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प्रस्तावना

पर्ाावरण (अंग्रेज़ी: Environment) शब्द का निर्ाा ण दो शब्दों से नर्ल कर हुआ है ।


"परर" जो हर्ारे चारों ओर है "आवरण" जो हर्ें चारों ओर से घेरे हुए है ,अर्ाा त

पर्ाा वरण का शाब्दब्दक अर्ा होता है चारों ओर से घेरे हुए। पर्ाा वरण उि सभ़ी
भौनतक, रासार्निक एवं जैनवक कारकों क़ी सर्निगत एक इकाई है जो नकस़ी

ज़ीवधाऱी अर्वा पाररतंत्ऱीर् आबाद़ी को प्रभानवत करते हैं तर्ा उिके रूप,
ज़ीवि और ज़ीनवता को तर् करते हैं । पर्ाा वरण वह है जो नक प्रत्येक ज़ीव के
सार् जुडा हुआ है हर्ारे चारों तरफ़ वह हर्ेशा व्याप्त होता है ।

सार्ान्य अर्ों र्ें र्ह हर्ारे ज़ीवि को प्रभानवत करिे वाले सभ़ी जैनवक और

अजैनवक तत्ों, तथ्ों, प्रनिर्ाओं और घटिाओं के सर्ुच्चर् से निनर्ात इकाई है ।


र्ह हर्ारे चारों ओर व्याप्त है और हर्ारे ज़ीवि क़ी प्रत्येक घटिा इस़ी के अन्दर

सम्पानदत होत़ी है तर्ा हर् र्िुष्य अपि़ी सर्स्त निर्ाओं से इस पर्ाा वरण को

भ़ी प्रभानवत करते हैं । इस प्रकार एक ज़ीवधाऱी और उसके पर्ाा वरण के ब़ीच
अन्योन्याश्रर् संबंध भ़ी होता है ।

पर्ाा वरण के जैनवक संघटकों र्ें सूक्ष्म ज़ीवाणु से लेकर क़ीडे -र्कोडे , सभ़ी ज़ीव-
जंतु और पेड-पौधे आ जाते हैं और इसके सार् ह़ी उिसे जुड़ी साऱी जैव निर्ाएँ

और प्रनिर्ाएँ भ़ी। अजैनवक संघटकों र्ें ज़ीविरनहत तत् और उिसे जुड़ी


प्रनिर्ाएँ आत़ी हैं , जैसे: चट्टािें, पवात, िद़ी, हवा और जलवार्ु के तत् इत्यानद।

सार्ान्यतः पर्ाा वरण को र्िुष्य के संदभा र्ें पररभानित नकर्ा जाता है और


र्िुष्य को एक अलग इकाई और उसके चारों ओर व्याप्त अन्य सर्स्त च़ीजों
को उसका पर्ाा वरण घोनित कर नदर्ा जाता है । नकन्तु र्हाँ र्ह भ़ी ध्यातव्य है
नक अभ़ी भ़ी इस धरत़ी पर बहुत स़ी र्ािव सभ्यताएँ हैं , जो अपिे को पर्ाा वरण
से अलग िह़ीं र्ाित़ीं और उिक़ी िजर र्ें सर्स्त प्रकृनत एक ह़ी इकाई
है ।नजसका र्िुष्य भ़ी एक नहस्सा है ।वस्तुतः र्िुष्य को पर्ाा वरण से अलग र्ाििे

वाले वे हैं जो तकि़ीक़ी रूप से नवकनसत हैं और नवज्ञाि और तकि़ीक के


व्यापक प्रर्ोग से अपि़ी प्राकृनतक दशाओं र्ें काफ़़ी बदलाव लािे र्ें सर्र्ा हैं ।

र्ािव हस्तक्षेप के आधार पर पर्ाा वरण को दो प्रखण्ों र्ें नवभानजत नकर्ा जाता

है - प्राकृनतक र्ा िैसनगाक पर्ाा वरण और र्ािव निनर्ात पर्ाा वरण। हालाँ नक पूणा

रूप से प्राकृनतक पर्ाा वरण (नजसर्ें र्ािव हस्तक्षेप नबल्कुल ि हुआ हो) र्ा पूणा

रूपेण र्ािव निनर्ात पर्ाा वरण (नजसर्ें सब कुछ र्िुष्य निनर्ात हो), कह़ीं िह़ीं
पाए जाते। र्ह नवभाजि प्राकृनतक प्रनिर्ाओं और दशाओं र्ें र्ािव हस्तक्षेप

क़ी र्ात्रा क़ी अनधकता और न्यूिता का द्योतक र्ात्र

है । पाररब्दथर्नतक़ी और पर्ाा वरण भूगोल र्ें प्राकृनतक पर्ाा वरण शब्द का

प्रर्ोग पर्ाा वास (habitat) के नलर्े भ़ी होता है ।

तकि़ीक़ी र्ािव द्वारा आनर्ाक उद्दे श्य और ज़ीवि र्ें नवलानसता के लक्ष्ों क़ी

प्राब्दप्त हे तु प्रकृनत के सार् व्यापक छे डछाड के निर्ाकलापों िे प्राकृनतक


पर्ाा वरण का संतुलि िि नकर्ा है , नजससे प्राकृनतक व्यवथर्ा र्ा प्रणाल़ी के
अब्दस्तत् पर ह़ी संकट उत्पन्न हो गर्ा है । इस तरह क़ी सर्स्याएँ पर्ाा वरण़ीर्

अविर्ि कहलात़ी हैं ।

पर्ाा वरण़ीर् सर्स्याएँ जैसे प्रदू िण, जलवार्ु पररवताि इत्यानद र्िुष्य को अपि़ी
ज़ीविशैल़ी के बारे र्ें पुिनवाचार के नलर्े प्रेररत कर रह़ी हैं और अब पर्ाा वरण
संरक्षण और पर्ाा वरण प्रबंधि क़ी चचाा है । र्िुष्य वैज्ञानिक और तकि़ीक़ी रूप
से अपिे द्वारा नकर्े गर्े पररवतािों से िुकसाि को नकतिा कर् करिे र्ें सक्षर् है ,
आनर्ाक और राजिैनतक नहतों क़ी टकराव र्ें पर्ाा वरण पर नकतिा ध्याि नदर्ा
जा रहा है और र्िुष्यता अपिे पर्ाा वरण के प्रनत नकति़ी जागरूक है , र्ह आज

के ज्वलंत प्रश्न हैं ।

पृथ्व़ी पर पाए जािे वाले भूनर्, जल, वार्ु, पेड पौधे एवं ज़ीव जन्तुओ का सर्ूह जो
हर्ारे चारो और हे । पर्ाा वरण कहलाता हे .पर्ाा वरण के र्े जैनवक और अजैनवक

घटक आपस र्ें अन्तनिर्ा करते है । र्ह सम्पूणा प्रनिर्ा एक तंत्र र्ें थर्ानपत

होत़ी हे .नजसे हर् पाररब्दथर्नतक़ी तंत्र के रूप र्ें जािते हे ।

आज पर्ाा वरण एक जरूऱी सवाल ह़ी िह़ीं बब्दल्क ज्वलंत र्ुद्दा बिा हुआ है
लेनकि आज लोगों र्ें इसे लेकर कोई जागरूकता िह़ीं है । ग्राऱ्ीण सर्ाज को

छोड दें तो भ़ी र्हािगऱीर् ज़ीवि र्ें इसके प्रनत खास उत्सुकता िह़ीं पाई जात़ी।
पररणार्स्वरूप पर्ाावरण सुरक्षा र्हज एक सरकाऱी एजेण्ा ह़ी बि कर रह
गर्ा है । जबनक र्ह पूरे सर्ाज से बहुत ह़ी घनिष्ठ सम्बन्ध रखिे वाला सवाल है ।

जब तक इसके प्रनत लोगों र्ें एक स्वाभानवक लगाव पैदा िह़ीं होता, पर्ाा वरण
संरक्षण एक दू र का सपिा ह़ी बिा रहे गा।

पर्ाा वरण का स़ीधा सम्बन्ध प्रकृनत से है । अपिे पररवेश र्ें हर् तरह-तरह के

ज़ीव-जन्तु, पेड-पौधे तर्ा अन्य सज़ीव-निजीव वस्तुएँ पाते हैं । र्े सब नर्लकर
पर्ाा वरण क़ी रचिा करते हैं । नवज्ञाि क़ी नवनभन्न शाखाओं जैसे-भौनतक नवज्ञाि,

रसार्ि नवज्ञाि तर्ा ज़ीव नवज्ञाि, आनद र्ें नविर् के र्ौनलक नसद्धान्तों तर्ा उिसे
सम्बन्ध प्रार्ोनगक नविर्ों का अध्यर्ि नकर्ा जाता है । परन्तु आज क़ी
आवश्यकता र्ह है नक पर्ाा वरण के नवस्तृत अध्यर्ि के सार्-सार् इससे
सम्बब्दन्धत व्यावहाररक ज्ञाि पर बल नदर्ा जाए। आधुनिक सर्ाज को पर्ाा वरण
से सम्बब्दन्धत सर्स्याओं क़ी नशक्षा व्यापक स्तर पर द़ी जाि़ी चानहए। सार् ह़ी

इससे निपटिे के बचावकाऱी उपार्ों क़ी जािकाऱी भ़ी आवश्यक है । आज के


र्श़ीि़ी र्ुग र्ें हर् ऐस़ी ब्दथर्नत से गुजर रहे हैं । प्रदू िण एक अनभशाप के रूप र्ें
सम्पूणा पर्ाा वरण को िि करिे के नलए हर्ारे सार्िे खडा है । सम्पूणा नवश्व एक

गम्भ़ीर चुिौत़ी के दौर से गुजर रहा है । र्द्यनप हर्ारे पास पर्ाा वरण सम्बन्ध़ी

पाठ्य-सार्ग्ऱी क़ी कऱ्ी है तर्ानप सन्दभा सार्ग्ऱी क़ी कऱ्ी िह़ीं है । वास्तव र्ें

आज पर्ाा वरण से सम्बद्ध उपलब्ध ज्ञाि को व्यावहाररक बिािे क़ी आवश्यकता


है तानक सर्स्या को जिर्ािस सहज रूप से सर्झ सके। ऐस़ी नविर् पररब्दथर्नत

र्ें सर्ाज को उसके कर्त्ाव्य तर्ा दानर्त् का एहसास होिा आवश्यक है । इस

प्रकार सर्ाज र्ें पर्ाा वरण के प्रनत जागरूकता पैदा क़ी जा सकत़ी है । वास्तव र्ें

सज़ीव तर्ा निजीव दो संघटक नर्लकर प्रकृनत का निर्ाा ण करते हैं । वार्ु, जल
तर्ा भूनर् निजीव घटकों र्ें आते हैं जबनक जन्तु-जगत तर्ा पादप-जगत से

नर्लकर सज़ीवों का निर्ाा ण होता है । इि संघटकों के र्ध्य एक र्हत्पूणा ररश्ता


र्ह है नक अपिे ज़ीवि-निवाा ह के नलए परस्पर निभार रहते हैं । ज़ीव-जगत र्ें
र्द्यनप र्ािव सबसे अनधक सचेति एवं संवेदिश़ील प्राण़ी है तर्ानप अपि़ी

आवश्यकताओं क़ी पूनता हे तु वह अन्य ज़ीव-जन्तुओ,ं पादप, वार्ु, जल तर्ा भूनर्


पर निभार रहता है । र्ािव के पररवेश र्ें पाए जािे वाले ज़ीव-जन्तु पादप, वार्ु,
जल तर्ा भूनर् पर्ाा वरण क़ी संरचिा करते है ।

नशक्षा के र्ाध्यर् से पर्ाा वरण का ज्ञाि नशक्षा र्ािव-ज़ीवि के बहुर्ुख़ी नवकास


का एक प्रबल साधि है । इसका र्ुख्य उद्दे श्य व्यब्दि के अन्दर शाऱीररक,
र्ािनसक, सार्ानजक, संस्कृनतक तर्ा आध्याब्दिक बुद्ध़ी एवं पररपक्वता लािा
है । नशक्षा के उद्दे श्यों क़ी पूनता हे तु प्राकृनतक वातावरण का ज्ञाि अनत आवश्यक
है । प्राकृनतक वातावरण के बारे र्ें ज्ञािाजाि क़ी परम्परा भारत़ीर् संस्कृनत र्ें

आरम्भ से ह़ी रह़ी है । परन्तु आज के भौनतकवाद़ी र्ुग र्ें पररब्दथर्नतर्ाँ नभन्न होत़ी
जा रह़ी हैं । एक ओर जहां नवज्ञाि एवं तकि़ीक़ी के नवनभन्न क्षेत्रों र्ें िए-िए
अनवष्कार हो रहे हैं । तो दू सऱी ओर र्ािव पररवेश भ़ी उस़ी गनत से प्रभानवत हो

रहा है । आिे वाल़ी प़ीढ़ी को पर्ाा वरण र्ें हो रहे पररवतािों का ज्ञाि नशक्षा के

र्ाध्यर् से होिा आवश्यक है । पर्ाा वरण तर्ा नशक्षा के अन्तसाम्बन्धों का ज्ञाि

हानसल करके कोई भ़ी व्यब्दि इस नदशा र्ें अिेक र्हत्पूणा कार्ा कर सकता
है । पर्ाा वरण का नवज्ञाि से गहरा सम्बन्ध है , नकन्तु उसक़ी नशक्षा र्ें नकस़ी प्रकार

क़ी वैज्ञानिक पेच़ीदनगर्ाँ िह़ीं हैं । नशक्षानर्ार्ों को प्रकृनत तर्ा पाररब्दथर्नतक ज्ञाि

स़ीध़ी तर्ा सरल भािा र्ें सर्झाऱ्ी जाि़ी चानहए। शुरू-शुरू र्ें र्ह ज्ञाि सतह़ी

तौर पर र्ात्र पररचर्ािक ढं ग से होिा चानहए। आगे चलकर इसके तकि़ीक़ी


पहलुओं पर नवचार नकर्ा जािा चानहए। नशक्षा के क्षेत्र र्ें पर्ाा वरण का ज्ञाि

र्ािव़ीर् सुरक्षा के नलए आवश्यक है ।

लोग अपिे आस पास के आवरण को िि करिे का हर संभव प्रर्ास र्ें लगे हुए
है । पर्ाा वरण क़ी सुरक्षा तो नसर्ा नदर्ाग र्े ह़ी

है । िगऱीकरण तर्ा औद्योग़ीकरण के कारण पर्ाा वरण का अनधक से अनधक


दोहि हो रहा है और इसका स़ीधा पररणार् र्ह़ी निकल कर आ रहा है नक
पर्ाा वरण का संतुलि नवगडता जा रहा है नजससे कह़ीं सूखा कह़ी अनतवृनि जैस़ी

सर्स्याएं उत्पन्न होत़ी जा रह़ी है । जो जऱ्ीि कल तक उपजाऊ ऱ्ी आज दे खा


जाए तो उसर्ें अच्छ़ी र्सल िह़ी होत़ी और ऐसा प्रत़ीत होता है नक आिे वाले
सर्र् र्े र्ह बंजर हो जाएग़ी। हर्े पर्ाा वरण के संतुलि कर नलए सभ़ी को
नर्लकर कदर् बढािा होगा िह़ी तो र्ह वसुन्धरा कह़ी जािे वाल़ी हर्ाऱी पृथ्व़ी
एक नदि बन्जर होकर रह जार्ेग़ी और इससे ज़ीवि सर्ाप्त हो जाएगा और र्ह

नर्र से वह़ी आकाश नपण् का गोला बिकर रह जार्ेग़ी।

पर्ाा वरण अपि़ी सम्पूणाता र्ें एक इकाई है नजसर्ें अजैनवक और जैनवक


संघटक आपस र्ें नवनभन्न अन्तनिार्ाओं द्वारा संबद्ध और अंतगुाब्दफर्त होते हैं ।

इसक़ी र्ह नवशेिता इसे एक पाररतंत्र का रूप प्रदाि करत़ी है क्ोंनक

पाररब्दथर्नतक तंत्र र्ा पाररतंत्र पृथ्व़ी के नकस़ी क्षेत्र र्ें सर्स्त जैनवक और

अजैनवक तत्ों के अंतसाम्बंनधत सर्ुच्चर् को कहते हैं । अतः पर्ाा वरण भ़ी एक
पाररतंत्र है ।

पृथ्व़ी पर पैर्ािे (scale) के नहसाब से सबसे वृहर्त्र् पाररतंत्र जैवर्ंडल को र्ािा

जाता है । जैवर्ंडल पृथ्व़ी का वह भाग है नजसर्ें ज़ीवधाऱी पाए जाते हैं और र्ह

थर्लर्ंडल, जलर्ण्ल तर्ा वार्ुर्ण्ल र्ें व्याप्त है । पूरे पानर्ाव पर्ाा वरण क़ी
रचिा भ़ी इऩ्ीं इकाइर्ों से हुई है , अतः इि अर्ों र्ें वैनश्वक पर्ाा वरण, जैवर्ण्ल

और पानर्ाव पाररतंत्र एक दू सरे के सर्ािार्ी हो जाते हैं ।

र्ािा जाता है नक पृथ्व़ी के वार्ुर्ण्ल का वतार्ाि संघटि और इसर्ें

ऑक्स़ीजि क़ी वतार्ाि र्ात्रा पृथ्व़ी पर ज़ीवि होिे का कारण ह़ी िह़ीं अनपतु

पररणार् भ़ी है । प्रकाश-संश्लेिण, जो एक जैनवक (र्ा पाररब्दथर्नतक़ीर् अर्वा


जैवर्ण्ल़ीर्) प्रनिर्ा है , पृथ्व़ी के वार्ुर्ण्ल के गठि को प्रभानवत करिे वाल़ी
र्हत्पूणा प्रनिर्ा रह़ी है । इस प्रकार के नचंति से जुड़ी नवचारधारा पूऱी पृथ्व़ी को
एक इकाई गार्ा र्ा सज़ीव पृथ्व़ी (living earth) के रूप र्ें दे खत़ी है ।
पर्ाावरण के प्रकार

पर्ाा वरण को हर् दो भागों र्ें बां ट सकते है -

1-भौनतक पर्ाा वरण

2-अभौनतक पर्ाा वरण

भौतिक पर्ाावरण

भौनतक पर्ाा वरण वह है जो हर्ारे चारो ओर हर्ाऱी आं खों के सार्िे नवद्यर्ाि


है । नजसे हर् अपिे हां र्ो से छूकर दे ख सकते है , इसका आभास भ़ी कर सकते
है । र्े आवरण बहुत सुंदर दृश्य के रुप र्ें हर्ाऱी आं खों के सार्िे रहता है । कह़ी

पर इसक़ी सुंदरता बहुत हो र्िर्ोहक होत़ी है । नजसे आज के सर्र् र्ें पर्ाटि

थर्ल के रूप र्ें निनहत नकर्ा गर्ा है ।

प्राच़ीि सर्र् र्े भौनतक पर्ाा वरण के प्रनत लोग बहुत ह़ी अनभरुनच रखते र्े।

और इसे सजािे के नलए नित्य तत्पर रहते र्े । परं तु वतार्ाि सर्र् र्े इसका

नवपऱीत है लोग इसे नर्टािे क़ी और नदि प्रनतनदि तत्पर होते जा रहे है । और
इसका खूब दोहि कर रहे सुंदर बिो को उजाड कर वहाँ पर बडे बडे र्ैदाि

निकलिे र्ें लगे है , बड़ी बड़ी चट्टािों को नर्टाकर वहां पर रास्ते निकालिे र्ें लगे
है । इसक़ी रक्षा करिा हर्ारा कताव्य है ।

अभौतिक पर्ाावरण

अभौनतक पर्ाा वरण वह है जो नक हर्े प्रत्यक्ष नदखाई िह़ी दे ता नजसका नसर्ा


आभास कर सकते है । र्ह भ़ी हर्ारे चारों ओर व्याप्त है । र्ह हर्ें नसर्ा ऱीनत
ररवाज, धर्ा, आथर्ा, नवस्वास इत्यानद र्ें नदखाई दे ता है ।
इसका भ़ी पति आजकल के सर्र् र्े दे खिे र्े नर्लता है पुरािे सर्र् र्े जो
ऱीनत ररवाज हर्ारे पूवाजो िे बिार्े र्े, जो आथर्ा भाव का निर्ााण नकर्ा गर्ा र्ा
आज उसका पति होता जा रहा है । लोग ऱीनत ररवाजों का उलंघि करिे के नलए

अग्रण़ी होते जा रहे है । उदाहरण के नलए पहले शाद़ी नववाहों र्ें एक नवशेि ऱीनत
ररवाज का प्रचलि र्ा शाद़ी होिे से पहले वर को बधू का र्ुख दे खिा अशुभ
र्ािा जाता र्ा, र्गर आज के सर्र् र्े जब तक लडका/लडक़ी अपिे स्वेच्छा से

ह़ी शाद़ी करते है और एक दू सरे को आपस र्े दे खे बगैर शाद़ी तर् िह़ी होत़ी है ।

र्ह सह़ी क़ी पुरािे ररवाजो र्ें शोध करिा आवश्यक है परं तु इसका उलंघि

करिा कदानचत उनचत िह़ी है ।


भारि में पर्ाावरण की समस्या

भारत र्ें पर्ाा वरण क़ी कई सर्स्या है । वार्ु प्रदू िण, जल प्रदू िण, कचरा, और
प्राकृनतक पर्ाा वरण के प्रदू िण भारत के नलए चुिौनतर्ाँ हैं । पर्ाा वरण क़ी

सर्स्या क़ी पररब्दथर्नत 1947 से 1995 तक बहुत ह़ी खराब ऱ्ी। 1995 से २०१० के
ब़ीच नवश्व बैंक के नवशेिज्ञों के अध्यर्ि के अिुसार, अपिे पर्ाा वरण के र्ुद्दों को

संबोनधत करिे और अपिे पर्ाा वरण क़ी गुणवर्त्ा र्ें सुधार लािे र्ें भारत दु निर्ा
र्ें सबसे तेज़ी से प्रगनत कर रहा है । नर्र भ़ी, भारत नवकनसत अर्ाव्यवथर्ाओं

वाले दे शों के स्तर तक आिे र्ें इस़ी तरह के पर्ाा वरण क़ी गुणवर्त्ा तक पहुँ चिे

के नलए एक लंबा रास्ता तर् करिा है । भारत के नलए एक बड़ी चुिौत़ी और


अवसर है । पर्ाा वरण क़ी सर्स्या का, ब़ीर्ाऱी, स्वास्थ्य के र्ुद्दों और भारत के

नलए लंबे सर्र् तक आज़ीनवका पर प्रभाव का र्ुख्य कारण हैं ।

कुछ पर्ाा वरण के र्ुद्दों के बारे र्ें कारण के रूप र्ें आनर्ाक नवकास को उद् धृत
नकर्ा है ।दू सरे , आनर्ाक नवकास र्ें भारत के पर्ाा वरण प्रबंधि र्ें सुधार लािे

और दे श के प्रदू िण को रोकिे के नलए र्हत्पूणा है नवश्वास करते हैं ।बढत़ी

जिसंख्या भारत के पर्ाा वरण क्षरण का प्रार्नर्क कारण भ़ी है ऐसा सुझाव नदर्ा
गर्ा है ।व्यवब्दथर्त अध्यर्ि र्ें इस नसद्धां त को चुिौत़ी द़ी गई है

तेज़ी से बढत़ी हुई जिसंख्या व आनर्ाक नवकास और शहऱीकरण व

औद्योग़ीकरण र्ें अनिर्ंनत्रत वृब्दद्ध, बडे पैर्ािे पर औद्योग़ीक नवस्तार तर्ा


त़ीव्ऱीकरण, तर्ा जंगलों का िि होिा इत्यानद भारत र्ें पर्ाा वरण संबंध़ी
सर्स्याओं के प्रर्ुख कारण हैं ।
प्रर्ुख पर्ाा वरण़ीर् र्ुद्दों र्ें वि और कृनि-भूनर्क्षरण, संसाधि ररि़ीकरण (पाि़ी,
खनिज, वि, रे त, पत्थर आनद), पर्ाा वरण क्षरण, सावाजनिक स्वास्थ्य, जैव
नवनवधता र्ें कऱ्ी, पाररब्दथर्नतक़ी प्रणानलर्ों र्ें लच़ीलेपि क़ी कऱ्ी, गऱीबों के

नलए आज़ीनवका सुरक्षा शानर्ल हैं ।

र्ह अिुर्ाि है नक दे श क़ी जिसंख्या विा 2018 तक 1.26 अरब तक बढ जाएग़ी.


अिुर्ानित जिसंख्या का संकेत है नक 2050 तक भारत दु निर्ा र्ें सबसे अनधक

आबाद़ी वाला दे श होगा और च़ीि का थर्ाि दू सरा होगा। दु निर्ा के कुल

क्षेत्रर्ल का 2.4% परन्तु नवश्व क़ी जिसंख्या का 17.5% धारण कर भारत का अपिे

प्राकृनतक संसाधिों पर दबाव काऱ्ी बढ गर्ा है । कई क्षेत्रों पर पाि़ी क़ी कऱ्ी,


नर्ट्ट़ी का कटाव और कऱ्ी, विों क़ी कटाई, वार्ु और जल प्रदू िण के कारण बुरा

असर पडता है ।

भारत क़ी पर्ाा वरण़ीर् सर्स्याओं र्ें नवनभन्न प्राकृनतक खतरे , नवशेि रूप से
चिवात और वानिाक र्ािसूि बाढ, जिसंख्या वृब्दद्ध, बढत़ी हुई व्यब्दिगत

खपत, औद्योग़ीकरण, ढां चागत नवकास, घनटर्ा कृनि पद्धनतर्ां और संसाधिों


का असर्ाि नवतरण हैं और इिके कारण भारत के प्राकृनतक वातावरण र्ें
अत्यनधक र्ािव़ीर् पररवताि हो रहा है । एक अिुर्ाि के अिुसार खेत़ी र्ोग्य

भूनर् का 60% भूनर् कटाव, जलभराव और लवणता से ग्रस्त है । र्ह भ़ी अिुर्ाि
है नक नर्ट्ट़ी क़ी ऊपऱी परत र्ें से प्रनतविा 4.7 से 12 अरब टि नर्ट्ट़ी कटाव के

कारण खो रह़ी है । 1947 से 2002 के ब़ीच, पाि़ी क़ी औसत वानिाक उपलब्धता प्रनत
व्यब्दि 70% कर् होकर 1822 घि ऱ्ीटर रह गऱ्ी है तर्ा भूगभा जल का अत्यनधक
दोहि हररर्ाणा, पंजाब व उर्त्र प्रदे श र्ें एक सर्स्या का रूप ले चुका है । भारत
र्ें वि क्षेत्र इसके भौगोनलक क्षेत्र का 18.34% (637,000 वगा नकऱ्ी) है । दे श भर के
विों के लगभग आधे र्ध्य प्रदे श (20.7%) और पूवोर्त्र के सात प्रदे शों (25.7%) र्ें

पाए जाते हैं ; इिर्ें से पूवोर्त्र राज्ों के वि तेज़ी से िि हो रहे हैं । विों क़ी कटाई
ईंधि के नलए लकड़ी और कृनि भूनर् के नवस्तार के नलए हो रह़ी है । र्ह प्रचलि
औद्योनगक और र्ोटर वाहि प्रदू िण के सार् नर्ल कर वातावरण का तापर्ाि

बढा दे ता है नजसक़ी वजह से विाण का स्वरुप बदल जाता है और अकाल क़ी

आवृनर्त् बढ जात़ी है ।

पावात़ी ब्दथर्त भारत़ीर् कृनि अिुसंधाि संथर्ाि का अिुर्ाि है नक तापर्ाि र्ें 3


नडग्ऱी सेब्दिर्स क़ी वृब्दद्ध सालािा गेहं क़ी पैदावार र्ें 15-20% क़ी कऱ्ी कर दे ग़ी.

एक ऐसे रािर के नलए, नजसक़ी आबाद़ी का बहुत बडा भाग र्ूलभूत स्रोतों क़ी

उत्पादकता पर निभार रहता हो और नजसका आनर्ाक नवकास बडे पैर्ािे पर

औद्योनगक नवकास पर निभार हो, र्े बहुत बड़ी सर्स्याएं हैं । पूवी और पूवोर्त्र
राज्ों र्ें हो रहे िागररक संघिा र्ें प्राकृनतक संसाधिों के र्ुद्दे शानर्ल हैं - सबसे

नवशेि रूप से वि और कृनि र्ोग्य भूनर्, जंगल और जऱ्ीि क़ी कृनि नगरावट,
संसाधिों क़ी कऱ्ी (पाि़ी, खनिज, वि, रे त, पत्थर आनद),पर्ाा वरण क्षरण,
सावाजनिक स्वास्थ्य, जैव नवनवधता के िुकसाि, पाररब्दथर्नतक़ी प्रणानलर्ों र्ें

लच़ीलेपि क़ी कऱ्ी है , गऱीबों के नलए आज़ीनवका सुरक्षा है । भारत र्ें प्रदू िण का
प्रर्ुख स्रोत ऐस़ी ऊजाा का प्रार्नर्क स्रोत के रूप र्ें पशुओं से सूखे कचरे के
रूप र्ें फ्युलवुड और बार्ोर्ास का बडे पैर्ािे पर जलिा, संगनठत कचरा और

कचरे को हटािे सेवाओं क़ी एस़ीके, र्लजल उपचार के संचालि क़ी कऱ्ी, बाढ
निर्ंत्रण और र्ािसूि पाि़ी क़ी निकास़ी प्रणाल़ी, िनदर्ों र्ें उपभोिा कचरे के
र्ोड, प्रर्ुख िनदर्ों के पास दाह संस्कार प्रर्ाओं क़ी कऱ्ी है , सरकार अत्यनधक
पुरािा सावाजनिक पररवहि प्रदू िण क़ी सुरक्षा अनिवार्ा है , और जाऱी रखा 1950-
1980 के ब़ीच बिार्ा सरकार के स्वानर्त् वाले, उच्च उत्सजाि पौधों क़ी भारत

सरकार द्वारा आपरे शि है ।

वार्ु प्रदू िण, गऱीब कचरे का प्रबंधि, बढ रह़ी पाि़ी क़ी कऱ्ी, नगरते भूजल
टे बल, जल प्रदू िण, संरक्षण और विों क़ी गुणवर्त्ा, जैव नवनवधता के िुकसाि,

और भूनर् / नर्ट्ट़ी का क्षरण प्रर्ुख पर्ाा वरण़ीर् र्ुद्दों र्ें से कुछ भारत क़ी प्रर्ुख

सर्स्या है । भारत क़ी जिसंख्या वृब्दद्ध पर्ाा वरण के र्ुद्दों और अपिे संसाधिों के

नलए दबाव सर्स्या बढाते है ।


जल प्रदू षण

भारत के 3,119 शहरों व कस्ों र्ें से 209 र्ें आं नशक रूप से तर्ा केवल 8 र्ें
र्लजल को पूणा रूप से उपचाररत करिे क़ी सुनवधा (डब्ल्यू.एच.ओ. 1992) है । 114

शहरों र्ें अिुपचाररत िाल़ी का पाि़ी तर्ा दाह संस्कार के बाद अधजले शऱीर
स़ीधे ह़ी गंगा िद़ी र्ें बहा नदए जाते हैं । अिुप्रवाह र्ें ि़ीचे क़ी ओर, अिुपचाररत

पाि़ी को प़ीिे, िहािे और कपडे धोिे के नलए प्रर्ोग नकर्ा जाता है । र्ह ब्दथर्नत
भारत और सार् ह़ी भारत र्ें खुले र्ें शौच काऱ्ी आर् है , र्हां तक नक शहऱी
क्षेत्रों र्ें भ़ी. जल संसाधिों को इस़ीनलए घरे लू र्ा अं तराा िऱीर् नहं सक संघिा से िह़ीं

जोडा गर्ा है जैसा नक पहले कुछ पर्ावेक्षकों द्वारा अिुर्ानित र्ा। इसके कुछ

संभानवत अपवादों र्ें कावेऱी िद़ी के जल नवतरण से सम्बंनधत जानतगत नहं सा


तर्ा इससे जुडा राजिैनतक तिाव नजसर्ें वास्तनवक और संभानवत जिसर्ूह जो

नक बां ध पररर्ोजिाओं के कारण नवथर्ानपत होते हैं , नवशेिकर िर्ादा िद़ी पर

बििे वाल़ी ऐस़ी पररर्ोजिाएं शानर्ल हैं । आज पंजाब प्रदू िण के पिपिे का एक


संभानवत थर्ाि है , उदाहरण के नलए बुड्ढा िुल्ला िार् क़ी एक छोट़ी िद़ी जो

पंजाब, भारत के र्ालवा क्षेत्र से है , र्ह लु नधर्ािा नजले जैस़ी घि़ी आबाद़ी वाले

क्षेत्र से होकर आत़ी है और नर्र सतलज िद़ी, जो नक नसन्धु िद़ी क़ी सहार्क
िद़ी है , र्ें नर्ल जात़ी है , हाल क़ी शोधों के अिुसार र्ह इं नगत नकर्ा गर्ा है नक

एक बार और भोपाल जैस़ी पररब्दथर्नतर्ां बििे वाल़ी हैं । 2008 र्ें

प़ीज़ीआईएर्ईआर और पंजाब प्रदू िण निर्ंत्रण बोडा द्वारा नकर्े गए संर्ुि


अध्यर्ि से पता चला नक िुल्ला के आस पास के नजलों र्ें भूनर्गत जल तर्ा िल
के पाि़ी र्ें स्व़ीकृत स़ीर्ा (एर्प़ीएल) से कह़ीं अनधक र्ात्रा र्ें कैब्दशशर्र्,
र्ैग्ऩीनशर्र्, फ्लोराइड, र्रकऱी तर्ा ब़ीटा-एं डोसल्फाि व हे प्टाक्लोर जैसे
क़ीटिाशक पाए गए। इसके अलावा पाि़ी र्ें स़ीओड़ी तर्ा ब़ीओड़ी
(रासार्निक व जैवरासार्निक ऑक्स़ीजि क़ी र्ां ग), अर्ोनिर्ा, र्ॉस्फेट,

क्लोराइड, िोनर्र्र् व आसेनिक तर्ा क्लोरपार्ऱीर्ौस जैसे क़ीटिाशक भ़ी


अनधक सां द्रता र्ें र्े। भूनर्गत जल र्ें भ़ी निकल व सेलेनिर्र् पाए गए और िल
के पाि़ी र्ें स़ीसा, निकल और कैडनर्र्र् क़ी उच्च सां द्रता नर्ल़ी।

र्ुंबई िगर से होकर बहिे वाल़ी ऱ्ीठ़ी िद़ी भ़ी बहुत प्रदू नित है ।

गंगा
प्रदू नित गंगा िद़ी पर लाखों निभार करते हैं ।

गंगा िद़ी के नकिारे 40 करोड से भ़ी अनधक लोग रहते हैं । नहन्दु ओं के द्वारा

पनवत्र र्ाि़ी जािे वाल़ी इस िद़ी र्ें लगभग 2,000,000 लोग निर्नर्त रूप से

धानर्ाक आथर्ा के कारण स्नाि करते हैं । नहन्दू धर्ा र्ें कहा जाता है नक र्ह िद़ी

भगवि नवष्णु के कर्ल चरणों से (वैष्णवों क़ी र्ान्यता) अर्वा नशव क़ी जटाओं

से (शैवों क़ी र्ान्यता) बहत़ी है । आध्याब्दिक और धानर्ाक र्हत् के नलए इस

िद़ी क़ी तुलिा प्राच़ीि नर्स्र वानसर्ों के ि़ील िद़ी से क़ी जा सकत़ी है । जबनक
गंगा को पनवत्र र्ािा जाता है , वह़ीं इसके पाररब्दथर्नतक़ी तंत्र से संबंनधत कुछ

सर्स्याएं भ़ी हैं । र्ह रासार्निक कचरे , िाल़ी के पाि़ी और र्ािव व पशुओं क़ी

लाशों के अवशेिों से भऱी हुई है और इसर्ें स़ीधे िहािा (उदाहरण के नलए


नबल्हारनजर्ानसस संिर्ण) अर्वा इसका जल प़ीिा (र्ेकल-र्ौब्दखक र्ागा से)
प्रत्यक्ष रूप से खतरिाक है ।
र्मुना

पनवत्र र्र्ुिा िद़ी को न्यूज व़ीक द्वारा "काले क़ीचड क़ी बदबूदार पट्ट़ी" कहा
गर्ा नजसर्ें र्ेकल ज़ीवाणु क़ी संख्या सुरनक्षत स़ीर्ा से 10,000 गुणा अनधक पाऱ्ी

