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विश्व व्यापार सगं ठन

World Trade Organization (WTO)


विश्व व्यापार सगं ठन का गठन (establishment of WTO):

 WTO को वर्ष 1947 में सपं न्न हुए प्रशल्ु क एवं व्यापार पर सामान्य समझौते (General Agreement on
Tariffs and Trade- GATT) के स्थान पर अपनाया गया।

 WTO के ननमाषण की पृष्ठभनू म गैट के उरुग्वे दौर (वर्ष1986-94) की वाताष में तैयार हुई तथा 1 जनवरी, 1995 को
WTO द्वारा कायष शरू
ु नकया गया।
o नजस समझौते के तहत WTO की स्थापना की गई उसे "मारके श समझौते" के रूप में जाना जाता है। इसके
निये वर्ष 1994 में मोरक्को के मारके श में हस्ताक्षर नकये गए।
WTO के बारे में:

 WTO एक अंतराषष्ट्रीय संगठन है जो देशों के मध्य व्यापार के ननयमों को नवननयनमत करता है।

 GATT और WTO में मख्ु य अंतर यह है नक GATT जहााँ ज़्यादातर वस्तुओ ं के व्यापार को नवननयनमत करता
था, वही ाँ WTO और इसके समझौतों में न के वि वस्तुओ ं को बनल्क सेवाओ ं और अन्य बौनिक संपदाओ ं जैस-े व्यापार
निन्हों, निज़ाइनों और आनवष्ट्कारों से संबंनित व्यापार को भी शानमि नकया जाता है।

 WTO का मख्ु यािय नस्वट्ज़रिैंि के नजनेवा में नस्थत है।


सदस्य (Members):

 WTO में यूरोपीय सघं सनहत 164 सदस्य देश शानमि हैं तथा ईरान, इराक, भटू ान, िीनबया आनद 23 देशों को
पयषवेक्षक का दजाष प्राप्त है।

 भारत वर्ष 1947 में GATT तथा WTO का संस्थापक सदस्य देश बना।
शासी संरचना (Governance structure):

 मवं िस्तरीय सम्मेलन:

o WTO की संरिना में मंत्री सम्मेिन सवोच्ि प्रानिकरण है नजसका गठन WTO के सभी सदस्यों देशों से
नमिकर होता है, इसके सभी सदस्यों को कम-से-कम हर दो वर्ष में नमिना आवश्यक है। मंनत्रस्तरीय सम्मेिन
के सदस्य बहुपक्षीय व्यापार समझौतों के तहत सभी मामिों पर ननणषय िेने में सक्षम होते हैं।
 सामान्य पररषद:

o इसका गठन WTO के सभी सदस्य देशों से नमिकर होता है जो मनं त्रस्तरीय सम्मेिन के प्रनत उत्तरदायी है।
 वििाद समाधान वनकाय और व्यापार नीवत समीक्षा वनकाय:

o सामान्य पररर्द का आयोजन मख्ु यत: दो नवर्यों को ध्यान में रखकर नकया गया है:
 वििाद समाधान वनकाय: इसके माध्यम से नववादों के समािान हेतु अपनाई जाने वािी प्रनियाओ ं
का संिािन नकया जाता है।
 व्यापार नीवत समीक्षा वनकाय: इसके द्वारा WTO के प्रत्येक सदस्य की व्यापार नीनतयों की
ननयनमत समीक्षा की जाती है।
उद्देश्य:
 अतं राषष्ट्रीय व्यापार हेतु ननयमों को ननिाषररत करना और िागू करना।
 व्यापार उदारीकरण के नवस्तार के निये बातिीत और ननगरानी हेतु एक मंि प्रदान करना।
 व्यापार नववादों का समािान करना।
 ननणषय िेने की प्रनियाओ ं में पारदनशषता को बढाना।
 वैनिक आनथषक प्रबंिन में शानमि अन्य प्रमख
ु अंतराषष्ट्रीय आनथषक संस्थानों के साथ सहयोग स्थानपत करना।
 नवकासशीि देशों को वैनिक व्यापार प्रणािी से परू ी तरह से िाभानन्वत होने में सहयोग करना।
WTO की उपलवधधयांँ:

1. व्यापार की िैवश्वक सवु िधा:

a. WTO वस्तओ ु ं और सेवाओ ं के वैनिक व्यापार हेतु बाध्यकारी ननयमों का ननमाषण और सीमा पार व्यापार
गनतनवनियों को बढावा देने हेतु सनु विा प्रदान करता है।

b. WTO ने न के वि व्यापार मल्ू यों को बढाया है, बनल्क व्यापार और गैर-व्यापार बािाओ ं को समाप्त करने में
भी मदद की है।
2. बेहतर आवथिक विकास :

a. वर्ष 1995 के बाद से नवि व्यापार मल्ू यों में िगभग िार गनु ा वृनि हुई है, जबनक नवि व्यापार में वास्तनवक
वृनि 2.7 गनु ा तक हुई है।

b. घरे िू सिु ारों और खि


ु े बाज़ार की प्रनतबिताओ ं के पररणामस्वरूप देशों की राष्ट्रीय आय में स्थायी वृनि हुई है।
3. िैवश्वक मूल्य शंखला में िवि:

a. WTO के अनमु ाननत बाज़ार को वैनिक मल्ू य शृख ं िा के साथ बढावा देने हेतु बेहतर सिं ार व्यवस्था के साथ
जोड़ा गया है। वतषमान में कुि व्यापार का िगभग 70% इन मल्ू य शृख
ं िाओ ं के अतं गषत आता है।
4. गरीब देशों का उत्थान:

a. WTO में कम नवकनसत देशों पर अनतररक्त ध्यान नदया जाता है। WTO के सभी समझौतों में इस बात का
ध्यान रखा गया है नक कम नवकनसत देशों को अनिक ररयायत दी जानी िानहये और जो सदस्य देश बेहतर
नस्थनत में हैं उन्हें कम नवकनसत देशों के ननयाषत पर प्रनतबिं ों को कम करने हेतु अनतररक्त प्रयास करने होंगे।

ितिमान चुनौवतया (Challenges)


1. चीन का राज्य पूंजीिाद:
ु बाज़ार वैनिक व्यापार प्रणािी के समक्ष िीन के राज्य-स्वानमत्व (China’s State-Owned) वािे
a. मक्त
उद्यम एक बड़ी िनु ौती पेश करते हैं और WTO की ननयम पनु स्तका इन िनु ौनतयों से ननपटने हेतु अपयाषप्त है।

i. इसका कारण अमेररका और िीन के मध्य व्यापार यि


ु है।
2. सस्ं थागत मुद्दे:

a. अपीिीय ननकाय का सि ं ािन नदसबं र 2019 से प्रभावी रूप से ननिंनबत है क्योंनक तभी से अमेररका द्वारा
अपीिीय ननकाय में ननयनु क्तयों पर रोक िगाई जा रही है, नजसके कारण ननकाय में सनु वाई करने के निये
आवश्यक कोरम परू ा नहीं हो रहा है।

b. नवि व्यापार संगठन के नववाद ननपटान तंत्र की नवफिता इसके बातिीत/परिामण (Negotiation) तंत्र
की नवफिता से काफी हद तक जड़ु ी हुई है।
3. पारदवशिता का अभाि:

a. WTO की वाताषओ ं के संदभष में एक समस्या यह है नक WTO में शानमि नवकनसत या नवकासशीि देशों
के संगठन की कोई नननित पररभार्ा नहीं है।

b. वतषमान में सदस्य देशों द्वारा WTO से नवशेर् ररयायत प्राप्त करने के उद्देश्य से स्वयं को नवकासशीि देशों के
रूप में पदांनकत नकया जा रहा है।
4. ई-कॉमसि और विवजटल ट्रेि:

a. नपछिे 25 वर्ों में वैनिक व्यापार पररदृश्य में काफी बदिाव आया है बावजदू इसके WTO के ननयमों में
कोई पररवतषन नहीं नकया गया है।

b. 1998 में यह महससू करते हुए नक ई-कॉमसष वैनिक अथषव्यवस्था में महत्त्वपणू ष भनू मका ननभाएगा, WTO के
सदस्यों ने वैनिक इिेक्रॉननक कॉमसष से सबं नं ित सभी व्यापार-सबं िं ी मद्दु ों की जांँिाँ करने के निये WTO
ई-कॉमसष स्थगन (WTO E-Commerce Moratorium) की स्थापना की।

c. िेनकन शल्ु क स्थगन/ऋण स्थगन के राजस्व एकनत्रत करने जैसे नननहताथष के ििते हाि ही में नवकासशीि देशों
ने इस पर प्रश्न उठाए।
5. कवष और विकास:

a. भारत जैसे नवकासशीि देशों को खाद्य सरु क्षा और नवकास आवश्यकताओ ं के कारण कृ नर् पर समझौते का
सामना करना पड़ रहा है।

आगे की राह (way forward):


1. WTO के आिनु नकीकरण हेतु निनजटि व्यापार और ई-कॉमसष के निये ननयमों के नए सेट नवकनसत करने की
आवश्यकता होगी।

2. WTO के सदस्य देशों को िीन की व्यापार नीनतयों और प्रथाओ ं के साथ अनिक प्रभावी ढगं से ननपटना होगा, तानक
राज्य स्वानमत्व वािे उद्यमों और औद्योनगक सनससिी को बेहतर तरीके से व्यवनस्थत नकया जा सके ।
3. जिवायु पररवतषन से संबंनित मद्दु ों को ध्यान में रखते हुए व्यापार और पयाषवरणीय नस्थरता को संरेनखत करने के प्रयासों में
वृनि करके जिवायु पररवतषन की समस्या से ननपटने तथा WTO को नफर से मज़बतू करने में मदद नमि सकती है।
Objectives of WTO
( लक्ष्य)
1. WTO की वैनिक प्रणािी बातचीत के माध्यम से व्यापार बाधाओ ं को कम करती है एवं भेदभाव रनहत नसिांत के
अंतगषत कायष करती है।

