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● भारिीय इतिहास के प्रथम अध्याय अथााि परु ापाषाण काल से ही उत्तर प्रदेश की बेलन घाटी में प्रागैतिहातसक सस्ं कृ ति
की खोज हुई बेलन घाटी इलाहाबाद के सोराव िहसील में उत्तर प्रदेश में प्रवेश करिी है
●बेलन घाटी में इलाहाबाद के अतिररक्त तमजाापरु तजले के भी महत्वपणू ा प्रागैतिहातसक क्षेत्र आिे हैं इन क्षेत्रों में परु ापाषाण
से लेकर नवपाषाण काल िक के सांस्कृ तिक जमाव प्राप्त हुए हैं।
●परु ापाषाण के पश्चाि मध्य पाषाण काल में उत्तर प्रदेश की गगं ा घाटी में भी प्रागैतिहातसक मानव के सास्ं कृ तिक अवस्थाओ ं
का पिा लगिा है ।
●शैल तित्रकला की तवश्व में सवाप्रथम खोज उत्तर प्रदेश के तमजाापरु क्षेत्र में सोहागपरु में
"ए सी एल कालााइल" ने की थी इस खोज के पश्चाि भारि के तवतभन्न स्थानों पर शैल तित्र खोजे गए।
● उत्तर भारि में सवाप्रथम उत्तर प्रदेश के तबठूर में कुछ िाम्र उपकरण 1822 ईसवी में प्राप्त हुए इस उपलतधि के पश्चाि उत्तर
प्रदेश के तवतभन्न स्थलो से िाम्र तनतियां प्राप्त हुई।
● ऋग्वैतदक काल से ही उत्तर प्रदेश के कबीलो का संबंि सप्त सैंिव क्षेत्र के आयों से रहा है विामान इटावा जनपद के
"तिवी कबीले" की भरि जन से तमत्रिा थी एवं रावी के िट पर लडे गए दसराजज्ञ यद्ध ु में िीतब कबीले ने भरि जन का
सहयोग तकया था।
●वैतदक काल के पश्चाि 16 महाजनपद काल में 16 में से 8 महाजनपद उत्तर प्रदेश में तस्थि थे इनका तववरण
निम्ि प्रकार से है-
● इन राज्य के अतिररक्त उत्तर प्रदेश में कुछ गणराज्य भी थे जैसे कतपलवस्िु के शाक्य, समू समु ेर तगरी के भग्ग, पावा और
कुशीनगर के मल्ल।
● आजीवक संप्रदाय के संस्थापक तनयिीवादी मक्खली पत्रु घोषाल का जन्म श्रावस्िी के तनकट श्रावण में हुआ था।
● महात्मा बद्ध
ु का गृह नगर कतपलवस्िु भी उत्तर प्रदेश के तसद्धाथानगर तजले में है, बद्ध
ु की मािा महामाया का गृह नगर
देवदह भी विामान महाराजगजं जनपद का तनिनौल नगर है।
● बद्ध
ु को यद्यतप ज्ञान गया तबहार में प्राप्त हुआ लेतकन उन्होंने अपना प्रथम उपदेश (िमा िि प्रविान) वाराणसी के तनकट
ऋतष पिन मृग्दाव (सारनाथ)में ही तदया ,महात्मा बद्ध ु ने सवाातिक उपदेश भी श्रावस्िी में ही तदए और उन्होंने अपनी मािा
को पतवत्र उपदेश सतं कसा(तजला फरुाखाबाद) में तदया ,महात्मा बद्ध ु ने अपने अतं िम सासं भी उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में ही
ली।
● मौया काल का सकें द्रण अतिकातिक तबहार में था लेतकन मौया शासक अशोक ने उत्तर प्रदेश को तवपल ु मात्रा में अपनी
कलात्मक तवरासि प्रदान की अशोक के स्िंभ लेखों में प्रयक्त ु पत्थर उत्तर प्रदेश के तमजाापुर के िुनार के तनकट "बारा"
गांव से प्राप्त तकया गया था। अशोक के स्िंभ लेख उत्तर प्रदेश के सारनाथ, इलाहाबाद मेरठ ,कौशांबी, संतकसा, कतपलवस्िु
एवं तमजाापरु से प्राप्त होिे हैं।
● मौयोत्तर काल में उत्तर प्रदेश पर यवन और कुषाणो ने आिमण तकए यवनों के आिमण िो मौया काल के अंतिम शासक
बृहद्रथ के समय से ही प्रारंभ हो गए थे, पिंजतल के महाभाष्य में यवन आिमणकाररयों द्वारा अयोध्या पर आिमण का
उल्लेख है यवन आिमणकारी का लाभ मौया सेनापति पष्ु यतमत्र शंगु को तमला उसने मौया शासक ब्रहदि की हत्या कर दी
और अयोध्या को राजिानी बनाकर मगि साम्राज्य के एक भाग पर राज्य करने लगा और शंगु वंश की स्थापना हुई।
●गप्तु वश ं का आरंतभक राज्य उत्तर प्रदेश और तबहार में था सभं वि गप्तु शासकों के तलए तबहार की अपेक्षा उत्तर प्रदेश
अत्यंि महत्व वाला प्रांि था क्योंतक आरंतभक गप्तु मद्रु ाएं और अतभलेख मख्ु यिा उत्तर प्रदेश में ही पाए गए हैं। बाद में गप्तु ों
ने अपनी राजिानी प्रयाग में ही स्थातपि की गप्तु काल को भारि का स्वणा काल कहा जािा है स्वणा काल की स्मृति स्वरूप
उत्तर प्रदेश के कानपुर में भीिरगांव और लतलिपुर में दशाविार मंतदर के रूप में आज भी तस्थि है।
● 606 ईस्वी में कन्नौज में हषा का राज्यातभषेक हुआ और हषा ने शीघ्र कन्नौज को भी अपना सरं क्षण प्रदान करिे हुए
अपनी राजिानी कन्नौज को ही बना तदया इसी बीि िीनी बौद्ध यात्री हेनसागं हषा के आमत्रं ण पर कन्नौज में प्रवास तकया
और िीन लौटकर अपनी आत्मकथा "सी यू की" में उत्तर प्रदेश की ित्कालीन सामातजक सांस्कृ तिक राजनीतिक तस्थति
का तवस्िृि वणान तकया।
● हषा के पश्चाि कुछ समय के तलए आठवीं शिाधदी में यशोवमान ने कन्नौज को अपना खोया वैभव लौट आया संपणू ा
उत्तर भारि पनु ः कन्नौज के आिीन हो गया यशोवमान अति महत्वकाक्ष
ं ी शासक था वह कश्मीर के शासक लतलिातदत्य
मक्त
ु ापीठ की सहायिा से तिधबि पर अतिकार करना िाहिा था।
●यशोवमान की मृत्यु के बाद एक बार तफर उत्तर प्रदेश का कन्नौज शहर शतक्तशाली नेित्ृ व के आभाव मे सघं षा का कें द्र हो
गया और कन्नौज जैसे महत्वपणू ा राजिानी के तलए िीन प्रमख ु शतक्तयों( बंगाल के पाल, उज्जैन के प्रतिहार, महाराष्र
विामान कनााटक के राष्रकूट) मे संघषा प्रारंभ हो गया तजसे इतिहास में तत्र राष्र संघषा कहा गया। इस संघषा में अंििः प्रतिहार
तवजई हुए नागभट्ट तद्विीय कन्नौज में प्रतिहार राज्य की स्थापना की।
● प्रतिहार राजवश ं के बाद कन्नौज पर गहढ़वाल वश ं का शासन हुआ। लेतकन जयिदं गहढ़वाल को मोहपमद गोरी द्वारा
उत्तर प्रदेश के तफरोजाबाद तजले के िदं ावर नामक स्थल पर यद्ध
ु में मार तदया गया
● 1210 में इल्ििु तमश ने लाहौर के स्थान पर तदल्ली को अपनी राजिानी बनाया उत्तर प्रदेश के तदल्ली से तनकटिा होने
से यहां पर प्रारंभ से ही िक
