You are on page 1of 12

िकसान क आय को दोगुना करना : नी￸त आयोग क रपोट

drishtiias.com/hindi/printpdf/doubling-the-farmers-income-niti-aayog

संदभ

भारत म कृिष े क के िवकास के लये पूववत कायनी￸त ने मु यतया कृिष उ पादन को बढ़ाने और खा सुर ा को सुधारने
पर ज़ोर िदया। इस कायनी￸त म िन न ल खत मु को शािमल िकया गया था-

(a) बेहतर ौ ोिगक और िक म के मा यम से उ पादकता को बढ़ाना तथा गुणव ापूण बीज, उवरक, ↓सचाई और कृिष
रसायन के उपयोग को बढ़ावा देना।
(b) कुछ फसल के लये लाभकारी क मत तथा कृिष संबध ं ी िनवेश साम ी पर स स￸डय के प म ो साहन ढाँचा तैयार
करना।
(c) कृिष म और कृिष के लये सावजिनक िनवेश को बढ़ावा देना।
(d) इससे संब सं थाओं को सुिवधा दान करना।

इस कायनी￸त के कारण ही देश 1960 के दशक के म य म आए गंभीर खा संकट से िनपटने म समथ रहा। िवगत
पचास वष (1965 से 2015) के दौरान ह रत ां￸त को अपनाए जाने के बाद, भारत का खा उ पादन 3.7 गुना बढ़ा
जबिक जनसं या म 2.55 गुना क वृ￸ हुई।
इस काय नी￸त ने न तो िकसान क आय को बढ़ाने क ज़ रत को प मा यता दी और न ही िकसान के क याण
को बढ़ावा देने के लये िकसी य उपाय का उ ेख िकया।
िकसान क थ￸त क ओर िवशेष यान देने क ज़ रत को समझते हुए क सरकार ने 2015 म कृिष मं ालय के
नाम को बदलकर कृिष और िकसान क याण मं ालय कर िदया।
यह प है िक िकसान ारा कृिष से अ■जत आय, कृिष संबध ं ी संकट का समाधान करने और िकसान के क याण को
बढ़ावा देने के लये अ यंत मह वपूण है। इस पृ भूिम म धानमं ी नर मोदी ारा 2022-23 तक िकसान क आय
को दोगुना करने के लये िनधा रत िकया गया ल य, िकसान के क याण को बढ़ावा देने, कृिष संबध
ं ी संकट को कम
करने तथा िकसान और गैर-कृिष यवसाय म कायरत कामगार क आय म समानता लाने म अहम भूिमका िनभाएगा।

िकसान क आय म िवगत वृ￸

यह िवडंबना है िक CSO ारा िकसान क आय के अनुमान का￱शत नह िकये जाते ह, हालाँिक कृिष के लये समय ख
ृं ला
और े क य आय के अ तन अनुमान, रा ीय लेखा सां यक म उपल ध ह। तथािप, NSSO ने अपने रा यापी सव ण

1/12
नामत: ‘िकसान क थ￸त का आकलन 2003’ और ‘कृिष प रवार क थ￸त का आकलन 2013’ के आधार पर िकसान
क आय के ोत और अनुमान का सृजन करना है।

इन दो सव ण के तहत िकसान अथवा िकसान प रवार क ￱भ -￱भ प रभाषाएँ अपनाई गथी थी और इस लये इन
दो सव ण म सू￸चत िकये गए आय के अनुमान क तुलना नह क जा सकती है।
NSSO के दो रा ीय तर के सव ण नामत: िकसान क थ￸त के आकलन संबध ं ी सव ण 2003 (59वाँ दौर) और
कृिष प रवार क थ￸त के आकलन संबध ं ी सव ण (SAS) 2013 (70वाँ दौर) कृिष सिहत िव￱भ ोत से िकसान
क आय के अनुमान उपल ध कराते ह।

SAS के अनुसार
वष 2012-13 के लये कृिष और गैर-कृिष ोत से कृिष प रवार क औसत वा षक आय 77,112 पए थी।
कृिष प रवार क कुल आय का साठ ￸तशत भाग कृिष कायकलाप (खेती और पशुओं क फा मग) से अ■जत िकया
गया था और 40 ￸तशत भाग गैर-कृिष ोत (मज़दरू ी, वेतन, गैर-कृिष यवसाय आिद) से अ■जत िकया गया था।
कुल िमलाकर एक कृिष प रवार के लये कृिष से 36,938 पए क वा षक आय सृ■जत हुई है और पशुधन से 9,176
पए क आय सृ■जत हुई।
इस अनुमान के अनुसार कृिष प रवार क कुल कृिष आय म पशुधन संबधं ी कायकलाप का िह सा 19.89 ￸तशत के
करीब था। यह उसी वष के लये कृिष े क म िनवल मू यवधन म पशुधन के िह से के संबधं म CSO के अनुमान जो
28.6 ￸तशत था, से बहुत कम है।
इससे यह पता चलता है िक संभवत: SAS 2013 म उपयोग क गई िकसान क िव￱श प रभाषा क वजह से SAS म
सू￸चत क गई कृिष आय तथा कृिष आय के CSO मान म काफ अंतर है।

