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प्रिलिम्स फैक्ट्स (01 Jan, 2024)
प्रिलिम्स फैक्ट्स (01 Jan, 2024)
धन-शोधन में विधि-विरुद्ध रूप से प्राप्त धन को वित्तीय प्रणाली में एकीकृ त करके विधि सम्मत अथवा "वैध"
दिखाना शामिल है।
इसे वर्ष 2002 में धन-शोधन के खतरे से निपटने के लिये भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता (वियना अभिसमय) की प्रतिक्रिया में
अधिनियमित किया गया था।
नियामक प्राधिकारी:
प्रवर्तन निदेशालय (ED) मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच और मुकदमा चलाने के लिये जिम्मेदार प्राथमिक प्राधिकरण है।
यह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंतर्गत कार्य करता है।
हाल ही में, सर्वोच्च न्यायलय ने निर्णय सुनाया है कि ED PMLA के तहत किसी को के वल उनके सवालों और समन का
प्रत्युत्तर नहीं देने के लिये गिरफ्तार नहीं कर सकता है।
FIU-IND एक राष्ट्रीय एजेंसी है जो प्रवर्तन एजेंसियों और विदेशी FIUs को संदिग्ध वित्तीय विनिमय से संबंधित जानकारी
प्राप्त करने, प्रसंस्करण, विश्लेषण एवं प्रसारण के लिये जिम्मेदार है।
यह एजेंसी वित्त मंत्रालय के अधीन काम करती है।
प्रश्न . चर्चा कीजिये कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय और
अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये किये जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइये।
(2021)
श्रेष्ठ योजना
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 'श्रेष्ठ' योजना पर प्रकाश डाला है। इस योजना को लक्षित क्षेत्रों में
हाईस्कू ल के छात्रों के लिये आवासीय शिक्षा योजना (SHRESHTA) के रूप में जाना जाता है।
पात्रता:
अनुसूचित जाति के छात्र जो वर्तमान शैक्षणिक वर्ष (2021-22) में 8वीं और 10वीं की कक्षा में पढ़ रहे हैं, योजना का लाभ
उठाने के लिये पात्र हैं।
इस योजना में 2.5 लाख रुपए तक की वार्षिक आय वाले हाशिये पर रहने वाले आय-वर्ग से आने वाले अनुसूचित जाति
समुदाय के छात्र पात्र हैं।
परिचालन प्रक्रिया:
यह योजना दो मोड में कार्यान्वित की जा रही है:
मोड 1: श्रेष्ठ विद्यालय
चयन प्रक्रिया:
मेधावी अनुसूचित जाति के छात्रों का चयन प्रतिवर्ष राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित श्रेष्ठ के लिये
राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा (National Entrance Test for SHRESHTA- NETS) के माध्यम से किया जाता है।
चयनित छात्रों को कक्षा 9वीं तथा 11वीं में सर्वश्रेष्ठ सी.बी.एस.ई./राज्य बोर्ड से संबद्ध निजी आवासीय
विद्यालयों में प्रवेश दिया जाता है।
आर्थिक सहायता:
स्कू ल शुल्क तथा छात्रावास शुल्क को कवर करने वाले छात्र के लिये कु ल शुल्क विभाग द्वारा वहन किया जाएगा।
योजना के तहत कक्षा 9वीं से 12वीं तक स्वीकार्य शुल्क ₹ 1,00,000 से ₹ 1,35,000 है।
ब्रिज कोर्स:
छात्रों की स्कू ल के वातावरण में सरलता से अनुकू लन करने की क्षमता को बेहतर करने के लिये नियमित रूप से स्कू ल
समय के उपरांत एक ब्रिज कोर्स प्रदान किया जाता है।
विभाग ब्रिज कोर्स के लिये वार्षिक शुल्क का 10% वहन करता है।
निगरानी:
मंत्रालय नियमित रूप से छात्रों की प्रगति की निगरानी करता है।
मोड 2: NGO/VO संचालित स्कू ल/छात्रावास:
NGO/VO द्वारा 12वीं कक्षा तक संचालित स्कू लों/छात्रावासों को अनुसूचित जाति के छात्रों के लिये स्कू ल फीस और
आवासीय शुल्क के लिये अनुदान मिलता है।
स्कू ल के प्रकार के आधार पर अनुदान प्रति छात्र 27,000 रुपए से 55,000 रुपए तक हो सकता है।
निगरानी:
मंत्रालय नियमित रूप से छात्रों की प्रगति की निगरानी करता है।
पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए संस्थानों को अपनी वेबसाइटों और ई-अनुदान/ऑनलाइन पोर्टल पर प्रदर्शन का खुलासा
करना आवश्यक है।
संस्थानों में कै मरों की स्थापना, निगरानी उद्देश्यों के लिये लाइव फीड प्रदान करना।