गऱ्ी और ऐसा इस सर्स्या के सर्ाधाि हे तु 15 विीर् कार्ािर् के बाद


है । है जा र्हार्ाऱी से कोई अपररनचत िह़ीं है ।

जल प्रदू षण के कारण
जल प्रदू िण के नवनभन्न कारण निम्ननलब्दखत है ः-

1. र्ािव र्ल का िनदर्ों, िहरों आनद र्ें नवसजाि।


2. सर्ाई तर्ा स़ीवर का उनचत प्रबंध्न ि होिा।
3. नवनभन्न औद्योनगक इकाइर्ों द्वारा अपिे कचरे तर्ा गंदे पाि़ी का िनदर्ों,
िहरों र्ें नवसजाि।
4. कृनि कार्ों र्ें उपर्ोग होिे वाले जहऱीले रसार्िों तर्ा खादों का पाि़ी र्ें
घुलिा।
5. िनदर्ों र्ें कूडे -कचरे , र्ािव-शवों और पारम्पररक प्रर्ाओं का पालि
करते हुए उपर्ोग र्ें आिे वाले प्रत्येक घरे लू सार्ग्ऱी का सऱ्ीप के जल
स्रोत र्ें नवसजाि।
6. गंदे िालों,स़ीवरों के पाि़ी का िनदर्ों र्े छोङा जािा।
7. कच्चा पेटरोल, कुँओं से निकालते सर्र् सर्ुद्र र्ें नर्ल जाता है नजससे जल
प्रदू नित होता है ।
8. कुछ क़ीटिाशक पदार्ा जैसे ड़ीड़ीट़ी, ब़ीएचस़ी आनद के नछडकाव से
जल प्रदू नित हो जाता है तर्ा सर्ुद्ऱी जािवरों एवं र्छनलर्ों आनद को
हानि पहुँ चाता है । अंतत: खाद्य श्रृंखला को प्रभानवत करते हैं ।

जल प्रदू षण के प्रभाव
जल प्रदू िण के निम्ननलब्दखत प्रभाव है ः

1. इससे र्िुष्य, पशु तर्ा पनक्षर्ों के स्वास्थ्य को खतरा उत्पन्न होता है । इससे
टाईर्ाइड, प़ीनलर्ा, है जा, गैब्दररक आनद ब़ीर्ाररर्ां पैदा होत़ी हैं ।
2. इससे नवनभन्न ज़ीव तर्ा वािस्पनतक प्रजानतर्ों को िुकसाि पहुँ चता है ।
3. इससे प़ीिे के पाि़ी क़ी कऱ्ी बढत़ी है , क्ोंनक िनदर्ों, िहरों र्हाँ तक नक
जऱ्ीि के भ़ीतर का पाि़ी भ़ी प्रदू नित हो जाता है ।
4. सूक्ष्म-ज़ीव जल र्ें घुले हुर्े ऑक्स़ीजि के एक बडे भाग को अपिे उपर्ोग
के नलर्े अवशोनित कर लेते हैं । जब जल र्ें जैनवक द्रव्य बहुत अनधक
होते हैं तब जल र्ें ऑक्स़ीजि क़ी र्ात्रा कर् हो जात़ी है । नजसके कारण
जल र्ें रहिे वाले ज़ीव-जन्तुओं क़ी र्ृत्यु हो जात़ी है ।
5. प्रदू नित जल से खेतों र्ें नसंचाई करिे पर प्रदू िक तत् पौधों र्ें प्रवेश कर
जाते हैं । इि पौधों अर्वा इिके र्लों को खािे से अिेक भर्ंकर
ब़ीर्ाररर्ाँ उत्पन्न हो जात़ी हैं ।
6. र्िुष्य द्वारा पृथ्व़ी का कूडा-कचरा सर्ुद्र र्ें डाला जा रहा है । िनदर्ाँ भ़ी
अपिा प्रदू नित जल सर्ुद्र र्ें नर्लाकर उसे लगातार प्रदू नित कर रह़ी हैं ।
वैज्ञानिकों िे चेतावि़ी द़ी है नक र्नद भू-र्ध्य सागर र्ें कूडा-कचरा डालिा
बंद ि नकर्ा गर्ा तो डॉलनर्ि और टू िा जैस़ी सुंदर र्छनलर्ों का र्ह
सागर श़ीघ्र ह़ी इिका कब्रगाह बि जाएगा।
7. औद्योनगक प्रनिर्ाओं से उत्पन्न रासार्निक पदार्ा प्रार्: क्लोऱीि,
अर्ोनिर्ा, हाइडरोजि सल्फाइड, जस्ता,निनकल एवं पारा आनद नविैले
पदार्ों से र्ुि होते हैं ।
8. र्नद र्ह जल प़ीिे के र्ाध्यर् से अर्वा इस जल र्ें पलिे वाल़ी र्छनलर्ों
को खािे के र्ाध्यर् से शऱीर र्ें पहुँ च जार्ें तो गंभ़ीर ब़ीर्ाररर्ों का कारण
बि जाता है |
9. नजसर्ें अंधापि, शऱीर के अंगों को लकवा र्ार जािा और श्वसि निर्ा
आनद का नवकार शानर्ल है । जब र्ह जल, कपडा धोिे अर्वा िहािे के
नलर्े निर्नर्त प्रर्ोग र्ें लार्ा जाता है तो त्चा रोग उत्पन्न हो जाता है ।
वार्ु प्रदू षण

भारत़ीर् शहर वाहिों और उद्योगों के उत्सजाि से प्रदू नित हैं । सडक पर वाहिों
के कारण उडिे वाल़ी धूल भ़ी वार्ु प्रदू िण र्ें 33% तक का र्ोगदाि करत़ी है ।

बंगलुरु जैसे शहर र्ें लगभग 50% बच्चे अथर्र्ा से प़ीनडत हैं । भारत र्ें 2005 के
बाद से वाहिों के नलए भारत रे ज दो (र्ूरो II) के उत्सजाि र्ािक लागू हैं ।

भारत र्ें वार्ु प्रदू िण का सबसे बडा कारण पररवहि क़ी व्यवथर्ा है । लाखों
पुरािे ड़ीजल इं जि वह ड़ीजल जला रहे हैं नजसर्ें र्ूरोप़ीर् ड़ीजल से 150 से 190
गुणा अनधक गंधक उपब्दथर्त है । बेशक सबसे बड़ी सर्स्या बडे शहरों र्ें है जहां

इि वाहिों का घित् बहुत अनधक है । सकारािक पक्ष पर, सरकार इस बड़ी

सर्स्या और लोगों से संबद्ध स्वास्थ्य जोब्दखर्ों पर प्रनतनिर्ा करते हुए ध़ीरे -ध़ीरे
लेनकि निनित रूप से कदर् उठा रह़ी है । पहल़ी बार 2001 र्ें र्ह निणार् नलर्ा

गर्ा नक सम्पूणा सावाजनिक र्ातार्ात प्रणाल़ी, टर े िों को छोड कर, कंप्रेथड गैस

(स़ीप़ीज़ी) पर चलिे लार्क बिाऱ्ी जाएग़ी. नवद् र्ुत् चानलत ररक्शा नडजाइि
नकर्ा जा रहा है और सरकार द्वारा इसपर ररर्ार्त भ़ी द़ी जाएग़ी परन्तु नदल्ल़ी

र्ें साइनकल ररक्शा पर प्रनतबन्ध है और इसके कारण वहां र्ातार्ात के अन्य


र्ाध्यर्ों पर निभारता होग़ी, र्ुख्य रूप से इं जि वाले वाहिों पर र्ह भ़ी प्रकट

हुआ है नक अत्यनधक प्रदू िण से ताजर्हल पर प्रनतकूल प्रभाव पड रहा र्ा।


अदालत द्वारा इस क्षेत्र र्ें सभ़ी प्रकार के वाहिों पर रोक लगार्े जािे के पिात

इस इलाके क़ी सभ़ी औद्योनगक इकाइर्ों को भ़ी बंद कर नदर्ा गर्ा। बडे शहरों
र्ें वार्ु प्रदू िण इस कदर बढ रहा है नक अब र्ह नवश्व स्वास्थ्य संगठि
(डब्ल्यूएचओ) द्वारा नदए गए र्ािक से लगभग 2.3 गुिा तक हो चुका है ।
वार्ु प्रदू षण के कारण

वार्ु प्रदू िण के कुछ सार्ान्य कारण हैं :

• वाहिों से निकलिे वाला धुआँ।

• औद्योनगक इकाइर्ों से निकलिे वाला धुँआ तर्ा रसार्ि।

• आणनवक संर्त्रों से निकलिे वाल़ी गैसें तर्ा धूल-कण।

• जंगलों र्ें पेड पौधें के जलिे से, कोर्ले के जलिे से तर्ा तेल शोधि
कारखािों आनद से निकलिे वाला धुआँ।

• ज्वाला र्ुख़ी नवस्फोट(जलवाष्प, So2)

वार्ु प्रदू षण का प्रभाव

वार्ु प्रदू िण हर्ारे वातावरण तर्ा हर्ारे ऊपर अिेक प्रभाव डालता है ।

उिर्ें से कुछ निम्ननलब्दखत है

• (1) हवा र्ें अवां नछत गैसों क़ी उपब्दथर्नत से र्िुष्य, पशुओं तर्ा पनक्षर्ों
को गंभ़ीर सर्स्याओं का सार्िा करिा पडता है । इससे दर्ा, सदी-खाँ स़ी,

अँधापि, श्रव का कर्जोर होिा, त्चा रोग जैस़ी ब़ीर्ाररर्ाँ पैदा होत़ी हैं ।

लंबे (लम्बे) सर्र् के बाद इससे जिनिक नवकृनतर्ाँ उत्पन्न हो जात़ी हैं
और अपि़ी चरर्स़ीर्ा पर र्ह घातक भ़ी हो सकत़ी है ।

• (2) वार्ु प्रदू िण से सनदा र्ों र्ें कोहरा छार्ा रहता है , इससे प्राकृनतक
दृश्यता र्ें कऱ्ी आत़ी है तर्ा आँ खों र्ें जलि होत़ी है ।
• (3) ओजोि परत, हर्ाऱी पृथ्व़ी के चारों ओर एक सुरक्षािक गैस क़ी
परत है । जो हर्ें सूर्ा से आिेवाल़ी हानिकारक अल्ट्र ावार्लेट नकरणों से
बचात़ी है । वार्ु प्रदू िण के कारण ज़ीि अपररवताि, अिुवाशंक़ीर् तर्ा

त्चा कैंसर के खतरे बढ जाते हैं ।

• (4) वार्ु प्रदू िण के कारण पृथ्व़ी का तापर्ाि बढता है , क्ोंनक सूर्ा से

आिे वाल़ी गर्ी के कारण पर्ाा वरण र्ें काबाि डाइ आक्साइड, ऱ्ीर्ेि तर्ा
िाइटर स आक्साइड का प्रभाव कर् िह़ीं होता है , जो नक हानिकारक है ।

• (5) वार्ु प्रदू नित क्षेत्रों र्ें जब बरसात होत़ी है तो विाा र्ें नवनभन्न प्रकार क़ी

गैसें एवं नविैले पदार्ा घुलकर धरत़ी पर आ जाते हैं ,नजसे ‘अम्ल विाा ’ कहा
जाता है
ध्वतन प्रदू षण

भारत के सवोच्च न्यार्लर् द्वारा ध्वनि प्रदू िण पर एक र्हत्पूणा र्ैसला सुिार्ा


गर्ा। वाहिों के हॉिा क़ी आवाज शहरों र्ें शोर के डे नसनबल स्तर को
अिावश्यक रूप से बढा दे त़ी है । राजिैनतक कारणों से तर्ा र्ंनदरों व र्ब्दिदों
र्ें लाउडस्प़ीकर का प्रर्ोग ररहार्श़ी इलाकों र्ें ध्वनि प्रदू िण के स्तर को बढाता
है ।
हाल ह़ी र्ें भारत सरकार िे शहऱी और ग्राऱ्ीण क्षेत्रों र्ें ध्वनि स्तर के र्ािदं डों
को स्व़ीकृत नकर्ा है । इिक़ी निगराि़ी व निर्ान्वि कैसे होगा र्ह अभ़ी भ़ी
सुनिनित िह़ीं है ।

ध्वतन प्रदू षण का कारण

शहरों एवं गाँ वों र्ें नकस़ी भ़ी त्योहार व उत्सव र्ें, राजिैनतक दलों के चुिाव प्रचार
व रै ल़ी र्ें लाउडस्प़ीकरों का अनिर्ंनत्रत इस्तेर्ाल/प्रर्ोग।

1. अनिर्ंनत्रत वाहिों के नवस्तार के कारण उिके इं जि एवं हािा के कारण।


2. औद्योनगक क्षेत्रों र्ें उच्च ध्वनि क्षर्ता के पावर सार्रि, हॉिा तर्ा र्श़ीिों
के द्वारा होिे वाले शोर।
3. जिरे टरों एवं ड़ीजल पम्पों आनद से ध्वनि प्रदू िण।

ध्वतन प्रदू षण का प्रभाव

ध्वनि प्रदू िण के प्रभाव से श्रवण शब्दि का कर्जोर होिा, नसरददा ,


नचडनचडापि, उच्चरिचाप अर्वा स्नार्नवक, र्िोवैज्ञानिक दोि उत्पन्न होिे
लगते हैं । लंबे सर्र् तक ध्वनि प्रदू िण के प्रभाव से स्वाभानवक परे शानिर्ाँ बढ
जात़ी है ।

1. ध्वनि प्रदू िण से हृदर् गनत बढ जात़ी है नजससे रिचाप, नसरददा एवं


अनिद्रा जैसे अिेक रोग उत्पन्न होते हैं ।
2. िवजात नशशुओं के स्वास्थ्य पर ध्वनि प्रदू िण का बुरा प्रभाव पडता है
तर्ा इससे कई प्रकार क़ी शाऱीररक नवकृनतर्ां उत्पन्न हो जात़ी हैं ।
गैब्दररक, अिर और दर्ा जैसे शाऱीररक रोगों तर्ा र्काि एवं
नचडनचडापि जैसे र्िोनवकारों का कारण भ़ी ध्वनि प्रदू िण ह़ी है ।
भूतम प्रदू षण

भारत र्ें भूनर् प्रदू िण क़ीटिाशकों और उवारकों के सार्-सार् क्षरण क़ी वजह
से हो रहा है ।र्ाचा 2009 र्ें पंजाब र्ें र्ुरेनिर्र् नविािता का र्ार्ला प्रकाश र्ें

आर्ा, इसका कारण ताप नवद् र्ुत् गृहों द्वारा बिार्े गए राख के तालाब र्े, इिसे
पंजाब के र्ऱीदकोट तर्ा भनटं डा नजलों र्ें बच्चों र्ें गंभ़ीर जन्मजात नवकार पाए

गए।

भूतम प्रदू षण के कारण


भूनर् प्रदू िण के र्ुख्य कारण हैं :

1. कृनि र्ें उवारकों, रसार्िों तर्ा क़ीटिाशकों का अनधक प्रर्ोग।


2. औद्योनगक इकाईर्ों, खािों तर्ा खादािों द्वारा निकले ठोस कचरे का
नवसजाि।
3. भविों, सडकों आनद के निर्ाा ण र्ें ठोस कचरे का नवसजाि।
4. कागज तर्ा च़ीि़ी नर्लों से निकलिे वाले पदार्ों का निपटाि, जो नर्ट्ट़ी
द्वारा अवशोनित िह़ीं हो पाते।
5. प्लाब्दरक क़ी र्ैनलर्ों का अनधक उपर्ोग, जो जऱ्ीि र्ें दबकर िह़ीं
गलत़ी।
6. घरों, होटलों और औद्योनगक इकाईर्ों द्वारा निकलिे वाले अवनशि पदार्ों
का निपटाि, नजसर्ें प्लाब्दरक, कपडे , लकड़ी, धातु, काँ च, सेरानर्क,
स़ीर्ेंट आनद सब्दिनलत हैं ।
भूतम प्रदू षण का प्रभाव
भूनर् प्रदू िण के निम्ननलब्दखत हानिकारक प्रभाव है ः

1. कृनि र्ोग्य भूनर् क़ी कऱ्ी।


2. भोज् पदार्ों के स्रोतों को दू नित करिे के कारण स्वास्थ्य के नलए
हानिकारक।
3. भूस्खलि से होिे वाल़ी हानिर्ाँ ।
4. जल तर्ा वार्ु प्रदू िण र्ें वृब्दद्ध ।
प्रकाश प्रदू षण

बढत़ी नबजल़ी क़ी जरुरत और कार् के नलए बढत़ी प्रकाश क़ी जरुरत इस
प्रकाश प्रदु िण का कारण बि सकता है |
प्रकाश प्रदु षण का कारण

1. बढत़ी गानडर्ों के कारण हाई वोल्ट् के बल्ब का इस्तेर्ाल |


2. नकस़ी कार्ािर् र्ें जरुरत से ज्ादा डे कोरे शि करिा |
3. एक कर्रे र्ें अनधक बल्ब को लगािा |
प्रकाश प्रदू षण का प्रभाव

1. आँ खो के आगे अंधकार का छा जािा | जो गाड़ी चलते सर्र् एक्स़ीडें ट


का कारण बि सकता है |
2. नदर्ाग र्ें ददा होिा |
3. र्िुष्य का अँधा होिा |
4. शहऱी भाग र्ें तारो का ि नदखिा इस़ी प्रदु िण का पररणार् है |
पर्ाावरण संरक्षण

पर्ाावरण शब्द 'परर +आवरण' के संर्ोग से बिा है । 'परर' का आशर् चारों ओर


तर्ा 'आवरण' का आशर् पररवेश है । दू सरे शब्दों र्ें कहें तो पर्ाा वरण अर्ाा त

विस्पनतर्ों, प्रानणर्ों, और र्ािव जानत सनहत सभ़ी सज़ीवों और उिके सार्


संबंनधत भौनतक पररसर को पर्ाा वरण कहतें हैं वास्तव

र्ें पर्ाा वरण र्ें वार्ु, जल, भूनर्, पेड-पौधे, ज़ीव-जन्तु , र्ािव और उसक़ी नवनवध
गनतनवनधर्ों के पररणार् आनद सभ़ी का सर्ावेश होता है ।

भारत़ीर् संस्कृनत र्ें पर्ाा वरण के संरक्षण को बहुत र्हत्त्व नदर्ा गर्ा है । र्हाँ

र्ािव ज़ीवि को हर्ेशा र्ूता र्ा अर्ूता रूप र्ें पृथ्व़ी, जल, वार्ु , आकाश, सूर्ा,

चन्द्र, िद़ी, वृक्ष एवं पशु-पक्ष़ी आनद के साहचर्ा र्ें ह़ी दे खा गर्ा है । पर्ाा वरण
शब्द का अर्ा है हर्ारे चारों ओर का वातावरण। पर्ाा वरण संरक्षण का तात्पर्ा है

नक हर् अपिे चारों ओर के वातावरण को संरनक्षत करें तर्ा उसे ज़ीवि के

अिुकूल बिाए रखें। पर्ाा वरण और प्राण़ी एक-दू सरे पर आनश्रत हैं । र्ह़ी कारण
है नक भारत़ीर् नचन्ति र्ें पर्ाा वरण संरक्षण क़ी अवधारणा उति़ी ह़ी प्राच़ीि है ।

भारत़ीर् संस्कृनत का अवलोकि करिे से ज्ञात होता है नक र्हाँ पर्ाा वरण


संरक्षण का भाव अनत पुरातिकाल र्ें भ़ी र्ौजूद र्ा पर उसका स्वरूप नभन्न र्ा।

उस काल र्ें कोई रािऱीर् वि ि़ीनत र्ा पर्ाा वरण पर कार् करिे वाल़ी संथर्ाएँ

िह़ीं ऱ्ीं। पर्ाा वरण का संरक्षण हर्ारे निर्नर्त निर्ाकलापों से ह़ी जुडा हुआ
र्ा। इस़ी वजह से वेदों से लेकर काल़ीदास, दाण़्ी, पंत, प्रसाद आनद
भारत़ीर् दशाि र्ह र्ािता है नक इस दे ह क़ी रचिा पर्ाा वरण के र्हत्त्वपूणा
घटकों- पृथ्व़ी, जल, अनग्न, वार्ु और आकाश से ह़ी हुई है । सर्ुद्र र्ंर्ि से वृक्ष
जानत के प्रनतनिनध के रूप र्ें कल्पवृक्ष का निकलिा, दे वताओं द्वारा उसे अपिे
संरक्षण र्ें लेिा, इस़ी तरह कार्धेिु और ऐरावत हाऱ्ी का संरक्षण इसके

उदाहरण हैं । कृष्ण क़ी गोवधाि पवात क़ी पूजा क़ी शुरुआत का लौनकक पक्ष
र्ह़ी है नक जि सार्ान्य नर्ट्ट़ी, पवात, वृक्ष एवं विस्पनत का आदर करिा स़ीखें।

नजस प्रकार रािऱीर् वि-ि़ीनत के अिुसार सन्तुलि बिाए रखिे हे तु 33 प्रनतशत


भू-भाग विाच्छानदत होिा चानहए, ठ़ीक इस़ी प्रकार प्राच़ीि काल र्ें ज़ीवि का

एक नतहाई भाग प्राकृनतक संरक्षण के नलर्े सर्नपात र्ा, नजससे नक र्ािव

प्रकृनत को भल़ी-भाँ नत सर्झकर उसका सर्ुनचत उपर्ोग कर सके ।

नसंधु सभ्यता क़ी र्ोहरों पर पशुओं एवं वृक्षों का अंकि, सम्राटों द्वारा अपिे राज-

नचन् के रूप र्ें वृक्षों एवं पशुओं को थर्ाि दे िा, गुप्त सम्राटों द्वारा बाज को पूज्
र्ाििा, र्ागों र्ें वृक्ष लगवािा, कुएँ खुदवािा, दू सरे प्रदे शों से वृक्ष र्ँगवािा आनद

तात्कानलक प्रर्ास पर्ाा वरण प्रेर् को ह़ी प्रदनशात करते हैं I

वैनदक ऋनि प्रार्ािा करते हैं नक पृथ्व़ी, जल, औिनध एवं विस्पनतर्ाँ हर्ारे नलर्े

शाब्दन्तप्रद हों। र्े शाब्दन्तप्रद तभ़ी हो सकते हैं जब हर् इिका सभ़ी स्तरों पर

संरक्षण करें । तभ़ी भारत़ीर् संस्कृनत र्ें पर्ाा वरण संरक्षण क़ी इस नवराट
अवधारणा क़ी सार्ाकता है , नजसक़ी प्रासंनगकता आज इति़ी बढ गई है ।
पर्ाा वरण संरक्षण का सर्स्त प्रानणर्ों के ज़ीवि तर्ा इस धरत़ी के सर्स्त
प्राकृनतक पररवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है । प्रदू िण के कारण साऱी पृथ्व़ी दू नित हो
रह़ी है और निकट भनवष्य र्ें र्ािव सभ्यता का अन्त नदखाई दे रहा है ।

प्रकृनत के सार् अिेक विों से क़ी जा रह़ी छे डछाड से पर्ाा वरण को हो रहे

िुकसाि को दे खिे के नलर्े अब दू र जािे क़ी जरूरत िह़ीं है । नवश्व र्ें बढते बंजर
इलाके, र्ैलते रे नगस्ताि, कटते जंगल, लुप्त होते पेड-पौधों और ज़ीव जन्तु,
प्रदू िणों से दू नित पाि़ी, कस्ों एवं शहरों पर गहरात़ी गन्द़ी हवा और हर विा

बढते बाढ एवं सूखे के प्रकोप इस बात के साक्ष़ी हैं

अब इससे होिे वाले संकटों का प्रभाव नबिा नकस़ी भेदभाव के सर्स्त नवश्व,

विस्पनत जगत और प्राण़ी र्ात्र पर सर्ाि रूप से पड रहा है । आज पूरे नवश्व र्ें
लोग अनधक सुखर्र् ज़ीवि क़ी पररकल्पिा करते हैं । सुख क़ी इस़ी अस़ीर् चाह

का भार प्रकृनत पर पडता है । नवश्व र्ें बढत़ी जिसंख्या, नवकनसत होिे वाल़ी िई

तकि़ीकों तर्ा आनर्ाक नवकास िे प्रकृनत के शोिण को निरन्तर बढावा नदर्ा है ।


पर्ाा वरण नवघटि क़ी सर्स्या आज सर्ूचे नवश्व के सार्िे प्रर्ुख चुिौत़ी है

नजसका सार्िा सरकारों तर्ा जागरूक जिर्त द्वारा नकर्ा जािा है ।

हर् दे खते हैं नक हर्ारे ज़ीवि के त़ीिों बुनिर्ाद़ी आधार वार्ु, जल एवं र्ृदा आज

खतरे र्ें हैं । सभ्यता के नवकास के नशखर पर बैठे र्ािव के ज़ीवि र्ें इि त़ीिों

प्रकृनत प्रदर्त् उपहारों का संकट बढता जा रहा है । बढते वार्ु प्रदू िण के कारण
ि केवल र्हािगरों र्ें ह़ी बब्दल्क छोटे -छोटे कस्ों और गाँ वों र्ें भ़ी शुद्ध प्राणवार्ु
नर्लिा दू भर हो गर्ा है , क्ोंनक धरत़ी के र्ेर्डे वि सर्ाप्त होते जा रहे हैं ।
वृक्षों के अभाव र्ें प्राणवार्ु क़ी शुद्धता और गुणवर्त्ा दोिों ह़ी घटत़ी जा रह़ी है ।
वार्ु प्रदू िण के नलर्े वाहि भ़ी कर् उर्त्रदाई िह़ीं हैं । बसों, कारों, टर कों, र्ोटर-
साइनकलों, स्कूटर, रे लों आनद सभ़ी र्ें पेटरोल अर्वा ड़ीजल ईंधि के रूप र्ें
प्रर्ुि नकर्े जाते हैं । इिसे भाऱी र्ात्रा र्ें दर् घोंटिे वाला काला धुआँ निकलता

है , जो वार्ु को प्रदू नित करता है । ड़ीजल वाहिों से जो धुआँ निकलता है उिर्ें


हाइडरोकाबाि, िाइटर ोजि एवं सल्फर के ऑक्साइड तर्ा सूक्ष्म काबाि-र्ुि
कनणकाएँ र्ौजूद रहत़ी हैं । पेटरोल चनलत वाहिों के धुएँ र्ें काबाि र्ोिो-

ऑक्साइड व लेड र्ौजूद होते हैं । लेड एक वार्ु प्रदू िक पदार्ा है ।

र्ह रासार्निक धूर् कोहरा र्ािव के नलर्े बहुत खतरिाक है । हर्ारे नलर्े हवा

के बाद जरूऱी है जल। इि नदिों जलसंकट बहु-आर्ाऱ्ी है , इसके सार् ह़ी


इसक़ी शुद्धता और उपलब्धता दोिों ह़ी बुऱी तरह प्रभानवत हो रह़ी हैं । एक

सवेक्षण र्ें कहा गर्ा है नक हर्ारे दे श र्ें सतह के जल का 80 प्रनतशत भाग बुऱी

तरह से प्रदू नित है और भूजल का स्तर निरन्तर ि़ीचे जा रहा है । शहऱीकरण

और औद्योग़ीकरण िे हर्ाऱी बारहर्ास़ी िनदर्ों के ज़ीवि र्ें जहर घोल नदर्ा है ।

हालत र्ह हो गई है नक र्ुब्दिदानर्ि़ी गंगा क़ी र्ुब्दि के नलर्े अनभर्ाि चलािा


पड रहा है । गंगा ह़ी क्ों नकस़ी भ़ी िद़ी क़ी हालत आज ठ़ीक िह़ीं कह़ी जा
सकत़ी है ।
पर्ाावरण संरक्षण का महत्त्व

पर्ाावरण संरक्षण का सर्स्त प्रानणर्ों के ज़ीवि तर्ा इस धरत़ी के सर्स्त


प्राकृनतक पररवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है । प्रदू िण के कारण साऱी पृथ्व़ी दू नित हो

रह़ी है और निकट भनवष्य र्ें र्ािव सभ्यता का अंत नदखाई दे रहा है । इस

ब्दथर्नत को ध्याि र्ें रखकर सि् 1992 र्ें ब्राज़ील र्ें नवश्व के 174 दे शों का 'पृथ्व़ी

सिेलि' आर्ोनजत नकर्ा गर्ा।

इसके पिात सि् 2002 र्ें जोहान्सबगा र्ें पृथ्व़ी सिेलि आर्ोनजत कर नवश्व के

सभ़ी दे शों को पर्ाावरण संरक्षण पर ध्याि दे िे के नलए अिेक उपार् सुझाए

गर्े। वस्तुतः पर्ाा वरण के संरक्षण से ह़ी धरत़ी पर ज़ीवि का संरक्षण हो सकता

है , अन्यर्ा र्ंगल ग्रह आनद ग्रहों क़ी तरह धरत़ी का ज़ीवि-चि भ़ी सर्ाप्त हो

जार्ेगा।
पर्ाावरण संरक्षण की तवतिर्ां

पर्ाा वरण प्रदू िण के कुछ दू रगाऱ्ी दु ष्प्रभाव हैं , जो अत़ीव घातक हैं ,
जैसे आणनवक नवस्फोटों से रे नडर्ोधनर्ाता का आिुवां नशक

प्रभाव, वार्ुर्ण्ल का तापर्ाि बढिा, ओजोि परत क़ी हानि, भूक्षरण आनद
ऐसे घातक दु ष्प्रभाव हैं । प्रत्यक्ष दु ष्प्रभाव के रूप र्ें जल, वार्ु तर्ा पररवेश का

दू नित होिा एवं विस्पनतर्ों का नविि होिा, र्ािव का अिेक िर्े रोगों से
आिान्त होिा आनद दे खे जा रहे हैं । बडे कारखािों से नविैला अपनशि बाहर
निकलिे से तर्ा प्लाब्दरक आनद के कचरे से प्रदू िण क़ी र्ात्रा उर्त्रोर्त्र बढ रह़ी

है ।

अपिे पर्ाा वरण को बेहतर बिािे के नलए हर्ें सबसे पहले अपि़ी र्ुख्य जरूरत
‘जल’ को प्रदू िण से बचािा होगा। कारखािों का गंदा पाि़ी, घरे लू, गंदा पाि़ी,

िानलर्ों र्ें प्रवानहत र्ल, स़ीवर लाइि का गंदा निष्कानसत पाि़ी सऱ्ीपथर् िनदर्ों

और सर्ुद्र र्ें नगरिे से रोकिा होगा। कारखािों के पाि़ी र्ें हानिकारक


रासार्निक तत् घुले रहते हैं जो िनदर्ों के जल को नविाि कर दे ते हैं ,

पररणार्स्वरूप जलचरों के ज़ीवि को संकट का सार्िा करिा पडता है । दू सऱी


ओर हर् दे खते हैं नक उस़ी प्रदू नित पाि़ी को नसंचाई के कार् र्ें लेते हैं नजसर्ें

उपजाऊ भूनर् भ़ी नविैल़ी हो जात़ी है । उसर्ें उगिे वाल़ी र्सल व सब्दिर्ां भ़ी
पौनिक तत्ों से रनहत हो जात़ी हैं नजिके सेवि से अवनशि ज़ीवििाश़ी रसार्ि

र्ािव शऱीर र्ें पहुं च कर खूि को नविैला बिा दे ते हैं । कहिे का तात्पर्ा र्ह़ी है
नक र्नद हर् अपिे कल को स्वथर् दे खिा चाहते हैं तो आवश्यक है नक बच्चों को
पर्ाा वरण सुरक्षा का सर्ुनचत ज्ञाि सर्र्-सर्र् पर दे ते रहें । अच्छे व र्ंहगें ब्रां ड
के कपडे पहिािे से कह़ीं र्हत्पूणा है उिका स्वास्थ्य, जो हर्ारा भनवष्य व
उिक़ी पूंज़ी है ।

आज वार्ु प्रदू िण िे भ़ी हर्ारे पर्ाा वरण को बहुत हानि पहुं चाई है । जल प्रदू िण

के सार् ह़ी वार्ु प्रदू िण भ़ी र्ािव के सिुख एक चुिौत़ी है । र्ािा नक आज


र्ािव नवकास के र्ागा पर अग्रसर है परं तु वह़ीं बडे -बडे कल-कारखािों क़ी
नचर्निर्ों से लगातार उठिे वाला धुआं, रे ल व िािा प्रकार के ड़ीजल व पेटरोल से

चलिे वाले वाहिों के पाइपों से और इं जिों से निकलिे वाल़ी गैसें तर्ा धुआं,

जलािे वाला हाइकोक, ए.स़ी., इन्वटा र, जेिरे टर आनद से काबाि डाइऑक्साइड,

िाइटर ोजि, सशफ्यूररक एनसड, िाइनटर क एनसड प्रनत क्षण वार्ुर्ंडल र्ें घुलते
रहते हैं । वस्तुतः वार्ु प्रदू िण सवाव्यापक हो चुका है ।

सह़ी र्ार्िों र्ें पर्ाा वरण पर हर्ारा भनवष्य आधाररत है , नजसक़ी बेहतऱी के नलए

ध्वनि प्रदू िण को और भ़ी ध्याि दे िा होगा। अब हाल र्ह है नक र्हािगरों र्ें ह़ी

िह़ीं बब्दल्क गाँ वों तक र्ें लोग ध्वनि नवस्तारकों का प्रर्ोग करिे लगे हैं । बच्चे के
जन्म क़ी खुश़ी, शाद़ी-पाटी सभ़ी र्ें ड़ी.जे. एक आवश्यकता सर्झ़ी जािे लग़ी

है । जहां गाँ वों को नवकनसत करके िगरों से जोडा गर्ा है । वह़ीं र्ोटर साइनकल
व वाहिों क़ी नचल्ल-पों र्हािगरों के शोर को भ़ी र्ुँह नचढात़ी िजर आत़ी है ।
औद्योनगक संथर्ािों क़ी र्श़ीिों के कोलाहल िे ध्वनि प्रदू िण को जन्म नदर्ा है ।

इससे र्ािव क़ी श्रवण-शब्दि का ह्रास होता है । ध्वनि प्रदू िण का र्ब्दस्तष्क पर


भ़ी घातक प्रभाव पडता है ।
जल प्रदू िण, वार्ु प्रदू िण और ध्वनि त़ीिों ह़ी हर्ारे व हर्ारे र्ूल जैसे बच्चों के
स्वास्थ्य को चौपट कर रहे हैं । ऋतुचि का पररवताि, काबाि डाईऑक्साइड क़ी
र्ात्रा का बढता नहर्खंड को नपघला रहा है । सुिाऱ्ी, बाढ, सूखा, अनतवृनि र्ा

अिावृनि जैसे दु ष्पररणार् सार्िे आ रहे हैं , नजन्ें दे खते हुए अपिे बेहतर कल
के नलए ‘5 जूि’ को सर्स्त नवश्व र्ें ‘पर्ाा वरण नदवस’ के रूप र्ें र्िार्ा जा रहा है ।

पौधा लगािे से पहले वह जगह तैर्ार करिा आवश्यक है जहां वह नवकनसत व

बडा होगा।

उपर्ुाि सभ़ी प्रकार के प्रदू िण से बचिे के नलए र्नद र्ोडा सा भ़ी उनचत नदशा

र्ें प्रर्ास करें तो बचा सकते हैं अपिा पर्ाा वरण। सवाप्रर्र् हर्ें जिानधक् को
निर्ंनत्रत करिा होगा। दू सरे जंगलों व पहाडों क़ी सुरक्षा पर ध्याि नदर्ा जाए।

दे खिे र्ें जाता है नक पहाडों पर रहिे वाले लोग कई बार घरे लू ईंधि के नलए

जंगलों से लकड़ी काटकर इस्तेर्ाल करते हैं नजससे पूरे के पूरे जंगल स्वाहा हो

जाते हैं । कहिे का तात्पर्ा है जो छोटे -छोटे व बहुत कर् आबाद़ी वाले गां व हैं
उन्ें पहाडों पर सडक, नबजल़ी-पाि़ी जैसे सुनवधाएं र्ुहैर्ा करािे से बेहतर है

उन्ें प्लेि र्ें नवथर्ानपत करें । इससे पहाड व जंगल कटाि कर् होगा, सार् ह़ी
पर्ाा वरण भ़ी सुरनक्षत रहे गा।
पर्ाावरण के संरक्षण संबंिी कानून
पर्ाा वरण संबंध़ी कािूि पर्ाा वरण के संरक्षण व प्राकृनतक संसाधिों के उपर्ोग
को निर्ंनत्रत करिे र्ें एक बहुत ह़ी र्हत्त्वपूणा भूनर्का निभाते हैं । पर्ाा वरण-

संबंध़ी कािूिों क़ी सर्लता र्ुख्य रूप से इस बात पर निभार करत़ी है नक


उिको नकस प्रकार लागू करते हैं । कािूि एक स्वथर् पर्ाा वरण को कार्र् रखिे
के नलर्े आर् जिता को नशनक्षत करिे का भ़ी एक अिर्ोल र्ंत्र है ।

रािऱीर् व अन्तररािऱीर् स्तरों पर अिनगित कािूि पहले से ह़ी बि चुके हैं । इस

पाठ र्ें आप कुछ र्हत्त्वपूणा पर्ाा वरण़ीर् कािूिों के नविर् र्ें जािकाऱी प्राप्त
करें गे। भारत़ीर् (थर्ाि़ीर्) कािूिों को अंग्रेज़ी र्ें ‘एक्ट् स’ कहा जाता है , जबनक

अन्तररािऱीर् कािूि व निर्र् सर्झौता, नवज्ञब्दप्त व संनध के िार्ों से जािे जाते हैं ।

पर्ाावरणीर् कानून (ENVIRONMENTAL LAWS)


दे श के सारे कािूिों क़ी उत्पनर्त् पर्ाा वरण क़ी सर्स्याओं से जुड़ी हैं । पर्ाा वरण

