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भारतीय अर्थव्यवस्र्ा

पंचवर्षीय योजना: भारत में आर्थिक ननयोजन


भारत में आर्थिक ननयोजन
ववश्वेश्वरय्या योजना:
● भारत में आर्थिक ननयोजन काल की शुरुआत ववश्वेश्वरय्या की दस वर्षि की योजना के साथ शुरु हुई थी।
● श्री एम. ववश्वेश्वरय्या ने 1934 में “भारत में आर्थिक ननयोजन” शीर्षिक से एक पस्
ु तक प्रकाशशत की थी
जजसमें उन्होंने दस वर्षों में राष्ट्र की आय दोगन
ु ी करने का मसौदा पेश ककया था।
● उन्होंने श्रम को कृवर्ष पर आधाररत हटाकर उद्योग आधाररत करने का सझ
ु ाव दे कर लोकतांत्रिक
पंजीवाद (संयक्
ु त राज्य अमेररका के समान) का समथिन ककया था जजसमें औद्योर्गकीकरण पर जोर
ददया गया।
● हालांकक, त्रिदटश सरकार ने इस योजना में कोई ददलचस्पी नह ं ददखाई, लेककन इसने दे श के शशक्षित
युवाओं के बीच राष्ट्र य ननयोजन की मांग को सफलतापविक उभारा था।
राष्ट्र य योजना आयोग (एन.पी.सी.)
● यह भारत के शलए राष्ट्र य योजना ववकशसत करने का प्रथम प्रयास था जजसकी शुरुआत 1938 में
जवाहर लाल नेहरू की अध्यिता में गदित एन.पी.सी. की स्थापना से हुई थी।
● हालांकक, ववश्व युद्ध II की शुरुआत के कारण, कमेट की ररपोर्टिस तैयार नह ं की जा सकी। आखखरकार
इसके दस्तावेज 1948-49 में स्वतंिता के बाद जार हुए।
बॉम्बे योजना:
● आि शीर्षि उद्योगपनतयों और तकनीकी ववशेर्षज्ञों ने “भारत के शलए आर्थिक ववकास की योजना”
शीर्षिक से एक संक्षिप्त ज्ञापन मसौदा तैयार ककया जजसका संपादन पुरुर्षोत्तम िाकुरदास ने 1944 में
ककया।
● इस मसौदे को “बॉम्बे योजना” के नाम से जाना जाता है। इस योजना का मुख्य उद्दे श्य 15 वर्षों में कृवर्ष
िेि में आउटपुट को दोगुना करना और उद्योग िेि में वद्
ृ र्ध को पांच गुना करना था।
● बॉम्बे योजना का मुख्य शसद्धांत यह था कक अथिव्यवस्था का ववकास त्रबना सरकार हस्तिेप और
ववननयमन के नह ं हो सकता है।
● आर्धकाररक रूप से, योजना को कभी स्वीकार नह ं ककया गया, इसके सुझावों को भववष्ट्य की आर्थिक
योजनाओं में दोहराया गया।
पीपल प्लान:
● पीपल प्लान का मसौदा साम्यवाद नेता एम.एन. राय ने 1944 में लाहौर की भारतीय पररसंघ के उत्तर-
युद्ध पुनस
ि ंरचना सशमनत की ओर से ककया गया था।
● यह माक्सिवाद समाजवाद पर आधाररत था और इसमें कृवर्ष को प्रधानता द गई। इसने कृवर्ष और सभी
उत्पादन गनतववर्धयों के राष्ट्र कृत होने पर बल ददया।
गांधी योजना:
● गांधी योजना का मसौदा एस.एन. अग्रवाल ने 1944 में वधाि वाखणजज्यक कॉलेज के शसद्धांत पर तैयार
ककया था।
● इस योजना में भारत के शलए ‘आत्म-ननभिर गांवों’ के साथ ‘ववक्रेन्र कृत आर्थिक संरचना’ तैयार की गई।
● एन.पी.सी. और बॉम्बे योजना से इतर, योजना में कृवर्ष पर अर्धक बल ददया गया। और जहां भी
औद्योगीकरण की बात कह गई वहां सत और ग्राम स्तर उद्योगों के प्रोत्साहन पर बल ददया गया।
सवोदय योजना:
● इस योजना का मसौदा जय प्रकाश नारायण ने 1950 में बनाया था।
● यह गांधी योजना और ववनोबा भावे के आत्म-ननभिरता शसद्धांतों पर आधाररत था।
● इसने कृवर्ष के साथ-साथ लघु और कपास उद्योगों पर जोर ददया।
● इसने ववदे शी तकनीक के प्रयोग को कम करके आत्म-ननभिर होने तथा भशम सुधारों और ववक्रेन्र कृत
भागीदार ननयोजन लाग करने पर बल ददया।
योजना आयोग:
● स्वतंिता प्राजप्त पश्चात अखखल भारतीय कांग्रेस सशमनत द्वारा आर्थिक कायिक्रम सशमनत (ई.पी.सी.)
गदित की गई।
● पं. जवाहर लाल नेहरू इसके अध्यि थे। 1948 में , सशमनत ने योजना आयोग के गिन की शसफाररश की
थी।
● यह एक अनतररक्त संवैधाननक ननकाय है, जजस पर पांच वर्षों के शलए पंचवर्षीय योजनाएं बनाने का
दानयत्व है।
राष्ट्र य ववकास पररर्षद (एन.डी.सी.)
● इसका गिन 6 अगस्त, 1952 को ककया गया था।
● इसका अध्यि प्रधानमंिी होता है।
● यह भारत में ववकास के मुद्दों पर फैसले लेने और र्चंतन करने वाला शीर्षि ननकाय है। यह भारत की
पंचवर्षीय योजनाओं को अंनतम मंजर प्रदान करता है।

प्रथम तीन पंचवर्षीय योजनाएं संिेप में:

योजनाएं समय-सीमा उद्दे श्य और दटप्पणी

प्रथम योजना 1951-1956 · ध्यान: कृवर्ष, मल्य जस्थरता और बुननयाद ढांचा।


· यह होरािड डोमर मॉडल पर आधाररत था (अथिव्यवस्था की
वद्
ृ र्ध दर सकारात्मक दृजष्ट्ट में पंजी की उत्पादकता और
ननवेश दर पर ननभिर करती है)।
द्ववतीय योजना 1956-1961 · ध्यान: तेज औद्योर्गकीकरण
(लक्ष्य वद्
ृ र्ध: 4.5% · इसे महालनोत्रबस योजना भी कहा गया (ननयोजन का
वास्तववक वद्
ृ र्ध: 4.27%) ध्यान कृवर्ष से हटाकर उद्योगों पर करने की सलाह द गई)
· इसने भार और बुननयाद उद्योगों पर बल ददया।
· इसमें आयात-प्रनतस्थापन की वकालत की, ननराशावाद
ननयाित और अनतव्यापार आदान-प्रदान।

तत
ृ ीय योजना 1961-1966 · ध्यान: भार और बुननयाद उद्योग जजसे बाद में कृवर्ष की
(लक्ष्य वद्
ृ र्ध: 5.6% ओर प्रनतस्थावपत कर ददया गया।
वास्तववक वद्
ृ र्ध: 2.84%) · चीन 1962 और पाककस्तान 1965 दो युद्धों तथा 1965-
66 में भयंकर सखा पडा था, यह योजना कईं मोचों पर
असफल सात्रबत हुई।

● 1966-67, 1967-68 और 1968-69 तीन वावर्षिक योजनाएं थीं।


● तीन लगातार वर्षों तक पंचवर्षीय योजनाओं को स्थर्गत करने के कारण इसे योजना अवकाश का समय
कहा जाता है। व्यापक खाद्य संकट के कारण, वावर्षिक योजनाओं का ध्यान कृवर्ष पर केजन्रत ककया
गया।
● इन योजनाओं के दौरान, हररत क्रांनत की नींव रखी गई जजसमें एच.वाई.वी. (उच्च पैदावार ककस्मों)
बीजों, रासायननक उवरिकों के व्यापक प्रयोग और शसंचाई संभावनाओं का बडे स्तर पर दोहन शाशमल
था।
● इन वर्षों के दौरान, तीसर पंचवर्षीय योजना के घाटों को झेल शलया गया और 1969 से पंचवर्षीय योजना
को क्रमशः आगे बढाया गया।

IV से XII पंचवर्षीय योजनाओं का संक्षिप्त वववरण:

जना समय-सीमा उद्दे श्य और दटप्पणी


चौथी योजना 1969-1974 · ध्यान: खाद्य में आत्म-ननभिरता और आत्म-
(लक्ष्य वद्
ृ र्ध: 5.7% ववश्वसनीयता
वास्तववक वद्
ृ र्ध: 3.30%) · इसका लक्ष्य घरे ल खाद्य उत्पादन सध
ु ारना था।
· इसका लक्ष्य ववदे शी सहायता लेने से इंकार करना
था।
· 1973 का प्रथम तेल संकट, प्रमुख ववदे शी
ववननमय ररजवि स्रोतों हे तु प्रेर्षण जार ककए

पांचवी योजना 1974-1979 · ध्यान: गर बी उन्मलन और आत्म-ननभिरता


(लक्ष्य वद्
ृ र्ध: 4.4% प्राजप्त।
वास्तववक वद्
ृ र्ध: 4.8%) · इसे डी.डी. धर द्वारा तैयार और पेश ककया गया
था।
· इस योजना को 1978 में स्थर्गत कर ददया गया
था।
· वर्षि 1978-79 और 1979-80 के शलए तीन अनवरत
योजनाएं (रोशलंग प्लान) चलाई गईं।

छिी योजना 1980-1985 · ध्यान: गर बी हटाओ और उत्पादकता बढाओ।


(लक्ष्य वद्
ृ र्ध: 5.2% · तकनीकी आधुननकीकरण पर बल ददया गया।
वास्तववक वद्
ृ र्ध: 5.4%) · पहल बार, महात्वाकांिी गर बी हटाओ को
अपनाकर गर बी पर सीधे हमला ककया गया
(अधोमुखी धन प्रवाह रणनीनत को छोडा गया)।

सातवीं योजना 1985-1990 · ध्यान: उत्पादकता और कायि जैसे रोजगार सज


ृ न।
(लक्ष्य वद्
ृ र्ध: 5.0% · पहल बार, ननजी िेि को साविजननक िेि से ऊपर
वास्तववक वद्
ृ र्ध: 6.01%) प्राथशमकता शमल ।
· केन्र में अजस्थर राजनैनतक जस्थनतयों के कारण,
वर्षि 1990-91 और 1991-92 के शलए दो वावर्षिक
योजनाएं शुरू की गई।
आिवीं योजना 1992-1997 · ध्यान: मानव संसाधन ववकास।
(लक्ष्य वद्
ृ र्ध: 5.6% · इस योजना के दौरान, उदार करण, ननजीकरण
वास्तववक वद्
ृ र्ध: 6.8%) और वैश्वीकरण के साथ नई आर्थिक नीनतयों को
लाया गया।
· इसने मानव पंजी और ननजी िेि को प्राथशमकता
द।

नौवीं योजना 1997-2002 · ध्यान: ‘समता और न्याय के साथ ववकास’


(लक्ष्य वद्
ृ र्ध: 7.1% · इसने चार िेिों पर बल ददया: जीवन गुणवत्ता,
वास्तववक वद्
ृ र्ध: 6.8%) उत्पादक रोजगार का सज
ृ न, िेिीय संतुलन और
आत्म-ननभिरता।

दसवीं योजना 2002-2007 1. इसका लक्ष्य अगले 10 वर्षों में भारत में प्रनत
(लक्ष्य वद्
ृ र्ध: 8.1% व्यजक्त आय को दोगुनी करना था।
वास्तववक वद्
ृ र्ध: 7.7%) 2. 2012 तक गर बी अनप
ु ात को 15% तक घटाना
था।

ग्यारहवीं योजना 2007-2012 1. ध्यान: तेज वद्


ृ र्ध और अर्धक समावेशी ववकास
(लक्ष्य वद्
ृ र्ध: 8.1%
वास्तववक वद्
ृ र्ध: 7.9%)

बारहवीं योजना 2012-2017 1. ध्यान: तेज, अर्धक समावेशी ववकास और


(लक्ष्य वद्
ृ र्ध: 8%) धारणीय ववकास।

नीनत आयोग
● नीनत आयोग, नेशनल इंस्ट र्टयट ऑफ रांसफॉशमिंग इंडडया वर्षि 2015 में भारत सरकार द्वारा स्थावपत
एक र्थंक टैंक है।
● इसने योजना आयोग का स्थान शलया है।
● धारणीय ववकास लक्ष्यों को प्राप्त करना और ‘नीचे से ऊपर’ दृजष्ट्टकोण अपनाकर सहयोगी संघवाद को
बढावा दे ना इसके दोहरे लक्ष्य थे। इसकी पहलों में शाशमल हैं:
(i) 15 वर्षीय रोड मैप
(ii) 7 वर्षीय सोच, रणनीनत और कायि-योजना
(iii) 3 वर्षीय एजेंडा

राष्ट्र य आय
राष्ट्र य आय के संबंध में
● सामान्यतया समस्त ननशमित माल एवं एक ननजश्चत समय अंतराल(सामान्यतया एक वर्षि) में दे शभर में
द जाने वाल सेवाओं के कुल मल्य को राष्ट्र य आय के रूप में पररभावर्षत ककया जाता है |
राष्ट्र य आय के मापांक ननम्न प्रकार हैं-
(A) GDP (सकल घरे ल उत्पाद)
(B) GNP (सकल राष्ट्र य उत्पाद)
(C) NNP (कुल राष्ट्र य उत्पाद)
(D) PI (ननजी आय)
(E) DPI (अवशशष्ट्ट ननजी आय)
(A) GDP (सकल घरे ल उत्पाद)-
● एक ननजश्चत समय अंतराल के दौरान दे श की भौगोशलक सीमा के अंतगित उत्पाददत समस्त माल एवं
सेवाओं के कुल मल्य को GDP कहते हैं(सामन्यतया एक वर्षि)
● इसमें ननजी नागर कों एवं ववदे शी राष्ट्रों जो उस दे श की सीमा के अन्दर रहते हैं, द्वारा उत्पाददत सभी
माल/सेवाओं को शाशमल ककया जाता है |
● उदाहरण-
माना कक कुल 100 करोड भारतीय हैं जजन्हें भारतीय िेि में 100 करोड रुपयों की आय प्राप्त होती है और
1 करोड ववदे शी हैं जजन्हें भारतीय िेि में 10 करोड रूपये प्राप्त होते हैं और वे उन्हें अपने क्रमशः दे शों में
भेजते हैं| उसी समय ववदे श में रह रहे 10 करोड भारतीय 40 करोड रूपये प्रापर करते हैं और इसे भारत
भेजते हैं| यहााँ, GDP (100 + 10 = 110 करोड) है|
(B) GNP (सकल राष्ट्र य उत्पाद)-
● भारतीयों द्वारा भारत एवं ववदे श में ककसी जन्सर्चत समय अंतराल के दौरान उत्पाददत होने वाले तैयार
माल एवं सेवाओं के कुल मल्य को GNP कहा जाता है|
● GNP में ककसी दे श के ननवास करने वाले एवं ननवास नह ं करने वाले नागररकों द्वारा उत्पाददत माल का
मल्य शाशमल ककया जाता है जबकक भारत में रहने वाले ववदे शशयों की आय को शाशमल नह ं ककया जाता
है|
● उदाहरण-
माना 100 करोड भारतीय हैं जजन्हें भारतीय िेि में 100 करोड रूपये प्राप्त होते हैं एवं भारतीय िेि में 1
करोड ववदे शी हैं जजन्हें 10 करोड रूपये प्राप्त होते हैं और इसे वे क्रमशः दे शों में भेजते हैं| उसी समय
ववदे शी दे शों में रह रहे 10 करोड भारतीय 40 करोड प्राप्त करते हैं और इसे भारत भेजते हैं|

(C) कुल राष्ट्र य उत्पाद(NNP)-


● इसे सकल राष्ट्र य उत्पाद(GNP) में से ह्रास को घटाकर प्राप्त ककया जाता है |
● NNP = GNP – ह्रास
(D) ननजी आय-
● यह एक वर्षि में दे श की जनता द्वारा प्राप्त होने वाल कुल आय का योग है|
ननजी आय = राष्ट्र य आय + भग
ु तान स्थानान्तरण – ननगशमत के अप्रकाशशत लाभ + सामाजजक
सरु िा प्रावधान हे तु भग
ु तान
● स्थानान्तरण भग
ु तान/अदायगी वह भग
ु तान है जो ककसी उत्पादक कायि के ववपर त नह ं होते हैं|
(उदाहरण- वद्
ृ धावस्था पेंशन, बेरोजगार मआ
ु वजा इत्यादद|)
● सामजजक सरु िा प्रावधान- कमिचाररयों द्वारा PF, बीमा इत्यादद के शलए भग
ु तान बनाना|
(E) अवशशष्ट्ट ननजी आय-
● प्रत्यि कर घटाने के बाद ननजी व्यजक्त के पास उपलब्ध आय|
● अवशशष्ट्ट ननजी आय = ननजी आय – प्रत्यि कर|
वास्तववक आय एवं सांकेनतक आय-
● यदद हम राष्ट्र य आय की गणना हे तु आधार वर्षि मल्य का प्रयोग करें , इसे वास्तववक आय कहते हैं|
● यदद हम राष्ट्र य आय की गणना हे तु ककसी ववशेर्ष वर्षि की बात करें (वतिमान वर्षि), तो इस आय को
नाममाि/सांकेनतक आय कहते हैं|
GDP अपस्फीनतकारक-
● कुल मल्य वद्
ृ र्ध की गणना हे तु प्रयुक्त होता है |
● GDP अपस्फीनतकारक = सांकेनतक GDP/वास्तववक GDP
भारत में राष्ट्र य आय का अनुमान
● 1868 में, दादाभाई नोरोजी ने एक पुस्तक ‘Poverty and Un British Rule in India’ शलखी| यह राष्ट्र य
आय की गणना पर पहला प्रयास था|
● वैज्ञाननक तौर पर राष्ट्र य आय का अनुमान लगाने वाले प्रथम व्यजक्त डॉ. K. R. V. राव थे जजन्होंने
1925-29 के अंतराल के शलए राष्ट्र य आय का अनुमान लगाया|
● स्वतंिता के बाद 1949 में C. महलानोत्रबस की अध्यिता के अधीन राष्ट्र य आय संगिन बनाया गया|
● कुछ वर्षों बाद केन्र य सांजख्यकी संगिन (CSO) बनाया गया|

RBI और मौदरक नीनत


RBI (भारतीय ररज़वि बैंक)
● भारतीय ररज़वि बैंक की स्थापना भारतीय ररजवि बैंक, 1934 के तहत अप्रैल 1935 में हुई थी।
● दहल्टन-यंग कशमशन की शसफाररश पर इसकी स्थापना की गयी
● सेंरल बैंक ऑफ इंडडया जो 1949 में राष्ट्र यकृत की गयी थी।
● केन्र य कायािलय की प्रारं शभक शुरुआत कलकत्ता में हुई और बाद में 1937 में मुंबई ले जाया गया।
● सरकार ननदे शकों- एक गवनिसि और चार से अर्धक डडप्ट गवनिसि नह ं
● वतिमान में ननम्न व्यजक्तयों ननम्नशलखखत पदों पर हैं-
गवनिर- डॉ. उरजजत आर. पटे ल
उप गवनिर- (i) श्री एम.के. जैन (ii) श्री एन एस ववश्वनाथन (iii) डॉ. वायरल वी आचायि (iv) श्री बी.पी.
काननगो
● भारतीय ररजवि बैंक ववत्तीय पयिवेिण बोडि के मागिदशिन में अपना कायि करता है।
ववत्तीय पयिवेिण बोडि (बीएफएस)
नवंबर 1994 में गदित की गयी। बोडि का गिन केंर य ननदे शक मंडल के चार ननदे शकों को सह-चयन
करने के शलए ककया जाता है और इसकी अध्यिता गवनिर द्वारा की जाती है।
● आरबीआई द्वारा प्रशाशसत महत्वपणि अर्धननयम
(i) भारतीय ररज़वि बैंक अर्धननयम, 1934
(ii) लोक ऋण अर्धननयम, 1944 / सरकार प्रनतभनत अर्धननयम, 2006
(iii) सरकार प्रनतभनत ववननयम, 2007
(iv) बैंककं ग ववननयमन अर्धननयम, 1949
(v) ववदे शी मुरा प्रबंधन अर्धननयम, 1999
(vi) प्रनतभनतकरण और ववत्तीय पररसंपवत्तयों के पुनननिमािण और सुरिा ब्याज का प्रवतिन (सारफेसी)
अर्धननयम, 2002
● अन्य प्रासंर्गक अर्धननयम
(i) परामशिदाता उपकरण अर्धननयम, 1881
(ii) कंपनी अर्धननयम, 1956 / कंपनी अर्धननयम, 2013
(iii) जमा बीमा और क्रेडडट गारं ट ननगम अर्धननयम, 1961
(iv) िेिीय ग्रामीण बैंक अर्धननयम, 1976
(v) कृवर्ष और ग्रामीण ववकास के शलए नेशनल बैंक अर्धननयम, 1981
(vi) राष्ट्र य आवास बैंक अर्धननयम, 1987
(vii) प्रनतस्पधाि अर्धननयम, 2002
(viii) भारतीय शसक्का अर्धननयम, 2011
● आरबीआई की पणि स्वाशमत्व वाल सहायक कंपनी ननम्नशलखखत हैं -
● (i) भारत में जमा बीमा और क्रेडडट गारं ट ननगम (डीआईसीजीसी)
(ii) भारतीय ररज़वि बैंक नोट मुर न प्राइवेट शलशमटे ड (बीआरबीएनएमपीएल)
(iii) नेशनल हाउशसंग बैंक (एनएचबी)
● आरबीआई के प्रथम गवनिर - सर ओसबोनि जस्मथ
राष्ट्र यकरण के बाद भारतीय ररजवि बैंक के प्रथम गवनिर- सी डी दे शमख

