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कक्षा 10 सामाजिक जिज्ञान नोट्स


भगू ोल ( समकालीन भारत -2 )
Chapter 1 संसाधन और जिकास

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❇️ सस
ं ाधन :-
🔹 हमारे पर्ाावरण में उपलब्ध प्रत्र्ेक वस्तु जो हमारी आवश्र्कताओ ं को परू ा करने में प्रर्क्त
ु की जा सकती है
और जजसको बनाने के जलए प्रौद्योजिकी उपलब्ध है जो आजथाक रूप से सभं ाव्र् और सास्ं कृ जतक रूप से मान्र् है
संसाधन कहलाती है ।

❇️ सस
ं ाधनों का िगीकरण :-
🔶 उत्पजि के आधार पर :- जैव और अजैव

🔶 समाप्यता के आधार पर :- नवीकरण र्ोग्र् और अनवीकरण र्ोग्र्

🔶 स्िाजमत्ि के आधार पर :- व्र्जक्तित , सामदु ाजर्क , राष्ट्रीर् और अंतरााष्ट्रीर्

🔶 जिकास के स्तर के आधार पर :- सभं ावी , सभं ावी जवकजसत भंडार और सजं ित कोष

❇️ उत्पजि के आधार पर सस
ं ाधनों का िगीकरण :-
🔶 िैि सस ं ाधन :- ऐसे ससं ाधन जो हमें जीवमडं ल से प्राप्त होते हैं , एवं जजनमें जीवन है जैव ससं ाधन
कहलाते हैं । िैसे :- मनष्ट्ु र् , प्राणीजात आजद ।

🔶 अिैि संसाधन :- वे सभी संसाधन जो जनजीव वस्तुओ ं से बने हैं , अजैव संसाधन कहलाते हैं । िैसे
:- िट्टानें और धातएु ं ।

❇️ समाप्यता के आधार पर सस ं ाधनों का िगीकरण :-


🔶 निीकरणीय सस ं ाधन :- वे संसाधन जजन्हें जवजभन्न भौजतक , रासर्जनक अथवा र्ांजिक प्रजिर्ाओ ं द्वारा
पनु ः उपर्ोिी बनार्ा जा सकता है , नवीकरणीर् संसाधन कहलाते हैं । िैसे :- वार्ु , जल आजद ।

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🔶 अनिीकरणीय सस ं ाधन :- वे संसाधन जजन्हें एक बार उपर्ोि में लाने के बाद पनु : उपर्ोि में नहीं लार्ा
जा सकता , इनका जनमााण एवं जवकास एक लबं े भवू ैज्ञाजनक अतं राल में हुआ है , अनवीकरणीर् ससं ाधन कहलाते
हैं । िैसे :- खजनज ।

❇️ स्िाजमत्ि के आधार पर संसाधनों का िगीकरण :-


🔶 व्यजिगत संसाधन :- वैसे संसाधन व्र्कजतित संसाधन कहलाते हैं जजनका स्वाजमत्व जनजी व्र्जक्तर्ों के
पास होता है । उदाहरण :- जकसी जकसान की जमीन , घर , आजद ।

🔶 सामदु ाजयक सस
ं ाधन :- वे ससं ाधन जजनका उपर्ोि समदु ार् के सभी लोि करते हैं , सामदु ाजर्क ससं ाधन
कहलाते हैं ।

🔶 राष्ट्रीय संसाधन :- जकसी भी प्रकार के संसाधन जो राष्ट्र की भौिोजलक सीमा के भीतर मौजदू हों , राष्ट्रीर्
ससं ाधन कहलाते हैं ।

🔶 अंतरााष्ट्रीय सस ं ाधन :- तट रे खा के 200 मील दरू ी से परे खल ु े महासािरीर् ससं ाधनों पर जकसी देश का
अजधकार नहीं है । र्ह अंतरााष्ट्रीर् संिठनों की जनिरानी में हैं । इन्हें अंतरााष्ट्रीर् संसाधन कहते हैं ।

