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यदि मैं शिक्षा मन्त्री होता

Yadi mein Shiksha Mantri hota

Best 3 Essays on “Yadi mein Shiksha Mantri Hota”.

निबंध िंबर : 01

प्रस्तावना : शिक्षा ही राष्ट्र की बहुमखु ी प्रगनि का मूल स्रोि है । इसशलये हर राष्ट्र के


कर्णधार शिक्षा को बहुि महत्तत्तव दे िे आए हैं। ववदे िी िासकों िे हमारे राष्ट्र पर स्थायी रूप
से िासि हे िु यहााँ की शिक्षा प्रर्ाली इस प्रकार की बिायी थी, जिससे हम परिन्त्रिा की
प्रवजृ त्ति को ही सदै व के शलए अंगीकार करें ।

आधुननक शिक्षा प्रणाली के िोष : हमारा राष्ट्र स्विन्त्र हुआ। उसके िासि की बागडोर
हमारे कर्णधारों िे सम्भाली । अिेक प्रकार से सुधार ककए; पर शिक्षा प्रर्ाली वैसी की वैसी
ही रही। उिी ओर ककसी का ध्याि िहीं गया। अब इस स्विन्त्र राष्ट्र को 54 व वर्ण चल
रहा है िंब भी शिक्षा में कोई वविेर् पररविणि दृजष्ट्िगि िहीं हो रहा है ।

ववद्यालय एवं महाववद्यालयों की संख्या अधधक अवश्य हुई; पर शिक्षा का स्िर ज्यों का
त्तयों ही रहा। दे खा िाए िो माध्यशमक एवं उच्च शिक्षा बबल्कुल ही अपर्
ू ण है । इस पर भी
उसका व्यय ददि-प्रनिददि बढ़िा ही िा रहा है । पाठ्य पुस्िकों का िीघ्रानििीघ्र पररविणि
और िल्
ु क की बढ़ोिरी शिक्षाधथणयों की कमर िोड़ रही है । ववद्यालयों में ववर्यों और पाठ्य
पुस्िकों का इििा आधधक्य होिा िा रहा है कक शिक्षाथी रि-रिकर परे िाि हो िािे हैं।
इस प्रकार के अध्ययि से बवु ि क्षीर् व शिधथल रह िािी है । स्विन्त्र भारि में शिक्षा की
ऐसी जस्थनि दे खकर मेरा रोम-रोम क्षुब्ध हो उठिा है । कभी-कभी सोच उठिा हूाँ कक इससे
अच्छा प्रबन्त्ध, िो मैं ही शिक्षा मन्त्री होकर कर सकिा। यदद मैं शिक्षा मन्त्री होिा िो
भारिीय शिक्षा के शलये निम्िशलखखि उपाय करिा।

प्राथशमक शिक्षा : हमारे दे ि में ऐसे बच्चों की संख्या वविेर् है िो निधणििा के कारर्
ववद्यालय का मुख िहीं दे ख पािे हैं। मैं उिकी पररजस्थनियों का अवलोकि कर उन्त्हें पढ़िे
के शलये अवश्य बाधधि ही िहीं करिा; अवपिु प्राथशमक शिक्षा को अनिवायण कर दे िा। हमारे
दे ि में हर बच्चे को शिक्षा पािे का अधधकार है , किर वे ही निधणििा के अशभिाप के कारर्
इससे वंधचि क्यों रहें ? प्राथशमक ववद्यालयों में िारीररक दण्ड का निर्ेध करा दे िा और
इस पर भी अध्यापक वगण दण्ड दे िा हुआ पाया िािा, िो उसे िौकरी से ववमक्
ु ि कर दे िा।
प्राथशमक कथाओं में शििुओं की अवस्था एवं बवु ि का ध्याि रखकर वैसी ही सरल एवं
शिक्षाप्रद पस्
ु िक रख पािा जििसे कक बवु ि का समधु चि ववकास होिा । मान्त्िे सरी शिक्षा
पिनि पर वविेर् बल दे िा और गााँधी िी द्वारा चाशलि बेशसक शिक्षा को ग्रामों में वविेर्
रूप से चलवािा। छोिे -छोिे ववद्यालयों का वािावरर् प्यार भरा होिा चादहए, जििसे िन्त्हे -
मुन्त्िे घर से अधधक इन्त्हें चाहिे लगे।

