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Prelims ⇒ 1 & 2 Paper


GS Paper-I ⇒ 250 Marks ct
All Subje
e Ed u c a tor
GS Paper-II ⇒ 250 Marks On

GS Paper-III ⇒ 250 Marks


GS Paper-IV ⇒ 250 Marks
Essay ⇒ 250 Marks
Interview ⇒ 175
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हंदी Medium में Topper हो
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GS Paper-III 6 AM PLUS

PT का ब्रह्मा त्र 12 PM Special Class

GS Paper-II 4 PM Let Crack UPSC CSE HINDI

PT पेशल 8 PM Let Crack UPSC CSE HINDI

हवलदार से IAS तक Friday 9 pm Let Crack UPSC CSE HINDI

Marathon Saturday 10 AM Let Crack UPSC CSE HINDI

Weekly Current Affairs Sunday 8 pm Special Class


GS Paper-3
Science & Tech. ( वज्ञान एवं प्रौद्यो गकी)
Unit-11 ⇒ वकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मरार्रा के जीवन पर इसका प्रभाव
PT का ब्रह्मा त्र 2000+MCQs
Ancient History Climatology Indian Economy

Medieval History Geomorphology Indian Polity

Modern History Ecology & Environment भारत 2020

Indian Geography Bio-Diversity Current Affairs

Oceanography General Science Miscellaneous


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कृ ष
मूलभूत संकल्पना

कृ ष
कृ ष का महत्व

भारतीय कृ ष की वशेषता

कृ ष वपणन

कृ ष सुधार
मूलभूत संकल्पना
सातवीं अनुसूची के अंतगर्रात राज्य सूची का वषय

राष्ट्रीय कृ ष आयोग, 2006 ⇒ समवतर्थी सूची में डालने की सफा रश

सातवीं अनुसूची के अंतगर्रात राज्य सूची का वषय


सातवीं अनुसूची के अंतगर्रात राज्य सूची का वषय

राष्ट्रीय कृ ष आयोग, 2006 ⇒ समवतर्थी सूची में डालने की सफा रश


कृ ष में 4
कृ ष
वषयों पर
चचार्रा की
वा नकी जाती है

मत् य पालन

पशुपालन
कृ ष का महत्व
दे श की 52 प्र तशत आबादी प्रत्यक्ष रूप से कृ ष पर नभर्रार

(प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) 60% जनसंख्या आजी वका हे तु कृ ष पर नभर्रार

सकल घरे लू उत्पादन में भागीदारी लगभग 22 प्र तशत


1950 के दशक में अथर्राव्यव था में कृ ष का योगदान 53% प्र तशत

वतर्रामान में अथर्राव्यव था में कृ ष का योगदान करीब 14%

दे श में नयार्रात के क्षेत्र में कृ ष का ह सा 10%


चाय, कपास, तलहन, मसाला, तम्बाकू आ द का वश्व-व्यापार

कृ षजन्य उत्पाद व्यापार (राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय) का प्रमुख ह सा

कृ ष कृ षक आय में वृद् ध तथा रोजगार का त्रोत


खाद्यान्न की उपल धता

प्रमुख उद्योगों के लए कच्चे माल का त्रोत

कृ ष-उत्पादन मुद्रा फी त दर पर अंकुश रखने में सहायक


1950-51 ⇒ 50%
GDP में कृ ष

2001 ⇒ 21%

2019-20 ⇒ 14
प्राथ मक क्षेत्र ⇒ 14.39%
GDP में कृ ष

द् वतीयक क्षेत्र ⇒ 31.46%

तृतीयक क्षेत्र ⇒ 54.39%


Fact

3rd पंचवषर्थीय योजना में कृ ष


सरकार का लक्ष्य ⇒ 6%
वकास दर ऋणात्मक
वतर्रामान में कृ ष सबसे बडा व्यवसाय है । रोजगार क्षेत्र में
कृ ष

भारत में कायर्राशील जनसंख्या का 43.8%


ह सा कृ ष व्यवसाय पर आधा रत
प्राथ मक क्षेत्र ⇒ 49% रोजगार क्षेत्र
में कृ ष

द् वतीयक क्षेत्र ⇒ 31.45%

तृतीयक क्षेत्र ⇒ 24.06%


कृ ष नयार्रात और आयात में भारत दसवें थान
पर नयार्रात और
आयात में कृ ष

2018-19 में 11.76 प्र तशत उत्पादों का नयार्रात

2018-19 में 3.76 प्र तशत उत्पादों का आयात


“कृ ष उद्योग एवं सेवा क्षेत्र का इंजन है ”
रं गराजन (भूतपूवर्रा RBI गवनर्रार ) उद्योग क्षेत्र में
कृ ष

य द कृ ष क्षेत्र में 1 प्र तशत की वृद् ध


होती है तो सेवा क्षेत्र 0.3 प्र तशत तथा
उद्योग क्षेत्र में 0.7 प्र तशत की वृद् ध हो
जाती है ।
भारतीय कृ ष की वशेषता
भारतीय कृ ष ‘मानसून का जुआ’ 1. मानसून पर
नभर्रारता

