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साहित्यिक अनुसंधान एवं शोध पत्र में समीक्षा दृष्टि का महत्व
साहित्यिक अनुसंधान एवं शोध पत्र में समीक्षा दृष्टि का महत्व
शोध शब्द का प्रयोग मनुस्मृहत में स्पि करने या संदेि दू र करने के अथय में
हुआ िै । ‘‘हमट्टी से (पात्र आहद) शु ि िोते िैं , नदी वेगवती रिकर िी शु ि
िोती िै । स्नानाहद से शरीर शु ि िोता िै और मन सि से शुि िोता िै ।
बदलते समय में मानव समुदाय की सोच की संगत स्थाहपत करना भी शोध की
मित्ता िै । आि के युग में िब वैश्वीकरण और सूचना प्रौद्योहगकी के हविार ने
पूरी दु हनया के ज्ञान तन्त्र की सीमाओं को खोल हदया िै , प्रिेक शै हक्षक हवषय,
हवहभन्न प्रकार के शोध, हवषय के हवहभन्न प्रश्ों तथा अंतहवयषयी शोध के द्वारा
अपने को समृि करने की त्यस्थहत में िै। अब अंतहवयषयी शोध के माध्यम से
प्रिेक शै हक्षक हवषय, हशक्षानुशासन परस्पर संवाद की प्रहिया में िैं। फलतैः
अन्तहवयषयानुशासनात्मक शोध का मित्त्व बढ़ा िै । इससे हवहभन्न शै हक्षक हवषयों
का परस्पर आदान-प्रदान संभव हुआ िै। ऐसी त्यस्थहत में एक नए शोधकताय के
हलए शोध पिहत में प्रहशक्षण आवश्यक िै ताहक वि बेितर शोध कर सके।
एक अनुसंधानकताय बौत्यिक दृहि से, हिज्ञासा पूवयक और िमवार रूप से अपने
अनुसंधान कायय को पूरा कर सके इसके हलए आवश्यक िै हक वि शोध
उपकरणों का सिी प्रयोग करते हुए अपने शोध कायय को साथय क एवं उपयोगी
बनाए। इस िम में शोध के हनम्न तत्वों हनधाय ररत हकए गए िैं । 1.हवषय चयन
2. क्षेत्र हनधाय रण, 3. भाषा शै ली, 4. शोध दृहि, 5. तकय पिहत, 6.तत्वान्वे षण, 7.हनष्कषय।
शोधाहथय यों में शोध पिहत और प्रहिया का ज्ञान िोना आवष्यक िै । वैज्ञाहनक
दृहि और व्यविाररक ज्ञान िी शोधकताय को हनत्यचचत हदषा में आगे बढ़ने का
मागय प्रषि करता िै एवं उनके श्रम को व्यथय निीं िोने दे ता। इस दृहि से शोध
प्रारं भ करने के पूवय शोधकताय को अकादहमक पहत्रकाओं के माध्यम से हवषय
के संबंध में िानकारी प्राप्त करनी चाहिए, सम्मेलनों, काययशालाओं, प्रकाहशत या
अप्रकाहशत ग्रंथसूची तथा उसके लेखकों के हववरणों को नोि करना चाहिए
हिससे संदभय हनमाय ण में सिायता प्राप्त िो। शोधकताय आंैे को अच्छी पुिकालयों
का दौरा करना चाहिए तथा सभी स्रोतों से पररहचत िोना चाहिए िो भहवष्य में
मददगार िोंगे। यि शोध आले ख हलखने के हलए भी उतना िी आवश्यक िै ।
शोध सामग्री एकत्र करने के हनम्न स्त्रोत िो सकते िैं ।
उक्त स्त्रोतों से सामग्री प्राप्त करने के बाद शोधाहथय यों को उनके प्रामाहणकता
की िाूँ च अवष्य कर ले नी चाहिए। शोध पिहत िे तु आूँ कड़े (डे िा) प्राप्त करने
और हवश्लेषण करने के हलए उपयोग हकए िाने वाले उपकरणों और तकनीकों
पर केंहद्रत िोती िै ।
हवहभन्न आूँ कड़े प्राप्त करने के िम में प्रश्ावली हनमाय ण भी शाहमल िै । अवलोकन,
और साक्षात्कार के साथ-साथ सां त्यख्यकीय और गैर सां त्यख्यकीय हवश्लेषण तकनीकों
तथा अनुसंधान तकनीकों का चयन और उसके हनमाय ण करने में भी इन तकनीकों
का उपयोग आवश्यक िोता िै । ऐहतिाहसक अनुसंधान के हलए ऐहतिाहसक
