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अध्याय I

उत्पादक संघ की अवधारणा

1.1 उत्पादक संगठन (पीओ) क्या है?


उत्पादक संगठन (पीओ) ककसानों, दग्ु ध उत्पादकों, मछुआरों, ग्रामीण कारीगरों, शिल्पपयों जैसे प्राथशमक
उत्पादकों का एक विधधक ननकाय हैं. कोई उत्पादक कंपनी, कोई सहकारी सोसायटी या कोई अन्य
विधधक ननकाय जो अपने सदस्यों के बीच लाभ की हहस्सेदारी करता है, िह उत्पादक संगठन हो सकता
है . उत्पादक कंपनी जैसे कुछ स्िरूपों में प्राथशमक उत्पादकों की संस्थाएं भी उत्पादक संगठन की सदस्यता
ले सकती हैं.
1.2 उत्पादक संगठन की आवश्यकता क्या है?
उत्पादक संगठन का प्रमख
ु उद्देश्य है उत्पादकों के एक ऐसे संघटन की स्थापना जो उत्पादकों के शलए
बेहतर आमदनी सनु नल्श्चत कर सके. छोटे उत्पादकों के पास ननविल्टट और उत्पादन दोनों स्तरों पर
व्यल्ततगत रूप से उतनी प्रमात्रा नहीं होती ल्जससे िे बड़े पैमाने पर काम करने में होने िाली ककफायतों
का फायदा उठा सकें. इसके अलािा, कृवि विपणन के क्षेत्र में ऐसे दलालों की लंबी श्ंख
ृ ला होती है
ल्जनके काम करने के तरीकों में पारदशििता का अभाि होता है और इसके कारण ऐसी ल्स्थनत पैदा होती
है ल्जसमें उत्पादकों को उस मप
ू य का बहुत छोटा हहस्सा शमलता है ल्जस मप
ू य पर उत्पाद अंनतम ग्राहकों
को बेचा जाता है. यहद ननविल्टट और उत्पादन – दोनों स्तरों पर समेकन कर हदया जाए, तो प्राथशमक
उत्पादकों को बड़े पैमाने पर काम करने से होने िाली ककफायत का फायदा शमल सकेगा. िे उत्पाद के
थोक खरीदारों और ननविल्टटयों के थोक आपनू तिकतािओं के साथ अच्छी तरह मोलभाि कर पाएंगे.
1.3 कृषक उत्पादक संगठन (एफपीसी) क्या है?
यह एक प्रकार का उत्पादक संगठन है ल्जसमें संगठन के सदस्य ककसान होते हैं. लघु कृिक कृवि-
व्यिसाय संगठन (एसएफ़एसी) उत्पादक संघों के संिधिन में सहयोग दे रहे हैं. उत्पादक संगठन ऐसे
ककसी भी संगठन को कह सकते हैं, जो ककसी भी उत्पाद के उत्पादकों से बना हो, चाहे िह कृवि उत्पाद
हो, गैर-कृवि उत्पाद हो, या कारीगरों का उत्पाद हो.
1.4 क्या गैर-कृषक व्यक्क्तयों के उत्पादक संगठन हो सकते हैं?
हााँ, हो सकते हैं. उत्पादक संगठन प्राथशमक उत्पादकों का संघटन है . अगर कोई उत्पादक गैर-कृवि
उत्पादक हो, जैस,े हथकरघा, हस्तशिपप आहद, तो उत्पादक संगठन गैर-कृिक व्यल्ततयों का होगा.
उत्पादक संगठन का उदे श्य अपने उत्पादक सदस्यों के शलए एक साथ जुड़कर और जहां कहीं संभि हो,
मप
ू यिधिन करके बेहतर आमदनी सनु नल्श्चत करना है .
1.5 उत्पादक संगठन की मल
ू ववशेषताएँ क्या हैं ?
क. यह कृवि या गैर-कृवि गनतविधधयों के उत्पादकों का समह
ू है .
ख. यह पंजीकृत और विधधक ननकाय है .
ग. उत्पादक संगठन के उत्पादक, संगठन के िेयरधारक हैं.
घ. यह संगठन प्राथशमक उत्पाद/उपज से जुड़े व्यािसानयक कायों का संचालन करता है .
ङ. यह अपने सदस्य उत्पादकों के लाभ के शलए काम करता है .
च. लाभ के एक हहस्से को उत्पादकों के बीच बांटा जाता है .
छ. बचे हुए अधधिेि को स्िाशमत्ि-ननधध में जोड़ हदया जाता है ताकक व्यिसाय बढ़ाया जा सके.

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1.6 उत्पादक संगठन का स्वाममत्व ककसके पास होता है ?
उत्पादक संगठन का स्िाशमत्ि सदस्यों के पास होता है . यह उत्पादकों द्िारा उत्पादकों के शलए बनाया
गया संगठन है . कोई एक या अधधक संस्था या व्यल्तत, लोगों को जोड़कर, पंजीकरण करिा कर, व्यिसाय
की योजना बना कर और उसके पररचालन की व्यिस्था कर उत्पादक संगठन बनाने में सहयोग कर
सकते हैं, लेककन स्िाशमत्ि और ननयंत्रण हमेिा सदस्यों के पास होता है और प्रबंधन का कायि सदस्यों
के माध्यम से होता है.
1.7 उत्पादक संगठन का संवधधन कौन कर सकता है ?
कोई भी व्यल्तत या संस्था उत्पादक संगठन का संिधिन कर सकती है. ऐसा व्यल्तत या संस्था अपनी
स्िेच्छा से, अथिा उत्पादकों के सामाल्जक-आधथिक विकास के सदद्द
ु ेश्य की पनू ति के शलए अपने संसाधनों
का उपयोग कर सकती है . लेककन यहद सहयोग दे ने िाली एजेंसी यहद आधथिक या अन्य प्रकार का सहयोग
लेना चाहे गी, तो उसे िे दाता /वित्तपोिक एजेंसी की अपेक्षाओं का पालन करना होगा.
1.8 उत्पादक संगठन के संवधधन में कौन सहायता दे ता है ?
उत्पादक संगठन के संिधिन और उसे स्िािलंबी बनाने के शलए हदए जाने िाले आरं शभक सहयोग के शलए
उत्पादक संघ संिधिन संस्था (पीओपीआई) को नाबार्ि, एसएफ़एसी, सरकारी विभागों, बड़ी कंपननयों और
घरे लू तथा अंतर-राटरीय सहयोग एजेंशसयों से वित्तीय और/ या तकनीकी सहयोग शमलता है . प्रत्येक
संस्था के अपने मानदं र् होते हैं, ल्जनके आधार पर सहायता के शलए पररयोजना अथिा संिधिन संस्था
का चयन करता है .
1.9 क्या कोई एनजीओ उत्पादक संगठन का संवधधन कर सकता है?
हां, कर सकता है . एनजीओ लाभ-ननरपेक्ष संगठन हो सकता है , लेककन उत्पादक संगठन के साथ ऐसा
नहीं है . हां, एनजीओ उत्पादक संगठन के संिधिन का कायि अिश्य कर सकता है जो सदस्यों के शलए
बेहतर आय का साधक बनाता है . लाभ की सदस्यों में हहस्सेदारी उत्पादक संगठन का एक महत्त्िपण
ू ि
उद्देश्य है.
1.10 उत्पादक संगठन के ववववध ववधधक स्वरूप क्या हैं ?
उत्पादक संगठन ननम्नशलखखत विधधक प्रािधानों से ककसी के भी अंतगित पंजीकृत ककया जा सकता है :
क. संबल्न्धत राज्य का सहकारी सोसाइटी अधधननयम/ स्िायत्त अथिा परस्पर-सहयोग प्राप्त सहकारी
सोसाइटी अधधननयम के अंतगित
ख. बहु-राज्य सहकारी सोसाइटी अधधननयम, 2002 के अंतगित
ग. 2013 में यथासंिोधधत भारतीय कंपनी अधधननयम,1956 की धारा 581 (सी) के अंतगित उत्पादक
कंपनी के रूप में
घ. भारतीय कंपनी अधधननयम, 1956 की, 2013 में धारा 8 के रूप में संिोधधत धारा के अंतगित, धारा
25 कंपनी के रूप में
ङ. सोसाइटी रल्जस्रीकरण अधधननयम, 1860 के अंतगित रल्जस्टर्ि सोसाइटी के रूप में
च. भारतीय न्यास अधधननयम, 1882 के अंतगित रल्जस्टर्ि पल्ललक रस्ट के रूप में
1.11 उत्पादक संगठन के मलए ककस ववधधक स्वरूप को तरजीह दी जानी चाहहए?
जो संस्थाएं सहकारी सोसायटी और उत्पादक कंपनी के रूप में पंजीकृत हैं, उनमें उत्पादक संगठन द्िारा
अल्जित लाभ को लाभांि के रूप में वितररत करने के शलए कानन
ू ी प्रािधान होते हैं. उत्पादक संगठन के
अन्य स्िरूपों में इस तरह का कोई स्पटट प्रािधान नहीं होता. कफर भी, उत्पादक संगठन द्िारा सदस्यों
से ली गई उपज/ उत्पाद की बेहतर कीमत दे कर सदस्यों को लाभ पहुंचाया जा सकता है . इसी तरह

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संगठन ननविल्टटयों और कच्चे माल की थोक में खरीद कर कम माल्जिन रखते हुए अपने सदस्यों को बेच
सकता है . सभी प्रकार के कानन
ू ी स्िरूपों में इस तरह के कायि की अनम
ु नत है । सहकारी सोसायटी और
उत्पादक कंपनी की महत्िपण
ू ि वििेिताओं की एक तल
ु नात्मक ताशलका नीचे दी गई है ।
उत्पादक कंपनी और सहकारी सोसायटी में प्रमख
ु अंतर:
मानदं ड सहकारी सोसायटी उत्पादक कंपनी
रक्जस्रे शन सहकारी सोसायटी अधधननयम भारतीय कंपनी अधधननयम
उद्देश्य एकल उद्देश्य बहु-उद्देिीय
पररचालन क्षेत्र सीशमत, वििेकाधीन सम्पण
ू ि भारत संघ
सदस्यता व्यल्तत और सहकारी संस्थाएं कोई व्यल्तत, समह
ू , एसोशसएिन, िस्तु
अथिा सेिा के उत्पादक
शेयर रे डर्ंग करने योग्य नहीं रे डर्ंग करने योग्य नहीं, लेककन
हस्तांतरणीय; सममप
ू य पर सदस्यों तक
सीशमत
लाभ में हहस्सेदारी िेयरों पर सीशमत लाभांि व्यिसाय की प्रमात्रा के अनरू
ु प
मतदान का अधधकार एक सदस्य – एक िोट, लेककन एक सदस्य – एक िोट. कंपनी के साथ
सरकार और सहकारी सशमनतयों के लेन दे न न करने िाले सदस्य मतदान
रल्जस्रार को ननिेधाधधकार (िीटो नहीं कर सकते.
पािर)
सरकार का ननयंत्रण हस्तक्षेप की सीमा तक संरक्षण न्यन
ू तम, सांविधधक अपेक्षाओं तक
सीशमत
स्वायत्तता ‘िास्तविक दनु नयािी पररदृश्य’ में पण
ू त
ि : स्िायत्त, अधधननयम के प्रािधानों
सीशमत के अधीन स्ि-िाशसत
आरक्षक्षत ननधध लाभ की ल्स्थनत में सल्ृ जत प्रनतििि सल्ृ जत करना अननिायि
उधार लेने की शक्क्त उप-ननयम के अनस
ु रण में आम सभा में वििेि संकपप के माध्यम
प्रनतबंधधत. उप-ननयम में ककसी भी से उधार की सीमा ननल्श्चत की जाती है.
संिोधन को रल्जस्रार से अनम
ु ोहदत कंपननयों को उधार उठाने की िल्तत
कराना होता है और इस प्रकिया में बढ़ाने की अधधक स्ितन्त्रता होती है .
समय लगता है .
अन्य कंपननयों/ लेन दे न पर आधाररत उत्पादक और कॉपोरे ट ननकाय शमलकर
व्यावसानयक घरानों/ उत्पादक कंपनी बना सकते हैं.
एनजीओ के साथ
संबध

1.12 क्या कोई उत्पादक संगठन को, लाभ-ननरपेक्ष संस्थाओं के संचालन के मलए बनाए गए ककसी
अधधननयम के अंतगधत पंजीकृत कराया जा सकता है?
हां, सदस्यों/उत्पादकों की साझा हहतों की पनू ति के शलए संस्थाएं बनाई जा सकती हैं. इनकी सीमा यह है
कक ऐसी संस्थाओं में अधधिेि को लाभांि आहद के रूप में सदस्यों के बीच वितररत करने की मनाही है.
ऐसे उत्पादक संगठन अधधिेि पैसे का पन
ु ननििेि कर व्यिसाय को बढ़ा सकते हैं। लाभ-ननरपेक्ष संस्थाओं
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के शलए बनाए गए विशभन्न अधधननयमों के तहत पंजीकृत उत्पादक संघों की तल
ु ना नीचे दी गयी ताशलका
में दी गई है :
मानदं ड धारा 8 कंपनी सोसायटी न्यास (रस्ट)
उद्देश्य लाभ-ननरपेक्ष गनतविधधयां दानाथि, साहहल्त्यक, दानाथि, समाज कपयाण
िैज्ञाननक आहद
संववधध/ कानन
ू भारतीय कंपनी अधधननयम, सोसायटी रल्जस्रीकरण भारतीय न्यास
1956 अधधननयम, 1956 अधधननयम, 1882 या
बॉम्बे पल्ललक रस््स
एतट
उद्देश्य में जहटल कानन
ू ी प्रकिया सरल और आसान सामान्यत: केिल
पररवतधन प्रकिया सेटलर ही संिोधन कर
सकता है ।
गठन जहटल प्रकिया, 3 से 6 माह सरल प्रकिया सरल
प्रबंधन कंपनी कानन
ू की अपेक्षाओं का अधधननयम के तहत कुछ अधधननयम के तहत
पालन अननिायि प्रनतबंध बहुत थोड़े प्रनतबंध
बैठकें कानन
ू के विस्तत
ृ प्रािधानों के कानन
ू और सोसायटी के कोई ननधािररत प्रािधान
अनस
ु ार ननयमानस
ु ार िावििक नहीं
बैठक
दं ड विशभन्न उपलंघनों और चक
ू ों कुछ उपलंघनों के शलए नगण्य
के शलए कठोर दं र् का विधान दं र् ननधािररत ककए गए
हैं।
ववधधक है मसयत पण
ू ि विधधक हैशसयत कुछ सीमाओं के साथ सीमाओं के साथ
विधधक है शसयत विधधक है शसयत
सांववधधक व्यापक ककन्तु पररपति बहुत सीशमत नाम मात्र के
ववननयम
सदस्यों को बबना सहमनत के असंभि सहमनत के बबना संभि लागू नहीं
हटाना
ववघटन या अनत कहठन संभि संभि
राज्य द्वारा
अमभग्रहण

1.13 क्या उत्पादक संगठन के मलए पंजीकरण कराना अननवायध है ?


यह बेहतर होगा कक उत्पादक संगठन कानन
ू ी है शसयत में काम करे , तयोंकक ऐसा ननकाय ही कानन
ू ी रूप
से िैध संविदाएं ननटपाहदत कर सकता है और अन्य संस्थाओं से ननधध का संग्रहण कर सकता है . ऐसे
विशिटट अधधननयम हैं, ल्जनके अंतगित उत्पादक संगठन का पंजीकरण कराया जा सकता है . उत्पादक
संगठन के शलए यह भी संभि है कक एक विधधक स्िरूप से दस
ू रे विधधक स्िरूप को अपना ले. उत्पादक
संगठन का विधधक स्िरूप तया हो, यह ननणिय करते समय ननम्नशलखखत कारकों को ध्यान में रखना
चाहहए :

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क. उत्पादक संगठन के अधधिेि लाभ से प्राथशमक उत्पादकों को फायदा पहुंचाना.
ख. पंजीकरण प्रकिया में बहुत अधधक समय और संसाधन नहीं लगना.
ग. विधधक स्िरूप ऐसा हो जो उत्पादक संगठन की व्यािसानयक आिश्यकताओं, संगठनात्मक
प्राथशमकताओं, सामाल्जक पज
ंू ी और प्रबंध क्षमता के अनरू
ु प हों.
1.14 उत्पादक संगठन के प्रमख
ु कायध क्या हैं?
प्राथशमक उत्पादकों के पास उत्पादन की कला और वििेिज्ञता होती है लेककन अपने उत्पाद के विपणन
के शलए अकसर उन्हें सहयोग की जरूरत पड़ती है . उत्पादक संगठन मल
ू त: इसी आिश्यकता की पनू ति
करते हैं. उत्पादक संगठन कच्चे माल की खरीद से लेकर अंनतम उपभोतता के दरिाजे तक अंनतम उत्पाद
के पहुंचने तक की मल
ू श्ख
ं ृ ला में ककसी भी एक या कई कडड़यों की ल्िम्मेदारी ले सकता है . संक्षेप में
उत्पादक संगठन ननम्नशलखखत कायि कर सकता है :
क. ननविल्टटयों की खरीद
ख. बािार से सबंधधत सच
ू ना का प्रसार
ग. तकनीकी और अशभनि तौर-तरीकों का प्रसार
घ. ननविल्टटयों के शलए वित्त उपललध कराने में सहायता
ङ. उत्पाद को इकट्ठा करना और उसका भंर्ारण
च. उत्पाद को सख
ु ाने, साफ करने और उसे अलग-अलग श्ेखणयों में बाटने जैसे आरं शभक प्रसंस्करण कायि
छ. ब्ांर् ननमािण, पैकेल्जंग, लेबेशलंग और मानककीकरण
ज. गण
ु ित्ता ननयंत्रण
झ. संस्थागत ख़रीदारों को माल बेचना
ञ. ननयाित
1.15 उत्पादक संगठन अपने सदस्यों की ककस प्रकार मदद कर सकता है?
ऊपर मद सं 1.14 में दी गई गनतविधधयों में से ककसी एक/कोई/सभी को अपनाकर उत्पादक संगठन
आमदनी बढ़ाने में सदस्यों के शलए सहायक हो सकता है . ननविल्टटयों की मांग को शमला कर उत्पादक
संगठन थोक में उन्हें कम कीमत पर खरीद सकता है . अलग-अलग उत्पादक अगर अकेले अकेले
ननविल्टटयों की खरीद करें गे तो िे अपेक्षाकृत महं गी कीमत पर शमलेंगी. इस तरह खरीदे गए माल का
एक साथ पररिहन भी सस्ता पड़ेगा. इस प्रकार उत्पादन की समग्र लागत घट जाएगी. इसी तरह, संगठन
सभी सदस्यों के उत्पादन को इकट्ठा कर उन्हें थोक में अधधक कीमत पर बेच सकेगा. उत्पादक संगठन
सदस्यों को बाजार से संबधं धत जानकारी दे कर उन्हें कीमत के बढ़ने तक अपने उत्पादन को सरु क्षक्षत
रखने में मदद कर सकेगा. इस तरह के सभी सहयोगों के माध्यम से िह प्राथशमक उत्पादकों की आमदनी
बढ़ाने में सफल होगा.
1.16 अधधक आमदनी के अलावा उत्पादक संघ के सदस्यों को और कौन से लाभ ममलते हैं?
उत्पादक संगठन कृिक या कृिक से शभन्न ऐसे लोगों का समह
ू है जो खेत की उपज या ककसी विननशमित
उत्पादक के प्राथशमक उत्पादक होते हैं. इसशलए उत्पादक संगठन एक ऐसे मंच के रूप में काम कर
सकता है, जो जन वितरण प्रणाली, मनरे गा, छात्रिल्ृ त्त और पें िन जैसी सरकारी सेिाओं तक बेहतर पहुंच
बनाने का साधन हो. यह मंच सरकारी विभागों से संपकि कर पेयजल, स्िच्छता और स्िास््य से संबधं धत
कायििमों के बीच तालमेल बढ़ा सकता है ।

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1.17 उत्पादक संगठन का सदस्य कौन बन सकता है?
उत्पादक संगठन उत्पादकों का, खास तौर पर प्राथशमक उत्पादकों का संगठन है . ककसी एक भौगोशलक
क्षेत्र में ननिास करने िाले एक ही या समान प्रकार के उत्पादों के उत्पादन में लगे सभी प्राथशमक उत्पादक
उस उत्पादन के शलए बनाए गए उत्पादक संघ के सदस्य हो सकते हैं. यह सदस्यता स्िैल्च्छक है. संघ
की सदस्यता प्राप्त करने की प्रकिया संघ के उप-ननयमों पर ननभिर करती है. संघ के गठन के समय जो
सदस्य होते है, िे संस्थापक सदस्य कहे जाएंग.े अन्य सदस्य बाद में संघ में िाशमल होते हैं, लेककन
सभी सदस्यों के अधधकार समान होंगे. कोई भी प्राथशमक उत्पादक सदस्यता िप
ु क के भग
ु तान और
आिेदन करने के बाद सदस्य बन सकता है . कुछ उत्पादक संघ िावििक सदस्यता निीकरण िप
ु क भी
लेते हैं. तथावप, संिधिन संस्था को प्रयास करना चाहहए कक सभी उत्पादक, वििेि रूप से छोटे उत्पादक,
उत्पादक संघ के सदस्य बन जाएं.
1.18 प्राथममक उत्पादक से कौन अमभप्रेत है ?
ककसी भी प्राथशमक उत्पाद की ककसी भी गनतविधध से जुड़ा हुआ कोई भी व्यल्तत प्राथशमक उत्पादक है .
प्राथशमक उत्पादन से अशभप्रेत है - कृवि और अनि
ु ग
ं ी क्षेत्र के ककसानों की उपज, या हथकरघा, हस्तशिपप
और ककसी अन्य कुटीर उद्योग और इनसे जड़
ु ी अन्य गनतविधधयों के उत्पाद और उपोत्पाद. प्राथशमक
उत्पाद में िे गनतविधधयां भी िाशमल हैं, ल्जनका उद्देश्य उत्पादन में िवृ ि या उपयत
ुि त उत्पादों या
गनतविधधयों की गण
ु ित्ता में सध
ु ार करना हो. कृवि, बागिानी, पिप
ु ालन, मछली पालन, रे िम उत्पादन,
मधम
ु तखी पालन, हथकरघा, हस्तशिपप आहद कायों में लगे व्यल्तत, संबधं धत उत्पाद के शलए गहठत
उत्पादक संघ के सदस्य बन सकते हैं. गौण िन्य उत्पादों का इकट्ठा करने के काम में लगे व्यल्तत भी
उत्पादक संगठन की सदस्यता के शलए पात्र हैं, हालांकक िे केिल उत्पादों को जंगलों से इकट्ठा करते हैं,
िस्तत
ु : उत्पादन का कायि नहीं करते।
1.19 क्या कोई व्यक्क्त एक से अधधक उत्पादक संगठन का सदस्य हो सकता है ?
ग्रामीण क्षेत्रों में पररिार उत्पादन की इकाई होता है. उत्पादक संगठन से होने िाले लाभ, उसे सप
ु द
ु ि ककए
जाने िाले उत्पादों की प्रमात्रा या उसके मप
ू य के अनप
ु ात में होते हैं. इसशलए एक पररिार का एक व्यल्तत
परू े पररिार के सम्पण
ू ि उत्पादन को उत्पादक संगठन के सप
ु द
ु ि कर सकता है और उतना ही लाभ प्राप्त
कर सकता है, ल्जतना एक पररिार के अधधक सदस्यों द्िारा उतनी ही प्रमात्रा या मप
ू य का उत्पाद संगठन
को सप
ु द
ु ि करने पर शमलता. लेककन यहद एक ही क्षेत्र में अलग-अलग प्रकार के उत्पादों के शलए (जैसे
सलजी और दध
ू ) अलग-अलग संगठन गहठत ककए गए हों, तो एक व्यल्तत इन दोनो संगठनों का सदस्य
बन सकता है , यहद पररिार दध
ू और सलजी दोनों का उत्पादन करता हो.
1.20 उत्पादन संगठन का प्रबंधन कौन करे गा?
प्रत्येक उत्पादन संगठन का, उसके उप-ननयमों के अनस
ु ार एक ननिािधचत प्रबंध/ ननदे िक बोर्ि होगा.
संगठन के प्रबंधन के शलए बोर्ि पेिि
े र व्यल्ततयों की सेिाएं ले सकता है. आरं शभक ििों में आम तौर पर
संिधिन संस्था व्यिसाय और प्रबंधन में सहायता प्रदान करती है . जैस-े जैसे उत्पादक संगठन के नेताओं
को अनभ
ु ि होता जाता है, िे परू ी तरह से संगठन के कामकाज को अपने ल्जम्मे ले सकते हैं.
1.21 क्या उत्पादन संगठन अपने व्यवसाय के प्रबंधन के मलए पेशव
े रों की सेवाएं ले सकता है?
उत्पादक संगठन के सभी प्रकार के विधधक स्िरूपों में पेिि
े रों और अन्य कमिचाररयों की सेिाएं लेने का
प्रािधान है. ऐसे व्यल्ततयों को उत्पादक संगठन की आमदनी में से भग
ु तान ककया जाना चाहहए. जहां
तक संभि हो, उपज के मप
ू य-िधिन के माध्यम से आमदनी होनी चाहहए, न कक सदस्यों को दी गई
कीमत में से. अगर सदस्यों को बाजार से कम दर पर कीमत शमलेगी, तो सदस्य धीरे -धीरे संघ से अलग

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हो जाएंगे. पेिि
े रों और अन्य कमिचाररयों को बाजार में प्रचशलत दर पर पाररश्शमक हदया जाना चाहहए,
ताकक यह सनु नल्श्चत ककया जा सके कक िे लंबी अिधध तक उत्पादक संघ को सेिा दे ते रहें . उन्हें हदया
जाने िाला पाररश्शमक अच्छी व्यिसाय योजना पर भी ननभिर करे गा ल्जससे लाभ अल्जित करना सनु नल्श्चत
हो सके.
1.22 क्या उत्पादक संगठन गैर-सदस्यों से उत्पादन खरीद सकता है?
उत्पादक संगठन का उद्देश्य यह सनु नल्श्चत करना है कक समेकन और मप
ू यिधिन के माध्यम से सदस्य
उत्पादकों को अधधक आमदनी हो. इसशलए गैर-सदस्यों से खरीद से बचा जाता है . लेककन कभी-कभी
बाजार की मांग ऐसी हो सकती है कक इस तरह की खरीद जरूरी हो जाए. संगठन के उप-ननयमों में ऐसा
प्रािधान होना चाहहए, ल्जससे ऐसी कहठन ल्स्थनतयों में गैर-सदस्यों से खरीद की जा सके.
1.23 क्या उत्पादक संगठन उपज को कमोडडटी एक्सचें ज में बेच सकता है?
हां. उत्पादक संगठन अपने सदस्यों के उत्पादों को शमलाकर कमोडर्टी एतसचें ज के माध्यम से बबिी कर
सकता है . ऐसी ल्स्थनत में उत्पादक को एतस्चें ज द्िारा विननहदि टट गण
ु ित्ता मानदं र्ों को परू ा करना
होगा और अनम
ु ोहदत भंर्ारागार में रखना होगा. कमोडर्टी एतसचें ज सीधे रे डर्ंग के शलए कमोडर्टी
एतसचें ज का सदस्य बन सकता है या कफर एतस्चें ज द्िारा अनम
ु ोहदत ब्ोकरों के माध्यम से उपज बेच
सकता है .
1.24 क्या कोई उत्पादक संगठन अपने सदस्यों के उत्पाद का ननयाधत कर सकता है ?
हां, कर सकता है . कृवि उत्पादों के ननयाित के शलए सभी सदस्यों को श्ेटठ कृवि प्रथाओं (जीएपी) का
अनप
ु ालन करना होगा. इसके अलािा कुछ दे ि विशभन्न उत्पादों के शलए वििेि गण
ु ित्ता मानदं र् ननधािररत
करते हैं, ल्जनका पालन करना पड़ेगा. गैर-कृवि उत्पादों (हथकरघा, हस्तशिपप आहद) के मामले में
गण
ु ित्ता संबध
ं ी अन्य विननदे िों का पालन करने के साथ-साथ बाल श्म के उपयोग के ननिेध और इस
प्रकार की अन्य ितों का पालन करना होगा.
1.25 उत्पादक संगठन के पंजीकरण में ककतना खचध होगा?
रल्जस्रे िन िप
ु क, स्टै म्प ड्यट
ू ी, दस्तािेजों को तैयार करने और सवु िधा िप
ु क आहद पर होनेिाला खचि,
उत्पादक संगठन के कानन
ू ी ढांचे पर ननभिर करे गा. आम तौर पर उत्पादक कंपनी की स्थापना में अन्य
प्रकार के उत्पादक संगठन की तल
ु ना में अधधक खचि आता है. उत्पादक कंपनी की स्थापना पर आने
िाली अनम
ु ाननत लागत ननम्नानस
ु ार है :
वववरण खचध की मद रामश (`)
कंपनी के नाम के शलए आिेदन िप
ु क 500
डर्ल्जटल हस्ताक्षर िप
ु क 2600
स्टै म्प ड्यट
ू ी संस्था के बहहननियम और संस्था के 1500
अंतननियम
रल्जस्रे िन/ फाइशलंग िप
ु क संस्था के बहहननियम, संस्था के 17200
अंतननियम, फॉमि 1, फॉमि 18, फॉमि 32
चाटि र्ि अकाउं टें ट या कंपनी सेिेटरी का परामिि िप
ु क 10000
िप
ु क
स्टै म्प रद्द करना 300
एकफ़र्ेविट पर खचि नोटरी का िप
ु क 500
िेयर रान्सफर फीस और प्रोसेशसंग 5000

7
विविध व्यय 2000
जोड़ 39600

1.26 उत्पादक संगठन के गठन में सहयोग दे ते समय ककन महत्वपण


ू ध कारकों को ध्यान में रखना
चाहहए?
उत्पादकों को एक साथ इकट्ठा करने से ननिेि, प्रौद्योधगकी और बाजार तक पहुंचने में काफी मदद
शमलती है, तयोंकक अकेले-अकले इन तक पहुंच बहुत सीशमत होती है. संगठन के गठन में सहयोग दे ने
िाली एजेंसी को ननम्नशलखखत कारकों को ध्यान में रखना चाहहए :
क. लक्षक्षत क्षेत्रों में छोटे -छोटे पैमाने पर उत्पादन करने िालों के प्रकार, उत्पादन की प्रमात्रा, सामाल्जक-
आधथिक ल्स्थनत, विपणन व्यिस्था
ख. कीमतों को अधधक प्रभावित ककए बबना, ितिमान बाजार में , अनतररतत उत्पादन की खपत के शलए
पयािप्त मांग
ग. यहद आिश्यकता पड़े तो उत्पादकता या उत्पाद की गण
ु ित्ता के सध
ु ार के शलए पज
ूं ी ननिेि करने
और अशभनि तकनीक को अपनाने में उत्पादकों की रुधच
घ. विपणन श्ख
ं ृ ला और बाजार के िातािरण में विद्यमान चन
ु ौनतयां
ङ. ककसी झटके, नई प्रिल्ृ त्त और मौसम में पररितिन के प्रनत बाजार की प्रनतकिया
च. यहद समद
ु ाय में पहले ककसी भी प्रकार का कोई काम शमलजुल कर ककया गया हो, तो उसका अनभ
ु ि
कैसा रहा.
छ. आसपास के क्षेत्र/ल्जलों में बड़े खुदरा वििेताओं या प्रसंस्करण कंपननयों को ककन िस्तओ
ु ,ं प्रसंस्कृत
अथिा अधि-प्रसंस्कृत उत्पादों की मांग है.
ज. सरकारी विभागों, एनजीओ, वििेिज्ञ सहायता दे ने िाली एजेंशसयों और ननजी कंपननयों से उद्यम
विकास के शलए शमलने िाली सहायता
झ. उत्पादक संगठन में िाशमल होने पर शमलने िाले प्रोत्साहन और साथ ही हतोत्साहहत करने िाले
तत्त्ि