भारतीय कृ ष का लगभग 45% क्षेत्र की सं चत

जब क शेष 55% कृ ष क्षेत्र मानसून पर नभर्रार


वा त वक बोया गया क्षेत्र x 100/शुद्ध क्षेत्र

श य
गहनता
श य गहनता मानूसन ि थ त के अनुक्रमानुपाती
ट्यूबेल > नहर > तालाब
संचाई
ट्यूबेल 57% ⇒ उत्तरप्रदे श और पंजाब

नहर 37% ⇒ राज थान और पंजाब

तालाब 6% ⇒ द क्षण भारत


भारत सरकार द्वारा 1974-75 में शुरू Command
Area
Development
Program
2004 में नया नामकरण ⇒ कमांड ए रया
वकास कायर्राक्रम तथा जल प्रबंधन (CADWM)

12वीं योजना में त्व रत संचाई लाभ कायर्राक्रम


के साथ लागू
खाद्यान्न फसलों का उत्पादन 60-65% 2. खाद्यान्न
फसलों की
प्रचुरता
नकदी फसलों का उत्पादन 35 से 40%
लगभग 65% लोग कृ ष पर प्रत्यक्ष और
अप्रत्यक्ष नभर्रार रूप से 3. व्यापक
जनसंख्या
नभर्रारता

GDP में कृ ष का योगदान महज 14%

भारत मे कृ ष आजी वका का साधन


भारतीय कृ ष के समक्ष चुनौ तयाँ
1. जोत का छोटा आकार
जोत जोत आकार कसानों का प्र तशत

सीमांत जोत 0.1 - 1 H (<1H) 67%

छोटे जोत 1-2H 17.9%

अद्र्राध-मध्यम जोत 2 -4 H 10.12%

मध्यम जोत 4 - 10 H 4.25%

बडे जोत 10< H 0.73%


1 बीघा = 18 कट्ठा
चकबंदी राज्य का वषय है ।
चकबंदी

यह जमीन के पैतक
ृ बंटवारे को रोकता है ।

सकारात्मक प्रभाव केरल & पिश्चम बंगाल


सीमा से अ धक जमीन होने से सरकार
अ धग्रहण कर लेती
हदबंदी

सकारात्मक प्रभाव केरल & पिश्चम बंगाल


अवसंरचना, वज्ञान, कृ ष शक्षा में अपूणर्रा
2. बीज की
कायार्रान्वयन
नम्न
गुणवत्ता
अनुसंधान संबंधी सं थानों में कमी

उपयुक्
र्रा त क्षेत्रों में सरकारी नवेश कम होना
3. उत्पादन की पुरानी व धयाँ परं परागत कृ ष

नई तकनीकों का अभाव, जो क व थ मृदा, बीज के प्रकार की जानकारी


तथा वैज्ञा नक तरीके के लाभ बताती है
कीट एवं बीमा रयों पर कम नयंत्रण
अन्य
मानसून पर व्यापक नभर्रारता चुनौ तयाँ

भंडारण की अपयार्राप्त सु वधा


बचो लयों की लंबी श्रंखला
अन्य
यातायात सु वधाओं का अभाव चुनौ तयाँ

सूचना एवं मौसम पूवार्रानुमान तकनीकों की कमी

जलवायु प रवतर्रान
शुल्क की बडी मात्रा - कराया, थानीय कर, शुल्क
अन्य
बेचने का कमीशन, चुंगी, तौल का पैसा चुनौ तयाँ

कृ ष साख
कृ ष वपणन
कृ ष वपणन तंत्र (AMS)
राज्य तरीय कृ ष
चूं क यह राज्य का वषय है , इस लए उत्पाद बाजार
प्रत्येक राज्य में राज्य सरकारों के स म त (SAPMC)

द्वारा कृ ष उत्पाद के वपणन के लए


राज्य तरीय सं थाओं का नमार्राण
कया गया, िजन्हें APMC कहा जाता
है , जो मं डयों का नयमन करते हैं।
राज्य तरीय
इनका मुख्य उद्दे श्य कसानों को बेहतर
कृ ष उत्पाद
मूल्य प्रदान करना था। बाजार स म त
(SAPMC)

भारत में इन APMC's का नयमन नाफेड


(NAFED) द्वारा कया जाता है ।
National Agriculture cooperation
Marketing Federation of India Ltd. NAFED
(राष्ट्रीय कृ ष
थापना: 21 अक्टू बर 1958
सहकारी
वपणन संघ)

मुख्यालय: दल्ली

बहु राज्य स म त अ ध नयम द्वारा ग ठत


यह स म तयाँ मं डयों का नमार्राण करती है
जहां कृ ष उत्पादों को बेचा जाता है । APMC's

इसमें कुछ व्यापा रयों को लाइसेंस जारी


कया जाता है जो बोली लगाकर कसानों का
उत्पादन खरीदते हैं।
बचो लयों की लंबी श्रंखला
कृ ष वपणन
तंत्र की
यातायात सु वधाओं का अभाव
चुनौ तयाँ