भारतीय ररजवि बैंक की पहल मदहला उप-गवनिर- के.जे.उद्दे शी
● आरबीआई प्रतीक: टाइगर और पाम पेड
मौदरक नीनत क्‍या है?
● नीनत अथिव्‍यवस्‍था में धन आपनति को ननयंत्रित करने के शलए केन्‍
र य बैंक द्वारा बनाई जाती है।
एमपीसी (मौदरक नीनत सशमनत)
● भारत की मौदरक नीनत सशमनत भारतीय ररजवि बैंक की एक सशमनत है जो भारत में बेंचमाकि ब्याज दर
को तय करने के शलए जजम्मेदार है।
● संशोर्धत आरबीआई अर्धननयम, 1934 की धारा 45ZB, मर
ु ास्फीनत लक्ष्य को प्राप्त करने हे तु
आवश्यक ब्याज दर को ननधािररत करने के शलए केंर सरकार द्वारा गदित एक सशक्त छह सदस्यीय
मौदरक नीनत सशमनत (एमपीसी) हे तु प्रदान करता है। एमपीसी को एक वर्षि में कम से कम चार बार
शमलना आवश्यक है।
● छह सदस्‍यीय एमपीसी की अध्‍यिता आरबीआई गवनिर उजजित पटे ल द्वारा की जाती है।
● केन्‍
र सरकार द्वारा ननयुक्‍त मौदरक नीनत सशमनत के सदस्‍य चार वर्षों के शलए कायािलय बनाए रखते
हैं।
मौदरक नीनत के ववशभन्न उपकरण / साधन
इसे मािात्मक और गुणात्मक उपकरणों में ववभाजजत ककया जा सकता है।
मािात्‍मक उपकरण
1. खुला बाजार पररचालन (OMO)
● इस पद्धनत में बैंककं ग प्रणाल में धन की राशश का ववस्तार या अनुबंध करने के शलए खुले बाजार में
आरबीआई द्वारा सरकार की प्रनतभनतयों, त्रबलों और बांड को खर दने और बेचने का उल्लेख है।
● जब आरबीआई सरकार प्रनतभनतयां खर दता है तो तरलता बढ जाती है (क्योंकक आरबीआई उस पाटी
को उस शसक्‍योररट को खर दने हे तु कुछ पैसे दे रहा है या आरबीआई प्रणाल में अनतररक्त पैसा डाल रहा
है।)
● बदले में जब ररजवि बैंक सरकार प्रनतभनतयों को बेचता है तो तरलता कम हो जाती है। (क्योंकक वे प्‍लेयर
प्रनतभनतयों की खर द के शलए भारतीय ररजवि बैंक को अपनी नकद दे रहे हैं।)
2. तरलता समायोजन सुववधा (LAF)
● तरलता समायोजन सुववधाएं (एलएएफ) भी अल्पकाशलक धन आपनति पर ननयंिण के शलए आरबीआई
द्वारा इस्‍
तेमाल ककया जाने वाला एक उपकरण है।
● एलएएफ के पास दो उपकरण जैसे रे पो दर और ररवसि रे पो दर हैं।
रे पो दर: जजस ब्याज दर पर ररज़वि बैंक वाखणजज्यक बैंकों को उनके ददनांककत सरकार प्रनतभनतयों और
रे जर त्रबलों को र्गरवी रखकर ऋण प्रदान करता है।
ररवसि रे पो दर: ब्याज दर जजस पर ररजवि बैंक अपनी ददनांककत सरकार प्रनतभनतयों और रे जर त्रबलों
को र्गरवी रखकर वाखणजज्यक बैंकों से उधार लेता है।
● जबकक रे पो दर प्रणाल में तरलता को पेश करती है , ररवसि रे पो प्रणाल से तरलता को अवशोवर्षत करती
है।
3. मामल स्थायी सवु वधा (Marginal Standing Facility)
● यह बैंकों के शलए एक आपात जस्थनत में भारतीय ररज़वि बैंक से उधार लेने के शलए एक ऋण सवु वधा है
जब अंतर-बैंक तरलता पर तरह से समाप्‍त हो जाती है।
● एमएसएफ रे पो दर से कैसे शभन्‍
न है?
एमएसएफ ऋण सवु वधा वाखणजज्यक बैंकों के शलए आपातकाल न जस्थनतयों में भारतीय ररजवि बैंक से
उधार लेने के शलए बनाई गई थी, जब अंतर-बैंक तरलता समाप्‍त हो जाती है तथा रातों-रात ब्याज दरों में
उतार-चढाव होता है। इस अजस्थरता को रोकने के शलए, आरबीआई उन्हें सरकार प्रनतभनतयों को जमा
करने तथा आरबीआई से रे पो दर से उच्च दर पर ज्यादा तरलता प्राप्त करने के शलए अनम
ु नत दे ता है।
4. नकद आरक्षित अनप
ु ात (एसएलआर, सीआरआर)
● एसएलआर (SLR) (सांववर्धक नकद अनप
ु ात) - दे श में सभी वाखणजज्यक बैंकों को अपने स्‍वयं के वॉलेट
में तरल संपवत्त के रूप में अपनी मांग और समय जमाओं (शुद्ध मांग तथा समय दे यताएं या
एनडीट एल) के ददए गए प्रनतशत को रखने की आवश्यकता है।
● यह बैंक को अपनी सभी जमाओं को उधार दे ने से रोकता है , जो बहुत जोखखम भरा है।
नोट: शुद्ध मांग और समय दे यताएं (एनडीट एल) में मख्
ु य रूप से समय दे यताएं और मांग दे यताएं
शाशमल होती हैं।
समय दे यताएं में ननम्‍न शाशमल हैं -
(1) सावर्ध जमा (एफडी) में जमा राशश
(2) नकद प्रमाणपि
(3) गोल्‍
ड जमा इत्‍यादद
मांग दे यताएं में ननम्‍न शाशमल हैं -
(1) बचत खाते में जमा राशश
(2) चाल खाते में जमा राशश
(3) डडमांड ड्राफ्ट इत्‍यादद
● CRR - नकद आरक्षित अनुपात ननर्धयों की राशश है जजसमें बैंक अपनी शुद्ध मांग और समय दे यताओं
(एनडीट एल) के एक ननजश्चत प्रनतशत के रूप में भारतीय ररज़वि बैंक के पास रखने के शलए बाध्य हैं।
बैंक इसे ककसी को भी उधार नह ं दे सकता है बैंक इस पर कोई ब्याज दर या लाभ अजजित नह ं करता है।
● क्‍या होता है जब CRR में कमी आती है?
जब सीआरआर कम हो जाता है, इसका मतलब यह है कक बैंक को आरबीआई के पास कम धनराशश
रखने की आवश्‍यकता है और बैंकों को उधार दे ने के शलए संसाधन उपलब्ध होंगे।
5. बैंक दर
● बैंक दर वह दर है जो आरबीआई द्वारा ननधािररत की जाती है जजस पर वह वाखणजज्यक बैंकों द्वारा
ववननमय के त्रबलों तथा सरकार प्रनतभनतयों को पन
ु : छट दे ता है।
● इसे छट दर के रूप में भी जाना जाता है।
नोट-
ववननमय के त्रबल - एक ववत्तीय दस्तावेज है जो खर दार द्वारा ववक्रेता से खर द गईं वस्तओ
ु ं की राशश
का भग
ु तान सनु नजश्चत करता है।
रे पो दर तथा बैंक दर के बीच अंतर: रे पो दर एक अल्पकाशलक उपाय है और दसर ओर बैंक दर एक
द घिकाशलक उपाय है।
गण
ु ात्मक (Qualitative) साधन
1. क्रेडडट राशननंग
● इससे आरबीआई एक ननजश्चत िेि में अर्धकतम क्रेडडट प्रवाह को ननयंत्रित करती है।
● आरबीआई कुछ िेिों को अपने ऋणों के कुछ अंश प्रदान करने के शलए बैंकों हे तु अननवायि भी कर सकता
है जैसे प्राथशमकता िेि ऋण इत्‍यादद।

2. चुननंदा क्रेडडट ननयंिण (Selective Credit control)


● चुननंदा क्रेडडट ननयंिण संवेदनशील वस्तुओं के खखलाफ बैंक ववत्त को प्रनतबंर्धत करने के शलए भारतीय
ररज़वि बैंक के हाथों में एक उपकरण है।

3. माजजिन आवश्‍यकताएं
● आरबीआई अनुप्रासंर्गक के खखलाफ माजजिन ननधािररत कर सकता है। उदाहरण के शलए, 100 रुपये की
मल्य संपवत्त के शलए केवल 70 रुपए उधार दें , माजजिन की आवश्यकता 30% है। यदद आरबीआई माजजिन
की आवश्यकता को बढाता है , तो ग्राहक कम ऋण लेने में सिम होंगे।
4. नैनतक प्रत्‍यायन
● नैनतक प्रत्‍यायन अथिव्यवस्था की प्रववृ त्त के अनुसार ननजश्चत उपाय करने हे तु भारतीय ररजवि बैंक
द्वारा वाखणजज्यक बैंकों के शलए अनुरोध की पद्धनत तथा परामशि की पद्धनत को संदशभित करता है।
5. प्रत्यि कायिवाह
● आरबीआई अथिव्यवस्था में वतिमान जस्थनत के आधार पर समय-समय पर कुछ ददशा-ननदे शों को जार
करता है। इन ददशा-ननदे शों का पालन बैंकों द्वारा ककया जाना चादहए। यदद कोई भी बैंक इन ददशा-
ननदे शों का उल्लंघन करता है तो भारतीय ररजवि बैंक उन्हें दं डडत करता है।

बेरोजगार एवं उसके प्रकार


बेरोजगार
● यह एक ऐसी जस्थनत है जजसमें लोग मजदर की मौजदा दरों पर कायि करने के शलए तैयार तथा इच्‍छुक
हैं लेककन अभी भी वे कायि नह ं कर सकते हैं।
● भारत में बेरोजगार तथा रोजगार का मापन एनएसएसओ (राष्ट्‍र य नमना सवेिण संगिन) द्वारा
ककया जाता है।
● NSSO ननम्‍न तीन श्रेखणयों में लोगों का ववभाजन करता है -
(a) कायिरत लोग (एक आर्थिक गनतववर्ध में लगे हुए)
(b) कायि नह ं कर रहे लोग (काम की तलाश में )
(c) न तो कायिरत न ह कायि की तलाश में
श्रेणी (a) में लोगों को कायि बल कहा जाता है।
श्रेणी (b) में लोगों को बेरोजगार कहा जाता है।
श्रेणी (a) तथा (b) में लोगों को श्रम बल कहा जाता है।
श्रेणी (c) में लोगों को श्रम बल में नह ं कहा जाता है।
बेरोजगारों की संख्‍या = श्रम बल – कायि बल
● भारत में बेरोजगार के आंकडों को श्रम तथा रोजगार मंिालय के तहत रखा जाता है।
बेरोजगार के प्रकार
1. संरचनात्‍
मक बेरोजगार
● संरचनात्‍
मक पररवतिन के कारण ।
● उदाहरण – तकनीकी पररवतिन, बढती आबाद इत्‍यादद।
2. प्रनतरोधात्‍मक बेरोजगार
● जब लोग एक नौकर से दसर नौकर में स्‍थानांतरण करते हैं तथा वे इस अंतराल अवर्ध के दौरान
बेरोजगार रहें गे।
3. आवती बेरोजगार (मांग की कमी बेरोजगार )
● जब मांग की कमी के कारण लोगों को नौकर से ननकाल ददया जाता है।
● उदाहरण – मंद
4. आवत
ृ बेरोजगार
● बेरोजगार के इस प्रकार में लोग कायिरत हैं लेककन उनकी सीमांत उत्‍पादकता शन्‍य है।
● उदाहरण – एक आदमी कुछ कृवर्ष कायि में लगा हुआ है , उसका दोस्‍त उसके साथ जुडता है लेकक
उत्‍पादकता समान है। उसका दोस्‍त आवत
ृ बेरोजगार के तहत आता है।
5. शशक्षित बेरोजगार
● यदद एक शशक्षित व्‍यजक्त अपनी योग्‍यता के अनुसार उपयुक्‍त नौकर प्राप्‍त करने में सिम नह ं है।
● उदाहरण – इंजीननयररंग स्‍
नातक इंजीननयर पद के बजाय क्‍लकि का पद प्राप्‍त करता है।
6. खुल बेरोजगार
● जस्थनत जजसमें लोगों को करने के शलए कोई काम नह ं शमलता है।
● इसमें कुशल तथा गैर-कुशल दोनों लोग शाशमल हैं।
7. अधीन बेरोजगार
● जब लोग कायि प्राप्‍त करते हैं लेककन वे अपनी दिता तथा िमता का अपने इष्ट्‍
टतम पर उपयोग नह ं
करते हैं और वे सीशमत स्‍तर तक उत्‍पादन में अपना योगदान दे ते हैं।
8. स्‍वजै च्छक बेरोजगार
● बेरोजगार के इस प्रकार में नौकररयां उपलब्‍ध हैं लेककन व्‍यजक्त बेकार रहना चाहता है।
● उदाहरण – आलसी लोग, जजनके पास पविजों की संपवत्त होती है वे कमाना नह ं चाहते हैं।
9. प्राकृनतक बेरोजगार
● 2 से 3% बेरोजगार को स्‍वाभाववक माना जाता है तथा इसे समाप्‍त नह ं ककया जा सकता है।
10. स्‍थायी बेरोजगार
● अथिव्‍यवस्‍था में द घिकाशलक बेरोजगार के कारण मौजद हैं।
11. मौसमी बेरोजगार
● बेरोजगार के इस प्रकार में , लोग साल के कुछ माह के शलए बेरोजगार रहते हैं।
● उदाहरण – ककसान
मर
ु ास्फीनत (प्रकार और प्रभाव)
मर
ु ास्‍फीनत
● माल और सेवाओं के मल्य में सामान्य वद्
ृ र्ध
● इसका अनुमान समय अवर्ध के संदभि में कीमत सचकांक में पररवतिन की प्रनतशत दर के रूप में लगाया
गया है।
● वतिमान में भारत में मुरास्फीनत दर उपभोक्ता मल्य सचकांक-संयुक्त (आधार वर्षि -2012) की सहायता
से मापी जाती है।
● अप्रैल 2014 तक मुरास्फीनत दर को थोक मल्य सचकांक की सहायता से मापा गया था।
● मुरास्‍फीनत की दर==(वतिमान मल्‍य सचकांक-संदभि अवर्ध मल्‍य सचकांक )/(संदभि अवर्ध मल्‍य
सचकांक)×100
मुरास्फीनत के प्रकार
मुरास्फीनत में वद्
ृ र्ध की दर के आधार पर
1. क्रीवपंग इंफ्लेशन-
● बहुत कम दर पर मल्य वद्ृ र्ध (<3%)
● यह अथिव्यवस्था के शलए सुरक्षित और आवश्यक मानी जाती है।
2. वॉककं ग या रोदटंग इंफ्लेशन-
● मध्यम दर पर मल्य वद्
ृ र्ध (3% <मुरास्फीनत <10%)
● इस दर पर मुरास्फीनत अथिव्यवस्था के शलए चेतावनी का संकेत है।
3. रननंग मुरास्फीनत-
● उच्च दर पर मल्य वद्
ृ र्ध (10% <मुरास्फीनत <20%)
● यह अथिव्यवस्था को प्रनतकल रूप से प्रभाववत करती है।
4. हाइपर इंफ्लेशन या गैलोवपंग मुरास्फीनत या रनवे मर
ु ास्फीनत-
● बहुत अर्धक दर पर मल्य वद् ृ र्ध (20% <मुरास्फीनत <100%)
● इस जस्थनत में अथिव्यवस्था का पतन हो जाता है।
कारणों के आधार पर
1. मांग जन्‍य मर
ु ास्फीनत(डडमांड पल
ु इंफ्लेशन)-
● सीशमत आपनति के समय माल और सेवाओं की अर्धक मांग के कारण पैदा होने वाल मर
ु ास्फीनत।
2. लागत जन्‍य मर
ु ास्फीनत(कॉस्‍ट पश
ु इंफ्लेशन)-
● सीशमत आपनति के समय अर्धक वस्तओ
ु ं और सेवाओं के शलए उच्च इनपट
ु लागत (उदाहरण- कच्चा
माल, वेतन इत्यादद) के कारण पैदा होने वाल मुरास्फीनत।
अन्य पररभार्षाएं-
1. अवस्‍फीनत(डेफलेशन)-
● यह मर
ु ास्फीनत के ववपर त है।
● अथिव्यवस्था में कीमत में सामान्य स्तर की कमी।
● इस मल्य सचकांक में मापन नकारात्मक है।
2. मर
ु ास्‍फीनतजननत मंद (स्‍टैगफ्लेशन)-
● जब अथिव्यवस्था में जस्थरता और मर
ु ास्फीनत मौजद रहती है।
स्‍टैगफ्लेशन- कम राष्ट्र य आय वद्
ृ र्ध और उच्च बेरोजगार
3. ववस्‍फीनत(डडसइंफ्लेशन)-
● जब मुरास्फीनत की दर धीमी होती है।
उदाहरण:
अगर वपछले मह ने की मुरास्फीनत 4% थी और चाल माह में मुरास्फीनत की दर 3% थी।
4. प्रत्‍यवस्‍फीनत(र फ्लेशन)
● मुरास्फीनत की जस्थनत से अथिव्यवस्था को पुन: पाने के शलए मुरास्फीनत की दर को बढाने के शलए
सरकार द्वारा जानबझकर की गयी कारिवाई |
1. कोर मुरास्फीनत
● यह कुछ उत्पादों की कीमत में वद्
ृ र्ध को छोडकर अथिव्यवस्था में मल्य वद्
ृ र्ध के उपायों (जजनकी
कीमत अजस्थर है और अस्थायी है) पर ज्ञात की जाती है।
मुरास्फीनत को ननयंत्रित करने के उपाय
1. उधार ननयंिण
● यह आरबीआई द्वारा उपयोग की जाती है।
2. प्रत्यि करों में वद्
ृ र्ध
● इसके कारण लोगों के पास कम धन उपलब्ध होता है और उनके द्वारा कम मांग के कारण कीमत कम
हो जाती है।
3. मल्य ननयंिण
● अर्धकाररयों द्वारा अर्धकतम मल्य सीमा तय करके
4. व्यापार मापन
● माल और सेवाओं के ननयाित और आयात द्वारा अथिव्यवस्था में उर्चत आपनति बनाकर

भारत में गर बी
गर बी
● वह जस्थनत जजसमे समाज का एक दहस्सा अपने जीवन की मल आवश्यकताओं को पणि करने में
असमथि होता है |
● यह दो प्रकार की होती है-
(a) सम्पणि गर बी
(b) तल
ु नात्मक गर बी
(a) सम्पणि गर बी
● इसमें हम जीवन में आवश्यक वस्तओ
ु ं की ननम्नतम मािा का कुल मान ज्ञात करते हैं(एक आंकडा जो
प्रनत व्यजक्त उपभोक्ता व्यय को व्यक्त करता है )|
● जजस जनसंख्या का आय-स्तर (या व्यय) इस कुल मान से कम होता है उसे गर बी रे खा के नीचे(BPL)
माना जाता है|
● गर बी के इस मापांक में, हमने गर बों की संख्या को कुल जनसंख्या के समानुपात माना है | इस मापांक
को मुख्य गणना अनुपात के नाम से भी जाना जाता है|
उदाहरण: जनसंख्या का 13%, BPL है|
(b) तुलनात्मक गर बी
● इस प्रकार की गर बी में व्यजक्त, ननम्नतम गर बी रे खा(BPL) के ऊपर हो सकता है ककन्तु अन्य
व्यजक्तयों की तुलना में गर ब ह होता है जजनकी आय उसकी आय/उपभोग से अर्धक है|
● इस प्रकार की गर बी में , ववशभन्न प्रनतशत समहों में जनसंख्या की आय गणना/ उपभोग ववतरण का
अनुमान लगाया जाता है और उनकी तुलना की जाती है|
● यह कुल जनसंख्या के बीच उपजस्थत असमानता प्रदान करता है|
● Quintile ratio(पंचमक अनुपात) इस असमानता का ह एक माप है |
● पंचमक आय अनुपात= सबसे अमीर 20% की औसत आय/ सबसे गर ब 20 व्यजक्तयों की औसत आय
त्रिदटश भारत मे गर बी का अनुमान
● गर बी का सविप्रथम अनुमान दादाभाई नौरोजी द्वारा उनकी पुस्तक “Poverty and un-British rule in
India” में 1901 में प्रकाशशत हुआ|
● 1936 में, राष्ट्र य योजना समीनत ने संयक्
ु त भारत में गर बी के बारे में ववचार ददया| ककन्तु उनके द्वारा
ददए गए आंकडों को भारत में गर बी के रूप में नह ं माना गया|
स्वतन्ि भारत में गर बी का अनुमान
(A) डॉ. V.M. दांडेकर एवं ननलान्था रथ (1968-69)
● ननजश्चत वंर्चत न्यनतम पोर्षण = 2250 कैलोर /ददन
● वपछडे िेिों में, इस मािा में पोर्षण खर दने हे तु आवश्यक राशश - 170 रूपये/वर्षि
● शहर िेिों में , इस मािा में पोर्षण खर दने हे तु आवश्यक राशश - 271 रूपये/वर्षि
● इस सन्दभि के प्रयोग से, उन्होंने दे खा कक वपछडे िेिों के 40% एवं शहर िेिों के 50%, 1960-61 में
गर बी रे खा से नीचे थे|
(B) योजना आयोग ववशेर्षज्ञ समह
● गर बी रे खा अवधारणा को सविप्रथम 1962 में योजना संगिन के योजना आयोग कायि समह द्वारा
प्रस्तुत ककया गया था|
(i) Alagh Committee (अलघ समीनत)
● अध्यि- Y K अलघ
● 1979 तक गर बी का मल्यांकन आय की कमी के आधार पर होता रहा, ककन्तु 1979 में Y K अलघ
समीनत ने घरे ल प्रनत व्यजक्त खपत व्यय के आधार पर एक नया तर का अपनाया|
● इस समीनत ने भारत में प्रथम गर बी रे खा को पररभावर्षत ककया|
● वपछडे िेिों में समीनत द्वारा सनु नजश्चत ककया गया प्रनतददन उपभोग = 2400 कैलोर /ददन
शहर िेिों में समीनत द्वारा सनु नजश्चत ककया गया प्रनतददन उपभोग = 2100 कैलोर /ददन
ववशेर्ष- वपछडे भारत में उपभोग का मान उनके द्वारा ककये गए शार ररक श्रम के कारण अर्धक रखा
गया था|
(ii) लकडावाला समीनत
● 1989 में बनाई गयी|
● अध्यि- D.T. लकडावाला
● 1993 में जांच/ररपोटि जमा की गयी|
● वपछडे िेिों में समीनत द्वारा सुननजश्चत ककया गया प्रनतददन उपभोग = 2400 कैलोर /ददन
● शहर िेिों में समीनत द्वारा सुननजश्चत ककया गया प्रनतददन उपभोग = 2100 कैलोर /ददन
● समीनत ने गर बी के अनुमान के शलए CPI-IL एवं CPI- AL का प्रयोग ककया|
ववशेर्ष- CPI-IL (Consumer Price Index for Industrial Labourers)
CPI-AL (Consumer Price Index for Agriculture Labourers)
● पररणाम-
1993-94 में BPL के अंतगित कुल व्यजक्त थे = 36%
2004-05 में BPL के अंतगित कुल व्यजक्त थे = 27.5%
(ii) तें दल
ु कर समीनत
● 2005 में बनाई गयी|
● अध्यि- सुरेश तेंदल
ु कर
● इसकी ररपोटि 2009 में जमा की गयी|
● कैलोर आधाररत अनुमान को पोर्षण, स्वास््य एवं अन्य व्यय के आधार पर पररवनतित ककया|
● एक नया शब्द Poverty Line Basket (PLB) प्रस्तुत ककया जो कक गर बी रे खा ननजश्चत करने वाल सभी
चयननत वस्तुओं की एक टोकर (basket) को प्रदशशित करता है |
● उपभोग मािा दोनों वपछडे एवं शहर िेि के लोगों के शलए समान ननजश्चत की गयी ककन्तु मल्य में
अंतर है -
ग्रामीण/वपछडे िेिों के शलए दै ननक प्रनत व्यजक्त व्यय- 27 रूपये
शहर िेिों के शलए दै ननक प्रनत व्यजक्त व्यय- 33 रूपये
पररणाम-
कुल गर बी- 37.2% (वर्षि 2004-05 में)
वपछडे- 41.8% (वर्षि 2004-05 में)
शहर - 25.7% (वर्षि 2004-05 में )
(iii) रं गराजन समीनत
● जन 2012 में बनाई गयी|
● अध्यि- रं गराजन
● इसकी ररपोटि जन 2014 में जमा की गयी|
● दोबारा, भतकाल में की गयी कैलोर आधाररत ववर्ध को अपनाया गया|
ग्रामीण के शलए दै ननक प्रनत व्यजक्त व्यय- 33 रूपये
शहर के शलए दै ननक प्रनत व्यजक्त व्यय- 47 रूपये
● पररणाम-
कुल गर बी- 29.5% (वर्षि 2011-12 में)
वपछडे- 30.9% (वर्षि 2011-12 में)
शहर - 26.4% (वर्षि 2011-12 में )
भारतीय बैंककं ग प्रणाल ववकास के चरण
भारतीय बैंककं ग प्रणाल के ववकास को तीन अलग-अलग चरणों में वगीकृत ककया गया है :
1. स्वतंिता से पवि का चरण अथाित 1947 से पहले
2. दसरा चरण 1947 से 1991 तक
3. तीसरा चरण 1991 से अब तक
1. स्वतंिता से पवि का चरण अथाित 1947 से पहले- प्रथम चरण
● इस चरण की मुख्‍य ववशेर्षता अर्धक मािा में बैंकों की उपजस्थनत (600 से अर्धक) है।
● भारत में बैंककं ग प्रणाल का आरं भ वर्षि 1770 में कलकत्ता (अब कोलकाता) में बैंक ऑफ दहंदस्
ु तान की
स्थापना के साथ हुआ, जजसने वर्षि 1832 में कायि करना समाप्‍त कर ददया।
● इसके बाद कई बैंक स्‍थावपत हुए लेककन उनमें से कुछ सफल नह ं हुए जैस-े
(1) जनरल बैंक ऑफ इंडडया (1786-1791)
(2) अवध कॉमशशियल बैंक (1881-1958) - भारत का पहला वाखणजज्यक बैंक
● जबकक कुछ सफल भी हुए और अभी तक कायिरत हैं, जैस-े
(1) इलाहाबाद बैंक (1865 में स्‍थावपत)
(2) पंजाब नेशनल बैंक (1894 में स्‍थावपत, मख्
ु यालय लाहौर में (उस समय))
(3) बैंक ऑफ इंडडया (1906 में स्‍थावपत)
(4) बैंक ऑफ बडौदा (1908 में स्‍थावपत)
(5) सेंरल बैंक ऑफ इंडडया (1911 में स्‍थावपत)
● जबकक बैंक ऑफ बंगाल (1806 में स्‍थावपत), बैंक ऑफ बॉम्‍बे (1840 में स्‍थावपत), बैंक ऑफ मरास
(1843 में स्‍थावपत) जैसे कुछ अन्य बैंकों का वर्षि 1921 में एक की बैंक में ववलय कर ददया गया, जजसे
इंपीररयल बैंक ऑफ इंडडया के नाम से जाना जाता था।
● इंपीररयल बैंक ऑफ इंडडया का नाम वर्षि 1955 में पररवनतित करके स्टे ट बैंक ऑफ इंडडया कर ददया
गया।
● अप्रैल 1935 में , दहल्टन यंग कशमशन (1926 में स्थावपत) की शसफाररश के आधार पर भारतीय ररजवि
बैंक की स्‍थापना की गई।
● इस समयावर्ध में, अर्धकांश बैंक आकार में छोटे थे और उनमें से कई असफलता से ग्रशसत थे।
फलस्‍वरूप, इन बैंकों में जनता का ववश्‍
वास कम था और इन बैंकों का धन संग्रह भी अर्धक नह ं था।
इसशलए लोगों ने असंगदित िेि (साहकार और स्‍थानीय बैंकरों) पर भरोसा जार रखा।
2. दसरा चरण 1947 से 1991 तक
● इस चरण की मुख्य ववशेर्षता बैंकों का राष्ट्‍र यकरण थी।
● आर्थिक योजना के दृजष्ट्टकोण से, राष्ट्‍र यकरण प्रभावी समाधान के रूप में उभर के सामने आया।
भारत में राष्ट्‍र यकरण की आवश्यकता:
● ज्यादातर बैंकों की स्‍थापना बडे उद्योगों, बडे व्यापाररक घरानों की जरूरतों को परा करने के शलए हुई।
● कृवर्ष, लघु उद्योग और ननयाित जैसे िेि पीछे हो गए।
● साहकारों द्वारा आम जनता का शोर्षण ककया जाता रहा।
● इसके बाद, 1 जनवर , 1949 को भारतीय ररजवि बैंक का राष्ट्‍र यकरण ककया गया।
● 19 जुलाई, 1969 को चौदह वाखणजज्यक बैंकों का राष्ट्‍र यकरण ककया गया। वर्षि 1969 के दौरान श्रीमती
इंददरा गांधी भारत की प्रधान मंिी थीं। ये बैंक ननम्‍न थे-
(1) सेंरल बैंक ऑफ इंडडया
(2) बैंक ऑफ इंडडया
(3) पंजाब नेशनल बैंक
(4) बैंक ऑफ बडौदा
(5) यनाइटे ड कॉमशशियल बैंक
(6) कैनरा बैंक
(7) दे ना बैंक
(8) यनाइटे ड बैंक
(9) शसंडडकेट बैंक
(10) इलाहाबाद बैंक
(11) इंडडयन बैंक
(12) यननयन बैंक ऑफ इंडडया
(13) बैंक ऑफ महाराष्ट्र
(14) इंडडयन ओवरसीज बैंक
● अप्रैल 1980 में अन्‍य छह वाखणजज्यक बैंकों का राष्ट्‍र यकरण हुआ। ये ननम्‍न थे:
(1) आंध्रा बैंक
(2) कॉरपोरे शन बैंक
(3) न्य बैंक ऑफ इंडडया
(4) ओररएंटल बैंक ऑफ कॉमसि
(5) पंजाब एंड शसंध बैंक
(6) ववजया बैंक
● इस बीच, नरशसम्‍हम सशमनत की शसफाररश पर 2 अक्टबर, 1975 को, िेिीय ग्रामीण बैंक (आर.आर.बी)
का गिन ककया गया। आर.आर.बी के गिन के पीछे का उद्दे श्य सेवा से अछती ग्रामीण िेिों की बडी
आबाद तक सेवा का लाभ पहुंचाना और ववत्तीय समावेशन को बढावा दे ना था।
● ववशभन्न िेिों (जैसे कृवर्ष, आवास, ववदे शी व्यापार, उद्योग) की ववशशष्ट्‍
ट आवश्यकताओं को परा करने
के शलए कुछ शीर्षि स्तर की बैंककं ग संस्थाएं भी स्थावपत की गईं-
(1) नाबाडि (1982 में स्‍थावपत)
(2) एजक्जम (1982 में स्‍थावपत)
(3) एन.एच.बी (1988 में स्‍
थावपत)
(4) शसडबी (1990 में स्‍थावपत)
3. तीसरा चरण 1991 से अब तक
● इस अवर्ध में आर्थिक नीनतयों के उदार करण के साथ बैंकों के ववकास की प्रकक्रया में उल्लेखनीय वद्
ृ र्ध
दजि की गई।
● राष्ट्‍र यकरण और उसके बाद के ननयमों के बाद भी, बैंककं ग सेवाओं द्वारा जनता का एक बडा दहस्सा
अछता रहा।
● इसे ध्यान में रखते हुए, वर्षि 1991 में, नरशसम्‍हम सशमनत ने, बैंककं ग प्रणाल में ननजी िेि के बैंकों के
प्रवेश की अनुमनत की शसफाररश की।
● इसके बाद आर.बी.आई ने 10 ननजी संस्थाओं को लाइसेंस ददया, जजनमें से 6 आज भी कायिरत हैं-
आई.सी.आई.सी.आई, एच.डी.एफ.सी, एजक्सस बैंक, इंडसइंड बैंक,डी.सी.बी।
● वर्षि 1998 में, नरशसम्‍हम सशमनत ने पुन: अन्‍य ननजी बैंकों के प्रवेश की शसफाररश की। फलस्वरूप,
आर.बी.आई ने ननम्‍न बैंकों को लाइसेंस ददया-
(1) कोटक मदहंरा बैंक (2001)
(2) यस बैंक (2004)
● वर्षि 2013-14 में , बैंक को लाइसेंस प्रदान करने का तीसरा दौर शुरु हुआ। और वर्षि 2014 में
आई.डी.एफ.सी बैंक और बंधन बैंक उभर कर सामने आए।
● अन्‍य ववत्तीय समावेशन के शलए, आर.बी.आई ने दो प्रकार के बैंकों का गिन करने का प्रस्ताव भी रखा,
जैसे भग
ु तान बैंक और लघु बैंक।
अन्य महत्वपणि त्य
1. इलाहाबाद बैंक, 1865 में स्थावपत - इलाहाबाद बैंक भारत का सबसे परु ाना साविजननक िेि का बैंक है ,
जजसकी शाखाएं परे भारत में हैं और यह बैंक वपछले 145 वर्षों से ग्राहकों की सेवा में है।
2. इंपीररयल बैंक ऑफ इंडडया का नाम वर्षि 1955 में बदल कर स्टे ट बैंक ऑफ इंडडया कर ददया गया था।
3. पंजाब नेशनल बैंक केवल भारतीयों द्वारा प्रबंर्धत पहला बैंक है , जजसे वर्षि 1895 में लाहौर में स्थावपत
ककया गया था।
4. सबसे पहले स्वदे शी बैंक - सेंरल बैंक ऑफ इंडडया को भारत का पहला पणि स्वदे शी बैंक माना जाता है ,
जजसे वर्षि 1911 में स्थावपत ककया गया था और यह पणितया भारतीयों के स्वाशमत्व एवं प्रबंधन वाला
बैंक था।
5. यननयन बैंक ऑफ इंडडया का उद्घाटन महात्मा गांधी ने वर्षि 1919 में ककया था।
6. ओसबॉनि जस्मथ, भारतीय ररजवि बैंक के पहले गवनिर थे।
7. सी.डी. दे शमुख, भारतीय ररजवि बैंक के पहले भारतीय गवनिर थे।
8. ववदे श में बैंक खोलने वाला पहला भारतीय बैंक, ‘बैंक ऑफ इंडडया’ है। इस बैंक द्वारा वर्षि 1946 में लंदन
में एक शाखा स्थावपत की गई थी।
9. भारतीय स्टे ट बैंक की ववदे शी शाखाओं की संख्‍या सवािर्धक है।