माध्यशमक शिक्षा : हमारे दे ि की पुरािि सभ्यिा एवं संस्कृनि िगि प्रशसि है । इसकी
सुरक्षा के शलए माध्यशमक शिक्षा में लड़के और लड़ककयों के शलए पथ
ृ क् -पथ
ृ क् ववद्यालरा
अनिवायण हैं। यहााँ पर भी पुस्िकों की संख्या कम ही रखवािा। मेरी इच्छा है कक हमारे दे ि
में ऐसी शिक्षा का प्रचलि रहे कक ववद्याथी िारीररक श्रम को उपेक्षा की दृजष्ट्ि से ि दे खें
। उन्त्हें शिक्षा के साथ हस्िकला भी शसखाई िाए िाकक बुवि के ववकास के साथ-साथ िरीर
भी उन्त्िि हो सके। अंग्रेिी की अनिवायणिा को समाप्ि करा दे िा और अंकगखर्ि को भी
ऐजच्छक ववर्य बिवा दे िा। संगीि, ित्तृ य, बुिाई, किाई, बढ़ईगीरी, पुस्िक बााँधिा, छपाई,
दिीगीरी, धचरकला, रे डडयो इन्त्िीनियरी, हस्िकला और अन्त्य शिल्पकला आदद अिेक प्रकार
के ववर्यों पर बल दे िा। िागररक िास्र, अथणिास्र, भग
ू ोल, इनिहास िथा संस्कृि आदद
ववर्य भी इिके साथ रहिे। ववद्याथी इच्छािुसार ववर्यों का चयि करिे। बाशलकाओं की
शिक्षा में वविेर् रूप से शभन्त्ििा होिी। उिके ववर्य में कला और दस्िकारी िथा गह

ववज्ञाि पर वविेर् िोर ददया िािा और उिके अन्त्य ववर्य ऐजच्छक होिे।

प्रौढ़ शिक्षा : प्रौढ़ शिक्षा भी हमारे दे ि में बहुि आवश्यक है । इसकी महत्तिा को समझिे
हुए मैं उसके शलए संध्याकालीि ववद्यालयों की स्थापिा करािा। उिके पठि-पाठि के शलए
वविेर् प्रकार की पुस्िकों का आयोिि करिा। उिके शलए ऐसे पुस्िकालय खुलवािा िहााँ
पर बैठकर प्रौढ़ िििा अपिी सुववधा से समाचारपर िथा मिोरं िि की पुस्िकों का
अवलोकि कर सकिी। उिके अध्ययि के शलए वविेर् प्रकार से प्रशिक्षक्षि अध्यापकों की
नियुजक्ि करवािा । इसके अनिररक्ि समस्ि राज्यों की उच्च कक्षाओं के ववद्याधथणयों के
शलये प्रौढ़ शिक्षा के शिक्षर् का भी आयोिि करवािा िाकक उन्त्हें पिा चल िािा कक प्रौढों
को कैसे शिक्षा दी िािी है ? अवकाि के समय में उन्त्हें सामूदहक रूप में दे ि के कोिे-कोिे
के शभिवािे का आयोिि करािा िाकक वे प्रौढों को उिके समयािुकूल पढ़ािे।

उच्च शिक्षा : मेधावी शिक्षाधथणयों के शलये उच्च शिक्षा अनिवायण है । इसके साथ ही समूचे
राष्ट्र में उद्योग धन्त्धे वाले उच्च महाववद्यालयों की प्रचरु संख्या में स्थापिा करवािा िाकक
शिक्षाधथणयों को अध्ययि पूर्ण करिे के पश्चाि ् ककसी की दासिा ि करिी पड़े। वे स्विन्त्र
रूप से अपिी आिीववका के साधि िि
ु ा सकें। वे अपिी-अपिी कला की प्रगनि के साथ-
साथ राष्ट्र को भी प्रगनििील बिा सकें। मदहलाएाँ भी उच्च शिक्षा में पुरुर्ों का साथ दे िीं।

उपसंहार : यदद आि मैं शिक्षा मंरी होिा, िो दे ि में प्राथशमक, माध्यशमक और उच्च सभी
िरह की शिक्षा पिनियों में वस्िुिः आमूलचूल पररविणि करिा। मैं समझिा हूाँ कक उत्तिम
ढं ग की शिक्षर् पिनि से ही राष्ट्र प्रगनि के शिखर पर पहुाँच सकिा है ।