सूचना एवं मौसम पूवार्रानुमान तकनीकों की कमी

जलवायु प रवतर्रान
शुल्क की बडी मात्रा - कराया, थानीय कर, शुल्क
कृ ष वपणन
तंत्र की
बेचने का कमीशन, चुंगी, तौल का पैसा
चुनौ तयाँ

कृ ष साख
APMC बाजार के अलावा नए बाजारों का
नमार्राण Model APMC
Act, 2003

नजी थोक बाजार

सवर्राप्रथम कृ षकों को अनुबंध कृ ष की अनुम त


बाजार क्षेत्र में पारद शर्राता मूल्यों के लेन-दे न में
तथा समय से उत्पादन की कीमत मल जाए। Model APMC
Act, 2003

APMC के सद यों का निश्चत अव ध में


चुनाव कया जाएगा

कसान कहीं पर भी हाट की थापना करते


सकते हैं
भारतीय जनजातीय सहकारी वपणन वकास संघ TRIFED
(The Tribal
Cooperation
थापना: 1987 Marketing
Development
Federation of
India)
संबं धत मंत्रालय: जनजातीय मंत्रालय

मुख्यालय: नई दल्ली + 13 क्षेत्रीय कायार्रालय


समाधान
एक राष्ट्रीय कृ ष बाजार है जो अ धकांश
AMPC's को जोडने का कायर्रा करता है ई-नाम
(e-NAM)

व तुओं की उपल धता तथा मूल्य

खरीद- बक्री मूल्य


Software आधा रत प्रणाली

APMC को
कीमत बदलाव सूची e-NAM से लाभ

रयल टाइम रका डर्डिंग

श्रमबल की आवश्यकता सूची


2016 में शुरू प्रधानमंत्री
फसल बीमा
योजना
‘एक राष्ट्र-एक योजना’ के अंतगर्रात कायर्रा करने
वाली योजना

राष्ट्रीय कृ ष बीमा योजना का प्र त थापन


यह योजना समग्र बीमा कवर करती है प्रधानमंत्री
फसल बीमा
योजना
यानी समग्र जो खम कवर करती है ता क
कसानों की आय को ि थर कया जा सके

दूर संवेदी उपग्रह तथा ड्रोन के द्वारा सवर्वे कराए


जाने की व्यव था
2 प्र तशत प्री मयम खरीफ
प्रधानमंत्री
फसल बीमा
योजना ⇒
1.5 प्र तशत रबी प्री मयम

5 प्र तशत कपास

कोई भी कसान अपने क्षेत्र के व शष्ट फसल के


लए बीमा करा सकता है ।
तलहन प्रधानमंत्री
फसल बीमा
योजना ⇒
फसलें
खाद्यान्न फसल

वा षर्राक वा णिज्यक या नकदी फसल


कीटों के द्वारा होने वाली हा न, बीमा रयों से प्रधानमंत्री
नुकसान, फसल की कटाई के बाद भी सभी फसल बीमा
प्रकार के जो खम कवर योजना ⇒
जो खम

युद्ध, घरे लू जानवर द्वारा नुकसान, दं गे


इत्या द के कारण होने वाले जो खम का
कवर नहीं
भंडारण

बाजार का व नयमन

बाजारों की संख्या बढाई जाए

सहकारी वपणन सा म तयाँ

Credit सु वधा
ऋण सु वधा

प रवहन सु वधा

सावर्राज नक नवेश

संचाई सु वधा

कृ ष पर जनसंख्या की नभर्रारता कम करना


भू म सुधार

कृ ष शक्षा

न्यूनतम समथर्रान मूल्य का दायरा बढाना

कृ ष व वधता बढाना

अनुबंध कृ ष & सहकारी कृ ष


व भन्न प्रकार की कृ ष
राजकीय कृ ष
इस कृ ष में कृ ष भू म सरकार की संप त्त
होती है तथा भू म का प्रबंधन सरकारी
कमर्राचा रयों के द्वारा कया जाता है ।
इस प्रकार की कृ ष में एक पूंजीप त बडे-बडे पूंजीवादी कृ ष
भूखंड को खरीदता या कराए पर लेता है
और कृ ष करता है ।
भारत में इस प्रकार की कृ ष चाय, काफी
और रबर के बागानों में मलती है ।
इस प्रकार की कृ ष में कृ ष-भू म का नग मत कृ ष
प्रबंधन एक नगम के द्वारा कया जाता है

