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सीलमत दाययत्व अधधयनयम, 2008 को सीलमत दाययत्व भागीदारी (संशोधन) अधधयनयम, 2021 र्दनांक 13 अगस्त
2021 के माध्यम से संशोधधत ककया गया था। 1 अप्रैि 2022 से यनम्नलिखखत संशोधन प्रभावी हैं ।
कॉपोरे ट यनकाय [(धारा 2(डी)]: इसका अथथ है कांपिी कॉपोरे ट यनकाय [(धारा 2(डी)]: इसका अथथ है कंपनी
अधियिि, 1956 की िारा 3 िें पररभाषित कांपिी अधधयनयम, 2013 की धारा 2 में उपयनयम (20) िें
और इसिें शामिल हैं— पररभाषित कांपिी और इसिें शामिल है
(i) इस अधियििि के तहत पांजीकृत एलएलपी; (i) इस अधियििि के तहत पांजीकृच सीमित दायित्व
(ii) भारत के बाहर यिगमित एलएलपी; और भागीदारी;
(iii) भारत के बाहर यिगमित कांपिी ले ककि, (ii) भारत के बाहर यिगमित सीमित दायित्व भागीदारी
(ii) वतथिाि सिि िें लागू ककसी भी कािूि के ले ककि इसिें शामिल िहीां है
(iii) कोई अन्ि कॉपोरे ट यिगि (कांपिी अधियििि, (ii) वतथिाि सिि िें लागू ककसी भी कािूि के तहत
1956 की िारा 3िें पररभाषित कांपिी ि हो पांजीकृत सहकारी समियत; और
िा इस अधियििि िें पररभाषित सीमित (iii) कोई अन्ि कॉपोरे ट यिकाि (कंपनी अधधयनयम,
दायित्व भागीदारी ि हो), जजसे केंद्र सरकार, 2013 की धारा 2 के उपयनयम (20) िें
आधिकाररक राजपत्र िें अधिसूचिा द्वारा, इस पररभाषित कांपिी िहीां है िा इस अधियििि िें
सांबांि िें यिर्दथ ष्ट कर सकती है । पररभाषित सीमित दायित्व भागीदारी िहीां है ), जजसे
केंद्र सरकार आधिकाररक राजपत्र िें अधिसूचिा
द्वारा, इस सांबांि िें यिर्दथ ष्ट कर सकती है ।
व्यवसाय [धारा 2(ई)]: “व्िवसाि” िें प्रत्िे क व्िापार, व्यवसाय [धारा 2(ई)]: “व्िवसाि” िें ऐसी ककसी भी
पे शा, से वा और कारोबार शामिल है । गयतषवधि को छोड़कर हर एक व्िापार, पे शा, से वा और
कारोबार शामिल है जिसे केंद्र सरकार अधधसूचना दवारा
दायरे से बाहर रख सकती है ।
नया शालमि ककया गया “छोटी सीलमत दाययत्व भागीदारी [धारा 2(टीए)]:
(1) प्रत्िेक सीमित दायित्व भागीदारी के िाि (1) प्रत्िेक सीमित दायित्व भागीदारी के िाि के
के अांयति शब्द िा तो “सीमित दायित्व अांयति शब्द िा तो सीमित दायित्व भागीदारी
भागीदारी” िा सांक्षिप्त िाि “एलएलपी” िा सांक्षिप्त िाि एलएलपी होंगे।
होंगे। (2) कोई भी एलएलपी ऐसे िाि से पांजीकृत िहीां
(2) कोई भी एलएलपी ऐसे िाि से पांजीकृत ककिा जाएगा जो, कें द्र सरकार की राि िें —
िहीां ककिा जाएगा जो, केंद्र सरकार की (क) अवाांछिीि; िा
राि िें — (ख) व्यापार धचह्न अधधयनयम, 1999 के
(क) अवाांछ िीि; िा तहत ककसी अन्य सीलमत दाययत्व भागीदारी
(ख) ककसी अन्ि साझेदारी फिथ िा या कं पनी या ककसी अन्य व्यजतत के पंिीकृत
एक पांजीकृत रे ड िाकथ िा एक रे ड
िाकथ के सिाि िा बहुत करीब जो
व्िापार धचह्ि अधियििि, 1999 के
तहत ककसी अन्ि व्िजतत के
पांजीकरण के मलए आवदे ि का
षविि है ।
एिएिपी का नाम पररवतवन (धारा 17): एिएिपी का नाम पररवतवन (धारा 17):
(1) िारा 15 और 16 िें यिर्हत ककसी भी (1) धारा 15 और 16 में यनर्हत ककसी भी बात
बात के बावजूद, जहाां केंद्र सरकार सांतुष्ट के बाविूद, यर्द अनिाने में या अन्यथा,
है कक एक एलएलपी ऐसे िाि के तहत एक सीलमत दाययत्व भागीदारी, इसके पहिे
पांजीकृत ककिा गिा है (चाहे अिजािे िें पंिीकरण पर या एक नए कॉपोरे ट यनकाय
िा अन्िथा और चाहे िूल रूप से िा दवारा इसके पंिीकरण पर, इसका पंिीकृत
िाि िें पररवतथि द्वारा)— नाम;" नाम, एक ऐसे नाम से पंिीकृत है िो
(क) िारा 15 की उपिारा (2) िें उसके नाम के िैसा है या उसके नाम से
यिर्दथ ष्ट िाि है ; िा बहुत लमिता– िुिता है —
(ख) ककसी दस
ू रे एलएलपी िा कॉपोरे ट (क) ककसी अन्य सीलमत दे यता भागीदारी या
यिकाि िा दस
ू रे िाि के जैसा है कं पनी के; या
िा उससे बहुत मिलता– जुलता है (ख) व्यापार धचह्न अधधयनयम, 1999, के
जजसे गलत सिझे जािे की तहत ककसी मालिक का पंिीकृत
सांभाविा है , व्यापार धचह्न िैसा कक इसके लिए
केंद्र सरकार ऐसे एलएलपी को गित समझे िाने की संभावना है तब
अपिा िाि बदलिे का यिदे श दे खंड(क) और (ख) में यनर्दव ष्ट क्रमशः
सकती है और एलएलपी को यिदे श ऐसी सीलमत दाययत्व भागीदारी या
की यतधथ के बाद 3 िाह के भीतर मालिक या ककसी कं पनी के आवेदन
िा केंद्र सरकार द्वारा दी गई लांबी पर, कें द्र सरकार यनदे श दे सकती है कक
भागीदारों में पररवतवन का पंिीकरण (धारा 25): भागीदारों में पररवतवन का पंिीकरण (धारा 25):
(1) प्रत्िेक भागीदार को ऐसे पररवतथि के 15 (1) प्रत्िेक भागीदार को ऐसे पररवतथि के पांद्रह
र्दिों की अवधि के भीतर अपिे िाि िा र्दिों की अवधि के भीतर अपिे िाि िा पते
पते िें ककसी भी पररवतथि के बारे िें िें ककसी भी पररवतथि के बारे िें सीमित
एलएलपी को सूधचत करिा होगा। दायित्व भागीदारी को सूधचत करिा होगा।
(2) एक एलएलपी करे गा— (2) सीमित दायित्व भागीदारी करे गा
(क) जहाां कोई व्िजतत भागीदार बिता है (क) जहाां कोई व्िजतत भागीदार बिता है िा
िा भागीदार िहीां रहता है तो उसे भागीदार िहीां रहता है तो उसे भागीदार
भागीदार बििे िा भागीदार ि रहिे बििे िा भागीदार ि रहिे की यतधथ से
की यतधथ से 30 र्दिों के भीतर तीस र्दिों के भीतर रजजस्रार के पास
रजजस्रार के पास एक सूचिा एक सूचिा भेजेगा; और
भेजेगा; और (ख) जहाां ककसी भागीदार के िाि िा पते िें
(ख) जहाां ककसी भागीदार के िाि िा कोई पररवतथि होता है , तो ऐसे
पते िें कोई पररवतथि होता है , तो पररवतथि के तीस र्दिों के भीतर
ऐसे पररवतथि के 30 र्दिों के भीतर रजजस्रार को सूचिा भेजेगा।
रजजस्रार को सूचिा भेजेगा। (3) उप–िारा (2) के तहत रजजस्रार को भेजी गई
(3) उप–िारा (2) के तहत रजजस्रार को भेजी सूचिा
गई सूचिा— (क) यििाथररत प्रारूप और शुल्क के साथ