निबंध िंबर : 02

यदि मैं शिक्षा मंरी होता

Yadi me Shiksha Mantri Hota

ककसी स्विंर और प्रिािंरी िासि-व्यवस्था वाले राष्ट्र का शिक्षा मंरी होिा वास्िव में बड़ा
ही दानयत्तवपूर्ण कायण और सम्माि की बाि है । शिक्षा प्रत्तयेक राष्ट्र िि का एक बुनियादी
अधधकार िो है ही, राष्ट्र के वास्िववक ववकास, वास्िववक स्विंरिा और उसे अक्षुण्र् बिाए
रखिे के शलए भी बहुि आवश्यक हुआ करिी है । वास्िव में एक शिक्षक्षि व्यजक्ि ही राष्ट्र
की पररभार्ा, महत्तत्तव और स्वरूप, राष्ट्रों की स्विंरिा और आवश्यकिा, उस स्विंरिा को
क्यों कर और कैसे बिाए रखा िा सकिा है , राष्ट्र की प्रगनि एवं वास्िववक ववकास के
शलए ककस प्रकार के कायण योििाबि रूप से करिा आवश्यक हुआ करिा है . राष्ट्रों के
िीवि-समाि में िानि-धमण का क्या महत्तत्तव होिा या होिा चादहए, भावात्तमक एकिा क्या
होिी और क्यों आवश्यक है आदद सारी बािें िाि कर इि के अिुसार अपिे आचरर्-
व्यवहार को ढाल सकिा है । ऐसा सब कर पािा िभी संभव हुआ करिा है कक िब अपिी
सभ्यिा-संस्कृनि की परम्पराओं को युग-आवश्यकिाओं के साथ िोड़िे वाली सही शिक्षा,
सही माध्यम से दी िाए। सही शिक्षा दी िा रही है अथवा िहीं, यह दे खिा अजन्त्िम िौर
पर शिक्षा मंरी का ही दानयत्तव हुआ करिा है । हमें खेद के साथ स्वीकार करिा पड़िा है
कक दे ि को स्विंर होिे के आधी ििी बाद िक भी आि िक ककसी भी शिक्षा मंरी िे
राष्ट्र की इस पहली आवश्यकिा की ओर सम्पूर्ण राष्ट्रीय सन्त्दभो में कोई ध्याि िहीं ददया।
केवल वोि पािे और दल-वविेर् की सत्तिा की कुसी बचाए रखिे का उद्देश्य ही सामिे रखा
है -बस।

यदद मैं शिक्षा मंरी होिा, िो सब से पहले इस कमी को पूर्ण करिा। अथाणि ् मार वोि पािे
और िासक दल की सत्तिा की कुसी बचाए रखिे की सत्तिा के दलालों वाली िानि ि अपिा
कर, एक समग्र राष्ट्रीय शिक्षा िीनि बिा कर, उसे एक साथ, एक ही झिके से सारे दे ि में
लागू कर दे िा। यदद स्विंरिा-प्राजप्ि के ित्तकाल बाद ही ऐसा कर ददया होिा, िो आि हमें
एक मािशसक गुलामी की प्रिीक, लंगड़ी-लूली शिक्षा-पिनि का वाररस माि और कह कर
हमारा राष्ट्रीय अपमाि ि ककया िािा। दे िी-ववदे िी राििेिाओं, शिक्षाववदों और ववद्वािों
द्वारा बार-बार अपमानिि-लााँनछि ककए िािे पर भी हालि यह है कक ‘िमण उि को मगर
िहीं आिी।’

