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बच्चे के विकास की अिधध के बारे में तरह-तरह की पररर्ाषाएँ दी जाती हैं क्योंकक प्रत्येक अिधध के शुरू और अंत के बारे
में ननरं तर व्यक्क्तगत मतर्ेद रहा है .
कुछ आय-ु संबंधी विकास अिधधयों और ननहदत ष्ट अंतरालों के उदाहरण इस प्रकार हैं: निजात (उम्र 0 से 1 महीना); शशशु (उम्र
1 महीना से 1 िषत); नन्हा बच्चा (उम्र 1 से 3 िषत); प्रीस्कली बच्चा (उम्र 4 से 6 िषत); स्कली बच्चा (उम्र 6 से 13 िषत); ककशोर-
ककशोरी (उम्र 13 से 20 िषत). हालाँकक, जीरो ट थ्री और िर्लडत एसोशसएशन फॉर इन्फैन्ट मेंटल हे र्लथ जैसे संगठन शशशु शब्द
[1]
का इस्तेमाल एक व्यापक श्रेणी के रूप में करते हैं क्जसमें जन्म से तीन िषत तक की उम्र के बच्चे शाशमल होते हैं; यह एक
ताककतक ननणतय है क्योंकक शशशु शब्द की लैहटन व्युत्पक्त्त उन बच्चों को संदशर्तत करती है जो बोल नहीं पाते हैं.
बच्चों के इष्टतम विकास को समाज के शलए महत्िपणत माना जाता है और इसशलए बच्चों के सामाक्जक, संज्ञानात्मक,
र्ािनात्मक, और शैक्षक्षक विकास को समझना जरूरी है . इस क्षेि में बढ़ते शोध और रुधच के पररणामस्िरूप नए शसद्ांतों
और रणनीनतयों का ननमातण हुआ है और इसके साथ ही साथ स्कल शसस्टम के अंदर बच्चे के विकास को बढ़ािा दे ने िाले
अभ्यास को विशेष महत्ि र्ी हदया जाने लगा है . इसके अलािा कुछ शसद्ांत बच्चे के विकास की रचना करने िाली
अिस्थाओं के एक अनुिम का िणतन करने की र्ी चेष्टा करते हैं.
ु कथन द
र्शमकाएं, मानदं ड, और ननयम शाशमल हैं. 1979 में इसके प्रकाशन के बाद से ब्रोनफेनब्रेनर के इस शसद्ांत के प्रमख
इकोलॉजी ऑफ ह्यमन डेिलपमेंट (मानि विकास की पाररक्स्थनतकी)[2] का मनोिैज्ञाननकों और अन्य लोगों द्िारा मानि जानत
और उनके पयातिरणों का अध्ययन करने के तरीके पर काफी व्यापक प्रर्ाि पडा है . विकास की इस प्रर्ािशाली अिधारणा
के पररणामस्िरूप पररिार से आधथतक और राजनीनतक संरचनाओं तक के इन पयातिरणों को बचपन से ियस्कता तक के
जीिनकाल के हहस्से के रूप में दे खा जाने लगा है .
वपयाजेट चरण---
ज्ञानेस्रिय (सेंसरीमोटर): (जन्म से लेकर लगर्ग 2 साल की उम्र तक)
इस चरण के दौरान, बच्चा प्रेरक (मोटर) और पररिती (ररफ्लेक्स) कियाओं के माध्यम से अपने और अपने पयातिरण के बारे
में सीखता है . विचार, इक्न्ियबोध और हरकत से उत्पन्न होता है . बच्चा यह सीखता है कक िह अपने पयातिरण से अलग है
और उसके पयातिरण के पहल अथातत उ उसके माता-वपता या पसंदीदा खखलौना उस िक्त र्ी मौजद रहते हैं जब िे आपकी
समझ से बाहर हों. इस चरण में बच्चे के शशक्षण को ज्ञानेक्न्िय प्रणाली की तरफ मोडना चाहहए. आप हािर्ाि हदखाकर
अथातत उ तेिर हदखाकर, एक कठोर या सख
ु दायक आिाज का इस्तेमाल करके व्यिहार को बदल सकते हैं; ये सर्ी उपयुक्त
तकनीक हैं.
पूिप
व ररचालनात्मक (प्रीऑपरे िनल): (इसकी शुरुआत लगर्ग3 से 7 साल की उम्र में होती है जब बच्चा बोलना शुरू करता है )
अपने र्ाषा संबंधी नए ज्ञान का इस्तेमाल करते हुए बच्चा िस्तुओं को दशातने के शलए संकेतों का इस्तेमाल करना शुरू
करता है. इस चरण के आरम्र् में िह िस्तुओं का मानिीकरण र्ी करता है . िह अब बेहतर ढं ग से उन चीजों और घटनाओं
के बारे में सोचने में सक्षम हो जाता है जो तत्काल मौजद नहीं हैं. िततमान के प्रनत उन्मख
ु होने पर बच्चे को समय के बारे
में अपना विचार बनाने में तकलीफ होती है . उनकी सोच पर कर्लपना का असर रहता है और िह चीजों को उन्हीं रूपों में
दे खता है क्जन रूपों में िह उन्हें दे खना चाहता है और िह मान लेता है कक दसरे लोग र्ी उन पररक्स्थनतयों को उसी के
नजररए से दे खते हैं. िह जानकारी हाशसल करता है और उसके बाद िह उस जानकारी को अपने विचारों के अनुरूप अपने
मन में पररिनततत कर लेता है . शसखाने-पढ़ाने के दौरान बच्चे की ज्िलंत कर्लपनाओं और समय के प्रनत उसकी अविकशसत
समझ को ध्यान में रखना आिश्यक है . तटस्थ शब्दों, शरीर की रूपरे खा और छ सकने लायक उपकरण का इस्तेमाल करने
से बच्चे के सकिय शशक्षण में मदद शमलती है .इनका धचन्तन जीि िाद पर आधाररत होता है ,मतलब यह ननजीि ि सजीि
सर्ी िस्त/ु प्राणी को जीवित ही मानते है ।
इस्रियों से पहचानने योग्य (कांक्रीट): (लगर्ग पहली कक्षा से लेकर आरं शर्क ककशोरािस्था तक)
इस चरण के दौरान, समायोजन क्षमता में िवृ द् होती है. बच्चों में अनमने र्ाि से सोचने और इक्न्ियों से पहचानने योग्य
या हदखाई दे ने योग्य घटना के बारे में तकतसंगत ननणतय करने की क्षमता का विकास होता है क्जसे समझने के शलए अतीत
में उसे शारीररक दृक्ष्ट का इस्तेमाल करना पडा था. इस बच्चे को शसखाने-पढ़ाने के दौरान उसे सिाल पछने और चीजों या
बातों को िापस आपको समझाने का मौका दे ने से उसे मानशसक दृक्ष्ट से उस जानकारी का इस्तेमाल करने में आसानी
होती है.