(क) यििाथररत प्रारूप और शुल्क के साथ होगी;
होगी; (ख) उस पर सीमित दायित्व भागीदारी के
(ख) उस पर एलएलपी के िामित िामित भागीदार द्वारा हस्तािर ककिा
भागीदार द्वारा हस्तािर ककिा जाएगा और यििाथररत तरीके से
जाएगा और यििाथररत तरीके से प्रिाखणत ककिा जाएगा; और;
प्रिाखणत ककिा जाएगा; और (ग) िर्द िह ककसी आिे वाले भागीदार से
(ग) िर्द िह ककसी आिे वाले भागीदार सांबांधित है तो इसिें ऐसे भागीदार का
से सांबांधित है तो इसिें ऐसे एक बिाि शामिल होगा कक वह
भागीदार का एक बिाि शामिल भागीदार बििे के मलए सहियत प्रदाि
होगा कक वह भागीदार बििे के कर रहा है और दस्तावेज पर भागीदार
मलए सहियत प्रदाि कर रहा है और के हस्तािर होंगें और उसे यििाथररत
दस्तावेज पर भागीदार के हस्तािर तरीके से प्रिाखणत ककिा जाएगा।
होंगें और उसे यििाथररत तरीके से 4) यर्द सीलमत दाययत्व भागीदारी उप–धारा
प्रिाखणत ककिा जाएगा। (2) के प्रावधानों का उल्िंघन करती है
(4) िर्द एलएलपी उप–िारा (2) के प्राविािों तो सीलमत दाययत्व भागीदारी और
का उल्लांघि करता है , तो एलएलपी और उसके प्रत्येक नालमत भागीदार दस
एलएलपी के प्रत्िेक िामित भागीदार पर रुपये का िुमावना भरने के उत्तरदायी
धोखाधड़ी के मामिे में असीलमत दाययत्व (धारा धोखाधड़ी के मामिे में असीलमत दाययत्व (धारा
30): 30):
(1) धोखाधड़ी के मामिे में : (1) सीमित दायित्व भागीदारी िा उसके ककसी
एलएलपी िा उसके ककसी भी भागीदार द्वारा सीमित दायित्व भागीदारी के
भागीदार द्वारा ककए गए ककसी ले िदारों िा ककसी अन्ि व्िजतत को िोखा
काि के िािले िें , दे िे के इरादे से िा ककसी िोखािड़ी के
एलएलपी िा ककसी अन्ि व्िजतत के उद्दे श्ि से ककए गए ककसी कािथ की जस्थयत
हायि िा िुक साि हुआ हो, को, िुआवज़ा उत्तरदािी िहीां होगी िर्द ऐसे ककसी भागीदार
िाि िामित भागीदार िा किथचारी िे सीमित
बही खातों, अन्य अलभिेखों का रख–रखाव और बही खातों, अन्य अलभिेखों का रख–रखाव और
िे खापरीक्षा आर्द (धारा 34): िे खापरीक्षा आर्द (धारा 34):
(1) उधचत बहीखाते: (1) सीमित दायित्व भागीदारी अपिे अजस्तत्व के
एलएलपी यििाथररत प्रारूप िें प्रत्िेक विथ के मलए िकद आिार पर िा
बहीखातों को तैिार करे गा। सांचि आिार पर और लेखाांकि की दोहरी
रजजस्रार के पास हर साल यििाथररत (5) कोई भी सीलमत दाययत्व भागीदारी िो उप–
प्रारूप और तरीके एवां शुल्क के साथ दजथ धारा (3) के प्रावधानों का पािन करने में
करे गा। ववफि रहती है तो ऐसी सीलमत दाययत्व
(4) एलएलपी के खातों की ले खापरीिा भागीदारी और उसके नालमत भागीदार प्रत्ये क
यििाथररत यिििों के अिुसार की जाएगी। र्दन, जिसमें ववफिता िारी रहती है , के लिए
हालाांकक, केंद्र सरकार, आधिकाररक एक सौ रुपये प्रयत र्दन की दर से िुमावना
राजपत्र िें अधिसूचिा द्वारा, एलएलपी अदा करने के उत्तरदायी होंगे , िुमावने की
के ककसी भी वगथ िा वगों को इस उप– रालश सीलमत दाययत्व भागीदारी के लिए
िारा की आवश्िकताओां से छू ट दे सकती अधधकतम एक िाख रुपये और प्रत्ये क
है । नालमत भागीदार के लिए पचास हिार रुपये
प्राविािों का पालि करिे िें षवफल रहता (6) कोई भी सीलमत दाययत्व भागीदारी िो उप–
है , दां डिीि होगा धारा (1), उप–धारा (2) और उप–धारा (4) के
अयतररतत शुल्क का भुगतान (धारा 69): अयतररतत शुल्क का भुगतान (धारा 69):
इस अधियििि के तहत रजजस्रार के पास इस अधधयनयम के तहत रजिस्ट्रार के पास पंिीकृत
दाखखल िा पांजीकृत होिे के मलए आवश्िक या दाखखि करने के लिए आवश्यक कोई भी
कोई भी दस्तावेज िा ररटिथ िर्द उसिें र्दए दस्तावेज या ररटनव, यर्द इसमें र्दए गए समय पर
गए सिि िें दाखखल िा पांजीकृ त िहीां ककिा पंिीकृत या दाखखि नहीं ककया गया है तो उस
गिा है , तो उस सिि के बाद उस यतधथ से समय के बाद यनधावररत अयतररतत शुल्क के
300 र्दिों की अवधि तक दाखखल िा पांजीकृत भुगतान, ऐसे दस्तावेज या ररटनव दाखखि करने के
ककिा जा सकता है जजसके भीतर इसे दाखखल लिए दे य कोई भी शुल्क के साथ, पर पंिीकृत या
ककिा जािा चार्हए। ऐसे दस्तावेज िा ररटिथ दाखखि ककया िा सकता है :
दाखखल करिे के मलए दे ि ककसी भी शुल्क के बशते ऐसा दस्तावेि या ररटनव इस अधधयनयम के
अलावा, इस काि िें होिे वाली हर एक र्दि तहत ककसी अन्य कारव वाई या दाययत्व पर प्रयतकूि
की दे री पर प्रयत र्दि 100 रु. की दर से प्रभाव डािे बबना, दाखखि करने की यनयत यतधथ
अयतररतत शुल्क का भुगताि करिा होगा। के बाद दाखखि ककया िाएगा:
हालाांकक, ऐसा दस्तावेज़ िा ररटिथ इस बशते सीलमत दाययत्व भागीदारी के ववलभन्न वगों
अधियििि के तहत ककसी अन्ि कारथ वाई िा के लिए या इस अधधयनयम या इसके तहत बनाए
दायित्व पर प्रयतकूल प्रभाव डाले बबिा, इस गए यनयमों के तहत दाखखि ककए िाने वािे
िारा िें यिर्दथ ष्ट शुल्क और अयतररतत शुल्क के आवश्यक अिग– अिग दस्तावेिों या ररटनव के
भुगताि पर 300 र्दिों की अवधि के बाद भी लिए अिग शुल्क या अयतररतत शुल्क यनधावररत
दाखखल ककिा जा सकता है । ककया िा सकता है ।
केंद्र सरकार िे कांपिी (पररभािा षववरण की षवमशष्टता) सांशोिि यििि, 2014, कांपिी (पररभािा षववरण की
षवमशष्टता) सांशोिि यििि, 2022 के िाध्िि से ।
कांपिी (पररभािा षववरण की षवमशष्टा) यििि, कांपिी (पररभािा षववरण की षवमशष्टा) यििि, 2014
2014 के अिुसार, अधियििि की िारा 2 के खां ड के अिुसार, अधियििि की िारा 2 के खांड (85) के
(85) के उप– खां ड (i) और उप– खांड (ii) के प्रिोजिों उप– खांड (i) और उप– खां ड (ii) के प्रिोजिों के मलए,
के मलए, भुगताि की गई पूांजी और कारोबार– छोटी भुगताि की गई पूांजी और कारोबार– छोटी कांपिी के
कांपिी के मलए क्रिशः दो करोड़ रुपए और बीस मलए क्रिशः चार करोड़ रुपए और चािीस करोड़ रुपये
करोड़ रुपये से अधिक िहीां होगी। से अधिक िहीां होगी।.