 पररणामस्वरूप उत्पादन की िागत कम हो जाती है (क्योंनक उत्पादन में उपयोग नकये जाने वािी आयानतत
वस्तुएाँ सस्ती होती हैं), तैयार वस्तु एवं सेवाओ ं की कीमतें कम हो जाती हैं, अनिक नवकल्प उपिसि होते हैं
तथा इन सब के फिस्वरूप जीवन यापन पर खिष में कमी आती है।

2. ऐसा करने हेतु WTO दो तरीके अपनाता है।


 पहला बातचीत के जररये: नवनभन्न देश उन ननयमों पर बातिीत करते हैं जो सभी को स्वीकायष हैं।
 दसू रा तरीका वििाद का समाधान करना है नक क्या देश उन सहमत ननयमों पर िि रहे हैं।
3. नवि व्यापार संगठन आवथिक विकास एिं रोज़गार को प्रोत्सावहत कर सकता है।
4. नवि व्यापार संगठन अंतरािष्ट्ट्रीय स्तर पर व्यापार करने की लागत में कटौती कर सकता है।

5. नवि व्यापार संगठन सश


ु ासन को प्रोत्सावहत कर सकता है। पारदवशिता, साझा जानकारी एिं ज्ञान तथा वनष्ट्पक्ष
िाविवज्यक िातािरि तैयार कर सकता है।
 ननयमों से ननरंकुशता एवं भ्रष्टािार के अवसरों में कमी आती है।
6. WTO देशों को विकवसत करने में मदद कर सकता है: WTO की व्यापार प्रणािी के अंतननषनहत को समझना
इस तथ्य को दशाषता है नक अनिक मक्त
ु व्यापार आनथषक नवकास को बढावा दे सकता है तथा देशों को नवकनसत करने में
सहायक हो सकता है।
 इस मायने में वानणज्य एवं नवकास एक दसू रे के निये अच्छे होते हैं।

 इसके अनतररक्त WTO समझौते ऐसे प्राविानों से पररपणू ष हैं जो नवकासशीि देशों के नहतों को ध्यान में रखते
हैं।
7. विश्व व्यापार सगं ठन शविहीन देशों की आिाज़ बन सकता है: छोटे देश नवि व्यापार संगठन के नबना कमज़ोर होंगे।
सहमत ननयमों, सवषसम्मनत से ननणषय िेने एवं गठबंिन ननमाषण से मोिभाव की शनक्त के अतं र कम हो जाते हैं।
 गठबंिन समझौतों में नवकासशीि देशों की एक मज़बतू आवाज़ बनता है।
 पररणामी समझौतों का अथष है नक सबसे शनक्तशािी देशों सनहत सभी देशों को ननयमों पर ििना होगा। शनक्त
के शासन के बजाय काननू का शासन स्थान िेता है।
8. विश्व व्यापार सगं ठन पयाििरि एिं स्िास््य को प्रोत्सावहत कर सकता है: व्यापार एक सािन से अनिक कुछ नहीं
है। WTO समझौते व्यापार को प्रोत्सानहत करने वािे हािात बनाने का प्रयास करते हैं जो हम वास्तव में िाहते हैं। इनमें
एक स्वच्छ एवं सरु नक्षत वातावरण तैयार करने तथा सरकारों को इन उद्देश्यों का उपयोग करके सरं क्षणवादी उपाय पेश करने
से रोकना शानमि हैं।
9. विश्व व्यापार सगं ठन शांवत एिं वस्थरता में योगदान दे सकता है: जब नवि अथषव्यवस्था में उतार-िढाव होता है तो
बहुपक्षीय व्यापार प्रणािी नस्थरता में योगदान कर सकती है।
 व्यापार ननयम नीनत ननमाषण में अनत मंद गनत को हतोत्सानहत करके एवं व्यापार नीनत को और अनिक पवू ाषनमु ाननत
करके नवि अथषव्यवस्था को नस्थर बनाते हैं। वे संरक्षणवाद को रोकते हैं एवं नननितता बढाते हैं। व्यापार ननयम
नविास ननमाषता होते हैं।
पष्ठभवू म

नसल्क रोि की शरुु आत से िेकर प्रशल्ु क एवं व्यापार पर सामान्य समझौते (General Agreement on Tariffs and
Trade (General Agreement on Tariffs and Trade-GATT) के ननमाषण तथा WTO के उद्भव के
समय से व्यापार ने आनथषक नवकास को प्रोत्सानहत करने और राष्ट्रों के मध्य शांनतपणू ष संबंिों को बढावा देने में महत्त्वपणू ष भनू मका
ननभाई है।

 प्रशल्ु क एवं व्यापार पर सामान्य समझौता (General Agreement on Tariffs and Trade- GATT)
की शरुु आत वर्ष 1944 के ब्रेटन विु ् स सम्मेिन हुई नजसमें नद्वतीय नवि यि ु के बाद की नवत्तीय प्रणािी की नींव रखी
गई तथा दो प्रमख ु संस्थानों अतं राषष्ट्रीय मद्रु ा कोर् (International Monetary Fund- IMF) एवं नवि बैंक
की स्थापना की गई।
o सम्मेिन के प्रनतनननियों ने एक परू क सस्ं थान की स्थापना की नसफाररश की नजसे अतं राषष्ट्रीय व्यापार सगं ठन
(International Trade Organization- ITO) के रूप में जाना जाता है नजसकी कल्पना उन्होंने
नवत्तीय प्रणािी के तृतीय स्तर के रूप में की थी।

o वर्ष 1948 में हवाना में व्यापार एवं रोज़गार पर संयक्त


ु राष्ट्र सम्मेिन ने ITO के निये एक मसौदा िाटषर तैयार
नकया नजसे हवाना िाटषर के रूप में जाना जाता है नजसमें व्यापार, ननवेश, सेवाओ ं एवं व्यापार और रोज़गार
कायों को ननयंनत्रत करने वािे व्यापक ननयम बनाए गए।
o हवाना िाटषर कभी िागू नहीं हुआ इसकी मख्ु य वजह अमेररकी सीनेट द्वारा इसकी पनु ष्ट न करने की
नवफिता रही। पररणामस्वरूप ITO अनस्तत्व में नहीं आ सका।

o इसी दौरान वर्ष 1947 में नजनेवा में 23 देशों द्वारा हस्ताक्षररत GATT के रूप में एक समझौता 1 जनवरी,
1948 को ननम्ननिनखत उद्देश्यों के साथ िागू हुआ:
o आयात कोटा के उपयोग को समाप्त करने के निये
o तथा वानणनज्यक वस्तओ
ु ं के व्यापार पर शल्ु क कम करने के निये
 GATT 1948 से अतं राषष्ट्रीय व्यापार को सिं ानित करने वािा एकमात्र बहुपक्षीय सािन (एक सस्ं था नहीं) बन गया
जब तक नक वर्ष 1995 में नवि व्यापार सगं ठन की स्थापना नहीं हुई।

 अपनी संस्थागत कनमयों के बावजदू GATT बहुपक्षीय व्यापार वाताषओ ं के आठ िि (एक िि बहुपक्षीय वाताषओ ं
की एक शृंखिा होती है) को प्रायोनजत करते हुए एक वास्तनवक सगं ठन के रूप में कायष करने में सफि रहा।

िषि स्थान/नाम उल्लेखनीय पररिाम देश

1947 नजनेवा 45,000 प्रशल्ु कों में कटौती- औसतन 35% कटौती 23

1949 टॉकी प्रशल्ु क में कमी 13

1951 अन्नेसी प्रशल्ु क में कमी 38

1956 नजनेवा प्रशल्ु क में कमी 26

नजनेवा
1960-
नििन प्रशल्ु क में कमी 26
1961
राउंि

नजनेवा
1964- औद्योनगक वस्तुओ ं पर औसतन 35% प्रशल्ु क कटौती; बाज़ार मल्ू य
कै नेिी 62
1967 अवमल्ू यन रोिी काननू ों के उपयोग पर प्रनतबिता
राउंि

नजनेवा
1973- औद्योनगक वस्तुओ ं पर औसतन 34% प्रशल्ु क कटौती; गैर प्रशल्ु क उपायों पर
टोक्यो 102
1979 प्रनतबिताएाँ
राउंि

1986- नजनेवा सेवाओ ं के व्यापार एवं बौनिक सपं दा को शानमि नकया गया; कृ नर् पर नबल्ट-
123
1994 उरुग्वे राउंि इन-एजेंिा; िसल्यटू ीओ की स्थापना
 अतः GATT 1948 से अंतराषष्ट्रीय व्यापार को संिानित करने वािा एकमात्र बहुपक्षीय सािन बन गया था जब तक
नक वर्ष 1995 में नवि व्यापार संगठन की स्थापना नहीं हुई।

 उरुग्वे राउंि वर्ष 1987 से वर्ष 1994 तक आयोनजत नकया गया था नजसके पररणामस्वरूप मारके श समझौता हुआ
नजसके द्वारा नवि व्यापार संगठन की स्थापना की गई।

o नवि व्यापार संगठन GATT के नसिांतों को समानवष्ट करता है और उन्हें िागू करने एवं नवस्तृत करने हेतु
अनिक स्थायी संस्थागत ढााँिा प्रदान करता है।

o GATT का समापन वर्ष 1947 में हुआ था और अब इसे GATT 1947 के रूप में संदनभषत नकया
जाता है। GATT 1947 को 1996 में समाप्त कर नदया गया एवं िसल्यटू ीओ ने इसके प्राविानों को
GATT 1994 में एकीकृ त कर नदया।

o GATT 1994 सभी WTO सदस्यों पर बाध्य एक अंतरराष्ट्रीय संनि है। यह के वि माि
व्यापार से सबं नं ित है।
WTO ने GATT का स्थान क्यों वलया?