ु ों का अतिपत्य स्थातपि हो गया बदायंू ,सभं ल, कटेहर, भोजपरु , कडा आतद के उपजाऊ क्षेत्र
प्रमख
ु इक्तादारदारों को सौंप तदए गए
●1394 में उत्तर प्रदेश के पवू ी क्षेत्र में मतलक सरवर ख्वाजा जहां ने जौनपुर को कें द्र बनाकर शकी राजवंश की स्थापना
की।
●लोदी वश ं की स्थापना के साथ ही उत्तर प्रदेश का गौरव एक बार अपना लौटा क्योंतक तसकंदर लोदी ने आगरा नगर की
स्थापना कर उसे तदल्ली सल्िनि की राजिानी बनाया।
●मगु ल काल में उत्तर प्रदेश के तबलग्राम(हरदोई) में अफगान शेर खान ने बाबर के बेटे हुमायंू को परास्ि कर तदल्ली के
बादशाहि प्राप्त की।
●1545 ईसवी में उत्तर प्रदेश के बादं ा तजले में तस्थि कातलजं र तकले के यद्ध
ु में शेरशाह की मृत्यु हो गई
●1556 ईस्वी में अकबर बादशाह हुए अकबर ने उत्तर प्रदेश में आगरा में फिेहपरु सीकरी नामक उपनगर एवं अपनी
राजिानी की स्थापना की ।
●अकबर के मंत्री बीरबल और टोडरमल दोनों ही उत्तर प्रदेश के थे, बीरबल तजनका मल ू नाम महेश दास था उत्तर प्रदेश
के जालौन तजले के कालपी नामक स्थान से संबंतिि थे। वही टोडरमल सीिापुर तजले में लहरपरु नामक स्थान में जन्मे थे।
●उत्तर प्रदेश का गौरव उस समय हिोत्सातहि हुआ जब शाहजहां ने मगु ल साम्राज्य की राजिानी सदैव के तलए उत्तर प्रदेश
के आगरा से स्थानांिररि कर तदल्ली कर दी।
● औरंगजेब के शासनकाल में उत्तर प्रदेश सदैव मगु लों के तलए एक िनु ौिी बनिा रहा -बंदु ल े खंड के वीर छत्रसाल ने
मगु लों के तखलाफ तवद्रोह कर तदया यह यद्ध
ु लगभग 50 वषों िक िलिा रहा इस यद्ध ु में पेशवा बाजीराव की सहायिा से
छत्रसाल को तवजय प्राप्त हुई इस घटना ने मराठों को उत्तर प्रदेश में आमंतत्रि तकया और कानपुर के तनकट तबठूर मराठों का
प्रमख
ु कें द्र बन गया ।
●1732 में अवि के सबू ेदार शआदि खान ने अवि को स्विंत्र घोतषि कर तदया इससे प्रेररि होकर रोतहलखंड भी स्विंत्र
हो गया।
● 1857 के तवद्रोह की प्रेरणा के नायक अजीमल्ु ला खां थे अजीमल्ु ला खां तबठूर के पेशवा के दत्तक पत्रु नाना िु िु पंि
के मंत्री थे। ईस्ट इतं डया कंपनी ने नाना को पेशवा का वास्ितवक उत्तरातिकारी मानने से इनकार कर तदया था, नाना के
मतस्िष्क में इस घटना के बाद एक ही तविार आया था तक अजीमल्ु ला खां लदं न जाकर अग्रं ेज सरकार से तवनिी कर उनके
हक को तदलाएं, अजीमल्ु ला लदं न रवाना हुए लेतकन उनके मन में कुछ और ही िल रहा था उनकी रणनीति थी तक अगर
अंग्रेजों को ही भारि से बाहर कर तदया जाए िो ना के वल नाना बतल्क भारि मां की जंजीर भी टूट जाएंगी। अजीमल्ु ला खा
की लंदन में मल ु ाकाि सिारा के अपदस्थ राजा के वकील "रंगोजी बाप"ू से हुई दोनों ने ही परू े देश में अंग्रेजों के तखलाफ
िांति की योजना बनाई। लंदन से वापस आकर रंगोजी बापू ने दतक्षण भारि में और अजीमल्ु ला ने नाना के साथ उत्तर भारि
में िातं ि का प्रिार आरंभ कर तदया और 31 मई 1857 का तदन िातं ि के तलए िय तकया गया।
● लेतकन समय से सभी जगह सिू ना ना पहुिुँ पाने के कारण 21 मािा को पतश्चम बगं ाल के बैरकपरु छावनी में िबी लगे
कारिसू के तखलाफ अग्रं ेजों से जगं का ऐलान कर तदया गया तजसका नेित्ृ व मगं ल पाडं े ने तकया इस तवद्रोह के बाद जगह-
जगह अंग्रेजी सेना और अंग्रेजी अफसर साविान रहने लगे।
● उत्तर प्रदेश में मेरठ में सबसे पहले िांति का तबगुल फंू का गया 10 मई को सवेरे ही "तफरंगी मारो" के नारे मेरठ में बल
ु ंद
हो गए कै प्टन तफटनेस को सबसे पहले मार तदया गया 1 तदन में मेरठ अंग्रेजों से मक्तु हो गया और 11 मई को नारा लगा
तदल्ली िलो।
● 22 मई को बगावि की खबर जब इटावा पहुिं े िो वहां के कलेक्टर ऑक्टेतवयन ह्यमू थे (वही तजन्होंने 1885 में कांग्रेस
की स्थापना की थी इटावा की तस्थति देखकर ही उनको मतहला वेश में इटावा छोडकर भागना पडा।)
● 1857 के तवद्रोह में "महकपरी" की आहुति भी महत्वपणू ा है नेपाल की निाकी तक जब वातजद अली शाह की शरीके
हयाि बनी इन्हें "इततिखार उल तनशा" की उपाति से नवाजा गया और उन्होंने वातजद अली को तबरजीसकदर नाम से
वाररस बिौर िोहफा तदया ।वातजद अली शाह को िो अंग्रेजों ने कोलकािा के मतटयाबजु ा के कै द खाने में कै द कर तदया था
,लेतकन लखनऊ की महक परी "बेगम हजरि महल" के रूप में अग्रं ेजों से अपने शौहर की दश्ु मनी का बदला ले रही थी
18 मािा 1858 को लखनऊ को हजरि महल ने अलतवदा कहा और नेपाल पहुिं कर अग्रं ेजों से मक ु ाबला शरू ु तकया बाद
मे नेपाल में ही बेगम हजरि महल का इिं काल हुआ।
● झांसी में रानी लक्ष्मी बाई का योगदान तकसी से छुपा नहीं है लेतकन झांसी की िांतिकाररयों के मध्य तनस्वाथा सेवा भाव
के तलए "झलकारी बाई" को भी याद अवश्य तकया जाना िातहए यह वह मतहला थी तजसने झांसी से रानी के तनकलिे वक्त,
रानी का वेश बनाकर अग्रं ेजों को िोखे में रखा और झांसी में ही वीरगति पाई।
●कानपरु में नाना की मासमू 11 साल की बेटी "मैना" तजसने अपने तपिा का पिा बिाने से उस इिं ेहा िक इनकार तकया
तक अंग्रेजों ने तबठूर के नाना के महल में उसे तजंदा जला तदया।
● गोंडा की रानी ईश्वरी कुमारी ने भी अंग्रेजों से लोहा तलया और शहादि की फे हररस्ि में अपना नाम तलखवाया।
●1857 के बाद से लेकर के आजादी िक लगभग प्रत्येक
1857 का निद्रोह
महत्वपणू ा घटना का जडु ाव उत्तर प्रदेश से तकसी न तकसी रूप
स्थाि सबं नं धत िेतत्ृ ि कताा
में जरूर रहा उदाहरण के तलए 1922 में गोरखपरु िौरी िौरा में
हुई तहसं क घटना ने परू े देश में िल रहे असहयोग आदं ोलन को 1- लखनऊ बेगम हजरि महल
प्रभातवि तकया
2-कानपरु नाना साहब
●िातं िकारी आंदोलन के दसू रे िरण में िाहे वह काकोरी 3- झांसी रानी लक्ष्मीबाई
