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प्राचीन भारत
ससिंधु घाटी सभ्यता
महत्वपर्
ू ण स्थल
शहर नदी पुरातात्त्वक महत्व

हड़प्पा रावी एक पिंत्तत में 6 अनाज भिंडार, दे वी की मर्ू तण

मोहनजोदड़ो ससिंधु ववशाल अनाज भिंडार, ववशाल स्नानागार, पशुपर्त महादे व की मूर्तण, दाढी वाले आदमी की
छवव, और महहला नत्ृ यािंगना की कािंसे की प्रर्तमा

लोथल भोगवा बिंदरगाह शहर, दोहरी कब्रगाह, टे रीकोटा से बनी घोड़े की मूर्तण

चािंदहूदड़़ों ससिंधु बबना ककले के शहर

धोलाववरा ससिंधु 3 भाग़ों में बिंटा शहर

कासलिंबगन घग्गर

बौद्ध धमण
गौतम बुद्ध और बौद्ध धमण (563 ईसा पूवण - 483 ईसा पूव)ण
बद्
ु ध के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएिं

घटना स्थान प्रतीक

जन्म लुिंबबनी कमल और बैल

महासभर्नष्क्रमर् घोड़ा

र्नवाणर् बोधगया बोधधवक्ष


धमणचर पररवतणन सारनाथ चर

महापररर्नवाणर् कुशीनगर स्तप


• मध्य मागण – ववलाससता और सन्यास की अधधकता से बचने के सलए


• बिरत्न – बुद्ध, धमण और सिंघ

बौद्ध पररषद

राजा अध्यक्ष महत्वपूर्ण बबिंद ु


प्रथम पररषद् – राजगह
ृ अजातशिु महाकश्यप बौद्ध धमण के वतणमान उपदे श़ों सिंकलन ककया गया था और
400 ईसापूवण उन्हें मौखिक उच्चारर् के द्वारा सिंरक्षक्षत ककया गया।
द्ववतीय पररषद् – वैशाली – कालाशोक सबाकामी पहली घटना घटी त्जसमें महासिंर्घका ववद्यालय को
383 ईसापूवण सथववरावाहदन और धथरावाहदन िुलने का मागण समला।

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तीसरी पररषद – पाहटलपुि अशोक मोगसलपुत्त र्तस्स असभधम्म वपटक की स्थापना की।
– 250 ईसापूवण
चौथी पररषद – कश्मीर – कर्नष्क्क वसुसमि बौद्ध धमण महायान और हीनयान शािा में बिंट गया।
72 ईस्वीिं

जैन धमण
महावीर (599 ईसापूवण - 527 ईसापूवण)
जैन धमण के पािंच मिंि
• अिंहहसा – हहिंसा से घर्
ृ ा
• सत्य – झठ
ू न बोलना
• अस्तेय – चोरी नहीिं करना
• अपररग्रह – सिंपवत्त न रिना
• ब्रह्मचयण – काम भावना से दरू ी
तीन मुख्य ससद्धािंत
• अहहिंसा
• अनेकािंतवाद
• अपररग्रह
जैनधमण के बिरत्न
• सही ववश्वास – सम्यक श्रद्
ृ धा
• सही ज्ञान – सम्यक ज्ञान
• सही आचरर् – सम्यक कमण
शािा
• श्वेतािंबर – स्थूलभद्र – जो श्वेत वस्ि पहनते हैं।
• हदगिंबर – भद्रबाहू – ये र्नवस्ि रहते हैं।

वैहदक ग्रिंथ
1. ऋगवेद
• ऋचाओँ का सिंग्रह
• सबसे प्राचीन वेद
• प्रससद्ध गायिी मिंि इसमें सकिंसलत है ।
2. सामवेद
• ऋगवेद में सिंकसलत ऋचाओिं का लयबद्ध उच्चारर्
• मिंि़ों की पस्
ु तक
3. यजुवेद
• बसलदान प्राथणनाओिं का सिंग्रह
• यज्ञ़ों के अनष्क्ु ठान
4. अथवणवेद
• जाद-ू टोना के सलए मिंि
5. उपर्नषद्

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• इसका शात्ददक अथण अपने गुरु के समीप बैठकर ज्ञानाजणन करना है ।


• आदशण वातय “सत्यमेव जयते” को मिंडोकोपर्नषद् से सलया गया है ।

महत्वपूर्ण राजविंश
1. हरण्यक राजविंश (544 ईसा पव
ू -ण 412 ईसा पूव)ण
• बबिंबसार, अजातशिु और उदार्यन
2. सशशुनाग राजविंश (412 ईसा पूवण - 342 ईसा पूव)ण
• सशशुनाग और कालाशोक
3. निंद राजविंश (344 ईसा पूवण - 323 ईसा पूव)ण
4. मौयण राजविंश (322- 185 ईसा पूव)ण
(A) चिंद्रगप्ु त मौयण (322 - 297 ईसा पव
ू )ण
(B) बबिंदस
ु ार (298 - 273 ईसा पूव)ण
• ग्रीक वासी इसे असमिघात के रूप में जानते थे। इसने अजववका सिंप्रदाय को सिंरक्षर् हदया था।
(C) अशोक (269 - 232 ईसा पूव)ण
• इसे 'दे वनामवप्रय वप्रयदशी' के रूप में जाना जाता था त्जसका अथण भगवान का वप्रय है ।
• अशोक ने 261 ईसा पूवण में कसलिंग युद्ध लड़ा। कसलिंग आधुर्नक उड़ीसा में है ।
• अशोक के सशलालेि जेम्स वप्रिंसेप द्वारा पढे गए गए थे।
• अशोक ने 40 वषों तक शासन ककया और 232 ईसा पूवण में उसकी मत्ृ यु हो गई।
(D) उत्तर मौयण
5. शिंुग राजविंश (185 ईसा पव
ू ण - 73 ईसा पव
ू )ण
6. कण्व राजविंश (73 ईसा पूवण - 28 ईसा पूव)ण
7. सातवाहन राजविंश (60 ईसा पव
ू ण - 225 ईस्वीिं)
8. गुप्त काल (319 – 540 ईस्वीिं)
• सिंस्थापक- श्री गुप्त
(A) चिंद्रगुप्त प्रथम (319-334 ईस्वीिं)
• यह गप्ु त राजविंश का पहला महान शासक था।
• इसने महाराजाधधराज की उपाधध ग्रहर् की थी।
• 319-20 ईस्वीिं में गुप्त सिंवत शुरू ककया था।
• शुद्ध सोने के ससतके हदनार जारी ककए गए थे।
(B) समुद्रगुप्त (335-380 ईस्वीिं)
• समद्र
ु गप्ु त को भारत का नेपोसलयन कहा जाता है ।
(C) चिंद्रगुप्त द्ववतीय (380-412 ईस्वीिं)
• इसने ववरमाहदत्य की उपाधध धारर् की थी।
• चीनी तीथणयािी फाह्यान (399-414 ईस्वी) इसके शासनकाल के दौरान भारत आया था।
(D) कुमारगुप्त - प्रथम (413 - 455 ईस्वीिं)
• इसने महें द्राहदत्य की उपाधध ग्रहर् की थी।
• इसने नालिंदा ववश्वववद्यालय (प्रससद्ध प्राचीन ववश्वववद्यालय) की स्थापना की थी।
(E) स्किंदगप्ु त (455 - 467 ईस्वीिं)

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• सुदशणन झील का पुनरोद्धार करवाया था।

सिंगम काल
• सिंगम काल प्राचीन भारत के तसमलनाडु में तीसरी शताददी ईसापव
ू ण से तीसरी शताददी ईस्वीिं के मध्य का काल है ।
तीन प्रारिं सभक राज्य

राज्य राजधानी बिंदरगाह प्रतीक प्रससद्ध शासक

चेर विंत्ज – आधर्ु नक केरल मज


ु रु ी और ट़ोंडी तीर सेंगत्त
ु व ु न

चोल उरायुर और पुहर कावेरीपट्टनम/पुहर। बाघ कररकलन


इनके पास शत्ततशाली नौसेना थी।

पाण्डय मदरु ई कोरकाई और पलणकफसशिंग मछली नेदन


ु जेररयान

भारत में ववदे शी आरमर्


ईरानी आरमर् - 518 ईसा पूवण
• ईरानी शासक डेररयस ने 516 ईसा पूवण में उत्तर-पत्श्चमी भारत में हमला ककया और पिंजाब, ससिंधु के पत्श्चमी भाग और ससिंध पर कदजा
कर सलया।
ससकिंदर का आरमर्
• इसने डेररयस विंश के अिंर्तम राजा जरसेस को 333 ईसा पव
ू ण और 331 ईसा पव
ू ण में हराया था।
इिंडो-ग्रीक (हहन्द-यूनानी)
• समनेंडर (165-145 ईसा पूव)ण सबसे मशहूर शासक था त्जसका नागासेन ने बौद्ध धमण पररवतणन कराया था।
शक (1 ईसा पूवण - चौथा ईस्वीिं)
• शक या ससधथयन ने इिंडो-ग्रीक का स्थान सलया।
• ववरम सिंवत 57 ईसा पव
ू ण में शुरू हुआ जब उज्जैन के एक स्थानीय राजा ने शक़ों को िदे ड़ हदया और ववरमाहदत्य की उपाधध धारर्
की।
• रुद्रदामन प्रथम (130-150 ईस्वीिं) एक प्रससद्ध राजा था त्जसने पत्श्चमी भारत पर शासन ककया था।
पाधथणयन
• ये मूल रूप से ईरान र्नवासी थे और उत्तर-पत्श्चमी भारत में शक़ों का स्थान सलया।
कुषार्
• वे मध्य एसशया के घुमतकड़ लोग थे त्जन्ह़ोंने ओतसस से गिंगा तक शासन ककया था।
• कडकफसेस I और II ने 50 ईस्वीिं से 28 वषों तक शासन ककया।
• इसका स्थान कर्नष्क्क ने सलया था।
• कर्नष्क्क ने 78 ईस्वीिं में शक सिंवत की शुरुआत की।

