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Final Ballb
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पर्ाा वरण का शाब्दब्दक अर्ा होता है चारों ओर से घेरे हुए। पर्ाा वरण उि सभ़ी
भौनतक, रासार्निक एवं जैनवक कारकों क़ी सर्निगत एक इकाई है जो नकस़ी
ज़ीवधाऱी अर्वा पाररतंत्ऱीर् आबाद़ी को प्रभानवत करते हैं तर्ा उिके रूप,
ज़ीवि और ज़ीनवता को तर् करते हैं । पर्ाा वरण वह है जो नक प्रत्येक ज़ीव के
सार् जुडा हुआ है हर्ारे चारों तरफ़ वह हर्ेशा व्याप्त होता है ।
सार्ान्य अर्ों र्ें र्ह हर्ारे ज़ीवि को प्रभानवत करिे वाले सभ़ी जैनवक और
सम्पानदत होत़ी है तर्ा हर् र्िुष्य अपि़ी सर्स्त निर्ाओं से इस पर्ाा वरण को
भ़ी प्रभानवत करते हैं । इस प्रकार एक ज़ीवधाऱी और उसके पर्ाा वरण के ब़ीच
अन्योन्याश्रर् संबंध भ़ी होता है ।
पर्ाा वरण के जैनवक संघटकों र्ें सूक्ष्म ज़ीवाणु से लेकर क़ीडे -र्कोडे , सभ़ी ज़ीव-
जंतु और पेड-पौधे आ जाते हैं और इसके सार् ह़ी उिसे जुड़ी साऱी जैव निर्ाएँ
र्ािव हस्तक्षेप के आधार पर पर्ाा वरण को दो प्रखण्ों र्ें नवभानजत नकर्ा जाता
है - प्राकृनतक र्ा िैसनगाक पर्ाा वरण और र्ािव निनर्ात पर्ाा वरण। हालाँ नक पूणा
रूप से प्राकृनतक पर्ाा वरण (नजसर्ें र्ािव हस्तक्षेप नबल्कुल ि हुआ हो) र्ा पूणा
रूपेण र्ािव निनर्ात पर्ाा वरण (नजसर्ें सब कुछ र्िुष्य निनर्ात हो), कह़ीं िह़ीं
पाए जाते। र्ह नवभाजि प्राकृनतक प्रनिर्ाओं और दशाओं र्ें र्ािव हस्तक्षेप
तकि़ीक़ी र्ािव द्वारा आनर्ाक उद्दे श्य और ज़ीवि र्ें नवलानसता के लक्ष्ों क़ी
पर्ाा वरण़ीर् सर्स्याएँ जैसे प्रदू िण, जलवार्ु पररवताि इत्यानद र्िुष्य को अपि़ी
ज़ीविशैल़ी के बारे र्ें पुिनवाचार के नलर्े प्रेररत कर रह़ी हैं और अब पर्ाा वरण
संरक्षण और पर्ाा वरण प्रबंधि क़ी चचाा है । र्िुष्य वैज्ञानिक और तकि़ीक़ी रूप
से अपिे द्वारा नकर्े गर्े पररवतािों से िुकसाि को नकतिा कर् करिे र्ें सक्षर् है ,
आनर्ाक और राजिैनतक नहतों क़ी टकराव र्ें पर्ाा वरण पर नकतिा ध्याि नदर्ा
जा रहा है और र्िुष्यता अपिे पर्ाा वरण के प्रनत नकति़ी जागरूक है , र्ह आज
पृथ्व़ी पर पाए जािे वाले भूनर्, जल, वार्ु, पेड पौधे एवं ज़ीव जन्तुओ का सर्ूह जो
हर्ारे चारो और हे । पर्ाा वरण कहलाता हे .पर्ाा वरण के र्े जैनवक और अजैनवक
घटक आपस र्ें अन्तनिर्ा करते है । र्ह सम्पूणा प्रनिर्ा एक तंत्र र्ें थर्ानपत
आज पर्ाा वरण एक जरूऱी सवाल ह़ी िह़ीं बब्दल्क ज्वलंत र्ुद्दा बिा हुआ है
लेनकि आज लोगों र्ें इसे लेकर कोई जागरूकता िह़ीं है । ग्राऱ्ीण सर्ाज को
छोड दें तो भ़ी र्हािगऱीर् ज़ीवि र्ें इसके प्रनत खास उत्सुकता िह़ीं पाई जात़ी।
पररणार्स्वरूप पर्ाावरण सुरक्षा र्हज एक सरकाऱी एजेण्ा ह़ी बि कर रह
गर्ा है । जबनक र्ह पूरे सर्ाज से बहुत ह़ी घनिष्ठ सम्बन्ध रखिे वाला सवाल है ।
जब तक इसके प्रनत लोगों र्ें एक स्वाभानवक लगाव पैदा िह़ीं होता, पर्ाा वरण
संरक्षण एक दू र का सपिा ह़ी बिा रहे गा।
पर्ाा वरण का स़ीधा सम्बन्ध प्रकृनत से है । अपिे पररवेश र्ें हर् तरह-तरह के
ज़ीव-जन्तु, पेड-पौधे तर्ा अन्य सज़ीव-निजीव वस्तुएँ पाते हैं । र्े सब नर्लकर
पर्ाा वरण क़ी रचिा करते हैं । नवज्ञाि क़ी नवनभन्न शाखाओं जैसे-भौनतक नवज्ञाि,
रसार्ि नवज्ञाि तर्ा ज़ीव नवज्ञाि, आनद र्ें नविर् के र्ौनलक नसद्धान्तों तर्ा उिसे
सम्बन्ध प्रार्ोनगक नविर्ों का अध्यर्ि नकर्ा जाता है । परन्तु आज क़ी
आवश्यकता र्ह है नक पर्ाा वरण के नवस्तृत अध्यर्ि के सार्-सार् इससे
सम्बब्दन्धत व्यावहाररक ज्ञाि पर बल नदर्ा जाए। आधुनिक सर्ाज को पर्ाा वरण
से सम्बब्दन्धत सर्स्याओं क़ी नशक्षा व्यापक स्तर पर द़ी जाि़ी चानहए। सार् ह़ी
गम्भ़ीर चुिौत़ी के दौर से गुजर रहा है । र्द्यनप हर्ारे पास पर्ाा वरण सम्बन्ध़ी
पाठ्य-सार्ग्ऱी क़ी कऱ्ी है तर्ानप सन्दभा सार्ग्ऱी क़ी कऱ्ी िह़ीं है । वास्तव र्ें
प्रकार सर्ाज र्ें पर्ाा वरण के प्रनत जागरूकता पैदा क़ी जा सकत़ी है । वास्तव र्ें
सज़ीव तर्ा निजीव दो संघटक नर्लकर प्रकृनत का निर्ाा ण करते हैं । वार्ु, जल
तर्ा भूनर् निजीव घटकों र्ें आते हैं जबनक जन्तु-जगत तर्ा पादप-जगत से
आरम्भ से ह़ी रह़ी है । परन्तु आज के भौनतकवाद़ी र्ुग र्ें पररब्दथर्नतर्ाँ नभन्न होत़ी
जा रह़ी हैं । एक ओर जहां नवज्ञाि एवं तकि़ीक़ी के नवनभन्न क्षेत्रों र्ें िए-िए
अनवष्कार हो रहे हैं । तो दू सऱी ओर र्ािव पररवेश भ़ी उस़ी गनत से प्रभानवत हो
रहा है । आिे वाल़ी प़ीढ़ी को पर्ाा वरण र्ें हो रहे पररवतािों का ज्ञाि नशक्षा के
हानसल करके कोई भ़ी व्यब्दि इस नदशा र्ें अिेक र्हत्पूणा कार्ा कर सकता
है । पर्ाा वरण का नवज्ञाि से गहरा सम्बन्ध है , नकन्तु उसक़ी नशक्षा र्ें नकस़ी प्रकार
क़ी वैज्ञानिक पेच़ीदनगर्ाँ िह़ीं हैं । नशक्षानर्ार्ों को प्रकृनत तर्ा पाररब्दथर्नतक ज्ञाि
स़ीध़ी तर्ा सरल भािा र्ें सर्झाऱ्ी जाि़ी चानहए। शुरू-शुरू र्ें र्ह ज्ञाि सतह़ी
लोग अपिे आस पास के आवरण को िि करिे का हर संभव प्रर्ास र्ें लगे हुए
है । पर्ाा वरण क़ी सुरक्षा तो नसर्ा नदर्ाग र्े ह़ी
पाररब्दथर्नतक तंत्र र्ा पाररतंत्र पृथ्व़ी के नकस़ी क्षेत्र र्ें सर्स्त जैनवक और
अजैनवक तत्ों के अंतसाम्बंनधत सर्ुच्चर् को कहते हैं । अतः पर्ाा वरण भ़ी एक
पाररतंत्र है ।
जाता है । जैवर्ंडल पृथ्व़ी का वह भाग है नजसर्ें ज़ीवधाऱी पाए जाते हैं और र्ह
थर्लर्ंडल, जलर्ण्ल तर्ा वार्ुर्ण्ल र्ें व्याप्त है । पूरे पानर्ाव पर्ाा वरण क़ी
रचिा भ़ी इऩ्ीं इकाइर्ों से हुई है , अतः इि अर्ों र्ें वैनश्वक पर्ाा वरण, जैवर्ण्ल
ऑक्स़ीजि क़ी वतार्ाि र्ात्रा पृथ्व़ी पर ज़ीवि होिे का कारण ह़ी िह़ीं अनपतु
भौतिक पर्ाावरण
प्राच़ीि सर्र् र्े भौनतक पर्ाा वरण के प्रनत लोग बहुत ह़ी अनभरुनच रखते र्े।
और इसे सजािे के नलए नित्य तत्पर रहते र्े । परं तु वतार्ाि सर्र् र्े इसका
नवपऱीत है लोग इसे नर्टािे क़ी और नदि प्रनतनदि तत्पर होते जा रहे है । और
इसका खूब दोहि कर रहे सुंदर बिो को उजाड कर वहाँ पर बडे बडे र्ैदाि
निकलिे र्ें लगे है , बड़ी बड़ी चट्टािों को नर्टाकर वहां पर रास्ते निकालिे र्ें लगे
है । इसक़ी रक्षा करिा हर्ारा कताव्य है ।
अभौतिक पर्ाावरण
अग्रण़ी होते जा रहे है । उदाहरण के नलए पहले शाद़ी नववाहों र्ें एक नवशेि ऱीनत
ररवाज का प्रचलि र्ा शाद़ी होिे से पहले वर को बधू का र्ुख दे खिा अशुभ
र्ािा जाता र्ा, र्गर आज के सर्र् र्े जब तक लडका/लडक़ी अपिे स्वेच्छा से
ह़ी शाद़ी करते है और एक दू सरे को आपस र्े दे खे बगैर शाद़ी तर् िह़ी होत़ी है ।
र्ह सह़ी क़ी पुरािे ररवाजो र्ें शोध करिा आवश्यक है परं तु इसका उलंघि
भारत र्ें पर्ाा वरण क़ी कई सर्स्या है । वार्ु प्रदू िण, जल प्रदू िण, कचरा, और
प्राकृनतक पर्ाा वरण के प्रदू िण भारत के नलए चुिौनतर्ाँ हैं । पर्ाा वरण क़ी
सर्स्या क़ी पररब्दथर्नत 1947 से 1995 तक बहुत ह़ी खराब ऱ्ी। 1995 से २०१० के
ब़ीच नवश्व बैंक के नवशेिज्ञों के अध्यर्ि के अिुसार, अपिे पर्ाा वरण के र्ुद्दों को
संबोनधत करिे और अपिे पर्ाा वरण क़ी गुणवर्त्ा र्ें सुधार लािे र्ें भारत दु निर्ा
र्ें सबसे तेज़ी से प्रगनत कर रहा है । नर्र भ़ी, भारत नवकनसत अर्ाव्यवथर्ाओं
वाले दे शों के स्तर तक आिे र्ें इस़ी तरह के पर्ाा वरण क़ी गुणवर्त्ा तक पहुँ चिे
कुछ पर्ाा वरण के र्ुद्दों के बारे र्ें कारण के रूप र्ें आनर्ाक नवकास को उद् धृत
नकर्ा है ।दू सरे , आनर्ाक नवकास र्ें भारत के पर्ाा वरण प्रबंधि र्ें सुधार लािे
जिसंख्या भारत के पर्ाा वरण क्षरण का प्रार्नर्क कारण भ़ी है ऐसा सुझाव नदर्ा
गर्ा है ।व्यवब्दथर्त अध्यर्ि र्ें इस नसद्धां त को चुिौत़ी द़ी गई है
क्षेत्रर्ल का 2.4% परन्तु नवश्व क़ी जिसंख्या का 17.5% धारण कर भारत का अपिे
असर पडता है ।
भारत क़ी पर्ाा वरण़ीर् सर्स्याओं र्ें नवनभन्न प्राकृनतक खतरे , नवशेि रूप से
चिवात और वानिाक र्ािसूि बाढ, जिसंख्या वृब्दद्ध, बढत़ी हुई व्यब्दिगत
भूनर् का 60% भूनर् कटाव, जलभराव और लवणता से ग्रस्त है । र्ह भ़ी अिुर्ाि
है नक नर्ट्ट़ी क़ी ऊपऱी परत र्ें से प्रनतविा 4.7 से 12 अरब टि नर्ट्ट़ी कटाव के
कारण खो रह़ी है । 1947 से 2002 के ब़ीच, पाि़ी क़ी औसत वानिाक उपलब्धता प्रनत
व्यब्दि 70% कर् होकर 1822 घि ऱ्ीटर रह गऱ्ी है तर्ा भूगभा जल का अत्यनधक
दोहि हररर्ाणा, पंजाब व उर्त्र प्रदे श र्ें एक सर्स्या का रूप ले चुका है । भारत
र्ें वि क्षेत्र इसके भौगोनलक क्षेत्र का 18.34% (637,000 वगा नकऱ्ी) है । दे श भर के
विों के लगभग आधे र्ध्य प्रदे श (20.7%) और पूवोर्त्र के सात प्रदे शों (25.7%) र्ें
पाए जाते हैं ; इिर्ें से पूवोर्त्र राज्ों के वि तेज़ी से िि हो रहे हैं । विों क़ी कटाई
ईंधि के नलए लकड़ी और कृनि भूनर् के नवस्तार के नलए हो रह़ी है । र्ह प्रचलि
औद्योनगक और र्ोटर वाहि प्रदू िण के सार् नर्ल कर वातावरण का तापर्ाि
आवृनर्त् बढ जात़ी है ।
एक ऐसे रािर के नलए, नजसक़ी आबाद़ी का बहुत बडा भाग र्ूलभूत स्रोतों क़ी
औद्योनगक नवकास पर निभार हो, र्े बहुत बड़ी सर्स्याएं हैं । पूवी और पूवोर्त्र
राज्ों र्ें हो रहे िागररक संघिा र्ें प्राकृनतक संसाधिों के र्ुद्दे शानर्ल हैं - सबसे
नवशेि रूप से वि और कृनि र्ोग्य भूनर्, जंगल और जऱ्ीि क़ी कृनि नगरावट,
संसाधिों क़ी कऱ्ी (पाि़ी, खनिज, वि, रे त, पत्थर आनद),पर्ाा वरण क्षरण,
सावाजनिक स्वास्थ्य, जैव नवनवधता के िुकसाि, पाररब्दथर्नतक़ी प्रणानलर्ों र्ें
लच़ीलेपि क़ी कऱ्ी है , गऱीबों के नलए आज़ीनवका सुरक्षा है । भारत र्ें प्रदू िण का
प्रर्ुख स्रोत ऐस़ी ऊजाा का प्रार्नर्क स्रोत के रूप र्ें पशुओं से सूखे कचरे के