भारत में बैंककं ग व्यवस्था


बैंककं ग संरचना को कैवपटल माकेट, मनी माकेट इत्यादद जैसे कई दहस्सों में ववभाजजत ककया गया है। हम उनसे
एक-एक करके चचाि करें गे।
मुरा बाजार
● चंकक बैंककं ग पैसे के बारे में है, इसशलए बैंककं ग संरचना मनी माकेट का एक अशभन्न दहस्सा है।
● इसमें ननर्धयों को उधार लेने तथा उधार दे ने में 1 वर्षि तक का समय लग जाता है
● इसका इस्तेमाल अल्पावर्ध ऋण के शलए ककया जाता है।
● इसमें भारतीय ररज़वि बैंक, वाखणजज्यक बैंक, सहकार बैंक, िेिीय ग्रामीण बैंक, कुछ एनबीएफसी आदद
शाशमल हैं।
मर
ु ा बाजार की संरचना
भारतीय मर
ु ा बाजार में संगदित िेि और असंगदित िेि शाशमल हैं। लेककन यहां, हम संगदित िेि पर ध्यान
केंदरत करें गे।

संगदित िेि:
इसे भी दो श्रेखणयों में ववभाजजत ककया गया है
1. बैंककं ग
आरबीआई अर्धननयम 1934 की अनस
ु ची पर आधाररत बैंकों का वगीकरण
सभी बैंकों (वाखणजज्यक बैंक, आरआरबी, सहकार बैंक) को अनस
ु र्चत और गैर-अनस
ु र्चत बैंकों में वगीकृत
ककया जा सकता है।
1. अनस
ु र्चत बैंक
● वे बैंक जो आरबीआई अर्धननयम, 1934 की दसर अनस
ु ची में सचीबद्ध हैं।
● बैंक दर पर RBI से ऋण प्राप्त करने के शलए पाि हैं।
2. गैर-अनुसर्चत बैंक
● वे बैंक जो आरबीआई अर्धननयम, 1934 की दसर अनस
ु ची में सचीबद्ध नह ं हैं।
● आमतौर पर, आरबीआई से ऋण प्राप्त करने के शलए पाि नह ं हैं।
● सीआरआर अपने साथ रखें आरबीआई के साथ नह ।ं
वाखणजज्यक बैंक
● बैंककं ग ववननयमन अर्धननयम 1949 के तहत ववननयशमत।
● वे जमा को स्वीकार कर सकते हैं, लाभ अजजित करने के शलए ऋण और अन्य ववत्तीय सेवाएं प्रदान कर
सकते हैं।
● वाखणजज्यक बैंकों में साविजननक िेि के बैंक और ननजी िेि के बैंक शाशमल हैं।
साविजननक िेि के बैंक
● इन बैंकों में ज्यादातर शेयर (50% से अर्धक) सरकार द्वारा आयोजजत ककए जाते हैं।
● वतिमान में अपने सहयोगी बैंकों और भारतीय मदहला बैंक (बीएमबी) के साथ एसबीआई के ववलय के
बाद भारत में 21 साविजननक िेि के बैंक हैं।
● बैंकों का राष्ट्र यकरण दो चरणों में सरकार द्वारा ककया गया था-
राष्ट्र यकरण का पहला चरण जुलाई 1969 में हुआ था, जजसमें चौदह बैंकों का राष्ट्र यकरण हुआ था।
बैंकों के राष्ट्र यकरण का दसरा चरण अप्रैल 1980 में हुआ था, जजसमें 6 बैंकों का राष्ट्र यकरण हुआ था।
बैंकों के राष्ट्र यकरण के उद्दे श्य -
1. ननजी एकार्धकार को कम करना
2. सामाजजक कल्याण
3. बैंककं ग सुववधाओं का ववस्तार
4. प्राथशमकता िेि के ऋण पर ध्यान दे ना
ननजी िेि बैंक
● इन बैंकों में शेयरों के बहुमत दहस्सेदार सरकार द्वारा आयोजजत नह ं होती।
● इन बैंकों में भारतीय बैंकों के साथ-साथ ववदे शी बैंक दोनों शाशमल होते हैं।
● ननजी बैंक जो 1990 (अथिव्यवस्था का उदार करण) से पहले स्थावपत ककए गए थे, उन्हें पुराने बैंकों के
रूप में वगीकृत ककया गया है।
● 1990 (अथिव्यवस्था का उदार करण) के बाद स्थावपत ककए जाने वाले ननजी बैंकों को नए बैंकों के रूप में
वगीकृत ककया गया है।
● स्‍थानीय िेि बैंक - ननजी बैंक, जजन्हें सीशमत िेि में संचाशलत करने की अनम
ु नत है तथा जो कंपनी
अर्धननयम, 1956 के तहत पंजीकृत हैं, उन्‍
हें स्‍थानीय िेि बैंक कहते हैं। इसके शलए कम से कम 5
करोड की पंजी की आवश्‍यकता है।
िेिीय ग्रामीण बैंक
● आरआरबी अर्धननयम, 1976 के तहत स्थावपत हैं।
● साविजननक िेि के बैंकों द्वारा स्थावपत हैं।
● इसका उद्दे श्य ग्रामीण िेिों में क्रेडडट फ्लो को बढाना है।
● अप्रैल, 1987 में केलकर सशमनत की शसफाररशों के बाद, कोई भी नया आरआरबी खोला नह ं गया है।
सहकार बैंक
● कृवर्ष, कुदटज उद्योग आदद के ववत्तपोर्षण के उद्दे श्य से स्थावपत हैं।
● जमा और उधार दे ना दोनों गनतववर्धयां कर सकता है।
● नाबाडि (राष्ट्‍र य कृवर्ष और ग्रामीण ववकास बैंक) भारत में सहकार िेि की सवोच्च संस्था है।
सहकार बैंकों की संरचना
1. ग्रामीण सहकार ऋण संस्थान
(a) अल्पावर्ध संरचना
● एक वर्षि तक के शलए उधार दें ।
● इसे तीन स्तर य सेट-अप में ववभाजजत ककया गया है-
(i) राज्‍य सहकार बैंक -
● राज्य में सहकार बैंकों के शलए सवोच्‍च ननकाय है।
(ii) केंर य या जजला सहकार बैंक -
● जजला स्तर पर संचालन।
(iii) प्राथशमक कृवर्ष ऋण सोसाइट -
● ग्राम स्तर पर संचालन।
(b) द घिकाशलक संरचना
● एक वर्षि से अर्धक के शलए पच्चीस वर्षों तक उधार दे ना।
● इसे दो स्तर य सेट-अप में ववभाजजत ककया गया है
(i) राज्य सहकार कृवर्ष और ग्रामीण ववकास बैंक तथा
(ii) प्राथशमक सहकार कृवर्ष और ग्रामीण ववकास बैंक
2. शहर सहकार ऋण संस्थान
● शहर और अधि-शहर िेिों में स्थावपत हैं।
● छोटे व्यवसायों और उधारकतािओं को उधार दे ना।
2. उप-बाजार
● उप-बाजार ननवेश के शलए संसाधनों का ननमािण करने हे तु और ननयशमत गनतववर्धयों के शलए धन में
कमी को परा करने हेतु बाजार हैं।
● सरकार, ववत्तीय संस्थान तथा उद्योग उप-बाजार में भाग लेते हैं।
उप-बाजार की संरचना
(i) कॉल मनी माककिट
● लघु सचना बाजार के रूप में जाना जाता है ।
● आमतौर पर अंतर बैंक उधार लेने और ऋण दे ने के शलए उपयोग ककया जाता है।
● एक से चौदह ददनों तक की सीमा के शलए ऋण।
● यह भी दो श्रेखणयों में ववभाजजत है- ओवरनाइट बाजार (एक ददन के भीतर) B. लघु सचना बाजार (चौदह
ददन तक)
(ii) त्रबल बाजार या डडस्काउं ट बाजार
(a) राजकोर्ष त्रबल -
● सरकार राजकोर्ष द्वारा जार ।
● अल्पावर्ध ऋण के शलए उपयोग ककया जाता है।
● गैर-ब्याज बीयररंग (शन्य कपन बांड) छट कीमत पर जार ।
(b) वाखणजज्यक त्रबल बाजार -
● राजकोर्ष त्रबलों के अलावा अन्य त्रबल।
● व्यापाररयों और उद्योगों द्वारा जार ।
(iii) ददनांककत सरकार प्रनतभनतयां
● द घिकाशलक पररपक्वता के शलए उपयोग ककया जाता है।
(iv) जमा प्रमाणपि
● वाखणजज्यक बैंकों और ववत्तीय संस्थान द्वारा जार ककए गए ।
(v) वाखणजज्यक पि
● कॉपोरे ट, प्राथशमक डीलरों और ववत्तीय संस्थानों द्वारा जार ।

पंजी बाज़ार
मर
ु ा बाजार
● इसका प्रयोग कम समय के ऋण के शलए होता है।
● सामान्यतया इसे 1 साल तक के ऋण के शलए उपयोग करते हैं|
● इसमें भारतीय ररज़वि बैंक, वाखणजज्यक बैंक, सहकार बैंक, िेिीय ग्रामीण बैंक और कुछ एनबीएफसी
इत्यादद शाशमल है।
पंजी बाजार
● इसका प्रयोग लंबे समय के ऋण के शलए होता है।
● सामान्यतया इसे 1 साल से ज्यादा वर्षि वाले ऋण के शलए उपयोग करते हैं|
● इसमें स्टॉक एक्सचें ज, हाउशसंग फाइनेंस कम्पननयााँ, बीमा कम्पननयााँ इत्यादद शाशमल है।
● पंजी बाजार में सचीबद्ध सभी संस्थानों को गैर-बैंककं ग ववत्तीय कम्पननयों को एनबीएफसी कहते है।
लेककन यह आवश्यक नह ं की सभी एनबीएफसी पंजी बाजार का दहस्सा हो।
एनबीएफसी (NBFCs)
एनबीएफसी कंपनी अर्धननयम, 1956 के तहत पंजीकृत एक कंपनी है। यह ननम्न पहलुओ में बैंको से
शभन्न है -
(i) यह डडमांड डडपॉजजर्टस (मांग जमा) स्वीकार नह ं कर सकते।
(ii) एनबीएफसी का उनके जमा राशश पर बीमा कवर नह ं होता है , जबकक बैंक के जमा राशश का जमा
बीमा और क्रेडडट गारं ट ननगम से बीमा कवर होता है।
पंजी बाजार के संघटक
● यह मख्
ु यतः तीन वगों में ववभाजजत है -
(A) प्रनतभनत बाजार
(B) ववकास ववत्तीय संस्थानो
(c) ववत्तीय मध्यस्थ
(A) प्रनतभनत बाजार
● यह शेयर और कजि उपकरणों में डील करता है। यह उपकरण धन जुटाने में प्रयोग होता है।
● शेयर उपकरण में हम इजक्वट शेयर, डेररवेदटव्स इत्यादद को शाशमल करते है। इन उपकरणों में
ननवेशको के शलए पंजी, लाभ और हानन में सहयोगी होते है।
● ऋण उपकरण में हम बांड्स, डडबेंचर इत्यादद को शाशमल करते है। इन उपकरणों में लाभ या हानन से
अलग हमे ऋण उपकरण धारक को ब्याज के भुगतान की आवश्यकता होती है।
● डडबेंचर (Debentures)- इसमें ऋणदाता कंपननयों को कुछ जमानत (जैसे की प्लांट, मशीनर इत्यादद)
के बदले ऋण दे ती है। लेककन बांड के केस में ऋणदाता कंपननयों को त्रबना ककसी जमानत के ऋण दे ती
है।
● शेयर मुख्यतः दो प्रकार के होते है – पहला इजक्वट शेयर और दसरा परे फरें स शेयर। इजक्वट शेयर में
धारक पंजी, लाभ और हानन पर दावा करता है। प्रीफ्रेंस शेयसि में धारक एक ननजश्चत मािा में डडववडेंड
पाने का हकदार होता है। कंपनी के बंद होने के मामले में वप्रफरें स शेयरहोल्डर को पंजी के वापस भुगतान
पाने का प्रेफेरें शशयल अर्धकार होता है।
प्रनतभनतयों के व्यापार के शलए, हमारे पास प्राथशमक (न्य इश) और द्ववतीयक (ओल्ड इश) बाजार है।
प्राथशमक Primary (न्य इश माककिट)
● इसमें जार कताि प्रनतभनत जार करता है और जनता खर दती है। इसमें नए या पहल बार वाले
प्रनतभनतयों को ख़र दा जाता है।
● प्राथशमक बाजार में यदद कोई कंपनी पहल बार शेयर जार करता है तो इसे इननशशयल पजब्लक
ऑफररंग (आईपीओ) कहते है।
● यदद ककसी कंपनी ने पहले से ह शेयर जार ककया हुआ हो, और वह अनतररक्त धन जुटाने के शलए
दोबारा शेयर जार करता है तो इसे फॉलो ओन पजब्लक ओफररंग (एफपीओ) कहा जाता है।
द्ववतीयक Secondary (ओल्ड इश माककिट)
● न्य इश (प्राइमर ) माककिट में प्रनतभनतयों की खर द और त्रबक्री पहले से जार ककया जा चका है।
● इस माककिट में व्यापार के शलए दो तरह के प्लेटफामि है -
(1) स्टॉक एक्सचें ज (केवल सचीबद्ध प्रनतभनतयााँ), (2) काउं टर एक्सचें ज से अर्धक (प्रनतभनतयााँ जो
ककसी भी स्टॉक एक्सचें ज में सचीबद्ध नह ं है)
प्रनतभनत बाजार में प्रयोग की जाने वाल शब्दाबल
● घोवर्षत मल्य अंक (Declared Price Issue)- एक ह मल्य
● बक
ु त्रबजल्डंग अंक (Book Building Issue)- मांग के अनस
ु ार मल्य ननधािरण
● मचेंट बैंकर (Merchant Banker)- जार कताि धन जट
ु ाने की गनतववर्धयों के शलए इसे ननयक्
ु त करता है
● अर्धकृत पंजी (Authorised Capital)- कंपनी के उच्च अर्धकाररयों द्वारा अर्धकृत की गई राशश जो की
कम्पनी द्वारा जट
ु ाया जा सकता है
● जार कताि पंजी(Issuer Capital)- कंपनी द्वारा जार की गई वास्तववक राशश
● सब्सक्राइबर पंजी(Subscriber Capital)- जनता द्वारा सब्सक्राइब की गई वास्तववक राशश
● अंडरराइटर(Underwriter)- यह एक ववत्तीय मध्यस्थ है जो अनसब्सक्राइब पंजी के खर द का वादा
करता है।
● कॉल्ड अप पंजी (Called up Capital)- कंपनी ककश्तों में पैसे जमा करती है और ग्राहकों से शलए गए पैसो
के एक भाग को कॉल्ड अप पंजी कहते है।
● पेड अप पंजी(Paid up Capital)- ग्राहकों द्वारा चुकाया गया वास्तववक राशश ।
● ररज़वि कैवपटल (Reserve Capital)- मांग न ककया जाने वाले धनराशी का दहस्सा।
● राईट इश (Right Issue) – इसमें मौजदा शेयरहोल्डर को एफपीओ द्वारा प्रनतभनत प्रस्ताव।
● बोनस ईशु(Bonus Issue)-मौजदा शेयर के लाभ के मुकाबले शेयर जार करना।
● स्वेट इजक्वट इश (Sweat Equity Issue)- कमिचाररयों को कंपनी के शलए ककये गए कदिन पररश्रम के
शलए शेयर का प्रस्ताव।
● नकद व्यापार(Cash trading)- व्यापार ददवस की कीमत पर प्रनतभनतयों की त्रबक्री और खर द।
● फॉरवडि रे डडंग(Forward trading)-दोनों खर दार और ववक्रेता प्रनतभनतयों के पहले से सहमत कीमतों पर
खर दने के शलए एक समझौते पर हस्तािर करते है।
● डेर वेदटव (Derivatives)-इसका कोई स्वतंि मल्य नह ं होता है, इसका मल्य अन्तननिदहत प्रनतभनत के
कारण होता है जजसका व्यापार होना होता है।
● डीम्युचुअलाईजेशन (Demutualisation)- शेयर को िोकर से पजब्लक को हस्तांतरण करने के प्रकक्रया।
स्टॉक एक्सचें ज
● भारत में दो महत्वपणि स्टॉक एक्सचें ज है – एनएसई और बीएसई।
नेशनल स्टॉक एक्सचें ज (NSE)-
● यह फेरवानी सशमनत के शसफाररशों पर 1992 में स्थावपत ककया गया था।
● ननफ्ट और ननफ्ट जननयर एनएसई के सचकांक है। ननफ्ट टॉप के 50 शेयर और ननफ्ट जननयर
उसके बाद के 50 शेयरों की कीमतों की दे खरे ख करता है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचें ज (BSE)-
● यह एशशया का सबसे परु ाना स्टॉक एक्सचें ज है और 1875 में स्थावपत ककया गया था।
● सेंसेक्स (संवेदनशील सचकांक) बीएसई का सचकांक है। सेंसेक्स टॉप की 30 कंपननयों के शेयर की
कीमतों में उछाल की दे खरे ख करता है।
डडपाजजटर ज (Depositaries)-
● इसमें ननवेशक अपनी प्रनतभनतयों को डीमैट (डी- मैटेररयलाइज्ड) के रूप में रखते है। वतिमान में भारत
में दो डडपाजजटर ज है।
(1) एनएसडीएल (नेशनल शसक्योररट ज डडपाजजटर शलशमटे ड)- यह मंब
ु ई में जस्थत है।
(2) सीडीएसएल (सेंरल डडपाजजटर सवविसेज शलशमटे ड)- यह भी मंब
ु ई में जस्थत है।
(B) ववकास ववत्तीय संस्थान
● वे लंबे समय के शलए लोन, एन्िेप्रेनेउररअल सहायता (तकनीकी सलाह इत्यादद) प्रदान करते है।
● इसके उदहारण है - आईडीबीआई, ईएक्सआईएम बैंक इत्यादद।
(C) ववत्तीय मध्यस्थ
● RBI द्वारा ववननयशमत -
(1) संपवत्त फाइनेंस कंपनी
(2) लोन कंपनी
(3) ननवेश कंपनी
● सेबी द्वारा ववननयशमत -
(1) वेंचर कैवपटल फण्ड
(2) मचेंट बैंककं ग कम्पनीज
(3) स्टॉक िोककं ग कम्पनीज

