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Mausam
Mausam
गीत – 1
Scene 1
आदमी-2 पूरी दनु नया में कलयुग फैल गया है कलयुग और वह भी तुम जैसे पापपयों की वजह से पेड़ तुम काटो
गंदगी तुम फैलाओ नललयों में कूड़ा तुम भरो, 1-1 घर में र्ार र्ार गाडड़यां तुम रखो तो बादल कहााँ से आयेंगे?
आदमी3-अच्छा जी भाई साहब और आपकी जो फैक्री है जो आपने जंगलों को काटकर बनाई है उसका केलमकल
वेस्ट कहां जाता है?
आदमी 2- वहीं जहां बाकी फैजक्रयों का जाता है ,कभी नददयों में,कभी जंगल में जो बाकी बर् गए हैं!
आदमी1-इसी वजह से जमीन खराब हो जाती है उसका उपजाऊपन खत्म हो जाता है तो पेड़ खड़े-खड़े सूख जाते हैं!
बस इसललए इंद्र दे वता कभी बहुत नाराज हो जाते हैं और कभी जरूरत से ज्यादा मेहरबान.
कुदरत से खखलवाड़ हम ही लोग करते हैं फफर हमें कहते हैं फक बाररश नहीं हुई, हवा नहीं र्ल रही बड़ी गमी है जी
अच्छा एक बात बताओ यह तो बहता पानी है इसे क्या र्ीज रोक सकती है?
पेड़ों की जड़े
Scene 2
दोस्त-2 : मेरी भी तो सन
ु लो कोई! वाटर पाकच जाकर क्यों पैसा बबाचद करते हो? दो ददन से लगातार बाररश हो
रही है उससे पूरा शाहदरा जस्वलमंग पूल बना हुआ है, वहीं र्लते हैं।
दोस्त-3 : हााँ, लमण्टो ब्रिज का भी यही हाल है, पूरा डूबा हुआ है।
दोस्त-1 : एक बात बताओ ये 5-10 लमनट की बाररश से घुटने तक पानी भर जाता इसकी वजह क्या है?
दोस्त 4: वजह यह है फक पेड़ नहीं है पेड़ खत्म हो रहे हैं तो भाई खूब पेड़ काट दो और सड़कों पर बोदटंग का
मजा लो|
दोस्त: कहााँ?
Scene 3
आप सभी को बधाई हो
शुफिया आपको भी
अच्छे ददन आ गए हमारे ,व्हाट्सएप पर 21 लोगों को फॉरवडच करें र्मत्कार होगा मैसेज में ललखा प्लीज फॉरवडच
ऐट्लीस्ट 21 लोगों को फॉरवडच करें उसके बाद र्मत्कार लमरै क्ल जादू होगा!
टाइप करो ददल्ली ने पूरी दनु नया को पीछे छोड़ ददया ददल्ली डडफीटे ड वाहोल वल्डच बैकवडच.
[CELEBRATION]
[Celebration]
Delhi दनु नया की सबसे ज्यादा Polluted city हो गयी है एयर पोलूशन में ददल्ली ने सबको पीछे छोड़ ददया है!