संरक्षण के नलर्े प्रभावशाल़ी कािूिों व निर्र्ों का होिा आवश्यक है , िह़ीं तो,


बढत़ी जिसंख्या क़ी अनधक साधिों क़ी आवश्यकता पर्ाा वरण पर बहुत भार

डाल दे ग़ी। इि निर्र्ों को लागू करिा दू सरा र्ुख्य पहलू है । पर्ाा वरण को और

अनधक अविनर्त होिे (हानि) एवं प्रदू िण से बचािे के नलर्े इि कािूिों-निर्र्ों


को बलपूवाक तर्ा प्रभावशाल़ी ढं ग से लागू करिा अनत आवश्यक है ।
कानून (तविान) की आवश्यकिा
नपछले सर्र् (हाल के सर्र्) र्ें ह़ी नवनभन्न प्रकार क़ी पर्ाा वरण संबंध़ी सर्स्याएँ
उभऱी हैं जो नक र्ािव़ीर् सुख-सर्ृब्दद्ध के नलर्े खतरा बि गई हैं । पर्ाा वरण़ीर्

सर्स्याओं का एक जरूऱी पहलू र्ह है नक उिका प्रभाव केवल स्रोत के क्षेत्र


तक ह़ी स़ीनर्त िह़ीं रहता बब्दल्क दू र-दू र तक के क्षेत्रों तक र्ैल जाता है ।
पर्ाा वरण के दु रुपर्ोग और अविर्ण से बचाव के नलर्े प्रभावशाल़ी कािूिों

क़ी आवश्यकता है । दु ि लोगों, जंगल के र्ानर्र्ा ग्रुप, नशकाररर्ों, प्रदू िकों एवं

पर्ाा वरण़ीर् संसाधिों के अत्यनधक शोिण से बचाव के नलर्े, प्रभावशाल़ी

कािूिों क़ी आवश्यकता है । प्रदू िण एक ऐसा कारक है जो नक राजिैनतक


द़ीवारों और कािूि़ी दार्रों क़ी परवाह िह़ीं करता। अतः हर् र्ह कह सकते हैं

नक पर्ाा वरण़ीर् सर्स्याएँ र्ूल रूप से वैनश्वक हैं , नसर्ा थर्ाि़ीर् िह़ीं हैं । अतः

ऐस़ी सर्स्याओं के निवारण के नलर्े पर्ाा वरण संबंध़ी कािूि ि केवल रािऱीर्

स्तर पर, बब्दल्क अन्तररािऱीर् स्तर पर भ़ी जरूऱी है ।

राष्ट्रीर् कानून (NATIONAL LAWS)


भारत़ीर् संनवधाि र्ें संशोधिों के द्वारा रािऱीर् स्तर पर, पर्ाा वरण के सुधार एवं
बेहतऱी के नलर्े कडे प्रर्ास नकए गए हैं - आरब्दम्भक काल र्ें हर्ारे संनवधाि र्ें

प्राकृनतक संसाधिों के संरक्षण के नलर्े कोई प्रावधाि िह़ीं र्ा। परन्तु 1972 र्ें
रॉकहोर् र्ें हुए संर्ुि रािर क़ी र्ािव़ीर् पर्ाा वरण से संबंनधत कॉन्रेंस के

पिात, भारत़ीर् संनवधाि र्ें संशोधि नकर्ा गर्ा और उसर्ें पर्ाा वरण के संरक्षण
को एक र्हत्त्वपूणा थर्ाि नदर्ा गर्ा।
भारत़ीर् संनवधाि के अिुच्छेद-51ए (51 A) र्ें 42वां संशोधि, पर्ाा वरण के संरक्षण

एवं उसर्ें सुधार को एक र्ूल कताव्य का रूप दे ता है ।

‘‘र्ह भारि के प्रत्येक नागररक का किाव्य है तक वह प्राकृतिक वािावरण

तजसमें वन ,ं झील ,ं नतदर्ााँ और वन्य जीवन जैसी प्राकृतिक संपदा


सम्मितलि है , का संरक्षण करे व जीतवि प्रातणर् ं के तलर्े मन में करुणा

रखे।’’

पर्ाा वरण के संरक्षण व बेहतऱी के नलर्े केन्द्र द्वारा प्रदे शों को एक निदे श जाऱी
नकर्ा गर्ा है । नजसे राजक़ीर् ि़ीनत निदे श आधार का दजाा प्राप्त है । अिुच्छेद

48-ए (48 A) स्पि करता है - ‘‘र्ह राज्य का किाव्य है तक वह न केवल

पर्ाावरण का बचाव व सुिार करे बम्मि दे श के वन ं और वन्य जीवन का

भी संरक्षण करे ।’’

भारत र्ें सि 1980 र्ें दे श र्ें स्वथर् पर्ाा वरण के नवकास के नलर्े पर्ाा वरण नवभाग

क़ी थर्ापिा हुई ऱ्ी। र्ह़ी नवभाग, आगे चलकर, सि 1985 र्ें पर्ाा वरण और वि
र्ंत्रालर् कहलार्ा। इस र्ंत्रालर् क़ी र्ुख्य नजिेदाऱी पर्ाा वरण संबंध़ी कािूिों

और ि़ीनतर्ों का संचालि व लागूकरण है ।

हर्ारे संनवधाि के प्रावधाि कई कािूिों का सहारा लेते हैं , नजन्ें हर् एक्ट और

निर्र्ों के िार् से जािते हैं । हर्ारे अनधकां श पर्ाा वरण-संबंध़ी कािूि व निर्र्
नवधािसभा व राज् सभाओं द्वारा निनर्ात कािूि हैं । र्े एक्ट प्रार्ः अपि़ी कार्ा

शब्दि को निर्ंत्रक एजेंनसर्ों को प्रसाररत करते हैं , जोनक उिके लागूकरण क़ी
तैर्ाऱी करत़ी है । भोपाल गैस दु घाटिा के पिात पर्ाा वरण संरक्षण कािूि

(Environment Protection Act, EPA) सि 1986 र्ें तैर्ार होकर सार्िे आर्ा।
इसे एक र्ुख्य कािूि र्ािा जा सकता है क्ोंनक र्े वतार्ाि कािूिों क़ी कई
कनर्र्ों को पूरा करता है । इसके पिात तो नवनशि पर्ाा वरण़ीर् सर्स्याओं को
संबोनधत करिे के नलर्े कई पर्ाा वरण़ीर् कािूिों का नवकास हुआ है । उदाहरण

के नलर्े अभ़ी हाल के विों र्ें ह़ी स़ी.एि.ज़ी. का प्रर्ोग, नदल्ल़ी प्रदे श र्ें
सावाजनिक र्ातार्ात के वाहिों के नलर्े अनिवार्ा कर नदर्ा गर्ा है । इसके
र्लस्वरूप नदल्ल़ी के वार्ु प्रदू िण क़ी र्ात्रा कर् हो गई है ।

प्रदू षण संबंतिि कानून

पर्ाा वरण के सभ़ी घटकों र्ें, वार्ु और जल सभ़ी ज़ीव-जन्तुओं क़ी उर्त्रज़ीनवता
के नलर्े सबसे र्ूलभूत आवश्यकताएँ है । अतः उिको अविनर्त होिे से बचािे

के उद्दे श्य के कारण निम्ननलब्दखत कािूिों को पाररत नकर्ा गर्ा है :

- जल एक्ट (कािूि)

- वार्ु संबंध़ी एक्ट (कािूि)

- पर्ाा वरण संबंध़ी एक्ट (कािूि)

प्रत्येक श्रेण़ी के कुछ र्हत्त्वपूणा कािूिों के बारे र्ें संनक्षप्त नववरण ि़ीचे हुआ है ः

(i) जल (प्रदू षण के बचाव व तनर्ंत्रण) कानून सन 1974 व संश िन 1988

इस कािूि अनधनिर्र् (एक्ट) का र्ुख्य उद्दे श्य जल प्रदू िण से बचाव व उसका


निर्ंत्रण करिा है तर्ा पाि़ी क़ी स्वच्छता को कार्र् र्ा संनचत रखिा है (चाहे
वह झरिों, कुओं र्ा भूनर् र्ें हो)। इस कािूि क़ी कुछ र्ुख्य नवशेिताएँ ि़ीचे द़ी

गऱ्ी हैं :-

1. र्ह कािूि राज् प्रदू िण निर्ंत्रक बोडा को निर्ंत्रण का अनधकार सौंपता है

तर्ा र्ह बोडा र्ेब्दक्टरर्ों द्वारा पाि़ी र्ें छोडे गए प्रदू नित पदार्ों क़ी र्ात्रा को सह़ी
र्ापदं ड थर्ानपत करके निर्ंनत्रत करता है । एक केंद्ऱीर् प्रदू िण निर्ंत्रण बोडा

र्ह़ी कार्ा केन्द्रशानसत प्रदे शों के नलर्े करता है व नवनभन्न राजक़ीर् बोडों के

नलर्े ि केवल ि़ीनतर्ाँ बिाता है बब्दल्क उिके नवनभन्न प्रकार के कार्ाकलापों र्ें

सहर्ोग भ़ी करता है ।

2. राज् प्रदू िण निर्ंत्रण बोडा वानहत र्ल व औद्योनगक बनहस्राा वों के निकास का
अिुर्ोदि, अस्व़ीकृनत र्ा कुछ शतों जब वे इिको नवसनजात करिे पर अिुर्नत

र्ां गते हैं , इत्यानद के र्ाध्यर् से निर्ंनत्रत करता है ।

3. र्ह कािूि बोडा को अिुर्नत दे ता है नक वह कुछ कार्ों द्वारा इस कािूि के

अिुरूप चले , जैसे पऱीक्षण के नलर्े आर्े कार्ा को सब्दिनलत करके, उपकरणों
का पऱीक्षण करके व नकस़ी भ़ी कुएँ , झरिे, िाले से पाि़ी का िर्ूिा लेकर उसका

नवश्लेिण करिे के र्ाध्यर् से।

4. 1988 र्ें हुए इस संशोधि से पूवा, जल कािूि को तोडिे वालों के ब्दखलार्

अपराध़ी कार्ावाह़ी क़ी जात़ी ऱ्ी व न्यार्ाध़ीशों द्वारा प्रदू िकों को निर्ंत्रण र्ें लािे

के निदे श जाऱी होते र्े। सि 1988 के संशोधि िे इस कािूि को लागू करिे के


नलर्े काऱ्ी सख्त़ी से कार् नकर्ा है । बोडा को र्ह अनधकार नदर्ा गर्ा नक वह
गलत कार् करिे वाले उद्योग को बंद कर सकता है । र्ा नकस़ी प्रशासनिक
निदे श द्वारा पाि़ी र्ा ऊजाा क़ी आपूनता बंद कर सकता है । इसके अलावा इस
बोडा द्वारा संचानलत कार्ावाह़ी को बहुत र्ुब्दिल बिा नदर्ा गर्ा है और आर्
िागररक को भ़ी प्रदू िण के ब्दखलार् कािूि़ी र्ार्ले दजा करिे क़ी अिुर्नत द़ी

गई है ।

(ii) सन 1977 का जल (प्रदू षण का बचाव व तनर्ंत्रण) सेस (कर) कानून


जल सेस कािूि को केंद्ऱीर् व राज् प्रदू िण बोडों िे नर्लकर खचा के नलर्े पैसा

प्राप्त करिे के उद्दे श्य से पाररत नकर्ा र्ा। र्ह कािूि प्रदू िण निर्ंत्रण के नलर्े

आनर्ाक स्तर का प्रेरक है और इसके तहत थर्ाि़ीर् अनधकाररर्ों व कुछ चुिे हुए
उद्योगों को पाि़ी के नलर्े कर (सेस) दे िा पडता है । इस कर से प्राप्त आर् को

जल कािूि के लागूकरण के नलर्े प्रर्ोग नकर्ा जाता है । एकत्रण के व्यर् को

काटिे के पिात, केंद्ऱीर् सरकार, केंद्ऱीर् बोडा व राज्ों को नजतिा जरूऱी हो,

उतिा पैसा दे त़ी है । प्रदू िण के निर्ंत्रण र्ें पूँज़ी निवेश को प्रोत्सानहत करिे के

नलर्े, र्ह कािूि प्रदू िण र्ैलािे वाले को कर क़ी र्ात्रा पर 70 % क़ी छूट दे त़ी है ।

वह ऐसा तब करत़ी है , जब प्रदू िण करिे वाला प्रदू िकों के निकास के र्ंत्र उि

थर्ाि पर थर्ानपत कर लेता है ।


वार्ु (प्रदू षण का बचाव व तनर्ंत्रण) कानून सन 1981 का व संश िन, 1987
जूि 1972 र्ें रॉकहोर् र्ें हुए संर्ुि रािर के र्ािव़ीर् पर्ाा वरण के सिेलि र्ें
नलर्े गए निणार्ों को लागू करिे के नलर्े, संसद िे रािरव्याप़ी वार्ु कािूि लागू

नकर्ा। इस कािूि के र्ुख्य उद्दे श्य वार्ु क़ी गुणवर्त्ा र्ें सुधार व दे श र्ें वार्ु
प्रदू िण से बचाव व उसका निर्ंत्रण एवं कर् करिा है । इस कािूि क़ी र्हत्त्वपूणा

नवशेिताओं को ि़ीचे नदर्ा गर्ा है ः

1. वार्ु कािूि का ढाँचा सि 1974 के जल कािूि से नर्लता-जुलता है । पर्ाा वरण़ीर्


सर्स्याओं के नलर्े एक सर्ानग्रत रवैर्ा अपिािे के नलर्े, वार्ु कािूि व जल

कािूि के अध़ीि थर्ानपत नकए गए केंद्ऱीर् और राजक़ीर् बोडों के अनधकारों को

नवस्तृत कर नदर्ा। इसर्ें अब वार्ु प्रदू िण निर्ंत्रण भ़ी शानर्ल होिे लगा।

2. नजि राज्ों के जल प्रदू िण बोडा िह़ीं र्े, उिके नलर्े वार्ु प्रदू िण बोडों क़ी

थर्ापिा अनिवार्ा कर द़ी गई।

3. वार्ु कािूि के अंतगात, वार्ु प्रदू िण निर्ंत्रण क्षेत्रों के अध़ीि कार्ा करत़ी सब

उद्योगों के नलर्े राजक़ीर् बोडों से अिुर्नत लेिा आवश्यक हो गर्ा।

4. आस-पास के पर्ाा वरण क़ी वार्ु क़ी गुणवर्त्ा को िोट करिे के पिात और

केन्द्ऱीर् बोडा से सलाह करिे के बाद, राज्ों को र्ह अनधकार नदर्ा गर्ा है नक वे

उद्योगों व वाहिों के नलर्े प्रदू नित वार्ु का र्ापदं ड सार्िे लाएँ ।


5. कािूि बिािे वालों िे बोडा को नजि बातों पर कार्ा करिे के नलर्े अनधकृत

नकर्ा र्ा, वे कार्ा हैं : पऱीक्षण के नलर्े प्रवेश करिे क़ी सार्थ्ा , र्ंत्रों का पऱीक्षण
व अन्य उद्दे श्य भ़ी। धुंएदाि र्ा नचर्निर्ों से निकाले गए धुएँ, धूल र्ा ऐसे ह़ी
नकस़ी बाहऱी साधि से होिे वाले प्रदू िण के नवश्लेिण के उद्दे श्य से निकाले गए

िर्ूिे को लेिे का अनधकार जैसा नक बतार्ा गर्ा है ।

6. सि 1987 र्ें उसके संशोधि से पूवा, वार्ु कािूि के उल्लंघि पर कािूि़ी

कार्ावाह़ी करिे क़ी नवनध से संचानलत होता र्ा। सि 1987 का र्ह संशोधि लागू
करिे क़ी प्रणाल़ी को सशि बिार्ा गर्ा और उल्लंघि क़ी ब्दथर्नत र्ें कड़ी

कार्ावाह़ी को भ़ी करिे का अनधकार प्राप्त नकर्ा। अब, बोडों को र्ह अनधकार

है नक वे उल्लंघि करिे वाले उद्योग को र्ा तो बंद करा दे र्ा नबजल़ी व पाि़ी क़ी

सप्लाई ह़ी रोक दें ।

बोडा को अब र्ह अनधकार भ़ी है नक वे न्यार्ालर् से आवेदि करें नक वह


अनधकृत स़ीर्ाओं को पार करते प्रदू िण पर रोक लगा दे । नवशेिकर, सि 1987

के संशोधि िे वार्ु कािूि र्ें ि केवल एक िागररक के र्ुकदर्े दार्र करिे क़ी

कार्ावाह़ी को भ़ी शानर्ल कर नलर्ा, बब्दल्क इस कािूि र्ें ध्वनि-प्रदू िण को

शानर्ल कर, उसको नवस्तृत रूप दे नदर्ा।

पर्ाावरण संबंिी कानून व तनर्म

पर्ाा वरण (बचाव) कािूि, सि 1986, का कािूि इस श्रेण़ी का सबसे र्हत्त्वपूणा


कािूि है । इस कािूि के र्ाध्यर् र्ें, केंद्र सरकार को पर्ाावरण के स्तर के

बचाव, निर्ंत्रण व प्रदू िण को कर् करिे क़ी नदशा र्ें कदर् उठािे का पूणा

अनधकार प्राप्त है । इस कािूि क़ी र्ुख्य नवशेिताएँ ि़ीचे द़ी गई हैं : -


(i) सन 1986 का पर्ाावरण (बचाव) कानून

भोपाल गैस दु घाटिा के पिात, भारत सरकार िे सि 1986 र्ें पर्ाा वरण़ीर् (बचाव)
कािूि पाररत नकर्ा। इस कािूि का र्ुख्य उद्दे श्य सि 1972 र्ें संर्ुि रािर

र्ािव़ीर् पर्ाा वरण के सिेलि र्ें नलर्े गए निणार्ों को लागू करिा र्ा। जहाँ तक
नक वे र्ािव़ीर् पर्ाावरण के संरक्षण व सुधारों तर्ा अन्य लोगों, ज़ीव-जन्तुओ,ं

पौधों और संपनर्त् के संकटदाऱ्ी पररब्दथर्नतर्ों के बचाव से संबंध हैं । र्ह कािूि

उि सब निर्र्ों क़ी एक प्रकार क़ी ‘‘छतऱी’’ है नजिके तहत केंद्ऱीर् व राजक़ीर्


अनधकाररर्ों के कार्ों र्ें तालर्ेल होिे पार्े जैसे नक वार्ु कािूि (एक्ट) व जल

कािूि।

इस कािूि र्ें, र्ुख्य रूप से ‘पर्ाा वरण’ पर जोर नदर्ा गर्ा है - नजसक़ी पररभािा

र्ें ि नसर्ा पाि़ी, वार्ु और भूनर् सब्दिनलत हैं बब्दल्क हवा, पाि़ी, भूनर्, र्िुष्यों,
अन्य ज़ीव-जन्तुओ,ं पौधों, ज़ीवाणुओं व प्रकृनत संपनर्त् र्ें आपस के संबंध भ़ी

शानर्ल हैं । ‘पर्ाा वरण़ीर् प्रदू िण’ क़ी पररभािा इस प्रकार भ़ी क़ी जा सकत़ी है -

र्ह नकस़ी भ़ी ठोस, द्रव अर्वा गैस़ीर् तत् र्ा प्रदू िक का ऐस़ी र्ात्रा र्ें नवद्यर्ाि

होिा है जो नक पर्ाा वरण को हानि पहुँ चा सकता है ।

खतरिाक र्ा संकटदाऱ्ी तत्ों’ क़ी श्रेण़ी र्ें कोई भ़ी ऐसा तत् र्ा नर्र ऐस़ी कोई

खतरिाक च़ीज शानर्ल है , जो नक र्ािव जानत को, अन्य ज़ीव-जन्तुओ,ं पौधों,

ज़ीवाणुओ,ं संपनर्त्, इत्यानद को िुकसाि पहुँ चा सकते हैं ।


इस कानून के मुख्य प्राविान नीचे तदए गए हैं :

1. इस कािूि के सेक्शि 3(1) र्ें ‘‘केन्द्र क उन सब कार्ों क करने के तलर्े


सक्षम करना है ज न केवल पर्ाावरण के संरक्षण में आवश्यक एवं

सहार्क ह ं बम्मि पर्ाावरण के प्रदू षण के तनर्ंत्रण, गुणवत्ता, बचाव एवं


कम करने में भी सहार्क ह ।ं ’’ नवशेि रूप र्ें, केन्द्र सरकार को निम्ननलब्दखत

बातों के नलर्े नजिेदाऱी द़ी गई है , जैसे पर्ाा वरण क़ी गुणवर्त्ा (पररवेश़ी स्तर) के

सार्-सार् िए रािऱीर् र्ापदं डों को थर्ानपत करिा, प्रदू िकों के निर्ंत्रण के


र्ापदं ड थर्ानपत करिा, औद्योनगक थर्लों का निर्ंनत्रत संचालि,

संकटदाऱ्ी/खतरा पैदा करिे वाले पदार्ों के निर्ंत्रण क़ी नवनधर्ाँ , दु घाटिाओं से

बचाव क़ी नवनधर्ाँ तर्ा पर्ाा वरण़ीर् प्रदू िण से संबंनधत जािकाऱी का संकलि

करिा है ।

2. इस कािूि क़ी सहार्ता से केंद्ऱीर् सरकार िे स्वर्ं को निम्ननलब्दखत अनधकार

दे नदए हैं - राज् द्वारा कार्ों का तालर्ेल, रािरव्याप़ी कार्ािर्ों का निर्ोजि व


लागूकरण, पर्ाा वरण स्तर के र्ापदं डों क़ी थर्ापिा, नवशेिकर वे जो नक

पर्ाा वरण के प्रदू िकों को निर्ंनत्रत करते हैं , उद्योगों के थर्लों पर

आवश्यकतािुसार पाबंद़ी लगािा एवं अन्य इत्यानद।

3. इि अनधकारों र्ें निम्ननलखत शानर्ल हैं - संकटदाऱ्ी पदार्ों का निपटारा,


पर्ाा वरण़ीर् दु घाटिाओं से बचाव, प्रदू िण निर्ंनत्रत करिे वाल़ी वस्तुओं का

निऱीक्षण, अिुसंधाि, अिुसंधािघरों क़ी थर्ापिा, प्रर्ोगशाला क़ी व्यवथर्ा

करिा, जािकाऱी का नवतरण इत्यानद शानर्ल नकए गए हैं ।


4. पर्ाा वरण़ीर् (बचाव) कािूि वह पहला पर्ाा वरण संबंध़ी कािूि र्ा नजसिे
केंद्ऱीर् सरकार को स़ीधे निदे श दे िे को अध़ीकृत नकर्ा। इसर्ें निम्ननलब्दखत
शानर्ल हैं - उद्योग बंद करिे का आदे श, नकस़ी भ़ी उद्योग पर रोक लगािे र्ा

निर्ंत्रण के आदे श अर्वा नकस़ी भ़ी उद्योग, प्रनिर्ा व कार्ा के नलर्े प्रर्ोग र्ें आ
रह़ी नबजल़ी, पाि़ी र्ा अन्य सेवा को रोकिे र्ा निर्ंनत्रत करिे के आदे श। इस़ी के
तहत केंद्ऱीर् सरकार को एक और अनधकार नदर्ा गर्ा। उिर्ें पऱीक्षण के नलर्े

आगर्ि क़ी स्व़ीकृनत/अस्व़ीकृनत प्रदाि करिा, र्ंत्रों के पऱीक्षण व अन्य उद्दे श्य

तर्ा नकस़ी भ़ी थर्ाि के जल, वार्ु, भूनर् र्ा अन्य वस्तु के नवश्लेिण करिे का

अनधकार शानर्ल है ।

5. र्ह कािूि निर्ोनजत निर्ंत्रक र्ापदं डों से अनधक र्ात्रा के पर्ाा वरण़ीर्

प्रदू िकों के निष्कासि पर स्पि रूप से प्रनतबंध लगाता है । संकटदाऱ्ी पदार्ों

के उपर्ोग करिे पर भ़ी एक नवनशि प्रनतबंध है । इसके नलर्े भ़ी कुछ निर्ंत्रक

नवनधर्ाँ एवं र्ापदं ड बिार्े गए हैं , नजिका उल्लंघि गैर-कािूि़ी है । जो लोग


आवश्यकता से अनधक बताए गर्े र्ािदं डों से अनधक प्रदू िकों का प्रवाह करता

है तो उन्ें तुरंत अपिे गलत कार् के बारे र्ें सरकाऱी अनधकाररर्ों के सार्िे

सर्ाई दे ि़ी होग़ी एवं स्वर्ं उस प्रदू िण को कर् करिे के नलर्े कारगार कदर्

उठािे चानहए।

6. इस कािूि के उल्लंघि क़ी ब्दथर्नत र्ें दं ड भ़ी निधाा ररत नकर्ा गर्ा है । कोई भ़ी
व्यब्दि जो इस कािूि के अंतगात आिे वाले निदे शों व निर्र्ों र्ा नदशाओं
(र्ािदं डों) का उल्लंघि करता है । वह सजा पािे के अनधकार र्ें आ जाता है ।
हर ऐसे उल्लंघि के नलर्े, पाँ च साल तक क़ी जेल र्ा नर्र एक लाख रुपए तक
का जुर्ाा िा र्ा दोिों को एक सार् भरिा पडता है । र्ह कािूि, इसके अलावा,
निरं तर उल्लंघि क़ी ब्दथर्नत र्ें प्रनतनदि 5000 रुपए का अनतररि जुर्ाा िा भ़ी
लगाता है । पहले उल्लंघि के पिात, अगर कोई भ़ी ऐस़ी गलत़ी एक विा के बाद

द़ी गऱ्ी नतनर् तक लगातार क़ी जात़ी है , तब गलत़ी करिे वाले को सात साल क़ी

जेल भ़ी हो सकत़ी है ।

7. पर्ाा वरण़ीर् (बचाव) का र्ह कािूि कुछ ऐसे प्रवतािों को भ़ी अपिे र्ें

सब्दिनलत करता है जो नकस़ी अन्य कािूि-निर्र् र्ें िह़ीं हैं । इससे इसका
लागूकरण अनधक प्रभावशाल़ी हो जाता है । सेक्शि 19 इस अनधकार को प्रदाि

करता है नक सरकाऱी अनधकाररर्ों के अनतररि कोई भ़ी व्यब्दि नकस़ी

पर्ाा वरण-संबंध़ी उल्लंघि का न्यार्ालर् र्ें र्ुकदर्ा दार्र कर सकता है । इस

िागररक अनधकार के अिुसार कोई भ़ी व्यब्दि 60 नदि के िोनटस काल र्ें

उल्लंघि क़ी नशकार्त केंद्ऱीर् सरकार र्ा उपर्ुि अनधकाररर्ों र्ें कर सकता

है । इस कािूि के तहत, अनधकाऱी राज्पत्र र्ें अनधसूचिा दे िे के र्ाध्यर् से,

केंद्ऱीर् सरकार इस कािूि के लागूकरण के नलर्े निर्र् बिा सकत़ी है ।

जैतवक तवतवििा से संबंतिि कानून, अतितनर्म

भारत उि कुछ दे शों र्ें से एक है जहाँ वि ि़ीनत 1984 से नवद्यर्ाि ऱ्ी। वि व वन्य

ज़ीवि कािूि दोिों ि़ीचे नदए गर्े कािूि के अन्तगात आते हैं :

वन्य जीवन (बचाव) (अतितनर्म) कानून सन 1972 का और संश िन, 1982

सि 1972 र्ें संसद िे वन्य ज़ीवि कािूि (बचाव) को पाररत नकर्ा। इस कािूि र्ें
राज् वन्यज़ीवि सलाहकार बोडा , जंगल़ी पशुओं व पनक्षर्ों के नशकार पर
निर्ंत्रण, वन्य ज़ीवि से भरपूर अभ्यारण्ों एवं िेशिल पाकों क़ी थर्ापिा, जंगल़ी
पशुओं के व्यापार पर निर्ंत्रण, पशु उत्पादि इत्यानद व कािूि के उल्लंघि पर
कािूि़ी सजा। कािूि के शेड्यूल I र्ें द़ी गई संकटापन्न ज़ीवों क़ी श्रेण़ी को हानि

पहुँ चािा, संपूणा भारत र्ें प्रनतबंध आनद शानर्ल हैं । अिुज्ञापत्र द्वारा निम्ननलब्दखत
श्रेनणर्ों का निर्ंत्रण नकर्ा जाता है नशकार के ज़ीव-जन्तु नवशेिकर वे नजन्ें
संरक्षण क़ी जरूरत है (शेड्यूल II) प़ीडक जन्तु जैस़ी कुछ श्रेनणर्ों को (शेड्यूल

IV) नबिा नकस़ी प्रनतबंध के नशकार नकर्ा जा सकता है । कुछ प्रजानतर्ों को

वनर्ाि (Vermin) क़ी श्रेण़ी र्ें वगीकृत नकर्ा गर्ा है नजिका नबिा नकस़ी रोकटोक

के नशकार नकर्ा जा सकता है । वन्य ज़ीवि के संरक्षक व उिके अनधकाऱी इस

कािूि का नजिा उठाते हैं ।

सि 1982 र्ें हुए इस कािूि र्ें एक संशोधि िे पशुधि के वैज्ञानिक संचालि के

उद्दे श्य से जंगल़ी पशुओं के पकडिे व पररवहि क़ी अिुर्नत दे द़ी।

भारत र्ें खतरे र्ें पड़ी पेड-पौधों व जन्तु क़ी श्रेनणर्ों के अन्तररािऱीर् व्यापार के
सर्झौता का एक भाग़ीदार है । (CITES, 1976) इस सर्झौते के र्ुतानबक

संकटापन्न श्रेनणर्ों व उिसे निकाले गए पदार्ों का आर्ात-निर्ाा त (Convention of


International Trade in Endangered Species) इस सर्झौते र्ें नलख़ी गई शतों के

र्ुतानबक होिा चानहए। भारत सरकार िे भ़ी निम्ननलब्दखत कुछ संकटापन्न

श्रेनणर्ों के नलर्े संरक्षण र्ोजिाओं का आरं भ कर नदर्ा है ।- हं गल (1970), शेर


(1972), च़ीता (1973), र्गरर्च्छ (1974), भूरा नहरि (1981) और हाऱ्ी (1991-92)।
(II) सन 1980 का वन (संरक्षण) अतितनर्म (कानून)

पहले वि अनधनिर्र् (कािूि) को सि 1927 र्ें पाररत नकर्ा गर्ा र्ा। र्ह अभ़ी
तक नवद्यर्ाि कई उपनिवेश़ीर् कािूिों र्ें से एक है । इसको पाररत करिे के

त़ीि कारण र्े- विों से संबंनधत कािूिों को सुदृढ करिा, वन्य पदार्ों का
पररवहि व लकड़ी और अन्य वन्य पदार्ों पर कर लगािे से संबंनधत र्ा। इसके

पिात, सि 1980 र्ें वि (संरक्षण) कािूि को सि 1927 के पूवा कािूि का संशोधि

करिे के नलर्े पाररत नकर्ा गर्ा। सि 1927 का कािूि विों क़ी चार श्रेनणर्ों
नजसर्ें संरनक्षत वि, ग्रार् वि, निज़ी वि व आरनक्षत वि सब्दिनलत नकए गए हैं ।

राज् को अनधकार है नक वह वन्य भूनर् अर्वा बेकार पड़ी भूनर् को आरनक्षत

वि का दजाा दे कर, इि विों से निकले पदार्ों को बेच सके। आरनक्षत विों र्ें

अिनधकृत पेडों का काटिा, पशुओं को चरािा एवं नशकार पूऱी तरह से


आरनक्षत है व इस निर्र् के उल्लंघि करिे पर र्ा तो जुर्ाा िा दे िा पडता है र्ा

जेल हो जात़ी है । नजि आरनक्षत विों को ग्राऱ्ीण सर्ुदार् को नदर्ा गर्ा है , उन्ें

ग्रार् वि के िार् से जािा जाता है ।

राज् सरकारों को विों को संरनक्षत विों का दजाा दे िे को अनधकृत नकर्ा गर्ा है


और उन्ें र्ह अनधकार है नक इि विों से पेडों का काटिा, उत्खिि व वि-

पदार्ों के हटािे पर रोक लगा सकें। इि संरनक्षत विों का बचाव निर्र्ों,


अिुज्ञापिों (लाइसेंस लेकर) व कािूि़ी र्ुकदर्ों के र्ाध्यर् से होता है । वि

कािूि का वि अनधकाऱी व उिके कर्ाचाऱी संचालि करते हैं । भारत के वन्य


ज़ीवि र्ें आिे वाल़ी कऱ्ी और उसर्ें उत्पन्न पर्ाा वरण़ीर् हानि से घबराकर,
केन्द्र सरकार िे सि 1986 र्ें वि (संरक्षण) अनधनिर्र् पाररत नकर्ा र्ा।
इस निर्र् के अिुसार, इि विों क़ी संपदा का गैर-वन्य उद्दे श्यों के प्रर्ोग के
नलर्े अपवताि, केंद्ऱीर् सरकार क़ी पूणा अिुर्नत द्वारा होिा चानहए। इस कािूि

के अध़ीि बिा सलाहकार आर्ोग केंद्र को इि स्व़ीकृनतर्ों पर सलाह दे ता है ।

जैतवक तवतवििा अतितनर्म (कानून) 2000

भारत क़ी जैनवक संसाधिों क़ी प्रचुरता और उससे संबंनधत थर्ाि़ीर् ज्ञाि क़ी

एक अच्छ़ी जािकाऱी उपलब्ध है । अनधवेशि के सर्ािां तर लाभ को नवतरण के


उद्दे श्य क़ी प्राब्दप्त के नकस़ी सहार्क र्ंत्र का संचालि, एक बड़ी चुिौत़ी है । इस

उद्दे श्य क़ी प्राब्दप्त के नलर्े एक नवस्तृत नवचार-नवर्शा के पिात जैनवक नवनवधता

पर अनधनिर्र् तैर्ार नकर्ा गर्ा। इस कािूि का उद्दे श्य जैनवक संसाधिों क़ी

उपलब्दब्ध निर्ंनत्रत करािा, नजससे उिके प्रर्ोग से उत्पन्न लाभ का सर्ािान्तर

नवतरण हो सके। जैनवक नवनवधता नवधेर्क, जो नक संसद र्ें 15 र्ई, सि 2000 को

प्रस्तानवत हुआ र्ा उसे निऱीक्षण, इत्यानद के नलर्े संसद क़ी नवज्ञाि, तकि़ीक़ी,

पर्ाा वरण व विों क़ी सनर्नत को भेज नदर्ा गर्ा र्ा।

सानक्षर्ों व सबूतों के पऱीक्षण के पिात, इसे थर्ाऱ्ी सनर्नत (Standing Committee) िे


इस नवधेर्क को कुछ संशोधिों के सार् पाररत कर नदर्ा र्ा। इस आर्ोग द्वारा
नदए गए सुझावों पर आधाररत सरकाऱी प्रस्ताव को र्ंत्रलर् (केनबिेट) िे स्व़ीकृनत

द़ी। जैनवक नवनवधता नवधेर्क 2002 को लोकसभा िे सि 2 नदसम्बर 2002 को

और राज्सभा िे 11 नदसम्बर सि 2002 को पाररत नकर्ा र्ा।


जैवतवतवििा कानून की मुख्य तवशेषिाएाँ

इस कािूि का र्ुख्य उद्दे श्य भारत क़ी प्रचुर जैवनवनवधता का संरक्षण व नवदे श़ी
व्यब्दिर्ों व संगठिों द्वारा हर्ाऱी जािकाऱी का नबिा अिुर्नत के प्रर्ोग को

रोकिा है । र्ह ि़ीनत जैनवक संपदा क़ी लूट को रोकिे के नलर्े भ़ी बि़ी है । र्ह
कािूि रािऱीर् जैवनवनवधता अनधकार बोडा (National Biodiversity Authority, NBA)

राज् जैवनवनवधता बोडों (State Biodiversity Bonds, SBBs) और जैवनवनवधता

प्रबंधि कर्ेनटर्ों (Biodiversity Management Committees, BMC) के थर्ाि़ीर् आर्ोग र्ें


थर्ानपत करिा है । जैनवक संसाधिों व संबंनधत ज्ञाि के प्रर्ोग के निणार्ों र्ें

एि.ब़ी.ए. और एस.ब़ी.ब़ी का ब़ी.एर्.स़ी. से सलाह करिा आवश्यक है ।

ब़ी.एर्.स़ी. क़ी भूनर्का जैनवक नवनवधता के आं कलि, संरक्षण व सम्पोनित

प्रर्ोग करवािा है ।

सब नवदे श़ी िागररकों व संगठिों के नलर्े र्ह अनिवार्ा है नक जैनवक संसाधिों

के प्रर्ोग के नलर्े उन्ें एि. ब़ी. ए. क़ी पूवा अिुर्नत लेि़ी पडे ग़ी। भारत़ीर्
व्यब्दिर्ों/संगठिों को भ़ी र्नद नवदे श़ी व्यब्दिर्ों र्ा संगठिों के सार् र्ा तो कोई

अिुसंधाि करता है अर्वा कोई जैनवक संसाधिों का आदाि-प्रदाि करता है ,

तो उन्ें एि.ब़ी.ए. क़ी अिुर्नत लेि़ी पडेे़ ग़ी।

सहभाग़ी अिुसंधाि र्ोजिाओं व ज्ञाि और साधिों के आदाि-प्रदाि आर्तौर से


उस ब्दथर्नत र्ें कर र्ुि होते हैं , जब उिक़ी कार्ाशैल़ी केंद्ऱीर् सरकार के निदे शों

के अिुरूप हो र्ा जब वे संरक्षण, सम्पोनित प्रर्ोग व लाभ के सह़ी नवतरण जैसे


अच्छे उद्दे श्य रखते हों। परन्तु भारत़ीर् र्ूल के िागररकों व थर्ाि़ीर् व्यब्दिर्ों
क़ी, इिर्ें वैद्य और हक़ीर् भ़ी शानर्ल हैं , भारत के अंदर जैनवक साधिों के
प्रर्ोग क़ी पूऱी स्वतंत्रता है - नवशेिकर जब वह औिध़ीर् व अिुसंधाि के उद्दे श्यों

