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2.3. GDP वैविक स्तर पर सबसे स्वीकायथ सांकेतक क्यों है? _______________________________________________ 10
3. राष्ट्रीय आय को प्रभाववत करने वाले कारक (Factors Affecting National Income) __________________________ 14
4. वववभन्न देशों की राष्ट्रीय आयों की तुलना करना (Comparing National Income Across
Countries) _________________________________________________________________________________ 15
5.5. GDP अवस्फीतक एवां आधार वषथ (GDP Deflator & Base Year) ____________________________________ 21
5.6. राष्ट्रीय आय के मापन में कठिनाई (भारत के ववशेष सांदभथ में) ____________________________________________ 22
7.2. GDP को प्रगवत का मापन करने वाले एक पैरामीटर के रूप में मानने के ववरुि में अन्य तकथ _______________________ 26
धन के इस प्रवाह को GDP द्वारा मापा जाता है। ककसी अथथव्यवस्था के वलए इसकी गणना
वनम्नवलवखत दो तरीकों से की जा सकती है:
o लोगों द्वारा ककये गये कु ल व्यय को जोड़कर; या
o फमों द्वारा भुगतान की गई कु ल आय (मजदूरी, ककराया, लाभ) को जोड़कर।
चूांकक ककसी अथथव्यवस्था में सभी व्यय वस्तुतः ककसी की आय के रूप में होते हैं, इसवलए हम ककसी
भी पिवत से GDP की गणना करें , GDP का मान समान ही प्राप्त होता है।
ककसी अथथव्यवस्था में एक वनवित समयाववध (एक वषथ या वतमाही या अधथ-वार्थषकी) में उत्पाकदत
सभी अांवतम वस्तुओं एवां सेवाओं के कु ल बाजार मूल्य को सकल घरे लू उत्पाद कहते हैं। भारत के
वलए यह समयाववध 1 अप्रैल से 31 माचथ तक है।
अत: यह ककसी देश कीघरे लू सीमा के अांतगथत वनवावसयों या गैर-वनवावसयों या फमों द्वारा एक
ववत्तीय वषथ में उत्पाकदत समस्त अांवतम वस्तुओं एवां सेवाओं का मौकिक मूल्य होता है। सरल शधदों
में कहें तो यह ककसी व्यवि या फमथ की राष्ट्रीयता पर ववचार ककए वबना देश की घेरेलू सीमा के
भीतर उत्पाकदत अांवतम वस्तुओं एवां सेवाओं के मूल्यों का मापन करता है।
उदाहरण के वलए, एक जापानी कां पनी द्वारा भारत में वववनर्थमत कारों को भारत के GDP में
सवम्मवलत ककया जाएगा जबकक टाटा मोटसथ द्वारा विटेन में वववनर्थमत जगुआर कारों को भारत के
GDP में सवम्मवलत नहीं ककया जाएगा।
GDP के वल वस्तुओं एवां सेवाओं के अांवतम उत्पादन को ही सांदर्थभत करता है। इसमें के वल पूणथ या
अांवतम वस्तुओं को इसवलए सवम्मवलत करते हैं ताकक (वस्तुओं एवां सेवाओं से सांबांवधत) कच्चे माल,
मध्यवती उत्पाद और अांवतम उत्पादों की दोहरी या वतहरी गणना से बचा जा सके ।
उदाहरण के वलए, ऑटोमोबाइल के मूल्य में पहले से ही उसके वववनमाथण हेतु उपयोग में लाए जाने
वाले इस्पात, काांच, रबड़ और अन्य घटकों के मूल्य सवम्मवलत होते हैं। इन्हें नीचे सांवक्षप्त में
समझाया गया है:
o अांवतम उत्पाद (Final Output): इसका अथथ है ‘अांवतम उपभोग के वलए क्रय की गयी वस्तुएँ
एवां सेवाएँ।
o मध्यवती वस्तुएँ अथवा उत्पादन के कारक या कच्चा माल (Intermediate
Goods/Factors of Production/Raw Materials): ककसी अन्य उत्पाद के उत्पादन में
इनपुट या आगत या कच्चे माल के रूप में प्रयुि उत्पाद को मध्यवती वस्तुओं की श्रेणी में रखा
जाता है।
दोहरी गणना (Double counting) से बचाव के दो तरीके हैं:
o के वल अांवतम उत्पाद के मूल्य की गणना करना, या
o ककसी वस्तु के उत्पादन के आरां वभक चरण से लेकर अांवतम चरण तक हुए मूल्य वधथन की
गणना करना। उसके बाद उि वस्तु के ववक्रय मूल्य में से मध्यवती वस्तुओं के मूल्य को घटा
देना।
2.1.1. साां के वतक GDP एवां वास्तववक GDP (Nominal GDP & Real GDP)
साांकेवतक (Nominal) GDP: जब वस्तुओं एवां सेवाओं के मूल्य की गणना चालू वषथ की कीमतों
पर (current year prices) की जाती है तो वह चालू मूल्य पर सकल घरे लू उत्पाद अथाथत्
वास्तववक (Real) GDP: जब वस्तुओं एवां सेवाओं के मूल्य की गणना आधार वषथ (base year)
की कीमतों पर की जाती है, तो उसे वस्थर मूल्य पर सकल घरे लू उत्पाद अथवा वास्तववक GDP
कहते हैं। अथाथत् वास्तववक GDP द्वारा वतथमान वषथ में उत्पाकदत वस्तुओं एवां सेवाओं के मूल्यों की
गणना आधार वषथ के कीमतों पर की जाती है। उल्लेखनीय है कक आधार वषथ पर मूल्य वस्थर होते
हैं।
वास्तववक GDP वस्तुतः GDP की गणना करने का एक बेहतर तरीका है क्योंकक एक ववशेष वषथ
में अथथव्यवस्था में मुिास्फीवत की उच्च दर के कारण GDP में अचानक उछाल देखा जा सकता है।
इसवलए, वास्तववक GDP हमें मुिास्फीवत और मुिा की क्रय शवि में पठरवतथन के बावजूद,
उत्पादन में हुई वास्तववक वृवि या कमी को वनधाथठरत करने में मदद करता है।
इसे बेहतर तरीके से समझने के वलए, आप एक ऐसी अथथव्यवस्था पर ववचार कीवजए जो के वल
सेब का उत्पादन करती है। मान लीवजए कक वषथ 2010 के दौरान एक अथथव्यवस्था में 100 सेब
उत्पाकदत हुए थे और प्रत्येक सेब की लागत 1 डॉलर थी। इस प्रकार वषथ 2010 में उि
अथथव्यवस्था का साांकेवतक GDP 100 डॉलर (1 डॉलर को 100 से गुणा करना) होगी। अब मान
लीवजए की 5 वषों के बाद, सेब का उत्पादन एक वषथ में 50 सेब तक घट गया। हालाांकक, कीमतें 3
डॉलर तक बढ़ गईं। अब वषथ 2015 के वलए साांकेवतक GDP 150 डॉलर (3 डॉलर को 50 से गुणा
करने पर प्राप्त) होगा। इस प्रकार हमें यह प्रतीत होता है कक 2010 की तुलना में 2015 में GDP
में वृवि हुई है, परां तु वास्तव में 2015 के दौरान अथथव्यवस्था में उत्पादन में कमी आई है।
अब यकद वषथ 2010 को आधार वषथ के रूप में मान वलया जाए तो, वषथ 2010 के वलए वास्तववक
GDP 100 डॉलर हो जाएगी जबकक वषथ 2015 के वलए यह 2010 की वस्थर कीमतों पर (आधार
वषथ की कीमत पर) 50 डॉलर होगी। इस प्रकार स्पष्ट है कक यहाँ वास्तववक GDP में वगरावट
अथथव्यवस्था में उत्पादन में वगरावट के अनुपात में है। अतः वास्तववक GDP ककसी भी
अथथव्यवस्था की साांकेवतक GDP की तुलना में एक बेहतर तस्वीर प्रस्तुत करता है। (आधार वषथ
को आगे ववस्तार से समझाया गया है।)
GNP और GDP की अवधारणायें परस्पर घवनष्ट रूप से सांबांवधत हैं। जैसा कक ऊपर उल्लेख ककया
गया है कक GDP की अवधारणा का अथथ एक वनवित समयाववध में ककसी देश की घरे लू सीमा
वनवावसयों और गैर-वनवावसयों दोनों द्वारा उत्पाकदत अांवतम वस्तुओं एवां सेवाओं के मूल्यों से है।
इस प्रकार GDP में ‘उत्पादन ककसके द्वारा ककया गया है’ के स्थान पर ‘उत्पादन कहाँ पर हुआ है’
पर ध्यान कदया जाता है।
दूसरी ओर, घरे लू सीमा के भीतर या बाहर एक देश के वनवावसयों द्वारा उत्पाकदत सभी अांवतम
वस्तुओं एवां सेवाओं के कु ल मूल्य को GNP कहते हैं। इस प्रकार जब भारत के GNP की गणना की
जाती है तो इसके अांतगथत भारत के भीतर तथा ववि के अन्य देशों में भारतीय नागठरकों द्वारा
उत्पाकदत सभी अांवतम वस्तुओं एवां सेवाओं के कु ल मूल्यों की भी गणना की जाती है।
आइए एक उदाहरण के माध्यम से इसे सरल तरीके से समझते हैं; जैस-े माइक्रोसॉफ्ट USA की एक
फमथ है। जब यह भारत में कोई कां पनी खोलती है, तो उसके उत्पादन का मूल्य भारत के GDP में
सवम्मवलत ककया जाएगा लेककन भारत की GNP की गणना करते समय इसे सवम्मवलत नहीं ककया
जाएगा। इसी तरह जब इांफोवसस या TCS जैसी भारतीय कां पवनयाँ अमेठरका में अपनी सेवाएँ
उपलधध करवाती हैं, तो इन सेवाओं का मूल्य भारत के GDP में सवम्मवलत नहीं ककया जाता है,
लेककन भारत के GNP की गणना करते समय उन्हें सवम्मवलत ककया जाता है। इस प्रकार GDP
'जहाँ उत्पादन होता है' उससे सांबांवधत है। जबकक दूसरी ओर, GNP 'जो उत्पादन करते हैं' से
सांबांवधत है।
GNP = GDP + ववदेश से वनवल साधन आय (Net Factor Income from Abroad : NFIA)
यकद ककसी अथथव्यवस्था में FDI का अांतप्रथवाह काफी अवधक है तथा बवहप्रथवाह अत्यल्प है तो ऐसी
पठरवस्थवत में सामान्यतया उि देश की GDP उसके GNP की तुलना में अवधक होगी। वहीं दूसरी
ओर, यकद ककसी देश के नागठरक अत्यवधक सांख्या में ववदेश जाते हैं एवां वहाँ आर्थथक गवतवववधयों
में सांलग्न होकर अपने गृह देश में बहुत अवधक पैसा भेजते हैं, जबकक उस देश में ववदेशी नागठरकों
की आर्थथक गवतवववधयाँ न्यून हैं (अथाथत् ववदेशी नागठरक यहाँ से अपने गृह देश में कम पैसा भेजते
हैं) तो ऐसी पठरवस्थवतयों में उि देश की GNP उसके GDP से अवधक होगी। भारत की बात करें
तो इसकी GNP इसके GDP की तुलना में कम है क्योंकक भारत में ववदेशों से प्राप्त वनवल आय
सदैव नकारात्मक रही है।
यद्यवप GDP का उपयोग ककसी राष्ट्र की अथथव्यवस्था की वस्थवत को जानने के वलए ककया जाता है,
ककतु कु छ अथथशािी इसे एक राष्ट्र की अथथव्यवस्था की वास्तववक वस्थवत को प्रवतबबवबत करने
वाला नही मानते हैं। चूांकक GDP की गणना में ववदेशी कां पवनयों द्वारा ककसी देश में अर्थजत लाभ
को भी सवम्मवलत ककया जाता है और ये लाभ इन ववदेशी वनवेशकों द्वारा अपने गृह देश (या अन्य
देश में भी) में पुन: प्रेवषत कर कदए जाते हैं। अतः ऐसी वस्थवत में यकद देश के बाहर भेजा जाने
वाला उि लाभ ककसी देश के नागठरकों द्वारा ववदेशों में अर्थजत आय एवां ववदेशी पठरसांपवत्तयों से
हुए लाभ की तुलना में बहुत अवधक हैं, तो वनवित ही उस देश की GNP उसके GDP की तुलना
में अत्यांत कम होगी।
Abroad: NFIA)
ववदेश से प्राप्त वनवल साधन आय (NFIA) वस्तुतः एक देश के नागठरकों और कां पवनयों द्वारा
ववदेशों से प्राप्त कु ल आय और उस देश में ववदेशी नागठरकों और ववदेशी कां पवनयों द्वारा अर्थजत कु ल
रावश के मध्य का अांतर है।
सांक्षप
े में, NFIA = GNP – GDP
हालाांकक वतथमान समय में अवधकाांश देशों की NFIA बहुत ही कम है क्योंकक नागठरकों द्वारा सृवजत
(ववदेशों से) साधन आय और ववदेवशयों को कदए जाने वाले भुगतान कमोबेश एक-दूसरे को प्रवतसांतुवलत
कर देते हैं।
GDP सांवृवि दर (आर्थथक सांवृवि का मापक) वस्तुतः ककसी राष्ट्र के कल्याणकारी गवतवववधयों हेतु
एक प्रमुख सांकेतक होती है। साथ ही यह 'ववकास' के कई अन्य मापकों, जैस-े साक्षरता, स्वास््य
सुववधाएँ आकद सांकेतकों से भी सांबांवधत होता है।
वतथमान में यह स्पष्टतया पठरभावषत है और इसकी गणना करना अपेक्षाकृ त सरल है।
चूांकक यह एक मौकिक / गवणतीय / लेखा गणना है और इसकी एक स्थावपत पिवत भी ववद्यमान है,
अतः यह वस्तुवनष्ठ है {इसके ववपरीत “खुशहाली” (happiness) और “राजनीवतक स्वतांत्रता”
(political freedom) जैसे सूचक व्यविवनष्ठ हैं, वजन्हें मापना कठिन है)।
GDP का व्यापक रूप से उपयोग ककया जाता है और लगभग सभी देश अपने राष्ट्रीय आय की
गणना में इसी पिवत का उपयोग करते हैं। अतः इसके माध्यम से वववभन्न देशों के मध्य तुलना
करने में भी सुववधा होती है।
अपने वृहद इवतहास और मानक पिवत के कारण GDP को नीवत वनमाथताओं द्वारा समझना
अपेक्षाकृ त आसान है।
उत्पादन प्रकक्रया में दूसरी वस्तुओं के उत्पादन में प्रयुि सभी मशीनों और उपकरणों में कु छ टू ट-फू ट
होती रहती हैं। आर्थथक बोल-चाल की भाषा में, ऐसी पूज
ां ीगत वस्तुओं की वह हावन वजसका प्रत्येक
अथथव्यवस्था को टू ट-फू ट (wear and tear) के रूप में भुगतना पड़ता है, मूल्यह्रास कहलाता है।
अथथव्यवस्था में उत्पाकदत पूज
ां ीगत वस्तुओं के एक भाग को इस टू ट -फू ट के बदले में रखा जाना
चावहए, अन्यथा एक राष्ट्र की उत्पादक क्षमता कम हो जाएगी। इस प्रकार रखे गए पूज
ां ी को
कै वपटल कां जम्पशन अलाउां स (Capital Consumption Allowance) कहते हैं।
इस प्रकार ऐसे पठरदृश्य में ककसी फमथ में हुए वनवेश व्यय (Investment expenditure) को दो
भागों में रखा जाता है। इसके एक भाग का उत्पादन के वलए नई पूांजीगत वस्तुओं और मशीनरी को
खरीदने में उपयोग ककया जाता है। इसे वनवल वनवेश (Net Investment) कहा जाता है, क्योंकक
इससे फमों की उत्पादन क्षमता का ववस्तार ककया जा सकता है।
इसके दूसरे भाग को उपयोग में लाई गई पूज ां ीगत वस्तुओं को प्रवतस्थावपत करने या मौजूदा
पूांजीगत वस्तुओं के रखरखाव के वलए व्यय ककया जाता है। इस हेतु हुए व्यय को मूल्यह्रास व्यय
(Depreciation Expenditure) कहा जाता है।
ककसी फमथ द्वारा इन दोनों रावशयों के रूप में ककए गए वनवेश को सकल वनवेश (Gross
Investment) कहते हैं।
यकद वनवल वनवेश सकारात्मक है तो यह राष्ट्र की उत्पादन क्षमता और आउटपुट को बढ़ाता है। इसे
ककसी छोटे फमथ या एक सांयांत्र के स्तर पर आसानी से सत्यावपत ककया जा सकता है। अथाथत् एक
फमथ के वलए ककसी भी वषथ में स्थावपत नई मशीनों की सांख्या उन मशीनों की तुलना में अवधक
होनी चावहए जो उस वषथ के दौरान उपयोग में लाई गई हैं।
सामान्यतया सरकार ही ककसी अथथव्यवस्था में मूल्यह्रास की दर तय करती है और इसकी घोषणा
करती है कक ककस सांपवत्त में ककतना मूल्यह्रास होगा तथा इसकी एक सूची भी प्रकावशत की जाती
है। अथथव्यवस्था के वववभन्न क्षेत्रों द्वारा इसका उपयोग वभन्न-वभन्न प्रकार की पठरसांपवत्तयों में
मूल्यह्रास के वास्तववक स्तर को वनधाथठरत करने के वलए ककया जाता है।
GDP को ही NDP कहते हैं। वस्तुतः NDP, वनवल GDP ही है, (अथाथत् GDP -
मूल्यह्रास)। साधारण शधदों में, वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के दौरान पठरसांपवत्तयों में
होने वाले 'टू ट-फू ट' (मूल्यह्रास) की कु ल रावश को GDP में से घटाने पर NDP प्राप्त होता हैं।
ककसी अथथव्यवस्था की NDP हमेशा उसके GDP की तुलना में कम होती है, क्योंकक मूल्यह्रास को
कभी भी शून्य तक नहीं लाया जा सकता है तथा यह हमेशा धनात्मक रहता है।
सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) में से मूल्यह्रास को घटाकर NNP प्राप्त ककया जाता है।
नहीं ककया जाता है, क्योंकक मूल्यह्रास की गणना की वववध अलग-अलग राष्ट्रों में वभन्न-वभन्न तरीके
से होती है।
श्रम के वलए मजदूरी और उद्यवमता (entrepreneurship) के वलए लाभ सवम्मवलत होते हैं। यह
वास्तववक उत्पादन लागत है वजस पर ककसी फमथ द्वारा वस्तुओं एवां सेवाओं का उत्पादन ककया
जाता है। साधन लागत पर गणना करते समय अप्रत्यक्ष करों को घटाया जाता है तथा सरकार
द्वारा दी गयी सवधसडी को जोड़ा जाता है।
जहाँ,
इसवलए,
साधन लागत = बाजार मूल्य - अप्रत्यक्ष कर + सवधसडी
इस अवधारणा का उपयोग करके , कारक या साधन लागत पर GDP की गणना बाजार मूल्य पर
राष्ट्रीय आय वस्तुतः (एक लेखा वषथ की अववध के दौरान) एक देश के वनवावसयों द्वारा अपने गृह
देश या ववदेशों में अपनी भूवम, श्रम, पूांजी और उद्यमी प्रवतभा द्वारा अर्थजत कारक/साधन आय का
कु ल योग है। यह साधन लागत पर वनवल राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) के बराबर होता है। इसे बाजार
मूल्य पर NNP में से वनवल अप्रत्यक्ष कर को घटाकर (जैसा कक ऊपर बताया गया है) प्राप्त ककया
जाता है।
Subsidies}
राष्ट्रीय आय के रूप में साधन लागत पर NNP को अपनाये जाने के वनम्नवलवखत कारण हैं:
NNP देश के सभी वनवावसयों द्वारा अर्थजत आय को दशाथता है। यह सही भी है, क्योंकक इसमें
ववदेवशयों द्वारा अर्थजत आय को भारत की राष्ट्रीय आय में शावमल नहीं ककया जाता है। इस प्रकार
NNP को NDP से अवधक वरीयता प्रदान की जाती है।
साधन लागत का प्रयोग इसवलए ककया जाता है क्योंकक वनवल अप्रत्यक्ष कर, जैस-े वबक्री कर,
भुगतान नहीं है। अथाथत,् उत्पादन के कारक (factor) को ही इसमें शावमल ककया जा सकता है।
हस्ताांतरण भुगतान का तात्पयथ सरकार द्वारा ऐसे व्यवियों को ककए गए भुगतानों से है, वजसके
बदले में इन व्यवियों द्वारा कोई आर्थथक गवतवववध या सेवा प्रदान नहीं की जाती है। वृिावस्था
व्यविगत आय, सभी व्यवियों या पठरवारों द्वारा एक वषथ में अर्थजत कु ल आय होती है। इसमें
LPG सवधसडी जैसे हस्ताांतरण भुगतान भी शावमल हैं। पठरवारों द्वारा कल्याणकारी भुगतान प्राप्त
ककए जाते हैं, परन्तु ये भुगतान राष्टीय आय के घटक नहीं होते हैं क्योंकक ये हस्ताांतरण भुगतान
होते हैं।
इसी प्रकार, राष्ट्रीय आय लेखाांकन में कु छ ऐसी आय शावमल कर ली जाती हैं जो व्यवियों
(individuals) की व्यविगत आय होती हैं परन्तु जो व्यवियों को वास्तव में प्राप्त नहीं होती हैं,
जैस-े अववतठरत लाभ, सामावजक सुरक्षा हेतु कमथचारी का योगदान, कॉपोरे ट इन्कम टैक्स आय
(corporate income taxes) आकद। इन्हें राष्ट्रीय आय में शावमल ककया जाता है परां तु व्यवियों
द्वारा इन्हें प्राप्त नहीं ककया जाता है। इसवलए व्यविगत आय का अनुमान लगाने के वलए इनको
राष्ट्रीय आय में से घटाया जाता है। इस प्रकार व्यविगत आय है:
सुरक्षा कर
{PI = NI + transfer payments - Corporate retained earnings, income taxes, social
security taxes}
व्यविगत प्रयोज्य (व्यय योग्य) आय से आशय ककसी व्यवि के पास उपलधध वास्तववक व्यय योग्य
रावश से है। इसका अथथ व्यविगत रूप से भुगतान ककए गए करों, जैस-े आय कर, सांपवत्त कर,
प्रोफे शनल टैक्स आकद के भुगतान के बाद व्यवि के पास बची हुई रावश से है।
इस प्रकार,
व्यविगत प्रयोज्य आय = व्यविगत आय - व्यविगत कर {DPI = PI - Personal Taxes}
अन्य कारकों पर वनभथर करता है, जैस-े लाभप्रदता (profitability), राजनीवतक वस्थरता आकद।
श्रम और उद्यवमता (Labour and Entrepreneur): मानव सांसाधन की सांख्या से अवधक
महत्वपूणथ मानव सांसाधन की गुणवत्ता या उत्पादकता है। श्रम शवि, वनयोजन और वशक्षा
अथथव्यवस्था की उत्पादकता और उत्पादन क्षमता को प्रभाववत करती हैं।
प्रौद्योवगकी (Technology): अल्प प्राकृ वतक सांसाधनों वाले देशों के वलए यह कारक अवधक
महत्वपूणथ है। प्रौद्योवगकी के क्षेत्र में हुए या होने वाले ववकास और नवाचार के स्तर से राष्ट्रीय आय
का स्तर प्रभाववत होता है।
सरकार (Government): सरकार वनवेश हेतु अनुकूल कारोबारी पठरवेश प्रदान करने में मदद कर
सांसाधनों के उवचत आवांटन में मदद करती है। युि, हमलों और सामावजक असांतल
ु न से वनवेश और
व्यावसावयक गवतवववधयाँ हतोत्सावहत होती हैं।
पहले एक उभयवनष्ठ मुिा (Common Currency) में पठरवर्थतत ककया जाता है। इसके वलए
वववनमय दरों का उपयोग करके मुिा को (उभयवनष्ठ मुिा में) रूपाांतठरत ककया जाता है। यह
वववनमय दर ववदेशी मुिाओं के सांबांध में राष्ट्रीय मुिा के मूल्य को व्यि करते हैं। उदाहरण के वलए,
यकद एक डॉलर का वववनमय दर 60 रूपया है तो 120 ठट्रवलयन रूपये के भारतीय GDP का मूल्य
लगभग 2 ठट्रवलयन डॉलर होगा।
अथथशािी दो प्रकार के वववनमय दरों का उल्लेख करते हैं: साांकेवतक वववनमय दर (Nominal
यकद US डॉलर और भारतीय रुपये के बीच वववनमय दर 60 रु. प्रवत डॉलर है, तो हम ववि
बाजार में 60 रु. के बदले एक डॉलर के बराबर ववदेशी मुिा का आदान-प्रदान कर सकते हैं। जब
लोग दो देशों के बीच ‘वववनमय दर’ का सांदभथ देते हैं, तो उनका अथथ आमतौर पर साांकेवतक
वववनमय दर से होता है।
वनधाथठरत होती है, जो स्टॉक एक्सचेंज माके ट के समान होती है। चालू कीमतों पर देशी मुिा
के इकाई मात्रा के बदले प्राप्य ककसी एक देश की ववदेशी मुिा की मात्रा को साांकेवतक
वववनमय दर कहते हैं।
वास्तववक वववनमय दर वस्तुतः दो देशों की वस्तुओं का सापेक्ष मूल्य होता है। यह वववनमय दर उस
दर को प्रदर्थशत करती है वजस पर हम एक देश की वस्तुओं का दूसरे देश की वस्तुओं के वलए
व्यापार कर सकते हैं। वास्तववक वववनमय दर को कभी-कभी व्यापार की शतें (Terms of
o वस्थर कीमतों पर देशी मुिा के इकाई मात्रा के बदले प्राप्य ककसी एक देश की ववदेशी मुिा की
मात्रा को वास्तववक वववनमय दर कहते हैं।
अब तक हमने वद्वपक्षीय वववनमय दरों पर चचाथ की है जो कक एक मुिा को दूसरी मुिा में पठरवर्थतत
करने की सुववधा प्रदान करते हैं। इसके अवतठरि एक अन्य अवधारणा प्रभावी वववनमय दर की भी
है जो अन्य ववववध मुिा समूह के साथ ककसी मुिा की सापेक्ष वस्थवत का वणथन करता है।
इस प्रकार जहाँ एक ओर, साांकेवतक प्रभावी वववनमय दर (Nominal Effective Exchange
Rate: NEER) भारत के प्रमुख व्यापाठरक भागीदार देशों की मुिाओं के सापेक्ष रुपये की
साांकेवतक वववनमय दर का भाठरत औसत मूल्य है; वहीं दूसरी ओर, वास्तववक प्रभावी वववनमय दर
(Real Effective Exchange Rate: REER) भारत के प्रमुख व्यापाठरक भागीदार देशों की
वनधाथठरत नहीं ककया जाता है। बवल्क, प्रत्येक एक एकल सांख्या है जो यह स्पष्ट करती है कक ववववध
मुिा समूह के सापेक्ष घरे लू मुिा के मूल्य के साथ क्या घठटत हो रहा है। यह मुिा के अलग-अलग
देशों के सापेक्ष प्रदशथन के बजाय मुिा के सम्पूणथ ववि के सापेक्ष प्रदशथन से सम्बांवधत कु छ सांदभथ या
बेंचमाकथ प्रदान करता है।
हालाँकक रुपए में आांकवलत भारतीय GDP को बाजार वनधाथठरत वववनमय दर का उपयोग कर
डॉलर में पठरवर्थतत ककया जा सकता है, परन्तु इस प्रकार के प्रयोग की अपनी सीमाएँ हैं। इस
प्रकार की बाजार वनधाथठरत वववनमय दर के वल वनयाथत और आयात पर फोकस करती है तथा घरे लू
स्तर पर उत्पाकदत एवां उपभोग की जाने वाली गैर - व्यापाठरक GDP (non-traded GDP) की
उपेक्षा करती है। ऐसी वस्थवत में, क्रय शवि समता (PPP) की अवधारणा का उपयोग ककया जाता
है।
क्रय शवि समता स्पष्ट करती है कक अांतरराष्ट्रीय स्तर पर बेची जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के
समूह को भारतीय मुिा की ककतनी मात्रा से खरीदा जा सकता है साथ ही वस्तुओं और सेवाओं के
इसी समूह को अमेठरका में ककतने डॉलर में खरीदा जा सकता है। इसवलए, बाजार वनधाथठरत
वलए PPP वववनमय दर पर यह समता 30 रुपये पर हो सकती है। इससे अांततः भारत के वलए
बाजार दर पर GDP की तुलना में PPP दरों पर GDP का अनुमान अवधक प्राप्त होता है।
भारत में GDP का आांकलन कें िीय साांवख्यकी कायाथलय (Central Statistical Office: CSO) द्वारा
ककया जाता है। ककसी देश की राष्ट्रीय आय का वनधाथरण वनम्नवलवखत तीन वववधयों से ककया जाता है:
मूल्य वधथन वववध (या उत्पाद वववध) {Value Added Method (or the Product
Method)}
आय वववध {Income Method}
व्यय वववध {Expenditure Method}
इनमें से ककस वववध को अपनाया जाए, यह आांकड़ों की उपलधधता एवां उद्देश्य पर वनभथर करता है।
मूल्य वधथन वववध या उत्पाद वववध के अांतगथत GDP की गणना बाजार मूल्य के आधार पर की जाती है,
जो कक उत्पादन के वववभन्न चरणों में उत्पाकदत उत्पादों का कु ल मूल्य होता है। ध्यान देने वाली बात यह
है कक इसमें मध्यवती वस्तुओं के स्थान पर अांवतम वस्तुओं के आधार पर गणना की जाती है, वजससे कक
दोहरी गणना से बचा जा सके ।
उत्पादन में सवम्मवलत कु छ वस्तुएँ एवां सेवाएँ वनम्नवलवखत हैं:
बाजार में ववक्रय की जाने वाली वस्तुएँ और सेवाएँ।
वे वस्तुएँ और सेवाएँ वजन्हें बेचा नहीं जाता है, अवपतु वजनकी वन:शुल्क आपूर्थत की जाती है।
एजेंटो द्वारा प्रदान की गयी सेवाएँ।
उदाहरण
इसे हम एक साइककल वववनमाथण इकाई द्वारा एक वषथ में उत्पाकदत साइककलों के कु ल मूल्य की
गणना कर समझ सकते हैं। साइककल के अांवतम मूल्य की गणना (उत्पाकदत इकाईयों की कु ल सांख्या से
गुणा करके ) करने हेतु के वल उन साइककलों पर ही ववचार ककया जायेगा जो बाजार में वबक्री के वलए
उपलधध हैं, अथाथत् मध्यवती वस्तुओं, जो वववनमाथण की प्रकक्रया में उपयोग ककए जाते हैं, उनकी
लागत की गणना नहीं की जाएगी, अन्यथा दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न हो जाएगी।
मान लीवजए कक एक साइककल का बाजार मूल्य 2000 रू० है, जबकक इसकी वववनमाथण लागत
1800 रू० है तथा इसमें 200 रू० का लाभ मार्थजन सवम्मवलत है। इस 1800 रू० में साइककल के
सभी घटकों एवां भागों (ये मध्यवती वस्तुएँ हैं जो उत्पादन की प्रकक्रया में प्रयुि की जाती हैं) की
लागत भी सवम्मवलत हैं।
वजन वस्तुओं एवां सेवाओं को उत्पादन में सवम्मवलत नहीं ककया जाता है, उनमें में से कु छ वनम्नवलवखत
हैं::
पुरानी वस्तुएँ (Second hand items) तथा उनकी खरीद-वबक्री को इसमें शावमल नहीं करते हैं।
उदाहरण के वलए, पुराने कारों की खरीद-वबक्री को GDP की गणना में शावमल नहीं करते हैं
क्योंकक यह अथथव्यवस्था में नए उत्पादन का सूचक नहीं है।
नयी या पुरानी वस्तुयें जो उस वषथ में उत्पाकदत नहीं हैं वजसमें हम राष्ट्रीय आय की गणना कर रहे
हैं।
ववत्तीय सौदे, शेयर, ऋणपत्र आकद का क्रय-ववक्रय चाहे ये शेयर या ऋणपत्र राष्ट्रीय आय लेखाांकन
वाले वषथ में ही वनगथवमत क्यों न हों, क्योंकक इनके फलस्वरूप राष्ट्रीय उत्पाद पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव
नहीं पड़ता।
हस्तान्तरण भुगतान जैसे - वृिावस्था पेन्शन, बेरोजगारी भत्ता, बच्चे को कदया गया जेब खचथ,
वनवावसयों को भोजन कराने पर व्यय आकद, जो वबना ककसी सेवा के कदए जाते हैं।
पूांजीगत लाभ या हावन, अप्रत्यावशत लाभ (Windfall Profit)।
ववदेशों से प्राप्त उपहार।
एक फै क्ट्री का वबजली खचथ, वैज्ञावनक खोजों में प्रयोग की जाने वाली वस्तुयें, एक होटल द्वारा
खरीदी गयी सवधजयाँ तथा अन्य खाद्य, रायल्टी के रूप में ककया गया भुगतान क्योंकक ये मध्यवती
भुगतान हैं।
एक पठरवार द्वारा अवकाश में अपने बगीचे में उत्पाकदत सवधजयाँ तथा फल, ककसी फमथ द्वारा रखे
गये स्टाक की कीमतों में वृवि।
एक फमथ द्वारा दूसरी फमथ को कदया जाने वाला लाभाांश (dividend)।
सेवा वनवृवत्त पेंशन को राष्ट्रीय आय में शावमल नहीं ककया जाता क्योंकक राष्ट्रीय आय की पठरभाषा
के अनुसार यह ककसी वषथ ववशेष में उत्पाकदत अांवतम वस्तुओं एवां सेवाओं का योग होती है। चूांकक
व्यवि सेवा वनवृवत्त के बाद राष्ट्रीय उत्पादन में योगदान नहीं करता तथा इसके कारण चालू
उत्पादन में ककसी भी प्रकार की वृवि नहीं होती। अतः उसको प्राप्त आय हस्ताांतरण आय
(Transfer earning) होगी। ध्यातव्य है कक हस्ताांतरण आय को राष्ट्रीय आय गणना में शावमल
नहीं ककया जाता क्योंकक उसे जो भी प्राप्त होता है। वह पूवथ वषों में की गयी सेवाओं, वजनके मूल्यों
को उन सम्बवन्धत वषों में जोड़ा गया होगा, के वलए होगी। अवकाश प्राप्त करने पर जो पेंशन वमल
रही है वह पेशन वाले वषथ में की गयी ककसी सेवा के कारण नहीं।
वृिावस्था पेंशन (old age pension) जो गरीब वृिों को दी जाती है, वह भी इसी श्रेणी में आने
वाली हस्ताांतरण आय है।
सेवावनवृवत्त होने पर बहुत सेवाओं में कु छ महीने का वेतन एक मुश्त ग्रैच्युटी (Gratiuity) के रूप
में प्राप्त होता है। वह सेवा के वलए प्रवतफल हैं इसवलए वजस वषथ प्राप्त होगी उस वषथ राष्ट्रीय आय में
जोड़ी जायेगी।
यह पिवत फमों द्वारा पठरवारों को ककए गए कु ल भुगतानों के योग पर कें कित है, वजन्हें साधन
भुगतान कहा जाता है। यह राष्ट्रीय आय का मापक है। राष्ट्रीय आय से आशय एक देश के वनवावसयों
और व्यवसायों द्वारा अर्थजत कु ल आय से है।
उत्पादन के साधन चार प्रकार के होते हैं तथा साधन आय भी चार प्रकार की होती हैं। भूवम, श्रम,
पूांजी और सांगिन (Land, Labour, Capital and Organization) उत्पादन के चार साधन हैं
तथा लगान, मजदूरी, धयाज और लाभ (Rent, Wages, Interest and Profit) साधन आय के
प्रकार हैं।
इस आय में अप्रत्यक्ष करों एवां मूल्यह्रास को जोड़ने तथा सवधसडी को घटाने पर GDP प्राप्त होती
है।
GDP = मजदूरी+ धयाज + लगान+ लाभ + लाभाांश + अप्रत्यक्ष कर - सवधसडी + मूल्यह्रास
‘लाभ’ को आगे लाभ कर (प्रॉकफट टैक्स), सभी शेयरधारकों को प्रदत्त लाभाांश और प्रवतधाठरत
लाभ/आय (retained profit/earnings) में उपववभावजत ककया जा सकता है।
अथथव्यवस्था में सेवा क्षेत्रक के योगदान की गणना करने के वलए भारत में इस प्रकार की पिवत को
अपनाया गया है।
ऐसी कोई भी आय वजसके कारण वस्तुओं एवां सेवाओं का प्रवाह नहीं होता है या मूल्य वधथन नहीं
होता है, उसे आय वववध की गणना में सवम्मवलत नहीं ककया जाता है।
GDP को ककसी अथथव्यवस्था में उत्पाकदत अन्त्य वस्तुओं एवां सेवाओं पर ककए गए कु ल व्यय के
रूप में भी देखा जा सकता है। ककसी अथथव्यवस्था में तीन मुख्य एजेंवसयाँ - पठरवार, फमथ और
सरकार होती हैं। ये एजेंवसयाँ वस्तुओं एवां सेवाओं का क्रय करती है।
इस कु ल व्यय को वनम्नवलवखत चार वगों में ववभि ककया जा सकता है:
1. उपभोग (Consumption) (C): घरे लू बाजार में उपभोिा पठरवारों द्वारा ककए गए व्यय को
वनजी उपभोग कहते हैं। यह व्यय उपभोिा पठरवारों द्वारा वस्तुओं एवां सेवाओं का उत्पादन करने
वाली फमों को भुगतान के रूप में ककया जाता है।
2. वनवेश व्यय (Investment Expenditure) (I): वनवेश से आशय एक वनवित अववध में एक
अथथव्यवस्था के पूज
ां ीगत स्टॉक में हुई वृवि से है। इसमें फमों एवां सरकारी क्षेत्रकों द्वारा ककए गए
वनवेश सवम्मवलत हैं।
3. सरकारी व्यय (Government Expenditure) (G): इस वगथ में सरकार द्वारा वस्तुओं एवां
सेवाओं की खरीद पर ककए गए व्यय को सवम्मवलत ककया जाता है। पेंशन योजनाओं, छात्रवृवत्तयों
एवां बेरोजगारी भत्तों आकद को सरकारी व्यय में सवम्मवलत नहीं ककया जाता है क्योंकक ये व्यय
हस्ताांतरण भुगतानों के अांतगथत आते हैं।
4. वनवल वनयाथत (X-IM): ववदेश में वनर्थमत उत्पादों (आयात) पर व्यय से पूज
ां ी का बवहप्रथवाह होता
है, अत: इस व्यय को कु ल व्यय में से घटा कदया जाता है। इसके ववपरीत घरे लू फमों द्वारा उत्पाकदत
वस्तुओं के ववदेशों में वनयाथत से प्राप्त पूज
ां ी को कु ल व्यय में जोड़ा जाता है। इन दोनों के सांयोजन से
वनवल वनयाथत प्राप्त होता है।
GDP = C + I + G + (X – IM)
प्रत्येक पिवत अथथव्यवस्था पर एक वववशष्ट दृवष्टकोण प्रदान करती है। हालाांकक, राष्ट्रीय आय
लेखाांकन को आधार प्रदान करने वाले मूल वसिाांत के अनुसार तीनों पिवतयाँ वतथमान आर्थथक
गवतवववध की कु ल रावश का एक समान मान प्रस्तुत करती हैं।
वनम्न उदाहरण की सहायता से यह स्पष्ट ककया जा सकता है कक तीनों पिवतयाँ ककस प्रकार समान
हैं:
कल्पना कीवजए कक एक अथथव्यवस्था में के वल दो व्यवसाय: खन्ना फ्रूट्स और शमाथ जूस ही
ववद्यमान हैं। खन्ना फ्रूट्स सांतरे के बगीचों का मावलक है। यह अपने बगीचे के कु छ सांतरों को सीधे
लोगों को बेचता है तथा शेष सांतरे शमाथ जूस को बेचता है। शमाथ जूस, सांतरे के जूस के उत्पादन और
वबक्री में सांलग्न है। वनम्न तावलका दोनों व्यवसायों के एक वषथ के लेनदेन को दशाथती है।
खन्ना फ्रूट्स
खन्ना फ्रूट्स के कमथचाठरयों का वेतन रू० 15,000
सरकार को चुकाया गया कर रू० 5,000
सांतरे की वबक्री से प्राप्त राजस्व रू० 35,000
लोगों को बेचे गये सांतरे रू० 10,000
शमाथ जूस को बेचे गये सांतरे रू० 25,000
शमाथ जूस
शमाथ जूस के कमथचाठरयों को कदया गया वेतन रू० 10,000
सरकार को चुकाया गया कर रू० 2,000
खन्ना फ्रूट्स से प्राप्त सांतरों का मूल्य रू० 25,000
जूस की वबक्री से प्राप्त राजस्व रू० 40,000
5.5. GDP अवस्फीतक एवां आधार वषथ (GDP Deflator & Base Year)
GDP अवस्फीतक
यह मुिास्फीवत को व्यापक रूप से मापने वाला मूल्य सूचकाांक है। यह मौकिक या चालू मूल्य पर GDP
का वास्तववक या वस्थर मूल्य पर GDP के साथ अनुपात को दशाथता है। 1996 से GDP अवस्फीतक
को त्रैमावसक आधार पर प्रकावशत ककया जाता है। इसका कारण यह है कक अथथशािी वास्तववक मूल्य
अनुमानों को प्राप्त करने एवां साांकेवतक मूल्यों के प्रभाव को कम करने के वलए WPI या CPI के उपयोग
को वरीयता देते हैं।
चालू मूल्यों पर प्रदर्थशत GNP को वस्थर मूल्यों पर प्राप्त करने के वलये अवस्फीतक (deflator) का
उपयोग ककया जाता है।
अवस्फीतक एक मूल्य सूचकाांक है जो मूल्य में पठरवतथन के कारण GNP या GDP के मौकिक मूल्य
में होने वाले पठरवतथनों को िीक करने के वलए प्रयोग में लगाया जाता है। इसे मौकिक GDP को
वास्तववक GDP या मौकिक GNP को वास्तववक GNP में भाग देकर प्राप्त ककया जा सकता है, जो
वनम्न है:
GNP अवस्फीतक = मौकिक या चालू मूल्य पर GNP / वास्तववक या वस्थर मूल्य पर GNP X
100
GDP अवस्फीतक = मौकिक या चालू मूल्य पर GDP / वास्तववक या वस्थर मूल्य पर GDP X
100
आधार वषथ:
GNP/GDP की गणना को सरल बनाने हेतु अथथशािी वास्तववक GNP/GDP की गणना के
दौरान एक मूल्य सूचकाांक का उपयोग करते हैं। यह मूल्य सूचकाांक वस्तुतः एक सांख्या होती है, जो
सभी स्तरों पर मूल्यों में हुए पठरवतथन को प्रदर्थशत करती है।
यह ककसी अथथव्यवस्था के मूल्य स्तर में हुए सामान्य पठरवतथन को दशाथता है। आधार वषथ वस्तुतः
एक सूचकाांक के वनमाथण के वलए सांदभथ वषथ के रूप में प्रयुि ककया जाने वाला वषथ होता है, तथा
आमतौर पर इसे 100 मान वलया जाता है।
हाल ही में भारत सरकार ने राष्ट्रीय लेखा की गणना करने के वलए आधार वषथ 2004-05 से
बदलकर वषथ 2011-12 कर कदया। आधार वषथ के चयन के वलए वनम्नवलवखत आधार हैं:
o समवष्ट आर्थथक मानदांडों की वस्थरता: यह एक सामान्य वषथ होना चावहए वजसमे उत्पादन,
व्यापार और वस्तुओ एवां सेवाओं के मूल्यों में अत्यवधक पठरवतथन न हो।
o आांकड़ों की उपलधधता: इस वषथ से सम्बांवधत उपलधध आकड़ें वविसनीय होने चावहए।
o तुलनात्म्कता: आधार वषथ ऐसा होना चावहए कक दोनों ही वषों के वलये एक समान मानदांडों
उपयोग ककया जा सके । इसवलए यह हाल ही का कोई वषथ होना चावहए, अवधक पुराना नहीं
होना चावहए।
राष्ट्रीय आय की गणना करते समय अथथशावियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं, उनमें से
कु छ वनम्नवलवखत हैं:
लेनदेन का गैर-मौकिकरण (Non-Monetization of Transactions): राष्ट्रीय आय की गणना के
दौरान आम तौर पर यह माना जाता है कक वस्तुओं या सेवाओं का आदान-प्रदान मुिा के वलए
ककया जाता है। लेककन भारत में ववशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, बड़ी सांख्या में आर्थथक लेनदेन वस्तु
वववनमय के रूप में होते हैं। GDP अनुमानों में इस प्रकार की गवतवववधयों का मापन करना अत्यांत
कठिन होता है, क्योंकक इसके पठरणामस्वरूप GDP का मान वास्तववक स्तर की तुलना में कम
प्राप्त होता है।
ककया जा रहा है। इससे पहले, सांवृवि दर का मापन वस्थर मूल्यों पर साधन लागत के रूप में ककया
जाता था।
सकल मूल्य वधथन (GVA) के क्षेत्रवार अनुमान अब साधन लागत के स्थान पर आधार मूल्यों पर
प्रस्तुत ककए जाएांगे।
अब MCA21 डेटाबेस का भी उपयोग ककया जाएगा। यह कॉपोरे ट मामलों के मांत्रालय के तहत
दायर ककया गया कां पवनयों का वार्थषक लेखा है। यह कॉपोरे ट क्षेत्र के कवरे ज को वववनमाथण और
सेवा क्षेत्रों तक ववस्तृत करे गा। इसके अवतठरि वववनमाथण कां पवनयों के वलए वनर्थमत यह डेटाबेस
इन कां पवनयों द्वारा वववनमाथण के अवतठरि की गई अन्य गवतवववधयों का वववरण प्रस्तुत करने में
भी सहायक होगा।
स्टॉक िोकर, स्टॉक एक्सचेंजों, पठरसांपवत्त प्रबांधन कां पवनयों, म्यूचुअल फां ड एवां पेंशन फां ड तथा
SEBI, PFRDA और IRDA जैसे वनयामक वनकायों के खातों से सांबांवधत जानकारी सवम्मवलत
करके ववत्तीय क्षेत्र का व्यापक कवरे ज।
स्थानीय वनकायों और स्वायत्त सांस्थाओं की गवतवववधयों का बेहतर कवरे ज, साथ ही इन सांस्थानों
यह कु ल उत्पादन में से मध्यवती उपभोग के मूल्य को घटाने पर प्राप्त अांवतम उत्पादन मूल्य होता
है। मूल्य वधथन, उत्पादन प्रकक्रया में श्रम एवां पूांजी के योगदान को प्रदर्थशत करता है। आधार मूल्य
पर GVA में उत्पादन कर (Production Tax) को सवम्मवलत ककया जाता हैं तथा वस्तु पर प्रदान
की गयी उत्पादन सवधसडी को सवम्मवलत नहीं ककया जाता है।
सवधसडी को सवम्मवलत नहीं ककया जाता है। बाजार मूल्य पर GDP में उत्पादन तथा उत्पाद कर
सवम्मवलत ककए जाते हैं तथा उत्पादन एवां उत्पाद सवधसडी को सवम्मवलत नहीं ककया जाता है।
जब उत्पाद करों के मूल्यों (उत्पादों पर प्रदत्त सवधसडी को घटाया जाता है) को जोड़ा जाता है, तो
सभी वनवावसयों का मूल्य वधथन का यह योग GDP का मूल्य प्रदान करता है।
उपयुथि अवधारणा को वनम्नवलवखत समीकरणों के रूप में सांक्षेप में प्रस्तुत ककया जाता है:
आधार मूल्य पर GVA = CE + OS/ MI + CFC + उत्पादन कर - उत्पादन सवधसडी
कायथ पूणथ होने पर वनयोिाओं द्वारा कमथचाठरयों को दी जाने वाले कु ल सकल (कर से पहले) वेतन
को प्रदर्थशत करता है।
पठरचालन अवधशेष (Operating Surplus: OS): यह श्रम आगत लागतों का भुगतान करने के
पिात् उद्यम द्वारा उत्पन्न अवतठरि रावश को प्रदर्थशत करता है। यह अपने ऋणदाताओं को
पुनभुथगतान करने, कर अदायगी करने तथा अांततः अपने वनवेश के सभी भागों का ववत्तपोषण करने
यह लघु घरे लू व्यवसायों (जैसे: कृ वष और खुदरा दुकानें या स्व-वनयोवजत टैक्सी चालक आकद) जैसे
अवनगवमत उद्यमों पर लागू होता है।
ां ी का उपभोग (Consumption of Fixed Capital: CFC): यह ववचाराधीन अववध
वस्थर पूज
के दौरान उपयोग में ली गई वस्थर पठरसम्पवत्तयों की मात्रा को प्रदर्थशत करता है। यह अवधारणा
मूल्यह्रास से वभन्न है, चूांकक मूल्यह्रास के ववपरीत इसका मापन प्रारां वभक मूल्य पर नहीं ककया जाता
उत्पादन के सांबांध में क्रमश: भुगतान ककया जाता है या इन्हें प्राप्त ककया जाता है। ये वास्तववक
उत्पादन की मात्रा से स्वतांत्र होते हैं। भू-राजस्व, स्टाम्प और व्यवसाय पर टैक्स आकद उत्पादन कर
के कु छ उदाहरण हैं। रे लवे को प्रदत्त सवधसडी, ककसानों को प्रदत्त आगत सवधसडी आकद उत्पादन
प्रवत इकाई पर क्रमशः भुगतान ककया जाता है या प्राप्त ककया जाता है। उत्पाद कर, वबक्री कर,
सेवा कर और आयात और वनयाथत शुल्क आकद उत्पाद करों के कु छ उदाहरण हैं । उत्पाद सवधसडी में
भोजन, पेट्रोवलयम और उवथरक सवधसडी सवम्मवलत है।
परां परागत रूप से, आर्थथक सांवृवि को देश के नागठरकों के जीवन स्तर में सुधार के मापन की
प्रकक्रया के रूप में पठरभावषत ककया जाता है। आर्थथक सांवृवि की गणना वषथ दर वषथ GDP में हुई
वृवि के रूप में की जाती है।
हालाांकक, उच्च सांवृवि की प्रावप्त- यहाँ तक कक उच्च स्तर की सांधारणीय सांवृवि की प्रावप्त का अनुमान
आर्थथक सांवृवि से लोगों के जीवन एवां स्वतांत्रता पर अांततः पड़ने वाले प्रभाव के रूप में लगाया
जाता है। यह ध्यान देने योग्य बात है कक वववभन्न देशों में आर्थथक सांवृवि लोगों के बेहतर जीवन
स्तर के रूप में रूपाांतठरत नहीं होती है।
इसके अच्छे उदाहरण के रूप में भारत को वलया जा सकता है। भारत में वपछले दो दशकों में तीव्र
आर्थथक सांवृवि देखी गयी है। लेककन, तीव्र वृवि की इस अववध में ववशेष रूप से ववशेषावधकार
प्राप्त वगों में से कु छ लोगों के जीवन स्तर की गुणवत्ता में वृवि देखी गयी हैं, जबकक अवधसांख्यक
लोगों के जीवन स्तर में पहले से भी अवधक वगरावट आयी है।
ऐसा नहीं है कक लोगों के जीवन वनवाथह की पठरवस्थवतयों में कोई सुधार नहीं है, परन्तु अवधकाांश
लोगों के वलए सुधार की यह गवत अत्यांत धीमी रही है तथा कु छ लोगों के वलए अत्यांत ही कम
पठरवतथन हुए हैं। यद्यवप भारत में आर्थथक सांवृवि दर में तीव्र वृवि देखी गई है, तथावप आर्थथक
सांवृवि के सांदभथ की तुलना में कई देशों के जीवन स्तर के सामावजक सांकेतकों के पैमाने पर काफी
पीछे है।
उदाहरण के वलए, वपछले दो दशकों में बाांग्लादेश की प्रवत व्यवि औसत आय के सांदभथ में भारत में
प्रवत व्यवि औसत आय में बढ़ोतरी हुई है। परन्तु जीवन स्तर के कई वववशष्ट सांकेतकों के सांदभथ में
(प्रवत व्यवि औसत आय के अवतठरि) बाांग्लादेश का स्तर न के वल भारत की तुलना में बेहतर है,
बवल्क इससे काफी आगे भी है (जैसा कक दो दशक पहले भारत इन्ही सूचकों में बाांग्लादेश से आगे
था)।
एक अन्य वववशष्ट उदाहरण खाड़ी देशों का है। खाड़ी देशों में भी तीव्र आर्थथक सांवृवि देखी गई है
परन्तु ववकास सांकेतकों के सन्दभथ में इन देशों का प्रदशथन अत्यांत वनराशाजनक रहा है।
अत: वतथमान में वववभन्न अथथशािी आर्थथक ववकास को ववि में प्रचवलत आर्थथक सांवृवि की
पठरभाषा से वभन्न प्रकार से पठरभावषत करते हैं। अथथशावियों के अनुसार ववकास, अथथव्यवस्था में
जीवन की गुणवत्ता को दशाथता है। जीवन की गुणवत्ता वनम्नवलवखत जैसे वववभन्न चरों की
उपलधधता के अनुरूप प्रदर्थशत होती है:
o पोषण का स्तर
o वचककत्सालयों, दवाइयों, सुरवक्षत पेयजल, टीकाकरण, स्वच्छता आकद स्वास््य सेवा सांबांधी
सुववधाओं तक पहुँच एवां इन सुववधाओं का ववस्तार
o वशक्षा का स्तर आकद
उपयुथि चचाथ से यह स्पष्ट है कक वतथमान में अथथशावियों के अनुसार यह आवश्यक नहीं है कक उच्च
आर्थथक सांवृवि सदैव उच्च आर्थथक ववकास में पठरवर्थतत हो। परन्तु साथ ही आर्थथक ववकास और
आर्थथक सांवृवि साथ-साथ चलते हैं, आर्थथक ववकास के वलए सांववृ ि और आर्थथक सांवृवि के वलए
ववकास आवश्यक है।
जब ‘सांवृवि’ शधद का उपयोग ककया जाता है तो इससे आशय कु छ मापदांडों में पठरमाणात्मक वृवि
से है तथा जब ववकास शधद का उपयोग ककया जाता है तो इससे आशय पठरमाणात्मक के साथ-
साथ गुणात्मक प्रगवत से होता है।
यकद ववकास के वलए आर्थथक सांवृवि का उवचत उपयोग ककया जाता है, तो इससे सांवृवि में तीव्र
बढ़ोतरी होती है और अांततः उस क्षेत्र में वनवास करने वाली जनसांख्या का ववकास होता है। इसी
प्रकार उच्च सांवृवि और वनम्न ववकास के पठरणामस्वरूप अांततः सांवृवि में वगरावट आती है। इस
प्रकार सांवृवि और ववकास के बीच चक्रीय सांबांध है।
लैंवगक ववषमता का मापक नहीं: हाल के वषों में लैंवगक ववषमता के मापन हेतु एक GII या लैंवगक
ववषमता सूचकाांक तैयार ककया गया है।
सांववृ ि की सांधारणीयता का मापन नहीं करता: ककसी देश में आर्थथक सांवृवि, प्राकृ वतक सांसाधनों
का अत्यवधक दोहन करने के पठरणामस्वरूप भी हो सकती है।
वनधथनों की वस्थवत प्रस्तुत नहीं की जाती है: उदाहरण के तौर पर, यद्यवप वपछले एक दशक में
भारतीय अथथव्यवस्था की वृवि दर 7-8% से अवधक रही, तथावप खाद्य मुिास्फीवत उच्चतम स्तर
पर थी वजसने समाज के वनधथनतम वगथ को प्रभाववत ककया।
GDP द्वारा आर्थथक ववषमता को प्रकट नहीं ककया जाता है: GDP आर्थथक ववषमता को प्रकट नहीं
करता है, जो कक आर्थथक ववकास को प्रवतकू ल रूप से प्रभाववत करती है। वपछले दो दशकों में
भारत में आय ववषमता दोगुनी हो गई है, जबकक इस समयाववध में GDP वृवि दरें भी अपने
उच्चतम स्तर पर थी।
अन्य अमूतथ पक्षों के मापन में असफल: GDP जीवन स्तर की गुणवत्ता, अवकाश का समय आकद
जैसे अमूतथ पक्षों का मूल्याांकन नहीं करता है। जबकक आर्थथक सांववृ ि द्वारा प्रदत्त भौवतक वस्तुओं के
अवतठरि अन्य कई अमूतथ पक्ष हैं वजनसे जीवन की गुणवत्ता का वनधाथरण ककया जाता है।
उपयुथि कारणों के वजह से, कई अथथशावियों ने GDP को प्रवतस्थावपत करके कु छ अन्य सूचकाांकों
को सवम्मवलत करने का सुझाव कदया है। इन सूचकाांकों में GDP से सम्बांवधत उपयुथि सीमाओं को
ध्यान में रखा जाता है तथा इन सूचकाांकों में HDI, HPI (मानव गरीबी सूचकाांक), GNH (ग्रॉस
नेशनल हैप्पीनेस इां डक्
े स), ग्रीन GDP आकद सवम्मवलत हैं।
सांयुि राष्ट्र ववकास कायथक्रम (UNDP) ने 1990 में अपनी प्रथम मानव ववकास ठरपोटथ (HDI) प्रकावशत
की थी। इस ठरपोटथ में HDI के बारे में बात की गयी। HDI, ववकास के स्तर को पठरभावषत करने और
मापने का प्रथम प्रयास था। यह सूचकाांक दीघाथय,ु ज्ञान और बेहतर जीवन स्तर के मापन पर फोकस
करता है।
GII एक ववषमता सूचकाांक है। यह दो आयामों: सशिीकरण एवां आर्थथक वस्थवत में मवहलाओं
और पुरुषों कीं उपलवधधयों के मध्य ववद्यमान असमानता के कारण सांभाववत मानव ववकास में
होने वाली कमी को दशाथता है।
साथ ही GII मवहला स्वास््य के प्रमुख आयाम के मानक आदशों के सापेक्ष ककसी देश की
वस्थवत को प्रदर्थशत करता है। कु ल वमलाकर GII प्रवतबबवबत करता है कक इन आयामों में
मवहलाओं की वस्थवत ककतनी प्रवतकू ल है।
पूणथ लैंवगक समानता ककसी देश में नहीं है - इसवलए जब लैंवगक ववषमता को ध्यान में रखा
जाता है तो सभी देशों के मानव ववकास के प्रमुख पहलुओं की उपलवधधयों में कु छ कमी आती
है। GII का ववस्तार 0 और 1 के मध्य होता है तथा GII के उच्चतर मान ववषमता के उच्च स्तर
को दशाथते हैं।
GDI मानव ववकास के तीन बुवनयादी आयामों में पुरुषों और मवहलाओं की उपलवधधयों के मध्य व्याप्त
अांतर को मापता है:
स्वास््य, इसका मापन जन्म के समय मवहला और पुरुष की जीवन प्रत्याशा के आधार पर ककया
जाता है;
वशक्षा, इसका मापन बालक एवां बावलकाओं के स्कू ल अववध के अनुमावनत वषों तथा 25 वषथ एवां
इससे अवधक आयु के पुरुषों एवां मवहलाओं द्वारा स्कू ल में व्यतीत ककये गए औसत वषों द्वारा ककया
जाता हैं, तथा
MPI पठरवार एवां व्यविगत स्तर पर स्वास््य, वशक्षा और जीवन स्तर में ववद्यमान वववभन्न वांचनाओं
की पहचान करता है। MPI आय आधाठरत वनधथनता मापकों को एक अत्यांत महत्वपूणथ पूरकता प्रदान
करता है।
IHDI ककसी देश की के वल स्वास््य, वशक्षा और आय की औसत उपलवधधयों को ही ध्यान में नहीं रखता
यह आर्थथक सांवृवि का एक सूचकाांक है, वजसके अांतगथत सांवृवि की प्रकक्रया के तहत पयाथवरणीय
पठरणामों को भी सवम्मवलत ककया जाता है। उत्पाकदत वस्तुओं एवां सेवाओं के अांवतम मूल्य में से
पयाथवरणीय वनम्नीकरण/अवनयन की लागत को घटाने पर ग्रीन GDP प्राप्त होती है।
अथाथत् इसके अांतगथत आर्थथक ववकास की पयाथवरणीय लागतों या बह्याताओं (externalities) को
वस्तुओं एवां सेवाओं के अांवतम मूल्य में से घटाया जाता हैं।
2009 में भारत सरकार ने ‘ग्रीन GDP’ के आांकड़ों को प्रकट करने की घोषणा की थी। देश की
आर्थथक सांवृवि के आांकड़ों में प्राकृ वतक सांसाधनों के ह्रास एवां वनम्नीकरण की पयाथवरणीय लागत की
स्पष्ट रूप से चचाथ की जाएगी। तत्पिात्, साांवख्यकी एवां कायथक्रम कक्रयान्वयन मांत्रालय ने 2011 में
पाथथ दासगुप्ता की अध्यक्षता में एक ववशेषज्ञ समूह का गिन ककया। इस ववशेषज्ञ समूह का उद्देश्य
भारत में ग्रीन नेशनल एकाउां ट्स के वलए एक फ्रेमवकथ तैयार करना है। हालाँकक यह प्रकक्रया अभी
तक पूणथ नहीं हुई है।
ववि के अवधकाांश देश अपने GDP आांकड़ों में कमी के कारण के नाखुश हैं, वहीं एक छोटा सा राष्ट्र
भूटान इसके ववपरीत कदशा में अग्रसर है। भूटान के अवधकाठरयों ने ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस (GNH)
नामक एक वववशष्ट सूचकाांक तैयार ककया है। भूटान के प्रवसि पूवथ राजा वजग्मे बसग्ये वाांगचुक ने
1972 में ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस की अवधारणा की पठरकल्पना की थी तथा 2008 में भूटान ने
GDP का ववश्लेषण करना शुरू ककया। यद्यवप बेरोजगारी, कृ वष, खुदरा वबक्री आकद जैसे उत्पादन
के कारक अभी भी ववद्यमान हैं परन्तु GNH शेष ववि की तुलना में भूटानी समाज में अत्यवधक
खुशहाली को प्रदर्थशत करता है। खुशहाली भूटानी समाज के वलए सवाथवधक महत्वपूणथ है। सांक्षप
े में,
खुशहाली मायने रखती है धन का सांग्रहण नहीं। GNH में वनम्नवलवखत मापदांडों का उपयोग ककया
जाता है:
o सांधारणीय और समावेशी सामावजक आर्थथक ववकास
o सुशासन
o प्राकृ वतक पयाथवरण का सांरक्षण
o साांस्कृ वतक मूल्यों का सांरक्षण एवां सांवधथन
HPI ककसी देश में के वल वनधथनता के मापन पर के वन्ित है। यह सूचकाांक सांयुि राष्ट्र द्वारा
ववकवसत ककया गया है। HPI के वलए दीघाथयु में वांचनाओं का मापन जन्म के समय 40 वषो तक
जीववत नहीं रहने की सांभावना द्वारा ककया जाता है; वशक्षा में वांचनाओं का मापन वनरक्षर वयस्कों
के प्रवतशत द्वारा ककया जाता है; जीवन स्तर के मानक के रूप में वांचनाओं को दो चरों से मापा
जाता है: एक बेहतर जल स्रोत तक स्थायी पहुांच नहीं रखने वाले लोगों का प्रवतशत और दूसरा
पाांच वषथ से कम उम्र के सामान्य से कम वजन वाले बच्चों का प्रवतशत है।
करता है, न कक औसत राष्ट्रीय उपलवधध पर। मानव वनधथनता सूचकाांक, औसतन राष्ट्रीय उपलवधध
से एक अत्यांत वभन्न तस्वीर पेश करते हुए वांचनाओं में जीवन यापन करने वाले लोगों की सांख्या
पर प्रत्यक्ष रूप से ध्यान कें कित करते हैं।
नोट: वतथमान में HPI को बहुआयामी वनधथनता सूचकाांक (Multidimensional Poverty Index:
MPI) द्वारा प्रवतस्थावपत कर कदया गया है।
GDP चालू आय का मापन करता है, जबकक GPI को उस आय की वस्थरता का मापन करने के
वलए तैयार ककया गया है। GPI में भी GDP के समान ही व्यविगत उपभोग आांकड़ों का उपयोग
ककया जाता है लेककन इसमें आय ववषमता, अपराध के कारण हुई क्षवत, पयाथवरणीय वनम्नीकरण,
अवकाश से हुई हावन को घटाया जाता है तथा उपभोिा ठटकाऊ वस्तुओं एवां सावथजवनक
अवसांरचना की सेवाओं एवां घरे लू कायों द्वारा प्राप्त लाभों को जोड़ा जाता है।
GPI, प्राकृ वतक एवां सामावजक पूांजी में कमी करने वाली आर्थथक गवतवववधयों और वृवि करने
वाली गवतवववधयों के मध्य अांतर स्पष्ट करता है। इस प्रकार GPI और इसके चरों द्वारा के वल
आर्थथक गवतवववधयों का ही मापन नहीं ककया जाता है बवल्क सांधारणीय आर्थथक ववकास को भी
मापा जाता है। अतः GPI, GDP की तुलना में सांधारणीय ववकास के मापन में बेहतर है। 1995
से इसके महत्व में वृवि हुई है तथा सांयुि राज्य अमेठरका और कनाडा में GPI का उपयोग ककया
जाता है।
भारतीय ऄथथव्यवस्था
2. मुद्रा एवं बैंककग
1.6. भारत में मुद्रा की अपूर्तत को प्रभाववत करने वाले कारक _______________________________________________ 11
2.4. बैंक बनाम गैर-बैंककग ववत्तीय कं पवनयां (Banks v/s Non-Banking Financial Companies: NBFCS) _________ 28
2.4.1. गैर-बैंककग ववत्तीय कं पवनयां (NBFCs) क्या हैं ? ___________________________________________________ 28
2.4.2. NBFC का वववनयमन _______________________________________________________________________ 29
2.4.3. NBFCs का बढ़ता प्रभाव और वववनयामकीय समस्याएँ ______________________________________________ 31
2.4.4. ईषा थोराट सवमवत की ररपोटथ _________________________________________________________________ 31
2.4.5. RBI द्वारा NBFCs के वलये ईठाए गए अवश्यक कदम ______________________________________________ 32
यद्यवप सोना और चांदी जैसी मूल्यवान धातुं ने कइ वषषों तक भली-भांवत प्रकार से मुद्रा के
ऄपेवक्षत कायषों की पूर्तत की तथा साथ ही भौवतक ईत्पादों को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने की
तुलना में सोने के वसक्के ले जाना सरल भी होता था, परं तु कइ मायने में यह व्यापार संचावलत करने
था। यह प्रक्रिया तब अरं भ हुइ जब लोग स्वणथकारों (goldsmiths) के पास ऄपना ऄवतररि सोना
रखने लगे। वे लोगों के जमा सोने को ऄपने पास रखते थे। बदले में स्वणथकार जमाकताथं को एक
रसीद देते थे। रसीद में यह ईल्लेख होता था क्रक ईन्होंने क्रकतना सोना जमा क्रकया है। ऄंततः
वस्तुं के िे तां द्वारा वस्तुं के वविे तां को सोने का भौवतक हस्तांतरण क्रकए जाने की बजाय
वस्तुं और सेवां के बदले आन रसीदों का सीधे व्यापार (लेन-देन) क्रकया जाने लगा।
िे ता और वविे ता, दोनों को स्वणथकार पर ववश्वास करना पड़ता था क्योंक्रक सारा सोना स्वणथकार
के पास जमा होता था और स्वणथकार के ग्राहकों के पास के वल कागज की एक रसीद होती थी। ये
जमा रसीदें, लोगों की मांग पर सोने की एक वनवित मात्रा का भुगतान करने के वादे का प्रतीक
होती थीं। आसवलए ये कागजी मुद्राएं ईन मूल्यवान धातुं की प्रवतवनवध बन गइ, वजन पर वे
अधाररत होती थीं, ऄथाथत् ये कागजी मुद्राएं सीधे भौवतक वस्तु से संबंवधत होती थीं। आनमें से कइ
प्रारं वभक स्वणथकार बैंक के ूपप में ववकवसत हो गए। ये बैंक ऄपनी सेवा के बदले में ऄवतररि धन
(कमीशन) लेते थे और वचन-पत्र जारी करते थे। आन वचन पत्रों का ईपयोग वावणयय में क्रकया
जाने लगा।
लोगों का सोना जमा करने और बदले में जमा रसीद तथा अगे चलकर वचन-पत्र जारी करने की
प्रक्रिया में, स्वणथकारों और प्रारं वभक बैंकों को यह लगने लगा क्रक ईनकी वतजोरी में रखा सोना
क्रकसी एक समय पर अहररत नहीं होता है। दूसरी ओर लोग वचन-पत्रों से वस्तुएं एवं सेवाएं
खरीदते और बेचते थे, लेक्रकन वचन-पत्रों से शीघ्र प्राप्त होने वाला ऄवधकांश सोना वतजोरी में पड़ा
रहता था। हालांक्रक समय के साथ वावणयय-व्यवसाय हेतु भुगतान में प्रयुि होने के कारण आसका
स्वावमत्व पररवर्ततत होता रहता था। आसवलए अहररत न क्रकया जाने वाला और वावणयय-व्यवसाय
हेतु सीधे ईपयोग न क्रकया जाने वाले सोने का एक वनवित भाग ब्याज दर पर दूसरों को ईधार
क्रदया जाने लगा। ऐसा करके , प्रारं वभक बैंकों ने मुद्रा सृजन क्रकया।
ऄथथव्यवस्था में मुद्रा की भूवमका को समझने के वलए मुद्रा सृजन की प्रक्रिया को समझना महत्वपूणथ
है। आसकी प्रभावशीलता आस बात पर वनभथर करती है क्रक ऄपने ग्राहकों द्वारा की जाने वाली
वनकासी को बाधारवहत बनाने के वलए बैंकों ने क्रकतनी धनरावश अरवक्षत रखी है। आस धारणा के
अधार पर क्रक सभी ग्राहक क्रकसी एक समय पर ऄपनी सपूपूणथ धनरावश की वनकासी नहीं करें गे,
ग्राहकों का पैसा दूसरों को ईधार देने की आस पररपाटी को अंवशक अरवक्षत बैंककग (fractional
मुद्रा सृजन की प्रक्रिया एक अधारभूत प्रश्न खड़ा करती है क्रक मुद्रा क्या है? वबना वचन-पत्र
(Promissory Notes) और अंवशक अरवक्षत बैंककग (Fractional Reserve Banking) वाली
ऄथथव्यवस्था में जहाँ मुद्रा चलन में है, वहां मुद्रा को पररभावषत करना ऄपेक्षाकृ त सरल है। ऐसी
ऄथथव्यवस्था में प्रचवलत सोने और चांदी के वसक्कों की कु ल रावश को ही मुद्रा कहा जाता है।
हालांक्रक, ईपयुथि मुद्रा सृजन प्रक्रिया से यह पता चलता है क्रक मुद्रा की व्यापक पररभाषा में
ऄथथव्यवस्था में प्रचवलत सभी नोट और वसक्के तथा सभी बैंक जमाएं सवपूमवलत हो सकती हैं।
सामान्य ूपप से, हम मुद्रा को ऐसे क्रकसी भी माध्यम के ूपप में पररभावषत कर सकते हैं वजसका
वस्तुएं और सेवाएं खरीदने के वलए ईपयोग क्रकया जा सकता है। आस प्रयोजन को पूरा करने के वलए
नोटों और वसक्कों का ईपयोग क्रकया जा सकता है लेक्रकन क्रिर भी ऐसी मुद्राएं वस्तुयें एवं सेवायें
खरीदने का एकमात्र माध्यम नहीं है। चेक की सुववधा वाले बैंक खातों (Bank Chequing
Account) के अधार पर व्यविगत चेक जारी क्रकया जा सकता है, जबक्रक आसी ईद्देश्य के वलए
डेवबट काडथ का भी ईपयोग क्रकया जा सकता है। अजकल बचत खाते से चालू खाता में ऄपेक्षाकृ त
सरलता से ऄंतरण क्रकया जा सकता है; आसवलए, आन बचत खातों को मुद्रा भण्डार का भाग माना
जा सकता है।
हालांक्रक, िे वडट काडथ द्वारा भुगतान और चेक एवं डेवबट काडथ द्वारा क्रकए जाने वाले भुगतान के
बीच एक महत्वपूणथ ऄंतर है। चेक या डेवबट काडथ से क्रकए जाने वाले भुगतान के ववपरीत, िे वडट
काडथ से भुगतान में अस्थवगत भुगतान (deferred payment) सवपूमवलत होता है।
मूलत: क्रकसी भी ववत्तीय प्रणाली की जरटलता वजतनी ऄवधक होती है, मुद्रा को पररभावषत करना
ईतना ही करठन होता है। ऄवधकांश अधुवनक ऄथथव्यवस्थां में मौक्रद्रक प्रावधकरण द्वारा वववभन्न
प्रकारों से मुद्रा का मापन क्रकया जाता है। लेक्रकन सामान्य ऄथषों में, मुद्रा स्टॉक में प्रचवलत नोट एवं
वसक्के तथा बैंकों एवं ऄन्य ववत्तीय संस्थानों में जमा रावशयां सवपूमवलत होती हैं, वजनका
ऄथथव्यवस्था में वस्तुएं और सेवाएं खरीदने के वलए सरलता से ईपयोग क्रकया जा सकता है।
आस संबंध में, ऄथथशास्त्री प्राय: संकीणथ मुद्रा और / या व्यापक मुद्रा (Narrow
चूँक्रक ववत्तीय प्रणावलयां, व्यवहार और संस्थान एक ऄथथव्यवस्था से दूसरी ऄथथव्यवस्था में वभन्न-
वभन्न होते हैं, आसवलए मुद्रा की पररभाषाएं भी वभन्न-वभन्न होती हैं; आस प्रकार, ऄंतराथष्ट्रीय स्तर
पर तुलना करना करठन हो जाता है। क्रिर भी, ऄवधकांश कें द्रीय बैंक संकीणथ और व्यापक मुद्रा की
माप के साथ-साथ कु छ मध्यवती (मुद्रा) ूपप में भी आसका मापन करते हैं।
वववभन्न ऄथथशावस्त्रयों ने वभन्न-वभन्न प्रकार से मुद्रा को पररभावषत क्रकया है, लेक्रकन मुद्रा की
सवथमान्य पररभाषा को मुद्रा के सभी कायषों के संदभथ में व्यि क्रकया जा सकता है। सामान्यतः
वववनमय के माध्यम, मूल्य के मापक/मापदंड, मूल्य संग्रह, स्थवगत भुगतानों तथा ऊण की
ऄदायगी के मानक के ूपप में स्वीकृ त वस्तु मुद्रा कहलाती है।
मुद्रा की कु छ अधारभूत ववशेषताएं वनम्नवलवखत हैं:
मुद्रा को अम सहमवत से वववनमय के एक माध्यम के ूपप में स्वीकार क्रकया जाता है या िय शवि
को स्थानांतररत करने के एक साधन के ूपप में स्वीकार क्रकया जाता है। यह कोइ भी वस्तु हो
सकती है या यहां तक क्रक कागज का एक टु कड़ा भी हो सकती है।
यह असानी से स्वीकायथ होनी चावहए।
आसका एक ज्ञात मूल्य होना चावहए।
ईसके वजन की तुलना में ईसका मूल्य ऄवधक होना चावहए।
नकली मुद्रा बनाना ऄत्यंत करठन होना चावहए।
आसे वस्तुं एवं सेवां के वलए भुगतान हेतु व्यापक ूपप से स्वीकार क्रकया जाना चावहए।
यह असानी से मानकीकृ त क्रकये जाने योग्य होनी चावहए, वजससे आसके मूल्य का पता लगाना
सरल हो।
यह असानी से ववभायय होनी चावहए, ताक्रक परस्पर पररवर्ततत की जा सके ।
आसका एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरण करना असान होना चावहए।
यह दीघाथववध तक खराब नहीं होनी चावहए।
है। आस संबंध में ईदाहरण हैं- ब्याज सवहत ऊण, पेंशन, क्रकराए, वेतन, बीमा, प्रीवमयम अक्रद का
पुनभुथगतान। मुद्रा स्थवगत भुगतानों का एक प्रभावी मानक के वल तभी हो सकता है जब मुद्रा का
मूल्य पररवर्ततत नहीं हो। यक्रद कीमतों में तेजी से वृवद्ध या कमी अती है और वजसके
पररणामस्वूपप मुद्रा के मूल्य में ऄत्यवधक ईतार-चढ़ाव अते हैं, तो आस वस्थवत में मुद्रा अस्थवगत
भुगतान के वलये एक ईवचत मानक नहीं होगी।
करें सी घटक में वसक्के और पत्र मुद्रा शावमल हैं। वसक्कों के ऄंतगथत सभी धावत्वक मुद्राएँ सवपूमवलत हैं।
वसक्कों से सपूबंवधत कु छ महत्वपूणथ त्य वनम्नवलवखत हैं:
वसक्का, सांकेवतक मुद्रा (टोकन मनी) है। सांकेवतक मुद्रा का ऄंक्रकत मूल्य ईसके यथाथथ मूल्य से
ऄवधक होता है।
वसक्कों को ढालने पर सरकार का एकावधकार होता है।
वे छोटे मूल्यों के लेन-देन करने के वलए ईपयोगी होते हैं।
वे वतथमान में मुद्रा के के वल एक बहुत छोटे ऄंश के ूपप में हैं।
करें सी नोट पत्र मुद्रा को प्रदर्तशत करते हैं, आस सपूबन्ध में वनम्नवलवखत कथन महत्वपूणथ हैं:
भारत में प्रचवलत लगभग सभी पत्र मुद्रा RBI द्वारा जारी की जाती हैं।
पत्र मुद्रा का स्वयं का यथाथथ मूल्य बहुत कम होता है।
यह ऄपररवतथनीय है, ऄथाथत् कें द्रीय बैंक के वलए स्वणथ से आसका वववनमय करने की बाध्यता को
समाप्त कर क्रदया गया है। प्रथम ववश्व युद्ध के बाद, लगभग सभी देशों ने स्वणथ से पररवतथनीयता को
त्याग क्रदया।
भारतीय ररज़वथ बैंक ऄवधवनयम, 1934 की धारा 26 के ऄनुसार, भारतीय ररज़वथ बैंक पत्र मुद्रा का
मूल्य ऄदा करने के वलए ईत्तरदायी है। भारतीय ररज़वथ बैंक द्वारा यह ऄदायगी करें सी नोट
जारीकताथ होने के नाते है। भारतीय ररज़वथ बैंक पर पत्र मुद्रा के मूल्य की ऄदायगी का यह दावयत्व
क्रकसी संववदा के कारण नहीं ऄवपतु सांवववधक प्रावधानों के कारण है।
करें सी नोट पर मुक्रद्रत वचन खण्ड ऄथाथत "मैं धारक को "X" रुपये ऄदा करने का वचन देता हँ"
एक वचन है वजसका ऄथथ है क्रक वह करें सी नोट ईस वनर्ददष्ट रावश के वलए वववध मान्य मुद्रा है।
हालांक्रक कागज का मूल्य और धातु का स्वयं का मूल्य आसके वनवल मूल्य से कम होता है, क्रिर भी लोग
वस्तुं के बदले ऐसे नोटों और वसक्कों को स्वीकार करते हैं जो आन तुलना में ऄवधक मूल्यवान हैं। ऐसा
आसवलए है क्योंक्रक करें सी नोटों और वसक्कों का मूल्य आनको जारी करने वाले प्रावधकरण द्वारा प्रदान की
जाने वाली गारं टी से प्राप्त होता है।
चूंक्रक करें सी नोटों और वसक्कों को सरकार के अदेश के तहत जारी क्रकया जाता है ,ऄत: आन्हें ‘क्रिएट
मनी’ कहा जाता हैं। ये व्यापक ूपप से स्वीकायथ मुद्रा है। अज लगभग सभी मुद्रा क्रिएट मनी है। क्रिएट
मनी लोकवप्रय आसवलए है क्योंक्रक यह माल या सेवा की खरीद के वलए भुगतान और कज़थ से मुवि के
वलए परं परागत ूपप से स्वीकार क्रकया जाता है, साथ ही क्रकसी भी तरह के लेन-देन के वनपटारे के वलए
देश के क्रकसी भी नागररक द्वारा आन्हें स्वीकारने से मना नहीं क्रकया जा सकता है, आसवलए आनको लीगल
टेंडर या वववध मान्य मुद्रा (legal tenders) भी कहा जाता है।
जमा मुद्रा या बैंक मुद्रा बैंकों में जमा की गइ रावश होती है। आस जमा मुद्रा को चेकों के माध्यम से
हस्तांतररत क्रकया जा सकता है। ऐसी जमा मुद्रा दो प्रकार की हो सकती हैं:
o मांग जमा (Demand Deposits): यह खाताधारकों की मांग पर बैंक द्वारा देय होती हैं,
तथा
o साववध जमा (Time Deposits): साववध जमा में पररपक्वता की एक वनवित ऄववध होती
है। वनधाथररत समय के पिात् खाताधारक आनको वनकाल सकते हैं।
चेक वस्तुतः बैंक को भुगतान करने या चेक में ईवल्लवखत रावश के बराबर धन स्थानांतरण करने के
वलए एक वनदेश होता है। आन क्रदनों ववशेष ूपप से ऄत्यवधक रावश के लेनदेन के वलए चेक को
भुगतान के एक साधन के ूपप में व्यापक ूपप से स्वीकार क्रकया जाता हैं, हालाँक्रक यह एक लीगल
टेंडर नहीं हैं। कोइ व्यवि कानूनी ूपप से चेक द्वारा भुगतान स्वीकार करने से मना कर सकता है
क्योंक्रक आसकी कोइ गारं टी नहीं है क्रक बैंक ईि रावश का भुगतान करे ही, क्योंक्रक ऄपयाथप्त जमा
रावश होने के मामले में बैंक ईि चेक में ईवल्लवखत रावश का भुगतान करने से मना कर सकता है।
मुद्रा अपूर्तत का ऄथथ क्रकसी क्रदए गए समय में देश की ऄथथव्यवस्था में प्रचवलत मुद्रा की कु ल अपूर्तत
से है। आसका अशय एक ऄथथव्यवस्था में क्रकसी भी समय पर मुद्रा की ईस मात्रा से है जो पररवारों,
िमषों या व्यापाररक संस्थानों द्वारा लेन-देन और ऊणों के वनपटान के वलए रखी गइ है। दोहरी
गणना से बचने के वलए मुद्रा के ईत्पादकों (RBI, सरकार, वावणवययक बैंकों अक्रद) को आसमें
सवपूमवलत नहीं क्रकया जाता है।
कु छ ऄथथशावस्त्रयों द्वारा मुद्रा अपूर्तत को मुद्रास्िीवत को वनयंवत्रत करने का एक महत्वपूणथ साधन
माना जाता है। ऄथथशास्त्री क्रकसी ऄथथव्यवस्था में मुद्रा की अपूर्तत का ववश्लेषण करते हैं तथा
ऄथथव्यवस्था में मुद्रा की मात्रा को कम या ऄवधक कर तथा ब्याज दरों को वनयंवत्रत करके अर्तथक
नीवतयों का वनमाथण करते हैं। भारतीय ररजवथ बैंक द्वारा मुद्रा अपूर्तत के अंकड़ों को समय-समय पर
एकवत्रत, पंजीकृ त और प्रकावशत क्रकया जाता है।
मुद्रा अपूर्तत के मापन के वलए M1, M2, M3 और M4 का ईपयोग क्रकया जाता हैं।
M1 या संकीणथ मुद्रा
आसमें ईन सभी ववत्तीय पररसंपवत्तयों को सवपूमवलत क्रकया जाता है, वजन्हें अमतौर पर भुगतान के
साधन के ूपप में स्वीकार क्रकया जाता है।
M1 = जनता के पास करें सी (नोट, वसक्के अक्रद) + वावणवययक बैंकों के पास रखी गयी जनता की वनवल
मांग जमायें + भारतीय ररज़वथ बैंक के पास ऄन्य जमायें।
M1 को संकीणथ मुद्रा के ूपप में जाना जाता हैं क्योंक्रक आसके ऄंतगथत मुद्रा को संकीणथ ूपप में
पररभावषत क्रकया गया है तथा M1 संकल्पना मुद्रा के के वल वववनयमन के माध्यम प्रकायथ पर जोर
देती है तथा के वल ईन्हीं पररसंपवत्तयों को सवपूमवलत करती है जो ऄत्यवधक तरल हैं।
डाकघर की बचत जमा वस्तुतः वावणवययक बैंक बचत की तुलना में कम तरल होती है। डाकघर में
रखी बचत जमा मांग पर अहररत की जा सकती हैं, लेक्रकन आसपर वनम्नवलवखत प्रवतबंध होते हैं:
o आन जमारावशयों का बहुत कम वहस्सा चेक के द्वारा अहरण योग्य होता है।
o क्रकसी भी सप्ताह में आनके अहरण की संख्या पर प्रवतबंध होता है।
o प्रत्येक अहरण की रावश की ऄवधकतम सीमा तय होती है (जब तक क्रक डाक घर को कोइ
ऄवग्रम सूचना नहीं दी जाती है)।
पररणामस्वरुप, पोस्ट ऑक्रिस की बचत जमा वववनमय के माध्यम के ूपप स्वीकार में नहीं की जा
सकती है और वावणवययक बैंक जमां की तुलना में कम तरल होती है।
M3 या या ववस्तृत मुद्रा
M3 = M1 + सभी व्यापाररक बैंकों और सहकारी बैंकों के साववध जमा (आं टरबैंक साववध जमा को
वनकालकर)
कु छ ऄथथशावस्त्रयों का मानना है क्रक साववध जमां को मुद्रा अपूर्तत में सवपूमवलत क्रकया जाना
चावहए क्योंक्रक वे वनवित ूपप से मुद्रा के भंडार का एक महत्वपूणथ ूपप हैं, क्योंक्रक ईनके अधार पर
जमाकताथ बैंकों से ईधार ले सकते हैं। आसके ऄवतररि, कु छ मामलों में जमाकताथं को ब्याज में
कु छ कटौती और जुमाथना देने के बाद ऄपनी जमा रावश वापस वनकलवाने की ऄनुमवत होती है।
आसे व्यापक या ववस्तृत मुद्रा (broad money) ूपप में भी जाना जाता है क्योंक्रक आसमें धन की
व्यापक पररभाषा शावमल है। M1 व M3 में मुख्य ऄंतर साववध जमा को सवपूमवलत करना एवं
नहीं करना है, संकीणथ मुद्रा में साववध जमा को सवपूमवलत नहीं क्रकया जाता हैं क्योंक्रक वह
वास्तववक ऄथषों में तरल नहीं हैं। M3 सवाथवधक ईपयोग में वलया जाना वाला मुद्रा अपूर्तत का
मापक है, यह सकल मौक्रद्रक संसाधनों के ूपप में भी जाना जाता है।
M4
M4 = M3 + डाक घर की कु ल जमा (डाक घर में साववध जमा सवपूमवलत क्रकये जाते हैं लेक्रकन राष्ट्रीय
बचत प्रमाण पत्र सवपूमवलत नहीं होते है)
M3 एवं M4 दोनों को ववस्तृत मुद्रा के ूपप में जाना जाता हैं। ईपयुथि सभी घटकों में करें सी घटक
सवाथवधक तरल है, आसके बाद मांग जमा (मांग पर सरलता से मुद्रा में पररवतथनीय) तत्पिात डाक घर
में जमा रावश घटक का स्थान अता है। आसी तरह, साववध जमा के मामले में तरलता कम होती है
क्योंक्रक ईन्हें के वल पररपक्वता ऄववध पर ही नकदी में पररवर्ततत क्रकया जा सकता है ऄन्यथा ब्याज में
कु छ कटौती और जुमाथना अरोवपत क्रकया जाता है। M1 लेनदेन के वलए सबसे तरल और सबसे असान
है जबक्रक M4 सबसे कम तरल है।
M2 संकीणथ मुद्रा M1 से कम
M3 ववस्तृत मुद्रा M2 से कम
देश के मौक्रद्रक प्रावधकरण RBI की कु ल देयता को मौक्रद्रक अधार या ईच्च शवि प्राप्त मुद्रा कहा
जाता हैं। ईच्च शवि प्राप्त मुद्रा का अशय ईस मुद्रा से है, जो लोगों द्वारा करें सी (C), बैंकों के
सुरवक्षत कोष (R) तथा भारतीय ररजवथ बैंक की ऄन्य जमां के ूपप में होती हैं। ईच्च शवि प्राप्त
मुद्रा भारतीय ररजवथ बैंक और भारत सरकार द्वारा जारी की जाती है।
1.6. भारत में मु द्रा की अपू र्तत को प्रभाववत करने वाले कारक
जनता के मध्य मुद्रा अपूर्तत की मात्रा देश के कें द्रीय बैंक एवं व्यापाररक बैंकों द्वारा प्रभाववत होती है।
ऄपनी राजकोषीय नीवत के द्वारा सरकार भी कु छ हद तक मुद्रा अपूर्तत को प्रभाववत करती है।
कें द्रीय बैंक एवं मुद्रा अपूर्तत: एक देश का कें द्रीय बैंक मुद्रा अपूर्तत को प्रत्यक्ष और ऄप्रत्यक्ष दोनों
तरीकों से प्रभाववत करता है। यह करें सी नोटों व वसक्कों के वनगथमन के वलए प्रत्यक्ष ूपप से
ईत्तरदायी होता है। दूसरी ओर यह जमां को परोक्ष ूपप से प्रभाववत करके मुद्रा की अपूर्तत को
प्रभाववत कर सकता है। हम जानते हैं क्रक व्यापाररक बैंक ऄपने नकद शेषों को ध्यान में रखकर
जमा का सृजन कर सकते हैं। यक्रद कें द्रीय बैंक ऐसी वववधयों का प्रयोग करता है वजससे क्रक
व्यापाररक बैंकों के नकद शेष घट जाए तो वे कम ऊण और ऄवग्रम दे सकें गे और कम वनक्षेपों का
वनमाथण कर सकें गे। आसी प्रकार यक्रद कें द्रीय बैंक ऄपनी शवि का प्रयोग व्यापाररक बैंकों के नकद
शेष बढ़ाने के वलए करता है तो आसका उपर बताये गये प्रभाव से एकदम ववपरीत प्रभाव पड़ेगा।
आस प्रकार कें द्रीय बैंक मुद्रा अपूर्तत को प्रभाववत करने के वलए वनयंत्रण के वववभन्न ईपायों का
प्रयोग करता है जैसे क्रक व्यापाररक बैंकों की सवाथवधक न्यूनतम रवक्षत वनवध में पररवतथन, बैंकों के
ब्याज दर ढाँचे में पररवतथन, खुले बाज़ार की संक्रियाएं और व्यापाररक बैंकों के वलए ऊण देने
संबध ं ी नीवत।
व्यापाररक बैंक और मुद्रा की अपूर्तत: व्यापाररक बैंक माँग जमा या बैंक मुद्रा का सृजन कर सकते
हैं। आन जमा का वनमाथण दो तरीकों से क्रकया जाता है:
o जब लोग धन को बैंक में जमा करते हैं तो वे ऄपने नकद रावश को माँग जमा में पररवर्ततत कर
देते हैं। ये जमा प्राथवमक जमा कहलाते हैं।
o आन प्राथवमक जमा से बैंककग व्यवस्था में प्रवेश करने वाली नकद रावश द्वारा या तो बाज़ार से
ववत्तीय संपवत्तयाँ (जैसे वबल, बांड अक्रद) ख़रीद ली जाती है या ईसे ईद्योग और व्यापार को
ईधार दे क्रदया जाता है। जब कोइ बैंक क्रकसी ग्राहक को ऊण देता है तो वह ईसे नकद रावश
नहीं देता, बवल्क ग्राहक के खाते में ऊण की रावश िे वडट कर देता है। क्योंक्रक आन जमा का
प्राथवमक जमा के अधार पर सृजन क्रकया गया है आसवलए आन्हें व्युत्पन्न जमा कहते है। यक्रद
बैंक एक दी हुइ प्राथवमक जमा की रावश पर ऄवधक ऊण दे सकें तो आससे बैंक मुद्रा और
ऄवधक हो जाएगी। यह ध्यान रखें की साववध जमा साख वनमाथण का अधार नहीं बनती हैं
क्योंक्रक ये भुगतानों के माध्यम के ूपप में प्रयोग नहीं की जाती हैं। ये तो के वल एक वनवित
समय के वलए बचत होती हैं।
मुद्रा जमा ऄनुपात (The currency deposit ratio): यह वस्तुतः लोगों द्वारा बैंक में जमा की गयी
रावश की तुलना में ईनके द्वारा करें सी में धाररत रावश (धन) का ऄनुपात है।
मुद्रा जमा ऄनुपात (cdr) = संचरण में मुद्रा (Money in Circulation; CU) / मांग जमा (Demand
Deposits;DD)
आससे तरलता के संदभथ में लोगों की वरीयता का पता चलता है। यह ववशुद्ध ूपप से व्यवहार संबंधी
मापदंड है जो ऄन्य बातों के साथ-साथ, व्यय के मौसमी पैटनथ पर वनभथर करता है। ईदाहरण के वलए,
त्यौहारों के समय के दौरान मुद्रा जमा ऄनुपात बढ़ जाता है, क्योंक्रक लोग ऐसी ऄववध के दौरान ऄवतररि
व्यय की पूर्तत के वलए जमां को नकद शेष रावश में पररवर्ततत कर देते हैं।
अरवक्षत जमा ऄनुपात (The Reserve Deposit Ratio): बैंक वस्तुतः लोगों के बैंक जमां के ूपप में
रखी गयी मुद्रा का एक भाग ऄपने पास अरवक्षत मुद्रा के ूपप में रखते हैं और शेष रावश को वववभन्न
वनवेश पररयोजनां के वलए ऊण देते हैं। अरवक्षत मुद्रा दो प्रकार की रावशयों से वमलकर बनती है- बैंकों
में जमा नकद रावश और RBI के पास वावणवययक बैंकों की जमा रावशयां। खाताधारकों के नकदी की मांग
को पूरा करने के वलए बैंक आस अरवक्षत मुद्रा का ईपयोग करते हैं। अरवक्षत जमा ऄनुपात (RDR) कु ल
जमां का ऄनुपात है, वजसे वावणवययक बैंक अरवक्षत रखते हैं। बैंकों के वलए यह RDR एक महंगी
प्रक्रिया है, क्योंक्रक ऐसा नहीं होने पर वे आस शेष रावश को ऊण के ूपप में ईपलब्ध कराकर ब्याज ऄर्तजत
कर सकते हैं। हालांक्रक, RBI बैंक ग्राहकों द्वारा की जाने वाली वनकासी को बाधारवहत बनाने के वलए ही
नीवतगत साधनों का ईपयोग करता है। पहला साधन नकद अरवक्षत ऄनुपात (CRR) है, जो ईनकी जमा
रावशयों का वह ऄंश वनर्ददष्ट करता है वजसे बैंकों को RBI के पास रखना होता है। सांवववधक तरलता
ऄनुपात (SLR) नामक एक ऄन्य साधन है, जो बैंकों से ऄपनी कु ल मांग और साववध जमां का एक
वनवित ऄंश वनर्ददष्ट तरल अवस्तयों के ूपप में बनाए रखने की मांग करता है। आन ऄनुपातों के ऄवतररक्त,
अरवक्षत जमा ऄनुपात (RDR) को ध्यान में रखते हुए RBI बैंक दर (bank rate) नामक एक वनवित
ब्याज दर का ईपयोग करता है। अरवक्षत मुद्रा की कमी होने पर वावणवययक बैंक RBI से बैंक दर पर
पैसा ईधार ले सकते हैं। ईच्च बैंक दर के कारण RBI से पैसा लेना बैंकों को महंगा पड़ता है ऄतः वववश
होकर वावणवययक बैंक एक ईवचत मात्रा में अरवक्षत जमा ऄनुपात बनाए रखते हैं।
सरकार राजकोषीय नीवत के माध्यम से भी कु छ सीमा तक मुद्रा अपूर्तत को वनयंवत्रत करती है। आस पहलू
का ववस्तृत वववरण मौक्रद्रक नीवत पर दस्तावेज़ में क्रदया गया है।
भारत में संगरठत बैंककग क्षेत्र को कइ ऄलग-ऄलग तरीकों से वगीकृ त क्रकया जाता है। सामान्यत: यह
वगीकरण वनम्नवलवखत प्रकार से क्रकया जाता है:
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
सहकारी बैंक
वावणवययक बैंक
ग्रामीण क्षेत्रों में कृ वष, व्यापार, वावणयय तथा ऄन्य ईत्पादक गवतवववधयों के वलए, ववशेष ूपप से
छोटे एवं सीमांत क्रकसानों, खेवतहर मजदूरों, दस्तकारों एवं छोटे ईद्यवमयों के वलए और ईनसे
संबंवधत मामलों के वलए ऊण और ऄन्य सुववधां की ईपलब्धता तथा ग्रामीण ऄथथव्यवस्था के
ववकास के ईद्देश्य से सरकार ने वषथ 1975 में नरससहम सवमवत का गठन क्रकया। आस सवमवत की
वसिाररशों के अधार पर वसतंबर 1975 में एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक ऄध्यादेश लागू क्रकया गया
और बाद में आसकी जगह क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक ऄवधवनयम, 1976 लाया गया। आन्हें मुख्यत: ‘स्माल
मैन बैंक’ के नाम से जाना जाता है।
RRBs वनम्नवलवखत ईद्देश्यों की प्रावप्त के वलये स्थावपत क्रकए गए थे:
o ग्रामीण क्षेत्रों में बचत को बढ़ावा देकर िे वडट प्रवाह को बढ़ाने के वलए तथा
o ररयायती दरों पर कमजोर वगषों को ऊण देने के वलए।
हालांक्रक आन बैंकों की गणना ऄनुसवू चत वावणवययक बैंकों के ूपप में की जाती है लेक्रकन आनकी पहुंच
अमतौर पर एक या दो वजलों तक ही सीवमत होती है। जैसे ऄसम ग्रामीण ववकास बैंक,
आलाहाबाद यू.पी. ग्रामीण बैंक, बड़ौदा गुजरात ग्रामीण बैंक अक्रद क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कु छ
ईदाहरण हैं।
आन बैंकों को सावथजवनक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) द्वारा स्थावपत क्रकया गया है और वजस PSB द्वारा
RRB की स्थापना की जाती है ईसे RRB का प्रायोजक या प्रवतथक बैंक (sponsor bank) कहा
जाता है। आसके वलये भारत सरकार, संबंवधत रायय सरकार एवं प्रवतथक बैंक ऄग्रवलवखत ऄनुपात
में बैंक पूँजी साझा करते हैं। यह ऄनुपात िमशः 50%, 15% एवं 35% के ऄनुपात में होता है।
आन प्रायोजक बैंकों के वलए वनम्नवलवखत बातें अवश्यक होती हैं:
o क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की पूज
ं ी में वहस्सेदारी,
o ईनके कर्तमयों को प्रवशवक्षत करना एवं
o प्रबंधकीय और ववत्तीय सहायता प्रदान करना।
1997 से RRBs को लवक्षत समूह के बाहर भी ऊण देने की छू ट दे दी गयी थी। कम लाभप्रद
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को योग्य व कायथक्षम बैंकों के साथ ववलय करने का प्रयास क्रकया जा रहा हैं
क्योंक्रक ऄवधकतर RRBs घाटे में चल रही हैं। साथ ही आन्हें ऄवधक स्वायत्तता भी दी गयी है।
सहकारी बैंक वस्तुतः सहकारी वसद्धांतों के अधार पर स्थावपत एक संस्था होते हैं और साधारण
बैंककग व्यवसाय में क्रियाशील होते हैं। आन्हें सहकारी बैंक कहा जाता है क्योंक्रक वहतधारकों के साथ
सहयोग आनका ईद्देश्य होता है। सहकारी बैंकों के बारे में ध्यान देने योग्य कु छ सबदु वनम्नवलवखत हैं:
o ये रायय के कानूनों द्वारा स्थावपत होते हैं एवं सहकारी सोसायटी ऄवधवनयम, 1912 के तहत
पंजीकृ त होते हैं।
o ये भारतीय ररजवथ बैंक द्वारा बैंककग वववनयमन ऄवधवनयम, 1949 और बैंककग वनयम
(सहकारी सोसाआटी पर लागू) ऄवधवनयम, 1965 {Banking Laws (Application to Co-
operative Societies) Act, 1965} के द्वारा वववनयवमत होते हैं।
o कु छ व्यवि समूह बनाकर एक सहकारी बैंक स्थावपत कर सकते हैं।
o ये कृ वष एवं संबद्ध क्षेत्रों, कु टीर ईद्योगों एवं ग्रामोद्योग के ववत्तपोषण के ईद्देश्य से स्थावपत
क्रकए गए हैं।
o आनके द्वारा जमा रावश स्वीकार की जाती हैं और साथ ही ईधार देने का कायथ भी क्रकया जाता
हैं।
o ये वनणथय प्रक्रिया में 'एक व्यवि एक वोट' के वसद्धांत पर काम करते हैं।
सहकारी बैंकों को शहरी और ग्रामीण सहकारी बैंकों में ववभावजत क्रकया जाता है। नीचे प्रदर्तशत
फ्लो चाटथ आन दोनों प्रकारों को पुन: ऄल्पकालीन संरचना और दीघथकालीन संरचना में ववभावजत
क्रकया जाता है:
यद्यवप शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) की कोइ औपचाररक पररभाषा नहीं है तथावप आसका
तात्पयथ शहरी व ऄधथ-शहरी क्षेत्रों में वस्थत प्राथवमक सहकारी बैंकों से है। प्राथवमक सहकारी बैंक,
भारत में ग्रामीण सहकारी िे वडट (साख) प्रणाली की प्रमुख भूवमका कृ वष क्षेत्र को ऊण ईपलब्ध
कराना है। आस प्रणाली में ऄल्पकालीन और दीघथकालीन साख संरचनाएं सवपूमवलत हैं।
ऄल्पकालीन सहकारी साख संरचना 3-रटयर प्रणाली के ूपप में कायथ करती है:
o जैसे ग्राम स्तरीय प्राथवमक कृ वष साख सवमवतयाँ (Primary agricultural credit
societies: PACs),
o वजला कें द्रीय सहकारी बैंक (DCCB) तथा
o रायय स्तर पर रायय सहकारी बैंक (SCB)।
PACs, बैंककग वववनयमन ऄवधवनयम, 1949 के दायरे से बाहर हैं। आसवलए भारतीय ररज़वथ बैंक
आसका वववनयमन नहीं करता है। SCB/DCCB, संबंवधत रायय के रायय सहकारी सोसाआटी
ऄवधवनयम के ईपबंधों के तहत पंजीकृ त क्रकए गए हैं तथा ररज़वथ बैंक द्वारा आनका वववनयमन क्रकया
जाता है। बैंककारी वववनयमन ऄवधवनयम की धारा 35क के ऄंतगथत राष्ट्रीय कृ वष और ग्रामीण
ववकास बैंक (NABARD) को रायय और कें द्रीय सहकारी बैंकों के वनरीक्षण की शवियां प्रदान की
गइ हैं।
ऄल्पकालीन साख संरचना- ये एक वषथ तक ईधार देते हैं। ये कृ वष गवतवववधयों के वलए ईधार देते हैं
और बीज, ईवथरक अक्रद खरीदने के वलए कायथशील पूज
ं ी प्रदान करते हैं। ऄल्पकालीन संरचनां में तीन
स्तर होते हैं:
रायय सहकारी बैंक (SCB) - प्रत्येक रायय का एक SCB होता है। यह रायय ववशेष में सहकारी
बैंकों के वलए सवोच्च वनकाय है। SCB एक तरि RBI और नाबाडथ के बीच मध्यस्थ के ूपप में कायथ
करता है तथा दूसरी ओर वजला या कें द्रीय सहकारी बैंक और प्राथवमक कृ वष साख सवमवतयों के
ूपप में कायथ करते हैं। साथ ही SCBs:
o ररयायती दर पर RBI से ऊण प्राप्त करते हैं तथा
o रायय में सहकारी बैंकों को ऄनुदान प्रदान करते हैं।
RBI और आन बैंकों के मध्य एक समझौता ज्ञापन द्वारा ऄब आन बैंकों की मध्यस्थता की भूवमका को
समाप्त कर क्रदया है। ऄब, RBI छोटे स्तर के बैंकों को प्रत्यक्ष ूपप से वनयंवत्रत करता है।
वजला या कें द्रीय सहकारी बैंक (DCCB): यह वजला स्तर पर कायथ करता है। आसका पररचालन
एक क्षेत्र तक ही सीवमत है। दो प्रकार के कें द्रीय या वजला सहकारी बैंक हैं:
o सहकारी बैंककग यूवनयन: आसकी सदस्यता के वल सहकारी सवमवतयों के वलए खुली है तथा
o वमवश्रत कें द्रीय सहकारी बैंक: आसकी सदस्यता सहकारी सवमवतयों और व्यवियों दोनों के वलए
खुली है।
आन्हें SCBs से ऊण वमलता है और ये PACs और व्यवियों को ऊण प्रदान करते हैं।
प्राथवमक कृ वष साख सवमवतयाँ (पैक्स: PACs): यह भारत की सबसे छोटी सहकारी ऊण
संस्थां में से एक है। यह जमीनी स्तर (गांव स्तर या ग्राम पंचायत स्तर) पर कायथ करती है।
के वल PACs के सदस्य ही यहाँ से ईधार लेने के हकदार होते हैं। ऄवधकांश ऊण कृ वष प्रयोजनों
(बावड़ी या कु ं की मरपूमत, छोटी मशीनरी की खरीद अक्रद) व ऄल्पाववध के वलए क्रदए जाते हैं।
समयाववध 1.5 से लेकर 25 वषथ तक की होती है। भूवम ववकास, कृ वष ईपकरणों को खरीदनें,
पुराने ऊणों को चुकाने अक्रद के वलए ये ऊण प्रदान क्रकए जाते हैं। अरपूभ में आन्हें बंधक बैंक
(mortgage banks) या भूवम ववकास बैंक कहा जाता था तथा वतथमान में आन्हें सहकारी कृ वष
1. संसद द्वारा पाररत ऄवधवनयम के तहत 1. ऄलग-ऄलग राययों द्वारा वनर्तमत सहकारी
गरठत। सवमवतयों के ऄवधवनयम के तहत गरठत।
2. क्रकसी रायय, वजले यहां तक ववदेशों में भी 2. के वल वनधाथररत क्षेत्र में ही ऄपना कायथ करते
शाखाएं खोलने का ऄवधकार। हैं, जैस-े रायय सहकारी बैंक जो क्रक एक शीषथ
ऄवधवनयम, 1949 की सभी धाराएँ लागू धाराएँ ही लागू हैं ऄथाथत् RBI का अंवशक
वावणवययक बैंक या व्यावसावयक बैंक (कॉमर्तशयल बैंक) वस्तुतः लाभ ऄजथक संस्थान हैं। ये बैंक लोगों से
धन स्वीकार करते हैं तथा घरे लू ईद्योगों, व्यवसावययों, लोगों अक्रद को ऊण प्रदान करते हैं। आनका
मुख्य ईद्देश्य ब्याज, कमीशन अक्रद के ूपप में लाभ ऄजथन होता है। आन सभी वावणवययक बैंकों के कायथ
RBI द्वारा बैंककग वववनयमन ऄवधवनयम, 1949 के तहत वववनयवमत होते हैं। आसमें सावथजवनक और
PSBs ऐसे बैंक हैं वजनमें शेयर का ऄवधकांश वहस्सा (51% या आससे ऄवधक) सरकार के पास रहता
है। सभी सरकारी बैंकों की स्थापना भारत सरकार द्वारा नहीं की गइ थी। कु छ बैंक वनजी क्षेत्र के
वनयंत्रणाधीन थे। आन बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पिात् ये सावथजवनक क्षेत्र के बैंक बन गए।
स्टेट बैंक समूह: आससे अशय स्टेट बैंक ऑि आं वडया (SBI) और ईसके सहयोगी बैंकों से है। SBI
सावथजवनक क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक है। SBI में पहले RBI के शेयर थे लेक्रकन RBI द्वारा आनको भारत
सरकार को सौंप क्रदया गया ताक्रक वह के वल वववनयामक कायषों को जारी रख सके ।
पूवथ भारतीय ररयासतों के सात बैंक SBI के तहत ईसके सहयोवगयों के ूपप में लाए गए थे:
स्टेट बैंक ऑि बीकानेर एण्ड जयपुर
स्टेट बैंक ऑि हैदराबाद
स्टेट बैंक ऑि मैसरू
स्टेट बैंक ऑि परटयाला
स्टेट बैंक ऑि त्रावणकोर
स्टेट बैंक ऑि सौराष्ट्र- 13 ऄगस्त 2008 को SBI के साथ वमला क्रदया गया।
स्टेट बैंक ऑि आं दौर - 26 ऄगस्त 2010 को SBI के साथ अवधकाररक तौर पर ववलय हुअ।
1 ऄप्रैल, 2017 को स्टेट बैंक ऑफ़ बीकानेर एंड जयपुर (SBBJ), स्टेट बैंक ऑफ़ मैसरू (SBM),
स्टेट बैंक ऑि त्रावणकोर (SBT), (गैर-सूचीबद्ध) स्टेट बैंक ऑि हैदराबाद (SBH), स्टेट बैंक
ऑि परटयाला (SBP) और भारतीय मवहला बैंक का भारतीय स्टेट बैंक के साथ ववलय हो गया।
आस ववलय के साथ SBI की बाजार वहस्सेदारी 17 प्रवतशत से बढ़कर लगभग 22 प्रवतशत हो जाएगी।
ववलय के लाभ:
आसके चलते ट्रेजरी ऑपरे शन्स, ऑवडट, प्रौद्योवगकी अक्रद से संबवं धत खचषों में कमी अएगी। साथ
ही तरलता का बेहतर प्रबंधन हो सके गा।
आसके द्वारा बेसल-III मानकों के क्रियान्वयन में मदद वमलेगी तथा ग्राहकों और पररसंपवत्तयों का
ववववधीकरण होगा।
कम बैंकों के कारण बेहतर वनगरानी और वववनयमन।
ऄंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान।
चूंक्रक SBI ग्राहक सेवा में सुधार करने हेतु प्रक्रियां का ईन्नयन कर रहा है, ऄतः आस ववलय के
बाद छोटे बैंकों के ग्राहकों को ऊण दरों के वलए एक बेहतर ववकल्प ईपलब्ध होगा।
बैंकों का राष्ट्रीयकरण दो चरणों में 1969 (14 बैंकों का) में और 1980 (6 बैंकों का) में क्रकया गया
था। राष्ट्रीयकरण के अरपूभ से पहले, देश की बैंककग प्रणाली द्वारा ऄथथव्यवस्था के कइ क्षेत्रों जैसे
कृ वष, लघु ईद्योगों और कमजोर वगषों को ऄनदेखा क्रकया गया। ईदाहरण के वलए, माचथ 1967 में
कृ वष क्षेत्र को कु ल ऊण का के वल 2.1% प्राप्त हुअ तथा यह ईद्योग के प्रदत्त 64% की तुलना में
बहुत कम था।
बैंककग सुववधाएं शहरी क्षेत्रों में मुख्य ूपप से कें क्रद्रत थीं। यद्यवप ग्रामीण क्षेत्रों में कु छ बैंक थे, परंतु
वे मुख्य ूपप से जमारावशयों के वलए थे और आन जमारावशयों का ईपयोग शहरी क्षेत्रों में ईधार देने
के वलए क्रकया जाता था। शहरी क्षेत्रों में धनी लोगों द्वारा बैंककग सुववधां का ऄपेक्षाकृ त ऄवधक
लाभ ईठाया गया था। चूंक्रक ऄवधकांश बैंक वनजी क्षेत्र द्वारा संचावलत और प्रबंवधत क्रकये जाते थे
आसवलए आनकी अम लोगों तक पहुँच बेहद सीवमत थी।
बैंकों पर मुख्य ूपप से ईद्योगपवतयों का स्वावमत्व था। ईन्होंने लोगों की जमारावशयां एकत्र करने
और आन बैंकों से ऊण प्राप्त करने के वलए आन बैंकों का ईपयोग क्रकया। आसवलए, भारत सरकार ने
अर्तथक एकावधकार, अर्तथक शवि के के न्द्रण और अर्तथक संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के वलए
बैंकों पर कु छ वनयंत्रण लगाने का वनणथय वलया। आस प्रकार सामावजक वनयंत्रण का मुख्य लक्ष्य बैंकों
को पूणत
थ ः सावथजवनक स्वावमत्व में ले जाए वबना सामावजक लाभ प्राप्त करना था।
राष्ट्रीय ऊण वनयंत्रण पररषद (National Credit Control Council)
22 क्रदसंबर, 1967 को राष्ट्रीय ऊण वनयंत्रण पररषद का गठन क्रकया गया ताक्रक समय-समय पर
