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बच्चों की शिक्षा कैसी हच?

बच्चों का दखिला ऐसे स्कूल में न करायें शिसमें हचमवकक बच्चों कच ज्यादा
शमलता हैं । बच्े स्कूल के हचमवकक, ट्यू िन के हचमवकक, घर के हचमवकक के
आगे कुछ सचच नहीों पाते हैं , शिससे उनका मानशसक शवकास रूक िाता
हैं । बच्चों कच िच हचमवकक में शमलता हैं िीवन में वह कभी काम नहीों आता
हैं । ऐसे स्कूल में दाखिले से अच्छा नगर पररषद, शिला पररषद के स्कूलचों में
पढाये। हमारे दे ि के भूतपूवक राष्ट्रपशत ऐ.पी.िे . अब्दु ल कलाम
शिला पररषद के स्कूल में पढे थे। िब गााँ व में थे तच ग्राम पोंचायत के स्कूल
में पढे , नगर पररषद के स्कूल में पढे । अब्दु ल कलाम कभी कॉन्वेट स्कूल में
नहीों पढे और भारत के सबसे बडे वैज्ञाशनकचों में उनका नाम हैं । पढाई से
वैज्ञाशनक हचने का कचई सोंबोंध नहीों हैं । वै ज्ञाशनक हचने का सोंबोंध शदमाग से
हैं । आप का शदमाग शकतना फ्री है शक शचन्तन कर सकता हैं , उसी से वह
वैज्ञाशनक बनता हैं ।

ज्यादा पढाई करके, बहुत हचमवकक करके दु शनया में कचई भी वैज्ञाशनक नहीों
हुआ। आइन्स्टाइन, न्यूटन, एशिसन का नाम सुना है आपने , ये सब स्कूल से
भागे हुए थे या स्कूल से शनकाल शदये गये थे।

आइन्सटाइन ने कक्षा 9 में स्कूल छचड शदया, न्यूटन ने कक्षा 8 में स्कूल
छचड शदया, एशिसन कच स्कूल से कक्षा 3 में शनकाल शदया था। मैक्सवे ल
बहुत बडा वै ज्ञाशनक था कक्षा 7 से ही स्कूल छचडकर भाग गया था। िबच्चों
का स्वतोंत्र शचन्तन हचता हैं वही वै ज्ञाशनक बन सकते हैं । स्कूल की पढाई का
बच्चों कच िीवन में कचई लाभ नहीों शमलता हैं शिर भी सबकुछ चल रहा हैं ।
बच्चों से शकसी कच कचई मतलब नहीों हैं , न तच स्कूल कच, न स्कूल के टीचर
कच और न ही बच्चों के गाशिकयन कच। सब अपनी ड्यूटी पूरी कर रहे हैं ।
इसशलए आप अपने बच्चों कच ऐसी िाला में भती करवाइये िहाों बच्ा
स्वतोंत्र शचन्त कर सके,

