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प्राचीन भारत
ससिंधु घाटी सभ्यता
महत्वपर्
ू ण स्थल
शहर नदी पुरातात्त्वक महत्व
मोहनजोदड़ो ससिंधु ववशाल अनाज भिंडार, ववशाल स्नानागार, पशुपर्त महादे व की मूर्तण, दाढी वाले आदमी की
छवव, और महहला नत्ृ यािंगना की कािंसे की प्रर्तमा
लोथल भोगवा बिंदरगाह शहर, दोहरी कब्रगाह, टे रीकोटा से बनी घोड़े की मूर्तण
कासलिंबगन घग्गर
बौद्ध धमण
गौतम बुद्ध और बौद्ध धमण (563 ईसा पूवण - 483 ईसा पूव)ण
बद्
ु ध के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएिं
महासभर्नष्क्रमर् घोड़ा
बौद्ध पररषद
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तीसरी पररषद – पाहटलपुि अशोक मोगसलपुत्त र्तस्स असभधम्म वपटक की स्थापना की।
– 250 ईसापूवण
चौथी पररषद – कश्मीर – कर्नष्क्क वसुसमि बौद्ध धमण महायान और हीनयान शािा में बिंट गया।
72 ईस्वीिं
जैन धमण
महावीर (599 ईसापूवण - 527 ईसापूवण)
जैन धमण के पािंच मिंि
• अिंहहसा – हहिंसा से घर्
ृ ा
• सत्य – झठ
ू न बोलना
• अस्तेय – चोरी नहीिं करना
• अपररग्रह – सिंपवत्त न रिना
• ब्रह्मचयण – काम भावना से दरू ी
तीन मुख्य ससद्धािंत
• अहहिंसा
• अनेकािंतवाद
• अपररग्रह
जैनधमण के बिरत्न
• सही ववश्वास – सम्यक श्रद्
ृ धा
• सही ज्ञान – सम्यक ज्ञान
• सही आचरर् – सम्यक कमण
शािा
• श्वेतािंबर – स्थूलभद्र – जो श्वेत वस्ि पहनते हैं।
• हदगिंबर – भद्रबाहू – ये र्नवस्ि रहते हैं।
वैहदक ग्रिंथ
1. ऋगवेद
• ऋचाओँ का सिंग्रह
• सबसे प्राचीन वेद
• प्रससद्ध गायिी मिंि इसमें सकिंसलत है ।
2. सामवेद
• ऋगवेद में सिंकसलत ऋचाओिं का लयबद्ध उच्चारर्
• मिंि़ों की पस्
ु तक
3. यजुवेद
• बसलदान प्राथणनाओिं का सिंग्रह
• यज्ञ़ों के अनष्क्ु ठान
4. अथवणवेद
• जाद-ू टोना के सलए मिंि
5. उपर्नषद्
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महत्वपूर्ण राजविंश
1. हरण्यक राजविंश (544 ईसा पव
ू -ण 412 ईसा पूव)ण
• बबिंबसार, अजातशिु और उदार्यन
2. सशशुनाग राजविंश (412 ईसा पूवण - 342 ईसा पूव)ण
• सशशुनाग और कालाशोक
3. निंद राजविंश (344 ईसा पूवण - 323 ईसा पूव)ण
4. मौयण राजविंश (322- 185 ईसा पूव)ण
(A) चिंद्रगप्ु त मौयण (322 - 297 ईसा पव
ू )ण
(B) बबिंदस
ु ार (298 - 273 ईसा पूव)ण
• ग्रीक वासी इसे असमिघात के रूप में जानते थे। इसने अजववका सिंप्रदाय को सिंरक्षर् हदया था।
(C) अशोक (269 - 232 ईसा पूव)ण
• इसे 'दे वनामवप्रय वप्रयदशी' के रूप में जाना जाता था त्जसका अथण भगवान का वप्रय है ।
• अशोक ने 261 ईसा पूवण में कसलिंग युद्ध लड़ा। कसलिंग आधुर्नक उड़ीसा में है ।
• अशोक के सशलालेि जेम्स वप्रिंसेप द्वारा पढे गए गए थे।
• अशोक ने 40 वषों तक शासन ककया और 232 ईसा पूवण में उसकी मत्ृ यु हो गई।
(D) उत्तर मौयण
5. शिंुग राजविंश (185 ईसा पव
ू ण - 73 ईसा पव
ू )ण
6. कण्व राजविंश (73 ईसा पूवण - 28 ईसा पूव)ण
7. सातवाहन राजविंश (60 ईसा पव
ू ण - 225 ईस्वीिं)
8. गुप्त काल (319 – 540 ईस्वीिं)
