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अ यापक जाँच स ीय काय

पाठ्य म का कोड : एम. सी. ओ. -07


पाठ्य म का शीषक : िव ीय बंध
स ीय काय का कोड : एम. सी. ओ. -07/टी. एम. ए./ 2020-2021
ख ड क सं या : सभी ख ड
अिधकतम अंक : 100
सभी के उ र दीिजए ।

1. (क) िव ीय बंध या है ? इसके आधारभतू काय या ह । (2+12)


(ख) "जोिखम" और " यय" क संक पना क या या क िजए । (6)

2. (क) कंपनी क पँजू ी क उपयु सरंचना क िवशेषताओ ं का वणन क िजए । (10)


(ख) यवसाय क कायशील पंजू ी क आव यकताओ ं को भािवत करने वाले िविभ न कारक क या या (10)
क िजए ।

3. (क) मु ा बाजार या है ? इसक िवशेषताओ ं का वणन क िजए । (10)


(ख) पंजू ी प रसंपित मू य िनधारण मॉडल (CAPM) क या या क िजए । (10)

4. एक क पनी एक मशीन खरीदने का िवचार कर रही है। "X" और "Y" दो मशीने ह । इनक लागत 40 , 000 . (20)
ित मशीन है । कर प ात आय इस कार है :

वष मशीन X ( .) मशीन Y ( .)
1 12,000 4,000
2 16,000 12,000
3 20,000 16,000
4 12,000 24,000
5 8,000 16,000

गणना क िजए
1. पे बैक अविध िविध
2. िनवल वधमान मू य

इन िविधय के आधार पर इन िवक प “X” या “Y” का मू याक


ं न क िजए । कसौटी दर 10 ितशत है ।

5. एक फम का िव य 60,00,000 . है, प रवितत लागत िव य का 20% है, ि थर लागत 20,50,000 . है, तथा (20)
8,00,000 . के िडबेयर 10% याज दर पर है । इसक प रचालन लीवेरज, िव ीय लीवरे ज तथा संयु लीवरे ज
ात क िजए ।
 

1
ASSIGNMENT SOLUTIONS GUIDE (2020-21)

MCO-07
foÙkh; izca/
MCO-07/ TMA/ 2020-21
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iz 'u 1- (d) foÙkh; iz ca/ D;k gS \ blds vk/kjHkwr dk;Z D;k gS aA


mÙkjµ �वत्तीय प्रबंधन एक संगठन या एक संस्थान म� �वत्तीय उपक्रम� क� रणनी�तक योजना, आयोजन,
�नद� शन और �नयंत्रण को संद�भर्त करता है । इसम� एक संगठन क� �वत्तीय संपित्तय� म� प्रबंधन के �सद्धांत� को
लागू करना भी शा�मल है , जब�क �वत्तीय प्रबंधन म� एक महत्वपण
ू र् भ�ू मका �नभाता है । शा�मल उद्देश्य� पर एक
नज़र डाल�:
संगठन के �लए धन क� पयार्प्त आप�ू तर् बनाए रखना;
संगठन के शेयरधारक� को उनके �नवेश पर अच्छे �रटनर् स�ु निश्चत करना;
�न�धय� का इष्टतम और कुशल उपयोग;
�नवेश करने के �लए वास्त�वक और सरु ��त �नवेश के अवसर पैदा करना।
�वत्तीय प्रबंधन भी कुछ तत्व� से बना है । इसम� शा�मल है :
�वत्तीय �नयोजन: यह पज
ूं ी क� मात्रा क� गणना करने क� प्र�क्रया है जो �कसी संगठन द्वारा आवश्यक होती है
और �फर उसके आवंटन का �नधार्रण करती है । एक �वत्तीय योजना म� कुछ प्रमख
ु उद्देश्य शा�मल ह�, जो ह�:
आवश्यक पज
ूं ी क� मात्रा का �नधार्रण;

2
पज
ूं ी संगठन और संरचना का �नधार्रण;
संगठन क� �वत्तीय नी�तय� और �नयम� का �नधार्रण।
�वत्तीय �नयंत्रण: यह �वत्तीय प्रबंधन क� प्रमख
ु ग�त�व�धय� म� से एक है । इसक� मख्
ु य भ�ू मका यह आकलन
करना है �क कोई संगठन अपने उद्देश्य� को परू ा कर रहा है या नह�ं। �वत्तीय �नयंत्रण �नम्न�ल�खत सवाल� के
जवाब दे ता है :
क्या संगठन क� संपित्तयाँ स�म रूप से उपयोग क� जा रह� ह�?
क्या संगठन क� संपित्त सरु ��त ह�?
क्या प्रबंधन संगठन और प्रमख
ु �हतधारक� के सव�त्तम �वत्तीय �हत� म� कायर् कर रहा है ?
�वत्तीय �नणर्य लेना: इसम� संगठन के संबध
ं म� �नवेश और �वत्तपोषण शा�मल है । यह �वभाग इस बारे म�
�नणर्य लेता है �क संगठन को �वत्त कैसे जुटाना चा�हए, चाहे उन्ह� नए शेयर बेचने चा�हए, या लाभ कैसे
�वत�रत करना चा�हए। �कसी भी फमर् का �वत्तीय प्रबंधन �वभाग एक �वत्तीय प्रबंधक द्वारा �नयं�त्रत �कया
जाता है । इस �वभाग के कई कायर् ह�:
आवश्यक पज
ंू ी क� गणना: �वत्तीय प्रबंधक को उन धनरा�श क� गणना करनी होती है , िजनक� संगठन को
आवश्यकता होती है । यह अपे��त खच� और मन
ु ाफे के संबध
ं म� फमर् क� नी�तय� पर �नभर्र करता है । आवश्यक
रा�श को इस तरह से अनम
ु ा�नत �कया जाना चा�हए �क संगठन क� कमाई �मता बढ़ जाती है ।
ंू ी संरचना का गठन: एक बार पज
पज ंू ी क� मात्रा के �लए फमर् क� आवश्यकता का अनम
ु ान लगाया गया है , एक
पज
ूं ी संरचना का गठन �कया जाना चा�हए। इसम� अल्पाव�ध और द�घर्का�लक म� ऋण इिक्वट� �वश्लेषण
शा�मल है । यह उस फमर् क� पँज
ू ी क� मात्रा पर �नभर्र करता है , और जो रा�श बाहर� स्रोत� से जुटानी पड़ती है ।
पज
ंू ी का �नवेश करना: अ�धक पज
ंू ी जट
ु ाने और �नय�मत �रटनर् हा�सल करने के �लए प्रत्येक संगठन या फमर् को
धन का �नवेश करना होगा। इस�लए, �वत्तीय प्रबंधक को संगठन के फंड को सरु ��त और लाभदायक उद्यम� म�
�नवेश करने क� आवश्यकता है ।
मन
ु ाफे का आवंटन: एक बार जब संगठन ने शद्ध
ु लाभ क� अच्छ� मात्रा अिजर्त क� है , तो यह �वत्तीय प्रबंधक का
कतर्व्य है �क वह इसे कुशलता से आवं�टत करे । इसम� आकिस्मकता, नवाचार या �वस्तार उद्देश्य� के �लए शद्ध