कांड हो या िंद्र शेखर आजाद द्वारा तकए गए कई कृ त्य हो इन
सब में उत्तर प्रदेश का योगदान जरूर रहा है 4-इलाहाबाद तलयाकि अली
5- बनारस तमजाा वजीर अली खान
●गािं ीजी के नमक िोडने के काननू का पालन उत्तर प्रदेश में
भी तकया गया और 8 अप्रैल 1930 को रायबरे ली में नमक 6- फिेहपरु अजीमल्ु ला
बनाया गया तजसे पंतडि मोिीलाल नेहरु ने नीलाम भी तकया
था 7- फै जाबाद मौलवी अहमदल्ु लाह
8-बरे ली खान बहादरु खान, बख्ि खान
●फरवरी 1918 में यपू ी में "तकसान सभा" की स्थापना की गई
इसका श्रेय गौरी शंकर तमश्र इन्द्र नारायण तद्ववेदी व मदन मोहन 9- मेरठ कदम तसंह
मालवीय को जािा है।
10-गोरखपुर गजािर तसहं
● नाई िोबी बंद सामातजक बायकाट आंदोलन 1919 में 11- मथरु ा देवी तसंह
तकसानों द्वारा उत्तर प्रदेश के प्रिापगढ़ में िलाया गया
12- सल्ु िानपरु शहीद हसन
● 17 अक्टूबर 1920 को बाबा रामिंद्र के प्रयास से "अवि सत्ती चौरा कांड
तकसान सभा" का गठन हुआ ● 1921 -22 मई रायबरे ली हरदोई • यह घाट उत्िर प्रदेश के कानपरु के जाजमऊ,
व आसपास के क्षेत्रों में अंग्रजे ों के तवरुद्ध एक तकसान तवद्रोह "एका में तस्थि है जो 1857 की िांति के दौरान
आदं ोलन" प्रारंभ हुआ तजसका नेित्ृ व मदारी पासी एवं सहदेव ने अग्रं ेजों के नरसहं ार के तलए जाना जािा है।
तकया।
• 1857 की िांति के दौरान अंग्रेजों को कानपुर
से सरु तक्षि कलकत्िा भेजने के तलए जल मागा
●1935 में संयक्त
ु प्रांि विामान के उत्तर प्रदेश में तकसान संघ की से 27 जनू ,1857 को 40 नावें मंगाई गई थी
स्थापना हुई जब पहले िरण में अग्रं ेजों के बीतबयां और
बच्िे नाव में बैठकर जाने लगे िो भीड में वन्दे
● 1936 में अतखल भारिीय तकसान सभा का गठन लखनऊ में मािरम के नारे लगने लगे और िीर-िीरे भीड
हुआ तजसकी अध्यक्षिा स्वामी सहजानदं सरस्विी ने की। उन्माद में बदल गयी।
• उसके बाद भीड द्वारा सत्िी िौरा घाट पर
●1942 के भारि छोडो आंदोलन में भी उत्तर प्रदेश के बतलया में लगभग 300 तब्रतटश परुु षों मतहलाओ ं और
करो या मरो का सवाातिक प्रभाव पडा ,तित्तू पांडे के नेित्ृ व में बच्िों की हत्या कर दी गई और जो अंग्रेज बि
बतलया के अस्थाई सरकार की स्थापना की गई 20 अगस्ि को गये थे, उन्हे बाद में बीबी घर नरसंहार में मार
बतलया के हनमु ानगंज की कोठी में नई सरकार का शपथ ग्रहण तदया गया।
हुआ • कहा जािा है इस हत्याकांड का नेित्ृ व नाना
साहब ने तकया था।
●विामान में सेना और पतु लस की गौरव का प्रिीक जय तहदं का
• अब इस घाट का नाम बदलकर नाना रॉव घाट
नारा श्रीिर पाठक ने ही तदया था यह इलाहाबाद के रहने वाले थे
कर तदया गया है।
और उन्होंने सवाप्रथम पतत्रका तहदं ी प्रदीप में इस नारे को व्यक्त
तकया था बाद में इसे कांग्रेस में शातमल तकया
●आजादी के सपमान में गाया जाने वाला झडं ा गीि (तवजयी तवश्व तिरंगा प्यारा)के रितयिा स्वगीय श्यामलाल गप्तु पाषाद
उत्तर प्रदेश के कानपुर की ही माटी के फूल थे।
प्रदेश का िाम/नचन्ह/राजधािी
न्यायालय
→राज्य के प्रथम मख्ु यमंत्री – पं. गोतवंद बल्लभ पंि (1 अप्रैल 46 से 27 तदसपबर, 1954)
→राज्य के प्रथम उप मख्ु यमत्रं ी – िौिरी नारायण तसंह
→राज्य एवं देश की प्रथम मतहला मख्ु यमंत्री – सिु ेिाकृ पलानी
→राज्य में अब िक मतहला मख्ु यमत्रं ी हुई – 2 (सिु ेिा कृ पालानी व सश्रु ी मायाविी)
→विामान मख्ु यमंत्री (योगी आतदत्य नाथ) – स्विंत्रिा के बाद कायाकाल रूप में 33 वें, व्यतक्त रूप में 21 वें
→सबसे कम उम्र के मख्ु यमंत्री – अतखलेश यादव
→ उ0. प्र. के मख्ु यमंत्री व देश के प्रिानमत्रं ी – िरणतसंह व तवश्वनाथ प्रिाप तसहं
→विामान में मख्ु य न्यायिीश (इला. हाईकोटा) – जतस्टस राजेश तबंदल
Note :- इलाहाबाद उच्ि न्यायालय मख्ु य रूप से तब्रतटश राज में भारिीय उच्ि न्यायालय अतितनयम 1861 के
अिं गाि आगरा में 17 मािा, 1866 में स्थातपि तकया गया था। उत्िरी पतश्िमी प्रािं ों के तलय स्थातपि इस न्यायातिकरण
के पहले मख्ु य न्यायािीश सर वाल्टर मागान थे। 1869 में इस उच्ि न्यायालय को इलाहाबाद में स्थानांिररि तकया
गया।
→विामान (7वें) लोकायक्त
ु (कायाकाल 8 वषा) – न्याय. श्री संजय तमश्र (31-1-2016 से)
Note:- उत्िर प्रदेश राज्य के प्रथम लोकायक्ु ि (लोकपाल) तवशभं र दयाल थे।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख सगं ीत घरािे
नकरािा घरािा
संस्थापक- उस्ताद बंदे अली खान
• तकराना घराना भारिीय शास्त्रीय सगं ीि और गायन की तहदं स्ु िानी ख़याल गायकी की परंपरा को वहन करने वाले
तहदं स्ु िानी घरानों में से एक है। तकराना घराने का नामकरण उत्तर प्रदेश के मज़ु तफरनगर तजले के एक िहसील कस्बा
कै राना ( जो की अब तजला शामली में हैं )से हुआ माना जािा है
• एक जनश्रतु ि के अनसु ार इनके पररवार में भगवान कृ ष्ण ने प्रकट होकर एक वरदान तदया था तक यहां के गायकों के
स्वर बासं रु ी के समान होंगे ।
• उस्िाद अधदल ु करीम खान और उस्िाद अधदल ु वहीद खान ने इस घराने को प्रतसद्ध तकया।
• गंगबू ाई हगं ल, भीमसेन जोशी, हीराबाई बादोडकर तकराना घराने से ही संबंतिि थी।
आगरा घरािा
संस्थापक-आगरा घराने के जन्मदाता तानसेन के दामाद हाजी सुजान साहब थे।
• इतिहासकारों के अनसु ार 19वीं सदी में खदु ा बख्श ने इस घराने की स्थापना की थी, परंिु सगं ीितवदों का मानना है
तक इसके सस्ं थापक हाजी सजु ान खान थे। फै याज खान ने नवीन और गीिात्मक स्पशा देकर इस घराने को पनु जीतवि
करने का काम तकया। िब से इसका नाम रंगीला घराना पड गया। विामान में इस शैली के प्रमख ु गायकों में सी.आर.