रूप र्ें फ्युलवुड और बार्ोर्ास का बडे पैर्ािे पर जलिा, संगनठत कचरा और
कचरे को हटािे सेवाओं क़ी एस़ीके, र्लजल उपचार के संचालि क़ी कऱ्ी, बाढ
निर्ंत्रण और र्ािसूि पाि़ी क़ी निकास़ी प्रणाल़ी, िनदर्ों र्ें उपभोिा कचरे के
र्ोड, प्रर्ुख िनदर्ों के पास दाह संस्कार प्रर्ाओं क़ी कऱ्ी है , सरकार अत्यनधक
पुरािा सावाजनिक पररवहि प्रदू िण क़ी सुरक्षा अनिवार्ा है , और जाऱी रखा 1950-
1980 के ब़ीच बिार्ा सरकार के स्वानर्त् वाले, उच्च उत्सजाि पौधों क़ी भारत
वार्ु प्रदू िण, गऱीब कचरे का प्रबंधि, बढ रह़ी पाि़ी क़ी कऱ्ी, नगरते भूजल
टे बल, जल प्रदू िण, संरक्षण और विों क़ी गुणवर्त्ा, जैव नवनवधता के िुकसाि,
और भूनर् / नर्ट्ट़ी का क्षरण प्रर्ुख पर्ाा वरण़ीर् र्ुद्दों र्ें से कुछ भारत क़ी प्रर्ुख
सर्स्या है । भारत क़ी जिसंख्या वृब्दद्ध पर्ाा वरण के र्ुद्दों और अपिे संसाधिों के
भारत के 3,119 शहरों व कस्ों र्ें से 209 र्ें आं नशक रूप से तर्ा केवल 8 र्ें
र्लजल को पूणा रूप से उपचाररत करिे क़ी सुनवधा (डब्ल्यू.एच.ओ. 1992) है । 114
शहरों र्ें अिुपचाररत िाल़ी का पाि़ी तर्ा दाह संस्कार के बाद अधजले शऱीर
स़ीधे ह़ी गंगा िद़ी र्ें बहा नदए जाते हैं । अिुप्रवाह र्ें ि़ीचे क़ी ओर, अिुपचाररत
पाि़ी को प़ीिे, िहािे और कपडे धोिे के नलए प्रर्ोग नकर्ा जाता है । र्ह ब्दथर्नत
भारत और सार् ह़ी भारत र्ें खुले र्ें शौच काऱ्ी आर् है , र्हां तक नक शहऱी
क्षेत्रों र्ें भ़ी. जल संसाधिों को इस़ीनलए घरे लू र्ा अं तराा िऱीर् नहं सक संघिा से िह़ीं
जोडा गर्ा है जैसा नक पहले कुछ पर्ावेक्षकों द्वारा अिुर्ानित र्ा। इसके कुछ
पंजाब, भारत के र्ालवा क्षेत्र से है , र्ह लु नधर्ािा नजले जैस़ी घि़ी आबाद़ी वाले
क्षेत्र से होकर आत़ी है और नर्र सतलज िद़ी, जो नक नसन्धु िद़ी क़ी सहार्क
िद़ी है , र्ें नर्ल जात़ी है , हाल क़ी शोधों के अिुसार र्ह इं नगत नकर्ा गर्ा है नक
र्ुंबई िगर से होकर बहिे वाल़ी ऱ्ीठ़ी िद़ी भ़ी बहुत प्रदू नित है ।
गंगा
प्रदू नित गंगा िद़ी पर लाखों निभार करते हैं ।
गंगा िद़ी के नकिारे 40 करोड से भ़ी अनधक लोग रहते हैं । नहन्दु ओं के द्वारा
पनवत्र र्ाि़ी जािे वाल़ी इस िद़ी र्ें लगभग 2,000,000 लोग निर्नर्त रूप से
धानर्ाक आथर्ा के कारण स्नाि करते हैं । नहन्दू धर्ा र्ें कहा जाता है नक र्ह िद़ी
भगवि नवष्णु के कर्ल चरणों से (वैष्णवों क़ी र्ान्यता) अर्वा नशव क़ी जटाओं
िद़ी क़ी तुलिा प्राच़ीि नर्स्र वानसर्ों के ि़ील िद़ी से क़ी जा सकत़ी है । जबनक
गंगा को पनवत्र र्ािा जाता है , वह़ीं इसके पाररब्दथर्नतक़ी तंत्र से संबंनधत कुछ
सर्स्याएं भ़ी हैं । र्ह रासार्निक कचरे , िाल़ी के पाि़ी और र्ािव व पशुओं क़ी
पनवत्र र्र्ुिा िद़ी को न्यूज व़ीक द्वारा "काले क़ीचड क़ी बदबूदार पट्ट़ी" कहा
गर्ा नजसर्ें र्ेकल ज़ीवाणु क़ी संख्या सुरनक्षत स़ीर्ा से 10,000 गुणा अनधक पाऱ्ी
जल प्रदू षण के कारण
जल प्रदू िण के नवनभन्न कारण निम्ननलब्दखत है ः-
जल प्रदू षण के प्रभाव
जल प्रदू िण के निम्ननलब्दखत प्रभाव है ः
1. इससे र्िुष्य, पशु तर्ा पनक्षर्ों के स्वास्थ्य को खतरा उत्पन्न होता है । इससे
टाईर्ाइड, प़ीनलर्ा, है जा, गैब्दररक आनद ब़ीर्ाररर्ां पैदा होत़ी हैं ।
2. इससे नवनभन्न ज़ीव तर्ा वािस्पनतक प्रजानतर्ों को िुकसाि पहुँ चता है ।
3. इससे प़ीिे के पाि़ी क़ी कऱ्ी बढत़ी है , क्ोंनक िनदर्ों, िहरों र्हाँ तक नक
जऱ्ीि के भ़ीतर का पाि़ी भ़ी प्रदू नित हो जाता है ।
4. सूक्ष्म-ज़ीव जल र्ें घुले हुर्े ऑक्स़ीजि के एक बडे भाग को अपिे उपर्ोग
के नलर्े अवशोनित कर लेते हैं । जब जल र्ें जैनवक द्रव्य बहुत अनधक
होते हैं तब जल र्ें ऑक्स़ीजि क़ी र्ात्रा कर् हो जात़ी है । नजसके कारण
जल र्ें रहिे वाले ज़ीव-जन्तुओं क़ी र्ृत्यु हो जात़ी है ।
5. प्रदू नित जल से खेतों र्ें नसंचाई करिे पर प्रदू िक तत् पौधों र्ें प्रवेश कर
जाते हैं । इि पौधों अर्वा इिके र्लों को खािे से अिेक भर्ंकर
ब़ीर्ाररर्ाँ उत्पन्न हो जात़ी हैं ।
6. र्िुष्य द्वारा पृथ्व़ी का कूडा-कचरा सर्ुद्र र्ें डाला जा रहा है । िनदर्ाँ भ़ी
अपिा प्रदू नित जल सर्ुद्र र्ें नर्लाकर उसे लगातार प्रदू नित कर रह़ी हैं ।
वैज्ञानिकों िे चेतावि़ी द़ी है नक र्नद भू-र्ध्य सागर र्ें कूडा-कचरा डालिा
बंद ि नकर्ा गर्ा तो डॉलनर्ि और टू िा जैस़ी सुंदर र्छनलर्ों का र्ह
सागर श़ीघ्र ह़ी इिका कब्रगाह बि जाएगा।
7. औद्योनगक प्रनिर्ाओं से उत्पन्न रासार्निक पदार्ा प्रार्: क्लोऱीि,
अर्ोनिर्ा, हाइडरोजि सल्फाइड, जस्ता,निनकल एवं पारा आनद नविैले
पदार्ों से र्ुि होते हैं ।
8. र्नद र्ह जल प़ीिे के र्ाध्यर् से अर्वा इस जल र्ें पलिे वाल़ी र्छनलर्ों
को खािे के र्ाध्यर् से शऱीर र्ें पहुँ च जार्ें तो गंभ़ीर ब़ीर्ाररर्ों का कारण
बि जाता है |
9. नजसर्ें अंधापि, शऱीर के अंगों को लकवा र्ार जािा और श्वसि निर्ा
आनद का नवकार शानर्ल है । जब र्ह जल, कपडा धोिे अर्वा िहािे के
नलर्े निर्नर्त प्रर्ोग र्ें लार्ा जाता है तो त्चा रोग उत्पन्न हो जाता है ।
वार्ु प्रदू षण
भारत़ीर् शहर वाहिों और उद्योगों के उत्सजाि से प्रदू नित हैं । सडक पर वाहिों
के कारण उडिे वाल़ी धूल भ़ी वार्ु प्रदू िण र्ें 33% तक का र्ोगदाि करत़ी है ।
बंगलुरु जैसे शहर र्ें लगभग 50% बच्चे अथर्र्ा से प़ीनडत हैं । भारत र्ें 2005 के
बाद से वाहिों के नलए भारत रे ज दो (र्ूरो II) के उत्सजाि र्ािक लागू हैं ।
भारत र्ें वार्ु प्रदू िण का सबसे बडा कारण पररवहि क़ी व्यवथर्ा है । लाखों
पुरािे ड़ीजल इं जि वह ड़ीजल जला रहे हैं नजसर्ें र्ूरोप़ीर् ड़ीजल से 150 से 190
गुणा अनधक गंधक उपब्दथर्त है । बेशक सबसे बड़ी सर्स्या बडे शहरों र्ें है जहां
सर्स्या और लोगों से संबद्ध स्वास्थ्य जोब्दखर्ों पर प्रनतनिर्ा करते हुए ध़ीरे -ध़ीरे
लेनकि निनित रूप से कदर् उठा रह़ी है । पहल़ी बार 2001 र्ें र्ह निणार् नलर्ा
गर्ा नक सम्पूणा सावाजनिक र्ातार्ात प्रणाल़ी, टर े िों को छोड कर, कंप्रेथड गैस
(स़ीप़ीज़ी) पर चलिे लार्क बिाऱ्ी जाएग़ी. नवद् र्ुत् चानलत ररक्शा नडजाइि
नकर्ा जा रहा है और सरकार द्वारा इसपर ररर्ार्त भ़ी द़ी जाएग़ी परन्तु नदल्ल़ी
इस इलाके क़ी सभ़ी औद्योनगक इकाइर्ों को भ़ी बंद कर नदर्ा गर्ा। बडे शहरों
र्ें वार्ु प्रदू िण इस कदर बढ रहा है नक अब र्ह नवश्व स्वास्थ्य संगठि
(डब्ल्यूएचओ) द्वारा नदए गए र्ािक से लगभग 2.3 गुिा तक हो चुका है ।
वार्ु प्रदू षण के कारण
• जंगलों र्ें पेड पौधें के जलिे से, कोर्ले के जलिे से तर्ा तेल शोधि
कारखािों आनद से निकलिे वाला धुआँ।
वार्ु प्रदू िण हर्ारे वातावरण तर्ा हर्ारे ऊपर अिेक प्रभाव डालता है ।
• (1) हवा र्ें अवां नछत गैसों क़ी उपब्दथर्नत से र्िुष्य, पशुओं तर्ा पनक्षर्ों
को गंभ़ीर सर्स्याओं का सार्िा करिा पडता है । इससे दर्ा, सदी-खाँ स़ी,
अँधापि, श्रव का कर्जोर होिा, त्चा रोग जैस़ी ब़ीर्ाररर्ाँ पैदा होत़ी हैं ।
लंबे (लम्बे) सर्र् के बाद इससे जिनिक नवकृनतर्ाँ उत्पन्न हो जात़ी हैं
और अपि़ी चरर्स़ीर्ा पर र्ह घातक भ़ी हो सकत़ी है ।
• (2) वार्ु प्रदू िण से सनदा र्ों र्ें कोहरा छार्ा रहता है , इससे प्राकृनतक
दृश्यता र्ें कऱ्ी आत़ी है तर्ा आँ खों र्ें जलि होत़ी है ।
• (3) ओजोि परत, हर्ाऱी पृथ्व़ी के चारों ओर एक सुरक्षािक गैस क़ी
परत है । जो हर्ें सूर्ा से आिेवाल़ी हानिकारक अल्ट्र ावार्लेट नकरणों से
बचात़ी है । वार्ु प्रदू िण के कारण ज़ीि अपररवताि, अिुवाशंक़ीर् तर्ा
आिे वाल़ी गर्ी के कारण पर्ाा वरण र्ें काबाि डाइ आक्साइड, ऱ्ीर्ेि तर्ा
िाइटर स आक्साइड का प्रभाव कर् िह़ीं होता है , जो नक हानिकारक है ।
• (5) वार्ु प्रदू नित क्षेत्रों र्ें जब बरसात होत़ी है तो विाा र्ें नवनभन्न प्रकार क़ी
गैसें एवं नविैले पदार्ा घुलकर धरत़ी पर आ जाते हैं ,नजसे ‘अम्ल विाा ’ कहा
जाता है
ध्वतन प्रदू षण
शहरों एवं गाँ वों र्ें नकस़ी भ़ी त्योहार व उत्सव र्ें, राजिैनतक दलों के चुिाव प्रचार
व रै ल़ी र्ें लाउडस्प़ीकरों का अनिर्ंनत्रत इस्तेर्ाल/प्रर्ोग।
भारत र्ें भूनर् प्रदू िण क़ीटिाशकों और उवारकों के सार्-सार् क्षरण क़ी वजह
से हो रहा है ।र्ाचा 2009 र्ें पंजाब र्ें र्ुरेनिर्र् नविािता का र्ार्ला प्रकाश र्ें
आर्ा, इसका कारण ताप नवद् र्ुत् गृहों द्वारा बिार्े गए राख के तालाब र्े, इिसे
पंजाब के र्ऱीदकोट तर्ा भनटं डा नजलों र्ें बच्चों र्ें गंभ़ीर जन्मजात नवकार पाए
गए।
बढत़ी नबजल़ी क़ी जरुरत और कार् के नलए बढत़ी प्रकाश क़ी जरुरत इस
प्रकाश प्रदु िण का कारण बि सकता है |
प्रकाश प्रदु षण का कारण
र्ें पर्ाा वरण र्ें वार्ु, जल, भूनर्, पेड-पौधे, ज़ीव-जन्तु , र्ािव और उसक़ी नवनवध
गनतनवनधर्ों के पररणार् आनद सभ़ी का सर्ावेश होता है ।
भारत़ीर् संस्कृनत र्ें पर्ाा वरण के संरक्षण को बहुत र्हत्त्व नदर्ा गर्ा है । र्हाँ
र्ािव ज़ीवि को हर्ेशा र्ूता र्ा अर्ूता रूप र्ें पृथ्व़ी, जल, वार्ु , आकाश, सूर्ा,
चन्द्र, िद़ी, वृक्ष एवं पशु-पक्ष़ी आनद के साहचर्ा र्ें ह़ी दे खा गर्ा है । पर्ाा वरण
शब्द का अर्ा है हर्ारे चारों ओर का वातावरण। पर्ाा वरण संरक्षण का तात्पर्ा है
अिुकूल बिाए रखें। पर्ाा वरण और प्राण़ी एक-दू सरे पर आनश्रत हैं । र्ह़ी कारण
है नक भारत़ीर् नचन्ति र्ें पर्ाा वरण संरक्षण क़ी अवधारणा उति़ी ह़ी प्राच़ीि है ।
उस काल र्ें कोई रािऱीर् वि ि़ीनत र्ा पर्ाा वरण पर कार् करिे वाल़ी संथर्ाएँ
िह़ीं ऱ्ीं। पर्ाा वरण का संरक्षण हर्ारे निर्नर्त निर्ाकलापों से ह़ी जुडा हुआ
र्ा। इस़ी वजह से वेदों से लेकर काल़ीदास, दाण़्ी, पंत, प्रसाद आनद
भारत़ीर् दशाि र्ह र्ािता है नक इस दे ह क़ी रचिा पर्ाा वरण के र्हत्त्वपूणा