लाभ का एक �हस्सा रखना शा�मल हो सकता है , जब�क लाभ का एक अन्य �हस्सा शेयरधारक� को लाभांश
प्रदान करने के �लए इस्तेमाल �कया जा सकता है ।
धन का प्रभावी प्रबंधन: यह �वभाग फमर् के धन के प्रभावी प्रबंधन के �लए भी िजम्मेदार है । फमर् म� �व�भन्न
प्रयोजन� के �लए धन क� आवश्यकता होती है जैसे �क वेतन और �बल� का भग
ु तान, स्टॉक को बनाए रखना,
दे यताएं, और �कसी भी सामग्री या उपकरण क� खर�द।
�वत्तीय �नयंत्रण: न केवल �वत्तीय प्रबंधक को फंड� क� योजना, आयोजन, और उन्ह� प्राप्त करना है , बिल्क
उन्ह� अल्पाव�ध और द�घर्का�लक म� फमर् के �वत्त का भी �नयंत्रण और �वश्लेषण करना है । यह �वत्तीय
पव
ू ार्नम
ु ान, अनप
ु ात �वश्लेषण, जो�खम प्रबंधन और लाभ और लागत �नयंत्रण जैसे �वत्तीय साधन� का उपयोग
करके �कया जा सकता है ।

3
([k) ^^tksf[ke** vkS j ^^izR;;** dh lad Yiuk dh O;k[;k dhft,A
mÙkjµ जो�खम को "नक ु सान के बारे म� अ�निश्चतता" के रूप म� प�रभा�षत �कया जा सकता है । �कसी दघ
ु ट
र् ना
या आपक� संपित्त के बारे म� लापरवाह� के कारण ऑटो ��त जैसे नक
ु सान, एक दे यता जो�खम को जन्म दे
सकते ह�। इन जो�खम� के साथ शा�मल नक
ु सान मल्
ू य का कम या गायब होना है । बीमा कंप�नय� के पास बीमा
को अस्वीकार करने का अ�धकार है , या आपको एक गैर-मानक नी�त जार� करने का अ�धकार है य�द वे तय
करते ह� �क आपक� िस्थ�त मानक जो�खम क� उनक� प�रभाषा के �लए बहुत अ�धक खतरा है ।
�कसी भी तीसरे प� क� जानकार� के स्रोत को उजागर करने के �लए बीमा कंपनी क� आवश्यकता होती है ,
िजसके कारण वह अयोग्य नी�त को अस्वीकार या जार� करने के �लए कारण बनती है , िजसे फेयर क्रे�डट
�रपो�ट� ग अ�ध�नयम कहा जाता है ।
जो�खम के दो वगर् ह�:
1. सट्टा जो�खम म� लाभ या हा�न का मौका शा�मल है ।
उदाहरण के �लए, $ 4,500 के �लए बहुत कुछ खर�दना और कम से कम $ 6,000 म� इसे बेचने क� उम्मीद
करना, अटकलबाजी माना जाता है और इस�लए, अकल्पनीय है । बाजार म� खर�दना, कम होने क� उम्मीद करना
और बाद म� उच्च बेचना, लाभ का प�रणाम हो सकता है और इस�लए, अकल्पनीय है ।
2. शद्ध
ु जो�खम शा�मल है , केवल नक
ु सान क� संभावना।
उदाहरण के �लए, आकिस्मक चोट, गैरेज म� आग और एक दब
ु ल
र् करने वाल� बीमार� म� केवल नक
ु सान का मौका
होता है और इस�लए, असरु ��त ह�।

iz 'u 2- (d) daiuh dh iw¡th dh mi;qDr lajpuk dh fo'ks"krkvksa dk o.kZ u dhft,A


mÙkjµ कंपनी या समवाय के रूप म� व्यवसाय करने म� अनेक स�ु वधाएँ ह�। समामेलन के फलस्वरूप �व�ध म�
समवाय का रूप 'एक व्यिक्त' का है । यह एक �व�धयक्
ु त सत्ता हो गया। इसका अिस्तत्व सवर्था सदस्य� से
अलग तथा पण
ू र् स्वतंत्र हो गया। सोलोमन बनाम सोलोमन और समवाय, १८९७ ए. सी. २२ म� �ब्रटे न क� सरदार
सभा ने (House of Lords) समवाय के स्वतंत्र समामेलन के अिस्तत्व पर बल �दया। श्री सोलोमन नामक एक
व्यिक्त ने एक समवाय का संगठन �कया और उसने उस समवाय के हाथ अपना व्यवसाय ४० हजार प�ड म� बेच
�दया। उसने भग
ु तान लेने के बदले २० हजार प�ड मल्
ू य के अंश तथा १० हजार प�ड मल्
ू य के ऋणपत्र ले �लए।
चँ �ू क अ�ध�नयम म� इस बात क� व्यवस्था रह� है �क कम से कम सात व्यिक्त �मलकर ह� कोई लोकसमवाय का
संगठन कर सकते ह� इस�लए एक व्यिक्त के प�रवार के शेष छह व्यिक्तय� को अंश �दया जाता। अत: एक
व्यिक्त द्वारा �नयं�त्रत समवाय को बरु े �दन दे खने पड़ते थे और अंत म� वह समवाय लड़खड़ा जाता था। समापन
(liquidation) के समय उस समवाय क� िस्थ�त इस प्रकार थी-
प्र�तभत
ू उत्तमणर् (स्वयं श्री सोलोमन) -- १० हजार प�ड।
अप्र�तभत
ू सामान्य उत्तमणर् -- ७ हजार प�ड।
शेष सकल संपित्त -- केवल ६ हजार प�ड मल्
ू य क�।

4
अप्र�तभत
ू उत्तमण� क� ओर से यह तकर् प्रस्तत
ु �कया गया �क यद्य�प समवाय समामे�लत रहा है तथा�प
समवाय का कभी भी स्वतंत्र अिस्तत्व नह�ं रहा है । वह समवाय क्या था, स्वयं सोलोमन एक दस
ू रे नाम से मौजद