[Reaction]
Narration
मौसम बदल रहा है। कभी बाररश होती है, कभी नहीं होती। कुदरत से छेड़-छाड़ करके हमने पूरे ऋतुर्ि को उलट
ददया है। बर्पन में हम स्कूल में सीखते थे फक सदी के बाद गमी आती है, गमी के बाद बरसात आती है। लेफकन
अब, सब कुछ बदल गया है। बसन्त में बाररश हो जाती है, गमी में ओले पड़ जाते हैं और यह सब कुछ इसललए हो
रहा है क्योंफक हमने प्रकृनत का दोहन फकया है, उसे लूट ललया अपने स्वाथच के ललए पैसे के ललए, पवकास के ललए।
पवकास से हमारी अवधारणा क्या है? इसी अवधारणा के र्लते हम ऐसी र्ीजें करते हैं जजसका असर पड़ता है
हालशए पर खड़े आखखरी आदमी पर। योजना बनाने वाले और उससे लाभ उठाने वाले करोड़ों कमाते हैं और जल,
जंगल, ़िमीन को पवकास के नाम पर बबाचद करते हैं।
गाना
फैले प्रदष
ू ण,ब्रबगड़े र्ाहे मौसम
Narration :
हमारे लिए डेविपमेंट का मतिब क्या है ? सरकार और कॉपोरे ट डेविपमेण्ट के नाम पर एनवायरनमेण्ट को बबााद
कर रहे हैं, नतीजा मौसम अपना असर ददखा रहा है। जम्मू-कश्मीर, उत्तराखण्ड, बबहार, उत्तर प्रदे श, तलमिनाडु,
केरि और समुद्र ककनारे के इिाकों में, हर जगह मौसम अपना असर ददखा रहा है। अमीर आदमी, ताकतवर आदमी
प्रकृतत के संसाधनों का दोहन कर पयाावरण को ख़राब कर रहा है। मरता कौन है? ककसान, ग़रीब, आददवासी,
साधनववहीन आदमी जजसके पास पैसा नहीं है। कभी सूखे से मरता है, कभी बाढ़ से मर जाता है, तो कभी कजा में
डूबकर मर जाता है।
ववकास के नाम पर िाखों आददवालसयों को बेघर कर ददया जाता है। कारखानों के लिए उनकी ज़मीन ताकत के बि
पर हथिया िी जाती है। इस कथित ववकास का सीधा असर पड़ता है िोगों की जज़न्दगी पर। अगर यही डेविपमेंट
है तो हम अगिी हम अगिी पीढ़ी को क्या दें गे?
बात समझ ले, समझ ले, बात समझ ले, समझ ले, बात समझ ले, समझ ले, बात समझ ले, समझ ले !!!
2.बेटा जब हम यहां आए थे तो आसपास बहुत पेड़ थे मगर लोगों ने कटवा ददए,अब वहां गाडड़यां खड़ी करते
हैं.
1.अच्छा फकया ना पापा पेड़ कटवा ददए अगर पेड़ होते तो वहां फिकेट कैसे खेलती! भैया अगर पेड़ ना होते तो
हमारा बैट कहां से आता?
हमरा का हाल है
[Reaction]
का तुम का बताई
अब का समझाई
बड़ी दघ
ु चटना है
मुजककल बर्ना है
बड़ा pollution है
[क्या?]
पेड़!
Scene
जैसा कक आप सब दे ख रहे हैं कक यहां भारी मात्रा में जानमाि का नुकसान हुआ है पहाड़ खखसक रहे हैं मकान
ढह रहे हैं िगातार बाररश हो रही है और गांव के गांव डूबते जा रहे हैं
2.ऊपर बांध टूटा हमारे डांगर बह गए,हमारा घर ढह गया बड़ी मुजककल से जान बर्ाकर यहां पहुंर्े हैं
3. हमारा सब कुछ डूब र्ुका है अब कुछ नहीं बर्ा वहां पर इन्होंने पहाड़ के सारे पेड़ कटवा ददया अब पहाड़
खखसक कर नीर्े आ रहे हैं.
जाने दो मुझे जाने दो मेरा बच्र्ा घर में सोता हुआ छूट गया है
Debate/narration
िाखों िोगों की जजंदगी पर असर पड़ता है मौसम के बदिने का कभी सदी, कभी गमी, कभी बरसात, कभी
अकाि, कभी बाढ़, कभी सूखा, वपघिते हुए ग्िेलशयर, बढ़ती हुई ग्िोबि वालमिंग, इन सब का असर पड़ता है
हम सबकी जज़न्दगी पर । पॉल्यूशन बढ़ रहा है, जि, ज़मीन और जंगि िगातार दवू ित होते जा रहे हैं। खेती
की ज़मीन ख़त्म हो रही है, सजजजयों में कैलमकि आ रहा है, िोग बीमार पड़ रहे हैं जहरीिी गैसेस हवा में फैि
रही है|
1.मैडम हमें क्या फकच पड़ता है ?जंगल काटे पेड़ कटें ,पक्षी उड़ जाए,काबचन डाइऑक्साइड बढ़ जाए,पोलूशन बढ़
जाए हमने थोड़ी ना फैलाया है यह पोलूशन!हवा थोड़ी सी पोल्यूटेड हो गई बाररश दे र से आई या पहाड़ खखसक
गए इससे हमें क्या अंतर पढ़ता है?