त मलनाडु एवं महाराष्ट्र की चीनी मलें इस
प्रकार की कृ ष कर रही हैं।
तर कृ ष
जहाँ वषर्रा 200 सेमी. होती है तथा संचाई
की आवश्यकता नहीं होती है ।
उदाहरण के लए पिश्चमी घाट तथा पूवर्पोत्तर
राज्य
आद्रर्रा कृ ष
जहाँ वा षर्राक वषार्रा 100 से 200 सेमी. होती
है ; अल्प संचाई की आवश्कता होती है ।
मुख्यतः गंगा के मैदानी भागों में
शुष्क कृ ष
100 सेमी से कम वषार्रा वाले क्षेत्रों में
इस कृ ष में संचाई की अ धक आवश्यकता
होती है ।
जैसे- पंजाब, ह रयाणा, राज थान इत्या द
गहन कृ ष
य द कसी क्षेत्र में श य गहनता 200
प्र तशत से अ धक हो तो ऐसी कृ ष गहन
कृ ष कहलाती है ।
जैसे- जापान, फ्रांस..
समोच्च कृ ष
(Contoor)
पवर्रातों पर होने वाली कृ ष
इसी सीढीदार कृ ष भी कहते हैं।
जैसे- चाय के बागान
इसे पा रि थ तक कृ ष भी कहते हैं। भारत
का प्रथम जै वक कृ ष वाला राज्य काबर्रा नक कृ ष
सिक्कम है । यह रासाय नक कीटनाशक
तथा उवर्रारक के बना होती है तथा इसमें
जै वक उवर्रारकों का प्रयोग कया जाता है ।
इसमें कोई भी जीएम फसल या बीज का
प्रयोग नहीं कया जाता है ।
ले कृ ष
जब कृ ष भू म को दो या दो से अ धक वषर्षों
के लए खुला छोड दया जाता है तो उसे ले
कृ ष कहते हैं।
तैरती हु ई कृ ष

नौकाओं पर की जाने वाली कृ ष


जैसे- डल झील, केबुइल लामजाओ आ द।
म श्रत कृ ष

कृ ष के साथ जब पशुपालन भी कया जाए


तो इसे म श्रत कृ ष कहते हैं।
कृ ष का वकास और व भन्न क्रां तयाँ
प्राचीनतम क्रां त
7500 ई. पू. ⇒ कृ ष अि तत्व
कृ ष क्रां त: वश्व की पहली क्रां त
आधु नक क्रां तयां
ह रत क्रां त (1965-66)
प्रणेता
● नामर्रान बोरलाग ( वश्व)
● वामीनाथन (भारत) ह रत क्रां त
(1965-66)
इसे 3S क्रां त भी कहा जाता है
● वामीनाथन (वैज्ञा नक)
● शवरमण (स चव)
● सुब्रमण्यम (मंत्री)
⇒ कृ ष का नोबेल पुर कार ⇒ बोरलाग
पुर कार
उत्पादन को बढाना
ह रत क्रां त ⇒
लक्ष्य

उच्च उत्पादन दे ने वाले बीजों का नमार्राण करना

उवर्रारकों और कीटनाशकों का उपयोग करना


गें हू का 5 गुना तथा चावल का 3 गुणा उत्पादन
बढा ह रत क्रां त ⇒
लाभ

खाद्यान्नों में आत्म नभर्रारता

कृ ष का व्यावसायीकरण
प्रथम बार भारत से नयार्रात
ह रत क्रां त ⇒
लाभ

खाद्य सुरक्षा में वृद् ध

कसानों का वश्वास बढा


यह क्रां त केवल गेहूं तथा चावल तक ही सी मत रही
ह रत क्रां त ⇒
नुकसान
बडे कसानों को लाभ उठाया

छोटे कसान मजदूर बन गए

आय की असमानता बढ गई
कृ षकों का प्रवसन
ह रत क्रां त ⇒
नुकसान
भू म का वभाजन बढा

पयार्रावरण पर नकारात्मक प्रभाव

जल का अ धक उपयोग संसाधनों पर दबाव


ह रत क्रां त - 2 (1992-93)

प्रथम ह रत क्रां त की क मयों को दूर करने के लए


सभी फसलों के लए
ह रत क्रां त-II ⇒
लक्ष्य

चकबंदी (कठोर भू म सुधार)

छोटे कृ षकों के लए
ऋण आपू तर्रा बढाना
ह रत क्रां त-II ⇒
लक्ष्य

सहकारी कृ ष बढाने के लए

कृ ष क्षेत्र में 4% वकास दर प्राप्त करने के लए


इंद्रधनुष क्रां त,
2000
राष्ट्रीय कृ ष नी त, 2000 में प्र ता वत
वामीनाथन ने इसे 2011 में ‘सदाबहार
क्रां त’ का नाम दया
अनाज को दोगुना उत्पादन करने के लए
1964-65 ⇒ सघन पशु वकास कायर्राक्रम
श्वेत क्रां त
1970 ⇒ आपरे शन फलड
प्रणेता ⇒ बर गज कु रयन (अमूल)
प्रथम चरण: 1970-78
द् वतीय चरण: 1978-85
तृतीय चरण: 1985-95
तलहन के लए सरसों, मूंगफली, सोयाबीन
पीली क्रां त
1986 में शुरूआत
गोल क्रां त