ऊण के ईपलब्ध संसाधनों का अकलन क्रकया जा सके और वववभन्न क्षेत्रकों के बीच समान और
ईद्देश्यपूणथ ववतरण सुवनवित क्रकया जा सके । 1969 में एक ऄध्यादेश के प्रख्यापन के माध्यम से देश
के 14 प्रमुख वावणवययक बैंकों का राष्ट्रीयकरण क्रकया गया। आनमें से कु छ बैंक थे- पंजाब नेशनल
बैंक, IOB, देना बैंक, ससवडके ट बैंक अक्रद। 1980 में छह और बैंकों का राष्ट्रीयकरण क्रकया गया।
वनजी क्षेत्र के बैंकों में भारतीय बैंक और ववदेशी बैंक दोनों सवपूमवलत हैं। ICICI, एवक्सस बैंक अक्रद
वनजी क्षेत्र के बैंकों के कु छ ईदाहरण हैं।
भारतीय बैंक: सभी भारतीय बैंकों के प्रदशथन की तुलना करने की सुववधा के वलए भारतीय ररज़वथ
बैंक द्वारा भारतीय बैंकों को पुराने बैंकों और नए बैंकों में वगीकृ त क्रकया गया है।
o पुराने बैंक (Old banks): 1990 से पहले गरठत बैंक पुराने बैंकों के ऄंतगथत अते हैं। आसके
ऄंतगथत राष्ट्रीकृ त बैंकों के ऄवतररि ईन बैंकों को भी शावमल क्रकया गया वजनका स्वावमत्व
वनजी हाथों में रहने क्रदया गया। छोटा अकार व के वल छोटे क्षेत्रों में ईपवस्थवत के कारण आन
बैंकों का राष्ट्रीयकरण नही क्रकया गया था। जैसे - धनलक्ष्मी बैंक, वसटी यूवनयन बैंक अक्रद।
o नए बैंक (New banks): 1990 एवं आसके पिात् गरठत बैंकों को नए बैंकों के ऄंतगथत रखा
गया है। बैंककग वववनयमन ऄवधवनयम में 1993 में संशोधन के बाद अर्तथक सुधारों और
ववत्तीय क्षेत्र के सुधारों को लागू करने के साथ गरठत बैंक "नए वनजी क्षेत्र के बैंक" कहलाए।
आस ऄवधवनयम ने भारतीय बैंककग क्षेत्र में नए वनजी क्षेत्र के बैंकों के प्रवेश की ऄनुमवत दी थी,
जैस-े एवक्सस बैंक, कोटक मसहद्रा बैंक अक्रद।
o हाल ही में 2014 में भारतीय ररजवथ बैंक ने नवीन बैंकों के वलए लाआसेंस जारी क्रकया। RBI ने
लघु बैंकों (small banks) और भुगतान बैंकों (payment banks) की स्थापना का भी
प्रस्ताव प्रस्तुत क्रकया। आन्हें वनस बैंक (niche bank) या ववभेदीकृ त बैंक (differentiated
banks) कहा जाता है। ये बैंक अबादी के एक वनवित जनसांवख्यकीय वहस्से और ईसकी
अवश्यकतां पर के वन्द्रत बैंक हैं तथा कमजोर वगषों के मध्य ऊण देने की गवतवववध को
संपाक्रदत करते हैं। आनका मुख्य ईद्देश्य ववत्तीय समावेशन को बढ़ाना है।
लघु ववत्त बैंक (Small Finance banks: SFBs)
लघु ववत्त बैंक जमा और ऊण की अपूर्तत जैसी मूलभूत बैंककग सेवाएं प्रदान करें गे। परन्तु आनका
पररचालन क्षेत्र सीवमत होगा। आस प्रकार, आन्हें वावणवययक बैंकों का छोटा संस्करण कहा जा सकता
है, वजनके कायथ जमा स्वीकार करना और ऊण देना दोनों ही होंगे। ये ववदेशी मुद्रा, पूयूचऄ
ु ल िं ड,
बीमा, पेंशन अक्रद से संबद्ध कायथ कर सकते हैं और पूणथकावलक बैंक में ूपपांतररत भी हो सकते हैं।
मुख्य ूपप से कृ वष के साथ-साथ सूक्ष्म, लघु और मध्यम ईद्योगों के ववकास के वलए आनकी स्थापना
की गइ है।
SFBs के वलए शतें:
बैंककग और ववत्त क्षेत्र में 10 वषथ का ऄनुभव रखने वाले वनवासी व्यवि/पेशेवर लघु ववत्त बैंक की
स्थापना करने के पात्र होंगे। SFBs की 100 करोड़ रुपये की न्यूनतम पेड ऄप कै वपटल होगी।
PSL) के मानदंडों में बदलाव वववाद का एक ववषय होगा। भारतीय ररजवथ बैंक के पास अवेदन
करने से पहले, कु छ ववदेशी बैंकों ने आन वनयमों में छु ट की ऄपील की थी। कें द्रीय बैंक के ऄनुसार
भारतीय बैंकों के समकक्ष ववदेशी बैंकों को भी PSL में ऄपने ऊण का 40 प्रवतशत योगदान करना
होगा। आसमें से, कृ वष क्षेत्र को 18 प्रवतशत क्रदया जाना है। आससे पहले ववदेशी बैंकों के वलए PSL
में 32 िीसदी (20 से ऄवधक शाखां वाले ववदेशी बैंकों के वलए यह 40 िीसदी थी) ऊण देना
वनधाथररत था। लेक्रकन ईन्हें पूणथ स्वावमत्व वाली सहायक कं पवनयों की स्थापना के पांच वषषों के
भीतर 40 प्रवतशत के मानकों का पालन करना होगा।
RBI के ऄनुसार ऄगस्त 2010 के बाद से भारत में प्रवेश करने वाले ववदेशी बैंकों को ऄपनी
शाखां को पूणथ स्वावमत्व वाली सहायक कं पवनयों में बदलना होगा।
विटेन के स्टैण्डडथ चाटथडथ बैंक की भारत में सवाथवधक शाखायें हैं। ववदेशों में कायथरत बैंकों में मुख्य
बैंक SBI, BOB, BOI, के नरा बैंक अक्रद हैं। विटेन में भारतीय बैंकों की सवाथवधक शाखायें हैं।
वनकाल सकते हैं, तथावप प्रवत सप्ताह क्रकतनी बार धनरावश की वनकासी करनी है आस पर कु छ
पाबंक्रदयां होती है। आसमें बैंक कम बचत और कम अय वाले पररवारों की ऄल्प रावशयों को जमा
करके ऄत्यवधक रावश एकवत्रत कर लेते हैं। आसके तहत ब्याज दरें चालू खाता से बेहतर होती हैं,
परन्तु साववध जमा से कम होती हैं।
चालू खाता: आसे मांग जमा के ूपप में भी जाना जाता है। ग्राहक की िे वडट (साख) योग्यता सावबत
करने की कु छ शतषों को पूरा करने के बाद बैंक आस खाते को अरपूभ करता है। रावश जमा करने और
वनकासी की संख्या पर कोइ सीमा नहीं है। सामान्यतया, चालू खाते की जमां पर कोइ ब्याज
नहीं क्रदया जाता है।
(b) ऊण और ऄवग्रम रावश: वावणवययक बैंक, ऄथथव्यवस्था में ईद्योगों, व्यवियों, व्यवसायों, कृ षकों
अक्रद को ऄल्पकावलक ऊण व ऄवग्रम रावश प्रदान कर महत्वपूणथ भूवमका वनभाते हैं। वे वनयाथत और
अयात व्यापार के वलए भी ऊण प्रदान करते हैं।
लेटसथ ऑफ़ िे वडट: बैंक ऄपने ग्राहकों को ऊण पत्र जारी करते हैं। व्यापाररयों द्वारा ऊण//साख पर
ववदेशी माल खरीदने में आनका ईपयोग क्रकया जाता है।
(d) एजेंसी सेवाएं: वावणवययक बैंक ऄपने ग्राहकों के वलए एजेंन्ट के ूपप में भी वववभन्न कायथ करते हैं।
आन सेवां को एजेंसी सेवाएं कहा जाता है। आन एजेंसी सेवां में चेक/ड्राफ्ट की ईगाही/भुगतान,
प्रवतभूवतयों का िय-वविय, ट्रस्टी वनष्पादक अक्रद कायथ तथा पत्र-व्यवहार शावमल होते हैं।
संग्रह: वावणवययक बैंक ऄपने ग्राहकों के वलए एजेंट के ूपप में प्रवतज्ञा नो्स, चेक, वबल, लाभांश,
सदस्यता, क्रकराया अक्रद का संग्रह करते हैं। ऄपने ग्राहकों को आन सेवां को प्रदान करने के एवज
भुगतान: बैंक ऄपने ग्राहकों के वलए समय-समय पर बीमा प्रीवमयम, क्रकराया, कर, वबजली वबल
अक्रद का भुगतान करने की वज़पूमेदारी स्वीकार करते हैं, वजसके वलए वे कमीशन लेते हैं।
2.1.3.4. भारत में वावणवययक बैं कों की समस्याएं (Problems of Commercial Banks in
India)
हालांक्रक, वावणवययक बैंकों ने शाखां के ववस्तार, जमा संग्रह करने, प्राथवमक क्षेत्रों और समाज के
कमजोर वगषों को ऊण देने के मामले में महत्वपूणथ प्रगवत की है, तथावप ये वववभन्न मामलों में कइ
यूवनट ट्रस्ट ऑफ़ आं वडया, पूयुचुऄल िं ड अक्रद के साथ भी प्रवतस्पधाथ का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसा प्रतीत होता है क्रक ऄनेक प्रयासों के बावजूद, बैंकों में एकवत्रत जमाएँ वतथमान की अर्तथक
अवश्यकतां की पूर्तत हेतु पयाथप्त नहीं हैं। यह भी अलोचना की गइ है क्रक बैंकों के वलए जमा
जुटाने की योजनाएँ ग्रामीण क्षेत्रों में संभाववत जमाकताथं की अवश्यकतां के ऄनुूपप नहीं है।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, रायय ववत्तीय वनगम अक्रद जैसी ऄनेक ववत्तीय संस्थाएं मौजूद हैं। आन ऄनेक
संस्थां की मौजूदगी तथा आन संस्थां के मध्य समन्वय की ऄनुपवस्थवत के पररणामस्वूपप
िजी/जाली ववत्तपोषण, ओवर-िाआनेंससग या ऄंडर-िाआनेंससग अक्रद समस्याएँ ईत्पन्न होती है।
कृ वष के वलए ऄपयाथप्त ऊण: यद्यवप वावणवययक बैंकों ने कृ वष क्षेत्र की ववत्तीय अवश्यकतां और
आससे संबद्ध गवतवववधयों को पूरा करने के वलए ईल्लेखनीय प्रयास क्रकए हैं, तथावप ऄपेक्षाकृ त
ऄवधक प्रयासों की अवश्यकता है क्योंक्रक वावणवययक बैंकों द्वारा कृ वष क्षेत्र को प्रदत्त कु ल सहायता
आस क्षेत्र की अवश्यकतां का 10% भी नहीं है।
ग्रामीण क्षेत्रों में ऄपयाथप्त बैंककग सुववधाएं: ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों की संख्या बैंककग सेवां की
अवश्यकतां की तुलना में कािी कम है।
ु न: हालांक्रक वावणवययक बैंकों ने देश के वववभन्न वहस्सों में ऄपनी शाखाएं खोली हैं,
क्षेत्रीय ऄसंतल
परं तु ये समान ूपप से ववतररत नहीं हैं। भारतीय ररजवथ बैंक की एक ररपोटथ के ऄनुसार अधी
शाखाएं दवक्षणी और पविमी क्षेत्रों में कें क्रद्रत हैं। ऄसम, जपूमू और कश्मीर, मवणपुर, नागालैंड,
ओवडशा, वत्रपुरा, ईत्तर प्रदेश और पविम बंगाल जैसे राययों को ऄल्प बैंककग सुववधा वाले क्षेत्र
कहा जा सकता है।
कम लाभप्रदता: प्राथवमक क्षेत्रों को ववत्तपोषण, ग्रामीण क्षेत्रों, गैर-बैंक्रकग वाले क्षेत्रों एवं वपछड़े
क्षेत्रों में शाखाएं खोलने, कमजोर वगषों को कम ब्याज दर पर ऊण देने, वेतन और संगठन की
लागत में वृवद्ध तथा ऄवतदेयता में वृवद्ध के कारण भारत में वावणवययक बैंकों के लाभ दर में
वगरावट अइ हैं। लागत में वृवद्ध, ऄक्षमता, नौकरशाही रवैया, प्रभावी लागत वनयंत्रण की
ऄनुपवस्थवत, वैधावनक तरलता ऄनुपात और नकद अरवक्षत ऄनुपात अक्रद में वृवद्ध के कारण आन
वावणवययक बैंकों की लाभप्रदता में कमी अइ है।
कम कायथकुशलता: बैंकों के राष्ट्रीयकरण से बैंककग ईद्योग में सावथजवनक क्षेत्र के सभी दोष प्रवेश कर
गये हैं। आनमें प्रबंधकों का नौकरशाही दृवष्टकोण, पहल करने की कमी, लाल-फ़ीताशाही, ऄत्यवधक
ववलपूब, प्रवतबद्धता की कमी, वजपूमेदारी का ऄभाव, कायथ के प्रवत ईदासीनता अक्रद सवपूमवलत हैं।
आससे बैंकों की दक्षता में कमी अती है।
राजनीवतक दबाव: बैंकों के राष्ट्रीयकरण ने बैंकों के सभी स्तरों पर राजनीवतक हस्तक्षेप और
राजनीवतक दबाव में वृवद्ध की है। राजनीवतक दबावों के कारण कइ बार ऄल्प दक्षता वाले
कमथचाररयों की वनयुवि होती है, तथा ऄयोग्य व्यवियों को ऄवग्रम ऊण क्रदए जाते हैं।
करने के वलए ईदार ऊण नीवत ऄपनाइ गयी हैं वजसके कारण NPA की मात्रा में वृवद्ध हुइ है।
िलस्वूपप बैंकों को प्रोववजसनग में ऄवधक पैसा लगाना पड़ता है वजससे ऊण देने हेतु ईनके पास
ऄल्प पूँजी शेष रह जाती है, वजसके कारण लाभप्रदता में भी कमी अती है।
भारत में स्थावपत ववदेशी बैंकों के समान भारतीय बैंक भी ववदेशों में ऄपनी शाखाएं या सहायक
संस्थान स्थावपत करते हैं। सावथजवनक और वनजी क्षेत्र दोनों बैंकों की ववदेशों में शाखाएं हैं।
ऑिशोर (ऄपतटीय) बैंककग आकाआयां बहामास, के मैन द्वीप, चैनल द्वीपों, मॉरीशस अक्रद जगहों
पर वस्थत हैं। ऄपेक्षाकृ त ऄवधक ईदार कर कानूनों वाले देशों में ऄपतटीय बैंक में वस्थत होते हैं।
2.4. बैं क बनाम गै र -बैं ककग ववत्तीय कं पवनयां (Banks v/s Non-Banking
Financial Companies: NBFCs)
वे कपूपवनयाँ जो कं पनी ऄवधवनयम, 1956 के ऄंतगथत पंजीकृ त हो तथा वजनका मुख्य कायथ ईधार
देना, वववभन्न प्रकार के शेयरों/स्टॉक/बांड्स/वडबेंचरों/प्रवतभूवतयों और क्रकसी योजना ऄथवा
व्यवस्था के ऄंतगथत एकमुश्त ूपप से ऄथवा क्रकस्तों में जमारावशयां प्राप्त करना हो, गैर-बैंककग
ववत्तीय कपूपवनयाँ (NBFCs) कहलाती हैं।
ककतु, क्रकसी NBFC में ऐसी कोइ भी संस्था सवपूमवलत नहीं होती है वजसका मुख्य कायथ कृ वष,
औद्योवगक एवं व्यापार संबंधी गवतवववधयां हो ऄथवा जो ऄचल संपवत्त के वविय/िय/वनमाथण
संबंधी गवतवववधयों में संलग्न हो।
NBFCs ऊण प्रदान करती हैं और वनवेश भी करती हैं। आसवलए ईनकी गवतवववधयां बैंकों के
समान हैं; हालांक्रक आनके मध्य कु छ ऄंतर भी ववद्यमान हैं, जो वनम्नवलवखत हैं:
o NBFCs मांग जमा स्वीकार नहीं कर सकती हैं;
o NBFCs भुगतान और वनपटान प्रणाली (payment and settlement system) का
वहस्सा नहीं हैं और आनके पास चेक जारी करने की शवि नहीं हैं;
o सामान्य बैंकों के ववपरीत वनक्षेप बीमा और प्रत्यय गारं टी वनगम (Deposit Insurance
and Credit Guarantee Corporation) की जमा बीमा सुववधा NBFCs के जमाकताथं
के वलए ईपलब्ध नहीं होती है।
ऄवनवायथ है। यक्रद कोइ संस्था पंजीकरण प्रमाण-पत्र प्राप्त क्रकए वबना मुख्य व्यवसाय के तौर पर
गैर-बैंककग ववत्तीय गवतवववधयों (जैसे ईधार देना, वनवेश करना या जमारावशयाँ स्वीकार करना)
में संलग्न पाइ जाती है तो RBI आस संस्था पर दंड या जुमाथना अरोवपत कर सकता है या ईस पर
कोइ भी NBFC, RBI से पंजीकरण प्रमाण-पत्र प्राप्त क्रकए वबना तथा 25 लाख ूपपए के वनवल
स्वावधकृ त वनवध (Net Owned Funds: NOF) के वबना गैर-बैंककग ववत्तीय संस्थान के ूपप में
NBFCs को कं पनी ऄवधवनयम, 1956 के तहत सवपूमवलत (वनगवमत) क्रकया गया है। NBFCs को
NBFC की एक और श्रेणी हैं। आनका मुख्य कायथ जमा स्वीकार करना और स्वीकृ त
भारतीय ररज़वथ बैंक सभी ववत्तीय कं पवनयों का वववनयमन नहीं करता है। कु छ कं पवनयों के
वववनयमन एवं पयथवेक्षण हेतु ववशेष वववनयामक हैं, जैस-े बीमा कपवनयों के वलए आरडा (IRDA);
मचेंट बैंककग कं पनी/वेंचर कै वपटल िं ड/स्टॉक िोककग कं पनी/पूयुचुऄल िं ड अक्रद के वलए भारतीय
प्रवतभूवत और वववनमय बोडथ (SEBI); अवास ववत्त कपंवनयों के वलए राष्ट्रीय अवास बैंक (NHB);
वनवध (Nidhi) कं पवनयों के वलए कं पनी कायथ ववभाग (DCA) {वनवध कं पवनयां, कं पनी ऄवधवनयम,
1956 के सेक्शन 620A के तहत ऄवधसूवचत होती हैं} और वचट िं ड कं पवनयों के वलए रायय
सरकारें । ऐसी वववशष्ट वववनयामक वाली ववत्तीय कं पवनयों को ररज़वथ बैंक ने कइ प्रकार की
वववनयामक ऄपेक्षां से ववशेष छू ट प्रदान की है, जैस-े पंजीकरण, चलवनवध पररसंपवत्तयां बनाए
नीचे क्रदए गए चाटथ में वववभन्न NBFCs से संबंवधत वववभन्न वववनयामकों को दशाथया गया है:
गैर-बैंककग ववत्तीय क्षेत्र संचालन, वववभन्न प्रकार के ईत्पादों और ईपकरणों, तकनीकी पररष्कार
अक्रद के मामले में ऄत्यंत ववकवसत हुअ है। हाल के वषषों में, NBFCs के महत्व में वृवद्ध हुइ है तथा
आन्होने समग्र ववत्तीय क्षेत्र में ऄपनी पैठ जमा ली है। RBI की वववनयामकीय ऄनुक्रियां ने भी आस
क्षेत्र के ववकास के साथ तालमेल बनाये रखा है। ववशेष ूपप से, वववनयमन ने जमाकताथं के वहतों
के संरक्षण के मुद्दे का पयाथप्त ूपप से समाधान क्रकया है। यह मुद्दा RBI की सचता का ववषय है।
NBFCs के वलए वववनयामकीय व्यवस्था कम कठोर है तथा कइ मामलों में बैंकों से वभन्न है। हाल
के वषषों में NBFCs को क्रदए जाने वाले बैंक ऊण में हुइ वनरं तर वृवद्ध का ऄथथ यह है क्रक ऄल्प
वववनयवमत NBFCs सेक्टर के कारण बैंककग क्षेत्र में जोवखमों के बढ़ने की संभावना को ऄब
खाररज नहीं क्रकया जा सकता है।
कु ल पररसंपवत्तयों के अधार पर NBFCs क्षेत्र का अकार लगभग 12.5 रट्रवलयन रुपया है। यह
बैंककग क्षेत्र (वजसका अकार कु ल पररसंपवत्तयों के अधार पर 96.7 रट्रवलयन रुपया है) का लगभग
13% है।
हालांक्रक यह तकथ देना करठन है क्रक ऄपने छोटे अकार के कारण क्रकसी ववशेष NBFC की
ऄसिलता बैंकों के प्रणालीगत जोवखम में वृवद्ध करे गी। परं तु यह ख़ाररज नहीं क्रकया जा सकता है
क्रक ईनकी सामूवहक वविलता, ववशेष ूपप से बैंक-ववत्त NBFC संबंधों के प्रकाश में, वनवित तौर
पर ववत्तीय प्रणाली को एक प्रणालीगत जोवखम के प्रवत सुभेद्य बना देंगी।
गैर-बैंककग ववत्तीय कं पवनयां कभी-कभी ऄपने ऊणकताथं से ईच्च ब्याज दर वसूल करती हैं। RBI
ने ववत्तीय संस्थां (NBFC-माआिो िाआनेंस आं स्टीट्यूशन के ऄवतररि) से ऊण प्राप्त करने वाले
ऊणकताथं के वलए ब्याज दरों के वनधाथरण को वनयंत्रण-मुि कर क्रदया है। कं पनी द्वारा वसूली
जाने वाली ब्याज की दर वस्तुतः ऊणकताथ और NBFC के बीच दजथ ऊण समझौते के वनयम और
शतषों द्वारा वनयंवत्रत होती है। हालांक्रक, NBFCs को पारदशी होना चावहए और वववभन्न श्रेवणयों
के ऊणकताथं को ऊण अवेदन पत्र में ब्याज की दर से स्पष्ट तौर पर ऄवगत क्रकया जाना चावहए।
RBI ने गैर-बैंककग ववत्तीय कं पवनयों (NBFCs) से संबंवधत ईषा थोराट सवमवत की ररपोटथ जारी की है।
सवमवत की कु छ महत्वपूणथ वसिाररशें वनम्नवलवखत हैं:
ँ ी: सवमवत ने सुझाव क्रदया है क्रक NBFCs के पंजीकरण के तीन वषथ के
NBFCs की रटयर I पूज
भीतर पूज
ं ी पयाथप्तता की दृवष्ट से ईनकी न्यूनतम रटयर I पूंजी 12 प्रवतशत होनी चावहए। ऄब तक
NBFC को 15% पूज
ं ी पयाथप्तता की अवश्यकता होती है, परन्तु आसमें रटयर I या रटयर II के पूज
ं ी
की कोइ कठोर शतथ नहीं है।
तरलता ऄनुपात (Liquidity ratio): 30 क्रदनों के तरलता ऄनुपात का पालन क्रकया जाए। RBI ने
30 क्रदनों के वलए तरलता ऄनुपात बनाए रखने की वसिाररश की है। आसका ऄथथ है क्रक NBFC को
प्रत्येक महीने ऄपने ऊण भुगतान की बकाया रावश के बराबर नकद शेष रावश को ऄलग रखना
होगा। आस प्रकार यह ईपाय NBFC के पररसंपवत्त दावयत्व में होने वाले ऄसंतल
ु न पर वनयंत्रण हेतु
महत्वपूणथ होगा।
बैंकों पर लागू होने वाले ऄकाईं रटग वनयम NBFCs के वलए भी होने चावहए। सवमवत के ऄनुसार
1,000 करोड़ रुपये से ऄवधक पररसंपवत्तयों वाली सभी NBFCs को सेबी के सूचीबद्धता करार
की धारा 49 के तहत कं पनी के वनदेशक मंडल का गठन करना चावहए, चाहे ये NBFCs सूचीबद्ध
हैं या नहीं।
नवंबर 2014 में RBI ने NBFC के वलए कठोर वनयम जारी क्रकए थे। नए क्रदशावनदेशों के ऄनुसार
NBFCs को ऄवधक न्यूनतम पूज
ं ी की अवश्यकता होगी; ईन्हें ऄशोध्य ऊण (bad loan) की
घोषणा हेतु कम समय वमलेगा; साथ ही वनदेशक मंडल की वनयुवि के वलए ईवचत मानदंड
ऄपनाने होंगें।
चरणबद्ध तरीके से लागू होने वाले नए मानदंड 500 करोड़ रुपये का प्रबंधन करने वाली तथा
सावथजवनक जमा को स्वीकार करने वाली NBFCs के वलए लागू क्रकये गए हैं।
RBI द्वारा जमाकताथं के वहत में ववकवसत एक वववनयामकीय संरचना की मुख्य ववशेषताएं
वनम्नवलवखत हैं:
o RBI के साथ NBFCs का पंजीकरण वस्तुतः NBFCs को के वल ईनके व्यवसाय के संचालन
के वलए ऄवधकृ त करता है। RBI, NBFCs द्वारा स्वीकार क्रकए गए जमा के पुनभुथगतान की
गारं टी नहीं देता है।
o NBFCs ऄपने व्यवसाय का संचालन करते समय RBI के नाम का ईपयोग नहीं कर सकते
हैं।
o कु छ पररसंपवत्त ववत्त (ईपकरण पट्टे और क्रकराया खरीद ववत्त) कं पवनयों और ऄववशष्ट गैर-
बैंककग कं पवनयों (RNBCs) के ऄवतररि जमा स्वीकार करने वाले NBFCs को जमा संग्रह
के वलए ऄनुमोक्रदत िे वडट रे रटग एजेंसी द्वारा प्रदत्त न्यूनतम वनवेश ग्रेड की िे वडट रे रटग प्राप्त
होनी चावहए।
आस सवमवत के ऄध्यक्ष RBI के 13वें गवनथर श्री एम. नरससहम थे। भुगतान संतल
ु न (BoP) के संकट की
पृष्ठभूवम में आस सवमवत का गठन क्रकया गया था। ववत्तीय प्रणाली से संबंवधत सभी कारकों का ववश्लेषण
करने और आसकी दक्षता एवं ईत्पादकता में सुधार की वसिाररश करने के वलए आस सवमवत का गठन
क्रकया गया था। सवमवत की कु छ महत्वपूणथ वसिाररशें वनम्नवलवखत थीं:
1998 में श्री एम. नरससहम की ऄध्यक्षता में भारत सरकार के ववत्त मंत्रालय द्वारा आस सवमवत का गठन
क्रकया गया। आसका ईद्देश्य 1992 के पिात् बैंककग सुधारों के कायाथन्वयन की प्रगवत की समीक्षा करना
तथा भारत के ववत्तीय संस्थानों को ऄपेक्षाकृ त ऄवधक सशि बनाना था। सवमवत की ररपोटथ में बैंकों के
अकार और पूजं ी पयाथप्तता ऄनुपात जैसे मुद्दों पर ध्यान कें क्रद्रत क्रकया गया था। ररपोटथ की ऄन्य बातें:
एक सशि बैंककग प्रणाली की अवश्यकता: आसने सशि बैंकों के ववलय की वसिाररश की। आस
ववलय का ईद्योगों पर गुणक प्रभाव होगा। दो या तीन बड़े सशि बैंकों को काम करने के वलए
ऄंतरराष्ट्रीय या वैवश्वक मंच प्रदान क्रकए जाने की वसिाररश भी की गयी।
NPAs के वलए कठोर मानदंड: कु छ PSBs की पररसंपवत्त का लगभग 20 िीसदी वहस्सा NPAs
के तौर पर हैं। आन बैंकों के सिल कायाथन्वयन के वलए सवमवत ने संकीणथ बैंककग (Narrow
Banking) की संकल्पना की वसिाररश की। आसके ऄनुसार, कमजोर बैंकों द्वारा ऄपनी वनवधयों को
के वल ऄल्पाववध के वलए रखने तथा कम जोवखम वाली पररसंपवत्तयों में रखने की ऄनुमवत दी गइ।
PSBs के वलए ऄवधक स्वायत्तता: सावथजवनक क्षेत्र के बैंकों के वलए ईनके ऄंतराथष्ट्रीय समकक्षों के
समान व्यावसावयकता के साथ काम करने के वलए ऄवधकावधक स्वायत्तता का प्रस्ताव क्रदया गया।
सवमवत ने कहा क्रक राष्ट्रीयकृ त बैंकों में भारत सरकार की आक्रक्वटी को 33% तक कम कर क्रदया
जाए; आन बैंकों के वनदेशक मंडल से RBI ऄलग हो जाए; साथ ही बैंक बोडषों के कायषों की समीक्षा
की जानी चावहए।
पूजं ी पयाथप्तता मानदंड: भारतीय बैंककग प्रणाली को सुधारने के वलए सवमवत ने वसिाररश की थी
क्रक सरकार आन्हें जोवखम से भलीभांवत वनपटने में सक्षम बनाए। आसके वलए वनधाथररत पूंजी
पयाथप्तता मानदंड में वृवद्ध की वसिाररश की गयी। सवमवत ने पूज
ं ी पयाथप्तता ऄनुपात को वषथ 2000
तक 9% और 2002 तक 10% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा था। सवमवत ने आन अवश्यकतां को
पूरा करने में वविल रहने वाले बैंकों के वलए दंड की वसिाररश की।
हाल के क्रदनों में बैंककग क्षेत्र में दबाव ग्रस्त पररसंपवत्तयों में वृवद्ध होने के कारण NPAs का मुद्दा ऄवत
महत्वपूणथ हो गया है।
गैर-वनष्पाक्रदत अवस्तयां या पररसंपवत्तयां वस्तुतः क्रकसी बैंक या ववत्त कं पनी द्वारा प्रदान क्रकये गए
ऊण होते हैं, वजनका समय पर पुनभुथगतान या ईनपर देय ब्याज का समय पर भुगतान नहीं क्रकया
जाता है। आनको गैर-वनष्पाक्रदत ऊण भी कहा जाता है।
सामान्य भाषा में ऄनजथक या गैर-वनष्पाक्रदत पररसंपवत्तया (NPAs) बैंकों द्वारा प्रदान क्रकया गया
एक ऐसा ऊण या ऄवग्रम हैं वजसके मूलधन या ब्याज का भुगतान 90 क्रदनों की ऄववध तक बकाया
हो।
हालांक्रक कृ वष ऊण के वलए यह व्याख्या कु छ ऄलग है।
ऄल्पाववध की िसल के वलए यक्रद ऊण की क्रकस्त या ब्याज 2 िसल ऄववध तक नहीं क्रदया गया
तो ईसे “गैर वनष्पाक्रदत पररसंपवत्त” कहा जाएगा, जैसे क्रक धान, यवार, बाजरा अक्रद के वलये प्रदान
क्रकये गए कृ वष ऊण। दीघाथववध की िसल के वलए यक्रद ऊण की क्रकस्त या ब्याज 1 िसल ऄववध
तक नहीं क्रदया गया गयी तो ईसे “गैर वनष्पाक्रदत पररसंपवत्त” कहा जाएगा।
हाल के वषषों में सकल गैर-वनष्पाक्रदत पररसंपवत्तयों (GNPAs) के स्तर में तीव्र वृवद्ध हुइ है। यह
वसतंबर 2015 में 5.1 प्रवतशत से बढ़कर माचथ 2016 में 7.6 प्रवतशत हो गयी। यह वृवद्ध RBI
द्वारा की गयी पररसंपवत्त गुणवत्ता समीक्षा (asset quality review) के कारण हुअ है। आस
समीक्षा में पुनगथरठत कजथ का NPAs के ूपप में पुनवथगीकरण सवपूमवलत है। सावथजवनक क्षेत्रक के
बैंकों, वनजी क्षेत्रक के बैंकों और ववदेशी बैंकों की दबावग्रस्त पररसंपवत्तयां (गैर-वनष्पाक्रदत
पररसंपवत्तयां और पुनगथरठत ऊण) िमशः 14%, 4.6% तथा 3.4% हैं।
हालांक्रक, यक्रद हम कु छ समय पूवथ का पररदृश्य देखें तो भारतीय बैंककग प्रणाली की पररसंपवत्त
गुणवत्ता में बैंककग क्षेत्र में सुधारों के क्रियान्वयन से वनरं तर सुधार हो रहा था। बेसल मापदंडों के
क्रियान्वयन, SARFAESI ऄवधवनयम, िे वडट सूचना कं पनी ऄवधवनयम अक्रद के कारण सकल
NPA ऄनुपात 1996-97 के 15.7 प्रवतशत से घटकर 2010-11 में 2.36 प्रवतशत हो गया था।
2014-15 में NPAs में वृवद्ध का प्रमुख कारण वैवश्वक मंदी है, साथ ही अतंररक कारकों जैसे घरे लू
ऄथथव्यवस्था में मंदी को भी आस वृवद्ध के वलये वजपूमेदार ठहराया गया है।
हाल ही में बैंककग प्रणाली में NPAs में कमी लाने के वलये सरकार एवं RBI द्वारा कइ कदम ईठाये गए
हैं, वजनमें वनम्नवलवखत प्रमुख हैं:
दबावग्रस्त पररसंपवत्तयों की संधारणीय संरचना योजना (Scheme for Sustainable
Structuring of Stressed Assets: S4A): आसके ऄंतगथत बड़े ऊण वाली वजन पररयोजनां
का वावणवययक संचालन शुूप हो गया है, ऐसी पररयोजनाएँ S4A के तहत अती है। यहां
बैंक जब भी कोइ ऊण देते हैं तो ईन्हें ऐसे ऊण से होने वाले नुकसान (ऊण के पुनभुथगतान न होने
की वस्थवत में) से स्वयं को सुरवक्षत रखने के वलए कु छ वनवित रावश को ऄलग रखना होता है। आसे
ही प्रोववजसनग कहते हैं। ऊण के वडिॉल्ट (ऄथाथत जब पुनभुथगतान न हो पा रहा हो) होने पर बैंकों
को प्रवतकू ल ूपप से प्रभाववत होने से बचाने हेतु RBI ने प्रोववजसनग का वनयम बनाया है। बैंक को
प्रोववजन के बराबर रावश व्यवसाय से ऄलग रखनी पड़ती है।
स्टैंडडथ ऄकाईं ट या मानक पररसंपवत्तयों के संपूबंध में: RBI द्वारा बैंकों की ववत्तीय सुरक्षा हेतु बनाए
वनयमों के ऄनुसार बैंकों को स्टैंडडथ लोन के वलए भी प्रोववजन करना पड़ता है। स्टैंडडथ लोन के वलए
बैंकों को ईसके 0.40 िीसदी के बराबर की रावश की प्रोववजसनग करनी पड़ती है। कमर्तशयल
ररयल एस्टेट के मामले में यह 1 िीसदी है, जबक्रक छोटे ईद्यमों के वलए 0.25 िीसदी है।
सब-स्टैंडडथ या ऄवमानक पररसंपवत्तयों के वलए बैंक को बकाया रावश के 15 िीसदी के बराबर की
प्रोववजसनग करनी पड़ती है। वजस ऊण पर कोइ वसक्यूररटी नहीं होती है ईसमें बैंकों को 10
िीसदी ऄवतररि की प्रोवववजसनग करनी पड़ती है।
ं में: चूंक्रक ऐसे ऊण की सपूपूणथ बकाया रावश की
डाईटिु ल एसेट या संक्रदग्ध पररसंपवत्तयों के संबध
पुनप्राथवप्त की संभावना बहुत कम होती है। ऄतः आसकी प्रोववजसनग आस बात पर वनभथर करती है क्रक
ऊण क्रकतने वषषों से संक्रदग्ध पररसंपवत्तयों की श्रेणी में है। यक्रद कोइ ऊण एक वषथ तक संक्रदग्ध
रहता है, तो ईसकी 25 िीसदी प्रोववजसनग होगी, तीन वषथ तक संक्रदग्ध रहने पर 40 िीसदी और
ऑि कर क्रदया जाता है। ऐसे में बैंक को बकाया रावश के 100 िीसदी के बराबर प्रोववजसनग
करनी पड़ती है। ऊणकताथ के बकाया ब्याज और मूलधन का भुगतान होने पर NPA को मानक
ऊण श्रेणी में सवपूमवलत क्रकया जा सकता है। NPA को मानक श्रेणी में सवपूमवलत करने के वलए
बैंक प्राय: ऊणकताथ को बकाया भुगतान के वलए ऄवधक समय देकर और ब्याज दर को घटाकर
ऊण को पुनगथरठत कर देते हैं।
ऊण देने से पहले
ऊणकताथं की िे वडट जानकारी: NPAs की वनगरानी क्रकसी भी ववत्तीय संस्था के साथ-साथ
वनयामक की सबसे बड़ी सचतां में से एक है। आसके समाधान के वलए RBI ने बैंकों, महत्वपूणथ
गैर-बैंककग ववत्तीय कं पवनयों तथा NBFCs (50 वमवलयन रुपये तथा ईससे ऄवधक) के वलए बड़े
ऊणों से संबवं धत सूचना का कें द्रीय वनधान (Central Repository of Information on Large
Credits; CRILC) की स्थापना की है।
CRILC के सुस्पष्ट ईद्देश्य सुधाररत ऊण जोवखम मूल्यांकन के सूचना-ऄसंतुलन को कम करना
तथा वसूली प्रबंधन को सुधारना हैं। यद्यवप, CRILC की स्थापना मूलतः बैंकों और ऄन्य ववत्तीय
संस्थां को ईनके ऊण-प्रशासन को सुधारने में सहायता देने के वलए की गइ है, ककतु आससे यह
भी ऄपेवक्षत है क्रक जोवखम संकेंद्रण के वनमाथण तथा पररसंपवत्त गुणवत्ता संबंधी ईभरती हुइ
ऄवस्थरता के संबध
ं में पयथवेक्षी जोवखम के मूल्यांकन के वलए महत्वपूणथ आनपुट ईपलब्ध कराए।
प्रभावी वनकास नीवत (Effective Exit Policy): ऐसे खातें वजनमें सुधार की संभावना नहीं है
ईनके वलए बैंकों को एक सुपररभावषत ऊण वसूली नीवत बनानी चावहए तथा ऐसी प्रक्रियां को
ऄपनाना चावहए वजससे क्रक ऐसे प्रत्येक खातों से ईनके बकाया की वस्थवत के ऄनुसार वनपटा जा
सके । बैंकों को मौजूदा खातों के वलए या तो वववधक ववकल्प या गैर-वववधक ववकल्पों का सहारा
लेना चावहए।
न्यावयक ववलंब: न्यावयक प्रक्रिया में देरी SCs/RCs की वसूली प्रदशथन को प्रभाववत करने वाला
एक महत्वपूणथ कारक है। आसे SARFAESI ऄवधवनयम के तहत या ऊण वसूली ऄवधकरण के स्तर
पर रखना चावहए। NPAs के प्रभावी समाधान के वलए एक तीव्र और कु शल न्यावयक प्रणाली
अवश्यक है।
वसूली प्रक्रिया का ऄप्रभावी प्रदशथन: वसूली के स्तर पर प्रदशथन ऄवधक ईत्साहजनक नहीं है।
वतथमान में SCs/RCs की औसत वसूली दर (पररसंपवत्तयों के ऄवधग्रहण की तुलना में वसूली गयी
पररसंपवत्तयां) 31.0 प्रवतशत के लगभग है।
बैंकों द्वारा ARCs को NPAs की वबिी के वलए गैर-पारदशी नीलामी प्रक्रिया: RBI ने यह भी
सलाह दी है क्रक बैंकों द्वारा ARCs को NPA की वबिी के वलए ईपयोग में ली जाने वाली नीलामी
प्रक्रिया ऄपेक्षाकृ त ऄवधक पारदशी होनी चावहए।
NPAs का मूल्य वनधाथरण: खराब पररसंपवत्त पोटथिोवलयो में वनवेशक ऄवधक जोवखम के बदले
ऄवधक लाभ व ईच्च ररटनथ की ईपूमीद करते हैं। ऐसे में SCs / RCs द्वारा वजन पररसंपवत्तयों का
ऄवधग्रहण क्रकया जाना होता है, ईनकी व्यवहायथ कीमत नहीं होने की वस्थवत में NPAs की समस्या
और बढ़ जाती है।
अवधकाररक संख्या में पारदर्तशता: समस्या का एक स्पष्ट और पारदशी मूल्यांकन होना चावहए और
ईससे वहतधारकों को ऄवगत कराया जाना चावहए। समीक्षकों द्वारा गैर-वनष्पाक्रदत पररसंपवत्तयों
की अवधकाररक संख्यां पर सवाल ईठाए जा रहे हैं; यह ऄववश्वास की एक स्पष्ट ऄवभव्यवि है।
बैंकों का ऄवधक पूज
ं ीकरण: भले ही यह कायथ प्रदशथन पर अधाररत हो, परं तु यह पूणथ पारदर्तशता के
ऄभाव में ऄत्यंत खतरनाक कदम है। कइ बार बेहतर प्रदशथन करने वाले बैंक भी प्रकावशत ररपोटथ के
ववपरीत स्वयं को ऄचानक बदतर वस्थवत में दशाथने लगते हैं। बैंकों के पुनपूज
ूं ीकरण के मामले में
कोइ भी कदम ईठाने से पहले एक पूणथ पारदशी प्रक्रिया का पालन क्रकया जाना चावहए।
बैंकों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार: पी. जे. नायक की ऄध्यक्षता में गरठत सवमवत की
वसिाररशों पर ऄभी तक कोइ ववशेष कारथ वाइ प्रारं भ नहीं की गयी है, जबक्रक आसमें ऄत्यंत मूलभूत
प्रशासकीय सुधारों की वसिाररशें की गयी थी।
5 िरवरी 2016 को ववत्त संबंधी मामलों पर संसदीय स्थायी सवमवत द्वारा NPAs के संबंध में सुझाए
गए कु छ कदम वनम्नवलवखत है:
िॉरें वसक ऑवडट (Forensic audit): सवमवत ने ईन सभी पुनगथरठत ऊणों की तत्काल िॉरें वसक
ऑवडट की वसिाररश की है जो क्रक बैड डेब्ट में बदल गए थे। ववलिु ल वडफ़ॉल्ट के मामले में भी
िॉरें वसक ऑवडट की अवश्यकता की बात कही गयी है। िारें वसक ऑवडट एक व्यवि या कं पनी के
ववत्तीय वववरणों की सत्यता और वैधता वनधाथररत करने के वलए वनरीक्षण की एक प्रक्रिया है।
आसका प्रयोग कॉपोरे ट लेखांकन धोखाधड़ी का पता लगाने में होता है।
ं (DFIs) को पुनजीववत करना: पैनल ने ऄवसंरचना ईत्पादों
डेवलपमेंट िाआनैंवशयल आं वस्टट्यूशस
के ववत्तपोषण के वलए एक ‘जीवंत बांड बाजार’ (vibrant bond market) के ववकास की भी
वसिाररश की है।
o यह कहा गया है क्रक कें द्र को बड़ी पररयोजनां के दीघथकावलक ववत्तपोषण के वलए DFIs को
पुनजीववत करना चावहए।
ववलिु ल वडिॉल्टर के नाम प्रकट करना: पैनल ने RBI से बैंकों और ईधारकताथं के स्तर पर ईच्च
ऊण की वनगरानी के वलए सशि सवमवतयों को गरठत करने के वलए कहा है। ववलिु ल वडफ़ॉल्टरों
(कोइ संस्था या व्यवि वजसके पास ऊण चुकाने की क्षमता तो है पर वह जानबूझकर ऊण का
पुनभ
थ ुगतान नहीं कर रहा है) पर PSBs का कु ल 64,335 करोड़ रुपया या कु ल गैर-वनष्पाक्रदत
पररसंपवत्तयों (NPAs) का 21 प्रवतशत बकाया है।
o RBI के वववनयमनों के ऄनुसार, ववलिु ल वडफ़ॉल्टर का अशय है: पयाथप्त नकदी प्रवाह और
ऄच्छे नेटवथथ के बावजूद बकाया रावश का जानबूझकर भुगतान न करना, चूक करने वाली
आकाइ को हावन पहुँचाते हुए बेइमानी से पैसा वनकालना, पररसंपवत्तयों और प्रावप्तयों का
दुरुपयोग करना, वम्या प्रस्तुवत/ऄवभलेखों का वम्याकरण; बैंक की जानकारी के वबना
प्रवतभूवतयों का वनपटान/स्थानान्तरण; ऊणकताथ द्वारा धोखाधड़ी भरा लेन-देन।
वडिॉल्टर का नाम सावथजवनक ूपप से प्रकट करना : सवमवत ने कहा क्रक ऐसे वडफ़ॉल्टरों के
नाम गुप्त रखने का कोइ औवचत्य नहीं है, आसीवलए भारतीय ररजवथ बैंक से आसके क्रदशावनदेशों
में संशोधन करने को कहा गया है। यह भी वसिाररश की गइ क्रक प्रबंधन में पररवतथन को
ववलिु ल वडफ़ॉल्ट से जुड़े मामलों में ऄवनवायथ क्रकया जाना चावहए।
ववलिु ल वडफ़ॉल्टर के संबधं में ववत्त संबध
ं ी मामलों पर संसदीय स्थायी सवमवत की ऄनुशस ं ाएं:
सवमवत ने ऄनुशस ं ा की है क्रक रायय के स्वावमत्वाधीन बैंक ववलिु ल वडिाल्टर से जुड़े ऄपने संबंवधत
शीषथ 30 खातों का नाम सावथजवनक करें ।
यह वनवारक (deterrent) के ूपप में कायथ करे गा और वसूली के वलए या ऊण की अगे मंजरू ी देने में
प्रोमोटसथ से वनपटने में वववभन्न पक्षों द्वारा क्रदए जाने वाले दबावों और क्रकए जाने वाले हस्तक्षेपों का
सामना करने में बैंकों को समथथ बनाएगा।
सवमवत ने RBI ऄवधवनयम और ऄन्य कानूनों और क्रदशा-वनदेशों में संशोधन की ऄनुशंसा की है।
सवमवत दोनों मोचषों पर, RBI के स्तर पर और बैंकों के स्तर पर, समस्या के प्रबंधन से प्रसन्न नहीं है।
बैंकों को ऄपनी दबावग्रस्त पररसंपवत्तयों को कम करने और ऄपनी बैलेंस शीट के पररमाजथन की
तत्काल अवश्यकता है ताक्रक वे ऄथथव्यवस्था पर बोझ न बन जाएं।
बड़े ऊण पोटथिोवलयो की वस्थवत पर वनरं तर दृवष्ट रखने और वनष्कषषों के संबंध में सरकार और संसद
के समक्ष समय-समय पर ररपोटथ प्रस्तुत करने के वलए वववशष्ट कायथ सवमवतयों को ऄवधदेवशत क्रकया
जाना चावहए।
गैर-बैंककग संस्थां द्वारा स्थावपत एवं पररचावलत तथा आन संस्थां के स्वावमत्व के तहत अने वाले
एटीएम को व्हाआट लेबल एटीएम (WLA) कहते हैं। ये गैर-बैंककग एटीएम पररचालक भुगतान और
वनपटान प्रणाली ऄवधवनयम, 2007 के ऄंतगथत भारतीय ररज़वथ बैंक द्वारा प्रावधकृ त होते हैं।
सामान्य एटीएम और WLA के मध्य वनम्नवलवखत ऄंतर है:
WLA में, एटीएम मशीन और एटीएम पररसर में प्रदर्तशत बैंक लोगो के स्थान पर WLA
पररचालक का लोगो होगा। तथावप ग्राहक के वलए WLA का प्रयोग करना क्रकसी ऄन्य बैंक के
एटीएम (काडथ जारी करने वाले बैंक से आतर) के ईपयोग करने की तरह ही होगा।
वतथमान में WLA में नकदी जमा को स्वीकार करने की ऄनुमवत नहीं है।
एटीएम के प्रकार:
बैंक एटीएम- क्रकसी वववशष्ट बैंक द्वारा स्थावपत एवं संचावलत होता है।
िाईन लेबल एटीएम जब बैंक ऄपने एटीएम से सपूबंवधत कामकाज को क्रकसी तीसरे पक्ष को सौंप
देते हैं, तो ईस तीसरे पक्ष द्वारा स्थावपत एटीएम िाईन लेबल एटीएम कहलाते हैं। एटीएम पर ईस
बैंक का लोगो (Logo) लगा होता है, वजसने ईस तीसरे पक्ष को काम सौंपा है।
व्हाआट लेबल एटीएम (WLA)- गैर-बैंककग संस्था के स्वावमत्व वाले एटीएम को WLA कहा जाता
है। ईदाहरण के वलए मुथूट िाआनेंस एटीएम, टाटा आं वडकै श आत्याक्रद। आन पर क्रकसी बैंक का लोगो
(Logo) नहीं लगा होगा।
ववस्तृत ग्राहक सेवा के ईद्देश्य हेतु एटीएम के भौगोवलक ववस्तार को बढ़ाने के दृवष्टकोण से गैर-बैंककग
संस्थां को WLA की स्थापना करने की ऄनुमवत दी गयी है।
2.7.2. शै डो बैं क
शैडो बैंककग से अशय है- बैंक के समान कायथ करना परन्तु बैंककग जैसी कानूनी बाध्यता का न होना
और कानून का कठोर न होना। ऄंतराथष्ट्रीय स्तर पर ववत्तीय प्रावधकरणों के बीच समन्वय का कायथ
करने वाली संस्था िाआनेंवशयल स्टेवबवलटी बोडथ (FSB) के ऄनुसार बैंककग प्रणाली के बाहर
ववत्तीय लेन-देन का कायथ करने वाले व्यवि या संस्थानों को शैडो बैंककग की श्रेणी में रखा जाता है।
वपछले कु छ वषषों में शैडो बैंककग के अकार में पयाथप्त वृवद्ध हुइ है। शैडो बैंककग के कारण कइ देशों में
ववत्तीय वस्थरता के समक्ष खतरा ईत्पन्न हो गया है।
FSB के ऄनुसार 2002 में जहां शैडो बैंककग का अकार 26 लाख करोड़ डॉलर था, वहीं 2007 में
बढ़कर यह 62 लाख करोड़ डॉलर हो गया। हालांक्रक, वैवश्वक ववत्तीय संकट के कारण आसकी
गवतवववधयों में कु छ कमी अइ है, तथावप वषथ 2011 में यह 67 लाख करोड़ डॉलर के स्तर पर
पहुंच गया। यह वैवश्वक जीडीपी के 111 िीसदी के बराबर है। जहां तक शैडो बैंककग की शुरुअत
का प्रश्न है, तो यह शब्द ऄवधक पुराना नहीं है तथा ऄमेररका में वषथ 2008 के ववत्तीय संकट से कु छ
ही समय पहले आसकी शुरुअत हुइ थी। यहां तक की 2008 के ववत्तीय संकट के वलए कािी हद तक
शैडो बैंककग को भी वजपूमेदार माना जाता है।
शैडो बैंककग की शुूपअत कइ ूपपों में और कइ ऄलग-ऄलग स्थानों पर हुइ। कु छ ऐसी जगहों पर
जहां बैककग प्रणाली पूरी तरह से काम नहीं कर रही है वहां पर ईस वनवाथत को भरने के वलए शैडो
बैंककग की शुूपअत हुइ। चीन का ईदाहरण प्रस्तुत क्रकया जा सकता है। चीन में कोइ भी लघु
व्यवसाय शुूप करने के वलए सरकारी वनयंत्रणाधीन बैंकों से ऊण लेना आतना असान नहीं है। आस
वतथमान में भारतीय बैंककग क्षेत्र के पररप्रेक्ष्य में कोर बैंककग में प्रयुि शब्द कोर (CORE) का ऄथथ
है सेंट्रलाआज़्ड ऑन-लाआन ररयल-टाआम आनवायरमेंट (Centralized Online Real-time
Environment)। यह के न्द्रीयकृ त बैंककग की एक ऐसी प्रणाली है वजसके द्वारा आस प्रणाली से
सपूबद्ध सारे बैंक के न्द्रीयकृ त डेटा के न्द्रों का ईपयोग बैंककग लेन-देन से जुड़े सारे सौदों के वलए करते
हैं। कोर बैंककग में ररयल-टाआम अधार पर कायथ क्रकया जाता है तथा क्रकसी भी बैंक में हुअ कोइ भी
लेन-देन के न्द्रीय सवथरों द्वारा पूरी बैंककग प्रणाली में प्रवतसबवबत होता है। ऐसा कहा जा सकता है
क्रक कोर बैंककग में ईच्च स्तर की सूचना प्रौद्योवगकी का प्रयोग कर समग्र बैंककग प्रणाली को एक सूत्र
में वपरो कर बैंककग लेन-देनों में ऄवधक लचीलापन तथा पारदर्तशता सुवनवित की गइ है।
ं (Core Banking Solutions or CBS): यह बैंक शाखां की एक
कोर बैंककग सोल्यूशस
कें द्रीकृ त व्यवस्था है जो ग्राहकों को CBS नेटवकथ पर बैंक की क्रकसी भी शाखा से ऄपना खाता
संचावलत करने और बैंककग सेवां का लाभ ईठाने में सक्षम बनाती है। आस व्यवस्था के कारण ऄब
आससे कोइ िकथ नहीं पड़ता है क्रक एक ग्राहक का ऄपना खाता कहां है। आस व्यवस्था में ग्राहक
के वल ऄपनी शाखा का ग्राहक नहीं रह जाता है बवल्क वह बैंक का ग्राहक बन जाता है।
साथ ही CBS ने बैंककग तंत्र के सभी माध्यमों जैसे बैंक शाखा, एटीएम, आं टरनेट बैंककग, मोबाआल
एप तथा प्वाआं ट ऑि सेल (PoS) काईं टसथ को अपस में बड़ी कु शलता से संयोवजत कर क्रदया है।
आसी के साथ CBS ने ही सपूपूणथ बैंककग ईद्योग को एक तंत्र से जोड़ कर अपस में सूचनाएं ववतररत
करने का एक ऄत्यंत क्रकिायती तथा पारदशी माध्यम ईपलब्ध कराया है।
1969 के ऄंत में शुूप हुइ लीड बैंक स्कीम के तहत प्रत्येक बैंक (सावथजवनक क्षेत्र तथा वनजी क्षेत्र
दोनों में) को ईन्हें अवंरटत वज़लों के वलए ऄग्रणी भूवमका वनभाने का कायथ सौंपा गया। ग्रामीण
क्षेत्रों में शाखां के ऄपेक्षाकृ त बड़े नेटवकथ तथा पयाथप्त ववत्तीय एवं मानव संसाधन वाले बैंक को
सामान्यतः ईस वज़ले का ऄग्रणी दावयत्व सौंपा जाता है। तदनुसार देश के सभी वज़ले वववभन्न बैंकों
को अवंरटत क्रकए गए हैं। ऄग्रणी बैंक अवंरटत वज़लों में कृ वष, लघु ईद्योग तथा ग्रामीण तथा ऄधथ-
शहरी क्षेत्रों में प्राथवमकता प्राप्त क्षेत्रों में सवपूमवलत ऄन्य अर्तथक गवतवववधयों के वलए ऊण प्रवाह
बढ़ाने हेतु सभी ऊणदाता संस्थां के प्रयासों के वलए समन्वयक की भूवमका वनभाता है।
ईषा थोराट की ऄध्यक्षता में लीड बैंक स्कीम की समीक्षा के वलए गरठत सवमवत ने वसिाररश की
क्रक क्रकसी बैंक को ववत्तीय समावेशन (िाआनैंवशयल आन्क्ल्यूजन) को सुवनवित करने के वलए
साप्तावहक बैंककग अईटलेट खोलने और आसके पररचालन में पूरा सहयोग करना चावहए।
सवमवत ने कहा है क्रक 2,000 से ऄवधक जनसंख्या वाले गांवों में पूणथ ववत्तीय समावेशन को
सुवनवित करने के वलए ऐसा करना अवश्यक है। सवमवत की वसिाररश में यह भी कहा गया है क्रक
ररजवथ बैंक, बैंककग कॉरे स्पोंडें्स (ऐसे क्षेत्र में बैंककग सेवा शुूप करने में भूवमका वनभाने वाले लोग
जहां क्रक ऄभी तक शाखाएं नहीं खुली हैं) के मौजूदा वनयमों की भी समीक्षा करे गा वजससे क्रक
ऄवधकावधक श्रेवणयों को सवपूमवलत क्रकया जा सके ।
बैंककग लोकपाल योजना- 2006, भारतीय बैंकों के ग्राहकों की वशकायतों एवं समस्यां को
सुलझाने के वलये अरपूभ की गयी एक योजना है। आसके ऄन्तगथत एक 'बैंककग लोकपाल' की वनयुवि
की जाती है। बैंककग लोकपाल एक ऄधथ-न्यावयक प्रावधकारी होता है। वैसे तो बैंककग लोकपाल
योजना 1995 में ही लागू की गइ थी, परन्तु 2002 एवं 2006 में आस योजना का दायरा बढ़ाते
हुए कु छ संशोधन क्रकए गए, ताक्रक बैंकों द्वारा स्वच्छ, पारदशी, भेदभाव रवहत और वजपूमेदारी
पूवथक बैंककग सेवाएं प्रदान की जा सकें । यह एक स्वशासी स्वतंत्र संस्था है जो बैंकों द्वारा प्रदान की
गइ सेवां की वनगरानी में संलग्न है। ग्राहक समय पर सेवाएं न वमलने की वस्थवत में तथा क्रकसी
भी बैंक के ऄवधकारी व कमथचारी के वखलाि बैंककग लोकपाल के समक्ष डाक, इ-मेल, ऑन लाआन
अक्रद माध्यम से ऄपनी वशकायत दजथ करा सकता है। वन:शुल्क की जाने वाली आस वशकायत का
वनस्तारण तीस क्रदन के ऄंदर क्रकया जाता है। ग्राहकों को सुववधा देने व बैंकों में पारदर्तशता लाने के
वलए यह योजना संचावलत की गयी है।
2006 में RBI ने संशोवधत बैंककग लोकपाल योजना की घोषणा करते हुए आसके दायरे को बढ़ाया,
वजसमें कु छ नए क्षेत्रों में ग्राहक वशकायतों को सवपूमवलत करने का प्रावधान था, जैस-े िे वडट काडथ
के संबंध में वशकायतें, बैंकों के सेल्स एजेंटों द्वारा क्रकए गए वादों पर कायम रहने में बैंकों की
ऄसिलता, ग्राहक को नोरटस क्रदए वबना सेवा शुल्क अरोवपत करना और बैंकों द्वारा ईवचत
व्यवहार संवहता (fair practices code) का पालन न करना। यह संशोवधत योजना 1 जनवरी,
2006 से लागू हो गयी है और यह भारत में संचावलत सभी वावणवययक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों
और ऄनुसूवचत प्राथवमक सहकारी बैंकों पर लागू है।
संशोवधत बैंककग लोकपाल योजना में सभी कमथचारी बैंकों के बजाय RBI द्वारा वनयुि क्रकए जाएंगे
और आसका ववत्तपोषण भी RBI द्वारा क्रकया जाएगा। ऐसा आसवलए क्रकया गया है ताक्रक आसकी
प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सके । संशोवधत बैंककग लोकपाल योजना के ऄंतगथत, पररवादी
ऑनलाआन सवहत क्रकसी भी ूपप में ऄपने पररवाद प्रस्तुत कर सकें गे। बैंक ग्राहक, बैंककग लोकपाल
द्वारा क्रदए गए वनणथय के ववरुद्ध RBI में ऄपील भी कर सकें गे।
आस प्रकार यह नइ योजना बैंक ग्राहकों को बैंकों के ववूपद्ध िे वडट काडथ, सेवा प्रभार, बैंकों के सेल्स
एजेंटों द्वारा क्रकए गए लेक्रकन बैंकों द्वारा नहीं वनभाए गए वादों और साथ ही बैंक सेवां के
ववतरण में देरी से संबंवधत ऄपनी सामान्य वशकायतों का समाधान प्राप्त करने का एक मंच प्रदान
करती है। बैंक ग्राहक ऄब भुगतान न करने या बैंकों द्वारा वबलों या ववप्रेषण के प्रवत चेक के
भुगतान या संग्रहण में कोइ ऄपयाथप्त देरी और साथ ही बैंकों द्वारा छोटे मूल्यवगथ के नोटों और
वसक्कों की ऄस्वीकृ वत या छोटे मूल्यवगथ के नोटों और वसक्कों की स्वीकृ वत के वलए कमीशन प्रभाररत
करने के संबंध में वशकायत कर सकें गे।
RBI ने 2016 में सावथजवनक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और वनजी क्षेत्र के ICICI बैंक को
घरे लू प्रणालीगत महत्वपूणथ बैंकों (D-SIBS) के ूपप में वचवन्हत क्रकया है। वषथ 2017 में आन दोनों
बैंकों के साथ HDFC को D-SIBS में शावमल क्रकया गया है। D-SIBs को देश के बड़े बैंकों के ूपप
में देखा जाता है। आन बैंकों का ग्राहक अधार ऄत्यंत ववस्तृत है और ये कइ क्षेत्रों (बीमा/पेंशन) की
गवतवववधयों में संलग्न हैं। आन्हें 'टू वबग टु िे ल' (TBTF) माना जाता है क्योंक्रक आनके पास ववशाल
ईपभोिा अधार होने के साथ NBFC सहायक कं पवनयां भी हैं, आसवलए संकट के समय ये
सरकारी सहायता की ऄपेक्षा करते हैं।
2.7.9. प्राथवमकता क्षे त्र क ईधारी प्रमाण पत्र (Priority Sector Lending
Certificates: PSLCS)
भारतीय ररजवथ बैंक ने PSL प्रमाण पत्र जारी करने और व्यापार करने की ऄनुमवत दे दी है,
वजसके ऄंतगथत बैंक ऄपने प्राथवमकता क्षेत्रक ईधारी अवश्यकतां का प्रबंधन करने हेतु आस प्रकार
की िे वडट (प्रमाण पत्र) खरीद और बेच सकते है।
भारतीय ऄथथव्यवस्था
3. कें द्रीय बैंक और मौद्रद्रक नीतत
2.6. मौद्रद्रक नीतत बनाम राजकोषीय नीतत तथा मौद्रद्रक एवं राजकोषीय नीतत का तमश्रण ___________________________ 14
2.6.1. राजनीततक तववर्ताएाँ तथा ईद्देश्य _________________________________________________________ 14
2.6.2. तरलता पार् (Liquidity Trap) की समस्या __________________________________________________ 14
2.6.3. मौद्रद्रक और राजकोषीय नीततयों के समयांतराल में तभन्नता ________________________________________ 15
2.8. भारत में मौद्रद्रक नीतत का पुनः ऄवलोकन (Revision of Monetary Policy in India) _______________________ 17
2.10. फं ड की सीमांत लागत अधाररत ईधारी दर (Marginal Cost of funds based Lending Rate :MCLR) _______ 19
2.10.1. MCLR अरं भ करने के कारण ___________________________________________________________ 20
2.10.2. MCLR का लक्ष्य ____________________________________________________________________ 20
कें द्रीय बैंक वस्तुतः तनगथमन बैंक होता है, क्योंद्रक आसके द्वारा करें सी नोट एवं तसक्के जारी द्रकये
जाते हैं और ये नोट एवं तसक्के तवतधमान्य मुद्राएाँ (लीगल टेंडर ह होती हैं। कें द्रीय बैंक में एक तनगथमन
तवभाग (issue department) होता है, जो नोट और तसक्के जारी करने हेतु पूणत
थ ः ईत्तरदायी
होता है। हालााँद्रक आस महत्त्वपूणथ र्ति का दुरुपयोग न हो, आस हेतु कें द्रीय बैंक को कु छ तनतित
तसिांतों का पालन करना अवश्यक होता है। ये तसिांत प्रत्येक राष्ट्र में तभन्न-तभन्न होते हैं।
1.1.2. सरकार का बैं क , राजकोषीय एजें ट और परामर्थ दाता (Banker, Fiscal Agent
कें द्रीय बैंक सभी राष्ट्रों में सरकार के बैंक, राजकोषीय एजेंट और परामर्थदाता के रूप में कायथ
करता है।
सरकार के बैंक के रूप में कें द्रीय बैंक ईन्हीं कायों का तनष्पादन करता है तजनका तनष्पादन
वातणतययक बैंकों द्वारा ऄपने ग्राहकों हेतु द्रकया जाता है। कें द्रीय बैंक सरकार से नकद, चेक, ड्राफ्ट
अद्रद जमा स्वीकार करता है। यह सरकार को वेतन व भत्तों के भुगतान तथा ऄन्य नकद संतवतरण
के तलए नकदी प्रदान करता है। आसके साथ ही यह सरकार की र से भुगतान करता है, सरकार
को ऄल्पावतध ऊण प्रदान करता है एवं सरकार की र से तवदेर्ी मुद्रा का क्रय एवं तवक्रय करता
है।
राजकोषीय एजेंट के रूप में यह सावथजतनक ऊण का प्रबंधन करता है, सरकार की र से नए ऊण
जारी करता है, आन ऊणों के तलए ऄतभदान प्राप्त करता है, ईन पर ब्याज का भुगतान करता है
तथा ऄंत में आन ऊणों को चुकाता भी है। यह तवदेर्ी मुद्रा एवं तवतनमय के संबंध में एक
तनयंत्रणकताथ के रूप में सरकार के एजेंट तौर पर भी कायथ करता है।
कें द्रीय बैंक सरकार के तवत्तीय परामर्थदाता के रूप में भी कायथ करता है। यह सरकार को सभी
तवत्तीय एवं मौद्रद्रक मामलों तथा अर्थथक नीततयों के तनमाथण, जैसे- मुद्रास्फीतत या ऄवस्फीतत का
तनयंत्रण, मुद्रा का ऄवमूल्यन ऄथवा पुनमूथल्यन, घाटे की तवत्त व्यवस्था (deficit financing) का
ईपयोग, तवदेर् व्यापार नीतत, बजटीय नीतत अद्रद पर परामर्थ देता है।
कें द्रीय बैंक का वातणतययक बैंकों के साथ वैसा ही संबंध होता है जैसा वातणतययक बैंकों का सामान्य
जनता के साथ होता है। बैंकों के बैंक के रूप में कें द्रीय बैंक कइ कायथ तनष्पाद्रदत करता है। यह
वातणतययक और ऄन्य बैंकों के नक़दी ररजवथ के ऄतभरक्षक के रूप में कायथ करता है। ऄपने जमाओं
का एक भाग कें द्रीय बैंक के पास ररजवथ के रूप में रखना वातणतययक बैंकों का वैधातनक दातयत्व
होता है।
कें द्रीय बैंक वातणतययक बैंकों को ऊण, मुयय रूप से ऄल्पकातलक-ऊण, प्रदान करता है। यह ईन्हें
मागथदर्थन और तनदेर्न प्रदान करता है तथा ईनकी गतततवतधयों को तवतनयतमत करता है।
1.1.4. राष्ट्र के तवदे र्ी मु द्रा भं डार का ऄतभरक्षक (Custodian of Nation’s Foreign
Exchange Reserves)
कें द्रीय बैंक का ऄन्य महत्वपूणथ कायथ यह है द्रक यह देर् के तवदेर्ी मुद्रा भंडार का ऄतभरक्षक होता
है। तवदेर्ी मुद्रा भंडार के ऄतभरक्षक होने के चलते कें द्रीय बैंक तनम्नतलतखत कायों को संपन्न करता
है:
o चूंद्रक एक राष्ट्र के सभी तवदेर्ी मुद्रा लेनदेन कें द्रीय बैंक के माध्यम से होते हैं। ऄतः यह तवदेर्ी
मुद्रा की प्रातप्त और भुगतान दोनों का तनयंत्रण करता है।
o यह तवतनमय दर की तस्थरता बनाए रखने का प्रयास करता है। आस प्रयोजन के तलए यह
तवदेर्ी मुद्रा तवतनमय दरों में ईतार-चढ़ाव को कम करने हेतु बाज़ार में तवदेर्ी मुद्रा का क्रय
एवं तवक्रय करता है।
o यह सरकार द्वारा समय-समय तनधाथररत तवतनमय तनयंत्रण तवतनयमनों को प्रवर्थतत करता है।
कें द्रीय बैंक वातणतययक बैंकों के तलए ऊण प्रातप्त के ऄंततम साधन के रूप में भी कायथ करता है।
वातणतययक बैंकों के नकदी ररजवथ के ऄतभरक्षक होने के चलते आस कायथ को कें द्रीय बैंककग की एक
ऄतनवायथ र्तथ मानी जाती है।
जब वातणतययक बैंकों के संसाधन समाप्त हो जाते हैं तथा ईन्हें तनतधयों की अवश्यकता होती है,
तब वे सामतयक तवत्तीय संकट से ईबरने के तलए कें द्रीय बैंक की र ईन्मुख होते हैं। ऄंततम
ऊणदाता के रूप में कायथ करते हुए कें द्रीय बैंक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से वातणतययक बैंकों, बट्टाघरों
(discount houses), तबल ब्रोकरों एवं ऄन्य तवत्तीय संस्थानों को सभी ईतचत तवत्तीय सहायता
प्रदान करता है।
कें द्रीय बैंक वस्तुतः ऐसी संस्थाओं को ईनके तवत्तीय दबाव/वतनाव के समय ऄनुमोद्रदत प्रततभूततयों
पर बट्टा प्रदान कर एवं संपार्थ क ऊण और ऄतग्रम ईपलब्ध कर सहायता करता है।
कें द्रीय बैंक का एक ऄन्य महत्वपूणथ कायथ वातणतययक बैंकों के साख सृजन की गतततवतध को
तनयंतत्रत करना है। चूाँद्रक ‘क्रेतडट मनी’ (साख मुद्राह या ‘बैंक मनी’ वतथमान समय में मुद्रा (मनीह का
प्रमुख रूप है, आसतलए ऄथथव्यवस्था के व्यवतस्थत संचालन के तलए यह अवश्यक है द्रक ऊण की
अपूर्थत को ऄतनवायथतः तवतनयतमत द्रकया जाना चातहए।
आस प्रयोजन के तलए कें द्रीय बैंक ऊण तनयंत्रण की मात्रात्मक (quantitative) और गुणात्मक
(qualitative) तवतधयों को ऄपनाता है। मात्रात्मक तवतधयों का ईद्देश्य ऊण की लागत और
ईपलब्धता को तनयंतत्रत करना होता है, जबद्रक गुणात्मक तवतधयां ऊण के ईपयोग और द्रदर्ा को
प्रभातवत करती हैं।
एक तवकासर्ील देर् में कें द्रीय बैंक न के वल तथाकतथत पारं पररक कायों का तनष्पादन करता है,
ऄतपतु यह ऄनेक प्रोत्साहक एवं तवकासात्मक कायों को भी तनष्पाद्रदत करता है। आनमें से कु छ
महत्वपूणथ कायथ तनम्नतलतखत हैं:
o कें द्रीय बैंक को एक सुदढ़ ृ बैंककग प्रणाली के तवकास एवं प्रोत्साहन का ईत्तरदातयत्व सौंपा
जाता है। आस प्रयोजन हेतु यह वातणतययक बैंकों को ईदार एवं सस्ती पुनबथट्टाकरण सुतवधाएं
प्रदान करता है। आसके साथ ही यह तवतभन्न प्रकार की ररयायतें भी प्रदान करता है।
o कें द्रीय बैंक राष्ट्र के अर्थथक तवकास को प्रोत्सातहत करने हेतु तवतभन्न कायों का तनवथहन करता
है। यह कृ तष, ईद्योग और ऄथथव्यवस्था के ऄन्य क्षेत्रों के तवकास हेतु तनवेर् योग्य तनतध प्रदान
करने के तलए ‘तवकास बैंकों’ जैसे तवत्तीय संस्थानों के तवकास में सहायता करता है। आसके
साथ ही यह राष्ट्र में मुद्रा और पूंजी बाजार के तवकास में सहायता करता है तथा अर्थथक
तवकास को प्रोत्सातहत करने हेतु ईतचत मौद्रद्रक नीतत का भी ऄनुर्ीलन करता है।
o यह तवत्तीय ईत्पाद और सेवाओं, ऄच्छी तवत्तीय प्रथाओं, तडतजटलीकरण तथा ईपभोिा
संरक्षण के तवषय में जागरूता ईत्पन्न करता है।
कें द्रीय बैंक ऄथथव्यवस्था के तवतभन्न पहलुओं के संबंध में अवतधक अर्थथक और सांतययकीय सूचना
एकतत्रत करता है एवं अवतधक ररपोटथ प्रकातर्त करता है। यह ऄथथव्यवस्था की कायथपितत के
संबंध में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है। आसके साथ ही यह अर्थथक तवकास को बढ़ावा देने के
तलए सरकार को ईपयुि अर्थथक नीततयों का तनमाथण करने में भी समथथ बनाता है।
व्यापक रूप से मौद्रद्रक नीतत दो प्रकार की हो सकती है; तवस्तारवादी मौद्रद्रक नीतत
(Expansionary Monetary Policy) एवं संकुचनर्ील मौद्रद्रक नीतत (Contractionary
Monetary Policy)। सामान्यतया आन्हें क्रमर्: चीप मनी पॉतलसी एवं तडऄर मनी पॉतलसी भी
कहा जाता है।
तवस्तारवादी मौद्रद्रक नीतत, सरलता से ऊण ईपलब्ध कराकर ऄथथव्यवस्था में मुद्रा की अपूर्थत
बढ़ाती है। ऐसी नीतत के माध्यम से सृतजत मुद्रा को चीप मनी कहते हैं। तवस्तारवादी मौद्रद्रक नीतत
का ईपयोग ईस समय द्रकया जाता है जब ऄथथव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही होती है तथा साथ
ही संवृति का स्तर तनम्न एवं बेरोजगारी का स्तर ईच्च होता है। ईदाहरण के तलए 2008-09 में
भारत सतहत तवश्व के ऄतधकांर् देर्ों ने मंदी का सामना करने के तलए तवस्तारवादी मौद्रद्रक नीतत
ऄपनायी। परन्तु तवस्तारवादी मौद्रद्रक नीतत के ऄपने जोतखम होते हैं, यथा मुद्रास्फीतत। आसके साथ
ही, नीतत की घोषणा द्रकए जाने और ऄथथव्यवस्था में आसके प्रभावी होने में समय ऄंतराल होता है।
ऄतः कभी-कभी संवृति के संदभथ में ऄथथव्यवस्था में तवस्तारवादी मौद्रद्रक नीतत के समय पर वांतछत
प्रभाव नहीं प्राप्त होते।
दूसरी र संकुचनर्ील मौद्रद्रक नीतत ऄथथव्यवस्था में मुद्रा की अपूर्थत को कम कर देती है।
संकुचनर्ील मौद्रद्रक नीतत का ईपयोग ब्याज दरों को बढ़ाकर मुद्रास्फीतत के खतरे से तनपटने के
तलए द्रकया जाता है।
पांरपररक रूप से, तवतभन्न राष्ट्रों में तवतभन्न समयों तथा तवतभन्न अर्थथक पररतस्थततयों में मौद्रद्रक
नीतत के तवतभन्न ईद्देश्य रहते रहे हैं। मौद्रद्रक नीतत के समुतचत ईद्देश्य का चयन ऄथथव्यवस्था की
तवतर्ि तस्थततयों और अवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मौद्रद्रक प्रातधकरण द्वारा द्रकया जाता
है। भारत जैसे तवकासर्ील देर्ों के तलए आसका ईद्देश्य मौद्रद्रक तस्थरता को बनाए रखना एवं
अर्थथक समृति की प्रद्रक्रया में सहायता करना हो सकता है। वहीं तवकतसत राष्ट्रों में आसका ईद्देश्य
मुद्रास्फीतत रतहत पूणथ रोजगार की तस्थतत प्राप्त करना हो सकता है।
मौद्रद्रक नीतत के कु छ ईद्देश्यों को नीचे सूचीबि द्रकया गया है:
(a) अर्थथक संवतृ ि: द्रकसी भी मौद्रद्रक नीतत का सबसे महत्वपूणथ ईद्देश्य अर्थथक संवृति हातसल करना
होता है। मौद्रद्रक नीतत वास्ततवक ब्याज दरों एवं तनवेर् पर आसके पररणामी प्रभाव को तनयंतत्रत
कर अर्थथक समृति को प्रभातवत कर सकती है। यद्रद RBI ब्याज दरों को कम करके सस्ती ऊण
नीतत का तवकल्प चुनती है तो ऄथथव्यवस्था में तनवेर् स्तर को प्रोत्सातहत द्रकया जा सकता है। यह
संवर्थधत तनवेर् अर्थथक समृति को तीव्र गतत प्रदान कर सकता है।
(b) मूल्य तस्थरता: मुद्रास्फीतत और ऄवस्फीतत दोनों ऄथथव्यवस्था के तलए ईपयुि नहीं होते हैं। मूल्य
तस्थरता को मुद्रास्फीतत की तनम्न और तस्थर व्यवस्था के रूप में पररभातषत द्रकया गया है तथा
मूल्य तस्थरता का ईद्देश्य रखने वाली मौद्रद्रक नीतत मुद्रा के मूल्य को एकसमान बनाये रखने का
प्रयास करती है। तवकतसत राष्ट्रों के तलए, आसकी सीमा रे खा को लगभग 2 प्रततर्त माना जाता है
जो तवकासर्ील राष्ट्रों के तलए, ईनके अर्थथक समृति की ऄवस्था के अधार पर ईच्च हो सकती है।
यूरोतपयन सेन््ल बैंक, बैंक ऑफ आं ग्लैंड और बैंक ऑफ जापान जैसे ऄनेक प्रमुख कें द्रीय बैंकों ने
मूल्य तस्थरता को मौद्रद्रक नीतत के एकमात्र ईद्देश्य के रूप में ऄपनाया है। जब ऄथथव्यवस्था मंदी से
ग्रस्त हो तो ‘सस्ती मुद्रा नीतत (चीप मनी पॉतलसीह’, जबद्रक यद्रद मुद्रास्फीतत की तस्थतत हो तो
'दुलभ
थ मुद्रा नीतत (तडयर मनी पॉतलसीह’ ऄपनायी जानी चातहए।
(e) अय का समान तवतरण: पूवथ में कइ ऄथथर्ातस्त्रयों द्वारा अर्थथक समानता हातसल करने में
राजकोषीय नीतत की भूतमका का औतचत्य तसि द्रकया गया है। द्रकन्तु हाल के वषों में कु छ
ऄथथर्ातस्त्रयों ने राय दी है द्रक मौद्रद्रक नीतत अर्थथक समानता प्राप्त करने में पूरक भूतमका तनभा
सकती है। मौद्रद्रक नीतत के माध्यम से कृ तष, लघु ईद्योग, ग्रामोद्योग आत्याद्रद क्षेत्रकों के तलए तवर्ेष
प्रावधान द्रकया जा सकता है तथा ईन्हें दीघाथवतध के तलए सस्ता ऊण प्रदान ईपलब्ध कराया जा
सकता है। यह ईन क्षेत्रकों के तवकास हेतु लाभदायक तसि हो सकता है। आसके ऄततररक्त, मौद्रद्रक
प्रातधकरण राष्ट्र के ग्रामीण एवं तपछ़े े क्षेत्रों में बैंक तथा तवत्तीय संस्थानों की स्थापना में सहायता
कर सकते हैं। आस प्रकार, हाल के वषों में अर्थथक ऄसमानता कम करने में मौद्रद्रक नीतत की भूतमका
में ऄत्यतधक वृति हुइ है। RBI के पूवथ गवनथर सी. रं गराजन द्वारा दी गइ पररभाषा के ऄनुसार,
भारत में मौद्रद्रक नीतत के कु छ प्रमुख ईद्देश्य तनम्नतलतखत हैं:
मूल्य तस्थरता की ईतचत तस्थतत को बनाए रखने हेतु मौद्रद्रक तवस्तार को तवतनयतमत करना; एवं
अर्थथक समृति में सहायता करने के तलए ऊण में पयाथप्त तवस्तार सुतनतित करना।
कें द्रीय बैंक द्वारा मौद्रद्रक नीतत के तवतनयमन हेतु तवतभन्न ईपकरणों का प्रयोग द्रकया जाता है। ये दो
श्रेतणयों में वगीकृ त द्रकये जा सकते हैं:
2.4.1. मात्रात्मक साख तनयं त्र ण तवतधयााँ (Quantitative Credit Control Methods)
सांतवतधक तरलता ऄनुपात (Statutory Liquidity Ratio: SLR): सांतवतधक तरलता ऄनुपात
से ऄतभप्राय वातणतययक बैंकों की तरल पररसंपतत्तयों से है जो ईन्हें ऄपनी कु ल जमाओं के एक
न्यूनतम प्रततर्त के रूप में (दैतनक अधार परह ऄपने पास ऄवश्य रखनी होती है। तरल
पररसंपतत्तयों में र्ातमल हैं: नकद, स्वणथ, भारमुि ऄनुमोद्रदत प्रततभूततयां अद्रद। वातणतययक बैंक
सामान्य रूप से आस धन का ईपयोग सरकारी प्रततभूततयों के क्रय हेतु करते हैं। आस प्रकार,
सांतवतधक तरलता ऄनुपात एक र बैंककग प्रणाली की ऄततररि नकदी को सहजतापूवथक तनकाल
देते हैं तथा दूसरी र सरकार के तलए राजस्व जुटाने में ईपयोगी होते हैं। RBI आस ऄनुपात को
भारत में द्रकसी बैंक के कु ल जमा के ईस ऄनुपात (RBI द्वारा तनधाथररतह से है, तजसे RBI के पास
नकद रूप में रखा जाना ऄतनवायथ है। CRR जमाओं पर बैंकों को कोइ ब्याज ऄर्थजत नहीं होता है।
o प्रार्भ में CRR के तलए तनचली सीमा 3% तथा उपरी सीमा 20% तनधाथररत थी, परन्तु
संर्ोधनों द्वारा आन सीमाओं को हटा द्रदया गया। आससे RBI को वांतछत पररचालनगत
ईपलब्ध होता है। RBI ऄथथव्यवस्था में ऊण के दायरे को संकुतचत करने के तलए CRR में
o मौद्रद्रक नीतत के ईपकरण के रूप में CRR का ईपयोग ईस तस्थतत में द्रकया जाता है जब ऊण
और मुद्रास्फीतत को तनयंतत्रत करने की ऄपेक्षाकृ त गंभीर अवश्यकता होती है। ऄन्यथा, RBI
ऄपने मंत्य का संकेत देने के तलए रे पो और ररवसथ रे पो की नीततगत दरों पर तनभथर रहती
है।
बैंक दर (Bank Rate): बैंक दर से अर्य ईस ब्याज दर से है तजस पर RBI, वातणतययक बैंकों को
दीघाथवतधक ऊण सुतवधा प्रदान करता है। बैंक दर में पररवतथन ब्याज की ऄन्य बाजार दरों को
प्रभातवत करता है। बैंक दर में वृति के पररणामस्वरूप ब्याज की ऄन्य दरों में बढ़ोत्तरी होती है,
तथा आसमें तगरावट ब्याज की ऄन्य दरों में तगरावट का कारण बनती है। आसे बट्टा दर (discount
o वातणतययक बैंकों द्वारा ईत्पन्न ऊण के प्रवाह को प्रभातवत करने के तलए RBI द्वारा बैंक दर में
जानबूझकर हेरफे र करने को बैंक दर नीतत के रूप में जाना जाता है।
o बैंक दर में वृति के फलस्वरूप ऊण की लागत या ईधार लेने की लागत में बढ़ोत्तरी होती है।
ऄतः आसमें वृति ऊण की मांग में संकुचन ईत्पन्न करती है। ऊण की मांग में संकुचन
ऄथथव्यवस्था में धन की कु ल ईपलब्धता में कमी का कारण बनता है। आस प्रकार यह (बैंक दर
में वृतिह मुद्रास्फीतत-तनयंत्रक ईपकरण के रूप में भी कायथ करता है।
o आसी प्रकार, बैंक दर में तगरावट के कारण ब्याज की ऄन्य दरों तथा ऊण की लागत में
तगरावट अती है, ऄथाथत् ईधार लेना और भी सस्ता हो जाता है। सस्ता ऊण वस्तुतः तनवेर्
और ईपभोग प्रयोजनों, दोनों के तलए ईच्च मांग ईत्पन्न कर सकता है। ऊण के प्रवाह में वृति
के माध्यम से मुद्रा के संचलन (circulation) में वृति होती है। आस प्रकार, यह (बैंक दर में
कमीह ऄवस्फीतत-तनयंत्रक ईपकरण के रूप में कायथ कर सकता है।
o दातडडक-दरें (penal rates) बैंक दरों से संबि होती हैं। ईदाहरण के तलए, यद्रद कोइ बैंक
CRR एवं SLR के अवश्यक स्तरों को बनाए रखने में ऄसमथथ है, तो RBI ऐसे बैंकों पर दडड
द्रकया जाने वाला ब्याज दर होता है। आनके तलए प्रततभुततयों को जमानत के रूप में RBI के
पास रखा जाता है। ये प्रततभूततयां बैंकों द्वारा भतवष्य में द्रकसी भी समय पुनः खरीदी जा
सकती हैं।
o यद्रद RBI बैंकों के तलए धन ईधार लेना ऄतधक महाँगा बनाना चाहता है तो यह रे पो दर में
वृति करता है; तथा बैंकों के तलए धन ईधार लेना सस्ता बनाने हेतु यह रे पो दर में कमी लाता
है।
ररवसथ रे पो दर (Reverse Repo Rate): ररवसथ रे पो दर वह दर है तजस पर कें द्रीय बैंक
(RBI) बाजार से ईधार लेता है। आसे ररवसथ रे पो दर कहा जाता है, क्योंद्रक आसकी प्रद्रक्रया रे पो
रे ट के तवपरीत होती है।
o रे पो और ररवसथ रे पो दरों को नीततगत दरें भी कहा जाता है। प्राय: कें द्रीय बैंक (RBI) द्वारा
तवत्तीय व्यवस्था को ऄपने ऊण देने और ईधार लेने के संचालनों को समायोतजत करने का
संकेत देने के तलए आनका ईपयोग द्रकया जाता है।
o रे पो दरें और ररवसथ रे पो दरें नकदी समायोजन सुतवधा (LAF) का भाग होती हैं।
खुले बाज़ार की द्रक्रयाएाँ (Open Market Operations: OMOs): खुले बाज़ार की द्रक्रयाओं से
अर्य बैंककग प्रणाली में मुद्रा की मात्रा को तवस्ताररत या संकुतचत करने के तलए सरकारी
प्रततभूततयों की खरीद और तबक्री से है।
o यह तकनीक बैंक दर नीतत की तुलना में बेहतर है। आसके ऄंतगथत प्रततभूततयों को खरीद कर
बैंककग प्रणाली में मुद्रा को ऄंत:क्षेतपत (inject) द्रकया जाता है, जबद्रक प्रततभूततयों की तबक्री
आससे ठीक तवपरीत कायथ करती है।
o यह सामान्य तम्या धारणा है द्रक खुले बाजार की द्रक्रयाएाँ सरकारी प्रततभूततयों के कु ल स्टॉक
को पररवर्थतत कर देते हैं, जबद्रक यथाथथ में वे के वल RBI, वातणतययक तथा सहकारी बैंकों
द्वारा धाररत सरकारी प्रततभूततयों के ऄनुपात को पररवर्थतत करते हैं।
o RBI ने सरकारी प्रततभूततयों की तबक्री के ईपाय का बार्बार सहारा तलया है। आस प्रकार,
भारत में OMOs ने एक र ऄतधक बजटीय संसाधनों को ईपलब्ध कराने तथा दूसरी र
ऄथथव्यवस्था में तवद्यमान ऄततररक्त नकदी को सहजतापूवक
थ बाहर तनकाले जाने के ईपकरण
के रूप में कायथ द्रकया है।
2.4.2. गु णात्मक साख तनयं त्र ण तवतधयााँ (Qualitative Credit Control Methods)
ये ऐसे ईपकरण हैं तजनके माध्यम से कें द्रीय बैंक न के वल ऊणों का मूल्य (value of loans) तनयंतत्रत
करता है बतल्क ईस ईद्देश्य को भी तनयंतत्रत करता है तजसके तलए वातणतययक बैंकों द्वारा आन ऊणों को
तनर्ददि द्रकया जाता है। आनमें से कु छ तनम्नतलतखत हैं:
ययादातर रटकाउ ईपभोक्ता वस्तुएाँ जैस-े कार, टीवी, लैपटॉप अद्रद द्रकस्तों पर ईपलब्ध हैं, तजन्हें
बैंक ऊण द्वारा तवत्त पोतषत द्रकया जाता है। वातणतययक बैंकों द्वारा रटकाउ ईपभोिा वस्तुओं की
खरीद के तलए ईपलब्ध कराए जाने वाले आस प्रकार के ऊण को ईपभोक्ता ऊण कहा जाता है।
o यद्रद द्रकसी तवतर्ि ईपभोिा रटकाउ वस्तुओं के तलए मांग की ऄतधकता है तजससे ईसके मूल्य
बढ़ जाते हैं, तो कें द्रीय बैंक (a) तत्काल ऄदायगी की रातर् बढ़ाकर, तथा (b) ऐसे ऊण की
ऄदायगी की द्रकश्तों में कमी कर, ईपभोक्ता ऊण में कमी कर सकता है।
o दूसरी र, यद्रद कु छ तवतर्ि वस्तुओं के तलए मांग में कमी है तजससे ऄवस्फीतत की तस्थतत
ईत्पन्न होती है, तो कें द्रीय बैंक (a) तत्काल ऄदायगी की रातर् कम कर, एवं (b) ऐसे ऊण की
ऄदायगी की द्रकश्तों में बढ़ोत्तरी कर, ईपभोिा ऊण में बढ़ोत्तरी कर सकता है।
सीधी कारथ वाइ (Direct action): द्रकसी वातणतययक बैंक द्वारा वांछनीय ईद्देश्यों की ईपलतब्ध में
कें द्रीय बैंक के साथ सहयोग न करने की तस्थतत में सीधी कारथ वाइ का प्रयोग द्रकया जाता है। सीधी
कारथ वाइ ऄनेक रूपों में हो सकती है, यथा:
o कें द्रीय बैंक चूक करने वाले बैंकों पर बैंक दर से ऄततररक्त एवं ईच्च ब्याज दर प्रभाररत
सकता है;
o कें द्रीय बैंक ऐसे बैंकों के तबलों पर पुनबथट्टा देने से आन्कार कर सकता है जो आसके तनदेर्ों का
पालन नहीं कर रहे हों;
o कें द्रीय बैंक ऐसे बैंकों को और ऄतधक सहायता प्रदान करने से आंकार कर सकता है जो ऄपनी
पूंजी और अरतक्षत तनतधयों से ऄतधक ऊण ले रहे हों।
सीमांत अवश्यकताएाँ (Margin Requirements): सीमांत अवश्यकता से ऄतभप्राय, बैंक द्वारा
द्रदए गए ऊण तथा जमानत वाली वतथमान वस्तु के मूल्य के ऄंतर से है। सामान्य रूप से,
वातणतययक बैंक 'स्टॉक' या 'प्रततभूततयों’ के बदले ऊण प्रदान करते हैं। 'स्टॉक' या 'प्रततभूततयों’ के
एवज में ऊण प्रदान करते समय वे मार्थजन रखते हैं। मार्थजन से अर्य प्रततभूतत के बाजार मूल्य
एवं आसके ऄतधकतम ऊण मूल्य के बीच ऄंतर से है। ईदाहरणाथथ यद्रद एक वातणतययक बैंक
कीमतों को तनयंतत्रत करने में सीतमत भूतमका: आसके कु छ अलोचकों का मानना है द्रक, ररजवथ बैंक
की मौद्रद्रक नीतत ने मुद्रास्फीततजन्य दबाव को तनयंतत्रत करने में के वल सीतमत भूतमका तनभाइ है।
यह तस्थरता के साथ समृति दर में वृति के ईद्देश्य को प्राप्त करने में सफल नहीं हुइ है। मुद्रास्फीतत
का सामना करने में मौद्रद्रक नीतत की भूतमका के वल तभी प्रभावी हो सकती है जब यह नीतत के
समग्र फ्रेमवकथ का तहस्सा हो, तजसमें न के वल राजकोषीय और तवदेर्ी मुद्रा नीतत बतल्क
ऄथथव्यवस्था में संरचनात्मक पररवतथन भी सत्मतलत होते हैं। ईदाहरण के तलए, भारत में खराब
मानसून के पररणामस्वरूप खाद्य ईत्पादों की कीमतें बढ़ सकती है। ऐसी तस्थतत में खाद्य कीमतों
को तनयंतत्रत करने में मौद्रद्रक नीतत बहुत कारगर नहीं होगी बतल्क आसके स्थान पर संरचनात्मक
सुधारों (जैस-े बफर स्टॉक बनाए रखना, ऄपव्यय में कमी करना आत्याद्रदह एवं राजकोषीय नीतत
(जैस-े खाद्यान्नों का अयातह का तमश्रण वांछनीय है।
काले धन का ऄतस्तत्व: ऄथथव्यवस्था में काले धन का ऄतस्तत्व मौद्रद्रक नीतत की कायथप्रणाली को
सीतमत कर देता है। काले धन को ऄतभतलतखत नहीं द्रकया जाता है क्योंद्रक ऊणग्रहीता और
ऊणदाता ऄपने लेनदेनों को गुप्त रखते हैं। पररणामस्वरूप, मुद्रा की अपूर्थत और मांग भी मौद्रद्रक
नीतत के ऄनुरूप में नहीं रहती।
तवर्ाल गैर-मौद्रीकृ त क्षेत्रक: भारत में ऐसे तवर्ाल गैर-मौद्रीकृ त क्षेत्रक तवद्यमान हैं जो मौद्रद्रक
नीतत की सफलता को बातधत करते हैं। लोग ऄतधकतर ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं जहां मुययतः वस्तु
तवतनमय प्रणाली का भी पालन द्रकया जाता है। पररणामस्वरूप, मौद्रद्रक नीतत ऄथथव्यवस्था के आस
ब़े े क्षेत्र को प्रभातवत करने में तवफल रहती है।
गैर बैंककग तवत्तीय मध्यवर्थतयों की तवर्ाल संयया: स्वदेर्ी बैंकरों जैसे गैर बैंककग तवत्तीय मध्यवती
भारत जैसे देर् में ब़े े पैमाने पर ऄपने कयथकलाप संचातलत करते हैं, लेद्रकन वे मौद्रद्रक प्रातधकरण
के तनयंत्रण के ऄधीन नहीं होते हैं। यह कारक मौद्रद्रक नीतत की प्रभावर्ीलता को सीतमत कर देता
है।
तवरोधाभासी ईद्देश्य: मौद्रद्रक नीतत की एक महत्वपूणथ सीमा आसके परस्पर तवरोधी ईद्देश्यों का
होना है। ध्यातव्य है द्रक अर्थथक समृति के ईद्देश्य को प्राप्त करने के तलए मौद्रद्रक नीतत
तवस्तारवादी होनी चातहए जबद्रक मूल्य तस्थरता का ईद्देश्य प्राप्त करने के तलए मुद्रास्फीतत पर
ऄंकुर् धनापूर्थत को संकुतचत करके लगाया जा सकता है। मौद्रद्रक नीतत आन दो ईद्देश्यों के बीच
समुतचत समन्वय प्राप्त करने में सामान्यतः तवफल रहती है।
2.6. मौद्रद्रक नीतत बनाम राजकोषीय नीतत तथा मौद्रद्रक एवं राजकोषीय नीतत का
तमश्रण
वतथमान समय में ऄथथव्यवस्थाओं के प्रबंधन में मौद्रद्रक नीतत को ऄत्यतधक महत्व प्राप्त हो रहा है।
ऄतः आस तवषय पर तनरं तर वाद-तववाद जारी है द्रक राजकोषीय नीतत तथा मौद्रद्रक नीतत में से
ऄथथव्यवस्था पर वांतछत प्रभाव डालने में कौन ऄतधक प्रभावी है। आस सन्दभथ में प्रस्तुत कु छ तकथ
तनम्नतलतखत हैं:
1960, 1970, और 1980 के दर्क के ऄनुभव सुझाते हैं द्रक लोकतांतत्रक ढंग से चुनी गइ सरकारों को
मुद्रास्फीतत का सामना करने में राजकोषीय नीतत का ईपयोग करने के दौरान ऄतधक करठनाइ होती है।
मुद्रास्फीतत को तनयंतत्रत करने के तलए सरकार द्वारा ऄलोकतप्रय कारथ वाइयां करने की अवश्यकता
होती है, जैस-े ्यय को कम करना ऄथवा करों में बढ़ोत्तरी करना। संक्षेप में कहा जाए तो
राजनीततक वास्ततवकताएाँ ऐसा करने से सरकार को रोकती हैं।
जबद्रक दूसरी र, राजकोषीय नीतत ऄथथव्यवस्था में बेरोजगारी दूर करने में ऄतधक ईपयोगी
होती है, क्योंद्रक सरकार द्वारा सावथजतनक ऄवसंरचना के तनमाथण एवं रोजगार ईत्पन्न करने हेतु
्यय में बढ़ोत्तरी की जा सकती है।
अर्थथक ऄधोगतत की तस्थतत में एक ईपचार के रूप में मौद्रद्रक नीतत का कायथ चलन में मुद्रा की मात्रा में
बढ़ोत्तरी करने हेतु ब्याज दरों में कटौती करना होता है। परन्तु ब्याज दर र्ून्य तक पहुाँचने के ईपरांत,
कें द्रीय बैंक और ऄतधक कटौती नहीं कर सकता। आस तस्थतत को ऄथथर्ातस्त्रयों द्वारा “तरलता पार्” के
रूप में संदर्थभत द्रकया जाता है।
ईदाहरणस्वरुप, जापान सरकार ने 1990 के दर्क के दौरान ऄपनी ऄथथ्यवस्था को र्ून्य ब्याज
दर नीतत द्वारा ईत्तेतजत करने का प्रयास द्रकया। ऐसी तस्थतत में जब आसकी ऄथथव्यवस्था तस्थर थी
एवं ब्याज दर र्ून्य के असपास था, तब कइ ऄथथर्ातस्त्रयों ने दृढ़तापूवथक यह ऄतभव्यि द्रकया द्रक
जापानी सरकार को ऄतधकातधक अक्रमक राजकोषीय नीतत का सहारा लेना चातहए था। ऐसे में,
मौद्रद्रक नीतत का कोइ महत्व नहीं रह जाता।
हालााँद्रक कु छ ऄथथर्ास्त्री आस पर भी ऄसहमत हैं। ईनका तकथ है द्रक मौद्रद्रक नीतत में ऄल्पावतधक
पररवतथन ईपभोिा और व्यापार व्यवहार पर तनश्चय ही र्ी्रततापूवथक एवं जोरदार प्रभाव डालते
हैं।
मौद्रद्रक और राजकोषीय नीततयों के प्रभावी होने की गतत में ऄंतर होता है, क्योंद्रक दोनों मामलों में
समयांतराल पररवतथनीय होते हैं। जहााँ मौद्रद्रक नीतत ऄत्यतधक न्य होती है तथा दरों में ऄत्यल्प समय
में तात्कातलक पररवतथन द्रकए जा सकते हैं, वहीं कराधान में पररवतथनों को सु्यवतस्थत करने एवं
कायाथतन्वत करने में ऄतधक समय लगता है।
चूंद्रक पूंजी तनवेर् के तलए भतवष्य में योजना तनमाथण करने की अवश्यकता होती है, आसतलए ब्याज
दरों में की जाने वाली कमी, तनवेर् ्यय में बढ़ोत्तरी के रूप में पररलतक्षत होने में कु छ समय लग
सकता है। अमतौर पर मौद्रद्रक नीतत में पररवतथन का प्रभाव ऄनुभव द्रकए जाने से पूवथ आसमें छ: से
बारह महीने या ईससे भी ऄतधक समय लगता है।
बढ़े हुए सरकारी ्यय का प्रभाव ्यय होने के साथ ही ऄनुभव द्रकया जाता है तथा प्रत्यक्ष एवं
ऄप्रत्यक्ष कराधान में कटौती ऄथथव्यवस्था में बहुत तीव्र गतत से संचररत हो जाती है। परन्तु,
सरकारी ्यय कायथक्रम को ऄपनाने के तनणथय एवं आसके कायाथन्वयन के बीच ऄत्यतधक समय
्यतीत हो सकता है।
आसतलए, आस मोचे पर भी आन दोनों में एक का चुनाव करना बहुत करठन होता है। जैसा द्रक कइ
तवर्ेषज्ञों ने कहा है, अज की अवश्यकता न के वल भारतीय ऄथथव्यवस्था में नकदी का
ऄतधकातधक समावेर् करना (ऄथाथत् मौद्रद्रक नीतत का ईपयोगह है ऄतपतु मांग का ऄततररि
ऄंत:क्षेपण करना भी है। यह के वल सरकार द्वारा प्रत्यक्ष राजकोषीय कारथ वाइ द्वारा ही संभव हो
सकता है। भारत में, सरकारी ्यय का ब़े ा भाग समावेर्ी और संतुतलत तवकास करने हेतु कृ तष,
ग्रामीण तवकास, स्वास््य, मानव संसाधन और ऄवसंरचना हेतु ईन्मुख होना चातहए।
तनष्कषथ रूप में, मौद्रद्रक नीतत और राजकोषीय नीतत का लक्ष्य समान है। आनका लक्ष्य ऄथथव्यवस्था
में तस्थर और तवकतसत होती अर्थथक तस्थतत को बढ़ावा देना है, परन्तु आसे प्राप्त करने के तलए
ईपयोग द्रकए जाने वाले साधन एवं आनको कायाथतन्वत करने वाले तनकाय तभन्न हैं। वे सही प्रकार
से कायथ करने के तलए आस प्रकार तुल्यकातलक होने चातहए द्रक एक की कारथ वाआयााँ ऄन्य की
कारथ वाआयों को प्रभातवत न करें एवं वे मुद्रास्फीतत के ईतचत स्तर एवं तस्थर अर्थथक समृति को
बनाए रखने के ऄपने लक्ष्य में सफल हों।
ऄथथव्यवस्था में मुद्रास्फीततकारी रुझानों का सामना करने के तलए RBI ने कइ बार (जनवरी 2011 सेह
ऄपनी रे पो दर में वृति की है। द्रकन्तु RBI के ये प्रयास ऄसफल रहे हैं। हालााँद्रक अलोचकों ने मुद्रास्फीतत
का सामना करने की आस नीतत ऄथाथत् ब्याज दरों में वृति करने की तवतध पर प्रश्नतचन्ह लगाया है।
तेज़ी से बढ़ती हुइ मुद्रास्फीतत को तनयंतत्रत करने के तलए की जाने वाली कठोर नीततगत कारथ वाइ
से तवकास को पुनजीतवत करने में सहायता तमलती है, हालांद्रक ईद्योग आसके तवपरीत ईपाय पर
बल देते रहे हैं।
चूंद्रक हमारी अर्थथक प्रणाली में पयाथप्त तरलता है, आसतलए जमा और ईधारी दरों में तत्काल कोइ
वृति नहीं होगी।
बैंकों को FCNR जमाओं के रूप में तवर्ाल ऄंतवाथह प्राप्त हुअ है और वे आन कोषों का ईपयोग
करने का ऄवसर तलार् रहे हैं।
यह भी चेतावनी दी गयी थी द्रक यद्रद RBI कोर आन्फ्लेर्न पर प्रहार करना चाहती है तो ईसे
नीततगत दरों में वृति करनी होगी।
यह देखा गया है द्रक मुद्रास्फीतत को तन्न और तस्थर स्तर तक नीचे लाने से मौद्रद्रक नीतत स्थायी
रूप से ईपभोग और तनवेर् को पुनजीतवत करने में सहायक हो सकती है।
2.7.3. क्या के वल मौद्रद्रक नीतत ऄके ले ही ऄथथ व्य वस्था में मु द्रास्फीतत को तनयं तत्रत कर
सकती है ?
हाल के द्रदनों में मुद्रास्फीतत भारत में ऄत्यतधक वाद-तववाद का तवषय रही है। आसे भारत के
अर्थथक समृति के मागथ में कैं सर के रूप में देखा जाता है। तवत्तीय क्षेत्र में आस कैं सर का तेजी से
बढ़ता हुअ तवकास रोकने के तलए RBI की मौद्रद्रक नीतत को रायय और अम अदमी द्वारा
रामबाण औषतध के रूप में देखा जाता है। द्रकन्तु, यह सही दृतिकोण नहीं है क्योंद्रक RBI की ऄपनी
भी सीमाएाँ हैं। रायय द्वारा, भारतीय ररजवथ बैंक को सीतमत र्तियां देकर ईनमें देर् का तवत्तीय
स्वास््य बनाए रखने का कतथव्य प्रत्यायोतजत नहीं द्रकया जा सकता है। RBI के हाथ बंधे हुए हैं हैं
क्योंद्रक मौद्रद्रक नीतत भी सीतमत भूतमका तनभाती है।
आसके तवपरीत, आस तवत्तीय समीकरण में राजकोषीय नीतत ब़े ी भूतमका तनभाती है। मौद्रद्रक और
तवत्तीय नीततयों के ईद्देश्यों और लक्ष्यों के बीच सामंजस्य का ऄभाव भी स्पि प्रतीत होता है।
राजकोषीय मोचे पर संरचनात्मक सुधार की अवश्यकता है। खाद्य मुद्रास्फीतत तवर्ेष रूप से
प्रणालीगत कतमयों के कारण होती है (ईदाहरण के तलए, मानसून पर भारतीय कृ तष की ब़े ी
तनभथरता, कृ तष ऄवसंरचना की कमी अद्रदह। आस द्रदर्ा में ईतचत कदम ईठाये जाने चातहए ।
अयात प्रेररत मुद्रास्फीतत के मुद्दों से तनपटने की अवश्यकता है। अयाततत वस्तुओं पर तनभथरता का
सही ढंग से अकलन करना अवश्यक है क्योंद्रक आसके तलए ऄत्यतधक मूल्यवान तवदेर्ी मुद्रा का
भुगतान करना प़े ता है।
मौद्रद्रक नीतत तय करने के तलए एक मापदंड के रूप में RBI द्वारा कोर आन्फ्लेर्न सेक्टर आं डक्
े स
को ऄपनाए जाने की अवश्यकता है। आसमें वे क्षेत्र सत्मतलत नहीं होते हैं, तजन पर RBI की
नीततयों का ऄतधक तनयंत्रण नहीं है। ईदाहरणाथथ- संयुि रायय ऄमेररका में, कोर आन्फ्लेर्न सेक्टर
आं डक्े स बास्के ट में खाद्य पदाथथ और तेल सत्मतलत नहीं होते हैं, क्योंद्रक आन वस्तुओं की कीमतें
फे डरल ररजवथ नीतत से प्रभातवत नहीं होती हैं। आस आं डक्
े स से बाहर रखी जाने वाली मदें,ऄपनी
ऄतस्थरता के अधार पर एक देर् से दूसरे देर् में तभन्न-तभन्न हो सकती हैं। ऄतः आससे RBI का
ईद्देश्य और ऄतधक यथाथथवादी बन जाएगा।
ईपयुक्
थ त चचाथ से यह ऄनुमान लगाया जा सकता है द्रक एक सरलीकृ त मुद्रास्फीतत-लक्ष्यीकरण दृतिकोण
ऄथाथत् ऄथथव्यवस्था में तस्थरता हातसल कर सप्रथथम मुद्रास्फीतत को तनयंतत्रत करना और संवृति दर के
बारे में बाद में तवचार करना वस्तुतः IMF का दृतिकोण रहा है जो तवश्व में ऄन्यत्र सफल नहीं रहा है।
ऄतः यह दृतिकोण भारत में भी सफल नहीं हो सकता। हमें ऄतधक व्यापक दृतिकोण ऄपनाने की
अवश्यकता है जो एक साथ संवतृ ि दर में वृति कर सके ऄथवा ईसे एक युतियुि रूप में बनाये रखे
और मुद्रास्फीतत को भी कम कर सके । वतथमान मंदी ऄथवा तनम्न संवृति दर की तस्थतत से बाहर तनकलने
के तलए मौद्रद्रक, राजकोषीय और अपूर्थत पक्ष की नीततयों के बीच पारस्पररक द्रक्रया को ध्यान में रखा
जाना चातहए।
in India)
ऐततहातसक रूप से, भारत में मौद्रद्रक नीतत वषथ में दो बार घोतषत की जाती थी। आसे स्लैक सीजन
पॉतलसी (Slack season policy) (ऄप्रैल से तसतंबरह तथा तबजी सीजन पॉतलसी (busy
द्रकन्तु वै ीकरण से जतनत दबाव और मौद्रद्रक नीतत के महत्व में वृति होने से RBI ने ऄथथव्यवस्था
की तस्थतत के ऄनुसार समय-समय पर ऄतधक सद्रक्रयता के साथ मौद्रद्रक नीतत में पररवतथन करने
का दृतिकोण ऄपनाया। साथ ही, RBI ऄब प्रत्येक वषथ ऄप्रैल माह के ऄंत में एकल मौद्रद्रक नीतत
जारी करने लगा है, हालांद्रक आस नीतत की समीक्षा हर ततमाही में होती है।
2.9. कु छ नए र्ब्द/ववाक्यां र्
मात्रात्मक सहजता से अर्य ऐसी तस्थतत या मौद्रद्रक नीतत से है तजसका प्रयोग ऄत्यल्प या र्ून्य
ब्याज दरों की तस्थतत में ऄथथव्यवस्था के ईद्दीपन (stimulation) या प्रोत्साहन हेतु द्रकया जाता है।
यह कभी-कभी ही ईपयोग की जाने वाली मौद्रद्रक नीतत है। वातणतययक बैंकों के ऊण/वईधारी एवं
ईपभोिा ्यय में वृति के ईद्देश्य से सरकार द्वारा ऄथथव्यवस्था में मुद्रा की अपूर्थत को बढ़ाने के
तलए आसे ऄपनाया जाता है। कें द्रीय बैंक वातणतययक बैंकों और तनजी संस्थाओं से तवत्तीय
पररसंपतत्तयां खरीदकर ऄथथव्यवस्था में पूवथ-तनधाथररत मात्रा में मुद्रा की अपूर्थत में वृति करता है।
आससे बैंकों के अरतक्षत भंडार में वृति होती है।
ईधार नहीं दे सकते हैं। यह दर 2010 में दीपक मोहंती सतमतत की ऄनुर्ंसाओं के अधार पर लागू
की गइ थी।
आस दर को यह सुतनतित करने के तलए लाया गया था द्रक कॉपोरे ट घरानों को कम दरों पर धन
ईधार न द्रदया जाए और ईच्च ऊण दर वाले लघु एवं मध्यम व्यवसायों के प्रतत भेदभाव न द्रकया
जाए। ऄतीत में बैंक लघु एवं मध्यम व्यवसायों से ऄत्यतधक उाँची दरें वसूल करके कं पतनयों के तलए
कम दरों की क्षततपूर्थत द्रकया करते थे।
अधार दर का एक ऄन्य लाभ यह है द्रक यह मौद्रद्रक संचरण में सहायता करता है, ऄथाथत् RBI
द्वारा की गइ दर में कटौती समाज के सभी वगों तक पहुाँचती है। ऐसी ्यवस्था के ऄभाव में
कॉपोरे ट घरानों को कटौती का लाभ तमलता है और लघु एवं मध्यम व्यवसायों को ईच्च दरों का
भुगतान करना प़े ता हैं।
आस ्यवस्था ने ऄत्यतधक दुरूपयोग की गयी बेंचमाकथ प्राआम लेंडिडग रे ट (BPLR) का स्थान ग्रहण
द्रकया है। 2003 में अरं भ की गइ BPLR प्रणाली ईधारी दरों में पारदर्थर्ता लाने के ऄपने मूल
ईद्देश्य में तवफल रही थी।
बैंक की फं ड लागत के अधार पर ही अधार दर तनधाथररत की जाती है, तजसमें जमाओं की लागत,
लाभ मार्थजन, पररचालन व्यय, प्रर्ासतनक ्यय और सांतवतधक ्यय सत्मतलत हैं।
वतथमान में, सभी श्रेतणयों के ऊणों का मूल्य तनधाथरण के वल अधार दर के संदभथ में द्रकया जाता है,
संदर्थभत करती है, तजससे कम दर पर RBI द्वारा ऄनुमत कु छ प्रकरणों को छोडकर, बैंक ईधार
नहीं दे सकता है। यह बैंक के तलए एक अंतररक मानदंड या संदभथ दर है।
MCLR वस्तुतः ईस पितत का वणथन करता है तजससे द्वारा एक बैंक ऊण के तलए न्यूनतम ब्याज
दर तनधाथररत करता है। यह तनधाथरण ईधार लेने वालों के तलए 1 रुपया की व्यवस्था करने हेतु जो
सीमांत लागत या ऄततररि लागत अती है ईसके अधार पर की जाती है। MCLR वस्तुतः ऄवतध
संबंतधत मानदंड है (यहााँ ऄवतध का ऄथथ ऊण चुकाने के तलए बचे समय से हैह।
ऄतग्रम के तलए ब्याज दर तय करने हेतु MCLR पितत RBI द्वारा अरं भ की गइ थी, जो 1 ऄप्रैल
2016 से प्रभावी है। आस नइ पितत ने जुलाइ 2010 में अरं भ की गइ अधार दर प्रणाली का
स्थान ग्रहण द्रकया।
फं ड की सीमांत लागत पर अधाररत दरें नीतत दरों में बदलाव के प्रतत ऄतधक संवद
े नर्ील होती हैं।
MCLR प्रणाली से पूव,थ ऄलग-ऄलग बैंक अधार दर /व न्यूनतम दर की गणना के तलए ऄलग-ऄलग
पितत का ऄनुसरण कर रहे थे – ऄथाथत् या तो फं ड की औसत लागत या फं ड की सीमांत लागत या
फं ड की तमतश्रत लागत के अधार पर।
बैंकों की ईधारी दरों में, नीतत दरों के संचरण में सुधार लाना।
ऄतग्रमों पर ब्याज दर तनधाथररत करने के तलए बैंकों द्वारा ऄनुसररत पितत में पारदर्थर्ता लाना।
ईधारकताथओं और साथ ही बैंकों के तलए ईतचत ब्याज दरों पर बैंक ऊण की ईपलब्धता सुतनतित
करना।
बैंकों को ऄतधक प्रततस्पधी बनाने और ईनके द्वारा ऄपना दीघथकातलक मूल्य और अर्थथक तवकास में
योगदान बढ़ाने में सक्षम बनाना।
जनवरी 2014 में, RBI ने तत्कालीन मौद्रद्रक नीतत ढांचे की समीक्षा करने के तलए RBI के तत्कालीन
ईप-गवनथर ईर्थजत पटेल की ऄध्यक्षता में एक तवर्ेषज्ञ सतमतत का गठन द्रकया था। आस सतमतत ने कइ
दूरगामी ऄनुर्ंसाएं की, तजनमें से कु छ ऄनुर्ंसाएाँ तनम्नतलतखत हैं।
सतमतत की सबसे महत्वपूणथ ऄनुर्ंसा यह थी द्रक RBI को प्राथतमक तौर पर ऄथथव्यवस्था में
मुद्रास्फीतत तनयंतत्रत करने पर ध्यान कें द्रद्रत करना चातहए या दूसरे र्ब्दों में, मुद्रास्फीतत वस्तुतः
मौद्रद्रक नीतत तैयार करने हेतु नॉतमनल एंकर के तौर पर होना चातहए।
मुद्रास्फीतत का लक्ष्य लगभग +/व-2 प्रततर्त के ईतार-चढ़ाव के साथ 4 प्रततर्त पर तनधाथररत द्रकया
जाना चातहए।
नॉतमनल एंकर को हेडलाआन CPI मुद्रास्फीतत के रूप में पररभातषत द्रकया जाना चातहए, जो
तनवाथह व्यय को तनकटता से दर्ाथता है और ऄन्य ईपलब्ध पैमानों के सापेक्ष मुद्रास्फीतत ऄपेक्षाओं
को प्रभातवत करता है। ऐततहातसक रूप से, भारतीय नीतत तनमाथताओं ने थोक मूल्य सूचकांक पर
तव ास द्रकया है।
आसने मुद्रास्फीतत का लक्ष्य औपचाररक रूप से ऄपनाए जाने के पूवथ, 12 महीने के तलए 8 प्रततर्त
के लक्ष्य और 24 महीने के तलए 6 प्रततर्त के लक्ष्य की ऄनुर्ंसा की।
सतमतत ने कें द्र सरकार से यह सुतनतित करने के तलए कहा है द्रक GDP (सकल घरे लू ईत्पादह के
ऄनुपात के रूप में 2016-17 तक राजकोषीय घाटे को 3.0 प्रततर्त तक नीचे लाया जाए।
सतमतत का मानना था द्रक मौद्रद्रक नीतत पर तनणथय मौद्रद्रक नीतत सतमतत (MPC) द्वारा तलया
जाना चातहए।
सतमतत ने यह भी सुझाव द्रदया था द्रक RBI का गवनथर MPC का ऄध्यक्ष होना चातहए। सतमतत
की ऄनुर्ंसा के ऄनुसार मौद्रद्रक नीतत के प्रभारी तडप्टी-गवनथर को MPC का ईपाध्यक्ष बनाया जा
सकता है। आसके साथ ही मौद्रद्रक नीतत के प्रभारी कायथकारी तनदेर्क को सदस्य बनाने की ऄनुर्ंसा
की गयी थी। आसमें दो बाहरी सदस्यों को भी र्ातमल करने की बात की गयी थी।
नवीकरण की संभावना के तबना, MPC की पदावतध तीन वषथ हो सकती है।
बैठक की तततथ से दो सप्ताह के ऄंतराल पर MPC की कायथवाही का तववरण जारी द्रकया जाना
चातहए।
आससे ब्याज दरों में कमी अती है। कम ब्याज दर पर ईधारी में बढ़ोतरी होती है, तनवेर् बढ़ता है
और आस प्रकार ऄथथव्यवस्था में गतततवतधयों को बढ़ावा तमलता है।
सावथजतनक और तनजी संस्थाओं को दीघथकातलक योजना बनाने और नीतत तैयार करने में सहायता
तमलती है।
समाज में तवतभन्न समूहों के बीच अय और धन का पुनर्थवतरण होता है। ईच्च मुद्रास्फीतत से दूसरों
की कीमत पर कु छ समूह लाभातन्वत होते हैं।
तनतितता का माहौल अता है और आस प्रकार ऊणदाता का अत्मतव ास बढ़ता है। ईच्च
मुद्रास्फीतत स्पष्ट रूप से ऊणदाता को नुकसान पहुंचाती है।
RBI के बीच हुए समझौते के पररणामस्वरूप MPC का गठन द्रकया गया है। भारतीय ररजवथ बैंक
MPC को गरठत द्रकए जाने के तलए सुझावों का आततहास नया नहीं है। वषथ 2002 में ही वाइ. वी.