उत्पादक संगठन की धारणीयता को ध्यान में रखते हुए, समय सीमा, सत्यावपत ककए जा सकने योग्य
संकेतकों और जोखखम कारकों के साथ गनतविधधयों के एक फ़्लो चाटि एटे चमें ट 5 में हदया गया है .
1.27 उत्पादक संगठन की स्थापना के ककस चरण में उत्पादक-सदस्यों को सकिय सहभागी बनाया जाना
चाहहए?
जो उत्पादक संगठन मल
ू रूप से बाहरी प्रयासों के पररणामस्िरूप गहठत ककए जाते हैं, उन्हें व्यिसाय को
जमाने के शलए अकसर काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है . इसशलए, सदस्यों को िरू
ु से ही सकिय सहभागी
बनाना चाहहए. बाहर से प्रयास करने िाली संस्था को चाहहए कक िह ऐसा िातािरण ननशमित करे कक
उत्पादक स्ियं ही उत्पादक संगठन की स्थापना का प्रयास िरू
ु करें और समस्त प्रकिया का संचालन
करें . संगठन के गठन की औपचाररकता िरू
ु करने के पहले जागरूकता ननमािण और संभावित सदस्यों
की पहचान का काम परू ा कर शलया जाना चाहहए.
1.28 उत्पादक संगठन का सबसे उपयक्
ु त आकार क्या होगा और इसके मलए मानदं ड क्या होंगे?
क. एक दसू रे से सटे हुए माइिो-िॉटरिेर्ों में ल्जन ककसानों की जमीन हो, उनका कृिक उत्पादक संगठन
बनाना िांछनीय होगा ताकक धारणीयता संबध ं ी मद्द
ु ों से ननपटा जा सके.
ख. एक कृिक उत्पादक संगठन में लगभग 4000 हे . उत्पादक जमीन होनी चाहहए.
8
ग. प्रबंधन में आसानी की दृल्टट से एक कृिक उत्पादक संगठन में एक या पास की दो ग्राम पंचायतों
को िाशमल ककया जाना चाहहए.
घ. एक संगठन में 700 से 1000 तक की संख्या में उत्पादक ककसानों को िाशमल करना आिश्यक
होगा.
ङ. ऊपर हदए गए वििरण के अनस
ु ार गहठत उत्पादक संगठन की प्रबंध लागत लगभग `2 लाख प्रनत
माह यानी `24 लाख िावििक होगी.
च. यह मानते हुए कक उत्पादक संगठन के कुल पररव्यय का लगभग 10% संगठन की प्रबंधन लागत
के रूप में खचि करना जायज होगा, संगठन के कृिक और गैर-कृिक सदस्यों की कुल उपज या
उत्पाद का मप
ू य लगभग `2.5 करोड़ होना चाहहए.
छ. इसके अलािा, उत्पादक संगठन के उत्पादों की बबिी के शलए जो बाजार चुने जाएं, िे 200 ककमी के
भीतर होने चाहहए ताकक बबिी लाभप्रद हो.
1.29 उत्पादक संगठन की दीघधकामलक लाभप्रदता के मलए सवाधधधक उपयक्
ु त आकार के ननधाधरण के मलए
पररवतधनीय डडजाइन/ कारक कौन से हैं?
क. कृिक उत्पादक संगठन को इस प्रकार डर्जाइन ककया जाना चाहहए कक एक या दो माइिो-िाटरिेर्
की सारी जमीन उसमें िाशमल हो जाए.
ख. माइिो-िाटरिेर् के ककसान पहले से ही ऐसी कई उत्पादक गनतविधधयों में लगे होते हैं, ल्जनसे कई
प्रकार के जोखखम दरू होते हैं, जैसे विशभन्न उत्पादों के बाजार मप
ू य में होने िाले पररितिन, आय की
ननरं तरता बनाए रखना आहद.
ग. उत्पादक संगठन की दीघिकाशलक लाभप्रदता इस बात पर ननभिर करती है कक संगठन और उसके
सदस्य ििि भर कायिरत रहें .
घ. उत्पादक संगठन के अलग अलग डर्जाइन मख्
ु यत: आकार, कायिक्षेत्र, प्रौद्योधगकी, संसाधनों के
स्िाशमत्ि, प्रबंधन और प्रयोजन पर ननभिर करते हैं. सभी पररितिनीय कारकों को इस तरह समायोल्जत
करना होगा कक ऊपर दो बबंदओ
ु ं में ननहदि टट, दीघिकाशलक लाभप्रदता की अपेक्षाओं को परू ा ककया जा
सके.
ङ. उत्पादक संगठन का आकार इतना छोटा होना चाहहए कक उसका प्रबंध स्थानीय स्तर पर उपललध
प्रनतभाएं कर सकें.
च. उत्पादक संगठन के कायिक्षत्र
े को इस प्रकार पररभावित ककया जाना चाहहए कक मद
ृ ा की गण
ु ित्ता
बनाए रखने के शलए पयािप्त संख्या में फसलें ली जा सकें, र्ेयरी जैसी अनि
ु ग
ं ी गनतविधधयां चलें,
स्थानीय आबादी को पोिाहार सरु क्षा उपललध कराई जाए और जोखखम ननिारण ककया जा सके.
छ. उत्पादक संगठन को ऐसी प्रौद्योधगकी अपनानी चाहहए ल्जसे सदस्य और उनके पररजन न्यन
ू तम
प्रशिक्षण लेकर अपना सकें और उस पर काम कर सकें.
ज. उत्पादक संगठन के प्रबंधन को यह प्रयास करना चाहहए कक स्थानीय यि
ु ा संगठन के कामकाज से
इस प्रकार जोड़े जाएं कक िे 3 से 7 साल में संगठन का प्रबंधन प्रभािी ढं ग से संभाल सकें.
झ. उत्पादक संगठन का प्रयोजन हमेिा समद
ु ाय की बह
ृ त्तर और व्यापकतर आिश्यकता की पनू ति करना
होना चाहहए और संगठन का स्िाशमत्ि हमेिा सदस्यों के हाथ में होना चाहहए.
1.30 उत्पादक संगठन में सदस्यों की न्यन
ू तम और अधधकतम संख्या क्या होगी ?
उत्पादक संगठन में सदस्यों की न्यन
ू तम संख्या इस बात पर ननभिर करती है कक उसका विधधक स्िरूप
तया है . उदाहरण के शलए, भारतीय कंपनी अधधननयम की धारा 581(सी) {इस प्रािधान को 2013 के

9
अधधननयम में भी बरकरार रखा गया है } के तहत 10 या उससे अधधक प्राथशमक उत्पादक शमलकर
उत्पादक कंपनी बना सकते हैं. सदस्यों की अधधकतम संख्या पर कोई प्रनतबंध नहीं है . व्यिसाय में हटके
रहने के शलए आम तौर पर उत्पादक संगठन के शलए बड़े पैमाने पर काम करने के शलए एक ननल्श्चत
न्यन
ू तम संख्या जरूरी होगी. पररचालन के शलए अपेक्षक्षत पैमाने/ प्रमात्रा को िह स्तर कहा जाता है , जहां
न लाभ होगा, न घाटा यानी ‘ब्ेक ईिन’ स्तर. अध्ययनों से पता चला है कक लंबे समय तक पररचालन-
क्षम रहने की दृल्टट से उत्पादक संगठन में 700 से 1000 तक सकिय उत्पादक सदस्य होने चाहहए.
1.31 उत्पादक संगठन संवधधन संस्था (पीओपीआई) बनने की पात्रता ककन संस्थाओं को है ?
एनजीओ, बैंक िाखा, सरकारी विभाग, सहकारी सोसायटी या कोई एसोशसएिन अथिा फेर्रे िन संिधिन
संस्था (पीओपीआई) की भशू मका ननभा सकता है . िस्तत
ु : ऐसी संस्था (पीओपीआई) का विधधक ननकाय
होना आिश्यक है, ताकक िह संिधधित ककए जाने िाले उत्पादक संगठन सहहत अन्य संस्थाओं के साथ
िैध संविदा ननटपाहदत कर सके. अलग अलग पररयोजना की आिश्यकताओं के आधार पर उत्पादक
संगठन संिधिन संस्था (पीओपीआई) के शलए आिती लागत के एक अंि को परू ा करने के शलए एसएफ़एसी
और नाबार्ि से सहायता उपललध है. सहायता के बारे में विस्तत
ृ जानकारी नाबार्ि, एसएफ़एसी और कृवि
मंत्रालय, भारत सरकार की िेबसाइट पर उपललध है.
1.32 उत्पादक संगठन संवधधन संस्था (पीओपीआई) की भमू मका और क्जम्मेदाररयां क्या हैं?
संिधिन संस्था (पीओ) की प्राथशमक ल्िम्मेदारी है यह दे खना कक उत्पादक संघ व्यिसाय के ऐसे स्तर को
हाशसल कर ले जहां से िह आगे बढ़ता रह सके और उत्पादक संगठन संिधिन संस्था (पीओपीआई) के
स्टाफ को िह तकनीकी और प्रबंध क्षमता हाशसल हो जाए ल्जससे िे उत्पादक संगठन संिधिक संस्था
(पीओपीआई) के सहयोग के हट जाने के बाद भी व्यिसाय को सफलतापि
ू क
ि चला सकें. इस तरह, संिधिक
संस्था की प्रमख
ु भशू मका प्रशिक्षण और ननरं तर मागिदििन के माध्यम से उत्पादक संगठन के स्टाफ और
प्रबंधन का क्षमता-ननमािण करना है . मोटे तौर पर संिधिन संस्था की ल्जम्मेदाररयां ननम्नानस
ु ार हैं :
क. तलस्टर की पहचान
ख. ननदानात्मक और साध्यता अध्ययन
ग. व्यिसाय आयोजना
घ. उत्पादकों को एकत्र कर उत्पादक संघ का रल्जस्रे िन / इनकापोरे िन
ङ. संसाधन जुटाना
च. प्रबंध प्रणाशलयों और कायिविधधयों का विकास
छ. व्यिसाय पररचालन
ज. मप
ू यांकन और लेखापरीक्षा
1.33 उत्पादक संगठन संवधधन संस्था (पीओपीआई) के मलए अनद
ु ान एवं ऋण सहायता के अंतगधत आने
वाले महत्त्वपण
ू ध सहयोग कौन से हैं?
उत्पादक संगठन संिधिन संस्था द्िारा उत्पादक संघ के संिधिन और संचालन में िाशमल गनतविधधयां

ि.सं. गनतववधध अनद


ु ान या ऋण अवधध
1 ितिमान आधथिक गनतविधध की पहचान और अनद
ु ान 1 माह
साथ ही उत्पादक संगठन आरं शभक
आधारभशू म बनाने योग्य सामाल्जक समह
ू ों
की पहचान के शलए इलाके का सिेक्षण

10
2 उत्पादक संगठन के बारे में संिाद और अनद
ु ान 3-4 माह
जागरूकता ननमािण
 आरं शभक संिाद – जानकारी एकत्र करने हे तु
 बैठकें
 पररचयमल
ू क दौरे
3 उत्पादक संगठनों के संचालन के शलए अनद
ु ान 1 माह
प्रशिक्षण और क्षमता ननमािण
4 प्रबंध ढांचे को औपचाररक रूप दे ना और अनद
ु ान 1-2 माह
उत्पादक संगठन का रल्जस्रे िन
5 पेिि
े र व्यल्ततयों की ननयल्ु तत और अनद
ु ान – 3 ििि के पेिि
े र व्यल्ततयों का
व्यिसाय योजना तैयार करना शलए अलग अलग िेतन / व्यिसाय
चरणों में िेतन पर योजना तैयार करने के
व्यय शलए परामिि िप
ु क
व्यिसाय योजना
तैयार करने के शलए
एक बार की परामिि
सेिा
6 सदस्यों द्िारा उत्पादन गनतविधध ऋण सहायता
7 आरं शभक प्रसंस्करण – श्ेणीकरण, ऋण सहायता
पथ
ृ तकरण और भंर्ारण
8 अलग भंर्ार संरचना अपेक्षक्षत ऋण सहायता
9 अलग गण
ु ित्ता ननयंत्रण संरचना अपेक्षक्षत अनद
ु ान ि ऋण
सहायता
10 बाजार सिेक्षण, प्रदििनी, अनद
ु ान अनद
ु ान आरं शभक 2-3 ििों के
शलए
11 नई टे तनोलोजी अपनाना अनद
ु ान आिश्यकतानस
ु ार (एक
* विल्ज्स ननल्श्चत सीमा के
 * मिीनें अधीन)
12 ननयाित – जरूरी औपचाररकताएं परू ी करने अनद
ु ान आिश्यकतानस
ु ार (एक
का खचि ननल्श्चत सीमा के
अधीन)

1.34 उत्पादक संगठन ककन कराधान प्रणामलयों/ क़ानन


ू ों से संचामलत होता है ? क्या कृषक उत्पादक
संगठनों को ककसी तरह का कर-लाभ ममलता है?
ननगशमत होने के तरु ं त बाद उत्पादक संगठन को अपना व्यिसाय चलाने के शलए आयकर विभाग से पैन
(PAN) नंबर और िाखणल्ज्यक कर विभाग से हटन (TIN) नंबर लेना होगा. इसके अलािा, संघ को सेिा
कर के शलए िाखणल्ज्यक कर विभाग से और िैट (VAT) के शलए उत्पाद िप
ु क विभाग से रल्जस्रे िन
कराना होगा.

11
कफलहाल सभी कृिक उत्पादक संघों को कर से छूट की पात्रता नहीं है , जैसा कक सहकारी संस्थाओं के
मामले में है. उत्पादक कंपननयों पर प्राइिेट शलशमटे र् कंपननयों और पल्ललक शलशमटे र् कंपननयों के समान
ही कराधान होता है . तथावप, उत्पादक कंपननयों को उपललध कुछ कर प्रोत्साहनों का वििरण नीचे हदया
जा रहा है .
क. समय समय पर यथासंिोधधत आयकर अधधननयम, 1961 में यथापररभावित कृवि गनतविधधयों के
माध्यम से उत्पादक कंपनी को होने िाली आय कृवि आय मानी जाती है और कराधान से मत
ु त है.
ख. भारत सरकार ने वित्त अधधननयम, 2012 के माध्यम से कृवि उपकरणों और उनके पज
ु ों के आयात
पर कस्टम्स ड्यट
ू ी कम कर दी है, ल्जससे कृवि गनतविधधयों में लगी उत्पादक कंपननयों को काफी
फायदा होगा.
ग. जो उत्पादक कंपननयां चाय या कॉफी या रबर के उत्पादन और विननमािण के व्यिसाय में हैं, िे ककसी
राटरीयकृत बैंक या ककसी अन्य बैंक में डर्पॉल्िट रखने के मामले में कंपनी और संबल्न्धत बोर्ि
द्िारा अनम
ु ोहदत योजना के अनस
ु ार कटौती की पात्र हैं.

1.35 उत्पादक संगठन के ननदे शक बोडध / अन्य स्टाफ के प्रमशक्षण / क्षमता ननमाधण के दौरान ककन
महत्त्वपण
ू ध क्षेत्रों को शाममल ककया जाना चाहहए?
उत्पादक संगठन के ननदे िक बोर्ि / अन्य स्टाफ के प्रशिक्षण / क्षमता ननमािण के दौरान िाशमल ककए
जाने िाले महत्त्िपण
ू ि वििय हैं -
क. ववजन और ममशन (दििन और ध्येय) : ननदे िक बोर्ि और अन्य स्टाफ – दोनों के शलए उत्पादक
संगठन के विजन और शमिन की समझ आिश्यक है . मप
ू य श्ंख
ृ ला में विद्यमान समस्याओं के
ननराकरण, विपणन और सदस्यों के उत्पाद के शलए उपभोतता ने जो राशि खचि की है , उसमें प्रनत
रुपया उत्पादक के समधु चत हहस्से के माध्यम से सदस्यों के शलए अनतररतत लाभ पर वििेि ध्यान
हदया जाना चाहहए. यह भी बताया जाना चाहहए कक सभी अन्य गनतविधधयों/ सेिाओं का उद्देश्य यह
हो कक सदस्य परू े ििि परू े जोि से काम करें , और उनके खचि में ककस तरह कमी हो और उनके
कपयाण में िवृ ि हो.
ख. गड
ु गवनेंस (श्ेयस्कर अशभिासन) : उत्पादक संगठन की सफलता के शलए यह आिश्यक है कक
संगठन को ल्िम्मेदारी, पारदशििता से चलाया जाए और सदस्यों के हहत को सिोपरर रखा जाए. क्षमता
ननमािण में गर्
ु गिनेंस के विविध पहलओ
ु ं का समािेि ककया जाए.
ग. सस्टे नेबबमलटी (धारणीयता) : प्रशिक्षण में यह ननल्श्चत रूप से बताया जाना चाहहए कक उत्पादक
संगठन को ऐसे ककसी उद्यम में नहीं लगना चाहहए ल्जसमें तत्काल तो लाभ हो लेककन जो लंबे समय
में समद
ु ाय के हहत/ कपयाण के प्रनतकूल हो.
घ. नेटवककिंग (संपकि) : उत्पादक संघ की सफलता संपकों और हहतधारकों के बीच संिाद पर ननभिर करती
है । ननदे िक बोर्ि और अन्य स्टाफ को इस बात की अच्छी समझ होनी चाहहए कक शमलजुल कर काम
करने में सदस्यों के अधधकतम हहत के शलए अच्छी नेटिककिंग का तया महत्त्ि है ।
ङ. सामाक्जक सरोकार : प्रशिक्षण में इस बात पर बल हदया जाना चाहहए कक उत्पादक संगठन को सदा
सदस्यों के हहत में काम करना चाहहए ल्जससे सामाल्जक है शसयत बनती है और विश्िास का िातािरण
ननशमित होता है.

12
च. सांववधधक अपेक्षाएं : ननदे िक बोर्ि और अन्य स्टाफ को उत्पादक संगठन के संगठन, उसके गठन के
स्िरूप से संबल्न्धत सांविधधक प्रािधानों, संविधध के अंतगित अन्य विविध अपेक्षाओं और उनकी अनप
ु ालना
की अच्छी समझ होनी चाहहए.
छ. व्यवसाय आयोजना : प्रशिक्षण में व्यिसाय आयोजना के विविध पक्षों को िाशमल ककया जाना चाहहए
और बताया जाना चाहहए कक व्यिसाय जोखखम को न्यन ू तम करते हुए लाभ को कैसे अधधकतम ककया
जाए. साथ ही, विस्तत
ृ पररयोजना ररपोटि (र्ीपीआर), तल
ु नपत्र विश्लेिण, लाभप्रदता के शलए सरल वित्तीय
अनप
ु ातों, और वित्तपोिण के शलए बैंकों द्िारा दे खे जाने िाले अनप
ु ातों को भी प्रशिक्षण में िाशमल ककया
जाना चाहहए.
ज. ववत्तीय प्रबंधन : प्रशिक्षण में वित्तीय प्रबंधन कला की जानकारी भी दी जानी चाहहए, जैसे – लेखाबहहयां
रखना, प्रबंध सच
ू ना प्रणाली, िेयर पज
ूं ी, उधार, बचत, ऋण, नकदी प्रिाह, ऋण प्रिाह, प्राप्य राशि प्रबंधन,
दे य राशि प्रबंधन, ननिेि आहद.
झ. अनप्र
ु वतधन (मॉननटररंग) : बीओर्ी मॉड्यल
ू में अनप्र
ु ितिन के विविध पक्षों को िाशमल ककया जाना चाहहए
ल्जससे यह सनु नल्श्चत ककया जा सके कक व्यािसानयक लक्ष्य प्राप्त हों और व्यिसाय पेिि
े र ढं ग से
चलाया जाए.
1.36 उत्पादक संगठन को एसएफ़एसी से क्या सहायता ममलती है ?
लघु कृिक कृवि व्यिसाय संघ (एसएफ़एसी) से उत्पादक संगठन को मख्
ु यत: दो प्रकार की सहायता
शमलती है . वििरण www.sfacindia.com पर उपललध है .
क. एसएफ़एसी के पास एक ऋण गारं टी ननधध होती है जो कंपनी अधधननयम के पररच्छे द IX ए के अंतगित
उत्पादक कंपनी के रूप में रल्जस्टर्ि कृिक उत्पादक कंपननयों को बबना संपाल्श्ििक जमानत के ऋण दे ने
िाली वित्तीय संस्थाओं के ऋण जोखखम को दरू करने के शलए है . इससे कृिक उत्पादक कंपननयों को,
जो एक प्रकार के उत्पादक संगठन हैं, व्यिसाय स्थावपत करने और चलाने के शलए मख्
ु य धारा की
वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेने में सवु िधा होती है ।
ख. एसएफ़एसी कृिक उत्पादक कंपननयों को, उनकी उधार लेने की िल्तत बढ़ाने के शलए उनकी इल्तिटी के
बराबर, ककन्तु `10 लाख तक इल्तिटी अनद
ु ान दे ता है और इस प्रकार िे बैंक वित्त तक पहुंचने में
समथि हो पाते हैं.
1.37 उत्पादक संगठन को नाबाडध से ककस प्रकार की ववत्तीय सहायता ममलती है?
नाबार्ि उत्पादक संगठनों को अपने दो वित्तीय उत्पादों के माध्यम से पररयोजना आधाररत वित्तीय
सहायता उपललध कराता है. इस उद्देश्य की पनू ति के शलए नाबार्ि ने ‘उत्पादक संगठन विकास ननधध’
नामक एक ननधध सल्ृ जत की है . वििरण www.nabard.org पर उपललध है (उत्पादक संगठन का
वित्तपोिण और सहयोग).
क. उत्पादक संगठनों को 1:1 के अनप
ु ात में यानी मैधचंग आधार पर िेयर पज
ूं ी अंिदान के शलए ऋण
हदया जाता है ताकक िे बैंकों से उच्चतर ऋण प्राप्त कर सकें. यह ऋण संपाल्श्ििक जमानत के बबना हदया
जाता है ल्जसे एक ननल्श्चत अिधध के बाद लौटाना होता है . प्रनत सदस्य `25000 की सीमा के अधीन
यह सहायता अधधकतम `25 लाख तक हो सकती है.
ख. व्यिसाय पररचालन के शलए संपाल्श्ििक जमानत के समक्ष ऋण सहायता. इसके अलािा, एसएफ़एसी की
ऋण गारं टी योजना के अंतगित जो कृिक उत्पादक संगठन पात्र हैं, उन्हें संपाल्श्ििक जमानत के बबना
व्यिसाय पररचालन के शलए ऋण सहायता. व्यिसाय की आिश्यकता के अनस
ु ार ऋण उत्पाद को ग्राहक
के अनक
ु ू ल पररिनतित ककया जा सकता है. आम तौर पर ऋण व्यिसाय गनतविधधयों और भिन, मिीनरी,

13
उपकरण, पररिहन के शलए वििेि रूप से डर्जाइन की गई गाडड़यों आहद जैसी पररसंपल्त्तयों के शलए,
तथा/अथिा पररयोजना की प्रिासननक एिं अन्य आिती लागतों सहहत कायििील पज
ूं ी आिश्यकताओं के
शलए सल्म्मश् ऋण उपललध है . जमीन की खरीद, सामान्य पररिहन और व्यल्ततगत उपयोग आहद के
शलए गाडड़यों की खरीद जैसे पज
ंू ीगत व्ययों के शलए ऋण सहायता पर विचार नहीं ककया जाएगा.

1.38 क्या नाबाडध से उत्पादक संगठन को कोई और सहायता उपलब्ध है?


नाबार्ि, उत्पादक संगठन को स्ित: सक्षम बनाने तक उसका मागिदििन करने, उसके क्षमता ननमािण और
विपणन सहयोग संबध
ं ी प्रयासों के शलए भी तकनीकी, प्रबंधकीय और वित्तीय सहायता दे ता है . यह
सहायता पररल्स्थनत के आधार पर अनद
ु ान या ऋण या दोनों के शमले जल
ु े रूप में केिल ऐसे संघ को
उपललध है, जो नाबार्ि से ऋण लेता हो. आम तौर पर क्षमता ननमािण सहायता अलग से नहीं दी जाती.
यह सहायता समग्र पररयोजना के एक भाग के रूप में होगी, ल्जसमें अननिायित: ऋण घटक भी होगा.
यहद पररयोजना में कोई अनद
ु ान घटक हो, तो िह ऋण राशि के अधधकतम 20 प्रनतित तक होगा. मोटे
तौर पर क्षमता ननमािण में कोई भी ऐसी गनतविधध िाशमल होगी, जो उत्पादक संघ के कामकाज से
संबल्न्धत हो. नीचे कुछ ऐसी गनतविधधयों की बानगी दी गई है .
क. सदस्यों को उत्पादन/ उत्पादकता में सध
ु ार में सक्षम बनाने के शलए कौिल विकास
ख. व्यिसाय आयोजना
ग. तलासरूम रे ननंग के माध्यम से प्रौद्योधगकी विस्तार
घ. पररचयात्मक दौरे , कृवि विश्िविद्यालयों के साथ गठजोड़, वििेिज्ञ बैठकें आहद
ङ. उत्पादक संघ को सीधे लाभ पहुंचाने िाले अन्य क्षमता ननमािण प्रयास
च. नाबार्ि ककसान तलबों सहहत विविध संस्थाओं को अपनी कृवि क्षेत्र संिधिन ननधध (एफएसपीएफ) से
ननम्नशलखखत के शलए वित्तीय सहायता दे ता है –
I. कृिकों को उधचत प्रौद्योधगकी अपनाने में सहयोग दे ने के शलए प्रशिक्षण-सह-पररचयात्मक दौरों, विविध
प्रौद्योधगकी के इस्तेमाल का प्रदििन आहद के माध्यम से प्रयास
II. वित्तीय और ऋण परामिि का आयोजन
III. वित्तीय साक्षरता के शलए सहायता
IV. यहद आिश्यकता हो तो लोगों को उपयत
ु त प्रौद्योधगकी की जानकारी दे ना
V. उत्पादक संगठन का संिधिन

1.39 नाबाडध ववपणन में उत्पादक संगठन की सहायता ककस प्रकार कर सकता है?
नाबार्ि बाजार तक पहुंच बनाने में भी उत्पादक संगठन की सहायता करता है ल्जसका वििरण ननम्नानस
ु ार
है :
क. उत्पाद की बबिी के शलए आधारभत
ू विपणन सवु िधा की स्थापना के शलए ऋण तथा/ अथिा अनद
ु ान
सहायता
ख. नाबार्ि की सहायता से पहले से ही स्थावपत ग्रामीण हाट और रूरल माटि के माध्यम से विपणन सहयोग
ग. संगठन की उपज के शलए नाबार्ि वििेताओं के साथ गठजोड़ में सहयोग दे सकता है .
घ. जहां कहीं संभि हो, नाबार्ि राटरीय बागबानी शमिन और कृवि मंत्रालय की विद्यमान योजनाओं के
माध्यम से आधारभत
ू संरचना ननमािण में सहायता कर सकता है.

14
1.40 उत्पादक संगठन संवधधन संस्था को नाबाडध से क्या सहायता उपलब्ध है?
उत्पादक संगठन को दी जाने िाली 20% की अनद
ु ान सहायता की समग्र सीमा के भीतर नाबार्ि, उत्पादक
संगठन का ध्यान रखने के शलए संिधिन संस्था को प्रोत्साहन दे ता है . प्रोत्साहन योजना ननम्नानस
ु ार है :
क. 5 साल तक परु ाने उत्पादक संघ के शलए ऋण राशि का अधधकतम 5%
ख. 5 साल से अधधक परु ाने उत्पादक संघ के शलए ऋण राशि का अधधकतम 2.5%
ग. प्रोत्साहन राशि का 10% अधग्रम हदया जाएगा, 70% ककस्तों की समय पर चुकौती से जुड़ा होगा और
िेि 20% अंत में संतोिप्रद चुकौती के बाद हदया जाएगा.

1.41 भारत सरकार से उत्पादक संगठन को क्या सहायता उपलब्ध है?


भारत सरकार कृिक उत्पादन कंपनी के शलए एसएफ़एसी को इल्तिटी अनद
ु ान और ऋण गारं टी ननधध के
बजटीय सहायता उपललध कराती है . कृवि मंत्रालय, भारत सरकार की समल्न्ित कृवि विपणन योजना के
अंतगित कृिक उत्पादक संघ भंर्ारण और अन्य विपणन आधारभत
ू संरचना हे तु अधधक सल्लसर्ी के शलए
पात्र हैं. वििरण www.agmarknet.nic.in पर उपललध है. कापाटि , ग्रामीण विकास मंत्रालय भी कई
योजनाएं चलाता है, ल्जनके माध्यम से उत्पादक संगठन कुछ गनतविधधयों के शलए सहायता ले सकता
है . वििरण www.capart.nic.in पर उपललध है. ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार से सहायता-
प्राप्त प्रशिक्षण संस्थाएं (www.rural.nic.in) भी कौिल और क्षमता ननमािण का प्रशिक्षण दे ते हैं, ल्जनका
लाभ उत्पादक संगठन अपने सदस्यों के शलए उठा सकते हैं.

15
अध्याय - 2

सहकारी सममनत के रूप में उत्पादक संगठन

2.1 उत्पादक संगठन को सहकारी सममनत के रुप में पंजीकृत करने के संबध
ं में कानन
ू ी प्रावधान
क्या है ?
उत्पादक संगठनों का सहकारी सशमनत के रूप में गठन या पंजीकरण ननम्नशलखखत अधधननयमों के अंतगित
ककया जा सकता है :-
क) राज्य का सहकारी सशमनत अधधननयम
ख) कई राज्यों में मौजूदा स्िायत्त सहकारी सशमनत अधधननयम (राज्य का न्यन
ू तम हस्तक्षेप)
ग) बहुराज्य सहकारी सशमनत अधधननयम, जो केन्रीय अधधननयम है ।

2.2 सहकारी सममनतयों के उद्देश्य कथन क्या है ?

क) सहकारी सशमनतयां ऋण,उत्पादन अथिा वितरण के उद्देश्य से स्थावपत की जा सकती हैं।


ख) अमयािहदत सशमनत कृवि पण्य के शलए सहकाररता का श्ेटठ रुप नही होती हैं।
तथावप ऐसी सशमनतयों का अल्स्तत्ि होता है और िे कई राज्यों में कियािील है , अमयािहदत सशमनत राज्य
सरकार की अनम
ु नत से लाभ वितररत कर सकती है .

2.3 सममनतयों का पंजीकरण ककस प्रकार होता है ?

क) सशमनत के रूप में ककसी भी ऐसी सशमनत को पंजीकृत ककया जा सकता है ल्जसका उद्देश्य सहकाररता
के शसिांतों के अनरू
ु प अपने सदस्यों की हहतों का संिधिन करना है .
ख) उसी तरह, सशमनत के पररचालनों को सग
ु म बनाने के उद्देश्य से स्थावपत की गई सशमनत को भी
अधधननयम के तहत पंजीकृत ककया जा सकता है .
ग) एक पंजीकृत सशमनत, ककसी दस
ू री सशमनत की सदस्य बन सकती है ककन्तु ऐसे में राज्य सरकार के
अन्यथा ननदे ि न होने पर, अन्य सशमनत की दे यताएं सीशमत होनी चाहहए.

2.4 सममनत का गठन कौन कर सकता है ?

क) 18 ििि की उम्र से अधधक के कम से कम 10 व्यल्तत शमलकर सशमनत बना सकते है .


ख) यहद सशमनत का उद्देश्य अपने सदस्यों को उधार दे ने के शलए ननधधयों का सज
ृ न करना है तो
उसके सभी सदस्यों को एक ही नगर, गांि, समद
ु ाय का होना चाहहए अथिा सभी सदस्यों को समान
श्ेणी, जानत अथिा व्यिसाय का होना चाहहए, बिते पंजीयक द्िारा अन्यथा ननदे ि हदए गए हों.
ग) यहद पंजीकृत सशमनत ने ककसी अन्य सशमनत की सदस्यता ली है तो उस ल्स्थनत में न्यन
ू तम
10 सदस्यों अथिा सदस्यों के एक ही नगर/गांि से होने का प्रािधान लागू नही होता है .

16
घ) यहद सशमनत मयािहदत दे यताओं के साथ पंजीकृत की गई हैं तो सशमनत का अंनतम िलद 'मयािहदत'
होना चाहहए.
र्) पंजीयक को यह अधधकार है कक िह यह तय करे कक कोई व्यल्तत कृिक है अथिा नहीं या िह
एक ही गांि/नगर का ननिासी है . पंजीयक का ननणिय अंनतम होगा.

2.5 सदस्यों के अधधकार और दे यताएं क्या है ?

क) यहद सदस्यों की दे यताएं िेयरों द्िारा सीशमत नहीं की गई है तो प्रत्येक सदस्य को पज


ूं ी में
उसके अंिदान पर ध्यान हदए बबना एक िोट का अधधकार होगा.
ख) यहद पंजीकृत सशमनत के सदस्यों की दे यताएं िेयरों द्िारा सीशमत है तो प्रत्येक सदस्य को उप-
ननयमों के अनस
ु ार कई िोटों का अधधकार प्राप्त होगा.
ग) यहद पंजीकृत सशमनत ने अपने िेयर ककसी दस
ू री पंजीकृत सशमनत में ननिेि ककए हैं तो िह प्रोतसी
िोट ले सकती है .
घ) पंजीकृत सशमनत के सदस्य अपने अधधकारों का प्रयोग नहीं करें गे जब तक कक उन्होंने सशमनत को
सदस्यता िप
ु क का भग
ु तान न ककया हो अथिा सशमनत के ननयमों अथिा उप-ननयमों के अनस
ु ार सशमनत
में उनका हहत न जुड़ा हो.

2.6 सममनत का प्रबंधन कैसे होगा?

क) प्रत्येक सशमनत का प्रबंधन एक सशमनत अथिा गिननिंग बॉड़ी द्िारा ककया जाएगा.
ख) सशमनत के अधधकाररयों में अध्यक्ष, सधचि, कोिपाल, सदस्य अथिा ननयमों/उप-ननयमों के अंतगित
िल्तत प्राप्त अन्य व्यल्तत िाशमल होंगें जो सशमनत के कायि व्यिहार के संबध
ं में हदिा ननदे ि दे सकते
है ।

2.7 क्या पंजीकृत सममनत एक सहकारी ननकाय है ?