व्यास और तवजय तकिलु जैसे महान गायक आिे हैं।
• आगरा घराने के सगं ीिकार ख्याल के साथ ही ध्रपु द िमार और ठुमरी गाने में भी कुशल थे।
लखिऊ घरािा
• लखनऊ घराना' भारि के प्रतसद्ध शास्त्रीय नृत्य शैली के नृत्य कत्थक िथा गायकी से सपबंतिि घरानों में से एक है।
नवाब वातजद अली शाह के दरबार से इसका उदय हुआ था।
• लखनऊ घराने के कत्थक के प्रमखु कालाकार- अच्छन महाराज, शंभू महाराज, तबंदादीन महाराज, तबरजू महाराज,
जयतकशन महाराज।
• लखनऊ घराने के प्रतसद्ध ख्याल गायक /गातयका सरू ज खा,छज्जू ख़ाुँ,नवाब कातसम अली ,रहीमन बाई,इत्यातद
• िबले के लखनऊ घराने के संस्थापक मोदु खां खान व बख्िरू खां,इन्होंने कत्थक नृत्य के तलए िबला वादन की
जो शैली तवकतसि की उसे लखनऊ शैली के नाम से जाना जािा है।
• लखनऊ घराने के प्रमख
ु पखावज वादक- कोऊद तसंह ,पतं डि अयोध्या प्रसाद, पतं डि सखाराम ।
• लखनऊ घराने के प्रमखु वीणा वादक-सातदक अली खान
• लखनऊ घराने के तमयां गुलाम नबी शौरी ने टप्पा शैली का प्रविान तकया प्रख्याि गजल गातयका बेगम अख्िर
लखनऊ घराने से ही संबंतिि थी।
बिारस घरािा
• यह घराना गायन और वादन दोनों कलाओ ं के तलए प्रतसद्ध रहा है। इस घराने के गायक ख़्याल गायकी के तलए जाने
जािे हैं। इसके साथ ही बनारस घराने के िबला वादकों की भी अपनी एक स्विंत्र शैली रही है।
• बनारस घराने के ठाकुर जयदेव तसंह को संगीि शास्त्र का तपिामह कहा जािा है।
• बनारस घराना के प्रमख ु शहनाई वादक- तबतस्मल्लाह खान, ममु िाज खान।
• बनारस घराने के प्रमख
ु तसिार वादक-पतं डि रतवशंकर, राजभाव तसंह।
• बनारस घराने के प्रमखु िबला वादक- रामसहाय, जानकी सहाय, पंतडि समिा प्रसाद तमश्र (गदु ई महाराज)वीरू
तमश्र ,मौलवी राम तमश्र ,अनोखेलाल तमश्र,तकशन महाराज, कंठे महाराज।
अतरौली घरािा
• अिरौली घराना के संस्थापक अलीगढ़ जनपद के अिरौली स्थान में जनू ागढ़ ररयासि से संबद्ध दो भाई काले खान
एवं िांद खान माने जािे है। दल्लू खान और छज्जू खान इसी घराने से संबंतिि थे जो ध्रपु द िमार गायन के तलए
प्रतसद्ध थे।
रामपुर-सहस्िाि घरािा
• रामपरु -सहस्वान घराना तहंदस्ु िानी संगीि के प्रतसद्ध घरानों में से एक है
• घराने के प्रमख ु गायक -उस्िाद गल ु ाम मस्ु िफा खान, मोहपमद अली खान
• सप्रु तसद्ध संगीिज्ञ आिाया बृहस्पति के अनसु ार रामपरु घराने के संस्थापक नेमि खान और सदारंग थे।
िाषा नििाग
• उत्तर प्रदेश के प्रथम भाषा तहदं ी है एवं 1989 को उदाू को तद्विीय राजभाषा का दजाा तदया गया
कनि उपिाम/लोकनप्रय
• मतलक मोहपमद जायसी
• आतमर खसु रो ििू ी ए तहदं
• अयोध्या तसहं उपाध्याय हररऔि
• सयू ाकांि तत्रपाठी तनराला,महाप्राण
• हरबसं राय बच्िन(हालावादी कतव)
• राजा तशव प्रसाद तसिारे तहदं
• भारिेंदु हररश्चंद्र तहदं ी नवजागरण के अग्रदिू
• िलु सीदास तहदं ी के जािीय कतव
• महादेवी वमाा आितु नक यगु की मीरा
• िनपि राय मश ंु ी प्रेमिदं
स्थल अिनस्थनत
• दशाविार मंतदर देवगढ़ लतलिपरु
• नरतसंह टीला जालौन
• रानी महल झासं ी
• व्यास टीला जालौन
• कामदतगरर पवाि तित्रकूट
• कातलंजर दगु ा बांदा
• िौरासी गंबु द कालपी जालौन
• मकरबई मतं दर महोबा
• बेल्हा देवी मंतदर प्रिापगढ़
• आनदं भवन प्रयागराज
• कडकशाह बाबा की मजार कौशांबी
• फांसी इमली शहीद स्थल प्रयागराज
• बावनी इमली शहीद स्थल फिेहपरु
• िानपरु शहीद स्मारक िंदौली
• सीिामढ़ी िातमाक स्थल भदोही
• सोमनाथ मंतदर देवररया
• काल भैरव मंतदर वाराणसी
• भारि मािा मंतदर वाराणसी
• लाडा कानावातलस का मकबरा गाज़ीपरु
• देवी पाटन मतं दर बलरामपरु
• िाइना मंतदर श्रावस्िी
• भृगु मंतदर बतलया
• माथा कंु वर बद्धु प्रतिमा कुशीनगर
• रे णक
ु े श्वर महादेव मंतदर सोनभद्र
• नैतमषारण्य सीिापरु
• सतं कसा फरुाखाबाद
• मगु ल घाट फरुाखाबाद
• घतटयाघाट फरुाखाबाद
• खानकाह रशीतदया मैनपरु ी
• असई तकला तदगंबर मतू िायां इटावा
• भगवान वराह मंतदर सोरों कासगंज
• रजा लाइब्रेरी रामपरु
• सीिाकंु ड घाट सल्ु िानपरु
• रूमी दरवाजा लखनऊ
• लोिेश्वर मंतदर बाराबंकी
• श्री दाऊजी महाराज हाथरस
• हररदेव मंतदर मथरु ा
• एजाज अली हाल तबजनौर
• दान िीरथ मेरठ
• झारखंडेश्वर तशवतलंग हापडु
• शि ु िाल का तशव मंतदर मजु तफरनगर
• शाकंभरी देवी मंतदर सहारनपरु
मध्य प्रदेश से सीमा बिािे िाले नजले – 11 ( आगरा, इटावा, जालौन, झांसी, लतलिपरु , महोबा, बांदा, तित्रकूट,
प्रयागराज, तमजाापरु , सोनभद्र)
नबहार से सीमा बिािे िाले नजले - 07 ( सोनभद्र, िदं ौली, गाजीपरु , बतलया, देवररया, कुशीनगर, महराजगजं )
उत्तराखडं से सीमा बिािे िाले नजले- 07 ( सहारनपरु , मजु तफरनगर, तबजनोर, मरु ादाबाद, रामपरु , बरे ली एवं पीलीभीि)
नदल्ली से सीमा बिािे िाले नजले- 02 ( गातजयाबाद, गौिमबद्ध ु नगर (नोएडा))
छत्तीसगढ़ से सीमा बिािे िाले नजले – 01 ( सोनभद्र)
झारंखंड से सीमा बिािे िाले नजले- 01 ( सोनभद्र)
सोििद्र से सीमा बिािे िाले राज्य – 04 ( मध्य प्रदेश, छत्िीसगढं , तबहार, झारखडं )
सहारिपरु से सीमा बिािे िाले राज्य- 03 ( हररयाणा, तहमािल प्रदेश, उत्िराखण्ं ड)
प्रदेश का नििाजि — 9 नवंबर, 2000 (13 तजलों के साथ उत्तराखंड)
राष्टरीय राजधािी क्षेत्र ( एि सी आर) में सनम्मनलत उत्तर प्रदेश के नजले – 8 ( मेरठ, गातजयाबाद, गौिम बद्ध
ु नगर,
हापडु , बागपि, बुलंदशहर, मजु तफरनगर, शामली)
→एनसीआर में शातमल करने हेिु प्रस्िातवि तजले:- मथरु ा, हाथरस, सहारनपरु , अलीगढ़
Note :- NCR में सवाातिक तजले हररयाणा राज्य ( 14 तजले) के हैं, जबतक राजस्थान के मात्र दो तजले NCR में शातमल