रे ड्डी सतमतत ने नीततगत कारथ वातहयों हेतु MPC के गठन की ऄनुर्ंसा की थी। तदनंतर, 2006 में
तारापोर सतमतत द्वारा, 2007 में परसी तमस्त्री सतमतत द्वारा, 2009 में रघुराम राजन सतमतत
द्वारा और पुनः वषथ 2013 में तवत्तीय क्षेत्रक तवधायी सुधार अयोग (FSLRC) तथा डॉ. ईर्थजत
अर. पटेल सतमतत की ररपोटथ में MPC को गरठत करने के संदभथ में सुझाव द्रदए गए थे।
MPC मे छह सदस्य होते हैं - RBI का गवनथर (ऄध्यक्षह, मौद्रद्रक नीतत का प्रभारी RBI का तडप्टी
गवनथर, RBI बोडथ द्वारा नामांद्रकत एक ऄतधकारी और भारत सरकार द्वारा नामांद्रकत र्ेष तीन
सदस्य।
कै तबनेट सतचव (ऄध्यक्षह, RBI के गवनथर, तवत्त मंत्रालय के अर्थथक मामलों के तवभाग का सतचव
और कें द्र सरकार द्वारा यथा मनोनीत ऄथथर्ास्त्र या बैंककग क्षेत्र के तीन तवर्ेषज्ञों से तमलकर बनी
एक खोज एवं चयन सतमतत (search cum selection committee) की ऄनुर्स
ं ाओं के अधार
पर सरकार द्वारा नामांद्रकत ्यतियों को तनयुि द्रकया जाता है। नामांद्रकत व्यति चार वषों की
ऄवतध तक पद धारण करते हैं और पुनर्थनयुति के पात्र नहीं होते हैं।
RBI ऄतधतनयम MPC के सदस्यों के तलए अवश्यक योग्यता और पात्रता तनधाथररत करता है।
RBI मध्यम ऄवतध में 4% (2% के मानक तवचलन के साथह पर मुद्रास्फीतत के लक्ष्य को सीतमत
करने के तलए ईत्तरदायी है।
कें द्र सरकार RBI से परामर्थ करके प्रत्येक पांच वषथ में एक बार ईपभोिा मूल्य सूचकांक के संदभथ
में मुद्रास्फीतत का लक्ष्य तनधाथररत करती है।
तनर्ददि मुद्रास्फीतत लक्ष्यों तक पहुंचने में तवफल रहने पर RBI को कें द्र सरकार को एक प्रततवेदन
के माध्यम से स्पिीकरण देना होगा। प्रततवेदन में तवफलता के कारणों, ईपचारात्मक कायों के
साथ-साथ ईस ऄनुमातनत समय का ईल्लेख करना होगा, तजसके भीतर मुद्रास्फीतत लक्ष्य को प्राप्त
द्रकया जाएगा।
RBI के तलए प्रत्येक छह महीने में मौद्रद्रक नीतत ररपोटथ प्रकातर्त करना ऄतनवायथ है। आसमें ईसे
मुद्रास्फीतत के स्रोतों को बताना होगा, साथ ही अगामी छह से ऄठारह महीनों की ऄवतध के तलए
मुद्रास्फीतत के पूवाथनम
ु ानों का भी आसे ईल्लेख करना होगा।
यह अवश्यक है द्रक RBI एक वषथ में MPC की कम से कम चार बैठकें अयोतजत करे ।
MPC बहुमत (ईपतस्थत और मतदान करने वाले लोगों के ह के अधार पर तनणथय लेती है। बराबरी
की तस्थतत में, RBI के गवनथर के पास सेकंड या काडिस्टग वोट होता है। सतमतत के तनणथय RBI के
तलए बाध्यकारी होंगे।
भारतीय ऄथथव्यवस्था
4. राजकोषीय नीतत
3. कराधान के कै स्के डिंग प्रभाव : मोिंवैट एवं सेनवैट (modvat and cenvat)___________________________________ 14
सरकार की राजकोषीय नीतत के माध्यम से संचातित होने वािे तीन तवतशि कायथ तनम्नतितखत हैं:
1. तनजी वस्तुओं (जैसे कपडे, कारें , खाद्य पदाथथ) से आतर सावथजतनक वस्तुओं (जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा,
सडकें , सरकारी प्रशासन) के रूप में संदर्डभत कु छ वस्तुएं बाजार तंर अ ऄथाथत् व्यतक्तगत ईपभोक्ताओं
और ईत्पादकों के मध्य िेन-देन के माध्यम से ईपिब्ध नहीं करायी जा सकती हैं। ये वस्तुएाँ सरकार
द्वारा ईपिब्ध करवाइ जाती है। यह अवंटन प्रकायथ (Allocation Function) है।
2. सरकार, कर एवं व्यय नीतत के माध्यम से अय का तवतरण करने का प्रयास करती है। आस तवतरण
को समाज द्वारा 'ईतचत' माना जाता है। सरकार, ऄंतरण भुगतान एवं कर संग्रहण के माध्यम से
पररवारों की व्यतक्तगत प्रयोज्य अय को प्रभातवत करती है तथा आस प्रकार सरकार अय तवतरण
को पररवर्डतत कर सकती है। यह तवतरण कायथ है।
3. ऄथथव्यवस्था में ऄत्यतधक ईतार-चढाव की प्रवृतत्त बनी रहती है। यह बेरोजगारी या मुद्रास्फीतत के
िंबी ऄवतध तक बने रहने से प्रभातवत हो सकती है। ऐसी पररतस्थतत भी ईत्पन्न हो सकती है जब
समग्र मांग में वृति करने के तिए ऄततररक्त सरकारी व्यय की अवश्यकता होती है। साथ ही, ऐसी
पररतस्थतत भी ईत्पन्न हो सकती है जब ईच्च रोजगार की तस्थततयों के ऄंतगथत व्यय, ईपिब्ध
ईत्पादन से ऄतधक हो जाए, आस प्रकार मुद्रास्फीतत की तस्थतत ईत्पन्न हो सकती है। ऐसी
पररतस्थततयों में मांग में कमी करने के तिए प्रततबंधात्मक शतों की अवश्यकता होती है। ये घरेिू
ऄथथव्यवस्था के तस्थरीकरण संबंधी अवश्यकताओं के ऄतनवायथ घटक हैं।
सावथजतनक व्यय से अशय सावथजतनक प्रातधकरणों - कें द्र सरकार, राज्य सरकार तथा स्थानीय
प्रातधकरणों द्वारा ऄपने ऄनुरक्षण तथा नागररकों की सामूतहक अवश्यकताओं की पूर्डत के तिए या
ईनके अर्डथक एवं सामातजक कल्याण को बढावा देने के तिए द्रकए गए व्यय से है। ईदाहरण के
तिए, सावथजतनक प्रातधकरणों द्वारा कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने पर द्रकए गए व्यय, तशक्षा,
2.1.1. पूं जीगत एवं राजस्व व्यय (Capital and Revenue Expenditure)
सरकार द्वारा द्रकया गया वह व्यय तजसके पररणामस्वरूप भौततक या तवत्तीय पररसंपतत्तयों का
सृजन होता है ऄथवा ईस व्यय से सरकार की तवत्तीय देयताओं में कमी अती है, पूज
ं ीगत व्यय
कहिाता है। पूज
ं ीगत व्यय में सतममतित हैं:
o भूतम, भवन, मशीनरी, ईपकरणों का ऄतधग्रहण, शेयरों में तनवेश पर व्यय
o कें द्र सरकार द्वारा राज्य एवं कें द्रशातसत प्रदेशों की सरकारों, PSU और ऄसय पक्षों को द्रदए
गए ऊण तथा ऄतग्रम
राजस्व व्यय, कें द्र सरकार की भौततक या तवत्तीय पररसंपतत्तयों के सृजन से तभसन, ऄसय प्रयोजनों
के तिए द्रकया गया व्यय है। यह तनम्नतितखत से संबंतधत होता है:
o सरकारी तवभागों और तवतभन्न सेवाओं के सामासय कायों के तिए द्रकए गए व्यय
o सरकार द्वारा तिए गए ऊणों पर ब्याज के भुगतान
o राज्य सरकारों एवं ऄसय पक्षों को द्रदए गए ऄनुदान
Development Expenditure)
तवकासात्मक व्यय- अर्डथक एवं सामातजक तवकास को बढावा देने वािे सभी व्ययों को
तवकासात्मक व्यय कहा जाता है। तवकासात्मक व्यय, ईत्पादक व्यय के समान होते हैं, आनसे
भौततक पररसमपतत्तयों का सृजन होता है। ईदाहरण- तशक्षा, सावथजतनक स्वास््य, रोजगार,
गैर-तवकासात्मक व्यय- ऐसे व्ययों, तजनसे द्रकसी प्रकार की भौततक पररसमपतत्तयों का सृजन नहीं
होता है, ऐसे ऄनुत्पादक व्ययों को गैर-तवकासात्मक व्यय कहा जाता है। ईदाहरणस्वरूप-
प्रशासतनक सेवाएं जैसे द्रक पुतिस, सयाय प्रशासन, रक्षा या ब्याज भुगतान, राज्यों को ऄनुदान
अद्रद।
Expenditure)
प्रत्यक्ष व्यय - अय या संपतत्तयों का सृजन करने वािे व्यय प्रत्यक्ष या गैर-ऄंतरण व्यय से संबंतधत
होते हैं। मूि रूप से यह वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद पर तथा ईत्पादन के कारकों की वतथमान
सेवाओं पर सरकार द्वारा द्रकया गया व्यय है।
िगाना मुतश्कि हो गया ऄतपतु आसके अईटकम (पररणामों) को आसके पररव्यय से संबि करना भी
एक करिन कायथ बन गया।
कें द्र के साथ-साथ राज्य सरकारों की ओर से भी योजनागत व्यय के प्रतत पक्षपातपूणथ रवैये ने
पररससंपतत्त के रखरखाव और ऄसय संस्थानों पर होने वािे व अवश्यक सामातजक सेवाएं प्रदान
करने से संबंतधत व्ययों को नजरऄंदाज करने के तिए प्रेररत द्रकया है। यह प्रणािी तपछिे
प्रततबिताओं और अवश्यकताओं तथा प्िान बजट के तिए ऄवतशि संसाधनों के अवंटन पर
अधाररत है। आससे प्िान बजट के भीतर फं िं अवंटन में होने वािे िचीिेपन में कमी अइ है।
गैर-ऄंतरण व्यय में तवकासात्मक एवं गैर-तवकासात्मक व्यय सतममतित होते हैं। तवकासात्मक एवं
गैर-तवकासात्मक व्ययों से प्रत्यक्ष या ऄप्रत्यक्ष रूप से ईत्पादन का सृजन होता है। अर्डथक
ऄवसंरचना जैसे द्रक तबजिी, पररवहन, डसचाइ अद्रद तथा सामातजक ऄवसंरचना जैसे द्रक तशक्षा,
स्वास््य और पररवार कल्याण, अंतररक कानून एवं व्यवस्था, रक्षा और िोक प्रशासन अद्रद।
ऐसे व्यय के माध्यम से सरकार अर्डथक गतततवतधयों के तिए ईतचत पररतस्थततयों ऄथवा पररवेश
का तनमाथण करती है। अर्डथक वृति के कारण, सरकार शुल्कों एवं करों के रूप में अय का भी सृजन
कर सकती है।
ऄंतरण व्यय - ऄंतरण व्यय से अशय भुगतान के रूप में द्रकए गए व्यय से है। आन व्ययों से द्रकसी
प्रकार का प्रततफि प्राि नहीं होता है। आस प्रकार के व्ययों में राष्ट्रीय वृिावस्था पेंशन योजना,
ब्याज भुगतान, सतब्सिंी, बेरोजगारी भत्ता, कमजोर वगों के तिए कल्याण िाभ अद्रद जैसे व्यय
सतममतित होते हैं।
यद्यतप ऐसे व्ययों से सरकार को द्रकसी प्रकार का प्रततफि प्राि नहीं होता है, परसतु यह जन
सामासय के तिए तवशेषकर समाज के सवाथतधक कमजोर वगथ से संबंध िोगों के तिए कल्याणकारी
होते हैं। आन व्ययों के पररणामस्वरूप समाज में अय का पुनर्डवतरण होता है।
Expenditure)
ऄथथव्यवस्था की ईत्पादक क्षमता में वृति होती है तथा सरकार को अय प्राि होती है। आस प्रकार,
आन व्ययों को ईत्पादक व्यय के रूप में वगगीककृ त द्रकया जाता है। ईदाहरणस्वरूप- मशीनरी अद्रद
जैसी भौततक संपतत्तयों पर व्यय ऄथवा मानव पूज
ं ी पर ईनकी तशक्षा, स्वास््य एवं प्रतशक्षण अद्रद
पर व्यय।
ऄनुत्पादक व्यय- रक्षा, ब्याज भुगतान, कानून एवं व्यवस्था, िोक प्रशासन अद्रद जैसी ईपभोग की
प्रकृ तत वािी मदों पर व्यय से द्रकसी प्रकार की ईत्पादक पररसंपतत्तयों का सृजन नहीं होता तजनसे
सरकार को कोइ अय या प्रततफि प्राि हो सके । ऐसे व्ययों को ऄनुत्पादक व्ययों के रूप में वगगीककृत
द्रकया जाता है। ईदाहरण - कानून एवं व्यवस्था का ऄनुरक्षण, रक्षा अद्रद।
सावथजतनक राजस्व से अशय सरकार को ईसके सभी स्रोतों से प्राि होने वािी अय से है। आन
प्रातियों में कर राजस्व प्रातियां एवं गैर-कर राजस्व प्रातियां सतममतित हैं। ये दोनों प्रातियां,
सरकार के राजस्व स्रोत हैं, ऄथाथत् ये सरकार की अय के स्रोत हैं। आस अय के तिए सरकार को
द्रकसी प्रकार का पुनभुथगतान नहीं करना पडता है। सावथजतनक राजस्व, सावथजतनक प्रातियों से
तभसन हैं चूंद्रक सावथजतनक प्रातियों से अशय सावथजतनक ऊण तथा नइ मुद्रा जारी करने सतहत
सरकार को प्राि होने वािी सभी प्रकार की अय से हैं।
सावथजतनक प्रातियां = सावथजतनक राजस्व प्रातियां + सावथजतनक ऊण और मुद्रा मुद्रण अद्रद जैसे ऄसय
स्रोतों से प्राि अय
राजस्व प्रातियां प्रततदेय नहीं होती हैं, ऄथाथत् आनसे प्राि अय को सरकार को वापस नहीं करना
पडता है। राजस्व प्रातियों को कर एवं गैर-कर राजस्व में तवभातजत द्रकया जाता है।
कर राजस्व
कर राजस्व में कें द्र सरकार द्वारा अरोतपत करों तथा ऄसय शुल्कों से प्राि अय सतममतित होती है।
कर राजस्व, राजस्व प्रातियों का महत्वपूणथ घटक हैं। आसमें तनम्नतितखत कर सतममतित होते हैं:
1. व्यतक्तगत अयकर: व्यतक्त के वेतन एवं अय पर कर।
2. तनगम कर: फमों तथा तनगमों पर कर।
3. ईत्पाद शुल्क: राष्ट्र सीमा के ऄंदर ईत्पाद्रदत वस्तुओं पर िगाया गया शुल्क।
4. सीमा शुल्क: देश में अयात की गइ वस्तुओं और देश से तनयाथत की गइ वस्तुओं पर िगने वािा
शुल्क।
5. सेवा कर: कु छ सेवाओं के िेन-देन पर सेवा प्रदाताओं पर सरकार द्वारा अरोतपत कर।
6. संपतत्त कर: तनवि संपतत्त पर अरोतपत कर। यह संपतत्त के स्वातमत्व से प्राि होने वािे िाभों पर
िगाया गया कर है। आस कर को 1 ऄप्रैि, 2017 से समाि कर द्रदया गया है।
चुकाने के तिए व्यतक्त की ओर से सरकार को द्रकये गए ऄतनवायथ योगदान’’ के रूप में पररभातषत
द्रकया जा सकता है।
तनम्नतितखत चार तवशेषताओं के संदभथ में करों की प्रकृ तत की व्याख्या की जा सकती है:
ऄतनवायथ योगदान: कोइ भी व्यतक्त/संस्थान करों का भुगतान करने से मना नहीं कर सकता है
क्योंद्रक द्रकसी भी कर योग्य व्यतक्त/संस्थान द्वारा आसकी ऄस्वीकृ तत रैर-कानूनी एवं दंिंनीय
ऄपराध है।
व्यतक्तगत दातयत्व: यह व्यतक्तगत रूप से करों के भुगतान करने का दातयत्व अरोतपत करता है,
क्योंद्रक आसे द्रकसी ऄसय व्यतक्त पर हस्तांतररत नहीं द्रकया जा सकता है।
सामासय िाभ: करों का अम-जन के सामासय िाभ एवं कल्याण के तिए ईपयोग द्रकया जाता है।
कोइ प्रततदान नहीं (No quid pro quo): करों के भुगतान के बदिे सरकार पर करदाता के प्रतत
द्रकसी प्रकार की तनतित, प्रत्यक्ष या अनुपाततक िाभ संबधी देयताओं का सृजन नहीं होता है।
करों के प्रकार
प्रत्यक्ष और ऄप्रत्यक्ष कर
करों को प्रत्यक्ष एवं ऄप्रत्यक्ष कर के रूप में वगगीककृ त द्रकया जाता है। प्रत्यक्ष कर वह कर है जो तजस
व्यतक्त पर िगाया जाता है, वह व्यतक्त ही ईसका भार ईिाता है। आस कर को टािा नहीं जा सकता
है, न ही आसका भार अंतशक या पूणथ रूप में द्रकसी ऄसय व्यतक्त को हस्तासतररत द्रकया जा सकता
है। दूसरे शब्दों में, जब द्रकसी कर का कराघात तथा करापात (Impact and Incidence of
Taxation) एक ही व्यतक्त पर पडता है, तब यह कर प्रत्यक्ष कर कहिाता है। प्रत्यक्ष कर का सबसे
ऄच्छा ईदाहरण अयकर है क्योंद्रक यह तजस व्यतक्त पर िगाया जाता है, वही व्यतक्त ईसकी
ऄदायगी करता है। प्रत्यक्ष कर के ऄसय ईदाहरण हैं- तनगम कर, समपतत्त कर, व्यय कर, समपदा
शुल्क अद्रद।
प्रत्यक्ष करों के गुण
प्रत्यक्ष करों के तनम्नतितखत गुण हैं:
तमतव्ययी: आनका संग्रह करने की
िागत कम होती है क्योंद्रक
सामासयत: आसहें तनतित स्रोत से
संग्रतहत द्रकया जाता है।
तनतितता: सरकार को
सामासयतः तनतित रूप से ज्ञात
होता है द्रक द्रकतना कर प्राि
होगा, क्योंद्रक करदाताओं को
पता होता है द्रक ईसहें कब, द्रकतना और द्रकस कर अधार पर करों का भुगतान करना है।
टोतबन कर
1972 में नोबेि पुरस्कार तवजेता ऄमेररकी ऄथथशास्त्री जेमस टोतबन द्वारा टोतबन कर का प्रस्ताव
द्रदया गया था। मूितः, ईसहोंने एक मुद्रा से दूसरी मुद्रा में द्रकए गए सभी भुगतानों पर कर अरोतपत
करने का सुझाव द्रदया था। ईनका ईद्देश्य तवदेशी मुद्रा-तवतनमय के दौरान धन की ऄत्यतधक और
ऄतस्थरताकारी अवाजाही पर ऄाँकुश िगाना था।
प्रो. टोतबन का मत था द्रक तवदेशी मुद्राओं में होने वािे ऄतधकांश िेनदेन सट्टा (Speculation) व
ऄसतराष्ट्रीय ब्याज दरों में ऄसतर से िाभ कमाने की प्रवृतत्त (Arbitrage) से समबतसधत होते हैं , ऐसे
िेनदेनों पर कर िगाकर पयाति संसाधन सृतजत द्रकए जा सकते हैं।
ईसहोंने प्रस्ताव द्रदया द्रक टोतबन कर द्वारा एकतर अत रातश का तवकासशीि राष्ट्रों की सहायता हेतु
ईपयोग द्रकया जाना चातहए। आस तवचार को सभी शेयरों, बांड्स और मुद्रा िेन-देन पर कर
अरोतपत करने के तिए तवस्ताररत द्रकया जा रहा है।
गैर-कर राजस्व
गैर-कर राजस्व में मुख्य रूप से सतममतित हैं:
कें द्र सरकार द्वारा द्रदए गए ऊण पर ब्याज प्रातियां।
सरकार द्वारा द्रकए गए तनवेश पर िाभांश ऄथवा िाभ।
सरकार द्वारा प्रदान की गइ सेवाओं के तिए शुल्क एवं ऄसय प्रातियां।
तवदेशी राष्ट्रों एवं ऄंतरराष्ट्रीय संगिनों द्वारा नकद ऄनुदान।
ईत्तम कराधान प्रणािी की तवशेषताएं :
ईत्तम कर प्रणािी की पााँच अधारभूत प्रमुख तवशेषताएाँ: तनष्पक्षता, पयाथिता, सरिता, पारदर्डशता
और प्रशासतनक सहजता हैं।
तनष्पक्षता या समता का ऄथथ है द्रक कर ऄदायगी में सभी की समानरूप से सहभातगता होनी
चातहए। समता की दो महत्वपूणथ ऄवधारणाएं हैं: क्षैततज समता एवं उध्वाथधर समता।
o क्षैततज समता (Horizontal equity) का ऄथथ यह है द्रक समान तवत्तीय तस्थतत वािे
करदाताओं को कर ऄदायगी के दौरान समान रातश का भुगतान करना चातहए।
o उध्वाथधर समता (Vertical equity) का ऄथथ यह है द्रक संपसन करदाताओं को, ऄपेक्षाकृ त कम
संपसन करदाताओं के समान अय के ऄनुपात में करों का भुगतान करना चातहए। उध्वाथधर
समता में करों को प्रततगामी, अनुपाततक ऄथवा प्रगततशीि के रूप में वगगीककृ त द्रकया जाता
है।
पयाथिता का ऄथथ है द्रक कर संग्रहण द्वारा पयाथि राजस्व प्राि होना चातहए ताद्रक समाज की
अधारभूत अवश्यकताओं की पूर्डत की जा सके । सावथजतनक सेवाओं की मांग पूरा करने के तिए
पयाथि राजस्व प्रदान करने वािी कर प्रणािी पयाथिता की परीक्षा पर खरी ईतरती है।
पारदर्डशता का ऄथथ यह है द्रक करदाता एवं नेतृत्वकताथ असानी से यह जानकारी प्राप्त कर सकते हैं
द्रक कर प्रणािी और करों का ईपयोग कै से द्रकया जाता है। पारदशगीक कर प्रणािी के तहत हमें यह
जानकारी होती हैं द्रक द्रकस पर कर िगाया जा रहा है, वे द्रकतना भुगतान कर रहे हैं, और संग्रतहत
कर का ईपयोग कहााँ द्रकया जा रहा है। हम यह भी पता िगा सकते हैं द्रक कौन (व्यापक रूप से)
कर का भुगतान करता है और कौन कर छू टों, कटौततयों और क्रेतिंट से िाभातसवत हो रहा है।
प्रशासतनक सहजता का ऄथथ है द्रक कर प्रणािी करदाताओं एवं कर संग्राहकों, दोनों के तिए
ऄत्यतधक जरटि या महंगी नहीं है। कर संबंधी तनयम सुतवद्रदत और ऄत्यंत असान हों; प्रपर अ बहुत
वे प्रातियााँ जो सरकार की देयता में वृति करती हैं ऄथवा तवत्तीय संपतत्तयों में कमी करती हैं,
पूाँजीगत प्रातियााँ कहिाती हैं। पूज
ाँ ीगत प्रातियों में सतममतित प्रमुख मदें आस प्रकार हैं:
o सरकार द्वारा जनता से प्राि द्रकया गया ऊण, तजसहें बाजार ईधारी कहा जाता है।
o सरकार द्वारा ट्रेजरी तबल्स की तबक्री के माध्यम से भारतीय ररजवथ बैंक, वातणतज्यक बैंकों
तथा ऄसय तवत्तीय संस्थानों से तिया जाने वािा ऊण।
o तवदेशी सरकारों एवं ऄंतरराष्ट्रीय संगिनों से प्राि ऊण।
o कें द्र सरकार द्वारा प्रदत्त ऊण की पुन:प्रातप्त।
o िघु बचत (िंाकघर बचत खाते, राष्ट्रीय बचत प्रमाण पर अ अद्रद)।
o भतवष्य तनतधयााँ
o सावथजतनक क्षेर अ के ईपक्रमों में शेयरों की तबक्री से तनवि प्रातियां।
3. कराधान के कै स्के डिंग प्रभाव : मोिंवै ट एवं से न वै ट
(modvat and cenvat)
कच्चे माि, ऄवयव एवं ऄसय मध्यवतगीक वस्तुओं जैसी अगतों (आनपुट) पर कराधान की कइ सीमाएाँ
थीं। ईत्पादन प्रद्रक्रया में, ऄंततम ईत्पाद के तनमाथण से पहिे कच्चे माि को कइ प्रद्रक्रयाओं से गुज़ारा
जाता है। आस प्रकार, पहिे तवतनमाथता का अईटपुट दूसरे तवतनमाथता के तिए आनपुट बन जाता है
तथा आसी प्रकार यह प्रद्रक्रया ऄंततम ईत्पाद के तनमाथण से पहिे तनरं तर रूप में अगे जारी रहती है।
िागत समातवष्ट होती है। आसतिए ईत्पाद A पर प्रभाररत शुल्क के ऄंतगथत कच्चे माि पर दोहरा
कराधान अरोतपत होता है। दूसरे शब्दों में, जैस-े जैसे कच्चा माि एवं ऄंततम ईत्पाद एक ऄवस्था
से गुजरकर दूसरी ऄवस्था में प्रवेश करते है वैस-े वैसे कर बोझ में वृति होती जाती है क्योंद्रक प्रत्येक
ऄगिे ग्राहक को पहिे से कर वहन कर चुकी वस्तु पर बारमबार कर का भुगतान करना पडता है।
आसे कै स्के डिंग प्रभाव ऄथवा दोहरा कराधान कहा जाता है।
आसने ईत्पादन संरचना को तवकृ त करने के साथ कराधान के सटीक अकिन की प्रद्रक्रया को भी
बातधत द्रकया है। आसतिए सरकार ने अगतों को क्रमश: ईत्पाद कर एवं प्रततकारी शुल्क
(काईं टरवेडिग ड्यूटी) से छू ट प्रदान कर के सद्रीय ईत्पाद शुल्क प्रणािी की आन तवकृ ततयों को समाप्त
करने का प्रयास द्रकया है। आस ईद्देश्य को वास्ततवकता में पररणत करने वािी अदशथ प्रणािी के
तहत मूल्यवर्डधत कर (VAT) का ऄपनाया जाना था। परसतु, कु छ व्यावहाररक करिनाआयों के
कारण मूल्यवर्डधत कर को पूणथ रूप से ऄपनाया जाना संभव नहीं था।
आसतिए, सरकार ने एक नइ योजना, मोिंवैट (संशोतधत मूल्य वर्डित कर) प्रणािी तवकतसत की।
मोिंवैट प्रणािी ऄतनवायथत: वैट प्रणािी का ऄनुपािन करती है। ऄथाथत् यद्रद तवतनमाथता A द्रकसी
ऄसय तवतनमाथता B से ऄपने ईत्पाद के ईत्पादन में ईपयोग करने के तिए कु छ मध्यवतगीक वस्तुएाँ
(कच्चा माि) खरीदता है। B ने ऄपने द्वारा तवतनर्डमत मध्यवतगीक वस्तुओं पर ईत्पाद शुल्क का
भुगतान कर द्रदया होगा और ईस ईत्पाद शुल्क की पुन: प्राति A द्वारा द्रदए गए तबक्री मूल्य से की
जाएगी। आस प्रकार A को स्वयं द्वारा तवतनर्डमत ईत्पाद पर अरोतपत ईत्पाद शुल्क का भुगतान
करना है और साथ ही कच्चे माि के अपूर्डतकताथ B द्वारा भुगतान द्रकए गए ईत्पाद शुल्क को भी
वहन करना है। मोिंवैट प्रणािी के ऄंतगथत तवतनमाथता ऄपने तवतनमाथण प्रद्रक्रया में प्रयुक्त द्रकए गए
कच्चे माि एवं मध्यवतगीक वस्तुओं पर भुगतान द्रकए गए ईत्पाद शुल्क का क्रेतिंट जमा प्राि कर
सकता है। आसके पररणामस्वरूप प्रत्येक तवतनमाथता द्वारा प्रत्येक चरण पर के वि मूल्य में हुइ वृति
पर ही ईत्पाद शुल्क का भुगतान द्रकया जाना होता है।
मोिंवैट प्रणािी के माध्यम से यह सुतनतित द्रकया जाता है द्रक समान स्तर एवं समान समय में
तवतनर्डमत ऄंततम ईत्पाद का मूल्य कम हो। कै स्के डिंग प्रभाव के ईसमूिन के माध्यम से िागतों को
कम करने, कर संरचना को ऄतधकातधक युतक्तसंगत बनाने एवं ऄंततम ईत्पाद पर िगाए जाने वािे
मूल्य पर कराधान के वास्ततवक प्रभाव को समझने में सहायता करे गी तथा आस प्रकार, ऄंततम
ईत्पादों के मूल्यों में वृति और ईच्च कर दरों हेतु ईत्तरदायी तवतनमाथताओं के ऄनुतचत प्रयासों का
तवरोध करने के तिए ईपभोक्ताओं को सक्षम बनाएगी।
ततपिात्, मोिंवैट प्रणािी को सेनवैट (सेंट्रि वैल्यू एिंेिं टैक्स: CENVAT) प्रणािी में
पुनसंरतचत कर द्रदया गया। मोिंवैट प्रणािी में तवद्यमान सभी कतमयों को समाि कर द्रदया गया।
सेनवैट प्रणािी के ऄंतगथत ऄंततम ईत्पाद के तवतनमाथता या कर योग्य सेवाओं के प्रदाता को ईत्पाद
शुल्क के साथ ही द्रकसी भी अगत हेतु फै क्ट्री को चुकाए गए सेवा कर ऄथवा ऄंततम ईत्पाद के
तवतनमाथता को द्रकसी भी अगत सेवा हेतु चुकाए गए कर की सेवा कर जमा प्राि करने की ऄनुमतत
दी जाएगी।
राजस्व घाटे का अशय राजस्व प्रातियों की तुिना में सरकारी राजस्व व्यय के ऄतधक होने से है।
राजस्व घाटे में सरकार की चािू अय तथा व्यय को प्रभातवत करने वािे िेन-देन ही सतममतित
होते हैं। यद्रद ऄथथव्यवस्था में राजस्व घाटे की तस्थतत ईत्पन्न होती है तो आसका अशय है द्रक
सरकार की बचत में कमी हो रही है तथा सरकार ऄथथव्यवस्था के ऄसय क्षेर अों की बचतों का ईपयोग
आसके ईपभोग व्ययों के तवत्तपोषण हेतु कर रही है। ऐसी तस्थतत में, सरकार को ऄपने तनवेश एवं
ऄपनी ईपभोग अवश्यकताओं को तवत्तपोतषत करने के तिए ऊण िेना पडता है। आससे ऊण एवं
ब्याज देयताओं में वृति होती है। पररणामस्वरूप सरकार व्यय में कटौती करने के तिए तववश हो
जाती है। चूाँद्रक राजस्व व्यय का एक बडा भाग प्रततबि व्यय होता है, ऄत: आसमें कमी नहीं की जा
सकती है। ऐसी तस्थतत में सामासयतः सरकार द्वारा ईत्पादक पूज ं ीगत व्यय ऄथवा कल्याणकारी
योजनाओं पर द्रकए जाने वािे व्यय में कमी की जाती है। आससे तवकास की दर धीमी होती है तथा
सामातजक कल्याण पर भी प्रततकू ि प्रभाव पडता है।
राजकोषीय घाटा का अशय सरकार के कु ि व्यय एवं कु ि प्रातियों (ईधारी के ऄततररक्त) के मध्य
ऄंतर से है।
सकि राजकोषीय घाटा = कु ि व्यय–(राजस्व प्रातियााँ + देयताओं का सृजन नहीं करने वािी पूज
ं ीगत
प्रातियााँ)
सकि राजकोषीय घाटा = तनवि घरे िू ईधारी +भारतीय ररजवथ बैंक से प्राि ईधारी+ तवदेशों से प्राि
ईधारी
तनवि घरे िू ईधारी में ऊण के साधनों (जैसे: तवतभन्न िघु बचत योजनाएं) के माध्यम से जनता से
प्रत्यक्ष रूप से प्राि ईधारी तथा ऄप्रत्यक्ष रूप से सांतवतधक तरिता ऄनुपात (Statutory
Liquidity Ratio: SLR) के माध्यम से वातणतज्यक बैंकों से तिया गया ऊण सतममतित होता है।
राजकोषीय घाटा = राजस्व घाटा + पूंजीगत व्यय – देयताओं का सृजन नहीं करने वािी पूज
ं ीगत
प्रातियााँ
राजकोषीय घाटे में राजस्व घाटे का ऄतधक होना यह आं तगत करता है द्रक ऊण के बडे भाग का
ईपयोग, तनवेश के स्थान पर ईपभोग व्यय अवश्यकताओं द्रक पूर्डत करने हेतु द्रकया जा रहा है।
सरकार की ईधार अवश्यकताओं में संतचत ऊण के ब्याज दातयत्व भी सतममतित होते हैं। प्राथतमक
घाटे की गणना का िक्ष्य वतथमान राजकोषीय ऄसंति
ु नों पर ध्यान के तसद्रत करना होता है।
प्राथतमक घाटे का ईपयोग चािू व्ययों के राजस्व प्रातियों से ऄतधक हो जाने के कारण सरकार
द्वारा तिए जाने वािे ऊण का ऄनुमान िगाने के तिए द्रकया जाता है। यह राजकोषीय घाटे में से
ब्याज भुगतानों को घटाने पर प्राप्त होने वािा मान है।
तनवि ब्याज देयताओं में सरकार द्वारा तनवि घरे िू ईधार पर द्रकए गए ब्याज भुगतानों में से
ब्याज प्रातियों को घटाने पर प्राप्त मान सतममतित होता है।
बजट घाटे को कराधान, ईधारी ऄथवा नयी मुद्रा के तनगथमन द्वारा तवत्तपोतषत द्रकया जाता है।
सामासयत: सरकारें ईधारी पर तनभथर होती हैं। पररणामस्वरूप, सावथजतनक ऊण में वृति होती है।
घाटे एवं ऊण की ऄवधारणाएाँ परस्पर एक-दूसरे से तनकटता से संबंतधत हैं। घाटों से ऊणों के
स्टॉक में वृति होती है। यद्रद सरकार प्रत्येक वषथ ऊण िेती है, तब आससे ऊण का संचय होता है
एवं सरकार को ब्याज के रूप में ऄतधकातधक भुगतान करना पडता है। ये ब्याज भुगतान भी ऊण
में वृति करते हैं।
सरकार द्वारा ऊण िेकर कम द्रकए गए ईपभोग के बोझ को भावी पीद्रढयों को हस्तांतररत करती
है। ऐसा आसतिए है क्योंद्रक सरकार तत्कािीन जनता को बांड्स जारी करके ऊण िेती है परसतु
िगभग बीस वषों के बाद करों की दर में वृति कर बांड्स का भुगतान करने का तनणथय कर सकती
है। आन करों का ऄतधरोपण युवा जनसंख्या पर द्रकया जा सकता है जो ऄभी-ऄभी ही कायथबि में
सतममतित हुइ होती है। आस युवा जनसंख्या की प्रयोज्य अय में कमी से ईपभोग में भी कमी होगी।
आस प्रकार, यह तकथ द्रदया गया है द्रक आससे राष्ट्रीय बचत में तगरावट अएगी। साथ ही, सरकार
द्वारा जनता से ऊण तिए जाने के कारण तनजी क्षेर अों हेतु ईपिब्ध बचतों में कमी होती है। यह
कमी आस सीमा तक होती है द्रक आससे पूाँजी तनमाथण एवं तवकास में कमी अती है, आसतिए ऊण
यह तकथ द्रदया गया है द्रक जब सरकार करों में कटौती करती है तथा बजट घाटे की तस्थतत ईत्पन्न
होती है, तब आसकी प्रततद्रक्रया में ईपभोक्ता वगथ ऄपनी करोपरांत बची शेष अय के ऄतधकांश:
भाग का व्यय करता है। संभव है द्रक ये िोग ऄदूरदशगीक हों तथा बजट घाटे के तनतहताथों को न
समझते हों। संभवत: आन िोगों को आस वास्ततवकता का बोध नहीं होता है द्रक सरकार को भतवष्य
में द्रकसी समय तबसदु पर ऊण एवं संतचत ब्याज का भुगतान करने के तिए करों में वृति करनी
होगी। यद्रद ये आस त्य को समझते भी हों, तो संभवत: वे ऄपेक्षा करते हैं द्रक भावी करों का बोझ
ईन पर नहीं ऄतपतु भावी पीद्रढयों पर पडेगा।
ईपयुथक्त तकथ के तवरोध में यह तकथ द्रदया जाता है द्रक ईपभोक्ता दूरदशगीक होते हैं तथा ईपभोक्ताओं के
व्यय न के वि ईनकी वतथमान अय पर बतल्क भतवष्य की ईनकी प्रत्यातशत अय पर भी अधाररत
होंगे। वे समझते हैं द्रक वतथमान में तिए जाने वािे ऊण का ऄथथ भतवष्य में ईच्च कर होता है। वे
ऄब ऄपनी बचत में वृति करें गे। यह बचत सरकार द्वारा बचत में होने वािी कमी को प्रततसंतुतित
करें गी।
आस दृतिकोण को ईन्नीसवीं शताब्दी के महान ऄथथशास्त्री िंेतविं ररकािंो के नाम पर ररकार्डिंयन
तुल्यता कहा जाता है। सवथप्रथम िंेतविं ररकािंो ने यह तकथ द्रदया द्रक ईच्च घाटे की तस्थततयों में
िोग ऄतधक बचत करते हैं। आसे ‘तुल्यता’ कहा जाता है क्योंद्रक यह तकथ द्रदया जाता है द्रक कराधान
एवं ऊण, व्यय का तवत्तपोषण करने के समतुल्य साधन हैं। सरकार वतथमान में ऊण िेकर व्यय में
वृति करती है। आस ऊण का भुगतान भतवष्य में करों द्वारा द्रकया जाता है पररणामस्वरूप आसका
ऄथथव्यवस्था पर िीक वैसा ही प्रभाव होता है जैसा द्रक सरकारी व्यय में बढोत्तरी का होता है तजसे
वतथमान में कर में वृति करके तवत्तपोतषत द्रकया जाता है।
घाटे की एक प्रमुख अिोचना यह है द्रक घाटे मुद्रास्फीततकारी होते हैं। आसका कारण यह है द्रक
सरकार द्वारा व्यय में वृति ऄथवा करों में कटौती करने की तस्थतत में सकि मांग बढ जाती है।
परसतु कं पतनयां मांग की जा रही मदों का चािू कीमतों पर ईच्च मार अा में ईत्पादन नहीं कर पाती
हैं। आसतिए, कीमतों में वृति होती है। हािााँद्रक, यद्रद ऄप्रयुक्त संसाधन ईपिब्ध होते हैं, तो मांग
की कमी के कारण ईत्पादन की गतत धीमी रखी जाती है। यद्रद ईच्च राजकोषीय घाटे के साथ-साथ
ईच्च मांग एवं ऄपेक्षाकृ त ईच्च ईत्पादन की तस्थतत भी तवद्यमान होती है, तो घाटे के ऄवस्था
मुद्रास्फीततकारी नहीं होती है।
यह तकथ द्रदया गया है द्रक तनजी क्षेर अ के तिए
ईपिब्ध बचत की रातश में कमी के कारण
तनवेश में कमी अती है। आसका कारण यह है
द्रक यद्रद सरकार ऄपने घाटे का तवत्तपोषण
करने के तिए बांिं जारी करके नागररकों से
ईधार िेने का तनणथय करती है, तो फं िं की
ईपिब्ध अपूर्डत के तिए ये बांड्स, तनगतमत
बांड्स एवं ऄसय तवत्तीय साधनों के साथ
प्रततस्पधाथ करते हैं। यद्रद कु छ तनजी
बचतकताथ बांड्स खरीदने का तनणथय िेते हैं,
तो तनजी क्षेर अों में तनवेश हेतु फं िं में कमी
अएगी। आस प्रकार, जब सरकार ऄथथव्यवस्था की कु ि बचत के ऄतधकांश भाग पर दावा करे गी तो
कु छ तनजी ईधारकताथ तवत्तीय बाजारों से बाहर हो जाएंगे (क्राईडिंग अईट)।
िाभातसवत हो सकती हैं, चूंद्रक सामासयत: ऄवसंरचना तनमाथण हेतु द्रकए गए तनवेशों पर प्राि
प्रततफि, ब्याज की दर से ऄतधक होता है। ईत्पादन में वृति करके वास्ततवक ऊण का भुगतान
द्रकया जा सकता है। आस प्रकार के ऊण को बोझ सदृश नहीं माना जाना चातहए। ऊण में वृति का
समग्र रूप से ऄथथव्यवस्था की वृति के अधार पर अकिन द्रकया जाना चातहए।
ध्यान देने योग्य डबदु: ऄपेक्षाकृ त वृहद घाटे सदैव ऄपेक्षाकृ त तवस्तृत राजकोषीय नीतत को सूतचत
नहीं करते हैं। समान राजकोषीय ईपाय देश की ऄथथव्यवस्था के अधार पर िघु ऄथवा वृहद घाटे
की तस्थतत ईत्पन्न कर सकते हैं। ईदाहरणस्वरूप: यद्रद द्रकसी ऄथथव्यवस्था में मंदी तथा GDP में
तगरावट की तस्थतत तवद्यमान है तो कर राजस्व में तगरावट देखी जाती है क्योंद्रक फमथ एवं पररवार
की अय में कमी के कारण ईनके द्वारा भुगतान की जाने वािी कर की रातश ऄपेक्षाकृ त कम हो
जाती है। आसका ऄथथ है द्रक मंदी के दौरान घाटे में वृति होती है तथा ऄथथव्यवस्था में ईछाि (तेजी)
के दौरान घाटे में कमी अती है, चाहे राजकोषीय नीतत में कोइ पररवतथन न द्रकए जाए।
करों में वृति या व्यय में कमी करके सरकारी घाटे को कम द्रकया जा सकता है। भारत में , सरकार
प्रत्यक्ष करों पर ऄतधक तनभथरता के साथ कर राजस्व बढाने का प्रयास कर रही है (ऄप्रत्यक्ष कर,
प्रकृ तत में प्रततगामी होते हैं - वे समान रूप से सभी अय समूहों को प्रभातवत करते हैं)। आसके साथ
ही PSU में शेयरों की तबक्री के माध्यम से प्रातियां को बढाने का भी प्रयास द्रकया जा रहा है।
हािााँद्रक, सरकारी व्यय में कटौती पर मुख्य रूप से बि द्रदया गया है। कायथक्रमों के बेहतर
तनयोजन एवं बेहतर प्रशासन के माध्यम से सरकारी गतततवतधयों को ऄपेक्षाकृ त ऄतधक कु शि
बनाकर ऐसा द्रकया जा सकता है। योजना अयोग द्वारा द्रकए गए एक ऄध्ययन में ऄनुमान िगाया
गया है द्रक गरीबों को 1 रू. ऄंतररत करने के तिए, सरकार खाद्य सतब्सिंी के रूप में 3.65 रू.व्यय
करती है। आससे यह प्रदर्डशत होता है द्रक नकदी हस्तांतरण से कल्याण में वृति होगी। आसका एक
दूसरा तरीका सरकार द्वारा ऄपने पूवथ के संचातित कायथ क्षेर अों से पीछे हटना है।
कृ तष, तशक्षा, स्वास््य एवं गरीबी ईसमूिन अद्रद जैसे महत्वपूणथ क्षेर अों में सरकारी कायथक्रमों मे
कटौती का ऄथथव्यवस्था पर प्रततकू ि प्रभाव पडेगा। कइ देशों में भारी घाटे की तस्थतत तवद्यमान है।
आस तस्थतत ने ईसहें ऄंततः पूव-थ तनधाथररत स्तर से ऄतधक व्यय न बढाने हेतु स्व-अरोतपत प्रततबंध
िगाने के तिए बाध्य द्रकया है। आस कायथ हेतु भारत में, FRBM ऄतधतनयम ऄपनाया गया है।
बहु-दिीय संसदीय प्रणािी में, चुनावी डचताएं, व्यय नीततयों का तनधाथरण करने में महत्वपूणथ भूतमका
तनभाती हैं। यह तकथ द्रदया जाता है द्रक तथा भतवष्य की सभी सरकारों पर िागू होने वािे तवधायी
प्रावधान, संभवत: घाटे को तनयंतर अत करने में प्रभावी होते हैं। ऄगस्त 2003 में पाररत FRBM
ऄतधतनयम, राजकोषीय सुधारों में क्रांततकारी पररवतथन को आं तगत करता है। यह ऄतधतनयम सरकार को
एक संस्थागत ढांचे के माध्यम से दूरदशगीक राजकोषीय नीतत का ऄनुसरण करने के तिए बाध्य करता है।
तवस्तारवादी राजकोषीय नीतत को सरकारी व्यय में वृति एवं/ऄथवा करों में कमी के रूप में
पररभातषत द्रकया जाता है। आसके पररणामस्वरूप सरकार के बजट घाटे में वृति होती है ऄथवा
सरकार के बजट ऄतधशेष में कमी अती है। संकुचनवादी राजकोषीय नीतत को सरकारी व्यय में
कमी एवं/ऄथवा करों में वृति के रूप में पररभातषत द्रकया जाता है। आसके पररणामस्वरूप सरकार
के बजट घाटे में कमी अती है ऄथवा सरकार के बजट ऄतधशेष में वृति होती है।
तवस्तारवादी राजकोषीय नीतत की तस्थतत में, सरकार को घरे िू या तवदेशी स्रोतों से ऊण िेना
पडता है, ऄपना तवदेशी मुद्रा भंिंार अहररत करती है ऄथवा समतुल्य मुद्रा जारी करनी पडती है।
व्यापक सामासयीकरण करते हुए कहा जा सकता है द्रक ऄत्यतधक मुद्रा जारी करने से मुद्रास्फीतत
की तस्थतत ईत्पन्न हो जाती है। यद्रद सरकार तवदेशी राष्ट्रों/संस्थानों से ऄत्यतधक ऊण िेती है तो
ऊण संकट पैदा होता है। यद्रद सरकार ऄपने तवदेशी मुद्रा भंिंार को अहररत करती है, तो भुगतान
संति
ु न का संकट ईत्पन्न हो सकता है। सरकार द्वारा ऄत्यतधक घरे िू ईधारी से वास्ततवक ब्याज
दर ईच्च हो सकती है तथा घरे िू तनजी क्षेर अ तक धन की ईपिब्धता में कमी के कारण यह तनजी
तनवेश से बाहर हो सकता है (क्राईडिंग अईट प्रभाव)। कभी-कभी ये दोनों तस्थततयााँ एक साथ भी
घरटत हो सकती हैं। द्रकसी भी तस्थतत में, दीघथकातिक तवकास एवं अर्डथक कल्याण पर ऄत्यतधक
घाटे का प्रभाव नकारात्मक होता है। आसतिए, ऄनावश्यक तवशाि घाटे की तस्थतत सरकार के तिए
ऄच्छी नहीं है।
हािााँद्रक, तवकासशीि देशों की तस्थतत में, जहां ऄवसंरचना और सामातजक तनवेशों की
अवश्यकता बहुत ऄतधक हो सकती है, दीघथकातिक तवकास की कीमत पर ऄतधशेष बनाए रखना
भी बुतिमत्तापूणथ नहीं हो सकता है। ऐसी तस्थतत में ऄतधकांश तवकासशीि देशों की सरकारों के
तिए मुख्य चुनौती, सरकार की तवत्तीय तस्थतत का प्रबंधन करते हुए ऄवसंरचना और सामातजक
अवश्यकताएं को आस प्रकार से पूरा करना है द्रक घाटे या संतचत ऊण का बोझ बहुत ऄतधक न हो।
नोट: घाटे के तवत्तपोषण से अशय है द्रक सरकार राजस्व प्रातियों से ऄतधक धन व्यय करती है। व्यय
एवं प्रातियों के आस ऄंतर को ऊण िेकर या नइ मुद्रा जारी कर पूरा द्रकया जाता है। हािााँद्रक बजटीय
घाटा कइ कारणों से हो सकता है, परसतु सामासयत: यह शब्द कर की दरों में कमी कर या सरकार के
व्यय में वृति कर ऄथथव्यवस्था को प्रोत्सातहत करने के तकथ संगत प्रयास को संदर्डभत करता है।
तववेकाधीन राजकोषीय नीतत से अशय ऄथथव्यवस्था में हुए पररवतथनों के कारण सद्रक्रय सरकारी
कराधान तथा व्यय के स्तर में हुए पररवतथन से है। ये पररवतथन प्राय: पूणथ रोजगार और तस्थर मूल्य
अद्रद जैसे ऄथथशास्त्र के कु छ/सभी िक्ष्यों को पूरा करने के प्रयास में अरं भ द्रकए जाते हैं।
ईदाहरणस्वरूप, ऄथथव्यवस्था के तवकास हेतु ऄवसंरचना तनमाथण पर व्यय में वृति करना तथा कु ि
मांग के साथ-साथ रोजगार में संिग्न िोगों की संख्या में वृति करना।
स्वचातित राजकोषीय नीतत वे पररवतथन हैं जो तपछिी सरकार के तवतनयमों एवं कर कानूनों का
पररणाम हैं, एवं जो पररवतथन ऄभी भी प्रभावी हैं तथा ये पररवतथन सरकार के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप के
तबना व्यापार चक्र की तवस्तार और मंदी की ऄवतधयों के माध्यम से ऄथथव्यवस्था में व्यय को
समायोतजत/तस्थर करते हैं। आनमें प्रगततशीि कराधान, कृ तष के तिए सरकारी सहायता और
रोजगार बीमा अद्रद सतममतित हैं।
पररवर्डतत राजकोषीय नीतत की अवश्यकता की पहचान करने तथा पररवर्डतत राजकोषीय नीतत
को ऄतधतनयतमत करने में होने वािी देरी के कारण तववेकाधीन राजकोषीय नीतत ऄतधक करिन
हो गइ है। संशोतधत राजकोषीय नीतत को कायाथतसवत करने के तिए सामासयत: तवधायी कारथ वाइ
की अवश्यकता होती है, तजसे कायाथतसवत करने में िंबा समय िगता है। ईतचत समय के साथ एक
करिनाइ यह है द्रक अर्डथक गतततवतधयों की भतवष्यवाणी करना समुतचत तवज्ञान नहीं है।
सामासयत: वह समय जब राजकोषीय नीतत में जब पररवतथन की अवश्यकता होती है तथा
कायथवाही करने की अवश्यकता की पहचान की तस्थतत के मध्य ऄंतराि तवद्यमान है। ऄथथव्यवस्था
की मंदी के दौरान ऄपनायी गयी प्रततकू ि राजकोषीय नीतत मुद्रास्फीतत में वृति कर सकती है और
ऄथथव्यवस्था में तगरावट की प्रवृतत्त को तीर क कर सकती है।
आस ऄथथ में मौद्रद्रक नीतत की तुिना में राजकोषीय नीतत िाभकारी होती है क्योंद्रक ऄथथव्यवस्था में
सावथजतनक व्यय की वृति से मांग में तत्काि वृति होती है।
राजकोषीय नीतत समग्र मांग, धन का तवतरण एवं ऄथथव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं के ईत्पादन
करने की क्षमता को प्रभातवत करती है। ऄल्पावतध में व्यय ऄथवा कराधान में होने वािे पररवतथन,
वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग के पररमाण और प्रततरूप दोनों को पररवर्डतत कर सकते हैं। समय के
साथ, यह समग्र मांग ईत्पादन के कारकों पर प्रततफि, मानव पूंजी के तवकास, पूंजीगत व्यय के
अवंटन और तकनीकी नवाचारों में तनवेश को प्रभातवत कर ऄथथव्यवस्था में संसाधनों के अवंटन
तथा ईत्पादक क्षमता को प्रभातवत करती है।
कर की दरें भी श्रम, बचत एवं तनवेश पर तनवि प्रततफि को प्रभातवत कर पररमाण और ईत्पादन
क्षमता के अवंटन, दोनों को प्रभातवत करती हैं। राजकोषीय नीतत भी अर्डथक प्रवृततयों को
प्रोत्सातहत करती है तथा मौद्रद्रक नीतत को प्रभातवत करती है।
द्रकसी ऄथथव्यवस्था में सभी घटकों के तस्थर होने पर कर की तनम्न दरें िागू होने से पररवारों की
प्रयोज्य अय में वृति होती है पररणामस्वरूप ईपभोक्ताओं के व्यय में वृति करती हैं। कटौती के
पररणाम (द्रकतना व्यय द्रकया जाता है या द्रकतनी बचत की जाती है और अर्डथक गतततवतधयों के
प्रतत ऄनुद्रक्रया) ईपभोक्ताओं द्वारा तिए जाने वािे तनणथयों तथा तत्कािीन समति अर्डथक
पररतस्थततयों पर तनभथर करता है।
कर कटौती चाहे ऄस्थायी या स्थायी के रूप में की गइ हो, यह ईपभोक्ताओं की बचत को प्रभातवत
करे गी। ऄस्थायी कटौती से ईपभोक्ताओं की प्रयोज्य अय तुिनात्मक रूप से कम पररवर्डतत होगी
तथा पररणामत: आनकी ईपभोग दर पर ऄत्यंत कम प्रभाव पडेगा। यद्रद कटौती को स्थायी माना
जाता है तो ईनकी प्रयोज्य अय में ऄत्यतधक वृति होगी।
ऄल्पावतध में जब ऄथथव्यवस्था ऄपनी साम्यथ से तनम्न स्तर पर संचातित हो रही हो, तो ईस
तस्थतत में समग्र मांग को प्रोत्सातहत करने के तिए राजकोषीय नीतत का ईपयोग तथा वह तस्थतत
जब राष्ट्रीय बचत एवं भतवष्य में जीवन स्तर को ईन्नत बनाने हेतु पूज ं ीगत तनमाथण जैसे
दीघथकातिक िक्ष्यों को बढावा देने के तिए आस नीतत का ईपयोग द्रकया जाता है, आन दोनों
तस्थततयों के मध्य एक संभातवत संघषथ की तस्थतत पररितक्षत होती है। जब अर्डथक संसाधनों का
ऄत्यंत कम ईपयोग द्रकया जाता है, तब राजकोषीय प्रोत्साहन, तनवेश में वृति कर सकता है।
िेद्रकन जब ऄथथव्यवस्था ऄपनी साम्यथ के स्तर पर संचातित हो रही हो तो सावथजतनक ऊण में
वृति से तनजी तनवेश में तगरावट अ सकती है, बशते राजकोषीय प्रोत्साहन को कम नहीं द्रकया
जाता क्योंद्रक आससे ऄथथव्यवस्था पूणथ रोजगार एवं ईपयोतगता की ओर बढती है।
नोट: राजकोषीय कषथण (fiscal drag) एक ऐसी ऄवधारणा है तजसमें मुद्रास्फीतत एवं अय में
वृति ऄतधकांश करदाताओं को ईच्च कर श्रेणी(tax bracket) में सतममतित कर सकती है। आसतिए
राजकोषीय कषथण, कर दरों में स्पि रूप से वृति द्रकए तबना सरकार के कर राजस्व में वृति को
प्रभातवत करती हैं।
आस प्रकार राजकोषीय कषथण से समग्र मांग में कमी अती है और यह ऄपस्फीततकारी राजकोषीय
नीतत का एक ईदाहरण बन जाता है। आसे एक स्वचातित राजकोषीय तस्थरक (स्टेबिाआजर) के
रूप में भी देखा जा सकता है क्योंद्रक ऄपेक्षाकृ त ईच्च अय से कर ईच्च ऄतधरोतपत होगा तथा
ऄथथव्यवस्था में सीतमत मुद्रास्फीततकारी दबाव तनर्डमत होगा।
GST, तवतनमाथता से िेकर ईपभोक्ता तक वस्तु एवं सेवाओं की अपूर्डत पर िगने वािा एकमार अ
कर है। यह प्रत्येक चरण में मूल्य वधथन (वैल्यू एतिंशन) पर िगने वािा एक कर है, क्योंद्रक प्रत्येक
चरण में भुगतान द्रकया गया अगत कर जमा, ऄगिे चरण के मूल्य वधथन में ईपिब्ध होगा। आस
कराधान प्रणािी में, ऄंततम ईपभोक्ता द्वारा के वि अपूर्डत श्रृंखिा के ऄंततम चरण में अपूर्डतकताथ
द्वारा प्रभाररत GST ही ऄदा द्रकया जाएगा। आस प्रकार आसके िागू होने से पूवथ कर प्रणािी में
प्रचतित प्रपाती प्रभावों (कै स्के डिंग आणे क्ट) को पूरी तरह समाि द्रकया जा सके गा।
GST, समपूणथ देश के तिए एक ऄप्रत्यक्ष कर है। आसमें ऄसय सभी प्रकार के ऄप्रत्यक्ष करों को
सममतित द्रकया गया है तथा आसे समान रूप से पूरे देश में िागू द्रकया जायेगा। ऄतः आससे भारत
‘एक राष्ट्र, एक कर, एक समान बाजार’ वािा देश बन जाएगा।
छोटे व्यवसायों के तिए छू टः पूवोत्तर और पवथतीय राज्यों में वार्डषक रूप से 10 िाख रूपये से कम
व्यवसाय करने वािे व्यवसायी GST से बाहर रहेंगे वहीं शेष भारत में आस छू ट की सीमा वार्डषक
मुनाफाखोरी तवरोधी कानूनः धारा 171 के ऄनुसार – यद्रद व्यापारी अद्रद आनपुट कर का क्रेतिंट िे
रहे हैं तो ईसहें यह िाभ ईपभोक्ता को देना होगा।
GST पंजीकरण संख्याः िोगों को ऄभ्यस्त बनाने के तिए प्रोतवजनि अइ िंी और 90 द्रदन का
समय प्रदान द्रकया गया है।
ऄतनवायथ पंजीकरण: ऄब करों से बचा नहीं जा सकता क्योंद्रक यद्रद कोइ व्यतक्त व्यापार करना
चाहता है तो ईसे GST व्यवस्था में अना ही पडेगा। ‘E-way bill’ व्यवस्था के ऄंतगथत 10 द्रकमी
से ऄतधक दूरी तथा 50,000 रूपये से ऄतधक िागत वािी वस्तुओं की अवजाही होगी, वहां
ऑनिाआन पंजीकरण अवश्यक है।
संचार और जागरूकता कायथक्रमः आसके तिए सरकारी कायाथियों में सुतवधा कें द्र और ऄनेक
मागथदशथक कायथक्रम प्रारमभ द्रकये गये हैं।
GST सुतवधा प्रदाता ( GST suvidha providers - GSP) –GSTN ने GST व्यवस्था के
ऄनुपािन हेतु करदाताओं और ऄसय तहतधारकों के तिए नवीन और सुतवधाजनक तरीके प्रदान
करने के तिए 34 GSPs का चयन द्रकया है। यह GST के ऄंतगथत कर प्रशासन की प्रद्रक्रया को
सुगम बनाने में सहायता करें गे।
अगे की राह
GST िागू होने से भारतीय ऄथथव्यवस्था को कइ िाभ प्राि होंगे। सरकार को िंेटा गोपनीयता
जैसे ऄवरोधों को दूर करने का प्रयास करना चातहए और दीघाथवतध में GST से बाहर रखे गए
ईत्पादों की सूची को भी सीतमत करना चातहए।
प्रगततशीि और कदम-दर-कदम पररवतथन, एकातधक कर दरों के कारण भिे ही GST एक सरि
व्यवस्था ना हो तथा ईतचत प्रशासतनक ऄनुपािन और तवकृ त िागत आसके िाभों को समाि कर
दे। द्रफर भी वतथमान व्यवस्था पहिी व्यवस्था से बेहतर है। वतथमान व्यवस्था के दोषों को
शीघ्राततशीघ्र दूर द्रकया जाना चातहए।
राजस्व हातन के िंर से करों की दर कम रखने के जोतखम से बचने का प्रयास द्रकया है । जब तक
ऄथथव्यवस्था में तीर क बदिाव न अए तब तक आस रुख में जल्दी पररवतथन होने की समभावना नहीं
है। आसतिए GST पररषद को दरों की समीक्षा के तिए तजतनी बार समभव हो आस बारे में तवमशथ
करते रहना चातहए ताद्रक देश को तवकतसत देशों के समकक्ष खडा द्रकया जा सके ।
प्राथतमकता पर, सरकार द्वारा छोटे कम समपन्न तहतधारकों, जैसे िघु ईद्योग और खुदरा तवक्रेताओं
की क्षमता तनमाथण करने की अवश्यकता है।
यद्यतप, ऄल्पावतध में कु छ चुनौततयााँ हो सकती है, परसतु दीघाथवतध में प्राि िाभ ईन सब की भरपाइ
कर देंगे । बढे हुए कर ऄनुपािन से सरकार को ऄतधक राजस्व की प्राति तथा देश का तवकास हो सकता
है। ररयि टाआम िंेटा की ईपिब्धता से वांतछत पररणामों को प्राि करने के तिए सरकारी नीततयों को
बेहतर बनाया जा सकता है।
द्रकसी भी कराधान प्रणािी में सरकार का प्रयास राजस्व संग्रह को ऄतधकतम करना होता है, जबद्रक
करदाता, कर की तनम्न दरें एवं असानी से ऄनुपािन द्रकए जा सकने वािे तनयम चाहते हैं। हािााँद्रक,
जब सरकार करदाता से ऄतधक कर संग्रह करने के तिए इमानदार करदाताओं पर ऄवैध एवं ऄततररक्त
कानूनी दबाव िंािती है, तो सरकार के आस व्यवहार को कर अतंकवाद (Tax Terrorism) कहा जाता
है।
टैक्स टेरररज्म का मूि कारण कें द्रीय बजट में राजस्व संग्रह के ऄवास्ततवक िक्ष्यों को तनधाथररत द्रकया
जाना है। जरटि और तवतवध कर कानूनों ने कराधान प्रणािी में ऄनेक तवसंगततयों को बढावा द्रदया है।
बेस आरोजन एंिं प्रॉद्रफट तशडफ्टग जैसी प्रणातियों के कारण हुए कर वंचन से सरकार को राजस्व हातन
हुइ है तथा आसी कारण टैक्स टेरररज्म व्यवस्था को बढावा तमिा है।
कर अतंकवाद के ईदाहरण :
अम जनता पर कर कानून को किोर तरीके से िागू करना तथा कर संबंधी प्रत्येक िेन -देन को
संद्रदग्ध समझना।
अयकर ऄतधतनयम, 1961 में पूवथप्रभावी रीतत से संशोधन, देश में व्यापाररक अत्मतवश्वास को
प्रभातवत कर रहा है।
टैक्स आं स्पेक्टरों पर सयूनतम टैक्स की वसूिी का िक्ष्य ऄतधरोतपत करना।
राजस्व के िक्ष्य को साकार करने के नाम पर धन-वापसी से आनकार या प्रततकू ि सयायतनणथयन
अदेश का सहारा िेना।
जनरि एंटी ऄवाआिंेसस रूि (GAAR)
कर भुगतान न करने का ऄवैध तरीका कर चोरी कहिाता है। अय का सही ब्यौरा न देना, तजन खचों
की कानूनी ऄनुमतत न हो, ईन खचों को भी ब्यौंरे में सतममतित करना ऄथवा करों का भुगतान न
करना, कर चोरी है। यद्रद कोइ जानबूझकर अय का ब्यौरा देने में तवफि रहता है, तो आसे कर चोरी
माना जाता है।
सरकार द्वारा ऄनुमोद्रदत तरीकों का ईपयोग करके , कर से बचाव या वैध तरीके से कर को सयूनतम
करना कर-पररहार कहिाता है। व्यवसायी या व्यापारी, सभी वैध कटौती ऄपनाकर और बेहतर कर
तनयोजन की सहायता से अय कर के भुगतान से बचते हैं। आसमें कर के बोझ को कम करने के तिए, कर
कानूनों में तवद्यमान कतमयों का ईपयोग करना भी सतममतित है। कर चोरी के तवपरीत, कर-पररहार
एक कानूनी तरीका है। हािााँद्रक, यह ऄनुतचत है क्योंद्रक करदाता, कानून तनमाथताओं के ईद्देश्य के
तवपरीत स्वयं के तहतों से तनदेतशत होकर आनका ईपयोग करते हैं।
10.3. टै क्स हे व सस
टैक्स हेवसस एक ऐसा देश, जो तवदेशी व्यतक्तयों एवं व्यवसायों को सयूनतम ऄथवा शूसय कर की दर
तथा राजनीततक और अर्डथक रूप से तस्थर पररवेश प्रदान करता है। आसके साथ, तवदेशी कर
ऄतधकाररयों के साथ बहुत कम तवत्तीय जानकारी साझा करता है ऄथवा साझा नहीं करता है। ऐसे देशों
की सूची में मुख्यतः एंिंोरा, के मैन द्वीप, तब्ररटश वर्डजन अआिैंिं अद्रद जैसे राष्ट्र सतममतित हैं।
िोगों को टैक्स हैवसस का िाभ ईिाने के तिए ईक्त देश में रहने या ईस देश से व्यवसाय सं चातित करने
की अवश्यकता नहीं होती है। व्यावसातयक संचािन में वैश्वीकरण के कारण, तनगम करों को कम करने
के तिए कइ बहुराष्ट्रीय कं पतनयां, तवदेशी टैक्स हेवसस देशों में नकदी जमा करती हैं।
भारतीय ऄथथव्यवस्था
5. बजट
4.4. के न्द्रीय वनवववियों के वनयंत्रण को विवथल बनाना (Relaxing Central Input Controls)______________________ 17
4.7. अधुवनक ववत्तीय प्रबंधन व्यवहार (Modern Financial Management Practices) ________________________ 19
5.1. कें द्र प्रायोवजत योजनाओं (CSS) तथा आन योजनाओं पर होने वाले व्यय की तकथ संगत व्याख्या _____________________ 20
5.3. रे ल बजट का सामान्य बजट में ववलय (Merging of Railway and General Budget) ______________________ 22
संसाधनों की ईपलब्धता का ऄनुमान लगाने तथा तत्पश्चात् ईन्हें पूवथ वनधाथररत प्राथवमकता के
ऄनुसार दकसी संगठन की वववभन्न गवतवववधयों के वलए अवंरटत करने की प्रदिया है। आसके साथ
ही यह जनता की अवश्यकताओं और ई्ेश्यों के साथ दुलथभ संसाधनों को संतुवलत करने का प्रयास
भी है।
दकन्तु बजट के वल देि का अर्थथक लेखा-जोखा ही नहीं है। बजट, धन की प्रावप्त और ईसके व्यय का
ही वववरण नहीं बवलक आससे कही ऄवधक व्यापक ऄवधारणा है। बजट वरीयताओं, नीवतयों और
वनम्नवलवखत हैं:
बजट वनयंत्रण के साधन के रूप में कायथ करता है। बजट वववभन्न ववभागों की प्रगवत का मूलयांकन
करने के वलए मापदंड के रूप में कायथ करता है। यदद कोइ ववभाग ऄपने बजटीय प्रस्तावों के संबंध
में लक्ष्य से दूर है तो ईसे सूवचत दकया जा सकता है एवं सुधारात्मक कारथ वाइ की जा सकती है।
बजटेरी प्रदिया में सरकार के सभी ववभाग सवममवलत होते हैं। वववभन्न ववभागों के बीच होने वाले
संघषथ का समाधान दकया जाना अवश्यक है। आस प्रकार बजटीय योजना और आसका कायाथन्वयन,
वववभन्न ववभागों को एक साथ लाने तथा ईनके बीच समन्वय स्थावपत करने में सहायता करता है।
ऄपेक्षा के ऄनुरूप प्रदिथन न करने वाले ववभागों का अवंटन कम करके दंडात्मक कारथ वाइ के साधन
के रूप में भी बजट का ईपयोग दकया जा सकता है। आसवलए, बजट वववभन्न ववभागों के कामकाज
लाना चाहती है तो वह बजट के माध्यम से कायथ वनष्पादन से संबवं धत बोनस जैसे प्रोत्साहन लागू
कर सकती है।
बजट, संसाधनों के पुनर्थवतरण हेतु भी मंच ईपलब्ध कराता है। यह पुनर्थवतरण समृद् से वनधथन की
सकता है।
यह धन की सावथजवनक जवाबदेही के ई्ेश्य की पूर्थत करता है।
संक्षेप में, यह संसाधनों को जुटाने की मांग करने वाली वनरं तर ब़िती सरकारी गवतवववधयों हेतु एक
वनयोवजत पद्वत है। वपिले कु ि वषों के दौरान सरकारी कायों के संबंध में जनता की पररवर्थतत होती
राय के ऄनुदिया स्वरूप बजेटरी प्रदिया में होने वाले पररवतथनों से िासन के वलए बजट की महत्ता को
भली-भांवत समझा जा सकता है।
व्यापाररक और सरकारी बजट में ऄत्यवधक ऄंतर होता हैं। दोनों के मध्य ऄंतर को वनम्न रूप में
सारणीबद् दकया गया है:
2. भारतीय सं घ का बजट
भारतीय संववधान का ऄनुछिेद 112 बजट को 'वार्थषक ववत्तीय वववरण' के रूप में संदर्थभत करता है।
बजट िब्द का प्रयोग संववधान में कहीं नहीं दकया गया है। संघीय बजट के दो ई्ेश्य हैं:
संघ सरकार की गवतवववधयों का ववत्तपोषण करना।
रोजगार, संधारणीय अर्थथक ववकास और कीमतों के स्तर में वस्थरता जैसे समविगत अर्थथक
ई्ेश्यों को प्राप्त करना, जो राजकोषीय नीवत का एक भाग है।
ववववध ईत्तरदावयत्वों को पूरा करने हेतु ऄपने सीवमत संसाधन, ववत्तीय वनयोजन और
'प्रवतवनवधत्व के वबना कर नहीं' जैसे लोकतांवत्रक वसद्ांतों को ध्यान में रखते हुए, सरकार को
प्रवतवषथ संसद के समक्ष ववत्तीय वववरण प्रस्तुत करना होता है। सरकार ऄपनी आछिानुसार कर
अरोवपत करने, ऋण लेने और धन व्यय करने के वलए स्वतंत्र नहीं होती है। व्यय की प्रत्येक मद
सुववचाररत होती है एवं एक ववविि ऄववध के वलए कु ल पररव्यय वनकाला जाता है। आसके
ऄवतररक्त, आन सभी ववत्तीय प्रस्तावों के पीिे स्पि रूप से ऄपने चुने हुए प्रवतवनवधयों के माध्यम
से अम-जन की स्वीकृ वत होनी चावहए।
आसवलए प्रवतवषथ भारत सरकार का बजट संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत दकया जाता है। बजट में
सरकार का ववत्तीय वववरण सवममवलत होता है। आस ववत्तीय वववरण में एक ववत्तीय वषथ की
ऄनुमावनत प्रावप्तयां और व्यय होते हैं। वतथमान व्यवस्था के ऄंतगथत प्रवत वषथ 1 ऄप्रैल से नया
ववत्तीय वषथ अरं भ होता है। दूसरे िब्दों में, बजट अने वाले वषथ के दौरान दकस मद में दकतना धन
व्यय करना है, दकसके द्वारा आसमें दकतना योगदान ददया जाएगा और धन कहां से एकवत्रत दकया
जाएगा, प्रस्ताव में आन सभी बातों का वववरण होता है।
बजट, अगामी वषथ का ऄनुमान प्रस्तुत करता है और संसद को आस पर चचाथ करने तथा ईसकी
अलोचना करने में सक्षम बनाता है। साथ ही, सरकार को ईसकी ववत्तीय एवं अर्थथक नीवत,
कायथिमों की समीक्षा और व्याख्या करने का ऄवसर भी प्रदान करता है। आसका महत्व के वल ववत्त
तक ही सीवमत नहीं है क्योंदक बजट, सरकार के ववचारों को भी प्रवतबबवबत करता है एवं भववष्य
की नीवतयों का संकेत देता है।
भारत द्वारा ऄनुसरण की जाने वाली ववत्तीय प्रदिया के अवश्यक ऄवभलक्षणों का संववधान में
ईललेख दकया गया है। संववधान में ववत्तीय ववषयों में संघ स्तर पर लोकसभा और राज्य स्तर पर
ववधान सभा की सवोच्चता सुवनवश्चत की गइ है। संववधान प्रावधान करता है दक वववध के
प्रावधकार के वबना, करों का ऄवधरोपण नहीं दकया जा सकता एवं न ही ईन्हें एकवत्रत दकया जा
सकता है (ऄनुछिेद 265) तथा राष्ट्रपवत, प्रत्येक ववत्तीय वषथ के संबंध में दोनों सदनों के समक्ष
वार्थषक ववत्तीय वववरण प्रस्तुत करे गा (ऄनुछिेद 112)।
2018 के बजट में आस ववभाजन को पुन: समाप्त कर रे लवे बजट का सामान्य बजट में ववलय कर
ददया गया है। सामान्य बजट, कें द्रीय ववत्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत दकया जाता है।
दकसी भी बजट में वनम्नवलवखत तीन प्रकार की सूचनाएं होती हैं:
वपिले वषथ की प्रावप्तयों और व्यय के वास्तववक अंकडे
चालू वषथ का बजट और संिोवधत अंकडे
अगामी वषथ के वलए बजट ऄनुमान
ईदाहरणाथथ आस वषथ ववत्त मंत्री द्वारा वषथ 2018-2019 के वलए बजट प्रस्तुत दकया गया। आस
बजट के वलए वपिला वषथ 2016-17 (वास्तववक अंकडें) है और चालू वषथ 2017-18 (संिोवधत
बजट ऄनुमान) है तथा 2018-2019 (बजट ऄनुमान) प्रस्तुत दकये गए है। जैसा की वनम्नवलवखत
तावलका से स्पि होता है:
प्रावप्तयों और संववतरण को सरकारी खातों के ऄंतगथत तीन भागों में दिाथया जाता हैः (i) संवचत
वनवध (ii) अकवस्मकता वनवध और (iii) लोक लेखा। ऄनुमावनत प्रावप्तयां, ऄवनवायथ रूप से आन्हीं
तीन वनवधयों में जमा की जाती है तथा आनमें से ही व्यय हेतु वनकाली जाती हैं।
संवचत वनवध
ऐसी वनवध, वजसमें भारत सरकार की सभी प्रावप्तयां जमा की जाती हैं एवं सभी भुगतान वनकाले
मतदान के वलए प्रस्तुत नहीं दकया जा सकता है। दूसरे िब्दों में, यह बजट का गैर-मतदान योग्य
भाग है। भारत की संवचत वनवध पर भाररत व्यय में सवममवलत हैं:
o राष्ट्रपवत की पररलवब्धयां और भत्ते तथा ईसके कायाथलय के ऄन्य व्यय
o राज्यसभा के सभापवत (ईपराष्ट्रपवत) और ईपसभापवत तथा लोकसभा के ऄध्यक्ष और
ईपाध्यक्ष के वेतन एवं भत्ते
o सवोच्च न्यायालय के न्यायाधीिों को देय वेतन,भत्ते एवं पेंिन।
o ईच्च न्यायालयों के न्यायाधीिों की पेंिन।
o भारत के वनयंत्रक और महालेखा परीक्षक के वेतन, भत्ते और पेंिन।
o संघ लोक सेवा अयोग के ऄध्यक्ष एवं सदस्यों के वेतन, भत्ते तथा पेंिन।
o सवोछच न्यायालय, भारत के वनयंत्रक एवं महालेखा परीक्षक तथा संघ लोक सेवा अयोग के
कायाथलयों में सेवारत व्यवक्तयों के वेतन, भत्ते और पेंिन सवहत प्रिासवनक व्यय।
o ब्याज, ऋण िोधन वनवध प्रभार और िोधन प्रभार, ऋण लेने और ऋण सेवा एवं ऋण िोधन
से संबंवधत ऄन्य व्यय सवहत वे ऋण भार वजनका ईत्तरदावयत्व भारत सरकार पर है।
o दकसी भी न्यायालय या मध्यस्थ न्यायावधकरण का कोइ वनणथय, वडिी या पंचाट के ऄनुसार
अवश्यकता पूर्थत हेतु कोइ रावि।
o संववधान, संसद या कानून द्वारा घोवषत कोइ भी ऄन्य भाररत व्यय।
दूसरी श्रेणी में अने वाला व्यय लोकसभा के समक्ष ऄनुदान मांग के रूप में प्रस्तुत दकया जाता है
तथा सदन में ईस पर मतदान दकया जाता है। लोकसभा को ऐसी कोइ भी मांग को स्वीकार या
ऄस्वीकार करने या ईसमें वनर्ददि मांग को कम करने का ऄवधकार प्राप्त है। राष्ट्रपवत की पूवथ
ऄनुिस
ं ा के वबना ऐसी दकसी भी मांग हेतु प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। चूंदक यह मांगें सरकार
के कायथिमों और नीवतयों के वलए अवश्यक होती हैं, आसवलए यदद दकसी भी मांग को मतों द्वारा
सडक ववकास, प्राथवमक विक्षा जैसी ववविि मदों पर व्यय के वलए ऄलग से अरवक्षत सरकारी
यह वनवध राष्ट्रपवत के वनयंत्रण में तहत अती है, तथा दकसी ऄप्रत्यावित व्यय पूरा करने के वलए
आसमें से ऄविम ददया जाता है। राष्ट्रपवत की ओर से यह वनवध ववत्त सवचव द्वारा वनयंवत्रत की जाती
है।
भारत के लोक लेखा की भांवत, आसे भी कायथपावलका द्वारा संचावलत दकया जाता है।
ऐसे ऄप्रत्यावित व्यय के वलए कायोत्तर संसदीय ऄनुमोदन प्राप्त दकया जाता है और अकवस्मकता
वनवध की प्रवतपूर्थत करने हेतु संवचत वनवध से समतुलय रावि अहररत की जाती है। वतथमान में संसद
द्वारा ऄवधकृ त अकवस्मकता वनवध का कोष 500 करोड रूपए है और आसे संसद द्वारा ब़िाया जा
सकता है। राष्ट्रपवत की ओर से आस वनवध को ववत्त मंत्रालय द्वारा संचावलत दकया जाता है।
संववधान के ऄंतगथत, वार्थषक ववत्तीय वववरण ऄन्य व्यय को राजस्व खाते से दकये गए व्यय से
ऄलग करता है। आसवलए सरकार के बजट में राजस्व बजट और पूंजी बजट सवममवलत होता है।
वार्थषक ववत्तीय वववरण में सवममवलत प्रावप्तयों एवं व्यय के ऄनुमान में व्यय, िुद् प्रवतदेय (ररफं ड)
तथा पुनभुथगतान को घटा कर प्राप्त दकया जाता है।
भारतीय संववधान यह प्रावधान करता है दक बजट में ऄन्य व्यय और राजस्व खाते से होने वाले
व्यय में ऄंतर दकया जाएगा। आसवलए, बजट में राजस्व बजट और पूंजी बजट सवममवलत होता है।
राजस्व खाते में सरकार की राजस्व प्रावप्तयां और आस राजस्व से दकए जाने वाले व्यय सवममवलत होते
हैं।
राजस्व प्रावप्तयां- राजस्व प्रावप्तयां वे प्रावप्तयां होती हैं वजन्हें सरकार द्वारा अदाता (payee) को
पुन: भुगतान दकए जाने की अवश्यकता नहीं होती है, ऄथाथत् ये ऄप्रवतदेय (non-redeemable)
होती हैं। आसे सरकार द्वारा पुनः प्राप्त (reclaimed) नहीं दकया जा सकता है। आसवलए राजस्व
प्रावप्तयां, एक ददिीय लेन-देन होती है। राजस्व प्रावप्तयां सरकार के वलए देयताओं का सृजन नहीं
करती है। राजस्व प्रावप्तयों को कर-राजस्व एवं गैर-कर राजस्व में ववभावजत दकया जाता है।
पूंजीगत खाता, कें द्र सरकार की पररसंपवत्तयों तथा देयताओं का खाता है। आसमें पूज
ं ीगत पररवतथनों
को भी ध्यान में रखा जाता है। आसमें सरकार की पूंजीगत प्रावप्तयां एवं पूंजीगत व्यय सवममवलत
होते हैं।
पूज
ं ीगत प्रावप्तयां- सरकार की वे सभी प्रावप्तयाँ वजनसे देयताओं का सृजन होता है या ववत्तीय
पररसंपवत्तयां कम होती है, ईन्हें पूंजीगत प्रावप्तयां कहा जाता है। आन प्रावप्तयों को दो श्रेवणयों ऋण
o देि के भीतर ईधारी, ऄथाथत,् जनता से वलए गए ऋण (बाजार ईधारी), ट्रेज़री वबलस की
o ववदेिों से प्राप्त ऋण, ऄथाथत,् ववदेिी सरकारों और ऄंतराथष्ट्रीय संगठनों से प्राप्त ऋण।
o ऄन्य देयताएं- आसे सरकार द्वारा जनता से सीधे ऋण के रूप में नहीं वलया गया है परन्तु यह
सरकार के व्यय के प्रयोजन हेतु ईपलब्ध है, वजसका पुनभुथगतान करने के वलए सरकार
ईत्तरदायी होती है। आसमें भारत के लोक लेखा में रखा गया धन सवममवलत है वजसमें लघु
बचतें (डाकघर बचत खाता, राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र, अदद), भववष्य वनवध आत्यादद िावमल
हैं।
गैर-ऋण पूज
ं ीगत प्रावप्तयां - आसमें कें द्र सरकार द्वारा ददए गए ऋणों की वसूली और सावथजवनक
क्षेत्र के ईपिमों (PSU) में िेयरों की वबिी से प्राप्त िुद् प्रावप्तयां सवममवलत हैं (आसे PSU
अववधक अय ईत्पन्न होती है। आसमें भूवम, भवन, मिीनरी, ईपकरणों के ऄवधिहण पर व्यय,
िेयरों में वनवेि, के न्द्र सरकार द्वारा राज्य/संघ राज्य सरकारों, PSU और ऄन्य पक्षों को ददए गए
वनम्न पाइ रे खावचत्र में सरकार की अय तथा व्ययों को दिाथया गया है:
बजट में पररव्यय का संिोवधत ऄनुमान 2017-18 के वलए 21.57 लाख करोड रुपए है, जबदक
2018-19 के वलए बजट घाटे को GDP के 3.3 प्रवतित रहने का ऄनुमान व्यक्त दकया। संिोवधत
ववत्तीय घाटे का ऄनुमान वषथ 2017-18 के वलए 5.95 लाख करोड रुपए का है, जो GDP का
प्रत्यक्ष करों की वृवद् दर 2016-17 में 12.6 प्रवतित और 2017-18 में 18.7 प्रवतित रही है।
कर दाताओं की संख्या जो 2014-15 में 6.47 करोड थी, ब़िकर 2016-17 में 8.27 करोड हो
गइ है।
ववत्तीय ववषयों, वविेष रूप से बजट प्रस्तुवत के समय संसद में ऄपनायी जाने वाली प्रदिया में कइ चरण
सवममवलत होते हैं, जो वनम्नवलवखत अरे ख में दिाथयें गए है:
बजट को 'बजट भाषण' के साथ प्रस्तुत दकया जाता है। बजट भाषण दो भागों में होता है: भाग A
में 'देि का सामान्य अर्थथक सववेक्षण' एवं भाग B में अगामी ववत्तीय वषथ हेतु ‘कराधान प्रस्ताव’
होते हैं।
ववत्तीय ववधान के वलए लोकसभा में प्रदियात्मक वनयम और कायथवाही संचालन वनम्नानुसार हैं:
वार्थषक ववत्तीय वववरण या प्रत्येक ववत्तीय वषथ के संबंध में भारत सरकार की ऄनुमावनत प्रावप्तयों
और व्ययों के वववरण (वजसे 'बजट' भी कहा जाता है) को राष्ट्रपवत के वनदवेिानुसार वनयत दकए गए
ददन, सदन के समक्ष प्रस्तुत दकया जाता है।
यदद प्राक्कलन सवमवत द्वारा कोइ सुझाव ददए गए हों तो ईन पर ववचार करने के पश्चात्, बजट को
ववत्त मंत्री द्वारा वनधाथररत रूप में सदन में प्रस्तुत दकया जाता है।
सदन में बजट के प्रस्तुतीकरण के ददन आस पर कोइ चचाथ नहीं होती है।
बजट पर अम चचाथ समाप्त होने के पश्चात् सदन को लगभग तीन-चार सप्ताह के वलए स्थवगत कर
ददया जाता है। आस ऄन्तराल ऄववध में संसद की 24 ववभागीय स्थायी सवमवतयां, संबंवधत मंवत्रयों
द्वारा की जाने वाली ऄनुदान मांगों पर ववस्तारपूवक थ चचाथ करती हैं तथा आनसे समबंवधत ररपोटथ
तैयार करती हैं। तदुपरांत ये ररपोटथ संसद के दोनों सदनों में ववचार के वलए प्रस्तुत की जाती हैं।
1993 में स्थावपत (एवं 2004 में ववस्ताररत) यह स्थायी सवमवत व्यवस्था, मंत्रालयों पर संसदीय
ववत्तीय वनयंत्रण को ऄपेक्षाकृ त ऄवधक ववस्तृत, गहन तथा व्यापक बनाती है।
ऄनुदान की मांग, भारत की संवचत वनवध से दकए जाने वाले ऄनुमावनत व्ययों का वववरण है।
संववधान के ऄनुछिेद 113 के ऄनुसार, भारत की संवचत वनवध से दकए जाने वाले व्यय के ऄनुमान
वार्थषक ववत्तीय वववरण में सवममवलत होंगे वजस पर पर लोकसभा द्वारा मतदान दकया जाना तथा
आसके साथ ही ईन्हें ऄनुदान मांग के रूप में प्रस्तुत दकया जाना अवश्यक है। ऄनुदान मांगों को
वार्थषक ववत्तीय वववरण के साथ लोकसभा में प्रस्तुत दकया जाता है।
सामान्यतः प्रत्येक मंत्रालय द्वारा प्रस्ताववत ऄनुदान हेतु मांग पृथक रूप में प्रस्तुत की जाती हैं।
प्रत्येक मांग में सवथप्रथम प्रस्ताववत समि ऄनुदान का वववरण और ईसके पश्चात् मदों में ववभावजत
प्रत्येक ऄनुदान के ऄंतगथत ववस्तृत ऄनुमान का वववरण िावमल होता है। वववधवत मतदान होने के
पश्चात् मांग, ऄनुदान बन जाती है।
आस संदभथ में दो बबदुओं पर ध्यान ददया जाना चावहए।
पहला, ऄनुदान की मांगों पर मतदान करना लोकसभा का ऄनन्य वविेषावधकार है, ऄथाथत्
राज्यसभा को मांगों पर मतदान करने की कोइ िवक्त नहीं दी गयी है।
दूसरा, मतदान, बजट के ईसी भाग तक ही सीवमत होता है वजन पर मतदान का प्रावधान दकया
गया है- भारत की संवचत वनवध पर भाररत व्यय को मतदान के वलए प्रस्तुत नहीं दकया जाता है
(आस पर के वल चचाथ की जा सकती है)।
मांगों को प्रस्ताव के रूप में प्रस्तुत दकया जाना अवश्यक होता है, दकन्तु व्यावहाररक रूप में समय
बचाने के वलए ये मांगें ऄध्यक्ष द्वारा संचावलत और प्रस्ताववत मानी जाती हैं।
आस वस्थवत के दौरान संसद के सदस्य बजट के वववरणों पर चचाथ कर सकते हैं। वे ऄनुदान की
दकसी भी मांग को कम करने के वलए प्रस्ताव पाररत कर सकते हैं। आस प्रकार के प्रस्तावों को
'कटौती प्रस्ताव' कहा जाता है।
मांग की मात्रा में कमी करने के वलए वनमनवलवखत प्रकार से प्रस्ताव प्रस्तुत दकया जा सकता है:
‘मांग की रावि घटाकर 1/- रुपए कर दी जाए', जो मांग में ऄंतर्थनवहत नीवत की ऄस्वीकृ वत को
दिाथता है। आस प्रकार के प्रस्ताव को 'नीवत ऄनुमोदन कटौती प्रस्ताव’ के नाम से जाना जाता है।
ऐसे प्रस्ताव की सूचना देते समय सदस्य को नीवत के ईस भाग या ईन भागों का वववरण सटीक
िब्दों में प्रदर्थित करना होगा वजन्हे वह चचाथ के वलए प्रस्ताववत करता है। चचाथ, ववविि बबदु या
नोरटस में ईवललवखत वबन्दुओं तक ही सीवमत होती है और साथ ही सदस्यों द्वारा कोइ ऄन्य
वैकवलपक नीवत भी प्रस्तुत की जा सकती है।
'मांग की रावि, वनधाथररत रावि से एक सीमा तक कम की जाए', जो संभवतः नीवतगत
वमतव्यवयता का प्रवतवनवधत्व करती है। आस प्रकार की वनर्ददि रावि को या तो मांग में से एकमुश्त
कम दकया जा सकता है या मांग में दकसी मद की कटौती या ईसमें कमी लायी जा सकती है। आस
प्रस्ताव को ‘वमतव्यवयता कटौती' के नाम से जाना जाता है। नोरटस द्वारा संक्षेप में और सटीक रूप
से ईस वविेष त्य का संकेत देना अवश्यक होता है, वजस पर चचाथ वांवित होती है तथा भाषण
के वल आस चचाथ तक सीवमत रहेगा दक दकस प्रकार वमतव्यवयता को संभव बनाया जा सकता है।
'मांग की ईस रावि में से रू.100/- की कमी कर दी जाए' जो भारत सरकार के दकसी दावयत्व से
संबंवधत होती है। आस प्रकार के प्रस्ताव को 'सांकेवतक कटौती प्रस्ताव' के रूप में जाना जाता है एवं
ईस पर चचाथ आस प्रस्ताव में वनर्ददि वविेष मु्े तक ही सीवमत होती है।
संवैधावनक प्रावधान के ऄंतगथत, संसद द्वारा कानून ऄवधवनयवमत दकए वबना भारत की संवचत
वनवध से कोइ धन अहररत नहीं दकया जा सकता। आसका ऄनुपालन करते हुए, लोकसभा द्वारा
संवचत वनवध पर भाररत व्यय के साथ-साथ, लोकसभा द्वारा मतदान दकये जाने वाली ऄनुदानों की
सभी मांगों को सवममवलत करने वाले ववधेयक को लोकसभा में पुर:स्थावपत दकया जाता है। आस
ववधेयक को वववनयोग ववधेयक के रूप में जाना जाता है। आसके नाम के ऄनुसार आस ववधेयक का
प्रयोजन सरकार को संवचत वनवध से दकए जाने वाले व्यय का वववनयोजन करने हेतु वववधक
प्रावधकार प्रदान करना है।
वववनयोग ववधेयक संबध
ं ी प्रदिया:
वववनयोग ववधेयक को पाररत करने की प्रदिया भी दकसी ऄन्य ववधेयक के समान होती है।
अमतौर पर आसे के वल स्पीकर द्वारा अवश्यक समझे गए संिोधनों के साथ पाररत कर ददया जाता
है।
हालांदक, वववनयोग ववधेयक पर बहस के वल ईन मामलों तक सीवमत होती है वजन्हें ईस समय
नहीं ईठाया गया हों, जब ऄनुदान के वलए प्रासंवगक मांगें ववचाराधीन होती हैं।
आसमें दकसी प्रकार का कोइ संिोधन प्रस्ताववत नहीं दकया जा सकता है।
लोकसभा द्वारा ववधेयक पाररत होने के पश्चात् लोकसभा-ऄध्यक्ष आसे धन ववधेयक के रूप में प्रमावणत
करता है और आसे राज्यसभा को संप्रेवषत करता है। दूसरे सदन को ववधेयक में संिोधन करने तथा
ववधेयक को ऄस्वीकार करने की िवक्त नहीं होती है, परन्तु राज्य सभा, लोक सभा को ववधेयक संबंधी
कोइ भी परामिथ दे सकती है वजसकी प्रकृ वत लोक सभा पर बाध्यकारी नहीं होती। यदद राज्यसभा 14
ददन के भीतर आस पर कोइ कारथ वाइ नहीं करती है तो आसे पूवथवत रूप में राज्यसभा द्वारा पाररत मान
वलया जाता है। आसके पश्चात् ववधेयक, राष्ट्रपवत के समक्ष ईसकी स्वीकृ वत के वलए प्रस्तुत दकया जाता
है।
संसद के समक्ष वार्थषक ववत्तीय वववरण की प्रस्तुवत के समय, संववधान के ऄनुछिेद 110(1)(a) के
प्रावधानों के अधार पर बजट में प्रस्ताववत करों के ऄवधरोपण, ईन्मूलन, िू ट, पररवतथन या
वववनयमन का वववरण प्रदान करने वाला एक ववत्त ववधेयक भी प्रस्तुत दकया जाता है। ववत्त
ववधेयक संववधान के ऄनुछिेद 110 में पररभावषत एक प्रकार का धन ववधेयक होता है। आसके साथ
ही ववत्त ववधेयक में सवममवलत प्रावधानों की व्याख्या करने वाला एक ञापापन भी प्रस्तुत दकया
जाता है।
ववत्त ववधेयक संबध
ं ी प्रदिया
वनयमानुसार ‘ववत्त ववधेयक’,ऄगले ववत्तीय वषथ के वलए भारत सरकार के ववत्तीय प्रस्तावों के
दियान्वयन हेतु प्रत्येक वषथ सामान्य रूप से पुरःस्थावपत दकया जाने वाला एक ववधेयक है। आस
ववधेयक में दकसी भी ऄववध के वलए ऄनुपरू क ववत्तीय प्रस्तावों को प्रभावी बनाने वाला ववधेयक
भी सवममवलत होता है।
सदन में ववत्त ववधेयक पुरःस्थावपत होने के पश्चात् सदन का ऄध्यक्ष, ववधेयक पाररत होने में
समाववष्ट सभी चरणों या दकसी एक चरण को पूरा करने के वलए ददवस अवंरटत करता है।
तत्पश्चात्,ऄध्यक्ष अवंरटत ददवस को वनर्ददष्ट समय पर, ईस चरण से संबंवधत सभी िेष मामलों के
वनस्तारण हेतु अवश्यक प्रत्येक प्रश्न को तत्काल प्रस्तुत करता है,वजस चरण के वलए ददवस
अवंरटत दकया गया है।
4. बजट सु धार
वैविक स्तर पर बजटीय कवमयों का समाधान करने के वलए वनरं तर यथासंभव प्रयास दकये जा रहे
हैं। आस सन्दभथ में OECD देिों के बजट संबंधी रुझान ईललेखनीय हैं। OECD के सदस्य देिों में
बजटीय सुधारों के सामान्य तत्व वनम्नवलवखत हैं:
मध्यम ऄववध की बजट संरचना, राजकोषीय समेकन प्राप्त करने के अधार वनर्थमत करती हैं। आनके
द्वारा सकल राजस्व, व्यय, घाटे/ऄवधिेष और ऋण के स्तर जैसे ईच्च स्तरीय लक्ष्यों के संदभथ में
सरकार के मध्यम ऄववध के ववत्तीय लक्ष्य स्पि रूप से बताए जाने चावहए। तत्पश्चात् आनके द्वारा
कइ वषों के दौरान ऄलग-ऄलग मंत्रालयों और योजनाओं के वलए कठोर बजटीय प्रवतबंधों को
स्थावपत कर आन ईच्च स्तरीय लक्ष्यों को प्राप्त दकया जाना चावहए।
परं परागत रूप से बजट की प्रदिया बॉटम-टॉप वसद्ांत पर संचावलत की जाती रही है। आसका ऄथथ
यह है दक सभी एजेंवसयाँ और सभी मंत्रालय, ववत्त मंत्रालय को ववत्तपोषण हेतु ऄनुरोध या मांग
प्रेवषत करते हैं। ये मांग ईस धन की तुलना में बहुत ऄवधक होता है वजतने की प्रावप्त की अिा होती
है। तत्पश्चात् ववत्त मंत्रालय आन मंत्रालयों और एजेंवसयों के साथ वाताथलाप कर कु ि सामान्य
बबदुओं पर सहमवत प्राप्त करता है एवं बजट प्रदिया को पूणथ करता है। हालांदक आस बॉटम-टॉप
प्रणाली में कइ दोष हैं, यथा:
o यह एक समय-साध्य प्रदिया है तथा आसमें भाग लेने वाले दोनों पक्षों को यह ञापात होता है दक
प्रारं वभक मांग यथाथथवादी नहीं हैं।
o आस प्रदिया में व्यय ब़िाने के समबन्ध में एक ऄंतर्थनवहत पूवाथिह होता है तथा सभी नए
कायथिमों, या वतथमान कायथिमों के ववस्तार को नए मांगों द्वारा ववत्त पोवषत दकया जाता है।
साथ ही व्यय करने वाले मंत्रालयों के तहत पुन:अवंटन की कोइ भी व्यवस्था तथा कोइ पूवथ-
वनधाथररत व्यय सीमा नहीं होती है।
o आस प्रणाली में राजनीवतक प्राथवमकताएं प्रवतबबवबत करना करठन होता है क्योंदक यह
ईध्वथगामी प्रदिया होती है तथा बजट आसके ऄंवतम चरण में प्राप्त होता है।
ऄतः सुधारों के ईपरांत वतथमान में बजट वनमाथण का यह तरीका समाप्त कर ददया गया है तथा
आसका स्थान बजट तैयार करने के नए टॉप-डाईन प्रणाली ने ले वलया है। राजकोषीय समेकन प्राप्त
करने में यह ऄत्यवधक सहायक रहा है।
आस नइ व्यवस्था के वलए सरकार का प्राथवमक कायथ व्यय के कु ल स्तर तथा व्यय करने वाले
मंत्रालयों में ईनके ववभाजन के संबध में बाध्यकारी राजनीवतक वनणथय लेने से है। यह वनणथय
मध्यम ऄववध की व्यय संरचना द्वारा संभव बनाया जाता है वजसमें अधारभूत व्यय की जानकारी
होती है, यथा, यह जानकारी दक यदद कोइ नया नीवतगत वनणथय न वलया जाये तो बजट क्या
होगा? राजनीवतक वनणथय से अिय यह है दक विक्षा जैसे ईच्च प्राथवमकता वाले क्षेत्र पर व्यय में
वृवद् करनी है ऄथवा रक्षा कायथिमों पर होने वाले व्यय में कमी करनी है। राजनीवतक पुन:अवंटन
के आस स्तर तक के वल सवाथवधक व्यापक और सवाथवधक महत्वपूणथ कायथिम ही पहुंच पाते हैं। मुख्य
बात यह है दक प्रत्येक मंत्रालय की व्यय समबन्धी पूवथ वनधाथररत सीमा होता है।
4.4 . के न्द्रीय वनवववियों के वनयं त्र ण को विवथल बनाना (Relaxing Central Input
Controls)
पहलुओं का एकीकरण;
कार्थमक प्रबंधन कायथ का ववकें द्रीकरण एवं
ऄन्य सामान्य सेवा संबंधी प्रावधानों, वविेषकर अवासों (भवनों) का ववकें द्रीकरण। आसे
बनाने (relaxing input controls) का प्रत्यक्ष प्रवतदान (direct quid pro quo ) है।
सावथजवनक क्षेत्र में जवाबदेवहता परं परागत रूप से वनयमों और प्रदियाओं के ऄनुपालन पर
अधाररत रही है। यदद वनयमों का ऄनुपालन दकया गया हो तो पररणाम के ववश्लेषण की प्रवृवत्त
नहीं रही। परन्तु वतथमान में सावथजवनक क्षेत्र के वववनयंवत्रत होने के कारण प्रबंधकों को जवाबदेह
बनाने के वलए एक नइ पररणाम-अधाररत प्रणाली की अवश्यकता है। यह मौवलक पररवतथन है
वजसके तहत प्रबंधकों को वे दकस प्रकार कायथ करते है आसके स्थान पर ईनके द्वारा दकये गए कायथ के
अधार पर जवाबदेह बनाया जायेगा।
बजट सरकार का प्रमुख नीवत दस्तावेज है। आसके द्वारा सरकार के नीवतगत ई्ेश्यों में सामंजस्य
स्थावपत दकया जाता है तथा आन ई्ेश्यों का दियान्वयन दकया जाता है। यही कारण है दक बजट
पारदर्थिता सुिासन का सार है। बजट पारदर्थिता के ऄंतगथत नीवत के प्रयोजनों, वनमाथण एवं
कायाथन्वयन में स्पिता सवममवलत है तथा बजट दकस सीमा तक ऄपने सभी या कु ि ई्ेश्यों को
प्राप्त करता है, वह पारदर्थिता पर ही वनभथर करता है। राजकोषीय पारदर्थिता को तीन मूलभूत
तत्वों द्वारा समझा जा सकता है:
o पहला, बजट अंकडे जारी करना है। वनणथयकताथओं द्वारा ववश्लेषण और वनष्कषों के वलए
प्रासंवगक राजकोषीय जानकाररयों या सूचनाओं को व्यववस्थत ढंग से और समय से जारी
करने को ही हम प्राय: बजट की पारदर्थिता से समबद् मानते हैं। यह ऄवनवायथ रूप से पूवथ-
ऄपेवक्षत है, परन्तु यह पयाथप्त नहीं है।
o दूसरा तत्व, ववधावयका की एक प्रभावी भूवमका है। आसे बजट ररपोटथ की संवीक्षा करने, स्वतंत्र
रूप से समीक्षा करने, बजट पर चचाथ करने तथा ईसे प्रभाववत करने में सक्षम होना चावहए।
आसके साथ ही आसे प्रभावी रूप से सरकार को ईत्तरदायी बनाने की वस्थवत में होना चावहए।
यह क्षमता दोनों ही रूपों ऄथाथत् ववधावयका की संवैधावनक भूवमका और ववधावयका के पास
ईपलब्ध संसाधनों के स्तर पर होनी चावहए।
o तीसरा तत्व, मीवडया और गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से नागररक समाज की प्रभावी
भूवमका है। नागररक प्रत्यक्ष रूप से या मीवडया और गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से, बजट
नीवत को प्रभाववत करने की वस्थवत में होने चावहए। कइ ऄथों में, यह ववधावयका के समान
Practices)
सरकारों के ववत्तीय प्रबंधन के अधुवनकीकरण ने वपिले दस वषों में ऄत्यवधक प्रगवत की है।
सरकार के पारदिी या वविुद् पैमाने का ऄथथ यह है दक आस प्रकार के सुधारों का राजकोषीय
पररणामों पर महत्वपूणथ प्रभाव पडा है। आनमें संचयों का प्रारमभ (introduction of accruals),
पूंजीगत प्रभार, ऄप्रयुक्त वववनयोग को अगे ले जाना (कै री-ओवर) करना अदद सवममवलत हैं।
संसद द्वारा राजकोषीय घाटे में कमी और राजस्व घाटे के ईन्मूलन संबंधी लक्ष्य वनधाथररत कर कें द्र
तथा राज्य, दोनों ही स्तरों पर राजकोषीय ऄनुिासन को संस्थागत बनाने हेतु राजकोषीय
ईत्तरदावयत्व एवं बजट प्रबन्धन ऄवधवनयम (FRBMA) 2003 का ऄवधवनयमन दकया गया है।
यह भारत में राजकोषीय ऄनुिासन और राजकोषीय समेकन सुवनवश्चत करने हेतु ईठाए गए
ववधायी प्रावधानों में से एक है।
आस ऄवधवनयम के ऄंतगथत वनधाथररत लक्ष्यों को बाद के वषों में कइ बार स्थवगत दकया गया था।
हालाँदक आस ऄवधवनयम के कु ि ऄन्य लक्ष्यों को कायाथवन्वत दकया गया है; जैसे सरकार द्वारा RBI
से ऋण लेने को चरणबद् तरीके से समाप्त करना।
FRBM की अवश्यकता: सरकार के ब़िते हुए ऋण के कारण सरकार की ववत्तीय वस्थवत को होने
वाली क्षवत को देखते हुए 2003 में FRBM ऄवधवनयम को आसवलए लागू दकया गया था। सवब्सडी,
वेतन, रक्षा अदद पर ऄत्यवधक व्यय के कारण होने वाले व्यापक राजस्व घाटे को देखते हुए
सरकार को 1990 के दिक के प्रारमभ में तथा ईसके बाद भी बडी मात्रा में ईधार लेने हेतु वववि
होना पडा था। ऄपयाथप्त राजस्व होना भी सरकार द्वारा ऋण वलए जाने का कारण था।
ऄत्यवधक रावि ईधार लेने के कारण ऄवधक ब्याज भुगतान की रावि में भी वृवद् हुइ। आस प्रकार,
ब्याज भुगतान सरकार की सबसे बडी व्यय की मद बन गया। ऄपने बजट में आस ववत्तीय दुबल
थ ता
को समाप्त करने हेत,ु सरकार ने FRBM के रूप में नए कानून का वनमाथण कर राजस्व घाटे की
कटौती के कु ि महत्वपूणथ लक्ष्य वनधाथररत दकये।
FRBM क्या कहता है?: FRBM वनयम द्वारा राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 2008-09 तक GDP के
3% तक सीवमत दकया गया। आसे कें द्र सरकार द्वारा GDP में प्रवतवषथ 0.3% की कटौती के लक्ष्य
से प्राप्त दकया जाना तय दकया गया। आसी प्रकार, राजकोषीय घाटे को प्रवत वषथ 0.5% की दर से
घटाते हुए आसे वषथ 2008-09 तक पूरी तरह समाप्त दकया जाना था। हालाँदक कालांतर में ईक्त
लक्ष्यो का पुनर्थनधाथरण दकया गया और वषथ 2016-17 के बजट में माचथ 2018 तक 3% के
राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को प्राप्त करना वनधाथररत दकया गया।
यद्यवप, प्रथम दृष्या ऄवधवनयम का लक्ष्य घाटे में कमी करना है, परन्तु आसका एक महत्वपूणथ
ई्ेश्य राजकोषीय प्रबन्धन में ऄंतर-पी़िीगत समता प्राप्त करना भी है। आसका कारण यह है दक
वतथमान समय में ऋण की रावि बहुत ऄवधक हैतथा आसे भावी पीद़ियों द्वारा चुकाया जायेगा।
FRBM के लक्ष्य प्राप्त होने से ऄंतर-पी़िीगत ऋण भार में समता (समानता) सुवनवश्चत होगी।
आसके ऄन्य लक्ष्यों में दीघथकावलक समविगत अर्थथक वस्थरता, राजकोषीय और मौदद्रक नीवत के
बीच बेहतर समन्वय तथा सरकार के राजकोषीय संचालन में पारदर्थिता सवममवलत हैं।
(FRBM के बारे में ऄवधक जानकारी के वलए कृ पया राजकोषीय नीवत वाला ऄध्याय देख)ें
2016-17 के बजट में कें द्र प्रयोवजत योजनाओं (CSS) के वगीकरण के अधार पर, कें द्र के व्यय के
वलए एक नयी वगीकरण व्यवस्था प्रारमभ की गयी। आसके तहत CSS के वगीकरण के अधार पर
वतथमान CSS की संख्या को सीवमत कर ददया गया है तथा ईन्हें तीन श्रेवणयों- कोर ऑफ़ द कोर
(core of the core) योजनाओं, कोर योजनाओं तथा वैकवलपक योजनाओं में ववभावजत दकया
गया।
कोर ऑफ़ द कोर (core of the core) योजनाएँ
सामावजक सुरक्षा तथा सामावजक समावेिन को लवक्षत करने वाली योजनाएँ ‘कोर ऑफ़ द कोर’
योजनाओं के ऄंतगथत िावमल की गयी हैं। ये राष्ट्रीय ववकास एजेंडे के वलए ईपलब्ध धन पर
सवथप्रथम प्रभाररत की जाएगी। नवीन वगीकरण के ऄंतगथत, मनरे गा तथा ऄलपसंख्यकों, ऄनुसूवचत
जावतयों और ऄनुसूवचत जनजावतयों के ईत्थान की योजनाओं सवहत मुख्य ऄंब्रेला-योजनाओं को
‘कोर ऑफ़ द कोर’ योजनाओं के रूप में वगीकृ त दकया गया है।
नइ व्यवस्था के ऄनुसार, ‘कोर ऑफ़ द कोर’ योजनायें ईच्चतम प्राथवमकता युक्त हैं तथा ईनके व्यय
के अवंटन ढांचे को बनाये रखा जायेगा। ईदाहरण के वलए मनरे गा में अर्थथक व्यय का 75% कें द्र
द्वारा तथा 25% राज्यों द्वारा प्रदान दकया जायेगा।
कोर योजनाएँ (core schemes)
CSS का मुख्य ध्यान ईन योजनाओं पर होना चावहए, वजसमें राष्ट्रीय ववकास एजेंडा सवममवलत है
तथा वजसके वलए कें द्र एवं राज्य एक साथ ‘टीम आवडडया’ की भावना से कायथ करें गे। आन योजनाओं
के ऄंतगथत कृ वष ईन्नवत योजना, स्माटथ वसटी कायथिम और पुवलस बलों का अधुवनकीकरण जैसी
व्यापक योजनाएं सवममवलत हैं। प्राथवमकता में आनका दूसरा स्थान है और आनके व्यय के वलए
60:40 का फामूथला ऄपनाया जाता है।
वैकवलपक योजनाएँ (Optional Schemes)
आनको कोइ राज्य वविेष ऄपने सामावजक-अर्थथक ववकास पर ववचार करने के पश्चात् अवश्यक
समझता है। आनके वलए 50:50 फामूल
थ ा ऄपनाया गया है, वजसमें राज्यों को यह स्वतंत्रता होगी दक
ईनमें वनवेि दकया जाये ऄथवा नहीं।
CSS को तकथ संगत बनाने हेतु नीवत अयोग द्वारा गरठत मुख्यमंवत्रयों की ईप-सवमवत की ऄनुिस
ं ा
पर यह व्यवस्था लागू की गयी थी। आसे योजनागत/गैर-योजनागत सरकारी व्यय के ऄंतर को
समाप्त करने से पूवथ की तैयारी माना जा सकता है।
यह व्यवस्था सभी मंत्रालयों और ववभागों के योजनागत तथा गैर-योजनागत कायथिमों को
तकथ संगत बनाने पर अधाररत है। सवमवत द्वारा आसे कायथिमों और योजनाओं के कायाथन्वयन की
पररणाम अधाररत प्रभावी वनगरानी एवं संसाधनों का आितम ईपयोग सुवनवश्चत करने के वलए
ऄपनाया गया था।
यह 14वें ववत्त अयोग की ऄनुिस
ं ाओं का पररणाम था। 14वें ववत्त अयोग द्वारा कें द्र सरकार द्वारा
राज्य सरकारों को दकया जाने वाला कर प्रावप्तयों का ऄंतरण वतथमान के 32% से बढाकर 42%
कर ददया गया। आससे कें द्र सरकार द्वारा CSS का ववत्त पोषण ऄपने पूवथ स्तर पर जारी रखने की
क्षमता में कमी अ गइ। आसके साथ ही, आसके द्वारा राज्य सरकारों को ऄपनी प्राथवमकता के
ऄनुसार ववकास योजनाओं के ववत्तपोषण करने की स्वतंत्रता प्राप्त हुइ है।
पूवथ में ववद्यमान व्यय के योजनागत एवं गैर-योजनागत वगीकरण को ववत्त वषथ 2017-2018 से
समाप्त कर ददया गया है तथा ईनका स्थान ऄब पूज
ँ ीगत और राजस्व व्यय वगीकरण ने ले वलया
है। 2011 में सी. रं गराजन की ऄध्यक्षता वाली एक वविेषञाप सवमवत ने प्रस्ताव प्रस्तुत दकया था
दक आस ऄंतर समाप्त कर ददया जाना चावहए।
पूव-थ प्रचवलत वगीकरण के ऄंतगथत, योजना के नाम पर दकये गये सभी व्ययों को योजनागत व्यय
कहा जाता था जबदक ऄन्य व्ययों को गैर-योजनागत व्यय के ऄंतगथत रखा गया था। आसके
ऄवतररक्त प्राय: (सदैव नहीं), योजनागत व्यय द्वारा अर्थथक ववकास से समबवन्धत कु ि भौवतक
पररसमपवत्तयां सृवजत की जाती थी। यही कारण था दक योजनागत व्यय को “ववकास व्यय” भी
कहा जाता था।
आस कदम के पीिे का तकथ
यह कदम, योजना अयोग तथा ऄब तक कायथरत योजनाओं पर अधाररत ववकास को समाप्त दकये
जाने के ऄनुरूप है।
आस वगीकरण ने वतथमान योजनाओं और सेवा स्तरों के ऄनुरक्षण (maintenance) की ईपेक्षा की
है तथा नइ योजनाएं/ पररयोजनाएं प्रारमभ करने की प्रवृवत को जन्म ददया है।
आससे एक और गलत धारणा बन गयी है दक गैर-योजनागत व्यय स्वाभाववक रूप से महत्वहीन है।
यह धारणा विक्षा व स्वास््य जैसे ईन सामावजक क्षेत्रों में संसाधनों के अवंटन को प्रवतकू ल रूप से
प्रभाववत करती है, जहाँ वेतन एक महत्त्वपूणथ तत्व होता है।
यह दकसी भी ऄथथपण
ू थ ‘पररणाम अधाररत बजट’ में बाधक है, क्योंदक के वल योजनागत व्यय को
ही पररणामों के वलए ईत्तरदायी माना जाता है, जबदक व्यावहाररक रूप से कु ल व्यय पर ववचार
दकया जाना चावहए।
सरकार की प्रकृ वत (कामकाज और संगठन) में ब़िती जरटलता एवं वववभन्न मदों पर व्यय यह
सुवनवश्चत करता है दक योजनाबद् ऄथवा गैर-योजनाबद् वस्तुओं के ऄंतगथत मदों को तकथ संगत
अधार पर पृथक नहीं दकया जा सकता और आसवलए आनमें ऄंतर तकथ संगत नहीं है।
5.3. रे ल बजट का सामान्य बजट में ववलय ( Merging of Railway and General
Budget)
रे ल बजट और सामान्य बजट को ऄलग-ऄलग प्रस्तुत करने की 92 वषों से चली अ रही प्रथा को
समाप्त कर ददया गया है। रे लवे के पुनगथठन और सुधार पर गरठत वबबेक देबरॉय सवमवत ने आसकी
ऄनुिसं ा की थी। आस कदम की सराहना की जा रही है क्योंदक यह ऄथथव्यवस्था के वलए लाभकारी
होगा एवं आसके द्वारा रे लवे के ववकास पर सकारात्मक प्रभाव पडेगा।
1921 में पृथक बजट प्रारमभ करने का तकथ
दोनों बजटों को पृथक रूप में प्रस्तुत दकये जाने का प्रारं भ 1921 में एकवथथ सवमवत की ररपोटथ की
ऄनुिस
ं ाओं के अधार पर दकया गया था। आसका कारण यह था दक देि के सकल घरे लू ईत्पाद का
एक बडा भाग रे लवे राजस्व पर वनभथर था, ऄतः रे लवे पर पृथक रूप से ध्यान के वन्द्रत दकये जाने
की अवश्यकता का ऄनुभव दकया गया। स्वतंत्र भारत में भी यही प्रथा जारी रही और कु ि समय
के पश्चात् यह एक स्वीकृ त प्रथा बन गयी। आसके वनम्नवलवखत लाभ थे:
o ईत्तरदावयत्व: बजटीय प्रस्तावों पर मीवडया का पयाथप्त ध्यान रहता था, वजससे सरकार पर
ईत्तरदावयत्व की ववविता रहती थी।
o सावथजवनक पररवहन: रे लवे एक सावथजवनक पररवहन व्यवस्था रही है, आसवलए यह वांवित
था दक रे लवे पर पृथक बजट द्वारा वविेष ध्यान ददया जाए।
o स्वायत्तता: यह ऄपेक्षा की जाती थी दक पृथक बजट की प्रदिया रे लवे को एक स्वतंत्र वावणज्य
आकाइ के रूप में कायथ करने हेतु अवश्यक स्वायत्तता सुवनवश्चत करे गी।
हालाँदक, कालान्तर में, रे लवे बजट लोकलुभावनवाद का ईपकरण मात्र बन गया। आसने
लोकलुभावन ऄपव्यय एवं ऄक्षमता को जन्म ददया। आसवलए, रे लवे के वनगमीकरण
(corporatization) की एक सिक्त मांग ईठी। आसके वलए पृथक बजट के न होने से आस प्रकार के
पररवतथन का अधार तैयार होता है। आसीवलए रे ल बजट का सामान्य बजट में ववलय कर ददया
गया।
ववलय हेतु तकथ
वब्ररटि िासन के दौरान रे ल बजट, वार्थषक बजट का 85% तक होता था परन्तु ऄब यह प्रवतित
काफी कम हो कर मात्र 15% तक सीवमत रह गया है।
के न्द्रीय बजट के साथ ही रे ल बजट को प्रस्तुत दकये जाने से दकसी नयी नीवत को प्रारमभ करने तथा
ईसे कायाथवन्वत करने में समय की बबाथदी कम होगी।
पृथक रे ल बजट भ्रिाचार, ऄक्षमता और लोकलुभावन ईपायों का एक ईपकरण मात्र बनकर रह
गया था। पररणामस्वरूप, वनरं तर ब़िती पररचालन लागत के ऄनुरूप दकरायों में वृवद् करना रे ल
मंवत्रयों के वलए करठन हो गया था। यह ‘िास सवब्सडी’ (जहाँ यात्री यातायात को माल की ढु लाइ
से सवब्सडी दी जाती है) का एक प्राथवमक कारण था।
रे लवे, ऄब कें द्र सरकार को 10,000 करोड रूपये का वार्थषक लाभांि देने से स्वतंत्र होगी। यह
वार्थषक लाभांि ऄब भारतीय रे लवे के ववकास के वलए प्रयुक्त हो सके गा।
आससे सहदियािील यातायात नीवतयाँ संभव हो सकती हैं क्योंदक ववत्त मंत्रालय सभी प्रकार की
पररवहन प्रणावलयों हेतु संसाधनों के अवंटन हेतु ईत्तरदायी होगा।
नवीनतम बजट को फरवरी माह की ऄंवतम वतवथ से 27 ददन पहले प्रस्तुत दकया गया था। आसका
ई्ेश्य 1 ऄप्रैल को ववत्तीय वषथ प्रारमभ होने से पहले ही बजट को संवैधावनक रूप से संसद की
स्वीकृ वत एवं राष्ट्रपवत का ऄनुमोदन प्राप्त करवाना तथा वववभन्न स्तरों पर सभी वववभन्न बजट-
धारकों को सभी प्रकार के संसाधनों का अंवटन करना है।
आस पहल हेतु तकथ
सभी बजट प्रस्तावों सवहत ववत्त ववधेयक को ववत्तीय वषथ के प्रारमभ होने से पूवथ पाररत दकया जा
सके गा। आससे सभी सरकारी ववभागों, संस्थाओं को ऄपने अंवटन की जानकारी 1 ऄप्रैल से पूवथ ही
हो जाएगी।
आससे वनजी क्षेत्र को सरकारी खरीद के रुझान का पूवाथनम
ु ान लगाने में सहायता वमलेगी और वे
ऄपनी व्यावसावयक योजनाओं को ववकवसत कर सकें गे।
वतथमान वस्थवतयों में, ऄप्रैल-जून वतमाही के वलए लोकसभा लेखानुदान पाररत करती है, वजसके
ऄंतगथत ववभागों को वषथ भर के अवंटन का िठा भाग प्रदान दकया जाता है। बजट की समयपूवथ
प्रस्तुवत से सरकार आस लेखानुदान प्रथा को समाप्त कर सकती है।
वतथमान में, ऄवसंरचना पररयोजनाओं में वनवेि काफी हद तक वषथ के बाद के महीनों में होता है,
क्योंदक बजट जून तक ही पाररत हो पाता है और ईस समय तक मानसून प्रारमभ हो जाता है।
वलहाजा ऄवसंरचना पररयोजनाओं को प्रारमभ करना करठन हो जाता है वजसके पररणामस्वरूप
प्रभावी वनवेि की ऄववध बहुत कम रह जाती है, जो ‘माचथ रि’ में समाप्त होती है। आस कारण
संसाधनों के ईपयोग में ऄक्षमता और पररयोजनाओं के कायाथन्वयन में ऄनावश्यक ववलमब होता है।
आस पहल संबध
ं ी अिंकाएँ:
बजट की समयपूवथ प्रस्तुवत का एक बडा नुकसान व्यापक राजस्व और व्यय के अंकडों का ऄभाव
था। आससे पूवथ बजट बनाने का कायथ गंभीरतापूवक
थ ददसमबर से अरमभ होता था, फरवरी के मध्य
तक आसे ऄंवतम रूप दे ददया जाता था तथा राजस्व संिह व व्यय के रुझान के वल ववत्तीय वषथ के
पहले नौ महीनों के वलए ईपलब्ध होते थे। ऄथाथत् ऄप्रैल से ददसमबर तक के अधार पर पूरे वषथ के
वलए ऄनुमान लगाया जाता था।
बजट की वतवथयों को पीिे करना व्यावहाररक रूप से करठनाइयों से भरा है। प्रभावी बजट योजना
अने वाले वषथ के मानसून संबंधी पूवाथनम
ु ानों पर वनभथर करती है। आसके कारण बजट की समयपूवथ
प्रस्तुवत की प्रदिया और भी करठन हो जाएगी।
आन अिंकाओं के बाद भी यह बजट सुधार एक स्वागतयोग्य कदम है। हालाँदक जैसादक सी. रं गराजन
सवमवत द्वारा 2011 में सुझाया गया है, आन सुधारों को और अगे ले जाने की अवश्यकता है।
ईन्नीसवीं िताब्दी के प्रारवमभक चरण में, ऄवधकांि देिों में सरकारी बजट प्रदियाओं की
वविेषताओं में ऄदक्ष लेखा प्रदियाएं, तदथथवाद (adhocism), न्यून के न्द्रीय वनयंत्रण तथा वनम्न
वनगरानी व मूलयांकन प्रदिया ववद्यमान थी।
ईन्नीसवीं िताब्दी के ऄंवतम चरण में, कु ि देिों में लाआन-अआटम बजट प्रदिया प्रारमभ हुइ।
लाआन-अआटम बजट से अिय ऐसे बजट से है वजसमें, “व्यवक्तगत ववत्तीय वववरण की मदों
(अआटमों) को लागत-के न्द्रों या ववभागों में समूवहत दकया जाता है। यह वपिले लेखांकन या बजट
ऄववध के ववत्तीय अंकडों एवं वतथमान व भावी ऄववध के वलए ऄनुमावनत ववत्तीय अंकडों के बीच
तुलना दिाथता है।”
एक लाआन-अआटम प्रणाली में बजट ऄववध के वलए व्यय, ववषयों या “लाआन-अआटम” के ऄनुसार
सूचीबद् दकये जाते हैं। आन लाआन-अआटम में एक आकाइ द्वारा वेतन, यात्रा भत्तों, कायाथलय खचथ
अदद की वनधाथररत सीमा का वववरण ददया जाता है। आस बात का ध्यान रखा जाता है दक संस्थाएं
या आकाआयां वनधाथररत सीमा से ऄवधक खचथ नहीं करें गी। आस वनधाथररत सीमा का वनधाथरण के न्द्रीय
ऄवधकरण या ववत्त मंत्रालय द्वारा दकया जाता है।
लाभ
लाआन अआटम बजट दृविकोण को समझना और कायाथवन्वत करना असान है।
यह के न्द्रीयकृ त वनयन्त्रण और व्यय करने वाली आकाआयों के ऄवधकारों तथा ईत्तरदावयत्वों के
वनधाथरण को सुसाध्य बना देता है।
कवमयां
यह एकल आकाआयों (individual units) की गवतवववधयों और ईपलवब्धयों के संबंध में पयाथप्त
जानकारी ईपलब्ध नहीं कराता है।
लाआन-अआटम बजट की कवमयों को कु ि सुधारों द्वारा दूर करने का प्रयास दकया गया था।
वनष्पादन बजटटग आस प्रकार का पहला सुधार था।
यह वववभन्न मंत्रालयों के ऄनुमावनत एवं आवछित पररणामों (अईटकम) का संकलन है। पररणाम
के वल ववत्तीय वनवेि का भौवतक ईत्पादन (physical output) ही नहीं है। अईटकम का ऄथथ है
समबवन्धत ववत्तीय वनवेि के भौवतक ईत्पादन से प्राप्त लाभ।
ईदाहरण के वलए- भवन वनमाथण, मेज और कु र्थसयां अदद खरीदने के वलए धन का अवंटन करना
वनवेि है, वजसका अईटपुट ववद्यालय का वनमाथण है। यहाँ ऄंततः विवक्षत होने वाले िात्रों की
संख्या पररणाम (अईटकम) होगी।
1970 के दिक में िून्य-अधाररत बजटटग की ऄवधारणा को प्रस्तुत दकया गया था। जैसा की नाम
से ववददत होता है, प्रत्येक बजट चि का प्रारमभ िून्य से होता है। पूवथवती प्रणावलयों में के वल
अवंटन में वृवद्िील पररवतथन दकये जाते थे। वहीं िून्य-अधाररत बजट जब भी बनाया जाता है
तो प्रत्येक गवतवववध का अकलन कर और दकसी गवतवववध की ऄपररहायथता सुवनवश्चत हो जाने के
बाद ही धन अवंरटत दकया जाता है। ZBB का मुख्य ई्ेश्य, ऄप्रासंवगक कायथिमों/गवतवववधयों
को चरणबद् रूप से समाप्त करना है। हालाँदक, िून्य-बजट को तैयार करने में होने वाले प्रयासों
और कार्थमक मु्ों से समबंवधत संस्थागत प्रवतरोध के कारण दकसी भी सरकार ने कभी पूणथरूपेण
िून्य-अधाररत बजट को कायाथवन्वत नहीं दकया, परन्तु िून्य-बजट के वसद्ान्तों को संिोवधत रूपों
में प्रायः ईपयोग में लाया जाता है।
जेंडर बजटटग से अिय मवहलाओं के वलए पृथक बजट से नहीं है ऄवपतु यह लैंवगक रूप से
संवेदनिील होकर संसाधनों का अवंटन सुवनवश्चत करने की रणनीवत तथा सवमिगत अर्थथक
नीवत के वनमाथण का एक साधन है।
2005-06 के बजट में बजटीय अवंटन हेतु लैंवगक-संवेदनिीलता को रे खांदकत दकया गया
था। जेंडर बजटटग एक प्रकार से सरकार द्वारा ईवललवखत लैंवगक प्रवतबद्ताओं को बजट
प्रवतबद्ताओं में रूपांतररत करना है। आसमें मवहलाओं के सिवक्तकरण हेतु वविेष पहलें और
ईनके वलए अवंरटत संसाधनों के ईपयोग तथा सरकार द्वारा मवहलाओं के वलए बनाइ गइ
नीवतयों एवं सावथजवनक व्यय के प्रभावों की जाँच सवममवलत होते हैं। 2006-07 के बजट में
आसे और ऄवधक ववस्तृत दकया गया था।
आसकी अवश्यकता क्यों है?
