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इस ले ख में हम पीएसयू का निजीकरण और भारत पर इसका प्रभाव पर निबं ध लिखें गे
| पीएसयू क्या हैं , भारत में पीएसयू की भूमिका, पीएसयू की निजीकरण करने के कारण, निजीक
रण से लाभ तथा हानि के बारे में जाने गे |
हमारा दे श स्वतं तर् ता प्राप्ति के बाद से ही समाजवादी रहा है और यहां समाजवादी
अर्थव्यवस्था रही है ।
चाहे पहली औद्योगिक नीति-1956 रही हो या पं चवर्षीय योजनाएं , सभी में समाजवादी
दृष्टिकोण अपनाया गया ले किन पिछले कुछ वर्षों में कुछ ऐसी स्थितियां पै दा हुई जिसने
भारत को अपनी ऐतिहासिक अर्थव्यवस्था की प्रकृति बदलनी पड़ी।
कई विदे शी अर्थशास्त्रियों ने रे लवे के निजीकरण को आपदा बताया। अनु भव भी दे शों के
बीच भिन्न होता है । अत्यधिक सामान्यीकृत तरीके से यह कहा जा सकता है कि ब्रिटे न में
निजीकरण कमोबे श सफल रहा है जबकि रूस में असफल रहा है ।
सरकारी राजस्व और आय वितरण पर दक्षता पर प्रभाव के कई शीर्षकों के तहत निजीकरण के
प्रभाव का मूल्यांकन किया जा सकता है ।
् और दे श के
प्रधानमं तर् ी श्री नरें द्र मोदी जी को कोरोना, मं हगाई, जनसं ख्या वृ दधि
वै ज्ञानिकीकरण के बीच सामं जस्य स्थापित करने के लिए दे श की कुछ सं स्थाओं का निजीकरण
करना पड़ा।
इस ले ख में हम कुछ ऐसे ही कारणों की बात करें गे जिन्होंने श्री नरें द्र मोदी जी को
निजीकरण करने के लिए मजबूर कर दिया और साथ ही भारत में निजीकरण से होने वाले
प्रभावों के बारे में चर्चा करें गे ।
संकेत बिंदु (Contents)
प्रस्तावना
निजीकरण से क्या तात्पर्य है
PSUs क्या हैं
PSUs की भारत में भूमिका क्या है
PSUs का निजीकरण करने के कारण
PSUs के निजीकरण से लाभ
PSUs के निजीकरण से हानि
उपसं हार
प्रस्तावना
हमारा दे श जब स्वतं तर् हुआ तब जनसं ख्या के दबाव और कृषि व्यवसाय की बहुलता थी।
शिक्षा का अभाव था, गरीबी और बे रोजगारी का आलम था, ऐसे में केंद्र सरकार ने प्रथम
औद्योगिक नीति-1956 को लागू किया।
इस औद्योगिक नीति में सरकार ने भारत में 3 प्रकार के उद्योग को मान्यता दी।
=> पहला, जो सरकारी से क्टर के अं तर्गत थे , उनमें निजी से क्टर का कोई हस्तक्षे प नहीं था।
=> दस ू रा, जो सरकारी और निजी दोनो से क्टर के अं तर्गत थे , ले किन उसमें नीतियां और
योजनाएं सारी सरकारी से क्टर ही बना सकती थी निजी क्षे तर् का पॉलिसी मे किंग का कोई
अधिकार नही था। वह बस पै से निवे श कर सकती थी।
=> तीसरा, जो निजी क्षे तर् के अं तर्गत थे ले किन अप्रत्यक्ष रूप से सरकार लाइसें सिं ग
व्यवस्था के माध्यम से निजी क्षे तर् में अपना वर्चस्व कायम रखी।
इसके अलावा, निजी क्षे तर् को पहली औद्योगिक नीति के अं तर्गत बहुत सारे प्रतिबद्ध झे लने
पड़े , इसका नतीजा यह हुआ कि पहली औद्योगिक नीति बु री तरह असफल हुई और भारत के
पास बस 15 दिनों की अं तरराष्ट् रीय मु दर् ा बची थी।
इस स्थिति में केंद्र सरकार ने विश्व बैं क और अं तर्राष्ट् रीय मु दर् ा कोष से कर्ज की मां ग की।
अं तर्राष्ट् रीय मु दर् ा कोष और विश्व बैं क ने भारत को उदारीकरण और निजीकरण की शर्त के
बदले में ये कर्ज दिया।
तो जै से की आपने पढ़ा कि भारत शु रू से ही निजीकरण के विरोध में रहा है , ले किन आखिर
क्या मजबूरी बन गई जो हमारे प्रधानमं तर् ी जी को निजीकरण करना पड़ा।
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उपसंहार
जै सा कि उनके नाम से पता चलता है , ‘सार्वजनिक’ क्षे तर् ों का उद्दे श्य जनता या “आम आदमी”
की से वा करना है । हालाँ कि, पीपीपी (पब्लिक-प्राइवे ट पार्टनरशिप) मॉडल सरकार और
नागरिकों के लिए जो लाभ दे ता है , उसकी उपे क्षा नहीं की जा सकती है ।
बहुत से लोग मानते हैं कि निजीकरण को तब तक स्वीकार किया जा सकता है जब तक कि यह
जनहित का उल्लं घन न करे । ले किन फिर, क्या यह सं भव है ?
उम्मीद है , इस ले ख से आपको निर्णय ले ने के लिए पर्याप्त जानकारी मिल गई है ।
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Essay on Beti Bachao Beti Padhao in Hindi: नमस्कार दोस्तों, भारत धार्मिक और सां स्कृतिक दृष्टि
से विश्व के सभी दे शों में सर्वोपरि है । ले किन भारतीय समाज में सदियों से महिलाओं की स्थिति अन्य दे शों
से हमे शा ही खराब रही है । समाज भले ही बे टियों को चारदीवारी के अं दर रखें ले किन भारतीय समाज जिस
हिं द ू धर्म शास्त्र को पड़ता है , उसे सम्मान दे ता है , उस धर्म शास्त्रों में भी स्त्रियों को दे वी और सृ ष्टि का
निर्माता बताया गया है ।
इतिहास के पन्नों में भी कई महिलाओं ने अपनी बहादुरी अपनी प्रतिभा के बलबूते अपना नाम कमाया है ।
बे टियां पु रुषों के समान ही हर चीज में अपना योगदान दे सकती है । बस उन्हें हौसले की जरूरत है , उन्हें
पु रुषों की तरह ही हर क्षे तर् में अपनी प्रतिभा दिखाने के अधिकार दे ने की जरूरत है ।
आज हम दे ख सकते हैं कि खे ल जगत से ले कर विज्ञान जगत तक, हर क्षे तर् में महिलाएं अपना महत्वपूर्ण
योगदान दे रही है । कहीं ना कहीं यह चीज भारत सरकार द्वारा चलाई गई बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना
के कारण ही सं भव हो पाया है । इस योजना भारत के समाज में महिलाओं की स्थिति को सु धारने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है ।
बे टी बचाओ बे टी
पढ़ाओ हिं दी निबं ध (Essay on Beti Bachao Beti Padhao in Hindi)
यहां पर हमने बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ पर निबं ध इन हिं दी लिखे हैं । यह निबं ध अलग-अलग शब्द सीमा
को दे खते हुए लिखे गये है , जिससे कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और इससे उच्च कक्षा के
विद्यार्थियों को मदद मिले गी।
महिला शिक्षित होगी तो वह अपने साथ होने वाली बु राइयों के खिलाफ लड़ पाएगी। क्योंकि आज बहुत
सी महिलाएं अपने साथ हुए अपराध को दबा कर रखती है ताकि समाज में उसे बे इज्जत ना होना पड़े और
यही चीज उसे अं दर ही अं दर परे शान करते रहती है , जिसके कारण अं त में समाज के तानों से बचने के लिए
वह आत्महत्या को स्वीकार कर ले ती है ।
समाज में महिलाओं के प्रति रूढ़िवादी सोच को खत्म करने के लिए सरकार ने साल 2015 को बे टी बचाओ
बे टी पढ़ाओ अभियान को लाया। इस अभियान के कारण आज भारत के विभिन्न क्षे तर् ों में महिलाएं अपनी
