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पर्यावरण बचयओ”

पर्या वरण बचयओ, आज र्ही समर् की मयां ग र्ही है ।


पर्या वरण बचयओ, ध्वनि, नमट्टी, जल, वयर्ु आनि सब।
जीव जगत के नमत्र सभी र्े, जीवि हमें िे ते सयरे .
इिसे अपिय ियतय जोड़ो, इिको नमत्र बियओ।
हररर्यली की मनहमय समझो, वृक्ोां को पहचयिो।
र्े मयिव के जीवि ियतय, इिको अपिय मयिो।
एक वृक् र्नि कट जयर्े तो, िस वृक् लगयओ।
“हमें पर्यावरण बचयनय हैं ।”
खतरे में हैं वन्य जीव सब। नमलकर इन्हें बचयिय हैं ।
आओां हमें पर्या वरण बचयिय हैं ।
पेड़ ि कयटे बल्कि पेड़ लगयिय हैं ।
वि हैं बहुत कीमती इन्हें बचयिय हैं ।
वि िे ते हैं हमें ओल्किजि इि में ि आग लगयओ।
आओां हमें पर्या वरण बचयिय हैं ।
जां गल अपिे आप उगेंगेI पेड़ फल फूल बढ़ें गे।
कोर्ल कूके मै िय गयर्े, हररर्यली फैलयओ।
आओां हमें पर्या वरण बचयिय हैं ।
पेड़ोां पर पशु पक्ी रहते।
पत्ते घयस हैं खयते चरते।
घर ि इिके कभी उजयड़ो,कभी ि इन्हें सतयओ।
आओां हमें पर्या वरण बचयिय हैं ।
Poem on Pa “कसम खयते है ”
नमलकर आज र्े कसम खयते हैं,
पर्या वरण को स्वच्छ बियते है ।
नमलकर आज र्े कसम खयते हैं,
प्रिू षण को िू र भगयते हैं ।
मयिव तूिे अपिी जरूरतोां के नलए,
वयतयवरण को नकतिय िू नषत नकर्य है ,
नफर भी पर्या वरण िे तुझे सब कुछ निर्य है ।
प्रयण ियर्िी तत्ोां जल, वयर्ु और नमट्टी से,
हमयरय जीवि कय उद्दयर नकर्य है ।
नफर भी मयिव पेड़ कयटतय है ,
अपिे जीवि को सांकट में डयलतय है ।
पर्या वरण ि होतय तो जीवि मे रां ग कहयाँ से होते,
पर्या वरण को स्वच्छ बियर्े हमयरय प्रथम कत्ताव्य है ।
आओ नमलकर कसम खयत हैं ,
पर्या वरण को स्वच्छ बियते हैं ।
आज नमलकर कसम खयते है ,
प्रिू षण को िू र भगयते हैं ।

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