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एनिमल वेलफेयर साइंस पर देश की पहली हिन्दी-अंग्रेजी द्विमासिक पत्रिका

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मार्च-अप्रैल, 2022

पशुधन विकास के क्षेत्र में केंद्रीय बजट में 40%


एवं आवंटन में 48% अधिक वृद्धि की

तेज-तर्रार अपर्णा बिष्ट यादव


संकल्प से सफलता का एक प्रेरक अनुष्ठान
विशेष आकर्षण
जीवाश्रय से जनाश्रय के मानवीय संवेदनाओं की पशु प्रेमी योगी व मोदी के
समर्पण की कहानी प्रतिमूर्ति अपर्णा जी कुनबे में जोरदार स्वागत
पशुधन विकास के क्षेत्र में केंद्रीय बजट में 40% एवं आवंटन में 48% अधिक वृद्धि की
'वन हेल्थ मिशन' के कार्यान्वयन के माध्यम से स्वस्थ पशुधन
और स्वस्थ भारत सुनिश्चित किया जाएगा: पुरुषोत्तम रुपाला
पशु मित्र समाचार डेस्क {केंद्रीय बजट 2022-23 में पशुपालन के क्षेत्र ने कहा कि यह पशुधन और दूध उत्पादक किसानों के विकास को लेकर स्वस्थ पशुधन और स्वस्थ भारत सुनिश्चित होगा।
के लिए कई मानक संचालन प्रक्रिया में शामिल की गई हैं। केंद्रीय मत्स्य प्रधानमंत्री के नते तृ ्व में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा राष्ट्रीय गोकुल मिशन और राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम के लिए
पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री , श्री पुरुषोत्तम रुपाला ने केंद्रीय बजट कि यह परिकल्पना की गई है कि डेयरी और पशुधन क्षेत्र की योजनाओं 2022-23 के बजट में 20 प्रतिशतवृद्धि होने से स्वदश े ी गोजातीय आबादी
2022- 23 का व्यवरा दते े हुए के लिए आवंटन में वृद्धि से भारत के दूध उत्पादक किसानों को लाभ होगा। की उत्पादकता बढ़ाने और गुणवत्तापूर्ण दूध उत्पादन में मदद मिलगे ी, जिससे
बताया कि पशुधन क्षेत्र के बजट श्री रुपाला ने कहा कि सहकारी समितियों के लिए वैकल्पिक न्यूनतम कर 8 करोड़ दूध उत्पादक किसान लाभान्वित होंग।े इसी तरह, पूर्वोत्तर क्षेत्र के
में 40 प्रतिशत से अधिक की को 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करना वास्तव में एक महत्वपूर्ण लिए प्रधानमंत्री की विकास पहल पूर्वोत्तर के सभी 8 राज्यों में पशु चारा
वृद्धि की गई और केंद्रीय क्षेत्र की घोषणा है, जो सहकारी समितियों और कंपनियों के बीच एक समान अवसर और डेयरी सहित कई क्षेत्रों के लिए बुनियादी ढांचे के उन्नयन में महत्वपूर्ण
योजनाओं के लिए आवंटन में 48 प्रदान करगे ी। उन्होंने कहा कि चूकि ं हमारी अधिकांश दूध उत्पादक बिरादरी भूमिका निभाएगी। नाबार्ड के माध्यम से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में स्टार्ट-अप
प्रतिशत से अधिक वृद्धि की गई सहकारी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए अधिभार और वैकल्पिक का समर्थन करने से ग्रामीण क्षेत्रों मं् विकास की परियोजनाओं और निवश े ,
है । श्री रूपाला ने कहा कि यह न्यूनतम कर में कमी की घोषणा से देश भर में डेयरी किसानों की आय पर कृषि, डेयरी, पशुपालन तथा मत्स्य उत्पादन और विपणन प्रणालियों में नई
बजट वास्तव में आम लोगों का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसी तरह, 1 करोड़ से अधिक और 10 करोड़ तकनीक के माध्यम से उत्पादकता को बढ़ावा मिलेगा तथा आय में वृद्धि होने
बजट है। यह बजट विकास की तक की कुल आय वाली सहकारी समितियों पर अधिभार को 12 प्रतिशत से से ग्रामीण समृद्धिका मार्ग प्रशस्त होगा। श्री रुपाला ने कहा कि किसान ड्रोन
प्रक्रिया में काफी विश्वास कायम घटाकर 7 प्रतिशत करने से देश के भीतर हजारों डेयरी सहकारी समितियों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने से बेहतर गोधन प्रबंधन और कृषि सुरक्षा के लिए
करता है। बजट बुनियादी ढांचे को लाभ होगा और दूध उत्पादक किसानों की आय बढ़ेगी। ड्रोन तकनीक के उपयोग का मार्ग प्रशस्त होगा।
में निवश े करन,े वित्त को मजबूत डिजिटल बैंकिगं , डिजिटल भुगतान और फिनटेक नवाचारों को मत्स्य पालन विभाग से संबधि ं त घोषणा के संबधं में केंद्रीय मत्स्य पालन,
करने और अर्थव्यवस्था का तज े ी प्रोत्साहित करने सेदधू की खरीद और पशुधन किसानों द्वारा प्रदान की पशुपालन और डेयरी मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मत्स्य
से विकास सुनिश्चित करने की भारत सरकार की रणनीति परआधारित जाने वाली अन्य सेवाओं के लिए भुगतान को सुव्यवस्थित करके अधिक पालन विभाग के वर्ष 2021-22 के कुल बजट में 1220 करोड़ रुपये के
है। यह गरीबों, महिलाओं और वंचित-उपेक्षित लोगों के हित के अनुकल ू है। पारदर्शिता के माध्यम से पशुधन क्षेत्र में एक व्यापक प्रभाव पड़ेगा। श्री रुपाला आवंटन की तुलना में 73 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। वित्त वर्ष 2021-22
अमृतकाल के लिए तैयार किया गया यह ब्लूप्रिंट स्पष्ट रूप से पूज ं ी और ने कहा कि पूरे दश े में रसायन-मुक्त प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहन के के दौरान 1220 करोड़ रुपए के बजटीय अनुमान की तुलना में, वित्त वर्ष
मानव संसाधन की उत्पादक दक्षता में सुधार को लक े र सरकार के इरादों लक्ष्य के बारे में बतायाऔर कहा कि पशुओं के चारे और चारे की गुणवत्ता 2022-23 के लिए विभाग का कुल बजटीय आवंटन 2118.47 करोड़ रुपये
पर केंद्रित है। यह 'विश्वास आधारित शासन'की अवधारणा पर जोर दते ा बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाएगी। इससे हमारे मवेशियों और पशुओं की है। पीएमएमएसवाई के लिए 1879 करोड़ रुपये के बढ़े हुए आवंटन के बल
है। उन्होंने प्रधानमंत्री की भावनाओं को दोहराया कि "यह बजट विकास का उत्पादकता में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि 95 प्रतिशत पशुधन किसान पर विभाग ने समुद्री शैवाल बीज बैंक स्थापित करने और उपयुक्त डिमांड
नया विश्वास लक े र आया है।" ग्रामीण भारत में केंद्रित हैं, ऐसे में "वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम"के तहत बुनियादी एग्रीगटे र्स के माध्यम से समुद्री शैवाल के विपणन की सुविधा प्रदान करने
पशुपालन और डेयरी क्षेत्र के लिए केंद्रीय बजट 2022-23 में कई ढांचे का विकास इन पशुधन किसानों के लिए बाजार तक पहुचं कायम करने तथा समुद्री शैवाल की खेती में तेजी लाने के लिए समुद्री शैवाल के कुशल
विशषे ताएं हैं। हालांकि, 2022-23 के लिए पशुधन क्षेत्र के बजट में 40 प्रतिशत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। केंद्रीय बजट 2022-23 में, पिछले वर्ष की विपणन को सुनिश्चित करने और मछुआरों के लिए अतिरिक्त आजीविका
से अधिक की वृद्धि और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए आवंटन में 48 तुलना में पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण के लिए आवंटन में लगभग 60 के अवसर खोलने के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करने
प्रतिशत से अधिक की वृद्धि करना सबसे महत्वपूर्ण है। श्री पुरुषोत्तम रुपाला प्रतिशत की वृद्धि होने से 'वन हेल्थ मिशन' के कार्यान्वयन के माध्यम से की परिकल्पना की है। (साभार: प्रेस इनफॉरमेशन ब्यूरो)
एनिमल वेलफेयर साइंस पर देश की पहली
हिन्दी-अंग्रेजी द्विमासिक पत्रिका
‌विवरणिका
उप्र के पशु प्रेमी-यशस्वी मुख्यमंत्री पशु मित्र
पत्रिका को निहारते रहे... 02
प्रधान सम्पादक पशु मित्र के लिए सदैव... 03
Dr. R.B. CHAUDHARY जानिए कौन है पशु प्रेमी अपर्णा बिष्ट यादव 04-05
Ph. D. (Animal Science), CCAW, FASAW,
PGDJMC ; Former Editor/ Asst. Secy.- Yogi Adityanath Visits Cow Shelter
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‌‌Bank Detail : उप्र के पशु प्रेमी मुख्यमंत्री की नजर इको-टूरिज्म से विकास
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Contact : 9789859008, 8610837079 लावारिस गोवंश को भरण-पोषण हेतु मान्यता प्राप्त
गोसदनों को सरकारी सहायता... 30-31

आगामी अंक
नस्ल सुधार से दुग्ध उत्पादन की गुणवत्ता में कमी क्यों ? 32-33
मां भारती की मिट्टी में ही अद्भुत शक्ति- जन्म से ही समा

में पढ़िए... जाते है करुणा दया ममता के भाव


जीव-जंतुओं के प्रति संवेदनशीलता मनुष्य के आवश्यक
34

गुण हैं: डॉ. ब्रजेश कुमार 35


}संरक्षण-संवर्धन पर विशेषांक (राजस्थान
के अमित देवल की अभूतपूर्व सेवाएं)
}गो आधारित ज्ञान विज्ञान से
ग्राम के विकास
}एनिमल बर्थ कंट्रोल पर
समर्पित संस्थाएं
} एनिमल वेलफेयर के राष्ट्रीय हीरो
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 02

उप्र के पशु प्रेमी-यशस्वी


मुख्यमंत्री पशु मित्र पत्रिका
को निहारते रहे...
“पशु मित्र” पत्रिका के संपादक एवं भारतीय जीव
जंतु कल्याण बोर्ड के पूर्व प्रधान संपादक- सहायक
सचिव, डॉक्टर आर बी चौधरी जनवरी, 2022 के
प्रथम पखवाड़े में - मकर संक्रांति के दिन उत्तर प्रदेश
के यशस्वी एवं पशु प्रेमी, भारतीय जीव जंतु कल्याण
बोर्ड के पूर्व सांसद-सदस्य, मुख्यमंत्री, योगी
आदित्यनाथ से मिलने गोरखनाथ मंदिर गए। 15
जनवरी 2022, मकर संक्रांति के अवसर पर जनपद
प्रशासन की ओर से कोरोना नियंत्रण गाइडलाइंस
एवं सख्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच किसी प्रकार उत्तर
प्रदेश को समर्त पि वन्य जीव जंतु संरक्षण संवर्धन
पर प्रकाशित पशु मित्र विशेषांक को प्रस्त तु करने
में सफल हुए। हालांकि, इस विशेषांक को गोरखपुर
महोत्सव में प्रस्तुत किया जाना था लेकिन किन्ही
कारणों से कार्यक्रम रद्द जाने की वजह से निराशा
को आशा में बदलने के लिए मकर संक्रांति की भारी-
भरकम भीड़ और तमाम पाबंदियों के बीच गोरखपुर
के एक प्रतिष्ठित अखबार एवं उत्तरप्रदेश महिला
आयोग की अध्यक्षा श्रीमती अंजू चौधरी के सहयोग
से पशु मित्र पत्रिका के विशेषांक को प्रस्ततु करने में
सफलता मिली। साथ ही साथ कुछ स्मरणीय फोटो
भी संकलित करने में सहायता मिली । इसके लिए
मुख्यमंत्री सहित सहयोगी बंधओ ु ं तथा महानुभाव को
पशु मित्र पत्रिका की ओर से बहुत-बहुत धन्यवाद ।
- संपादक
पशु मित्र के लिए सदैव...

लावारिस पशु - पक्षियों की पक्षधर और उन पर होने वाले हैं अपराधों को रोकने के लिए प्रतिपल समर्पित श्रीमती मेनका गांधी जी ने "पशु मित्र पत्रिका" की पहली प्रति जैसे ही प्राप्त
की तो तत्काल उन्होंने पत्रिका का लोकार्पण कर जो सम्मान दिया उसकी कल्पना नहीं की जा सकती । यह बात श्रीमती गांधी के मनोभाव को उनके प्रेषित चित्र से समझा जा सकता
है। अक्सर लोग कहते रहते हैं कि आधी रात को पशु अपराध पर सुनवाई करने वाली पशु प्रेमी और राजनेता श्रीमती गांधी देशभर के सभी पशु प्रेमियों की मसीहा है । पशु प्रेमी उन्हें
प्रेरणा और अपने काम करने की शक्ति मानते हैं। श्रीमती गांधी ने अपने राजनैतिक जीवन में पशु कल्याण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य किए। जिसमें भारत सरकार के अधीन
कार्यरत एनिमल वेलफेयर डिवीजन को विस्तृत करने,छोटे बड़े अधिकारियों की एक बड़ी श्रृंखला पशु कल्याण में लगाने,राष्ट्रीय पशु कल्याण संस्थान स्थापित करने और एनिमल
एक्सपेरिमेंटेशन कमिटी का विस्तार कर पशु कल्याण तथा पशु अधिकार के जिम्मेदारियों को फिक्स करने का बहुत बड़ा योगदान किया है। जीव जंतु क्रूरता निवारण अधिनियम
1960 के कई संशोधन उप नियम पास होने से आज पशु अपराध नियंत्रण में काफी सहूलियत मिलती है। नए पशु अधिनियम को पार्लियामेंट में पास होने के लिए आज भी वह
संघर्षरत हैं। एनिमल वेलफेयर बजट को बढ़ाने में भी काफी योगदान दिया है। पशु मित्र पत्रिका के प्रकाशन में अमूल्य योगदान दे रही हैं।
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 04

संपादकीय } डॉक्टर आर बी चौधरी

जानिए कौन है पशु प्रेमी


अपर्णा बिष्ट यादव

अ पर्णा बिष्ट यादव उत्तर प्रदेश में एक सक्रिय पशु


प्रेमी - राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। इसके
अलावा वह पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की बहू है।
आधुनिक इतिहास और अंग्ज रे ी में ग्ज
रे एु शन किया है। अर्पणा
बिष्ट यादव ने ब्रिटेन की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल
रिलेशन एंड पॉलिटिक्स में मास्टर डिग्री हासिल की है। वह
कान्हा उपवन को लावारिस पशुओं की देखभाल का कई
उल्लेखनीय सफलताएं हासिल करने में सफल रहा है।

2011 में मुलायम के बेटे प्रतीक यादव से उनकी शादी भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय में 9 सालों तक शास्त्रीय पशु प्रेमी योगी जी और मोदी जी से प्रभावित
हुई। उन्होंने लखनऊ कैंट से 2017 विधानसभा चुनाव संगीत की शिक्षा भी ली है और वह ठुमरी की कला में माहिर समाजवाद की विचारधारा को लेकर पशु प्रेमी अपर्णा बिष्ट
में चुनाव लड़ा। वह "बी-अवेयर" के नाम से एक संगठन हैं। 2014 में जब उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत यादव समाजवादी पार्टी के टिकट पर लखनऊ कैंट से
चलाती है, वह विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों और अभियान की प्रशंसा की थी तब वह लाइमलाइट में आयी 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ी। लेकिन योगी और मोदी
सशक्तिकरण के प्रति काम कर रही है। अपर्णा ने महिलाओं थीं। अपर्णा यादव ने 2017 विधानसभा चुनावों में लखनऊ सरकार की कायल रह चुकी अपर्णा जी के एक निमंत्रण
के कल्याण से संबधि ं त मुद्दों के प्रति महत्वपूर्ण योगदान दिया कैंट निर्च वा न क्षेत्र से वह 33796 मतों के अंतर से भाजपा पर योगी आदित्यनाथ जीव आश्रय द्वारा पशुओं की सेवा
है। अपर्णा यादव का जन्म 1 जनवरी 1990 में हुआ था। उम्मीदवार रीता बहुगणा ु जोशी द्वारा पराजित हुईं। उत्तर प्रदेश की जा रही गौशाला कान्हा उपवन में मुख्यमंत्री बनने के
लखनऊ शहर के युवाओं द्वारा बनाई पशु कल्याण संस्था विधान सभा चुनाव से ठीक पहले, अपर्णा यादव ने 19 बाद भी वहां पहुच ं गए थे। जिनका मुख्य कारण यह था कि
"जीव आश्रय' का भी मार्गदर्शन एवं सहयोग करती है ताकि जनवरी 2022 को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली। योगी आदित्यनाथ और अपर्णा यादव दोनों ही गोसेवक हैं।
शहर के लावारिस पशु पक्षियों का कल्याण किया जा सके अपर्णा जी के पशु प्रेम संबधं ी पैशन को सभी लोग अपर्णा जी के पशु प्रेम तथा गौ सेवा के कार्यों की जानकारी
।जब से वह भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की है तब से जहां जानते हैं। अपने व्यस्त कार्यक्रमों में से वह निराश्रित पशु मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ को पहले से रही है और गौ
एक ओर समाज सेवा और राजनीतिक भविष्य एक नए -पक्षियों लिए कल्याणकारी कार्यक्रमों के बेहतर संचालन के सेवा का यह पैशन कहीं न कहीं जोड़ रहा था। यही कारण
उजाले की तरफ बढ़ा है वहीं पर पशु पक्षियों और गोवंश लिए समय निकाल लेती है। एक पशु प्रेमी एवं गौ सेवक के है कि जब अपर्णा यादव ने सीएम योगी को गोसेवा के लिए
संरक्षण-संवर्धन सहयोग मिलने की आशाएं और प्रबल हो रूप में अपर्णा जी लखनऊ में कार्यरत युवा पशु प्रेमियों की उनकी संस्था की तरफ से संचालित कान्हा उपवन में आने
गई है। संस्था "जीव आश्रय" का भी सहयोग और मार्गदर्शन करती का निमंत्रण भेजा तो वह पहुचं गए।
अपर्णाजी ने अपनी स्कूली शिक्षा लखनऊ के लोरेटो रहती है। पिछले वर्षों में अपर्णा जी और उनके पति प्रतीक उस समय योगी जी अपने कई मंत्रियों तथा अधिकारियों
कॉन्वेंट इंटरमीडिएट कॉलेज से ली है। उन्होंने 2007 में यादव के विशेष रूचि एवं सहयोग से युवा पशु प्रेमियों की के साथ युवाओं द्वारा संचालित पशु कल्याण संस्था जीव
अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी। अपर्णा ने राजनीति विज्ञान, संस्था जीव आश्रय नगर निगम की लखनऊ स्थित गौशाला आश्रय के सौजन्य से संचालित कान्हा उपवन गौशाला को
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 05

देखने पहुचं गए थे। जहां उनके मंत्रिमंडल के लोकप्रिय मंत्री और सेवाओं पर प्रकाश डालते हुए जीव आश्रय के संदश े को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली। बहुत कम लोग
स्वाति सिंह, उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा समेत अन्य वरिष्ठ को सबके सामने रखा गया था तो उस समय अपर्णा जी जानते होंगे कि अपर्णा जी एक सिंगर भी है। वह शास्त्रीय
नेताओं भी पहुच ं े थे। योगी आदित्यनाथ की है गौशाला ने कहां था कि- "हमारा उद्शदे ्य केवल तभी खत्म नही हो संगीत में निपुण एवं विशेष योग्यता धारी मूलतः उत्तराखंड की
भ्रमण राजनीतिक गलियारे में खूब चर्चा का विषय बना जाता जब हम किसी घायल पशु का इलाज कर / करवा रहने वाली हैं। अपर्णा के पिता अरविंद सिंह बिष्ट बड़े पत्रकार
रहा। राजनीतिक पंडित तरह तरह के अटकल बाजी में लग देते हैं, अपितु हमें अपने आस-पास के निराश्रित पशुओं की रहे हैं। उत्तर प्रदेश में सूचना आयुक्त भी रह चुके हैं । वहीं,
गए और देखते ही देखते अखबारों की सुर्खियां बन गई। यथासंभव देख-रेख करनी चाहिए। सुबह शाम उन्हे खाना- उनकी मां अंबी बिष्ट जी उत्तर प्रदेश सरकार में अधिकारी हैं।
उस समय कान्हाऔ उपवन की मुलाकात में सीएम योगी पानी देना चाहिए। सबसे जरूरी बात है कि बीमार होने पर अपर्णा जी की सिंगिगं उनके जीवन में बहुत बड़ा बदलाव
आदित्यनाथ की अपर्णा यादव और उनके पति प्रतीक यादव इलाज करवाना चाहिए। उन्हे समाज मे उनका स्थान मिलना लाया। जानकारी के अनुसार प्रतीक की मां साधना जी के बर्थडे
के साथ करीब 30 मिनट तक बात भी हुई। यह कहा जाने चाहिए।" उस समय अपर्णा जी ने लोगों से निवेदन करते के दिन पहली बार साल 2003 में अपर्णा को प्रतीक ने देखा
लगा कि यह वार्ल ता ाप कहीं न कहीं वैचारिक समानता का हुए कहा कि हमें पालीथीन का प्रयोग नही करना चाहिए इससे था और उनके मां के कहने पर अपर्णा ने बर्थडे के मौके पर
भान करा रहा था और ऐसा माना जा रहा था कि अब इंसानो समेत पशुओं को भी जानलेवा खतरा रहता है। जब गीत गाया।इस घटना के बाद अपाड़ा और प्रतीक की दोस्ती
अपर्णा यादव बीजेपी में जल्द शामिल हो जाएंगी। हालांकि मैं पशु प्रेम की बात चलती है तो उनके पति प्रतीक यादव भी आरंभ हो गई जो धीरे-धीरे प्यार के रंग में रंग कर जीवन साथी
इसमें थोड़ा समय लगा लेकिन अंततः वह बीजेपी के कुनबे उनके पशु प्रेम अभियान के साझीदार बन जाते हैं क्योंकि वह के रूप में बदल गया।
में शामिल हो गई। उनका जिस कदर स्वागत किया गया भी अत्यंत पशु प्रेमी है और युवाओं की संस्था जीव आश्रय करीबी बताते हैं कि बर्थडे पर गीत गाने के बाद ही दोनों की
वह जगजाहिर है और अब स्टार प्रचारक जैसे बड़ी बड़ी का सहयोग करते रहते हैं। कहां जाता है कि अपर्णा जी के दोस्ती हुई। प्रतीक ने इसके बाद मेल पर अपर्णा को ढेर सारे
जिम्मेदारियां दी गईं है। यह बता दें कि बीजेपी ज्वाइन करने पति प्रतीक यादव ज़मीनी तौर पर जुड़ कर पशु प्रेम तथा मैसजे भेजे थे। करीब पंद्रह दिन बाद अपर्णा ने प्रतीक के
से पहले वह समय-समय पर अपर्णा यादव पीएम नरेंद्र मोदी सामाजिक उत्थान के लिए हमेशा आगे रहते हैं। प्रतीक यादव मैसज े पढे। उस वक्त अपर्णा दसवीं की पढ़ाई कर रही थी।
और सीएम योगी आदित्यनाथ की खुल कर तारीफ करती भी हमेशा से ही पशु प्रेम के लिए जाने जाते हैं। आठ साल तक दोनों का प्यार बढ़ता रहा और फिर साल
रहीं। इस अभियान के तहत ट्रस्ट को राम मंदिर निर्माण के 2011 में परिवार की मंजरू ी के बाद दोनों ने शादी कर ली।
लिए अपर्णा यादव ने 11 लाख रुपये का दान दिया था। अपर्णा जी का संक्षिप्त परिचय दोनों जने की उच्च शिक्षा का पठन-पाठन ब्रिटेन में हुआ है।
बताया जाता है कि सीएम योगी को भाई मानती हैं अपर्णा और प्रतीक जी के प्रेम की कहानी भी काफी रोचक अपर्णा के पति प्रतीक शुद्ध रूप से व्यवसायी हैं। विशेष तौर पर
और वह सीएम योगी को अपना बड़ा भाई मानती हैं। दोनों है। पिछले विधानसभा के चुनाव में मुलायम सिंह की छोटी रियल एस्टेट का बिजनेस करते हैं। खुद बॉडी बिल्डर हैं और
उत्ताराखंड के रहने वाले हैं। यूपी के मुख्ययमंत्री बनने से बहू अपर्णा यादव लखनऊ कैंट से समाजवादी पार्टी की लखनऊ के सबसे बड़े जिम के मालिक भी।अपर्णा शुद्ध रूप
पहले भी योगी आदित्यननाथ की तारीफ अपर्णा यादव करती उम्मीदवार रही हैं जिसका इसका मुख्य कारण यह रहा है कि से पारिवारिक, अध्यात्मिक और सामाजिक महिला हैं। परिवार
रही हैं। 2017 से पहले वह गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में लखनऊ कैंट इलाके में ही अपर्णा का जन्म हुआ और इसी का ख्याल रखने के साथ ही रोज सुबह-शाम को एक घंटा पूजा
दर्शन के लिए गईं थीं। इस दौरान उनकी योगी आदित्यरनाथ इलाके से वो विधायक बनकर राजनीतिक पारी शुरू आरंभ करना अपर्णा नहीं भूलती। अपर्णा यादव को घूमने का शौक है
से भी मुलाकात हुई थी। योगी आदित्य नाथ के सीएम बनने किया जो उस समय सफलता के द्वार पर नहीं पहुच ं पाया। वह कई यूरोपियन देश में घूम चुकी हैं। अपर्णा जी एक गायक
के बाद अर्पणा यादव और प्रतीक यादव ने वीवीआईपी लेकिन योगी और मोदी प्रभाव ने बीजेपी में जोड़कर राजनीति कथा रंगमंच-कर्मी भी है और वह कई लोकगीत भी कंपोज
गेस्टआ में उनसे मिलकर बधाई दी थी। की एक नई दुनिया दे दी। है। 2014 में जब उन्होंने पीएम किया।कई नृत्य कार्यक्रम भी उन्होंने प्रस्तुत किए हैं। संगीतकार
जी समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की प्रशंसा की थी तब साजिद-वाजिद के निर्देशन में उनका एक म्यूज़िकल एल्बम
को कान्हा उपवन परिसर भ्रमण करवाया और गौशाला की वे लाइमलाइट में आयी थीं। 2022 उत्तर प्रदेश विधान सभा आ चुका है जिसे सैफ़ई महोत्सव में मुलायम सिंह ख़ुद ज़ारी
परिस्थितियों, गौशाला की कार्यकलापों, संस्था की उपयोगिता चुनाव से ठीक पहले, अपर्णा यादव ने 19 जनवरी 2022 कर चुके हैं।

पशु सेवा से जन सेवा की ओर...