प्रतिभा को दिखा पा रही हैं । इस अभियान के कारण आज हर कोई अपने बे टियों को शिक्षित करने के लिए
जागरूक हो रहा है ।
आज समाज में महिलाओं के सपनों को भी महत्व दिया जा रहा है । आज महिलाओं की स्थिति को बे हतर
बनाना सं भव हो पाया है सिर्फ और सिर्फ बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ अभियान के कारण।
Image
: beti bachao beti padhao nibandh
बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ अभियान की शु रुआत दे श के प्रधानमं तर् ी नरें द्र मोदी द्वारा 22 जनवरी 2015
को पानीपत, हरियाणा में हुयी थी। इस अभियान की शु रुआत करने से पहले नरें द्र मोदी ने कहा था कि
बे टियों के जन्म होने पर उसे वै से ही धूमधाम से मनाएँ जिस तरह बे टों के जन्मोत्सव को मनाया जाता है ।
इसके साथ ही जिनके घर बे टी पै दा होती है वो परिवार पाँच पे ड़ लगाने का सं कल्प लें । बे टों के बराबर
बे टियों को अधिकार मिले इसलिए इस अभियान की शु रुआत हुई।
प्रस्तावना
कहते है माँ जै सा कोई नहीं होता है , वो अपना निवाला त्याग कर अपने बच्चों को खिला दे ती है और उसी
माँ को इस दे श में समान अधिकार नहीं मिलता है । यह भारत जै से दे श की सबसे बड़ी विडम्बना है । कहने
का मतलब यह है कि जहाँ इस दे श में दे शवासी दे श को माँ का दर्ज़ा दे ते है , वही यहाँ के निवासी बे टियों को
अधिकार दे ने में चूक जाते है ।
दे शवासियों को यह याद दिलाना पड़ता है कि बे टे और बे टी में फर्क नहीं करना होता है , दोनों को समान
अधिकार और सम्मान के साथ जीने की आजादी है । इसी सोच को हटाने और कन्याओं का भविष्य बनाने के
लिए बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ अभियान की शु रुआत हुई।
बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ अभियान क्या है ?
दे श में लगातार कन्या शिशु दर में गिरावट को सं तुलित करने और उनका भविष्य सु रक्षित करने के लिए
बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना की शु रुआत की गयी थी। स्त्री और पु रुष जीवन के दो पहलू है , दोनों को
एक साथ चलना होगा तभी जीवन का मार्ग सरलतापूर्वक निकले गा।
दे श का प्रत्ये क दं पति केवल लड़का पाने की इच्छा रखता है और इसी इच्छा के कारण दे श में लिं गानु पात
में भारी गिरावट आई। उसी गिरावट को एक सही दिशा में उछाल लाने के लिए ऐसी योजना या अभियान
की शु रुआत करनी पड़ी, जो दे श के लिए शर्मनाक बात है ।
वै से दे खा जाएं तो भारत के अलावा पूरे विश्व में स्त्रियों के साथ भे दभाव किया जाता है , पु रुषों से अधिक
काबिल स्त्रियों को समान काम में पु रुषों के मु क़ाबले कम वे तन दिया जाता है ।
निष्कर्ष
आदिकाल से जो लड़कियों के ऊपर अत्याचार हुये उनके पीछे का कारण अशिक्षा थी। अगर हमारे पूर्वज
पढ़े -लिखे होते तो आज हमारी स्थिति कई गु ना सु धरी हुई होती। जब बे टियाँ पढ़े गी-लिखे गी तो वो अपने
अधिकारों के लिए खड़ी होगी, इसी आशा के साथ बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ अभियान की शु रुआत नरें द्र
मोदी ने 22 जनवरी 2015 को पानीपत में की।
भूमिका
पृ थ्वी पर हर जीव जन्तु का अस्तित्व नर और मादा दोनों के समान भागीदारी के बिना सं भव नहीं है । मानव
जाति के लिए पु रुष और महिला का योगदान होता है । किसी भी दे श के विकास के लिए पु रुष और महिला
का समान रूप से योगदान रहना जरूरी है अन्यथा दे श का विकास रुक जाता है । मानव जाति का सबसे
बड़ा दोष या अपराध कन्या भ्रूण हत्या है ।
दे श के अधिकतर रहवासी अल्ट् रासाउं ड के माध्यम से बच्चा होने से पहले ही लिं ग परीक्षण करवा दे ते है ,
अगर लड़की निकलती है तो उसे पै दा होने से पहले ही गर्भ में मरवा दे ते है । इन सब को रोकने के लिए ही
दे श के प्रधानमं तर् ी को बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ का जागरूकता अभियान शु रू करना पड़ा।
यूनिसे फ़ (UNICEF) ने भारत को बाल लिं गानु पात में 195 दे शों में से 41 वां स्थान दिया, यानि की हमारा
दे श लिं गानु पात में 40 दे शों से पीछे है । अपनी रैं क में सु धार करने और कन्या शिशु को बचाने के लिए
सरकार द्वारा सख्ती से योजना का शु भारम्भ किया गया।
उपसं हार
इस अभियान को जितना फैलाया जा सकता है उतना फैलाना होगा, जिससे हर गाँ व, ढाणी और शहर में
लड़कियों को हीन भावना से दे खना बं द हो जाए। उन्हें पूरा सम्मान और पूरे अधिकार मिल सके।
एक बच्ची दुनिया में आकर सबसे पहले बे टी बनती है । वे अपने माता पिता के लिए विपत्ति के समय में ढाल
बनकर खड़ी रहती है । बालिका बन कर भाई की मदद करती है । बाद में धर्मपत्नी बनकर अपने पति और
ससु राल वालों का हर अच्छी बु री परिस्थिति में साथ निभाती है ।
स्वामी विवे कानन्द जी ने कहा था कि “नारी का उत्थान स्वयं नारी ही कर सकती है । कोई और उन्हें उठा
नहीं सकता है । वह स्वयं उठे गी। बस, उठने में उसे सहयोग की आवश्यकता है और जब वह उठ खड़ी होगी
तो दुनिया की कोई ताकत उसे रोक नहीं सकती, वह उठे गी और समस्त विश्व को अपनी जादुई कुशलता से
आश्चर्यचकित कर दे गी।“
प्रस्तावना
किसी भी दे श के विकास में महिला और पु रुष दोनों का ही योगदान होता है । अभी ही नहीं बल्कि सदियों से
ही महिलाएं हर चीज में अपना योगदान दे ते आ रही है फिर भी महिलाओं के योगदान को हमे शा ही
नजरअं दाज किया गया है और पु रुषों को उत्तम बताया गया है , जिस कारण समाज में हमे शा ही महिलाओं
की स्थिति खराब रह गई है ।
भारत जै से दे श में लोगों की मनोवृ ति बे टियों के प्रति बहुत रूढ़ीवादी है । जिस कारण आज भी किसी धर्म
एक से ज्यादा दे दिया होती है तो भे ज जन्म से पहले ही लिं ग की जांच करवा कर उसकी हत्या कर दे ते है ।
ले किन लोगों को समझने की जरूरत है कि महिला और पु रुष दोनों ही एक गाड़ी के पहिए की तरह है । बिना
एक पहिए के गाड़ी चल नहीं सकती है । समाज के विकास में बे टियों का भी योगदान होता है ।
यदि हम उनको थोड़ा और बढ़ावा दें और खु लकर जीवन जीने का अधिकार दे तो वे और भी ज्यादा योगदान
दे सकती है । हालां कि भारतीय सं विधान में महिलाओ को भी पु रुषों की तरह ही समान अधिकार दिए गए
हैं । ले किन समाज बे टियों के अधिकार को लागू नहीं होने दे ता, जिस कारण निरं तर बे टियों की जनसं ख्या
घटते ही जा रही है । यदि समाज में महिलाओं की स्थिति को उत्तम बनाना है तो महिलाओं को भी सपनों
की उड़ान भरने के लिए हौसला दे ना जरूरी है ।