2.पेड़ ना कटे तो मकान कैसे बनेगा? दरवाजे कैसे बनेंगे फनीर्र कैसे बनेगा क्या र्ाहते हो हम वापस गुफाओं
में रहने र्ले जाएं क्या?
3. अमेररका तरक्की कर रहा है र्ीन तरक्की कर रहा है एक हम हैं जो प्रकृनत प्रेमी होने के नाम पर activism
करते हैं नारे बाजी करते हैं पोस्टर बनाते हैं और तो और नुक्कड़ नाटक भी करते हैं, जंगल कटें गे तभी तो
डेवलपमेंट होगा,पेड़ कटें गे तभी तो कारखाने लगें गे बड़ी-बड़ी हाउलसंग सोसाइटीज बनेंगी ग्लोबल लसटीज बनेगी
तरक्की होगी!
मुंबई भूल गए भूल गए पवई मुंबई वाले वैसे ही तंग है आए ददन तेंदए
ु ननकलते हैं कभी-कभी ददन में भी ददख
जाता है तुम ददल्ली की सड़कों पर भी शेर र्ीते घूमवाना र्ाहते हो क्या?
5. पेड़ पेड़ गर्ल्ला रही हो मैडम जी!डेवलपमेंट की पहली ननशानी इंफ्रास्रक्र्र का पवकास.
Express Highways DND malls, Housing Societies,SEZ area, amusement park, smart cities और यहां तक
फक फामूचला वन रे लसंग रे क इन सब को हम पेड़ों के ऊपर तो नहीं बना सकते हवा में तो नहीं लटका सकते
थोड़े बहुत पेड़ कट जाए जाते हैं तो क्या फकच पड़ता है यह तो सो कॉल्ड एनवायरमेंटल एजक्टपवस्ट की बातें है
गर्पको आंदोलन में सुंदरलाल बहुगुणा वो औरतें गर्पक गई थी पेड़ों से “पेड़ नहीं काटने दें गे” हुआ क्या? पूरा
पहाड़ी एररया पपछड़ा पड़ा है अच्छी लॉजजक से बात करो लॉजजक से यह पेड़ वेड की इम्पोररटें स पर essay
ललखना या वक्ष
ृ ारोपण कायचिम आयोजजत करना स्कूल के बच्र्ों के ललए छोड़ दो. बी प्रैजक्टकल एंड रे ललजस्टक ,
वी नीड development.
Narration
Cut to cut
फकच पड़ता है फकच पड़ना र्ादहए अगर पेड़ नहीं होंगे तो साफ हवा नहीं होगी गर्डड़या नहीं होगी झूले नहीं होंगे
सख
ू ी पपियों पर र्लने की आहट न होगी
पेड़ है तो छाया है नींद है तो ननंबोली है पीपल है तो आस्था है खजूर है तो इफ्तार है फक यह तो पूजा है आम
की पिी है तो हवा है कीकर तो दरख्त है बरगद है तो जड़ें हैं जजंदगी के!
Narration
एक बूढ़ा व्यजक्त पेड़ िगा रहा िा तो उससे एक युवक बोिा तुम आम का पेड़ क्यों िगा रहे हो?इस आम का
फि तो तम
ु खा नहीं पाओगे! तो बढ़
ू ा आदमी बोिा कक अगर मेरे बज
ु ग
ु ों ने मेरे लिए पेड़ नहीं िगाए होते तो
मैं फि क्या खा पाता? ये फि में आने वािी पीढ़ी के लिए िगा रहा हूं कक जब वो बड़ी होंगी तो इसका िाभ
प्राप्त हो|
Last song
फक कुदरत हाँस पड़ेगी हो... अरे नींदें हैं ़िख़्मी, अरे सपने हैं भूखे