घटकों- पृथ्व़ी, जल, अनग्न, वार्ु और आकाश से ह़ी हुई है । सर्ुद्र र्ंर्ि से वृक्ष
जानत के प्रनतनिनध के रूप र्ें कल्पवृक्ष का निकलिा, दे वताओं द्वारा उसे अपिे
संरक्षण र्ें लेिा, इस़ी तरह कार्धेिु और ऐरावत हाऱ्ी का संरक्षण इसके
उदाहरण हैं । कृष्ण क़ी गोवधाि पवात क़ी पूजा क़ी शुरुआत का लौनकक पक्ष
र्ह़ी है नक जि सार्ान्य नर्ट्ट़ी, पवात, वृक्ष एवं विस्पनत का आदर करिा स़ीखें।
नसंधु सभ्यता क़ी र्ोहरों पर पशुओं एवं वृक्षों का अंकि, सम्राटों द्वारा अपिे राज-
नचन् के रूप र्ें वृक्षों एवं पशुओं को थर्ाि दे िा, गुप्त सम्राटों द्वारा बाज को पूज्
र्ाििा, र्ागों र्ें वृक्ष लगवािा, कुएँ खुदवािा, दू सरे प्रदे शों से वृक्ष र्ँगवािा आनद
वैनदक ऋनि प्रार्ािा करते हैं नक पृथ्व़ी, जल, औिनध एवं विस्पनतर्ाँ हर्ारे नलर्े
शाब्दन्तप्रद हों। र्े शाब्दन्तप्रद तभ़ी हो सकते हैं जब हर् इिका सभ़ी स्तरों पर
संरक्षण करें । तभ़ी भारत़ीर् संस्कृनत र्ें पर्ाा वरण संरक्षण क़ी इस नवराट
अवधारणा क़ी सार्ाकता है , नजसक़ी प्रासंनगकता आज इति़ी बढ गई है ।
पर्ाा वरण संरक्षण का सर्स्त प्रानणर्ों के ज़ीवि तर्ा इस धरत़ी के सर्स्त
प्राकृनतक पररवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है । प्रदू िण के कारण साऱी पृथ्व़ी दू नित हो
रह़ी है और निकट भनवष्य र्ें र्ािव सभ्यता का अन्त नदखाई दे रहा है ।
प्रकृनत के सार् अिेक विों से क़ी जा रह़ी छे डछाड से पर्ाा वरण को हो रहे
िुकसाि को दे खिे के नलर्े अब दू र जािे क़ी जरूरत िह़ीं है । नवश्व र्ें बढते बंजर
इलाके, र्ैलते रे नगस्ताि, कटते जंगल, लुप्त होते पेड-पौधों और ज़ीव जन्तु,
प्रदू िणों से दू नित पाि़ी, कस्ों एवं शहरों पर गहरात़ी गन्द़ी हवा और हर विा
अब इससे होिे वाले संकटों का प्रभाव नबिा नकस़ी भेदभाव के सर्स्त नवश्व,
विस्पनत जगत और प्राण़ी र्ात्र पर सर्ाि रूप से पड रहा है । आज पूरे नवश्व र्ें
लोग अनधक सुखर्र् ज़ीवि क़ी पररकल्पिा करते हैं । सुख क़ी इस़ी अस़ीर् चाह
का भार प्रकृनत पर पडता है । नवश्व र्ें बढत़ी जिसंख्या, नवकनसत होिे वाल़ी िई
हर् दे खते हैं नक हर्ारे ज़ीवि के त़ीिों बुनिर्ाद़ी आधार वार्ु, जल एवं र्ृदा आज
खतरे र्ें हैं । सभ्यता के नवकास के नशखर पर बैठे र्ािव के ज़ीवि र्ें इि त़ीिों
प्रकृनत प्रदर्त् उपहारों का संकट बढता जा रहा है । बढते वार्ु प्रदू िण के कारण
ि केवल र्हािगरों र्ें ह़ी बब्दल्क छोटे -छोटे कस्ों और गाँ वों र्ें भ़ी शुद्ध प्राणवार्ु
नर्लिा दू भर हो गर्ा है , क्ोंनक धरत़ी के र्ेर्डे वि सर्ाप्त होते जा रहे हैं ।
वृक्षों के अभाव र्ें प्राणवार्ु क़ी शुद्धता और गुणवर्त्ा दोिों ह़ी घटत़ी जा रह़ी है ।
वार्ु प्रदू िण के नलर्े वाहि भ़ी कर् उर्त्रदाई िह़ीं हैं । बसों, कारों, टर कों, र्ोटर-
साइनकलों, स्कूटर, रे लों आनद सभ़ी र्ें पेटरोल अर्वा ड़ीजल ईंधि के रूप र्ें
प्रर्ुि नकर्े जाते हैं । इिसे भाऱी र्ात्रा र्ें दर् घोंटिे वाला काला धुआँ निकलता
र्ह रासार्निक धूर् कोहरा र्ािव के नलर्े बहुत खतरिाक है । हर्ारे नलर्े हवा
सवेक्षण र्ें कहा गर्ा है नक हर्ारे दे श र्ें सतह के जल का 80 प्रनतशत भाग बुऱी
ब्दथर्नत को ध्याि र्ें रखकर सि् 1992 र्ें ब्राज़ील र्ें नवश्व के 174 दे शों का 'पृथ्व़ी
इसके पिात सि् 2002 र्ें जोहान्सबगा र्ें पृथ्व़ी सिेलि आर्ोनजत कर नवश्व के
गर्े। वस्तुतः पर्ाा वरण के संरक्षण से ह़ी धरत़ी पर ज़ीवि का संरक्षण हो सकता
है , अन्यर्ा र्ंगल ग्रह आनद ग्रहों क़ी तरह धरत़ी का ज़ीवि-चि भ़ी सर्ाप्त हो
जार्ेगा।
पर्ाावरण संरक्षण की तवतिर्ां
पर्ाा वरण प्रदू िण के कुछ दू रगाऱ्ी दु ष्प्रभाव हैं , जो अत़ीव घातक हैं ,
जैसे आणनवक नवस्फोटों से रे नडर्ोधनर्ाता का आिुवां नशक
प्रभाव, वार्ुर्ण्ल का तापर्ाि बढिा, ओजोि परत क़ी हानि, भूक्षरण आनद
ऐसे घातक दु ष्प्रभाव हैं । प्रत्यक्ष दु ष्प्रभाव के रूप र्ें जल, वार्ु तर्ा पररवेश का
दू नित होिा एवं विस्पनतर्ों का नविि होिा, र्ािव का अिेक िर्े रोगों से
आिान्त होिा आनद दे खे जा रहे हैं । बडे कारखािों से नविैला अपनशि बाहर
निकलिे से तर्ा प्लाब्दरक आनद के कचरे से प्रदू िण क़ी र्ात्रा उर्त्रोर्त्र बढ रह़ी
है ।
अपिे पर्ाा वरण को बेहतर बिािे के नलए हर्ें सबसे पहले अपि़ी र्ुख्य जरूरत
‘जल’ को प्रदू िण से बचािा होगा। कारखािों का गंदा पाि़ी, घरे लू, गंदा पाि़ी,
िानलर्ों र्ें प्रवानहत र्ल, स़ीवर लाइि का गंदा निष्कानसत पाि़ी सऱ्ीपथर् िनदर्ों
उपजाऊ भूनर् भ़ी नविैल़ी हो जात़ी है । उसर्ें उगिे वाल़ी र्सल व सब्दिर्ां भ़ी
पौनिक तत्ों से रनहत हो जात़ी हैं नजिके सेवि से अवनशि ज़ीवििाश़ी रसार्ि
र्ािव शऱीर र्ें पहुं च कर खूि को नविैला बिा दे ते हैं । कहिे का तात्पर्ा र्ह़ी है
नक र्नद हर् अपिे कल को स्वथर् दे खिा चाहते हैं तो आवश्यक है नक बच्चों को
पर्ाा वरण सुरक्षा का सर्ुनचत ज्ञाि सर्र्-सर्र् पर दे ते रहें । अच्छे व र्ंहगें ब्रां ड
के कपडे पहिािे से कह़ीं र्हत्पूणा है उिका स्वास्थ्य, जो हर्ारा भनवष्य व
उिक़ी पूंज़ी है ।
आज वार्ु प्रदू िण िे भ़ी हर्ारे पर्ाा वरण को बहुत हानि पहुं चाई है । जल प्रदू िण
चलिे वाले वाहिों के पाइपों से और इं जिों से निकलिे वाल़ी गैसें तर्ा धुआं,
िाइटर ोजि, सशफ्यूररक एनसड, िाइनटर क एनसड प्रनत क्षण वार्ुर्ंडल र्ें घुलते
रहते हैं । वस्तुतः वार्ु प्रदू िण सवाव्यापक हो चुका है ।
सह़ी र्ार्िों र्ें पर्ाा वरण पर हर्ारा भनवष्य आधाररत है , नजसक़ी बेहतऱी के नलए
ध्वनि प्रदू िण को और भ़ी ध्याि दे िा होगा। अब हाल र्ह है नक र्हािगरों र्ें ह़ी
िह़ीं बब्दल्क गाँ वों तक र्ें लोग ध्वनि नवस्तारकों का प्रर्ोग करिे लगे हैं । बच्चे के
जन्म क़ी खुश़ी, शाद़ी-पाटी सभ़ी र्ें ड़ी.जे. एक आवश्यकता सर्झ़ी जािे लग़ी
है । जहां गाँ वों को नवकनसत करके िगरों से जोडा गर्ा है । वह़ीं र्ोटर साइनकल
व वाहिों क़ी नचल्ल-पों र्हािगरों के शोर को भ़ी र्ुँह नचढात़ी िजर आत़ी है ।
औद्योनगक संथर्ािों क़ी र्श़ीिों के कोलाहल िे ध्वनि प्रदू िण को जन्म नदर्ा है ।
अिावृनि जैसे दु ष्पररणार् सार्िे आ रहे हैं , नजन्ें दे खते हुए अपिे बेहतर कल
के नलए ‘5 जूि’ को सर्स्त नवश्व र्ें ‘पर्ाा वरण नदवस’ के रूप र्ें र्िार्ा जा रहा है ।
बडा होगा।
उपर्ुाि सभ़ी प्रकार के प्रदू िण से बचिे के नलए र्नद र्ोडा सा भ़ी उनचत नदशा
र्ें प्रर्ास करें तो बचा सकते हैं अपिा पर्ाा वरण। सवाप्रर्र् हर्ें जिानधक् को
निर्ंनत्रत करिा होगा। दू सरे जंगलों व पहाडों क़ी सुरक्षा पर ध्याि नदर्ा जाए।
दे खिे र्ें जाता है नक पहाडों पर रहिे वाले लोग कई बार घरे लू ईंधि के नलए
जंगलों से लकड़ी काटकर इस्तेर्ाल करते हैं नजससे पूरे के पूरे जंगल स्वाहा हो
जाते हैं । कहिे का तात्पर्ा है जो छोटे -छोटे व बहुत कर् आबाद़ी वाले गां व हैं
उन्ें पहाडों पर सडक, नबजल़ी-पाि़ी जैसे सुनवधाएं र्ुहैर्ा करािे से बेहतर है
उन्ें प्लेि र्ें नवथर्ानपत करें । इससे पहाड व जंगल कटाि कर् होगा, सार् ह़ी
पर्ाा वरण भ़ी सुरनक्षत रहे गा।
पर्ाावरण के संरक्षण संबंिी कानून
पर्ाा वरण संबंध़ी कािूि पर्ाा वरण के संरक्षण व प्राकृनतक संसाधिों के उपर्ोग
को निर्ंनत्रत करिे र्ें एक बहुत ह़ी र्हत्त्वपूणा भूनर्का निभाते हैं । पर्ाा वरण-
पाठ र्ें आप कुछ र्हत्त्वपूणा पर्ाा वरण़ीर् कािूिों के नविर् र्ें जािकाऱी प्राप्त
करें गे। भारत़ीर् (थर्ाि़ीर्) कािूिों को अंग्रेज़ी र्ें ‘एक्ट् स’ कहा जाता है , जबनक
अन्तररािऱीर् कािूि व निर्र् सर्झौता, नवज्ञब्दप्त व संनध के िार्ों से जािे जाते हैं ।
डाल दे ग़ी। इि निर्र्ों को लागू करिा दू सरा र्ुख्य पहलू है । पर्ाा वरण को और
क़ी आवश्यकता है । दु ि लोगों, जंगल के र्ानर्र्ा ग्रुप, नशकाररर्ों, प्रदू िकों एवं
नक पर्ाा वरण़ीर् सर्स्याएँ र्ूल रूप से वैनश्वक हैं , नसर्ा थर्ाि़ीर् िह़ीं हैं । अतः
ऐस़ी सर्स्याओं के निवारण के नलर्े पर्ाा वरण संबंध़ी कािूि ि केवल रािऱीर्
प्राकृनतक संसाधिों के संरक्षण के नलर्े कोई प्रावधाि िह़ीं र्ा। परन्तु 1972 र्ें
रॉकहोर् र्ें हुए संर्ुि रािर क़ी र्ािव़ीर् पर्ाा वरण से संबंनधत कॉन्रेंस के
पिात, भारत़ीर् संनवधाि र्ें संशोधि नकर्ा गर्ा और उसर्ें पर्ाा वरण के संरक्षण
को एक र्हत्त्वपूणा थर्ाि नदर्ा गर्ा।
भारत़ीर् संनवधाि के अिुच्छेद-51ए (51 A) र्ें 42वां संशोधि, पर्ाा वरण के संरक्षण
रखे।’’
पर्ाा वरण के संरक्षण व बेहतऱी के नलर्े केन्द्र द्वारा प्रदे शों को एक निदे श जाऱी
नकर्ा गर्ा है । नजसे राजक़ीर् ि़ीनत निदे श आधार का दजाा प्राप्त है । अिुच्छेद
भारत र्ें सि 1980 र्ें दे श र्ें स्वथर् पर्ाा वरण के नवकास के नलर्े पर्ाा वरण नवभाग
क़ी थर्ापिा हुई ऱ्ी। र्ह़ी नवभाग, आगे चलकर, सि 1985 र्ें पर्ाा वरण और वि
र्ंत्रालर् कहलार्ा। इस र्ंत्रालर् क़ी र्ुख्य नजिेदाऱी पर्ाा वरण संबंध़ी कािूिों
हर्ारे संनवधाि के प्रावधाि कई कािूिों का सहारा लेते हैं , नजन्ें हर् एक्ट और
निर्र्ों के िार् से जािते हैं । हर्ारे अनधकां श पर्ाा वरण-संबंध़ी कािूि व निर्र्
नवधािसभा व राज् सभाओं द्वारा निनर्ात कािूि हैं । र्े एक्ट प्रार्ः अपि़ी कार्ा
शब्दि को निर्ंत्रक एजेंनसर्ों को प्रसाररत करते हैं , जोनक उिके लागूकरण क़ी
तैर्ाऱी करत़ी है । भोपाल गैस दु घाटिा के पिात पर्ाा वरण संरक्षण कािूि
(Environment Protection Act, EPA) सि 1986 र्ें तैर्ार होकर सार्िे आर्ा।
इसे एक र्ुख्य कािूि र्ािा जा सकता है क्ोंनक र्े वतार्ाि कािूिों क़ी कई
कनर्र्ों को पूरा करता है । इसके पिात तो नवनशि पर्ाा वरण़ीर् सर्स्याओं को
