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ग णत

ग णत दवस

पुणे म आयभट क मू त ४७६-५५०


ग णत ऐसी व ा का समूह है जो सं या ,
मा ा , प रमाण , प और उनके आपसी र त , गुण,
वभाव इ या द का अ ययन करती ह। ग णत एक अमूत
या नराकार (abstract) और नगमना मक णाली है।
ग णत क कई शाखाएँ ह : अंकग णत, रेखाग णत,
कोण म त, सां यक , बीजग णत, कलन, इ या द।
ग णत म अ य त या खोज करने वाले वै ा नक
को ग णत कहते ह।

बीसव शता द के यात टश ग णत और


दाश नक बटड रसेल के अनुसार ‘‘ग णत को एक ऐसे
वषय के प म प रभा षत कया जा सकता है जसम
हम जानते ही नह क हम या कह रहे ह, न ही हम यह
पता होता है क जो हम कह रहे ह वह स य भी है या
नह ।’’
ग णत कुछ अमूत धारणा एवं नयम का संकलन
मा ही नह है, ब क दै नं दन जीवन का मूलाधार है।

ग णत का मह व

गु त का मेय, इसके अनुसार AF = FD.

पुरातन काल से ही सभी कार के ान- व ान म ग णत


का थान सव प र रहा है-

यथा शखा मयूराणां नागानां मणयो यथा।


तथा वेदांगशा ाणां ग णतं मू न थतम्॥
(वेदांग यो तष)

( जस कार मोर म शखा और नाग म म ण का थान


सबसे उपर है, उसी कार सभी वेदांग और शा मे
ग णत का थान सबसे ऊपर है।)

महान ग णत गाउस ने कहा था क ग णत सभी


व ान क रानी है। ग णत, व ान और ौ ो गक का
एक मह वपूण उपकरण (टू ल) है। भौ तक , रसायन
व ान, खगोल व ान आ द ग णत के बना नह समझे
जा सकते। ऐ तहा सक प से दे खा जाय तो वा तव म
ग णत क अनेक शाखा का वकास ही इस लये
कया गया क ाकृ तक व ान म इसक आव यकता
आ पड़ी थी।
कुछ हद तक हम सब के सब ग णत ह। अपने दै नक
जीवन म रोजाना ही हम ग णत का इ तेमाल करते ह -
उस व जब समय जानने के लए हम घड़ी दे खते ह,
अपने खरीदे गए सामान या खरीदारी के बाद बचने वाली
रेजगारी का हसाब जोड़ते ह या फर फुटबाल टे नस या
केट खेलते समय बनने वाले कोर का लेखा-जोखा
रखते ह।

वसाय और उ ोग से जुड़ी लेखा संबंधी सं याएं


ग णत पर ही आधा रत ह। बीमा (इं योरस) संबंधी
गणनाएं तो अ धकांशतया याज क च वृ दर पर ही
नभर है। जलयान या वमान का चालक माग के दशा-
नधारण के लए या म त का योग करता है।
भौगो लक सव ण का तो अ धकांश काय ही
कोण म त पर आधा रत होता है। यहां तक क कसी
च कार के आरेखण काय म भी ग णत मददगार होता
है, जैसे क संदभ (पसपे टव) म जसम क च कार
को वमीय नया म जस तरह से इंसान और व तुएं
असल म दखाई पड़ते ह, उ ह का तदनु प च ण वह
समतल धरातल पर करता है।

संगीत म वर ाम तथा संनाद (हाम नी) और तब


(काउंटरपाइंट) के स ांत ग णत पर ही आ त होते ह।
ग णत का व ान म इतना मह व है तथा व ान क
इतनी शाखा म इसक उपयो गता है क ग णत
ए रक टे पल बेल ने इसे ‘ व ान क सा ा ी और
से वका’ क सं ा द है। कसी भौ तक व ानी के लए
अनुमापन तथा ग णत का व भ तरीक का बड़ा
मह व होता है। रसायन व ानी कसी व तु क
अ लीयता को सू चत करने वाले पी एच (pH) मान के
आकलन के लए लघुगणक का इ तेमाल करते ह।
कोण और े फल के अनुमापन ारा ही
खगोल व ानी सूय, तार , चं और ह आ द क ग त
क गणना करते ह। ाणी- व ान म कुछ जीव-ज तु
के वृ -पैटन के व ेषण के लए वमीय व ेषण
क मदद ली जाती है।