पुरुषों और मवहलाओं की अवश्यकताओं तथा प्राथवमकताओं पर समान रूप से ववचार सुवनवश्चत
करना।
बजट की तैयारी, कायाथन्वयन, लेखा परीक्षा अदद जैसे सभी स्तरों पर लैंवगक ववश्लेषण के
समावेिन को प्रोत्सावहत करना तथा लैंवगक समानता के ई्ेश्यों पर बजट के प्रभाव का अकलन
करना।
अर्थथक और सामवजक नीवतयों के पररणामों के मध्य ऄंतर-समबन्धों में वृवद् करना।
व्यय और लैंवगक ववश्लेषण के वलए ऄपनाया गया ढांचा प्रायः तीन श्रेवणयों में ववभावजत दकया जाता है:
बलग-ववविि अवंटन वे अवंटन हैं, जो वविेष रूप से मवहलाओं और बावलकाओं ऄथवा पुरुष या
बालकों की ओर लवक्षत दकये जाते हैं। ईदाहरण के वलए, बावलकाओं के वलए स्कू ली िात्रवृवत या
घरे लू बहसा के मामलों में पुरुषों को परामिथ अदद। कइ सरकारों ने मवहलाओं के कायथिमों के वलए
वविेष कोष अवंरटत दकये हैं। मवहलाओं के जीवन पर पडने वाले ईनके प्रभावों का ववश्लेषण करना
महत्त्वपूणथ है तथा साथ ही यह सुवनवश्चत करना भी महत्त्वपूणथ है दक ऐसे कायथिमों ने प्रयुक्त धन
का पूणथ ईपयोग हुअ है।
भारतीय ऄथथव्यवस्था
6. मुद्रास्फीतत
4. सं बं तधत पाररभातषक पद
स्टैग्फफ्लेशन (Stagflation): स्टैग्फफ्लेशन से अशय ऄथथव्यवस्था की ऐसी तस्थतत से है तजसमे
मुद्रास्फीतत की दर और बेरोज़गारी दोनों का ईच्च स्तर पाया जाता है। ऐसी तस्थतत तब ईत्पन्न
होती है जब मुद्रास्फीतत लंबी ऄवतध से व्याप्त होती है और पररणामस्वरूप यह मुद्रास्फीतत
ऄथथव्यवस्था में अगतों के मूल्यों के साथ-साथ वस्तु और सेवाओं की मांग को भी प्रभातवत करती
है।
मुद्रा ऄपस्फीतत (Deflation): यह मुद्रास्फीतत की पूणत
थ या तवपरीत तस्थतत है। आस तस्थतत में समय
के साथ ऄथथव्यवस्था में वस्तु और सेवाओं के सामान्य मूल्य स्तर में तगरावट अती है। मुद्रास्फीतत
की दर 0% (ऊणात्मक मुद्रास्फीतत दर) से कम होने पर ऄपस्फीतत की तस्थतत ईत्पन्न होती है। आसे
ऄवस्फीतत (disinflation) के साथ भ्रतमत नहीं करना चातहए। ऄवस्फीतत का ऄथथ मुद्रास्फीतत की
दर में धीमी द्रकन्तु सतत कमी (जहां मुद्रास्फीतत में तगरावट अती है, लेद्रकन यह सकारात्मक बनी
रहती है) से है। 1997 के ऄंत में एतशयाइ तवत्तीय संकट के बाद हांगकांग की ऄथथव्यवस्था में काफी
समय तक ऄपस्फीतत की तस्थतत बनी रही, जो ऄंततः वषथ 2004 के ऄंत में समाप्त हुइ।
ररसेशन या ऄवमंदन (Recession): ररसेशन की तस्थतत में तनरं तर ततमातहयों में GDP की
नकारात्मक वृति दर ऄंद्रकत की जाती है। मंदी के कु छ संकेतकों में ऄथथव्यवस्था में तनवेश की कमी,
ऄथथव्यवस्था के ईत्पादन में तगरावट, ईत्पादन की तुलना मांग में कमी अना आत्याद्रद सतम्मतलत हैं।
मंदी (Depression): यह ररसेशन का चरम रूप है और यह तस्थतत तब ईत्पन्न होती है जब
ऄथथव्यवस्था में मंदी की तस्थतत बहुत ऄतधक समय से व्याप्त हो। ररसेशन की तस्थतत को तनधाथररत
करने का सामान्य तनयम यह है की यद्रद दो सतत ततमातहयों में GDP की वृति दर नकारात्मक
रहती है तो ईसे ररसेशन की तस्थतत मान तलया जाता है। यद्रद आसके साथ ही सकल घरे लू ईत्पाद में
10% से ऄतधक की तगरावट दजथ की जाती है तो ईसे मंदी (Depression) की श्रेणी में रखा जाता
है। मंदी के कु छ संकेतको में वस्तुओं और सेवाओं की मांग एवं ईपभोग में ऄत्यतध कमी, व्यापाररक
तवश्वास का पतन, ऄथथव्यवस्था और तनवेश के ईत्पादन में तीव्र तगरावट अद्रद सतम्मतलत है। मंदी
के ईदाहरणों में से एक 1930 के दशक में अइ महामंदी (great depression) है।
आन्फ्लेशन स्पाआरल (Inflation Spiral): एक ऄथथव्यवस्था में मुद्रास्फीतत की ऐसी तस्थतत जहां
मजदूरी की दर, वस्तुओं के मूल्य में वृति करती है तथा वस्तुओं के मूल्य, मजदूरी की दर में वृति
करती है। आसे मजदूरी-मूल्य सर्तपल (wage-price spiral) के रूप में भी जाना जाता है। 1935 में
ऄमेररकी ऄथथव्यवस्था में मुद्रास्फीतत के एक संभातवत कारण के रूप में आसकी पहली बार पहचान
की गइ थी।
घाटे में वृति होती है और अम तौर पर वृति के ईच्च स्तर पर ऄततररक्त मुद्रा जारी की जाती है,
वेतन में वृति होती है। ररफ्लेशन को एक तभन्न दृतिकोण से भी समझा जा सकता है - जब
ऄथथव्यवस्था में ररसेशन की तस्थतत (कम मुद्रास्फीतत, ईच्च बेरोजगारी, कम मांग अद्रद) ईत्पन्न
होती है तो सरकार को ऄथथव्यवस्था को पुनजीतवत करने के तलए कु छ अर्तथक नीततगत तनणथय
करने पड़ते हैं। आन तनणथयों के पररणामस्वरूप कु छ वस्तुओं के मूल्यों में अकतस्मक वृति देखी जाती
है तथा मूल्यों में हुइ आस वृति को ररफ्लैशन के रूप में भी जाना जाता है।
5. मु द्रास्फीतत के कारण
मुद्रास्फीतत मुख्य रूप से दो कारकों के कारण होती है- मांग प्रेररत कारक तथा लागत जन्य कारक।
ईपयुथक्त दोनों कारकों को नीचे तवस्तार से बताया गया है:
a) मांग प्रेररत कारक: आसमें ईन कारकों का समूह तनतहत हैं, तजनके कारण ऄथथव्यवस्था में वस्तुओं और
सेवाओं की मांग में वृति हो सकती है।
ईनमें से कु छ तनम्नतलतखत है:
सरकारी व्यय में वृति: सरकारी व्यय में वृति के पररणामस्वरुप वस्तुओं और सेवाओं की मांग में
भी वृति होती है। आसके फलस्वरूप ईनके मूल्यों में वृति होती है। ऐसा सरकारी व्यय में वृति के
पररणामस्वरूप जनता के पास ऄतधक मुद्रा अ जाने के कारण होता है। ऄतधक मुद्रा से वस्तुओं और
सेवाओं की मांग में वृति तो हो जाती है परन्तु अपूर्तत यथावत या कम रहती है, पररणामस्वरूप
मुद्रास्फीतत की तस्थतत ईत्पन्न होती है। सरकार ऄपने व्यय को पूणथ करने हेतु नइ मुद्रा जारी करती
है, आससे सभी कारको की मुद्रास्फीतत पर ऄत्यतधक प्रभाव पड़ता है। यही कारण था द्रक FRBMA
बढ़ती जनसंख्या: बढ़ती जनसंख्या भी मूल्य वृति में महत्वपूणथ कारक की भूतमका तनभाती है,
तवशेष रूप से जब बढ़ती जनसंख्या से मांग में वृति होती है परन्तु मांग के ऄनुरूप अपूर्तत में वृति
नहीं होती है।
काला धन: काले धन का एक बड़ा तहस्सा शहरी आलाकों में स्थावर संपतत्त (ररयल एस्टेट) खरीदने
और बेचने, ऄनाज, दालों अद्रद जैसी अवश्यक वस्तुओं की व्यापक जमाखोरी एवं कालाबाजारी में
काले धन का आस्तेमाल होता है। आस प्रकार काले धन से वस्तुओं और सेवाओं की मांग और मूल्य में
वृति होती है।
ईपभोग प्रततरूप में पररवतथन: भारतीय ररजवथ बैंक (RBI) के वररष्ठ ऄतधकाररयों द्वारा एक
तसिांत प्रस्तुत द्रकया है। आस तसिांत के ऄनुसार भारत में मुद्रास्फीतत की समस्या को अय वृति के
साथ जोड़ के देखा जा रहा है। चूद्रं क अय वृति के कारण लोगों की क्रय शतक्त में वृति होती है तथा
पररणामस्वरूप प्रोटीन युक्त भोजन, दालें, ऄंि,े मछली और मुगी अद्रद जैसे कु छ तवशेष खाद्य
वस्तुओं की मांग तेजी से बढ़ती हैं। आन वस्तुओं के ईपभोग में वृति के कारण ऄथथव्यवस्था में आनकी
कीमते भी बढ़ जाती है ।
मजदूरी में वृति: जब सामान्य मजदूरी में वृति होती है, तो मुद्रा की अपूर्तत में वृति के कारण
ऄथथव्यवस्था में वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग भी बढ़ जाती है।
6. मु द्रास्फीतत के पररणाम
मुद्रास्फीतत कइ संदभो में ऄथथव्यवस्था को प्रभातवत करती है, ईनमें से कु छ प्रभावों को नीचे सूचीबि
द्रकया गया है:
कु छ क्षेत्रों में ररसेशन: कु छ वस्तुओं के मूल्यों में वृति के कारण ईनकी मांग में कमी अ जाती है
तथा पररणामस्वरूप ऄथथव्यवस्था के कु छ क्षेत्रों में ररसेशन की तस्थतत ईत्पन्न हो जाती है।
कमथचाररयों पर प्रततकू ल प्रभाव: मुद्रास्फीतत से कमथचारी प्रततकू ल रूप से प्रभातवत होते हैं क्योंद्रक
ईनकी क्रय शतक्त में कमी अती है जबद्रक वेतन समान रहता है। दूसरी ओर, यह व्यवसातययों के
ऄनुकूल होती है, क्योंद्रक मूल्यों में वृति के कारण ईन्हें लाभ प्राप्त होता है।
ईत्पादन पैटनथ में तवकृ ततयां: मुद्रास्फीतत के कारण पूज
ं ी संसाधनों का दीघथकातलक ईपयोग के स्थान
पर ऄल्पावतधक ईपयोग होने लगता है तथा ऄथथव्यवस्था में ईत्पादन अवश्यक वस्तुओं से गैर-
अवश्यक वस्तुओं की ओर तवस्थातपत होने लगता है।
वृति तथा ईद्योग के तलए ऊण ईपलब्धता पर प्रभाव: प्रायः ऄथथव्यवस्था में मुद्रास्फीतत को रोकने
के तलए ब्याज दरों में वृति की जाती है। आससे ईद्योगों के तलए ईतचत दर पर ऊण ईपलब्धता की
कमी हो जाती है तजससे ऄथथव्यवस्था का तवकास प्रभातवत होता है। हाल के वषों में भारत में हुइ
मुद्रास्फीतत में यह प्रवृतत्त देखी गइ है।
होते हैं, क्योंद्रक एक अम अदमी ऄपनी तनतित अय से बढ़ते हुए खचों को पूरा नहीं कर सकता
द्रकसी देश के कें द्रीय बैंक (भारत के मामले में RBI) द्वारा मौद्रद्रक नीतत ईपाय द्रकए जाते है। आस पितत
में ऄथथव्यवस्था को मुख्यतः ब्याज दर द्वारा तवतनयतमत द्रकया जाता है। चूंद्रक ये ईपाय ऄथथव्यवस्था में
तरलता को तनयंतत्रत करते हैं, आसतलए आनका ईपयोग के वल मांग-प्रेररत मुद्रास्फीतत को तनयंतत्रत करने
के तलए द्रकया जा सकता है। आसके तवषय में नीचे चचाथ की गइ है:
मांग प्रेररत मुद्रास्फीतत दर में कमी करने के तलए RBI किोर मौद्रद्रक नीतत का सहारा ले सकता हैI
ईदाहरण के तलए बाजार में मुद्रा की अपूर्तत को रोकने के तलए RBI, बैंक दर/रे पो दर अद्रद में
वृति कर सकता है। आसके चलते जनता बैंकों में ऄतधक तनवेश करे गी और फलस्वरूप जनता के
मध्य मुद्रा में कमी हो जाएगी, तजससे ऄथथव्यवस्था में मुद्रास्फीतत की दर कम होगी।
मार्तजन बढ़ाना तजन पर व्यापाररयों को कालाबाजारी और जमाखोरी करने की प्रवृतत्त होती है।
RBI, खुले बाजार में प्रततभूततयों का क्रय-तवक्रय (Open Market Operations) जैसे ऄन्य
द्वारा ब्याज दर में ईतचत वृति नहीं की जाती है। RBI द्वारा ईतचत संकेत देने के बाद भी बैंक
ऄतनवायथ रूप से समय-समय पर ऄपने स्वयं की ब्याज दर में वृति नहीं करते हैं तथा आस प्रकार
मौद्रद्रक ईपाय के सम्पूणथ ईद्देश्य को तवफल हो जाता है।
ऄत्यतधक संख्या में ऄसंगरित बैंककग व्यवस्था की ईपतस्थतत, भारत जैसे देश में एक ऄन्य
महत्वपूणथ मुद्दा है। आसके पररणामस्वरूप RBI ऄथथव्यवस्था में बैंककग क्षेत्र के एक बड़े भाग को
ये ईपाय राजकोषीय नीतत के माध्यम से लागू द्रकये जाते हैं। राजकोषीय नीतत को लोकतप्रय रूप से
वार्तषक बजट कहा जाता है। आस तवतध के ऄंतगथत मूल्यों को कम करने के तलए सरकार दो तवकल्पों
का ईपयोग कर सकती है:
o सरकार तवतभन्न योजनाओं व पररयोजनाओं अद्रद पर होने वाले व्यय में कमी कर सकती है।
o सरकार, कर (प्रत्यक्ष या ऄप्रत्यक्ष) की दरों में वृति कर सकती है।
नहीं ऄपनाती है। पहला, वे ऄवसंरचना अद्रद से संबंतधत कइ महत्वपूणथ पररयोजनाओं में तनवेश में
ऄकस्मात् कमी नहीं कर सकती हैं। ऐसा करने से बाजार में नकारात्मक भावना का प्रसार होगा
और देश की तवकासात्मक छतव को िे स पहुंचेगी। दूसरा, यद्रद वे तवतभन्न महत्वपूणथ कल्याणकारी
योजनाओं अद्रद पर व्यय में कमी करते हैं तो ऄगले चुनावों में राजनीततक रूप से ईन्हें नुकसान
पहुँच सकता हैं। ऄतः तवतभन्न कारणों के कारण सरकारी व्यय को कम करना एक युतक्तसंगत ईपाय
नहीं माना जाता है।
दूसरी तवतध व्यय को हतोत्सातहत करने हेतु कराधान को बढ़ाना है। लोगों की अय को कम करने
के तलए तनजी प्रत्यक्ष करों में वृति कर जनता में ईपभोग की प्रवृतत्त को कम द्रकया जा सकता है।
सरकार वस्तुओं पर लगने वाले ऄप्रत्यक्ष करों में वृति कर वस्तुओं की मूल्यों में वृति कर सकती है
तथा आस प्रकार वास्ततवक व्यय योग्फय अय कम होने से जनता द्वारा द्रकए जाने वाले व्यय को
हतोत्सातहत द्रकया जा सकता है। लेद्रकन आस तवकल्प की यह सीमा है द्रक आसे प्रभावी बनाने में कु छ
समय लगता है, क्योंद्रक राजकोषीय नीतत को वार्तषक अधार पर लागू द्रकया जाता है।
वार्तषक औसत मुद्रास्फीतत दर (Annual Average Inflation Rate): यह तपछले 52 सप्ताह में
मुद्रास्फीतत की दर के औसत को दशाथता है।
पबदु-दर-पबदु मुद्रास्फीतत दर (Point to Point Inflation Rate): यह तपछले वषथ के एक तवशेष
सप्ताह और चालू वषथ में समान सप्ताह के मध्य मुद्रास्फीतत की दर में पररवतथन को दशाथता है।
ईदाहरण के तलए चालू वषथ के 36वें सप्ताह और तपछले वषथ के भी 36वें सप्ताह के मध्य मुद्रास्फीतत
की दर में पररवतथन को पबदु-दर-पबदु मुद्रास्फीतत दर कहते है।
यह चालू मूल्यों पर GDP और तस्थर मूल्यों पर GDP के मध्य ऄनुपात को दशाथता है। यद्रद चालू
मूल्यों पर GDP और तस्थर मूल्यों पर GDP बराबर है, तो GDP तिफ्लेटर का मान 1 होगा।
आसका तात्पयथ है द्रक मूल्य स्तर में कोइ पररवतथन नहीं होगा। यद्रद GDP तिफ्लेटर का मान 2 होता
है, तो आसका तात्पयथ यह है द्रक मूल्य 2 के गुणक से बढ़ रही है तथा यद्रद GDP तिफ्लेटर का मान
4 होता है, तो आसका तात्पयथ है द्रक मूल्य 4 के गुणक से बढ़ रही है। GDP तिफ्लेटर को मूल्यों में
पररवतथन का एक श्रेष्ठतर संकेतक मानते है, क्योंद्रक यह देश में ईत्पाद्रदत होने वाली सभी वस्तुओं
और सेवाओं को कवर करता है।
थोक मूल्य सूचकांक के अधार पर गणना की जाने वाली मुद्रास्फीतत को "हेिलाआन मुद्रास्फीतत"
कहा जाता है। हेिलाआन मुद्रास्फीतत की गणना WPI के सम्बन्ध में की जाती है। भारत में अर्तथक
सलाहकार सतमतत तथा औद्योतगक नीतत एवं संवधथन तवभाग के कायाथलय को WPI के मापन व
सूचकांक को जारी करने का कायथ सौंपा गया है। WPI एक महत्वपूणथ सांतख्यकीय सूचकांक हैं।
सरकार के मुद्रास्फीतत प्रबंधन, अवश्यक वस्तुओं के मूल्य की तनगरानी अद्रद जैसे तवतभन्न नीततगत
तनणथय WPI पर अधाररत हैं। भारत में कइ वषों तक WPI साप्तातहक अधार पर तैयार द्रकया
जाता था, परन्तु वषथ 2009 से WPI की मातसक ऄंतराल पर गणना प्रारं भ की गयी।
ऄथथव्यवस्था में संरचनात्मक पररवतथन करने तथा समय-समय पर सूचकांकों की गुणवत्ता,
व्यापकता और प्रतततनतधत्व में सुधार करने के तलए सरकार, अर्तथक संकेतकों के अधार वषथ की
समीक्षा करती है और अधार वषथ पररवर्ततत करती है। आस द्रदशा में अर्तथक सलाहकार का
कायाथलय (OEA), औद्योतगक नीतत एवं संवधथन तवभाग, वातणज्य और ईद्योग मंत्रालय द्वारा ऑल
आं तिया WPI के अधार वषथ को 2004-05 से पररवर्ततत कर 2011-12 कर द्रदया गया है। सकल
घरे लू ईत्पाद (GDP) और औद्योतगक ईत्पादन सूचकांक (IIP) जैसे ऄन्य व्यापक अर्तथक संकेतकों
का अधार वषथ भी 2011-12 है।
भारत के WPI श्रृंखला में ऄभी तक 1952-53, 1961-62, 1970-71, 1981-82, 1993-94
और 2004-05 सतहत छः बार संशोधन द्रकया जा चुका है। श्रृंखला में द्रकया गया वतथमान संशोधन
सातवाँ संशोधन है। आस संशोधन में अधार वषथ को 2004-05 से पररवर्ततत करके 2011-12 कर
द्रदया गया तथा साथ ही वस्तुओं की बास्के ट में पररवतथन और वस्तुओं को नया भारांश प्रदान द्रकया
गया है। साधारणतया प्रत्येक संशोधन के दौरान गरित कायथदल के परामशथ पर संशोधन द्रकया
जाता है। अधार वषथ 2011-12=100 के साथ अरं भ हुइ नइ श्रृंखला के तलए, 19 माचथ 2012 को
योजना अयोग के भूतपूवथ सदस्य स्वगीय िॉ. सौतमत्र चौधरी की ऄध्यक्षता में एक कायथदल का
गिन द्रकया गया था। आस समूह में ऄतधकांश तहतधारकों की भागीदारी सुतनतित की गयी थी।
मुख्य पबदु
संशोतधत श्रृंखला में में भी WPI को तीन प्रमुख समूहों प्राथतमक वस्तुएँ, ईंधन व ईजाथ और तवतनर्तमत
ईत्पाद में वगीकृ त द्रकया गया है।
नइ श्रृंखला में द्रकए गए पररवतथनों के मुख्य पबदु नीचे संक्षेप में प्रस्तुत द्रकए गए हैं:
2011-12 में ऄथथव्यवस्था की संरचना के ऄनुरूप वस्तुओं की सूची और भाररता को ऄद्यततत
द्रकया गया है।
वस्तुओं की संख्या को 676 से बढ़ाकर 697 कर द्रदया गया है। 199 नइ वस्तुओं को जोड़ा गया है
और 146 पुरानी वस्तुओं को हटा द्रदया गया हैं।
नइ श्रृंखला में WPI के प्रतततनतधत्व में ऄपेक्षाकृ त वृति हुइ है। तनतवदाओं (quotations) की
संख्या 5482 से 8331 हो गइ है, ऄथाथत् 2849 तनतवदाओं (52%) की वृति हुइ है।
नए तवशेषताएँ
WPI की नइ श्रृंखला में, ऄप्रत्यक्ष करो को संकतलत मूल्यों में समातहत नहीं द्रकया गया है ताद्रक
राजकोषीय नीतत के प्रभावों को कम द्रकया जा सके । यह ऄंतरराष्ट्रीय प्रणाली के ऄनुरूप है तथा
यह नइ WPI को ‘ईत्पादक मूल्य सूचकांक' के ऄतधक समरूप बनाएगा।
राष्ट्रीय खातों समेत सभी प्रमुख मैक्रोआकॉनॉतमक संकेतकों के तलए वषथ 2011-12 को अधार वषथ
के रूप में प्रस्तुत करे गा, तजससे तुलनात्मक ऄध्ययन में असानी होगी। WPI की पुरानी श्रृंखला
ऄब पुरानी हो चुकी है। आसमें सतम्मतलत मदों का ईपभोग नहीं द्रकया जाता है तथा कइ
समकालीन ईत्पादों को आसमें समातहत नहीं द्रकया गया है और कइ ईत्पादों का मूल्य भार ईनके
महत्त्व से कम है। तवश्लेषकों का मानना है द्रक एक नए अधार वषथ के साथ श्रृंखला प्रकृ तत में ऄतधक
व्यापक होगी।
यद्यतप तवश्लेषकों का मानना है द्रक वस्तुओं के पुराने समूह को बदलकर नइ वस्तुओं को जोड़ने से
श्रृंखला ऄथथव्यवस्था की वतथमान तस्थतत को भली भांतत तनरुतपत कर पायेगी, परन्तु द्रफर भी यह
सूचकांक में तस्थत ऄतस्थरता को कम करने में सक्षम नहीं होगी।
तथातप, आस बात का ऄवश्य ध्यान रखा जाना चातहए की ऄतस्थरता ऄपने अप में जीवन की एक
वास्ततवक समस्या है, सांतख्यकीय नहीं। यद्रद यह वास्ततवक जीवन समस्या है तो िेटा का एकत्रण
और अधार वषथ में द्रकया गया पररवतथन बहुत ज्यादा ऄंतर नहीं ईत्पन्न करे गा। आसके ऄततररक्त यह
भी माना जाता है द्रक वस्तुओं का नया समूह, WPI और CPI नंबरों के मध्य ईत्पन्न हुए ऄंतर को
कम करे गा।
WPI की सीमाएं
आसमें स्वास््य, तशक्षा, पररवहन, तवत्त अद्रद जैसी सेवाएं सतम्मतलत नहीं हैं।
भारत में ऄसंगरित क्षेत्र के ईत्पादों के ररकॉिथ या अंकड़े िीक से ईपलब्ध नहीं है। ऄसंगरित क्षेत्र के
ईत्पाद, भारतीय ऄथथव्यवस्था के तवतनर्तमत ईत्पादन का 30 प्रततशत से ऄतधक भाग है।
चूंद्रक मूल्यों का संग्रह स्वैतछछक अधार पर है, ऄत: आकाइयाँ तवशेषकर तवतनमाथण क्षेत्र से मूल्य
अंकड़ों का प्रवाह ऄतनयतमत हो जाता है तजससे WPI के संकलन में समस्याएं बढ़ जाती हैं।
जबद्रक CPI के संदभथ में यह अंकड़ा संग्रह NSSO के सरकारी सवेक्षणों द्वारा द्रकया जाता है।
यह थोक स्तर पर मूल्य में ईतार-चढ़ाव को दशाथता है। ऄत: आसके द्वारा खुदरा मूल्यों को
प्रततपबतबत नहीं द्रकया जाता है। खुदरा मूल्य, वह मूल्य होता है तजस पर ऄंततम ईपभोक्ता द्वारा
वस्तुएँ खरीदी जाती हैं।
आसी कारण से हाल ही में स्थातपत मौद्रद्रक नीतत संरचना मुद्रास्फीतत लक्ष्यीकरण के तहत CPI पर
फोकस करे गी।
WPI का महत्व
मूल्यों के ऄत्यतधक ईतार-चढ़ाव का तनरीक्षण करता है।
यह व्यापार, तवत्तीय और ऄन्य अर्तथक नीततयों के प्रारूप के तनमाथण में सहायता करता है।
ऄभी तक यह तवतभन्न सांकेततक तवतधयों के ऄंतगथत मौद्रद्रक नीतत तैयार करने के तलए प्रयुक्त होता
था। परन्तु ऄप्रैल 2014 के पिात् से RBI ने मौद्रद्रक नीतत के तनमाथण हेतु ईर्तजत पटेल कमेटी की
व्यापाररक ऄनुबंध में आसे कच्चे माल, मशीनरी और तनमाथण कायथ की अपूर्तत में हुइ मूल्य वृति की
गणना करने के तलए प्रयोग द्रकया जाता है।
WPI के ऄततररक्त भारत में मुद्रास्फीतत को ईपभोक्ता स्तर पर CPI के माध्यम से मापा जाता है।
सामातजक व अर्तथक ऄंतर के कारण भारत में ईपभोक्ताओं के ईपभोग और क्रयशतक्त में एक
व्यापक ऄंतर तवद्यमान है, फलतः भारत में ऄभी तक एक सयुक्त
ं और व्यापक ईपभोक्ता मूल्य
सूचकांक तवकतसत नही हो पाया है। भारत में 4 CPIs को ऄपनाया गया है:
CPI– IW (औद्योतगक श्रतमक): औद्योतगक श्रतमकों के तलए ईपभोक्ता मूल्य सूचकांक की बास्के ट में
260 मदें (सेवाओं सतहत) सतम्मतलत हैं। आसका अधार वषथ 2001 है (आसका पहला अधार वषथ
1958-59 था)। देश भर के 76 के न्द्रों से आसके अंकिें प्रततमाह एकतत्रत द्रकये जाते है और सूचकांक
एक महीने के ऄंतराल से जारी द्रकया जाता है। आसकी बास्के ट में 120-160 वस्तुएं शातमल हैं। मूल
रूप से यह सूचकांक सरकारी कमथचाररयों (बैंकों और दूतावास के कमथचाररयों को छोड़कर) के
ईपभोग को तनर्ददि करता है। के न्द्रीय सरकारी कमथचाररयों के वेतन को आस सूचकांक में होने वाले
पररवतथनों के अधार पर संशोतधत द्रकया जाता है। आसके अधार पर वषथ में दो बार महँगाइ भत्ता
(DA) घोतषत द्रकया जाता है। वेतन अयोग की वेतन को संशोतधत संबंधी तसफाररशे CPI–IW के
अधार पर होती हैं।
CPI (ऄबथन नॉन-मैनऄ
ु ल एम्प्लॉइ): ऄबथन नॉन-मैनुऄल एम्प्लॉइ (CPI-UNME) के तलए CPI
का अधार वषथ 1984-85 है तथा आसकी बास्के ट में 146-365 वस्तुएं है। आसके तलए दो सप्ताह के
ऄन्तराल पर अंकड़ों को मातसक अधार पर एकतत्रत द्रकया जाता है। यह सूचकांक शहरी क्षेत्र की
जनसंख्या द्वारा ईपभोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के औसत खुदरा मूल्यों के स्तर में
पररवतथन को दशाथता है। यह सूचकांक गैर-कृ तष क्षेत्र के नॉन मैनऄ
ु ल व्यवसायों से ऄपनी अय का
एक बड़ा तहस्सा प्राप्त करने वाले शहरी पररवारों को ध्यान में रख कर बनाया गया है। आस
सूचकांक का ईपयोग सीतमत है और आसका ईपयोग मूल रूप से भारत में संचातलत कु छ तवदेशी
कं पतनयों (यानी एयरलाआं स, संचार, बैंककग, बीमा, दूतावास, और ऄन्य तवत्तीय सेवाओं) के
कमथचाररयों के महंगाइ भत्ते (DA) के तनधाथरण के तलए द्रकया जाता है। अयकर ऄतधतनयम के
ऄंतगथत पूज
ं ी लाभ के तनधाथरण में आसका ईपयोग द्रकया जाता है। CSO (कें द्रीय सांतख्यकी संगिन)
द्वारा आसका प्रयोग सेवा क्षेत्र की कु छ ऄनन्य सेवाओं की ऄवस्फीतत (कारक लागत और चालू मूल्यों
पर) के तलए द्रकया जाता है ताद्रक तस्थर मूल्य स्तर पर आनकी सापेक्ष गणना की जा सके । हालांद्रक
पुराने अधार वषथ के कारण आसे जनवरी 2011 से बंद कर द्रदया गया है साथ ही CPI (शहरी)
अरम्भ द्रकया गया।
CPI (कृ तष श्रतमक): कृ तष श्रतमकों के तलए ईपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-AL) का अधार वषथ
1986-87 है और आसकी बास्के ट में 260 वस्तुएं सतम्मतलत हैं। आसके अंकड़ों को प्रतत माह 600
गांवों से संग्रतहत द्रकया जाता है और आसमें तीन सप्ताह का ऄन्तराल होता है। आस सूचकांक का
तवतभन्न राज्यों में कृ तष श्रतमकों की न्यूनतम मजदूरी में संशोधन हेतु ईपयोग द्रकया जाता है।
CPI (ग्रामीण श्रतमक): यह ग्रामीण श्रतमकों (CPI-RL) के तलए 1983 के अधार वषथ के रूप में
एक ऄन्य ईपभोक्ता मूल्य सूचकांक है। आसमें भी 600 गाँवो से मातसक अवृतत्त पर अंकड़ें एकतत्रत
द्रकये जाते है, तजसमें तीन सप्ताह का ऄन्तराल होता है। आसकी बास्के ट में 260 वस्तुएँ सतम्मतलत
हैं।
भारत के सकल घरे लू ईत्पाद में तृतीयक क्षेत्र का योगदान में तपछले 6 से 7 वषों से वृति दजथ की
जा रही है तथा वतथमान में यह लगभग 54 प्रततशत है। भारत में सेवा मूल्य सूचकांक (SPI) की
अवश्यकता ऄथथव्यवस्था में सेवा क्षेत्र के बढ़ते प्रभुत्व के मापन हेतु है। सेवा क्षेत्र के मूल्यों में हुए
पररवतथनों को मापने के तलए ऄब तक कोइ सूचकांक तवकतसत नहीं द्रकया गया है। वतथमान
मुद्रास्फीतत (WPI में) के वल वस्तु-ईत्पादन क्षेत्र के मूल्य पररवतथनों को दशाथती है, ऄथाथत् आसमें
के वल प्राथतमक और तद्वतीयक क्षेत्र सतम्मतलत हैं एवं आसमें तृतीयक क्षेत्र का प्रतततनतधत्व नहीं है।
WPI (1993-94) श्रृंखला को संशोतधत करने के तलए प्रोफे सर ऄतभजीत सेन की ऄध्यक्षता में
स्थातपत कायथ दल द्वारा ऐसे सूचकांक की अवश्यकता महसूस की गइ थी। सी रं गराजन की
ऄध्यक्षता में गरित राष्ट्रीय सांतख्यकी अयोग द्वारा भी आस सूचकांक की अवश्यकता की बात की
गइl
अर्तथक सलाहकार, वातणज्य और ईद्योग मंत्रालय, तवश्व बैंक सहायता प्राप्त अर्तथक सुधार
पररयोजनाओं के ऄंतगथत तकनीकी सहायता के माध्यम से देश में क्षेत्र-तवतशि सेवा मूल्य सूचकांक
तवकतसत करने का प्रयास कर रहा है। वतथमान में प्रायोतगक अधार पर चयतनत सेवाओं (सड़क
पररवहन, रे लवे, वायुमागथ, व्यापार, व्यापार, बंदरगाह, िाक दूरसंचार, बैंककग और बीमा सेवाएं
अद्रद) के तलए सेवा मूल्य सूचकांक को शुरू करने के प्रयास द्रकए जा रहे हैं।
कोर मुद्रास्फीतत: कोर मुद्रास्फीतत उजाथ और खाद्य पदाथों को छोड़कर ऄथथव्यवस्था की सभी
वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों की गणना करती है । आसमें ऄथथव्यवस्था में मुद्रास्फीतत की वास्ततवक
तस्थतत को तवकृ त करने वाली पररवतथनशील (volatile) वस्तुएं शातमल नहीं हैं। फलस्वरूप, यह
ऄथथव्यवस्था में व्याप्त मांग में पररवतथन को दशाथती है।
कोर मुद्रास्फीतत की गणना ईपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में कु छ वस्तुओं को छोड़कर (अमतौर
पर उजाथ और खाद्य ईत्पादों) से की जाती है। यह समझने के तलए द्रक भोजन और उजाथ वगथ मूल्य
में पररवतथन के प्रतत ऄतधक संवेदनशील क्यों हैं, ईन पयाथवरणीय कारकों पर तवचार द्रकया जाता हैं
जो द्रकसी वषथ की फसलों को नि कर सकते हैं या बदलती OPEC नीततयों से तेल की अपूर्तत में
ईतार-चढ़ाव ईत्पन्न कर सकते हैं। ईपयुथक्त प्रत्येक ईदाहरण अपूर्तत शॉक से संबंतधत है तथा ये सभी
मूल्यों को प्रभातवत कर सकते है। हालांद्रक, आन वस्तुओं के मूल्यों में तेजी से वृति या कमी अती है,
परन्तु ये ऄथथव्यवस्था के समग्र मूल्य स्तर की प्रवृतत्त में पररवतथन से संबंतधत नहीं हो सकते है।
आसके स्थान पर, खाद्य और उजाथ के मूल्यों में पररवतथन प्रायः ऄस्थायी कारकों से जुड़े होते है जो
ऄथथव्यवस्था से बाहर होते हैं और तजनके पैटनथ में तवपरीत प्रवतत्त भी देखी जा सकती है।
चूंद्रक GST को तबक्री के ऄंततम पबदु पर प्राप्त द्रकया जाता है, ऄत: जुलाइ 2017 से लागू हुए
GST का प्रभाव के वल CPI में ही द्रदखाइ देगा क्योंद्रक WPI में द्रकये गए नवीन पररवतथनों द्वारा
ऄप्रत्यक्ष करों को बाहर कर द्रदया जायेगा। ऄतः GST नए WPI और CPI िेटा के मध्य एक
तनतित ऄंतर को ईत्पन्न करे गा।
GST का मुद्रास्फीतत पर संभातवत प्रभाव
CPI पर प्रभाव
बहुस्तरीय GST में जहां ऄत्यतधक ईपभोग वाली 81% वस्तुओं को 18% या ईससे कम कर वाले
स्लैब में रखा गया है तजसके फलस्वरूप GST के मुद्रास्फीततकारी होने के ऄवसर कम है।
ऐसा आसतलए है क्योंद्रक वस्तु और सेवा कर (GST) को लागू करते समय ईत्पादन पर
ऄल्पकातलक प्रभाव पड़ने से मुद्रास्फीतत प्रभातवत हो सकती है। परन्तु देश में एक एकीकृ त वस्तु
और सेवाओं के बाजार के तनमाथण से अपूर्तत श्रृंखला की किोरता कम होगी तथा पररवहन लागत
में कमी एवं ईत्पादकता में सुधार के माध्यम से सामान्य लागत में कमी अएगी। हालांद्रक
दीघथकातलक प्रभाव, GST की मानक कर दर पर अधाररत होगा, जो वतथमान में 18% है।
यद्यतप सामान्य सहमतत यह है द्रक ईपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीतत पर सीतमत प्रभाव ही पड़ेगा यद्रद
मानक GST दर 18 प्रततशत पर रखी जाती है- वास्तव में ईत्पादन के कारकों के ऄतधक कु शल
अवंटन के कारण समग्र मूल्य स्तर में तगरावट हो सकती है।
WPI पर प्रभाव
GST थोक मूल्य मुद्रास्फीतत को प्रभातवत नहीं करे गा क्योंद्रक आसमें ऄप्रत्यक्ष कर सतम्मतलत नहीं
हैं।
ररजवथ बैंक के साथ परामशथ करके मुद्रास्फीतत के लक्ष्य को तय करती है। वतथमान में मौद्रद्रक नीतत
का प्रबंधन भारतीय ररजवथ बैंक ऄतधतनयम, 1934 में द्रकये गए संशोधन के ऄनुसार भारतीय
ररज़वथ बैंक के गवनथर की ऄध्यक्षता वाली मौद्रद्रक नीतत सतमतत (MPC) द्वारा द्रकया जाता है।
संशोतधत मौद्रद्रक नीतत संरचना के ऄनुसार, सरकार ने 5 ऄगस्त, 2016 से 31 माचथ, 2021 तक
की ऄवतध के तलए +/- 2 % की परास के साथ 4% की मुद्रास्फीतत का लक्ष्य तनधाथररत द्रकया है।
मौद्रद्रक नीतत सतमतत को मुद्रास्फीतत को तनर्ददि लक्ष्य स्तर के भीतर तनयंतत्रत करने के तलए
अवश्यक बेंचमाकथ नीतत दर (रे पो दर) तय करने के कायथ को सौंपा गया है। यहां लतक्षत
मुद्रास्फीतत CPI है। RBI ऄतधतनयम के प्रावधानों के ऄनुसार, मौद्रद्रक नीतत सतमतत के छह
सदस्यों में से तीन सदस्य RBI से होंगे और ऄन्य तीन सदस्यों को कें द्रीय सरकार द्वारा तनयुक्त
द्रकया जाएगा।
सामूतहक तनणथय: MPC यह सुतनतित करे गी द्रक तनणथय सामूतहक रूप से तलए जायेंगे। पूवथ में ये
तनणथय के वल गवनथर द्वारा तलए जाते थे।
तनणथय लेने में पारदर्तशता: MPC को ऄपने द्वारा तलए गये तनणथयों को कारण सतहत प्रकातशत
करना अवश्यक होगा।
मौद्रद्रक प्रातधकरण की जवाबदेतहता: यद्रद यह ऄपने पूव-थ तनधाथररत लक्ष्य को प्राप्त करने में तवफल
हो जाती है तो MPC सरकार के प्रतत ईत्तरदायी होगी।
मौद्रद्रक प्रातधकरण के रूप में RBI के ऄतधकारों में कमी करना: ऄब MPC मौद्रद्रक नीतत तनमाथण
और ईसके कायाथन्वयन हेतु ऄंततम प्रातधकरण होगा। आसतलए कु छ तकों के ऄनुसार यह मौद्रद्रक
नीतत से संबंतधत मामलों पर तनणथय लेने में RBI और ईसके गवनथर की भूतमका को कमजोर
करे गा।
सरकारी हस्तक्षेप: यह तकथ द्रदया जाता है द्रक सरकार द्वारा नातमत सदस्यों के कारण, MPC
सरकार की एक शाखा के रूप में कायथ करे गी, तजससे मूल्य तस्थरता और तवकास के मध्य स्थातपत
संतल
ु न पर प्रततकू ल प्रभाव पड़ेगा।
अपूर्तत पक्ष की मुद्रास्फीतत को तनयंतत्रत करने में ऄसमथथ: तवशेषज्ञों का मानना है द्रक चूंद्रक MPC
मौद्रद्रक साधनों के माध्यम से लतक्षत मुद्रास्फीतत दर को बनाए रखने पर ध्यान कें द्रद्रत करे गा, ऄतः
यह अपूर्तत पक्ष में कमी के कारण ईत्पन्न मुद्रास्फीतत को तनयंतत्रत नहीं कर सकती है।
आन अशंकाओं के बावजूद, ऄंतरराष्ट्रीय कायथ प्रणाली से समेकन के तलये यह सुधार लंबे समय से वांतछत
था। MPC को सरकार से स्वतंत्र रूप से कायथ करने के तलए पयाथप्त स्वायत्तता प्रदान की गयी है। साथ
ही मौद्रद्रक तवषयों में RBI के ऄपेतक्षत ऄतधकारों को सुरतक्षत रखा गया हैं। तनणथय प्रद्रक्रया को बहुमत
द्वारा संपन्न द्रकया जायेगा तथा RBI गवनथर का वोट तनणाथयक (कापस्टग) होता है। हालांद्रक मुद्रास्फीतत
और संधारणीय तवकास पर प्रभावी तनयंत्रण के तलए मौद्रद्रक नीतत को राजकोषीय नीतत के साथ
तमलकर काम करना होगा।
भारतीय ऄथथव्यवस्था
7. भुगतान संतल
ु न एवं मुद्रा वववनमय दरें
3. भुगतान संतल
ु न (Balance of Payments) _________________________________________________________ 5
3.4 भारत का भुगतान संतुलन संकट (Indian Balance of Payments Crisis) 1991 __________________________ 10
6. 2008 की वैविक अर्थथक मंदी और भारत (Recession of 2008 And India) _______________________________ 13
10.4. MOUS एवं FDI के मध्य ऄंतराल (Gaps Between Mous And FDI) ________________________________ 17
15.6. बदलता ऄंतराथष्ट्रीय पररवेि: ऄलगाववाद और देिीयता (Changing International Order: Isolationism And
Nativism) ________________________________________________________________________________ 33
1. बाह्य क्षे त्र का महत्व - अयात और वनयाथ त क्यों महत्त्वपू णथ है
दकसी भी देि की संसाधन संपदा को दो व्यापक श्रेवणयों - श्रम और पूंजी, में वगीकृ त दकया जाता
है। भारत में श्रम संसाधन प्रचुर मात्रा में ईपलब्ध हैं, साथ ही सस्ते श्रवमकों की मांग वाले ईद्योगों
हेतु भारतीय पररवेि ऄत्यवधक ऄनुकूल है। आस प्रकार, भारत में पूज
ं ी की तुलना में श्रम की
ईपलब्धता ऄपेक्षाकृ त ऄवधक है।
ईत्पादन के वनयमों के ऄनुसार वववभन्न देिों को ऐसी वस्तुओं का ईत्पादन करना चावहए वजन्हें वे
ऄवधक कु िलता से ईत्पाददत कर सकते हैं- ऄथाथत् देिों को लागत प्रभावी ईत्पादन प्रणाली
ऄपनानी चावहए। पूज
ं ी समृद्ध देिों को पूज
ं ीगत ईत्पादन में संलग्न होना चावहए, जबदक श्रम
संसाधनों से समृद्ध देिों को श्रम-गहन ईत्पादन में संलग्न होना चावहए।
वैिीकरण के प्रारं भ के साथ श्रम और पूज
ं ी की गवतिीलता में ऄत्यवधक वृवद्ध हुइ है। ऐसे में,
ऄंतराथष्ट्रीय व्यापार के वलए यह अवश्यक हो जाता है दक वववभन्न देि प्रमुखतः ईनकी संसाधन
संपदा के ऄनुकूल व्यापार में ही संलग्न हो।
तुलनात्मक लाभ के वसद्धांत के तहत देि ऄपनी संसाधन सम्पन्नता के ऄनुकूल व्यापार में संलग्न
होते हैं। ईदाहरणाथथ, श्रम संसाधनों से समृद्ध भारत को श्रम-गहन वस्तुओं का वनयाथत करना
चावहए तथा ऐसी वस्तुएं अयात करनी चावहए, वजनका ईत्पादन भारत के वलए तुलनात्मक रूप
में लाभकारी नहीं हों। भारत के पररप्रेक्ष्य में पूज
ं ी-गहन वस्तुएं अयात करने योग्य हैं।
संसाधन संपदा की यह सापेक्ष ऄसमानता, ऄंतराथष्ट्रीय व्यापार का अधार है जो संसाधनों के कु िल
अवंटन एवं आसके आष्टतम रूप में ईपयोग को प्रोत्सावहत करती है। आसके पररणामस्वरूप,
व्यापाररक देिों को ईवचत अर्थथक लाभ प्राप्त होता है। वहीं दूसरी ओर व्यापाररक विवथलता से
ऄक्षमताओं में वृवद्ध, ईच्च लागत तथा मुद्रास्फीवत के भार के साथ-साथ मंद ववकास जैसी समस्याएँ
ईत्पन्न हो जाती हैं।
संसाधनों के सवाथवधक कु िल ईपयोग हेतु, देि का बाह्य क्षेत्रक (external sector) ऄत्यंत
महत्वपूणथ है। ईदाहरणाथथ ववदेिी व्यापार, भारत की कु ल मांग को दो प्रकार से प्रभाववत करता है।
पहला, जब भारतीय नागररक कोइ ववदेिी वस्तु खरीदता है, तो यह व्यय चक्रीय प्रवाह से ररसाव
के रूप में बाहर वनकल जाता है, वजससे देि में ईत्पाददत वस्तुओं की कु ल मांग में कमी अती है।
दूसरा, हमारे ववदेिी वनयाथत से मुद्रा चक्रीय प्रवाह के भीतर प्रवेि करती है, वजससे घरे लू स्तर पर
ईत्पाददत वस्तुओं की कु ल मांग में वृवद्ध होती है।
2. ऄथथ व्य वस्थाओं के प्रकार: बं द /अं त ररक
(Closed/Inward) और खु ली / बाह्य (Open/Outward)
GDP के ऄनुपात में कु ल ववदेिी व्यापार (वनयाथत + अयात) यह प्रदर्थित करता है दक ऄथथव्यवस्था
दकतनी खुली ऄथवा बंद है।
वस्तुओं के वनयाथत तथा अयात के संतुलन को व्यापार संतल
ु न (Trade balance) कहा जाता है।
बंद ऄथथव्यवस्था (Closed Economy): एक बंद ऄथथव्यवस्था में, कोइ बाह्य व्यापार ऄथाथत्
दकसी प्रकार का अयात या वनयाथत नहीं होता है। यह एक अत्मवनभथर और स्वतंत्र ऄथथव्यवस्था को
आं वगत करता है जो मुख्यतः ऄपने घरे लू क्षेत्रों के माध्यम से वृवद्ध करती है। बंद ऄथथव्यवस्था को
अत्मवनभथर राष्ट्र (Autarky) भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है दक 1950 के दिक से अरं भ
होकर 1980 के दिक तक भारतीय ऄथथव्यवस्था, अत्म-ववकास पर के वन्द्रत एक बंद ऄथथव्यवस्था
थी। वजसको ऄंततः 1991 के अर्थथक संकट के बाद खुली ऄथथव्यवस्था में पररवर्थतत दकया गया।
खुली ऄथथव्यवस्था (Open Economy): खुली ऄथथव्यवस्था वह है जो ऄन्य देिों के साथ वस्तुओं
एवं सेवाओं तथा ववत्तीय पररसंपवत्तयों का व्यापार करती है।
भुगतान संतुलन (BoP) के ऄंतगथत दो मुख्य खाते सवम्मवलत दकये जाते है: चालू खाता (Current
Account) और पूज
ं ी खाता (Capital Account)।
तथा देि की वनवावसयों िारा गैर-वनवावसयों को भुगतान दकए गए वेतन, मजदूरी अदद सवम्मवलत हैं)।
चालू खाता घाटा - भारत की वस्थवत
चालू खाता घाटा (Current Account Deficit: CAD) वस्तुओं, सेवाओं और वनवेि अय सवहत
सभी अयातों के मूल्य तथा सभी वनयाथतों के मूल्य के बीच के ऄंतर को दिाथता है। यह घरे लू बचत
और घरे लू वनवेि के बीच के ऄंतर को प्रदर्थित करता है तथा स्पष्ट करता है दक ववदेिी बचत िारा
कहाँ तक आस घाटे को ववत्त पोवषत दकया जा सकता है।
ववत्त वषथ 2017-18 के वलये CAD को GDP का लगभग 1.5% से 2% तक ऄनुमावनत दकया गया
है। आस ऄववध में सॉफ्टवेयर वनयाथत और वनजी हस्तांतरण में कमी अइ जबदक प्राथवमक अय का
वनकास ऄपेक्षाकृ त ऄवधक रहा।
पूंजी खाता, पररसंपवत्तयों के ववत्तीय और भौवतक रूप में पररवतथन से संबंवधत सभी ऄंतराथष्ट्रीय
अर्थथक लेन-देन को ऄवभलेवखत करता है। यह वनजी और अवधकाररक दोनों प्रकार के लेन-देन का
ऄल्पकावलक एवं दीघथकावलक ऄवभलेख है।
पूंजी खाता लेन-देन, चालू खाता लेन-देन से वभन्न होते हैंI ये स्टॉक पररमाण में पररवतथन को
दिाथता है तथा पूज
ं ी प्रावप्तयों एवं भुगतान का ईल्लेख करता हैं। ये दीघथकावलक और ऄल्पकावलक
पूंजी के संचलन से संबवं धत होते हैं।
RBI ने पूंजी खाते की वववभन्न मदों को वनम्न प्रकार से वगीकृ त दकया हैI पूज
ं ी खाते के मुख्य घटक
वनम्नवलवखत हैं:
o ववदेिी वनवेि: आसमें प्रत्यक्ष और पोटथफोवलयो वनवेि िावमल हैं।
o ऊण: ईधारी, वजसे वनम्न मदों में वगीकृ त दकया जाता है।
है। यह एक प्रकार से IMF से वलया गया ऊण है। जब ववदेिी मुद्रा में भुगतान करके देि
ऄपनी मुद्रा को वापस खरीदता है, तब आसे पुनःक्रय कहा जाता है।
o ववदेिी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves: FER) में पररवतथन: RBI के पास
FER के रूप में ववदेिी मुद्रा, स्वणथ भंडार तथा IMF में SDR (Special Drawing Rights
या वविेष अहरण ऄवधकार) होता हैं। यदद देि का BoP घाटे में जाता है तो FER से
वनकासी करके आस घाटे की पूर्थत की जा सकती है।
व्यापार संतल
ु न (Balance of Trade: BoT)
यह दृश्य वस्तुओं के अयात एवं वनयाथत के मध्य संतल
ु न को दिाथता है।
आससे अिय BoP में व्यापाररक वस्तुओं वाले भाग से है। आसका मान वनयाथवतत वस्तुओं (दृश्य
मदों) के मूल्य को अयावतत वस्तुओं के मूल्य से घटा कर प्राप्त दकया जाता है।
यह अवश्यक नहीं है दक BoT, प्रायः संतल
ु न की वस्थवत में ही हो।
BoT = वस्तुओं के वनयाथत का मूल्य – वस्तुओं के अयात का मूल्य
i. ऄल्पाववध: 1 से 3 वषथ
गया बैंक िुल्क) सरकार िारा समय-समय पर RBI के परामिथ से वनधाथररत दकये जाते है। जबदक
ऄल्पकावलक ऄववध की ब्याज दर बैंकों िारा तय की जाती है तथा यह स्वणथ (प्रवत ग्राम यूवनट) में
वनधाथररत होती है।
1991
1979 के तेल संकट के पिात्, भारत िारा दकये गए अयात का मूल्य 1978 और 1981-82 के
मध्य लगभग दोगुना बढ़ गया था। छठीं पंचवषीय योजना के ऄंत तक, चालू खाते के घाटे (CAD)
में वृवद्ध होने लगी।
अर्थथक संकट, मुख्य रूप से 1980 के दिक के दौरान वविाल और बढ़ते ववत्तीय ऄसंतुलन के
कारण ईत्पन्न हुअ था। आस वविाल राजकोषीय घाटे का व्यापार घाटे पर प्रवतकू ल प्रभाव पड़ा
और समय के साथ यह एक बाह्य भुगतान संकट (external payments crisis) में बदल गया।
1990 के ऄंत तक, भारत गंभीर रूप से अर्थथक संकट की ऄवस्था में था।
ऐसा कहा जाता है दक ववदेिी मुद्रा भंडार आस मात्रा तक कम हो गया था दक भारत के पास के वल
तीन सप्ताह के अयात हेतु ही ववदेिी मुद्रा भंडार बचा था।
1991 के मध्य में, भारतीय वववनमय दर में कठोर समायोजन दकया गया।
ववदेिी सहायता के ऄवतररक्त, IMF से SDR की वनकासी के कारण भारत को चालू खाते में भारी
घाटे का सामना करना पड़ा था।
BoP संकट का सामना करने के वलए ईठाए गए कदम: 1991 में रुपये का ऄवमूल्यन कर ददया
गया। मुद्रा ऄवमूल्यन के कारण भारतीय रुपया 1991 के 17.50 रुपया प्रवत डॉलर से वगरकर
1992 में 45 रुपया प्रवत डॉलर पर अ गया। रुपये का मूल्य 23% तक कम कर ददया गया था।
वैिीकरण के वलए भारतीय ऄथथव्यवस्था में खुलापन लाने की अवश्यकता को समझते हुए,
सरकार ने 1991 में व्यापार ईदारीकरण और नव ईदार अर्थथक सुधारों की घोषणा की, वजसका
लक्ष्य वैिीकरण के सन्दभथ में भारत को ईदार बनाना था।
आसका ईद्देश्य लाआसेंस राज को समाप्त करना, भारतीय ऄथथव्यवस्था में बाजारों और वनजी क्षेत्र का
प्रवेि कराना, प्रवतबंधों को कम करना तथा प्रत्यक्ष ववदेिी वनवेि को बढ़ावा देना था।
वनजी और ववदेिी वनवेिकों के वलए भारतीय बाज़ार में खुलापन लाने के वलए तथा सावथजवनक क्षेत्र का
एकावधकार कम करने के वलए वनम्नवलवखत ईपाय दकए गए:
o अयात प्रिुल्कों, बाजारों का वनयंत्रण एवं करों में कमी की गयी तथा ववदेिी वनवेि को
प्रोत्सावहत दकया गया।
o आन ईपायों को वनजीकरण, ईदारीकरण और वैिीकरण सुधारों के रूप में भी जाना जाता है।
o ऄपनी ऄथथव्यवस्था को खुली ऄथथव्यवस्था में बदलकर, भारत ने ववि को एक सिक्त संदि
े
भेजा दक भारत ववि के साथ अर्थथक रूप से एकीकृ त होना चाहता है।
आन सुधारों में ईद्योग, बाह्य व्यापार, ववदेिी वनवेि, वववनमय दर प्रणाली, बैंककग, पूंजी बाजार
और ववत्तीय तथा मौदद्रक नीवतयों जैसे सभी प्रमुख क्षेत्रों को सवम्मवलत दकया गया था।
एक भारतीय की प्रवत व्यवक्त अय 1991 की 6,295 रुपये से लगभग 15 गुना बढ़कर वतथमान में
1,03,007 रुपये हो गइ है। मुद्रास्फीवत के समायोजन के बाद भी, अय में साढ़े पांच गुना की वृवद्ध
दजथ की गयी है। यह वृवद्ध बढ़ती क्रय िवक्त को प्रवतबबवबत करती है।
2005-06 और 2010-11 के मध्य औसत वार्थषक ववकास दर 8.8 प्रवतित रही।
inequalities) न के वल बढ़ी है, बवल्क स्वास्थ्य और विक्षा जैसी सावथजवनक सेवाओं के वनजीकरण
के प्रयास के पिात् वंवचत वगथ मुख्यधारा से और भी ऄलग-थलग पड़ गया है।
रोजगार के ऄवसरों की कमी
यह संभव है दक 1991 के पूवथ के दिकों में अर्थथक वृवद्ध दर मंद हों दकन्तु यह भी ईतना ही सत्य है
दक रायय अधाररत ववकास ने ईन क्षमताओ को ईत्पन्न दकया जो वस्तुतः अर्थथक सुधारों और
ईदारीकरण की नींव थे।
वैिीकरण ने भारतीय ऄथथव्यवस्था की ऄनौपचाररकरण बढ़ाने में योगदान ददया है।
o कॉन्रैक्ट वकथ र, अईट-वकथ र, एजेंसी लेबर, ऄस्थायी श्रवमक और टेली-वकथ र अदद जैसे बाह्य
श्रम का ऄवधक ईपयोग।
o संगरठत कायथबल की संख्या में कमी, ऄनौपचाररक क्षेत्र का ववस्तार और कायों का
ऄनौपचारीकरण।
o श्रम का यह 'ऄनौपचारीकरण' न के वल ऄथथव्यवस्था के ऄनौपचाररक क्षेत्रों में ही हुअ है
बवल्क औपचाररक क्षेत्रों में भी अईटसोर्ससग और ईप-ऄनुबंध के माध्यम से ईत्पादन तथा
नौकररयों के ऄनौपचारीकरण में वृवद्ध हुइ है।
o ऄनौपचारीकरण के प्रभाव:
सामावजक सुरक्षा की ऄपयाथप्तता, रेड यूवनयनों का कमजोर होना तथा वेतन ऄसमानता
में वृवद्ध।
ऄनौपचाररक श्रवमकों के मध्य वनधथनता में वृवद्ध हुइ है।
ऄनौपचाररक मानव संसाधन के प्रविक्षण और ववकास की ईपेक्षा के फलस्वरूप
ऄथथव्यवस्था की ईत्पादकता में कमी अयी है।
5. पू वथ एवियाइ सं क ट 1997
जून 1997 और जनवरी 1998 के मध्य, दवक्षण पूवी एविया की "टाआगर आकॉनोमीज" में एक
ववत्तीय संकट ईत्पन्न हुअ। आस संकट से पूवथ के दिक में थाइलैंड, मलेविया, बसगापुर, आं डोनेविया,
हांगकांग और दवक्षण कोररया जैसे दवक्षण-पूवी एवियाइ देिों में ईच्च अर्थथक वृवद्ध दर दजथ की गइ
थी।
1997 में, आन एवियाइ देिों की यह ईच्च अर्थथक वृवद्ध दर समाप्त हो गयी तथा आन देिों में िेयर
बाजार और मुद्रा बाजार धरािायी हो गए।
एवियाइ ववत्तीय संकट को "एवियन कं टेवजयन” (Asian Contagion) भी कहा जाता है। यह
ववत्तीय संकट मुद्रा ऄवमूल्यन और ऄन्य घटनाओं की वह श्रृंखला थी जो 1997 के प्रारं भ में कइ
एवियाइ बाजारों में व्याप्त थी।
ईपयोग के वलए ऄलग-ऄलग ितों का प्रावधान है। SEZs के वलए भी प्रोत्साहन का प्रावधान
दकया गया है। हस्तविल्प, हथकरघा, पुस्तकों अदद के इ-कॉमसथ को भी MEIS के लाभ प्राप्त
होंगे।
MEIS के ऄंतगथत कृ वष और ग्रामीण ईद्योग के ईत्पादों को ववि भर में क्रमिः 3% और 5% की
व्यावसावयक सेवाओं, रे स्तरां और होटलों को SEIS के तहत 3% ररवॉडथ वस्क्रप्स औरस और ऄन्य ववविष्ट
सीमा िुल्क, ईत्पाद िुल्क और सेवा कर के भुगतान के वलए ड्यूटी क्रेवडट वस्क्रप्स औरस का बहुतायत से
हस्तांतरण और ईपयोग दकया जा सकता है।
वववभन्न लाआसेंसों को जारी करने के वलए ऄंतर-मंत्रालय ववचार-ववमिथ सभा का ऑनलाआन
अयोजन दकया जाएगा।
रक्षा, सैन्य भंडार, ऄंतररक्ष प्रौद्योवगकी और परमाणु उजाथ से संबंवधत वनयाथत वस्तुओं के वलए
कालीकट एयरपोटथ, (के रल) और ऄराकोणम ICDS (तवमलनाडु ) को अयात तथा वनयाथत के वलए
पंजीकृ त बंदरगाहों के रूप में ऄवधसूवचत दकया गया है। साथ ही वविाखापट्टनम और भीमावरम
को वनयाथत ईत्कृ ष्टता के नगरों के रूप में वचवन्हत दकया गया है।
आसके पिात् से, व्यापार घाटे में लगातार कमी अइ है (ऄप्रैल-माचथ 2016-17 में व्यापार घाटा
105.72 वबवलयन ऄमेररकी डॉलर ऄनुमावनत था)। ऐसा पेरोवलयम, तेल एवं लुविकें ट (POL) के
अयात मूल्य में कमी के कारण हुअ जो ऄंतराथष्ट्रीय स्तर पर पेरोवलयम के मूल्यों में वगरावट के
कारण संभव हो सका।
व्यापार घाटे को POL घाटे और गैर POL घाटे में ववभक्त दकया सकता है। POL घाटा (POL
वनयाथत - POL अयात), व्यापार घाटे का एक प्रमुख घटक है। यह 2011-12 से 2013-14 तक
100 वबवलयन ऄमरीकी डालर के लगभग था। 2014-15 में यह घटकर 81.5 वबवलयन ऄमेररकी
डॉलर हो गया और 2015-16 में यह घटकर 52.5 वबवलयन ऄमेररकी डॉलर रह गया।
व्यापार नीवत में वनयाथत को बढ़ावा देने पर फोकस दकया गया है और आस प्रकार व्यापार नीवत,
व्यापार घाटे के स्तर को कम करने का प्रयास करती है। व्यापार घाटे के स्तर में सुधार ने मौजूदा
राजकोषीय वषथ में पूरे भुगतान संतल
ु न पर एक ऄच्छा प्रभाव डाला है और आसे सकारात्मक स्तर
पर बनाये रखा है।
दकसी देि की कं पनी या व्यवक्तयों िारा दूसरे देि में व्यापाररक वहतों के वलए दकया गया वनवेि
होता है। यह वनवेि दूसरे देि में व्यावसावयक पररचालन स्थावपत कर ऄथवा व्यापाररक संपवत्तयों
का ऄवधग्रहण करके दकया जाता है। आसके ऄंतगथत ववदेिी कं पवनयों में स्वावमत्व या वहतों को
वनयंवत्रत करने के वलए दकया गया वनवेि सवम्मवलत होता है।
प्रत्यक्ष ववदेिी वनवेि, पोटथफोवलयो वनवेि (portfolio investments) से ऄलग हैं। आसमेंंं
वनवेिक के वल ववदेि-अधाररत कं पवनयों की आदिटी खरीदता है। प्रत्यक्ष ववदेिी वनवेि की प्रमुख
वविेषता यह है दक यह एक ऐसा वनवेि है, जो दकसी ववदेिी व्यापार के वनणथयों पर प्रभावी
वनयंत्रण, या ऄंितः पयाथप्त प्रभाव स्थावपत करता है।
ऄरबवद मायाराम सवमवत की ऄनुिंसाओं के ऄनुसार स्वीकार की गयी नइ पररभाषा के ऄनुसार,
भारतीय सूचीबद्ध कं पवनयों में 10% या ईससे ऄवधक के ववदेिी वनवेि को FDI माना जाता है।
आसके ऄवतररक्त, एक ऄसूचीबद्ध कं पनी में हुअ ववदेिी वनवेि (वनवेि सीमा के वनरपेक्ष) FDI
माना जाता है।
10.4. MoUs एवं FDI के मध्य ऄं त राल (Gaps between MoUs and FDI)
ववगत वषों में, भारतीय ऄथथव्यवस्था में एक वविाल बाज़ार की ईपवस्थवत के कारण ववदेिी
वनवेिकों िारा आसमें ऄत्यवधक रुवच प्रदर्थित की गयी है। ववदेिी वनवेिकों िारा भारत के साथ
वनवेि के ईद्देश्य से कइ समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर भी दकए गए हैं। हालाँदक,
वववभन्न दोषों के कारण आनमें से कइ MoU, प्रत्यक्ष ववदेिी वनवेि में पररवर्थतत नहीं हुए हैं।
o भारत के इज ऑफ़ डू आंग वबज़नस पररदृश्य पर खराब प्रदिथन के चलते वनवेि के वलए
ऄनुपयुक्त पररवेि का होना।
o सड़क-रे ल संपकथ जैसी सिक्त भौवतक ऄवसंरचना की कमी।
o श्रवमक और ऄनुबंध प्रवतथन कानूनों की ऄत्यवधक जरटल प्रकृ वत।
o कर अतंकवाद (tax terrorism) की धारणा।
o 2009-10 के पिात् ईच्च ववत्तीय घाटा और नीवतगत ईदासीनता (policy paralysis)।
देि में FDI की अवश्यकता को समझते हुए, संघीय स्तर पर प्रत्येक सरकार ने FDI को अकर्थषत
करने के वलए वृवद्धिील सुधारों का अरम्भ एवं दक्रयान्वयन दकया है।
स्वचावलत मागथ (Automatic Route): आस मागथ से दकये जाने वाले वनवेि के ऄंतगथत कें द्र सरकार की
ऄनुमवत की अवश्यकता नहीं होती है।
सरकारी मागथ (Government Route): आस मागथ से दकये जाने वाले वनवेि के ऄंतगथत, ववदेिी वनवेि
संवधथन बोडथ (FIPB) िारा FDI प्रस्तावों पर ववचार दकया जाता है। रक्षा क्षेत्र में 49% से ऄवधक FDI
के वलए रक्षा मामलों की कै वबनेट कमेटी का ऄनुमोदन अवश्यक है। 30 वबवलयन डॉलर से ऄवधक के
वनवेि से जुड़े प्रस्तावों पर अर्थथक मामलों की कै वबनेट कमेटी िारा ववचार दकया जाता है।
FDI नीवत में संिोधन का ईद्देश्य FDI नीवत का ईदारीकरण एवं सरलीकरण करना है तादक देि
में व्यापार करने में सरलता तथा वनवेि, अय एवं रोजगार के ववकास में FDI प्रवाह की मात्रा में
वृवद्ध संभव हो सके ।
PIB के ऄनुसार, कु छ ऄपवादों को छोड़कर िेष ऄवधकांि क्षेत्रों में FDI प्रवाह, स्वचावलत
स्वीकृ वत मागथ के तहत होगा। आन पररवतथनों के साथ, भारत ऄब FDI प्रवाह हेतु ववि की
सवाथवधक खुली ऄथथव्यवस्था बन गयी है।
खाद्य ईत्पाद: भारत में वनर्थमत और/या ईत्पाददत खाद्य ईत्पादों (इ-कॉमसथ सवहत) में व्यापार के
वलए सरकारी मागथ से 100% प्रत्यक्ष ववदेिी वनवेि की ऄनुमवत है।
रक्षा क्षेत्र में 100% तक ववदेिी वनवेि:
स्वचावलत मागथ के ऄंतगथत कं पनी की आदिटी में 49% तक FDI भागीदारी की ऄनुमवत दी जाती
है।
49% से ऄवधक ववदेिी वनवेि को सरकारी मागथ के माध्यम से ऄनुमवत दी गइ है। जहां पर आस
वनवेि से अधुवनक तकनीक तक पहुंच होने की संभावना है या कवतपय ऄन्य कारण वजन्हें
ऄवभलेवखत करना अवश्यक है।
अम्सथ एक्ट 1959 के ऄंतगथत अने वाले छोटे िस्त्रों तथा गोला-बारूद के वववनमाथण पर भी रक्षा
क्षेत्र की FDI सीमा लागू की गयी है।
भारतीय ऄथथव्यवस्था और रक्षा क्षेत्र पर प्रभाव :
o यह 'मेक आन आं वडया' पहल के ऄंतगथत रक्षा वववनमाथण के क्षेत्र में एक महत्त्वपूणथ कदम है।
o यह सुरक्षा बलों के वलए ऄत्याधुवनक प्रौद्योवगदकयों की ईपलब्धता सुवनवित करे गा तथा
भारत में स्थानीय वववनमाथण को बढ़ावा देगा।
फामाथस्यूरटकल या औषवध क्षेत्र (Pharmaceutical): फामाथस्यूरटकल क्षेत्र में पूवव
थ ती FDI नीवत,
ग्रीनफील्ड फामाथ में स्वचावलत मागथ के तहत 100% FDI और िाईनफील्ड फामाथ में सरकारी
मंजरू ी के तहत 100% FDI प्रवाह की मंज़ूरी प्रदान करती है। आस क्षेत्र के ववकास को बढ़ावा देने
के ईद्देश्य से िाईनफील्ड फामाथस्यूरटकल्स में 74% FDI को स्वचावलत मागथ के तहत ऄनुमवत दी
गइ है। 74% से ऄवधक FDI को सरकारी ऄनुमोदन मागथ के माध्यम से ऄनुमवत दी जाएगी।
बसगल िांड रीटेल रेबडग (खुदरा व्यापार): बसगल िांड ररटेल रेबडग के वह ईपक्रम जो 'स्टेट ऑफ़
दी अटथ' प्रौद्योवगकी का प्रयोग करते हुए ईत्पादन करते है, ईन्हें पूवथ सरकारी मंजूरी के साथ
स्थानीय सोर्ससग मानदंडों में तीन वषों तक की छू ट दी गयी है। ऐसे ईपक्रमों के वलए, अईटसोर्ससग
मानदंड व्यवसाय के पहले तीन वषों तक लागू नहीं होंगे। आसके ऄंतगथत ऐसे ईपक्रमों के प्रथम स्टोर
अएंगे जो 'स्टेट ऑफ़ दी अटथ' और 'कटटग एज' प्रौद्योवगकी का प्रयोग करते हुए ईत्पादन करते हैं
तथा जहां स्थानीय सोर्ससग संभव नहीं है। आस तीन वषथ की ऄववध के समापन के पिात् ही सोर्ससग
मानदंड लागू होंगे।
मल्टी िांड ररटेल रेबडग: यह तकथ ददया जाता है दक मल्टी-िांड ररटेल रेबडग में प्रत्यक्ष ववदेिी
वनवेि (FDI) तब तक संभव नहीं हो सकता है जब तक दकसानों और खुदरा ववक्रेताओं को समान
प्रवतयोवगता के ऄवसर हेतु पयाथप्त संसाधन ईपलब्ध नहीं कराए जाते हैं। लास्ट माआल कनेवक्टववटी
की समस्याओं में बैक-एंड आन्रास्रक्चर का ऄभाव, ऄपयाथप्त ऊण तथा दकसानों और व्यापाररयों के
ववत्तीय समावेि जैसी समस्याएँ िावमल हैं। भारत की मौजूदा FDI नीवत, ववदेिी कं पवनयों को
एक भारतीय कं पनी में 51% वहस्सेदारी रखने की ऄनुमवत देती है। हालाँदक यह सरकार की
मंजरू ी के ऄधीन होता है।
इ-कॉमसथ में बसगल िांड ररटेल िारा FDI (इ-कॉमसथ को लोकतंत्रीकृ त वावणयय के रूप में भी जाना
जाता है) ।
भारतीय इ-कॉमसथ कं पवनया जैसे वफ्लपकाटथ और स्नैपडील माके ट मॉडल का ऄनुसरण करती है- जो दक
ऄभी तक ऄपररभावषत है, और भारी ववदेिी वनवेि को अकर्थषत करती है।
बाज़ार स्थल (माके ट प्स औरलेस) मुख्यतः एक मंच के रूप में ग्राहकों और ववक्रेताओं को वमलाने का कायथ
करता है।
यह वडवजटल और आलेक्रॉवनक नेटवकथ पर इ-कॉमसथ कं पनी िारा संचावलत एक सूचना प्रौद्योवगकी मंच
है जो क्रेता एवं ववक्रेता के मध्य एक सुववधाकताथ की भूवमका वनभाता है।
यह समान मुद्रा में मापा गया मुद्रा के ववदेिी और घरे लू मूल्यों का ऄनुपात है।
यदद वास्तववक वववनमय दर एक के बराबर (क्रय िवक्त की समता पर) होती है तो आसका तात्पयथ
है की दो देिों में वस्तुओं को एक ही मुद्रा में मापे जाने पर ईनका मूल्य समान होगा।
वास्तववक वववनमय दर दकसी देि की ऄंतराथष्ट्रीय प्रवतस्पधाथ का द्योतक होता है।
एक वस्थर वववनमय दर प्रणाली में, दकसी देि का कें द्रीय बैंक, साधारणत: एक खुले बाजार तंत्र का
ईपयोग करता है और ऄपनी मुद्रा के वनयंवत्रत ऄनुपात (pegged ratio) को बनाए रखने के वलए एक
वनवित ऄववध में ऄपनी मुद्रा का क्रय या ववक्रय करता है। साथ ही यह वनवित मुद्राओं के सन्दभथ में
ऄपनी मुद्रा के मूल्य को वस्थर बनाये रखता है।
तुलना में एक ऄंतर्थनवहत मूल्यह्रास का पूवाथग्रह है। फलतः 18-19 महीनों से भारत में वनरं तर
वनयाथत का संकुचन हो रहा है।
चीनी युअन का ऄवमूल्यन (Chinese Yuan Devaluation)
2016 में चीनी युअन में 6.0% से ऄवधक की वगरावट दजथ की गयी और 2017 में आसका और भी
ऄवमूल्यन हुअ।
2016 के प्रारं भ में चीन ने युअन का ऄवमूल्यन दकया था। आसका ईद्देश्य चीन के वनयाथत को
बढ़ावा देना था। चीन के ऄवमूल्यन के साथ प्रवतस्पधाथ करने से ऄथथव्यवस्थाओं पर सीधा प्रभाव
पड़ने की ईम्मीद है। संयुक्त रायय ऄमेररका और यूनाआटेड ककगडम के अर्थथक पररवेि में सुधार
अया है, परन्तु यूरोजोन में व्याप्त ऄिांवत और कमजोर वैविक मांग ने ववकास के वनयाथत-ईन्मुख
एवियाइ मॉडल को ऄवस्थर कर ददया है। युअन में हुअ यह ऄवमूल्यन मुद्रा को नुकसान
पहुंचाएगा, जो फलतः वनयाथत के वलए हावनकारक वसद्ध होगा।
पीपुल्स बैंक ऑफ चाआना (PBoC) का ईद्देश्य युअन को बाजार वनधाथररत वववनमय दर में प्रभावी
रूप से स्थानांतररत करना और यह सुवनवित करना है दक बैंक िारा घोवषत कें द्रीय दर, बाजार की
अकांक्षाओ के ऄनुरूप बनी रहे।
भारत और चीन ने अवधकाररक रूप से 1978 में व्यापार का पुनःअरं भ दकया था। 1984 में,
दोनों पक्षों ने मोस्ट फे वडथ नेिन (MFN) समझौते पर हस्ताक्षर दकए। भारत-चीन विपक्षीय
व्यापार का 2000-01 के मात्र 2.9 वबवलयन डॉलर से 2014-15 में 72.3 वबवलयन डॉलर तक
पहुँच गया (वनयाथत:11.9 वबवलयन डॉलर और अयात 60.4 वबवलयन डॉलर)। चीन भारत का
सबसे बड़ा व्यापाररक भागीदार बन चुका है। कमजोर वनयाथत और बढ़ते अयात के कारण चीन के
साथ भारत का व्यापाररक घाटा 2014-15 में करीब 50 डॉलर रहा।
युअन के ऄवमूल्यन के कारण चीनी वनयाथत पर कोइ महत्वपूणथ प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंदक मुद्रा
ऄभी भी ऄत्यवधक ऄवधमुवल्यत है। आसके ऄवतररक्त, युअन में वगरावट के चलते ऄमेररकी डॉलर के
सन्दभथ में भारतीय रुपये को भी कु छ मूल्य हावन ईठानी पड़ सकती है। हालाँदक आसका भारत पर
एक ऄल्पकावलक प्रभाव ही पड़ेगा।
यदद मुद्रा का यह समायोजन जारी रहता है, तो J-कवथ के ऄनुसार चीनी वनयाथत में वृवद्ध तभी ही
होगी जब वे और ऄवधक प्रवतस्पधी बन जायेंगे। आसका भारतीय वनयाथत पर नकारात्मक प्रभाव
पड़ेगा। आसके ऄवतररक्त, भारत में चीनी वस्तुओं का प्रवाह होगा, पररणामस्वरूप चीन के साथ
पहले से बढ़ता व्यापार घाटा और ऄवधक हो जायेगा।
भारत से चीन को वनयाथवतत प्रमुख वस्तुओं में कपास, तांबा और खवनज ईंधन अदद में प्राथवमक
वस्तुएँ सवम्मवलत होती है, जो कु ल वनयाथत का 45% से ऄवधक भाग है। साथ ही चीन से भारत को
अयावतत प्रमुख वस्तुओं मे ववद्युत मिीनरी और परमाणु ईपकरण (कु ल अयात का 45%)
सवम्मवलत है।
चीनी वस्तुओं की कीमतों में कमी, चीन िारा भारत में डंबपग की समस्या को भी बढ़ा सकती है।
टायर वनमाथताओं, स्टील ईद्योग, काबथवनक रसायन और पेरोके वमकल्स ईद्योग पहले से ही चीन
िारा बढ़ते डंबपग मामलों के कारण संकट का सामना कर रहे हैं। युअन का मुद्रा ऄवमूल्यन चीन के
वनयाथत को और प्रोत्सावहत करता है।
ग्रीन मसाला बांड (Green Masala Bond): आस प्रकार के मसाला बांड, ग्रीन आं रास्रक्चर के
वनमाथण में वनवेि हेतु जारी दकये जाते है।
ईदाहरणत:
o 2015 में आं टरनेिनल फाआनेंस कॉरपोरे िन (IFC) ने भारत में बुवनयादी ढांचा पररयोजनाओं
के वलए 1,000 करोड़ रुपये के बांड जारी दकए थे। ये बांड लंदन स्टॉक एक्सचेंज (LSE) में
सूचीबद्ध थे।
o 2016 में, ऊणदाता ईपक्रम (Mortgage lender) हाईबसग डेवलपमेंट फाआनेंस कॉपथ
(HDFC) ने मसाला बांड जारी करके 3,000 करोड़ रुपये जुटाए थे।
मसाला बांड के लाभ:
o कं पवनयों को रुपये के मूल्यह्रास के बारे में बचता करने की अवश्यकता नहीं होती है।
o मसाला बांड, कॉपोरे ट बैलस
ें िीट्स को वववनमय दर के जोवखमों से बचाने में मदद करते हैं।
हालाँदक आनको जारी करने तथा प्रयोग करने में संतल
ु न बनाये रखना चावहए।
o मसाला बांड, रुपए तथा ब्याज दरों एवं संपूणथ ऄथथव्यवस्था को प्रभाववत करने की क्षमता
रखता है।
14. भारत का बाह्य ऊण (Indian External Debt)
(a) बाह्य वावणवययक ईधार (External Commercial Borrowing)
बाह्य वावणवययक ईधार (ECB) से तात्पयथ गैर-वनवासी ईधारदाताओं से प्राप्त व्यावसावयक ऊणों
से है तथा वजनकी औसत पररपिता ऄववध न्यूनतम 3 वषथ की होती है।
ECB के ऄंतगथत बैंक ऊण, क्रेता क्रेवडट, अपूर्थतकताथ क्रेवडट एवं प्रवतभूवतकृ त (वसक्योररटी) ईत्पाद
अते हैं (जैसे फ्लोटटग रे ट नोट्स और दफक्स्ड दर बॉन्ड)।
ECB को दो मागों के तहत प्राप्त दकया जा सकता है: स्वचावलत मागथ और ऄनुमोदन मागथ।
ऄनुमोददत मागथ के ऄंतगथत, ऊण लेने से पहले सरकार की स्पष्ट ऄनुमवत की अवश्यकता होती है।
यह वनयाथत और अयात जैसे ववविष्ट क्षेत्रों के वलए अवश्यक है।
ECB और FDI एक दूसरे से वभन्न होते है। जहाँ FDI, ववत्तीय आदिटी पूज
ं ी में वनवेवित ववदेिी
पूंजी है, वहीं, ECB आदिटी के ऄवतररक्त दकसी भी ऄन्य प्रकार की पूंजी हो सकती है।
ECB भारत के बाह्य ऊण का सबसे बड़े घटक तथा आसका सबसे महत्वपूणथ वनधाथरक है।
भारतीय वववध अयोग ने मॉडल भारतीय विपक्षीय संवध के मसौदे पर ऄपनी 26वीं ररपोटथ में
वनवेिकों के ऄवधकारों और रायय के ऄवधकारों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास दकया है।
नया भारतीय मॉडल BIT, भारत में ववदेिी वनवेिकों और ववदेिो में भारतीय वनवेिकों को
ईवचत सुरक्षा प्रदान करे गा।
आसके ऄंतगथत वनवेि की पररसंपवत्त अधाररत पररभाषा, ईवचत प्रदक्रया के माध्यम से गैर-
भेदभावपूणथ व्यवहार, नेिनल रीटमेंट, सम्पवत्तहरण के ववरुद्ध सुरक्षा, वनवेिक रायय वववाद
वनपटान (Investor State Dispute Settlement; ISDS) प्रावधान वजसमेंंं वनवेिकों को
ऄंतराथष्ट्रीय मध्यस्थता िुरू करने से पहले सभी स्थानीय ईपायों का ईपयोग करने की अवश्यकता
तथा ऄके ले ररब्यूनल िारा मौदद्रक मुअवजा देने की िवक्त को सीवमत करना, वनवहत है।
BIT दो देिों के मध्य की गइ एक संवध है। यह संवध दूसरे रायय में वनवेि करने वाले पारस्पररक वनवेिकों
को अधारभूत सुरक्षा प्रदान करती है। ईदाहरण के वलए, ऐसी संवधयों में वनवेिकों को "वनरपक्ष और
न्यायसंगत ईपचार" की गारं टी प्रदान की जाती हैं। यह संवध, समानता का ऄवधकार प्रदान करने के साथ
ही रायय िारा की जाने वाली एकपक्षीय कारथ वाइ के ववरुद्ध सुरक्षा भी प्रदान करती है।
सरकार के वववनयामक ऄवधकार को सुरवक्षत रखने हेतु आस मॉडल में सरकारी खरीद, कराधान,
सवब्सडी, ऄवनवायथ लाआसेंस और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मामलों को सवम्मवलत नहीं दकया गया है।
हाल ही में भारत ने नीदरलैंड के साथ ऄपने विपक्षीय वनवेि संवध (BIT) को ऄपनी ओर से समाप्त
कर ददया है और 20 EU सदस्य देिों को ईनसे संबंवधत BIT को समाप्त करने के वलए नोरटस
जारी कर ददए हैं।
BIT सभी मामलों में गैर-भेदभाव को अिस्त करके वनवेिकों के वविास को बढ़ा देता है और
सबको सामान ऄवसर प्रदान करने का अिासन देता हैl यह मध्यस्थता िारा वववाद वनपटान के
वलए एक स्वतंत्र मंच प्रदान करती है।
BIT भारत को एक पसंदीदा ववदेिी प्रत्यक्ष वनवेि (FDI) गंतव्य के रूप में प्रस्तुत करने के साथ-
साथ बाहर जा रहे भारतीय FDI की रक्षा में मदद करती हैl
BIT का औवचत्य?
2011 में भारत को व्हाआट आं डस्रीज के मामले (White Industries case) में BIT से ईत्पन्न
होने वाले पहले प्रवतकू ल मध्यस्थता वनणथय का सामना करना पड़ा था। व्हाआट आं डस्रीज एक
ऑस्रेवलयाइ कं पनी है। यह कं पनी कोल आं वडया वलवमटेड के ववरुद्ध वववाद में सफल रही थी।
व्हाआट आं डस्रीज के तकथ के ऄनुसार आसे ऄपने वनवेि के संबंध में ऄवधकारों को लागू करने के
"प्रभावी ईपायों" से वंवचत कर ददया गया था वजन्हें भारत-ऑस्रेवलया BIT के MFN खंड के
ऄंतगथत सुरक्षा प्राप्त थी।
िारा वोडाफोन के पक्ष में वनणथय ददया गया तथा टेलीनॉर, वजसका वनवेि भारत के 2G लाआसेंस
में था, सवोच्च न्यायालय के अदेि के ऄनुसार रद्द कर ददया गया था।
BIT पर वववध अयोग की वसफाररिें:
मॉडल ड्राफ्ट में सामान्य ऄपवादों के साथ स्वीकायथ ईद्देश्यों जैसे सावथजवनक स्वास्थ्य, पयाथवरण,
सावथजवनक व्यवस्था, सावथजवनक नैवतकता, कायथिील पररवस्थवतयों में सुधार, ववत्तीय प्रणाली,
बैंकों और ववत्तीय संस्थानों अदद की वस्थरता सुवनवित करना िावमल है। साथ ही यह भी
प्रावधान दकया गया है दक वे ईपाय जो रायय के ऄनुसार ईपयुथक्त ईद्देश्यों को प्रोत्सावहत करते हैं,
वे ईपाय मध्यस्थ न्यायावधकरण के ऄधीन नहीं अएंगे।
भारत ने CMLV देिों में वनवेि के ईद्देश्य से भारतीय कं पवनयों की सहायता हेतु लगभग 75
समझौतों के चलते चीन, यूरोपीय संघ तथा ऄन्य देिो के बाजार तक पहुँच स्थावपत करने हेतु एक
प्रवेि िार प्रदान करते हैं।
भारत सरकार के अंकड़ों के ऄनुसार, 2004 में CMLV देिों के साथ भारत का कु ल व्यापार
वपछले दिक की तुलना में दस गुना बढ़ गया है। यह व्यापार 2004 के 1.1 वबवलयन डॉलर से
बढ़कर 2014 में 11.9 वबवलयन डॉलर हो गया। राइ-लेटरल राजमागथ, पूवोत्तर भारत में बढ़ती
कनेवक्टववटी, बंदरगाह कनेवक्टववटी सुधार और एक्ट इस्ट नीवत आस ददिा ईठाये गए कु छ साथथक
कदम है।
भारत और CMLV देिों के बीच व्यापार संबंधों को और ऄवधक मजबूत दकया जाना चावहए
तादक क्षेत्रीय मूल्य श्रृंखलाओं के साथ कनेवक्टववटी एवं अर्थथक एकीकरण में सुधार हो सके ।
व्यापक सहमवत के ऄभाव के कारण ववि व्यापार संगठन (WTO) के ऄंतगथत बहुपक्षीय व्यापार
वाताथ, ऄत्यंत ही धीमी गवत से बढ़ रही है। वहीं दूसरी ओर क्षेत्रीय व्यापार समझौतों (regional
trade agreements; RTA) का महत्व एवं ऄंतराथष्ट्रीय व्यापार में ईनका योगदान धीरे -धीरे
बढ़ता जा रहा है।
यद्यवप RTA व्यापक रूप से ववि व्यापार संगठन के वनयमों के ऄनुरूप हैं और WTO की प्रदक्रया
का समथथन करते हैं, दफर भी वे गैर-सदस्यों के ववरुद्ध भेदभावपूणथ प्रकृ वत के हैं और वनम्न ईत्पादन
लागत वाले गैर-सदस्यीय देिों को तुलनात्मक रूप से हावन पहुँचाने के कारण कारगर भी नहीं हैं।
एक ओर जहाँ विपक्षीय RTA के ऄंतगथत समान व्यवहार की पयाथप्त संभावना हैं, वही ँ दूसरी ओर
वृहद-क्षेत्रीय व्यापार समूह सदैव समान व्यवहार के ववचार का ऄनुसरण नहीं कर पाते हैं,
वविेषकर तब जब आनमें छोटे देिों की भागीदारी हो। छोटे देिों का सदस्य होना और न होना -
दोनों ही वस्थवतयाँ ईनके वलए हावनकारक वसद्ध होती हैं। यदद छोटे देि सदस्य हैं तो वे ऄवधक
प्रभाव नहीं रखते और यदद वे सदस्य नहीं हैं, तो ईनकी हावन स्वाभाववक है।
भारत ने सदैव एक खुली, न्यायसंगत, पूवाथनम
ु ावनत, गैर-भेदभावपूणथ और वनयम-अधाररत
ऄंतराथष्ट्रीय व्यापार प्रणाली का समथथन दकया है। भारत RTA को व्यापार ईदारीकरण के
महत्वपूणथ अधार के साथ-साथ WTO के बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के पूरक के रूप में देखता है।
क्षेत्रीय और ववषयगत बहुपक्षीय समझौते व्यापार प्रवाह को नयी धारा प्रदान कर रहे हैं, जो
ईभरती हुइ ऄथथव्यवस्थाओं की प्रगवत के वलए हावनकारक वसद्ध हो रहे हैं। औद्योवगक देि, WTO
के नेतृत्व में हो रहे व्यापार ईदारीकरण के ववरुद्ध तेजी से अवाज ईठा रहे हैं। आन समझौतों ने
WTO के महत्व को कम कर ददया है।
रांस-पैवसदफक साझेदारी: रांस-पैवसदफक साझेदारी (TPP) समझौता एक नया वृहद-क्षेत्रीय समूह
है वजससे भारत भी गंभीर रूप से प्रभाववत हो सकता है।
12 प्रिांत महासागरीय देिों (ऑस्रेवलया, िुनइ
े , कनाडा, वचली, जापान, मलेविया, मैवक्सको,
न्यूजीलैंड, पेरू, बसगापुर, ऄमेररका और ववयतनाम) ने 5 ऄक्टू बर 2015 को TPP समझौते पर
हस्ताक्षर दकए। यह वस्तु एवं सेवा व्यापार के वलए ईच्च मानकों को तय करता है। यह एक वविाल
क्षेत्रीय FTA के समान है जो कइ मायनों में एक ऄग्रणी ईदाहरण बन सकता है। TPP, ववि
ऄथथव्यवस्था तथा वैविक व्यापार के वलए एक क्रांवतकारी कदम हो सकता है। हालाँदक ऄमेररका ने
स्वयं को रांस-पैवसदफक साझेदारी से ऄलग कर वलया है।
TPP व्यापार समझौता बहुत व्यापक है। आसके ऄंतगथत टैररफ समाप्त करने वाले वृहद क्षेत्रीय
व्यापार समझौते सवम्मवलत है तथा साथ ही यह ऄंतराथष्ट्रीय व्यापार के वलए ईच्च मानक भी
स्थावपत करता है। आस ईद्देश्य की पूर्थत नॉन रैररफ बाधाओं के वलए कम बेंचमाकथ , ऄवधक कड़े श्रम
और पयाथवरण कानून, बौवद्धक संपवत्त के ऄवधकार (IPR) की ऄवधक सुरक्षा, सरकारी क्रय में
ऄवधक पारदर्थिता और सरकारी स्वावमत्व वाले ईद्यमों (SOE) और स्वास्थ्य प्रौद्योवगकी,
प्रवतस्पधाथ तथा अपूर्थत श्रृंखला में पारदर्थिता को सुवनवित करके की जाएगी।
आसमें नए और ईभरते हुए व्यापाररक मुद्दों, आं टरनेट तथा वडवजटल ऄथथव्यवस्था जैसी क्रॉस-कटटग
समस्याओं को िावमल दकया गया है।
ऄल्पाववध में, भले ही TPP का प्रभाव, भारतीय व्यापार पर गंभीर रूप से प्रवतकू ल न हो, परन्तु
लंबे समय की चुनौवतयों के सापेक्ष स्वयं के ऄनुकूलन के वलए गहन ववश्लेषण की अवश्यकता है।
WTO की व्यापार वाताथओं (बहुपक्षीय व्यापार वाताथ सवहत) में भारत ने सदैव देि और ईसके दकसानों के
वहतों की रक्षा के वलए एक ऄटल रवैया ऄपनाया है।
WTO व्यापार वाताथ के दोहा दौर का ऄवधदेि वनयाथत सवब्सडी को कम करते हुए कालांतर में आसके सभी
रूपों को समाप्त करना था।
WTO के ईरुग्वे दौर में दकये गए कृ वष पर समझौते (AoA) के ऄंतगथत ईन सदस्यों को वनयाथत सवब्सडी
का ईपयोग करने की ऄनुमवत है जो अधार वषथ 1986-88 के दौरान ईनका ईपयोग करते थे।
आस प्रकार ऄमेररका और ऄन्य ववकवसत देि, यूरोपीय संघ अदद कृ वष पर समझौते (Aggrement on
व्यापार ईदारीकरण में बढ़ते क्षेत्रवाद के बावजूद, WTO एकमात्र ऐसा मंच है जहां प्रत्येक देि
एक-दूसरे से वाताथलाप कर सकता है।
हालांदक संरक्षणवाद, वविव्यापी रूप से ववखंवडत समझौतों और ऄनुबंध ऄथथव्यवस्था
(contracting economy) के पररवेि में बढ़ने के वलए बाध्य था, परन्तु ऐसी पररवस्थवतयों में
हाल ही में, WTO के तत्वावधान में हस्ताक्षररत, व्यापार सुववधा ऄनुबंध (TFA) लागू दकया
गया। यह समझौता देिो की सीमाओं के अर-पार वस्तुओं के अवागमन को असान करने का
प्रयास करता है।
आसके ऄवतररक्त, भारत सवहत WTO के कु छ सदस्य देिों िारा सेवाओं में व्यापार सुववधा समझौते
को लागू करवाने का प्रयास दकया जा रहा है।
व्यापार सुववधा समझौता (रेड फै वसवलटेिन ऄग्रीमेंट: TFA)
WTO की बाली मंवत्रमंडलीय सम्मेलन (2013) में व्यापार सुववधा समझौता (TFA) संबंधी चचाथ
वनरकषथ पर पहुँची तथा 22 फरवरी 2017 को WTO के दो-वतहाइ सदस्यों के ऄनुमोदन िारा आसे
लागू दकया गया।
आस समझौते का ईद्देश्य वस्तुओं के अवागमन, वनस्तारण और वनकासी को सभी सीमाओं में
असान बनाना है।
यह वनयाथत, अयात और अयात प्रदक्रयाओं को सरल, अधुवनक बनाने तथा ईनमें परस्पर
सामंजस्य स्थावपत करने का प्रयास करता है। यह ऄवधकाररक ववलंब और रे ड टेपीज़्म
(लालफीतािाही) को कम करता है। यह कस्टम और ऄन्य ऄवधकाररयों के मध्य व्यापार सुववधा
तथा सीमा िुल्क ऄनुपालन के मुद्दों के बीच प्रभावी सहयोग के ईपायों को भी वनधाथररत करता है।
आसके ऄवतररक्त यह तकनीकी सहायता और क्षमता वनमाथण के प्रावधानों को भी समावहत करता
है।
वववभन्न ऄनुमानों के ऄनुसार TFA का पूणथ दक्रयान्वयन व्यापाररक लागत को 14.3% की औसत
से कम कर सकता है और वैविक व्यापार को प्रवत वषथ 1 ररवलयन तक बढ़ा सकता है। आसका सबसे
ऄवधक लाभ वनधथन देिों को होगा।
भारत के वलए TFA के लाभ :
15.5. भारत के वलए महत्वपू णथ और प्रासं वगक ऄं त राथ ष्ट्रीय व्यापार समझौते
ऄंतराथष्ट्रीय व्यवस्था बदल रही है और आसे नइ चुनौवतयों का सामना करना पड़ रहा है। िेवक्जट
और ऄमेररकी चुनावों का प्रभाव, ऄलगाववाद और देिीयता की ददिा में महत्वपूणथ प्रसंग बन
सकते हैं। हालांदक ये प्रभाव ऄभी भी ऄवनवित हैं।
ववि युद्ध के बाद वस्तुओं, सेवाओं, श्रम तथा बाजार-अधाररत अर्थथक व्यवस्था के वैिीकरण के
पक्ष में बनी सवथसम्मत राय, वतथमान समय की ईन्नत ऄथथव्यवस्थाओं के युग में संकट में है।
हाल के ईदाहरणों से यह स्पष्ट है जैसे- ऄमेररका िारा TTP को रद्द करना, पेिेवर व्यवक्तयों के
गमनागमन (ऄमेररका िारा H1B वीजा, ऑस्रेवलया िारा वीजा 457) पर प्रवतबंध।
भारत के वलए बचताएँ :
भारत में "कनवजेन्स" देर से हुअ है- यह एक ऐसी ऄथथव्यवस्था है जहाँ जीवन स्तर ववि के ऄन्य
देिों की तुलना में बहुत वनम्न है। आस वस्थवत में ऐसी घटनाओ का भारत के वलए ऄत्यवधक महत्व
है।
8-10 प्रवतित की ववकास दर प्राप्त करने के वलए भारत को 15-20 प्रवतित की वनयाथत वृवद्ध की
अवश्यकता है। परं त,ु भारत के व्यापाररक भागीदारों की ओर से मुक्त व्यापार में कटौती आस
महत्वाकांक्षा को ववपदा में डाल सकता है।
वैविक स्तर पर श्रवमक गमनागमन पर लगे प्रवतबंधों से प्रेवषत धन (रे वमटेंस) में कमी अएगी,
भारतीय IT ईद्योग को नुकसान होगा और भारत में रोजगार प्रदान करने की चुनौती बढ़ेगी।
भारत को क्या करना चावहए?
