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CBSE क ा 12 अथशा

पाठ - 5 सरकारी बजट एवं अथ यव था


पुनरावृ नो स

मरणीय िब द-ु

िम त अथ यव था म िनजी े के अित र सरकार भी होती है, जो मह वपूण भूिमका िनभाती है।


कुछ व तुएँ, ज ह सावजिनक व तुएँ कहते ह, (जैसे-रा ीय ितर ा, सड़क, लोक शासन) िनजी व तुओं (जैसे-कपड़े,
कार, खा पदाथ) से िभ होती ह और इनक ाि बाज़ार तं से नह हो सकती है अथात् वैयि क उपभो ाओं और
उ पादक के बीच सं यवहार से नह हो सकती है इसके लए सरकार क आव यकता होती है।
सरकार अपनी कर व यय नीित के ारा आय को इस कार से िवतरण करने का यास करती है, जो िक समाज के ारा
"उिचत" माना जाता है।
सावजिनक और िनजी व तुओं म दो मु य अंतर ह। थम सावजिनक व तुओं का लाभ िकसी उपभो ा िवशेष तक ही
सीिमत नह रहता है, ब क इसका लाभ सबको िमलता है, िकंतु िकसी िनजी व तुओं के मामले म ऐसा नह होता है।
ऐसे उ पाद का उपभोग कई यि य के ारा होता है और ये " ित पध " नह होते ह; य िक एक यि अ य यि य
के उपभोग को कम िकये बगैर इनका भरपूर उपयोग कर सकता है।
भुगतान नह करने वाले उपभोगकताओं को सावजिनक व तुओं के उपभोग से वंिचत नह िकया जा सकता है इसी लए
सावजिनक व तुओं पर शु क लगाना किठन अथवा असंभव होता है। इसे ही, "मु तखोरी क सम या कहते ह।"

सरकारी बजट का अथ

"बजट आगामी िव ीय वष म सरकार क अनुमािनत आय और अनुमािनत यय का मदवार िववरण होता है" दस


ू रे श द
म इसम िविभ शीषक के अंतगत होने वाला यािशत यय और यय के लए साधन जुटाने के तािवत ोत का
योरा होता है। बजट के दो भाग होते ह।
i. ाि याँ,
ii. यय।

बजट के मु य तीन कारक िन न ल खत ह-

यह सरकार क ाि य और यय के अनुपात का िववरण होता है।


बजट अनुमान क अव ध सामा यता एक वष होती है।
यय क मद और आय के ोत सरकार क नीितय और ल य के अनु प रखे जाते ह।
बजट लागू करने से पहले इसे संसद अथवा िवधान सभा या अ य ा धकरण ारा पास करवाना आव यक होता है।

बजट के उ े य व मह व
आ थक िवकास क गित को तेज करना।
सरकार रोजगार के नए अवसर िनमाण करके और गरीब को अ धक से अ धक सामा जक लाभ देकर गरीबी और
बेरोजगारी दरू कर सकती है।
आय म िवषमता दरू करना/आय का पुनः िवतरण
संसाधन के उिचत आबंटन
आ थक थरता
सावजिनक उ म का बंध तथा िव ीयन

बजट के अवयव या घटक

बजट को दो भाग -बजट राज व और बजट पूँजीगत म बाँटा जाता है। राज व बजट म सरकार क अनुमािनत राज व
ाि याँ और इनके ारा पूरे िकए गए खच ं का िववरण होता है। राज व ाि य म दोन कर और गैर कर ाि याँ शािमल
क जाती ह।
पूँजीगत बजट म सरकार क पूँजीगत ाि याँ और भुगतान का िववरण होता है।
सरकारी बजट
राज व बजट
1. राज व ाि याँ
2. पूँजीगत ाि याँ
पूँजीगत बजट
1. राज व यय
2. पूँजीगत यय