प्रश्न
1. शीतल एक शास्त्रीि ित्ृ िाांग िा थीां। उन्होंिे शरद षवद्िा िांर्दर के साथ 50 ित्ृ ि प्रस्तुयतिों के मलए अिुबांि
ककिा। अिुबांि के अिुसार, उन्हें हर सप्ताहाांत प्रस्तुयत दे िी थी और प्रयत प्रस्तुयत उन्हें 8,000/- रु. का भुगताि
ककिा जािा था। हालाांकक, एक िाह के बाद, कुछ व्िजततगत कारणों से वे बबिा सूचिा र्दए अिुपजस्थत हो गईं।
भारतीि अिुबांि अधियििि, 1872 के अिुसार यिम्िमलखखत प्रश्िों के उत्तर दीजजए।
(i) तिा शरद षवद्िा िांर्दर प्रबांिि को अिुबांि सिाप्त करिे का अधिकार है ?
(ii) िर्द शरद षवद्िा िांर्दर के प्रबांिि िे शीतल को इसकी यिरां त रता के बारे िें सूधचत ककिा, तो तिा
प्रबांिि एक िहीिे के बाद भी इस आिार पर अिुबांि रद्द कर सकता है ?
(iii) तिा शरद षवद्िा िांर्दर उपरोतत ककसी भी िािले िें इस उल्लांघि के कारण हु ए िुकसाि का दावा कर
सकता है ?
2. पररधि, एक िाबामलग, अपिी उम्र गलत बताते हु ए 1 अगस्त 2022 60,000/- रु. की क्रेडडट रामश पर
लैपटॉप खरीदिे के मलए एिपी लैपटॉप के िामलक और अधिकृत डीलर श्री मित्तल के साथ अिुबांि करती है ।
वह बकािा रामश को 16% प्रयत विथ की दर से ब्िाज सिेत 31 जुलाई 2023 तक वापस करिे का वादा करती
है । उसिे कहा था कक िर्द वह ककसी कारण से बकािा रामश िहीां चुका पाती तो उसके षपता श्री राि उसकी
तरफ से बकािा रामश का भुग ताि करें गे। एक साल के बाद, जब पररधि को बकािा रामश का ब्िाज सिेत
भुगताि करिे को कहा गिा तो उसिे रामश का भुग ताि करिे से इिकार कर र्दिा और िामलक से कहा कक
वह एक िाबामलग है और अब वह उससे एक भी पैसा िहीां वसूल सकते हैं ।
वह 1 जिवरी 2025 को बामलग हो जाएगी और उसके बाद ही अिुबांि का षवशोिि ककिा जा सकेगा। बताएां
कक यिम्िमलखखत िें से ककस तरीके से, श्री मित्तल भारतीि अिुबांि अधियििि, 1872 के सांदभथ िें बकािा रामश
की वसूली कर पाएांगे।
(i) िाबामलग पररर्द के खखलाफ िुकदिा दजथ कर ब्िाज सर्हत बकािा रकि की वसूली?
(ii) बकािा रामश की वसूली के मलए पररधि के षपता श्री राि के खखलाफ िािला दजथ कर के?
(iii) िाबामलग पररधि के विस्क होिे के बाद बकािा रामश की वसूली के मलए उसके खखलाफ िािला दजथ कर
के?
3. रोहि को एक रे स्त्राां िें एक बटुआ मिला। उसिे वहाां उपजस्थत सभी ग्राहकों से पूछा ले ककि बटुए का िामलक
िहीां मिल सका। उसिे बटुए के िामलक के मिलिे तक उसे सांभाल कर रखिे के मलए रे स्त्राां के िैिेजर को दे
र्दिा। एक सप्ताह के बाद रोहि बटुए के बारे िें पूछताछ करिे के मलए रे स्त्राां िें कफर से गिा। िैिेजर िे वह
बटुआ रोहि को दे िे से ििा कर र्दिा और कहा कक वह बटुआ उसका िहीां है । भारतीि अिुबांि अधियििि,
1872 के अिुसार, तिा रोहि िैिेजर से बटुआ वापस ले सकता है ?
4. श्री सोहि, एक ििी व्िजतत िे 26 फरवरी 2021 को श्री िुकेश को 80,000 रु. का ऋण र्दिा। उिारकताथ श्री
िुकेश िे 1,50,000 रु. का और ऋण िाांगा। श्री सोहि ऋण दे िे को तैिार हो गए ले ककि उन्होंिे ऋण की
सांपूणथ रामश का भुगताि एक साथ ि कर के अलग– अलग यतधथिों पर अांशों िें ऋण की रामश का भुगताि
ककिा। उन्होंिे 28 फरवरी 2021 को 1,00,000 रु. र्दए और बाकी के 50,000 रु. का भुग ताि 3 िाचथ 2021
को ककिा।
10 िाचथ 2021 को श्री िुकेश िे श्री सोहि को 75,000 रु. वापस करते सिि ज़ोर दे कर कहा कक ऋणदाता
को 3 िाचथ 2021 को मलए गए 50,000 रु. के ऋण को सिािोजजत करिा चार्हए और शे ि रामश को 26
फरवरी 2021 को ऋण के िुकाबले सिािोजजत करिी चार्हए।
श्री सोहि िे इस व्िवस्था पर आपषत्त जताई और उिारकताथ को ििरामश उिार ले िे की यतधथ के क्रि िें
रामशिों को सिािोजजत करिे के मलए कहा।
अब आप यिणथि करें :
(i) तिा श्री िुकेश का तकथ भारतीि अिुबांि अधियििि, 1872 के प्राविािों के अिुसार िा अन्िथा सही है ?
(ii) िर्द उिारकताथ पुिभुथगताि के सिािोजि के ऐसे आदे श पर ज़ोर िहीां दे ता है तो तिा उत्तर होगा?
(iii) िर्द ि तो श्री सोहि और ि ही श्री िुकेश अपिी ओर से सिािोजि के ककसी आदे श पर ज़ोर दे ते हैं तो
ऐसे आांमशक भुगताि के सिािोजि/ षवयििोग का तरीका तिा होगा?
5. कारण सर्हत बताएां कक तिा यिम्िमलखखत अिुबांि भारतीि अिुबांि अधियििि, 1872 के अिुसार वैि हैं िा
अिान्ि हैं:
(i) जहाां दो अदालतों के पास ककसी िुकदिे की सुिवाई का अधिकार िेत्र है , वहाां पिों के बीच एक अिुबांि
होता है कक िुकदिा अकेले उि अदालतों िें से एक िें दािर ककिा जािा चार्हए, दस
ू रे िें िहीां।
(ii) X अपिी िारुयत कार Y को बे चिे की पेश कश करता है । Y का िाििा है कक X के पास केवल वैगि
आर कार है ले ककि वह इसे खरीदिे के मलए सहित है ।
(iii) X, एक धचककत्सक और सजथि, Y को दो विथ की अवधि के मलए 75,000 रु. प्रयत िाह के वेत ि पर
सहािक के रूप िें यििुतत करता है और Y इि दो विों के दौराि सजथि और धचककत्सक के रूप िें
प्रैजतटस िहीां करिे पर सहित होता है ।
7. िाल– षवक्रि अधियििि, 1930 के तहत अिुबांि करिे से पहले और बेचिे के अिुबांि के बाद यिर्दथ ष्ट वस्तुओां
को िष्ट करिे के तिा पररणाि होते हैं?
8. िाल– षवक्रि अधियििि, 1930 के तहत 'ििूिा द्वारा बबक्री' के अिुबांि िें यिर्हत शतें तिा हैं ? अधियििि के
तहत लागू यिर्हत वारां टी भी बताएां।
9. शुभाांगी एक आभूिण की दक
ु ाि पर गई और उसिे से ल्सगलथ से िीलि रत्ि जड़े हीरे का हार र्दखािे को कहा।
जौहरी िे उससे कहा कक उसके पास हीरे के बहुत से हार हैं ले ककि उििें िीले पत्थर जड़े हैं । िर्द वह अपिे
मलए िीले पत्थरों से जड़े हीरे के हार का कोई षवशेि डडजाइि पसांद करती है तो वे उसी हार िें िीले पत्थरों की
जगह िीलि पत्थर लगा दें गे। ले ककि िीलि पत्थर के मलए वे कुछ अयतररतत रकि लें गे। शुभाांगी िे एक बहुत
खूबसूरत डडजाइिर हार पसांद ककिा और उसकी कीित अदा की। उसिे िीलि पत्थर के मलए अयतररतत रकि
का भी भुगताि कर र्दिा। जौहरी िे उसे हार ले िे के मलए एक सप्ताह के बाद कफर से आिे का अिुरोि
ककिा। एक सप्ताह के बाद जब वह हार ले िे आई तो उसिे दे खा कक िीलि पत्थर के कारण हार का डडजाइि
पूरी तरह से बबगड़ गिा था। अब, वह अिुबांि सिाप्त करिा चाहती है और इसमलए, वह िैिेजर से पैसा
वापस करिे के मलए कहती है , ले ककि िैिेजर ऐसा करिे से इिकार कर दे ता है । िाल– षवक्रि अधियििि,
1930 के अिुसार यिम्िमलखखत प्रश्िों का उत्तर दें ।
(i) कारण सर्हत बताएां कक तिा शुभाांगी जौहरी से रकि वसूल कर सकीत है ।
(ii) िर्द जौहरी कहता है कक वह डडजाइि बदल सकता है ले ककि इसके मलए अयतररतत शुल्क लेगा तो
आपका उत्तर तिा होगा?