 GATT नसफष ननयमों एवं बहुपक्षीय समझौतों का संग्रह था नजसमें संस्थागत ढााँिे का अभाव था।

o GATT 1947 को समाप्त कर नदया गया और WTO ने GATT 1994 के रूप में इसके प्राविानों
को संरनक्षत रखा तथा माि व्यापार संिानित करना जारी रखा।

 सेवाओ ं के व्यापार एवं बौनिक संपदा अनिकारों को सामान्य GATT ननयमों द्वारा कवर नहीं नकया गया था।

 GATT ने परामशष एवं नववाद समािान प्रदान नकया। यनद कोई GATT पक्षकार यह माने नक नकसी अन्य GATT
पक्षकार ने उसे व्यापाररक क्षनत पहुिाँ ाई है तो यह उस पक्षकार को GATT नववाद ननपटान का आह्वान करने की अनमु नत
प्रदान करता था।

o GATT ने व्यापक नवनशष्टताओ ं के साथ एक नववाद प्रनिया ननिाषररत नहीं की थी नजसके पररणामस्वरूप
इसमें समय सीमा, नववाद पैनि की स्थापना में नशनथिता तथा GATT पक्षकारों द्वारा नकसी पैनि ररपोटष पर
स्वीकृ नत संबंिी अभाव थे।

o इसने GATT को एक कमज़ोर नववाद ननपटान तंत्र के रूप में स्थानपत कर नदया।
सच
ं ालन (Working of WTO)

मंिालवयक सम्मेलन (Ministerial Conference)


 नवि व्यापार संगठन का सवोच्ि ननणाषयक ननकाय मत्रं ािनयक सम्मेिन होता है जो आमतौर पर नद्ववानर्षक रूप से आयोनजत
नकया जाता है।
 यह नवि व्यापार सगं ठन के सभी सदस्यों को एक साथ िाता है ये सब देश अथवा सीमा शल्ु क संघ होते हैं।
 मंत्रािनयक सम्मेिन नकसी भी बहुपक्षीय व्यापार समझौते के तहत सभी मामिों पर ननणषय िे सकता है।
महापररषद (General Council)
 महापररर्द WTO का सवोच्ि-स्तरीय ननणाषयक ननकाय होता है जो नक नजनेवा में नस्थत है। WTO के कायों को परू ा
करने के निये ननयनमत रूप से इसकी बैठकें आयोनजत की जाती हैं।

 इसमें सभी सदस्य सरकारों के प्रनतनननि (आमतौर पर राजदतू या उनके समकक्ष) होते हैं तथा उन्हें मत्रं ािनयक सम्मेिन
की ओर से कायष करने का अनिकार होता है जो नसफष प्रनत दो वर्ष में आयोनजत नकया जाता है।

 महापररर्द की बैठक नवनभन्न ननयमों के तहत भी होती है जैस-े


o व्यापार नीवत समीक्षा वनकाय

o और वििाद समाधान वनकाय

 प्रत्येक तीन पररषदें व्यापार के नवनभन्न व्यापक क्षेत्रों को संभािती हैं, महापररर्द को ररपोटष करती हैं:

o िस्तु व्यापार पररषद (माल पररषद)

o सेिा व्यापार पररषद (सेिा पररषद)

o बौविक सपं दा अवधकार के व्यापार से सबं ंवधत पहलुओ ं के वलये पररषद (TRIPS काउंवसल)

o जैसा नक इनके नाम दशाषते हैं तीनों ही व्यापार के संबंनित क्षेत्रों नजनमें ये कायष करती हैं, में WTO समझौतों
के कामकाज़ के प्रनत नज़म्मेदार हैं।
o इनमें भी नवि व्यापार सगं ठन के सभी सदस्य होते हैं।

व्यापार नीवत समीक्षा वनकाय


 व्यापार नीनत समीक्षा ननकाय (The Trade Policy Review Body- TPRB) के अंतगषत सदस्यों की
व्यापार नीनत पर समीक्षा करने एवं व्यापार नीनत नवकास पर महाननदेशक की ननयनमत ररपोटों पर नविार करने के निये
TPRB के रूप में नवि व्यापार संगठन महासभा की बैठक आयोनजत की जाती है।
 फरवरी 2021 में, नगोजी ओकोंजो इिेला को विश्व व्यापार सगं ठन की पहली मवहला महावनदेशक के रूप में
वनयुि वकया गया। वह नाइजीररया की रहने वािी है। ओकोंजो-इवेिा ने 1 मािष 2021 को पदभार ग्रहण नकया, और
इस पद को िारण करने वािी पहिी मनहिा और पहिी अफ्रीकी दोनों बनीं।

 इस प्रकार TPRB सभी WTO सदस्यों के निये खि


ु ा होता है।
वििाद समाधान वनकाय ((Dispute Settlement Body- DSU)
 नवि व्यापार सगं ठन के सदस्यों के मध्य नववादों को ननपटाने के निये महापररर्द नववाद ननपटान ननकाय (Dispute
Settlement Body- DSU) के रूप में बैठकें आयोनजत की जाती है।
 इस तरह के नववाद उरुग्वे राउंि के अनं तम अनिननयम में नननहत नकसी भी समझौते के सबं िं में उत्पन्न हो सकते हैं जो
नववाद ननपटान संिानित करने वािी प्रनियाओ ं एवं ननयमों की समझ के अिीन हैं।

 नववाद समािान ननकाय के पास ननम्ननिनखत अनिकार हैं:

o नववाद समािान पैनि स्थानपत करना,

o मध्यस्थता संबंिी मामिों को देखना,

o पैनि, अपीिीय ननकाय एवं मध्यस्थता ररपोटों को अपनाना

o ऐसी ररपोटों में शानमि नसफाररशों एवं फै सिों के कायाषन्वयन पर ननगरानी बनाए रखना,
o और उन नसफाररशों एवं फै सिों के अनपु ािन न होने की नस्थनत में ररयायतों के ननिंबन को अनिकृ त करना।
अपीलीय वनकाय (appellate body)
 अपीिीय ननकाय की स्थापना वर्ष 1995 में अनच्ु छे द 17 के नववाद ननपटान संिानित करने वािी प्रनियाओ ं एवं
ननयमों की समझ के तहत की गई थी।
 नववाद समािान ननकाय अपीिीय ननकाय में सेवाएाँ देने हेतु िार साि की अवनि के निये व्यनक्तयों की ननयनु क्त करता है।

 यह सात व्यनक्तयों का एक स्थायी ननकाय है जो WTO के सदस्यों द्वारा िाए गए नववादों में पैनिों द्वारा जारी की गई
ररपोटों की अपीि पर सनु वाई करता है।

 अपीिीय ननकाय एक पैनि के काननू ी ननणषयों एवं ननष्ट्कर्ों को बरकरार रख सकता है, संशोनित कर सकता है अथवा
पिट सकता है। अपीिीय ननकाय की ररपोटष को एक बार नववाद ननपटान ननकाय द्वारा अपनाये जाने के बाद नववाद का
सामना करने वािे पक्षों को अपनाना होता है।

 अपीिीय ननकाय नजनेवा, नस्वट्ज़रिैंि में है।


िस्तु व्यापार महापररषद (िस्तु पररषद)

 प्रशल्ु क एवं व्यापार पर सामान्य समझौता (GATT) में अंतराषष्ट्रीय माि व्यापार शानमि होता है।

o GATT समझौते के कामकाज की नज़म्मेदारी माि व्यापार महापररर्द (माि पररर्द) की होती है नजसमें सभी
WTO सदस्य देशों के प्रनतनननि होते हैं।

 माि व्यापार पररर्द की नवनशष्ट नवर्यों से संबंनित सनमनतयााँ होती हैं: (1) कृ नर्, (2) बाज़ार पहुिाँ , (3) स्वच्छता एवं
पादप संबंिी स्वच्छता (नवशेर्कर कृ नर् में पौिों की बीमाररयों के ननयंत्रण के उपाय) उपाय, (4) व्यापार में तकनीकी
बािाएाँ, (5) सनससिी जैसे उपाय, (6) मि ू के ननयम, (7) बाज़ार अवमल्ू यन रोिी उपाय, (8) आयात िाइसेंस, (9)
व्यापार से संबंनित ननवेश के उपाय, (10) सरु क्षा उपाय, (11) व्यापार सनु विा, (12) सीमा शल्ु क मल्ू यांकन।
o इन सनमनतयों में सभी सदस्य देश होते हैं।
सेिा व्यापार महापररषद (सेिा पररषद)

 ं ानित होती है एवं सेवा व्यापार में सामान्य समझौते (General Agreement
यह महापररर्द के मागषदशषन में सि
on Trade in Services- GATS) के कायों के संिािन तथा अपने अन्य उद्देश्यों प्रनत नज़म्मेदार होती है।

 यह सभी WTO सदस्यों के निये खि


ु ी होती है एवं आवश्यकतानसु ार सहायक ननकाय बना सकती है।
 वतषमान में पररर्द ऐसे िार सहायक ननकायों के कामकाज की देखरे ख करती है:

o नवत्तीय सेवाओ ं के व्यापार पर सनमनत


o यह नवत्तीय सेवाओ ं में व्यापार से संबंनित मामिों पर ििाष करती है एवं पररर्द द्वारा नविार करने हेतु
प्रस्ताव या नसफाररशें तैयार करती है।
o नवनशष्ट प्रनतबिताओ ं पर सनमनत।
o घरे िू नवननयमन पर काम करने वािा पक्ष।

o GATS ननयमों पर काम करने वािा पक्ष।


बौविक सपं दा अवधकार के व्यापार-सबं ंवधत पहलुओ ं के वलये पररषद (वट्रप्स पररषद)

 यह बौनिक संपदा अनिकारों के व्यापार-संबंनित पहिुओ ं पर समझौते (नरप्स समझौते) के कायाषन्वयन की ननगरानी करती
है।
 यह एक ऐसा मिं प्रदान करता है नजसमें नवि व्यापार संगठन के सदस्य बौनिक संपदा मामिों पर परामशष कर सकते हैं
एवं नरप्स समझौते में पररर्द को सौंपी गई नवनशष्ट उत्तरदानयत्वों का वहन करते हैं।
 वट्रप्स समझौता

o ं े तों (Geographical Indications-


कॉपीराइट एवं सबं नं ित अनिकारों, रेिमाकष , भौगोनिक सक
GI), औद्योनगक निजाइन, पेटेंट, एकीकृ त सनकष ट िे आउट निज़ाइन तथा अप्रकानशत जानकारी सरु क्षा हेतु
न्यनू तम मानक ननिाषररत करता है।

o बौनिक संपदा अनिकारों (Intellectual Property Rights- IPR) के प्रवतषन हेतु इनके उल्िंघन
होने पर नागररक कायों के माध्यम से सीमा पर कारष वाई, न्यनू तम मानक स्थानपत करता है।
o और कॉपीराइट िोरी एवं रेिमाकष िोरी के सबं िं में आपरानिक कारष वाई।
WTO- Ministerial Conferences
मंिालवयक सम्मेलन