संबोनधत करिे के नलर्े कई पर्ाा वरण़ीर् कािूिों का नवकास हुआ है । उदाहरण
के नलर्े अभ़ी हाल के विों र्ें ह़ी स़ी.एि.ज़ी. का प्रर्ोग, नदल्ल़ी प्रदे श र्ें
सावाजनिक र्ातार्ात के वाहिों के नलर्े अनिवार्ा कर नदर्ा गर्ा है । इसके
र्लस्वरूप नदल्ल़ी के वार्ु प्रदू िण क़ी र्ात्रा कर् हो गई है ।
पर्ाा वरण के सभ़ी घटकों र्ें, वार्ु और जल सभ़ी ज़ीव-जन्तुओं क़ी उर्त्रज़ीनवता
के नलर्े सबसे र्ूलभूत आवश्यकताएँ है । अतः उिको अविनर्त होिे से बचािे
- जल एक्ट (कािूि)
प्रत्येक श्रेण़ी के कुछ र्हत्त्वपूणा कािूिों के बारे र्ें संनक्षप्त नववरण ि़ीचे हुआ है ः
गऱ्ी हैं :-
तर्ा र्ह बोडा र्ेब्दक्टरर्ों द्वारा पाि़ी र्ें छोडे गए प्रदू नित पदार्ों क़ी र्ात्रा को सह़ी
र्ापदं ड थर्ानपत करके निर्ंनत्रत करता है । एक केंद्ऱीर् प्रदू िण निर्ंत्रण बोडा
र्ह़ी कार्ा केन्द्रशानसत प्रदे शों के नलर्े करता है व नवनभन्न राजक़ीर् बोडों के
नलर्े ि केवल ि़ीनतर्ाँ बिाता है बब्दल्क उिके नवनभन्न प्रकार के कार्ाकलापों र्ें
2. राज् प्रदू िण निर्ंत्रण बोडा वानहत र्ल व औद्योनगक बनहस्राा वों के निकास का
अिुर्ोदि, अस्व़ीकृनत र्ा कुछ शतों जब वे इिको नवसनजात करिे पर अिुर्नत
अिुरूप चले , जैसे पऱीक्षण के नलर्े आर्े कार्ा को सब्दिनलत करके, उपकरणों
का पऱीक्षण करके व नकस़ी भ़ी कुएँ , झरिे, िाले से पाि़ी का िर्ूिा लेकर उसका
अपराध़ी कार्ावाह़ी क़ी जात़ी ऱ्ी व न्यार्ाध़ीशों द्वारा प्रदू िकों को निर्ंत्रण र्ें लािे
गई है ।
प्राप्त करिे के उद्दे श्य से पाररत नकर्ा र्ा। र्ह कािूि प्रदू िण निर्ंत्रण के नलर्े
आनर्ाक स्तर का प्रेरक है और इसके तहत थर्ाि़ीर् अनधकाररर्ों व कुछ चुिे हुए
उद्योगों को पाि़ी के नलर्े कर (सेस) दे िा पडता है । इस कर से प्राप्त आर् को
काटिे के पिात, केंद्ऱीर् सरकार, केंद्ऱीर् बोडा व राज्ों को नजतिा जरूऱी हो,
उतिा पैसा दे त़ी है । प्रदू िण के निर्ंत्रण र्ें पूँज़ी निवेश को प्रोत्सानहत करिे के
नलर्े, र्ह कािूि प्रदू िण र्ैलािे वाले को कर क़ी र्ात्रा पर 70 % क़ी छूट दे त़ी है ।
नकर्ा। इस कािूि के र्ुख्य उद्दे श्य वार्ु क़ी गुणवर्त्ा र्ें सुधार व दे श र्ें वार्ु
प्रदू िण से बचाव व उसका निर्ंत्रण एवं कर् करिा है । इस कािूि क़ी र्हत्त्वपूणा
नवस्तृत कर नदर्ा। इसर्ें अब वार्ु प्रदू िण निर्ंत्रण भ़ी शानर्ल होिे लगा।
2. नजि राज्ों के जल प्रदू िण बोडा िह़ीं र्े, उिके नलर्े वार्ु प्रदू िण बोडों क़ी
3. वार्ु कािूि के अंतगात, वार्ु प्रदू िण निर्ंत्रण क्षेत्रों के अध़ीि कार्ा करत़ी सब
4. आस-पास के पर्ाा वरण क़ी वार्ु क़ी गुणवर्त्ा को िोट करिे के पिात और
केन्द्ऱीर् बोडा से सलाह करिे के बाद, राज्ों को र्ह अनधकार नदर्ा गर्ा है नक वे
नकर्ा र्ा, वे कार्ा हैं : पऱीक्षण के नलर्े प्रवेश करिे क़ी सार्थ्ा , र्ंत्रों का पऱीक्षण
व अन्य उद्दे श्य भ़ी। धुंएदाि र्ा नचर्निर्ों से निकाले गए धुएँ, धूल र्ा ऐसे ह़ी
नकस़ी बाहऱी साधि से होिे वाले प्रदू िण के नवश्लेिण के उद्दे श्य से निकाले गए
कार्ावाह़ी करिे क़ी नवनध से संचानलत होता र्ा। सि 1987 का र्ह संशोधि लागू
करिे क़ी प्रणाल़ी को सशि बिार्ा गर्ा और उल्लंघि क़ी ब्दथर्नत र्ें कड़ी
कार्ावाह़ी को भ़ी करिे का अनधकार प्राप्त नकर्ा। अब, बोडों को र्ह अनधकार
है नक वे उल्लंघि करिे वाले उद्योग को र्ा तो बंद करा दे र्ा नबजल़ी व पाि़ी क़ी
के संशोधि िे वार्ु कािूि र्ें ि केवल एक िागररक के र्ुकदर्े दार्र करिे क़ी
बचाव, निर्ंत्रण व प्रदू िण को कर् करिे क़ी नदशा र्ें कदर् उठािे का पूणा
भोपाल गैस दु घाटिा के पिात, भारत सरकार िे सि 1986 र्ें पर्ाा वरण़ीर् (बचाव)
कािूि पाररत नकर्ा। इस कािूि का र्ुख्य उद्दे श्य सि 1972 र्ें संर्ुि रािर
र्ािव़ीर् पर्ाा वरण के सिेलि र्ें नलर्े गए निणार्ों को लागू करिा र्ा। जहाँ तक
नक वे र्ािव़ीर् पर्ाावरण के संरक्षण व सुधारों तर्ा अन्य लोगों, ज़ीव-जन्तुओ,ं
कािूि।
इस कािूि र्ें, र्ुख्य रूप से ‘पर्ाा वरण’ पर जोर नदर्ा गर्ा है - नजसक़ी पररभािा
र्ें ि नसर्ा पाि़ी, वार्ु और भूनर् सब्दिनलत हैं बब्दल्क हवा, पाि़ी, भूनर्, र्िुष्यों,
अन्य ज़ीव-जन्तुओ,ं पौधों, ज़ीवाणुओं व प्रकृनत संपनर्त् र्ें आपस के संबंध भ़ी
शानर्ल हैं । ‘पर्ाा वरण़ीर् प्रदू िण’ क़ी पररभािा इस प्रकार भ़ी क़ी जा सकत़ी है -
र्ह नकस़ी भ़ी ठोस, द्रव अर्वा गैस़ीर् तत् र्ा प्रदू िक का ऐस़ी र्ात्रा र्ें नवद्यर्ाि
खतरिाक र्ा संकटदाऱ्ी तत्ों’ क़ी श्रेण़ी र्ें कोई भ़ी ऐसा तत् र्ा नर्र ऐस़ी कोई
बातों के नलर्े नजिेदाऱी द़ी गई है , जैसे पर्ाा वरण क़ी गुणवर्त्ा (पररवेश़ी स्तर) के
बचाव क़ी नवनधर्ाँ तर्ा पर्ाा वरण़ीर् प्रदू िण से संबंनधत जािकाऱी का संकलि
करिा है ।
निर्ंत्रण के आदे श अर्वा नकस़ी भ़ी उद्योग, प्रनिर्ा व कार्ा के नलर्े प्रर्ोग र्ें आ
रह़ी नबजल़ी, पाि़ी र्ा अन्य सेवा को रोकिे र्ा निर्ंनत्रत करिे के आदे श। इस़ी के
तहत केंद्ऱीर् सरकार को एक और अनधकार नदर्ा गर्ा। उिर्ें पऱीक्षण के नलर्े
आगर्ि क़ी स्व़ीकृनत/अस्व़ीकृनत प्रदाि करिा, र्ंत्रों के पऱीक्षण व अन्य उद्दे श्य
तर्ा नकस़ी भ़ी थर्ाि के जल, वार्ु, भूनर् र्ा अन्य वस्तु के नवश्लेिण करिे का
अनधकार शानर्ल है ।
5. र्ह कािूि निर्ोनजत निर्ंत्रक र्ापदं डों से अनधक र्ात्रा के पर्ाा वरण़ीर्
के उपर्ोग करिे पर भ़ी एक नवनशि प्रनतबंध है । इसके नलर्े भ़ी कुछ निर्ंत्रक
है तो उन्ें तुरंत अपिे गलत कार् के बारे र्ें सरकाऱी अनधकाररर्ों के सार्िे
सर्ाई दे ि़ी होग़ी एवं स्वर्ं उस प्रदू िण को कर् करिे के नलर्े कारगार कदर्
उठािे चानहए।
6. इस कािूि के उल्लंघि क़ी ब्दथर्नत र्ें दं ड भ़ी निधाा ररत नकर्ा गर्ा है । कोई भ़ी
व्यब्दि जो इस कािूि के अंतगात आिे वाले निदे शों व निर्र्ों र्ा नदशाओं
(र्ािदं डों) का उल्लंघि करता है । वह सजा पािे के अनधकार र्ें आ जाता है ।
हर ऐसे उल्लंघि के नलर्े, पाँ च साल तक क़ी जेल र्ा नर्र एक लाख रुपए तक
का जुर्ाा िा र्ा दोिों को एक सार् भरिा पडता है । र्ह कािूि, इसके अलावा,
निरं तर उल्लंघि क़ी ब्दथर्नत र्ें प्रनतनदि 5000 रुपए का अनतररि जुर्ाा िा भ़ी
लगाता है । पहले उल्लंघि के पिात, अगर कोई भ़ी ऐस़ी गलत़ी एक विा के बाद
द़ी गऱ्ी नतनर् तक लगातार क़ी जात़ी है , तब गलत़ी करिे वाले को सात साल क़ी
7. पर्ाा वरण़ीर् (बचाव) का र्ह कािूि कुछ ऐसे प्रवतािों को भ़ी अपिे र्ें
सब्दिनलत करता है जो नकस़ी अन्य कािूि-निर्र् र्ें िह़ीं हैं । इससे इसका
लागूकरण अनधक प्रभावशाल़ी हो जाता है । सेक्शि 19 इस अनधकार को प्रदाि
िागररक अनधकार के अिुसार कोई भ़ी व्यब्दि 60 नदि के िोनटस काल र्ें
उल्लंघि क़ी नशकार्त केंद्ऱीर् सरकार र्ा उपर्ुि अनधकाररर्ों र्ें कर सकता
भारत उि कुछ दे शों र्ें से एक है जहाँ वि ि़ीनत 1984 से नवद्यर्ाि ऱ्ी। वि व वन्य
ज़ीवि कािूि दोिों ि़ीचे नदए गर्े कािूि के अन्तगात आते हैं :
सि 1972 र्ें संसद िे वन्य ज़ीवि कािूि (बचाव) को पाररत नकर्ा। इस कािूि र्ें
राज् वन्यज़ीवि सलाहकार बोडा , जंगल़ी पशुओं व पनक्षर्ों के नशकार पर
निर्ंत्रण, वन्य ज़ीवि से भरपूर अभ्यारण्ों एवं िेशिल पाकों क़ी थर्ापिा, जंगल़ी
पशुओं के व्यापार पर निर्ंत्रण, पशु उत्पादि इत्यानद व कािूि के उल्लंघि पर
कािूि़ी सजा। कािूि के शेड्यूल I र्ें द़ी गई संकटापन्न ज़ीवों क़ी श्रेण़ी को हानि
पहुँ चािा, संपूणा भारत र्ें प्रनतबंध आनद शानर्ल हैं । अिुज्ञापत्र द्वारा निम्ननलब्दखत
श्रेनणर्ों का निर्ंत्रण नकर्ा जाता है नशकार के ज़ीव-जन्तु नवशेिकर वे नजन्ें
संरक्षण क़ी जरूरत है (शेड्यूल II) प़ीडक जन्तु जैस़ी कुछ श्रेनणर्ों को (शेड्यूल
वनर्ाि (Vermin) क़ी श्रेण़ी र्ें वगीकृत नकर्ा गर्ा है नजिका नबिा नकस़ी रोकटोक
भारत र्ें खतरे र्ें पड़ी पेड-पौधों व जन्तु क़ी श्रेनणर्ों के अन्तररािऱीर् व्यापार के
सर्झौता का एक भाग़ीदार है । (CITES, 1976) इस सर्झौते के र्ुतानबक
पहले वि अनधनिर्र् (कािूि) को सि 1927 र्ें पाररत नकर्ा गर्ा र्ा। र्ह अभ़ी
तक नवद्यर्ाि कई उपनिवेश़ीर् कािूिों र्ें से एक है । इसको पाररत करिे के
त़ीि कारण र्े- विों से संबंनधत कािूिों को सुदृढ करिा, वन्य पदार्ों का
पररवहि व लकड़ी और अन्य वन्य पदार्ों पर कर लगािे से संबंनधत र्ा। इसके
करिे के नलर्े पाररत नकर्ा गर्ा। सि 1927 का कािूि विों क़ी चार श्रेनणर्ों
नजसर्ें संरनक्षत वि, ग्रार् वि, निज़ी वि व आरनक्षत वि सब्दिनलत नकए गए हैं ।
वि का दजाा दे कर, इि विों से निकले पदार्ों को बेच सके। आरनक्षत विों र्ें
जेल हो जात़ी है । नजि आरनक्षत विों को ग्राऱ्ीण सर्ुदार् को नदर्ा गर्ा है , उन्ें
भारत क़ी जैनवक संसाधिों क़ी प्रचुरता और उससे संबंनधत थर्ाि़ीर् ज्ञाि क़ी
उद्दे श्य क़ी प्राब्दप्त के नलर्े एक नवस्तृत नवचार-नवर्शा के पिात जैनवक नवनवधता
पर अनधनिर्र् तैर्ार नकर्ा गर्ा। इस कािूि का उद्दे श्य जैनवक संसाधिों क़ी
प्रस्तानवत हुआ र्ा उसे निऱीक्षण, इत्यानद के नलर्े संसद क़ी नवज्ञाि, तकि़ीक़ी,
इस कािूि का र्ुख्य उद्दे श्य भारत क़ी प्रचुर जैवनवनवधता का संरक्षण व नवदे श़ी
व्यब्दिर्ों व संगठिों द्वारा हर्ाऱी जािकाऱी का नबिा अिुर्नत के प्रर्ोग को
रोकिा है । र्ह ि़ीनत जैनवक संपदा क़ी लूट को रोकिे के नलर्े भ़ी बि़ी है । र्ह
कािूि रािऱीर् जैवनवनवधता अनधकार बोडा (National Biodiversity Authority, NBA)
प्रर्ोग करवािा है ।
के प्रर्ोग के नलर्े उन्ें एि. ब़ी. ए. क़ी पूवा अिुर्नत लेि़ी पडे ग़ी। भारत़ीर्
व्यब्दिर्ों/संगठिों को भ़ी र्नद नवदे श़ी व्यब्दिर्ों र्ा संगठिों के सार् र्ा तो कोई
नवतरण कर सके। भारत के अंदर र्ा बाहर, नकस़ी भ़ी रूप र्ें आई.प़ी.आर.