ज्यादा िेले-कूदे , िहााँ बच्े के ऊपर हचमवकक का भार नहीों हच या कम


हच। क्षेत्रीय भाषा या शहन्दी माध्यम के स्कूल में भती करवाइये। अोंग्रेिी
माध्यम में कभी भती मत करवाइये। बच्चों के ऊपर अों ग्रेिी माध्यम की
इतनी तकलीि हचती है शक बच्चों का सबसे ज्यादा समय टर ाों सलेिन में बीत
िाता है ।
घर की अपनी भाषा हैं और स्कूल की अोंग्रेिी भाषा हैं तच हर बार बच्ा
अपनी भाषा से अोंग्रेिी भाषा में टर ाों सलेिन ही करता रह िायेगा। इसी में
बच्े के िीवन का महत्वपूर्क समय शनकल िाता हैं । पाों चवी कक्षा तक
अपनी क्षेत्रीय भाषा ही शसिाइये । िब बच्े की उम्र 10 से 12 वषक की हच
िाये तब अोंग्रेिी शसिाइये , लेशकन माध्यम के रूप में नही भाषा के रूप में।
अोंग्रेिी माध्यम कभी अच्छा नहीों हैं ।
बच्चों मे नोंबर लाने के शलए कभी भी दू सरे बच्े से तुलना मत कीशिए शक
शकसी बच्ें का 90 प्रशतित नोंबर आता हैं और तुम्हारा 70 प्रशतित नोंबर
आता हैं । बच्चों की तुलना इसशलए नही करनी चाशहए शक हर बच्ा अपने
आप में यूशनक हचता हैं , शविेष हचता हैं । 90 प्रशतित नोंबर पाने वाले बच्े
कच बहुत सी ऐसी बातें हैं
शिसकी िानकारी नहीों हच सकती हैं लेशकन 70 प्रशतित नों बर पाने वाले कच
ऐसी बातचों की िानकारी हच सकती हैं । स्पधाक में िरूर भाग लेने दीशिए
लेशकन टर ॉिी पाने के दबाव में नही, स्वतोंत्र रूप से । यह कचई िरूरी नहीों
है शक माता-शपता बच्चों के भशवष्य के बारे में सभी शनर्कय ले सकते हैं । ऐसा
इसशलए िरूरी नहीों है शक माता-शपता के ऊपर ऐसे शनर्कयचों में समाि का
दबाव हचता है और आि-कल के समाि में लचगचों कच अपने बच्े कच
िॉक्टर, इन्िीशनयर, कोंपनी का मैनेिर बनाने की हचड लगी हैं । और
सामाशिक दबाव में कचई िरूरी नहीों है शक माता-शपता बच्ें के भशवष्य के
शलए सही शनर्कय ले पायें। समाि में इसके अशतररक्त भी बहुत सारे क्षेत्र हैं
शिधर बच्ा अपने स्वभाव से िा सकता हैं । शकसान क्चों नहीों हचना चाशहए?
समाि के दबाव में यशद आप बच्े पर कचई शनर्कय थचपेंगे तच बच्ा िुद िच
बनना चाहता है वह नहीों बन पायेगा। भशवष्य सभी का ईश्वर ने तय शकया
हैं । मेरी मााँ ने मुझे इों िीशनयररों ग की बहुत बडी पढाई करवाई।
अभी मैं वच सब छचडकर इस काम में लग गया हाँ , तच मेरी मााँ कहती हैं -
तेरे नसीब में यही सब था। तच मैने उसकच बचला – मुझे िालतू में
इों िीशनयररों ग क्चों करवाया, शिसमें 15-16 लाि रूपये िचक भी हच गये
और मेरा 15 साल बबाक द हच गए। मान लच मैं वच 15 -16 साल अपना
बबाक द नहीों करता और उसकी िगह भिन-कीतकन करता। मान लच में
शकसी सच्े सन्त के पास आकर कुछ सीि ले ता तच 15 साल में 15 हिार
सभायें हचतीों और 1 लाि कायककताक हचते। तच सबका नसीब, सबका भशवष्य
भगवान का तय शकया हुआ हैं और उसके आगे शकसी की भी नहीों चल
सकती हैं । बच्े कच क्ा करना है बच्े से पूछकर उसमें सहयचग कीशिए।
माता-शपता हचते हुए अपने बच्े कच िच सुशवधा दे ने में सक्षम हचों वच सुशवधा
अपने बच्े कच दें ।

स्वध्याय के शलए उसे , समाि कैसे चलता हैं , उसका ज्ञान दें । िैसे अपने
बच्े कच एक शदन पचस्ट ऑशिस लेकर िाइये और पचस्ट ऑशिस में A to
Z सभी तरह के कायों का अध्ययन करवाइये। ऐसे एक शदन उसे रे लवे
स्टे िन लेकर िायें और रे लवे स्टे िन में हचने वाले सभी तरह के कायों का
ज्ञान दीशिए।
इसी तरह उसे एक बार महानगर पाशलका लेकर िाइये , शिर शकसी शदन
उसे गौ-िाला में ले कर िाइये , ऐसे ही एक शदन उसे मन्दबु खि बच्चों के
स्कूल या शवकलाों ग बच्चों के स्कूल पर ले िाइये। ऐसी िगहचों पर ले िाकर
उसे व्यवहाररक ज्ञान दीशिए। इसमें से िच वच सीिेगा उसी में से उसके
रास्ते िुलेंगे।
ये िच क्लास की स्टडी है ये दु शनया की सबसे िराब स्टडी हैं । िच हम पढते
हैं , वह दु शनया का कचई बच्ा नहीों पढता हैं , ना फ्रान्स में , ना िापान में , ना
िमकनी में , न स्वीिन में , न खस्वटरलैण्ड में , न िे नमाकक में , न अमेररका में।
हमकच िच पढाया िाता हैं वह दु शनया में कचई नहीों पढता हैं ।
सटीशिकेट की दृशष्ट् से बच्े कच उतना ही पढाइये शितना सशटक शिकेट पाने
के शलए आवश्यक हच। इससे ज्यादा पढाने की आवश्यकता नहीों हैं । ज्यादा
ज्ञान अपने बच्े कच समा का दीशिए, पररवार का दीशिए, दु शनया का
दीशिए।