के नलर्े प्रर्ोग हो।

स्व़ीकृनत दे ते सर्र्, एि.ब़ी.ए. उि शतों को सार्िे रखेग़ी जो नक लाभों का सह़ी

नवतरण कर सके। भारत के अंदर र्ा बाहर, नकस़ी भ़ी रूप र्ें आई.प़ी.आर.
(Intellectual Property Rights, बौब्दद्धक सम्पनर्त् का अनधकार) के आवेदि अर्वा

नकस़ी जैनवक स्रोत पर आधाररत िव़ीि र्ंत्र को प्राप्त करिे के नलर्े, एि.ब़ी.ए. क़ी

पूवा अिुर्नत लेिा आवश्यक है । पारं पररक ज्ञाि के बचाव के नलर्े इस कािूि र्ें

एक प्रावधाि है ।

एि.ब़ी.ए. द्वारा स्व़ीकृनतर्ों के पररणार्स्वरूप आनर्ाक र्ुिार्े, ऱ्ीस, इत्यानद को


रािऱीर् जैवनवनवधता कोि (National Biodiversity Fund, NBF) र्ें जर्ा नकर्ा जाता है ,

जहाँ से वह थर्ाि़ीर् सरकार से सलाह करके उि क्षेत्रों के संरक्षण और नवकास

के नलर्े प्रर्ोग नकर्ा जाता है , जहाँ से र्ह संपदा खोज़ी गई ऱ्ी।

थर्ाि़ीर् सरकारों के राज् सरकारों के गठबंधि के अंतगात, जैवनवनवधता के

दृनिकोण से, रािऱीर् परं परा थर्लों (National Heritage Sites) के अनधसूचिा क़ी
पहचाि क़ी जात़ी है । इसके अलावा अन्य पदार्ों के अनधसूचिा क़ी भ़ी व्यवथर्ा
है , तर्ा कुछ क्षेत्रों र्ें कर, इत्यानद क़ी र्ाऱ्ी भ़ी है । इसका उद्दे श्य सार्ान्यतर्ा

व्यापाररक पदार्ों को कर र्ुि करिा है , तानक वे व्यापार-प्रणाल़ी र्ें रुकावट ि

नसद्ध हो।
र्ह नवधेर्क केंद्ऱीर् और राज् बोडों और थर्ाि़ीर् कर्ेनटर्ों क़ी त़ीि स्तर क़ी
व्यवथर्ा के र्ाध्यर् से ि केवल जैनवक संपदा क़ी लूट को रोकिे र्ें सहार्क है ,
बब्दल्क वह थर्ाि़ीर् नकसािों और जैनवक नवनवधता का भ़ी संरक्षण करता है । र्े

पौधों एवं पशुओं क़ी जिि संसाधिों तक पहुँ च को निर्ंनत्रत करते हैं और लाभों
का सह़ी नवतरण करते हैं । नवदे नशर्ों द्वारा पहुँ च के सब र्ार्ले प्रस्तानवत रािऱीर्

जैनवक नवनवधता अनधकार सनर्नत द्वारा संबोनधत होंगे।

भारत क़ी नकस़ी भ़ी पारं पररक जािकाऱी अर्वा जैनवक साधि पर आधाररत िई
रचिा के बौब्दद्धक संपनर्त् अनधकार को प्राप्त करिे के नलर्े इस आर्ोग क़ी

आवश्यकता होग़ी। र्ह आर्ोग अन्य दे शों र्ें ऐसे अनधकार प्रदाि करिे का

नवरोध करे गा। एि.ब़ी.ए. एक िागररक अदालत क़ी भूनर्का निभार्ेगा। इसके

अनतररि केन्द्र उस ब्दथर्नत र्ें राज्ों को निदे श जाऱी करे गा, जहाँ उसे र्हसूस

होता है नक प्राकृनतक रूप से सम्पन्न नकस़ी क्षेत्र र्ें जरूरत से ज्ादा उपर्ोग के

कारण खतरा उत्पन्न हो गर्ा है ।

अन्तरराष्ट्रीर् कानून (INTERNATIONAL LEGISLATIONS)

नर्लहाल नकस़ी भ़ी अन्तररािऱीर् आर्ोग को र्ह अनधकार िह़ीं है नक वह रािऱीर्

आर्ोगों द्वारा पाररत निर्र्ों के तरह निर्र् बिा सके और ि ह़ी वैनश्वक स्तर पर

साधिों के निर्ंत्रण का अनधकार नकस़ी अन्तररािऱीर् एजेंस़ी को प्राप्त हो। इसके


पररणार्स्वरूप, अन्तररािऱीर् कािूि-प्रणाल़ी को सब सर्ूहों क़ी सहर्नत पर

निभार होिा पडता है । बहुद्दे श़ीर् स्तर के कुछ र्ुद्दों का संबोधि उि ि़ीनतर्ों,
सर्झौतों व संनधर्ों का नर्ला-जुला कार्ा है नजन्ें हर् आर् तौर से अन्तररािऱीर्

पर्ाा वरण संबंध़ी कािूि के िार् से जािते हैं ।


अनधकतर अन्तररािऱीर् पैर्ािे के कािूि और निर्र् वे अन्तररािऱीर् सर्झौते हैं
नजिका सभ़ी स्वेच्छा से पालि करते हैं । र्ह सहर्नत प्रार्ः अन्तररािऱीर्
सर्झौतों अर्वा संनधर्ों के र्ाध्यर् से पाररत हुई हैं । नजि दे शों िे इि सर्झौतों

को र्ाििे क़ी सहर्नत दे द़ी है , उन्ें पाटी के िार् से बुलार्ा जाता है । र्ह
सर्झौता एक ढाँ चे को प्रदाि करता है नजसका आदर ि केवल हर एक पाटी
को करिा पडे गा, बब्दल्क हर पाटी का र्ह कताव्य है नक वह खुद क़ी रािऱीर्

कािूि-प्रणाल़ी का निर्ाा ण करके इस सर्झौते को अपिे रािऱीर् स्तर पर लागू

करें ।

इि सर्झौतों का सहर्ोग दे िे के नलर्े, कुछ सर्र् के प्रोटोकॉल भ़ी निनर्ात


करिे पडते हैं । ‘प्रोटोकॉल’ (Protocol) एक ऐस़ी अन्तररािऱीर् सहर्नत है जो खुद

अपिे बल पर तो खड़ी होत़ी है , परन्तु इसका र्ौजूदा सर्झौते के सार् गहरा

संबंध भ़ी है । इसका अर्ा र्ह हुआ नक जलवार्ु का प्रोटोकॉल जलवार्ु सर्झौते

से संबंनधत नसद्धां तों व र्ुद्दों र्ें भाग़ीदार है । प्रोटोकॉल सर्झौते र्ें द़ी गई
जािकाऱी पर िई आगे क़ी िई-िई बातों को नवकनसत करता है । र्ह सर्झौते र्ें

द़ी गई जािकाऱी से अनधक सशि व काऱ्ी नवस्तृत होत़ी है ।

आर्द्ा भूतम समझौिा (रामसर समझौिा) (Wetland Conservation or Ramsar


Convention)
र्ह एक अन्तररािऱीर् सर्झौता सि 1975 र्ें पाररत हुआ र्ा। र्ह सर्झौता आद्रा
भूनर् के संरक्षण व सदु पर्ोग के नलर्े अन्तररािऱीर् सहर्ोग का ढां चा प्रदाि

करता है । संर्ुि रािर क़ी शैनक्षक, वैज्ञानिक और सां स्कृनतक संगठि (र्ूिेस्को)
इस सर्झौते क़ी निवेशक क़ी भूनर्का र्ें है तर्ा इसका र्ुख्य कार्ाा लर् (रार्सर
ब्यूरो), ग्लाण्, ब्दस्वटजरलैंड र्ें ब्दथर्त है । सि 1981 र्ें भारत िे इस सर्झौते पर

हस्ताक्षर नकए र्े।

इस सर्झौते के उद्दे श्य जल़ीर् भूनर् क़ी हानि को रोकिा व पेड-पौधों, पशुओं

और उिसे संबंनधत पर्ाा वरण़ीर् प्रनिर्ाओं का संरक्षण है । पानटा र्ों के कताव्यों र्ें

निम्ननलब्दखत शानर्ल हैं :

1. एक र्ा एक से अनधक आद्रा भूनर् वाले थर्लों को अन्तररािऱीर् र्हत्त्व के


आद्रा भूनर् के थर्लों क़ी सूच़ी र्ें सब्दिनलत करिा (उदाहरण: भारत के छह

आद्रा भूनर् थर्ल)।

2. आद्रा भूनर् वाले थर्लों नजिर्ें र्ैंग्रोव शानर्ल हैं के बुब्दद्धर्ता से नकए प्रर्ोग को

प्रोत्सानहत करिा।

3. प्राकृनतक संरक्षणों क़ी थर्ापिा द्वारा आद्रा क्षेत्रों के संरक्षण को प्रोत्साहि दे िा।

4. वाटर र्ाउल (Water foul) के लाभ के नलर्े जल़ीर् क्षेत्रों का संचालि सर्झौते र्ें

उसके सूचिा के अनतररि।

5. जल़ीर् क्षेत्रों के नविर् र्ें अिुसंधाि व संचालि के प्रनशक्षण को प्रोत्सानहत

करिा।

6. सर्झौते के लागूकरण के नलर्े अन्य पानटा र्ों से सलाह-र्शनवरा नवशेिकर दो

र्ा दो से अनधक दे शों के ब़ीच पडत़ी आद्रा भूनर्, आपस र्ें नवतररत जल-
व्यवथर्ाएँ , प्रजानतर्ों का भाग और आद्रा क्षेत्रों क़ी र्ोजिाओं के नवकास के संदभा

र्ें।
मॉम्मरर र्ल प्र ट कॉल (Montreal Protocol)

सि 1977 से संर्ुि रािर पर्ाा वरण़ीर् कार्ािर् (United Nations Environment


Programme, र्ू.एि.ई.प़ी) को संबोनधत कर रहा है । र्ू.एि.ई.प़ी. के तत्ाधाि र्ें

नवश्वभर के नवनभन्न दे शों िे नवर्िा र्ें सि 1985 र्ें हुए ओजोि संरक्षण से संबंनधत
अनधवेशि र्ें भाग नलर्ा। इस अनधवेशि के र्ाध्यर् से, दु निर्ा के नवनभन्न दे शों िे

खुद को ओजोि स्तर के बचाव के नलर्े बहस क़ी। वे इस सहर्नत पर भ़ी पहुँ चे

नक जलवार्ु क़ी प्रनिर्ाओं को सर्झिे वाल़ी वैज्ञानिक अिुसंधाि र्ें भ़ी एक


दू सरे का सहर्ोग करें गे। र्ह अनधवेशि भनवष्य के प्रोटोकॉलों व संशोधि क़ी

नवनशि प्रणानलर्ों और आपस़ी र्तभेद को सुलझािे के तऱीकों को भ़ी प्रदाि

करता है ।

ओजोि पता के संरक्षण पर अनधवेशि के उद्दे श्यों को प्राप्त करिे के नलर्े सि

1987 र्ें नवनभन्न दे शों िे पदार्ों के र्ॉनटर र्ल प्रोटोकॉल पर सहर्नत क़ी। इसर्ें, तब

से अब तक पाँ च बार संशोधि हो चुका है । लंदि (1990), कोपिहे गि (1992),


नवर्िा (1995), र्ॉनटर र्ल (1997) और ब़ीनजंग (1999) जैसे शहरों र्ें र्ह प्रोटोकॉल

बाऱी-बाऱी से पाररत हुआ र्ा तर्ा इसर्ें पाँ च संशोधि करके इिको सशि
नकर्ा गर्ा र्ा। प्रोटोकॉल का उद्दे श्य र्ािव निनर्ात उि पदार्ों के प्रर्ोग र्ें कऱ्ी
लािा र्ा नजिसे ओजोि पता को हानि पहुँ चािे वाले नवनकरण निकलते हैं , को

कर् करिा एवं सर्ाप्त करिा र्ा। नवर्िा बैठक एवं र्ॉनटर र्ल प्रोटोकॉल को
सबसे अनधक प्रभाव़ी र्ुनहर् र्ािा जाता है एवं संभवतः भनवष्य र्ें ओजोि के
अपक्षर् करिे वाले रसार्िों को वार्ुर्ंडल को नवकररत होिे से बचाएँ ।
र्ॉनटर र्ल प्रोटोकॉल त़ीि प्रकार क़ी बातों के प्रोटोकॉल के निर्ंत्रक के रूप र्ें,
आनर्ाक प्रोत्साहि दे िे के कार् आता है । (1) र्ां गों के क्षेत्र र्ें प्रवेश (2) गैर-पानटा र्ों
के सार् व्यापार पर निर्ंत्रण और (3) अिुसंधाि व तकि़ीकों के थर्ािान्तरण को

प्रोत्सानहत करता है । अतः वह नवकासश़ील दे शों का दे श भर र्ें ब्दथर्त 507


प्रबोधि केंद्रों (Monitoring Stations) के सहभाग़ी होिे के नलर्े प्रोत्सानहत करता है ।
रािऱीर् पररवेश़ी वार्ु स्तर के र्ॉनिटर कार्ािर् के अध़ीि, 90 शहरों/कस्ों र्ें

ब्दथर्त 290 केंद्र स़ी-प़ी-स़ी- व़ी- (केंद्ऱीर् प्रदू िण निर्ंत्रण सनर्नत) द्वारा र्ॉि़ीटर

नकर्े जा रहे हैं ।

जलवार्ु अतिवेशन (Climate convention)

वैनश्वक ऊष्मण (ग्ऱीिहाउस प्रभाव) पृथ्व़ी के भनवष्य को शार्द सबसे बड़ी

चुिौत़ी हैं । र्ह र्ुख्यतः नबजल़ी, ऊष्मा व र्ातार्ात के नलर्े, ज़ीवाश्म ईंधि

(कोर्ला, तेल एवं गैस) के जलािे के र्ाध्यर् से औद्योनगक दे शों द्वारा निष्कानसत

गैसों (काबाि डाइऑक्साइड, ऱ्ीर्ेि, िाइटर स ऑक्साइड, स़ी.एर्.स़ी., जल वाष्प)


से है । क्ोंनक पूवा काल र्ें लगातार हवा र्ें इि गैसों के छोडे जािे का कारण

तर्ा अब तक हवा र्ें गैस छोडे जािे के कारण, जलवार्ु पररवताि को रोकिा
अब कुछ कनठि हो गर्ा है । नर्र भ़ी, अगर हर् अभ़ी भ़ी हवा र्ें इि गैसों के
उत्सजाि को कर् कर सकें, तब भ़ी हर् इसके सबसे अनधक दु ष्प्रभावों से बच

सकते हैं ।

आजकल, जलवार्ु पररवताि से संबंनधत जोब्दखर्ों को सर्झिे का प्रर्ास नकर्ा


जा रहा है तर्ा हर कदर् पर कोई ि कोई कार्ा इि खतरों को कर् करिे क़ी
नदशा र्ें हो रहे हैं । ग्ऱीि गैस के उत्सजाि को कर् करिे के उद्दे श्य र्ें, कई दे शों िे
रािऱीर् र्ोजिाओं को तैर्ार नकर्ा है व इस नदशा र्ें ि़ीनतर्ों व कार्ािर्ों को
बढावा दे रहे हैं । वैनश्वक स्तर पर, दु निर्ा भर के दे शों िे संर्ुि रािर के जलवार्ु
पररवताि अनधवेशि के ढाँ चे (UN Framework Convention on Climate Change,

र्ू.एि.एर्.स़ी.स़ी.स़ी) के अन्तगात जलवार्ु पररवताि पर रोक लगािे के उद्दे श्य


से, अन्तररािऱीर् कार्ों क़ी तरर् कार्ा करिा आरम्भ नकर्ा है ।

जूि 1992 र्ें ररर्ो ड़ी जेिेररर्ो र्ें संर्ुि रािर क़ी पर्ाा वरण व नवकास अनधवेशि
क़ी र्हत्त्वपूणा अन्तररािऱीर् संनध क़ी पहल को जलवार्ु पररवताि पर संर्ुि रािर

के अनधवेशि (UNFCCC) के िार् से जािा जाता है । र्ू-एि.एर्.स़ी.स़ी.स़ी. भाग़ीदार

दे शों को इस बात के नलर्े बाध्य करता है नक वे र्ािव-जानत (अर्ाा त


र्ािवजनित) द्वारा छोड़ी गई, ग्ऱीिहाउस प्रदू िकों को ऐसे स्तर तक संचानलत

रख सकें, जो नक पर्ाा वरण व्यवथर्ा के सार् ज्ादा हस्तक्षेप ि करे । इस स्तर को

उस सर्र् तक प्राप्त करिा होगा नजसर्ें पर्ाा वरण व्यवथर्ा जलवार्ु पररवताि

के सार् सार्ान्य तालर्ेल थर्ानपत कर पाएँ और इस बात पर ध्याि दे सकें नक

खाद्य पदार्ों का निर्ाा त जोब्दखर् र्ें ि पड जाए व सम्पोनित ढं ग से आनर्ाक

नवकास हो पाए।

क्ोटो, जापाि र्ें नदसम्बर 1997 र्ें ‘क्ोटो प्रोटोकॉल’ पर सहर्नत हुई ऱ्ी। र्ह

जलवार्ु पररवताि के अनधवेशि के उद्दे श्यों के अिुरूप र्ा।

र्ह प्रोटोकॉल सभ़ी पानटा र्ों को नजिर्ें नवकनसत दे श और नवकासश़ील दे श

दोिों शानर्ल हैं - सम्बोनधत करता है व रािऱीर् और क्षेत्ऱीर् कार्ािर्ों के निर्ााण


के नलर्े निम्ननलब्दखत चरणों को निदे नशत करता है निर्ाओं के आं कडों, र्ॉडलों,
ग्ऱीिहाउस गैस प्रदू िकों क़ी िई रािऱीर् थर्ापिाओं व जो पदार्ा इि गैसों को वार्ु
से अलग करते हैं - इि थर्ाि़ीर् प्रदू िक कारकों क़ी बेहतऱी करता है । सब
पानटा र्ाँ जलवार्ु पररवताि के निर्र्ों के निर्ाा ण, प्रकाशि, इत्यानद के प्रनत

सर्नपात है । पर्ाा वरण़ीर् तकि़ीकों और जलवार्ु व्यवथर्ा क़ी वैज्ञानिक व

तकि़ीक अिुसंधाि के प्रनत थर्ािान्तरण को प्रोत्सानहत करते हैं ।

जैतवक तवतवििा अतिवेशन (Biological Diversity Convention)

5 जूि, सि 1992 को संर्ुि रािर संघ के पर्ाा वरण एवं नवकास पर हुए सिेलि

(र्ा पृथ्व़ी सिेलि) जो ररर्ो ड़ी जेिेररर्ो र्ें हुआ र्ा, के दौराि जैनवक नवनवधता

पर आधाररत सिेलि को भ़ी पाररत नकर्ा गर्ा र्ा। स़ी.ब़ी.ड़ी. अन्तररािऱीर्


पैर्ािे पर जैनवक नवनवधता के संरक्षण और रािऱीर् पैर्ािे पर उसके लागूकरण

को उजागर करता है । 150 से अनधक दे शों िे इस सर्झौते पर हस्ताक्षर नकए र्े

और र्ह 29 नदसम्बर, सि 1993 को लागू हो गर्ा। र्ई 1998 तक कुल नर्लाकर 174

दे शों िे इस सर्झौते क़ी स्व़ीकृनत दे द़ी ऱ्ी। नजससे र्ह सर्झौता इस सर्र् का
सबसे अनधक स्व़ीकृत सर्झौता बि गर्ा। भारत िे सि 1994 र्ें इस सर्झौते पर

हस्ताक्षर नकए।

स़ी.ब़ी.ड़ी. रािऱीर् स्तर पर निणार्-प्रनिर्ा पर जोर डालता है । इसके 42 अिुच्छेद

हैं ।
एपी प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ड बिाम प्रो. एम वी िायर्ू (सेवानिवत्त
ृ ) और अन्य
27 जिवरी, 1999 को

लेखक: एम राव
बेंच: एसबी मजमुदार।, एम। जगन्िाथ।
याचिकाकर्ाा:
एपी प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा

बिाम

उत्तरदार्ा:
प्रो.एमवीिायर्
ु ु (सेवानिवत्त
ृ ) और अन्य

निणाय की नर्चि: २७ / ०१ /१ ९९९

बेंि:
एसबी मजमुदार। और एम. जगन्िाि।,

निणाय:

एम.जगन्िाधा राव, जे.

सभी ववशेष अिम


ु नर् याचिकाओं में अवकाश स्वीकृर्। यह कहा जार्ा है:
"पाररस्स्िनर्की की बनु ियादी अंर्र्दास्टि यह है कक सभी जीववर् िीजें परस्पर
संबचं धर् प्रणाललयों में मौजद
ू हैं; अलगाव में कुछ भी मौजद
ू िहीं है। ववश्व
प्रणाली वेब जैसी है; एक स्रैंर् को र्ोड़िा सभी को कंपि करिे के ललए है; जो
कुछ भी एक हहस्से में होर्ा है उसका बाकी सभी पर प्रभाव पड़र्ा है। हमारे
काया व्यस्तर्गर् िहीं बस्कक सामास्जक हैं, वे परू े पाररस्स्िनर्की र्ंत्र में गूंजर्े
हैं।" [ए.किट्श द्वारा साइंस एतशि गठबंधि, पयाावरण िैनर्कर्ा: चिंनर्र्
िागररकों के ललए ववककप 3-4 (1980)]। (1988) Vol.12
हावा.Env.L.Rev। 313 पर।"

इिमें से िार अपीलें , जो 1998 की एसएलपी (सी) संख्या 10317-10320 से


उत्पन्ि होर्ी हैं, आंध्र प्रदे श उच्ि न्यायालय के हदिांक 1.5.1998 के निणाय
के ववरुद्ध िार ररि याचिकाओं, अिाार् ् 1997 की WP संख्या 17832 और
र्ीि अन्य में दायर की गई िीं। संबचं धर् ररि याचिकाएं। सभी अपीलें एपी
प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा द्वारा दायर की गई िीं। उपरोतर् में से र्ीि ररि
याचिकाओं को कुछ व्यस्तर्यों द्वारा जिहहर् के मामलों के रूप में दायर
ककया गया िा और िौिी ररि याचिका ग्राम पंिायर्, पेद्दापरु द्वारा दायर
की गई िी।

पांिवीं लसववल अपील जो 1998 की एसएलपी (सी) संख्या 13380 से


उत्पन्ि होर्ी है, 1997 के र्ब्लकयप
ू ी िंबर 16969 में निणाय के खखलाफ
सोसायिी फॉर वप्रजवेशि ऑफ एिवायरिमें ि एंर् तवाललिी ऑफ लाइफ,
(संक्षेप में 'एसपीईतयए
ू ल' के ललए) द्वारा प्रस्र्र्
ु की गई िी। उतर् ररि
याचिका में याचिकाकर्ाा श्री पी.जिादा ि रे ड्र्ी। हाईकोिा िे इि सभी ररि
याचिकाओं को खाररज कर हदया।
1998 की एसएलपी (सी) संख्या 10330 से उत्पन्ि छठी लसववल अपील
1998 की ररि याचिका संख्या 11803 में हदिांक 1.5.1998 के आदे श के
खखलाफ एपी प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा द्वारा दायर की गई िी। उतर् ररि
याचिका मेससा सुराणा द्वारा दायर की गई िी। ऑयकस एंर् र्ेररवेहिव्स
(इंडर्या) लललमिे र् (बाद में 'प्रनर्वादी कंपिी' कहा जार्ा है, जल (प्रदष
ू ण
निवारण) अचधनियम , 1974 (बाद में ' जल अचधनियम , 1974' कहा जार्ा
है ) के र्हर् अपीलीय प्राचधकारी द्वारा हदए गए निदे शों के कायाान्वयि के
ललए । कंपिी के पक्ष में ।

दस
ू रे शब्लदों में , एपी प्रदष
ू ण बोर्ा पांि अपीलों में अपीलकर्ाा है और
एसपीईतयए
ू ल अपीलों में से एक में अपीलकर्ाा है।
प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा के अिस
ु ार, अचधसूििा संख्या J.20011/15/88-iA,
पयाावरण और वि मंत्रालय, भारर् सरकार हदिांक 27.9.1988 के र्हर्, 'हल
ककए गए निकाले गए र्ेलों सहहर् विस्पनर् र्ेल' (मद संख्या 37) 'रे र्'
खर्रिाक श्रेणी में सि
ू ीबद्ध ककया गया िा। प्रदष
ू ण बोर्ा का र्का है कक
अचधसि
ू िा संख्या J.120012/38/86 1A, भारर् सरकार के पयाावरण और
वि मंत्रालय हदिांक 1.2.1989, प्रनर्वादी कंपिी द्वारा स्िावपर् ककए जािे
वाले प्रस्र्ाववर् प्रकार के उद्योग के स्िाि को प्रनर्बंचधर् करर्ा है , जो दि

घािी में उद्योग की समाि श्रेणी के 11 वें िंबर पर वगीकरण के अंर्गार्
आएगा।
हैदराबाद मेरोपॉललिि वािर सप्लाई एंर् सीवरे ज बोर्ा द्वारा गहठर् ववशेषज्ञ
सलमनर् की अंर्ररम ररपोिा के आधार पर ३१.३.१९९४ को, आंध्र प्रदे श सरकार
के िगर प्रशासि और शहरी ववकास िे जीओएम १९२ हदिांक ३१.३.१९९४ को
जारी १० के भीर्र ववलभन्ि प्रकार के ववकास पर रोक लगा दी। हैदराबाद
और लसकंदराबाद के जड़
ु वां शहरों को पािी की आपनू र्ा करिे वाले इि
जलाशयों में पािी की गण
ु वत्ता की निगरािी के ललए दो झीलों, हहमायर्
सागर और उस्माि सागर के ककमी के दायरे में ।

जिवरी 1995 में , प्रनर्वादी कंपिी को एक सावाजनिक लललमिे र् कंपिी के


रूप में शालमल ककया गया िा, स्जसका उद्दे श्य बीएसएस कैस्िर ऑयल
र्ेररवेहिव्स जैसे हाइड्रोजिेिेर् कैस्िर ऑयल, 12-हाइड्रॉतसी स्िीयररक एलसर्,
डर्हाइड्रेिेर् कैस्िर ऑयल, लमिाइलेिेर् 12-एिएसए, के उत्पादि के ललए एक
उद्योग स्िावपर् करिा िा। D.Co., उत्पादों के साि फैिी एलसर् - जैसे
स्ललसरीि, स्पें ि ब्ललीचिंग अिा और काबाि और स्पें ि निकल उत्प्रेरक। इसके
बाद उद्योग िे उद्योग (ववकास ववनियमि) अचधनियम , 1951 के र्हर्
आशय पत्र के ललए उद्योग मंत्रालय, भारर् सरकार को आवेदि ककया ।

प्रनर्वादी कंपिी िे शमशाबाद मंर्ल के पेद्दाशपरु गांव में 26.9.1995 को


12 एकड़ जमीि खरीदी। कंपिी िे िवंबर, 1995 में उद्योग आयत
ु र्ालय,
आंध्र प्रदे श सरकार की एकल खखड़की मंजरू ी सलमनर् के माध्यम से उद्योग
की स्िापिा के ललए सहमनर् के ललए भी आवेदि ककया िा। 28.11.1995
को, आंध्र प्रदे श सरकार िे उद्योग मंत्रालय को पत्र ललखा िा। , भारर्
सरकार इस प्रकार है:

"राज्य सरकार कायाान्वयि कदम उठािे से पहले, APPollution Control


Board से अिापवत्त प्रमाण पत्र के अधीि स्िािीय प्रनर्बंध में छूि में BSS
ग्रेर् अरं र्ी के र्ेल के निमााण के ललए आशय पत्र के अिद
ु ाि के ललए इकाई
के आवेदि की लसफाररश करर्ी है।"
९.१.१९९६ को, भारर् सरकार िे बीएसएस ग्रेर् कैस्िर ऑयल (१५,००० िि
प्रनर् वषा) और स्ललसरीि (६०० िि प्रनर् वषा) के निमााण के ललए आशय पत्र
जारी ककया। लाइसेंस जारी करिा ववलभन्ि शर्ों के अधीि िा, अन्य बार्ों के
साि, निम्िािस
ु ार:
"(ए) आप राज्य के उद्योग निदे शक से एक पस्ु टि प्राप्र् करें गे कक पररयोजिा
की साइि को सक्षम राज्य प्राचधकरण द्वारा पयाावरणीय र्दस्टिकोण से
अिम
ु ोहदर् ककया गया है।
(बी) आप संबचं धर् राज्य प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा से इस आशय का एक प्रमाण
पत्र प्राप्र् करें गे कक प्रदष
ू ण नियंत्रण के ललए पररकस्कपर् उपाय और स्िावपर्
करिे के ललए प्रस्र्ाववर् उपकरण उिकी आवश्यकर्ाओं को परू ा करर्े हैं।"

इसललए, प्रनर्वादी कंपिी को एपी प्रदष


ू ण नियंत्रण बोर्ा से एिओसी प्राप्र्
करिी िी।

एपी प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा (अपीलकर्ाा) के अिस
ु ार, प्रनर्वादी कंपिी अपिे
पत्र में बर्ाए गए स्िाि प्रनर्बंध से सरकार द्वारा छूि के रूप में , एपी
प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा की मंजरू ी प्राप्र् ककए बबिा, अपिे कारखािे के लसववल
कायों और निमााण को शरू
ु िहीं कर सकर्ी िी। हदिांक 28.11.1995, इस
र्रह की मंजरू ी के अधीि िा। ८.३.१९९६ को, हैदराबाद मेरोपॉललिि वािर
सप्लाई एंर् सीवरे ज बोर्ा की ववशेषज्ञ सलमनर् की दस
ू री अंर्ररम ररपोिा प्राप्र्
होिे पर, िगर प्रशासि और शहरी ववकास ववभाग िे ८.३.१९९६ को १०
ककलोमीिर के निषेध को दोहरार्े हुए शासिादे श संख्या १११ जारी ककया।
जीओ 192 हदिांक ३१.३.१९९४ लेककि आवासीय ववकास के पक्ष में कुछ
ररयायर्ें दे रहा है।
२४.५.१९९६ को लसंगल ववंर्ो तलीयरें स कमेिी द्वारा पव
ू -ा जांि िरण में ,
स्जसमें कंपिी के प्रनर्निचध िे भाग ललया िा, उद्योग के आवेदि को एपी
प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा द्वारा अस्वीकार कर हदया गया िा तयोंकक प्रस्र्ाववर्
साइि १० ककमी के भीर्र चगर गई िी और ऐसा स्िाि िहीं िा जीओएम
111 हदिांक 8.3.96 के अिस
ु ार अिम
ु ेय है। ३१.५.१९९४ को ग्राम पंिायर् िे
कारखािा स्िावपर् करिे की योजिा को मंजरू ी दी।

31.3.1996 को, उद्योग आयत


ु र्ालय िे स्िाि को अस्वीकार कर हदया और
वैकस्कपक स्िल का ियि करिे का निदे श हदया। हदिांक 7.9.1996 को,
स्जला कलेतिर िे गैर-कृवष प्रयोजिों के ललए उपयोग की जािे वाली साइि
(अिाार् 10 ककमी के भीर्र) के रूपांर्रण की अिम
ु नर् दी।
७.४.१९९७ को, कंपिी िे जल अचधनियम की धारा २५ के र्हर् इकाई
स्िावपर् करिे के ललए मंजरू ी की मांग करर्े हुए एपी प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा
को आवेदि ककया । यह ध्याि हदया जा सकर्ा है कक उतर् आवेदि में ,
कंपिी िे निम्िललखखर् को अपिी प्रकियाओं के उप-उत्पादों के रूप में
सूिीबद्ध ककया है:

"स्ललसरीि, पथ्
ृ वी और काबाि को ब्ललीि करिे में खिा ककया और निकल
उत्प्रेरक खिा ककया।"
एपी प्रदष
ू ण बोर्ा के अिस
ु ार इस उद्योग द्वारा निलमार् उत्पादों से प्रदष
ू ण के
निम्िललखखर् स्रोर् हो सकर्े हैं:

"(ए) निकल (ठोस अपलशटि) जो भारी धार्ु है और खर्रिाक अपलशटि


(प्रबंधि और हैंर्ललंग) नियम, 1989 के र्हर् एक खर्रिाक अपलशटि भी
है।
(बी) र्ेल और अन्य अपलशटि उत्पादों को लमलाकर कारखािे से डर्स्िाजा या
रि ऑफ की संभाविा है।

(सी) सकफर र्ाइऑतसाइर् और िाइरोजि के ऑतसाइर् का उत्सजाि।

यह उस समय िा जब कंपिी िे जीओएम 153 हदिांक 3.7.1997 द्वारा


एपी सरकार से 8.3.1996 के जीओएम 111 के संिालि से छूि प्राप्र् की,
स्जसिे उस्माि सागर और हहमायर् सागर झीलों से 10 ककमी नियम
निधााररर् ककया।

एपी प्रदष
ू ण बोर्ा द्वारा अिापवत्त प्रमाण पत्र प्रदाि करिे के संबध
ं में , उतर्
बोर्ा िे हदिांक ३०.७.१९९७ के पत्र द्वारा सहमनर् के ललए हदिांक ७.४.१९९७
के आवेदि को यह कहर्े हुए खाररज कर हदया कक "(1) इकाई एक
प्रदष
ू णकारी उद्योग है और प्रदष
ू ण की लाल श्रेणी के अंर्गार् आर्ा है।
एमओईएफ, भारर् सरकार द्वारा अपिाए गए उद्योगों के वगीकरण की
धारा िमांक 11 के र्हर् उद्योग और यह राय दी कक जीओएम संख्या 111
हदिांक 8.3.1996 के मद्दे िजर हहमायर्सागर के जलग्रहण क्षेत्र में ऐसे
उद्योग का पर्ा लगािा वांछिीय िहीं होगा।

(२) राज्य सरकार के आदे श संख्या १११ हदिांक ८.३.१९९६ के आलोक में
२४.५.१९९६ को आयोस्जर् सीर्ीसीसी/र्ी आईपीसी की बैठक के दौराि इस
इकाई को स्िावपर् करिे के प्रस्र्ाव को पव
ू ा जांि स्र्र पर खाररज कर हदया
गया िा ।"

उतर् अस्वीकृनर् पत्र से व्यचिर् होकर प्रनर्वादी कम्पिी िे जल अचधनियम


की धारा 28 के अन्र्गार् अपील की । अपीलीय प्राचधकारी के समक्ष, उद्योग
िे अपिी दलीलों के समिाि में र्लमलिार्ु प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा को प्रो.
एम.संर्प्पा वैज्ञानिक अचधकारी का एक हलफिामा दायर ककया। जल
अचधनियम, 1974 (जस्स्िस एम. रं गा रे ड्र्ी, (सेवानिवत्त
ृ )) की धारा
28 के र्हर् अपीलीय प्राचधकारी िे हदिांक 5.1.1998 के आदे श द्वारा कंपिी
की अपील की अिम
ु नर् दी। अपीलीय प्राचधकारी के समक्ष, जैसा कक पहले ही
कहा जा िक
ु ा है, एक सेवानिवत्त
ृ वैज्ञानिक और प्रौद्योचगकीववद् (उस समय,
िीएि प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा के वैज्ञानिक सलाहकार) प्रो. एम. शांर्प्पा द्वारा
एक हलफिामा दायर ककया गया िा, स्जसमें कहा गया िा कक प्रनर्वादी िे
िवीिर्म पयाावरण के अिक
ु ू ल र्किीक को अपिाया िा। प्रदष
ू ण के संबध