(Intellectual Property Rights, बौब्दद्धक सम्पनर्त् का अनधकार) के आवेदि अर्वा
नकस़ी जैनवक स्रोत पर आधाररत िव़ीि र्ंत्र को प्राप्त करिे के नलर्े, एि.ब़ी.ए. क़ी
पूवा अिुर्नत लेिा आवश्यक है । पारं पररक ज्ञाि के बचाव के नलर्े इस कािूि र्ें
एक प्रावधाि है ।
दृनिकोण से, रािऱीर् परं परा थर्लों (National Heritage Sites) के अनधसूचिा क़ी
पहचाि क़ी जात़ी है । इसके अलावा अन्य पदार्ों के अनधसूचिा क़ी भ़ी व्यवथर्ा
है , तर्ा कुछ क्षेत्रों र्ें कर, इत्यानद क़ी र्ाऱ्ी भ़ी है । इसका उद्दे श्य सार्ान्यतर्ा
नसद्ध हो।
र्ह नवधेर्क केंद्ऱीर् और राज् बोडों और थर्ाि़ीर् कर्ेनटर्ों क़ी त़ीि स्तर क़ी
व्यवथर्ा के र्ाध्यर् से ि केवल जैनवक संपदा क़ी लूट को रोकिे र्ें सहार्क है ,
बब्दल्क वह थर्ाि़ीर् नकसािों और जैनवक नवनवधता का भ़ी संरक्षण करता है । र्े
पौधों एवं पशुओं क़ी जिि संसाधिों तक पहुँ च को निर्ंनत्रत करते हैं और लाभों
का सह़ी नवतरण करते हैं । नवदे नशर्ों द्वारा पहुँ च के सब र्ार्ले प्रस्तानवत रािऱीर्
भारत क़ी नकस़ी भ़ी पारं पररक जािकाऱी अर्वा जैनवक साधि पर आधाररत िई
रचिा के बौब्दद्धक संपनर्त् अनधकार को प्राप्त करिे के नलर्े इस आर्ोग क़ी
आवश्यकता होग़ी। र्ह आर्ोग अन्य दे शों र्ें ऐसे अनधकार प्रदाि करिे का
नवरोध करे गा। एि.ब़ी.ए. एक िागररक अदालत क़ी भूनर्का निभार्ेगा। इसके
अनतररि केन्द्र उस ब्दथर्नत र्ें राज्ों को निदे श जाऱी करे गा, जहाँ उसे र्हसूस
होता है नक प्राकृनतक रूप से सम्पन्न नकस़ी क्षेत्र र्ें जरूरत से ज्ादा उपर्ोग के
आर्ोगों द्वारा पाररत निर्र्ों के तरह निर्र् बिा सके और ि ह़ी वैनश्वक स्तर पर
निभार होिा पडता है । बहुद्दे श़ीर् स्तर के कुछ र्ुद्दों का संबोधि उि ि़ीनतर्ों,
सर्झौतों व संनधर्ों का नर्ला-जुला कार्ा है नजन्ें हर् आर् तौर से अन्तररािऱीर्
को र्ाििे क़ी सहर्नत दे द़ी है , उन्ें पाटी के िार् से बुलार्ा जाता है । र्ह
सर्झौता एक ढाँ चे को प्रदाि करता है नजसका आदर ि केवल हर एक पाटी
को करिा पडे गा, बब्दल्क हर पाटी का र्ह कताव्य है नक वह खुद क़ी रािऱीर्
करें ।
संबंध भ़ी है । इसका अर्ा र्ह हुआ नक जलवार्ु का प्रोटोकॉल जलवार्ु सर्झौते
से संबंनधत नसद्धां तों व र्ुद्दों र्ें भाग़ीदार है । प्रोटोकॉल सर्झौते र्ें द़ी गई
जािकाऱी पर िई आगे क़ी िई-िई बातों को नवकनसत करता है । र्ह सर्झौते र्ें
करता है । संर्ुि रािर क़ी शैनक्षक, वैज्ञानिक और सां स्कृनतक संगठि (र्ूिेस्को)
इस सर्झौते क़ी निवेशक क़ी भूनर्का र्ें है तर्ा इसका र्ुख्य कार्ाा लर् (रार्सर
ब्यूरो), ग्लाण्, ब्दस्वटजरलैंड र्ें ब्दथर्त है । सि 1981 र्ें भारत िे इस सर्झौते पर
इस सर्झौते के उद्दे श्य जल़ीर् भूनर् क़ी हानि को रोकिा व पेड-पौधों, पशुओं
और उिसे संबंनधत पर्ाा वरण़ीर् प्रनिर्ाओं का संरक्षण है । पानटा र्ों के कताव्यों र्ें
2. आद्रा भूनर् वाले थर्लों नजिर्ें र्ैंग्रोव शानर्ल हैं के बुब्दद्धर्ता से नकए प्रर्ोग को
प्रोत्सानहत करिा।
3. प्राकृनतक संरक्षणों क़ी थर्ापिा द्वारा आद्रा क्षेत्रों के संरक्षण को प्रोत्साहि दे िा।
4. वाटर र्ाउल (Water foul) के लाभ के नलर्े जल़ीर् क्षेत्रों का संचालि सर्झौते र्ें
करिा।
र्ा दो से अनधक दे शों के ब़ीच पडत़ी आद्रा भूनर्, आपस र्ें नवतररत जल-
व्यवथर्ाएँ , प्रजानतर्ों का भाग और आद्रा क्षेत्रों क़ी र्ोजिाओं के नवकास के संदभा
र्ें।
मॉम्मरर र्ल प्र ट कॉल (Montreal Protocol)
नवश्वभर के नवनभन्न दे शों िे नवर्िा र्ें सि 1985 र्ें हुए ओजोि संरक्षण से संबंनधत
अनधवेशि र्ें भाग नलर्ा। इस अनधवेशि के र्ाध्यर् से, दु निर्ा के नवनभन्न दे शों िे
खुद को ओजोि स्तर के बचाव के नलर्े बहस क़ी। वे इस सहर्नत पर भ़ी पहुँ चे
करता है ।
1987 र्ें नवनभन्न दे शों िे पदार्ों के र्ॉनटर र्ल प्रोटोकॉल पर सहर्नत क़ी। इसर्ें, तब
बाऱी-बाऱी से पाररत हुआ र्ा तर्ा इसर्ें पाँ च संशोधि करके इिको सशि
नकर्ा गर्ा र्ा। प्रोटोकॉल का उद्दे श्य र्ािव निनर्ात उि पदार्ों के प्रर्ोग र्ें कऱ्ी
लािा र्ा नजिसे ओजोि पता को हानि पहुँ चािे वाले नवनकरण निकलते हैं , को
कर् करिा एवं सर्ाप्त करिा र्ा। नवर्िा बैठक एवं र्ॉनटर र्ल प्रोटोकॉल को
सबसे अनधक प्रभाव़ी र्ुनहर् र्ािा जाता है एवं संभवतः भनवष्य र्ें ओजोि के
अपक्षर् करिे वाले रसार्िों को वार्ुर्ंडल को नवकररत होिे से बचाएँ ।
र्ॉनटर र्ल प्रोटोकॉल त़ीि प्रकार क़ी बातों के प्रोटोकॉल के निर्ंत्रक के रूप र्ें,
आनर्ाक प्रोत्साहि दे िे के कार् आता है । (1) र्ां गों के क्षेत्र र्ें प्रवेश (2) गैर-पानटा र्ों
के सार् व्यापार पर निर्ंत्रण और (3) अिुसंधाि व तकि़ीकों के थर्ािान्तरण को
ब्दथर्त 290 केंद्र स़ी-प़ी-स़ी- व़ी- (केंद्ऱीर् प्रदू िण निर्ंत्रण सनर्नत) द्वारा र्ॉि़ीटर
चुिौत़ी हैं । र्ह र्ुख्यतः नबजल़ी, ऊष्मा व र्ातार्ात के नलर्े, ज़ीवाश्म ईंधि
(कोर्ला, तेल एवं गैस) के जलािे के र्ाध्यर् से औद्योनगक दे शों द्वारा निष्कानसत
तर्ा अब तक हवा र्ें गैस छोडे जािे के कारण, जलवार्ु पररवताि को रोकिा
अब कुछ कनठि हो गर्ा है । नर्र भ़ी, अगर हर् अभ़ी भ़ी हवा र्ें इि गैसों के
उत्सजाि को कर् कर सकें, तब भ़ी हर् इसके सबसे अनधक दु ष्प्रभावों से बच
सकते हैं ।
जूि 1992 र्ें ररर्ो ड़ी जेिेररर्ो र्ें संर्ुि रािर क़ी पर्ाा वरण व नवकास अनधवेशि
क़ी र्हत्त्वपूणा अन्तररािऱीर् संनध क़ी पहल को जलवार्ु पररवताि पर संर्ुि रािर
उस सर्र् तक प्राप्त करिा होगा नजसर्ें पर्ाा वरण व्यवथर्ा जलवार्ु पररवताि
नवकास हो पाए।
क्ोटो, जापाि र्ें नदसम्बर 1997 र्ें ‘क्ोटो प्रोटोकॉल’ पर सहर्नत हुई ऱ्ी। र्ह
5 जूि, सि 1992 को संर्ुि रािर संघ के पर्ाा वरण एवं नवकास पर हुए सिेलि
(र्ा पृथ्व़ी सिेलि) जो ररर्ो ड़ी जेिेररर्ो र्ें हुआ र्ा, के दौराि जैनवक नवनवधता
और र्ह 29 नदसम्बर, सि 1993 को लागू हो गर्ा। र्ई 1998 तक कुल नर्लाकर 174
दे शों िे इस सर्झौते क़ी स्व़ीकृनत दे द़ी ऱ्ी। नजससे र्ह सर्झौता इस सर्र् का
सबसे अनधक स्व़ीकृत सर्झौता बि गर्ा। भारत िे सि 1994 र्ें इस सर्झौते पर
हस्ताक्षर नकए।
हैं ।
एपी प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ड बिाम प्रो. एम वी िायर्ू (सेवानिवत्त
ृ ) और अन्य
27 जिवरी, 1999 को
लेखक: एम राव
बेंच: एसबी मजमुदार।, एम। जगन्िाथ।
याचिकाकर्ाा:
एपी प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा
बिाम
उत्तरदार्ा:
प्रो.एमवीिायर्
ु ु (सेवानिवत्त
ृ ) और अन्य
बेंि:
एसबी मजमुदार। और एम. जगन्िाि।,
निणाय:
दस
ू रे शब्लदों में , एपी प्रदष
ू ण बोर्ा पांि अपीलों में अपीलकर्ाा है और
एसपीईतयए
ू ल अपीलों में से एक में अपीलकर्ाा है।
प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा के अिस
ु ार, अचधसूििा संख्या J.20011/15/88-iA,
पयाावरण और वि मंत्रालय, भारर् सरकार हदिांक 27.9.1988 के र्हर्, 'हल
ककए गए निकाले गए र्ेलों सहहर् विस्पनर् र्ेल' (मद संख्या 37) 'रे र्'
खर्रिाक श्रेणी में सि
ू ीबद्ध ककया गया िा। प्रदष
ू ण बोर्ा का र्का है कक
अचधसि
ू िा संख्या J.120012/38/86 1A, भारर् सरकार के पयाावरण और
वि मंत्रालय हदिांक 1.2.1989, प्रनर्वादी कंपिी द्वारा स्िावपर् ककए जािे
वाले प्रस्र्ाववर् प्रकार के उद्योग के स्िाि को प्रनर्बंचधर् करर्ा है , जो दि
ू
घािी में उद्योग की समाि श्रेणी के 11 वें िंबर पर वगीकरण के अंर्गार्
आएगा।
हैदराबाद मेरोपॉललिि वािर सप्लाई एंर् सीवरे ज बोर्ा द्वारा गहठर् ववशेषज्ञ
सलमनर् की अंर्ररम ररपोिा के आधार पर ३१.३.१९९४ को, आंध्र प्रदे श सरकार
के िगर प्रशासि और शहरी ववकास िे जीओएम १९२ हदिांक ३१.३.१९९४ को
जारी १० के भीर्र ववलभन्ि प्रकार के ववकास पर रोक लगा दी। हैदराबाद
और लसकंदराबाद के जड़
ु वां शहरों को पािी की आपनू र्ा करिे वाले इि
जलाशयों में पािी की गण
ु वत्ता की निगरािी के ललए दो झीलों, हहमायर्
सागर और उस्माि सागर के ककमी के दायरे में ।
एपी प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा (अपीलकर्ाा) के अिस
ु ार, प्रनर्वादी कंपिी अपिे
पत्र में बर्ाए गए स्िाि प्रनर्बंध से सरकार द्वारा छूि के रूप में , एपी
प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा की मंजरू ी प्राप्र् ककए बबिा, अपिे कारखािे के लसववल
कायों और निमााण को शरू
ु िहीं कर सकर्ी िी। हदिांक 28.11.1995, इस
र्रह की मंजरू ी के अधीि िा। ८.३.१९९६ को, हैदराबाद मेरोपॉललिि वािर
सप्लाई एंर् सीवरे ज बोर्ा की ववशेषज्ञ सलमनर् की दस
ू री अंर्ररम ररपोिा प्राप्र्
होिे पर, िगर प्रशासि और शहरी ववकास ववभाग िे ८.३.१९९६ को १०
ककलोमीिर के निषेध को दोहरार्े हुए शासिादे श संख्या १११ जारी ककया।
जीओ 192 हदिांक ३१.३.१९९४ लेककि आवासीय ववकास के पक्ष में कुछ
ररयायर्ें दे रहा है।
२४.५.१९९६ को लसंगल ववंर्ो तलीयरें स कमेिी द्वारा पव
ू -ा जांि िरण में ,
स्जसमें कंपिी के प्रनर्निचध िे भाग ललया िा, उद्योग के आवेदि को एपी
प्रदष
ू ण नियंत्रण बोर्ा द्वारा अस्वीकार कर हदया गया िा तयोंकक प्रस्र्ाववर्
साइि १० ककमी के भीर्र चगर गई िी और ऐसा स्िाि िहीं िा जीओएम
111 हदिांक 8.3.96 के अिस
ु ार अिम
ु ेय है। ३१.५.१९९४ को ग्राम पंिायर् िे
कारखािा स्िावपर् करिे की योजिा को मंजरू ी दी।
"स्ललसरीि, पथ्
ृ वी और काबाि को ब्ललीि करिे में खिा ककया और निकल
उत्प्रेरक खिा ककया।"
एपी प्रदष
ू ण बोर्ा के अिस
ु ार इस उद्योग द्वारा निलमार् उत्पादों से प्रदष
ू ण के
निम्िललखखर् स्रोर् हो सकर्े हैं:
एपी प्रदष
ू ण बोर्ा द्वारा अिापवत्त प्रमाण पत्र प्रदाि करिे के संबध
ं में , उतर्
बोर्ा िे हदिांक ३०.७.१९९७ के पत्र द्वारा सहमनर् के ललए हदिांक ७.४.१९९७
के आवेदि को यह कहर्े हुए खाररज कर हदया कक "(1) इकाई एक
प्रदष
ू णकारी उद्योग है और प्रदष
ू ण की लाल श्रेणी के अंर्गार् आर्ा है।
एमओईएफ, भारर् सरकार द्वारा अपिाए गए उद्योगों के वगीकरण की
धारा िमांक 11 के र्हर् उद्योग और यह राय दी कक जीओएम संख्या 111
हदिांक 8.3.1996 के मद्दे िजर हहमायर्सागर के जलग्रहण क्षेत्र में ऐसे
उद्योग का पर्ा लगािा वांछिीय िहीं होगा।
(२) राज्य सरकार के आदे श संख्या १११ हदिांक ८.३.१९९६ के आलोक में
२४.५.१९९६ को आयोस्जर् सीर्ीसीसी/र्ी आईपीसी की बैठक के दौराि इस
इकाई को स्िावपर् करिे के प्रस्र्ाव को पव
ू ा जांि स्र्र पर खाररज कर हदया
गया िा ।"
समस्याएं:
अत्यचधक र्किीकी या वैज्ञानिक र्ेिा से निपििे में पयाावरण न्यायालयों
द्वारा सामिा की जािे वाली कहठिाई एक वैस्श्वक घििा प्रर्ीर् होर्ी है।
लॉर्ा वक
ू फ, यक
ू े ईएलए में अपिे गािार व्याख्याि में, "तया न्यायपाललका
पयाावरण की र्दस्टि से मायोवपक हैं?" ववषय पर। (दे खें 1992 J.Envtl. Law
Vol.4, No.1, P1) िे पयाावरण कािि
ू में बढ़र्ी ववशेषज्ञर्ा की समस्या पर
और न्यायालयों की कहठिाई पर, अपिे वर्ामाि स्वरूप में , अलग
"वेर्िसबरी" की अपिी पारं पररक भूलमका से आगे बढ़र्े हुए हिप्पणी की। "
समीक्षा। उन्होंिे एक न्यायालय या हरब्लयि
ू ल की आवश्यकर्ा की ओर इशारा
करर्े हुए कहा कक "पयाावरण की सुरक्षा के ललए प्रदाि ककए गए सुरक्षा
उपायों की दे खरे ख और लागू करिे के ललए एक सामान्य स्जम्मेदारी है ...