• सिंस्थापक- श्री गुप्त
(A) चिंद्रगुप्त प्रथम (319-334 ईस्वीिं)
• यह गप्ु त राजविंश का पहला महान शासक था।
• इसने महाराजाधधराज की उपाधध ग्रहर् की थी।
• 319-20 ईस्वीिं में गुप्त सिंवत शुरू ककया था।
• शुद्ध सोने के ससतके हदनार जारी ककए गए थे।
(B) समुद्रगुप्त (335-380 ईस्वीिं)
• समद्र
ु गप्ु त को भारत का नेपोसलयन कहा जाता है ।
(C) चिंद्रगुप्त द्ववतीय (380-412 ईस्वीिं)
• इसने ववरमाहदत्य की उपाधध धारर् की थी।
• चीनी तीथणयािी फाह्यान (399-414 ईस्वी) इसके शासनकाल के दौरान भारत आया था।
(D) कुमारगुप्त - प्रथम (413 - 455 ईस्वीिं)
• इसने महें द्राहदत्य की उपाधध ग्रहर् की थी।
• इसने नालिंदा ववश्वववद्यालय (प्रससद्ध प्राचीन ववश्वववद्यालय) की स्थापना की थी।
(E) स्किंदगप्ु त (455 - 467 ईस्वीिं)
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सिंगम काल
• सिंगम काल प्राचीन भारत के तसमलनाडु में तीसरी शताददी ईसापव
ू ण से तीसरी शताददी ईस्वीिं के मध्य का काल है ।
तीन प्रारिं सभक राज्य
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पल्लव
• पल्लव राजविंश की राजधानी कािंची थी।
• कािंची में प्रससद्ध कैलाशनाथ मिंहदर नरससम्हावमणन द्ववतीय ने बनवाया था।
मध्यकालीन भारत
उत्तरी भारत – तीन साम्राज्य का काल (8 से 10 शताददी)
पाल
• इन्ह़ोंने पूवी भारत पर शासन ककया।
• इसकी स्थापना गोपाल ने की थी।
• ये बौद्ध धमण के अनुयायी थे।
• धमणपाल ने ववरमसशला ववश्वववद्यालय की स्थापना की थी।
प्रर्तहार
• इन्ह़ोंने पत्श्चमी भारत और ऊपरी गिंगा के मैदान पर शासन ककया था।
राष्क्रकूट
• इन्ह़ोंने दतकन और उत्तरी और दक्षक्षर्ी भारत के ववशेष क्षेि़ों में शासन ककया था।
• इस विंश की स्थापना दिं र्तदग
ु ण ने की थी।
• कृष्क्र् प्रथम ने एलोरा में चट्टान को काटकर सशव मिंहदर बनाया था।
चोल साम्राज्य
• इस साम्राज्य की स्थापना ववजयालय (पल्लव़ों के सामिंत) ने 850 ईस्वीिं में की थी।
• राजराज (985 – 1014) और राजेन्द्र प्रथम (1014 – 1044) महान चोल राजा थे।
• राजेन्द्र प्रथम ने गिंगैक़ोंड चोल (गिंगा का चोल शासक) की उपाधध ग्रहर् की थी।
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हदल्ली सल्तनत
गुलाम विंश (1206-1290)
1206 - कुतब
ु द्दीन ऐबक • इसने हदल्ली में कुवुत-उल-इस्लाम मत्स्जद और अजमेर में अढाई हदन का झोपड़ा
1210
का र्नमाणर् कराया था।
• इसने प्रससद्ध सूफी सिंत ख्वाजा कुतुबद्दीन बत्ख्तयार काकी के सम्मान में कुतुब
मीनार की नीिंव भी रिी थी।
1210 – इल्तुतसमश • इसने हदल्ली की मिंगोल चिंगेज िािं के आरमर् से रक्षा की थी।
1236
• इसने चहलगामी प्रथा – 40 अमीऱों के समूह की स्थापना की।
• इसने कुतुबमीनार के र्नमाणर् को पूरा कराया।
1266 – बलबन का काल • इसने शत्ततशाली सेना के सलए सैन्य ववभाग (दीवान-ए-अजण) की स्थापना की थी।
1287
• इसने कानून व्यवस्था बनाए रिने के सलए लौह और रतत की नीर्त का पालन
ककया था।
• इसने फारसी ररवाज़ पर आधाररत सजदा और पैबोस प्रथा को लागू ककया।
