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पेड़ होने का अर्थ

 अभिव्यक्ति

प्रश्न-०१) 'पेड़ मनुष्य का परम हहिैषी' इस विषय पर अपना मि व्यति कीक्िए।

हितैषी यि शब्द का मतलब िै , िमारा भला चािने वाला और इसी वजि से पेड़ को भी
मनष्ु य का परम हितैषी किा जाता िै । पेड़ प्रकृतत की ओर से धरती को हदया गया अनमोल
उपिार िै । इस दतु नया में कोई भी पेड़ ऐसा नि ीं िै कक जजसमे औषधीय गुण नि ीं िर पेड़, िर
वनस्पतत िमारे ललए उपयोगी िै । िमें फल, फूल, अनाज, लकड़ी, खतनज सभी पेड़़ों से ि
लमलते िैं। पयाावरण में जो ववषैल वायु िैं, उसे वक्ष
ृ ग्रिण करके स्वच्छ और स्वास््यपण
ू ा वायु
िमें प्रदान करते िैं और िमें ववषैल वायु के प्रभाव से बचते िैं।

पेड़ िमें पशुओीं के ललए चारा, औषधध, लाख, ग़ोंद, कागज, इमारती के काम़ों में लगने
वाल लकड़ीयाीं, ईंधन, आहद दे ते िैं। पेड़ वषाा कराने में भी सिायक िोते िैं। सूरज की धूप से
बचने के ललए पेड़ अपने आप में सींजीवनी का रूप बन जाते िैं। पेड़ के साथ मनुष्य जैसे चािे
बतााव करे कफर भी पेड़ मनष्ु य को िमेशा अपना लमत्र समझकर उपयक्
ु त वस्तए
ु ीं दे ता रिता िै ।

प्रश्न-०२) िारिीय संस्कृति में पेड़ का महत्तत्ति, इस विषय पर अपने विचार व्यति कीक्िए |

भारतीय सींस्कृतत में पुराने समय से पेड़़ों का मित्तत्तवपूणा स्थान रिा िै । पेड़़ों को दे वताओीं
का स्थान हदया गया िै। भारत में अनेक पेड़़ों की पज
ू ा की जाती िैं। पेड़़ों के साथ मनष्ु य की
समान आत्तमीयता बरती जाती िैं। भारतीय सींस्कृतत में बरगद के पेड़ की पूजा-अचाना जस्त्रयााँके
द्वारा की जाती िै तथा जस्त्रयाएीं उपवास करके उसकी पररक्रमा जल अपाण करके करती िैं।
तल
ु सी भी एक अत्तयींत पववत्र पौधा माना जाता िै। बेल के पेड़ के पत्तते भगवान शींकर के मस्तक
पर चढाए जाते िैं। शुभ काया करते समय फोड़ा जाने वाला नाररयल भी पेड़ द्वारा लमला एक
उपिार िै । तथा भारत में पुराने समय से आज तक के युग में औषधध का तनमााण करने िेतु
ववववध औषधीय पौधे इस्तेमाल करते िैं।

मनुष्य के जन्म से लेकर मत्तृ यु तक िर क्षण मनुष्य को पेड़ की जरूरत मिसूस िोती
िै ।एक साींस्कृततक ववरासत के रूप में पेड़ भारतीय सींस्कृतत की रक्षा करते िुए हदखाई दे ते िैं
;और इसी वजि से भारतीय सींस्कृतत में पेड़़ों का मित्तव अनन्य साधारण िैं।

 रसास्िादन

प्रश्न- ०१) पेड़ हौसला है, पेड़ दािा है , इस कर्न के आधार पर संपर्
ू थ कवििा का रसास्िादन
कीक्िए।

कवव डॉ. मुकेश गौतम इन्ि़ोंने ‘पेड़ िोने का अथा’ इस कववता के माध्यम से पेड़ द्वारा
मनष्ु य को मानवता और दस
ू ऱों के प्रतत परोपकार भाव प्रदान करने की प्रेरणा द िै । िम इींसान
जरा सी कहिन पररजस्थतत आने पर तथा असफलता लमलने पर अपना िौसला खो बैिेते िै ;
लेककन पेड़ आींधी तथा तूफान जैसी भयानक पररजस्थतत आने पर भी अपने िौसले को बुलींद
रखता िै । पेड़ अपने शाखाओीं में जस्थत घ़ोंसल़ों में धचडड़या के छोटे -छोटे बच्च़ों को सार रात
भयींकर तूफान से बचता िै , जब तक पेड़ के अींदर साींस िोती िै तब तक वो ककसी के सामने भी
नि ीं झुकता जो भी िालत आए उनसे वो लड़ता िै और इसी कारण पेड़ एक बिुत बड़ा िौसला
िै ।

पेड़ िौसला िोने के साथ-साथ वि एक बिुत बड़ा दाता भी िै । दाता याने दे ने वाला। पेड़
की जड़़ों से लेकर शाखाएाँ, पत्तते, फूल, फल और बीज अथाात पेड़ का कोई भी भाग अनुपयोगी
नि ीं िोता। मनष्ु य अपने स्वाथा को परू ा करने िे तु पेड़़ों को काटता िै , लेककन पेड़ कभी भी उस
मनुष्य के साथ दर्वु याविार या अपने पर िोने वाले अत्तयाचार का बदला नि ीं लेता िै ; पर पेड़ तो
सबको जीवन ि दे ता िै । िमारे वातावरण में ववषैल वायु को स्वच्छ करके िमें स्वास््यवधाक
वायु प्रदान करता िै । पेड़ िमें बीमाररय़ों से भी बचाता िै , बिुत सार बीमाररय़ों की दवाई पेड़़ों
से ि बनाई जाती िै पेड़़ों में जस्थत औषधध गण
ु धमा िमें बीमाररय़ों से बचाते िै । पेड़ िमें शुभकाया
तथा शवयात्रा में लगने वाले फूल प्रदान करता िै । पेड़ िकीम को ववलभन्न बीमाररय़ों की दवाई
दे ता िै , शासन प्रशासन और सभी मानव़ों को उपयोगी वस्तुएीं जैसे कुसी, मेज और आसान
प्रदान करता िै । लेखक, कवव और बच्च़ों को कागज, कलम और स्याि दे ता िै ।

सभी मामल़ों में पेड़ एक सींत जैसा प्रतीत िोता िै , जजस प्रकार सींत िमें हितोपदे श,
मानवता आहद चीज़ों का ज्ञान बाींटते िैं, उसी तरि पेड़ भी िमें उपयोगी वस्तुएीं प्रदान करता िै
पर कभी भी ककसी से कुछ लमलने की अपेक्षा नि ीं करता। पेड़ को 'दधीधच' भी किा गया िै जजस
प्रकार दधीधच ऋवष ने दे वताओीं की रक्षा करने के ललए वज्रास्त्र बनाने िे तु जीते जी अपनी
िड्डडयाीं दान कर द थी उसी प्रकार पेड़ भी ककसी लोभ, मोि या स्वाथा के बबना मनुष्य को
जीवन भर दान दे ता ि रिता िै ।

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