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असीममत आवश्यकताओं की मांग को पूरा करने के मलए, सबसे बडी चुनौती संसाधनों का
प्रभावी आवंटन और इनका कुशलता से उपयोग करना है ।
अर्थशास्र को समझना:
• अर्थशास्र के 2 प्रमख
ु प्रकार हैं:
क्लाससकल संस्र्ान
केनेससयन संस्र्ान
1. पूंजीवादी अर्थव्यवस्र्ा:
उत्पाहदत वस्तुओं को लोगों के बीच उनकी आवश्यकता के आधार पर नहीं बक्ल्क क्रय शक्तत
के आधार पर ववतररत ककया जाता है , अर्ाथत ् माल और सेवाओं को खरीदने की क्षमता के
आधार पर।
3. समर्ित अर्थव्यवस्र्ा:
इस क्षेर में कृवि और उससे संबंर्धत कायथकलाप जैसे डेयरी, मुगी पालन, मवेशी पालन, मछली
पालन, वाननकी, पशप
ु ालन आहद शाममल हैं। प्रार्ममक क्षेर के बारे में , अर्धकांश सामान
प्राकृनतक संसाधनों का उपयोग करके उत्पाहदत होते हैं। चूंकक भारत में कृवि आधाररत
अर्थव्यवस्र्ा में अत्यर्धक जनसंख्या है, अतः यह क्षेर आर्र्थक ववकास में महत्वपूणथ भूममका
ननभाता है।
इस क्षेर को औद्योर्गक क्षेर के रूप में भी जाना जाता है। इस क्षेर में सभी प्रकार के ववननमाथण
क्षेर जैसे बडे स्तर के, छोटे स्तर के और बहुत छोटे स्तर के होते हैं। लघु उद्योगों में कपडे,
मोमबिी, मग
ु ी पालन, मेलबॉतस, हर्करघा, णखलौने इत्याहद शाममल हैं। ये इकाइयां भारी
रोजगार उपलब्ध कराती हैं। जबकक बडे उद्योगों जैसे लोहा और इस्पात, भारी इंजीननयररंग,
रसायन, उवथरक, जहाज ननमाथण आहद हमारे सकल घरे लू उत्पाद के मलए बडी मारा में योगदान
दे ते हैं।
(iii) सेवा या तत
ृ ीयक क्षेर:
इस क्षेर में पररवहन, संचार, बैंककं ग, बीमा, व्यापार और वाणणज्य जैसे ववमभरन सेवाएं शाममल
हैं क्जसमें राष्ट्रीय और अंतराथष्ट्रीय दोनों प्रकार के व्यापार शाममल हैं। इसके अलावा सभी पेशेवर
सेवाएं जैसे डॉतटर, इंजीननयर, मशक्षक, वकील आहद सेवा क्षेर के अंतगथत आती हैं। इसके
अलावा सरकार द्वारा नागररकों के कल्याण के मलए दी जाने वाली सेवाएं भी तत
ृ ीयक क्षेर में
शाममल हैं।
इसमें सभी आर्र्थक संगठन शाममल हैं क्जनका सरकार द्वारा ननयंरण और प्रबंधन ककया जाता
है। सभी सरकारी स्वाममत्व वाली उत्पादन इकाइयों में सावथजननक क्षेर शाममल हैं। ये इकाइयां
कल्याण के उद्दे श्य से आम जनता के बीच माल और सेवाओं के उत्पादन और ववतरण में
लगी हुई हैं।
इसमें सभी आर्र्थक उद्यम शाममल हैं क्जनका ननयंरण और प्रबंधन ननजी उद्यमों द्वारा ककया
जाता है। सभी ननजी स्वाममत्व वाली उत्पादन इकाइयााँ ननजी क्षेर का ननमाथण करती हैं। ये
इकाइयां लाभ के उद्दे श्य से लोगों के मलए वस्तओ
ु ं और सेवाओं का उत्पादन और बबक्री करती
है।
महात्मा गांधी के अनुसार, "भारत गांवों में ननवास करता है "। भारत में कुल जनसंख्या का