िाईगोटस्की एक विचारक थे क्जन्होंने पित सोवियत संघ के पहले दशकों के दौरान काम ककया था. उनका मानना था कक
बच्चे व्यािहाररक अनुर्ि के माध्यम से सीखते हैं जैसे कक वपयाजेट ने सुझाि हदया था. हालांकक, वपयाजेट के विपरीत,
उन्होंने दािा ककया कक जब कोई बच्चा कोई नया काम सीखने की कगार पर होता है तब ियस्कों द्िारा समय पर और
संिेदनशील हस्तक्षेप से बच्चों को नए कायों (क्जन्हें समीपस्थ विकास का क्षेि नाम हदया गया) को सीखने में मदद शमल
सकती है . इस तकनीक को "स्कैफोक्र्लडंग (मचान बनाना)" कहा जाता है क्योंकक यह नए ज्ञान के साथ बच्चों के पास पहले
से मौजद ज्ञान पर ननशमतत होता है क्जससे ियस्क बच्चे को सीखने में मदद शमल सकती है . इसका एक उदाहरण तब शमल
[4]
सकता है जब कोई माता या वपता ककसी बच्ची को ताली बजाने या पैट-ए-केक कविता के शलए अपने हाथों को गोल-गोल
घुमाने में तब तक "मदद" करते हैं जब तक िह खुद अपने हाथों को थपथपाना या ताली बजाना और गोल-गोल घुमाना
सीख नहीं लेती है .
र्ाइ़गटक्स्क का ध्यान परी तरह से बच्चे के विकास की पद्नत का ननधातरण करने में संस्कृनत की र्शमका पर केंहित
था. उन्होंने तकत हदया कक बच्चे के सांस्कृनतक विकास में हर कायत दो बार प्रकट होता है : पहली बार सामाक्जक स्तर पर
[4]
और बाद में व्यक्क्तगत स्तर पर; पहली बार लोगों के बीच (अंतरमनोिैज्ञाननक) और उसके बाद बच्चे के र्ीतर
(अंतरामनोिैज्ञाननक). यह स्िैक्च्छक ध्यान, ताककतक स्मनृ त, और अिधारणा ननमातण में समान रूप से लाग होता है . सर्ी उच्च
कायों की उत्पक्त्त व्यक्क्तयों के बीच के िास्तविक संबंधों के रूप में होती है .
[4]
र्ाइ़गटक्स्क ने महसस ककया कक विकास एक प्रकिया थी और उन्होंने बच्चे के विकास में संकट की अिधधयों को दे खा क्जस
दौरान बच्चे की मानशसक कियाशीलता में एक गण
ु ात्मक पररिततन हुआ था.
विकास पर बहुत कुछ शलखा और कई शोध ककए (शलहटल अलबटत प्रयोग दे खें). व्यिहार शसद्ांत की धारा के ननमातण में
विशलयम जेम्स की चेतना धारा दृक्ष्टकोण के संशोधन में िाटसन मददगार सात्रबत हुए. िाटसन ने हदखाई दे ने और मापने
[10]
योग्य व्यिहार के आधार पर उद्देश्यपणत शोध विधधयों का आरम्र् करके बच्चे के मनोविज्ञान के शलए एक प्राकृनतक विज्ञान
पररप्रेक्ष्य को लाने में र्ी मदद की. िाटसन के नेतत्ृ ि के बाद बी. एफ. क्स्कनर ने आगे चलकर ऑपरें ट कंडीशननंग और
मौखखक व्यिहार को किर करने के शलए इस मॉडल को विस्ताररत ककया.
विकास के विचार के शलए एक ढांचे के रूप में गत्यात्मक प्रणाशलयों के शसद्ांत का इस्तेमाल 1990 के दशक के आरम्र् में
शुरू हुआ और िततमान सदी में इसका इस्तेमाल अर्ी र्ी जारी है . गत्यात्मक प्रणाली शसद्ांत अरे खीय संबंधों (जैसे पहले
[12]
और परिती सामाक्जक मखु रता के बीच) और एक चरण पररिततन के रूप में कफर से संगहठत होने की एक प्रणाली की
क्षमता पर जोर दे ता है क्जसकी प्रकृनत मंच की तरह होती है. विकासिाहदयों के शलए एक अन्य उपयोगी अिधारणा
आकषतणकतात की क्स्थनत है ; यह अिस्था (जैसे शुरूआती या अनजानी धचंता) जाहहर तौर पर असंबंधधत व्यिहारों के साथ-साथ
संबंधधत व्यिहारों का र्ी ननधातरण करने में मदद करती है . गत्यात्मक प्रणाली शसद्ांत को मोटर विकास के अध्ययन में बडे
पैमाने पर लाग ककया जाता है; लगाि प्रणाशलयों के बारे में बाउर्लबी के कुछ दृक्ष्टकोणों के साथ र्ी इस शसद्ांत का गहरा
संबंध है . गत्यात्मक प्रणाली शसद्ांत का संबंध व्यिहार प्रकिया की अिधारणा से र्ी है जो एक पारस्पररक बातचीत
[13]
प्रकिया है क्जसमें बच्चे और माता-वपता एक साथ एक दसरे को प्रर्ावित करते हैं क्जससे समय-समय पर दोनों में
विकासात्मक पररिततन होता है .
कोर नॉलेज पसतपेक्क्टि (केन्िीय ज्ञान दृक्ष्टकोण) बच्चे के विकास में एक विकासमलक शसद्ांत है जो यह प्रस्ताि दे ता है
कक "शशशुओं के जीिन की शुरुआत सहज और विशेष प्रयोजन िाली ज्ञान प्रणाशलयों के साथ होती है क्जसे सोच के कोर
डोमेन (केन्िीय क्षेि) के रूप में संदशर्तत ककया जाता है ". सोच के पांच कोर डोमेन हैं क्जनमें से प्रत्येक अक्स्तत्ि रक्षा के
[14]
शलए बहुत जरूरी है जो एक साथ आरं शर्क अनुर्नत के प्रमखु पहलुओं के विकास के शलए हमें तैयार करते हैं; िे हैं:
शारीररक, संख्यात्मक, र्ाषाई, मनोिैज्ञाननक, और जैविक.
हालाँकक विकासात्मक लक्ष्यों (माइलस्टोन्स) की पहचान करना शोधकतातओं और बच्चों की दे खरे ख करने िालों के शलए एक
हदलचस्प काम है लेककन कफर र्ी विकासात्मक पररिततन के कई पहल सतत होते हैं और िे पररिततन के हदखाई दे ने योग्य
माइलस्टोन्स को प्रदशशतत नहीं करते हैं. सतत विकासात्मक पररिततनों, जैसे कद में िवृ द्, में ियस्क विशेषताओं की तरफ
[15]
विकास के चरण एक साथ हो सकते हैं या विकास के अन्य विशशष्ट पहलुओं से जुडे हो सकते हैं जैसे बोलना या चलना.
यहाँ तक कक एक विशेष विकासात्मक क्षेि में र्ी ककसी चरण में संिमण का मतलब यह नहीं हो सकता है कक वपछला
चरण परी तरह से समाप्त हो गया है . उदाहरण के शलए, व्यक्क्तत्ि के चरणों के बारे में एररक्सन की चचात में यह
शसद्ांतकार सझ
ु ाि दे ता है कक उन मद्द
ु ों पर नए शसरे से काम करने में जीिन बीत जाता है जो मलतः बचपन के चरण की
विशेषताएँ थी. इसी तरह, संज्ञानात्मक विकास के शसद्ांतकार वपयाजेट ने उन पररक्स्थनतयों का िणतन ककया क्जनमें बच्चे
[16]
पररपक्ि सोच-विचार कौशल के इस्तेमाल से एक प्रकार की समस्या का समाधान कर सकते हैं लेककन िे कम पररधचत
समस्याओं के शलए इसे परा नहीं कर सकते हैं; इस घटना को उन्होंने क्षैनतज डडकैलेज नाम हदया.