बजट को दो भाग म बाँटा जाता है-

1. बजट ाि याँ- इससे ता पय एक िव ीय वष क अव ध म सरकार क सभी ोत से अनुमािनत मौि क ाि य से है। बजट


ाि य को िन न दो उप-वग ं म बाँटा जा सकता है- राज व ाि याँ तथा पूँजीगत ाि याँ।
2. बजट यय इससे ता पय एक िव ीय वष क अव ध म सरकार ारा िविभ मद के ऊपर क जाने वाली अनुमािनत यय से है।
बजट यय को िन न दो मु य उप वग ं म बाँटा जाता है, राज व यय तथा पूँजीगत यय।

बजट ाि याँ के भाग

1. राज व ाि याँ
1. कर राज व
1. य कर
आय कर
िनगम कर
सप कर
2. अ य कर
िब कर
सेवा कर
मनोरंजन कर
2. गैर कर राज व
यावसाियक राज व
याज ाि याँ
लाभ और लाभांश
अनुदान
फस
लाइसस फ स
जुमाना
एसचीट
2. पूँजीगत ाि याँ
उधार एवं अ य देयता
ऋण क वसूली
िविनवेश

य कर

य कर वह कर है जो उसी यि ारा िदया जाता है जस पर कानूनी प म लगाया जाता है। इस कर का भार अ य


यि य पर नह टाला जा सकता है।
उदाहरण- आय कर, स प कर

अ य कर

अ य कर वे कर ह जो लगाए तो िकसी एक यि पर जाते ह िकंतु इनका आं िशक या पूण प से भुगतान िकसी अ य


यि को करना पड़ता है। इस कर का भार अ य यि य पर टाला जा सकता है।
उदाहरण- िब कर, मू य वृि कर (VAT)

राज व ाि य और पूँजीगत ाि य म अंतर

राज व ाि याँ-
1. वे सरकारी ाि याँ ह जनसे
i. देनदा रयाँ उ प नह होती या
ii. प रसंप याँ कम नह होती।
2. इनसे न तो सरकार क देनदारी बनती ह और न ही सरकार क प रसंप कम होती ह।
3. राज व ाि य को िफर दो ेिणय -कर राज व और गैर-कर राज व म बाँटा जाता है।
पूँजीगत ाि याँ-
1. वे सरकारी ाि याँ ह जनसे
i. (ऋण वापस करने क देयता) देनदा रयाँ बढ़ती ह या
ii. जनसे प रसंप याँ कम होती ह।
2. उधार लेने से देनदा रयाँ बढ़ती ह जबिक उधार देने से प रसंप याँ बढ़ती ह।
3. पूँजीगत ाि य को मु यतः तीन वग ं म बाँटा जाता है-
i. ऋण क वसूली,
ii. िविनवेश और
iii. आं त रक व िवदेशी ऋण।
4. राज व ाि य और पूँजीगत ाि य म मु य अंतर यह है िक राज व ाि य म सरकार भिव य म पैसा वापस करने
के लए बा य नह है, जबिक पूँजीगत ाि म सरकार याज सिहत उधार ली गई रािश वापस करने के लए बा य
है।

सरकारी यय का अथ व वग करण

सरकारी यय म आशय सरकार ारा एक िव ीय वष म िविभ शीषक के अंतगत िकए जाने वाले अनुमािनत यय से है।
राज व ाि याँ और पूँजीगत ाि याँ क भाँित, बजट यय भी दो िक म का है
i. राज व यय और
ii. पूँजीगत यय नीचे घटक सिहत िदखाया गया है।
बजट सरकारी यय
राज व यय पूँजीगत यय ( यय जो न प रसंप बनाए और न ही देनदारारी कम कर) घटक-
i. याज क अदायगी
ii. वेतन व पशन का भुगतान
iii. अनुदान व आ थक सहायता
iv. िश ा व वा य सेवाएँ
v. र ा सेवाएँ यय
पूँजीगत यय ( यय ज प रसंपित बनाए या देनदारी कम कर) घटक-
i. सड़क , पुल , भवन का िनमाण
ii. भूिम तथा मशीनरी क खरीद
iii. शेयर म िनवेश
iv. रा य और िवदेश सरकार को ऋण
v. ऋण क अदायगी