चालुतय राजविंश और पल्लव राजविंश


चालत
ु य
• चालुतय विंश के सबसे प्रससद्ध राजा पुलकेसशन I का पुि पुलकेसशन II (610-642 ईस्वी) था।
• पल
ु केसशन II हषणवधणन के समकालीन था।
• उसने नमणदा नदी के तट पर हषणवधणन को हराया था।

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पल्लव
• पल्लव राजविंश की राजधानी कािंची थी।
• कािंची में प्रससद्ध कैलाशनाथ मिंहदर नरससम्हावमणन द्ववतीय ने बनवाया था।

मध्यकालीन भारत
उत्तरी भारत – तीन साम्राज्य का काल (8 से 10 शताददी)

पाल
• इन्ह़ोंने पूवी भारत पर शासन ककया।
• इसकी स्थापना गोपाल ने की थी।
• ये बौद्ध धमण के अनुयायी थे।
• धमणपाल ने ववरमसशला ववश्वववद्यालय की स्थापना की थी।

प्रर्तहार
• इन्ह़ोंने पत्श्चमी भारत और ऊपरी गिंगा के मैदान पर शासन ककया था।
राष्क्रकूट
• इन्ह़ोंने दतकन और उत्तरी और दक्षक्षर्ी भारत के ववशेष क्षेि़ों में शासन ककया था।
• इस विंश की स्थापना दिं र्तदग
ु ण ने की थी।
• कृष्क्र् प्रथम ने एलोरा में चट्टान को काटकर सशव मिंहदर बनाया था।
चोल साम्राज्य
• इस साम्राज्य की स्थापना ववजयालय (पल्लव़ों के सामिंत) ने 850 ईस्वीिं में की थी।
• राजराज (985 – 1014) और राजेन्द्र प्रथम (1014 – 1044) महान चोल राजा थे।
• राजेन्द्र प्रथम ने गिंगैक़ोंड चोल (गिंगा का चोल शासक) की उपाधध ग्रहर् की थी।

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हदल्ली सल्तनत
गुलाम विंश (1206-1290)

वषण शासक महत्वपूर्ण तथ्य

1206 - कुतब
ु द्दीन ऐबक • इसने हदल्ली में कुवुत-उल-इस्लाम मत्स्जद और अजमेर में अढाई हदन का झोपड़ा
1210
का र्नमाणर् कराया था।
• इसने प्रससद्ध सूफी सिंत ख्वाजा कुतुबद्दीन बत्ख्तयार काकी के सम्मान में कुतुब
मीनार की नीिंव भी रिी थी।

1210 – इल्तुतसमश • इसने हदल्ली की मिंगोल चिंगेज िािं के आरमर् से रक्षा की थी।
1236
• इसने चहलगामी प्रथा – 40 अमीऱों के समूह की स्थापना की।
• इसने कुतुबमीनार के र्नमाणर् को पूरा कराया।

1236 – रत्जया सल्


ु तान • भारत में शासन करने वाली पहली और एकमाि मत्ु स्लम महहला थी।
1240

1240- कमजोर शासक़ों


1266
का काल

1266 – बलबन का काल • इसने शत्ततशाली सेना के सलए सैन्य ववभाग (दीवान-ए-अजण) की स्थापना की थी।
1287
• इसने कानून व्यवस्था बनाए रिने के सलए लौह और रतत की नीर्त का पालन
ककया था।
• इसने फारसी ररवाज़ पर आधाररत सजदा और पैबोस प्रथा को लागू ककया।

खिजली विंश

वषण शासक महत्वपूर्ण तथ्य

1290 – जलालुद्दीन खिलजी


1296

1296 – अलाउद्दीन खिलजी • इसने दाग – घोड़़ों पर र्नशान लगाने और चेहरा – सैर्नक़ों का हुसलया
1316
सलिने की परिं परा को शुरू ककया।
• इसने अलाई ककला और अलाई दरवाजा (कुतब
ु मीनार का प्रवेश द्वार) का
र्नमाणर् कराया था।
• अमीर िुसरो अलाउद्दीन के दरबारी कवव थे।

1316 – मुबारक िािं


1320

1320 िुसरो िािं

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तुगलक विंश (1320-1412)

शासक शासन काल महत्वपूर्ण तथ्य

गयासुद्दीन तुगलक 1320-1325

मुहम्मद-बबन तुगलक 1325-1351 • इसने पािंच महत्वाकािंक्षी पररयोजनाओिं को लागू करवाया त्जसने इसको चचाण
में ला हदया।
a) दोआब में कर (1326)
b) राजधानी स्थानािंतरर् (1327)
c) टोकन मुद्रा की शुरूआत (1329)
d) िुरासान आरमर् (1329)
e) कराची आरमर् (1330)

कफरोजशाह तुगलक 1351-1388 • इसने दीवान-ए-िैरात (गरीब और जरूरतमिंद़ों के सलए ववभाग) और दीवान-ए-
बिंदगान (गुलाम़ों के सलए ववभाग) की स्थापना की थी।

कफरोजशाह तग
ु लक 1388-1414 • तैमरू आरमर् : (1398-99)
के बाद

सैय्यद विंश (1414 – 1450)

शासक शासनकाल महत्वपूर्ण तथ्य

खिज्र िािं 1414-1421 -

मब
ु ारक शाह 1421-1434 -

मुहम्मद शाह 1434-1443 -

आलम शाह 1443-1451 -

लोदी विंश (1451-1526 ईस्वीिं)

शासक शासन काल महत्वपूर्ण तथ्य

बहलोल लोदी 1451-88 • इसने लोदी विंश की स्थापना की थी।

ससकिंदर लोदी 1489-1517 • इसने राजधानी को हदल्ली से आगरा स्थानािंतररत ककया और आगरा शहर की
स्थापना की।

इब्राहहम लोदी 1517-26 • यह लोदी विंश का अिंर्तम शासक और हदल्ली का अिंर्तम सुल्तान था।
• बाबर ने 1526 ईस्वीिं में पानीपत के प्रथम यद्
ु ध में इब्राहहम लोदी को परात्जत
ककया था।

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मग
ु ल साम्राज्य
बाबर (1526 - 1530)
• िानवा (1527) की लड़ाई रार्ा सिंगा और बाबर के बीच लड़ी गई थी।
• बाबर ने तुज़ुक-ए-बाबरी की रचना की थी।
• तज़
ु कु -ए-बाबरी का फारसी भाषा में अनव
ु ाद अददरु रहीम िानिाना ने बाबरनामा नाम से ककया था।
हुमायूिं (1530 - 1540 और 1555 - 1556)
• हुमायूिं 29 हदसिंबर 1530 को 23 साल की उम्र में मुगल सम्राट बना था।
• सन ् 1539 में चौसा की लड़ाई में हुमायूिं पहली बार शेरशाह सूरी से परात्जत हुआ था।
• हुमायिंू की जीवनी हुमायिंन
ू ामा की रचना हुमायिंू की बहन गल
ु बदन बेगम ने की थी।
• पुराना ककला का र्नमाणर् हुमायूिं ने ककया था, लेककन इसका र्नमाणर् शेरशाह द्वारा पूरा ककया गया था।
• हुमायूिं का मकबरा (भारत में दोहरे गुिंबद वाली प्रथम इमारत) हदल्ली में त्स्थत है । इसका र्नमाणर् हाजी बेगम ने करवाया था।
शेर शाह सरू ी (सरु साम्राज्य)
• सन 1539 में चौसा के युद्ध में शेरिािं ने पहली बार हुमायुिं को परात्जत ककया और शेरशाह की उपाधध ग्रहर् की।
• शेरशाह ने शोरे गािंव से अटक (कलकत्ता से अमत
ृ सर) तक ग्रािंड रिं क रोड (जी.टी.रोड) का र्नमाणर् कराया।
अकबर (1556 - 1605)
• अकबर एक असशक्षक्षत व्यत्तत था, लेककन वह प्रख्यात ववद्वाऩों का सिंरक्षक था।
• अबुल फजल : अकबर के दरबार का इर्तहासकार था। इन्ह़ोंने अकबर के जीवनकायों पर आधाररत आइने-अकबरी और अकबर नामा
की रचना की थी।
• बीरबल : इनका असली नाम महे श दास था।
• राजा टोडरमल : राजा टोडरमल अकबर के ववत्त अथवा राजस्व मिंिी थे।