हैं।
न्यायालय
▪ न्यातयक अनसु ंिान एवं प्रतशक्षण कें द्र – लखनऊ ( 1886 में)
▪ उच्ि न्यायालय – प्रयागराज ( एक खण्ं डपीठ – लखनऊ)
▪ उच्ि न्यायालय की स्थापना – 17 मािा 1886 को
▪ उच्ि न्यायालय में न्यायािीश की स्वीकृ ि सख्ं या – 160
▪ राज्य में सी.बी.आई. कोटा – 06 ( 4 लखनऊ, 02 गातजयाबाद)
▪ पाररवाररक मामलों के तलये पाररवाररक न्यायालयों की शरुु आि- 1984 से
▪ प्रदेश में कुल 6 औद्योतगक न्यायातिकरण – प्रयागराज, लखनऊ, मेरठ, आगरा, कानपरु , गोरखपरु
▪ प्रदेश में श्रम न्यायालय- 20
▪ कॉमतशायल कोटा- 20
िगर निगम कारागार
1. लखनऊ ➢ प्रदेश में तजला कारागारों की संख्या – 72
2. आगरा
➢ उप कारागारों की संख्या – 02 (महोबा व
3. कानपरु
देवबदं )
4. प्रयागराज
➢ प्रदेश में कें द्रीय कारागार- 05 ( फिेहगढ़,
5. वाराणसी
नैनी, बरे ली, आगरा, वाराणसी)
6. मेरठ
7. गोरखपरु ➢ प्रदेश का पहला कें द्रीय कारागार- आगरा
8. बरे ली ( 1844)
9. गातजयाबाद ➢ तकशोर सदन ( अल्पवयस्क कारागार) – 01
10. अलीगढ़ ➢ ( बरे ली)
11. मरु ादाबाद ➢ नारी बंदी तनके िन – 01 ( लखनऊ)
12. झांसी ➢ संपणू ाानंद कारागार प्रतशक्षण संस्थान-
13. सहारनपरु लखनऊ ( 1940)
14. तफरोजाबाद ( 2015)
15. अयोध्या ( 2017)
16. मथरु ा- वृंदावन
17. शाहजहांपरु
कृनष
गेहूँ:-
→राज्य की सवाप्रमख
ु फसल
→सवाातिक उत्पादकिा — गंगा-घाघरा दोआब क्षेत्र
गन्िािः-
→राज्य की सवाातिक महत्पणू ा नकदी/व्यापाररक फसल
→राज्य की सवाातिक तसंतिि फसल
→मेरठ तजले का गन्ना सबसे अतिक अच्छा माना जािा है।
अफीमिः-
→सवाातिक उत्पादन — बाराबंकी
→एक मात्र फै क्री — गाजीपरु
पटसि/जटू िः-
→प्रदेश में जटू तमलें — कानपरु , सहजनवा (गोरखपरु )
आमिः-
→स्टेट आम — सहारनपुर, मेरठ
→दशहरी (मलीहाबादी) — मलीहाबाद (लखनऊ)
→सफे दा, िौसा — सहारनपुर
→स्टौल — मेरठ, बागपि
→लंगडा — वाराणसी
→आम तनयाािक जोन – लखनऊ और सहारनपरु
ििाब ब्ांडिः-
→ नवाब ब्राडं नाम से प्रदेश में उत्पातदि आम को अन्य दसू रे प्रदेशों और देशों में बेिा जािा है। इसमें मख्ु य रूप से
दशहरी, िौसा, लगं डा इत्यातद आम शातमल है।
आलूिः-
→अन्य प्रदेशों में िाज ब्रान्ड के नाम से बेंिा जािा है।
सतं रा :-
→सहारनपरु
मृदा अपरदि
कृनष/योजिाए/कायाक्रम
िई कृनष िीनत-2013:-
→कृ तष की तवकास दर 5.1% लतक्षि
दुग्ध निकास
• राज्य दग्ु ि पररषद की स्थापना- 1976
• राज्य में ऑरे शन तलड का प्रथम िरण 1973 में वाराणसी, मेरठ व बतलया से तकया गया था।
• उत्िर प्रदेश गौसेवा आयोग की स्थापना 1999 में की गई।
• गोकुल पुरस्कार भैंस या गायों की तकसी भी नस्ल के सवाातिक दग्ु ि उत्पादकों हेिु तमलिा है।
• देशी नस्ल की गायों से सवाातिक दग्ु ि उत्पादकों को नंद बाबा परु स्कार तमलिा है।
• राज्य में प्रतितदन प्रतिव्यतक्त दग्ु ि उपलधििा- 371 ग्राम/ तदन (2018-19)
पशु नचनकत्सा पाली क्लीनिकिः-
→मजु तफरनगर, गोरखपरु , लखनऊ
कामधेिु योजिािः-
→5 मािा 2014
एग्रो पाका :-
→हापडु , सहारनपुर, लखनऊ, वाराणसी।
झीलें
→बखीरा — सिं कबीर नगर
→करेला झील — लखनऊ
→इतौजा झील — लखनऊ
→बेंती झील — प्रिापगढ़
→िइयाूँ झील — प्रिापगढ़
→नसरसी जलाशय — तमजाापरु
→नजगो जलाशय — तमजाापरु
→टाष्टातरी ताल — तमजाापरु
→लीलोर झील — बरे ली
→मुंगताल — रायबरे ली
→मोती झील, गौर झील — रामपरु
→बरुआ सागर जलाशय — झाुँसी
→लक्ष्मी ताल — झाुँसी
→बलहापारा झील, मोती झील — कानपरु
→मदि सागर — महोबा
→रामगढ़ ताल — गोरखपुर
→देिररया ताल — कनौज
→दखि झील — अपबेडकर नगर
→फुल्हर झील — पीलीभीि
→दहर झील — हरदोई
→िौह झील — मथरु ा
→राधाकुण्ड — गोवािन (मथरु ा)
→सुरहाताल — बतलया
→बडा ताल — शाहजहाुँपरु
→शेखा झील — अलीगढ़
→नछतौरा झील — बहराइि
→सौज़ झील –– मैनपरु ी
→सरसई िािर झील –– इटावा
बाूँध
जल प्रपात
→निंधम — तमजाापरु
→राजदारी — िंदौली
→देिदारी — तमजाापरु
→टाण्डा — तमजाापरु
→कुसेहरा — तमजाापरु
प्रमुख पररयोजिाूँए
→राजघाट बाूँध एिं िहर पररयोजिा — लतलिपरु -बेिवा नदी, उ0 प्र0 + म0 प्र0
→बाण सागर पररयोजिा — शहडोल-सोन नदी, उ0 प्र0 + म0 प्र0 + झारखण्ड
→गण्डक िदी पररयोजिा — नेपाल-बढ़ू ी गण्डक नदी, उ0 प्र0 + तबहार + नेपाल
→हथिी कुंड बैराज — सहारनपरु -यमनु ा, उ0 प्र0 + हररयाणा + तहमांिल + तदल्ली + राजस्थान
पेय पररयोजिाएूँ:-
→गगं ा जल पररयोजिा — प्रिाप तवहार – गगं ा नदी पर
→लिकुश बैराज — कानपुर-गंगा नदी पर
→गोकुल बैराज — गोकुल-यमनु ा नदी पर
→आगरा बैराज — आगरा- यमनु ा नदी पर
प्रमुख बाूँध:-
बाूँध नजला िदी
तजगो जलाशाय तमजाापरु तजगो
मेजा जलाशाय तमजाापरु बेलन नदी
अहरौरा बाुँि तमजाापरु गरई नदी
मािाटीला बाुँि (िीसरा ऊुँिा) लतलिपरु बेिवा नदी
सकु ु मा डुकुमा बाुँि झाुँसी बेिवा नदी
पारीक्षा बाुँि झाुँसी बेिवा नदी
पथरई बाुँि झाुँसी पथरई नदी
ररहन्द बाुँि (दसू रा ऊुँिा) सोनभद्र ररहन्द नदी
राम गंगा (सबसे ऊुँिा) तबजनौर राम गंगा नदी
राजघाट लतलिपरु बेिवा नदी पर
गोतवन्द सागर लतलिपरु शहजाद नदी पर
िन्द्रप्रभा िन्दौली िन्द्रप्रभा नदी
मौहदा हमीरपरु तबरमा नदी
कन्हार सोनभद्र गरई नदी
नसंचाई
→नलकूप(72.17%) > नहर(19.44%) > िालाब(0.75%)
→नलकूपों द्वारा सवाातिक तसंिाई — पतश्चमी उत्तर प्रदेश
→नहरों द्वारा सवाातिक तसंिाई — पतश्चमी उत्तर प्रदेश
→सवाातिक भतू मगि जल का उपयोग करने वाला तजला — आगरा
→देश में नलकूपों द्वारा तसंतिि सवाातिक क्षेत्रफल — उत्तर प्रदेश
िहरें
टाइगर ररजिा
→दिु वा टाइगर ररजवा — लखीमपरु (खीरी) – 1987-88 (तकशनपरु वन्य जीव तवहार + किरतनयाघाट वन्य जीव तवहार)