उ च ग तवाले संगणक ारा गणना को सरी


व धय ारा क गई गणना क अपे ा एक अंश मा
समय के अंदर ही स प कया जा सकता है। इस तरह
क यूटर के आ व कार ने उन सभी कार क गणना
म ां त ला द है जहां ग णत उपयोगी हो सकता है।
जैस-े जैसे खगोलीय तथा काल मापन संबंधी गणना
क ामा णकता म वृ होती गई, वैस-े वैसे नौसंचालन
भी आसान होता गया तथा टोफर कोल बस और
उसके परवत काल से मानव सु रगामी नए दे श क
खोज म घर से नकल पड़ा। साथ ही, आगे के माग का
न शा भी वह बनाता गया। ग णत का उपयोग बेहतर
क म के समु जहाज, रेल के इंजन, मोटर कार से
लेकर हवाई जहाज के नमाण तक म आ है। राडार
णा लय क अ भक पना तथा चांद और ह आ द
तक राकेट यान भेजने म भी ग णत से काम लया गया
है।

भौ तक म ग णत का मह व

व ुतचु बक य स ा त समझने एवं उसका उपयोग


करने के लये के लये स दश व ेषण ब त
मह वपूण है।

ु स ा त, पे ो कोपी, वांटम यां क , ठोस
अव था भौ तक एवं ना भक य भौ तक के लये
ब त उपयोगी है।
भौ तक म सभी तरह के रेखीय संकाय के व ेषण
के लये फु रअर क यु याँ उपयोगी है।
वा टम् या क को समझने के लये मै स
व ेषण ज री है।
व ुतचु बक य तरंग का वणन करने एवं वा टम
यां क के लये स म सं या का उपयोग होता
है।

ग णत का इ तहास
मानव ान क कुछ ाथ मक वधा म संभवतया
ग णत भी आता है और यह मानव स यता जतना ही
पुराना है। मानव जीवन के व तार और इसम
ज टलता म वृ के साथ ग णत का भी व तार आ
है और उसक ज टलताएं भी बढ़ ह। स यता के
इ तहास के पूरे दौर म गुफा म रहने वाले मानव के सरल
जीवन से लेकर आधु नक काल के घोर ज टल एवं
ब आयामी मनु य तक आते-आते मानव जीवन म धीरे-
धीरे प रवतन आया है। इसके साथ ही मानव ान-
व ान क एक ापक एवं समृ शाखा के पम
ग णत का वकास भी आ है। हालां क एक आम
आदमी को एक हजार साल से ब त अ धक पीछे के
ग णत के इ तहास से उतना सरोकार नह होना चा हए,
परंतु वै ा नक, ग णत , ौ ो गक वद्, अथशा ी एवं
कई अ य वशेष रोजमरा के जीवन म ग णत क
समु त णा लय का कसी न कसी प म एक
वशाल, अक पनीय पैमाने पर इ तेमाल करते ह।
आजकल ग णत दै नक जीवन के साथ सव ापी प
म समाया आ दखता है।

ग णत क उ प कैसे ई, यह आज इ तहास के प
म ही व मृत है। मगर हम मालूम है क आज के 4000
वष पहले बेबीलोन तथा म स यताएं ग णत का
इ तेमाल पंचांग (कैलडर) बनाने के लए कया करती
थ जससे उ ह पूव जानकारी रहती थी क कब फसल
क बुआई क जानी चा हए या कब नील नद म बाढ़
आएगी, या फर इसका योग वे वग समीकरण को हल
करने के लए कया करती थ । उ ह तो उस मेय
( योरम) तक के बारे म जानकारी थी जसका क गलत
ेय पाइथागोरस को दया जाता है। उनक सं कृ तयाँ
कृ ष पर आधा रत थ और उ ह सतार और ह के
पथ के शु आलेखन और सव ण के लए सही
तरीक के ान क ज रत थी। अंकग णत का योग
ापार म पय -पैस और व तु के व नमय या
हसाब- कताब रखने के लए कया जाता था। या म त
का इ तेमाल खेत के चार तरफ क सीमा के
नधारण तथा परा मड जैसे मारक के नमाण म होता
था।
यान सं या