इसके लिए उन्हें शिक्षा की जरूरत है । क्योंकि एक महिला ही दस ू री महिलाओ के प्रति गलत सोचती है ।
भले ही लोग कहे कि समाज में बे टियों की स्थिति खराब है ले किन इसका कहीं ना कहीं जिम्मे दार खु द
महिलाएं भी हैं । जब एक महिलाएं दस ू री महिला की समस्या को नहीं समझती है तो यह समाज उनकी
समस्याओं को क्या समझे गा। इसीलिए जरूरी है कि हर महिलाएं शिक्षित बने ताकि वह अपनी बे टियों को
भी शिक्षित करें और अपनी बे टियों को सपनों के पं ख लगा सके।
शु रुआत से ही हरियाणा राज्य में महिलाओं की जनसं ख्या भारत के अन्य राज्यों की तु लना में काफी कम
थी, इसलिए इस अभियान की शु रुआत सबसे पहले हरियाणा में की गई ले किन आज इस अभियान को
भारत के अन्य प्रदे शों में भी चलाया जा रहा है ।
सरकार ने इस योजना के तहत पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 को लागू
किया, जिसके तहत यदी कोई भी डॉक्टर लिं ग परीक्षण करते हुए पकड़ा गया तो उसका लाइसें स रद्द हो
जाएगा इसके साथ ही उसपर कानूनी कार्यवाही भी चलाई जाएगी।
आज भी समाज में लड़कियों के प्रति लोगों की मनोवृ ति पहले की तरह है भले आज का समय मॉडर्न हो
चु का हं ू ले किन लोगों की सोच आज भी काफी हद तक रूढ़िवादी है । आज भी समाज में दहे ज प्रथा व्याप्त
है और महिलाओं के निरक्षता के कारण ज्यादातर लोग अपनी बे टियों को पढ़ाना नहीं चाहते हैं । काफी
लोगों की मनोवृ ति ऐसी होती है कि वे सोचते हैं कि बे टियों को पढ़ा कर क्या फायदा है ? क्योंकि बे टी को तो
1 दिन पराए घर जाना है ।
महिलाओं की घटती जनसं ख्या का कारण दहे ज प्रथा भी है । बे टियों के विवाह में ज्यादा दहे ज ना दे ना पड़े
इस कारण बहुत गरीब परिवार में बालिका की जन्म होने से पहले ही उसे मार दिया जाता है । समाज में से
ऐसी बु राइयों को हटाने के लिए ही सरकार को बे टी बचाओ, बे टी पढ़ाओ अभियान लाने की आवश्यकता
पड़ी।
इस अभियान के कारण आज बे टियों की जनसं ख्या समाज में सं तुलित हो रही है और बे टियों की स्थिति भी
पहले की तु लना में काफी हद तक सु धर चु की है । आज बे टियां कई क्षे तर् ों में पु रुषों की तरह अपनी प्रतिभा
दिखा रही है ।
इस अभियान के कारण समाज में सदियों से चली आ रही दहे ज प्रथा पर भी काफी हद तक अं कुश लग रहा
है । लोग जागरूक हो रहे हैं और लोगों की सोच भी बे टियों के प्रति सकारात्मक हो रही है ।
निष्कर्ष
आज भारत के विभिन्न क्षे तर् सु ई से ले कर जहाज निर्माण में , एक ग्रहणी से ले कर राष्ट् रपति के पद तक,
चिकित्सा से ले कर दे श की रक्षा तक महिलाएं पु रुषों के समान ही अपना परस्पर सहयोग दे रही है । समाज
में महिलाओं की स्थिति सु धर रही हैं , जिसका कारण सरकार है सरकार ने महिलाओं की स्थिति पर ध्यान दे ते
हुए बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ अभियान को लागू किया, जिसके तहत आज हर व्यक्ति जागरूक हो रहा है ।
अब लोगों को समझ आ रहा है कि बिना बे टियों के विकास के समाज का विकास नहीं हो सकता। एक
शिक्षित महिला ना केवल अपने घर की जिम्मे दारियों को अच्छे से निभाती है बल्कि वह समाज के विकास
में भी अपना योगदान दे ती है । इस योजना के कारण आज बे टियों को भी विभिन्न क्षे तर् ों में अपनी प्रतिभा
दिखाने का अवसर मिल पा रहा है । समाज में बे टियों की स्थिति सु धर रही है यही एक अच्छे और
विकासशील दे श की पहचान है ।
बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ पर निबं ध 1000 शब्दों में (Beti Bachao Beti
Padhao in Hindi Essay)
भूमिका
“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र दे वता”
इस श्लोक का अर्थ है , जहाँ नारी का सम्मान होता है वहाँ दे वताओं का निवास होता है । वै दिक काल में जो
भारत था, आज वो भारत नहीं रहा, वै दिक काल में लिखा गया यह श्लोक आज के यु ग में कहीं भी फिट नहीं
बै ठता।
आधु निक भारत इतना आधु निक हो गया है कि लड़कियों से उनके जीने का हक तक छिन लिया है । जन्म
और मृ त्यु तो उस ऊपरवाले की दे न है , किन्तु कुछ डे ढ़ होशियार लोगों ने खु द को भगवान समझ कर उन
मासूम बच्चियों को मार दिया जो अभी पै दा भी नहीं हुई थी। कन्या भ्रूण हत्या के अगर आं कड़ें दे ख ले तो
आँ खों में से आँ स ू आ जाते है ।
सन् 2001 में भारत में लड़कियों और लड़कों का अनु पात 932/1000 था और 2011 तक आते -आते यह
अनु पात 918/1000 तक घट गया था। इसका अर्थ यह है कि अगर समय रहते नहीं चे ता गया तो यह
आं कड़ा घटते -घटते एक दिन शून्यता की स्थिति में आ जाये गा।
‘बिल्डिं ग डाइवर्सिटी इन एशिया पै सिफिक बोर्ड’ नामक सं स्था की ताजा रिपोर्ट के अनु सार विगत चार वर्षों
में भारतीय कम्पनियों के बोर्ड में महिलाओं की सं ख्या में लगभग 10% की बढ़ोत्तरी हुई है । यह बढ़ोत्तरी
सबसे ज्यादा बिजनस और कॉरपोरे ट वर्ल्ड में अं कित की गई है । रिप्रेजे न्टे शन में महिलाओं की सं ख्या
2012 में 2.5% से बढ़कर 2015 में 12% तक हो गई। बोर्ड की सूचना को आधार माना जाय तो महिलाओं की
बोर्ड में लगभग 18%, टे लीकॉम क्षे तर् में 12%, आई.टी. क्षे तर् में 9% वित्तीय जै से क्षे तर् ों में भागीदारी है ।
दे श में महिलाओं और पु रुषों की सं ख्या में पर्याप्त अं तर है । इसी अं तर को पाटने के लिए इस योजना की
जरुरत पड़ी। केवल उनकी सं ख्या में वृ दधि् करना ही नहीं, बल्कि उनके खिलाफ हो रहे अपराधों को रोकना
भी इस अभियान का प्रमु ख उद्दे श्य है । बड़ी अजीब बात है न, जितना दे श और समाज विकसित होता जा
रहा, उतना ही महिलाओं के खिलाफ क् राइम और हिं सा भी बढ़ती जा रही है । यह बात कुछ हज़म होने
योग्य नहीं है ।
जितना विज्ञान हमारे लिए वरदान है , कुछ मामलों में अभिशाप भी। मे डिकल और मे डिसीन मानव जाति के
भलाई के लिए बनाये गये हैं । इसका सजीव उदाहरण सोनोग्राफी और अल्ट् रासाउण्ड मशीन है , जिससे
गर्भ में पल रहे बच्चे का जें डर पता कर सकते हैं । गलती विज्ञान या वै ज्ञानिक अविष्कारों की नहीं, बल्कि
उसके उपयोग की है ।
इन्हीं सभी बातों को ध्यान में रख कर बे टी बचाओ-बे टी पढ़ाओ कार्यक् रम की शु रुआत 22 जनवरी 2015 को
पानीपत, हरियाणा में प्रधानमं तर् ी नरें द्र मोदी के द्वारा की गई। इस कार्यक् रम की शु रुआत हरियाणा में
करने के पीछे एक कारण भी है – हरियाणा में स्त्री-पु रुष लिं गानु पात में सर्वाधिक अं तर है । इस अभियान
