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नामकरण
भारत
सवर्थप्रथम उल्लेख प्राचीन भारतीय शास्त्रों के पुराणों में

वायुपुराणा में भारत वषर्थ शब्द का उल्लेख मलता है

राजा दुष्यंत की पत्नी शकंु तला के पुत्र भरत के नाम पर भारत

भारत वषर्थ का सवर्थप्रथम उल्लेख हाथी गु फा अ भलेख में


हन्दुस्तान अथवा हन्द

प शर्थया आधु नक ईरान के लोग सवर्थप्रथम संधु घाटी से प्रवेश कया।

वे संधु का अपभ्रंश रूप हन्दू का प्रयोग यहां के नवा सयों के लए करते थे।

हंदओ
ु ं के दे श को हंदस्
ु तान नाम दया गया।
हन्दुस्तान अथवा हन्द

हंदस्
ु तान शब्द का उल्लेख सवर्थप्रथम 262 ई. के सासानी अ भलेख में मलता है ।

जे स अलेक्जेंडर ने अपने ववरण में हंद ू का ‘ह’ हटाकर इंद ू नाम से संबो धत कया।

बाद में बदलकर इं डया कर दया गया।


संवैधा नक नाम

अनुच्छे द 1 भारत अथार्थत ् इं डया राज्यों का संघ स्पष्ट कया गया है ।


भारत : िस्थ त व वस्तार
उत्तरी-पूवर्ती गोलाद्र्थध

8°4' से 37°6' उत्तरी अक्षांश तथा 68°7' से 97°25' पूवर्ती दे शान्तर के मध्य
82 1/2° पूवर्ती दे शान्तर इसके लगभग मध्य से होकर गुजरती है ।

इलाहाबाद के नकट नैनी से होकर गुजरती है

इसी दे शांतर के समय को दे श का मानक समय माना गया है ।

उत्तर प्रदे श, मध्य प्रदे श, छत्तीसगढ़, ओ डशा तथा आन्ध्र प्रदे श

ग्रीन वच समय से 5 घंटा 30 मनट आगे


गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदे श,
'ककर्थ रे खा' भारत के लगभग मध्य भाग
छत्तीसगढ़, झारखंड, पिश्चम बंगाल,
एवं आठ राज्यों से गुजरती है ।
त्रपुरा तथा मजोरम

पूरे भारत का लगभग अ धकांश क्षेत्र


ले कन ककर्थ रे खा इसे उष्ण तथा उपोष्ण
मानसूनी जलवायु वाले क्षेत्र के अंतगर्थत
क टबंधों में बाँटती है
आता है
Trick ⇒ मत्र पर गमछा झार
म ⇒ मजोरम
त्र ⇒ त्रपुरा
प ⇒ पिश्चम बंगाल
र ⇒ राजस्थान
ग ⇒ गुजरात
म ⇒ मध्यप्रदे श
छा ⇒ छत्तीसगढ़
झार ⇒ झारखंड
प्रायद्वीपीय भारत त्रभुजाकार आकृ त
हंद महासागर और उसकी शाखाएँ अरब
में होने के कारण हन्द महासागर को 2
सागर व बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में तटीय
शाखाएँ अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी
सीमा बनाती है ।
में वभािजत करता है ।
भारतीय भू-भाग की लंबाई पूवर्थ से
उत्तर से द क्षण तक 3,214 कमी.
पिश्चम तक 2,933 कमी
स्थलीय सीमा की ल बाई 15,200 कमी

मुख्य भू म की तटीय सीमा की ल बाई 6,100 कमी.

द्वीपों समेत दे श के कुल तटीय सीमा 7515.5 कमी.

भारत की कुल सीमा 22,716.5 (15200 + 7516.5) कमी.

'गुजरात' की तटीय सीमा सबसे ल बी


भौगो लक क्षेत्रफल 32,87,263 वगर्थ कमी.

वश्व के कुल क्षेत्रफल का 2.43%

क्षेत्रफल के दृिष्टकोण से भारत वश्व का 7 सबसे बड़ा दे श

वश्व की कुल जनसंख्या का 17.5% भाग

जनसंख्या के दृिष्टकोण से वश्व का दूसरा सबसे बड़ा दे श


सवार्थ धक आकर वाले शीषर्थतम दे श

1. रूस

2. कनाडा

3. चीन

4. संयुक्त राज्य अमे रका

5. ब्राजील

6. आस्ट्रे लया
उत्तरी बंद ु ⇒ इं दरा कोल (J&K)

द क्षणी बंद ु ⇒ इं दरा प्वाइंट (Great Nicobar)