िकसान क आय म वृ￸ के ोत

िकसान क वा तिवक आय को 2015-16 के आधार वष क तुलना म 2022-23 तक दोगुना करने के लये िकसान क
आय म 10.41 ￸तशत क वा षक वृ￸ दर अपे￸ त है। इसका अथ यह है िक कृिष आय क वतमान और पूव म हा■सल क
गई वृ￸ दर को तेज़ी से बढ़ाना होगा। अत: कृिष े क के अंदर और बाहर िकसान क आय को बढ़ाने के सभी संभािवत ोत
का सदपु योग करने के लये सश उपाय क ज़ रत होगी। कृषक े क के अंतगत चालनरत, वृ￸ के मुख ोत
िन नानुसार ह:

(a) कृिष े क के अंतगत आय को बढ़ाने के ोत

कृिष उ पादकता म वृ￸

कृिष उ पादन को बढ़ाने के दो ोत ह- अथात् े और उ पादकता। गैर-कृिष उपयोग के लये भूिम क बढ़ती मांग
तथा देश के सकल भौगो लक े म कृिष-यो य भूिम के पहले से ही उ िह से क वजह से कृिष े म आगे वृ￸
करना यवहाय नह है।
देश म अ￸धकांश फसल क उ पादकता कम है और इसे बढ़ाने क काफ गुज ं ाइश है। गेहूँ को छोड़कर देश म अ य
फसल क उ पादकता वै￸ क औसत से कम है और कृिष के े म अ णी देश क तुलना म यह काफ कम है। देश के
अंदर भी िव￱भ रा य क पैदावार म काफ अंतर है। िव￱भ रा य क पैदावार म एक बड़ा अंतर, ↓सचाई सुिवधा क
उपल धता म अंतर क वजह से है परंतु एकसमान ↓सचाई सुिवधा वाले रा य म भी उ पादकता म काफ अंतर िदखाई

2/12
देता है।
↓सचाई के समान तर पर उ पादकता म ￱भ ता और िव औसत क तुलना म भारत म कम पैदावार, बेहतर
ौ ोिगक के अपया तर अथवा इसके कम उपयोग क वजह से है। देश म कृिष उ पादकता और उ पादन को बढ़ाने
के लये ↓सचाई क उपल धता को बढ़ाना और ौ ोिगक य उ ￸त, सबसे शि शाली साधन ह।

सकल कारक उ पादकता म सुधार


सकल कारक उ पादकता (TFP) म सुधार, उ पादन बढ़ाने का एक मह वपूण ोत है जो लागत क बचत और इस
कार आय को बढ़ाने म य योगदान देता है।
TFP, उ पादन का वह भाग है ■जसके बारे म उ पादन म उपयोग क गई िनवेश साम ी क मा ा से कोई प ीकरण
नह िमलता है।
TFP, उ पादन म िकये गए कुल इनपु स म वृ￸ क तुलना म सकल उ पादन वृ￸ संबध ं ी ावधान के लये उ रदायी
है।
TFP क वृ￸ दर ौ ोिगक य प रवतन, कौशल, अवसंरचना आिद ■जनक उ पादन इनपु स के सैट म गणना नह क
जाती है के भाव को दशाती है। इसम उ पादन म उपयोग िकये जाने वाले इनपु स क कुशलता म वृ￸ भी शािमल
होती है।

उ मू य वाली फसल म िविवधीकरण


उ मू य वाली फसल (HVC) क ओर िविवधीकरण, िकसान क आय म बढ़ोतरी करने क अ य￸धक गुज ं ाइश दान
करता है। मु य फसल (अनाज, दाल, ￸तलहन) के तहत कुल अथवा सकल फसल े (GCA) का 77 ￸तशत भाग
है परंतु ये फसल, फसल े क के कुल उ पादन म केवल 41 ￸तशत योगदान देती ह।
HVC और मु य फसल के तहत े म बड़े अंतर क वजह से HVC के तहत े म 1 ￸तशत क वृ￸ के फल व प
मु य फसल के तहत े म 0.25 ￸तशत क कमी आती है। अत: HVC के तहत े म 1 ￸तशत क वृ￸ के
फल व प फसल े क के उ पादन म 0.319 ￸तशत क वृ￸ होती है (मु य फसल के तहत े को HVC के
तहत अंत रत करने क वजह से उ पादन म कमी को घटाने के बाद)।
इन गणनाओं के आधार पर अनुमान लगाया गया है िक यिद िविवधीकरण क िवगत वृ , भिव य म भी जारी रहती है
तो इसम फसल े क के उ पादन को ￸तवष लगभग 1 ￸तशत बढ़ाने क मता है। इसके फल व प 2022-23
तक िकसान क आय म 5 ￸तशत वृ￸ हो सकती है।
मु यतया फसल क खेती पर गुजारा करने क बजाय वािनक जैसे अ य संब उ म क िदशा म िविवधीकरण के
ारा भी िकसान क आय को बढ़ाने क गुजं ाइश है।

फसल गहनता म वृ￸

भारत म फसल उगाने के दो मु य मौसम ह नामत: खरीफ और रबी ■जसक वजह से एक ही भूखंड पर एक वष म दो फसल
क खेती करना संभव हो जाता है। ↓सचाई और नई ौ ोिगिकय क उपल धता के फल व प खरीफ के मु य मौसम और
रबी के मु य मौसम के बाद अ पाव￸ध फसल को उगाना संभव हो गया है।

