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FDI Notes For Radhu
FDI Notes For Radhu
History of FDI ? (History kya hai kisne introduce kya aur zarurat kya thi krne ki )
● 1990 के दशक की शुरुआत में भारत में िवदेशी सीधा िनवेश (FDI) का पिरचय हुआ।
● FDI नीितयों की शुरुआत ने आिथर् क चुनौितयों का सामना करने और िवकास को प्रोत्सािहत करने की आवश्यकता को पूरा
करने का प्रयास िकया।
● 1991 से पहले, भारत ने सीिमत िवदेशी भागीदारी के साथ बंद आिथर् क मॉडल का अनुसरण िकया।
● देश को उच्च राजकोषीय घातक और भुगतान समस्या का सामना करना पड़ा।
● FDI का प्रस्तावना:
● 1991 में, प्रधानमंत्री पी.वी. नारिसं ह राव और िवत्त मंत्री डॉ. मनमोहन िसं ह के नेतृत्व में भारत सरकार ने महत्वपूणर् आिथर् क
सुधार की शुरुआत की।
● इन सुधारों का उद्देश्य अथव्यवस्था
र् को स्वतंत्र करना, दू रबीनी िनयंत्रण को कम करना, और िवदेशी िनवेशों को प्राप्त करना
था।
● FDI प्रस्तावना करने के कारण:
आिथर् क संकट:
भारत एक गंभीर आिथर् क संकट का सामना कर रहा था, िजसमें िवदेशी मुद्रा भंडार समाप्त हो रहा था।
FDI को प्रस्तुत करना बुिधमानी से इस समस्या का समाधान करने के िलए महत्वपूणर् था और अथव्यवस्था
र् को िस्थर करने में
मदद करने के िलए।
सुधार:
इसका उद्देश्य एक बंद अथव्यवस्था
र् से खुली और सुधािरत अथव्यवस्था
र् की ओर बढ़ना था।
FDI को बाहरी पूंजी, तकनीक, और िवशेषज्ञता लाने का साधन माना गया था।
वैिश्वक एकीकरण:
FDI को स्वीकृित देने से भारत को वैिश्वक अथतं
र् तु में िमलने में सहारा िमला, व्यापार और तकनीक स्थानांतरण को
सुिनिश्चत करने के िलए।
िवकास और रोजगार:
FDI से अथव्यवस्था
र् में िनवेश लाने, रोजगार के अवसर बनाने, और औद्योिगक िवकास को प्रोत्सािहत करने की उम्मीद थी।
संक्षेप में, 1990 के दशक की शुरुआत में भारत में FDI का पिरचय एक आिथर् क चुनौितयों को सामना करने, िवकास को प्रोत्सािहत
करने, और देश को वैिश्वक आिथर् क मंच में शािमल करने की रणनीितक क
Who does FDI ? individual can directly do it ?( kaun krta hai aur aam admi apne aap kr skta
hai ) ?
िवदेशी सीधा िनवेश (FDI) सामान्यत: कंपिनयों, संस्थागत िनवेशकों, या सरकारों द्वारा िकया जाता है। इसमें बड़ी रािश और
संसाधनों का उपयोग होता है, इसिलए यह सामान्यत: व्यिक्तयों द्वारा सीधे िकया जाने वाला काम नहीं है।हालांिक, व्यिक्तयाँ अपनी
भागीदारी को सीधे FDI के माध्यम से नहीं कर सकती हैं, वे म्यूचुअल फंड, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड् स (ETFs) या अन्य िवत्तीय
उपकरणों में िनवेश करके इसमें अविस्थत िवदेशी संपित्तयों से लाभ कमा सकती हैं। इससे व्यिक्तयों को िवश्व बाजारों में अवसरों का
लाभ होता है िबना खुद FDI समाप्त करने की जरुरत के।