स्ितंि कियाविधध के रूप में काम करने के बजाय आनुिंशशक और पयातिरणीय कारक अक्सर एक दसरे को प्रर्ावित करते
हैं क्जसकी िजह से विकासात्मक पररिततन होता है . बच्चे के विकास के कुछ पहल उनकी नमनीयता (प्लाक्स्टशसटी) के शलए
या उस हद तक उर्ललेखनीय हैं क्जस हद तक विकास की हदशा का मागतदशतन पयातिरणीय कारकों द्िारा ककया जाता है और
साथ ही साथ आनि
ु ंशशक कारकों द्िारा शरू
ु ककया जाता है . उदाहरण के शलए, ऐसा लगता है कक एलजी संबंधी प्रनतकियाओं
का विकास अपेक्षाकृत रूप से प्रारं शर्क जीिन के कुछ पयातिरणीय कारकों के जोखखम की िजह से होता है और प्रारं शर्क
जोखखम से सुरक्षा करने से बच्चे में पररिती एलक्जतक प्रनतकिया के हदखाई दे ने की कम सम्र्ािना रह जाती है . जब विकास
के ककसी पहल पर प्रारं शर्क अनर् ु ि का बहुत ज्यादा असर पडता है तो कहा जाता है कक इसमें बहुत ज्यादा नमनीयता
(प्लाक्स्टशसटी) हदखाई दे ती है ; जब आनि ु ंशशक स्िार्ाि विकास का प्राथशमक कारक होता है तो कहा जाता है कक नमनीयता
कम है . नमनीयता में अंतजातत कारकों जैसे हामोन के साथ-साथ बहहजातत कारकों जैसे संिमण का मागतदशतन शाशमल हो
[18]
सकता है .
विकास के पयातिरणीय मागतदशतन के एक ककस्म का िणतन अनुर्ि पर ननर्तर नमनीयता के रूप में ककया जाता है क्जसमें
पयातिरण से सीखने के पररणामस्िरूप व्यिहार में बदलाि आता है . इस प्रकार नमनीयता जीिन र्र हो सकती है और इसमें
कुछ र्ािनात्मक प्रनतकियाओं सहहत कई तरह के व्यिहार शाशमल हो सकते हैं. एक दसरे प्रकार की नमनीयता, अनुर्ि
आशाक्न्ित नमनीयता में विकास की सीशमत संिेदनशील अिधधयों के दौरान विशशष्ट अनुर्िों का काफी प्रर्ाि शाशमल होता
है . उदाहरण के शलए, दो आंखों का समक्न्ित उपयोग और प्रत्येक आँख में प्रकाश द्िारा ननशमतत द्विआयामी छवियों के
बजाय एक एकल त्रिआयामी छवि का अनुर्ि जीिन के पहले िषत की दसरी छमाही के दौरान दृक्ष्ट के साथ अनुर्िों पर
ननर्तर करता है . अनुर्ि-आशाक्न्ित नमनीयता, आनुिंशशक कारकों के पररणामस्िरूप इष्टतम पररणामों को प्राप्त न कर पाने
िाले विकास संबध
ं ी पहलुओं को ठीक करने का काम करती है .
[19]
बच्चे के विकास की एक उपयोगी समझ को स्थावपत करने के शलए विकासात्मक घटनाओं के बारे में व्यिक्स्थत पछताछ
की आिश्यकता है . विकास के विशर्न्न पहलुओं में पररिततन की विशर्न्न पद्नतयाँ और कारण शाशमल हैं, इसशलए बच्चे के
विकास को संक्षेप में प्रस्तुत करने का कोई सरल तरीका नहीं है . कफर र्ी, प्रत्येक विषय के बारे में कुछ सिालों के जिाब
दे ने से विकासात्मक पररिततन के विशर्न्न पहलुओं के बारे में तल
ु नीय जानकारी शमल सकती है . िाटसत एिं उनके सहयोधगयों
ने इस उद्देश्य से ननम्नशलखखत सिालों का सझ
ु ाि हदया है.
[21]
1. क्या विकशसत होता है ? ककसी ननक्श्चत समयािधध में व्यक्क्त के ककन प्रासंधगक पहलुओं में पररिततन होता है ?
2. विकास दर और उसकी गनत क्या है ?
3. विकास की कौन-कौन सी कियाविधध या प्रकियाएं हैं - अनुर्ि और आनुिंशशकता के कौन-कौन से पहलुओं की
िजह से विकासात्मक पररिततन होता है ?
4. क्या प्रासंधगक विकासात्मक पररिततनों में कोई सामान्य व्यक्क्तगत अंतर है ?
5. क्या विकास के इस पहल में कोई जनसंख्या संबंधी अंतर हैं (उदाहरण के शलए, लडकों और लडककयों के विकास में
अंतर)?
इन सिालों के जिाब दे ने के शलए ककए जाने िाले अनुर्िजन्य शोध में कई पद्नतयों का इस्तेमाल ककया जा सकता है . शुरू
में, पहले िषत में पररिती प्रनतकियाओं में पररिततन जैसे विकासात्मक पररिततन के ककसी पहल के विस्तत
ृ िणतन एिं पररर्ाषा
को विकशसत करने के शलए प्राकृनतक पररक्स्थनतयों में पयतिेक्षणीय शोध की जरूरत पड सकती है . इस प्रकार के काम के बाद
सहसंबंधी अध्ययन, कालानुिशमक आयु के बारे में जानकारी इकठ्ठा करना और शब्दािली विकास जैसे कुछ खास तरह के
विकास को ककया जा सकता है ; पररिततन के बारे में बताने के शलए सहसंबंधी आंकडों का इस्तेमाल ककया जा सकता है . इस
तरह के अध्ययन अलग अलग उम्र में बच्चों की विशेषताओं की जांच करते हैं. इन तरीकों में अनद
ु ै ध्यत अध्ययन शाशमल हो
सकते हैं क्जनमें बच्चों के एक समह की कई बार कफर से जांच की जाती है जब िे बडे होते हैं, या पार-अनुर्ागीय अध्ययन
शाशमल हो सकते हैं क्जनमें अलग-अलग उम्र के बच्चों के समहों की एक बार जांच की जाती है और एक दसरे के साथ
उनकी तुलना की जाती है, या इन तरीकों का एक संयोजन शाशमल हो सकता है . बच्चे के विकास से संबंधधत कुछ अध्ययनों
में जरूरी तौर पर ककसी गैर-यादृक्च्छक डडजाइन में बच्चों के अलग-अलग समहों की विशेषताओं की तल
ु ना करके अनर्
ु ि या
आनुिंशशकता के प्रर्ािों की जांच की जाती है . अन्य अध्ययनों में बच्चों के समहों के शलए पररणामों की तुलना करने के
शलए यादृक्च्छक डडजाइनों का इस्तेमाल ककया जा सकता है क्जन्हें अलग-अलग हस्तक्षेप या शैक्षक्षक उपचार शमलता है .
[17]
माइलस्टोंस विशशष्ट शारीररक और मानशसक क्षमताओं (जैसे चलने और समझने की र्ाषा) में होने िाले पररिततन हैं जो एक
विकासात्मक अिधध के अंत और दसरी विकासात्मक अिधध के आरम्र् को धचक्ह्नत करते हैं. चरण शसद्ांतों के शलए
माइलस्टोंस से चरण पररिततन का संकेत शमलता है . कई विकास कायों की पणतता के अध्ययनों ने विकासात्मक माइलस्टोंस
के साथ जड
ु े विशशष्ट कालानि
ु शमक आयु को स्थावपत ककया है . हालाँकक, सामान्य सीमा के र्ीतर विकासात्मक चिों िाले
बच्चों के बीच र्ी माइलस्टोंस की प्राक्प्त में काफी अंतर है . कुछ माइलस्टोंस दसरे से अधधक पररिततनीय होते हैं; उदाहरण
के शलए, ग्रहणशील र्ाषण संकेतकों से सामान्य रूप से सुनने िाले बच्चों में काफी शर्न्नता का पता चलता है लेककन
अथतपणत र्ाषण माइलस्टोंस काफी पररिततनीय हो सकते हैं.