प्रथम मंत्रािनयक सम्मेिन (अथाषत् MC1) वर्ष 1996 में नसंगापरु में आयोनजत नकया गया था और आनखरी सम्मेिन (MC11)
वर्ष 2017 में सयनू स आयसष में आयोनजत नकया गया था। इन सभी मंत्रािनयक सम्मेिनों में मौजदू ा वैनिक व्यापार प्रणािी नवकनसत
हुई है।
वसगं ापुर, 9-13 वदसबं र 1996 (MC1)

 नवि व्यापार संगठन के 120 से अनिक सदस्यों तथा जो WTO में सनम्मनित होने की प्रनिया में थे, की सरकारों के
व्यापार, नवदेश, नवत्त एवं कृ नर् मंनत्रयों ने इसमें भाग निया था।

 ननम्ननिनखत िार मद्दु ों को नसगं ापरु मद्दु े नाम नदया गया, ये पहिे िार मद्दु े थे नजन पर बहुपक्षीय ननकाय वाताष शरू
ु कर
सकता था:

o व्यापार एवं ननवेश


o व्यापार सरिीकरण
o सरकारी खरीद में पारदनशषता
o व्यापार एवं प्रनतयोनगता
वजनेिा, वस्िट्ज़रलैंि 18-20 मई 1998 (MC2)

 मंत्रािनयक घोर्णा पत्र में ननम्ननिनखत कायषिम शानमि थे:

o सदस्यों द्वारा सामने िाए गए मौजदू ा समझौतों एवं ननणषयों के कायाषन्वयन से संबंनित मद्दु ों सनहत मद्दु ;े

o मारके श में नकये गए अन्य मौजदू ा समझौतों एवं ननणषयों के तहत पहिे से तय नकये गये भनवष्ट्य के कायष;

o नसंगापरु में शरू


ु नकये गए कायषिम के आिार पर भनवष्ट्य के संभानवत कायष;
o कृ नर् पर व्यापक वाताष के अगिे िरण के निये प्राथनमकता वािे क्षेत्रों में बाज़ार पहुिाँ , ननयाषत सनससिी आनद
शानमि हैं।
सीएटल (Seattle), सयं ुि राज्य अमेररका 30 निंबर-3 वदसबं र, 1999 (MC3)

 ु मद्दु े थे:
इसमें दो प्रमख
o पहिा मद्दु ा यह था नक उरुग्वे राउंि जैसी नई व्यापक वाताष शरू
ु की जाए अथवा अनं तम मत्रं ािनयक बैठक में
अनिनदष्ट कृ नर् एवं सेवाओ ं की तथाकनथत ‘नबल्ट इन एजेंिा’ वाताष को सीनमत करना हो।

o दसू री बात यह है नक वाताष नकस पर होनी िानहये, नवशेर् रूप से वाताष के दौरान बैठक के एजेंिे में क्या शानमि
होना िानहये।
 बैठक दोनों मद्दु ों को हि करने में असमथष रही एवं गनतरोि में ही समाप्त हो गई।

 नये िरण की वाताष के समझौते के नबना एवं मत्रं ािनयक घोर्णा पर समझौते के नबना नविार-नवमशष समाप्त कर नदया गया
था।
दोहा, कतर 9-13 निबं र 2001 (MC4)

 कवष: नवकासशीि देशों को प्रभावी ढगं से खाद्य सरु क्षा एवं ग्रामीण नवकास सनहत उनकी नवकास ज़रूरतों को पणू ष करने
में सक्षम बनाने के निये नवकासशीि देशों हेतु नवशेर् एवं अंतर संबंिी उपाय वाताष के सभी तत्त्वों के एक अनभन्न अगं
होंगे।
 सेिाए: सभी व्यापाररक भागीदारों की आनथषक वृनि और नवकासशीि एवं अल्प नवकनसत देशों के नवकास को बढावा
देने के उद्देश्य से सेवाओ ं के व्यापार पर वाताष आयोनजत की जाएगं ी।

o जनवरी 2000 में सेवाओ ं के व्यापार पर सामान्य समझौते के अनच्ु छे द 19 (GATS) के तहत की गई
वाताषओ ं में पहिे से ही शरू ु नकये गए काम को इसमें मान्यता दी गई। WTO के सदस्यों द्वारा कई क्षेत्रों एवं
समस्तरीय मद्दु ों से सबं नं ित बड़ी सख्ं या में प्रस्ताव नदये गए।
 गैर-कवष उत्पादों की बाज़ार तक पहच:
o वाताष में नवकासशीि एवं अल्प नवकनसत देश प्रनतभानगयों की नवशेर् ज़रूरतों और नहतों का ध्यान रखा जाएगा
नजसमें GATT 1994 के अनच्ु छे द 28 के प्रासंनगक प्राविानों के अनसु ार पणू ष प्रनतबिताएाँ शानमि हैं।
 सरकारी खरीद में पारदवशिता:
o सरकारी खरीद में पारदनशषता पर एक बहुपक्षीय समझौते एवं इस क्षेत्र में तकनीकी सहायता में वृनि और क्षमता
ननमाषण की आवश्यकता को मान्यता देते हुए यह सहमनत व्यक्त की गई नक समझौते सवषसम्मनत से नकये जाने
वािे ननणषय के आिार पर होंगे।
कान्कुन, मेवक्सको 10-14 वसतंबर 2003 (MC5)
 इसका मख्ु य कायष दोहा नवकास एजेंिा के तहत वाताष एवं अन्य कायों में प्रगनत का जायजा िेना था।
होंगकोंग, 13-18 वदसबं र 2005 (MC6)
 WTO की सदस्य अथषव्यवस्थाओ ं ने सनससिी को कम करके कृ नर् व्यापार के उदारीकरण पर प्रारंनभक समझौते पर
पहुिाँ ने का िक्ष्य रखा एवं बैठक में अन्य मद्दु ों को संबोनित नकया नजसका उद्देश्य वर्ष 2006 में दोहा राउंि का सफि
समापन था।
 एक गहन बातिीत के बाद नवि व्यापार संगठन के सदस्यों ने दोहा राउंि वाताष के निये प्रस्तावों एवं शतों का एक अतं ररम
समहू तैयार नकया:

o कृ नर् ननयाषत सनससिी (2013) एवं कपास ननयाषत सनससिी (2006) के उन्मि
ू न की समय सीमा,
o और यह प्रानिकृ त नकया नक अल्प नवकनसत देशों (Least Developed Countries- LDC) में
बनने वािे कम से कम 97% उत्पादों को वर्ष 2008 तक शल्ु क एवं अंश मक्त
ु पहुिाँ प्रदान की जाएगी।
o गैर-कृ नर् बाज़ार पहुिाँ (NAMA) के निये सदस्यों ने ‘नस्वस सत्रू ’ को अपनाया नजसमें उच्ि प्रशल्ु क में
बड़ी कटौती की बात की गई थी और यह तय नकया नक 30 अप्रैि 2006 तक प्रशल्ु क में कटौती हेतु तौर-
तरीके स्थानपत नकये जाएाँ।

o नस्वस सत्रू (नस्वस प्रनतनननि मंिि द्वारा WTO के निये) दोनों नवकनसत एवं नवकासशीि देशों द्वारा
गैर कृ नर् वस्तुओ ं (NAMA) पर प्रशल्ु क को कम करने के निये सझु ाया गया एक तरीका है।

o यह नवकनसत एवं नवकासशीि देशों के निये अिग-अिग गणु ांक तैयार करता है।
o यहााँ प्रशल्ु क कटौती को इस तरह समझा जाना िानहये नक यह कम प्रशल्ु क की तुिना में अनिक
प्रशल्ु क में ज़्यादा कटौती करता है।

 यह बैठक वर्ष 2001 में शरू


ु की गई दोहा व्यापार वाताष का अनं तम िरण हो सकती है।
वजनेिा, वस्िट्ज़रलैंि 30 निबं र - 2 वदसबं र 2009 (MC7)

 सम्मेिन का नवर्य “नवि व्यापार संगठन, बहुपक्षीय व्यापार प्रणािी एवं वतषमान वैनिक आनथषक वातावरण” था।
 नपछिे सम्मेिनों के नवपरीत यह बैठक दोहा राउंि का सत्र नहीं थी बनल्क मनं त्रयों के निये िसल्यटू ीओ के काम के सभी
तत्त्वों को प्रनतनबंनबत करने, नविारों का आदान-प्रदान करने एवं आने वािे वर्ों में आगे बढने हेतु सवोत्तम मागषदशषन का
अवसर था।
वजनेिा, वस्िट्ज़रलैंि 15-17 वदसबं र 2011 (MC8)

 सम्मेिन ने रूसी सघं , समोआ एवं मोंटेनेग्रो के प्रवेश को मज़ं रू ी प्रदान की।

 इसने बौनिक सपं दा, इिेक्रॉननक वानणज्य, िघु अथषव्यवस्थाएाँ, अल्प नवकनसत देशों के प्रवेश, अल्प नवकनसत देशों को
सेवाओ ं की छूट एवं व्यापार नीनत की समीक्षा पर कई ननणषय अपनाए।
 इसने नवि व्यापार संगठन के समझौतों एवं दोहा अनिदेश को परू ा करने तथा उन्हें और अनिक सटीक, प्रभावी व नियाशीि
बनाने की दृनष्ट से समीक्षा करने के उनके सक
ं ल्प को परू ा करने हेतु नवशेर् और अतं र सबं िं ी व्यवहार प्राविानों के एकीकरण
की पनु ष्ट की।
बाली, इिं ोनेवशया 3-6 वदसबं र 2013 (MC9)