पूवर्ती बंद ु ⇒ क बथु (Arunachal Pradesh)

पिश्चमी बंद ु ⇒ गौहरमाथा (Gujarat)


भारत की 'प्रादे शक स्थलीय भाग एवं आधार
समु ी सीमा या क्षेत्रीय 'आधार रे खा' वस्तुतः रे खा के मध्य िस्थत
वस्तार सागर' की टे ढ़े-मेढ़े तट को मलाने सागरीय जल को
आधार रे खा से 12 वाली किल्पत सीधी रे खा 'आंत रक जल'
समु ी मील (नॉ टकल है । (Internal Water)
मील) की दूरी तक है । कहते हैं।
'अ विच्छन्न मंडल या दे श का 'अनन्य आ थर्थक इसके बाद 'उच्च सागर'
संलग्न क्षेत्र' क्षेत्र' (Exclusive (High Sea) का
(Contiguous Zone) Economic Zone) वस्तार है , जहां सभी
की दूरी आधार रे खा से आधार रे खा से 200 राष्ट्रों को समान
24 समु ी मील समु ी मील तक है अ धकार हैं।
पवर्थतीय क्षेत्र का वस्तार ⇒ 10.7 प्र तशत

पहाड़ी क्षेत्र का वस्तार ⇒ 18.6 प्र तशत

पठारी क्षेत्र का वस्तार ⇒ 27.7 प्र तशत

मैदारी क्षेत्र का वस्तार ⇒ 43.0 प्र तशत


पुरूष जनसंख्या ⇒ 62,31,21,843

म हला जनसंख्या ⇒ 58,74,47,730

ग्रामीण जनसंख्या ⇒ 83.34 करोड़ (68.8 प्र तशत)

शहरी जनसंख्या ⇒ 37.71 करोड़ (31.2 प्र तशत)


दशकीय जनसंख्या वृद् ध दर ⇒ 17.7%

लंगानुपात ⇒ 943 प्र त हजार पुरूषों पर

जनसंख्या घनत्व ⇒ 382 व्यिक्त/वगर्थ कमी.


दे श लंबाई (KM.) सीमा से संबद्ध भारतीय राज्य

बांग्लादे श 4096.7 पिश्चम बंगाल, मेघालय, मजोरम, त्रपुरा, असम

चीन 3488 हमाचल प्रदे श, उत्तराखंड, सिक्कम

पा कस्तान 3323 गुजरात, राजस्थान, पंजाब, ज मू-कश्मीर

नेपाल 1751 उत्तर प्रदे श, बहार, पिश्चम बंगाल, सिक्कम, उत्तराखंड

यांमार 1643 अरूणाचल प्रदे श, नागालैंड, मजोरम, म णपुर

भूटान 699 पिश्चम बंगाल, सिक्कम, अरूणाचल प्रदे श, असम

अफ़गा नस्तान 106 लद्दाख (पाक-अ धकृ त)

कुल 15106.7 KM.


राष्ट्रीय पशु ⇒ बाघ राष्ट्रीय पुष्प ⇒ कमल

राष्ट्रीय वरासत पशु ⇒ हाथी राष्ट्रीय चह्न ⇒ अशोक स्तंभ

राष्ट्रीय पक्षी ⇒ मोर राष्ट्रीय गान ⇒ जन-गण-मन

राष्ट्रीय वृक्ष ⇒ बरगद राष्ट्रीय गीत ⇒ वंदे मातरम ्


राज भाषा ⇒ हन्दी राष्ट्रीय नदी ⇒ गंगा

राष्ट्रीय ल प ⇒ दे वनागरी राष्ट्रीय जलीय जीव ⇒ डािल्फन

राष्ट्रीय वाक्य ⇒ सत्यमेव जयते राष्ट्रीय ध्वज ⇒ तरं गा


साक्षरता

कुल साक्षरता पुरूष साक्षरता म हला साक्षरता


73% 80.9 % 64.6%
क्षेत्रफल के अनुसार भारत के 4 बड़े राज्य

राजस्थान 3,42,239 km2

मध्यप्रदे श 3,08,000 km2

महाराष्ट्र 3,07,713 km2

उत्तरप्रदे श 2,40,928 km2


सवार्थ धक जनसंख्या वाले राज्य

उत्तरप्रदे श 20 Cr.

महाराष्ट्र 11.23 cr.

बहार 10.40 cr.

पिश्चम बंगाल 9.12 cr.