बच्चे के विकास से संबंधधत एक आम धचंता विकासात्मक दे री है क्जसमें महत्िपणत विकासात्मक माइलस्टोंस के शलए एक
आयु-विशशष्ट क्षमता में दे री शाशमल है . विकासात्मक दे री की रोकथाम और उसमें आरं शर्क हस्तक्षेप बच्चे के विकास के
अध्ययन का महत्िपणत विषय है. विकासात्मक दे री की पहचान ककसी माइलस्टोन की विशशष्ट पररिततनीयता के साथ तुलना
करके, न कक उपलक्ब्ध में औसत आयु के संबंध में, करनी चाहहए. माइलस्टोन का एक उदाहरण आँख और हाथ का समन्िय
हो सकता है क्जसमें एक समक्न्ित तरीके से िस्तुओं में फेरबदल करने से संबंधधत बच्चे की बढ़ती क्षमता शाशमल है . आय-ु
विशशष्ट माइलस्टोनों (प्रमख
ु घटनाओं) के बढ़ते ज्ञान से माता-वपता और दसरों को उधचत विकास पर नजर रखने में आसानी
होती है.
बच्चे का विकास का मुद्दा कोई एकाकी विषय नहीं है बक्र्लक यह कुछ हद तक व्यक्क्त के विशर्न्न पहलुओं के शलए अलग
ढं ग से प्रगनत करता है . यहाँ कई शारीररक और मानशसक विशेषताओं के विकास का िणतन हदया गया है .
जन्म के बाद 15 से 20 िषत की आयु तक कद और िजन के क्षेि में शारीररक विकास होता है ; सही समय पर जन्म लेने के
समय के औसत िजन 3.5 ककलो और औसत लम्बाई 50 सेमी से बढ़ते-बढ़ते व्यक्क्त अपने पणत ियस्क आकार तक पहुँचता
है . जैस-े जैसे कद और िजन बढ़ता जाता है िैसे-िैसे व्यक्क्त के शारीररक अनुपात र्ी बदलते हैं, निजात शशशु का शसर
अपेक्षाकृत बडा और धड तथा बाकी अंग छोटे होते हैं जो कक ियस्क होने पर अपेक्षाकृत रूप से छोटे शसर और लंबे धड
तथा अंगों में पररणत हो जाता है .
शारीररक विकास की गनत जन्म के बाद के महीनों में तेज होती है और उसके बाद धीमी पड जाती है इसशलए जन्म के
समय का िजन पहले चार महीनों में दोगुना और 12 महीने की उम्र में नतगुना हो जाता है लेककन 24 महीने तक चौगुना
नहीं होता है .यौिन (लगर्ग 9 से 15 साल की उम्र के बीच) के थोडा पहले तक विकास धीमी गनत से होता रहता है , उसके
बाद विकास की गनत काफी तीव्र हो जाती है . शरीर के सर्ी हहस्सों में होने िाली िवृ द् की दर और समय में एकरूपता नहीं
होती है. जन्म के समय शसर का आकार पहले से ही लगर्ग एक ियस्क के शसर के आकार की तरह होता है लेककन शरीर
के ननचले हहस्से ियस्क के ननचले हहस्सों की तुलना में काफी छोटे होते हैं. उसके बाद विकास के िम में शसर धीरे -धीरे
छोटा होता जाता है और धड और बाकी अंगों में तेजी से विकास होने लगता है .
िवृ द् दर के ननधातरण में और खास तौर पर आरं शर्क मानि विकास की अनुपानतक विशेषता में होने िाले पररिततनों के
ननधातरण में आनुिंशशक कारकों की एक मुख्य र्शमका होती है . हालाँकक आनुिंशशक कारकों की िजह से केिल तर्ी
अधधकतम िवृ द् हो सकती है जब पयातिरणीय पररक्स्थनतयां अनक
ु ल हों. खराब पोषण और अक्सर चोट और बीमारी की
िजह से व्यक्क्त का ियस्क कद घट सकता है लेककन बेहतरीन माहौल की िजह से कद में बहुत ज्यादा िवृ द् नहीं हो
सकती है क्जतना कक आनुिंशशकता से ननधातररत होता हो.
……………….जनसांख्या अांिर
िवृ द् के क्षेि में जनसंख्या अंतर काफी हद तक ियस्क के कद से संबंधधत होते हैं. ियस्क अिस्था में काफी लंबे रहने िाले
जानतगत समहों के बच्चे छोटे ियस्क कद िाले समहों की तुलना में जन्म के समय और बचपन के दौरान र्ी लंबे होते हैं.
पुरुष र्ी कुछ हद तक लंबे होते हैं हालाँकक ियस्क अिस्था में मजबत यौन द्विरूप्ता िाले जानतगत समहों में यह अधधक
स्पष्ट होता है . विशेषतया कुपोषण के शशकार लोग र्ी जीिन र्र छोटे या नाटे रहते हैं. हालाँकक िवृ द् दर और पद्नत में
जनसंख्या अंतर अधधक नहीं होता है , शसिाय इसके कक खराब पयातिरणीय पररक्स्थनतयां यौिन और संबंधधत िवृ द् दर में दे री
का कारण बन सकती हैं. स्पष्ट रूप से लडकों और लडककयों के यौिन की अलग-अलग आयु का मतलब है कक 11 या 12
साल के लडके और लडककयां पररपक्िता के मामले में काफी अलग-अलग स्तर पर होते हैं और शारीररक आकार के मामले
में सामान्य यौन अंतर के विपरीत स्तर पर हो सकते हैं.
……………….व्यस्क्िगि अांिर
बचपन में कद और िजन के मामले में काफी व्यक्क्तगत अंतर होता है . इनमें से कुछ अंतरों की िजह पाररिाररक
आनि
ु ंशशक कारक और अन्य अंतरों की िजह पयातिरणीय कारक हैं लेककन विकास के िम में कहीं-कहीं प्रजनन पररपक्िता
में व्यक्क्तगत अंतरों का उन पर बहुत ज्यादा प्रर्ाि पडता है.
शारीररक गनतविधध की क्षमताओं में बचपन के दौरान मोटे तौर पर युिा शशशु की पररिती (अनजानी, अनैक्च्छक) गनतविधध
पद्नतयों से बचपन और ककशोरािस्था की अनत कुशल स्िैक्च्छक गनतिधध विशेषता में पररिततन होता है . (बेशक, बडे बच्चों
और ककशोर-ककशोररयों में विकासशील स्िैक्च्छक गनतविधध के अलािा कुछ पररिती गनतविधधयां र्ी अिश्य मौजद रहती हैं.)
