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खण्ड ‘ब’ (विषयवनष्ठ प्रश्न)
प्रश्न संख्या 1 से 10 तक लघु ईत्तरीय प्रश्न है | वकन्ही 5 प्रश्नों का ईत्तर दे |
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1. िसााय वक सवं ध का ईदेश्य क्या था ?
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ईत्तर – िसााय की संवध को जून 1919 में प्रथम विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में शांवत स्थापना
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के ईद्देश्य से की गयी। यह संवध वमत्र राष्ट्रों द्वारा जमानी के साथ की गइ महत्त्िपूर्ा संवध
थी। यह संवध पूर्ारूप से वमत्र राष्ट्रों के वहतों के संिद्धान एिं जमान वहतों के बवलदान पर
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अधाररत थी। जमानी को वन:शस्त्रीकरर् हेतु बाध्य वकया गया ।


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3. अदशा अचार संवहता क्या होती है ?


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ईत्तर – भारतीय वनिााचन अयोग की अदशा चुनाि अचार संवहता राजनीवतक दलों
एिं प्रत्यावशयों के वलये बनायी गयी एक वनयमािली है वजसका पालन चुनाि के समय
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अिश्यक है। चुनाि अयोग चुनाि से पहले आसके लागू होने की घोषर्ा करता है और
चुनाि के बाद आसके समाप्त होने की।
6. विपी बेरोजगारी को पररभावषत करें ?
ईत्तर- ऄल्परोज़गारी की वस्थवत ईस वस्थवत को कहा जाता है जब लोग स्पष्ट रूप से
काम कर रहे होते हैं लेवकन ईन सभी से ईनकी क्षमता से कम काम कराया जाता है , आसे
विपी हुइ बेरोज़गारी कहा जाता है। आस मामले में , व्यवि खुद को वनयोवजत मानता है
लेवकन िास्ति में काम नहीं कर रहा है।
7 . फेरेल का वनयम क्या है ?
ईत्तर- फेरेल का वनयम : आस वनयम के ऄनुसार, “धरातल पर मुख्य रूप से चलने िाली
सभी हिाएं पृथ्िी की गवत के कारर् ईत्तरी गोलाद्धा में दावहनी ओर तथा दवक्षर्ी

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गोलाद्धा में बायीं ओर मुड़ जाती हैं।” यह वनयम बड़े क्षेत्रों पर चलने िाली स्थायी पिनों,

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िोटे चक्रिातों और प्रवतचक्रिातों पर लागू होता है।

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10. जैविक अपदा से क्या ऄवभप्राय है ?

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ईत्तर- जैविक तथा जीिों से प्राप्त पदाथा जब मनुष्ट्य के वलए त्रासदी का रूप ले लेते हैं।
तो आसे जैविक अपदा कहते हैं| आसके ऄंतगात िैसे जैविक पदाथा भी अते हैं वजससे
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मिेवशयों के स्िास्थ्य पर प्रवतकूल ऄसर पड़े।
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प्रश्न संख्या 11 से 18 तक दीघा ईत्तरीय है ? वकन्ही 4 प्रश्नों के ईत्तर दें |


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11. ऄमेररकी स्ितंत्रता सग्रं ाम के पररर्ामों ने औपवनिेवशक विश्व को वकस प्रकार


प्रभावित वकया ?
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ईत्तर – ऄमेररकी स्ितंत्रता संग्राम के पररर्ामों ने औपवनिेवशक विश्व को काफी


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प्रभावित वकया। ऄमेररका को स्ितंत्र होते देख विश्व में प्रायः सभी ईपवनिेशों की
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जनता स्ितंत्रता के वलए लालावयत हो गयी। एक तरफ आग्ं लैण्ड ऄमेररका से जूझ रहा
था, तो दूसरी तरफ िह सभी ईपवनिेशों में ऄपनी पकड़ मजबूत करने में लगा हुअ था।
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तात्पया यह है वक एक तरफ आग्ं लैण्ड ईपवनिेशों में पैर जमाने का प्रयास कर रहा था, तो
दूसरी तरफ िहााँ की जनता ईसी समय स्ितंत्रता प्रावप्त के वलए प्रयासरत थी। आस प्रकार,
ऄमेररकी स्ितंत्रता संग्राम के पररर्ामों ने ईपवनिेशिावसयों ने निचेतना का संचार
वकया।
13. लोकतंत्र में चुनाि वक अिश्यकता पर चचाा करें ?
ईत्तर – अज के लोकतांवत्रक युग में चुनाि की जरूरत आसवलए है, क्योंवक जनता स्ियं
शासन नहीं करती, बवल्क ऄपने प्रवतवनवधयों के माध्यम से जनता शासन करती है।
प्रवतवनवधयों के चयन के वलए चुनाि सबसे ऄच्िा विकल्प है। यवद जनता द्वारा चुने गए
प्रवतवनवध ईनकी अिश्यकताओ ं पर ध्यान नहीं देते, तो ऄगले चुनाि में जनता ईसे हरा
देती है, तथा दूसरे प्रवतवनवध का चुनाि करती है। ऄतः, ित्तामान युग में चुनाि ऄवत
अिश्यक है।

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15. भारत में मानिीय पूाँजी वनमाार् के विकास का पररचय दीवजये |

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ईत्तर – भारत में विकास योजनाओ ं का ऄवन्तम लक्ष्य देश में मानिीय पूाँजी का वनमाार्

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ऄथिा मानिीय साधनों का विकास करना होता हैं । आसी लक्ष्य की प्रावप्त के वलए
दीघाकावलक अवथाक सुधारों को सफल बनाने का प्रयास वकया जाता है। वपिले कुि

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िषों में देश में मानिीय पूाँजी के विकास में सराहनीय सफलता वमली है। आसका पता
जनसंख्या सम्बन्धी बेहतर सूचकों, साक्षरता एिं वशक्षा के विकास में बढोतरी, स्िास्थ्य
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सुविधाओ ं में बढोतरी, साक्षरता दर में िृवद्ध, जन्म-मृत्यु दर में कमी अवद से चलता हैं,
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जो मानिीय विकास के सच ू क हैं। आन सच


ू नाओ ं के अधार पर कहा जा सकता है वक
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भारत में मानिीय पूाँजी वनमाार् के विकास में िृवद्ध हुइ हैं।
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18. भारत के ईत्तर के विशाल मैदान की विशेषताओ ं को वलवखए |


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ईत्तर – वहमालय पिात श्रेर्ी तथा दवक्षर्ी पठार के बीचोंबीच एक विशाल सपाट मैदान
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है, वजसे भारत का ईत्तरी-पूिी विशाल मैदान कहा जाता है। आसके वनमाार् वहमालय से
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वनकलने िाली नवदयों द्वारा लायी गयी जलोढ गाद से हुअ है। यह भारत का ही नहीं,
बवल्क विश्व का सबसे ऄवधक ईपजाउ और घनी जनसख् ं या िाला मैदान है। यह 7
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लाख वकलोमीटर से ऄवधक क्षेत्रफल में फैला है। पविम से पूिा आसकी लम्बाइ लगभग
2400 वक०मी० है और 150 से 500 वक०मी० चौड़ा है। यह मैदान सामान्यतः समुद्र से
240 मी० से ऄवधक उाँचा नहीं है।
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