बैलेंस ऑफ पेमेंट (भग


ु तान संतल
ु न)
पररचय
● अंतरािष्ट्‍र य मर
ु ा कोर्ष (आई.एम.एफ) ने भग
ु तान संतल
ु न (बी.ओ.पी) को एक सांजख्यकीय वववरण के
रूप में पररभावर्षत ककया है जो एक ववशशष्ट्‍
ट समयावर्ध में एक स्‍थान से दसरे स्‍थान के बीच आर्थिक
लेन-दे न को सारांशशत करता है।
● इस प्रकार, बी.ओ.पी में सभी प्रकार के लेन-दे न शाशमल हैं-
● (a) एक अथिव्‍यवस्‍था और बाकी दनु नया के बीच माल, सेवाओं और आय का लेन-दे न
(b) उस अथिव्‍यवस्‍था के मौदरक स्‍वणि, स्‍पेशल ड्राइंग राइर्टस (एस.डी.आर) का बाकी दनु नया में ववत्‍
तीय
दावों और दे नदाररयों में स्‍वाशमत्‍व और अन्‍य पररवतिनों में पररवतिन, और
(c) अप्रनतदत्‍त हस्‍
तांतरण (unrequited transfers)- पैसे का हस्तांतरण जजसमें बदले में कुछ भी
उम्मीद नह ं हैं|
उदाहरण- ववदे शी सहायता, ऋण िमा आदद
● इन लेन-दे नों को ननम्‍न प्रकार से वगीकृत ककया गया है -
(i) चाल खाता
(ii) पंजी खाता और ववत्‍
तीय खाता
● भुगतान संतुलन मुख्य
‍ त:, एक दे श के ननवाशसयों द्वारा ककए गए सभी अंतरािष्ट्‍र य ववत्‍
तीय लेन-दे न का
ररकॉडि है।
● भुगतान संतुलन हमें इस बात से अवगत कराता है कक दे श में बचत ककतनी है और घाटा ककतना है।
इससे यह भी ज्ञात होता है कक दे श अपने ववकास के शलए पयािप्त
‍ आर्थिक उत्‍पादन कर रहा है या नह ।ं
जब बी.ओ.पी घाटे में है , तो इसका अथि है-
● भग
ु तान संतल
ु न में घाटे का अथि है कक दे श अपने ननयाित से अर्धक समान, सेवाओं और पंजी का
आयात करता है।
● दे श को अपने आयात के भग
ु तान के शलए अन्‍य दे शों से उधार लेना चादहए।
● अल्‍पावर्ध के शलए, यह आर्थिक ववकास में वद्
ृ र्ध करता है। लेककन, द घािवर्ध में , दे श ववश्‍
व के आर्थिक
उत्‍पादन का ननमािता न होकर ननवल उपभोक्‍ता बन जाता है।
● दे श भववष्ट्‍य में , ववकास में ननवेश करने के बजाय उपभोग के भुगतान के शलए कजि में डब जाता है। यदद
यह घाटा लंबी अवर्ध के शलए जार रहता है, तो दे श कजि में बुर तरह फंस जाता है और अपने कजि को
चुकाने के शलए अपनी संपजत्‍
त बेंच सकता है।
जब बी.ओ.पी लाभ में है , तो इसका अथि है-
● भुगतान संतुलन के लाभ में होने का अथि है कक दे श का ननयाित उसके आयात से अर्धक है।
● दे श अपनी आमदनी से अर्धक की बचत करता है। यह उसकी अनतररक्‍त आय के साथ पंजी ननमािण में
वद्
ृ र्ध करता है। यहां तक कक वे दे श के बाहर भी ऋण दे सकते हैं।
● लंबी अवर्ध के शलए, दे श ननयाित-आ‍धाररत वद्
ृ र्ध पर अर्धक ननभिर करता है। उसे अपने ननवाशसयों को
अर्धक खचि करने के शलए प्रोत्‍सादहत करना चादहए। एक बडा घरे ल बाजार, ववननमय दर के उतार-चढाव
से दे श की रिा करे गा।
बी.ओ.पी के घटक
● बी.ओ.पी को दो प्रकार के खातों में ववभाजजत ककया जा सकता है -
1. चाल खाता
2. पंजी और ववत्‍
तीय खाता
चाल खाता (Current Account)
● चाल खाता एक अथिव्‍यवस्‍था और बाकी दनु नया के बीच के मल संसाधनों (माल, सेवाओं, आय और
हस्‍
तांतरण) को मापता है।
● चाल खाते को आगे व्‍यापाररक खाता (merchandise account) और इनववजजबल खाता (invisibles
account) में ववभाजजत ककया जा सकता है।
● व्‍यापाररक खाते में माल के आयात और ननयाित से संबंर्धत लेन-दे न शाशमल हैं।
● इनववजजबल खाते में, तीन व्‍यापक श्रेखणयां हैं-
1. गैर-कारक सेवाएं जैसे कक यािा, पररवहन, बीमा और ववववध सेवाएं-
2. हस्‍
तांतरण जजसमें ववननमय में कोई मर
ु ा शाशमल नह ं है , और
3. आय जजसमें कमिचाररयों के मआ
ु वजे और ननवेश आय शाशमल है।
चाल खाता घाटा (करं ट अकाउं ट डेकफशसट)
● चाल खाता घाटा (सीएडी) = व्यापार घाटा + ववदे श से शद्
ु ध आय + नेट स्थानांतरण
नोट: यहां व्यापार घाटा = ननयाित-आयात
● इसशलए हम यहां दे ख सकते हैं कक व्यापार घाटा और चाल खाता घाटा दोनों अलग हैं और व्यापार घाटा
वतिमान खाता घाटा का एक घटक है।
पंजी और ववत्‍
तीय खाता
● पंजी और ववत्‍
तीय खाता, दनु नया के बाकी दहस्‍सों में ववत्‍तीय दावों में शद्
ु ध पररवतिन को दशािता है-
नोट-
वपछले भुगतान संतुलन पज
ं ी खाते को, भुगतान संतुलन मैनुअल (आई.एम.एफ) के पांचवें संस्‍करण के
अनुसार पंजी और ववत्‍
तीय खाते के रूप में पररवनतित कर ददया गया है।
● पंजी खाते को मुख्‍य रूप से दो श्रेखणयों में ववभाजजत ककया जा सकता है-
1. गैर-ऋण प्रवाह जैसे प्रत्‍यि और पोटि फोशलयो ननवेश
2. ऋण प्रवाह जैसे बाहर सहायता, वाखणजज्‍यक उधार, गैर-ननवासी जमा, आदद
● ववत्‍
तीय खाता, बाहर ववत्‍
तीय संपजत्‍
त और दे नदाररयों में एक अथिव्‍यवस्‍था के लेन-दे न का ररकॉडि
रखता है।
● सभी घटक, ननवेश के प्रकार या कायाित्‍मक अवयव के अनुसार वगीकृत ककए जाते हैं-
1. प्रत्‍यि ननवेश
2. पोटि फोशलयो ननवेश
3. अन्‍य ननवेश
4. आरक्षित संपजत्‍

● चाल खाते और पंजी खाते का योग, समग्र शेर्ष धनराशश को दशािता है , जो लाभ या घाटे में हो सकती है।
समग्र शेर्ष धनराशश में पररवतिन, दे श के अंतरािष्ट्‍र य ररजवि में ददखाई पडता है।

केंर य बजट के बारे में महत्वपणि जानकार


संवैधाननक प्रावधान
● भारतीय संववधान में एक ऐसे दस्तावेज के शलए एक प्रावधान (अनुच्छे द 112) है , जजसे वावर्षिक ववत्तीय
वववरण कहते हैं, जो आमतौर पर बजट शब्द को संदशभित करता है।
बजट का पररचय
● बजट एक ववत्तीय वर्षि में सरकार की प्राजप्तयों और व्ययों का वववरण है , जो 1 अप्रैल को शुरू होता है और
31 माचि को समाप्त होता है।
● सरकार की ये प्राजप्तयां और व्यय तीन भागों में ववभाजजत हैं:
1. भारत की समेककत ननर्ध
2. भारत की आकजस्मकता ननर्ध
3. भारत के साविजननक खाते
● बजट में अथिव्यवस्था के प्रत्येक संबंर्धत िेि या उप-िेि के शलए डेटा के तीन सेट हैं।
● जो ननम्‍नानुसार हैं :
1. वपछले वर्षि के वास्तववक आंकडे
2. चाल वर्षि का अनंनतम डेटा
3. अगले वर्षि के शलए बजट य अनम
ु ान
● बजट में राजस्‍व और पंजी प्राजप्तयां, राजस्व बढाने के तर के और साधन, व्यय का अनम
ु ान, आगामी
वर्षि की आर्थिक और ववत्तीय नीनत, अथाित ् कराधान प्रस्ताव, व्‍यय कायिक्रम और नईं योजनाओं /
पररयोजनाओं का पररचय शाशमल है।
भारत सरकार की ववशभन्न प्रकार की ननर्धयां
समेककत ननर्ध
● समेककत ननर्ध में सरकार द्वारा प्राप्त सभी राजस्व, जजसमें इसके द्वारा उिाए गए ऋणों, इसके द्वारा
स्‍वीकृत ऋणों की वसल , कर और अन्य राजस्व शाशमल हैं।
● इस ननर्ध को भारतीय संववधान के अनुच्छे द 266 (1) के तहत स्थावपत ककया गया था।
● इस ननर्ध से ककसी भी तरह की ननकासी के शलए संसद की अनुमनत आवश्यक है।
आकजस्मकता ननर्ध
● आकजस्मकता ननर्ध आपातकाल न व्यय को परा करने हे तु सरकार के शलए अलग से रखी गईं ननर्ध है ,
जजसके शलए स्‍वीकृती लेने का इंतजार नह ं ककया जा सकता।
● इस ननर्ध को भारतीय संववधान के अनुच्छे द 267 के तहत स्थावपत ककया गया था।
● यह ननर्ध राष्ट्रपनत के ननपटान में रखी जाती है।
भारत के साविजननक खाते
● साविजननक खातों में पैसे शाशमल हैं जो सरकार को ववशभन्न योजनाओं जैसे लघु बचत योजनाएं या
समवपित फंड जैसी भववष्ट्य ननर्ध, जमा और अर्ग्रम राशश से प्राप्‍त होते हैं।
● इस ननर्ध को भारतीय संववधान के अनुच्छे द 266 (2) के तहत स्थावपत ककया गया था।
संसद में बजट
● सबसे पहले, बजत को ववत्त मंिी द्वारा लोकसभा में पेश ककया जाता है और वह 'बजट भार्षण' दे ते हैं।
● कफर सदन में सामान्य चचाि की जाती है।
● इसके बाद, इसे चचाि के शलए राज्यसभा में भेज ददया जाता है।
● चचाि खत्म होने के बाद, सदनों को 3 से 4 सप्ताह तक स्थर्गत कर ददया जाता है।
● इस अंतराल के दौरान, 24 ववभागीय स्थायी सशमनतयां संबंर्धत मंत्रियों के अनद
ु ानों हे तु मांगों की जांच
तथा ववस्तत
ृ रूप से चचाि करके, उनके बारे में ररपोटि तैयार करती हैं।
● इन ररपोटों पर ववचार करने के साथ अनद
ु ानों की मांग हे तु मतदान ककया जाएगा।
● मांगों मंिालयों के अनस
ु ार प्रस्तत
ु ककया जाता है।
● वोट शमलने के बाद एक मांग को स्‍वीकृत ककया जाएगा।
● संववधान के अनच्
ु छे द 113 में अनद
ु ानों की मांग के प्रावधान शाशमल हैं।
● अनुदान की मांगों का मतदान लोकसभा का एक ववशेर्षार्धकार है , वे राज्यसभा है, जो उस पर केवल
चचाि कर सकती है और इसके शलए मतदान करने को कोई अर्धकार नह ं है।
● मांगों के मतदान के शलए कुल 26 ददन आवंदटत ककए गए हैं। आखखर ददन पर, स्पीकर सभी शेर्ष मांगों
को वोट दे ने और उनके ननपटारे के बारे में बोलता हैं, चाहे उन पर चचाि हुई हो या नह ं। इसे 'गई
ु लोदटन'
(‘Guillotine’) कहा जाता है।
● इसशलए, जो राशश मंिी द्वारा मांगी गई है , वे उसे लोकसभा द्वारा ददए गए अनद
ु ानों के त्रबना प्राप्‍त नह ं
हो सकती।
संसद में प्रस्‍ताव
● अनुदानों की मांग पर मतदान के समय, संसद सदस्य अनुदान के शलए ककसी भी मांग को कम करने
हे तु प्रस्‍ताव चला सकते हैं।
● ऐसे प्रस्‍ताव ननम्‍नानुसार हैं :-
1. पॉशलसी कट प्रस्‍ताव :- यह मांग के अधीन पॉशलसी की अस्वीकृनत का प्रनतननर्धत्व करता है और
मांग की मािा को 1 रुपये तक कम कर दे ता है।
2. इकोनोमी कट प्रस्‍ताव :- मांग की इस राशश में एक ननजश्चत राशश कम कर द जाती है।
3. टोकन कट प्रस्‍ताव :- इस प्रस्ताव में भारत सरकार की जज़म्मेदार के दायरे के भीतर एक ववशशष्ट्ट
शशकायत की मांग करने हे तु मांग की राशश को 100 रूपये तक कम ककया जाता है।
लेखानुदान
● नए ववत्तीय वर्षि के शुरू होने से पहले, सरकार को दे श के प्रशासन को चलाने के उद्दे श्‍य से पयािप्त ववत्त
रखने की आवश्यकता होती है।
● संववधान के अनुच्छे द 116 में लेखानुदान पर मतदान का प्रावधान शाशमल है।
● इससे सरकार को थोडे समय के शलए या जब तक पणि बजट पाररत नह ं ककया जाता है, तब तक अपने
खचों को ननर्ध दे ने की अनुमनत शमल जाती है।
● आमतौर पर, लेखानुदान केवल दो माह के शलए शलया जाता है।
समायोजन त्रबल
● इसे लोक सभा में अनुदान की मांग को पाररत करने के बाद सरकार को भारत की समेककत ननर्ध से और
बाहर के व्यय का अर्धकार दे ने के शलए पेश ककया गया है ।
● कानन (अनुच्छे द 266) द्वारा बनाए गए समायोजन के अलावा भारत की समेककत ननर्ध से कोई पैसा
वापस नह ं शलया जाएगा ।
ववत्त ववधेयक
● यह लोकसभा में आम बजट के प्रस्तत
ु ीकरण के तरु ं त बाद लोकसभा में पेश ककए गए सरकार के
कराधान प्रस्तावों को प्रभावी बनाने हेतु समायोजन ववधेयक को पाररत करने के बाद पेश ककया गया है।
ववत्त ववधेयक के प्रकार
1. मर
ु ा ववधेयक –
● यह ववत्तीय त्रबल हैं जजनमें अनुच्छे द -110 (1) (a) में सचीबद्ध मामलों से संबंर्धत प्रावधान शाशमल हैं।
● इसे लोकसभा में प्रस्तुत करने से पहले राष्ट्रपनत की पवि अनुशंसा की आवश्यकता होती है।
● इसे केवल मंिी ह लोक सभा में पेश कर सकता है।
● केवल लोकसभा को मर
ु ा ववधेयक के मामले में वोट करने की शजक्त प्राप्‍त है। राज्य सभा केवल
लोकसभा को सलाह दे सकती है।
● मर
ु ा ववधेयक के मामले में संयक्
ु त बैिक का कोई प्रावधान नह ं है।
2. ववत्त ववधेयक श्रेणी- I
● इसे लोकसभा में प्रस्तत
ु करने से पहले राष्ट्रपनत की पवि शसफाररश की आवश्यकता होती है।
● लेककन इस मामले में , राज्यसभा को इस त्रबल को अस्वीकार करने की शजक्त है।
● इस प्रकार के त्रबलों में संयुक्त बैिकों का प्रावधान है।
3. ववत्त ववधेयक श्रेणी- II
● यह ववत्तीय ववधेयक है, जजनमें अनुच्छे द -110 में सचीबद्ध मामलों से संबंर्धत प्रावधान शाशमल नह ं हैंI

आर्थिक शसद्धांत : व्यजष्ट्ट अथिशास्ि शसद्धांत


महत्वपणि वक्र
1. लॉरें ज वक्र:
● लॉरें ज वक्र समाज में आय के ववतरण का ग्राफीय ननरूपण है।
● इसे मैक्स ओ. लॉरे न्ज़ द्वारा 1905 में ददया गया था। इसका प्रयोग जनसंख्या में असमानता का
ववश्लेर्षण करने के शलए ककया जाता है।
● इस ग्राफ में, राष्ट्र य आय के संचयी प्रनतशत को घरों के संचयी प्रनतशत पर खींचा जाता है।
● वक्र में पणि समानता रे खा से झुकाव की कोदट समाज में असामनता की माप होती है।
● इसे र्गनी गुणांक द्वारा ददया जाता है।
● र्गनी गुणांक: यह पणि समानता रे खा के संगत िेि के सापेि छायांककत िेि का अनुपात है। इसका मान
जजतना अर्धक होगा समाज में असमानता उतनी ह अर्धक होगी।

2. लाफेर वक्र:
● लाफेर वक्र राज्य प्रार्धकरणों द्वारा लगाए गए करों और संग्रदहत करों के बीच संबंध को प्रकट करता है।
● इसके अनस
ु ार जैसे-जैसे कर दरों में ननम्न स्तर से वद्
ृ र्ध होती है , कर संग्रह भी बढता है लेककन एक
महत्वपणि सीमा के बाद कर की दर बढने पर, कर संग्रह घटने लगता है।
● यह उच्च कर दरों के कारण ननम्न लाभ होने और चोर करके उच्च लाभ अजजित करने से जुडी है।

3. कफशलप्स वक्र
● इसे न्यज़ीलैण्ड के अथिशास्िी ए. ववशलयम कफशलप्स ने ददया था।
● इसके अनस
ु ार, यह मर
ु ाजस्फनत और बेरोजगार के बीच एक व्यत्ु क्रम एवं जस्थर संबंध है अथाित जब एक
र्गरता है , तो दसरा बढता है।
● इसके शलए एक पद और भी है जो उच्च मुराजस्फनत और उच्च बेरोजागार की समकाशलक उपजस्थनत को
पररभावर्षत करता है, जैसे उच्च मर
ु ाजस्फनत के साथ ननम्न ववकास, जजसे अवजस्फनत भी कहते हैं।

4. कुज़नेर्टस वक्र
● कुज़नेर्टस वक्र एक पररकल्पना पर आधाररत है जजसे अथिशास्िी शसमोन कुज़नेर्टस ने आगे बढाया था।
● इस पररकल्पना के अनुसार, जब एक दे श ववकशसत होना शुरु होता है, तो पहले कुछ समय के शलए
आर्थिक असमानता बढती है लेककन एक सीमांत के बाद, जब एक ननजश्चत औसत आय प्राप्त हो जाती
है, तो आर्थिक असमानता कम होना शुरु हो जाती है।
● इसीशलए इसे नीचे ग्राफ में ददखाए गए अनुसार U-आकार के वक्र में प्रदशशित ककया गया है।

5. पयािवरण कुज़नेर्टस वक्र:


● यह एक ओर आर्थिक प्रगनत और दसर ओर आर्थिक प्रगनत के कारण होने वाल पयािवरण िनत के बीच
संबंध को दशािता है।
● इसके अनुसार, जैसे अथिव्यवस्था ववकास यािा पर चढती है , पहले चरण में प्रदर्षण बढता है , लेककन
बाद में अथिव्यवस्था के ववकशसत होने के साथ, प्रदर्षण कम होना शुरु हो जाता है।
● और आखखर में , आर्थिक प्रगनत और पयािवरण रखरखाव साथ साथ चलते हैं।

जब आर्थिक प्रगनत चरणों को x – अि पर ननरुवपत करते हैं और पयािवरण िरण को y-अि पर ननरुवपत करते
हैं, तो पयािवरण कुज़नेर्टस वक्र उल्टा U-आकार का वक्र बनता है।
ग्रेशम का ननयम:
● ग्रेशम का कानन कहता है कक ‘खराब धन अच्छा ननकलता है ’।
● इसका अथि है यदद ककसी दे श में दो मुराएं, सस्ती मुरा मंहगी मुरा को उपयोग से बाहर कर दे ती है।
● इसका कारण है लोग मंहगी मुरा का संग्रह करना शुरु कर दें गे और अंततः वह पररसंचरण से बाहर हो
जाएगी।
● इसका यह नाम अंग्रेज ववत्तीयशास्िी सर थॉमस ग्रेशम (1519-1579) के नाम पर रखा गया है।
अवसर लागत
● ककसी अगले बेहतर ववकल्प को छोडकर मौजद ववकल्प को खर दने पर अगले बेहतर ववकल्प की
कीमत मौजदा ववकल्प के शलए अवसर लागत होगी।
● आसान शब्दों में, यह पहल वस्तु को त्यागकर दसर वस्तु लेने पर पहल वाल वस्तु की कीमत होगी।
● या दसरे शब्दों में, ककसी ववकल्प के शलए चुनाव करते समय जो आप खोते हैं, वह आपके चयन की
अवसर लागत होती है।

क्रमां वस्तु अवसर लागत



1. मफ्
ु त सामान जैसे साफ वाय,ु नह ं
प्रचर स्वच्छ जल आदद

2. आम सामान (प्रचर) नह ं

3. आम सामान (दल
ु भ
ि ) हां

4. रिा में सरकार व्यय हां

5. नागररकों को सरकार मुफ्त हां


सेवाएं

6. साविजननक वस्तुएं जैसे सडक, हां


रे लवे, संरचना आदद

● प्राकृनतक रूप से प्रचर मािा में पाए जाने वाले संसाधनों जैसे मुफ्त अप्रदवर्षत वायु, जल आदद और सभी
आम सामों जैसे चारा भशम, महासागरों इत्यादद के शलए भी अवसर लागत शन्य होती है।
● सरकार व्ययों के शलए अवसर लागत कभी शन्य नह ं होती है क्योकक प्रार्धकरण के पास हमेशा चयन
का ववकल्प होता है।
● इसशलए, ककसी भी चीज को चन
ु े जाने पर, ककसी न ककसी चीज को छोडना ह पडता है। उदाहरण के शलए
यदद सरकार एक पल
ु बनाने का ननणिय लेती है, तो सरकार उस कीमत को सरु िा सनु नजश्चत करने के
शलए अर्धक कमी तैनात करने पर खचि कर सकती थी।
● मफ्
ु त सेवाओं की जस्थनत में , नागररकों/उपभोक्ताओं के शलए, कोई अवसर लागत नह ं होती है क्योंकक
यह सरकार की ओर से उनको द जाती हैं।
उत्पादन संभावना वक्र
● ननजश्चत मािा में संसाधनों और तकनीक के साथ, दो वस्तुओं के समह से उत्पादन के ववशभन्न
संयोजनों को ननरुवपत करके एक उत्पादन संभावना वक्र बनाया जाता है।
● इसे उत्पादन संभावना सीमा अथवा रूपांतरण वक्र भी कहते हैं।
● यह वक्र “उत्पादन का चुनाव” ननधािररत करने में सहायता करता है।
● अतः, वक्र उपलब्ध सभी उत्पादन संभावनाएं प्रदान करता है , जजसमें आर्थिक रूप से सबसे सस्ता और
प्राकृनतक रूप से सबसे सल
ु भ उपागम को चन
ु ा जा सकता है जो लाभ को अर्धकतम बनाए और संबद्ध
जोखखमों को कम करे ।
वक्र पर ववशभन्न त्रबंद ु
त्रबंद ु X संसाधनों के न्यन उपयोग को दशािता है;
त्रबंद ु Y अव्यवहायि ववकल्प को दशािता है जैसे (िमता से बाहर) चयननत संयोजन की गैर-अव्यवहायिता;
जबकक त्रबंद ु A, B और C संसाधनों की पणि उपयोर्गता को दशािते हैं।

यदद उपलब्ध संसाधन तथा तकनीक बढते हैं, वक्र दाएं ओर झुकता है और यदद संसाधन तथा तकनीक घटते हैं,
तो वक्र बाएं ओर झुकता है।

आपनति मांग वक्र:


आपनति वक्र:
● यह अन्य चरों को ननयत रखते हुए, बाजार में आपनति के शलए तैयार ननशमित उत्पाद की मािा और मल्य
के बीच संबंध को प्रदशशित करता है।
● यहां उत्पाद की मािा को िैनतज x अि पर और मल्य को लंबवत y-अि पर ददखाते हैं।
● प्राय: यह सरल रे खा होती है जजसका ढाल बाएं से दाएं होता है जैसा आरे ख में प्रदशशित है। इसका कारण
यह है कक मल्य और उत्पाद की मािा समानुपाती होते हैं, अथाित ् यदद बाजार में ककसी उत्पाद की कीमत
बढती है, तो इसी प्रकार बाजार में इसकी खपत भी बढती है (बढ कीमतें आपनतिकताि को अर्धक
उत्पादन करने के शलए प्रेररत करता है )।
● चरों में पररवतिन के साथ, मांग वक्र ककसी भी ददशा में झक
ु सकता है। यदद यह बाएं तरफ झक
ु ता है , तो
यह बाजार में उत्पाद आपनति की र्गरावट का संकेत दे ता है, यदद यह दाएं तरफ झक
ु ता है तो यह उत्पाद
की कीमत के सापेि उत्पाद आपनति में वद्
ृ र्ध का संकेत दे ता है।
मांग वक्र:
● यह सभी अन्य चरों को ननयत रखते हुए, उपभोक्ता द्वारा मांगे गए उत्पाद की मािा और मल्य के बीच
संबंध को प्रदशशित करता है।
● यह आरे ख में ददखाए गए अनस
ु ार प्राय: बाएं से दाएं झक
ु े ढाल वाल सरल रे खा है।
● इसका कारण यह है कक उत्पाद का मल्य और गुणवत्ता की मांग का आपस में व्युत्क्रम संबंध होता है
अथाित यदद वस्तु का मल्य र्गरता है, तो उसकी मांग बढती है।
● आपनति वक्र के अनुरूप यदद वक्र बाएं तरफ झुकता है , तो यह मांग में र्गरावट दशािता है और यदद वक्र
दाएं तरफ झुकता है, तो यह उत्पाद की मांग में वद्
ृ र्ध को दशािता है।
नीचे ददए गए आरे ख में:
त्रबंद ु O पर, साम्यावस्था मल्य होता है क्योंकक आपनति = मांग।
त्रबंद ु O के ऊपर, चंकक आपनति मांग से अर्धक होती है , तो उत्पाद की कीमत घट जाती है।
त्रबंद ु O से नीचे, चंकक उत्पाद की मांग आपनति से अर्धक है , उत्पाद की कीमत और बढती है।
केनेशसयन शसद्धांत
केनेशसयन अथिशास्ि
● इसे त्रिदटश अथिशास्िी जॉन मेनाडि केन्स द्वारा सन ् 1930 में द गई थी। यह महान मंद को समझने का
एक प्रयास था।
● इसने मांग को बढाने और वैजश्वक अथिव्यवस्था को मंद से बाहर लाने के शलए सरकार व्यय को बढाने
और करों को कम करने का सझ
ु ाव ददया था।
केन्स का रोजगार शसद्धांत
● इस शसद्धांत ने पणि रोजगार की धारणा को नकार ददया और इसके स्थान पर सामान्य जस्थनत के
बजाए ववशेर्ष जस्थनत में पणि रोजगार का सुझाव ददया था।
● इसने कहा था यदद राष्ट्र य आय बढती है , तो रोजगार के स्तर में भी वद्
ृ र्ध होती है और फलत: आय
बढती है।
● इस शसद्धांत के अनुसार, रोजगार का स्तर राष्ट्र य आय पर ननभिर करता है और आउटपुट और रोजगार
के स्तर का ननधािरण करते हुए उत्पादन के कारक अपररवनतित रहते हैं।
लेसेज फेयर शसद्धांत
● यह शसद्धांत व्यवसानयक मामलों में ककसी सरकार हस्तिेप का ववरोध करता है।