मोटर विकास की गनत प्रारं शर्क जीिन में तेज होती है क्योंकक निजात शशशु की पररिती गनतविधधयों में से कई पहले साल
के र्ीतर बदल जाती हैं या गायब हो जाती हैं और बाद में यह गनत धीमी पड जाती है . शारीररक िवृ द् की तरह मोटर
विकास से र्ी सेफालोकौडल (शसर से पांि तक) और प्रोक्क्समोडडस्टल (धड से अग्रांग तक) विकास की पिातनुमेय पद्नतयों
का पता चलता है और शरीर के ननचले हहस्से या हाथों और पैरों से पहले शसर के अंनतम शसरे और अधधक केन्िीय क्षेिों की
गनतविधधयों या हरकतों पर ननयंिण स्थावपत हो जाता है . गनतविधध के प्रकारों का विकास चरण जैसे िमों में होता है ;
उदाहरण के शलए, 6 से 8 महीनों की हरकत में दोनों हाथों और दोनों पैरों पर रें गना और उसके बाद खडे होनी की कोशशश
करना, ककसी चीज को पकडते समय उसके "चक्कर" लगाना, ककसी ियस्क का हाथ पकडकर चलना, और अंत में स्ितंि रूप
से चलना शाशमल है . बडे बच्चे अगल-बगल या पीछे -पीछे चलकर, तेजी से चलकर या दौडकर, कदकर, एक पैर से लांघकर
और दसरे पैर से चलकर, और अंत में लांघकर इस िम को जारी रखते हैं . मध्य बचपन और ककशोरािस्था तक एक
पिातनुमेय िम के बजाय अनुदेश या पयतिेक्षण के माध्यम से नए मोटर कौशलों की प्राक्प्त होती है .
[15]
मोटर विकास में शाशमल कियाविधधयों या प्रकियाओं में कुछ आनुिशं शक घटक शाशमल होते हैं जो एक ननहदत ष्ट आयु में
शरीर के हहस्सों के शारीररक आकार के साथ-साथ मांसपेशशयों और हड्डडयों की ताकत से जुडे पहलओ
ु ं का र्ी ननधातरण करते
हैं. पोषण और व्यायाम र्ी ताकत का ननधातरण करते हैं और इसशलए ये आसानी और सटीकता का र्ी ननधातरण होता है
क्जसके साथ शरीर के हहस्से को हहलाया-डुलाया जा सकता है . हरकत करने के अिसरों से शरीर के हहस्सों को झक
ु ाने (धड
की तरफ गनत करने) और फैलाने की क्षमताओं की स्थापना में मदद शमलती है क्जनमें से दोनों क्षमताएं अच्छी मोटर
क्षमता के शलए जरूरी हैं. अभ्यास और सीखने के पररणामस्िरूप कुशल स्िैक्च्छक गनतविधधयों का विकास होता है .
[15]
………………..व्यस्क्िगि अांिर
सामान्य व्यक्क्त की मोटर क्षमता सामान्य होती है और यह कुछ हद तक बच्चे के िजन और ननमातण पर ननर्तर करती है .
हालाँकक शैशि काल के बाद सामान्य व्यक्क्तगत अंतरों पर अभ्यास, पयतिेक्षण, और विशशष्ट गनतविधधयों के अनुदेश का बहुत
ज्यादा असर पडता है . असामान्य मोटर विकास स्िलीनता या मक्स्तष्क पक्षाघात जैसी समस्याओं या विकासात्मक विलम्ब
का एक संकेत हो सकता है .
[15]
……………………जनसांख्या अांिर
मोटर विकास के क्षेि में कुछ जनसंख्या अंतर र्ी दे खने को शमलते हैं क्जनके तहत लडककयों को छोटी मांसपेशशयों के
इस्तेमाल से कुछ लार् शमलता है क्जनमें होठों और जीर् से ध्िननयों का उच्चारण र्ी शाशमल है . निजात शशशुओं की
पररिती गनतविधधयों में जातीय अंतर होने की खबर शमली है क्जससे यह पता चलता है कक कुछ जैविक कारक र्ी
कियाशील हैं. सांस्कृनतक अंतर मोटर कौशल को सीखने में प्रोत्साहन दे सकते हैं जैसे स्िच्छता प्रयोजनों के शलए केिल बाएँ
हाथ का इस्तेमाल करना और अन्य सर्ी कायों के शलए दाएँ हाथ का इस्तेमाल करना क्जससे जनसंख्या अंतर का ननमातण
होता है. अभ्यास िाली स्िैक्च्छक गनतविधधयों में सांस्कृनतक कारकों को र्ी कियाशील रूप में दे खा जाता है जैसे फुटबॉल को
आगे की तरफ ले जाने के शलए पैर का इस्तेमाल करना या बास्केटबॉल को आगे की तरफ ले जाने के शलए हाथ का
इस्तेमाल करना.
[15]
छोटे बच्चों में सीखने, याद रखने, और जानकारी का प्रतीक बनाने और समस्याओं को हल करने की क्षमता सामान्य स्तर पर
होती है जो संज्ञानात्मक कायत कर सकते हैं जैसे चेतन और अचेतन प्राखणयों में र्ेदर्ाि करना या कम संख्या िाली िस्तुओं
की पहचान करना. बचपन में सीखने और जानकारी को संसाधधत करने की गनत बढ़ जाती है , स्मनृ त र्ी बढ़ती चली जाती है
और संकेत उपयोग और संक्षेपण की क्षमता में तब तक विकास होता है जब तक ककशोरािस्था लगर्ग ियस्क स्तर तक
नहीं पहुँच जाती है.
संज्ञानात्मक विकास में आनुिंशशक और अन्य जैविक कियाविधध होती हैं जैसे कक मानशसक मंदता के कई आनुिंशशक कारकों
में दे खा गया है . हालाँकक यह मान लेने के बािजद कक मक्स्तष्क कायों की िजह संज्ञानात्मक घटनाएँ होती हैं, विशशष्ट
मक्स्तष्क पररिततनों को मापना और यह हदखाना संर्ि नहीं है कक उनकी िजह से ही संज्ञानात्मक पररिततन होते हैं .
अनुर्नत के क्षेि में होने िाली विकासात्मक उन्ननतयों का संबंध अनुर्ि और शशक्षण से र्ी होता है और यह मुख्य रूप से
उच्च स्तरीय क्षमताओं का मामला है जैसे संक्षेपण जो काफी हद तक औपचाररक शशक्षा पर ननर्तर करता है .
[15]
……………….व्यस्क्िगि अांिर
उन उम्रों में सामान्य व्यक्क्तगत अंतर दे खने को शमलते हैं क्जन उम्रों में विशशष्ट संज्ञानात्मक क्षमताओं की प्राक्प्त होती है
लेककन औद्योधगक दे शों में बच्चों की स्कली शशक्षा इस धारणा पर आधाररत होती है कक ये अंतर बहुत बडे नहीं हैं.
संज्ञानात्मक विकास में असामान्य विलम्ब से उन संस्कृनतयों के बच्चों के शलए समस्याएं पैदा हो सकती हैं जो काम के
शलए और स्ितंि जीिनयापन के शलए उन्नत संज्ञानात्मक कौशलों की मांग करते हैं .
[15]
………………जनसांख्या अांिर
संज्ञानात्मक विकास के क्षेि में बहुत कम जनसंख्या अंतर दे खने को शमलते हैं. लडकों और लडककयों के कौशल और
िरीयताओं में कुछ अंतर दे खने को शमलता है लेककन समहों में बहुत कुछ एक साथ होता है . ऐसा लगता है कक अलग-अलग
जातीय समहों की संज्ञानात्मक उपलक्ब्ध में पाए जाने िाले अंतर सांस्कृनतक या अन्य पयातिरणीय कारकों के पररणाम हैं.