न्यूनतम जनसंख्या वाले 4 राज्य

सिक्कम 6.10 Lakh

मजोरम 10.97 Lakh

अरूणाचल प्रदे श 13.83 Lakh

गोवा 14.58 Lakh


सवार्थ धक दशकीय वृद् ध वाले 4 राज्य

मेघालय 27.95%

अरूणाचल प्रदे श 26.03%

बहार 25.24%

मजोरम 23.48%
न्यूनतम दशकीय वृद् ध वाले 4 राज्य

नागालैंड 0.58%

केरल 4.91%

गोवा 8.23%

सिक्कम 10.89%
सवार्थ धक जनघनत्व वाले 4 राज्य (प्र त वगर्थ कमी.)

बहार 1102

पिश्चम बंगाल 1028

केरल 860

उत्तरप्रदे श 829
न्यूनतम जनघनत्व वाले 4 राज्य (प्र त वगर्थ कमी.)

अरूणाचल प्रदे श 17

मजोरम 52

सिक्कम 86

नागालैंड 119
सवार्थ धक लंगानुपात वाले 4 राज्य (per 1000)

केरल 1084

त मलनाडु 996

आंध्रप्रदे श 993

छत्तीसगढ 991
न्यूनतम लंगानुपात वाले 4 राज्य (per 1000)

ह रयाणा 879

सिक्कम 890

पंजाब 895

उत्तरप्रदे श 912
सवार्थ धक साक्षरता वाले 4 राज्य

केरल 94%

मजोरम 91.3%

गोवा 88.7%

त्रपुरा 87.2%
न्यूनतम साक्षरता वाले 4 राज्य

बहार 61.8%

अरूणाचल प्रदे श 65.4%

राजस्थान 66.1%

झारखंड 66.4%
सवार्थ धक म हला साक्षरता वाले 4 राज्य

केरल 92.1%

मजोरम 89.3%

गोवा 84.7%

त्रपुरा 82.7%
न्यूनतम म हला साक्षरता वाले 4 राज्य

बहार 51.5%

राजस्थान 52.1%

झारखंड 55.4%

उत्तरप्रदे श 57.2%
अ धक अनुसू चत जा त जनसंख्या वाले राज्य

पंजाब 31.9%

हमाचल प्रदे श 25.%

पिश्चम बंगाल 23.5%

उत्तरप्रदे श 20.7%
अ धक नगरीय जनसंख्या वाले राज्य

दल्ली 97.5%

चंडीगढ 97.3%

लक्षद्वीप 78.1%

दमन व दीव 75.%


न्यूनतम नगरीय जनसंख्या वाले राज्य

हमाचल प्रदे श 10%

बहार 1.3%

असम 14.1%

ओ डशा 20.1%
City Million City Mega City

1 Lakh 10 Lakh + 40 Lakh +

7935 Cities 53 Million Cities 9 Mega Cities


इस शब्द का सवर्थप्रथम प्रयोग आशीष बोस द्वारा 1980 के बीमारू राज्य
दशक में कया गया। (BIMARU
STATES)

यह बहार, मध्यप्रदे श, राजस्थान एवं उत्तरप्रदे श का


सं क्षप्त रूप है ।

बाद में इसमें ओ डशा को भी शा मल कर लया गया व


इसका नाम बीमारू बीमारू राज्य (BIMARU STATES) हो
गया।
अंडमान और नकोबार द्वीप समूह
10° उत्तरी अक्षांश के
उत्तर में िस्थत द्वीप
अंडमान द्वीपसमूह
कहलाते हैं जब क
10° उत्तरी अक्षांश के
द क्षण में िस्थत
द्वीप नकोबार द्वीप
समूह कहलाते हैं।
अंडमान एवं
नकोबार द्वीप
समूह अराकान
योमा का ही बंगाल
की खाड़ी में
वस्तार
अराकान योमा के जब हम द क्षण की ओर बढ़ते हैं तो द्वीपों का
न न ल खत क्रम प्राप्त होता है -
कोको द्वीप, उत्तरी अंडमान, मध्य अंडमान, द क्षणी अंडमान, ल टल
अंडमान, 10 Degree Channel, कार नकोबार, ग्रेट नकोबार
लक्षद्वीप
लक्षद्वीप एक
प्रवाल द्वीप है
लक्षद्वीप का सबसे
बड़ा द्वीप एंड्रोत
मन्नार की खाड़ी
की िस्थ त
त मलनाडु और
श्रीलंका के मध्य
चैनल

दो द्वीपों के बीच में जो संकरा क्षेत्र होता है उसे हम ‘चैनल’ कहते हैं।

10 डग्री चैनल ⇒ अंडमान और नकोबार के बीच ( ल टल अंडमान व कार


नकोबार के बीच)