साल बाद ही सही, अपर्णा जी अपने राजनैतिक भविष्य के
लिए भारतीय जनता पार्टी में पहुच ं गई हैं। जिसकी आज जोरों
पर चर्चा हो रही है और अखबारों की सुर्खियां बन रही है।
सदस्यता ग्रहण करते समय उन्होंने कहा कि "जैसा
की आप सभी जानते हैं मैं हमेशा प्रभावित रहती थी
पीएम नरेंद्र मोदी जी से। मेरे चिंतन में हमेशा राष्ट्र
सबसे पहले है। मुझे लगता है कि राष्ट्र का धर्म मेरे
लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। मैं बस यही कहना चाहती
हूं कि मैं राष्ट्र की आराधना करने निकली हू।ं इसलिए
आप सभी लोगों का सहयोग भी बहुत अनिवार्य
है। मैं हमेशा प्रभावित रही हूं । मुझे पीएम मोदी जी
और बीजेपी की कार्यशैली बहुत पसंद है । चाहे वह
स्वच्छ भारत मिशन हो या चाहे वह महिलाओं के
लिए स्वावलंबी जीवन हो अथवा वह रोजगार हो। मैं
हमेशा से बीजेपी की योजनाओं से प्रभावित रहती हूं
और जो भी कर सकूगं ी अपनी क्षमता से करूंगी।"
हालांकि, पिछले नौ-दस सालों से अपर्णा लखनऊ में सर
के युवा पशु प्रेमियों द्वारा संचालित जीव आश्रय नामक पशु
कल्याण संस्था का मार्गदर्शन रही हैं। इस संस्था से उनका
गहरा लगाव है क्योंकि प्रतिदिन कहीं न कहीं किसी जानवर
की प्राण रक्षा की जाती है। निराश्रित और मौत से जूझ रहे
पशु पक्षियों को अस्पताल सेवा प्रदान कर वहां उनकी
देखभाल होती है। उनका कहना है कि पशु सेवा का कार्य लोगों से जोड़ने में बड़ा ही सहायक रहा है। सामाजिक करने के बाद उनका भविष्य इतने उजाले की ओर बढ़ गया
हुआ है अपने जीवन भर करती रहेंगी और गौ संरक्षण कार्यों में अग्रसर होने में इससे उन्हें काफी सहायता मिली है। ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में बीजेपी के माध्यम
उनका जीवन का एक मिशन है। तमाम लोगों का कहना है है । देश के दो महान विभूतियों जैसे योगी और मोदी से से समाज सेवा और पशु सेवा का उनका सपना अवश्य
कि पशु प्रेम और गौ सेवा का उनका समर्पण और लगन भी जोड़ने में इसका महत्वपूर्ण भूमिका है। बीजेपी ज्वाइन साकार होगा ।
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 06

DOWN THE MEMORY LANE

Yogi Adityanath Visits Cow


Shelter Patronized by Aparna Ji
Impressed by the Facilities

}Lucknow (UP): Agencies and her husband, Mulayam’s son Prateek,


who are ardent animal lovers and have been
44-year-old monk-turned politician is also
an animal lover. He has around 500 cows in

A s per a report published in the


Hindustan Times(Lucknow edition),
Yogi Adityanath, Chief Minister of Uttar
espousing the cause of stray cattle, gave the
chief minister a tour of the sprawling complex
at Lucknow’s Nadarganj area. Spread across
a cattle shelter in the Gorakhnath Temple,
where he is also the head priest. While taking
a round of the veterinary hospital at the
Pradesh visited a cow shelter patronized by 54 acres, the Kanha Upvan, run by the NGO complex, the Chief Minister emphasized the
Aparna Bisht Yadav and he was impressed by Jeevashraya, houses 950 cows, 917 bulls, and need to have a similar health facility in each
the facilities. The Chief Minister directed the 105 dogs in separate enclosures. It also has a zone of the city as transporting sick stray
officials to come up with similar facilities in veterinary hospital. Impressed by the facilities animals for treatment from one corner to
other districts and cities too. at the complex, the Chief Minister directed another corner of the city is a cumbersome
Chief Minister Yogi Adityanathvisited government officials to come up with similar exercise.
Kanha Upvan, a shelter home for cows and facilities in other districts and cities of the Both Prateek and Aparna had met
other stray animals run by an NGO patronized state too. Adityanath soon after he was anointed as
by Samajwadi Party patriarch Mulayam Singh “With the expansion of cities, such shelter the Chief Minister of UP, and discussed the
Yadav’s daughter-in-law Aparna Yadav. Aparna homes can be an ideal solution to address cow protection measures in the state. On
the issue of cattle settlement,” he said.The Friday, they also had meetings with Urban
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 07

Development Minister Suresh Khanna and 19. The couple had called Adityanath when he Incidentally, both the chief minister and
the Minister of State (independent charge) was staying at a VVIP guest house here. The Aparna belong to Uttarakhand and there
for women and family welfare. Swati Singh. meeting lasted for about 20 minutes and it is were posts on social media claiming that
During his visit to Kanha Upvan, Adityanath learned that the couple had invited the chief they were relatives. Aparna said that she
was accompanied by deputy Chief Minister minister to visit Kanha Upvan. was happy that the chief minister accepted
Dinesh Sharma, who is credited with Most reputed news organization -PTI her invitation and would remain indebted
conceptualizing the project as Lucknow’s reported that Prateek is not actively involved to him for the gesture. Aparna had sprung
mayor.During his stay, Adityanath performed in politics, Aparna had contested the recent a surprise earlier too when she was present
puja in an in-house temple and offered fodder assembly elections losing the Lucknow at an event in Lucknow addressed by
to cows. He also directed municipality officials Cantonment seat to Rita Bahuguna Joshi Prime Minister Narendra Modi. Last
to arrange for the education of the children of of the Bharatiya Janata Party. Asked about year she had clicked a selfie with Modi
the labourers working at the shelter home. Adityanath’s visit, Aparna said, “He is at a family function that he attended.The
“The chief minister was happy to see the everyone’s CM and weinvited him. Yogi Lucknow Municipal Corporation provides
shelter home and has ensured all the help for Adityanath too runs cow shelters in his financial aid to the shelter, established in
its expansion,” said Yatindra Trivedi, general Gorakhpur, so we requested him to visit ours 2010, which is run by Jeev Ashraya, an
secretary, of the NGO. and give us some tips on how to improve it,” NGO. Aparna and Prateek are patrons of
Then, The Indian Express reported that she said. the NGO.
A saffron saree clad Aparna and husband
Prateek Yadav welcomed Adityanath, who
fed jaggery and fodder to the cows. The Chief
Minister stressed more hygiene in the areas
where cows were kept and gave a direction to
ensure the availability of green fodder to them,
an official release said.He suggested that sheds
be extended in the shelter and underlined the
need for better utilization of by-products of
cows. Taking stock of the ongoing works for
extending sheds for 700 additional cows and
bulls under the Kanha Ashray Pashu Kalyan
Scheme(KAPKS), Adityanath said they
should be made ready at the earliest.
Adityanath is himself involved in the 'Gau
Sewa (serving the cows) at his ashram in
Gorakhpur. His visit evoked much speculation
in the political circles as this is the second
time he was meeting Aparna and Prateek after
taking over as the UP chief minister on March
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AN INTRODUCTION OF JEEVASHRY

A LEADING ANIMAL
WELFARE ORGANISATION
}Pashu Mitra News Desk

J eev Aashraya started with a small group


of friends and animal lovers who were
compassionate to the animals struggling on
the streets of Lucknow. After several years of
helping animals at their own individual levels
and being distressed by the lack of facilities for
rescue and help for stray animals, they decided
to work in an organized manner which gave
birth to Jeev Aashraya in November 2012.
Originally established by Shri Yatendra
Trivedi, Dr. Manish Tewari, Chayan Trivedi, Aashraya seeks to provide an unparalleled before reaching the market. Animal testing is
and Ms. Harshita Deo while Shri Amit Sehgal platform to animal lovers so that they can simply animal cruelty.
had played as architect for bringing everyone come up and be the voices of these mute souls. Jeev Aashraya has set our sights to drive
on a single platform to contribute to homeless Jeev Aashrayaendeavours to engender a world people’s sensitivity towards non-injurious
animals on behalf of the NGO - Jeev Aashraya where no animal is left homeless and food- animals. The world today is becoming less
which is striving to increase the like-minded deprived. Jeev Aashrayais firmly hostile to and less aware of the pain and suffering
people as a member of the organization. the practice of animal testing. Animal testing being inflicted on animals, conditions of the
Today, more than 6.5 lakh of people have leads to genetic impairments in animals and animals are becoming more and more tarred
joined the organization through either social leaves them with the lifelong side effects of the in society. Jeev Aashrayaaims to instill a sense
media, volunteering, or other activities of the same. Jeev Aashrayaworks towards mobilizing of belonging for animals in the hearts of the
NGO. people and requesting them to abolish the people and request them to consider their
use of products that undergo animal testing companion beings as their moral equals.
FACILITIES & SERVICES
Jeev Aashraya has a fully-furnished
Operation Theatre, where the animals are
provided with 24×7 medical treatments
under the supervision of our veterinarians
and the medical in-charge. The animals are
attentively treated under the expert guidance
of our 3 doctors, 8 Para-vets, and 4 helpers.
The hygiene conditions of the hospital are
carefully supervised by our workers. The
Operation Theatre, surgical equipment,
etc. are decontaminated at regular intervals.
Animals are, in a timely manner, provided
with required vaccination to prevent further
proliferation of communicable diseases. It is
our duty to make sure that every animal that
reaches us should be treated with utmost care
and dedication.
Jeev Aashraya strives to initiate a veganism
drive and completely abolish animal
slaughter. Jeev Aashraya is an animal welfare
organization in India with the largest animal
shelter that works with the main mission is
to provide safety, comfort, and happiness
to every creature. It focuses on stray animals
by providing them with the basic amenities
of life – food, shelter, and medication. It also
promotes the idea of adoption and appeals to
everyone to opt for adopting a pet rather than
purchasing one from animal marketers. Jeev
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 09

HEALTH CARE & RESCUE PRIORITY

Most of the cases of animal abuse involve Being provided with a resourceful mind, it’s with the shelter, Jeev Aashraya came forward
individuals who claim to be the owner of our sole duty to furnish them with the basic with unparalleled and innovative ideas
these animals. Unfortunately, many of them amenities like food, shelter, medication, etc. for the cause. It was due to the plausible
still believe in the primitive ideology that Apart from the basic amenities, animals also efforts of Mr. Anoop Singh (President), Mr.
there is nothing wrong with abusing animals. look for love and compassion. They crave for Yatendra Trivedi (Secretary) and Harshita
Not many are fully aware of Animal Rights, warmth and empathy from human beings. Deo (Manager) that the organization has
so it is our moral duty to comprehend people They need an organization which will not been able to offer their services to the ones
about the same. Jeev Aashraya intends to only provide them a roof to live, but also that have been heard the least. Jeev Aashraya
encourage a maximum number of people to with the necessary care and companionship. is a non-profit organization that is dedicated
come forward for this benevolent and divine Kanha Upvan is an animal shelter which towards the well-being of the animals,
mission of animal welfare. Jeev Aashraya gives a roof to thousands of animals. Being especially stray animals. Our vision and
wholeheartedly works with the motive of taken care after by the Lucknow Municipal commitment is to free animals from any kind
converging with compassion. Corporation, It required a dedicated of injustice and brutality.
After witnessing the degrading conditions and efficient organization for its smooth Jeev Aashraya ensures that the animals
of stray animals, which are forced to live in functioning. Just then, LMC along with inhabited in the shelter are bestowed with
unhygienic conditions without sufficient the SPCA signed a Memorandum of an eco-friendly environment with an open
food, it became an earnest need to form an Understanding with Jeev Aashraya Gaushala, green landscape so that they feel connected
animal welfare organization dedicated to giving it the rights and responsibilities to to nature and animal lovers. With more than
animal welfare. Jeev Aashrayaare blessed administer the animal shelter in a seamless 1450 animals at our shelter home (Kanha
with a rational mind that is capable enough manner. Upvan), Jeev Aashraya believes in conserving
to differentiate between right and wrong. As the toll of animal abuse and ill- them with compassion. Jeev Aashraya
Jeev Aashraya are also endowed with a gift treatment was rising, it was becoming has set up a clear goal of benefitting our
that no other species is blessed with, the mandatory to set up an animal welfare faunal heritage and serving them with utter
gift of Speech. Jeev Aashrayais granted the organization in India which will soulfully dedication. The organization envisions and
power of words to express our sufferings and and heartily work with a sole purpose of strives to connect all the animal lovers and
feeling. But unfortunately, our fellow mute succoring animals that are in deep distress create a world where no animal is rendered
companions have been deprived of these and danger. Jeev Aashraya took birth on 16th homeless or dies a painful and indifferent
favours. They silently devour all the wrongs December, 2012, with a prime incentive to death. The organization still has a long way
and injustices caused to them. benefice the creatures whose sufferings have to go but it has certainly not given upon its
Being the member of the superior race, it’s been ignored since long. Despite the fact that faith that one day it will surely achieve what
our moral responsibility to speak for them. LMC along with the SPCA was associated they aim to do.
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 10

ACTIVITIES & ROUTINE WORK

Jeev Aashraya is an organization formed also put-up dogs for adoption in Lucknow, in schools, colleges, and fests. Our prime
for animal welfare in India. Our sole for the people who can take care of them. motive is to establish a strong base in the
purpose is animal rescue in Lucknow Jeev Aashraya strives to create a world field of animal welfare.
India, and to provide animal shelter and where animals can lead peaceful life and More and more animals are dying a
free veterinary service for the sake of receive the love they deserve. Jeev Aashraya tragic death in a road accident. Some are
wellbeing of animals. Jeev Aashraya feels respects Mother Nature and believe in faith. unfortunate enough to die on the spot
animals give us unconditional love and Jeev Aashraya aims to fulfill this dream whereas some die due to lack of immediate
as a human it is our duty to reciprocate it. one day. Currently, our organization is medical aid. Jeev Aashraya seeks to provide
Our entire organization is dedicated to running free animal rescue helpline services immediate veterinary services to the animals.
animal protection and releasing animals throughout the city. Jeev Aashraya also Jeev Aashraya is the only organization doing
from injustice and pain. Jeev Aashraya have organizes various programs for awareness animal rescue in Lucknow, U.P, India.

AIMS AND OBJECTIVES


and furnish them with best kind of medical also include enlightening more and more
Jeev Aashraya is an animal welfare facilities as well as nutrition. people to go for adoption of a pet instead
organization operating with a sheer motive Jeev Aashraya aspires to create a nation, of purchasing one. This will not only gift
of establishing animal shelters and veterinary where each and every stray animal gets a the animals with a homely environment
services all over the country, to secure animal roof and no animal dies famished - a nation but also bring down the practices of animal
welfare. Jeev Aashrayaaims on reducing the where every animal receives all the basic trafficking. Jeev Aashrayahas also set our
number of animal deaths caused by ill- amenities of life and leads a life that is sights on introducing awareness programs in
treatment or road accidentsSimilar to human healthy and fruitful. Jeev Aashraya strives schools and colleges, to educate the younger
beings, animals also have the right to live and to drive all animal lovers’ attention towards generation about animal welfare practices to
lead a healthy life. Jeev Aashraya also aims to the noble cause of animal welfare and make promote a much more humane education
build a shelter home for the rescued animals them aware of Animal Rights. Our aims system.
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BRIEF INTRODUCTION
MISSION OF THE ORGANISATION OF APARNA YADAV
Jeev Aashraya strives to initiate a veganism non-vegetarianism, in which the harmless
drive and completely abolish animal innocent animals are chopped up into pieces From a Classical Singer to
slaughter. Jeev Aashraya is an animal welfare just for pleasing the taste buds of few. It’s our
organization in India with the largest animal moral duty to survive on this planet without Animal Lover to Aspiring
shelter that works with the main mission is sacrificing the existence of other fellow species
to provide safety, comfort, and happiness to and without deranging the natural balance Politician, A Look at Aparna
every creature. It focuses on stray animals of the ecosystem. Our organization supports
by providing them with the basic amnesties and promotes the idea of ‘live and let live’.Jeev Yadav’s Journey
of life food, shelter, and medication. It also Aashraya sternly criticizes the malpractices
promotes the idea of adoption and appeals of hunting and poaching of animals, adopted
to everyone to opt for adopting a pet rather by some people just for the sake of fun or the
than purchasing one from animal marketers. monetary benefits. These animals were not
Organization seeks to provide an unparalleled granted to us as a commodity for commercial
platform to animal lovers so that they can purposes like trade. Our organization aims at
come up and be the voices of these mute souls. inducing the sense of empathy among people,
We wholeheartedly work with the motive of so as to reduce such practices or cease them
conserving with compassion. completely and provide animal shelter.
In today’s world of urbanization and Jeev Aashraya is optimistically looking
industrial development, the one who is forward to a society where all the people realize
suffering the most is a mute companions of the significance of all the life forms present on
ours. They are hardly noticed by the superior the Earth and establish close relationships
race termed as humans. The agonizing and with them. Jeev Aashraya aims to develop our
deteriorating conditions of these innocent organization as a platform for animal lovers,
souls can’t be overlooked by us anymore. which will serve as a meeting point for all the
It’s so true that our Flora and Fauna have devoted animal lovers to come and deliver their
been treated with a great deal of disregard philanthropic services for animal welfare and
by people,who have been blessed with these work towards building a nation with a wider
assets so as to cherish them, not to bypass concern about the well-being of companion }Pashu Mitra News Desk
them.Jeev Aashraya, an animal welfare animals.A homeless animal that keeps on
organization in India, has a clear vision of
infusing animal ethics in the hearts of people.
It is an animal welfare organization primarily
wandering on the streets many times gets him
injured or hurt. As soon as the organization
receives any call, the organization approaches
A ccording to media resources,
Aparna Yadav, who is married to
Mulayam's son Prateek, comes from a
focused on working for the betterment of the the location with an ambulance to provide Thakur-Bisht background, just like Uttar
stray and homeless life forms and provides immediate treatment to the victimized animal. Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath.
animal shelter. Our organization strictly Initially, Jeev Aashraya provides first aid to the Apart from being an aspiring politician,
disapproves the inhuman act of animal abuse, animal inside our ambulance and then takes Aparna is also a trained and qualified
hurting animals in any way, production of them to the hospital for better care, if needed. classical singer. She has completed her
leather from animal hides, slaughtering, Jeev Aashrayahas a helpline number for animal schooling at City Montessori School in
hunting, poaching, etc. lovers to call us immediately whenever they Lucknow and holds a master’s degree
It also discourages the practice of find any animal in need. in International Relations and Politics
from Manchester University, UK. An
animal lover herself, Aparna runs an
BRIEF FUNCTIONS OF THE NGO, ‘B Aware’, which works for animal
welfare. She has also been working on
issues related to women's safety and
ORGANISATION crimes against women. Though her
husband, Prateek Yadav, had no plans
of taking the plunge in politics, Aparna
} Provide prompt assistance in handling } Make people aware of animal exploitation made her intent clear in 2017 when she
animal-related emergencies. by multiple brands. contested the UP-assembly elections
} Reduce animal deaths caused by ill- } Educate people about their responsibility from Lucknow Cantt on a Samajwadi
treatment and road accidents towards the environment to make them Party ticket.
} Develop and establish animal shelters for aware of the various legal provisions It is also observed that Aparna had
stray animals. protecting the country's flora and fauna. earlier on several occasions openly heaped
} Sensitize people about pet adoptions and } Encourage citizens to abide by the praises on Prime Minister Narendra Modi
discourage them from purchasing a life. fundamental duty "to protect and and chief minister Yogi Adityanath. She
} Spread awareness through various schools improve the natural environment, the was also provided the Y category security
and colleges and educate the younger forests, and cover by the Yogi Adityanath government.
generation about animal welfare and the wildlife", laid down in Part IV-A of the Amidst the speculations of differences
importance of ecological balance. Constitution. between Aparna’s husband and his elder
brother, Akhilesh Yadav, Aparna had

PLEASE DONATE shared cordial relations with the family


and had many a time posed for a picture
with Akhilesh’s wife Dimple Yadav.
} Pay TM No: 8009392222 / 8009521111 Bank, Alambagh, Lucknow (UP) According to family sources, Aparna had
} PayPal Id: amit@kanhaupvan.com } A/c No. : 031801002768 always said she will do whatever ‘Neta Ji’
} Our account details are as follows: } IFSC code: ICIC0000318 (Mulayam Singh) asks her to do.
} Address:Jeevaashray Gaoshala, ICICI } MICR code:226229004
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 12