प्रशासन
• मनसबदारी प्रथा : इस प्रथा की शुरुआत एक ववशाल सेना के रिरिाव के सलए की गई थी। मनसब़ों को अमीऱों के बराबर दजाण
प्राप्त था। उन्हें जाट (व्यत्ततगत त्स्थर्त) और सवार (रिरिाव के सलए घुड़सवार) में बािंटा गया था।
• अकबर ने आगरा का ककला, लाहौर का ककला, इलाहाबाद का ककला, हुमायूिं का मकबरा और आगरा के पास फतेहपुर सीकरी का
र्नमाणर् कराया था।
• अकबर ने फतेहपुर सीकरी में इबादत िाने का र्नमाणर् ककया था त्जसमें वह चुर्निंदा धमणगुरूओिं और रहस्यवाहदय़ों को धासमणक और
आध्यात्त्मक चचाण के सलए आमिंबित करता था।
• अकबर ने गुजरात पर अपनी जीत की िुशी में सन ् 1601 में फतेहपुर सीकरी में बुलिंद दरवाजा बनवाया था।
जहािंगीर (1605 - 1627)
• इसने आगरा के ककले में न्याय की जिंजीर ‘जिंजीर-इल-अदाल’ की स्थापना की थी। जहािंगीर अपने सख्त प्रशासन के सलए जाना
जाता था।
• 1606 में जहािंगीर ने पािंचवें ससि गुरु, गुरु अजन
ुण दे व को मार डाला था, तय़ोंकक उन्ह़ोंने जहािंगीर के बेटे राजकुमार िुसरो की
उनके खिलाफ ववद्रोह करने में मदद की थी।
• 1609 में , जहािंगीर के दरबार में इिंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम का एक राजदत
ू ववसलयम हॉककन्स समलने आया था, वह व्यापार ररयायत
प्राप्त करने के सलए भारत आया था।
• जहािंगीर ने श्रीनगर में शालीमार और र्नशािंत गाडणन का र्नमाणर् ककया था।
• इसने लाहौर में मोती मत्स्जद और शाहदरा में अपने मकबरे का र्नमाणर् ककया था।

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शाहजहािं (1628 - 1658)


• 1631 में , इसने अपनी पत्नी की याद में ताजमहल का र्नमाणर् शुरू ककया और 1653 में पूरा ककया। इसके वास्तुकार एक तुकी /
फारसी उस्ताद इज़ा थे।
• 1638 में शाहजहािं ने हदल्ली में अपनी नई राजधानी शाहजहािंनाबाद बनाई और राजधानी को आगरा से यहािं स्थानािंतररत कर हदया।
• 1639 में , इसने अकबर द्वारा र्नसमणत आगरा ककले के मॉडल के आधार पर हदल्ली में लाल ककले का र्नमाणर् शुरू ककया।
• 1656 में शाहजहािं ने हदल्ली में जामा मत्स्जद का र्नमाणर् ककया।
• शाहजहािं के काल को मुगल साम्राज्य के स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है ।
• इसने मोर ससिंहासन या तख्त-ए-ताउस का र्नमाणर् भी करवाया था।
औरिं गजेब (1658 - 1707)
• यह आखिरी महान मुगल सम्राट था त्जसके बाद मुगल साम्राज्य का पतन शुरू हो गया था।
• औरिं गजेब को अपने साधारर् जीवन की वजह से 'त्जिंदा पीर' या जीववत सिंत के रूप में जाना जाता है ।
• 1675 में , इसने 9वें ससि गुरु, गुरु तेग बहादरु के इस्लाम को स्वीकार नहीिं करने के कारर् मरवा हदया था।
• 1679 में औरिं गजेब ने महाराष्क्र में औरिं गाबाद में अपनी एकमाि पत्नी रत्दबया-उद-दौरा का मकबरा बनवाया। इसे ‘बीबी का मकबरा’
के नाम से जाना जाता है ।
• लाल ककले में औरिं गजेब द्वारा र्नसमणत एकमाि इमारत मोती मत्स्जद है ।

उत्तरवती मुगल (1707 – 1857)

1857 का महान ववद्रोह


ववद्रोह के प्रससद्ध नेता
हदल्ली :- हदल्ली का नेतत्ृ व नाम के सलए बहादरु शाह के हाथ में था। लेककन असली शत्तत बख्त िािं के हाथ में थी त्जसनें बरे ली के सैर्नक़ों
के ववद्रोह का नेतत्ृ व ककया और उन्हें हदल्ली लाया।
कानपरु :- कानपरु में ववद्रोह की कमान नाना साहे ब के हाथ में थी और बब्रहटश़ों के खिलाफ उनके प्रयास़ों का समथणन उनके दो ससपाही
तात्या टोपे और अजीमुल्ला ने ककया था।
लिनऊ :- लिनऊ में ववद्रोह की प्रमि
ु नेता अवध की बेगम हजरत महल थीिं (त्जन्ह़ोंने अपने पि
ु को अवध का नबाव घोवषत ककया था)।
बबहार :- किंु वर ससिंह और अमर ससिंह (बबहार)।
झािंसी :- रानी लक्ष्मी बाई, गिंगाधर राव की ववधवा पत्नी ने इस रािंर्त में अमर योगदान हदया था।

सामात्जक-धासमणक सध
ु ार आिंदोलन
ब्रह्म समाज
• राजाराम मनोहर राय ने हहिंद ु धमण को शुद्ध करने और एकधमण का उपदे श दे ने के सलए कलकत्ता में 1828 में ब्रह्म समाज की
स्थापना की थी।
• 1815 में , उन्ह़ोंने आत्मीय सभा की स्थापना की।
• इसके बाद, उन्ह़ोंने अगस्त 1828 में ब्रह्म सभा की स्थापना की।
• राजा राममनोहर राय को लॉडण ववसलयम बैंहटक के साथ समलकर सती प्रथा को दिं डनीय अपराध बनाने में मदद करने के सलए सबसे
ज्यादा याद ककया जाता है ।
यिंग बिंग आिंदोलन
• हे नरी ववववयन डेरोत्जयो यिंग बिंग आिंदोलन के सिंस्थापक थे।

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आयण समाज
• आयण समाज की स्थापना स्वामी दयानिंद सरस्वती ने 1875 में बिंबई में की थी।
• इन्ह़ोंने सत्याथण प्रकाश नामक पुस्तक सलिी थी त्जसमें इनके ववचार सिंकसलत थे।
• प्रथम दयानन्द एिंगलो-वेहदक (DAV) स्कूल की स्थापना लाहौर में 1886 में हुई थी।
प्राथणना समाज
• प्राथणना समाज की स्थापना डॉ. आत्माराम पािंडुरिं ग द्वारा 1867 में बिंबई में की थी।
रामकृष्क्र् समशन
• इसकी स्थापना 1897 में हावड़ा में बेलूर में हुई थी।
धथयोसोकफकल सोसाइटी
• धथयोसोकफकल सोसाइटी की स्थापना 1875 में अमेररका में एक रूसी नागररक मैडम एच.पी. दलैवोत्सकी और अमेररकी कनणल हे नरी
स्टील ऑलकॉट द्वारा की गई थी।
• बाद में , 1893 में भारत में श्रीमती एनी बेसेंट भारत आयीिं और ऑकलॉट की मत्ृ यु के बाद सोसाइटी का नेतत्ृ व सिंभाला।
• श्रीमती एनी बेसेंट ने मदन मोहन मालवीय के साथ समलकर बनारस में सेंरल हहन्द ू स्कूल की स्थापना की जो बाद में बनारस
हहन्द ू ववश्वववद्यालय के रूप में ववकससत हुआ।
ज्योर्तबा फूले
• इन्ह़ोंने सन ् 1873 में जार्त प्रथा के ववरुद्ध लड़ने के सलए सत्यशोधक समाज की स्थापना की।
भारतीय (राष्क्रीय) सोशल कॉन्रेंस
• इसकी स्थापना महादे व गोवविंद रानाडे और रघुनाथ राव ने की थी।
भारतीय समाज के सेवक
• इसकी स्थापना गोपाल कृष्क्र् गोिले ने की थी।
इिंडडयन नेशनल कािंग्रेस (आई.एन.सी.) की स्थापना के पव
ू ण राजनैर्तक सिंगठन/सिंस्थाएिं
• बब्रहटश इिंडडया सोसाइटी (1839 – लिंदन) : ववसलयन एडम्स
• बॉम्बे एसोससएशन (1852 – बिंबई) : दादाभाई नौरोजी और हदनशा वाचा
• पूना सावणजर्नक सभा (1867 - पूना) : एम. जी. रानाडे, जी.वी. जोशी. और धचपलिंकर
• इिंडडयन सोसाइटी (1872 – लिंदन) : आनिंद मोहन बोस
• मद्रास महाजन सभा (1884 – मद्रास) : एम. वीरघावचायाण, जी. सुब्रमण्यम अय्यर और पी. आनिंद चारलू
.
भारतीय राष्क्रीय आिंदोलन (1885 – 1905)
भारतीय राष्क्रीय कािंग्रेस का उदय (1885)
• बब्रहटश सरकार में सेवार्नवत्त
ृ अधधकारी एलन ओतटोववयन ह्यम
ू ने एक अखिल भारतीय सिंगठन बनाने की पहल की।
• इस प्रकार, भारतीय राष्क्रीय कािंग्रेस की स्थापना हुई और इसका पहला सि 1885 में बम्बई में आयोत्जत हुआ।