में सभी सुरक्षा उपायों का उपयोग करिा। अपीलीय प्राचधकारी िे कहा कक र्ॉ.
लसद्ध,ू भारर् सरकार के पव
ू ा वैज्ञानिक और स्जन्होंिे वैज्ञानिक और
औद्योचगक अिस
ु ंधाि पररषद (सीएसआईआर) के महानिदे शक के रूप में
काया ककया और जो इस कंपिी के निदे शक मंर्ल के अध्यक्ष िे, िे भी एक
हलफिामा दायर ककया। प्रनर्वादी कंपिी के प्रबंध निदे शक िे एक
हलफिामा दायर ककया स्जसमें संयत्र
ं के निमााण में प्रयत
ु र् प्रौद्योचगकी के
वववरण की व्याख्या की गई िी। प्रो. एम. शांर्प्पा िे अपिी ररपोिा में कहा
कक कंपिी िे भारर्ीय रासायनिक प्रौद्योचगकी संस्िाि (आईआईसीिी),
हैदराबाद से प्राप्र् प्रौद्योचगकी का उपयोग ककया है जो एक प्रमख
ु संस्िाि है
और वह स्िािांर्रण के ललए दे श में एक बेहर्र संस्िाि के बारे में िहीं
सोिेगा। प्रौद्योचगकी का। उतर् संस्िाि िे एक प्रमाण पत्र जारी ककया है कक
यह उद्योग ककसी भी अम्लीय अपलशटि का निवाहि िहीं करे गा और ठोस
अपलशटि जो उप-उत्पाद हैं, वे बबिी योलय हैं और उन्हें यांबत्रक प्रकिया
द्वारा एमएस ड्रम में एकत्र ककया जाएगा और बेिा जाएगा। र्ॉ. शांर्प्पा की
ररपोिा से यह भी पर्ा िला कक कोई भी उप-उत्पाद कारखािा पररसर की
जमीि पर िहीं चगरे गा। उन्होंिे यह भी बर्ाया कक 16.07.97 को हुई कंपिी
की बैठक में र्किीकी सलमनर् द्वारा कंपिी पर लगाए जािे वाले प्रस्र्ाववर्
सभी शर्ों का अिप
ु ालि ककया गया है। इि ररपोिों के आधार पर, अपीलीय
प्राचधकारी िे कहा कक यह उद्योग "एक प्रदष
ू णकारी उद्योग िहीं है "। इसिे
आगे कहा कक पयाावरण और वि मंत्रालय, भारर् सरकार की अचधसूििा
हदिांक 1.2.1989, स्जसके र्हर् हाइड्रोजिीकृर् विस्पनर् र्ेलों का निमााण
करिे वाले उद्योगों को "लाल श्रेणी" उद्योगों के रूप में वगीकृर् ककया गया
िा, हहमायर् सागर और उस्माि सागर के जलग्रहण क्षेत्रों पर लागू िहीं होर्े
हैं। झीलों और वह अचधसि
ू िा केवल यप
ू ी की दि
ू घािी और महाराटर में
दहािू पर लागू िी। अपीलीय प्राचधकारी िे र्दिस
ु ार एपी प्रदष
ू ण नियंत्रण
बोर्ा को ऐसी शर्ों पर कारखािे की स्िापिा के ललए अपिी सहमनर् दे िे का
निदे श हदया जो बोर्ा जीओएम 153 हदिांक 3.7.1997 (जीओ 181 हदिांक
7.8.1997 द्वारा संशोचधर्) के अिस
ु ार उपयत
ु र् समझे। अपीलीय प्राचधकारी
द्वारा उतर् आदे श हदिांक ५.१.९८ के पाररर् होिे से पहले, इिमें से कुछ
जिहहर् के मामले पहले ही दायर ककए जा िक
ु े िे। अपीलीय प्राचधकारी के
5.1.98 के आदे श के बाद , जिहहर् मामले में निदे श मांगा गया िा
WPNo.2215 of 1996 कक अपीलीय प्राचधकारी द्वारा पाररर् आदे श हदिांक
5.1.1998 मिमािा िा और उच्ि न्यायालय द्वारा पाररर् अंर्ररम आदे शों
के ववपरीर् िा। WP १७८३२, १६९६९ और १६८८१ १९९७ का। प्रनर्वादी कंपिी
िे अपिी बारी में अपीलीय प्राचधकारी के हदिांक ५.१.१९९८ के आदे श के
पररणामस्वरूप, एपी प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा को अपिी सहमनर् दे िे का निदे श
दे िे के ललए १९९८ का WP संख्या ११८०३ दायर ककया। जैसा कक पहले कहा
गया है, एपी प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा का र्का है कक उद्योगों का लाल, हरे और
िारं गी रं ग में वगीकरण पयाावरण और वि मंत्रालय, भारर् सरकार के
कायाालय ज्ञापि हदिांक 27.9.1989 की अचधसि
ू िा से पहले ही ककया जा
िक
ु ा िा। 1988 और उस अचधसि
ू िा में भी "ववलायक निकाले गए र्ेलों
सहहर् विस्पनर् र्ेल" (मद संख्या 7) और `औद्योचगक उद्दे श्यों के ललए
विस्पनर् हाइड्रोजिीकृर् विस्पनर् र्ेल (आइिम 37)" को भी लाल श्रेणी में
शालमल ककया गया िा। यह भी र्का दे र्ा है कक कंपिी कर सकर्ी है जब
र्क बोर्ा द्वारा एिओसी िहीं दी जार्ी र्ब र्क लसववल काया शरू
ु िहीं ककया
है।उच्ि न्यायालय की डर्वीजि बेंि िे अपिे निणाय हदिांक 1.5.1998 में
कहा कक जिहहर् के मामले दायर करिे वाले ररि याचिकाकर्ााओं को यह
िहीं कहा जा सकर्ा है कक उिका कोई अचधकार िहीं है। ररि याचिका दायर
करें उच्ि न्यायालय िे दे खा कक एपी प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा की र्किीकी
सलमनर् िे इिकार करिे से कुछ समय पहले, कंपिी द्वारा कुछ सुरक्षा
उपायों का पालि करिे का सझ
ु ाव हदया िा, बोर्ा अिािक सहमनर् से
इिकार िहीं कर सकर्ा िा और यह दोहरा मापदं र् हदखार्ा है। उच्ि
न्यायालय िे जल अचधनियम हदिांक 5.1.98 की धारा 28 के र्हर् अपीलीय
प्राचधकारी के आदे श और र्ॉ. लसद्धू की ररपोिा का हवाला दे र्े हुए कहा कक
भले ही खर्रिाक अपलशटि एक उप-उत्पाद िा, इसे नियंबत्रर् ककया जा
सकर्ा है यहद खर्रिाक अपलशटि (प्रबंधि और हैंर्ललंग) नियम, 1989 में
उस्कलखखर् सुरक्षा उपायों का पालि ककया गया और ववशेष रूप से नियम
5,6 और 11 में हदए गए उपायों का पालि ककया गया। खर्रिाक रसायि
(एमएसआईएिसी) नियम 1989 के निमााण, भंर्ारण और आयार् के र्हर्
बिाए गए नियम भी औद्योचगक रूप से सकिय रूप से अिम
ु नर् दे र्े हैं बशर्े
उसमें उस्कलखखर् सरु क्षा उपाय ककए गए हों। रासायनिक दघ
ु ि
ा िाएं
(आपार्कालीि योजिा, र्ैयारी और प्रनर्किया) नियम 1991 दघ
ु ि
ा िा की
र्ैयारी पर एमएसआईएिसी नियम, 1989 के परू क हैं और दे श में 4-स्र्रीय
संकि प्रबंधि प्रणाली की पररककपिा करर्े हैं। इसललए, केवल इसललए कक
एक उद्योग िे खर्रिाक पदािों का उत्पादि ककया, सहमनर् से इिकार िहीं
ककया जा सकर्ा िा। यह कहा गया िा कक िकूं क मामला अत्यचधक
र्किीकी िा, इसललए हस्र्क्षेप की मांग िहीं की गई िी, जैसा कक प्रनर्वादी
कंपिी के ववद्वाि वकील द्वारा "सही" र्का हदया गया िा। उच्ि न्यायालय
अपीलीय प्राचधकारी के आदे श पर अपील में िहीं बैठ सकर्ा िा। उपरोतर्
कारणों से उच्ि न्यायालय िे र्ीि जिहहर् के मामलों और ग्राम पंिायर्
द्वारा दायर ररि याचिकाओं को खाररज कर हदया। उच्ि न्यायालय िे
प्रनर्वादी उद्योग द्वारा दायर ररि याचिका की अिम
ु नर् दी और एपी प्रदष
ू ण
नियंत्रण बोर्ा द्वारा ऐसी शर्ों के अधीि सहमनर् दे िे का निदे श हदया जो
बोर्ा द्वारा लगाई जा सकर्ी हैं। उतर् निणाय के ववरुद्ध एपी प्रदष
ू ण
नियंत्रण बोर्ा िे पांि अपीलें दायर की हैं। SPEQL द्वारा एक अपील दायर
की गई है। इि अपीलों में , हमिे श्री आर एि बत्रवेदी, एपी प्रदष
ू ण नियंत्रण
बोर्ा के ललए अनर्ररतर् सॉलललसिर जिरल, श्री एमएिआरओ, प्रनर्वादी
कंपिी के ववद्वाि वररटठ वकील, और श्री पी एस िरलसम्हा की अपील को
एसएलपी से उत्पन्ि अपील में सि
ु ा है। सी) 1998 की संख्या 13380 और
अन्य। यह दे खा जाएगा कक इि अपीलों में एपी प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा हदिांक
30.7.97 द्वारा पाररर् आदे शों की वैधर्ा , जल अचधनियम की धारा
28 के र्हर् अपीलीय प्राचधकारी के आदे श हदिांक 5.1.98 की शद्
ु धर्ा से
संबचं धर् ववलभन्ि मुद्दे उत्पन्ि होर्े हैं , जीओएम संख्या 153 हदिांक
3.7.97 की वैधर्ा स्जसके द्वारा एपी सरकार िे जीओएम 111 हदिांक
8.3.1996 में 10 ककमी नियम के संिालि के ललए छूि प्रदाि की। केंद्र
सरकार द्वारा जारी अचधनियम, नियमों या अचधसि
ू िा के प्रावधािों
और जल अचधनियम या नियमों या अचधसि
ू िाओं के र्हर् निधााररर्
मािकों के कचिर् उकलंघि के संबध
ं में भी सवाल उठर्े हैं । सवाल यह भी
उठर्ा है कक तया "अपील" प्राचधकारी यह कह सकर्े िे कक िकूं क यह एक
उच्ि र्किीकी मामला िा, इसललए ककसी हस्र्क्षेप की आवश्यकर्ा िहीं
िी। हम अभी इि सभी पहलुओं में िहीं जा रहे हैं बस्कक र्किीकी पक्ष के
मुद्दों र्क खुद को सीलमर् कर रहे हैं। औद्योचगक प्रदष
ू ण से संबचं धर्
मामलों में और ववशेष रूप से, जल ( प्रदष
ू ण की रोकिाम और नियंत्रण)
अचधनियम , 1974 के प्रावधािों के कचिर् उकलंघि के संबध
ं में , इसके
नियमों या अचधसूििाओं के र्हर् जारी ककए गए, प्रदष
ू ण और संबचं धर्
प्रौद्योचगकी से संबचं धर् गंभीर मुद्दे उत्पन्ि हो रहे हैं। अिच्
ु छे द 136
के र्हर् अपील और भारर् के संववधाि के अिच्
ु छे द 32 के र्हर् ररि
याचिकाओं में इस न्यायालय में दायर की गई और अिच्
ु छे द 226 के र्हर्
उच्ि न्यायालयों के समक्ष ररि याचिकाओं में भी । मामलों में प्रदष
ू ण
नियंत्रण बोर्ा या अन्य द्वारा व्यतर् र्किीकी पहलुओं पर राय की शुद्धर्ा
शालमल है। निकाय स्जिकी राय न्यायालयों के समक्ष रखी जार्ी है। ऐसी
स्स्िनर् में , इस न्यायालय या उच्ि न्यायालयों द्वारा न्यायालयों को प्रस्र्ुर्
र्किीकी और वैज्ञानिक राय की शुद्धर्ा पर निणाय लेिे में या उद्योग
द्वारा अपिाई जािे वाली प्रस्र्ाववर् र्किीक की प्रभावकाररर्ा के संबध
ं में
या संबध
ं में काफी कहठिाई का अिभ
ु व होर्ा है। प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा या
अन्य निकायों द्वारा सुझाए गए वैकस्कपक प्रौद्योचगकी या संशोधिों की
आवश्यकर्ा के ललए। प्रस्र्ुर् मामला ऐसी ही समस्याओं को दशाार्ा
है। इसललए, यह आवश्यक हो गया है कक इस न्यायालय द्वारा पहले से र्य
ककए गए पयाावरण कािि
ू के कुछ पहलओ
ु ं का उकलेख ककया जाए और साि
ही उपरोतर् वैज्ञानिक समस्याओं पर कुछ हद र्क ध्याि हदया जाए और
उिका समाधाि खोजा जाए। पयाावरण न्यायालय/न्यायाचधकरण - जहिल
प्रौद्योचगकी की

समस्याएं:
अत्यचधक र्किीकी या वैज्ञानिक र्ेिा से निपििे में पयाावरण न्यायालयों
द्वारा सामिा की जािे वाली कहठिाई एक वैस्श्वक घििा प्रर्ीर् होर्ी है।

लॉर्ा वक
ू फ, यक
ू े ईएलए में अपिे गािार व्याख्याि में, "तया न्यायपाललका
पयाावरण की र्दस्टि से मायोवपक हैं?" ववषय पर। (दे खें 1992 J.Envtl. Law
Vol.4, No.1, P1) िे पयाावरण कािि
ू में बढ़र्ी ववशेषज्ञर्ा की समस्या पर
और न्यायालयों की कहठिाई पर, अपिे वर्ामाि स्वरूप में , अलग
"वेर्िसबरी" की अपिी पारं पररक भूलमका से आगे बढ़र्े हुए हिप्पणी की। "
समीक्षा। उन्होंिे एक न्यायालय या हरब्लयि
ू ल की आवश्यकर्ा की ओर इशारा
करर्े हुए कहा कक "पयाावरण की सुरक्षा के ललए प्रदाि ककए गए सुरक्षा
उपायों की दे खरे ख और लागू करिे के ललए एक सामान्य स्जम्मेदारी है ...
हरब्लयि
ू ल को अपिी प्रकिया निधााररर् करिे के ललए एक व्यापक वववेक
हदया जा सकर्ा है र्ाकक यह पयाावरणीय मुद्दों के अपिे ववशेषज्ञ अिभ
ु व
को सबसे प्रभावी र्रीके से सहि करिे में सक्षम िा"
लॉर्ा वक
ू फ िे "एक बहुआयामी, बहु-कुशल निकाय की आवश्यकर्ा की ओर
इशारा ककया, जो पयाावरण के क्षेत्र में मौजद
ू ा न्यायालयों, न्यायाचधकरणों
और निरीक्षकों द्वारा प्रदाि की जािे वाली सेवाओं को जोड़र्ी है। यह एक
'वि स्िॉप शॉप' होगी, स्जससे र्ेजी से आगे बढ़िा िाहहए पयाावरण क्षेत्र में
वववादों का सस्र्ा और अचधक प्रभावी समाधाि। यह उि मुद्दों को हल
करिे के ललए मजबरू करिे की कोलशश करके पहले से ही बोझ से दबे
संस्िािों पर भार बढ़ािे से बि जाएगा, स्जिके साि वे निपििे के ललए
डर्जाइि िहीं ककए गए हैं। यह एक ऐसा मंि हो सकर्ा है स्जसमें न्यायाधीश
एक अलग भूलमका निभा सकर्े िे। एक भूलमका स्जसिे उन्हें सीलमर् र्दस्टि
के साि पयाावरणीय समस्याओं की जांि िहीं करिे में सक्षम बिाया।
हालांकक यह हमारे मौजद
ू ा अिभ
ु व पर आधाररर् हो सकर्ा है, मौजद
ू ा
निरीक्षणालय, भलू म न्यायाचधकरण और अन्य प्रशासनिक निकायों के कौशल
को लमलाकर। एक रोमांिक पररयोजिा बिें"

लॉर्ा वक
ू फ के अिस
ु ार, "जबकक पयाावरण कािि
ू अब स्पटि रूप से कािि
ू ी
पररर्दश्य की एक स्िायी ववशेषर्ा है, कफर भी इसमें स्पटि सीमाओं का
अभाव है।" यह बेहर्र हो सकर्ा है कक जैसे-जैसे कािि
ू ववकलसर् होर्ा है,
न्यानयक निणाय द्वारा सीमाओं को स्िावपर् करिे के ललए छोड़ हदया जार्ा
है। आखखरकार, अंग्रेजी कािि
ू की सबसे बड़ी र्ाकर् इसका व्यावहाररक
र्दस्टिकोण रहा है। इसके अलावा, जहां र्त्काल निणायों की आवश्यकर्ा होर्ी
है, वववाद के समाधाि र्क यिास्स्िनर् बिाए रखिे के ललए अतसर कोई
आसाि ववककप िहीं होर्ा है। यहद पररयोजिा को जािे हदया जार्ा है आगे,
पयाावरण को अपरू णीय क्षनर् हो सकर्ी है; यहद इसे रोक हदया जार्ा है, र्ो
एक महत्वपण
ू ा आचिाक हहर् को अपरू णीय क्षनर् हो सकर्ी है। (दे खें पयाावरण
प्रवर्ाि: एक ववशेष अदालर् की आवश्यकर्ा - रॉबिा िैिविा तयस
ू ी (योजिा
और पयाावरण की पबत्रका, 1992 p.798 at 806)। रॉबिा िैिविा एक सरल
प्रकिया के साि एक एकीकृर् न्यायाचधकरण के गठि की वकालर् करर्े हैं
जो ग्राहकों की आवश्यकर्ा को दे खर्ा है, जो एक न्यायालय या एक ववशेषज्ञ
पैिल का रूप लेर्ा है, जरूरर्ों के ललए अपिाई गई प्रकिया का आवंिि
प्रत्येक मामले का - जो दो स्र्रों पर संिाललर् होगा - एक एकल न्यायाधीश
या र्किीकी व्यस्तर् द्वारा पहला स्र्र और उच्ि न्यायालय के न्यायाधीश
की अध्यक्षर्ा में ववशेषज्ञों के एक पैिल द्वारा समीक्षा - और 'बध
ु वार'
मैदाि र्क सीलमर् िहीं है। यू में एसए स्स्िनर् अलग िहीं है। यह स्वीकार
ककया जार्ा है कक जब प्रनर्कूल प्रकिया जहिल और अपररचिर् मुद्दों पर
परस्पर ववरोधी गवाही दे र्ी है और प्रनर्भागी वववाद की प्रकृनर् को परू ी र्रह
से िहीं समझ सकर्े हैं, र्ो न्यायालय र्कासंगर् और सैद्धांनर्क निणाय लेिे
के ललए सक्षम िहीं हो सकर्े हैं। इस समस्या पर चिंर्ा िे कािेगी ववज्ञाि
और प्रौद्योचगकी आयोग (1993) और सरकार को न्यानयक निणाय लेिे में
ववज्ञाि और प्रौद्योचगकी की समस्याओं का अध्ययि करिे के ललए प्रेररर्
ककया। अपिी अंनर्म ररपोिा के पररिय में , आयोग िे निटकषा निकाला:

"न्यायालय की जहिल ववज्ञाि-समद्


ृ ध मामलों को संभालिे की क्षमर्ा को
हाल ही में व्यापक आरोपों के साि प्रश्ि में बल
ु ाया गया है कक न्यानयक
प्रणाली ववज्ञाि और प्रौद्योचगकी (एस एंर् िी) के मुद्दों का प्रबंधि और
न्याय करिे में असमिा है। आलोिकों िे आपवत्त की है कक न्यायाधीश उचिर्
िहीं बिा सकर्े हैं निणाय तयोंकक उिके पास र्किीकी प्रलशक्षण की कमी है,
कक जरू ी सदस्य उि साक्ष्यों की जहिलर्ा को िहीं समझर्े हैं स्जिका वे
ववश्लेषण करिा िाहर्े हैं, और ववशेषज्ञ गवाह स्जि पर लसस्िम निभार
करर्ा है, वे भाड़े के व्यस्तर् हैं स्जिकी पक्षपार्ी गवाही अतसर गलर् और
असंगर् निधाारण उत्पन्ि करर्ी है। यहद ये दावे िलर्े हैं अित्त
ु ररर्, या
निपिाया िहीं जार्ा है, न्यायपाललका में ववश्वास कम हो जाएगा तयोंकक
जिर्ा आश्वस्र् हो जार्ी है कक अब गहठर् न्यायालय हमारे हदि के कुछ
अचधक दबाव वाले कािि
ू ी मुद्दों को सही ढं ग से हल करिे में असमिा हैं।"
वैज्ञानिक राय की अनिस्श्िर् प्रकृनर्:

पयाावरण के क्षेत्र में , वैज्ञानिक राय की अनिस्श्िर्र्ा िे न्यायालयों के ललए


गंभीर समस्याएँ खड़ी कर दी हैं। सत्य की खोज में ववज्ञाि और कािि
ू के
ववलभन्ि लक्ष्यों के संबध
ं में , यए
ू स सुप्रीम कोिा िे ड्यब
ू िा बिाम मेरेल र्ॉव
फामाास्यहु िककस इंक। (1993) 113 एस.सीिी 2786 में निम्िािस
ु ार दे खा:
"...न्यायालय में सत्य की खोज और प्रयोगशाला में सत्य की खोज के बीि
महत्वपण
ू ा अंर्र हैं। वैज्ञानिक निटकषा सर्र् संशोधि के अधीि हैं। दस
ू री
ओर, कािि
ू को वववादों को अंर्र्ः हल करिा िाहहए और जकदी
जकदी।" इसे ब्रायि वाईि िे 'अनिस्श्िर्र्ा और पयाावरण लशक्षा, (2. ललोबल
एिवीिीएल। िें ज 111) (1992) में भी कहा है:

"अनिस्श्िर्र्ा, अपयााप्र् र्ेिा, अज्ञािर्ा और अनिस्श्िर्र्ा के


पररणामस्वरूप, ववज्ञाि का एक अंर्निाहहर् हहस्सा है।"
अनिस्श्िर्र्ा एक समस्या बि जार्ी है जब वैज्ञानिक ज्ञाि को िीनर् निमााण
में संस्िागर् रूप हदया जार्ा है या एजेंलसयों और अदालर्ों द्वारा निणाय
लेिे के आधार के रूप में उपयोग ककया जार्ा है। अचधक जािकारी उपलब्लध
होिे पर वैज्ञानिक िर या मॉर्ल को पररटकृर्, संशोचधर् या त्याग सकर्े
हैं; हालांकक, एजेंलसयों और न्यायालयों को मौजद
ू ा वैज्ञानिक ज्ञाि के आधार
पर िि
ु ाव करिा िाहहए। इसके अलावा, एजेंसी के निणाय लेिे के साक्ष्य को
आम र्ौर पर एक वैज्ञानिक रूप में प्रस्र्ुर् ककया जार्ा है स्जसे आसािी से
परीक्षण िहीं ककया जा सकर्ा है। इसललए, अनिस्श्िर्र्ा या अपयााप्र् ज्ञाि
के कारण ररकॉर्ा में अपयााप्र्र्ा पर ठीक से वविार िहीं ककया जा सकर्ा
है। (ऑस्रे ललया में एहनर्यार्ी लसद्धांर् की स्स्िनर्: िालमायि बािाि द्वारा
(वॉकयम
ू .22) (1998) (हावा। Envtt। लॉ ररव्यू पी.509 पीपी 510-511 पर)।
ववज्ञाि की अपयााप्र्र्ा खर्रे के प्रनर्कूल प्रभावों की पहिाि करिे और कफर
कारणों को खोजिे के ललए पीछे की ओर काम करिे के पररणामस्वरूप होर्ी
है। दस
ू रे , िैदानिक परीक्षण ककए जार्े हैं, ववशेष रूप से जहां ववषातर् पदािा
शालमल होर्े हैं, जािवरों पर और मिटु यों पर िहीं, यािी जािवरों के
अध्ययि या अकपकाललक सेल परीक्षण पर आधाररर् होर्े हैं। महामारी
ववज्ञाि के अध्ययि के आधार पर र्ीसरे निटकषा वैज्ञानिक द्वारा ववषयों के
वपछले प्रदशाि को नियंबत्रर् करिे या यहां र्क कक सिीक रूप से आकलि
करिे में असमिार्ा के कारण त्रहु िपण
ू ा हैं। इसके अलावा, ये अध्ययि
वैज्ञानिक को चिंर्ा के पदािा के प्रभावों को अलग करिे की अिम
ु नर् िहीं
दे र्े हैं। कई कालसािोजेन्स और अन्य ववषातर् पदािों की ववलंबर्ा अवचध
बाद की व्याख्या की समस्याओं को बढ़ा दे र्ी है। एतसपोजर और
अवलोकिीय प्रभाव के बीि का समय ववनियमि होिे से पहले असहिीय
दे री पैदा करर्ा है। (सुरक्षात्मक पयाावरणीय निणाय लेिे में वैज्ञानिक
अनिस्श्िर्र्ा दे खें - एललसि सी. फ्लोिे द्वारा (वॉकयम
ू .15) 1991 हावा।
Envtt। लॉ ररव्यू पी.327 333-335 पर)।
यह पयाावरण के संदभा में ववज्ञाि की उपरोतर् अनिस्श्िर्र्ा है, स्जसिे
अंर्रााटरीय सम्मेलिों को िए कािि
ू ी लसद्धांर्ों और साक्ष्य के नियमों को
र्ैयार करिे के ललए प्रेररर् ककया है। हम वर्ामाि में उिका उकलेख करें गे।

एहनर्यार्ी लसद्धांर् और सबर्


ू का िया बोझ - वेकलोर मामला:
वैज्ञानिक प्रमाण की 'अनिस्श्िर्र्ा' और समय-समय पर इसकी बदलर्ी
सीमाओं िे 1972 के स्िॉकहोम सम्मेलि और 1992 के ररयो सम्मेलि के
बीि की अवचध के दौराि पयाावरणीय अवधारणाओं में बड़े बदलाव ककए
हैं। वेकलोर िागररक ककयाण मंि बिाम भारर् संघ में और अन्य [१९९६ (५)
एससीसी ६४७], इस न्यायालय की र्ीि न्यायाधीशों की खंर्पीठ िे
पयाावरणीय मामलों में इि पररवर्ािों को 'एहनर्यार्ी लसद्धांर्' और 'प्रमाण
के बोझ' की िई अवधारणा के ललए संदलभार् ककया। कुलदीप लसंह, जे. िे
ववलभन्ि अंर्रराटरीय सम्मेलिों में ववकलसर् लसद्धांर्ों और 'सर्र् ववकास'
की अवधारणा का उकलेख करिे के बाद कहा कक एहनर्यार्ी लसद्धांर्,
प्रदष
ू क-भग
ु र्ाि लसद्धांर् और सबर्
ू के दानयत्व की ववशेष अवधारणा अब
उभरी है और इसे नियंबत्रर् करर्ी है। हमारे दे श में भी कािि
ू , जैसा कक हमारे
संववधाि के अिच्
ु छे द ४७, ४८-ए और ५१-ए (जी) से स्पटि है और वास्र्व
में , जल अचधनियम , १९७४ और अन्य कािि
ू ों जैसे ववलभन्ि पयाावरण
कािि
ू ों में , स्जिमें शालमल हैं पयाावरण (संरक्षण) अचधनियम , 1986, इि
अवधारणाओं को पहले से ही लगाए गए। ववद्वाि न्यायाधीश िे घोषणा की
कक ये लसद्धांर् अब हमारे कािि
ू का हहस्सा बि गए हैं। इस संबध
ं में
वेकलोर मामले में प्रासंचगक हिप्पखणयां इस प्रकार हैं:
"उपरोतर् संवध
ै ानिक और वैधानिक प्रावधािों के मद्दे िजर हमें यह माििे
में कोई हहिक िहीं है कक एहनर्यार्ी लसद्धांर् और प्रदष
ू क भुगर्ाि
लसद्धांर् दे श के पयाावरण कािि
ू का हहस्सा हैं।"
न्यायालय िे कहा कक अन्यिा भी उपयत
ुा र् लसद्धांर्ों को प्रिागर्
अंर्रााटरीय कािि
ू के हहस्से के रूप में स्वीकार ककया जार्ा है और इसललए
उन्हें हमारे घरे लू कािि
ू के हहस्से के रूप में स्वीकार करिे में कोई कहठिाई
िहीं होिी िाहहए। वास्र्व में इस न्यायालय के समक्ष मामले के र्थ्यों पर,
यह निदे श हदया गया िा कक पयाावरण (संरक्षण) अचधनियम, 1986 की धारा
3 (3) के र्हर् नियत
ु र् ककए जािे वाले प्राचधकारी "एहनर्यार्ी लसद्धांर्"
और "प्रदष
ू क भग
ु र्ाि लसद्धांर्" को लागू करें गे। '।"
ववद्वाि न्यायाधीशों िे यह भी दे खा कक िई अवधारणा जो यिास्स्िनर् को
बदलिे का प्रस्र्ाव करिे वाले र्ेवलपर या उद्योगपनर् पर सबर्
ू का बोझ
र्ालर्ी है, वह भी हमारे पयाावरण कािि
ू का हहस्सा बि गई है।
वेकलोर के फैसले में इि लसद्धांर्ों का संक्षेप में उकलेख ककया गया है,
लेककि, हमारे वविार में , उिके अिा को और अचधक ववस्र्ार से समझािा
आवश्यक है, र्ाकक न्यायालय और न्यायाचधकरण या पयाावरण प्राचधकरण
उतर् लसद्धांर्ों को उिके सामिे आिे वाले मामलों में ठीक से लागू कर
सकें।

एहनर्यार्ी लसद्धांर् आत्मसार् क्षमर्ा लसद्धांर् की जगह लेर्ा है:

पयाावरण संरक्षण के र्दस्टिकोण में एक बनु ियादी बदलाव शुरू में 1972 और
1982 के बीि हुआ। इससे पहले यह अवधारणा 'एलसलमलेहिव कैपेलसिी'
नियम पर आधाररर् िी, जैसा कक मािव पयाावरण पर संयत
ु र् राटर
सम्मेलि के स्िॉकहोम घोषणा, 1972 के लसद्धांर् 6 से पर्ा िला िा। उतर्
लसद्धांर् को माि ललया गया िा। कक ववज्ञाि िीनर् निमाार्ाओं को प्रदाि कर
सकर्ा है - प्रभावों को आत्मसार् करिे के ललए पयाावरण की क्षमर्ा पर
अनर्िमण से बििे के ललए आवश्यक जािकारी और साधि प्रदाि कर
सकर्ा है और यह मािा जार्ा है कक प्रासंचगक र्किीकी ववशेषज्ञर्ा उपलब्लध
होगी जब पयाावरणीय िक
ु साि की भववटयवाणी की गई िी और इसमें काया
करिे के ललए पयााप्र् समय होगा र्ाकक इस र्रह के िक
ु साि से बिा जा
सके। लेककि प्रकृनर् के ललए ववश्व िािार, 1982 पर संयत
ु र् राटर महासभा
के प्रस्र्ाव के 11वें लसद्धांर् में , 'एहनर्यार्ी लसद्धांर्' पर जोर हदया गया,
और 1992 के ररयो सम्मेलि में इसके लसद्धांर् 15 में इसे दोहराया गया जो
इस प्रकार है:

"लसद्धांर् 15: पयाावरण की रक्षा के ललए, राज्यों द्वारा उिकी क्षमर्ाओं के


अिस
ु ार एहनर्यार्ी र्दस्टिकोण व्यापक रूप से लागू ककया जाएगा। जहां
गंभीर या अपररवर्ािीय क्षनर् के खर्रे हैं; पण
ू ा वैज्ञानिक निस्श्िर्र्ा की कमी
का उपयोग लागर् के प्रस्र्ाव के कारण के रूप में िहीं ककया जाएगा। -
पयाावरण क्षरण को रोकिे के ललए प्रभावी उपाय।"

इस लसद्धांर् के उद्भव के कारण के संबध


ं में , िालमायि बािाि, पहले खंर्
22, हावा में संदलभार् लेख में । एिवीिीिी एल रे व (१९९८) p.५०९ at (p.५४७)
कहर्े हैं:

"निणाय निमाार्ाओं को ररकॉर्ा का आकलि करिे से रोकिे के ललए कुछ भी


िहीं है और यह निटकषा निकालिा कक अपयााप्र् जािकारी है स्जस पर एक
निधाारण र्क पहुंििा है। यहद "कुछ" आत्मववश्वास के साि निणाय लेिा
संभव िहीं है, र्ो यह समझ में आर्ा है कक ककस पक्ष में गलर्ी है सावधािी
बरर्ें और ऐसी गनर्ववचधयों को रोकें स्जिसे गंभीर या अपररवर्ािीय िक
ु साि
हो सकर्ा है। एक सूचिर् निणाय बाद के िरण में ककया जा सकर्ा है जब
अनर्ररतर् र्ेिा उपलब्लध हो या संसाधि आगे के शोध की अिम
ु नर् दें । यह
सनु िस्श्िर् करिे के ललए कक पयाावरण प्रबंधि में अचधक सावधािी बरर्ी
जाए, न्यानयक के माध्यम से लसद्धांर् का कायाान्वयि और ववधायी साधि
आवश्यक हैं।"

दस
ू रे शब्लदों में , ववज्ञाि की अपयााप्र्र्ा ही वास्र्ववक आधार है स्जसिे 1982
के एहनर्यार्ी लसद्धांर् को जन्म हदया है। यह इस लसद्धांर् पर आधाररर् है
कक सावधािी के पक्ष में गलर्ी करिा और पयाावरणीय िक
ु साि को रोकिा
बेहर्र है जो वास्र्व में अपररवर्ािीय हो सकर्ा है। एहनर्यार् के लसद्धांर्
में पयाावरणीय िक
ु साि की आशंका और इससे बििे के उपाय करिा या
कम से कम पयाावरणीय रूप से हानिकारक गनर्ववचध का ियि करिा
शालमल है। यह वैज्ञानिक अनिस्श्िर्र्ा पर आधाररर् है। पयाावरण संरक्षण
का उद्दे श्य ि केवल स्वास्थ्य, संपवत्त और आचिाक हहर्ों की रक्षा करिा
होिा िाहहए, बस्कक अपिे ललए पयाावरण की भी रक्षा करिा
िाहहए। एहनर्यार्ी कर्ाव्यों को ि केवल ठोस खर्रे के संदेह से बस्कक
(उचिर्) चिंर्ा या जोखखम क्षमर्ा से भी हरगर ककया जािा िाहहए। यए
ू िईपी
गवनििंग काउं लसल (1989) द्वारा एहनर्यार्ी लसद्धांर् की लसफाररश की गई
िी। बोमाको कन्वेंशि िे उस सीमा को भी कम कर हदया स्जस पर वैज्ञानिक
साक्ष्य को "गंभीर" या "अपररवर्ािीय" को ववशेषण योलयर्ा हानि के रूप में
संदलभार् िहीं करके कारावाई की आवश्यकर्ा हो सकर्ी है। हालांकक,
एहनर्यार्ी लसद्धांर् की कािि
ू ी स्स्िनर् को संक्षेप में , एक हिप्पणीकार िे
लसद्धांर् को अभी भी "ववकलसर्" के रूप में वखणार् ककया है, हालांकक इसे
अंर्रराटरीय प्रिागर् कािि
ू के हहस्से के रूप में स्वीकार ककया जार्ा है,
"ककसी भी संभाववर् स्स्िनर् में इसके आवेदि के पररणाम प्रभाववर् होंगे
प्रत्येक मामले की पररस्स्िनर्याँ"। (दे खें * र्ॉ. श्रीनिवास राव पेम्माराजू की
पहली ररपोिा , ववशेष-प्रनर्वेदक, अंर्रााटरीय ववचध आयोग हदिांक 3.4.1998,
पैरा 61 से 72)। पयाावरणीय मामलों में सबर्
ू का ववशेष बोझ: हम अगली
बार वेकलोर मामले में संदलभार् सबर्
ू के बोझ की िई अवधारणा को p.658
(1996 (5) SCC 647) में ववस्र्र्
ृ करें गे। उस मामले में, कुलदीप लसंह, जे. िे
इस प्रकार कहा:

"सबर्
ू की स्जम्मेदारी अलभिेर्ा या र्ेवलपर/उद्योगपनर् पर है कक वह यह
हदखाए कक उसकी कारावाई पयाावरण के अिक
ु ू ल है।"
-------------------------------------------------- - *संयत
ु र् सचिव
और कािि
ू ी सलाहकार, ववदे श मंत्रालय, िई हदकली। यह ध्याि हदया जािा
िाहहए कक जहां ववज्ञाि की अपयााप्र्र्ा िे 'एहनर्यार्ी लसद्धांर्' को जन्म
हदया है, वहीं उतर् 'एहनर्यार्ी लसद्धांर्' िे पयाावरणीय मामलों में सबर्
ू के
बोझ के ववशेष लसद्धांर् को जन्म हदया है, जहां की अिप
ु स्स्िनर् के रूप में
बोझ प्रस्र्ाववर् कायों का हानिकारक प्रभाव, - उि लोगों पर रखा गया है जो
यिास्स्िनर् को बदलिा िाहर्े हैं (Wynne, Uncertainity and
Environment Learning, 2 Global Envtl. Change 111 (1992) p.123
पर)। इसे अतसर सबर्
ू के बोझ के उलि कहा जार्ा है , तयोंकक अन्यिा
पयाावरणीय मामलों में, पररवर्ाि का ववरोध करिे वालों को साक्ष्य के बोझ
को उठािे के ललए मजबरू ककया जाएगा, एक प्रकिया जो उचिर् िहीं
है। इसललए, यह आवश्यक है कक कम प्रदवू षर् राज्य को बिाए रखर्े हुए
यिास्स्िनर् को बिाए रखिे का प्रयास करिे वाली पािी को सबर्
ू का बोझ
िहीं उठािा िाहहए और जो पािी इसे बदलिा िाहर्ी है, उसे यह बोझ उठािा
िाहहए। (जेम्स एम.ऑकसि, लशस्फ्िंग द बर्ाि ऑफ प्रफ
ू , 20 Envtl. Law
p.891 at 898 (1990) दे खें)। (वॉकयम
ू .२२ (१९९८) हावा। एिवी.लॉ ररव्यू
पटृ ठ ५०९ में ५१९, ५५० में उद्धर्
ृ )। एहनर्यार्ी लसद्धांर् से पर्ा िलर्ा है
कक जहां गंभीर या अपररवर्ािीय िक
ु साि का एक पहिाि योलय जोखखम है,
उदाहरण के ललए, प्रजानर्यों के ववलुप्र् होिे, आवश्यक पाररस्स्िनर्क
प्रकियाओं के ललए बड़े खर्रों में व्यापक जहरीले प्रदष
ू ण, व्यस्तर् पर सबर्