की ज़िम्मे दारी तीन मं तर् ालय को सौंपी गयी और वो तीन मं तर् ालय – महिला और बाल विकास मं तर् ालय,
स्वास्थ्य परिवार कल्याण मं तर् ालय तथा मानव सं साधन मं तर् ालय है ।
इस अभियान के तहत दे श में पूर्व गर्भाधान और प्रसव पौरव निदान तकनीक अधिनियम, 1994 को लागू
किया गया। जिसके तहत यह भी कहा गया कि यदि कोई चिकित्सक भ्रूण लिं ग परीक्षण करते हुये या
भ्रूण हत्या का दोषी पाया गया तो उसका लाइसें स रद्द कर दिया जाएगा और उस चिकित्सक को
अधिनियम के तहत दं डित भी किया जाएगा। इसी वजह से हर क्लीनिक-हॉस्पिटल में ये साफ-साफ लिखा
होता है कि भ्रूण लिं ग परीक्षण कानूनन अपराध है ।
ये सं भव है कि इस योजना से लड़कों और लड़कियों के प्रति भे दभाव खत्म हो जाये तथा कन्या भ्रूण
हत्या का अन्त करने में ये मु ख्य कड़ी साबित हो। इस योजना की शु रुआत करते हुए पीएम मोदी ने
चिकित्सक बिरादरी को ये याद दिलाया कि चिकित्सा पे शा लोगों को जीवन दे ने के लिये बना है ना कि उन्हें
खत्म करने के लिये ।
इस मिशन का मूल उद्दे श्य समाज में पनपते लिं ग असं तुलन को नियं त्रित करना है । इस अभियान के द्वारा
कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध आवाज उठाई गयी है । यह अभियान हमारे घर की बहु-बे टियों पर होने वाले
अत्याचार के विरुद्ध एक सं घर्ष है । इस अभियान के द्वारा समाज में लडकियों को समान अधिकार दिलाए जा
सकते हैं ।
लड़कियों के साथ शोषण होने के पीछे मु ख्य कारण अशिक्षा भी है । अगर हम पढ़े -लिखे शिक्षित होते हैं तो
हमें सही-गलत का ज्ञान होता है । जब बे टियां अपने पै र पर खड़ी होंगी तो कोई भी उन्हें बोझ नहीं
समझे गा।
इसीलिए ‘बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ कार्यक् रम’ के माध्यम से बे टियों को अधिक से अधिक शिक्षित बनाने
पर जोर दिया जा रहा है । शिक्षित लोगों के साथ कुछ भी गलत करना आसान नहीं होता। लड़की पढ़ी-
लिखी होगी तो न अपने साथ कुछ गलत होने दे गी और न ही किसी और के साथ होते दे खेगी। इसीलिए
लड़की का शिक्षित होना अत्यं त आवश्यक है ।
अब लोग अपनी लड़कियों के जन्म से खु श भी हो रहे हैं और उन्हें अच्छे से पढ़ा-लिखा कर काबिल भी बना
रहे हैं ।
उपसं हार
हर लडाई जीतकर दिखाऊंगी, मैं अग्नि में जल कर भी जी जाऊंगी।
चं द लोगों की पु कार सु न ली, मे री पु कार न सु नी।
मैं बोझ नहीं भविष्य हं ,ू बे टा नहीं पर बे टी हं ।ू
भारत के प्रत्ये क नागरिक को कन्या शिशु बचाओ के साथ-साथ इनका समाज में स्तर सु धारने के लिए
प्रयास करना चाहिए। लडकियों को उनके माता-पिता द्वारा लडकों के समान समझा जाना चाहिए और
उन्हें सभी कार्यक्षे तर् ों में समान अवसर प्रदान करने चाहिए।
जब एक बालक को पढ़ाया जाता है तो केवल एक इं सान ही शिक्षित होता है जबकि एक बालिका को पढ़ाने
से दो-दो परिवार साक्षर होता है । साक्षर माँ ही अपने बच्चे का चरित्र-निर्माण करती है । अतः वह जन्म-
दाता ही नहीं, चरित्र निर्माता भी है , क्योंकि उसके अने कों किरदार हैं ।
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अं तिम शब्द
हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शे यर किये गये यह बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ पर निबंध (Essay on Beti
Bachao Beti Padhao in Hindi) आपको पसं द आये होंगे , इन्हें आगे शे यर जरूर करें । आपको यह निबं ध
कैसे लगे , हमें कमें ट बॉक्स में जरूर बताएं ।
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इसका मु ख्य कारण भारत का पु रुष प्रधान दे श का होना तथा सामाजिक एवं धार्मिक दृष्टि से
महिलाओं की क्षमता को कम आं कना है ।
उपसंहार
भारत में सदियों से महिलाओं को शिक्षा एवं समाज में बराबरी के अधिकार से वं चित रखा गया था पर
आज सं वैधानिक अधिकार के तहत भारत की लाखो बे टियों ने अपनी प्रतिभा से दे श का नाम रोशन
करने में कामयाब हुई तब जाकर सरकार ने भी लोगो को जागरूक करने हे तु बचाओ बे टी पढ़ाओ
अभियान का सं चालन प्रारं भ किया।
निबंध 2 (400 शब्द): बे टी बचाओ, बे टी पढ़ाओ अभियान का उद्दे श्य
भूमिका
बचाओ बे टी पढ़ाओ अभियान का तात्पर्य केवल बे टियों को बचाना और पढ़ाना ही नहीं बल्कि सदियों
से चली आ रही धार्मिक प्रथाओं एवं गलत मानसिक विचारधारा में परिवर्तन लाना भी है । महिलाओं
के शिक्षित होने से वे अपने ऊपर होने वाले उत्पीड़न का विरोध कर सकती है और अपने अधिकार की
मां ग कर सकती है ।
इस अभियान का मु ख्य उद्दे श्य भारत में निरं तर घट रही महिलाओं की जनसं ख्या के अनु पात को
सं तुलित करने के साथ-साथ उनके हक एवं अधिकारों की पूर्ति करना भी है । भारतीय सं विधान द्वारा
महिलाओं को प्रदत्त अधिकार जै से शिक्षा का अधिकार, समान से वा का अधिकार तथा सम्मान के
साथ जीने के अधिकार को सु निश्चित करता है ।
बे टी बचाओ, बे टी पढ़ाओ योजना सन् 2015 में प्रधानमं तर् ी श्री नरे न्द्र मोदी के प्रयासो तथा
महिला एवं बाल विकास मं तर् ालय, स्वास्थ्य़ एवं परिवार कल्याण मं तर् ालय एवं मानव सं साधन
विकास मं तर् ालय द्वारा आरं भ की गई। हालाकि इस योजना की शु रुआत हरियाना प्रदे श से हुई पर
आज भारत के प्रत्ये क प्रदे श में इसका पालन पु री इमानदारी का साथ किया जा रहा है । और इस
योजना का साकारात्मक प्रभाव दे खने को मिल रहा है । आज इस योजना के तहत बे टियों को एक नई
प्रतिभा का विकास एवं लोगों के अं दर बे टियों की शिक्षा के प्रति सकारात्मक सोच का सं चार बहुत
ते जी से हो रहा है ।
इस योजना के तहत सबसे पहले सम्पूर्ण भारत में पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक
अधिनियम, 1994 को लागू किया गया है । कोई भी ऐसा करते पकड़ा गया तो उसके लिए कड़े दं ड के
प्रावधान हैं । साथ ही साथ यदि कोई चिकित्सक भ्रूण लिं ग परीक्षण करते या भ्रूण-हत्या का दोषी
पाया गया, तो उसे अपने लाइसें स रद्द के साथ-साथ भयं कर परिणाम भु गतने पड़ सकते हैं । इसके लिए
कानूनी कार्यवाही के आदे श हैं ।
उपसंहार
भारत सरकार एवं प्रत्ये क राज्य की सरकार के अथक प्रयास से आज दे श में जन्म ले ने वाली बे टियों
की शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सु रक्षा सु निश्चित हो पा रही है । आज बहुत सारी निजी सं स्था, चै रिटे बल ट् रस्ट
तथा व्यक्तिगत रूप से लोग एक दस ू रे को जागरूक करने का प्रयास कर रहे है । इस मु हिम का प्रभाव