क) पंजीकृत सहकारी सशमनत एक सहकारी ननकाय है ल्जसके पास िास्ित उत्तराधधकार और कॉमन
सील होती है (एक कंपनी की तरह)
ख) यह संपल्त्त रख सकती है , ठे के ले सकती है , कानन
ू ी दािे तथा अन्य कानन
ू ी मामले दायर कर
सकती है और उनका बचाि कर सकती है ।
ग) अपने संगठन के उद्देश्य के शलए आिश्यक सभी कायि कर सकती है .

2.8 क्या सममनत के ऋणों पर कोई प्रनतबंध है ?

 पंजीकृत सशमनत केिल अपने सदस्यों को ही ऋण दे सकती है . तथावप, पंजीयक की अनम


ु नत लेकर
ककसी अन्य पंजीकृत सशमनतयों को भी ऋण हदया जा सकता है .
 अमयािहदत सशमनत पंजीयक की मंजूरी के बगैर चल संपल्त्त की जमानत पर उधार नहीं दे सकती.

17
 राज्य सरकार एक सामान्य आदे ि जारी करके ककसी पंजीकृत सशमनत अथिा पंजीकृत सशमनत के
ककसी िगि द्िारा अचल संपल्त्त के बंधक पर उधार दे ने पर रोक या प्रनतबंध लगा सकती है .

2.9 सममनत के कायो का ननरीक्षण कौन करे गा ?

क) पंजीयक ननम्नांककत ल्स्थनतयों में स्ियं जांच कर सकते हैं अथिा ककसी व्यल्तत को जांच करने
के शलए प्राधधकृत कर सकते हैं :-
i. अपने प्रस्ताि पर
ii. कलेतटर के अनरु ोध पर
iii. सशमनत के अधधकांि सदस्यों के आिेदन करने पर या
iv. सशमनत के न्यन
ू तम एक-नतहाई सदस्यों की मांग पर

ख) सभी अधधकारी और सदस्य पंजीयक अथिा उनके द्िारा प्राधधकृत व्यल्तत को सभी जरुरी सच
ू नाएं
प्रदान करें ग.े

2.10 क्या सममनत को भंग ककया जा सकता है ?

क) पंजीयक की जांच या पछ
ू ताछ परू ी होने पर अथिा सशमनत के 75 सदस्यों से आिेदन शमलने पर
यहद लगता है कक सशमनत को भंग ककया जाना चाहहए तो िे सशमनत का पंजीयन ननरस्त कर सकते हैं.
ख) कोई भी सदस्य पंजीयक के आदे ि के खखलाफ दो माह के भीतर राज्य सरकार अथिा राज्य
सरकार द्िारा प्राधधकृत राजस्ि प्राधधकारी से अपील कर सकता हैं.
ग) यहद दो माह में कोई अपील दायर नहीं की जाती हैं तो सशमनत को भंग करने का आदे ि प्रभािी
हो जाता है .
घ) यहद अपील की जाती है तो अपीलकताि अधधकारी के पल्ु टट करने पर ही आदे ि लागू होगा.
2.11 क्या कंपनी अधधननयम के प्रावधान पंजीकृत सहकारी सममनत पर लागू हैं ?

कंपनी अधधननयम के प्रािधान पंजीकृत सहकारी सशमनत पर लागू नही होते हैं.

2.12 क्या प्राथममक कृवष ऋण सममनत (पैक्स) एक उत्पादक संगठन के रूप में काम कर सकती है ?

पैतस एक पंजीकृत सहकारी संस्था है . यह अपने सदस्यों को ऋण तथा अन्य सेिाएं प्रदान करती है . यह
पाया गया है कक पैतस अपने सदस्यों की ऋण जरूरतों को प्राय: परू ा कर लेती है . तथावप, ककसानों को
अन्य सेिाएं प्रदान करना भी जरूरी है . पैतस को इस प्रकार से विकशसत करना चाहहए कक िह ऐसी
सेिाओं को परू ा कर सके. पैतस सामान्यत: अपने सदस्यों को ननम्नशलखखत सेिाएं दे ती है :-
i. सदस्यों को नकदी अथिा िस्तओ
ु ं के रूप में ननविल्टटयां प्रदान करना.
ii. भाड़े पर कृवि उपकरण दे ना.

iii. भंर्ारण सवु िधाएं.

18
पैतस ककसानों को ये सवु िधाएं प्रदान कर महत्िपण
ू ि भशू मका ननभा सकती है . पैतसों को अपने सदस्यों
को अन्य सेिाएं प्रदान करने के योग्य बनाने और अनतररतत आय कमाने के योग्य बनाने के उद्देश्य से
पैतस को बहु-सेिा केन्र के रूप में विकशसत करने की पहल की गई है . कुछ पैतस अपने सदस्यों को
उनकी उपज बबकिाने में भी मदद कर रही हैं. अपने सदस्यों के शलए एक ओर सक्षम फसल उत्पादन
प्रकियाओं का संिधिन करके तथा दस
ू री ओर उन्हें उपज का िाल्जब दाम हदलिाने के शलए इस प्रकार,
पैतस अपने सदस्यों को बैकिर्ि और फारिर्ि शलंकेज दे सकती है और उत्पादक संगठन के रूप में काम
कर सकती है . उत्पादक संगठन बनने के शलए पैतस को ननम्नशलखखत कायि करने होंगे :-

(क) कृवष भंडारण केन्र

(क) मौजूदा भंर्ारण सवु िधाएं बढ़ाना अथिा परिाम्य भंर्ारागार रसीद प्रणाली (ननगोशिएबल िेअरहाउस
ररसीप्ट शसस्टम) के अनस
ु ार सोहटिं ग/ग्रेडर्ंग इकाई के साथ नए गोदामों का ननमािण करिाना. इससे िे
भंर्ारागार रसीदें जारी कर सकेंगे. इन रसीदों के आधार पर ककसान अपने भंर्ारकृत उत्पादों के समक्ष
ऋण प्राप्त कर सकते हैं और अगली फसल का उत्पादन िरु
ु कर सकते है . इस प्रकार ननधधयों के प्रिाह
को प्रभावित ककए बबना ककसानों को उनके उत्पाद का बेहतर मप
ू य प्राप्त करने में सहायता शमलेगी.

(ख) कृवष-सेवा केन्र

(क) सदस्यों की जरूरतों के आधार पर पॉिर हटलर, लैंर् लेिलर, रोटरी स्लेिर, मन
ू र, सीर् डिलर, मपटी
िॉप प्लांटर, पैर्ी रांस़प्लांटर, स्पे े्रयर, कंबाइन हािेस्टर, आहद और उच्च तकनीक िाले कृवि उपकरणों
की खरीद. इन उपकरणों को ककराए पर दे ने से आय की प्राल्प्त होती है .

(ग) कृवष प्रसंस्करण केन्र

(क) प्राइमरी प्रोसेशसंग : सोहटिं ग /गे े्रडर्ंग यनू नट, िैल्तसंग/पॉशलशसंग यनू नट, प्री-कूशलंग चेम्बसि, आहद.
(ख) सेकण्िी प्रोसेशसंग : उत्पाद का मप
ू य संिधिन अथाित े् शमनी राइस शमल, आटा चतकी, हाहटि कपचर
उत्पाद का प्रसंस्करण, आहद
(घ) कृवष सच
ू ना केन्र
(क) मद
ृ ा और जल के परीक्षण लैब, भग
ु तान पर सेिाएं दे ने के शलए वििेिज्ञों का पैनल तैयार करना,
ज्ञान विस्तार केन्र (नोलेज डर्सीमेनेिन सेंटर), कृिकों के प्रशिक्षण की व्यिस्था. टे ल्स्टं ग लैब और
विेिि
े ज्ञों का मागिदििन भग
ु तान पर उपललध होगा.
(र्) कृवष पररवहन और ववपणन सवु वधाएं

(क) उत्पादों का संग्रहण, एकत्रण/प्रसंस्करण के बाद प्रत्यक्ष बाजार संयोजन, ग्रामीण माटि की स्थापना
आहद माकेहटंग में काम करने िाले पैतस अथिा इस क्षेत्र में आने के इच्छुक पैतस यह चैनल बना सकते
हैं ताकक ककसानों को विपणन में मदद शमल सकें.

19
2.13 राज्य सरकार/राज्य सहकारी बैंक पैक्स को उत्पादक संगठन बनाने के मलए क्या कर सकते है
ताकक वे बहु सेवा केन्र के रुप में सेवाएं दे सके ?

पैतस या तो अपने संसाधनों का प्रयोग कर सकते है अथिा राज्य सहकारी बैंक अथिा मध्यिती सहकारी
बैंक से ऋण सवु िधाएं प्राप्त कर सकते हैं. ऐसी ल्स्थनत में , पीओर्ीएफ से अनद
ु ान सहायता नहीं शमलती
है . मस बैंक अथिा ग्रामीण बैंक सामान्य ितों पर पन
ु विित्त ले सकते हैं. क्षेत्रीय कायािलय पैतस स्तर पर
उपललध सवु िधाओं पर नजर रखेगा और समय-समय पर उसका अनप्र
ु ितिन करे गा. जहााँ राज्य सहकारी
बैंक अथिा ल्जमस बैंक से ऋण शलया गया हो अथिा अपने संसाधनों का प्रयोग ककया गया हो और
नाबार्ि की वित्तीय सहायता नहीं ली गई हो िहााँ नाबार्ि प्रोजेतट बनाने में , यथा आिश्यक मागिदििन दे
सकता है ताकक ननधधयों का सिोत्तम उपयोग ककया जा सके. एमएससी/ पीओ के रूप में कायि कर रहे
पैतस को नाबार्ि उत्पादक संगठन विकास ननधध (पीओर्ीएफ) से वित्तीय सहायता उपललध रहती है .

20
अध्याय - 3

उत्पादक कंपनी के रुप में पंजीकृत उत्पादन संगठन

3.1 उत्पादक कंपनी क्या है ?

उत्पादक कंपनी एक सहकारी ननकाय है जो


क) संिोधधत कंपनी अधधननयम, 1956 के अंतगित पंजीकृत हो.
ख) कंपनी अधधननयम 2013 की धारा 465 के अनस
ु ार, कंपनी अधधननयम, 1956 के भाग ix ए के
प्रािधान उत्पादक कंपनी पर यथोधचत पररितिनों सहहत लागू होंगे.
ग) उत्पादक कंपनी के उद्देश्य कंपनी अधधननयम,1956 के 581 बी में िाशमल कायिकलापों के अनरु
ु प
होंगे।

3.2 उत्पादक कंपनी के सदस्य कौन हैं और कंपनी में उनकी क्स्थनत क्या है ?

क) उत्पादक कंपनी के सदस्य केिल प्राथशमक उत्पादक अथिा उत्पादक संगठन ही बन सकते है .
ख) उत्पादक कंपनी की सदस्यता उसके िेयर खरीदने से प्राप्त होती है .
ग) उत्पादक कंपनी केिल अपने सदस्यों के माफित काम करती है .
घ) सदस्य कंपनी बनाते है .
ङ) सदस्य कंपनी बंद भी कर सकते हैं.
च) सदस्य अपनी आम सभा के माफित कायि करते हैं.

3.3 उत्पादक कंपनी के मलए न्यन


ू तम शेयर पज
ूं ी ककतनी है ?

क) उत्पादक कंपनी की न्यन


ू तम प्राधधकृत पज
ंू ी 5 लाख रुपये है .
ख) संस्था के बहहननियम (मेमोरं र्म ऑफ असोशसएिन) में बताए अनस
ु ार कंपनी की प्राधधकृत पज
ूं ी 5
लाख रुपये से अधधक भी हो सकती है .
ग) प्राधधकृत िेयर पज
ूं ी मेमोरें र्म में उल्पलखखत उद्देश्यों को परू ा करने के शलए पयािप्त होनी चाहहए.
घ) प्राधधकृत िेयर पज
ूं ी यथाथिपरक होनी चाहहए.
र्) उत्पादक कंपनी के शलए न्यन
ू तम प्रदत्त पज
ंू ी एक लाख रुपये है .

3.4 उत्पादक कंपनी (पीसी) के पंजीकरण और ननगमन के मलए कौन सी प्रारं मभक व्यवस्थाएं करनी
होती है ?

कंपनी के ननगमन हे तु ननम्नांककत व्यिस्थाएं करनी होती है :-


क) एक तलस्टर की पहचान करना जहााँ उत्पादक संगठन बनाया जा सके।

21
ख) आधारभत
ू एिं संभाव्यता अध्ययन आयोल्जत करके यह सनु नल्श्चत करना कक तलस्टर को एक
व्यिहायि उत्पादक संग्ठन बनाया जा सकता है . ऐसे व्यिसानयक कायिकलाप ननधािररत करना जो आय
िल्ृ ध्द में सहायक हों.
ग) ग्रामिाशसयों (प्राथशमक उत्पादक) से शमलना और उन्हें उत्पादक संगठन की अिधारण समझाना.
घ) प्राथशमक उत्पादकों को साथ ले कर उत्पादक कंपनी (पीसी) बनाने की संभािनाएं तलािना. प्राथशमक
उत्पादकों को संगठन के फायदे समझने और महसस
ू करने चाहहए.
ङ) इच्छुक प्राथशमक उत्पादकों को ककसी उत्पादक कंपनी के पररचयात्मक दौरों पर ले जाना और उनके
साथ संिाद करिाना.
च) कुछ ऐसे महत्िपण
ू ि प्राथशमक उत्पादकों का समह
ू बनाना जो उत्पादक कंपनी बनाने के प्रनत उत्साही
हों. उन्हें इस अिधारणा आर उसके फायदों के प्रनत तैयार करना.
छ) महत्िपण
ू ि समह
ू के सहयोग से उत्पादक कंपनी की जरूरत, अत्यािश्यकता और फायदों के बारे में
पात्र सदस्यों के मध्य प्रचार करना.
ज) भािी प्राथशमक उत्पादक कंपनी के सदस्यों को इसकी अिधारणा समझने के शलए पयािप्त समय दे ना।
उनसे बार-बार शमलना और उनकी िंकाओं को दरू करना. उद्देश्य यह हो कक भािी सदस्य यह अिधारणा
सही रुप में समझें और अपने पारस्पररक लाभों के शलए शमलकर काम करने के इच्छुक बनें. इस प्रकार
के सामाल्जक सझ
ु ाि में 3 से 6 माह का समय लग सकता है .
झ) समह
ू की वििय केल्न्रत बैठकें करना और पात्र सदस्यों को िेयरधारक बनने के शलए प्रोत्साहहत
करना.
ञ) भािी िेयरधारकों के साथ बैठक करना और कंपनी के लक्ष्यों, व्यिसाय, आहद पर चचाि करना.
ट) भािी सदस्यों के मंतव्यों को ध्यान में रखते हुए कंपनी के व्यिसाय हे तु संिोधधत आयोजना तैयार
करना.
ठ) जब प्राथशमक उत्पादक शमलकर उत्पादक कंपनी बनाने और उसकी िेयर पज
ंू ी में अंिदान करने के
शलए तैयार हो जाते है तो :

(क) प्रमोटर ननदे िकों की पहचान की जाए.


(ख) संस्था के अंतननियम (आहटि कल ऑफ एसोशसएिन) का प्रारूप तैयार ककया जाए.
ग) संस्था के बहहननियम (मेमोरें र्म ऑफ एसोशसएिन) का प्रारूप तैयार ककया जाए. जरूरी होने पर
एओए/एमओए बनाने के शलए ककसी परामििदाता की सेिाएं ली जाए.
घ) िेयरधारकों की पहली बैठक बल
ु ाकर ननम्नांककत अनम
ु ोदन शलया जाए :-

i. संस्था के अंतननियम
ii. संस्था के बहहननियम
iii. प्रमोटरों का चयन
iv. प्राधधकृत पज
ूं ी और प्रत्येक िेयर की लागत

र्) पज
ूं ी और बचतें एकबत्रत की जाए.

22
3.6 डडक्जटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र क्या होता है ?

क) डर्ल्जटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र िाइविंग लाइसेंस, पासपोटि जैसे पेपर प्रमाणपत्र के समान ही है । इसे
ककसी व्यल्तत की पहचान के साक्ष्य के रुप में इस्तेमाल ककया जा सकता है . इसका उपयोग विशभन्न
प्रकार के दस्तािेजों को ऑन-लाइन फाइल करने में होता है .
ख) सभी दस्तािेजों को डर्ल्जटल हस्ताक्षर के साथ एमसीए 21-ई गिनेन्स प्रोग्राम के अनस
ु ार और
आईटी एतट 2000 अनस
ु ार कंपनी रल्जस्रार के पास ऑन-लाइन जमा कराना होता है .
ग) उत्पादक कंपनी के प्राधधकृत व्यल्तत को डर्ल्जटल हस्ताक्षर प्राप्त करना होता है .
घ) सहटि फाइंग ऑथोररटी के सहटि फाइंग एजेंसी से डर्ल्जटल हस्ताक्षर प्राप्त करने हे तु फामि शलए जा
सकते है .
ङ) फामि भरकर इसे सहटि फाइंग ऑथोररटी को जमा कराना होता है .
च) डर्ल्जटल हस्ताक्षर एक या दो ििि के शलए जारी ककया जाता है और इसे निीकृत ककया जा सकता
है .
छ) डर्ल्जटल हस्ताक्षर तीन प्रकार के होते है - तलास 1, तलास 2 और तलास 3 तलास-2 डर्ल्जटल
हस्ताक्षर का उपयोग उत्पादक कंपनी के विशभन्न फॉमि और आयकर ररटनि फाइल करने के शलए ककया
जा सकता है .
ज) डर्ल्जटल हस्ताक्षर तलास-2 की लागत माकेट में प्रचशलत भाि पर ननभिर है . 1 ििि के शलए इसकी
लागत `1,000/- है . दो ििि के शलए `1,200/- है (यह भाि मैससि िेराशसटी एजेंट द्िारा हदया गया है ).

3.7 डडक्जटल हस्ताक्षर के सहटध फाइंग ऑथोररटी क्या है और सहटध फाइंग ऑथोररटी की सच
ू ी -

सच
ू ना प्रोद्योधगकी अधधननयम में सहटि फाइंग ऑथोररटी कंरोलर का प्रािधान है जो सहटि फाइंग ऑथोररटी
को लाइसेंस दे ता है और इसके कामकाज को दे खता है . यह ऑथोररटी उपयोगकतािओं के इलेतरोननक
ऑथेंहटकेिन के शलए डर्ल्जटल हस्ताक्षर जारी करता है . ितिमान में भारत सरकार, कंरोलर ऑफ सहटि फाइंग
ऑथोररटी के तहत ननम्नशलखखत संगठन सहटि फाइंग ऑथररहट के रूप में प्राधधकृत है :

क) NIC (Govt. Department/undertaking only) {http:ll nicca.nia.in}


ख) (n) Code Solutions Ca(GNFC) {www.ncodesolutions.com}
ग) Safescro[t {www.safescript.com)
घ) TCS {www.tcs-ca.tcs.co.in}
र् )़ MTNL {www.mtnltrustline.com}
च) Customs & Control Exercise {www.icert.gov.in}
छ) e mudra {www. e-mudra-com)
ज) IRDBT

23
3.8 डायरे क्टर आइडेंहटकफकेशन नंबर क्या है ?

क) कंपनी कायि मंत्रालय र्ायरे तटर आइर्ेंहटकफकेिन नंबर के माध्यम से सभी कंपननयां के र्ायरे तटर का
लयौरा रखता है .
ख) सभी र्ायरे तटर को कंपनी कायि मंत्रालय से यह नंबर लेना होता है . इसके शलए फामि मंत्रालय के
िेबसाइट पर उपललध है . उत्पादक संगठन बनने से पहले सभी र्ायरे तटर/चेयरमैन के पास यह नंबर
(र्ीआईएन) होना चाहहए.
ग) यहद ककसी र्ायरे तटर के पास यह नंबर (र्ीआईएन) है , तो दब
ु ारा लेने की जरुरत नहीं है .
घ) मंत्रालय के साइट से ऑन-लाइन आिेदन करके 1000 रु में यह नंबर प्राप्त ककया जा सकता है .
पहचान के शलए पैन कार्ि, िोटर कार्ि, पासपोटि या िाइविंग लाइसेंस नंबर ही स्िीकायि है .

3.9 कंपनी का नाम कैसे ननधाधररत ककया जाता है ?

क) प्रत्येक प्रोड्यस
ू र कंपनी का नाम विशिटट होना चाहहए.
ख) प्रत्येक प्रोड्यस
ू र कंपनी के नाम के अंत में ''प्रोड्यस
ू र कंपनी शल'' शलखा जाना चाहहए, इससे यह पता
चलेगा कक यह एक प्रोड्यस
ू र कंपनी है .
ग) प्रोड्यस
ू र कंपनी के नाम ऐसा होना चाहहए कक यह सदस्यों को पे े्रररत करे और सदस्यों में कपनी के
प्रनत अपनेपन का भाि बढ़े और कंपनी के नाम से इसके उद्देश्यों का पता लगना चाहहए.
घ) प्रोड्यस
ू र ऑगेनाइजेिन प्रोमोहटंग इन्स्टी्यि
ू न (पीओपीआई) का नाम प्रोड्यस
ू र कंपनी के नाम से
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जोड़ा नहीं जाना चाहहए. इस इन्स्टी्यि
ू न का नाम जोड़े जाने से सदस्यों के
मध्य अपनेपन का भाि विकशसत नहीं हो पाएगा.
ङ) उत्पादक संगठन के नाम के शलए कारपोरे ट कायि मंत्रालय में आईएनसी-1 फामि भरकर ऑन-लाइन
आिेदन करना चाहहए.
च) इस ई-फामि आईएनसी-1 के साथ 1000 रुपये के िप
ु क का भग
ु तान ककया जाना चाहहए.
छ) नाम के शलए आिेदन करते समय आिेदक का डर्ल्जटल हस्ताक्षर भेजा जाना चाहहए.
ज) यहद प्रस्तावित नाम उपललध नहीं हो, तो कंपनी रल्जस्रार इस बारे में सधू चत करगा. इसके बाद इसी
आिेदन के साथ नये नाम के सेट जमा कराने होंगे.

3.10 संस्था का बहहननधयम क्या होता है ?

क) संस्था का बहहननियम में संगठन द्िारा ककए जाने िाले कायिकलापों का लयौरा अंककत होता है .
ख) इसमें संगठन द्िारा ककए जाने िाले ितिमान और भािी कायिकलापों का लयौरा सव्ु यिल्स्थत रूप से
ननहदि टट ककया जाता है .
ग) संस्था का बहहननियम कागज के दोनों ओर महु रत ककया जाता है .
घ) इस पर अपेक्षक्षत संख्या में अंिदाताओं/प्रोमोटरों को स्ियं हस्ताक्षर करने होते है . साथ ही, उनके
वपता के नाम, व्यिसाय, पते और उनके द्िारा धाररत िेयरों की संख्या का उपलेख ककया जाता है .
ङ) मर
ु ांक िप
ु क के भग
ु तान की मह
ु र लगने के बाद इस ज्ञापन पर तारीख र्ाली जाती है .

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3.11 संस्था का अंतननधयम क्या होती है ?

क) संगठन की ननयमािली में कंपनी के कामकाज संबध


ं ी ननयम अंककत होते हैं.
ख) इसमें कंपनी के उद्देश्यों के उपलेख के साथ-साथ कंपनी के कायि परू ा करने के तौर तरीके इंधगत होते
हैं.
ग) इसमें ननदे िकों की ननयल्ु तत और वित्तीय ररकार्ों के रख-रखाि के बारे में उपलेख होता है .
घ) यह ननयमािली कागज के दोनों ओर महु रत करायी जाती है .
ङ) इस पर अपेक्षक्षत संख्या में अंिदाताओं/प्रोमोटरों को स्ियं हस्ताक्षर करने होते है . साथ ही, उनके वपता
के नाम, व्यिसाय, पते और उनके द्िारा धाररत िेयरों की संख्या का उपलेख ककया जाता है .

3.12 उत्पादक कंपनी को ननगममत करने के मलए कंपनी रक्जस्रार के पास कौन-कौन से दस्तावेज जमा
कराने होते हैं ?

क) नाम की उपललधता की पल्ु टटकरण संबध


ं ी कंपनी रल्जस्रार द्िारा जारी पत्र की प्रनत.
ख) संस्था का अंतननियम और संस्था का बहहननियम की मर
ु ांककत और हस्ताक्षररत दस्तािेज.
ग) कंपनी के पंजीकृत कायािलय के परू े पते दिािता हुआ फामि - आईएनसी-22.
घ) कंपनी के ननदे िकों के परू े लयौरे दे ते हुए फामि र्ीआईआर-12.
ङ) कंपनी ननमािण संबध
ं ी सभी मामलों के अनप
ु ालन संबध
ं ी घोिणा फामि आईएनसी-7 स्टाम्प पेपर पर.
च) फामि र्ीआईआर -12 के साथ प्रत्येक ननदे िक की सहमनत.
छ) यहद अंिदाताओं/हस्ताक्षरकतािओं ने हहन्दी में हस्ताक्षर ककए हों, तो इस आिय का िपथपत्र कक
उन्होंने संस्था का बहहननियम को परू ी तरह समझ शलया है .
ज) कंपनी रल्जस्रार के साथ काम कर रहे एजेंट को करार ज्ञापन और संगठन में कंपनी रल्जस्रार की
अपेक्षाओं के अनस
ु ार सध
ु ार करने का मख्
ु तारनामा.

3.13 आरं भ प्रमाणपत्र क्या होता है ?

क) उत्पादक कंपनी के ननमािण के सनु नल्श्चत साक्ष्य के रूप में कंपनी रल्जस्रार की ओर से आरं भ
प्रमाणपत्र जारी ककया जता है .
ख) कंपनी रल्जस्रार द्िारा जारी पंजीकरण प्रमाणपत्र में इंधगत नतधथ से उत्पादक कंपनी प्रभािी रूप से
अल्स्तत्ि में आ जाती है .

3.14 उत्पादक कंपनी की कानन


ू ी क्स्थनत क्या होती है ?

क) ननगशमत होने और आरं भ प्रमाणपत्र में अंककत नतधथ से कानन


ू ी रुप से कंपनी को एक व्यल्तत माना
जाता है .
ख) यह ननरं तर आधार पर चलते रहता है , सदस्य बदलते रहें ग,े लेककन कंपनी तब तक चलती रहे गी
जब कक ककसी कानन
ू ी प्रकिया के तहत इसका समापन न कर हदया जाए.

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ग) कंपनी का एक सील होता है , कंपनी की ओर से कंपनी ननदे िक की उपल्स्थनत में ननटपाहदत सभी
दस्तािेजों और प्राधधकृत हस्ताक्षरकताि अथिा हस्ताक्षरकतािओं के हस्ताक्षर के बाद इसे दस्तािेज पर
लगाया जाता है .
घ) कंपनी को अपने नाम में संपल्त्त रखने और इस पर अधधकार रखने की िल्तत है .
ङ) कंपनी को अपने नाम से करार ननटपाहदत करने का अधधकार है .
च) कंपनी पर मक
ु दमा ककया जा सकता है . और कंपनी ककसी पर मक
ु दमा दायर कर सकती है .
छ) ककसी व्यल्तत की तरह ही कानन
ू ी रुप से कंपनी को कंरै तट करने का अधधकार है .

3.15 उत्पादक कंपनी के पंजीकरण में ककतना समय लगता है ?

इसमें 2 से 6 माह का समय लग सकता है ।

3.16 उत्पादक कंपनी के पंजीकरण में ककतना व्यय होता है ?

क) इसमें लगभग `40,000/- का व्यय हो सकता है .


ख) यह सीए, कंपनी सेिेटरी और एजेंट द्िारा प्रभावित िप
ु क पर ननभिर होता है .

3.17 कंपनी के पंजीकरण का व्यय कौन वहन करे गा ?

क) िरु
ु में कंपनी के पंजीकरण का व्यय प्रोमोटर िहन करें ग.े
ख) कंपनी प्रोमोटर सामान्यत: उत्पादक संगठन संिधिन संस्थान (पीओपीआई) अथिा आरं शभक ननदे िक
होते हैं.

3.18 क्या पंजीरकण संबध


ं ी व्यय की रामश कंपनी द्वारा प्रोमोटसध को प्रनतपनू तध के रूप में दी जा सकती
है ?

कंपनी की पहली बैठक में इस आिय का प्रस्ताि अनम


ु ोहदत करके पंजीकरण संबध
ं ी व्यय प्रोमोटसि को
प्रनतपनू ति की जा सकती है .

3.19 उत्पादक कंपनी कौन चलाएगा ?

कंपनी को इसके सदस्य (िेयर धारक, ननदे िक मंर्ल और पदाधधकारी) चलाते हैं.

3.20 ननदे शक मंडल में कौन होते हैं ?

क) सदस्य ननदे िक मंर्ल का चुनाि करते हैं.


ख) बैठक में सहभाधगता के माध्यम से ननदे िक मंर्ल कायि करता है .

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3.21 पदाधधकारी (ऑकफस बबयरर) कौन होते हैं ?

क) कंपनी के दै ननक कामकाज की दे खरे ख के शलए चयननत/ननयत


ु त व्यल्तत पदाधधकारी होता है .
ख) मख्
ु य कायिपालन अधधकारी, एकाउन्टैंट, गोदाम कीपर आहद पदाधधकारी होते हैं.

3.22 उत्पादक कंपनी का सदस्य कैसे बना जा सकता है ?

क) करार ज्ञापन में िाशमल होकर


ख) सदस्य बनने के शलए शलखखत करार करके और रल्जस्टर में नाम प्रविल्टट करके.

3.23 कंपनी पर सदस्यों के क्या-क्या प्राधधकार होते हैं ?

सदस्य केिल सामान्य बैठकों के माध्यम से अपने प्राधधकार का उपयोग कर सकते हैं. सामान्य बैठकों
में ननम्नशलखखत ननणिय शलए जा सकते हैं :

क) बजट अनम
ु ोदन करना और कंपनी के िावििक लेखों को पाररत करना.
ख) विथहे पर् प्राइस की राशि अनम
ु ोहदत करना
ग) पैरोनेज बोनस अनम
ु ोहदत कराना.
घै) बोनस िेयर जारी करने हे तु प्राधधकृत करना.
ङ) ऑडर्टर ननयत
ु त करना.
च) लाभांि घोवित करना और पैरोनेज बाँटिारे का ननणिय लेना.
छ) करार ज्ञापन और संगठन ज्ञापन में संिोधन.
ज) ककसी बोर्ि सदस्य को हदए जाने िाले ऋण की मात्रा और ितों का ननधािरण.
झ) ककसी अधधननयम या ननयमािली में सदस्यों के शलए आरक्षक्षत ककसी अन्य प्रािधान को अनम
ु ोहदत
करना.

3.24 सदस्यों के अधधकार क्या-क्या होते हैं ?

क) अपना िेयर रांसफर कर सकते हैं.


ख) कंपनी की बैठक में संकपप पर िोट करने का अधधकार.
ग) कंपनी के असाधारण सामान्य बैठक बल
ु ाने के शलए मााँग करना या संयत
ु त मााँग करना.
घ) सामान्य बैठक का नोहटस प्राप्त करना, सामान्य बैठक में भाग लेना और अपने विचार रखना.
ङ) बैठक में प्रस्तावित संकपपों पर संिोधन रखना.
च) यहद सदस्य एक कारपोरे ट ननकाय हो, तो अपने स्थान पर ककसी प्रनतननधध को बैठक में भाग लेने
के शलए ननयत
ु त करना.
छ) कंपनी के संकपपों को पररचाशलत कराने की मााँग करना.
ज) कंपनी के लाभांि में हहस्सा रखना.

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ज्ञ) ननदे िकों का चन
ु ाि करना और उनके माध्यम से कंपनी के प्रबंधन में सहभागी होना.
ञ) दमन होने की ल्स्थनत में कंपनी लॉ बोर्ि में ननिेदन करना.
ट) कुप्रबंधन की ल्स्थनत में कंपली लॉ बोर्ि में आिेदन करना.
ठ) कंपनी के समापन के शलए कोटि में जाना.
र्) कंपनी के समापन के उपरांत सरप्लस में हहस्सेदारी.
ढ) अपने िेयर के शलए िेयर सहटि कफकेट जारी करिाना.

3.25 ककसी सदस्य के मताधधकार क्या हैं ?

क) यहद उत्पादक कंपनी व्यल्ततगत सदस्यों या व्यल्ततगत सदस्यों और उत्पादक संस्थानों से शमलकर
बनी है तो प्रत्येक सदस्य को एक मत का अधधकार होगा.
ख) यहद उत्पादक कंपनी केिल उत्पादक संस्थानों से बनी है तो मत का अधधकार उत्पादक कंपनी के
वपछले ििि के बबजनेस में सहभाधगता के आधार पर तय होगा.
ग) कंपनी के संगठन ननयमािली में प्राधधकृत ककए गए अनस
ु ार उत्पादक कंपनी मत का अधधकार केिल
सकिय सदस्यों तक सीशमत रख सकती है .