मलेटस नवासी थे स (645-546 ईसा पूव) को ही


सबसे पहला सै ां तक ग णत माना जाता है। उसने
बताया क कसी भी व तु क ऊंचाई को मापन छड़ी
ारा न े पत परछाई से तुलना करके मापा जा सकता
है। ऐसा मानते ह क उसने एक सूय हण के होने के
बारे म भी भ व यवाणी क थी। उसके श य
पाइथागोरस ने या म त को यूना नय के बीच एक
मा य व ान का व प दलाकर यू लड और
आ क मडीज के लए आगे का माग श त कया।
बेबीलोन नवा सय के वरासत म मले ान म यूना नय
ने काफ वृ क । इसके अलावा ग णत को एक
तकसंगत प त के प म उ ह ने था पत भी कया-
एक ऐसी प त जसम कुछ मूल त य या धारणा
को स य मानकर ( ज ह मेय कहते ह) न कष ( ज ह
उपप या माण कहते ह) तक प ंचा जाता है।

भारत के लये यह गौरव क बात है क बारहव सद


तक ग णत क स पूण वकास-या ा म उसके उ यन के
लए कए गये सारे मह वपूण यास अ धकांशतया
भारतीय ग णत क खोज पर ही आधा रत थे।

इसे भी दे ख : भारतीय ग णत, भारतीय ग णत


सूची

ग णत कायप त
ग णत मानव म त क क उपज है। मानव क
ग त व धय एवं कृ त के नरी ण ारा ही ग णत का
उ व आ। मानव म त क क चतन या के
मूल म पैठ कर ही ग णत मुखर प से उनक
अभ करता है और वा त वक संसार
अवधारणा क नया म बदल जाता है। ग णत
वा त वक जगत को नय मत करने वाली मूत धारणा
के पीछे काम करने वाले नयम का अ ययन करता है।
यादातर दै नक जीवन का ग णत इन मूल धारणा
का ही सार है और इस लए इसे आसानी से समझा-बूझा
जा सकता है। हालां क अ धकांश धारणाएं अंत: ा के
ारा ही हम पर कट होती है, फर भी शु एवं सं ेप
प म उन धारणा को करने के लए उ चत
श दावली एवं कुछ नयम और तीक क आव यकता
पड़ती है।
अत: ग णत क अपनी अलग ही भाषा एवं ल प होती है
जसे पहले जानना-समझना ज री होता है। शायद यही
कारण है क दै नक जीवन से असंब त मानकर इसे
समझने क से क ठन माना जाता है, जब क
हक कत म यह वा त वक जीवन के साथ अ भ प से
जुड़ा ही नह है, ब क उसी से इसक उ प भी ई है।
यह वडंबना ही है क यादातर लोग ग णत के त
वमुखता दखा कर उससे र भागते ह, जब क
व तु थ त यह है क जीवन तथा ान के हर े म
इसक उपयो गता है। यह केवल संयोग नह है क
आ क मडीज, यूटन(Newton), गौस और लैगरांज
जैसे महान वै ा नक के व ान के साथ-साथ ग णत म
भी अपना महान योगदान दया है।

ग णत का वग करण
वतमान म ग णत को मोटे तौर पर दो भाग म बांटा
जाता है:

अनु यु ग णत या नयो य ग णत (Applied


Mathematics) और
शु ग णत (Pure Mathematics)।

अनु यु ग णत

व ान, अथशा और अ य कई े म योग कया


जाने वाला ग णत ायो गक ग णत है और इसम
अ ययन क जाने वाली ग णतीय सम या का ोत
कसी और े म होता है। इसके अ तगत यं शा ,
भूमापन, भूपदाथ व ान, यो तष आ द वषय है।
ग णतीय तरल गण
इ तमकरण ा यकतासां यक
भौ तक ग तक व