हरब्लयि
ू ल को अपिी प्रकिया निधााररर् करिे के ललए एक व्यापक वववेक
हदया जा सकर्ा है र्ाकक यह पयाावरणीय मुद्दों के अपिे ववशेषज्ञ अिभ
ु व
को सबसे प्रभावी र्रीके से सहि करिे में सक्षम िा"
लॉर्ा वक
ू फ िे "एक बहुआयामी, बहु-कुशल निकाय की आवश्यकर्ा की ओर
इशारा ककया, जो पयाावरण के क्षेत्र में मौजद
ू ा न्यायालयों, न्यायाचधकरणों
और निरीक्षकों द्वारा प्रदाि की जािे वाली सेवाओं को जोड़र्ी है। यह एक
'वि स्िॉप शॉप' होगी, स्जससे र्ेजी से आगे बढ़िा िाहहए पयाावरण क्षेत्र में
वववादों का सस्र्ा और अचधक प्रभावी समाधाि। यह उि मुद्दों को हल
करिे के ललए मजबरू करिे की कोलशश करके पहले से ही बोझ से दबे
संस्िािों पर भार बढ़ािे से बि जाएगा, स्जिके साि वे निपििे के ललए
डर्जाइि िहीं ककए गए हैं। यह एक ऐसा मंि हो सकर्ा है स्जसमें न्यायाधीश
एक अलग भूलमका निभा सकर्े िे। एक भूलमका स्जसिे उन्हें सीलमर् र्दस्टि
के साि पयाावरणीय समस्याओं की जांि िहीं करिे में सक्षम बिाया।
हालांकक यह हमारे मौजद
ू ा अिभ
ु व पर आधाररर् हो सकर्ा है, मौजद
ू ा
निरीक्षणालय, भलू म न्यायाचधकरण और अन्य प्रशासनिक निकायों के कौशल
को लमलाकर। एक रोमांिक पररयोजिा बिें"
लॉर्ा वक
ू फ के अिस
ु ार, "जबकक पयाावरण कािि
ू अब स्पटि रूप से कािि
ू ी
पररर्दश्य की एक स्िायी ववशेषर्ा है, कफर भी इसमें स्पटि सीमाओं का
अभाव है।" यह बेहर्र हो सकर्ा है कक जैसे-जैसे कािि
ू ववकलसर् होर्ा है,
न्यानयक निणाय द्वारा सीमाओं को स्िावपर् करिे के ललए छोड़ हदया जार्ा
है। आखखरकार, अंग्रेजी कािि
ू की सबसे बड़ी र्ाकर् इसका व्यावहाररक
र्दस्टिकोण रहा है। इसके अलावा, जहां र्त्काल निणायों की आवश्यकर्ा होर्ी
है, वववाद के समाधाि र्क यिास्स्िनर् बिाए रखिे के ललए अतसर कोई
आसाि ववककप िहीं होर्ा है। यहद पररयोजिा को जािे हदया जार्ा है आगे,
पयाावरण को अपरू णीय क्षनर् हो सकर्ी है; यहद इसे रोक हदया जार्ा है, र्ो
एक महत्वपण
ू ा आचिाक हहर् को अपरू णीय क्षनर् हो सकर्ी है। (दे खें पयाावरण
प्रवर्ाि: एक ववशेष अदालर् की आवश्यकर्ा - रॉबिा िैिविा तयस
ू ी (योजिा
और पयाावरण की पबत्रका, 1992 p.798 at 806)। रॉबिा िैिविा एक सरल
प्रकिया के साि एक एकीकृर् न्यायाचधकरण के गठि की वकालर् करर्े हैं
जो ग्राहकों की आवश्यकर्ा को दे खर्ा है, जो एक न्यायालय या एक ववशेषज्ञ
पैिल का रूप लेर्ा है, जरूरर्ों के ललए अपिाई गई प्रकिया का आवंिि
प्रत्येक मामले का - जो दो स्र्रों पर संिाललर् होगा - एक एकल न्यायाधीश
या र्किीकी व्यस्तर् द्वारा पहला स्र्र और उच्ि न्यायालय के न्यायाधीश
की अध्यक्षर्ा में ववशेषज्ञों के एक पैिल द्वारा समीक्षा - और 'बध
ु वार'
मैदाि र्क सीलमर् िहीं है। यू में एसए स्स्िनर् अलग िहीं है। यह स्वीकार
ककया जार्ा है कक जब प्रनर्कूल प्रकिया जहिल और अपररचिर् मुद्दों पर
परस्पर ववरोधी गवाही दे र्ी है और प्रनर्भागी वववाद की प्रकृनर् को परू ी र्रह
से िहीं समझ सकर्े हैं, र्ो न्यायालय र्कासंगर् और सैद्धांनर्क निणाय लेिे
के ललए सक्षम िहीं हो सकर्े हैं। इस समस्या पर चिंर्ा िे कािेगी ववज्ञाि
और प्रौद्योचगकी आयोग (1993) और सरकार को न्यानयक निणाय लेिे में
ववज्ञाि और प्रौद्योचगकी की समस्याओं का अध्ययि करिे के ललए प्रेररर्
ककया। अपिी अंनर्म ररपोिा के पररिय में , आयोग िे निटकषा निकाला:
पयाावरण संरक्षण के र्दस्टिकोण में एक बनु ियादी बदलाव शुरू में 1972 और
1982 के बीि हुआ। इससे पहले यह अवधारणा 'एलसलमलेहिव कैपेलसिी'
नियम पर आधाररर् िी, जैसा कक मािव पयाावरण पर संयत
ु र् राटर
सम्मेलि के स्िॉकहोम घोषणा, 1972 के लसद्धांर् 6 से पर्ा िला िा। उतर्
लसद्धांर् को माि ललया गया िा। कक ववज्ञाि िीनर् निमाार्ाओं को प्रदाि कर
सकर्ा है - प्रभावों को आत्मसार् करिे के ललए पयाावरण की क्षमर्ा पर
अनर्िमण से बििे के ललए आवश्यक जािकारी और साधि प्रदाि कर
सकर्ा है और यह मािा जार्ा है कक प्रासंचगक र्किीकी ववशेषज्ञर्ा उपलब्लध
होगी जब पयाावरणीय िक
ु साि की भववटयवाणी की गई िी और इसमें काया
करिे के ललए पयााप्र् समय होगा र्ाकक इस र्रह के िक
ु साि से बिा जा
सके। लेककि प्रकृनर् के ललए ववश्व िािार, 1982 पर संयत
ु र् राटर महासभा
के प्रस्र्ाव के 11वें लसद्धांर् में , 'एहनर्यार्ी लसद्धांर्' पर जोर हदया गया,
और 1992 के ररयो सम्मेलि में इसके लसद्धांर् 15 में इसे दोहराया गया जो
इस प्रकार है:
दस
ू रे शब्लदों में , ववज्ञाि की अपयााप्र्र्ा ही वास्र्ववक आधार है स्जसिे 1982
के एहनर्यार्ी लसद्धांर् को जन्म हदया है। यह इस लसद्धांर् पर आधाररर् है
कक सावधािी के पक्ष में गलर्ी करिा और पयाावरणीय िक
ु साि को रोकिा
बेहर्र है जो वास्र्व में अपररवर्ािीय हो सकर्ा है। एहनर्यार् के लसद्धांर्
में पयाावरणीय िक
ु साि की आशंका और इससे बििे के उपाय करिा या
कम से कम पयाावरणीय रूप से हानिकारक गनर्ववचध का ियि करिा
शालमल है। यह वैज्ञानिक अनिस्श्िर्र्ा पर आधाररर् है। पयाावरण संरक्षण
का उद्दे श्य ि केवल स्वास्थ्य, संपवत्त और आचिाक हहर्ों की रक्षा करिा
होिा िाहहए, बस्कक अपिे ललए पयाावरण की भी रक्षा करिा
िाहहए। एहनर्यार्ी कर्ाव्यों को ि केवल ठोस खर्रे के संदेह से बस्कक
(उचिर्) चिंर्ा या जोखखम क्षमर्ा से भी हरगर ककया जािा िाहहए। यए
ू िईपी
गवनििंग काउं लसल (1989) द्वारा एहनर्यार्ी लसद्धांर् की लसफाररश की गई
िी। बोमाको कन्वेंशि िे उस सीमा को भी कम कर हदया स्जस पर वैज्ञानिक
साक्ष्य को "गंभीर" या "अपररवर्ािीय" को ववशेषण योलयर्ा हानि के रूप में
संदलभार् िहीं करके कारावाई की आवश्यकर्ा हो सकर्ी है। हालांकक,
एहनर्यार्ी लसद्धांर् की कािि
ू ी स्स्िनर् को संक्षेप में , एक हिप्पणीकार िे
लसद्धांर् को अभी भी "ववकलसर्" के रूप में वखणार् ककया है, हालांकक इसे
अंर्रराटरीय प्रिागर् कािि
ू के हहस्से के रूप में स्वीकार ककया जार्ा है,
"ककसी भी संभाववर् स्स्िनर् में इसके आवेदि के पररणाम प्रभाववर् होंगे
प्रत्येक मामले की पररस्स्िनर्याँ"। (दे खें * र्ॉ. श्रीनिवास राव पेम्माराजू की
पहली ररपोिा , ववशेष-प्रनर्वेदक, अंर्रााटरीय ववचध आयोग हदिांक 3.4.1998,
पैरा 61 से 72)। पयाावरणीय मामलों में सबर्
ू का ववशेष बोझ: हम अगली
बार वेकलोर मामले में संदलभार् सबर्
ू के बोझ की िई अवधारणा को p.658
(1996 (5) SCC 647) में ववस्र्र्
ृ करें गे। उस मामले में, कुलदीप लसंह, जे. िे
इस प्रकार कहा:
"सबर्
ू की स्जम्मेदारी अलभिेर्ा या र्ेवलपर/उद्योगपनर् पर है कक वह यह
हदखाए कक उसकी कारावाई पयाावरण के अिक
ु ू ल है।"
-------------------------------------------------- - *संयत
ु र् सचिव
और कािि
ू ी सलाहकार, ववदे श मंत्रालय, िई हदकली। यह ध्याि हदया जािा
िाहहए कक जहां ववज्ञाि की अपयााप्र्र्ा िे 'एहनर्यार्ी लसद्धांर्' को जन्म
हदया है, वहीं उतर् 'एहनर्यार्ी लसद्धांर्' िे पयाावरणीय मामलों में सबर्
ू के
बोझ के ववशेष लसद्धांर् को जन्म हदया है, जहां की अिप
ु स्स्िनर् के रूप में
बोझ प्रस्र्ाववर् कायों का हानिकारक प्रभाव, - उि लोगों पर रखा गया है जो
यिास्स्िनर् को बदलिा िाहर्े हैं (Wynne, Uncertainity and
Environment Learning, 2 Global Envtl. Change 111 (1992) p.123
पर)। इसे अतसर सबर्
ू के बोझ के उलि कहा जार्ा है , तयोंकक अन्यिा
पयाावरणीय मामलों में, पररवर्ाि का ववरोध करिे वालों को साक्ष्य के बोझ
को उठािे के ललए मजबरू ककया जाएगा, एक प्रकिया जो उचिर् िहीं
है। इसललए, यह आवश्यक है कक कम प्रदवू षर् राज्य को बिाए रखर्े हुए
यिास्स्िनर् को बिाए रखिे का प्रयास करिे वाली पािी को सबर्
ू का बोझ
िहीं उठािा िाहहए और जो पािी इसे बदलिा िाहर्ी है, उसे यह बोझ उठािा
िाहहए। (जेम्स एम.ऑकसि, लशस्फ्िंग द बर्ाि ऑफ प्रफ
ू , 20 Envtl. Law
p.891 at 898 (1990) दे खें)। (वॉकयम
ू .२२ (१९९८) हावा। एिवी.लॉ ररव्यू
पटृ ठ ५०९ में ५१९, ५५० में उद्धर्
ृ )। एहनर्यार्ी लसद्धांर् से पर्ा िलर्ा है
कक जहां गंभीर या अपररवर्ािीय िक
ु साि का एक पहिाि योलय जोखखम है,
उदाहरण के ललए, प्रजानर्यों के ववलुप्र् होिे, आवश्यक पाररस्स्िनर्क
प्रकियाओं के ललए बड़े खर्रों में व्यापक जहरीले प्रदष
ू ण, व्यस्तर् पर सबर्
ू
का बोझ र्ालिा उचिर् हो सकर्ा है या ऐसी गनर्ववचध का प्रस्र्ाव दे िे वाली
संस्िा जो पयाावरण के ललए संभाववर् रूप से हानिकारक है। (र्ॉ. श्रीनिवास
राव पेम्माराजू, ववशेष प्रनर्वेदक, अंर्रााटरीय ववचध आयोग, हदिांक
३.४.१९९८, पैरा ६१ की ररपोिा दे खें)। यह भी स्पटि ककया गया है कक यहद
ववनियामक निस्टियर्ा द्वारा िलाए जा रहे पयाावरणीय जोखखम ककसी र्रह
"अनिस्श्िर् लेककि गैर-िगण्य" हैं, र्ो नियामक कारावाई उचिर् है। इससे
यह सवाल पैदा होगा कक 'िगण्य जोखखम' तया है। ऐसी स्स्िनर् में ,
यिास्स्िनर् को बदलिे की कोलशश करिे वालों पर सबर्
ू का बोझ र्ाला
जािा है। उन्हें 'उचिर् पाररस्स्िनर्क या चिककत्सा चिंर्ा' की अिप
ु स्स्िनर्
हदखार्े हुए इस बोझ का निवाहि करिा है। यह प्रमाण का आवश्यक मािक
है। इसका पररणाम यह होगा कक यहद अनिस्श्िर्र्ा के स्र्र के बारे में चिंर्ा
को कम करिे के ललए उिके द्वारा अपयााप्र् साक्ष्य प्रस्र्र्
ु ककए जार्े हैं, र्ो
अिम
ु ाि पयाावरण संरक्षण के पक्ष में काम करिा िाहहए। इस र्रह की
धारणा को एशबिाि एतलीमेिाइजेशि सोसाइिी बिाम न्यज
ू ीलैंर् के संघीय
ककसाि [१९८८ (१) एिजेर्एलआर ७८] में लागू ककया गया है। अब आवश्यक
मािक यह है कक पयाावरण या मािव स्वास्थ्य को िक
ु साि के जोखखम का
निणाय 'उचिर् व्यस्तर्यों' परीक्षण के अिस
ु ार जिहहर् में ककया जािा
है। (िालमायि बािाि द्वारा ऑस्रे ललया में एहनर्यार्ी लसद्धांर् दे खें)
(वॉकयम
ू .22) (1998) हावा। पयाावरण एल रे व 509 549 पर)।
पयाावरण अपीलीय प्राचधकाररयों/न्यायाचधकरणों में न्यानयक और र्किीकी
इिपि
ु का संक्षक्षप्र् सवेक्षण:
हम अपिे कुछ मौजद
ू ा पयाावरण कािि
ू ों के र्हर् अपीलीय प्रणाली में
न्यानयक और र्किीकी इिपि
ु में कलमयों की संक्षक्षप्र् जांि करिे का
प्रस्र्ाव करर्े हैं। हमारे दे श में पयाावरण से संबचं धर् ववलभन्ि
कािि
ू अपीलीय अचधकाररयों को अपील प्रदाि करर्े हैं। लेककि उिमें से
ज्यादार्र अभी भी न्यानयक और वैज्ञानिक जरूरर्ों के संयोजि से कम
हैं। उदाहरण के ललए, व्यस्तर्यों की योलयर्ा के र्हर् अपीलीय अचधकाररयों
के रूप में नियत
ु र् ककए जािे वाले धारा 28 जल (रोकिाम और Polloution
नियंत्रण) अचधनियम, 1974, की धारा 31 एयर (रोकिाम और के प्रदष
ू ण
नियंत्रण) अचधनियम , 1981, नियम 12 के र्हर् खर्रिाक अपलशटि
(प्रबंधि और हैंर्ललंग) नियम, 1989 के बारे में स्पटि रूप से िहीं बर्ाया
गया है। जबकक आंध्र प्रदे श सरकार की अचधसूििा के अिस
ु ार आंध्र प्रदे श
में धारा 28 के र्हर् अपीलीय प्राचधकारी एक सेवानिवत्त
ृ उच्ि न्यायालय के
न्यायाधीश हैं और र्किीकी मामलों में उिकी मदद करिे के ललए उिके
पैिल में कोई िहीं है, वही प्राचधकरण हदकली में अचधसूििा के अिस
ु ार है
ववत्तीय आयत
ु र् (दे खें अचधसूििा हदिांक १८.२.१९९२) स्जसके पररणामस्वरूप
राटरीय राजधािी क्षेत्र में ि र्ो कोई नियलमर् न्यानयक सदस्य है और ि ही
कोई र्किीकी। कफर से, राटरीय पयाावरण न्यायाचधकरण अचधनियम, १९९५
के र्हर्, स्जसके पास ककसी भी व्यस्तर् (कामगारों के अलावा) को मत्ृ यु या
िोि के ललए मआ
ु वजा दे िे की शस्तर् है, धारा १० के र्हर् उतर् हरब्लयि
ू ल
में निस्संदेह एक अध्यक्ष होर्ा है जो एक न्यायाधीश या सेवानिवत्त
ृ
न्यायाधीश हो सकर्ा है। सवोच्ि या उच्ि न्यायालय और एक र्किीकी
सदस्य का। लेककि धारा 10(1)(बी) को धारा 10(2)(बी) या (सी) के साि
पढ़िे पर सरकार के सचिव या अनर्ररतर् सचिव को अध्यक्ष के रूप में
नियत
ु र् करिे की अिम
ु नर् लमलर्ी है, जो 2 साल के ललए उपाध्यक्ष रहे
हैं। हम उपरोतर् को गंभीर अपयााप्र्र्ा के उदाहरण के रूप में उद्धर्
ृ कर रहे
हैं।
1980 में स्िावपर् ऑस्रे ललया में न्यू साउि वेकस का भूलम और पयाावरण