खिजली विंश
1296 – अलाउद्दीन खिलजी • इसने दाग – घोड़़ों पर र्नशान लगाने और चेहरा – सैर्नक़ों का हुसलया
1316
सलिने की परिं परा को शुरू ककया।
• इसने अलाई ककला और अलाई दरवाजा (कुतब
ु मीनार का प्रवेश द्वार) का
र्नमाणर् कराया था।
• अमीर िुसरो अलाउद्दीन के दरबारी कवव थे।
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मुहम्मद-बबन तुगलक 1325-1351 • इसने पािंच महत्वाकािंक्षी पररयोजनाओिं को लागू करवाया त्जसने इसको चचाण
में ला हदया।
a) दोआब में कर (1326)
b) राजधानी स्थानािंतरर् (1327)
c) टोकन मुद्रा की शुरूआत (1329)
d) िुरासान आरमर् (1329)
e) कराची आरमर् (1330)
कफरोजशाह तुगलक 1351-1388 • इसने दीवान-ए-िैरात (गरीब और जरूरतमिंद़ों के सलए ववभाग) और दीवान-ए-
बिंदगान (गुलाम़ों के सलए ववभाग) की स्थापना की थी।
कफरोजशाह तग
ु लक 1388-1414 • तैमरू आरमर् : (1398-99)
के बाद
मब
ु ारक शाह 1421-1434 -
ससकिंदर लोदी 1489-1517 • इसने राजधानी को हदल्ली से आगरा स्थानािंतररत ककया और आगरा शहर की
स्थापना की।
इब्राहहम लोदी 1517-26 • यह लोदी विंश का अिंर्तम शासक और हदल्ली का अिंर्तम सुल्तान था।
• बाबर ने 1526 ईस्वीिं में पानीपत के प्रथम यद्
ु ध में इब्राहहम लोदी को परात्जत
ककया था।
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मग
ु ल साम्राज्य
बाबर (1526 - 1530)
• िानवा (1527) की लड़ाई रार्ा सिंगा और बाबर के बीच लड़ी गई थी।
• बाबर ने तुज़ुक-ए-बाबरी की रचना की थी।
• तज़
ु कु -ए-बाबरी का फारसी भाषा में अनव
ु ाद अददरु रहीम िानिाना ने बाबरनामा नाम से ककया था।
हुमायूिं (1530 - 1540 और 1555 - 1556)
• हुमायूिं 29 हदसिंबर 1530 को 23 साल की उम्र में मुगल सम्राट बना था।
• सन ् 1539 में चौसा की लड़ाई में हुमायूिं पहली बार शेरशाह सूरी से परात्जत हुआ था।
• हुमायिंू की जीवनी हुमायिंन
ू ामा की रचना हुमायिंू की बहन गल
ु बदन बेगम ने की थी।
• पुराना ककला का र्नमाणर् हुमायूिं ने ककया था, लेककन इसका र्नमाणर् शेरशाह द्वारा पूरा ककया गया था।
• हुमायूिं का मकबरा (भारत में दोहरे गुिंबद वाली प्रथम इमारत) हदल्ली में त्स्थत है । इसका र्नमाणर् हाजी बेगम ने करवाया था।
शेर शाह सरू ी (सरु साम्राज्य)
• सन 1539 में चौसा के युद्ध में शेरिािं ने पहली बार हुमायुिं को परात्जत ककया और शेरशाह की उपाधध ग्रहर् की।
• शेरशाह ने शोरे गािंव से अटक (कलकत्ता से अमत
ृ सर) तक ग्रािंड रिं क रोड (जी.टी.रोड) का र्नमाणर् कराया।
अकबर (1556 - 1605)
• अकबर एक असशक्षक्षत व्यत्तत था, लेककन वह प्रख्यात ववद्वाऩों का सिंरक्षक था।
• अबुल फजल : अकबर के दरबार का इर्तहासकार था। इन्ह़ोंने अकबर के जीवनकायों पर आधाररत आइने-अकबरी और अकबर नामा
की रचना की थी।
• बीरबल : इनका असली नाम महे श दास था।
• राजा टोडरमल : राजा टोडरमल अकबर के ववत्त अथवा राजस्व मिंिी थे।
प्रशासन
• मनसबदारी प्रथा : इस प्रथा की शुरुआत एक ववशाल सेना के रिरिाव के सलए की गई थी। मनसब़ों को अमीऱों के बराबर दजाण