ये सब ज्ञान उसके िीवन में िरूर काम आयेगा और उसमें से उसके


रास्ते भी शनकल आयेंगे। सशटक शिकेट के शलए एज्युकेिन शबल्कुल बेकार की
हैं , उसमें ज्ञान कुछ भी नही िच िीवन में काम आये। सशटक शिकेट की
मान्यता तब तक हैं िब तक आपके बच्े के पास ज्ञान नहीों हैं ।
शहन्दु स्तान में शिन लचगच कच ज्ञान हच िाता हैं उनकी शिग्री कचई नही पूछता
हैं । िैसे- सन्त ज्ञानेश्वर की शिग्री शकसी ने नहीों पूछी, समथक गुरू रामदास
की शिग्री कभी दे िी आपने , छत्रपशत शिवािी महाराि की शिग्री पूछी आप
ने , िम्भा िी महाराि की शिग्री पूछी आपने , तुकडच िी महाराि की शिग्री
कभी पूछी आपने। इसशलए िब व्यखक्त कच ज्ञान हच िाता हैं तच हम उसके
ज्ञान कच पूिते हैं उसकी शिग्री कभी नहीों पूछते हैं । शिग्री तभी तक पूछी
िाती है िब तक उसके ज्ञान का आपकच पता नहीों हैं ।
दु शनया में शकसी की भी पूिा हुई हैं , समाि ने शकसी कच भी महान बनाया
है तच शबना शिग्री के हुई हैं । इखन्दरा गााँ धी 8 वी कक्षा में िेल थी। इखन्दरा
गााँ धी रवीन्द्र नाथ टै गचर के गुरुकुल में पढती थी और 8वीों में दच बार िेल
हुई और वह भारत की 17 वषक तक प्रधानमोंत्री रहीों। इखन्दरा गााँ धी की शिग्री
कच कचई नहीों पू छता हैं । उसने िच शकया है उसकच पूछते हैं । ज्ञान हमेिा
शिग्री से बडा हचता हैं । ऐसा पूरी दु शनया में हचता हैं ।

धीरू भाई अम्बानी की शिग्री, 9वीों िेल थे , उनके शपता ने स्कूल से शनकाल
शदया और उससे पू छा तू क्ा करे गा तच धीरू भाई ने कहा मैं पैसा
कमाऊोंगा तच धीरू भाई के शपता िी ने अपने दचस्त के पैटरचल पम्प पर
उनकच नौकरी पर रिवा शदया, गुिरात में िूनागढ नाम के िहर में । वही
धीरू भाई अम्बानी पैटरचल भरा करते थे और धीरू भाई का आि लािचों
करचड रूपये का एम्पायर हैं । धीरू भाई नौवीों िेल थे लेशकन उनके नीचे
काम करने वाले लचग बडे -बडे इों िीशनयर, पी.एच.िी., एम.िी., िैसी
बिी-बडी शिशग्रयचों वाले लचग हैं , नौकर की तरह। ऐसे ही घनश्याम दास
शबडला चौथी िेल थे और उसके बाद स्कूल छचडकर व्यवसाय में लग गये
और वच भी लािचों करचड के एम्पायर के माशलक हैं । ऐसे ही िमिेद िी
टाटा एक भी क्लास पढने नही गया। कभी स्कूल नहीों गये । उनकच घर पर
एक टीचर पढाता था। आि उनका एम्पायर लािचों करचडच का हैं ।
दु शनया में शिग्री लेकर कचई महान हुआ हैं ऐसे दच-चार ही शमलेंगे। शबना
शिग्री के बहुत ऊोंचाई पर गये ऐसे सैकडचों लचग हैं । पुर्े में शकलोस्कर
कोंपनी हैं , इसका मू ल सोंस्थापक 5वीों पास हैं । शिग्री का महत्व है नौकरी
पाने के शलए, शसपाही हचने के शलए, क्लकक हचने के शलए, नौकर बनने के
शलए। अपने बच्े कच यशद नौकर बनाना है तच शिग्री पर ध्यान दीशिए और
यशद समाि में कचई ऐसा स्थान शदलाना हैं शिसकी सब इज्जत करें तच ज्ञान
कच महत्व दीशिए। इसशलए 10-15 साल महत्वपूर्क समय हैं िच स्कूलचों में
एवों उनके हचमवकक में व्यथक चला ता हैं । इसमें अपने बच्चों कच वेद पढाइयें ,
उपशनषद पढाइये , गीता पढाइये , भारत के और दू सरे िास्त्चों कच पढाइयें।

