You are on page 1of 19

मेक इन इंडिया

मेक इन इंडिया भारत सरकार द्वारा 25 सितम्बर 2014को देशी और विदेशी कं पनियों द्वारा भारत में ही वस्तओ
ु ं के निर्माण पर बल देने के लिए बनाया गया है। अर्थव्यस्था के
विकास की रफ्तार बढ़ाने, औद्योगीकरण और उद्यमिता को बढ़ावा देने और रोजगार सज ृ न।भारत का निर्यात उसके आयात से कम होता है।बस इसी ट्रेंड को बदलने के लिए
सरकार ने वस्तओु ं और सेवाओ ं को देश में ही बनाने की महु ीम को शरू
ु करने के लिए Make in India यानी "भारत में बनाओ" नीति का प्रारम्भ (प्रारंभ) की थी।

इसके माध्यम से सरकार भारत में अधिक पूज ँ ी और तकनीकी निवेश पाना चाहती है। इस परियोजना के शरू ु होने के बाद सरकार ने कई क्षेत्रों में लगी FDI (Foreign Direct
Investment) की सीमा को बढ़ा दिया है लेकिन सामरिक महत्व के क्षेत्रों जैसे अंतरिक्ष में 74% ,रक्षा-49% और न्यूज मीडिया 26% को अभी भी पूरी तरह से विदेशी निवेश के
लिए नही खोला है। वर्तमान में, चाय बागान में एफडीआई के लिए कोई प्रतिबन्ध (प्रतिबंध) नहीं है।
मेक इन इंडिया योजना क्या है?
इन इंडिया योजना में घरेलू और विदेशी, दोनों निवेशकों को एक अनक ु ू ल माहौल उपलब्ध कराने का वादा किया गया है. पीएम मोदी की सोच यह थी कि भारत की 125 करोड़
से अधिक आबादी वाले भारत को एक मजबूत निर्माण कें द्र के रूप में परिवर्तित करके रोजगार के अवसर पैदा किये जा सकें गे.
मेक इन इंडिया कार्यक्रम क्यों चलाया गया है?
'मेक इन इंडिया' मख्ु यत: निर्माण क्षेत्र पर कें द्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनक
ु ूल
माहौल बनाना, आधनि ु क और कुशल बनि ु यादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण
करना है।
योजना से लाभ
1.भारत को एक विनिर्माण हब के रूप में विकसित करना:-'मेक इन इंडिया'के माध्यम से सरकार विभिन्न देशों की कं पनियों को भारत में कर छूट देकर अपना
उद्योग भारत में ही लगाने के लिए प्रोत्साहित करेंगी जिससे की भारत का आयात बिल कम हो सके और देश में रोजगार का सज
ृ न हो सके ।
2.भारत के आर्थिक विकास को बढ़ावा देना:-इसके बढ़ोतरी होने से निर्यात और विनिर्माण में वद्धि ृ होगी। फलस्वरूप अर्थव्यवस्था में सधु ार होगा और भारत
को मौजूदा प्रौद्योगिकी का उपयोग करके वैश्विक निवेश के माध्यम से विनिर्माण के वैश्विक हब में बदल दिया जाएगा। विनिर्माण क्षेत्र अभी भारत के सकल घरेलू
उत्पाद में सिर्फ  16% का योगदान देता है और सरकार का लक्ष्य इसे 2020 तक 25% करना है।
 3.रोजगार के अधिक अवसर:-इसके माध्यम से सरकार नवाचार और उद्यमिता कौशल में निपणु यवु ाओं को मद्रु ा योजना जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से वित्तीय
सहायता देगी जिससे कि देश में नयी स्टार्ट उप कं पनियों का विकास हो सके जो कि आगे चलकर रोजगार सजृ न में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें गे।इसके तहत
कुल 25 क्षेत्रों के विकास पर ध्यान दिया जायेगा जिससे लगभग दस मिलियन लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।इतने लोगों के रोजगार मिलने से वस्तओ ु ं
और सेवाओ ं की मांग बढ़ेगी जिससे अर्थव्यवस्था का चहुमख ु ी विकास हो सके गा। 
4. अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने का मौका:- सरकार द्वारा 13 फरवरी 2016 को मंबु ई में बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में