थे। व्यवसाय पण
ू त
र् : उसका ह� था, इस�लए वह अपने �लए उत्तमणर् कैसे हो सकता था। वह समवाय कृ�त्रम और
धोखे का पत
ु ला था। उत्तमणर् चाहते थे �क समवाय के ऋण� के �लए सोलोमन दायी हो। जो कुछ भी हो,
न्यायालय ने अपने �नणर्य म� कहा �क 'जब �ापक पत्र सम�ु चत रूप से हस्ता��रत और पंजीकृत हो जाता है
और यद्य�प सात ह� अंश �लए जाते ह�, तथा�प अ�भदात समामे�लत संगठन है और उसम� तत्काल समामे�लत
समवाय के सभी कतर्व्य� के प्रयोग क� �मता समा�हत हो जाती है । यह समझना क�ठन है �क प�र�नयम द्वारा
इस प्रकार ग�ठत �नगम �नकाय �कस प्रकार केवल एक व्यिक्त को पँज
ू ी का अ�धकांश दे कर अपने व्यिक्तत्व
को खो दे ता है । �व�ध क� दृिष्ट म� समवाय एक पथ
ृ क् व्यिक्त होता है जो �ापकपत्र के अ�भदाताओं से सवर्था
�भन्न होता है , तदनस
ु ार सोलोमन समवाय का उत्तमणर् माना गया और चँ �ू क वह प्र�तभत
ू उत्तमणर् था, उसको
अन्य उत्तमण� क� अपे�ा प्राथ�मकता का अ�धकार था। दस
ू र� बात यह �क एकमात्र समामे�लत �नकाय ह�
सदस्य� को सी�मत दे यता के साथ व्यवसाय करने क� �मता प्रदान करता है । अंशदाता समवाय के ऋण� के
उत्तरदा�यत्व के �लए बाध्य नह�ं है । य�द वह अपने अंश धन का भग
ु तान नह�ं करता है तो वह केवल उस धन के
भग
ु तान के �लए ह� उत्तरदायी है । य�द उसके अंश के धन का पण
ू र् रूप से भग
ु तान हो चुका है तब उसक� दे यता
का प्रश्न ह� नह�ं उठता। सी�मत दे यता क� स�ु वधा के बारे म� अपना मत व्यक्त करते हुए एक न्यायम�ू तर् ने कहा
है �क 'दे श क� व्यावसा�यक संपदा के �वकास के �लए सी�मत दे यता संबध
ं ी प�र�नयम� ने िजतना लाभ पहुँचाया
है उतना संभवत: �कसी और कानन
ू ने नह�ं पहुँचाया। सी�मत दे यता ने, जहाँ तक �व�नयोक्ता तथा लोक के लाभ
का प्रश्न है , छोटे मोटे घन� क� बड़ी पँज
ू ी म� प�रणत करने म� प्रोत्साहन प्रदान �कया है । उस बड़ी पँज
ू ी को
लोककल्याण के कायर् म� प्रयक्
ु त कर दे श क� संपदा क� व�ृ द्ध ह� होती है ।'
तीसर� बात यह �क समवाय के अंश चल संपित्त ह� और वह मक्
ु त रूप से हस्तांतयर् है । अतएव समवाय क�
सदस्यता समय समय पर प�रव�तर्त होती रहती है �कं तु इस प�रवतर्न से स्वयं समवाय क� अनवरतता पर कोई
खराब असर नह�ं पड़ता। समवाय को स्थायी उत्तरा�धकार प्राप्त है । �कसी सदस्य क� मत्ृ यु अथवा �दवा�लएपन
से समवाय क� िस्थ�त म� कोई अंतर नह�ं आता। इसके अलावा समामेलन समवाय क� संपित्त से उसके सदस्य�
से स्पष्ट पथ
ृ क् करने क� �मता रखता है । समवाय अपने नाम से मक
ु दमा लड़ सकता है और उसके नाम से
मक
ु दमा लड़ा जा सकता है ।

([k) O;olk; dh dk;Z 'khy iwath dh vko';drkvkas dh iz Hkkfor djus okys fofHkUu dkjdksa dh
O;k[;k dhft,A
mÙkjµ �कसी कंपनी क� कायर्शील पज
ंू ी को प्रभा�वत करने वाले कुछ कारक �नम्नानस
ु ार ह�:
ूं ी को प्रभा�वत करने वाले कारक:- फमर् को अपनी कायर्शील पज
कायर्शील पज ूं ी का सह� अनम
ु ान लगाना चा�हए
क्य��क अत्य�धक कायर्शील पज
ूं ी का प�रणाम इन्व� ट्र� के अनावश्यक संचय और पज
ूं ी के अपव्यय म� होता है
जब�क कायर्शील पज
ंू ी क� कमी ऑपरे �टंग चक्र के सच
ु ारू प्रवाह को प्रभा�वत करती है और व्यवसाय अपनी
प्र�तबद्धता को परू ा करने म� �वफल रहता है ।

5
इस�लए �वत्त प्रबंधक को कायर्शील पज
ूं ी क� सह� मात्रा का अनम
ु ान लगाना चा�हए। कायर्शील पज
ूं ी क� मात्रा का
आकलन करने से पहले �वत्त प्रबंधक को �नम्न�ल�खत कारक� को ध्यान म� रखना चा�हए।
1. प�रचालन चक्र क� लंबाई:- कायर्शील पज
ंू ी क� मात्रा सीधे ऑपरे �टंग चक्र क� लंबाई पर �नभर्र करती है ।
ऑपरे �टंग चक्र उत्पादन म� शा�मल समय अव�ध को संद�भर्त करता है । यह कच्चे माल के अ�धग्रहण से
शरू
ु होता है और �बक्र� के बाद भग
ु तान प्राप्त होने तक समाप्त होता है ।
संचालन चक्र:- कायर्शील पज
ंू ी प�रचालन चक्र के सच
ु ारू प्रवाह के �लए बहुत महत्वपण
ू र् है । य�द
ऑपरे �टंग चक्र लंबा है , तो अ�धक कायर्शील पज
ूं ी क� आवश्यकता है , जब�क लघु प�रचालन चक्र वाल�
कंप�नय� के �लए, कायर्शील पज
ूं ी क� आवश्यकता कम है ।
2. व्यवसाय क� प्रकृ�त:- कायर्शील पज
ूं ी तय करते समय, व्यवसाय का प्रकार, फमर् म� शा�मल है , अगला
�वचार है । व्यापा�रक �चंता या खुदरा दक
ु ान के मामले म� कायर्शील पज
ूं ी क� आवश्यकता कम होती है
क्य��क प�रचालन चक्र क� लंबाई छोट� होती है । खुदरा दक
ु ान क� तल
ु ना म� थोक �वक्रेताओं को अ�धक
कायर्शील पज
ूं ी क� आवश्यकता होती है क्य��क उन्ह� बड़े स्टॉक को बनाए रखना पड़ता है और आम तौर
पर क्रे�डट पर सामान बेचते ह� िजससे प�रचालन चक्र क� लंबाई बढ़ जाती है । �नमार्ण कंपनी को बड़ी मात्रा
म� कायर्शील पज
ूं ी क� आवश्यकता होती है क्य��क उन्ह� कच्चे माल को तैयार माल म� बदलना होता है ,
क्रे�डट पर बेचना होता है , कच्चे माल के साथ-साथ तैयार माल क� सच
ू ी को बनाए रखना होता है ।
3. ऑपरे शन का स्केल:- बड़े पैमाने पर काम करने वाल� फम� को अ�धक इन्व� ट्र�, दे नदार इत्या�द को बनाए
रखने क� आवश्यकता होती है , इस�लए उन्ह� आम तौर पर बड़ी कायर्शील पज
ूं ी क� आवश्यकता होती है ,
जब�क छोटे पैमाने पर काम करने वाल� फम� को अ�धक पज
ूं ी क� आवश्यकता होती है ।
4. व्यापार चक्र म� उतार-चढ़ाव:- बम
ू क� अव�ध के दौरान बाजार इतनी अ�धक मांग, अ�धक उत्पादन,
अ�धक स्टॉक, और अ�धक ऋणी फलता-फूलता है , िजसका अथर् है �क अ�धक मात्रा म� कायर्शील पज
ूं ी क�
आवश्यकता होती है । जब�क अवसाद क� अव�ध के दौरान कम मांग कम सच
ू ी को बनाए रखने के �लए,
कम दे नदार, इस�लए कम कायर्शील पज
ंू ी क� आवश्यकता होगी।
5. मौसमी कारक:- कायर्शील पज
ूं ी क� आवश्यकता उन कंप�नय� के �लए �नरं तर होती है जो परू े सीजन म�
माल बेच रह� ह�, जब�क मौसमी वस्तओ
ु ं क� �बक्र� करने वाल� कंप�नय� को सीजन के दौरान अ�धक मांग
के रूप म� बड़ी रा�श क� आवश्यकता होती है , अ�धक स्टॉक बनाए रखना पड़ता है और ऑफ सीजन या
स्लैक के दौरान तेजी से आप�ू तर् क� आवश्यकता होती है । मौसम क� मांग बहुत कम है इस�लए कम
कायर्शील पज
ूं ी क� आवश्यकता है ।
6. प्रौद्यो�गक� और उत्पादन चक्र:- य�द कोई कंपनी उत्पादन क� श्रम गहन तकनीक का उपयोग कर रह� है,
तो अ�धक कायर्शील पज
ंू ी क� आवश्यकता होती है क्य��क कंपनी को श्रम का भग
ु तान करने के �लए
पयार्प्त नकद� प्रवाह बनाए रखने क� आवश्यकता होती है , जब�क य�द कंपनी उत्पादन क� मशीन-गहन
तकनीक का उपयोग कर रह� है , तो कम कायर्शील पज
ूं ी क� आवश्यकता होती है क्य��क मशीनर� म�
�नवेश क� आवश्यकता होती है �निश्चत पज
ंू ी क� आवश्यकता है और कम प�रचालन खचर् ह�गे। उत्पादन