 सम्मेिन में ‘बाली पैकेज’ अपनाया गया नजसमें ननम्ननिनखत नबंदओ


ु ं पर िनक्षत ननणषयों की एक शृख
ं िा थी:

o व्यापार को सव्ु यवनस्थत करना,

o खाद्य सरु क्षा प्रदान करने के निये नवकासशीि देशों को अनिक नवकल्प प्रदान करना,
o अल्प नवकनसत देशों के व्यापार को बढावा देना एवं नवकास में अनिक व्यापक रूप से सहायता करना।
 बािी पैकेज में व्यापक दोहा राउंि वाताष के ियननत मद्दु े हैं।
 सम्मेिन ने नवि व्यापार संगठन के नए सदस्य के रूप में यमन के प्रवेश को भी मंज़रू ी प्रदान की।
नैरोबी, के न्या 15-19 वदसबं र 2015 (MC10)

 कृ नर्, कपास एवं अल्प नवकनसत देशों (LDC) से संबंनित मद्दु ों पर ननणषयों की शृंखिा ‘नैरोबी पैकेज’ को अपनाने
के पररणामस्वरूप इसका आयोजन नकया गया।
 कवष

o सदस्य नवकासशीि के निये नवशेर् सरु क्षा तंत्र;

o खाद्य सरु क्षा उद्देश्यों के निये सावषजननक नहस्सेदारी;

o ननयाषत प्रनतयोनगता;
 कपास: कई नवकासशीि अथषव्यवस्थाओ ं एवं नवशेर् रूप से उनमें से कई अल्प नवकनसत देशों के निये कपास के महत्त्व
पर ध्यान देते हुए;

o ऐसा करने की घोर्णा करने वािे सदस्य नवकनसत देश एवं सदस्य नवकासशीि देश 1 जनवरी 2016 से अल्प
नवकनसत देशों के पक्ष में अनिमान्य व्यापार व्यवस्था प्रदान कर रहे हैं एवं अल्प नवकनसत देशों द्वारा उत्पानदत
एवं ननयाषत नकये जाने वािे कपास उत्पादों को कोटा मक्तु एवं शल्ु क मक्तु बाज़ार तक पहुिाँ प्रदान कर रहे हैं।
अल्प विकवसत देशों के मुद्दे

 अल्प नवकनसत देशों के निये उत्पनत्त के अनिमान्य ननयम;

 अल्प नवकनसत देशों की सेवाओ ं एवं सेवा आपनू तषकताषओ ं के पक्ष में अनिमान्य उपिार का कायाषन्वयन;
 और सेवाओ ं के व्यापार में अल्प नवकनसत देशों की भागीदारी में वृनि;

 नैरोबी ननणषय वर्ष 2013 के LDC के निये उत्पनत्त के अनिमान्य ननयमों पर बािी मंत्रािनयक ननणषय पर आिाररत है।

 "नैरोबी पैकेज" संगठन के सबसे ननिषनतम सदस्यों को िाभानन्वत करने वािी प्रनतबिताएाँ प्रदान करके सम्मेिन के
मेजबान, के न्या को पाररतोनर्क प्रदान करता है।
धयूनस आयसि, अजेंटीना 10-13 वदसबं र 2017 (MC11)

 सम्मेिन मत्स्य पािन सनससिी और ई-वानणज्य शल्ु कों एवं सभी क्षेत्रों में वाताष जारी रखने के निये प्रनतबिता सनहत कई
मंत्रािनयक ननणषयों के साथ समाप्त हुआ।
वजनेिा, वस्िट्रज़लैंि 12-17 जून 2022 (MC12)

 हाि ही में विश्व व्यापार सगं ठन (World Trade Organization-WTO) का 12वांँाँ मनं त्रस्तरीय
सम्मेिन संपन्न हुआ।

o कज़ाखस्तान मि ू रूप से जनू 2020 में MC12 की मेज़बानी करने वािा था, िेनकन कोनवि -19 महामारी
के कारण सम्मेिन को स्थनगत कर नदया गया था।

 ििाष के प्रमख
ु क्षेत्रों में महामारी पर िसल्यटू ीओ की प्रनतनिया, मत्स्य पािन सनससिी वाताष, खाद्य सरु क्षा के निये
सावषजननक स्टॉकहोनल्िंग सनहत कृ नर् मद्दु ,े िसल्यटू ीओ सिु ार और इिेक्रॉननक रांसनमशन पर कस्टम ि्यटू ी पर अनिस्थगन
शानमि थे।
नूर-सल्ु तान, कजावकस्तान, 8-11 जून 2020 (MC12)

 नवि व्यापार संगठन के सदस्यों ने सहमनत व्यक्त की है नक संगठन का 12वााँ मत्रं ािनयक सम्मेिन (MC12) जनू
2020 में कजानकस्तान में होगा, जो वर्ष 2015 में नवि व्यापार संगठन में शानमि हुआ था।
दोहा राउंि

 दोहा राउंि WTO सदस्यों के मध्य व्यापार वाताष का नवीनतम दौर है। इसका उद्देश्य व्यापार बािाओ ं को ननम्न करके
और संशोनित व्यापार ननयमों की शरुु आत के माध्यम से अतं राषष्ट्रीय व्यापार प्रणािी में अहम सिु ार करना है।

 दोहा राउंि को अिष-आनिकाररक तौर पर दोहा नवकास एजेंिा के रूप में भी जाना जाता है जैसा नक इसका एक मौनिक
उद्देश्य नवकासशीि देशों की व्यापाररक सभं ावनाओ ं में सिु ार करना है।

 दोहा राउंि को आनिकाररक तौर पर नवबं र 2001 में दोहा, कतर में WTO के ितथु ष मत्रं ािनयक सम्मेिन (MC4)
में शरू
ु नकया गया था।
 दोहा मंत्रािनयक घोर्णा ने वाताष के निये अनिदेश प्रदान नकया नजसमें ननम्ननिनखत नवर्य शानमि हैं:
o कवष: अनिक बाज़ार पहुिाँ , ननयाषत सनससिी को खत्म करना, नवकृ त घरे िू समथषन को कम करना, नवकासशीि
देशों के मद्दु ों को श्रेणीबि करना एवं गैर व्यापाररक मद्दु ों जैसे खाद्य सरु क्षा एवं ग्रामीण नवकास पर बात करना।
o गैर-कवष बाज़ार पहच (NAMA): प्रशल्ु कों का उन्मि
ू न अथवा उनमें तकष संगत कटौती, अनिकतम
प्रशल्ु क एवं प्रशल्ु क वृनि (प्रसंस्करण में बािक उच्ि प्रशल्ु क, कच्िे माि पर ननम्न प्रशल्ु क) को कम करने के
साथ-साथ गैर प्रशल्ु क बािाओ ं को कम करना नवशेर् रूप से नवकासशीि देशों के ननयाषनतत उत्पादों पर।
o सेिाए: बाज़ार पहुिाँ में सिु ार करना और ननयमों को मज़बतू करना।
o प्रत्येक सरकार को यह तय करने का अनिकार है नक वह नकन क्षेत्रों को नवदेशी कंपननयों के निये
खोिना िाहती है और नकस सीमा तक खोिना िाहती है, इनमें नवदेशी स्वानमत्व पर प्रनतबंि भी
शानमि है।

o कृ नर् एवं NAMA के नवपरीत, सेवा समझौते "तौर-तरीकों" के नननित किेवर पर आिाररत नहीं
है। वे अपररहायष रूप से दो प्रकार से संिानित नकये जा रहे हैं:
(a) नद्वपक्षीय और/या बहुपक्षीय समझौते (के वि कुछ WTO सदस्यों को शानमि करते हुए)।
(b) नकन्हीं भी आवश्यक ननयमों एवं नवननयमों को स्थानपत करने के निये सभी WTO सदस्यों के
मध्य बहुपक्षीय वाताष।
o व्यापार सरलीकरि: सीमा शल्ु क प्रनियाओ ं को आसान बनाने और माि की आवाजाही, ररिीज एवं ननकासी
की सनु विा के निये।
o यह समग्र वाताष में एक महत्त्वपणू ष संयोजन है क्योंनक यह सीमा शल्ु क प्रनियाओ ं में नौकरशाही एवं
भ्रष्टािार में कमी िाएगा और व्यापार को गनत प्रदान करे गा तथा व्यापाररक प्रनिया कम खिीिी हो
जाएगी।
o वनयम: इनमें एंटी-िंनपंग, सनससिी और प्रनतकारी उपाय, मत्स्य पािन सनससिी और क्षेत्रीय व्यापार समझौते
शानमि हैं।

o एंटी-िंनपंग एवं सनससिी समझौतों के तहत ‘स्पष्टीकरण एवं ननयमों में सिु ार’।
o नवकासशीि देशों के निये इस क्षेत्र के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए मत्स्य पािन एवं सनससिी पर
WTO ननयमों को स्पष्ट करना एवं उनमें सिु ार करना।
o पयाििरि: ये GATT/WTO में व्यापार एवं पयाषवरण पर प्रथम महत्त्वपणू ष समझौते हैं। इनके दो प्रमख