Aparna Ji And Prateek Ji

THE GREAT SOURCE OF


INSPIRATION FOR JEEV AASHRAYA
}Pashu Mitra News Desk

P rateek Yadav is the second son of Mulayam


Singh Yadav, the most powerful politician
of India’s largest state – Uttar Pradesh. He is
not interested in politics. Like Akhilesh Yadav,
he is highly educated and fluent in English. He
has a degree in MBA from Leeds University,
London. Further, like Akhilesh, he has married
a Thakur girl Aparna Bist Yadav. The current
focus of Prateek Yadav is to develop their
properties. As a matter of fact, the price of his
properties has skyrocketed in recent times and
he doesn’t want to let them go. He is developing
apartments and commercial complexes over
these properties. His efforts are to become a
powerful real estate businessman in the State.
His family is supporting him in this endeavour.
Prateek never misses a chance to hit the
gym. In fact, he is passionate about his body.
He was transformed from a teenager with more
than 100 kg of weight to a 27-year-old young
man with a perfect body shape. His father asked
him to do wrestling and later he set up a gym
at his home. His story was even published by
many reputed bodybuilding websites. Prateek
fell in deep love with Aparna with whom he
had a love-cum-arranges marriage. Aparna is a
highly educated lady. She is also taking keen in Lucknow city ,the capital of Uttar Pradesh estate business. Born in 1988, he has an MBA
interest in politics. She has got a good space Many people have seen him taking stray from Leeds University and wants to open
and bright future in Uttar Pradesh politics after animals in need to hospital. He also keeps over 25 fitness centers across Uttar Pradesh
joining the BJP as a politician and animal lover. biscuits in his car so that he can feed animals on (at present, he has one in Lucknow). His
Both, husband and wife are true animal welfare the road. He is also actively involved with many Facebook page has 12,512 followers unlike
activists inspiring young generation to prevent NGOs. It is said that Aparna was attracted to his step-brother Akhilesh who has over 42
the harm inflicted upon the homeless and stray Prateek because of his kind-hearted nature. lakh followers. He is an animal lover. Prateek
animals. According to rediff.com, Prateek Yadav, the is also passionate about sky diving and is a fan
Prateek is known to have deep sympathy son of Mulayam's second wife Sadhana Yadav, of Anthony Robbins (below), an American
for stray animals. He is the mentor of animal is hardly known in political circles. Besides businessman and author of various self-help
welfare organization Jeev Aashraya functioning working out, Prateek has been handling a real books.
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 13

ढाई घंटे चले ऑपरेशन के बाद डॉगी


के पेट से मरे हुए बच्चे निकाले गए
पशु प्रेमी प्रीति दुबे ने मरणासन्न कुत्ते की जान बचाने के लिए पशु चिकित्सक डॉ. रघुराज सिंह को भगवान कहा

}फरीदाबाद (हरियाणा) पशु मित्र न्यूज डेस्क पीड़ा से तड़प रही डॉगी के जीवन बचाने के लिए कुछ ऐसी स्थिति में कई बार बच्चेदानी में बच्चों के सही
दवाई दिया। लेकिन इससे समस्या का थोड़ा भी समाधान आकार या उल्टी दशा में पाए जाने में होती है । उन्होंने

फ रीदाबाद की पशु प्रेमी, मिस हरियाणा एवं


पीपल फॉर एनिमल यूनिट 2 की अध्यक्षा
, प्रीति दुबे एक मादा कुत्ते की दास्तान बताते हुए
नहीं निकला। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इस डॉगी की पीड़ा
पिछले तीन-चार दिनों से लगातार चल रही थी और वह
लटके हुए बच्चे को लेकर के घूम रही थी। वर्तमान हालत
यह भी बताया कि अगर 2- 4 घंटे इसका ऑपरेशन
नहीं हुआ होता तो यह डॉगी मर गई होती। आज का
जो जीवन है मनुष्य के लिए तो बहुत सारी सुविधाएं हैं
अत्यंत गंभीर हो गई और उन्होंने कुत्ते की जान बचाने में वह इतनी कमजोर हो गई थी कि वह बार-बार बेहोश लेकिन शहरों में लावारिस घूम रहे पशु पक्षियों के लिए
वाले डॉक्टर को भगवान कह कहा और प्रीति इतनी हो जा रही थी। ऐसी हालत में प्रीति ने अपने निकट के जीने का जैसे अधिकार एक प्रश्न चिन्ह बनता जा रहा
भावुक हो गई कि वह इस पूरी मादा कुत्ते के बचाने की पूर्व डॉक्टर से बड़े ही विनम्रता पूर्वक आग्रह किया कि वह है। इस दिशा में काम करने वाले लोग चाहे वह डॉक्टर
दास्तान ठीक से बता नहीं पा रही थी। यह पूरा रेस्क्यू आकर के इस केस को देखें और डॉगी का जीवन बचाएं। के रूप में काम कर रहे हो या पशु प्रेमी के रूप में शेल्टर
का मामला कुछ इस प्रकार था कि प्रीति को दोपहर को पीपल फॉर एनिमल्स यूनिट 2 के कभी रेगुलर पशु चला रहे हैं,उनकी भूमिका प्रकृति के अंग और सहभागी
फरीदाबाद के सेक्टर -85 से एक कॉल आया जिसमें चिकित्सक रहे चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय पशु पक्षियों को बचाने में अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऑपरेशन
कॉलर ने यह बताया कि एक प्रेग्नेंट डांगी बच्चा नहीं हिसार के अधीन वेटरनरी साइंस यूनिवर्सिटी से पास के बाद प्रीति दुबे ने डॉक्टर रघुराज सिंह को कुत्ते के
दे पा रही है और वह कई दिनों से बच्चा निकलने के आउट डॉक्टर रघुराज सिंह तुरंत तैयार हो गए और जान बचाने के लिए भगवान कहा।
अवरोध के कारण आधे लटके हालत में घूम रही है। उन्होंने ढाई घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद लटक रहे मरे प्रीति ने बताया कि आज वेटरनरी साइंस में पोस्ट
प्रीति ने आनन-फानन में अपने एंबुलेंस के साथ अपने हुए बच्चे सहित पेट के अंदर पड़े आधे सड़े -गले बच्चों ग्रेजुएट और डॉ. रघुराज सिंह हरियाणा सरकार में पशु
रेस्क्यू टीम के साथ पहुंच गई और दागी को अपने को बच्चेदानी से बाहर निकाला। कुत्ते के पेट के चेहरे चिकित्सा अधिकारी है कभी उनके साथ काम कर रहे
शेल्टर ले आई। पीड़ा से कराह रही और बार-बार बेहोश को देख कर के ही यह प्रतीत हो रहा था कि यह कितना थे। जब भी उन्हें कभी बुलाया जाता है तो तुरंत आकर
हो रही डॉगी को बचाने के लिए पशु प्रेमी पशु चिकित्सक बड़ा ऑपरेशन था और बड़े ही निष्ठा के साथ उसकी के सहयोग करते हैं। प्रीति ने अभी बताया कि उन्हें जब
डॉक्टर रघुराज सिंह डागर के जादुई हाथों से आखिर प्राण रक्षा की। परेशान और घबराई प्रीति भगवान से एक छोटा सा मानदेय देने का विचार रखा तो उन्होंने
प्रीति आखिर सफल ही हो गई। अपने सेंटर पर बनाए गए मंदिर में प्रार्थना कर रही थी कि तुरंत साफ साफ मना कर दिया। प्रीति जैसे पशु प्रेमी का
प्रीति ने बताया कि उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती किसी प्रकार से उसकी प्राण रक्षा हो। ऑपरेशन सफल सहयोग कर अपने को सौभाग्यशाली और इस महान
यह थी कि उनके डॉक्टर किसी आवश्यक कार्य की वजह हुआ और अंततःडॉक्टर रघुराज सिंह के विशेष योगदान मिशन में योगदान देने के लिए काबिल समझते हैं और
से छुट्टी पर होने से वह बहुत परेशान और चिंतित हो से डॉगी का प्राण रक्षा का बहुत बड़ा मिशन पूरा हुआ। धन्य मानते हैं। डॉक्टर रघुराज जैसे पशु चिकित्सक
गई कि आज हमारे बच्चे को कैसे बाहर निकाला जाए। डॉक्टर रघुराज सिंह के अनुसार इस तरह की घटनाएं एनिमल वेलफेयर के लिए सचमुच एक मिसाल है। प्रीति
तत्काल अपने एक पूर्व डॉक्टर से संपर्क किया तो उन्होंने कभी-कभी होती हैं जो अत्यंत ही खतरनाक होती है। दुबे का संपर्क सूत्र:preetedubey@gmail.com
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 14

Down the Memory Lane


JEEV AASHRAYA ANIMAL WELFARE TRAINING INSTITUTE

'JAWTRI' INAUGURATED

Lucknow (UP): 13thOct.2015 center for training, education, and research service."
on animal welfare named JAWTRI( Jeev He also stated that "as we have always
Jeev Aashraya Media Aashraya Animal Welfare Training and done our bit in the best way possible and to
Research Institute). the best of our abilities, and as we continue
J eev Aashraya, Animal Welfare
Organization(AWO) is functioning
in Lucknow, the capital of Uttar Pradesh
On the auspicious occasion for the
establishment of JAWTRI, the general
secretary of the organization, Yatindera
to spread awareness on animal welfare, all
our efforts have been acknowledged and
yes the consequent bang on news is the Jeev
with the joint effort ofyoung animal lovers Trivedi stated - "With the blessings of Aashraya has now become a leading animal
and activists in the service of straight and the almighty & dedication of our hard- welfare organization in India and also
homeless animals. The organization is working team coupled with love from Asia's 1st organization in the area of animal
educatingthe fieldwork workers to create our supporters, Jeev Aashraya has a very welfare training and research - JAWTRI is
awareness and sensitizethem for the saving pleasant surprise to share with all of you inaugurated today, 13th Oct 2015 at our
of the liveanimals, seeking support for their about its animal welfare training center to shelter Kanha Upvan by the well-known
survival. Jeev Aashraya has established a educate and train animal lovers for better personality of Indian Army and in the field
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 15

of animal welfare Honb'le Lt.Gen (Retd) Pradesh; Dr. R B Chaudhary, Editor-in-


A.K Chatterjee, AVSM,VSM, ADC, former chief -AWBI ; Chief Veterinary Officer of
Chairman, Animal Welfare Board of India Lucknow Nagar Nigam , Dr A K Rao ; Dr
(AWBI),former Director of WSPA-UK & P K Tripathi ,Gaushala Registrar,UP and
Founder- Director of Brook India. other dignitaries. There were few foreign
During his inaugural address, he delegates from the UK to support the noble
encouraged animal lovers and people cause.
to save stray animals suffering from any The event culminated with encouraging
kind ofstress and distress. His each and words from all the esteemed guests and
everyword for animal welfare and care were looking ahead and it is hoped that this
so inspiring. He expressed his desire to see would certainly makea bridge between
JAWTRI reach new heights and become the public and government in the area of
the world's no.1 animal welfare training and and the fieldwork will be highlighted it is animal welfare. This would alsobridgethe
research institute. hoped that all our supporters would love to communication gap between animal
During the inaugural function, a know more about the progress and success welfare activists and animal lovers.
monthly Newsletter JAWTRI was also stories of Jeev Aashraya. Thus, the JAWTRI will be a voice for
launched, to educate and communicate. It is Today, 5 days animal welfare training the voicelesscreatures. Itwill also be very
stated that the JAWTRI’s aim is to provide course was also launched to train animal helpful information of the animal welfare
insight into the working and functioning lovers. The occasion was graced by the laws-regulations, the veterinary services,
details of Jeev Aashraya. This Publication great animal lover and the mentor of prevention of common cruelties, etc. .
will also cover achievements as well as the Jeev Aashraya, Shri Prateek Yadav, Dr. Animal welfare training program started
challenges faced by the organization. It will Rajesh Babu, Director Animal Husbandry today onwards and more than two dozen
be published regularly on a monthly basis Department, Government of Uttar applicants appeared in the program.
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 16

लखनऊ की पशु कल्याण संस्था "जीव आश्रय' की अनुपम सेवाएं

अंधे घोड़े की दुखद जीवन


को खुशहाली में बदला
}लखनऊ (उ. प्र.) प्रस्तुति : यतींद्र त्रिवेदी
ए‌वं अमित सहगल

जी व आश्रय संस्था एक गैर-सरकारी व गैर-


लाभकारी संस्था जिसकी स्थापना दिनांक
29 नवम्बर 2012 को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम,
1860 के तहत पंजीकृत की गयी। संस्था विगत दस वर्षों
से पशु कल्याण के क्षेत्र में अनवरत रूप से कार्यरत हैं जीव
आश्रय संस्था के मुख्य नेतृत्व उपाध्यक्ष अमित सहगल
जिनका एक मात्र उद्देश्य लखनऊ शहर के पशु कल्याण
क्षेत्र में असहाय निराश्रित पशुओं को आपातकालीन
स्थिति में आवश्यकतानुसार उपचारात्मक ढंग से निःशुल्क
चिकित्सा सेवा प्रदान कर प्राथमिक चिकित्सा सेवाएं
उपलब्ध कराना है और इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए
संस्था ने जीव सेवा परमोधर्मः के पथ पर चलकर विगत
दस वर्षों में लगभग 29,290 निराश्रित पशुओं के जीवन
को सुरक्षित किया।
संस्था की इसी दिन-रात सेवा को देखते हुए सोशल
मीडिया के जीव आश्रय फेसबुक पेज के माध्यम से जुडी
उत्तराखंड शहर स्थित रूडकी क्षेत्र में रहने वाली शिक्षिका
आरती शर्मा ने संस्था के उपाध्यक्ष अमित सहगल से
संपर्क कर नेत्रहीन चोटिल अश्व के लिए मदद मदद
मांगी, संस्था का उद्देश्य आम जनमानस तक हर रूप में
प्रयास कर सहायता करना है। इसको देखते हुए शिक्षिका
आरती शर्मा ने नेत्रहीन अश्व की पीडा भरी दास्ताँ बताई
नेत्रहीन अश्व की पीडा भरी स्थिति को भलीभांति जानते
हुए नामकरण किया गया.. (सूरदास)
जन्मांध अश्व सूरदास की पीडा भरी कहानी... नेत्रों
से छलक उठे अश्रुधारा.... सूरदास की कहानी में मुख्य
भूमिका निभाने वाली उत्तराखंड शहर के रूडकी क्षेत्र में
रहने वाली कुशल गृहणी तथा पेशे से शिक्षिका आरती शर्मा
है... आरती शर्मा रोजाना उन रास्तों से अपने विद्यालय
बच्चों को पढाने जाती थी उसी रास्ते में रेलवे लाइन पड़ती
थी जिसके कारण रेलगाडी आने पर रूकना पडता था..
वहाँ से कुछ ही दूरी पर नेत्रहीन सूरदास को तपती झुलसती
भयंकर गमी में घास के पास उन्होंने बैठा पाया.. आरती
शर्मा को आशंका हुई कि इतनी भीषण चिलचिलाती तपती
गर्मी में ये अश्व कैसे बैठ सकता है तत्काल जांच-पडताल स्थानीय लोगों से पूछताछ करने के बाद मन को विचलित दयनीय और कष्टमयी स्थितियों को साझा किया परन्तु
करने वह सूरदास के पास पहुंची। करने वाली जानकारी प्राप्त हुई साथ इस दयनीय स्थिति थोडे सबूतों के आधार पर सूरदास को इस जिल्लत भरे
आरती शर्मा जैसे सूरदास के नजदीक पहुंची तो ह्दय में अश्व के लिए सबसे बडी बिडंबना नेत्र जिसमे रोशनी जीवन से निकालना संभव नहीं था इसके चलते आरती
को झिंझोड़ कर रखने वाली दयनीय दशा से रूबरू हुई का नामोनिशान ही नही था.. नेत्रों से पुतली भी गायब शर्मा सूरदास से सम्बन्धित सभी जानकारियाँ एकत्र करने
मानों असहनीय भरी पीड़ाओं से बिलख कर कराह रहा हो, थी इसका मतलब सूरदास दृष्टिबाधित थे। ऐसी दयनीय में जुट गयी। इस दौरान आरती जी को ऐसी जानकारी
शरीर के ऊपरी छोर यानि पीठ पर गहरे बडे जख्म, नेत्रों स्थिति में आरती शर्मा का हृदय भावुकपूर्ण हो गया उनसे हासिल हुई की अंतरात्मा विचलित करने के साथ मन
से अश्रुओ की धारा, आगे के दोनों पांव लगाम से बंधे सूरदास को हालत में देखकर मुंह फेरते ना बना। झकझोर कर रख दिया मानों पैरों तले जमीन खिसक गयी
और साथ शरीर की संरचना या कहे त्वचा केवल हड्डियों संस्था से जुडे रहने तथा सदस्य होने के कारण हो कि नेत्रहीन सूरदास का स्वामी ऐसी स्थिति में सूरदास
का ढांचा.. आतंरिक रूप से क्षीण (दुर्बल) थे। वहाँ के उपाध्यक्ष अमित सहगल के समक्ष सूरदास की सभी से बोझा ढोने का काम करवाता हैं।
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 17

समय के साथ और भी जानकारी सामने आने लगी


जैसे कि सूरदास का स्वामी पूरा दिन सूरदास को बेसहारा
पांव में लगाम बांध कर छोड देता हैं, ना भोजन ना पानी
केवल वहाँ की घास-फूस पर उसका जीवन निर्भर था।
रोजाना आरती शर्मा द्वारा नजर रखने पर स्थानीय लोगों से
सूरदास के स्वामी का पता मालूम पडा तो पाया कि सूरदास
को घर के सामने ही बडे से मैदान में जहां कीचड पानी
से भरी गन्दगी में छोड देते थे उसकी त्वचा तेज धूप से
जलती-तपती झुलसती रहती थी, भरी बारिश भीगती और
सिकुड़ती थी पीठ पर बड़े-बड़े घाव उस पर अनेक प्रकार
के सूक्ष्म जीव कुरेदते थे ऐसी कष्ट भरी असहनीय पीड़ा
से लिप्त अपने जीवन से लड रहा था ।
रोजाना यूं ही उसे अलग-अलग स्थानों पर छोड
दिया जाता था। इस दौरान रोजाना आरती शर्मा नेत्रहीन
सूरदास को चोकर, गुड़, चना वैगरह खिलाने लगी लेकिन
ऐसा कब तक सूरदास अपना जीवन काटता साथ आरती
शर्मा अकेली महिला होने के कारण सूरदास को बचाने में
असमर्थ थी। जीव आश्रय के मार्गदर्शन में आरती शर्मा ने
सब जानकारियाँ एकत्र की और जीव आश्रय संस्था के
उपाध्यक्ष अमित सहगल ने सूरदास के दुखमय जीवन को
सुखमय करने का प्रण लिया जिसका माध्यम बना जीव
आश्रय परिवार।
नेत्रहीन सूरदास को उत्तराखंड से लखनऊ लाने का
आगाज.. नेत्रहीन सूरदास को लाने के लिए जब दूरी का
आकलन किया गया तो पाया कि 700 किलोमीटर से भी
ज्यादा है जोकि जीव आश्रय संस्था के लिए चिंता का
विषय था क्योंकि अभी कुछ दिन पूर्व ही जीव आश्रय के
द्वारा चिनहट देवा रोड पर पशु चिकित्सालय का शुभारंभ
किया गया था जिसमें काफी धनराशि खर्च हो गयी थी और
कर्मचारियों की सैलरी देना अभी शेष था परन्तु उपाध्यक्ष
अमित सहगल अपनी टीम के साथ सूरदास की स्थिति
को देखते हुए उसको को लाने के लिए ज्यादा दिन नही
रुक सकते थे लेकिन जब परिवार का साथ हो तो बडी सकी। कहते हैं ना कि ‘‘विजय का आनंद भी वही होता पडाव में सात दिन तक जीव आश्रय संस्था टीम के सदस्य
से बडी डगर पार हो जाती है अतः उन सब समस्याओं है जहां समस्याए अनंत होती है‘‘ .... सब कुछ ठीक रहा शुभम प्रताप सिंह जो संस्था में साथ मिल कर पशु सेवा
भरी डगर में नेत्रहीन सूरदास को लाने के लिए गाडी की और गाडी पुनः पटरी पर आ गयी बीच-बीच रास्तों में कुछ में सहभागी है वह लखनऊ से रुड़की के लिए निकले...
व्यवस्था की गयी जिसका खर्च काफी मंहगा साबित पशु-प्रेमियों से भेंट हुई और कुछ पशु-प्रेमियों ने भोजन बस से उतरे और पूरी रात चलने के बाद लगभग 140
हुआ परन्तु जीव आश्रय संस्था से जुड़े पशु-प्रेमियों ने पानी की व्यवस्था भी की...समस्याएं आती गयी और यूं किलोमीटर अभी भी सूरदास के गांव से दूर थे लेकिन जब
इस कार्य में यथासंभव मदद की जिसके कारण सूरदास ही जीव आश्रय की टीम अपने गंतव्य की ओर धीरे-धीरे लक्ष्य निर्धारित होता है तो हर रास्ता छोटा प्रतीत होता है
के दुःखमय जीवन को सुखमय जीवन बनाने का उद्देश्य अग्रसर होती गयी.. क्योंकि सूरदास तक पहुँचना ही टीम क्योंकि आरती शर्मा अकेली महिला होने के कारण आगे
आरम्भ हुआ.... का एक मात्र उद्देश्य था और इस सफर को सफल बनाने की और भी जानकारी इकठ्ठा करने में असमर्थ हो चुकीं
सूरदास की सफर यात्रा .. 27 अगस्त की शाम की और सबूतों को एकत्र करने के लिए संस्था के सदस्य थी.. इस कार्य के साथ-साथ अपने शिक्षिका होने का भी
संध्या को सूरदास के शहर रुड़की निकलने का आगाज शुभम प्रताप सिंह भी दो दिन पहले बस से निकल चुके थे दायित्व भी निभाना था इस कारण शुभम अकेले अनजान
आरम्भ हुआ.. संस्था के उपाध्यक्ष अमित सहगल निडर सूरदास के शहर.... शहर में पांच दिन तक गुप्त तरीके से नेत्रहीन सूरदास से
होकर अपनी टीम के तीन सदस्य.. शशि शेखर सिंह, सूरदास यात्रा के दुसरे किरदार....सूरदास को लाने के सम्बंधित जानकारी इकठ्ठा करते रहे।
आशीष कश्यप और आशिफ के साथ पथ पर रवाना
हुए... सूरदास को सकुशल लाने की इस यात्रा में तरह-
तरह की अनेकों कठिनाई और समस्याओं का सामना
करना पडा.. 700 किलोमीटर की यात्रा करना बेहद कठिन
था लेकिन सूरदास को उन यातनाओं भरी बेड़ियों से मुक्त
करने हेतु सभी कठिन रास्तों की डगर को पार कर सारे
साम-दाम-दण्ड-भेद सब अपना कर रास्तों को पार करते
चले गए.. शुरुआत गोमती नगर आयरन कोर से शुरू
होकर सिधौली, सीतापुर, शाहजहांपुर, बरेली, रामपुर,
फरीदाबाद, मुरादाबाद, बिनौर और हरिद्वार तक पहुंची इन
सभी रास्तों पर अनेक प्रकार की अडचने और विपत्तियों
आई..जैसे-जैसे कदम बढते गए वैसे-वैसे ही समस्या भी
बढती गयी और समस्या भी ऐसी जिनका सामना भी टीम
को स्वयं करना था।
नेशनल हाईवे 24 पर गाडी का अचानक बंद हो जाना
जबकि 22 किलोमीटर की चार्जिंग अभी बाकि थी, लेकिन
गाडी ने साथ छोड़ दिया यह तो सृष्टि मााँ का आशीर्वाद
था कि देर रात्रि में ढाबे पर मदद मिल गयी जिससे गाडी
को पुनः चार्ज किया गया और आगे की यात्रा प्रारम्भ हो
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 18