ववश्‍
व व्यापार संगिन: संरचना, उद्दे श्य, समझौते, आर्थिक सहायता
पररचय
● WTO एक अंतरािष्ट्‍र य संगिन है, जजसे वर्षि 1995 में मारकेश समझौते के तहत सामान्‍य शल्
ु ‍क एवं
व्‍यापार समझौते (GATT) के स्थान पर स्‍थावपत ककया गया था।
● यह एकमाि वैजश्‍
वक अंतरािष्ट्र
‍ य संगिन है जो राष्ट्‍रों के बीच अंतरािष्ट्‍र य व्यापार से संबंर्धत है।
● इसका मख्
ु यालय जस्वर्टजरलैंड के जजनेवा में जस्‍थत है।
● वतिमान में , ववश्‍
व व्यापार संगिन के 164 सदस्य दे श हैं और भारत ववश्‍
व व्यापार संगिन का संस्थापक
सदस्य है।
● वतिमान में , ववश्‍
व व्यापार संगिन के प्रमुख (महाननदे शक) रॉबटो अजेवेडो हैं।

ववश्‍
व व्यापार संगिन का ववकास
● द्ववतीय ववश्‍
व यद्
ु ध की समाजप्‍त के बाद, आर्थिक, सामाजजक और तकनीकी समस्याओं का मक
ु ाबला
करने में दे शों के बीच सहयोग को आगे बढाने के शलए ववशभन्न अंतरािष्ट्‍र य संगिनों की स्‍थापना की गई
थी।
● सभी दे शों के बीच वैजश्‍
वक अथिव्यवस्था और ननबािध व्यापार के ववकास के शलए, अंतरािष्ट्‍र य व्यापार को
ववननयशमत करने हेतु एक अंतरािष्ट्‍र य संगिन की अत्‍
यंत आवश्यकता महसस की गई।
● वर्षि 1945 में िेटन वुड्स कॉन्फ्रेंस (दो िेटन वुड संस्थानों – अंतरािष्ट्‍र य मुरा कोर्ष और ववश्‍
व बैंक) नामक
एक सम्मेलन अंतरािष्ट्‍र य व्यापार संगिन (ITO) के गिन के शलए आयोजजत ककया गया था, जो अंतत:
अमेररका और कई अन्‍य प्रमुख दे शों से अनुमोदन न शमलने के कारण स्‍थावपत नह ं ककया जा सका।
● चंकक द्ववतीय ववश्‍
व युद्ध के बाद अमेररका ववश्‍
व शजक्‍त बन रहा था, इसशलए अमेररका के त्रबना ITO
का सज
ृ न ननरथिक था।
● इस बीच, समझौता वाताि के माध्यम से, वर्षि 1947 में एक बहुपिीय समझौता संपन्न हुआ जजसे
सामान्‍य शल्
ु ‍क एवं व्‍यापार समझौते (GATT) के नाम से जाना जाता है।
● व्यापार पर प्रनतवाद के शलए ननजश्‍चत समयांतराल पर GATT के ववशभन्न सम्मेलन आयोजजत ककए
गए। अंत में, वर्षि 1986 से 1994 तक आयोजजत उरुग्वे सम्मेलन दौर के दौरान, WTO की स्‍थापना के
समझौते को अंततः मारकेश समझौते के माध्यम से अंगीकृत ककया गया।
● भारत वर्षि 1948 से GATT का सदस्य और ववश्‍
व व्यापार संगिन (WTO) का संस्थापक सदस्य है। चीन
वर्षि 2001 में और रूस वर्षि 2012 में WTO में शाशमल हुए।

ववश्‍
व व्यापार संगिन के उद्दे श्य
● अंतरािष्ट्‍र य व्यापार के शलए ननयम बनाना और उन्‍
हें लाग करना।
● व्यापार उदार करण बढाने में समझौता वाताि और ननगरानी के शलए एक मंच प्रदान करना।
● वववादों के ननपटान के शलए एक मंच प्रदान करना।
● तकनीकी सहयोग और प्रशशिण के माध्यम से ववश्‍
व व्यापार संगिन के ननयमों और अनश
ु ासन को
समायोजजत करने के शलए पारगमन में ववकासशील, अल्‍प ववकशसत और ननम्‍न आय वाले दे शों को
सहायता प्रदान करना।
● वैजश्‍
वक आर्थिक प्रबंधन में शाशमल अन्य प्रमुख आर्थिक संस्थानों (जैसे संयुक्‍त राष्ट्‍र, ववश्‍
व बैंक, IMF
आदद) के साथ सहयोग करना।

ववश्‍
व व्यापार संगिन की संरचना
ववश्‍
व व्यापार संगिन की मल संरचना इस प्रकार है: -
● मंत्रिस्तर य सम्मेलन – यह ववश्‍
व व्यापार संगिन की ननणिय लेने वाल सवोच्च संस्‍था है। इसकी बैिक
आमतौर पर प्रत्‍येक दो वर्षि के बाद होती है। यह ववश्‍
व व्यापार संगिन के सभी सदस्यों को एक मंच पर
लाती है।
● प्रधान पररर्षद (जनरल काउं शसल) – यह सभी सदस्य राष्ट्‍रों के प्रनतननर्धयों से बनी है। यह ववश्‍
व व्यापार
संगिन के ददन-प्रनतददन के व्यवसाय और प्रबंधन के शलए उत्‍तरदायी है।
● अन्य पररर्षद/संस्‍थाएं - गुड्स काउं शसल, सवविस काउं शसल, व्यापार नीनत समीिा संस्‍था, वववाद
ननपटान संस्‍था आदद जैसी कई अन्य संस्‍थाएं हैं जो अन्य ववशशष्ट्‍
ट मुद्दों पर कायि करती हैं।

ववश्‍
व व्यापार संगिन के शसद्धांत
ववश्‍
व व्यापार संगिन के समझौते ननम्नशलखखत प्राथशमक और आधारभत शसद्धांतों पर आधाररत हैं: -
● गैर पिपाती
● मोस्‍ट फेवडि नेशन – सभी राष्ट्‍रों के साथ समान व्यवहार ककया जाना चादहए। कोई भी दे श ककसी अन्य
सदस्य दे श को कोई ववशेर्ष सहायता नह ं दे सकता है। उदाहरण के शलए, यदद एक दे श दसरे दे श के शलए
शल्
ु ‍क कम करता है तो उसे अन्य सभी सदस्य दे शों के शलए भी कम करना होगा।
● सवि-साधारण व्‍यवहार (नेशनल र टमेंट)- सभी उत्पादों के शलए एक समान व्‍यवहार, चाहे वह स्थानीय
हो या ववदे शी। स्थानीय के साथ-साथ अन्य दे शों से आयानतत उत्पादों के साथ उर्चत और समान
व्‍यवहार ककया जाता है।
● पारस्पररकता - ककसी अन्य दे श द्वारा आयात शल्
ु क और अन्य व्यापार बाधाओं को कम करने के बदले
में समान ररयायत प्रदान करना।
● अननवायि और प्रवतिनीय प्रनतबद्धताओं के माध्यम से पवािनुमान – व्यापार की पररजस्‍थनत को जस्थर
और पवािनुमाननत बनाना।
● पारदशशिता – ववश्‍
व व्यापार संगिन के सदस्यों को अपने व्यापार ननयम जार करने और व्यापार
नीनतयों में पररवतिन के शलए ववश्‍
व व्यापार संगिन को सर्चत करने की आवश्यकता होती है।
● ववकास एवं आर्थिक सुधारों को प्रोत्सादहत करना – WTO प्रणाल द्वारा ववकास में योगदान दे ने के शलए
सभी संभव प्रयास ककए जाते हैं।

ववश्‍
व व्यापार संगिन के प्रमख
ु व्यापार समझौते
ववश्‍
व व्यापार संगिन के तहत हुए महत्वपणि व्यापार समझौते इस प्रकार हैं -
● कृवर्ष पर समझौता (AoA),
● बौद्र्धक संपदा अर्धकारों के व्यापार-संबंर्धत पिों पर समझौता (TRIPS),
● स्‍वच्‍छता और पादप स्‍वच्‍छता संबंधी अनुप्रयोगों पर समझौता (SPS),
● व्यापार में तकनीकी बाधाओं पर समझौता (TBT),
● व्यापार-संबद्ध ननवेश उपायों पर समझौता (TRIMS),
● सेवा व्‍यापार पर सामान्य समझौता (GATS) आदद

कृवर्ष पर समझौता (AoA)


● यह समझौता GATT के उरुग्वे दौर के दौरान ककया गया और यह वर्षि 1995 में ववश्‍
व व्यापार संगिन की
स्थापना के साथ संपन्न हुआ।
● AoA के माध्यम से, ववश्‍
व व्यापार संगिन का उद्दे श्य कृवर्ष िेि में एक ननष्ट्पि और बाजार संचाशलत
प्रणाल के साथ व्यापार में सुधार करना है।
● यह समझौता सरकारों को अपनी ग्रामीण अथिव्यवस्थाओं को सहायता प्रदान करने की अनुमनत दे ता है ,
लेककन केवल उन्ह ं नीनतयों को मंजर करता है जो न्‍यनतर व्यापार 'ववकृनतयां' उत्‍पन्‍
न करती हैं।
● इस समझौते ने ननम्नशलखखत तीन कृवर्ष आपनति श्रंख
ृ ला प्रणाल पर सभी सदस्य राष्ट्‍रों की
प्रनतबद्धताएं ननधािररत की हैं: -
1. बाजार पहुंच में सुधार- यह सदस्य राष्ट्‍रों द्वारा ववशभन्न व्यापार बाधाओं को दर करके की जा सकती है।
सदस्‍य राष्ट्‍रों के बीच शल्
ु ‍क ननधािररत करके और समय-समय पर मक्
ु त‍ व्यापार को प्रोत्‍साहन दे कर
अंततः बाजार पहुंच में वद्
ृ र्ध होगी।
2. घरे ल समथिन- यह मल रूप से घरे ल समथिन (सजब्‍सडी) में कमी के शलए प्रेररत करती है जो मक्
ु त‍ व्यापार
और उर्चत कीमतों को कम करती है। यह इस धारणा पर आधाररत है कक सभी सजब्सडी एक ह सीमा
तक व्यापार को अव्‍यवजस्‍थत नह ं करती हैं। इस समझौते के तहत, सजब्सडी को ननम्नशलखखत तीन
बॉक्स में वगीकृत ककया जा सकता है -
● ग्रीन बॉक्स – वे सभी सजब्सडी जो व्यापार को ववकृत नह ं करती हैं या न्यनतम ववरूपण उत्‍पन्‍
न करती
हैं, ग्रीन बॉक्स के अंतगित आती हैं।
उदाहरण- सभी सरकार सेवाएं जैसे अनुसंधान, रोग ननयंिण और अवसंरचना और खाद्य सुरिा।
इसके अलावा, ककसानों को द जाने वाल वे सभी सजब्‍सडी जो अंतरािष्ट्‍र य व्यापार को प्रत्‍यि रूप से
प्रभाववत नह ं करती हैं वे भी ग्रीन बॉक्स के अंतगित आती हैं।

● एम्बर बॉक्स – वे सभी घरे ल सजब्सडी या समथिन जो उत्पादन और व्यापार दोनों को ववकृत कर सकते हैं
(कुछ अपवादों के साथ) एम्बर बॉक्स के अंतगित आती हैं। समथिन मल्य के उपाय इस बॉक्स के अंतगित
आते हैं। इसका अपवाद ववकशसत दे शों के शलए कृवर्ष उत्पादन की 5% और ववकासशील दे शों के शलए
कृवर्ष उत्‍पादन की 10% तक की सजब्सडी स्वीकार करने का प्रावधान है।

● ब्ल बॉक्स – वे सभी एम्बर बॉक्स सजब्सडी जो उत्पादन को सीशमत करते हैं, ब्ल बॉक्स के अंतगित आती
है। इसे त्रबना सीमा के तब तक बढाया जा सकता है जब तक सजब्सडी उत्पादन-प्रनतबंधक योजनाओं से
जड
ु ी हो।

3. ननयाित सजब्सडी – वे सभी सजब्सडी जो कृवर्ष उत्पादों के ननयाित को सस्ता बनाती हैं, ननयाित सजब्सडी
कहलाती हैं। इन्हें मल रूप से व्यापार-ववकृत प्रभाव माना जाता है। यह समझौता सदस्य राष्ट्‍रों द्वारा
कृवर्ष उत्पादों के शलए ननयाित सजब्सडी के उपयोग पर प्रनतबंध लगाता है।

प्रधानमंिी गर ब कल्याण योजना


प्रधानमंिी गर ब कल्याण योजना क्या है?
● प्रधानमंिी गर ब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) को मल रूप से 2015 में पीएम नरें र मोद द्वारा
गर बी की समस्या को कम करने के उद्दे श्य से बनाई गई योजना के रूप में शुरू ककया गया था।
● हालांकक, काले धन के प्रसार पर अंकुश लगाने के शलए सरकार द्वारा हाल ह में शरू
ु ककए गए
ववमुर करण अशभयान के साथ, मौजदा आयकर ववधेयक में एक संशोधन ककया गया है और प्रधानमंिी
गर ब कल्याण योजना को कराधान कानन (दसरा संशोधन) अर्धननयम, 2016 का दहस्सा बनाया गया
है।
प्रमुख घोर्षणाएं:
● ‘कोववड-19’ से लडने वाले प्रत्‍येक स्वास््य कमी को बीमा योजना के तहत 50 लाख रुपये का बीमा कवर
प्रदान ककया जाएगा
● 80 करोड गर बों को अगले तीन मह ने तक हर माह 5 ककलो गेहं या चावल और पसंद की 1 ककलो दालें
मफ्
ु त में शमलेंगी
● 20 करोड मदहला जन धन खाता धारकों को अगले तीन मह ने तक हर माह 500 रुपये शमलेंगे
● मनरे गा के तहत मजदर को 182 रुपये से बढाकर 202 रुपये प्रनत ददन कर ददया गया है, 62 करोड
पररवार लाभाजन्वत होंगे
● 3 करोड गर ब वररष्ट्ि नागररकों, गर ब ववधवाओं और गर ब ददव्‍यांगजनों को 1,000 रुपये की अनुग्रह
राशश द जाएगी
● सरकार वतिमान ‘पीएम ककसान योजना’ के तहत अप्रैल के पहले सप्ताह में ककसानों के खाते में 2,000
रुपये डालेगी, 7 करोड ककसान लाभाजन्वत होंगे
● केंर सरकार ने ननमािण श्रशमकों को राहत दे ने के शलए राज्य सरकारों को ‘भवन और ननमािण श्रशमक
कल्याण कोर्ष’ का उपयोग करने के आदे श ददए हैं

ऑपरे शन फ्लड:

1970 में, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोडड (NDDB) ने "ऑपरे शन फ्लड" शुरू ककया, जो भारत दनु नया का
सबसे बडा दध
ू उत्पादक बन गया। इस कायडक्रम की अपार सफलता के कारण इसे "श्िेत क्राांनत"
करार ददया गया। डॉ कुररयन, जजन्हें आमतौर पर "श्िेत क्राांनत के जनक" के रूप में जाना जाता है ,
इस सफल प्रयास के प्रमुख िास्तुकार थे।

श्री कुररयन ने स्िेच्छा से 1949 में एक डेयरी इांजीननयर के रूप में एक सरकारी पद छोड ददया और
कैरा जजला सहकारी दग्ु ध उत्पादक सांघ (केडीसीएमपीयए
ू ल) में शाममल हो गए, जजसे आज अमल
ू के
नाम से जाना जाता है।

तब से कुररयन ने इस सांगठन को भारत के सबसे बडे और सबसे सफल सांस्थानों में से एक के रूप
में विकमसत ककया है। अमूल सहकारी मॉडल इतना सफल था कक 1965 में, तत्कालीन भारतीय प्रधान
मांत्री श्री लाल बहादरु शास्त्री ने कुररयन के "असाधारण और जोरदार नेतत्ृ ि" की प्रशांसा करते हुए
इसे पूरे दे श में दोहराने के मलए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोडड (NDDB) की स्थापना की।

ऑपरे शन फ्लड:
ऑपरे शन फ्लड तीन चरणों में पूरा हुआ:

प्रथम चरण (1970-79):- इस चरण के दौरान, मुांबई, ददल्ली, चेन्नई और कोलकाता के चार महानगरों
में उपभोक्ताओां को दे श के 18 प्राथममक दग्ु धशालाओां से जोडा गया। इस फेज में कुल 116 करोड
रुपये खचड हुए। मुख्य लक्ष्य दध
ू बाजार पर ननयांत्रण हामसल करना और ग्रामीण क्षेत्रों में डेयरी पशुओां
के विकास में तेजी लाना था।

द्वित्य चरण (1981-1985): - ममल्क शेड को 18 से बढाकर 136 कर ददया गया और दध


ू के आउटलेट
को 290 महानगरीय बाजारों में विस्ताररत ककया गया। 1985 के अांत तक, 42.5 लाख दग्ु ध उत्पादकों
के साथ 43000 ग्राम सहकारी सममनतयों को किर ककया गया था, जजसके पररणामस्िरूप यह एक
आत्मननभडर प्रणाली बन गई थी। 1989 तक, घरे लू दध
ू पाउडर का उत्पादन 22,000 से बढकर 140,000
टन हो गया था।

त्रित्य चरण (1985-1996): - डेयरी सहकारी सममनतयाां दध


ू की बढती मात्रा को खरीदने और बाजार में
बेचने के मलए आिश्यक बनु नयादी ढाांचे को विकमसत करने में सक्षम थीां। सहकारी सदस्यों के पास
अब पशु चचककत्सा, प्राथममक चचककत्सा, स्िास््य दे खभाल, फीड और कृत्रत्रम गभाडधान सेिाओां के
साथ-साथ बढी हुई सदस्य मशक्षा तक पहुांच है । दस
ू रे चरण के दौरान, पहले से मौजूद 42,000
सममनतयों में 30,000 नई डेयरी सहकारी सममनतयों को जोडने का ननणडय मलया गया। 1988-89 में ,
मदहला सदस्यों और मदहला डेयरी सहकारी सममनतयों की सांख्या में नाटकीय रूप से विस्तार होने के
साथ, दग्ु धशालाओां की सांख्या 173 के उच्च स्तर पर पहुांच गई।

अमूल:

("अनमोल")। सांस्कृत "अमूल्य" से व्युत्पन्न डेयरी सहकारी "अमूल" की स्थापना 1946 में हुई थी।
यह गुजरात को-ऑपरे दटि ममल्क माकेदटांग फेडरे शन मलममटे ड (GCMMF) द्िारा ननयांत्रत्रत एक ब्ाांड
नाम है, जो 2.8 मममलयन ककसानों द्िारा ननयांत्रत्रत एक शीर्ड सहकारी सांगठन है। श्िेत क्राांनत के मलए
अमल
ू एक आदशड मॉडल था। एनडीडीबी का परू ा कायडक्रम इसी डेयरी बोडड की सफलता पर आधाररत
था। दे श की श्िेत क्राांनत लाने में त्रत्रस्तरीय 'अमूल मॉडल' महत्िपूणड था।

श्िेत क्ाांतत की उपलब्धियाां

• इसने दध
ू उत्पादन में भारत के अभूतपूिड विकास को सक्षम बनाया है , जो केिल 40 िर्ों में 20
मममलयन मीदरक टन से बढकर 100 मममलयन मीदरक टन हो गया है। नतीजतन, भारत आज दनु नया
का सबसे बडा दध
ू उत्पादक दे श बन गया है ।
• डेयरी सहकारी आांदोलन ने भारतीय डेयरी उत्पादकों को और अचधक पशुओां को रखने के मलए
प्रेररत ककया है , जजसके पररणामस्िरूप दनु नया की सबसे बडी मिेशी और भैंस की आबादी 500
मममलयन है।

• 22 राज्यों के 180 जजलों में 125,000 से अचधक समुदाय डेयरी सहकारी आांदोलन में शाममल हो
गए हैं।

• जजला और राज्य स्तरों पर एक अच्छी तरह से विकमसत खरीद प्रणाली और समचथडत सांघीय ढाांचे
के कारण, आांदोलन प्रभािी रहा है।

ममश्रित अथथव्यिस्था का विकास: सािथजतनक और तनजी

भारत के विकास की प्रकक्रया में ममचश्रत अथडव्यिस्था को चुनने का ननणडय अटूट रूप से जुडा हुआ
है। ममचश्रत अथडव्यिस्था मॉडल भारत के मलए सबसे अच्छा विकल्प है या नहीां, इस पर सामाजजक
िैज्ञाननकों के बीच कभी भी आम सहमनत नहीां बनी और आम सहमनत का यह अभाि आज भी
जारी है।

ममचश्रत अथडव्यिस्था में , सािडजननक और ननजी क्षेत्रों को एक साथ काम करने पर सहमती बनती है।
यह बाजार तांत्र को स्ितांत्र रूप से चलने से रोकता है , और सरकार ननजी क्षेत्र में इस तरह से
हस्तक्षेप करती है या ननयांत्रत्रत करती है कक दोनों क्षेत्र परस्पर एक दस
ू रे को सुदृढ करते हैं। ममचश्रत
अथडव्यिस्था में व्यजक्तगत पहल और सामाजजक दहतों को समेटा जा सकता है।

यह पूांजीिाद और समाजिाद का ममश्रण है , इसमलए हमे दोनों के बारे में जानना चादहए।

पूांजीिाद:

पांज
ू ीिाद को एक आचथडक प्रणाली के रूप में पररभावर्त ककया गया है जो एक बाजार अथडव्यिस्था,
लाभ के मकसद और ननजी स्िाममत्ि के साथ व्यजक्तगत पहल पर जोर दे ती है। उत्पादन के सभी
साधन, जजसमें खेत, कारखाने, खदानें और पररिहन शाममल हैं, पूांजीिाद के तहत ननजी व्यजक्तयों और
व्यिसायों के स्िाममत्ि और ननयांत्रण में होते हैं। इन औद्योचगक सांपवियों के मामलक ननजी लाभ
उत्पन्न करने के मलए उनका उपयोग करने के मलए स्ितांत्र हैं क्योंकक िे उपयुक्त समझते हैं। राज्य
या सरकार लोगों की आचथडक गनतविचधयों में सबसे छोटी भूममका ननभाती है । सरकार केिल रक्षा,
विदे शी मामलों, मुद्रा और मसक्का और कुछ महत्िपूणड मसविल कायों जैसे सडकों और पुलों के ननमाडण
जैसे मामलों को दे खती है क्योंकक ननजी व्यजक्तयों को ऐसे कायों को करने में लाभ नहीां ममल सकता
है।

पांज
ू ीिाद की विशेषताएां

1) ननजी सांपवि का अचधकार

2) उद्यम की स्ितांत्रता: ककसी भी व्यिसाय या उद्यम में कोई प्रनतबांध नहीां

3) प्रॉकफट मोदटि

4) प्रनतयोचगता

5) उपभोक्ता सांप्रभुता

6) मल्
ू य प्रणाली

7) आय का असमान वितरण

समाजिाद

"समाजिाद एक आचथडक सांगठन है जजसमें उत्पादन के भौनतक साधनों पर एक सामान्य आचथडक


योजना के अनुसार पूरे समुदाय का स्िाममत्ि होता है , जजसमें सभी सदस्य समान अचधकारों के
आधार पर इस तरह के सामाजजक ननयोजजत उत्पादन से लाभ पाने के हकदार होते हैं; दस
ू री ओर
लोकताांत्रत्रक समाजिाद हाथ, कम से कम "उत्पादन के रणनीनतक रूप से महत्िपूणड भौनतक साधनों"
के सािडजननक स्िाममत्ि द्िारा पररभावर्त ककया गया है।

ममश्रित अथथव्यिस्था की मुख्य विशेषताएां:


पूांजीिाद और समाजिाद के दो चरम सीमाओां के बीच, आइए ममचश्रत अथडव्यिस्था को कायाडत्मक
शब्दों में पररभावर्त करें ।

o यह बाजार अथडव्यिस्था और समाजिाद तांत्र के बीच सांतल


ु न है ;

० इसमें सािडजननक क्षेत्र और ननजी क्षेत्र की सीमाओां का स्पष्ट्ट सीमाांकन ककया गया है ताकक 'मुख्य
क्षेत्र और रणनीनतक क्षेत्र सािडजननक क्षेत्र में अननिायड रूप से हों;

o जबकक लाभ का उद्दे श्य ननजी क्षेत्र में ननणडय लेने को प्रभावित करता है , सािडजननक क्षेत्र में ननिेश
ननणडयों के मलए आचथडक व्यिहायडता मानदां ड सामाजजक लागत-लाभ विश्लेर्ण पर आधाररत है ;

o सािडजननक क्षेत्र, ननजी क्षेत्र, सांयुक्त क्षेत्र और सहकारी क्षेत्र के बीच उत्पादन के साधनों का स्िाममत्ि
इस प्रकार तय ककया जाता है कक व्यजक्तगत और सामाजजक प्रोत्साहन और अनुभागीय और
सामान्य दहतों के बीच सांतल
ु न हो;

० व्यािसानयक स्ितांत्रता और उपभोक्ताओां की पसांद की स्ितांत्रता है ;

o सरकार आचथडक शजक्त के अनुचचत सांकेंद्रण और एकाचधकार और प्रनतबांधात्मक व्यापार प्रथाओां को


रोकने के मलए हस्तक्षेप करती है ;

o सरकार सािडजननक वितरण प्रणाली, गरीबी उन्मूलन कायडक्रमों आदद के माध्यम से समाज के
कमजोर िगों के उपभोग स्तर और उद्दे श्यों की दे खभाल करने का प्रयास करती है ;

o समानता, रोजगार, सांतुमलत क्षेत्रीय विकास, पररिार कल्याण के सामाजजक उद्दे श्यों पर बल ददया
जाता है ;