उसके साथ में 10वीों-12वीों की परीक्षा शदलवाइये , नोंबर के शलए नहीों बखल्क
शिग्री के शलए। इसके बाद उनकच ज्ञान शसिाने की कचशिि करें ।
सशटक शिकेट ज्यादातर 10वीों और 12वीों का ही लगता हैं । उसके पहले का
कचई नहीों पू छता हैं तच 5वीों, 6वीों, 7वीों, 8वी की शिग्री के पीछे पि कर
टाइम क्चों िराब करना।
अभी मैं िच काम कर रहा हाँ वह शिग्री वालचों ने नही शसिाया हैं । मैने
स्वध्याय से सीिा हैं । िच मैने स्वध्याय से सीिा हैं वही मुझे काम आ रहा
हैं । शिग्री वाला तच कभी काम नहीों आ रहा हैं ।
बच्चों कच भारतीय सोंगीत का अभ्यास कराना चाशहए। चाहें तच भारतीय
गायन, भारतीय वादन या भारतीय नृ त्य तीनचों में से कचई एक िरूर
शसिाना चाशहए। पेखटों ग/शचत्रकला का अभ्यास करवाना चाशहए, मूशतककला
का अभ्यास करवाना चाशहए।
हमने ऐसा प्रयचग शकया हैं , तब बचल रहा हाँ । हमने एक स्कूल चलाया हैं
उत्तर प्रदे ि में। अब वह उत्तरािोंि में चला गया हैं । वहीों पर एक िहर हैं
मसूरी (दे हरादू न) वहीों पर हमने िेल बच्चों के शलए गु रूकुल चलाया हैं ।
वहााँ पास बच्चों का प्रवेि नहीों हचता हैं । शसिक िेल बच्चों कच भती करते हैं ।
5वीों िेल, 8वीों िेल और िच बच्ा 2 बार िेल हचता हैं उसका दाखिला
सबसे पहले हचता हैं । वह स्कूल मेरे दचस्त और उनकी पत्नी, दचनच शमलकर
चलाते हैं । उसका नाम हैं सोंदीपनी गुरूकुल। उस गुरूकुल में कचई कमरा
नहीों है , पेड के नीचे क्लास लगती हैं । पढाई कैसे हचती हैं ? मान लच एक
शदन हम पढाई िुरू करते हैं पानी के बारे में तच पानी का ए बी सी िी से
लेकर िैि तक उनकच पढाया िाता हैं ।