एमएमआरडीए ग्राउंड में आयोजित"मेक इन इंडिया वीक" के लंबे बहु क्षेत्रीय औद्योगिक में 68 देशों के 2500 अंतरराष्ट्रीय और 8000 घरेलू
प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। DIPP के सचिव अमिताभ कांत ने कहा कि उन्हें 15.2 लाख करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताओ ं
(investment commitments ) और 1.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश पूछताछ (investment inquiries) प्राप्त हुई थी। महाराष्ट्र को 8 लाख
करोड़ रुपये (120 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का निवेश मिला।
 5. भारत में रक्षा निवेश को बढ़ावा:-'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत अगस्त 2015 में,हिंदस्ु तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL)सख
ु ोई Su-
30MKI लड़ाकू विमान के 332 पार्ट्स की तकनीक को भारत को स्थानांतरित करने के लिए रूस के इरकुट कॉर्प (Irkut Corp) कम्पनी से
वार्ता शरू
ु की। 
मेक इन इंडिया की शरुु आत होने के बाद निवेश के लिए भारत बहुराष्ट्रीय कं पनियों की पहली पसंद बन गया और वर्ष 2015 में भारत ने अमेरिका
और चीन को पछाड़कर 63 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त किया। इसके बाद साल 2016 में परु े विश्व में आर्थिक मंदी के
बावजूद भारत ने करीबन 60 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त किया, जो विश्व के कई बड़े विकसित देशों से कहीं अधिक था ।
इतिहास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में 25 सितंबर, 2014 को शरू ु की "भारत में बनाओ।" 29 दिसंबर 2014, एक कार्यशाला
औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग जो मोदी, उनके मंत्रिमंडल के मंत्रियों और राज्यों के मख्ु य सचिवों के साथ ही विभिन्न उद्योग के नेताओ ं ने भाग लिया द्वारा
आयोजित किया गया था।
पहल के पीछे प्रमख
ु उद्देश्य रोजगार सज
ृ न और अर्थव्यवस्था के 25 क्षेत्रों में कौशल विकास पर ध्यान कें द्रित करने के लिए हैं। पहल भी उच्च गणु वत्ता मानकों
पर और पर्यावरण पर प्रभाव को कम करना है। पहल भारत में पूंजी और प्रौद्योगिकी निवेश को आकर्षित करने की उम्मीद है।
अभियान Wieden + कै नेडी द्वारा डिजाइन किया गया था। पहल के तहत 25 क्षेत्रों और एक वेब पोर्टल पर ब्रोशर जारी किए गए। इससे पहले पहल शरू
ु किया
गया था, विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी इक्विटी टोपियां आराम दिया गया था। लाइसेंस के लिए आवेदन ऑनलाइन उपलब्ध कराया गया था और लाइसेंस की वैधता
तीन साल के लिए बढ़ा दिया गया था। विभिन्न अन्य मानदंडों और प्रक्रियाओ ं को भी निश्चिंत थे।
अगस्त 2014 में, भारत की कै बिनेट रक्षा क्षेत्र में 49% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और रेलवे के बनि
ु यादी ढांचे में 100% की अनमु ति दी। रक्षा क्षेत्र में
पहले से अनमु ति 26% एफडीआई और एफडीआई रेलवे में अनमु ति नहीं थी। यह भारत की सैन्य आयात नीचे लाने की आशा में था। इससे पहले, एक भारतीय
कं पनी में 51% हिस्सेदारी का आयोजन किया गया होगा, यह बदल गया था तो यह है कि कई कं पनियों के 51% पकड़ सकता है। 
