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नक्षत्रानुसार रोगोपचार.

ग्रह और नक्षत्रों से हरने वाले ररग और उनके उपाय.


वैदिक ज्यरदिषी के अनुसार नक्षत् पोंचाोंग का बहुि ही महत्वपूर्ण अोंग हरिा है। भारिीय ज्यरदिषी में नक्षत् कर चन्द्र महल भी कहा जािा है।
लरग ज्यरदिषीय दवश्ले षर् और सटीक भदवष्यवादर्यरों के दलए नक्षत् की अवधारर्ा का उपयरग करिे हैं। शास्त्रों में नक्षत्रों की कुल सोंख्या 27
बिाई गयी है। आज हम आपकर इसकी जानकारी िे रहे हैं। ज्यरदिषानुसार दजस प्रकार ग्रहरों के खराब हरने पर उनका बुरा प्रभाव िे खने कर
दमलिा है उसी प्रकार नक्षत्रों से भी कई ररगरों दक गर्ना शास्त्रों में िी गई है आज हम आपकर सभी नक्षत्रों से हरने वाले ररग और उन
ररगरों के उपायरों की सोंपूर्ण जानकारी िे रहे हैं यदि आपकर अपना जन्म नक्षत् पिा है िर आप इस जानकारी कर पढें ।

(नरट : यह जानकारी जन्म नक्षत् के आधार पर ही िी गई है)

१. अश्श्वनी नक्षत् :
अश्श्वनी नक्षत् में पैिा हुए ज्यािािर जािकरों कर वायुपीडा, ज्वर, मदिभ्रम आदि से कष्ट हरिे हैं।
उपाय : अश्श्वनी नक्षत् के िे विा कुमार हैं। उनका पूजन और िान पुण्य, िीन िु श्खयरों की सेवा से लाभ हरिा है।

२. भरर्ी नक्षत् :
भरर्ी नक्षत् में पैिा हुए ज्यािािर जािकरों कर शीि के कारर् कम्पन, ज्वर, िे ह पीडा से कष्ट, िे ह में िु बणलिा, आलस्य व कायण क्षमिा का
अभाव रहिा है।
उपाय : भरर्ी नक्षत् के िे विा यम हैं उनका पूजन और गरीबरों की सेवा करें लाभ हरगा।

३. कृदिका नक्षत् :
कृदिका नक्षत् में पैिा हुए ज्यािािर जािकरों कर दसर, आँ खें, मश्िष्क, चेहरा, गिण न, कण्ठनली, टाँदसल व दनचला जबडा आिा है. इस नक्षत् के
पीदडि हरने। पर आपकर इससे सोंबोंदधि बीमारी हरने की सोंभावना बनिी है।
उपाय : कृिीका नक्षत् के िे विा अदि हैं अदि िे व पूजन और दनत्य सूयोपासना करें । आदित्य हृिय िरत् का पाठ भी आपके दलए शुभ
फलिायक हरगा।

४. ररदहर्ी नक्षत् :
ररदहर्ी नक्षत् में पैिा हुए ज्यािािर जािकरों कर दसर या बगल में अत्यदधक ििण , दचि में अधीरिा जैसे ररग हरिे हैं।
उपाय : ररदहर्ी नक्षत् के िे विा ब्रह्मा हैं। ब्रह्म पूजन और दचरदचटे (दचदचढा) की जड भुजा में बाोंधने से मन कर शाोंदि और ररग से मुश्ि
दमलिी है।

५. मृगदशरा नक्षत् :
मृगदशरा नक्षत् में पैिा हुए जािकरों कर ज्यािािर जुकाम, खाोंसी, नजला, से कष्ट। कफ द्वारा हरने वाले सभी ररगरों का कारक मृगदशरा नक्षत् कर
माना जािा है।
उपाय : मृगदशरा नक्षत् के िे विा चन्द्र हैं। चन्द्र पूजन और पूदर्णमा का व्रि करे लाभ और ररगरों से मुश्ि प्राप्त हरिी है।

६. आर्द्ाण नक्षत् :
आर्द्ाण नक्षत् में पैिा हुए ज्यािािर जािकरों कर अदनर्द्ा, दसर में चक्कर आना, आधासीरी का ििण , पैर, पीठ में पीडा इत्यादि जैसे ररग हरिे हैं।
उपाय : आर्द्ाण नक्षत् के िे विा दशव हैं। भगवान दशव की आराधना करे , सरमवार का व्रि, पीपल की जड िादहनी भुजा में बाोंधे लाभ और
ररगरों से मुश्ि प्राप्त हरिी है।

७. पुनवणसु नक्षत् :
पुनवणसु नक्षत् में पैिा हुए ज्यािािर जािकरों कर दसर, नेत् और कमर ििण की अत्यदधक पीडा रहिी है और इन कष्टरों के कारर् डाक्टररों के
पास अदधक आना जाना रहिा है।
उपाय : पुनवणसु नक्षत् के िे विा हैं आदििी । आदिदि िे व पूजन और रदववार के दिन दजस रदववार कर कर पुष्य नक्षत् हर उस दिन आक
के पौधे की जड अपनी भुजा में बाोंधने से लाभ और इन ररगरों से मुश्ि प्राप्त हरिी है।

८. पुष्य नक्षत् :
पुष्य नक्षत् में पैिा हुए ज्यािािर जािक दनररगी व स्वस्थ हरिा है। कभी िीव्र ज्वर से ििण परे शानी हरिी है।
उपाय : पुष्य नक्षत् के िे विा ब्रहस्पदि हैं। ब्रहस्पदि व्रि, ब्रहस्पदि पूजन और कुशा की जड भुजा में बाोंधने से िथा पुष्प नक्षत् में िान पुण्य
करने से लाभ और ररगरों से मुश्ि प्राप्त हरिी है।

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