतलब है कि पृ थ्वी लगातार गर्म होती जा रही है ।

प्रदूषण का अर्थ
भूमि, वायु , जल, ध्वनि  प्राकृतिक सं तुलन में दोष पै दा होना ही प्रदष
ू ण है | इस असं तुलन से
________________ फसलें , पे ड़ ,आदि सभी प्रभावित होते हैं |

ू ण कई प्रकार का होता है ! प्रमु ख प्रदष


प्रदष ू ण हैं - वायु -प्रदष
ू ण, जल-प्रदष
ू ण और ध्वनि-प्रदष
ू ण।

ू ण अधिक फैला है । वहां चौबीसों घं टे कल-कारखानों का धु आं,


वायु -प्रदूषण : महानगरों में यह प्रदष
मोटर-वाहनों का काला धु आं इस तरह फैल गया है ये कण सांस के साथ मनु ष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं
और असाध्य रोगों को जन्म दे ते हैं ! यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है , वृ क्षों का
ू ण ने खतरे का निशान
अभाव होता है और वातावरण तं ग होता है । दे श की राजधानी दिल्ली में तो प्रदष
पार कर लिया है | 
ू त जल नदी-नालों में मिलकर भयं कर जल-प्रदष
जल-प्रदूषण : कल-कारखानों का दषि ू ण पै दा करता है ।
बाढ़ के समय तो कारखानों का दुर्गंधित जल सब नाली-नालों में घु ल मिल जाता है । इससे अने क बीमारियां
पै दा होती है ।
ध्वनि-प्रदूषण : मनु ष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए। परन्तु आजकल कल-कारखानों का शोर,
यातायात का शोर, मोटर-गाड़ियों की चिल्ल-पों, लाउड स्पीकरों की कर्णभे दक ध्वनि ने बहरे पन और तनाव
को ज

ू ण होता है ।
मृ दा प्रदूषण खे ती में अत्यधिक मात्रा में उर्वरकों और कीट-नाशकों के प्रयोग से मृ दा प्रदष
ू त मिट् टी में उपजे अन्न खाकर मनु ष्यों एवं अन्य जीव-जं तुओं के से हत पर नकारात्मक
साथ ही प्रदषि
ू ण फैल जाता है ।
प्रभाव पड़ता है । इसकी सतह पर बहने वाले जल में भी यह प्रदष

प्रदूषण के कारण    

बे कार पदार्थो की बढ़ती मात्रा और उचित  निपटान  के विकल्पों की कमी के कारण समस्या दिन प्रति 
दिन बढ़ती जा रही है ।

कारखानों और घरों से बे कार उत्पादों को खु ले स्थानों में रखा  और जलया  जाता है   जिससे   भूमि, वायु ,
ू त होते हैं | प्रदष
जल , ध्वनि  प्रदषि ू ण विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण और प्राकृतिक कारणों के
कारण भी होता है ।

कीटनाशकों का  बढ़ता उपयोग,

औद्योगिक और कृषि  के बे कार पदार्थो के निपटान के लिए विकल्पों की कमी,

वनों की कटाई, बढ़ते शहरी करण,

ू ण के मूल कारक  हैं ।


अम्लीय वर्षा और खनन इस प्रदष

् भी   कारण है बढ़ते


जानवरों और मनु ष्यों में विभिन्न बीमारियों का कारण भी  बनते हैं । जनसं ख्या वृ दधि
ू ण’ का |
हुए प्रदष

प्रदूषण के स्त्रोत

ू ण के स्त्रोतों को  निम्न  श्रेणियों  में बाँटा जा सकता है   :


प्रदष
1.घरे लू बे कार पदार्थ,जमा  हुआ  पानी,कू लरो  मे पड|  पानी , पौधो मे जम|  पानी
2. रासायनिक पदार्थ जै से – डिटर्जेंट् स, हाइड्रोजन, साबु न, औद्योगिक एवं खनन के बे कार पदार्थ
3. प्लास्टिक
4. गै सें जै से- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया आदि।
5. उर्वरक जै से- यूरिया, पोटाश ।
6.  गं दा पानी
7. पे स्टीसाइड्स जै से- डी.डी.टी, कीटनाशी।
8. ध्वनि।
9. ऊष्मा।

10. जनसं ख्या वृ दधि

प्रदूषण को रोकने के उपाय

दै निक जीवन में कुछ छोटे बदलाव करके  इसे कम करने की दिशा में योगदान कर सकते हैं ।
1.बायोडिग्रेडे बल उत्पादों का उपयोग करें । क्योंकि बायोडिग्रेडे बल कचरे का निपटान करना आसान है ।
2.भोजन कीटनाशकों के उपयोग के बिना उगाया जाए, जै विक सब्जियां और फल उगाए जाए |
3.पॉली बै ग और प्लास्टिक के बर्तनों और वस्तु ओं के उपयोग से बचें ।
क्योंकि किसी भी रूप में प्लास्टिक का निपटान करना मु श्किल है ।
5.कागज़ या कपड़े की थै लियों का उपयोग करें ।
6. अलग-अलग डस्टबिन में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग निपटाने से कचरा अलग हो जाता है ।
भारत सरकार ने पहले ही इस अभियान को शु रू कर दिया है और दे श भर के विभिन्न शहरों में विभिन्न
क्षे तर् ों में कई हरे और नीले डस्टबिन लगाए गए हैं ।
7.कागज़  उपयोग को सीमित करें । कागज़ बनाने के लिए प्रत्ये क वर्ष कई पे ड़ काटे जाते हैं । यह  
ू ण का एक कारण है । डिजिटल प्रयोग  अच्छा विकल्प  है ।
प्रदष
8. पु न: उपयोग योग्य डस्टर और झाड़ू का उपयोग करें ।
ू ण  हानि पहुँचाता है अपने दोस्तों और रिश्ते दारों के  इस बारे में जागरूक करें ।
9.प्रदष
10.घरों का कचरा बाहर खु ले में नहीं फेंकना चाहिए।
11.खनिज पदार्थ्   भी सावधानी  से प्रयोग करने चाहिए  ताकि  भविष्य के लिये भी प्रयोग किये ज।
सके ।
ू त करना चाहिए और अधिक से अधिक पे ड पौधे   लगाने चाहिये   ताकि
12. हमें वायु को भी कम दषि
अम्लीय वर्षा को रोक।| ज। सके  ।
13. यदि  हम बे हतर जीवन जीन| चाहते   हैं और वातवरन मे   शु ध्ध्ता चाहते   हैं वनो को सरन्क्षित  करना 
होगा  |
14.हमें ऐसी चीजों का इस्ते माल करना चाहिए जिन्हें हम दोबारा से प्रयोग में ला सके। उपसंहा
निष्कर्ष

ू ण आज समु ल विश्व का सरदर्द बन चु का है । प्रदष


बढ़ता प्रदष ू ण के कारण चीजें दिन पर दिन बद से बदतर
होती जा रही है । चूँकि पूरा विश्व इसके प्रति गं भीर है । लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए हर साल
पर्यावरण दिवस, जल दिवस, ओजोन दिवस, पृ थ्वी दिवस, जै व विविधता दिवस आदि मनाये जाते है । समय-
समय पर पर्यावरण के सं रक्षण के लिए स्कॉटहोम सम्मे लन, मॉट्रियल समझौता आदि होता रहा है ।

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