वहाँ की मंडी में अश्वो की भीड होने के कारण प्रथम


दिन सूरदास नही मिले फिर दूसरे दिन उसी परिपेक्ष्य में
शुभम प्रताप सिंह मंडी पहुच ं े तो सूरदास को सामान से
लदा हुआ पाया.. हृदय को काफी आघात पहुच ं ा.. लेकिन
लक्ष्य से भटकना नही था और सभी के समक्ष पूर्ण जानकारी
लाना भी साथ- साथ जानमान का भी खतरा बना हुआ था
क्योंकि हमारे समाज में बिना किसी की इजाजत के बिना
आप वीडियो या फोटो नही ले सकते हैं.. इसी को ध्यान
में रखते हुए शुभम अकेले गुप्त तरीके से सभी की नजरों
से बचकर सबूत इकट्ठा करते रहे उसी कडी में शुभम को
अहम सबूत मिला या कहें पता चला कि सूरदास का स्वामी
केशव राम मंडी में नेत्रहीन अश्व से 21 सालों से बोझा
ढोवाता आ रहा है।
नेत्रहीन सूरदास के शरीर पर अनेकों गहरे जख्म उसी
पर रस्सी से बंधा भारी भरकम सामान फिर भी शांत खडा
था सूरदास..ऐसी स्थिति में किसी भी संवदे नशील व्यक्ति के
अश्रु गिरने लगे जिस दयनीय स्थिति में सूरदास थे.. शुभम्
प्रताप ने सूरदास को आजाद कराने के लिए सूरदास के
स्वामी से बात की तब ऐसी बात सामने आई की अंतरात्मा
रो पडी सूरदास के स्वामी केशव राम के सुपत्रु नवनीत
कुमार ने बताया कि मेरे पिता ने 21 साल पूर्व पहले 7 हजार
रुपए में सूरदास को खरीदा था तब से अब तक नेत्रहीन
अश्व से निरन्तर प्रताड़ित कर बोझा ढोवा रहे हैं आज से 21
साल पूर्व सूरदास की तकरीबन उम्र लगभग 3 से 4 साल
की होगी और एक अश्व की औसतन आयु लगभग 25 लिखित पत्र दिया जिसमे बडे बडे शब्दों में दर्यशा ा गया था आखिरी पडाव सूरदास को उत्तराखंड से जीव आश्रय
साल ही होती है ऐसे में वृद्ध अवस्था और जन्मांध सूरदास कि जन्मांध वृद्ध अश्व के साथ उसका स्वामी 21 सालों गुदौली गौशाला ले जाने तक का सफर यात्रा... अंततोगत्वा
आज भी बोझा ढो रहा था जो पूरी तरह से गैरकानूनी है.. से बोझा ढो रहा है और यातनाएं दे रहा है.. जो पशु क्रूरता मतलब अंत में जाकर सूरदास जीव आश्रय गुदौली गौशाला
शुभम प्रताप ने सूरदास के स्वामी केशव राम तथा सुपत्रु अधिनियम के तहत कानूनी जुर्म हैं और इसकी सजा या कहे के सदस्य के रूप में सभी पशुओं के साथ रहेंगे ... जीव
नवनीत कुमार से सूरदास को अपने साथ जीव आश्रय कार्यवाही की जा सकती । आश्रय का उद्शदे ्य सूरदास के दुःखमय जीवन को सुखमय
गुदौली गौशाला ले जाने की मांग रखी तो दोनों ने साफ मना ऐसा सुनकर सूरदास का स्वामी केशव राम फूट-फूट जीवन में तब्दील करना था.. इस बचाव कार्य को सूझबूझ
कर दिया कहा ये हमारी रोजी-रोटी है इसे कैसे दे दे.... कर रोने लगे और कहने लगे कि ये अश्व जन्म से नेत्रहीन और सभी पशु प्रेमियों के आशीर्दवा और स्हने के बलबूते पर
सूरदास के स्वामी केशव राम के बीच शुभम और आरती है इसका उन्हें कोई भान नही था... इन सब वार्ल ता ाप के भलीभाँति पूर्ण किया गया.. ये कहावत कही गयी है कि अंत
शर्मा की हुई वार्तालाप...जैसा की आगे बताया गया था कि बाद सूरदास के स्वामी केशव राम और उनके सुपत्रु नवनीत भला तो सब भला.. सूरदास का हुआ भला मिली बोझा ढोने
सूरदास के स्वामी केशव और उनके सुपत्रु सूरदास को ले कुमार मान गए और सूरदास को आजाद किया और जीव से आजादी हुई सुखमय जीवन की शुरुआत.... उत्तराखंड
जाने नही देना चाहते थे.. क्योंकि सूरदास उनकी रोजी-रोटी आश्रय गुदौली गौशाला ले जाने के लिए हामी भरी... आगे से विदा लेते हुए अमित सहगल और उनकी टीम सकुशल
था। जीव आश्रय के उपाध्यक्ष अमित सहगल वहां पहुच ं े सूरदास को लेकर किसी प्रकार की समस्या ना आए इस लखनऊ की ओर सूरदास को लेकर रवाना हुई .. पुनः
मिलकर काफी अनुरोध किया समझाया फिर भी नही माने कारण उसी पत्र पर दोनों के अंगठू ों के हस्ताक्षर लिए गए... वापसी की 700 किलोमीटर की यात्रा आरम्भ की गयी...
काफी कहा सुनी होने के बाद आखिरी वार्ल ता ाप हुई जिसमें उस पत्र से सूरदास की यातनाओं की रिहाई हुई साथ टीम सूरदास को लाने के सफर यात्रा में जीव आश्रय टीम के
शुभम प्रताप, उपाध्यक्ष अमित सहगल और आरती शर्मा ने ने केशव राम को पांच हजार रुपये देकर सूरदास को लेकर मेडिकल सदस्य शशि शेखर सिंह ने अहम भूमिका अदा की
सूरदास के स्वामी केशव का संपर्क किया और उन्हें एक लखनऊ के चलए रवाना हुए... जो बाइक से लगातार गाडी के साथ रास्ता दिखते हुए आगे
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‘अश्व-सूरदास’ का दर्द जाना


तो छलक पड़े पशु प्रेमियों के
आंसू: अमर उजाला
जन्मांध घोड़ा 20 जीवाश्रय की चाबुक की मार तांगा चालक को
सालों से लगातार कड़ी मेहनत से के जख्म दिल नहीं थी अंधेपन
सेवारत उसे मिला जीवन दहलाने वाले की जानकारी

बढते गए बीच में गाडी खराब होने के कारण लखनऊ से


चलकर जनपद बरेली तक ही रह गए लेकिन वहां पर निरंतर
मेहनत करके जो गाडी खराब हो गयी थी उसे बनवाया और
उसके उपरांत सूरदास को लखनऊ लाने की आगे की यात्रा
प्रारंभ की गयी.. वो कहते हैं ना कि सफलता मिलने से पहले
अनेकोनेक परीक्षाएं देनी पडती है तभी सफलता का फल
प्राप्त होता है।
सूरदास को बीच-बीच में उतरकर शशि शेखर ने सभी
प्रकार की जांच-पडताल कर घावों पर मलहम पट्टी कर
उपचार सहायता भी पहुच ं ाई गयी भोजन पानी की पूर्ण
व्यवस्था कर आगे बढते चले गए.. पर अचानक सूरदास
को लाते समय गाडी पुनः खराब हो गयी.... गाडी पुनः
जा नवरों के साथ बेरहमी के मामले आए दिन
सामने आ रहे हैं, लेकिन ‘सूरदास’ की
कहानी ने लोगों को संवेदनाओं को झकझोर दिया है।
गोदोली गोशाला संस्था से संपर्क किया। इस पर संस्था
के सदस्य शुभम प्रताप सिंह रुड़की पहुंचे और सात
दिन तक गुपचुप घोड़े के संबंध में जानकारियां जुटाते
ऐसे स्थान पर बंद हो गयी जहाँ कोई मदद मिलने की आस जन्माष्टमी पर जन्मांध घोड़े सूरदास को बेरहम तांगा रहे। पता चला कि घोड़ा जन्मांध है। उससे 20 सालों
नही.. लेकिन कहते हैं कि जब मन में निःस्वार्थ भाव से चालक से आजाद कराने के बाद सोमवार को जब से सामान ढोया जा रहा है। शुभम ने घोड़े को आजाद
सच्ची श्रद्धा से किसी भी कार्य को अंजाम दिया जाता है लखनऊ जाने के लिए बरेली से उसकी ‘पालकी’ गुजरी कराने की बात कही तो अमित संस्था के सदस्य
तो ऊपरवाला भी मदद के लिए भेज देता है कुछ ऐसी ही तो उसे देखने के लिए पशु प्रेमियों का तांता लग गया। आशीष, शशि शेखर और आसिफ को लेकर रुड़की
मदद मिली टैक्टर द्वारा.. गाडी को टैक्टर से जोडा गया लोगों ने जीवाश्रय गोदोली गोशाला संस्था के प्रयास को पहुंच गए। आरती के साथ तांगा चालक से संपर्क किया
और आगे बढते गए.... रास्ते में गाडी बनवाई और यात्रा सराहा और लखनऊ तक सफर तय करने में सहयोग और घोड़े की जन्मांधता की जानकारी दी। यह सुनते
शुरू की.. सकुशल 31 अगस्त की रात्रि को सूरदास की किया। यह घटना अगस्त 2021 की है जब जीव ही तांगा चालक की आंखें भर आईं। कहा, उसे कभी
यात्रा का समापन हुआ...सफलता का आर्शीवाद केवल उन्हें आश्रय की टीम जन्मांध घोड़े को बड़े ही सावधानी से इसका भान ही नहीं हुआ। टीम ने उसे पांच हजार रुपये
ही मिलता है जिन्होंने कभी विपत्तियों के कदमों को स्पर्श घोड़े मालिक के सर्च लखनऊ लाने का निश्चय किया देकर घोड़ा ले लिया। टीम ने घोड़े को सूरदास नाम दिया
किया हो। जीव आश्रय संस्था का उद्शदे ्य मात्र निःस्वार्थ था और जीव आश्रय की सफलता कड़ी मेहनत और और लखनऊ के लिए लेकर चल पड़ी।
भाव से पशु कल्याण के क्षेत्र में पशुओं की सेवा करना हैं निष्ठा ने इस मिशन को सफलता का अंजाम दिया। रेस्क्यू कार्यक्रम को सफल अंजाम देने के लिए
और सूरदास जैसे उन सभी जीवों के लिए जीव आश्रय सफलता के पीछे पशु प्रेमी अमित सहगल का विशेष लखनऊ से गई जीव आश्रय की टीम से बरेली के पशु
सदैव तत्पर है जिन्हें उचित देखभाल व उचित उपचार की योगदान था । अमित जी जो एक बार ठान लेते हैं उसे प्रेमी मिलने गए और इस कार्यक्रम में अपना हाथ बटाया
आवश्यकता है। सभी जीवो तक तन-मन से हर प्रयास कर सफलता के अंजाम तक पहुंचाकर दम लेते हैं। अमित । संस्था के फेसबुक पेज से जुड़े बरेली के पशु प्रेमियों
मदद पहुच ँ ना और मदद करना ही जीव आश्रय का एक मात्र बताते हैं कि इस सेवा के प्रेरणा स्त्रोत प्रतीक्षा और ने अमित से संपर्क किया। पता चला कि वह रुड़की से
उद्देश्य है...” मानवता है मूल इनका, सृष्टि का आधार यही।, अपर्णा मैडम है जिन्हें वह देश के जाने-माने पशु प्रेमी लखनऊ के लिए रवाना हो चुके हैं। बरेली नैनीताल रोड
परोपकार परमार्थ सेवा, धर्म कर्म का सार यही।।“ होने के नाते बड़े प्यार से भैया और भाभी भी कहते हैं । से सेटेलाइट पहुंचने के दौरान नकटिया के रहने वाली
संस्था के प्रबंधक अमित सहगल ने बताया कि एनिमल क्राइम कंट्रोल संगठन की पूजा सैनी और अनूप
सम्पर्क सूत्र रुड़की की मंडी में करीब 20 सालों से जन्मांध घोड़े से उनसे मिलने पहुंचे। रास्ते में बातचीत के दौरान वहां
रेस्क्यू हेल्प लाइन नंबर: 8009392222 सामान ढोया जा रहा था। वहां की एक शिक्षिका आरती भीड़ जमा हो गई। जिसने भी सूरदास के बारे में सुना,
फेस बुक लिंक : https://www.facebook.com शर्मा ने एक दिन घोड़े के शरीर पर गहरे जख्म देखे तो उसकी आंखें भर आईं।
वेबसाइट: https://jeevaashraya.com वह विचलित हो गईं। उन्होंने लखनऊ की जीवाश्रय (साभार : अमर उजाला / प्रस्तुति: यतींद्र त्रिवेदी)
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 20

उप्र के कई विशिष्ट व्यक्तियों ने पशु


मित्र पत्रिका का किया अभिनंदन
}रिपोर्ट : डॉ. अमरनाथ जायसवाल...
जनवरी 2022 के पहले सप्ताह में पशु मित्र पत्रिका के संपादक डॉॅ. आर.बी. चौधरी ने उत्तर प्रदेश का भ्रमण किया और
लखनऊ एव ंगोरखपुर शहर में पशु कल्याण एवं वन्य जीव संरक्षण के दिशा में कई बैठकों में शामिल हुए। जहां कईं
सार्थक चर्चाएं भी हुई है और आने वाले दिनों में पूर्वी उत्तर प्रदेश में वन्यजीव संरक्षण एवं एनिमल वेलफेयर की क्षेत्र में
एक अदभुत प्रभाव देखने को मिल सकता है। इस भेंट कार्यक्रम के तहत पशु मित्र के संपादक को गौ संरक्षण संवर्धन
पर विशेष कवरेज के लिए लखनऊ में आमंत्रित भी किया गया है।

उत्तर प्रदेश गौसेवा आयोग के अध्यक्ष मानव डाक्टर (सपाइन सर्जन) डा.
प्रोफेसर श्याम नंदन सिंह से वार्ता रहमत अली का प्रबल मनोबल
गौरखपुर के पशु प्रेमी डॉ. रहमत अली का कहना है कि इंसान सोसाइटी में रहता है
वह अपना सुख-दुख दुसरों से शेयर करता है। लेकिन पशु अपना सुख दुख किससे
शेयर करें। हमें पशु की इस पीड़ा को समझना चाहिए। उसके बारे में सोचने वाला
कोई नहीं, दुर्घटना होने पर पशु कई दिनों
तक उसी हाल में पड़े रहते हैं। उसे देखने
वाला कोई नहीं होता, ऐसी स्थिति में पशुओं
के लिए पूर्वांचल में बड़े लेवल पर एक
एनिमल हॉस्पिटल की नितांत कमी है। जहां
बड़ी से बड़ी सर्जरी की व्यवस्था हो, सभी
इक्यूपमेंट हो, कंसल्टेंशन से लेकर सभी
तरह जांच की सुविधाएं उपलब्ध हो। शहर
पशु मित्र पत्रिका के संपादक डॉक्टर आर बी चौधरी हाल में अपने लखनऊ यात्रा के में कुछ लोग पशु क्लीनिक तो चला रहे हैं
दौरान उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर श्याम नंदन सिंह से मिले। वैसे तो लेकिन वह कुत्ते और बिल्लियों के साधारण
यह एक शुभचे ्छा मुलाकात रही है। जहां पर संपादक ने प्रोफ़ेसर सिंह को पशु मित्र पत्रिका इलाज और ओपीडी तक ही सीमित है।
की जनवरी अंक भेंट किया। प्रोफेसर सिंह प्रसन्नता जाहिर करते हुए पत्रिका प्रकाशन कभी-कभी पशुओं में बड़ी बीमारियां होने
की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी और गौ सेवा पर विशेष कवरेज के लिए स्वागत पर एक्सरे, अल्ट्रासाउंड के साथ ही साथ
किया।अपने वार्ता के दौरान प्रोफ़ेसर सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास, सफलताओं बड़े इन्वेस्टीगेशन की भी आवश्यकता
और उपलब्धियों को गिनाते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कई योजनाओं को आरंभ होती है। जिसके लिए लोगों को बड़े शहरों
किया जिसमें सबसे आकर्षक योजना रही है 4 गोवंश को पालकर किसान प्रति गाय 9₹ 00 की ओर रुख करना पड़ता है। एक ऐसा अत्याधुनिक सेन्टर हो जहां एंबुलेंस और ओटी
या दूसरे शब्दों में 3₹ ,600 प्रति माह की दर से सहायता प्राप्त कर रहा है। इस कार्यक्रम हर तरह के उपकरणों से लैस हो, ब्लड, यूरिन, स्टूल, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड समेत
से छुट्टा गोवंश के नियंत्रण में काफी सहायता मिली। उन्होंने गोबर गोमूत्र के विशेष प्रयोग सभी जांचे उपलब्ध हों। इसके लिए पशु चिकित्सक, मानव चिकित्सक एवं स्वयंसेवी
से किसानों को लाभ उठाने की योजना से अवगत कराया और कहा कि गोबर खरीदारी सामाजिक संस्थाएं इस दिशा में सार्थक प्रयास कर सकती हैं। मै एक हड्डी रोग विशेषज्ञ
की योजना वाराणसी जैसे शहर में आरंभ किया जा चुका है। ऐसे महत्वाकांक्षी योजना से एवं सपाइन सर्जन हूं। मुझे पशुओं के हड्डी एवं स्पाइन के किसी भी आपरेशन करने के
किसानों को गाय पालने की प्रेरणा मिलेगी और रोजाना की आमदनी भी बढग़े ी। उन्होंने नगर लिए किसी भी प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है। मैंने पशुओं का कई सफल आपरेशन
निगमों द्वारा जगह -जगह पर कान्हा उपवन खोले जाने की व्यवस्था के बारे में भी बताया। भी किया है। एक बार शहर के कुछ पशु प्रेमियों के अनुरोध पर मेरे द्वारा एक घोड़े की
प्रोफ़ेसर श्याम नंदन सिंह ने पशु मित्र पत्रिका को विशेष कवरेज के लिए आमंत्रित किया है। जटिल सर्जरी की गई थी। मुझे उस दिन काफी आत्मसंतुष्टि मिली।

गोरखपुर पशु कल्याण के प्रणेता


डाॅ. ब्रजेश कुमार सिंह से वार्ता
1990 के दशक में गोरखपुर पशु कल्याण अभियान के प्रणेता डा. ब्रजेश
कुमार सिंह से पशु मित्र के साथ एक समीक्षा वार्ता हुई। बैठक में डॉक्टर ब्रजेश
कुमार सिंह आश्वासन दिया कि पशु कल्याण के क्षेत्र में आने वाली सभी
बाधाओं को दूर किया जाएगा एवं में कार्य कर रहे पशु प्रेमियों को हर संभव
मदद उपलब्ध कराई जाएगी।
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 21

लखनऊ की मेयर, नगर आयुक्त एवं पूर्व जीएम पीसीडीएफ को पशुमित्र की प्रति की गयी भेंट

लखनऊ शहर की अत्यंत लोकप्रिय एवं विनम्र मेयर इससे कान्हा उपवन गौशाला उपलब्धियों और सफलताओं प्रतिनिधि भेंट किया। श्री शर्मा वर्तमान में उत्तर प्रदेश तथा
श्रीमती संयुक्ता भाटिया से पशुमित्र संपादक की शुभेक्षा को भी लोगों के बीच में ले जाना है। इस प्रस्ताव को जब सीमावर्ती प्रदेश मध्यप्रदेश, बिहार एवं उत्तराखंड में बतौर
भेंट हुई। संपादक ने पशु मित्र पत्रिका की एक प्रति भेंट की लखनऊ नगर निगम के मेयर तथा नगर आयुक्त के सामने बीएम इंडस्ट्रीज के जीएम के रूप में रुक्मिणी पशु आहार
और अवगत कराया कि नवंबर-दिसंबर ,2021 लखनऊ रखा गया तो उन्होंने कान्हा उपवन गौशाला के विशेष एवं अमिनो पोल्ट्री फीड के बड़े सप्लायर हैं। श्री शर्मा एक
नगर निगम को समर्पित किया गया था जिसमें गार्बेज कंट्रोल कवरेज के लिए स्वागत किया। पशु मित्र पत्रिका की दो पशु पोषण वैज्ञानिक तथा मार्केटिगं के विशेषज्ञ के रूप में
बनाम रेबीज कंट्रोल के मामले को लोगों के बीच में ले जाने प्रतियां नगर आयुक्त श्री अजय द्विवेदी, आईएएस को भेंट गोपालकों के लिए पौष्टिक एवं सस्ता चारा बनाने के लिए
का कोशिश किया गया। संपादक ने बताया कि लखनऊ किया गया। दोनों लोगों ने पत्रिका के प्रयास की सराहना की। नए-नए फार्मूले बनाकर उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़
नगर निगम के द्वारा संचालित का कान्हा उपवन गौशाला पूरे इसी दौरान पशु मित्र पत्रिका के संपादक की मुलाकात पशु रहे हैं ताकि पोल्ट्री और गोपशुओं के भरण पोषण की आसान
देश में जाना जाता है। लेकिन इस बीच स्वच्छता मिशन के पोषण वैज्ञानिक एवं पीसीडीएफ के पूर्व जनरल मैनज े र, श्री तकनीक का फायदा उठाएं। श्री शर्मा ने पशु मित्र पत्रिका को
तहत लखनऊ नगर निगम को विशेष सम्मान प्राप्त हुआ है एस. एन. शर्मा से हुई और उन्हें भी पशु मित्र पत्रिका की एक पशु पालकों की एक अत्यंत उपयोगी प्रकाशन बताया है।

हेरिटेज फाउंडश
े न के साथ बैठक लखनऊ नगर निगम मे संयकु ्त निदेशक
डॉ. अरविंद कुमार राव से मुलाकात
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ शहर के लोकप्रिय नगर
निगम मे संयक्त ु निदेशक-पशु कल्याण के पद पर कार्यरत
डॉ. अरविंद कुमार राव की पशु मित्र संपादक के साथ हुई
एक भेंटवार्ता के दौरान डॉ राव ने बताया कि शुरू शुरू में
लखनऊ नगर निगम के अमौसी स्थित कान्हा उपवन गौशाला
गोरखपुर में वन्य जीव संरक्षण एवं पशु कल्याण के दिशा मे की व्यवस्था को पटरी पर लाना इतना आसान काम नहीं
अनूठी पहल सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक बैठक आहुत था। लेकिन वर्ष 2012 में जब लखनऊ नगर निगम के
की गई, जिसमें हेरिटेज फाउंडश े न की संरक्षक डॉॅ. अनीता कान्हा उपवन गौशाला का कार्यभार उन्हें सौंपा गया तो अनेक
अग्रवाल, राजीव दत्त पांड,े मनीष चौबे शामिल हुए। बैठक चुनौतियां सामने खड़ी थी लेकिन सभी चुनौतियों का सामना
में संपादक पशु मित्र के द्वारा भारतीय जीव-जंतु कल्याण बोर्ड करने के लिए उचित प्रबंधन व्यवस्था, संसाधन और दृढ़
भारत सरकार द्वारा पशु कल्याण के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं को इच्छाशक्ति के जरिए हम सभी बाधाओं को दूर कर सफलता संस्था के रूप में एक बहुत बड़ा नाम दिया। डॉ राव ने यह भी
दिए जाने वाले वित्तीय सहायता पर विचार विमर्श किया गया। की मंजिल की ओर चलते रहे। उन्होंने कहा कि इसी बीच बताया कि कान्हा उपवन कार्य पद्धति तथा सफलताओं को
जीव आश्रय नामक एक पशु कल्याण संस्था का आगमन देखने के लिए भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के तत्कालीन
अद्भुत पशु प्रेम हुआ जिस के प्रेरणा स्रोत श्रीमती अपर्णा यादव और श्री प्रतीक
यादव जैसे युवा पशु प्रेमियों ने जीव आश्रय संस्था के माध्यम
चेयरमैन मेजर जनरल डॉ आरं एम खर्ब से लेकर पूर्व चेयरमैन
लेफ्टिनेंट जनरल एके चटर्जी तथा बाद के चेयरमैन, डॉ एस
इस परिवार में से कान्हा उपवन की व्यवस्था प्रणाली को नया आयाम दिया। पी गुप्ता, आईएएस जैसी पर्सनालिटी भी जीव आश्रय और
पशुओं के प्रति इस प्रकार कान्हा उपवन में हर दिन नए-नए कार्यक्रम की कान्हा उपवन के कार्यों को देखकर प्रशंसा किए बगैर नहीं रह
अटूट प्रेम देखने को शुरुआत की जाने लगी। जिसमें श्री अमित सहगल और श्री सके। डॉ राव ने बताया कि इस कार्य में श्रीमती अपर्णा यादव
मिलता है। परिवार यतींद्र त्रिवेदी जैसे बेहतर प्रबंधन सहयोगियों का आगमन सोने और उनके पति श्री प्रतीक यादव का व्यक्तिगत योगदान कभी
का सदस्य स्कूबी में सुहागे जैसी बात हो गई।और, कान्हा उपवन फिर कभी पीछे भुला नहीं जा सकता है। दोनों ही व्यक्ति ऐसे अनन्य पशु प्रेमी
कैंसर से पीड़ित मुड़कर के नहीं देखा। हम इस संस्था को अग्रणी एवं आदर्श है जो सिर्फ व्यावहारिक कार्यों में विश्वास रखते हैं। लखनऊ
है। परिवार की बहू पशु कल्याण इकाई के रूप में देखने लगे। कान्हा उपवन की शहर की आपातकालीन रेस्क्यू वर्क और क्रिटिकल केस पर
श्रीमती चारू चौधरी सफलता में जीव आश्रय पशु कल्याण संस्था के अथक प्रयास उनकी हमेशा नजर बनी रहती थी। उसे ठीक होने के लिए एड़ी
स्वयं स्कूबी की और निष्ठावान पदाधिकारियों के माध्यम से एक ऐसे प्रबंधन से चोटी का व्यवस्था करने के लिए तैयार हो जाया करते थे।
सेवा-सुश्रुषा एवं प्रणाली का विकास करने का अनोखा अवसर प्राप्त हुआ जो उन्होंने बताया कि आज भी उनका पशु प्रेम उसी ही लगन और
देखभाल कर रही हैं। कान्हा उपवन तथा जीव आश्रय को एक आदर्श पशु कल्याण निष्ठा से निरंतर जारी है।

चौधरी परिवार ने किया वन्यजीव आधारित अंक का लोकार्पण


चौधरी परिवार, गोरखपुर का एक बड़ा ही सम्मानित एवं प्रतिष्ठित
परिवार है। परिवार के सदस्यों द्वारा पशु मित्र के वन्य जीव संरक्षण
पर आधारित नवीनतम अंक का लोकार्पण किया गया, जिसमें
पर्वया रणविद् एवं वन्य जीव सला हकार एडवोकेट अरविंद
विक्रम चौधरी, पूर्व महापौर एवं राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष
श्रीमती अंजु चौधरी, शिक्षाविद श्रीमती चारु चौधरी,समाजसेवी
एवं वन्यजीव प्रेमी श्री प्रमोद चौधरी शामिल रहें।
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 22

उप्र के पशु प्रेमी मुख्यमंत्री की नजर इको-


टूरिज्म से विकास की संभावनाओं पर
आशातीत सफलताएं
इको-टूरिज्म में आया निखार- विकास की संभावनाएं बढ़ीं अपार, सरकार ने दी रफ्तार- जन-जन में आया बहार !