10. िाल– षवक्रि अधियििि, 1930 के अिुसार अज्ञात वस्तुओां की बबक्री और इसके षवयििोग िें शामिल षवमभन्ि
आवश्िक तत्वों का उल्ले ख करें ।
11. श्रीिती कांचि चावल और गेहूूँ के एक स्थािीि थोक दक ु ाि पर गईं और 100 ककलो बासिती चावल िाांगा।
दक ु ािदार िे चावल की कीित 125 रु. प्रयत ककलो बतािा और वह इतिी कीित पर सहित हो गई। श्रीिती
कांचि िे ज़ोर दे कर कहा कक खरीदिे से पहले दक
ु ािदार द्वारा र्दए जािे वाले िाल का ििूिा दे ख िा चाहें गी।
दक
ु ािदार िे ििूिे के तौर पर उन्हें एक कटोरा भर के चावल र्दखािा। ििूिे िें र्दखाए गए चावल ही भे जे
जाएांगे।
श्रीिती कांचि िे ििूिा को ऊपर– ऊपर से ही दे खा और इस बात पर ध्िाि िहीां र्दिा कक हालाांकक ििूिा
बासिती चावल का था ले ककि उसिें लांबे और छोटे दािे के चावल मिलाए गए थे।
चावल की बोरी खोलिे पर रसोइए िे मशकाित की कक इस चावल से बिािा जािे वाला पकवाि का स्वाद वैसा
िहीां रहे गा तिोंकक चावल की गुण वत्ता पकवाि की आवश्िकता के अिुसार िहीां थी।
अब श्रीिती कांचि षवक्रेता के खखलाफ अच्छी और सस्ती गुण वत्ता वाले चावल को मिला कर बे चिे का आरोप
लगाते हु ए िोखािड़ी का िुकदिा दािर करिा चाहती हैं । तिा वे ऐसा कर पाएांगी?
िाल–षवक्रि अधियििि 1930 के प्राविािों के अिुसार िािले की ककस्ित और श्रीिती कांचि के मलए मशकाित
यिवारण हे तु खुले षवकल्पों का यििाथरण करें ?
िर्द श्रीिती कांचि िे चावल की लांबाई के सांबांि िें अपिी सटीक जरूरत बताई होती तो आपका उत्तर तिा
होता?
12. रषव िे तुिार को 500 बोरी गे हूूँ बे चा। हर एक बोरी िें 50 ककलो गे हूूँ था। रषव िे सड़क पररवहि द्वारा 450
बोररिाां भे जीां और तुिार खुद बाकी की 50 बोररिाां ले कर गिा। इससे पहले की तुिार को सड़क पररवहि से
भे जी गईं गे हूूँ की 450 बोररिाां मिलतीां, वह र्दवामलिा हो गिा। रषव, जजसे अभी तक बोररिों का भुगताि िहीां
ककिा गिा था, िे रास्ते िें ही बोररिों को रोक र्दिा। तुिार के र्दवामलिा होिे पर आधिकाररक प्राप्तकताथ उि
बोररिों पर अपिा दावा करता है । िाल– षवक्रि अधियििि, 1930 के प्राविािों के सांदभथ िें िािले का फैसला
करें ।
(ii) भारतीि भागीदारी अधियििि, 1932 के तहत जारी गारां टी कब रद्द ककिा जा सकता है ?
(iii) भारतीि भागीदारी अधियििि,1932 के प्राविािों के अिुसार सद्भाविा (गुड षवल) से आप तिा सिझते हैं
?
14. िे ससथ एबीसी एसोमसएट्स 1990 से एक साझेदारी फिथ रही है । श्री. ए, श्री बी और श्री सी शुरुआत से ही फिथ
के साझीदार थे। श्री ए, 78 विीि और फिथ के वररष्ठ साझीदार होिे के िाते, फिथ िें अपिा र्हस्सा अपिे बे टे
और चाटथ ड थ अकाउां टें ट श्री षवकास को हस्ताांतररत कर दे ते हैं । श्री बी और श्री सी को इस बात िें कोई र्दलचस्पी
िहीां है कक श्री षवकास िेससथ एबीसी एसोमसएट्स िें साझीदार के रूप िें शामिल हों। कुछ सिि के बाद, श्री
षवकास को लगता है कक बहुत बड़े टिथओवर के बाद भी बहीखाते िें बहुत कि लाभ र्दखािा जा रहा है । वह
िह तकथ दे ते हु ए फिथ के बहीखाते की जाांच करिा चाहते थे कक एक हस्ताांत ररती के रूप िें ऐसा करिा उिका
अधिकार है । हालाांकक, दस
ू रे साझीदारों का िाििा है कक वे बहीखाता को चुिौती िहीां दे सकते। तिा श्री षवकास
के षपता से वायिवत्त
ृ होिा चाहते हों तो उन्हें साझीदार के रूप िें शामिल ककिा जा सकता है ? सलाहकार के रूप
िें भारतीि भागीदारी अधियििि, 1932 के आवश्िक प्राविािों को लागू करते हु ए िािले को सुलझािे िें िदद
करें ।
15. भारतीि भागीदारी अधियििि, 1932 के प्राविािों के सांदभथ िें ककसी भागीदार के र्दवामलिा होिे के षवमभन्ि
प्रभावों की व्िाख्िा करें ।
16. सभी साझीदारों की सहियत से िास्टर X को िेससथ एबीसी एांड कांपिी की साझेदारी के लाभों के बारे िें बतािा
गिा। बामलग होिे के बाद, छह िाह से अधिक का सिि बीत गिा और वह इस बात की सावथजयिक सूचिा
दे िे िें षवफल रहे कक उन्होंिे फिथ िें भागीदार बिािे का षवकल्प चुिा है िा िहीां। बाद िें , िेससथ एबीसी एांड
कांपिी के आपूयतथकताथ श्री L, िे बकािा ऋण की वसूली के मलए िेससथ एबीसी एांड कांपिी के खखलाफ िुकदिा
दािर ककिा।
(i) िर्द X विस्क होिे के बाद सावथजयिक सूचिा दे िे िें षवफल रहता है तो वह ककस हद तक उत्तरदािी
होगा?
17. बताएां कक तिा यिम्िमलखखत भारतीि भागीदारी अधियििि, 1932 के तहत साझेदारी है :
(i) 12 साझेदारों वाली दो कांपिी को एक अिुबांि द्वारा एक कांपिी िें शामिल कर र्दिा गिा है ।
(ii) A और B, सह– िामलक, लाभ के मलए साझा रूप से व्िवसाि चालिे पर सहित हैं ।
(iii) कुछ व्िजतत एक सांघ बिाते हैं जजसिें प्रत्िे क व्िजतत सालािा 500 रु. का िोगदाि दे ता है । सांघ का
उद्दे श्ि कपड़े तैिार करिा और िुद्ि िें िारे गए सैयिकों की षविवाओां को िुफ्त िें तैिार कपड़े दे िा
है ।
(iv) A और B, सह– िामलक हैं, जिीि के टुकड़े से मिलिे वाला ककरािा आपस िें बाांट लेते हैं।
(v) A और B, X िाि की वस्तु खरीदते हैं और बराबर िात्रा िें लाभ साझा करिे के साथ वस्तु क बेचिे
पर सहित होते हैं ।
18. उि शतों पर चचाथ करें जजिके तहत सीमित दायित्व भागीदारी अधियििि, 2008 के तहत भागीदारी के मलए
एलएलपी उत्तरदािी होगा िा िहीां होगा।
19. बीसी प्राइवेट मलमिटे ड और इसकी सहािक कांपिी केएल प्राइवेट मलमिटे ड के पास पीतिू प्राइवेट मलमिटे ड िें
क्रिशः 90,000 और 70,000 शे िर हैं । पीतिू प्राइवेट मलमिटे ड की चुकता शे िर पूांजी 30 लाख रु. है ( 10 रु.