िैसे पानी क्ा हचता हैं ? कैसे बनता हैं ? कहााँ से आता हैं ? पीने के शलए
कैसे प्रयचग करना हैं ? नहाने के शलए कैसे प्रयचग करना हैं ? आशद-आशद
िानकाररयााँ पानी के बारे में बच्चों कच दी िाती हैं । िब पानी के बारे में
बच्चों कच पूरा ज्ञान दे शदया िाता हैं तच एक क्लास समाप्त हचती हैं ऐसी एक
क्लास तीन महीने की हच सकती हैं , चार महीने की हच सकती हैं , पााँ च
महीने की हच सकती हैं , ऐसा शवषय वस्तु पर शनभकर करता हैं । वहााँ 40-45
शमनट के घोंटे नहीों हचते हैं । सुबह एक बार चालू हचता हैं और िब बच्चों कच
भूि लग िाती हैं क्लास बन्द हच िाती हैं । इसके बाद बच्े भचिन करते हैं ,
शवश्राम करते हैं और शवश्राम पूरा हचने पर दचबारा क्लास चालू हचती हैं । एक
शवषय िब तक समाप्त नही हचता तब तक दू सरा शवषय नहीों चलता हैं । एक
शवषय समाप्त हचने पर उस शवषय पर परीक्षा हचती हैं । परीक्षा कैसे हचती हैं ?
उनकच पानी के बारे में शितना ज्ञान शमला हैं उसके आधार पर परीक्षा
हचगी। परीक्षा में उनकच ऐसा काम शदया िात हैं िैसे शकसी गााँ व में एक
तालाब हैं और उस तालाब में पानी की समस्या हैं । िैसे – पानी वहााँ पर
रूकता नहीों हच या बहुत ज्यादा हच िाता हच, पानी से वहाों बाढ आ िाती हैं
या बाररि नहीों हचती है तच ऐसी समस्याओों का समाधान उन बच्चों कच
करना हचता हैं । ऐसे बच्च ऐसे गााँ व में िाते हैं और गााँ व के लचगच से पानी
की समस्या के बारे में बात करते हैं और तालाब की समस्या कच ठीक करते
हैं और ठीक करके गुरूकुल में वापस आते हैं । तब उनकच माना िाता हैं
शक पास हच गये , और यशद समस्या का समाधान नहीों कर पाये तच उनकच
दचबारा से दू सरे गााँ व में िाना पडे गा िब तक की समस्या का समाधान न
हच िाये।

पानी का शवषय पूरा हुआ तच अब दू सरा शवषय आ िायेगा। िेती का शवषय


आ गया या शमट्टी का शवषय आ गया, ऐसे शवषय वहााँ चलते हैं । ऐसे शवद्याथी
िब पढकर शनकलते हैं तच घर नही िाते हैं । वच कहते शक घर में मिा नही
आता हैं । क्चोंशक घर में माता-शपता दबाव िालते हैं शक ऐसा करना, वैसा
नहीों करना। लेशकन गुरूकुल में उनकच कचई दबाव नहीों रहता हैं , िच उनके
शदल में आये वच करें । अब उनके मााँ -बाप शिकायत करते हैं शक आप ने तच
बच्चों कच शबगाड शदया, ये तच हमसे दू र भाग गये। तच हम लचग उनसे कहते
हैं शक िरा आप सचशचए शक ये आपसे दू र क्चों भागते हैं , आपने इनकच पैदा
शकया, हमने पै दा नहीों शकया, शिर ये आपके पास क्चों नही आना चाहते
और हमारे पास क्चों रहना चाहते हैं तच उसका एक ही कारर् हैं शक हम
उनका अपमान नहीों करते हैं । हमेिा बच्चों का सम्मान करते हैं और
कचशिि करते हैं शक उनकच ज्ञान शमले , दबाव नहीों िालते हैं कुछ भी।
ये शवद्याथी िब पढकर तैयार हचते हैं तच पानी के बारे में कचई भी, कचई
सवाल करे तच िच िवाब दु शनया के शकसी प्रचिेसर कच मालूम नहीों हचगा वच
उनकच मालूम हैं । ऐसे बच्े , पानी कच ले कर िब भी समस्या आयेगी उसका
समाधान वच करें गें।
इसी तरह उनकच िों गल में ले िाया िाता है िहााँ उनकच अलग-अलग पे डचों
के बारे में ज्ञान शदया िाता हैं और उन अलग-अलग पेडचों पर बै ठने वाले
अलग-अलग पशक्षयचों के बारे में ज्ञान शदया िाता हैं ।

