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Public Policy
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1. परिचय
2. राष्ट्रीय खनिज नीति 2019 का उद्देश्य व विशेषताएं
3. नीति में प्रयुक्त लोक नीति निर्माण माडल
4. नीति की कमियाँ
5. संभावित समाधान
6. निष्कर्ष
7. सन्दर्भ सामग्री
(नीति-विश्लेषण)
परिचय
सरल शब्दों में लोक नीति से अभिप्राय उन सभी नीतियों कार्यक्रमों व योजनाओं से
है जो सरकार द्वारा राज्य व जन कल्याण के उद्देश्य से निर्मित वह क्रियान्वित की जाती है
तथा इनका जनता के जीवन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। इसी
सन्दर्भ में भारतीय खान एवं खनिज परिदृश्य के विकास के लिये राष्ट्रीय खनिज नीति 2019
का महत्वपूर्ण स्थान है।
राष्ट्रीय खनिज नीति 2008 के प्रतिस्थापन के रुप में और डा. के राजेश्वर राम
समिति की सिफारिश पर राष्ट्रीय खनिज नीति 2019 को लागू किया गया।
घरेलू उद्दोगो को समर्थन प्रदान करना तथा खनिज क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त
करना व मेक इन इंडिया से खनिज क्षेत्र को जोडना।
राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 में निजी क्षेत्रों में खनन के वित्तपोषण को बढ़ावा देने
और निजी क्षेत्रों द्वारा अन्य देशों में खनिज संपत्ति के अधिग्रहण के लिये खनन
गतिविधियों को उद्योग का दर्जा देने का प्रस्ताव किया गया है।
नीति में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को दिये गए आरक्षित क्षेत्रों जिनका उपयोग
नहीं किया गया है, को युक्तिसंगत बनाने और इन क्षेत्रों को नीलामी हेतु रखे जाने
का भी उल्लेख किया गया है, जिससे निजी क्षेत्र को भागीदारी के अधिक अवसर
प्राप्त होंगे।
इस नीति में निजी क्षेत्र की सहायता करने के लिये वैश्विक मानदंड के साथ कर,
प्रभार और राजस्व के बीच सामंजस्य बनाने के प्रयासों का भी उल्लेख किया गया
है।
राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 के तहत शुरू किये जाने वाले बदलावों में ‘मेक इन
इंडिया’ पहल और लैंगिक संवेदनशीलता (Gender sensitivity) पर ध्यान देना
शामिल है।
खनिजों में विनियमन के लिये ई-गवर्नेंस, सूचना प्रौद्योगिकी (IT) सक्षम प्रणाली,
जागरूकता और सूचना अभियान शामिल किये गए हैं।
राष्ट्रीय खनिज नीति 2019 विभिन्न उपायों द्वारा खनिज उत्पादन को अधिकतम
करना चाहती है। इस हेतु नीति में जो तंत्र अपनाया गया है उसके तहत वर्तमान
संस्थाओं में अभिशरण के द्वारा तथा पर्यावरण को हानि पहुँचाये बिना व स्थानीय
संसाधनो के संरक्षण की धारणा को ध्यान में रखते हुये यह लक्ष्य प्राप्त करने की
रणनीति सुझाई गई है। इस हेतु सतत खनन, जीरो वेस्ट खनन, अन्तर्पीढीगत समता
आदि टू ल्स सुझाए गये है।
नीति में खनिज संसाधनों के उत्पादन के लिये लागत को न्युनतम करने के लिये
तकनीकी उपाय जैसे सेटेलाईट, सदूर संवेदन आदि का उपयोग करके खनन के
विनियमत करना तथा अवैध खनन की रोकथाम करना व ई गवर्ननेंस के साथ
समायोजित करने का प्रावधान किया गया है।
खनिज क्षेत्र के विकास के लिये नीति में सभी हितधारको के दृष्टिकोण को ध्यान में
रखा गया है इसलिये यह नीति स्थानीय निवासियों के हितों की सुरक्षा हेतु जिला
खनिज फाउं डेशन का प्रावधान करती है। साथ ही यह स्थानीय पर्यावरण की
संधारणीयता को भी महत्वपूर्ण मानती है और पर्यावरण विरुद्द खनन व खनन प्रथाओं
को हतोत्साहित करती है।