उ त्तर प्रदेश एवं पूर्वांचल में स्पिरिचुअल टूरिज्म,


हेरिटेज टूरिज्म और इको टूरिज्म के क्षेत्र में
विकास और रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। सीएम योगी
आदित्यनाथ की कोशिशों से आज उत्तर प्रदेश डोमेस्टिक
टूरिस्ट के मामले में देश में नम्बर वन है। विदेशी टूरिस्ट
के लिए देश में दूसरे स्थान पर है। मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ के दिशा निर्देश पर कर्नाटक के बाद पहली
बार उत्तर प्रदेश में इको टूरिज्म का बोर्ड बनाने की दिशा में
काम चल रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विशेष
रुचि से गोरखपुर इको टूरिज्म का हब बनने की ओर
अग्रसर है। सूबे की बागडोर संभालने के साथ ही उन्होंने
सबसे पहले उपेक्षित पड़े विशाल नैसर्गिक झील रामगढ़ में खुले चिड़ियाघर (शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी
का कायाकल्प किया। उद्यान) से इको टूरिज्म की नई संभावनों को तो पंख ही
लग गए हैं। समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश से हजारों की संख्या में
उ. प्र.सरकार की प्राथमिकताओं में पहुंचने वाले लोग इको टूरिज्म के विस्तृत होते आयाम में
सहभागी बन रहे हैं।
राजीव दत्त पाण्डेय टूरिज्म विकास से रोजगार
लख े क पिछले 30 वर्षो से दैनिक जागरण, सूबे की पहली अधिसूचित वेटलैंड के रूप में अब इस वन्यग्रामों में स्टे होम की योजना
झील की चर्चा आम है। इसकी तुलना मुम्बई के मरीन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ योजना वनवासी क्षेत्रों में
खास खबर आज की न्यूज बुलेटिन, राष्ट्रीय ड्राइव से की जाती है। ताल तलैयों के प्राकृतिक सौंदर्य से ‘स्टे होम’ बना ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने और वन
सहारा, सहारा समय, दैनिक भास्कर में विभिन्न समृद्ध पूर्वांचल में इको टूरिज्म और एडवेंचरस टूरिज्म क्षेत्रों में रहने वालों का आय बढ़ाने की भी है। असल में
शहरों एवं राज्यों में सवे ाएं दे चुके हैं। सम्प्रति की बहुत संभावनाएं हैं। इन संभावनों के मद्देनजर ही ब्रिटिश काल में जंगलों में बसाए गए वनटांगिया गांवों को
गोरखपुर में रामगढ़ झील में इंटरनेशनल वॉटर स्पोर्ट्स राजस्व ग्राम का दर्जा देकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
: दैनिक समाचार पत्र हिन्दुस्तान गोरखपुर में कॉम्पलेक्स का हाल ही में सीएम योगी ने लोकार्पण किया ने समाज और विकास की मुख्य धारा से जोड़ा है। ऐसे में
चीफ रिपोर्टर है। उनकी कला-संस्कृति, फिल्म है। पिछले साल भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुअल लेनायं वन भू भाग के इन वनटांगिया गांवो में स्टे होम की सुविधा
निर्माण, पर्यावरण एवं वन्य जीव के क्षेत्र में खास अपने गोरखपुर दौरे में गोरखनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन विकसित कर यहां के निवासियों के लिए आय सृजन का
के बाद शहर के लिए निकले थे। वहरामगढ़ झील स्थित नया द्वार खोला जा सकता है।
रुचि है और लख े क का विशेष पैशन है। संपर्क: नौका विहार पहुंचे तो झील की खूबसूरती देख मंत्रमुग्ध
ईमल े : DUTTRAJEEV76@GMAIL. हो गए। इमैनुअल ने यादगार के तौर पर फोटो भी खींची हेरिटेज एवं स्पिरिचुअल टूरिज्म
और खिंचवाई। प्रकृति के आंगन में पर्यटन स्थलों को
COM; मोबल े : 9999959077 विकसित करने का एक सफल प्रयास गोरखपुर में राप्ती पर भी दिया जा रहा जोर
नदी के राजघाट पर देखा जा सकता है। गुरु गोरक्षनाथ के गोरखनाथ मंदिर में साउंड एंड लाइट शो के जरिये गुरु
नाम पर पूर्वी और प्रभु श्रीराम के नाम पर पश्चिमी तट गोरखनाथ की कथा स्मृतियों को भी जीवंत किया गया है।
का सुंदरीकरण देखते ही बनता है। राजस्थान के लाल शहर के प्रमुख धार्मिक स्थलों के साथ ही पर्यटन संवर्धन
पत्थरों पर उकेरी गई नक्काशी उदयपुर के पर्यटन स्थलों योजना से गांव के मंदिरों को भी सुन्दरीकृत किया है। इसी
की याद दिलाती है। खूबसूरती के बीच अत्याधुनिक कड़ी में योगी सरकार ने मानव काया के अंतिम पड़ाव
नागरिक सुविधाओं की मौजूदगी से मानव काया की अंतिम राप्ती नदी तट पर स्थित राजघाट को शहर का नया पर्यटन
पड़ाव स्थली अब पर्यटन स्थल भी बन चुकी है। उधर, स्थल बना दिया है। राप्ती के दोनों तट गुरु गोरखनाथ और
गोरखपुर के चिलुआताल को सौदर्यीकरण भी जारी है। प्रभु श्रीराम के नाम पर खूबसूरत पर्यटन केंद्र के रूप में
इसके अलावा फरेंदा स्थित परगापुर ताल पर भी योजनाएं विकसित किए गए हैं। अध्यात्मिक दृष्ट से प्रतिष्ठित बुढ़िया
संचालित हैं। माता मंदिर, तरकुलहा देवी मंदिर, मानसरोवर मंदिर,
इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए महराजगंज के गोरखनाथ मंदिर, लेहड़ा देवी मंदिर के सौदर्यीकरण के
सोहगीबरवा वन्यजीव वन प्रगाग में टाइगर रेस्क्यू सेंटर साथ वहां स्थिति पोखरों का भी सौदर्यीकरण किया। जिले
और गोरखपुर वन प्रभाग में किंग वल्चर का देश का के ऐतिहासिक स्थलों चौरीचौरा शहीद स्मारक, तरकुलहा
पहला गिद्ध संरक्षण केंद्र स्थापित हो रहा है। गोरखपुर शहीद बंधू सिंह स्मारक, डोहरिया कलां, जिला जेल स्थित
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 23

अमर शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल स्मारक को भी की दृष्टि से काम किया जा रहा है। टूरिज्म एवं इको टूरिज्म पशु प्रेमी है। ऐसा नहीं है कि वह पालतू पशुओं के
हेरिटेज टूरिस्ट प्लेस के रूप में विकसित हुए। गोरखपुर के के जरिए रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर उपबल्ध प्रति उनका झुकाव अत्यंत अधिक है बल्कि वन्य
निकट ही सन्तकबीरनगर का बखिरा ताल, महराजगंज का कराए जाएंगे। जीव जंतुओं के प्रति अगाध प्रेम रखने वाले मुख्यमंत्री
सोहगीबरवा नई संभावनों के द्वार खोलता है। खूंखार जानवरों से भी दोस्ती बनाने में माहिर है।
कोरोना के संकम्रण से संघर्ष अटल बिहारी वाजपेई सरकार में भारतीय जीव जंतु
अयोध्या में भव्य राममंदिर - वाराणसी इको-टूरिज्म को प्रमुखता कल्याण बोर्ड के सदस्य रहे योगी जी राष्ट्रीय पशु
कल्याण नीति निर्धारण और चर्चा में हमेशा अग्रणीय
में काशी विश्वनाथ धाम यह दौर कोरोना के संकम्रण से संघर्ष का भी था। इस भूमिका निभाई है। वर्ष 2000 में गठित राष्ट्रीय गोवंश
सीएम योगी आदित्यनाथ ने शुरूआत स्पिरिचुअल टूरिज्म फिल्म की प्रेरणा थी कि उन्होंने सूबे को तीन इको पर्यटन आयोग के अध्ययन और रिपोर्ट प्रस्तुतीकरण में योगी
से की। अयोध्या धाम में भव्य दिव्य श्रीराम मंदिर निर्माण सर्किट गोरखपुर-सोहगीबरवा सर्किट, आगरा-चंबल आदित्यनाथ भी शामिल रहे हैं। इस रिपोर्ट की हजारों
किया जा रहा है वहीं काशी विश्वनाथ में भव्य कारिडोर सर्किट और वाराणसी-चंद्रकांता सर्किट दिए। इनका ड्राई पृष्ठ की रिपोर्ट केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय वेबसाइट
का निर्माण किया गया है। मथुरा वृंदावन में 300 से अधिक रन भी किया जा चुका है। उम्मीद है कि जल्द इन सर्किट पर पढ़ा जा सकता है जिसमें गोवंश संरक्षण संवर्धन
पर्यटन स्थलों का विकास, चित्रकूट धाम में लक्ष्मण को लोकप्रिय बनाने के साथ इन्हें सुसंगत बनाने के लिए से संबंधित बहुत सारी महत्वपूर्ण सूचनाएं सम्मिलित
झूला, मंदाकिनी आरती, घाटों का सुंदरीकरण, श्रृंगवेरपुर नई योजनाएं भी अमल में लाई जाएंगी। गोरखपुर महोत्सव है। वर्ष 2018 में भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के
में निषादराज गुह्य का उद्यान, बहराइच में 40 एकड़ में 2022 की थीम में इस बार इको टूरिज्म को भी प्रमुखता साथ हुई एक बैठक में उत्तर प्रदेश के शहरों के साफ
वीर सुहेलदेव पासी की स्मृति में प्रोजेक्ट, कुशीनगर में से स्थान मिला था । हालांकि, कोरोना संक्रमण के चलते सफाई, लावारिस पशुओं के प्रबंधन एवं उत्तर प्रदेश
40 करोड़ से पर्यटन सुविधाओं का विकास, संतकबीर महोत्सव फिलहाल स्थगित है। इन्ही कड़ियों में गोरखपुर में गौ संवर्धन की संभावनाओं पर विशेष बैठक का
की स्थली, देवीपाटन आदि का विकास पहली बार योगी वन प्रभाग और हेरिटेज फाउंडेशन पहली बार गोरखपुर आयोजन भी किया गया था। इसमें दो राय नहीं कि
आदित्यनाथ की अगुवाई में हुआ। लोगों को प्रयागराज के के इको टूरिज्म के साथ यहां के दर्शनीय स्थलों पर एक उत्तर प्रदेश देश के उन आदरणीय राज्यों में से एक है
भव्य कुंभ का अनुभव हुआ। कॉफी टेबल बुक भी लेकर आया है। मुख्यमंत्री योगी जहां पशु कल्याण से संबंधित योजनाओं की भरमार
आदित्यनाथ ने पिछले दिनों इसका लोकार्पण करते हुए लाई गई। राज्य सरकार के नीतियों से पर्यावरण
इको टूरिज्म पर फिल्म से इको सराहना की । संरक्षण के साथ-साथ रोजगार और आय के नए
नए साधन ढूंढने का एक सिलसिला आरंभ हो गया।
टूरिज्म सर्किट तक का सफर पशु प्रेमी मुख्यमंत्री के दिल में मुख्यमंत्री के विशेष रुचि से आरंभ की गई योजनाएं
सीएम योगी आदित्यनाथ की इको टूरिज्म की योजना के निश्चित ही मनुष्य, पर्यावरण और जीव-जंतुओं को
लिए प्रेरक के रूप में प्रख्यात वन्यजीव एवं पर्यावरण रचा बसा है पशु कल्याण एक सूत्र में जोड़ रहा है जो अन्य राज्यों के लिए एक
संरक्षणकर्ता माइक हरिगोविंद पाण्डेय के संरक्षण में हेरिटेज यह सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय आकर्षण का विषय बना हुआ है।
फाउंडेशन गोरखपुर भी सहभागी बना। गोरखपुर वन प्रभाग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व्यक्तिगत तौर पर एक (क्रमशः)
के तत्कालीन डीएफओ आईएफएस अविनाश कुमार के
सहयोग से गोरखपुर वन प्रभाग के लिए गोरखपुर के इको
टूरिज्म पर 8.30 मिनट का वृत्त चित्र एवं 2.40 मिनट
का वृत्तचित्र बनाया। विश्व पयर्टन दिवस 27 सितंबर
2020 को सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर से
इन दोनों फिल्मों का लोकार्पण किया। इस तिथि पर विश्व
पयर्टन दिवस की थीम टूरिज्म एवं रूरल डेवलपमेंट थी।
सीएम योगी आदित्यनाथ इस तथ्य से अवगत थे।
मुझे स्मरण है कि उन्होंने था कि टूरिज्म का मतलब सिर्फ
टूरिस्ट स्पॉट या मनोरंजन नहीं। इको टूरिज्म न केवल
हमें प्रकृति के नजदीक ले जाता है, बल्कि रोजगार की
अनंत संभावनाओं के द्वार भी खोलता है। उन्होंने विश्वास
दिलाया कि गोरखपुर समेत समूचे प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र में
पयर्टन की अनंत संभावनाओं को विकसित करने, इसके
माध्यम से लोगों को रोजगार दिलाने एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी के आत्मनिर्भर भारत के अभियान को आगे बढ़ाने
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 24

योगीराज के उत्तर प्रदेश को


मिले 9 रामसर साइट...
रामसर कनवेंशन के गठन के 34 साल बाद उत्तर प्रदेश को 2005 में अपर गंगा रामसर साइट मिली थी। अब योगी
आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री और केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद साल 2019 से 2022 तक 4 साल में
उत्तर प्रदेश को मिली 9 रामसर साइट। बता रहे हैं पर्यावरण कार्यकर्ता वरिष्ठ पत्रकार आर डी पाण्डेय- संपादक

गोरखपुर (उत्तर प्रदेश): पशु मित्र न्यूज़ डेस्क स्थलों में शामिल कराने का निर्णय किया था।
• उत्तर प्रदेश में रामसर साइट वन्यजीव एवं पर्यावरण संरक्षण की प्रतिष्ठित संस्था

51 साल पहले 2 फरवरी 1971 को दुनिया भर की


आर्द्रभमि
ू (वेटलैंड) को सुरक्षित-संरक्षित करने
के लिए रामसर कनवेंशन का गठन किया गया। उसके गठन
• रामसर साइट साल क्षेत्रफल(वर्ग किमी में)
• अपरगंगा रीवर (बृजघाट से नरोरा तक) 8 नवंबर 2005
265.9
हेरिटेज फाउंडेशन के ट्रस्टी अनिल कुमार तिवारी कहते
हैं कि उत्तर प्रदेश जैव विविधता की दृष्टि से महत्वपूर्ण
हैं। बखिरा के रामसर साइट घोषित होने से गोरखपुर-
के 34 साल लम्बे सूखे के बाद उत्तर प्रदेश की अपर गंगा • नवाबगंज बर्ड सेंचुरी 19 सितंबर 2019 2.246 सोहगीबरवा इको टूरिज्म सर्किट में उसे भी शामिल कर
(ब्रजघाट से नरौरा तक) रामसर साइट घोषित हुई। उसके • पार्वती आगरा बर्ड सेंचुरी 02 दिसंबर 2019 7.22 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन को आकर्षित कर सकते हैं।
बाद फिर शुरू हुआ वर्षो लम्बे इंतजार कर अंतहीन सिलसिला • समन बर्ड सेंचुरी 02 दिसंबर 2019 52.63 इससे रोजगार एवं स्वरोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
जिसे बसपा-सपा की सरकार में भी खत्म नहीं हुआ। सूबे में • समासपुर बर्ड सेंचुरी 03 अक्तूबर 2019 79.94 हेरिटेज एवियंस के संयोजक वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर
भाजपा की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में आई • सादी बर्ड सेंचुरी 26 सितंबर 2019 30.85 अनुपम अग्रवाल कहते है कि गोरखपुर की रामगढ़झील
सरकार ने नए उत्तर प्रदेश के चहुमखुं ी विकास की योजनाओं • सरसाई नेवार झील 19 सितंबर 2019 16.13 सूबे की पहली अधिसूचित वेटलैंड है। प्रदेश सरकार इसे
के निर्माण के क्रम में इस ओर ध्यान दिया। यह योगी का हठ • सूर सरोवर 21 अगस्त 2020 04.31 भी रामसर की साइट के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए
ही कहा जाएगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार • हैदरपुर वेटलैंड 8 दिसंबर 2021 69.08 केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज चुकी है। उन्हें उम्मीद है कि
ने बीते चार साल में नौ नई रामसर साइट उत्तर प्रदेश को दी। • बखिरा झील 02 फरवरी 2022 29 जल्द ही इसे भी रामसर साइट का दर्जा मिलेगा और यह
पर्यावरणविद इसे धरती एवं जैव विविधता बचाने की दिशा विश्व फलक पर प्रतिष्ठित होगी।
में सरकार की ऐतिहासिक उपलब्धि बता रहे हैं। साल 2020 तक इनकी संख्या देश में बढ़ कर 37 और
2 अक्तूबर बुधवार को गुजरात के खिजादिया वर्तमान में 49 है।’ क्या है रामसर कनवेंशन ?
वन्यजीव अभ्यारण्य एवं उत्तर प्रदेश के बखिरा पक्षी असल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की 51 साल पहले 2 फरवरी 1971 को रामसर कनवेंशन
अभ्यारण्य को राम स्थल घोषित किया गया। बखिरा उत्तर बागडोर संभालने के साथ ही वेटलैंड के संरक्षण एवं का गठन दुनिया भर की आर्द्रभूमि को को सुरक्षितसंरक्षित
प्रदेश का 10 वां रामसर स्थल है। तीन बार ग्रीन आस्कर संवर्धन के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे। इसी कड़ी में करने के लिए किया गया। इसमें दुनिया के 170 से ज्यादा
अवार्ड से सम्मानित प्रख्यात पर्यावरण विद् माइक एच उन्होंने 11 जनवरी 2018 उत्तर प्रदेश राज्य आर्द्रभूमि देश भागीदार हैं। 2100 से ज्यादा वेटलैंड इसकी सूची में
पाण्डेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद से प्राधिकरण गठित किया। मुंबई प्राकृतिक इतिहास सोसायटी दर्ज है जिसमें भारत के 26 वेटलैंड हैं। वेटलैंड प्रकृति
आते हैं। कहते हैं कि,‘सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि से सर्वेक्षण करा रामसर साइट के लिए संभावित 20 एवं पर्यावरण के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। ये वेटलैंड जल
पूरे देश में रामसर कनवेंशन के पांच साल पहले तक सिर्फ स्थलों की सूची बनाई। 5 अक्तूबर 2018 को उत्तर प्रदेश का स्तर बढ़ाने, जैव विविधता के संरक्षण एवं संवर्द्धन
27 रामसर साइट्स थे। लेकिन केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की दूसरी बैठक में 20 में 12 के साथ प्रवासी पक्षियों के मौसमी आवास के रूप में भी
मोदी की सरकार बनने के बाद इस दिशा में काम हुआ। वेटलैंड को प्राथमिकता के आधार पर संभावित रामसर उपयोगी हैं। (प्रस्तुति: राजीव दत्त पांडे)
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 25

वेटलैंड ही हमारे जीवन के आधार

}गोरखपुर (उत्तर प्रदेश): डॉ अनिता अग्रवाल के सदस्यों समेत 200 से अधिक शहरवासी शामिल हुए।
माऊंट लिट्रा जी स्कूल के बच्चे ऑनलाइन पेटिगं

