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मिल हैं। यहां कुछ मुख्य चरणों का विले ण है:
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- *रसीद और व्यय:* प्रक्रिया उस समय शुरू होती है जब वित्त मंत्रालय सभी मंत्रालयों और विभागों
को आगामी वित्त वर्ष के लिए अनुमान तैयार करने के लिए दिशानिर्देश जारी करता है।
2. *मैक्रो-आर्थिक रूपरेखा:*
- *आर्थिक सर्वेक्षण:* वित्त मंत्रालय आर्थिक सर्वेक्षण जारी करता है, जिसमें
अर्थव्यवस्था का एक अवलोकन होता है। यह दस्तावेज बजटीय नीतियों और प्राथमिकताओं पर
प्रभाव डालता है।
- *राजस्व बजट:* इसमें सरकार के राजस्व और व्यय शामिल होते हैं। इसमें सरकार के
राजस्व खाता शामिल है, जो कर और अकर राजस्वों को कवर करता है।
- *पूंजी बजट:* इसमें पूंजी प्राप्तियां और भुगतान शामिल होते हैं। पूंजी व्यय संपत्ति के
सृष्टि पर खर्च होता है, जबकि पूंजी प्राप्तियां सरकार द्वारा उधार ली जाती हैं।
- *हितधारक परामार् :* वित्त मंत्रालय विभिन्न हितधारकों, सहित उद्योग विशेषज्ञों, आर्थिकज्ञों, और
विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठानुसार परामार्करता है।
- *पूर्व-बजट मीटिंग्स:* वित्त मंत्री विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ मीटिंग्स करता है ताकि
वह उनकी बजटीय आवयकताओंकता ओंश्य को समझ सके।
5. *बजट का प्रस्तावना:*
- *बजट भाषण:* वित्त मंत्री संसद में संघ बजट का प्रस्तावना करता है। भाषण में सरकार की
वित्त नीतियों, प्रस्तावित आवंटनों, और आगामी वित्त वर्ष के लिए पहल को बताया जाता है।
(B) **Current Account Balance = Trade Balance +Net Services +Net Transfers
(C) *Overall Balance (or Balance of Payments):*= Current Account Balance} +Capital Account Balance
पूंजी खाता संतुलन=बाह्य सहायता (नेट)+बाह्य वाणिज्यक उधार (नेट)+अपकालीन साख+बैंक पूंजी
(नेट)+विदेशी निवेश (नेट)+अन्य प्रवाह (नेट)
पूंजी खाता संतुलन=बाह्य सहायता (नेट)+बाह्य वाणिज्यक उधार (नेट)+अपकालीन साख+बैंक पूंजी
(नेट)+विदेशी निवेश (नेट)+अन्य प्रवाह (नेट भारत का वस्त्र व्यापार विले षसे
ण श्ले संबंधित
है जिसमें विदे शों के साथ माल की खरीददारी और बिक्री शा मिलहै। इसमें निर्यात (अन्य
देशों को बेचे जाने वाले माल) और आयात (अन्य दे शों से खरीदे जाने वाले माल) शामिल हैं। इसके विभिन्न
वर्गीकरण और दिशा ने पिछले कु छ वर्षों में भारत के व्यापार को परिभाषित किया है। यहां एक अवलोकन है:
*मुख्य ध्यान:*
- *कृषि क्षेत्र:* भारतीय अर्थव्यवस्था की कंधी, इसलिए कृषि पर मुख्य ध्यान था।
- *उद्देय
य :* भोजन की कमी, गरीबी, और बेरोजगारी की समस्याओं का समाधान।
य
- *लक्ष्य:* राष्ट्रीय आय में 15% की वृद्धि, सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि,
औद्योगिक विकास।
### *दूसरा पंचवर्षीय योजना (1956-1961):*
*मुख्य ध्यान:*
- *औद्योगिकरण और सार्वजनिक क्षेत्र:* ध्यान कोणों को औद्योगिकरण और
सार्वजनिक क्षेत्र के विकास पर ले जाया गया था।
- *उद्देश्य:* आर्थिक असमानता को कम करना, विभिन्न क्षेत्रों में विकास करना।
- *लक्ष्य:* भारी उद्योगों का विस्तार, हरित क्रांति, यातायात और संचार में सुधार।
### *तीसरा पंचवर्षीय योजना (1961-1966):*
*मुख्य ध्यान:*
- *औद्योगिकरण और सामाजिक क्षेत्र:* ध्यान अब भी औद्योगिकरण पर था,
लेकिन सामाजिक क्षेत्र में भी बल दिया गया था।
- *उद्देश्य:* गरीबी और असमानता को कम करना, सामाजिक न्याय और समानता
बढ़ाना।
- *लक्ष्य:* खाद्यान्न के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का विस्तार, भारी उद्योगों
का विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान।
*सरकारी प्राप्तियां:*
1. *कर राजस्व:*
- प्रत्यक्ष कर: व्यक्तियों और व्यापारों से सीधे वसूले जाने
वाले, जैसे कि आयकर, कॉर्पोरेट कर.
- पर्यक्त कर: वस्तुओं और सेवाओं पर लगाए जाने वाले, जैसे
कि जीएसटी (गुड़्ड़े और सेवा कर), एक्साइज ड्यूटी.
2. *गैर-कर राजस्व:*
- ब्याज राजस्व: सरकार द्वारा दी जाने वाली ऋणों से आय।
- डिविडेंड और लाभ: सरकारी निवे शों
से आय।
- शुल्क और जुर्माने: वि ष्ट
सेशिवाओं और जुर्मानों के लिए शुल्क।
3. *पूंजी राजस्व:*
- उधार लेना: ऋण, बॉन्ड्स, और अन्य वित्तीय उपकरणों के माध्यम
से जुटाए गए धन.
- निवे शों
की घटना: सरकारी संपत्तियों को बेचकर या सार्वजनिक
उद्यमों में स्वामित्व कम करके उत्पन्न की जाने वाली आय।
### *सरकारी व्यय:*
1. *राजस्व व्यय:*
- वेतन और मजदूरी: सरकारी कर्मचारियों को दी जाने वाली भुगतान।
- ब्याज भुगतान: सरकारी ऋणों पर किए जाने वाले भुगतान।
- पेंशन: सेवानिवृत्त होने वाले सरकारी कर्मचारियों को दी जाने
वाली भुगतान।
- उपदान: समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए वि ष्ट
क्शि
षेत्रों या
उद्यमों को धनरा । ।शि
2. *पूंजी व्यय:*
- बुनियादी ढांचा विकास: सड़कें, पुल, रेलवे आदि की बनावट में
निवेश।
- शिक्षा और स्वास्थ्य: शिक्षा और स्वास्थ्य सिस्टम को सुधारने पर खर्च।
- रक्षा: राष्ट्रीय सुरक्षा और सुरक्षा पर खर्च।
- सार्वजनिक क्षेत्र निवेश: सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में
पूंजी विन्यास।
3. *अनुदान और स्थानांतरण:*
- राजस्व अनुदान: राज्यों और अन्य इकाइयों को उनके सामान्य
खर्चों के लिए सहारा।
- पूंजी अनुदान: वि ष्ट
पूं
शिजीकरण परियोजनाओं या निवे शों
के लिए
स्थानांतरण।
4. *ऋण चुकता:*
- ऋण चुकता: उधार लिए गए धन की मूल रा शि
का वापसी करना।
*चर्चा:*
- *कर राजस्व:* प्रमुख आय स्रोत, सीधे रूप से आर्थिक गत