भारतीय राष्क्रीय कािंग्रेस के महत्वपूर्ण सि


• पहला सि 28-31 हदसम्बर 1885 में मुिंबई में आयोत्जत हुआ था, इसमें 72 प्रर्तर्नधधय़ों ने भाग सलया था।
• महात्मा गािंधी ने 1924 में बेलगािंव अधधवेशन में आई.एन.सी. की अध्यक्षता की थी।
• आई.एन.सी. की अध्यक्षता करने वाली प्रथम महहला श्रीमती एनी बेसेंट थीिं।
• आई.एन.सी. की अध्यक्ष बनने वाली प्रथम भारतीय महहला श्रीमती सरोजनी नायडू थीिं।
• आई.एन.सी. के अध्यक्ष बनने वाले प्रथम मुत्स्लम व्यत्तत बदरुद्दीन तैय्यब जी थे।
• भारत की स्वतिंिता के समय भारतीय राष्क्रीय कािंग्रेस के अध्यक्ष आचायण जी.बी. कृपलानी थे।

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वषण स्थान अध्यक्ष

1885, 1882 बिंबई , इलाहबाद डबल्यू.सी. बनजी

1886 कलकत्ता दादाभाई नौरोजी

1893 लाहौर "

1906 कलकत्ता "

1887 मद्रास बदरुद्दीन तैयबजी (प्रथम मुत्स्लम अध्यक्ष)

1888 इलाहबाद जॉजण यूले (प्रथम बब्रहटश अध्यक्ष)

1889 बिंबई सर ववसलयन वेडरे बनण

1890 कलकत्ता सर कफरोज शाह मेहता

1895, 1902 पूना, अहमदाबाद एस. एन. बनजी

1905 बनारस जी. के. गोिले

1907, 1908 सूरत, मद्रास रासबबहारी घोष

1909 लाहौर मदन मोहन मालवीय

1916 लिनऊ ए.सी. मजूमदार (कािंग्रेस का पन


ु वण वलय)

1917 कलकत्ता एनी बेसेंट (प्रथम महहला अध्यक्ष)

1919 अमत
ृ सर मोतीलाल नेहरू

1920 कलकत्ता (ववशेष लाला लाजपत राय


अधधवेशन)

1921,1922 अहमदाबाद, गया सी. आर. दास

1923 हदल्ली (ववशेष अददल


ु कलाम आजाद (सबसे युवा अध्यक्ष)
अधधवेशने)

1924 बेलगािंव मोहनदास करमचिंद गािंधी

1925 कानपुर सरोजनी नायडू (प्रथम भारतीय महहला अध्यक्ष)

1928 कलकत्ता मोतीलाल नेहरू (प्रथम अखिल भारतीय युवा कािंग्रेस का गठन)

1929 लाहौर जवाहर लाल नेहरू (पूर्ण स्वराज सिंकल्प पाररत हुआ)

1931 कराची वल्लभ भाई पटे ल (यहािं, मौसलक अधधकार सिंकल्प और राष्क्रीय आधथणक कायणरम पाररत
हुआ)

1932, 1933 हदल्ली , कलकत्ता (सि प्रर्तबिंधधत ककया गया)

1934 बिंबई राजेन्द्र प्रसाद

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1936 लिनऊ जवाहर लाल नेहरू

1937 फैजपुर जवाहर लाल नेहरू (ककसी गािंव में प्रथम सि)

1938 हररपुरा सुभाष चन्द्र बोस (जवाहर लाल नेहरू के अधीन राष्क्रीय योजना ससमर्त की स्थापना हुई)

1939 बिपुरी सुभाष चन्द्र बोस को पुनः अध्यक्ष चुना गया लेककन गािंधी जी के ववरोध के कारर् त्यागपि
दे हदया (तय़ोंकक गािंधी जी ने डॉ.िं पट्टासभ ससतारमैया को समथणन हदया था)। इनके स्थान
पर राजेन्द्र प्रसाद को चुना गया।

1940 रामगढ अददल


ु कलाम आजाद

1946 मेरठ आचायण जे.बी. कृपलानी

1948 जयपुर डॉ. पट्टासभ ससतारमैया

भारतीय राष्क्रीय आिंदोलन (1905-1916)


• प्रमुि उग्रवादी नेता लाला लाजपत राय, बाल गिंगाधर र्तलक और बबवपन चन्द्र पाल और अरबबिंदो घोष थे।
बिंगाल का ववभाजन (1905)
• लाडण कजणन ने बिंगाल के ववभाजन की घोषर्ा की।
स्वदे शी आिंदोलन (1905)
• बिंगाल ववभाजन के ववरोध में ।
• इसके कारर् अिंग्रेज़ों को ववभाजन को वापस लेना पड़ा और उसे 1911 में जोड़ हदया।
मुत्स्लम लीग की स्थापना (1906)
• मह
ु म्मद अली त्जन्ना, आगा िािं III, ख्वाजा ससलमल्
ु लाह ने स्थापना की थी।
सूरत अधधवेशन (1907)
• 1907 में सूरत अधधवेशन में कािंग्रेस का दो गुट में ववभाजन हो गया :– उग्र दल और नरम दल।
माले-समिंटो सुधार (1909)
• मुत्स्लम़ों के सलए अलग र्नवाणचक मिंडल की मािंग।
बिंगाल ववभाजन की वापसी (1911)
भारत में गदर पाटी की स्थापना (1913)
• इसकी स्थापना लाला हरदयाल, तारकनाथ दास और सोहन ससिंह भािना ने की थी।
• इसकी मुख्यालय सेन रािंससस्क़ों में था।
कोमागाता मारू घटना (1914)
• कोमागाता मारू एक जहाज का नाम था त्जसमें 370 यािी मुख्यतः ससति और पिंजाबी मुत्स्लम पलायन, ससिंगापुर से वैंकावूर जा
रहे थे।
• जहाज आखिरी में ससतिंबर 1914 में कलकत्ता पहुिंच गया लेककन याबिय़ों नें पिंजाब जाने वाली रे न पर चढने से मना कर हदया।
• कलकत्ता में पुसलस के साथ मारपीट के दौरान 22 व्यत्ततय़ों की मौत हो गई।
लिनऊ सि (1916)
• नरम दल और उग्र दल का वापस समलन हो गया।
• इस सि में कािंग्रेस और मुत्स्लम लीग ने साथ समलकर काम करने के सलए कहा और उन्ह़ोंने ऐर्तहाससक लिनऊ समझौते पर
हस्ताक्षर ककए।

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होमरूल लीग आिंदोलन (1916)


• आयरलैंड की धथयोसोकफस्ट एनी बेसेंट ने आयररश होम रूल लीग की तजण पर होम रूल लीग आिंदोलन करने का र्नर्ण य सलया।

राष्क्रीय आिंदोलन (1917 – 1947)


भारत में गािंधी जी का आगमन
• 1915 में मोहनदास करमचिंद गािंधी दक्षक्षर् अरीका से भारत लौट आए (जहािं वे 20 साल से अधधक समय तक रुके थे)।
चिंपारर् सत्याग्रह (1917)
• स्वतिंिता सिंघषण में गािंधी जी द्वारा प्रथम सववनय अवज्ञा आिंदोलन।
• भारतीय ककसान राजकुमार शुतला ने गािंधी जी को बबहार के चिंपारर् आने का र्नमिंिर् भेजा त्जससे वे वहािं ककसाऩों की त्स्थर्त
का अिंदाजा लगा सकें।
िेड़ा सत्याग्रह (1918)
• गािंधी जी के मागणदशणन में सरदार वल्लभ भाई पटे ल ने सि
ू ा पड़ने के बाबजूद भी कर सिंग्रह ककए जाने के ववरुद्ध ककसाऩों का
नेतत्ृ व ककया।
अहमदाबाद श्रसमक हड़ताल (1918)
रौलेट एतट (1919)
• इस एतट के तहत, ककसी भी व्यत्तत को सिंदेह के आधार पर धगरफ्तार ककया जा सकता है ।
• ऐसी धगरफ्तारी के खिलाफ कोई अपील अथवा याधचका दाखिल नहीिं की जा सकती थी।
जसलयािंवाला बाग नरसिंहार (13 अप्रैल 1919)
• 13 अप्रैल 1919 को बैशािी के हदन जसलयािंवाला बाग में एक जनसभा आयोत्जत की गई थी।
• जनरल डायर ने अिंदर माचण ककया और बबना ककसी चेतावनी के र्नहत्थी भीड़ पर अिंधाधुिंध गोलीबारी करने का आदे श दे हदया।
खिलाफत आिंदोलन (1920)
• खिलाफत आिंदोलन का मुख्य कारर् पहले ववश्व युद्ध में तुकी की हार थी।
• पूरा आिंदोलन मुत्स्लम़ों के इस ववश्वास पर आधाररत था कक िलीफा (तुकी का सुल्तान) पूरी दर्ु नया में मुत्स्लम़ों का धासमणक नेता
था।
• सन ् 1920 में खिलाफत आिंदोलन को महात्मा गािंधी द्वारा शुरु ककए गए असहयोग आिंदोलन में समला सलया गया।
असहयोग आिंदोलन (1920-1922)
• इसका अनुमोदन 1920 में भारतीय राष्क्रीय कािंग्रेस ने नागपुर सि में ककया था।
• लेककन पूरे आिंदोलन को 11 फरवरी 1922 को चौरी चौरा घटना के बाद अचानक वापस ले सलया गया।
स्वराज पाटी
• असहयोग आिंदोलन के स्थधगत होने के कारर् हदसम्बर 1922 में कािंग्रेस के गया सि में कािंग्रेस का पुनः ववभाजन हो गया।
• मोतीलाल नेहरू और धचतरिं जन दास जैसे नेताओिं ने 1 जनवरी 1923 को कािंग्रेस के अिंदर एक अलग समह
ू स्वराज पाटी का गठन
ककया।
साइमन कमीशन (1927)
• नवम्बर 1927 में , बब्रहटश सरकार ने भारत सरकार अधधर्नयम 1919 के करयान्वयन पर मूल्याकिंन और सुझाव मािंगने के सलए
साइमन कमीशन र्नयुतत ककया।
• कमीशन में बबना ककसी भारतीय व्यत्तत के सभी सदस्य बब्रहटश थे।
नेहरू ररपोटण (1928)
सववनय अवज्ञा आिंदोलन (1930-34)