िैसे – कौन सा पक्षी शकस पेड पर बैठता हैं ? इसी पर क्चों बैठता हैं दू सरे
पर क्चों नही बैठता हैं ? वह पक्षी कब सु बह शनकलता हैं और कब िाम कच
वापस आता हैं ? इस प्रकार उनकच इस शवषय में सम्पूर्क ज्ञान हच िाता हैं ।
इसके बाद उन बच्चों के बीच में शकसी िुलॉिी के प्रचिेसर कच हम बुलाते
हैं शिर बच्चों कच प्रश्न करते हैं और प्रचिेसर िवाब नहीों दे पाते हैं लेशकन
बच्े िवाब दे दे ते हैं । प्रचिेसर िवाब दे ने के शलए शकताब ढू ों ढता हैं और
बच्े तुरन्त-तुरन्त सवालचों का िवाब दे दे ते हैं । तच प्रचिेसर कहते हैं शक ये
तच मेरे भी गुरू हैं । प्रचिेसर वहााँ ज्यादा दे र शटक नहीों पाता क्चोंशक प्रचिेसर
कच पुस्तक का ज्ञान हैं और बच्चों कच व्यवहाररक ज्ञान हैं , सामने से अनु भव
शकया हुआ ज्ञान हैं ।
इस प्रकार अभ्यास करने के बाद बच्े िैसी ही पढाई पूरी करके शनकलते
हैं , हर िगह सरकार के लचग इनकच बु ला लेते हैं । यह स्कूल 10 वषक से
चलता हैं और लगभग 1340 बच्े वहाों से पढकर शनकलते हैं और एक भी
बच्ा बेरचिगार नहीों हैं । सबके पास 10-15 हिार माशसक पगार वाली
नौकररयााँ हैं लेशकन शिग्री शकसी के पास नहीों हैं । तच आप कहें गें नौकररयाों
कहाों शमली हुई हैं ? तच उनकी हाबेररयम में नौकररयााँ हैं , म्यूशियम में उनकी
नौकररयाों हैं , िहााँ पर िीशवत हाबेररयम और म्युशियम हचते हैं वहाों पर
उनकच नौकररयाों हैं । क्चोंशक ज्ञान उनके पास हैं और दु शनया में बहुत सारी
नौकररयाों ज्ञान आधाररत हैं । शिग्री से उनका कचई सोंबोंध नहीों हैं ।
आिकल िच बच्े इन्िीशनयररों ग की शिग्री लेकर शनकलते हैं उनकच कुछ भी
व्यवहाररक ज्ञान नहीों हचता हैं और बडी-बडी कोंपशनयचों में ऐसे इों िीशनयरचों
कच कोंपनी के मैकेशनक काम शसिाते हैं । क्चोंशक कोंपनी में काम कर रहे
ITI/शिप्लचमा वाले कच इों िीशनयररों ग की शिग्री वाले से ज्यादा ज्ञान हैं ।

ऐसे बच्चों के पास तच शिग्री हचती है लेशकन ज्ञान नहीों हचता हैं , शिसकच उन्हे
अलग से शसिाना पडता हैं । िब ज्ञान दे ना ही पडता हैं तच िुरु से ही ज्ञान
दें । इसशलए ऐसी शिक्षा पिशत हचनी चाशहए िच ज्ञान आधाररत हच, शिग्री
आधाररत नहीों। ज्ञान पहले हैं शिग्री बाद में। शिग्री शमले तच ठीक नहीों तच
ज्ञान हैं ही अपने पास में। ऐसा शनयम भी अब आ गया हैं शक सीधे 10वीों की
परीक्षा दे ना हैं , बीच में कचई परीक्षा दे ने की िरूरत नहीों हैं ।
आि-कल के स्कूल की शबखडों गचों में चलते हैं । कक्षाओों के शलए कमरे हचते
हैं और उसमें बैंच लगे हचते हैं शिस पर बच्चों कच बैठाया िाता हैं । बैंच पर
बच्चों कच क्चों बै ठना चाशहए, इसका हमें ज्ञान नहीों है शिर हम अपने बच्च
कच उस पर शबठाते हैं और बच्चों कच उस पर बै ठने क अभ्यास नहीों हचता
हैं । बच्चों कच बैंच पर िबरदस्ती बै ठाने पर 10 से 20 शमनट में वह बचर हच
िायेंगे। बच्े इधर दे िेंगे, उधर दे िेंगे।

क्चोंशक बच्चों कच बैं च पर बैठने का अभ्यास नहीों हैं लेशकन हम बच्चों कच


मारकर, धमकाकर िबरदस्ती उस पर बैठाते हैं । सभी टीचर आते हैं और
बच्चों कच िबरदस्ती चुप करवाते हैं । बच्चों कच चुप क्चों रहना, वह तच
बचलने के शलए पैदा हुआ हैं , चुप रहने के शलए नहीों हैं । शिर कचई दू सरा
टीचर आयेगा, बचले गा Keep Silent चु प रहच, आपस में बात मत करच।
आपस में बच्े बात नहीों करें गे तच उनकी शमत्रता नही हचने वाली हैं एक
दू सरे से। तच हमलचग इतने मू िक लचग हैं िच उनकच उल्टी-उल्टी बातें
शसिाते हैं ।
क्लास रूम स्टर े ट लाइन हचती हैं । लेशकन प्रकृशत की बनाई हुई कचई भी चीि
कभी स्टर े ट लाइन नहीों हचती हैं । पे ड कभी भी स्टर े ट लाइन नहीों हचते हैं ।
पहाड कभी भी स्टर े ट लाइन नहीों हचता हैं , नदी कभी भी स्टर े ट लाइन नहीों
हचती हैं । िब प्रकृशत की बनाई हुई वस्तुएों स्टर े ट लाइन नहीों हैं तच आप क्चों
अपने बच्चों कच स्टर े ट लाइन में िोंसा रहे हैं ।

