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1.यम और &नयम: ये नैितक माग(दश(न और िस9ांत हV जो योिगक जीवन के आधार के Lप मE काय( करते हV । यम नैितक िनयम; कW सूची
है , जैसे Oक अOहं सा (अOहं सा), स0य (स0य) और अपYरमह (अपYरमह)। िनयम *वचारणाएँ हV जैसे Oक शौच (शौच), संतोष (संतोष) और
तपःया (तपःया)।
2.आसन: शार_Yरक आसन; का अ`यास योग का Oहःसा है , /जसे आसन कहते हV । ये आसन सामाHयत: लचीलापन और श*b के लाभ के
साथ-साथ आ0मा कW मानिसकता को .यान मE लाने के िलए Oकये जाते हV ।
3.*ाणायाम: ूाणायाम मE cास कW िनगरानी और िनयंऽण शािमल है । cास को जीवन श*b माना जाता है , और ूाणायाम ूै/dटसेस के
मा.यम से योिगय; का शर_र और मानिसक ःवाःeय सुधारने का उfे ँय होता है ।
4.*-याहार: ू0याहार बाh *व/iिjय; और ूासंिगक उkेजनाओं से इ/Hिय; कW वापसी होती है । यह .यान के िलए तैयार_ का एक ूकार
होता है , जो योगीय; को अपना .यान अंतमुख
( ी Oदशा मE करने कW अनुमित दे ता है ।
5.धारणा: धारणा मानिसक एकामता या .यान का है । इसमE मन को एक ह_ *बंदु पर कEOित करने कW ूिशiा कW जाती है , अdसर मंऽ;,
oँय;, या अHय तकनीक; का उपयोग करके।
6.0यान: .यान को मेOडटे शन कहा जाता है , एक आवँयक मानिसक एकामता और जागLकता कW /ःथित। इस /ःथित मE, मन .यान के
*वषय मE डू ब जाता है , /जससे आंतYरक शांित और अंतo( *q कW गहर_ अनुभिू त होती है ।
7.समा1ध: समािध को अdसर योग का अंितम लआय माना जाता है । यह एक ऐसी आ.या/0मक *वलीनता कW /ःथित है , /जसमE योगी
Oद7य के साथ एकता या िमलान कW अनुभिू त करता है , अहं कार और 7य*bगत पहचान कW सीमाओं को पार करके।
Ashtanga Yoga and Three Disciplnes
o Ethico-Religious - code of conduct.
o Yama
o Niyama
o Psycho-vital - body functioning
o Asan
o Pranayam
o Psycho-Spiritual - over all functioning
o Pratyahara
o Dharna
o Dhyan
o Samadhi
आPांग योग एक ूमुख योग ूथा है जो @यान और आBम-साwाBकार क; ूािy को उzे ँय बनाती है । यह योग पथ के
अPांग Gहःस- का उपायन करता है AजसमE यम, िनयम, आसन, ूाणायाम, ूBयाहार, धारणा, @यान, और समािध शािमल
होते हZ ।
आPांग योग के अPांग Gहःसे िनfनिलAखत होते हZ :
1.यम (Moral Restraints): यम नैितक िनयम- का समूह होता है जो vयDl क; आचार-vयवहार मE िशwा करते हZ । ये
नैितकता, अGहं सा (अiयाय से परे रहना), सBय, अःतेय (चोरQ नहQं करना), और अपrरमह (मानव मE लोभ नहQं करना)
शािमल होते हZ ।
2.5नयम (Ethical Observances): िनयम आBम-िनयंऽण के ूकार होते हZ जो vयDl क; आचार-vयवहार मE समपWण और
सादगी को ूोBसाGहत करते हZ । इनमE शौच (शुD}), संतोष (संतोष), तपःया (तप), ःवा@याय (ःवयं के ूित अ@ययन), और
ईtर ूAणधान (ईtर मE समपWण) शािमल होते हZ ।
3.आसन (Physical Postures): आसन शरQर क; लचीलापन और शDl को Dवकिसत करने के िलए Gकए जाने वाले शारQrरक
अUयास होते हZ । यह शारQर, मन, और आBमा क; Dऽकरण (तीन- तxव- क; समiवियत vयDl) क; Aःथरता बढ़ाते हZ जो
@यान क; Gदशा मE महBवपूणW होती है ।
4.Nाणायाम (Breath Control): ूाणायाम शरQर के ूाण (वायु शDl) का िनयंऽण करने के उzे ँय से Gकए जाने वाले अUयास
होते हZ । यह tास क; गित को िनयंDऽत करके मानिसक शांित और आBम-साwाBकार क; Gदशा मE सहायक होते हZ ।
5.NPयाहार (Withdrawal of Senses): ूBयाहार मानिसक Gदशा क; Gदशा मE एक ूGबया होती है AजसमE इAiिय- क; बाहरQ
ूेरणाओं से DवमुDl ूाy क; जाती है ।
6.धारणा (Concentration): धारणा मानिसक एकामता क; Aःथित है AजसमE मन को एक DविशP Dवचार या वःतु पर कEGित
Gकया जाता है ।
7.Tयान (Meditation): @यान मानिसक एकामता क; गहराई मE जाकर एक DविशP Dवचार या Dवषय को समझने और अनुभव
करने क; Aःथित है ।
8.समाUध (Union): समािध आBमा क; परम Aःथित है , AजसमE vयDl अपने आBमा का आGदम ःथान पहचानता है और
सfपूणत W ा क; अनुभव करता है ।
ये आठ अंग आPांग योग के मु‚य Gहःसे होते हZ Aजनका अUयास करके योगी आBमा क; साwाBकार ूाy करते हZ ।