मुक्त व्यापार समझौता: भारत को MERCOSUR जैसे क्षेत्रीय व्यापाररक संगठनों के साथ मुक्त
व्यापार समझौते को सदक्रय रूप से अगे बढ़ाना चावहए।
IT क्षेत्र: आस क्षेत्र में मूल्य श्रृंखला को अगे बढ़ाना चावहए और वीज़ा-स्वतंत्र-ग्लोबल वडवलवरी
वसस्टम को ववकवसत करना चावहए।
वववनमाथण क्षेत्र: रोज़गार गहन क्षेत्रों को भारत में ववस्ताररत करने की अवश्यकता है।
भारत को WTO के भीतर सेवाओं में व्यापार सुववधा को सदक्रय रूप से अगे बढ़ाने की
अवश्यकता है।
3. सड़क पररवहन_______________________________________________________________________________ 5
4. रे लवे_____________________________________________________________________________________ 22
ववश्व में महसूस की गयी है। हालांकक भारत 'ऄवसंरचना ऄवभशाप' (Infrastructure Curse) से
ग्रस्त नहीं है। यह प्रायः तब देखा जाता है जब बुवनयादी सुववधाओं का ववकास ईनकी अवश्यकता
से पूवथ हो जाता है।
ईदाहरण के वलए सड़कों के वनमाथण से यह तात्पयथ नहीं है कक वावणज्य गवतवववधयों का ववकास भी
ईसके साथ ही होगा। कु छ ऄफ्रीकी देशों में जहााँ सहायक एजेंवसयां और सरकारें सड़कों और
बंदरगाहों के वनमाथण पर धन तो खचथ करती है, परन्तु आस तथ्य को भूल जाती हैं कक मात्र
ऄवसंरचना वनमाथण से ही स्वत: ववकास तीव्र नहीं होगा, बवकक आसके वलए मांग सृवजत करना और
ईसमें वृवि करना भी एक महत्वपूणथ घटक है। यह वबककु ल ईसी तरह है जैसा कक एक घोड़ा-गाड़ी
में घोड़े के पहले गाड़ी लगाना। सौभाग्यवश भारत में जो भी ववकास हुअ है, ईस बुवनयादी ढांचे
के वनमाथण हेतु सामान्य जनता द्वारा ईत्पन्न मााँग को भी ध्यान में रखा गया है।
वववभन्न अयामों पर बुवनयादी ढांचे में सुधार और ववस्तार की जरूरत पर अम सहमवत को देखते
हुए, वववभन्न सरकारों के समक्ष वतथमान में यह चुनौती है कक वे आसे 'कै से प्रबंवधत और ववतररत'
करते हैं। दूरसंचार क्षेत्र वजसे एक ऄपवाद के रूप में वलया जा सकता है। वववभन्न क्षेत्रों में बुवनयादी
सुववधाओं में वृवि के वलए सावथजवनक क्षेत्र को अगे अना होगा तथा आसके साथ ही साथ
सावथजवनक-वनजी भागीदारी के माध्यम से वनजी क्षेत्र की भागीदरी को भी सुवनवित करना होगा।
तथा बाजार के अकार को बढ़ाने में सहायता प्रदान करता है। साथ ही यह अपूर्थत की लोच और
ईत्पादन के कारकों की दक्षता में भी वृवि करता है। आस प्रकार बुवनयादी सुववधाओं की पयाथप्त
ईपलब्धता, गुणवत्ता और ववश्वसनीयता ककसी भी ऄथथव्यवस्था के ववकास के वलए महत्वपूणथ हैं।
ईदाहरण के वलए- कृ वष का ववकास प्रायः लसचाइ, ववद्युत् अपूर्थत, पररवहन, ववपणन, वशक्षा और
प्रवशक्षण, ऄनुसंधान और ववकास तथा ऄन्य सुववधाओं अकद ऄवसंरचना के ववकास पर वनभथर
करता है।
औद्योवगक ववकास: यह घटक भी एक सुदढ़ृ बुवनयादी ढांचे पर वनभथर करता है।
रोजगार सृजन: ऄवसंरचना का ववकास रोजगार सृजन में एक महत्वपूणथ भूवमका का वनवाथह करता
है। आससे गवतशीलता, ईत्पादकता और श्रम की क्षमता तथा दक्षता में सुधार होता है।
व्यापार और वावणज्य: व्यापार और वावणज्य के ववकास में मजबूत एवं सुदढ़ृ ऄवसंरचना एक
महत्वपूणथ भूवमका वनभाती है। वस्तुतः यह व्यापार की गवत को तीव्र करने तथा ऄन्य व्यावसावयक
गवतवववधयों के ववस्तार हेतु एक मंच के रूप में कायथ करता है।
3. सड़क पररवहन
देश के अर्थथक ववकास के वलए सड़क पररवहन एक महत्वपूणथ बुवनयादी ढांचा है । यह ववकास की
गवत, संरचना और तरीकों को प्रभाववत करता है। सड़क पररवहन एवं राजमागथ मंत्रालय, राष्ट्रीय
राजमागों का वनमाथण तथा रखरखाव करता है।
मोटर वाहन ऄवधवनयम 1988; कें द्रीय मोटर वाहन वनयम 1989; राष्ट्रीय राजमागथ ऄवधवनयम
1956 और राष्ट्रीय राजमागथ शुकक (दरों का वनधाथरण और संग्रह) वनयम 2008; सड़क पररवहन,
पयाथवरण संबंधी मुद्दों, ऑटोमोरटव मानकों अकद से संबंधी नीवत वनमाथण का कायथ करते है। आसके
ऄवतररक्त यह पड़ोसी देशों में वाहनों की अवाजाही के आं तजाम भी करता है । पररवहन (यात्री
राष्ट्रीय राजमागथ, जो कें द्र सरकार के ऄंतगथत अते हैं, कु ल सड़क नेटवकथ का 1.7% भाग है, हालांकक देश
चौड़ाइ के मामले में राष्ट्रीय राजमागों का प्रवतशत वनम्नानुसार है (31 माचथ, 2015 को):
देश में सड़को के ववकास के वलये 7 चरणों में कक्रयावन्वत की गयी राष्ट्रीय राजमागथ ववकास
पररयोजना (NHDP) से अशातीत प्रगवत हुइ है। आसके ऄंतगथत राष्ट्रीय राजमागथ प्रावधकरण
(NHAI) को राष्ट्रीय राज्यमागथ तथा PMGSY (प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना) के ववकास का
व़िम्मा सौंपा गया। NHDP का ईद्देश्य राष्ट्रीय राजमागों के ईच्च घनत्व के गवलयारों की मरम्मत
करना और ईनको चौड़ा करना है। दूसरी ओर PMGSY को ग्रामीण क्षेत्रों में कनेवटटववटी में
सुधार हेतु वड़िाआन ककया गया था।
भारत में सड़क ऄवसंरचना के ववकास में वनजी क्षेत्र एक प्रमुख भागीदार के रूप में ईभरे हैं। बढ़ती
औद्योवगक गवतवववधयों के साथ दोपवहया और चौपवहया वाहनों की संख्या में वृवि ने सड़क
पररवहन के ऄवसंरचना पररयोजनाओं में वृवि को प्रोत्सावहत ककया है। वनजी क्षेत्र की भागीदारी
में वृवि की सरकारी नीवत ऄवसंरचना क्षेत्र के वलए एक वरदान वसि हुइ है। बड़ी संख्या में वनजी
क्षेत्र PPP मॉडल के माध्यम से आस व्यवसाय में प्रवेश कर रहा है।
सरकार द्वारा सड़क क्षेत्र में 100 प्रवतशत ववदेशी प्रत्यक्ष वनवेश (FDI) की ऄनुमवत के साथ कइ
ववदेशी कं पवनयों ने भारतीय कं पवनयों के साथ साझेदारी की है ताकक आस क्षेत्र में हो रही संवृवि
का लाभ ईिाया जा सके ।
2017 में भारत में पररवहन ऄवसंरचना क्षेत्र लगभग 6.1 % की वास्तववक दर से बढ़ी है तथा
आसके 2021 तक 5.9 % की संयोवजत वार्थषक वृवि दर (CGAR) से बढ़ने की अशा है। आस तरह
यह क्षेत्र देश के ऄवसंरचना क्षेत्र का सबसे तेजी से बढ़ने वाला घटक बन कर ईभरे गा।
राजमागों का वनमाथण ववत्तीय वषथ 2016-17 के दौरान 8142 ककमी तक पहुंच गया। वजसमें प्रवत
कदन 22.3 ककलोमीटर की एक ईच्चतम औसत वनमाथण गवत के साथ वनमाथण ककया गया। ववत्तीय
वषथ 2017-18 के पहले दो महीनों में प्रवत कदन 26.3 ककमी की औसत से 1,627 ककमी. राजमागथ
वनर्थमत ककया गया।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत 2016-17 में प्रवत कदन 133 ककमी के औसत
वनमाथण गवत से सड़कों का वनमाथण ककया गया जबकक यह 2011-14 की ऄववध में 73 ककमी के
लगभग थी।
वतथमान में सरकार की नीवत का ईद्देश्य सड़क तथा वशलपग क्षेत्र में कॉपोरे ट वनवेश को बढ़ावा देना
है। साथ ही साथ आसका ईद्देश्य व्यापार ऄनुकूल रणनीवतयों का समायोजन करना भी है वजससे
प्रभावी पररयोजना वनष्पादन और लाभप्रदता के बीच संतल
ु न स्थावपत हो सके ।
भारतीय सड़क क्षेत्र में कु छ प्रमुख वनवेश और ववकास आस प्रकार हैं:
NHAI के ऄधीन कायथरत नेशनल ग्रीन राजमागथ वमशन (NGHM) के 'ऄडॉप्ट ए ग्रीन हाइवे'
कायथक्रम के ऄंतगथत पावर फाआनेंस कॉरपोरे शन वलवमटेड (PFC) ने नागपुर क्षेत्र में NH 7 पर
वृक्षारोपण कायथ पूरा ककया।
भारतीय प्रौद्योवगकी संस्थान (IIT-खड़गपुर) और NHAI ने भारत में रखरखाव मुक्त राजमागथ
राष्ट्रीय राजमागथ प्रावधकरण (NHAI) के ऄध्यक्ष के ऄनुसार NHAI द्वारा ऄगले 5 से 6 वषों में
लगभग 50,000 ककमी सड़क वनमाथण के वलए 240 सड़क पररयोजनाओं में लगभग 250 ऄरब
डॉलर का वनवेश ककया जायेगा।
भारतीय राष्ट्रीय राजमागथ प्रावधकरण (NHAI) ने भारतीय ऄंतररक्ष ऄनुसंधान संगिन (ISRO) के
तहत राष्ट्रीय ररमोट सेंलसग सेंटर (NRSC) और ईत्तर-पूवथ प्रौद्योवगकी ऄनुप्रयोग और ऄनुसंधान
(NECTAR) के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर ककए हैं। आनसे प्राप्त स्थावनक डाटा
जैसे कक ईपग्रह डेटा का ईपयोग राजमागों की वनगरानी और प्रबंधन में ककया जाएगा।
भारतमाला पररयोजना में ऄन्य बातों के साथ-साथ गवलयारों, सीमा सड़कों, तटीय और बंदरगाह
सम्बन्धी सड़कों का ववकास भी शावमल है। आन राजमागो का वनमाथण PPP पैटनथ जैसे वबकड-
ऑपरे ट-ट्रांसफर-टोल (BOT-Toll) और हाआविड एन्युटी मॉडल (HAM) के साथ ही आंजीवनयररग,
प्रोटयोरमेंट एंड कं स्ट्रटशन (EPC) मॉडल के तहत भी वनमाथण ककया जाना है।
सड़क पररवहन और राजमागथ मंत्रालय ने वडवजटलीकरण प्रकक्रया के तहत एक ऑनलाआन
अधाररत नागररक के वन्द्रत एप्लीके शन की शुरुअत की है। वजसका नाम वाहन 4.0 और सारथी
4.0 रखा गया है । यह भ्रष्टाचार पर ऄंकुश लगाने के साथ-साथ ऄन्य प्रकक्रयाओं को भी असान
बनाएगा।
2016-17 में राष्ट्रीय राजमागों के वलए वनधाथररत लक्ष्य 15,000 ककमी में से फरवरी 2017 के ऄंत तक
कु ल 6604 ककमी वनर्थमत ककया जा चुका है। हाल ही में हुए कु छ नवीनतम ववकास कायथ आस प्रकार हैं:
भारत सरकार सावथजवनक वनजी भागीदारी (PPP) ऄनुबंधों के पुनर्थवचार पर एक नए रूपरे खा
पेश करने की योजना बना रही है, जो ववशेषकर राष्ट्रीय राजमागों और बंदरगाहों के वलए क्षेत्र
वववशष्ट मुद्दों पर अधाररत पुनर्थवचार की ऄनुमवत प्रदान करे गा और आसमें सवम्मवलत दलों को
ऄवधक लचीलापन प्रदान करे गा।
सड़क पररवहन और राजमागथ मंत्रालय सम्पूणथ देश में भूवम ऄवधग्रहण सेल स्थावपत करने की
योजना बना रहा है, जो भूवम ऄवधग्रहण से संबंवधत मुद्दों को हल करने की कदशा में काम करे गा
और राज्य सरकारों द्वारा मुअवजे के शीघ्र संववतरण को सुवनवित करे गा।
सड़क पररवहन और राजमागथ मंत्रालय की देश भर में पांच नए ग्रीनफीकड एटसप्रेस बनाने की
योजना है। आससे यात्रा में लगने वाले समय में कमी और अर्थथक ववकास को प्रेररत करने में
सहायक वमलेगी।
अर्थथक मामलों की मंवत्रमंडल सवमवत (CCEA) ने राजमागथ पररयोजनाओं को लागू करने के वलए
एक नवोन्मेषी मॉडल, हाआविड एन्युटी मॉडल को स्वीकृ वत प्रदान की है। जो सरकार और वनजी
डेवलपर के बीच जोवखमों के अवंटन के वलए एक ऄवधक तकथ संगत दृवष्टकोण को ऄपनाता है तथा
आससे भारतीय राजमागथ पररयोजनाओं को पुनजीववत करने की ईम्मीद की जा रही है।
सड़क और राजमागथ मंत्रालय वतथमान में सड़क क्षेत्र में वनजी वनवेश को पुनजीववत करने के ईद्देश्य
से पूंजी को अकर्थषत करने हेतु दो और मॉडल पर काम कर रहा है। एक मॉडल कम से कम वतथमान
मूकय के अधार पर सड़क पररयोजना की बोली लगाने की आजाजत देता है, तो दूसरा सरकारी
फं डों के प्रयोग से पूणथ की गयी सड़क वनमाथण पररयोजनाओं के ववक्रय की पररककपना करता है।
ऄवधक वनवेश जुटाने के वलए मसाला बांड पर टैटस में छू ट का प्रावधान कदया गया है।
सड़क सुरक्षा के मामले में नीवतगत वनणथय लेने के वलए सरकार ने राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा पररषद का
गिन ककया है।
ववश्व बैंक तकनीकी सहायता कायथक्रम के तहत, सड़क पररवहन और राजमागथ मंत्रालय ने
लॉवजवस्टटस क्षमता संवधथन पर एक ऄध्ययन ककया है। ऄध्ययन ररपोटथ में राष्ट्रीय राजमागों पर
लॉवजवस्टटस पाकों के ववकास के साथ-साथ अर्थथक कोररडोर के ववकास, फीडर मागों और चोक
पॉआं टस को हटाने सवहत कइ वसफाररशें की गयी हैं। आन वसफाररशों को स्वीकार ककया गया है तथा
राज्य सरकारों और ऄन्य वहतधारकों के साथ चरणबि तरीके से पहचाने गए स्थानों पर
लॉवजवस्टटस पाकथ ववकवसत करने का काम NHAI को सौंप कदया गया है।
राष्ट्रीय राजमागों पर सभी मौजूदा पुलों के वनमाथण की वस्तु सूची और वस्थवत मूकयांकन के वलए
सरकार ने भारतीय पुल प्रबंधन प्रणाली (IBMS) की शुरूअत की है।
भारत की सबसे लंबी राजमागथ सुरंग जम्मू और कश्मीर में चेनानी-नैशरी सुरंग का वनमाथण पूणथ
ककया जा चुका है।
अगे की राह
सरकार, कइ पहलों के माध्यम से वनवेशकों के वहतों को अकर्थषत करने के वलए नीवतयों पर काम
कर रही है। भारत सरकार ने NHDP, ईत्तर पूवी राज्यों में सड़क नेटवकथ के ववकास के वलए
ववशेष त्वररत सड़क ववकास कायथक्रम (Special Accelerated Road Development
Programme; SARDP-NE) और वामपंथी ईग्रवाद (।WE) जैसे वववभन्न कायथक्रमों के तहत
200,000 ककमी तक दोहरीकृ त करने के दीघथकावलक लक्ष्य के तहत 50,000 ककमी सड़क वनमाथण
स्वर्थणम चतुभज
ुथ तथा ईत्तर-दवक्षण और पूव-थ पविम कॉररडोर (NHDP I और II) को 4 लेन करना
700 ककमी की ऄन्य राजमागथ पररयोजनाओं का ववकास वजसमें ररग रोड, सर्थवस रोड अकद
NHDP के तहत प्रगवत ऄनुमान की तुलना में कु छ हद तक धीमी है। आसके कायाथन्वयन में कु छ प्रमुख
बाधाएं हैं
ऄनुबंध प्रदान करने में देरी
भूवम ऄवधग्रहण में करिनाआयााँ
पयाथवरण मंजरू ी में ववलम्ब
वनमाथण क्षमता में कमी
2012 की एक ररपोटथ में, ववश्व बैंक ने भारतीय कांट्रेटटरों में धोखाधड़ी और भ्रष्ट अचरण की
NHDP के चरणों के भीतर, एकल लेन की सड़कों को दो लेन करने से संबंवधत कायथक्रम को उजाथ
PMGSY को 25 कदसंबर, 2000 को शुरू ककया गया था वजसके तहत चयवनत ग्रामीण क्षेत्रों में
ऄनुसार)
250 या ईससे ऄवधक की अबादी वाली वनम्नवलवखत क्षेत्रों की सभी बवस्तयााँ :
o पहाड़ी राज्य
o रे वगस्तानी क्षेत्र
o अकदवासी क्षेत्र (ऄनुसच
ू ी V)
2013 में भारत सरकार ने PMGSY II योजना को मंजूरी दी थी, वजसमें मौजूदा प्रमुख ग्रामीण
ललकों को ग्रामीण ववकास कें द्रों तक ऄपग्रेड ककया जाएगा। आसमें ईन्नयन की लागत राज्यों द्वारा
भी साझा की जाएगी।
रखरखाव और सवोत्तम प्रदशथन करने वाले राज्यों के वलए ववत्तीय प्रोत्साहन मुख्य फोकस क्षेत्र
होंगे।
ग्रामीण ववकास मंत्रालय सड़कों के रखरखाव के वलए सवोत्तम प्रदशथन वाले राज्यों को 5% का
ववत्तीय प्रोत्साहन देने की योजना बना रहा है। देश में 8 से 9 ऐसे राज्य हैं जो वनधाथररत लक्ष्य से
ककया गया, जबकक 2014 से 2016 के बीच यह 100 Km प्रवत कदन पर पहुाँच गया।
PMGSY के ऄंतगथत बनाइ गइ 15% ग्रामीण सड़कों में, ग्रीन टेक्नोलॉजी जैसे फ्लाइ ऐश, वजओ-
टेटसटाआल, प्लावस्टक और ऄन्य ऄपवशष्ट पदाथों का ईपयोग हुअ हैं। वषथ 2000 और 2014 के
मध्य, ग्रीन टेक्नोलॉजी के ईपयोग से 800 km की ग्रामीण सड़कों का वनमाथण ककया गया, जबकक
2014 से 2016 के मध्य आस वैकवकपक तंत्र के तहत 2600 Km से ऄवधक सड़कों का वनमाथण हुअ।
जाना चावहए टयोंकक ये सड़कें गरीबी ईन्मूलन के वलए एक एंट्री पॉआं ट के रूप में काम करती हैं
और वशक्षा और स्वास्थ्य जैसे सामावजक बुवनयादी ढांचे तक पहुाँच बढ़ाती है।
कु छ ग्रामीण सड़कों पर ट्रैकफक गहनता देखी जा सकती है जो आनकी चौड़ाइ को मध्यम या दो-लेन
तक बढ़ाने की जरूरत को न्यायसंगत बनाता है।
ववत्तीय संघवाद वसिांत यह सुझाव देता है कक चूंकक ग्रामीण सड़कें सरकार के वलए प्राथवमक
पुनर्थवतरण ईपकरण के रूप में काम करती हैं, ऄतः ईन्हें कें द्र से ऄनुदान द्वारा ववत्त पोवषत करना
आसमें ईत्तर-पूवी क्षेत्र के वजला मुख्यालयों तथा राज्यों की राजधावनयों के मध्य सड़क संपकथ को
सुधारने की पररककपना की गइ है।
वामपंथी ईग्रवाद से प्रभाववत (।WE) क्षेत्रों में सड़क कनेवटटववटी में सुधार के वलए सड़क अवश्यकता
योजना (RRP)
भारत के 8 राज्यों के 34 वजलों के ।WE प्रभाववत क्षेत्रो में सड़क नेटवकथ ववकवसत करने के वलए
यह पेट्रोल और हाइ स्पीड डीजल (HSD) तेल पर सेस के संग्रह द्वारा कें द्र सरकार द्वारा वनर्थमत
एक फं ड है। वतथमान में पेट्रोल और हाइ स्पीड डीजल (HSD) तेल पर ईपकर के रूप में 2 रुपये
प्रवत लीटर जमा ककया जाता है। के न्द्रीय सड़क वनवध ऄवधवनयम, 2000 में प्रदान की गइ NH,
राज्य सड़कों, ग्रामीण सड़कों, रे लवे ओवर-विज / ऄंडर-विज और ऄन्य सुरक्षा सुववधाओं के
ववकास और रखरखाव के वलए यह वनवध ववतररत की गइ है।
सीमा सड़क संगिन (BRO)
BRO एक सड़क वनमाथण कायथकारी संस्था है जो भारतीय सेना एक ऄंग होते हुए भी स्वायत है।
मइ 1960 में आसका पररचालन के वल दो पररयोजनाओं, पूवी क्षेत्र में प्रोजेटट Tusker (पूवथ में
नाम प्रोजेटट Vartak) और पविम में प्रोजेटट Beacon के साथ कायथ करना प्रारं भ ककया।
बवकक वबहार, महाराष्ट्र, कनाथटक, राजस्थान, अंध्र प्रदेश, ऄंडमान और वनकोबार द्वीप समूह,
ईत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में सड़क ढांचे का भी ववकास ककया है। आसके ऄवतररक्त, आसे
गया है। BRO के द्वारा ऄफगावनस्तान में ववपरीत पररवस्थवतयों के बावजूद 215 ककलोमीटर
डेलाराम-जरांज सड़क को सफलतापूवथक वनर्थमत कर वलया गया है।
सड़क सुरक्षा हेतु ईिाये गए कदम
सरकार सड़क पररवहन में सुरक्षा, दक्षता और वहनीयता में सुधार के वलए प्रयासरत है आस संबध
ं में
ईिाए गए कु छ कदम वनम्नवलवखत हैं:
एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीवत को मंजरू ी दी गइ है, वजसमें जागरूकता फै लाने, सड़क सुरक्षा
सूचना डाटा बेस की स्थापना, सुरवक्षत सड़क ढांचे को प्रोत्सावहत करने, सुरक्षा कानूनों को लागू
करने जैसे वववभन्न नीवतगत ईपायों की रूपरे खा दी गइ है।
4E - एजुकेशन, आं जीवनयररग (सड़कों और वाहनों दोनों) एन्फोसथमटें और आमरजेंसी के यर के
तैयार की गयी है तथा आसे एक िोस तरीके से लागू ककया गया हैl सड़क दुघथटनाओं को कम करने के
ईद्देश्य से एक वनवित, समयबि तरीके से पयाथप्त जनशवक्त की पहचान तथा ऄन्य संसाधनों को
सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के वलए मंत्रालय ने एक मीवडया ऄवभयान चलाया हैl सड़क सुरक्षा पर
काम करने के वलए गैर-सरकारी संगिनों की भूवमका में वृवि की गइ है।
सभी वगों के वाहनों के वलए वाहन सुरक्षा मानकों का वनधाथरण ककया जा रहा हैl ट्रकों में बाहर
वनकली हुइ छड़ों को वनवषि ककया गया है; एंटी-लॉककग िेक वसस्टम (ABS) को भारी वाहनों पर
ऄवनवायथ बनाया गया है; कारों में कम-से-कम एक बच्चे की सीट कफट करने का प्रावधान ककया गया
है। कार क्रैश मानकों को 1 ऄप्रैल, 2018 से ऄवनवायथ तथा प्रभावी बनाया जाना है; 1 ऄप्रैल,
2018 से दुपवहया वाहनों के वलए ABS/CBS ऄवनवायथ है; दुपवहया वाहनों में ऄवनवायथ ककये गए
AHO (स्वचावलत हेडलाआट ऑन) ने ईन्हें सुरवक्षत बनाया है; सुरवक्षत और अरामदायक बसों के
वलए बस बॉडी कोड; चालकों और ऄन्य सड़क ईपयोगकताथओं के वलए सुरवक्षत के वबन हेतु ट्रक
बॉडी कोड; तीव्र गवत से बचने के वलए पररवहन वाहनों पर स्पीड गवनथसथ का ऄवनवायथ रूप से
लगाया जाना सुवनवित ककया गया है।
वनभथया योजना के तहत अइटी सक्षम सुरक्षा ईपायों के साथ बसों का संचालन: मंत्रालय द्वारा
जारी ऄवधसूचना के ऄनुसार सभी लोक सेवा वाहनों (दो और तीन पवहया वाहनों, इ-ररटशा को
छोड़कर) को वाहन लोके शन ट्रैककग वडवाआस से सुसवित ककया जाना है, वजसमें एक या एक से
ऄवधक अपातकाल बटन हो।
भारतीय पुल प्रबंधन प्रणाली (IBMS): देश में सभी पुलों की सूची तैयार करने के वलए IBMS को
ववकवसत ककया जा रहा हैl आसमें सभी पुलों की सरचनात्मक वस्थवत को मूकयांककत ककया जायेगा
वजस से समय-समय पर ईनकी मरम्मत का कायथ ककया जा सके ।
चालकों के प्रवशक्षण और ऄनुसध
ं ान हेतु मॉडल संस्थान (ITDR): मंत्रालय ड्राआवर प्रवशक्षण और
है, वजसके तहत प्रत्येक सेंटर के वलए 17.00 करोड़ रूपए, और छोटे क्षेत्रीय ड्राआलवग ट्रेलनग सेंटर
(RDTC) की स्थापना के वलए 5 करोड़ रूपए के ऄनुदान की व्यवस्था की गयी है। ITDR एक
प्रमुख संस्थान के रूप में ईभरे गा , जो प्रवशक्षकों को प्रवशवक्षत करे गा और छोटे संस्थानों का
वाहनों की कफटनेस की जांच के वलए मॉडल स्वचावलत कें द्र: आस योजना के ऄंतगथत, मंत्रालय
प्रत्येक कें द्र के वलए 14.40 करोड़ रुपये का ऄनुदान प्रदान कर रहा है।
प्रभावी ट्रॉमा के यर: NHAI राष्ट्रीय राजमागों के पूणथ हो चुके भागो में 50 km की दूरी पर
एम्बुलेंस प्रदान करता है। राष्ट्रीय राजमागों पर ववकास के वलए राष्ट्रीय राजमागथ दुघथटना राहत
सेवा योजना के तहत वववभन्न राज्य सरकारों को क्रेन और एम्बुलस
ें प्रदान की जाती हैं।
गुड समाररटन (Good Samaritans) कदशावनदेश: सड़क दुघथटना पीवड़तों की मदद करने वाले
"ऄच्छे समाररटन" के ईत्पीड़न को रोकने के वलए मंत्रालय द्वारा कदशावनदेश जारी ककए गए हैं।
सवोच्च न्यायालय ने आन कदशावनदेशों को स्वीकार कर वलया है और राज्यों को कायाथन्वयन के वलए
वनदेश कदया है।
ऄप्रैल, 2017 में लोक सभा द्वारा मोटर वाहन (संशोधन) ववधेयक पाररत ककया गया था।
थडथ पाटी आं श्योरें स: 2016 के संशोधन वबल में प्रदत्त थडथ पाटी आं श्योरें स की देयता पर सीमा को
सड़क सुरक्षा के वलए एजेंसी: 2017 का ववधेयक, कें द्र सरकार द्वारा ऄवधसूवचत राष्ट्रीय सड़क
रोड वड़िाआन और आं जीवनयररग: 2017 ववधेयक में सड़कों के सुरक्षा मानकों के वडजाआन, वनमाथण,
या रखरखाव के वलए वजम्मेदार ककसी भी िे केदार या सलाहकार को राज्य/ कें द्र सरकार द्वारा
वनर्ददष्ट मानकों का पालन करने की अवश्यकता होगी।
परे शानी मुक्त और त्वररत सेवाएं: ववधेयक ड्राआलवग लाआसेंस की वैधता बढ़ाने, ऑनलाआन लर्ननग
लाआसेंस प्राप्त करने और ड्राआलवग लाआसेंस जारी करने के वलए न्यूनतम योग्यता की अवश्यकता
को समाप्त करने का प्रस्ताव करता है।
कड़े दंड : ऄपराध जैसे शराब पीकर गाड़ी चलाना, खतरनाक ड्राआलवग, चालकों द्वारा सुरक्षा
मानदंडों का पालन नहीं करने (जैसे हेलमेट नहीं पहनना अकद) हेतु पेनाकटी का प्रावधान रखा
गया है।आस वबल में नाबावलगों के माता-वपता के वलए तीन साल की जेल की सजा का प्रस्ताव है
तथा पीवड़त के मुअवजे में 10 गुना बढ़ोतरी का प्रावधान भी रखा गया है।
अधार: ड्राआलवग लाआसेंस के अवेदन के वलए अधार अवश्यक है।
नए ववधेयक के लाभ
एकीकृ त दृवष्टकोण: प्रत्येक चरण में दावयत्व तय ककया जा रहा है वजससे सड़क सुरक्षा सुवनवित
करने के वलए हर कोइ समान रूप से वजम्मेदार हो।
वडवजटाआजेशन : आससे फजी ड्राआलवग लाआसेंस प्राप्त करना करिन हो जायेगा टयोंकक आसे अधार से
जोड़ा जाएगा। वाहनों का इ-पंजीकरण चोरी को हतोत्सावहत करने के साथ ही वाहन पंजीकरण के
मामले में एक राज्य से दूसरे राज्य में पोटेवबवलटी को भी प्रोत्सावहत वमलेगा।
वनयमबि : कक्रयावन्वत हो जाने के पिात्, वबना परीक्षण के ड्राआलवग लाआसेंस प्राप्त करना ककसी
सड़क सुरक्षा: ववशेष रूप से ट्रैकफक ऄपरावधयों को वचवन्हत कर, कड़े दंड का प्रावधान और
प्राथवमकता वाले क्षेत्रों की पहचान करने से सड़क सुरक्षा में सुधार होगी।
3.5. नइ पहलें
3.5.1. भारतमाला
आसे एक ऄम्िेला कायथक्रम के रूप में पररकवकपत ककया गया है। जो NHDP के ऄधूरे रह गए कायों
को समाप्त करे गा और नइ पहलों जैसे सीमा तथा आन्टरनेशनल कनेवटटववटी रोड्स, तटीय और
बंदरगाह कनेवटटववटी, राष्ट्रीय गवलयारों की दक्षता सुधार, अर्थथक गवलयारों और ऄन्य के ववकास
पर भी ध्यान कें कद्रत करे गा।
यह कायथक्रम राष्ट्रीय राजमागों पर सुरवक्षत और वनबाथध यात्रा हेतु पुलों के वनमाथण के वलए है।
आसका लक्ष्य 2019 तक सभी राष्ट्रीय राजमागों को रे लवे क्रॉलसग से मुक्त करना है। आसके तहत
208 रे लवे ओवरविज एवं ऄंडरपास का वनमाथण ककया जायेगा। आसके ऄलावा 1500 पुराने और
जीणथ पुलों के प्रवतस्थापन / ववस्तार / सुदढ़ृ ीकरण के वलये कायथ ककया जायेगाl
सड़क पररवहन और राजमागथ मंत्रालय ने सड़क पररवहन और राजमागथ क्षेत्र में श्रमशवक्त की
अवश्यकताओं को पूरा करने के वलए कमथचाररयों के कौशल ववकास हेतु कदशावनदेश जारी ककए हैं।
आसके साथ रोजगार के ऄवतररक्त ऄवसरों का भी सृजन ककया जायेगा । कामगार प्रवशक्षण का
अयोजन प्रवशक्षण महावनदेशालय (DGT), कौशल ववकास एवं ईद्यम मंत्रालय, भारत सरकार
द्वारा ककया जाएगा। वनजी प्रमोटरों या राज्य सड़क पररवहन ऄंडरटेककग्स या SRTUs के सवोच्च
वनकाय, ऄथाथत एसोवसएशन ऑफ स्टेट रोड ट्रांसपोटथ ऄंडरटेककग्स (ASTRU) द्वारा संचावलत
ड्राआवर प्रवशक्षण के न्द्रों में चालकों को प्रवशक्षण प्रदान ककया जाएगा।
राष्ट्रीय राजमागों पर यात्री पररवहन और माल ढु लाइ में ईकलेखनीय वृवि हुइ है। नतीजतन,
यावत्रयों और चालकों की सुववधा और सुरक्षा सुवनवित करने के वलए आन सड़कों पर पयाथप्त
सुववधाएं प्रदान करना प्राथवमकता है। आसवलए सड़क पररवहन और राजमागथ मंत्रालय (MoRTH)
ने राष्ट्रीय राजमागों के ककनारे “वे-साआड” सुववधाएं ववकवसत करने का वनणथय वलया है। आस तरह
की वे-साआड सुववधाओं (WSA) को 'राजमागथ हाट' के रूप में िांड ककया जाएगा। आन पररसरों में
कार और बस यावत्रयों तथा ट्रक ड्राआवरों के अराम करने की सुववधाएं ईपलब्ध कराइ जाएंगी।आस
प्रकार ड्राआवरों को थकान कम करने में मदद वमलेगी, वजससे सड़क सुरवक्षत होंगे और यात्रा भी
अरामदायक बनी रहेगी।
यह पररयोजना ववशेषकर वपछड़े क्षेत्रों में वस्थत राष्ट्रीय राजमागों पर ट्रैकफक के सुरवक्षत, सुचारू
और सभी मौसमों में अवाजाही सुवनवित करने के वलए है। कनाथटक, ओवडशा, वबहार, राजस्थान
और पविम बंगाल जैसे राज्यों में 1120 ककमी राष्ट्रीय राजमागों के ववकास को मंजूरी दी गइ है।
पररयोजनाओं को पहले ही लागू कर कदया गया है और 429 ककमी का कायथ पूरा हो चुका है।
जुलाइ, 2019 तक वसववल कायों के पूरा होने तथा जुलाइ, 2024 तक रखरखाव कायथ के पूरी होने
की अशा है।
आसका ईद्देश्य बुवनयादी ढांचा, प्रकक्रयात्मक और सूचना प्रौद्योवगकी (IT) के जररए माल ढु लाइ
पररवहन की लागत, समय, ट्रैककग और ऄंतरण में सुधार करना है। आन पाकों के द्वारा चार प्रमुख
सेवाओं के प्रदान करने की संभावना है: माल ढु लाइ और ववतरण, मकटी मोडल माल ढु लाइ,
ववकास के वलए चुना है जहााँ पर सबसे ज्यादा माल ढु लाइ होती है। ये स्थान महाराष्ट्र, पंजाब,
गुजरात, राजस्थान, तवमलनाडु , कनाथटक और तेलंगाना राज्यों में है। राष्ट्रीय राजमागों के
लोवजवस्टक दक्षता में सुधार के वलए 44 अर्थथक कोररडोर, 170 फीडर मागों और ऄंतर-शहर के
पुनचथक्रण: मॉडल को MoRTH द्वारा ववकवसत ककया गया है और ऄगस्त, 2016 में CCEA द्वारा
ऄनुमोकदत ककया गया है। मॉडल के ऄनुसार, सावथजवनक ववत्त पोवषत राष्ट्रीय राजमागथ
पररयोजनाओं के वलए टोल शुकक के संग्रह का ऄवधकार एक पूवथ वनधाथररत ररयायत ऄववध (30
वषथ) के वलए कदया जायेगा बशते िे केदारों द्वारा एकमुश्त रावश जमा की गयी हो।
ऐसी पररयोजनाओं के O&M दावयत्वों को ररयायत ऄववध के पूरा होने तक ररयायत द्वारा ही
वहन ककया जाएगा। यह मॉडल वनजी क्षेत्र की दक्षता के माध्यम से राष्ट्रीय राजमागथ पररयोजनाओं
में लंबी ऄववध के O&M के वनमाथण की सुववधा देता है। यह बैंकों के ऄवतररक्त घरे लू और
ऄंतरराष्ट्रीय दीघथकावलक संस्थागत वनवेशकों, जैसे पेंशन फं ड, बीमा फं ड, वेकथ फं ड अकद के वलए
बड़े वनवेश का ऄवसर है। प्रारं भ में, लगभग 75 सावथजवनक ववत्त पोवषत राष्ट्रीय राजमागथ
पररयोजनाएं वजनकी कु ल लम्बाइ लगभग 4,500 ककमी और वार्थषक टोल राजस्व संग्रह लगभग
2,700 करोड़ रुपये हैं आस मॉडल के ऄनुप्रयोग हेतु पहचानी गइ हैं। मॉडल ररयायत समझौते
(MCA) का ववकास ककया गया है और पररयोजनाओं के वलए बोली लगाने का पहला दौर वनकट
भववष्य में शरू ककया जाएगा।
ऄववध के दौरान वनजी डेवलपर को 'वनमाथण सहायता' के रूप में सरकार द्वारा प्रदान ककया जायेगा
और बकाया रावश पर ब्याज के साथ पररचालन ऄववध के दौरान 60% शेष रावश का भुगतान
ककया जायेगा। देय ब्याज दर बाजार दर से जुड़ी होगी (बैंक दर + 3.00%)। सरकार द्वारा
ररयायत दरों के वलए O&M भुगतान के ऄलग-ऄलग प्रावधान हैं। वनजी पाटी को यातायात और
मुद्रास्फीवत जोवखम नहीं झेलना पड़ेगा। यह मॉडल आस क्षेत्र में PPP को पुनजीववत करने में सफल
रहा है, जो आस तरह के पररयोजनाओं के वलए बाजार द्वारा कदखाइ गयी रूवच से स्पष्ट है। आस
1,800 ककमी) का अवंटन ककया जा चुका है। आसके ऄवतररक्त कइ और पररयोजनाएं बोली के
ऄवन्तम चरण में हैं।
टैटसी नीवत कदशावनदेश: सड़क पररवहन और राजमागथ मंत्रालय द्वारा गरित सवमवत ने टैटसी
परवमट से संबंवधत मुद्दों की समीक्षा, शहरी गवतशीलता को बढ़ावा देने के वलए टैटसी नीवत के
कदशा-वनदेशों के प्रस्ताव पर ऄपनी ररपोटथ पेश की। सवमवत ने वसफाररश की है कक ऐप बेस्ड
प्लेटफामथ के द्वारा शहर में टैटसी को चलाने की ऄनुमवत दी जानी चावहए। नीवतगत ऄनुशस
ं ाएं यह
भी सुवनवित करती है कक बड़े एग्रीगेटसथ पारं पररक कै ब को हावन न पंहुचा सकें । नीवत का मुख्य
ईद्देश्य अम जनता के वलए सुरवक्षत और सस्ती सवारी सुवनवित करना है ताकक शहरों में भीड़
और प्रदूषण को कम करने में सहायता वमल सके । आस नीवत में यह भी वसफाररश की गयी है कक
एग्रीगेटसथ द्वारा ईपयोग ककये जाने वाले ऐप आलेटट्रॉवनटस और सूचना प्रौद्योवगकी मंत्रालय द्वारा
ऄवधकृ त एजेंसी द्वारा मान्यता प्राप्त हो। ईम्मीद की जाती है कक यह नीवत टैटसी ईद्योग के स्वस्थ
ववकास में सहायक होगी। यह नीवत मात्र वसफाररशी है परन्तु ये ववस्तृत वनयमों को तैयार करने में
राज्यों के वलए एक ववशेष रूपरे खा प्रदान करने में मदद करे गी।
वाहनों का अधुवनकीकरण कायथक्रम: पुराने, भारी और मध्यम वावणवज्यक वाहनों, जो ऄवधकतम
प्रदूषण करते हैं, के प्रवतस्थापन हेतु 'वाहन बेड़े के अधुवनकीकरण कायथक्रम' पर एक कॉन्सेप्ट नोट
MoRTH की अवधकाररक वेबसाआट पर प्रदर्थशत ककया गया है। MoRTH वेबसाआट पर आसे
संबंवधत मंत्रालय, ववभागों और ऄन्य वहतधारकों की सूचना और रटप्पवणयों के वलए डाला गया है।
आस नीवत में पुराने वाहनों को वनम्नवलवखत ववत्तीय लाभ का प्रस्ताव है : वाहन का स्क्रैप मूकय और
मूल ईपकरण वनमाथता (OEM) तथा सरकार के द्वारा ववत्तीय प्रोत्साहन ।
MoRTH के द्वारा 1 ऄप्रैल 2020 से सभी वाहनों के वलए भारत मानक - VI (BS -VI) ईत्सजथन
मानदंडों के कायाथन्वयन को ऄवनवायथ रूप प्रदान करने हेतु एक ऄवधसूचना जारी कर दी है। देश में
वाहन प्रदूषण से वनपटने हेतु यह एक महत्वपूणथ कदम है।
भारत फ्लेटस - फ्यूल ऑटोमोबाआकस के वलए तैयार : भारत के द्वारा पेट्रोल के साथ वमवश्रत
इथेनॉल जैसे फ्लेटस-फ्यूल के ईपयोग के वलए सभी अवश्यक कदशावनदेश वनर्थमत कर वलए गये हैं।
वाहन वनमाथताओं को ईनके द्वारा बनाये गए प्रत्येक वाहन के ईत्सजथन और शोर के स्तर के बारे में
जानकारी देना ऄवनवायथ: सभी प्रकार के मोटर वाहन वनमाथताओं को इ-ररटशा और इ-काट्सथ
सवहत, सभी वनर्थमत वाहनों के ईत्सजथन के स्तर के बारे में ववस्तृत जानकारी प्रदान करनी होगी।
(B100) ईंधन चावलत वाहनों के वलए ईत्सजथन मानकों की एक ड्राफ्ट ऄवधसूचना भी तैयार की
गइ है।
मौजूदा प्रदूषण वाहनों की आलेवटट्रक हाआविड और आलेवटट्रक वाहन में रे ट्रो कफरटग की ऄनुमवत:
वनयमों को ऄंवतम रूप कदया जा चुका है और तकनीक का प्रदशथन सफलतापूवक
थ पूरा ककया जा
चुका है।
राष्ट्रीय हररत राजमागथ पररयोजना: ग्रीन हाइवे (वृक्षारोपण, प्रवतरोपण, सौंदयीकरण और
रखरखाव) पॉवलसी 2015 के एक भाग के रूप में, 1 जुलाइ, 2016 को लगभग 1,500 ककमी
राष्ट्रीय राजमागों पर 300 करोड़ रुपये की लागत से प्रारं वभक वृक्षारोपण ऄवभयान की शुरूअत
की गयी। नीवत का ईद्देश्य समुदायों, ककसानों, गैर-सरकारी संगिनों, वनजी क्षेत्र, सरकारी
एजेंवसयों एवं वन ववभाग के सहयोग से पयाथवरण ऄनुकूल राष्ट्रीय राजमागों के ववकास की
पररककपना की गइ है। यह नीवत कोररडोर के सौंदयथकरण, वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने
और वाहनों से अने वाले चमक को कम कर दुघथटनाओं में कमी लाने में मदद करे गी। सड़क के
ककनारे वृक्षारोपण की गुणवत्ता सुवनवित करने हेतु मंत्रालय द्वारा सभी नए राजमागथ
पररयोजनाओं की कु ल पररयोजना लागत का 1 प्रवतशत ग्रीन फं ड के वलए ऄलग रखने का वनणथय
ककया गया है। वजसका ईपयोग वृक्षारोपण के वलए ककया जाएगा। वनीकरण से लगभग वार्थषक
रूप से 12 लाख मैरट्रक टन काबथन को कम करने का ऄनुमान है।
'ऄडॉप्ट ए ग्रीन हाइवे प्रोग्राम’ जुलाइ, 2016 में लांच ककया गया था। राष्ट्रीय राजमागों के साथ
लगी भूवम पर हररत गवलयारे के ववकास हेतु एक सवम्मवलत प्रयास है। यह कायथ वनगमों,
सावथजवनक क्षेत्र आकाआयों, सरकारी संगिनों और ऄन्य संस्थानों के साथ वमलकर एवेन्यू, मध्यस्थ
और ऄन्य असपास में ईपलब्ध भूवम खंडों पर वृक्षारोपण एवं संबि गवतवववध के माध्यम से ककया
जाता है।
'ककसान हररत राजमागथ योजना' एक पायलट योजना है वजसके तहत ककसानों को जोड़ने एवं
अस-पास के समुदायों के वलए वैकवकपक अजीववका ववककप प्रदान करने के माध्यम से राजमागों
के वतथमान ‘राआट ऑफ वे’ के परे हररत क्षेत्र का ववस्तार ककया जाना है।
‘राष्ट्रीय हररत राजमागथ वमशन मोबाआल एप का भी शुभारं भ ककया गया है। यह एप प्रबंधन को
वास्तववक समय डेटा के साथ सभी पररयोजनाओं की वनगरानी में सक्षम बनाएगा। यह एप
बाधाओं की शीघ्र पहचान और पररयोजनाओं के शीघ्र एवं सफल कक्रयान्वयन सुवनवित करने में
मदद करे गा।
सरकार की इ-ररटशा नीवत ने प्रदूषण को काफी हद तक कम करने में मदद की है। इ-गावड़यां और
इ-ररटशा को परवमट की अवश्यकताओं से मुक्त कर कदया गया है।
इ-टोललग: टोल प्लाजा पर ट्रैकफक जाम को हटाने, वाहनों के वनबाथध प्रवाह और टोल संग्रह
सुवनवित करने के वलए, सरकार ने एक राष्ट्रव्यापी आलेटट्रॉवनक टोल संग्रह का वनमाथण ककया है।
आसे EPC जनरल-2, ISO के ऄनुरूप रे वडयो फ्रीक्वेंसी अआडेंरटटी वडटेटशन (RFID) के अधार पर
वडजाइन ककया गया है।18000-6C मानक FASTags के माध्यम से टोल का आलेटट्रॉवनक संग्रह
प्रदान करता है।
ववमुद्रीकरण के बाद इ-टोललग को एक बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन वमला। नवंबर 2016 में टोल संग्रह
सभी टोल प्लाजा पर स्वाआप मशीनों, इ पसथ और फास्टैग के माध्यम से शुकक भुगतान हेतु ववस्तृत
व्यवस्था की गइ थी। ऄटटू बर से नवंबर 2016 में आलेटट्रॉवनक माध्यम से शुकक का संग्रहण लगभग
PMIS: वववभन्न एजेंवसयों द्वारा वनष्पाकदत 2000+ पररयोजनाओं को वडवजटल रूप से मॉवनटर
करने के वलए एक ऑनलाआन ऄत्याधुवनक व ररयल टाआम प्रोजेटट मॉवनटररग एंड आं फॉमेशन
वसस्टम (PMIS) ववकवसत ककया गया है। PMIS में प्रत्येक पररयोजना के वलए ववस्तृत डैशबोडथ
ईपलब्ध है और पररयोजना की समीक्षा के वलए अवश्यक कस्टम ररपोटथ तैयार ककए गए हैं। कायथ
प्रगवत की वनयवमत वनगरानी के वलए सड़क पररवहन और राजमागथ मंत्री के वलए ववशेष डैशबोडथ
ववकवसत ककए गए हैं। संबंवधत PIUs के द्वारा प्रोजेटट की जानकारी हर महीने ऄपडेट की जाती
है और PMIS प्रणाली द्वारा ईत्पन्न ररपोटों के अधार पर वररष्ठ ऄफसरों की बैिक का अयोजन
होता है। IEIAE ररपोट्सथ जैसे महत्वपूणथ दस्तावेजों को वसस्टम में सूचीबि ककया गया है और ईन्हें
अवश्यकतानुसार डाईनलोड ककया जा सकता है।
आन्फ्राकोन आन्फ्रास्ट्रटचर कं सकटेंसी फमों और मुख्य कार्थमकों के वलए एक राष्ट्रीय पोटथल है। यह
पोटथल सड़क आं जीवनयररग और वनमाथण क्षेत्र में काम कर रहे परामशथ कं पवनयों तथा डोमेन
ववशेषज्ञों और प्रोजेटट की तैयारी और पयथवेक्षण में लगे प्रमुख कमथचाररयों के बीच एक पुल के रूप
में कायथ करता है । पोटथल परामशथ फमों और प्रमुख कर्थमयों के क्रेडेंवशयकस को होस्ट करता है। यह
डेटा सत्यापन और शुिता के वलए अधार और वडजी-लॉकर के साथ सम्बि हैं। 474 परामशथ फमथ
और वववभन्न श्रेवणयों के तहत 2387 प्रमुख कमथचारी पहले से ही आस पोटथल के साथ पंजीकृ त हैं।
(www.inampro.nic.in) के रूप में ववकवसत ककया गया है। यह एक ऐसा वेब बेस्ड मार्दकट प्लेस
है जो सामग्री प्रदाताओं और भावी खरीदारों को साझा मंच पर एक साथ लाता है। पररयोजना
वनष्पादन स्थानों के असपास प्रवतयोगी दरों पर सीमेंट की पेशकश करने वाली पंजीकृ त सीमेंट
कं पवनयों के साथ सीमेंट के अदेशों के वलए कें द्र/राज्य ववत्त पोवषत सड़कों और राजमागों और पुल
वनमाथण पररयोजनाओं को कायाथवन्वत करने में लगे िे केदारों और सीमेंट खरीदारों की सुववधा के
वलए माचथ 2015 में आस पोटथल की शुरुअत की गयी है। सीमेंट क्षेत्र में INAM-PRO की सफलता
को देखते हुए, स्टील और स्टील स्लैग जैसी ऄन्य सामवग्रयों को भी आस मंच पर लाया गया है ताकक
यह बुवनयादी सुववधा प्रदाताओं के वलए एक व्यापक इ-माके ट प्लेस बन सके ।
अवश्यकता नहीं होगी। आसके बजाय, वे वडजी-लॉकर मोबाआल ऐप के माध्यम से ऄपने मोबाआल
फोन पर ईसी की वडवजटल प्रवतयां एटसेस कर सकते हैं। ड्राआलवग लाआसेंस और वाहन पंजीकरण
दस्तावेज ऄब सीधे वडवजटल स्वरूप में व्यवक्तयों के वडजी लॉकर में जारी ककए जा सकते हैं। आन
वडवजटल प्रवतयों को ऄन्य ववभागों के साथ पहचान और पता प्रमाण पत्र के रूप में साझा ककया जा
सकता है। यातायात पुवलस के द्वारा आसका प्रयोग स्पॉट वेररकफके शन के वलए ककया जायेगा। लोगों
के वलए सुववधाजनक होने के साथ, आससे दस्तावेजों की प्रामावणकता के साथ साथ प्रशासवनक
बोझ को कम करने में भी मदद वमलेगी।
और यागी ऄनुभाग के बीच 120.74 ककमी सड़क वनमाथण का ववत्तपोषण ककया जा रहा है।
वत्रपक्षीय राजमागथ भारत के मोरे ह (मवणपुर) से शुरू होकर म्यामांर से होते हुए थाइलैंड के मेइ
सोत (Mae Sot) तक जाता है। भारतीय सीमा सड़क संगिन के द्वारा मोरे ह (भारत) / तामु
(म्यांमार) से म्यांमार में वस्थत कालेवा को जोड़ने वाली 130 ककमी लम्बी सड़क का वनमाथण पहले
ही ककया जा चुका है। तामू-ककगोन-कालेवा सड़क खंड (149.70 ककमी) में 69 पुलों का वनमाथण
और म्यांमार में IMT वत्रपक्षीय राजमागथ के कालेवा-यागी सड़क खंड (120.74 ककमी) के वनमाथण /
ईन्नयन की वनववदा को ऄंवतम रूप प्रदान करने हेतु कं सकटेंट्स की वनयुवक्त एवं ऄनुबंध का अबंटन
ककया जा चुका है।
BBIN कॉरीडोर: LEEP पर हुए ऄध्ययन के ऄनुसार, एक रणनीवतक पहल “बांग्लादेश-भूटान-
आं वडया-नेपाल (BBIN) कॉरीडोर” का ववकास ववचाराधीन है। आसका लक्ष्य अर्थथक सहयोग और
क्षेत्रीय कनेवटटववटी में सुधार करना है। BBIN क्षेत्र के भीतर सड़क संपकथ का ईन्नयन, फीडर मागों
का ववकास और लैंड पोटथ के ईन्नयन जैसे वववभन्न योजनाएं ववचाराधीन हैं।
3.9. राके श मोहन सवमवत- राष्ट्रीय पररवहन ववकास नीवत सवमवत (NTDPC) की वसफाररशें
सड़क को पृथक नहीं बवकक पररवहन के एक एकीकृ त मकटी मोडल वसस्टम के भाग के रूप में देखा
जाना चावहए। रे लवे के डेवडके टेड फ्रेट कॉररडोर और रे लवे नेटवकथ के ऄन्य क्षेत्रों, बंदरगाहों, हवाइ
ऄड्डों, SEZ, रसद के न्द्रों, प्रमुख पयथटन कें द्रों और पड़ोसी देशों के साथ कनेवटटववटी को ध्यान में
रखते हुए प्राथवमक सड़क नेटवकथ योजना का ववकास करना चावहए।
PMGSY के वतथमान कायथक्रम का ववस्तार सभी बवस्तयों की सावथभौवमक कनेवटटववटी को
समयबि तरीके से प्राप्त करने के वलए ककया जाना चावहए।
ऄंतरराष्ट्रीय स्तर और मानकों के ऄनुरूप ऑटो ईद्योग, खासकर वावणवज्यक वाहन क्षेत्र में
प्रौद्योवगकी के सतत ईन्नयन की अवश्यकता है। आसका लक्ष्य बेहतर सुववधा, ईत्पादकता, उजाथ
राष्ट्रीय राजमागों और राज्य राजमागों के मौजूदा नेटवकथ का ववस्तार औद्योवगक हब, SEZ,
बंदरगाहों, पयथटन कें द्रों और ऄंतराथष्ट्रीय मागों जैसे एवशयाइ राजमागों और यूरोपीय रोड नेटवकथ के
राज्य राजमागों की क्षमता में वृवि के वलए प्रत्येक राज्य को NHDP की तजथ पर कायथक्रमों का
CRF के स्रोतों में जाने वाली 2 रुपये प्रवत लीटर की वनवित रावश (वजसे वषथ 2005 में तय ककया
गया था) की वतथमान व्यवस्था के स्थान पर ऐड वलोरे म (ad valorem) के अधार पर ईंधन पर
सेस अरोवपत ककया जा सकता है। CRF स्रोतों में वृवि हेतु आसे 4 रुपये प्रवत लीटर तक बढ़ाया जा
सकता है।
राष्ट्रीय राजमागों पर यूजर फी (टोल) की मौजूदा नीवत की समीक्षा करने की अवश्यकता है। प्रमुख
सड़कों (NH और SH) के संबंध में, कम से कम 2-लेन सड़कों को स रकारी बजट द्वारा पोवषत
ककया जाये तथा वजसमें कोइ भी प्रत्यक्ष यूजर फी न हो। बहु-लेन राजमागों, वनयंवत्रत तथा
ऄवनयंवत्रत, साथ ही सुधार पररयोजनाएं जैसे पुल, सुरंगों, फ्लाइओवर, बायपास जैसे स्थानों पर
सड़क योजनाओ के वनमाथण में बंदरगाहों, हवाइ ऄड्डों, खनन क्षेत्रों और ववद्युत संयत्र
ं ों के ववकास
एक समर्थपत सड़क वडजाआन संस्थान की स्थापना की जानी चावहए, जो MoRTH के तत्वाधान में
कायथ करे । प्रत्येक राज्य PWD और ग्रामीण सड़क एजेंसी में आसी तरह की संस्थाएं स्थावपत की
जानी चावहए।
MoRTH को सभी राष्ट्रीय राजमागों और राष्ट्रीय एटसप्रेसवे को NHAI को सौंप देना चावहए और
सुंदर सवमवत द्वारा ऄनुशंवसत सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन बोडथ की स्थापना।
4. रे ल वे
भारतीय रे लवे ने 1853 में पहली बार मुंबइ से िाणे तक 34 ककमी की यात्रा तय की थी। अज
भारतीय रे लवे ववश्व के सबसे बड़ा वनयोक्ता में से हैं और 2015-16 के ऄंत तक आसमें 1.331
वमवलयन कमथचारी वनयुक्त हैं। वतथमान में भारतीय रे लवे एवशया के सबसे बड़े रे ल नेटवकों में से
एक है। साथ ही एकल सरकारी स्वावमत्व वाला ववश्व का दूसरा सबसे बड़ा रे ल नेटवकथ है।
क्षेत्र या जोन्स में ववभक्त ककया गया है, वजन्हें पुनः 68 वडवीजनों में ववभावजत ककया गया है। रे लवे
कोंकण रे ल: वषथ 1998 में कोंकण रे लवे का वनमाथण ककया गया। यह भारतीय रे ल की एक महत्वपूणथ
ईपलवब्ध है। आस रे लमागथ की लम्बाइ 760Km है। यह महाराष्ट्र के रोहा को कनाथटक के मंगलौर से
जोड़ता है। उबड़-खाबड़ पहाड़ी धरातल एवं ऄनेक नदी घारटयों वाले देश के पविमी तटीय प्रदेश में
रे लमागथ का वनमाथण करना लगभग ऄसंभव कायथ प्रतीत होता था। यह रे लमागथ 146 नकदयों एवं धाराओं
मेट्रो रे ल: महानगरों में यातायात को सुव्यववस्थत करने के वलए मेट्रो रे ल का ईपयोग ककया जाता है।
भारत में मेट्रो रे ल का अरम्भ 1984-1985 में कलकत्ता मेट्रो रे लवे के साथ हुअ। आसी क्रम में कदकली में
24 कदसम्बर, 2002 को शाहदरा से तीस हजारी के बीच पहली मेट्रो ट्रेन चलाकर मेट्रो सेवा का शुभारं भ
ककया गया। कदकली में मेट्रो ने पररवहन व्यवस्था में क्रांवतकारी पररवतथन ला कदया है। कदकली के ऄनुभव से
प्रेररत होकर कइ ऄन्य राज्य सरकारों ने जयपुर, मुंबइ, लखनउ एवं बंगलोर, हैदराबाद अकद शहरों में
मेट्रो रे ल का अरम्भ ककया है।
गत वषों में, भारतीय रे लवे ने देश में न के वल रोललग स्टॉक (लोकोमोरटव, वैगन, फ्रेट ट्रेन) के ईत्पादन
में अत्मवनभथरता प्राप्त की है बवकक ऄन्य देशों और गैर-रे लवे ग्राहकों को भी रोललग स्टॉक की अपूर्थत भी
की है।
'मेक आन आं वडया' कायथक्रम की सफलता की कदशा में यह एक महत्वपूणथ कदम हैं।
भारत में दो लोको-कारखानों की स्थापना के समझौते के पिात् लगभग 40,000 करोड़ रुपये की
वनववदायें राजधानी और शताब्दी सेवाओं की ट्रेन सेटों के वलए अमंवत्रत की गयी है; आससे वतथमान
ईत्पादन आकाआयों और वकथ शॉप का घरे लू और ऄंतरराष्ट्रीय बाजारों के वलए 2020 तक वववनमाथण
ईत्पादों के माध्यम से करीब 4,000 करोड़ रुपये का वार्थषक राजस्व ईत्पन्न करने का ईद्देश्य है।
भारतीय रे लवे की वववनमाथण आकाआयां वनम्नवलवखत हैं:
डीजल लोकोमोरटव वटसथ, वाराणसी
वचतरं जन लोकोमोरटव वटसथ
रे ल कोच फै टटरी (RCF), कपूरथला
कक दीघाथववध में ये यातायात मांग को पयाथप्त रूप से और कु शलता से संभाल लेंगे l DFC पर माल-
ढु लाइ के यातायात को पुनर्थनदेवशत करने से ट्रंक रूट की मौजूदा क्षमता को यात्री पररवहन के वलए
खोला जा सकता हैl
ऄपनी बाजार वहस्सेदारी बढ़ाने में मदद करे गी बवकक पररवहन, यूवनट लागत में कमी, छोटे
रे लवे सुरक्षा अयोग, भारत सरकार के नागररक ईड्डयन मंत्रालय के प्रशासवनक वनयंत्रण के तहत
काम कर रहा है। यह अयोग रे ल यात्रा और रे ल संचालन की सुरक्षा से संबंवधत मामलों की देखरे ख
करता है। रे लवे ऄवधवनयम (1989) के ऄनुसार आसके कायथ एक वनरीक्षक, जांच-पड़ताल और
सुरक्षा की सुदढ़ृ ता के संबंध में सभी वनधाथररत ईपाय ककए जाए। अयोग, रे लवे ऄवधवनयम और
समय-समय पर जारी कायथकारी वनदेशों के ऄनुसार कायथ करता है। यह देश के वववभन्न शहरों में
मेट्रो रे ल के संचालन के संबंध में भी ऐसे कायथ करता है।
"जननी सेवा" की शुरूअत की गयी है वजसके ऄंतगथत स्टेशन पर गमथ दूध, गमथ पानी और वशशु
खाद्य सामग्री के साथ ट्रेनों पर बच्चों के वलए मेन्यु की व्यवस्था की जाएगी।
इ-रटकट यावत्रयों के वलए वैकवकपक यात्रा बीमा का शुभारं भ ककया गया है।
कै टररग यूवनट के अवंटन में अरवक्षत श्रेणी के तहत मवहलाओं को 33% का ईप कोटा प्रदान करने
का वनणथय वलया गया है।
IRCTC की इ-के टररग सेवाओं में स्थानीय व्यंजनों ईपलब्ध कराने हेतु स्व-सहायता समूहों को
शावमल ककया गया है।
वैकवकपक रे ल सुववधा योजना (ATAS) वजसे VIKA।P के नाम से भी जाना जाता है, आसको
कदकली-हावड़ा, मुंबइ, चेन्नइ, बैंगलोर और वसकं दराबाद सवहत ऄन्य क्षेत्रों में ववस्ताररत ककया जा
रहा है और आस सन्दभथ में क्षेत्रीय रे लवे को कदशावनदेश कदए गए हैं।
रे लवे दुघथटना में हताहत हुए लोगों को मुअवजे की दर दुगन
ु ी कर दी गइ है।
राजधानी/ दुरंतो और शताब्दी ट्रेनों के वलए फ्लेटसी फे यर वसस्टम शुरू ककया गया।
भारत की पहली सेमी-हाइ स्पीड ट्रेन वजसका नामकरण गवतमान एटसप्रेस ककया गया है, हजरत
वनजामुद्दीन और अगरा कैं ट के बीच 160 ककलोमीटर की ऄवधकतम गवत से चलने में सक्षम है।
आस ट्रेन में अवतथ्य सेवाएं प्रदान करने हेतु ट्रेन होस्टेस को रखा गया है।
मुंबइ-ऄहमदाबाद गवलयारे के बीच ईच्च गवत वाली ट्रेन को पहले ही मंजूरी दे दी गइ है और
जापान से ववत्तीय और तकनीकी सहायता प्राप्त की जा रही है। हीरक चतुभज
ुथ पररयोजना
(Diamond Quadrilaterals) के ऄंतगथत ऄन्य हाइ स्पीड कॉररडोर के ऄन्वेषण का कायथ जारी
है।
यात्रा समय को कम करने के वलए स्पैवनश टैकगो ट्रेन के वलए फीकड ट्रायल का अयोजन ककया गया
है।
भारतीय रे लवे में मौजूदा ट्रेनों की बढ़ती गवत की कदशा में वमशन रफ़्तार शुरू ककया गया है।
नागपुर-वसकं दराबाद रे लवे कॉररडोर की गवत बढ़ाने के व्यवहायथता ऄध्ययन के वलए भारतीय रे ल
और रूसी रे लवे के बीच प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर ककए गए।
कें द्रीय मंवत्रमंडल ने रे लवे के वलए एक वनयामक - रे ल ववकास प्रावधकरण (RDA) की स्थापना को
स्वीकृ वत दे दी है। वनयामक चार प्राथवमक कायों का वनष्पादन करे गा - टैररफ वनधाथरण;
4.4.5. ववत्त
कें द्रीय मंवत्रमंडल ने सामान्य बजट के साथ रे ल बजट के ववलय को मंजरू ी दे दी; बजट प्रस्तुवत का
समय अगे बढ़ा कदया गया है और बजट तथा खातों में योजना और गैर-योजना वगीकरण को
समाप्त कर कदया गया है।
मंवत्रमंडल ने रे लवे कमथचाररयों के प्रोडवटटववटी ललटड बोनस को मंजरू ी दे दी है।
ट्रेन के पटरी से ईतरने की घटना का रोकथाम करने हेतु एक पखवाड़ा लंबे ववशाल सुरक्षा
ऄवभयान को शुरू ककया गया।
मानव रवहत क्रॉलसग को खत्म करने के वलए भारतीय रे लवे एक कायथ योजना पर काम कर रही है।
यह प्रयास रे लवे "वमशन शून्य दुघटथ ना" का एक ईप-वमशन है।
मानव रवहत क्रोलसग को पार करने के दौरान बरती जाने वाली सावधावनयों के बारे में जनता को
संवेदनशील बनाने हेतु वनयवमत जागरूकता ऄवभयान चलाया जा रहा है।
TRI-NETRA-डीजल ड्राआवरों के वलए टेरेन आमेलजग आन्फ्रारे ड (Terrain imaging), एन्हांस्ड
ऑवप्टकल और रडार ऄवसस्टेड वसस्टम ट्रायल को लॉन्च ककया गया है।
ऄगले 3 से 4 वषों में बेहतर सुरक्षा सुववधाओं के साथ मौजूदा 45,000 ICF वडजाआन के वडब्बों के
रे ट्रो कफरटग के वलए एक एटशन प्लान भी तैयार ककया गया है।
यह वनणथय वलया गया है कक भारतीय रे लवे पूरी तरह से ।HB के वडब्बों के ईत्पादन पर बल देगी,
जो कक बेहतर सुरक्षा सुववधाओं जैसे एंटी टलाआलम्बग और एंटी-टेलेस्कोलपग के साथ वडजाआन ककए
गए हैं।
भारतीय रे लवे के सुरक्षा प्रदशथन में सुधार लाने के वलए जापान और कोररया जैसे देशों के साथ
समझौता ककया गया है।
ऄमृतसर - नइ कदकली शान-इ-पंजाब एटसप्रेस में CCTV कै मरे लगाये गए हैं। शान-ए-पंजाब
एटसप्रेस CCTV वनगरानी कै मरे के साथ पहली भारतीय रे लगाड़ी बन गयी है। सुरक्षा वनगरानी
के साथ यह प्रणाली रे ल यावत्रयों की गोपनीयता भी बनाये रखती है। प्रवत कोच में चार से छह
कै मरे , ववशेष रूप से डब्बों के गवलयारे में, लगाये गए हैं जो वडवजटल वीवडयो ररकॉडथर के साथ
कम रौशनी में फे वशयल ररकवग्नशन में सक्षम हैं।
"ऑपरे शन मुस्कान - II" के ऄंतगथत RPF द्वारा बच्चों की ररहाइ।
भारतीय रे लवे ने एक वषथ में 1775 rkm का ररकाडथ ववद्युतीकरण ककया। यह लक्ष्य 15 कदसंबर
2016 तक प्राप्त कर वलया गया था। यह 2015 की आसी ऄववध के दौरान प्राप्त 1479 rkm के
वपछले ररकाडथ स्तर के ववद्युतीकरण से 20% ऄवधक है।
मानव ऄपवशष्ट वनवथहन से मुक्त 'प्रथम ग्रीन ट्रेन कॉररडोर रामेश्वरम - मनामदुराइ' का ईद्घाटन
ककया गया।
पविमी रे लवे के गुजरात, ओखा-कनलुस और पोरबंदर-वांजवलया खंड का ग्रीन कॉररडोर खंड (ट्रेन
से मानव ऄपवशष्ट वनवथहन से मुक्त) के रूप ईद्घाटन ककया गया।
4.5.1. राके श मोहन सवमवत- राष्ट्रीय पररवहन ववकास नीवत सवमवत (NTDPC) की
वसफाररशें
डॉ राके श मोहन की ऄध्यक्षता में भारत सरकार ने वषथ 2010 में NTDPC की स्थापना की थी।
NTDPC का ईद्देश्य वषथ 2029-30 तक देश के वलए दीघथकावलक पररवहन नीवत प्रदान करना
था।
रे लवे में वनवेश को 11 वीं योजना के 0.4 जीडीपी प्रवतशत से बढ़ाकर 12 वीं योजना में 0.8
प्रवतशत और 13 वीं योजना में 1.1 प्रवतशत और ईससे अगे ले जाने का लक्ष्य रखा था।
सरकार का रे लवे प्रबंधन और संचालन से पृथक्करण होना चावहए।
भववष्य में रे ल मंत्रालय को नीवतयों के स्थापन तक सीवमत होना चावहए। एक नया रे लवे
वववनयामक प्रावधकरण स्थावपत ककया जाना चावहए, जो समग्र वववनयमन के वलए वजम्मेदार
होगा तथा वजसमें टैररफ का वनधाथरण शावमल हो।
प्रबंधन और संचालन ककसी वनगवमत आकाइ द्वारा ककया जाना चावहए, भारतीय रे ल वनगम (IRC)
को एक सांवववधक वनगम के रूप में स्थावपत करना चावहए)।
लेखा प्रणाली को एक कं पनी के खाते के स्वरूप में भारतीय GAAP (जनरे ली एटसेप्टेड एकाईं रटग
लप्रवसपल) के ऄनुरूप बनाया जाना चावहए।
भारतीय रे लवे को तेजी से बढ़ते FMCG क्षेत्र, ईपभोक्ता रटकाउ और सूचना प्रौद्योवगकी,
कं टेनरीकृ त कागो और ऑटोमोबाआल अकद जैसे ऄन्य क्षेत्रों का एक महत्वपूणथ वहस्सा हावसल करने
के वलए कदम ईिाने चावहए, जहां आसकी ईपवस्थवत नगण्य है।
यात्री सेवाओं को प्रदान करने की रणनीवत में अपूर्थत में वृवि, लंबी दूरी और ऄंतर शहर पररवहन,
गवत का ईन्नयन और चुलनदा हाइ स्पीड रे ल कॉररडोर के ववकास पर ध्यान देना चावहए।
वतथमान और ऄनुमावनत यातायात संस्करणों के अधार पर ईद्योग समूहों और महत्वपूणथ बंदरगाहों
में बेहतर कनेवटटववटी।
मुम्बइ, बैंगलोर, कदकली NCR अकद जैसे मुख्य नेटवकथ के न्द्रों में 15-20 लॉवजवस्टटस पाकथ का
वनमाथण।
प्राथवमकता पर छह डेवडके टेड फ्रेट कॉररडोर (DFC) का वनमाथण।
रे ल सुरक्षा और रे लवे ऄनुसंधान एवं ववकास पररषद की स्थापना के वलए राष्ट्रीय बोडथ की
स्थापना।
पररयोजनाओं की वडलीवरी में तेजी लाने हेतु रे ल मंत्रालय के अंवशक रूप से स्वतंत्र राष्ट्रीय रे लवे
वनमाथण प्रावधकरण की स्थापना।
प्रबंधन स्तर पर कमथचाररयों को ऄवधक तकथ संगत तथा वतथमान काडरों को कम करने की जरूरत
है।
भारतीय रे लवे को ऄंतर-कनेवटटववटी पररयोजनाओं के वनष्पादन और संचालन में तेजी लानी
चावहए।
ररपोटथ का ववषय "रे लवे मंत्रालय और रे लवे बोडथ के प्रमुख रे लवे प्रोजेटट्स के वलए संसाधनों का
संवधथन और पुनगथिन" है। ऄंवतम ररपोटथ जून, 2015 में प्रस्तुत की गइ और भारतीय रे ल के लगभग
सभी कायो और क्षेत्रों की समीक्षा की गइ। आस सवमवत की मुख्य वसफाररशें आस प्रकार हैं:
व्यावसावयक लेखा पिवत को ऄपनाना : भारतीय रे लवे के ववत्तीय वववरणों को राष्ट्रीय और
ऄंतराथष्ट्रीय रूप से स्वीकार ककए गए वसिांतों और मानकों के ऄनुरूप पुन: तैयार करने की
अवश्यकता है।
भती और मानव संसाधन प्रकक्रयाओं को व्यववस्थत करना: वववभन्न प्रकक्रयाओं के माध्यम से लोग
रे लवे सेवाओं में प्रवेश करते हैं। यहााँ ऄवनवायथ रूप से प्रकक्रया एकीकृ त करने और सुव्यववस्थत करने
की वसफाररश की गइ है।
स्वतंत्र वनयामक RRAI की स्थापना: एक स्वतंत्र वववनयामक वनकाय के रूप में भारतीय रे लवे
वनजी प्रवेश को प्रोत्सावहत करना: भारतीय रे लवे के साथ प्रवतस्पधाथ में मालगाड़ी और यात्री दोनों
ट्रेन चलाने में वनजी प्रवेश की ऄनुमवत दी जानी चावहए और वववभन्न रे लवे अधारभूत संरचना
सेवाओं जैसे ईत्पादन और वनमाथण जैसी गैर-कोर गवतवववधयों में वनजी भागीदारी को प्रोत्सावहत
ककया जाना चावहए।
भारतीय रे लवे वववनमाथण कं पनी: सवमवत का प्रस्ताव है कक ये सभी मौजूदा ईत्पादन आकाआयां चाहे
वह वडब्बों या आंजनों के वलए हों, ईन्हें सरकारी SVP भारतीय रे लवे वववनमाथण कं पनी (IRMC)
SEBI के प्रवतवनवधयों, भारतीय ररजवथ बैंक, IDFC और ऄन्य संस्थानों की एक वनवेश सलाहकार
साथ संयुक्त ईपक्रम के रूप में ककया जाना चावहए। रे लवे के ऄंतगथत बहुत सारे क्षेत्र और प्रभाग हैं
और आस प्रकार एक युवक्तसंगत योजना अवश्यक है।
ं में पररवतथन: ऄलग रे लवे बजट धीरे -धीरे समाप्त हो जाना चावहए और
सरकार और रे लवे के संबध
आसका सामान्य बजट के साथ ववलय कर कदया जाना चावहए (लागू ककया जा चुका है)।
ववकें द्रीकरण: ववकें द्रीकरण वनचले स्तरों की सेवाओं पर लागू होना चावहए।
गैर कोर क्षेत्र: ऄस्पतालों, स्कू लों, खानपान, ररयल एस्टेट डेवलपमेंट, लोकोमोरटव, कोचों और
वैगनों का वनमाथण जैसे गवतवववधयों का गावड़यों के संचालन जैसे मुख्य व्यवसाय से पृथक्करण ककया
जाना चावहए।
जावहर है, पैनल ने बड़े बदलावों के साथ एक बहुत दूरदशी ररपोटथ तैयार की है वजसे पूरा करने में बहुत
ऄवधक समय लगेगा, हालााँकक कु छ ऄनुशंसाओं को लागू ककया जा चुका है। एक बार लागू होने पर,
वपछले 60 वषों में क्षमता ववस्तार के वलए एक व्यापक ढांचे के ऄभाव से भारतीय रे लवे को क्षवत
पहुंची है। पररणामस्वरूप, गेज रूपांतरण, लाआनों का दोहरीकरण, वसग्नल अधुवनकीकरण अकद के
रूप में ही कु छ पररवतथन हुए हैं परन्तु साथ ही ऄव्यवावसक मागों पर नइ लाआनों को लगातार
वबछाया गया है।
रे ल दुघथटनाओं की बढ़ती संख्या दुखद है। भारत में कु ल रे लवे ट्रैक का लगभग 25% ऄत्यवधक
वववजलेंस कण्ट्रोल वडवाआस), रखरखाव का मशीनीकरण, दोषों का शीघ्र पता लगाने अकद की
प्रकक्रया हेतु एक बहुअयामी दृवष्टकोण महत्वपूणथ है, ताकक मानवीय वनभथरता को कम ककया जा
सके । साथ ही साथ समय-समय पर सुरक्षा ऑवडट के साथ मानव संसाधन कौशल को ईन्नत करने
की भी अवश्यकता है।
भारतीय रे लवे को राजस्व अय के साथ-साथ सामावजक दावयत्वों की दोहरी भूवमका वनभानी है।
हालांकक, ट्रंक मागों की संतृवप्त के साथ सेवाओं और ववश्वसनीयता की वनम्न गुणवत्ता के कारण
(HDN) पर ऄवधकांश मागथ पहले से ही संतृवप्त पर पहुंच गए हैं। नेटवकथ का ववस्तार और माल
ऄगले 20 वषों में 7-10 प्रवतशत प्रवतवषथ की लगातार वृवि प्राप्त करनी है, तो रे लवे में ऄभूतपूवथ
क्षमता ववस्तार की अवश्यकता है। आस तरह के क्षमता ववस्तार की अवश्यकता माल और यात्री
यातायात दोनों में सामान रूप से है, वजसे स्वतंत्रता के बाद कभी प्राप्त नहीं ककया गया है। "
हालांकक, भारतीय रे ल गंभीर ऄक्षमता से जूझ रही है और आसमें वनवेश की कमी है, परन्तु सड़क
क्षेत्र में वनवेश (वनजी और सावथजवनक दोनों) में लगातार वृवि देखी गइ है। संसाधनों के सापेक्ष
अवंटन में गंभीर ऄक्षमता और ववकृ वतयों के पररणामस्वरूप, भारतीय रे लवे की यावत्रयों और
आं टरकनेटटेड, पदानुक्रवमत पररवहन नेटवकथ : भारत को एकीकृ त पररवहन नेटवकथ वडजाआन करने में
एक समग्र दृवष्टकोण ऄपनाना चावहए। श्रेणीबि कनेवटटववटी, आंटरमोडल एटसेस और कफट-फॉर-
पपथस नेटवकथ मानकों पर जोर कदया जाना चावहए। नेटवकथ के ववस्तार और क्षमता संविथन का
मूकयांकन मौजूदा नेटवकथ पर और नेटवकथ के भीतर और बाहर ककया जाना चावहए। लेककन, पयाथप्त
पररवहन ऄवसंरचना का वनमाथण ऄभी होना बाकक है, कफर भी भारत पररवहन व्यवस्था के क्षेत्र में
एक ऄवधक वांछनीय और कु शल राज्य बन सकता है।
व्यवहार और समयबिता: नए बुवनयादी ढांचे के वनमाथण में व्यय करने से पूवथ पररवहन और ऄन्य
वस्तु एवं सेवाओं की मांगों के दोनों पक्षों पर ववचार ककया जाना चावहए। भववष्य की मांग की
प्रत्याशा में अधारभूत संरचना को क्रमादेवशत ककया जाना चावहए। पोस्ट होक वनमाथण के बजाय
प्रायः यह कायथ सरल, सस्ता और तीव्र होता है वजससे मार्थजन क्षमता में वृवि होती है। वनमाथण के
पिात् रखरखाव वनयवमत, सामवयक, पूव-थ प्रभावी रूप से की जानी चावहए न कक पुनः स्थापना
की जानी चावहए। यह प्रकक्रया पररवहन के प्रत्येक साधन के पररसंपवत्त प्रबंधन प्रणाली का एक
महत्वपूणथ वहस्सा होना चावहए। बदलती पररवस्थवतयों के ऄनुरूप गवतशील प्रवतकक्रयाओं की
ऄनुमवत प्रदान करने हेतु भत्ते की भी व्यवस्था होनी चावहए।
ु न और क्षमता: भारतीय पररवहन नेटवकथ पर क्षमता से ऄवधक दबाव है। ववशेषकर रे लवे,
पुनसंतल
ऄवधक ववश्वसनीय और उजाथ कु शल होने के बावजूद, क्षमता वृवि में वववभन्न मोचों पर सड़क
पररवहन से पीछे चल रही हैं। हालांकक ववत् पोषण में बढ़ोत्तरी देखी गयी है परन्तु भौवतक
अधारभूत संरचना की क्षमता में प्रासंवगक वृवि नहीं हो पाइ है। ऐसा आसीवलए है टयोंकक क्षमता
वृवि के बजाय नए और कभी-कभी ऄनार्थथक बुवनयादी ढांचे के वनमाथण पर ऄवधक से ऄवधक
वनवेश को फोकस कर कदया जाता है।
ऄनुदान: वववभन्न पररवहन पिवतयों के ववत्तपोषण मॉडल की कइ ववशेषताएं होती हैं। सावथजवनक
साधनों के स्रोत को बेहतर बनाने हेतु प्रत्येक पिवत में कोइ न कोइ ईपाय होता है, ताकक बेहतर
लागत वमले और अर्थथक दक्षता प्राप्त हो सकें । ववशेष रूप से रे लवे के ववत्तपोषण में यह समस्याएं
व्याप्त हैं। बुवनयादी ढांचे के ववत्तपोषण में सरकार की भूवमका को बनाए रखते हुए, वनवेश के
ऄंतराल को भरने के वलए वनजी वनवेश में वृवि की अवश्यकता है। व्यावसावयक रूप से ऄसक्षम,
लेककन अर्थथक और सामावजक रूप से महत्वपूणथ वनवेश वनणथयों में सावथजवनक वनवेश के प्रवाह को
भी ऄनुमवत दी जानी चावहए।
मूकय वनधाथरण: सवब्सडी, टैररफ और कराधान नीवतयों का एक पेचीदा जाल भारतीय पररवहन
पर लागू होता है। आसके पररणामस्वरुप ववकृ त मूकय वनधाथरण होता है जो संसाधनों कौशल में
ऄवरोध ईत्पन्न कर संसाधनों के क्षरण और सूदखोरी को बढ़ावा देता है। ऄवधक पररष्कृ त और वनम्न
ववरूपणकारी मूकय वनधाथरण, पररवहन क्षेत्र के बाजार के अकार वनधाथरण में सरकार का
शवक्तशाली ईपकरण बन सकता हैं।
शहरी पररवहन : शहरी अबादी की तेजी से बढ़ती मांगों की पूर्थत, अपूर्थत पक्ष, मांग पक्ष,
सावथजवनक पररवहन की मजबूती, व्यवक्तगत पररवहन पर संतुवलत वनरोध अकद पर एक क्रवमक
दृवष्टकोण की अवश्यकता है। हालांकक, तकथ संगत और ऄनुकूलन वनणथयन हेतु अवश्यक है जब
सावथजवनक पररवहन के ककसी एक रूप में वनवेश का ववककप ककसी दूसरे मॉडल के "वन साआ़ि
कफट्स अल" के ववपरीत हो जाता है।
कौशल और मानव संसाधन: भारत को बुवनयादी सुववधाओं के ववकास के संबंध में ऐसे लोगों की
अवश्यकता है जो में वनपुण हो: योजना, पररयोजना की पहचान और ववकास; कु शल और पारदशी
ऄनुबंध की खरीद, प्रशासन, और संचालन और प्रबंधन। कु शल पररवहन पेशेवरों की गंभीर कमी
को तुरंत समाप्त ककया जाना चावहए।
भारतीय ऄथथव्यवस्था
8. ऄवसंरचना : भाग-II
ढु लाइ में ववत्त वषथ 2006-16 के ऄंतराल में CAGR 6.8% दजथ की गयी। यात्री और माल ढु लाइ
में वृवि कु ल ववमान संचालन में वृवि के कारण संभव हुइ है, वजसमें ववत्त वषथ 2007-17 में
भारत सरकार ने ववमान ईड्डयन क्षेत्र को वनजी भागीदारी के वलए खोला है और PPP मॉडल के
तहत बड़े शहरों में छह हवाइ ऄड्डों का ववकास ककया जा रहा है। भारतीय ववमानपत्तन प्रावधकरण
(AAI) ने 2020 तक देशभर में लगभग 250 हवाइऄड्डों का संचालन करने का लक्ष्य रखा है।
DGCA नागररक ईड्डयन के क्षेत्र में वनयामक वनकाय है। यह नागररक ईड्डयन मंत्रालय के ऄंतगथत है।
वतथमान में DGCA के पास भती करने की शवियााँ नहीं है। यह वनम्नवलवखत गवतवववधयों के वलए
वजम्मेदार है:
ववमान वनयम,1937 के प्रावधानों के ऄनुसार दूसरे देशों से भारत में और भारत से दूसरे देशों में
हवाइ पररवहन सेवाओं का वववनयमन।
पायलटों और ववमान रखरखाव ऄवभयंताओं को लाआसेंस देना, ईड़ान चालक दल मानकों की
वनगरानी करना।
नागररक ववमान का पंजीकरण करना।
भारत में पंजीकृ त नागररक ववमानों के वलए ईड़ान-योग्यता की अवश्यकताओं को वनधाथररत करना
और ऐसे ववमानों के वलए हवाइ-ईपयुिता प्रमाण पत्र जारी करना।
छोटी हवाइ दुघथटनाओं की जांच और सरकार द्वारा वनयुि न्यायालयों/अयोगों के वलए तकनीकी
सहायकों को प्रदान करना।
एयर वाहक और एयरोड्रोम का सुरक्षा वनरीक्षण और वनगरानी।
दूसरे देशों के साथ वद्वपक्षीय वायु सेवा समझौतों सवहत हवाइ पररवहन से संबंवधत मामलों पर
सरकार को सलाह देना ।
ववमान का प्रकार प्रमाणन करना ।
भारत में वशकागो सम्मेलन के प्रावधानों को लागू करने के ईद्देश्य से ववमान ऄवधवनयम, 1934
और ववमानन वनयम, 1937 और नागररक ईड्डयन से संबंवधत ऄन्य वनयमो में संशोधन करना।
BCAS भारत का नागररक ईड्डयन सुरक्षा वनयामक है। यह नागररक ईड़ानों के संबंध में ववमानों
के पूव-थ अरोहन तथा सुरक्षा ईपायों के मानकों को वनधाथररत हेतु वजम्मेदार है। आन मानकों का
वनयवमत वनरीक्षण और सुरक्षा लेखापरीक्षा के माध्यम से ऄनुपालन सुवनवश्चत ककया जाता है।
AAI नागर ववमानन मंत्रालय के तहत एक PSU है जो संपूणथ देश में हवाइऄड्डों के बुवनयादी ढांचे
का वनमाथण एवं ववकास और प्रबंधन करता है। 1995 में तत्कालीन दो प्रावधकरणों (राष्ट्रीय हवाइ
ऄड्डा प्रावधकरण और ऄंतराथष्ट्रीय हवाइऄड्डा प्रावधकरण) के ववलय पश्चात् AAI ऄवस्तत्व में अया
था।
AAI की देश में स्थल और वायु पर नागररक ईड्डयन ऄवसंरचना के वनमाथण, ईन्नयन, रखरखाव
और प्रबंधन की वजम्मेदारी है। AAI के मुख्य कायों में यात्री टर्नमनलों का वनमाथण, सुधार और
प्रबंधन, कागो टर्नमनलों के ववकास और प्रबंधन, रे लवे के साथ-साथ रनवे, समानांतर टैक्सी मागथ,
रडार, दृश्य ईपकरणों के प्रावधान शावमल हैं। आसके ऄंतगथत एयर ट्रैकफक सेवाएं, यात्री टर्नमनलों में
यात्री सुववधाओं और संबंवधत सुववधाओं का प्रावधान भी है, वजससे देश में ववमान, यात्री और
कागो का सुरवक्षत संचालन सुवनवश्चत ककया जा सके ।
हवाइ ऄड्डों की सुरक्षा मानकों में सुधार के वलए पुराने ऄत्याधुवनक ईपकरणों का प्रवधथन, पुराने
ईपकरणों के प्रवतस्थापन और नइ सुववधाओं का वनमाथण एक सतत प्रकक्रया है। नइ प्रकक्रयाओं और
नए ईपकरणों को एक साथ ही शावमल ककया जाता है। आस कदशा में कु छ प्रमुख पहलें एयरस्पेस
क्षमता को बढाने तथा वायु में भीड़ को कम करने के वलए भारत ने ररड्यूसड वटीकल सेपेरेशन
वमवनमम (RVSM) की शुरुअत की हैं; साथ ही आसरो के साथ GPS और वजयो ऑग्नेटेड
AAI 125 हवाइ ऄड्डों का प्रबंधन करता है, वजसमें 18 ऄंतराथष्ट्रीय हवाइऄड्डे, 07 कस्टम एयरपोटथ,
78 घरे लू हवाइ ऄड्डे और वडफें स एयरफील्ड के 26 वसववल एनक्लेव्स शावमल हैं। AAI एयर स्पेस
के 2.8 वमवलयन वगथ नारटकल मील पर एयर नेववगेशन सेवाएं प्रदान करता है।
PHHL कम्पनी ऄवधवनयम 1956 के ऄंतगथत एक सरकारी वनकाय है वजसका मुख्य ईद्देश्य
ऄपतटीय ऄन्वेषण में पेट्रोवलयम क्षेत्र को हेलीकॉप्टर सहायता सेवाएं प्रदान करना, पहाड़ी और
दुगथम क्षेत्रों में यात्रा और पयथटन को बढावा देने के वलए चाटथर ईड़ानें ईपलब्ध कराना है। 42
हेलीकाप्टरों के बेड़े के साथ PHHL एवशया के सबसे बड़े हेलीकॉप्टर ऑपरे टरों में से एक के रूप में
ईभरा है।
कें द्रीय मंवत्रमंडल ने हाल ही में घरे लू ववमानन क्षेत्र को प्रोत्साहन और यात्री ऄनुकूल ककराया प्रदान
करने के वलए नागर ववमानन नीवत को मंजूरी दी है। आस नइ नीवत का ईद्देश्य घरे लू ववमान
यावत्रयों को वववभन्न लाभ प्रदान करना है।
नीवत का ईद्देश्य:
भारत को वषथ 2022 तक तीसरा सबसे बड़ा नागररक ईड्डयन बाजार बनाना। वतथमान में भारत
नौवें स्थान पर है।
घरे लू रटकटों को वषथ 2015 में 8 करोड़ से वषथ 2022 तक 30 करोड़ पर ले जाना तथा वषथ 2022
ऄनुसूवचत वावणवययक ईड़ानों वाले हवाइ ऄड्डों को वषथ 2016 में 77 से वषथ 2019 तक 127
करना।
वषथ 2027 तक कागो की संख्या में 4 गुना की वृवि करके 10 वमवलयन टन करना।
वववनयमन में ढील, सरलीकृ त प्रकक्रयाओं और इ-गवनेंस के माध्यम से “इज ऑफ़ डू आंग वबज़नेस” को
प्रोत्साहन।
नागररक ईड्डयन क्षेत्र में “मेक आन आं वडया” को बढावा देना।
वषथ 2025 तक गुणवत्ता प्रमावणत 3.3 लाख कु शल कर्नमयों की ईपलब्धता सुवनवश्चत करना।
राष्ट्रीय नागर ववमानन नीवत की मुख्य ववशेषताएं: नइ नागर ववमानन नीवत की अधारवशला में वनम्न
सवम्मवलत हैं:
क्षेत्रीय संपकथ योजना (Regiona।Connectivity Scheme)
o ककराये की ईच्चतम सीमा: 30 वमनट के वलए 1200 रुपये और घंटे भर की ईड़ान के वलए
2500 रुपये।
o नागररक ईड्डयन मंत्रालय द्वारा हवाइ यातायात मागों को 3 श्रेवणयों में वगीकृ त ककया
जाएगा।
5/20 वनयम की समावि
o आस योजना के स्थान पर एक ऐसी योजना लायी गयी है वजसके तहत सभी को समान ऄवसर
प्रदान ककया जाएगा।
o सभी एयरलाआं स ऄब ऄंतराथष्ट्रीय पररचालन शुरू कर सकते हैं, बशते वे 20 ववमान या कु ल
क्षमता के 20% ववमान, जो भी ऄवधक हो, घरे लू ईड़ान के वलए पररचावलत करें ।
वद्वपक्षीय यातायात ऄवधकार
o भारत सरकार, साकथ देशों और कदल्ली से 5,000 ककमी दूर वस्थत देशों के साथ पारस्पररक
अधार पर “ओपन स्काइ” प्रावधान को लागू करे गी। ऄथाथत ये देश, ईड़ानों और सीटों की
संख्या के मामले में भारतीय हवाइ ऄड्डों का ऄसीवमत ईपयोग कर पाएंगे, वजससे आन देशों के
साथ हवाइ ईड़ान में वृवि होगी।
o ववमानन संबंधी सभी लेनदेन, वशकायतों अकद के वलए एकल वखड़की प्रणाली।
o “इज ऑफ़ डू आंग वबज़नस” पर ऄवधक फोकस क्योंकक सरकार की क्षेत्रीय ईड़ान की व्यवस्था
o रायय सरकारों के साथ-साथ वनजी क्षेत्र या PPP मोड के द्वारा ग्रीनफील्ड और ब्राईनफील्ड
o भववष्य में सभी हवाइऄड्डों पर टैररफ की गणना ‘हाआवब्रड रटल’ के अधार पर की जाएगी।
एयरलाआनस की बैलस
ें शीट लाभाजथन में ऄस्थाइ हैं, वजसमें ऄवधकांश एयरलाआन्स कइ वषों से
कइ बार, हवाइ रटकट की कीमतें ऄत्यंत कम या ऄनुवचत रूप से ईच्च रही हैं, तथा आसके वलए कोइ
एयर आं वडया को सरकारी सवब्सडी देने की पचता और ईसका ईद्योग पर होने वाला प्रभाव, प्रायः
नइ पूज
ं ी वनवेश से कु छ ऄवधक होता है।
कु छ नए वनजी हवाइ ऄड्डों में कवथत रूप से ईच्च शुल्क लेने के मुद्दे सामने अए हैं।
हवाइ ऄड्डों की समस्याओं या एयरलाआं स के संचालन की क्षमता जांच के वबना, हवाइ ऄड्डों की
भारत के नागररक ईड्डयन क्षेत्र में श्रम बल (पायलटों, के वबन क्रू, हवाइ यातायात वनयंत्रकों, ग्राईं ड
स्टाफ अकद) में गंभीर कमी अ रही है। यह कमी प्राथवमक रूप से प्रवशक्षण ऄकादवमयों, प्रवशक्षकों
भारत में एववएशन टबाथआन फ्यूल (ATF), ऄन्य क्षेत्रीय हवाइ ऄड्डों की तुलना में ययादा महंगी है।
आस सभी के बीच, ईद्योग करों, ईपकर, वनयमों और वववनयामक प्रवतबंधों की कष्टप्रद प्रणाली द्वारा
सभी मोड शावमल होते हैं। एयर ट्रांसपोटथ आंिास्ट्रक्चर की योजना वनमाथण के दौरान नेटवकथ -कें कद्रत
सोच को प्रबल होना चावहए। पूरक क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और ऄंतरराष्ट्रीय हवाइ नेटवकथ के वनमाथण पर
एक नेशनल मास्टर प्लान को बनाकर ईसे संधाररत करना चावहए, जो वनर्ददष्ट स्थानों पर हवाइ
ऄड्डे के वनमाथण के वलए स्पष्ट अर्नथक कारणों की पहचान करे । MoCA (नागररक ईड्डयन मंत्रालय)
के ऄंतगथत एक एयरपोटथ ऄप्रूवल कवमटी स्थावपत की जानी चावहए वजसका कायथ प्रस्ताववत हवाइ
ऄड्डों को मंजूरी देना तथा वपछली व्यावसावयक योजनाओं की समीक्षा करना है।
हवाइ ऄड्डों की कागो को हैंडल करने की क्षमता तत्काल रूप से बढाइ जानी चावहए।
एयर नेववगेशन सर्नवसेज द्वारा ववमानन सुरक्षा के मामले में एक ऄसाधारण ररकॉडथ को जारी रखने
हेतु पयाथि वनवेश की अवश्यकता है।
वनयामकीय और नीवतगत कायथ को स्पष्ट रूप से पृथक कर देना चावहए। मंत्रालय को राष्ट्रीय नीवत
तैयार करने एवं ववमानन क्षेत्र को ववकवसत करने के प्रयासों में रायय सरकारों को प्रोत्साहन एवं
मागथदशथन पर फोकस करना चावहए।
DGCA के स्थान पर एयर स्पेस मैनेजमेंट, पयाथवरण, प्रवतस्पधाथत्मकता और ईपभोिा संरक्षण के
पररचालन वववनयमन के वलए वजम्मेदार नागर ववमानन प्रावधकरण (CAA) के साथ बदला जाना
चावहए।
चूाँकक ववमानन क्षेत्र स्थानीय अर्नथक ववकास का एक प्रमुख सहयोगी है, आसवलए रायय सरकारों
नेववगेशन सेवाएं।
ऐसी शतों को बनाया जाना चावहए वजससे भारतीय MRO (मैन्टेनेन्स, ररपेयर और ओवरहाल/
ओपरे शन) ईद्योग शीघ्रता से बढ सके । ववश्व का ऄग्रणी MRO ईद्योग बनने के वलए भारत के वलए
2017 में कागो ट्रैकफक लगभग 943.1 MMT पहुंच गया है।
कागो का एक बड़ा भाग ऄब प्रमुख बंदरगाहों से गैर-प्रमुख बंदरगाहों की तरफ ववस्थावपत हो गया
है। कु ल यातायात में गैर-प्रमुख बंदरगाहों के यातायात का योगदान ववत्त वषथ 2007 में 28.6
फीसदी से बढकर ववत्त वषथ 2016 में 43.5 फीसदी हो गया। ववत्त वषथ 2016 में गैर-प्रमुख
वतथमान में भारत में 13 प्रमुख बंदरगाह हैं और समुद्र तट और द्वीपों को वमलाकर 200 ऄवधसूवचत
गैर-प्रमुख बंदरगाह हैं। प्रमुख बंदरगाहों को 1963 के मेजर पोटथ ट्रस्ट एक्ट के तहत कें द्र सरकार
द्वारा प्रशावसत ककया जाता है। आसका एक ऄपवाद एन्नोर पोटथ , है जो कक कं पनी ऄवधवनयम,
1956 के प्रावधानों के तहत प्रशावसत ककया जाता है। गैर-प्रमुख बंदरगाहों का प्रबंधन तटीय
1997 में अर्नथक ईदारीकरण की सामान्य नीवत को ध्यान में रखते हुए, वनजी क्षेत्र के वलए
बंदरगाह क्षेत्र को खोल कदया गया था। तदनुसार, बड़े बंदरगाहों के पोत और कागो-संबंवधत
टैररफों को वववनयवमत करने के वलए एक टैररफ प्रावधकरण (TAMP) संस्था का वनमाथण ककया
गया था। TAMP को यह भी वजम्मेदारी दी गयी है कक वह प्रमुख पोटथ ट्रस्ट और वनजी ऑपरे टरों
की संपवत्तयों के पिा दरों का वववनयमन करे । वतथमान में भारतीय वशपपग क्षेत्र में 100% FDI की
ऄनुमवत है।
(कनाथटक), कोवच्च (के रल), जवाहरलाल नेहरू पोटथ (पूवथ में न्हावा शेवा)।
पूवी तट के प्रमुख बंदरगाह: तूतीकोररन, एन्नोर एवं चेन्नइ (तवमलनाडु ), ववशाखापिनम (अंध्र प्रदेश),
पारादीप (ओडीशा), कोलकाता-हवल्दया (प. बंगाल) एवं पोटथब्लेयर (ऄंडमान वनकोबार द्वीप समूह)।
यह कच्छ खाड़ी के वसरे पर वस्थत यवारीय बंदरगाह है। आसके पृष्ठ प्रदेश में गुजरात
कांडला सवहत राजस्थान, हररयाणा, पंजाब, वहमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर सवम्मवलत
हैं। महत्वपूणथ यातायात की वस्तुओं में खाद्य तेल, पेट्रोवलयम ईत्पाद, खाद्यान्न,
नमक, कपड़ा, कच्चा तेल आत्याकद सवम्मवलत हैं।
यह एक प्राकृ वतक पोताश्रय है। ववस्तृत पृष्ठ प्रदेश वजसमें महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य
मुंबइ प्रदेश, हररयाणा, पंजाब, कदल्ली, ईत्तर-प्रदेश और ईत्तराखंड शावमल हैं। आसके
द्वारा ऄवधकांशतः पेट्रोवलयम ईत्पाद एवं शुष्क कागो का पररवहन ककया जाता हैं।
गोवा में ऄरब सागर तट पर जुअरी नदी के तट पर वस्थत है। यह बंदरगाह लौह-
मामाथगाओ ऄयस्क वनयाथत के वलए मुख्य है। आससे मैंगनीज, सीमेंट, ऄपवशष्ट, ईवथरक और
मशीन अयात की जाती है।
न्यू मंगलौर यह मुंबइ तक NH-17 और रे ल मागथ द्वारा जुड़ा हुअ है। यहां से लौह-ऄयस्क
(कु द्रेमुख से प्राि) का वनयाथत ककया जाता है। पेट्रोवलयम ईत्पाद, ईवथरक और शीरा
अकद प्रमुख अयात ककये जाने वाले ईत्पाद है।
कोवच्च यह एक प्राकृ वतक पोताश्रय है, जहां से ईवथरक, पेट्रोवलयम ईत्पाद एवं सामान्य नौ-
भार (कागों) का पररवहन होता है।
तूतीकोररन यह गहरा कृ वत्रम पोताश्रय है। समृि पृष्ठ प्रदेश के साथ रे ल और सड़क मागथ (NH-
7A) से भलीभांवत जुड़ा हुअ है, यहां से मुख्यतः कोयला, नमक, खाद्य तेल, शुष्क
और नौ-भार एवं पेट्रोवलयम ईत्पादों का वनयाथत ककया जाता है।
चेन्नइ यह एक कृ वत्रम पोताश्रय है, यहां से काफी मात्रा में पररवहन का अवागमन होता
है। पेट्रोवलयम ईत्पाद, कच्चा तेल, ईवथरक, लौह ऄयस्क और शुष्क कागो आत्याकद
प्रमुख मद हैं।
एन्नोर यह देश का प्रथम वनगवमत पत्तन है जो चेन्नइ से लगभग 20 Km दूर एन्नौर में
वस्थत है। यह एक प्राकृ वतक पोताश्रय है और प्रारं भ में थमथल कोयला, रसायनों,
LNG और पेट्रोवलयम ईत्पादों का संचालन करने के वलए वडजाआन और ववकवसत
ककया गया। आसका नया नाम कामराज पोटथ वलवमटेड ककया गया है।
ववशाखापिनम यह सवाथवधक गहरा और प्राकृ वतक बंदरगाह है। लौह-ऄयस्क के वनयाथत हेतु यहां
एक बाहरी पोताश्रय का ववकास ककया गया है। साथ ही कच्चे तेल के वलए भी एक
बथथ यहां स्थावपत है। आसके सुववस्तृत पृष्ठ प्रदेश हैं-अंध्र प्रदेश के ऄलावा, ओडीशा,
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ।
कोलकाता- यह हुगली नदी के मुहाने पर वस्थत बंदरगाह है। आसके सुववस्तृत क्षेत्र में छत्तीसगढ,
हवल्दया
वबहार, झारखण्ड, ओडीशा, पूवोत्तर प्रदेश और ईत्तर प्रदेश शावमल हैं। यहां से जूट
ईत्पाद, ऄभ्रक, कोयला तथा मशीनों का व्यापार होता है।
पोटथब्लेयर ऄंडमान वनकोबार द्वीप समूह में वस्थत पोटथब्लेयर को कें द्र सरकार द्वारा 1 जून,
2010 को प्रमुख बंदरगाहों की श्रेणी में रखा गया।
NMDP का ईद्देश्य वैवश्वक मानकों को ध्यान में रखते हुए भारत में बुवनयादी ढांचे का ईन्नयन और
अधुवनकीकरण करना है। बंदरगाहों में वनजी क्षेत्र की भागीदारी मुख्य रूप से व्यावसावयक रूप से
लाभप्रद पररयोजनाओं में होती है जैसे कक बथथ, टर्नमनलस का संचालन और ईनका ववकास।
सावथजवनक ववत्त पोवषत पररयोजनाएं कॉमन यूजर आंिास्ट्रक्चर के वनमाथण गवतवववध को समावहत
करती हैं। आसमें बड़ी संख्या में पररयोजनाएं शावमल हैं, वजनमें सभी प्रमुख बंदरगाह गवतवववधयााँ
सवम्मवलत हैं जैसे:
o बथथ का वनमाथण / ईन्नयन
o समुद्री चैनलों को गहरा करना
o रे ल/सड़क कनेवक्टववटी
o टनभार ऄवधग्रहण
o समुद्री प्रवशक्षण
o तटीय वशपपग
o नेववगेशन के वलए ऄनुदान
o जहाज वनमाथण और
o ऄंतदेशीय जल पररवहन (IWT) अधारभूत संरचना का वनमाथण
2.2. वशपपग
देश के कु ल व्यापार का 95% वहस्सा (मूल्य के मामले में 68%) समुद्री मागों के द्वारा संचाररत
होता है। भारत के पास ववश्व का सबसे बड़े व्यापाररक वशपपग फ्लीट में से एक है।
भारतीय वशपपग फ्लीट की औसत अयु 18.03 वषथ है। ऄक्टू बर, 2016 तक भारत के पास 11.24
MGT के कु ल 1299 जहाज हैं। कु ल टन भार में लगभग 1.52 वमवलयन GT के 900 जहाज
तटीय व्यापार में संलग्न हैं और शेष 399 जहाज ववदेशी व्यापार में संलग्न हैं। भारतीय जहाजों
द्वारा संचावलत माल के टन भार में वृवि के बावजूद, 1987-88 के 40.7% से घटकर 2014-15
में कु ल वनयाथत-अयात (एवक्जम) व्यापार का 7.45% प्रवतशत हो गया।
तटीय वशपपग भारतीय पररवहन नेटवकथ का एक उजाथ सक्षम, पयाथवरण ऄनुकूल और वमतव्ययी
पररवहन साधन है। यह घरे लू ईद्योग एवं व्यापार के ववकास के वलए एक महत्वपूणथ घटक है। ऄरब
सागर में लक्षद्वीप और बंगाल की खाड़ी में ऄंडमान और वनकोबार द्वीप समूह के ऄवतररि भारत
ऄपने 7,516 ककलोमीटर तटरे खा के साथ 9 समुद्री राययों के लगभग 3,80,000 वगथ ककमी क्षेत्र
को कवर करता है।
भारत के EEZ क्षेत्र में ईप समुद्री संसाधनों के दोहन में भारी वृवि देखी है। भारत के पास एक
लंबी तटरे खा है जो प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाह युि है। यह पररवहन के आस वैकवल्पक मोड के
ववकास के वलए ऄनुकूल एवं सहयोगी है।
भारत में कु ल 14,500 ककलोमीटर जलमागथ नौगम्य हैं। ऄंतदेशीय जल पररवहन (IWT) बुवनयादी
ढांचों के ववकास के कइ लाभ हैं, जैसे:
o ईंधन दक्षता
o पयाथवरण ऄनुकूल
o लागत प्रभावी
o ववशेष रूप से भारी वस्तुओं एवं खतरनाक वस्तुओं की अवाजाही हेतु सड़क और रे ल नेटवकथ
पर बोझ को कम करना।
ऄंतदेशीय जलमागथ पररवहन (IWT) क्षेत्र दीघथकाल तक वनवष्क्रय रहा। फलतः समग्र पररवहन क्षेत्र
में आसकी प्रासंवगकता और महत्व कम होता चला गया। ईंधन की बचत, पयाथवरण ऄनुकूलता तथा
थोक वस्तुओं और जोवखम भरे वस्तुओं अकद के पररवहन के वलए IWT कोररडोर की लागत
प्रभावशीलता ऄत्यंत ईपयोगी है। आस संदभथ में यह अवश्यक है कक वजस भी स्थल पर IWT
कॉररडोर की संभावना ववद्यमान है, वहां आस संचार साधन को बुवनयादी ढांचे के साथ ववकवसत
ककया जाए ताकक बढते कागो और यात्री पररवहन के वलए आनका ईपयोग ककया जा सके ।
IWT ऄवसंरचना ववकास के वलए कइ कदम ईिाए जा रहे हैं। आनका मुख्य फोकस कागो-संबंवधत
पररयोजनाओं पर है। IWT क्षेत्र के ववकास हेतु राष्ट्रीय जलमागथ ऄवधवनयम, 2016 वतथमान में
कायथरत 5 राष्ट्रीय जलमागथ सवहत 111 नए राष्ट्रीय जलमागों को घोवषत ककया गया है। नए राष्ट्रीय
जलमागों की तकनीकी अर्नथक व्यवहायथता (TEF) ऄध्ययन/ववस्तृत पररयोजना ररपोटथ (DPR)
तैयार करने की प्रकक्रया भी शुरू की गइ है। ऄभी तक प्राि संभाव्यता ररपोटों के ऄनुसार, ऄगले
तीन वषों में 32 नए राष्ट्रीय जलमागथ और पहले से मौजूद पांच राष्ट्रीय जलमागों को ववकवसत
ककया जाना है।
राष्ट्रीय जलमागों का ववकास, रख-रखाव एवं प्रबन्ध अंतररक जलमागथ प्रावधकरण (आनलैण्ड
वाटरवेज ऄथॉररटी ऑफ आवण्डया: IWAI) द्वारा ककया जाता है। आस प्रावधकरण का गिन 1986 में
ककया गया था। आसका ईद्देश्य नौवहन और समुद्री अवागमन को सुवनवश्चत करना है। आसका
मुख्यालय नोएडा (ईत्तर प्रदेश) में है। राष्ट्रीय जलमागथ (गंगा-भगीरथी-हुगली नदी तंत्र का
आलाहाबाद-हवल्दया भाग) एक्ट, 1982 के ऄनुसार आस जल मागथ के ववकास का दावयत्व के न्द्रीय
सरकार पर है। वनम्नांककत पााँच जल-मागथ (2010-11 तक) राष्ट्रीय जलमागथ के तौर पर घोवषत
ककए गए हैं :
हुगली नदी तंत्र का 1620 km लंबा आलाहाबाद-हवल्दया मागथ है। आसकी घोषणा 1986 में की गइ थी।
यह जलमागथ पटना तक यंत्रीकृ त नौकाओं द्वारा नौगम्य है तथा हररद्वार तक साधारण नौकाओं का
प्रयोग ककया जाता है। ववकास की दृवष्ट से यह तीन भागों में ववभि ककया जा सकता है:
हवल्दया से फरक्का तक (560 km)
NW-1 को 1500-2000 टन जहाजों के नेववगेशन के योग्य बनाना हैl आस पररयोजना को वववभन्न ईप-
पररयोजनाओं में ववभि ककया गया है जैसे- फे यरवे ववकास, नेववगेशनल ईपकरणों का ईपयोग,
(ii) राष्ट्रीय जलमागथ-2: यह ब्रह्मपुत्र नदी पर 891 km लंबा सकदया-धुबरी जलमागथ है। वषथ 1988 में
आसकी घोषणा की गइ थी। ब्रह्मपुत्र नदी में वडब्रूगढ तक स्टीमर चलाए जा सकते हैं (1384 km)।
(iii) राष्ट्रीय जलमागथ-3 : यह के रल में कोिापुरम से कोल्लम तक ववस्तृत है। आस मागथ की लम्बाइ 168
km है। आसके तहत 168 km पवश्चमी तटीय नहर के साथ ईद्योगमंडल नहर (250 km) और चंपाकारा
कालुवल
ै ी टैंक पर बना है। 2008 में आस जलमागथ की घोषणा की गइ थी। आस मागथ की लम्बाइ 1028
km है।
(v) राष्ट्रीय जलमागथ-5 : यह ब्रह्माणी नदी के तालचेर धमरा नहर, पूवी नहर के वजयानखली से
चरबवतया, महानदी डेल्टा नदी-तंत्र के साथ मताइ नदी पर ववस्तृत चरबवतया-धमरा मागथ को
सवम्मवलत करता है। आस मागथ की लम्बाइ 585 km है। 2008 में आस जलमागथ की घोषणा की गइ थी।
(vi) राष्ट्रीय जलमागथ-6 : बराक नदी में लखीमपुर-भंगा मागथ देश का छिवां जलमागथ है। आसकी लम्बाइ
121 km है। आसके पररणामस्वरूप ईत्तरी-पूवी क्षेत्र, ववशेष रूप से ऄसम, नागालैंड, वमजोरम,
मवणपुर, वत्रपुरा एवं ऄरुणाचल प्रदेश क्षेत्रों के जहाजरानी एवं माल पररवहन का एकीकृ त ववकास
संभव होगा। जनवरी 2013 में आस मागथ कें द्रीय मंवत्रमण्डल ने छिवें राष्ट्रीय जलमागथ के रूप में स्वीकृ वत
प्रदान की थी।
कें द्रीय जल अयोग द्वारा ईत्तर की नकदयों को प्रायद्वीपीय नकदयों से जोड़ने तथा कोलकाता एवं
मंगलौर को जलमागों की तटीय प्रणाली के माध्यम से संयुि करने का प्रस्ताव रखा गया है। राष्ट्रीय
जलमागथ ऄवधवनयम, 2016 के ऄनुसार, 111 जलमागों को राष्ट्रीय जलमागथ (NWs) घोवषत
भारतीय वशपपग कॉपोरे शन की स्थापना 2 ऄक्टू बर 1961 को की गयी थी। पूवी वशपपग
कॉपोरे शन और पवश्चमी वशपपग कॉपोरे शन के एकीकरण से आसकी स्थापना हुइ थी।
वसफथ 19 जहाजों के साथ एक सीमांत लाआनर वशपपग कं पनी के रूप में अरं भ होने वाली SCI
अज भारत की सबसे बड़ी वशपपग कं पनी है। वशपपग व्यापार के वववभन्न क्षेत्रों में SCI के महत्वपूणथ
शेयर हैं। SCI के स्वावमत्व वाली बेड़े में थोक वाहक, क्रूड ऑयल टैंकर, ईत्पाद टैंकर, कं टेनर
वाहक, यात्री-सह-कागो वाहक, फास्फोररक एवसड/रासायवनक वाहक, LPG/ऄमोवनया वाहक
और ऑफशोर सप्लाइ वेसल शावमल हैं। लगभग पांच दशकों के नौकायन आवतहास के साथ,
वतथमान में SCI की वैवश्वक समुद्री मानवचत्र पर एक महत्वपूणथ ईपवस्थवत है।
देश की प्रमुख वशपपग कं पनी के रूप में, SCI भारतीय टन भार के लगभग एक वतहाइ वहस्से का
भार वहन करता है और राष्ट्रीय और ऄंतराथष्ट्रीय वशपपग व्यवसाय दोनों में, व्यावहाररक रूप से
संचालनशील वहतों का संचालन करता है l
सरकारी स्वावमत्व वाले कोचीन वशपयाडथ वलवमटेड और पहदुस्तान वशपयाडथ वलवमटेड भारत के
प्रमुख वशपयाडथ हैं। वनजी वशपयाडथ की संख्या ऄवधक है परन्तु जहाजों के अकार के सन्दभथ में
ईनकी वनमाथण क्षमता सीवमत हैं। भारतीय जहाज़ वनमाथण ईद्योग के वल भारतीय और ऄंतराथष्ट्रीय
कागो का ही ईत्पादन नहीं करता, बवल्क संपण
ू थ जहाज की मरम्मत की सुववधा भी प्रदान करता है।
कोचीन वशपयाडथ देश का सबसे बड़ा वशपयाडथ है।
जहाज़ वनमाथण ईद्योग वनम्न में ववभावजत है:
नए जहाज वनमाथण याडथ: नया जहाज़ वनमाथण याडथ मुख्य रूप से वावणवययक और रक्षा जहाजों के
वनमाथण में सकक्रय हैं। ABG वशपयाडथ, भारती वशपयाडथ, मॉडेस्ट, पीपावाव वशपयाडथ, L&T
वशपयाडथ, कोचीन वशपयाडथ अकद कु छ प्रमुख याडथ हैं।
जहाजों की मरम्मत : भारतीय जहाज मरम्मत ईद्योग में लगभग 7 वशप ररपेयर यूवनट (SRU's)
सवम्मवलत हैं: एलकॉक एशडोन एंड कं वलवमटेड, चेन्नइ पोटथ ट्रस्ट, पहदुस्तान वशपयाडथ वलवमटेड,
मुंबइ बंदरगाह ट्रस्ट, कोचीन वशपयार्डसथ, गाडथन रीच वशपवबल्डसथ और मझगांव डॉक वलवमटेड को
SRU's के रूप में स्थायी ऄनुमोदन प्रदान ककया गया है।
वैवश्वक मंदी ने जहाज वनमाथण ईद्योग, ववशेष रूप से वनजी क्षेत्र में कइ याडों की ववत्तीय वस्थवत को
प्रभाववत ककया है। 2008 के बाद से बाजार में वगरावट और सरकार के नीवतगत समथथन की कमी
के कारण, रक्षा वशपयाडों को छोड़कर, जब वैवश्वक वशप वबपल्डग के बहुत कम ऑडथर अ रहे हैं ऐसे
में सभी पोत कारखाने को चुनौवतयों का सामना करना पड़ रहा है।
भारतीय जहाज वनमाथण ईद्योग ने रक्षा और ऄपतटीय क्षेत्र के जहाजों के वनमाथण पर ध्यान देना
जारी रखा है। भारतीय नौसेना बेड़े की ववस्तार योजनाएं और भारतीय तट रक्षक के वलए जहाजों
का वनमाथण ऐसे दो प्रमुख खंड है, वजन्हें भारतीय वशपयाडों द्वारा लवक्षत ककया गया है। भारतीय
वावणवययक जहाज वनमाथण में नए अडथर की कमी तथा सरकार के नीवतगत समथथन की कमी का
भारतीय जहाज वनमाथण पर प्रवतकू ल प्रभाव पड़ा है। वषथ 2016 में, जहाज वनमाथण ईद्योग की
मजबूती के वलए सरकार ने वनम्नवलवखत पहल ककये हैं:
वशपयाडथ को बुवनयादी ढांचे का दजाथ: आस दजे के साथ, वशपयाडथ लंबी ऄववध की पररयोजनागत
ऊणों की लचीली संरचना का लाभ ईिा पाएंगे, कम ब्याज दर पर आं िास्ट्रक्चर का लंबी ऄववध के
भारतीय वशपयाडथ के वलये सहायता: भारत सरकार ने घरे लू वशप वबपल्डग को प्रोत्सावहत करने के
वलए 4000 करोड़ रुपये से 10 वषथ की समयाववध के वलए एक जहाज वनमाथण ववत्तीय सहायता
नीवत की शुरुअत की है है l
वबजनेस के वलए 2016-2017 के कें द्रीय बजट में, भारत सरकार ने वशप वबल्डरों के वलए कर
ऄनुपालन की सरलीकृ त प्रकक्रया जारी की है, जबकक वशप वबपल्डग और जहाज मरम्मत के वलए
ड्यूटी-िी माल की खरीद नीवत वनर्नमत की गयी है।
सागरमाला पररयोजना (नीली क्रांवत) का मुख्य ईद्देश्य पोटथ-प्रचावलत प्रत्यक्ष एवं ऄप्रत्यक्ष ववकास
का प्रोत्साहन है और एक बंदरगाह से दूसरे बंदरगाहों तक के पररवहन को कु शलतापूवक थ और
लागत-प्रभावी ढंग से बुवनयादी ढांचा प्रदान करना है। आसवलए, सागर माला पररयोजना का लक्ष्य
ऄन्य क्षेत्रों के साथ-साथ नए ववकास क्षेत्रों तक पहुंच ववकवसत करना है, जो आं टर मॉडल समाधान
और आष्टतम मोडल वस्प्लट को बढावा देगा और वजससे मुख्य अर्नथक कें द्रों के साथ रे ल, ऄंतदेशीय
जलमागथ, तटीय और सड़क सेवाओं के ववस्तार को बढावा वमलेगा।
यह भारतीय बंदरगाहों के अधुवनकीकरण के वलए भारत सरकार की एक रणनीवतक और ग्राहक-
ईन्मुख पहल है, ताकक पोटथ संचावलत ववकास को बढाया जा सके और भारत के ववकास में तट
रे खाएं सहायता कर सकें ।
सागर माला कायथक्रम ऄब संकल्पना और वनयोजन के चरण से अगे बढ कर कायाथन्वयन के चरण
में अ गया है। भारत के तटीय एवं समुद्री क्षेत्र के व्यापक ववकास के वलए राष्ट्रीय पररप्रेक्ष्य योजना
(NPP) तैयार की गइ है। वजसे 14 ऄप्रैल 2016 को पहली बार आसे समुद्री भारत वशखर सम्मेलन
2016 में जारी ककया गया था।
सागरमाला के ऄंतगथत, 400 से ऄवधक पररयोजनाओं को, बंदरगाह अधुवनकीकरण, नए बंदरगाह
ववकास, बंदरगाह कनेवक्टववटी में वृवि, बंदरगाह संबंवधत औद्योगीकरण और तटीय सामुदावयक
ववकास के क्षेत्रों में 7 लाख करोड़ रुपये की लागत से कक्रयावन्वत ककया जायेगा। आन पररयोजनाओं
को मुख्य रूप से वनजी या PPP मोड के माध्यम से संबंवधत कें द्रीय मंत्रालयों, रायय सरकारों,
बंदरगाहों और ऄन्य एजेंवसयों द्वारा कायाथवन्वत ककया जाएगा।
20 जुलाइ 2016 को मंवत्रपररषद की मंजरू ी वमलने के पश्चात्, 31ऄगस्त 2016 को सागरमाला
ववकास कं पनी (SDC) की स्थापना की गयी। वजसका ईद्देश्य सागरमाला के तहत ऄववशष्ट
पररयोजनाओं को आकिटी समथथन प्रदान करना था।
पोटथ अधुवनकीकरण और नए बंदरगाहों का ववकास - प्रमुख बंदरगाहों के वलए मास्टर प्लान को
ऄंवतम रूप प्रदान ककया गया है। आस अधार पर ऄगले 20 वषों में 142 बंदरगाहों की क्षमता में
ववस्तार ककया जायेगा।
पोटथ कनेवक्टववटी वृवि: भारतीय पोटथ रे ल कॉपोरे शन वलवमटेड (IPRCL) ने 9 प्रमुख बंदरगाहों में
25 वववभन्न कायों को पूरा करने की वजम्मेदारी ली है। आनमें से 8 कायथ पहले से ही प्रदत्त हैं और
ववत्त वषथ 2016-17 के वलए 5 ऄवतररि कायथ कदए जायेंगे। सागरमाला के तहत वचवन्हत 79
सड़क पररयोजनाओं में से 45 पररयोजनाएं सड़क पररवहन और राजमागथ मंत्रालय तथा NHAI
द्वारा कक्रयावन्वत की जाएगी। वजसमें 18 पररयोजनाऐं भारतमाला योजना के ऄंतगथत अती हैं।
बंदरगाह संचावलत औद्योवगकीकरण के प्रोत्साहन हेतु, सभी समुद्री राययों तथा कें द्र शावसत प्रदेशों
को सवम्मवलत करने वाले 14 तटीय अर्नथक क्षेत्रों (CEZs) का प्रस्ताव रखा गया है। CEZ एक
स्थावनक-अर्नथक क्षेत्र है जो समुद्र तट से 300-500 ककलोमीटर की दूरी तक और तट रे खा से
200-300 ककमी ऄंदर तक ववस्तृत होता है। प्रत्येक CEZ रायय में संबंवधत प्रमुख और गैर-प्रमुख
बंदरगाहों के साथ जुड़ा होगा तथा CEZ का योजनाबि औद्योवगक गवलयारों के साथ सहकक्रयाओं
को टैप करने की पररकल्पना की गइ है।
2.7.3. मचें ट वशपपग एक्ट, 1958 के स्थान पर पु न र्ननर्नम त मचें ट वशपपग वबल
भारतीय नौवहन के तहत भार वहन क्षमता को बढाने, समुद्री ऄवधकाररयों के संरक्षण और
ऄवधकारों की सुरक्षा, जहाजों की सुरक्षा और समुद्र में जीवन की सुरक्षा अकद चुनौवतयों का
सामना करने के वलए यह ववधेयक लाया गया हैl व्यवसाय में सरलता, भारतीय तटीय नौवहन
और व्यापार के ऄंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के तहत भारत के दावयत्वों का ऄनुपालन सुवनवश्चत करने