9 डग्री चैनल ⇒ लक्षद्वीप और मनीकाय के बीच

8 डग्री चैनल ⇒ मनीकाय और मालद्वीप के बीच

कोको चैनल ⇒ अंडमान और यांमार के कोको द्वीप के बीच


भारत की न दयाँ
भारत की न दयाँ

हमालय की न दयाँ प्रायद्वीपीय भारत की न दयाँ


हमालय की न दयाँ

सन्धु नदी तंत्र गंगा नदी तंत्र ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र


सन्धु नदी
नदी उद्गम

सन्धु तब्बत के मानसरोवर झील के समीप चेमायुंगडु ग


ं ग्ले शयर से

सतलज तब्बत के मानसरोवर झील के समीप राक्षसताल से

झेलम ज मू-कश्मीर में बेरीनाग के समीप शेषनाग झील से

चनाब हमाचल प्रदे श में बारालाचाला दरर्वे के समीप से

रावी और व्यास
हमाचल प्रदे श के रोहतांग दरर्वे के समीप से
❖ सन्धु नदी के बाँये तट पर आकर मलने वाली पाँच
प्रमुख सहायक न दयों का क्रम ⇒ झेलम, चनाब,
रावी, व्यास, सतलज

❖ सन्धु नदी तंत्र में दो न दयाँ तब्बत की मानसरोवर


झील के पास से नकलती हैं ⇒ सन्धु व सतलज

❖ ज मू-कश्मीर से सन्धु नदी तंत्र की एकमात्र नदी


नकलती है ⇒ झेलम
❖ सन्धु नदी तंत्र की शेष तीन न दयाँ हमाचल प्रदे श से
नकलती हैं ⇒ चनाब, रावी, व्यास

❖ सन्धु नदी तंत्र की पाँच प्रमुख सहायक न दयों को


पंचनद कहते हैं।

❖ सन्धु नदी गल गट के समीप बहु त ही गहरे गाजर्थ का


नमार्थण करती है िजसे हम सन्धु गाजर्थ कहते हैं।
❖ यहीं से सन्धु नदी द क्षण में मुड़ती है तथा
पा कस्तान में प्रवेश कर जाती है ।

❖ झेलम नदी हमालय क्षेत्र में बहने वाली एकमात्र


नदी है जो वसपर्थण करती है ।

❖ व्यास नदी सन्धु नदी तंत्र की एकमात्र नदी है


जो पा कस्तान में नहीं जाती।
सन्धु नदी जल समझौता, 1960

❖ वश्व बैंक की मध्यस्थता

❖ रावी, व्यास और सतलज के 80 फीसदी जल का


इस्तेमाल भारत करे गा तथा 20 प्र तशत जल
का इस्तेमाल पा कस्तान करे गा।

❖ शेष न दयों के 80 फीसदी जल का इस्तेमाल


पा कस्तान जब क 20 फीसदी जल का
इस्तेमाल भारत करे गा।
हमालय से नकलने वाली गंगा की प्रमुख सहायक
न दयाँ ⇒ यमुना, रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक,
कोसी, महानंदा

प्रायद्वीपीय पठार से नकलने वाली गंगा की सहायक


न दयाँ ⇒ च बल, संध, बेतवा, केन, सोन, टोंस
गंगा में दाँये तट पर मलने वाली न दयाँ ⇒ यमुना,
चंबल, संध, बेतवा, केन, सोन, टोंस

गंगा में दाँये तट पर मलने वाली न दयाँ ⇒ रामगंगा,


गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी और महानंदा (पिश्चम से
पूवर्थ की ओर क्रम)
यमुना

❖ गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी

❖ यमुना का उद्गम स्थान ⇒ का लंद पवर्थत ⇒ यमुना


को का लंदजा अथवा का लंदी कहा जाता है

❖ यमुना उत्तराखंड में बंदरपुच्छ चोटी पर यमुनोत्री


ग्ले शयर से नकलती है और प्रयाग में गंगा नदी से
आकर मलती है ।
❖ यमुना नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे ल बी
नदी गोदावरी से छोटी है ।

❖ यमुना की प्रमुख सहायक न दयाँ ⇒ च बल,


सेंगर, छोटी सन्ध, बेतवा, केन

❖ यमुना गंगा की एकमात्र हमालयी सहायक नदी


है जो क दा हने तट पर गंगा से मलती है ।
उद्गम ⇒ वंध्य पवर्थतमाला के द क्षण में महू (MP) चंबल
नदी
उद्गम स्थल ⇒ जानापाव की पहाडी (MP)

प्राचीन नाम ⇒ चरमवाती

जल प्रपात ⇒ चूलीय जल प्रपात (कोटा)