→2012 में तबजनौर के अमनगढ़ क्षेत्र को काबेट टाइगर ररजवा का बफर जोन घोतषि तकया गया।
→पीलीभीि टाइगर ररजवा — 9 जनू 2014 पीलीभीि िथा शाहजहाुँपरु तजले में
प्रदेश के िन्य जीि निहार
→सबसे पहला/परु ाना वन्य जीव तवहार — िन्द्रप्रभा वन्य जीव तवहार
→सबसे बडा वन्य जीव तवहार — हतस्िनापुर वन्य जीव तवहार
→सबसे छोटा वन्य जीव तवहार — महावीर स्वामी वन्य जीव तवहार
→सबसे नया वन्य जीव तवहार — कछुआ वन्य जीव तवहार
प्रदेश के एक्सप्रेस-िे
गंगा एक्सप्रेस िे :-
→ लम्ं बाई:- 8 लेन, 594 तकमी0
→कहां से कहां तक:- तबजौली गांव (मेरठ) से जदु ापरु दांण्डू गांव ( प्रयागराज)
→ शातमल तजले:- (12 तजले) मेरठ, हापडु , बल ु दं शहर, अमरोहा, संबल, बदं ाय,ू शाहजाहं ापरु , हरदोई, उन्नाव,
रायबरे ली, प्रिापगढ़, प्रयागराज
→ यह भी ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे है।
→ निशेष:- 1 अप्रैल 2022 को इस योजना को तदल्ली- मेरठ एक्सप्रेस वे से जोडने व गगं ा एक्सप्रेस वे को प्रयागराज
से बढ़ािे हुए वाराणसी िक जोडने का प्रस्िाव तवभागीय मत्रं ी ने तदया है।
रेल पररिहि
→ रे लपथ में उत्तर - प्रदेश का प्रथम स्थान है।
→ पहली रे लगाडी – 1859 ई0 में इलाहाबाद-कानपरु
→ देश व यपू ी का सबसे छोटा रे ल मण्डल — मगु लसराय
→ एतशया व भारि का सबसे लपबा तबजली लोकोसेड — मगु लसराय
→ भारि का सबसे लपबा प्लेटफामा — गोरखपरु ( 1366.33 मीटर)
→ डीजल इजं न कारखाना — मडुआडीह
→रे ल सवारी कोि कारखाना — लालगंज
→रे ल पतहया कारखाना — रायबरे ली
→रे ल तडधबा ररपेयर कारखाना — गोरखपरु
→क्षेत्रीय रे ल प्रतशक्षण सस्ं थान –– गाजीपरु
→ रे लवे संग्रहालय – वाराणसी
→प्रदेश में उत्तर रे लवे जोन का सवाातिक तवस्िार है।
→ देश में कुल 18 रे लवे जोन है तजनमें से 5 रे ल जोनों की लाइनें उत्िर प्रदेश से होकर गजु रिी हैं।
→ भारि की सबसे अतिक लंपबी रे लगाडी प्रयागराज एक्सप्रेस है तजसमे 26 कोि लगे हुए हैं।
िायु पररिहि
विामान में प्रदेश में 2 अंिाराष्रीय हवाई अड्डों सतहि कुल 8 हवाई अड्डे तसतवल उडानो सेवाओ ं के तलये कायाशील हैं।
जल पररिहि
→ भारि सरकार ने गगं ा नदी में प्रयागराज ( उत्िर प्रदेश) से हतल्दया (पतश्चम बगं ाल) िक के 1620 तकमी लपबे मागा
को 1986 में राष्रीय जल मागा नपबर एक घोतषि तकया था, जो देश का सबसे लपबा आन्ं िररक जल मागा है।
उत्तर प्रदेश – अथाव्यिस्था पररदृश्य
→प्रदेश की अथाव्यवस्था में योगदान — िृिीयक क्षेत्र > प्राथतमक क्षेत्र > तद्विीयक क्षेत्र
→सकल राज घरे लू उत्पाद में सवाातिक योगदान – सेवा क्षेत्र
→देश के कुल आय में उ0 प्र0 का योगदान — लगािार घट रहा है।
→प्रदेश में सवाातिक प्रति व्यतक्त आय वाला तजला – गौ. ब.ु नगर
→प्रदेश में न्यनू िम प्रति व्यतक्त आय वाला तजला – बलरामपरु
→प्रति वगा तकमी. क्षेत्रफल में सावातिक उद्यमों की सख्ं या – गातजयाबाद (175.73)
→प्रति वगा तकमी क्षेत्रफल में न्यनू िम उद्यमों की संख्या- सोनभद्र ( 4.42)
→सवाातिक रोजगार प्रदान करने वाला तजला- गौिम बुद्ध नगर
→न्यनू िम रोजगार प्रदान करने वाला तजला- तित्रकूट
राजस्ि नििागिः-
चीिी उद्योगिः-
→भारि की पहली – 1903 में प्रिापपरु (देवररया)
गन्िािः-
→उत्तर प्रदेश गन्ना तकसान संस्थान — 1975 में लखनऊ
→उत्तर प्रदेश शोि पररषद — शाहजहाुँपरु
→उत्तर प्रदेश गन्ना सतमति संघ तल0 — लखनऊ 1949
→उत्तर प्रदेश गन्ना तवकास तवभाग — 1935
→गन्ना शोि एवं बीज संविान के न्द्र — शाहजहाुँपुर
→उ0 प्र0 गन्ना अनसु ंिान के न्द्र — शाहजहाुँपरु
→उत्तर प्रदेश राज्य िीनी तनगम तल0 – 1971
सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्सिः-
PGI — लखनऊ — Centre of Excellence for insesetflites Research
AMU — Centre of Excellence for malinial Science Research
सरदार पटेल कृनष निश्व निद्यालय मेरठ — Centre of Exellence for Agribiotechnolgy
Research
िक्षत्रशालाएूँ:-
→इतं दरा गाुँिी नक्षत्रशाला — लखनऊ — शातनग्रह के आकार में
→वीर बहादरु तसंह नक्षत्रशाला — गोरखपरु — सबसे बडी
→जवाहर नक्षत्रशाला — इलाहाबाद
→डॉ भीमराव अपबेडकर नक्षत्रशाला — रामपरु — लेजर िकनीक पर आिाररि
→भारि का जैव प्रौद्योतगकी नगर — लखनऊ
→नील-हररि शैवाल जैव उवारक पररयोजना — लखनऊ (बख्शी िालाब)
→जेरोफा क्लोतनगं पररयोजना — लखनऊ (बक्शी िालाब)
→प्रदेश में तवज्ञान का सबसे बडा परु स्कार — तवज्ञान गौरव पुरस्कार
→1974 राज्य सिू ना प्रौद्योतगकी तवभाग की स्थापना
नचनकत्सा-प्रौद्योनगकीिः-
→1983 में SPGI की स्थापना — इसी के द्वारा देश के पहले टेलीमेरीसीन संस्थान की स्थापना
→राष्रीय मानतसक तितकत्सा — वाराणसी, बरे ली
→संिामक रोग तितकत्सा — मथरु ा, फै जाबाद, तमजाापरु
→संिामक रोग तितकत्सा — मथरु ा, फै जाबाद, तमजाापरु
→राज्य का पहला एड्स हॉतस्पटल — कानपरु मेतडकल कॉलेज
पयाािरणिः-
→1976 में — पयाावरण तनदेशालय का गठन (सवाातिक एड्स रोगी-वाराणसी)
→उ0 प्र0 प्रदषू ण तनयंत्रण बोडा — 1982 (13 July)
→जल व वायु प्रयोगशाला — लखनऊ
→िाज रेपेतजयम पररयोजना — 1999 ई0
→मीनासा व नाकाम — नतदयों के जल की शद्ध ु िा की जांि
→तजला प्रदषू ण कायािम — 4 झीले रामगढ़-गोरखपरु , मानसीभगं ा — मथरु ा, लक्ष्मी िाल —
झाुँसी, मदन सागर — महोबा
उत्तर प्रदेश जिजानतयाूँ:-
→प्रदेश की कुल जनसंख्या में 0.6% ST जिजानत संबंनधत जिपद
→प्रदेश की जनजातियाुँ जो सिू ीबद्ध नहीं है सहररया लतलिपरु
— माहीगीर, बनरावि (सबसे छोटी) खरवार देवररया, बतलया,
→जालौन िथा फै जाबाद में कोई जनजाति सोनभद्र