सितंबर 2014 और नवंबर 2015 के बीच, सरकार ₹ 1.20 लाख करोड़ प्राप्त (US $ 18 अरब डॉलर) भारत में विनिर्माण
इलेक्ट्रॉनिक्स में इच्छुक कं पनियों से प्रस्ताव के लायक है।
2015 की अप्रैल-जून तिमाही में देश में भेज दिया smartphones की 24.8% भारत में किए गए थे, ऊपर 19.9% ​पिछली तिमाही से।
भारत में मेक इन इंडिया की शरुु आत होने के बाद अगले ही साल भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में जबरदस्त उछाल देखने को मिला।
साल 2015 में भारत को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में ₹ 4.06 लाख करोड़ (US $ 63 अरब डॉलर) प्राप्त हुए, जो चीन से भी ज्यादा
था।
भारत में वर्ष 2013 की तल ु ना में वर्ष 2014 के अक्टूबर महीने में 13 फीसदी अधिक जापानी कं पनियों ने व्यापार आरम्भ किया। नवंबर
2014 में भारत में फै क्ट्री विकास दर की रफ्तार अधिकतम रही थी।
व्यापार करने में आसानी
भारत, व्यापार सूचकांक जून 2014 और जून 2015 में भारत से इस अवधि को कवर करने के लिए विश्व बैंक के 2016 आराम में 189
देशों की 130 से बाहर 2015 सूचकांक में 134 वें स्थान पर था शमु ार है। भारत 2009 की रिपोर्ट में विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस में 17
भारतीय शहरों के एक सर्वेक्षण में भारत में व्यापार करने के लिए शीर्ष पांच सबसे आसान शहरों के रूप में लधिु याना , हैदराबाद,
भवु नेश्वर , गड़ु गांव, अहमदाबाद और स्थान पर रहीं।
‘मेक इन इंडिया’ पहल
 ‘मेक इन इंडिया’ पहल की शरुु आत 25 सितंबर, 2014 को देशव्यापी स्तर पर विनिर्माण क्षेत्र के विकास के उद्देश्य से की गई थी।
 दरअसल औद्योगिक क्रांति ने इस संदर्भ में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की और संपूर्ण विश्व को यह दिखाया कि यदि किसी देश का विनिर्माण क्षेत्र मज़बूत हो तो
वह किस प्रकार उच्च आय वाला देश बन सकता है। विदित हो कि चीन इस तथ्य का ज्वलंत उदाहरण है।
 इस पहल के माध्यम से भारत को एक वैश्विक विनिर्माण कें द्र के रूप में स्थापित करने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
 इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये सरकार ने मख्ु यतः 3 उद्देश्य निर्धारित किये थे:
 अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिये इसकी विकास दर को 12-14 प्रतिशत प्रतिवर्ष तक बढ़ाना।
 वर्ष 2022 तक अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र से संबधि
ं त 100 मिलियन रोज़गारों का सज
ृ न करना।
 यह सनिु श्चित करना कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान वर्ष 2025 (जो कि संशोधन से पूर्व
वर्ष 2022 था) तक बढ़कर 25 प्रतिशत हो जाए।
 ‘मेक इन इंडिया’ पहल में अर्थव्यवस्था के 25 प्रमख
ु क्षेत्रों जैसे- ऑटोमोबाइल, खनन, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि पर ध्यान
कें द्रित किया गया है।
 ज्ञात हो कि इस पहल के तहत कें द्र और राज्य सरकारें भारत के विनिर्माण क्षेत्र को मज़बूत करने के लिये दनि
ु या भर से
निवेश आकर्षित करने का प्रयास कर रही हैं।
 निवेशकों पर पड़ने वाले बोझ को कम करने के लिये सरकार काफी प्रयास कर रही है। इन्हीं प्रयासों के तहत व्यावसायिक
संस्थाओं के सभी समस्याओ ं को हल करने के लिये एक समर्पित वेब पोर्टल की व्यवस्था भी की गई है।
‘मेक इन इंडिया’ का सकारत्मक पक्ष
 ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक मख्ु य उद्देश्य भारत में रोज़गार के अवसरों को बढ़ाना है। इसके तहत देश के यवु ाओं पर ध्यान
कें द्रित किया गया है। लक्षित क्षेत्रों, अर्थात् दूरसंचार, फार्मास्यूटिकल्स, पर्यटन आदि में निवेश, यवु ा उद्यमियों को अनिश्चितताओ ं
की चिंता किये बिना अपने अभिनव विचारों के साथ आगे आने के लिये प्रोत्साहित करेगा।
 ‘मेक इन इंडिया’ पहल में विनिर्माण क्षेत्र के विकास पर काफी ध्यान दिया जा रहा है, जो न के वल व्यापार क्षेत्र को बढ़ावा देगा,
बल्कि नए उद्योगों की स्थापना के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की वद्धि ृ दर को भी बढ़ाएगा।
 विदित हो कि योजना की शरुु आत के कुछ समय बाद ही वर्ष 2015 में भारत ने अमेरिका और चीन को पीछे छोड़ते हुए प्रत्यक्ष
विदेशी निवेश (FDI) में शीर्ष स्थान प्राप्त कर लिया था।
‘मेक इन इंडिया’ का नकारात्मक पक्ष
 भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है। विश्लेषकों का मानना है कि इस पहल का सबसे
नकारात्मक प्रभाव भारत के कृषि क्षेत्र पर पड़ा है। इस पहल में भारत के कृषि क्षेत्र को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया गया है।
 चूकि
ँ ‘मेक इन इंडिया’ मख्ु य रूप से विनिर्माण उद्योगों पर आधारित है, इसलिये यह विभिन्न कारखानों की स्थापना की मांग करता है।
आमतौर पर इस तरह की परियोजनाएँ बड़े पैमाने पर प्राकृतिक संसाधनों जैसे पानी, भूमि आदि का उपभोग करती हैं।
 इस पहल के तहत विदेशी कं पनियों को भारत में उत्पादन करने के लिये प्रेरित किया गया है, जिसके कारण भारत के छोटे उद्यमियों पर असर
देखने को मिला है।
‘मेक इन इंडिया’ का मूल्यांकन :-
चूकि
ँ इस पहल का उद्देश्य विनिर्माण क्षेत्र के तीन प्रमख
ु कारकों- निवेश, उत्पादन और रोज़गार में वद्धि
ृ करना था। अतः इसका
मूल्यांकन भी इन्हीं तीनों के आधार पर किया जा सकता है।
 निवेश
पिछले पाँच वर्षों में अर्थव्यवस्था में निवेश की वद्धि
ृ दर काफी धीमी रही है। यह स्थिति तब और खराब हो जाती है जब हम
विनिर्माण क्षेत्र में पूंजी निवेश पर विचार करते हैं। आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनस ु ार, अर्थव्यवस्था में कुल निवेश को प्रदर्शित
करने वाला सकल स्थायी पूंजी निर्माण (GFCF) जो कि वर्ष 2013-14 में GDP का 31.3 प्रतिशत था, वर्ष 2017-18 में घटकर
28.6 प्रतिशत हो गया। महत्त्वपूर्ण यह है कि इस अवधि के दौरान कुल निवेश में सार्वजनिक क्षेत्र की हिस्सेदारी कमोबेश समान ही
रही, जबकि निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी 24.2 प्रतिशत से घटकर 21.5 प्रतिशत हो गई। दूसरी ओर इस अवधि में बचत संबंधी
आक ँ ड़ों से ज्ञात होता है कि घरेलू बचत दर में गिरावट आई है, जबकि निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र की बचत दर में बढ़ोतरी हुई है। इस
प्रकार हम एक ऐसी स्थित में हैं, जहाँ निजी क्षेत्र की बचत बढ़ रही है, किं तु निवेश में कमी आ रही है।
 उत्पादन
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में होने वाले परिवर्तन का सबसे बड़ा सूचक है। यदि अप्रैल 2012
से नवंबर 2019 के मध्य औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के आक ँ ड़ों पर गौर करें तो ज्ञात होता है कि इस दौरान मात्र 2 ही बार