ं ी आँ कड़े यह दशाते ह िक िनवल बुआई े के केवल 38.9 ￸तशत भाग पर ही दस


भूिम उपयोग संबध ू री फसल क
खेती क जाती है। इसका अथ यह है िक देश म 60 ￸तशत से अ￸धक कृिष भूिम आधी उ पादनकारी अव￸ध के दौरान
अ यु रहती है।
एक ही भूखंड पर दसू री फसल उगाना, देश म भूिम क कमी का समाधान करने और ￸त इकाई भूिम से आय को
3/12
बढ़ाने का एक मह वपूण ोत है। धानमं ी कृिष ↓सचाई योजना के तहत हर खेत को पानी तथा अ य घटक पर ज़ोर
िदये जाने के फल व प ↓सचाई का व रत िव तार होने क आशा है ■जसका फसल गहनता केा बढ़ाने पर बहुत
अनुकूल भाव पड़ेगा।
फसल गहनता म हाल ही के वष म देखी गई दर से वृ￸ होने से 7 वष म िकसान क आय म 3.4 ￸तशत और दस
वष म 4.9 ￸तशत क बढ़ोतरी हो सकती है।

कृिष े से इतर आय वृ￸ के ोत

िकसान के लये यापार क शत को बेहतर बनाना

िकसान या कृिष े क वा तिवक आय का आकलन करने के लये िव￱भ अ फ ￸त कारक का उपयोग िकया गया है। इनम
से कुछ है- िकसान ार द मू य का सूचकांक, आगम मू य का सूचकांक और गैर-कृिष व तुओं के थोक मू य का
सूचकांक आिद।

इस काय हेतु CPIAL (कृिष िमक के लये उपभो ा मू य सूचकांक) का उपयोग अ फ ￸त कारक के प म िकया
गया है तािक अनुमािनत कृिष आय को वा तिवक कृिष आय म तबदील िकया जा सके।
CPIAL ामीण े म व तुओं और सेवाओं क मु ा फ ￸त को दशाता है और यह कृषक प रवार के सम मौजूद
मु ा फ ￸त को िकसी भी अ य सूचकांक क तुलना म अ￸धक सटीकता से दशाता है।
कृिष उ पाद के एवज म िकसान को िमली आय अगर CPIAL क तुलना म अ￸धक तेज़ी से बढ़ती है तो इससे
वा तिवक आय म वृ￸ होती है- चाहे उ पादन क मा ा म वृ￸ न हुई हो तो भी।
2011-12 से 2015-16 के दौरान दो मामल म िकसान क आय काफ कम रही। एक, थर मू य पर कृिष म मू य
संव￷धत म वृ￸ बहुत कम रही। दसू रे CPIAL म वृ￸ कृिष उ पाद के कृषक को ा मू य म वृ￸ क तुलना म 50
￸तशत अ￸धक थी। भारत सरकार ने इस थ￸त को अनुकूल बनाने के लये कई पहल क ह।
िकसान को बेहतर मू य िदलाने के उ े य से शु िकया गया एक मह वपूण उपाय है: ई-नैम।

जोतदार को गैर-कृिष और सहायक काय म लगाना

ामीण े म कुल कायबल का 64 ￸तशत िह सा कृिष े म लगा हुआ है और कुल ामीण िनवल घरेलू उ पाद म 39
￸तशत योगदान करता है (ता लका)। इससे पता चलता है िक कायबल कृिष पर एक सीमा से अ￸धक िनभर है य िक रोज़गार
के अ य िवक प नह ह। इससे कृिष और गैर-कृिष े के बीच ￸त िमक उ पादकता म यापक अंतर का भी पता चलता है।

2011-12 के दौरान ामीण े म कृिष और गैर-कृिष े म िमक उ पादकता

कायबल को कृिष से इतर काय म लगाकर िकसान क आय म काफ वृ￸ क जा सकती है।
कृिष म कायबल म कमी के बावजूद रोज़गार िविवधीकरण िन न कारण से काफ धीमा है:

♦ खासकर िविनमाण े क म कौशल और िविन द ￱श ा तर क अपे ा;


♦ औ ोिगक इकाइय का ामीण ब तय से दरू होना;
♦ भावी िमक के लये उ पादक रोज़गार सुिन￸ त करने के लहाज से गैर-कृिष े क मता का सीिमत होना।

कौशल िवकास संबध


ं ी सरकार क नई पहल क कृषक समुदाय के कौशल संवधन म मह वपूण भूिमका है जो उ ह गैर-
4/12
ै ा करा सकता है।
कृिष े म बेहतर रोज़गार के अवसर मुहय
अगर जोतदार क सं या इसी तरह घटती रही जैसे 2004-05 से 2011-12 के बीच घटी, तो 2015-16 से 2022-
23 के बीच यह सं या 13.4 ￸तशत घट जाएगी। इसका अथ यह हुआ क उपल ध कृिष आय 13.4 ￸तशत कम
िकसान म िवत रत होगी।

िकसान क आय बढ़ाने क कायनी￸त

उ पादन और आय म वृ￸ के ोत को चार े￱णय म रखा जा सकता है:

1. अवसंरचना सिहत िवकास पहल


2. ौ ोिगक
3. नी￸तयाँ
4. सां थािनक तं ।

(1) िवकास पहल

उ पादन बढ़ाने और लागत को कम करने के उ े य से क सरकार ारा हाल ही म शु क गई कुछ िवकास पहल म शािमल
ह:

♦ धानमं ी कृिष ↓सचाई योजना


♦ मृदा वा य काड
♦ परंपरागत कृिष िवकास योजना।

एक अ य मह वपूण पहल है- धानमं ी फसल बीमा योजना ■जसके तहत फसल और आय म हुए नुकसान क भरपाई
क जाती है।
निदय को पर पर जोड़ाना भी एक अ य मह वपूण पहल है ■जसम उ पादन और िकसान क आय बढ़ाने क काफ
संभावनाएँ ह।
इन काय म को समयब प म काया वत करने क आव यकता है तािक िकसान क आय पर अपे￸ त भाव पड़
सके।