आलू के लए
भारत में वच्छ जल की मछली उत्पादन
नीली क्रां त

मत् य उत्पादन बढाने के लए


प्याज एवं झींगा दोनों के लए
गुलाबी क्रां त

भारत झींगे का सबसे बडा उत्पादक एवं


आयातक दे श है
काली क्रां त अथवा कृ ष्णा क्रां त

पेट्रो लयम उत्पादों को बढावा दे ने के लए


धूसर (Grey) क्रां त

उवर्रारक के लए
रजत क्रां त

अंडा उत्पादन बढाने के लए


वणर्रा क्रां त

बागवानी के लए
बादामी क्रां त

मसाला उत्पादन के लए
लाल क्रां त

मांस एवं टमाटर दोनों के लए


अमृत क्रां त

नदी जोडो
न्यूनतम समथर्रान मूल्य
MSP
न्यूनतम समथर्रान मूल्य वह न्यूनतम मूल्य
होता है , िजस पर सरकार कसानों द्वारा
बेचे जाने वाले अनाज की पूरी मात्रा क्रय
करने के लये तैयार रहती है ।
MSP
जब बाज़ार में कृ ष उत्पादों का मूल्य गर
रहा हो, तब सरकार कसानों से न्यूनतम
समथर्रान मूल्य पर कृ ष उत्पादों को क्रय कर
उनके हतों की रक्षा करती है
MSP
कसानों को बचौ लयों के शोषण से का उद्दे श्य
बचाकर उनकी उपज का अच्छा मूल्य
प्रदान करना
सावर्राज नक वतरण प्रणाली के लये अनाज
की खरीद करना
कसानों की आ थर्राक सुरक्षा
MSP के
सकारात्मक पक्ष

कसानों को प्रेरणा

फसल प्र तरूप का नधार्रारण


कसानों की आ थर्राक ि थ त सुदृढ करना
MSP के
सकारात्मक पक्ष

आत्म नभर्रारता

कृ ष में सकारात्मक प रवतर्रान


सभी फसलों पर एमएसपी लागू नहीं होना
MSP के
नकारात्मक पक्ष

अ धक उत्पादन के लए अ धक उवर्रारक

वा थ्य एवं पयार्रावरणीय प्रभाव


वतुल
र्रा ाकार जाल की महं गाई
MSP के
नकारात्मक पक्ष

आय की असमानता

क्षेत्रीय असमानता
राजनी तक कारण न हो
MSP : नष्कषर्रा

MSP का दायरा बढाया जाए


भारत सरकार के कृ ष एवं कसान कल्याण कृ ष लागत एवं
मंत्रालय का एक संलग्न कायार्रालय है । मूल्य आयोग
(CACP)

थापना ⇒ जनवरी 1965 में


कृ ष उत्पादों के संतु लत एवं एकीकृ त मूल्य
संरचना तैयार करना उद्दे श्य

न्यूनतम समथर्रान मूल्य पर सलाह दे ता है ।


गन्ने का मूल्य नधार्रारण आ थर्राक मामलों की
मं त्रमंडलीय स म त द्वारा अनुमो दत
गन्ने का MSP
कया जाता है ।
भंडारगृह
भारतीय खाद्य नगम
भंडारगृह

केंद्रीय भंडाररण नगम

राज्य भंडारण नगम


1954 में अमे रका के दबाव के कारण भारत सरकार ने पीएल-480
अ ध नयम पा रत कया, िजसके तहत भंडारगृहों का नमार्राण कायर्रा
प्रारं भ हु आ।
सि सडी
यह एक प्रकार की छूट है , िजसके माध्यम से कसान कम कीमत पर
बजली, उवर्रारक, कृ ष उपकरण प्राप्त कर पाता है ।
कृ ष सि सडी के दो प्रकार

प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष

उत्पाद वशेष ⇒ MSP बजली, बीज, उवर्रारक


❖ वश्व व्यापार संगठन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष
सि सडी को एक साथ AMS (Aggregate
Measures of Support) कहा जाता है ।

❖ वश्व व्यापार संगठन में ह ताक्ष रत कृ ष


समझौते के अनुसार एएमएस वक सत दे शों के
लए अपने कुल कृ ष उत्पादन का 5 प्र तशत से
अ धक नहीं हो सकता है ।
❖ ले कन वकासशील दे शों के लए यह अ धकतम
10 प्र तशत माना गया है ।

❖ वक सत दे शों का मानना है क भारत सरकार


कसानों को नधार्रा रत सीमा से अ धक छूट दे रही
है , िजससे अंतरार्राष्ट्रीय व्यापार में वकृ त आ रही
है ।

❖ इस लए वक सत दे श वश्व व्यापार संगठन के


मंच पर यह मुद्दा उठा चुके हैं।
भारत कृ ष प्रधान दे श है और कृ ष को
सि सडी के
वकास का इंजन माना जाता है । भारत में
सकारात्मक
सम त औद्यो गक वकास नणार्रायक रूप से प्रभाव
कृ ष पर नभर्रार है ।

कृ ष सि सडी सामािजक न्याय सु निश्चत


करती है जो क सं वधान के अनुकूल है ।
भारत में खाद्य सुरक्षा एक गंभीर सम या है ।
सि सडी के
भारतीय जनसंख्या का पालन पोषण करने के लए सकारात्मक
पयार्राप्त खाद्यान्न उत्पादन की आवश्यकता है । प्रभाव