3.26 ककसी सदस्य की सदस्यता समाप्त कैसे होती है ?

क) यहद कोई सदस्य अपना िेयर परू ी तरह अंतररत कर दे .


ख) यहद िेयर जलत हो जाए.
ग) िेयर को विधधित सप
ु द
ु ि करके.
घ) मत्ृ यु होने पर.
ङ) यहद कंपनी के संगठन ननयमािली के अनस
ु ार अपने अधधकार का प्रयोग करते हुए कंपनी सदस्य का
िेयर बेच दे .
च) ककसी कोटि अथिा अन्य सक्षम अधधकारी के आदे ि से िेयरों की कुकी करके बेचे जाने की ल्स्थनत
में .
छ) ककसी आधधकाररक समनद
ु े शिनत के हदिाशलया घोवित होने की ल्स्थनत में अपना दािा छोड़ने पर.
ज) ककसी गलती अथिा त्रहु ट के आधार पर ककसी सदस्य की सदस्यता का कंटै रे् तट खाररज ककए जाने
पर.

3.27 ककसी उत्पादक कंपनी के बोडध में ककतने ननदे शक हो सकते हैं ?

ककसी उत्पादक कंपनी में न्यन


ू तम 5 ननदे िक और अधधकतम 15 ननदे िक हो सकते हैं.

3.28 बोडध के अधधकार और कायध क्या हैं ?

क) बोर्ि का कायि कंपनी के कायों का ननधािरण, पयििेक्षण और मानीटररें ग करना है .


ख) बोर्ि आम सभा के अधधकार क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करे गा.

28
ग) बोर्ि के पास कायिपालन अधधकार नहीं होते हैं.

3.29 सामान्यत: बोडध के कौन-कौन से कायध होते हैं ?

क) दे य लाभांि का ननधािरण.
ख) विथहे पर् प्राइस की राशि ननधािररत करना और संस्तत
ु पैरोनेज को सामान्य सभा की बैठक में
अनम
ु ोहदत करिाना.
ग) नये सदस्यों को प्रिेि दे ना.
घ) संगठनात्मक नीनत, उद्देश्य तैयार करना, दीघाििधध और िावििक लक्ष्य बनाना, कारपोरे ट रणनीनत और
वित्तीय योजनाएं अनम
ु ोहदत करना.
ङ) संगठन करार में िखणित प्रािधानों के अनस
ु ार मख्
ु य कायिपालन अधधकारी तथा अन्य अधधकाररयों की
ननयल्ु तत करना. पयििेक्षण और ननदे िन के माध्यम से मख्
ु य कायिपालन अधधकारी और अन्य अधधकाररयों
पर ननयंत्रण रखना.
च) कंपनी के व्यिसाय चलाने के िम में ननदे िकों अथिा उनके ररश्तेदारों को छोड़कर, सदस्यों को ऋण
या अधग्रम मंजूर करना.
छ) यह सनु नल्श्चत करना कक लेख-बहहयों का सही तरीके से रख-रखाि हो.
ज) कंपनी के दै ननक बबजनेस कायि के तहत कंपनी की संपल्त्त खरीदना या बेचना.
झ) दै ननक कायों के तहत ननधधयों का ननिेि.
त्र) सनु नल्श्चत करना कक िावििक लेखा ऑडर्टर ररपोटि के साथ िावििक सामान्य बैठक में रखी जाए.

3.30 ननदे शक मंडल की ननयक्ु क्त कौन करता है ?

क) पहले ननदे िक मंर्ल का नाम संगठन ज्ञापन में इंधगत होता है .

िाविित समान्य सभा की पहली बैठक में ननदे िकों का चुनाि होता है और तत्पश्चात जब भी जरूरत हो.

3.31 ननदे शकों का कायधकाल ककतना होता है ?

िावििक सामान्य सभा द्िारा ननयत


ु त ननदे िक का न्यन
ू तम कायिकाल एक ििि और अधधकतम 5 ििि
होता है .

3.32 ववशेषज्ञ ननदे शक ककसे कहते हैं ?

क) उत्पादक कंपनी चलाने का अनभ


ु ि रखने िाले ककसी वििेिज्ञ को बोर्ि द्िारा वििेिज्ञ ननदे िक के
रूप में मनोनीत ककया जा सकता है .
ख) अध्यक्ष के चुनाि में वििेिज्ञ ननदे िक को मत दे ने का अधधकार नहीं होता है .

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ग) वििेिज्ञ ननदे िकों की संख्या बोर्ि में कुल ननदे िकों की संख्या के 1/5 से अधधक नहीं होनी चाहहए.
घ) वििेिज्ञ ननदे िक अध्यक्ष बन सकता है .

3.33 वैकक्पपक ननदे शक कौन होता है ?

यहद ननयशमत ननदे िक 3 माह अथिा अधधक समय के शलए राज्य के बाहर हों, तो इस दौरान होनेिाली
बैठकों के शलए िैकल्पपक ननदे िक ननयत
ु त ककए जाते हैं. िैकल्पपक ननदे िक का कायिकाल 3 माह से कम
नहीं होना चाहहए. ननयशमत ननदे िक के लौटने के साथ ही िैकल्पपक ननदे िक का पद समाप्त हो जाता
है .

3.34 ननदे शकों का पाररश्रममक ककतना होता है ?

बोर्ि बैठक में सहभाधगता के शलए ननदे िकों को उनके यात्रा, व्यय, होटल में ठहरने, भोजन संबध
ं ी व्यय
की प्रनतपनू ति की जाती है . लेककन, यहद ननदे िक कंपनी के शलए अधधक समय दे ते हैं तो अन्य भत्ते जैसे
संचार भत्ता, सनु नल्श्चत दै ननक भत्ता, आहद दे ने का प्रािधान ककया जा सकता है .

3.35 ननदे शक की योग्यता क्या होनी चाहहए ?

केिल व्यल्तत ही कंपनी का ननदे िक बन सकता है . इसके शलए ककसी िैक्षखणक योग्यता या िेयर धारी
होना आिश्यक नहीं हैं अत: कंपनी अधधननयम, 2013 की धारा 465(1) के अनस
ु ार कोई भी व्यल्तत
ननदे िक बन सकता है .

3.36 ननदे शक को पद से हटाने की प्रकिया क्या है ?

क) ककसी िेयर धारक ननदे िक को आम सभा की बैठक में एक साधारण संकपप पाररत करके हटाया
जा सकता है .
ख) एक से पााँच साल की ननधािररत अिधध परू ी होने पर ननदे िक का कायिकाल खत्म हो जाता है .

3.37 ननदे शक के इस्तीफा दे ने की प्रकिया क्या है ?

क) संगठन ननयमािली में िखणित प्रकिया के अनस


ु ार सच
ू ना दे कर कोई भी ननदे िक अपने पद से इस्तीफा
दे सकता है .
ख) यहद संगठन ननयमािली में इस्तीफा दे ने के बारे में कोई प्रकिया िखणित नहीं है , तो ननदे िक एक
समधु चत नोहटस दे कर इस्तीफा दे सकता है . नोहटस शमलते ही इस्तीफा स्िीकार मान शलया जाता है .
ग) मख्
ु य कायिपालक अधधकारी या प्रबंध ननदे िक या पण
ू ि काशलक ननदे िक के मामले में मात्र इस्तीफे
की सच
ू ना दे ने से इसे इस्तीफा नहीं माना जाएगा. इनका इस्तीफा इनकी ननयल्ु तत की ितों के अनस
ु ार
स्िीकार ककया जाएगा. इनके मामलों में इनके पद से कायि मत
ु त होने पर इस्तीफा मंजूर माना जाएगा.

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3.38 कंपनी में ननदे शक के दानयत्व क्या होते हैं ?

क) यहद कंपनी का ननदे िक या अधधकारी ककसी अपेक्षक्षत सदस्य अथिा व्यल्तत को उत्पादक कंपनी के
बारे में सच
ू ना दे ने में चूक करता है तो इसे 6 महीने की जेल अथिा कंपनी के वपछले ििि के टनिओिर
के 5% तक का दण्र् हो सकता है .
ख) िावििक आम बैठक अथिा अन्य आम बैठक बल ु ाने में हुई चूक के शलए ननदे िक पर `1 लाख का
दण्र् लगाया जा सकता है . यहद यह चक
ू जारी रहती है तो `10,000/ प्रनत हदन के हहसाब से अनतररतत
दण्र् लगाया जाएगा.

3.39 मख्
ु य कायधपालन अधधकारी की ननयक्ु क्त कौन करता है और इनके कायध क्या हैं ?

क) एक पण
ू क
ि ाशलक मख्
ु य कायिपालन अधधकारी की ननयल्ु तत संगठन ननयमािली के अनस
ु ार ननदे िक
मंर्ल द्िारा की जाती है .
ख) मख्
ु य कायिपालन अधधकारी सदस्यों से बाहर का व्यल्तत होता है .
ग) मख्
ु य कायिपालन अधधकारी कंपनी के सदस्यों और ननदे िक मंर्ल के प्रनत उत्तरदायी होता है .

3.40 मख्
ु य कायधपालन अधधकारी के कायध क्या-क्या हैं ?

मख्
ु य कायिपालक अधधकारी के ननम्नशलखखत कायि हैं :

क) कंपनी के दै ननक कायों सहहत नेमी प्रिासननक कायों की दे खरे ख करना.


ख) बैंक खातों का पररचालन करना अथिा इसके शलए बोर्ि के सामान्य या वििेि अनम
ु ोदन से ककसी
अन्य व्यल्तत को प्राधधकृत करना.
ग) कंपनी की नगदी ओर अन्य आल्स्तयों के सरु क्षक्षत रख-रखाि की व्यिस्था करना.
घ) बोर्ि द्िारा प्राधधकृत ककए गए अनस
ु ार कंपनी की ओर से बबजनेस दस्तािेजों पर हस्ताक्षर करना.
ङ) लेखा-बहहयों का सही तरीके से रख-रखाि करना, िावििक लेखा तैयार करना और ऑडर्टे र् लेखों को
बोर्ि और िावििक आम बैठक में प्रस्तत
ु करना.
च) कंपनी के कायों से सदस्यों को अिगत कराने के शलए उन्हें समय-समय पर सच
ू ना दे ना.
छ) बोर्ि द्िारा प्रदत्त िल्ततयों के अनस
ु ार विशभन्न पदों के शलए ननयल्ु तत करना.
ज) कंपनी के लक्ष्य, रणनीनत, योजनाएं और नीनतयााँ बनाने में बोर्ि की सहायता करना.
झ) ककसी प्रस्तावित और ितिमान में चल रहे कायि के कानन
ू ी और विननयमन के बारे में बोर्ि को सलाह
दे ना और इस संबध
ं में आिश्यक कारि िाई करना.

ञ) कंपनी के बबजनेस के शलए आिश्यक कदम उठाना.


ट) बोर्ि द्िारा प्रदत्त ककसी अन्य कायि को परू ा करना या आिश्यकतानस
ु ार िल्ततयों का प्रयोग करना.

31
ठ) कंपनी के ककसी ननधािररत बैठक या ककसी आपातकाशलक या अपप सच
ू ना बैठकों के बारे में सदस्यों
और बोर्ि को समय से सधू चत करना.

3.41 कंपनी में मख्


ु य कायधपालन अधधकारी के रूप में ननयक्ु क्त के मलए न्यन
ू तम योग्यता क्या है ?

क) संगठन ननयमािली में इंधगत ककए गए अनस


ु ार मख्
ु य कायिपालन अधधकारी की योग्यता, अनभ
ु ि और
सेिा ितों का ननधािरण बोर्ि द्िारा ककया जाएगा.
ख) मख्
ु य कायिपालन अधधकारी कंपनी का पण
ू क
ि ाशलक कमिचारी होगा.
ग) बोर्ि, सदस्यों से बाहर के ककसी व्यल्तत को मख्
ु य कायिपालन अधधकारी ननयत
ु त करे गा.
घ) मख्
ु य कायिपालन अधधकारी बोर्ि का पदे न ननदे िक होगा और यह रोटे िन से सेिाननित्ृ त नहीं होगा.

3.42 उत्पादक कंपननयों को संवधधधत और स्थावपत करनेवाले कुछ संस्थानों के बारे में बताएं

उत्पादक कंपनी की स्थापना और प्रबंधन विशभन्न संस्थानों द्िारा ककया जाता है . इनके लयौरे ननम्नानस
ु ार
हैं:

क) स्मॉल फारमसि एग्री बबजनेस कंसोहटि यम - यह संगठन ननम्नानस


ु ार कृिकों को सवु िधाएं प्रदान करता
है -
i) यह कृिकों को बैंकों से जोड़ता है , इसके बाद बैंक इन्हें अपेक्षक्षत ऋण सवु िधा प्रदान करते हैं.
ii) यह ककसानों को कृवि में सही तकनीक, उधचत खाद का चुनाि आहद में सहायता करता है .
ख) कई गैर-सरकारी संगठनों ने उत्पादक संगठनों को प्रोमोट ककया है :

संवधधनकताध संगठन उत्पादक कंपनी का नाम उत्पादक कंपनी के कायधकलाप


प्रोफेसनल अशसस्टैंस फॉर मसत
ू ा उत्पादक कंपनी शल उटणकहटबंधीय टस्सर कोकून
र्ेिलपमें ट (प्रदान) से टस्सर सत
ू की कताई और
रील बनाना
इंडर्यन फामिसि मि
ु में ट िननला इंडर्या उत्पादक कंपनी िननला उत्पादन को प्रोत्साहन,
(इन्फामि) शल सििश्ेटठ िननला बबन्स का
उत्पादन और विपणन
अन्तरािटरीय मानकों के अनस
ु ार
िननला प्रसंस्करण
इिैन्जेशलकल सोसल एतिन ईएसएएफ स्िसराया उत्पादक छोटे ग्रामीण शिपपकारों,
फोरम (ईएसएएफ) कंपनी शल औिधीय उत्पादों, कृवि खाद्य
पदाथों, र्ेरी और मााँस उत्पादों
को प्रोत्साहन, क्षमता ननमािण,
मप
ू य संिधिन, गण
ु ित्ता
आश्िासन, विपणन

32
महाराटर बकरी और भेड़ पंचिोिी पिस
ु ि
ं धिन उत्पादक छोटे ककसानों द्िारा स्टॉल-फेर्
अनस
ु ध
ं ान संस्थान और कंपनी शल बकरी पालन
ननम्बालकर कृवि अनस
ु ध
ं ान
संस्थान

क) उपयत
ुि त संगठनों के अलािा एतिन फॉर सोसल एर्िांसमें ट ने मध्य प्रदे ि और बबहार में सोलह
उत्पादक कंपननयों की स्थापना में सहायता प्रदान की है .
ख) इन स्थावपत उत्पादक कंपननयों में से कई कंपननयााँ - इंडर्या ऑगेननक फामिसि प्रोड्यस
ू र कंपनी शल.
िननला इंडर्या प्रोड्यस
ू र कंपनी शल., रं गसत्र
ू िाफ्ट दनु नया प्रोड्यस
ू र कंपनी शल. मसत
ू ा प्रोड्यस
ू र कंपनी
शल. ईएसएएफ स्िासराया प्रोड्यस
ू र कंपनी शल. आहद सफल हैं.

3.43 उत्पादक कंपनी के लाभ क्या हैं?

क) उत्पादक कंपनी मल
ू त: ननजी मयािहदत कंपनी और सहकारी सशमनत का शमधश्त रूप है . अत: इससे
ननजी मयािहदत कंपनी के पेिि
े र प्रबंधन के साथ-साथ सहकारी सशमनत के पारस्पररक लाभ भी शमलते हैं.
ख) उत्पादक कंपनी का स्िाशमत्ि और सदस्यता ''प्राइमरी प्रोड्यस
ू सि'' या प्रोड्यस
ू र इन्स्टी्यि
ू न्स द्िारा
धाररत होता है और ककसी सदस्य की इल्तिटी को बेचा नहीं जा सकता. अत: कोई उत्पादक कंपनी पर
कलजा नहीं कर सकता या प्राइमरी प्रोड्यस
ू सि को उनके संगठन से बेदखल नहीं ककया जा सकता.
ग) ननजी मयािहदत कंपनी के खंर् (उत्पादक कंपनी अधधननयम 581ए सें 581जेर्एल - जो इसे सामान्य
ननजी या मयािहदत कंपनी से अलग करता है , को छोड़कर विस्तत
ृ वििरण के शलए उत्पादक कंपनी
अधधननयम दे खें) उत्पादक कंपनी पर लागू होंगे. इससे उत्पादक कंपनी को एक पेिि
े र पे े्रऎमिकि शमलता
है .
घ) कंपनी के प्रनत सदस्यों की दे यता उनके द्िारा धाररत िेयरों की अनपेर् राशि के बराबर होती है .
अत: सदस्यों की ननजी सम्पल्त्त कंपनी की हानन से सरु क्षक्षत रहती है .
ङ) कंपनी की न्यन
ू तम प्रदत्त पाँज
ू ी `1 लाख होती है और न्यन
ू तम प्राधधकृत पाँज
ू ी `5 लाख होती है .
इतनी छोटी राशि आसानी से संग्रहहत की जा सकती है .
च) कंपनी बनाने के शलए न्यन
ू तम 10 उत्पादक होने चाहहए, अधधकतम सदस्यों के शलए कोई सीमा नहीं
है . आिश्यकतानस
ु ार इनकी संख्या बढ़ायी जा सकती है . 10 व्यल्तत शमलाकर उत्पादक कंपनी बना सकते
हैं. यह आसान है .
छ) उत्पादक कंपननयों में ककसी प्रकार की सरकारी या ननजी इल्तिटी नहीं हो सकती. अत: उत्पादक
कंपनी कभी साििजननक या र्ीम्र् साििजननक मयािहदत कंपनी नहीं बन सकेगी. अत: इन कंपननयों के
सरकारी या अन्य कारपोरे ट टे क-ओिर का खतरा नहीं रहता है .
ज) उत्पादक कंपनी का कायिक्षेत्र परू ा दे ि है . अत: इसे स्ितंत्र रूप से पेिि
े र तरीके से बबजनेस करने का
अधधकार है .

33
3.44 उत्पादक कंपननयों की सीमाएं क्या-क्या है ?

क) उत्पादक कंपनी का पंजीकरण भारतीय कंपनी अधधननयम 1956 (रे फरें स सेतिन 465 (1) कंपनी
अधधननयम 2013) के भाग IX ए के तहत ककया जाता है . कंपनी का पंजीकरण अननिायि है और
अपंजीकृत ननकायों को इस अधधननयम का लाभ नहीं शमल सकता है .
ख) उत्पादक कंपनी का पंजीकरण थोड़ा कहठन है . इसमें कंसपटें ट की मदद की जरूरत पड़ती है .
ग) उत्पादक कंपनी के पंजीकरण में समय लगता है .
घ) सदस्य अपने िेयर आसानी से अंतररत नहीं कर सकते हैं.
ङ) कंपनी के शलए ककफायती लागत पर पेिि
े र मख्
ु य कायिपालक अधधकारी शमलना कहठन है .
च) उत्पादक कंपनी को भारतीय कंपनी अधधननयम के संिध
ै ाननक प्रािधानों का पालन करना चाहहए. साथ
ही, अधधननयम के तहत ननधािररत मानकों का अननिायि रूप से अनप
ु ालन करना चाहहए. अनपढ़ सदस्यों
के शलए इसे ठीक से समझने में थोड़ी हदतकत आ सकती है .

3.45 उत्पादक कंपनी के ननमािण का फ्लो - चाटि दें :

क्लस्टर की पहचान

िंका समाधान बेसलाइन और व्यिहायिता सिेक्षण

किहटकल ग्रप
ु के माध्यम सदस्यों की सहमनत बबजनेस आयोजन
से उत्पादक संगठन बनाने के शलए पन
ु राित्ृ तीय
के शलए प्रयास प्रकिया

किहटकल ग्रप
ु ननमािण एतसपोजर विल्जट गााँि में बैठक

हााँ तया प्राथशमक उत्पादकों नहीं, सदस्यों की


को उत्पादक संगठन की सहमनत के शलए
जरूरत है ? िापस जाएं

िेयर पाँज
ू ी और बचत कंसपटैंट की ननयल्ु तत
एकत्र करना संगठन
ननयमािली बनाना
करार ज्ञापन बनाना
प्रोमोटर ननदे िकों की डर्ल्जटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र
प्राप्त
की पहचान करना करना
चार नामों का चुनाि
बबजनेस योजना पर
पन
ु वििचार

34
सक्ब्मशन मॉडल
ननदे िकों की ननयल्ु तत
(फामि DIR-12)

नाम के शलए आिेदन हहन्दी में हस्ताक्षर हे तु सभी ननदे िकों के शलए
(फामि आईएनसी-1) हस्ताक्षरकतािओं की पहचान संख्या प्राप्त करना
ओर से िपथपत्र
नाम की उपललधता जॉचना कंसपटैंट को मख्
ु तारनामा दे ना आिश्यकतानस
ु ार संगठन
पंजीकृत कायािलय ननयमािली और करार
(फामि आईएनसी-22) ज्ञापन में संिोधन
आरं भ प्रमाणपत्र प्राप्त करना
नोट : कृपया कंपनी अधधननयम 1956 और कंपनी अधधननयम 2013 और इससे संबधं धत अधधसच
ू ना
दे खें

35
अध्याय 4

गैर लाभ सममनत के रूप में पंजीकृत उत्पादक संगठन


4.1 सममनत क्या है ?
सशमनत को एक कंपनी या व्यल्ततयों के संघ (आम तौर पर अननगशमत) के रूप में पररभावित ककया जा
सकता है जो ककसी साझा उद्देश्य पर विचार-विमिि करने, ननधािररत करने और संयत
ु त रूप से काम करने
के शलए आपसी सहमनत से संगहठत होते हैं.

4.2 सममनत का गठन कौन कर सकता है ?


सोसायटी पंजीकरण अधधननयम, 1860 के अनस
ु ार, कम से कम सात व्यल्तत करार करके सशमनत का
गठन कर सकते हैं. व्यल्तत (नाबाशलगों को छोड़कर लेककन विदे शियों सहहत), साझेदारी फमि, कंपननयााँ
और पंजीकृत सोसायटी सशमनत का गठन करने के शलए पात्र हैं.

4.3 सममनत का पंजीकरण ककस उद्देश्य के मलए ककया जा सकता है ?


ननम्नशलखखत प्रयोजनों में से ककसी के शलए सशमनत का पंजीकरण ककया जा सकता है :
क. धमािथि सहायता दे ने के शलए
ख. सैन्य अनाथ ननधध का सज
ृ न
ग. साहहत्य, विज्ञान और लशलत कलाओं के प्रचार-प्रसार हे तु
घ. हदपली और गज
ु रात जैसे कुछ राज्य कपयाण और अन्य प्रयोजनों को भी पात्र उद्देश्य के रूप में
अनम
ु नत दे ते हैं.

4.4 क्या सममनत को जारी पंजीकरण प्रमाण पत्र आजीवन वैध होता है या नहीं?
सशमनतयों के रल्जस्रार या ककसी अन्य सक्षम प्राधधकारी द्िारा जारी प्रमाण पत्र ननधािररत अिधध के शलए
ही मान्य होता है और इस अिधध के बाद इसे नए शसरे से निीकृत करिाना होता है . उदाहरण के शलए,
उत्तर प्रदे ि में सशमनत का पंजीकरण 5 ििि की अिधध के शलए मान्य होता है .

4.5 सममनत की स्थापना के मलए आवश्यक दस्तावेज क्या हैं


सशमनत की स्थापना के शलए ननम्नशलखखत दस्तािेजों की आिश्यकता होती है :
क. संस्था का बहहननियम
ख. ननयम और विननयम
4.6 संस्था का बहहननधयम क्या है ?
संस्था का बहहननियम सशमनत का चाटि र है . इसमें सशमनत के उद्देश्यों और कायों का िणिन होता है .

4.7 सममनत के संस्था के बहहननधयमों में क्या होता है ?


सशमनत के संस्था के बहहननियमों में ननम्नशलखखत िाशमल होता है :
क. सशमनत का नाम ;
ख. सशमनत के उद्देश्य ;

36
ग. गिनिर, पररिद, ननदे िकों, कमेटी, या अन्य गिननिंग बॉर्ी, सशमनत के ननयमानस
ु ार, ल्जनको
सशमनत का प्रबंधन सौंपा गया है , के नाम, पते, और व्यिसाय.

ननयम और विननयमों की एक प्रनत, जो गिननिंग बॉर्ी के कम से कम तीन सदस्यों द्िारा, सत्य प्रनतशलवप
के रूप में प्रमाखणत हो, संस्था के बहहननियमों के साथ फाइल की जानी चाहहए.

4.8 सममनत के ननयम और ववननयमों का उद्देश्य क्या है ?


गिननिंग बॉर्ी के सदस्यों का मागिदििन करने के शलए और सशमनत के कायों एिं इसके आंतररक प्रबंधन
का विननयमन करने के शलए ननयम और विननयम तैयार ककए जाते हैं.

4.9 सममनत के ननयम और ववननयमों में क्या शाममल होता है ?


ननयम और विननयमों में आम तौर पर ननम्नशलखखत को शाममल ककया जाता है :
क. सदस्यों के प्रिेि की ितें;
ख. कुछ पररल्स्थनतयों में जुमािना, िलती के शलए सदस्यों का दानयत्ि;
ग. इस्तीफे या ननटकासन द्िारा या मत्ृ यु पर सदस्यता की समाल्प्त;
घ. न्याशसयों की ननयल्ु तत और हटाना और उनकी िल्ततयों;
ङ. गिननिंग बॉर्ी से सदस्यों की ननयल्ु तत और हटाना;
च. बैठकों के आयोजन और संकपप पाररत करने के शलए नोहटस, कोरम आहद की आिश्यकता;
छ. ननधधयों का ननिेि, खातों का रखरखाि और खातों की लेखा परीक्षा;
ज. उद्देश्यों और ननयमों में पररितिन के तरीके;
झ. उप-ननयमों में प्रािधान ककये जाने िाले मामले;
ञ. सशमनत का विघटन और विघटन पर संपल्त्त के उपयोग के तरीके
ट. सशमनत की प्रकृनत और उद्देश्यों के संदभि में जरूरी अन्य मामले.

4.10 सममनत के उप-ननयमों में क्या प्रावधान होते हैं ?

सशमनत के उप-ननयम ननयमों और विननयमों के अधीन होते हैं और आमतौर पर इनमें ननम्नशलखखत
का प्रावधान होता है :

क. सशमनत का कायि समय


ख. अपने उद्देश्यों को परू ा करने के शलए सशमनत की गनतविधधयां;
ग. सदस्यों के नामांकन, उन्हें हटाने, उनके अधधकारों, अनप्र
ु योगों और वििेिाधधकारों से संबधं धत मामले;
घ. सशमनत द्िारा अपना कारोबार चलाने के तरीके;
ङ. सशमनत की ननधधयों की सरु क्षा, प्रयोग और ननिेि के तौर तरीके तथा ऐसे ननिेिों की सीमा एिं
ितें.
च. दै ननक कामकाज की व्यिस्था, इस हे तु ककए जाने िाले व्यय, काम पर रखने िाले स्टाफ और इन
कमिचाररयों की सेिा ितें;

37
छ. आम बैठकों का आयोजन और इनकी प्रकिया;
ज. ऐसे मामले जो सशमनत के गठन एिं कामकाज तथा इसके कारोबार के प्रबन्धन से सम्बल्न्धत हों,
ल्जन्हें जरुरी समझा जाए.

4.11 सममनत का सदस्य कौन बन सकता है?

िह व्यल्तत सशमनत का सदस्य बनने के शलए पात्र होगा, यहद िह:

क. प्रिेि की तारीख को 21 साल की उम्र का है;


ख. सशमनत के लक्ष्यों और उद्देश्यों को हस्ताक्षर करके स्िीकार करता है ;
ग. सशमनत के उप-ननयमों में ननधािररत सदस्यता िप
ु क जमा करता है; और
घ. हदिाशलया या अस्िस्थ मन का नहीं है .

4.12 कोई व्यक्क्त सममनत का सदस्य नहीं रहता है ?


ननम्नशलखखत ल्स्थनत में सशमनत के सदस्य की सदस्यता समाप्त हो जाती है :
क. इस्तीफा दे ने और उसका इस्तीफा स्वीकार ककए जाने पर;
ख. मत्ृ यु होने पर;
ग. बकाया राशि का भग
ु तान नहीं करने पर (अलग-अलग राज्यों के अधधननयमों में ननधािररत अिधध)

4.13 सममनत की गवननिंग बॉडी के क्या कायध हैं ?


सशमनत की गिननिंग बॉर्ी, ल्जसका कोई भी नाम हो, िह ननकाय है , ल्जसे सशमनत के ननयमों एिं विननयमों
द्िारा सशमनत के कामकाज/ मामलों के प्रबंधन काम सौंपा गया है .

4.14 सममनत की ननधधयों के क्या स्रोत है ?


सशमनत ननम्नशलखखत साधनों के माध्यम से ननधधयों की व्यिस्था कर सकते हैं:
क. दान
ख. उपहार
ग. अनद
ु ान
घ. ऋण

4.15 सममनत द्वारा रखी जाने वाली खाता बहहयाँ?


सशमनत ननम्नशलखखत खाता बहहयााँ रखती है :
क. रोकड़ बही (कैि बक
ु )
ख. सामान्य बही खाता (जनरल लेजर)
सशमनत को अपने िावििक खाते भी तैयार करने अपेक्षक्षत हैं और इन्हें चाटि र्ि अकाउं टें ट से लेखा परीक्षक्षत
करिाना होता है .

38
अध्याय 5

रस्ट के रूप में पंजीकृत उत्पादक संगठन (पीओ)

5.1 क्या पीओ को रस्ट के रूप में पंजीकृत ककया जा सकता है ?

पीओ को चैररटे बल रस्ट के रूप में पंजीकृत ककया जा सकता है .

5.2 रस्ट क्या है?

सरल िलदों में, यह माशलक द्िारा अन्य व्यल्तत को खुद के साथ या बबना, ककसी तत
ृ ीय पक्ष के लाभ
के शलए संपल्त्त का हस्तांतरण है या माशलक द्िारा खद
ु के शलए नहीं बल्पक अन्यों के शलए या अन्यों
और खुद के शलए संपल्त्त रखने की घोिणा है .

5.3 रस्ट बनाने के मलए ककतनी पाहटध याँ होनी चाहहए?

जो व्यल्तत रस्ट का ननमािण करता है उसे सेटलर कहते हैं, ल्जस व्यल्तत को संपल्त्त हस्तांतररत की
जाती है उसे रस्टी कहते हैं और ल्जस व्यल्तत के लाभ के शलए सम्पल्त्त हस्तांतररत की जाती है उसे
लाभाथी कहते हैं.

5.4 ककतने प्रकार के न्यास होते हैं ?

न्यास (रस्ट) दो प्रकार के होते हैं सावधजननक रस्ट और ननजी रस्ट. ननजी रस्ट आम तौर पर चेररटे बल
या धाशमिक उद्देश्य के शलए गहठत ककए जाते हैं, और इनका उद्देश्य व्यािसानयक गनतविधधयां करना नहीं
होता है . सावधजननक चैररटे बल रस्ट बड़े पैमाने पर जनता के लाभ के शलए या काफी जनता के लाभ के
शलए काम करता है . जबकक, ननजी रस्टों से प्राप्त आय ननधािररत लाभाधथियों को शमलती है न कक आम
जनता को.

5.5 सावधजननक चैररटे बल रस्ट की स्थापना के मलए पात्र उद्देश्य क्या हैं?

सामान्यतया, ननम्नशलखखत में से एक या एक से अधधक उद्देश्यों के मलए रस्ट पंजीकृत ककये जा सकते
हैं:

क. गरीबी या संकट से राहत के शलए


ख. शिक्षा
ग. धचककत्सा
घ. मनोरं जन या अन्य खाली समय व्यतीत करने के शलए सवु िधाओं की व्यवस्था (इनके शलए सहायता
सहहत), यहद सवु िधाएं सामाल्जक कपयाण और जनता के हहत में प्रदान की जाती हैं.
ङ. केिल धाशमिक शिक्षण या पज
ू ा से संबधं धत उद्देश्यों को छोड़कर, आम जनता के उपयोग से सम्बल्न्धत
ककसी भी अन्य उद्देश्य के शलए.

39
5.6 भारत में सावधजननक चैररटे बल रस्ट को ननयंबत्रत करने के मलए क्या कानन
ू है ?

भारत में सावधजननक चैररटे बल रस्ट को ननयंबत्रत करने के शलए कोई राटरीय कानन
ू है (भारत न्यास
अधधननयम 1882, के व्यापक शसिांतों को छोड़कर, जो ननजी रस्टों को ननयंबत्रत करता है ), हालााँकक
अनेक राज्यों (ववशेष रूप से महाराटर, गज
ु रात, राजस्थान और मध्य प्रदे ि) में साििजननक न्यास
अधधननयम है.

5.7 रस्ट के पंजीकरण के मलए क्या दस्तावेज आवश्यक हैं?