गो रखपुर शहीद अशफाक उल्ला खॉ प्राणी उद्यान


परिसर में विश्व आद्रभूमि दिवस 2022 को नेचर
वॉक एवं बर्डवॉच, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन
प्रतियोगिता में शामिल हुए। जूनियर और सीनियर वर्ग में
हुई इस प्रतियोगिता में छात्रों ने आद्रभूमि के संरक्षण के प्रति
जागरूक करने वाली पेंटिगं बनाई। आद्रभूमि एवं पर्वया रण
विभाग, शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान, हेरिटेज संरक्षण का आंदोलन तेज हो। विद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ.
फाउंडश े न एवं हेरिटेज एवियंस के संयक्त ु तत्वावधान में अर्पिता गुप्ता ने छात्रों का हौसला बढ़ाया। डीएफओ ने सभी
आयोजित हुआ। प्रकृति प्रेमियों को उत्साह बढ़ाने के लिए 20 छात्रों को प्रमाण पत्र देने का वादा किया।
जनपद न्यायाधीश, सीजेएम, डीएम, सीडीओ, डीएफओ इसी दिन हेरिटेज फाउंडश े न, वन विभाग और प्राणी
और प्राणी उद्यान के निदेशक समेत सभी रेंजर और वनकर्मी उद्यान की ओर से आयोजित वेबिनार को बतौर मुख्य
भी शामिल हुए। प्रख्यात पर्यावरणविद माइक हरिगोंविद अतिथि दिल्ली से वर्चुअल ग्रीन आस्कर अवार्ड से
पाण्डेय ने वर्चुअल वेबिनार में जुड़ कर बढ़ाया उत्साह। सम्मानित पर्वया रणविद् एवं संरक्षणकर्ता माइक हरिगोविंद
विश्व आद्रभूमि दिवस (वेटलैंड-डे) 2 फरवरी 2022 डीएफओ विकास यादव ने अतिथियों एवं शहरवासियों का पाण्डेय ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कहा कि वेटलैंड
को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह आभार ज्ञापित करते हुए आश्वस्त किया कि वन, पर्वया रण पृथ्वी की किडनी और सुपर बायोलॉजिकल मार्केट हैं। इनके
जनपद में वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, एवं वन्यजीव संरक्षण की दिशा में निरंतर प्रयासरत करते संरक्षण के लिए आमजन को जागरूक होना होगा। आगे
शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान, हेरिटेज फाउंडश े न रहेंग।े वन, वन्यजीव एवं पर्वया रण संरक्षण की चिंता से बढ़ कर प्रशासन और सरकार के साथ इनके संरक्षण की
एवं हेरिटेज एवियंस के संयक्त ु तत्वावधान में बर्डवॉच बच्चों को जोड़ने की कोशिशें भविष्य में भी जारी रहेंगी। पहल करनी होगी। यह किसी सरकार के अकेले के बस
एवं नेचर वॉक आयोजित किया गया। पर्वया रण एवं पक्षी कार्यक्रम का संचालन अतिथियों का स्वागत हेरिटेज की बात नहीं है। हम सब को मिल कर पृथ्वी पर उपलब्ध
प्रेमियों को उत्साहवर्धन करने पहुच ं े जनपद न्यायाधीश तेज फाउंडश े न की संरक्षिका डॉ. अनिता अग्रवाल ने किया। सभी संसाधनों का आदर करना होगा। पूर्वांचल की बखिरा
प्रताप तिवारी ने ‘वेटलैंड एक्शन फॉर पीपुल एण्ड नेचर’ पर हेरिटेज फाउंडश े न की संरक्षिका डॉ. अनिता अग्रवाल झील को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रामसर साइट का दर्जा मिलने
विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सबसे पहले वेटलैंड ने कार्यक्रम के दौरान हेरिटेज वॉरियर के गठन और हेरिटेज पर उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी का आभार
पर ही जीवन आया। वेटलैंड ही हमारे जीवन के आधार वॉरियर वार्षिक पुरस्कार की घोषणा की। कहा कि अप्रैल में व्यक्त किया। कहा कि बखिरा झील को रामसर साइट का
हैं। रामचरित मानस की चौपाई, ‘छिति जल पावक गगन पर्वया रण संरक्षण एवं वाइल्ड-लाइफ पर इंटरनेशनल फिल्म दर्जा मिलने से अतंरराष्ट्रीय पयर्टक आकर्षित होंगे वहीं
समीरा। पंच रचित यह अधम सरीरा।’ का उल्लेख करते फेस्टिवल आयोजित करने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने इन रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंग।े
कहा कि पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु इन पांच कार्यक्रमों में सभी से सहयोग की अपील की। वहीं कार्यक्रम उन्होंने कहा कि हमें अपने प्राकृतिक तालाबों एवं
तत्वों से यह अधम शरीर रचा गया। इसलिए हमें इन सब के दौरान हेरिटेज फाउंडश े न की ओर से जिला जज तेज वेटलैंड के संरक्षण के लिए वॉरियर के रूप में काम
का संरक्षण करना होगा। अपील किया कि कोरोना संक्रमण प्रताप तिवारी, सीडीओ इंद्रजीत सिंह, डीएफओ विकास करना होगा। सुझाव दिया कि सभी को मिल कर ऐसी
के इस कठिन समय में हम प्रसन्न रह कर अपने कर्तव्य का यादव ने गो सेवा के लिए शिवेंद्र यादव को 10 हजार रुपये प्रणाली निर्मित करनी चाहिए ताकि परिवर्तन के लिए
पालन करें तो सभी परेशानियां स्वत: दूर हो जाएंगी। का आर्थिक सहयोग प्रदान किया। शिवेंद्र के बीमार होने के सार्थक हस्तक्षेप कर सके। पालिथीन और प्लास्टिक
समारोह के मुख्य अतिथि जिला जज तेज प्रताप तिवारी कारण उनके स्थान पर मनीष चौबे ने चेक ग्रहण किया। का इस्तेमाल बंद करने की अपील की। प्राणी उद्यान
के साथ उनकी पत्नी डॉ. करुणा तिवारी एवं उनके बुजर्गु घने कोहरे के बीच शहरवासियों ने प्राणी उद्यान के 34 के निदेशक एच राजामोहन ने वेटलैंड के संरक्षण एवं
माता पिता भी पहुच ं े थे। विशिष्ठ अतिथि सीडीओ इंद्रजीत एकड़ के वेटलैंड एरिया में नेचर वॉक एवं बर्डवॉच का संवर्धन पर प्रकाश डालते हुए जनसभागिता की अपील
सिंह ने हेरिटेज फाउंडश े न एवं वन विभाग के प्रयासों की आनंद लिया। प्राणी उद्यान के पशु चिकित्सक डॉ. योगेश की। डीएफओ विकास यादव ने सभी का स्वागत करते
सराहना करते हुए कहा कि मनरेगा के अंर्तगत बड़ी संख्या में प्रताप सिंह, हेरिटेज एवियंस के संयोजक वाइल्ड लाइफ हुए आश्वस्त किया कि वेटलैंड के संरक्षण के लिए सभी
पौधरोपण की योजना बना रहे हैं जिसमें वन एवं पर्वया रण फोटोग्राफर आर्किटेक्ट अनुपम अग्रवाल, वाइल्ड लाइफ प्रयास किए जाएंगे। ज्यादा से ज्यादा लोगों की सहभागिता
के क्षेत्र में सेवाएं देने वाली संस्थाओं की विशेषज्ञता का फोटोग्राफर एवं ट्रस्टी अनिल कुमार तिवारी एवं वाइल्ड भी सुनिश्चित कराई जाएगी। हेरिटेज फाउंडेशन की
लाभ उठाया जाएगा। जिलाधिकारी विजय किरण आनंद लाइफ फोटोग्राफर धीरज सिंह ने बच्चों एवं शहरवासियों संरक्षिका अनिता अग्रवाल ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित
ने भी परिवार के साथ नेचर वॉक एवं बर्डवॉच किया। को पक्षियों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में फाउंडशे न किया। पशु चिकित्सक डॉ. संजय श्रीवास्तव, अचिंत्य
उन्होंने वन्यजीव एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी जरूरी के ट्रस्टी नरेंद्र कुमार मिश्र, ट्रस्टी अनुपमा मिश्रा, मनीष लाहिड़ी, डॉ आरसी चौधरी, डॉ योगेश प्रताप सिंह, डॉ
सहयोग एवं समर्थन देने का आश्वासन दिया। चौबे, डॉ सीमा मिश्रा, डा शिव शरण दास, कालानमक धान नरेश अग्रवाल, डॉ किरण त्रिपाठी, मनीष चौबे, डॉ सीमा
विशिष्ठ अतिथि के रूप में मंच पर डॉ. करुणा तिवारी, के संरक्षण कर्ता डॉ आर सी चौधरी, डॉ. नरेश अग्रवाल, मिश्रा समेत काफी संख्या में छात्र वेबिनॉर से जुड़े रहे।
सीजेएम मंगल देव सिंह एवं लक्ष्मी यादव भी मौजूद रहीं। एश्वर्या शाही, डॉ संजय श्रीवास्तव समेत इनबुक फाउंडश े न (प्रस्तुति: राजीव दत्त पांडे)
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 ्ष -1 अंक 7 मार्च- अप्रैल 2022 | 26

साक्षात्कार : भाग-2
प्रकृति के आदर के साथ गोरखपुर की प्रगति
हो रही है जो सराहनीय है: डॉ. माइक पांडे

पशु मित्र के एसोसिएट एडिटर डॉ. अमरनाथ जायसवाल की पर्यावरणविद् डॉ. माइक पाण्डेय से विशेष बातचीत पर
आधारित साक्षात्कार का यह दूसरा खंड है जो अत्यंत सारगर्भित तथा सूचनाप्रद है। डॉ. माइक अपने साक्षात्कार में
सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय भारतीय वन्य जीव जंतु प्रबंधन के नीतियों पर टिप्पणी करते हुए कई महत्वपूर्ण
सलाह दिए है। उन्होंने अपने साक्षात्कार में पर्यावरण संरक्षण, संवर्धन और पर्यटन को कहीं न कहीं प्रकृति के कायदे-
कानून का पालन करते हुए एक टिकाऊ व्यवस्था पर जोर दिया है। इस खंड में अधिक जानकारी के लिए आइए जानते
हैं पशु मित्र के एसोसिएट एडिटर डॉ.अमरनाथ जायसवाल की पर्यावरणविद् एवं उत्तर प्रदेश के ब्रांड एंबेसडर डॉ.माइक
पाण्डेय से विशेष बातचीत पर उनके विचार - संपादक
}उत्तर प्रदेश, खास करके गोरखपुर शहर के जरुरी है अवेयरनेस की। लोगों को संवेदनशील बनाने }किस प्रकार की व्यवस्था से आप इत्तेफाक रखते
संतुलित विकास के बारे में आपकी क्या राय है, की, उन्हें इंफार्म करने की सरकार पाल्युशन नहीं करती हैं- इस बारे में क्या कहना है ?
जिसमें कहीं न कहीं ईकोटूरिज्म झलकता है ? और न ही यह ऊपर से नहीं आता है बल्कि यह हमारे {जरुरी हो तो 5-6 महीने के लिए सशक्त नियम भी
{गोरखपुर शहर की प्रगति हो रही है, सराहनीय है। यहां घरों से होता है, हमसे होता है। कुछ भी हम इस्तेमाल बनाया जाए जैसे कोई भी प्लास्टिक को डिसकार्ड नहीं
ताल और उसकी इर्द-गिर्द जो सुविधाएं बना दी गई है, करते हैं सड़क पर फेंक देते हैं। जब तक हम नागरिक करेगा और न फेंकेगा। प्रश्न प्रदूषित सामान गंदगी तेजाब
इससे प्रकृति का आदर ही हो रहा है। प्रदूषण पर भी कहीं बनेंगे शहर को अपना नहीं समझेंगे, प्रदूषण दूर नहीं को कोई भी देती नालियां पानी में बहाएगा इससे पानी
काफी सख्ती हो रही है। यहां काफी संख्या में सारस पाये हो सकता। सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती है इसके साफ होगा। ताल में काफी मछलियां होनी चाहिए लेकिन
जाते हैं, जिनको बचाया जा रहा है। गोरखपुर जंगलों लिए एकजुट प्रयास की जरूरत है। जब एक साथ होकर नहीं है। क्योंकि पानी प्रदूषित हो गया। यह जानना जरुरी
के बीच घिरा हुआ है यह प्रकृति की देन है। यह शहर मेहनत करना पड़ेगा कि यह मेरा देश है इसे हम गंदा नहीं है यही पानी हम पीते हैं। और यह पानी बरसात से आता
ऑक्सीजन पंपिंग स्टेशन के बीच बसा हुआ है। यहां करेंगे। स्कूलों में भी शुरुआत करनी चाहिए। बच्चे सीखेंगे है। यह चक्र है - जल चक्र। यह पानी करोड़ो साल से
कोई कमी नहीं है। कमी है सिर्फ संवेदना की। उसके लिए और लोगों को जागरूक करेंगे। पृथ्वी पर आता रहा है और इसे ही हम प्रदूषित कर देते
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 27

हैं। प्रदूषित पानी देखने में सफेद दिखता तो है लेकिन {पहले जो बीमारियां नहीं होती थी आज हो रही हैं।
तमाम विषैले तत्वों से लैस होता है। यह हमारी सेहत वैज्ञानिकों के अनुसार प्लास्टिक आज हमारी खाद्य
पर काफी बुरा असर डालता है। इससे नाना प्रकार की पदार्थों में आ गया है..एक मां के दूध में आ गया है.. और
बीमारियां भी पैदा होती है। हमारे ब्रेन मे भी...। प्लास्टिक नष्ट नहीं होता, इसके नैनों
}जल की समस्या समूची दुनिया में भाई आवाज पार्टिकल, माइक्रो से भी छोटा रुप सैकड़ों साल मे टूटता
स्थिति की ओर बढ़ रही है, इसके बारे में आप है। खाद्य पदार्थों से होकर यह हमारे शरीर में पहुंचता
क्या कहना चाहेंगे ? है। लोग आजकल प्लास्टिक की पन्नियों में गर्म चाय ले
जल ही जीवन है। हमारे देश में नदियों को माता कहा जाते हैं। प्लास्टिक पिघल सूक्ष्म रुप में हमारे शरीर में
जाता है, जिसकी पूजा करते हैं। पृथ्वी पर कोई भी ऐसा पहुंचता है जिससे बहुत सी घातक बीमारियां हमारे शरीर
देश नहीं है जो नदी को माता कहता हो, देवी मानता को प्रभावित करती हैं। हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता
हो।जब इतना उंचा विचार था हमारे पूर्वजों का तो हम कमजोर हो जाती है। प्लास्टिक के सूक्ष्म रुप को हम
कहां भूल गए.. भटक गए। हम विरासत की चीजों को आंखों से नहीं देख सकते, नैनो प्लास्टिक को वैज्ञानिकों
भूलते जा रहे हैं। हमारा प्रयास है कि एक बार फिर हम ने माइक्रोस्कोप से देखा है। यह हमारे शरीर के आंतरिक
जागें और नज़र डालें अपनी विरासत पर। इसे संभालना भागो पहुंचकर प्रभावित करता है। कागज की गिलास
और बचाना हमारा कर्तव्य है। तब जाकर पृथ्वी का मे भी प्लास्टिक की हल्की कोटिंग की जा रही है। यह
संतुलन बनेगा। काफी गलत है। गिलास बनाने के लिए शुद्ध कागज का
{प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का ही नतीजा है,बे समय
की बारिश आना और इतना की पहाड़ बह जाए। कुदरत
प्रयोग किया जाना चाहिए । पहले चाय पानी के लिए
कुल्हड़ का उपयोग किया जाता रहा है, परंतु अब वह
डॉ. अमरनाथ जायसवाल
के सामने हम टिक नहीं सकते, लेकिन पृथ्वी जीवंत है, भी आसमानी से नहीं मिल रहा है। इंसान ने कुल्हाड़ के एसोसिएट एिडटर, पशु मित्र
उसकी भी आत्मा है,पानी के अंदर भी जान है, आपको साइज को भी छोटा कर दिया है। इंसान पैसे की लालच
जीवन प्रदान करता है। हवा आपको जीवन देती है। पेड़ों और लोभ में इस तरह के कदम उठा रहा है। भी पानी आ सकता है, नहीं । असंतुलित विकास होगा
से आपको जीवन मिलता है, पानी से जीवन मिलता है। }प्राकृतिक संसाधनों के हो रहे अंधाधुंध विनाश तो विनाश भी होगा। इसलिए प्रकृति रक्षक विकास की
जो भोजन हम ग्रहण करते है उसे पृथ्वी पैदा करती है। और विकास की आधी के बीच में पर्यावरण रक्षण जरूरत है इसके लिए सभी को एक साथ एकजुट होकर
पृथ्वी की ताकत उन दानों में होती है, जो हमें उर्जा देती -संरक्षण की मुहिम को प्रभावशाली बनाया जा काम करना होगा। पर्यावरण संरक्षण एक विश्वव्यापी
है, जिससे हम चल फिर सकते हैं। इसके लिए राकेट सकता है ? अभियान है यह का प्रतिपादन सभी को मिलकर करना
साइंस की जरूरत नहीं है साधारण सोच की जरूरत है। {इंसान की सोच सीमित और घटिया होती चली जा रही होगा । इस समस्या का कोई निश्चित परिधि नहीं है।
हम लगे हुए हैं एक ऐसी रेस में.. हमे ये बनना है..हमे वो है। इसी सोच के कारण ही हम अपनी प्रजाति को एक राज्य सरकारों से लेकर के केंद्र सरकार के योजनाओं
बनना है.. आज ये गाड़ी..कल वो गाड़ी लेना है आदि। दिन पृथ्वी से विलुप्त कर देंगे। यह मेरा ख्याल नहीं है.. में युवा जी को आगे ले जाने की अत्यंत आवश्यकता
}आज समूची दुनिया में करोना महामारी को यह हकीकत है। क्योंकि जब पृथ्वी बुलाती है तो अनर्थ हो है। ईकोटूरिज्म एक नई नीति है । संरक्षण संवर्धन और
लेकर स्वास्थ्य, बीमारी और दीर्घायु एक बहुत जाता है। ये क्लाइमेट चेंज क्या है? हमारे ही गतिविधियों संतुलित विकास के साथ साथ में टिकाऊ व्यवस्था भी
बड़ी चुनौती हो गई है- क्या सचमुच इसका का परिणाम। आप पहाड़ बना लिजिए सोने का क्या आप है। इसके प्रचार-प्रसार एवं जानकारियों को लोगों के बीच
पर्यावरण से संबंध है ? उसको खाएंगे। जरा सोचिए! क्या उस पहाड़ से एक बूंद ले जाना अत्यंत आवश्यक है। (क्रमशः)
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 28

पूर्वी उप्र का समृद्ध पर्यावरण-जन जीवन


का प्रबल आधार, कल और आज...

डॉ. शिराज़ वजीह


लख े क गोरखपुर एनवायरन्मेन्टल एक्शन ग्रुप
के अध्यक्ष एवं एम.जी. पोस्ट ग्रेजएु ट कालेज, पू र्वी उत्तर प्रदेश का तराई क्षेत्र जो कृषि-पारिस्थितिकी
क्षेत्र की नजर में उत्तर पूर्व का मैदानकहा जाता है
अपने आप में एक विशिष्ट पहचान रखता है। सरयू/घाघरा
यही नहीं शहर बड़-बड़े वृक्षों से भरा रहता
था और कोई भी सड़क वृक्षों की एक गुफा
गोरखपुर (उ.प्र.) के पूर्व प्राचार्य डॉ. शिराज नदी के उत्तर में अधिकांश क्षेत्र का यह भाग पयार्वरण व जैसी प्रतीत होती थी। रेलवे रोड पर इमली
पिछले चार दशकों से जीव विज्ञान एवं पर्यावरण आजीविका की दृष्टि में काफी समानता रखता है। पानीकी
संरक्षण संवर्धन के अध्येयता, पर्यावरण मित्र अच्छी उपलब्धता, भूमिगत जल की प्रचुरता और मिट्टी के पेड़ उस क्षेत्र को एक अलग पहचान
की उर्वरा शक्ति ने बहुत बड़ी संख्यामें लोगों को आकर्षित देते थे। अंग्रेजों के तो इस सड़क का नाम
संबधं ी मुद्दों के जानकार, लोकप्रिय शिक्षक, किया और बाहर से आकर लोग यहां के जंगलो, खेतों
प्रतिभाशाली अनुसधं ानकर्ता, प्रखर लेखक, आदि में अपनी आजीविका तलाशने लगे और यहीं के ही कोल रोड (इमली की लकड़ी से प्राप्त
जान-े माने वक्ता के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण होकर रह गये। स्वाभाविक है यहां की जनसंख्या बढ़ती होने वाले कोयले के कारण) रखा हुआ
गई, खेत के आकार छोटे होते गये और प्राकृतिक जंगल
संबधं ी वैज्ञानिक अनुसधं ान एवं विकास से पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा। क्षेत्र में आज 90-95 था। ईंट-बालू-सीमेन्ट के साथ विकास ने
संबधि ं त नीतियों के विश्लेषक के रूप में जाने प्रतिशत से भी अधिक किसान लघु-सीमान्त क्षेणी में आते इन बाग-बगीचों, वृक्षों, खुली जमीन के
हैं पर फिर भी कृषि ही प्रमख आजीविका का आधार
जाते हैं। डॉ. शीराज का राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय रही है। इस ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य के चलते क्षेत्र के लोग मैदानों को कम करते गये और बढ़ती गर्ह
पटल पर प्रकाशित होने वाले वैज्ञानिक प्रकाशनों पर्यावरण व प्राकृतिक संसाधनों पर ही आधारित रहे और पर्यावरण की नई समस्याएं! पूर्वांचल की
में दर्जनों शोधपत्र प्रकाशित हो चुका है। वर्तमान उनकी जीवन शैली उनकी संस्कृति, उनकी आजीविका
समय में कई प्रतिष्ठानों के सलाहकार के रूप काफी हद तक पर्यावरण के इर्द-गिर्द रही। इस उर्वर मिट्टी ने जैविक संपदा ही नहीं दी
में सवे ा दते े हुए युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित करने पर्यावरण और आज की खेती-बाड़ी है- अच्छे इंसान भी दिये हैं जिन्होंने देश-
का अभिनव कार्य कर रहे हैं। लोकप्रिय लेखक गेहूँ व धान यहां की रबी-खरीफ का प्रमुख फसल चक्र रहा विदेश में नाम कमाया है। पर्यावरण की बात
है। पानी की अच्छी उपलब्धता के कारण गन्ने की फसल चल रही है तो हम डॉक्टर माइक पाण्डेय
के रूप में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हिंदी - नकदी फसल के रूप में अपनाई गई पर इसकी खेती
अंग्ज रे ी में लख
े लिखना एक दिनचर्या हैं। प्रस्तुत प्रमुखतः बड़े किसानों द्वारा ही की गई जिनके लाभ के लिए जैसे व्यक्तित्व को कैसे भूल सकते हैं।
है उनकी ग्राम्य विकास में पर्यावरण की बदलती नहरों का भी निर्माण हुआ। इन फसलों ने पारम्परिक मोटे
अनाजों सावां, को दो, मडुआ आदि फसलों को प्रभावित धान की पारम्परिक किस्में अपनाई गई। पानी के क्षेत्रों में
दास्तान पर विश्लेषणपूर्ण एक रचना- संपादक किया। प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता और जैव विविधता होने वाला बोरो धान, सुगंधितकाला नमक जैसी प्रजातियां
की यह विरासत कई रूपों में दिखाई देती है। पानी की इन विशिष्टताओं के उदाहरण हैं।
अच्छीउपलब्धता के कारण धान की खेती प्रमुखता से खेती की एक विशिष्ट पद्धति रही जो स्थानीय
की गई। प्रकृति व संस्कृति से जुड़ाव काअंदाजा इस बात पर्यावरणीय स्थितियों के अनुरूप थी। छोटी जोतकी
से लगाया जा सकता है कि परिवार के किसी भी उत्सव, किसानी में एक चक्र था और यह चक्र था किसान के
विवाह या अन्नप्राशनया अन्य आयोजनों में चावल की खेत-घर-पशुधन के बीच जिसे यहांपर घर-खेत-घारी
एक विशिष्ट किस्म की इस्तेमाल की जाती रही है। यह के जुड़ाव के रूप में जाना जाता रहा है। अत्यन्त सरल
अवश्य है कि इस विविधता में अब धीरे-धीरे कमी आती जुड़ाव-खेती एकतंत्र और इस तंत्र के एक घटक से
जा रही है। धान की प्रजातियों में काफी विविधता रही है निकला हुआ सामान दूसरे घटक के लिए उपयोगी। खेतके
और प्रत्येक क्षेत्र की पानी व मिट्टी की स्थिति केअनुसार अवशेष पशुधन के चारे के रूप में, दूध-दही किसान के
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 29