प्रयत शे िर के 3 लाख इजतवटी शे िर, पूणथ भुगताि ककए गए)। कांपिी अधियििि, 2013 के प्राविािों के सांदभथ
िें षवश्ले िण करें कक तिा पीतिू प्राइवेट मलमिटे ड बीसी प्राइवेट मलमिटे ड की सहािक कांपिी है । िर्द केएल
प्राइवेट मलमिटे ड के पास पीतिू प्राइवेट मलमिटे ड िें 1,60,000 शे िर हैं और पीतिू प्राइवेट मलमिटे ड िें बीसी
प्राइवेट मलमिटे ड के पास कोई शे िर िहीां है तो आपका उत्तर तिा होगा?
20. िरे न्द्र िोटसथ मिमलटे ड एक सरकारी कांपिी है । शाह ऑटो प्राइवेट मलमिटे ड के पास 100 रु. प्रयत शे िर के
र्हसाब से 10,00,000 शे िरों के रूप िें 10 करोड़ रु. की शे िर पूांजी है । िरे न्द्र िोटसथ मलमिटे ड के पास शाह
ऑटो प्राइवेट मलमिटे ड िें 5,05,000 शे िर हैं। शाह ऑचो प्राइवेट मलमिटे ड िे सरकारी कांपिी होिे का दावा
ककिा है । कािूिी सलाहकार के रूप िें परािशथ दें कक तिा शाह ऑटो प्राइवेट मलमिटे ड कांपिी
अधियिि, 2013 के प्राविािों के तहत सरकारी कांपिी है ?
उत्तर
साथ ही, अधियििि की िारा 75 के अिुसार, जो व्िजतत ककसी अिुबांि को उधचत तरीके से रद्द
करता है वह अिुबांि को पूरा ि करिे कारण हुई ककसी भी ियत के मलए िुआ वजे का हकदार है ।
(i) चांूकक, शीतल अिुबांि की शतों के अिुसार प्रदशथि िहीां कर सकीां, इसमलए शरद षवद्िा िांर्दर
अिुबांि सिाप्त कर सकता है ।
(ii) दस
ू री जस्थयत िें , शरद षवद्िा िांर्दर के प्रबांिि िे शीतल के अिुबांि जारी रहिे के बारे िें
सूधचत ककिा। इसमलए प्रबांिि इस आिार पर एक िहीिे के बाद अिुबांि को रद्द िहीां कर
सकता है ।
(iii) िारा 75 के अिुसार, शरद षवद्िा िांर्दर भाग (i) िें इस उल्लांघि के कारण हुए िुकसाि का
दावा कर सकता है ।
2. ककसी नाबालिग के साथ या उसके दवारा ककया गया अनुबंध आरं भ से ही अवैध है : भारतीि अिुबांि
अधियििि, 1872 की िारा 11 के अिुसार, एक िाबामलग अिुबांि करिे िें सिि िहीां होता और
ककसी िाबामलग के साथ िा उसके द्वारा ककिा गिा कोई भी अिुबांि आरां भ से ही अवैि होता है ।
(i) उपरोतत प्राविाि का पालि करते हुए, श्री मित्तल िाबामलग पररधि के खखलाफ िािला दजथ
कर बकािा रामश की वसूली िहीां कर पाएांगे।
(ii) नाबालिग माता–वपता या अलभभावक को बाध्य नहीं कर सकता: अधिकार के अभाव िें , व्ितत
िा यिर्हत एक िाबामलक अपिे िाता– षपता िा अमभभावक को जरूरत के मलए भी बाध्ि िहीां
वतथिाि िािले िें , श्री मित्तल पररधि के षपता श्री राि के खखलाफ िािला दजथ कर बकािा
रामश की वसूली िहीां कर सकें गे।
(iii) वयस्क होने के बाद कोई अनुसमथवन नहीं: एक िाबामलग विस्क होिे पर अिुबांि का
अिुस िथथि िहीां कर सकता तिोंकक िूल अिुबांि आरां भ से ही अिान्ि है और एक अवैि
अिुबांि का कभी भी अिुस िथथि िहीां ककिा जा सकता है ।
इसमलए, इस िािले िें भी, श्री मित्तल पररधि के विस्क होिे के बाद उसके खखलाफ िािला
दजथ कर के बकािा रामश की वसूली िहीां कर पाएांगे।
3. वस्तुओं को पाने वािे का उत्तरदाययत्व (भारतीय अनुबंध अधधयनयम, 1872 की धारा 71): एक
व्िजतत जो ककसी दस
ू रे का सािाि पाता है और उसे अपिे पास रख ले ता है , वह जिाितदार के
जैसे ही उत्तरदािी होता है ।
(i) सांपषत्त की उधचत दे ख भाल करिा जैसा कक सािान्ि सिझदार व्िजतत करता है
उपरोतत प्राविािों के अिुसार, प्रबांिक को बटुआ रोहि को वापस करिा होगा तिोंकक रोहि असली
िामलक को छोड़कर ककसी की भी तुलिा िें अपिे पास बटुए को रखिे का हकदार है ।
4. भुगतान का ववयनयोग: ऐसे िािले िें जहाां एक दे िदार पर एक ही ले िदार के कई ऋण बकािा हों
और वह भुगताि करता है , जो सभी ऋणों का भुगताि करिे के मलए पिाथप्त िहीां हो, तो भुगताि
को भारतीि अिुबांि अधियििि, 1872 की िारा 59 से 61 के प्राविािों के अिुसार षवयििोजजत
(अथाथत ऋण के षवरुद्ि सिािोजजत) ककिा जाएगा।
(ii) अधियििि की िारा 60 के प्राविािों के अिुसार, जहाां दे िदार िे सूधचत करिा छोड़ र्दिा है
और ऐसी कोई अन्ि पररजस्थयत िहीां है जो िह दशाथती हो कक भुगताि ककस ऋण पर लागू
ककिा जािा है तो ले िदार इसे अपिे षववेक पर वास्तव िें दे ि और दे ि ककसी भी वैि ऋण
पर लागू कर सकता है । उसे दे िदार से, जहाां इसकी वसूली िुक दिों की सीिा के सांबांि िें
तत्सिि लागू कािूि द्वारा वजजथत है िा िहीां है ।
इसमलए िर्द श्री िुकेश आांमशक पुिभुथगताि पर ऋण के षवयििोजि के तरीके को यिर्दथ ष्ट
करिे िें षवफल रहते हैं तो ले िदार श्री सोहि अपिी पसांद के अिुसार भुगताि को उधचत कर
सकते हैं ।
(iii) अधियििि की िारा 61 के प्राविािों के अिुसार, जहाां कोई भी पि कोई षवयििोग िहीां
करता है , भुगताि सिि के क्रि िें ऋणों के यिवथहि िें लागू ककिा जाएगा, िुक दिों की
सीिा के सांबांि िें , चाहे वे उस सिि लागू कािूि द्वारा वजजथत हों िा िहीां।िर्द ऋण सिाि
जस्थयत के हैं तो भुगताि आिुपायतक रूप से प्रत्िे क के यिवथहि िें लागू ककिा जाएगा।
इसमलए ऐसे िािले िें जहाां ि तो श्री िुकेश और ि ही श्री सोहि आांमशक पुिभुथगताि पर
ऋि के षवयििोग का तरीका यिर्दथ ष्ट करते हैं , षवयििोग ऋण के अिुपात िें ककिा जा सकता
है ।
कारण: कािूिी कािथवाही पर रोक लगािे वाला एक अिुबांि वह है जजसे क द्वारा ककसी भी पि को
न्िािलि के िाध्िि से अिुबांि के तहत अपिे अधिकारों को लागू करिे से पूरी तरह से रोक र्दिा जाता
है (भारतीि अिुबांि अधियििि, 1872 की िारा 28)। इस प्रकार का अिुबांि अवैि है । हालाांकक, र्दए
गए कथि िें , िुकदिा दािर करिे पर पार्टथ िों पर कोई पूणथ प्रयतबांि िहीां है । अिुबांि के अिुसार,
िुकदिा िेत्राधिकार वाली अदालतों िें से ककसी एक िें दािर ककिा जा सकता है ।
कारण: िह अिुबांि अवैि है तिोंकक दोिों पि अलग– अलग षविि पर षवचार कर रहे हैं ताकक कोई
वास्तषवक सहियत ि हो और तथ्ि की गलती के साथ– साथ आि सहियत के अभाव के कारण अिुबांि
को अवैि िािा जा सकता है ।