यदद मैं शिक्षा मंरी होिा, िो एक सम्मािििक समग्र राष्ट्रीय शिक्षा िीनि बिा कर लागू
करिे के साथ-साथ शिक्षा का माध्यम भी एकदम बदल डालिा। आि जिस ववदे िी शिक्षा-
माध्यम का बोझ चन्त्द यानि मार दो प्रनििि लोगों के स्वाथों की साधिा के शलए िेर्
अट्ठािवे प्रनििि के शसरों पर लाद रखा गया है , जिसे प्रत्तयेक गली-कचे में शिक्षा की दक
ु ािों
की एक बाढ़-सी लाकर उसे चुस्ि-चालाक निदहि स्वाधथणयों के शलए मोिी-काली कमाई का
साधि बिा ददया है , उसे एक ही राि में पर्
ू िण या बदल कर स्वदे िी और राष्ट्रीय भार्ाओं
के माध्यम से शिक्षा दे िे, उन्त्हीं में सारे ववर्यों का पठि-पाठि करिे-करािे का अनिवायण
कर दे िा। िब िक ऐसा िहीं ककया िाएगा, राििीनिक स्विंरिा में शिक्षा दे िा, राष्ट्रीय
स्वाशभमाि को पािा और उस की रक्षा करिा ही है ।

यदद मैं शिक्षा-मंरी होिा िो शिक्षा का माध्यम बदल डालिे के साथ-साथ विणमाि परीक्षा-
प्रर्ाली को भी िहीं रहिे दे िा। यह प्रर्ाली ककसी की वास्िववक योग्यिा को प्रस्िुि कर
पािे में समथण मापदण्ड ि िो कभी थी और अब िो बबल्कुल िहीं रह गई है । इसिे
दे िवाशसयों को मार यही शसखाया है कक बस डडग्री-डडप्लोमा या सािीकिकेि ही सब-कुछ
होिा हैं अिः िैसे भी संभव हो सके, उसे हधथयािे का प्रयास ककया िाए। यही कारर् है
कक आि छोिे -बड़े रूपी शिक्षालय भ्रष्ट्िाचार के अड्डे बि कर रह गए हैं। ववश्वववद्यालय,
उसके कायाणलय और कमणचारी भी हर िरह से भ्रष्ट्िाचार में शलप्ि हैं।

शिक्षा मंरी बििे पर मैं सारे दे ि में समाि शिक्षा-प्रर्ाली लागू करवािा। आि िो
िगरपाशलका, सरकारी स्कूल, माडिण और पजब्लक स्कूल, िसणरी कान्त्वेंि आदद के ववववध भेद-
मूलक स्कूल, ववद्यालय, महाववद्यालय अपिी अलग-अलग डिली बिािे हुए अलग-अलग
राग आलापिे रहे हैं, इि भेदमल
ू क व्यवस्थाओं को समाप्ि कर अमीर-गरीब सभी के शलए
एक-सी, हर प्रकार से सस्िी, अच्छी और बच्चों के कद-काठ पर बोझ ि बििे वाली शिक्षा-
व्यवस्था लागू करवािा।

आप सब मेरे शलए प्राथणिा और िुभकामिाएाँ कररए िाकक मैं शिक्षा मंरी बिकर अपिी इि
मान्त्यिाओं के अिुसार शिक्षा के स्वरूप में आमूल-चूल पररविणि का सकें।

निबंध िंबर : 03

यदि मैं शिक्षा मंरी होता

Yadi mein Shiksha Mantri Hota

मिुष्ट्य अपिे इस छोिे से िीवि को सुन्त्दर रूप में दे खिा चाहिा है । इस लक्ष्य की पूनिण
के शलए अिेक साधिों को अपिािा है । इि साधिों में शिक्षा ही सवोत्तिम साधि है । शिक्षा
के अभाव में मिुष्ट्य ि अपिी उन्त्िनि कर सकिा है और ि ही राष्ट्र की उन्त्िनि में सहयोग
दे सकिा है ।

