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यह तालिका स्वतंत्रता के बाद से समावेशी शिक्षा की दिशा सकता है क्योंकि यह स्व निगरानी की प्रणाली नहीं है और न
में किए गए प्रयासों को दर्शाती है । समावेशन अब एक जाना- ही स्कू ल उस समर्थन के लिए ज़िम्मेदार हैं जिन्हें अधिनियम,
पहचाना शब्द है, हालाँकि अभी भी भारत सहित सभी देशों के 2009 के तहत परिकल्पित किया गया था और जो और अब
लिए यह एक विकसित हो रही प्रक्रिया है । विकलांग बच्चों को भी कवर करता है ।
नीतियों और विधानों को सक्षम करने के परिणामस्वरूप, प्रावधानों और अब एनईपी, 2019 के मसौदे द्वारा परिलक्षित
सभी राज्य अधिक से अधिक अदालती मामले दख े रहे हैं मन्तव्य को ध्यान में रखते हुए सभी नीति-निर्माताओ,ं
और यह मामले सर्वोच्च न्यायालय तक ले जाए गए हैं । यह योजनाकारों, कार्यान्वयनकर्ताओ ं और हितधारकों के लिए यह
कार्यवाही के साथ विचारधारा को साकार करने में नीति से बात महत्त्वपर्ण
ू है कि वे समावेशन के विज़न का विस्तार करें
लेकर कार्यान्वयन तक के अन्तराल और चनु ौतियों को इगिं त और अवसर की समानता के साथ-साथ विकलांग व्यक्तियों
करता है । आरटीई अधिनियम (2009) की नो-डिटेंशन से
iii
सहित समाज के सभी वर्गों के लिए आर्थिक और सामाजिक
सम्बन्धित धारा 16 को 2017 में संशोधित किया गया है । गतिशीलता को भी इसमें सम्मिलित करें । हालाँकि उच्चतर
इसको हटाने से सभी कमज़ोर बच्चों पर गम्भीर प्रभाव पड़ माध्यमिक स्तर तक स्कू ली शिक्षा महत्त्वपर्ण
ू और अनश ु सि
ं त
84 अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी लर्निंग कर्व, सितम्बर, 2020
है, लेकिन 14 साल की उम्र तक स्कू ली शिक्षा के प्रारम्भिक अधिगम के लिए समर्थकारी हस्तक्षेप जैसे महत्त्वपर्ण ू मद्ु दे
वर्षों के महत्त्व को कम या अधिक नहीं किया जा सकता है । हैं । अभी तक अधिगम के परिणामों के बारे में कोई जानकारी
चकि
ँू शिक्षा समवर्ती सचू ी पर है और विकलांगता राज्य का उपलब्ध नहीं है । प्रत्येक बच्चे के अधिगम का स्वरूप
विषय है, अतः हम सभी को राष्ट्रीय नीति को कार्र वाई योग्य अलग है । उदाहरण के लिए, आर्थोपेडिक, सीपी और कई
कार्यान्वयन प्रावधानों में बदलने के निहितार्थ को समझने की विकलांगता वाले बच्चों की आवश्यकताओ ं में विविधता
आवश्यकता है । सम्बन्धित आदेश और प्रशासनिक कार्र वाई है । हालाँकि समान परिणामों के लिए प्रयास करना महत्त्वपर्ण
ू है,
हमेशा राज्य ही करते हैं । सीएसआर और सार्वजनिक-निजी लेकिन यह याद रखना चाहिए कि गति, शिक्षण कला, समर्थन,
भागीदारी को बड़े ध्यान और सावधानी के साथ समझने की ग़ैर-उपचारी सवं र्धन हस्तक्षेप अलग होते हैं । इनमें अधिगम
आवश्यकता है क्योंकि बाज़ार अर्थव्यवस्था ने अन्तर्राष्ट्रीय के परिणामों के निहितार्थ होंगे जो आकलन प्रक्रियाओ ं और
एजेंसियों, जैसे यनू ेस्को और यनू िसेफ से धन के प्रवाह को पाठ्यक्रम डिज़ाइन को प्रभावित करें गे ।
प्रभावित किया है ।
विशेष शिक्षा स्कू ल — समावेशन की निरन्तरता
मानव सस
ं ाधन की चुनौती समावेशी शिक्षा एकीकरण और मखु ्यधारा की पर्वू -मान्य
जब से विशषे और समावेशी शिक्षा की शरुु आत हुई है, धारणाओ ं से भिन्न है, जो मखु ्य रूप से विकलांगता और
विकलांग बच्चों को सशक्त बनाने के लिए मानव ससं ाधनों की विशेष शैक्षिक आवश्यकताओ ं से सम्बन्धित सरोकारों की
उपलब्धता और निरन्तर क्षमता-निर्माण एक महत्त्वपर्ण ू मद्ु दा ओर प्रवृत्त थी । इसमें शिक्षार्थियों से यह अपेक्षा की जाती
रहा है । शिक्षा की गणु वत्ता को के वल पर्याप्त व नियोजित और थी कि वे मखु ्यधारा में समायोजन के लिए अपने को बदलें या
पेशवे र रूप से सक्षम मानव संसाधनों के द्वारा ही सगु म बनाया उसके योग्य बनें । इसके विपरीत समावेशन में बच्चे के भाग
जा सकता है । स्कू लों में स्टाफ़ को वास्तविक आवश्यकताओ ं लेने के अधिकार की बात आ जाती है और साथ ही यह स्कू ल
के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए, न्यूनतम का कर्तव्य माना जाता है कि वे बच्चे को स्वीकार करें और
आवश्यकताओ ं के आधार पर नहीं । आरटीई अधिनियम को उसके अनक ु ू ल हों ।
इस वास्तविकता को पहचानना चाहिए और शिक्षकों, विशेष समावेशन में ग़ैर-विकलांग विद्यार्थियों को विकलांग