[15]
निजात शशशुओं को संर्ितः न तो डर का अनुर्ि नहीं होता है , और न ही िे ककसी व्यक्क्त विशेष के साथ संपकत स्थावपत
करने को िरीयता दे ते हैं.लगर्ग 8 से 12 महीनों तक उनमें काफी तेजी से पररिततन होता है और ज्ञात खतरों से र्यर्ीत हो
जाते हैं; िे पररधचत लोगों को िरीयता र्ी दे ने लग जाते हैं और उनसे अलग होने पर या ककसी अजनबी के सामने आने पर
उनमें धचंता और दःु ख के र्ाि नजर आने लगते हैं. सहानुर्नत और सामाक्जक ननयमों को समझने की क्षमता पितस्कली
अिधध में शुरू हो जाती है और ियस्क काल में इनका विकास जारी रहता है . मध्य बचपन में हमउम्र बच्चों के साथ दोस्ती
और ककशोरािस्था में कामक
ु ता से जुडी र्ािनाओं और रोमांहटक प्रेम की शुरुआत होती है . बार्लयकाल और आरं शर्क प्रीस्कली
अिधध और ककशोरािस्था के दौरान बहुत ज्यादा िोध का र्ाि रहता है .
[15]
………………….विकास की गति और पद्ति
सामाक्जक र्ािनात्मक विकास के कुछ पहलुओ,ं जैसे सहानुर्नत, का विकास धीरे -धीरे होता है लेककन अन्य पहलुओ,ं जैसे
र्य, में बच्चे की र्ािना के अनर्
ु ि का एक अपेक्षाकृत अचानक पन
ु गतठन शाशमल हो सकता है . यौन और रोमांहटक
र्ािनाओं का विकास शारीररक पररपक्िता के संबंध में होता है .
[15]
……………….व्यस्क्िगि अांिर
सामाक्जक-र्ािनात्मक विकास के िम में व्यक्क्तगत अंतर का होना कोई आम बात नहीं है लेककन एक सामान्य बच्चे से
दसरे सामान्य बच्चे की र्ािनाओं की तीव्रता या अशर्व्यक्क्तत्ि में बहुत ज्यादा अंतर हो सकता है . विशर्न्न प्रकार की
प्रनतकियात्मकताओं की व्यक्क्तगत प्रिक्ृ त्तयां शायद स्िार्ाविक होती हैं और उन्हें स्िार्ािगत अंतर के रूप में संदशर्तत ककया
जाता है . सामाक्जक र्ािनात्मक विशेषताओं का असामान्य विकास थोडा अलग ककस्म हो सकता है या इतना गंर्ीर हो
सकता है कक इससे मानशसक बीमारी का संकेत शमलने लगे. स्िर्ािगत लक्षणों को जीिन काल के दौरान क्स्थर और
[15]
हटकाऊ माना जाता है . उम्मीद है कक शैशिािस्था में सकिय और िोधधत रहने िाले बच्चे बडे बच्चों, ककशोरों और ियस्कों के
रूप में सकिय और िोधी हो सकते हैं.
……………………..जनसांख्या अांिर
बडे बच्चों में जनसंख्या अंतर मौजद हो सकता है, उदाहरण के तौर पर यहद उन्होंने यह सीखा है कक बच्चों द्िारा र्ािना
की अशर्व्यक्क्त करना या लडककयों की तल
ु ना में अगल तरीके से व्यिहार करना उधचत है , या अगर एक जातीय समह के
बच्चों द्िारा सीखे गए रीनत-ररिाज ककसी दसरे बच्चे द्िारा सीखे गए रीनत-ररिाज से अलग हैं. ककसी ननहदत ष्ट आयु के
लडकों और लडककयों के बीच का सामाक्जक और र्ािनात्मक अंतर दोनों शलंगों की यौिन विशेषताओं के समय के अंतर से
र्ी जुडा हुआ हो सकता है .
[15]
बहुत ज्यादा बोली जाने िाली शब्दािली को हाशसल करने के अलािा ऐसे चार मुख्य क्षेि हैं क्जनमें बच्चे को बोली जाने
िाली र्ाषा या बोली की परिाह ककए त्रबना योग्यता हाशसल करना जरूरी होता है . इन्हें ध्िनन विज्ञान या ध्िनन, अथत विज्ञान या
कटबद् अथत, िाक्य रचना या शब्दों को संयुक्त करने का तरीका और यथातथ्य या अलग-अलग पररक्स्थनतयों में र्ाषा का
इस्तेमाल करने के ज्ञान के रूप में संदशर्तत ककया जाता है .
[3]
ग्रहणशील र्ाषा (दसरों की बात की समझ) में िशमक विकास होता है क्जसकी शुरुआत लगर्ग 6 महीने की आयु में होती
है . हालाँकक र्ाििाहक र्ाषा और शब्दों के ननमातण में , लगर्ग एक साल की उम्र में इसकी शुरुआत के बाद से काफी तेजी
आ जाती है और साथ में दसरे साल के बीच में ित
ु शब्द अधधग्रहण का एक "शब्दािली विस्फोट" सा होने लगता है . यह
शब्दािली विस्तार बोले गए शब्दों को दोहराने की क्षमता से काफी करीब से जुडा हुआ है और उनके उच्चारण में कौशल के
तीव्र अधधग्रहण को सक्षम बनाता है . व्याकरखणक ननयम और शब्द संयोजन लगर्ग दो साल की उम्र में हदखाई दे ते हैं .
[23][24]
शब्दािली और व्याकरण की महारत पितस्कली और स्कल के िषों के माध्यम से धीरे -धीरे जारी रहती है . ककशोर-ककशोररयों
के पास अर्ी र्ी ियस्कों की तल
ु ना में कम शब्दसंग्रह होते हैं और पैशसि िॉइस जैसी संरचनाओं के साथ अधधक कहठनाई
का अनर्
ु ि होता है .
एक महीने की उम्र िाले बच्चे "ऊह" ध्िननयों का उच्चारण कर सकते हैं जो शायद ककसी आपसी "बातचीत" में दे खरे ख करने
िालों के साथ सख
ु द बातचीत से उत्पन्न होता है . स्टनत के मत
ु ात्रबक, यह प्रकिया ककसी आपसी, लयबद् बातचीत में ियस्क
और शशशु के बीच के प्रर्ाि का संचार है. परिती बातचीत के लेनदे न की आशा से सुरसमायोजन और "गेज-कपशलंग" पर
विचार ककया जाता है क्जनमें शशशु और ियस्क की अलग-अलग र्शमका होती है .
[25]
लगर्ग 6 से 9 महीने के बच्चे और अधधक स्िर िणों और कुछ व्यंजन िणों का उच्चारण करने लगते हैं और "शब्दनक
ु रण"
करने लगते हैं या "दादादादा" जैसी ध्िननयों को अक्सर दोहराते रहते हैं क्जसमें परिती बोली की कुछ ध्िन्यात्मक
विशेषताओं की मौजदगी का पता चलता है. ऐसा माना जाता है कक बोली के विकास का एक महत्िपणत हहस्सा िह समय है
क्जसे दे खरे ख करने िाले यह "अनम
ु ान" लगाने में त्रबताते हैं कक उनका शशशु क्या कहने की कोशशश कर रहा है और इस
प्रकार बच्चे को उसके सामाक्जक जगत के साथ एकीकृत ककया जाता है . शशशुर के उच्चारणों में िैचाररकता के संबंध को
"साझा स्मनृ त" कहा जाता है और यह एक तात्काशलक रूप में कायों, इरादों और प्रनतकियास्िरूप कायों की एक जहटल श्रंख
ृ ला
का ननमातण करता है .