राज व यय और पूँजीगत यय म अंतर

जस यय से (i) न तो प रसंप य का िनमाण होता है और (ii) न ही देनदा रय म कमी आती ह उसे राज व यय माना
जाता ह।
सामा यतः राज व यय से य तः िकसी संप का सृजन नह होता है।
राज व यय के उदाहरण ह-सरकारी कमचा रय के वेतन के लए गए ऋण पर याज क अदायगी, पशन, आ थक
सहायता, अनुदान, ामीण िवकास, िश ा व वा य तथा र ा सेवाएँ आिद।
जस यय के फल व प (i) प रसंप य का िनमाण हो या (ii) देनदा रय म कमी आए, वह पूँजीगत यय माना जाता
है।
इसम (i) भूिम, इमारत , मशीनरी, उपकरण आिद जैसे पूँजीगत संप य क ाि पर यय (ii) शेयर क खरीदारी पर
यय और (iii) रा य व क शा सत सरकार तथा सरकारी कंपिनय को िदए गए ऋण शािमल िकए जाते ह।
पूंजीगत यय म रा य सरकार , संघ रा य े क सरकार , सावजिनक उ म और िवदेशी सरकार को िदए गए ऋण व
अि म तथा शेयर म िनवेश भी शािमल होते ह।

योजना यय और गैर-योजना यय म अंतर

इससे अिभ ाय उस अनुमािनत यय से है जसे चालू पंचवष य योजना म शािमल प रयोजनाओं और काय म के लागू
करने पर सच करने का ावधान बजट म िकया गया हो। बजट म ऐसे खच ं का ावधान, 'योजना यय' कहलाता है।
चालू पंचवष य योजना से संबं धत यय को छोड़कर सरकार के अ य सब यय, गैर-योजना यय कहलाते ह। दस
ू रे श द
म गैर-योजना यय ऐसे सावजिनक यय को कहते ह, जनके िवषय म योजना ताव म कोई ावधान नह होता।

िवकासा मक यय और गैर-िवकासा मक यय म अंतर

ऐसे काय ं पर यय जनका देश के आ थक व सामा जक िवकास से य संबध


ं होता है, िवकासा मक यय कहलाता ह।
जैसे-कृिष औ ोिगक िवकास, िश ा, िचिक सा ामीण िवकास, सामा जक क याण, वै ािनक अनुसंधान आिद से
संबं धत ि याओं पर यय िवकासा मक यय कहलाता ह।
सरकार क आव यक सामा य सेवाओं पर यय, गैर-िवकासा मक यय कहलाता है।
उदाहरणाथ शासन, कानून यव था, पु लस, जेल, यायाधीश , कर वसूली, पशन, अकाल सहायता, अनाज और
कपड़ पर आ थक सहायता आिद पर यय गैर-िवकासा मक यय कहलाता है।
सरकार का वह बजट जसम सरकार क अनुमािनत ाि याँ, सरकार के अनुमािनत यय के बराबर िदखाई गई ह ,
संतु लत बजट कहलाता है।
संतु लत बजट अनुमािनत ाि याँ = अनुमािनत यय
जब बजट म सरकार क ाि याँ, सरकार के खच ं से अ धक िदखाई जाती ह, तो उस बचत को बजट कहते ह।
सांकेितक प म- बचत का बजट = अनुमािनत सरकारी ाि याँ > अनुमािनत सरकारी यय
जब बजट म सरकारी यय, सरकारी ाि य से अ धक िदखाया जाता है, तो उस बजट को घाटे का बजट कहते ह।
घाटे का बजट = अनुमािनत सरकारी ाि याँ < अनुमािनत सरकारी यय