शिक्षकों और अन्य पेशवे रों की भर्ती को संयोग तथा तदर्थ विद्यार्थियों से अलग करने के लिए विशेष स्कू लों या कक्षाओ ं
निर्णय पर नहीं छोड़ना चाहिए । चनु ौती यह है : के उपयोग को अस्वीकार किया जाता है । अधिकार-आधारित
• क्या हमारे पास पर्याप्त सेवा प्रदाता हैं? यह दृष्टिकोण विकलांग विद्यार्थियों द्वारा पर्ण ू भागीदारी
• क्या हमें उस नामावली को भी देखना चाहिए जिसका और उनके सामाजिक, नागरिक और शैक्षिक अधिकारों के
हम उपयोग करते हैं? उदाहरण के लिए, यदि हम विशेष सम्मान पर ज़ोर देता है । आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016
में विचारधारा और प्रावधान, दोनों के अनसु ार, स्कू लों को
सेवाओ ं वाले स्कू लों को विशेष स्कू लों के रूप में दख
े ते
‘सामान्य शिक्षा और विशेष शिक्षा’ कार्यक्रमों जैसे स्वीकृ त
हैं, तो ये एक विशेष उद्देश्य के लिए स्थापित स्कू ल का
शब्दों के बीच अन्तर नहीं करना है । इसकी बजाय स्कू ल की
एक प्रकार होगा, जैसे कि नवोदय विद्यालय, के न्द्रीय प्रक्रियाओ ं को इस तरह से संरचित किया जाना चाहिए कि
विद्यालय और सैनिक स्कू ल । सभी विद्यार्थी एक साथ सीखें और साथ ही विशेष स्कू ल बनने
• इसके अलावा, हम कुछ बच्चों को विशेष सहायता की गंजु ाइश भी हो ।v
प्रदान करने की योजना कै से बनाएँ? इसके लिए हमें हम अधिकारों के मार्ग के अवरोधक नहीं, सगु मकर्ता हैं!
व्यक्ति के जीवन में हुई दर्घटन
ु ाओ ं और ऐसे कई अन्य क्या हम, राष्ट्रीय और राज्य सरकारों के रूप में, विकल्पों के
कारणों जैसे स्थान, सामाजिक वातावरण, स्वास्थ्य, अधिकार को प्रयोग में लाने का सम्मान करते हैं? क्या हम
जन्म से विकलांगता स्थिति आदि परिस्थितियों का विश्वास के साथ कह सकते हैं कि सभी स्कू ल समावेशी हैं,
अध्ययन, विश्ले षण, शोध और दस्तावेज़ीकरण करने की और सभी विशेष स्कू ल आरटीई अधिनियम के मानदण्डों को
आवश्यकता है ।iv परू ा करते हैं? यह एक महत्त्वपर्ण
ू प्रश्न है, जिस पर प्रणाली
रिपोर्टिंग एजेंसियों द्वारा जारी किए गए विकलांगता-वार डेटा को विचार करना चाहिए, क्योंकि आरपीडब्ल्यूडी न के वल
सेवाओ ं और संसाधनों के नियोजन के लिए सवाल पैदा करते स्कूलिंग के , बल्कि ज़रूरत पड़ने पर विशेष स्कू ल चनन ु े के
हैं । न्यूरोलॉजिकल और सवं ेदी विकलांग बच्चों को स्कू ली अधिकार को भी स्वीकार करता है । नीति आयोग यह अपेक्षा
सविध
ु ाएँ और सेवाएँ महु यै ा कराने के लिए उचित निदान और करता है कि मानव संसाधन विकास मन्त्रालय विकलांग बच्चों
i
Birrell, Ian. (23 April 2019). Greta Thunberg teaches us about autism as much as climate change.
https://www.theguardian.com/commentisfree/2019/apr/23/greta-thunberg-autism/
accessed on 21 September 2019.
ii
Smith, M. K. (2015). What is education? A definition and discussion. The encyclopaedia of informal education. [http://infed.org/mobi/what-
is-education-a-definition-and-discussion/. Retrieved 20 September 2019.
iii
Portions of this writing are also from Author’s chapter on Education of Persons with Disabilities in Indian Education: A developmental
Discourse by Mukhopadhyay Marmar and Parhar Madhu (Eds), Shipra Publications, 2015.
iv
Will advise all readers to read books by Shivani Gupta, No Looking Back, Rupa Publications Pvt. Ltd and Malini Chib, One Little Finger,
Sage India.
v
http://seshagun.gov.in/sites/default/files/2019-05/disabilitiesAct2016.pdf/accessed 22 September 2019.
vi
Adapted from Mukhopadhyay, Sudesh, Making the Difference: Our Roles and Responsibilities. In Verma Preeti et.al. (eds.) (2019); Be the
Difference: Equality and Equity in Education, Mumbai; Department of Special Education, SNDT.PP332-333.
डॉ. सदेु श मुखोपाध्याय, आरसीआई की पर्व ू अध्यक्ष हैं । वर्तमान में वे एनसीटीई की स्थाई समिति की सदस्य
हैं । वे लंदन यनू िवर्सिटी के इसं ्टीट्यट
ू ऑफ़ एजक
ु े शन इन स्पेशल एजक ु े शन की एसोसिएट हैं और मैनिटोबा
यनू िवर्सिटी, कनाडा और मोनाश यनू िवर्सिटी, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया की विज़िटिंग फे लो भी हैं । उनसे drsudesh.
mukhopadhyay@gamil.com पर सम्पर्क किया जा सकता है ।
अनुवाद : नलिनी रावल