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• 1929 में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में कािंग्रेस के लाहौर सि में पूर्ण स्वराज सिंकल्प पाररत ककया।
• इसके बाद, सरकार के नेहरू ररपोटण अस्वीकार करने के बाद कािंग्रेस ने सववनय अवज्ञा आिंदोलन शुरू करने की घोषर्ा की।
दािंडी माचण (1930)
• 12 माचण 1930 को गािंधी जी ने नमक कानून तोड़ने के सलए अपने 79 समथणक़ों के साथ समलकर प्रससद्ध दािंडी यािा शुरू की।
• 6 अप्रैल को नमक कानून तोड़कर सववनय अवज्ञा आिंदोलन की औपचाररक शुरूआत की।

गोलमेज सम्मेलन
प्रथम गोलमेज सम्मेलन (1930)
• यह लिंदन में 1930 में आयोत्जत हुआ था। कािंग्रेस ने इस सम्मेलन का बहहष्क्कार ककया था।
द्ववतीय गोलमेज सम्मेलन (1931)
• सरकार ने कािंग्रेस पाटी से प्रर्तबिंध हटा हदया और इसके नेताओिं को जेल से ररहा कर हदया।
• 8 माचण 1931 को गािंधी इरववन समझौते पर हस्ताक्षर ककया गया।
• समझौते के अनस
ु ार, महात्मा गािंधी ने सववनय अवज्ञा आिंदोलन को वापस ले सलया और द्ववतीय गोलमेज सम्मेलन में भाग सलया।
साम्प्रदार्यक पिंचाट
• साम्प्रदार्यक पिंचाट की घोषर्ा बब्रहटश प्रधानमिंिी, रै मसे मैकडोनाल्ड ने अगस्त, 1932 में की थी।
• साम्प्रदार्यक पिंचाट में वपछड़ी जार्तय़ों को अल्पसिंख्यक दजाण दे ने की घोषर्ा की गयी और उनके सलए अलग र्नवाणचक मिंडल थे।
पूना समझौता (1932)
• महात्मा गािंधी ने साम्प्रदार्यक पिंचाट के खिलाफ सत्याग्रह शुरू कर हदया और 20 ससतम्बर 1932 को येरवादा जेल से ही मत्ृ यु
तक अनशन करने की घोषर्ा की।
• आखिरकार, डॉ भीमराव अम्बेडकर और गािंधी जी के बीच एक समझौता हुआ।
• इस समझौते को पूना पैतट के नाम से जाना जाता है ।
तीसरा गोलमेज सम्मेलन (1932)
• कािंग्रेस ने इस सम्मेलन में भाग नहीिं सलया।
भारत सरकार अधधर्नयम (1935)
• शत्ततय़ों को तीन भाग़ों में बािंटा गया सिंघीय, प्रािंतीय और समवती।
• केन्द्र में द्वैध शासन प्रर्ाली की शुरुआत हुई।
• गवणनर जनरल और उसकी पररषद “सिंरक्षक्षत ववषय” का प्रशासन करते थे।
• प्रािंत़ों में द्वैध शासन प्रर्ाली का अिंत हुआ और प्रािंतीय स्वायत्ता की शुरुआत हुई।
अगस्त प्रस्ताव (1940)
• अगस्त प्रस्ताव में र्नहहत था –
i. भारत के सलए अधधराज्य दजे का लक्ष्य
ii. वायसराय की कायणकारी पररषद का ववस्तार और युद्ध के बाद सिंववधान सभा का गठन
iii. कािंग्रेस ने अगस्त प्रस्ताव को िाररज कर हदया।
व्यत्ततगत सत्याग्रह (1940-41)
• आचायण ववनोवा भावे सत्याग्रह करने वाले प्रथम व्यत्तत थे और उन्हें तीन महीने के सलए जेल जाना पड़ा था।
करप्स समशन (1942)
• बब्रहटश सरकार ने भारतीय़ों के साथ सहयोग बनाए रिने के अपने र्नरिं तर प्रयास़ों में 23 माचण 1942 को सर स्टे फोडण करप्स को
भारत भेजा।
• करप्स समशन के प्रमुि सुझाव थे :
भारत को अधधराज्य का दजाण
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गािंधी जी ने करप्स प्रस्ताव को पोस्ट डेटेड चेक कहा था।


भारत छोड़ो आिंदोलन (1942-44)
• 8 अगस्त 1942 को बिंबई में अखिल भारतीय कािंग्रेस ससमर्त का सम्मेलन हुआ और प्रससद्ध भारत छोड़ो आिंदोलन पाररत हुआ।
• इसी हदन, गािंधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा हदया।
चरवती राजगोपालाचारी फामल
ूण ा (1944)
• अनभ
ु वी कािंग्रेसी नेता राजगोपालाचारी ने कािंग्रेस-लीग सहयोग के सलए एक सि
ू तैयार ककया, त्जसे गािंधी जी ने स्वीकार ककया।
• युद्ध के बाद, उत्तर-पत्श्चम और उत्तर-पूवण भारत में मुत्स्लम बहुल क्षेिें की पूरी जनता एक अलग सिंप्रभु दे श बनाने के प्रस्ताव पर
जनमत सिंग्रह द्वारा र्नधाणरर् करे गी।
बेवेल योजना और सशमला सम्मेलन (1945)
• इसका लक्ष्य गवणनर जनरल की कायणकारी पररषद का पुनग
ण ठन करना था त्जसके कारर् नए सिंववधान के र्नमाणर् में ववलिंब हो रहा
था।
• गवणनर जनरल और सेना प्रमुि को छोड़कर, कायणकारी पररषद के सभी सदस्य भारतीय होने चाहहए।
• हहन्दओ
ु िं और मत्ु स्लम़ों का समान प्रर्तर्नधधत्व था।
इिंडडयन नेशनल आमी रायल (1945)
• आई.एन.ए. के ससपाहहय़ों का हदल्ली में लाल ककले में रायल हुआ था।
कैबबनेट समशन (1946)
• द्ववतीय ववश्व युद्ध के बाद, बब्रहटश कैबबनेट के तीन सदस्य – पैधथक लॉरें स, सर स्टे फोडण करप्स और ए.वी. एलेतजेंडर को भारत
भेजा गया। इसे कैबबनेट समशन के नाम से जाना जाता है ।
• कैबबनेट समशन ने बब्रहटश भारत और प्रािंतीय राज्य़ों को समलाकर सिंघीय भारत बनाने का भी प्रस्ताव हदया था।
• मुत्स्लम लीग और कािंग्रेस दोनो ने इस योजना को स्वीकार ककया था।
माउिं टबेटन योजना (1947)
• लॉडण मािंउटबेटन के साथ व्यापक ववमशण के बाद 3 जून 1947 को दे श के ववभाजन की योजना लायी गयी।
• कािंग्रेस और मुत्स्लम लीग ने अिंततः माउिं टबेटन योजना को स्वीकार कर सलया।
भारतीय स्वतिंिता अधधर्नयम 1947
• बब्रहटश सरकार ने माउिं टबेटन योजना को स्वीकृर्त दे कर 18 जुलाई 1947 को भारतीय स्वतिंिता अधधर्नयम पाररत ककया।
• दे श का भारत और पाककस्तान में ववभाजन 15 अगस्त 1947 को अत्स्तत्व में आया।
• रे डककल्फ बाउिं ड्री कमीशन ने भारत और पाककस्तान को अलग करने वाली सीमारे िा िीिंची।

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भारतीय स्मारक़ों और उनके र्नमाणताओिं की सच


ू ी (राज्य वार)