❇️ जिकास के स्तर के आधर पर संसाधनों का िगीकरण :-


🔶 संभािी संसाधन :- वे संसाधन जो जकसी प्रदेश में जवद्यमान हैं , परंतु उनका उपर्ोि नहीं जकर्ा िर्ा है
सभं ावी ससं ाधन कहलाते हैं ।

🔶 जिकजसत सस ं ाधन :- वे ससं ाधन जजनके उपर्ोि की िणु वत्ता और मािा जनधााररत की जा िक
ु ी है
जवकजसत संसाधन कहलाते हैं ।

🔶 भंडाररत संसाधन :- पर्ाावरण में उपलब्ध वे संसाधन जो अभी प्रौद्योजिकी के अभाव में मानव की पहुिं से
बाहर हैं भडं ाररत ससं ाधन कहलाते हैं ।

🔶 सजं ित सस ं ाधन :- वे ससं ाधन जजन्हें अभी तकनीकी ज्ञान के उपर्ोि से प्रर्ोि में लार्ा जा सकता है , परंतु
इनका उपर्ोि अभी आरंभ नहीं हुआ है संजित संसाधन कहलाते है ।

❇️ सस
ं ाधनों का जिकास :-

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🔹 मानव अजस्तत्व के जलए संसाधन अत्र्न्त महत्वपणू ा है । ऐसा जवश्वास जकर्ा जाता था जक संसाधन प्रकृ जत
की देन है इसजलए मानव द्वारा इसका अधं ाधधंु उपर्ोि जकर्ा िर्ा जजसके फलस्वरूप जनम्नजलजखत मख्ु र्
समस्र्ाएँ पैदा हो िर्ी हैं ।

• कुछ व्र्जक्तर्ों के लालिवश संसाधनों का ह्रास ।


• ससं ाधन समाज के कुछ ही लोिों के हाथ में आ िए हैं , जजससे समाज दो जहस्सों संसाधन संपन्न एवं
संसाधनहीन अथाात् अमीर और िरीब में बँट िर्ा ।
• ससं ाधनों के अंधाधंधु शोषण से वैजश्वक पाररजस्थजतकी संकट पैदा हो िर्ा है जैसे :- भमू ंडलीर् तापन
, ओजोन परत अवक्षर् , पर्ाावरण प्रदषू ण और भजू म जनम्नीकरण आजद हैं ।
🔹 मानव जीवन की िुणवत्ता और वैजश्वक शांजत के जलए समाज में संसाधनों का न्र्ार्संित बँटवारा आवश्र्क
हो िर्ा है ।

❇️ सतत् पोषणीय जिकास :-


🔹 संसाधनों का ऐसा जववेकपणू ा प्रर्ोि ताजक न के वल वतामान पीढ़ी की अजपतु भावी पीजढ़र्ों की
आवश्र्कताएं भी परू ी होती रहें , सतत् पोषणीर् जवकास कहलाता है ।

❇️ एिेंडा 21 :-
🔹 1992 में ब्राजील के शहर ररर्ो डी जेनेरो में संर्क्त
ु राष्ट्र पर्ाावरण और जवकास सम्मेलन के तत्वाधान में
राष्ट्राध्र्क्षों ने एजेंडा 21 पाररत जकर्ा ।

🔶 उद्देश्य :-

🔹 जजसका उद्देश्र् समान जहतों , पारस्पररक आवश्र्कताओ ं एवं सजम्मजलत जजम्मेदाररर्ों के अनसु ार जवश्व
सहर्ोि के द्वारा पर्ाावणीर् क्षजत , िरीबी और रोिों से जनपटना है ।

❇️ सस
ं ाधन जनयोिन :-
🔹 ऐसे उपार् अथवा तकनीक जजसके द्वारा ससं ाधनों का उजित उपर्ोि सजु नजित जकर्ा जा सकता है ससं ाधन
जनर्ोजन कहलाता है ।

❇️ भारत में सस
ं ाधन जनयोिन :-
🔹 संसाधनों की मदद से समजु ित जवकास करने के जलर्े र्ह जरूरी है जक र्ोजना बनाते समर् टेक्नॉलोजी ,
कौशल और संस्थाित बातों का ध्र्ान रखा जार्े ।