डबल डिजिट ग्रोथ दर्ज की गई, जबकि अधिकांश महीनों में यह या तो 3 प्रतिशत से कम थी या नकारात्मक थी। इस प्रकार यह
स्पष्ट है कि विनिर्माण क्षेत्र में अभी भी उत्पादन वद्धि
ृ नहीं हो पाई है।
 रोज़गार
हाल ही में सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने बेरोज़गारी दर के संबंध में आँकड़े जारी किये हैं, जिसके मतु ाबिक
सितंबर-दिसंबर 2019 के दौरान भारत की बेरोज़गारी दर बढ़कर 7.5 प्रतिशत हो गई थी। शिक्षित यवु ाओं के मामले में बेरोज़गारी
की दर और भी खराब थी, जो यह दर्शाता है कि वर्ष 2019 यवु ा स्नातकों के लिये सबसे खराब वर्ष था। ज्ञात हो कि मई-अगस्त
2017 में यह दर 3.8 प्रतिशत थी।
उक्त तीनों कारकों के आधार पर ‘मेक इन इंडिया’ पहल का मूल्यांकन करने पर ज्ञात होता है कि यह पहल इच्छा के अनरू
ु प प्रदर्शन
नहीं कर पाई है।
कारण :-
 विश्लेषकों के अनस ु ार, इस पहल के संतोषजनक प्रदर्शन न कर पाने का मख्ु य कारण यह था कि यह विदेशी निवेश पर काफी
अधिक निर्भर थी, इसके परिणामस्वरूप एक अंतर्निहित अनिश्चितता पैदा हुई क्योंकि भारत में उत्पादन की योजना किसी और देश
में मांग और पूर्ति के आधार पर निर्धारित की जा रही थी।
 भारत की अधिकांश योजनाए ँ अकुशल कार्यान्वयन की समस्या का सामना कर रही हैं और ‘मेक इन इंडिया’ पहल की स्थिति में
भी यह एक बड़े कारक के रूप में सामने आया है।
 एक अन्य कारण यह भी है कि इस पहल के तहत विनिर्माण क्षेत्र के लिये काफी महत्त्वाकांक्षी विकास दर निर्धारित की गई थी।
विश्लेषकों का मानना है कि 12-14 प्रतिशत की वार्षिक वद्धि ृ दर औद्योगिक क्षेत्र की क्षमता से बाहर है। ऐतिहासिक रूप से भारत
के विनिर्माण क्षेत्र ने कभी भी इतनी विकास दर प्राप्त नहीं की है।
 वैश्विक अर्थव्यवस्था की अनिश्चितताओ ं और लगातार बढ़ते व्यापार संरक्षणवाद का इस पहल पर प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिला
है।
मेक इन इंडिया के चार स्तंभ क्या हैं?
 नई प्रक्रिया
 नई अवसंरचना
 नए क्षेत्र
 नई सोच
मेक इन इंडिया के उद्देश्य क्या हैं?
 मध्‍यावधि की तल
ु ना में निर्माण क्षेत्र में 12-14 फीसदी सालाना वद्धि
ृ हासिल करना.
 देश के सकल घरेलू उत्‍पाद में निर्माण क्षेत्र की हिस्‍सेदारी साल 2022 तक बढ़ाकर 25 फीसदी करना.
 निर्माण क्षेत्र में साल 2022 तक 10 करोड़ अतिरिक्‍त रोजगार का सज
ृ न
 ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीब लोगों में समग्र विकास के लिए समचि
ु त कौशल का निर्माण करना.
 घरेलू मूल्‍य संवर्द्धन और निर्माण से संबंधित तकनीकी ज्ञान में वद्धि

मेक इन इंडिया का विदेशी निवेश पर प्रभाव पड़ा है?
कुछ प्रमख
ु क्षेत्रों को अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है. रक्षा क्षेत्र में एफडीआई नीति को उदार बनाया गया है और
एफडीआई की सीमा को 49% तक बढ़ाया गया है. अत्याधनि ु क प्रौद्योगिकी के लिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई को अनमु ति दी गई
है. रेल बनि
ु यादी ढांचा परियोजनाओ ं में निर्माण, संचालन और रखरखाव में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनमु ति दी
गई है. बीमा और चिकित्सा उपकरणों के लिए उदारीकरण मानदंडों को भी मंजूरी दी गई है.
मेक इन इंडिया में कौन से कारोबार शामिल हैं?