कारण: ऐसा अिुबांि जजसके द्वारा ककसी व्िजतत को ककसी भी प्रकार का वैि पे शा, व्िापार िा व्िवसाि
करिे से रोका जाता है , उस सीिा तक अवैि है (िारा 27)। ले ककि, एक अपवाद के रूप िें , से वा का
अिुबांि जजसके द्वारा एक किथचारी अपिे अिब
ु ांि की अवधि के दौराि, अपिे यििोतता के साथ
प्रयतस्पिाथ िहीां करिे के मलए बाध्ि होता है , व्िापार पर प्रयतबांि िहीां लगाता है ।
6. भारतीि अिुबांि अधियििि, 1872 की िारा 27 के अिुसार एक अिुबांि जजसके द्वारा ककसी भी व्िजतत को
ककसी भी प्रकार का वैि पे शा, व्िापार िा व्िवसाि करिे से रोका जाता है , उस सीिा तक अवैि है ।
वतथिाि िािले िें , श्री से ठ का श्री रिि के साथ लांबे सिि से िुकदिा चल रहा है । श्री से ठ एक कािूिी
षवशेिज्ञ श्री X की से वाएां लेते हैं और वादा करते हैं कक िर्द श्री X श्री रिि का केस िहीां ले ते तो वे उन्हें 5
लाख रु. दें गे। श्री X िाि जाते हैं ले ककि िुकदिा खत्ि होिे पर श्री से ठ पैसे दे िे से इिकार कर दे ते हैं ।
िारा 27 व्िापार को बाधित करिे वाले अिुबांिों को अवैि कर दे ती है , श्री से ठ और श्री X के बीच हुआ अिुबांि
भी अवैि है । इसमलए, श्री X श्री सेठ द्वारा वादा की गई रामश वसूल िहीां सकते ।
7. (i) अनब
ु ध
ं होने से पहिे ही माि का नष्ट हो िाना (माि– ववक्रय अधधयनयम, 1930 की धारा 7): िाल– षवक्रि
अधियििि, 1930 की िारा 7 िें यिर्हत प्राविािों के अिस
ु ार, षवमशष्ट वस्तुओां की बबक्री के मलए एक
अिब
ु ि
ां अवैि है िर्द उस सिि जब अिब
ु ि
ां ककिा गिा था; षवक्रेता की जािकारी के बबिा िाल िष्ट हो
जाता है िा इतिा ियतग्रस्त हो जाता है कक अिब
ु ि
ां िें उिके षववरण का उत्तर दे िा सांभव िहीां है तो अिब
ु ि
ां
आरां भ से ही अवैि है।
(ii) िाल बबक्री से पहले ले ककि बेचिे के अिुबांि के बाद िष्ट हो जािा (िाल– षवक्रि अधियििि, 1930 की
िारा 8): जहाां षवमशष्ट िाल बे चिे का अिुबांि होता है और बाद िें षवक्रेता िा खरीददार की ओर से
ककसी भी गलती के बबिा िाल िष्ट हो जाता है िा इतिा ियतग्रस्त हो जाता है कक जोखखि खरीददार
के पास जािे से पहले सिझौते िें उिके षववरण का उत्तर दे िा कर्ठि हो जाता है , वहाां इस प्रकार
अिुबांि टाल र्दिा जाता है िा अवैि हो जाता है ।
8. (i) नमूने दवारा बबक्री [माि– ववक्रय अधधयनयम, 1930 की धारा 17]: ििूिे द्वारा बबक्री के अिब
ु ि
ां िें , एक
यिर्हत शतथ है कक
(ख) खरीददार के पास ििूिे के साथ थोक की तुल िा करिे का उधचत अवसर होगा,
(ग) िाल ककसी भी ऐसे दोि से िुतत होगा जो उन्हें गैर– व्िापाररक बिाता है , जो ििूिे की उधचत
जाांच पर स्पष्ट िहीां होगा। िह शतथ केवल उि दोिों के सांबांि िें लागू होती है , जजन्हें सािाि की
सािान्ि जाांच से िहीां खोजा जा सकता है । िर्द दोि गुप्त हैं, तो खरीददार अिुबांि से बच सकता
है । इसका सीिा अथथ िह है कक वस्तु ककसी भी गुप्त दोि िािी छुपे हुए दोि से िुतत होगा।
1. अबाधधत कब्जे के बारे में वारं टी [धारा 14(ख)]: एक यिर्हत वारां टी कक खरीददार के पास िाल का
शाांयतपूणथ कब्जा होगा और वह उसका आिांद उठाएगा। कहिे का अथथ िह है कक िर्द खरीददार को
िाल का कब्जा मिल गिा है , बाद िें उसके कब्जे िें गड़बड़ी होती है तो वह वारां टी के उल्लांघि के
मलए षवक्रेता पर िुकदिा करिे का हकदार है ।
2. बाधाओं की गैर–मौिूदगी के बारे में वारं टी [धारा 14(सी)]: एक यिर्हत वारां टी कक वस्तु ककसी भी
तीसरे पि के पि िें ककसी भी शुल्क िा बािा से िुतत होगा जो अिुबांि करिे से पहले िा उस
सिि घोषित िहीां ककिा गिा हो िा खरीददार को ज्ञात िहीां है ।
3. व्यापार के उपयोग दवारा गुण वत्ता या कफटनेस के बारे में वारं टी [धारा 16(3)]: ककसी षवशेि
उद्दे श्ि के मलए गुणवत्ता िा कफटिेस के बारे िें एक यिर्हत वारां टी व्िापार के उपिोग के साथ
सांलग्ि की जा सकती है ।
आपूयतथ ककए गए सािाि की ककसी षवशेि उद्दे श्ि के मलए गुणवत्ता िा उपिुततता के बारे िें
यिर्हत शतथ िा वारां टी के सांबांि िें यििि है 'खरीददार को साविाि रहिे दें ' िािी षवक्रेता को बे चे
गए सािाि के बारे िें अषप्रि सत्ि साििे लािे का कोई कतथव्ि िहीां है ले ककि िह यििि
यिजश्चत रूप से अपवाद है ।
9. िाल– षवक्रि अधियिि, 1930 की िारा 4(3) के अिुसार, जहाां बबक्री के अिुबांि के तहत, िाल िें सांपषत्त
षवक्रेता से खरीददार को हस्ताांत ररत की जाती है , अिुबांि को बबक्री कहा जाता है ले ककि जहाां वस्तु का
हस्ताांत रण भषवष्ि िें होिा है िा हस्ताांत रण के बाद कुछ शतों को पूरा करिा है तो अिुबांि बबक्री अिुबांि कहा
जाता है और िारा 4(4) के अिुसार, बबक्री अिुबांि तब बबक्री बि जाता है जब सिि बीत जाता है िा शतों–
जजसके अिीि वस्तु का हस्ताांतरण ककिा जािा है , को पूरा कर र्दिा जाता है ।
(i) उपरोतत प्राविािों एवां प्रश्ि िें र्दए गए तथ्िों के आिार पर िह कहा जा सकता है कक शुभाांगी और
जौहरी के बीच बबक्री अिुबांि है ि कक बबक्री। भले ही भुगताि शुभाांगी द्वारा कर र्दिा गिा था ले ककि
वस्तु केवल खरीददार और षवक्रेता के बीच ति शतों को पूरा करिे के बाद ही हस्ताांतररत की जा सकती
है । चूांकक िीलि पत्थरों के कारण, िूल डडजाइि खराब हो गिा है , हाल िूल जस्थयत िें िहीां है । इसमलए,
शुभाांगी को बबक्री अिुबांि से बचिे का अधिकार है और भुगताि की गई कीित की वसूली कर सकती है ।
(ii) िर्द जौहरी िरम्ित करके हार को िूल जस्थयत िें लािे का प्रस्ताव दे ता है तो वह शुभाांगी से अयतररतत
शुल्क िहीां ले सकता है । िद्िषप िरम्ित के मलए उसे कुछ पैसे खचथ करिे पड़ सकते हैं ; ले ककि वह
खचथ ककए जािे वाले िह पैसे भी शुभाांगी से िहीां ले सकता।
10. अज्ञात माि की बबक्री और ववयनयोग (माि– बबक्री अधधयनयम, 1930 की धारा 23): िाल के षवयििोग िें