प रयोजना ⇒ गांधी सागर, राणा सागर, जवाहर सागर,


कोटा वेराज
केवल यही दो न दयाँ प्रायद्वीपीय पठार से नकलकर
सीधे गंगा में अपना जल गराती हैं।
टोन्स और
सोन नदी
टोन्स नदी इलाहाबाद में गंगा नदी से मलती है ।

सोन मैकाल पहाड़ी पर अमरकंटक चोटी से नकलकर


पटना के पास गंगा नदी से मलती हैं
❖ च बल यमुना की सबसे बड़ी सहायक नदी

❖ चंबल, संध, बेतवा और केन चारों न दयाँ


प्रायद्वीपीय पठार के अंतगर्थत मालवा के पठार से
नकलती हैं।

❖ गोमती नदी गंगा की एकमात्र सहायक नदी है जो क


हमालय पवर्थत से न नकलकर मैदानी क्षेत्र से
नकलती है ।
❖ गंडक नदी को नेपाल में शा लग्राम या नारायणी
नदी भी कहते हैं।

❖ कोसी नदी जो क नेपाल से नकलकर बहार में गंगा


नदी से मलती है , को ' बहार का शोक' कहते हैं।
क्यों क कोसी नदी अपना रास्ता बदलने के लए
कुख्यात है ।

❖ महानंदा नदी का उद्गम पिश्चम बंगाल में


दािजर्थ लंग की पहा ड़यों से
ब्रह्मपुत्र
नदी तंत्र
उद्गम ⇒ तब्बत के पठार पर मानसरोवर झील के नकट से
ब्रह्मपुत्र
नामचाबरवा के समीप यूटनर्थ लेकर अरूणाचल प्रदे श में प्रवेश

अरूणाचल प्रदे श में ' दहं ग गाजर्थ' का नमार्थण

अरूणाचल प्रदे श में दो सहायक न दयाँ ⇒ दबांग और लो हत

असम में वश्व के सबसे बड़े नदी द्वीप माजुली का नमार्थण

माजुली भारत का एकमात्र नदी िजला


धुबरी के पास ब्रह्मपुत्र अचानक द क्षण की ओर मुड़कर
बांग्लादे श में प्रवेश कर जाती है , जहाँ ब्रह्मपुत्र को 'जमुना'
के नाम से जाना जाता है ।

सिक्कम के जेमू ग्ले शयर से नकलने वाली तस्ता नदी


बांग्लादे श में जमुना या न ब्रह्मपुत्र से मलती है ।
बांग्लादे श में जमुना पदमा नदी (गंगा) से मलती है
और दोनों की संयुक्त धारा 'पदमा' कहलाती है ।

जब म णपुर से नकलने वाली बराक या मेघना नदी


बांग्लादे श में पदमा से मलती है तो संयुक्त धारा को
'मेघना नदी' कहा जाता है ।
❖ ब्रह्मपुत्र नदी तीन दे शों से होकर गुजरती है ⇒ चीन,
भारत और बांग्लादे श

ब्रह्मपुत्र नदी को चार अलग-अलग नामों से जाना जाता है -

❖ तब्बत पठार ⇒ सांग्पो

❖ अरूणाचल प्रदे श ⇒ दहं ग

❖ असम घाटी ⇒ ब्रह्मपुत्र

❖ बांग्लादे श ⇒ जमुना
ब्रह्मपुत्र की सहायक न दयाँ ⇒ दबांग, लो हत,
धनश्री, सुबन सरी, िजयाभरे ली, पगला दया,
मानस, तस्ता और पथुमारी

Note ⇒ मानस नदी भूटान से नकलकर असम


में ब्रह्मपुत्र नदी से मलती है ।
द क्षण भारत की बंगाल की खाड़ी में गरने वाली न दयाँ
⇒ दामोदर, स्वणर्थरेखा, वैतरणी, ब्राह्मणी, महानदी,
गोदावरी, कृ ष्णा, पेन्नार, कावेरी, वैगाई, ताम्रपणर्ती (उत्तर
से द क्षण की ओर क्रम)

द क्षण भारत की अरब सागर में गरने वाली न दयाँ ⇒


लूनी, साबरमती, माही, नमर्थदा, तापी, माण्डवी, जुआरी,
श्रावती, गंगावेली, पे रयार, भरतपूझा (उत्तर से द क्षण
की ओर क्रम )
दामोदर

छोटा नागपुर पठार के बीचोबीच हु ग्ली नदी के माध्यम से अपना


भ्रंश घाटी में प्रवा हत जल बंगाल की खाड़ी में गराती है ।
झारखंड की राजधानी राँची के पास से नकलती है
स्वणर्थ रे खा
नदी