हेतु एवं समकालीन प्रावधानों के साथ पुराने ऄनावश्यक प्रावधानों के प्रवतस्थापन के वलए, मचेंट
वशपपग वबल, 2016 लाया गया है। आस वबल को मचेंट वशपपग एक्ट, 1958 के स्थान पर लाया जा
रहा है।
21 नवंबर, 2016 को संसद में एडवमरै वलटी वबल, 2016 प्रस्ताववत ककया गया। एडवमरै वलटी का
संबंध ईच्च न्यायालयों की शवियों से है जो समुद्र और जलमागथ के द्वारा पररवहन पर लागू होती
है। वतथमान सांवववधक रूपरे खा के तहत, भारतीय न्यायालयों का एडवमरै वलटी क्षेत्रावधकार वब्ररटश
युग में ऄवधवनयवमत कानूनों से प्राि होता है। प्रस्ताववत ववधेयक न्यायालयों के एडवमरै वलटी
क्षेत्रावधकार, समुद्री दावों पर त्वररत एवं सरलता पूणथ कारथ वाइ, जहाजों को रोकना और संबंवधत
मुद्दों पर मौजूदा कानूनों को समेककत करता है। वसववल मामलों में नौसेना के ऄवधकार क्षेत्र पर
पांच पुराने वब्ररटश ऄवधवनयमों को वनरस्त करता है। ववधेयक भारत के तटीय राययों में वस्थत ईच्च
न्यायालयों को एडवमरै वलटी का न्यायक्षेत्र प्रदान करता है जो क्षेत्रीय जल पर भी लागू होगा। यह
ववधायी प्रस्ताव समुद्री ववधायी वबरादरी (maritime legal fraternity) के लंबी समय से चली
अ रही मांग की पूर्नत करे गा।
पोटथ ऑपरे टरों को लचीलापन प्रदान करने के वलए टैररफ कदशावनदेशों को संशोवधत ककया गया था
ताकक प्रदशथन मानकों के ऄनुरूप टैररफ को बाजार मूल्य के वनकट लाया जा सके । पोटथ सेक्टर की
PPP पररयोजनाओं में 100% FDI की ऄनुमवत है। मॉडल कन्सेशन एग्रीमेंट को संशोवधत ककया
जा रहा है ताकक PPP पररयोजनाओं के वनष्पादन को प्रभाववत करने वाली अकवस्मकताओं से
वनपटा जा सकें । संस्थागत ढांचे को ऄवधक स्वायत्तता और अधुवनकीकरण प्रदान करने हेतु मौजूदा
प्रमुख बंदरगाह ऄवधवनयम, 1963 के स्थान पर एक नया प्रमुख बंदरगाह प्रावधकरण ऄवधवनयम
ववचाराधीन है। एक नइ बर्थथग पॉवलसी (berthing policy) और स्टीवेडोररग पॉवलसी
(stevedoring policy) वनर्नमत की गइ है।
मंत्रालय ने प्रमुख बंदरगाहों में ड्राफ्ट वृवि हेतु एक कायथ योजना तैयार की है वजससे बड़े जहाजों के
संचलन में प्रमुख बंदरगाहों को सक्षम बनाया जा सके ।
2.7.8. तटीय नौवहन, पयथ ट न और क्षे त्रीय ववकास के वलए ववजन अले ख
तटीय वशपपग से कम पयाथवरण प्रदूषण होता है क्योंकक आसमें ईंधन की प्रवत ककलोमीटर लागत
कम अती है। हालांकक, समेककत कागो और ररटनथ कागो की ऄनुपलब्धता और वशपसथ कम्युवनटी के
बीच जागरूकता की कमी के कारण तटीय वशपपग ऄलाभकारी है। आसके ववपरीत, सड़क के डोर टू
डोर कागो संचलन की क्षमता के रे ल और सड़क की ईच्च सघनता ने तटीय वशपपग को मुवश्कल बना
कदया हैl
तटीय नौवहन और ऄंतदेशीय जल पररवहन का वहस्सा 2019-20 तक 10% तक बढाने और
समुद्री पयथटन तथा तटीय क्षेत्रों के ववकास के वलए, नौवहन मंत्रालय ने "कोस्टल वशपपग, पयथटन
और क्षेत्रीय ववकास" की एक कायथ योजना बनायी है। आसे सभी वहतधारकों के परामशथ के साथ
बनाया गया है। आस योजना का प्रमुख ईद्देश्य तटीय/IWT मोड के शेयर को 2019-20 तक 7% से
बढाकर 10% करना, संपूणथ अपूर्नत श्रृंखला के रूप में तटीय वशपपग का ववकास करना, IWT और
तटीय मागों का एकीकरण, तटीय कागो के वलए क्षेत्रीय कें द्रों का ववकास, घरे लू क्रूज ईद्योग का
ववकास और लाआटहाईस पयथटन को प्रोत्साहन देना है।
गत वषों में, प्रमुख बंदरगाहों की कागो हैंडपलग क्षमता में लगातार वृवि हुइ है। हालांकक, बढते
यातायात की मांग स्पष्ट रूप से क्षमता में वृवि को पीछे छोड़ रही है, वजसके पररणामस्वरूप
बंदरगाहों पर दबाव बढ रहा है।ऄपने वववभन्न लाभों के बावजूद भारत के घरे लू पररवहन में तटीय
वशपपग का वहस्सा काफी कम है। भारत के बंदरगाहों की क्षमता ऄत्यंत बावधत है और वनकट
भववष्य में ऐसा बने रहने की संभावना है।
वतथमान में, देश में बंदरगाहों के स्थान या आन बंदरगाहों में समग्र वनवेश कायथक्रम के वलए कोइ
व्यापक और सुसंगत रणनीवत नहीं है। ऄब तक, प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों में वनवेश कु छ
ऄव्यववस्थत ढंग से ककया गया है, वजसके पररणामस्वरूप ईपक्षेत्रीय दूरसंचार कनेवक्टववटी,
ऄपयाथि बुवनयादी ढांचा एवं ड्राफ्ट, और वनम्न स्तर के कं टेनराइज़ेशन, वजस कारण से बंदरगाह पर
ऄत्यवधक भीड़ और ईच्च लेनदेन लागत का प्रादुभाथव होता है। भारतीय बंदरगाहों के अधारभूत
ढांचे की ऄपयाथिता की एक स्पष्ट ऄवभव्यवि यह है कक वतथमान में, बड़े कं टेनर जहाजों को
संभालने में भारतीय ऄसमथथता के कारण भारतीय समुद्री व्यापार का एक बड़ा वहस्सा, कोलंबो या
पसगापुर को ट्रांसवशप्ड (trans shipped) होता है।
मौजूदा वनवेश प्रवृवत्तयों से पररवहन पलक जो बढते गैर-प्रमुख बंदरगाहों से जुड़ते हैं, ईनके वनमाथण
में महत्वपूणथ क्षवत और ऄक्षमताएं हो सकती हैं। जहााँ बंदरगाहों का भौवतक ढांचा मनमाने ढंग से
बढा है, वही पोटथ प्रशासन हेतु स्वीकायथ, लैंड लाडथ मॉडल के ववकास में बहुत कम प्रगवत हुइ है।
भारतीय बंदरगाह, ववशेषकर प्रमुख बंदरगाह, भारत सरकार के स्वावमत्व वाले और ट्रस्ट के रूप में
चलाने वाले, पुराने सर्नवस पोटथ मॉडल के हाआवब्रड प्रारूप और वैवश्वक स्तर पर पोटथ प्रबंधन के
लोकवप्रय लैंड लॉडथ मॉडल का पालन करते हैं। आसके फलस्वरूप पोटथ ट्रस्टों और वनजी क्षेत्र के बीच
एक संघषथ की वस्थवत ईत्पन्न हो जाती है क्योंकक कइ ईदाहरणों में ट्रस्ट पोटथ रे गल ु ेटर और
वावणवययक सेवाओं के प्रदाता, दोनों रूपों में कायथ करते हैं।
सर्नवस पोटथ मॉडल में, बंदरगाह प्रावधकारी भूवम और सभी ईपलब्ध वस्थर और चल पररसंपवत्तयों
के मावलक होते हैं। सभी वववनयामकीय एवं बंदरगाह कायों को करते हैं। यहां, पोटथ ट्रस्ट दोनों लैंड
लॉडथ और कागो टर्नमनल ऑपरे टर के रूप में कायथ करते हैं।
हालांकक भारत का सर्नवस पोटथ मॉडल एक कें द्रीकृ त ऄथथव्यवस्था के ऄनुरूप था, लेककन वतथमान
बाजार-ईन्मुख ऄथथव्यवस्था में आसकी व्यवहायथता कम हो गयी है।
लैंड लाडथ मॉडल में, सावथजवनक रूप से शावसत बंदरगाह प्रावधकरण एक वववनयामक वनकाय और
लैंड लाडथ के रूप में काम करता है जबकक वनजी कं पवनयां बंदरगाह पररचालन करती हैं। मुख्यतः
कागो हैंडपलग गवतवववधयां। यहां बंदरगाह प्रावधकरण, बंदरगाह का स्वावमत्व ग्रहण करता है,
जबकक बुवनयादी ढांचा वनजी कं पवनयों को पिे पर दे कदया जाता है जो ऄपनी स्वयं की
ऄधोसंरचना बनाए रखती है और स्वयं के ईपकरण स्थावपत करती हैं।
वतथमान में, भारत में ऄवधकतर प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट ने टर्नमनल ऑपरे शंस को भी पूरा ककया है,
वजसके पररणामस्वरूप बंदरगाह प्रशासन, एक हाआवब्रड मॉडल में पररवर्नतत हो गया है।
आसके ऄलावा, बंदरगाह पर बुवनयादी सुववधाओं का ववकास परं परागत रूप से सावथजवनक वनवेश
द्वारा व्यापक रूप से प्रोत्सावहत ककया गया है। बंदरगाह ववकास और ववस्तार की ओर अकर्नषत
होने वाले वनजी वनवेशकों की सीवमत संख्या बंदरगाहों की ऄनूिी अर्नथक ववशेषताओं के कारण है।
बंदरगाह की बुवनयादी सुववधाऐं जैसे कक समुद्री ऄवरोध, बैकवॉटर, पोटथ बेवसन और मुख्य
दूरसंचार कनेवक्टववटी के प्रावधान में बड़ी वनवश्चत लागत होती है। आस तरह के बु वनयादी ढांचे
सभी बंदरगाह टर्नमनल संचालन के वलए सामान है और वववशष्ट रूप से सावथजवनक वनवेश के
माध्यम से ववत्त पोवषत होते हैं।
पररणामस्वरूप, वनजी वनवेशक मुख्य रूप से बंदरगाह टर्नमनल सुववधाओं में न कक ऄंतर्ननवहत
बुवनयादी ढांचे में वनवेश करते हैं। अम तौर पर वनजी वनवेशक BOT मॉडल के ऄंतगथत, 30-40
वषों की ररयायत के तहत सावथजवनक पोटथ प्रावधकरण की ओर से टर्नमनल आं िास्ट्रक्चर का वनमाथण
करते हैं।
भारतीय बंदरगाह और वशपपग क्षेत्र कमजोर प्रोत्साहन और वनयामक संरचना में स्पष्टता की कमी
से ग्रवसत हैं। साथ ही ऄवतव्यावपत ऄवधकार क्षेत्र, ऄवत-पयथवक्ष
े ण और ऄवनणथय की वस्थवत, आस
क्षेत्र की समस्याओं को और दुरूह बना देती है। वैवश्वक ऄथथव्यवस्था के साथ भारत के बढते
एकीकरण के कारण वपछले दशक में देखी गइ यातायात में भारी वृवि के साथ-साथ न तो
वववनयामक संरचना और न ही क्षमता में तेजी से वृवि हुइ है। तटीय नौवहन के साथ ही साथ
ऄंतदेशीय जल पररवहन सेवा, वनम्न आकाइ पररवहन लागत और वनम्न पयाथवरणीय प्रभाव के होते
ऄगले 20 वषों में चार से छह मेगा बंदरगाह बनाए जाएंगे तथा प्रत्येक तट पर ऐसे दो से तीन
बंदरगाह होंगे।
बड़े बंदरगाहों को लैंड लॉडथ मॉडल में लाने और पोटथ ट्रस्टों को वैधावनक लैंड लॉडथ बंदरगाह
प्रावधकरणों में बदलने के वलए ईवचत ववधायी और नीवतगत पररवतथन करने की अवश्यकता है।
पोटथ ट्रस्टों के सभी टर्नमनल कायो को सावथजवनक क्षेत्र के वनगमों के रूप में पररवर्नतत ककया जाना
चावहए।
एक नए वनयामक प्रावधकरण, बंदरगाहों के समुद्री प्रावधकरण (MAP) को एक अधुवनक भारतीय
बंदरगाह ऄवधवनयम के तहत गरित ककया जाना चावहए। जो देश के सभी प्रमुख और गैर-प्रमुख
बंदरगाहों में प्रवतस्पधाथ और बंदरगाह संरक्षण के वववनयमन में सक्षम हो।
यह महत्वपूणथ है कक भारतीय वशपपग ईद्योग को दूसरे देशों के साथ वैवश्वक स्तर पर प्रवतस्पधी
बनाने के वलए एक सामान ऄवसर प्रदान ककया जाऐ। आसके वलए प्रवतबंधात्मक नीवतयों के
युविकरण ववशेष रूप से वववभन्न प्रकार के प्रत्यक्ष/ऄप्रत्यक्ष करों को लागू करने की अवश्यकता
होगी।
प्रमुख बंदरगाहों में तटीय टर्नमनलों की स्थापना और तटीय बंदरगाहों के रूप में पूवी और पवश्चमी
तटों पर पांच या छह गैर-प्रमुख बंदरगाहों की पहचान द्वारा तटीय जहाजों को प्राथवमकता दी
जानी चावहए।
आन तटीय टर्नमनलों को रे ल और सड़क से जोड़ा जाना चावहए।
IWT/नौवहन प्रयोजनों के वलए नकदयों के गहरे वहस्सों का ववकास (कम से कम 2.5 मीटर और
ऄवधकतम 3.0 मीटर LAD (न्यूनतम ईपलब्ध गहराइ) पर ध्यान देना चावहए वजस से पूरे वषथ के
भारतीय ऄथथव्यवस्था
8. ऄवसंरचना : भाग-III
2. शवि ____________________________________________________________________________________ 10
3. नवीकरणीय उजाथ____________________________________________________________________________ 15
4. दूरसंचार __________________________________________________________________________________ 18
5. के िकर सवमवत की ररपोटथ: आन्रास्ट्रक्चर डेविपमेंट के PPP मॉडि का पुनजीवन और समीक्षा ______________________ 25
भारत, जापान को पीछे छोडते हए ववश्व का तीसरा सबसे बडा (USA तथा चीन के पिात्)
पेट्रोवियम ईपभोिा देश बन गया है हािांकक, भारत के पास प्रचुर मात्रा में उजाथ संसाधन
ईपिब्ध नहीं है कोयिे, यूरेवनयम, तेि, पनवबजिी और ऄन्य संसाधनों के ईपिब्ध घरे िू
संसाधनों के ईपयोग के साथ आनको अयात प्रवतपूणथ करते हए भारत ऄपनी ववकास अवश्यकताओं
की पूर्शत करता है ऄतः 8-9% अर्शथक ववकास दर के िक्ष्य के साथ जनसंख्या को सस्ते मूल्य पर
उजाथ ईपिब्ध कराना एक बडी चुनौती है
कु ि स्थावपत क्षमता
ईंधन MW कु ि क्षमता का %
Total 330,861
भारत, कु ि वैवश्वक उजाथ की ऄनुमावनत मांग में वृवि का िगभग एक-चौथाइ भाग का योगदान
करता है यह ककसी भी ऄन्य देश के ऄनुमावनत उजाथ मांग से ऄवधक है भारत में नगरीकरण की
बढती दर उजाथ प्रवृवत्तयों का एक मुख्य संचािक है 2040 तक भारतीय शहरों में संयुि राज्य की
अबादी के बराबर, िगभग 315 वमवियन ऄवतररि जनसंख्या के वनवास की संभावना है
ऄंतराथष्ट्रीय उजाथ अईटिुक 2015 के ऄनुसार, 2040 तक तेि की मांग में 10 वमवियन बैरि
प्रवतकदन तक बढ जाएगी तथा प्राकृ वतक गैस की खपत भी तीन गुना बढकर 175 ऄरब घन मीटर
तक पहुँच जाएगी
बढती उजाथ मांग को पूरा करने की हमारी क्षमता महत्वपूणथ उजाथ ईप क्षेत्रों, ववशेष ूपप से
पेट्रोवियम, गैस और कोयिे में घरे िू ईत्पादन का ववस्तार करने पर वनभथर करती है शेष उजाथ
अवश्यकताओं की अयात के माध्यम से पूर्शत होगी
कं ज़वेशन वबसल्डग कोड, 2017 (ECBC 2017) ववकवसत ककया गया है ककसी आमारत को
ECBC कोड प्रदान ककये जाने के विए ईसे 25% की न्यूनतम उजाथ बचत का प्रदशथन करना
ऄवनवयथ है उजाथ दक्षता में ऄवतररि सुधार के विए नइ आमारतों को क्रमशः 35% और 50%
ऄवधक उजाथ बचत सक्षमता प्राप्त करनी होगी वजससे वो ECBC लिस या सुपर ECBC जैसे ईच्च
िेड प्राप्त कर सके संपूणथ देश में नए वावणवज्यक भवन वनमाथण के विए ECB 2017 मानकों के
स्वीकृ वत के साथ, 2030 तक उजाथ ईपयोग में 50% की कमी का ऄनुमान है यह 2030 तक
िगभग 300 ऄरब यूवनट की उजाथ बचत और एक वषथ में िगभग 15 GW की उजाथ खपत कम
करे गा आस प्रकार यह 35,000 करोड ूपपए की बचत और 250 वमवियन टन CO2 की कमी के
समतुल्य होगा
ईद्योग में उजाथ दक्षता: परफॉमथ ऄचीव एंड ट्रेड (PAT) योजना, नेशनि एन्हांस्ड एनजी
एकफवशएंसी (NMEEE) का एक घटक है PAT एक बाजार अधाररत तंत्र है, जो उजाथ अधाररत
ईद्योगों में ऄवतररि उजाथ बचत को प्रमावणत करे गा तदोपरांत आसका क्रय-ववक्रय ककया जा
सकता है
कृ वष पंसपग सेटों में उजाथ दक्षता: स्माटथ BEE स्टार रे टेड उजाथ कु शि कृ वष पंपसेट को ककसानों को
ववतररत ककया जाएगा आससे ककसान ऄपने ऄकु शि कृ वष पंप सेट को वन:शुल्क प्रवतस्थावपत कर
सकते हैं स्माटथ कण्ट्रोि पैनि के साथ अने वािे आन पंप में एक वसम काडथ और एक स्माटथ मीटर
िगा होता है स्माटथ कं ट्रोि पैनि, ककसान को ऄपने घर में बैठे बैठे ही मोबाआि के माध्यम से आन
पंपों को वस्वच ऑन या वस्वच ऑफ करने में सक्षम बनाता है स्माटथ मीटर ककसान को उजाथ खपत
की ररयि टाआम वनगरानी रखने में सक्षम बनाता है आस कायथक्रम के तहत उजाथ दक्षता सेवा
विवमटेड (EESL) 2,00,000 BEE स्टार-रे टेड पंप-सेट ककसानों को ववतररत करे गा, वजसके
द्वारा 2019 तक 30% तक उजाथ की बचत होगी यह िगभग 20,000 करोड रुपये की वार्शषक
अवासीय प्रकाश व्यवस्था: प्रत्येक पररवार को तापदीप्त बल्ब की कीमत पर CFL बल्ब प्रदान
डोमेवस्टक आकफशन्ट िाआटटग प्रोिाम (DELP) ईन्नत ज्योवत के तहत सभी के विए सस्ते एिइडी बल्ब
(UJALA) यह योजना 77 करोड तापदीप्त बल्बों के स्थान पर LED बल्बों को िगाने के विए िॉन्च
बल्बों की इ-प्रोक्युमथन्ट (इ-ऄवधप्रावप्त) के फिस्वूपप LED बल्ब की खरीद कीमतों में िगभग 88% की
कमी अइ है आसका मूल्य फरवरी 2014 में 310 रुपए से घटकर ऄगस्त 2016 में 38 रुपए की प्रावप्त
मूल्य पर अ गया खुदरा मूल्य 550 रुपये से घटकर 65 रुपये हो गया है, जो ईपभोिाओं द्वारा देय है
20.11.16 तक UJALA योजना के ऄंतगथत कु ि 5.96 करोड अवासों को LED बल्ब प्रदान ककये गए
हैं
माचथ, 2019 तक स्ट्रीट िाआटटग नेशनि प्रोिाम (SLNP) के तहत स्माटथ और उजाथ कु शि LED
स्ट्रीट िाआट के साथ 3.5 करोड पारं पररक स्ट्रीट िाआट को बदिने की योजना है
नीवत अयोग के द्वारा भारत उजाथ सुरक्षा पररदृश्य 2047 कै िकु िेटर (IESS 2047), एक ओपन सोसथ
वेब अधाररत ईपकरण (ऄब संस्करण 2.0) िॉन्च ककया गया है आस ईपकरण का िक्ष्य 2047 तक
ववववध उजाथ मांगों और उजाथ अपूर्शत क्षेत्रों को ध्यान में रखते हए, भारत के विए एक संभाववत उजाथ
पररदृश्य का पता िगाना है
यह सौर, पवन, जैव ईंधन, तेि, गैस, कोयिा और परमाणु जैसे उजाथ अपूर्शत क्षेत्रों एवं पररवहन,
ईद्योग, कृ वष, भोजन पकाने और प्रकाश ईपकरणों जैसे उजाथ खपत क्षेत्रों में भारत के संभाववत
उजाथ पररदृश्यों की पडताि करता है
IESS ईपकरण का ईद्देश्य देश के उजाथ वनयोजन में वववभन्न वहतधारकों को शावमि करना और
वववभन्न स्तरों पर सूवचत ववचार ववमशथ को सुववधाजनक बनाना है यह ईपकरण नीवत वनमाथताओं
और सांसदों को भारत के विए एक ऄवधक सुरवक्षत और संधारणीय भववष्य वनमाथण में सहायक
होगा
2002 तक, सरकार द्वारा प्रशावसत मूल्य वनधाथरण तंत्र (APM) के माध्यम से पेट्रोवियम ईत्पादों
की कीमत तय की जाती थी जो तेि क्षेत्र में वनवेश पर पूवथवनधाथररत वापसी (बाज़ार अधाररत
कीमतों के बजाय) की ऄनुमवत प्रदान करने के वसिांत का पािन करती है 2002 के बाद, के वि
कु छ वनवित ईत्पाद (के रोवसन और LPG) वववनयवमत ककये गए, जबकक तेि कं पवनयां ऄन्य आं धनों
के विए ऄपनी कीमतें स्वयं वनधाथररत कर सकती थी हािांकक, कइ तेि ववपणन कं पवनयों ने ऄभी
भी खुदरा कीमतों को बाजार स्तर से नीचे स्थावपत कर रखा है ताकक वे ईवचत दर पर कु छ
ईत्पादों के विए ववत्त मंत्रािय से ऄंडर ररकवरी (एक वैवश्वक बाजार मूल्य और स्थानीय मूल्य के
बीच का ऄंतर) का दावा कर सकें
सरकार ने घरे िू ईंधन के मूल्य में सुधार करना शुूप कर कदया है ववत्त वषथ 2011 में पेट्रोि तथा
ववत्त वषथ 2015 में डीजि की कीमतों को बाजार अधाररत करने के बाद, कें द्र ने ववत्त वषथ 2016
से घरे िू रसोइ गैस पर दी जा रही सवब्सडी को हटा विया है आसके ऄिावा, घरे िू बाजार में
पेट्रोि और डीजि का मूल्य कच्चे तेि की कीमत से वनधाथररत न होकर आनकी ऄंतरराष्ट्रीय कीमतों
से जुडा हअ है
कोि आं वडया विवमटेड (CIL) ऄपने प्रथम IPO को जारी करने से पहिे पुराने हीट वैल्यू-अधाररत
(UHV) मूल्य वनधाथरण को त्यागकर GCV अधाररत मूल्य वनधाथरण को ऄपना विया आससे
ऄंतरराष्ट्रीय कीमतों के अधार पर कोयिे का मूल्य वनधाथरण ककया जा सके गा चूंकक CIL ने 50%
तक की छू ट पर कोयिे की पेशकश की है, ऄब CIL ने सरकार को मूल्य वनधाथरण तंत्र बदिने के
विए सिाह दी है ताकक भारतीय कोयिे की कीमतें बाजार मूल्य के अधार पर एवं ऄंतरराष्ट्रीय
मानकों के ऄनुसार वनधाथररत की जा सके एक वनयामक के वनमाथण का भी सुझाव है, वजसके द्वारा
भारतीय कोयिे की कीमतों को वनधाथररत ककया जाएगा
अयावतत कोयिे की तुिना में भारतीय कोयिा में राख तथा अद्रथता की मात्रा ईच्च तथा उष्मीय
मान (Calorific value) कम होता है भारत कोयिे की मांग और अपूर्शत के बीच के ऄंतर को
पूणथ ूपप से भरने में सक्षम नहीं है, क्योंकक भारत में कोककग कोि की पयाथप्त ईपिब्धता नहीं है
अयावतत कोयिे की अपूर्शत के अधार पर िगाए गए ववद्युत संयंत्रों को ईत्पादन के विए कोयिे
का अयात जारी रखना पडेगा आस प्रकार भारत द्वारा मांग और अपूर्शत के ऄंतर को बराबर करने
के विए और ईत्पादन में वृवि के विए के न्द्र सरकार द्वारा ईठाए गए कदमों के बावजूद भारत द्वारा
कोयिे का अयात जारी रहेगा
नीवत अयोग ने कोयिे की मांग 2017-18 में 908.40 मीरट्रक टन होने का ऄनुमान िगाया है
जबकक ऄप्रैि से जून के बीच ईत्पादन 159.38 MT था
हािांकक ववद्युत की कीमतें राज्य वनयामकों द्वारा वनधाथररत की जाती हैं परन्तु ऄवधकांशतः
राजनीवतक दबाव के चिते टैररफ समायोजन को कम महत्व कदया जाता है वडस्कॉम को टैररफ
संशोधन करने से हतोत्सावहत ककया जाता है, वजसके फिस्वूपप वडस्कॉम की ववत्तीय वस्थवत
प्रभाववत होती है
1.4. ते ि और गै स ईत्पादन
तेि एवं गैस दोनों की अपूर्शत के विए भारत मुख्य ूपप से अयात पर वनभथर है भारत अयावतत
LNG पर भी बहत ऄवधक वनभथर है 2014 में, भारत ने 3.85 mbpd तेि का प्रयोग ककया,
जबकक ववत्त वषथ 2016 तक 4.0 mbpd ईपभोग ऄनुमावनत था, जो ववत्त वषथ 2008-16 के
दौरान 3.2 फीसदी CAGR से बढ कर रहा था भारत भी अयावतत LNG पर ऄवधक वनभथर है;
2015 में भारत चौथा सबसे बडा LNG अयातक देश बन गया जो वैवश्वक अयात का 5.68
प्रवतशत भाग के विए वजम्मेदार है
वनजी वनवेशकों की भागीदारी के साथ घरे िू ईत्पादन में तेजी से वृवि के विए NELP के तहत तेि
और गैस ऄन्वेषण नीवत का वनमाथण ककया गया है यद्यवप, आससे प्राप्त पररणाम वनराशाजनक थे
हािांकक कच्चे तेि के ईत्पादन में कु छ वृवि और घरे िू गैस ईत्पादन में महत्वपूणथ ववस्तार हअ था
यद्यवप तेि और गैस दोनों के घरे िू ईत्पादन में काफी सुधार की अवश्यकता है
कें द्रीय कै वबनेट ने 10 माचथ 2016 को हाआड्रोकाबथन एक्सलिोरे शन एंड िायसेंससग पॉविसी
(HELP) को मंजरू ी दे दी HELP तेि एवं गैस के ऄन्वेषण और ईत्पादन के विए वतथमान में
जारी नीवत का स्थान िेगा वतथमान में जारी नीवत को न्यू एक्सलिोरे शन एंड िायसेंससग पॉविसी
(NELP) के नाम से जाना जाता है यह नीवत वपछिे 18 वषों से कायथरत थी
HELP की ववशेषताएं
एकसमान िाआसेंस: मौजूदा व्यवस्था में प्रत्येक प्रकार के हाआड्रोकाबथन के विए ऄिग-ऄिग
िाआसेंस की जरुरत होती है नइ नीवत में कोि-बेड मीथेन (CBM), शेि गैस, टाआट गैस (tight
gas) और गैस हाआड्रेट्स सवहत परं परागत और ऄपरं परागत तेि व गैस संसाधनों का पता िगाने
के विए, ठे केदार को एक ही िाआसेंस की अवश्यकता होगी
खुिा रकबा (open acreage): यह हाआड्रोकाबथन कं पनी को सरकार की ओर से औपचाररक
नीिामी चक्र की प्रतीक्षा ककए वबना, संपण
ू थ के विए ऄन्वेषण ब्िॉक का चयन करने का ववकल्प
देता है
राजस्व साझा मॉडि (Revenue Sharing Model): ईत्पादन साझेदारी ऄनुबंध (PSC) की
वतथमान ववत्तीय प्रणािी के स्थान पर ऄवधक सुववधाजनक ‘राजस्व साझा मॉडि’ को ऄपनाया
गया है
ववपणन और मूल्य वनधाथरण (Marketing and Pricing): यह नीवत आन ब्िॉकों से ईत्पाकदत कच्चे
तेि और प्राकृ वतक गैस के ववपणन की स्वतंत्रता भी प्रदान करती है यह सरकार की ‘न्यूनतम
सरकार – ऄवधकतम शासन’ (वमवनमम गवनथमटें -मैवक्समम गवनेंस) की नीवत के ऄनुूपप है
ववद्युत ईत्पादन में वषथ 2013-14 में 977 BU से 2014-15 में 1048 BU एवं 2015-16 में
1107 BU की वृवि देखी गइ है 2015-16 में ऄभी तक सबसे कम उजाथ घाटा 2.1 प्रवतशत पर
रहा, जो ऄप्रैि-ऄक्टू बर, 2016 में घटकर 0.7 प्रवतशत पर पहुँच गया 2015-16 की तुिना में
नेशनि पीक पावर डेकफवसट आसी ऄववध में अधा होकर 1.6% हो गया
2014 से ववद्युत क्षेत्र में व्यापक बदिाव अए हैं, वजनमें वनम्न शावमि हैं: ईत्पादन क्षमता में
ररकॉडथ बढोतरी हइ है और ववतरण कं पवनयों की हाित और प्रदशथन में सुधार हेतु ईज्जवि
वडस्काम अश्वासन योजना (UDAY) िाइ गयी है
आस संदभथ में, राज्यों एवं ईनके ववद्युत वनयामकों के विए दीघाथववध में वनम्नविवखत मुद्दे महत्वपूणथ
हैं: टैररफ कायथक्रम की जरटिता को कम कर ईसे ईपभोिाओं के ऄनुकुि बनाया जाना चावहए
भारतीय ईद्योग की प्रवतस्पधाथत्मकता पर गुणवत्ता समायोवजत दरों का प्रभाव और उजाथ के विए
एक बाजार वनमाथण में अने वािी परे शावनयां
कें द्रीय कै वबनेट ने जनवरी, 2016 में टैररफ नीवत में संशोधन के प्रस्ताव को मंजरू ी दे दी यह देश की
उजाथ सुरक्षा के विए पनवबजिी के साथ-साथ नवीकरणीय उजाथ के ईपयोग को प्रोत्सावहत करे गा
मुख्य संशोधन आस प्रकार हैं:
नवीकरणीय खरीद बाध्यता (Renewable Purchase Obligation; RPO) का प्रचार
कचरे से-उजाथ संयंत्रों से वडस्कॉम द्वारा उजाथ की ऄवनवायथ खरीद
थमथि पावर लिांट्स द्वारा सीवेज ईपचाररत जि का प्रयोग करने हेतु ईसका सीवेज ट्रीटमेंट लिांट
के 50 ककमी. के भीतर वस्थत होना
15 ऄगस्त 2022 तक जि ववद्युत् पररयोजनाओं को प्रवतस्पधी बोिी से छू ट दी गइ
'टाआम ऑण डे' मीटटरग के विए चरणबि ूपप से स्माटथ मीटर का प्रयोग
के वि प्रवतस्पधाथत्मक बोिी-प्रकक्रया के माध्यम से ऄंतरराज्यीय और ऄंत:राज्यीय संचरण िाआन
का टेंडर
IPP (वववनयवमत टैररफ) की मौजूदा क्षमता को 50% से बढाकर 100% तक करना
िामीण ववद्युतीकरण (GARV) एप नागररकों की सहूवियत के विए दीन दयाि ईपाध्याय िाम
ज्योवत योजना के तहत िामीण ववद्युतीकरण (DDUGJY)
20 कदसंबर 2016 से शुूप GARV-l एप, िगभग 6 िाख गांवों के संबंध में डेटा का संकिन
करता है आन िामीण वनवावसयों को घरे िू ववद्युतीकरण की प्रगवत पर नज़र रखने के विए वचवन्हत
ककया गया है
ववद्युत् प्रवाह एप को वबजिी की कीमत और ईपिब्धता की वास्तववक समय की जानकारी प्रदान
करने के विए बनाया गया है
ईन्नत ज्योवत के तहत सभी के विए सस्ते एिइडी बल्ब (UJALA) एप घरे िू कु शि प्रकाश
कायथक्रम (DELP) के तहत LED बल्ब के ववतरण को ट्रैक करने के विए
ववद्युत क्षेत्र में FDI के विए DIPP द्वारा जून 2016 में ऄवधसूवचत मौजूदा FDI नीवत ववद्युत
ईत्पादन (परमाणु उजाथ को छोडकर), संचरण, ववतरण और व्यापार की पररयोजनाओं के विए
स्वचावित प्रकक्रया के तहत 100% FDI की ऄनुमवत प्रदान करती है भारत सरकार द्वारा कें द्रीय
ववद्युत वनयामक अयोग (पावर माके ट) वववनयमन, 2010 के ऄंतगथत पंजीकृ त ववद्युत एक्सचेंजों में
49% तक प्रत्यक्ष ववदेशी वनवेश पॉविसी में वनधाथररत शतो के ऄनुसार ऄनुमवत दी है
योजना और पररचािन प्रयोजनों के विए भारतीय ववद्युत प्रणािी को पांच क्षेत्रीय विड में
ववभावजत ककया है क्षेत्रीय विड और राष्ट्रीय विड की स्थापना और एकीकरण की ऄवधारणा नब्बे
के दशक मे शुूप हइ थी क्षेत्रीय विड की एकीकरण वववनयवमत वबजिी की सीवमत वववनमय के
विए ऄतुल्यकाविक एचवीडीसी बैक टू बैक ऄंतर - क्षेत्रीय सिक से शुूप हइ और बाद में क्षेत्रों के
बीच ईच्च क्षमता तुल्यकाविक सिक िगाइ गइ है
सभी क्षेत्रीय विड की एकीकरण पावर के संसाधन कें कद्रत क्षेत्रों से हस्तांतरण द्वारा संसाधनों कें कद्रत
क्षेत्रों को िोड करने मे तथा दुिथभ प्राकृ वतक संसाधनों का आष्टतम ईपयोग में मदद करें गे आसके
ऄिावा, आस जीवंत वबजिी बाजार की स्थापना सत्ता के वववभन्न क्षेत्रों में व्यापार को सुववधाजनक
बनाने के विए मागथ प्रशस्त करें गे “एक राष्ट्र एक विड” सभी क्षेत्रीय विड को तुल्यकाविक कनेक्ट
करे गा और एक राष्ट्रीय अवृवत्त होगा
राष्ट्रीय विड का ववकास देश में राष्ट्रीय ववद्युत विड का ववकास चरणबि ूपप से ककया जा रहा है
पांचों क्षेत्रीय विड यथा- ईत्तरी क्षेत्र, पविमी क्षेत्र, पूवी क्षेत्र, पूवोत्तर क्षेत्र और दवक्षणी क्षेत्र
समकाविक मोड में ऄंतरसंबि हैं और ऄंतर-क्षेत्रीय संपकों की कु ि हस्तांतरण क्षमता जून 2017
में िगभग 75,050 मेगावॉट थी
20 नवंबर, 2015 को सरकार द्वारा वववभन्न वहतधारकों के साथ परामशथ से वबजिी ववतरण
कं पवनयों के ववत्तीय और पररचािनात्मक बदिाव हेतु ईज्जवि वडस्काम एश्योरें स योजना
(UDAY) शुूप की गइ आस योजना का ईद्देश्य िगभग 4.3 िाख करोड के िीगेसी ऊणों और
भववष्य में संभाववत हावन को एक स्थायी समाधान प्रदान करना है
ववशेषताएं :
ईदय, DISCOMs को ऄगिे 2-3 वषों में वववभन्न ऄवसरों को वनम्न चार प्रस्तावों के माध्यम से
ईपिब्ध करायेगा जो वनम्न हैं: उजाथ ववतरक कं पनी (DISCOMs) की पररचािन क्षमता में
सुधार/वृवि, उजाथ ईत्पादन की िागत को कम करना, DISCOMs के विए ब्याज दरों में कमी
करना, राज्य द्वारा प्रदान ककए जाने वािे ववत्तीय योगदान के संदभथ में उजाथ कं पवनयों के विए शते
वनधाथररत की जानी चावहए ताकक ववत्तीय उजाथ कं पवनयों पर ववत्तीय ऄनुशासन िागू ककया जा
सके
राज्य, DISCOMs में एक ईपयुि सीमा तक के स्वावमत्व के विए बाजार में या सीधे बैंकों ऄथवा
ववत्तीय संस्थाओं के माध्यम से बाण्ड जारी करें गे
DISCOMs को ऊण राज्य द्वारा न देकर बैंक या ववत्तीय संस्थाओं द्वारा कदया जाएगा जो बैंक
द्वारा वनधाथररत अधार दर(Base Rate) से ऄवधक नहीं होगा
2005 में राजीव गांधी िामीण ववद्युतीकरण योजना (RGGVY) की शुरुअत के साथ िामीण
ववद्युतीकरण में बहत ऄवधक ववकास हअ आसके बाद वषथ 2010-11 आसके विए बजटीय पररव्यय
में ईल्िेखनीय वृवि हइ हािांकक, RGGVY कायथक्रम ऄपने िक्ष्यों को पूरा करने में सफि नहीं हो
सका
दीन दयाि ईपाध्याय िाम ज्योवत योजना (DDUGJY): यह योजना फीडर पृथक्करण (िामीण
घरों और कृ वष) पर ध्यान कें कद्रत करती है और िामीण क्षेत्रों में सभी स्तरों पर मीटरींग सवहत ईप-
संचरण और ववतरण अधारभूत संरचना को मजबूत करती है यह िामीण पररवारों को 24 घंटे
वबजिी प्रदान करने और कृ वष ईपभोिाओं को पयाथप्त वबजिी प्रदान करने में मदद करे गा
RGGVY को आस नइ योजना में िामीण ववद्युतीकरण के एक घटक के ूपप में शावमि ककया गया
है
(आनपुट पॉआं ट, फीडर और ववतरण ट्रांसफामथर), माआक्रो विड और ऑफ विड ववतरण नेटवकथ को
प्राथवमकता देती है
आस संदभथ में, यह ध्यान देने की जूपरत है कक 2005 से ककसी गांव को तब ववद्युतीकृ त माना जाता है,
जब:
o ररहाआशी आिाकों साथ ही साथ बस्ती/गांव में मूिभूत ऄवसंरचना जैसे ववतरण ट्रांसफामथर
और ववतरण िाआनें ईपिब्ध हैं
o ववद्याियों, पंचायत कायाथिय, स्वास््य कें द्र, दवाखानों, सामुदावयक कें द्र अकद जैसे
सावथजवनक स्थानों पर वबजिी प्रदान की जाती है
o गांव में ववद्यमान कु ि घरों में कम से कम 10 प्रवतशत ववद्युतीकृ त हो
हािांकक, आसके विए के वि वबजिी िाआन के प्रावधान की अवश्यकता होती है, न कक वबजिी के
वास्तववक ईपयोग की आसमें प्राप्त वबजिी की वनयवमतता या वनरं तरता नहीं मापी जाती है
आसविए यहां तक कक ऄगर ककसी गांव में कु छ घरों में प्रवतकदन के वि कु छ घंटे वबजिी वमिती है
तो भी गांव को ववद्युतीकृ त माना जाता है आसविए ववद्युतीकरण के बाद, सरकार द्वारा "गहनता"
की एक और प्रकक्रया चिाइ गयी है, वजसमें सभी घरों को तब तक ववद्युतीकृ त ककया जाता है जब
तक यह सभी घरों को ईपिब्ध नहीं हो जाती है
यह प्रकक्रया सभी राज्यों और सभी गांवों में चि रही है कु छ राज्य जैसे पंजाब, हररयाणा और
महाराष्ट्र वजन्हें कइ वषों से ववद्युतीकृ त समझा जा रहा था, वहाुँ पर भी आसे िागू ककया गया है
आसविए, ववद्युत् की ईपिब्धता वािे पररवारों का ऄनुपात ववद्युतीकृ त गांवों के ऄनुपात से काफी
ऄिग है
आसविए, यद्यवप 597,464 जनगणना गांवों (99 प्रवतशत) में से 591,685 गाुँव ववद्युवतकृ त ककए
जा चुके हैं, मात्र 71 प्रवतशत घरों में ही वबजिी है (और यह भी वनयवमत या ववश्वसनीय नहीं है) -
िेककन यह शहरी और िामीण दोनों ही क्षेत्रों को कवर करती है स्पष्ट है कक िामीण घरो में
वबजिी की पहुँच शहर की ऄपेक्षा कम है, और ऄनुमान है कक पूरे भारत में िगभग 60 प्रवतशत
िामीण घरों में ही वबजिी की पहंच है आसका ऄथथ यह है कक ऄभी भी िामीण पररवारों का 2/5
2.3 कोयिा
ऄंतराथष्ट्रीय उजाथ एजेंसी (IEA) के ऄनुसार, 2014 में भारत दुवनया का तीसरा सबसे बडा कोयिा
ईत्पादक और दूसरा सबसे बडा अयातक था भारत में कोयिे का एक बडा भंडार है और ववत्त वषथ
2016 के ऄंत तक भारत में कु ि कोयिा भंडार 308.802 ऄरब टन था बढते घरे िू कोयिा
ईत्पादन से देश का वबजिी क्षेत्र तेजी से वस्थर हो रहा है कीमत की ऄवस्थरता को कम करने और
ईत्पादन िागत को वनयंवत्रत करने के विए कं पवनयां ईंधन की वनबाथध अपूर्शत सुवनवित करने हेतु
कै वलटव कोयिा क्षेत्रों का ववकास कर रही हैं सरकार ने उजाथ कं पवनयों को यह छू ट दी है कक वे
वनकटतम स्रोतों के साथ ऄपनी कोयिे की अपूर्शत को बदि सकती है आससे न वसफथ रे ि नेटवकथ
का बोझ हल्का होगा, साथ ही साथ ऄन्य खचों को भी कम ककया जा सके गा
कोयिे के ईत्पादन में बढोतरी के कारण, कोयिा अयात 2014-15 में 217.78 Mte से घटकर
2015-16 में 199.88 Mte पर अ गया है 2016-17 में भी कोयिे के अयात में वगरावट का
रुझान जारी रहा वजसमें ऄप्रैि 2016 से जनवरी 2017 की ऄववध के दौरान कोयिा अयात में
वपछिे वषथ आसी ऄववध की तुिना में 2.59% की कमी अइ है हािांकक, कोयिे का अयात घरे िू
ईत्पादन पर पूरी तरह से वनभथर नहीं है यह ऄन्य कारकों पर भी वनभथर करता है जैसे अयावतत
कोयिे पर वडजाआन ककए गए वबजिी संयत्र ं और अवश्यक िेड के कोककग कोि की ऄपयाथप्त
ईपिब्धता
3. नवीकरणीय उजाथ
वषों से नवीकरणीय उजाथ क्षेत्र भारत में विड से जुडे ववद्युत ईत्पादन क्षमता में एक महत्वपूणथ
वखिाडी के ूपप में ईभरा है यह सतत ववकास के सरकारी एजेंडे का समथथन करता है और उजाथ
अवश्यकताओं को पूरा करने के एक ववकल्प के ूपप में ईभर रहा है यह महसूस ककया गया है कक
अने वािे वषों में नवीकरणीय उजाथ को उजाथ सुरक्षा प्राप्त करने और उजाथ वनयोजन प्रकक्रया का
एक ऄवभन्न ऄंग बनने में काफी महत्वपूणथ भूवमका वनभानी होगी
वपछिे कु छ वषों के दौरान भारतीय उजाथ पररदृश्य में नवीकरणीय उजाथ की एक प्रभावशािी
ईपवस्थत रही है भारत में नवीकरणीय उजाथ क्षेत्र के पररदृश्य में, वपछिे कु छ वषों के दौरान, सौर
उजाथ के योगदान को बढाने के विए त्वररत और महत्वाकांक्षी योजनाओं के साथ नीवतगत ढांचे में
भारी पररवतथन देखा गया है एक धारणा है कक नवीकरणीय उजाथ ऄब एक महत्वपूणथ भूवमका
वनभा सकती है साथ ही नवीकरणीय प्रौद्योवगककयों की क्षमता में ववकास और ववश्वास दोनों बढा
है
जवाहरिाि नेहूप राष्ट्रीय सौर वमशन के दायरे का ववस्तार भववष्य की महत्वाकांक्षा और दृवष्ट
दोनों ूपप से महत्त्वपूणथ है आसके ऄिावा पैन-आं वडया नवीकरणीय उजाथ बाजार के वनमाथण में ऄक्षय
उजाथ प्रमाणपत्र (REC) तंत्र को िॉन्च करने से सहायता वमिती है ऄन्य महत्वपूणथ ईपिवब्धयां
सौर वववशष्ट खरीद दावयत्वों का पररचय है; बेहतर कु क-स्टोव पहि की शुूपअत; सौर PV और
थमथि में समवन्वत ऄनुसंधान और ववकास गवतवववधयों की शुरुअत; दूसरी पीढी के जैव ईंधन,
हाआड्रोजन उजाथ और ईंधन कोवशकाओं अकद का ववकास होगा
भारत में वावणवज्यक ूपप से दोहन योग्य स्रोतों में िगभग 900GW की नवीकरणीय उजाथ क्षमता
है आनमें पवन - 102GW (खंबे की 80 मीटर की उंचाइ से), िघु जि ववद्युत् पररयोजना -
20GW; जैव-उजाथ - 25GW; और 3% बंजर भूवम मानते हए 750GW सौर उजाथ ईत्पादन की
क्षमता है
वषथ 2015-16 के दौरान, पवन उजाथ क्षमता में 3.42GW की वृवि के साथ यह वपछिे एक वषथ के
दौरान देश की पवन उजाथ क्षमता में सबसे ज्यादा वृवि है देश में वतथमान पवन उजाथ की स्थावपत
जिवायु पररवतथन पर संयुि राष्ट्र फ़्रेमवकथ कन्वेंशन को कदए गए भारत सरकार के आन्टेन्डेड नेशनि
डेटर्शमन्ड कॉवन्ट्रब्यूशन (INDC) में कहा गया है कक भारत 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन अधाररत
उजाथ संसाधनों से 40% संचयी ववद्युत क्षमता को प्राप्त करे गा प्रौद्योवगकी हस्तांतरण और िीन
क्िाआमेट फं ड अकद की सहायता से प्राप्त ऄंतराथष्ट्रीय ववत्त से आस िक्ष्य को प्राप्त ककया जायेगा 31
ऄक्टू बर, 2016 तक देश में 8727.62 MW से ऄवधक क्षमता वािी सौर उजाथ पररयोजनाएं
स्थावपत की जा चुकी हैं
सरकार वववभन्न प्रोत्साहनों, जैसे कक ईत्पादन अधाररत प्रोत्साहन (GBIs), पूंजी और ब्याज
सवब्सडी, वाआऄवबिटी गैप फं सडग, ररयायती ववत्त, ववत्तीय प्रोत्साहन आत्याकद द्वारा नवीकरणीय
उजाथ संसाधनों के प्रोत्साहन के विए एक सकक्रय भूवमका वनभा रही है
वषथ 2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय उजाथ ईत्पादन के िक्ष्य की प्रावप्त हेतु, सौर पाकथ , सौर
रक्षा योजना, CPUs के विए सौर योजना, नहर बैंक और नहर के शीषथ पर सौर PV वबजिी
संयंत्र, सौर पम्प, सौर छत अकद प्रमुख कायथक्रम / योजनाओं का शुभारं भ ककया है
वववभन्न नीवतगत ईपायों की शुूपअत की गइ है, वजसमें ऄन्य बातों के साथ-साथ, नवीकरणीय
खरीद बाध्यता (RPO) को मजबूत बनाने और नवीकरणीय सृजन बाध्यता (RGO) प्रदान करने
के विए ववद्युत ऄवधवनयम और टैररफ नीवत में ईपयुि संशोधन ककया गया है
ऄन्य ईपायों में ववशेष सौर पाकों की स्थापना; िीन एनजी कॉररडोर पररयोजना के माध्यम से
पॉवर ट्रांसवमशन नेटवकथ का ववकास; सौर छत पररयोजनाओं के विए बडे सरकारी पररसरों /
आमारतों की पहचान; स्माटथ शहरों के ववकास के विए वमशन स्टेटमेंट और कदशावनदेशों के तहत
ऄवनवायथ ूपप से छत के उपर सौर पैनि और 10 प्रवतशत ऄक्षय उजाथ खपत का प्रावधान; नए
वनमाथण या ईच्च फशथ क्षेत्र ऄनुपात (higher Floor Area Ratio) के विए छत के उपर सौर पैनि
का ऄवनवायथ प्रावधान; सौर पररयोजनाओं के विए बुवनयादी ढांचे की वस्थवत; कर मुि सौर
ऊणपत्र जारी करना; दीघथकाविक ऊण प्रदान करना; बैंकों / NHB द्वारा अवास ऊण के एक
वहस्से के ूपप में छत के उपर सौर पैनि िगाने; ववतरण कं पवनयों को प्रोत्सावहत करने और नेट-
नवीन और नवीकरणीय उजाथ मंत्रािय ने दूसरी पीढी आथेनॉि के विए एक नीवत के प्राूपप को जारी
ककया है
महत्व
नीवत में शीरे (molasses) की कमी के कारण आथेनॉि के ईत्पादन के विए शीरे के ऄिावा ऄन्य
संसाधनों के प्रयोग की बात कही गयी है
नवीन और नवीकरणीय उजाथ मंत्रािय एवं ववज्ञान और प्रौद्योवगकी मंत्रािय द्वारा बायोमास,
बांस, धान की परािी, गेहूं पुअि और कपास के भूसे अकद के प्रयोग से दूसरी पीढी के आथेनॉि के
ईत्पादन एवं वाहन में ईंधन के ूपप में प्रयोग करने के विए नइ प्रकक्रया की खोज
दूसरी पीढी के आथेनॉि के प्रोत्साहन के विए सरकार पेट्रोि में 22.5 प्रवतशत और डीजि में 15
प्रवतशत तक आथेनॉि वमश्ण की योजना बनाने की प्रकक्रया में है
सरकार ईद्योगों द्वारा ईत्पाकदत दूसरी पीढी के आथेनॉि की संपूणथ मात्रा खरीदने के विए तैयार है
तेि ववपणन कं पवनयों (OMCs) के विए आथेनॉि की अपूर्शत बढाने हेतु, आथेनॉि की खरीद नीवत
को संशोवधत कर कदया गया है वजससे पूरी आथेनॉि अपूर्शत श्ृंखिा को सुदढृ ककया जा सके और
आथेनॉि को िाभकारी मूल्य पर ईपिब्ध कराया जा सके
िाभ
रोजगार: ईत्तर-पूवी भारत में बांस से आथेनॉि बनाने से िाखों िोगो को रोजगार वमिेगा ईत्तर-
पूवथ के क्षेत्रो में दूसरी पीढी के आथेनॉि की वनमाथण क्षमता 40,000 िीटर है
पयाथवरण ऄनुकूि: ईदहारण के विए: ब्राजीि में फ्िेक्स-ईंधन कारें नए एथॉनोि पर चिती हैं
और कम प्रदूषण करती है
आथेनॉि के ईत्पादन में बढोतरी से भारत के कच्चे तेि के बडे अयात वबि में कटौती हो सकती है ,
वजसकी िागत प्रवत वषथ 7 िाख करोड रुपये पर अंकी गइ है
िीन एनजी कॉररडोर: नवीकरणीय उजाथ को घरों तक पहुँचाने के विए 38,000 करोड रुपये की
िागत वािे िीन एनजी कॉररडोर की स्थापना की जा रही है पावर विड कॉरपोरे शन ऑफ
आं वडया विवमटेड (PGCIL) ने एवशयन डेवेिपमेंट बैंक (ADB) से 1 करोड ऄमेररकी डॉिर की
ऊण सहायता की मांग की है वजसमें 500 वमवियन ऄमरीकी डॉिर का सावथभौम गारं टीकृ त
ऊण और 500 वमवियन ऄमरीकी डॉिर का गैर-सावथजावनक ऊण शावमि है
न्यूनतम सौर टैररफ: राष्ट्रीय सौर वमशन के तहत राजस्थान में 70MW की छह पररयोजनाओं में
से एक के विए ररवसथ नीिामी के माध्यम से सोिर टैररफ का मूल्य ऄभूतपूवथ ूपप से कम होकर रु
4.34 /kWh पर पहंच गया NTPC ने 18.01.2016 को 420MW सौर उजाथ पररयोजनाओं के
विए ररवसथ बोिी प्रकक्रया का अयोजन ककया हािांकक, आससे टैररफ 3 ूपपये प्रवत यूवनट तक
वगर गया, वजसे भारत में सौर उजाथ वनगम (SECI) द्वारा संचावित ूपफटॉप सोिर एनजी की
नीिामी में ऄमलिस एनजी सॉल्यूशंस द्वारा हावसि ककया गया था
कौशि ववकास - माचथ 2020 तक 50,000 प्रवशवक्षत सौर फोटोवोल्टेआक तकनीवशयन तैयार
करने के विए सूयथ वमत्र योजना शुूप की गइ है 30.09 .2016 तक 5492 सूयथ वमत्रों को
प्रवशवक्षत ककया जा चुका है और 3000 से ऄवधक िोग ऄभी प्रवशक्षण प्राप्त कर रहे हैं सूयथ वमत्र
योजना को िागू करने के विए संपूणथ देश में 150 से ऄवधक संस्थानों का एक नेटवकथ बनाया गया
है
की चर घातांकी वृवि में महत्वपूणथ भूवमका वनभाइ राष्ट्रीय दूरसंचार नीवत 2012 (NTP-2012)
का ईद्देश्य पूरे देश में सस्ती, ववश्वसनीय और सुरवक्षत दूरसंचार और ब्रॉडबैंड सेवाओं को ईपिब्ध
कराना है
वसतंबर 2016 तक िगभग 1074.23 वमवियन सब्सक्राआबर बेस के साथ, भारत में ववश्व का
दूसरा सबसे बडा दूरसंचार नेटवकथ है
2016 में 367.48 वमवियन आं टरनेट सब्सक्राआबर के साथ, भारत कु ि आं टरनेट यूजर के मामिे में
तीसरे स्थान पर था
भारत में आं टरनेट ईपयोग का एक प्रमुख घटक मोबाआि अधाररत आं टरनेट है, वजसमें 8 में से 7
यूजर ऄपने मोबाआि फोन से ही आं टरनेट का प्रयोग कर रहे हैं 2012 के बाद से, मोबाआि पर
वीवडयो देखने में खचथ ककया गया समय 200 घंटे बढा है
वसतंबर 2016 तक शहरी टेिी घनत्व 156.24 प्रवतशत और िामीण टेिीफोन घनत्व 51.24
प्रवतशत रहा
सस्ते स्माटथफोन और सेवाओं की कम दर के कारण भारतीय दूरसंचार ईद्योग में वृवि की बहत
संभावना है
माचथ 2016 से, वायरिेस सेगमेंट (कु ि टेिीफोन सदस्यता का 97.60 प्रवतशत) ने बाजार पर
प्रभुत्व बना विया है, साथ ही वायरिाआन सेगमेंट में आसकी 2.4 फीसदी वहस्सेदारी है
4.2. टे िी घनत्व
प्रवत 100 व्यविओं पर टेिीफोन की संख्या को टेिी-घनत्व के ूपप में व्यि ककया जाता है यह
देश में दूरसंचार पहंच (penetration) का एक महत्वपूणथ संकेत है मोबाआि सेगमेंट का टेिी
घनत्व ववत्त वषथ 2007 में 14.6 फीसदी से बढकर ववत्त वषथ 2017 में 86.25 फीसदी पर पहंच
गया
ववत्तीय वषथ 2016 में, शहरी वायरिेस टेिीफोन घनत्व 148.73 पर रहा जबकक िामीण
वायरिेस टेिी घनत्व 50.88 पर रहा भारत में 62,443 से ऄवधक गांव ऄभी भी दूरसंचार की
पहुँच से दूर है; आन्हें सरकार की यूवनवसथि सर्शवस ऑवब्िगेशन फं ड (वजससे िामीण टेिीघनत्व में
वृवि) से सवब्सडी समथथन के साथ गांव टेिीफोन सुववधा प्रदान की जाएगी
ब्रॉडबैंड कनेवक्टववटी में वृवि को बेहतर सामावजक अर्शथक प्रदशथन का ऄवभन्न ड्राआवर माना जाता
है ब्रॉडबैंड सेवाएं जनता को सशि बनाती हैं और व्यवियों को नए कै ररयर और शैवक्षक ऄवसरों
तक पहुँचने में मदद करती है साथ ही ये व्यवसायों के नए बाजारों तक पहंचने में मदद करती है
तथा दक्षता में सुधार और सभी नागररकों को स्वास््य, बैंककग और वावणज्य जैसे महत्वपूणथ सेवाओं
को ववतररत करने की सरकार की क्षमता में वृवि करती है माचथ 2016 के ऄंत में ब्रॉडबैंड
ईपभोिाओं की संख्या 149.75 वमवियन तक पहंच गइ ववत्तीय वषथ 2007-17 के दौरान देश में
ब्रॉडबैंड सवब्स्क्रलशन में 19.18 प्रवतशत CAGR की वृवि देखी गइ
सरकार के द्वारा 31 मइ 2012 को राष्ट्रीय दूरसंचार नीवत - 2012 (NTP -2012) को मंजरू ी दी
गइ, जो दूरसंचार क्षेत्र से संबंवधत रणनीवतक कदशा, नीवत और वववभन्न मध्यम ऄववध और
दीघथकाविक मुद्दों को संबोवधत करती है NTP - 2012 का प्राथवमक ईद्देश्य संपूणथ देश में सस्ते,
ववश्वसनीय और सुरवक्षत दूरसंचार और ब्रॉडबैंड सेवाओं को ईपिब्ध कराते हए सावथजवनक िाभ
प्रदान करना है
नीवत का मुख्य ईद्देश्य दूरसंचार सेवाओं के गुणक प्रभाव और समि ऄथथव्यवस्था पर आसके
पररवतथनकारी प्रभाव पर फोकस करना है यह राष्ट्रीय ववकास एजेंडे को अगे बढाने में दूरसंचार
सेवाओं की भूवमका को स्वीकार करता है तथा समता और समावेशन को बढाता है नागररकों के
विए सस्ती और प्रभावी संचार की ईपिब्धता NTP -2012 के िक्ष्य का कें द्र सबदु है यह
दूरसंचार में वनजी क्षेत्र की प्रमुख भूवमका को भी महत्व देती है एवं फिस्वूपप ऐसे नीवत वनमाथण
को प्रोत्सावहत करती है जो प्रवतस्पधी माहौि में सेवा प्रदाताओं की सतत व्यवहायथता सुवनवित
कर सके
NTP-2012 के ईद्देश्यों में वनम्नविवखत सवम्मवित हैं:
सभी नागररकों को सुरवक्षत, सस्ती और ईच्च गुणवत्ता युि दूरसंचार सेवाएं प्रदान करना
एक राष्ट्र-एक िाआसेंस - सेवाओं और सेवा क्षेत्रों में एक िाआसेंस वनमाथण का प्रयास करना
3G एवं ब्रॉडबैंड वायरिेस सेवाओं और ऄगिी पीढी की तकनीकों के बढते संचरण के साथ,
दूरसंचार ईपकरणों की मांग में तीव्र वृवि हइ है आस ऄवसर को ववत्तीय िाभ में बदिने हेतु,
सरकार और नीवत वनमाथता घरे िू वववनमाथण ईद्योग के ववकास पर ध्यान कें कद्रत कर रहे हैं NTP-
2012 के ईद्देश्यों में दूरसंचार ईपकरण के वववनमाथण का संवधथन भी शावमि ककया गया है
घरे िू ईत्पाकदत आिेक्ट्रॉवनक ईत्पादों की वहस्सेदारी बढाने के विए, वजसमें दूरसंचार ईपकरण भी
शावमि हैं, सरकार ने खरीद में स्थानीय ूपप से ईत्पाकदत आिेक्ट्रॉवनक ईत्पादों (दूरसंचार
ईपकरणों सवहत) को प्राथवमकता देने की नीवत वनधाथररत की है
तदनुसार दूरसंचार ववभाग ने सरकार के सभी मंत्राियों और ववभागों (रक्षा मंत्रािय को छोडकर)
एवं ईनके प्रशासवनक वनयंत्रण के ऄधीन वस्थत सभी एजेंवसयों, सभी सरकारी ववत्त पोवषत
दूरसंचार पररयोजनाओं हेतु खरीदे जाने वािे दूरसंचार ईत्पादों को ऄवधसूवचत ककया है
देश में वववनमाथण को बढावा देने के विए कें द्र सरकार की पहिों जैसे 'मेक आन आं वडया' ऄवभयान का
देश में मोबाआि हैंडसेट के वनमाथण पर सकारात्मक प्रभाव पडा है सैमसंग, माआक्रोमैक्स और
स्पाआस जैसी कं पवनयां पहिे से ही देश में हैंडसेट तैयार कर रही हैं वजओमी और मोटोरोिा के
साथ िेनोवो ने भी भारत में स्माटथफोन वनमाथण की शुरुअत की है HTC, असुस और वजओनी
जैसी कं पवनयों ने भी देश में वववनमाथण अधार स्थावपत करने में रुवच कदखाइ है
(संशोधन) ऄवधवनयम, 2003) द्वारा सावथभौवमक सेवा दावयत्व वनवध (USOF) का गठन ककया
देश के िामीण और सुदरू क्षेत्रों में दूरसंचार सुववधाओं के प्रवेश में सुधार के विए USOF द्वारा
वववभन्न योजनाएं शुूप की गइ हैं
USOF के कायाथन्वयन के विए संसाधनों का सृजन यूवनवसथि सर्शवस िेवी (USL) के माध्यम से
ईत्पन्न ककया जाता है, जो वतथमान में सभी वैल्यू एडेड सर्शवस प्रदाताओं जैसे आं टरनेट, वॉयस मेि,
इ-मेि सेवा अकद को छोडकर सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के समायोवजत सकि राजस्व
(AGR) पर 5% की दर से िगाया जाता है आसके ऄवतररि कें द्र सरकार ऄनुदान और ऊण के
माध्यम से भी आसका ववत्तपोषण कर सकती है
आस फं ड का ईपयोग के वि सावथभौवमक सेवा दावयत्व को पूरा करने के विए ककया जाना है
सावथभौवमक सेवा दावयत्व को ऄवधवनयम में आस प्रकार पररभावषत ककया गया है - िामीण और
सुदरू क्षेत्रों में िोगों को टेिीिाफ सेवाओं को सस्ती और ईवचत मूल्य पर पहुँचाने का दावयत्व
ऑवलटकि फाआबर के माध्यम से देश के सभी 2,50,000 िाम पंचायतों को 'राष्ट्रीय ऑवलटकि
फाआबर नेटवकथ ' (NOFN) के माध्यम से जोडने हेतु 20,000 करोड रुपये की एक पररयोजना को
मंजरू ी दे दी गयी है वजसका प्रयोग करके मोबाआि ऑपरे टर, दूरसंचार सेवा प्रदाता, आं टरनेट सेवा
प्रदाता (ISPs), के बि टीवी ऑपरे टर, कं टेंट प्रोवाआडर अकद िामीण क्षेत्रों में वववभन्न सेवाएं िॉन्च
एलिीके शन ईपिब्ध कराए जाते हैं आस पररयोजना को USOF द्वारा ववत्त पोवषत ककया जा रहा
है यह पररयोजना सरकार द्वारा स्थावपत भारत ब्रॉडबैंड नेटवकथ विवमटेड (BBNL) नामक एक
स्पेशि पपथस वेवहकि (SVP) एवं भारत संचार वनगम विवमटेड (BSNL), पावर विड कॉपोरे शन
IPv6 (आं टरनेट प्रोटोकॉि संस्करण 6) ऄगिी पीढी का आं टरनेट प्रोटोकॉि है IPv4 (आं टरनेट
प्रोटोकॉि संस्करण 4) द्वारा प्रदान ककए गए एड्रेस-स्पेस की कमी और नेटवकथ संतप्त
ृ ा के कारण,
IPv6 का आस्तेमाि अवश्यक हो जाता है जो भववष्य की जूपरतों के विए ववशाि एड्रेस-स्पेस और
कइ ऄन्य ववशेषताएं प्रदान करता है दुवनया भर के देशों ने IPv6 में स्थानांतरण शुूप कर कदया है
भारत दुवनया का पहिा देश है जहां सरकार ने नीवतगत वनणथयों के साथ नेशनि IPv6
वडलिॉआमन्ट रोडमैप जारी ककया है
वनजी सेवा प्रदाताओं की प्रवववष्ट के कारण एक स्वतंत्र वनयामक की अवश्यकता स्वतः ही ईत्पन्न
हो गयी टेिीकॉम सेवाओं के टैररफ वनधाथरण/संशोधन सवहत दूरसंचार सेवाओं के वववनयमन हेतु
संसद के दूरसंचार वववनयामक प्रावधकरण ऄवधवनयम, 1997 द्वारा भारतीय दूरसंचार वनयामक
प्रावधकरण (TRAI) नामक संस्था को 20 फरवरी, 1997 को प्रभावी ूपप से स्थावपत ककया गया
TRAI का वमशन देश में दूरसंचार के ववकास के विए अवश्यक दशाओं का सृजन और ववकास आस
प्रकार करना है, जहाुँ भारत ईदीयमान वैवश्वक सूचना समाज के वनमाथण में एक ऄिणी भूवमका
वनभा सके
TRAI के मुख्य ईद्देश्यों में से एक वनष्पक्ष एवं पारदशी नीवतगत पररवेश प्रदान करना है वजसमें
सभी को समान ऄवसर ईपिब्ध हो तथा वनष्पक्ष प्रवतयोगी माहौि बना रहे
ईपयुथि ईद्देश्य के ऄनुसरण में, TRAI ने समय-समय पर ऄपने समक्ष अने वािे मुद्दों के समाधान
के विए कइ वनयम, अदेश और वनदेश जारी ककए हैं आसने भारतीय दूरसंचार बाजार को सरकारी
स्वावमत्व वािे एकावधकार से मल्टी ऑपरे टर मल्टी सेवा मुि प्रवतस्पधी बाजार के ूपप में
ववकवसत करने में ऄहम् भूवमका वनभाइ है
वनदेश, अदेश और ऄवधवनयमों के द्वारा वववभन्न ववषयों जैसे टैररफ, आं टरकनेक्शन और सेवा की
गुणवत्ता के साथ प्रावधकरण के सुशासन सवहत कइ ववषयों को समावहत ककया जाता है
TRAI ऄवधवनयम, 24 जनवरी 2000 से प्रभावी एक ऄध्यादेश द्वारा संशोवधत ककया गया था,
वजसमें दूरसंचार वववाद वनपटान और ऄपीिीय रट्रब्यूनि (TDSAT) की स्थापना ट्राइ से न्यावयक
और वववाद कायथवावहयों को पृथक करने के विए हइ थी TDSAT को एक िाआसेंसधारक और
िाआसेंसधारी (licensor and a licensee) के बीच, दो या ऄवधक सेवा प्रदाता के बीच, सेवा
प्रदाता और ईपभोिाओं के समूह के बीच, और TRAI के ककसी भी कदशावनदेश, वनणथय या अदेश
के ववरुि ऄपीि सुनने और वववाद वनपटाने के विए स्थावपत ककया गया है
नेट न्यूट्रैविटी एक वसिांत है वजसके तहत माना जाता है, कक आं टरनेट सर्शवस प्रदान कं पवनयां
आं टरनेट पर हर तरह के डाटा को एक जैसा दजाथ देंगी चाहे वो डाटा वभन्न वेबसाआटों पर वववजट
करने के विए हो या कफर ऄन्य सेवाओं के विए ईन्हें ककसी सेवा को न तो ब्िॉक करना चावहए और
न ही ईसकी स्पीड स्िो करनी चावहए ये ठीक वैसा ही है जैसे कक सडक पर सभी ट्रैकफक के साथ
एक जैसा बताथव ककया जाए
नेट न्यूट्रैविटी वनयमों के वबना, ISP ईपयोगकताथओं को कु छ वेबसाआटों पर जाने से रोक सकते है,
Netflix जैसी सेवाओं के विए धीमी गवत प्रदान कर सकते हैं या कफर ईपयोगकताथओं को एक
वेबसाआट से दूसरी प्रवतस्पधी वेबसाआट पर रीडायरे क्ट कर सकते हैं नेट न्यूट्रैविटी वनयम ISP को
कु छ साआटों या सेवाओं को ववशेष महत्व कदए वबना ईपयोगकताथओं को समान ूपप से आं टरनेट पर
सभी वैध सामिी के साथ जोडने के विए बाध्य करते हैं
नेट न्यूट्रैविटी की ऄनुपवस्थवत में, कं पवनयां ISP िाहकों तक प्राथवमकता पहंच को खरीद सकती
हैं Google या Facebook जैसी बडी व् ऄमीर कं पवनयां प्रवतयोवगयों के मुकाबिे ऄपनी
वेबसाआटों पर तेज़, ऄवधक ववश्वसनीय पहंच प्रदान करने के विए ISPs को पैसा दे सकते हैं आससे
नयी स्टाटथ-ऄप सेवाओं को हावन पहुँच सकती है साथ ही, यकद ISP कु छ सेवाओं से कनेक्ट करने के
विए ऑनिाआन शुल्क िेना शुूप करता है, तो ऄंततः आसका ऄवतररि भार अम आन्टरनेट
ईपभोिा पर ही पडेगा
दूरसंचार वनयामक TRAI ने नेट न्यूट्रैविटी के वसिांतों को बनाए रखने के विए दूरसंचार कं पवनयों
द्वारा मोबाआि यूजर को दी गइ आं टरनेट सेवाओं के विए ववभेदक मूल्य वनधाथरण को कम ककया है
आससे फे सबुक की री बेवसक और एयरटेि ज़ीरो जैसे ऄन्य शून्य रे टेड लिेटफामों को बडा झटका
िगा है
दौरान सोिर पाकथ , सोिर ूपफटॉप योजना, सौर रक्षा योजना, नहर के बांधों तथा नहरों के उपर
सीपीयू सोिर पीवी पॉवर लिांट के विए सौर योजना, सोिर पंप, सोिर ूपफटॉप अकद के
कक्रयान्वयन के विए बडे कायथक्रम/योजनाएं अरं भ की गइ हैं
वषथ 2022 तक 175 GW के नवीकरणीय उजाथ िक्ष्य को हावसि करने के विए नवीन तथा
और नवीकरणीय सृजन बाध्यता (RGO) के विए वबजिी ऄवधवनयम एवं टैररफ नीवत में ऄनुकूि
संशोधन करना; हररत उजाथ गवियार पररयोजना के माध्यम से वबजिी पारे षण नेटवकथ का
ववकास; टैररफ अधाररत प्रवतस्पधी बोिी प्रकक्रया के माध्यम से सौर एवं पवन उजाथ की खरीद के
विए कदशा-वनदेश, राष्ट्रीय ऄपतटीय पवन उजाथ नीवत को ऄवधसूवचत ककया जाना, पवन उजाथ
विए मानक वनधाथररत करना, ऄंतरराज्यीय पारे षण प्रणािी प्रभारों तथा माचथ, 2019 तक
कमीशन की जाने वािी पररयोजनाओं के विए सौर तथा पवन वबजिी के ऄंत:राज्यीय वबक्री से
होने वािे नुकसान की माफी के विए अदेश; ूपफटॉप पररयोजनाओं के विए बडे सरकारी
पररसरों/भवनों की पहचान करने; वमशन वक्तव्य एवं स्माटथ वसटी के ववकास के विए कदशा-
वनदेशों के तहत ूपफटॉप सोिर एवं 10 प्रवतशत नवीकरणीय उजाथ के प्रावधान को ऄवनवायथ
बनाना, नये वनमाथण या ईच्चतर फशथ क्षेत्र ऄनुपात के विए ूपफटॉप सोिर के ऄवनवायथ प्रावधान
के विए भवन ईपवनयमों में संशोधन; सौर पररयोजनाओं के विए ऄवसंरचना दजाथ; कर मुक्त
सोिर बांड जारी करने; दीघथकाविक ऊण ईपिब्ध कराने; बैंकों/NHB द्वारा गृह ऊण के वहस्से के
ूपप में ूपफटॉप सोिर का वनमाथण; ववतरण कं पवनयों को प्रोत्सावहत करने तथा नेट-मीटटरग को
ऄवनवायथ बनाने के विए समेककत वबजिी ववकास योजना (IPDS) में ईपायों को शावमि करना
तथा आस िक्ष्य को हावसि करने के विए हररत जिवायु वनवध के ूपप में भी द्वीपक्षीय एवं
ऄंतराथष्ट्रीय दानकताथओं से फं ड जुटाना अकद शावमि हैं
NSRE की ऄन्य महत्वपूणथ पहिें तथा ईपिवब्धयां आस प्रकार हैं :
नवीकरणीय उजाथ की ऄनुमावनत क्षमता
स्वदेशी नवीकरणीय संसाधनों के बढते ईपयोग से महंगे अयावतत फॉवसि ईंधनों पर भारत की
वनभथरता में कमी अने की ईम्मीद है िगभग 3 प्रवतशत बंजर भूवम के ऄनुमान के साथ भारत के
पास 1096 GW की वावणवज्यक ऄक्षय उजाथ स्रोतों से ऄनुमावनत ऄक्षय उजाथ क्षमता है, वजसमें
पवन - 302 GW; िघु हाआड्रो - 21 GW; जैव उजाथ 25 GW; और 750 GW सौर उजाथ
शावमि है
िक्ष्य
भारत सरकार ने 2022 के अवखर तक 175 GW नवीकरणीय उजाथ संस्थावपत क्षमता का िक्ष्य
वनधाथररत ककया है आसमें से 60 GW पवन उजाथ से, 100 GW सौर उजाथ से, 10 GW बायोमास
उजाथ से तथा पांच GW िघु पनवबजिी से शावमि है 2017-18 के विए 14550 MW विड
नवीकरणीय उजाथ (पवन 4000 MW, सौर 10000 MW, िघु पनवबजिी उजाथ 200 MW, जैव
उजाथ की मांग में बढोतरी कर दी है उजाथ की मांग की पूरी करने के विए 31.10.2017 तक देश
जो िक्ष्य की तुिना में 38 प्रवतशत ऄवधक है ऄब पवन उजाथ संस्थावपत क्षमता के विहाज से
वपछिे साढे तीन वषों के दौरान 1.31 िाख समेत 30.11.2017 तक देश में ऄभी तक 1.42 िाख
सोिर पम्प संस्थावपत ककये गये हैं
23656 MW क्षमता की सौर उजाथ पररयोजनाओं के विए टेंडर जारी ककये गये हैं तथा 19340
िघु पन वबजिी संयंत्रों से वपछिे साढे तीन वषों के दौरान विड कनेक्टे ड नवीकरणीय उजाथ के
के दौरान 1.1 िाख बायोगैस संयंत्रों के िक्ष्य के मुकाबिे 0.15 िाख बायोगैस लिांट की स्थापना
2021-22 तक 100 GW कर कदया गया है वषथ 2017-18 के विए 10,000 MW का िक्ष्य रखा
गया है, वजसकी बदौित 31 माचथ, 2018 तक संचयी क्षमता 20 GW से ऄवधक हो जाएगी
अंध्र प्रदेश में 1000 MW क्षमता के कु रनूि सोिर पाकथ को पहिे ही चािू ककया जा चुका है और
आसका पररचािन जारी है एक ही स्थान पर 1000 MW क्षमता के सोिर पाकथ के चािू हो जाने
से कु रनूि सोिर पाकथ ऄब दुवनया के सबसे बडे सोिर पाकथ के ूपप में ईभर कर सामने अया है
राजस्थान में 650 MW क्षमता के भादिा (चरण-II) सोिर पाकथ को चािू कर कदया गया है
मध्य प्रदेश में 250 MW क्षमता के नीमच मंदसौर सोिर पाकथ (500 MW) के चरण-I को चािू
कर कदया गया है
सोिर पाकथ योजना के तहत क्षमता को 20,000 MW से बढाकर 40,000 MW करने के विए
संबंवधत कदशा-वनदेशों के जारी होने के बाद आस साि राजस्थान (1000 MW), गुजरात (500
कइ योजनाएं जैसे कक (i) रक्षा योजना (ii) कें द्रीय सावथजवनक क्षेत्र ईपक्रमों (सीपीएसयू) की
योजना (iii) वमवश्त योजना (iv) कै नाि बैंक/कै नाि टॉप स्कीम (v) वीजीएफ योजना (vi) सोिर
पाकथ योजना (vii) सोिर ूपफटॉलस योजना कफिहाि कक्रयावन्वत ककए जा रहे राष्ट्रीय सोिर
वमशन के तहत मंत्रािय द्वारा शुूप/िांच की गइ हैं
सोिर ूपफटॉप
मंत्रािय विड कनेक्टेड ूपफटॉप और छोटे सौर उजाथ संयंत्र कायथक्रम कक्रयावन्वत कर रहा है, वजसके
आस कायथक्रम के तहत सामान्य श्ेणी वािे राज्यों में अवासीय, संस्थागत एवं सामावजक क्षेत्रों में
राज्यों में बेंचमाकथ िागत के 70 प्रवतशत तक कें द्रीय ववत्त सहायता मुहय
ै ा कराइ जा रही है
सरकारी क्षेत्र के विए ईपिवब्ध से संबि प्रोत्साहन कदए जा रहे हैं सवब्सडी/सीएफए वनजी क्षेत्र में
वावणवज्यक और औद्योवगक प्रवतष्ठानों के विए िागू नहीं है
ऄमेररकी डॉिर के ररयायती ऊण सोिर ूपफटॉप पररयोजनाओं के विए भारतीय स्टे ट बैंक,
पंजाब नेशनि बैंक और के नरा बैंक को ईपिब्ध कराए गए हैं
एक योग्य तकनीकी श्मबि तैयार करने के विए सूयथवमत्र कायथक्रम शुूप ककया गया है और आस
कायथक्रम के तहत 11,000 से भी ऄवधक व्यवियों को प्रवशवक्षत ककया गया है
पररयोजना मंजूरी में तेजी िाने, ररपोटथ पेश करने और अरटीएस पररयोजनाओं की वनगरानी के
विए एक ऑनिाआन लिेटफॉमथ सृवजत ककया गया है
खोज क्षमता और पारदर्शशता के विए आसरो के सहयोग से अरटीएस पररयोजनाओं की भौगोविक
टैवगग अरं भ करना
अवेदन प्रस्तुत करने और जागरुकता के विए िाभार्शथयों के असानी से पहंच के विए मोबाआि ऐप
ऄरुण (ऄटि रुफ टॉप सोिर यूजर नेवीगेटर) िांच करना
वववभन्न मंत्राियों/ववभागों में अरटीएस पररयोजनाओं के कायाथन्वयन के विए एमएनअरइ
(नवीन एवं नवीकरणीय उजाथ मंत्रािय) ने मंत्राियवार ववशेषज्ञ सावथजवनक क्षेत्र के ईपक्रम
अवंरटत ककए
सौर उजाथ पररयोजनाओं के विए नीवतयों, वववनयमों, तकनीकी मानकों और ववत्त पोषण वनयमों
के सवोत्तम ऄ्यास मागथदर्शशका और संिह प्रकावशत ककया गया
पवन उजाथ
वषथ 2016-17 के दौरान पवन उजाथ में 5.5 GW की क्षमता जोडी गइ जो देश में ऄब तक एक वषथ
में जोडी गइ क्षमता में सबसे ऄवधक है देश में वतथमान स्थावपत पवन उजाथ िगभग 32.75 GW
है पवन उजाथ क्षमता की स्थापना में भारत ववश्व में चीन, ऄमेररका और जमथनी के बाद चौथे
स्थान पर है
भारत में पवन उजाथ ईपकरण वनमाथण का मजबूत अधार है वतथमान में देश में पवन टबाथआन के 53
मॉडि बनाने वािे 20 ऄनुमोकदत मान्यता प्रालत वनमाथता हैं और प्रत्येक टबाथआन की क्षमता 3 MW
तक है भारत में बनाइ जाने वािी पवन टबाथआन ववश्व गुणवत्ता मानको के ऄनुूपप है और यूरोप,
ऄमेररका तथा ऄन्य देशों से अयातीत टबाथआनों में सबसे कम िागत की है
देश की पवन उजाथ क्षमता का राष्ट्रीय पवन उजाथ संस्थान (NIWE) द्वारा पुनमूथल्यांकन ककया गया
है 100 मीटर हब उंचाइ पर आसकी क्षमता का ऄनुमान 302 GW िगाया गया है
एनअइडब्ल्यूइ वेबसाआट पर ऑन िाआन सवड एटिस ईपिब्ध है आससे देश में पवन उजाथ ववकास
में नये ऄयाम जुडग
ें े
पहिी एसइसीअइ पवन उजाथ नीिामी के विए पीपीए/पीएसए पर हस्ताक्षर ककए गए (1000
MW, फरवरी 2017 में शुल्क 3.46 रुपये प्रवत यूवनट अंका गया) 1000 MW की दूसरी पवन
उजाथ नीिामी में न्यूनतम शुल्क 2.64 रुपये प्रवत यूवनट अंका गया
भारत में िम्बी तटीय रे खा है जहां तटीय पवन उजाथ पररयोजनाएं बनाने की ऄच्छी संभावना है
मंत्रीमंडि ने राष्ट्रीय तटीय पवन उजाथ नीवत को स्वीकृ वत प्रदान की है वजसे 6 ऄक्टू बर 2015 को
ऄवधसूवचत ककया गया है गुजरात और तवमिनाडु के तटीय क्षेत्रों में कु छ खंडों की पहचान की गइ
हैं पवन संसाधन अंकडे एकवत्रत करने के विए गुजरात तट पर पहिा एिअइडीएअर स्थावपत
ककया गया और चािू ककया गया
क्योंकक ऄवधकतर टबाथआनों को 100 मीटर से ऄवधक उंचाइ पर स्थावपत ककया जाता है भारत का
कु ि ऄनुमावनत पवन संसाधन 100 मीटर हाआट पर 302 GW से 120 मीटर की उंचाइ पर
िगभग 600 GW हो जाएगी ऄपतटीय पवन उजाथ के विए भी मेसो मापदंड का मानवचत्र
बनाया गया कफर भी आनके वास्तववक ईपयोग को वववशष्ट स्थिों के मानदंड से मापा जाएगा
ववद्युत ऄवधवनयम की धारा 63 के ऄंतगथत पवन संसाधनों की नीिामी के विए बोिी िगाने के
कदशा वनदेशों के विए उजाथ मंत्रािय को कदसंबर में ऄवधसूवचत ककया गया
छोटी पनवबजिी पररयोजना
िीड कनेवक्टड नवीकरणीय ववद्युत के ऄंतगथत छोटी पनवबजिी पररयोजना की 0.59 GW से
वपछिे ढाइ वषों में 27.07 GW की नवीकरणीय उजाथ क्षमता में वृवि की गइ है
बायोमास पावर
30.11.2017 को कु ि 8181.70 MW उजाथ ईपिब्ध हइ है
पररवार के विए बायोगैस संयत्र
ं
राष्ट्रीय बायोगैस और खाद प्रबंधन कायथक्रम (NBMMP) के ऄंतगथत िामीण और ऄिथशहरी घरों
बायोगैस संयंत्र िगाने के िक्ष्य था वजसमें से 0.15 िाख बायोगैस संयंत्र िगाए जा चुके हैं आस
कनाथटक, अंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र,गुजरात, वहमाचि प्रदेश और मध्य प्रदेश) द्वारा िागू की जा रही है
9400 सीके एम ट्रांसवमशन िाआन और 19000 एमवीए की क्षमता वािे सब स्टेशनों के कायथ को
माचथ 2020 तक पूरा ककया जाना है पररयोजना के विए 6766 करोड रुपए स्वीकृ त कर कदए गए
हैं वजसमें से 1400 करोड रुपए कें द्र सरकार के कोटे से राज्यों को जारी कर कदए गए है
ऄन्य पहि
भारत ऄंतराथष्ट्रीय स्तर पर नवकरणीय उजाथ के क्षेत्र में ऄिणी भूवमका वनभा रहा है भारत ने रांस
के वमिकर ऄंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के गठन में महत्वपूणथ भूवमका ऄदा की है आस संगठन
में 121 सदस्य देश शावमि हैं आसमें ऐसे देश शावमि हैं जो मकर और ककथ रे खा पर पडते हैं 47
देशों ने रे मवकथ समझौते पर हस्ताक्षर ककए हैं 18 देशों ने 1 वषथ के भीतर आसे ऄनुमोकदत ककया
भारतीय ऄथथव्यवस्था
9. अर्थथक सुधार
2. ववकास वनयोजन
1947 के पश्चात् भारत द्वारा ऄपनाइ गयी अर्थथक नीवतयां औपवनवेवशक ववरासत एवं तत्कालीन
ऄंतरराष्ट्रीय वस्थवतयों से प्रभाववत थीं। आन नीवतयों का रणनीवतक प्रारूप भारतीय राष्ट्रीय
अंदोलन की प्रमुख ववचारधारा और राष्ट्रवादी नेताओं ववशेषकर पंवडत जवाहरलाल नेहरू के
ववचारों से ऄत्यवधक प्रभाववत था l स्वतंत्रता प्रावि के समय, भारत वनम्न प्रवत व्यवि राष्ट्रीय अय,
स्थैवतक और ऄद्धथ सामंती कृ वष, ऄल्प ववकवसत ईद्योग तथा ऄपयाथि बुवनयादी ढांचे, व्यापक
वनधथनता, ऄत्यवधक बेरोजगारी तथा ऄल्प रोजगार, ईच्च वनरक्षरता, ईच्च ज म और मृत्यु दर तथा
स्वास््य सेवा की ऄत्यंत दयनीय वस्थवत का सामना कर रहा था। स्वतंत्र भारत को विरटश शासन
के कारण हुइ हावन की क्षवतपूर्थत के वलए ऄत्यवधक पररश्रम करना पड़ा। सामावजक-अर्थथक मोचे
पर पयाथि ईन्नवत के वलए राष्ट्रीय स्तर पर ववशाल और संगरित प्रयास करने की अवश्यकता थी।
आस क्रदशा में, योजनाबद्ध ववकास को भारत के ववकासात्मक प्रयासों की मुख्य रणनीवत के रूप में
स्वीकार क्रकया गया।
भारतीय ऄथथव्यवस्था को ववकवसत करने के वलए योजनाबद्ध ववकास को बाजार तंत्र से बेहतर
माना गया था। जहााँ एक ओर बाजार तंत्र ईच्च-लाभकारी गवतवववधयों को प्राथवमकता देता है वहीं
दूसरी ओर योजनाबद्ध ववकास देश की ईत्पादक क्षमता का त्वररत वनमाथण सुवनवश्चत करने के वलए
ईपलधध संसाधनों का प्रगवतशील दर पर व्यववस्थत ईपयोग करता है। वनयोजन को एक ऐसे
ईपकरण के रूप में देखा गया जो राज्य को बड़े पैमाने पर कइ ववकास पररयोजनाएं तथा
बेरोजगारी और गरीबी ई मूलन जैसे कायथक्मों को अरम्भ करने में सक्षम बनाता है। आसके
ऄवतररि, 1947 में देश के ववभाजन से ईत्पन्न होने वाली करिनाआयों, ऄथाथत् पूवथ और पवश्चम
पाक्रकस्तान से शरणार्थथयों का ऄत्यवधक संख्या में प्रवेश और कच्चे माल के ईत्पादन वाले क्षेत्रों को
खो देने के कारण हुइ की हावन से वनपटने के वलए योजना का वनमाथण करना भी ऄवत अवश्यक
था।
में कमी लाना, बेरोजगारी को समाि करना, वनधथनता ई मूलन, स्वास््य और वशक्षा के क्षेत्र में
सामावजक कायथक्मों का क्रक्या वयन तथा भूवम सुधार।
समग्र तौर पर, ववकास और सामावजक याय ने वनयोजन के अर्थथक और सामावजक ढांचे का गिन
क्रकया। आस पररप्रेक्ष्य के साथ, अर्थथक और सामावजक ववकास के वलए एक योजना तैयार करने के
वलये कें द्र सरकार के सलाहकार वनकाय के रूप में 1950 में योजना अयोग की स्थापना एक
सरकारी प्रस्ताव (गवनथमेंट रे ज़ोल्यूशन ) के माध्यम से की गयी। तदुपरा त, योजना अयोग की
सहायता हेतु राष्ट्रीय ववकास पररषद (1952) का गिन क्रकया गया। राष्ट्रीय ववकास पररषद का
ईद्देश्य योजनाओं के वनमाथण में राज्यों से सहयोग प्राि करना था।
ऄप्रैल 1951 में प्रथम पंचवषीय योजना के शुभारं भ के साथ योजनाबद्ध ववकास का युग अरम्भ
हुअ (कु छ संशोधनों के साथ हैरड-डोमर मॉडल को प्रथम योजना के वलए ऄपनाया गया था)। आस
योजना के ऄंतगथत शरणार्थथयों के बढ़ते ऄ तवाथह, खाद्य पदाथों की भारी कमी और बढ़ती
मुद्रास्फीवत से ईत्पन्न समस्याओं को संबोवधत क्रकया गया। खाद्यान्न ईत्पादन में वृवद्ध, मुद्रास्फीवत में
कमी और अधारभूत संरचना के ववकास द्वारा खाद्य संकट की समस्या के समाधान को सवोच्च
प्राथवमकता दी गइ।
भारत में औपवनवेवशक काल के समाि होने के बाद ऄवस्तत्व में अए स्वतंत्र भारत की प्रकृ वत का
वनधाथरण औपवनवेवशक ववरासत और समकालीन वैवश्वक घटनाओं द्वारा क्रकया गया था। 1930 के
दशक की महान अर्थथक मंदी, वद्वतीय ववश्व युद्ध की समस्याएं और रूसी ऄथथव्यवस्था की तीव्र
वृवद्ध ने ऄथथव्यवस्था में राज्य की सक्रक्य भूवमका के वलए ऄनुकूल पररवेश का वनमाथण क्रकया।
समाज के वववभन्न क्षेत्रों में प्रमुख बदलाव लाने के वलए, प्रत्यक्ष राज्य हस्तक्षेप के प्रयोग हेतु
औपवनवेवशक ववरासत एक महत्वपूणथ कारक थी। स्वतंत्रता से पहले, राष्ट्रवादी अर्थथक दृवष्टकोण ने
अर्थथक ववकास की प्रक्रक्या में राज्य के वलए एक कें द्रीय भूवमका का समथथन क्रकया। यहां तक क्रक
एम.जी.रानाडे और दादाभाइ नौरोजी जैसे प्रारं वभक राष्ट्रवाक्रदयों ने 19वीं सदी के ऄंत में ही
भारत के अर्थथक ववकास में राज्य की महत्वपूणथ भूवमका के पक्ष में ऄपने ववचार व्यि क्रकए थे।
1931 के कराची प्रस्ताव की घोषणा के ऄनुसार- 'राज्य प्रमुख ईद्योगों और सेवाओं, खवनज
संसाधनों, रे लवे, जलमागथ, नौवहन और सावथजवनक पररवहन के ऄ य साधनों का स्वामी होगा या
ईनका वनयंत्रण करे गा'। NPC और बॉम्बे प्लान ने वनयोजन द्वारा ऄथथव्यवस्था में प्रत्यक्ष और
व्यववस्थत राज्य हस्तक्षेप की एक व्यापक नीवत तथा सावथजवनक क्षेत्र एवं ऄथथव्यवस्था के वववभन्न
क्षेत्रों पर सामा य वनयंत्रण की वसफाररश की थी। स्वतंत्रता प्रावि के समय भी भारतीय
ऄथथव्यवस्था में राज्य के सक्रक्य हस्तक्षेप को लेकर राष्ट्रवाक्रदयों के मध्य मतैक्य था।
स्वतंत्रता के समय भारत की समस्याओं की प्रकृ वत को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन नेतृत्व ने
ववकास को राज्य के एजेंडे के कें द्र में रखा। ववकास के व्यापक रूप में न के वल औद्योवगक
ऄथथव्यवस्था को सवम्मवलत क्रकया गया था बवल्क आसके साथ-साथ सामावजक पररवतथन और
राजनीवतक लोकतांवत्रकरण के कायथक्मों को भी सवम्मवलत क्रकया था। लोकतंत्र के दायरे में रहते
हुए राज्य ने अर्थथक ववकास और समतावादी सामावजक व्यवस्था प्राि करने का प्रयास क्रकया था।
1950 में सावथभौवमक वयस्क मतावधकार और मौवलक ऄवधकारों से युि संववधान ने अवधकाररक
तौर पर भारत को एक लोकतंत्र घोवषत क्रकया। सामावजक याय के लक्ष्य की प्रावि और के वल कु छ
लोगों के हाथों में धन के संग्रहण को रोकने के वलए संववधान के नीवत वनदेशक वसद्धांतो ने
ऄथथव्यवस्था में राज्य हस्तक्षेप के क्षेत्र और प्रकृ वत को ववस्तृत रूप से पररभावषत क्रकया।
समाज में अर्थथक और सामावजक पररवतथन की प्रावि के वलए, भारत ने एक ववकासात्मक राज्य की
भूवमका ऄपनाइ। राज्य, वनयोजन की प्रक्रक्या के माध्यम से ववकास का कें द्रीय साधन बन गया,
वजसमें ईत्पादन, ववतरण तथा वस्तुओं और सेवाओं के अदान-प्रदान पर राज्य का वनयंत्रण था।
ववकास के ईद्देश्यों को पूरा करने के वलए राज्य ने ईत्पादन और ववतरण के क्षेत्र में प्रवेश क्रकया।
नेहरू-महालनोवबस रणनीवत के ईद्देश्यों की प्रावि के वलए राज्य को सवाथवधक ईपयुि एजेंसी के
रूप में देखा गया। ऄथथव्यवस्था में राज्य का हस्तक्षेप, भारी ईद्योगों में सावथजवनक क्षेत्र को बढ़ावा
देने तथा ऄथथव्यवस्था के ववकास की क्रदशा में एक अवश्यक कदम था। अधारभूत संरचना के
ववकास के वलए वृहद जल ववद्युत पररयोजनाओं, वृहद औद्योवगक और खनन पररयोजनाओं तथा
ईच्च वशक्षण संस्थानों को 'अधुवनक भारत के मंक्रदरों' के रूप में स्थावपत क्रकया गया। ग्रामीण जीवन
में सुधार के वलए राज्य ने संस्थागत सुधारों और भूवम सुधारों को ऄपनाया। प्राथवमक वशक्षा,
प्राथवमक स्वास््य देखभाल, सुरवक्षत पेयजल और रोजगार कायथक्मों के संचालन का प्राथवमक
ईत्तरदावयत्व सरकार ने स्वयं ले वलया। राज्य के अर्थथक और सामावजक ईत्तरदावयत्वों का व्यापक
ववस्तार समाजवादी प्रवतरूप के ईद्देश्य के ऄनुरूप था। हालांक्रक, आसका ऄथथ वनजी ईद्यमों का
पूणत
थ ः ई मूलन कदावप नहीं था। वास्तव में, लोकतंत्र और समाजवाद के वसद्धांतो के कारण राज्य,
समाज में वमवश्रत ऄथथव्यवस्था बनाए रखने के वलए प्रवतबद्ध था।
ववकास की नेहरू-महालनोवबस रणनीवत की वववभन्न पक्षों द्वारा ऄत्यंत अलोचना की गयी। चूंक्रक
कृ वष ववकास की तुलना में औद्योवगकीकरण पर ऄवधक बल क्रदया गया था, ऄतः आसके फलस्वरूप
कालांतर में कृ वष क्षेत्र को नुकसान का सामना करना पड़ा। श्रम-गहन ईद्योगों की तुलना में भारी
ईद्योगों को ईच्च प्राथवमकता देने के कारण बड़े पैमाने पर धन और बेरोज़गारी की समस्या ईत्पन्न
हुइ। 1951 के IDRA (औद्योवगक ववकास वववनयमन ऄवधवनयम) ऄपने ईद्देश्यों में पूरी तरह
सफल नहीं हुअ। आसने देश के बड़े औद्योवगक घरानों के पक्ष में एक लाआसेंस राज का वनमाथण
क्रकया। यह लाआसेंस राज, समतापूणथ औद्योवगक ववकास में बाधक बन गया। कानूनों में व्याि
खावमयों, राजनीवतक आच्छा शवि की कमी और नौकरशाही की ईदासीनता के कारण भूवम सुधारों
का पूणथतः क्रक्या वयन नहीं क्रकया जा सका। आ हीं कारणों के फलस्वरूप, CDP (सामुदावयक
ववकास कायथक्म) पयाथि सफलता प्राि नहीं कर सका।
तथावप ववकास के वलए क्रकये प्रयासों के पहले चरण में कइ महत्वपूणथ ईपलवधधयां दजथ की गयी।
आस चरण ने समाज के व्यापक ववकास के वलए भौवतक और अधारभूत मानव संरचना का वनमाथण
क्रकया। औपवनवेवशक काल की तुलना में आस काल में हुअ समग्र अर्थथक प्रदशथन ऄपेक्षाकृ त ऄवधक
श्रेष्ठ था। वृवद्ध दर ऄवधक प्रभावशाली रही। बचत और वनवेश, दोनों ही दरों में वृवद्ध दजथ की गयी।
भूवम सुधार, CDP, नसचाइ, ववद्युत् और कृ वष ऄनुसंधान में बहुत ऄवधक वनवेश करने के कारण
कृ वष ईत्पादन में वृवद्ध हुइ। ईद्योग कृ वष की तुलना में ऄवधक तेजी से बढ़े। देश की औद्योवगक
संरचना के भीतर ववववधीकरण के साथ भारी ईद्योगों का ववकास हुअ। आसके ऄवतररि, ईच्च
वशक्षा संस्थानों की स्थापना (ववशेष रूप से वैज्ञावनक क्षेत्र में) मानव पूज
ाँ ी क्षेत्र के ववकास में
सहायक वसद्ध हुइ।
भारत में पहली बार 1966 में 'हररत क्ांवत' का अरम्भ क्रकया गया था। आस नवीन कृ वष रणनीवत
का अरम्भ खाद्य समस्या को दूर करने के वलए क्रकया गया था। आसे ईच्च-ईपज क्रकस्म कायथक्म
(हाइ-यीनल्डग वेरायटीज़ प्रोग्राम : HYVP) के रूप में भी जाना जाता है क्योंक्रक यह रणनीवत ईच्च
ईपज देने वाली क्रकस्मों पर अधाररत थी। आन क्रकस्मों में फ़सलो की पारं पररक क्रकस्मों की तुलना में
ईच्च ईत्पादक क्षमता ववद्यमान थी। पारं पररक कृ वष के ववपरीत, नइ रणनीवत में रासायवनक
ईवथरक, कीटनाशकों, संकर बीजों, कृ वष मशीनरी, व्यापक नसचाइ और बीजों की बेहतर क्रकस्मों
तथा डीजल और ववद्युत् का ईपयोग सवम्मवलत था।
ऄथथ व्य वस्था के खराब प्रदशथ न और 1960 के मध्य के अर्थथक सं क ट के कारण ववकास के
ने ह रू-महालनोवबस मॉडल को गं भीर अलोचनाओं का सामना करना पड़ा। यद्यवप
महालनोवबस रणनीवत का मू ल ढां चा सातवीं योजना के ऄं त तक बनाए रखा गया ,
तथावप आस रणनीवत में पररवतथ न चौथी योजना के बाद से ही क्रदखाइ दे ने लगा था।
यद्यवप चौथी योजना में अत्मवनभथ र ता के ईद्दे श्य को छोड़ा नहीं गया तथावप आस योजना
में अर्थथक ववकास को प्रमु ख ता प्रदान की गयी। फलतः , भारी ईद्योगों के स्थान पर
त्वररत लाभ दे ने वाली पररयोजनाओं के साथ-साथ लघु ईद्योगों को प्राथवमकता दी गइ।
राज्य ने ऄथथव्यवस्था पर ऄपने ववस्तृत वनयंत्रण के वलए 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण, 1969 में
एकावधकार और प्रवतबंवधत व्यापार प्रथा (Monopolies and Restrictive Trade
Practices; MRTP) ऄवधवनयम, 1972 में बीमा क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण, 1973 में कोयला ईद्योग
का राष्ट्रीयकरण, और 1973 में ववदेशी वववनमय ऄवधवनयम (Foreign Exchange
Regulation Act; FERA) आत्याक्रद कदम ईिाये।
महालनोवबस ववकास रणनीवत की वृहद अलोचना सवथप्रथम 1970 के दशक के अरम्भ में ववश्व
बैंक के ऄथथशावियों ने की थी। आस ववकासो मुख रणनीवत को चुनौती देते हुए ई होंने तकथ क्रदया
क्रक मात्र अर्थथक वृवद्ध के माध्यम से गरीबी को दूर करने का ईद्देश्य प्राि नहीं क्रकया जा सकता है।
ईि काल पर क्रकए गए कइ ऄध्ययनों से यह वनष्कषथ प्राि होता है क्रक गरीबों को अर्थथक वृवद्ध का
पयाथि लाभ नहीं वमला है। ऄतः पांचवीं पंचवषीय योजना के ऄंतगथत गरीबी ई मूलन को सवोच्च
प्राथवमकता प्रदान की गइ और वववभन्न क्षेत्र ववकास कायथक्मों को ऄपनाया गया। छिी पंचवषीय
योजना ने एकीकृ त ग्रामीण ववकास कायथक्म (Integrated Rural Development
Programme; IRDP) जैसे वववभन्न पुनर्थवतरण ईपायों को ऄपनाया। सातवीं पंचवषीय योजना
के ऄंतगथत खाद्यान्न ईत्पादन, रोजगार के ऄवसर और ईत्पादकता में वृवद्ध पर ध्यान कें क्रद्रत करते
हुए एक नइ दीघथकावलक ववकास रणनीवत का ऄंगीकार क्रकया गया।
3.3. राज्य सं क ट
हररत क्ांवत के कारण, 1966 के पश्चात खाद्यान्न, ववशेष रूप से गेहं के ईत्पादन में ववशेष वृवद्ध
हुइ, पररणामत: खाद्य सुरक्षा और गरीबी में कमी अयी। सरकार के वनधथनता और रोजगार
कायथक्मों ने ग्रामीण वनधथनता और ग्रामीण बेरोजगारी से वनपटने में मदद की। खाद्य और ऄ य
वस्तुओं के अयात में कमी, वनयाथत में वृवद्ध और पवश्चम एवशया में कायथरत भारतीय श्रवमकों द्वारा
क्रकए गए धन-संप्रष
े ण (remittances) में वृवद्ध के कारण अर्थथक वस्थवत में सुधार हुअ। घरेलू
बचत और वनवेश की दर तथा औद्योवगक ववकास दर में वृवद्ध दजथ की गयी। बॉम्बे हाइ में नए तेल
क्षेत्रों की खोज ने तेल के अयात वबल को कम कर क्रदया। भारत की स्वतंत्रता के प्रथम तीन दशकों
तक 3 से 3.5 प्रवतशत तक की दर से वनरं तर जारी रही। 'ववकास की नहदू दर' (राज कृ ष्ण द्वारा
प्रवतपाक्रदत वसद्धांत) का 1980 के दशक में ऄंत हो गया और ऄथथव्यवस्था में 5.5% से ऄवधक वृवद्ध
दर दजथ की गइ। वहीं दूसरी ओर, हररत क्ांवत और तत्कालीन ऄववध की संरचनात्मक कमजोररयों
ने दीघाथववध में कइ अर्थथक समस्याओं को भी ज म क्रदया। चूंक्रक हररत क्ांवत काफी सीमा तक गेहं
की फ़सल पर अधाररत थी और आसे कु छ ही राज्यों में लागू क्रकया गया था ऄतः आसके फलस्वरूप
ऄंतर-फसल ऄसमानता और क्षेत्रीय ऄसंतल
ु न ईत्पन्न हुअ। पूज
ं ी गहन प्रकृ वत के कारण, आससे
गााँवों की गरीब जनता को लाभ नहीं प्राि हो सका।
4. अर्थथक सं क ट - 1990 का शु रु अती दशक
1990 के दशक में भारत को एक वृहत अर्थथक संकट का सामना करना पड़ा, जो 1991 में ऄपने
चरम पर पहुंच गया था। आस अर्थथक संकट में ईच्च मुद्रास्फीवत, बढ़ती खाद्य कीमतें, चालू खाता
घाटा, ववशाल घरे लू और ववदेशी ऊण, ववदेशी मुद्रा भंडार में तीव्र वगरावट, भारत की क्े वडट
रे टटग में कमी और NRI (ऄवनवासी भारतीय) जमाओं के शुद्ध बवहप्रथवाह के साथ वावणवज्यक
ऊणों के कटौती जैसे लक्षण वनवहत थे।
पूवथवती दशकों में, ववशेष रूप से 1980 के दशक की दीघथकावलक बाधाओं ने कु छ तात्कावलक
कारकों के साथ वमलकर आस अर्थथक संकट को ज म क्रदया था। प्रवतयोवगता के ऄभाव के कारण
नेहरू-महालनोवबस की अयात प्रवतस्थापन रणनीवत ने भारतीय ईद्योगों को ऄक्षम और तकनीकी
रूप से वपछड़ा बना क्रदया। ववदेशी पूज
ं ी प्रवाह को हतोत्सावहत करने की मानवसकता के कारण,
भारत की प्रौद्योवगकी आकाआयों को ववदेशी प्रवतस्पधाथ का लाभ नहीं वमल पाया। लाआसेंस और
परवमट व्यवस्था के माध्यम से वनजी क्षेत्र पर लागू ऄत्यवधक वनयंत्रण के कारण ईद्यमशीलता और
नवाचार को ऄत्यवधक क्षवत पहुंची। ऄत्यवधक राजनीवतक हस्तक्षेप के कारण आस रणनीवत के कें द्र
नबदु समझे जाने वाले सावथजवनक क्षेत्र के ईपक्म ऄत्यवधक ऄक्षम और रुग्ण हो गए। अत्मवनभथरता
पर आस रणनीवत द्वारा ववशेष बल क्रदए जाने के कारण वनयाथत हतोत्सावहत हुअ। भारी ईद्योग के
ववकास हेतु पूज
ं ीगत वस्तुओं के ऄत्यवधक अयात की अवश्यकता होती है। कम वनयाथतों के साथ
पूंजीगत वस्तुओं और खाद्यान्न के बड़े पैमाने पर अयात के कारण, व्यापार घाटे में वृवद्ध हुइ।
बदलती वैवश्वक वस्थवत के ऄनुसार स्वयं में अवश्यक पररवतथन करने के बजाय, सरकार
वनम्नवलवखत कदमों के फलस्वरूप,1980 के दशक में राजकोषीय वगरावट का स्वयं कारण बन
गयी:
o लोकलुभावन नीवतयााँ,
o ऄथथव्यवस्था पर राज्य के वनयंत्रण में तीव्र वृवद्ध, एवं
o कु छ क्षेत्रों के छोटे ईद्योगों के वलए अरक्षण की व्यवस्था। 1990 का खाड़ी संकट भारतीय
ऄथथव्यवस्था के वलए एक बाह्य अघात के रूप में था। जबक्रक यह ऄथथव्यवस्था पहले से ही एक
ऄत्यवधक ऄसुरवक्षत वस्थवत में थी।
अर्थथक सुधारों के महत्वपूणथ कारकों में 1991 से पूवथ की अर्थथक नीवतयों की कमजोररयां जैसे-
अर्थथक ववकास की वनम्न दर, बढ़ती बेरोजगारी, घरे लू बचत और वनवेश की दर में वस्थरता,
सावथजवनक क्षेत्र के ईद्योगों का खराब प्रदशथन, ऄपयाथि संरचनात्मक सुववधाएं, औद्योवगक
लाआसेंनसग नीवत, एकावधकार में वृवद्ध अक्रद सवम्मवलत थे।
आनके ऄवतररि 1990 और 1991 में ऄ य संकट भी ववद्यमान थे। आन संकटों ने भारत को
ईदारीकरण और वैश्वीकरण के वलए प्रेररत क्रकया।
1991 में भारतीय ऄथथव्यवस्था को ववदेशी मुद्रा के भारी ऄभाव का सामना करना पड़ा। आस संकट के
वलए कइ कारक ईत्तरदायी थे।
सवथप्रथम, ववदेशी मुद्रा का संकट का तात्कावलक कारण आराक और कु वैत के खाड़ी देशों के बीच
युद्ध था। आससे तेल की कीमतों में और तेल अयात वबल में ऄत्यवधक वृवद्ध हुइ।
दूसरा, समय के साथ भारत के बाह्य ऊण में वृवद्ध हुइ। पुराने ऊणों का बोझ ऄत्यवधक था।
ऄंतराथष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और ववश्व बैंक के साथ-साथ ऄ य वावणवज्यक ऊणदाता संस्थानों ने
भारत को नवीन ऊण देने से मना कर क्रदया था ।
तीसरा, राजनीवतक ऄवस्थरता और ऄवनवश्चतता व्याि होने के कारण ववदेशी मुद्राओं के रूप में
NRI जमाओं का तीव्र गवत से अहरण (ववड्रॉल) हुअ।
ऄंत में, अयात में वृवद्ध सदैव वनयाथत में वृवद्ध की तुलना में कहीं ऄवधक रही है। आसवलए, भारत की
ववदेशी ऊणों पर वनभथरता बढ़ी। आसके पररणामस्वरुप, ववदेशी ऊण में लगातार वृवद्ध हुइ। शीघ्र
ही, ववदेशी मुद्रा संकट ने एक गंभीर मोड़ ले वलया और जनवरी 1991 तथा जून 1991 के मध्य,
भारत को एक ऐसी वस्थवत का सामना करना पड़ा वजसमें ववदेशी मुद्रा भंडार के वल तीन सिाह के
अयात की अवश्यकताओं को पूरा कर सकता था। भारत लगभग ऄपने ववदेशी ववदेशी ऊण के
बोझ की वस्थवत में क्रदवावलया होने की कगार पर था। पररणामस्वरूप, भारतीय ररजवथ बैंक का
ववदेशी मुद्रा भंडार लगभग समाि हो गया।
ववदेशी मुद्रा संकट के कारण भारत सरकार को IMF और ववश्व बैंक से संपकथ करना पड़ा। यद्यवप
आन संस्थानों ने अवश्यक ववदेशी मुद्रा प्रदान करने का कायथ क्रकया, तथावप आसके वलए ई होंने
भारत के सामने कु छ वनयम और शतें रखीं।
आन शतों के ऄनुसार, भारत को राजकोषीय घाटे और मुद्रा अपूर्थत की दर को कम करने की
अवश्यकता थी ताक्रक घरे लू ऄथथव्यवस्था को ईदार बनाया जा सके और वस्तुओं, सेवाओंंं, पूंजी
और प्रौद्योवगकी के ऄंतरराष्ट्रीय प्रवाह पर प्रवतबंधों को कम क्रकया जा सके । ऄतः IMF तथा ववश्व
बैंक के दबाव में भारतीय नीवत वनमाथताओं को IMF एवं ववश्व बैंक से नए ऊण प्राि करने से पूवथ
ऄपनी नीवतयों में कइ प्रकार के संशोधन करने के वलए बाध्य होना पड़ा।
USSR और पूवी यूरोपीय देश कालांतर में भारतीय ईपभोिा वस्तुओं के वनयाथत के वलए प्रमुख
बाजार बन गए थे। 1990 के ऄंत तक, आन देशों की राजनीवतक व्यवस्था ध्वस्त हो गयी। आनमे से
ऄवधकांश, बाजार ऄथथव्यवस्था में बदल गए और भारत को प्रवतस्पधाथत्मक अधार पर आन देशों के
साथ व्यापार अरम्भ करना पड़ा। वनयाथत में ऄपने भाग को बनाए रखने के वलए भारत को वैवश्वक
बाजार में प्रवतस्पधाथ का सामना करना पड़ा। ऄतः ऐसे में ववश्व में ऄपनी वहस्सेदारी को पुनः प्राि
करने के वलए भी भारत को ऄपनी अर्थथक नीवतयों को पुनःसंगरित करने की अवश्यकता थी।
6. अर्थथक सु धार
1990-91 के अंतररक अर्थथक संकट और बदलती हुइ ऄंतराथष्ट्रीय वस्थवत के पररप्रेक्ष्य में, नरवसम्हा
राव सरकार ने अर्थथक सुधारों या नइ अर्थथक नीवत ( यू आकोनॉवमक पॉवलसी; NEP) को प्रस्तुत
करने का वनणथय वलया। NEP के अगमन ने समाजवादी ऄथथव्यवस्था का वैवश्वक पतन और समस्त
ववश्व में अर्थथक वैश्वीकरण की स्वीकृ वत जैसे कु छ वैवश्वक रुझानों को स्पष्ट रूप से पररलवक्षत
क्रकया।
यद्यवप ईदारीकरण और वैश्वीकरण की प्रक्रक्या में क्रकये गए सुधारों की प्रकृ वत अमूल-चूल
पररवतथनों से युि थी, तथावप ये देश के लोकतांवत्रक ढांचे के बाहर नहीं थे। आन सुधारों ने 1950 के
दशक की नेहरूवादी ववचारधारा को पीछे छोड़ते हुए एक नइ सवथसम्मवत को ज म क्रदया जो
नवीन सुधारों की वहतैषी थी। हालांक्रक स्वतंत्रता प्रावि के समय वनधाथररत राष्ट्रीय लक्ष्यों में कोइ
पररवतथन नहीं क्रकया गया, ऄवपतु पररवतथन मात्र आन लक्ष्यों को प्राि करने की रणनीवत ऄथाथत
नेहरू-महालनोवबस ववकास रणनीवत से ईदारीकरण और अर्थथक सुधारों की नइ ववकास-रणनीवत
में हुअ था।
(a) समवष्टगत अर्थथक वस्थरीकरण ईपाय (Macroeconomic stabilization measures)
व्यापक या समवष्टगत अर्थथक वस्थरीकरण एक ऄल्पकावलक कायथक्म था। आसका ईद्देश्य
ऄथथव्यवस्था में सकल मांग को वववनयवमत करके वृहद अर्थथक संकट से बाहर वनकलना था।
वववन डेक्रफवसट (जुड़वााँ घाटा) ऄथाथत् BoP समस्या और राजकोषीय घाटे के समाधान हेतु 1991
के सुधार पैकेज को एक ऄल्पकावलक ईपाय के रूप में घोवषत क्रकया गया, वजसमें वनम्नवलवखत तीन
घटक वनवहत थे:
o ववत्तीय वस्थरीकरण ईपाय (Fiscal stabilization measures): बढ़ते राजकोषीय घाटे को
कम करने के वलए, आसमें राज्य सरकार द्वारा मांग को बढ़ाने तथा मुद्रास्फीवत को वनयंवत्रत
रखते हुए सामावजक क्षेत्र (स्कू ल, ऄस्पताल अक्रद) और बुवनयादी ढांचे (सड़कें , वबजली अक्रद)
में वनवेश को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया था।
o अंतररक क्षेत्र ईदारीकरण (Internal sector Liberalization): आसका ईद्देश्य बाज़ार
वस्थवतयों के मांग एवं अपूर्थत के ऄनुसार वनजी क्षेत्र के ईत्पादन एवं वनवेश वनणथयों के सम्ब ध
में वनजी क्षेत्र को चयनात्मक रूप से वनयंवत्रत करना एवं ऄनुमवत प्रदान करना है। ई हें
ईदारता से वनवेश करने की ऄनुमवत प्रदान करना है।
o बाह्य क्षेत्र ईदारीकरण (External sector Liberalization): आसके ऄंतगथत ववदेशी व्यापार
और वववनमय दर पर लगे वनयंत्रण को हटाते हुए ऄवधक FDI प्रवाह को अकर्थषत करने के
वलए एक नइ नीवत के माध्यम से भारतीय ऄथथव्यवस्था और वैवश्वक ऄथथव्यवस्था के एकीकरण
का प्रयास क्रकया गया।
ईदारीकरण की नीवत ने कं ट्रोल राज की समस्याओं यथा सरकारी कायों में देरी, भ्रष्टाचार की
समस्या अक्रद को दूर करने का प्रयास क्रकया है। आसके साथ ही आसके तहत अर्थथक व्यवस्था में
प्रवतस्पधाथ की भावना को समावहत एवं ईद्यवमयों को वनवेश करने हेतु प्रोत्सावहत क्रकया गया है।
आसके पररणामस्वरूप ऄथथव्यवस्था की दक्षता में वृवद्ध हुइ है।
पूवथ में वववभन्न देशों में मुख्यतः व्यावहाररक कारणों और ऄंशतः वैचाररक कारणों से सावथजवनक
क्षेत्र के ईद्यमों की स्थापना की गयी। हाल के वषों में, अर्थथक ईदारीकरण के एक नए दशथन के
ईद्भव के साथ, वनजी क्षेत्र और बाजार बलों ने प्रमुखता प्राि की है।
ऄतीत में, भारत में नीवत वनमाथताओं का पारम्पररक दृवष्टकोण था क्रक सावथजवनक क्षेत्र अर्थथक
ववकास हेतु सवाथवधक ईपयुि है। 1956 के औद्योवगक नीवत संकल्प द्वारा भारत में सावथजवनक क्षेत्र
की रणनीवतक भूवमका प्रस्तुत की गयी। तदनुसार, सावथजवनक क्षेत्र के ववकास हेतु पंचवषीय
योजनाओं के दौरान बड़े पैमाने पर वनवेश क्रकया गया। आस प्रकार सावथजवनक क्षेत्र, भारी और
अधारभूत ईद्योगों के ववकास द्वारा तथा अवश्यक अधारभूत संरचना प्रदान कर भारत में
औद्योवगक अधार स्थावपत करने में सफल हुअ।
हालांक्रक, कु छ समय से, अर्थथक ववकास की प्रक्रक्या में सावथजवनक क्षेत्र की भूवमका की धारणा में
पररवतथन अया है और ईसकी भूवमका क्रफर से संशोवधत की जा रही है। आसके साथ ही वनजीकरण
की प्रक्रक्या को एक महत्वपूणथ ववकास के रूप में देखा जा रहा है।
वनजीकरण मूल रूप से ईस प्रक्रक्या को दशाथता है वजसके ऄंतगथत सावथजवनक क्षेत्र के ईद्यमों का
स्वावमत्व सरकार से वनजी क्षेत्र में स्थानांतररत होता है। हालांक्रक, व्यापक ऄथों में, वनजीकरण के
ऄंतगथत सावथजवनक क्षेत्र के ईद्यमों को वनणथय लेने की स्वायत्तता देने और ईन में व्यावसायीकरण
की भावना को लागू करने की प्रक्रक्या भी वनवहत है।
वनजीकरण के समथथकों ने आसके पक्ष में वनम्नवलवखत तकथ प्रस्तुत क्रकए हैं:
वैचाररक अधार (Ideological Grounds): ववकवसत देशों में वनजीकरण को वैचाररक अधारों
पर स्वीकार क्रकया जाता है। आस तकथ का कें द्रीय ववचार यह है क्रक सावथजवनक क्षेत्र के ईद्यमों को
के वल ईन ऄवनवायथ गवतवववधयों तक ही सीवमत रखा जाना चावहए, जो वनजी क्षेत्र नहीं कर
सकते या नहीं करें गे। ऄ य सभी गवतवववधयों को वनजी क्षेत्र के ईद्यमों द्वारा क्रकया जाना चावहए
क्योंक्रक वे ऄवधक कु शल होते हैं।
प्रबंधकीय दक्षता में सुधार (Improvement in Managerial Efficiency): वनजीकरण को
प्रबंधकीय दक्षता में सुधार के साधन के रूप में देखा जाता है। वववनवेश के माध्यम से वनजीकरण
(ऄथाथत् सरकार द्वारा वनजी वनवेशकों को आक्रिटी का ववतरण) शेयरधारकों और प्रबंधन के मध्य
एक प्रत्यक्ष संबंध स्थावपत करता है। आसके पररणामस्वरूप आन ईद्यमों तथा आनकी दक्षता के
ववकास में वनजी शेयरधारकों की प्रत्यक्ष रुवच होती है। वनजीकरण होने पर प्रबंधन को राजनीवतक
दबाव और हस्तक्षेप से नहीं जूझना पड़ता तथा आससे राजनीवतक हस्तक्षेप के कारण ईत्पन्न
सावथजवनक क्षेत्र के ईद्यमों की प्रबंधकीय ऄक्षमता को कम क्रकया जा सकता है। आसके साथ ही आसके
माध्यम से प्रबंधन को अर्थथक और वावणवज्यक ववचारों द्वारा वनदेवशत क्रकया जाता है जो वनणथय
लेने की गुणवत्ता में सुधार लाने में सहायक होता है।
नइ अर्थथक नीवत, सावथजवनक क्षेत्र के ईद्यमों में सुधार हेतु छह प्रमुख ईपायों पर के व द्रत है:
ऄनारक्षण की नीवत (Policy of Dereservation): 1956 के औद्योवगक नीवत संकल्प के तहत
सावथजवनक क्षेत्र के वलए 17 ईद्योगों को अरवक्षत क्रकया गया था। 1991 की औद्योवगक नीवत ने
आस प्रकार के ईद्योगों की संख्या को अि तक सीवमत कर क्रदया। आसके पश्चात, 2016 में
सावथजवनक क्षेत्र के वलए के वल वनम्नवलवखत ईद्योगों को अरवक्षत क्रकया गया:
o परमाणु उजाथ (ववशेष रूप से ववखंडनीय सामवग्रयों एवं पदाथों का ईत्पादन, पृथक्करण या
संवधथन तथा सुववधाओं का संचालन)।
o DIPP द्वारा वववनर्ददष्ट वस्तुओं के वनमाथण, संचालन और रखरखाव के ऄवतररि रे लवे
संचालन का कायथ।
नइ अर्थथक नीवत का तीसरा भाग वैश्वीकरण है। यह भारतीय ऄथथव्यवस्था को ववश्व ऄथथव्यवस्था के
वलए खोलने की नीवत है।
व्यापार, पूज
ं ी प्रवाह और प्रौद्योवगकी के माध्यम से ववश्व की ऄ य ऄथथव्यवस्थाओं के साथ देश की
ऄथथव्यवस्था को एकीकृ त करने की प्रक्रक्या को वैश्वीकरण कहते हैं। आस प्रकार आसका तात्पयथ ववश्व
की ऄ य ऄथथव्यवस्थाओं से व्यापार हेतु देश की ऄथथव्यवस्था को खोलने से है। वैश्वीकरण के प्रसार
के माध्यम वनम्नवलवखत हैं:
वैश्वीकरण के प्रसार का पहला माध्यम मुि वैवश्वक व्यापार है। आसके वलए वस्तुओं और सेवाओं के
व्यापार में ईदारीकरण की अवश्यकता होती है। वैवश्वक व्यापार के ववस्तार हेतु अयात
ईदारीकरण कायथक्मों को अरं भ करने, मात्रात्मक प्रवतबंधों को दूर करने और अयात शुल्क घटाने
की अवश्यकता है। वैश्वीकरण का तात्पयथ ऄंतराथष्ट्रीय व्यापार के वलए बाधाओं को हटाने से है ताक्रक
वववभन्न देशों के मध्य वस्तुओं और सेवाओं का मुि प्रवाह हो सके ।