समाजिाद की सैद्धाांनतक कठोरता से बचा जाता है और आचथडक विकास को बढािा दे ने के मलए


ननणडय लेने के मलए एक व्यािहाररक दृजष्ट्टकोण अपनाया जाता है , ममचश्रत अथडव्यिस्था केिल एक
आचथडक अिधारणा नहीां है और व्यजक्त के अचधकारों का सम्मान और सांरक्षण केिल सािडजननक
कानून की आिश्यकताओां के अधीन होता है और आदे श और नैनतकता।

प्रथम पांचिर्ीय योजना के प्रारां भ में ही, भारतीय नीनत ननमाडताओां ने ननणडय मलया कक राज्य को न
केिल बनु नयादी सवु िधाओां और सामाजजक उपररव्यय प्रदान करने की जजम्मेदारी लेनी चादहए, बजल्क
प्रत्यक्ष प्रचार कायड भी करना चादहए। यह माना गया कक सरकार को औद्योचगक क्षेत्र में हस्तक्षेप
करना चादहए और तदनुसार बुननयादी और सामररक उद्योगों के विकास को सािडजननक क्षेत्र के मलए
ननधाडररत ककया गया था। यह भी माना गया कक दे श के आचथडक विकास का कायड इतना बडा था कक
इष्ट्टतम विकास के मलए ननजी और सािडजननक दोनों क्षेत्रों की पहल का उपयोग करना पडा।

औद्योश्रिक नीतत सांकल्प, 1956 की घोर्णा के साथ ममचश्रत अथडव्यिस्था की अिधारणा को एक


ननजश्चत आकार और नीनत ददशा प्रदान की गई। इससे पहले भी, 1948 के औद्योचगक नीनत प्रस्ताि
में ननजी और सािडजननक दोनों क्षेत्रों के साथ ममचश्रत अथडव्यिस्था स्थावपत करने की माांग की गई
थी, सभी उद्योगों को विननयममत करने के मलए सरकारी हाथों में ननयांत्रण बढाना।

औद्योचगक नीनत के दो मुख्य साधन थे, उद्योग (विकास और विननयमन) अचधननयम 1951 और
कांपनी अचधननयम 1956। इन दो अचधननयमों ने सरकार को लाइसेंस प्रकक्रया के माध्यम से, प्रमुख
उद्योगों के स्थान, उत्पादन और विस्तार को विननयममत करने की शजक्त प्रदान की। दे श।

औद्योश्रिक नीतत सांकल्प, 1956 - भारतीय राष्ट्रीय काांग्रेस के अिादी सांकल्प ने सरकार की आचथडक
और औद्योचगक नीनत के उद्दे श्य के रूप में समाज के एक समाजिादी पैटनड की स्थापना की
घोर्णा की।

अनुसूची A: िे उद्योग जो राज्य की एकमात्र जजम्मेदारी थी। इस सूची में 17 उद्योग शाममल थे -
हचथयार और गोला-बारूद, परमाणु ऊजाड, लोहा और इस्पात, खनन के मलए आिश्यक भारी मशीनरी
आदद।

अनस
ु च
ू ी B: सच
ू ी में लगभग एक दजडन उद्योग थे, जहााँ राज्य नई इकाइयााँ स्थावपत कर सकता था
या मौजूदा इकाइयों का उिरोिर राष्ट्रीयकरण ककया जा सकता था।

अनुसूची C: उद्योग जो ननजी क्षेत्र के हाथों में होंगे और सरकार की सामाजजक और आचथडक नीनत
के अधीन होंगे।

औद्योश्रिक नीतत सांकल्प, 1977: 1977 की नई औद्योचगक नीनत ने 1956 के बारे में कहा "बेरोजगारी
बढी है, ग्रामीण-शहरी असांतल
ु न गहराया है , और िास्तविक ननिेश की गनत ठप हो गई है ," ।
औद्योचगक उत्पादन की औसत िावर्डक िद्
ृ चध दर तीन से चार प्रनतशत के बीच रही है ।

• नई नीनत में लघु क्षेत्र, कुटीर और घरे लू उद्योग और लघु क्षेत्र के विकास पर ध्यान केंदद्रत ककया
गया।
• इसमें आगे बडे औद्योचगक घरानों के विस्तार के खखलाफ एकाचधकार और प्रनतबांधात्मक व्यापार
व्यिहार अचधननयम के प्रािधानों का उपयोग करने का प्रािधान है।

• सािडजननक क्षेत्र का उपयोग बनु नयादी प्रकृनत के रणनीनतक सामान उपलब्ध कराने और आिश्यक
िस्तुओां की आपूनतड बनाए रखने के मलए भी ककया जाना था

औद्योश्रिक नीतत 1980: इसने औद्योचगक नीनत, 1956 की घोर्णाओां को दोहराया जजसमें रचनात्मक
लचीलेपन का गुण ददखाया गया था। दे श में आचथडक बुननयादी ढाांचे के स्तांभों को ऊपर उठाने का
कायड सािडजननक क्षेत्र को इसकी अचधक विश्िसनीयता के कारणों के मलए सौंपा गया था। नीनत में
स्थावपत क्षमता के इष्ट्टतम उपयोग, सांतुमलत क्षेत्रीय विकास, कृवर्-आधाररत, ननयाडतोन्मुख उद्योगों
और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी लेककन बढती औद्योचगक इकाइयों पर ननिेश के समान प्रसार
द्िारा "आचथडक सांघिाद" को बढािा दे ने को प्राथममकता दी गई।

1991 के बाद सुिार: LPG सुिार

भारत में एलपीजी सुधार भारत के आचथडक विकास के मलए एक बहुत ही महत्िपूणड कदम था। यह
विर्य यूपीएससी प्रारां मभक और मुख्य के मलए महत्िपूणड है ।

स्ितांत्रता के बाद से, भारत ने समाजिादी आचथडक प्रणाली के साथ पूांजीिादी आचथडक प्रणाली के लाभों
को सांयक्
ु त करके ममचश्रत अथडव्यिस्था ढाांचे का अनस
ु रण ककया है । िर्ड 1991 में , भारत अपने बाहरी
ऋण से सांबांचधत एक आचथडक सांकट से ननपटा था- सरकार विदे शों से अपने ऋण का पन
ु भग
ुड तान
करने में सक्षम नहीां थी क्योंकक विदे शी मद्र
ु ा भांडार समाप्त हो गया था। आिश्यक िस्तओ
ु ां की बढती
कीमतों से सांकट ओर बढ गया था। इन सभी ने सरकार को नीनतगत उपायों का एक नया सेट पेश
करने हे तु प्रेररत ककया, जजसने हमारी विकास रणनीनतयों की ददशा बदल दी।

अब, हम सांकट की पष्ट्ृ ठभूमम, सरकार द्िारा अपनाए गए उपायों और अथडव्यिस्था के विमभन्न क्षेत्रों
पर उनके प्रभािों पर एक नज़र डालते हैं।

सांकट की पष्ृ ठभूमम:

• 1980 के दशक में भारतीय अथडव्यिस्था का अक्षम प्रबांधन था। भारत ने कृवर् आधाररत अथडव्यिस्था
होने के कारण अन्य क्षेत्रों जैसे उद्योग, बैंककां ग, बीमा, विदे श व्यापार आदद की उपेक्षा की थी।
• जब आय से अचधक व्यय होता है तो सरकार, बैंकों से और दे श के भीतर और अांतराडष्ट्रीय वििीय
सांस्थानों से घाटे का वििपोर्ण करने के मलए ऋण लेती है ।
• राजस्ि बहुत कम होने पर भी विकास नीनतयों की आिश्यकता थी, सरकार को बेरोजगारी, गरीबी और
जनसांख्या विस्फोट जैसी चन
ु ौनतयों का सामना करने के मलए अपने राजस्ि को बढाना पडा था।
• सरकार के विकास कायडक्रमों पर ननरां तर खचड करने से अनतररक्त राजस्ि नहीां उत्पन्न होगा।
• इसके अनतररक्त, सरकार कराधान जैसे आांतररक स्रोतों से पयाडप्त रूप से राजस्ि उत्पन्न करने में
सक्षम नहीां थी।
• बढते खचड को पूरा करने के मलए सािडजननक क्षेत्र के उपक्रमों से प्राप्त आय भी बहुत अचधक नहीां थी।
• अन्य दे शों और अांतराडष्ट्रीय वििीय सांस्थानों से उधार मलया गया विदे शी विननमय, उपभोग की
आिश्यक्ताओां को पूरा करने पर खचड ककया जाता था।
• इसके अनतररक्त, बढते आयातों का भुगतान करने के मलए ननयाडत को बढािा दे ने पर पयाडप्त रूप से
ध्यान नहीां ददया गया था।
• 1980 के दशक के अांत में , सरकारी व्यय अपने राजस्ि से इतने बडे माजजडन से अचधक होने लगे थे
जजससे कक ऋण के माध्यम से खचड को पूरा करना अजस्थर हो गया था।
o कई आिश्यक िस्तओ
ु ां की कीमतें तेजी से बढ गईं थी।
o ननयाडत की िद्ृ चध के ममलान के त्रबना आयात बहुत अचधक दर से बढ रहा था।
o विदे शी मद्र
ु ा भांडार, उस स्तर तक चगर गया था, जो दो सप्ताह से अचधक के मलए आयात को
वित्तपोवर्त करने हे तु पयाडप्त नहीां था।

भारत ने अांतराडष्ट्रीय पुनननडमाडण एिां विकास (आई.बी.आर.डी.) से सांपकड ककया था, जजसे लोकवप्रय रूप
से विश्ि बैंक और अांतराडष्ट्रीय मुद्रा कोर् (आई.एम.एफ.) के रूप में जाना जाता है और इस सांकट का
प्रबांधन करने के मलए ऋण के रूप में 7 त्रबमलयन डॉलर का ऋण प्राप्त हुआ था। ऋण का लाभ
उठाने के मलए, भारत ने विश्ि बैंक और आई.एम.एफ. की शतों पर सहमनत व्यक्त की थी और नई
आचथडक नीनत (एन.ई.पी.) की घोर्णा की थी।
नीनतयों के इस समूह को व्यापक रूप से दो समूहों में िगीकृत ककया जा सकता है , जो कक
जस्थरीकरण उपाय और सांरचनात्मक सध
ु ार उपाय हैं।

ब्स्थरीकरण उपाय, एक अल्पकामलक उपाय हैं, जजसका उद्दे श्य उन कुछ कमजोररयों को दरू करना है
जो भुगतान के बैलेंस में विकमसत हुई हैं और मुद्रास्फीनत को ननयांत्रण में लाना है । सरल शब्दों में ,
इसका अथड पयाडप्त विदे शी मुद्रा भांडार बनाए रखना और बढती कीमतों को ननयांत्रण में रखने की
आिश्यकता था।

सांरचनात्मक सि
ु ार नीततयाां, एक दीघडकामलक उपाय हैं, जजसका उद्दे श्य भारतीय अथडव्यिस्था के
विमभन्न क्षेत्रों में व्याप्त कुरीनतयों को दरू करके अथडव्यिस्था की दक्षता में सध
ु ार करना और इसकी
अांतराडष्ट्रीय प्रनतस्पधाड को बढाना है । सरकार ने विमभन्न नीनतयों की शुरुआत की है, जो तीन प्रमुखों-
उदारीकरण, ननजीकरण और िैश्िीकरण के अांतगडत आती हैं।

उदारीकरण

हालाांकक 1980 के दशक में औद्योचगक लाइसेंसीकरण, ननयाडत-आयात नीनत, प्रौद्योचगकी उन्नयन,
राजकोर्ीय नीनत और विदे शी ननिेश के क्षेत्रों में कुछ उदारीकरण उपायों को शरू
ु करके ककए गए थे,
1991 में शरू
ु की गई सध
ु ार नीनतयाां अचधक व्यापक बन गईं थीां।

भारत में , वितनयामक तांिों को विमभन्न तरीकों से लािू ककया िया था:
• औद्योचगक लाइसेंसीकरण, जजसके अांतगडत प्रत्येक उद्यमी को एक फमड शुरू करने, एक फमड को बांद
करने या उत्पाददत होने िाली िस्तुओां की मात्रा तय करने के मलए सरकारी अचधकाररयों से अनुमनत
लेनी होती थी।
• कई उद्योगों में ननजी क्षेत्र की अनुमनत नहीां थी।
• कुछ उत्पादों का उत्पादन केिल लघु उद्योगों में ककया जा सकता था और
• चयननत औद्योचगक उत्पादों के मूल्य ननधाडरण और वितरण पर ननयांत्रण करना

1. डीलाइसेंमसांि: लाइसेंस राज का अांत

1991 और उसके बाद शुरू की गई सुधार नीनतयों ने इनमें से कई प्रनतबांधों को हटा ददया था।
औद्योचगक लाइसेंसीकरण को लगभग सभी उत्पादों से हटा ददया गया था लेककन कुछ उत्पाद
श्रेखणयों जैसे शराब, मसगरे ट, खतरनाक रसायनों, औद्योचगक विस्फोटकों, इलेक्रॉननक्स, एयरोस्पेस और
दिा और फामाडस्यूदटकल्स के मलए समाप्त कर ददया गया था।

डडलाइसेंमसांि और िैर-आरक्षण छूट सूची

2. िैर-आरक्षण

केिल ऐसे उद्योग जो अब सािडजननक क्षेत्र के मलए आरक्षक्षत हैं, िे रक्षा उपकरण, अांतररक्ष, परमाणु
ऊजाड उत्पादन, रे लिे पररिहन, दल
ु भ
ड खननजों के खनन आदद का एक दहस्सा हैं, छोटे स्तर के उद्योगों
द्िारा उत्पाददत कई उत्पाद अब गैर-आरक्षक्षत हो गए हैं। कई उद्योगों में , बाजार को कीमतें ननधाडररत
करने की अनम
ु नत दी गई है ।

3. अतनयांिण

सरकार द्िारा ककए गए िस्तुओां के मूल्य ननधाडरण को केिल ननम्न सूची में मौजूद महत्िपूणड
िस्तुओां के मलए प्रनतबांचधत ककया गया था।

4. अवितनयमन

उपयक्
ुड त तामलका में सूचीबद्ध के रूप में अन्य सभी अनतररक्त प्रनतबांध हटा ददए गए थे।

तनजीकरण

इसका तात्पयड ककसी सरकारी स्िाममत्ि िाले उद्यम के स्िाममत्ि या प्रबांधन से है। सरकारी कांपननयों
को ननजी कांपननयों में बदलने के दो तरीके हैं, (i) सािडजननक क्षेत्र की कांपननयों के स्िाममत्ि और
प्रबांधन से सरकार की ननकासी करके (i) ननजी कांपननयों की प्रत्यक्ष त्रबक्री करके हैं।
गैर-आरक्षण के प्रािधानों के अनुसार, सरकार को केिल कुछ क्षेत्रों के मलए अपनी भूममका को सीममत
करना था और अन्य सभी क्षेत्रों के मलए, ननजी खखलाडडयों की ननशुल्क भागीदारी की जगह बनानी
होगी।

पी.एस.ई. की इजक्िटी के दहस्से को जनता को बेचकर सािडजननक क्षेत्र के उद्यमों का


सािडजननकीकरण करना विननिेश कहलाता है । सरकार के अनस
ु ार, त्रबक्री का उद्दे श्य मख्
ु य रूप से
वििीय अनश
ु ासन में सध
ु ार करना और आधनु नकीकरण की सवु िधा प्रदान करना था।
सरकार की पररकल्पना थी कक ननजीकरण, एफ.डी.आई. के अांतप्रडिाह को मजबूत गनत प्रदान कर
सकता है। सरकार ने प्रबांधकीय ननणडय लेने में स्िायिता प्रदान करके पी.एस.य.ू की दक्षता में सध
ु ार
के प्रयास भी ककए हैं। उदाहरण के मलए, कुछ पी.एस.य.ू को महारत्न, निरत्न और ममनीरत्न के रूप
में विशेर् दजाड प्रदान ककया गया है।

आश्रथथक सुिारों के प्रभाि

सुधार प्रकक्रया ने तीन दशक पूरे कर मलए हैं। आइए अब इस अिचध के दौरान भारतीय अथडव्यिस्था
के प्रदशडन को दे खते हैं।
• 1991 के बाद के भारत ने लगातार दो दशकों तक ननरां तर आधार पर जी.डी.पी. में तीव्र िद्
ृ चध दे खी
है । जी.डी.पी. की िद्
ृ चध 1990-91 के दौरान 6 प्रनतशत से बढकर 2017-18 के दौरान 7.2 प्रनतशत हो गई
थी।
• सुधार की अिचध के दौरान, कृवर् की िद्
ृ चध में चगरािट आई है । कृवर् क्षेत्र में सािडजननक ननिेश, विशेर्
रूप से बनु नयादी ढाांचे में ननिेश इस अिचध के दौरान कम हो गया था, जजसमें मसांचाई, त्रबजली, सडक,
बाजार सांपकड और अनुसांधान और विस्तार (जजसने हररत क्राांनत में महत्िपण
ू ड भूममका ननभाई है )
शाममल हैं। खाद्य अनाज के उत्पादन के बदले नकदी फसलों पर ध्यान केंदद्रत करने के मलए ननयाडत
बाजार हे तु उत्पादन की ददशा में घरे लू बाजार के मलए उत्पादन में बदलाि ककया गया है । इससे
खाद्यान्न की कीमतों पर दबाि पड गया है ।
• जबकक औद्योचगक क्षेत्र में उतार-चढाि की दजड ककया गया है , जब कक सेिा क्षेत्र की िद्
ृ चध हुई है ।
औद्योचगक विकास ने भी मांदी दजड की गई है । इसका कारण औद्योचगक उत्पादों की माांग में कमी है
जो कक विमभन्न कारणों जैसे सस्ता आयात, बनु नयादी ढाांचे में अपयाडप्त ननिेश आदद के कारण है ।
इसके अनतररक्त, भारत जैसे विकासशील दे श अभी भी उच्च टै ररफ बाधाओां के कारण विकमसत दे शों
के बाजारों तक पहुांच प्राप्त नहीां कर सके हैं।
• विदे शी ननिेश, जजसमें प्रत्यक्ष विदे शी ननिेश (एफ.डी.आई.) और विदे शी सांस्थागत ननिेश
(एफ.आई.आई.) शाममल हैं, यह 1990-91 में लगभग 100 मममलयन अमेररकी डॉलर से बढकर 2017-18
में 30 त्रबमलयन अमेररकी हो गया है ।
• 1990-91 में लगभग 6 त्रबमलयन अमेररकी डॉलर से 2018-19 में 413 त्रबमलयन अमेररकी डॉलर के विदे शी
मुद्रा भांडार में िद्
ृ चध हुई है ।
• आचथडक सध ु ारों ने सािडजननक व्यय की िद्
ृ चध पर विशेर्कर सामाजजक क्षेत्रों पर सीमाएां लगा दी हैं।

उदारीकरण और ननजीकरण नीनतयों के माध्यम से िैश्िीकरण की प्रकक्रया ने सकारात्मक के साथ ही


नकारात्मक पररणामों का उत्पादन ककया है। इसने िैजश्िक बाजारों, उच्च प्रौद्योचगकी तक अचधक
पहुांच प्रदान की है और अांतराडष्ट्रीय क्षेत्र में महत्िपूणड खखलाडी बनने के मलए विकासशील दे शों के बडे
उद्योगों की सांभािना को बढा ददया है। भारतीय सांदभड से दे खने पर कुछ अध्ययनों ने कहा है कक
1990 के दशक की शुरुआत में जो सांकट पैदा हुआ था, िह मल
ू रूप से भारतीय समाज में गहरी जडों
िाली असमानताओां का पररणाम है और सरकार द्िारा सांकट की प्रनतकक्रया के रूप में आचथडक सुधार
नीनतयों को शरू
ु ककया गया था, इसके अनतररक्त आगे असमानताओां को दे खते हुए नीनत पैकेज की
सलाह दी गई है। इसके अनतररक्त, इसने केिल उच्च आय िाले समह
ू ों की खपत की आय और
गण
ु ििा में िद्
ृ चध की है और कृवर् और उद्योग जैसे महत्िपण
ू ड क्षेत्रों के बजाय विकास केिल सेिा
क्षेत्र के कुछ चुननांदा क्षेत्रों जैसे कक दरू सांचार, सच
ू ना प्रौद्योचगकी, विि, मनोरां जन, यात्रा और आनत्य
सेिाओां, अचल सांपवि और व्यापार पर केंदद्रत है। जो दे श के लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करते
हैं।
हररत क्राांनत

हररत क्ाांतत क्या है?

नॉमथन ई. बोरलॉि, नोबल पुरस्कार विजेता, और एक अमेररकी कृवर्विज्ञानी, जजन्होंने विश्ि भर में इस
प्रेरणा का नेतत्ृ ि ककया जजसने कृवर् उत्पादन में व्यापक िद्
ृ चध में योगदान ददया। उन्होंने ही हररत
क्राांनत की सांज्ञा दी। इस प्रकार, उन्हें हररत क्राांनत का जनक कहा जाता है।

हररत क्राांनत को आधुननक तरीकों और तकनीकों के उपयोग के साथ खाद्यान्नों के उत्पादन में असामान्य
िद्
ृ चध प्राप्त करने की एक प्रकक्रया के रूप में पररभावर्त ककया जा सकता है। दस
ू रे शब्दों में , इसका अथड है
प्रनत इकाई भमू म की उच्च उत्पादकता या खाद्यान्न की बहुविध आित
ृ प्राप्त करना।

भारत में हररत क्ाांतत को अपनाने के मलए कौन से कारक उत्तरदायी थे?

हररत क्राांनत से पहले, भारत को खाद्य उत्पादन में काफी कदठनाइयों का सामना करना पडा था:

• तनयममत अकाल: 1964-65 और 1965-66 में , भारत ने दो विकट के अकालों (सूख)े का अनुभि ककया
जजसके कारण भोजन का अभाि हो गया।
• सांस्थाित वित्त का अभाि: सीमाांत ककसानों को सरकार और बैंकों से ककफायती दरों पर विि एिां ऋण
प्राप्त करना बहुत मजु श्कल था।
• कम उत्पादकता: भारत की पारां पररक कृवर् पद्धनतयों ने अपयाडप्त खाद्य उत्पादन प्राप्त ककया।

एम.एस. स्िामीनाथन, उन्हें भारत में हररत क्ाांतत के जनक के रूप में भी जाना जाता है , ने उच्च उपज
िाले विमभन्न बीजों (गेहूां और चािल) के विकास में योगदान ददया है , जजससे भारत को खाद्य सरु क्षा
प्राप्त करने में मदद ममली है।

हररत क्ाांतत के घटक

हररत क्राांनत में विमभन्न कृवर् घटकों या आदानों की समय पर और पयाडप्त आपनू तड की आिश्यकता
है, जैसे कक:

• उच्च उपज िण
ु ित्ता िाले बीज: नॉमडन ई. बोरलॉग जैसे कृवर्विदों ने मैजक्सको में एक विविध प्रकार के
गेहूां के बीज विकमसत ककए, जो एमशया और लैदटन अमेररका में कृर्कों की सहायता के मलए थे और
बाद में पूरी दनु नया उच्च पैदािार उत्पन्न कर सकती थी।
• रासायतनक उिथरक: हररत क्राांनत के मलए बीज या पौधों के मलए आिश्यक पोर्क तत्िों की आिश्यकता
होती है - मुख्य रूप से नाइरोजन, फास्फोरस एिां पोटे मशयम। परां तु पारां पररक खाद विचधयों से ये
पोर्क तत्ि उच्च पैदािार उत्पन्न करने के मलए पयाडप्त नहीां हैं। इसमलए, रासायननक उिडरकों का
नछडकाि / अनुप्रयोग मद
ृ ा को उच्च पोर्क तत्ि प्रदान करता है तथा इस प्रकार पौधों को उच्च
पैदािार उत्पन्न करने में सहायक होता है ।
• मसांचाई: रासायननक उिडरकों की पयाडप्त मात्रा एिां फसलों की ननयांत्रत्रत िद्
ृ चध के मलए जल सांसाधनों की
ननयांत्रत्रत आपूनतड आिश्यक है ।
• कीटाणन
ु ाशक और जीिाणन
ु ाशक: चांकू क नए बीज की ककस्में स्थानीय कीटों और जीिाणओ
ु ां के मलए गैर-
अनुकूलन होती हैं, उन्हें मारने के मलए कीटाणुनाशक और जीिाणुनाशक का उपयोग सांरक्षक्षत फसल के
मलए आिश्यक है ।
• तण
ृ नाशक और घास-फूस नाशक: उच्च उपज ककस्म के बीजों की बुिाई करते समय, रासायननक उिडरकों
को खेत में शाक और खरपतिारों द्िारा सेिन से रोकने के मलए तण
ृ नाशक और घास-फूस नाशक के
उपयोग की आिश्यकता होती है ।
• कृवष-भूमम मशीनीकरण: कृवर्-भूमम मशीनीकरण कृवर् कायड को आसान और तेज बनाता है । जैसा कक
हररत क्राांनत बडे भूभाग पर एकल-खेती का समथडन करती है , इसमलए मशीनीकरण आिश्यक है ।
• ऋण, भांडारण और विपणन:
o ऋण: उपयक्
ुड त सभी आदानों को खरीदना - कृवर् मशीनरी, उच्त उपज ककस्म के बीज,
रासायननक उिडरक, मसांचाई (पांप सेट, बोरिेल), कीटनाशक और जीिाणुनाशक तथा शाकनाशी
और खरपतिारनाशक- काफी महां गे हैं। इसमलए ककसानों को सस्ती ऋण की उपलब्धता की
आिश्यकता होती है ।
o भांडारण: जैसा कक हररत क्राांनत क्षेत्र विमशष्ट्ट है , पि
ू -ड विश्िसनीय मसांचाई सवु िधाओां िाला एक
क्षेत्र- भाखडा-नाांगल बहुउद्दे श्यीय बाांध पांजाब, हररयाणा और राजस्थान में 135 लाख एकड में
मसांचाई प्रदान करता है - स्थानीय क्षेत्रों में बम्पर फसल, भांडारण की सुविधा प्रदान करता है ।
विमभन्न बाजारों में वितररत करने के मलए आिश्यक है।
o विपणन एिां वितरण: अभाि िाले क्षेत्रों और विमभन्न बाजारों में विपणन, वितरण और पररिहन
सांयोजन की उचचत श्रांख
ृ ला भोजन वितररत करने के मलए आिश्यक है । रसद ननमाडण के मलए,
भारत सदहत कई दे शों ने विश्ि बैंक जैसी बहुपक्षीय एजेंमसयों से ककफायती धन अथिा सस्ते
ऋण के विकल्प को चुना।