नहीं पायी जािी है। गोंड महाराजगंज, तसद्धाथा
नगर, बस्िी, गोरखपरु ,
थारूिः- देवररया
→ तकरािवंशी जनजाति) — प्रदेश की सबसे बैगा सोनभद्र
बडी जनजाति पंखा ( पतनका) सोनभद्र
अगररया सोनभद्र
→संयक्त ु पररवार वाली प्रथा
पठारी सोनभद्र
→मख्ु य आराध्यदेव-तशव, मख्ु य आराध्य बक्ु सा तबजनौर
देवी-काली भइु या, भतु नया सोनभद्र
→मख्ु य भोजन — िावल, पेय-िावल की िेरो सोनभद्र, वाराणसी
जाड (मतदरा)
→प्रमख ु त्योहार — बजहर – वैशाख/ज्येष्ठ
महीने में, पीपल/बरगद के नीिे
→मकर सक्रानन्त, दीपािली — शोक के रूप में
→तस्त्रयाुँ अपनी मारी गई मछतलयाुँ खािी है।
→बदला-तववाह प्रथा प्रितलि है।
→तविवा तववाह का भोज — वठभरवा
→लखीमपरु खीरी में इनके तलए तवश्वतवद्यालय बनाया गया है।
बुक्सा/िोक्सािः-
→ मख्ु य स्थान – तबजनौर
→पिवार राजघराने से सबंतिि है।
→मख्ु य भाषा — तहन्दी
→तहन्दओु जैसा वणा तवभाजन
→मख्ु य भोजन — मछली, िावल
→अथाव्यवस्था का आिार — कृ तष
→प्रमख
ु आराध्य देवी — िामण्ु डा
→राजनीतिक संगठन का सवोच्ि — िखि
→नौकरी करना पसदं नही
खरिार/खैरिारिः-
→मख्ु यिः सोनभद्र ,देवररया बतलया गाजीपरु
→नृत्य — करमा
→पवा — तजउतिया
→पेय — मतदरा
→खख ू ांर प्रकृ ति के होिे हैं।
→तस्त्रयाुँ — टोना करने में मतहर होिी है।
माहीगीरिः-
→तबजनौर
→इस्लाम िमाानयु ायी — अतिकारी – बादशाह वजीर
→एकीकृ ि जनजाति तवकास पररयोजना — लखीमपरु , सोनभद्र
→थारू तवकास पररयोजना — बलरामपरु
→बक्ु सा जनजाति तवकास पररयोजना — नजीबाबाद
→तबखारी जनजाति तवकास पररयोजना — सोनभद्र
→प्रदेश की कुल जनसख्ं या में ST का % — 0.6%
सहररया जनजाति — लतलिपरु
उत्तर प्रदेश – नशक्षा व्यिस्था, सानहत्य, पनत्रकाएूँ:-
िाषा
6 जनवरी, 1968 — प्रदेश के सभी कायाालयों में राजभाषा तहन्दी
1989 — उदाू तद्विीय राजभाषा घोतषि
पत्र/पनत्रकािः-
पत्र/ पनत्रका संबंनधत
आरोग्य गोरखपुर से
कल्याण गोरखपुर से
नई िालीम वाराणसी
बालसखा इलाहाबाद
ज्ञान भारिी लखनऊ
तवश्व भारिी पुरस्कार उ0 प्र0 संस्कृ ि संस्थान द्वारा
कल्प योजना प्राथतमक तशक्षा से
निजामद्दु ीि औनलया- महान सफ ू ी सिं तनजामद्दु ीन औतलया का जन्म उत्तर प्रदेश के बदायंू में 1236
ईसवी में हुआ था यह सफ
ू ी संि बाबा फरीद के तशष्य थे।
अमीर खस ु रो - अमीर खसु रो का जन्म 1253 ईस्वी में उत्तर प्रदेश तजले के कासगंज तजले के पतटयाली
नामक स्थान पर हुआ था वह फारसी भाषा के महान कतव व इतिहासकार थे उनकी उपाति ितु िये ए
तहदं थी, इन्हें तहदं ी खडी बोली का जनक भी माना जािा है।
टोडरमल - टोडरमल अकबर के नवरत्नों में से एक थे इनका जन्म उत्तर प्रदेश के सीिापरु तजले के
लहरपरु गावं में हुआ था विामान में नायब िहसीलदारों के प्रतशक्षण कें द्र का नाम राजा टोडरमल के
नाम पर ही हरदोई में तस्थि है।
अबुल फजल - यह शेख मबु ारक के पत्रु और फ़ै ज़ी के छोटे भाई थे, यह फ़ारसी, संस्कृ ि, अरबी व
तहदं ी के तवद्वान थे एवं उन्होंने अकबर के दतक्षण के कई अतभयानों में भी भाग तलया यह उत्तर प्रदेश के
आगरा के तनवासी थे।
िोट- इतिहास के आईने में उत्तर प्रदेश नामक प्रथम अध्याय में इस पॉइटं का तवस्िृि अध्ययन है, उसके
अतिररक्ि अन्य िांतिकारी/ नेिा यहां तदये जा रहे हैं-
मोतीलाल िेहरु:- इनका जन्म प्रयागराज में 1861 में हुआ था, ित्कालीन समय में इनकी तगनिी
तवश्व के 10 प्रमख
ु वकीलों में की जािी थी।
जिाहर लाल िेहरु:- इनका जन्म 14 नवंबर 1889 को प्रयागराज में हुआ था।
राम प्रसाद नबनस्मल:- यह उत्िर प्रदेश के शाहजहं ापरु तजले से सबं ंतिि थे। काकोरी के स में इन्हे
गोरखपुर जेल में फांसी दी गई थी।
चंद्रशेखर आजाद:- यद्दतप इनका जन्म 23 जल ु ाई, 1906 को अलीराजपुर( मध्य प्रदेश) में हुआ था,
लेतकन मलू रूप से यह उत्िर प्रदेश के उन्नाव तजले के बदरकापुर गांव के तनवासी थे।
मंगलपाण्डे:- 1857 की िांति के नायक मंगल पाण्डे का जन्म 1827 में उत्िर प्रदेश के बतलया तजले
के नगवा गांव में हुआ था।
नचत्तु पाण्डे:- भारि छोडो आंदोलन के दौरान अस्थायी सरकार बनाने वाले तित्िु पाण्डे उत्िर प्रदेश
के बतलया तजले के तनवासी थे।
लाल बहादुर शास्त्री:- इनका जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को िंदौली तजले के मगु लसराय तजले में हुआ
था।
सानहनत्यक व्यनित्ि
व्यनित्ि जन्मस्थाि
कबीर दास वाराणसी
सरू दास मथरु ा (सीही
िलु सीदास राजापरु ग्राम( तित्रकूट)
रै दास/ रतवदास वाराणसी
भषू ण कानपुर
जगन्नाथ दास रत्नाकर वाराणसी
लल्लु लाल (तसंहासन बत्िीसी, बेिाल पच्िीसी) आगरा
मंश
ु ी प्रेमिंद्र वाराणसी
भारिेंदु हरीशिंद्र वाराणसी
सयू ाकांि तत्रपाठी तनराला उन्नाव
महादेवी वमाा फरुाखाबाद
जयशक ं र प्रसाद वाराणसी
महावीर प्रसाद तद्ववेदी रायबरे ली
मैथली शरण गप्ु ि झासं ी
आिाया रामिंद्र शक्ु ल बस्िी
आिाया हजारी प्रसाद तद्ववेदी बतलया
सतच्िदानंद वत्स्यायन (अज्ञेय) कुशीनगर
वृंदावन लाल वमाा झांसी
डॉ. सपपणू ाानंद वाराणसी
राहुल साकृ त्यायन आजमगढ़
िमावीर भारिी प्रयागराज
उत्तर प्रदेश के पयाािरण संबंधी मुद्दे
→पयाावरण तनदेशालय का गठन 1976 में तकया गया, तजसके क्षेत्रीय कायाालय मेरठ और वाराणसी
में तस्थि हैं
→1975 में ‘उत्िर प्रदेश जल प्रदषू ण तनवारण िथा तनयंत्रण बोडा’ का गठन तकया गया इसका
मख्ु यालय लखनऊ में है, िथा प्रदेश भर में इसके 25 क्षेत्रीय कायाालय हैं।
→गंगा नदी संरक्षण प्रातिकरण का गठन 2009 में तकया गया।
→झील प्रदषू ण तनयंत्रण कायािम में प्रदेश की 4 झीलें ( रामगढ- गोरखपरु , मानसीगंगा- मथरु ा,