सभी संस्थान इस उद्देश्य हेतु गठित एक निरीक्षण दल द्वारा क्षेत्रीय दौरे के लिये उत्तरदायी हैं।
प्रभाव:
सत्र 2023-24 (दिसंबर 2023 तक): 7,543 लाभार्थी।
सत्र 2023-24 में प्रवेश: 142 निजी आवासीय विद्यालयों में कु ल 2,564 छात्रों को प्रवेश दिया गया और स्कू ल की फीस
के लिये 30.55 करोड़ रुपए की प्रतिपूर्ति की गई है।
National Commission for Scheduled Castes (NCSC)' - Orga…
Orga…
योगदान देने वाले कारक: बट्टे खाते में डालना, उन्नयन, और वसूली।
परिचय:
RBI के
अनुसार, कोई परिसंपत्ति तब गैर-निष्पादित हो जाती है जब वह बैंक के लिये आय उत्पन्न करना बंद कर देती है।
NPA आमतौर पर एक ऋण या अग्रिम होता है जिसका मूलधन या ब्याज भुगतान एक निश्चित अवधि के लिये अतिदेय रहता
है।
ज़्यादातर मामलों में ऋण को गैर-निष्पादित के रूप में वर्गीकृ त किया जाता है, जब ऋण का भुगतान न्यूनतम 90
दिनों की अवधि के लिये नहीं किया गया हो।
कृ षि के लिये यदि 2 शस्य ऋतुओं/फसली मौसमों के लिये मूलधन और ब्याज का भुगतान नहीं किया जाता है, तो ऋण
को NPA के रूप में वर्गीकृ त किया जाता है।
प्रकार:
बैंकों को उस अवधि के आधार पर NPA को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में वर्गीकृ त करना आवश्यक है जिसके लिये परिसंपत्ति
गैर-निष्पादित रही है और बकाया की वसूली:
अवमानक परिसंपत्ति: एक अवमानक संपत्ति 12 महीने से कम या उसके बराबर अवधि के लिये NPA के रूप में वर्गीकृ त
परिसंपत्ति है।
संदिग्ध परिसंपत्ति: संदिग्ध परिसंपत्ति वह संपत्ति है जो 12 महीने से अधिक की अवधि से गैर-निष्पादित चल रही हो।
हानि वाली परिसंपत्तियाँ: ऐसी परिसंपत्तियाँ जो संग्रहण योग्य नहीं हैं और जिनकी वसूली की बहुत कम या कोई उम्मीद
नहीं है, साथ ही जिन्हें पूरी तरह से बट्टे खाते में डालने की आवश्यकता है।
सकल NPA(GNPA) और निवल NPA:
यह अनंतिम राशि में कटौती किये बिना NPA की कु ल राशि है।
निवल NPA: सकल NPA में से प्रावधान घटाने पर निवल NPA प्राप्त होता है।
प्रावधान का तात्पर्य ऋणों अथवा NPAs से उत्पन्न होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई करने के लिये बैंकों द्वारा
अलग रखे गए धन से है।
भारत में NPA से निपटने के प्रावधान:
बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को शोध्य ऋण वसूली अधिनियम (RDB अधिनियम), 1993: इसके तहत बैंकों और
वित्तीय संस्थानों पर शोध्य ऋणों पर त्वरित निर्णय लेने तथा उन्हें पुनर्प्राप्त करने के लिये ऋण वसूली अधिकरण (DRT)
तथा ऋण वसूली अपीलीय अधिकरण (DRAT) की स्थापना की गई।
वित्तीय आस्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम (Securitisation
and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest Act- SARFAESI
अधिनियम), 2002: बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं को नयायालय के हस्तक्षेप के बिना डिफॉल्ट उधारकर्त्ताओं की सुरक्षित
परिसंपत्तियों को कब्ज़े में लेने और उसकी बिक्री करने का अधिकार देता है।
दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता ( Insolvency and Bankruptcy Code- IBC), 2016: यह NPA सहित
तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिये एक फास्ट-ट्रैक कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया प्रदान करता है।
IBC ने अपनी स्थापना के बाद से 808 मामलों में फँ से 3.16 लाख करोड़ रुपए के ऋण को सुलझाने में मदद की है।
लोन राइट-ऑफ: बट्टे खाते में डालना/अपलिखित करना (Write-off) का तात्पर्य किसी गैर-निष्पादित ऋण अथवा
परिसंपत्ति को बैंक के रिकॉर्ड से इस स्वीकृ ति के रूप में हटाना है कि ऋण की वसूली की संभावना नहीं है।
यह कार्रवाई उधारकर्त्ता को चुकाने के दायित्व से मुक्त नहीं करती बल्कि वसूली की संभावना को स्वीकार करती है।
उन्नयन (Upgrades): यह एक ऋण खाते को NPA से वापस "मानक" परिसंपत्ति श्रेणी में पुनर्वर्गीकृ त करने की प्रक्रिया को
