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International Journal of Jyotish Research: 2019 4 (2) : 25-29
International Journal of Jyotish Research: 2019 4 (2) : 25-29
ISSN: 2456-4427
शोध पर्त्रिा
मनुष्य अपने िीवन में अपनी आयु िे सन्दभि में ज्ञाि िरने िे तलए उत्सुि रहिा है ।
दै वज्ञ िा िििव्य है कि वह िािि िो उसिी आयु िे िकिन समय िे र्वषय में
सावधान िरिे उस जस्िति िे उपायों िा तनधािरण िरिे उसे भर्वष्य िी िकिनाइयों
िे प्रति सिग िरे ।
Correspondence पूवम
ि ायुाः परीक्षैि पश्चाल्लक्षणमुच्यिे।
किरन भीम आयुर्विना नराणां िु लक्षणै किं प्रयोिनम ्।।2
ज्योतिर्विज्ञान र्वभाग,
लखनऊ र्वश्वर्वद्यालय 1
बृहज्िाििम ् पु ष्िाग्रा
लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत 2
सामुकद्रिशास्त्र
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बृह्र्पराशर होरा शास्त्रम ् – श्री गणेशदत्त पािि 26/2 4
िै तमतन सूत्र म ्- आयुद ाियाध्यायाः
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मि दे खने िो तमलिे हैं । िैसे िुछ िगहों पर 120 वषि िो पड़िा है क्योंकि पराशर ज्योतिष में भी शतन िी आयु
िहीं 96 वषि होिे हैं । इसी प्रिार मध्यम आयु िे तलए द्वादश भाव में स्िान हातन िे तनयम से शून्य वषि आयु
िहीं पर 80 वषि िो िहीं पर 64 वषि कदखाई दे िा है । अल्प िर कदया िािा है । शतन िी भांति गुरु िो भी उपयुि
आयु िे तलए 32 वषि या 40 वषि िा वणिन दे खने िो जस्िति अनुसार प्राप्त होिा है । इसी प्रिार गुरु शुभ ग्रह है
तमलिा है । आयु तनधािरण िे तलए मुख्य र्टि िैतमतन परन्िु इसिा फल शतन िे र्वपरीि तमलिी है । लग्न से
िे अनुसार लग्नेश, अष्टमेश, शतन और चन्द्रमा इन्हीं िा सप्तम में गुरु हो या शुभ ग्रह से युति दृर्ष्ट हो िो िक्षा
ज्यादा वणिन दे खने िो तमलिा है । उपरोि वजणिि वृर्ि होिी है । अल्प आयु में मध्यम आयु, मध्यम आयु
तसध्दान्ि में आगे चलिर िैतमतन ने एि पररवििन में दीर्ि आयु समझना चाकहए।
किया कि सप्तम में यकद चन्द्र हो िो अष्टमे श िा उपयोग आगे चलिर अपने सूत्रों में िैतमतन ने भाव िे अनुसार
नहीं लेगे। िेवल लग्नेश और शतन िी बलविा िे आधार आयु तनधािरण किया है । ये तनयम तनम्न प्रिार से है -
पर ही आयु तनधािरण िरेगें। आगे यह स्पष्ट किया गया है 1. लग्न से अष्टमेश और सप्तम से अष्टमेश इन दोनो में
कि िभी िभी अलग अलग तसध्दान्िों में एि ही व्यर्ि िो बली हो और वह िेन्द्र स्िानों में जस्िि हो िो
िी आयु अलग अलग आ िािी है िो यह िैसे सम्भव है । दीर्ि आयु समझनी चाकहए।
इस समस्या समाधान िे तलए िैतमतन ने यह बिाया कि 2. अगर दोनो पणफर स्िानों (2, 5, 8, 11) में हो िो
यकद अलग अलग तसध्दान्िों िे अनुसार किसी व्यर्ि मध्यम आयु समझनी चाकहए।
िी आयु अगर दो प्रिार से दीर्ि आयु और एि प्रिार से 3. अगर दोनो आपोजक्लम स्िान (3, 6, 9, 12) में हो िो
मध्यम आयु हों िो दो प्रिार वाली दीर्ि आयु िो ही लेंगे। हीन आयु समझनी चाकहए।
िहने िा िात्पयि है कि जिसिी ज्यादा अतधििा होगी 4. इसी प्रिार आत्मिारि ग्रह से अष्टमेश ििा सप्तम
उसी िी आयु होगी। से अष्टम हो िो िेन्द्राकद भाव में जस्िि उपयुि