अहभले खों और दिावेिों, हशलाले खों के हवश्लेषण की आवश्यकता िोती िै ।
व्यत्यक्तगत साक्षात्कार या प्रश्ावली हवहध क्षेत्र अनुसंधान के मित्वपूणय साधन िैं ।
आधुहनक युग में िे लीफोन साक्षात्कार द्वारा भी समस्याओं के बारे में तथा हकसी
हवचार यथा पसंद, नापसंद आहद के बारे में लोगों से प्रहतहिया प्राप्त की िा
सकती िै । शोध प्रहिया में पूवय के शोधकताय ओं द्वारा प्रिुत मित्वपूणय हबन्दु तथा
साहिि समीक्षा पर भी हवचार हकया िाना आवश्यक िै , हिसके आधार पर नया
शोध समस्या का सम्यक समाधान
अहधक हवहशि बनाया िा सकता िै। साहिि सवेक्षण के िम में शोध समस्या
तै यार करने के बाद एक संहक्षप्त सारां श हलखाना आवश्यक िै । शोध प्रबंध
हलखने वाले शोधाथी अपने हवषय तथा शोध प्रारूप को अनुमोदन के हलए चयन
सहमहत या अनुसंधान सहमहत को िमा करने की प्रहिया िै । शोध का आधार
हवज्ञान और वैज्ञाहनक पिहत िै , हिसमें ज्ञान भी विुपरक िोता िै । तथ्यों के
अवलोकन से कायय-कारण सम्बि ज्ञात करना शोध की प्रमुख प्रहिया िै । इस
अथय में यि स्पि िै हक ‘‘शोध का सम्बि आस्था से कम, परीक्षण से अहधक
िै ।’’
हवषय हववेचन के बाद उपसंिार के अंतगयत शोधाथी शोध के हनस्कषय, उपादे यता,
उपलत्यब्ध और सीमाओं का शु ि रूप से वणय न करें । शोध आले ख अथवा सत्र
पत्र का आकार शोध प्रबंध से छोिा िोता िै । अतैः हवषय पररक्षेत्र सीहमत चुनना
चाहिए।
साहिि समीक्षा आपको अपने पाठकों के साथ तालमेल बनाने में मदद करती
िै । शोध आले ख के हलए यि आवश्यक िै हक पाठकों को यि भरोसा िो हक
पत्र श्रमपूवयक तैयार हकया गया िै । अपके शोध पत्र में नवीनता तथा मौहलकता
का िोना आवश्यक िै । इसी सावधानी के हलए आले ख के रचनाकार को पाठकों
तथा प्रकाशकों का हवश्वास हमलता िै । साहिि समीक्षा हलखने के हलए आप
हितनी अहधक हकताबें, ले ख और अन्य स्रोत सूचीबि कर सकते िैं , उतना िी
भरोसेमंद आपका आले ख िोगा एवं अपकी हवशे षज्ञता मानी िाएगी। शोध पत्र
ले खक के हलए हनम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक िै -
िब आप बािरी स्रोतों से तथ्य इकट्ठा करते िैं तो आप अपने शब्दों में बािरी
स्रोतों के गम्भीर मूल्ां कन, संश्लेषण पर स्वयं को केत्यन्द्रत करें । इस प्रहिया के
माध्यम से आप अपने शोध की प्रासंहगकता को शोध संदभय में बनाए रखने में
सक्षम िोंगे। आपको पता िोगा हक अन्य शोधकताय ओं ने पिले से िी उस हवषय
पर कैसा काम हकया िै । इस प्रकार, अनुसंधान के हवषय पर अंतदृय हि और
हवहभन्न दृहिकोण प्रदान करके आप उस हदशा में अपने शोध को आकार दे ने
में सक्षम िोंगे।
तकय संगत, ऐहतिाहसकता तथा प्रामाहणकता की अपेक्षा।
आपने शोध पत्र के क्षेत्र के आधार पर, आपकी साहिि समीक्षा हवहभन्न रूप ले
सकती िै । हवशे षज्ञता की दृहि से आपका शोधपत्र तकयवादी समीक्षा, एकीकृत
समीक्षा, ऐहतिाहसक समीक्षा, और सैिां हतक समीक्षा पर आधाररत िो सकती िै ।
परस्पर हवरोधी हवचार प्रिुत करने के हलए भी एक तकयसंगत समीक्षा हलखा िा
सकता िै । हकन्तु इसके हलए शोध पत्र में व्यक्त हवचारों के समथय न करने के
हलए भी अन्य हवद्वानों का मत मित्वपूणय िोता िै । यि तकय संगत, प्रामाहणकता
की अपेक्षा रखती िै ।