क. पंजीकरण के शलए आिेदन उस क्षेत्र के अधधकारी के समक्ष ककया जाना चाहहए जो उस अधधकारी
के अधधकार क्षेत्र में आता है जहााँ रस्ट अपने आपको पंजीकृत कराना चाहता है .
ख. आिेदन फामि के साथ रस्ट र्ीर् की एक प्रनत प्रस्तत
ु की जानी चाहहए. पंजीकरण के शलए आिेदन
करते समय दो अन्य दस्तािेज - िपथ पत्र और सहमनत पत्र भी प्रस्तत
ु करने चाहहए.

5.8 रस्ट ववलेख क्या होता है ?

रस्ट विलेख ककसी भी साििजननक चैररटे बल रस्ट का मख्


ु य शलखत होता है ल्जसमें रस्ट के लक्ष्य एिं
उद्देश्य और रस्ट के प्रबंधन की विधध का िणिन ककया जाना चाहहए है . प्रत्येक रस्ट विलेख में, न्याशसयों
(रस्टी) की न्यन
ू तम और अधधकतम संख्या ननहदि टट की जानी चाहहए है . रस्ट विलेख में स्पटट रूप से
शलखा होना चाहहए कक रस्ट के लक्ष्य और उद्देश्य तया हैं, रस्ट का प्रबंधन कैसे ककया जाना चाहहए,
अन्य न्यासी (रस्टी) कैसे ननयत
ु त या हटाए जा सकते हैं. रस्ट विलेख पर दो गिाहों की उपल्स्थनत में
सेटलर और रस्टी दोनों के हस्ताक्षर होने चाहहए. रस्ट विलेख गैर-न्यानयक स्टाम्प पेपर पर ननटपाहदत
की जानी चाहहए, ल्जसका मप
ू य रस्ट की संपल्त्त के मप
ू य पर ननभिर करे गा.

5.9 रस्टी ककतने होने अपेक्षक्षत हैं ?


एक रस्ट में कम से कम दो रस्टी होने जरूरी हैं; न्याशसयों (रस्टी) की संख्या की कोई ऊपरी सीमा नहीं
है . रस्टी प्रबंधन बोर्ि में िाशमल होते हैं.

5.10 रस्ट की ननधधयों का स्रोत क्या हैं?


रस्ट ननम्नशलखखत साधनों के माध्यम से ननधधयों की व्यिस्था कर सकते हैं:
क. दान
ख. उपहार
ग. अनद
ु ान
घ. ऋण

40
5.11 रस्ट द्वारा कौन सी खाता बहहयां रखी जानी हैं ?
रस्ट को ननम्नशलखखत खाता बहहयााँ रखनी होंगी :
ग. रोकड़ बही (कैि बक
ु )
घ. सामान्य बही खाता (जनरल लेजर)
इसे अपने िावििक खाते भी तैयार करने होंगे हैं और इन्हें चाटि र्ि अकाउं टें ट से लेखा परीक्षक्षत करिाना
होगा.

5.12 क्या गैर सरकारी संगठन व्यावसानयक गनतववधधयां कर सकते हैं ?

आयकर अधधननयम की धारा 11 (4 क), 1961 में 1.04.1992 से संिोधन ककया गया है . तदनस
ु ार,
यहद गैर-सरकारी संगठन की व्यिसाय से होने िाली आय, इसके उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायक है ,
और ऐसे संगठन द्िारा अलग से खाता बहहयााँ रखी जाती है तो इस लाभ पर कराधान के शलए विचार
नहीं ककया जाता है . अथाित दस
ू रे िलदों में, लाभ परू ी तरह से कर मत
ु त है . व्यािसानयक उपिम, जो
धमािथि प्रयोजन के शलए गहठत रस्ट [धारा 11 (1) (क)] के तहत होते है , को भी छूट दी गई है . इसके
अलािा, यहद ककसी गनतविधध से लाभ होता है तो उसे हमेिा व्यिसाय से आय नहीं मानने की जरूरत
नहीं है . हॉल, रे स्ट हाउस या सभागार (ननजी या साििजननक कायों के शलए) ककराए पर दे ने से गैर-
लाभकारी संगठन की आय को व्यिसाय नहीं माना जाता है .

5.13 क्या रस्ट के रूप में पंजीकृत पीओ की आय को आयकर से छूट दी गई है?
रस्ट के रूप में पंजीकृत पीओ की आय को आयकर से छूट प्राप्त नहीं है तयोंकक यह धमािथि उद्देश्य नहीं
है .

5.14 रस्ट के क्या लाभ हैं?


क. पंजीकरण की सरल प्रकिया.
ख. ररकॉर्ि का सरल रख-रखाि और सरल विननयमन.
ग. ननयामक द्िारा हस्तक्षेप की संभािना कम.
घ. धमािथि प्रकृनत के कायों के कारण टै तस में छूट.

5.15 रस्ट के नक
ु सान क्या हैं?

क. सशमनतयों को प्रदान की गई कर में छूट साििजननक रस्टों या उसी सीमा तक लागू होगी ल्जस सीमा
तक आयकर विभाग उनकी गनतविधधयों को चेररटे बल के रूप में स्िीकार करता है .
ख. रस्ट, एक धमािथि संस्था के रूप में, संक्षेप में, उत्पादक संगठन जैसी आधथिक रूप से धारणीय
संगठनों की तरह लाभ अजिन के शलए अनप
ु यत
ु त है.
ग. इल्तिटी ननिेि या स्िाशमत्ि की कोई व्यिस्था नहीं है , ल्जससे, व्यािसानयक ननिेिकों के शलए यह
कम आकििक है.

41
घ. व्यािसानयक ननिेिकों को आम तौर पर उतत संस्थाओं में मख्
ु य रूप से व्यािसानयकता और
प्रबंधकीय प्रथाओं की कमी के अभाव में ननिेि को जोखखम भरा समझते है और इसशलए, रस्ट के
शलए ननधधयों की बड़ी मात्रा में ननधधयां लगाने के शलए अननच्छुक रहे हैं.
ङ. भारतीय ररजिि बैंक अधधननयम, 1934 की धारा 45 एस के अनस
ु ार, अननगशमत ननकायों को जनता
से जमा स्िीकार करने के शलए अनम
ु नत नहीं दी जाती है . सोसायटी पंजीकरण अधधननयम और रस्ट
अधधननयम के तहत पंजीकृत संगठनों को अननगशमत ननकायों के अंतगित माना जाता है. इसशलए,
कानन
ू के अनस
ु ार, उन्हें आम जनता से बचत एकत्र करने के शलए अनम
ु नत नहीं है .

5.16 एक रस्ट के रूप में उत्पादक कंपनी के पंजीकरण के मलए आवश्यक दस्तावेज क्या हैं?

क. रस्ट के सभी सदस्यों या रस्टी के पता और पैन के साथ वििरण


ख. रस्ट के पंजीकरण प्रमाण पत्र की प्रमाखणत सत्य प्रनतयां
ग. रस्ट की ननयमािली और उप-ननयम की प्रमाखणत सत्य प्रनतयां
घ. आयकर पंजीकरण प्रमाण पत्र की प्रनत
ङ. वपछले 3 ििों की लेखापरीक्षा ररपोटि के साथ तल
ु न पत्र और आय एिं व्यय लेखा
च. रस्ट के गठन के साक्ष्य हेतु रस्ट ववलेख की मल
ू प्रनत

42
अध्याय 6
कंपनी अधधननयम, 2013 की धारा 8 के रूप में अंतगधत पंजीकृत उत्पादक संगठन

6.1 धारा 8 कंपनी क्या हैं ?


धारा 8 कंपननयााँ िो कंपननयााँ हैं जो िाखणज्य, कला, विज्ञान, धमि, दान या ककसी भी अन्य उपयोगी
प्रयोजन को बढ़ािा दे ने के एकमात्र उद्देश्य के शलए गहठत की गई हों.

क. इस प्रकार की कंपननयााँ, साििजननक कंपनी या ननजी कंपनी हो सकती हैं ल्जसकी दे यता सीशमत
होती है .
ख. इन कंपननयों द्िारा अल्जित लाभ का केिल अपने प्रयोजनों को बढ़ािा दे ने के शलए प्रयोग ककया जा
सकता है और इसके सदस्यों के बीच लाभांि के रूप में वितररत नहीं ककया जा सकता.
ग. इन कंपननयों को िेयर पज
ूं ी के साथ या उसके बबना गहठत ककया जा सकता है . यहद िे पज
ूं ी के
बबना गठन कर रहे हैं, व्यापार को आगे बढ़ाने के शलए आिश्यक ननधधयों आम जनता और सदस्यों
से दान और सदस्यता के रूप में ली जा सकती हैं.

6.2 धारा 8 कंपननयों के अंतगधत खुद को पंजीकृत करने पर उत्पादक संगठनों को क्या लाभ ममलता
है ?

सोसाइटी ननम्नशलखखत कारणों से, रस्ट की तल


ु ना में धारा 8 कंपननयों को िरीयता दे ती है.

क. धारा 8 कंपनी का दे ि भर में एक समान कानन


ू हैं.
ख. दस
ू रों की तल
ु ना में धारा 8 कंपननयों को विदे िी अनद
ु ान में कड़े प्रकटीकरण मानदं र्ों और कंपनी
अधधननयम, 1956 और विदे िी अंिदान ननयमन कानन
ू के तहत ननयामक प्रािधानों के कारण पसंद
ककया जा रहा है .
ग. केन्र और राज्य सरकारों ने उनके द्िारा कायािल्न्ित विशभन्न योजनाओं में धारा 8 कंपनी को
मान्यता दी.
घ. एक से अधधक गनतविधधयों में हाथ आिमाया जा सकता है .
ङ. प्राइिेट शलशमटे र् या शलशमटे र् िलद के उपयोग की छूट.
च. कंपनी ननयम के अंतगित सदस्यों /माशलकों को सरलता से िेयरों और हहतों का स्िाशमत्ि हस्तांतरण
प्रदान ककया जा सकता है.
छ. एक ननगशमत धारा 8 कंपनी की ननरं तरता उसके माशलक(कों) की मौत से या एक नई इकाई /
व्यल्तत को इसके िेयरों के हस्तांतरण से अप्रभावित होती है .
6.3 धारा 8 कंपनी का नक
ु सान क्या हैं ?

धारा 8 कंपनी के ननम्नशलखखत नक


ु सान हैं : -

क. मन
ु ाफा सदस्यों को लाभांि के रूप में वितररत नहीं ककया जा सकता और इसका केिल अपने
प्रयोजनों को बढ़ािा दे ने के शलए ही प्रयोग ककया जा सकता है .

43
ख. कंपनी के उद्श्यों की धारा में बदलाि हे तु केन्र सरकार के पि
ू ि अनम
ु ोदन की आिश्यकता होती है .
ग. सोसाइटी और रस्ट की तल
ु ना में , धारा 8 कंपनी के पंजीकरण और अन्य ननयम ि ितों का पालन
करना महं गा पड़ता है . कानन
ू के ककसी भी तरह के उपलंघन होने पर धारा 8 के अंतगित कंपनी को
दं र् और जुमािना िहन करना पड़ता है .
घ. धारा 8 कंपननयां भी आयकर के तहत कंपनी की पररभािा के अंतगित आती हैं. इसशलए, जो कर
की दर सामान्य लाभ कमा रही कंपनी के शलए लागू है िही धारा 8 कंपननयों के शलए भी लागू है.
ङ. आम तौर पर, धारा 8 कंपननयों को पण
ू ि रूप से बंद करने या समापन के शलए लगभग 1-2 साल
लग जाते हैं और इसमें विशभन्न औपचाररकताओं का अनप
ु ालन भी िाशमल है. इसके अलािा, कुछ
मामलों में , उच्च न्यायालय से मंजरू ी की आिश्यकता होती है .
6.4 धारा 8 के अंतगधत कंपनी के रूप में पंजीकृत करने के मलए उत्पादक संगठन के मलए आवश्यक
शतें क्या हैं?

धारा 8 कंपनी के पंजीकरण के शलए, ननम्न ितों को परू ा ककया जाना चाहहए : -

क. न्यन
ू तम 2 िेयरधारक (प्राइिेट शलशमटे र् कंपनी के शलए) और 7 िेयरधारक (पल्ललक शलशमटे र्
कंपनी के शलए)
ख. न्यन
ू तम 2 ननदे िक (प्राइिेट शलशमटे र् कंपनी के शलए) और 3 ननदे िक (पल्ललक शलशमटे र् कंपनी के
शलए)
ग. उत्पादक संगठन के ननदे िक पहचान संख्या (डीआईएन) हर ननदे िक के शलए आिश्यक है .
घ. कम से कम एक ननदे िक के डर्ल्जटल हस्ताक्षर प्राप्त करना अपेक्षक्षत है .
ङ. संस्था के बहहननधयम (मेमोरें र्म ऑफ असोशिएिन)
च. संस्था के अंतननधयम (आहटि तल ऑफ असोशिएिन)

6.5 एक कंपनी प्रारं भ करने के मलए प्रमाण पत्र प्राप्त करने हे तु ककन दस्तावेजों को जमा ककया जाना
आवश्यक हैं?

लाइसेंस प्राप्त करने के शलए ननम्नशलखखत दस्तोिेजों की भी आिश्यकता है : -

क. संस्था के बहहननधयम और संस्था के अंतननधयम की तीन प्रनतयां


ख. प्रोमोटरों / ननदे िकों के नाम, वििरण, पतों की सच
ू ी की तीन प्रनतयां
ग. भविटय की आय और व्यय के अनम
ु ान दिािने िाले वििरण की तीन प्रनतयां
घ. ननगमीकरण के बाद ककये गये, काम ककया या प्रस्तावित काम को संक्षक्षप्त वििरण की तीन प्रनतयां
ङ. क्जस आधार पर आवेदन तैयार ककया गया है उसको लक्षक्षत करते वववरण की तीन प्रनतयां
च. ननधािररत प्रपत्र के अनस
ु ार कंपनी के सभी ननदे िकों द्िारा घोिणापत्र दे ना
छ. चाटि र्ि अकाउं टें ट या सप्र
ु ीम कोटि या ककसी उच्च न्यायालय का िकील, अटानी या अमभवक्ता जो
उच्च न्यायालय के समक्ष उपक्स्थत होने के मलए अधधकृत है या कंपनी सधचव यह घोिणापत्र करे
कक अधधननयम के प्रावधानों के अनस
ु ार संस्था के अंतननधयम और संस्था के बहहननधयम तैयार ककये
गये हैं.

44
ज. प्रमोटरों के पतों के समथिन में दस्तािेजी सबत

झ. जांच-पड़ताल से संबल्न्धत सभी दस्तािेज राजपबत्रत अधधकारी या सीए/ सीएस/सीडब्पयए
ू द्वारा
प्रमाखणत/ सत्यावपत ककए जाने चाहहए.

6.6 ननदे शक पहचान संख्यांक (नन.प.सं.) क्या है?


जो कोई भी कंपनी का ननदे िक बनने का इरादा रखता है , उसके पास ननदे िक पहचान संख्या होनी
चाहहए जो कक कंपनी रल्जस्रार के पास फामों और दस्तािेजों के ई-फाइशलंग के शलए अननिायि है और
पैन ननदे िक पहचान संख्यांक (र्ीआईएन) के एक विकपप के रूप में इस्तेमाल नहीं ककया जा सकता है .
र्ीआईएन भारतीय कंपननयों के ननदे िकों के शलए अननिायि है जो कक भारत के नागररक नहीं भी हैं.
लेककन, र्ीआईएन, विदे िी कंपनी के ननदे िकों के शलए अननिायि नहीं है चाहे उसका िाखा कायािलय भारत
में ही हो. इसके अलािा, एक व्यल्तत के शलए एक ही र्ीआईएन की आिश्यकता होती है चाहे िह ककतने
भी ननदे िक के पदों पर पदस्थ हो. ननदे िक को र्ीआईएन (ननदे िक पहचान संख्या) प्राप्त करने के
शलए अपेक्षक्षत दस्तािेज और जानकारी : -

क. ननदे िक का स्ियं सत्यावपत पैन कार्ि


ख. ननदे िक का स्ियं सत्यावपत पते का साक्ष्य
ग. िपथ-पत्र
घ. ननदे िक की स्ियं सत्यावपत रं गीन फोटो
ङ. ननदे िक की ई-मेल आईर्ी
च. ननदे िक का मोबाइल नंबर
छ. ननदे िक की िैक्षक्षक योग्यता
ज. ननदे िक का ितिमान व्यिसाय

6.7 डडक्जटल हस्ताक्षर या डडक्जटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र क्या है?

भौनतक दस्तािेजों पर हस्ताक्षर ककए जाते हैं. इसी तरह, इलेतरॉननक दस्तािेज, उदाहरण के शलए ई-
फॉमि के शलए, डर्ल्जटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र का उपयोग कर डर्ल्जटल रूप से हस्ताक्षर ककए जाने की
आिश्यकता होती है. इस प्रकार डर्ल्जटल हस्ताक्षर या डर्ल्जटल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र प्राप्त करने के
शलए आिश्यक दस्तािेज हैं :

क. ननदे िक का स्ियं सत्यावपत पैन कार्ि


ख. ननदे िक का स्ियं सत्यावपत पते का प्रफ

ग. एक रं गीन फोटो

45
6.8 उत्पादक कंपनी का संस्था का बहहननधयम क्या है.

संस्था का बहहननियम एक चाटि र दस्तािेज है, ल्जसके द्िारा एक कंपनी पंजीकृत होती है . इसमें कंपनी
का नाम, राज्य जहां कंपनी का पंजीकृत कायािलय ल्स्थत हो, कंपनी का प्रयोजन, अधधकृत पज
ंू ी और
कंपनी के िेयरधारकों द्िारा अशभदत्त पज
ंू ी का लयोरा िाशमल रहता है.

6.9 उत्पादक कंपनी का संस्था का अंतननधयम क्या हैं.

आहटि तल ऑफ असोशिएिन एक कंपनी के आंतररक प्रबंधन के उप-ननयम हैं और सदस्यों और ननदे िकों
के बीच संबध
ं ों को पररभावित करते हैं.

6.10 एक उत्पादक कंपनी का पंजीकृत कायाधलय क्या है ?

पंजीकृत कायािलय व्यिसाय का मख्


ु य स्थान है और कंपनी के सभी अधधकाररक संचार के शलए प्रयोग
ककया जाता है । पंजीकृत कायािलय पर कंपनी के स्िाशमत्ि होने की जरूरत नहीं है , यह एक ककराए के
पररसर में भी हो सकता है । इसके अलािा, कंपनी अधधननयम, 1956 में िखणित के रूप में विशिटट
प्रकियाओं का पालन करने के बाद एक कंपनी मल
ू रूप से क्जस राज्य में पंजीकृत है उससे एक ही
राज्य के भीतर या अन्य राज्य में अपना पंजीकृत कायािलय ककसी भी समय बदल सकती है.

6.11 धारा 8 कंपनी के रूप में एक उत्पादक कंपनी के पंजीकरण के बाद क्या ककसी भी अधधक
पंजीकरण की आवश्यकता होती है ?

यहद धारा 8 कंपनी धारा 12ए और 80 जी आयकर अधधननयम के तहत पंजीकृत हो जाती है तो उस
कंपनी को ननम्नशलखखत लाभ प्राप्त होंगे : -

क. आयकर अधधननयम की धारा 12ए के तहत पंजीकरण: - आयकर अधधननयम की धारा 12ए के
तहत पंजीकृत होने पर धारा 8 कंपनी को आय में छूट प्राप्त होती है . इसका जीिन में एक ही बार
पंजीकरण होता है ।
ख. आयकर अधधननयम की धारा 80 जी के तहत पंजीकरण: आयकर अधधननयम की धारा 80 जी के
तहत पंजीकरण होने पर दानी उत्पादक कंपनी को ककए जाने िाले दान पर कर कटौती का दािा
कर सकते हैं. िैधता अिधध की समाल्प्त के बाद इसका निीनीकरण करिाने की जरूरत होती है.

हटप्पणी : कृपया कंपनी अधधननयम 1956 और कंपनी अधधननयम 2013 और इनकी अधधसच
ू नाओं का
भी संदभि लें.

46
अध्याय 7

कारोबार की आयोजना

7.1 मप
ू य श्रख
ं ृ ला (वैपयू चेन) के ववकास की संकपपना क्या है?

मप
ू य श्ख
ं ृ ला (िैपयू चेन) में िे सभी गनतविधधयां िाशमल हैं जो उत्पादन के विविध चरणों में एक दस
ू रे
से जड़
ु ी होती हैं और उत्पाद का मप
ू य िधिन करती हैं. इसमें कच्चे माल और अन्य ननविटट िस्तओ
ु ं की
अधधप्राल्प्त िाशमल है. सामान्यतया, िैपयू चेन के साथ उत्पादन, रुपांतरण/ प्रसंस्करण के शलए और
िमिार गनतविधधयों की श्ख
ं ृ ला के माध्यम से अंनतम उपभोतता तक सामान सेिाओं को पहुंचाने के शलए
अन्य घटक भी होते हैं. जब कोइि उत्पाद कृविजन्य होता है तो हम उसे कृवि संबध
ं ी िैपयू चेन कहते हैं.
अब दध
ू का उदाहरण शलल्जए. दध
ू के उत्पादन के शलए ककसान को दध
ु ारु पि,ु पिओ
ु ं के शलए चारा और
उनके शलए िेर् की आिश्यकता होती है . दध
ू ननकालने (हदन में एक या दो बार) के बाद, दध
ू को
एकत्रीकरण केंर पर लाया जाता है जहां, दध
ू की मात्रा, चरबी और एसएनएफ की मात्रा को नापा जाता
है . एकत्रीकरण केंर से दध
ू को जहां बड़े पैमाने पर दध
ू को ठं र्ा रखा जाता है उस इिकाई पर ले जाया
जाता है . िहां दध
ू को छाना जाता है और उसे तािा रखने के शलए ठं र्ा ककया जाता है . िहां से दध
ू ,
दग्ु ध प्रसंस्करण संयत्र पर भेजा जाता है जहां दध
ू को पाश्चरीकरण की प्रकिया से जीिाणु रहहत ककया
जाता है और उससे विविध प्रकार के दध
ू और दध
ू के उत्पाद तैयार ककए जाते हैं. रिरूप दध
ू (होल दध
ू ,
टोन्र् दध
ू , विटाशमन-ए से भरपरू दध
ू )के पैकेट बनाए जाते हैं और उन्हें थोक वििेताओं के पास भेजा
जाता है. खुदरा वििेता, थोक वििेताओं से दध
ू के पैकेट लेते और शमपक बथ
ू और/या लोगों के घरों में
दध
ू के पैकेट पहुंचाते हैं. मतखन, दही, चीि, घी आहद जैसे प्रसंस्कररत दग्ु ध उत्पाद भी इसी वितरण
श्ंख
ृ ला के माध्यम से अंनतम उपभोतता तक पहुंचते हैं. दध
ु ारु पिु खरीदने से लेकर, उपभोतता तक दध

के पैकेट पहुंचाने तक की परू ी प्रकिया दध
ू की मप
ू य श्ंख
ृ ला (िैपयू चेन) है . हालांकक प्रत्येक चरण में
मप
ू य िधिन ककया जाता है , सबसे अधधक मप
ू य िधिन दध
ू को ठं र्ा करते समय, उसके पाश्चरीकरण और
प्रसंस्करण में ककया जाता है. इस चेन में एक से अधधक गनतविधधयों में िाशमल होने िाले सभी व्यल्ततयों
/ एजेंशसयों को इस मप
ू य श्ख
ं ृ ला (िैपयू चेन) के घटक कहा जाता है.

7.2 मप
ू य श्रख
ं ृ ला (वैपयू चेन) सहयोग क्या है?

उत्पादक संगठन, िैपयू चेन की एक से अधधक गनतविधधयों में सहभागी हो सकता है . उपयत
ुि त उदाहरण
में , उत्पादक संगठन बड़े पैमाने पर चारे की उपज ले सकता है / अधधप्राल्प्त कर सकता है और उसे
ककसानों में वितररत कर सकता है . िह अपने सदस्यों के शलए राज्य के बाहर से दध
ु ारु पिओ
ु ं की बड़े
पैमाने पर खरीद कर सकता है . िह दध
ू प्रिीतन संयत्र या दध
ू प्रसंस्करण इिकाई की स्थापना कर सकता
है . िह दध
ू और दध
ू से बने उत्पादों की आिाजाही के शलए रे किजरे टेर् िैन की खरीद कर सकता है. िह
अंनतम उपभोतता को दध
ू और दग्ु ध उत्पादों को बेचने के शलए दध
ू के पालिरों की स्थापना कर सकता है.
ड़स प्रकार की कोइि भी गनतविधध मप
ू य श्ख
ं ृ ला (िैपयू चेन) सहयोग होगी. इसमें मख्
ु य बात है, मप
ू य
श्ंख
ृ ला (िैपयू चेन) में जहां मप
ू य िधिन सबसे अधधक हो उस चरण की सहयोगी गनतविधध का चयन

47
ल्जसे बाजार की प्रनतस्पधाि को ध्यान में रखते हुए उत्पादक संगठन द्िारा प्रभािी रूप से चलाया जाना
जरूरी है.

7.3 मप
ू य श्रख
ं ृ ला (वैपयू चेन) संकपपना के लाभ क्या हैं?

उत्पाद की कीमत, ननविटट िस्तओ


ु ं का वितरण, उत्पाद का वितरण और सेिाओं में लाभ शमल सकता
है . कृवि संबध
ं ी मप
ू य श्ख
ं ृ ला (िैपयू चेन) में ननम्नानस
ु ार लाभ हो सकते हैं, ल्जसके पररणामस्िरुप
कीमत कम हो सकती है या अधधकतम राजस्ि प्राप्त हो सकता है

क. कारोबार की प्रकिया : संग्रहण, प्


ृ थकरण और संचालन
ख. उत्पादकता : श्शमक, सामग्री, धन, ननविटट िस्तए
ु ं और उत्पादन
ग. भंर्ारण : स्थान, कीमत और संचालन
घ. प्रसंस्करण : स्ियं बनाम बाहरी स्रोत
र्. उत्पाद : पण
ू ि अन्न से प्रसंस्कररत अन्न और पण्य
च. जोखखम में कमी
7.4 कारोबार की योजना क्या है ?
कारोबार की योजना एक संक्षक्षप्त दस्तािेज है ल्जसमें कारोबार के शमिन से संबधं धत नीनत के घटक,
बाहरी और आंतररक िातािरण और पहले ककए गए विश्लेिण में पहचान की गइि समस्याओं का
समािेि होता है. जब भी नीनत में संिोधन ककया जाता है तो हर बार कारोबार की योजना नहीं
शलखी जाती. जब भी नया व्यापार विकशसत ककया जाता है या कोइि नइि पहल की जाती है तो योजना
शलखी जानी चाहहए. कारोबार की संकपपना, कारोबार के अिसर, प्रनतस्पधाि का पररदृश्य, सफलता के
आिश्यक घटक और उसमें िाशमल लोगों के बारे में इिमानदारी से धचंतन ककया जाना चाहहए. इस
प्रकार के अभ्यास से और अधधक प्रश्न उपल्स्थत होंगे और इन नए प्रश्नों का गहन अध्ययन ककए
जाना चाहहए ल्जससे भविटय के मद्द
ु ों और चुनौनतयों पर सोच विचार की जा सके. संक्षेप में, कारोबार
संबध
ं ी योजना में “कौन/तया/कहां/तयों/कैसे/ककतना” इन प्रश्नों के उत्तर समाविटट होने चाहहएं.

7.5 कारोबार संबध


ं ी आयोजना क्या है?
कारोबार संबध
ं ी आयोजना की िरु
ु आत कारोबार की संकपपनाओं से होती है ल्जसके बाद अिसरों
और जोखखमों का विश्लेिण ककया जाता है . इससे कारोबार के उधचत अिसरों की पहचान की जाती
है . कारोबार के अिसर की पहचान करने के बाद विपणन की योजना तैयार की जाती है . इस
प्रकिया का अंनतम हहस्सा है वित्तीय योजना.

कारोबार की संकपपना का ननमाधण



कारोबार संबध
ं ी संकपपनाओं की सच
ू ी तैयार करना

अवसरों / जोखखमों का ववश्लेषण

कारोबार के अवसरों की पहचान और चयन

48

ववपणन संबध
ं ी योजना

ववत्तीय योजना

7.6 ककसी उत्पादक संगठन के मलए कारोबार की योजना तैयार करना क्यों आवश्यक है ?
कारोबार का आकार कोइि भी हो उसके शलए आयोजना की आिश्यकता होती है . ककसी भी कारोबार
की प्रगनत और उसे लंबे समय तक चलाए रखने के शलए योजना की जरुरत होती है . इस योजना
में , भविटय में आने िाले अपेक्षक्षत और अनपेक्षक्षत अिसरों और अड़चनों का सामना ककस प्रकार
ककया जा सकता है इसकी विस्तत
ृ रूपरे खा होती है . उत्पादक संगठन के मामले में , यह और भी
आिश्यक हो जाता है कक तयोंकक इसके बहुत से सदस्य कारोबारी के रूप में पहली बार कायि करें ग.े
कारोबार की योजना से उत्पादक संगठन को नीचे हदए गए अनस
ु ार सहायता शमल सकती है :

क. बाजार में उद्यम की व्यिहायिता की जांच करने में सहायता शमलती है.
ख. इससे उत्पादक संगठन को गनतविधधयों के आयोजन और योजना के शलए मागिदििन प्राप्त होता
है .
ग. यह, आधथिक प्रबंध/ ननधधयन के ननधािरण के शलए एक महत्िपण
ू ि साधन है . आधथिक सहायता
प्रदान करने िाले को कारोबार की योजना से यहद कोइि आपल्त्त न हो तो उत्पादक संगठन को
विस्तत
ृ पररयोजना ररपोटि (र्ीपीआर) तैयार करने के शलए कहा जाएगा.

7.7 कारोबार संबध


ं ी योजना के घटक क्या हैं?
उत्पादक संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के शलए कारोबार संबध
ं ी योजना में विस्तत
ृ मापदं र् ननधािररत
ककए जाते हैं. कारोबार संबध
ं ी नमन
ू ा योजना में ननम्नशलखखत बातों को िाशमल ककया जाएगा :

क. कायिपालक सारांि
ख. कारोबार संबध
ं ी वििरण
ग. उद्योग/क्षेत्र विश्लेिण
घ. विपणन संबध
ं ी योजना
र्. पररचालन संबध
ं ी योजना
च. आधथिक योजना

7.8 कायधपालक सारांश में क्या शाममल ककया जाता है?


कायिपालक सारांि कारोबार संबध
ं ी योजना का सार होता है ल्जसमें उसके महत्िपण
ू ि बबंदओ
ु ं को
िाशमल ककया जाता है. इसका उद्देश्य महत्िपण
ू ि घटकों अथाित संभाव्य ननिेिकों को विश्िासपण
ू ि
तरीके से योजना के बारे में अिगत कराना है , ल्जससे, िे परू ी योजना को गहराइि से पढ़ें . यह,
कारोबार संबध
ं ी योजना का केिल ऐसा अध्याय है, ल्जसे योजना को पढ़नेिाला उस प्रस्ताि पर तरु ं त
ननणिय लेने के शलए उपयोग में लाता है . इसे पढ़ने िाले (आधथिक सहायता प्रदान करने िाले) की

49
अपेक्षाओं पर खरा उतरना चाहहए. संपण
ू ि योजना को तैयार करने के बाद इस सारांि को तैयार ककया
जाता है . सारांि में ननम्नशलखखत वििरण होने चाहहए :

क. ऐसे उद्योग और बाजार का िातािरण ल्जसमें कोइि कारोबार विकशसत और समि


ृ हो सकता हो.
ख. वििेि और ननराला कारोबार अिसर – उत्पाद या सेिा समस्या का ननिारण करें .
ग. सफलता के शलए नीनत – ऐसी कौन सी बात जो उत्पाद या सेिा को प्रनतस्पधी के उत्पादों से
अलग करती हो.
घ. वित्तीय संभाव्यता – कारोबार का प्रत्याशित जोखखम और परु स्कार.
र्. प्रबंधन दल - ऐसे लोग जो लक्ष्य को प्राप्त करें ग.े
च. मांगे गए संसाधन या पज
ूं ी – पढ़नेिालों के शलए स्पटट संदेि ल्जससे आपको उनसे तया अपेक्षा
है यह स्पटट हो जाए, चाहे िह पज
ूं ी हो या अन्य संसाधन.

7.9 कारोबार के वववरण में क्या शाममल ककया जाता है ?


कारोबार के वििरण में कारोबार की संकपपना को संक्षक्षप्त रूप से समझाया जाता है और उसके
इनतहास, उसके स्िरूप, उसके उद्देश्य साथ ही यह कारोबार भविटय में तयों सफल होगा इसका भी
सच
ू नाप्रद वििरण होता है. कारोबार के वििरण के उद्देश्य ननम्नानस
ु ार हैं :

क. कारोबार की संकपपना को स्पटट रूप से समझाना.


ख. उद्यम की संकपपना के उत्साह को साझा करना.
ग. उद्यम का िास्तविक धचत्र प्रस्तत
ु कर पढ़ने िाले की अपेक्षाओं को परू ा करना.