वश्व व्यापार संगठन के अन्य वक सत राष्ट्र बडी


मात्रा में अपने कसानों को सि सडी दे रहे हैं। ऐसे
में अंतरार्राष्ट्रीय व्यापार संतुलन के लए भारत को
भी Subsidy दे नी चा हए।
भारत में ह रत क्रां त तकनीकों के लए कृ ष सि सडी के
सि सडी की आवश्यकता है । सकारात्मक
प्रभाव
सि सडी के
भारत के राजकोषीय घाटे का एक कारण नकारात्मक प्रभाव
कृ ष सि सडी है ।
कृ ष सि सडी के अ धक होने से भुगतान
संतुलन प्रभा वत होता है तथा संसाधनों की
कमी हो जाती है ।
भारत में कृ ष सि सडी के कारण फसल सि सडी के
नकारात्मक प्रभाव
प्र तरूप पर बुरा असर प्रभाव पडता है
िजसके कारण मोटे अनाज, दालों का
उत्पादन निश्चत तौर से कम हु आ है तथा
दालों के उत्पादन में कमी के कारण उनमें
मुद्रा फी त अ धक है ।
भारत में कृ ष सि सडी का लाभ बडे कसानों
को मलता है िजससे ग्रामीण क्षेत्रों में आय सि सडी के
वषमता बढती है । नकारात्मक प्रभाव

भारत सरकार द्वारा कृ ष क्षेत्र में कए जाने


वाले कुल खचर्रा का 80 प्र तशत भाग कृ ष
सि सडी है । इस लए भारत सरकार अनुसंधान
एवं अवसंरचना नमार्राण में नवेश नहीं कर
पाती है ।
उच्च सि सडी के कारण पयार्रावरण प्रभा वत सि सडी के
होता है । उदाहरण के लए भू म की लवणता नकारात्मक प्रभाव

बढना, जल संसाधनों का दुरूपयोग, बजली


का दुरूपयोग आ द।
इससे मृदा की गुणवत्ता प्रभा वत होती है तथा
मृदा प्रदूषण भी बढता है ।
सावर्राज नक वतरण प्रणाली
समवतर्थी सूची

केंद्र राज्य
खरीद
केंद्र
भंडारण

प रवहन

थोक आवंटन

केंद्रीय नगर्रात मूल्य


डीलसर्रा का चयन
राज्य
नए लाइसेंस जारी करना

लाभा थर्रायों की पहचान

मापदं डों का नधार्रारण

आवंटन मात्रा का नधार्रारण


❖ सावर्राज नक वतरण प्रणाली (पीडीएस) कम
कीमत पर अनाज के वतरण और आपातकालीन
ि थ तयों में प्रबंधन सु निश्चत करने के लये
लाई गई एक प्रणाली है ।

❖ इस प्रणाली की शुरुआत वषर्रा 1947 में हु ई है और


यह दे श में गरीबों के लये सि सडाज्ड दरों पर
खाद्य तथा अखाद्य पदाथर्षों के वतरण का कायर्रा
करता है ।
❖ इसे भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य
और सावर्राज नक वतरण मंत्रालय के तहत
था पत कया गया है और इसे केंद्र व राज्य
सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से प्रबं धत कया
जाता है ।
❖ ‘फूड कॉपर्पोरेशन ऑफ इं डया’ पीडीएस के लये
खरीद और रखरखाव का कायर्रा करता है जब क
राज्य सरकारों को राशन एवं अन्य आवश्यक
व तुओं का वतरण सु निश्चत करना होता है ।
1960 अभाग्र त शहरी क्षेत्रों में प्रारं भ
PDS का
इ तहास
1970-80 उच्च गरीबी वाले क्षेत्रों में प्रारं भ

1992 नर संहराव द्वारा पुनगर्राठन, संपूणर्रा भारत में लागू

1997 में ल क्षत सावर्राज नक वतरण प्रणाली


2000 अंत्योदय योजना
PDS का
इ तहास
2017 प्र त व्यिक्त वतरण प्रणाली प्रारं भ

2020 One Nation One Card


लाभा थर्रायों को मूल्य की अि थरता &मुद्रा फी त से बचना
PDS का
उद्दे श्य
गरीबों के लए खाद्य सुरक्षा सु निश्चत करना