घर के उपयोग में, घर से निकलाकचरा आदि खेत या


पशुधन के उपयोग में। यह तंत्र कुछ इस तरह बंधा हुआ
है कि एक घटककीआवश्यकता दूसरा घटक पूरा करता है
और परिणाम यह होता है कि खेती की लागत नहीं निकाल
पाता। उत्पादन क्षमता न्यनतम रहती है। आपस का जुड़ाव
जितना मजबूत, खेतउतना ही सशक्त और बाजार पर
निर्भरता कम से कम।समय बदला, अपेक्षाएं बढ़ी, खेती
में नकदी व्यवस्था आई, रसायन और मशीने आई और
खेतका यह तंत्र छिन्न-भिन्न होने लगा। स्थानीय पर्यावरण
के अनुरूप फसलें और पशुधन अबबाजार की मांग को
पूरा करने को अग्रसर हो लिए, परिणाम-खेती में लागत
बढ़ने लगी औरखेती घाटे का सौदा लगने लगी-साथ ही
ढेर सारा रसायन भोजन तंत्र में प्रवेश कर गया। एकसीधा-
साधा चक्र टूटता गया।
मचान खेती, स्थानीय जल जमाव व जमीन की
छोटी जोत के चलते किसानों का ही अन्वेषणरहा है। एक
छोटी जमीन में बहुःस्तरीय खेती करके जल-जमाव जैसी गया है। इसका असर हम सब देख रहे है किकिस प्रकार दिखाई देता है।
स्थितियों से बचने कारास्ता भी निकाला और साथ ही एक शहर जल जमाव के प्रभाव को निरन्तर झेल रहा है और
छोटी छोर में सघनता व विविधता के साथ अधिकाधिक यह बढ़ता ही जा रहा है। शहरी पर्यावरण की दश एवं दिशा
उत्पादन भी करने का यह बहुत कारगर तरीका रहा।जल- जलवायु परिवर्तन की स्थितियों के चलते किसी एक गाँव ही नहीं, क्षेत्र के शहर भी काफी हद तक पर्यावरण
जीवन का आधार जल इस क्षेत्र के जीवन का आधार रहा छोटी (24/48 घंटे) में होने वाली बारिशकी मात्रा के सापेक्ष थे। शहर नदी के किनारे तोबसे ही थे, शहर
है। इसके अनेकानेक लाभ रहे हैं पर बाढ़ जैसी आपदाके काफी अधिक हो जाती है और ऐसे में जब महानगर तराई क्षेत्र में स्थित होने के कारण काफी हद तक शहरी
थोड़े नुकसान भी रहे हैं। सरयूपार मैदान के जिलों में तो की जल धारण क्षमता में कमीआ गई है तो जल जमाव भूमि निचली भूमिवाले थे- पर शहरों ने अपना नियोजन
8 प्रतिशत से भी अधिक भू-भागजल आच्छादित रहा का दंश साल दर साल झेलना ही पड़ता है।जल के भी इसी के अनुरूप किया था। निचले क्षेत्रों में अमरूदके
है। नदियों के घने संजाल रहे जिसमंे प्रमुख नदियों यथा मामले में छोटी-छोटी नदियों की बात करना जरूरी बगीचे एक आम बात थी- साथ ही शहरों में बढ़ी संख्या
घाघरा, राप्ती,रोहिन आदि तो रही पर इसकी पूरक अनेक है। आमी, कुआनों आदि जैसेकितनी ही छोटी पूरक में जलाशय भी थे। किसी से भीशहर में अनेकों बाग-
छोटी नदियां का एक गहन संजाल रहा है जो क्षेत्रका नदियां क्षेत्र के लोगों को गुणवत्ता पूर्ण मछली भी बगीचे आम बात थी। गोरखपुर में लक्षीपुर आदि क्षेत्रों
अधिक पानी बहा कर बड़ी नदियों में लाने का काम करती देती थीं। पर क्षेत्र मेंइन छोटी नदियों का हाल कुछ मेंपनियाले के बागकौन भूल सकता है। अंग्रेजों के शासन
रही है और क्षेत्र को बाढ़ केबाद जल जमाव से बचाती अच्छा नहीं है और इनकी काफी अनदेखी हुई है। काल इसके पहले व इसके बाद किसी भी मकान मेंकच्चा
रही है। इन नदियों की धाराएं बदलने के कारण ’छाड़न प्रदूषण,अतिक्रमण, सिल्टेशन जैसी समस्याओं से यह आंगन और मकान के बाहर एक बड़ी भूमि मकान का
झीलें’(आक्सबो लेक) भी काफी दिखाई देती है जिनका छोटी नदियां प्रभावित होती गई और कई छोटीनदिया हिस्सा हुआ करती थी जिस परघरेलू उपयोग हेतु विभिन्न
इस क्षेत्र के संचालन में अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान रहा है। तो आज विलुप्त ही हो गई। वृक्ष लगे होते थे। मकानों का यह नियोजन एक बहुत बड़ी
यही झीलें और प्राकृतिक ताल तलैये लोगों की आजीविका मदद यहकरता था कि वर्षा के दिनों में अतिरिक्त जल यह
व भोजन में काफीयोगदान देते थे और सिघाड़ा, मछली जमीन/मिट्टी/वनस्पतियां कच्ची व हरी भरी भूमि सोख लेती थी औरशहरवासियों को
जैसे उत्पाद प्राप्त होते थे। अब अगर क्षेत्र के दूसरे बड़े प्राकृतिक संपदा पर ध्यान जल जमाव के बचाती थी और नगर का पर्यावरण स्वस्थ
दे तो वह है जमीन और इसकी उर्वरता।क्षेत्र के भूमि बनाये रखती थी।
जल और जलय की समृद्ध पृष्टभूमि काफी उर्वर रही है क्योकि बाढ़ से पहाड़ों और मैदानी
वहीं दूसरी ओर इन जलाशयों का एक महत्वपूर्ण काम क्षेत्रों की गाद खेतों में आईंऔर लम्बे समय में मिट्टी चलते-चलते, अंत में
यह था कि क्षेत्र के बाढ़ का पानी या वर्षा के जल के उर्वर होती गई। बाढ़ का यह एक बड़ा लाभ था। प्रकृति यही नहीं शहर बड़-बड़े वृक्षों से भरा रहता था और कोई
लिए क्षेत्र कीजल-धारण क्षमता को बढ़ा देते थे और जल जब कुछलेती है तो बहुत कुछ देती भी है।चारों तरफ भी सड़क वृक्षों की एक गुफा जैसीप्रतीत होती थी। रेलवे
जमाव जैसी स्थिति से बचाते थे।धीरे-धीरे इन जलाशयों तराई के साखू व बंत के जंगलों ने क्षेत्र को एक अलग रोड पर इमली के पेड़ उस क्षेत्र को एक अलग पहचान
की अनदेखी हुई और धीरे-धीरे यह संख्या व क्षेत्रफल पहचान दी थी। जबेदेश/प्रदेश के दूसरे क्षेत्र में तापमान देते थे। अंग्रेजों के तो इस सड़क का नाम ही कोल रोड
में कम होतेगये। बढ़ती जनसंख्या व जमीन पर दबाव बढ़ा हुआ होता था तब भी हमारे शहरों का तापमान (इमली की लकड़ी से प्राप्त होने वाले कोयले के कारण)
के कारण इन जलाशयों का अतिक्रमण होता रहाऔर यह कमही होता था। इस विशिष्टता के कारण ही अंग्रेजों रखा हुआ था। ईंट-बालू-सीमेन्ट के साथ विकास ने इन
कम होते गये। गोरखपुर जैसे शहर भी काफी हद तक इन ने गोरखपुर को तीसरी श्रेणी के ‘हिल स्टेशन’के रूप बाग-बगीचों, वृक्षों, खुली जमीन के मैदानों को कम करते
जलाशयों पर निर्भर रहतेथे। शहर का अतिरिक्त जल इन में मान्यता दी थी जिस आधार पर सरकारी दफ्तरों गये और बढ़ती गर्ह पर्यावरण की नई समस्याएं! पूर्वांचल
जलाशयों में इकट्ठा तो कर जल-जमाव जैसी स्थितियों में कूलर की अनुमति नहीं दी जातीथी। जंगलों की की इस उर्वर मिट्टी ने जैविक संपदा ही नहीं दी है- अच्छे
सेबचाते थे। यह जलाशय आपके आस-पास के बड़े प्रचुरता के कारण लकड़ी का उद्योग खूब फला-फूला इंसान भी दिये हैं जिन्होंनेदेश-विदेश में नाम कमाया
क्षेत्र के संग्रहण क्षेत्र (कैचमेन्ट एरिया) कापानी स्वयं पर अंधाधुंध वृक्षों कीकटाई ने क्षेत्र की पारिस्थिति की है। पर्यावरण की बात चल रही है तो हम डॉक्टरमाइक
में समाहित कर लोगों की परेशानियों को कम करते थे। ही बदलकर रख दी। इन जंगलों के कारण जो छोटी पाण्डेय जैसे व्यक्तित्व को कैसे भूल सकते हैं। वन्य जीवों
गोरखपुर नगर पर ही एकनजर डालें तो पता चलता है स्थानीय’माइक्रो-क्लाइमेट’ बनती थी वहप्रभावित हुई पर दुनिया भर में अपनी फोटोग्राफी व फिल्मों केजरिये
कि कुछ ही दशकी पहले 103 जलाशयों का यह शहर जिसका असर आज तापमान, आर्द्रता में बढ़ात्तरी,वर्षा पूर्वांचल के इस व्यक्तित्व ने अपनी पहचान बनाई है और
अब मात्र18 प्रमुख प्राकृतिक जलाशयों तक सीमित हो के क्रम में बदलाव जैसी अनेक स्थितियों के रूप में युवाओं के लिए आदर्श रखा है।
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 30

उत्तराखण्ड गोवंश संरक्षण अधिनियम के तहत


लावारिस गोवंश को भरण-पोषण हेतु मान्यता
प्राप्त गोसदनों को सरकारी सहायता...
डॉ. आशुतोष जोशी

प्रा चीन काल से भारत वर्ष में स्थानीय निकायों द्वारा


निराश्रित गोवंश के प्रबन्धन हेतु कांजी हाउस/
गौशाला या शरणालय का संचालन किये जाने की परम्परा
है। भारतीय संविधान के सातवें शेड्ल यू के अन्तर्गत सूची
-3 वर्तमान सूची के बिंद-ु 17के अनुरुप जीव जंतओं ु के प्रति
क्रूरता का निवारण समवर्ती सूची का विषय है। अतः इस क्रम
में भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा परस्पर सहयोग से
कार्ययोजना का संचालन अपेक्षित है। शहरी विकास मंत्रालय
भारत सरकार द्वारा 74वें सविंधान संशोधन के अनुरुप
संशोधित भारतीय संविधान के 12वी शेड्ल यू के बिन्दु-15 के
अनुरुप कांजी हाउस (कैटल पाउंड) संचालन का कार्य नगर
निकायों के कार्यक्षेत्र दायित्वाधीन है। पंचायती राज मंत्रालय
भारत सरकार द्वारा 73वें संविधान संशोधन के अनुरुप
संशोधितभारतीय संविधान के 11वें शेड्ल यू के बिन्दु-4 एवं
बिन्दु 29 के अनुरुप कांजी हाउस (केटल पाउंड) संचालन अवस्थापना निर्माण (कांजीहाउस गोशाला शरणालय) मद पशु कल्याण संस्थाओं) की भी सहायता लिये जाने की
का कार्य जिला पंचायतों के कार्यक्षेत्र दायित्वाधीन है। कुल रु 10.00 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है तथा अपेक्षा की गई है। पशु पालन मंत्रालय द्वारा ‘उत्तराखण्ड
माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा सीआर कुछ नगर निकायों को इन कांजी हाउस गोशाला शरणालयों गोवंश संरक्षण अधिनियम,2007 की ‘धारा-9 के अनुरुप
मिसलेनियस एप्ली. संख्या:1526/2016 (पूजा बहुखण्डी की स्थापना हेतु बजट अवमुक्त किया जाना प्रारम्भ किया जा विभिन्न गैर सरकारी पशु कल्याण संस्थाओं के माध्यम से
बनाम उत्तराखण्ड सरकार) पर दिनांक 27 अक्टूबर 2016 चुका है। पंचायती राज विभाग द्वारा जिला पंचायतों के माध्यम अलाभकर गोवंश को पोशरण दिये जाने हेतु गोसदनों को
को दिये गये आदेश तथा जनहित याचिका संख्या 112/2017 से सामूहिक गौशाला शरणालयों (क्लस्टर गौशाला शेल्टर) राजकीय सहायता दिये जाने का प्राविधान किया गया है।
(अलीम बनाम उत्तराखण्ड सरकार) पर दिनांक 10अगस्त की स्थापना के क्रम में कार्यवाही अपेक्षित है। ‘अलाभकर गोवंश ’ से तात्पर्य निराश्रित वृद्ध/बीमार /
2018 को दिये गये आदेश के अनुरुपशहरी विकास विभाग राश्ट्रीय स्तर पर पशुपालन मत्स्य एवं दुग्ध विकास घायल/ विकलांग/अनुत्पादक अथवा पुलिस/प्रशासन द्वारा
द्वारा नगरीय क्षेत्रों में प्रत्येक नगर निकाय अन्तर्गत निराश्रित मंत्रालयभारत सरकार के अधीन स्थापित भारतीय जीव गोतस्करो से जब्त किये गये केस प्रॉपर्टी गोवंश से है।
गोवंश को भरण-पोशण दिये जाने हेतु गौशाला शरणालय की जन्तु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई: एनिमल वेलफेयर यहां पर ‘गैरसरकारी पशुकल्याण संस्थाओं’ से
स्थापना की जानी है तथा पंचायती राज विभाग द्वारा ग्रामीण बोर्ड ऑफ इंडिया)द्वारा प्रीवेंशन आफ क्रुएलिटी टू एनिमल्स तात्पर्य ‘उत्तराखण्ड गोवंश संरक्षण अधिनियम2007
क्षेत्रों में पंचायतीराज विभाग द्वारा 25-25 गांवों के समूह एक्ट 1960,सेक्शन-9 1960 के सेक्सन-9(जी) (एच) के तहत प्राख्यापित ‘उत्तराखण्ड राज्य गोवंश संरक्षण
के बीचएक-एक सामूहिक गौशाला शरणालय (क्लस्टर (आई) एवं (जे) के तहतनिराश्रित गोवंश एवं अन्य पशुओं नियमावली,2011एवं ‘उत्तराखण्ड राज्य गोवंश संरक्षण
गौशाला शेल्टर) की स्थापना की जानी है। इस क्रम में मुख्य को पोशण दिये जाने हेतु पशुसरणालयों की स्थापना एवं (संशोधन) नियमावली,2018एवं तद्सम्बन्धी शासनादेश
सचिव उत्तराखण्ड शासन द्वारा शासनादेश संख्या 1930/ संचालन के क्रम में राजकीय अनुदान सहायता दिये जाने का के अनुरुप निर्रधा ित अर्हताऐं पूर्ण करने वाली सोसाइटी
गृह अनुभाग-3 दिनांक 11 नवम्बर2016 के पैरा-8 में प्राविधान किया गया है। एक्ट अथवा ट्रस्ट एक्ट के तहत पंजीकृत गैरसरकारी पशु
राज्य के शहरी क्षेत्रों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा पशुओं हेतु माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा उक्त याचिकाओं कल्याण संस्थाओं से है। राजकीय अनुदान हेतु मान्यता के
गोशाला शरणालय स्थापित किये जाने की अपेक्षा की गई है। में निर्गत मार्गदर्शी आदेशों के अनुरुपनिराश्रित गोवंश के लिये आवेदन के क्रम में निर्रधा ित आवेदन प्रपत्रनिर्रधा ित
शहरी विकास विभाग उत्तराखण्ड द्वारा निराश्रित पशुओं हेतु प्रबन्धन हेतु मन्दिरों,मठों तथा धर्मार्थ संस्थाओं (गैरसरकारी जांच आख्या प्रपत्र तथा सम्बन्धित कानूनी प्राविधानपशुपालन
विभाग के किसी भी कार्ल या य प्राप्त किये जा सकते हैं अथवा
विभाग की अधिकारिक वेबसाइट से डाउनलोड किये जा
सकते हैं। उत्तराखण्ड गोवंश संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों
के अनुरुप राजकीय मान्यता प्रदत्त गोसदनों को गोवंश भरण-
पोशण मद में राजकीय सहायता उत्तराखण्ड राज्य गोवंश
संरक्षण (संशोधन) नियमावली 2018 के तहत माननीय
पशुपालन मंत्री, उत्तराखण्ड सरकार की अध्यक्षता में गठित
राजकीय अनुदान चयन समिति द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष में
गोसदनों को राजकीय सहायता मद में कुल उपलब्ध बजट
के आलोक में समस्त मान्यता प्रदत्त एवं योग्य गोसदनों को
गोवंश के भरण-पोशण मद में आंशिक राजकीय सहायता
दिये जाने का प्राविधान है। इस क्रम में सभी मान्यता प्रदत्त
एवं योग्य गैरसरकारी पशु कल्याण संस्थाओं द्वारा संचालित
गोसदनों में पोरणागत गोवंश की औसत वार्शिक संख्या के
आलोक में समानुपातिक आधार पर गोवंश भरण-पोषण
अनुदान दिया जाता है।
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 31

अधिकारी भी नियुक्त किया है जहां पिछले हाल में भारतीय सरकार ने शिक्षण-प्रशिक्षण के
तकरीबन दो दशक से अपनी अभूतपूर्व सवे ाएं लिए बनाई गई कमटे ी में शामिल किया है। जीव
दे रहे हैं। उत्तराखंड में जीव जंतु कल्याण के जंतु कल्याण पर आधारित विभिन्न अध्ययन,
सवे ाओं की पृष्ठभूमि को बनाने के लिए और उसे अनुसधं ान, प्रशिक्षण और कार्यक्रम समन्वयन में
आधुनिक तौर पर विकसित कर जीव जंतु क्रूरता विशषे योगदान कर रहे हैं। डॉ जोशी के विशषे
निवारण नियमों एवं अधिनियम को क्रियान्वित रूचि और प्रयास से उत्तराखंड एक ऐसा राज्य
करने के लिए अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। बन गया है जिसके पास एनिमल बर्थ कंट्रोल
डॉक्टर जोशी के लगन और समर्पण का नतीजा प्रोग्राम की आशातीत सफलता के लिए अध्ययन
है कि उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां पर राज्य अनुसधं ान और प्रशिक्षण की सुविधाएं उपलब्ध
जीव जंतु कल्याण बोर्ड कार्यरत है और उसकी है। डॉ. जोशी पंतनगर वटे रिनरी कॉलज े के
जनपदीय इकाइयां भी क्रियाशील है। किसी भी एलुमनी है जहां पर पठन-पाठन, शिक्षण और
राज्य में है जीव जंतु क्रूरता निवारण के लिए अनुसधं ान अमरे िकन पैटर्न- न्यू ग्डरैं सिस्टम पर
डॉ. आशुतोष जोशी बनाए गए कायद-े कानूनों को क्रियान्वित कराना विश्वविद्यालय संचालित किया जाता है। इतना
लेखक डॉ. आशुतोष जोशी उत्तराखंड सरकार अत्यंत मुश्किल है लेकिन इस कार्य को डॉक्टर ही नहीं वह उत्तराखंड सरकार में पशुपालन
के पशुपालन विभाग में संयकु ्त निदश े क के जोशी बड़ी बखूबी से विभागीय अधिकारियों विभाग के अधीन एनिमल वले फेयर मामले के
रूप में कार्यरत हैं । साथ ही साथ पशु प्रेमी से लक े र शासन के आला अधिकारियों अपनी नोडल ऑफिसर, उत्तराखंड स्टेट एनिमल बर्थ
एवं पशु कल्याण विशषे ज्ञ हैं। डॉ. जोशी के बात मनवा कर जीव जंतु कल्याण कार्यक्रमों कंट्रोल मॉनिटरिंग कमटे ी के मेंबर सेक्रेटरी तथा
उल्लेखनीय सवे ाओं को दख े ते हुए राज्य सरकार को संचालित करने में सफल रहे हैं। डॉ. जोशी उत्तराखंड स्टेट वटे रनरी सर्विस एसोसिएशन के
ने उत्तराखण्ड जीव जंतु कल्याण बोर्ड का प्रभारी की उल्लेखनीय सवे ाओं को दख े ते हुए अभी जनरल सेक्रेटरी भी है।

गत वर्षों में गोसदनों को भरण-पोशण मद में अवमुक्त


राशि गत में मान्यता प्रदत्त गोसदनों को गोवंश भरण-पोशण
मद में पांच वर्षों (2012-13 से 2016-17) की अवधि
हेतु निर्गत कुल राजकीय अनुदान रु 92.94 लाख है। जबकि
वर्श 2017-18 से वर्श 2021-22 के 5 वर्षोंकी अवधि में
कुल राजकीय अनुदान रु 803.32 लाख निर्गत किया गया है।
उत्तराखण्ड गोवंश संरक्षण अधिनियम के प्राविधानों के
अनुरुप राजकीय मान्यता प्रदत्त गोसदनों को निर्माण मदों
में राजकीय सहायता उत्तराखण्ड राज्य गोवंश संरक्षण
(संशोधन) नियमावली, 2018’ के तहत मा. पशुपालन
मंत्री, उत्तराखण्ड सरकार की अध्यक्षता में गठित राजकीय
अनुदान चयन समिति द्वारा, प्रत्येक वित्तीय वर्श में गोसदनों
को राजकीय सहायता मद में कुल उपलब्ध बजट के
आलोक में कुछ गोसदनों को निर्माण मद में आंशिक
राजकीय सहायता दिये जाने का प्राविधान है। इस क्रम
में शासनादेश संख्या 807 दिनांक 07 अक्टूबर, 2011
के अनुरूप गोसदनों को निर्माण मदों में, वित्त विभाग
(टीएसी), उत्तराखण्ड शासन द्वारा स्वीकृत मानक
आंगणनों के सापेक्ष 60% राजकीय अनुदान तथा अवशेष
40%राशि सम्बन्धित आवेदक संस्था द्वारा स्वयं के
संसाधनों से निर्वहन किये जाने का प्राविधान है। शासनादेश
संख्या 544 दिनांक 25 जून, 2012 के अनुरूप पर्वतीय
क्षेत्रों तथा मैदानी क्षेत्रों के लिये गोसदनों के अन्तर्गत निर्माण
मदों में राजकीय सहायता हेतु, वित्त विभाग के टीएसी द्वारा
स्वीकृत मानक आंगणनों के अनुरूप निम्न मानक अनुदान
दरों का निर्धारण किया गया है। पशु पालन मंत्री, उत्तराखण्ड
सरकार की अध्यक्षता में गठित राजकीय अनुदान चयन
समिति स्तर से स्वीकृति के उपरान्त, अनुदान अवमुक्ति
वित्त विभाग, उत्तराखण्ड शासन स्तर पर प्रक्रियाधीन है।
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 32