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🔹प्रथम पंिवषीर् र्ोजना से ही भारत में संसाधन जनर्ोजन एक प्रमख


ु लक्ष्र् रहा है ।

🔹 भारत में संसाधन जनर्ोजन के मख्ु र् जबंदु जनम्नजलजखत हैं :-

• परू े देश के जवजभन्न प्रदेशों के संसाधनों की पहिान कर उनकी ताजलका बनाना ।


• उपर्क
ु कौशल , टेक्नॉलोजी और संस्थाित ढाँिे का सही इस्तेमाल करते हुए जनर्ोजन ढाँिा तैर्ार
करना ।
•संसाधन जनर्ोजन और जवकास जनर्ोजन के बीि सही तालमेल बैठाना ।
❇️ सस
ं ाधन संरक्षण :-
🔹 संसाधनों का उजित प्रबंधन ताजक जल , भजू म तथा – वनस्पजत एवं मृदा का इस प्रकार से प्रर्ोि करना जक
भावी पीढ़ी की जरूरतों का भी ख्र्ाल रखा जाए ।

❇️ भू – सस
ं ाधन :-
🔹 भजू म एक महत्वपणू ा प्राकृ जतक संसाधन है ।

🔹 प्राकृ जतक वनस्पजत , वन्र् – जीवन , मानव जीवन , आजथाक जिर्ाएँ , पररवहन तथा संिार व्र्वस्थाएं भजू म
पर ही आधाररत हैं ।

🔹 भजू म एक सीजमत संसाधन हैं इसजलए हमें इसका उपर्ोि सावधानी और र्ोजनाबद्ध तरीके से करना िाजहए

❇️ भारत में भूजम – संसाधन :-


🔹 लिभि 43 प्रजतशत भू – क्षेि मैदान हैं जो कृ जष और उद्योि के जवकास के जलए सजु वधाजनक हैं ।

🔹 लिभि 30 प्रजतशत भू – क्षेि पर जवस्तृत रूप से पवात जस्थत हैं जो बारहमासी नजदर्ों के प्रवाह को सजु नजित
करते हैं , पर्ाटन जवकास के जलए अनक
ु ू ल पररजस्थजतर्ाँ प्रदान करता है और पाररजस्थजतकी के जलए महत्वपूणा है ।

🔹 लिभि 27 प्रजतशत जहस्सा पठारी क्षेि है जजसमें खजनजों , जीवाश्म ईधन


ं और वनों का अपार सि
ं र् कोष है

❇️ भू – उपयोग :-
🔹 भौिोजलक प्रजिर्ा जजसे अनसु ार भजू म का प्रर्ोि जवजभन्न आजधाक िजतजवजधर्ों के जलए जकर्ा जाता है ।

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🔹 भू – उपर्ोि को जनधााररत करने वाले तत्व हैं :-

🔶 िन :- पेडों से आच्छजदत एक जवशाल क्षेि ।

🔶 कृजष के जलए अनुपलब्ध भूजम :- बंजर तथा कृ जष अर्ोग्र् भजू म िैर कृ जष प्रर्ोजनों में लिाई िई भजू म –
इमारतें , सडकें उद्योि ।

🔶 परती भजू म :- वतामान परती- जहां कृ जष एक वषा उससे कम समर् खेती ना की िई हो ।

🔶 अन्य परती :- अन्र् परती जहां 1-5 वषा से खेती न की िई हो ।

🔶 अन्य कृजष योग्य भूजम :- स्थाई िरािाहें तथा अन्र् िदोिर भजू म जवजवध वृक्षों , वृक्ष फसलों तथा उपवन
के अजधन भजू म । कृ जष र्ोग्र् बंजर भजू म जो 5 वषे र्ा अजधक से खाली ।

🔶 शुद्ध बोया गया क्षेत्र :- एक कृ जष वषा में एक बार से अजधक बोए िए क्षेि को शद्ध
ु बोर्ा िर्ा क्षेि कहते हैं