(2) ौ ोिगक और नव वतन

उ पादकता और कृषक आय म संधारणीय वृ￸ के लये ह रत ां￸त के समय से ही भारतीय कृिष म धान रही इनपुट बहुल
ौ ोिगिकय क जगह नए िवक प को अपनाने क आव यकता है।

उ पादन और िकसान क आय म लगातार वृ￸ के लये ए ोिनिमक ौ ोिगिकय , जैसे- े■सजन फा मग का दायरा
बढ़ने के सा य लगातार बढ़ते जा रहे ह। इसी कार आधुिनक मशीन , जैसे- भूिम समतल करने क लेजर मशीन,
प रशु बुआई और रोपण मशीन और प ￸तय जैसे SRI (धान गहनता णाली), य बोया गया धान, शू य जुताई,
ऊपर उठी या रय म रोपण और मेढ़ रोपण से तकनीक प से उ कुशल कृिष होती है।
कतु इन ौ ोिगिकय का िवकास सावजिनक े ारा िकया जाता है और बाज़ार म बेचने क उनक मता बेहद
कमज़ोर है।
इन ौ ोिगिकय से िमलने वाले अवसर और ऋण लेना आसान बन जाने के बारे म िकसान को बताया जाना चािहये
5/12
तथा उनके अंगीकरण के लये नी￸तगत माहौल बनाया जाना चािहये।

(3) नी￸तयाँ

भारत ने 1991 म नई आ￰थक नी￸त के तहत यापक आ￰थक सुधार को अपनाया। इन सुधार म उदारीकरण, िविनयमन और
िनजी े से अ य￸धक िनयं ण तथा ￸तबंध को समा करना शािमल है ■जनसे आ￰थक ि याकलाप म िनजी े क
सहभािगता के लये बड़ी अनुकूल प र थ￸तयाँ पैदा हुई।ं इन प रवतन के यु र म संघ सरकार ने वष 2002 से कृिष े म
कई सुधार िकये। इनम शािमल ह:

िविन द आहार के लये लाइसस लेने, भंडारण सीमा और आवाजाही ￸तबंध क समाि आदेश, 2002 और
2003। इस आदेश के अनुसार गेहूँ, धान/चावल, मोटे अनाज, चीनी, ￸तलहन, खा तेल , दाल , गुड़, गेहूँ उ पाद और
हाइडोजेनेटेड वन प￸त तेल अथवा वन प￸त को आव यक व तु अ￸धिनयम (1955) क सूची से हटा िदया गया
■जसके कारण इनके कारोबार, भंडारण और आवाजाही के लये िकसी अनुम￸त क आव यकता नह रह गई।
1992 के MMPO को आशो￸धत कर 2002 म द ु ध और द ु ध उ पाद आदेश लाया गया तथा द ु ध सं करण म नई
मता थािपत करने संबधं ी ￸तबंध को समा कर िदया गया और िम कशेड क अवधारणा ख म कर दी गई।
वष 2003 म वादा कारोबार के िनषेध क समाि । इसके बाद कृिष िवपणन म सुधार के कदम उठाए गए। संघ सरकार
ने आदश APMC अ￸धिनयम तैयार िकया ■जसे रा य कृिष उ पाद िवपणन (िवकास और िविनयमन) अ￸धिनयम,
2003 कहा गया तथा इसे काया वयन हेतु सभी रा य के साथ साझा िकया।

ं ी नी￸तगत प र य म अ￸धक प रवतन प रल￸ त नह हुआ य िक कृिष े म सुधार य -त , ￱छटपुट और


कतु कृिष संबध
आं ￱शक ही रहा।

कृिष े म अपे￸ त सुधार क अनदेखी के कारण कृिष े और गैर-कृिष े के बीच गंभीर असमानता उ प हुई है।

1990-91 तक दोन े क िवकास दर एक जैसी थ और दोन म काफ करीबी ता क ु ात थे। जैसे-जैसे सुधार होते
गए, वृ￸ -पथ म ￱भ ता आती गई।
पाँच वष म औसत वा षक प रवतन दर से लगाए गए अनुमान के अनुसार अ￸धकतर समयाव￸ध के दौरान गैर-कृिष े
क वृ￸ दर 6.0 ￸तशत से कम के तर से बढ़कर 8.0 ￸तशत से अ￸धक हो गई। कतु दीघका लक झान क ि
से कृिष े क वृ￸ दर 2.8 ￸तशत रही।

इस तुलना से पता चलता है िक बाज़ार सुधार के अभाव म, कृिष दर कम रही और यह े गैर-कृिष े क क वृ￸ दर के
मुकाबले िपछड़ गया।

कृिष े को खोलने, िवपणन, भूिम प ाकरण संबध


ं ी िव￱भ ￸तबंध को हटाने और वन जा￸तय क सामा य भूिम
पर खेती करने से िकसान का उ पादन बढ़ेगा और उनक आ￰थक ग￸तिव￸धयाँ भी बढ़गी और इन दोन से िकसान क
आय बढ़ेगी।

यह िवडंबना ही है िक कई रा य म कटाई के बाद कई फसल क क मत यूनतम समथन मू य से कम है। इससे पता चलता है
िक िकसान का यूनतम समथन मू य से अ￸धक क मत िदलाना सुिन￸ त करने के लये ￸त प बाज़ार अथवा अ य तं
क िकतनी आव यकता है।

