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पाठ 14 - खानपान की बदलती तसवीर (प्रयागराज शुक्ल)

Notes

• चित्र बनाइए।
• पाठ में से १5 नए शब्द ढूँ ढ़कर तीन-तीन बार लिखिए।

शब्दार्थ

1) विज्ञावपत – विज्ञापन में ददिाना


2) कस्बी – जगह
3) दर्
ु ााग्य – बदककस्मती
4) ननिालिस – शुद्ध
5) संस्कृनत – सभ्यता
6) जदिि – मुश्ककि
7) िंचित – जो प्राप्त न हो
8) लमचित – लमिी-जुिी
9) प्रिारार्ा - प्रिार के हे तु
10) दग
ु ना त – बरु ी हाित
11) मसिन - उदाहरण स्िरूप
12) गड्डड्डमड्डड - सब लमिजि
ु कर बेकार हो जाना
13) स्र्ानीय व्यंजन - ककसी विशेष स्र्ान के िाद्य पदार्ा
14) पन
ु रुद्धार - किर से ऊूँिा उठाना
15) साहबी दठकाने - अमीर पररिारों के िाने-पीने के विशेष स्र्ान

• प्रश्न-उत्तर ललखखए-

प्र01) िानपान की लमचित संस्कृनत से िेिक का क्या मतिब है?

उ0- िानपान की लमचित संस्कृनत से िेिक का मतिब, दे श के सर्ी प्रांतों में परस्पर

िानपान के तौर-तरीकों और स्र्ानीय व्यंजनों की विचधयों का आदान-प्रदान करना

तर्ा प्रांतों में िानपान के आधार पर मेि-जोि होना है ।


प्र02) िानपान में बदिाि के क्या-क्या िायदे हैं? किर िेिक इस बदिाि को िेकर चिंनतत

क्यों हैं?

उ0- िानपान में बदिाि के कई िायदे हैं। जैसे-

1) िोगों को एक-दसरे को जानने-समझने का अिसर लमि रहा है।


2) राष्ट्रीय एकता को बढ़ािा लमि रहा है।
3) गदृ हखणयों और कामकाजी मदहिाओं को जल्दी तैयार होने िािे व्यंजनों की विचधयाूँ
उपिब्ध हुई हैं।
िेिक इस बदिाि को िेकर चिंनतत है क्योंकक-
1) स्र्ानीय व्यंजनों में िोगों की रुचि कम होती जा रही है।
2) िोग सुविधा िािे व्यंजन बनाने में रुचि िेते हैं, श्जसके कारण स्र्ानीय व्यंजन
िुप्त होते जा रहे हैं।
3) पुराने स्र्ानीय व्यंजनों की गुणित्ता र्ी बुरी तरह प्रर्ावित है।
4) पश्किमी व्यंजनों और उनके िानपान के ढं ग बबिकुि र्ी हमारे स्िास््य पर अनुकि
असर नहीं डािते हैं।

प्र03) िानपान के मामिे में स्र्ानीयता का क्या अर्ा है ?

उ0- िानपान के मामिे में स्र्ानीयता का अर्ा कुछ ऐसे व्यंजन से है जो ककसी विशेष

स्र्ान से जड़
ु े हो और उनहीं के लिए िह प्रलसद्ध हो। जैस-े

• मुम्बई पािर्ाजी के लिए


• ददल्िी छोिे-कुििे के लिए
• मर्ुरा पेड़ों के लिए
• आगरा पेठे और नमकीन के लिए
आज िे सर्ी िीज़ें दे श के हर प्रांत और शहर में लमि जाएूँगी िेककन यह स्र्ान इन
िीज़ों के लिए बरसों से जाने जाते हैं। यह बात अिग है कक िानपान की लमचित
संस्कृनत की गण
ु ित्ता पहिे जैसी नहीं रही है।

प्र04) िानपान की संस्कृनत का लमचित रूप कैसे विकलसत हुआ?

उ0- आज़ादी के बाद उद्योग-धंधों, नौकररयों, तबादिों के कारण कई िोगों के एक प्रदे श

से दसरे प्रदे श में आने-जाने से िानपान की लमचित संस्कृनत का विकास हुआ।


प्र05) िानपान की संस्कृनत का ‘राष्ट्रीय एकता’ में क्या योगदान है ?

उ0- िानपान की संस्कृनत का ‘राष्ट्रीय एकता’ में विशेष योगदान है क्योंकक िाने-पीने के

व्यंजनों का प्रर्ाि एक प्रदे श से दसरे प्रदे शों में बढ़ता जा रहा है श्जससे ‘राष्ट्रीय

एकता’ को बढ़ािा लमिता है।

रचनात्मक प्रश्न-

प्र0 अपने एक पसंदीदा व्यंजन को बनाने की रे लसपी, सामग्री सदहत लिखिए और

चित्र बनाओ या चिपकाओ?

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