न्यायालय आदशा हो सकर्ा है। यह ररकॉर्ा का एक बेहर्र न्यायालय है और
िार न्यायाधीशों और िौ र्किीकी और सल
ु ह मक
ू यांकिकर्ााओं से बिा
है। इसका अचधकार क्षेत्र अपील, न्यानयक समीक्षा और प्रवर्ाि कायों को
जोड़र्ा है। हमारी राय में ऐसी रििा पयाावरण के मामलों में आवश्यक और
आदशा है।
वास्र्व में , इस न्यायालय द्वारा कम से कम दो निणायों में ऐसे पयाावरण
न्यायालय की पररककपिा की गई िी। बहुर् पहले 1986 में , भगवर्ी, सीजे
एमसी मेहर्ा बिाम यनू ियि ऑफ इंडर्या और श्रीराम फूड्स एंर्
फहिालाइजसा केस [1986 (2) एससीसी 176 (पेज 202 पर)] में दे खा गया
िा:
दस
ू रे शब्लदों में , इस न्यायालय िे ि केवल एक न्यायाधीश और र्किीकी
ववशेषज्ञों के संयोजि पर वविार ककया, बस्कक पयाावरण न्यायालय से
सवोच्ि न्यायालय में अपील भी की।
इसी प्रकार, वेकलोर मामले में [१९९६ (5) एससीसी ६४७], पयाावरण (संरक्षण)
अचधनियम , १९९६ की धारा ३(३) के र्हर् एक प्राचधकरण की नियस्ु तर् में
भारर् सरकार की ओर से निस्टियर्ा की आलोििा करर्े हुए । कुलदीप लसंह
, जे िे दे खा कक केंद्र सरकार को धारा 3(3) के र्हर् एक प्राचधकरण का गठि
करिा िाहहए :
"उच्ि न्यायालय के एक सेवानिवत्त
ृ न्यायाधीश की अध्यक्षर्ा में और इसमें
अन्य सदस्य हो सकर्े हैं - अचधमािर्ः प्रदष
ू ण नियंत्रण और पयाावरण
संरक्षण के क्षेत्र में ववशेषज्ञर्ा के साि - केंद्र सरकार द्वारा नियत
ु र् ककया
जाएगा।"
हमिे उतर् निदे शों का पररणाम जाििे का प्रयास ककया है। हमिे दे खा है कक
वेकलोर मामले में इस न्यायालय की हिप्पखणयों के अिस
ु रण में , उतर्
प्राचधकरण में एक उच्ि न्यायालय के न्यायाधीश को शालमल करके कुछ
अचधसूििाएं जारी की गई हैं। 1986 के अचधनियम की धारा 3(3) के र्हर्
र्लमलिार्ु राज्य के ललए भारर् सरकार द्वारा जारी अचधसूििा संख्या
671(ई) हदिांक ३०.९.१९९ ६ में , एक `पाररस्स्िनर्की की हानि (मुआवजे की
रोकिाम और भग
ु र्ाि) प्राचधकरण की नियस्ु तर् यह कहा गया है कक यह एक
सेवानिवत्त
ृ उच्ि न्यायालय के न्यायाधीश और अन्य र्किीकी सदस्यों
द्वारा संिाललर् ककया जाएगा जो िीरी आहद के परामशा से एक योजिा या
योजिा र्ैयार करें गे। यह कमािा उद्योगों सहहर् सभी उद्योगों से निपि
सकर्ा है। एक समाि अचधसूििा र्ो। 704 ई हदिांक 9.10.1996 को उच्ि
न्यायालय के न्यायाधीश सहहर् एिसीिी के ललए 'पयाावरण प्रभाव आकलि
प्राचधकरण' के ललए जारी ककया गया िा। झींगा उद्योग से संबचं धर्
अचधनियम 1986 की धारा 3(3) के र्हर् अचधसि
ू िा हदिांक 6.2.1997
(िंबर 88ई) में निस्श्िर् रूप से एक सेवानिवत्त
ृ उच्ि न्यायालय के
न्यायाधीश और र्किीकी व्यस्तर् शालमल हैं। जैसा कक पहले कहा गया है,
भारर् सरकार को, हमारी राय में , पयाावरण कािि
ू ों, नियमों और अचधसूििा
में उचिर् संशोधि लािा िाहहए र्ाकक यह सुनिस्श्िर् हो सके कक सभी
पयाावरण न्यायालयों, न्यायाचधकरणों और अपीलीय प्राचधकरणों में हमेशा
एक उच्ि न्यायालय के स्र्र का न्यायाधीश होर्ा है। न्यायाधीश या सवोच्ि
न्यायालय के न्यायाधीश, - बैठे या सेवानिवत्त
ृ - और वैज्ञानिक या उच्ि
रैंककंग और अिभ
ु व के वैज्ञानिकों का समूह र्ाकक .pl68 पयाावरण और
प्रदष
ू ण से संबचं धर् वववादों के उचिर् और निटपक्ष निणाय में मदद लमल
सके। िहीं है यह भी एक र्त्काल आवश्यकर्ा है कक सभी राज्यों और केंद्र
शालसर् प्रदे शों में , के र्हर् अपीलीय अचधकाररयों धारा 28 जल अचधनियम,
1974 (प्रदष
ू ण की रोकिाम) और धारा 31 वायु अचधनियम, 1981 (प्रदष
ू ण
की रोकिाम) की या अन्य नियम वहाँ पयाावरण और प्रदष
ू ण से संबचं धर्
वववादों के न्यायनिणायि में मदद करिे के ललए हमेशा उच्ि न्यायालय के
ृ और उच्ि रैंककंग और अिभ
न्यायाधीश, बैठे या सेवानिवत्त ु व के वैज्ञानिकों
या वैज्ञानिकों का समूह होर्ा है। इि अचधनियमों के र्हर् मौजद
ू ा
अचधसूििाओं में वर्ामाि के ललए संशोधि ककया जा सकर्ा है। खर्रिाक
अपलशटि (प्रबंधि और प्रबंधि) नियम, 1989 के नियम 12 के र्हर् जारी
अचधसूििाओं में भी संशोधि की आवश्यकर्ा है। हमिे जो कहा है वह केंद्र
सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी ऐसे अन्य सभी नियमों या
अचधसि
ू िाओं पर लागू होर्ा है। हम केंद्र और राज्य सरकारों से अिरु ोध
करर्े हैं कक इि लसफाररशों पर ध्याि दें और र्त्काल उचिर् कारावाई
करें । हम अंर् में राटरीय पयाावरण अपीलीय प्राचधकरण अचधनियम , 1997
के र्हर् अपीलीय प्राचधकारी के पास आर्े हैं। हमारे वविार में यह इस
न्यायालय द्वारा निधााररर् आदशों के बहुर् करीब आर्ा है। उस कािि
ू के
र्हर्, अपीलीय प्राचधकरण में सुप्रीम कोिा के एक मौजद
ू ा या सेवानिवत्त
ृ
न्यायाधीश या एक उच्ि न्यायालय के एक मौजद
ू ा या सेवानिवत्त
ृ मख्
ु य
न्यायाधीश और एक उपाध्यक्ष शालमल होर्ा है जो संबचं धर् समस्याओं के
र्किीकी पहलओ
ु ं में ववशेषज्ञर्ा के साि उच्ि पद का प्रशासक होर्ा है।
पयाावरण के ललए; और .pl65 र्किीकी सदस्य, र्ीि से अचधक िहीं, स्जिके
पास संरक्षण, पयाावरण प्रबंधि, भूलम या योजिा और ववकास से संबचं धर्
क्षेत्रों में पेशेवर ज्ञाि या व्यावहाररक अिभ
ु व है। इस अपीलीय प्राचधकारी को
अपील उि क्षेत्रों में पयाावरण मंजरू ी दे िे के आदे श से पीडड़र् व्यस्तर्यों द्वारा
की जािी िाहहए स्जिमें कोई भी उद्योग, संिालि या प्रकिया आहद सुरक्षा
उपायों के अधीि ककया जािा है या ककया जािा है। जैसा कक ऊपर कहा गया
है और हम दोहरार्े हैं कक जल (प्रदष
ू ण निवारण) अचधनियम , 1974, वायु
(प्रदष
ू ण निवारण) अचधनियम के र्हर् अपीलीय प्राचधकारी और खर्रिाक
अपलशटि के नियम 12 के र्हर् अपीलीय प्राचधकारी को दे खिे की
आवश्यकर्ा है ( राटरीय राजधािी क्षेत्र के ललए पयाावरण (संरक्षण)
अचधनियम, 1986 की धारा 3 (3) और राटरीय पयाावरण न्यायाचधकरण
अचधनियम, 1995 की धारा 10 और अन्य अपीलीय निकायों के र्हर् जारी
अचधसूििा के र्हर् प्रबंधि और संिालि) नियम, 1989, हैं निरपवाद रूप
से न्यानयक और र्किीकी सदस्य शालमल हैं। इस न्यायालय िे एमसीमेहर्ा
बिाम भारर् संघ और श्रीराम फूड्स एंर् फहिालाइजसा केस [1986 (2)
एससीसी 176] (262 पर) में भी दे खा है कक सुप्रीम कोिा में नियलमर् अपील
का अचधकार होिा िाहहए, यािी इसमें शालमल एक अपील ररहायशी
कािि
ू । यह संबचं धर् सरकारों के ललए उपयत
ु र् कािि
ू द्वारा र्त्काल वविार
करिे का मामला है, िाहे पण
ू ा या अधीिस्ि हो या अचधसूििाओं में संशोधि
करके।
लसद्धांर् 2:
"पथ्
ृ वी के प्राकृनर्क संसाधिों, स्जसमें हवा, पािी, भूलम, विस्पनर् और जीव
और ववशेष रूप से प्राकृनर्क पाररस्स्िनर्क र्ंत्र के प्रनर्निचध िमूिे शालमल हैं,
को सावधािीपव
ू क
ा योजिा या प्रबंधि के माध्यम से वर्ामाि और भववटय
की पीहढ़यों के लाभ के ललए उचिर् रूप से संरक्षक्षर् ककया जािा िाहहए।"
कई अंर्रराटरीय सम्मेलिों और संचधयों िे उपरोतर् लसद्धांर्ों को मान्यर्ा
दी है और वास्र्व में कई ककपिाशील प्रस्र्ाव प्रस्र्र्
ु ककए गए हैं स्जिमें
शालमल हैं - व्यस्तर्यों या समह
ू ों को भावी पीहढ़यों के प्रनर्निचधयों के रूप में
कारावाई करिे के ललए, या भववटय के अचधकारों की दे खभाल के ललए
लोकपाल की नियस्ु तर् करिा। वर्ामाि के खखलाफ (र्ॉ. श्रीनिवास राव
पेम्माराजू, ववशेष प्रनर्वेदक, उिकी ररपोिा के पैरा 97, 98 द्वारा संदलभार्
सैंड्स एंर् ब्राउि वीस के प्रस्र्ाव)।
तया सप्र
ु ीम कोिा अिच्
ु छे द 32 या अिच्
ु छे द 136 के र्हर् पयाावरणीय
मामलों से निपिर्े समय या अिच्
ु छे द 226 के र्हर् उच्ि न्यायालय जांि
और राय के ललए 1997 के अचधनियम के र्हर् राटरीय पयाावरण अपीलीय
प्राचधकरण को संदभा दे सकर्ा है:
संदभा का िम:
उपरोतर् वविार दोिों पक्षों के वकील को व्यतर् ककए जािे के बाद, कुछ
मसौदा मुद्दों को संदभा के ललए र्ैयार ककया गया िा। कुछ र्का िे कक कुछ
मसौदा मद्
ु दों को आयोग को िहीं भेजा जा सकर्ा िा जबकक कुछ अन्य में
संशोधि की आवश्यकर्ा िी। दलीलें सि
ु िे के बाद, दोिों पक्षों िे राटरीय
पयाावरण अपीलीय प्राचधकरण अचधनियम, 1997 के र्हर् निम्िललखखर्
मुद्दों को अपीलीय प्राचधकरण को संदलभार् करिे के ललए सहमनर् व्यतर्
की।
िरे श दत्त त्यागी बिाम स्िे ि ऑफ य.ू पी. और अन्य। 10 अगस्र्, 1993 को
समर्क
ु य उद्धरण: १९९३ (४) स्केल ५२०, १९९५ सप्प (३) एससीसी १४४
गण
2. यप
ू ी सहकारी संघ लललमिे र् का कहिा है कक इस मामले में उसकी कोई
स्जम्मेदारी िहीं है और भंर्ारण में सुरक्षा मािकों का रखरखाव गढ़ मुतर्ेश्वर
स्स्िर् प्रािलमक सहकारी सलमनर् की प्रािलमक चिंर्ा िी। राज्य सरकार अब
र्क इस भीषण त्रासदी पर उदासीि, मक
ू दशाक रही है।
4. दभ
ु ाालयपण
ू ा याचिकाकर्ाा के ललए त्रासदी गंभीर आयामों में से एक है। हम
यप
ू ी राज्य को निदे लशर् करर्े हैं। रुपये की रालश का भुगर्ाि करिे के ललए।
10,000/-, भले ही वह आज से िार सप्र्ाह के भीर्र याचिकाकर्ाा को
अिग्र
ु ह रालश के रूप में हो। हम यप
ू ी राज्य को भी निदे लशर् करर्े हैं। रुपये
जमा करिे के ललए याचिकाकर्ाा और उिकी पत्िी श्रीमर्ी के संयत
ु र् िाम
से गढ़ मुतर्ेश्वर में एक राटरीयकृर् बैंक में सावचध जमा में 30,000 / -।
मुन्िी दे वी, पहली बार में एक वषा की अवचध के ललए। जमा आज से िार
सप्र्ाह के भीर्र ककया जाएगा। सरकार द्वारा बैंक को यह निदे श हदया
जाएगा कक वह जमाकर्ााओं को जमा रालश निकालिे की अिम
ु नर् िहीं दे गा
और ि ही उन्हें उसकी जमािर् पर कोई ऋण लेिे की अिम
ु नर् दी जाएगी।
जमा इस न्यायालय के आदे श के अधीि आयोस्जर् ककया जाएगा। र्िावप,
इस मामले का निपिाि लंबबर् रहिे र्क प्रत्येक नर्माही में याचिकाकर्ाा को
उस पर उपास्जार् नर्माही ब्लयाज का भग
ु र्ाि ककया जाएगा। जमारालशयों की
रालश के निपिाि के संबध
ं में निदे श मामले के अंनर्म निणाय का हहस्सा
होगा।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय
र्ीर्ी व्यास और अन्य बिाम गाजजयाबाद ववकास ... 13 अप्रैल 1992 को
समतल्
ु य उद्धरण: AIR 1993 सभी 57, (1992) 1 UPLBEC 746
लेखक: ओ प्रकाश
बेंच: ओ प्रकाश, एम काटजू
(iii) उत्तरदार्ाओं को एर्ु पाका को पाका के रूप में ववकलसर् करिे के ललए या
एर्ु पाका को पाका के रूप में ववकलसर् करिे के ललए उिके द्वारा सोिी गई /
की गई ववकास गनर्ववचधयों से संबचं धर् ककसी अन्य ररकॉर्ा के ललए र्ैयार
ककए गए लेआउि / ब्ललू वप्रंि, यहद कोई र्ैयार ककया गया है, प्रस्र्र्
ु करिे के
ललए निदे लशर् ककया जाए; र्िा
6. कोई जवाबी हलफिामा दायर िहीं ककया गया है, याचिकाकर्ााओं का दावा
है कक खल
ु ी जगह, अिाार् ्, एर्ु पाका, जैसा कक योजिाओं में हदखाया गया है
(अिल
ु लिक- "1" और "1-ए") याचिका के ललए निधााररर् ककया गया िा।
एक सावाजनिक पाका के ववकास के ललए, कक आम जिर्ा के लाभ के ललए
उतर् क्षेत्र को पाका के रूप में ववकलसर् करिे के ललए उत्तरदार्ाओं द्वारा अब
र्क कोई भी कदम िहीं उठाया गया है और उतर् योजिा (याचिका के
अिल
ु लिक "1") को ववचधवर् अिम
ु ोहदर् ककया गया िा। राज्य सरकार
द्वारा अचधनियम की धारा 10(2) के र्हर्, अवववाहदर् रहें ।
9. यह बड़े खेद की बार् है कक स्जस उद्दे श्य के ललए जीर्ीए का गठि ककया
गया िा, वह अधरू ा रह गया। राज िगर योजिा वैधानिक उद्दे श्य की उचिर्
लसद्चध के ललए है, जो शहर गास्जयाबाद के व्यवस्स्िर् ववकास को बढ़ावा
दे िा है और शहरीकरण के दटु प्रभाव से निवालसयों की रक्षा के ललए
सावाजनिक पाकों को आरक्षक्षर् करके खुली जगहों को संरक्षक्षर् करिा
है। ववधायी मंशा हमेशा शहर के िररत्र और वांछिीय सौंदया ववशेषर्ाओं के
संरक्षण के द्वारा जीवि की गण
ु वत्ता को बढ़ावा दे िे और बढ़ािे का रहा
है। कोई भी शहर स्काई-स्िैपसा के ललए, असंख्य उद्योगों के ललए, बड़े
वाखणस्ज्यक केंद्रों के ललए, बड़े स्मारक भविों के ललए िहीं जािा जार्ा है,
लेककि शहर के आकषाक लेआउि के ललए, अच्छे भ-ू र्दश्यों के ललए, संद
ु र
पाकों और लॉि के ललए, ववस्र्र्
ृ हरे -भरे आवरण के ललए जािा जार्ा है।
और संपण