(4) सां थािनक तं

6/12
भारतीय कृिष म यादातर िकसान सीमांत और बहुत छोटे ह ■ज ह कई तरह के गंभीर नुकसान झेलने पड़ते ह। खेत
का आकार छोटा होने के कारण कई िकसान अ￸धक कार के फल और स जयाँ नह उगा पाते ■जसका मु य कारण
यह है िक मू य का जो खम रहता है और िवपणन काफ अलाभकारी होता है।
छोटे आकार के खेत के कारण आगम और िनगम बाज़ार म अलग-अलग तरह के लेन-देन के मामल मे भी िकसान क
सौदेका रता शि घटती है।
इन सम याओं का समाधान यह है िक िकसान को िकसी सां थािनक तं के तहत संगिठत िकया जाना चािहये, जैसे-
कृिष उ पाद संगठन।

या िकये जाने क आव यकता है?


2022 तक िकसान क आय को दोगुना करने के लये फसल उ पादकता को 4.1 ￸तशत और संव￷ त पशुधन
मू य को 6.0 ￸तशत क दर से बढ़ाना होगा। TFP (जो मु यत: कृिष अनुसंधान और िवकास का प रणाम है),
िव तार सेवाओं, नए ान, द ता यवहार, जैसे- े■सजन कृिष म सालाना 3.0 ￸तशत क दर से वृ￸ करनी होगी।
भारतीय िकसान को दो फसल वाली भूिम के ￸तशत को मौजूदा 40 ￸तशत से बढ़ाकर 53 ￸तशत करना होगा।
उ मू य वाली फसल वाली भूिम म ￸त वष 4.4 ￸तशत क वृ￸ करनी होगी।
बाज़ार सुधार भी इस कार करने ह गे ■जनसे िकसान को वा तिवक अथ म आधार तर से 17 ￸तशत अ￸धक मू य
िमल सके। इसके लये िकसान को िमलने वाले मू य म ￸त वष 2.26 ￸तशत क वृ￸ करनी होगी। कुल िमलाकर,
जोतदार क कुल सं या म ￸त वष 2.4 ￸तशत क कमी करनी होगी।
मधुम खी, पालन, जैसे संब ि याकलाप के अलावा कृिष भूिम पर वािनक आिद से भी कृिष आय म वृ￸ हो सकती
है।

िवकास पहल
िवकास पहल म बेहतर ौ ोिगक और वेरायटी के मा यम से तथा तरीय बीज , ↓सचाई, उवरक और कृिष रसायन
का उपयोग बढ़ाकर उ पादकता म वृ￸ करना शािमल है।
फसल े के लये इन प रव￷तय के ल￸ त तर को ता लका म दशाया गया है जो फसल और पशुधन से िकसान क
आय का लगभग 70 ￸तशत है।

ता लका: िकसान क आय दगु ुनी करने के लये िवकास पहल के आधार तर और ल य

ोत आधार तर और वष ल य 2022-23

तरीय बीज : िम लयन टन 3.03 (2014-15) 7.97

उवरक : िम लयन टन 25.58 (2014-15) 36.24

↓सचाई : िम लयन हे टेयर 92.58 (2012.13) 110.40

कृिष योजन के लये िबजली : 000 GWH 147.48 (2012-13) 307.39

एक से अ￸धक फसल के अंतगत: ￸तशत 40.00 (2012-13) 53.00

फल और स जय के अंतगत े फल : िम लयन हे टेयर 16.75 (2013-14) 26.38

उ उ पादक िक म वाले े फल : : 69.3 (2014-15) 90.0

7/12
ह रत ां￸त के 50 वष के बाद भी अनाज क फसल वाले कुल े फल के केवल 69 ￸तशत म उ उ पादक िक म का
उपयोग हो रहा है। चावल जैसी मह वपूण फसल म देश के केवल 62 ￸तशत े फल म उ उ पादक िक म का उपयोग
होता है- इसके बावजूद िक कुछ रा य एचवाईवी के अंतगत 100 ￸तशत कवरेज दशा रहे ह। कम कवरेज वाले रा य म
मा￱णत बीज क बेहतर आपू￷त के साथ पारंप रक िक म वाले े ो म उ उ पादक िक म का उपयोग िकया जा सकता है।

िकसान को आधुिनक इनपुट क खरीदारी और कृिष प रसंप य म िनवेश करने म स म बनाने के लये सां थािनक
ऋण एक अ य मह वपूण इनपुट है। सां थािनक ऋण म उ￸चत दर से बढ़ो री हो रही है कतु कई रा य म ऋण सुिवधा
खराब होने और कुल ऋण म िमयादी ऋण क िह सेदारी घटने जैसे मु े ह। इसका समाधान करने क आव यकता है।

पशुधन उ पादकता

देश म पशुधन क उ पादकता बेहद कम है। पशुधन उ पादकता बढ़ाने के लये न ल संव न, बेहतर चारा और पोषाहार, पशु
ं समूहब ता आव यक है। िवकास पहल के लहाज से 2022-23 तक िन नांिकत ल य के सुझाव
वा य तथा बेहतर झुड
िदये जाते ह:

भारत म दधु ा पशुओं और भस म कृि म गभधान बमु कल 35 ￸तशत है। कृि म गभाधान कम रहने का एक मु य
कारण है- सीमेन टॉ। कृि म गभाधान को उ￸चत तर तक पहुँचाने के लये हम 160 िम लयन सीमट टॉ क
आव यकता है जबिक उपल धता केवल 81 िम लयन क है।
िफलहाल गभाधान यो य 4 िम लयन भस , ॉस ीड वाले 1.3 िम लयन पशुओं और गभाधान यो य 6 िम लयन
वदेशी पशुओं का जनन हुआ ही नह है। इनम से कम-से-कम 2 िम लयन भस , 0.8 िम लयन ॉस ीड और 3
िम लयन वदेशी पशुओं के मामले म जनन के ारा इनक सं या 2020 तक और बढ़ जानी चािहये।
2020 तक भस के युवा होने क उ को 3-4 महीने कम करना होगा। िफलहाल मुरा भसे लगभग 33 माह क उ म
युवाव था को करती ह।

संव￷ त ौ ोिगिकय का सृजन और सार


िकसान क आय को दोगुना करने के लये बेहतर िक म , न ल , यवहार , संव￷ त ान तथा नव वतन के मा यम
से इस े के लये कुल कारक उ पादकता म 3 ￸तशत क वा षक वृ￸ करनी होगी ■जसके लये उ पादकता म वृ￸
करना, इनपुट के भावी उपभोग के मा यम से उ पादन क लागत को कम करना, अ￸धक मू य ा करने के लये
बेहतर उ पाद तर आव यक है।
िक म , बीज और कृिष रसायन के अलावा अ य ौ ोिगिकय - खासकर ाकृ￸तक संसाधन बंधन संबध ं ी
ौ ोिगिकय का अंगीकरण बहुत कम है। कृिष अनुसंधान म मु य बल उ पादकता बढ़ाने, कृिष चालन के संर ण
और द ता पर ही है।
िव￱भ कार क सामा■जक-आ￰थक और जैव-भौ￸तक यव थाओं के लये कृिष णाली के कार का िवकास करना
चािहये ■जसम कृिष आय पर बल िदया गया हो और सभी ौ ोिगिकयाँ एक ही पैकेज म ह । इसके लये येक उप-
णाली और फसल म, िम￱ त फसल, पशुधन, बागवानी, वािनक जैसी अ य उप- णा लय के लये उ पादन,
संर ण और फसल कटाई के बाद मू य संव न संबध ं ी ौ ोिगक और सव म यवहार को साथ लाने क
आव यकता है।

नी￸तयाँ और सुधार

8/12
भारतीय कृिष क संभा यता का उपयोग करने और िकसान क आय बढ़ाने क राह म सबसे बड़ी बाधा है- संगिठत िनजी े
क कृिष म कम भागीदारी होना।

कृिष बाज़ार को उदार बनाने और ￸त प ा बढ़ाने के लये कई सुधार क पहचान क गई है। इसम रा य म APMC
अ￸धिनयम म सुधार के लये सां थािनक उपाय करना तथा िवपणन म ौ ोिगक का उपयोग बढ़ाना शािमल है।
अ पका लक सुधार के लये ￸चि त अ य दो े ह- भूिम प े का उदारीकरण और पेड़ क कटाई/आवाजाही तथा
लकड़ी आधा रत उ ोग पर लगे ￸तबंध म ढील।
कृिष और िकसान क आय को बढ़ाने के लये िव￱भ कार के अ पका लक सुधार तथा प रवतन क एक सूची
ता लका म दी गई है।

A. कृिष िवपणन: ई-नैम नामक एक नई पहल शु क गई है तािक रा य कृिष व तुओं के लये ई- यापार मंच को अपना सक।
इसम इले टॉिनक ेटफॉम का उपयोग कर देश भर क APMC मं￸डय का एक करण करना शािमल है।

ता लका : कृिष े म िव￱भ कार के सुधार क सूची

1. सां थािनक सुधार : 1.1 से 1.7 तक के लये ावधान करना

1.1 िनजी मंडी

1.2 य िवपणन

1.3 अनुबध
ं कृिष

1.4 ई-टे￵डग

1.5 एकल बद ु लेवी

1.6 िकसान ारा उपभो ाओं को सीधी िब ी

1.7 एकल यापा रक लाइसस

2. फल और स जय का िवशेष ￸तपादन : APMC से अन￸धसू￸चत करना

3. ई-NAM म भागीदारी

B. भूिम प ा: नी￸त आयोग ारा तािवत मॉडल भूिम प ा कानून के आधार पर भूिम प ा कानून को अ￸धिनयिमत करना।

C. िनजी भूिम पर वािनक : वृ क कटाई और ढु लाई पर लगे ￸तबंध को हटाना। पयावरण और वन मं ालय ारा जारी
िदशा-िनदश के अनुसार इमारती लकड़ी और का आधा रत उ ोग को अनुम￸त देना।

नी￸त आयोग एवं कृिष और िकसान क याण मं ालय, भारत सरकार कृिष सुधार को लागू और काया वत करने और
िवपणन क प ￸त, भूिम प ा कानून और कृिष भूिम पर वािनक म प रवतन लाने के लये रा य को सहमत करने के
लये काय कर रहे ह।
9/12
उ पादक के लये मू य ो साहन

िपछले पाँच दशक का अनुभव दशाता है िक कृिष िवकास पर मू य का गंभीर भाव पड़ता है और वे िकसान क आय के
मह वपूण िनधारक ह।