बजट घाटा

बजटीय घाटे से अिभ ाय सरकार के कुल यय का, कुल ाि य से अ धक होने से है।


बजट घाटा = कुल यय - कुल ाि याँ
बजटीय घाटे के माप
i. राज व घाटा = कुल राज व यय - कुल राज व ाि याँ
ii. राजकोषीय घाटा = कुल यय - उधार के िबना कुल ाि याँ
iii. ाथिमक घाटा = रोजकोषीय घाटा - याज अदायिगयाँ

राज व घाटा

राज व घाटे से अिभ ाय सरकार क राज व ाि य क तुलना म राज व यय के अ धक होने से है। सू के प म-


राज व घाटा = कुल राज व घाटा – कुल राज व ाि याँ
राज व घाटा सरकार क अपबचत को दशाते ह, य िक इस घाटे को सरकार अपनी पूंजीगत ाि य से उधार लेकर या
अपनी प रसंप याँ बेचकर पूरा करती ह।
चूँिक सरकार अपने आ ध य उपभोग यय को मु यतः पूँजी खाते से उधार लेकर पूरा करती है इस लए फ ितकारी
थित उ प होने का भय बना रहता है।

राज व घाटे के भाव

यह सरकार क भावी देनदा रय म वृि करता है।


यह सरकार के अनाव यक यय क जानकारी देता है।
यह ऋण के बोझ को बढ़ाता है।

राजकोषीय घाटा

राजकोषीय घाटे का अथ सरकार के कुल यय का उधार रिहत कुल ाि य से अ धक हो जाने से है। दस


ू रे श द म
राजकोषीय घाटा - 'कुल यय क उधार रिहत ाि य पर अ धकता है'।
सू के प म- राजकोषीय घाटा = कुल यय - उधार के िबना कुल ाि याँ
= कुल यय - राज व ाि याँ - उधार रिहत पूंजीगत ाि याँ
इससे फ ितकारी थित पैदा होने क संभावना बनी रहती है, य िक घाटे को पूरा करने के लए सरकार RBI से ऋण
लेती है जसके लए RBI नए नोट छापता है। फल व प अथ यव था म मु ा क मा ा बढ़ने से क मत के बढ़ने क
थित पैदा हो जाती है।
िवदेश से ऋण लेने के कारण िवदेश पर िनभरता बढ़ जाती है जससे उधार देने वाले देश का भारत म आ थक व
राजनैितक ह त ेप बढ़ जाता है। यह हमारी वतं ता को कु भािवत कर सकता है।
जैसे-जैसे सरकार ारा लए गए ऋण क मा ा बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे भिव य म बढ़ते याज के साथ ऋण वापस करने
क देनदा रयाँ भी बढ़ती जाती ह तो अंत म यह ऋण कुच या फंदे का प धारण कर लेता है।

राजकोषीय घाटे के भाव

यह मु ा फ ित को बढ़ाता है।
देश ऋण - जाल म फंस जाता है।
यह देश के भावी िवकास तथा गित को कम करता है।

ाथिमक घाटा

ाथिमक घाटे को राजकोषीय घाटा याज अदायिगय के प म प रभािषत िकया जाता है। दस
ू रे श द म, यह राजकोषीय
घाटा सरकार और भुगतान िकए जाने वाले याज का अंतर है।
सू के प म- ाथिमक घाटा = राजकोषीय घाटा - याज अदायिगयाँ
ाथिमक घाटा, उधार के उस भाग को दशाता है जो राज व पर चाल यय अ धक होने के कारण लेना पड़ता है।

ाथिमक घाटे के भाव

इससे पता चलता है िक भुतपूव नीितय का भावी पीढ़ी पर या भारत पड़ेगा।


शू य या ाथिमक घाटे से अिभ ाय है िक सरकार पुराने ऋण का याज चुकाने के लए उधार लेने को मजबूर है।
यह याज अदायिगय रिहत राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लए सरकार क उधार ज रत को दशाता है।

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