❇️ भारत में भू – उपयोग प्रारूप के प्रकार :-


🔹 भू – उपर्ोि को जनधााररत करने वाले तत्त्वों में भौजतक कारक जैसे भू – आकृ जत , मृदा जलवार्ु और तथा
मानवीर् कारक जैसे जनसख्ं र्ा घनत्व , प्रौद्योजिक क्षमता , सस्ं कृ जत और परंपराएँ इत्र्ाजद शाजमल हैं ।

❇️ भू – जनम्नीकरण के कारण :-

• खनन
• अजतिारण
• अजतजसिं ाई
• औद्योजिक प्रदषू ण
•वनोन्मलू न
❇️ भूजम संरक्षण के उपाए :-

• वनारोपण
• पशिु ारण जनर्ंिण

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• रक्षक मेखला
• खनन जनर्ंिण
• औद्योजिक जल का पररष्ट्करण
❇️ मदृ ा सस
ं ाधन :-
🔹 मृदा एक महत्वपणू ा प्राकृ जतक ससं ाधन है । जमट्टी में ही खेती होती है । जमट्टी कई जीवों का प्राकृ जतक आवास
भी है ।

❇️ मृदा का जनमााण :-
🔹 जमट्टी के जनमााण की प्रजिर्ा अत्र्ंत धीमी होती है । इसका अंदाजा इस बात से लिार्ा जा सकता है जक माि
एक सेमी मृदा को बनने में हजारों वषा लि जाते हैं ।

🔹 मृदा का जनमााण शैलों के अपघटन जिर्ा से होता है । मृदा के जनमााण में कई प्राकृ जतक कारकों की महत्वपणू ा
भजू मका होती है ; जैसे जक तापमान , पानी का बहाव , पवन ।

🔹 इस प्रजिर्ा में कई भौजतक और रासार्जनक पररवतानों का भी र्ोिदान होता है ।

❇️ मृदा के प्रकार :-

• लाल एवं पीली मृदा


• जलोढ़ मृदा
• काली मृदा
• वन मृदा
• मरूस्थलीर् मृदा
• लेटराइट मृदा
❇️ िलोढ़ मृदा :-

• भारत के लिभि 45 प्रजतशत क्षेिफल पर पाई जाती है ।


• इस जमट्टी में पोटाश की बहुलता होती है ।
• जसधं ु , ििं ा तथा ब्रह्मपिु नदी तिं ों द्वारा जवकजसत ।
• रे त , जसल्ट तथा मृजत्तका के जवजभन्न अनपु ात में पाए जाते है ।
• आर्ु के आधार पर परु ानी जलोढ़ ( बािं र ) एवं नर्ी जलोढ़ ( खादर )

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बहुत उपजाऊ तथा िन्ना , िावल , िेहँ आजद फसलों के जलए उपर्ोिी ।

❇️ काली मदृ ा :-

• रंि काला एवं अन्र् नाम रे िर मृदा ।


• जटटेनीफे रस मैग्नेटाइट एवं जीवांश की उपजस्थजत ।
• बेसाल्ट िट्टानों के टूटने – फूटने के कारण जनमााण ।
• आर्रन , िनू ा , एल्र्मु ीजनर्म एवं मैजग्नजशर्म की बहुलता ।
• कपास की खेती के जलए सवााजधक उपर्क्त
ु ।
महाराष्ट्र , सौराष्ट्र , मालवा , मध्र् प्रदेश और छत्तीसिढ़ के पठारों में पाई जाती है ।

❇️ लाल एिं पीली मृदा :-

• लोहे के कणों की अजधकता के कारण रंि लाल तथा कहीं – कहीं पीला भी ।
• अम्लीर् प्रकृ जत की जमट्टी ।
• िनू े के इस्तेमाल से उवारता को बढ़ार्ा जा सकता है ।
उडीसा , छत्तीसिढ़ , मध्र् िंिा के मैदान व िारो , खासी व जर्ंजतर्ा के पहाडों पर पाई जाती है ।

❇️ लेटराइट मृदा :-

• उच्ि तापमान और अजधक वषाा वाले क्षेिों में जवकजसत ।


• भारी वषाा से अत्र्जधक जनक्षालन का पररणाम ।
• िार् व काजू के जलए उपर्क्त
ु ।
• कनााटक , के रल तजमलनाडु , मध्र् प्रदेश , उडीसा तथा असम के पहाडी क्षेिों के जलए उपर्क्त
ु ।
❇️ मरूस्थलीय मृदा :-