7.10 उद्योग ववश्लेषण क्या है ?


कारोबार ल्जस उद्योग क्षेत्र में ककया जाना है उसे समझना, उसकी प्रनतस्पधाि और बािार को
समझना, कारोबार संबध
ं ी योजना का मल
ू तत्ि है. विश्लेिण से सदस्यों की िास्तविक समस्या का
समाधान करने के शलए िास्तविक अिसर की पहचान करने में सहायता शमलती है.

विश्लेिण के पररणाम ननम्नानस


ु ार होंगे :

क. विश्लेिण से कारोबार के िातािरण की समझ पैदा होगी.


ख. इससे प्रभािी विपणन योजना तैयार करने में सहायता शमलेगी.
ग. उद्योग की िास्तविक संभाव्यता के संबध
ं में पढ़ने िाले को समझाना.
घ. तया वििेि तकनीक, निोन्मेि, नया दृल्टटकोण या अनोखी संकपपना ग्राहकों के शलए कारोबार
का प्रस्ताि (ऑफर) होगी.
7.11 ववपणन संबध
ं ी योजना क्या है?
विपणन संबध
ं ी योजना में ककस प्रकार उत्पाद को बेचा जाएगा, ककस प्रकार यह कारोबार ग्राहकों
को खरीदने के शलए प्रोत्साहहत करे गा इससे संबधं धत वििरण होता है . विपणन संबध
ं ी योजना को
विकशसत करना और कारोबार संबध
ं ी योजना में िाशमल करने पीछे दोहरा उद्देश्य होता है :

50
क. विपणन संबध
ं ी योजना, समग्र कारोबार संबध
ं ी योजना का अविभाज्य अंग होती है . विपणन
संबध
ं ी योजना तैयार करने की प्रकिया से कारोबार के शलए विविध संकपपनाओं, विविध विकपपों
और कारोबार की सफलता के शलए प्रभािी नीनतयां करने में सहायता शमलेगी.
ख. सधु चंनतत और सस
ु ग
ं त विपणन संबध
ं ी योजना से कारोबार संबध
ं ी योजना के पाठक को कारोबार
की क्षमता के संबध
ं में समझाया जा सकता है .

7.12 ववपणन संबध


ं ी नीनत क्या है?
कोइि भी नइि नीनत तैयार करने में पहला चरण है विपणन संबध
ं ी योजना तैयार करना. यह, बाहरी
िातािरण के िास्तविक ननधािरण पर आधाररत होनी चाहहए. विपणन संबध
ं ी नीनत में सामान्यतया
अन्य क्षेत्रों में संसाधनों की आिश्यकता को ननधािररत ककया जाता है . उदाहरण के तौर पर, ल्जस
नीनत में बाजार के बड़े हहस्से की भागीदारी चाहहए उसमें विविध प्रकार के संसाधनों की साथिक
प्रनतबिता की आिश्यकता होती है . कारोबार ककस प्रकार उत्पाद का संिधिन करता है और उसका
वितरण करता है इसका संगठन, उत्पादन, मानि संसाधन और वित्तीय योजनाओं के साथ गहरा
संबध
ं होता है.

7.13 बाजार ववश्लेषण क्या है?


बाजार के विश्लेिण में ननम्नशलखखत वििरणों को िाशमल ककया जाना चाहहए :

क. समग्र बािार
ख. बािार में हो रहे पररितिन
ग. बािार के घटक, उसकी आकििकता, लाभप्रदता
घ. लक्ष्य बािार और ग्राहक
र्. ग्राहकों का वििरण
च. प्रनतस्पधी – प्रत्यक्ष और परोक्ष

7.14 आप, ववपणन संबध


ं ी नीनत का चयन ककस प्रकार करते हैं?
बािार के ल्जस घटक को उत्पादक संगठन अपना लक्ष्य बनाना चाहते हैं उसका चयन करने के बाद
और उसके मजबत
ू पक्षों, कमजोररयों, अिसरों और जोखखमों का विश्लेिण करने पर उधचत नीनत का
चयन ककया जाना चाहहए. यह उन विशभन्न बातों पर ननभिर करता है ल्जसमें उत्पादक संगठन अपने
उत्पाद और संगठन की जो प्रनतमा तैयार करना चाहते हैं, उत्पाद की बबिी के संबध
ं में उनके उद्देश्य
तया हैं, जैस,े तया िे अपने उत्पाद को तेजी से फैलाना चाहते हैं या बािार में धीरे -धीरे अपनी पैठ
जमाना चाहते हैं. उत्पादक संगठन एक या अधधक नीनतयों के सम्मच
ु य का चयन कर सकते हैं परं तु
उधचत विपणन नीनत तैयार करने के शलए 4 तत्िों (उत्पाद, मप
ू य, स्थान और संिधिन – इसे विपणन
का शमश्ण कहा जाता है) का उधचत शमश्ण तैयार करने की आिश्यकता होती है.

51
7.15 पररचालन योजना क्या है ?

पररचालन कारोबार की कायि (कियाकलाप) है . यह कच्चे माल को उत्पादन में बदल कर ग्राहक को
बेचना है . पररचालन योजना कारोबार की दै ननक कियाकलाप की समीक्षा की प्रिाह और उतत को
समथिन करने िाले उपाय प्रदान करता है. पररचालन योजना अनभ
ु ाग की मख्
ु य उद्देश्य यह है कक
कारोबार मख्
ु य पररचालन कारकों पर केंहरत है जो सफलता प्रदान करती है. इसमें उन महत्िपण
ू ि
सफल कारकों को िाशमल ककया जाना चाहहए जो हहतधारकों के शलए कारोबार के मप
ू य सज
ृ न और
बबना हानन लाभ के व्यापार करने को ककस प्रकार प्रभावित करता है.

7.16 बबना हानन लाभ के व्यापार क्या है ?


यह कारोबार की िह पररचालन की मात्रा है जब इकाई बबिी पररचालन लागत से समान होती है .
बबना हानन लाभ बबन्द ु यह ननधािररत करता है कक उत्पादन की लागत को िाशमल करने के शलए
बबना हानन लाभ के ककतनी इकाइयों का उत्पादों को बेचना जरूरी है. यह िह बबंद ु है जहााँ कारोबार
बबना लाभ, बबना हानन होगा.

7.17 ववत्तीय योजना क्या है ?


वित्तीय योजना करोबार के अन्य सभी भागों को – अिसरों पररचालन योजना, विपणन योजना,
प्रबंधन दल को अपेक्षक्षत वित्तीय पररणामों में बदलता है . इसमें ितिमान ल्स्थनत और कारोबार की
वित्तीय ननटपादन की भविटय के प्रोजेतिन िाशमल होते हैं. वित्तीय योजना िाशमल जोखखमों का
उत्तम आकलनों और ननिेि पर लाभ का द्योतक है. वित्तीय योजना में तीन वित्तीय क्षेत्रों पर
सामन्यत: चचाि की जाती है :

क. पाँज
ू ी आिश्यकता और वित्तीय पिनत
ख. नकदी प्रिाह वििरण सहहत वित्तीय प्रोजेतिन
ग. वित्तीय वििरण (ननिेि पर लाभ, आंतररक प्रनतफल दर, िि
ु ितिमान मप
ू य)

7.18 ‘बजट’ क्या है?


सभी नकदी स्रोतों और उनके ननयोजन का पि
ू ािनम
ु ान बजट है. बजट यह ननधािररत करने में मदद
करता है कक कैसे कोई व्यल्तत अपने ककतने धन को उसकी अथिा उसकी पहुाँच, कहां उपयोग
ककया जा सकता है और यहद वित्तीय लक्ष्य तया हाशसल हो सकेंगे, के बारे में बजट सहयता
करता है . यह नकद के कारोबार में आने ि उसके उपयोग और बाहर जाने के प्रिाह को दिािता है .
बजट के तीन मल
ू तत्ि है :

क. बबिी राजस्ि
ख. लागत
ग. लाभ

52
7.19 ककस तरह से कारोबार ववचार सक्ृ जत होते हैं?
ननहदि टट कारोबार अिसर की पहचान पण
ू त
ि या प्रनतकियात्मक प्रकिया है. कारोबार विचार आने के
शलए कुछ उपाय नीचे हदए गए हैं :

क. प्राथशमक उत्पादकों द्िारा सामना की गई समस्या के समाधान के शलए हदए गए विचार हो


सकते हैं. उदाहरण के शलए, बड़े बाजार में कृवि उत्पाद की सामहू हक बबिी बबचौशलया की भशू मका
को कम कर दे ती है और उत्पादकों को अच्छी कीमत हदलाना सनु नल्श्चत करती है . कृवि
ननविल्टटयों जैसे बीज, उििरक, कीटनािक आहद सामहू हक रूप से खरीदना और उत्पादकों को
बेचने से प्रनत इकाई लागत तो कम करती है बल्पक साथ ही ननविल्टटयों की गण
ु ित्ता भी
सनु नल्श्चत करती है.
ख. िह व्यापक मांग की पनू ति के शलए नए टे कनॉलॉजी या सामग्री का उपयोग हो सकती है.
ऐसे विचार ल्जससे कृवि सेिा केन्र के गठन हो सकता है, ल्जसमें रे तटर, पािर हटपलर,
रन्सप्लांटर, हािेस्टर, थ्रेिर, आहद छोटे ककसानों को ककराया पर दे ने से उत्पादन की लागत
कम होने के साथ साथ उत्पादकता िवृ ि करता है. इसी तरह, दग्ु ध उत्पादकों के शलए थोक
दग्ु ध िीतलीकरण इकाई को स्थावपत करना अच्छा कारोबारी विचार होगा.
ग. िप
ु क आधाररत विस्तार सेिा उपललध करने के शलए एग्री-ल्तलननक की स्थापना हो सकती
है .

7.20 ककस तरह से कारोबार अवसर और खतरों को पहचानेंगे ?


जब कुछ कारोबार विचार सल्ृ जत होते हैं, हर विचार को बाह्य कारोबार पररिेि के संबध
ं में कारोबार
अिसर और खतरों को पहचानने के शलए समीक्षात्मक रूप से मप
ू यांकन करना होगा. हर एक विचार
को मप
ू यांकन करना होगा कक यहद िह आगे बढ़ाया जा सकता है . हर एक विचार की अिसर और
खतरों की वििेिताओं के संबध
ं में विश्लेिण ननम्नानस
ु ार है :

क. बाजार की विस्तार
ख. ल्स्थरता यानन, उत्पाद के शलए मांग दीघाििधध या केिल अस्थायी है ?
ग. ितिमान समाधान से बाजार ककस हद तक असंतटु ट है
घ. प्रनतस्पधाि का स्तर, उच्च, मध्य स्तर या कम
र्. बाजार की मप
ू य और गण
ु ित्ता संिेदनिीलता
च. प्रिेि / ननगिम की अिरोध
छ. सल्लसर्ी, कम लागत ननधधयों की उपललधता, आहद संबध
ं ी सरकार की नीनतयों में पररितिन

7.21 आप जोखखम को ककस तरह से पहचानते और सरु क्षा उपलब्ध कराते है ?


जोखखम की पहचान और संभि सरु क्षा अिसर / जोखखम विश्लेिण का अननिायि भाग है . जोखखम को
परू ी तरह से शमटाना (जो कक असंभि प्रस्ताि) मकसद नहीं है मगर उन्हें पहचानने और यह आकलन
करना है कक तया उन्हें प्रबंधन या पररचालन लचीलापन के द्िारा उसे कम ककया जा सकता है . यहद
जोखखम या खतरे का प्रबंधन संभि नहीं है तो उस कारोबार के विचार को परू ी तरह छोड़ दें . कारोबार
53
आरं भ करने के बाद भी कारोबार पररिेि में आंतररक और बाह्य दोनों जोखखम बने रहते हैं. अत:
जोखखम आकलन प्रकिया और जोखखम ननिारण प्रणाली विकशसत करना महत्िपण
ू ि है.

इस प्रणाली की विकशसत करने की पााँच मख्


ु य कदम हैं.

क. यहद विघ्न हो तो प्रथम कदम यह है कक प्रकिया / कारकों को पहचाने और खाका तैयार करें
जो अजिन पर भारी प्रभाि र्ालेगा. उदाहरण के शलए, खराब मानसन
ू ििािधाररत क्षेत्रों में फसल
उत्पादन को गंभीर रूप से प्रभावित करता है ल्जससे पीओ की अजिन में बहुत अधधक रूप से
कमी होगी.
ख. द्वितीय कदम यह होगा कक महत्िपण
ू ि आधारभत
ू संरचनाओं को पहचानना – प्रकियाएं, संबध

लोग, विननयमों, संयत्र
ं और उपकरण सहहत – जो पीओ की अजिन क्षमता को सल्ृ जत करने में
सहायक होता है . उदाहरण के शलए, थोक दग्ु ध िीतलीकरण इकाई खराब हो जाने पर दध
ू का
परू ा स्टाक खराब हो जाएगा और बेकार हो जाएगा, इसके अलािा सप्लाइ चैन को प्रनतकूल रूप
से प्रभावित करे गा.
ग. तत
ृ ीय कदम होगा कक मख्
ु य कमजोररयों को पहचानना. ककसी घटना या जोखखम के कारण
प्रनतकूल प्रभािों को सामना न करने की ल्स्थनत ही कमोरी है. उदाहरण के शलए, भंर्ारण,
प्रसंस्करण और सामग्री का व्यापार नए अधधननयम के अन्तगित लाया जा सकता है , ितें लागू
ककया जा सकता, ल्जन पर अपपसच
ू ना के कारण पीओ को पालन करने में मल्ु श्कल होगी.
घ. चतथ
ु ि कदम होगी कक कमजोर कड़ी को पहचानें, ल्जस पर सभी अन्य तत्ि आधश्त हैं. उदाहरण
के शलए, सभी उत्पादकों के शलए एक ही खरीदने िाला होना, यह एक कमजोर कड़ी होगी.
र्. आखखरी कदम होगा कक जोखखम ननिारण के शलए योजनाबि पिनत विकशसत करना है . उदाहरण
के शलए, उद्यम ने कुछ मख्
ु य आधारभत
ू संरचना जैसे िीतलीकृत दध
ू को ले जाने के शलए
अनतररतत ररकिल्जरे टेर् िैन को िाशमल करने जैसे अनतररतत प्रयास ककए हैं.

7.22 माकेट मलंकेज के मलए सरकारी ववभागों से क्या सहायता उपलब्ध है ?


पीओ से उत्पाद की अधधमान्य प्राल्प्तयों के शलए कई राज्य सरकारों की योजनाएं हैं. उदाहरण के
शलए, छत्तीसगढ सरकार द्िारा प्रमाखणत बीजों की प्राल्प्त पीओ से की गई. सहायता प्रदान करने
िाली एजेंसी को संबधं धत सरकारों से उपयत
ु त सच
ू ना एकत्र करने के काबबल होना चाहहए.

7.23 माकेट मलंकेज के मलए कापोरे ट्स से ककस तरह की सहायता उपलब्ध है ?
कापोरे ्स को प्रसंस्करण और मप
ू य िवृ ि के शलए िांनछत गण
ु ित्तापण
ू ि उत्पाद की लगातार आपनू ति
की आिश्यकता है. अत: िे उनकी आिश्यकताओं को परू ा करने िाली कुछ उत्पादक संगठनों के साथ
संविदा करना चाहते है. साधारणत: ननम्न प्रकिया का पालन करें गे :

क. अधधप्राल्प्त के शलए पीओ से खुदरा गठजोड़.


ख. पीओ को कापोरे ्स द्िारा कृवि मिीनरी और ननविल्टटयों के शलए र्ीलरशिप दी गई है .

54
ग. कापोरे ्स पीओ को उनके उत्पादक को तैयार माल खरीद व्यिस्था के साथ प्राथशमक प्रसंस्करण
मिीनरी उपललध कराए हैं.

7.24 भारतीय खाद्य सरु क्षा और मानकीकरण प्राधधकरण (एफएसएसएआई) का क्या कायध है?

भारतीय खाद्य सरु क्षा और मानकीकरण प्राधधकरण (एफएसएसएआई) को खाद्य सरु क्षा और
मानकीकरण अधधननयम, 2006 के अंतगित स्थावपत ककया है ल्जसमें पि
ू ि में विशभन्न मंत्रालयों और
विभागों द्िारा प्रबंधधत खाद्य संबधं धत मद्द
ु ों के विशभन्न अधधननयमों और आदे िों को समेककत ककया
गया है . एफएसएसएआई को खाद्य सामग्री के शलए िैज्ञाननक आधाररत मानकों और मानि उपभोग
के शलए सरु क्षक्षत और पण
ू ि खाद्य की उपलल्लध सनु नल्श्चत करने के शलए उत्पादन, भंर्ारण, वितरण,
बबिी और आयात के ननयंत्रण के शलए गहठत ककया गया है . इसे ननम्नशलखखत कायों को ननटपाहदत
करने का दानयत्ि सौंपा गया :

क. खाद्य सामग्री से संबधं धत मानकों और मागिदििनों के शलए विननयमन बनाना और विशभन्न


मानकों के ननहदि टट उपयत
ु त प्रणाली को अधधसधू चत करना.
ख. खाद्य कारोबारों के शलए खाद्य सरु क्षा प्रबंधन के प्रमाणीकरण में लगी प्रमाणीकरण को मान्यता
दे ने िाले ननकायों के शलए प्रकिया और मागिदििन तैयार करना.
ग. प्रयोगिालाओं की मान्यता और मान्यता प्राप्त प्रयोगिालाओं के शलए प्रकिया और मागिदििन
तैयार करना.
घ. खाद्य सरु क्षा और पोिण संबध
ं ी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाि र्ालने िाली नीनत और ननयम तैयारी
संबध
ं ी मामलों में केन्र सरकार और राज्य सरकारों को िैज्ञाननक सच
ू ना और तकनीकी सहायता
प्रदान करना.
र्. खाद्य खपत संबध
ं ी र्ाटा को एकबत्रत और िमिार रखना, जैविक जोखखम की घटनाएं ि प्रसार,
खाद्य संदि
ू ण, खाद्य उत्पादों में विशभन्न दि
ू णकारी तत्िों के अििेि, आने िाले जोखखमों की
पहचान और िीघ्र चेतािनी प्रणाली को प्रारं भ करना.
च. दे ि में सच
ू ना नेटिकि का सज
ृ न ताकक जनता, उपभोतता, पंचायत, आहद को खाद्य सरु क्षा और
महत्िपण
ू ि मद्द
ु ों पर िीघ्र, विश्िसनीय और िस्तनु नटठ सच
ू नाएं शमले.
छ. खाद्य कारोबार में िाशमल हुए या इच्छुक व्यल्ततयों के शलए प्रशिक्षण कायििम संचाशलत करना
है .
ज. खाद्य, स्िच्छता और पैटोसेननटरी मानकों के शलए अंतरराटरीय तकनीकी मानकों के विकास को
योगदान दे ना.
झ. खाद्य सरु क्षा और खाद्य मानकीकरण के बारे में सामान्य जागरूकता बढ़ािा दे ना.

55
7.25 खाद प्रसंस्करण और ववपणन के मलए ककन अधधननयमों का पालन करना है ?

2011 में एफएसएसएआई ने अधधननयम बनाया है , ल्जसमें लाइसेंशसंग, खाद उत्पाद मानकीकरण,
पैकेल्जंग और लेबशलंग और खाद एडर्हटव्स को िाशमल ककया है . वििरण इन अधधननयमों के िेबसाईट
www.fssai.govin. पर दे खा जा सकता है. कुछ अधधननयमों को नीचे सच
ू ी में दी गई है :

क. एफएसएस (खाद्य कारोबार की लाइसेंशसंग और पंजीकरण) अधधननयम, 2011


ख. एफएसएस (पैकेल्जंग और लेबबशलंग) अधधननयम, 2011
ग. एफएसएस (खाद्य उत्पाद मानकीकरण और खाद्य एडर्हटव्स) अधधननयम, 2011
घ. एफएसएस (कन्टाशमनन्टस, टाल्तसन्स और अििेि) अधधननयम, 2011
र्. एफएसएस (बबिी पर ननिेध और प्रनतबन्ध) अधधननयम, 2011

7.26 एगमाकध क्या है ?

एगमाकि एक प्रमाणन धचह्न है , ल्जन्हें भारत में कृवि उत्पादों के शलए हदया जाता है , जो विपणन
और ननरीक्षण ननदे िालय, भारत सरकार के अशभकरण द्िारा अनम
ु ोहदत ननधािररत मानकों के अनरू
ु प
होते हैं. ितिमान में एगमाकि मानक 205 विशभन्न िस्तओ
ु ,ं ल्जसमें दालें, अनाज, आिश्यक तेल,
िनस्पती तेल, फल और सलजी, और िमीसेली जैसे अधि पररटकृत उत्पादों को िाशमल ककया गया है .

7.27 एगमाकध द्वारा कृवष उत्पादों पर ककस तरह का परीक्षण ककया जाता है ?

परीक्षण एगमाकि लेबरे टरीस द्िारा ककया जाता है ल्जसमें साबत


ु मसालों, मसालों, घी, माखन,
िनस्पती तेल, सरसों का तेल, िहद, खाद्य अन्न (गेहूाँ), गेहूाँ उत्पादों (आटा, सज
ू ी और मैदा), बेसन,
सोयाबीन बीज, चना, अदरख, खली, आिश्यक तेल, तेल और चबी, पिु खाल (केशसंग), मांस, और
खाद उत्पादों पर रसायननक विश्लेिण, माइिो बायलॉल्जकल विश्लेिण, कीटनािक अब िेि और
अफ्लाटॉल्तसन विश्लेिण करते हैं.

7.28 भारतीय जैव प्रमाण पत्र धचह्न क्या है ?

भारत में तैयार जैि खाद्य उत्पादों के शलए भारत जैि प्रमाण पत्र धचह्न हदया जाता है. प्रमाणन
धचह्न यह प्रमाखणत करता है कक यह जैि उत्पाद 2000 में स्थावपत जैि उत्पादों के शलए राटरीय
मानक का पालन ककया गया है .

क. उन मानकों में यह सनु नल्श्चत ककया जाता है कक यह उत्पाद या उत्पाद में इस्तेमाल ककया गया
कच्चा माल जैविक खेती के माध्यम से बबना रसायननक उििरकों, कीटनािकों, या हामोनस लगाए
बबना उगाया गया है . यह प्रमाणन भारत सरकार के राटरीय जैविक उत्पाद कायििम के तहत कृवि
और प्रसंस्करण खाद्य उत्पाद ननयाित विकस प्राधधकरण (एपीईर्ीए) द्िारा मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण
केन्रों द्िारा जारी ककए जाते हैं.
56
ख. यद्यवप मानक 2000 से प्रभािी है परन्तु प्रमाणन योजना गैर प्रमाणन धचह्न 2002 से प्रयोग
में आए.

7.29 शाकाहारी धचह्न क्या है ?

भारत में बबकने िाले डर्लबा बंद खाद्य उत्पादों के शलए आिश्यक है कक उन पर अननिायि रूप से
एक धचह्न लगा हो ल्जसके आधार पर उनकी िाकाहारी / मांसाहारी आहार के रूप में पहचान की
जा सके. यह धचह्न खाद्य सरु क्षा और मानदं र् (पैकेल्जंग और लेबशलंग) अधधननयम, 2006 के
अनस
ु रण में लगाया जाना है और ििि 2011 में संबधं धत विननयमािली ( खाद्य सरु क्षा और मानदं र्
(पैकेल्जंग ि लेबशलंग) विननयम तैयार ककए जाने के पश्चात े् इस धचह्न को अननिायि माना गया.
कानन
ू न, िाकाहारी आहार पदाथों पर हरा धचह्न और मांसाहारी आहार पदाथों पर भरू ा धचह्न होना
चाहहए.

7.30 भारतीय मानक ब्यरू ो (बीआइधएस) द्वारा उत्पादों का प्रमाणन क्या है?

भारतीय मानक लयरू ो अधधननयम, 1986 भारतीय संसद द्िारा पाररत एक अधधननयम के तहत
बनाया गया भारतीय मानक लयरू ो एक उत्पाद प्रमाणीकरण योजना चलाता है ल्जसके माध्यम से िह
कृवि से लेकर िस्त्र से लेकर इलेतरॉननतस तक प्राय: प्रत्येक औद्योधगक विधा के उत्पादकों को
लाइसेंस प्रदान करता है. इस प्रमाणीकरण के तहत लाइसेंस धारक प्रचशलत आईएसआई (ISI) धचह्न
का प्रयोग कर सकते हैं. आईएसआई (ISI) धचह्न भारतीय और पड़ोसी बाजारों में वपछले 55 ििों
से अधधक की अिधध से उत्पादों की गण
ु ित्ता का पररचायक माना जाता है. लयरू ो के पि
ू ि
ि ती भारतीय
मानक संस्था ने 1955 से उत्पाद प्रमाणीकरण योजना आरं भ की थी.

7.31 जोखखम ववश्लेषण वववेचनात्मक ननयंत्रण बबंद ु (एचएसीसीपी) क्या है ?

क. जोखखम विश्लेिण वििेचनात्मक ननयंत्रण बबंद ु (एचएसीसीपी) एक प्रकिया ननयंत्रण प्रणाली है


ल्जसके द्िारा खाद्य उत्पादन में सक्ष्
ू मजीिों के संिमण और अन्य खतरों को पहचाना और
उनसे बचा जा सकता है. इसकी प्रकिया इस प्रकार से तैयार की गई है कक िे ककसी समस्या के
उभरने से पहले ही उसे रोक सकें. िैज्ञाननक और अंतरराटरीय संस्थाएं इस प्रकार के ननरोधक
ननयंत्रण प्रणाली ि तत्संबध
ं ी दस्तािेजीकरण और प्रमाणीकरण को, सरु क्षक्षत भोजन के उत्पादन
के शलए सििश्ेटठ रूप से प्रभािी प्रणाली मानते हैं.
ख. एचएसीसीपी में जोखखम की पहचान, प्रत्येक चरण में , जैसे खाद्य पदाथें के शलए कच्चे माल
के अधधप्रापण, विननमािण, संवितरण, उपयोग में जोखखम के उभरने के मौकों और जोखखम से
सरु क्षा के उपायों को पररभावित करने के शलए एक प्रणालीबि दृल्टटकोण अपनाया गया है . इस
प्रकार, ननरीक्षण दृल्टटकोण के तहत पाइि गइि प्रमख
ु कशमयों को रोका जा सका है और इस प्रकार
एचएसीसीपी के माध्यम से केिल सक्ष्
ू म जीिों के परीक्षण पर ननभिरता की कमी से बचा जा
सका है .

57
ग. एचएसीसीपी द्िारा खाद्य पदाथों की सरु क्षा हे तु तकनीकी संसाधनों के प्रभाििाली और ककफायती
रूप में उपयोग ककए जाने में खाद्य पदाथों के उत्पादकों, प्रसंस्करणकतािओ,ं संवितरकों, ननयाितकों
आहद को सहायता प्रदान की जाती है . इसके साथ ही खाद्य ननरीक्षण अधधक सव्ु यिल्स्थत और
सरल होता है. िस्तत
ु : इसमें आरं शभक रूप में अनतररतत धन लगाया जाना होगा ककं तु लम्बे
समय में लगातार बेहतर गण
ु ित्ता और इसके पररणामस्िरूप बेहतर मप
ू यों और लाभों की प्राल्प्त
के कारण इस ननिेि से कोइि हानन नहीं होगी.

7.32 केंरीय खाद्य प्रौद्योधगक अनस


ु ध
ं ान संस्थान (सीएफटीआरआइध), मैसरू की भमू मका क्या है ?

केंरीय खाद्य प्रौद्योधगक अनस


ु ध
ं ान संस्थान (सीएफटीआरआइि), मैसरू (िैज्ञाननक और औद्योधगक
अनस
ु ध
ं ान पररिद की एक घटक प्रयोगिाला है . इसकी स्थापना 1950 में हुइि और इसका श्ेय इसके
संस्थापकों और समवपित िैज्ञाननकों के एक उत्साही समह
ू को जाता है ल्जन्हें खाद्य विज्ञान और
प्रौद्योधगकी में गहन िोध और विकास में गहरी रुधच थी. सीएफटीआरआइि एक ISO 9001:2008
और ISO 14001:2004 संस्था है और इसे राटरीय परीक्षण और अंििोधन प्रयोगिाला प्रत्यायन
बोर्ि (एनएबीएल) से सैंपलों के रसायननक और जैविक परीक्षणों के शलए मान्यता (एकिडर्टे िन) प्राप्त
है .

7.33 समधु चत प्रौद्योधगकी प्राप्त करने के मलए कौन सी व्यवस्थाएं की जानी चाहहए?

उत्पादक संगठनों को अपने व्यापार और संगठन को चलाने के शलए प्रौद्योधगकी आधाररत उपकरणों
/ प्लांट ि मिीनरी की आिश्यकता होगी. आरं शभक स्तर पर उत्पादक संगठन, उत्पादों के प्रारं शभक
प्रसंस्करण के बबना, केिल उत्पादों के संग्रहण का ही कायि करते हैं, ककं तु इस स्तर पर भी संगठन
को अपनी िस्त-ु सच
ू ी के प्रबंधन, रसीदों को जारी करने और कायािलय प्रिासन को सच
ु ारू रूप से
चलाने के शलए उन्हें कम्प्यट
ू र शसस्टम और वप्रंटरों की आिश्यकता होगी. उत्पादों के िैज्ञाननक
भंर्ारण और प्रबंधन के शलए िैज्ञाननक गोदामों, सरु क्षा उपकरणों आहद की आिश्यकता होगी.
प्रौद्योधगकी प्राप्त करने के शलए ननम्नशलखखत मदों का ध्यान रखना होगा:

क. प्रौद्योधगकी का जीिन-चि – कंप्यट


ू र शसस्टमों का जीिन-चि लगभग तीन ििों का है जबकक
ककसी ग्रेर्र / सेपेरेटर का जीिन-चि 10 ििि हो सकता है . छोटे जीिन-चि िाली प्रौद्योधगकी
के शलए बेहतर होगा कक निीनतम िजिन शलए जाएं.
ख. लागत – निीनतम प्रौद्योधगकी अननिायि रूप से अधधक महं गी होगी. अत: बेहतर होगा कक ऐसी
समधु चत प्रौद्योधगकी प्राप्त करने का प्रयास ककया जाए जो कक कम महं गी हो.
ग. प्रनतस्पधाि – यहद बजार के अन्य खखलाड़ी, निीनम प्रौद्योधगकी का उपयोग करते हुए बेहतर
उत्पाद तैयार कर सकते हैं, तो उत्पादक संगठनों के शलए आिश्यक है कक िे बाजार की
प्रनतस्पधाि में बने रहने के शलए उसी प्रौद्योधगकी या उससे बेहतर प्रौद्योधगकी का उपयोग करें .
कम आकििक उत्पादों की बबिी उतनी अच्छी नहीं होगी.

58
घ. स्रोत – आपनू तिकताि संस्था की साख और उनका अनभ
ु ि भी प्रौद्योधगकी प्राप्त करने में एक
महत्िपण
ू ि मद्द
ु ा है. अपरीक्षक्षत तकनीकों और नइि प्रौद्योधगकी कंपननयों के कारण अनतररतत
जोखखम हो सकता है. हो सकता है कक ये नइि तकनीकें समधु चत रूप से कायि न करें ; संबधं धत
कंपनी, प्रौद्योधगकी के प्राप्त होने के तीन या पांच ििों के बाद आिश्यक सहायता उपललध न
करा सके.
7.34 प्रौद्योधगकी के मख्
ु य स्रोत क्या हैं?

कइि आइिसीएआर संस्थाएं, राज्य कृवि विश्िविद्यालय और केिीके समधु चत प्रौद्योधगकी प्राप्त करने
में उत्पादक संगठनों की सहायता करते हैं. खाद्य प्रसंस्करण से संबधं धत प्रौद्योधगकी के शलए
सीएफटीआरआइि, मैसरू एक महत्िपण
ू ि स्रोत है. इसी प्रकार कइि औद्योधगक प्रौद्योधगककयों के शलए
सीएसआइिआर संस्थाएं महत्िपण
ू ि स्रोत की भशू मका ननभाती हैं. इसके अनतररतत, उद्योग संघ, पण्य
बोर्ि, सरकारी विभाग भी तकनीकी परामिि के प्रमख
ु स्रोत है . उत्पादक संगठन, प्रौद्योधगकी और
उसके वििेता के संबध
ं में अंनतम ननणिय लेने से पहल, ल्जतने चाहे उतने स्रोतों से जानकारी प्राप्त
कर सकते हैं. पि
ू -ि आयोजना, िेड्यशू लंग और सामहू हक िय (सभी संबधं धत उपकरणों का एक साथ
िय) से लागत में कमी होगी और साथ ही व्यापार का पररचालन भी और अधधक सव्ु यिल्स्थत हो
सकेगा. सही समय पर सप
ु द
ु ि गी (जस्ट-इन-टाइम डर्लीिरी), थोक मप
ू य का नाप तौल (ननगोशियेटर्
बपक प्राइल्िंग) और आजीिन निीकरण खंर् का समापन (एंर्-ऑफ-लाइफ ररन्यअ
ू ल ितें) नइि
प्रौद्योधगकक के अधधप्रापण में आिश्यक हैं.