एक ववद्याथी होिे के िािे मेरी अधधकांि इच्छाएाँ शिक्षा के साथ सम्बजन्त्धि हैं। इसशलए
मैं प्रायः शिक्षा व्यवस्था में ऐसे पररविणि लािे की सोचा करिा हूाँ िो हमारी शिक्षा को सही
अथों में उपयोगी बिा दे । शिक्षा मन्त्री के बबिा शिक्षा के क्षेर में कोई सध ु ार िहीं ला
सकिा । मैं भी शिक्षा के क्षेर में अपिी योििाओं को कायाणजन्त्वि करिा चाहिा हूाँ । परन्त्िु
कैसे ? इसशलए कभी कभी मैं सोचिा हाँ -काि ! मैं शिक्षा मन्त्री होिा, िो में शिक्षा के क्षेर
में िैली अव्यवस्था को दरू करके उसमें आमूल चूल पररविणि करके उसे एक िई ददिा
प्रदाि करिा । यदद मैं शिक्षा मन्त्री होिा िो शिक्षा के सवाांगीर् ववकास के साथ-साथ मैं
निम्िशलखखि बािों पर भी अधधक बल दे िा-
1. अध्यापक की मान रक्षा-अध्यापक ही बच्चों के भववष्ट्य का निमाणिा है । इसशलए
अध्यापक को राष्ट्र निमाणिा की उपाधध से ववभूवर्ि ककया गया है । ववद्याथी कच्ची
शमट्टी के समाि होिे हैं। जिस प्रकार एक कुम्हार कच्ची शमट्टी से िैसा भी बिणि या
आकार बिािा चाहे बिा सकिा है उसी प्रकार अध्यापक भी जिस प्रकार के संस्कार
ववद्याथी को दे वैसे ही संस्कार वह ग्रहर् करे गा । इसशलए अध्यापक को परू ा माि
सम्माि दे िा होगा िथा उसके माि की रक्षा भी करिी होगी जिससे वह लगि िथा
मेहिि के साथ ववद्याधथणयों को पढ़ा सके ।

2. अयोग्य एवं चरररहीन व्यक्ततयों के शिक्षक बनने पर प्रनतबन्त्ध– शिक्षा मन्त्री बिकर मैं
यह आदे ि िारी करूाँगा जिससे अयोग्य और चरररहीि व्यजक्ियों के शिक्षक बििे
पर प्रनिबन्त्ध लगाया िाएगा क्योंकक एक अयोग्य और चरररहीि अध्यापक अयोग्य
और चरररहीि ववद्याथी ही पैदा करे गा । यदद अध्यापक अपिे ववर्य का पूर्ण रूप
से ज्ञािा िहीं होगा िो कक्षा में अिुिासिहीििा िन्त्म लेिी है जिससे बच्चे ठीक
ढं ग से पढ़ाई में रुधच िहीं लेिे ।

3. अध्यापकों को अच्छा वेतन–मैं अध्यापकों के शलए एक अच्छे वेििमाि का प्रबन्त्ध


करूाँगा । आि अध्यापक कक्षा में ठीक ढं ग से िहीं पढ़ािे और ियूिि द्वारा अधधक
से अधधक धि कमािे की कामिा करिे हैं। स्कूल का समय समाप्ि होिे ही उिके
घरों में स्कूल खुल िािे हैं। यदद उिको अच्छा वेिि शमल िाए िो िायद वह
ियि
ू ि पढ़ािा और निधणि बच्चे को ट्यि
ू ि के शलए िंग करिा छोड़ दें ।

4.ननधधन तथा योग्य ववद्यार्थधयों की सहायता– शिक्षा मन्त्री बिकर में निधणि और योग्य
ववद्याधथणयों के शलए छारवजत्तियों का प्रबन्त्ध करूाँगा िाकक वह धिाभाव के कारर् अपिी
पढ़ाई बीच में ि छोड़ कर िब िक या िहां िक पढ़िा चाहें पढ़ सकें और पढ़ाई को िारी
रख सकें । उि ववद्याधथणयों को मुफ्ि ककिाबें दी िाएंगी िथा ववदे िों में आगे पढ़िे के
शलए भी उिकी सहायिा की िाएगी।

5. व्यापाररक केन्त्रों के रूप में चलने वाली शिक्षण संस्थाओं पर प्रनतबन्त्ध -आिकल कुछ
लोगों िे शिक्षा को एक व्यापार बिा शलया है । पहले िो–
‘ववद्या बेचारी तो परोपकारी‘ होिा था पर आि ‘ववद्या बेचारी िो व्यापारी’ बि कर
रह गई है । आिकल कुछ लोगों िे स्कूल के िाम पर अपिे घरों में या थोड़ी सी
िगह लेकर िसणरी से सीनियर सैकण्डरी स्कूल िामक दक
ु ािें खोल रखी हैं िहााँ पर
बच्चों के खेलिे के शलए ि िो कोई खेल का मैदाि है ,ि कोई पुस्िकालय.ि ही
ववज्ञाि ववर्य के प्रयोग करिे के शलए उधचि प्रयोगिालाएाँ । यहााँ पर मिमािी िोसें
लेकर मािा वपिा की गाढे पसीिे की कमाई को दोिों हाथों से लिा िािा है । पजब्लक
स्कूल का िाम ददया िािा है िथा िीसों के साथ-साथ स्कूल की िरि से बच्चों को
कावपयााँ, ककिाबें, िाई-बैल्ि, स्कूल यूिीिामण, स्कूल-बैग, पहचाि पर आदद ददया िािे
हैं जिससे स्कूल की प्रबन्त्धक कमेिी को आमदिी होिी है । यदद मैं शिक्षा मन्त्री बि
िाऊाँ िो सबसे पहले ऐसे स्कूलों की कायण िैली पर प्रनिबन्त्ध लगाऊाँगा िाकक इि
स्कूलों की प्रबन्त्धक कमेदियां मािा वपिा को और अधधक ि लूि सकें।