खनिज क्षेत्र में न्युनतम लागत में अधिकतम निर्गम प्राप्त करने के लिये संसाधनों के
प्रयोग में यह नीति उपयोगितावादी दृष्टिकोण अपनाती है जिसके तहत जहाँ जरुरी है
वहाँ सरकारी तंत्र के साथ साथ निजी क्षेत्र को भी अवसर प्रदान करती है।
नीति में सरकार की आय के लिये राजस्व साझेदारी माडल को अपनाया गया है जो
खनन कं पनियों द्वारा लाभ को शून्य बताकर सरकार को लाभांश साझेदारी न करने
के बहाने से मुक्ति दिलाता है जो अधिक तार्कि क है तथा सरकार को निश्चित आय
प्रदान करता है।
नई संभावनाओं की तलाश के लिये नीति में अपतटीय क्षेत्रों में खनन को बढावा देने
की बात कही गई है साथ ही दुर्लभ व ऐसे खनिज जिनका खनन कम किया जाता है
उन्हें भी बढावा देने का प्रावधान है। यह दृष्टिकोण नीति की दूरदर्शिता को बताता है।
अर्थव्यस्था के किसी भी क्षेत्रक के विकास के लिये मजबूत सूचना पारितंत्र की
आवश्यकता होती है जो उस क्षेत्रक के लिये इनपुट का कार्य करती है। इस नीति में
हितधारको की सूचना, पारदर्शिता को बढावा देने आदि के लिये एक संसाधन सूची
बनाने, बेसलाईन डेटा तैयार करने आदि का प्रावधान किया गया है।
मानव संसाधन किसी भी नीति का प्रमुख हिस्सा होती है। इस नीति में भी वर्तमान
मानव संसाधन को अन्तराष्ट्रीय प्रथाओं के अनुसार प्रशिक्षित करने की बात कही गई
है तथा एक समर्पित मानव संसाधन विकास नीति तैयार करने का भी प्रावधान किया
गया है। साथ ही यह नीति एक अग्रगामी कदम के तौर पर खनिज क्षेत्रक में जेंडर
संवेदनशीलता को भी बढावा देती है।
यह नीति खनन को समर्पित अनन्य खनन क्षेत्र की अवधारणा को भी प्रस्तावित
करती है जो खनन को अधिकतम रुप से उपयोगी बनाने की रणनीति का हिस्सा है
साथ ही यह खनन क्षेत्र के मूल्यांकन में एक बेंचमार्क की स्थापना की भी स्थान देती
है। ये कदम खनन को अधिक संधारणीयका तथा अधिकतम उपयोगिता प्रदान
करेगें।
यह नीति खनिज को अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों से जोडती है और इसे घरेलु उद्योगो
के लिये इनपुट के साथ साथ निर्यात द्वारा विदेशी आय के एक महत्वपूर्ण साधन के
रुप में परिकल्पित किया गया है।
नीति की कमियाँ
नीति में पर्यावरणीय सुरक्षा तथा संधारणीय खनन की बात की गई है और इसके
लिये कई संबन्धित शब्दों का भी प्रयोग किया गया है परन्तु किसी ठोस तंत्र का
प्रावधान नही किया गया है जिससे इसे सुनिश्चित किया जा सके ।
नीति खनन क्षेत्र को मेक इन इंडिया योजना से सुसंगत बनाने की बात करती है पर
इसके लिये किसी रणनीति या रोडमैप को प्रस्तावित नही किया गया है।
खनन क्षेत्र में राज्यों की भी भागीदारी है नीति इस संबन्ध में निर्देशात्मक प्रावधान
करती है जिसके तहत राज्यों से एक वार्षिक बिजनेस योजना की अपेक्षा की गई है
जबकि खनन क्षेत्र में राज्यों की भूमिका सहयोगी संघवाद पर आधारित और
अग्रसक्रिय होनी चाहिये।
नीति में खनन क्षेत्र में निजी क्षेत्र के सहयोग की परिकल्पना की गई है पर इसका
विस्तार किन गतिविधियों तक होगा तथा इसकी क्या सीमाएं होगी इस पर बहुत कम
प्रकाश डाला गया है।
खनन क्षेत्र में मानव संसाधन के तहत लैंगिक संवेदनशीलता को प्रोत्साहन देने की
बात नीति करती है पर इसके लिये उपर्युक्त रणनीति व टू ल्स के बारे में नीति मौन
है।
खनन दुर्घटनाएं खनन सुरक्षा के समक्ष एक बडी चुनौती होती है इसे सुनिश्चित करने
के लिये नीति में पर्याप्त ध्यान नही दिया गया है और इसे एक मार्गदर्शनकारी