प्राप्त था। उन्हें जाट (व्यत्ततगत त्स्थर्त) और सवार (रिरिाव के सलए घुड़सवार) में बािंटा गया था।
• अकबर ने आगरा का ककला, लाहौर का ककला, इलाहाबाद का ककला, हुमायूिं का मकबरा और आगरा के पास फतेहपुर सीकरी का
र्नमाणर् कराया था।
• अकबर ने फतेहपुर सीकरी में इबादत िाने का र्नमाणर् ककया था त्जसमें वह चुर्निंदा धमणगुरूओिं और रहस्यवाहदय़ों को धासमणक और
आध्यात्त्मक चचाण के सलए आमिंबित करता था।
• अकबर ने गुजरात पर अपनी जीत की िुशी में सन ् 1601 में फतेहपुर सीकरी में बुलिंद दरवाजा बनवाया था।
जहािंगीर (1605 - 1627)
• इसने आगरा के ककले में न्याय की जिंजीर ‘जिंजीर-इल-अदाल’ की स्थापना की थी। जहािंगीर अपने सख्त प्रशासन के सलए जाना
जाता था।
• 1606 में जहािंगीर ने पािंचवें ससि गुरु, गुरु अजन
ुण दे व को मार डाला था, तय़ोंकक उन्ह़ोंने जहािंगीर के बेटे राजकुमार िुसरो की
उनके खिलाफ ववद्रोह करने में मदद की थी।
• 1609 में , जहािंगीर के दरबार में इिंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम का एक राजदत
ू ववसलयम हॉककन्स समलने आया था, वह व्यापार ररयायत
प्राप्त करने के सलए भारत आया था।
• जहािंगीर ने श्रीनगर में शालीमार और र्नशािंत गाडणन का र्नमाणर् ककया था।
• इसने लाहौर में मोती मत्स्जद और शाहदरा में अपने मकबरे का र्नमाणर् ककया था।
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सामात्जक-धासमणक सध
ु ार आिंदोलन
ब्रह्म समाज
• राजाराम मनोहर राय ने हहिंद ु धमण को शुद्ध करने और एकधमण का उपदे श दे ने के सलए कलकत्ता में 1828 में ब्रह्म समाज की
स्थापना की थी।
• 1815 में , उन्ह़ोंने आत्मीय सभा की स्थापना की।
• इसके बाद, उन्ह़ोंने अगस्त 1828 में ब्रह्म सभा की स्थापना की।
• राजा राममनोहर राय को लॉडण ववसलयम बैंहटक के साथ समलकर सती प्रथा को दिं डनीय अपराध बनाने में मदद करने के सलए सबसे
ज्यादा याद ककया जाता है ।
यिंग बिंग आिंदोलन
• हे नरी ववववयन डेरोत्जयो यिंग बिंग आिंदोलन के सिंस्थापक थे।
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आयण समाज
• आयण समाज की स्थापना स्वामी दयानिंद सरस्वती ने 1875 में बिंबई में की थी।
• इन्ह़ोंने सत्याथण प्रकाश नामक पुस्तक सलिी थी त्जसमें इनके ववचार सिंकसलत थे।
• प्रथम दयानन्द एिंगलो-वेहदक (DAV) स्कूल की स्थापना लाहौर में 1886 में हुई थी।
प्राथणना समाज
• प्राथणना समाज की स्थापना डॉ. आत्माराम पािंडुरिं ग द्वारा 1867 में बिंबई में की थी।
रामकृष्क्र् समशन
• इसकी स्थापना 1897 में हावड़ा में बेलूर में हुई थी।
धथयोसोकफकल सोसाइटी
• धथयोसोकफकल सोसाइटी की स्थापना 1875 में अमेररका में एक रूसी नागररक मैडम एच.पी. दलैवोत्सकी और अमेररकी कनणल हे नरी
स्टील ऑलकॉट द्वारा की गई थी।
• बाद में , 1893 में भारत में श्रीमती एनी बेसेंट भारत आयीिं और ऑकलॉट की मत्ृ यु के बाद सोसाइटी का नेतत्ृ व सिंभाला।