िकसान ारा ा िकये जाने वाले मू य पर सुधार का अपे￸ त भाव नह पड़ने क थ￸त म फसल कटाई के मौसम
म मू य MSP से नीचे नह िगरे, को सुिन￸ त करने के लये सरकार को मू य ह त ेप का िव तार करना चािहये।
इसका काया वयान ापण के मा यम से या भरपाई मू य भुगतान णाली के मा यम से य मू य ह त ेप के
मा यम से होना चािहये। भरपाई क मत भुगतान के तहत उ पादक को उनके ारा बाज़ार म बेची गई उपज क मा ा के
लये ￸तिन￸ध बाज़ार म कृिष फसल मू य और यूनतम समथन मू य के बीच अंतर का भुगतान िकया जाता है।

भरोसेमंद कृिष िनवेश को ो साहन

आधुिनक णा लय और प ￸तय के उपयोग क ि से हमारी कृिष म पूंजी और ान क कमी रही है। आधुिनक फम के
साथ संिवदा कृिष के िकसान को इनपुट और उ त ौ ोिगक , कौशल अंतरण, गारंटीकृत और लाभकारी मू य और
ं बाज़ार तक पहुँच का ावधान करने म मदद िमलती है।
भरोसेमद

कृिष उ पादन म आधुिनक ान और पूंजी के समावेशन म जो खम को साझा करने, उपज के लये आकषण बाज़ार
उपल ध कराने तथा उ मू य उ पाद म िविवधीकरण के ो साहन के लये िनजी े क क भागीदारी क भूिमका को
वीकार करते हुए िव मं ी ने बजट 2017-18 के भाषण म उ ेख िकया िक संिवदा कृिष पर एक आदश कानून तैयार
िकया जाएगा और अंगीकरण के लये रा य म प रचा लत िकया जाएगा।
बजट भाषण म APMC म से शी खराब होने वाली कृिष ■ज स को अन￸धसू￸चत करने के लये बाज़ार सुधार पर भी
ज़ोर िदया गया था।

मू य संव न को ो साहन

अनौपचा रक या परंपरागत आपू￷त ंखलाएँ भारत म कृिष क िवशेषताएँ ह जो थानीय म य थ यि य और उसके बाद
लघु थानीय भंडार को उ पाद उपल ध कराती ह। औपचा रक मू य संव न उसी उ पाद को सामा यत: बेहतर अथवा
अ￸धक समान गुणव ा म, अ￸धक वा￱ण यक फम - थोक िव े ताओं, सुपर बाज़ार या िनयातक को उपल ध करवा सकते ह।
लघु उ पादक को घरेलू और िनयातो मुखी दोन कार के अ￸धक आधुिनक मू य संवधन म समेिकत करने के लये माग
खोजने क आव यकता है।

िकसान ारा उपज का अ￸धकांश भाग क े माल के प म बेचा जाता है जो फसल कटाई के बाद खेत से मंडी लाया
जाता है। इससे बाज़ार म आ￸ध य क थ￸त पैदा हो जाती है और क मत कम रह जाती ह। िकसान कमी के महीन म
बेचने के लये उपज नह रखते ह। अब भंडारगृह ाि और WDRA पंजीकृत भंडारगृह म उपज को रखने के लये
ावधान है। इस सुिवधा का लाभ कुछ िकसान ही उठाते ह।
शी खराब होने वाली व तुओं के मामले म मू य का एकदम नीचे आना आम बात है। कृिष भूिम पर थत भंडारण
सुिवधा क कमी, उ पाद को अ￸धक समय तक सुर￸ त रखने के वै ािनक तरीक क कमी और देश म खराब
सं करण आधार, मू य म एकदम कमी के कुछ कारक म से है।
यिद बाज़ार सुधार को गंभीरता से काया वत िकया जाता है, तो यह एक बड़े पैमाने पर मू य संव न सिहत कृिष म
10/12
िनजी े क के वेश के लये माग श त करेगा।

उ पादक के संगठन को ो साहन


कृिष काय बहुत ही छोटे आकार क उ पादन इकाइय ारा िकया जाता है जो छोटे आकार क कृिष जोत पर कृिष
करते ह और उनके पास कुछ पशुधन होता है। ऐसी चालना मक इकाइयाँ उनके छोटे आकार, खराब सौदेबाजी मता
और बाज़ार तक अपया पहुँच के कारण अपने तर पर आ￰थक प से यवहाय नह होती ह। ऐसे उ पादक को
सामूिहक काय, संसाधन के सं हण, समूह िवपणन और फसल क कटाई उपरांत मू य वृ￸ कारण के लये सं थागत
तं क आव यकता है।
क के तर पर एसएफएसी और नाबाड देश म िकसान उ पादक संगठन (एफपीओ) को ो सािहत कर रहे ह। तथािप
देश के आकार को यान म रखते हुए एफपीओ के सृजन, पोषण और थापना म रा य तरीय एज■सय को शािमल
करने क आव यकता है।
अ य यवसाय कंपिनय क तरह कृिष यवसाय संबध ं ी कायकलाप शु करने के लये िकसान उ पादक कंपिनयाँ
(FPC) के गठन को सुसा य बनाने के लये कानून म ावधान सृ■जत िकये गए ह।