वैश्वीकरण हेतु ऄंतराथष्ट्रीय वनवेश में अने वाली बाधाओं को दूर क्रकया जाना अवश्यक है। ववदेशी
वनवेश के ईदारीकरण से ऄंतराथष्ट्रीय वनवेश में ऄत्यवधक वृवद्ध होगी। यह ऄथथव्यवस्था को प्रत्यक्ष
ववदेशी वनवेश (FDI) के वलए खोलने में महत्वपूणथ भूवमका वनभाता है। बहुराष्ट्रीय वनगमों
(बहुराष्ट्रीय कं पवनयों सवहत) सवहत ववदेशी कं पवनयों को देश में वनवेश करने के वलए प्रोत्सावहत
क्रकया जाना चावहए। ववदेशी कं पवनयों को सुववधाएं प्रदान की जानी चावहए तथा ऄंतराथष्ट्रीय
वनवेश को प्रोत्सावहत करने हेतु बहुराष्ट्रीय कं पवनयों के प्रवेश पर प्रवतबंध हटा क्रदए जाने चावहए।
देशों के मध्य प्रौद्योवगकी का मुि प्रवाह वैश्वीकरण का एक प्रभावी माध्यम है। भारत जैसे
ववकासशील देशों के अर्थथक ववकास को बढ़ावा देने के वलए ईन्नत देशों से प्रौद्योवगकी के
हस्तांतरण की अवश्यकता है।
वैश्वीकरण के कारण देशों के मध्य वस्तुओं के मुि प्रवाह में वृवद्ध हुइ है। आसके पररणामस्वरूप,
हाल के वषों में ववश्व व्यापार में वृवद्ध हुइ है।
वैश्वीकरण ने पूज
ं ी के ऄंतराथष्ट्रीय प्रवाह में वृवद्ध की है। ववकवसत देशों के वलए वनवेश के ऄवसरों में
वृवद्ध हुइ है। ववकवसत देशों की बहुराष्ट्रीय कं पवनयों ने ववकासशील देशों में वनवेश प्रारं भ कर क्रदया
है। आससे ववश्वव्यापी ववत्तीय बाजार का ईद्भव हुअ है।
वैश्वीकरण के कारण वववभन्न राष्ट्रों के मध्य पारस्पररक वनभथरता में वृवद्ध हुइ है। यह वस्तुओं और
सेवाओं के व्यापार के संबंध में तथा पूंजी के अवागमन के संबंध में बढती ऄ यो यावश्रतता के रूप
में पररलवक्षत होता है।
वैश्वीकरण ने ववकासशील देशों के वलए नए ऄवसरों को ज म क्रदया है। आसके चलते ववकासशील
देशों की ईन्नत प्रौद्योवगक्रकयों तक पहुंच में वृवद्ध हुइ है। ववकवसत देशों द्वारा ववकासशील देशों को
प्रौद्योवगकी हस्तांतरण ने ईत्पादकता और ईच्च जीवन स्तर को प्रोत्सावहत क्रकया है।
एक वैवश्वक ईत्पाद बाजार का ईद्भव हुअ है। आसने ईपभोिाओं के वलए ईपलधध वस्तुओं की
ववववधता और श्रेवणयों में वृवद्ध की है।
वैवश्वक सम्पकथ साधनों (global mass media) में क्ांवत के पररणामस्वरूप वववभन्न देशों के
लोगों के मध्य संचार में वृवद्ध हुइ है। पररणामस्वरूप ववश्व ऄपेक्षाकृ त छोटा प्रतीत होने लगा है
और वववभन्न देशों के मध्य सूचना प्रवाह में वृवद्ध दजथ की गइ है।
वैश्वीकरण ने ववकासशील देशों में अर्थथक समृवद्ध के ऄवसरों में वृवद्ध की है।
वैश्वीकरण ने वववभन्न संस्कृ वतयों के लोगों को एक साथ लाने में सहायता की है। आसने सांस्कृ वतक
ऄवरोधों को कम क्रकया है। पारस्पररक सांस्कृ वतक संपकों में वृवद्ध ने वैवश्वक गांव का स्वप्न के
ऄवधक यथाथथवादी बना क्रदया है तथा साथ ही सांस्कृ वतक सामावसकता बढ़ी है।
हालांक्रक, वैश्वीकरण के कारण नकारात्मक प्रभाव भी देखने को वमले हैं:
वैश्वीकरण के पररणामों में से एक यह है क्रक ववश्व के सभी देश ऄपनी सीमाओं के बाहर हो रहे
अर्थथक घटनाओं से ऄछू ते नहीं रहे। आसके चलते 1990 के दशक में बड़ी मात्रा में मुद्रा संकट और
वववनमय दरों तथा स्टॉक के मूल्यों में बड़े ईतार-चढ़ाव देखे गए। आसी प्रकार, संयुि राज्य
ऄमेररका के 2008 के ववत्तीय संकट के कारण हुइ मंदी ने ववश्व के ऄ य वहस्सों को भी ऄपनी चपेट
में ले वलया। ऐसी ही वस्थवत 2012 में यूरो संकट के कारण ईत्पन्न हो गयी थी।
वैश्वीकरण ने वववभन्न राष्ट्रों में बढ़ती ऄसमानता, ववत्तीय बाजारों में ऄवस्थरता और पयाथवरणीय
1991 में भारत ने वैश्वीकरण के कायथक्म को अरं भ कर क्रदया था। हालांक्रक, आसके लक्षण 1980 के
1991 के पश्चात् भारतीय ऄथथव्यवस्था में पूणथ रूपेण वैश्वीकरण की प्रक्रक्या को अरं भ क्रकया गया।
वैश्वीकरण के एजेंडे के कायाथ वयन के एक भाग के रूप में, भारत सरकार ने 1991 के बाद से
वनम्नवलवखत नीवतगत ईपाय क्रकए हैं:
वववनमय दर में सुधार (Exchange Rate Reforms): वैवश्वक ऄथथव्यवस्था के साथ भारतीय
ऄथथव्यवस्था को एकीकृ त करने का सबसे महत्वपूणथ ईपाय स्थायी वववनमय दर का बाजार-
वनधाथररत वववनमय दर में पररवतथन था। अवधकाररक हस्तक्षेप के वबना ऄंतराथष्ट्रीय बाजार में
वववनमय दर वनधाथररत करने की ऄनुमवत देने की आस नीवत को मुद्रा की पररवतथनीयता के रूप में
जाना जाता है। व्यापार खाते पर भारतीय रुपये की पूणथ पररवतथनीयता ऄगस्त 1994 में प्राि कर
ली गइ थी। आसके साथ ही, वववभन्न प्रकार के वववनमय वनयंत्रण ईपायों को चरणबद्ध तरीके से
समाि कर क्रदया गया था। पररणाम स्वरुप, ववगत वषों में ववदेशी मुद्रा के हस्तांतरण पर लगे
प्रवतबंधों में ऄत्यवधक छू ट दी गयी है।
अयात ईदारीकरण (Import Liberalisation): भारत, ववश्व व्यापार संगिन (WTO) के सदस्य
के रूप में व्यापार ऄवरोधों को कम करने के वलए प्रवतबद्ध है। सरकार ने अयात ईदारीकरण की
क्रदशा में कइ कदम ईिाए हैं, यथा:
o अयात लाआसेंनसग की प्रणाली को समाि कर क्रदया गया है।
o WTO के साथ क्रकये गए समझौते के ऄंतगथत अयात पर मात्रात्मक प्रवतबंधों को लगभग
समाि कर क्रदया गया है।
o राष्ट्रों के मध्य व्यापार को पहले की ऄपेक्षा और ऄवधक मुि करने के ईद्देश्य से अयात तथा
वनयाथत पर लगने वाले शुल्कों को कम कर क्रदया गया है।
ववदेशी वनवेश (Foreign Investment): FDI से घरे लू वनवेश में वृवद्ध की अशा की जाती है
तथा आस प्रकार यह देश के औद्योवगक और अर्थथक ववकास में योगदान देता है। यह प्रवतस्पधाथ में
वृवद्ध कर एवं देश में नइ तकनीकी लाकर दक्षता तथा ईत्पादकता में भी वृवद्ध करता है। औद्योवगक
तथा अर्थथक सहयोग के बदलते वैवश्वक पररदृश्य में, FDI को बढ़ावा देना महत्वपूणथ है। ववदेशी
पूंजी को अकर्थषत करने और वैवश्वक ऄथथव्यवस्था के साथ भारतीय ऄथथव्यवस्था को एकीकृ त करने
के ईद्देश्य से, भारत सरकार ने ववदेशी वनवेशकों के वलए द्वार खोल क्रदए हैं। बेहतर प्रौद्योवगकी,
अधुवनकीकरण और ऄंतराथष्ट्रीय मानकों पर अधाररत वस्तुओं तथा सेवाओं को सुलभ बनाने हेतु
सरकार FDI प्रवाह को प्रोत्सावहत करने के वलए प्रवतबद्ध है। बड़े वनवेश और ईन्नत प्रौद्योवगकी की
अवश्यकता वाले ईच्च प्राथवमकता युि ईद्योगों में ववदेशी वनवेश को अमंवत्रत करने के वलए,
सरकार ने 1991 में 51% ववदेशी आक्रिटी तक FDI को मंजरू ी देने का वनणथय क्रकया। आनमें से कइ
ईद्योगों के वलए यह सीमा 51 प्रवतशत से बढाकर 74% और बाद में 100% कर दी गयी। सरकार
की नीवत का ईद्देश्य सड़कों का ववकास, हवाइ ऄड्डों, एयरलाआं स, ररयल एस्टेट, बैंकों, ववद्युत्
ईत्पादन, तेल की खोज अक्रद जैसे मूलभूत ऄवसंरचना क्षेत्रों में ववदेशी वनवेश को प्रोत्सावहत करना
है। आसके ऄवतररि ववदेशी संस्थागत वनवेशकों को भारतीय पूज
ं ी बाजार में कु छ वनयमों के ऄधीन
वनवेश करने की ऄनुमवत भी दी गइ है।
ववदेशी प्रौद्योवगकी (Foreign Technology): भारतीय ईद्योगों में तकनीकी ववकास को
प्रोत्सावहत करने के ईद्देश्य से सरकार द्वारा प्रौद्योवगकी के मुि प्रवाह की ऄनुमवत दी गयी है। ईच्च
प्राथवमकता वाले ईद्योगों के ववषय में सरकार तकनीकी समझौतों के वलए स्वत: ऄनुमोदन प्रदान
करती है। आसी तरह की सुववधाएं ऄ य ईद्योगों के वलए भी प्रदान की जाती हैं, बशते ऐसे
समझौतों में ववदेशी मुद्रा की अवश्यकता न हो। ववदेशी प्रौद्योवगकी का ऄवधष्ठापन FDI के माध्यम
से तथा ववदेशी प्रौद्योवगकी समझौतों के माध्यम से क्रकया जाता है।
फामाथस्यूरटकल ईद्योग, पेट्रोवलयम, रसायन, कपड़ा और सीमेंट वववनमाथण ईद्योगों में। भारतीय
ईद्योगों में हुए वृहद प्रत्यक्ष ववदेशी वनवेश ने भारतीय ऄथथव्यवस्था को बढ़ावा क्रदया है।
वैश्वीकरण के प्रमुख लाभों के रूप में सूचना प्रौद्योवगकी (IT) क्षेत्र और वबज़नस प्रोसेस
अईटसोर्ससग (business process outsourcing; BPO) क्षेत्र का ईदय हुअ है। IT और BPO
क्षेत्र ऄ य देशों, ववशेषकर ऄमेररका और यूरोप के ग्राहकों को अईटसोर्ससग ईपलधध करा रहे हैं।
कॉल सेंटरों के ईद्भव, IT और BPO सेवाओं की अईटसोर्ससग तथा बहुराष्ट्रीय कं पवनयों ने देश में
रोजगार के वृहद ऄवसर ईत्पन्न क्रकए हैं। वपछले कु छ वषों में भारत में आन क्षेत्रों में कु शल पेशेवरों
की संख्या में वृवद्ध हुइ है। IT और BPO ईद्योगों से ऄर्थजत संपदा ने एक नए मध्यम वगथ को ज म
क्रदया है।
भारतीय ईद्योगों के वलए एक लाभ यह भी है क्रक बहुराष्ट्रीय कं पवनयां ऄपने साथ ऄत्यवधक ईन्नत
तकनीकें भी लायी हैं। आससे भारतीय ईद्योगों को तकनीकी रूप से ईन्नत बनाने में सहायता वमली
है।
ववदेशी कं पवनयों को अकर्थषत करने के वलए SEZ स्थावपत क्रकए गए हैं। SEZ के वनमाथण ने
औद्योवगकीकरण में वृवद्ध की दर को बढ़ाया है। आससे न वसफथ रोजगार के ऄवसर ईत्पन्न करने में
सहायता प्राि हुइ है बवल्क ववदेशी वनवेश सवहत ववश्व स्तरीय बुवनयादी ढांचे और वनवेश का
सृजन भी हुअ है।
टाटा, ररलायंस आत्याक्रद जैसे कु छ प्रमुख भारतीय ईद्योग ववदेशों में वनवेश के माध्यम से ऄथवा
कु छ प्रमुख ववदेशी कं पवनयों के ऄवधग्रहण के माध्यम से अज वैवश्वक स्तर पर स्थावपत हो चुके हैं।
आस्पात ईद्योग से विों तक, कारों से IT क्षेत्र तक, भारतीय कं पवनयां स्वयं वैश्वीकरण में नए प्रमुख
भागीदारों के रूप में ईभरी हैं।
हालांक्रक, भारत में वैश्वीकरण की प्रक्रक्या ने कु छ नकारात्मक प्रभाव भी ईत्पन्न क्रकए हैं-
भारतीय ईद्योग पर वैश्वीकरण के प्रवतकू ल प्रभावों में से एक यह है क्रक आसके द्वारा भारतीय
बाजार में ववदेशी कं पवनयों और घरे लू कं पवनयों के मध्य प्रवतस्पधाथ में वृवद्ध हुइ है। कइ
पररवस्थवतयों में, आसने पूज
ाँ ी संपन्न ववशाल MNC और भारतीय कं पवनयों के बीच ऄसमान
प्रवतस्पधाथ को ज म क्रदया है।
एक और नकारात्मक प्रभाव यह है क्रक देश में अने वाली ईन्नत ववदेशी प्रौद्योवगकी के कारण
श्रवमकों की अवश्यकता कम हो गइ है। आसके पररणामस्वरूप कइ लोगों के रोजगार पर संकट
ईत्पन्न हो गया हैं।
ऄवधकांश प्रत्यक्ष ववदेशी वनवेश, वतथमान ईद्यमों के ऄवधग्रहण और भारतीय शेयर बाजार में
जोवखम वनवेश में क्रकया गया है।
आस प्रकार, भारतीय ऄथथव्यवस्था पर वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभावों के बावजूद, कु छ नकारात्मक
प्रभाव भी हैं। ऄतः, वैश्वीकरण के हावनकारक प्रभावों को कम करने के वलए एक ईपयुि नीवत के
वनमाथण की अवश्यकता है।
ऄथथव्यवस्था में कइ पररवतथन क्रकए हैं। 1991 के पश्चात शुरू क्रकये गए अर्थथक सुधारों ने ऄथथव्यवस्था के
वववभन्न क्षेत्रों के प्रदशथन को बेहतर बनाने में सफलता प्राि की है। नइ अर्थथक नीवत की कु छ प्रमुख
ईपलवधधयां आस प्रकार हैं:
ईच्च वृवद्ध दर (Higher Growth Rates): नइ अर्थथक नीवत ने हाल के वषों में भारतीय
ऄथथव्यवस्था की ववकास दर को अगे बढ़ाने में एक महत्वपूणथ भूवमका वनभाइ है। राष्ट्रीय अय की
वृवद्ध दर 1990-1991 में 5 प्रवतशत से बढ़कर 2007-08 में लगभग 9 .3 प्रवतशत हो गइ। वषथ
2016-17 के दौरान वतथमान मूल्यों पर सकल राष्ट्रीय अय (GNI) 149.94 लाख करोड़ रुपये
रहने का ऄनुमान है, जो वषथ 2015-16 में 135.22 लाख करोड़ रुपये थी। यह 10.9 प्रवतशत की
वृवद्ध दशाथती है।
औद्योवगक क्षेत्र का प्रदशथन (Performance of the Industrial Sector): अर्थथक सुधार के
पश्चात् के समय में औद्योवगक क्षेत्र का प्रदशथन सुधार-पूवथ की ऄववध से काफ़ी बेहतर है। हालााँक्रक
अर्थथक सुधारों के तत्काल बाद की ऄववध में औद्योवगक ईत्पादन की वनम्न ववकास दर देखी गयी
पर तु औद्योवगक ईत्पादन में हुइ यह मंदी एक ऄल्पाववधक घटना थी। भारत में औद्योवगक
ईत्पादन, 1994 से लेकर 2017 तक लगभग 6.59 प्रवतशत रहा, जो नवंबर 2006 में 20% के
ईच्चतम स्तर तक पहुाँच गया। दसवीं पंचवषीय योजना के दौरान आसमें 9.2 प्रवतशत की वृवद्ध दर
तथा ग्यारहवीं योजना के दौरान 7.7 प्रवतशत की वृवद्ध दर दजथ की गयी। ये त्य ईन सभी
अशंकाओं को गलत वसद्ध करते हैं वजनके ऄनुसार एक बार ऄथथव्यवस्था के खुलने पर ईस देश के
औद्योवगक क्षेत्र ऄ य देशों की प्रवतयोवगता का सामना नहीं कर पाता है।
राष्ट्रीय अय की संरचना में पररवतथन (Changes in the Composition of National
Income): सुधारों के बाद की ऄववध में राष्ट्रीय अय की संरचना में महत्वपूणथ बदलाव पररलवक्षत
हुए। राष्ट्रीय अय में कृ वष और संबद्ध क्षेत्र का भाग 1991-92 के 29% से घटकर 2016-17 में
17% हो गया। दूसरी ओर, औद्योवगक क्षेत्र की भागीदारी, 1991-92 के 24% की दर से बढ़कर
2016-17 में लगभग 29% तक पहुाँच गयी। आसके ऄवतररि, तृतीयक या सेवा क्षेत्र का भाग
1991-92 में 44% से बढ़कर 2016-17 में लगभग 54% हो गया। आस प्रकार, सेवा क्षेत्र ने सुधार
के बाद के समय में एक महत्वपूणथ और सुसग
ं त वृवद्ध दजथ की है। यह भारतीय ऄथथव्यवस्था के
संरचनात्मक पररवतथन को दशाथता है।
बचत और वनवेश प्रदशथन (Savings and Investment Performance): सुधारों के बाद की
ऄववध में बचत और वनवेश में ईल्लेखनीय वृवद्ध देखी गइ। सकल घरे लू बचत की दर 1990-92 के
23% से बढ़कर 2015-16 में लगभग 31% हो गइ, वनवेश की दर (GDP के मुकाबले सकल
घरे लू पूज
ं ी वनमाथण की दर) 1990-91 की 26% की दर से बढ़कर 2015-16 में 31% तक पहुाँच
गयी। नइ अर्थथक नीवत के ऄंतगथत वनजी क्षेत्र को एक प्रमुख भूवमका सौंपी गयी है।
पररणामस्वरूप, 2016-17 के ऄंतराल में, वतथमान और वस्थर मूल्यों (2011-12) पर वनजी
मुद्रा भंडार 393 वबवलयन ऄमरीकी डॉलर के स्तर तक पहुाँचा (वजसने क्रदसंबर, 2017 में 400
वबवलयन डॉलर का स्तर पार कर वलया है), जोक्रक जून, 1991 में मात्र 1.1 वबवलयन डॉलर था।
प्रत्यक्ष ववदेशी वनवेश (Foreign Direct Investment): 1991 से भारत में प्रत्यक्ष ववदेशी वनवेश
में वृवद्ध हुइ है। यह 1990-91 में 1.3 वबवलयन ऄमरीकी डॉलर से बढ़कर 2016-17 में 60.08
वबवलयन ऄमरीकी डॉलर हो गया। यह ईदारीकृ त नीवत पररवतथनों तथा साथ ही एक बेहतर
वनवेश के पररवेश को प्रवतनबवबत करता है। 2014 के पश्चात् से तीन वषों में, सरकार ने 21 क्षेत्रों
में 87 FDI वनयमों को कम क्रकया है ताक्रक अर्थथक ववकास में तेजी लाइ जा सके और नौकररयों को
बढ़ावा क्रदया जा सके । कालांतर में प्रसारण, खुदरा, व्यापार और वायु पररवहन जैसे क्षेत्रों में FDI
वनयमों में व्यापक रूप से ढील दी गयी। वतथमान सरकार ने बीमा और पेंशन में ववदेशी वनवेश
सीमा को 26% से बढाकर 49% तक करने के वलए कानून में संशोधन क्रकया है। खाद्य ईत्पादों के
खुदरा व्यापार के वलए, सरकार ने 100% FDI को सशतथ ऄनुमवत दी है ताक्रक ऐसे खाद्य ईत्पादों
का वनमाथण भारत में क्रकया जा सके ।
भारतीय कं पवनयों द्वारा ववदेशी वनवेश (Overseas Investment by Indian Companies) :
भारत से अईटबाईं ड वनवेश में, न के वल पररमाण के संदभथ में बवल्क भौगोवलक प्रसार और
भारतीय कं पवनयों के साथ क्षेत्रीय संरचना के संदभथ में भी काफी पररवतथन अया है। एक महत्वपूणथ
घटनाक्म में, विटेन ने घोषणा की क्रक भारत ईनके वलए FDI का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत बन गया
है, और 2015 में 65% की वनवेश वृवद्ध के साथ 9,000 से ऄवधक नइ और सुरवक्षत नौकररयों का
सृजन हुअ है।
क्रकसी भी क्षेत्र में हुए सुधारों को ववलग रूप में नहीं देखा जा सकता है। वववभन्न प्रकार के सुधारों के
मध्य एक ववशाल स्तर की पूरकता है। यक्रद क्रकसी ववशेष मद/वनयाथत के ववतरण को गैर वनयंवत्रत
क्रकया जाता है, लेक्रकन ईसका ईत्पादन वनयंवत्रत है, तो सुधार का लाभ सीवमत होगा। आसके स्थान
पर, यक्रद औद्योवगक नीवत वस्तु के ईत्पादन को वनयंवत्रत करती है, तो लाभ बहुत ऄवधक होगा।
आस प्रकार, बाह्य क्षेत्र में क्रकये गए सुधार ऄपने चरम पर पहुाँच जायेंगे यक्रद ववत्तीय, राजकोषीय,
औद्योवगक और कृ वष क्षेत्रों में पयाथि सुधार क्रकये जाएाँ।
करने, ऄवसंरचना की गुणवत्ता में सुधार लाने (दोनों, 'सॉफ्ट आंफ्रास्ट्रक्चर' - राजनीवतक, अर्थथक
नीवतयों और संस्थानों तथा 'हाडथ आं फ्रास्ट्रक्चर'- सड़कों, रे लवे और बंदरगाह) और स्वास््य एवं
वशक्षा को प्राथवमकता देकर मानव क्षमताओं में सुधार करने पर कायथ करना होगा।
आन नचताओं को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने पहली पीढ़ी के सुधारों के लाभकारी ईपायों को
जारी रखते हुए 1990 के अरम्भ में दूसरी पीढ़ी के सुधारों को प्रस्तुत करने का वनणथय वलया।
दूसरी पीढ़ी के सुधार समकालीन भारत के प्रमुख मुद्दों पर कें क्रद्रत हैं। आसके ऄंतगथत:
o अर्थथक सुधारों का राज्यों में ववस्तार;
o श्रम बाजार, कृ वष, बौवद्धक संपदा ऄवधकारों के शासन और दूरसंचार क्षेत्र में सुधार;
सरकार ने वववभन्न ररपोटथ, योजनाएं और कायथक्म प्रस्तुत क्रकए हैं, वजनका ईद्देश्य गरीबी और
बेरोजगारी को समाि करना है तथा ईस बहुप्रतीवक्षत वचन को पूरा करना है जो स्वतंत्रता के
समय जवाहरलाल नेहरू ने ऄपने 'वनयवत के साथ समझौते’ (tryst with destiny) में ऄत्यंत
वावग्मता से वपरोया था।
भारतीय ऄथथव्यवस्था
10. औद्योगगक नीगत
3.2. भारत में इज़ ऑफ़ डू आंग गबज़नेस (Ease of Doing Business in India) ________________________________ 20
सुधार पूवथ औद्योगगक नीगत की व्यवस्था, गवकास की ऄवसंरचनात्मक अवय यकताओं की पूतितत तथा
एक गमगश्रत ऄथथव्यवस्था फ्रेमवकथ के तहत औद्योगगक गवकास की प्रदिया को ददशा प्रदान करने के
गलए व्यापक पैमाने पर सावथजगनक क्षेत्रक के गवकास पर गनभथर थी। आस हेतु राज्य द्वारा जहाि
औद्योगगक ईत्पादन के कु छ रणनीगतक क्षेत्रकों को अरगक्षत कर गलया गया वहीं कु छ क्षेत्रों यथा
मशीन ईपकरणों, ऄलौह धातुओं, ईवथरक अदद में राज्य ने ऄग्रणी ईद्यमी की भूगमका गनभाइ।
अरगक्षत क्षेत्रकों में लौह एवं आस्पात, कोयला, पररवहन, गऺवद्युत, खगनज तेल, परमाणु उजाथ, शस्त्र
एवं गोला-बाूपद और तथा रक्षा ईपकरणों से संबि वस्तुएं थी। हालािदक आसके बाद भी गनजी क्षेत्र
से गवशेष ूपप से ईपभोक्ता वस्तुओं की अपूतितत करने तथा लघु ईद्योग क्षेत्र के गनमाथण में महत्वपूणथ
भूगमका गनभाने की ऄपेक्षा की गइ।
औद्योगगक लाआसेंस व्यवस्था गनजी क्षेत्र पर गनयंत्रण का प्रमुख साधन थी गजसके ऄंतगथत नवीन
आकाआयों में गनवेश और वतथमान आकाआयों की क्षमता के और ऄगधक गवस्तार के गलए कें र स सरकार
की ऄनुमगत की अवय यकता होती थी। लाआसेंस व्यवस्था द्वारा प्रौद्योगगकी, ईत्पाद गमश्रण
(अईटपुट गमक्स), क्षमता ऄवगस्थगत (कै पेगसटी लोके शन) और सामग्री के अयात को भी गनयंगत्रत
दकया जाता था। बड़े औद्योगगक घरानों को एकागधकार एवं प्रगतबंगधत व्यापार व्यवहार (MRTP)
ऄगधगनयम के ऄंतगथत गनवेश या गवस्तार के गलए ऄलग से ऄनुमगत की अवय यकता होती थी तादक
अतितथक शगक्त का संकेंर सण रोका जा सके । ईवथरक, सीमेंट, एल्यूगमगनयम, पेट्रोगलयम और
फामाथस्यूरटकल्स जैसे ईद्योगों में मूल्य और गवतरण गनयंत्रण भी था। आसके साथ ही बड़ी औद्योगगक
आकाआयों से प्रगतस्पधाथ से लघु औद्योगगक आकाआयों की रक्षा करने के ईपाय के ूपप में लगभग 800
वस्तुएं लघु औद्योगगक आकाआयों द्वारा ईत्पादन हेतु अरगक्षत कर दी गयीं थी। ईस दौर में
औद्योगगक पुनगथठन और कं पगनयों के बाहर गनकलने (एगजजट) या बंद होने मे भी बाधाएि गवद्यमान
थी।
अयात प्रशुल्क के दृगिकोण से भारत गवय व में सवाथगधक अयात प्रशुल्कों वाले देशों में था। 200%
से ऄगधक प्रशुल्क दर एक सामा्य पररघटना थी तथा यह ऄत्यगधक ऄव्यवगस्थत भी थी।
गवगनतितमत ईपभोक्ता वस्तुओं का अयात पूरी तरह से प्रगतबंगधत था। बाकी के गलए, के वल कु छ
वस्तुएं मुक्त ूपप से अयात की जा सकती थी और ऄगधकांश वस्तुओं के गलए जहां घरे लू
स्थानापन्न का ईत्पादन दकया जा रहा था, अयात मात्र अयात लाआसेंस के साथ ही था। आन
लाआसेंसों को जारी करने का मापदंड पारदशी नहीं था, गवलंब अम बात थी तथा भ्रिाचार
ऄपररहायथ हो गया था। आसके साथ ही गवदेशी गनवेश के प्रगत नीगत पूणथतः प्रगतबंधात्मक थी, जो
औद्योगगक नीगत का सामा्य संरक्षणवादी बल प्रगतबबगबत करती थी।
1950 से 1980 की ऄवगध में 5.5 प्रगतशत प्रगत वषथ की दर से गस्थर औद्योगगक गवकास हुअ।
हालांदक, आस समयावगध के दौरान औद्योगगक संरचना में महत्वपूणथ गवगवधीकरण देखने को गमला
पर्तु ऄनुमान के ऄनुसार 1960 से 1980 की ऄवगध के दौरान सकल कारक ईत्पादकता (यह
दक्षता की माप है गजसका श्रम एवं पूज
ं ी के साथ गवगनमाथण क्षेत्र में मूल्य संवधथन ईत्प्न करने हेतु
ईपयोग दकया जाता है) में गस्थरता या गगरावट देखने को गमली। ऄत्यगधक संरक्षणवादी नीगत
व्यवस्था के पररणामस्वूपप ई्च लागत वाली औद्योगगक संरचना ने औद्योगगक क्षेत्र में गनयाथत-
गवरोधी पूवाथग्रह का गनमाथण दकया। प्रगतस्पधाथत्मकता के आस क्षरण के दुष्पररणाम गवगनतितमत
वस्तुओं के वैगिक गनयाथत में भारत की गहस्सेदारी में अइ गचरकागलक गगरावट के ूपप में देखे गए
जो 1950 में 1 प्रगतशत से गगरकर 1980 के दशक में 0.4 प्रगतशत रह गइ।
भारत में औद्योगगक गवकास 1948 में ऄगस्तत्व में अने वाली लाआसेंबसग नीगतयों से गनयंगत्रत था।
1956 के प्रथम व्यापक औद्योगगक नीगत प्रस्ताव में ईद्योगों को तीन श्रेगणयों में वगीकृ त दकया
गया। आस प्रस्ताव में राज्य को औद्योगगक गवकास में प्राथगमक भूगमका दी गइ और गनजी क्षेत्र से
राज्य के प्रयासों का पूरक बनने की अशा की गइ। तदुपरांत 1970 के औद्योगगक नीगत प्रस्ताव ने
ईद्योगों को चार श्रेगणयों में वगीकृ त दकया: प्रमुख या कोर क्षेत्र (core sector), भारी गनवेश क्षेत्र
(heavy investment sector), मध्यम क्षेत्र (middle sector) और लाआसेंस-मुक्त क्षेत्र (de-
licensed sector)। आनमें से पहली तीन श्रेगणयां बड़े व्यापाररक घरानों और गवदेशी कं पगनयों
तक सीगमत रहीं।
आसके ईपरांत 1973 के औद्योगगक नीगत वक्तव्य में लघु और मध्यम ईद्यमों (SMEs) की संवृगि
को वरीयता और बल ददया गया तथा 1977 के औद्योगगक नीगत वक्तव्य ने लघु, सूष्म और कु टीर
ईद्योगों के गलए बढी हुइ भूगमका के साथ गवकें र सीकरण को बढावा ददया।
कालांतर में 1980 के औद्योगगक नीगत गववरण ने घरे लू बाजार में प्रगतयोगगता को बढावा देने,
पहला महत्वपूणथ औद्योगगक नीगत वक्तव्य; औद्योगगक नीगत प्रस्ताव, 1948 में ददया गया। आसमें मुख्य
ूपप से गमगश्रत ऄथथव्यवस्था के अरम्भ पर बल ददया गया। आसके द्वारा, भारत की ऄथथव्यवस्था के
गवकास में गनजी और सावथजगनक क्षेत्रक को महत्वपूणथ घटक के ूपप में स्वीकार दकया गया। आस नीगत के
ऄंतगथत ईद्योगों को चार व्यापक श्रेगणयों में गवभागजत दकया गया:
राज्य के ऄन्य एकागधकार वाले ईद्योग: आसमें परमाणु उजाथ, रे लवे तथा हगथयार एवं गोला-
गमगश्रत क्षेत्र में ईद्योग: आसमें वे ईद्योग सगम्मगलत थे गजनमें गनजी और सावथजगनक क्षेत्र, दोनों को
पररचालन की ऄनुमगत दी गइ थी। आसके ऄंतगथत दकसी भी मौजूदा गनजी ईपिम का ऄगधग्रहण
करने के गलए सरकार को गस्थगत की समीक्षा करने की ऄनुमगत थी।
गनजी क्षेत्र के ऄंतगथत ईद्योग: ईपरोक्त में से दकसी भी श्रेणी के ऄंतगथत न अने वाले ईद्योग आस
श्रेणी में अते थे।
औद्योगगक नीगत,1948 ने सावथजगनक क्षेत्र को पररचालन हेतु एक गवशाल क्षेत्र प्रदान दकया। सरकार ने
औद्योगगक गवकास के ईत्प्रेरक एजेंट की भूगमका ग्रहण की तथा आस प्रस्ताव के माध्यम से लघु और
कु टीर ईद्योगों को ऄनुपरू क भूगमका प्रदान की गयी।
IDRA,1951; औद्योगगक गवगनयामकीय फ्रेमवकथ में सवाथगधक महत्त्वपूणथ गवधान है। आसने सरकार
को गवगभन्न तरीकों से ईद्योगों का गवगनयमन करने की शगक्त प्रदान की। आसके मुख्य साधन, क्षमता
(तथा आसके माध्यम से ईत्पादन) का गवगनयमन और मूल्य गनयंगत्रत करने की शगक्त थी। आसके
ऄंतगथत ऐसे ईद्योगों को ऄनुसूगचत दकया गया गजनके गलए लाआसेंस की अवय यकता थी। यहां तक
दक आन ईद्योगों के गवस्तार के गलए भी सरकार की पूवथ ऄनुमगत की अवय यकता होती थी ऄथाथत्
ईत्पादन क्षमता ऄत्यगधक गवगनयगमत थी। आसके साथ ही सरकार को ऄनुसूगचत ईद्योगों के
ईत्पादों का गवतरण करने और मूल्यों को गनयंगत्रत करने की शगक्त दी गइ। IDR ऄगधगनयम द्वारा
सरकार को व्यापक शगक्तयां प्रदान की गयीं पररणाम नौकरशाही द्वारा देश के औद्योगगक गवकास
पर लगभग पूणथ गनयंत्रण के ूपप में सामने अया।
IDRA,1951 के मुख्य प्रावधान थे:
कें र स सरकार के स्वागमत्वाधीन ईपिमों के ऄगतररक्त, ऄगधगनयम के प्रभावी होने के समय कायथरत
सभी ईपिमों के गलए गनर्ददष्ट प्रागधकारी के कायाथलय में पंजीकरण कराना ऄगनवायथ था।
के ्र स सरकार के ऄगतररक्त दकसी को भी कोइ नवीन औद्योगगक ईपिम स्थागपत करने की ऄनुमगत
नहीं थी; गसवाय आसके दक वह के वल कें र स सरकार द्वारा आस गनगमत्त जारी दकए गए लाआसेंस के
ऄंतगथत हो।”
आस प्रकार का लाआसेंस या ऄनुमगत गवगभन्न प्रकार की शतें गनधाथररत करता था, यथा ऄवगस्थगत
तथा अकार एवं प्रयुक्त होने वाली तकनीकों के संबंध में ्यूनतम मानक; गज्हें कें र स सरकार द्वारा
ऄनुमोददत दकया जा सकता था।
वतथमान औद्योगगक ईपिम के 'पयाथहै गवस्तार' की गस्थगत में भी ऐसे लाआसेंस और मंजूरी की
अवय यकता होती थी।
वषथ 1980 की औद्योगगक नीगत में आस बात पर बल ददया गया था दक सावथजगनक क्षेत्रक, अतितथक
अधारभूत संरचना का अधार है, गजसके कारण आसकी ऄगधक गविसनीयता, बड़े गनवेश की
अवय यकता और अतितथक गवकास के गलए महत्वपूणथ पररयोजनाओं की लंबी गनमाणथपूवथ तैयारी
ऄवगध (longer gestation period) होना है। आस नीगत की महत्वपूणथ गवशेषताएं आस प्रकार थी:
o सावथजगनक क्षेत्रक का प्रभावी प्रबंधनः आस नीगत में सावथजगनक क्षेत्रक के ईपिमों की दक्षता के
पुनः प्रवतथन (revival) पर बल ददया गया।
o औद्योगगक लाआसेंबसग का ईदारीकरणः आस नीगत वक्तव्य में MRTP और FERA के ऄंतगथत
मौजूदा आकाआयों की क्षमता बढाने के गलए स्वतः ऄनुमोदन के संदभथ में लाआसेंबसग में
ईदारवादी ईपाय प्रदान दकए गए। MRTP के ऄंतगथत पररसंपगत्त सीमा का गवस्तार कर ददया
गया। आसके साथ ही बड़ी संख्या में ईद्योगों को लाआसेंबसग से छू ट प्रदान की गइ। आस नीगत में
स्थूल वगीकरण की ऄवधारणा प्रस्तुत की गइ तादक नए लाआसेंस के गलए अवेदन दकए गबना
ईत्पाद गमश्रण को तय करने के गलए ईद्योगों को लचीलापन प्रदान दकया जा सके ।
o लघु-स्तरीय ईद्योगों को पुनपथररभागषत करनाः आस क्षेत्रक के गवकास को बढावा देने के गलए
लघु ईद्योगों को पररभागषत करने के गलए तय गनवेश की सीमा बढा दी गइ। छोटे क्षेत्रकों
(tiny sectors) के मामले में गनवेश की सीमा बढाकर 1 लाख रुपये; लघु ईद्योग की आकाइ के
गलए गनवेश की सीमा 10 लाख रुपये से बढाकर 20 लाख तक तथा सहायक ईद्योगों
(ancillaries) की आकाइयों के गलए गनवेश सीमा 15 लाख रुपये से बढाकर 25 लाख रुपये
कर दी गइ थी।
औद्योगगक नीगत, 1980 ने घरे लू बाजार में प्रगतस्पधाथ को बढावा देने, तकनीकी ईन्नयन और
अधुगनकीकरण की अवय यकता पर ध्यान ददया। आसके साथ ही आस नीगत के तहत तेजी से बढते
प्रगतस्पधी गनयाथत-अधाररत ईद्योगों की तथा ई्च -प्रौद्योगगकी वाले क्षेत्रों में गवदेशी गनवेश को
प्रोत्सागहत करने की नींव रखी गयी।
भारतीय ईद्योगों को संरक्षणः 1991 से पूवथ की नीगत में ईत्पादों के अयात पर अंगशक प्रगतबंध
लगाकर तथा ई्च अयात शुल्क द्वारा स्थानीय ईद्योगों को ऄंतराथष्ट्रीय प्रगतयोगगता से संरक्षण
प्रदान दकया गया। अयात संरक्षण का ईद्देय य भारतीय ईद्योगों को गवगभन्न ईत्पादों के गनमाथण के
गलए प्रोत्सागहत करना था। आन सभी ईत्पादों के गलए एक तैयार बाजार भारत में पहले से ही
गवद्यमान था।
अयात-प्रगतस्थापन नीगतः सरकार द्वारा ऄपनी अयात नीगत का प्रयोग स्थानीय ईद्योगों के बेहतर
गवकास के गलए दकया गया। स्वतंत्रता के पचात् प्रारं भ के कु छ वषों को छोड़कर, देश गवदेशी मुर सा
की कमी का सामना कर रहा था, आसगलए दुलभ
थ गवदेशी मुर सा को बचाने के गलए, अयात-
प्रगतस्थापन नीगत अरं भ की गइ थी। आस प्रकार सरकार ने अयात की जाने वाली वस्तुओं के
स्वदेशी ईत्पादन को प्रोत्सागहत दकया।
गवत्तीय ऄवसंरचनाः ईद्योगों के गलए अवय यक गवत्तीय अधारभूत संरचना प्रदान करने हेतु
सरकार ने कइ गवकास बैंकों की स्थापना की। गवकास बैंक का प्रमुख कायथ मध्यम तथा दीघथकागलक
गनवेश प्रदान करना है। वे ईद्यम गवकास को बढावा देने में भी एक प्रमुख भूगमका गनभाते हैं। आस
ईद्देय य के साथ, सरकार ने 1948 में भारतीय औद्योगगक गवत्त गनगम (IFCI), 1955 में आं डगस्ट्रयल
िे गडट एंड आं वस्े टमेंट कॉरपोरे शन ऑफ आं गडया (ICICI), 1964 में भारतीय औद्योगगक गवकास बैंक
(IDBI), 1971 में आं डगस्ट्रयल ररक्स्ट्रक्शन कॉरपोरे शन ऑफ आं गडया, 1963 में यूगनट ट्रस्ट ऑफ
आं गडया (UTI) तथा भारतीय जीवन बीमा गनगम (LIC) की स्थापना की।
1969 आत्यादद जैसे कानूनों के माध्यम से ऄत्यगधक गवगनयगमत दकया गया। आन कानूनों के माध्यम
से देश में लगभग सभी प्रकार के ईद्योगों के ईत्पादन, गवस्तार और मूल्य गनधाथरण को प्रगतबंगधत
दकया गया।
ं ी का गवगनयमन: गवदेशी मुर सा
गवदेशी मुर सा गवगनयमन ऄगधगनयम (FERA) के ऄंतगथत गवदेशी पूज
गवगनयमन ऄगधगनयम (FERA) द्वारा दकसी कं पनी में गवदेशी गनवेश को 40 प्रगतशत तक सीगमत
कर ददया गया। आससे गवदेशी सहयोग प्राहै कं पगनयों का गनयंत्रण भी भारतीयों के हाथों में
सुगनगचत हो गया। आसके साथ ही गवदेशी गनवेशकों द्वारा दकए गए तकनीकी सहयोग और गवदेशी
मुर सा के प्रत्यावतथन पर भी प्रगतबंध लगाये गए।
लघु ईद्योगों को प्रोत्साहनः सरकार ने लघु ईद्योगों (SSI) के गवकास के गलए गवगभन्न सहायता
ईपाय ऄपनाकर ई्हें प्रोत्सागहत दकया। नीगतगत ईपायों के ऄंतगथत ऊण, गवपणन, प्रौद्योगगकी,
ईद्यगमता गवकास और राजकोषीय, गवत्तीय और अधारभूत संरचना संबंधी सहायता जैसी लघु
ईद्योगों की अधारभूत अवय यकताओं को संबोगधत दकया गया।
सावथजगनक क्षेत्रक पर बल: ईद्योगों को अधारभूत संरचना और बुगनयादी सुगवधाएं प्रदान करने
हेतु सरकार ने ऄत्यगधक गनवेश दकया। यह गनवेश रागश गवद्युत ईत्पादन, पूज
ं ीगत वस्तुओं, भारी
मशीनरी, बैंिंकग, दूरसंचार अदद जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सावथजगनक क्षेत्रक के ईद्यम स्थागपत करके
प्राहै की गइ।
वषथ 1991 से पूवथ की औद्योगगक नीगतयों ने देश में तीव्र औद्योगगक गवकास के ऄनुकूल
पररगस्थगतयां गनतितमत की तथा अधारभूत संरचना और बुगनयादी ईद्योगों की स्थापना में सहायता
प्रदान की। बड़ी संख्या में वस्तुओं पर अत्मगनभथरता के साथ एक गवगवध औद्योगगक संरचना प्राहै
हुइ थी। स्वतंत्रता के समय कु ल औद्योगगक ईत्पादन का लगभग अधा गहस्सा ईपभोक्ता वस्तु
ईद्योगों का था। 1991 में ऐसे ईद्योगों का योगदान के वल 20 प्रगतशत था। आसके गवपरीत,
संचार, सड़कों अदद की अवय यक सुगवधाएं प्रदान करने के गलए बड़े पैमाने पर गनवेश दकया।
ईद्यगमता गवकास में सहयोग करने, ईद्योगों के गलए गवत्त ईपलसध कराने और ईद्योगों के गलए
अवय यक गवगवध कौशलों के गवकास हेतु बड़ी संख्या में संस्थानों को प्रोन्नत दकया गया।
हालांदक, औद्योगगक नीगत के कायाथ्वयन में बहुत सारी कगमयां रह गईं। आस सम्ब्ध में यह तकथ
ददया जाता है दक औद्योगगक लाआसेंबसग वाली व्यवस्था ने ऄक्षमता और ई्च लागत वाली
ऄथथव्यवस्था को बढावा ददया जबदक वास्तव में योजना की प्राथगमकताओं और लष्यों के ऄनुसार
लाआसेंबसग द्वारा क्षमता गनमाथण सुगनगचत होनी चागहए थी। आसके साथ ही लाआसेंबसग
प्रागधकरणों में गनगहत ऄत्यगधक गववेकागधकारों के कारण यह तंत्र भ्रिाचार और रें ट-सीिंकग
आन सुधारों का मुख्य ध्यान औद्योगगक ईत्पादकता में सुधार लाने पर था। सुधारों की कु छ
महत्वपूणथ गवशेषताओं में औद्योगगक लाआसेंबसग का चयनात्मक ई्मूलन, व्यापार नीगतयों और
प्रदियाओं का अंगशक ईदारीकरण तथा पूज
ं ीगत वस्तुओं के गलए प्रत्यक्ष गवदेशी गनवेश (FDI)
व्यवस्था में पररवतथन सगम्मगलत हैं। वस्त्र, चमड़े के ईत्पादों और खेल के सामान जैसे श्रम गहन
क्षेत्रों में भारत तुलनात्मक ूपप से लाभ की गस्थगत में था। आन क्षेत्रों में गनयाथत क्षमता गवकगसत
करने के रास्ते में एक बड़ी बाधा के बावजूद छोटे पैमाने (लघु ईद्योग) के क्षेत्रक को ईत्पादन में
प्राहै संरक्षण जारी रहा। 1980 की औद्योगगक नीगत में भी बाहर गनकलने (एगजजट क्लॉज़) में अने
वाली बाधाओं को दूर कर औद्योगगक क्षेत्र के पुनगथठन करने की ददशा में कम ध्यान ददया गया।
1980 के दशक के दौरान कु शलता में सुधार और गनयाथत को बढावा देने के गलए गवचारपूवथक
व्यापार नीगतयों का गनमाथण दकया गया था। तकनीकी ईन्नयन के गलए क्षमता ईपयोग और
अधुगनक पूजं ीगत वस्तुओं की सुगवधा प्रदान करने के गलए अयागतत मध्यवती गनवेशों तक असान
पहुंच ही आन सुधारों की प्रेरणा शगक्त थी। संरक्षणवादी व्यवस्था के पररणामस्वूपप ईभरे गनयाथत-
गवरोधी पूवाथग्रह को समाहै करने के गलए गनयाथत सगससडी प्रदान की गइ थी।
सीगमत घरे लू ऄगवगनयमन और व्यापार नीगत सुधार ऐसी गस्थगत लाने में सफल रहे आसके
पररणामस्वूपप 1980 के दशक में भारतीय गवगनमाथण क्षेत्रक में ईत्पादकता 27 प्रगतशत तक बढी।
1980 के दशक में औद्योगगक गवकास दर 7 प्रगतशत से ऄगधक हो गइ और गवगनतितमत वस्तुओं के
गनयाथत में करीब 11 प्रगतशत की वृगि हुइ।
1980 के दशक के दौरान भारत सरकार के बढते राजकोषीय ऄपव्यय के कारण गबगड़ते समगि
अतितथक पररवेश में बेहतर गवकास की गनरं तरता और औद्योगगक क्षेत्रक की ईत्पादकता प्रदशथन को
बनाए रखना चुनौती से कम नहीं था। 1990 के खाड़ी युि और दशक के अरं भ में राजनीगतक
ऄगस्थरता के कारण भारतीय ऄथथव्यवस्था के प्रगत ऄंतराथष्ट्रीय स्तर पर गवद्यमान गविास में
ऄत्यगधक कमी अ गइ थी। 1991 का भुगतान संतुलन संकट आसी का पररणाम था।
जुलाइ 1991 में भारत में प्रस्तुत की गइ नयी औद्योगगक नीगत (NIP) ऄपने ईद्देय यों और प्रमुख
गवशेषताओं के मामले में पूवथ की औद्योगगक नीगतयों की तुलना में ऄगधक िांगतकारी थी। आसमें
पहले से प्राहै लाभों को सुदढृ करने तथा ईनमें ईत्पन्न गवकृ गतयों या कमजोररयों को ठीक करने पर
ध्यान ददया गया। आस हेतु औद्योगगक गवकास को बढावा देने तथा ऄंतराथष्ट्रीय प्रगतस्पधाथ प्राहै करने
पर बल ददया गया। ईदारीकृ त औद्योगगक नीगत का ईद्देय य तीव्र एवं पयाथहै अतितथक गवकास तथा
सामंजस्यपूणथ ढंग से वैगिक ऄथथव्यवस्था से एकीकरण है।
आसके ऄनुसार ‘सरकार ईद्यगमता को प्रोत्साहन, ऄनुस्धान और गवकास में गनवेश के माध्यम से
स्वदेशी प्रौद्योगगकी के गवकास, नयी तकनीक लाने, गनयामक प्रणाली को समाहै करने, पूज
ि ी
बाजार का गवकास और प्रगतस्पधाथत्मकता में वृगि के साथ सामा्य व्यगक्त के लाभ के गलए ठोस
नीगतगत फ्रेमवकथ का पालन करना जारी रखेगी।’
करने हेतु ISI नीगत को बढावा देने अवय यक हो गया। आसके द्वारा एक गनधाथररत समयावगध में
पूंजीगत वस्तु, मध्यवती वस्तु और अधारभूत वस्तु ईद्योग के बाजार का गवशाल अधार गनतितमत
करने में सहायता गमली। NIP का अतितथक गनभथरता को पुन: पररभागषत करने से अशय अवय यक
ूपप से घरे लू ईद्योग पर गनभथरता के बजाय गनयाथत द्वारा गवदेशी मुर सा ऄजथन के माध्यम से अयात
के गलए भुगतान करने की क्षमता प्राहै करने से है।
ऄंतराथष्ट्रीय प्रगतस्पधाथत्मकता: NIP द्वारा वैगिक मानकों के ऄनुूपप प्रौद्योगगकी और गवगनमाथण क्षेत्र
में क्षमता गवकगसत करने की अवय यकता पर बल ददया गया। पूवथवती औद्योगगक नीगतयों में से
दकसी में भी प्रत्यक्ष या परोक्ष ूपप से, घरे लू औद्योगगक गवकास के स्दभथ में ऄंतराथष्ट्रीय प्रौद्योगगकी
और गवगनमाथण क्षमताओं का ईल्लेख नहीं था। ऐसे में पहली बार, NIP ने घरे लू ईद्योग द्वारा
ऄंतराथष्ट्रीय प्रगतस्पधाथ प्राहै करने की अवय यकता को स्पि ूपप से रे खांदकत दकया।
आन ईद्देय यों तथा ऄ्य सभी ईद्देय यों की प्रागहै हेतु NIP ने भारत के औद्योगगक नीगत के पररवेश में
पररवतथन प्रारम्भ दकये, गज्होंने एक दशक के समय में धीरे -धीरे गगत पकड़ ली। NIP के महत्त्वपूणथ
तत्वों को गनम्नगलगखत प्रकार से वगीकृ त दकया जा सकता है:
A. गवगनवेश के माध्यम से सावथजगनक क्षेत्रक का डी-ररजवेशन तथा गनजीकरण
1991 तक सावथजगनक क्षेत्रक को भारतीय ईद्योग क्षेत्रक में एक प्रमुख स्थान प्रदान दकया गया था
तादक 1956 की औद्योगगक नीगत प्रस्ताव (IPR) के ऄंतगथत आसे “ऄथथव्यवस्था को ईल्लेखनीय
ईपलगसधयों” तक पहुंचने में सक्षम बनाया जा सके । आसके ऄनुसार सामररक महत्त्व के क्षेत्रों तथा
कोर क्षेत्रकों को गवशेष ूपप से सावथजगनक ईपिमों के गलए अरगक्षत कर ददया गया था। यहाि तक
दक सावथजगनक ईद्यमों को ऐसे स्थानों पर भी प्राथगमकता दी गयी थी जहाि गनजी गनवेश सम्भव
था। 1991 के ईपरांत, सावथजगनक क्षेत्रक की नीगत में गनम्नगलगखत तत्व सगम्मगलत दकये गए:
सावथजगनक क्षेत्रक के गलए अरगक्षत ईद्योगों की संख्या में कमी: वतथमान में के वल दो ईद्योग
(परमाणु उजाथ और रे लवे संचालन) सावथजगनक क्षेत्र के गलए अरगक्षत दकये गए हैं। 1991 के बाद
से सरकार की सावथजगनक ईपिमों (PSU) की नीगत का सार यह रहा है दक सरकार को दकसी भी
व्यावसागयक ईद्यम का संचालन नहीं करना चागहए। आस नीगत में सभी गैर -रणनीगतक सावथजगनक
ईपिमों में सरकारी आदिटी को 26 प्रगतशत या ईससे कम करने के गलए, सम्भागवत ूपप से
व्यवहायथ सावथजगनक ईपिमों को पुनगथरठत या पुनजीगवत करने पर बल ददया गया था तथा गजन
सावथजगनक ईपिमों को पुनजीगवत नहीं दकया जा सकता, श्रगमकों के गहतों की रक्षा करने के गलए
ई्हें बंद दकये जाने पर बल ददया गया था। नॉन-कोर या गौण क्षेत्रकों से सरकार का हटना, पूज
ि ी
के दीघथकागलक कु शल ईपयोग, बढती हुए गवत्तीय ऄव्यवहायथता और आन PSUs की बढते हुए
प्रगतस्पधी तथा बाजार ई्मुखी पररवेश में संचालन की बाध्यता का पररचायक था।
देश भर में ऄपनी गवगवधतापूणथ ईपगस्थगत के कारण लघु ईद्योगों (SSI) को एक गवगशि गस्थगत
प्राहै रही। आनके द्वारा ईन संसाधनों और कौशलों का ईपयोग दकया गया जो ऄ्यथा ऄनुप्रयुक्त रह
जाते। बड़े पैमाने पर रोज़गार सृजन करने, व्यापक ईपभोग की ईपभोक्ता वस्तुओं का ईत्पादन
करने तथा क्षेत्रीय गवषमताओं को कम करने की आनकी क्षमता को देखते हुए आस क्षेत्रक के गवकास
के गलए औद्योगगक नीगतयों में लघु ईद्योगों को समुगचत सुरक्षा प्रदान की गइ। आसके गलए दकए गए
प्रमुख सुरक्षात्मक ईपाय गनम्नगलगखत हैं:
o IDR ऄगधगनयम, 1951 के ऄंतगथत एक पररभाषा के माध्यम से लघु ईद्योगों की ऄ्य ईद्योगों
access)।
o सरकार द्वारा सरकारी खरीद और मूल्य वरीयताओं के गलए ईत्पादों के अरक्षण के माध्यम से
बाजार सहायता।
लघु ईद्योग गवगनमाथण क्षेत्र में गवगशि गवगनमाथण के गलए ईत्पादों का अरक्षण और लघु ईद्योग
गवगनमाथण के गलए अरगक्षत ईत्पादों के बड़े पैमाने वाले क्षेत्र में ईत्पादन और क्षमता के गवकास पर
प्रगतबंध।
आन नीगतगत ईपायों के माध्यम से लघु ईद्योगों को घरे लू और गवदेशी, दोनों प्रगतस्पधाथओं से
संरक्षण प्रदान दकया गया। हालांदक, 1991 से लघु ईद्योग नीगत के संरक्षण पर ऄपेक्षाकृ त कम बल
ददया जाने लगा। ऄगस्त 1991 में, भारत सरकार ने लघु ईद्योग के गलए एक गवशेष नीगत प्रस्तुत
होती गइ। अरगक्षत वस्तुओं की नीगत बहुत हद तक ऄपनी प्रासंगगकता खो चुकी है, क्योंदक यद्यगप
आन ईत्पादों को घरे लू स्तर पर वृहद् ईद्यमों द्वारा गनतितमत नहीं दकया जा सकता है तथागप वषथ
2001 में ऄगधकतम अयात पर मात्रात्मक और गैर-मात्रात्मक प्रगतबंध हटाए जाने के बाद से
गवदेश से आन ईत्पादों का अयात दकया जा सकता है। 1990 के दशक के दौरान लघु ईद्योगों के
गलए ईधार दरों में ररयायत को भी ऄगधकांशतः वापस ले गलया गया। सरकार द्वारा लघु ईद्योगों
से खरीद हेतु गवशेष ूपप से अरगक्षत ईत्पादों की संख्या भी कम कर दी गइ। आसके साथ ही लघु
ईद्योगों की प्रौद्योगगकी और गनयाथत क्षमता में सुधार के गलए ईपाय ऄपनाए गए हैं गजसके द्वारा
लघु ईद्योगों की समग्र प्रोन्नगत की ददशा सुरक्षा से स्थानांतररत होकर प्रगतस्पधाथ की ओर हो गइ है।
भुगतान संतुलन के संकट की प्रगतदिया के ूपप में न के वल समगि स्तर पर अतितथक गस्थरीकरण की
नीगतयों के गलए स्थान बनाया गया ऄगपतु ई्च संवृगि हेतु भारतीय ऄथथव्यवस्था की क्षमता
प्रदतितशत करने के गलए गवस्तृत अतितथक सुधारों को कायाथग्वत करने का ऄवसर भी प्राहै हुअ।
1991 के बाद से नीगत गनमाथताओं ने ऄथथव्यवस्था को वैगिक स्तर पर एकीकृ त करने तथा 1980
के दशक की गगरावट से प्रभागवत व्यापक अतितथक पररवेश में सुधार लाने के गलए महत्वपूणथ कदम
ईठाने के प्रयास दकए।
1991 के बाद के डेढ दशकों में व्यापक गनयंत्रण तथा एक सशक्त ऄंतमुथखी ऄगभगव्यास (inward
orientation) वाली नीगतगत व्यवस्था को ूपपांतररत दकया गया। यह ूपपांतरण वृगिशील तथा
िगमक पररवतथनों के माध्यम से, कभी-कभार पूवथवती नीगत से ऄलग दक्तु गबना दकसी बड़े
वैचाररक पररवतथन (यू-टऩथ) के संपन्न हुअ। आस दौरान के ्र स में गवगभन्न राजनीगतक दलों के
गठबंधन और राज्यों में गवगभन्न राजनीगतक दलों का शासन रहा, जो अतितथक सुधार प्रदिया को
अगे बढाए हुए हैं, यद्यगप आनका तरीका ऄव्यवगस्थत रहा है।
1991-92 से 1996-97 तक की ऄवगध में औद्योगगक और व्यापार नीगतयों, कर नीगतयों और
व्यापक अतितथक प्रबंधन पर प्रभाव डालने वाली ऄ्य नीगतयों में तीव्र तथा व्यापक सुधार हुए।
1996-97 के ईपरांत अंगशक ूपप से प्रारं गभक सुधारों के प्रगत ऄनुकूल प्रगतदिया प्राहै होने के
कारण पर अत्मसंतुिता अने से तथा अंगशक ूपप से कें र स में सत्ता पररवतथन से ईत्पन्न व्याकु लता के
कारण सुधारों की गगत धीमी हो गइ थी। आसके ऄगतररक्त 1990 के मध्य तक, प्रगतस्पधाथ का
प्रारम्भ हो जाना तथा भारतीय ईद्योग द्वारा बाह्य ईदारीकरण समेत गवगभन्न पररवतथनों को कम
स्वीकृ गत प्रदान करना भी आस धीमी गगत का कारण बना।
कालांतर में 2001 में, भारत ने गनजी गनवेश के गलए पररवेश में सुधार कर, ऄथथव्यवस्था को
गवदेशी प्रगतस्पधाथ के गलए खोलने तथा बुगनयादी ढांचे के गवकास के साथ ही पररवतथन की गगत
वापस प्राहै कर ली। हालांदक, व्यापक अतितथक प्रबंधन (एक ऄछछी शुरुअत के बाद जब कें र स और
राज्यों के समेदकत राजकोषीय घाटे को 1990-91 में GDP के 9.6 प्रगतशत से घटाकर 1992 में
7 प्रगतशत कर ददया गया था) कमजोरी का क्षेत्र रहा है जो भगवष्य में संधारणीय गवकास की
ईपलगसध को कमजोर कर सकता था।
1990 के दशक में औद्योगगक नीगत सुधार के ऄंतगथत प्रवेश के दौरान अने वाली गवगभन्न बाधाओं
को दूर करने के गलए कइ महत्वपूणथ कदम ईठाए गए थे। ईदाहरण के गलए, गनवेश के गलए
औद्योगगक लाआसेंस को समाहै कर ददया गया तथा कु छ सामररक क्षेत्रों के ऄगतररक्त ऄ्य सभी को
गनजी क्षेत्रों के गलए खोल ददया गया। आसके साथ ही प्रगतस्पधाथ-गवरोधी व्यवहार को गवगनयगमत
करने के गलए पुराने MRTP ऄगधगनयम के स्थान पर एक नया प्रगतस्पधाथ कानून लागू दकया गया
तथा लघु ईद्योगों हेतु लागू अरक्षण की नीगत पर भी कदम ईठाए गए। यहाि तक दक कु छ वस्तुओं
के गवगनमाथण और खरीद पर अरक्षण समाहै कर ददया गया। हालांदक, कारक बाजार को ऄगधक
लोचशील बनाने तथा व्यगक्तगत कं पगनयों को ऄगधक प्रगतस्पधी पररवेश से लाभ पाने हेतु सक्षम
बनाने वाले सूष्म अतितथक सुधार और ्यागयक सुधार, धीमी गगत से प्रभाव में अये।
व्यापार नीगत सुधारों ने अयात लाआसेंबसग की जरटल प्रणाली को समाहै करके और अयात पर
टैररफ दरों को कम करने के गलए एक खुली प्रगतबिता घोगषत कर अमूलचूल पररवतथन दकया।
प्रारं भ में, ईपभोक्ता वस्तुओं के ऄगतररक्त ऄगधकांश वस्तुओं के गलए अयात लाआसेंस प्रदान दकए
गए, गजससे भ्रिाचार और ऄक्षमता का एक बड़ा स्रोत समाहै हो गया था। 2001 में, भारत ने
ऄंततः तीन वषथ की ऄवगध के दौरान ईपभोक्ता वस्तुओं और कृ गष ईत्पादों पर से मात्रात्मक
प्रगतबंध हटा ददए।
1997 में 25 प्रगतशत की तीव्र गगरावट के बाद, 2000-01 में अयात-भाररत अयात शुल्क बढते
हुए 36 प्रगतशत तक पहुंच गया। यह गस्थगत सुस्थागपत भारतीय ईद्योग से संरक्षणवादी दबाव के
पुन:प्रवतथन को दशाथती है। आसके बाद आस प्रवृगत्त का ईत्िमण (reversal) हुअ और सरकार ने पूवथ
संसाधन की कमी को कम करने में सहायता करने के गलए FDI गनयमों को ईदार बनाया गया।
आसके तहत कइ ईद्योगों को गनयंत्रण मुक्त कर प्रत्यक्ष गवदेशी गनवेश (FDI) के गलए खोल ददया
गया तथा ऄ्य ईद्योगों के गलए, गवदेशी गनवेश हेतु अवेदन पत्र में तीव्रता लाने के गलए गवदेशी
गनवेश संवधथन बोडथ की स्थापना की गइ थी। आसके ऄलावा, गवदेशी संस्थागत गनवेशकों (FII) द्वारा
आदिटी में गनवेश हेतु भारतीय शेयर बाजार खोल ददया गया है। आन नीगतगत पररवतथनों से 1990
में नगण्य रहे FDI प्रवाह में तेजी से बढोतरी हुइ है।
अधारभूत संरचनाओं के ईन्नयन हेतु भारी गनवेश अवय यकताओं को पूरा करने के गलए गवद्युत,
दूरसंचार, सड़कों, रे लवे, पत्तनों और हवाइ ऄड्डों जैसे क्षेत्रों में गनजी गनवेश को अकतितषत करना
सुधारों की एक बड़ी चुनौती थी। आन क्षेत्रों को बाद के वषों में ऄलग-ऄलग समय पर, सफलता के
दूरसंचार क्षेत्र में सुधार सबसे सफल रहा, क्योंदक दूरसंचार सेवाओं का मूल्य (गवद्युत शगक्त के
गवपरीत) खचीला या ऄलाभकर नहीं था। दूरसंचार सेवाओं तक पहुंच बढी है, लागत कम हो गइ
है और गुणवत्ता में सुधार हुअ है, क्योंदक गनजी क्षेत्र के कु छ सशक्त दूरसंचार सेवा प्रदाता
सावथजगनक क्षेत्र की कं पगनयों के साथ प्रभावी ढंग से प्रगतस्पधाथ कर रहे हैं। बंदरगाहों और हवाइ
ऄड्डों के गवकास हेतु भी गनजी गनवेश को अकतितषत दकया गया है। ऄगधकांश देशों के समान भारत
में भी सड़क गनमाथण के क्षेत्र में नए गनवेश मुख्य ूपप से सावथजगनक क्षेत्र में दकए गए हैं लेदकन आसमें
गनजी क्षेत्र की भी कु छ भागीदारी है। गनजी गनवेश की आस भागीदारी में भगवष्य में वृगि हो सकती
है।
गवद्युत क्षेत्र में, ईत्पादन क्षमता में वृगि हेतु भारी गनवेश को अकतितषत करने की ऄपेक्षाएं गवतरण
गनधाथरण प्रदिया को राजनीगत से दूर रखने के प्रयास दकए गए हैं। 2003 के गवद्युत ऄगधगनयम के
तहत गवद्युत क्षेत्र के गवगनयमन हेतु एक व्यापक कानूनी ढांचे का प्रावधान दकया गया है तथा राज्य
सरकारों को ऄगधक प्रगतस्पधाथ को बढावा देने, गनजी क्षेत्र की बढती भागीदारी और बेहतर
प्रशासन के माध्यम से गवद्युत क्षेत्र में सुधारों में तेजी लाने के गलए प्रभावी ढंग से शगक्तयां प्रदान की
गइ हैं।
सावथजगनक क्षेत्र में व्याहै ऄनेक खागमयों के कारण प्रायः आसके कामकाज पर प्रश्न ईठते रहे हैं। प्रायः
यह तकथ ददया जाता है दक सावथजगनक क्षेत्रक के वल तभी तक सुचाूप ढंग से काम करता है, जब ईसे
राजकीय ईपायों द्वारा सरं गक्षत दकया जाता है। एक तकथ यह भी ददया जाता है दक सावथजगनक क्षेत्र
ने बहुत ऄगधक क्षेत्रों में प्रवेश कर गलया है और आसगलए गनजी कम्पगनयों को प्रवेश दे कर
सावथजगनक क्षेत्रक को आन क्षेत्रों से बाहर गनकल जाना चागहए। ऄतः आस प्रकार कु छ सावथजगनक
ईपिमों के गनजीकरण का समथथन दकया गया और गवगनवेश ही ऐसी प्रदिया थी गजसके माध्यम से
गनजीकरण हो सकता था।
गवगनवेश के गलए ददए गये गवगभन्न कारण आस प्रकार थे:
o यह गैर-रणनीगतक सावथजगनक ईपिमों में ऄत्यगधक मात्रा में पररगनयोगजत सावथजगनक संसाधनों
को मुक्त करे गा। आन संसाधनों को स्वास््य, गशक्षा अदद जैसे सामागजक प्राथगमकता वाले क्षेत्रों में
गवपररगनयोगजत (रीगडप्लायमेंट) दकया जा सकता है।
o सावथजगनक ऊण में कमी।
o व्यावसागयक जोगखम को गनजी क्षेत्र में स्थानांतररत करना जो आसे साझा करने के गलए आछछु क है।
o ई्च प्राथगमकता वाले सामागजक क्षेत्रों में पुनतितनमाथण के गलए जन-संसाधनों एवं ऄ्य ऄमूतथ
संसाधनों को ईपलसध कराना।
o कु छ सावथजगनक ईपिमों में स्वागमत्व या प्रब्धन का भाग बनने के गलए जनता को सक्षम बनाना।
पर्तु अलोचकों ने ईस गवगध पर प्रश्न ईठाये गजसके द्वारा गवगनवेश दकया गया था। गनजी
क्षेत्रकों ने के वल लाभ ऄतितजत करने वाले सावथजगनक ईपिमों के गवगनवेश में ही भाग गलया
था। ई्होंने घाटे में चल रहे सावथजगनक ईपिमों की पूणथतः ईपेक्षा की। आस प्रकार गनजी क्षेत्र
के साथ जोगखम में भागीदारी के ईद्देय य की ही ऄवहेलना कर दी गयी।
अलोचकों ने लाभ ऄतितजत करने वाले सावथजगनक ईपिमों के गवगनवेश की भी अलोचना की।
पर्तु, सरकार ने राजकोषीय घाटे को कम करने के ईपाय के ूपप में गवगनवेश का ईपयोग
दकया। दूसरे शसदों में, यह कहा जा सकता है दक देश की सरकार ने अतितथक प्रब्धन में ऄपनी
ऄक्षमता को ढंकने के गलए एक लाभ कमाने वाली और राजस्व ईत्पन्न करने वाली आकाइ को
गंवा ददया।
गवगनवेश से अय
गवगनवेश से प्राहै अय को 2005 में स्थागपत दकये गए राष्ट्रीय गनवेश कोष (NIF) में जमा दकया
जाता है। आस कोष का ईद्देय य के ्र सीय सावथजगनक क्षेत्र के ईद्यमों के गवगनवेश से अय प्राहै करना
और कोष में कमी दकये गबना अय ईत्पन्न करने के गलए ईसका गनवेश करना था। कोष से प्राहै अय
को चयगनत के ्र सीय सामागजक कल्याण योजनाओं के गलए ईपयोग दकया जाना था। यह कोष
भारत की समेदकत गनगध से बाहर रखा गया था।
NIF का 2013 में पुनगथठन दकया गया और यह गनणथय गलया गया दक सम्पूणथ गवगनवेश अय को
वतथमान ‘सावथजगनक खाते’ में NIF शीषथ के ऄंतगथत जमा दकया जायेगा और तब तक वह रागश वही ि
रहेगी जब तक दकसी स्वीकृ त प्रयोजन के गलए ईसे गनकाला या गनवेश नहीं दकया जाता। NIF के
अवंटन का गनणथय सरकार के वातितषक बजट में होगा।
NIF से प्राहै अय को गनम्नगलगखत प्रयोजनों के गलए ईपयोग दकया जायेगा:
o PSBs और सावथजगनक क्षेत्र की बीमा कम्पगनयों सगहत CPSE द्वारा जारी दकये गये शेयरों को
राआट्स बेगसस (rights basis) पर िय करने के गलए, तादक ईन CPSEs/PSBs/बीमा
कम्पगनयों में सरकार की भागीदारी 51% से कम न हो ।
प्रवतथकों को CPSEs के शेयरों का अवंटन, तादक ईन सभी मामलों में जहाि CPSE कै पेक्स
(Capex) कायथिम के गलए नए गसरे से आदिटी जुटाने जा रही हो वहाि सरकार की ऄंशधाररता
51% से कम न हो जाये ।
गवगनवेश गवभाग को 1999 में एक पृथक गवभाग के ूपप में स्थागपत दकया गया था और 2004 से
आसे गवत्त मंत्रालय के ऄंतगथत एक गवभाग बना ददया गया। 2016-2017 के बजट में गवगनवेश
गवभाग का नाम बदलकर गनवेश और सावथजगनक पररसम्पगत्त प्रब्धन (DIPAM) कर ददया गया
o रणनीगतक गवगनवेश सगहत गवगनवेश के गलए प्रशासगनक मंत्रालयों, नीगत अयोग अदद की
गसफाररशों पर गनणथय।
o आदिटी में सरकारी गनवेश के प्रयोजन के गलए कें र सीय सावथजगनक ईपिमों में गलए जाने वाले
गनणथयों से सम्बंगधत मामले जैसे - पूिजी पुनगथठन, बोनस, लाभांश, सरकारी आदिटी का
o हालािदक, जनवरी 2017 में गवगनवेश की प्रदिया को सुचाूप बनाने के गलए सरकार ने गवगनवेश से प्राहै
प्रब्धन (DIPAM) से अतितथक मामलों के गवभाग को स्थानांतररत कर दी है। गवत्त मंत्रालय में अतितथक
मामलों के गवभाग को ऄब “राष्ट्रीय गनवेश कोष में अय के प्रवाह को गनयोगजत करने से सम्बग्धत
ई्च तर रैं िंकग, व्यवसायों के गलए बेहतर, प्राय: सरल गनयम और सम्पगत्त के ऄगधकारों के गलए
ऄत्यगधक संरक्षण की ओर संकेत करती है।
2018 में भारत की गस्थगत में 30 ऄंकों की वृगि हुइ। यह 2016 में 131 तथा 2017 में 130 वें
स्थान पर था।
यह पररयोजना भारत सरकार की राष्ट्रीय इ -शासन योजना (NEGP) के ऄंतगथत एकीकृ त सेवाओं
की पररयोजनाओं में से एक है। यह 27 गमशन मोड पररयोजनाओं (MMP) का एक भाग है।
इ-गबज़ का ईद्देय य ऑनलाआन पोटथल के माध्यम से गवनथमेंट टू गबज़नेस (G2B) सेवाओं तक तेज़ी से
और कु शल पहुंच को सुगनगचत कर देश में व्यावसागयक पररवेश में सुधार करना है। आससे व्यवसाय
को प्रारम्भ करने और चलाने के गलए अवय यक गवगभन्न गनयामक प्रदियाओं में होने वाली
ऄनावय यक देरी को कम करने में सहायता प्राहै होगी।
आस पररयोजना का लष्य है दक सभी गवगनयामक सूचनाओं जैसे- एक व्यवसाय की स्थापना, ईसके
पररचालन से लेकर ईसके सम्भागवत ूपप से बंद होने तक से जुड़ी सूचनाएं आत्यादद को सम्बि
गवगभन्न गहतधारकों के गलए सरलता से ईपलसध कराते हुए भारत में एक गनवेशक ऄनुकूल पररवेश
तैयार करना है। वास्तव में, आसका ईद्देय य एक पारदशी, कु शल और सुगवधाजनक आं टरफे स
गवकगसत करना है, गजसके माध्यम से सरकार और व्यवसाय भगवष्य में समय-समय पर और
लागत प्रभावी ढंग से ऄंतर्दिया कर सकते हैं।
इ-गबज़ पोटथल की ऄवधारणा नेशनल आं स्टीट्यूट ऑफ़ स्माटथ गवने्स (NISG) की सहायता से
गवकगसत की गइ थी तथा आस पोटथल को आं फोगसस टेक्नोलॉजी गलगमटेड (आ्फ़ोगसस) द्वारा 10 वषथ
की ऄवगध के गलए सावथजगनक-गनजी भागीदारी (PPP) मॉडल में गवकगसत दकया गया था।
भारत को गवगनमाथण, गडज़ाआन और नवो्मेष का वैगिक कें र स बनाने के ईद्देय य से, भारत सरकार
द्वारा मेक आन आं गडया पहल अरम्भ की गइ है। यह चार स्तम्भों पर अधाररत है– नइ प्रदियाएं,
नइ ऄवसंरचनाएं, नए क्षेत्रक और नइ मानगसकता। यह पहल, न के वल गवगनमाथण में बगल्क
सम्बग्धत ऄवसंरचना और सेवा क्षेत्रों में ईद्यगमता को बढावा देने के गलए भी है।
औगचत्य
ऄपयाथहै भौगतक ऄवसरं चना, जरटल गवगनयामक पररवेश और कु शल श्रम शगक्त की ऄपयाथहै
ईपलसधता के कारण भारतीय गवगनमाथण ईद्योग सीगमत हो गया था।
1980 के दशक से भारत के सकल घरे लू ईत्पाद में गवगनमाथण का भाग 15-16% पर गस्थर रहा है।
लोगों के त्वररत गवकास के गलए गवगनमाथण क्षेत्र की भागीदारी में वृगि करने हेतु दक्षता को बढाये
जाने एवं ईत्पादकता में संवधथन की अवय यकता है।
गवगनमाथण क्षेत्रक का ऄ्य क्षेत्रों में नौकररयों के सृजन पर भी गुणक प्रभाव होगा।
ऄ्य एगशयाइ देशों में GDP में गवगनमाथण क्षेत्रक का भाग लगभग 25 से 34% है। ऄतः यह स्पि
है दक देश में वैिीकरण द्वारा ईपलसध कराए गये ऄवसरों का लाभ ईठाने के गलए अवय यक क्षमता
का गवकास नहीं हुअ है ।
भारत की जनसिख्या में 60% लोग 15-59 वषथ अयु वगथ में अते हैं। यह ऄनुकूल जनसांगख्यकीय
लाभांश है। ऄतः ऐसे में गवगभन्न कौशल वाले लोगों के आस वगथ को लाभकारी रोजगार के ऄवसर
प्रदान कराना अवय यक हो जाता है।
भारत में ऄनेक प्राकृ गतक एवं कृ गष संसाधन हैं, दक्तु मूल्य विथन की मात्रा ऄत्यगधक कम है।
गवगनमाथण क्षेत्रक में वृगि मूल्य वृगि की आस समस्या को सम्बोगधत करे गी और पूज ि ी ईपकरणों के
अयात पर हमारी गनभथरता को कम करे गी।
रक्षा और दूरसंचार जैसे ऄथथव्यवस्था के रणनीगतक क्षेत्रों में प्रगतस्पधाथ के पररप्रेष्य में यह अवय यक
हो जाता है दक गवगनमाथण के क्षेत्र में और ऄगधक गहनता लायी जाए।
नीगत की गवशेषताएं
आसका ईद्देय य मध्यम ऄवगध में गवगनमाथण क्षेत्रक की वृगि को 12-14% तक बढा कर आसे
ऄथथव्यवस्था के गवकास का आंजन बनाना है। साथ ही वषथ 2022 तक गवगनमाथण क्षेत्रक को राष्ट्रीय
सकल घरे लू ईत्पाद में कम से कम 25% का योगदान करने में सक्षम बनाना है।
2022 तक 100 गमगलयन ऄगतररक्त रोजगार सृगजत करने के गलए गवगनमाथण क्षेत्रक में रोजगार
सृजन की दर में वृगि।
MSME क्षेत्र के महत्त्व को समझते हुए, सरकार ने कइ कायथिम प्रारम्भ दकये है, जैसे प्रधानम्त्री
रोजगार सृजन कायथिम (PMEGP), िे गडट गारं टी ट्रस्ट फं ड फॉर माआिो एंड स्माल आं टरप्राआजेज
(CGTMSE), प्रोद्योगगकी ईन्नयन हेतु िे गडट बलक्ड कै गपटल सगससडी स्कीम (CLCSS), स्कीम ऑफ़
फण्ड फॉर ररजनरे शन ऑफ़ ट्रेगडशनल आं डस्ट्रीज (SFURTI), माआिो एंड स्माल आं टरप्राआजेज क्लस्टर
डेवलपमेंट प्रोग्राम (MSECDP)। सरकार द्वारा MSMEs के प्रोत्साहन और गवकास के गलए की गयी
कु छ पहलें आस प्रकार हैं:
ईद्योग अधार मेमोरं डम (UAM): UAM योजना (2015) MSMEs की व्यवसागयक सुगमता के
गलए एक ऄग्रणी योजना है। आस योजना के ऄंतगथत MSME ईद्यगमयों को के वल एक यूगनक ईद्योग
MSME ईद्यमों के गलए क्षेत्रीय या गजला स्तर पर सुधारात्मक कायथयोजना (CAP) तैयार करने
हेतु सगमगत का गठन करना होगा।
नवाचार और ग्रामीण ईद्यगमयों को बढावा देने की योजना (ASPIRE): ईद्यगमता में तेजी लाने
एवं ग्रामीण और कृ गष ईद्योग में नवाचार और ईद्यगमता के प्रारम्भ को बढावा देने के गलए
प्रौद्योगगकी के ्र सों और ईष्मायन के ्र सों (आ्क्यूबेशन सेंटर) के नेटवकथ स्थागपत करने के ईद्देय य से
ASPIRE प्रारम्भ दकया गया था।
भारत अकांक्षा कोष की स्थापना भारत के लघु ईद्योग गवकास बैंक (SIDBI) के ऄंतगथत MSME
क्षेत्र में स्थागपत नए और गवस्ताररत होने वाले ईद्यमों को पूज
ि ी ईपलसध कराने के ईद्देय य से की
गयी थी।
गसडबी मेक-आन-आगण्डया लोन फॉर स्माल आं टरप्राआजेज (SMILE): SMILE को भारतीय SMEs
को कम कठोर गनयमों और गवगनयमों के साथ ऄधथ -आदिटी और शतथ-अधाररत ऄल्पावगधक ऊण
प्रदान करने के गलए तथा आसके साथ ही मेक आन आगण्डया के 25 महत्त्वपूणथ क्षेत्रों पर गवशेष ध्यान
देने के गलए प्रारम्भ दकया गया था।
माइिो यूगनट्स डेवलपमेंट री-फाइनेंस एजेंसी (MUDRA) बैंक की स्थापना सूष्म आकाइयों को
ददए गये ऊणों के गलए वागणज्यक बैंकों/NBFCs/सहकारी बैंकों को गवकास और पुनतितवत्त प्रदान
करने के ईद्देय य से की गयी थी। MUDRA बैंक गवत्तीय साक्षरता प्रदान करने एवं कौशल-ऄंतरालों
तथा सूचना-ऄंतरालों को समाहै करने के गलए िे गडट प्लस दृगिकोण का पालन करें गे।
स्टाटथ ऄप आगण्डया ऄगभयान ईद्यगमता को प्रोत्सागहत करने और रोजगार सृजन के साथ स्टाटथ-ऄप
(प्रारगम्भक) ईद्यमों के गलए बैंक गवत्त पोषण को बढावा देने के ईद्देय य से गनतितमत कायथ योजना पर
अधाररत है, गजसमें MSME क्षेत्र पर गवशेष ध्यान ददया जायेगा।
भारतीय ऄथथव्यवस्था
11. भारत में भूमम सुधार
6.1. भूमम ऄमधग्रहण में ईमचत मुअवजा एवं पारदर्शशता का ऄमधकार, पुनवाथस और पुनस्थाथपन ऄमधमनयम, 2013 __________ 11
6.2. भूमम ऄमधग्रहण में ईमचत मुअवजा एवं पारदर्शशता का ऄमधकार, पुनवाथस और पुनस्थाथपन ऄमधमनयम (संशोधन) ऄध्यादेश,
2015 ____________________________________________________________________________________ 11
6.3. भूमम ऄमधग्रहण में ईमचत मुअवजा एवं पारदर्शशता का ऄमधकार, पुनवाथस और पुनस्थाथपन (संशोधन) मवधेयक, 2015_____ 11
10.2. भूमम पट्टाकरण (Land Leasing): राज्यों के मिए फायदे का सुधार _____________________________________ 18
1. पररचय
ग्रामीण भारत में सत्ता और प्रामधकार का मूि भूमम है। भूमम, सत्ता और िोगों के मध्य संबंध सदैव
पररवतथनशीि रहा है। ग्रामीण कु िीन और कृ मष शमि संरचना कें द्रों के बीच बदिते सम्बन्ध भूमम
से संबंमधत मुद्दों के ही आदथ-मगदथ घूमते है। भूमम, मनुष्य के ऄमस्तत्व या ईसकी अजीमवका के
प्राथममक स्त्रोतों में से एक है क्योंकक भूमम ही मनुष्य की भोजन, वस्त्र एवं अश्रय आत्याकद
अधारभूत अवश्यकताओं की पूर्शत करती है। भूमम का मूल्य मनरं तर बढ़ता रहता है। भूमम में
ऄन्तर्शनमहत ईपयोमगताओं के कारण ऄथथशास्त्री आसे एक मवशेष प्रकार की संपमत्त के रूप में देखते
हैं।
सीममत ऄथों में, भूमम सुधार का ऄथथ कृ मष जोतों पर ऄमधकतम सीमा (सीलिग) के ऄमधरोपण के
कारण प्राप्त की गयी ऄमधशेष भूमम को छोटे ककसानों और भूममहीन काश्तकारों में मवतररत करना
है। जबकक व्यापक ऄथों में, आसमें स्वाममत्व, संचािन, पट्टा, मबक्री और भूमम के ईत्तरामधकार का
मवमनयमन समम्ममित है (वास्तव में भूमम के पुनर्शवतरण के मिए भी मवमधक पररवतथनों की
अवश्यकता है)।
भूमम सुधार, मवशेष रूप से सामंती और ऄर्द्थ सामंती ईत्पादन संबंधों पर अधाररत ऄथथव्यवस्था में
सामामजक पररवतथन के प्रमुख साधन रहे है। भूमम सुधार कायथक्रम का मुख्य ईद्देश्य न के वि कृ मष
ईत्पादन में वृमर्द् करना है बमल्क भारत के संमवधान के ऄंतगथत ऄपेमित समतावादी सामामजक
व्यवस्था का मनमाथण करना भी है। आस प्रकार, भूमम एवं भूमम सुधार से सम्बंमधत मुद्दे देश के
राजनीमतक एवं अर्शथक एजेंडे के मुख्य लबदु हैं। यह सुधार भारत को वैमिक बाजार में प्रमतस्पधाथ
करने में सिम बनाने हेतु संवृमर्द् के मिए सुदढ़ृ अधार भी प्रदान करता है। भूमम सुधार नीमत मूि
रूप से राजनीमतक अर्शथक मुद्दा है और ऄमधकतर मामिों में यह जन अंदोिन का पररणाम है।
2. ऐमतहामसक पृ ष्ठ भू मम
प्राचीन ऊग्वेद संमहता से ज्ञात होता है कक भारतीय-अयों में कृ मष योग्य भूमम मनजी स्वाममत्व या
पररवार के स्वाममत्व में रहती थी। सामुदामयक स्वाममत्व के वि चारागाहों तक सीममत था। भूमम
के मनजी स्वाममत्व को पूणथ रूप से मान्यता प्राप्त थी। भूमम ईस व्यमि की होती थी जो वनों को
साफ करता था और भूमम को कृ मष योग्य बनाता था। ईस व्यमि के पास ईस भूमम को बेचने, ककसी
को देन,े ईसे वसीयत के रूप में मिखने या ऄपने व्यमिगत मववेक के अधार पर हस्तांतररत करने
का ऄमधकार था।
स्वाममत्वामधकारों एवं सीममत ऄचि संपमत्त ऄमधकारों (रे मस्िक्टेड ररयि एस्टेट राआट्स) के मध्य
स्पष्ट ऄंतर था। प्राचीन एवं मध्य काि के दौरान, भारत में भूमम बंदोबस्त की प्रधान आकाइ गांव
थी। भूमम को कभी भी राजा या सुल्तान की संपमत्त नहीं माना जाता था। यह गांव की संपमत्त होती
थी। राजा का ऄमधकार के वि ईसके द्वारा प्रदत्त संरिण के बदिे ईपभोग में एक ऄंश प्रा्त करने
तक सीममत था। चूंकक भू-राजस्व, राज्य के राजस्व का प्रमुख स्रोत था, आसमिए गांव संग्रहण एवं
राजस्व अकिन की एक आकाइ बन गए।
स्वतंत्रता के समय देश में तीन प्रकार की भूराजस्व प्रणामियां प्रचमित थीं- जमींदारी व्यवस्था,
महािवाडी व्यवस्था और रै यतवाडी व्यवस्था। आन प्रणामियों में अधारभूत ऄंतर भू-राजस्व के
भुगतान की मवमध के स्तर पर था। जमींदारी व्यवस्था में जमींदार द्वारा ककसानों से भू-राजस्व
एकमत्रत ककया जाता था। महािवाडी व्यवस्था में सम्पूणथ गांव की ओर से गांव के मुमखया द्वारा
जबकक रै यतवाडी व्यवस्था में ककसानों द्वारा सीधे राज्य को भू-राजस्व का भुगतान ककया जाता
था।
सामंती कृ मष संरचना, शोषण, मनम्न कृ मष ईत्पादकता, खाद्यान्नों ों की कमी एवं ऄसंतमु ित फसि
प्रमतरूप। यह व्यवस्थाएं शोषण पर अधाररत थीं मजनमें ऄंतर के वि शोषण की मात्रा का था।
जमींदारी व्यवस्था से रै यतवाडी व्यवस्था की ओर जाने पर क्रममक रूप से शोषण का स्तर कम
होता जाता था। ऄनुपमस्थत ज़मींदारों समहत बडे भूधारकों के एक छोटे से समूह का ही भूमम पर
ऄमधकार था। ककसानों की बहुसंख्यक अबादी का या तो भूमम पर कोइ ऄमधकार नहीं था या
काश्तकारों ऄथवा ईप-काश्तकारों के रूप में ईनके पास ऄत्यंत सीममत ऄमधकार थे। मनधथन िोग
बहुधा मनवाथह के मिए भूमम को पट्टे पर मिया करते थे। यकद काश्तकार ईन्नों त बीजों, खाद या
ऄमतररि श्रममकों का ईपयोग करते थे तो बढ़ी हुइ ईपज के अधे भाग को ईन्हें भू-स्वाममयों के
साथ साझा करना पडता था। स्वतंत्रता के पूवथ भी आस बात को व्यापक स्तर पर माना गया था कक
ऄथथव्यवस्था में मस्थरता एवं सामामजक ऄन्याय का मुख्य कारण कृ मष िेत्रक में गमतशीिता का
ऄभाव था और आसके मिए काफी हद तक शोषक प्रकृ मत के कृ मष संबंधों को मजम्मेदार ठहराया जा
सकता है। जब भारत स्वतंत्र हुअ तो नीमत मनमाथताओं को काश्तकारों द्वारा कृ मष व्यवस्था में
अमूि पररवतथन करने की अवश्यकता महसूस हुइ क्योंकक यह ऄत्यमधक शोषणकारी थी।
रूप से भूममहीनों, काश्तकारों और छोटे ककसानों के िाभ के मिए भूमम के पुनर्शवतरण की सरकारी
नीमत को दशाथता है। आसका िक्ष्य सम्पमत्त में मवस्तार के साथ-साथ अय एवं ईत्पादन िमता में
वृमर्द् करना है। भारत में भूमम का ऄभाव है, साथ ही स्वाममत्व का मवतरण भी ऄसमान है। भारत
में कृ मष छोटे ककसानों पर मनभथर है आसमिए भूमम सुधारों का महत्व न के वि सामामजक न्याय,
समान मवतरण ऄमपतु ईत्पादन और कृ मष व्यापार के पररप्रेक्ष्य में भी ऄमधकामधक बढ़ जाता है।
ऄतः आसमें कोइ अश्चयथ नहीं है कक स्वतंत्रता के समय भूमम सुधार के मुद्दे ने नीमतगत एजेंडे में
सवोच्च प्राथममकता प्राप्त की थी।
आसके ऄमतररि भूमम सुधार नीमत के अर्शथक, सामामजक और राजनीमतक अयाम भी हैं। भूमम
सुधार के अर्शथक अयाम में एक छोटे समूह द्वारा भूमम का स्वाममत्व धारण करना समम्ममित है।
आस समूह के सदस्य वास्तव में कृ मष तो नहीं करते थे परन्तु वास्तमवक खेमतहरों यथा काश्तकार
और कृ मष श्रममकों का शोषण करते थे। दूसरी ओर प्रमतफिों या िाभों के ऄपयाथप्त होने के कारण
एवं ऄमधशेष की ऄनुपिब्धता के कारण काश्तकार भूमम संबंधी सुधार नहीं कर सके । जमीदारों को
ऄपनी भूमम में कोइ व्यमिगत रुमच नहीं थी और आस कारण वे भी भूमम सुधारों पर मनवेश करने के
आच्छु क नहीं थे। आसके पररणामस्वरूप भूमम की ईत्पादकता में मनरं तर कमी अती गइ। कायथ-कारण
की ईपयुथि श्रृंखिा ऄल्पमवकमसत कृ मष की मस्थमत की व्याख्या करने के मिए पयाथप्त हैं।
जहां तक सामामजक अयामों का संबंध है, भूमम ऄमधकार पारं पररक रूप से ईच्च जामतयों के पास
ही थे और मनम्न जामतयां ऄमधकांशतः काश्तकार या कृ मष श्रममक थीं। अज भी भारत में बडी मात्रा
में भूमम का स्वाममत्व ईच्च जामतयों के पास ही है और काश्तकारों/कृ मष श्रममकों के रूप में ऄमधकतर
मनम्न जामत के िोग ही कायथ कर रहे हैं। आस सामामजक अयाम ने सामामजक ऄसमानता को
यथावत बनाए रखा। आस प्रकार, अर्शथक अयाम के तहत ईत्पन्नों अर्शथक ऄसमानता, कृ मष संबंधों
में मवद्यमान आस सामामजक ऄसमानता के कारण सुदढ़ृ हुइ।
देश में भूमम सुधारों के कक्रयान्वयन की अवश्यकता को मान्यता प्रदान करते हुए भारत का
संमवधान ऄनुच्छेद 39 के ऄंतगथत मनम्नमिमखत प्रावधान करता है:
o देश के महत्वपूणथ संसाधनों के स्वाममत्व एवं मनयंत्रण को आस प्रकार मवतररत ककया जाना
चामहए कक सावथजमनक महत को सवोत्तम रूप में साधा जा सके ; और
o अर्शथक प्रणािी का संचािन आस प्रकार नहीं होना चामहए कक संपमत्त या ईत्पादन के साधनों
का सावथजमनक रूप से ऄमहतकारी संकेन्द्रण हो जाए।
हािांकक, भारतीय संमवधान के ऄंतगथत भूमम सुधार संबमं धत राज्यों की मजम्मेदारी है, यद्यमप
संघीय सरकार आस सम्बन्ध में व्यापक नीमतगत कदशा-मनदेश जारी करती है ककन्तु भूमम सुधार
कानून की प्रकृ मत, राजनीमतक आच्छाशमि का स्तर एवं भूमम सुधार के मिए संस्थागत समथथन तथा
भूमम सुधारों को कायाथमन्वत करने में सफिता की कोरट ऄिग-ऄिग राज्यों में ऄिग-ऄिग रही है
क्योंकक ऄमधकतर राज्यों में यह एजेंडा पूणत
थ या िागू नहीं ककया गया है।
मबचौमियों का ईन्मूिन, काश्तकारी सुधार एवं भूमम की ऄमधकतम सीमा (िैंड सीलिग) अरोमपत
कर भूमम का पुनर्शवतरण। मबचौमियों का ईन्मूिन सफि रहा ककन्तु काश्तकारी सुधार एवं
ऄमधकतम सीमा अरोमपत करने जैसे कदमों को कम सफिता प्राप्त हुइ।
2. दूसरे चरण (1972 - 85) में ऄन्य बातों से ध्यान हटा कर गैर-कृ मष भूमम को कृ मष योग्य भूमम के
ऄंतगथत िाने पर ध्यान कें कद्रत ककया गया।
3. तीसरे चरण (1985 - 95) में जि ग्रहण (संभर) िेत्र का मवकास, सूखा प्रवण िेत्र का मवकास
(DPAP) एवं मरुस्थिीय िेत्र मवकास कायथक्रमों (DADP) के माध्यम से जि एवं मृदा संरिण पर
ऄमधकामधक ध्यान कदया गया। बंजर भूमम एवं बेकार हो चुकी भूमम पर ध्यान कें कद्रत करने के मिए
कें द्र सरकार द्वारा बंजर भूमम मवकास एजेंसी की स्थापना की गइ थी। आस चरण की कु छ नीमतयां
आस चरण की ऄवमध के समाप्त होने के बाद भी जारी रहीं।
4. नीमत का चौथा और वतथमान चरण (1995 से ऄब तक जारी), भूमम सम्बन्धी मवधायन जारी रखने
तथा भूमम राजस्व प्रशासन एवं मवशेष रूप से भूमम ऄमभिेखों में ऄमधक स्पष्टता िाने के प्रयासों
की अवश्यकता के सम्बन्ध में होने वािी चचाथओं एवं वाद-मववाद पर के मन्द्रत है।
भूमम सम्बन्धी नीमत सभी पंचवषीय योजनाओं में समामवष्ट महत्वपूणथ ऄवयवों में से एक रही है।
योजना दस्तावेजों में नीमत ऄमभकथन कहीं-कहीं ऄत्यमधक स्पष्ट रूप से व्यि ककये गए हैं, ककन्तु
ऄमधकतर स्थानों पर आनकी ऄमभव्यमि काफी ऄस्पष्ट है। भूमम सम्बन्धी नीमत में मवमभन्न योजना
दस्तावेज़ों के माध्यम से दशाथए गए पररवतथनों का ऄविोकन मनम्नानुसार है:
योजना ऄवमध के माध्यम से भू-नीमत मनमाथण
योजना ऄवमध प्रमुख मुद्दा नीमतगत बि
पहिी योजना कृ मष के ऄंतगथत अने वािे िेत्र में परती भूमम को कृ मष ऄंतगथत िाने के मिए
1951 – 56 वृमर्द् की जाए। गांव की भूमम सुधार एवं भूमम ईपयोग दिता में वृमर्द्।
सावथजमनक भूमम की देखभाि काश्तकारों को भूमम पर खेती करने का
करने के मिए सामुदामयक मवकास ऄमधकार कदया जाना। मबचौमियों का
(CD) नेटवकथ । मवशाि अकार की ईन्मूिन।
ईन्मूिन, संघषथ प्रबंधन और समता, संधारणीय अर्शथक मवकास, पयाथवरणीय प्रभाव एवं ईत्पादन
दिता अकद मवमभन्नों मापदंडों पर ईनके प्रभाव के अधार पर ककया जा सकता है। समग्र रूप से
कृ मष मस्थमत एवं नीमत कायाथन्वयन की सीमा के अधार पर राज्यों में भू-नीमत हस्तिेपों के मवमभन्नों
प्रकार के प्रभाव देखे गए हैं।
भूमम सुधार (LR) मवभाग दो कें द्र प्रायोमजत योजनाओं - भूमम ऄमभिेखों का कं ्यूटरीकरण
(Computerisation of Land Records; CLR) तथा राजस्व प्रशासन का सुदढ़ृ ीकरण एवं भूमम
Land Records; SRA&ULR) को कायाथमन्वत कर रहा था। बाद में वषथ 2008 में मंमत्रमंडि ने
संशोमधत योजना मडमजटि आं मडया िैंड ररकॉडथ मॉडनाथआजेशन प्रोग्राम (DILRMP) या रा्ीय भूमम
DILRMP के मुख्य ईद्देश्य ऄद्यतन ककए गए भू-ऄमभिेखों की प्रणािी, स्वचामित एवं स्वत:
नामांतरण, पाठ संबंधी (textual) तथा स्थानीय ऄमभिेखों के मध्य एकीकरण, राजस्व और पंजीकरण
के मध्य परस्पर सम्बन्ध, वतथमान मविेखों का पंजीकरण करना तथा वतथमान में प्रचमित ऄनुमामनत
स्वाममत्वामधकार के स्थान पर मनमश्चत स्वाममत्वामधकार यवस्था की प्रणािी अरं भ करना है।
DILRMP के तीन मुख्य ऄवयव हैं:
भूमम ऄमभिेख का कं ्यूटरीकरण
सवेिण /पुन: सवेिण
पंजीकरण का कं ्यूटरीकरण
मजिे को कायाथन्वयन की आकाइ के रूप में माना गया है, जहााँ सभी कायथक्रम गमतमवमधयों को संकेंकद्रत
करना है। यह अशा की गइ थी कक 12वीं योजना की समामप्त तक देश के सभी मजिों को आसमें समामवष्ट
कर मिया जाएगा। के वि ऐसे मजिे शेष रह जाएंगे जहां पहिी बार भूमम कर सवेिण ककए जा रहे हैं।
था। यद्यमप 1894 के ऄमधमनयम में भू-स्वाममयों के मिए िमतपूर्शत का प्रावधान था ककन्तु यह
मवस्थामपत पररवारों के मिए पुनवाथस एवं पुनस्थाथपना का प्रावधान नहीं करता था। भूमम
ऄमधग्रहण की प्रकक्रया को मवमनयममत करने हेतु नए कानून की अवश्यकता को ईमचत ठहराने के
मिए सरकार द्वारा कु छ कारण कदए गए थे। आसके ऄमतररि सवोच्च न्यायािय ने भी 1894 के
ऄमधमनयम में समामवष्ट ईमचत मुअवज़े के मनधाथरण संबंधी मुद्दों एवं सावथजमनक प्रयोजन का ऄथथ
स्पष्ट करने की अवश्यकता की ओर संकेत ककया था। आसमिए संसद द्वारा वषथ 2013 में भूमम
ऄमधग्रहण में ईमचत मुअवज़े एवं पारदर्शशता का ऄमधकार, पुनवाथस और पुनस्थाथपन ऄमधमनयम,
यह ऄमधमनयम भूमम ऄमधग्रहण एवं साथ ही पुनवाथस तथा पुनस्थाथपन का प्रावधान करता है। आस
ऄमधमनयम ने भूमम ऄमधग्रहण ऄमधमनयम 1894 को प्रमतस्थामपत ककया है ।
भूमम ऄमधग्रहण की प्रकक्रया, सामामजक प्रभाव अकिन सवेिण, ऄमधग्रहण का अशय स्पष्ट करते
हुए प्रारं मभक ऄमधसूचना व्यि करने, ऄमधग्रहण की घोषणा एवं मनमश्चत समय तक मुअवज़ा
प्रदान ककए जाने को समामवष्ट करती है। आसके ऄन्तगथत सभी ऄमधग्रहणों के मिए ऄमधग्रहण द्वारा
प्रभामवत िोगों को पुनवाथस एवं पुनस्थाथपन प्रदान ककया जाना अवश्यक है।
ग्रामीण िेत्रों के मामिे में ऄमधग्रमहत भूमम के स्वाममयों को कदया जाने वािा मुअवज़ा बाजार
मूल्य की तुिना में चार गुना होगा और शहरी िेत्रों के मामिे में बाजार मूल्य की तुिना में दोगुना
होगा।
नया कानून सावथजमनक मनजी भागीदारी पररयोजनाओं के मिए भूमम ऄमधग्रमहत ककए जाने के
मिए 70 % सहममत और मनजी कं पमनयों के मिए भूमम ऄमधग्रमहत ककए जाने के मिए 80 %
सहममत प्राप्त करने को ऄमनवायथ बनाता है।
मनजी कं पमनयों द्वारा बडे भू-भागों की खरीद के मिए पुनवाथस एवं पुनस्थाथपन का प्रावधान
अवश्यक होगा।
आस ऄमधमनयम के प्रावधान मौजूदा 16 कानूनों के ऄंतगथत ककए जाने वािे ऄमधग्रहण जैसे मवशेष
अर्शथक िेत्र ऄमधमनयम 2005, परमाणु उजाथ ऄमधमनयम 1962 एवं रे िवे ऄमधमनयम 1989 पर
िागू नहीं होंगे।
भूमम ऄमधग्रहण में ईमचत िमतपूर्शत एवं पारदर्शशता का ऄमधकार, पुनवाथस और पुनस्थाथपन
ऄमधमनयम, 2013, 1 जनवरी 2014 से िागू हुअ। ककन्तु आस ऄमधमनयम के कायाथन्वयन में
करठनाइ ईत्पन्नों हो रही थी। आसके ऄमतररि रा्ीय पररयोजनाओं के मिए भूमम के ऄमधग्रहण में
अने वािी प्रकक्रयात्मक करठनाआयों का शमन ककया जाना भी शेष था। आन करठनाआयों को समाप्त
करने एवं साथ ही ‘प्रभामवत पररवारों’ के महतों का ऄमधकामधक संरिण करने के मिए आस
ऄमधमनयम में कु छ संशोधन ककए गए। आसकी तात्कामिकता को ध्यान में रखते हुए यह संशोधन
ऄध्यादेश के माध्यम से 31 कदसंबर 2014 को प्रभाव में िाए गए थे। आसके बाद 10 माचथ 2015
को िोकसभा ने आस ऄध्यादेश को प्रमतस्थामपत करने के मिए संशोधन मवधेयक पाररत ककया।
यह मवधेयक 2013 में पाररत ककए गए मुख्य ऄमधमनयम में संशोधन के मिए िाया गया।
यह मवधेयक, पांच ऄिग-ऄिग श्रेमणयों की पररयोजनाओं को मनम्नमिमखत ऄमनवायथताओं से छू ट
प्रदान करने हेतु सरकार को सिम बनाता है: (i) सामामजक प्रभाव अकिन, (ii) बहु-फसिी भूमम
के ऄमधग्रहण पर प्रमतबंध, और (iii) मनजी पररयोजनाओं और सावथजमनक मनजी भागीदारी
पररयोजनाओं के मिए सहममत।
औद्योमगक गमियारे , (v) सावथजमनक मनजी भागीदारी पररयोजनाओं समहत ऐसी ऄवसंरचना
मजसमें भूमम का स्वाममत्व सरकार के पास होता है।
यकद भूमम ऄमधग्रहण के सम्बन्ध में ऄमधमनणथय 5 वषथ पूवथ ककया गया हो और मुअवज़ा प्रदान नहीं
ककया गया हो या कब्जा नहीं मिया गया हो तो ऐसे मामिों में आस ऄमधमनयम का प्रभाव
पूवव्य
थ ापी होगा। 5 वषथ की ऄवमध में ईस ऄवमध की गणना नहीं की जाएगी जब न्यायािय द्वारा
ऄमधग्रहण पर रोक िगाइ गइ थी।
2013 के ऄमधमनयम में यह प्रावधान था कक यकद मवभाग द्वारा कोइ गैर-कानूनी कायथ ककया जाता
है तो ईसके मिए ईस सरकारी मवभाग के प्रमुख को दोषी माना जायेगा। यह मवधेयक आस प्रावधान
को समाप्त करता है और सरकारी कमथचारी पर मुकदमा चिाने हेतु पूवथ ऄनुममत को अवश्यक
बनाता है।
8. भू मम सु धारों का भमवष्य
सावथजमनक भूमम का पुनर्शवतरण भूमम सुधारों की कदशा में पहिा कदम है। कफिीपींस में भूमम
सुधार आसके सवोत्तम ईदाहरणों में से एक है जहां कु ि िमित भूमम के 63 प्रमतशत भाग को
सफितापूवक
थ मवतररत कर कदया गया है। आनमे से ऄमधकांश भूमम या तो सावथजमनक भूमम रही है
या ईसे स्वैमच्छक मबक्री के माध्यम से प्राप्त ककया गया है। आस िेत्र में कफिीपींस के ऄनुभवों से कु छ
सीखा जा सकता है।
ककन्तु भारत में िगभग प्रत्येक स्थान पर भूमम सुधार को भूमम पर ऄमधकार रखने वािे ऄमभजात्य
वगथ के तीव्र प्रमतरोध का सामना करना पडा है। पमश्चम बंगाि में तेभागा अंदोिन के दौरान
संशोधनों के प्रमत मवरोध आतना जबरदस्त था कक सरकार को आस पररयोजना को ही त्यागना पडा।
भूमम सुधार एजेंडे को सफि बनाने के मिए ऄत्यमधक राजनीमतक आच्छाशमि की अवश्यकता है।
भूमम सुधार के िेत्र में प्राप्त ऄनुभवों से यह पता चिता है कक समतावादी ग्रामीण समाज के ईद्देश्य
को प्राप्त करने के मिए के वि सम्पन्न वगथ से भूमम िेकर मनधथन वगथ में मवतररत करना पयाथप्त नहीं
है। सवथप्रथम, संपन्नों वगथ द्वारा पुनर्शवतररत भूमम पर पुन: कब्ज़ा ककये जाने के मवरुर्द् संरिण प्रदान
करना महत्वपूणथ है। प्राय: जमींदार ऄमधकामधक सौदेबाजी की शमि द्वारा मबक्री के माध्यम से या
बि प्रयोग के माध्यम से ककसानों को अवंरटत की गइ भूमम को पुन: प्रा्त कर िेने में सफि होते
रहे हैं। आसमिए, के वि भूमम का पुनर्शवतरण कर ही भूमम सुधार कानून की आमतश्री नहीं हो सकती,
भूमम पथरीिी और ऄनुपजाउ थी। आस प्रकार, ककसी भी भूमम-सुधार ईपाय का िक्ष्य ऄमनवायथ
रूप से 'सुरमित और ईत्पादक’ भूमम ऄमधकार और पुनर्शवतरण ऄमधकार प्रदान करना होना
चामहए।
भूमम सुधार में सफिता के मिए मवकें द्रीकृ त या नीचे से उपर की ओर कायथ करने के दृमष्टकोण
(bottom up approach) की अवश्यकता है। मवमध मनमाथताओं को सीमाओं का मनधाथरण करने,
दावों और मशकायतों को मिखने तथा गांव के सदस्यों की राय एवं ईद्देश्यों को ररकाडथ करने में
ककसानों की भागीदारी को ऄमनवायथ रूप से सुमनमश्चत करना चामहए। मध्य प्रदेश में भूमम संबंधी
मशकायतों का मनपटारा करने के मिए मजिा स्तरीय कायथ बिों के गठन से सुधार प्रकक्रया में पयाथ्त
सहायता प्राप्त हुइ है। के रि में सरकारी ऄमधकाररयों ने सीमाओं का सत्यापन करने के मिए गांव में
जाकर ककसानों से बात की; पमश्चम बंगाि में सरकार ने जागरूकता फै िाने के मिए मशमवरों का
अयोजन ककया और ककसानों को सरकारी प्रकक्रयाओं से ऄवगत कराया।
ऄनुबंध कृ मष अकद के कारण संकटकािीन मबक्री (distress sales) के माध्यम से भी ऄपनी भूमम
खो देते हैं। ऊण प्रबंधन में सहायता करने के मिए ऊण राहत ऄमधमनयम का कायाथन्वयन एवं साथ
ही संपमत्त कानून में संशोधन कृ मष भूमम की हामन को रोकने में सहायता करे गा।
मौजूदा भूमम सुधार ढांचे में व्याप्त कममयों को दूर करना: प्राय: भूस्वामी भूमम सुधार ढांचे में
कममयों का िाभ ईठाते हुए भूमम को बेचकर या पररवार के सदस्यों को हस्तांतररत कर ऄथवा
ऄन्य छिपूणथ साधनों द्वारा भूमम हदबन्दी कानूनों से बच मनकिते हैं।
व्यापक सुधार पैकेज का अरम्भ करना: समथथन नीमतयों के मबना भूमम सुधार कानून पूणथ नहीं है
और आसमिए व्यापक पैकेज का अरम्भ सुमनमश्चत करना अवश्यक है मजसमें ककसानों के मिए
असान ऊण सुमवधाएं, पररसंपमत्त और खाद्य समब्सडी, ढांचागत सुमवधाएं, सहकारी समममतयों की
स्थापना आत्याकद समम्ममित हैं।
मॉडि कें द्रीय कानून का मसौदा तैयार करना: एक के न्द्रीय कानून का मसौदा तैयार ककया जा
सकता है जो राज्यों के मिए ऄपने कानून तैयार करने हेतु मागथदशथक मॉडि के रूप में कायथ करे ।
ऐसे कानून सवथमनष्ठ ऄमधकतम सीमा का सुझाव दे सकते हैं और सहायक सुमवधाओं आत्याकद हेतु
प्रावधानों को समम्ममित कर सकते हैं।
कानून में ममहिाओं के मिए मवशेष सुरिा का समावेश: ममहिाओं के व्यमिगत भू-ऄमधकार
सुमनमश्चत कर तथा ऊण और समब्सडी योजनाओं में बराबरी का दजाथ देकर ईनके मिए मवशेष
प्रावधान करना महत्वपूणथ है।
कायाथन्वयन का अवमधक मूल्यांकन: स्वतंत्र ऄनुसंधान समूहों द्वारा अवमधक मूल्यांकन से सुधार
की प्रभावशीिता का मनधाथरण करने एवं अवश्यक पररवतथन करने में सहायता ममिेगी।
भूमम ररकाडों की ऄद्यमतत ररकॉर्डडग: कइ मामिों में, मौजूदा भूमम ररकॉडथ गित या मनरथथक होते
हैं। वास्तमवक मस्थमत को दशाथने के मिए आन्हें ऄद्यमतत और सत्यामपत करने की अवश्यकता होती
है। आसके ऄमतररक्त, प्रिेखन का अधुमनकीकरण और कं ्यूटरीकरण ककया जाना ऄत्यंत अवश्यक
है।
भूमम मववादों हेतु फास्ट िैक कोटथ: भूमम से संबंमधत मववादों के ऄमधमनणथयन एवं भूमम से संबंमधत
पररवादों से मनपटने के मिए फास्ट िैक कोटथ की स्थापना भू-ऄमधकारों को प्राप्त करने में होने वािे
मविम्ब को कम कर सकती है। आसके माध्यम से ईत्पीडन एवं व्यय में भी कमी िायी जा सकती है।
ऄनुसूमचत जामतयों और ऄनुसूमचत जनजामतयों को शाममि करने वािे मामिों का मवशेष संज्ञान
मिया जाना चामहए।
भूमम ऄमधग्रहण ऄमधमनयम,2013 में संशोधन संबंधी ऄध्यादेश के मविोप के साथ ही, यह भूमम
ऄमधग्रहण के मुद्दे पर नए मसरे से नज़र डािने और भमवष्य की राह पर मवचार करने का सही
समय है। आसके औमचत्य के सम्बन्ध में कु छेक स्पष्टीकरण मनम्नमिमखत है:
भूमम के ऄमधग्रहण और ख़रीद के बीच मवभेद
ख़ासकर िोकतांमत्रक समाजों में, मानवीय स्वभाव ककसी भी दबाव को स्वीकार नहीं करता। भूमम
ऄमधग्रहण के पररप्रेक्ष्य में, आसका ऄथथ बगैर सहममत के सरकार द्वारा ज़मीन के ऄमधग्रहण के
बजाए, ख़रीद के रूप में पूरा ककया जा सकता है। आस सोच के कारण ही कक सहममत हमेशा ज़रूर
िी जानी चामहए, यह बहस पैदा होती है कक स्वाममत्व संबंधी सभी हस्तांतरण खरीद के माध्यम से
ही होने चामहए और भूमम ऄमधग्रहण क़ानून को समाप्त कर देने की अवश्यकता है।
सावथजमनक प्रयोजन तथा ईमचत मुअवजा महत्वपूणथ
आसके बावजूद भूमम ऄमधग्रहण क़ानून आसमिए बने हुए हैं कक कइ पररमस्थमतयों में, व्यमिगत
ऄमधकार पर सावथजमनक प्रयोजन को प्राथममकता देनी होती है। ऐसी पररमस्थमतयों में, ऄमधकतर
देशों में सरकारें ईस सम्पमत्त के मामिक की सहममत के बगैर ही ऄमधग्रहण कर िेती हैं। वस्तुतः,
पारम्पररक रूप से, सहममत के बगैर ऄमधग्रहण को सरकार की सम्प्रभुता के प्रतीक के रूप में देखा
जाता है। आसके बगैर, राजमागथ तक बनाना ऄसंभव नहीं तो मुमश्कि तो हो ही जाएगा।
भारत के ऄमतररि दूसरे देशों के भूमम ऄमधग्रहण संबंधी दस्तावेजों में भी सहममत पर शायद ही
कभी कोइ चचाथ हुइ है। आसकी बजाए, आन चचाथओं में आन बातों पर ज़ोर कदया गया है कक वे कौन
से ऐसे सावथजमनक प्रयोजन हैं मजनके कारण सहममत के बगैर ही सरकार को ऄमधग्रहण करने की
शमि देना ईमचत है और आस प्रयोजनाथथ ककतना मुअवज़ा देना ठीक है? ऄगर प्रयोजन
औमचत्यपूणथ हो और मुअवजा भी ईमचत कदया जा रहा हो तो सहममत के बगैर मनजी सम्पमत्त के
ऄमधग्रहण के सरकार के ऄमधकार पर कहीं सवाि नहीं ईठाया जाता है।
की मवद्यमानता पर मनभथर करता है। िण-भर का लचतन यह दशाथएगा कक एक मवकासशीि देश में,
जहां सरकार के ऄमधकार में सीममत सावथजमनक संसाधन और जनशमि होती है, ऐसी
पररयोजनाओं की कोइ कमी नहीं है। ग्रामीण सडकों, राजमागों, ककफायती अवास, औद्योमगक
गमियारों, शैमिक संस्थाओं और ऄस्पतािों का मनमाथण करने के मिए िोक पूंजी को सामान्यतया
मनजी पूज
ं ी, प्रबंधन कौशि और ईद्यममता के साथ जोडना अवश्यक है।
वतथमान सरकार के हाि में ही व्यपगत हुए ऄध्यादेश का औमचत्य ठीक आसी तकथ में था। आसने
ईपयुि सरकारों को ग्रामीण सडक, ककफायती अवास, औद्योमगक गमियारों और ऄवसंरचना जैसे
ईच्च-प्राथममकता वािे िेत्रों में मनजी और पीपीपी पररयोजनाओं को 2013 के ऄमधमनयम में
सहममत की ऄपेिा से छू ट देने का मवकल्प प्रदान करने की मांग की थी। यह छू ट ईन िेत्रों की
मनजी ऄथवा पीपीपी पररयोजनाओं के मिए नहीं थी जो ईच्च-प्राथममकता वािे िेत्र नहीं थे।
भमवष्य की राह
2013 के ऄमधमनयम के तहत, ईन मामिों को छोडकर जब ईपयुि सरकार ऄपने ईपयोग,
ऄमधकार और मनयंत्रण के मिए भूमम ऄमधग्रहण करती है, ऄन्य मामिों में भूमम ऄमधग्रहण में
ऄनुमानतः कम-से-कम चार से पांच वषथ िग जाते हैं। आसके ऄमतररि, ऄमधग्रहण के ऄंततः सफि
समापन के संबंध में ऄमनमश्चतता बनी रहती है। ग्रामीण सडक, ककफायती अवास, ऄवसंरचना
और शहरों के मनमाथण जैसे िेत्रों में मनजी ऄथवा पीपीपी पररयोजनाओं के मिए मौजूदा व्यवस्था
की तुिना में कम समय िेने वािे मवकल्प की जरूरत ऄभी भी बनी हुइ है।
भारतीय संमवधान के तहत, भूमम ऄमधग्रहण का मवषय समवती सूची के ऄन्तगथत अता है।
संमवधान का ऄनुच्छेद 254(2) राज्य को समवती सूची संबंधी ककसी के न्द्रीय ऄमधमनयम को
संशोमधत करने की ऄनुममत प्रदान करता है बशते कक के न्द्र सरकार द्वारा ऐसे संशोधन को
ऄनुमोकदत कर कदया जाए। वतथमान सरकार के ऄधीन, राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्यों ने
समवती सूची के तहत अने वािे ऄनेक श्रम कानूनों को संशोमधत ककया है। यही प्रकक्रया, के न्द्र
सरकार के ऄनुमोदन के ऄध्यधीन, भूमम ऄमधग्रहण के मामिे में भी िागू की जा सकती है।
ऄमधमनयम तममिनाडु में 5 जनवरी, 2015 से िागू है। तममिनाडु द्वारा ककए गए संशोधन के
तहत एक नइ धारा, धारा 105क जोडी गइ है मजसके द्वारा 2013 के ऄमधमनयम में मौजूदा चार
का मूल्य, पररयोजना के समापन से पूवथ पूरे भूखण्ड के मूल्य से ऄमधक हो सकता है, ऄतः
भूस्वाममयों को ऐसा सौदा अकषथक िगेगा।
मवकल्पतः, सरकार भूमम का क्रय ऄथवा ऄमधग्रहण करने की बजाए दीघथकामिक पट्टे पर भूमम िे
सकती है। यह मवकल्प भी भूस्वाममयों को अकषथक िगेगा क्योंकक यह ईन्हें भूमम का स्वाममत्व
रखने, सुमनमश्चत प्रमतिाभ ऄर्शजत करने और पट्टे की प्रारं मभक ऄवमध समाप्त हो जाने पर शतों पर
पुनः समझौते की बातचीत करने का मवकल्प ईपिब्ध कराता है।
काश्तकारी सुधार कानून ऄपनाए, ईनमें काश्तकार को न मसफथ स्वाममत्व का ऄमधकार देने की
व्यवस्था की गइ बमल्क ज़मीन को पट्टे पर या ईप-पट्टे पर देने का भी मनषेध ककया गया ऄथवा ईसे
हतोत्सामहत ककया गया।
जो भू-स्वामी राजनीमतक रूप से प्रभावशािी थे, वे आन सुधारों के प्रयोजन को नष्ट करने में
कामयाब रहे। तथामप, जैसा कक पी.एस.ऄ्पू ने 1996 की ऄपनी चर्शचत पुस्तक िैंड ररफॉम्सथ आन
आं मडया में मिखा है,1992 तक महज 4 प्रमतशत ज़मीन के जोतदारों को स्वाममत्व का ऄमधकार
ममि पाया था। आन जोतदारों में से भी 97 प्रमतशत मसफथ सात राज्यों-ऄसम, गुजरात, महमाचि
काश्तकारी को ही समाप्त कर कदया। िेककन भूमम हस्तांतरण भिे न्यूनतम हो पाया हो, ककतु आस
नीमत का एक परोि पररणाम यह ऄवश्य हुअ कक जहां कहीं भी काश्तकारी ककसी रूप में बची
थी,ईसको संरिण कदया जाना समाप्त हो गया और भमवष्य में काश्तकारी की गुंजाआश ख़त्म हो
गइ। कइ राज्यों ने काश्तकारी की ऄनुममत तो दी, िेककन यह शतथ िगाइ कक भूमम ककराया ईत्पाद
के एक-चौथाइ से पांचवे महस्से तक के बराबर होगा। ककतु चूंकक यह दर बाज़ार-दर से काफी कम
थी, आसमिए आन राज्यों में भी ठे का ज़बानी तौर पर चिता रहा मजसके मिए काश्तकार ईत्पाद का
पूणत
थ या कं ्यूटरीकृ त है, वास्तव में आस कदशा में अगे बढ़ने की मस्थमत में हैं। ऄन्यन राज्यों के मिए
ऐसी हकदाररयां भमवष्यकामिक समाधान हैं। ऄत: ऄंतररम रूप से, वे राजस्व ऄमभिेखों में
काश्तकार की ऄमभस्वीकृ मत से परहेज करते हुए पंचायत के स्तर पर संमवदाओं को दजथ करने के
वैकमल्पक समाधान के मवकल्प को चुन सकते हैं। तत्पश्चा्त्, वे संगत कायाथन्वयन मवमनयमों में यह
खंड जोड सकते हैं कक स्वाकममत्व ऄंतरण के प्रयोजनाथथ के वि राजस्व ऄमभिेखों में दशाथयी गइ
काश्तकारी की मस्थमत को मान्यता दी जाएगी।
राज्य सरकारों को ऄपने पट्टाकरण (और भूमम ईपयोग) कानूनों की समीिा करने के बारे में
गंभीरतापूवक
थ मवचार करना चामहए ताकक यह पता िगाया जा सके कक क्या वे ईत्पादकता को
बढ़ाने और चहुंमुखी कल्याण के मिए ये सरि ककतु शमिशािी पररवतथन कर सकते हैं। नीमत
अयोग में, आस प्रयास में ईनकी सहायता के मिए सदैव तत्पर है।
भारतीय ऄथथव्यवस्था
12. समावेशी ववकास - 1
1.5. समावेशी ववकास के संदभथ में ग्यारहवीं पंचवषीय योजना की ईपलवधधयां ____________________________________ 7
1.8. वनष्कषथ_________________________________________________________________________________ 9
2.1. समावेश : रूपांतरणकारी नीवतगत सुधार के वलए ईत्कृ ष्ठता को बढ़ावा देना __________________________________ 9
भारत के लगभग 1.25 ऄरब नागररकों को वतथमान समय में ऄपने भववष्य को लेकर पहले से
ऄवधक ऄपेक्षाएँ हैं। ईन्होंने ऄनुभव ाकया है ाक ववगत 10 वषों में ऄथथव्यवस्था ने पहले से ऄवधक
तीव्र गवत से संवृवि हावसल की है तथा साथ ही बडी संख्या में लोगों को प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त है। आस
पररघटना ने सभी वगों की ऄपेक्षाओं को स्पष्ट रूप से बढ़ा ादया है। आनमें वे वगथ भी शावमल हैं
वजन्हें ऄभी तक कम लाभ हुअ था। भारतीय ऄब भववष्य की संभावनाओं के प्रवत ऄवधक
अशावन्वत हैं।
12वीं पंचवषीय योजना के ववज़न डॉक्यूमेंट से यह प्रमावणत होता है ाक "भारत ववकास की
प्रािया में अगे बढ़ रहा है। आसने सभी वगों के लोगों के जीवन स्तर में व्यापक सुधार सुवनवित
ाकया है जो पहले से ऄवधक तीव्र, ऄवधक समावेशी और पयाथवरण के दृवष्टकोण से ऄवधक