ि िी
एि उदाहरण से समझिे हैं कि िैसे िुला लग्न िी भांति िमशाः दीर्ि, मध्य और अल्प आयु होिा है ।
िुण्डली है जिसमें लग्नेश और अष्टमेश दोनो शुि है और
महर्षि पराशर िे अनुसार, बालाररष्ट योग पर श्लोि तनम्न
शुि कद्वस्वभाव रातश में बैिा है िो यह मध्यम आयु हुआ
प्रिार से है -
यह पहला प्रिार है । दस
ू रे प्रिार से चन्द्रमा चर रातश में है
ििा शतन जस्िर रातश में है अिाः दस
ू रे प्रिार से भी
बालाररष्ट योगाररष्टमल्पध्यंच कदर्ििम।
मध्यम आयु हुआ। िीसरा प्रिार से , लग्न चर रातश में है
कदव्यं चैवातमिं चैवं सत्पाधायु प्रिीतििमाः।। 5
ििा होरा लग्न कद्वस्वभाव रातश में है अिाः अल्प आयु
हुआ। हम दे ख रहे हैं कि यहाूँ पर उस िुण्डली में मध्यम अिािि ् हे र्वप्र ! आयुदािय िा वस्िुिाः ज्ञान होना िो दे वो
आयु हुआ। तनष्िषि िे रुप में िह सििे है कि किसी एि िे तलए भी दल
ु िभ है । बालाररष्ट, योगाररष्ट, अल्प, मध्य,
तसध्दान्ि िी सहायिा से आयु िे अजन्िम पररणाम िि दीर्ि, कदव्य और अजस्मि ये साि प्रिार िी आयु है ।
नहीं पहुचा िा सििा है । बालाररष्ट िी आयु 8 वषि िी होिी है । यकद चन्द्रमा
शतन िे र्वषय में दस
ू रे र्वद्वानों िा मि है कि यकद शतन 6,8,12वें भाव में हो िो बालाररष्ट िी जस्िति होिी है । यकद
योगिारि होगा िो र्वपरीि फल प्राप्त होिा है । अिािि ् बालि िा िन्म ग्रहण िे समय हुआ हो िो भी बालाररष्ट
अल्प आयु हो िो मध्यम आयु, मध्यम आयु है िो दीर्ि योग बनिा है । इसी प्रिार सािों आयु िा योग सूत्र
आयु और दीर्ि आयु हो िो उससे अतधि आयु समझना पराशर ज्योतिष में वजणिि होिा है । िैतमतन िे
चाकहए। शतन यकद अपनी रातश या उच्च रातश में हो िो तसध्दान्िों में इन्हीं तनयमों िी मुख्यिा दी गई है ।
िक्ष्याह्रास (आयु हातन) नहीं होगी। अगर ऐसा नहीं है िो
आयु हीन होगी। यह तसध्दान्ि ज्यादा उिपूणि कदखाई 5
बृहत्पराशर होराशास्त्र
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उदाहरण- प. िवाहर लाल नेहरु िा िन्म 14/11/1889 स्िान कद्विीय भाव होिा है अिाः मारि भाव कद्विीय और
समय रार्त्र 10 बिे िन्म हुआ। इनिी मृत्यु सप्तम भाव हुए। मंगल मारिेश होने पर पाप फल नहीं
27/05/1964 िो 75 वषि िी अवस्िा में हुई। अब यहाूँ दे िे हैं । सप्तम स्िान मारि भाव व िेन्द्र भाव दोनों है ।
दे खना है कि इनिी पूणि आयु किन ग्रहों िे िारण गुरु और शुि सप्तम िे स्वामी हों िो प्रबल मारि होिे हैं ।
सम्भव हुई। राहु मारिेश िा अिाः राहु िी महादशा में इससे िम बुध व चन्द्रमा सबसे िम मारि होिा है ।
मरण हुआ। दस
ू रे र्वश्लेषण में, इनिी ििि लग्न िी शतन िे मारि से सम्बध मात्र होने से ही मारि में
िुण्डली िी और लग्नेश चन्द्रमा वहीं जस्िि है िो यह प्रबलिा आ िािी है । मारि स्िानों में कद्विीयेश िे साि
आयु सूचि हुआ। िीसरा र्वश्लेषण, चन्द्रमा लग्न में है वाला पाप ग्रह सप्तमेश िे साि वाले पाप ग्रह से अतधि
कद्विीय, द्वादश भाव में शतन राहु द्वारा पाप िििरी योग मारि होिा है । कद्विीय भाव में जस्िि पाप ग्रह सप्तम
बना रहा है यह आयु हातन िरे गा। पररणाम िे रुप में भाव में जस्िि पाप ग्रह से अतधि मारि होिा है किन्िु