हमारे िहरचों में बडे -बडे फ्लैट्स हैं , अपाटक मेट हैं , सब स्टर े ट लाइन में हैं ।
लेशकन गााँ व में कौन सी चीि स्टर े ट लाइन में हैं ? गााँ व में गली टे ढी-मेढी हैं ।
िच लचग स्टे ट लाइन वाले अपाटक मेट में रहते हैं उनमें ज्यादातर खस्थशत में
प्रेम और भाईचारा नहीों हैं और िच टे ढी-मेढी गशलयचों में रहते हैं उनमें प्रेम
और भाईचारा अशधक हचता हैं । स्टर े ट लाइन हमेिा एक दू सरे कच काटती हैं ।
इसशलए गााँ व के पुराने घर कभी भी स्टर े ट लाइन में नहीों शमलेंगे। टे ढे-मेढे ही
शमलेंगे। प्रकृशत िैसी हैं वै से ही गााँ व हचते हैं , इसशलए गााँ व में प्रकृशत िैसा
प्रेम और भाईचारा हैं और गााँ व िच स्टर े ट लाइन हैं वह प्रकृशत के शवरूि हैं ।
इसशलए दु शनया के िहरचों में ही मारा-मारी और काटा काटी सबसे ज्यादा
हैं ।
हम बच्े कच स्टर े ट लाइन वाले स्कूल में ही भेि रहे हैं और रचि 6 घण्टे
मार-मारकर बैठा रहे हैं , चुप करा रहे हैं , इधर मत दे ि, उधर मत दे ि।
उसके शलए आपने स्कूल कच िेल बना शदया हैं । और िब छु ट्टी हचती हैं तच
ऐसे भागते हैं बच्े िैसे िेल से छूटे हचों। और शकसी भी बच्े के शदल से
पूछच कल स्कूल िाना हैं तच बचलेगा – नहीों िाना हैं । क्चोंशक स्कूल में
मानशसक तकलीि हैं उसकच। घर में बच्े स्वतोंत्र रूप में रहते हैं , िेलते
हैं , कूदते हैं । ऐसे ही गुरूकुल या स्कूल हचना चाशहए िैसा घर हैं । बच्े का
स्वभाव गाय के बछडे िैसा हचता हैं , िुला रहता हैं तच िुिी से इधर-उधर
कूदता हैं उसके बाद अपनी मााँ के पास आ िाता हैं और बाों ध दच तच बहुत
तकलीि में रहता हैं । ऐसे ही बच्े भी हचते हैं । वह भागेंगे-दौडे गे शिर
अपनी मााँ के पास आ िायेगें। ये िच बच्चों का शवकास हैं बहुत महत्वपूर्क
हैं , ये स्कूल नहीों दे सकता उसकच। ऐसा गुरूकुल दे सकता हैं , िहााँ शिग्री
के शलए पढाई नहीों हचती हैं ।