शु ग णत

शु ग णत वयं ग णत म उपजी उन सम या का
हल ढूं ढता है जनका अ य े से सीधा स ब ध नह
है। कई बार समय के साथ-साथ शु ग णत के
अनु योग मलते जाते ह और इस कार उसका कुछ
ह सा ायो गक ग णत म आता जाता है। शु ग णत
के अंतगत, बीजग णत, या म त और सं या स ांत
आ द आते ह। फ़रमा का सु स मेय, सं या
स ा त का ही एक अंग है। शु ग णत का वकास
बीसव शता द म ब त अ धक आ और इसके
वकास म १९०० म डे वड ह बट के ारा पे रस म दये
गये ा यान का ब त योगदान रहा।

सं याएँ

ाकृ तक प रमेय वा त वक स म
पूणाक
सं याएँ सं याएँ सं याएँ सं याएँ

संरचनाएँ (structures)

सं या समूह ाफ स ात
सांयो गक बीजग ण
स ा त स ांत स ा त (Order
theory)

आकाश (space)

अवकल ै टल म
या म त कोण म त टोपोलोजी
या म त या म त स

पा तरण (transformation)
         

अ म
स दश अवकल गतीय स ा त स म
कैलकुलस
कैलकुलस समीकरण नकाय (chaos व ेष
theory)

वव ग णत (Discrete mathematics)

सै ा तक संगणक व ान म काम आने वाले ग णत


का सामा य नाम व व ग णत है। इसम संगणन
स ा त (Theory of Computation), संगणना मक
ज टलता स ा त, तथा सैधा तक क यूतर व ान
शा मल ह।
       

सहज
संगणन कूटन ाफ
सांयो जक कुलक
स ा त (Encryption) स ा त
स ांत

संगणन के उपकरण
नीचे कुछ मु ोत क यूटर सॉ टवेयर का नाम दया
गया है जो ग णत के व भ काय करने के लए ब त
उपयोगी ह।
मै समा
 
(Maxima http://maxima.sourcefor
(software))
साईलैब
110px http://scilabsoft.inria
(Scilab)
आर
(सो टवेयर)
  http://www.r-project.o
(R
(software))
GNU आ टे व http://www.octave.o

मुख ग णत
अल्- वा र मी[1]

डी'एल बट[2]
आक मीडीज[3]

जॉज बूल
जॉज कै टर

Cauchy(कउची )
Richard Dedekind ( रचड दड कद )

रेने दे कात ज
Euclides(उ लदे स )

लयोनाड आयलर
पयरे डी फमा

Galois
काल े ड रक गाउस

गोडेल्
है म टन

ह बट
Hipátia

जैकोबी
ओमर खैयाम

Klein
को मोगोरोव

ला ज
पयरे साइमन ला लास

लै नीज
Lebesgue

Nash
जॉन फॉन युमान

आइजक यूटन
Noether

पा कल
Peano

पाइथागोरस
Poincaré

Pontryagin
ी नवास रामानुजन

Riemann
ब ा ड रसेल

Steiner
Weyl

Zermelo

इ ह भी दे ख
ग णत का इ तहास
भारतीय ग णत
भारतीय ग णत सूची
वव ग णत (Discrete mathematics)

बाहरी क ड़याँ
ग णतांज ल : ग णत का ह द लॉग
ग णत का इ तहास (गूगल पु तक ; लेखक - डॉ ज
मोहन)
ग णत क रोचक बात (गूगल पु तक)
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भारत म ग णत का इ तहास
Mathematics and its history (Google
Book ; By John Stillwell)
ग णत ो री
ग णतशा के वकास क भारतीय पर परा (गूगल
पु तक ; लेखक - सु ु न आचाय)
मा य मक ग णत श दावली ( ह द व शनरी)
Grade 6-8 - 7052_math glossary
GRADES 6-8_English_Hindi (पीडीएफ)
कैसे हो क ा म ग णत सीखना– सखाना ? ( वीण
वेद )
रा ीय ग णत वष एवं हमारा दा य व (प का)
Mathematical Quotes
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Muham
mad_ibn_Musa_al-Khwarizmi
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Jean_le_
Rond_d%27Alembert
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Archime
des
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title=ग णत&oldid=4151651" से लया गया

Last edited 11 months ago by Clarinetguy097

साम ी CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उ लेख


ना कया गया हो।

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