यहाूँ मध्यम आयु िो प्राप्त हुआ। उपयुि
ि र्वश्लेषण िे सप्तमेश िे साि रहने वाले पाप ग्रह से िम इसी प्रिार
आधार पर िैतमतन िे अनुसार भी मध्यम आयु तसध्द कद्विीयेश सप्तमेश से अतधि किन्िु सप्तमस्ि पाप ग्रह से
होिी है । िम होिा है । मारिेश िे कद्विीय भाव, सप्तम भाव िी
दस
ू रा उदाहरण- इजन्दरा गाूँधी िा िन्म 19/11/1917 अपेक्षा अतधि प्रभावशाली है । और इसिे स्वामी िे
समय रार्त्र 23:11 पर हुआ। प्रिम र्वश्लेषण, िन्म नक्षत्र अपेक्षा उसिे साि रहने वाला पाप ग्रह अतधि
िी लग्नेश या राशीश से शत्रुिा हो िो व्यर्ि िी मृत्यु िा प्रभावशाली है । स्वामी िो महत्वपूणि है ही किन्िु उसिे
िारण हत्या होिी है । िन्म नक्षत्र स्वामी सूयि है िो सािी पापी ग्रहों िा भी तनणिय र्वचार पूवि
ि िरना
राशीश शतन से शत्रुिा िरिा है ििा लग्नेश चन्द्र िल चाकहए। ग्रहों िा भी तनणिय र्वचार उपयुि
ि भाूँति िरना
ित्व यातन िं डा ग्रह है । सूयि िा स्वभाव गमि है दोनों िे चाकहए। सामान्यिाः यह समझा िािा है कि मारिेश
स्वभाव र्वपरीि है अिाः इनिी मृत्यु हत्या से हुई। िािि िी मृत्यु िे िारण होिे हैं । किन्िु मारिेश द्वारा
कद्विीय र्वश्लेषण, िैतमनी पध्दति से लग्नेश जस्िर रातश सूतचि मृत्यु यकद िािि िी आयु हो िो मृत्यु िुल्य िष्ट
में ििा अष्टमेश भी जस्िर रातश में है िो मध्यम आयु िे पररचायि होिे हैं । चाहे शारीररि या भयानि
हुआ। िीसरा र्वश्लेषण, शतन जस्िर रातश में है क्योंकि अपमान आकद िे द्वारा मानतसि ही क्यों न हों। इसतलए
िुम्भ रातश में जस्िि है । चन्द्रमा वृष रातश में है िो ये भी र्वचार िे साि – साि िािि िी आयु िे सम्बन्ध में भी
जस्िर रातश में हुआ। इस प्रिार भी मध्यम आयु हुई। र्वचार िर लेना चाकहए। िैतमतन मिानुसार चि िा
चौिै र्वश्लेषण, लग्न चर रातश िी है ििा होरा लग्न प्रयोग किया िा सििा है । यकद आयु र्वचार में आयु पूणि
जस्िर रातश िी है िो भी मध्यम आयु हुआ । इस प्रिार है िो मारिेश मारि नहीं होगा साि ही िािि से
हमें ज्ञाि हुआ कि इजन्दरा िी हत्या द्वारा मृत्यु हुई और सम्बन्ध पुत्र पुत्री र्पिा आकद िन्मागों से भी िािि िे
इनिो मध्यम आयु प्राप्त हुआ। सम्बन्धानुसार िर लेना चाकहए। इिना ही नहीं मारिेश
िब आयु र्वचार किया िाय िो पराशर ज्योतिष िे ग्रह िे बलाबल िा भी र्वचार िर लेना चाकहए। मारिेश
मारिेश तसध्दान्ि व उनिी दशा िो अनदे खा नहीं िर दोष शमन िरने वाले ग्रह भी होिे है राहु िे दोष िो बुध,
सििे हैं । िन्मांग चि में अष्टम भाव से आयु र्वचार राहु- बुध िे दोष िो शतन, राहु बुध शतन िीनों िा मंगल,
किया िािा है । अष्टम स्िान से अष्टम स्िान अिािि ् राहु बुध शतन मंगल चारों िा शुि, इन पांचों िो गुरु, गुरु
लग्न से िृिीय स्िान भी आयु र्वचार स्िान होिा है । समेि छाः ग्रहो िे दोष िो चन्द्रमा और सभी िे दोषो िो
प्रत्येि िुण्डली में लग्न से अष्टम स्िान और िृिीय उत्तरायण िा सूयि दरू िरने में सक्षम होिा है । इस
स्िान आयु िे होिे हैं । इन स्िानों से व्यय स्िान अिािि ् सन्दभि में ग्रहों िी र्वफलिा भी र्वचारणीय है ।
अष्टम से द्वादश सप्तम स्िान और िृिीय स्िान िा व्यय
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