• श्रीमती एनी बेसेंट ने मदन मोहन मालवीय के साथ समलकर बनारस में सेंरल हहन्द ू स्कूल की स्थापना की जो बाद में बनारस
हहन्द ू ववश्वववद्यालय के रूप में ववकससत हुआ।
ज्योर्तबा फूले
• इन्ह़ोंने सन ् 1873 में जार्त प्रथा के ववरुद्ध लड़ने के सलए सत्यशोधक समाज की स्थापना की।
भारतीय (राष्क्रीय) सोशल कॉन्रेंस
• इसकी स्थापना महादे व गोवविंद रानाडे और रघुनाथ राव ने की थी।
भारतीय समाज के सेवक
• इसकी स्थापना गोपाल कृष्क्र् गोिले ने की थी।
इिंडडयन नेशनल कािंग्रेस (आई.एन.सी.) की स्थापना के पव
ू ण राजनैर्तक सिंगठन/सिंस्थाएिं
• बब्रहटश इिंडडया सोसाइटी (1839 – लिंदन) : ववसलयन एडम्स
• बॉम्बे एसोससएशन (1852 – बिंबई) : दादाभाई नौरोजी और हदनशा वाचा
• पूना सावणजर्नक सभा (1867 - पूना) : एम. जी. रानाडे, जी.वी. जोशी. और धचपलिंकर
• इिंडडयन सोसाइटी (1872 – लिंदन) : आनिंद मोहन बोस
• मद्रास महाजन सभा (1884 – मद्रास) : एम. वीरघावचायाण, जी. सुब्रमण्यम अय्यर और पी. आनिंद चारलू
.
भारतीय राष्क्रीय आिंदोलन (1885 – 1905)
भारतीय राष्क्रीय कािंग्रेस का उदय (1885)
• बब्रहटश सरकार में सेवार्नवत्त
ृ अधधकारी एलन ओतटोववयन ह्यम
ू ने एक अखिल भारतीय सिंगठन बनाने की पहल की।
• इस प्रकार, भारतीय राष्क्रीय कािंग्रेस की स्थापना हुई और इसका पहला सि 1885 में बम्बई में आयोत्जत हुआ।
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1919 अमत
ृ सर मोतीलाल नेहरू
1928 कलकत्ता मोतीलाल नेहरू (प्रथम अखिल भारतीय युवा कािंग्रेस का गठन)
1929 लाहौर जवाहर लाल नेहरू (पूर्ण स्वराज सिंकल्प पाररत हुआ)
1931 कराची वल्लभ भाई पटे ल (यहािं, मौसलक अधधकार सिंकल्प और राष्क्रीय आधथणक कायणरम पाररत
हुआ)
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1937 फैजपुर जवाहर लाल नेहरू (ककसी गािंव में प्रथम सि)
1938 हररपुरा सुभाष चन्द्र बोस (जवाहर लाल नेहरू के अधीन राष्क्रीय योजना ससमर्त की स्थापना हुई)
1939 बिपुरी सुभाष चन्द्र बोस को पुनः अध्यक्ष चुना गया लेककन गािंधी जी के ववरोध के कारर् त्यागपि
दे हदया (तय़ोंकक गािंधी जी ने डॉ.िं पट्टासभ ससतारमैया को समथणन हदया था)। इनके स्थान
पर राजेन्द्र प्रसाद को चुना गया।
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• 1929 में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में कािंग्रेस के लाहौर सि में पूर्ण स्वराज सिंकल्प पाररत ककया।
• इसके बाद, सरकार के नेहरू ररपोटण अस्वीकार करने के बाद कािंग्रेस ने सववनय अवज्ञा आिंदोलन शुरू करने की घोषर्ा की।
दािंडी माचण (1930)
• 12 माचण 1930 को गािंधी जी ने नमक कानून तोड़ने के सलए अपने 79 समथणक़ों के साथ समलकर प्रससद्ध दािंडी यािा शुरू की।
• 6 अप्रैल को नमक कानून तोड़कर सववनय अवज्ञा आिंदोलन की औपचाररक शुरूआत की।
गोलमेज सम्मेलन
प्रथम गोलमेज सम्मेलन (1930)
• यह लिंदन में 1930 में आयोत्जत हुआ था। कािंग्रेस ने इस सम्मेलन का बहहष्क्कार ककया था।
द्ववतीय गोलमेज सम्मेलन (1931)
• सरकार ने कािंग्रेस पाटी से प्रर्तबिंध हटा हदया और इसके नेताओिं को जेल से ररहा कर हदया।