6
चक्र के मामले म� , य�द उत्पादन चक्र लंबा है , तो अ�धक कायर्शील पज
ूं ी क� आवश्यकता होगी, क्य��क
कच्चे माल को तैयार माल म� प�रव�तर्त करने म� लंबा समय लगेगा, जब उत्पादन चक्र छोटा होता है , तो
कम रा�श इन्व� ट्र� म� बंध जाती है और कच्चे माल इतने कम काम करते ह� पज
ंू ी क� आवश्यकता है ।
7. ु �त:- क्रे�डट पॉ�लसी �बक्र� आय के संग्रह के �लए औसत अव�ध को संद�भर्त करती है ।
क्रे�डट क� अनम
यह ग्राहक� क� साख, उद्योग के मानदं ड� आ�द जैसे कारक� पर �नभर्र करता है । य�द कंपनी उदार क्रे�डट
नी�त का पालन कर रह� है , तो उसे अ�धक कायर्शील पज
ूं ी क� आवश्यकता होगी, जब�क य�द कंपनी
सख्त या अल्पाव�ध ऋण नी�त का पालन कर रह� है , तो वह कम काम करने के साथ प्रबंधन कर सकती
है । पज
ूं ी भी।
8. क्रे�डट लाभ:- क्रे�डट पॉ�लसी से संब�ं धत एक अन्य पहलू यह है �क �कतने समय तक और �कतने समय
तक कंपनी अपने आप�ू तर्कतार्ओं से क्रे�डट प्राप्त कर रह� है । य�द कच्चे माल के आप�ू तर्कतार् द�घर्का�लक
ऋण दे रहे ह�, तो कंपनी कम पज
ूं ी के साथ कायर्शील पज
ूं ी का प्रबंधन कर सकती है , जब�क य�द
आप�ू तर्कतार् केवल कम अव�ध का ऋण दे रहे ह�, तो कंपनी को लेनदार� को भग
ु तान करने के �लए अ�धक
कायर्शील पज
ूं ी क� आवश्यकता होगी।
9. ऑपरे �टंग �मता:- ऑपरे �टंग �मता क� उच्च �डग्री वाले फमर् को कायर्शील पज
ूं ी क� कम मात्रा क�
आवश्यकता होती है , जब�क फमर् क� द�ता कम �डग्री होती है , िजसके �लए अ�धक कायर्शील पज
ूं ी क�
आवश्यकता होती है । द�ता क� उच्च �डग्री वाले फम� म� कम अपव्यय होता है और �नम्न स्तर क�
इन्व� ट्र� के साथ प्रबंधन भी कर सकते ह� और प�रचालन चक्र के दौरान भी ये फमर् कम खचर् वहन करती ह�
ता�क वे कम कायर्शील पज
ूं ी के साथ भी प्रबंधन कर सक�।
10. कच्चे माल क� उपलब्धता:- य�द कच्चे माल आसानी से उपलब्ध ह� और कच्चे माल और इनपट
ु क�
आप�ू तर् है तो फमर् कम मात्रा म� कायर्शील पज
ूं ी के साथ प्रबंधन कर सकते ह� क्य��क उन्ह� कच्चे माल के
�कसी भी स्टॉक को बनाए रखने क� आवश्यकता नह�ं है या वे बहुत कम स्टॉक के साथ प्रबंधन कर सकते
ह�। जब�क अगर कच्चे माल क� आप�ू तर् सच
ु ारू नह�ं है , तो फम� को प�रचालन चक्र को सच
ु ारू रूप से
चलाने के �लए बड़ी सच
ू ी बनाए रखने क� आवश्यकता है । इस�लए उन्ह� अ�धक कायर्शील पज
ूं ी क�
आवश्यकता होती है ।
11. प्र�तयो�गता का स्तर:- य�द बाजार प्र�तस्पध� है तो कंपनी को उदार क्रे�डट नी�त अपनानी होगी और
समय पर माल क� आप�ू तर् करनी होगी। उच्चतर आ�वष्कार� को बनाए रखना पड़ता है इस�लए अ�धक
कायर्शील पज
ूं ी क� आवश्यकता होती है । कम प्र�तस्पधार् या एका�धकार क� िस्थ�त वाले व्यवसाय को कम
कायर्शील पज
ूं ी क� आवश्यकता होगी क्य��क यह अपनी आवश्यकताओं के अनस
ु ार शत� को �नधार्�रत
कर सकता है ।
12. ु ास्फ��त:- य�द मल्
मद्र ू य म� व�ृ द्ध या व�ृ द्ध होती है तो कच्चे माल क� क�मत और श्रम क� लागत म� व�ृ द्ध
होगी, इसके प�रणामस्वरूप कायर्शील पज
ंू ी क� आवश्यकता म� व�ृ द्ध होगी। ले�कन अगर कंपनी अपने
स्वयं के सामान क� क�मत बढ़ाने म� स�म है , तो कायर्शील पज
ूं ी क� कम समस्या होगी। कायर्शील पज
ूं ी
पर मल्
ू य व�ृ द्ध का प्रभाव अलग-अलग व्यवसा�यय� के �लए अलग-अलग होगा।

