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तहोंदी II Hindi III Lang

V
Langतहोंदी

VIII

Topic : र्न रहेंगे ि हम रहेंगे

प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ उपहार र्न है। घने र्न ों की हररयाली दे खकर मन प्रफुल्लिि ह

उठिा है। प्राचीन काल का सातहत्य भी हमें िाड़-पत् ों पर सुरतिि तमलिा है। र्न ों की

हररयाली के तिना मानर् जीर्न की कल्पना करना व्यर्व है। समस्त प्राणी अपने जीर्न

हेिु र्नस्पति जगि पर आतश्रि है। मनुष्य हर्ा में उपल्लथर्ि ऑक्सीजन क श्वास द्वारा

ग्रहण करके जीतर्ि रहिा है। पेड़-पौधे ही प्रकाश-सोंश्लेषण की तिया में ऑक्सीजन

छ ड़िे हैं। इस िरह मनुष्य के जीर्न का आधार पेड़-पौधे ही उसे प्रदान करिे हैं।

र्ृि स्वयों धूप में रहकर हमें छाया दे िे हैं। जि िक हरे -भरे रहिे हैं िि िक हमें फल,

सल्लियाों दे िे हैं और सूखने पर ईोंधन के तलए लकड़ी दे िे हैं। इन्ी ों र्ृि ों की हरी

पतिय ों और फल ों क खाकर गाय, भैंस, िकरी आतद जानर्र दू ध दे िे हैं तजसमें हमें

प्र टीन तमलिा है।

इन्ी ों र्न ों से पृथ्वी क िोंजर ह ने से िचाया जािा है। र्न भू-िरण और पर्न स्खलन

क र किे हैं। अपनी हररयाली से पयवटक ों क अपनी ओर आकतषवि करिे हैं और दे श


की प्रगति में आतर्वक सहय ग दे िे हैं । फूल ों से मधुमल्लखयााँ मकरों द लेकर शहद िनािी
हैं तजससे आयुर्ेतदक दर्ाइयाों िनिी हैं और र्ह खाने में उपय गी ह िा है।

सैकड़ ों साल पहले भारि के पास अपार र्न सोंपदा र्ी। लेतकन औद्य गीकरण और

शहरीकरण के कारण अत्यतधक गाोंर् ों क शहर ों में िदला जा रहा है। पेड़ ों की अोंधाधुोंध
कटाई की जा रही है । व्यल्लि अपनी सुख-सुतर्धाओों के तलए िेधड़क पेड़ प ध ों की

कटाई करिा है। तजनकी र्जह से आज दु तनया में प्रदु षण अतधक िढ़ गया है । इमारि ों

और कारखान ों का तर्स्तार करके शहर सीमेंट के जोंगल िनिे जा रहे हैं। र्न ों की

कटाई और र्न ों के तर्नाश के कारण भूतम िरण, मौसम में भारी पररर्िवन और जोंगली
जानर्र ों के तर्लुप्त ह ने की सोंभार्ना िढ़ गई है। यह एक गहरी तचोंिा का तर्षय है

तजस पर ध्यान केंतिि करना आर्श्यक है। र्ृिार पण इस समस्या का सिसे उिम

समाधान है।
जि र्ृिार पण करिे हैं, ि हमारे पास यह पृथ्वी पर सिसे िड़े सोंसाधन के रूप में

उभर कर आिी है। हमारे जीर्न में र्ृि ों का महत्वपूणव थर्ान है। हमें यह ग्रह अपने
पूर्वज ों से कई सोंसाधन ों के सार् तर्रासि में तमला है। एक पेड़ के तर्नाश का अर्व है

पूरे पाररल्लथर्तिकी िोंत् का तर्नाश। पृथ्वी के नाजुक पाररल्लथर्तिकी िोंत् की रिा करने

की तजम्मेदारी हम मनुष्य ों पर है, िातक आने र्ाली पीतढ़य ों के पास एक ऐसा थर्ान

ह तजसे र्े अपना घर कह सकें। यह र्ास्तर् में तर्डों िना है तक खाद्य श्रृोंखला के शीषव

पर ह ने के िार्जूद मनुष्य उन चीज ों क नष्ट करने पर आमदा है ज उनके अल्लस्तत्व

की रिा करिे हैं।


र्न हमारे प्राकृतिक सोंसाधन और सोंपति हैं। इनके तिना पृथ्वी पर सोंिुतलि प्राकृतिक

जीर्न कभी सोंभर् नही ों ह सकिा। ज पेड़ काटा जािा है उसका मुआर्जा पेड़ लगाने
पर 10-15 साल में पूरा ह िा है। अि घने जोंगल ों की सोंख्या तदन प्रतितदन कम ह िी

जा रही है, ज तचोंिा का तर्षय है। पयावर्रण की रिा के तलए र्न सोंपदा की रिा

करना और र्ृिार पण करना अति आर्श्यक है, क् तों क अगर पेड़ काटे गए ि यह

पृथ्वी नीरस ह जाएगी। इसतलए ज़रूरी है तक पेड़ ों की रिा की जाए। खुशी की िाि
है तक अि हम इस ओर र् ड़ा िहुि ध्यान दे रहे हैं।

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