स्मारक स्थान र्नमाणर्कते वषण/शताददी

आगरा का ककला आगरा (उत्तर प्रदे श) अकबर 1573 ईस्वी

आगरा शहर आगरा (उत्तर प्रदे श) ससकिंदर लोदी -

आराम बाग आगरा (उत्तर प्रदे श) बाबर 1528 ईस्वी

अकबर का मकबरा आगरा (उत्तर प्रदे श) अकबर और उसका पुि जहािंगीरे 1613 ईस्वी

इतमाद-उद्दौला का मकबरा आगरा (उत्तर प्रदे श) नूरजहािं 1628 ईस्वी

जामा मत्स्जद आगरा (उत्तर प्रदे श) शहाजहािं 1648 ईस्वी

दीवान-ए-िास आगरा (उत्तर प्रदे श) शहाजहािं -

शीश महल आगरा (उत्तर प्रदे श) शहाजहािं 1632 ईस्वी

मोती मत्स्जद आगरा (उत्तर प्रदे श) शहाजहािं 1635 ईस्वी

ताजमहल आगरा (उत्तर प्रदे श) शहाजहािं 1653 ईस्वी

आनिंद भवन इलाहबाद (उत्तर प्रदे श) मोतीलाल नेहरू 1930 ईस्वी

बड़ा इमामबाड़े लिनऊ (उत्तर प्रदे श) आसफ-उद-दौला 1785 ईस्वी

छोटा इमामबाड़ा लिनऊ (उत्तर प्रदे श) मुहम्मद अली शाह -

जिंतर मिंतर मथुरा (उत्तर प्रदे श) महाराजा सवाई जयससिंह II 1724-1738 ईस्वी

जिंतर मिंतर वारार्सी (उत्तर प्रदे श) महाराजा सवाई जयससिंह II 1724-1739 ईस्वी

फतेहपुर सीकरी आगरा (उत्तर प्रदे श) अकबर 16वीिं शताददी


जोधाबाई महल
बीरबल महल
पिंच महल
बल
ु िंद दरवाजा

रॉक कट मिंहदर ममल्लपुरम महे न्द्रवमणन – प्रथम 8वीिं शताददी

शोर मिंहदर ममल्लपुरम (तसमलनाडु) नरससिंहवमणन-II 8वीिं शताददी

कैलाशनाथ मिंहदर कािंचीपुरम (तसमलनाडु) नरससिंहवमणन-II 685-705 ईस्वी

ऐरावतेश्वर दारासुरम (तसमलनाडु) राजराज I 12वीिं शताददी

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ब्रह्दे श्वर मिंहदर तिंजौर (तसमलनाडु) राजराज चोल I 1010 ईस्वी

गिंगैक़ोंडचोलपुरम गिंगैकोड चोलपुरम (तसमलनाडु) राजेन्द्र I 12वीिं शताददी

सेंट जॉजण ककला चेन्नई (तसमलनाडु) ईस्ट इिंडडया किंपनी 1644 ईस्वी

मीनाक्षी मिंहदर मदरु ई, तसमलनाडु - -

अढाई हदन का झोपड़ा अजमेर (राजस्थान) कुतब


ु द्दीन ऐबक 1192 ईस्वी

अजमेर शरीफ की दरगाह अजमेर (राजस्थान) सुल्तान ससयासुद्दीन -

हवा महल जयपुर (राजस्थान) महाराजा प्रताप ससिंह 1799 ईस्वी

नहरगढ ककला जयपुर (राजस्थान) महाराजा सवाई जयससिंह II 1734 ईस्वी

जयगढ ककला जयपुर (राजस्थान) महाराजा सवाई जयससिंह II 1726 ईस्वी

ववजय स्तिंभ धचत्तौड़गढ (राजस्थान) महारार्ा किंु भा 1448 ईस्वी

हदलवाड़ा जैन मिंहदर माउिं ट आबे (राजस्थान) ससद्धराज 1582 ईस्वी

भरतपुर ककला भरतपुर (राजस्थान) राजा सूरजमल ससिंह 19वीिं शताददी

अिंबर की ककला जयपुर (राजस्थान) मान ससिंह प्रथम 1592 ईस्वी

जिंतर मिंतर जयपुरे (राजस्थान) महाराजा सवाई जयससिंह II 1724-1736 ईस्वी

मेहरगढ ककला जोधपरु (राजस्थान) राव जोधा 1460 ईस्वी

जिंतर मिंतर उज्जैन (मध्य प्रदे श) महाराजा सवाई जयससिंह II 1724-1737 ईस्वी

िज
ु राहो मिंहदर Mईस्वीhya Prईस्वीesh चिंदेल 950-1050 ईस्वी

चार मीनार है दराबाद (तेलिंगाना) कुली कुतुब शाहे 1591 ईस्वी

मतका मत्स्जद है दराबाद (तेलिंगाना) कुली कुतुब शाह 1694 ईस्वी

गोलकिंु डा ककला है दराबाद (तेलिंगाना) कुतुबशाही शासक 16वीिं शताददी

श्री वें केटे श्वकर मिंहदर आिंध्र प्रदे श - -

अजिंता की गुफाएिं औरिं गाबाद (महाराष्क्र) गुप्त शासक 4-10वीिं शताददी

एलोरा की गुफाएिं महाराष्क्र राष्क्रकूट शासक 6-10वीिं शताददी

एलीफेन्टा की गुफाएिं मुिंबई (महाराष्क्र) राष्क्रकूट शासक 5-9 शताददी

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बीबी का मकबरा औरिं गाबाद (महाराष्क्र) आज़म शाह 1661 ईस्वी

गेटवे ऑफ इिंडडया मिंब


ु ई (महाराष्क्र) बब्रहटश सरकार 20वीिं शताददी

ववरमसशला ववश्वववद्यालय बबहार धमणपाल 8वीिं शताददी

शेरशाह का ककला सासाराम (बबहार) शेरशाह पुि 1545 ईस्वी

नालिंदा ववश्वववद्यालये बबहार कुमारगुप्त I -

पुराना ककला हदल्ली शेरशाह सूरी 16वीिं शताददी

सफदरगिंज का ककला हदल्ली शुजा-उद-दौला 1754 ईस्वी

कुतुब मीनार हदल्ली कुतुबद्दीन ऐबके 1193 ईस्वी

अलाई दरवाजा हदल्ली अलाउद्दीन खिलजी 1311 ईस्वी

हौज खास हदल्ली अलाउद्दीन खिलजी -

कफरोज शाह कोटला हदल्ली कफरोज शाह तुकलक -

खिड़की मत्स्जद हदल्ली गयासुद्दीन तुगलक 1354 ईस्वी

हुमायूिं का मकबरा हदल्ली हुमायूिं की पत्नी 1533 ईस्वी

जामा मत्स्जद हदल्ली शहाजहािं 1656 ईस्वी

लाल ककला हदल्ली शहाजहािं 1639 ईस्वी

मोती मत्स्जद हदल्ली ककला, हदल्ली औरिं गजेब 1660 ईस्वी

जिंतर मिंतर नई हदल्ली महाराजा सवाई जयससिंह II 1724-1735 ईस्वी

इिंडडया गेट नई हदल्ली एडववन लुहटयन्स (वास्तुकार) -

लाल बाग बिंगलौर (कनाणटक) है दर अली 1760 ईस्वी

गोल गुिंबद बीजापुर (कनाणटक) मुहम्मद आहदल शाह 1656 ईस्वी


(भारत में सबसे बड़ा गुबिंद)

हिं पी स्मारके कनाणटक - -

स्वर्ण मिंहदर अमत


ृ सर (पिंजाब) गुरु रामदास 1577 ईस्वी

शािंर्तर्नकेतन पत्श्चम बिंगाल रववन्द्रनाथ टै गोर 19वीिं शताददी

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ववतटोररया मेमोररयल कोलकाता (पत्श्चम बिंगाल) बब्रहटश सरकार 1921 ईस्वी

सूयण मिंहदर कोर्ाकण (उड़ीसा) नरससम्हादे व I 1250 ईस्वी

जग्गनाथ मिंहदर पुरी (उड़ीसा) अनिंतवमणन गिंग 1161 ईस्वी

शालीमार बाग श्रीनगर (जम्मू और कश्मीर) जहािंगीर 1619 ईस्वी

सािंची स्तप
ू सािंची (उत्तर प्रदे श) अशोक तीसरी शताददी ईसापव
ू ण

भारतीय इर्तहास की प्रमुि घटनाओिं का कालरम (Chronology)

प्राचीन भारत

वषण घटना महत्व

आग की िोज
2 समसलयन ईसा पूवण से 10,00 ईसा पूवण पाषार् काल
चूने पत्थर से बने औजाऱों का प्रयोग ककया
2 समसलयन ईसा पव
ू ण से 50,000 ईसा पव
ू ण पव
ू ण पाषार् काल
गया। इनके अवशेष छोटा नागपुर पठार और
50,000 ईसा पूवण से 40,000 ईसा पूवण मध्य पाषार् काल
कनूल
ण त्जले में प्राप्त हुए हैं।
40,000 ईसा पूवण से 10,000 ईसा पूवण अपर पाषार् काल

सशकारी और चरवाहे
10,000 ईसा पूवण से मध्य पाषार् काल
सूक्ष्मपाषार् औजाऱों का प्रयोग

अनाज उत्पादक
7000 ईसा पूवण नव पाषर् काल
पॉसलश उपकरऱ्ों का प्रयोग

पव
ू -ण हड़प्पा काल – 3000 ईसा पव
ू ण ताम्र यग
ु प्रथम धातु – तािंबे का प्रयोग

कािंस्ययग
ु ीन सभ्यता,
2500 ईसा पव
ू ण हड़प्पा काल
शहरी सभ्यता का ववकास

1500 ईसा पूव-ण 1000 ईसा पूवण पूव-ण वैहदक काल ऋगवैहदक काल

महाजनपद़ों की स्थापना के साथ दस


ू रे शहरी
1000 ईसा पूव-ण 500 ईसा पूवण उत्तर वैहदक काल
चरर् का ववकास

16 राज्य़ों के साथ ववशेष राजतिंि स्थावपत


600 ईसा पूवण – 325 ईसा पूवण महाजनपद
हुए

544 ईसा पूवण – 412 ईसा पूवण हरयण्क विंश बबम्बसार, अजातशिू और उदर्यन

412 ईसा पूवण – 342 ईसा पूवण सशशुनाग विंश सशशुनाग और कालाशोक

344 ईसा पूवण – 323 ईसा पूवण नन्द विंश महापद्मनिंद

563 ईसा पूवण गौतम बुद्ध का जन्म बौद्ध धमण की स्थापना

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540 ईसा पूवण महावीर का जन्म जैन धमण के 24वें तीथंकर