7
13. �वकास संभावनाएं:- अपनी ग�त�व�धय� का �वस्तार करने क� योजना बनाने वाल� फम� को कायर्शील
पज
ूं ी क� अ�धक मात्रा क� आवश्यकता होगी क्य��क �वस्तार के �लए उन्ह� उत्पादन के पैमाने को बढ़ाने क�
आवश्यकता होती है िजसका मतलब है �क अ�धक कच्चे माल, अ�धक इनपट
ु आ�द। इस�लए अ�धक
कायर्शील पज
ूं ी भी।

iz 'u 3- (d) eqnz cktkj D;k gS \ bldh fo'ks"krkvksa dk o.kZ u dhft,A


mÙkjµ मद्रु ा बाजार "�व�भन्न फम� और संस्थान� को �दया जाने वाला साम�ू हक नाम है जो �नकट धन के
�व�भन्न ग्रेड म� सौदा करते ह�।"
यह इस अथर् म� अल्पका�लक ऋण के �लए एक बाजार है �क यह कायर्शील पज
ंू ी या संचार पज
ंू ी के �लए धन
प्रदान करता है ।
प�रपक्वता क� �व�भन्न �डग्री के साथ सबसे महत्वपण
ू र् अल्पका�लक साधन जो अक्सर मद्र
ु ा बाजार म� उपयोग
�कए जाते ह�: अंतर-ब�क कॉल मनी, शॉटर् -नो�टस �डपॉिजट, 91 �दन� और 364 �दन� के ट्रे जर� �बल, वा�णिज्यक
�बल, जमा प्रमाणपत्र और वा�णिज्यक पेपर।

ु ा बाजार क� �वशेषताएं: क�द्र�य ब�क के कुशल कामकाज के �लए एक अच्छ� तरह से �वक�सत मद्र
भारतीय मद्र ु ा
बाजार आवश्यक है । मद्र
ु ा बाजार एक ऐसी संस्था है िजसके माध्यम से अ�धशेष धन घाटे वाले �ेत्र� म� चला
जाता है ता�क अस्थायी तरलता संकट से �नपटा जा सके। मद्र
ु ा बाजार अल्पका�लक �न�धय� के अंतर-ब�क
लेनदे न को स�म बनाता है । क�द्र�य ब��कं ग काय� के �लए एक अच्छ� तरह से बन
ु ना मद्र
ु ा बाजार एक 'बैरोमीटर'
के रूप म� कायर् करता है । यह क�द्र�य ब�क को अपनी मौ�द्रक नी�त को कुशलता से लागू करने म� स�म बनाता है ।
एक समिन्वत ब��कं ग प्रणाल� और मद्र
ु ा बाजार के अन्य घटक� क� अनप
ु िस्थ�त म� , क�द्र�य ब�क अपने इिच्छत
ल�य� को प्राप्त करने म� स�म नह�ं हो सकता है । इन सबसे ऊपर, सरकार� घाटे को गैर-मद्र
ु ास्फ़�तीय तर�के से
मद्र
ु ा बाजार संस्थान� के माध्यम से �वत्तपो�षत �कया जाता है । इस प्रकार, एक अच्छ� तरह से �वक�सत मद्र
ु ा
बाजार का अिस्तत्व एक अथर्व्यवस्था के �लए आवश्यक है ।

ु ा बाजार: �कसी दे श का �वत्तीय बाजार �व�भन्न प्रकार क� मद्र


भारत का मद्र ु ा, ब�क जमा, �बल, बॉन्ड आ�द क�
�वत्तीय प�रसंपित्तय� और उपकरण� का सौदा करता है । ऐसे �वत्तीय बाजार म� मद्र
ु ा बाजार और पज
ूं ी बाजार
दोन� शा�मल होते ह�।
मनी माक�ट वह है , जहाँ पैसा खर�दा और बेचा जाता है । तकनीक� रूप से, एक पैसा बाजार वह होता है जहां पैसा
उधार �लया जाता है और उधार �दया जाता है । यह अल्पका�लक �न�धय� के उधार और ऋण दे ने म� काम आता
है । मद्र
ु ा बाजार म� , ब��कं ग संस्थान� और व्यिक्तय� के अल्पका�लक फंड� पर उधारकतार्ओं और सरकार द्वारा
बोल� लगाई जाती है ।
मद्र
ु ा बाजार के मख्
ु य भवन खंड ह�:
(i) क�द्र�य ब�क,
(ii) वा�णिज्यक ब�क, और
(iii) स्वदे शी ब�क और गाँव के साहूकार।