• 8 माचण 1931 को गािंधी इरववन समझौते पर हस्ताक्षर ककया गया।
• समझौते के अनस
ु ार, महात्मा गािंधी ने सववनय अवज्ञा आिंदोलन को वापस ले सलया और द्ववतीय गोलमेज सम्मेलन में भाग सलया।
साम्प्रदार्यक पिंचाट
• साम्प्रदार्यक पिंचाट की घोषर्ा बब्रहटश प्रधानमिंिी, रै मसे मैकडोनाल्ड ने अगस्त, 1932 में की थी।
• साम्प्रदार्यक पिंचाट में वपछड़ी जार्तय़ों को अल्पसिंख्यक दजाण दे ने की घोषर्ा की गयी और उनके सलए अलग र्नवाणचक मिंडल थे।
पूना समझौता (1932)
• महात्मा गािंधी ने साम्प्रदार्यक पिंचाट के खिलाफ सत्याग्रह शुरू कर हदया और 20 ससतम्बर 1932 को येरवादा जेल से ही मत्ृ यु
तक अनशन करने की घोषर्ा की।
• आखिरकार, डॉ भीमराव अम्बेडकर और गािंधी जी के बीच एक समझौता हुआ।
• इस समझौते को पूना पैतट के नाम से जाना जाता है ।
तीसरा गोलमेज सम्मेलन (1932)
• कािंग्रेस ने इस सम्मेलन में भाग नहीिं सलया।
भारत सरकार अधधर्नयम (1935)
• शत्ततय़ों को तीन भाग़ों में बािंटा गया सिंघीय, प्रािंतीय और समवती।
• केन्द्र में द्वैध शासन प्रर्ाली की शुरुआत हुई।
• गवणनर जनरल और उसकी पररषद “सिंरक्षक्षत ववषय” का प्रशासन करते थे।
• प्रािंत़ों में द्वैध शासन प्रर्ाली का अिंत हुआ और प्रािंतीय स्वायत्ता की शुरुआत हुई।
अगस्त प्रस्ताव (1940)
• अगस्त प्रस्ताव में र्नहहत था –
i. भारत के सलए अधधराज्य दजे का लक्ष्य
ii. वायसराय की कायणकारी पररषद का ववस्तार और युद्ध के बाद सिंववधान सभा का गठन
iii. कािंग्रेस ने अगस्त प्रस्ताव को िाररज कर हदया।
व्यत्ततगत सत्याग्रह (1940-41)
• आचायण ववनोवा भावे सत्याग्रह करने वाले प्रथम व्यत्तत थे और उन्हें तीन महीने के सलए जेल जाना पड़ा था।
करप्स समशन (1942)
• बब्रहटश सरकार ने भारतीय़ों के साथ सहयोग बनाए रिने के अपने र्नरिं तर प्रयास़ों में 23 माचण 1942 को सर स्टे फोडण करप्स को
भारत भेजा।
• करप्स समशन के प्रमुि सुझाव थे :
भारत को अधधराज्य का दजाण
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अकबर का मकबरा आगरा (उत्तर प्रदे श) अकबर और उसका पुि जहािंगीरे 1613 ईस्वी
जिंतर मिंतर मथुरा (उत्तर प्रदे श) महाराजा सवाई जयससिंह II 1724-1738 ईस्वी
जिंतर मिंतर वारार्सी (उत्तर प्रदे श) महाराजा सवाई जयससिंह II 1724-1739 ईस्वी
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सेंट जॉजण ककला चेन्नई (तसमलनाडु) ईस्ट इिंडडया किंपनी 1644 ईस्वी
जिंतर मिंतर उज्जैन (मध्य प्रदे श) महाराजा सवाई जयससिंह II 1724-1737 ईस्वी
िज
ु राहो मिंहदर Mईस्वीhya Prईस्वीesh चिंदेल 950-1050 ईस्वी
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सािंची स्तप
ू सािंची (उत्तर प्रदे श) अशोक तीसरी शताददी ईसापव
ू ण
प्राचीन भारत
आग की िोज
2 समसलयन ईसा पूवण से 10,00 ईसा पूवण पाषार् काल
चूने पत्थर से बने औजाऱों का प्रयोग ककया
2 समसलयन ईसा पव
ू ण से 50,000 ईसा पव
ू ण पव
ू ण पाषार् काल
गया। इनके अवशेष छोटा नागपुर पठार और