गरीबी उन्मूलन

कुपोषण उन्मूलन

वा थ्य संबंधी सम याओं से नजात पाना


पीडीएस में मुख्यतः गेहूं, चावल, चीनी तथा
केरोसीन मलता है जो केवल भोजन की पू तर्रा पीडीएस के दोष
करता है न क पोषण की।
संवैधा नक वधानों में नदे शक तत्वों का
अनुच्छे द 47 पोषक तत्वों की लोगों तक पहुं च
सु निश्चत करता है जो क उपरोक्त बंद ु की
वपरीत दशा है ।
समावेशन एवं नष्कासन त्रु ट अथार्रात ् िजन्हें पीडीएस के दोष
आवश्यकता है , वे बाहर हैं और िजन्हें
आवश्यकता नहीं है , वे इसका लाभ ले रहे हैं।
इसी कारण से पीडीएस को ‘प्र तगामी वकास
तंत्र’ कहा जाता है ।
लकेज सम या ⇒ पीडीएस में आपू तर्रा की
पीडीएस के दोष
जाने वाली व तुओं का अ धकांश भाग नजी
दुकानों में चला जाता है ।
खाद्यान्नों की नम्न गुणवत्ता
केंद्र एवं राज्य के बीच ववाद,
गरीबी जनसंख्या के आधार पर प रभा षत
❖ 2006 में दायर एक या चका पर सुनवाई करने के
बाद सुप्रीम कोटर्रा ने पीडीएस की जांच के लए
बाधवा स म त का गठन कया।

❖ इस स म त ने 2007 में अपनी रपोटर्रा प्र तुत की।


पीडीएस डीलर थानीय नवासी होना चा हए।
लाइसेंस SHG, PCC सोसाइटी, ग्राम बाधवा स म त की
पंचायतों को दया जाए। सफा रशें

उ चत मूल्य की दुकानों के आ थर्राक वहनता के


लए पीडीएस दुकानों को अन्य व तुओं की भी
बक्री का सुझाव दया गया।
साथ ही डलेवरी में वलंब के लए िजम्मेदारी
नधार्रा रत हो
रसाव सम या से बचने के लए त मलनाडु
माडल अपनाने की सलाह दी गई। बाधवा स म त की
पीडीएस को पूणत
र्रा ः कंप्यूटरीकृ त करने का सफा रशें

सुझाव, िजससे मानवीय ह तक्षेप कम होगा


तथा एनजीओ के माध्यम से राशनकाडर्रा
धारकों के दरवाजे पर जाकर सत्यापन कया
जाए तथा फजर्थीधारको को दं डर हत राशनकाडर्रा
लौटाने की योजना बनाई।
शकायत नवारण तंत्र की व्यव था, टोल फ्री
बाधवा स म त की
नंबर सफा रशें
सामािजक परीक्षण की व्यव था, नाग रक
चाटर्रा र की व्यव था
िजला तर पर सुपर वजन स म त बनाई
जाए, िजससे म हला तथा एससी/एसटी के
सद य भी हो।
सुझाव
अ धक लाभ और इस योजना का लाभ वं चत
तथा गरीब लोगों को मले, इसके लए भारत
सरकार को आइटी का प्रयोग करना चा हए।
सुझाव
साथ ही नम्न ल खत तकनीकी का उपयोग
भी कया जा सकता है , िजससे इस प्रणाली में
बेहतर सेवा, पारद शर्राता तथा भ्रष्टाचार को
समाप्त कया जा सकता है -
● जीपीएस प्रणाली का प्रयोग

● मापन की डिजटल मशीन का प्रयोग सुझाव

● मैसेज द्वारा सूचना दे ना

● बायोमी ट्रक का प्रयोग

● पूणत
र्रा ः कंप्यूटरीकृ त

● माटर्रा काडर्रा का प्रयोग इत्या द


प्रधानमंत्री कसान मानधन योजना (PMKMY)
❖ कसानों की आ थर्राक ि थ त को सुधारने के लए 1
जून 2019 को लागू

❖ इस योजना के अंतगर्रात पात्र कसानों को 60 साल


की उम्र के बाद 3,000 हजार रुपये की प्र तमाह
पें शन

❖ वही कसान पात्र होंगे िजनके पास 2 हे क्टे यर या


इससे कम भू म है और आयु 18 से 40 वषर्रा के बीच
है ।
❖ योजना में सरकार पहले 3 वषर्षों में लगभग 5 करोड़
लाभा थर्रायों को कवर करे गी।

❖ अगर कसी कारणवश लाभाथर्थी कसान की मृत्यु हो


जाती है तो पें शन (PM-KMY Pension Amount)
की रा श उसकी पत्नी या प त को मलेगी।

❖ भारतीय जीवन बीमा नगम (LIC) पें शन न ध


प्रबंधक पें शन भुगतान के लए िजम्मेदार होगा।
योजना के लए पात्रता

❖ कसान की आयु 18 से 40 वषर्रा के बीच

❖ कसान के पास 5 एकड़ या इससे अ धक भू म नहीं


होनी चा हए।

❖ आवेदक के पास बचत बैंक खाता (Saving


Account) होना चा हए।

❖ उम्मीदवार आयकर दाता नहीं होना चा हए।


प्रधानमंत्री कसान सम्मान न ध योजना 2019
मुख्य वशेषताएं

❖ छोटे और सीमांत कसानों को 6,000 रूपये प्र त वषर्रा


दये जाएंगे।

❖ वे कसान िजनकी भू म 2 एकड़ से कम है , इस


योजना का लाभ उठा सकते हैं।

❖ सहायता रा श सीधे कसानों के बैंक खातों में

❖ केंद्र सरकार इस रा श को एक वषर्रा में 3 बराबर


क तों में दे गी।
❖ कसानों की आ थर्राक ि थ त को सुधारने के लए
प्रधानमंत्री कसान न ध योजना 1 फरवरी 2019
को शुरू की गई।