दे श के प्रत्ये क स्कू लों, सरकारी एवं गै र सरकारी कार्यालयों, रक्षा तथा क्रिया के क्षे तर् में पु रुषों के
अनु पात में दे खने को मिल रहाहै ।
निबंध 3 (500 शब्द): बे टी बचाओ, बे टी पढ़ाओ अभियान की
आवश्यकता
प्रस्तावना
भारतीय हिन्द ू धर्म शास्त्र के अनु सार स्त्रियों को दे वी एवं सृ ष्टि निर्माता कहा गया है वही पर अने को
कुप्रथा एवं सं स्कारों की जं जीरों में उनके पै रों को बां धा गया है । बे टी होने पर पिता की आज्ञा का
पालन करना, पत्नी बनने पर पति के इसारो पर चलना, माँ बनने पर बच्चों का पालन पोषण करना तथा
मर्यादा को कायम रखते हुए घर की चारदीवारी में कैद रहना ही उनका कर्तव्य माना जाता था। आज भी
भारत के कई हिस्सों में स्त्रियों को ऐसी कठोर प्रथा का पालन करना पड़ रहा है । उन्हे आज भी
शिक्षा, सम्पति एवं सामाजिक सहभागिता से वं चित रखा गया है अप्रत्यक्ष रूप से कहे तो यह धार्मिक
सं स्कृति का ही प्रभाव है ।
सन् 1991, 2001 एवं 2011 की जनगणना के अनु सार महिलाओं की जनसं ख्या पु रुषों के अनु पात में
निरं तर गिरावट दे खी गई। लगातार महिलाओं की घटती जनसं ख्या का मु ख्य कारण निरक्षरता के साथ-
साथ आज भी हमारे समाज में व्याप्त दहे ज प्रथा भी है । आज भी सामान्य लोगों की मानसिकता होती
है कि बे टी तो पराया धन है इसे पढ़ाने से क्या फायदा, शादी करने पर बहुत सारा दहे ज भी दे ना पड़े गा,
फलस्वरूप लोग बे टियों को पै दा होने से पहले ही मार दे ते थे ।
तब जाकर सरकार ने सन् 2015 से बे टी बचाओ, बे टी पढ़ाओ अभियान को चलाकर लोगों को जागरूक
करने का प्रयास आरं भ कर दिया। लोगों को सफल महिलाओं का उदाहरण दे कर यह समझाने का
प्रयास किया जाने लगा कि बे टियों को भी मौका दिया जाय तो ये केवल घर ही नहीं दे श भी चला
पकती है ।
सरकार द्वारा चलाई गई इस मु हिम का सकारात्मक प्रभाव आज हमें दे खने को मिल रहा है ।
उपसंहार
आज शिक्षा के विस्तार के फलस्वरुप लोगो की मानसिक सोच में काफी परिवर्तन आय़ा है । हम आज
बे टे एवं बे टियों की परवरिश तथा शै क्षणिक प्रक्रिया को एक समान रखने का प्रयास कर रहे है । बल्कि
दे खा जाए तो आज प्रतिस्पर्धा एवं से वा के क्षे तर् में लड़को से कही आगे बढ़ती जा रही हैं । सु ई से
ले कर जहाज के निर्माण में एक गृ हणी से ले कर राष्ट् रपति के पद तक, चिकित्सा से ले कर दे श की रक्षा में
भी
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बे टी बचाओ बे टी पढाओ निबंध हिंदी में – Beti Bachao Beti
Padhao
Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi – Beti Bachao Beti Padhao is an important
project launched by the Indian Government. Aim of Beti Bachao Beti Padhao scheme,
Historical significance of the project, what schemes have been launched under BBBP
have been included in this article. This is a very serious subject. Hope that through
this Hindi article on Beti Bachao Beti Padhao Mission, you will get all the information
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Essay on Beti Bachao Beti Padhao in Hindi – आज के ले ख के लिए हमने एक ऐसे विषय
को चु ना है जो समाज के सं वेदनशील विषयों में से एक गिना जाता है । हम बात कर रहे हैं
– बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ अभियान की। बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना की शु रुआत क्यों
करनी पड़ी, ऐसा क्या हुआ कि भारत जै से पु रातन सं स्कृति और अच्छे विचारों वाले दे श को
बे टियों को बचाने के लिए और उनको पढ़ाने के लिए एक अलग मु हिम चलानी पड़ी। यह एक
बहुत गं भीर विषय है । आशा करते हैं की इस ले ख के माध्यम से आपको इस विषय से सम्बं धित
सभी जानकारियाँ प्राप्त हो जाएगी और आपके सभी प्रश्नों के हल भी आपको मिल जाएँ गे –
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सामग्री (content)
1. प्रस्तावना
2. बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना का अर्थ और शु रुआत
3. बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना क्या है
4. बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना के लिए आवे दन कैसे करें
5. बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना के लिए आवश्यक दस्तावे ज़
6. बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना का लड़कियों को क्या लाभ प्राप्त होगा
7. बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना का सबसे अच्छा पहलू
8. बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना की आवश्यकता क्यों पड़ी
9. बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना के लक्ष्य और उद्दे श्य
10. महिला एवं बाल विकास मं तर् ालय, स्वास्थ्य मं तर् ालय और परिवार कल्याण मं तर् ालय एवं
मानव सं साधन विकास द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदम
11. लड़कियों की दुर्दशा को सु धारने के अन्य उपाय
12. उपसं हार
प्रस्तावना (Introduction)
“यत्र नार्यस्तु पुजयन्ते रमन्ते तत्र दे वता”
अर्थात् जहाँ नारियों को सम्मान दिया जाता है , वहाँ साक्षात् दे वता निवास करते हैं । यह वे द
वाक्य है अर्थात हमारे वे दों में नारी को उच्च स्थान प्राप्त है । परन्तु फिर भी सदियों से नारी
घोर अन्याय, अत्याचार और शोषण से जूझ रही है । हमारा भारत दे श पौराणिक सं स्कृति के
साथ-साथ महिलाओं के सम्मान और इज्जत के लिए जाना जाता था। ले किन बदलते समय के
अनु सार हमारे दे श के लोगों की सोच में भी बदलाव आ गया है । जिसके कारण अब बे टियों और
महिलाओं के साथ सम्मान और इज्जत का व्यवहार नहीं किया जाता।
आज हमारे 21 वी सदी के भारत में जहां एक ओर चांद पर जाने की बातें होती हैं , वहीं दस ू री
तरफ भारत की बे टियाँ अपने घर से बाहर निकलने पर भी कतरा रही हैं । जिससे यह पता लगता
है कि आज का भारत दे श पु रुष प्रधान दे श है । लोगों की सोच इस कदर बदल गई है कि आए
दिन दे श में कन्या भ्रूण हत्या और शोषण जै से मामले दे खने को मिलते रहते हैं । जिसके कारण
हमारे दे श की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि दस ू रे दे शों के लोग हमारे भारत दे श में आने से
झिझकने लगे हैं ।
स्वामी विवे कानंद जी ने कहा था कि जिस दे श में महिलाओं का सम्मान नहीं होता, उस दे श की
प्रगति कभी भी नहीं हो सकती।