7.35 क्या उत्पादक संगठन शोध संस्थानों के साथ ट्ववननंग व्यवस्था में शाममल हो सकते हैं?

कइि िोध संस्थान और प्रौद्योधगकी के आपनू तिकताि, उत्पादक संगठन को ्विननंग व्यिस्था उपललध
करा सकते हैं. इस व्यिस्था के अंतगित, िोध संस्थान द्िारा उत्पादक संगठन के स्टाफ को हैंर्-
होल्पर्ंग सहायता प्रदान करने और उनकी प्रौद्योधगक और प्रबंधकीय क्षमता ननमािण हे तु अपने
अनभ
ु िी व्यल्ततयों को ननरं तर उत्पादक संगठन में ननयत
ु त ककया जाता है. िोध संस्थान की
ल्जम्मेदाररयों में ननम्नशलखखत मदें िाशमल हैं:

क. स्टाफ का क्षमता ननमािण


ख. उपयत
ु त प्रबंधकीय प्रणाली की रूपरे खा तैयार करना और उसका कायािन्ियन
ग. तकनीकी सेिा और परामिि प्रदान करने की क्षमता विकशसत करना
घ. क्षमता ननमािण हे तु कोसों और पाठ्यिमों की रूपरे खा तैयार करना.
र्. विशिटट कहठनाइयों के समाधान के शलए आिश्यक व्यािहाररक िोध.
च. उत्पादक संगठन के कायि-ननटपादन और राटरीय संदभि मानक (बेंचमाकि) के बीच के अंतराल को
परू ा करना.

59
7.36 ट्ववक्न्नंग व्यवस्था के माध्यम से शोध संस्थान, पण्य बोडध और के वी के ककस प्रकार से
उत्पादक संगठनों की सहायता करें ग?

्विननंग सहयोगी के रूप में ये संस्थाएं उत्पादक संगठनों के शलए तकनीकी गाइर् की भशू मका ननभा
सकती हैं. साििजननक क्षेत्र की कुछ संस्थाएं अपनी सेिाएं नन:िप
ु क या नाम मात्र के िप
ु क पर
उपललध कराती हैं, ननजी प्रौद्योधगकी कंपननयों को पयािप्त िप
ु क अदा ककया जाना होगा. सामान्यत:,
्विल्न्नंग पाटि नर द्िारा ननम्नशलखखत सेिाएं प्रदान की जाती हैं:

क. उपललध प्रौद्योधगकी का मप
ू यांकन और सबसे अधधक उपयत
ु त प्रौद्योधगकी के बारे में सलाह
ख. प्रौद्योधगकी के अधधप्रापण हे तु विननदे िन ननधािररत करना.
ग. प्रौद्योधगकी वििेताओं और उनके तकनीकी और वित्तीय ननविदाओं/ कोटे िनों का मप
ू यांकन
घ. उत्पादक संगठन के स्टाफ को प्रौद्योधगकी के उपयोग में प्रशिक्षण प्रदान करना
र्. आरं शभक दौर में उत्पादक संगठन में अपने तकनीकी वििेिज्ञ को प्रनतननयत
ु त करना ताकक
संगठन के पररचालन संबध
ं ी कायों से जुड़े स्टाफ को हैंड्स-ऑन प्रशिक्षण प्रदान ककया जा सके.
च. उत्पादक संगठन के स्टाफ को ननयशमत रूप से मरम्मत और रखरखाि के कायि में प्रशिक्षण
प्रदान करना
छ. उत्पदाक संगठन को स्थानीय, राटरीय और अंतरािटरीय बाजारों तक पहुंचने में सहायता प्रदान
करना.
ज. उत्पादक संगठन के समक्ष आने िाली विशिटट कहठनाइयों के समाधान के संबध
ं में सच
ू ना
7.37 उत्पादक संगठनों को सहायता प्रदान करने में कापोरे टों की भमू मका क्या हो सकती है ?

कापोरे ट संस्थाएं अपनी सीएसआर गनतविधधयों के माध्यम से उत्पादक संगठनों को वित्तीय और


तकनीकी सहयोग प्रदान कर सकते है ा. इसमें ननम्नशलखखत को िाशमल ककया जा सकता है:

क. उत्पादकों को बेहतर प्रौद्योधगकी में प्रशिक्षक्षत करना और उनका क्षमता ननमािण


ख. सामान्य आधारभत
ू सवु िधा हे तु सहायता उपललध कराना
ग. उत्पादक संगठनों को कृवि ननविल्टटयों की थोक में आपनू ति.
घ. प्रौद्योधगकी, संयत्र
ं और मिीनरी के अधधप्रापण हेतु सहायता प्रदान करना
र्. बाजार द्िारा ननधािररत मानदं र्ों को परू ा करने हे तु सहायता प्रदान करना.
छ. उत्पादक संगठनों से, प्रसंस्करण हे तु उत्पादों का थोक में िय.
ज. उत्पादों के विपणन में उत्पादक संगठन के साथ सहयोग करना

60
7. 38 ग्रामीण ववकास मंत्रालय, कृवष मंत्रालय, एनएचएम आहद से ककतनी सक्ब्सडी उपलब्ध है ?
# योजना का नाम सक्ब्सडी की सामान्य पात्र व्यक्क्त / संस्थाएं वेबसाइधट
प्रकृनत
1 ग्रामीण गोदामों का ऋण से संबि - अंत में अलग-अलग व्यल्तत, Agricoop.nic.in
ननमािण दी जाने िाली सल्लसर्ी व्यल्ततयों का समह
ू ,
(25 से ककसानों के पंजीकृत
33.33%) उत्पादक संगठन, साझेदारी
/स्िाशमत्ि संस्थाएं /
कॉपोरे ्स. स्ियं सहायता
समह
ू / गैर सरकारी
संगठन, सरकारी स्िायत्त
ननकाय
2 कृवि विपणन की ऋण से संबि - अंत में - िही - Agricoop.nic.in
आधारभत
ू सवु िधाएं, दी जाने िाली सल्लसर्ी
ग्रेडर्ंग और मानकीकरण
सवु िधाओं का विकास और
सदृ
ु ढीकरण
3 एग्री ल्तलननक और एग्री ऋण से संबि - अंत कृवि स्नातक और अन्य www.
बबजनेस केंर में दी जाने िाली (हदिाननदे िों का संदभि लें) Agriclinics. net
सल्लसर्ी (36 से 44%)
4 र्ेयरी उद्यशमता विकास ऋण से संबि - अंत ककसान, एकल उद्यमी, dahd.nic.in
योजना (र्ीइिर्ीएस) में दी जाने िाली असंगहठत और संगहठत
सल्लसर्ी (25 से क्षेत्र के समह
ू . संगहठत क्षेत्र
33.33%) एकल के समह
ू में स्ियं सहायता
उत्पादक योजना का समह
ू , र्ेयरी सहकारी
लाभ ले सकते हैं. सशमनतयां, शमपक यनू नयन,
शमपक फेर्रे िन
5 राष्ट्रीय बागवानी ममशन nhm.n
ic.in
नसिरी ऋण से संबि - अंत में अलग-अलग व्यल्तत
दी जाने िाली सल्लसर्ी
अधधकतम
50 %
नसिरी अंत में दी जाने िाली सहकारी सशमनतयां /
सल्लसर्ी अधधकतम पंजीकृत सशमनतयां / न्यास
50 % ( ऋण से और िाशमल कंपननयां
संबि होना आिश्यक
नहीं है )

61
िनस्पनत बीज उत्पादन ऋण से संबि - अंत में अलग-अलग व्यल्तत –
दी जाने िाली सल्लसर्ी अधधकतम 5 हे तटे .
अधधकतम
50 %
िनस्पनत बीज उत्पादन अंत में दी जाने िाली सहकारी सशमनतयां /
सल्लसर्ी अधधकतम पंजीकृत सशमनतयां / न्यास
50 % ( ऋण से और िाशमल कंपननयां
संबि होना आिश्यक
नहीं है )
नए बगीचों की स्थापना
फल ( बारहमासी ) ऋण से संबि - अंत में अलग-अलग व्यल्तत –
दी जाने िाली सल्लसर्ी अधधकतम 4 हे तटे .- ितों
अधधकतम और ननबंधनों की अधीन
75 % होगी
फल (मौसमी) ऋण से संबि – अंत में अलग-अलग व्यल्तत –
दी जाने िाली सल्लसर्ी अधधकतम 4 हे तटे . – ितों
अधधकतम और ननबंधनों के अधीन
50 % होगी
कट फ्लािर सामान्य क्षेत्रों में ओएफ ननधािररत लागत मानदं र्ों के
के शलए 25%, छोटे अधीन
ककसान /सीमांत ककसानों
के शलए और पि
ू ोत्तर
क्षेत्र / हहमालयन राज्यों
के शलए 50%
मसाले और सगंध पौधे सामान्य क्षेत्रों के 40% ननधािररत लागत मानदं र्ों के
ककसान, पि
ू ोत्तर क्षेत्र / अधीन
हहमालयन राज्यों के
शलए 50%
6 खाद्य प्रसंस्करण Mofpi.nic.in

कोपर् चेन – बागिानी से सहायता / लयाज अलग-अलग व्यल्तत या


इतर सल्लसर्ी में अनद
ु ान उद्यशमयों के समह
ू , संगठन
जैसे सरकारी / साििजननक
क्षेत्र / संयक
ु त उपिम / गैर
सरकारी संगठन / सहकारी
संस्थाएं / स्ियं सहायता
समह
ू / ननजी क्षेत्र की
कंपननयां और ननगम

62
प्राथशमक प्रसंस्करण केंर – 50 % से 75% अलग-अलग उद्यमी/
यह योजना बागिानी और अनद
ु ान सहायता ककसान, उद्यशमयों /
गैर बागिानी उत्पादों जैसे ककसानों के समह
ू ,
फल, सल्लजयां, अन्न, दालें, असोशसएिन, सहकारी
र्ेयरी उत्पाद, मांस, मग
ु ी सशमनतयां, स्ियं सहायता
और मछली आहद. के शलए समह
ू , गैर सरकारी संगठन
लागू है .
ररफर िाहन – बागिानी अधधकतम `50 लाख अलग-अलग उद्यमी,
और गैर बागिानी उत्पादों तक के नए ररफर िाहनों साझेदारी फमें, पंजीकृत
को लाने और ले जाने के /चलते कफरते प्री कुशलंग सशमनतयां, सहकारी संस्थाएं,
शलए स्टै ण्र् अलोन ररफर िैन की लागत के 50% गैर सरकारी संगठन, स्ियं
िाहन/नों (ररफर इिकाइ ऋण से संबि अंत में दी सहायता समह
ू , कंपननयां
और िाहन पर स्थायी रूप जाने िाली अनद
ु ान और ननगम
से बबठाए गए कैबबनेट) सहायता
और चलते कफरते प्री
कुशलंग िाहनों खरीद

63
अध्याय-8
ववत्तीय प्रबंधन

8.1 शेयर पँज


ू ी ककसे कहते हैं?
िेयर पाँज
ू ी अथिा इल्तिटी िह राशि है , जो उन समस्त िेयर धारक सदस्यों (कृिक उत्पादकों/कृिक
उत्पादकों के संस्थानों) द्िारा कम्पनी/सोसाइटी को उनके िेयरों के शलए ककये गये भग
ु तानों का कुल जोड़
होती है . यह एक तरह से समह
ू के प्रनत सदस्य की प्रनतबध्दता को दिािती है और समह
ू में प्रत्येक
सदस्य के हहत (स्टे क) को पररभावित करती है . एक उत्पादक कम्पनी में , इसके अंतगित शसफि इल्तिटी
िेयर ही िाशमल होंगे.

8.2 उत्पादक संगठनों के मामले में इक्क्वटी शेयर पँज


ू ी के ववशेष पहलू क्या हैं?

क) िेयर मप
ू य और प्रनत सदस्य िेयरों की संख्या का अंनतम ननणिय करते समय, आधथिक रूप से
िंधचत िेयर धारकों की भग
ु तान क्षमता को भी ध्यान में रखा जाना चाहहए.
ख) कम्पनी अधधननयम के अंतगित प्रनत सदस्य िेयरों की संख्या पर कोई प्रनतबंध नहीं है .
ग) यह सझ
ु ाि हदया जाता है कक सदस्यों के पास बराबर संख्या में िेयर हों, ल्जससे उत्पादक कम्पनी
की संरचना में िल्तत संतल
ु न बना रहे .
घ) िेयर वितररत करने के मानदण्र्ों का संस्था के अंतननियम में उपलेख ककया जाना चाहहए.
ङ) पात्र सामद
ु ानयक सदस्य सदस्यता आिेदन फामि (अधधननयम में ननधािररत) के माध्यम से ननदे िक
मंर्ल को आिेदन करें गे. आम सभा िह अंनतम प्राधधकारी है , जो सदस्यता आिेदन फामि को अनम
ु ोहदत
अथिा रद्द कर सकती है .
च) िेयर धारक कम्पनी की प्राधधकृत पाँज
ू ी और प्रत्येक िेयर के मप
ू य का अंनतम ननधािरण करें ग.े
छ) उत्पादक कम्पनी में सदस्यों को िेयर पाँज
ू ी का अंतरण सीशमत होता है .
ज) िेयर धारकों के माध्यम से एकबत्रत की गई राशि का उपयोग पंजीकरण और प्रोसेशसंग से संबधं धत
व्ययों, जैसे - कम्पनी सेिेटरी की फीस, लेखन सामग्री, यात्रा व्यय आहद के शलए ककया जा सकता है .
लेखा बहहयों में इसको िेयर पाँज
ू ी से ऋण के रूप में दिािया जा सकता है . कम्पनी द्िारा व्यिसाय के
माध्यम से संसाधन जुटाये जाने पर, इसकी चुकौती की जा सकती है .
झ) उत्पादक कम्पनी बनाने के शलए उत्पादकों की अपेक्षक्षत न्यन
ू तम संख्या 10 है , जबकक अधधकतम
सदस्य संख्या की कोई सीमा तय नहीं है और इसे संभाव्यता एिं जरूरत के अनस
ु ार बढ़ाया जा सकता
है .
ञ) उत्पादक कम्पनी में सरकार या ननजी क्षेत्र का कोई इल्तिटी हहत (स्टे क) नहीं हो सकता है ,
ल्जसका ननहहताथि यह है कक उत्पादक कम्पनी पल्ललक या र्ीम्र् पल्ललक शलशमटे र् कम्पनी नहीं बन
सकती है .

8.3 प्राधधकृत पँज


ू ी ककसे कहते हैं ?
प्राधधकृत पाँज
ू ी िह पाँज
ू ी है , ल्जसे कम्पनी/संगठन संस्था के अंतननियमों / संस्था के बहहिननयमों के माध्यम
से इल्तिटी िेयर के रूप में जुटाने हे तु प्राधधकृत है . उत्पादक कम्पनी के ननगमन के समय न्यन
ू तम
प्राधधकृत पाँज
ू ी `5 लाख तय की गई है .

64
8.4 ननगधममत पँज
ू ी ककसे कहते हैं ?
ननगिशमत पाँज
ू ी िह िेयर पाँज
ू ी है , जो िेयर धारक सदस्यों को उनके नाम से जारी की जाती है .

8.5 प्राधधकृत पँज


ू ी को बढाने की प्रकिया क्या है ?

क) कम्पनी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, प्राधधकृत पाँज


ू ी को बढाया जा सकता है . इसके शलए
कम्पनी की आम सभा में साधारण संकपप पाररत करके नये िेयर सल्ृ जत ककये जा सकते हैं. यह
साधारण संकपप ितिमान िेयर धारकों को अनतररतत िेयर लेने के शलए बाध्य नहीं कर सकता है .
ख) इस पररितिन से कम्पनी की ननगिशमत पाँज
ू ी पर प्रभाि नहीं पड़ता है .
ग) कम्पनी के अंतननियमों में यह अधधकार हदया जाना चाहहए. यहद ऐसा नहीं है तो समधु चत रूप
से संिोधन ककया जाना चाहहए.
घ) इन पररितिनों के शलए रल्जस्रे िन की फीस दे नी होगी और िेयर पाँज
ू ी में िल्ृ ध्द संबध
ं ी नोहटस
िेयर पाँज
ू ी में िल्ृ ध्द संबध
ं ी संकपप पाररत होने के 30 हदन के भीतर, इसे प्रस्तत
ु करने की फीस सहहत,
फामि नं.5 में प्रस्तत
ु की जानी चाहहए.
ङ) संिोधन अंतननियमों और बहहिननयमों की प्रत्येक प्रनत पर संिोधन दिािये जाने चाहहए.

8.6 शेयरों को बड़ी/छोटी रामश में समेककत/ववभाक्जत/ननरस्त करने की प्रकिया क्या है ?

क) िेयरों को बड़ी/छोटी राशि में समेककत/विभाल्जत/ननरस्त करने के शलए, सििप्रथम, इस पर ननदे िक


मंर्ल की बैठक में विचार और अनम
ु ोदन ककया जाना चाहहए. इसी बैठक में, आम सभा की तारीख/समय
और आिश्यक संकपपों एिं वििरणात्मक वििरणों सहहत बैठक की नोहटस को भी अंनतम स्िरूप हदया
जाना चाहहए और अनम
ु ोहदत ककया जाना चाहहए.
ख) आम सभा में -
-आिश्यक संकपप पाररत ककया जाना चाहहए.
- संकपप पाररत होने के बाद, 30 हदन के भीतर फामि सं.23, और अधधननयम की अनस
ु च
ू ी-X में ननधािररत
प्रस्तत
ु करने की फीस एिं अनल
ु ग्नकों सहहत रल्जस्रार,कम्पनी को प्रस्तत
ु ककया जाना चाहहए.
ग) समेककत/विभाल्जत करने के मामले में ,सदस्यों के रल्जस्टर में समधु चत प्रविल्टट करने के बाद,सदस्यों
को मौजूदा िेयर सटीकफकेट के स्थान पर नये िेयर सटीकफकेट अिश्य जारी ककये जाने चाहहए. िेयरों
के ननरस्तीकरण के मामले में , अधधननयम की अनस
ु च
ू ी-X में ननधािररत प्रस्तत
ु करने की फीस सहहत एक
नोहटस रल्जस्रार,कम्पनी को प्रस्तत
ु ककया जाना चाहहए.

8.7 पँज
ू ी घटाने की प्रकिया क्या है ?
क) कम्पनी उन िेयरों को ननरस्त करके, जो ननगित नहीं ककये गये है अथिा ल्जनको जारी ककये जाने
हे तु सहमनत नहीं है , अपनी प्राधधकृत पाँज
ू ी अथिा सांकेनतक (नाशमनल) पाँज
ू ी को घटा सकती है (ककं तु
ननगिशमत पाँज
ू ी को नहीं), बिते कक कम्पनी के अंतननियम इस प्रकार के ननरस्तीकरण के शलए प्राधधकार
प्रदान करते हों.

65
ख) यह हास प्रभािी ककया जाये और इसके बाद, 30 हदन के भीतर इसे फामि सं.5 में रल्जस्रार, कम्पनी
को प्रस्तत
ु ककया जाना चाहहए.
ग) इस बात को अिश्य नोट ककया जाये कक बाद में कम्पनी द्िारा आम सभा में साधारण संकपप पाररत
करके अपनी सांकेनतक पाँज
ू ी को बढ़ाने पर, उतत संकपप के कारण प्रभाि पड़ेगा.
घ) हास की इस ल्स्थनत में , ननरस्त ककये गये िे िेयर, जो कभी ककसी को ननगित/आबंहटत नहीं ककये
गये, समाप्त हो जाते हैं.

8.8 बोनस शेयर जारी करने की प्रकिया क्या है ?

क) कोई भी उत्पादक कम्पनी ननदे िक मंर्ल की अनि


ु स
ं ा से और आम सभा में संकपप पाररत करके,
इस प्रकार के िेयर ननगित करने की तारीख को, सदस्यों के पास मौजूद् िेयरों के अनप
ु ात में , सामान्य
ररजिि से राशियों के पाँज
ू ीकरण के माध्यम से बोनस िेयर ननगित कर सकती है .
ख) प्रस्तावित बोनस िेयर कम्पनी की प्राधधकृत पाँज
ू ी की सीमा के भीतर होने चाहहए.
ग) यहद ऐसा नहीं है , तो संस्था के बहहिननयमों के पाँज
ू ी-खंर् में संिोधन करके प्राधधकृत पाँज
ू ी को बढ़ाने
के शलए आिश्यक कारि िाई की जानी चाहहए.
घ) इस बारे में , विधधित े् आहूत आम सभा में संकपप पाररत ककया जाना चाहहए और अपेक्षक्षत दस्तािेजों
और फीस के साथ 30 हदनों के भीतर रल्जस्रार को भेजा जाना चाहहए.
ङ) यहद कम्पनी ने मीयादी ऋण दे ने िाली संस्थाओं से कोई ऋण शलया है , तो संबधं धत संस्था से मीयादी
ऋण करार के अनस
ु ार अनम
ु नत लेनी होगी.
च) इस बारे में फामि-2 अपेक्षक्षत फीस के साथ 30 हदनों के भीतर रल्जस्रार को भेजा जाना चाहहए.

8.9 क्या एक उत्पादक कंपनी अपने सदस्यों को ऋण दे सकता है ?

बोर्ि, अंतननियमों में ककए गए प्रािधानों के अंतगित ननम्न प्रकार से उत्पादक कंपनी के सदस्यों को वित्तीय
सहायता प्रदान कर सकता है :

क. िेडर्ट की सवु िधा - कंपनी के कारोबार के संबध


ं में ककसी भी सदस्य को उधार की सवु िधा दी
जा सकती है ल्जसकी अिधध छह महीने से अधधक की नहीं होगी.
ख. ऋण और अधग्रम,
ककसी भी सदस्य को अंतननियमों मे विननहदि टट की गई प्रनतभनू त के समक्ष ऋण और अधग्रम
हदया जा सकता है जो ऋण या अधग्रम के संवितरण की तारीख से ककसी अिधध के शलए, परं तु
सात ििि से अधधक नहीं, के भीतर चक
ु ौती योग्य होगा.
8.10 क्या एक पंजीकृत सोसायटी अपने सदस्यों को ऋण दे सकती है?

एक पंजीकृत सोसायटी केिल अपने सदस्यों को ऋण दे सकती है . हालांकक, यह रल्जस्रार की अनम


ु नत से
एक और पंजीकृत सोसायटी को ऋण दे सकती है [धारा 29(1)] असीशमत दे यता के साथ एक सोसायटी
रल्जस्रार की मंजूरी के बबना चल संपल्त्त की प्रनतभनू त के समक्ष ऋण प्रदान नहीं कर सकती है [धारा
29(1)] राज्य सरकार, एक सामान्य या वििेि आदे ि जारी करके ककसी पंजीकृत सोसायटी या ककसी

66
पंजीकृत सोसायटी के िगि द्िारा अचल संपल्त्त के बंधक पर ऋण प्रदान को ननिेध या प्रनतबंधधत कर
सकती है .

8.11 क्या एक उत्पादक कंपनी अन्य कंपननयों में ननवेश कर सकती है ?

ककसी भी उत्पादक कंपनी की सामान्य ननधधयां सरकार या सहकारी संस्था या अनस


ु धू चत बैंक द्िारा
जारी ककए गए अनम
ु ोहदत प्रनतभनू तयों, मीयादी जमाओं, इकाइयों और बांर् से या ककसी भी अन्य ननधािररत
विधध से, उपललध उच्चतम ररटनि पर ननिेि की जानी चाहहए.

क. एक उत्पादक कंपनी ककसी अन्य एक उत्पादक कंपनी के िेयरों का अधधग्रहण कर सकती


है .

ख. यह उत्पादक कंपनी एक वििेि प्रस्ताि पाररत करके, उत्पादक कंपनी के उद्देश्यों के संिधिन के शलए िेयर
पज
ूं ी में अशभदान कर सकती है या चाहे उसकी सहायक कंपनी, संयत
ु त उद्यम के गठन के माध्यम से
या ककसी कॉपोरे ट के साथ ककसी भी अन्य तरीके से, ककसी समझौते या अन्य व्यिस्था में िेयर पज
ंू ी
में अशभदान कर सकती है.
ग. कोई उत्पादक कंपनी स्ियं के द्िारा या अपनी सहायक कंपननयों के साथ शमल कर उत्पादक कंपनी के
अलािा अन्य ककसी भी अन्य कंपनी के िेयरों का अशभदान, खरीद या अन्य प्रकार से ननिेि कर सकती
है जो अपनी प्रदत्त पज
ूं ी और आरक्षक्षत ननधधयों के 30% से अधधक नहीं होगा. हालांकक, केन्र सरकार
के पि
ू ि अनम
ु ोदन के साथ, एक वििेि संकपप पाररत करके उत्पादक कंपनी भी अपनी चुकता पज
ूं ी और
मत
ु त आरक्षक्षत ननधधयों के कुल 30% से अधधक का ननिेि भी कर सकती है .
घ. उत्पादक कंपनी द्िारा ऐसे सभी प्रयोजनों के शलए ननिेि ककए जा सकते हैं जो उत्पादक कंपनी के उद्देश्यों
के साथ संगनत रखते हों.
ङ. उत्पादक कंपनी, अपने पंजीकृत कायािलय में एक रल्जस्टर का रख–रखाि करे गी ल्जसमें सभी ननिेिों के
लयौरे , िेयर अधधग्रहण करनेिाले कंपननयों के नाम, िेयरों की संख्या और मप
ू य अधधग्रहण की तारीख,
बाद में ल्जस ढं ग से ककसी भी िेयर का ननपटारा ककया गया है और उसकी कीमत आहद से संबधं धत
लयोरे सल्म्मशलत ककए जाएंगे. यह रल्जस्टर ककसी भी सदस्य द्िारा ननरीक्षण के शलए खुला होगा.
8.12 क्या सामान्य और आरक्षक्षत ननधधयों का रख-रखाव करना आवश्यक है ?
क. हर उत्पादक कंपनी अंतननियमों में विननहदि टट ककए गए अनस
ु ार ककसी भी ररजिि के अलािा हर
वित्तीय ििि में एक सामान्य ररजिि रखेगा.
ख. उत्पादक कंपनी के पास ककसी भी वित्तीय ििि में अंतननियमों में विननहदि टट ररजिि बनाए रखने
के शलए अंतरण के शलए पयािप्त धन न होने के मामले में , उसी ििि कारोबार में उनके संरक्षण के
अनप
ु ात में सदस्य आपस में िेयर करके अंिदान करें गे (पेरोनेज).
8.13 क्या उत्पादक कंपनी को लेखा बहहयों का रखरखाव करना आवश्यक है ?
क. प्रत्येक कंपनी को सभी लेनदे न के शलए लेखा बहहयों का रखरखाि करना होगा.

67
ख. मख्
ु य कायिकारी अधधकारी (सीईओ), कंपनी के हर ननदे िक (सीईओ की अनप
ु ल्स्थनत में) और
कंपनी के हर अधधकारी और अन्य कमिचारी और एजेंट 'लेखा बहहयों' के रखरखाि के शलए ल्जम्मेदार है.
ग. ननम्नशलखखत के संबध
ं में उत्पादक कंपनी के बही खाते उसके पंजीकृत कायािलय में रखे जाने
चाहहए:
i. उत्पादक कंपनी द्िारा प्राप्त की गई और खचि की गई सभी रकम और ल्जन िस्तओ
ु ं के संबध

में व्यय ककए गए हैं और रसीद प्राप्त की गई है .
ii. उत्पादक कंपनी द्िारा माल की सभी बबिी और खरीद; उत्पादक कंपनी द्िारा या उसकी ओर
से ननटपाहदत दे यता संबध
ं ी सभी विलेख;
iii. उत्पादक कंपनी की आल्स्तयां और दे नदाररयां
घ. उत्पादन, प्रसंस्करण और ननमािण में लगे उत्पादक कंपनी के मामले में , सामग्री या श्म या
अन्य िस्तओ
ु ं के उपयोग या लागत से संबधं धत लयौरे .
8.14 वाउचर क्या है?

प्रत्येक लेनदे न के शलए एक िाउचर तैयार ककया जाना चाहहए और प्रत्येक लेनदे न के समथिक दस्तािेज
(मल
ू रूप में) जैसे कक इनिाइस, चालान, बबल, खरीद आदे ि आहद इसमें संलग्न ककए जाने चाहहए.

क. सभी िाउचर प्राधधकृत अधधकारी द्िारा अनम


ु ोहदत ककये जाने चाहहए.

ख. तीन प्रकार के िाउचर बनाए जाने चाहहए - िे हैं (1) नकद लेनदे न के नकद िाउचर, (2) बैंक
लेनदे न के शलए बैंक िाउचर और (3) आंतररक समायोजन के शलए जनिल िाउचर

8.15 क्या तल
ु न पत्र और लाभ-हानन खाता का रखरखाव करना आवश्यक है ?

हां. प्रत्येक उत्पादक कंपनी/संगठन को प्रत्येक वित्तीय ििि में कंपनी का तल


ु नपत्र और लाभ और हहन
खाते आिश्यक अनब
ु ध
ं के साथ, तैयार करना चाहहए ल्जन्हें कंपनी की िावििक आम बैठक में िेयरधारकों
के समक्ष प्रस्तत
ु ककया जाना है .

क. तल
ु नपत्र और लाभहानन खाता पर कंपनी के मख्
ु य कायिकारी अधधकारी और दो ननदे िकों (ननदे िक
मंर्ल की ओर से) द्िारा हस्ताक्षर ककये जाने चाहहए.

ख. हर उत्पादक कंपनी िावििक आम बैठक में अपने सदस्यों के समक्ष तल


ु नपत्र और लाभ और हहन
खाते प्रस्तत
ु करने की तारीख से 60 हदन के भीतर कायििाहहयों और िावििक वििरणी के साथ ननदे िकों
की ररपोटि , लेखापरीक्षक्षत तल
ु नपत्र और लाभ और हानन खाते रल्जस्रार को प्रस्तत
ु करें ग.े

8.16 ववत्तीय शक्क्तयों का प्रत्यायोजन क्या है ?

अ. मख्
ु य कायधकारी अधधकारी

क. िह कंपनी के बैंक खाते से `5000/- (रुपये पांच हजार मात्र) की सीमा तक नकद आहररत कर
सकते हैं.

ख. ककसी भी पररल्स्थनत में िस्तओ


ु ं या सेिाओं के ककसी भी खरीद के शलए नकद भग
ु तान `500/-
(रुपये पांच सौ मात्र) तक सीशमत होगा.

68
ग. `500/- (रुपये पांच सौ मात्र) से अधधक के सभी भग
ु तान केिल चेक द्िारा ककये जाऐंगे. ककसी
भी संस्था या व्यल्तत द्िारा चेक की गैर-स्िीकृनत की ल्स्थनत में तीन ननदे िकों की सशमनत की मंजूरी के
बाद ही नकद भग
ु तन ककया जाएगा.

घ. कंपनी के व्यापार के संचालन और प्रबंधन के शलए उपयोग हे तु सभी उपभोज्य िस्तओ


ु ं और
सेिाओं की खरीद के शलए ननधािररत की गई खरीद प्रकिया का अनस
ु रण करते हुए `5000/- (रुपये पांच
हजार मात्र) तक का ही उपयोग ककया जाएगा.

(आ) कम्पनी से अधग्रम लेना

(क) स्टाफ कायािलय से ननम्नशलखखत प्रयोजनों के शलए अधग्रम ले सकते हैं-


* यात्रा व्यय और दै ननक भत्ता/भत्ते
* कायािलयीन िस्त/ु िस्तओ
ु ं की अधधप्राल्प्त
* अन्य प्रयोजनों के शलए
(ख) संबधं धत कमिचारी द्िारा स्टाफ के अधग्रम खाते की संिीक्षा की जायेगी ताकक यह सनु नल्श्चत हो सके
कक वपछली बकाया िेि राशि समािोधधत की जा चक
ु ी हैं.
(ग) िह यह भी सनु नल्श्चत ककया जाये कक ककसी स्टाफ को नया अधग्रम मंजूर ककये जाने से पहले,
विभाग प्रमख
ु द्िारा भग
ु तान िाउचर अथिा अधग्रम हे तु आिेदन पत्र पर समधु चत अनम
ु ोदन हदया गया
हो.

(इ) कम्पनी से मलए गये अधग्रम का हहसाब रखना

(क) अधग्रम मंजूर ककये जाने से पहले,यह सनु नल्श्चत ककया जाये कक प्रस्तावित व्यय संबधं धत ििि हे तु
योजना एिं बजट की सीमा के भीतर है .
(ख) ल्जस कायि हे तु अधग्रम शलया गया है , उसके प्रयोजन को िाउचर पर दिािया जाये.
(ग) यह भी सनु नल्श्चत ककया जाये कक अधग्रम तभी मंजूर ककया जाये, जब वपछले आहरणों को चुका
हदया गया हो और इसकी तत्काल जरूरत हो.
(घ) यह सनु नल्श्चत ककया जाये कक खातों का ननपटान 15 हदन के भीतर अथिा कायि परू ा होने के तत्काल
बाद, इनमें से जो भी पहले हो, कर शलया जाये.