518 ईसा पूवण पाससणय़ों का आरमर् डैररयस

483 ईसा पूवण प्रथम बुद्ध पररषद राजगीर

383 ईसा पूवण द्ववतीय बुद्ध पररषद वैशाली

326 ईसा पूवण मेसोडोर्नयाई आरमर् ग्रीक और भारत के मध्य सीधा सिंपकण

250 ईसा पूवण तत


ृ ीय बुद्ध पररषद पाटलीपुि

322 ईसा पव
ू ण – 185 ईसा पव
ू ण मौयण काल
322 ईसा पूवण – 298 ईसा पूवण चिंद्रगुप्त मौयण भारत का राजनैर्तक एकीकरर्, अशोक की
298 ईसा पूवण – 273 ईसा पूवण बबिंदस
ु ार धम्म नीर्त, कला और वास्तुसशल्प का
273 ईसा पूवण – 232 ईसा पूवण अशोक ववकास
232 ईसा पूवण – 185 ईसा पूवण उत्तरवती मौयण

185 ईसा पूवण – 73 ईसा पूवण शुिंग विंश पुष्क्यसमि शुिंग

73 ईसा पूवण – 28 ईसा पूवण कण्व विंश वासुदेव ने विंश की स्थापना की

60 ईसा पूवण – 225 ईसवी सातवाहन विंश राजधानी- पैथान, महाराष्क्र

2 ईसा पूवण इिंडो-यूनानी समनािंडर (165 ईसा पूवण -145 ईसा पूव)ण

1 ईसा पूवण – 4 ईसवी शक रुद्रदामन (130 ईसवी – 150 ईसवी)

ग़ोंडोफेरे न्स के शासन में सेंट थॉमस भारत


1 ईसा पूवण – 1 ईसवी पारसी
आए

1 ईसवी -4 ईसवी कुषार् कर्नष्क्क (78 ईसवी – 101 ईसवी)

72 ईसवी चतुथण बुद्ध पररषद कश्मीर

सिंगम सिंघ सम्मेलन, चेर, चोल और पािंड्य


3 ईसा पूवण – 3 ईसवी सिंगम काल
शासक

319 ईसवी – 540 ईसवी गुप्त काल


319 – 334 ईसवी चिंद्रगप्ु त I 319 ईसवी – गप्ु त काल
335 – 380 ईसवी समुद्रगुप्त भारत का स्वर्ण युग
380 – 414 ईसवी चिंद्रगुप्त II ववववध कला एविं साहहत्य का ववकास
415 – 455 ईसवी कुमारगप्ु त मिंहदर र्नमाणर् की नगाड़ा शैली
455 – 467 ईसवी स्किंदगुप्त

हषण (606-647 ईसवी)


550 ईसवी – 647 ईसवी वधणन विंश कन्नौज और प्रयाग सभा का आयोजन हुआ
हुएन-शािंग हषण के काल में आया

543 – 755 ईसवी वातापी के चालत


ु य ववसरा कला का ववकास

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575 - 897 ईसवी कािंची के पल्लव द्रववड़ शैली में मिंहदर र्नमाणर् की शुरूआत

मध्यकालीन भारत

प्रारिं सभक मध्यकाल (650 – 1206 ईसवी)

वषण घटना महत्व

750 – 1150 ईसवी पाल का शासन मिंग


ु ेर, बबहार में राजधानी

752 – 973 ईसवी राष्क्रकूट मालिेड़ में राजधानी

730 – 1036 ईसवी प्रर्तहार पत्श्चमी भारत पर शासन ककया

महमूद बबन तुगलक ने भारत पर आरमर्


712 ईसवी प्रथम मुत्स्लम आरमर्
ककया

राजधानी-तिंजौर, द्रववर् स्थापत्य कला का


850 – 1279 ईसवी चोल
स्वर्ण काल

998 – 1030 ईसवी प्रथम तक


ु ी आरमर् गजनी के महमद

1175 – 1206 ईसवी द्ववतीय तुकी आरमर् गोरी के महमूद

पथ्
ृ वीराज और मुहम्मद गोरी के मध्य
1178 – 1192 ईसवी पथ्
ृ वीराज चौहान 1191 में तराइन का प्रथम युद्ध
1192, तराइन का द्ववतीय युद्ध

सल्तनत काल (1206 – 1526 ईसवी)


गल
ु ाम विंश
लाल बख़्स के नाम से ज्ञात, कुतुबमीनार की
1206 – 1210 ईसवी कुतुबद्दीन ऐबक
नीिंव

1211 – 1236 ईसवी शमशुद्दीन इल्तुतसमश़ हदल्ली

भारत पर शासन करने वाली पहली और


1236 – 1240 ईसवी रत्ज़या सुल्तान
एकमाि मुत्स्लम महहला

1240 – 1266 ईसवी कमजोर उत्तराधधकारी

1266 – 1287 ईसवी धगयासुद्दीन बलबन दीवान-ए-अजण की स्थापना

खिलजी विंश

1290 – 1296 ईसवी जलालुद्दीन खखलजी खिलजी विंश के सिंस्थापक

कईं प्रशासर्नक सुधार ककए, दाग और चेहरा


1296 – 1316 ईसवी अलाउद्दीन खखलजी
पद्धर्त की शुरूआत की

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तग
ु लक विंश

1320 – 1325 ईसवी धगयासद्


ु दीन तग
ु लक सिंस्थापक

प्रशासर्नक सुधार लेकर आए और कईं


1325 – 1351 ईसवी मोहम्मद-बबन-तग
ु लक
महत्वाकािंक्षी पररयोजनाओिं को लागू ककया

1351 – 1388 ईसवी कफरोजशाह तग


ु लक महान शहऱों की स्थापना की

चिंगेज िािं के विंशज तैमरू ने मह


ु म्मद शाह
1398 – 1399 ईसवी तैमरू आरमर्
तुगलक के शासनकाल में आरमर् ककया

सैय्यद विंश 1414 – 1451 ईसवी


लोधी विंश 1451 – 1526 ईसवी

1451 – 1488 ईसवी बहलोल लोदी लोदी विंश की स्थापना

1489 – 1517 ईसवी ससकिंदर लोदी आगरा शहर की स्थापना की

बाबर ने पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहहम


1517 – 1526 ईसवी इब्राहहम लोदी
लोदी को परात्जत ककया

ववजयनगर और बहमनी राज्य

ववजयनगर राज्य

1336 – 1485 ईसवी सिंगम विंश हररहर और बत


ु का द्वारा स्थापना

1485 – 1505 ईसवी सुलुव विंश सलुव नरससम्हा

1505 – 1570 ईसवी तुलुव विंश वीर नरससम्हा

बाबर के समकालीन एक प्रर्तभाशाली


1509 – 1529 ईसवी कृष्क्र् दे व रॉय
ववद्वान

1570 – 1650 ईसवी अरावीडू विंश र्तरुमल द्वारा स्थावपत

बहमनी राज्य

1347 – 1358 ईसवी अलाउद्दीन हसन बहमन शाह गुलबगाण में बहमनी साम्राज्य की स्थापना की