घटक हैं:

o पयाषवरणीय वस्तओु ं का मक्त


ु व्यापार-नवि व्यापार सगं ठन के सदस्यों द्वारा प्रस्तानवत उत्पादों में शानमि
हैं: पवन टबाषइन, काबषन कै प्िर भिं ारण प्रौद्योनगनकयााँ और सौर पैनि।
o पयाषवरणीय समझौते-बहुपक्षीय पयाषवरणीय समझौतों के सनिवािय के साथ सहयोग में सिु ार और
व्यापार एवं पयाषवरण ननयमों के बीि अनिक सामजं स्य स्थानपत करना।
o भौगोवलक सक
ं े त: मनदरा एवं नस्प्रट के निये बहुपक्षीय रनजस्टर

o भौगोनिक संकेतक स्थानों के नाम होते हैं (कुछ देशों में नकसी स्थान से संबंनित शसद) जो इन स्थानों
से आने वािे उत्पादों की पहिान करने के निये उपयोग नकये जाते हैं और इनमें नवनशष्ट स्थाननक
नवशेर्ताएाँ होती हैं (उदाहरण के निये, शैम्पेन, टकीिा या रोक्फोटष)। नरप्स समझौते (अनच्ु छे द 22)
के अतं गषत िोगों को गमु राह करने एवं अननु ित प्रनतस्पिाष को रोकने के निये सभी भौगोनिक सक ं े तों
को संरनक्षत नकया जाना िानहए।
o बौनिक संपदा से संबंनित यह एकमात्र मद्दु ा है जो दोहा वाताष का भाग है।
o इसका उद्देश्य भाग िेने वािे देशों में मनदरा एवं नस्प्रट के व्यापार को सरं क्षण प्रदान करना है है। इसको
िेकर वाताषएाँ वर्ष 1997 में शरू
ु हुई ं तथा वर्ष 2001 में दोहा राउंि में इन पर अमि नकया गया।
o बौविक सपं दा से सबं ंवधत अन्य मुद्दे: कुछ सदस्य दो अन्य नवर्यों पर बातिीत करना िाहते हैं और उन्हें
मनदरा एवं नस्प्रट के रनजस्टर से जोड़ना िाहते हैं। अन्य सदस्य इससे सहमत नहीं हैं। इन दो नवर्यों पर ििाष की
जाती है:

o भौगौनिक संकेतक नवस्तार-मनदरा एवं नस्प्रट के अनतररक्त भौगोनिक संकेतकों के उच्ि स्तरीय संरक्षण
में वृनि।

o बायोपाइरे सी, िाभ साझा करने एवं पारंपररक ज्ञान का उपयोग।


o वििाद वनपटान: नववाद ननपटान को बेहतर बनाने और स्पष्ट करने के निये, काननू ी नववादों के
ननपटान हेतु िसल्यटू ीओ समझौता।

o ये वाताषएाँ नववाद ननपटान ननकाय (DSB) के नवशेर् सत्रों में संपन्न होती हैं।

 दोहा राउंि नदशाहीन प्रतीत होता है, वर्ष 2008 की दसू री छमाही में शरू ु हुई वैनिक महामंदी ने आशंकाओ ं को जन्म
नदया नक नवि संरक्षणवाद की एक िहर का सामना कर सकता है नजसे रोकने में WTO शनक्तहीन होगा। वर्ष 2008
के वैनिक नवत्तीय सक
ं ट के बाद कम आशक ं ाओ ं के साथ वाताषएाँ जारी रहीं।
 वर्ष 2013 में इिं ोनेनशया के बािी में मत्रं ािनयक सम्मेिन (MC9) ने पहिे बहुपक्षीय समझौते के रूप में नवि व्यापार
संगठन के ननमाषण के बाद से एक महत्त्वपणू ष उपिनसि हानसि हुई।

o यह व्यापार सनु विा समझौता (Trade Facilitation Agreement- TFA) था नजसका उद्देश्य
सीमा शल्ु क प्रनियाओ ं को गनत देना एवं व्यापार को सगु म, तीव्र एवं सस्ता बनाना है।

o TFA नसफष वृहद दोहा एजेंिे का एक छोटा भाग था िेनकन सफि समझौता आशावाद का कारण रहा।
o वाताषएाँ ‘सावषजननक स्टॉकहोनल्िंग’ पर एक अंतररम समझौते (एक शांनत िरण) तक पहुिाँ गई नजनमें ऐसे
अपवाद शानमि हैं जो नवकासशीि देशों को खाद्य पदाथों की कमी से बिाने के निये कृ नर् उत्पादों को भिं ाररत
करने की अनमु नत प्रदान करते हैं।

 वर्ष 2015 मंत्रािनयक सम्मेिन नैरोबी, के न्या (MC10) में एक ियननत संख्या नें मद्दु ों पर ध्यान कें नद्रत नकया जो नक
दोहा नवकास एजेंिा (Doha Development Agenda- DDA) का नहस्सा हैं। DDA के ननम्ननिनखत
मद्दु ों पर समझौता हुआ:

o कृ नर् ननयाषत को अननु ित ढगं से समथषन देने वािी सनससिी के उपयोग एवं अन्य योजनाओ ं को रोकना
o यह सनु ननित करना नक नवकासशीि देशों के निये खाद्य सहायता इस प्रकार प्रदान की जाए नजससे स्थानीय
बाज़ारों नवकृ त नहीं हों
o ननिषनतम देशों के ननयाषतकों द्वारा परू ी की जाने वािी शतों को आसान बनाने का प्रयास करना तानक उन्हें व्यापार
समझौतों से िाभ हो (तथाकनथत मि ू स्थान के ननयम)
o नवि व्यापार संगठन के 164 सदस्य देशों में सेवाएाँ प्रदान करने के निये ननिषनतम देशों को व्यवसायों के निये
अनिक अवसर प्रदान करना

 हािााँनक कई समीक्षकों के अनसु ार नैरोबी सम्मेिन ने दोहा वाताष के अंत का संकेत नदया है, यह नविार वर्ष 2016 में
िोनाल्ि रंप के अमेररका के राष्ट्रपनत के रूप में िनु े जाने के पिात् मज़बतू हुआ है।

o राष्ट्रपनत रंप ने पदभार ग्रहण करने के तरु ं त बाद 12-देशीय रांस-पैनसनफक पाटषनरनशप (TTP) से अिग
होकर नद्वपक्षीय व्यापार के निये अपनी प्राथनमकता स्पष्ट कर दी।

 वर्ष 2017 के मत्रं ािनयक सम्मेिन सयनू स आयसष (MC11) में, सयं क्त ु राज्य अमेररका ने बहुपक्षवाद के प्रनत सश
ं य
को प्रनतनबनं बत नकया जब इसने एक मत्रं ािनयक घोर्णा मसौदे पर समझौते को अवरुि कर नदया नजससे "बहुपक्षीय व्यापार
प्रणािी की कें द्रीयता और सगं ठन के कायष के नवकास आयाम की पनु : पनु ष्ट होती।"
o इस बीि यनद नवि व्यापार संगठन के सदस्यों ने खाद्य सरु क्षा के निये सावषजननक स्टॉकहोनल्िंग पर भारत की
मााँगों को स्वीकार नहीं करते हैं तो भारत ने बार-बार नवि व्यापार संगठन के समझौतों (व्यापार सगु म समझौते
सनहत) को अवरुि करने की िेतावनी दी है। भारत ने ई-कॉमसष एवं ननवेश सनु विा सनहत नए मद्दु ों पर भी अपना
सख्त रुख अपनाया है।

o अतं में, यह कई पक्षों के निये राहत की बात थी नक सयं क्तु राज्य अमेररका ने सनिय रूप से नवि व्यापार सगं ठन
को नष्ट करने का प्रयास नहीं नकया जो नक कुछ पक्षों ने आशंका जताई थी िेनकन अपनी पारंपररक नेतत्ृ व
भनू मका को छोड़ देने से कुछ ऐसे ही पररणाम प्राप्त होंगे नसफष उनकी गनत मंद होगी।
WTO का विश्व के वलये योगदान
 नवि व्यापार संगठन उन तीन अतं राषष्ट्रीय संगठनों में से एक है (अन्य दो अंतराषष्ट्रीय मद्रु ा कोर् (IMF) और नवि बैंक
समहू हैं) जो नवि आनथषक नीनत का ननमाषण एवं समन्वय करते हैं। यह ननम्न क्षेत्रों में महत्त्वपणू ष भनू मका ननभा रहा है:

o अतं राषष्ट्रीय व्यापार,

o वैनिक अथषव्यवस्था,
o एवं वैिीकरण के कारण अतं राषष्ट्रीय व्यापार में उत्पन्न होने वािे राजनीनतक और काननू ी मद्दु ।े
 यह देशों के मध्य व्यापार संबंिी बािाओ ं को कम करने एवं नए बाज़ार खोिने के निये नवि की सबसे शनक्तशािी संस्था
के रूप में उभरा है।

 यह वैनिक आनथषक नीनतयों को बनाने में सामजं स्य स्थानपत करने हेतु IMF एवं नवि बैंक के साथ सहयोग करता है।

 व्यापार संबंिी नववादों को सि


ु झाने के माध्यम से नवि व्यापार संगठन को अपने सदस्य देशों के मध्य बातिीत, परामशष
एवं मध्यस्थता के ज़ररये नवि शांनत तथा नद्वपक्षीय संबंिों को बनाए रखने की क्षमता हानसि हुई है।
 िैवश्वक व्यापार वनयम: नवि व्यापार संगठन में ननणषय सामान्यतः सभी सदस्यों के बीि आम सहमनत से निया जाते हैं
और उनकी सदस्यों की सभा द्वारा पनु ष्ट की जाती है। इससे एक अनिक समृि, शांनतपणू ष एवं जवाबदेह आनथषक नवि का
ननमाषण होता है।
 व्यापार िाताि: GATT और WTO ने अभतू पवू ष वृनि में योगदान देने वािी एक मज़बतू एवं समृि व्यापार प्रणािी
बनाने में मदद की है।