लक्ष्मीिाल – झांसी, मदनसागर – महोबा ) को शातमल तकया गया है।
→नेशनल एयर क्वॉतलटी मोतनटररंग प्रोग्राम के अंिगाि प्रदेश के 21 प्रमखु नगरों में एयर क्वॉतलटी
इडं ेक्स लगाये गये हैं।
→मािा 2011 से राज्य में 40 माइिोन की मोटाई िक की पोतलतथन बैन कर दी गई है।
→प्रदेश में तवज्ञान और प्रौद्योतगकी पररषद का गठन 1975 में तकया गया था।
िक्षत्रशाला
→इतं दरा गांिी नक्षत्रशाला – लखनऊ
→वीरबाहुदर तसंह नक्षत्रशाला- गोरखपरु
→आयाभट्ट नक्षत्रशाला – रामपरु
→जवाहर नक्षत्रशाला – प्रयागराज
Note:- आयाभट्ट नक्षत्रशाला का पवू ा में
नाम भीमराव अंबेडकर नक्षत्रशाला था।
नजला पंचायत:-
तत्रस्िरीय पिं ायि व्यवस्था में सबसे ऊपर तजला पिं ायि होिी है,तजसके अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का
िनु ाव तजला पंिायि के सदस्यों द्वारा तकया जािा है और तजला पंिायि के सदस्यों को िनु ाव क्षेत्र की
वयस्क जनिा द्वारा तकया जािा है। तजला पंिायि के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तवरुद्ध अतवश्वास
प्रस्िाव िनु े जाने के पश्िाि् 1 वषा िक नहीं लाया जा सकिा। तजला पंिायि अपने सदस्यों में से 6
प्रकार की सतमतियां बनािी है, यथा- प्रशासतनक सतमति, तनयोजन एवं तवकास सतमति, तशक्षा सतमति,
तनमााण काया सतमति, स्वास््य एवं कल्याण सतमति, जल प्रबिं सतमति। ध्यािव्य है तजला पिं ायि के
राजनैतिक प्रमख ु अध्यक्ष होिा है और प्रशासतनक प्रमख
ु तजला पिं ायि राज अतिकारी/ मख्ु य तवकास
अतिकारी होिा है।
क्षेत्र पच
ं ायत:-
तत्रस्िरीय व्यवस्था में दसू रे स्िर पर क्षेत्र पिं ायि होिी है। प्रत्येक क्षेत्र पिं ायि में 1 प्रमख
ु (धलॉक
प्रमख ु ), एक उपप्रमखु होिा है। प्रमख ु का िुनाव ग्राम सभा द्वारा िुने गये क्षेत्र पंिायि के सदस्यों के
द्वारा होिा है। तजला पंिायि की िरह क्षेत्र पंिायि के प्रमख ु और उपप्रमख ु के तवरुद्ध अतवश्वास प्रस्िाव
िनु े जाने के 1 वषा के भीिर नहीं लाया जा सकिा। यहां पर भी तजला पंिायि की िरह 6 सतमतियों का
गठन तकया जािा है। ध्यािव्य है तक क्षेत्र पंिायि का राजनैतिक प्रमख ु धलॉक प्रमख ु होिा है, वहीं
प्रशासतनक प्रमख ु खण्ं ड तवकास अतिकारी (BDO) होिा है।
ग्राम पंचायत:-
ग्राम पंिायि का अध्यक्ष प्रिान होिा है तजसका िनु ाव प्रत्यक्ष रूप से ग्राम सभा के 18 वषा के आयु
के मिदािाओ ं द्वारा तकया जािा है। ग्राम पंिायि के सदस्यों का भी िनु ाव प्रत्यक्ष रूप से ग्राम सभा
द्वारा तकया जािा है। ग्राम पिं ायि का सदस्य या प्रिान िनु े जाने हेिु न्यनू िम आयु सीमा 21 वषा है।
तकसी ग्राम पंिायि की पहली बैठक उसके गठन के 30 तदन के अंदर होना अतनवाया है। इसके बाद
सामान्यि: प्रत्येक माह 1 बैठक होनी िातहये, और दो बैठकों के बीि 2 महीने से अतिक का अंिर
नहीं होना िातहये।
तकसी ग्राम प्रिान को हटाने के तलये- 15 तदन पवू ा सिू ना देकर ग्राम सभा की तवशेष बैठक बल ु ाई जािी
है, बैठक में ग्राम सभा के कम से कम 1/3 सदस्यों का होना अतनवाया है। इस बैठक में उपतस्थि और
मिदान करने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमि द्वारा प्रिान को हटाया जा सकिा है। यतद बैठक में प्रिान को
हटाने सबंतिि प्रस्िाव पास न हो िो ऐसा दसू रा प्रस्िाव इस बैठक के 1 वषा बाद ही लाया जा सकिा
है।
ध्यािव्य है तक ग्राम पिं ायि का राजनैतिक प्रमख
ु प्रिान होिा है वहीं प्रशासतनक प्रमख
ु , पिं ायि सतिव
होिा है।
िगर निगम:- नगरीय तनकाय का सबसे उच्ि स्िर नगर तनगम है नगर तनगम में एक नगर प्रमख ु
(मेयर) एक उप मेयर व िीन प्रकार के कई सारे सभासद ( पाषाद) होिे हैं।
नगर प्रमख
ु (मेयर):- नगर प्रमख
ु (मेयर) िनु ाव नगर की वयस्क जनािा द्वारा प्रत्यक्ष रूप से तकया
जािा है। नगर प्रमख
ु 5 वषा के तलये िुना जािा है और पद ग्रहण की तितथ से 2 वषा िक उसके
तखलाफ अतवश्वास प्रस्िाव नहीं लाया जा सकिा। यतद दो वषा के बाद प्रस्िाव लाया गया और
वह पास नहीं हुआ िो उस बैठक से 2 वषा िक ऐसा अतवश्वास प्रस्िाव नहीं लाया जा सकिा।
सभासद:- सभासद में 3 प्रकार के सभासद होिे हैं, यथा- तनवाातिि, मनोनीि एवं पदेन। तनवाातिि
सदस्य प्रत्येक वाडा से 1-1 िनु े जािे हैं। तजनके तलये यह आवश्यक है तक उनका नाम तनवाािक
सिू ी में हो, और उम्र 21 वषा से कम न हो और तविान मण्ं डल का सदस्य होने की योग्यिा रखिे
हों। तनगम में तनवाातिि सभासदों की संख्या 60 से कम और 110 से अतिक नहीं हो सकिी । तनगम
में मनोनीि सदस्यों ( 5 से 10 िक) को राज्य सरकार द्वारा मनोनीि तकया जािा है इन्हें मि का
अतिकार नहीं होिा। पदेन सदस्यों में नगर क्षेत्र वाले MP, MLA, राज्य सभा और तविान पररषद
के सदस्य आिे है।
तनगम सभा में अनेक सतमतियां होिी है तकंिु इनकी संख्या 12 से अतिक नहीं हो सकिी।
िगरपानलका पररषद:-
नगरपातलका पररषद में 1 अध्यक्ष, 1 उपाध्यक्ष व िीन प्रकार के सदस्य होिे हैं। अध्यक्ष का िनु ाव
प्रत्यक्ष तनवाािन के द्वारा तकया जािा है। तनवाातिि सदस्यों की सख्ं या 25 से 55 के बीि होिी है।
मनोनीि सदस्यों की संख्या 3 से 5 के बीि में होिी है। जहां नगर तनगम में 12 से अतिक सतमतियां
नहीं हो सकिीं वहीं नगरपातलका पररषद में इनकी संख्या 5 से अतिक नहीं होनी िातहये।
िगर पंचायत:-
नगर पिं ायि में 1 अध्यक्ष, 1 उपाध्यक्ष, और िीन प्रकार के सदस्य होिे हैं। अध्यक्ष का िनु ाव
जहां प्रत्यक्ष तनवाािन के द्वारा होिा है वहीं उपाध्यक्ष का तनवाािन द्वारा तकया जािा है। तनवाातिि
सदस्यों की संख्या 10 से कम और 24 से अतिक नहीं हो सकिी।