का बोझ र्ालिा उचिर् हो सकर्ा है या ऐसी गनर्ववचध का प्रस्र्ाव दे िे वाली
संस्िा जो पयाावरण के ललए संभाववर् रूप से हानिकारक है। (र्ॉ. श्रीनिवास
राव पेम्माराजू, ववशेष प्रनर्वेदक, अंर्रााटरीय ववचध आयोग, हदिांक
३.४.१९९८, पैरा ६१ की ररपोिा दे खें)। यह भी स्पटि ककया गया है कक यहद
ववनियामक निस्टियर्ा द्वारा िलाए जा रहे पयाावरणीय जोखखम ककसी र्रह
"अनिस्श्िर् लेककि गैर-िगण्य" हैं, र्ो नियामक कारावाई उचिर् है। इससे
यह सवाल पैदा होगा कक 'िगण्य जोखखम' तया है। ऐसी स्स्िनर् में ,
यिास्स्िनर् को बदलिे की कोलशश करिे वालों पर सबर्
ू का बोझ र्ाला
जािा है। उन्हें 'उचिर् पाररस्स्िनर्क या चिककत्सा चिंर्ा' की अिप
ु स्स्िनर्
हदखार्े हुए इस बोझ का निवाहि करिा है। यह प्रमाण का आवश्यक मािक
है। इसका पररणाम यह होगा कक यहद अनिस्श्िर्र्ा के स्र्र के बारे में चिंर्ा
को कम करिे के ललए उिके द्वारा अपयााप्र् साक्ष्य प्रस्र्र्
ु ककए जार्े हैं, र्ो
अिम
ु ाि पयाावरण संरक्षण के पक्ष में काम करिा िाहहए। इस र्रह की
धारणा को एशबिाि एतलीमेिाइजेशि सोसाइिी बिाम न्यज
ू ीलैंर् के संघीय
ककसाि [१९८८ (१) एिजेर्एलआर ७८] में लागू ककया गया है। अब आवश्यक
मािक यह है कक पयाावरण या मािव स्वास्थ्य को िक
ु साि के जोखखम का
निणाय 'उचिर् व्यस्तर्यों' परीक्षण के अिस
ु ार जिहहर् में ककया जािा
है। (िालमायि बािाि द्वारा ऑस्रे ललया में एहनर्यार्ी लसद्धांर् दे खें)
(वॉकयम
ू .22) (1998) हावा। पयाावरण एल रे व 509 549 पर)।
पयाावरण अपीलीय प्राचधकाररयों/न्यायाचधकरणों में न्यानयक और र्किीकी
इिपि
ु का संक्षक्षप्र् सवेक्षण:
हम अपिे कुछ मौजद
ू ा पयाावरण कािि
ू ों के र्हर् अपीलीय प्रणाली में
न्यानयक और र्किीकी इिपि
ु में कलमयों की संक्षक्षप्र् जांि करिे का
प्रस्र्ाव करर्े हैं। हमारे दे श में पयाावरण से संबचं धर् ववलभन्ि
कािि
ू अपीलीय अचधकाररयों को अपील प्रदाि करर्े हैं। लेककि उिमें से
ज्यादार्र अभी भी न्यानयक और वैज्ञानिक जरूरर्ों के संयोजि से कम
हैं। उदाहरण के ललए, व्यस्तर्यों की योलयर्ा के र्हर् अपीलीय अचधकाररयों
के रूप में नियत
ु र् ककए जािे वाले धारा 28 जल (रोकिाम और Polloution
नियंत्रण) अचधनियम, 1974, की धारा 31 एयर (रोकिाम और के प्रदष
ू ण
नियंत्रण) अचधनियम , 1981, नियम 12 के र्हर् खर्रिाक अपलशटि
(प्रबंधि और हैंर्ललंग) नियम, 1989 के बारे में स्पटि रूप से िहीं बर्ाया
गया है। जबकक आंध्र प्रदे श सरकार की अचधसूििा के अिस
ु ार आंध्र प्रदे श
में धारा 28 के र्हर् अपीलीय प्राचधकारी एक सेवानिवत्त
ृ उच्ि न्यायालय के
न्यायाधीश हैं और र्किीकी मामलों में उिकी मदद करिे के ललए उिके
पैिल में कोई िहीं है, वही प्राचधकरण हदकली में अचधसूििा के अिस
ु ार है
ववत्तीय आयत
ु र् (दे खें अचधसूििा हदिांक १८.२.१९९२) स्जसके पररणामस्वरूप
राटरीय राजधािी क्षेत्र में ि र्ो कोई नियलमर् न्यानयक सदस्य है और ि ही
कोई र्किीकी। कफर से, राटरीय पयाावरण न्यायाचधकरण अचधनियम, १९९५
के र्हर्, स्जसके पास ककसी भी व्यस्तर् (कामगारों के अलावा) को मत्ृ यु या
िोि के ललए मआ
ु वजा दे िे की शस्तर् है, धारा १० के र्हर् उतर् हरब्लयि
ू ल
में निस्संदेह एक अध्यक्ष होर्ा है जो एक न्यायाधीश या सेवानिवत्त

न्यायाधीश हो सकर्ा है। सवोच्ि या उच्ि न्यायालय और एक र्किीकी
सदस्य का। लेककि धारा 10(1)(बी) को धारा 10(2)(बी) या (सी) के साि
पढ़िे पर सरकार के सचिव या अनर्ररतर् सचिव को अध्यक्ष के रूप में
नियत
ु र् करिे की अिम
ु नर् लमलर्ी है, जो 2 साल के ललए उपाध्यक्ष रहे
हैं। हम उपरोतर् को गंभीर अपयााप्र्र्ा के उदाहरण के रूप में उद्धर्
ृ कर रहे
हैं।

सुशासि का लसद्धांर्: पयााप्र् न्यानयक और वैज्ञानिक इिपि


ु को शालमल
करके हमारी ववचधयों, नियमों और अचधसूििाओं में संशोधि की
आवश्यकर्ा:

सुशासि अंर्रराटरीय और घरे लू कािि


ू का एक स्वीकृर् लसद्धांर् है। इसमें
कािि
ू का शासि, प्रभावी राज्य संस्िाि, सावाजनिक मामलों में पारदलशार्ा
और जवाबदे ही, मािवाचधकारों का सम्माि और िागररकों की सािाक
भागीदारी शालमल है - (वैज्ञानिकों सहहर्)

- अपिे दे शों की राजिीनर्क प्रकियाओं में और उिके जीवि को प्रभाववर्


करिे वाले निणायों में । (संगठि के काया पर महासचिव की ररपोिा , संयत
ु र्
राटर महासभा के आचधकाररक ररकॉर्ा, ५२ सत्र, परू क I (ए/५२/१) (पैरा

22))। इसमें पयाावरणीय िक


ु साि की रोकिाम के कर्ाव्य को लागू करिे के
ललए राज्य को आवश्यक 'ववधायी, प्रशासनिक और अन्य कारावाई' करिे की
आवश्यकर्ा शालमल है, जैसा कक 1996 में अंर्रााटरीय ववचध आयोग के काया
समूह द्वारा अिम
ु ोहदर् मसौदे के अिुच्छे द 7 में उकलेख ककया गया है ।
('खर्रिाक गनर्ववचधयों से सीमा पार क्षनर् की रोकिाम' पर हदिांक
3.4.1998 के अंर्रााटरीय ववचध आयोग के ववशेष प्रनर्वेदक र्ॉ. श्रीनिवास राव
पेम्माराजू की ररपोिा दे खें) (पैरा 103, 104)। पयाावरण न्यायालयों,
प्राचधकरणों और न्यायाचधकरणों की स्िापिा में सबसे महत्वपण
ू ा बार् यह है
कक पयाावरण प्रदष
ू ण के बारे में जहिल वववादों को केवल कायापाललका से
प्राप्र् अचधकाररयों को छोड़िे के बजाय पयााप्र् न्यानयक और वैज्ञानिक
इिपि
ु प्रदाि करिे की आवश्यकर्ा है।
पहले जो कहा जा िक
ु ा है, उससे हमें यह प्रर्ीर् होर्ा है कक िीजें काफी
संर्ोषजिक िहीं हैं और उचिर् संशोधि करिे की र्त्काल आवश्यकर्ा है
र्ाकक यह सुनिस्श्िर् ककया जा सके कक हर समय अपीलीय अचधकाररयों या
हरब्लयि
ू ल में न्यानयक और र्किीकी कलमायों से अच्छी र्रह से वाककफ हो।
पयाावरण कािि
ू । इि निकायों के संववधाि में ऐसे दोष निस्श्िर् रूप से उि
ववधािों के उद्दे श्य को कमजोर कर सकर्े हैं। हम पहले ही पयाावरणीय
मामलों में उत्पन्ि होिे वाले वैज्ञानिक या र्किीकी मद्
ु दों की अत्यचधक
जहिलर्ा का उकलेख कर िक
ु े हैं। ि ही, जैसा कक लॉर्ा वक
ू फ और रॉबिा
िैिविा िे बर्ाया है कक अपीलीय निकायों को वेर्िसबरी की सीमाओं र्क
सीलमर् रखा जािा िाहहए।

1980 में स्िावपर् ऑस्रे ललया में न्यू साउि वेकस का भूलम और पयाावरण
न्यायालय आदशा हो सकर्ा है। यह ररकॉर्ा का एक बेहर्र न्यायालय है और
िार न्यायाधीशों और िौ र्किीकी और सल
ु ह मक
ू यांकिकर्ााओं से बिा
है। इसका अचधकार क्षेत्र अपील, न्यानयक समीक्षा और प्रवर्ाि कायों को
जोड़र्ा है। हमारी राय में ऐसी रििा पयाावरण के मामलों में आवश्यक और
आदशा है।
वास्र्व में , इस न्यायालय द्वारा कम से कम दो निणायों में ऐसे पयाावरण
न्यायालय की पररककपिा की गई िी। बहुर् पहले 1986 में , भगवर्ी, सीजे
एमसी मेहर्ा बिाम यनू ियि ऑफ इंडर्या और श्रीराम फूड्स एंर्
फहिालाइजसा केस [1986 (2) एससीसी 176 (पेज 202 पर)] में दे खा गया
िा:

"हम भारर् सरकार को यह भी सुझाव दें गे कक िकूं क पयाावरण प्रदष


ू ण,
पाररस्स्िनर्क वविाश और राटरीय संसाधिों पर संघषा से जड़
ु े मामले र्ेजी से
निणाय के ललए आ रहे हैं और इि मामलों में वैज्ञानिक और र्किीकी र्ेिा
का मक
ू यांकि और ववकास शालमल है, इसललए यह वांछिीय हो सकर्ा है
मामले की प्रकृनर् और उसके न्यायनिणायि के ललए आवश्यक ववशेषज्ञर्ा
को ध्याि में रखर्े हुए पाररस्स्िनर्क ववज्ञाि अिस
ु ंधाि समूह से ललए गए
एक पेशेवर न्यायाधीश और दो ववशेषज्ञों के साि क्षेत्रीय आधार पर पयाावरण
न्यायालयों की स्िापिा की। निस्श्िर् रूप से इस न्यायालय में अपील करिे
का अचधकार होगा पयाावरण न्यायालय के फैसले से।"

दस
ू रे शब्लदों में , इस न्यायालय िे ि केवल एक न्यायाधीश और र्किीकी
ववशेषज्ञों के संयोजि पर वविार ककया, बस्कक पयाावरण न्यायालय से
सवोच्ि न्यायालय में अपील भी की।

इसी प्रकार, वेकलोर मामले में [१९९६ (5) एससीसी ६४७], पयाावरण (संरक्षण)
अचधनियम , १९९६ की धारा ३(३) के र्हर् एक प्राचधकरण की नियस्ु तर् में
भारर् सरकार की ओर से निस्टियर्ा की आलोििा करर्े हुए । कुलदीप लसंह
, जे िे दे खा कक केंद्र सरकार को धारा 3(3) के र्हर् एक प्राचधकरण का गठि
करिा िाहहए :
"उच्ि न्यायालय के एक सेवानिवत्त
ृ न्यायाधीश की अध्यक्षर्ा में और इसमें
अन्य सदस्य हो सकर्े हैं - अचधमािर्ः प्रदष
ू ण नियंत्रण और पयाावरण
संरक्षण के क्षेत्र में ववशेषज्ञर्ा के साि - केंद्र सरकार द्वारा नियत
ु र् ककया
जाएगा।"

हमिे उतर् निदे शों का पररणाम जाििे का प्रयास ककया है। हमिे दे खा है कक
वेकलोर मामले में इस न्यायालय की हिप्पखणयों के अिस
ु रण में , उतर्
प्राचधकरण में एक उच्ि न्यायालय के न्यायाधीश को शालमल करके कुछ
अचधसूििाएं जारी की गई हैं। 1986 के अचधनियम की धारा 3(3) के र्हर्
र्लमलिार्ु राज्य के ललए भारर् सरकार द्वारा जारी अचधसूििा संख्या
671(ई) हदिांक ३०.९.१९९ ६ में , एक `पाररस्स्िनर्की की हानि (मुआवजे की
रोकिाम और भग
ु र्ाि) प्राचधकरण की नियस्ु तर् यह कहा गया है कक यह एक
सेवानिवत्त
ृ उच्ि न्यायालय के न्यायाधीश और अन्य र्किीकी सदस्यों
द्वारा संिाललर् ककया जाएगा जो िीरी आहद के परामशा से एक योजिा या
योजिा र्ैयार करें गे। यह कमािा उद्योगों सहहर् सभी उद्योगों से निपि
सकर्ा है। एक समाि अचधसूििा र्ो। 704 ई हदिांक 9.10.1996 को उच्ि
न्यायालय के न्यायाधीश सहहर् एिसीिी के ललए 'पयाावरण प्रभाव आकलि
प्राचधकरण' के ललए जारी ककया गया िा। झींगा उद्योग से संबचं धर्
अचधनियम 1986 की धारा 3(3) के र्हर् अचधसि
ू िा हदिांक 6.2.1997
(िंबर 88ई) में निस्श्िर् रूप से एक सेवानिवत्त
ृ उच्ि न्यायालय के
न्यायाधीश और र्किीकी व्यस्तर् शालमल हैं। जैसा कक पहले कहा गया है,
भारर् सरकार को, हमारी राय में , पयाावरण कािि
ू ों, नियमों और अचधसूििा
में उचिर् संशोधि लािा िाहहए र्ाकक यह सुनिस्श्िर् हो सके कक सभी
पयाावरण न्यायालयों, न्यायाचधकरणों और अपीलीय प्राचधकरणों में हमेशा
एक उच्ि न्यायालय के स्र्र का न्यायाधीश होर्ा है। न्यायाधीश या सवोच्ि
न्यायालय के न्यायाधीश, - बैठे या सेवानिवत्त
ृ - और वैज्ञानिक या उच्ि
रैंककंग और अिभ
ु व के वैज्ञानिकों का समूह र्ाकक .pl68 पयाावरण और
प्रदष
ू ण से संबचं धर् वववादों के उचिर् और निटपक्ष निणाय में मदद लमल
सके। िहीं है यह भी एक र्त्काल आवश्यकर्ा है कक सभी राज्यों और केंद्र
शालसर् प्रदे शों में , के र्हर् अपीलीय अचधकाररयों धारा 28 जल अचधनियम,
1974 (प्रदष
ू ण की रोकिाम) और धारा 31 वायु अचधनियम, 1981 (प्रदष
ू ण
की रोकिाम) की या अन्य नियम वहाँ पयाावरण और प्रदष
ू ण से संबचं धर्
वववादों के न्यायनिणायि में मदद करिे के ललए हमेशा उच्ि न्यायालय के
ृ और उच्ि रैंककंग और अिभ
न्यायाधीश, बैठे या सेवानिवत्त ु व के वैज्ञानिकों
या वैज्ञानिकों का समूह होर्ा है। इि अचधनियमों के र्हर् मौजद
ू ा
अचधसूििाओं में वर्ामाि के ललए संशोधि ककया जा सकर्ा है। खर्रिाक
अपलशटि (प्रबंधि और प्रबंधि) नियम, 1989 के नियम 12 के र्हर् जारी
अचधसूििाओं में भी संशोधि की आवश्यकर्ा है। हमिे जो कहा है वह केंद्र
सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी ऐसे अन्य सभी नियमों या
अचधसि
ू िाओं पर लागू होर्ा है। हम केंद्र और राज्य सरकारों से अिरु ोध
करर्े हैं कक इि लसफाररशों पर ध्याि दें और र्त्काल उचिर् कारावाई
करें । हम अंर् में राटरीय पयाावरण अपीलीय प्राचधकरण अचधनियम , 1997
के र्हर् अपीलीय प्राचधकारी के पास आर्े हैं। हमारे वविार में यह इस
न्यायालय द्वारा निधााररर् आदशों के बहुर् करीब आर्ा है। उस कािि
ू के
र्हर्, अपीलीय प्राचधकरण में सुप्रीम कोिा के एक मौजद
ू ा या सेवानिवत्त

न्यायाधीश या एक उच्ि न्यायालय के एक मौजद
ू ा या सेवानिवत्त
ृ मख्
ु य
न्यायाधीश और एक उपाध्यक्ष शालमल होर्ा है जो संबचं धर् समस्याओं के
र्किीकी पहलओ
ु ं में ववशेषज्ञर्ा के साि उच्ि पद का प्रशासक होर्ा है।
पयाावरण के ललए; और .pl65 र्किीकी सदस्य, र्ीि से अचधक िहीं, स्जिके
पास संरक्षण, पयाावरण प्रबंधि, भूलम या योजिा और ववकास से संबचं धर्
क्षेत्रों में पेशेवर ज्ञाि या व्यावहाररक अिभ
ु व है। इस अपीलीय प्राचधकारी को
अपील उि क्षेत्रों में पयाावरण मंजरू ी दे िे के आदे श से पीडड़र् व्यस्तर्यों द्वारा
की जािी िाहहए स्जिमें कोई भी उद्योग, संिालि या प्रकिया आहद सुरक्षा
उपायों के अधीि ककया जािा है या ककया जािा है। जैसा कक ऊपर कहा गया
है और हम दोहरार्े हैं कक जल (प्रदष
ू ण निवारण) अचधनियम , 1974, वायु
(प्रदष
ू ण निवारण) अचधनियम के र्हर् अपीलीय प्राचधकारी और खर्रिाक
अपलशटि के नियम 12 के र्हर् अपीलीय प्राचधकारी को दे खिे की
आवश्यकर्ा है ( राटरीय राजधािी क्षेत्र के ललए पयाावरण (संरक्षण)
अचधनियम, 1986 की धारा 3 (3) और राटरीय पयाावरण न्यायाचधकरण
अचधनियम, 1995 की धारा 10 और अन्य अपीलीय निकायों के र्हर् जारी
अचधसूििा के र्हर् प्रबंधि और संिालि) नियम, 1989, हैं निरपवाद रूप
से न्यानयक और र्किीकी सदस्य शालमल हैं। इस न्यायालय िे एमसीमेहर्ा
बिाम भारर् संघ और श्रीराम फूड्स एंर् फहिालाइजसा केस [1986 (2)
एससीसी 176] (262 पर) में भी दे खा है कक सुप्रीम कोिा में नियलमर् अपील
का अचधकार होिा िाहहए, यािी इसमें शालमल एक अपील ररहायशी
कािि
ू । यह संबचं धर् सरकारों के ललए उपयत
ु र् कािि
ू द्वारा र्त्काल वविार
करिे का मामला है, िाहे पण
ू ा या अधीिस्ि हो या अचधसूििाओं में संशोधि
करके।

भावी पीढ़ी के प्रनर् वर्ामाि पीढ़ी का कर्ाव्य: अंर्र-पीढ़ीगर् समािर्ा का


लसद्धांर्: वर्ामाि के ववरुद्ध भववटय के अचधकार:
अंर्र-पीढ़ीगर् समािर्ा का लसद्धांर् हाल के मल
ू का है। 1972 स्िॉकहोम
घोषणा लसद्धांर् 1 और 2 में इसे संदलभार् करर्ा है। इस संदभा में , पयाावरण
को वर्ामाि और भववटय की पीहढ़यों के अस्स्र्त्व के ललए संसाधि आधार के
रूप में अचधक दे खा जार्ा है। .lm10 .rm55 लसद्धांर् 1 कहर्ा है:

"मिटु य को स्वर्ंत्रर्ा, समािर्ा और जीवि की पयााप्र् पररस्स्िनर्यों का


मौललक अचधकार है, गुणवत्ता के वार्ावरण में जो गररमा और ककयाण के
जीवि की अिम
ु नर् दे र्ा है, और वह वर्ामाि और भववटय की पीहढ़यों के
ललए पयाावरण की रक्षा और सुधार करिे के ललए एक गंभीर स्जम्मेदारी लेर्ा
है। ......."

लसद्धांर् 2:

"पथ्
ृ वी के प्राकृनर्क संसाधिों, स्जसमें हवा, पािी, भूलम, विस्पनर् और जीव
और ववशेष रूप से प्राकृनर्क पाररस्स्िनर्क र्ंत्र के प्रनर्निचध िमूिे शालमल हैं,
को सावधािीपव
ू क
ा योजिा या प्रबंधि के माध्यम से वर्ामाि और भववटय
की पीहढ़यों के लाभ के ललए उचिर् रूप से संरक्षक्षर् ककया जािा िाहहए।"
कई अंर्रराटरीय सम्मेलिों और संचधयों िे उपरोतर् लसद्धांर्ों को मान्यर्ा
दी है और वास्र्व में कई ककपिाशील प्रस्र्ाव प्रस्र्र्
ु ककए गए हैं स्जिमें
शालमल हैं - व्यस्तर्यों या समह
ू ों को भावी पीहढ़यों के प्रनर्निचधयों के रूप में
कारावाई करिे के ललए, या भववटय के अचधकारों की दे खभाल के ललए
लोकपाल की नियस्ु तर् करिा। वर्ामाि के खखलाफ (र्ॉ. श्रीनिवास राव
पेम्माराजू, ववशेष प्रनर्वेदक, उिकी ररपोिा के पैरा 97, 98 द्वारा संदलभार्
सैंड्स एंर् ब्राउि वीस के प्रस्र्ाव)।
तया सप्र
ु ीम कोिा अिच्
ु छे द 32 या अिच्
ु छे द 136 के र्हर् पयाावरणीय
मामलों से निपिर्े समय या अिच्
ु छे द 226 के र्हर् उच्ि न्यायालय जांि
और राय के ललए 1997 के अचधनियम के र्हर् राटरीय पयाावरण अपीलीय
प्राचधकरण को संदभा दे सकर्ा है:

इस न्यायालय के समक्ष या र्ो अिच्


ु छे द 32 के र्हर् या अिच्
ु छे द 136
के र्हर् और उच्ि न्यायालयों के समक्ष अिच्
ु छे द 226 के र्हर् आिे वाले
मामलों की एक बड़ी संख्या में , पयाावरण और प्रदष
ू ण, ववज्ञाि और
प्रौद्योचगकी से संबचं धर् जहिल मुद्दे उठ रहे हैं और कुछ मामलों में, यह
न्यायालय जिहहर्, पयाावरण संरक्षण, प्रदष
ू ण उन्मूलि और सर्र् ववकास
की आवश्यकर्ाओं को परू ा करिे के ललए पयााप्र् समाधाि प्रदाि करिे में
पयााप्र् कहठिाई लमल रही है। कुछ मामलों में यह न्यायालय मामलों को
पेशेवर या र्किीकी निकायों को संदलभार् करर्ा रहा है। ककसी मामले की
निगरािी जैसे-जैसे पेशेवर निकाय के समक्ष आगे बढ़र्ी है और इि पेशेवर
र्किीकी निकायों द्वारा दी गई राय पर प्रभाववर् पक्षों द्वारा उठाई गई
आपवत्तयों पर वविार कफर से जहिल समस्याएं पैदा कर रहा है। इसके अलावा
इि मामलों में कभी-कभी हदि-प्रनर्हदि सुिवाई की आवश्यकर्ा होर्ी है, जो
इस न्यायालय के अन्य कायाभार (- लॉर्ा वक
ू फ द्वारा उस्कलखखर् एक
कारक) को दे खर्े हुए र्त्काल निणाय दे िा हमेशा संभव िहीं होर्ा है। ऐसी
स्स्िनर् में , यह न्यायालय एक वैकस्कपक प्रकिया की आवश्यकर्ा महसूस
कर रहा है जो शीघ्र और वैज्ञानिक रूप से पयााप्र् हो। सवाल यह है कक तया
ऐसी स्स्िनर् में , गंभीर जिहहर् को शालमल करर्े हुए, यह न्यायालय अन्य
वैधानिक निकायों की मदद ले सकर्ा है, स्जिके पास पयाावरणीय मामलों में
न्यानयक और र्किीकी ववशेषज्ञर्ा दोिों का पयााप्र् संयोजि है, जैसे राटरीय
पयाावरण अपीलीय प्राचधकरण अचधनियम के र्हर् अपीलीय प्राचधकरण ,
1997? इसी र्रह का प्रश्ि परमजीर् कौर बिाम पंजाब राज्य [१९९८ (५)
स्केल २१९ = १९९८ (६) जेिी३३८] में उठा, इस न्यायालय द्वारा १०.९.१९९८
को फैसला सि
ु ाया गया। उस मामले में, प्रारं भ में, भारर् के संववधाि
के अिच्
ु छे द 32 के र्हर् र्ब्लकय.ू याचिकाएं (सीआरएल।) संख्या 447 और
497 दायर की गई िीं, स्जसमें पंजाब राज्य में मािवाचधकारों के खुले र्ौर
पर उकलंघि का आरोप लगाया गया िा, जैसा कक सीबीआई की एक ररपोिा
द्वारा खुलासा ककया गया िा। अदालर्। इस अदालर् िे महसूस ककया कक
इि आरोपों की एक स्वर्ंत्र संस्िा से जांि करािे की जरूरर् है। इस
न्यायालय िे 12.12.1996 को एक आदे श पाररर् ककया स्जसमें राटरीय
मािवाचधकार आयोग से मामले की जांि करिे का अिरु ोध ककया गया
िा। उतर् आयोग का िेर्त्ृ व भारर् के एक सेवानिवत्त
ृ मख्
ु य न्यायाधीश और
अन्य ववशेषज्ञ सदस्य करर्े हैं। मामला उतर् आयोग के समक्ष जािे के बाद,
इसके अचधकार क्षेत्र को लेकर ववलभन्ि आपवत्तयां उठाई गईं। यह भी र्का
हदया गया िा कक यहद आयोग द्वारा लशकायर् पर इि मुद्दों की अन्यिा
जांि की जार्ी, र्ो वे कालबाचधर् हो जार्े। इि आपवत्तयों को आयोग द्वारा
४.८.१९९७ को एक ववस्र्र्
ृ आदे श द्वारा खाररज कर हदया गया िा, स्जसमें
कहा गया िा कक एक बार सप्र
ु ीम कोिा िे आयोग को मामलों को संदलभार्
कर हदया िा, यह परू ी र्रह से काया कर रहा िा, कक इसकी सेवाओं का
उपयोग सुप्रीम कोिा द्वारा आयोग को एक साधि के रूप में मािा जा सकर्ा
है। या सुप्रीम कोिा की एजेंसी, कक मािवाचधकार संरक्षण अचधनियम , 1993
के र्हर् सीमा की अवचध लागू िहीं होगी, कक आयोग के संदभा के बावजद
ू ,
सुप्रीम कोिा के पास मामले की सुिवाई जारी रहे गी और कोई भी निधाारण
आयोग, जहां भी आवश्यक या उपयत
ु र् हो, उच्िर्म न्यायालय के अिम
ु ोदि
के अधीि होगा। आयोग के उपरोतर् आदे श से संर्टु ि िहीं, भारर् संघ िे
स्पटिीकरण आवेदि दायर ककया, 1997 का सीआरएल.एमपी िंबर 6674
आहद। इस न्यायालय िे परमजीर् कौर बिाम पंजाब राज्य में उपरोतर्
आदे श पाररर् ककया [1998 (5) स्केल 219 = 1998 (6) JT 332 (SC)]
12.12.1998 को आयोग द्वारा आपवत्तयों को खाररज करिे में हदए गए
कारणों को स्वीकार करर्े हुए। उस संदभा में , इस न्यायालय िे कहा कक (i)
आयोग एक ववशेषज्ञ निकाय िा स्जसमें क्षेत्र के ववशेषज्ञ शालमल िे (ii) यहद
यह न्यायालय अिच्
ु छे द 32 के र्हर् कुछ शस्तर्यों का प्रयोग कर सकर्ा
है , र्ो यह ववशेषज्ञ निकाय से जांि या जांि करिे का अिरु ोध भी कर
सकर्ा है। आरोप, मािवाचधकार संरक्षण अचधनियम , 1993 में ककसी भी
सीमा से मुतर् , (iii) कक आयोग को मामलों को इस प्रकार संदलभार् करके,
यह न्यायालय आयोग को कोई िया अचधकार क्षेत्र प्रदाि िहीं कर रहा िा,
और (iv) कक आयोग होगा केवल इस न्यायालय की सहायर्ा में काया
करिा। हमारे वविार में, परमजीर् कौर बिाम पंजाब राज्य में उपरोतर्
प्रकिया हमारे समक्ष निम्िललखखर् कारणों से समाि रूप से लागू होर्ी
है। इस न्यायालय में अिच्
ु छे द 32 के र्हर् या अिच्
ु छे द 136 के र्हर्
या उच्ि न्यायालयों में अिच्
ु छे द 226 के र्हर् उत्पन्ि होिे वाली
पयाावरणीय चिंर्ाएं , हमारे वविार में , मािवाचधकारों की चिंर्ाओं के समाि
महत्व की हैं। वास्र्व में दोिों का संबध
ं अिच्
ु छे द 21 से है जो जीवि और
स्वर्ंत्रर्ा के मौललक अचधकार से संबचं धर् है। जहां पयाावरणीय पहलू 'जीवि'
से संबचं धर् हैं, वहीं मािवाचधकार पहलू 'स्वर्ंत्रर्ा' से संबचं धर् हैं। हमारे
वविार में , पयाावरणीय मामलों से संबचं धर् उभरर्े हुए न्यायशास्त्र के संदभा
में - जैसा कक मािवाचधकारों से संबचं धर् मामलों में होर्ा है - सभी पहलओ
ु ं
को ध्याि में रखर्े हुए न्याय प्रदाि करिा इस न्यायालय का कर्ाव्य है। यह
सुनिस्श्िर् करिे के ललए कक ि र्ो पयाावरण और ि ही पाररस्स्िनर्की को
कोई खर्रा है और साि ही सर्र् ववकास सुनिस्श्िर् करिे के ललए, यह
न्यायालय, हमारे वविार में , जांि और राय के ललए वैज्ञानिक और र्किीकी
पहलुओं को ववशेषज्ञ निकायों जैसे कक अपीलीय प्राचधकरण के र्हर् संदलभार्
कर सकर्ा है। राटरीय पयाावरण अपील प्राचधकरण अचधनियम, 1997। उतर्
प्राचधकरण में सवोच्ि न्यायालय के एक सेवानिवत्त
ृ न्यायाधीश और
पयाावरणीय मामलों में र्किीकी ववशेषज्ञर्ा वाले सदस्य शालमल हैं, स्जिकी
जांि, र्थ्यों का ववश्लेषण और पाहिायों द्वारा उठाई गई आपवत्तयों पर राय,
इस न्यायालय को पयााप्र् मदद दे सकर्ी है या उच्ि न्यायालयों और
आवश्यक आश्वासि भी। उतर् प्राचधकारी द्वारा दी गई कोई भी राय
निस्श्िर् रूप से इस न्यायालय के अिुमोदि के अधीि होगी। परमजीर् कौर
के मामले की सार्दश्यर्ा पर, हमारी राय में , ऐसी प्रकिया परू ी र्रह से कािि

की सीमा के भीर्र है। इस र्रह की प्रकिया, हमारे वविार में, इस न्यायालय
में अिच्
ु छे द 32 के र्हर् या अिच्
ु छे द 136 के र्हर् या भारर् के संववधाि
के अिच्
ु छे द 226 के र्हर् उच्ि न्यायालयों के समक्ष उत्पन्ि होिे वाले
मामलों में अपिाई जा सकर्ी है।

संदभा का िम:

उपरोतर् वविार दोिों पक्षों के वकील को व्यतर् ककए जािे के बाद, कुछ
मसौदा मुद्दों को संदभा के ललए र्ैयार ककया गया िा। कुछ र्का िे कक कुछ
मसौदा मद्
ु दों को आयोग को िहीं भेजा जा सकर्ा िा जबकक कुछ अन्य में
संशोधि की आवश्यकर्ा िी। दलीलें सि
ु िे के बाद, दोिों पक्षों िे राटरीय
पयाावरण अपीलीय प्राचधकरण अचधनियम, 1997 के र्हर् निम्िललखखर्
मुद्दों को अपीलीय प्राचधकरण को संदलभार् करिे के ललए सहमनर् व्यतर्
की।

अब हम इि मुद्दों को निधााररर् करें गे। वे हैं: (ए) तया प्रनर्वादी उद्योग एक


खर्रिाक है और इसकी प्रदष
ू ण क्षमर्ा तया है, उत्पाद की प्रकृनर्, अपलशटि
और उसके स्िाि को ध्याि में रखर्े हुए?

(बी) तया उद्योग के संिालि से संवेदिशील जलग्रहण क्षेत्र प्रभाववर् होिे की


संभाविा है स्जसके पररणामस्वरूप हहमायर् सागर और उस्माि सागर झीलों
के प्रदष
ू ण में हैदराबाद और लसकंदराबाद के जड़
ु वां शहरों को पीिे के पािी की
आपनू र्ा हो रही है?
हम यह जोड़ सकर्े हैं कक यह प्राचधकरण के ललए खल
ु ा होगा कक वह
कारखािे के पररसर का निरीक्षण करे , पाहिायों या ककसी अन्य निकाय या
प्राचधकरण से या आंध्र प्रदे श सरकार या केंद्र सरकार से दस्र्ावेज मांगे और
यहद आवश्यक हो र्ो गवाहों की जांि करें । प्राचधकरण के पास ककसी भी
स्रोर् से आवश्यक समझे जािे वाले र्ेिा या र्किीकी सलाह प्राप्र् करिे की
सभी शस्तर्यां भी होंगी। यह पाहिायों या उिके वकील को आपवत्तयां दजा
करिे और इस र्रह के मौखखक साक्ष्य का िेर्त्ृ व करिे या ऐसे दस्र्ावेजी
सबर्
ू पेश करिे का अवसर दे गा जो वे उचिर् समझे और अपीलकर्ाा या
उसके वकील को दलीलें दे िे के ललए सुिवाई भी करें गे।
प्रनर्वादी उद्योग द्वारा एक प्रश्ि उठाया गया है कक इसे कम से कम र्ीि
महीिे के ललए परीक्षण िलािे की अिम
ु नर् दी जा सकर्ी है र्ाकक प्रदष
ू ण के
पररणामों की निगरािी और ववश्लेषण ककया जा सके। इसका अपीलािी एवं
निजी प्रनर्वादी िे ववरोध ककया। हमिे इस प्रश्ि पर वविार करिा उचिर्
िहीं समझा और हमिे अचधवतर्ा को सचू िर् ककया है कक इस मद्
ु दे को भी
निणाय लेिे के ललए उतर् प्राचधकरण पर छोड़ा जा सकर्ा है तयोंकक हम िहीं
जािर्े कक ऐसा कोई परीक्षण पयाावरण को प्रभाववर् करे गा या प्रदष
ू ण का
कारण बिेगा। इस पहलू पर भी, प्राचधकारी पक्षकारों को सुििे के बाद निणाय
लेिे के ललए स्वर्ंत्र होंगे। पाहिायों िे अिरु ोध ककया है कक प्राचधकरण को
जकद से जकद अपिी राय दे िे की आवश्यकर्ा हो सकर्ी है। हमारा वविार है
कक प्राचधकरण से इस आदे श की प्रास्प्र् की र्ारीख से र्ीि महीिे की अवचध
के भीर्र अपिी राय दे िे का अिरु ोध ककया जा सकर्ा है। इसललए, हम
उपरोतर् मुद्दों को उपरोतर् अपीलीय प्राचधकारी को उिकी राय के ललए
संदलभार् करर्े हैं और प्राचधकरण से अिरु ोध करर्े हैं कक जहां र्क संभव हो,
उपयत
ुा र् अवचध के भीर्र अपिी राय दें । यहद प्राचधकरण को लगर्ा है कक
इस न्यायालय से कोई और स्पटिीकरण या निदे श आवश्यक है, र्ो वह इस
न्यायालय से ऐसे स्पटिीकरण या निदे श प्राप्र् करिे के ललए स्वर्ंत्र
होगा। कंपिी अपीलीय प्राचधकारी के उपयोग के ललए जल अचधनियम, 1974
की धारा 28 के र्हर् इस न्यायालय में दायर की गई कागजी पस्
ु र्कों या
उच्ि न्यायालय में या प्राचधकरण के समक्ष दायर अन्य कागजार् की फोिो
प्रनर्यां उपलब्लध कराएगी। रस्जस्री इस आदे श की एक प्रनर् राटरीय
पयाावरण अपीलीय प्राचधकरण अचधनियम, 1997 के र्हर् अपीलीय
प्राचधकारी को संप्रेवषर् करे गी। मामले को र्ीि महीिे के बाद हमारे सामिे
आंलशक सि
ु वाई के रूप में सि
ू ीबद्ध ककया जा सकर्ा है। र्दिस
ु ार आदे श
हदया। केंद्र सरकार द्वारा पयाावरण कािि
ू ों और नियमों में संशोधि के ललए
की गई लसफाररशों और केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी अचधसूििाओं
के संदभा में , हम इस निणाय की प्रनर्यां सचिव, पयाावरण और वि (भारर्
सरकार) को संप्रेवषर् करिे का निदे श दे र्े हैं। िई हदकली, सभी राज्य
सरकारों और केंद्र शालसर् प्रदे शों में पयाावरण और वि सचिवों और केंद्रीय
प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा, िई हदकली को। हम केंद्रीय प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा को
निदे श दे र्े हैं कक वह इस फैसले की एक प्रनर् सभी राज्य प्रदष
ू ण नियंत्रण
बोर्ों और पयाावरण, प्रदष
ू ण, पाररस्स्िनर्की और वि और वन्य जीवि से
संबचं धर् अन्य अचधकाररयों को भेजे। राज्य सरकारें इस निणाय को अपिे
संबचं धर् राज्य प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा और उपरोतर् ववषयों से संबचं धर् अन्य
प्राचधकाररयों को संप्रेवषर् करिे के ललए भी कदम उठाएँगी - र्ाकक इस
निणाय के अिस
ु ार उचिर् कारावाई शीघ्रर्ा से की जा सके।

िरे श दत्त त्यागी बिाम स्िे ि ऑफ य.ू पी. और अन्य। 10 अगस्र्, 1993 को
समर्क
ु य उद्धरण: १९९३ (४) स्केल ५२०, १९९५ सप्प (३) एससीसी १४४

बेंि: एम वेंकििलैया, एस मोहि

गण

1. प्रािलमक सहकारी सलमनर्, गढ़ मुतर्ेश्वर, स्जला गास्जयाबाद, को य.ू पी.