हररत क्ाांतत का प्रभाि

हररत क्राांनत का भारतीय अथडव्यिस्था पर सामान्य और कृवर् एिां विशेर् रूप से पयाडिरण दोनों पर
सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाि पडता है।

सकारात्मक प्रबाि

• खाद्य सरु क्षा सतु नब्श्चत करें : भारत खाद्य उत्पादन में आत्मननभडरता प्राप्त कर सकता है और खाद्य
अचधशेर् दे श (ननयाडतक) के रूप में भी आगे बढ सकता है ।
• खाद्य वितरण: अभाि िाले क्षेत्रों में भांडारण और विपणन सुविधाओां के विकास के साथ भोजन ममल
सकता है । पी.डी.एस. प्रणाली ने गरीब कमजोर िगों के बीच भूख को कम ककया।
• उन्नत कृवष आय: हररत क्राांनत ने भरपूर फसल उत्पादन के साथ ककसान की आय में िद्
ृ चध की है ।
• कृवष आिाररत उद्योिों का विकास: हररत क्राांनत ने कृवर् आधाररत उद्योगों जैसे बीज कांपननयों, उिडरक
उद्योगों, कीटनाशकों उद्योगों, ऑटो और रै क्टर उद्योगों आदद का विकास ककया।

नकारात्मक प्रभाि

• अांतर-िैयब्क्तक असमानताएँ: चूांकक हररत क्राांनत ने भूमम के विशाल भूभाग के साथ व्यजक्तगत ककसानों
को लाभाजन्ित ककया, जबकक गरीब ककसान उसी से िांचचत था।
• क्षेिीय असमानताएँ: चूांकक हररत क्राांनत के मलए मसांचाई सुविधाओां की ननरां तर आपूनतड की आिश्यकता
होती है , इसमलए अच्छी मसांचाई सुविधाओां िाले क्षेत्रों (पांजाब, हररयाणा आदद) को लाभ ममला, जबकक
उिर-पि
ू ड भारत तथा मध्य भारत के कुछ दहस्से नहीां कर सके।
• विषम खेती पैटनथ: फसलों की पसांद गेहूां और चािल के पक्ष में रही है और फसलों को प्रभावित ककया
है जैसे कक दलहन, नतलहन, मक्का, जौ आदद।
• मद
ृ ा उिथरता में अभाि: एक ही भमू म पर साल-दर-साल एकल-कृवर् या एक ही फसल उगाने, अन्य
फसलों के माध्यम से ननयममत आितडन की अनुपजस्थनत में या एक ही भूमम (पॉलीकल्चर) पर कई
फसलों को उगाने से ममट्टी का क्षरण होता है ।
• मसांचाई:
o जलभराि: चािल की खेती में भारी मात्रा में पानी की आिश्यकता होती है , जजससे जलभराि
होता है । जलभराि जड की िद्
ृ चध को रोकता है क्योंकक जडें ऑक्सीजन प्राप्त नहीां कर सकती
हैं। जल-भराि के कारण मलेररया भी होता है ।
o ममट्टी की लिणता: ममट्टी का लिणीकरण तब होता है जब मसांचाई के पानी में लिण की
थोडी मात्रा िाष्ट्पीकरण के माध्यम से ममट्टी की सतह पर अत्यचधक केंदद्रत हो जाती है ।
o तनम्न जल स्तर: बोरिेल और जलभत
ृ ् से फसलों की मसांचाई के मलए पानी की अनतररक्त
खखांचाि से पानी की कमी हो जाती है ।
• उिथरक, कीटनाशक और शाकनाशक:
o उिडरकों, कीटनाशकों और शाकनाशकों के अत्यचधक प्रयोग से जल, भमू म और िायु प्रदवू र्त
होकर पयाडिरण में चगरािट आई है ।
o शैिाल का उिना: मसांथदे टक या जैविक उिडरक आसन्न जल ननकायों में जाते हैं, जजससे शैिाल
उगते हैं तथा अांततः समद्र
ु ी प्रजानतयों की मत्ृ यु हो जाती है ।
o जैि सांचयन: समय के साथ ककसी जीि के िसायक्
ु त ऊतकों के भीतर रसायनों (उिडरकों और
कीटनाशकों) की बढती एकाग्रता है । भारत की खाद्य श्रांख
ृ ला में विर्ाक्त स्तर इतना बढ गया
है कक भारत में उत्पाददत कुछ भी मानि उपभोग के मलए उपयक्
ु त नहीां है ।

अग्रेषण (इसके अततररक्त)

• उपरोक्त नकारात्मक प्रभाि को दरू करने के मलए, स्िामीनाथन ने पयाडिरण की दृजष्ट्ट से स्थायी कृवर्,
स्थायी खाद्य सरु क्षा और सांरक्षण का उपयोग करने के मलए "सदाबहार क्ाांतत" की समथडन ककया।
• असांतुमलत कृवर् प्रणाली को ननयांत्रत्रत करने के मलए, भारत सरकार ने इांद्रधनुर् क्राांनत- एकीकृत खेती
आदद को बढािा दे ने के मलए कल्पना की है ।
2014 के बाद सुधार

जीएसटी

जीएसटी के विमभन्न स्लैब के तहत दरों पर चचाड करने से पहले, जीएसटी क्या है इस पर एक नज़र
डालते हैं? जीएसटी का पूणड रूप माल तथा सेिा कर (गड्
ु स एांड सविडस टै क्स) है। इसे सांविधान (एक
सौ तथा पहले सांशोधन) अचधननयम, 2016 में पेश ककया गया था। वित्त मांत्री अरूण जेटली जीएसटी
पररर्द के अध्यक्ष हैं

जीएसटी का लक्ष्य विमभन्न केंद्रीय और राज्य स्तर के करों को एकीकृत करना है , जो एकल कर में
व्यजक्तगत रूप लागू होता है । यह कदम एक सामान्य राष्ट्रीय बाजार ननमाडण के द्िारा दे श की
अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में एक महत्िपूणड सुधार लाने की उम्मीद है। उपभोक्ताओां के मलए माल पर
समग्र कर का बोझ कम हो जाएगा। सरकार के अनुसार यह कमी 25-30% होने का अनुमान है।
एकल स्तर कर शासन के कारण करों के प्रशासन तथा प्रचलन को लागू करने की भी अपेक्षा है।

14िीां जीएसटी पररर्द बैठक कुछ िस्तुओां की दरों को पररभावर्त करने के मलए आज (18 मई 2017)
श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर में आयोजजत की गई। दरें नीचे ददए गए स्तरों पर लागू होंगी-

• शन्
ू य
• 5%
• 12%
• 18%
• 28%

आइए अब हम विमभन्न िस्तुओां पर एक नज़र डालते हैं जजन्हें उपयक्


ुड त स्लैब के तहत िगीकृत
ककया गया है।

शन्
ू य (कोई भी टै क्स स्लैब नहीां) -

कुछ िस्तओ
ु ां जैसे ताजा दध
ू , माांस, अांडे, छाछ, दही, प्राकृनतक शहद, ताजी सजब्जयाां, कांद तथा मूल, फलों
(जमे हुए या सांरक्षक्षत राज्य में रहने िालों के अलािा), कॉफी बीन्स, सभी अनाज िस्तुएां (यूननट
कांटे नर में लगाए गए पदाथों और पांजीकृत ब्ाांड नाम के अलािा) आटा, सोयाबीन, मूांगफली, गन्ना गुड,
मुरमुरे, रोटी, प्रसाद, आम नमक, त्रबांदी, मसांधुर, प्लाजस्टक की चूडडयााँ, लकडी का कोयला, न्यानयक, गैर-
न्यानयक डाक दटकट, अख़बार, हथकरघा आदद पर कोई कर लागू नहीां होगा।
5% स्लैब -

इस टै क्स स्लैब में िस्तुएां जैसे जमी हुई मछली, मछली कफलेट, अल्रा उच्च तापमान दध ू , दध
ू क्रीम,
क्रीम दही, मट्ठा, आइिरी, हबड, छाल, सूखे पौधे, जमे हुए या सांरक्षक्षत फल और सजब्जयाां, खट्टे फल
और खरबूजे की छील, कॉफी, चाय, प्राकृनतक गोंद, रॉल, िनस्पनत िसा तथा तेल, चुकांदर, चीनी, गन्ना
चीनी, कोको बीन्स, रोटी की तैयारी के मलए ममक्स तथा आटा, तांबाकू के पिे, अनारोदहत आयरन
पेररटस, सल्फर, सभी कच्ची धातुएां तथा दाने, ममट्टी के तेल, सल्फोनेदटड अरां डी का तेल, मछली का
तेल, हस्तननममडत माचचस, त्रबजल्डांग ईंट, ममट्टी के तेल, लाइफबोट आदद शाममल होंगी ।

12% स्लैब

इस स्लैब में जमा हुआ माांस, मक्खन और अन्य िसा, पनीर, सूखे मेिे, स्टाचड, पशु िसा और तेल, सॉस
और इसी तरह के माल के उत्पाद, माांस ओफल या खून, फल तथा सजब्जयों का रस, भुना हुआ
चचकरी, सोया दध
ू पेय, पेय युक्त दध
ू , माबडल, ग्रेनाइट ब्लॉक, बॉयोगैस, और्धीय ग्रेड हाइड्रोजन
पेरोक्साइड, उिडरक, फाउां टे न/ बॉल पेन इांक, टूथ पाउडर, अगरबत्ती, मोमबनतयाां, फोटोग्राकफक प्लेट्स और
कफल्म, बच्चों के चचत्र / ड्राइांग / रां गीन ककताबें , छतररयाां, रे त चूना ईंट, मसलाई मशीनें, सेल फोन आदद
जैसी कुछ िस्तु शाममल होंगी।

18% स्लैब

इस टै क्स स्लैब में गाढा दध


ू , माल्ट, सजब्जयाां और अकड, भारतीय कथा, जग्लसरॉल, िनस्पनत िेजक्सस,
पररष्ट्कृत चीनी, पास्ता, कॉनडफ्लेक्स, िेफल, पेस्री और केक, जेम, जेली, मामाडलेड्स, सॉस, सूप्स,
आईसक्रीम, फूड ममक्स, मधुमेह के खाद्य पदाथड, पेरोमलयम जेली, पैराकफन िेजक्सस, फ्लोररन, क्लोरीन,
ब्ोममन, आयोडीन, रां गाई सामग्री, मुद्रण स्याही, आिश्यक तेल, कृत्रत्रम िेजक्सस, सुरक्षा फ़्यूज़, कीटनाशक,
लकडी के तार, बरतन, टे बलिेयर, सुरक्षा हे डगेयर (हेल्मेट), रे फ्रेक्री ईंटें , कैमरा, स्पीकर और मॉननटसड
आदद िस्तु शाममल होंगी।

28% स्लैब

इस कर स्लैब में चविांगम, कोको मक्खन, अकड, सुगांध और कॉफी के दाने, गैर-अल्कोहल पेय, िायुकृत
जल, पोटड लड
ैं सीमेंट, पें ट्स और िाननडश, कलाकार / छात्र या साइनबोडड चचत्रकार के रां ग, परफ्यूम,
टूथपेस्ट, आनतशबाजी, मसांक, िॉश बेमसन, िॉल पेपर / किररांग, लैंप, लाइदटांग कफदटांग, वपयानो, ररिॉल्िसड,
िॉमशांग मशीन, िैक्यूम क्लीनर, मोटरसाइककल, ननजी इस्तेमाल के मलए एयरक्राफ्ट, नौका आदद िस्तुएां
शाममल हैं।

जीएसटी पररषद ने अभी तक तनम्नमलखखत उत्पादों की दरें तय की हैं –


त्रबरर आिरण पवियाां, त्रबस्कुट, बीररस, जूते, प्राकृनतक या सुसांस्कृत मोती, कीमती या अधड कीमती
पत्थर, कीमती धातए
ु ,ां कीमती धातओ
ु ां के साथ धातु क्लेड और उसकी िस्तुए,ां नकली आभर्
ू ण, मसक्का,
त्रबजली सांचामलत कृवर्, बागिानी, िाननकी, कुक्कुट पालन या मधम
ु क्खी पालन मशीनरी, फसल की
कटाई या खमलहान मशीनरी, सफाई के मलए मशीन, छाँ टाई या ग्रेडडांग, मममलांग उद्योग में उपयोग की
जाने िाली मशीनरी तथा पाट्डस।

2014 के बाद: िम सुिार

श्रम और रोजगार मांत्रालय भारत सरकार के सबसे पुराने और महत्िपूणड मांत्रालयों में से एक है। इस
मांत्रालय की प्रमुख जजम्मेदारी समाज के गरीब, िांचचत और िांचचत िगों पर विशेर् जोर दे ने के साथ
श्रममकों के दहतों की सुरक्षा और सुरक्षा है । यह उन्नत उत्पादन के साथ-साथ उत्पादकता और आगे
व्यािसानयक कौशल प्रमशक्षण और रोजगार सेिाओां को विकमसत करने के मलए एक स्िस्थ कायड
िातािरण बनाने के मलए सुननजश्चत करता है ।

इस लेख में , हम वपछले कुछ िर्ों में िम और रोजिार मांिालय द्िारा शुरू की गई सभी योजनाओां
को दे खेंगे और यह आगामी यूपीएससी मसविल सेिाओां और यूपीएससी ईपीएफओ 2020 परीक्षाओां के
मलए महत्िपूणड होगा।

सरकारी योजनाएां: िम और रोजिार मांिालय

योजना उद्दे श्य याद रखने योग्य कुछ त्रबांद ु

• एक समवपडत श्रम सुविधा पोटड ल:


• लगभग छह लाख इकाइयों को श्रम पहचान
भारत में उद्योगों के सांख्या (LIN) आिांदटत करना और उन्हें 44
दीन दयाल उपाध्याय विकास और श्रम सुधारों श्रम कानूनों में से 16 के साथ ऑनलाइन
श्रमेि जयते कायडक्रम के मलए अनुकूल अनुपालन दायर करने में सक्षम बनाना।
िातािरण प्रदान करना। • ननरीक्षण के मलए इकाइयों के यादृजच्छक
चयन के मलए पारदशी श्रम ननरीक्षण
योजना:
• ननरीक्षण के 72 घांटे के भीतर ननरीक्षण
ररपोटड अपलोड करने के मलए इकाइयों के
चयन में मानि ननणडय को समाप्त करने के
मलए प्रौद्योचगकी का उपयोग अननिायड है।
• EPF लाभाथी को सािडभौममक खाता सांख्या
आिांदटत की जाती है जो भविष्ट्य ननचध
खाते को पोटे बल और सािडभौममक रूप से
सुलभ बनाती है ।

• यह श्रम और कायड मांत्रालय द्िारा कमडचारी


भविष्ट्य ननचध सांगठन (EPFO) के माध्यम
से पेश ककया जा रहा है।
• इस योजना के तहत, 1 अप्रैल 2016 को या
इसका उद्दे श्य रोजगार उसके बाद, 15,000 रुपये प्रनत माह के िेतन
सज
ृ न को बढािा दे ने के साथ, EPFO के साथ नामाांककत ककए गए
और श्रममकों को नए कमडचाररयों के मलए 3 िर्ड की अिचध
प्रधानमांत्री रोजगार
सामाजजक सुरक्षा लाभ के मलए सरकार 12 प्रनतशत पूणड ननयोक्ता
प्रोत्साहन योजना
प्रदान करने के मलए के योगदान (श्रममकों के मलए भविष्ट्य ननचध
ननयोक्ताओां को और सेिाननिि
ृ ों के मलए पें शन योजना दोनों
प्रोत्सादहत करना है। के मलए) का भुगतान करती है ।
• पूरा कायडक्रम ऑनलाइन है , और आधार
(AADHAR) त्रबना ककसी मानि हस्तक्षेप के
योजना के एप्लीकेशन पर आधाररत है।

• पररयोजना का समग्र उद्दे श्य लजक्ष्यत क्षेत्र


उद्दे श्य बाल श्रम के में एक उत्साहजनक माहौल बनाना है जहाां
सभी रूपों को समाप्त बच्चों को विद्यालयों में काम करने से
करना है। बचने और नामाांककत होने के मलए विमभन्न
राष्ट्रीय बाल श्रम
हस्तक्षेपों से प्रेररत और प्रोत्सादहत ककया
पररयोजना योजना
दहतधारकों और लक्षक्षत
जाता है , और पररिारों को उनकी आय के
समद
ु ायों के बीच स्तर को बढाने के मलए विकल्प ददए जाते
जागरूकता बढाना।
हैं।
इसका उद्दे श्य बाल
श्रम मुक्त भारत के
ननमाडण को बढािा दे ना • यह एक ऑनलाइन पोटड ल है जो बाल श्रम
है , जो विधायी प्रािधानों और तस्करी के खतरे से ननपटने के मलए
के प्रितडन और राष्ट्रीय केंद्र को राज्य सरकार, जजले और सभी
बल श्रम ननर्ेध प्रभािी
बाल श्रम पररयोजना पररयोजना सममनतयों से जोडता है।
प्रितडन प्लेटफामड
(NCLP) के प्रभािी • इसके पााँच घटक हैं - बाल रै ककां ग प्रणाली,
(PENCIL) पोटड ल
कायाडन्ियन दोनों के मशकायत कॉनडर, राज्य सरकार, NCLP, और
मलए कायाडन्ियन और सांममलन।
ननगरानी तांत्र को
समेककत रूप से
एकीकृत करे गा।

• यह रोजगार से सांबांचधत विमभन्न सेिाएां


लक्ष्य उन दोनों के बीच प्रदान करने के मलए राष्ट्रीय रोजगार सेिा
के अांतराल को पाटना का रूपाांतरण है जैसे कक नौकरी मैचचांग,
है , जजन्हें काम की कररयर काउां समलांग, व्यािसानयक मागडदशडन,
आिश्यकता है और जो कौशल विकास पाठ्यक्रमों की जानकारी
उन्हें भती करना चाहते आदद, जो कक रोजगार कायाडलयों के माध्यम
राष्ट्रीय कैररयर सेिा हैं, उन लोगों के बीच से पेश ककए जाते हैं।
जजन्हें कैररयर मागडदशडन • इस योजना में आईटी अपग्रेडेशन के साथ-
और प्रमशक्षण की साथ रोजगार कायाडलयों के मामूली
आिश्यकता है और जो निीनीकरण और नौकरी मेलों के आयोजन
सलाह और प्रमशक्षण की के मलए राज्यों को धन मुहैया कराने का भी
पेशकश कर सकते हैं। प्रािधान है।

• यह कमडचारी राज्य बीमा ननगम (ESIC)


इसका उद्दे श्य "बदलते द्िारा अनुमोददत एक योजना है जजसका
रोजगार पैटनड" के उद्दे श्य अपने उन ग्राहकों, जो मुख्य रूप से
अटल बीममत व्यजक्त कारण भटकते औपचाररक क्षेत्र के श्रममक हैं और जो ककसी
कल्याण योजना बेरोजगारों को भी कारण से बेरोजगार हो गए हैं, को बैंक
बेरोजगारी भिा प्रदान खाता हस्ताांतरण के माध्यम से नकद प्रदान
करना है। करके लाभाजन्ित करना है।
• पेंशन: उन्हें 60 िर्ड की आयु के बाद
न्यूनतम 3000 रुपये प्रनत माह की
आश्िामसत पेंशन प्राप्त होगी।
• पें शन की प्राजप्त के दौरान मत्ृ यु की जस्थनत
में , उसके जीिनसाथी को पाररिाररक पेंशन
के रूप में अजजडत पेंशन का 50 प्रनतशत
अजजडत करने का अचधकार होगा।
• 60 िर्ड की आयु से पहले मत्ृ यु होने की
जस्थनत में , उसका जीिनसाथी मामसक
योगदान का भुगतान करके योजना में प्रिेश
करने और उसे जारी रखने या ननकास और
इसका उद्दे श्य िापसी के प्रािधानों के अनुसार योजना को
प्रधानमांत्री श्रम योगी
असांगदठत क्षेत्र को छोडने का हकदार होगा। पाररिाररक पेंशन
मानधन योजना
पेंशन प्रदान करना है केिल जीिनसाथी के मलए है।
• ग्राहक द्िारा योिदान: उसके मलए PM-
SYM योजना में शाममल होने से लेकर 60
िर्ड की आयु तक ननधाडररत योगदान रामश
का योगदान करना आिश्यक है।
• केंद्र सरकार द्िारा समान योिदान:
PMSYM, 50:50 के आधार पर एक
स्िैजच्छक और अांशदायी पेंशन योजना है
जहााँ ननधाडररत आयु-विमशष्ट्ट योगदान
लाभाथी द्िारा और समान योगदान केंद्र
सरकार द्िारा ककया जाएगा।

कृवष सुिार: स्कीम

इस राष्ट्र के नागररकों के सामाजजक-आचथडक कल्याण को सांबोचधत करने के उद्दे श्य से भारत


सरकार द्िारा शुरू की गई सरकारी योजनाएाँ। इस तरह की योजनाएां भारतीय समाज को घेरने िाली
कई समस्याओां को हल करने में बहुत महत्िपूणड भूममका ननभाती हैं और कल्याणकारी राष्ट्र को
हमारे सांविधान में ननदहत लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती हैं। इस लेख में , हम वपछले कुछ
िर्ों में उनके उद्दे श्यों और योजना की कुछ महत्िपूणड विशेर्ताओां के साथ-साथ िाखणज्य और
उद्योग मांत्रालय द्िारा योजनाओां की परू ी सच
ू ी दे खेंगे।

सरकारी योजनाएँ: कृवष और ककसान कल्याण मांिालय

योजना का नाम उद्दे श्य याद रखने योग्य कुछ बातें

• पेंशन योजना 18 िर्ड की प्रिेश आयु से 40


िर्ड तक की आयु तक के मलए स्िैजच्छक
और अांशदायी है
यह योजना पात्र लघु और
• ककसान 555 रुपये से 200 रुपये के बीच
सीमाांत ककसानों को 60 िर्ड
प्रधानमांत्री ककसान मामसक योगदान कर सकता है। केंद्र
की आयु के बाद प्रनत माह
मान धन योजना सरकार भी पेंशन योजना में समान
3000 रुपये की न्यूनतम
धनरामश दे गी।
पेंशन का भुगतान करती है
• एलआईसी पेंशन कोर् प्रबांधक होगा और
पें शन भुगतान के मलए उत्तरदायी होगा।

• यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है और


इसे पूरी तरह से भारत सरकार द्िारा विि
पोवर्त ककया जाएगा।
• योजना में प्रारां भ में केिल 2 हे क्टे यर तक
यह योजना 2000 रुपये की की भूमम िाले छोटे और सीमाांत ककसान
तीन समान ककस्तों में पररिारों को लाभाचथडयों के रूप में शाममल
6000 रुपये प्रनत िर्ड की ककया गया, जो उच्च-आय िाले व्यजक्तयों
प्रधानमांत्री ककसान धनरामश का हस्ताांतरण के मलए कुछ अपिाद मानदां डों के अधीन
सम्मान ननचध (PM- करती है। था।
KISAN) • सरकार ने बाद में इस योजना को 1 जून
धनरामश सीधे लाभाथी
2019 से त्रबना भूमम की शतों के सभी
ककसान पररिारों के बैंक
ककसान पररिारों के मलए विस्ताररत कर
खाते में भेजी जाएगी।
ददया।
• जन सेिा केंद्र के माध्यम से ककसान
पीएम ककसान िेब पोटड ल पर नाम दजड
और पररिनतडत कर सकते हैं।
• यह एक केंद्र प्रायोजजत योजना है
• ककसानों को जारी ककया गया मद
ृ ा
स्िास््य काडड व्यजक्तगत खेतों के मलए
भारत के सभी ककसानों को आिश्यक पोर्क तत्िों और उिडरकों की
हर तीन िर्ड में मद
ृ ा फसलिार मसफाररशें करता है।
मद
ृ ा स्िास््य काडड स्िास््य काडड जारी करना, • यह N, P, K (बह
ृ त पोर्क) जैसे 12 मापदां डों
योजना ताकक उिडरण कायों में के सांदभड में उसकी मद
ृ ा की जस्थनत की
पोर्क तत्िों की कमी को जाांच करे गा।
दरू ककया जा सके • इसके आधार पर, SHC योजना खेत के
मलए आिश्यक उिडरक मसफाररशों और मद
ृ ा
सध
ु ार को भी सचू चत करे गा।

