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LL.

B IInd SEMESTER
ECONOMICS (INDIAN ECONOMICS)
UNIT -2
Infrastructure development (आधारभूत संरचना का विकास)
1. Introduction:-किसी दे श िी समृद्धि प्रत्यक्ष रूप से िृकि तथा उद्योग िे कििास पर कनभभ र िरती है|कििंतु
िृकि-उत्पादन िे किए सिं चािन शद्धि(Power), उधार एििं पररिहन सु किधाओिं िी आिश्यिता होती है , तथा
औद्योकगि उत्पादन िे किए िेिि मशीनरी एििं सिं यिंत्र ही नही िं चाकहए बद्धि िुशि श्रम शद्धि, प्रबिं ध, ऊजाभ , बैं कििंग
एििं बीमा सु किधाओिं िी भी जरूरत होती है | इसिे अकतररि किपणन सु किधाओिं, पररिहन से िाओिं िी भी
आिश्यिता होती है , कजसमें रे ििे , सड़िें, सिं चार सु किधाएिं आकद शाकमि िी जाती हैं | इन सभी सु किधाओिं एििं से िाओिं
िो सामूकहि रूप में आधार सिं रचना िहते हैं |
2. आधार सिंरचना सुकिधाओिं िो आकथभ ि एििं सामाकजि उपररव्यय (Economic and Social overheads) भी
िहते हैं |इनमें सद्धिकित हैं :-
i. ऊर्ाा :- िोयिा, कबजिी, ते ि और अन्य अपारिं पररि स्रोत;
ii. पररिहन:- रे ििे , सड़िें, जहाजरानी और नागररि पररिहन;
iii. संचार:- डाि एििं तार, टे िीफोन, टे िी सिं चार(Telecommunication) आकद;
iv. बैं कििंग, कित्त एििं बीमा;
v. किज्ञान एििं तिनीिी(Technology);
vi. सामावर्क उपररव्यय:- स्वास्थ्य, सफाई एििं कशक्षण|

स्वतंत्रता के पश्चात आधार संरचना का ववकास


 भारत में पहिी पिंचििीय योजना िे आरिं भ से ही आधार सिं रचना िे कििास पर बि कदया गया | इसिे किए योजना पररव्यय िा
50% से भी िुछ अकधि खचभ किया गया |
 सरिार द्वारा आधार सिं रचना में किए गए भारी कनिे श िे िारण ही कपछिे पािं च दशिोिं िे दौरान िृकि उत्पादन में कतगु नी िृ द्धि
और औद्योकगि उत्पादन में 7 गु ना िृ द्धि प्राप्त किया जा सिा |
 परिं तु ग्राम क्षे त्रोिं िी तु िना में नगरीय क्षे त्रोिं मैं इसिा कििास अकधि हुआ | ग्रामोिं में कसिं चाई , कबजिी िरण उपिब्ध िराई गई ,
परिं तु िेिि महानगरोिं और शहरोिं में रहने िािे िोग ही पािर , पररिहन , सिं चार , बैं कििंग और कशक्षा एििं स्वास्थ्य जैसे सामाकजि
उपररव्यय िा पूणभ िाभ उठा रहे हैं |

 आधार संरचना

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ऊर्ाा पररिहन संचार सेिा क्षेत्र विज्ञान सामावर्क उपररव्यय
 िोयिा  रे ि  डाि  बैं कििंग एिं  स्वास्थ्य
 कबजिी  सड़िें  तार  कित्त तकनीकी  सफाई
 ते ि  जहाजरानी  टे िीफोन  बीमा  कशक्षण
 अन्य  नागररि  टे िी सिं चार
अपारिं पररि पररिहन
स्रोत

1. ऊर्ाा (Energy):- ऊजाभ िे मुख्य स्रोत हैं |


ऊर्ाा

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िाविज्यिक ऊर्ाा गैर िाविज्यिक ऊर्ाा
i. िोयिा i. ईिंधन-ििड़ी
ii. ते ि ii. िनस्पकत अपकशष्ट पदाथभ
iii. कबजिी iii. पशु गोबर
भारत में ऊर्ाा के गै र पारं पररक स्रोत:-
गैर पारं पररक ऊर्ाा

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सौर ऊजाभ पिन ऊजाभ ज्वार ऊजाभ
Solar Energy Wind Energy Tidal Energy