नस्ल सुधार से दुग्ध उत्पादन


की गुणवत्ता में कमी क्यों ?
स्व तंत्रता आन्दोलन के समय देश में फैली भुखमरी
की समस्या पर, राष्ट्रीय कवि दिनकर ने कहा
था - ”श्वानों को मिलता दूध-वस्त्र, भूखे बालक अकुलाते
हैं। माँ की हड्डी से चिपक ठिठुर जाड़ों की रात बिताते हैं।“ इस
क्रम में उपलब्धता के दृष्टिकोण से यदि देखा जाये तो वर्ष
1947 में जहाँ प्रति व्यक्ति दुग्ध की उपलब्ध मात्र 152 ग्राम
थी, वह वर्ष 1970 आते-आते घट कर केवल 105 ग्राम
प्रति व्यक्ति रह गई। इस कमी को दूर करने के उद्शदे ्य से 13
जनवरी, 1970 को भारतीय डेयरी निगम के अन्तर्गत् ”श्वेत
क्रांति“ का श्री गणेश हुआ। प्रथम चरण पांच वर्षों का था,
जिसे बढ़ाकर 11 वर्षों का कर दिया गया (1970-1981)।
इन 11 वर्षों में प्रति व्यक्ति उपलब्धता बढ़कर 122 ग्राम
हो गई। प्रथम चरण की प्रगति से द्वितीय चरण वर्ष 1985
तक प्रारम्भ किया गया। जिसका उद्शदे ्य था - राष्ट्रीय मिल्क
ग्रिड बनाना तथा खाद्य सुरक्षा दृष्टिकोण अपनाना। इस महान
श्वेत क्रांति का अर्थ था, देश व्यापी श्वेत क्रांति, जिसका
डॉ. बी. के. सिंह कार्य क्षेत्र केवल दस राज्यों में ही फैल सका एवं दुग्ध
लेखक पशुपालन विभाग,उत्तर प्रदेश सरकार प्राप्ति महज चार महानगरों - दिल्ली, मुम्बई, कलकत्ता एवं
चेन्नई तक ही सीमित रह गयी। इन महानगरों के निकटवर्ती
में पशु प्रजनन एवं नस्ल संरक्षण के लिए गांवों के रहने वाले ताजा दुग्ध उपभोक्ता अब परिवर्तित
स्थापित पशुधन विकास परिषद्,गोरखपुर दुग्ध उपभोक्ता बन गये। परिणामतः वर्ष 1985 में प्रति
जोन में जोनल अधिकारी रहे हैं। समय-समय व्यक्ति दुग्ध उत्पादन 146 ग्राम तक हो गया जो वर्ष 1990
तक बढ़कर 190 ग्राम प्रति व्यक्ति हो गया। क्रियान्वयन
पर पशुधन विकास एवं गौसंरक्षण के मुद्दों सुनियोजित ढ़ंग से आगे बढ़ता गया तथा दुग्ध उत्पादन को
पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लिखते रहते हैं। बढ़ावा मिला जो वर्ष 1996-97 में बढ़कर 202 ग्राम प्रति
पिछले तीन दशक से एनिमल वेलफेयर से व्यक्ति तक हो गई तथा वर्ष 2001-2005 तक 239 ग्राम
प्रति व्यक्ति तक पहुच ं गई। इस प्रकार से दुग्ध उत्पादन दर
संबंधित क्रियाकलापों में अपने अनुभवों से प्रतिशत 1950-1960 में 1.50प्रतिशत, 1960-1970 में भारतीय डेयरी किसान कामयाब है और यह कृषि क्षेत्र का
युवा पीढ़ी को प्रेरित करने तथा केंद्र सरकार 0.90 प्रतिशत, 1970-1980 में 3.03 प्रतिशत, 1980- सबसे बड़ा उत्पाद बन गया।
के शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यों में विशेष योगदान 1990 में 4.10 प्रतिशत, 1990-2000 में 3.3 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्ति हेतु कृत्रिम गर्धभा ान की व्यवस्था पशुपालकों
तथा 2000-2005 में 2.28 प्रतिशत रही। के द्वार तक की गई। जिसका उद्शदे ्य था, अधिक से अधिक
देते रहे हैं। पशु मित्र पत्रिका के एसोसिएट इस गिरावट के मुख्य कारण रहे - पोषण का खराब स्तर, दुग्ध उत्पादन करना तथा ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत पशुपालन
एडिटर एवं विशेष सलाहकार भी हैं। दुग्ध उत्पादन हेतु कमतर आनुवांशिक क्षमता, सरकारी स्तर की प्रेरणा देना, जिससे गरीब व अकुशल ग्रामीणों के जीवन
पर उपेक्षात्मक व्यवहार, पशुचिकित्सकों में संकर प्रजनन स्तर में सुधार लाया जा सके। दुग्ध उत्पादन की बढ़ोतरी के
के क्षेत्र में विशिष्ट ज्ञान की कमी, कोल्ड चेन की उचित लिए अधिक उत्पादन वाले विदेशी नस्ल के सांड़ों से संकर
व्यवस्था का न होना, कार्यरत पशुचिकित्साधिकारियों तथा प्रजनन में तेजी लाई गई। फलस्वरूप, देशी नस्लों की गायों
ए0आई0 में कार्य करने वाले स्टॉफ के लिए रिफ्रेशर कोर्स (थारपारकर, साहीवाल, हरियाणा, गीर, रेड सिंधी, वैचरू ,
का प्राविधान न होना एवं जनपदवार प्रतिव्यक्ति खपत हेतु पुगं नूर आदि) में परिवर्तन होता गया, दुग्ध की मात्रा तो बढ़ी
दुग्ध उत्पादन का कोई रिकार्ड न होना आदि। उत्पादन में परन्तु उसकी गुणवत्ता दिनों दिन घटती गई।
बढ़ोतरी हेतु भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पशु एवं भैंस प्रजनन अच्छी गुणवत्ता वाला ए-2 मिल्क टाईप, जो भारतीय
कार्यक्रम की शुरूआत वर्ष 2000 में की गई, जिसका नस्ल की गायों की पहचान है, नस्ल सुधार के नाम पर
उद्शदे ्य था दुग्ध उत्पादन हेतु आनुवांशिक गुणों में बढ़ोतरी। उनकी दुग्ध उत्पादन क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य के कारण
इसका सुनियोजित ढ़ंग से संचालन किया गया। परिणाम रहा भारतीय नस्ल की गायों का अस्तित्व ही समाप्त होने लगा
दुग्ध उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान तथा भारत है। लगभग 8-10 हजार वर्ष पूर्व जम्बूद्वीप भारतखण्ड से
में प्रति व्यक्ति प्रति दिन दुग्ध उपलब्धता 374 ग्राम हो गई। भारतीय नस्ल की गायें यूरोपीय देशों में ले जाई गईं। जहाँ
औद्योगक देशों में जहाँ औसत दुग्ध उत्पादन 30 लीटर प्रति पर शीतीय वातावरण के कारण उनके डी.एन.ए. में म्यूटेशन
पशु प्रति दिन है, वहीं पर हमारे देश में औसत मात्र 3-4 हुआ, जिसके फलस्वरूप एमीनो एसिड के 67वें स्थान
लीटर मात्र प्रति पशु प्रति दिन है। इसके बावजूद भी देश की पर प्रोलीन की जगह हिस्टीडीन ने ले ली। हिस्टीडीन के
बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए सस्ता खाद्य उत्पादन करने में कारण ये गायें जो यूरोपीय नस्ल में परिवर्तित हो गईं उनसे
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रखता है तथा स्टोन्टियन नामक तत्व रेडियेशन से हमारी


रक्षा करता है। भारतीय गायों की आंत 180 फीट लम्बी होती
है, जिससे इनके दुग्ध में विटामिन बी-12 की मात्रा अधिक
होती है, जो व्यक्ति को निरोगी तथा दीर्घायु बनाता है एवं
बच्चों तथा युवाओं के शारीरिक विकास में अधिक सहायक
होता है। ए-2 टाईप दुग्ध में ही उच्च मात्रा में ओमेगा-3 पाया
जाता है, जो रक्त वाहिकाओं में जमा होने वोले कोलेस्ट्रॉल
को साफ करने में प्रभावी होता है। ए-2 बीटाकेसिन मिशेल्स
दुग्ध भण्डारण में औरों की तुलना में स्थिरता प्रदान करता
है और साथ ही अमीनो एसिड को उत्कृष्ट रूप में संकलित
करता है, जो दुग्ध की गुणवत्ता को बनाये रखने में सहायक
होता है।
राष्ट्रीय पशु आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो, करनाल के
जीनोटाईपिंग द्वारा पाया गया कि शुद्ध भारतीय नस्ल की गायों
में ए-2 एलिल की उच्च आवृत्ति पाई गई तथा पांच प्रमुख
गीर, थारपारकर, राठी, रेड सिंधी और साहीवाल गायों में
इसकी आवृत्ति 1.00 मिली है तथा यह पूरत्ण या ए-एलीय
से मुक्त है। इस प्रकार से भी यह निश्कर्ष निकलता है कि,
शुद्ध भारतीय नस्ल गायों का ए-2 एलील वाला दुग्ध मानव
उपयोग हेतु पूरत्ण या सुरक्षित है तथा उसकी प्रमुखता बनाये
रखने की आवश्यकता है। भारतीय कौंसिल ऑफ इण्डिया
ने भी भारतीय नस्ल की गायों के दुग्ध को सर्वोत्तम माना है
तथा इससे प्राप्त घी खाने से कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। ए-2
दुग्ध की महत्ता के कारण ही आज अमेरिका एवं न्यूजीलैण्ड
की कम्पनियां जेनटि े कली टेस्टेड ए-2 दुग्ध अपने बाजारों में
उपलब्ध करवा रहीं हैं।
भारत जैसे देश में, जहाँ जनसंख्या दिनोंदिन बढ़ती जा
रही है, दुग्ध की मांग भी उसी अनुपात में बढ़ना स्वाभाविक
उत्पादित दुग्ध ए-1 टाईप का हो गया। ए-1 टाईप दुग्ध टाईप दुग्ध के परीक्षण हेतु सहज, सस्ती एवं सरल त्वरित है। ऐसे में उपलब्धता बढ़ाने के उद्शदे ्य को ध्यान में रखने के
बीटाकेसोमार्फिन पेप्टॉइड को उत्पन्न करता जो ओपीएम प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया है, जो किसानों के द्वार साथ साथ गुणवत्ता को भी मानक बनाना होगा। जिसके लिए
परिवार का है। पर उपलब्ध हो सके तथा देशी गायों का संरक्षण एवं संवर्धन ए-2 टाईप दुग्ध का उत्पादन अधिकाधिक मात्रा में करना
अनजाने में भारत में आनुवांशिक विकास के नाम पर किया जा सके। होगा। भारतीय नस्ल की गायों का संरक्षण एवं संवर्धन तभी
विदेशों से लाये गये उन सांडों का चयन किया गया, जिनमें ए-1 टाईप दुग्ध अनेकों प्रकार के असाध्य रोगों का सम्भव है जब ए-2 जर्मप्लाज्म का भी संरक्षण किया जाये,
ए-1 जीन था तथा उनसे जो क्रॉस ब्रीडिंग कार्यक्रम चलाया कारक है। जैसे - रक्तवाहिका नाड़ियों का अवरूद्ध होना, जिसके लिए भारतीय नस्ल के सांडों की भी आवश्यकता
गया उसमंे केवल दुग्ध उत्पादन एवं प्रोटीन पर ध्यान दिया डायबिटीज़ टाईप-1, ऑटिज़्म, शिजोफर्निया, सडेन इन्फेन्ट है। दुर्गभा ्य वश हमारी विगत सरकारों ने इस ओर कम ही
गया और दुग्ध की गुणवत्ता पर विचार नहीं हुआ। जबकि डेथ सिंड्रोम आदि। ए-2 टाईप दुग्ध को ही हमारे पूर्वज ध्यान दिया है। आवश्यकता है, कि नीतिनिर्धारक इस विषय
कार्यक्रम में देशी गायों के संरक्षण एवं संवर्धन का उद्शदे ्य भी वैज्ञानिकों ने अमृत समान माना है। ए-2 टाईप दुग्ध में को गम्भीरता से लें। जिससे जनमानस को स्वस्थ्य दुग्ध
था। इसी गलती के सुधार हेतु भारत सरकार ने अब ए-2 सेरिब्रोसाईट नामक तत्व पाया जाता जो सेरिब्रम को स्वस्थ्य उपलब्ध कराने में हम सक्षम बन सकें।

बर्ड वाचिंग का आनंद लेने प्राणी उद्यान पहुंचे जिला जज डीएम सीडीओ
-वेटलैंड दिवस की थीम‘वेटलैंड एक्शन फॉर पिपुल एण्ड नेचर
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश): पशु मित्र न्यूज़ डेस्क न्यायाधीश तेज प्रताप तिवारी जिलाधिकारी विजय किरन
आनंद सीडीओ इंद्रजीत सिंह अपनी उपस्थिति दर्ज कराया

गो रखपुर वन प्रभाग के रामगढ़ ताल आद्रभूमि


क्षेत्र/शहीद अशफाक उल्ला खॉ प्राणी उद्यान
के आद्रभूमि क्षेत्र में विश्व आद्रभूमि दिवस 2022 जिला
प्रभागीय वनाधिकारी विकास यादव ने बताया कि तालाबों
के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर
साल दो फरवरी को विश्व आद्रभूमि दिवस मनाया जाता
न्यायाधीश तेज प्रताप तिवारी जिलाधिकारी विजय किरन है। इस बार दो फरवरी को सुबह नौ बजे से बर्ड वाचिंग
आनंद तथा मुख्य विकास अधिकारी इद्रजीत सिंह की के साथ ही रंगोली बनाओ और पेटिंग प्रतियोगिता का
उपस्थिति में बड़े ही उल्लास के साथ मनाया गया। वेटलैंड आयोजन किया गया है। दो वर्गों में प्रतियोगिता आयोजित
दिवस की थीम‘वेटलैंड एक्शन फॉर पिपुल एण्ड नेचर’ है। एक वर्ग में नवीं और दसवीं के छात्रों को रखा गया
पर नेचर वॉक बर्ड वॉच वेबीनार ड्राइंग कॉम्पिटिशन है। दूसरे वर्ग में 11वीं व 12वीं के छात्र शामिल हैं।छात्रों
अवेयरनेस कैंपेन आदि का आयोजन भी किया गया। को ड्राइंग सीट आयोजन स्थल पर ही उपलब्ध कराई
आद्रभूमि क्षेत्र के संरक्षण का संकल्प भी लिया गया। का आयोजन किया इस मौके पर आद्रभूमि के संरक्षण को गई। पेटिंग की सामग्री उन्हें अपने साथ लाने के लिए कहा
विश्व आद्रभूमि दिवस (वर्ल्डन वेटलैंड-डे)पर शहीद प्रोत्साहित करने के लिए चिडिय़ाघर परिसर में नुक्कड़ गया था, इसलिए वह सामग्री अपने साथ लाए हुए थे।
अशफाक उल्लाह खां प्राणी उद्यान (चिडिय़ाघर) में बर्ड नाटक के साथ ही रंगोली बनाओ और पेटिंग प्रतियोगिता वेटलैंड के संरक्षण पर विचार व्यक्त करने के लिए वाल
वाचिंग और नेचर वाक का आनंद लेने के लिए लाेग का भी आयोजन किया गया। भी उपलब्ध है। तमाम लोग वेटलेंड संरक्षण के संबंध में
पहुंचे हेरिटेज फाउंडेशन के सहयोग से पर्यावरण, वन चिडिय़ाघर के वेटलैंड में लोग बर्ड वाचिंग का आनंद अपने विचार इस वाल पर लिखते हुए पाए गए।
एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने इस मौके पर बर्ड वाचिंग उठाने के लिए पहुंचना शुरू हो गए। इस मौके पर जनपद (प्रस्तुति: डॉक्टर अमरनाथ जायसवाल)
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 34

मां भारती की मिट्टी में ही अद्भुत शक्ति- जन्म


से ही समा जाते है करुणा दया ममता के भाव
करुणा दया ममता वात्सल्य के भाव... प्रकृति से प्रेम और हर जीव
के लिए करुणा भारतीय संस्कृति का सहज स्वभाव

अनोखे लाल द्विवेदी


पशु मित्र के समाचार संपादक, बहुआयामी
लेखक, स्वत्रंत पत्रकार एवं भारत सरकार के
अधीन कार्यरत भारतीय जीव जन्तु कल्याण
बोर्ड के मानद अधिकारी है।

भा रत की मिट्टी में ऐसी अनमोल शक्ति है कि यहां


जन्म लेने वाले हर मानवीय जीव के विशाल
हृदय में करुणा दया ममता का अनमोल, अनोखा ख़जाना
उनको आप छेड़ने या नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे
तो फिर मज़बूरी में वह भी हिंसक हो जाता है और नतीजा
मानवीय वध तक का अंजाम हो जाता है इसीलिए ही
लोगों ने बाकायदा उसका अंतिम संस्कार किया, उसे
पूरे सम्मान और स्नेह के साथ विदाई दी। आपने भी ये
तस्वीरें सोशल मीडिया में ज़रूर देखी होंगी। पूरी दुनिया
भर जाता है और करुणा दया ममता न केवल माननीय शासन प्रशासन ने अनेक क्षेत्रों को प्रतिबंधित कर वहां में प्रकृति और जीवों के लिए हम भारतीयों के इस प्यार
जीवो के प्रति परंतु सारी सृष्टि के 84 लाख़ जीवों, जिसमें बिना इजाजत मानवीय प्रवेश पर रोक भी लगाई है। की खूब सराहना हुई। कॉलर वाली बाघिन ने जीवनकाल
पशु पक्षी, जानवर यहां तक कि चींटी जैसे छोटे जीवों के साथियों बात अगर हम मानव का मूक जानवरों जीव में 29 शावकों को जन्म दिया और 25 को पाल-पोसकर
लिए भी अपार करुणा दया ममता समाई हुई है। जंतुओं से करुणा, प्रेम, वात्सल्य की करें तो हम पीपल के बड़ा भी बनाया। हमने टी-15 के इस जीवन को भी
साथियों बात अगर हम मां भारती की गोद में दुलारे झाड़ के पास चींटियों को शक्कर, गुड़ डालते हैं, गाय की सेलिब्रेट किया और जब उसने दुनिया छोड़ी तो उसे
मानव जीव की करें तो वह हजारों वर्षों से मूक जीवो, त्योहारों में पूजा कर भोजन, जलपान करवा कर व्रत तोड़ते भावुक विदाई भी दी। यही तो भारत के लोगों की खूबी है।
पशु पक्षियों के प्रति दया भावना रखते हैं। अगर हम कुछ हैं। हर धर्म में अपने अपने स्तर पर अनेक जीवो पशु हम हर चेतन जीव से प्रेम का संबंध बना लेते हैं।
अपवादों को छोड़ दें तो इन मूक जीवो की सेवा, सुरक्षा, पक्षियों की पूजा की जाती है, श्राद्ध के दिनों में कौओं को ऐसा ही एक दृश्य हमें इस बार गणतंत्र दिवस की परेड
रक्षा करना आध्यात्मिक धर्म माना जाता है और हम इनकी भोजन खिलाया जाता है। अगर हमारे ह्रदय दुलारे किसी में भी देखने को मिला। इस परेड में प्रेसिडेंटस बॉडीगार्ड्स
पूजा भी करते हैं अनेक जीवो को हम देवी देवताओं जीव मसलन डॉग, खरगोश, बंदर, मिट्ठू या फिर शेर तक के चार्जर घोड़े विराट ने अपनी आख़िरी परेड में हिस्सा
का वाहन भी मानते हैं जिसमें गाय, गरुड़, शेर, मछली की किसी घटना, दुर्घटना या उम्रदराज मृत्यु हो जाती है तो लिया। घोड़ा विराट, 2003 में राष्ट्रपति भवन आया था
इत्यादि पशु शामिल हैं कई जीवो को हम घर में पालते हमें उसी तरह करुणा दुखी होकर रोते हैं जैसे हमने अपना और हर बार गणतंत्र दिवस पर कमांडेंट चार्जर के तौर पर
भी हैं जिसमें डॉग खरगोश, बंदर, मिट्ठू , कबूतर इत्यादि मानवीय जीव प्रिय खो दिया है!!! यह है भारतीय मानव परेड को लीड करता था। जब किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष
जीव, पशु पक्षी शामिल हैं और उनको हम अपने घरों का की करुणा दया ममता सांत्वना!!! का राष्ट्रपति भवन में स्वागत होता था, तब भी, वो,
सदस्य बनाए रखते हैं। साथियों बात अगर हम माननीय पीएम द्वारा दिनांक अपनी ये भूमिका निभाता था। इस वर्ष, आर्मी डे पर घोड़े
साथियों बाता अगर हम भारतीय कानूनों, नियमों और 30 जनवरी 2022 को मन की बात में इस विषय पर विराट को सेना प्रमुख द्वारा सीओएएस कमेंडेशन कार्ड
वाइल्डलाइफ एक्ट की करें तो जानवरों के प्रति कुछ उनके विचारों की करें तो उन्होंने भी कहा , प्रकृति से प्रेम भी दिया गया। विराट की विराट सेवाओं को देखते हुए,
अपवादी मानवों द्वारा क्रूरता ढाने के कारण अनेक प्रतिबंध और हर जीव के लिए करुणा, ये हमारी संस्कृति भी है उसकी सेवा-निवृत्ति के बाद उतने ही भव्य तरीक़े से उसे
और कठोर नियम बनाए गए हैं जिसमें अब पक्षियों को घर और सहज स्वभाव भी है। विदाई दी गई।
में पालना या बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के अन्य जीवो हमारे इन्ही संस्कारों की झलक अभी हाल ही में तब अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन
को पालना बंधनकारक है जिससे जीवो पर अत्याचार और दिखी, जब मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिज़र्व में एक बाघिन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि करुणा, दया,
क्रूरता रोकी जा सकती है। ने दुनिया को अलविदा कर दिया। इस बाघिन को लोग ममता वात्सल्य हर भारतीय मानव के हृदय में समाया है
साथियों बात अगर हम हिंसक जीव जंतु जानवरों की कॉलर वाली बाघिन कहते थे। वन विभाग ने इसे टी-15 तथा प्रकृति से प्रेम और हर जीव के लिए करुणा भारतीय
करें तो बड़े बुजुर्गों का कहना है कि अगर आप किसी भी नाम दिया था। इस बाघिन की मृत्यु ने लोगों को इतना संस्कृति का स्वभाव है। मां भारती की मिट्टी में ही अद्भुत
जीव जंतु जानवर को जब तक दुर्भावना से छेड़ोगे नहीं भावुक कर दिया जैसे उनका कोई अपना दुनिया छोड़ शक्ति है यहां जन्म से ही ये भाव मानव में समा जाते है
तब तक वह आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता!!! अगर गया हो। करुणाज दया, ममता और वात्सल्य के भाव।
पशु मित्र : वर्ष -2 अंक 1 मार्च- अप्रैल 2022 | 35

जीव जंतु कल्याण पखवाड़ा पर एक रिपोर्ट


जीव-जंतुओं के प्रति संवेदनशीलता मनुष्य
के आवश्यक गुण हैं: डॉ. ब्रजेश कुमार

गोरखपुर (उत्तर प्रदेश): पशुमित्र न्यूज़ डेस्क साथ पर्यावरण पर भी असर डालता है। यही नहीं वनों रही हैं।गौवंश को क्या खाना है क्या नहीं खाना इसकी
की कटाई, रासायनिक खाद का अंधाधुंध प्रयोग ये सभी पहचान कराना जरूरी है। परिणामस्वरुप भूख लगने

श हर के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डा. ब्रजेश


कुमार सिंह ने कहा कि जीव-जंतुओं के प्रति
संवेदनशीलता मनुष्य के आवश्यक गुण हैं। जीव-जंतु
पृथ्वी विनाश के कारण हैं। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति का
दायित्व लगता है कि वह अपने अंदर प्रकृति के हर चीज
के प्रति चेतना पैदा करें तथा पर्यावरण असंतुलन से होने
पर वह सब कुछ खा लेते हैं। इसी प्रकार से जुबान
तड़प तड़प कर दम तोड़ देते हैं।पशु चिकित्सक डा.
अजीत सिंह ने कहा कि जिस तरह से चमगादड़, पक्षी,
मानव जीवन के अस्तित्व के लिए नहीं, बल्कि इस वाले खतरे के प्रति जागरुकता पैदा करें। मधुमक्खी रास्ता खोजने के लिए चुंबकीय शक्ति का
पृथ्वी के अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं। डा. सिंह, भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड, भारत सरकार इस्तेमाल करती हैं उसी तरह गाय भी पृथ्वी के चुंबकीय
जीव जंतु कल्याण पखवाड़े के समापन के मौके पर के मानद जीव जंतु कल्याण अधिकारी डा. अमरनाथ क्षेत्र को महसूस करती है।
सेन्ट्रल एनिमल ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट, तुरा बाजार में जायसवाल कहते हैं कि स्कूली बच्चों को पशु कल्याण दंत चिकित्सक एवं पशु प्रेमी डा. प्रमिला निषाद ने
आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर की महत्ता बचपन में ही पढ़ाया जाए एवं उन्हें प्रशिक्षित कहा कि गोवंश को बचाने के लिए समाज के सभी
रहे थे। उन्होंने कहा कि जीव जंतुओं के महत्व को उनके किया जाना चाहिए। पशु क्रुरता अधिनियम, वन्य जीव प्रबुद्धजनों को आगे आना होगा। अल्पाइन फाउंडेशन
वैज्ञानिक प्रभाव को महसूस कर ही हमारे ऋषि मुनियों ने जंतु अधिनियम आदि बने आवश्य हैं परंतु उसका सही की सचिव अमृता राव ने कहा हमारे स्वावलंबी जीवन
पूजनीय एवं वंदनीय बताया है। तरीके से पालन नहीं किया जाता है। पशुओं के प्रति यापन की पूरी श्रृंखला गाय से जुड़ी हुई है। गाय को कृषि
उन्होंने यह भी कहा कि मनुष्यों के लिए पशु इतना करुणा एवं दया का प्रसार होना चाहिए। यदि हम पशुओं चक्र से बाहर करने पर धरती बंजर, मनुष्य का स्वास्थ्य,
कुछ दे जाते हैं जिसका आंकलन हम नहीं कर पाते हैं। को स्नेह देंगे तभी वे अपनी वफादारी हम पर दिखाएंगे। पर्यावरण पर असर, आर्थिक नुकसान होता है। कार्यक्रम
अंधाधुंध पशु बध, लावारिस छोड़ देना, उसे निकलती पशु चिकित्सक डा. संजीव श्रीवास्तव कहते हैं में पशुधन प्रसार अधिकारी मनीषा श्रीवास्तव, पशु प्रेमी
आहें तथा आह के रूप में तरंगें मनुष्य के लिए घातक के पालीथीन की थैलियां गोवंश के लिए जानलेवा बनती जा कविता राव, दीपक, समेत अनेकों लोग उपस्थित रहे।
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