अपने पास ज्यादा पै सा रिना पाप हचता हैं । इसशलए ज्यादा पैसे अपने पास
नहीों रिना, अपने शलए कम से कम रिना और समाि के शलए ज्यादा
रिना।
पढाई के माने सीिना, ज्ञान लेना और उसका कचई मतलब नहीों है । पढाई
के माने ABCD नहीों हैं । पढाई के माने किगघ नहीों हैं । ये तच अक्षर ज्ञान
हैं , इसका पढाई से कचई सोंबोंध नहीों हैं । ज्ञान िच िीवन कच चलाने के शलए
उपयचगी हैं , वह पढाई का शहस्सा हैं ।
राम-कृष्ण भी गुरूकुल में ही पढे थे । इनके बाद के सभी लचग गुरूकलचों से
ही शनकले हैं । इसशलए आगे भी शनकलेंगे बस वैसे ज्ञान दे ने वाले गुरू तैयार
हच िायें। शिससे ज्ञान आधाररत पढाई हच सके। शिग्री आधाररत पढाई भारत
में कभी भी नहीों रही, ये अोंग्रेिचों के यहााँ की पढाई हैं । िब अोंग्रेि भारत
आये तच ऐसी पढाई िुरू करवा दी और आि उनके चले िाने के 60 साल
बाद भी हम इसकच चालू रिे हैं , अों ग्रेिचों के कायक कच आगे बढाने में मदद
कर रहे हैं ।
बच्े शिस शदन स्कूल नहीों िाना चाहें उनकच उस शदन स्कूल मत भेशिए।
उनकच मार-मार कर स्कूल मत भेशिए। क्चों नही िायेग? िेल हच िायेगा।
और पास हचकर क्ा करने वाला हैं । िच िेल हचने से आप िर रहे हैं । मेरा
तच ये मानना है शक िच बच्े िेल हच गये वच ज्यादा अच्छे हैं क्चोंशक उनका
शदमाग अभी िराब नही हुआ हैं । शिनकच 100 प्रशतिथ नम्बर आ गया वच
तच शबल्कुल गये । क्चोंशक ऐसे बच्चों के शदमाग में (X+Y)2 ही रहे गा।
इसशलए बच्चों के िेल हचने से िररए मत। बच्चों कच अशधक अोंक लाने का
दबाव मत दीशिए, पास हचने का दबाव मत दीशिए। क्चोंशक नोंबर से शिग्री
से दु शनया में कभी भी कुछ हुआ नहीों, आगे भी हचगा नहीों।
आकाि, पृ थ्वी और वायु ये तीनच के स्पिक में रहकर िच पढे गा वही सही
ज्ञान ले पायेगा। एक्सपटक बनायेंगे तच एक ही शवषय तक सीशमत हच िायेगा।
इसशलए एक्सपटक बनाने की कचशिि मत कररए। कचशिि कीशिए शक बच्े
कच थचडा-थचडा सभी शवषयचों का ज्ञान हच। शचशकत्सा का भी हच, धमक का भी
हच, आध्यात्म का भी हच, भारत का भी हच, शवदे ि का भी हच, थचडा-थचडा
सभी शवषयचों का ज्ञान हच। क्चोंशक शिन्दगी सभी शवषयचों के ज्ञान से शमलकर
चलती हैं । बच्चों कच सामान्य ज्ञान हच, नैशतक ज्ञान हच और सभी शवषयचों का
ज्ञान हच तच वच सबसे ज्यादा उपयचगी हचगा।
मण्डन शमश्र की पत्नी थी, उन्हचोंने िोंकराचायक कच चुनौती दी और कहा शक
आप का ज्ञान मेरे ज्ञान से कम हैं तच िों कराचायक ने कहा कैसे कम हैं तच
उन्हचोंने कहा शक आप अभी तक गृहस्थ आश्रम में प्रवेि नहीों शकये हैं , मैने
शकया हैं । तच मेरे पास आपसे ज्यादा ज्ञान हैं । आप ने ब्रह्मचयक का पालन
शकया हैं और मैने भी शकया हैं , मैने िीवन के 25 साल ब्रह्मचयक का पालन
शकया हैं शवद्याथी िीवन में , तच वच िीवन तच मैनें भी िीया हैं िच आप िी
रहे हैं । मैंने उसके बाद गृहस्थ आश्रम में प्रवेिछ शकया और आप ने अभी
तक नहीों शकया हैं । तच गृहस्थ आश्रम में प्रवेि करके िच ज्ञान मुझे शमला हैं
वच ज्ञान आपके पास नहीों है । तच िोंकराचायक ने कहा ठीक है िास्त्ाथक हच
िाए और िास्त्ाथक िब हुआ तच िोंकराचायक हार गये और मण्डन शमश्र की
धमक पत्नी िीत गयीों। तच िोंकराचायक कच उन्हचोंने कहा शक आप िाइये और
अपने िीवन कच गृहस्थ आश्रम वाला बनाइये , शिर मेरे पास िास्त्ाथक के
शलए आइये।

सोंग्रहकताक – रचशबन शसराना

लेिक - श्री रािीव दीशक्षत िी


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