[3]
यह तकत हदया गया है कक बच्चों की स्िर प्रणाशलयों का विकास इस तरह होता है कक ये ियस्क की र्ाषाओँ के समानान्तर
होती हैं र्ले ही िे न पहचानने योग्य "शब्दों" का इस्तेमाल कर रहे हों. पहले शब्दों में नामकरण या लेबशलंग का कायत
[26]
होता है लेककन इसका अथत र्ी होता है जैसे "दध" क्जसका मतलब है कक "मुझे दध चाहहए". आम तौर पर 18 महीने की उम्र
में लगर्ग 20 शब्दों की शब्दािली बढ़कर 21 महीने की उम्र में 200 शब्दों के आसपास हो जाती है . लगर्ग 18 महीने की
उम्र से बच्चा दो शब्द िाले िाक्यों में शब्दों को संयुक्त करना शुरू कर दे ता है . आम तौर पर ियस्क इसका विस्तार, अथत
को स्पष्ट करने के शलए करता है . 24-27 महीने की उम्र तक बच्चा एकदम से सटीक न होने पर र्ी ताककतक िाक्य रचना
का इस्तेमाल करके तीन या चार शब्दों िाले िाक्यों का ननमातण करने लगता है . इसके पीछे शसद्ांत यह है कक बच्चे ननयमों
के एक बुननयादी समह का इस्तेमाल करते हैं जैसे बहुिचन शब्दों के शलए 's' जोडना या बहुत ज्यादा कहठन शब्दों से सरल
शब्दों का ननमातण करना जैसे चॉकलेट त्रबक्स्कट के शलए "चॉक्स्कट" का इस्तेमाल करना. इसके बाद व्याकरण के ननयमों और
िाक्यों के सही िम में तेजी से विकास होने लगता है . अक्सर तक
ु बंदी में रुधच होने लगती है और कर्लपनात्मक नाटक में
अक्सर बातचीत को शाशमल ककया जाता है . बच्चों के ररकॉडत ककए गए मोनोलॉग अथतपणत इकाइयों में जानकारी को संगहठत
[3]
तीन साल की उम्र तक बच्चा ररलेहटि क्लॉज सहहत जहटल िाक्यों का इस्तेमाल करने लगता है हालाँकक अर्ी र्ी विशर्न्न
र्ाषाई प्रणाशलयों में सुधार कायत जारी रहता है. पांच साल की उम्र तक बच्चा काफी हद तक ियस्क की तरह र्ाषा का
इस्तेमाल करने लग जाता है . लगर्ग तीन साल की उम्र से बच्चे र्ाषा विज्ञान की दृक्ष्ट से भ्रम या कर्लपना का संकेत
[3]
कर सकते हैं, आरम्र् और अंत के साथ सुसंगत व्यक्क्तगत कहाननयों और कार्लपननक कथाओं का ननमातण कर सकते
हैं. यह तकत हदया जाता है कक बच्चे अपने स्ियं के अनुर्ि को समझने के एक तरीके के रूप में और दसरों को अपना
[3]
मतलब समझाने के एक माध्यम के रूप में कहानी का सहारा लेते हैं. विस्ताररत बहस में शाशमल होने की क्षमता समय
[28]
के साथ ियस्कों और साधथयों के साथ ननयशमत बातचीत से उत्पन्न होती है . इसके शलए बच्चे को अपने दृक्ष्टकोण को
दसरों के दृक्ष्टकोणों और बाहरी घटनाओं के साथ शमलाने के तरीके को सीखने की जरूरत है और िह ऐसा कर रहा है , यह
सात्रबत करने के शलए उसे र्ाषाई संकेतकों का इस्तेमाल करने का तरीका र्ी सीखने की जरूरत है . िे ककससे बात कर रहे
हैं, इसके आधार पर िे अपनी र्ाषा को समायोक्जत करना र्ी सीखते हैं . आम तौर पर लगर्ग 9 साल की उम्र तक अपने
खुद के अनुर्िों के अलािा अन्य कहाननयों का िणतन लेखक, कहानी के पािों और अपने खुद के के दृक्ष्टकोणों से कर
सकता है.
बच्चे के सीखने के कायत को सहज बनाने में ियस्क िातातलाप की महत्िपणत र्शमका होने के बािजद शसद्ांतकारों में इस
बात को लेकर काफी असहमनत है कक बच्चों के आरं शर्क अथत और अथतपणत शब्द, बच्चे के संज्ञानात्मक कायों से संबंधधत
आंतररक कारकों की तल
ु ना में ककस हद तक सीधे ियस्क िातातलाप से उत्पन्न होते हैं. नए शब्दों के प्रारं शर्क मानधचिण,
प्रसंग से परे शब्दों को समझने की क्षमता और अथत को पररष्कृत करने के बारे में कई अलग-अलग ननष्कषत प्राप्त हुए
हैं. एक पररकर्लपना को िाक्यात्मक बटस्िै वपंग पररकर्लपना के नाम से जाना जाता है , जो िाक्य संरचना से शमली व्याकरण
[3]
संबंधी जानकारी का इस्तेमाल करके इशारे से अथत का अनुमान लगाने की बच्चे की क्षमता को संदशर्तत करती है . एक
[30]
अन्य पररकर्लपना बहुत-मागी मॉडल है क्जसमें यह तकत हदया जाता है कक प्रसंग से बंधे शब्द और संदर्त संबंध शब्द अलग-
अलग मागों का अनुसरण करते हैं; पहले िाले को घटना प्रदशतनों के आधार पर धचत्रित ककया जाता है और बाद िाले को
मानशसक प्रदशतनों के आधार पर धचत्रित ककया जाता है . इस मॉडल में पैतक
ृ इनपुट की अत्यंत महत्िपणत र्शमका होने के
बािजद बच्चे शब्दों के परिती उपयोग को ननधातररत करने के शलए संज्ञानात्मक प्रकिया पर ननर्तर करते हैं. बहरहाल, र्ाषा
[31]
विकास पर ककए गए प्राकृनतक शोध से यह संकेत शमला है कक प्रीस्कली बच्चों के शब्द संग्रह ियस्कों द्िारा उन्हें बताए गए
शब्दों की संख्या से काफी हद तक जड
ु े हैं.
[32]
.
अर्ी तक र्ाषा अधधग्रहण का कोई शसद्ांत ऐसा नहीं है जो सबके द्िारा स्िीकृत हो. जोर दे ने के मामले में िततमान
स्पष्टीकरणों में अंतर है , जहाँ शशक्षण शसद्ांत में सुदृढ़ीकरण और अनुकरण (क्स्कनर) पर जोर हदया जाता है िहीं जैविक
और स्िदे शिादी शसद्ांतों में सहज अन्तननतहहत कियाविधधयों (चोम्स्की और वपंकर) पर और एक सामाक्जक प्रसंग (वपयाजेट
और टोमासेलो) के र्ीतर अधधक पारस्पररक दृक्ष्टकोण पर जोर हदया जाता है . व्यिहारिाहदयों का तकत है कक र्ौनतक
[3]
माहौल और आम तौर पर सामाक्जक माहौल की साितर्ौशमक मौजदगी के आधार पर र्ाषा संबंधी ककसी र्ी शसद्ांत में र्ाषा
व्यिहार के व्यक्क्तगत विकास पर इनके संज्ञानात्मक संबंधों के प्रर्ािों पर जरूर ध्यान दे ना चाहहए. वपंकर का तकत
[33][34][35]
है कक जहटल र्ाषा साितर्ौशमक है और इसका एक सहज आधार होता है . वपंकर का तकत कुछ हद तक वपक्जन (शमधश्रत
र्ाषा) से कियोल (व्युत्पन्न) र्ाषाओँ के विकास पर आधाररत है . वपक्जन (शमधश्रत र्ाषा) में व्याकरखणक संरचनाओं के त्रबना
बात चीत करने िाले माता-वपता के बच्चों में अपने आप कियोल (व्यत्ु पन्न) र्ाषा का विकास हो जाता है जो मानकीकृत
शब्द िमों और िततमान, र्विष्य और र्तकाल के माकतरों और सबऑडडतनेट क्लॉज से पररपणत होते हैं. ननकारागुआ में विशेष
[36]
स्कलों में कम उम्र के बधधर बच्चों की संकेत र्ाषा के विकास से इसको कुछ समथतन शमला है , क्जनमें अनायास ही वपक्जन
का विकास हो गया और क्जसे बाद में स्कलों (आईएसएन) में आने िाले बच्चों की युिा पीढ़ी द्िारा एक कियोल के रूप में
विकशसत कर हदया गया.