अिुबांि के यिष्पादि िें उपिोग करिे के इरादे से और षवक्रेता और खरीददार की आपसी सहियत से िाल का
चिि शामिल है ।
(ख) िाल अिुबांि िें बताए गए षववरण और गुणवत्ता के अिुरू प होिा चार्हए।
(घ) िाल को खरीददार िा उसके एजें ट िा वाहक को डडलीवरी द्वारा बबिा शतथ अिुबांि के मलए षवयििोजजत
ककिा जािा चार्हए।
11. (i) माि– ववक्रय अधधयनयम, 1930 की धारा 17 की उप– धारा (2) के प्रावधानों के अनस
ु ार, नमूना दवारा बबक्री
के अनब ं में एक यनर्हत शतव है कक:
ु ध
(ख) खरीददार के पास ििूिे के साथ थोक की तुल िा करिे का उधचत अवसर होगा।
वतथिाि िािले िें , अधियििि की िारा 17 की उप– िारा (2) के उप–खांड (बी) के प्राविािों के आलोक
िें , श्रीिती कांचि सफल िहीां होंगी तिोंकक उन्होंिे लापरवाही से चावल के ििूिे की जाांच की (जो पूरे
खे प के अिुरूप बबल्कुल सही है ) इस तथ्ि पर ध्िाि र्दए बबिा कक ििूिा भले ही बासिती चावल का
था ले ककि उसिें लांबे और छोटे दािे मिलाए गए थे।
(ii) वतथिाि िािले िें , श्रीिती कांचि के पास मशकाित यिवारण के मलए कोई षवकल्प उपलब्ि िहीां है ।
(iii) िर्द श्रीिती कांचि िे चावल की लांबाई के सांबांि िें अपिी सटीक आवश्िकता यिर्दथ ष्ट की है तो एक
अांत यिथर्हत शतथ है कक सािाि षववरण के अिुरूप होगा। िर्द ऐसा िहीां है तो षवक्रेता उत्तरदािी होगा।
12. पारगमन में रोकने का अधधकार (माि– ववक्रय अधधयनयम, 1930 की धारा 50):
इस अधियििि के प्राविािों के अिीि, जब िाल का खरीददार र्दवामलिा हो जाता है , तो अवैत यिक षवक्रेता
जजसिे िाल के कब्जे से िाता तोड़ मलिा है , उसे पारगिि िें उन्हें रोकिे का अधिकार है , िािी वह िाल का
कब्जा कफर से शुरू कर सकता है जब तक वे पारगिि के दौराि हैं और िाल की कीित का भुगताि िा टें डर
ककए जािे तक उन्हें अपिे पास रख सकते हैं ।
िौजूदा िािले िें , खरीददार तुिार र्दवामलिा हो गिा और 450 बोररिाां पारगिि िें हैं। षवक्रेता रषव, तुिार को
इसकी सूचिा दे कर िाल को पारगिि िें रोक सकता है । तुिार के र्दवामलिा होिे पर आधिकाररक ररसीवर बोरी
पर दावा िहीां कर सकता।
13. (i) एक यनजश्चत अवधध के लिए साझेदारी (भारतीय भागीदारी अधधयनयम, 1932): जहाां ककसी अिब
ु ि
ां द्वारा
साझेदारी की अवधि के मलए प्राविाि ककिा जाता है , वहाां साझेदारी को 'यिजश्चत अवधि के मलए साझेदारी'
कहा जाता है। िह एक षवशेि अवधि के मलए बिाई गई साझेदारी है। ऐसी साझेदारी यिजश्चत अवधि की
सिाजप्त पर सिाप्त हो जाती है।
(ii) यनरं त र गारं टी का यनरसन (भारतीय भागीदारी अधधयनयम, 1932 की धारा 38): िारा 38 के अिुसार,
ककसी फिथ के ले िदे ि के सांबांि िें ककसी फिथ िा तीसरे पि को दी गई यिरां त र गारां टी, इसके षवपरीत
ककसी अिुबांि के अभाव िें , सांषविाि िें ककसी भी बदलाव की तारीख से भषवष्ि के ले िदे ि के मलए रद्द
कर दी जाती है । फिथ का ऐसा पररवतथि ककसी साथी की ि ृत्िु, िा सेवायिवषृ त्त िा ककसी िए साथी के
आिे से हो सकता है ।
(iii) सदभावना (गुड ववि): शब्द “सद्भाविा (गुड षवल)” को भारतीि भागीदारी अधियिि, 1932 के तहत
पररभाषित िहीां ककिा गिा है । अधियििि की िारा 14 िें कहा गिा है कक ककसी व्िवसाि की सद्भाविा
को फिथ की सांपषत्त िािा जाएगा।
सद्भाविा को ककसी व्िवसाि की प्रयतष्ठा के िूल्ि के रूप िें पररभाषित ककिा जा सकता है , जो भषवष्ि
िें उसी वगथ के व्िवसाि से अजजथत लाभ के सािान्ि स्तर से अधिक होिे की उम्िीद है ।
14. (i) साझीदार का पररचय (भारतीय भागीदारी अधधयनयम, 1932 की धारा 31): भागदीदारों के बीच अिब
ु ि
ां और
िारा 30 के प्राविािों के अिीि, ककसी भी व्िजतत को सबी िौजद
ू ा भागीदारों की सहियत के बबिा ककसी
फिथ िें भागीदार के रूप िें पेश िहीां ककिा जाएगा।
वतथिाि िािले िें , श्री षवकास को वतथिाि साझीदार श्री बी और श्री सी की सहियत से एक भागीदारी के
रूप िें पेश ककिा जा सकता है ।
(ii) ककसी भागीदार के र्हत के अांत रणकताथ के अधिकार (िारा 29): ककसी भागीदार द्वारा फिथ िें उसके र्हत
का हस्ताांत रण िा तो पूणथ रूप से बांिक द्वारा िा उसके द्वारा इस तरह के ब्िाज पर ककसी शुल्क के
यििाथण के दौराि, अांत ररती को हकदार िहीां बिाता है । फिथ की यिरां त रता, व्िवसाि के सांचालि िें
हस्तिेप करिा िा खातों की आवश्िकता दे ख िा िा फिथ के बहीखातों की जाांच करिा ले ककि अांत ररती को
केवल अांत रणकताथ भागीदार के लाभ का र्हस्सा प्राप्त करिे का अधिकार दे ता है और अांत ररती को
साझे दारों द्वारा सहित लाभ का लेखा को स्वीकार करिा होगा।
इसमलए, िहाां श्री षवकास, िे ससथ एबीसी एसोमसएट्स िें स्थािाांतररत व्िजतत फिथ के बहीखातों की जाांच
िहीां कर सकते हैं और अन्ि भागीदारों का तकथ सही है कक श्री षवकास बहीखातों को चुिौती िहीां दे सकते
हैं ।
15. ककसी भागीदार के र्दवालियापन के प्रभाव (भारतीय भागीदारी अधधयनयम, 1932 की धारा 34):
(i) र्दवामलिा साझीदार को साझीदार के रूप िें जारी िहीां रखा जा सकता।
(ii) वह उसी तारीख से भागीदार िहीां रहे गा जजस र्दि यिणथि का आदे श र्दिा जाएगा।
(iii) र्दवामलिा भागीदार की सांपषत्त यिणथि के आदे श की तारीख के बाद ककए गए फिथ के कािों के मलए
उत्तरदािी िहीां है ।
(iv) यिणथि के आदे श की तारीख के बाद र्दवामलिा भागीदार के ककसी भी कािथ के मलए फिथ उत्तरदािी िहीां
है ,
(v) आितौर पर ककसी भागीदार के र्दवामलिा होिे पर कांपिी का षवघटि हो जाता है ; ले ककि साझेदार आपस
िें इस बात पर सहित होिे के मलए सिि हैं कक ककसी साझीदार को र्दवामलिा घोषित करिे से फिथ का
षवघटि िहीां होगा।
16. भारतीि भागीदार अधियििि, 1932 की िारा 30(5) के प्राविािों के अिुसार, उसके विस्क होिे के छह िाह
के भीतर ककसी भी सिि िा उसे िह ज्ञाि प्राप्त हो जाए कक उसे साझेदारी के लाभों के मलए स्वीकार ककिा
गिा है , जो भी बाद की तारीख हो। ऐसा व्िजतत सावथजयिक िोर्टस दे सकता है कक उसिे फिथ िें भागीदार