ू ा सामास्जक पाररस्स्िनर्की के ललए। बड़े पैमािे पर बिाए गए
अच्छे पाका ि केवल सौंदया की प्रशंसा के ललए हैं, बस्कक र्ेजी से ववकलसर् हो
रहे शहरों में इमारर्ों का समूह है, वे एक आवश्यकर्ा हैं। भीड़-भाड़ वाले
शहरों में जहां एक निवासी को धए
ु ं और अंर्हीि वाहिों के यार्ायार् और
कारखािों से निकलिे वाले धए
ु ं से प्रदवू षर् वार्ावरण के अलावा कुछ िहीं
लमलर्ा है, खब
ू सरू र्ी से र्ैयार ककए गए पाकों की प्रभावकाररर्ा मिटु यों के
ललए फेफड़ों से कम िहीं है। यह एक कस्बे में सावाजनिक पाकों और हररर्
पट्िी द्वारा प्रदाि ककया गया हरा-भरा आवरण है, जो बेिि
ै जिर्ा को
काफी राहर् प्रदाि करर्ा है। इसललए सावाजनिक पाकों के महत्व का
अिम
ु ाि िहीं लगाया जा सकर्ा है। निजी लॉि या सावाजनिक पाका
ववलालसर्ा िहीं हैं, जैसा कक पहले मािा जार्ा िा। एक सावाजनिक पाका
आधनु िक सभ्यर्ा का उपहार है, और जीवि की गुणवत्ता में सुधार के ललए
महत्वपण
ू ा कारक है। पहले यह अलभजार् वगा और संपन्ि लोगों का
ववशेषाचधकार िा या र्ो शाही अिद
ु ाि के पररणामस्वरूप या निजी आिंद के
ललए आरक्षक्षर् स्िाि के रूप में । सुंदर पररवेश में स्वर्ंत्र और स्वस्ि हवा
कुछ लोगों का ववशेषाचधकार िा, लेककि अब एक लोकर्ांबत्रक व्यवस्िा में ,
यह लोगों की ओर से खद
ु के ललए एक उपहार है। सावाजनिक पाका के ललए
खल
ु ा स्िाि आधनु िक नियोजि और ववकास की एक अनिवाया ववशेषर्ा है,
तयोंकक यह सामास्जक पाररस्स्िनर्की के सुधार में बहुर् योगदाि दे र्ा है।
10. एक बड़े पाका में ववकलसर्, अच्छी र्रह से बिाए रखा और अच्छी र्रह
से र्ैयार लॉि से जो लाभ लमल सकर्ा है, उसे अववकलसर्, रुलण और जजार
खल
ु ी जगह से सरु क्षक्षर् िहीं ककया जा सकर्ा है। जबकक पहला लोगों को
आकवषार् करर्ा है और आिे, सि
ू करिे और आराम करिे के ललए आमंबत्रर्
करर्ा है, बाद वाला हमेशा बदबद
ू ार, गंदा और घखृ णर् होर्ा है।
11. उत्तरदार्ाओं का यह कर्ाव्य िा कक वे शरू
ु में ही एर्ु पाका को एक
आकषाक सावाजनिक पाका के रूप में ववकलसर् करें र्ाकक पयाावरण में सुधार
हो और आम जिर्ा को इसका लाभ लमल सके। ि केवल वे अपिे आप में
ववफल रहे, बस्कक, जैसा कक याचिकाकर्ााओं िे र्का हदया, उन्होंिे उिके
अिरु ोध पर भी कोई ध्याि िहीं हदया, स्जसे उन्होंिे बार-बार उत्तरदार्ाओं से
एर्ु पाका को एक सुंदर पाका के रूप में ववकलसर् करिे के ललए कहा।
12. पाका तया है? इसे अचधनियम में पररभावषर् िहीं ककया गया है। उत्तर
प्रदे श पाका, खेल के मैदाि और खल
ु े स्िाि (संरक्षण और ववनियमि)
अचधनियम , 1975 (संक्षेप में, '1975 अचधनियम' के ललए) में 'पाका' शब्लद
को पररभावषर् ककया गया है स्जसका अिा है भलू म का एक िुकड़ा स्जस पर
कोई इमारर् िहीं है या स्जसका 1/2 भाग से अचधक भाग भविों से
आच्छाहदर् िहीं है और स्जसका परू ा या शेष भाग वक्ष
ृ ों, पौधों या फूलों की
तयाररयों के साि बगीिों के रूप में या लॉि के रूप में या घास के मैदाि के
रूप में रखा गया है और जिर्ा के ररसॉिा के ललए एक जगह के रूप में रखा
गया है मिोरं जि, वायु या प्रकाश के ललए। यद्यवप यह पररभाषा अचधनियम
1975 की धारा 2 के मद्दे िजर केवल प्रत्येक िगर महापाललका, प्रत्येक
िगरपाललका या अचधसचू िर् क्षेत्र और प्रत्येक िगर क्षेत्र में सस्म्मललर् क्षेत्रों
और ऐसे अन्य क्षेत्रों पर लागू होगी जहाँ राज्य सरकार द्वारा अचधसूििा
द्वारा इसका ववस्र्ार ककया जार्ा है। राजपत्र में , यहद हम मामले की इस
पररभाषा का सहारा लेर्े हैं र्ो कािि
ू का उकलंघि िहीं होगा। निस्संदेह,
ककसी ववशेष अचधनियम में दी गई पररभाषा को दस
ू रे अचधनियम में िहीं
पढ़ा जा सकर्ा है। लेककि यह नियम अपररवर्ािीय िहीं है, िकंू क 'पाका' शब्लद
का प्रयोग 1973 के अचधनियम में अवधारणात्मक और प्रासंचगक रूप से
ककया गया है, वैसे ही जैसे 1975 के अचधनियम में 'पाका' को पररभावषर्
करर्े हुए, इसे 1973 के अचधनियम र्क भी बढ़ाया जा सकर्ा है। . िगर
महापाललका, अचधसूचिर् क्षेत्र या िाउि एररया के स्वालमत्व और रखरखाव
वाले पाका ववकास प्राचधकरण से संबचं धर् पाकों से अलग िहीं हैं, जो
अचधनियम, 1973 के र्हर् गहठर् एक स्िािीय प्राचधकरण के अलावा और
कुछ िहीं है। एक पाका में पेड़ों के साि बगीिे से ढका हुआ काफी क्षेत्र होिा
िाहहए। , पौधे या फूलों की तयाररयाँ या लॉि, और मिोरं जि, हवा या प्रकाश
के ललए जिर्ा के ररसॉिा के ललए एक जगह के रूप में बिाए रखा जािा
िाहहए िा। पण
ू ा रूप से अववकलसर् खुले स्िाि को कभी भी पाका की
ववशेषर्ा िहीं कहा जा सकर्ा है। एक पाका में पयाावरण को संरक्षक्षर् और
संरक्षक्षर् करिे के ललए इसकी पररचध पर बहुर् सारे पेड़ों के साि एक सुंदर
बगीिा होिा िाहहए और सौंदया की र्दस्टि से, इसमें सुंदर पौधे या फूलों की
तयाररयां और अच्छी र्रह से बिाए हुए लॉि होिे िाहहए।
(२) राज्य सरकार मास्िर प्लाि या क्षेत्रीय ववकास योजिा में संशोधि कर
सकर्ी है, िाहे ऐसे संशोधि उप-धारा (१) में निहदाटि प्रकृनर् के हों या
अन्यिा।"
22. बैंगलोर मेडर्कल रस्ि (सुप्रा) में सुप्रीम कोिा के निदे श को लागू करर्े
हुए, यह मािा जािा िाहहए कक प्राचधकरण धारा 13 (1) के र्हर् योजिा में
संशोधि िहीं कर सकर्ा है र्ाकक जिर्ा को सावाजनिक पाका से वंचिर्
ककया जा सके। केवल जीर्ीए ही िहीं, राज्य सरकार भी धारा 13(2) के र्हर्
योजिा में बदलाव िहीं कर सकर्ी है र्ाकक प्राचधकरण एक अलग उद्दे श्य
के ललए सावाजनिक पाका के ललए निधााररर् खल
ु ी जगह का उपयोग कर
सके। जबकक धारा 13(1) में कई सीमाएं हैं, धारा 13(2) राज्य सरकार को
उप-धारा (1) या अन्यिा में निहदाटि प्रकृनर् की योजिा में संशोधि करिे के
ललए असीलमर् शस्तर्यां प्रदाि करर्ी है। धारा १३(२) में आिे वाले शब्लदों "या
अन्यिा" का अिा यह िहीं लगाया जा सकर्ा है कक राज्य सरकार को
योजिा में बदलाव करिे का अचधकार है र्ाकक जीर्ीए को पाका के ललए
आरक्षक्षर् खुले स्िाि का उपयोग करिे में सक्षम बिाया जा सके। पाका की
र्रह िहीं है। बैंगलोर मेडर्कल रस्ि (सुप्रा) में , सुप्रीम कोिा िे दोहराया कक
एक बार एक खल
ु ी जगह एक पाका के ललए समवपार् है स्जसे ककसी अन्य
उद्दे श्य में पररवनर्ार् िहीं ककया जा सकर्ा है।
25. इसललए, याचिका को निम्िललखखर् निदे शों के साि स्वीकार ककया जार्ा
है:
(i) प्रनर्वादी अंर् र्क र्ैयार की जािे वाली याचिका के ललए खुले स्िाि,
अिाार् ्, एर्ु पाका में प्रस्र्ाववर् पाका का ब्ललू वप्रंि / लेआउि प्लाि, जैसा कक
अिल
ु लिक '1' और '1-ए' में हदखाया गया है, का कारण होगा। जि
ू , 1992
का;
(iv) प्रनर्वादी बाद में पाका के ववकास और उसके रखरखाव के ललए आवश्यक
पयााप्र् कमािाररयों के ललए प्रावधाि करें गे;
(vi) प्रनर्वादी ककसी भी अन्य उद्दे श्य के ललए क्षेत्र के ककसी भी हहस्से को
पट्िे पर या ककसी अन्य र्रीके से स्िािांर्ररर् िहीं करें गे, अिाार् ्, एर्ु पाका,
जैसा कक योजिाओं में हदखाया गया है (याचिका में "1" और "1-ए") ककसी
अन्य उद्दे श्य के ललए और एर्ु पाका में ककसी भी निमााण की अिम
ु नर् िहीं
दे गा, लसवाय इसके कक जो पाका के ववकास और रखरखाव के ललए प्रासंचगक
हो। हालांकक यह लागर् दे िे के ललए एक उपयत
ु र् मामला है, लेककि हमें
लगर्ा है कक याचिकाकर्ाा अचधक संर्टु ि महसूस करें गे यहद एर्ु पाका को
उत्तरदार्ाओं द्वारा उपरोतर् समय सीमा के भीर्र ईमािदारी से एक लाभ के
रूप में ववकलसर् ककया गया है और इसललए हम लागर् के बारे में कोई
आदे श िहीं दे र्े हैं,
समतल्
ु य उद्धरण: १९९० क्रिएलजे १५९६, १९८९ (२) र्ब्लल्यए
ू लएि २७३
लेखक: ए मािरु ी
बेंच: ए माथरु ी
1. यह पि
ु रीक्षण याचिका ववद्वाि अपर सत्र न्यायाधीश िमांक 2 जोधपरु
शहर जोधपरु द्वारा पाररर् आदे श हदिांक 4-9-1982 के ववरूद्ध निदे लशर्
है।
2. इस पि
ु रीक्षण याचिका को जन्म दे िे वाले संक्षक्षप्र् र्थ्य यह हैं कक
पीर्ब्लकयर्
ू ी कॉलोिी, जोधपरु निवासी श्री एम.एम. मेहर्ा द्वारा इस आशय
की एक लशकायर् दजा की गई िी कक गैर-याचिकाकर्ाा िारे का व्यवसाय कर
रहे हैं और इस िारे का भंर्ारण कर रहे हैं, अिाार् ् चिपिा, प्लॉि िंबर 113-
सी, पीर्ब्लकयर्
ू ी कॉलोिी, जोधपरु में पाला, कुर्रार खाकला और घास। आरोप
यह भी िा कक गैर-याचिकाकर्ाा अपिे व्यवसाय के दौराि इस भूखंर् पर रक
और रै तिर और स्िॉक के माध्यम से भारी मात्रा में ववलभन्ि प्रकार का िारा
लार्े हैं। िारे के भंर्ारण के कारण निवालसयों को शारीररक परे शािी का
सामिा करिा पड़र्ा है और यह परू ी कॉलोिी के निवालसयों के ललए स्वास्थ्य
के ललए खर्रा है। इसललए प्रािािा की गई कक क्षेत्र से इस उपद्रव को दरू
ककया जाए।
9. इस संबध
ं में , मैं एंडड्रया बिाम सेस्किज एंर् कंपिी लललमिे र् में कोिा ऑफ
अपील (सर ववस्किर् ग्रीि, एमआर, रोमर और स्कॉि, एल जे जे; ) के उिके
प्रभुत्व द्वारा की गई प्रलसद्ध हिप्पखणयों का भी उकलेख करिा िाह
सकर्ा हूं । (१९३७) ३ सभी ईआर २५५ जो निम्िािस
ु ार पढ़र्ा है:-
"लेककि यह कक लशकायर्ें पयााप्र् लशकायर्ें िीं, एक के ललए, मैं संर्ुटि हूं,
और मैं निस्श्िर् रूप से इस वविार का ववरोध करर्ा हूं कक, यहद व्यस्तर्,
अपिे लाभ और सुववधा के ललए, अपिे पड़ोलसयों के एक रार् को भी िटि
करिे का ववककप िि
ु र्े हैं, र्ो वे कुछ ऐसा कर रहे हैं जो यह क्षम्य है। यह
कहिा कक एक या दो रार्ों का आराम खो जािा उि र्च्
ु छ मामलों में से एक
है, स्जसके संबध
ं में कािि
ू कोई ध्याि िहीं दे गा, मझ
ु े काफी गलर् धारणा
प्रर्ीर् होर्ी है, और, यहद यह मि में ववद्यमाि एक गलर् धारणा है जो
लोग इि ऑपरे शिों को अंजाम दे र्े हैं, उन्हें स्जर्िी जकदी हिा हदया जाए
उर्िा अच्छा है।"
"ववद्वाि अिम
ु ंर्ल दं र्ाचधकारी के निणाय से स्पटि है कक साक्ष्य प्रकि करर्े
हैं कक अपीलकर्ाा द्वारा निलमार् चिमिी द्वारा स्वीकार ककया गया धआ
ु ं
अपीलकर्ाा की बेकरी के "निकि में रहिे वाले या काम करिे वाले लोगों के
स्वास्थ्य और शारीररक आराम के ललए हानिकारक" िा। और यह कक
अपीलािी की ओर से जीिी रोर् पर चिमिी से धआ
ु ं निकलिे का कोई
औचित्य िहीं िा। ववद्वाि मस्जस्रे ि िे एक स्िािीय निरीक्षण ककया िा
स्जसके आधार पर उन्होंिे 11 फरवरी, 1970 को एक ररपोिा र्ैयार की िी।
वह ररपोिा और फोिो वप्रंि पव
ू ा ए दशाार्ा है कक अपीलकर्ाा द्वारा निलमार्
चिमिी का ऊपरी क्षैनर्ज हहस्सा जीिी रोर् में लगभग छह फीि की सीमा
र्क है। इस निमााण की प्रकृनर् और इसके द्वारा उत्सस्जार् धए
ु ं की मात्रा को
ध्याि में रखर्े हुए सीखा मस्जस्रे ि िे निटकषा निकाला कक चिमिी ि केवल
एक सावाजनिक स्िाि पर अनर्िमण िा बस्कक इसके निमााण के कारण
एक गंभीर पररणाम हुआ। ओवि और चिमिी के उपयोग की अिम
ु नर्,
र्दिस
ु ार िी जी मस्जस्रे ि को, "वस्र्र्
ु ः लोगों के स्वास्थ्य के साि
खखलवाड़।" ववद्वाि मस्जस्रे ि के अिस
ु ार र्ेज हवा, ज्वाला को दरू र्क ले
जा सकर्ी है और आग का कारण बि सकर्ी है।
पव
ू ोतर् मामले में , चिमिी से निकलिे वाले धए
ु ं को भी क्षेत्र को प्रदवू षर्
करिे वाला पाया गया िा और इसललए इसे ववद्वाि मस्जस्रे ि द्वारा हिािे
का आदे श हदया गया िा और इसकी पस्ु टि सुप्रीम कोिा के उिके आचधपत्य
द्वारा की गई िी। इसललए, यह स्पटि है कक ककसी व्यस्तर् के व्यस्तर्गर्
व्यवसाय के कारण सावाजनिक स्वास्थ्य को िक
ु साि िहीं होिे हदया जा
सकर्ा है। इस प्रकार, ववद्वाि अपर सत्र न्यायाधीश द्वारा ववद्वाि
मस्जस्रे ि के आदे श को उलििे में ललया गया वविार सही प्रर्ीर् िहीं होर्ा
है। मैं संर्ुटि हूं कक ववद्वाि मस्जस्रे ि द्वारा पाररर् आदे श सामग्री पर
आधाररर् है और ववद्वाि अनर्ररतर् सत्र न्यायाधीश के ललए निटकषा को
उलििे का कोई अवसर िहीं िा, तयोंकक ववद्वाि अनर्ररतर् सत्र न्यायाधीश
द्वारा इस र्रह के उलिफेर के ललए कोई ठोस कारण दजा िहीं ककया गया
है। र्थ्य की खोज।
4. 17 जून
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LOPMENT/EXTUSWM
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9. GOOGLE
10. BOOKS