8
भारत का अल्पका�लक ऋण बाजार या मद्र
ु ा बाजार, हमेशा, एक द्वंद्ववाद है । इसम� दो सेक्टर शा�मल ह�: (i)
संग�ठत �ेत्र िजसम� भारतीय �रजवर् ब�क और वा�णिज्यक ब�क शा�मल ह�, और (ii) असंग�ठत �ेत्र म� स्वदे शी
कायर्काल होता है । संग�ठत बाजार म� RBI, भारतीय स्टे ट ब�क, वा�णिज्यक ब�क, भारतीय जीवन बीमा �नगम,
भारतीय सामान्य बीमा �नगम और य�ू नट ट्रस्ट ऑफ़ इं�डया शा�मल ह�। ये मद्र
ु ा बाजार के संग�ठत घटक ह�
क्य��क आरबीआई और सरकार द्वारा इन संस्थान� के काय� और ग�त�व�धय� को व्यविस्थत रूप से समिन्वत
�कया जाता है । साथ ह�, सहकार� ब�क इस श्रेणी म� आते ह�। भारत म� , हमारे पास एक �त्र-स्तर�य सहकार� ऋण
संरचना है : राज्य सहकार� ब�क, िजला या क�द्र�य सहकार� ब�क, और प्राथ�मक क्रे�डट सोसायट�। �पछले एक को
छोड़कर, अन्य दो प्रकार के सहकार� ब�क मद्र
ु ा बाजार के संग�ठत �डब्बे म� िस्थत ह�।
भारतीय मद्र
ु ा बाजार के संग�ठत �ेत्र को उप-बाजार� म� �वभािजत �कया जा सकता है :
(i) कॉल मनी माक�ट: कॉल मनी बाजार - भारत के मद्र
ु ा बाजार का एक महत्वपण
ू र् उप-बाजार बहुत ह�
अल्पका�लक फंड� के �लए बाजार है , जैसे रात भर के कॉल मनी और नो�टस मनी (14 �दन) को 'कॉल पर
पैसा' के रूप म� जाना जाता है । इस बाजार म� िजस दर पर धनरा�श उधार ल� जाती है , उसे 'कॉल मनी दर'
कहा जाता है । इस तरह क� दर बाजार-�नधार्�रत है - जो अल्पका�लक �न�धय� क� मांग और आप�ू तर् से
प्रभा�वत है ।
(ii) ट्रे जर� �बल माक�ट: ट्रे जर� �बल से हमारा मतलब क�द्र सरकार क� अल्पका�लक दे यता से है । ट्रे जर� �बल
बाजार क�द्र सरकार के अल्पका�लक �वत्तीय जरूरत� को परू ा करने के �लए ट्रे जर� �बल� म� सौदा करता है ।
ले�कन ट्रे जर� �बल जार� करके, क�द्र सरकार लगभग �नबार्ध रूप से धन जुटाती है । ट्रे जर� �बल दो प्रकार के
होते ह�: तदथर्, और �नय�मत। तदथर् ट्रे जर� �बल राज्य सरकार� और �वदे शी क�द्र�य ब�क� को बेचे जाते ह�
और इस�लए, ये �वपणन योग्य नह�ं ह�। �नय�मत रूप से राजकोष �बल ब�क� और जनता को बेचे जाते ह�
और इस�लए, स्वतंत्र रूप से �वपणन योग्य ह�।
वतर्मान म� �नम्न�ल�खत प्रकार के ट्रे जर� �बल उपयोग म� ह�:
(i) 14-�दवसीय मध्यवत� राजकोष �बल,
(ii) 91-�दवसीय राजकोष �बल,
(iii) 182-�दवसीय राजकोष �बल,
(iv) 364-�दवसीय राजकोष �बल।
(iii) रे पो बाजार: रे पो- एक मद्र
ु ा बाजार साधन — ऋण उपकरण� म� खर�द-�बक्र� के संचालन के माध्यम से
अल्पका�लक उधार और ऋण दे ने म� मदद करता है ।
(iv) वा�णिज्यक �वधेयक बाजार: इस बाजार म� व्यापार �बल या वा�णिज्यक �बल� का कारोबार �कया जाता
है । यह एक व्यापार� द्वारा दस
ू रे पर �नकाला गया �बल है । व्यापा�रय� को एक वा�णिज्यक ब�क म� ऐसे
�बल� को छूट दे कर पैसा �मलता है ता�क �वत्तीय आवास का लाभ उठाया जा सके।
(v) जमा का प्रमाण पत्र: यह एक �न�धय� के जमाकतार्ओं द्वारा जार� �कया गया एक प्रमाण पत्र है जो एक
�न�दर् ष्ट अव�ध के �लए ब�क म� जमा रहता है । ये अल्पका�लक मद्र
ु ा बाजार� म� व्यापार योग्य और
परक्राम्य ह�।

9
(vi) वा�णिज्यक पत्र:
�व�ापन: यह सस्ती लागत पर कॉप�रे ट घरान� द्वारा धन जुटाने का एक अल्पका�लक साधन है । इसे
जनवर� 1990 म� पेश �कया गया था। इसक� प�रपक्वता अव�ध 3 मह�ने से 6 मह�ने तक है ।

ु ुअल फंड: यह उपकरण व्यिक्तगत �नवेशक� को अ�त�रक्त अल्पका�लक राजस्व प्रदान


(vii) मनी माक�ट म्यच
करने के �लए अप्रैल 1992 म� पेश �कया गया था। असंग�ठत बाजार काफ� हद तक स्वदे शी ब�कर� और
गैर-ब�क �वत्तीय मध्यस्थ� जैसे �चट फंड, �न�डस आ�द से बना है , क्य��क यह असंग�ठत है क्य��क ये
संस्थान RBI द्वारा व्यविस्थत रूप से समिन्वत नह�ं ह�। वा�णिज्यक ब�क� क� तरह, ये �वत्तीय संस्थान
आर��त आवश्यकताओं के अधीन नह�ं ह�। न ह� ये संस्थान �वत्तीय आवास के �लए RBI या ब�क� पर
सख्ती से �नभर्र करते ह�। मद्र
ु ा बाजार के �व�भन्न घटक� को एक ट्रे लेइक डायग्रा म� �दखाया गया है
भारत के मद्र
ु ा बाजार क� �वशेषताएं: | features of the Indian money market
भारतीय मद्र
ु ा बाजार अजीबोगर�ब है । इसक� कई महत्वपण
ू र् �वशेषताएं ह�:
1. Dichotomised: पहले स्थान पर, भारतीय मद्र
ु ा बाजार म� आमतौर पर पिश्चमी या यरू ोपीय तजर् पर
�वक�सत क� जाने वाल� व्यावसा�यक ब��कं ग और पारं प�रक रे खाओं पर कारोबार करने वाला एक
असंग�ठत �ेत्र है । हालाँ�क, ये दोन� �ेत्र एक दस
ू रे से �श�थल ह�। प्रत्येक �ेत्र स्वतंत्र रूप से कायर् करने क�
अपनी कायर्शल
ै � रखता है । वष� से, भारतीय मद्र
ु ा बाजार के असंग�ठत �ेत्र का महत्व कम हो रहा है । तब
भी ग्रामीण �वत्त उपलब्ध कराने म� इसक� �हस्सेदार� अभी भी महत्वह�न नह�ं है ।
2. ू रे , भारत का मद्र
�बखरे हुए: दस ु ा बाजार �बखरा हुआ है । भारत म� दो महत्वपण
ू र् मद्र
ु ा बाजार क�द्र कोलकाता
और मब
ुं ई म� ह�। इन दो बाजार� को नेशनल मनी माक�ट कहा जाता है । हालां�क, �दल्ल� और अहमदाबाद
नेशनल मनी माक�ट के दायरे म� आ रहे ह�। राष्ट्र�य मद्र
ु ा बाजार स्थानीय मद्र
ु ा बाजार� से संब�ं धत ह�।
3. RBI के �नयंत्रण से असंग�ठत �ेत्र वस्तत ु त: तीसरा, मद्र
ु ः मक् ु ा बाजार का असंग�ठत �ेत्र व्यावहा�रक
रूप से क�द्र�य ब��कं ग �नयंत्रण तंत्र से अछूता है । RBI का मौ�द्रक लचीलापन और मौ�द्रक �नयंत्रण
असंग�ठत मद्र
ु ा बाजार के अिस्तत्व के कारण �कसी तरह से घट
ु जाता है जो व्यावहा�रक रूप से RBI के
�नयंत्रण के दायरे से बाहर है । ऐसा इस�लए है क्य��क ये संस्थान तरलता संकट के समय म� RBI से
�वत्तीय आवास पर �नभर्र नह�ं होते ह�। न ह� वे आर��त आवश्यकताओं के अधीन ह�। जा�हर है , इस तरह
के एक सेट म� , आरबीआई के क्रे�डट कंट्रोल इंस्�म� ट्स को उन पर लागू नह�ं �कया जा सकता है , भले ह� वे
राष्ट्र�य �हत के आधार पर सजा के पात्र ह�।
4. ु ासन म� कमी क�: चौथा, हम भारत म� एक सव्ु यविस्थत
1969 से पहले, वा�णिज्यक ब�क� ने अनश
ब��कं ग प्रणाल� क� अनप
ु िस्थ�त को भी नो�टस करते ह�। वा�णिज्यक ब�क आदतन एक अ�त�रक्त नकद�
आर��त रखते ह�। अगर हम इसक� तल
ु ना बाजार क� असंग�ठत घटक क� ऋण नी�तय� से करते ह� तो
उनक� उधार दे ने क� नी�तयां अक्सर कठोर होती ह�। ब�क अनब�क्ड या अंडरब�क �ेत्र� म� शाखाएं खोलने म�
�हच�कचाते ह�। हालां�क, वतर्मान िस्थ�त म� वा�णिज्यक ब�क� के �खलाफ यह राईट उ�चत नह�ं है। �वशेष
रूप से राष्ट्र�यकरण के बाद, भारत म� ब��कं ग प्रणाल� को पयार्प्त ताकत �मल� है । यह अब मद्र
ु ा बाजार के