समाज में बे टियों की हो रही दुर्दशा और लगातार घट रहे लिं गानु पात, समाज के लोगों की
सं कीर्ण मानसिकता का सबूत है । समाज में बे टी-बे टा के प्रति फैली असामनता की भावना का
नतीजा ही है कि आज कन्या भ्रूण हत्या, बलात्कार जै से जघन्य अपराधों में बढ़ोतरी हो रही
है । हमें समझने कि आवश्यकता है कि पृ थ्वी पर मानव जाति का अस्तित्व, आदमी और औरत
दोनों की समान भागीदारी के बिना सं भव नहीं होता है । दोनों ही पृ थ्वी पर मानव जाति के
अस्तित्व के साथ-साथ किसी भी दे श के विकास के लिए समान रूप से जिम्मे दार है ।
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बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना का अर्थ और शु रुआत
‘बे टी बचाओ बे टी पढाओ’ एक ऐसी योजना है जिसका अर्थ “कन्या शिशु को बचाओ और इन्हें
शिक्षित करो” है । इस योजना को भारतीय सरकार के द्वारा कन्या शिशु के लिए जागरूकता
का निर्माण करने के लिए और महिला कल्याण में सु धार करने के लिए शु रू किया गया था। बे टी
बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना (BBBP) महिला एवं बाल विकास मं तर् ालय, स्वास्थ्य मं तर् ालय
और परिवार कल्याण मं तर् ालय एवं मानव सं साधन विकास की एक सं युक्त पहल है । लड़कियों
की सामाजिक स्थिति में भारतीय समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिये इस योजना
का आरं भ किया गया है ।
इस योजना का उद्घाटन माननीय प्रधानमं तर् ी श्री नरें द्र मोदी जी ने 22 जनवरी 2015 को
हरियाणा राज्य के पानीपत जिले में किया था। हरियाणा में इसलिए क्योंकि हरियाणा राज्य में
उस समय 1000 लड़कों पर सिर्फ 775 लड़कियां ही थी। जिसके कारण वहां का लिं गानु पात
गड़बड़ा गया था। इस योजना को शु रुआत में पूरे दे श के 100 जिलों में जहां पर सबसे अधिक
लिं गानु पात गड़बड़ाया हुआ था वहां पर इस योजना को प्रभावी तरीके से लागू किया गया और
आगामी वर्षों में इसे पूरे दे श में लागू किया गया।
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बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना क्या है
दे श में लगातार घट रहे लिं गानु पात पर काबू पाने , बे टियों को सु रक्षा करने और उन्हें शिक्षित
करने के उद्दे श्य से इस योजना की शु रुआत की गई है । शु रुआत में जिन जिलों में बे टियों की
सं ख्या बे हद कम थी और उनकी स्थिति बे हद खराब थी उन जिलों में इस योजना की शु रुआत
की गई थी ताकि वहां की बे टियों की दशा में सु धार लाया जा सके और बे टियों के प्रति लोगों
की सं कीर्ण सोच को बदला जा सके।
इस योजना के अनु सार बे टियों की शिक्षा के लिए उचित व्यवस्था की गई है और लोगों की सोच
को बदलने के लिए जगह-जगह इसका प्रचार-प्रसार किया जा रहा है , जिससे लोग बे टे और
बे टियों में किसी भी प्रकार का भे दभाव नहीं करें । इस योजना के तहत यह सु निश्चित किया
गया है कि बे टियों को भी अपना जीवन जीने का पूर्ण अधिकार है ।
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बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना के लिए आवे दन कैसे करें
(1) बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना के आवे दन के लिए आपको केवल लड़की के नाम पर एक
बैं क का खाता खोलना है । इस योजना का लाभ उठाने के इसके नियमों का पालन करना
आवश्यक है ।
(2) बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना के लिए 10 साल तक की उम्र की सभी लड़कियाँ इस
योजना के तहत पात्र हैं । उनके नाम पर बैं क खाता खोलना आवश्यक है ।
(3) प्रधानमं तर् ी द्वारा शु रू की गई यह योजना पूरी तरह से कर मु क्त है । आपका खाता खु लने
के बाद उसमें से किसी भी राशि की कटौती नहीं की जाएगी।
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बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज
खाता खोलने के लिए आपके पास आवश्यक दस्तावे ज होने चाहिए, नहीं तो खाता नहीं खोल
पाएँ गे, इसलिए सु निश्चित करे कि आपके पास निम्नलिखित दस्तावे ज़ मौज़ूद हों –
(i) बच्ची का जन्म प्रमाण पत्र।
(ii) माता-पिता या कानूनी अभिभावक के पहचान का सबूत।
(iii) माता-पिता या कानूनी अभिभावक के पते का प्रमाण।
(iv) यहाँ एक बात ध्यान दे ने योग्य है कि यह योजना अनिवासी भारतीयों के लिए नहीं है
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लड़कियों को कितना लाभ प्राप्त होगा
बीबीबीपी योजना महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और मानव सं साधन
विकास मं तर् ालयों से चल रहा है । प्रधानमं तर् ी मोदी ने इस योजना को एक बड़ा कदम और
समाज के लिए एक वरदान के रूप में वर्णित किया है ।
(i) भारत सरकार द्वारा महिलाओं की सु रक्षा बढ़ाने के लिए 150 करोड़ रुपए खर्च किए जाएं गे।
(ii) केंद्रीय बजट में सड़क परिवहन और राजमार्ग मं तर् ालय के तहत महिलाओं की सु रक्षा की
रक्षा करने के लिए 50 करोड़ रुपये का आवं टन किया है ।
(iii) आप अपनी बच्ची के लिए एक खाता खोल पाएँ गे, जो आपका वित्तिय बोझ कम करे गा
और लड़की को उसकी छोटी-बड़ी जरूरतों के लिए पै सा मिल जाएगा।
(iv) सरकार सभी छोटे बचत-कर्ताओं के लिए बीबीबीपी योजना के तहत सबसे अधिक ब्याज
दर प्रदान करती है । इसके सहायता से आप अपनी बे टी के भविष्य के लिए और अधिक पै सा
बचा सकते हैं ।
(v) इस खाते को अधिनियम 1961 यू/एस 80 सी के तहत छट ू प्राप्त है । लड़की का खाता कर-
मु क्त होगा। इसका मतलब यह है कि खाते से कोई भी रकम कर के रूप में नही काटी जाएगी।
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इस योजना का सबसे अच्छा पहलू
खाता खोलने के समय से महिला के 21 साल की उम्र प्राप्त कर ले ने पर यह खाता परिपक्व
हो जाएगा। उसकी उम्र 18 साल की होने के बाद ही उसे उच्च शिक्षा के लिए धन प्राप्त
होगा। जब वह 21 साल की हो जाएगी तो आप उसकी शादी के लिए खाते से पै से निकालने में
सक्षम हो पाएँ गे। इस खाते की अधिकतम अवधि सीमा 21 वर्ष है ।
बीबीबीपी योजना का उद्दे श्य लोगों को यह समझाना है कि लड़कियों की शिक्षा एवं शादी
माता-पिता के लिए बोझ नहीं है । आप इस खाते के तहत बचाये गए धन द्वारा अपनी बे टी के
विवाह की व्यवस्था कर सकते हैं । यह योजना बच्चियों को पूर्ण वित्तीय सु रक्षा प्रदान करती
है ।
खाता खोलने के 21 साल बीत जाने के बाद पूरी रकम ब्याज समे त आपकी बे टी के खाते में जमा