संधारणीय है।”
मानव ववकास सूचकांक (ह्यूमन डेवलपमेंट आं डक्
े स) के अधार पर भारत का प्रदशथन वषथ 2000
और 2005 के िमशः 128वें और 127वें स्थान से नीचे वगरते हुए वषथ 2009 और 2011 में
134वें स्थान पर पहुंच गया। आस दौरान कु छ मुट्ठी भर लोग अर्थथक संवृवि का लाभ ईठाकर
ऄरबपवत की श्रेणी में प्रवेश कर गए, जबाक करोडों लोगों को वंवचत एवं ऄवधकार-ववहीन जीवन
जीने के वलए मजबूर ाकया गया। वषथ 2009 में आवतहास में पहली बार, ववश्व के 10 सबसे ऄमीर
लोगों में चार भारतीयों को स्थान वमला, लेाकन ईसी वषथ ववश्व के प्रत्येक दस गरीब लोगों में से
तीन भारतीय भी थे। आस प्रकार तीव्र संवृवि के साथ-साथ सतत गरीबी और ऄवधकारववहीनता
जैसी ऄसामान्य घटनाओं का चि वनरं तर जारी है।
हाल के वषों में सरकार का ध्यान ऄतुलय भारत को बढ़ावा देने से स्थानांतररत होकर समावेशी
भारत बनाने की ओर गया है। गरीबी और ऄन्य सामावजक तथा अर्थथक ऄसमानताओं को कम
करने व अर्थथक संवृवि को सतत बनाए रखने के वलए समावेशी ववकास की अवश्यकता है। आसकी
स्वीकृ वत में, योजना अयोग ने 12वीं पंचवषीय योजना (2012-2017) में तीव्र, ऄवधक समावेशी
और धारणीय ववकास को एक सुस्पष्ट लक्ष्य के रूप में सवममवलत ाकया।
“अर्थथक संववृ ि से गरीबी तभी घटती है, जब वह गरीब लोगों के रोजगार, ईत्पादकता और मजदूरी में
वृवि करती है। जब सावथजवनक संसाधन मानव ववकास में सुधार के वलए लगते हैं तो हम कह सकते हैं ाक
तब वास्तव में अर्थथक संवृवि और मानव ववकास साथ-साथ चल रहे हैं। जब अर्थथक संवृवि में श्रम का
ऄवधक आस्तेमाल होता है और रोजगार का सृजन होता है और जब मानवीय कु शलता और स्वास््य का
तेजी से सुधार होता है तब समावेशन होता है।”
समावेशी ववकास, संवृवि की गवत और पैटनथ दोनों को दशाथती है। ये दोनों एक-दूसरे से
ऄंतःसंबंवधत हैं। ऄतः आन दोनों को एक साथ संबोवधत ाकये जाने की अवश्यकता है। ‘समावेशन’
एक ऐसी ऄवधारणा है वजसमें समता, ऄवसर की समानता और बाजार एवं रोजगार में
संिमणकालीन ऄववध में संरक्षण शावमल हैं। ऄतः समावेशन ाकसी भी सफल संवृवि रणनीवत का
एक ऄवनवायथ घटक है।
समावेशी ववकास दीघथकावलक पररप्रेक्ष्य के दृवष्टकोण को ऄपनाता है। आसके तहत बवहष्कृ त समूहों
के वलए अय बढ़ाने के साधन के रूप में प्रत्यक्ष अय पुनर्थवतरण पर ध्यान के वन्ित करने के स्थान
पर ईत्पादक रोजगार पर ऄवधक ध्यान कें ाित ाकया जाता है। गरीबों पर वववभन्न नीवतयों के
नकारात्मक प्रभावों को कम करने और संवृवि हेतु शुरूअती छलाँग लगाने के ईद्देश्य से सरकार
लघु ऄववध में अय ववतरण योजनाओं का ईपयोग कर सकती है। परन्तु ऐसी हस्तांतरण योजनाएं
लंबे समय तक लाभदायी नहीं हो सकतीं।
समावेशन के कइ ऄथथ हैं और आसका प्रत्येक पहलु कु छ नीवतगत चुनौवतयाँ खडी करता है। ये
वनम्नवलवखत हैं:
ववकास सतत बनी रहे और गरीबी न्यूनीकरण में प्रभावी भी हो, आस हेतु ववकास का समावेशी
होना अवश्यक है। ववतरण संबध ं ी चचताओं को पारमपररक रूप से गरीबों और सवाथवधक वंवचत
वगों तक लाभों के पयाथप्त प्रवाह की सुवनवितता के रूप में देखा जाता रहा है।
यह ध्यान देने योग्य है ाक समावेशन के आस पहलु का ररकॉडथ ईत्साहजनक रहा है। गरीबी रे खा के
नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की संख्या में कमी अयी है, लेाकन ऄभी भी बहुत बडी संख्या
में लोग गरीबी रे खा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। 2004-05 से 2009-10 की ऄववध में
गरीबी में वगरावट की दर प्रवत वषथ 1.5 प्रवतशत चबदु थी, जो 1993-94 और 2004-05 के बीच
प्रवत वषथ 0.74 प्रवतशत चबदु की वगरावट की दर से दोगुनी है। आस प्रकार यह कहा जा सकता है ाक
गरीबी रे खा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की संख्या में लगातार कमी अयी है; हालांाक
वगरावट की यह दर बहुत धीमी है।
एक लवक्षत समूह हैं, परन्तु समावेशन के ऄन्तगथत ऄनुसूवचत जावतयों (SCs), ऄनुसूवचत
या ऄसमानता संबंधी चचताओं से काफी वभन्न है। ईदाहरण के वलए, यह संभव है ाक गरीबी
ईन्मूलन संबंधी रणनीवतयों के चलते SCs और STs जनसंख्या के बीच गरीबी कम हो जाए,
परन्तु यह अवश्यक नहीं ाक यह आन वगों एवं सामान्य जनसंख्या के मध्य व्याप्त अय ऄंतराल को
भी कम कर सकें ।
समावेशन का एक ऄन्य पहलू यह है ाक ववकास प्रािया सभी राज्यों तथा सभी क्षेत्रों के वलए
लाभप्रद वसि हो। हाल के वषों में समावेशन के क्षेत्रीय अयाम को ऄवधक महत्व प्राप्त हुअ है।
पररणामस्वरूप पहले के वपछडे राज्यों में से कइ राज्यों में संवृवि के स्तर पर ईललेखनीय सुधार
देखे जा रहे हैं और राज्यों के बीच संवृवि दर में ववद्यमान ऄंतराल भी कम हुए हैं।
हालांाक, बेहतर प्रदशथन करने वाले राज्य तथा ऄन्य राज्य; दोनों ऄपने-ऄपने वपछडे क्षेत्रों या ईन
वजलों को लेकर चचवतत हैं, जो ऄन्य क्षेत्रों/वजलों में जीवन स्तर में हुए सुधारों का ऄनुभव नहीं कर
पाये हैं। आनमें से ऄवधकांश वजलों की पररवस्थवतयाँ वववशष्ट हैं, जैस-े वन्य क्षेत्रों में जनजातीय
जनसंख्या का ईच्च संकेन्िण ऄथवा शहरी क्षेत्रों में ऄलपसंख्यकों की ईपवस्थवत। साथ ही कु छ वजले
वामपंथी ईग्रवाद से भी प्रभाववत हैं, वजसके चलते ववकास संबंधी कायथ ऄवधक करठन हो जाते हैं।
समावेशन से अशय अय ऄसमानता पर ऄवधक ध्यान देने से भी है। ववत्तीय संकट की पृष्ठभूवम में
ऄवधकांश औद्योवगक देशों में ऄसमानता का एक नवीन पहलु नज़र अया। आस दौरान यह देखा
गया ाक ऐसे ऄवधकांश देशों के टॉप (सबसे ऄमीर) 1 प्रवतशत लोगों के पास अय का चरम संकेंिण
हुअ है। भारत में भी कु छ ऐसे हीं लक्षण ादखायी पडते हैं और यह चचता सावथजवनक ववमशथ में
पररलवक्षत भी हुइ है।
हालांाक तीव्र संवृवि और पररवतथन के दौरान एक ववकासशील देश में ऄसमानता में थोडी वृवि
ऄपररहायथ है और आसे सहन भी ाकया जा सकता है, बशते यह कालांतर में गरीबों के जीवन स्तर में
पयाथप्त सुधार सुवनवित करे । परन्तु गरीबों के जीवन स्तर में कम या नगण्य सुधार की वस्थवत में
ऄसमानता में वृवि सामावजक तनाव का कारण बन सकती है।
समावेशन का ईद्देश्य के वल लाभों या अर्थथक ऄवसरों का व्यापक प्रवाह सुवनवित करना हीं नहीं
है; ऄवपतु यह सशविकरण तथा भागीदारी से भी संबंवधत है। यह सहभागी लोकतंत्र की सफलता
है ाक लोग ऄब सरकार द्वारा प्रदत्त लाभों के वनवष्िय प्राप्तकताथ बने रहने को तैयार नहीं हैं। वे
लाभों और ऄवसरों की मांग ऄपने ऄवधकारों के रूप में कर रहे हैं। आसके साथ ही ऄब लोग
प्रशावसत होने के तरीकों के संदभथ में भी ऄपना मत रखना चाहते हैं।
समावेशन
समावेशन की दृवष्ट से प्रगवत का ऄनुमान लगाना करठन है क्योंाक समावेशन एक बहु-अयामीय
ऄवधारणा है। समावेशी ववकास से गरीबी के भार में कमी अनी चावहए, स्वास््य पररणामों में
व्यापक अधाररत और महत्वपूणथ सुधार होना चावहए। साथ ही स्कू ल तक बच्चों की सवथसल
ु भ पहुंच ,
ईच्चतर वशक्षा की ऄवधक सुलभता और वशक्षा के सुधरे स्तर, दक्षता ववकास अाद के क्षेत्र में
ईललेखनीय प्रगवत होनी चावहए। मजदूरी रोजगार और अजीववकाओं, दोनों में बेहतर ऄवसरों और
पानी, वबजली, सडकें , सफाइ और अवासन जैसे बुवनयादी सुववधाओं की व्यवस्था में सुधार
पररलवक्षत होना चावहए। ऄनु. जावतयों/ऄनु. जनजावतयों और ऄन्य वपछडे वगों की जरूरतों पर
खास ध्यान देने की जरूरत है। मवहलाओं और बच्चों की संख्या हमारी अबादी की 70 प्रवतशत है
तथा कइ क्षेत्रकों में संगत स्कीमों तक आनकी पहुंच के वलए ये ववशेष ध्यान देने के पात्र हैं।
ऄलपसंख्यकों व ऄन्य वपछडे समूहों को भी मुख्य धारा मे लाने के वलए ववशेष ध्यान देने की जरूरत
है। आन सभी ादशाओं में समावेशन प्राप्त करने के वलए ऄनेक ईपायों की अवश्यकता है और सफलता
न के वल नइ नीवतयों और सरकारी कायथिम लागू करने पर बवलक संस्थागत और ऄवभवृवत्तमूलक
पररवतथनों पर वनभथर करती है वजसमें समय लगता है।
ग्यारहवीं योजना के दौरान समावेशन पर बल देने का एक महत्वपूणथ पररणाम समावेवशता के बारे
में पयाथप्त रूप से जागरूकता और लोगों के बीच सशिीकरण है।
अजकल ऄवधकारों और हकदाररयों के बारे में सूचना प्राप्त करने की ऄवधक आच्छा है वजसे कानून
और नीवत द्वारा ईपलधध कराया गया है तथा सावथजवनक ववतरण प्रणावलयों से जवाबदेही की मांग
करने की ईत्कं ठा है। यह ववषय के वलए एक ऄच्छी बात है।
वस्तुतः समावेशन के ईपरोि पहलुओं में से प्रत्येक प्रासंवगक है तथा जनता का ध्यान प्राय: एक या
दूसरे पहलु पर कें ाित होता है। भारत का लक्ष्य आन पहलुओं में से प्रत्येक के मामले में वनरं तर प्रगवत
होना चावहए। हाल के कु छ वषों में तीव्र संवृवि ने ऄनेक व्यवियों को वववशष्ट लाभ प्रदान ाकये हैं। आस
प्रकार सृवजत समृवि को देखकर जनसंख्या के सभी वगों की ऄपेक्षाओं में वृवि हुइ है। पररणामस्वरूप
सभी वगों द्वारा संवृवि के लाभों में वहस्सेदारी की मांग की जा रही है।
पूवथ प्रधानमंत्री मनमोहन चसह के ऄनुसार समावेशी ववकास रणनीवत के मूल ऄवयवों में वनम्नवलवखत
शावमल हैं:
o ग्रामीण ऄवसंरचना और कृ वष क्षेत्रक में वनवेश में तीव्र वृवि,
o एक ऄवद्वतीय सामावजक सुरक्षा संजाल के माध्यम से ग्रामीण रोजगार में वृवि; तथा
o स्वास््य देखभाल और वशक्षा पर सावथजवनक व्ययों में तीव्र वृवि।
वनम्नवलवखत संकेतक यह दशाथते हैं ाक समावेशी ववकास के ईद्देश्यों को पूरा करने में ग्यारहवीं
पंचवषीय योजना कहाँ तक सफल हुइ है:
o GDP वृवि दर: ग्यारहवीं पंचवषीय योजना (2007-08 से 2011-12) में GDP की संवृवि
दर लगभग 8 प्रवतशत रही। यह 10वीं पंचवषीय योजना (2002-03 से 2006-07) के 7.6
प्रवतशत तथा नवीं पंचवषीय योजना (1997-98 से 2001-02) के 5.7 प्रवतशत से ऄवधक
थी। ग्यारहवीं पंचवषीय योजना ऄववध में 7.9 प्रवतशत की संवृवि दर, ईस ऄववध में दो
वैवश्वक ववत्तीय संकट झेलने वाले ाकसी भी ऄन्य देश की संवृवि दर की तुलना में ऄवधक थी।
o ग्यारहवीं पंचवषीय योजना में कृ वष GDP में 3.7 प्रवतशत की औसत दर से तीव्र संववृ ि दजथ
की गइ। यह दसवीं पंचवषीय योजना में 2.4 प्रवतशत तथा नवीं पंचवषीय योजना में 2.5
प्रवतशत थी।
o गरीबी रे खा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की संख्या में 2004-05 से 2009-10 की
ऄववध में प्रवत वषथ लगभग 1.5 प्रवतशत चबदु की दर से कमी अयी। यह 1993-94 से 2004-
05 की ऄववध में अयी कमी की तुलना में दोगुनी थी।
o ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवत व्यवि वास्तववक ईपभोग में वृवि दर 2004-05 से 2011-12 की
ऄववध में 3.4 प्रवतशत थी, जोाक 1993-94 से 2004-05 की पूवथ ऄववध से चार गुना
ऄवधक थी।
o बेरोजगारी दर 2004-05 की 8.2 प्रवतशत से घटकर 2009-10 में 6.6 प्रवतशत हो गइ।
जबाक आससे पूवथ यह 1993-94 के 6.1 प्रवतशत से बढ़कर 2004-05 में 8.2 प्रवतशत हो गइ
थी।
o व्यापक पैमाने पर सरकार की ग्रामीण नीवतयों और पहलों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में
वास्तववक मजदूरी दर पूवथ दशक की प्रवत वषथ औसत 1.1 प्रवतशत की दर से बढकर ग्यारहवीं
योजना (2007-08 से 2011-12) में प्रवत वषथ 6.8 प्रवतशत हो गइ।
o कु ल प्रवतरक्षण (immunization) दर में 1998-99 और 2002-04 के मध्य प्रवत वषथ 1.7
प्रवतशत चबदु वगरावट की तुलना में 2002-04 और 2007-08 के मध्य प्रवत वषथ 2.1 प्रवतशत
चबदु की वृवि हुइ। आसी प्रकार संस्थागत प्रसव के मामले में 1998-99 और 2002-04 के
मनरे गा, ग्यारहवीं पंचवषीय योजना के दौरान समावेशन को प्रोत्साहन देने के वलए सबसे
महत्वपूणथ योजनाओं में से एक थी। जहाँ एक ओर गरीबी को कम करने तथा सूखे के दौरान ईत्पन्न
होने वाले गंभीर संकट को रोकने में आसकी ईपलवधधयों की सराहना की गयी, वहीं दूसरी ओर
मनरे गा के ववरुि लोगों की कु छ वशकायतें भी थीं। आन वशकायतों का मुख्य अधार यह था ाक यह
एक वनवाथह दान है, वजस पर ाकया जाने वाला ऄत्यवधक व्यय ऄन्य ईत्पादक कायों में प्रयोग ाकया
जा सकता था। साथ ही आसकी अलोचना आस अधार पर भी की जाती है ाक आससे कृ वष एवं
वववनमाथण श्रम ऄत्यवधक महंगे हो गये हैं।
वस्तुतः यह ववचार ाक बढ़ती मजदूरी ऄपने अप में एक समस्या है, ववश्वसनीय नहीं है, क्योंाक
के वल यही एक तन्त्र है वजसके माध्यम से भूवमहीन कृ वष श्रवमक अर्थथक संवृवि से लाभ ले सकते
हैं। याद बढ़ती मजदूरी कृ वष-क्षेत्रक के लाभप्रदता को संकुवचत करती है, तो आसका समाधान ईच्च
मजदूरी को समायोवजत करने के वलए कृ वष ईत्पादकता में वृवि करने में वनवहत है। राष्ट्रीय प्रवतदशथ
सवेक्षण (नेशनल सैंपल सवे) मनरे गा के पिात् लोक वनमाथण कायों में रोजगार में हुइ अठ गुणा
वृवि को दशाथता है। आसमें कोइ संदह े नहीं है ाक ग्रामीण मजदूरी ईपाजथन और गरीबी पर आसका
प्रभाव पूवथ की सभी ग्रामीण रोजगार योजनाओं की तुलना में ऄत्यवधक है। हालांाक यह कम
प्रशंसनीय आसवलए है ाक कु ल के न्िीय योजना व्यय में कमी कर आस रोजगार योजना पर होने वाले
व्यय में वृवि की गइ है।
आस प्रकार, हम यह कह सकते हैं ाक सभी अलोचनाओं के परे , एक वैधावनक ऄवधकार के रूप में
रोजगार की प्रावप्त के प्रावधान से सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के ववकास के वलए ाकये जाने वाले
व्यय से लवक्षत लाभार्थथयों के वहस्से में व्यापक सुधार देखने को वमला है।
‘भारत’ समूचे ववश्व में चचाथ का ववषय बना हुअ है। हमारी ऄथथव्यवस्था में ऄभूतपूवथ दर से होने
वाली संवृवि तथा समृि लोकतंत्र वस्तुतः समपूणथ ववश्व में लोगों को हमारे ववषय में ववचार करने
को बाध्य कर रही है। परन्तु यह ऄपनी वास्तववक क्षमता तक पहुंचने से ऄभी काफी दूर है। सभी
क्षेत्रों में ववकास समरूप नहीं हैं और अबादी का बहुत बडा ऄंश आसकी पररवध से बाहर है।
संवृवि की ईच्च दर को बनाए रखने तथा साथ ही साथ आस संववृ ि को समावेशी बनाने के वलए
ववववध सामावजक, राजनीवतक तथा अर्थथक कारकों से वनपटने की अवश्यकता हैं।
भारत में समावेशी ववकास से संबंवधत प्रमुख मुद्दे वनम्नवलवखत हैं:
o देश भ्रष्टाचार, लालफीताशाही, अयु संबंधी सामावजक बाधाओं तथा पारदर्थशता के ऄभाव से
ग्रवसत है।
o बाल श्रम का ईन्मूलन, मवहला सशविकरण, जावतगत बाधाओं का वनवारण तथा कायथ
संस्कृ वत में सुधार वववभन्न सामावजक चुनौवतयां हैं। आनसे वनपटने के वलए भारतीय समाज को
अत्मववश्लेषण करने की अवश्यकता है।
o ईच्च स्तरों पर भ्रष्टाचार से वनपटना, वनवाथचन प्रणाली की बुराआयों का वनराकरण, अन्दोलनों
की राजनीवत को त्यागना तथा राष्ट्रीय वहत को संकीणथ राजनीवत से उपर रखना देश के नीवत
वनमाथताओं के प्रमुख लक्ष्य होने चावहए।
1.8. वनष्कषथ
वस्तुतः तीव्र, ऄवधक समावेशी और धारणीय ववकास को प्राप्त करने के वलए समग्र दृवष्टकोण तथा
एकीकृ त समाधान की अवश्यकता है। देश के लगभग 1.25 ऄरब लोगों के वलए एक समावेशी
भारत के वनमाथण का कायथ आतना व्यापक और जरटल है ाक यह सरकार और वनजी क्षेत्र द्वारा
ऄलगाव में रह कर कायथ करने से समपन्न नहीं होगा।
तीव्र, ऄवधक समावेशी और धारणीय ववकास को के वल प्राथवमकता के रूप में ही नहीं बवलक
सावथजवनक और वनजी क्षेत्र में प्रत्येक ईद्यम के वलए समान रूप से एक महत्वपूणथ ऄवसर के रूप में
भी देखा जाना चावहए। वतथमान में भारत के वलए ‘समावेशन’ व्यवियों तथा ईद्यमों में लोकवप्रय
एक प्रचवलत शधद मात्र नहीं है ऄवपतु यह व्यवियों, सावथजवनक और वनजी ईद्यमों तथा सरकार
द्वारा ववकास की पररकलपना तथा संचालन हेतु ऄवनवायथ है। ऄतः अवश्यक है ाक प्रत्येक स्वरूप में
समावेशन की प्रावप्त हेतु संगरठत कारथ वाइ की जाए।
2. समावे शी ववकास से सं बं वधत ऄन्य ऄद्यवतत ववषय-वस्तु
2.1. समावे श : रूपां त रणकारी नीवतगत सु धार के वलए ईत्कृ ष्ठता को बढ़ावा दे ना
की हाल ही में रैं ककग जारी की गइ। ईललेखनीय है ाक ऐसे 115 ऐस्पीरै शनल वडवस्ट्क्स की
पहचान की गयी थी, लेाकन कु छ राज्यों (के रल, पविम बंगाल अाद) ने आस कायथिम से खुद को
ऄलग कर वलया था, ऄतः प्रथम दौर में के वल 101 वजलों की की रैं ककग जारी की गयी।
मानव ववकास की ऄवधारणा की व्याख्या करते हुए UNDP की मानव ववकास ररपोटथ (1997) में
ईललेख ाकया गया ाक “यह वह प्रािया है वजसके द्वारा जनसामान्य के ववकलपों का ववस्तार ाकया
जाता है और आनके द्वारा ईनके कलयाण के ईन्नत स्तर को प्राप्त ाकया जाता है। यही मानव ववकास
की धारणा का मूल है। ऐसे वसिान्त न तो सीमाबि होते हैं और न ही स्थैवतक। परन्तु ववकास के
स्तर को दृवष्ट में रखते हुए जनसामान्य के पास तीन ववकलप हैं: एक लमबा और स्वस्थ जीवन
व्यतीत करना, ज्ञात प्राप्त करना और ऄच्छा जीवन-स्तर प्राप्त करने के वलए अवश्यक संसाधनों
तक ऄपनी पहुंच बढ़ाना। कइ और ववकलप भी हैं वजन्हें बहुत से लोग महत्वपूणथ मानते हैं। आनमें
ईललेखनीय हैं: राजनैवतक, अर्थथक और सामावजक स्वतंत्रता से सृजनात्मक और ईत्पादक बनने के
वलए ऄवसर और स्वावभमान एवं गारं टीकृ त मानव ऄवधकारों का लाभ ईठाना”।
आसे और स्पष्ट करते हुए मानव ववकास ररपोटथ (1997) ने ईललेख ाकया: “अय के वल एक ववकलप
है जो लेाग प्राप्त करना चाहेंग,े चाहे यह बहुत महत्वपूणथ है, परन्तु यह ईनके समग्र जीवन का सार
महबूब-ईल-हक के मागथदशथन में 1990 में मानव ववकास ररपोटथ के प्रथम प्रकाशन के पिात् मानव
कलयाण के मापों का वनमाथण करने तथा ईन्हें और पररष्कृ त करने के प्रयास ाकए गए। यहाँ मानव
ववकास सूचकांक पर चचाथ की जाएगी।
मानव ववकास सूचकांक वस्तुतः ववकास के तीन मूल अयामों की औसत ईपलवधध है:
o एक लमबे और स्वस्थ जीवन के माप के वलए जन्म पर जीवन-प्रत्याशा।
o ज्ञान वजसके माप के वलए बावलग साक्षरता दर (दो-वतहाइ वजन) और समग्र, प्राथवमक,
भारतीय ाऄथथव्यवस्था
12. समावेशी ववकास - 2
रिकल डााईन थ्योरी (वनस्यांदन वसद्ाांत) का तकथ है कक सांवृवद् के लाभ स्वत: ही नीचे तक पहुाँचेंगे।
ाआस वसद्ाांत का यह भी दृढ़तापूवथक कहना है कक रिकल डााईन एक ऐसी प्रकिया है वजसे ाईसकी
प्राकृ वतक गवत और मागथ के भरोसे छोड़ देना चावहए; तथा बलपूवथक ाआसकी कदशा नीचे की ओर
करना ाऄनुत्पादक वसद् हो सकता है।
रिकल डााईन दृविकोण भारत के सामावजक-ाअर्शथक ववकास के क्षेत्र में ाऄपेवक्षत प्रभावों की प्रावि में
ववफल रहा है। पुनर्शवतरण नीवत को समावेशी ववकास कायथिमों का एक भाग बनाए जाने का
सुझाव कदया जाता है। दूसरी ओर, ाऄथथशास्त्र में रिकल डााईन थ्योरी ाअर्शथक सांवृवद् के ाअपूर्शत पक्ष
की व्याख्या करती है।
वसद्ाांत के ाऄनुसार, शीषथ ाअय ाऄजथकों पर कम कर लगाया जाना चावहए ताकक बाजार में वनवेश
करााइ जा सकें । ाआस प्रकार, रिकल डााईन थ्योरी ाअर्शथक ववकास में टॉप-टू -बॉटम एप्रोच का पक्षधर
है।
बॉटम-ाऄप एप्रोच ववकास प्रकिया में लोगों की भागीदारी को प्रोत्सावहत करती है। ववकें द्रीकरण,
स्थानीय-स्वशासन और ग्रामीण ववकास ाअकद बॉटम-ाऄप एप्रोच के ाऄांतगथत कु छ सामान्य तरीके हैं।
ग्रामीण शासन यह स्थावपत का प्रयत्न करता है कक क्या शासन का ववके न्द्रीकरण समावेशी और
गरीब-वहतैषी सांवृवद् के वलए प्रभावी है ाऄथवा नहीं। ाअवश्यक सेवाओं के प्रवाह में ाऄकु शलताएां,
ाऄवसर तथा ाअर्शथक सांवृवद् के लाभ तक लोगों की पहुाँच को बावधत करती हैं।
ाआसवलए, ‘बॉटम-ाऄप एप्रोच' का सुझाव वहााँ कदया जाता है जहााँ लवक्षत जनसांख्या को वरीयता देने
हेतु ाऄवधक ववकें द्रीकरण की ाअशा की जाती है। दीघथकावलक सतत ाअर्शथक सांवृवद् को प्राि करने के
वलए, समावेशी ववकास को टॉप टू बॉटम के स्थान पर बॉटम-ाऄप तरीके से लागू ककये जाने की
ाअवश्यकता है।
वनम्नवलवखत समावेशी ववकास के ाअधारभूत स्तांभ हैं या सामान्य शब्दों में, ये ऐसे ाअदशथ हैं वजन
पर समावेशी ववकास ाअधाररत है। ाआन ाअदशों के वबना, समावेशी ववकास का कोाइ महत्व नहीं है।
बाजारों व सांसाधनों तक पहुाँच के सांदभथ में समानता तथा भेदभावरवहत वववनयामकीय वातावरण
समानता के लक्ष्य तक पहुाँचने के साधन हैं। ाऄसमानताएां वववभन्न रूपों में ववद्यमान रहती हैं, जैस-े
सामावजक ाऄसमानताएां, ग्रामीण-शहरी ववभाजन, क्षेत्रीय ाऄसमानताएां, वडवजटल ववभाजन ाअकद।
समावेशी ववकास को ाआसके पूणथ रूप में प्राि करने के वलए, समानता सबसे मूलभूत मानदांड है।
समावेशी ववकास और समानता एक-दूसरे को प्रभाववत करती हैं। समानता के वबना, समावेशी
ववकास को प्राि नहीं ककया जा सकता है और समावेशी ववकास का ाऄभाव वास्तववक या कवथत
रूपों में ाऄसमानता को बढ़ावा दे सकती है।
ाआस प्रकार, समावेशी ववकास और समानता पारस्पररक रूप से एक दूसरे को सुदढ़ृ बनाने वाली
होती हैं। समकालीन ाअर्शथक पररदृश्य में, लैंवगक समानता समावेशी ववकास का मूल तत्व बन गाइ
है। लैंवगक ाऄसमानता वस्तुताः भारतीय सामावजक व्यवस्था में व्याि एक व्यापक समस्या है
वजसका मवहलाओं पर प्रवतकू ल प्रभाव पड़ता है। यद्यवप, भारतीय ाऄथथव्यवस्था ने प्रगवत की है,
तथावप, समानता सभी स्तरों, चाहे सामावजक या ाअर्शथक, पर कम हुाइ है। OECD की एक ररपोटथ
ने बताया है कक भारत में ाऄसमानता वनरां तर बढ़ रही है, वजसने समावेशीकरण को बढ़ावा देने में
नीवतगत चुनौवतयाां ाईत्पन्न कर दी हैं।
सामान्य शब्दों में, शासन (गवनेंस) का ाऄथथ है वह वनयामकीय, वनगरानी या वनयांत्रण प्रकिया जो
सरकारी सेवाओं की प्रदायगी सुगम बनाती है। सुशासन का पररणाम प्रभावशालीता और दक्षता के
रूप में सामने ाअता है, यह वववध के शासन में न्याय और जवाबदेवहता बनाए रखता है, तथा जन-
के वल राज्य का हस्तक्षेप हीं नहीं, ाऄवपतु सामान्य जन और वसववल सेवा सांगठनों (Civil Service
Organizations: CSOs) के ाईत्तरदावयत्व से भी है। सुशासन, ाअधारभूत लोक सेवाओं का
ाअधार है। यह पररकवल्पत पररणामों को प्राि करने की कदशा में समावेशी ववकास, लोक प्रशासन
और जवाबदेवहता को एकीकृ त करने का एक तांत्र है; ाईदाहरण के वलए, वनम्न स्तरीय स्वास्थ्य
ाऄवसांरचना की समस्याएां समावेशी ववकास के वलए एक बाधा हो सकती हैं तथा ाआसे प्रायाः
स्वास्थ्य और पररवार कल्याण मांत्रालय के ाऄप्रभावी शासन का एक पररणाम माना जा सकता है।
ाआसवलए, सुशासन सभी कताथओं के वलए एक साझा मांच प्रदान करता है और सामावजक-ाअर्शथक
रूपाांतरण को बनाए रखने के प्रवत स्वयां का ाऄनुकूलन करता है जो कक समावेशी ववकास की एक
पूव-थ शतथ है। जैसा कक स्पि है, शासन न के वल राज्य का श्रेष्ठ गुण है; ाऄवपतु प्रााआवेट गवनेंस
(ाऄशासकीय शासन) की भी समावेशी ववकास को बढ़ावा देने में एक महत्वपूणथ भूवमका है। यहााँ
प्रााआवेट गवनेंस पद का ाऄथथ है- बाजार में ाअपूर्शत और माांग का सांतल
ु न बनाए रखने में गैर-राज्य
ाऄवभकताथओं की भूवमका। प्रााआवेट गवनेंस समावेशी ववकास के वलए ाअवश्यक पूज
ां ी, सांसाधन और
कौशल की माांग को पूरा करने में वनजी क्षेत्र की भूवमका का भी ाईल्लेख करता है।
नेशनल कााईां वसल ऑफ एप्लााआड ाआकोनॉवमक ररसचथ (NCAER) का तकथ है कक ववकें द्रीकरण
समावेशी ववकास को बावधत करता है। स्थानीय स्वशासन की सांस्थाओं का सशविकरण समावेशी
ववकास के प्रदायगी तांत्रों में से एक है। 73वााँ और 74वााँ सांववधान सांशोधन भारतीय राजनीवत के
क्षेत्र में एक नवाचार हैं। कें द्र और राज्य सरकारों द्वारा PRIs (पांचायती राज सांस्थाएां) को ाआस
प्रकार सशि बनाना चावहए कक वे समावेशी ववकास को बढ़ावा देने का एक साधन बन पाएां। ाआस
सांबांध में, ग्यारहवीं योजना में एक ववके न्द्रीकरण सूचकाांक (Devolution Index) तैयार ककया
गया है वजसे PRIs-एम्पावरमेंट ाआां डक्
े स कहा गया है।
ववके न्द्रीकरण के वबना, समावेशी ववकास ाअधाररत नीवतयों को लागू करना एक करठन कायथ है।
ाआसवलए, सरकार को शासन का हस्तान्तरण, प्रत्यायोजन और ववके न्द्रीकरण करना होता है।
ववकें द्रीकरण एक बॉटम-ाऄप एप्रोच है। समावेशी ववकास को प्राि करने के वलए ग्रामीण शासन का
ववकें द्रीकरण ाऄत्यांत महत्वपूणथ है। ववकें द्रीकरण का वतथमान स्तर तथा ाआसकी सांस्थागत
दीघाथववध में, यह ज्ञात हुाअ है कक, पयाथवरण के सांबांध में समावेशी ववकास के वलए ककए गए
भारतीय ाअर्शथक वनयोजन के पररणामों के बीच एक महत्वपूणथ ाऄसांतुलन है। यद्यवप, भारतीय
ाऄथथव्यवस्था में तीव्र सांवृवद् देखी गाइ है, तथावप पयाथवरण और गरीबों के जीवन स्तर में वगरावट
ाअाइ है। समावेशी ववकास से सांबांवधत मुद्दों (वजनके बारे में ाअगे चचाथ की गाइ है) के बारे में यह बात
वनकल कर ाअाइ है कक ाईदारीकरण, वनजीकरण और वैश्वीकरण (Liberalization, Privatization
and Globalization: LPG) ने पयाथवरण पर भारी दबाव डाला है और ग्रामीण-शहरी ववभाजन
को बढाया है। सांधारणीय और समावेशी ववकास को एक-दूसरे से ाऄलग करके हावसल नहीं ककया
जा सकता, ाऄवपतु वे एक-दूसरे के पूरक हैं। समावेशी ववकास में सांधारणीय तरीकों को ाऄपनाए
वबना, समावेशी ववकास नीवतयों के कायाथन्वयन का लड़खड़ाना तय है। समावेशी ववकास के वलए
नीवतगत ढाांचा तैयार करते समय वनम्नवलवखत स्तरों पर सांधारणीयता की ाअवश्यकता होती है:
सरकार के समावेशी ववकास कायथिम और पररयोजनाएां ाअर्शथक रूप से व्यवहायथ होनी चावहएां।
यह देखा गया है कक सवब्सडी की ाऄवधकता और पररणाम ाऄवभमुखता (outcome orientation)
की कमी से राजकोषीय घाटे में वृवद् की समस्या ाईत्पन्न हो रही है।
दीघथकाल में, समावेशी ववकास के लक्ष्यों का ाऄनुसरण करने के िम में पयाथवरणीय मानकों को
खतरे में नहीं डाला जाना चावहए। जहााँ ाईवथरक का ाऄत्यवधक ाईपयोग वतथमान समय की माांग है,
वहीं ाआसके पररणामस्वरूप मृदा की ाईत्पादकता में कमी और प्रौद्योवगकी थकान (technology
fatigue) (ाआसकी चचाथ ाअगे की गयी है) की एक ाऄवद्वतीय समस्या ाईत्पन्न हो रही है।
माके टटग समावेशी ववकास के वलए साधनों और साध्यों के सृजन हेतु महत्वपूणथ है। समावेशी
ववकास हेतु वनर्शमत वववभन्न योजनाओं की समुवचत माके टटग ाआसके साथ जुड़े मुद्दों को चुनौती देने
में महत्वपूणथ हो सकता है। ाआां क्लूवसव माके टटग सभी स्तरों पर ाअवश्यक है, जैस-े G2G, G2C,
G2B, B2B या B2C ाअकद। सरकार द्वारा ाआांक्लूवसव माके टटग के वलए IEC (सूचना, वशक्षा और
सांचार) को ाऄपनाया जा सकता है। जबकक कॉपोरे ट सामावजक ाईत्तरदावयत्व ाऄथाथत् CSR, वनजी
और सावथजवनक क्षेत्र की कां पवनयों द्वारा ाऄपनााइ जाने वाली वववधयों में से एक हो सकती है।
ाईदाहरण के वलए ITC की ाइ-चौपाल वजसमें ITC (एक वनजी क्षेत्र की कां पनी) ने तकनीकी और
ववत्तीय सहायता के माध्यम से ककसानों के वलए एक पहल ाअरम्भ की है।
यकद समावेशी ववकास को एक साध्य माना जाए तथा ाआां क्लूवसव माके टटग को एक साधन, तब यह
स्पि हो जाता है कक ाआां क्लूवसव माके टटग गरीबों की ाअजीववका में सुधार के वलए समर्शपत है तथा
ाईन्हें ाईत्पाद और सेवाओं का ाईपभोिा मात्र नहीं समझता। समाज के वांवचत वगों को ाऄपनी
ाअजीववका चलाने में चुनौवतयों का सामना करना पड़ता है। बाजारों, कल्याणकारी योजनाओं तक
पहुांच में करठनााइ, ाईन्हें और ाऄवधक सुभेद्य बना देती हैं ाआसवलए, ाआां क्लूवसव माके टटग वांवचतों को
ववकास प्रकिया में एकीकृ त करने का एक तरीका है।
समावेशी ववकास के लक्ष्यों को पूरा करने में CSR की प्रमुख भूवमका है। वनजी क्षेत्र समावेशी
ववकास को बढ़ावा देने तथा वववभन्न पहलों के साथ योगदान करने में महत्वपूणथ भूवमका वनभा रहा
है। CSR ाऄब भारतीय ाईद्योगों की कॉपोरे ट नीवत का एक वहस्सा बन गया है। ऐसा ाआसवलए है
क्योंकक सरकार ने ाईन ाईद्योगों को ववत्तीय प्रोत्साहन प्रदान ककया है जो CSR के ाऄांतगथत ाऄपने
लाभ का कम से कम 2% योगदान कर रहे हैं। फ्यूचर ग्रुप, जो वबग बाज़ार ब्ाांड नाम से प्रवसद्
ररटेल स्टोसथ चलाता है, CSR को ाऄपनी कां पनी की नीवत के एक घटक के रूप में मानता हैं क्योंकक
ाआस समूह का मानना है कक CSR ाईनके लोकाचार के कें द्र में है:
"फ्यूचर ग्रुप में, कॉपोरे ट सामावजक ाईत्तरदावयत्व, समावेशी ववकास और सांधारणीयता हमारी
रणनीवत और व्यवसावयक तौर-तरीकों के कें द्र में हैं। यह हमारे दीघथकावलक, सतत ववकास की एक
मजबूत नींव के वनमाथण के िम में समुदाय, पयाथवरण और प्रत्येक वहतधारक के प्रवत हमारी
प्रवतबद्ता में झलकता है।"
समावेशी ववकास के साधन के रूप में CSR के कु छ ाऄन्य ाईदाहरण हैं: बहदुस्तान यूनीलीवर का
प्रोजेक्ट शवि, वजसमें मवहला समूह ववतरण चैनलों के रूप में कायथ करती हैं; मबहद्रा एांड मबहद्रा
की नन्ही कली नामक CSR पररयोजना जो सुववधाओं से वांवचत बावलकाओं के वलए वशक्षा प्रदान
करने का कायथ करती है। CSR के नकारात्मक प्रभावों का भी बारीकी से वनरीक्षण ककया जाना
चावहए। CSR कु छ हद तक ाईस वनजी क्षेत्र के वलए कॉपोरे ट सामावजक ाऄवसर (Corporate
Social Opportunity: CSO) का एक ाईपकरण बन गया है वजसका ाऄांवतम ाईद्देश्य लाभ प्राि
करना है।
समावेशी ववकास के कायाथन्वयन के वलए काइ रणनीवतयाां हैं। ाऄवधकतर मामलों में, एक रणनीवत
ववकवसत करना समस्या नहीं है, ाऄवपतु ाईसका कायाथन्वयन और वनगरानी सुवनवित करना एक
समस्या है। समावेशी ववकास की नीवतयों को कायाथवन्वत करने के वलए कु छ प्रमुख दृविकोण नीचे
ाईवल्लवखत हैं:
सांसाधनों के समुवचत ाईपयोग के वबना गरीबी, समानता और ववकास के मुद्दे का समाधान नहीं
ककया जा सकता है। समावेशी ववकास ाअधाररत नीवतगत ढाांचे को कियावन्वत करने के वलए
सांसाधनों का न्यायोवचत बाँटवारा सबसे महत्वपूणथ साधनों में से एक है। सांसाधनों का ाअबांटन ाआस
तरह से ककया जाना चावहए वजससे कक जन-सामान्य को ाऄल्प और दीघथकाल में लाभ वमल सकें ।
ऐसा ाईपभोिा वस्तुओं की समुवचत ाईपलब्धता, लोगों की पहुांच को सुगम बनाकर, रोजगार के
मागथ खोलकर तथा ाअजीववका के मानकों में सुधार के माध्यम से हो सकता है। सावथजवनक ववतरण
प्रणाली (PDS) सांसाधनों के समुवचत ाअबांटन के माध्यम से समावेशी ववकास को सुदढ़ृ करने का
एक ाईत्कृ ि ाईदाहरण है। PDS को पुनाः सांरवचत ककया जाना चावहए। यह खाद्य सुरक्षा के वलए
महत्वपूणथ है। सरकार खाद्य सुरक्षा वबल पर पुनाः कायथ कर रही है; गरीबी रे खा, सांसाधनों के
ाअबांटन के मानदांडों में से एक है।
समावेशी ववकास की सभी रणनीवतयों में रोजगार सबसे महत्वपूणथ कारक है। ाईल्लेखनीय है कक
रोजगार सृजन सरकार के समक्ष एक वास्तववक चुनौती है। ऐसा ाआसवलए क्योंकक भारत
जनसाांवख्यकीय सांिमण और जनसाांवख्यकीय लाभाांश के बोझ की ाऄवस्था से गुजर रहा है।
हालाांकक, नवीनतम जनगणना दशाथती है कक भारत की जनसाँख्या की दशकीय वृवद् दर घट रही है
लेककन श्रम बल में प्रवेश करने वाले युवाओं की जनसांख्या वनरां तर बढ़ रही है। योजना ाअयोग के
तत्वावधान में ककए गए एक शोध ाऄध्ययन से पता चलता है कक रोजगार ाऄपनी कु ल मात्रा में
सामान्य रूप से तथा गैर-कृ वष क्षेत्रों में ववशेष रूप से न बढ़ने की प्रवृवत्त दशाथ रहा है। हाल के वषों
में बेरोजगारी में वृवद् के साथ कै जुाऄलॉाआजेशन ाऄथाथत ाऄल्पकावलकता (वनयवमत श्रवमकों की
ाऄल्पकावलक पुनर्शनयुवि) और ाऄनौपचाररकता में वृवद् हुाइ है। ाऄजुन
थ सेनगुिा की ाऄध्यक्षता वाले
ाऄसांगरठत क्षेत्र के वलए ाईद्यमों पर राष्ट्रीय ाअयोग ने रोजगार में ाऄनौपचाररकता की ाआस समस्या
को हल करने के वलए काइ ाईपायों की वसफाररश की।
ाऄसांगरठत से सांगरठत क्षेत्र में रोजगार वृवद् का सांिमण वस्तुताः सामावजक-ाअर्शथक ववकास का
एक सांकेतक होता है। हालााँकक रोजगार की वस्थवत ाआस सांिमण के ववपरीत है। भारतीय
ाऄथथव्यवस्था में प्रच्छन्न बेरोजगारी की वस्थवत देखने को वमलती है क्योंकक मानव बल का एक
बहुत बड़ा भाग कृ वष क्षेत्र में वनयोवजत है जहााँ सीमाांत ाईत्पादकता ाऄत्यांत कम है। ाईपरोि
तावलका ाआसी प्रवृवत्त को दशाथती है। वववनमाथण, गैर-वववनमाथण और सेवा क्षेत्रक में रोजगार
लगभग एक-वतहााइ हैं तथा ाऄसांगरठत रोजगार का एक बड़ा वहस्सा कृ वष क्षेत्र में है। एक समग्र
समावेशी ववकास के वलए, सरकार को सवोच्च प्राथवमकता के रूप में रोजगार सृजन हेतु
नीवतगत ढाांचा ववकवसत करने की ाअवश्यकता है। मनरे गा ाआस सांबांध में एक सफल प्रयास है।
सांसाधन ववतरण के माध्यम से गरीबी ाईन्मूलन योजनाएां ाऄल्पाववध के वलए रामबाण वसद्
हो सकती हैं ककतु दीघथकाल में रोजगार सृजन ही एकमात्र ाईपाय है। ऐसा ाआसवलए कक
सवब्सडी के जररए सांसाधन ववतरण राजकोषीय घाटे और सरकारी कोष पर बोझ को बढ़ाते
हैं, जबकक रोजगार ाऄपनी प्रवृवत्त में ाईत्पादक होता है।
और क्षमता वनमाथण महत्वपूणथ हैं। भारत सरकार ने 2022 तक 500 वमवलयन लोगों को कौशल
प्रदान करने का लक्ष्य वनधाथररत ककया है। कु छ प्रमुख एजेंवसयाां जो ाआसमें सवम्मवलत हैं, ाईनमें
राष्ट्रीय कौशल ववकास पररषद, राष्ट्रीय व्यावसावयक प्रवशक्षण पररषद तथा रोजगार एवां प्रवशक्षण
महावनदेशालय, ाऄन्य सरकारी और गैर-सरकारी एजेंवसयाां, व्ययवसावयक चैम्बसथ ाअकद शावमल हैं।
सरकार ने कौशल ववकास पहल योजना की भी शुरुाअत की है; मॉड्यूलर रोजगारयोग्य योजनाएां
(Vocational Training Provider: VTP) सरकार की ऎसी पहलों के ाईदाहरण हैं। ाआसके
ाऄवतररि, ग्यारहवीं योजना में सरकार ने सूचना प्रौद्योवगकी और सांचार हस्तक्षेप के माध्यम से
50,000 कौशल ववकास कें द्रों पर प्रवशक्षुओं के वलए सुववधा के साथ एक 'ाअभासी कौशल ववकास
सांसाधन नेटवकथ ' बनाने का भी प्रस्ताव ककया है। एक राष्ट्रीय कौशल सूची का भी वनमाथण ककया
गया है जो एक डेटाबेस है। ाआसका कायथ वनयोिाओं व रोजगार चाहने वालों के बीच सूचना
वववनमय का साझा मांच प्रदान कर रोजगार के सांदभथ में "कौशल न्यूनता मानवचत्रण" करना है।
कृ वष समावेशी ववकास का कें द्रीय ाअधार स्तांभ है। यह ाऄकु शल श्रवमकों को रोजगार प्रदान करती
है और ाअबादी को जीववत रखने में सहयोग प्रदान करती है। कृ वष और सांबद् क्षेत्रक की औसत
वार्शषक सांवृवद् दर, ग्यारहवीं योजना के समय 3.6% थी जो कक नौवीं और दसवीं योजना के
दौरान िमशाः 2.5% व 2.4% रही थी। हालाांकक दर में वृवद् हुाइ है ककतु ाआसी समय ग्रामीण क्षेत्रों
में सांकट, कृ षक ाअत्महत्या और ाऊणों में भी वृवद् दजथ हुाइ है। मुद्रास्फीवत, वैवश्वक वस्तुओं के
मूल्यों के प्रवत सुभेद्यता, क्षेत्रीय ाऄसमानताएां ाअकद वतथमान की नाइ ाईभरती हुाइ चुनौवतयााँ हैं।
सरकार का नीवतगत ढाांचा ाऄपयाथि है। ाअपूर्शत पक्ष और माांग पक्ष के बीच पूणथ ाऄसांतुलन की वस्थवत
है। भूवम सांबांधी मुद्द,े सवब्सडी तथा वनवेश की कमी, भूवम और जल-प्रबांधन, प्रौद्योवगकी, ाऊण,
ववववधीकरण एवां ववपणन, सांस्थागत ाऄवस्थापना व मूल्य हमेशा ववद्यमान रहने वाली समस्याएां
है।
वे पाांच कारक वजन पर पर सरकार को कायथ करने की ाअवश्यकता है और जो कक कृ वष सांवृवद् की
सांभावनाओं के मागथ खोल सकते हैं, ाऄग्रवलवखत हैं: सावथजवनक वनवेश, वनजी वनवेश, प्रौद्योवगकी,
ववववधीकरण एवां ाईवथरक। यकद प्रयास लक्ष्योन्मुख हों तो कृ वष ाअर्शथक सांवृवद् का साधन हो सकती
है। कृ वष सांवृवद् दर को 4% से ाउपर और कृ वष में वनवेश सकल घरे लू ाईत्पाद का लगभग 15% -
20% होना चावहए। कृ वष ववकास के लाभों को जनसांख्या वपरावमड के वववभन्न स्तरों के बीच
समान रूप से बााँटे जाने की वनताांत ाअवश्यकता है। पयाथवरण वहतैषी तरीके सांधारणीयता प्रदान
कर सकते हैं। लक्ष्यों के ाऄवतररि सरकार को सवब्सडी की ाऄवतशयता पर भी वनयांत्रण करना
चावहए। एक सीमा से ाऄवधक सवब्सडी सरकारी कोष पर ाऄवतररि भार की तरह है और पयाथवरण
के वनम्नीकरण का कारण बनती है। ाईवचत प्रौद्योवगकी का चुनाव भी भारतीय कृ वष की एक प्रमुख
बचता है। ाअनुवांवशक रूप से सांशोवधत फसलों पर व्यापक बहस होती है और ववद्यमान प्रौद्योवगकी
में एक ववलक्षणता ाअ गाइ है वजसे 'प्रौद्योवगकी थकान' (technology fatigue) कहा जाता है।
ाआसका ाऄथथ है कक कृ वष में प्रयुि प्रौद्योवगकी कृ वष ाईत्पादकता बढ़ाने में ववफल रही है। कृ षकों और
वववभन्न फसलों के बीच भूवम के वववववधकरण ने कृ वष की सांवृवद् की सांभावनाओं को सीवमत कर
कदया है। छोटे कृ षक, बढ़ी हुाइ कृ वष ाईत्पादकता के ाऄवधकााँश लाभों को प्राि करने में सक्षम नहीं हैं।
कम जोवखम के कारण गेहां और चावल जैसी फसलें सबसे ाऄवधक ाईपजााइ जाती हैं। ाअधारभूत
ाऄवसांरचना के ाऄभाव के कारण भारतीय कृ वष में वृहद स्तर पर फसल वववववधकरण का प्रचलन
नहीं है।
जब समावेशी ववकास की बात ाअती है तो ाआसमें काइ मुद्दे सवम्मवलत होते हैं। कु छ मुद्दे बहुत
मूलभूत हैं वजनमें सामान्य दृविकोण की ाऄस्पिता रहती है; कु छ ाआच्छाशवि के ाऄभाव से सांबांवधत
हैं जबकक ाऄन्य मुद्दे ऐसी बाधाओं के कारण ववद्यमान हैं वजन्हें ाऄल्पाववध में दूर ककया जा सकता है।
समावेशी ववकास से सम्बांवधत कु छ प्रमुख मुद्दे वनम्नवलवखत हैं:
ाअर्शथक सुधारों के बाद से ाऄब तक, भारत की ाअर्शथक सांवृवद् का वास्तववक ववकास पर एक
वमवश्रत प्रभाव दृश्यमान रहा है। GDP को ाअर्शथक सांवृवद् का एक मुख्य पैमाना माना जाता है।
ककसे वनधथन माना जाए तथा कल्याणकारी योजनाओं के वास्तववक लाभाथी कौन हैं? ाआसे समझे
वबना तथा गरीबी की स्वीकायथ पररभाषा के वबना समावेशी ववकास हेतु ाईवचत नीवतगत ढाांचे का
ववकास नहीं ककया जा सकता। गरीबी रे खा को पररभावषत करने हेतु कै लोरी मूल्य, मजदूरी ाअकद
को मापदांड बनाने के प्रयास ककये गए है। गरीबी की पररभाषा की कवमयाां भी ाऄन्य सांबद् क्षेत्रों,
जैस-े रोजगार योजनाएां और गरीबों को दी जाने वाली सवब्सडी ाअकद पर प्रभाव डालती हैं। ाईि
सभी का समावेशी ववकास पर दुष्प्प्रभाव पड़ता है। सरकार गरीबी की घटती दर के ाऄवलोकन को
लेकर ाईत्सावहत तो है जो कम होकर 35% से नीचे ाअ गाइ है, ककतु ठीक ाईसी समय ाऄसमानता भी
बढ़ी है।
सरकार द्वारा सांचावलत ववकास योजनाओं ने बढ़ते राजकोषीय घाटे की दुववधा ाईत्पन्न कर दी है।
भारत की राजकोषीय घाटे की वतथमान वस्थवत ने ववकासपरक योजनाओं की सांभावनाओं को
सीवमत ककया है। भारत में ाऊण का GDP के साथ ाऄनुपात, व्यापार सांतल
ु न (नकारात्मक) व चालू
खाता घाटा (Current Account Deficit: CAD) काफी ाऄवधक है। वपछले वषथ के ाऄनुमान
ाऄग्रवलवखत थे: राजकोषीय घाटा: GDP का 5.2%; CAD: 9 2 वबवलयन ाऄमेररकी डॉलर;
प्रोत्साहन (stimulus) पैकेज: 1.84 लाख करोड़ रूपये (GDP का 3%)। सरकार ने 2016-17
तक राजकोषीय घाटे को कम करके 3 प्रवतशत के स्तर तक लाने का लक्ष्य रखा था। राजकोषीय
घाटे से मुद्रास्फीवत की समस्या भी पैदा होती है वजसके पररणामस्वरूप गरीबों की वस्थवत और भी
दयनीय हो जाती है। राजकोषीय घाटे की ाऄपेक्षा बढ़ता हुाअ CAD समावेशी ववकास के वलए
ाऄवधक हावनकारक है।
ाईपहास की ओर धके ला है। ाईदारीकरण और वनजीकरण ववशेष रूप से भारतीय वनजी कां पवनयों
और कु लीनों व ाऄमीरों के वलये ाऄनुकूल वसद् हुए हैं। वैश्वीकरण ने छोटे और मध्यम ाईद्यमों
(Small and Medium Enterprises: SMEs) के समक्ष ाऄवस्तत्व का प्रश्न ला खड़ा ककया है।
और ाऄवधक स्पि हो जाएगी। वतथमान में, ववश्व व्यापार में भारतीय वस्त्र ाईद्योगों की वहस्सेदारी
ाईल्लेखनीय रूप से कम है। ाआन सबने सांवृवद् की सांभावनाओं को सीवमत ककया है और बेरोजगारी
की समस्या को पैदा ककया है। भारतीय सांदभथ में LPG के कु सांचालन ने नए मुद्दों, जैस-े लैंवगक
ाऄसमानता व मवहला सशविकरण पर दुष्प्प्रभाव ाअकद को जन्म कदया है।
सरकार गरीबी दर को कम करने के ाऄपने प्रयासों को लेकर ाईत्सावहत है; यहााँ तक कक सांयुि राष्ट्र
की MDG (Millenium Development Goal) ररपोटथ भी ाआस बात की पुवि करती है कक 2015
तक भारत की गरीबी दर 1990 के 51% के मुकाबले 22% रह जाने की ाअशा है। ठीक ाआसी
समय, बाल कु पोषण जैसे कु छ ाऄन्य गांभीर मुद्दे हैं जो ाआसी ाऄववध में ाईभरे हैं। 2011 में भूख और
कु पोषण से सांबांवधत एक सवेक्षण में कु छ चपकाने वाले तथ्य सामने ाअए; सबसे खराब बाल ववकास
सांकेतकों वाले 100 वचवन्हत वजलों में 40 प्रवतशत से ाऄवधक बच्चों का वजन कम (underweight)
था और लगभग 60 प्रवतशत बच्चों की ाईां चााइ सामान्य से कम (stunted) थी। ाआस ररपोटथ का
हवाला देते हुए प्रधानमांत्री ने बचता व्यि की कक: कु पोषण की समस्या राष्ट्रीय शमथ का ववषय है।
धनवान और धनी हो गए हैं तथा गरीब और ाऄवधक गरीब हो गए हैं, हावशए पर मौजूद लोगों को
और भी ाईपेवक्षत छोड़ कदया गया है। साथ ही, वपछड़े वगों, ाऄल्पसांख्यकों, ाऄनुसूवचत जावतयों और
ाऄनुसूवचत जनजावतयों के बीच गरीबी और ाऄवधक सकें कद्रत हो गाइ है।
ाअर्शथक सांवृवद् और समावेशी ववकास के वलए ाऄवसांरचना एक मूलभूत कारक है। बजटीय ाअबांटनों
में, ाऄवसांरचना के वलए ाऄवधकतम रावश ाअबांरटत की जाती है। ाआस ाअबांटन का एक बड़ा भाग
ववद्युत ाईत्पादन, माल ढु लााइ गवलयारों और एयरपोटथ जैसी बड़ी पररयोजनाओं में जाता है, जबकक
ग्रामीण ाऄवसांरचना की ाऄत्यांत ाईपेक्षा की जाती है। काइ क्षेत्रों में, समुवचत ाऄवसांरचना की गांभीर
कमी है। सरकार द्वारा ाऄवसांरचना ववकास में मुख्य जोर औद्योवगक ववकास के दृविकोण से कदया
जाता है। ाईदाहरण के वलए, कृ वष पर सदैव कम ध्यान कदया गया है। कृ वष क्षेत्र में कोल्ड स्टोरेज
(शीत भांडारगृहों), प्रसांस्करण सुववधाओं, ग्रामीण पररवहन की सुववधा ाअकद के क्षेत्र में बैकवडथ
सांपकों (बलके ज) को सुगम बनाने हेतु ाऄवसांरचना पर फोकस करना समय की मााँग है। ाआसके
ाऄवतररि, ाऄवसांरचना ववकास में ग्रामीण-शहरी ववभाजन मुखर हो गया है। एक मामले में,
ग्यारहवीं योजना द्वारा यह स्वीकार ककया गया है कक: यह एक ववडांबना है कक दूरसांचार क्षेत्र में
ाऄभूतपूवथ वृवद् ने भी शहरी और ग्रामीण भारत के मध्य मोबााआल एवां लैंड लााआन कनेक्शन तथा
ाआां टरनेट और ब्ॉडबैंड कनेक्शन के सांदभथ में एक वडवजटल ववभाजन ाईत्पन्न कर कदया है। यह योजना
ग्रामीण ववद्युतीकरण के ाऄभाव को भी रे खाांककत करती है और मानती है कक ग्रामीण ववद्युतीकरण
एक ऐसा महत्वपूणथ साधन है वजसके माध्यम से ककसानों और ग्रामीण क्षेत्रों को ववद्युत ाईपलब्ध
करवाकर समावेशी ववकास लााइ जा सकती है।
भारत का ाअर्शथक वनयोजन सांवृवद् ाईन्मुख नीवत के साथ प्रारां भ हुाअ। प्रथम योजना (1951-56)
का ाअरां भ तीव्र एवां सांतवु लत सांववृ द् के ाईद्देश्य से ककया गया। दूसरी योजना (1956-61) में भी
औद्योवगकीकरण की तीव्र वृवद् पर जोर कदया गया। हाल ही में, बारहवीं पांचवषीय योजना
(2012-17) ने तीव्र, ाऄवधक समावेशी और धारणीय ववकास के ाईद्देश्य को सामने रखते हुए
ाअर्शथक सांवृवद् के साथ समावेशन का वमश्रण कर कदया है। भारत सरकार के पूवथ मुख्य ाअर्शथक
समय के साथ ाअर्शथक सांवृवद् की दर ववशेष रूप से चरण 3 में बढ़ी है, जो 1990 के दशक के
दौरान ककए गए महत्वपूणथ सुधारों का पररणाम है। हालाांकक, वनम्न और ाऄद्थ कु शल श्रवमकों के वलए
ाऄवधक रोजगारों को सृवजत करने और समावेशी ववकास पर ध्यान देने में यह ववफल रहा है।
सांवृवद् का समान रूप से बाँटवारा नहीं हुाअ है और ाऄभी भी देश के काइ वहस्सों में बड़ी सांख्या में
लोग गरीब और वांवचत हैं।
कानून, वववनयमन, ाऊण सुववधा, ाअजीववका सुरक्षा प्रदान करने ाअकद के माध्यम से ककए जाने
वाले प्रत्यक्ष हस्तक्षेप समावेशी ववकास को सुगम बनाते हैं। ये सब सरकार के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप के
प्रकार हैं। ाऄब प्रशासवनक मशीनरी वनयामक के बजाये सुववधा-प्रदाता के रूप में पररवर्शतत हो
गयी है। समावेशी ववकास के पररप्रेक्ष्य से सरकार द्वारा ककए जाने वाले प्रत्यक्ष हस्तक्षेप को ाऄब
ाऄपेवक्षत सामावजक वनवेश ाईपलब्ध कराने, स्वतांत्र वनयामकीय सांस्थागत तांत्र की स्थापना,
प्रोत्साहन ाअधाररत नीवतगत मसौदा तैयार करने और ाईद्यमी नवाचार को प्रोत्सावहत करने वाले
के रूप में देखा जाना चावहए।
कौशल ववकास को ाऄक्सर क्षमता ववकास के तौर पर सांदर्शभत ककया जाता है। हालाांकक, क्षमता
ववकास के वल कौशल वनमाथण या ाईद्यमीय नवाचार तक सीवमत नहीं है। ग्रामीण ववकास
कायथकताथओं के प्रवशक्षण के माध्यम से क्षमता ववकास भी क्षमता वनमाथण का एक साधन है। ाऄब,
के वल रोजगार और बाजार की माांग का सृजन ही क्षमता ववकास का एकमात्र मापदांड नहीं है।
दक्षता, प्रभावशीलता, जवाबदेही और पारदर्शशता को बढ़ाने को भी सरकार के क्षमता वनमाथण
पहल क्षेत्रों के ाऄांतगथत माना जाता है। ाईदाहरण के वलए, यकद ग्रामीण ववकास ववभाग का ाईद्देश्य
मनरे गा के माध्यम से ग्रामीण ाआलाकों में पररवारों की ाअजीववका की सुरक्षा में वृवद् करना है, तब
ग्राम सभा की प्रभावकाररता में वृवद् हेतु क्षमता वनमाथण ाआस ाईद्देश्य की प्रावि के तरीकों में से एक
होगा।
खाद्य सवब्सडी, ाअवश्यक वस्तुओं का सावथजवनक ववतरण, पोषण कायथिम, सूक्ष्म ववत्त के माध्यम
से ववत्तीय सहायता ाईन तरीकों के ाईदाहरण हैं वजनके द्वारा कल्याणकारी योजनाएां लागू की जाती
हैं। वववभन्न प्रकार के लाभार्शथयों (मवहलाएां, बच्चें, BPL ाअकद) के वलए कें द्र और राज्य सरकारें
तदनुकूल कल्याण योजनाएां लेकर ाअाइ हैं। कल्याणकारी योजनाओं का दृविकोण सांसाधनों का
ाआितम ाअबांटन करके तथा ाअवश्यक सेवाओं तक पहुाँच स्थावपत कर लाभार्शथयों को लाभ पहुाँचाना
शासन के वववभन्न स्तरों पर जन भागीदारी के वबना, समावेशी ववकास के लक्ष्य को पाना ाऄसांभव
है। सरकार द्वारा ववववध तरीकों से जन भागीदारी को प्रोत्सावहत ककया जा रहा है, वजसके प्रवत
ाअम जन की प्रवतकिया भी सकारात्मक और ाऄग्र-सकिय रहनी चावहए। स्व-सहायता समूहों
(SHGs) को बढ़ावा कदया जाना समावेशी ववकास हेतु जन भागीदारी का एक सामान्य ाईदाहरण
है। सरकार नागररक कें कद्रत सेवाओं के वलए के वल सहायक प्लेटफामथ प्रदान कर सकती है, जबकक
ाईस पर खरा ाईतरने का दावयत्व ाऄभी भी सामान्य-जन का ही है। SHGs समथथन और सांवधथन
कायथिमों ने दवक्षण भारत के राज्यों, ववशेषकर के रल और ाअांध्र प्रदेश में ाऄच्छे पररणाम कदए हैं।
के रल सरकार द्वारा समर्शथत कु डू म्बश्री कायथिम मवहला सशविकरण को बढ़ावा देने और गरीबी
कम करने में सफल रहा है। ाअांध्र प्रदेश सरकार की ाआसी तरह की पहल, 'ाआां कदरा िाांवत पातकम्'
सामावजक गवतशीलता एवां लैंवगक सशविकरण को बढ़ावा देने और ग्रामीण गरीबी को कम करने
में ाऄच्छी प्रगवत कदखा रही है।
ाऄांतत:, नीवतगत हस्तक्षेप व्यवि और समवि (ाऄथाथत् सूक्ष्म और वृहत) दोनों स्तर पर ककया जाता
है। राजकोषीय ाऄनुशासन में सुधार लाना, व्यापार ाईदारीकरण, प्रत्यक्ष ववदेशी वनवेश को
प्रोत्साहन, वनजीकरण, वववनयमन हटाना, कर सुधार, श्रम कानून, सामावजक सुरक्षा जाल,
सावथजवनक व्यय ाअकद समवि नीवतगत ाईपायों के दृविकोण से महत्वपूणथ हैं जबकक व्यवि स्तर पर
ाअय की ाऄसमानता घटाना, जन/सामावजक ाऄवसांरचना को सुधारना, स्वास्थ्य सेवा, वशक्षा,
ाअवश्यक सेवाओं तक पहुांच, जवाबदेही एवां पारदर्शशता, मवहला सशविकरण, नागररक समाज
सांगठनों की भूवमका ाअकद व्यवि (सूक्ष्म) नीवतगत ाईपकरण हैं वजन पर पुन: कायथ ककया जाना
चावहए।
8. साराां श (Summary)
जैसा कक प्रारां भ में चचाथ की गाइ थी कक 11वीं पांचवषीय योजना का दृविकोण पत्र ाआस बात को
स्वीकार करता है कक ाअर्शथक सांवृवद् समावेशी ववकास को हावसल करने में ाऄसफल रही है। यहााँ
ाऄसफलता का मामला ाआच्छाशवि से जुड़ा है, सामथ्यथ से नहीं। समावेशी ववकास के लक्ष्यों को प्राि
करने हेतु क्षमता का ाऄभाव नहीं है ाऄवपतु ाआच्छाशवि की कमी और ाऄदूरदर्शशता की ववद्यमानता
है। नीवतयों का वनमाथण बहुत ही ाईत्साह के साथ ककया जाता है, ककतु समावेशी ववकास की ओर ले
जाने वाली सभी नीवतयों की कायाथन्वन रणनीवतयों को जमीनी स्तर पर कियावन्वत करना ाअसान
होना चावहए और वे ाईत्पादक होनी चावहएां, ाऄथाथत् रोजगार सृजन को ाईत्पादक व पररणामोन्मुख
बनाया जाना चावहए। जब बात BPL या गरीबों में सबसे गरीब लोगों की हो, तब ाईत्पादकता
पररणाम पर ाअधाररत होनी चावहए न कक लक्ष्योंमुखी, क्योंकक समावेशी ववकास के ाऄांतगथत लवक्षत
जनसमूह वांवचत और ाऄकु शल जन समुदाय हैं।
ाऄांत में, नीवतगत समन्वय की कमी है। ाऄताः, सामान्य जनता को प्राथवमकता देते हुए नीवतगत
िे मवकथ को रूपाांतररत करना होगा।
भारतीय ऄथथव्यवस्था
13. भारत में खाद्य प्रसंस्करण और सम्बंधधत ईद्योग - संभावनाएं और महत्व,
धस्थधत, ऄपस्रीम और डाईनस्रीम अवश्यकताएं, अपूर्तत श्ृख
ं ला प्रबंधन
6. भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की सफलता के धलए ईत्तरदायी कारक _________________________________________ 8
8. भारत में खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग का SWOT (Strengths, Weakness, Opportunities and
Threats) अधाररत धवश्लेषण______________________________________________________________________ 11
9. खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के समथथन हेतु सरकार द्वारा प्रारं भ की गईं नीधतगत पहलें और ईपाय _________________________ 12
11. धवगत वषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न _________________________________________ 21
1. खाद्य प्रसं स्करण ईद्योग
(Food Processing Industry)
प्रसंस्कृ त खाद्य में, ऄंतर-मंत्रालयी धहतधारक समूह की बैठक द्वारा पररभाधषत धनम्नधलधखत दो
धवद्युत,् मशीन या धन के प्रयोग द्वारा) द्वारा आस प्रकार रूपांतररत क्रकया जाता है क्रक ईसके मूल
भौधतक गुणों में बदलाव अ जाता है और यक्रद रूपांतररत ईत्पाद खाने योग्य हो और आसका
वाधणधययक महत्व हो तो ये खाद्य प्रसंस्करण के कायथक्षेत्र में अते हैं।
ऄन्य मूल्यवर्तधत प्रसंस्करण- यक्रद ईल्लेखनीय मूल्य संवधथन (शेल्फ लाआफ में ऄधभवृधद्ध, शेल युक्त
और ईपभोग के धलए तैयार आत्याक्रद) हो तो ऐसे ईत्पाद भी प्रसंस्कृ त खाद्य के ऄंतगथत अते हैं, चाहे
जैसी गधतधवधधयााँ शाधमल हैं। आसमें खाद्य ईत्पादों के धनमाथण के धलए कृ धष अगतों का ईपयोग करने
वाले ऄन्य ईद्योग भी सधम्मधलत हैं। औद्योधगक वगीकरण के ऄंतराथष्ट्रीय मानक के अधार पर यह माना
गया है क्रक धनम्नधलधखत समूहों में सूचीबद्ध कारखानों को खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग के रूप में वर्तणत
क्रकया जा सकता है।
परररक्षण
3. 153 ऄनाज ईत्पादों, स्टाचथ और स्टाचथ ईत्पादों तथा पशु ईत्पादों को तैयार करने
हेतु धवधनमाथण
नीधतयााँ कृ धष ईन्मुख नहीं थीं: ईद्योग कृ धष पर कें क्रित: मुख्य ईद्देश्य अर्तथक सुधार: कृ धष क्षेत्र
क्षेत्र (धवशेष रूप से पूंजीगत वस्तुओं खाद्यान्न में अत्मधनभथरता प्राप्त को नजरऄंदाज कर क्रदया
पर) पर ऄधधक ध्यान कें क्रित क्रकया करना, क्रकसानों को ईधचत मूल्य गया। ईद्योग-प्रथम
गया। हालांक्रक 1950-51 में भारत के क्रदलाना और ईपभोक्ताओं (Industry-first) का
सकल घरे लू ईत्पाद में 48% धहस्सा (धवशेष रूप से धनधथनों को) के दृधिकोण, औद्योधगक
कृ धष क्षेत्र का था। अत्मधनभथर और धलए वहनीय कीमतें धनधाथ ररत लाआसेंलसग को हटाने पर
धवधवधतापूणथ ईद्योग क्षेत्र के धनमाथण करना था।
ध्यान कें क्रित क्रकया गया,
की अवश्यकता ने योजनाकारों को सभी धवधनर्तमत और
अयात प्रधतस्थापन रणनीधत ऄपनाने हररत िांधत: चावल और गेहं की पूंजीगत वस्तुओं से अयात
के धलए प्रेररत क्रकया। ईच्च ईपज क्रकस्मों का प्रारं भ। लाआसेंस को हटाने का
फसलों के धलए लसचाइ
प्रयास, टैररफ कटौती और
सुधवधाओं और ईवथरकों तथा
1960 के प्रारम्भ में सकल घरे लू धवदेशी धनवेश के धलए
न्यूनतम समथथन मूल्य का
ईत्पाद की वृधद्ध दर 5% ऄनुमाधनत प्रावधान। धनयमों में छू ट प्रदान
करना।
थी, परन्तु यह के वल 3.9% रही। भोजन के धलए बफर स्टॉक का
धनमाथण तथा सावथजधनक धवतरण हालांक्रक, 2000 के बाद
आसी दौरान जनसंख्या वृधद्ध दर 1.4%
प्रणाली को मजबूत बनाना। सरकार ने खाद्य
ऄनुमाधनत थी, परन्तु यह 2.3% तक
हररत िांधत अयात को धनयाथत प्रसंस्करण ईद्योग पर
पहाँच गइ। पररणामतः भारत की खाद्य
अय के 1.9% तक लाने में ध्यान कें क्रित करते हए
सुरक्षा की दशा ऄत्यंत गंभीर हो गइ
सफल रही। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में
और भारत ने ऄपनी कु ल धनयाथत अय
स्वचाधलत रूट से 100%
के 28% का खाद्यान्न अयात क्रकया।
हदबंदी कानून - 1972: FDI की ऄनुमधत दी।
भूधमहीन क्रकसानों को भूधम ऄल्कोहल, बीयर आत्याक्रद
ईपलजध कराने हेतु। क्रकसानों जैसी कु छ वस्तुओं को
द्वारा धाररत भूधम पर हदबंदी।
छोड़कर ईद्योग प्रारम्भ
धनयाथत पर प्रधतबंध:
कृ धष करने के धलए कोइ
वस्तुओं को धनयाथत करने से औद्योधगक लाआसेंस
प्रधतबंधधत क्रकया गया। आसके अवश्यक नहीं है।
ऄधतररक्त, प्रचधलत धवधनमय दर धनयाथत को प्रोत्साहन: फ़ू ड
धनयाथत के पक्ष में नहीं थी। पाकथ और धनयाथत क्षेत्र को
प्रोत्साधहत क्रकया गया।
आसने शुल्क मुक्त अयात
जैसे लाभ प्रदान क्रकए,
धनयाथत धबिी से प्राप्त लाभ
कॉपोरे ट कर से मुक्त क्रकये
गए।
वाली भूधम की सीमा को धनधाथररत क्रकया एक के रूप में की है। धजसमें घरे लू और
(17 हेक्टेयर तक सीधमत- यह सीमा धवधभन्न धनयाथत बाजारों की मांग को पूरा करने की
ईच्च क्षमता है।
राययों में धभन्न-धभन्न है )
अपूर्तत श्ृंखला तैयार ईत्पादों का धवपणन करने के धलए कच्चे माल के अपूर्ततकताथ (क्रकसान), कं पनी
(खाद्य संसाधक-food processor) और धवतरण तंत्र के मध्य एक नेटवकथ है। अपूर्तत श्ृंखला ग्राहक को
ईत्पाद या सेवा प्रदान करने में ऄपनाये गए चरणों का प्रधतधनधधत्व करती है।
धवधनर्तमत खाद्य ईत्पादों के प्रसंस्करण के धवधभन्न चरण धनम्नधलधखत हैं:
खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग में अपूर्तत श्ृंखला
तृतीयक प्रसंस्करण: ईच्च मूल्यवधथन ईत्पाद जैसे जैम, सॉस, धबधस्कट और ईपभोग के धलए तैयार
ऄन्य बेकरी ईत्पाद।
कच्चे माल से खुदरा धविे ता तथा खुदरा धविे ता से ईपभोक्ता तक खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग की सामान्य
मूल्य श्ृंखला को नीचे धचत्र में दशाथया गया है।
बैकवडथ ललके ज: आसका अशय कच्चे माल की अपूर्तत के स्रोतों और FPIs (खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग-
Food Processing industries) के मध्य संपकथ से है। ईदाहरण के धलए, एक के चऄप धवधनमाथता को
टमाटर जैसे कच्चे माल की अपूर्तत।
फॉरवडथ ललके ज: आसका अशय भौधतक ऄवसंरचना जैसे भंडारण, सड़क और रे ल नेटवकथ आत्याक्रद
धवतरण नेटवकथ के माध्यम से बाजारों और FPIs के मध्य संपकथ से है।
ललके ज का महत्त्व
यह क्रकसानों को ईधचत गुणवत्ता के ईत्पादों के ईत्पादन हेतु प्रोत्साधहत करता है और समथथ बनाता
है।
यह क्रकसानों धवशेषकर सीमांत और मध्यम क्रकसानों, को ईनकी ईपज के धलए ईधचत एवं
लाभकारी प्रधतफल (ररटनथ) प्राप्त करने में सहायता करता है।
यह कम शेल्फ लाआफ वाले शीघ्र नि होने वाले ईत्पादों जैसे फल, सधजजयों, डेयरी ईत्पादों अक्रद
खाद्य पदाथों के ऄपव्यय को कम करता है।
यह ईपभोक्ता बाजारों में खाद्य ईत्पादों का समयबद्ध धवतरण सुधनधित करता है।
ईच्च गुणवत्तापूणथ ईत्पादों और बेहतर ऄवसंरचना के पररणामस्वरूप लागत में कमी और दक्षता में
वृधद्ध होती है।
ये ललके ज सभी धहतधारकों के धलए एक समान ऄवसर प्रदान करते हैं और प्रधतस्पधाथ का सामना
करने में सहायता करते हैं।
स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा मानकों को बेहतर बनाने में सहायता करते हैं धजससे घरे लू और
ऄंतराथष्ट्रीय बाजार में प्रसंस्कृ त खाद्य की स्वीकायथता में वृधद्ध होती है।
सुदढ़ृ ललके ज स्थाधपत करने में धनम्नधलधखत चुनौधतयााँ धवद्यमान हैं:
धवखंधडत भू-जोतों के कारण लघु और धबखरा हअ धबिी योग्य ऄधधशेष।
कच्चे माल ईत्पादन की मौसम पर ईच्च धनभथरता।
मध्यस्थों की ऄत्यधधक संख्या।
शीत-भंडारण, पररवहन सुधवधाओं, धवद्युत आत्याक्रद जैसी ऄवसंरचनाओं की धनम्नस्तरीय सुधवधाएाँ।
प्रसंस्करण ईद्योग ऄत्यधधक धवखंधडत है और आसमें ऄसंगरठत क्षेत्र की प्रधानता है।
प्रसंस्करण ईद्योगों का धनम्न स्तर।
धविय में खुदरा धबिी के 70 फीसदी योगदान के साथ भारतीय खाद्य और क्रकराना बाजार धवश्व
का छठा सबसे बड़ा बाजार बन गया है।
ईत्पादन, ईपभोग, धनयाथत और संवृधद्ध के मामले में यह देश का पांचवााँ सबसे बड़ा ईद्योग है।
खाद्य ईद्योग का वतथमान मूल्य 39.71 धबधलयन ऄमेररकी डॉलर है। आसका मूल्य 2018 तक 11
प्रधतशत की धमधश्त वार्तषक वृधद्ध दर (CAGR) से बढ़कर 65.4 धबधलयन ऄमेररकी डॉलर हो
जाने का ऄनुमान है।
2020 तक भारत के जैधवक खाद्य ईत्पाद बाजार में तीन गुना वृधद्ध का ऄनुमान है।
भारत 1.25 धबधलयन से ऄधधक जनसंख्या वाला देश है। पयाथप्त प्रयोयय अय के साथ बढ़ता मध्यम
आस क्षेत्र में 100% FDI की ऄनुमधत है। भारतीय ईद्योग पररसंघ (CII) का ऄनुमान है क्रक आस क्षेत्र
में अगामी 10 वषों में 33 धबधलयन ऄमेररकी डॉलर के धनवेश को अकर्तषत करने और 9 धमधलयन
लोगों के धलए रोजगार के ऄवसरों का सृजन करने की क्षमता है।
भारत दूध, घी, ऄदरक, के ला, ऄमरुद, पपीता और अम के ईत्पादन में धवश्व में प्रथम स्थान पर है।
आसके ऄधतररक्त, चावल, गेहं और कइ ऄन्य सधजजयों और फलों के ईत्पादन में धवश्व में धद्वतीय
स्थान पर है। यक्रद ऄनाज, फल, सधजजयां, दूध, मछली, मांस और कु क्कु ट अक्रद के ऄधधशेष
ईत्पादन को प्रसंस्कृ त और देश के ऄंदर और बाहर धवपणन क्रकया जाता है तो आस क्षेत्र के धवकास
के धलए और ऄधधक ऄवसर प्राप्त होंगे।
बढ़ावा देन,े रोजगार के ऄवसरों के साथ-साथ धनयाथत अय का सृजन ऄपेधक्षत है। यह क्षेत्र खाद्य
सुरक्षा के महत्वपूणथ मुद्दों का समाधान करने और लोगों को स्वस्थ, पौधिक भोजन प्रदान करने में
भी सक्षम है।
धवकास की संभावनाएं: यद्यधप अकार के सन्दभथ में ईद्योग वृहद् है, तथाधप धवकास के संदभथ में यह
प्रारं धभक ऄवस्था में है। देश के कु ल कृ धष और खाद्य ईत्पादन में से के वल 2 प्रधतशत को ही प्रसंस्कृ त
क्रकया जाता है। हालांक्रक, कृ धष क्षेत्र की तुलना में सकल घरे लू ईत्पाद में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का
योगदान तेजी से बढ़ रहा है।
कच्चा माल: कृ धष ऄथथव्यवस्था होने के कारण भारत में कच्चे माल की पयाथप्त अपूर्तत है।
रोजगार सृजन: आसमें धवशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में ,गैर-कृ धष रोजगार सृजन करने की क्षमता है। यह
ईत्पादक रोजगार के ऄवसर प्रदान करके प्रच्छन्न बेरोजगारी को कम करे गा।
धनवेश: आस क्षेत्र में स्वचाधलत मागथ के माध्यम से 100 प्रधतशत FDI (प्रत्यक्ष धवदेशी धनवेश) की
ऄनुमधत है। 2010-11 से 2016-17 (औद्योधगक नीधत एवं संवधथन धवभाग) के दौरान खाद्य
प्रसंस्करण क्षेत्र में 6492.19 धमधलयन ऄमेररकी डॉलर की FDI आक्रवटी का ऄन्तवाथह रहा। ये
धनवेश कृ धष अय और रोजगार को बढ़ावा देने के धलए ईत्प्रेरक के रूप में कायथ करते हैं।
भारतीय खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग की धवकास क्षमता ऄधववाक्रदत है; हालांक्रक, आसे ऄपनी क्षमता का पूणथ
लाभ प्राप्त करने के धलए कु छ धनधित दक्षताओं एवं सफलता प्राधप्त से संबंधधत कारकों की अवश्यकता
है। आसके ऄंतगथत मूल्य श्ृंखला में धवद्यमान ऄंतरालों का समाधान करने के साथ-साथ देश-प्रदत्त धवधभन्न
लाभों से भी लाभाधन्वत होना सधम्मधलत है। सफलता के धलए ईत्तरदायी कु छ प्रमु ख कारकों की नीचे
चचाथ की गइ है:
फलों एवं सधजजयों के ईत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है, जबक्रक आसके ईत्पादन का लगभग 20
से 25 प्रधतशत फसल कटाइ के धवधभन्न चरणों में नि हो जाता है। आसका प्रमुख कारण बीज एवं
रोपण सामग्री की धनम्न स्तरीय गुणवत्ता तथा ईपज में सुधार हेतु प्रौद्योधगकी का ऄभाव है।
गुणवत्तायुक्त ईत्पादों को सुधनधित करने के धलए प्रौद्योधगकी में धनवेश और फसल के धलए लंबी
पररपवन ऄवधध की अवश्यकता होती है। गुणवत्तायुक्त ईत्पादन के पररणामस्वरूप ही बेहतर
गुणवत्तायुक्त प्रसंस्कृ त फलों का ईत्पादन हो पाता है। आसधलए ईपज की गुणवत्ता में सुधार हेतु
ऄनुबंध कृ धष जैसी व्यवस्थाओं की सहायता से क्रकसानों के साथ बैकवडथ ललके ज स्थाधपत करने की
अवश्यकता है। प्रसंस्करण ईद्योग में स्के ल (ईत्पादन की मात्रा और ईत्पादन आकाआयों का अकार
या मात्रा) एक महत्वपूणथ घटक है। लगभग 90 प्रधतशत खाद्य प्रसंस्करण आकाआयां छोटे स्तर की हैं
धजस कारण वे आकॉनमी ऑफ़ स्के ल (अकाररक धमतव्यधयता ऄथवा ययादा ईत्पादन आकाआयों से
ऄधधक मात्रा में ईत्पादन होने से प्रधत आकाइ ईत्पादन लागत कम हो जाती है) से पूणथ लाभाधन्वत
होने में ऄक्षम होती हैं। यह जोतों के संदभथ में भी सत्य है।
प्रसंस्करण प्रौद्योधगकी (Processing Technology)
वतथमान समय में, भारत में ऄधधकांश प्रसंस्करण आकाआयााँ हस्तचाधलत (मैनऄ
ु ल) हैं। सधजजयों के
धलए प्री-कू ललग सुधवधाओं, धनयंधत्रत वातावरण में भंडारण तथा धवक्रकरण सुधवधाओं जैसी
तकनीकों का सीधमत ईपयोग क्रकया जाता है। यह तकनीकी फलों एवं सधजजयों के धवस्ताररत
भंडारण हेतु महत्वपूणथ है ताक्रक अगे ईनका प्रसंस्करण सुगम हो सके । मांस प्रसंस्करण के संदभथ में,
भारत में मौजूदा 3600 से ऄधधक लाआसेंस प्राप्त बूचड़खानों में तकनीक का ईपयोग सीधमत स्तर
पर क्रकया जाता है, धजसके पररणामस्वरूप पशु अबादी का कम ईपयोग हो पाता है। अधुधनक
तकनीक का ईपयोग एक ऐसा क्षेत्र है जहााँ मौजूदा धनवेशकों के साथ-साथ नए धनवेशकों का भी
ध्यान अकर्तषत क्रकया जा सकता है। आससे प्रक्रिया क्षमताओं के साथ-साथ ऄंधतम ईत्पाद की
गुणवत्ता में स्पि ऄंतर सुधनधित क्रकया जा सके गा।
घरे लू बाजारों में बढ़ती पहाँच (Increasing Penetration in Domestic Markets)
ऄधधकांश प्रसंस्करण आकाआयााँ धनयाथतोन्मुखी हैं ऄतः घरे लू बाजारों तक आनकी पहाँच धनम्न स्तरीय
है। ईदाहरणाथथ:
o प्रसंस्कृ त फलों एवं सधजजयों की समग्र रूप से पहाँच मात्र 10 प्रधतशत है।
o ब्ांडड
े दुग्ध ईत्पादों धवशेषतः घी की पहाँच ऄभी 2 प्रधतशत से भी कम है।
o रसोइ (culinary) संबंधी ईत्पादों की पहाँच ऄभी भी 13.3 प्रधतशत है एवं वृहत पैमाने पर
आसका झुकाव महानगरों की ओर है।
o भारतीय ईपभोक्ताओं द्वारा पैक्ड धबधस्कट की खपत ऄभी भी 0.48 फीसदी से भी कम है
यद्यधप, शहरी जनसंख्या के मध्य आन ईत्पादों की स्वीकृ धत में तेजी से वृधद्ध हो रही है। भारत में एक
बड़ा ऄप्रयुक्त ग्राहक अधार मौजूद है एवं घरे लू बाजार में ऄल्प पहाँच भी कं पधनयों को मात्रात्मक संख्या
में ऄधधक लाभ प्राप्त करने में सक्षम बना सकती है। घरे लू बाजार में स्वीकृ धत के साथ ही ईच्च पहाँच
धनम्नधलधखत कारकों द्वारा संचाधलत होती है:
आसका घरे लू ईपभोग एक वषथ में 30% से बढ़कर 80% हो गया। प्रधतस्पधी मूल्य धनधाथरण ग्रामीण
बाजारों में भी पहाँच को सक्षम बनाता है।
ब्ांड प्रधतस्पधाथत्मकता (Brand Competitiveness)
भारतीय ईपभोक्ताओं द्वारा की जाने वाली खरीद में ब्ांडड
े ईत्पादों के भाग में तेजी से वृधद्ध हो
रही है। यह शहरी ईपभोक्ताओं के संदभथ में धवशेष रूप से सत्य है। बासमती चावल तथा KFC’s
धचकन जैसे ब्ांडड
े ईत्पादों की सफलता ईधचत मूल्य पर स्वच्छ ब्ांडड
े ईत्पादों की ऄधधक मांग को
दशाथती है।
ईत्पाद संबध
ं ी नवाचार (Product Innovation)
स्नैक्स फ़ू ड जैसी कु छ प्रसंस्कृ त खाद्य श्ेधणयां ऐसे ईत्पाद हैं धजनका िय ऄधधक मात्रा में क्रकया
जाता है और यहााँ ईपभोक्ता द्वारा नवीनता एवं नए स्वादों की खोज की जाती है और आसधलए आन
श्ेधणयों में ब्ांड धनष्ठा का ऄभाव है। क्रदखने में अकषथक पैककग क्रकसी भी वस्तु के ईपभोग को
बढ़ावा देती है। कायथशील मध्यम वगथ के मध्य बढ़ती समय बाध्यताओं ने आं स्टेंट सूप, नूडल्स एवं
रे डी-टू -मेक ईत्पादों के ईपभोग में धनरं तर वृधद्ध की है। पैकेलजग एवं ईत्पाद ईपयोग में नवाचार
प्रसंस्कृ त खाद्य पदाथों हेतु एक महत्वपूणथ सफलता कारक है।
सामथ्यथ दुबल
थ ताएं ऄवसर समस्याएं/ चुनौधतयां
(Strengths) (Weaknesses) (Opportunities) (Threats)
कच्चे माल की ऄधधक मात्रा में देश में कृ धष- वैधश्वक प्रधतभाधगयों
वषथ भर कायथशील पूज
ं ी पाररधस्थधतक से प्रधतस्पधाथ।
ईपलजधता। की अवश्यकता। पररवतथनशीलता के बेहतर कायथ
खाद्य नवीन, कारण वृहद् फसल एवं पररधस्थधतयों के
प्रसंस्करण की धवश्वसनीय तथा सामग्री अधार खाद्य कारण ऄन्य ईद्योगों
एक महत्वपूणथ बेहतर ईपकरणों प्रसंस्करण एवं व्यवसायों में
क्षेत्र के रूप में एवं साधनों की गधतधवधधयों हेतु प्रधशधक्षत श्मबल
बजट 2018-19 में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के धलए नए प्रावधान (New Provisions for Food
Processing Sector in Budget 2018-19)
प्रधानमंत्री क्रकसान संपदा योजना (PMKSY) हेतु वषथ 2017-18 के बजट ऄनुमान में क्रकए गए
715 करोड़ रुपए के अवंटन को वषथ 2018-19 के बजट ऄनुमान में बढ़ाकर 1400 करोड़ रुपए कर
क्रदया गया है।
खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग मंत्रालय (MoFPI), वाधणयय और ऄन्य संबद्ध मंत्रालयों की भागीदारी में
कृ धष सहकाररता तथा क्रकसान कल्याण धवभाग (DAC & FW) ऄपनी चालू योजनाओं की
पुनसंरचना करे गा और कृ धष मदों एवं क्षेत्र के क्लस्टर अधाररत धवकास को प्रोत्साधहत करे गा।
टमाटर, प्याज और अलू प्रसंस्करण- कृ षक ईत्पादक संगठनों (FPOs), कृ धष लॉधजधस्टक, प्रसंस्करण
सुधवधाओं और व्यवसाधयक प्रबंधन को प्रोत्साधहत करने के धलए 500 करोड़ रूपए के अवंटन से
ऑपरे शन ग्रीन का शुभारं भ क्रकया गया है।
कृ धष धनयाथत क्षमता को वतथमान के 30 धबधलयन ऄमेररकी डॉलर से 100 धबधलयन ऄमेररकी डॉलर
तक बढ़ाने के ईद्देश्य से सभी 42 मेगा फू ड पाकों में ऄत्याधुधनक परीक्षण सुधवधाओं की स्थापना की
जाएगी।
250 करोड़ रुपए तक का वार्तषक कारोबार करने वाली सभी क्षेत्रों की कं पधनयों के धनगम अयकर
को 30% से घटाकर 25% कर क्रदया गया है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधधकरण में एक ऄध्यक्ष और 22 सदस्य शाधमल होते हैं, धजनमें से
एक-धतहाइ मधहलाएाँ होनी चाधहए।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधधकरण को खाद्य सुरक्षा के मानकों को धनधाथररत करने हेतु
धवधभन्न वैज्ञाधनक पैनलों और एक कें िीय सलाहकार सधमधत द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी। आन
मानकों में संघटक, संदष
ू क, कीटनाशक ऄवशेष, जैधवक खतरों तथा लेबललग हेतु धवधनदेश शाधमल
होंगे।
9.2 खाद्य प्रसं स्करण क्षे त्र में ऄवसं र चना धवकास
मेक आन आं धडया ऄधभयान के भाग के रूप में, 25 फोकस क्षेत्रों में से एक के रूप में खाद्य प्रसंस्करण
क्षेत्र की पहचान की गयी थी।
खाद्य प्रसंस्करण कोष (Food Processing Fund)
मेगा फू ड पाकथ और फू ड पाकों में स्थाधपत होने वाली खाद्य प्रसंस्करण आकाआयों की सहायता के
धलए सस्ते ऊण ईपलजध कराने की व्यवस्था के धलए धवत्तीय वषथ 2014-15 में नाबाडथ के ऄंतगथत
राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योधगकी, ईद्यमशीलता एवं प्रबंधन संस्थान (NIFTEM) (National Institute
से जोड़ने के धलए एक तंत्र ईपलजध कराना है ताक्रक मूल्यवधथन को ऄधधकतम, बबाथदी को न्यूनतम,
क्रकसानों की अय में वृधद्ध और धवशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के ऄवसर सृधजत करना
सुधनधित क्रकया जा सके ।
मेगा फू ड पाकथ में संग्रहण कें िों, प्राथधमक प्रसंस्करण कें िों, कें िीय प्रसंस्करण कें िों, शीत श्ृंखला और
ईद्यधमयों द्वारा खाद्य प्रसंस्करण यूधनटों की स्थापना हेतु 30-35 पूणथ धवकधसत भूखंडों समेत
अपूर्तत श्ृंखला ऄवसंरचना शाधमल होती है।
मेगा फ़ू ड पाकों में शीत भण्डारण, खाद्य परीक्षण एवं धवश्लेषण प्रयोगशाला, औद्योधगक ऄपधशि
ईपचार संयत्र
ं , सामान्य प्रसंस्करण सुधवधाएाँ, पैकेलजग कें ि, धवद्युत् एवं जल अपूर्तत,
सेधमनार/सम्मेलन/प्रधशक्षण सुधवधाएाँ आत्याक्रद जैसी सामान्य सुधवधाएं शाधमल है।
मेगा फू ड पाकथ स्कीम हब एंड स्पोक मॉडल पर अधाररत एक “क्लस्टर” दृधिकोण है। आसके
ऄंतगथत, पाकों में सुस्थाधपत अपूर्तत श्ृंखला के साथ ईपलजध औद्योधगक भूखंडों में अधुधनक खाद्य
प्रसंस्करण यूधनटों की स्थापना के धलए सुपररभाधषत कृ धष/बागवानी जोन में ऄत्याधुधनक सहायक
ऄवसंरचना के सृजन की पररकल्पना की गइ है।
यह क्लस्टर अधाररत दृधिकोण खाद्य प्रसंस्करण को अर्तथक रूप से ऄधधक व्यवहायथ बनाता है।
ऄत्याधुधनक प्रसंस्करण ऄवसंरचना ईन्हें अवश्यक प्रौद्योधगकी बढ़त प्रदान करती है। मेगा फ़ू ड
पाकथ में ग्रामीण क्षेत्रों में वृहद् स्तर पर रोजगार ऄवसरों के सृजन के ऄधतररक्त क्रकसानों हेतु
प्रधतलाभों में वृधद्ध के माध्यम से धनकटवती क्षेत्रों में कृ धष को पुनजीधवत करने की क्षमता होती है।
मेगा फू ड पाकथ पररयोजना का कायाथन्वयन एक स्पेशल पपथज व्हीकल (SPV) द्वारा क्रकया जाता है।
यह कं पनी ऄधधधनयम के ऄंतगथत एक पंजीकृ त कॉरपोरे ट धनकाय होता है। रायय सरकार, रायय
सरकार की संस्थाओं एवं सहकाररताओं को मेगा फू ड पाकथ पररयोजना के कायाथन्वयन हेतु ऄलग से
SPV बनाने की अवश्यकता नहीं होती है।
2015 में फलों और सधजजयों के धलए प्रसंस्करण का स्तर 15% तक बढ़ाने की पररकल्पना की गइ
है।
मंधत्रमंडल द्वारा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के धलए कृ धष व्यवसाय और दृधिकोण, रणनीधत एवं कायथ
योजना को बढ़ावा देने के धलए एकीकृ त रणनीधत को भी मंजरू ी प्रदान की गइ है।
2003-04 2014-15
(धबधलयन डॉलर) (धबधलयन डॉलर)
भारतीय खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग जनसांधख्यकीय पररवतथन, बढ़ती जनसंख्या और तीव्र शहरीकरण के
साथ सरकार के बढ़ते समथथन के कारण तीव्र धवकास के धलए तैयार है। ये कारक मूल्यवर्तधत ईत्पादों की
मांग में वृधद्ध करें गे और आस प्रकार भारत में खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग की संभावनाओं में सुधार होगा।
सरकार द्वारा प्राथधमकता प्राप्त क्षेत्र के रूप में खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग पर ध्यान कें क्रित करना, आस क्षेत्र
में धनवेश का समथथन करने और ऄधधक FDI अकर्तषत करने वाली नीधतयों के धनमाथण को सुधनधित
करे गा। प्राकृ धतक संसाधनों की व्यापक अपूर्तत और बढ़ते तकनीकी ज्ञान अधार के साथ भारत ऄन्य
देशों की तुलना में ऄपेक्षाकृ त ऄधधक लाभ की धस्थधत में है। CII के ऄनुसार, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 10
वषों में 33 धबधलयन ऄमेररकी डॉलर के धनवेश को अकर्तषत करने और 9 धमधलयन व्यधक्तयों के धलए
रोजगार के ऄवसरों को सृधजत करने की क्षमता है। भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र स्पि रूप से धनवेश के
धलए एक अकषथक क्षेत्र है और धनवेशकों को महत्वपूणथ धवकास की संभावना प्रदान करता है।
2. Explain the backward and forward linkages across the supply chain in the
Food Processing Sector. Also discuss their importance in ensuring the
success of Supply Chain Management in the Food Processing Industry of
India. 2014-6-422
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अपूर्तत श्ृख
ं ला में फॉरवडथ और बैकवडथ ललके ज की व्याख्या कीधजये। आसके
साथ ही भारत के खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग में अपूर्तत श्ृख ं ला प्रबंधन की सफलता को सुधनधित
करने में ईनके महत्व की चचाथ कीधजये।
दृधिकोणः
धवद्यार्तथयों को फॉरवडथ और बैकवडथ ललके ज के ऄथथ की व्याख्या को महत्त्व देना चाधहए। कोइ भी
ईद्धृत दृिान्त ईत्तर के प्रभाव को और बढ़ाने वाला होना चाधहए। आसके ऄधतररक्त, धद्वतीय भाग में
आस बात पर बल क्रदया जाना चाधहए की क्रकस प्रकार भारत की FPI में ईधचत फॉरवडथ और
बैकवडथ ललके ज का ऄभाव है और आस पहलू में सुधार भारत में FPI में समग्र धवकास को प्रोत्साधहत
करे गा।
ईत्तरः
फॉरवडथ और बैकवडथ ललके ज का ऄथथ है खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग का बाजार और कच्चे माल के स्रोत
से िमशः जुड़ा होना।
बैकवडथ ललके ज के तहत एक महत्वपूणथ ललके ज है कच्चा माल संबध ं ी ललके ज संयोजन ऄथाथत क्रकस
सीमा तक FPI देश के कृ धष क्षेत्र से कच्चा माल प्राप्त कर लेता है। ऄन्य महत्वपूणथ बैकवडथ ललके ज में
ईत्पादन में शाधमल पूज
ाँ ी और यंत्रों की मांग, तैयार माल की धडजबा-बंदी अक्रद शाधमल है।
फॉरवडथ ललके ज के कु छ महत्वपूणथ ईत्पादों का लोगों द्वारा सीधे तौर पर ईपभोग क्रकया जाता है
जबक्रक कु छ ईत्पाद और ऄधधक पररष्कृ त कृ धष अधाररत ईत्पादों के धनमाथण के धलए ऄन्य ईद्योगों
में आनपुट धनवेश, अगत के रूप में आस्तेमाल क्रकये जा सकते हैं।
ईदाहरण के धलए, यक्रद कोइ व्यधक्त छोटे पैमाने पर जैम मुरजबे का ईत्पादन करता है, तो ईसकी
बैकवडथ ललके ज है मूल ढांचा, जो ईसे कच्चे फलों के ईसके स्रोत से जोड़ती है, और ईसकी फॉरवडथ
ललके ज है वह ढांचा जो ईसे बाजार से जोड़ती है।
ईत्पादन प्रक्रिया की बैकवडथ ललके ज में कच्चे मालों की तलाश और ईसे प्राप्त करना शाधमल है।
ईत्पादन प्रक्रिया के आस ऄंग का माल का प्रसंस्करण करने आत्याक्रद से कोइ लेना-देना नहीं है।
प्रक्रिया के आस भाग में धसफथ कच्चे माल की तलाश और प्राधप्त शाधमल है। आस प्रकार, कोइ भी
ईद्योग जो कच्चे माल के संग्रह पर अधाररत है वह ईत्पादन प्रक्रिया का ईत्तरवती चरण होता है।
खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग द्वारा समग्र औद्यधगक धवकास के धलए वांधछत गधत ईत्पन्न करने की सीमा
ईनके धवधभन्न ललके ज संबंधी प्रभावों पर धनभथर करे गी।
प्रसंस्कृ त खाद्य पदाथथ ईत्पादन क्षेत्र की कं पधनयों को आनपुट की गुणवत्ता के एक समान न बने रहने,
ईत्पाद के धनमाथण क्षेत्र में पहाँचने तक बड़े स्तर पर नुकसान तथा न्यूनतम मूल्य वृधद्ध के साथ
ऄवांधछत लागत वृधद्ध जैसी समस्याओं का सामना ऄंतगाथमी अपूर्तत श्ृंखला में करना पड़ता है।
ऐसा लम्बी और धवभाधजत अपूर्तत श्ृंखला के कारण होता है धजससे ये ऄपव्यय तथा मूल्य में वृधद्ध
सामने अते हैं। आससे कु छ कं पधनयों को ठे के पर अधाररत कृ धष- धजससे कं पनी कम से कम बबाथदी
के साथ एक धनधित गुणवत्ता के स्तर पर आनपुट को धनयंधत्रत करने में समथथ होती है- के माध्यम से
बैकवडथ ललके ज के धनमाथण की अवश्यकता होती है।
खेतों से ले कर बाजार तक ऄबाधधत तापमान और जलवायु धनयंधत्रत कृ धष अपूर्तत श्ृंखला के धलए
फॉरवडथ और बैकवडथ दोनों ललके ज महत्वपूणथ होते हैं। ऄधधकााँश प्रसंस्कृ त खाद्य पदाथों को धविय के
समय भी धनयंधत्रत तापमान की अवश्यकता होती है।
मजबूत फॉरवडथ और बैकवडथ ललके ज वाले खाद्य प्रसंस्करण ईद्योगों का ईदय क्रकसानों को बाजार
की मांग के ऄनुसार फसल ईत्पाक्रदत करने को प्रोत्साधहत करे गा। ऄन्य फायदों के साथ-साथ, आससे
धतलहन और दलहन के हमारे भारी अयात को कम करने में सहायता धमलेगी।
कु छ अकलनों के ऄनुसार, फॉरवडथ और बैकवडथ ललके ज को मजबूती प्रदान करने से खाद्य पदाथथ की
बबाथदी को रोकने में सहायता धमलेगी धजसके बारे में अकलन है क्रक यह 40,000 करोड़ से उपर
की है। आससे मुिा-स्फीधत पर भी धनयंत्रण क्रकया जा सके गा।
3. Food processing industry needs a fillip in the form of better logistics, access
to credit, technology indigenisation and implementation of food safety laws.
Discuss. 2015-1-625
खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग के धलए ईत्तम प्रचालन तंत्र, ऊण ईपलजधता, स्वदेशी प्रौद्योधगकी और
खाद्य सुरक्षा के धलए धनर्तमत कानूनों के क्रियान्वयन के रूप में प्रोत्साहन की अवश्यकता है। चचाथ
करें ।
दृधिकोण :
संक्षेप में भारत में खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग की संभावनाओं का पररचय दीधजये।
खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग की संपण ू थ संभावनाओं का दोहन करने के धलए ईत्तम प्रचालन तंत्र के
धवकास, ऊण ईपलजधता, प्रौद्योधगकी के स्वदेशीकरण और खाद्य सुरक्षा कानून के क्रियान्वयन की
अवश्यकता के संबंध में समझाआये।
क्रदए गए मुद्दों पर सुझाव सधहत पृथक शीषथकों के ऄंतगथत चचाथ की जा सकती है।
ईत्तर:
भारत के सकल घरे लू ईत्पाद के लगभग 21% के व्यय के साथ खाद्य और खाद्य ईत्पाद भारत में सबसे
बड़ी ईपभोग श्ेणी है। लेक्रकन कु ल प्रसंस्करण स्तर भारत में के वल 10% है जबक्रक कु छ धवकधसत देशों
में यह लगभग 80% तक पहाँच गया है। धवश्व व्यापार में प्रसंस्कृ त खाद्य पदाथों के धनयाथत में आसकी
धहस्सेदारी मात्र 1.5% है।
ऊण ईपलजधता
खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग को ऊण देने हेतु सरकार को नाबाडथ की तजथ पर राष्ट्रीय बैंक की स्थापना
करनी चाधहए या नाबाडथ के दायरे का धवस्तार करना चाधहए।
आससे सदैव बैंकों से ऊण की ईपलजधता की कमी की समस्या से जूझने वाले खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र
के धलए फं ड का शीघ्र धवतरण सुधनधित होगा।
रायय सरकारों को बैंकों, धवत्तीय संस्थानों, तकनीकी और प्रबंधन संस्थानों एवं क्रकसान समूहों के
साथ साझेदारी में ईत्प्रेरक की भूधमका धनभानी चाधहए ताक्रक छोटे व ऄसंगरठत भागीदार या कताथ
धवश्व स्तर पर प्रधतस्पधी बन जाएं।
प्रौद्योधगकी का स्वदेशीकरण
ऄधधकांश ऄनुसंधान एवं धवकास संस्थान ऄधभनव ईत्पादों, प्रक्रियाओं और वैधश्वक स्तर की
मशीनरी का धवकास करने में सक्षम नहीं हए हैं। आसके धलए प्रमुख कारण व्यवहाररक ऄनुसंधान से
धशक्षाधवदों का पृथक्करण, ऄपयाथप्त ईद्योग ऄंतरपृष्ठ (inadequate industry interface), ऄल्प
वाधणधययक ऄधभधवन्यास और वैधश्वक साधथयों के साथ सहयोगात्मक प्रयासों का ऄभाव हैं।
बड़े स्तर के ईद्योग और बनाना पेस्ट, धवधभन्न फलों के रसों का सांिण, छंटाइ, सफाइ, धुलाइ,
वैलक्सग और कच्चे फल व सधजजयों की पैकेलजग सदृश वस्तुओं के ईत्पादन के धलए धनयाथत ईन्मुख
इकाआयों हेतु ऄभी भी प्रौद्योधगकी का अयात क्रकया जा रहा है।
वैधश्वक मानदंड और अत्मधनभथरता प्राप्त करने हेतु खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग में प्रौद्योधगकी के
स्वदेशीकरण की तत्काल अवश्यकता है।
प्रधशधक्षत धनरीक्षकों और ऄत्याधुधनक प्रयोगशाला सुधवधाओं की संख्या में अवश्यक रूप से वृधद्ध
करने सधहत, सरकार को वास्तधवक रूप से खाद्य सुरक्षा और मानक ऄधधधनयम (एफएएसएएसएए)
का प्रवतथन सुधनधित करना चाधहए।
एफएएसएएसएए के ईद्देश्यों और ऄधनवायथ पारदर्तशता को देखते हए यह महत्वपूणथ है क्रक: खाद्य
प्राधधकाररयों, वैज्ञाधनक पैनलों और वैज्ञाधनक सधमधतयों को जनता और ईद्योग की भागीदारी
द्वारा धनयम धनमाथण के धनर्ददि ईद्देश्य के साथ सुस्पि कायथ क्रदए जाने चाधहए।
प्रसंस्कृ त खाद्य पदाथों के धनयाथत में वृधद्ध करने के धलए, वैधश्वक ऄपेक्षाओं के ऄनुसार कठोर सुरक्षा
मानदण्ड लागू क्रकए जाने की अवश्यकता है। सुरक्षा लचताओं के कारण भारतीय खाद्य ईत्पादों की
ऄस्वीकृ धत की कइ घटनाएं हइ हैं।
industry has been very slow in India. In this context examine the problems
with respect to various government initiatives to boost the food processing
sector in India. 2015-14-625
ऄनेक योजनाओं और कायथिमों के होते हए भी भारत में खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग का धवकास ऄधत
धीमा रहा है। आस संदभथ में भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने हेतु सरकार की धवधभन्न
पहलों से जुड़ी समस्याओं का परीक्षण करें ।
दृधिकोण :
संक्षेप में खाद्य प्रसंस्कण क्षेत्रक द्वारा प्राप्त की गइ संवृधद्ध का ईल्लेख कीधजए।
आस संबंध में कु छ सरकारी योजनाओं का ईल्लेख कीधजए।
व्याख्या कीधजए क्रक यह क्रकस प्रकार ऄभी भी ऄपनी क्षमता से कम प्रदशथन कर रहा है।
ईन कारकों को प्रकट कीधजए धजन्होंने आन योजनाओं की सफलता को सीधमत क्रकया है।
ईत्तर :
भारत के कु ल खाद्य बाजार के लगभग 32% के धलए धजम्मेदार, खाद्य प्रसंस्कण ईद्योग को खपत,
धनयाथत और ऄपेधक्षत संवृधद्ध के पदों में पांचवें स्थान पर श्ेणीबद्ध क्रकया गया है। सरकार ने आस क्षेत्र की
संवृधद्ध के धलए धनम्नधलधखत पहलें की हैं:
2005 तक खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग के संबंध में लगभग 13 कानून थे। सरकार ने धवधनयम के धलए
एकल संदभथ धबन्दु के रूप में कायथ करने हेतु खाद्य सुरक्षा और मानक ऄधधधनयम, 2006 पाररत
क्रकया।
सरकार ने ईद्योग में 100% प्रत्यक्ष धवदेशी धनवेश की ऄनुमधत प्रदान की है।
ऄवसंरचना सुधवधाएाँ: मेगा फू ड पाकथ , धडजबाबंदी के न्ि, समेक्रकत कोल्ड चेन सुधवधा, मूल्य संवर्तधत
के न्ि, क्रकरणन सुधवधाएाँ, कसाइखाने का अधुधनकीकरण।
सुधवधाएाँ, सड़क, रे ल एवं बंदरगाह ऄवसंरचना, अधुधनक संभरण क्षेत्र (लाधजधस्टक्स) ऄवसंरचना
जैसे क्रक लॉधजधस्टक्स पाकथ , समेक्रकत शीत श्ृंखला समाधान, ऄंधतम छोर तक सम्पकथ , रे लमागथ की
ऄपेक्षा सड़क मागथ पर धनभथरता, धवधशि पररवहन, तकनीकी ऄनुकूलन (बारकोलडग,
अरएएफएअइएडीए) को ऄभी भी संबोधधत नहीं क्रकया जाता है।
ऄभी भी बाहरी स्रोत से माल मंगाने को वरीयता देता है, आसके पररणामस्वरूप भारत में
एफएएमएसीएजीए द्वारा बेचे जाने वाले 50% प्रसंस्कृ त खाद्य हेतु बाहरी स्रोत से कच्चा माल मंगाया
जाता है।
ॠण ऄब भी आस ईद्योग के धलए एक बड़ी समस्या है जो क्रकसानों तथा सूक्ष्म व लघु ईद्यमों को
एक बड़े स्तर पर सधम्मधलत करती है।
भूधम जोत को एकीकृ त करने और ऄनुबंध कृ धष को बढ़ावा देने में ऄसफलता, जो ईद्योग की
सफलता के धलए महत्वपूणथ है।
कारखाना क्षेत्रक में सृधजत रोजगार में 13.04% का योगदान कर रहा है।
स्वास्थ्य, ईच्च प्रोटीन मात्रा, कम वसा, साबुत ऄनाज एवं जैधवक खाद्य संबंधी जागरूकता और
लचता के धवषय में वृधद्ध हइ है।
भूधम जोत का धवखंडन धजसने स्वचालन में धनवेश ऄलाभकारी बना क्रदया है;
क्षेत्रीय जलवायु धवधवधताएाँ जो ईत्पादन को प्रभाधवत करती हैं; शहरीकरण से प्रधतस्पधी दबाव के
कारण भूधम की ईपलजधता में कमी।
प्रौद्योधगकी ऄपनाने की धीमी गधत, ऄपधशि से संबंधधत समस्याएाँ, मूल्यवधथन के धनम्न स्तर।
कायथशील पूज
ं ी की ईच्च अवश्यकता।
नए, धवश्वसनीय और ऄधधक सटीक ईपकरणों की धनम्न ईपलजधता।
सूचना प्रबंधन के संदभथ में ऄपयाथप्त स्वचालन।
प्रधतभावान लोगों के धलए समकालीन धवषयों की तुलना में आस क्षेत्र में पाररश्धमक कम अकषथक
है।
शोध एवं धवकास प्रयोगशालाओं एवं ईद्योग के बीच ऄपयाथप्त रूप से धवकधसत सम्पकथ ।
खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग सरकार एवं धनजी क्षेत्रक दोनों प्रकार की पहल के माध्यम से ऄपनी क्षमता को
प्राप्त कर सकते हैं। यह ईद्योग कइ धमधलयन रोजगारों का सृजन कर सकता है, खाद्य सुरक्षा को
सुधनधित कर सकता है और ऄपव्यय को कम कर सकता है।
6. Food safety laws are a critical factor hampering the growth of food processing
industry in India. Analyse. 2016-17-751
खाद्य संरक्षा कानून (फू ड सेफ्टी लॉ) भारत में खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग के धवकास को बाधधत करने
वाले महत्वपूणथ कारक हैं। धवश्लेषण कीधजए।
दृधिकोण:
खाद्य सुरक्षा कानूनों तथा धनयमों से जुड़े मुद्दों को ईजागर करें ।
चचाथ करें क्रक क्रकस प्रकार आसने आस ईद्योग को नकारात्मक रूप से प्रभाधवत क्रकया है।
कु छ सुधारात्मक ईपायों पर सुझाव प्रस्तुत करें ।
ईत्तर :
2006 में, खाद्य सुरक्षा और मानक ऄधधधनयम (एफ़एएसएएसएएए) को खाद्य-सामग्री से सम्बधन्धत एकल
वैधाधनक धनकाय के रूप में अरम्भ करने तथा खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग के वैज्ञाधनक धवकास की व्यवस्था
करने संबंधी दोहरे ईद्देश्यों के साथ पाररत क्रकया गया था। आसने आस क्षेत्र के धलए ऄधस्तत्वमान बहत-से
कानूनों को प्रधतस्थाधपत कर क्रदया। यद्यधप, FICCI द्वारा क्रकए गए हाल के सवेक्षण में खाद्य सुरक्षा
कानूनों के कायाथन्वयन के मागथ की ऄड़चनों को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रक के धलए लचता के तीसरे गंभीर
क्षेत्र के रूप में पहचाना गया है।
आसकी कु छ महत्वपूणथ सीमाएाँ धनम्नधलधखत हैं:
ऄधधधनयम का सुस्त कायाथन्वयन।
दोषपूणथ प्रधशक्षण तथा अवश्यकता से कम संख्या में FSSAI कमथचारी।
development of the country and the challenges which need to be tackled for
दृधिकोण:
भारत में खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग के महत्व एवं ईससे संबंधधत ऄंतर्तनधहत चुनौधतयों की चचाथ
कीधजए।
राष्रीय खाद्य प्रसंस्करण धमशन की प्रमुख धवधशिताओं का ईल्लेख कीधजए।
प्रधतशत एवं कु ल औद्योधगक धनवेश में 6 प्रधतशत का योगदान करता है। यह एक ईभरता हअ
ईद्योग है जो धवश्व स्तर पर धद्वऄंकीय वृधद्ध दर प्रदर्तशत कर रहा है। भारत में आसकी वृधद्ध दर
10% से ऄधधक है।
धवकधसत खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग (FPI), भारतीय कृ धष के धलए घरे लू और ऄंतरराष्ट्रीय दोनों
प्रकार के बाजारों में ऄनुकूल व्यापार संबंधों की स्थापना करने में सहायता कर सकता है।
देश की खाद्य सुरक्षा में सुधार करता है।
यह क्रकसानों को ऄपनी ईपज के धलए बेहतर मूल्य प्राप्त करने में सहायता करे गा तथा आस प्रकार
ईनके अय के स्तरों में सुधार करे गा। यहां कृ धष ईपज के धलए सुधनधित मांग ईत्पन्न कर मूल्य
धस्थरता की धस्थधत ईत्पन्न करे गा। यह वतथमान में क्रकसानों की मेहनत की कीमत पर धबचौधलयों
को प्राप्त होने वाले ऄनुधचत लाभ को भी समाप्त करे गा।
आसके पररणामस्वरुप देश के खाद्य संसाधनों का दक्ष ईपयोग होगा। भारत में मॉडनथ हावेलस्टग
टेक्नोलॉजीज एवं कोल्ड चेन आंफ्रास्रक्चर की कमी के कारण वार्तषक रूप से लगभग 4-18% फलों
एवं सधजजयों का ऄपव्यय होता है। ऄन्य शीघ्र रराब होने वाली वस्तुओं के मामले में भी ऄपव्यय
के स्तर ईल्लेखनीय रूप से ऄत्यधधक ईच्च हैं।
यह हमारी ऄथथव्यवस्था के दो स्तम्भों- ईद्योग और कृ धष के बीच महत्वपूणथ सम्पकथ धवकधसत करने
में सहायता करे गा।
कु शल और ऄधथ कु शल रोजगार सृजन की धवशाल संभावनाएं।
''राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण धमशन'' 12 वीं पंचवषीय योजना के दौरान खाद्य प्रसंस्करण ईद्योग के धवधभन्न
पहलुओं ऄथाथत खाद्य प्रसंस्करण ईद्योगों के अधुधनकीकरण, मेगा फू ड पाकों की स्थापना, आं टीग्रेटेड
कोल्ड चैन एवं परररक्षण तथा बूचड़खानों के अधुधनकीकरण को पूरा करने हेतु अरम्भ क्रकया गया था।
यह मूल्य श्ृंखलाओं में संस्थागत और ऄवसंरचनात्मक दोनों प्रकार की कधमयों के समाधान पर ध्यान
के धन्ित करता है। आसमें फसल कटाइ ईपरांत प्रबंधन में कौशल धवकास, प्रधशक्षण तथा ईद्यधमता को
बढ़ावा देने हेतु प्रावधान भी सधम्मधलत हैं। मोटे तौर पर आसके ईद्देश्य आस प्रकार हैं:
नइ प्रौद्योधगक्रकयों के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण की क्षमता को बढ़ाना।
ऄंतरराष्ट्रीय मानकों के ऄनुसार खाद्य ईत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करना।
कृ धष ईपज के ऄपव्यय को कम करना।
नइ प्रौद्योधगक्रकयों का समावेश करना।
मानव संसाधन क्षमताओं को ईन्नत करना।
हाल ही में, भारत सरकार ने रायय सरकारों को ऄपने भौधतक लक्ष्य धनधाथररत करने तथा स्थानीय रूप
से ईगाए गए कच्चे माल का ईपयोग करके मूल्यवद्धथन की क्षमता का दोहन करने हेतु फोकस एररयाज
(focus areas) की पहचान करने हेतु लचीलापन प्रदान क्रकया है।