[37][38]
.
…………………….व्यस्क्िगि अांिर
धीमा अशर्व्यंजक र्ाषा विकास (सेर्लड या एसईएलडी) जो कक सामान्य समझ के साथ शब्दों के इस्तेमाल में होने िाली एक
दे री है, बच्चों के एक छोटे अनुपात की विशेषता है जो बाद में सामान्य र्ाषा उपयोग का प्रदशतन करते हैं.
डडस्लेक्क्सया बच्चे के विकास का एक महत्िपणत विषय है क्योंकक लगर्ग 5% जनसंख्या (पक्श्चमी जगत में ) पर इसका
असर पडता है . मलतः यह एक विकार है क्जसकी िजह से बच्चे अपनी बौवद्क क्षमताओं के अनुरूप पढ़ने, शलखने और
िततनी या उच्चारण करने का र्ाषा कौशल प्राप्त करने में विफल हो जाते हैं . डडस्लेक्क्सया ग्रस्त बच्चों के र्ाषा विकास में
सक्ष्म र्ाषण दब
ु ल
त ता से लेकर गलत उच्चारण और शब्द ढँ ढने में मुक्श्कलों तक, काफी अंतर हदखाई दे ता है . सबसे आम
ध्िनी कहठनाइयाँ, मौखखक अर्लपकाशलक स्मनृ त और ध्िनन जागरूकता की सीशमतताएँ हैं. ऐसे बच्चों को अक्सर िषत के
महीनों के नाम, पहाडा सीखने जैसे दीघतकाशलक मौखखक शशक्षण के साथ कहठनाइयों का सामना करना पडता है ; इसको
समझाने के शलए मख्
ु यतः 1980 के दशक के अंनतम दौर की ध्िनन अर्ाि पररकर्लपना (फोनोलॉक्जकल डेकफशसट
हाइपोथीशसस) का इस्तेमाल ककया जाता है . प्रारं शर्क जोडबंदी, बुननयादी ध्िनन कौशल और बुननयादी त्रबक्र्लडंग ब्लॉकों की
प्राक्प्त में कहठनाइयों का मतलब है कक डडस्लेक्क्सया ग्रस्त बच्चों को नई जानकारी या कौशल हाशसल करने के बजाय केिल
बुननयादी चीजों का सामना करने में बहुत ज्यादा संसाधनों का ननिेश करना पडता है . प्रारं शर्क पहचान से बच्चे विफल होने
से पहले सहायता प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं .
[3]
र्ाषा विकास में असामान्य दे री ऑहटज्म (स्िलीनता) का लक्षण हो सकती है , और र्ाषा के प्रनतगमन से रे ट शसंड्रोम जैसी
गंर्ीर अक्षमताओं का संकेत शमल सकता है . खराब र्ाषा विकास के साथ सामान्य विकास में र्ी विलंब हो सकता है , जैसा
कक डाउन शसंड्रोम में दे खने को शमलता है .
बाल विकास और शिक्षा िास्त्र
1. जो एक बच्चे की गण
ु ित्ता या चररि में पररिततन इंधगत करता है ?
(क) बवृ द् (ख) विकास (ग) सीखना (घ) पयातिरण
2. एक व्यक्क्त की मािात्मक क्षमताओं के विस्तार की प्रकिया, के रूप में कहा जाना चाहहए:
(क) विकास (ख) बवृ द् (ग) संतुलन (घ) पररपक्िता
3. प्राथशमक शशक्षा में मदद करता है ... ... ... ... ... ...
(क) बच्चे के समाजीकरण (ख) बच्चे का लोकतंिीकरण (ग) पाठ्क्यिम समझ में (घ) उपरोक्त सर्ी
4. एक दसरे से अलग और हर एक एक अद्वितीय व्यक्क्त बनाने के बीच मतर्ेद से धचक्ह्नत हैंशब्द ... ... ... ....
(क) व्यक्क्तगत अंतर (ख) आनुिंशशकता (ग) पयातिरण (घ) व्यक्क्तत्ि
5. शशक्षाथी के काडडतनल शसद्ांतों शशक्षा केंहित कर रहे हैं ... ... ... ... ....
(क) करके सीखना (ख) जीिन द्िारा सीखना (ग) दोनों (घ) इनमें से कोई
नहीं
6. जो सामाक्जक constructivism के दशतन के शलए और अधधक बल दे ता है ?
(क) Piaget (ख) Kohlberg (ग) Vygotsky (घ) डेिी
7.जो आनुिंशशक epistemology के वपता है ?
(क) Piaget (ख) ब्रनर (ग) Vygotsky (घ) डेिी
8. एक 12 साल के शलए सामाक्जक विकास के शलए सबसे अच्छी जगह का बच्चा है ... ... ... ..
(क) पडोस (ख) पररिार (ग) खेल का मैदान (घ) स्कल
9. जो ननम्न चरणों में से एक में बच्चे के आत्म केक्न्ित लग रहा है ?
(क) शैशि (ख) बचपन (ग) ककशोरािस्था (घ) ियस्कता
10. Piaget का संिेदी मोटर अनक
ु लन की अिधध है ... ... ... ... ...
(क) 0-2 िषों (ख) 1-3 साल (ग) 3-5 िषों (घ) 4-6 साल
11.... ... ... ... ... के शलए अधधग्रहण और ज्ञान लाग क्षमता है .
(क) व्यक्क्तत्ि (ख) Intelligence (ग) योग्यता (घ) दृक्ष्टकोण
12. ... ... ... ... कालानुिशमक 100 से गुणा उम्र के शलए मानशसक उम्र का अनुपात है .
(क) र्ािनात्मक र्ागफल (ख) बहु द्द लक्ब्ध (ग) दोनों (घ) इनमें से कोई नहीं
13.Intelligence की एकल कारक शसद्ांत द्िारा हदया गया था ... ... ... ....
(क) अर्लफ्रेड Binet (ख) Thorndike (ग) फ्रीमैन (घ) इनमें से कोई नहीं
14. Non-verbal test के शलए उपयुक्त है ... ... ... ... ... ....
(क) बहरा और गंगा (ख) ननरक्षरों (ग) वपछडे बच्चों को (घ) इन सब के सब
15. "Theory of Multiple Intelligence" के जनक कौन थे?
(क) गाडतनर (ख) Vygotsky (ग) ब्रनर (घ) Piaget
================================================================
उत्िरमाला--- 1.ख 2. ख 3. घ 4. क 5. ग 6. ग 7. क 8. ग 9. ख 10. क 11. ख
12. ख 13. क 14. घ 15. क