 इस प्रणािी को GATT के तहत आयोनजत व्यापार वाताष या राउंि्स की एक शृंखिा के माध्यम से नवकनसत नकया
गया था। 1986-94 राउंि - उरुग्वे राउंि से नवि व्यापार संगठन का ननमाषण हुआ।

o वर्ष 1997 में, दरू सि ं ार सेवाओ ं पर एक समझौता हुआ नजसमें 69 सरकारें व्यापक उदारीकरण उपायों पर
सहमत हुई ं यह उरुग्वे राउंि में सहमत होने वािी सरकारों के अनतररक्त थीं।

o इसके अनतररक्त वर्ष 1997 में 40 सरकारों ने सिू ना प्रौद्योनगकी उत्पादों में प्रशल्ु क मक्त
ु व्यापार के निये
सफितापवू षक वाताषएाँ संपन्न की और 70 सदस्यों ने नवत्तीय सेवाओ ं का समझौता संपन्न नकया नजसमें बैंनकंग,
बीमा, प्रनतभनू तयों और नवत्तीय जानकारी में 95% से अनिक व्यापार शानमि था।
o वर्ष 2000 में, कृ नर् और सेवाओ ं पर नई वाताषएाँ शरू
ु हुई।ं इन्हें व्यापक कायष कायषिम दोहा नवकास एजेंिा में
शानमि नकया गया था जो नवंबर 2001 में दोहा, कतर में िौथे नवि व्यापार संगठन मंत्रािनयक सम्मेिन
(MC4) में शरू ु नकया गया।
o वर्ष 2013 में बािी में 9वें मत्रं िानयक सम्मेिन (MC9) में, नवि व्यापार सगं ठन के सदस्यों ने व्यापार
सगु मता समझौते को प्रारंभ नकया नजसका उद्देश्य िािफीताशाही को कम करके सीमा नविंब को कम करना है।

o सिू ना प्रौद्योनगकी समझौते का नवस्तार वर्ष 2015 में नैरोबी में 10 वें मत्रं िानयक सम्मेिन (MC10) में
संपन्न हुआ, इसने 200 अनतररक्त IT उत्पादों पर प्रनत वर्ष 1.3 नरनियन िॉिर से अनिक मल्ू य के शल्ु क
को समाप्त कर नदया।

o हाि ही में, WTO के बौनिक संपदा समझौते में एक संशोिन वर्ष 2017 में िागू हुआ, नजससे कमज़ोर
अथषव्यवस्थाओ ं की नकफायती दवाओ ं तक पहुिाँ आसान हो गई।
o इसी वर्ष व्यापार सगु मता समझौता िागू हुआ।
 विश्व व्यापार सगं ठन के समझौते

o नवि व्यापार संगठन के ननयम, समझौते सदस्यों के मध्य वाताषओ ं का पररणाम हैं।

o वतषमान सग्रं ह काफी हद तक 1986- 94 के उरुग्वे राउंि की वाताष का पररणाम है, नजसमें मि

प्रशल्ु क एवं व्यापार सामान्य समझौते (GATT) का पनु रीक्षण शानमि था।
o िस्तु: वर्ष 1947 से वर्ष 1994 तक, गैट ननम्न प्रशल्ु क एवं अन्य व्यापार बािाओ ं पर बातिीत करने के
निये एक मि ं था; GATT ने महत्त्वपणू ष ननयमों की व्याख्या की नवशेर् रूप से गैर-भेदभाव वािे ननयमों की।
वर्ष 1994 के बाद WTO ने GATT 1994 के रूप में नए, व्यापक, एकीकृ त GATT की पनु ष्ट की।

विश्व व्यापार संगठन एिं भारत ( WTO and India)


 भारत प्रशल्ु क एवं व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT) 1947 और इसकी जगह िेने वािे संगठन, िसल्यटू ीओ
का एक सस्ं थापक सदस्य है।
 ननयम के आिार पर भारत की बढती भागीदारी से व्यापार एवं समृनि में वृनि होगी।

 सेवाओ ं का ननयाषत भारत में वस्तु एवं सेवाओ ं के कुि ननयाषत का 40% है। भारत की GDP में सेवाओ ं का योगदान
55% से अनिक है।

o यह क्षेत्र (घरे िू एवं ननयाषत) िगभग 142 नमनियन िोगों को रोज़गार प्रदान करता है, नजसमें देश का 28%
श्रमबि शानमि है।
o भारत के ननयाषत मख्ु य रूप से IT और IT सक्षम क्षेत्रों, यात्रा एवं पररवहन तथा नवत्तीय क्षेत्र में हैं।

o इन सेवाओ ं के मख्ु य उपभोक्ताओ ं में अमेररका (33%), यरू ोपीय संघ (15%) और अन्य नवकनसत देश हैं।
o सेवाओ ं के व्यापार के उदारीकरण में भारत की स्पष्ट रुनि है और भारत िाहता है नक नवकनसत देशों द्वारा
व्यावसानयक रूप से साथषक पहुिाँ प्रदान की जाए।

o उरुग्वे राउंि के बाद से, भारत ने स्वायत्त रूप से अपनी सेवा व्यापार प्रणािी को उदार बनाया है।

 खाद्य एवं आजीनवका सरु क्षा सनु ननित करना महत्त्वपणू ष है, नवशेर्कर भारत जैसी बड़ी कृ नर् अथषव्यवस्था के निये।
o भारत नवि व्यापार सगं ठन में सावषजननक स्टॉकहोनल्िंग सनससिी पर स्थायी समािान की मााँग कर रहा है।

o वर्ष 2013 बािी मत्रं ािनयक सम्मेिन (MC9) में ‘सावषजननक स्टॉकहोनल्िंग’ पर एक अतं ररम समझौता
(एक शांनत उपननयम) नकया गया था इस अपवाद के साथ जो नवकासशीि देशों को खाद्य पदाथों की कमी से
बिाने के निये कृ नर् उत्पादों का भंिार करने की अनमु नत प्रदान करता है।

 भारत बासमती िावि, दानजषनिंग िाय एवं अल्फांसो आम जैसे उत्पादों के निये भौगोनिक संकेतों के संरक्षण के उच्ि
स्तर पर नवस्तार का पक्षिर है, जो नक बौनिक संपदा अनिकार (TRIPS) समझौते के अंतगषत वाइन तथा नस्प्रट को
प्रदान नकये गए हैं।

 नवि व्यापार सगं ठन के समझौतों में श्रम मानकों, पयाषवरण सरं क्षण, मानवानिकारों, ननवेश के ननयमों, प्रनतस्पिाष नीनत जैसे
गैर-व्यापार मद्दु ों को शानमि करने पर नवकनसत देश दबाव िाि रहे हैं।

o भारत गैर-व्यापार मद्दु ों को शानमि करने के नवरुि है जो िंबे समय से सरं क्षणवादी उपायों को िागू करने के
निये ननदेनशत हैं (गैर-व्यापार मद्दु ों के आिार पर सयं क्त
ु राज्य अमेररका और यरू ोपीय सघं जैसे नवकनसत देश
कुछ वस्तओ ु ं के आयात पर प्रनतबिं िगाने का प्रयास कर रहे हैं, जैसे वस्त्र, प्रसंस्कृ त भोजन आनद), नवशेर्
रूप से नवकासशीि देशों से।
 भारत जनू 2022 से शरू ु होने वािे विश्व व्यापार सगं ठन (WTO) के 12वें मंनत्रस्तरीय सम्मेिन (MC12) में
इिेक्रॉननक रांसनमशन (ई-रांसनमशन) पर सीमा शुल्क को िेकर अनिस्थगन का नवरोि करे गा क्योंनक इसके प्राविान
के वि नवकनसत देशों के पक्ष में हैं।
o भारत और दनक्षण अफ्रीका ने कई अवसरों पर संगठन से इस मद्दु े पर नफर से नविार करने के निये कहा है और
नवकासशीि देशों पर स्थगन के प्रनतकूि प्रभाव को उजागर नकया है।

o भारत िाहता है नक नवि व्यापार संगठन ई-कॉमसष क्षेत्र पर वकष प्रोग्राम को तेज़ करे ।
o भारत ने यह भी कहा है नक काउंनसि फॉर रेि इन गिु ् स, काउंनसि फॉर रेि इन सनवषसेज़, काउंवसल फॉर
वट्रप्स (बौविक सपं दा अवधकारों के व्यापार सबं ंवधत पहलू-TRIPS) तथा व्यापार और नवकास सनमनत
को मि
ू रूप से ननिाषररत अपने सबं ंनित जनादेश के अनसु ार ई-कॉमसष पर ििाष करनी िानहये।
विश्व व्यापार सगं ठन की चुनौवतया

 वर्ष 2001 में WTO सदस्यों ने ‘दोहा नवकास एजेंिा’ शरू ु नकया जो व्यापाररक ननयमों के अद्यतन के निये एक बड़ा
प्रयास था। इसमें भाग िेने वािे देशों ने एक समझौते पर पहुिाँ ने के निये कई वर्ष नबता नदये तथा असफि रहे।

o वाताष में एक मख्ु य समस्या एक आम सहमनत तक पहुिाँ ने के निये 150 से अनिक देशों में सहमनत होने की
कनठनाई थी।

o नपछिे वाताष दौर (वर्ष 1987 से वर्ष 1994 तक आयोनजत उरुग्वे राउंि) में सभं ानवत प्रनतरोिक देशों को
नव नननमषत नवि व्यापार संगठन से ननष्ट्कानसत करने की िनु ौती दी जा सकती थी।
o एक बार सदस्य बन जाने के पिात् इस यनु क्त को दोहराया नहीं जा सकता था।

 वर्ष 2017 नवि व्यापार संगठन मंत्रािानयक सम्मेिन (MC11) सयनू स आयसष नकसी भी सारभतू पररणाम के नबना
समाप्त हो गया क्योंनक 164 सदस्यीय ननकाय आम सहमनत बनाने में नवफि रही।
o सयं क्त
ु राज्य अमेररका ने खाद्य सरु क्षा उद्देश्यों के निये सरकारी स्टॉकहोनल्िंग पर एक स्थायी समािान अवरुि
कर नदया नजसके पररणामस्वरूप ई-कॉमसष एवं ननवेश सनु विा सनहत नए मद्दु ों पर भारत ने सख्त रुख अपनाया
है।
o अमेररका और यरू ोपीय संघ के नेतत्ृ व में नवकनसत देशों ने िसल्यटू ीओ में बड़े पैमाने पर दबाव समहू बनाकर
WTO में गनतरोि का रास्ता तिाशने का प्रयास नकया, नजसमें WTO में प्रत्येक फॉमषि ू ेशन में 70 से
अनिक सदस्यों के साथ MSME शानमि हैं।

o यद्यनप WTO सवषसम्मनत से सिं ानित होता है यहााँ तक नक एक बहुपक्षीय समझौते के निये सभी सदस्यों के
अनमु ोदन की आवश्यकता होती है, इन समहू ों का गठन WTO को बहुपक्षवाद पर अपना ध्यान कें नद्रत करने
से दरू करने के प्रयास के रूप में है।