मेक इन इंडिया में ऑटो कं पोनेंट, ऑटोमोबाइल, विमानन, जैव प्रौद्योगिकी और रसायन के साथ निर्माण शामिल है. इसमें रक्षा
उत्पादन, विद्यतु मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और निर्माण, खाद्य प्रसंस्करण, आईटी एवं बीपीएम, चमड़ा और मीडिया एवं
मनोरंजन सेक्टर भी शामिल है.इसके साथ ही खदान, तेल एवं गैस, फार्मा, बंदरगाह एवं नौवहन के साथ रेलवे जैसे कारोबार भी शामिल
हैं. इसके अलावा मेक इन इंडिया में सड़क एवं राजमार्ग, नवीकरणीय ऊर्जा, अंतरिक्ष, वस्त्र एवं परिधान, थर्मल पावर, पर्यटन और
आतिथ्य के साथ कल्याण कार्यक्रम भी शामिल हैं.
मेक इन इंडिया मणिपुर और नगालैंड के विशेष संदर्भ में पहल
मणिपरु
मणिपरु पूर्वोत्तर भारत के पूर्वी-सबसे कोने में स्थित है। राज्य नागालैंड, मिजोरम और असम के साथ-साथ पड़ोसी देश म्यांमार के साथ
अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाओ ं को साझा करता है। वनस्पतियों और जीवों की संपत्ति के कारण, मणिपरु को 'बल ु ंद ऊंचाइयों पर',
'भारत का एक आभूषण' और 'पूर्व का स्विट्जरलैंड' के रूप में वर्णित किया गया है। इसकी सांस लेने वाली प्राकृतिक संदु रता इसे एक
पर्यटक का स्वर्ग बनाती है।मोरेह शहर के माध्यम से मणिपरु को भारत के 'गेटवे ऑफ द ईस्ट' के रूप में अभिनय करने का फायदा है,
जो भारत और म्यांमार और अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच व्यापार के लिए एकमात्र संभव भूमि मार्ग है। लगभग 3,268 वर्ग
किलोमीटर क्षेत्र बांस के जंगलों से आच्छादित होने के साथ, मणिपरु भारत के सबसे बड़े बांस उत्पादक राज्यों में से एक है और देश के
बांस उद्योग में एक प्रमख ु योगदानकर्ता है। 2017 में, राज्य में 10,687 वर्ग किलोमीटर बांस असर क्षेत्र के लिए जिम्मेदार था।
मणिपरु में हस्तशिल्प इकाइयों की संख्या के साथ-साथ पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में कुशल और अर्ध-कुशल कारीगरों की संख्या सबसे अधिक है।
हथकरघा मणिपरु में सबसे बड़ा कुटीर उद्योग है और देश में करघों की संख्या के मामले में राज्य शीर्ष पांच में शमु ार है।
मणिपरु के लिए सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) बढ़कर रु। 2018-19 में 278.69 बिलियन (यूएस $ 4.05 बिलियन)। 2015-
16 और 2018-19 के बीच राज्य का GSDP 12.58% CAGR में विस्तारित हुआ।
मणिपरु का कुल व्यापारिक निर्यात वित्त वर्ष २०१२ में (नवंबर २०२० तक) ०.३ ९ मिलियन अमेरिकी डॉलर था। आईसी इंजन और
पार्ट्स राज्य के व्यापारिक निर्यात के बहुमत (56%) के लिए जिम्मेदार हैं।
नवंबर 2020 तक, मणिपरु की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 261.82 मेगावाट थी।
मणिपरु की राजधानी इंफाल में एक हवाई अड्डा है और एयर इंडिया इस हवाई अड्डे के लिए एयर कार्गो सेवा प्रदान करता है। राज्य में
कुल 1,750 किलोमीटर की लंबाई के साथ ग्यारह राष्ट्रीय राजमार्ग हैं। भारतीय रेलवे मणिपरु में इज़ई नदी के पार दनि
ु या के सबसे ऊंचे
घाट पलु का निर्माण कर रहा है। मणिपरु पियर ब्रिज का निर्माण रु। 2.8 बिलियन (यूएस $ 38 मिलियन) और मार्च 2022 में पूरा होने के
लिए निर्धारित है।
डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) के अनस
ु ार, मणिपरु में संचयी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश
(एफडीआई) अप्रैल 2000 और सितंबर 2019 के बीच यूएस $ 122 मिलियन की राशि थी।
नागालैंड
नागालैंड सात पूर्वोत्तर राज्यों में से एक है और भारत के सबसे दूर पूर्व की ओर स्थित है। राज्य पूर्व में म्यांमार, उत्तर में अरुणाचल
प्रदेश, पश्चिम में असम और दक्षिण में मणिपरु से घिरा है।
राज्य में प्राकृतिक खनिज, पेट्रोलियम और जल विद्यतु के पर्याप्त संसाधन हैं। इसके पास लगभग 600 मिलियन मीट्रिक टन (कच्चे तेल)
मीट्रिक टन और 20 मीट्रिक टन से अधिक हाइड्रोकार्बन का भंडार है। इसके अलावा, राज्य में 315 मीट्रिक टन कोयला भंडार और
1,038 मीट्रिक टन चूना पत्थर का भंडार है।
नागालैंड में कृषि-जलवायु परिस्थितियाँ फूलों की खेती और बागवानी के लिए व्यावसायिक अवसर प्रदान करती हैं। राज्य में औषधीय
और सगु ंधित पौधों की 650 देशी प्रजातियां हैं। 2019-20 में, राज्य में बागवानी फसलों का कुल उत्पादन 847.83 हजार मीट्रिक टन
अनमु ानित था और उत्पादन का क्षेत्रफल 88.35 हजार हेक्टेयर था। 2019-20 में, सब्जियों और फलों का कुल उत्पादन क्रमशः
453.65 हजार मीट्रिक टन और 315.05 हजार मीट्रिक टन अनमु ानित किया गया था।
नागालैंड में बांस बड़े पैमाने पर पाया जाता है, जिसमें देश में कुल स्टॉक का लगभग 5% बांस बढ़ता है। 2018 तक, नागालैंड में बांस
की 46 प्रजातियां थीं। नागालैंड में कच्चे रेशम का उत्पादन 2018-19 में लगभग 620 मीट्रिक टन और 2019-20 में 600 मीट्रिक टन
रहा
नवंबर 2020 तक, नागालैंड की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 174.53 मेगावाट थी, जिसमें से 142.86 मेगावाट कें द्रीय क्षेत्र
में, 30.67 मेगावाट राज्य उपयोगिताओं के तहत और 1.00 मेगावाट निजी क्षेत्र के अधीन थी। कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता में
से, 81.03 मेगावाट का योगदान थर्मल द्वारा, 61.83 मेगावाट का पनबिजली का और 31.67 मेगावाट का नवीकरणीय ऊर्जा से था।
राज्य से कुल निर्यात 2019-20 में यूएस $ 5.71 मिलियन और 2020-21 में यूएस $ 2.54 मिलियन (नवंबर 2020 तक) रहा।
नागालैंड से निर्यात होने वाली प्रमख
ु वस्तएु ं हैं इलेक्ट्रिक मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स कं पोनेंट, ह्यूमन हेयर प्रोडक्ट, इलेक्ट्रॉनिक्स इंस्ट्रूमेंट
और कॉटन फै ब्रिक्स। 2020-21 (नवंबर 2020 तक) में, नागालैंड से इलेक्ट्रिक मशीनरी का कुल निर्यात 0.98 मिलियन अमेरिकी
डॉलर (~ 39%) था।
राज्य विभिन्न कें द्रीय और राज्य सरकार एजेंसियों, उत्तर पूर्व परिषद, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और नागालैंड औद्योगिक विकास
परिषद के माध्यम से संस्थागत सहायता प्रदान करता है।
राज्य कृषि आधारित और वन आधारित उद्योगों, बागवानी, खाद्य प्रसंस्करण, खनन, पर्यटन और हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्रों के
लिए उत्कृष्ट नीति और वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करता है। उत्पादों की विपणन क्षमता बढ़ाने के लिए औद्योगिक कें द्र और विशेष आर्थिक
क्षेत्र (एसईजेड) विकसित किए जा रहे हैं। अगस्त 2020 तक, राज्य के पास औपचारिक रूप से स्वीकृत सेज थे।
डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) के अनस
ु ार, अक्टूबर 2019 से सितंबर 2020 तक कुल * राज्यों में
FDI का प्रवाह 325.13 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।

You might also like