की एक संघ इकाई कहा जार्ा है। सहकारी संघ लललमिे र् िे एक गोदाम में
कुछ रासायनिक कीििाशकों का भंर्ारण ककया। कीििाशकों से निकलिे
वाले धए
ु ं वेंहिलेिर के माध्यम से आस-पास की संपवत्त में लीक हो गए और
पररणामस्वरूप, इमारर् के उस हहस्से में रहिे वाले याचिकाकर्ाा के िमशः
िार, सार् और दस वषा की आयु के र्ीि छोिे बच्िों की मत्ृ यु हो गई।
याचिकाकर्ाा की पत्िी, जो उस समय पररवार में िी, का गभापार् हो गया।
ककसकी गलर्ी है और कौि निदोष पीडड़र्ों के ललए उत्तरदायी है, इसे लेकर
कािि
ू ी र्करार जारी है। प्रश्ि कक तया खर्रिाक रसायिों के इर्िे बड़े
पैमािे पर स्िॉक को आवासीय ब्ललॉक में संग्रहीर् करिे की अिम
ु नर् है; तया
भंर्ारण वैधानिक प्रावधािों द्वारा ववनियलमर् है, यहद िहीं, र्ो तया सामान्य
कािि
ू कर्ाव्य का कोई उकलंघि हुआ है और तया सरकारी प्राचधकरण
िक
ु साि के ललए उत्तरदायी हैं, उत्पन्ि होर्े हैं। याचिकाकर्ाा का कहिा है कक
आवासीय ब्ललॉक में हानिकारक रसायिों के भंर्ारण को िहीं रोकिे में
सरकार के अचधकाररयों की ओर से कर्ाव्य का उकलंघि ककया गया है. यह
भी आग्रह ककया जार्ा है कक सहकारी सलमनर् द्वारा कीििाशकों का प्रबंधि
'राज्य कारावाई' का आधार िा और राज्य उत्तरदायी है।

2. यप
ू ी सहकारी संघ लललमिे र् का कहिा है कक इस मामले में उसकी कोई
स्जम्मेदारी िहीं है और भंर्ारण में सुरक्षा मािकों का रखरखाव गढ़ मुतर्ेश्वर
स्स्िर् प्रािलमक सहकारी सलमनर् की प्रािलमक चिंर्ा िी। राज्य सरकार अब
र्क इस भीषण त्रासदी पर उदासीि, मक
ू दशाक रही है।

3. इि घार्क रसायिों के सरु क्षक्षर् भंर्ारण के मामले में लापरवाही के कारण


गभा में पल रहे र्ीि बच्िों और एक लशशु की मौर् का र्थ्य वववाहदर् िहीं
है। हम इस बार् से िोड़ा भी परे शाि िहीं हैं कक उत्तर प्रदे श राज्य, जो यहां
पक्ष में है, िे र्िस्ि रुख अपिाया है और जवाबी हलफिामा दाखखल करिे
का ववककप भी िहीं िि
ु ा है। याचिकाकर्ाा का आग्रह है कक इस र्रह के
भंर्ारण की अिम
ु नर् दे िे में सरकार के अचधकाररयों के कर्ाव्य का उकलंघि
ककया गया है।

4. दभ
ु ाालयपण
ू ा याचिकाकर्ाा के ललए त्रासदी गंभीर आयामों में से एक है। हम
यप
ू ी राज्य को निदे लशर् करर्े हैं। रुपये की रालश का भुगर्ाि करिे के ललए।
10,000/-, भले ही वह आज से िार सप्र्ाह के भीर्र याचिकाकर्ाा को
अिग्र
ु ह रालश के रूप में हो। हम यप
ू ी राज्य को भी निदे लशर् करर्े हैं। रुपये
जमा करिे के ललए याचिकाकर्ाा और उिकी पत्िी श्रीमर्ी के संयत
ु र् िाम
से गढ़ मुतर्ेश्वर में एक राटरीयकृर् बैंक में सावचध जमा में 30,000 / -।
मुन्िी दे वी, पहली बार में एक वषा की अवचध के ललए। जमा आज से िार
सप्र्ाह के भीर्र ककया जाएगा। सरकार द्वारा बैंक को यह निदे श हदया
जाएगा कक वह जमाकर्ााओं को जमा रालश निकालिे की अिम
ु नर् िहीं दे गा
और ि ही उन्हें उसकी जमािर् पर कोई ऋण लेिे की अिम
ु नर् दी जाएगी।
जमा इस न्यायालय के आदे श के अधीि आयोस्जर् ककया जाएगा। र्िावप,
इस मामले का निपिाि लंबबर् रहिे र्क प्रत्येक नर्माही में याचिकाकर्ाा को
उस पर उपास्जार् नर्माही ब्लयाज का भग
ु र्ाि ककया जाएगा। जमारालशयों की
रालश के निपिाि के संबध
ं में निदे श मामले के अंनर्म निणाय का हहस्सा
होगा।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय
र्ीर्ी व्यास और अन्य बिाम गाजजयाबाद ववकास ... 13 अप्रैल 1992 को

समतल्
ु य उद्धरण: AIR 1993 सभी 57, (1992) 1 UPLBEC 746
लेखक: ओ प्रकाश
बेंच: ओ प्रकाश, एम काटजू

आदे श ओम प्रकाश, जे.

1. यह ररि याचिका इस बार् का एक उपयत


ु र् उदाहरण है कक उत्तर प्रदे श
राज्य द्वारा उत्तर प्रदे श शहरी नियोजि और ववकास अचधनियम के र्हर्
मास्िर प्लाि में दशााई गई आवासीय कॉलोनियों के ववकास और पयाावरण
के संरक्षण के वैधानिक उद्दे श्य को कैसे प्राप्र् ककया जाए। , 1973
('अचधनियम' संक्षेप में ) को उि अचधकाररयों द्वारा परास्जर् ककया जार्ा है,
स्जिके पास ववकासात्मक कर्ाव्यों को सौंपे जािे के बावजद
ू गनर्शीलर्ा,
सौंदयावाद और ववकास के ललए उत्साह की कमी है।
2. अचधनियम जैसा कक प्रस्र्ाविा से पर्ा िलर्ा है, योजिा के अिस
ु ार उत्तर
प्रदे श के कुछ क्षेत्रों के ववकास के ललए और उससे संबचं धर् मामलों के ललए
प्रदाि करिे के ललए अचधनियलमर् ककया गया िा। इस अचधनियम से पहले
उत्तर प्रदे श में ववकास काफी बेर्रर्ीब िा और इसललए, सरकार िे महसूस
ककया कक उत्तर प्रदे श राज्य के ववकासशील क्षेत्रों में िगर नियोजि और
शहरी ववकास की समस्याओं से सख्र्ी से निपििे की जरूरर् है। िकूं क
मौजद
ू ा स्िािीय निकाय और अन्य प्राचधकरण अपिे सवोत्तम प्रयासों के
बावजद
ू इि समस्याओं से वांनछर् सीमा र्क निपििे के ललए अपयााप्र् िे,
राज्य सरकार िे निराशाजिक स्स्िनर् में सुधार लािे के ललए यह उचिर्
समझा कक ऐसे ववकासशील क्षेत्रों में ववकास प्राचधकरण हदकली ववकास
प्राचधकरण, जो उस समय एक मॉर्ल प्राचधकरण िा, की स्िापिा की
जाए। इस प्रकार हदकली ववकास प्राचधकरण की र्जा पर, गास्जयाबाद ववकास
प्राचधकरण (संक्षेप में , 'जीर्ीए'), एक सांववचधक निकाय, अचधनियम के र्हर्
स्िावपर् ककया गया िा, अचधनियम की धारा 7 में कहा गया है कक
प्राचधकरण का उद्दे श्य योजिा के अिस
ु ार ववकास क्षेत्र के ववकास को बढ़ावा
दे िा और सुरक्षक्षर् करिा होगा और उस उद्दे श ्य के ललए प्राचधकरण के पास
वह सब करिे की शस्तर् होगी जो इस उद्दे श्य के ललए आवश्यक या
समीिीि है। इस र्रह के ववकास और उसके आिष
ु चं गक उद्दे श्य के
ललए। अचधनियम की धारा 8(1) में कहा गया है कक प्राचधकरण, स्जर्िी
जकदी हो सके, ववकास क्षेत्र के ललए एक मास्िर प्लाि र्ैयार करे गा, धारा 8
(2) (ए) में कहा गया है कक मास्िर प्लाि ववलभन्ि क्षेत्रों को पररभावषर् करे गा
स्जसमें ववकास के उद्दे श्यों के ललए ववकास क्षेत्र को ववभास्जर् ककया जा
सकर्ा है और उस र्रीके को इंचगर् ककया जा सकर्ा है स्जसमें प्रत्येक क्षेत्र
में भलू म का उपयोग करिे का प्रस्र्ाव है। धारा 8 की उप-धारा (3) में कहा
गया है कक मास्िर प्लाि ककसी अन्य मामले के ललए प्रदाि कर सकर्ा है
जो ववकास क्षेत्र के समुचिर् ववकास के ललए आवश्यक हो सकर्ा है। धारा
9(1) प्राचधकरण को प्रत्येक जोि के ललए एक क्षेत्रीय ववकास योजिा र्ैयार
करिे के ललए आगे बढ़िे का आदे श दे र्ी है स्जसमें ववकास क्षेत्र को एक साि
मास्िर प्लाि की र्ैयारी के साि या उसके बाद जकद से जकद ववभास्जर्
ककया जा सकर्ा है। धारा 9(2) उि सभी का वणाि करर्ी है जो एक क्षेत्रीय
ववकास योजिा में शालमल हो सकर्े हैं। प्रत्येक योजिा को र्ैयार करिे के
र्रु ं र् बाद प्राचधकरण द्वारा धारा १०(२) के र्हर् अिम
ु ोदि के ललए राज्य
सरकार को प्रस्र्ुर् ककया जाएगा और संबचं धर् सरकार या र्ो संशोधि के
साि या बबिा इसे मंजरू ी दे सकर्ी है या अचधकाररयों को एक िई योजिा
र्ैयार करिे का निदे श दे कर इसे अस्वीकार कर सकर्ी है।

3. ऐसी शस्तर्यों का प्रयोग करर्े हुए, जीर्ीए िे सेतिर राज िगर,


गास्जयाबाद की एक योजिा र्ैयार की, स्जसकी एक प्रनर् ररि याचिका के
अिल
ु लिक "1" के रूप में ररकॉर्ा पर रखी गई है। उतर् योजिा प्रस्र्ाववर्
सावाजनिक भविों, आवासीय घरों और िागररकों की सुववधाओं और िागररक
सुववधाओं के ललए भूलम के भूखर्
ं ों को संदलभार् करर्ी है , एक खुली जगह
सहहर् खुली जगह, अिाार् ्, सावाजनिक पाका के ललए निधााररर् एर्ु पाका,
स्जसकी एक छोिी योजिा ररि के साि संललि है अिल
ु लिक "1-ए" के रूप
में याचिका।

4. याचिकाकर्ााओं की संक्षक्षप्र् लशकायर्, जो उसी इलाके से र्ाकलक


ु रखर्े
हैं, जहां खल
ु ा स्िाि, अिाार् ्, राज िगर सेतिर में स्स्िर् एर्ु पाका, यह है कक
हालांकक उतर् क्षेत्र को सावाजनिक पाका के रूप में ववकलसर् करिे के ललए
निधााररर् ककया गया िा, लेककि जीर्ीए िे अब र्क इसे सावाजनिक पाका के
रूप में ववकलसर् करिे के ललए कोई कदम िहीं उठाया है। इर्िा ही िहीं,
याचिकाकर्ााओं का र्का यह है कक प्रनर्वादी योजिा में सावाजनिक पाका के
ललए समवपार् इस र्रह के खुले स्िाि पर भूखंर्ों को र्राशिे के ललए समय
चिस्निर् कर रहे हैं और भारी मि
ु ाफा कमािे की र्दस्टि से इसे अलग कर रहे
हैं। यह औसर् है कक जीर्ीए बड़े पैमािे पर जिर्ा की हानि के ललए, राज्य
सरकार द्वारा ववचधवर् अिम
ु ोहदर् योजिा में बदलाव िहीं कर सकर्ा
है। एक बार खुली जगह, अिाार् ्, राज िगर सेतिर में , एर्ु पाका, सावाजनिक
पाका के ललए समवपार् है, याचिकाकर्ााओं का र्का है कक उत्तरदार्ाओं को परू ी
र्रह या आंलशक रूप से भूलम के भूखंर्ों में पररवनर्ार् करिे के भयावह
उद्दे श्य के साि अिचु िर् रूप से लंबी अवचध के ललए अर्ू पाका को
अववकलसर् िहीं रखा जा सकर्ा है। अत्यचधक कम दरों पर बेिे जािे के
कारण बाद में जिर्ा को एक पाका के लाभ से वंचिर् करिा, स्जसके ललए
खुली जगह निधााररर् की गई िी। यह र्का हदया गया है कक याचिकाकर्ााओं
िे कई बार प्रनर्वाहदयों से संपका ककया और उिसे क्षेत्र के ववकास में र्ेजी
लािे का अिरु ोध ककया, अिाार् ् अर्ू पाका, लेककि उिके प्रयास ववफल
रहे । यह मािर्े हुए कक प्रनर्वादी जिर्ा के लाभ के ललए कभी भी एर्ु पाका
को पाका के रूप में ववकलसर् िहीं करें ग,े तयोंकक उिका लक्ष्य भूखर्
ं ों को
र्राशिा और उन्हें लाभ कमािे के उद्दे श्य से स्िािांर्ररर् करिा है, असहाय
याचिकाकर्ााओं िे इस याचिका के माध्यम से प्रािािा करर्े हुए इस
न्यायालय का दरवाजा खिखिाया है :

(i) उत्तरदार्ाओं को आम जिर्ा के लाभ के ललए पाका को छोड़कर ककसी


अन्य र्रीके से मास्िर प्लाि के र्हर् सावाजनिक पाका के उद्दे श्य के ललए
निधााररर् खल
ु े स्िाि, अिाार् ् एर्ु पाका का उपयोग करिे से रोका जािा
िाहहए;

(ii) उत्तरदार्ाओं को एर्ु पाका के ककसी भी हहस्से की सास्जश रििे या उसे


ककसी भी र्रह से अलग करिे से रोका जािा िाहहए;

(iii) उत्तरदार्ाओं को एर्ु पाका को पाका के रूप में ववकलसर् करिे के ललए या
एर्ु पाका को पाका के रूप में ववकलसर् करिे के ललए उिके द्वारा सोिी गई /
की गई ववकास गनर्ववचधयों से संबचं धर् ककसी अन्य ररकॉर्ा के ललए र्ैयार
ककए गए लेआउि / ब्ललू वप्रंि, यहद कोई र्ैयार ककया गया है, प्रस्र्र्
ु करिे के
ललए निदे लशर् ककया जाए; र्िा

(iv) कक परमादे श की प्रकृनर् में एक ररि जारी की जाए स्जसमें प्रनर्वाहदयों


को एर्ु पाका की संपण
ू ा ववकास प्रकिया को उचिर् समय के भीर्र पाका के
रूप में परू ा करिे का निदे श हदया जाए।

5. आदे श हदिांक १६-९-१९९१ द्वारा, प्रनर्वाहदयों के वकील श्री शीर्ला


प्रसाद को, उिकी प्रािािा के अिस
ु ार, एक महीिे का समय हदया गया िा कक
वे स्पटि रूप से यह बर्ार्े हुए जवाबी हलफिामा दाखखल करें कक प्रनर्वादी
िे ववकास के ललए तया कदम उठाए हैं। एर्ु पाका मास्िर प्लाि के अिस ु ार
र्ैयार ककया गया है। कोई जवाबी हलफिामा दाखखल िहीं ककया गया है,
हालांकक पांि महीिे बीर् िक
ु े हैं। मामला 18-2-1992 को सुिवाई के ललए
सूिीबद्ध ककया गया िा। श्री शीर्ला प्रसाद िे र्ब प्रािािा की कक मामले को
अगले हदि उिके र्कों के ललए ललया जाए, स्जसे वे प्रनर्वाहदयों से निदे श
प्राप्र् करिे के बाद बिािा िाहर्े िे । श्री शीर्ला प्रसाद िे 19-2-1992 को
इस मामले में र्का हदया, हालांकक कोई जवाबी हलफिामा दायर िहीं ककया
गया िा।

6. कोई जवाबी हलफिामा दायर िहीं ककया गया है, याचिकाकर्ााओं का दावा
है कक खल
ु ी जगह, अिाार् ्, एर्ु पाका, जैसा कक योजिाओं में हदखाया गया है
(अिल
ु लिक- "1" और "1-ए") याचिका के ललए निधााररर् ककया गया िा।
एक सावाजनिक पाका के ववकास के ललए, कक आम जिर्ा के लाभ के ललए
उतर् क्षेत्र को पाका के रूप में ववकलसर् करिे के ललए उत्तरदार्ाओं द्वारा अब
र्क कोई भी कदम िहीं उठाया गया है और उतर् योजिा (याचिका के
अिल
ु लिक "1") को ववचधवर् अिम
ु ोहदर् ककया गया िा। राज्य सरकार
द्वारा अचधनियम की धारा 10(2) के र्हर्, अवववाहदर् रहें ।

7. अपिे र्का के दौराि, प्रनर्वाहदयों के ववद्वाि वकील श्री शीर्ला प्रसाद इस


र्थ्य को स्वीकार िहीं कर सके कक खल
ु ी जगह, अिाार् ्, एर्ु पाका, जैसा कक
योजिा में हदखाया गया है (याचिका के अिल
ु लिक "1") को निधााररर् ककया
गया िा। एक सावाजनिक पाका के ललए। साि ही उन्होंिे इस बार् पर जोर
िहीं हदया कक उतर् क्षेत्र के ववकास के ललए ककसी भी कदम पर उत्तरदार्ाओं
द्वारा कभी वविार ककया गया िा या ककया गया िा और यह कक कोई भी
लेआउि / ब्ललू वप्रंि उत्तरदार्ाओं द्वारा कभी भी एक पाका के रूप में एर्ु पाका
के ववकास के संबध
ं में र्ैयार ककया गया िा। उिका एकमात्र निवेदि यह है
कक जीर्ीए को अचधनियम, 1973 की धारा 13(1) के र्हर् मास्िर प्लाि या
क्षेत्रीय ववकास योजिा में संशोधि करिे का अचधकार है , और इसललए, कोई
परमादे श िहीं है, जैसा कक याचिकाकर्ााओं िे प्रािािा की है कक प्रनर्वादी को
परू ा करिे के ललए निदे लशर् ककया जाए। एक उचिर् समय के भीर्र एर्ु पाका
की ववकास प्रकिया जारी कर सकर्ी है, तयोंकक उत्तरदार्ाओं को योजिा में
संशोधि करिे और खल
ु े स्िाि का उपयोग करिे की स्वर्ंत्रर्ा है, अिाार् ्,
एर्ु पाका, स्जसे शरू
ु में योजिा में एक सावाजनिक पाका के ललए ककसी अन्य
उद्दे श्य के ललए निधााररर् ककया गया िा। हम इस सबलमशि को बाद में
लेंगे।

8. सबसे पहले, हम याचिकाकर्ााओं के ववद्वाि अचधवतर्ाओं के निवेदिों पर


वविार करर्े हैं। याचिकाकर्ााओं की निववावाद दलीलों से यह प्रकि होर्ा है
कक एक सावाजनिक पाका के ललए खल
ु ी जगह, अिाार् ् एर्ु पाका, योजिा
(याचिका के अिल
ु लिक "1") में निधााररर् की गई िी, यह भी निववावाद है कक
जीर्ीए िे कभी भी ववकास प्रकिया शुरू िहीं की िी उस पर। राज िगर को
लगभग ववकलसर् कॉलोिी कहा जार्ा है, तयोंकक पयााप्र् आवासीय घर और
सावाजनिक भवि परू े हो िक
ु े हैं। ऐसा होिे पर, उत्तरदार्ाओं के पास एर्ु पाका
को पाका के रूप में ववकलसर् करिे के ललए पयााप्र् समय िा। ववकास
प्राचधकरणों का गठि करिे वाले कािि
ू का एकमात्र उद्दे श्य ववकास क्षेत्रों के
र्ेज और नियोस्जर् ववकास को सनु िस्श्िर् करिा िा, जो कक एक बहुर् बड़ा
काम होिे के कारण स्िािीय निकायों या अन्य प्राचधकरणों द्वारा परू ा िहीं
ककया जा सकर्ा िा, जो अचधनियम, 1973 से पहले मौजद
ू िे। योजिा को
र्भी कियास्न्वर् कहा जार्ा है जब सभी काया योजिा के अिस
ु ार कड़ाई से
ककए जार्े हैं। जैसा कक पहले ही बर्ाया जा िक
ु ा है, योजिा (ररि याचिका का
अिल
ु लिक "1"), सावाजनिक पाकों के ववकास के ललए आरक्षक्षर् खुली जगह
सहहर् कई िीजों का उकलेख करर्ी है। जब र्क सावाजनिक पाका के ललए
आरक्षक्षर् खल
ु ी जगह को इस रूप में ववकलसर् िहीं ककया जार्ा, र्ब र्क
योजिा का कियान्वयि अधरू ा रहे गा। भवि, जैसा कक योजिा में प्रस्र्ाववर्
ककया गया िा, बि गए होंगे, सवु वधाएं और िागररक सवु वधाएं प्रदाि की गई
होंगी और लोग कॉलोिी में रहिे लगे होंगे, कफर भी योजिा को परू ी र्रह से
निटपाहदर् िहीं कहा जा सकर्ा है, यहद एक खल
ु ी जगह के ललए ऐसे में पाका
का ववकास िहीं हुआ है। उत्तरदार्ाओं की निस्टियर्ा के कारण, राज्य का
सपिा और महत्वाकांक्षा कक योजिा के अंर्गार् आिे वाले क्षेत्रों को योजिा
के अिस
ु ार सख्र्ी से ववकलसर् ककया जाएगा, अधरू ा रह गया। उत्तरदार्ाओं
का कर्ाव्य शहर को आकषाक सावाजनिक पाकों से सुंदर बिािे की योजिा
को संपण
ू ा रूप से लागू करिा िा। लेककि ऐसा प्रर्ीर् होर्ा है कक उत्तरदार्ाओं
िे सोिा कक जब राज िगर सेतिर रहिे योलय हो गया र्ो उिका काम खत्म
हो गया। हमारी राय में, यह एक भ्रम है। योजिा के अिस
ु ार परू े क्षेत्र में
निमााण काया का रहिा और परू ा करिा एक बार् है और योजिा के अिस
ु ार
परू े क्षेत्र में ववकास करिा दस
ू री बार् है। योजिा के कायाान्वयि को इस र्थ्य
से िहीं मापा जा सकर्ा है कक परू ा इलाका रहिे योलय या कायाात्मक हो गया
है। सावाजनिक पाका के ललए आरक्षक्षर् खुली जगह ववकलसर् होिे र्क योजिा
आंलशक रूप से कियास्न्वर् की जार्ी है।

9. यह बड़े खेद की बार् है कक स्जस उद्दे श्य के ललए जीर्ीए का गठि ककया
गया िा, वह अधरू ा रह गया। राज िगर योजिा वैधानिक उद्दे श्य की उचिर्
लसद्चध के ललए है, जो शहर गास्जयाबाद के व्यवस्स्िर् ववकास को बढ़ावा
दे िा है और शहरीकरण के दटु प्रभाव से निवालसयों की रक्षा के ललए
सावाजनिक पाकों को आरक्षक्षर् करके खुली जगहों को संरक्षक्षर् करिा
है। ववधायी मंशा हमेशा शहर के िररत्र और वांछिीय सौंदया ववशेषर्ाओं के
संरक्षण के द्वारा जीवि की गण
ु वत्ता को बढ़ावा दे िे और बढ़ािे का रहा
है। कोई भी शहर स्काई-स्िैपसा के ललए, असंख्य उद्योगों के ललए, बड़े
वाखणस्ज्यक केंद्रों के ललए, बड़े स्मारक भविों के ललए िहीं जािा जार्ा है,
लेककि शहर के आकषाक लेआउि के ललए, अच्छे भ-ू र्दश्यों के ललए, संद
ु र
पाकों और लॉि के ललए, ववस्र्र्
ृ हरे -भरे आवरण के ललए जािा जार्ा है।
और संपण
ू ा सामास्जक पाररस्स्िनर्की के ललए। बड़े पैमािे पर बिाए गए
अच्छे पाका ि केवल सौंदया की प्रशंसा के ललए हैं, बस्कक र्ेजी से ववकलसर् हो
रहे शहरों में इमारर्ों का समूह है, वे एक आवश्यकर्ा हैं। भीड़-भाड़ वाले
शहरों में जहां एक निवासी को धए
ु ं और अंर्हीि वाहिों के यार्ायार् और
कारखािों से निकलिे वाले धए
ु ं से प्रदवू षर् वार्ावरण के अलावा कुछ िहीं
लमलर्ा है, खब
ू सरू र्ी से र्ैयार ककए गए पाकों की प्रभावकाररर्ा मिटु यों के
ललए फेफड़ों से कम िहीं है। यह एक कस्बे में सावाजनिक पाकों और हररर्
पट्िी द्वारा प्रदाि ककया गया हरा-भरा आवरण है, जो बेिि
ै जिर्ा को
काफी राहर् प्रदाि करर्ा है। इसललए सावाजनिक पाकों के महत्व का
अिम
ु ाि िहीं लगाया जा सकर्ा है। निजी लॉि या सावाजनिक पाका
ववलालसर्ा िहीं हैं, जैसा कक पहले मािा जार्ा िा। एक सावाजनिक पाका
आधनु िक सभ्यर्ा का उपहार है, और जीवि की गुणवत्ता में सुधार के ललए
महत्वपण
ू ा कारक है। पहले यह अलभजार् वगा और संपन्ि लोगों का
ववशेषाचधकार िा या र्ो शाही अिद
ु ाि के पररणामस्वरूप या निजी आिंद के
ललए आरक्षक्षर् स्िाि के रूप में । सुंदर पररवेश में स्वर्ंत्र और स्वस्ि हवा
कुछ लोगों का ववशेषाचधकार िा, लेककि अब एक लोकर्ांबत्रक व्यवस्िा में ,
यह लोगों की ओर से खद
ु के ललए एक उपहार है। सावाजनिक पाका के ललए
खल
ु ा स्िाि आधनु िक नियोजि और ववकास की एक अनिवाया ववशेषर्ा है,
तयोंकक यह सामास्जक पाररस्स्िनर्की के सुधार में बहुर् योगदाि दे र्ा है।

10. एक बड़े पाका में ववकलसर्, अच्छी र्रह से बिाए रखा और अच्छी र्रह
से र्ैयार लॉि से जो लाभ लमल सकर्ा है, उसे अववकलसर्, रुलण और जजार
खल
ु ी जगह से सरु क्षक्षर् िहीं ककया जा सकर्ा है। जबकक पहला लोगों को
आकवषार् करर्ा है और आिे, सि
ू करिे और आराम करिे के ललए आमंबत्रर्
करर्ा है, बाद वाला हमेशा बदबद
ू ार, गंदा और घखृ णर् होर्ा है।
11. उत्तरदार्ाओं का यह कर्ाव्य िा कक वे शरू
ु में ही एर्ु पाका को एक
आकषाक सावाजनिक पाका के रूप में ववकलसर् करें र्ाकक पयाावरण में सुधार
हो और आम जिर्ा को इसका लाभ लमल सके। ि केवल वे अपिे आप में
ववफल रहे, बस्कक, जैसा कक याचिकाकर्ााओं िे र्का हदया, उन्होंिे उिके
अिरु ोध पर भी कोई ध्याि िहीं हदया, स्जसे उन्होंिे बार-बार उत्तरदार्ाओं से
एर्ु पाका को एक सुंदर पाका के रूप में ववकलसर् करिे के ललए कहा।

12. पाका तया है? इसे अचधनियम में पररभावषर् िहीं ककया गया है। उत्तर
प्रदे श पाका, खेल के मैदाि और खल
ु े स्िाि (संरक्षण और ववनियमि)
अचधनियम , 1975 (संक्षेप में, '1975 अचधनियम' के ललए) में 'पाका' शब्लद
को पररभावषर् ककया गया है स्जसका अिा है भलू म का एक िुकड़ा स्जस पर
कोई इमारर् िहीं है या स्जसका 1/2 भाग से अचधक भाग भविों से
आच्छाहदर् िहीं है और स्जसका परू ा या शेष भाग वक्ष
ृ ों, पौधों या फूलों की
तयाररयों के साि बगीिों के रूप में या लॉि के रूप में या घास के मैदाि के
रूप में रखा गया है और जिर्ा के ररसॉिा के ललए एक जगह के रूप में रखा
गया है मिोरं जि, वायु या प्रकाश के ललए। यद्यवप यह पररभाषा अचधनियम
1975 की धारा 2 के मद्दे िजर केवल प्रत्येक िगर महापाललका, प्रत्येक
िगरपाललका या अचधसचू िर् क्षेत्र और प्रत्येक िगर क्षेत्र में सस्म्मललर् क्षेत्रों
और ऐसे अन्य क्षेत्रों पर लागू होगी जहाँ राज्य सरकार द्वारा अचधसूििा
द्वारा इसका ववस्र्ार ककया जार्ा है। राजपत्र में , यहद हम मामले की इस
पररभाषा का सहारा लेर्े हैं र्ो कािि
ू का उकलंघि िहीं होगा। निस्संदेह,
ककसी ववशेष अचधनियम में दी गई पररभाषा को दस
ू रे अचधनियम में िहीं
पढ़ा जा सकर्ा है। लेककि यह नियम अपररवर्ािीय िहीं है, िकंू क 'पाका' शब्लद
का प्रयोग 1973 के अचधनियम में अवधारणात्मक और प्रासंचगक रूप से
ककया गया है, वैसे ही जैसे 1975 के अचधनियम में 'पाका' को पररभावषर्
करर्े हुए, इसे 1973 के अचधनियम र्क भी बढ़ाया जा सकर्ा है। . िगर
महापाललका, अचधसूचिर् क्षेत्र या िाउि एररया के स्वालमत्व और रखरखाव
वाले पाका ववकास प्राचधकरण से संबचं धर् पाकों से अलग िहीं हैं, जो
अचधनियम, 1973 के र्हर् गहठर् एक स्िािीय प्राचधकरण के अलावा और
कुछ िहीं है। एक पाका में पेड़ों के साि बगीिे से ढका हुआ काफी क्षेत्र होिा
िाहहए। , पौधे या फूलों की तयाररयाँ या लॉि, और मिोरं जि, हवा या प्रकाश
के ललए जिर्ा के ररसॉिा के ललए एक जगह के रूप में बिाए रखा जािा
िाहहए िा। पण
ू ा रूप से अववकलसर् खुले स्िाि को कभी भी पाका की
ववशेषर्ा िहीं कहा जा सकर्ा है। एक पाका में पयाावरण को संरक्षक्षर् और
संरक्षक्षर् करिे के ललए इसकी पररचध पर बहुर् सारे पेड़ों के साि एक सुंदर
बगीिा होिा िाहहए और सौंदया की र्दस्टि से, इसमें सुंदर पौधे या फूलों की
तयाररयां और अच्छी र्रह से बिाए हुए लॉि होिे िाहहए।

13. संववधाि का अिच्


ु छे द 48A भाग IV राज्य को दे श के पयाावरण के
प्रयास, संरक्षण और सुधार का आदे श दे र्ा है। िीनर् निदे शक लसद्धांर्ों को
लागू करिे के ललए पयाावरण के संरक्षण और संरक्षण के उद्दे श्य से कािि
ू ों
की बाढ़ आ गई है। उत्तरदार्ाओं िे कई वषों र्क एर्ु पाका को पाका के रूप में
ववकलसर् करिे में ववफल रहिे के कारण राज्य और िागररकों की सभी
पोवषर् आशाओं पर ववश्वास ककया है जीर्ीए के गठि के पीछे अंर्निाहहर्
वविार ववकास की गनर् को र्ेज करिा और गास्जयाबाद शहर को आकषाक
बिािा िा। मम
ु ककि। यह दभ
ु ाालयपण
ू ा है कक उत्तरदार्ाओं िे एर्ु पाका को एक
पाका के रूप में ववकलसर् करिे पर अड़े रहे और वषों र्क बबककुल निस्टिय
रहे । लेककि जि-उत्साही व्यस्तर्यों की सर्का िजर के ललए, स्जन्होंिे यह
याचिका दायर की िी, अर्ू पाका की स्स्िनर् पर ककसी का ध्याि िहीं गया
होर्ा। योमि की सेवाएं प्रदाि करिे वाले याचिकाकर्ााओं की सराहिा की
जािी िाहहए, और याचिका दायर करिे के उिके अचधकार पर संदेह िहीं
ककया जा सकर्ा है।

14. संववधाि के अिच्


ु छे द 21 के र्हर् जीिे का अचधकार एक मौललक
अचधकार है और इसमें जीवि के पण
ू ा आिंद के ललए प्रदष
ू ण मुतर् पािी और
हवा का आिंद लेिे का अचधकार शालमल है। यहद कोई िीज कािि
ू ों के
अपमाि में जीवि की गुणवत्ता को खर्रे में र्ालर्ी है या बबगाड़र्ी है, र्ो
िागररक को पािी या वायु के प्रदष
ू ण को दरू करिे के ललए संववधाि
के अिच्
ु छे द 32 का सहारा लेिे का अचधकार है , जो जीवि की गण
ु वत्ता के
ललए हानिकारक हो सकर्ा है। प्रदष
ू ण की रोकिाम के ललए
संववधाि के अिच्
ु छे द 32 के र्हर् एक याचिका प्रभाववर् व्यस्तर्यों या यहां
र्क कक सामास्जक कायाकर्ााओं या पत्रकारों के एक समह
ू के कहिे पर
वविारणीय है। दे खें सभ
ु ाष कुमार बिाम बबहार राज्य , एआईआर 1991
एससी 420: (1991 एआईआर एससीर्ब्लकयू 121 )

15. जब सामास्जक कायाकर्ााओं या पत्रकारों के समह


ू द्वारा प्रदष
ू ण की
रोकिाम के ललए अिच्
ु छे द 32 के र्हर् एक याचिका लाई जा सकर्ी है , र्ो
संववधाि के अिच्
ु छे द 226 के र्हर् मुतर् हवा के संरक्षण और 'पयाावरण की
सुरक्षा' के ललए एक ररि याचिका हमेशा हो सकर्ी है एक ही इलाके में या
बाहर रहिे वाले पयाावरण कायाकर्ााओं द्वारा दायर ककया जािा िाहहए।
१६. ३ जिवरी, १९७७ से संववधाि (४२वां संशोधि) अचधनियम , १९७६ द्वारा
पेश ककए गए भाग IV- ए में अिच्
ु छे द ५१ए तलॉज (जी) एक मौललक कर्ाव्य
निधााररर् करर्ा है और यह आदे श दे र्ा है कक यह भारर् के प्रत्येक िागररक
का कर्ाव्य होगा। विों, झीलों, िहदयों और वन्य जीवि सहहर् प्राकृनर्क
पयाावरण की रक्षा और सुधार करिा और जीववर् प्राखणयों के ललए दया
करिा। संववधाि के अिच्
ु छे द 51ए के अंनर्म खंर् (जे) में आगे कहा गया है
कक भारर् के प्रत्येक िागररक का यह कर्ाव्य होगा कक वह व्यस्तर्गर् और
सामहू हक गनर्ववचध के सभी क्षेत्रों में उत्कृटिर्ा के ललए प्रयास करे , र्ाकक
राटर निरं र्र प्रयास के उच्ि स्र्र र्क बढ़े और उपलस्ब्लध। यह खेदजिक है
कक प्रनर्वादी राज्य का साधि होिे के कारण दोिों मौललक कर्ाव्यों का
निवाहि करिे में ववफल रहे हैं। जब र्क खुले स्िाि को उद्यािों, फूलों की
तयाररयों, पौधों, लॉि, सैरगाह आहद वाले पण
ू ा ववकलसर् पाका के रूप में
ववकलसर् िहीं ककया जार्ा है, र्ब र्क पयाावरण में सुधार िहीं होगा और
इसललए जीर्ीए के पदाचधकारी अपिे मल
ू कर्ाव्य के निवाहि में घोर
लापरवाही बरर्र्े रहे हैं। उन्हें संववधाि के अिच्
ु छे द 51ए के खंर् (जी)
द्वारा । समाि रूप से वे अिच्
ु छे द 51ए(जे) में निहहर् अपिे कर्ाव्य का
निवाहि करिे में ववफल रहे । यहद राज्य की संस्िाओं के पदाचधकारी
ववकासात्मक गनर्ववचधयों के प्रनर् अपिी अनिच्छा हदखार्े हैं, जो उन्हें सौंपी
जार्ी है, र्ो राटर कभी भी पोवषर् ऊंिाइयों र्क िहीं पहुंि सकर्ा है। अच्छी
र्रह से सस्ज्जर् लॉि के साि एक सजाविी पाका ि केवल जिर्ा के ललए
आराम का स्रोर् है, बस्कक एक शहर की सुंदरर्ा में भी इजाफा करर्ा है,
तयोंकक मोर्ी या हीरे से जड़े आभष
ू ण इसे पहििे वाले की संद
ु रर्ा में इजाफा
करर्े हैं।
17. उत्तरदार्ाओं का प्रदशाि बेहर्र होगा यहद वे एर्ु पाका के ववकास पर
ध्याि केंहद्रर् करें गे।

