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10 PT-3
10 PT-3
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‘पर्यावरण’ शब्द दो शब्दों ‘परि’ और ‘आवरण’ के मेल से बना है , जिसका अर्थ है -हमारे चारों ओर का आवरण वह
आवरण, जिसमें ऐसे अनेक तत्व निहित हैं, जिनसे जीवन फलता-फूलता है । इन तत्वों का उचित संतुलन पर्यावरण
को ऐसा रूप दे ता है , जिसमें धरती पर उपस्थित जीवधारियों को जीवन के अनुकूल परिस्थितियाँ प्राप्त होती हैं, किं तु
जब यही संतुलन बिगड़ता है , तब सभी जीवधारियों के लिए परिस्थितियाँ कठिन से कठिनतम होती चली जाती हैं।
सच मानिए तो जीवनदायी तत्वों से भरा हमारा पर्यावरण हमारे प्राणों का आधार है । इसके संतुलन में ही हमारी
भलाई है । इसका असंतुलित होना हमारे लिए प्राणघातक है , किं तु इसे मानव जीवन की विडंबना ही कहा जाएगा कि
बुद्धिजीवी होते हुए भी हम मनुष्य शायद ऐसी बातें भूल चुके हैं, तभी तो पर्यावरण की इस कदर अनदे खी कर रहे हैं
कि जैसे उससे हमारे जीवन का कोई वास्ता ही न हो । आज विज्ञान की प्रगति के नाम पर किए जा रहे उचित-
ु त परीक्षण, वैज्ञानिक आविष्कारों के अनचि
अनचि ु त उपयोग, शहर व कारखानों की गंदगी से बेहाल होती नदियों व
ू ण ने पर्यावरण का मानो दम घोंट दिया है। पर्यावरण कराह रहा है , प्रकृति आक्रोश में है । ग्लोबल
बढ़ते प्रदष
वॉर्मिंग, ग्लेशियरों का पिघलना, मौसम चक्रों का अव्यवस्थित होना, बादल फटना, बाढ़, तफ़
ू ान, भक
ू ं प आदि का आना
तथा नित्य नई-नई बीमारियों का बढ़ना प्रकृति के आक्रोश तथा मनुष्य के द्वारा किए जा रहे पर्यावरण की उपेक्षा
के ही परिणाम हैं । सोचिए, क्या ऐसा करके मनष्ु य अपनी कब्र अपने आप ही तैयार करने में नहीं जट
ु गया है।
ऐसा करके हम अगली पीढ़ी को कैसा पर्यावरण सौंपने जा रहे हैं, क्या हमने इस पर विचार करना छोड़ दिया है ।
अच्छा होगा कि मनष्ु य निजी स्वार्थ को छोड़कर पर्यावरण-संरक्षण का दायित्व निभाए, तभी भावी पीढ़ी उसे उसकी
अच्छाइयों के लिए याद करे गी ॥
i .पर्यावरण का जीवन के साथ क्या संबंध है ? इस गद्यांश के आधार पर विचार करके लिखिए। [2]
उत्तर 1. (i) पर्यावरण का जीवन के साथ गहरा संबंध है। पर्यावरण में जीवन के लिए आवश्यक सभी तत्व
विद्यमान हैं और इसके संतुलन में ही सबकी भलाई है।
(ii) मानव जीवन के लिए पर्यावरण प्राणों का आधार है तथापि हम हर पल इसकी उपेक्षा करते रहते हैं। गद्यांश में
इसे ही मानव जीवन की विडंबना कहा गया है।
(iii) ग्लोबल वॉर्मिंग, ग्लेशियरों का पिघलना, मौसम चक्र का अव्यवस्थित होना, बादल फटना, बाढ़, तफ़
ू ान, भक
ू ंप
आदि का आनी तथा नित्य नई-नई बीमारियों का बढ़ना पर्यावरण की उपेक्षा के परिणाम हैं।
(iv) आज की पीढ़ी यदि पर्यावरण संरक्षण के दायित्व का निर्वाह अच्छे से करे गी तभी भावी पीढ़ी उसे याद रखेगी।
(v) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयक्
ु त शीर्षक ‘पर्यावरण और हम’ होना चाहिए।