1397 – 1422 ईसवी ताज-उद्दीन कफरोज शाह

1422 – 1435 ईसवी अहमद शाह वली

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मग
ु ल साम्राज्य

पानीपत के प्रथम युद्ध के बाद मुगल


1526 – 1530 ईसवी बाबर
साम्राज्य की स्थापना की

1530 – 1540 ईसवी


हुमािंयु शेरशाह सूरी द्वारा परात्जत
1555 – 1556 ईसवी

शेरशाह ने हुमािंयु को हराया और 1540-45


1540 – 1555 ईसवी सरू साम्राज्य
ईसवी तक शासन ककया

1556 ईसवी पानीपत की दस


ू री लड़ाई अकबर बनाम हे मू

दीन-ए-इलाही की स्थापना की,


1556 – 1605 ईसवी अकबर
मुगल साम्राज्य का ववस्तार ककया

कैप्टन ववसलयम हॉककन्स और सर थॉमस


1605 – 1627 ईसवी जहािंगीर
रो, मुगल दरबार में पधारे

मुगल साम्राज्य एविं कला और स्थापत्य का


1628 -1658 ईसवी शाहजिंहा
उत्कृष्क्ट समय

1658 – 1707 ईसवी औरिं गजेब मुगल साम्राज्य के पतन की शुरूआत

अिंग्रेज़ों के ताकतवर बनने के साथ ही मग


ु ल
1707 – 1857 ईसवी उत्तरवती मग
ु लशासक
साम्राज्य में फूट

मराठा राज्य और मराठा सिंघ

मराठा राज्य 1674 – 1720 ईसवी

औरिं गजेब के समकालीन और दतकन में


1674 – 1680 ईसवी सशवाजी
मुगल़ों की सबसे बड़ी चुनौती

1680 – 1689 ईसवी शिंभाजी

1689 – 1700 ईसवी राजाराम

1700 – 1707 ईसवी ताराबाई

1707 – 1749 ईसवी साहू पेशवा का उदय

1713 – 1720 ईसवी बालाजी ववश्वनाथ प्रथम पेशवा

मराठा सिंघ 1720 – 1818 ईसवी

1720 – 1740 ईसवी बाजी राव I

1740 – 1761 ईसवी बालाजी बाजी राव

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1761 ईसवी पानीपत का तत


ृ ीय युद्ध अहमद शाह अददाली द्वारा मराठ़ों की हार

1761 – 1818 ईसवी उत्तरवती शासक

आिंग्ल-मराठा युद्ध

1775 – 1782 ईसवी प्रथम आिंग्ल-मराठा युद्ध बब्रहटश की हार

मराठ़ों की हार हुई और उन्ह़ोंने सहायक


1803 – 1806 ईसवी द्ववतीय आिंग्ल-मराठा युद्ध
सिंधध पर हस्ताक्षर ककए

1817 – 1818 ईसवी तत


ृ ीय आिंग्ल-मराठा युद्ध मराठ़ों की र्नर्ाणयक रूप से हार हुई

आधुर्नक भारत

बिंगाल

बिंगाल की राजधानी मुसशणदाबाद स्थानािंतररत


1717 – 1727 ईसवी मुसशणद कुली िान
की गई

1727 – 1739 ईसवी शुजाउद्दीन

1739 – 1740 ईसवी सरफ़राज िान

1740 – 1756 ईसवी असलवदी िान

1756 – 1757 ईसवी ससराजुद्दौला प्लासी की लड़ाई

1757 – 1760 ईसवी मीर ज़ाफर

1760 – 1764 ईसवी मीर काससम बतसर का युद्ध

मैसरू
1761 – 1782 ईसवी है दर अली आधुर्नक मैसूर राज्य की स्थापना

1766 – 1769 ईसवी प्रथम आिंग्ल-मैसरू यद्


ु ध है दर अली ने अिंग्रेज़ों को हराया

है दर अली की सर आयरकूट के हाथ़ों पराजय


1780 – 1784 ईसवी द्ववतीय आिंग्ल-मैसूर युद्ध
हुई

1782 – 1799 ईसवी टीपू सल्


ु तान द्ववतीय यद्
ु ध जारी रहा

1790 – 1792 ईसवी तत


ृ ीय आिंग्ल-मैसूर युद्ध टीपू ने आधे से अधधक राज्य जीत सलया

1799 चतुथण आिंग्ल-मैसरू यद्


ु ध टीपू सल्
ु तान की मत्ृ यु

पिंजाब

1792 – 1839 ईसवी महाराज रर्जीत ससिंह ससति शासन की स्थापना

1845 – 1846 ईसवी प्रथम आिंग्ल-ससति यद्


ु ध ससति परात्जत हुए

1848 – 1849 ईसवी द्ववतीय आिंग्ल-ससति युद्ध डलहौजी ने पिंजाब का ववलय ककया

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भारत में यरू ोपीय़ों का आगमन

कोचीन और गोवा में मुख्यालय स्थावपत


1498 पुतग
ण ाली ईस्ट इिंडडया किंपनी
ककए

1600 बब्रहटश ईस्ट इिंडडया किंपनी मद्रास, कलकत्ता और बम्बई

1602 डच ईस्ट इिंडडया किंपनी पुसलकट, नागापट्टनम

1616 डैर्नश ईस्ट इिंडडया किंपनी सेराम्पोर

1664 रेंच ईस्ट इिंडडया किंपनी पािंडडचेरी

कनाणटक यद्
ु ध

1746-48 प्रथम आिंग्ल-रािंस यद्


ु ध एतस-ला-चापल की सिंधध

1749-54 द्ववतीय आिंग्ल-रािंस युद्ध पािंडडचेरी की सिंधध

1758-63 तत
ृ ीय आिंग्ल-रािंस युद्ध पेररस की सिंधध

स्वतिंिता सिंघषण

सामात्जक-धासमणक और आधथणक कारऱ्ों के


1857 प्रथम भारतीय स्वतिंिता सिंग्राम युद्ध
कारर् रािंर्त

1885 कािंग्रेस का गठन ए. ओ. ह्यूम

दादाभाई नारौजी और सुरेन्द्रनाथ बनजी का


1885 – 1905 नरमपिंथी काल
प्रभुत्व

1905 – 1917 चरमपिंथी काल लाल-बाल-पाल और अरवविंदो घोष का प्रभुत्व

1905 बिंगाल ववभाजन कज़णन द्वारा बिंगाल ववभाजन की घोषर्ा

1905 – 1908 स्वदे शी आिंदोलन ववदे शी वस्तुओिं का बहहष्क्कार

1906 मुत्स्लम लीग का गठन

INC का कलकत्ता सि
1906 स्वराज को लक्ष्य बनाया गया
(INC: भारतीय राष्क्रीय कािंग्रेस)

1907 सूरत ववभाजन पूरे भारत में आिंदोलन के ववस्तार पर प्रश्न

1909 माले-समिंटो सुधार मुत्स्लम़ों के सलए पथ


ृ क र्नवाणचन

1915 – 1916 होमरूल आिंदोलन बाल गिंगाधर र्तलक और ऐनी बेसेंट

1916 लिनऊ समझौता कािंग्रेस और लीग के मध्य समझौता

1916 लिनऊ सि कािंग्रेस में चरमपिंधथय़ों का प्रवेश

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गािंधी काल

प्रारिं सभक जीवन

नैटल इिंडडयन कािंग्रेस की स्थापना की,


1893 – 1914 दक्षक्षर् अरीका में गािंधी जी अिंग्रेज़ों की ज्यादर्तय़ों के खिलाफ सत्याग्रह
और सी.डी.एम.

1915 – 1948 भारत में गािंधी जी

बिंबई पहुिंच।े प्रथम दो वषण भारत का भ्रमर्


1915 ककया और ककसी राजनैर्तक आिंदोलन में
भाग नहीिं सलया

1917 चिंपारर् असभयान नील की िेती के ककसाऩों के समथणन में

1918 अहमदाबाद प्रथम भूि हड़ताल

1918 िेड़ा प्रथम असहयोग आिंदोलन

रॉलेट एतट और जसलयावाला बाग नरसिंहार


1919 रॉलेट सत्याग्रह
के खिलाफ

1920-22 असहयोग और खिलाफ़त आिंदोलन

1924 बेलगािंव सि गािंधी जी कािंग्रेस के अध्यक्ष र्नयुतत हुए

दािंडी यािा
गािंधी-इरववन समझौता
1930 -34 नागररक अवज्ञा आिंदोलन
द्ववतीय गोलमेज सम्मेलन और सववनय
अवज्ञा आिंदोलन कफर से चालू हुआ

1940-41 व्यत्ततगत सत्याग्रह

1942 भारत छोड़ो आिंदोलन करो या मरो

इस काल के दौरान महत्वपूर्ण घटनाएिं

गािंधी जी ने रॉलेट सत्याग्रह का आवाहन


1919 रॉलेट एतट
ककया

1919 जसलयावाला बाग नरसिंहार

1920-22 खिलाफ़त और असहयोग आिंदोलन हहिंद ु मुत्स्लम एकता

1922 चौरी चौरा कािंड गािंधी जी ने एन.सी.एम. वावपस सलया

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1923 कािंग्रेस खिलाफ़त स्वराज हदवस ववधायी पररषद में प्रवेश

1919 अधधर्नयम की समीक्षा करने के सलए


1927 साइमन कमीशन
सभी श्वेत कमीशन

1928 नेहरू ससमर्त की ररपोटण सिंववधान के ससद्धािंत तय करने के सलए

1929 त्जन्ना के 14 सूि

1929 लाहौर सि पूर्ण स्वराज

1930 नागररक अवज्ञा आिंदोलन दािंडी यािा

गािंधी जी ने दस
ू रे गोलमेज सम्मेलन में भाग
1931 गािंधी-इरववन समझौता
सलया

लिंदन में दस
ू रा गोलमेज सम्मेलन आयोत्जत
1931
हुआ

1932 साम्प्रदार्यक पिंचाट

1932 पूना समझौता

1935 भारत सरकार अधधर्नयम अिंनर्तम स्वायत्ता

1937 कािंग्रेस का 18 महीने का शासन शुरू हुआ

1939-45 द्ववतीय ववश्व युद्ध की शुरूआत

1939 कािंग्रेस मिंबिय़ों ने इस्तीफा हदया

सलनसलथगो ने ववश्व युद्ध में भारत से


1940 अगस्त प्रस्ताव
सहायता करने के सलए आग्रह ककया

1941 व्यत्ततगत सत्याग्रह

1942 करप्स समशन

1942 भारत छोड़ो आिंदोलन

1943 गािंधी जी का 21 हदन का उपवास

1944 सी. आर. सूि

1945 वॉवेल योजना और सशमला समझौता

1945 आई.एन.ए मक
ु दमा

1946 आर.आई.एन. रे हटिंग ववद्रोह

1946 कैबबनेट समशन योजना

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1946 अिंतररम सरकार का गठन

1946 सिंववधान सभा का गठन

1947 एटली की घोषर्ा

1947 माउिं टबेटेन योजना

1947 भारतीय स्वतिंिता अधधर्नयम, 1947

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