❖ यह योजना कसानों को न्यूनतम आय का


आश्वासन दे ती है ।

❖ योजना के तहत कसानों को प्र तवषर्रा न्यूनतम


6,000 वा षर्राक वत्तीय सहायता दी जाएगी।
प्रधानमंत्री कृ ष संचाई योजना
❖ 18 नवंबर 2014 को लॉन्च

❖ यह एक स टर्रा फकेट योजना है , जो पहली बार 1988


में लॉन्च की गई थी।

❖ इसमें 1 हजार, 5 हजार, 10 हजार और 50 हजार


की रा श को 100 महीनों में दोगुना करने का
प्रावधान है ।
❖ इसमें कसी एक व्यिक्त या ज्वॉइंट नाम पर भी
स टर्रा फकेट जारी कया जाता है , िजसका कजर्रा लेने
के क्रम में इ तेमाल कया जा सकता है ।
वायल हे ल्थ काडर्रा कीम
❖ सरकार इसके तहत कसानों को उनकी कृ ष भू म
की उवर्रारकता के आधार पर वायल हे ल्थ काडर्रा जारी
करती है ।

❖ इस काडर्रा में मट्टी की जांच के बाद इस बात की


जानकारी रहती है क मट्टी को कन उवर्रारकों की
जरूरत है ?

❖ साथ ही इसमें कौन से फसल बेहतर हो सकते है ?


❖ फरवरी, 2015 को राज थान के श्रीगंगानगर िज़ले
के सूरतगढ़ में राष्ट्रव्यापी ‘राष्ट्रीय मृदा सेहत काडर्रा’
योजना का शुभारं भ

❖ योजना की थीम है : व थ धरा, खेत हरा।

❖ इस योजना के अंतगर्रात ग्रामीण युवा एवं कसान


िजनकी आयु 40 वषर्रा तक है , मृदा परीक्षण
प्रयोगशाला की थापना एवं नमूना परीक्षण कर
सकते हैं।
❖ इस योजना का मूल उद्दे श्य रसाय नक खादों के
अ ववेकपूणर्रा इ तेमाल को रोकना है ।

❖ इससे न केवल कसानों पर आ थर्राक बोझ कम होगा,


बिल्क मृदा की पोषकता में भी वृद् ध होगी, िजसका
सीधा प रणाम उत्पादन में वृद् ध के रूप में प्राप्त
होगा।
कृ ष कल्याण अ भयान
❖ कृ ष एवं कसान कल्याण मंत्रालय ने 1 जून, 2018
से 31 जुलाई, 2018 तक कृ ष कल्याण अ भयान
की शुरूआत की

❖ उद्दे श्य 2022 तक कसानों की आय को दोगुना


करना है

❖ इस अ भयान के तहत कसानों को उत्तम कृ ष


तकनीक एवं आय बढ़ाने के बारे में सहायता और
सलाह प्रदान की जाएगी
❖ कृ ष कल्याण अ भयान को 111 आकांक्षी िजलों में
1,000 से अ धक आबादी वाले 25 गांवों में चलाया
जा रहा है ।

❖ इस योजना के तहत प्रत्येक िजले के 25 गांवों का


पूणर्रा समन्वय और कायार्रान्वयन करने के लए कृ ष
वज्ञान केंद्र िजम्मेदार है ।
कसान रथ
❖ क्या है ⇒ एक मोबाइल एप्लीकेशन

❖ उद्दे श्य ⇒ कृ ष उत्पादों के प रवहन में सुगमता


लाना

❖ यह मोबाइल ऐप दे श के सभी राज्यों के कसानों के


लए जारी कया गया है
❖ केंद्र सरकार ने कसान रथ को लॉकडाउन की
ि थ त में सि जयों और फसलों की खरीद- बक्री के
लए लॉन्च कया है , ता क कसान आसानी से
अपने सामान को बेच सकें और व्यापारी खरीद सकें

❖ यह ऐप दे शभर के कसानों को और व्यापा रयों को


कृ ष उत्पाद को बाजार तक पहुं चाने में मदद करे गा

❖ इस ऐप से कसानों और व्यापा रयों को प रवहन


वाहनों के बारे में जानकारी मलेगी
कल जाने Answer
Writign के बारे में
बारीक से बारीक बात
मध्यकालीन भारत का इ तहास
सफर्रा एक वी डयो और वगत ् वषर्षों & संभा वत प्रश्नों के
Complete साथ
मध्यकालीन भारतीय इ तहास संपूणर्रा वश्लेषण
GS Paper-3
Science & Tech. ( वज्ञान एवं प्रौद्यो गकी)
Unit-11 ⇒ वकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मरार्रा के जीवन पर इसका प्रभाव
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