• रंि लाल व भरू ा ।


• रे तीली तथा लवणीर् ।
• शष्ट्ु क जलवार्ु तथा उच्ि तापमान के कारण जल वाष्ट्पन की दर अजधक ।
• ह्यमू स और नमी की मािा कम ।
• उजित जसंिाई प्रबंधन के द्वारा उपजाऊ बनार्ा जा सकता है ।
❇️ पहाडी पद ( पीडमाऊँ ट िोन ) :-

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🔹 जकसी पवात र्ा पवात श्ृंखला के तल पर पार्ा जाने वाला क्षेि । उदाहरण के जलए पजिमी घाट का पहाडी
पद अथाात पजिमी घाट के तल पर पार्ा जाने वाला क्षेि ।

❇️ दलकन रैप :-
🔹 प्रार्द्वीपीर् पठार का काली मृदावाला क्षेि । इसका जनमााण लावा जमट्टी के द्वारा हुआ है । बहुत ही उपजाऊ
क्षेि तथा कपास की खेती के जलए उपर्क्त
ु है ।

❇️ िन मृदा :-

• पवातीर् क्षेिों में पाई जाती है ।


• िठन में पवातीर् पर्ाावरण के अनसु ार बदलाव ।
• नदी घाजटर्ों में मृदा दोमट तथा जसल्टदार ।
• अजधजसलक तथा ह्यमू स रजहत ।
❇️ खादर एिं बांगर में अतं र :-
खादर बांगर

नवीन जलोढ़ मृदा । प्रािीन जलोढ़ मृदा ।

अजधक बारीक व रे तीली । कंकड व कै जल्शर्म काबोनेट ।

बार – बार नवीकरण संभव बार – बार नवीकरण नहीं ।

नदी के पास डेल्टा तथा बाढ़ जनजमात मैदानों में पाई जाती है । नदी से दरू ऊँ िे स्तर पर पाई जाती है ।

❇️ मृदा अपरदन :-
🔹 मृदा के कटाव और उसके बहाव की प्रजतजिर्ा को मृदा अपरदन कहा जाता है ।

❇️ मृदा अपरदन के कारण :-

• वनोन्मल
ू न।
• अजत पशिु ारण ।
• जनमााण व खनन प्रजिर्ा ।

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• प्राकृ जतक तत्व जैसे , पतन , जहमनदी और जल ।


• कृ जष के िलत तरीकें ( जतु ाई के तरीके ) ।
• पवन द्वारा मैदान अथवा ढालू क्षेि में मृदा को उडा ले जाना ।
❇️ मदृ ा अपरदन के समाधान :-

• ढाल वाली भजू म पर समोच्ि रे खाओ ं के समानंतर हल िलाने से ।


• ढाल वाली भजू म पर सीढी बना कर खेती करने से ।
• बडे खेतों को परट्टर्ों में बाटं कर फसलों के बीि में धास की पट्टी उिाकर ।
• खेत के िारों तरफ पेडों को कतार में लिातार एक मेखला बनाना । वनोरोपण ।
• अजत पशिु ारण को जनर्जं ित करके ।
❇️ अिनजलकाएँ :-
🔹 बहता हुआ जल मृजत्तकार्क्त
ु मृदाओ ं को काटते हुए िहरी वाजहकाएं बनाता है , जजन्हें अवनजलकाएँ कहते हैं

❇️ उत्खात भूजम :-
🔹 ऐसी भजू म जो जोतने र्ोग्र् नहीं रहती उसे उत्खात भजू म कहते हैं ।

❇️ खड्ड भूजम :-
🔹 िंबल बेजसन में इसे खड्ड भजू म कहते हैं ।

❇️ पिन अपरदन :-
🔹 पवन द्वारा मैदान और ढालू क्षेि से मृदा को उडा ले जाने की प्रजिर्ा को पवन अपरदन कहते हैं ।

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