जलीय जीव-जंतु नहीं पाए जाते ⇒ जै वक मरूस्थल

जमशेदपुर इसी नदी के मुहाने


तीन न दयाँ छोटा नागपुर पठार से नकलती हैं

दामोदर स्वणर्थरेखा ब्राह्मणी


छत्तीसगढ़ के डण्डकारण्य पठार से नकलती है

ओ डशा में कटक के पास अपना डेल्टा बनाती है ।

छत्तीसगढ़ ⇒ महानदी घाटी ⇒ छत्तीसगढ़ बे सन ⇒ धान का कटोरा

ा न द ी
म ह
द क्षण भारत की सबसे ल बी नदी
गोदावरी
नदी
बूढ़ी गंगा’ भी कहते हैं।

पिश्चमी घाट पहाड़ी पर िस्थत ना सक के


त्रय बक नामक स्थान से नकलती है ।
गोदावरी नदी तीन राज्यों में प्रवा हत होती है

महाराष्ट्र तेलंगाना आन्ध्रप्रदे श


गोदावरी नदी राजमुं ी के पास अपना डेल्टा बनाती है ।

मंजीरा गोदावरी की एकमात्र सहायक नदी है जो द क्षण से बहकर आती है ।

वेनगंगा गोदावरी की सबसे ल बी सहायक नदी

वर ी
ो द ा

गोदावरी नदी की प्रमुख सहायक न दयाँ पें गंगा नदी, प्राण हता नदी, इं ावती
नदी, मंजीरा, सबरी नदी और मनेयर हैं।
द क्षण भारत की दूसरी सबसे ल बी नदी
कृ ष्णा नदी

महाराष्ट्र में पिश्चमी घाट पर महाबलेश्वर चोटी से

महाराष्ट्र, कनार्थटक, तेलंगाना और आंध्रप्रदे श में प्रवा हत

वजयवाड़ा के समीप अपना डेल्टा बनाती है ।


सहायक न दयाँ ⇒ तुंगभ ा, घाटप्रभा, दूधगंगा, पंचगंगा, भीमा, कोयना, मूसी

आंध्रप्रदे श तट पर कृ ष्णा & गोदावरी न दयों का डेल्टा आपस में मल गया है ।

इन्हीं डेल्टाओं के मध्य आंध्रप्रदे श तट पर कोलेरू झील

न द ी

कृष्ण
कनार्थटक में पिश्चमी घाट पर ब्रह्म गरी या पुष्प गरी चोटी से नकलती है

कनार्थटक और त मलनाडु में बहती है ।

द क्षण भारत की गंगा या द क्षण गंगा भी कहते है ।

वे र ी
का
त मलनाडु
कावेरी नदी
जल ववाद
कनार्थटक

केरल

आन्ध्रप्रदे श
कावेरी द क्षण भारत की एकमात्र नदी है िजसमें वषर्थभर जल की पयार्थप्त मात्रा

द क्षण भारत की शेष न दयाँ प्रायः द क्षणी-पिश्चमी मानसून से ही जल प्राप्त


करती हैं।
कावेरी नदी को वषार्थजल दो स्त्रोतों से प्राप्त होता है

द क्षणी-पिश्चमी मानसून उत्तरी-पूवर्ती मानसून


साबरमती ख भात की
खाड़ी में गरने
वाली न दयाँ
माही

नमर्थदा

तापी
नमर्थदा और तापी भ्रंश घा टयों का
नमर्थदा और तापी भ्रंश घाटी में ढ़ाल पिश्चम की ओर है जब क
प्रवा हत होती हैं। प्रायद्वीपीय पठार का सामान्य
ढ़ाल पूवर्थ की ओर है ।

नमर्थदा भ्रंश घाटी सतपुड़ा पहाड़ी के माही नदी ककर्थ रे खा को दो बार


उत्तर में जब क तापी भ्रंश घाटी काटती है और ख भात की खाड़ी
सतपुड़ा पहाड़ी के द क्षण में में गरती है ।
भारत के वनस्प त क्षेत्र
वनस्प त के प्रकार
उष्ण क टबंधीय उष्ण क टबंधीय कंटीले
सदाबहार वन वन तथा झा ड़याँ

वनस्प त के
प्रकार

उष्ण क टबंधीय पणर्थपाती


पवर्थतीय वन
वन

मैंग्रोव वन
1. उष्ण क टबंधीय वषार्थ वन

❖ वा षर्थक वषार्थ 300 से.मी. से अ धक तथा शुष्क ऋतु बहु त छोटी

❖ पिश्चमी घाट के द क्षणी भागों, केरल व कनार्थटक तथा अ धक आ र्थ उत्तर पूवर्ती
पहा ड़यों में