बििे के मलए चुिा है कक िहीां बििे के मलए चुिा है और ऐसा िोर्टस फिथ के सांबांि िें उसकी जस्थयत
यििाथररत करे गा।
हालाांकक, िर्द वह ऐसा िोर्टस दे िे िें षवफल रहता है तो वह उतत छह िाह की सिाजप्त पर फिथ िें भागीदार
बि जाएगा।
िर्द यिर्दथ ष्ट सिि के भीतर सावथजयिक सूचिा दे िे िें षवफलता के कारण िाबामलग भागीदार बि जाता है तो
िारा 30(7) िें र्दए गए उसके अधिकार और दायित्व इस प्रकार होंगे :
(क) वह साझीदारों के लाभों के मलए स्वीकार ककए जािे के बाद से ककए गए फिथ के सभी कािों के मलए
तीसरे पि के प्रयत व्िजततगत रूप से उत्तरदािी हो जाता है ।
(ख) सांपषत्त और फिथ के िुिाफे िें उसका र्हस्सा वही रहे गा जजसका वह िाबामलग होिे के िाते हकदार था।
(i) वतथिाि िािले िें , चूांकक, श्री एतस X सावथजयिक िोर्टस दे िे िें षवफल रहे हैं, वह िे ससथ एबीसी
एांड कांपिी िें भागीदार बि जाएांगे और तीसरे पि श्री L के प्रयत व्िजततगत रूप से उत्तरदािी हो
जाएांगे।
(ii) भारतीि भागीदारी अधियििि, 1932 की िारा 30(5) के साथ पर्ठत िारा 30(7) के प्राविािों के
आलोक िें , चूांकक श्री X सावथजयिक सूचिा दे िे िें षवफल रहे हैं कक उन्होंिे छह िाह के भीतर
भागीदार बििे का यिणथि िहीां ककिा है , उपरोतत छह िाह की अवधि के बाद उन्हें भागीदार िािा
जाएगा और इसमलए श्री L उससे भी उसी प्रकार अपिा ऋण वसूल सकते हैं जैसे वह ककसी अन्ि
भागीदार से वसूल कर सकते हैं ।
17. (i) हााँ, यह साझेदारी का मामिा है तयोंकक दो फमों के बीच एक फमव में संयोजित होने का अनब
ु ध
ं होता है।
(ii) हाूँ , िह साझेदारी का िािला है तिोंकक ए और बी, सह– िामलक, लाभ के मलए साझा व्िवसाि चलािे
पर सहित हुए हैं।
(iii) िहीां, िह साझेदारी का िािला िहीां है तिोंकक साझेदारी िें कोई ििाथथथ सांस्था िहीां बिाई जा सकती।
(iv) िहीां, िह साझेदारी का िािला िहीां है तिोंकक वे सह– िामलक हैं, भागीदार िहीां। इसके अलावा, कोई
व्िवसाि िौजूद िहीां है ।
(v) हाूँ , िह साझेदारी का िािला है तिोंकक इसिें व्िापार करिे और लाभ को सिाि रूप से बाांटिे का तत्व
िौजूद है ।
18. शतें जिनके तहत एिएिपी उत्तरदायी होगा [एिएिपी अधधयनयम, 2008 की धारा 27(2)]
एलएलपी उत्तरदािी है िर्द एलएलपी का कोई भागीदार एलएलपी के व्िवसाि के दौराि िा उसके अधिकार के
साथ ककसी गलत कािथ िा चूक के पररणािस्वरूप ककसी व्िजतत के प्रयत उत्तरदािी है ।
शतें जिनके तहत एिएिपी उत्तरदायी नहीं होगा [एिएिपी अधधयनयम, 2008 की धारा 27(1)]
एक एलएलपी ककसी व्िजतत के साथ व्िवहार िें भागीदार द्वारा की गई ककसी भी बात से बाध्ि िहीां है िर्द—
(क) वास्तव िें भागीदार के पास ककसी षवशेि कािथ को करिे िें एलएलपी के मलए कािथ करिे का कोई
अधिकार िहीां है और
(ख) व्िजतत जािता है कक उसके पास कोई अधिकार िहीां है िा वह एलएलपी का भागीदार होिे के बारे िें
िहीां जािता िा षवश्वास िहीां करता है ।
19. कांपिी अधियििि, 2013 की िारा 2(87) ककसी अन्ि कांपिी (अथाथत होजल्डांग कांपिी) के सांबांि िें “सहािक
कांपिी” को पररभाषित करती है , जजसका अथथ है ऐसी कांपिी जजसिें होजल्डांग कांपिी—
(ii) कुल ितदाि शजतत के आिे से अधिक का प्रिोग िा यििांत्रण िा तो स्विां िा अपिी एक िा अधिक
सहािक कांपयििों के साथ मिलकर करता है :
(I) ककसी कांपिी को होजल्डांग कांपिी की सहािक कांपिी िािा जाएगा, भले ही उप–खां ड (i) िा उप–खां ड
(ii) िें यिर्दथ ष्ट यििांत्रण होजल्डांग कांपिी की ककसी अन्ि सहािक कांपिी का हो;
(II) ककसी होजल्डांग कांपिी के सांबांि िें “ले िर” का अथथ उसकी सहािक कांपिी िा सहािक कांपिी है ।
वतथिाि िािले िें , बीसी प्राइवेट मलमिटे ड अपिी सहािक कांपिी केएल प्राइवेट मलमिटे ड के साथ मिलकर
1,60,000 शे िर (90,000+70,000 क्रिशः) रखती है जो पीतिू प्राइवेट मलमिटे ड की इजतवटी शेिर पांूजी
के िाििात्र िूल्ि के आिे से अधिक है । इसमलए पीतिू प्राइवेट मलमिटे ड बीसी प्राइवेट मलमिटे ड की
सहािक कांपिी है ।
(ii) दस
ू रे िािले िें , उत्तर िही रहे गा। केएल प्राइवेट मलमिटे ड के पास 1,60,000 शे िर हैं िािी पीतिू प्राइवेट
मलमिटे ड की इजतवटी शे िर पूांजी के िाििात्र िूल्ि िें आिे से अधिक (िािी, वोर्टांग पावर के आिे से
अधिक र्हस्से िें )। इसमलए केएल प्राइवेट मलमिटे ड पीतिू प्राइवेट कांपिी की होजल्डांग कांपिी है और बीसी
प्राइवेट मलमिटे ड केएल प्राइवेट मलमिटे ड की होजल्डांह कांपिी है ।
इसमलए, श्रांृख ला सांबांि के आिार पर बीसी प्राइवेट मलमिटे ड पीतिू प्राइवेट मलमिटे ड की होजल्डांग कांपिी
बि जाती है ।
20. कांपिी अधियििि, 2013 की िारा 2(45) के प्राविािों के अिुसार, सरकारी कांपिी का अथथ ऐसी कांपिी है
जजसिें कि– से – कि 51% चुकता शे िर पूांजी हो-
(iii) आांमशक रूप से केंद्र सरकार द्वारा और आांमशक रूप से एक िा अर्दक राज्ि सरकारों के पास और इस
खांड िें एक कांपिी शामिल है जो ऐसी सरकारी कांपिी की सहािक कांपिी है ।
िारा 2(87) के अिुसार, ककसी भी अन्ि कांपिी (अथाथत होजल्डांग कांपिी) के सांबांि िें “सहािक कांपिी” का अथथ
एक ऐसी कांपिी है जजसिें होजल्डांग, िा तो स्विां िा अपिी एक िा एक से अधिक सहािक कांपयििों के साथ
मिलकर कुल वोर्टांग अधिकार के आिे से अधिक का प्रिोग करती िा उस पर यििांत्रण रखती है ।
कांपिी अधियििि, 2013 की िारा 2(87) के प्राविािों के अिुसार, शाह ऑटो प्राइवेट मलमिटे ड की एक सहािक
कांपिी है तिोंकक िरे न्द्र िोटसथ मलमिटे ड के पास शाह ऑटो प्राइवेट मलमिटे ड की कुल वोर्टांग अधिकार का आिे
से अधिक र्हस्सा है । इसके अलावा िारा 2(45) के अिुसार, सरकारी कांपिी की सहािक कांपिी को भी सरकारी
कांपिी कहा जाता है । इसमलए, िरे न्द्र िोटसथ मलमिटे ड की सहािक कांपिी होिे के कारण शाह ऑटो प्राइवेट
मलमिटे ड को भी सरकारी कांपिी िािा जाएगा।