18. अववकलसर् स्िाि अतसर अिचधकृर् रूप से उि लोगों द्वारा कब्लजा कर


ललया जार्ा है जो कािि ू के बारे में बहुर् कम ध्याि रखर्े हैं। एक बार
जीर्ीए द्वारा ववकलसर् एर्ु पाका इसे अनर्िमणकाररयों से मुतर् कर दे गा।

19. र्ब हम स्िायी वकील प्रस्र्र्


ु करिे कक जीर्ीए के र्हर् मास्िर प्लाि
में पररवर्ाि करिे का अचधकार है के साि सौदा धारा 13 अचधनियम,
1973 की धारा 13 (1) और (2) है, जो इस संबध
ं में प्रासंचगक हैं, पि
ु :
उत्पाहदर् कर रहे हैं िीिे:

"13(1)। प्राचधकरण मास्िर प्लाि या क्षेत्रीय ववकास योजिा में कोई भी


संशोधि कर सकर्ा है जैसा कक वह ठीक समझे, संशोधि होिे के िार्े, जो
उसकी राय में योजिा के िररत्र में महत्वपण
ू ा पररवर्ाि को प्रभाववर् िहीं
करर्ा है और जो संबचं धर् िहीं है भलू म उपयोग या मािकों या जिसंख्या
घित्व की सीमा।

(२) राज्य सरकार मास्िर प्लाि या क्षेत्रीय ववकास योजिा में संशोधि कर
सकर्ी है, िाहे ऐसे संशोधि उप-धारा (१) में निहदाटि प्रकृनर् के हों या
अन्यिा।"

से धारा 13 (1) , यह है कक प्राचधकरण के ललए केवल उि संशोधिों जो


योजिा के िररत्र में सामग्री पररवर्ाि को प्रभाववर् िहीं करर्े कर सकर्े हैं
प्रकि होर्ा है। इसका अिा है कक उत्तरदार्ाओं को मास्िर प्लाि या क्षेत्रीय
ववकास योजिा में संशोधि करिे का पण
ू ा अचधकार िहीं है। ऐसी योजिा की
मूल ववशेषर्ा को प्राचधकरण द्वारा बदला िहीं जा सकर्ा है। धारा 13(1)
के अंर्गार् केवल वही संशोधि अिम
ु न्य है जो योजिा के मल
ू स्वरूप को
प्रभाववर् िहीं करर्ा है। योजिा में पाका के ललए खल
ु ा स्िाि योजिा की एक
बनु ियादी ववशेषर्ा है और इसमें संशोधि िहीं ककया जा सकर्ा है। एक
योजिा में संशोधि िहीं ककया जा सकर्ा है र्ाकक इस र्रह की एक
बनु ियादी सुववधा की योजिा को िकारा जा सके। धारा 13(1) की ककसी भी
पररस्स्िनर् में व्याख्या िहीं की जा सकर्ी है कक जीर्ीए को पाका के ललए
आरक्षक्षर् खुली जगह का उपयोग करिे के ललए या र्ो इमारर्ों के निमााण के
ललए या ककसी अन्य र्रीके से उपयोग करिे के ललए पहिाया जा सकर्ा है,
जो कक पाका की अवधारणा के ललए ववदे शी है। बैंगलोर मेडर्कल रस्ि बिाम
बीएस मद
ु प्पा , 1991 (3) जेिी 172: (एआईआर 1991 एससी 1902) में
सप्र
ु ीम कोिा िे बैंगलोर र्ेवलपमें ि अिॉररिी (संक्षेप में, 'बीर्ीए) के आदे श को
रद्द कर हदया, जो सावाजनिक पाका और खेल के ललए आरक्षक्षर् क्षेत्रों को
आवंहिर् करर्ा है। आधार, निजी व्यस्तर्यों को और उिके द्वारा अस्पर्ाल
के ललए भविों के निमााण की अिम
ु नर् दे िा। इस मामले में , एक ववचधवर्
स्वीकृर् योजिा के र्हर् एक सावाजनिक पाका के ललए एक खुला स्िाि
आरक्षक्षर् ककया गया िा। हालांकक, राज्य सरकार के आदे श के अिस
ु ार,
बीर्ीए िे अपिे संककप द्वारा एक अस्पर्ाल के निमााण के उद्दे श्य से एक
मेडर्कल रस्ि के पक्ष में खल
ु ी जगह आवंहिर् की। रस्ि का र्का िा कक
जिर्ा को अस्पर्ाल से अचधक लाभ होगा, ि कक पाका से, स्जसके ललए खल
ु ी
जगह आरक्षक्षर् की गई है, और खल
ु े स्िाि को बेहर्र उद्दे श्य के ललए
र्ायविा ककया गया है, राज्य सरकार का आदे श िहीं है। के साि हस्र्क्षेप
ककया। इस र्रह की याचिका को सुप्रीम कोिा िे खाररज कर हदया िा, स्जसमें
इस बार् पर जोर हदया गया िा कक यह समुदाय के जीवि की गुणवत्ता का
संरक्षण है स्जसे सावाजनिक पाका के ललए खल
ु ी जगह आरक्षक्षर् करिे वाली
योजिा द्वारा संरक्षक्षर् करिे की मांग की गई है। सप्र
ु ीम कोिा िे कहा कक
योजिा में बदलाव बंगलौर शहर और आसपास के क्षेत्रों में सुधार और बेहर्र
ववकास के उद्दे श्य से होिा िाहहए और आम जिर्ा के लाभ के ललए
सामान्य आवेदि के ललए होिा िाहहए। ककसी व्यस्तर् ववशेष को लाभ प्रदाि
करिे की र्दस्टि से और व्यापक रूप से जिर्ा की सामान्य भलाई की परवाह
ककए बबिा योजिा में कोई भी पररवर्ाि धारा द्वारा अपेक्षक्षर् सुधार िहीं
है। एक पाका के ललए खुली जगह आरक्षक्षर् करिे के पीछे ववधायी मंशा पर
जोर दे र्े हुए, सुप्रीम कोिा िे कहा:

"ये सभी प्रावधाि स्पटि रूप से एक सावाजनिक पाका या सावाजनिक खेल के


मैदाि को आम जिर्ा के हािों में संरक्षक्षर् करिे के ववधायी इरादे की ओर
इशारा करर्े हैं, जैसा कक बीर्ीए या ककसी अन्य सावाजनिक प्राचधकरण द्वारा
प्रनर्निचधत्व ककया जार्ा है, और इस प्रकार, निजी हािों को निजी हािों को
हचियािे से रोकर्े हैं। समाप्र् होर्ा है।"

सुप्रीम कोिा िे पैरा 23 और 24 में पेज 184 और 185 पर अवलोकि करिा


जारी रखा:

"जिर्ा की सामान्य भलाई के ललए एक पाका के ललए आरक्षक्षर् खुले स्िाि


को निजी लाभ के ललए एक निजी स्वालमत्व वाले और प्रबंचधर् अस्पर्ाल के
निमााण के ललए एक साइि में पररवनर्ार् करिा योजिा के सुधार के ललए एक
पररवर्ाि िहीं है जैसा कक धारा 19 द्वारा वविार ककया गया है , और
आक्षेवपर् आदे श, जो कक आधे हों, ववधायी मंशा का घोर उकलंघि है और
शस्तर् का एक रं गीि प्रयोग है।...
एक वैधानिक प्राचधकरण के रूप में बीर्ीए का उद्दे श्य, बैंगलोर शहर और
उसके आस-पास के क्षेत्रों के स्वस्ि ववकास और ववकास को बढ़ावा दे िा
है। ववधायी मंशा हमेशा शहर के िररत्र और वांछिीय सौंदया ववशेषर्ाओं के
संरक्षण के द्वारा गण
ु वत्ता को बढ़ावा दे िे और बढ़ािे का रहा है।"

२०. पटृ ठ ८५ पर अिच्


ु छे द २५ में, सवोच्ि न्यायालय िे सावाजनिक पाकों की
उपयोचगर्ा पर इस प्रकार जोर हदया:

"पयाावरण की सुरक्षा, मिोरं जि के ललए खुली जगह और र्ाजी हवा, बच्िों


के ललए खेल के मैदाि, निवालसयों के ललए सैरगाह, और अन्य सुववधाएं या
सुववधाएं एक ववकास योजिा में ध्याि रखिे के ललए बड़ी सावाजनिक चिंर्ा
और महत्वपण
ू ा रुचि के मामले हैं। यह तया वह जिहहर् है स्जसे बीर्ीए की
स्िापिा द्वारा अचधनियम द्वारा बढ़ावा दे िे की मांग की गई है पाकों और
खेल के मैदािों के ललए खुले स्िािों के आरक्षण और संरक्षण में सावाजनिक
हहर् को निजी व्यस्तर्यों को ककसी अन्य में रूपांर्रण के ललए निजी
व्यस्तर्यों को पट्िे पर या बेिकर बललदाि िहीं ककया जा सकर्ा है।
उपयोगकर्ाा। ऐसा कोई भी काया ववधायी मंशा के ववपरीर् होगा और
वैधानिक आवश्यकर्ाओं के साि असंगर् होगा। इसके अलावा, यह
सुनिस्श्िर् करिे के ललए संवध
ै ानिक जिादे श के साि सीधे संघषा में होगा
कक कोई भी राज्य कारावाई व्यस्तर्गर् स्वर्ंत्रर्ा और गररमा के मल
ू मक
ू यों
से प्रेररर् है और संबोचधर् ककया गया है जीवि की गुणवत्ता की प्रास्प्र् के
ललए जो सभी िागररकों के ललए गारं िीकृर् अचधकारों को वास्र्ववकर्ा
बिार्ी है।"
21. सवोच्ि न्यायालय िे समापि करर्े हुए अिच्
ु छे द 31 में कहा कक
"हमारा वविार है कक इस र्थ्य के अलावा कक योजिा को बीर्ीए द्वारा वैध
रूप से पररवनर्ार् िहीं ककया गया है , सरकार के ललए बीर्ीए को अवहे लिा
करिे के ललए निदे श दे िे के ललए खुला िहीं िा। अचधनियम का बहुर्
उद्दे श्य।"

22. बैंगलोर मेडर्कल रस्ि (सुप्रा) में सुप्रीम कोिा के निदे श को लागू करर्े
हुए, यह मािा जािा िाहहए कक प्राचधकरण धारा 13 (1) के र्हर् योजिा में
संशोधि िहीं कर सकर्ा है र्ाकक जिर्ा को सावाजनिक पाका से वंचिर्
ककया जा सके। केवल जीर्ीए ही िहीं, राज्य सरकार भी धारा 13(2) के र्हर्
योजिा में बदलाव िहीं कर सकर्ी है र्ाकक प्राचधकरण एक अलग उद्दे श्य
के ललए सावाजनिक पाका के ललए निधााररर् खल
ु ी जगह का उपयोग कर
सके। जबकक धारा 13(1) में कई सीमाएं हैं, धारा 13(2) राज्य सरकार को
उप-धारा (1) या अन्यिा में निहदाटि प्रकृनर् की योजिा में संशोधि करिे के
ललए असीलमर् शस्तर्यां प्रदाि करर्ी है। धारा १३(२) में आिे वाले शब्लदों "या
अन्यिा" का अिा यह िहीं लगाया जा सकर्ा है कक राज्य सरकार को
योजिा में बदलाव करिे का अचधकार है र्ाकक जीर्ीए को पाका के ललए
आरक्षक्षर् खुले स्िाि का उपयोग करिे में सक्षम बिाया जा सके। पाका की
र्रह िहीं है। बैंगलोर मेडर्कल रस्ि (सुप्रा) में , सुप्रीम कोिा िे दोहराया कक
एक बार एक खल
ु ी जगह एक पाका के ललए समवपार् है स्जसे ककसी अन्य
उद्दे श्य में पररवनर्ार् िहीं ककया जा सकर्ा है।

23. इसललए, हम मािर्े हैं कक धारा 13 के र्हर् , ि र्ो प्राचधकरण और ि


ही राज्य सरकार इस र्रह से योजिा में संशोधि कर सकर्ी है र्ाकक
सावाजनिक पाकों के ललए खल
ु ी जगहों के रूपांर्रण की अिम
ु नर् दे िे वाली
इसकी मल
ू ववशेषर्ा को िटि कर हदया जा सके।
24. याचिकाकर्ााओं की प्रािािा के अिस
ु ार परमादे श का ररि जारी करिा
एक उपयत
ु र् मामला है। िकंू क अर्ू पाका के ववकास में अत्यचधक दे री हो रही
है, इसललए इसके ववकास में र्ेजी लािे के ललए ववस्र्र्
ृ निदे श जारी करिे
होंगे।

25. इसललए, याचिका को निम्िललखखर् निदे शों के साि स्वीकार ककया जार्ा
है:

(i) प्रनर्वादी अंर् र्क र्ैयार की जािे वाली याचिका के ललए खुले स्िाि,
अिाार् ्, एर्ु पाका में प्रस्र्ाववर् पाका का ब्ललू वप्रंि / लेआउि प्लाि, जैसा कक
अिल
ु लिक '1' और '1-ए' में हदखाया गया है, का कारण होगा। जि
ू , 1992
का;

(ii) उतर् ब्ललू वप्रंि/लेआउि योजिा में पयाावरण के संरक्षण और संरक्षण के


ललए पाका की पररचध पर पेड़ों को दशााया जाएगा, फूलों की तयाररयों वाले
लॉि, मौसमी और स्िायी पौधों के ललए बेर्, लोगों की आवाजाही को
सुववधाजिक बिािे वाले सैरगाह;

(iii) ब्ललू वप्रंि/लेआउि योजिा में लसंिाई के स्रोर् का उकलेख होगा; यह ि


केवल पाका का प्रारं लभक लेआउि है, बस्कक नियलमर् रखरखाव भी आवश्यक
है, और यह र्भी संभव है जब लसंिाई के पयााप्र् साधि उपलब्लध हों, और
इस आवश्यकर्ा को परू ा करिे के ललए, उत्तरदार्ा एक ट्यब
ू वेल बोररंग का
प्रावधाि करें गे। अर्ू पाका में , जो इर्िे समय के भीर्र परू ा हो जािा िाहहए
र्ाकक बाररश का मौसम खत्म होिे के बाद काम करिा शरू
ु हो जाए, जब
पािी की लगार्ार आवश्यकर्ा होगी;

(iv) प्रनर्वादी बाद में पाका के ववकास और उसके रखरखाव के ललए आवश्यक
पयााप्र् कमािाररयों के ललए प्रावधाि करें गे;

(v) प्रनर्वादी इस पररयोजिा को प्रािलमकर्ा से लेंगे और आगामी मािसूि


के मौसम के दौराि ववकास प्रकिया शरू
ु करें गे और एक उचिर् अवचध के
भीर्र पाका के ववकास के ललए आवश्यक सभी काम करें गे, र्ाकक पाका को
परू ी र्रह से ववकलसर् ककया जा सके। ककसी भी मामले में एक वषा से अचधक
की अवचध िहीं;

(vi) प्रनर्वादी ककसी भी अन्य उद्दे श्य के ललए क्षेत्र के ककसी भी हहस्से को
पट्िे पर या ककसी अन्य र्रीके से स्िािांर्ररर् िहीं करें गे, अिाार् ्, एर्ु पाका,
जैसा कक योजिाओं में हदखाया गया है (याचिका में "1" और "1-ए") ककसी
अन्य उद्दे श्य के ललए और एर्ु पाका में ककसी भी निमााण की अिम
ु नर् िहीं
दे गा, लसवाय इसके कक जो पाका के ववकास और रखरखाव के ललए प्रासंचगक
हो। हालांकक यह लागर् दे िे के ललए एक उपयत
ु र् मामला है, लेककि हमें
लगर्ा है कक याचिकाकर्ाा अचधक संर्टु ि महसूस करें गे यहद एर्ु पाका को
उत्तरदार्ाओं द्वारा उपरोतर् समय सीमा के भीर्र ईमािदारी से एक लाभ के
रूप में ववकलसर् ककया गया है और इसललए हम लागर् के बारे में कोई
आदे श िहीं दे र्े हैं,

26. याचिका की अिम


ु नर्।
राजस्थाि उच्च न्यायालय
श्रीमती अजीत मेहता व अन्य। बिाम राजस्थाि राज्य और अन्य। पर 9
मई, 1989

समतल्
ु य उद्धरण: १९९० क्रिएलजे १५९६, १९८९ (२) र्ब्लल्यए
ू लएि २७३
लेखक: ए मािरु ी
बेंच: ए माथरु ी

आदे श एके मािरु , जे.

1. यह पि
ु रीक्षण याचिका ववद्वाि अपर सत्र न्यायाधीश िमांक 2 जोधपरु
शहर जोधपरु द्वारा पाररर् आदे श हदिांक 4-9-1982 के ववरूद्ध निदे लशर्
है।

2. इस पि
ु रीक्षण याचिका को जन्म दे िे वाले संक्षक्षप्र् र्थ्य यह हैं कक
पीर्ब्लकयर्
ू ी कॉलोिी, जोधपरु निवासी श्री एम.एम. मेहर्ा द्वारा इस आशय
की एक लशकायर् दजा की गई िी कक गैर-याचिकाकर्ाा िारे का व्यवसाय कर
रहे हैं और इस िारे का भंर्ारण कर रहे हैं, अिाार् ् चिपिा, प्लॉि िंबर 113-
सी, पीर्ब्लकयर्
ू ी कॉलोिी, जोधपरु में पाला, कुर्रार खाकला और घास। आरोप
यह भी िा कक गैर-याचिकाकर्ाा अपिे व्यवसाय के दौराि इस भूखंर् पर रक
और रै तिर और स्िॉक के माध्यम से भारी मात्रा में ववलभन्ि प्रकार का िारा
लार्े हैं। िारे के भंर्ारण के कारण निवालसयों को शारीररक परे शािी का
सामिा करिा पड़र्ा है और यह परू ी कॉलोिी के निवालसयों के ललए स्वास्थ्य
के ललए खर्रा है। इसललए प्रािािा की गई कक क्षेत्र से इस उपद्रव को दरू
ककया जाए।

3. गैर-याचिकाकर्ाा द्वारा एक ररििा दाखखल ककया गया िा और उसमें


आरोप लगाया गया िा कक लशकायर्कर्ाा उिके व्यवसाय के स्िाि का
पड़ोसी िहीं है और वे 1979-80 से यह व्यवसाय कर रहे हैं। उन्होंिे रकों,
रै तिरों और रॉली में प्रनर्हदि िारा लािे के आरोप से भी इिकार ककया। यह
भी आरोप है कक लशकायर्कर्ाा के घर और उिके व्यवसाय के स्िाि के बीि
में 10 दीवार है, जहां िारा रखा जार्ा है और लशकायर्कर्ाा को असुववधा
होिे की संभाविा िहीं है। इस बार् से भी इिकार ककया गया कक इससे
मोहकले के सभी निवालसयों को परे शािी होगी. यह भी आरोप है कक यह प्लॉि
गैर-याचिकाकर्ााओं द्वारा रुपये के मालसक ककराए पर ललया गया
िा। 600/-. यह भी आरोप लगाया गया कक जब वषा 1980 में लशकायर्कर्ाा
श्री मेहर्ा िे अपिा घर बिाया, र्ो उन्होंिे स्वेच्छा से आधा प्लॉि खाली कर
हदया।

4. अपिे मामले के समिाि में , लशकायर्कर्ाा िे खद


ु को पीर्ब्लकयू 3, सश्र
ु ी बी
जोसेफ पीर्ब्लकयू 1, श्री बीके मािरु पीर्ब्लकयू 2 जो डर्प्िी िाउि प्लािर िे
और र्ॉ अस्श्विी कुमार छं गािी उप के रूप में जांि की। पीर्ब्लकयू के रूप में
मुख्य मेडर्का जे और स्वास्थ्य अचधकारी (स्वास्थ्य) जोधपरु 4. गैर
याचिकाकर्ााओं िे गोरू राम, राम िंद्र, खेर्ा राम, गणपर् लाल और र्ॉ पीर्ी
मोदयािी की जांि की।

5. ववद्वाि लसिी मस्जस्रे ि, जोधपरु िे दलीलों को पढ़िे, आवश्यक साक्ष्य


दजा करिे और दोिों पक्षों को सुििे के बाद 4-6-1982 को एक ववस्र्र्

आदे श पाररर् ककया और मािा कक िारे में गैर-याचिकाकर्ाा व्यवसाय
पड़ोलसयों के स्वास्थ्य के ललए खर्रा पैदा कर रहा है। . इसललए उन्होंिे
अपिे सशर्ा आदे श में संशोधि करर्े हुए गैर-याचिकाकर्ााओं को 15 हदिों
के भीर्र अपिे व्यवसाय को हिािे का निदे श हदया और वे इस भूखंर् पर
कफर से यह व्यवसाय िहीं करिा िाहहए। इस आदे श से व्यचिर् होकर गैर-
याचिकाकर्ााओं द्वारा ववद्वाि सत्र न्यायाधीश के समक्ष पि
ु रीक्षण प्रस्र्ुर्
ककया गया, स्जसे ववद्वाि अनर्ररतर् सत्र न्यायाधीश संख्या 2, जोधपरु
द्वारा निपिाया गया और ववद्वाि अनर्ररतर् सत्र न्यायाधीश िे आदे श को
उलि हदया। इसललए, वर्ामाि पि
ु रीक्षण याचिका लशकायर्कर्ाा की पत्िी श्री
एम.एम. मेहर्ा और उिके बेिे के साि-साि अन्य व्यस्तर्यों द्वारा दायर
की गई है तयोंकक इस अवचध के दौराि श्री एम.एम. मेहर्ा की मत्ृ यु हो गई
िी।

6. याचिकाकर्ााओं के ववद्वाि अचधवतर्ा श्री लसंघवी का यह निवेदि है कक


ववद्वाि अपर सत्र न्यायाधीश िे मामले को सही पररप्रेक्ष्य में िहीं ललया है
और अपीलीय न्यायालय के रूप में काया ककया है। ववद्वाि अचधवतर्ा िे
प्रस्र्र्
ु ककया कक यह स्पटि है कक िारे के भंर्ारण िे क्षेत्र के निवालसयों के
ललए एक बड़ा स्वास्थ्य खर्रा पैदा कर हदया है तयोंकक िारे की महीि धल

के कारण परू ा वार्ावरण प्रदवू षर् है और उसी के कारण कई स्वास्थ्य
समस्याएं पैदा होर्ी हैं। इस संबध
ं में ववद्वाि अचधवतर्ा िे ववशेष रूप से
मेरा ध्याि र्ॉ. बी. जोसेफ के बयाि के साि-साि र्ॉ. एके छं गािी के बयाि
की ओर आकृटि ककया है जो एक योलय सावाजनिक स्वास्थ्य व्यस्तर् हैं। इस
संबध
ं में , ववद्वाि अचधवतर्ा िे गोबबंद लसंह बिाम शांनर् सरूप (1979) 2
एससीसी 267: (1979 कि एलजे 59) में सवोच्ि न्यायालय के अपिे
आचधपत्य के निणाय पर भी गप्ु र् रूप से मेरा ध्याि आकवषार् ककया है ।

7. इसके ववरुद्ध अिावेदकगण के ववद्वाि अचधवतर्ा श्री मािरु िे मेरे


समक्ष निवेदि ककया कक ववद्वाि अपर सत्र न्यायाधीश के आदे श में
हस्र्क्षेप का कोई आधार िहीं है।

8. मैंिे पक्षकारों के ववद्वाि अचधवतर्ाओं के र्कों पर वविार ककया है और


अलभलेख का भी अध्ययि ककया है। यह सि है कक ववलभन्ि प्रकार के िारे
का भंर्ारण करके उिमें से कुछ िारे के बारीक काििे वाले िुकड़े के होर्े हैं
और कुछ िारे की बड़ी किाई और उिकी लोडर्ंग और अिलोडर्ंग के होर्े हैं,
बारीक काििे वाले िारे के कण परू े इलाके को प्रदवू षर् करर्े हैं और सांस
लेर्े हैं। उस क्षेत्र के निवालसयों द्वारा इि कणों के कारण निस्श्िर् रूप से
स्वास्थ्य के ललए खर्रा पैदा होर्ा है। यह दभ
ु ाालयपण
ू ा है कक अब प्रदष
ू ण की
समस्या पर िोड़ा ध्याि हदया जा रहा है और इस प्रदष
ू ण की समस्या के
प्रनर् बहुर् ही उदासीि रवैया अपिाया जा रहा है। बहुर् कम ही लोग सामिे
आर्े हैं और इसका ववरोध करर्े हैं। वे आम र्ौर पर राज्य र्ंत्र के साि-साि
न्यायालय की धीमी गनर् से िलिे के कारण हर्ोत्साहहर् होर्े हैं। लेककि यह
एक अिठ
ू ा मामला है स्जसमें याचिकाकर्ाा िे परू ी कवायद की है और इलाके
की प्रदष
ू ण की इस समस्या को खत्म करिे के ललए यह प्रस्र्ाव लाया
है. प्रत्येक व्यस्तर् को र्ाजी हवा और पािी लेिे का अचधकार है। लेककि
िगर पाललकाओं द्वारा खराब सफाई व्यवस्िा के कारण वार्ावरण को साफ
रखिे के ललए बहुर् कम ध्याि हदया जार्ा है। र्ॉ. जोसेफ और र्ॉ. एके
छं गािी के बयािों को दे खर्े हुए मझ
ु े ववश्वास है कक इि गवाहों के बयाि
स्पटि रूप से स्िावपर् करर्े हैं कक िारे के भंर्ारण से वार्ावरण का प्रदष
ू ण
होर्ा है। र्ॉ. एके छं गािी, जो प्रासंचगक समय पर उप के रूप में कायारर्
िे। मख्
ु य चिककत्सा एवं स्वास्थ्य अचधकारी (स्वास्थ्य), जोधपरु िे बयाि
हदया है कक वह एक योलय जि स्वास्थ्य व्यस्तर् हैं और उन्होंिे स्िल का
निरीक्षण ककया है। उिके अिस
ु ार, धल
ू स्वास्थ्य के ललए खर्रा पैदा करर्ी है
और फेफड़ों की एक कफललिोहिस बीमारी का कारण बिर्ी है स्जसे
न्यम
ू ोमाइकोलसस कहा जार्ा है। कफललिोहिस फेफड़ों की काया क्षमर्ा और
संबचं धर् फेिोलमिा को कम करके एक आदमी को अपंग कर दे र्ा है। उिसे
लंबे समय र्क स्जरह की गई और उन्होंिे उि सभी सवालों के जवाब हदए
जो प्रासंचगक हैं। मेरा ध्याि र्ॉ. जोसेफ के बयाि की ओर भी गया, जो उस
क्षेत्र के निवालसयों में से एक हैं। एक आम आदमी के रूप में उन्होंिे कहा है
कक िारे के कण जब सांस लेर्े हैं र्ो उन्हें बहुर् असुववधा होर्ी है और
स्वास्थ्य पर असर पड़र्ा है। मेरा ध्याि श्री बी.के. मािरु के बयाि की ओर
भी गया, जो एक वास्र्ुकार और उप-लेखक हैं। िगर योजिाकार। उन्होंिे
यह भी बयाि हदया है कक इस क्षेत्र में प्रनर्हदि रकों, बैलगाडड़यों, रै तिरों
द्वारा िारा लाया जार्ा है और उन्हें प्रनर्हदि लोर् और अिलोर् ककया जार्ा
है। उन्होंिे यह भी बयाि हदया है कक िारे के कणों के कारण निवालसयों का
जीवि दयिीय हो गया है. मेरा ध्याि इस िारा डर्पो के अलावा रहिे वाले
श्री एम.एम. मेहर्ा के बयाि की ओर भी गया और उिके बयाि के अिस
ु ार,
यह स्िावपर् है कक िारे के धल
ू के कण उिके जीवि को असहज करर्े
हैं। गवाहों द्वारा यह भी बयाि हदया गया है कक भारी मात्रा में िारे का
भंर्ारण करिे के कारण , जो कक ज्वलिशील भी है , ककसी भी समय आग
की गंभीर समस्या का कारण बि सकर्ा है। इस पटृ ठभूलम में ववद्वाि अपर
सत्र न्यायाधीश का साक्ष्य की सराहिा करिे और इस सामग्री के आधार पर
ववद्वाि मस्जस्रे ि द्वारा दजा र्थ्य के निटकषा को उलििे में सही िहीं िा।

9. इस संबध
ं में , मैं एंडड्रया बिाम सेस्किज एंर् कंपिी लललमिे र् में कोिा ऑफ
अपील (सर ववस्किर् ग्रीि, एमआर, रोमर और स्कॉि, एल जे जे; ) के उिके
प्रभुत्व द्वारा की गई प्रलसद्ध हिप्पखणयों का भी उकलेख करिा िाह
सकर्ा हूं । (१९३७) ३ सभी ईआर २५५ जो निम्िािस
ु ार पढ़र्ा है:-
"लेककि यह कक लशकायर्ें पयााप्र् लशकायर्ें िीं, एक के ललए, मैं संर्ुटि हूं,
और मैं निस्श्िर् रूप से इस वविार का ववरोध करर्ा हूं कक, यहद व्यस्तर्,
अपिे लाभ और सुववधा के ललए, अपिे पड़ोलसयों के एक रार् को भी िटि
करिे का ववककप िि
ु र्े हैं, र्ो वे कुछ ऐसा कर रहे हैं जो यह क्षम्य है। यह
कहिा कक एक या दो रार्ों का आराम खो जािा उि र्च्
ु छ मामलों में से एक
है, स्जसके संबध
ं में कािि
ू कोई ध्याि िहीं दे गा, मझ
ु े काफी गलर् धारणा
प्रर्ीर् होर्ी है, और, यहद यह मि में ववद्यमाि एक गलर् धारणा है जो
लोग इि ऑपरे शिों को अंजाम दे र्े हैं, उन्हें स्जर्िी जकदी हिा हदया जाए
उर्िा अच्छा है।"

इसललए, यहद कोई अपिे फायदे के ललए काम करर्ा है और दस


ू रों को
असुववधा पहुंिार्ा है, र्ो उसे माफ िहीं ककया जाएगा। उपद्रव की प्रकृनर् िाहे
जो भी हो, िाहे वह मामूली हो या बड़ी, व्यस्तर् की स्वर्ंत्रर्ा और स्वर्ंत्रर्ा
से कािि
ू के अिस
ु ार ककसी अन्य व्यस्तर् द्वारा समझौर्ा िहीं ककया जा
सकर्ा है। यहद कोई व्यस्तर् लाभ के ललए काम करर्ा है और
ककसी व्यस्तर् को परे शािी का कारण बिर्ा है , र्ो इसे स्वीकार िहीं ककया
जा सकर्ा है। इस संबध
ं में मैं गोबबंद लसंह के मामले (1979 कि एलजे 59)
(सप्र
ु ा) में सवोच्ि न्यायालय के उिके प्रभत्ु व की निम्िललखखर् हिप्पखणयों
को भी उपयोगी रूप से उद्धर् ृ कर सकर्ा हूं, स्जसमें एक बेकरी की चिमिी
लोगों के स्वास्थ्य को प्रभाववर् करिे वाली सावाजनिक सड़क पर धआ ु ं छोड़
रही िी और ओवि आग लगिे का कारण बि सकर्ा है; इसललए यह मािा
गया कक जहां आम जिर्ा का स्वास्थ्य, सुरक्षा और सुववधा शालमल है, वहां
मस्जस्रे ि के र्दस्टिकोण को स्वीकार करिे के ललए सुरक्षक्षर् रास्र्ा होगा,
स्जन्होंिे खुद खर्रे को दे खा िा। मस्जस्रे ि के आदे श को बरकरार रखा गया।

"ववद्वाि अिम
ु ंर्ल दं र्ाचधकारी के निणाय से स्पटि है कक साक्ष्य प्रकि करर्े
हैं कक अपीलकर्ाा द्वारा निलमार् चिमिी द्वारा स्वीकार ककया गया धआ
ु ं
अपीलकर्ाा की बेकरी के "निकि में रहिे वाले या काम करिे वाले लोगों के
स्वास्थ्य और शारीररक आराम के ललए हानिकारक" िा। और यह कक
अपीलािी की ओर से जीिी रोर् पर चिमिी से धआ
ु ं निकलिे का कोई
औचित्य िहीं िा। ववद्वाि मस्जस्रे ि िे एक स्िािीय निरीक्षण ककया िा
स्जसके आधार पर उन्होंिे 11 फरवरी, 1970 को एक ररपोिा र्ैयार की िी।
वह ररपोिा और फोिो वप्रंि पव
ू ा ए दशाार्ा है कक अपीलकर्ाा द्वारा निलमार्
चिमिी का ऊपरी क्षैनर्ज हहस्सा जीिी रोर् में लगभग छह फीि की सीमा
र्क है। इस निमााण की प्रकृनर् और इसके द्वारा उत्सस्जार् धए
ु ं की मात्रा को
ध्याि में रखर्े हुए सीखा मस्जस्रे ि िे निटकषा निकाला कक चिमिी ि केवल
एक सावाजनिक स्िाि पर अनर्िमण िा बस्कक इसके निमााण के कारण
एक गंभीर पररणाम हुआ। ओवि और चिमिी के उपयोग की अिम
ु नर्,
र्दिस
ु ार िी जी मस्जस्रे ि को, "वस्र्र्
ु ः लोगों के स्वास्थ्य के साि
खखलवाड़।" ववद्वाि मस्जस्रे ि के अिस
ु ार र्ेज हवा, ज्वाला को दरू र्क ले
जा सकर्ी है और आग का कारण बि सकर्ी है।
पव
ू ोतर् मामले में , चिमिी से निकलिे वाले धए
ु ं को भी क्षेत्र को प्रदवू षर्
करिे वाला पाया गया िा और इसललए इसे ववद्वाि मस्जस्रे ि द्वारा हिािे
का आदे श हदया गया िा और इसकी पस्ु टि सुप्रीम कोिा के उिके आचधपत्य
द्वारा की गई िी। इसललए, यह स्पटि है कक ककसी व्यस्तर् के व्यस्तर्गर्
व्यवसाय के कारण सावाजनिक स्वास्थ्य को िक
ु साि िहीं होिे हदया जा
सकर्ा है। इस प्रकार, ववद्वाि अपर सत्र न्यायाधीश द्वारा ववद्वाि
मस्जस्रे ि के आदे श को उलििे में ललया गया वविार सही प्रर्ीर् िहीं होर्ा
है। मैं संर्ुटि हूं कक ववद्वाि मस्जस्रे ि द्वारा पाररर् आदे श सामग्री पर
आधाररर् है और ववद्वाि अनर्ररतर् सत्र न्यायाधीश के ललए निटकषा को
उलििे का कोई अवसर िहीं िा, तयोंकक ववद्वाि अनर्ररतर् सत्र न्यायाधीश
द्वारा इस र्रह के उलिफेर के ललए कोई ठोस कारण दजा िहीं ककया गया
है। र्थ्य की खोज।

10 में पररणाम। मैं पि


ु रीक्षण याचिका की अिम
ु नर् दे र्ा हूं, ववद्वाि अपर
सत्र न्यायाधीश संख्या 2 जोधपरु हदिांक 4-9-1982 के आदे श को रद्द
करर्ा हूं और गैर-याचिकाकर्ाा संख्या 2 और 3 को निदे श दे र्ा हूं कक वे िारे
का भंर्ारण हिा दें और कोई व्यवसाय िहीं करें गे ररतत्या भेरूजी के पास
प्लॉि िंबर 113-सी पीर्ब्लकयर्
ू ी कॉलोिी से िारा। हालांकक, गैर-याचिकाकर्ाा
संख्या 2 और 3 को िारा निकालिे और अपिे व्यवसाय के ललए एक िया
स्िाि खोजिे के ललए छह महीिे का समय हदया गया है।
ग्रंथ सूची

1. मूल से 29 जनवरी 2011 को पुरालेखित. अभिगमन भतभि 28 जनवरी 2011.


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LOPMENT/EXTUSWM
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9. GOOGLE
10. BOOKS

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