10
अनश
ु ा�सत �ेत्र� म� से एक है । संग�ठत वा�णिज्यक ब��कं ग �ेत्र पर आरबीआई के �नयंत्रण और �नगरानी
के बारे म� संदेह करने का पयार्प्त कारण है । के प्रभावी �नयंत्रण क� अनप
ु िस्थ�त के कारण RBI, दे श ने दो
कुख्यात ब��कं ग घोटाल� का अनभ
ु व �कया, िजनम� से एक 1992 का हषर्द मेहता घोटाला था और दस
ू रा
2002 म� केतन पारे ख घोटाला था।
5. ु िस्थ�त: पांचव� , मद्र
1971 से पहले एक �बल बाजार क� अनप ु ा बाजार के संग�ठत और असंग�ठत �ेत्र� को
एक�कृत करने के �लए, एक �बल बाजार क� स्थापना एक आवश्यक शतर् है । यह कहा जाता है �क दोन�
�ेत्र� म� स्वतंत्र रूप से व्यापार �बल� क� िस्थर आप�ू तर् दोन� के बीच �लंक या एक�करण स�ु निश्चत करे गी।
ले�कन ऐसा जानबझ
ू कर 1971 से पहले भारत म� अनप
ु िस्थत था जब RBI द्वारा bill वास्त�वक ’�बल
बाजार योजना पेश क� गई थी।
6. धन आप�ू तर् म� मौसमी उतार-चढ़ाव के साथ जुड़ी समस्याएं: अंत म� , भारतीय मद्र
ु ा बाजार म� व्यस्त
मौसम के दौरान मद्र
ु ा आप�ू तर् क� मौसमी कठोरता क� �वशेषता होती है जब धन क� मांग अ�धक होती है ।
तरल धन क� उच्च मांग और इसके प�रणामस्वरूप कमी के साथ, व्यस्त मौसम म� नवंबर से जून तक
ब्याज दर� बढ़ती ह�। ले�कन सस्
ु त सीजन म� , ब्याज दर� म� �गरावट आने पर �वपर�त िस्थ�त पैदा होती है ।
ब्याज क� दर� म� ये मौसमी उतार-चढ़ाव मद्र
ु ा बाजार म� अ�निश्चतता पैदा करते ह�। हालाँ�क, RBI दे श क�
मौ�द्रक िस्थ�त का प्रहर� है , बाजार क� ब्याज दर म� ऐसे उतार-चढ़ाव को सफलतापव
ू क
र् �नयं�त्रत करता है ।

([k) iawth ifjlaifr ewY; fu/kZ j.k ekWMy (CAPM) dh O;k[;k dhft,A
mÙkjµ "कैप एम" जो�खम और लाभ प्र�तफल दे खता है और उन पर क� तल
ु ना कुल शेयर बाजार से करता
है . य�द आप CAPM का उपयोग करते है आप मान �क सबसे सकते ह� �क अ�धकतम �नवेशक
जो�खम (जो�खम �खलाफ) से बचना चाहते ह� , और जो जो�खम लेते ह�, परु स्कृत "मल्
ू य खर�दार " क� उम्मीद
करते ह�. यह भी मान �लया गया है �क �नवेशक "मल्
ू य खर�दार " होते ह� जो प�रसंपित्तय� का मल्
ू य या
बाजार को प्रभा�वत नह�ं कर सकते ह�. CAPM के साथ आप यह मान सकते ह� �क इसम� कोई व्यवहार लागत या
कराधान लागत नह�ं ह� और संपित्त और प्र�तभ�ू त छोटे छोटे पैकेट� म� �वभािजत ह�. बस अभी
तक मान्यताओं के साथ बहुत हो गया? एक और. CAPM मानता है �क �नवेशक उधार लेने और ऋण दे ने म�
सी�मत नह�ं ह� जो�खम मक्
ु त र�हत ब्याज क� दर ब्याज. अब तक आप क� संभावना संदेह के एक स्वस्थ महसस

कर रह� है . हम इसके साथ सौदा कर� ग,े ले�कन पहले, चलो CAPM फामल
ूर् ा पर काम.
बीटा - अब, तम्
ु ह� बीटा के बारे म� समझाते ह�. बीटा एक बड़े बाजार म� �नवेश का कुल जो�खम है . यह न्यय
ू ॉकर्
स्टॉक एक्सच� ज क� तरह ह�. प�रभाषा द्वारा बीटा 1.0000. 1 के बराबर होती है . प्रत्येक कंपनी का एक बीटा
होता है . आप E/span>याहू के शेयर बोल� पष्ृ ठE पर �कसी भी कंपनी का बीटा पा सकते ह�! कंपनी का
बीटा का मतलब है इस कंपनी का जो�खम, बाजार के कुल जो�खम क� तल
ु ना म� �मलाकर �कतना
है . अगर कंपनी का बीटा 3.0 है तो यह कहा जाता है �क बाजार के कुल जो�खम से, इस कंपनी का
जो�खम 3 गन
ु ा ज्यादा है .

11
• Ks = वापसी के �लए आवश्यक दर, (या बस वापसी क� दर).
• Krf = जो�खम मक्
ु त दर ( E#2326;तरा मक्
ु त �नवेश E/span>पर वापसी का दर , जैसे अमे�रक�
सरकार के राजकोष बांड - हमारे शत्त� / अस्वीकृ�त पढ़� )
• B = बीटा (ऊपर दे ख�)
• Km = शेयर बाजार पर कुल �मलाकर वापसी का अनम
ु ान दर ( आपको यह अनम
ु ान लगाना है �क शेयर
बाजार, कुल �मलाकर क्या वापसी दर द� ग.े )
एक उदाहरण के रूप म� , मान लेते ह� �क जो�खम मक्
ु त दर 5% है , और अगले साल शेयर बाजार क� कुल
�मलाकर वापसी क� दर 12.5% होगा. तम
ु दे खते हो �क XYZ कंपनी (हमारे शत्त� / अस्वीकृ�त पढ़� ) का बीटा 1.7
है . तम
ु जो जो�खम ले रहे हो इसके के बदले म� तम्
ु ह� कंपनी से क्या परु स्कृत �कया जाना चा�हए? याद रख� ,
XYZ कंपनी(बीटा = 1.7) म� �नवेश, कुल शेयर बाजार (beta = 1.0) म� �नवेश से कह�ं ज्यादा जो�खम भरा है .
अगर आप XYZ कंपनी म� �नवेश करते ह�, तो आप अपने �नवेश पर 12.5% से अ�धक क� वापसी चाहोगे, है ना?