संदर्भित करता है, यदि कु छ शर्तें पूरी होती हैं, जिनमें शामिल हैं: ब्याज और मूलधन का बकाया उधारकर्त्ता द्वारा भुगतान किया
जाता है।
पुनर्प्राप्ति (Recoveries): पुनर्प्राप्ति, डिफॉल्ट ऋणों या NPA पर इसके लिये कार्रवाई करने के बाद बैंक द्वारा प्राप्त धन या
संपत्ति का प्रतिनिधित्व करती है।
ये पुनर्प्राप्ति विधियों, संपार्श्विक परिसमापन (collateral liquidation), या पुनर्भुगतान ( repayments) के बाद निपटान
का रूप ले सकती हैं।
(a) यह सरकार द्वारा निरूपित विकासपरक योजनाओं की पारिस्थितिक कीमतों पर विचार करने की पद्धति है।
(b) यह वास्तविक कठिनाइयों का सामना कर रही बड़ी कॉर्पोरेट इकाइयों की वित्तीय संरचना के पुनर्संरचन के लिये भारतीय रिज़र्व
बैंक की स्कीम है।
(c) यह के न्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के बारे में सरकार की विनिवेश योजना है।
(d) यह सरकार द्वारा हाल ही में क्रियान्वित ‘इंसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्ट्सी कोड’ का एक महत्त्वपूर्ण उपबंध है।
उत्तर: (b)
यह कानूनी विवाद जेनेरिक AI प्लेटफार्मों के युग में बौद्धिक संपदा (IP) अधिकारों पर व्यापक बहस को रेखांकित करता है।
यह बहस ऐसे समय में जोर पकड़ रही है जब भारत सहित दुनिया के देशों में पुराने प्रतिलिप्याधिकार (कॉपीराइट) कानून हैं
जिन्हें AI की लहर को ध्यान में रखते हुए फिर से कल्पना करने की जरूरत है।
भारत में रचनात्मक कार्यों को कॉपीराइट अधिनियम 1957 के तहत विनियमित किया जाता है।
अधिनियम में, एक "लेखक" वह व्यक्ति होता है जो साहित्यिक, नाटकीय, संगीतमय या कलात्मक रूपों में कं प्यूटर-जनित
कार्यों को बनाने के लिये ज़िम्मेदार होता है।
हालाँकि, यह परिभाषा इस तथ्य को नज़रअंदाज़ करती है कि AI प्रणाली स्वतंत्र रूप से जानकारी उत्पन्न नहीं करती हैं।
LED लाइटिंग, वर्षा जल संचयन, सौर ऊर्जा तथा एक वाहित मल उपचार संयंत्र सहित अग्रणी संपोषितता सुविधाएँ टर्मिनल
के लिये GRIHA - 5 स्टार रेटिंग सुनिश्चित करती हैं, जो पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा देती हैं।
महर्षि वाल्मिकी, जिन्हें आदि कवि (प्रथम कवि) के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन भारतीय महाकाव्य, रामायण के लेखक
के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उन्हें एक श्रद्धेय ऋषि तथा हिंदू पौराणिक कथाओं व साहित्य में एक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में
जाना जाता है।
'उपासना स्थल के धार्मिक चरित्र' को परिभाषित करने के लिये आवश्यक परीक्षण: इलाहाबाद उच्च न्यायालय
ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अनुसार उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 "किसी भी
उपासना स्थल के धार्मिक चरित्र" को स्पष्ट नहीं करता है और इसे के वल दस्तावेज़ी तथा मौखिक साक्ष्य के आधार पर एक परीक्षण
में निर्धारित किया जा सकता है। (के स-दर-के स पर आधारित)।
उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 धार्मिक स्थलों को किसी अलग धर्म या संप्रदाय के उपासना स्थलों में बदलने
पर रोक लगाता है।
यह किसी भी उपासना स्थल की धार्मिक पहचान को संरक्षित करने का भी आदेश देता है जैसा कि 15 अगस्त, 1947 को
था।
ज्ञानवापी मामला वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के स्वामित्व और धार्मिक पहचान से संबंधित एक कानूनी लड़ाई है,
जिसमें एक मस्ज़िद और एक मंदिर दोनों हैं।
हिंदू वादी का तर्क है कि मस्जिद स्थल सहित पूरा क्षेत्र मूल रूप से स्वयंभू भगवान आदि विश्वेश्वर को समर्पित एक मंदिर
था।
उनका दावा है कि ज्ञानवापी भूखंड पर स्थित इस मंदिर को सन् 1669 में सम्राट औरंगज़ेब ने ध्वस्त कर दिया था।
आज तक इस मुद्दे पर न तो सरकार और न ही सर्वोच्च न्यायालय ने कोई स्पष्ट रुख पेश किया है।