❖ अ धक सघनता ⇒ वा णिज्यक दोहन नहीं

❖ प्रमुख वृक्ष ⇒ महोगनी, सनकोना, बांस तथा ताड़, रबड़

❖ पेड़ों की लकड़ी अ धक कठोर व भारी

❖ पतझड़ होने का कोई निश्चत समय नहीं ⇒ अतः साल भर हरे -भरे
2. उष्ण क टबंधीय पणर्थपाती वन (मानसूनी वन)

● भारत में सबसे बड़े क्षेत्र में फैले

● 70-200 सेमी तक वषार्थ


● जल की उपलिब्ध के आधार पर इन वनों को आ र्थ तथा शुष्क पणर्थपाती वनों में वभािजत
कया जाता है ।

● इनमें से आ र्थ या नम पणर्थपाती वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ 100 सेमी से 200 सेमी.
तक वषार्थ होती है ।

● अतः ऐसे वन दे श के पूवर्ती भागों, उत्तरी-पूवर्ती राज्यों हमालय के ग रपद प्रदे शों झारखंड,
पिश्चमी उड़ीसा, छत्तीसगढ़ तथा पिश्चमी घाटों के पूवर्ती ढालों में पाए जाते हैं।
● सागोन इन वनों की सबसे प्रमुख प्रजा त है ।

● बाँस साल, शीशम चंदन, रवैर, कुसुम, अजुन


र्थ तथा शहतूत के वृक्ष व्यापा रक महत्त्व वाली
प्रजा तयाँ हैं।

● शुष्क पणर्थपाती वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ वषार्थ 70 सेमी से 100 से मी० के बीच
होती है ।

● ये वन प्रायद्वीपीय पठार के ऐसे वषार्थ वाले क्षेत्रों, उत्तर प्रदे श तथा बहार के मैदानों में पाए
जाते हैं।
● वस्तृत क्षेत्रों में प्रायः सागोन, साल, पीपल तथा नीम के वृक्ष उगते हैं।

● इन क्षेत्रों के बहु त बड़े भाग कृ ष कायर्थ में प्रयोग हे तु साफ कर लए गए हैं और कुछ भागों
में पशुचारण भी होता है ।

● इन जंगलों में पाए जाने वाले जानवर प्रायः संह, शेर, सूअर, हरण और हाथी हैं।

● व वध प्रकार के पक्षी, छपकली, साँप और कछुए भी यहाँ पाए जाते हैं।


कंटीले वन तथा झा ड़याँ
● िजन क्षेत्रों में 70 सेमी० से कम वषार्थ होती है , वहाँ प्राकृ तक वनस्प त में कंटीले वन तथा
झा ड़याँ पाई जाती हैं।

● इस प्रकार की वनस्प त दे श के उत्तरी-पिश्चमी भागों में पाई जाती है िजनमें गुजरात,


राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदे श, उत्तर प्रदे श तथा ह रयाणा के अधर्थ शुष्क क्षेत्र
सि म लत हैं।

● पवर्थतीय वन पवर्थतीय क्षेत्रों में तापमान की कमी तथा ऊँचाई के साथ-साथ प्राकृ तक
वनस्प त में भी अंतर दखाई दे ता है ।
● अका सया, खजूर (पाम), यूफोर बया तथा नागफनी (कैक्टाई) यहाँ की मुख्य पादप
प्रजा तयाँ हैं।

● इन वनों के वृक्ष बखरे हु ए होते हैं। इनकी जड़ें लंबी तथा जल की तलाश में चारों ओर
फैली होती हैं।

● प त्तयाँ प्रायः छोटी होती हैं िजनसे वाष्पीकरण कम से कम हो सके।

● शुष्क भागों में झा ड़याँ और कंटीले पादप पाए जाते हैं।

● इन जंगलों में प्रायः चूहे, खरगोश, लोमड़ी, भे ड़ए, शेर, संह, जंगली गधा, घोड़े तथा ऊँट
पाए जाते हैं।
पवर्थतीय वन

● पवर्थतीय क्षेत्रों में तापमान की कमी तथा


ऊँचाई के साथ-साथ प्राकृ तक वनस्प त में
भी अंतर दखाई दे ता है ।

● वनस्प त में िजस प्रकार का अंतर हम उष्ण


क टबंधीय प्रदे शों से टु ं ड्रा की ओर दे खते हैं
उसी प्रकार का अंतर पवर्थतीय भागों में ऊँचाई
के साथ-साथ दे खने को मलता है ।
● 1000 मी० से 2000 मी. तक की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में आ र्थ शीतोष्ण क टबंधीय वन पाए
जाते हैं।