करा दिए जाएँ गे।
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बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना की आवश्यकता क्यों पड़ी
बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना की आवश्यकता पड़ने के पीछे वै से तो कई कारण हैं , परन्तु
बे टियों की दुर्दशा और बे टियों की दुर्दशा के कारण पड़ने वाले दुष्प्रभाव ऐसे दो मु ख्य कारण हैं
जिनको समाप्त करने के लिए बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना की अत्यधिक आवश्यकता थी।
(1) बे टियों की दुर्दशा के कारण –
(i) पहला कारण है लैं गिग भे दभाव। लैं गिग भे दभाव का मतलब है कि अब लोग बे टियों का
जन्म नहीं चाहते , वे चाहते हैं कि उनके घर सिर्फ बे टे ही पै दा हो। ले किन वह लोग शायद यह
भूल गए हैं कि अगर लड़कियों का जन्म नहीं होगा तो भी बहू कहाँ से लाएँ गे, बहन कहां से
लाएँ गे और साथ ही मां कहां से लाएँ गे।
(ii) बढ़ते लैं गिक भे दभाव के कारण अब लोगों की मानसिकता इतनी खराब हो गई है कि वे
बे टियों की गर्भ में ही हत्या कर दे ते हैं । जिसके कारण लड़कियों की जनसं ख्या में भारी गिरावट
आई है और एक नई विपदा उभरकर सामने आई है ।
(iii) बे टियों के माता-पिता पढ़े नहीं होने के कारण वह लोगों की सु नी सु नाई बातों में आ जाते
हैं और बे टियों के साथ भे दभाव करने लगते हैं । उन्हें पता ही नहीं होता है कि अगर बे टियों को
सही अवसर दिया जाए तो भी बे टों से ज्यादा कर के दिखा सकती हैं ।
(iv) भ्रष्ट मानसिकता वाले लोग मानते हैं कि बे टे ही सब कुछ है वही उनके बु ढ़ापे की लाठी
बनें गे और उनकी से वा करें गे । इसलिए वे लोग अब बे टियों का जन्म तक नहीं चाहते उनकी घर
में ही हत्या करवा दे ते हैं ।
(v) जन्म के बाद से ही लड़कियों को कई तरह के भे दभाव से गु जरना पड़ता है जै से शिक्षा,
स्वास्थ्य, सु रक्षा, खान-पान, अधिकार आदि। ऐसी दस ू री जरुरतें भी है जो लड़कों के साथ-साथ
लड़कियों को भी प्राप्त होनी चाहिये ।
(vi) हमारे दे श में दहे ज प्रथा बहुत गं भीर समस्या है , जिसके कारण बे टियों की स्थिति
चिं ताजनक हो गई है । इस प्रथा के कारण लोग अब नहीं चाहते कि उनकी परिवार में बे टियां
पै दा हो क्योंकि जब बे टियों की शादी की जाती है तो उन्हें बहुत सारा दहे ज दे ना पड़ता है ।
(2) बे टियों की दुर्दशा के कारण पड़ने वाले दु ष्प्रभाव –
(i) लड़के की चाह रखने वाले लोग जब तक उनके घर लड़का पै दा नहीं हो जाता तब तक वह
बच्चे पै दा करते रहें गे जिसके कारण भारी सं ख्या में जनसं ख्या का विस्तार होगा।
(ii) हमारा दे श बहुत पिछड़ा हुआ है और अगर जनसं ख्या वृ दधि ् इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो
हमारा दे श कभी भी विकसित नहीं हो पाएगा।
(iii) एक आं कड़े के अनु सार वर्ष 1981 में 0 से 6 साल लड़कियों का लिं गानु पात 962 से घटकर
945 ही रह गया था और वर्ष 2001 में यह सं ख्या 927 रह गई थी। 2011 आते आते तो स्थिति
और भी खराब हो गई थी क्योंकि 1000 लड़कों पर लड़कियों की सं ख्या सिर्फ 914 ही रह गई थी
जो कि एक गं भीर समस्या हो गई है ।
(iv) लड़कियों की जनसं ख्या कम होने के कारण आए दिन समाचारों में दे खा होगा कि हमारे दे श
में बलात्कार जै सी घटनाएं बहुत ही ते जी से बढ़ रही है । इसका एक कारण यह भी है कि
लड़कियों की जन्म दर बहुत कम हो गई है ।
(v) पु रुष प्रधान समाज होने के कारण लड़कियों की जनसं ख्या जहां पर कम होती है वहां पर
पु रुष अपना प्रभु त्व दिखाते हैं और लड़कियों का शोषण करने से बाज नहीं आते हैं ।
(vi) कहा जाता है कि पहला गु रु मां ही होती है अगर वही पढ़ी-लिखी नहीं होगी तो वह अपने
बच्चों को कैसे पढ़ाएगी। इसलिए बे टियों को पढ़ाना बहुत जरूरी होता है ।
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बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना के लक्ष्य और उद्दे श्य
समाज में बे टियों की स्थिति में सु धार करने , बे टियों के घट रहे लिं गानु पात में काबू पाने और
उन्हें शिक्षित कर समाज में उन्हें उचित दर्जा दिलावाने के मकसद से बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ
योजना की शु रुआत की गई थी।
(i) दे श की बे टियों के बे हतर भविष्य का निर्माण हो सके।
(ii) बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना के अं तर्गत सामाजिक व्यवस्था में बे टियों के प्रति
रूढ़िवादी मानसिकता को बदलना।
(iii) बालिकाओं की शिक्षा को आगे बढ़ाना।
(iv) भे दभाव पूर्ण लिं ग चु नाव की प्रक्रिया का उन्मूलन करना।
(v) घर-घर में बालिकाओं की शिक्षा को सु निश्चित करना।
(vi) लड़कियों की शिक्षा और उनकी भागीदारी सु निश्चित करना।
(vii) कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम लगाना
(viii) समाज में बे टियों की स्थिति में सु धार लाना
(ix) समाज में बे टी-बे टा के बीच फैली असमानता को दरू करना
(x) बे टियों की सु रक्षा को सु निश्चनत करना
(xi) लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाना
(xii) बे टियों के जीवन स्तर में सु धार करना
(xiii) शिक्षा एवं अन्य क्षे तर् ों में लड़कियों की भागीदारी सु निश्चित करना
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महिला एवं बाल विकास मंतर् ालय, स्वास्थ्य मंतर् ालय और परिवार
कल्याण मंतर् ालय एवं मानव संसाधन विकास द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण
कदम
बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना महिला एवं बाल विकास मं तर् ालय, स्वास्थ्य मं तर् ालय और
परिवार कल्याण मं तर् ालय एवं मानव सं साधन विकास की एक सं युक्त पहल है । तीनों
मं तर् ालय इसके लिए कार्य कर रहे हैं –
महिला एवं बाल विकास मं तर् ालय द्वारा उठाए गए कदम
(i) गर्भधारण की पहली तिमाही के दौरान ही आं गनवाड़ी केंद्रों में गर्भधारण के पं जीकरण को
बढ़ावा दे ना।
(ii) नई महिला उद्यमियों के प्रशिक्षण का कार्य।
(iii) सामु दायिक गतिशीलता और सं वेदीकरण।
(iv) लैं गिक समर्थन की भागीदारी।
(v) अग्रणी कार्यकर्ताओं एवं सं स्थाओं को पु रस्कार एवं मान्यता प्रदान करना।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मं तर् ालय द्वारा उठाए गए कदम –
(i) पक्षपात और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम, 1994 के
कार्यान्वयन की निगरानी।