6. अनावश्यक शिक्षण संस्थानों के ववस्तार पर पाबन्त्धी–ऐसे शिक्षर् संस्थािों के ववस्िार


पर पाबन्त्धी लगाई िाएगी जिि में पयाणप्ि खेल के मैदाि, पुस्िकालय, योग्य और
प्रशिक्षक्षि अध्यापकों की कमी पाई िाएगी । केवल ऐसे ही स्कूलों को प्रोत्तसादहि
ककया िाएगा जिि के भवि की िगह बच्चों के बैठिे केशलए पयाणप्ि हो िथा उसमें
शिक्षा सम्बन्त्धी िािकारी के शलए पयाणप्ि साधि मौिद

7. मदहला शिक्षा को महत्तत्तव– शिक्षा मन्त्री बिकर मैं मदहला वगण की शिक्षा को वविेर्
महत्तत्तव दाँ ग
ू ा क्योंकक बच्चे की पहली गुरू मािा ही होिी है । यदद मदहलाएाँ ही
अशिक्षक्षि होंगी िो वह अपिे बच्चों को ककस प्रकार सुशिक्षक्षि कर सकेंगी? मैं कालेि
स्िर िक मदहलाओं की मफ्
ु ि शिक्षा का प्रबन्त्ध करूाँगा िाकक वे सुशिक्षक्षि होकर
अपिे बच्चों को शिक्षा दे कर एक अच्छा िागररक बिा सकें ।

8. नैनतक शिक्षा अननवायध– ववद्यालयों के पाठयक्रमों में धाशमणक एवं िैनिक शिक्षा की
परीक्षा को एक अनिवायण ववर्य घोवर्ि ककया िाएगा और उसमें पास होिा अनिवायण
बिाया िाएगा । आिकल छारों में िो असन्त्िोर् और अिुिासिहीििा पाई िािी
है उसका कारर् केवल पाठयक्रम में धाशमणक और िैनिक शिक्षा का अभाव है ।

9. शिक्षा का माध्यम–आि सबसे महत्तवपूर्ण प्रश्ि है कक शिक्षा का माध्यम क्या हो?


आिकल हमारी शिक्षा का प्रमुख माध्यम अंग्रेजी भार्ा है । इस ववदे िी भार्ा को
सीखिे और समझािे में ही हमारी सारी बौविक िजक्ि िष्ट्ि हो िािी है । शिक्षा
मन्त्री के रूप में यह में अपिा परम कत्तिणव्य समझेंगा कक माध्यम के चि
ु ाव में
बच्चे और मािा-वपिा पूरी स्विन्त्रिा के साथ निर्णय लें कक उन्त्होंिे माध्यम के रूप
में कौि सी भार्ा को माध्यम बिािा है ।

शिक्षा व्यवस्था के पररविणि से ही दे ि की हालि को बदला िा सकिा है । िापाि, िमणिी


और रूस िैसे प्रगनििील दे ि अपिी उद्देश्यपूर्ण शिक्षा व्यवस्था के कारर् ही अल्पकाल में
आश्चयणििक उन्त्िनि कर पाये हैं। मैं भी संसार को ददखा दे िा चाहिा हूं कक भारि के छार
और यवु क अपिे दे ि के निमाणर् में कैसी महत्तत्तवपूर्ण भशू मका निभा सकिे हैं। परन्त्िु अभी
िो आह भर कर यही कहिा पड़िा है काि ! मैं शिक्षा मन्त्री होिा ।

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