प्रावधान के रुप में उल्लेकित किया गया है जबकि यह एक अनिवार्य मुद्दा है।
संभावित समाधान
खनन क्षेत्र में पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन जैसी पूर्वेपाक्षाओं को लागू करना नीति में
शामिल किया जाना चाहिये।
मेक इन इंडिया से सुसंगत बनाने के लिये उद्योगो के लिये इनपुट के रुप में कार्य
करने वाले खनिजों की प्राथमिकता सूची बनाकर उनकी निरन्तर उपलब्धता सुनिश्चित
करने के लिये नीति में प्रावधान शामिल किये जाने चाहिये।
इस नीति के निर्माण में राज्यों की सक्रिय भागीदारी अपेक्षित है। गौण खनिज पूरी
तरह से राज्य के क्षेत्राधिकार में है तथा मुख्य खनिजों के विनियमन व खनन प्रक्रिया
में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है अत अर्थव्यवस्था के विकास हेतु राज्यों के पक्ष को
इसमें शामिल किया जाना चाहिए। इसका एक उदाहरण स्थानीय क्षेत्र पर खनन के
प्रभाव तथा स्थानीय लोगो के कल्याण हेतु समुचित योजना कार्यान्वयन में उनकी
भागीदारी हो सकती है।
खनन क्षेत्र के विकास हेतु सार्वजनिक निजी भागीदारी अपरिहार्य है। इस हेतु नीति में
निजी क्षेत्र की भूमिका को स्पष्ट रुप से उल्लेखित किया जाना चाहिये। साथ ही निजी
क्षेत्र की विशेषज्ञता के लाभ के लिये रणनीति उल्लेखित की जानी चाहिये।
खनन क्षेत्र में लैंगिक संवेदनशीलता को बढाने के लिये मानव संसाधन में
महिलाओं की वर्तमान हिस्सेदारी पर उपर्युक्त आंकडे जुटाने तथा इस अनुपात को
बढाने के लिये रणनीतियों का उल्लेख नीति में होना चाहिए। साथ ही खनन क्षेत्र में
उन महत्वपूर्ण भूमिकाओं की पहचान भी करनी चाहिए जहाँ महिलाए बेहतर तरीके से
अपना योगदान दे सकती है
खनन क्षेत्र में दुर्घटनाएं समुची खनन प्रक्रिया को बाधित कर देती है। इसे एक
सुरक्षित उद्योग बनाने तथा इसमें लगे लोगो को गरिमापूर्ण कार्यस्थितियाँ प्रदान
करने के लिये सुरक्षित खनन को बढाने वाली प्रथाओं का जिक्र नीति में होना चाहिये
तथा रेट होल माइनिंग जैसी प्रथाओं पर रोक लगाने का प्रावधान किया जाना चाहिये।
खनन क्षेत्र के मशीनीकरण को बढावा देना भी इस मुद्दे के समाधान का एक पक्ष हो
सकता है इसे भी सुरक्षा से जोडकर नीति में देखना चाहिये।
निष्कर्ष:
राष्ट्रीय खनिज नीति 2019 खनिज संसाधनो के राष्ट्रीय उद्देश्यों के अनुरुप तथा
उनके समान वितरण के साथ साथ पर्यावरणीय दृष्टि से उनके संधारणीय प्रबन्धन की
परिकल्पना प्रदान की गई है। यह खनिजो के दोहन के पारम्परिक दृष्टिकोण से अलग
है जो उन्हें सिर्फ प्रकृ ति द्वारा प्रदत्त संसाधन समझता है तथा लाभार्थीयों पर किसी
उत्तरदायित्व को आरोपित नही करता है।
खनिज कोरिडोर्स को शीघ्र स्थापित किये जाने की आवश्यकता है। खनिज क्षेत्र
को उद्योग का दर्जा दिया जाना इस नीति को प्रभावी कार्यरुप प्रदान करेगा। इसके
अतिरिक्त औऱ भी बहुत सारे सकारात्मक प्रयास इस नीति में सुझाए गये है। यद्दपि
इस नीति को आवधिक सुधार के द्वारा अद्यतित किये जाने तथा कु छ पूरक उपायो
को किये जाने की आवश्यकता है। इससे इस नीति के उद्देश्यो का हासिल करने में
सहायता प्राप्त होगी। अन्तत: किसी भी नीति की सफलता असफलता उसके
क्रियान्वयन पर निर्भर करती है। इस रुप में इस नीति को प्रभावी रुप से पूरी
इच्छाशक्ति से साथ क्रियान्वित करने की जरुरत है।
सन्दर्भ:
1. https://mines.gov.in/admin/storage/app/uploads/
64352887bcfa41681205383.pdf