आत्म निर्भरता अपने स्वयं के संसाधनों पर निर्भरता द्वारा चिह्नित है | खुद के
संसाधनों का प्रयोग करने से हमारा काम भी हो जाता है और हम पैसे भी बचा लेते हैं|सरल शब्दों कहूँ मे तोह आत्मा निर्भरता आत्मा सहायता होती है |ज़िंदगी मे कई बार ऐसा होता है की हम दस ू रों से मदद लेते है और बदले मे बहुत बड़ी मूल दे नी पड़ती है , जिसके लिए कभी-कभी हमारे पास न ही धन होता है और न हिम्मत| खद ु से मदद लेने का एक अलग ही मज़ा और फायदा होता है - कोई मल ू नही दे ना पड़ता और जो क्रेडिट मिलता है वोह भी खुदका| एक बहुत खूबसूरत कहावत याद आ रही है – उम्मीदें क्यूँ किसी से इतना करता है ? क्या तुझे अपने कंधे पे भरोसा नही रहता है ? अगर मनुष्य को खुद पर विश्वास है और इस बात की हिम्मत है की वह खद ु पर निर्भर होकर सफल हो सकता है तोह दनि ु या की कोई ताकत उसको अपने मकसत तक पहुचने से नही रोक सकती | यही चीज़ भारत के साथ भी है , अगर भारत चाहे तोह दनि ु या के सबसे कामयाब और विकसित दे शों मे से एक बन सकता है | अब यह सवाल उठता है की कैसे ? कैसे बनेगा भारत दनि ु या के सबसे उन्नत दे शों मे से एक ? इस प्रश्न का उत्तर खाली 2 शब्दों लंबा है , और वह सोने के शब्द है ‘आत्मा निर्भरता’| भले ही यह खाली दो शब्द हो इनका मतलद समंदर जैसा गहरा हो सकता है | भारत मे आत्मानिर्भरता आने से भारत की अर्थव्यवस्था बहुत बढ़ सकती| अब प्रश्न उठता है की क्या करने से भारत आत्मा निर्भर बन सकता है ? - आयात घटाने से (मेक इन इंडिया ), चीन से आयात की गई सामग्री का दाम करीब $65.1 billion और निर्यात खाली $16.6 billion. जिससे हमे पता चलता है की भारत को चीन से $48.5 billion का घाटा होता है | भारत मे चीन के अलावा भी बहुत से दे शों से आयात होता है तोह आप अंदाजा लगा सकते है की हर साल भारत को कितना घाटा होता होगा , और अगर यही सामग्री भारत से खरीदी जाती है तोह कितनी बचत हो सकती है | - मेक इन इंडिया से बेरोजगार लोगों को नौकरी मिलेगी और भारत विकसित दे श बनने से एक पथर और करीब हो जाएगा इसलिए स्वदे शी अपनाओ , दे श बचाओ