लगभग 65% ग्रामीण क्षेरों में ननवास करता है । इस क्षेर के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृवि
और संबंर्धत गनतववर्धयााँ हैं।
भारत की कुल जनसंख्या का एक-नतहाई हहस्सा शहरी क्षेर में बसता है। इसमें कस्बे और शहर
होते है। इस क्षेर में रहने वाले लोग मख्
ु य रूप से द्ववतीयक या तत
ृ ीयक क्षेर में लगे होते हैं।
मौजद
ू ा कीमतों पर GVA में क्षेरों के शेयर (%)
आर्र्थक गनतषवर्धयां
वस्तओ
ु ं और सेवाओं का उत्पादन, उपभोग और ववतरण बनु नयादी आर्र्थक गनतववर्धयां हैं। एक
व्यक्तत या सरकार को यह पता लगाना होगा कक तया उत्पादन करना है , ककतना उत्पादन
करना है, ककतना ववननमय करना है , ककस कीमत पर है , और असीममत आवश्यकताओं की
दनु नया में सीममत संसाधनों से अर्धकतम प्रा्त करने के मलए ककतना उपभोग करना है।
ननणथय के आधार पर, व्यक्तत को कुछ आय प्रा्त होती है और व्यय होते हैं।
• आय, माल या सेवाओं के उत्पादन में संलग्न होने और माल या सेवाओं के ववननमय
के बाद अर्धशेि से एकर धन है।
• व्यय, वस्तुओं और सेवाओं के उपभोग पर खचथ होने वाला धन है और वस्तुओं तर्ा
सेवाओं के ववननमय में कमी, यहद कोई है तो।
उत्पादन के कारक
अर्थशाक्स्रयों ने उत्पादन के कारकों को चार िेणणयों अर्ाथत ् भूमम, िम, पूंजी और उद्यममता में
ववभाक्जत ककया है ।
1. भमू म: भमू म में केवल भमू म ही नहीं, बक्ल्क भमू म से प्रा्त होने वाली चीजें भी शाममल हैं।
कुछ सामारय भमू म संसाधन जल, तेल तांबा, प्राकृनतक गैस, कोयला और वन हैं।
उदाहरण के मलए: एक सॉफ्टवेयर कंपनी के मलए, िम, अंनतम उत्पाद के ननमाथण में डेवलपसथ
द्वारा ककया गया कायथ है।
3. पूंजी: इसका अर्थ है उपकरण, मशीनरी, भवन, या कुछ भी जो वस्तुओं और सेवाओं के
उत्पादन में मदद करता है।
कारक लागत: उत्पादन के कारकों की लागत में माल या सेवाओं का उत्पादन करते समय
भूमम, िम और पज
ूं ी शाममल होती है। इसमें कर शाममल नहीं है ।
ककसी वस्तु की कीमत की गणना कारक लागत, करों और लाभ की गणना के बाद की जाती
है।
चक्रीय अर्थव्यवस्र्ा
1) फमथ और 2) हाउसहोल्ड
हाउसहोल्ड, फमथ को बाज़ार के द्वारा उत्पादन के कारक (िम, भमू म और पंज
ू ी) प्रदान करते
हैं। फमथ तब इन कारकों का उपयोग माल और सेवाओं के उत्पादन के मलए करती है क्जससे
इन वस्तओ
ु ं और सेवाओं को बाजारों में बेचा जा सके।
उत्पाहदत वस्तुओं को हाउसहोल्ड में बेचा जाता है , और बदले में हाउसहोल्ड फमों को धन दे ते
हैं।
उस धन से, फमथ कफर से वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करती हैं और कफर हाउसहोल्ड में
बेचती हैं, और इस तरह यह चक्र पूरा होता है।