● इनमें चौड़ी पत्ती वाले ओक तथा चेस्टनट जैसे वृक्षों की प्रधानता होती है ।

● 1500 से 3000 मी० की ऊँचाई के बीच शंकुधारी वृक्ष जैसे चीड़ (पाइन), दे वदार, सल्वर-
फर, स्यूस, सीडर आ द पाए जाते हैं।

● ये वन प्रायः हमालय की द क्षणी ढलानों, द क्षण और उत्तर-पूवर्थ भारत के अ धक ऊँचाई


वाले भागों में पाए जाते हैं।

● अ धक ऊँचाई पर प्रायः शीतोष्ण क टबंधीय घास के मैदान पाए जाते हैं।


● प्रायः 3600 मी० से अ धक ऊँचाई पर शीतोष्ण क टबंधीय वनों तथा घास के मैदानों का
स्थान अल्पाइन वनस्प त ले लेती है ।

● सल्वर-फर, जू नपर, पाइन व बचर्थ इन वनों के मुख्य वृक्ष हैं।

● जैसे-जैसे हमरे खा के नकट पहु ँचते हैं इन वृक्षों के आकार छोटे होते जाते हैं।

● अंततः झा डयों के रूप के बाद वे अल्पाइन घास के मैदानों में वलीन हो जाते हैं।

● इनका उपयोग गुज्जर तथा बक्करवाल जैसी घुमक्कड़ जा तयों द्वारा पशुचारण के लए
कया जाता है ।
● अ धक ऊँचाई वाले भागों में मॉस, लचन घास टु ं ड्रा वनस्प त का एक भाग है ।

● इन वनों में प्रायः कश्मीरी महामृग, चतरा हरण, जंगली भेड़, खरगोश, तब्बतीय
बारह संघा, याक, हम तें दआ
ु , गलहरी, रीछ, आइबैक्स, कहीं-कहीं लाल पांडा, घने बालों
वाली भेड़ तथा बक रयाँ पाई जाती हैं।
मैंग्रोव वन

● यह वनस्प त तटवतर्तीय क्षेत्रों में जहाँ ज्वार-भाटा


आते हैं, की सबसे महत्त्वपूणर्थ वनस्प त है ।

● मट्टी और बालू इन तटों पर एक त्रत हो जाती है ।

● घने मैंग्रोव एक प्रकार की वनस्प त है िजसमें पौधों


की जड़ें पानी में डू बी रहती हैं।

● गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, गोदावरी, कृ ष्णा तथा


कावेरी न दयों के डेल्टा भाग में यह वनस्प त
मलती है ।
● न दयों के डेल्टा भाग में यह वनस्प त मलती है ।

● गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा में सुंदरी वृक्ष पाए जाते हैं


िजनसे मजबूत लकड़ी प्राप्त होती है ।

● ना रयल, ताड़, क्योड़ा व ऐंगार के वृक्ष भी इन भागों


में पाए जाते हैं।

● इस क्षेत्र का रॉयल बंगाल टाइगर प्र सद्ध जानवर है ।

● इसके अ त रक्त कछुए. मगरमच्छ, घ ड़याल एवं


कई प्रकार के साँप भी इन जंगलों में मलते हैं।
भारत वन िस्थ त रपोटर्थ , 2019
❖ वषर्थ 2019 में पयार्थवरण वन और जलवायु प रवतर्थन मंत्रालय के अधीन
एक संगठन भारतीय वन सवर्वेक्षण (Forest Survey of India) द्वारा
भारत वन िस्थ त रपोटर्थ -2019 जारी की की गई।

❖ 1987 से भारतीय वन िस्थ त रपोटर्थ को द् ववा षर्थक रूप से ‘भारतीय


वन सवर्वेक्षण’ द्वारा प्रका शत कया जाता है ।

❖ यह इस श्रेणी की 16वीं रपोटर्थ है ।


❖ इस रपोटर्थ में वन एवं वन संसाधनों के आकलन के लये भारतीय
दूरसंवेदी उपग्रह रसोसर्थ सेट-2 से प्राप्त आँकड़ों का प्रयोग कया गया है

❖ रपोटर्थ में सटीकता लाने के लये आँकड़ों की जाँच हे तु वैज्ञा नक पद्ध त


अपनाई गई है ।
सवार्थ धक वनावरण प्र तशत वाले राज्य
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