50,000 ईसा पूवण से 40,000 ईसा पूवण मध्य पाषार् काल
कनूल
ण त्जले में प्राप्त हुए हैं।
40,000 ईसा पूवण से 10,000 ईसा पूवण अपर पाषार् काल
सशकारी और चरवाहे
10,000 ईसा पूवण से मध्य पाषार् काल
सूक्ष्मपाषार् औजाऱों का प्रयोग
अनाज उत्पादक
7000 ईसा पूवण नव पाषर् काल
पॉसलश उपकरऱ्ों का प्रयोग
पव
ू -ण हड़प्पा काल – 3000 ईसा पव
ू ण ताम्र यग
ु प्रथम धातु – तािंबे का प्रयोग
कािंस्ययग
ु ीन सभ्यता,
2500 ईसा पव
ू ण हड़प्पा काल
शहरी सभ्यता का ववकास
1500 ईसा पूव-ण 1000 ईसा पूवण पूव-ण वैहदक काल ऋगवैहदक काल
544 ईसा पूवण – 412 ईसा पूवण हरयण्क विंश बबम्बसार, अजातशिू और उदर्यन
412 ईसा पूवण – 342 ईसा पूवण सशशुनाग विंश सशशुनाग और कालाशोक
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326 ईसा पूवण मेसोडोर्नयाई आरमर् ग्रीक और भारत के मध्य सीधा सिंपकण
322 ईसा पव
ू ण – 185 ईसा पव
ू ण मौयण काल
322 ईसा पूवण – 298 ईसा पूवण चिंद्रगुप्त मौयण भारत का राजनैर्तक एकीकरर्, अशोक की
298 ईसा पूवण – 273 ईसा पूवण बबिंदस
ु ार धम्म नीर्त, कला और वास्तुसशल्प का
273 ईसा पूवण – 232 ईसा पूवण अशोक ववकास
232 ईसा पूवण – 185 ईसा पूवण उत्तरवती मौयण
2 ईसा पूवण इिंडो-यूनानी समनािंडर (165 ईसा पूवण -145 ईसा पूव)ण
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575 - 897 ईसवी कािंची के पल्लव द्रववड़ शैली में मिंहदर र्नमाणर् की शुरूआत
मध्यकालीन भारत
पथ्
ृ वीराज और मुहम्मद गोरी के मध्य
1178 – 1192 ईसवी पथ्
ृ वीराज चौहान 1191 में तराइन का प्रथम युद्ध
1192, तराइन का द्ववतीय युद्ध
खिलजी विंश
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तग
ु लक विंश
ववजयनगर राज्य
बहमनी राज्य
1347 – 1358 ईसवी अलाउद्दीन हसन बहमन शाह गुलबगाण में बहमनी साम्राज्य की स्थापना की
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मग
ु ल साम्राज्य
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आिंग्ल-मराठा युद्ध
आधुर्नक भारत
बिंगाल
मैसरू
1761 – 1782 ईसवी है दर अली आधुर्नक मैसूर राज्य की स्थापना
पिंजाब
1848 – 1849 ईसवी द्ववतीय आिंग्ल-ससति युद्ध डलहौजी ने पिंजाब का ववलय ककया
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कनाणटक यद्
ु ध
1758-63 तत
ृ ीय आिंग्ल-रािंस युद्ध पेररस की सिंधध
स्वतिंिता सिंघषण
INC का कलकत्ता सि
1906 स्वराज को लक्ष्य बनाया गया
(INC: भारतीय राष्क्रीय कािंग्रेस)
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गािंधी काल
दािंडी यािा
गािंधी-इरववन समझौता
1930 -34 नागररक अवज्ञा आिंदोलन
द्ववतीय गोलमेज सम्मेलन और सववनय
अवज्ञा आिंदोलन कफर से चालू हुआ
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गािंधी जी ने दस
ू रे गोलमेज सम्मेलन में भाग
1931 गािंधी-इरववन समझौता
सलया
लिंदन में दस
ू रा गोलमेज सम्मेलन आयोत्जत
1931
हुआ
1945 आई.एन.ए मक
ु दमा
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