उ पादन को सं करण से जोड़ना


खा सं करण उ ोग अ य उ ोग क तुलना म अ￸धक म गहनता वाला उ ोग है। ामीण े म खा सं करण
केा बढ़ावा देना रोज़गार सृजन और कायबल का कृिष से उ ोग क ओर थानांतरण करने म सहायता दान करेगा।
िकसान क आय को दोगुना करने के लये िव￱भ पहल क आव यकता है ■जनम क सरकार के िव￱भ मं ालय
और रा य क सि य और सम वत भागीदारी अपे￸ त है। कृिष सहका रता और िकसान क याण मं ालय को अ णी
भूिमका िनभानी चािहये, इस ल य के लये मह वपूण अ य े जल संसाधन, खा सं करण, उवरक, उधार,
अवसंरचना और ामीण िवकास से संब￸ं धत ह। िकसान क आय दोगुना करने संबध
ं ी सफलता मु यताय रा य और
संघ रा य- े क कारवाई और उनक सहभािगता पर िनभर करेगी।

आगे क राह
िकसान क आय का िन न तर और इसम ￸तवष उतार-चढ़ाव कृिष संबध ं ी संकट का एक मुख कारण है। िकसान
क आय का तरंतर िन न तर देश म कृिष के भिव य पर गंभीर ￸तकूल भाव का कारण भी बन सकता है।
कृिष के भिव य को सुर￸ त करने और भारत क जनसं या के आधे भाग क आजीिवका सुधार के लये िकसान के
क याण म सुधार और कृिष आय म वृ￸ क ओर पया यान देने क आव यकता है।
इस ल य क ाि से कृिष और गैर-कृिष आय के म य थायी असमानता कम होगी, कृिष संबधं ी संकट घटगे,
समावेशी िवकास को ो साहन िमलेगा और कृिष े क म ग￸तशीलता का समावेश होगा।

िन कष
2022 तक िकसान क आय को दोगुना करना िन य ही चुनौ￸तपूण है लेिकन इसक आव यकता है और यह ा य है।
िकसान क आय को दोगुना करने के लये कृिष े म (1) िवकास पहल (2) ौ ोिगक और (3) नी￸तगत सुधार पर
कि त तीन सू ी कायनी￸तय क आव यकता है।
ल य को हा■सल करने के लये उ पादन को बढ़ाने वाले संसाधन क वृ￸ दर म 33 ￸तशत तक क बढ़ोतरी करने
क आव यकता है। देश म गुणव ा यु बीज, उवरक के उपयोग और कृिष े म िबजली क आपू￷त म मश: 12.8,
4.4 और 7.6 ￸तशत ￸तवष बढ़ोतरी करने क आव यकता है।
↓स￸चत े म 1.78 िम लयन हे टेयर का िव तार और दोहरी फसल वाले े म 1.85 िम लयन हे टेयर क बढ़ोतरी

11/12
￸त वष क जानी चािहये। इसके अ￸त र , फल और स जय के उ पादन वाले े म 5 ￸तवष वृ￸ क जाने क
आव यकता है।
पशुधन के संबधं म पशुओं क गुणव ा म सुधार, बेहतर चारा, कृि म गभाधान म बढ़ोतरी, ब े देने के अंतराल म कमी,
पहली बार ब ा देने क आयु म कमी करना वृ￸ के संभािवत ोत ह।
ICAR और देश के कृिष िव िव ालय को कृिष आय पर यान देते हुए एक पैकेज म उनक सभी ौ ोिगिकय को
शािमल कर िव￱भ कार क समाजा￰थक और जैव भौ￸तक प र थ￸तय के लये कृिष णाली के ￸त प िवक■सत
करने चािहये। इसम अ य उप- णा लय जैसे फसल म, फल िम ण, पशुधन, बागवानी, वािनक के साथ सभी उप-
णा लय के लये उ पादन, संर ण और फसल कटाई उपरांत मू यवधन को कवर करते हुए ौ ोिगक और उ म
प ￸तयाँ शािमल ह गी।
िकसान क आय म लगभग एक ￸तहाई वृ￸ बेहतर क मत ाि , फसल कटाई उपरांत कुशल बंधन, ￸त प ा मक
मू य संवधन और संब कायकलाप को अपनाने के मा यम से सरलता से ा य है। इसके लये बाज़ार म यापक
सुधार, भूिम प ा और िनजी भूिम पर वृ ारोपण क आव यकता है।
आधुिनक पूंजी और आधुिनक ान के अभाव म कृिष पर ￸तकूल भाव पड़ा है। उ पादन और बाज़ार म
उ रदा￸य वपूण िनजी िनवेश को आक षत करने के लये कृिष केा उदार बनाने क आव यकता है।
￸त प ा मक बाज़ार या सरकारी ह त ेप के मा यम से कृिष उ पादन के लये MSP सुिन￸ त करने मा से ही
बहुत से रा य म िकसान क आय म काफ वृ￸ होगी।
कृिष के लये अ￸धकांश िवकासा मक पहल और नी￸तयाँ राजय ारा काया वत क जाती ह। रा य ↓सचाई जैसे बहुत
से िवकासा मक कायकलाप पर क ारा प र यय क तुलना म बहुत अ￸धक िनवेश करते ह। बाज़ार और भूिम प ा से
संब￸ं धत िव￱भ सुधार क ग￸त भी रा य का िवषय है। इस लये िकसान क आय को दोगुना करने के ल य को
अपनाने और उसे हा■सल करने के लये रा य और संघ रा य- े को संघिटत करना अिनवाय है।
यिद क और सभी रा य और संघ रा य- े ारा संगिठत और अ छी तरह से सम वत यास िकये जाते ह तो देश
वष 2022 तक िकसान क आय को दोगुना करने का ल य हा■सल कर सकता है।

12/12

You might also like