अगर आप XYZ कंपनी म� �नवेश करते ह�, तो आपको अपने �नवेश पर कम से कम 17.75% से अ�धक क�
वापसी पाना चा�हए. य�द आपको लगता ह� �क XYZ कंपनी से आप के �लए इस तरह क� वापसी नह�ं होगा, तो
आप शायद अन्य स्टॉक म� �नवेश का �वचार कर� ग.े
आह, ले�कन CAPM म� कुछ खा�मयां है .
• य�द आप एक कैसीनो म� जाते ह�, तो आप मल
ू रूप से जो�खम के �लए भग
ु तान करते ह�. यह संभव है �क
कभी-क वॉल स्ट्र�ट पर लोग� क� मान�सकता भी इस तरह क� होती है . याद कर� �क CAPM मानता है �क
�दया गया "एक्स"% वापसी पर �नवेशक अ�धक खतरा के जगह कम जो�खम पसंद कर� गे (दस
ू रे शब्द� म�
कम वे�रएंस). और �वपर�त भी सच होगा -अच्छ� तरह से है - �दया गया एक �निश्चत स्तर जो�खम पर
�नवेशक कम वापसी के जगह अ�धक वापसी पसंद कर� गे . ठ�क है , ले�कन हो सकता है वॉल स्ट्र�ट के लोग
अपने �नवेश पर E जआ
ु " से आनंद लेना चाहते ह�. यह मामला सा�बत नह�ं है , ले�कन यह हो सकता
है . CAPM यह नह�ं मानता है �क �नवेशक� जो उच्चतर जो�खम के �लए कम �रटनर् स्वीकार कर� गे कर� ग.े
• CAPM मानता है �क संपित्त पर वापसी संयक्
ु त रूप से सामान्य �वत�रत होता है .ले�कन यह सच नह�ं हो
सकता है . अक्सर वापसी सामान्य �वत�रत नह�ं होता है . बाजार म� बड़ी अिस्थरता, मध्य वापसी से 3 से 6
मानक अ�धक �वचलन के रूप अिस्थरता, पाए जाते ह�. यह सामान्य �वत�रत म� उम्मीद से अ�धक है .
• CAPM मानता है �क वापसी का वे�रएंस पयार्प्त रूप से जो�खम मापता है . यह सच हो सकता है य�द �क
वापसी सामान्य �वत�रत हो. �फर भी '�नवेशक� वर�यताओंEको बेहतर �दखाने के �लए अन्य जो�खम
माप संभवतः बेहतर है . सस
ु ग
ं त जो�खम माप क� उपाय बात मन म� आती है .

12
• CAPM के साथ आप मान सकते ह� �क सभी �नवेशक� का जानकार�-पहुंच बराबर का है और वे सब
जो�खम और संपित्त क� अपे��त वापसी के बारे म� सहमत ह�. यह �वचार, वैसे E/span>सजातीय
उम्मीद� धारणाEकहा जाता है . तम्
ु हारा प्रोफेसर पछ
ू सकते ह� E#2325;◌्या आपको लगता है �क
E/span>सजातीय उम्मीद� धारणाEमान्य है . इसके �लए तैयार रहो. गड
ु लक!
• CAPM शेयर के वापसी म� वे�रएंस को परू � तरह से समझा नह�ं सकता है . 1969 म� , Myron Scholes,
माइकल जेन्सेन और Fisher Black एक पेपर इस सझ
ु ाव के साथ प्रस्तत
ु �कए �क कम बीटा शेयर,
मॉडल के भ�वष्यवाणी क� अपे�ा अ�धक वापसी क� पेशकश कर सकते ह�.
• CAPM कर� और सौद� क� लागत उपे�ा करता है . CAPM के कुछ और अ�धक ज�टल संस्करण� म� से
इस पर कुछ �वचार करने क� को�शश कर रहे ह�.
• CAPM मान मानता है �क सभी संपित्त असीम रूप से �वभािजत �कया जा सकता है और उन छोटे
संपित्त का आयोजन �कया जा सकता है और सौदा �कया जा सकता है .
• Roll क� भ�ू मका: 1977 म� : Richard Roll ने �वचार क� पेशकश �क बाजार का पोटर् फो�लयो के प्रॉक्सी के
रूप म� शेयर सच
ू कांक यथाथर् म� CAPM को अमान्य कर सकता है . यथाथर् म� बाजार का पोटर् फो�लयो म�
अचल संपित्त, मानव पज
ूं ी, कला सामग्री और इस तरह क� सामग्री को भी शा�मल करना चा�हए , मल

रूप से कुछ भी जो कोई एक �नवेश के रूप म� करता है . हालां�क, इस तरह सामग्री का बाजार अक्सर
पारदश� और अप्रत्य� होता है . इस�लये इसके बजाय �वत्तीय �वशेष� शेयर सच
ू कांक का प्रयोग प्रायः
कर� गे. क्या लगता है थोड़ा सा हे राफेर� कर रहे ह�. आप कह सकते ह�.
• CAPM मानता है �क व्यिक्तगत �नवेशक� को �सवा अपने जो�खम वापसी के, बाजार या अन्य संपित्त
के �लए वर�यता नह�ं है . ले�कन क्या सच म� यह मामला है ? उदाहरणाथर्, कोई एक आदमी कोक पीने से
प्यार करता है . केवल कोक. वह परु ानी कोक क� बोतल और अन्य संब�ं धत सामग्री इकट्ठा करता है . ठ�क
है , अब क्या, वह केवल अपने जो�खम वापस प्रोफ़ाइल के आधार पर पेप्सी म� शेयर खर�दने जा रहा है ? या
वह कोक म� शेयर खर�दने जा रहा है ता�क वह हर �कसी को कोक म� शेयर का डींग हांक सके?

iz 'u 4- ,d dEiuh ,d e'khu [kjhnus dk fopkj dj jgh gS A ^^ X** vkSj ^^Y** nks e'khus gS aA
budh ykxr 40]000 ` iz fr e'khu gS A dj i'pkr vk; bl izd kj gS %

13
mÙkjµ same as

व्याख्या: मशीन Y मशीन एक्स के �लए बेहतर है । हालां�क मशीन एक्स का कुल नकद� प्रवाह मशीन वाई से
4,000 / - से अ�धक है , मशीन वाई के नकद� प्रवाह का शद्ध
ु वतर्मान मल्
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