भारत में ऊर्ाा संकट के कारि:-


1) आकथभि कििास िी गकत बढ़ने से िाकणद्धिि ऊजाभ (िोयिा, ते ि, कबजिी) िी मािं ग िगातार बढ़ती जा रही है | िेकिन
इसिी पूकतभ में भी िृ द्धि हो रही है , परिं तु यह पयाभ प्त नही िं है , इसकिए मजबू र होिर आयात पर कनभभ र होना पड़ रहा है |
2) भारत में ऊजाभ िे बढ़ते हुए सिं िट िा सामना िरने िे किए िोयिे िे उत्पादन में महत्वपूणभ िृ द्धि होनी चाकहए , परिं तु
िुछ ििों से यह बहुत बु री अिस्था में है |
3) कबजिी िी मािं ग एििं पूकतभ में अिंतर िम होने िी अपेक्षा बढ़ रही है | औद्योकगि एििं िृकि कििास िे किए कबजिी िी
मािं ग ते जी से बढ़ रही है |
4) ग्रामोिं में ईिंधन िे किए ििड़ी िा अभाि गिं भीर ऊजाभ सिं िट किद्यमान होने िा सिं िेत है |
ऊर्ाा समस्या के समाधान के उपाय:-
1) ते ि िे उत्पादन िो बढ़ािा दे ना |
2) पेटरोकियम एििं स्नेहिो (Lubricant) िे उपभोग पर कनयिं त्रण |
3) तेल का कोयले से प्रवतस्थापन :- ईिंधन नीकत (Fuel Policy Committee) ने िई उद्योगोिं में भट्टी िे ते ि
(Furnace oil) िा िोयिे से प्रकतस्थापन िरने िा सु झाि कदया है | कजसमें पािर हाउस भी शाकमि है |
4) विद् युत शज्यि का विस्तार :- जि -किद् यु त ऊजाभ एि निीिरणीय स्रोत (Renewable Source) है , इसकिए पािर
िे किस्तार िो अकधितम िरना होगा और यही एि आदशभ समाधान है |
5) बायोगैस:- बायोगै स प्ािं ट िा दोहरा िाभ है -एि ओर इससे ईिंधन और दू सरी ओर खाद प्राप्त होगी | गै स खाना
पिाने और रोशनी िे किए इस्ते माि िी जा सिती है और इससे िृकि कियाएिं भी िी जा सिती हैं |

2. पररिहन और आवथाक विकास


Introduction:- यकद िृकि और उद्योगोिं िो अथभव्यिस्था िी िाया समझा जाता है, तो पररिहन और सिंचार िो
उसिी नसे हैं | पररिहन िच्चे माि, ईिंधन, मशीनरी आकद िो उत्पादन िे स्थानोिं ति पहुिं चाने िे किए अकनिायभ
है | पररिहन कििास से दू रदराज िे इिािे और सिं साधन उत्पादन िे किए खुि जाते हैं | किसी क्षे त्र में िृकि, िन
और खकनज सिं साधन अकधि मात्रा में उपिब्ध हो सिते हैं , परिं तु उनिा कििास तब ति नही िं हो सिता जब ति
िे पहुिं च से बाहर रहें गे |
पररिहन प्रणािी सिं साधनोिं िा बे हतर और पूणभ प्रयोग िरने में सहायता दे ती है, इससे
औद्योगीिरण िो सहायता कमिती है |

3. संचार प्रिाली:- सिं चार प्रणािी में डाि, तार, टे िी सिं चार व्यिस्था और सू चना से िाएिं शाकमि हैं | बाजारोिं िे बारे
में आिश्यि सू चना उपिब्ध िरािर और आिश्यि प्रेरणा दे िर भी सिं चार प्रणािी िेताओिं एििं कििेताओिं िो
प्रभािी रूप से जोड़ती है और इस प्रिार अथभव्यिस्था िो त्वररत (accelerate) िरती है |

4. सेिा क्षे त्र:- से िा क्षे त्र िो कित्तीय क्षे त्र भी िहा जाता है | से िा क्षे त्र कित्त सहायता दे ता है , हमारे आकथभि कििास
िे किए | िृकि क्षे त्र िे कििास में भी से िा क्षे त्र िी अहम भू कमिा है , इसिे अकतररि से िा क्षे त्र रोजगार िे
अिसर िोगोिं िो प्रदान िरता है | इस प्रिार हमारे समाज में जो असमानताएिं फैिी हुई है उसे दू र िरने में
से िा क्षे त्र िी अहम भू कमिा है |

5. विज्ञान एिं तकनीकी:- भारत परमाणु शद्धि िे क्षे त्र में किश्व िे िुछ कगने हुए दे शोिं में है | इस क्षे त्र में
भारत स्वयिं अपनी परमाणु प्रौद्योकगिी कििकसत िी है , तथा परमाणु ईिंधन चि िो पूरी तरह चिाने में समथभ है |
1948 में परमाणु ऊजाभ आयोग िी स्थापना िी गई | परमाणु शद्धि िे आिश्यि तत्व यू रेकनयम ि थोररयम
भारत में पयाभ प्त मात्रा में उपिब्ध है |

6. सामावर्क आधारभूत ढांचा:- आज िे यु ग में भारत पूिंजी में किकनयोग आकथभि कििास िी एि प्रमुख शतभ
एििं मूि आिश्यिता बन चुिी है | मानिीय सिं साधनोिं में किकनयोग िा अथभ कशक्षा, प्रकशक्षण, स्वास्थ्य, पोिण यु ि
भोजन ि उकचत आिास व्यिस्था आकद |

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