• KCC के अांतगडत ददया गया ऋण व्यापक


है और इसका उपयोग फसलों की खेती,
और अन्य खचों के मलए अल्पकामलक
ऋण आिश्यकताओां के मलए ककया जा
सकता है।
• अचधसूचचत फसलों के मलए ककसान क्रेडडट
काडड योजना के तहत वितररत ऋण, फसल
बीमा योजना के अांतगडत आते हैं।
• ककसान क्रेडडट काडड को मत्स्य और
एकल खखडकी के अांतगडत पशुपालन क्षेत्र के ककसानों को उनकी
ककसान क्रेडडट काडड बैंककां ग प्रणाली से समय कायडशील पूांजी की आिश्यकताओां की पूनतड
(KCC) पर ऋण सहायता प्रदान करने में मदद करने के मलए विस्ताररत
करना। ककया गया है।
• यह योजना मत्ृ यु या ऐसी स्थायी
विकलाांगता जो बाहरी, दहांसक और दृश्य
साधनों के कारण होती है , की जस्थनत में
KCC धारकों के जोखखम को किर करती
है।
• स्ियां सहायता समूह (SHG) और ज्िाइांट
लायत्रबमलटी ग्रुप भी इस योजना के पात्र
हैं।
• विमभन्न योजनाओां जैसे त्िररत मसांचाई
लाभ कायडक्रम, ऑन-फामड िाटर मैनेजमेंट
(OFWM), इांटीग्रेटेड िाटरशेड मैनेजमेंट
प्रोग्राम (IWMP) का सांममलन।
इसका उद्दे श्य क्षेत्र स्तर
• अधूरी प्रमुख और मध्यम मसांचाई
पर मसांचाई में अमभसरण
पररयोजनाओां के ननचधकरण और
प्राप्त करना है ,
कायाडन्ियन पर नजर रखने के मलए
प्रधानमांत्री कृवर्
जलिाही स्तर के पुनभडरण नाबाडड में प्रधान मांत्री कृवर् मसचाई योजना
मसांचाई योजना
को बढाना और स्थायी जल के तहत दीघडकामलक मसांचाई कोर् शुरू

सांरक्षण कायडप्रणामलयों को ककया गया है।

लागू करना। • इसकी दे खरे ख सांबांचधत सभी मांत्रालयों के


केंद्रीय मांत्रत्रयों के साथ प्रधानमांत्री के
अांतगडत अांतर-मांत्रालयी राष्ट्रीय सांचालन
सममनत (NSC) द्िारा की जाएगी।

• बीमा से जुडी योजना की एकछत्रीय


योजना
• इसने पुनननडममत मौसम आधाररत फसल
· ककसान की आय को
बीमा योजना को छोडकर मौजूद अन्य
जस्थरता प्रदान करना।
सभी बीमा योजनाओां को बदल ददया।
· प्राकृनतक आपदा • ककसान को सभी खरीफ फसलों के मलए
जैसे भूकांप, घातक रोग 2% प्रीममयम और सभी रबी फसलों के
और बीमाररयों की जस्थनत मलए 1.5% प्रीममयम का भुितान करना
प्रधानमांत्री फसल
में ककसानों को बीमा पडता है।
बीमा योजना
सुविधा और वििीय • िावर्डक बाििानी फसलों के मामले में ,
सहायता प्रदान करना। ककसानों द्िारा भग
ु तान ककया जाने िाला
प्रीममयम केिल 5% होगा।
कृवर् क्षेत्र के मलए
ऋणी ककसान के मलए यह अननिायड है
·

ऋण उपलब्धता सुननजश्चत
और गैर-ऋणी ककसान के मलए स्िैजच्छक
करना।
है।
• इसमें फसल के बाद की हानन को भी
किर ककया जाता है।
• हाल ही में , सरकार ने योजना के
पररचालन ददशाननदे शों को व्यापक रूप से
सांशोचधत ककया है।
• ककसानों को ननधाडररत अांनतम तारीख के दो
महीने बाद ननपटान मुआिजे में दे री पर
बीमा कांपननयों द्िारा 12% ब्याज प्रदान
ककया जाएगा।

• यह एक केंद्रीय योजना है जो
इसका उद्दे श्य कीटनाशकों
ननम्नमलखखत घटकों के साथ शुरू की गई
के कारण मद
ृ ा, जल और
है
भारत में कीट िायु में पयाडिरण प्रदर्
ू ण
o एकीकृत कीट प्रबांधन
प्रबांधन के दृजष्ट्टकोण को कम करना है।
o दटड्डी ननयांत्रण और अनुसांधान
को मजबूत करना
रासायननक कीटनाशकों के o कीटनाशक अचधननयम, 1968 का
और आधुननक
कारण व्यािसानयक कायाडन्ियन
बनाना (SMPMA)
स्िास््य खतरों को कम • एजेंसी- 35 केंद्रीय एकीकृत कीट प्रबांधन

करना। केंद्र कायाडन्ियन

• यह ककसानों को 7% की ब्याज दर पर 3
लाख रुपये तक अल्पकामलक फसल ऋण
दे श में कृवर् उत्पादकता
के मलए प्रनत िर्ड 2% की ररयायत प्रदान
ब्याज अनुदान और उत्पादन को बढािा
करता है।
योजना (Interest दे ने के मलए सस्ती दर पर
• प्रनत िर्ड 3 प्रनतशत का अनतररक्त ब्याज
Subvention Scheme) अल्पकामलक फसल ऋण
अनुदान "शीघ्र भुगतान करने िाले
प्रदान करना
ककसानों" को ददया जाता है।

इसमें धान, गेहूां, और अन्य अनाज और मोटे


अनाजों की खरीद के मलए खाद्य और सािडजननक
खरीद प्रणाली में अांतराल
वितरण विभाग की मौजद
ू ा योजनाओां के परू क
प्रधानमांत्री अन्नदाता
को भरना, MSP प्रणाली में
तीन घटक हैं, जहाां खरीद MSP पर होती है।
आय सांरक्षण
मुद्दों को सामने लाना
अमभयान (PM-
और ककसान को बेहतर तीन घटक:
AASHA)
प्रनतफल दे ना
• मल्
ू य समथडन प्रणाली (PSS)
• मल्
ू य न्यन
ू ता भग
ु तान योजना (PDPS)
• ननजी खरीद और स्टॉक स्कीम (PPSS)

PSS:

• PSS के तहत, दाल, नतलहन और गरी की


खरीद केंद्रीय नोडल एजेंमसयों द्िारा की
जाएगी।
• इसके अलािा, NAFED और भारतीय
खाद्य ननगम (FCI) भी PSS के तहत
फसलों की खरीद का काम करें गे।
• खरीद से होने िाले खचड और नुकसान का
िहन केंद्र द्िारा ककया जाएगा।

PDPS:

• PDPS के तहत, केंद्र ने उन सभी नतलहनों


को किर करने का प्रस्ताि ददया जजनके
मलए MSP अचधसूचचत की गई है ।
• MSP और िास्तविक त्रबक्री / औसत मूल्य
के बीच के अांतर का सीधा भग
ु तान
ककसान के बैंक खाते में ककया जाएगा।
• इस योजना में फसलों की कोई भी भौनतक
खरीद शाममल नहीां है क्योंकक क्योंकक
अचधसचू चत बाज़ार में त्रबक्री करने पर
MSP और त्रबक्री/औसत मल्
ू य में अांतर का
भुगतान ककसानों को कर ददया जाता है ।

PPSS:

• नतलहन के मामले में , राज्यों के पास


चुननांदा जजलों में PPSS को लागू करने का
विकल्प होगा।
• इसके तहत, ननजी एजेंमसयाां बाजार की
कीमतें MSP से नीचे आने और बाजार में
प्रिेश करने के मलए राज्य / केंद्रशामसत
प्रदे श सरकार द्िारा अचधकृत करने पर
MSP पर फसलों की खरीद कर सकती हैं।
• ननजी एजेंमसयों को MSP के अचधकतम
15% तक सेिा शुल्क के माध्यम से
मुआिजा ददया जाएगा।

• विश्ि बैंक और भारत सरकार 50:50 दहस्से


के आधार पर पररयोजना चला रहे हैं।
• भारत के मलए राष्ट्रीय कृवर् उच्च मशक्षा
पररयोजना का उद्दे श्य कृवर्
प्रनतभाशाली लोगों को विश्िविद्यालयों के छात्रों को उच्च गुणििा
राष्ट्रीय कृवर् उच्च आकवर्डत करना और भारत मशक्षा प्रदान करने में कृवर्
मशक्षा पररयोजना में उच्च कृवर् मशक्षा को विश्िविद्यालयों और ICAR की सहायता
मजबूत करना करना है।
• इसके अलािा, कृवर्, बागिानी, मत्स्य पालन
और िाननकी में चार िर्ड की डडग्री को एक
पेशेिर डडग्री घोवर्त ककया गया है।

• यह ग्रामीण विकास मांत्रालय की मदद से


ककसानों को खेती की
नीनत आयोग के ननदे शानस
ु ार पहचाने गए
तकनीकों में सुधार करने
कृवर् कल्याण आकाांक्षी जजलों में से प्रत्येक में 1000 से
और उनकी आय बढाने के
अमभयान अचधक आबादी िाले 25 गाांिों में चालू
मलए सहायता करना और
ककया गया था।
सलाह दे ना।

• भारत सरकार ने िर्ड 2015 में ARYA -


"Attracting and Retaining Youth in
यि
ु ाओां को विशेर् रूप से Agriculture" की शुरुआत की।
चयननत जजलों के ग्रामीण • यह प्रत्येक राज्य के एक जजले में कृवर्
क्षेत्रों में आय और विज्ञान केंद्र के माध्यम से कायाडजन्ित की
लाभकारी रोजगार हे तु जाती है।
ARYA पररयोजना
विमभन्न कृवर्, सांबद्ध और • कृवर् विश्िविद्यालय और ICAR सांस्थान
सेिा क्षेत्र के उद्यमों के KVK के साथ प्रौद्योचगकी भागीदार के
मलए आकवर्डत करना और रूप में काम करें गे
सशक्त बनाना • जजले में , 200-300 ग्रामीण युिाओां को
उद्यमशीलता की गनतविचधयों में कौशल
विकास और सांबांचधत सूक्ष्म उद्यम
इकाइयों की स्थापना के मलए चुना
जाएगा।

• यह एक केंद्र प्रायोजजत योजना है।


• चािल, गेहूां, मोटे अनाज, दलहन और
िाखणजज्यक फसलों (जूट, कपास और
सांिहनीय तरीके से क्षेत्र के
गन्ना) के उत्पादन को बढाने के उद्दे श्य
विस्तार और उत्पादकता में
से शुरू की गई।
राष्ट्रीय खाद्य सरु क्षा िद्
ृ चध के साथ चािल, गेहूां,
• वित्त पोषण - खाद्य फसलों के मलए केंद्र
ममशन दलहन, मोटे अनाज और
और राज्य का 50:50 योगदान जबकक
िाखणजज्यक फसलों का
नकदी फसलों के मलए केंद्र द्िारा 100%
उत्पादन बढाना
विि पोर्ण।
• इसे 2007 में शुरू ककया गया था।

• इसे िर्ड 2007 में कृवर् और सांबद्ध क्षेत्रों


के समग्र विकास के मलए एकछत्रीय
ककसान के प्रयासों को
योजना के रूप में शरू
ु ककया गया था, हाल
मजबूत करके और कृवर्-
राष्ट्रीय कृवर् विकास ही में RKVY-RAFTAAR (2017-19 और
व्यिसाय को बढािा दे कर
योजना- RAFTAAR 2019-20 के मलए Remunerative
खेती को एक लाभजनक approaches for agriculture and allied
आचथडक गनतविचध बनाना sector rejuvenation) के रूप में पुन: शुरू
ककया गया है।

• यह एकछत्रीय योजना है
• यह 4 उप-योजनाओां के माध्यम से विस्तार
तांत्र को मजबूत करने पर विचार करती है :
o कृवर् विस्तार उप ममशन (SMAE)
राष्ट्रीय कृवर् विस्तार o बीज एिां रोपण सामग्री उप ममशन
विस्तार प्रणाली को ककसान
एिां प्रौद्योचगकी (SMSP)
चामलत करना
ममशन o कृवर् याांत्रत्रकीकरण उप ममशन
(SMAM)
o पादप सांरक्षण और पादप सांगरोध
उप ममशन (SMPP)
• यह ककसानों के मलए दग्ु ध उत्पादन को
बढािा दे ने और उत्पादकता बढाने और
डेयरी को अचधक लाभकारी बनाने के मलए
2016 में शुरू की गई थी।
• यह योजना ननम्नमलखखत चार घटकों के
राष्ट्रीय गोजातीय दग्ु ध उत्पादन और माध्यम से कायाडजन्ित की जा रही है
उत्पादकता ममशन उत्पादकता बढाना o पशु सांजीिनी
o उन्नत प्रजनन तकनीक
o ई-पशु हाट पोटड ल
o नेशनल बोिाइन जीनोममक सेंटर
फॉर इांडीजीनस ब्ीड्स की स्थापना

• स्िदे शी नस्लों के मलए नस्ल सुधार


कायडक्रम ताकक उनके आनुिांमशक कमी में
सुधार हो सके और िांश को बढाया जा
सके
• चगर, साहीिाल, राठी, दे ओनी, थारपारकर,
लाल मसांधी जैसी उत्कृष्ट्ट दे शी नस्लों का
राष्ट्रीय गोकुल दग्ु ध उत्पादन और प्रजनन
उपयोग कर मिेमशयों का उन्ननतकरण
ममशन में िद्
ृ चध
• स्िदे शी नस्लों के दे शी प्रजनन विस्तार में
एकीकृत स्िदे शी मिेशी केंद्र या गोकुल
ग्राम की स्थापना।
• यह योजना 100% सहायता अनुदान पर
आधाररत है।

• यह नीली क्राांनत (नील क्राांनत ममशन) पर


एक प्रमुख केन्द्र प्रायोजजत योजना है ।
अांतदे शीय और समुद्री दोनों
• यह एकछत्रीय योजना है जो सभी मौजूदा
क्षेत्रों में दे श की कुल
नीली क्राांनत: मत्स्य योजनाओां का विलय करके बनाई गई है।
मत्स्य क्षमता को बाहर
पालन का एकीकृत • इसका उद्दे श्य मत्स्य उत्पादन को 107.95
लाना और िर्ड 2020 तक
विकास और प्रबांधन लाख टन (2015-16) से बढाकर िर्ड 2019-
उत्पादन को तीन गुना
20 के अांत तक लगभग 150 लाख टन
करना
करना है।
कायडक्रम का उद्दे श्य
• यह भूख और कुपोर्ण से ननपटने के मलए
क्षेत्रीय समन्िय के माध्यम
एकीकृत दृजष्ट्टकोण के प्रनतरूप के रूप में
जीरो हांगर प्रोग्राम से अांतरजन्य और
कायड करे गा
बहुआयामी कुपोर्ण पर
ध्यान आकवर्डत करना है

• NAM एक अखखल भारतीय इलेक्रॉननक


व्यापार पोटड ल है जजसका उद्दे श्य मौजूदा
APMC और अन्य बाजार प्रणामलयों का
नेटिकड तैयार करना है ताकक कृवर् िस्तुओां
के मलए एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाया
जा सके।
• इसे लागू करने के मलए लघु कृर्क कृवर्
व्यिसाय सहायता सांघ (SFAC) को मख्
ु य
एजेंसी के रूप में चन
ु ा गया है ।
त्रबक्री और बाजारों में पहुांच
• केंद्र सरकार राज्यों को सॉफ्टिेयर मफ्
ु त
के मलए ककसानों के
दे गी और इसके साथ ही सांबांचधत
विकल्प बढाना
उपकरणों और बनु नयादी ढाांचे की

व्यापाररयों, खरीदारों और आिश्यकताओां के मलए प्रनत मांडी या


राष्ट्रीय कृवर् बाजार
एजेंटों को लाइसेंस दे ने में बाजार या ननजी मांडडयों को 30 लाख रुपये
(NAM)
उदारता। राज्य के सभी का अनुदान ददया जाएगा।

बाजारों में व्यापाररयों के • 16 राज्यों और 2 केंद्र शामसत प्रदे शों (UT)

मलए एक एकल लाइसेंस में अब तक 585 थोक विननयममत

मान्य है। बाजार/APMC बाजार E-NAM प्लेटफॉमड के


साथ जोडे गए हैं।
• मांडी/बाजार में स्थानीय व्यापार के मलए,
NAM द्वितीयक व्यापार हे तु एक बडे
राष्ट्रीय बाजार तक पहुांच का अिसर
प्रदान करता है।
• E-NAM पर पहला अांतर-राज्य व्यापार
आांध्र प्रदे श और तेलांगाना के बीच ककया
गया था।
इसका उद्दे श्य जलिायु • यह ICAR की पररयोजनाओां का नेटिकड
पररितडन के मलए फसलों, है।
जलिायु समत्ु थाशील
पशुधन और मत्स्य पालन • यह दे श में िर्ाड की अनतसांिेदनशीलता के
कृवर् पर राष्ट्रीय
को शाममल करते हुए मलए विमभन्न फसलों के महत्िपूणड
निप्रितडन
भारतीय कृवर् का मूल्याांकन पर विचार करती है ।
लचीलापन बढाना है।

• इस ममशन के तहत, मछली के बच्चे की


मूलभूत सुविधाओां को मजबूत करने के
साथ-साथ मत्स्यपालन के स्थान और
ममशन कफां गरमलांग कफां गरमलांग (मछली का बच्चा) पालन
तालाब की स्थापना की सुविधा के मलए
सांभावित राज्यों की पहचान की जाएगी।

• यह ररमोट सेंमसांग तकनीक का उपयोग


करके राष्ट्रीय फसल पूिाडनुमान केंद्र
(MNCFC) द्िारा लागू की गई है।
• फसल उत्पादन के विश्िसनीय अनुमान
CHAMAN कृवर् आय बढाने के मलए
पररयोजना तैयार करने के मलए भू-स्थाननक अध्ययन
बागिानी क्षेत्र का विकास
जैसे फसल आचधक्यता, बाग कायाकल्प
और जलीय बागिानी का कुशलता से
उपयोग करना।

आश्रथथक सि
ु ार

सरकारी योजनाएां: िाखणज्य और उद्योि मांिालय

योजना उद्दे श्य याद रखने योग्य त्रबांद ु

इसका उद्दे श्य भारत में


• एक्शन प्लान तीन स्तांभों पर
निाचारों और स्टाटड अप के
आधाररत है - सरलीकरण और
स्टाटड अप इांडडया पोर्ण के मलए एक मजबूत
हैंडहोजल्डांग
पाररजस्थनतकी तांत्र का ननमाडण
• सहायता और प्रोत्साहन रामश
करना है
• उद्योग-मशक्षा जगत की भागीदारी
और इन्क्यूबेशन। उद्योग सांिधडन
और आांतररक व्यापार विभाग (DPI &
IT) (पूिड में DIPP) कायाडन्ियन एजेंसी
है।

• "मेक इन इांडडया" पहल चार स्तांभों


पर आधाररत है
o नई प्रकक्रयाएाँ
o नया इांफ्रास्रक्चर (बुननयादी
ढाांचा)
इसका उद्दे श्य भारत को एक
o नए सेक्टर
महत्िपूणड विननमाडण डडजाइन
मेक इन इांडडया o न्यू माइांडसेट (नयी सोच)
और निाचार के रूप में बढािा
• उद्योग सांिधडन और आांतररक व्यापार
दे ना है
विभाग (DPI & IT) 15 विननमाडण क्षेत्रों
के मलए कायड योजनाओां का समन्िय
करता है जबकक िाखणज्य विभाग 12
सेिा क्षेत्रों का समन्िय करता है।

ननयाडत अिसांरचना में अांतर


• यह सीमा हाट, कोल्ड चेन, ड्राई पोटड
को कम करके, ननयाडत
आदद जैसे ननयाडत मलांकेज के साथ
अिसांरचना, प्रथम मील और
sएक्सपोटड स्कीम के मौजूदा बुननयादी ढाांचे की स्थापना
अांनतम-मील सांयोजकता और
मलए रे ड इन्फ्रास्रक्चर और उन्नयन के मलए वििीय
ननयाडत-उन्मुख पररयोजनाओां
सहायता प्रदान करे गा।
का ननमाडण करके ननयाडत
प्रनतस्पधाड को बढाना

• इसका उद्दे श्य सािडजननक खरीद में


पारदमशडता और दक्षता लाना है।
विमभन्न केंद्रीय और राज्य
• सरकारी ई-बाज़ार (GeM) ई-बोली के
सरकारी ई-बाज़ार सरकार द्िारा िस्तओ
ु ां और
उपकरण प्रदान करता है , सरकारी
(GeM) सेिाओां की खरीद की सुविधा
उपयोगकताडओां को उनके पैसे के मलए
के मलए।
सिोिम मूल्य प्राप्त करने की सुविधा
के मलए ई-नीलामी को उलट दे ता है।
• GeM 3.0 की घोर्णा की गई, जो
मानकीकृत, शजक्तशाली और समद्
ृ ध
कैटलॉग प्रबांधन की पेशकश करे गा

• सचड इांजन, िास्तविक समय में मल्


ू य
तुलना, उपयोगकताड रे दटांग, उन्नत
एमआईएस और एनामलदटक्स

• इसने पहले की पाांच अलग-अलग


योजनाओां को बदल ददया है
o एफटीपी (फोकस उत्पाद
योजना)
o बाजार से जुडी फोकस उत्पाद
योजना
o फोकस माकेट स्कीम
यह विदे शी व्यापार नीनत o कृवर् अिसांरचना प्रोत्साहन
(एफटीपी) 2015-20 के तहत प्रोत्साहन जस्क्रप
शुरू की गई एक ननयाडत- o व्यापाररक ननयाडत को परु स्कृत
प्रोत्साहन योजना है जो भारत करने के मलए विशेर् कृवर्
मचेंडाइज एक्सपोट्डस
में ननममडत िस्तुओां के ननयाडत और ग्राम उद्योग योजना,
फ्रॉम इांडडया स्कीम
में शाममल अिसांरचनात्मक जजसमें उनके उपयोग के मलए
अक्षमताओां और सांबांचधत अलग-अलग जस्थनतयााँ
लागतों को कम करने के मलए (सेक्टर-विमशष्ट्ट या िास्तविक
है। उपयोगकताड) थी।
• यह योजना ननयाडतक को क्रेडडट
जस्क्रप के रूप में प्रोत्साहन प्रदान
करती है
• यह शुल्को के भुगतान पर ककसी भी
नुकसान की भरपाई करने में मदद
करता है

• यह योजना विदे श व्यापार नीनत


भारत योजना से सेिा दे श से सेिा के ननयाडत को
(एफटीपी), 2015-20 के तहत शुरू की
ननयाडत (SEIS) बढािा दे ने के मलए
गई थी जजसे पहले की योजना 'भारत
से दी गई स्कीम' की के स्थान पर
रखा गया था।
• एसईआईएस (SEIS) भारतीय सेिा
प्रदाताओां के बजाय भारत में जस्थत
`सेिा प्रदाताओां' पर लागू होगा।
• इस प्रकार, यह अचधसूचचत सेिाओां के
सभी सेिा प्रदाताओां को पुरस्कृत
करता है , जो भारत से सेिाएां प्रदान
कर रहे हैं, भले ही सेिा प्रदाता के
सांविधान या प्रोफाइल के बािजूद।

SWAYATT सरकारी ई- • यह भारतीय ई-माकेटप्लेस के मलए


माकेटप्लेस (GeM) पर लेनदे न भारतीय ई-माकेटप्लेस, नेशनल
'SWAYATT' पहल के माध्यम से स्टाटड अप, प्रोक्योरमें ट पोटड ल के भीतर प्रमुख
मदहला और युिा को लाभ एिां दहतधारकों को एक साथ लाएगा
बढािा दे ने की एक पहल है।

• चयननत स्टाटड अप्स को कॉपोरे ट्स के


यह ऊजाड स्टाटड अप के मलए 3 साथ अपने उत्पाद को बेचने के
इांटीग्रेट टू इनोिेट
महीने का कॉपोरे ट त्िरण अिसर के साथ-साथ प्रनत स्टाटड अप 5
प्रोग्राम
कायडक्रम है लाख तक का नकद पुरस्कार ममलेगा

• यह ननिेशकों और व्यिसायों के मलए


कुशल और सुविधाजनक सरकार से
व्यापार (G2B) सेिाओां के मलए एक
24X7 ऑनलाइन एकल-खखडकी
प्रणाली के रूप में काम करे गा।
• यह भारत में व्यिसाय शरू
ु करने
eBiz पारदमशडता लाने के मलए और व्यापार जीिन-चक्र के दौरान
लाइसेंस और परममट से सांबांचधत
जानकारी और सेिाएां प्राप्त करने में
जदटलता को कम करे गा।
• यह उद्योग सांिधडन और आांतररक
व्यापार विभाग (डीपीआई और
आईटी) के मागडदशडन और तत्िािधान
में इांफोमसस टे क्नोलॉजीज मलममटे ड
(इन्फोमसस) द्िारा कायाडजन्ित ककया
जा रहा है।

• इसमें रबड, तांबाकू, चाय, कॉफी और


इलायची के छोटे उत्पादकों को
शाममल ककया गया है , जजसमें 10
हे क्टे यर या उससे कम भूमम हो।
• यह योजना सांबांचधत कमोडडटी बोडड
(CBs) के साथ पांजीकृत उत्पादकों के
मलए अननिायड है और इसे 7 राज्यों में
प्रायोचगक आधार पर लागू ककया गया
है।
• सांबांचधत राज्य सरकार के परामशड से
उन िक्ष
ृ ारोपण फसलों के मलए 'एररया एप्रोच' और कमोडडटी बोडड के
िक्ष
ृ ारोपण फसलों के बीमा योजना जजनके बीमा का मसद्धाांत पर सांचामलत की जाने िाली
मलए राजस्ि बीमा लाभ प्रधानमांत्री फासल बीमा योजना बीमा क्षेत्र (IU) के रूप में एक
योजना योजना से नहीां मलया जा क्षेत्र नाममत करे गी, जो एक ग्राम
सकता है। पांचायत या कोई अन्य समकक्ष इकाई
हो सकती है।
युद्ध और परमाणु जोखखम से होने
िाले नुकसान, दभ
ु ाडिनापूणड क्षनत और
अन्य रोके जाने योग्य जोखखमों को
बाहर रखा गया है।
• नोट: दालों और कृवर्-बागिानी
िस्तओ
ु ां के मलए पीएसएफ (PSF)
उपभोक्ता मामलों के मांत्रालय के
अधीन है

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