 इसके व्यापार से संबंनित बौनिक संपदा अनिकारों (TRIP) के पेटेंट, कॉपीराइट और रेिमाकष का संरक्षण िूर एवं
अमानवीय है जो स्वास्थ्य एवं मानव जीवन के मल्ू य की अवहेिना करता है।

o WTO ने फामाषस्यनु टकि कंपननयों के निये ‘िाभ के अनिकार’ का संरक्षण नकया है, जो उप-सहारा अफ्रीका
जैसे क्षेत्रों में जहााँ एिआईवी/एि्स से प्रनतनदन हज़ारों िोगों की मृत्यु हो जाती है। यह उन देशों के अपने िोगों
के स्वास्थ्य के निये जीवन रक्षक दवाईयााँ प्राप्त करने हेतु प्रयासों के नवरुि हैं।

 य.ू एस.ए. ने जानबझू कर (अथवा नहीं) अत्यनिक मााँगों से नजन्हें परू ा करने के निये कोई भी देश तैयार नहीं था, व्यापार
वाताष प्रनिया के दोहा राउंि को नष्ट कर नदया।
 ओबामा प्रशासन की प्राथनमकता एक कमज़ोर होते हुए नवि व्यापार संगठन की वाताष को पनु जीनवत करना नहीं बनल्क
अपने प्रनतद्वनं द्वयों यरू ोप और िीन को ननयंनत्रत करने के निये अपने नए बनाए गए नवकल्प, TPP (रांस-पैनसनफक-
पाटषनरनशप) पर ध्यान कें नद्रत करना था।
 कई वर्ों से व्यापार नववाद के ननपटारे के निये बहुपक्षीय प्रणािी गहन जााँि एवं ननरंतर आिोिना के अिीन है।

o अमेररका ने नए अपीिीय ननकाय सदस्यों (न्यायािीशों) की ननयनु क्त को व्यवनस्थत रूप से अवरुि कर नदया है
और इसने िसल्यटू ीओ अपीि तंत्र के काम में बािा िािी है।

 िीनी व्यापारवाद (व्यापार को प्रभानवत करने की कोनशश करता है नवशेर् रूप से ननयाषत को प्रोत्सानहत करने और आयात
पर सीमाएाँ िगाकर)। संयक्तु राज्य अमेररका के एकतरफा प्रशल्ु क उपायों का आिामक उपयोग और नवि व्यापार संगठन
के अथषव्यवस्था के महत्त्वपणू ष आिनु नक क्षेत्रों में अपने नवननयमों का नवस्तार करने पर आम सहमनत प्राप्त होने में असमथषता
नवि व्यापार संगठन की आिोिना को सदृु ढ करती है।
 पारदवशिता का अभाि:

o WTO की वाताषओ ं के संदभष में एक समस्या यह है नक WTO में शानमि नवकनसत या नवकासशीि देशों
के संगठन की कोई नननित पररभार्ा नहीं है।

o वतषमान में सदस्य देशों द्वारा WTO से नवशेर् ररयायत प्राप्त करने के उद्देश्य से स्वयं को नवकासशीि देशों के
रूप में पदांनकत नकया जा रहा है।

o उदाहरण के निये, िीन को िसल्यटू ीओ में 'नवकासशीि देश' का दजाष नमिा, जो एक नववादास्पद मद्दु ा बन गया
और कई देशों ने इस फै सिे के नखिाफ निंता जताई।
WTO का भविष्ट्य

िाँनू क WTO सवषसम्मनत आिाररत है, इसनिये सभी 164 सदस्यों के मध्य सिु ारों पर एक समझौता करना बेहद मनु श्कि होता
है। इसके निये एक सभं ानवत तरीका ननयमों के एक नए सग्रं ह पर समान नविार वािे देशों के समहू के साथ एक बहुपक्षीय समझौता
करना हो सकता है जो व्यापक WTO के निये एक पररनशष्ट (परू क) के रूप में कायष करता है।
वनष्ट्कषि

आज नवि संरक्षणवाद, व्यापार यि ु (जैसे संयक्त


ु राज्य अमेररका और िीन) से गजु र रहा है, ब्रेनक्जट वैनिक अथषव्यवस्था को
संकुनित कर रहा है। भनवष्ट्य में नवि व्यापार संगठन की भनू मका नद्वतीय नवि यि
ु के अंत के बाद नवकनसत वैनिक उदारीकृ त आनथषक
व्यवस्था को बनाए रखने के निये बहुत महत्त्वपणू ष है।

यह वह समय है जब संयक्त
ु राज्य अमेररका जैसे देश WTO से अिग होने की िमकी दे रहे हैं जो WTO को नननष्ट्िय बना रहा
है नजससे भारत और अन्य उभरती अथषव्यवस्थाएाँ जैसे ब्राजीि, दनक्षण अफ्रीका आनद नवकासशीि देशों के नहतों की रक्षा कर
मज़बतू WTO के निये एक मज़बतू आिार प्रदान कर सकते हैं।
Agreement on Agriculture
The Agreement on Agriculture (AoA) is a WTO treaty that was negotiated during
the Uruguay Round of the General Agreement on Tariffs and Trade (GATT) and
formally ratified in 1994 at Marrakesh, Morocco. The AoA came into effect in 1995.
 According to its provisions, developing countries were to complete their
reduction commitments by 2000 and developing countries by 2004.
 The Least Developed Countries were not required to make any reductions.
 The Agreement covers products that are normally considered part of
agriculture but excludes forestry and fishery products and also rubber, sisal,
jute, coir and abaca.
 The focus of the AoA is the elimination of what are called “trade distorting”
agricultural subsidies.
 According to the WTO, the overall aim of the Agreement is “to establish a
fairer trading system that will increase market access and improve the
livelihoods of farmers around the world.”
Features of WTO Agreement on Agriculture
The provisions of the WTO Agreement on Agriculture relate mainly to three broad
categories of agriculture and trade policy, which are discussed below.
 Market Access
 This includes:
 Tariffication – implies all non-tariff barriers to be abolished and
converted to tariffs. Non-tariff barriers include variable levies,
minimum import prices, quotas, state trading measures,
discretionary licensing, etc.
 Tariff reduction – Developing countries were obligated to reduce
tariffs by 24% in 10 years.
 Access opportunities – Minimum access equal to 3% of domestic
consumption in 1986-88 will have to be established for the year
1995 rising to 5% at the end of the implementation period.
 This head includes improving access to markets by removing trade
barriers.
 Domestic Support
 This concerns the policy support and subsidies given by countries to
enhance domestic production. WTO has classified agricultural
subsidies and policies into different boxes, which are explained in a
section below in detail.
 Export Subsidies
 Here, there are provisions related to member countries’ commitments
to reduce export subsidies.
 Developed countries are mandated to reduce their export subsidy
volume by 21% and expenditure by 36% in 6 years, in equal installment
(from 1986 –1990 levels).
 Developing countries need to reduce export subsidy volume by 14%
and expenditure by 24% over ten years in equal installments.
WTO Agricultural Subsidies Boxes
 The domestic support subsidies are categorized into various boxes in the
WTO. The various boxes and their implications are discussed in this section.
 The images below describe the subsidies classified according to the WTO
Boxes.

Green Box Amber Box Blue Box


 Subsidies that do  All domestic  This is
not distort support measures the “amber
trade, or at most considered box with
cause minimal to distort conditions”.
distortion. production and Such
trade (with some conditions are
 They
exceptions) fall designed to
are government-
into the amber reduce
funded and must
box as all distortion.
not involve price
domestic supports
support.  Any support
except those in the
that would
 They also blue and green
normally be in
include environm boxes.
the amber box
ental protection
 These is placed in the
and regional
include measures blue box if the
development
to support support also
programmes.
prices, or requires
 “Green box” subsidies directly farmers to
subsidies are related to limit
therefore allowed production quant production.
without ities.
 At
limits, provided
present, there
they comply with
are no limits
the policy-specific
on spending
criteria.
on blue box
subsidies.

Special and Differential Treatment (SDT)


Other than the three boxes, there is also another box of subsidies that confer special
and differential treatment for developing countries and LDCs. This is also called the
Development Box.
 Under this, countries are permitted untargeted subsidized food distribution to
satisfy the requirements of the urban and rural poor.
 They may also give investment subsidies that are usually available to
agriculture and agricultural input subsidies available to low income and
resource-poor farmers.
 These include purchases for and sales from food security stocks at
administered prices provided that the subsidy to producers is included in
calculation of the Aggregate Measure of Support (AMS).
 Under SDT, developed countries may be given an exemption from
implementing their reduction commitments at the AoA for ten years.
 As of now, LDCs are not required to make any kind of reduction commitment
at the AoA.
 Developed countries are not provided with the SDT.
Agreement on Agriculture Criticism
Opponents of the Agreement say that it reduces tariff protection for small farmers,
which is a major income source in developing countries, while at the same time, it
allows rich countries to continue subsidising their farmers.
 Through clever classification of the subsidies into trade-distorting (amber
box) and non-trade distorting (green box), developed countries manage to
heavily subsidize agriculture in their countries while targeting developing
countries including India of indulging in trade-distorting practices.
 A collaborative India-China study has shown that developed countries such
as the United States, Canada and countries of the EU give out several times
higher subsidies to their farmers than the rest of the world.
 Developed countries continue to provide trade-distorting subsidies without
attracting any penalties under the WTO.
 Under the Amber Box, developed countries were given the choice of either
accepting a product-specific ceiling of 5 per cent, or an overall cap. By
choosing the latter option, most developed countries have been able to better
target sops for specific crops.
 Even with low subsidies, India should be worried of breaching the 10% limit
on subsidies.
 The developed countries constantly take developing countries to task on
policies like the Minimum Support Price (MSP) while they continue to
support their farmers and also make barriers for trade and market entry.
 The WTO’s push towards globalisation threatens three dimensions of a
sustainable and equitable agricultural policy, namely, ecological security,
livelihood security and food security. Globalisation will adversely affect
producers with low or no capital and investment.

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