(ii) सं स्थागत प्रसव में वृ दधि् ।
(iii) बच्चों के जन्म का पं जीकरण।
(iv) पीएनडीटी प्रकोष्ठों को मजबूत बनाना।
(v) निगरानी समितियों की स्थापना।
मानव सं साधन विकास मं तर् ालय द्वारा उठाए गए कदम –
(i) लड़कियों का सार्वभौमिक नामांकन।
(ii) लड़कियों की पढ़ाई बीच में छोड़ने की दर को कम करना।
(iii) स्कू लों में लड़कियों के साथ दोस्ताना, मिलनसार व्यवहार।
(iv) शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम को लागू करना।
(v) लड़कियों के लिए कार्यात्मक शौचालयों का निर्माण।
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लड़कियों की दुर्दशा सु धारने के अन्य उपाय
अगर लड़कियों से किसी प्रकार का भे दभाव हो रहा है और अगर हम उसे होते हुए दे ख रहे हैं
तो हम भी उतने ही जिम्मे दार हैं जितना कि भे दभाव करने वाला इसलिए हमें लड़कियों के
प्रति भे दभाव पूर्ण नीति के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। सरकार भी लड़कियों के उत्थान के
लिए नई-नई योजनाएं लाते आती है जै से बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना, महिला
सशक्तिकरण योजना, सु कन्या योजना जै सी कई योजनाएँ चलाती है ले किन यदि हम सरकार
का पूर्ण सहयोग नहीं दें गे तो सरकार का कोई भी प्रयास सफल नहीं हो सकता
हम लड़कियों की दुर्दशा सु धारने के लिए निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं –
(1) भारत में लिं ग जांच करने वाली मशीनें आसानी से मिल जाती हैं इन मशीनों पर हमें तु रं त
रोक लगानी चाहिए। हालां कि भारत सरकार ने इसके ऊपर एक सख्त कानून लाया है ले किन
कुछ लालची डॉक्टरों के कारण आज भी लिं ग जांच होती है और लड़कियों की गर्भ में हत्या कर
दी जाती है ।
(2) कन्या भ्रूण हत्या का मु ख्य कारण है कि महिलाओं को शिक्षा के बारे में कुछ पता नहीं
होता है और उन्हें पु रानी रूढ़िवादी बातों में फंसा कर उनके परिवार वाले अपनी ही बे टी कि गर्भ
में हत्या करवा दे ते हैं । इसलिए जितना स्त्री शिक्षा को बढ़ावा मिले गा उतना ही लड़कियों का
लिं गानु पात बढ़े गा।
(3) हमारे 21 वीं सदी के भारत में जहां एक और कल्पना चावला जै सी महिलाएं अं तरिक्ष में जा
रही हैं वहीं दस ू री ओर हमारे समाज के लोग लड़कियों से भे दभाव कर रहे हैं । लड़कियों से लिं ग
चयन के आधार पर भे दभाव किया जाता है और अगर उनका जन्म हो भी जाता है तो उनको
उचित शिक्षा नहीं दी जाती है ।
(4) उनका उचित पालन पोषण नहीं किया जाता है इस भे दभाव नीति के कारण लड़कियों का
विकास सही से नहीं हो पाता है और वे पिछड़ी हुई रह जाती है जिसके कारण वह लड़कों के
साथ कंधे से कंधा मिलाकर नहीं चल पाती हैं ।
(5) कुछ ऐसे लोग हैं जिनकी मानसिकता इतनी खराब हो चु की है कि वह महिलाओं को एक
वस्तु के समान भोग विलास की वस्तु मानते हैं ।दिन प्रतिदिन ऐसे लोगों की सं ख्या बढ़ती जा
रही है जिसका परिणाम आप आए दिन अखबारों और समाचारों में दे खते रहते हैं ।ऐसे लोगों को
समाज से बाहर कर दे ना चाहिए, यह लोग समाज के लिए ही नहीं पूरे विश्व के लिए बहुत ही
खतरनाक हैं ।
(6) भारत सरकार को लड़कियों की सु रक्षा के लिए सख्त कानूनों का निर्माण करना चाहिए
जिससे कि किसी की हिम्मत ना हो लड़कियों से शोषण करने की ओर उनसे भे दभाव करने की।
(7) हाल ही में सरकार ने एक नया कानून लाया है जिसकी सराहना की जा सकती है जिसमें 12
साल तक की लड़कियों से बलात्कार करने पर फांसी की सजा दी जाएगी। अगर ऐसे ही सख्त
कानून बनते रहे तो किसी की भी हिम्मत नहीं होगी कि लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार करें ।
हम व्यक्तिगत रूप से भी बे टियों की दशा को सु धारने में योगदान कर सकते हैं -
(i) परिवार और समु दाय में कन्या शिशु के जन्म पर खु शी जाहिर करना।
(ii) बे टियाँ हमारा गौरव हैं और इसलिए हमें उन्हें ‘बोझ’ या किसी और की सं पत्ति समझने की
प्रवृ त्ति से परहे ज करना चाहिए।
(iii) लड़कों और लड़कियों के बीच समानता को बढ़ावा दे ने के तरीके ढ़ूढ़ना।
(iv) लड़कियों के प्रति रूढ़िवादी धारणा रखने वालों को चु नौती दें तथा स्कू ल में लड़िकियों के
प्रवे श के लिए सु रक्षित वातावरण तै यार करें ।
(v) अपने बच्चों को लड़कियों एवं महिलाओं का सम्मान, समाज के शिक्षित और जागरूक
सदस्यों के रूप में करने की शिक्षा दें ।
(vi) लिं ग निर्धारण परीक्षण की किसी भी घटना की सूचना दें ।
(vii) महिलाओं और लड़कियों के लिए सु रक्षित और हिं सा-मु क्त समाज निर्मित करने का
प्रयास करें ।
(viii) समु दाय और परिवार के भीतर साधारण विवाह को बढ़ावा दें एवं दहे ज और बाल विवाह
का विरोध करें ।
(ix) महिलाओं के सं पत्ति के वारिस होने के अधिकार का समर्थन करें ।
(x) महिलाओं को घर से बाहर जा कर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना
उनके काम को उनके व्यवसाय को तथा सार्वजनिक स्थानों पर उनके आने -जाने आदि को भी
प्रोत्साहित करना।
(xi) महिलाओं और लड़कियों के प्रति सं वेदनशील रहना और मन में उनके कल्याण की भावना
रखना।
Top
उपसंहार
भारत के प्रत्ये क नागरिक को कन्या शिशु बचाओ के साथ-साथ इनका समाज में स्तर सु धारने
के लिए प्रयास करना चाहिए। लडकियों को उनके माता-पिता द्वारा लडकों के समान समझा
जाना चाहिए और उन्हें सभी कार्यक्षे तर् ों में समान अवसर प्रदान करने चाहिए। मोदी सरकार
द्धारा शु रु की गई बे टी बचाओ बे टी पढ़ाओ योजना, लगातार महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे
जघन्य अपराधों को रोकने के लिए एक प्रशं सनीय पहल है ।
ू री
इस योजना से जहां लोग बे टियों की सु रक्षा और शिक्षा को ले कर जागरूक हो रहे हैं , वहीं दस
तरफ इससे दे श में शिक्षा के स्तर में भी सु धार हुआ है और एक सभ्य और शिक्षित समाज के
निर्माण में मदद मिली है । बे टी बचाओ, बे टी पढ़ाओ योजना के तहत बे टियों को उनका
अधिकार मिलने में मदद मिल रही है , ज्यादा से ज्यादा महिलाओं में आत्मनिर्भर बनने की
भावना का विकास हो रहा है , इसके साथ ही समाज में भी महिलाओं के प्रति सम्मान की
भावना और ज्यादा विकसित हुई है । बे टी बचाओ, बे टी पढ़ाओ योजना की खास बात यह है कि
इसके तहत सरकार बे टियों की शिक्षा के साथ-साथ उनकी शादी के लिए भी आर्थिक मदद कर
रही है जिससे दे श की कई बे टियों की जिं दगी सं वर रही हैं और उनके बे हतर भविष्य का भी
निर्माण हो रहा है ।