प्र.2 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए । [2X 5=10]
क.उच्चकांक्षा –
तरुवर -वक्ष
ृ ,पेड़
मनुष्यता’ कविता का प्रतिपाद्य है कि हमें मत्ृ यु से नहीं डरना चाहिए | परोपकार के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर
करने के लिए तत्पर रहना चाहिए । जब हम दस
ू रों के लिए जीते हैं तभी लोग हमें मत्ृ यु के बाद भी याद रखते हैं।
कभी घमंड नहीं करना चाहिए। स्वयं आगे बढ़ने के साथ- साथ औरों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा दे नी चाहिए। सभी
को एक होकर चलना चाहिए और परस्पर भाईचारे का व्यवहार करना चाहिए। सभी मनुष्य ईश्वर की संतान है ।
परस्पर विश्वास का भाव बनाए रखना चाहिए।
मनुष्यता’ कवि ने मनुष्य को मत्ृ यु से ना डरने का संदेश इसलिए दिया है क्योंकि कवि मैथिलीशरण गुप्त का
मानना है कि जब इस शरीर को नष्ट होना ही है अर्थात यह शरीर नश्वर है , और आत्मा अमर है , तब मत्ृ यु से
डरना क्यों। इसलिए शरीर की नश्वरता को जानते हुए मत्ृ यु से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है । शरीर के अंदर
जो आत्मा है वह अनादि है , वह सनातन काल से चली आ रही है। वह आगे किसी नए शरीर के रूप में जन्म लेगी।
कभी नहीं है विचार नहीं करने के लिए कहा है कि मनष्ु य घमंडी के साथ नहीं रहना और स्वार्थी नहीं रहना चाहिए
जिसके मन में दस
ू रों के लिए सहानुभूति हो उसे महान व्यक्ति कहलाता है
प्र. 3.निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 80-100 शब्दों में अनुच्छे द लिखिए [5]
कंप्यूटर : लाभ या हानि
•विज्ञान की अनठ
ू ी दे न
• लाभ-हानि
मान्यवर,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र में वर्षा के कारण सड़कों की ख़राब स्थिति और इससे प्रतिदिन
हज़ारों यात्रियों को होने वाली कठिनाइयों की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। इससे सड़क पर घंटों जाम लगा रहता
है । समय पर दफ्तर, विद्यालय या घर पहुँचना नामम
ु किन हो गया है। एक बीमार यात्री की दशा तो अत्यंत दयनीय
हो गई थी। इसके बहुत दे र तक गाड़ियों के रुकने से वातावरण में धुएँ और धूल के कारण प्रदष
ू ण का जहर फैल
रहा है।
अतः आपसे अनुरोध है कि हम निवासियों के हित को ध्यान में रखते हुए इस समाचार को अपने लोकप्रिय समाचार
पत्र के मुखपष्ृ ठ पर जगह दे कर संबंधित अधिकारी का ध्यान आकृष्ट करने की कृपा करें । इससे हम सबकी
समस्या शीघ्र दरू हो सकेगी। इसके लिए हम सब आभारी रहें गे ।
धन्यवाद!
भवदीय,
अ० ब० स०,
अ• ब. स. मोहल्ला,
अ. ब. स. नगर, [5]
इसका भाव है कि जब आकाश में चारों तरफ़ असंख्य बादल छा जाते हैं, तो वातावरण धुंधमय हो जाता है और
केवल झरनों की झर-झर ही सन
ु ाई दे ती है , तब ऐसा प्रतीत होता है कि मानों धरती पर आकाश टूट पड़ा हो।
करधनी
झरने
ग.वक्ष
ृ आकाश की और कैसे दे ख रहा है ?
एकटक
पर्वत के चरणों में पला ताल विशाल दर्पण के समान लग रहा है कवि ने तलाक के स्वच्छता निर्मल जल को कारण
उसे दर्पण कहा गया है ।