8.17 क्या खातों की लेखा परीक्षा कराना आवश्यक है ?

उत्पादक कम्पनी/संगठन के मामले में आंतररक लेखा परीक्षा कराना आिश्यक है . खातों (एकाउन्टस े्) की
आंतररक लेखा परीक्षा, चाटि र्ि एकाउन्टें ट द्िारा उस अंतराल और अिधध पर की जाये, जैसा कक
कम्पनी/संगठन के अंतननियमों में ननहदिटट ककया गया हो.

69
8.18 उत्पादक कम्पनी द्वारा प्रस्तत
ु ककये जाने वाले सांववधधक ववत्तीय अनप
ु ालन क्या हैं?

इलेतराननक फाइशलंग अननिायि है . िावििक फाइशलंग के एक भाग के रूप में , कम्पनी अधधननयम 1956
के तहत ननगशमत कम्पनी को ई फामि के साथ ननम्नशलखखत दस्तािेज रल्जस्रार, कम्पनी को प्रस्तत

करने हैं:-

िम दस्तावेज ई फामध
सं.
1 तल
ु न पत्र सभी कम्पननयों द्िारा प्रस्तत
ु ककया जाने िाला फामि 23 ए सी
2 लाभ एिं हानन सभी कम्पननयों द्िारा प्रस्तत
ु ककया जाने िाला फामि 23 ए सी ए
लेखा
3 िावििक ररटनि िेयर पाँज
ू ी रखने िाली कम्पननयों द्िारा प्रस्तत
ु ककया जाने िाला फामि
20 बी
4 िावििक ररटनि िेयर पाँज
ू ी न रखने िाली कम्पननयों द्िारा प्रस्तत
ु ककया जाने िाला
फामि 21 ए

70
अध्याय 9

ववत्तपोषण व्यवस्था

9.1 उत्पादक कंपनी/संस्था की ववमभन्न ववत्तीय जरूरतें क्या होती हैं ?

ककसी भी व्यािसानयक संस्थान को अपना व्यिसाय आरं भ करने और उसे चलाने के शलए धन की जरूरत
होती है . इसके शलए पज
ंू ी की आिश्यकता इस बात पर ननभिर करती है कक ककस प्रकार का और ककतना
बड़ा व्यिसाय है और हर मामले में यह अलग होती है . इस लागत में ल्स्थर और आिती दोनों प्रकार की
लागतें िाशमल होंगी.

9.2 क्स्थर लागत क्या है ?

क. ल्स्थर लागत िह व्यय है जो एक ही बार होता है . न्यन


ू तम आकार का कायािलय स्थावपत करने,
उसमें फनीचर ि कफतसचर लगाने और अन्य उपकरण जैसे कंम्यट
ू र, वप्रंटर, अलमारी, इंटरनेट/टे लीफोन
कनैतिन आहद लगाने पर आने िाली लागत ल्स्थर लागत कहलाती है .

ख. आम तौर पर उत्पादक कंपननयॉ ं बबिी से पहले कच्चा माल खरीदने, उसे एक जगह इकठ्ठा करने
और उसके श्ेणीकरण जैसे कामों में लगी होती हैं. ऐसे मामलों में, बनु नयादी सवु िधाएं जैसे भंर्ारगह
ृ , भार-
तोलन मिीनें, ग्रेर्र/सोटि र आहद की जरूरत पड़ती है . यह सब ल्स्थर लागत कहलाती है . जरूरत के हहसाब
से ये बनु नयादी सवु िधाएं या तो खरीद ली जाती हैं या भाड़े पर ली जाती हैं.

9.3 मीयादी ऋण क्या है ?

मिीनरी खरीदने या बनु नयादी सवु िधाएं जुटाने आहद पर आने िाली ल्स्थर लागत को परू ा करने के शलए
ल्जस दीघाििधध ऋण की जरूरत पड़ती है , िह मीयादी ऋण कहलाता है .

9.4 आवती या कायधशील पज


ंू ी संबध
ं ी जरूरतें क्या होती हैं ?

ककसी उत्पादक कंपनी द्िारा दै नल्न्दन आधार पर अपना व्यिसाय चलाने हे तु जो खचि करने जरूरी होते
हैं, उसे आिती लागत या कायििील पज
ूं ी जरूरत कहा जाता है . ककसी भी व्यािसानयक संस्थान की
कायििील पज
ूं ी जरूरतों की गणना ननम्नशलखखत मानदं र्ों के आधार पर की जाती है :

क) कच्चा माल खरीदने, उसके भंर्ारण, प्रसंस्करण, पररिहन और बीमा आहद पर व्यय.

ख) रोिमराि का काम चलाने पर आने िाली प्रबंधन और प्रिासन लागतें ल्जसमें स्टाफ का िेतन
(प्रबंधक/मख्
ु य कायिपालक अधधकारी, उत्पादन अधधकारी, लेखाकार, विपणन अधधकारी आहद), यात्रा,
ककराया, बबजली, पानी, टे लीफोन, फैतस, स्टे िनरी, साफ-सफाई, ननदे िक मंर्ल/आम सभा की बैठकों पर
होने िाला व्यय, लाइसेंस और अन्य सांविधधक िप
ु क तथा अन्य विविध व्यय.

ग) ननदे िक मंर्ल तथा अन्य कायिकतािओं का प्रशिक्षण तथा क्षमता ननमािण. विशभन्न विियों जैसे
अधधननयमों, ननयमों ि विननयमों की जानकारी, सांविधधक अनप
ु ालना, ननदे िक मंर्ल की भशू मका ि
ल्जम्मेदाररयॉ,ं बैंककं ग पररचालन तथा सफल उत्पादक कंपननयों के एतसपोिर विल्जट आहद.

71
9.5 कायधशील पज
ूं ी ऋण क्या होता हैं ?

यह अपपािधध ऋण है ल्जसकी जरूरत उत्पादक संस्थान को अपने दै नल्न्दन पररचालन करने के शलए
पड़ती है . इसका प्रयोग कच्चा माल (उदाहरणाथि कृवि क्षेत्र में बीज, उििरक आहद की खरीद हे तु तथा गैर
कृवि क्षेत्र में चमड़ा, धागे आहद की खरीद हे त,ु (इकाई के प्रकार के आधार पर) या कफर मालसच
ू ी के
शलए ककया जाता है . कायििील पज
ंू ी ऋण सल्म्मश् ऋण का एक हहस्सा हो सकता है या कफर अलग ऋण
सीमा के रूप में हो सकता है . कायििील पज
ंू ी सीमा तय करने के तरीके अलग अलग होते हैं. आम तौर
पर बैंक उस संस्थान के कुल िावििक टनिओिर का 20 प्रनतित कायििील पज
ंू ी ऋण के रूप में दे ते हैं.

9.6 कायधशील पज
ंू ी आवश्यकताओं का आकलन कैसे ककया जाता है ?

कायििील पज
ंू ी आिश्यकताओं की मात्रा हर इकाई के विशिटट आंतररक कारकों पर ननभिर करती है जैसे
पररचालनगत कायिकुिलता, प्रयत
ु त तकनीकें तथा गण
ु ित्ता ननयंत्रण का स्तर तथा बाह्य कारक जैसे
मांग ि पनू ति का अंतराल, गनतविधध का स्िरूप, उत्पादन इनप्
ु स की उपललधता (कच्चा माल, मजदरू ी,
बबजली ि ईंधन) तथा ऋण की उपललधता आहद. इस प्रकार, कायििील पज
ंू ी मौजद
ू ा ल्स्थनत तथा व्यिसाय
के स्तर और प्रकार पर ननभिर करती है . समय के साथ यह बदल सकती है . इसीशलए बैंक उधारकताि
व्यिसायों की कायििील पज
ूं ी जरूरतों का पन
ु ः आकलन ननयशमत आधार पर करते रहते है .

बैंक कायििील पज
ंू ी जरूरतों का आकलन कई तरीकों से करते हैं. वित्तीय संस्थाएं गनतविधध के प्रकार के
अनस
ु ार कैि-बजट प्रणाली, टनिओिर प्रणाली, अधधकतम अनम
ु त बैंक वित्त प्रणाली तथा ननिल स्िाधधकृत
ननधध प्रणाली अपनाती हैं.

अ) कैश बजहटंग प्रणाली : हर महीने के कैिफ्लो लेकर उनके आधार पर एक ििि के शलए कैि
बजहटंग की जाती हैं. अपेक्षक्षत सच
ू ना (उधारकताि से मांगी जाने िाली) ननम्नानस
ु ार है ः

 वपछले वित्त ििि की बैलेंसिीट (मौजूदा उत्पादक कंपनी के मामले में )


 बजट ििि के शलए अनम
ु ाननत बैलेंसिीट
 बजट ििि के शलए अनम
ु ाननत लाभ-हानन खाता
 माशसक बबिी और खरीद का अनम
ु ान
 बबिी और खरीद को छोड़कर अन्य माशसक आय ि व्यय का अनम
ु ान (नीचे ताशलका में इनफ्लो
और आउटफ्लो के कुछ िीिि हदए गए हैं)
 व्यिसाय में मौसमी कारक, यहद कोई हों तो.

उतत जानकारी से कैिफलो ननम्नानस


ु ार ननकाला जाता है :

ु में प्राप्त राशियॉ ं (+) बबिी (-)माह के अंत में प्राप्य


कैश इनफ्लो : प्रारं शभक कैि/बैंक िेि (+) माह के िरू
राशियॉ ं

कैश आउटफ्लो : कच्चा माल/उपभोतता िस्तओ


ु ं के शलए ककए गए भग
ु तान (प्रारं शभक व्यापार जमा राशियां
(+) खरीद (-) माह के अंत में खरीद व्यापार जमा राशियां. अचल आल्स्तयों के आपनू तिकतािओं को ककए गए

72
भग
ु तान, लयाज का भग
ु तान, कर का भग
ु तान, अन्य व्ययों जैसे मजदरू ी, दै ननक उपयोग के व्यय आहद;
अंनतम नकदी िेि राशि.

ि वववरण/माह 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12
1 प्रारं शभक नकद
िेि
2 प्राल्प्तयााँ - बबिी
3 प्राप्य राशियों
की उगाही
4 विविध प्राल्प्तयााँ

1 कच्चे माल हे तु
भग
ु तान
2 उपभोतता िस्तु
भग
ु तान
3 लेनदारों को
भग
ु तान
4 अचल
पररसम्पल्त्तयों
हे तु भग
ु तान
5 कर, लयाज तथा
मजदरू ी भग
ु तान
6 अन्य भग
ु तान
7 अंनतम नकद
िेि
बी कैि
आउटफ्लो (1 से
7)
कैि आउटफ्लो
और इलफ्लो के
बीच अंतर (बी-
ए)
कैि इनफ्लो और आउटफ्लो के बीच का अंतर स्पटट रूप से दिािएगा कक ककस अिधध में व्यिसाय में
नकदी की कमी रही और उसमें ककतने धन की जरूरत है . हर महीने नकदी की कमी अलग-अलग होगी.
नकदी की सिािधधक कमी ही अधधकतम कायििील पज
ंू ी आिश्यकता होगी. दो प्रकार की कायििील पज
ंू ी
सीमाएं तय की जाती हैं- एक सामान्य आिश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मल
ू स्तर की और दस
ू री
बढ़ी हुई मौसमी मांग को िाशमल करते हुए अनतररतत ऋण सीमा.

73
आ. अनम
ु ाननत वावषधक टनधओवरः ऋणदाता बैंक अनम
ु ाननत िावििक टनिओिर के 20 प्रनतित तक
कायििील पज
ंू ी दे ता है . यह मानदं र् (मौजद
ू ा ि नई) सभी प्रकार की इकाइयों पर लागू होता है ल्जनकी
सकल ननधध आधाररत ‘कायििील पज
ंू ी ऋण सीमाएं `5 करोड़ तक की होती हैं. अनम
ु ाननत िावििक
टनिओिर यानी पीएटी सकल बबिी पर लागू होता है ननिल बबिी पर नहीं.

क. ऋण वितरण के मानदं र्ों में यह मानकर चला जाता है कक ककसी भी इकाई की कायििील पज
ंू ी
आिश्यकताएं उनके उत्पादन के मप
ू य या अनम
ु ाननत िावििक टनिओिर का 25 प्रनतित भाग होती हैं.
आम तौर पर बैंक इस राशि का 4/5 या 80 प्रनतित तक ऋण के रूप में दे ते हैं. िेि राशि प्रमोटर अपने
पास से माल्जिन राशि के रूप में लगाते हैं. बैंक अनम
ु ाननत िावििक टनिओिर का 25 प्रनतित तक कायििील
पज
ंू ी के रूप में उपललध कराते हैं.

ख. ककसी भी इकाई की कुल कायििील पज


ंू ी आिश्यकताएं अनम
ु ाननत िावििक टनिओिर के अधधकतम
25 प्रनतित तक ननधािररत की जाती हैं. औसत कायििील पज
ंू ी चि 3 माह का माना जाता है . हालांकक,
िास्ति में , व्यािसानयक इकाइयों के कायििील पज
ंू ी चि अलग-अलग होते हैं और ये 3 माह के औसत
कायििील पज
ंू ी चि से अधधक या कम हो सकते हैं. अतः यह आिश्यक है कक अनम
ु ाननत िावििक टनिओिर
के आधार पर ऋण आिश्यकता का आकलन करने के साथ-साथ आकलन के अन्य तरीकों के आधार पर
भी अधधकतम अनम
ु त बैंक ऋण की गणना की जाए.

9.7 स्थल
ू रूप में, कायधशील पज
ंू ी ऋण के अंतगधत क्या-क्या शाममल ककया जाता है ?

क. कुल ऋण सीमा ि उप सीमाएं

ख. प्रनतभनू त - प्राथशमक तथा संपाल्श्ििक

ग. लयाज दर

घ. कमीिन ि अन्य िप
ु क

च. आहरण िल्तत

छ. स्टॉक वििरणी ि वित्तीय वििरखणयों का प्रस्तनु तकरण

ज. स्टॉक ऑडर्ट

झ. बीमा

ट. चुकौती की ितें कायििील पज


ूं ी ऋण अपपािधध ऋण होते हैं तथा आम तौर पर पररचालन चि
के हहसाब से संवितरण/स्िीकृनत की नतधथ से 12 माह के अंदर चुकाए जाने होते हैं. उधारकतािओं को
पररचालनगत व्यय परू े करने के शलए ऋण सीमा मंजरू की जाती हैं और िे मंजरू सीमा के अंदर 12
महीने की अिधध में अपनी जरूरतों के अनस
ु ार ल्जतनी बार चाहें , धन आहररत कर सकते हैं

ठ. दस्तािेज/करार ल्जन पर हस्ताक्षर ककए जाने होते हैं

 ऋण करार

74
 दृल्टटबंधक करार (मीयादी ऋण/कायििील पज
ंू ी)
 बंधक (साल्म्यक/पंजीकृत)
 मांग िचन पत्र (र्ीपीएन)
 गारं टी विलेख (व्यल्ततगत/बैंक/सरकारी गारं टी)

9.8 मीयादी ऋण की आवश्यकताओं का आकलन कैसे ककया जाता है ?

मीयादी ऋण िह ऋण है जो पज
ूं ीगत आल्स्तयों की खरीद के शलए मंजूर ककया जाता है जैसे कारखाना
इमारत के ननमािण, मिीनरी की खरीद, आधनु नकीकरण, संयत्र
ं की मरम्मत तथा उस संस्थान को भविटय
में होने िाली आय में से पि
ू ि ननधािररत चुकौती अनस
ु च
ू ी के अनस
ु ार विशभन्न ककस्तों में इस ऋण का
भग
ु तान करना होता है . आम तौर पर मीयादी ऋण ननधािररत अिधध, कैि-फ्लो सज
ृ न तथा खरीदी गई
आल्स्तयों के आधथिक जीिन के अधार पर, कम से कम 3 ििि से अधधक के शलए मंजूर ककया जाता है .
यह कुल पररयोजना लागत को परू ा करने िाले विशभन्न स्रोतों में से एक स्रोत होता है . कुल पररयोजना
लागत ननम्नशलखखत प्रयोजनों के शलए ककए जाने िाले व्ययों के आधार पर ननकाली जाती है .

i. भशू म

ii. कारखाना इमारत/िेर्/गोदाम/प्रिासननक भिन

iii. मिीनरी

iv. फनीचर ि कफतसचर

v. तकनीकी जानकारी/अनस
ु ध
ं ान तथा विकास

vi. पररचालन पि
ू ि के व्यय तथा आकल्स्मक व्यय

vii. कायििील पज
ूं ी हे तु माल्जिन राशि

9.9 मोटे तौर से, मीयादी ऋण का ववत्तपोषण ककस ककस मद के मलए ककया जाता है ?

स्थूल रूप में, ननम्नशलखखत मदों के शलए ककया जाता है

क. माल्जिन तथा माल्जिन के स्रोत

ख.. चरणों में संवितरण

ग. प्रनतभनू त -प्राथशमक, संपाल्श्ििक प्रनतभनू त ि गारं टी

घ. लयाज दर

ङ कमीिन तथा अन्य िप


ु क

च. बीमा

75
छ. चक
ु ौती : मीयादी ऋण ककस्तों (माशसक, नतमाही, छमाही या सालाना ककस्तों में या फसलों तथा
बागिानी योजनाओं में फसल कटाई मौसम के अनस
ु ार) चक
ु ाया जाना होता है . यह की जाने िाली
गनतविधधयों के प्रकार, पररयोजना से उत्पन्न होने िाले कैि-फ्लो तथा सल्ृ जत आल्स्त के आधथिक कायाििधध
पर ननभिर करता है .

ज. दस्तावेज/करार के प्रकार

i) ऋण करार
ii) दृल्टटबंधक करार (मीयादी ऋण/कायििील पज
ूं ी)
iii) बंधक (साल्म्यक/पंजीकृत)
iv) र्ीपीएन
v) गारं टी विलेख (व्यल्ततगत/बैंक/सरकारी गारं टी)

ऋण की स्िीकृनत हे तु ननम्नशलखखत जानकारी भी अपेक्षक्षत होगी.

भमू म : व्यापार मौजद


ू ा भशू म या कफर पटाकाकृतभशू म पर हो सकता है . सामान्यतया, बैंक भशू म की खरीद
हे तु ऋण नहीं दे त,े संस्था को यह राशि स्ियं लगानी होती है तथा इसे पररयोजना के शलए माल्जिन राशि
के रूप में माना जाता है .

कारखाना इमारत / शेड / गोदाम / प्रशासननक भवन : सक्षम प्राधधकारी द्िारा कारखाना
इमारत/िेर्/गोदाम/प्रिासननक भिन आहद की खरीद के शलए अनम
ु ोहदत योजना. उतत ननमािण कायिकी
अनम
ु ाननत राशि तथा विशभन्न चरणों में ननमािण कायि करने के शलए चाटि र्ि इंजीननयर/आककिटे तट से
इस्टीमेट लेना होगा. विशभन्न ननयामकों से अनापल्त्त प्रमाण पत्र भी प्राप्त करना होगा.

मशीनरी : िांनछत मिीनरी की खरीद हे तु कोटे िन ल्जसमें प्रत्येक मिीन की क्षमता (र्ीजी सेट ि बबजली
के खंभे तथा कनेतिन प्रभार िाशमल हों), बबिी उपरांत सेिाएं, कर तथा स्थल पर उसे लाने की कीमत,
यहद कोई हो, उसे संस्थावपत करने की लागत आहद.

फनीचर : िांनछत फनीचर की खरीद हे तु कोटे िन

तकनीकी जानकारी/शोध व ववकास : उधारकताि द्िारा ककए गए करार की प्रनत तथा तकनीकी जानकारी
जुटाने हे तु ककए गए कुल व्यय का वििरण बैंक को प्रस्तत
ु ककया जाएगा.

पररचालन पव
ू ध व्यय तथा आकक्स्मक व्यय : इन लागतों का वििरण

9.10 उत्पादक कंपनी/संस्था की ववत्तीय जरूरतों को परू ा करने हे तु धन स्रोत क्या क्या होंगे ?

क. अपने संसाधन : वपछले ििों की प्रारक्षक्षत ननधधयॉ ं तथा अधधिेि उधारकताि के अपनी ओर से
लगाए जाने िाले संसाधन होंगे. हालांकक नया उत्पादक संघ होने की ल्स्थनत में वपछले कोई संसाधन स्रोत
नहीं होंगे.

76
ख. आपनू तधकताध से उधार तथा िेताओं से प्राप्त अधग्रम भग
ु तान : आपनू तिकताि िेडर्ट कंपननयों या
भािी िताओं और वििेताओं से ऋण ले सकता है . उत्पादक संस्था को अपने उत्पाद बेचने िाले उत्पादक
उधार पर उसे बेच सकते हैं. यह भी हो सकता है कक उत्पादक संस्था को भािी िेताओं से अधग्रम भग
ु तान
आंशिक रूप में प्राप्त हो जाए. उसे एग्रो-र्ीलसि से कृवि इन्प्
ु स बबिी के बाद भग
ु तान की ितिपर भी
प्राप्त हो सकते हैं परं तु नए स्थावपत उद्यमों को इस प्रकार की वित्तीय सहायता शमलनी संभि नहीं
होती.

ग. इक्क्वटी : उत्पादक कंपनी के मामले में इल्तिटी सदस्यों से शमलती है, कोई बाह्य वित्तपोिक
इल्तिटी में ननिेि नहीं कर सकता.

घ. अनद
ु ान सहायता : छोटा संस्थान होने के नाते, उत्पादक संस्थान विशभन्न सरकारी योजनाओं के
तहत सरकार से पज
ंू ी सहायता ले सकता है . भारत सरकार ने अब तक ककसान उत्पादक संघों को सहायता
दे ने की हदिा में दो पहलें की हैं. इनमें उत्पादक संघों को इल्तिटी अनद
ु ान दे कर उनकी इल्तिटी बढ़ाने में
मदद करना है , िहीं ककसान उत्पादक संघों को बबना संपाल्श्ििक प्रनतभनू त के ऋण उपललध करिाने िाले
बैंकों को बीमा किर उपललध करिाने हे तु िेडर्ट गारं टी फंर् स्थावपत करना. यह योजना स्मॉल फामिसि
एग्री बबिननस कन्सोशिियम द्िारा कायािल्न्ित की जाएगी. विस्तत
ृ वििरण पररशिटट II में हदया गया है .

केन्र सरकार या राज्य सरकारों के ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग, कृवि और सहकाररता मंत्रालय
या बागिानी या खाद्यान्न प्रसंस्करण मंत्रालय से भी उनकी विशभन्न योजनाओं जैसे राटरीय और राज्य
बागिानी शमिन, स्मॉल एग्रोबबिननस कंसोशिियम के अंतगित वित्तीय सहायता प्राप्त हो सकती है . उत्पादक
संस्थानों को विश्ि बैंक, द्विपक्षीय/बहुपक्षीय दाता एजेंशसयों या कॉरपोरे ट घरानों से उनके कॉरपोरे ट
सामाल्जक दानयत्ि के अंतगित उपललध वित्तीय सहायता भी शमल सकती हैं. इस प्रयोजन हे तु उत्पादक
संघों को वित्तीय दृल्टट से आधथिक रूप से संभािनािील व्यिसाय योजनाएं बनानी होंगी.

ङ. ऋण ववत्तपोषण : ककसी भी नए व्यिसाय के वित्त पोिण हे तु सबसे अधधक पसंद ककया जाने िाला
तरीका यही है . इसमें शलए गए ऋण पर लयाज चुकाने की सीधी ल्जम्मेदारी बन जाती है . इसका सबसे
बड़ा लाभ यह है कक वित्तपोिक का उनके व्यिसाय पर कोई सीधा ननयंत्रण नहीं रहता जैसा कक इल्तिटी
वित्तपोिण के मामले में रहता है . इस तरीके में ऋण पर ली जाने िाली लयाज दर पर ध्यान दे ने की
जरूरत है . हालांकक उत्पादक कंपननयों के शलए बबना संपाल्श्ििक प्रनतभनू त के ऋण जुटाना आसान नहीं
होता.

9.11 उत्पादक संस्थान ववमभन्न ग्रामीण ववत्तीय संस्थाओं से धन कैसे जट


ु ा सकते हैं ?

बैंक ककसी भी व्यिसाय को उसकी कायििील पज


ूं ी आिश्यकताओं के शलए अपपािधध ऋण तथा पज
ूं ीगत
आल्स्तयों की खरीद के शलए मध्यािधध या दीघाििधध ऋण दे ते हैं. उतत दोनों प्रकार की आिश्यकताओं
की पनू ति के शलए बैंक सल्म्मश् ऋण भी मंजूर करते हैं. यह व्यिसाय के स्िरूप और आकार पर ननभिर
करे गा और हर मामले में अलग अलग होगा. ककसान उत्पादक संगठनों को वित्तीय दृल्टट से व्यिहायि
व्यिसाय योजना/विस्तत
ृ पररयोजना ररपोटि ले जाकर बैंकों से संपकि साधना होगा. बैंक आम तौर पर
उतत ऋण की स्िीकृनत हे तु ननम्नशलखखत दस्तािेज मांगेंगे

77
क. ऋण सहायता लेने हे तु व्यिसाय योजना/विस्तत
ृ पररयोजना ररपोटि

ख. माल्जिन राशि अंिदान

ग. पररयोजना के प्रबंध तंत्र का वििरण (कायिकाररणी और ननदे िक मंर्ल की िैक्षखणक अहिता सहहत
उनका विस्तत
ृ लयौरा)

घ. पररयोजना चलाने और उसकी ननगरानी करने हे तु एक अलग टीम का वििरण.

च. प्रस्तावित व्यिसाय योजना का वििरण.

छ. वपछले 3 सालों की लेखा-परीक्षक्षत वित्तीय वििरखणयॉ ं (तल


ु नपत्र/लाभ हानन खाता) संस्था की
लेखा-बहहयों पर नोट तथा पररशिटटों सहहत.यहद नया उत्पादक संस्थान बनाया जाना है या उसे बने अभी
ु ाननत वित्तीय वििरखणयॉ ं प्रस्तत
3 साल नहीं हुए तो अनम ु करनी होंगेी.

ज. अन्य बैंकों/वित्तीय संस्थाओं/विकास एजेंशसयों/व्यल्ततयों से पि


ू ि में शलए गए ऋण/अनद
ु ान आहद
का वििरण (मंजरू ी पत्र)

झ. दी जाने िाली प्रनतभनू त/संपाल्श्ििक प्रनतभनू त

ट. पंजीकरण प्रमाणपत्र की प्रनतयॉ ं (संस्था गठन/व्यिसाय िरू


ु करने का प्रमाणपत्र/सशमनत
पंजीकरण/एफसीआरए/रस्ट र्ीर् आहद) तथा संस्था के ज्ञापन/अंतननियम.

ठ. पैन/टै न/बबिी कर पंजीकरण आहद की प्रनतयॉ ं

र्. ु ोदन की प्रनतयॉ ं (आयकर ि बबिी कर)


कर-राहत अनम

ढ. लीि/पल्ु टटकृत आर्िर हे तु ककए गए करार की प्रनतयॉ,ं यहद कोई हों

ण. सहायक कंपननयों का वििरण (3 साल की लेखापरीक्षक्षत वििरखणयों सहहत)

9.12 ववस्तत
ृ पररयोजना ररपोटध क्या होती है ?

ककसी भी वित्त प्रदाता एजेंसी से ऋण लेने के शलए हदया जाने िाला औपचाररक आिेदन पत्र विस्तत

पररयोजना ररपोटि कहलाता है . इसमें संस्था, उसकी व्यिसाय योजना, विपणन योजना, पररचालन तथा
प्रबंधन योजना, वित्तीय अनम
ु ान तथा वित्तीय आिश्यकताओं आहद का वििरण होना चाहहए. हालांकक
कुछ गैर सरकारी संगठनों तथा उत्पादक संस्थाओं को र्ीपीआर बनाने के काम का अनभ
ु ि हो सकता है
ककं तु अकसर उत्पादक संस्थाओं को वििेिज्ञों/पेिि
े रों से र्ीपीआर बनिाने के शलए मदद लेनी पड़ती है
ल्जस पर खचि करना पड़ता है .

9.13 डीपीआर तैयार करने हे तु भी क्या कोई सहायता उपलब्ध होती है ?

एसएफएसी इल्तिटी अनद


ु ान ि ऋण गारं टी फंर् योजना के अंतगित् सच
ू ीबि सलाहकारों/संस्थाओं के
माध्यम से इल्तिटी अनद
ु ान आिेदन तथा विस्तत
ृ पररयोजना ररपोटि तैयार करने हे तु पररयोजना विकास
सवु िधा उपललध कराती है . इसके अंतगित र्ीपीआर तैयार करने की परू ी लागत किर की जाती है . यह

78
सवु िधा केिल ककसान उत्पादक संगठनों के शलए है . सहायता लेने के इच्छुक ककसान उत्पादक संगठन
निदीकी सलाहकार या कफए एसएफएसी से सीधे ही संपकि साध सकते हैं. पीओर्ीएफ के अंतगित तीन
प्रकार की वित्तीय सहायता (ऋण सहायता, क्षमता ननमािण तथा विपणन सहायता) के अलािा, नाबार्ि
र्ीपीआर तैयार करने हे तु पररयोजना लागत का 0.5 प्रनतित या `1 लाख रुपये, दोनों में से जो भी कम
हो, तक अनद
ु ान सहायता उपललध कराता है . यह अनद
ु ान सहायता ऋण के 20% के अंदर ही होगी.

9.14 यहद बैंक ऋण सहायता न दें तो उत्पादक संगठनों के मलए अन्य ववकपप क्या बचते हैं

नि गहठत उत्पादक संगठन के पास सफलतापि


ू क ंू ी, प्रारक्षक्षत ननधधयॉ ं
ि व्यापार करने हे तु पयािप्त अंि पज
तथा अन्य ननधधयॉ ं नहीं होती. इस कारण िरु
ु आती दौर में बैंकों से ऋण जट
ु ाना इनके शलए कहठन हो
जाता है . सभी तरह के खचि िाशमल होने के कारण, उत्पादक संगठन के पास िरू
ु में आधथिक भार अधधक
होता है और ऐसा भी हो सकता है कक इन कहठनाइयों के कारण उनके शलए नयी संस्था िरू
ु करना ही
संभि न हो पाए. इस समस्या को हल करने के शलए. उत्पादक संगठनों को िरु
ु आती ििों में प्रारक्षक्षत
ननधधयॉ ं बनने तक ननम्नशलखखत व्यिसाय मॉर्ल अपनाना चाहहए.

क. ु में िे गनतविधधयॉ ं चन
िरू ु ी जाएं ल्जनमें पज
ंू ी की जरूरत न हो या बहुत कम जरूरत हो और
कोई जोखखम भी न हो.

ख. कंपननयों से बीजों, उििरकों की र्ीलरशिप लेकर िे कमीिन एजेंट के रूप में काम करें . ऐसा करके
उत्पादक संगठन अच्छी माल्जिन राशि कमा सकते हैं और अच्छे व्यापाररक संबध
ं बना सकते हैं, इस सब
के फलस्िरूप बाद के ििों में उन्हें उन संस्थाओं से ऋण सवु िधा शमल सकती है .

ग. विशभन्न कंपननयों से कृवि उपकरणों जैसे जल पंप सेट, मिीनीकृत हल आहद की र्ीलरशिप लेना
और उसे अपने सदस्यों को िाल्जब कीमतों पर बेचना ताकक िे कमीिन कमा सकें.

घ. कृवि उपज की खरीद. उत्पादक संघ भािी िेताओं की पहचान करके उनसे बाय-बैक गारं टी की
व्यिस्था करें . खरीद मप
ू य पर ही बबिी करें ताकक उत्पादक संगठनों को पररिहन ि भंर्ारण लागतें न
झेलनी पड़े. उत्पादक संगठन िेताओं और वििेताओं के बीच पारदिी लेनदे न करें (सदस्यों और गैर-
सदस्यों दोनों के शलए) ऐसा करके िे िेताओं से कुछ माल्जिन राशि अल्जित कर सकते हैं.

ङ. बहुत से उत्पादक संघों ने भारत सरकार की योजना का लाभ उठाया है ल्जसके अंतगित भंर्ारण
रसीदों के आधार पर बबना कोई संपाल्श्ििक प्रनतभनू त हदए उपज के मप
ू य का 80 प्रनतित तक उन्हें ऋण
के रूप में शमल जाता है .

इस प्रकार के व्यिसाय मॉर्ल अपनाकर िे अपने सदस्यों और अन्य स्टे त-होपर्सि के बीच अपनी साख
बना सकते हैं. इसके अलािा, ककसी भी उत्पादक संगठन के शलए व्यापार की अच्छी प्रथाएं प्रदशिित करना
बहुत महत्िपण
ू ि होता है . उतत प्रकार की छोटी छोटी गनतविधधयां करके िे ऐसे अच्छी प्रथाएं प्रदशिित कर
सकते हैं. उनके सदस्य, अन्य व्यापारी और उद्योगपनत, ल्जनके साथ िे व्यापार करते हैं, उनके ऐसी
अच्छी प्रथाओं सराहना करते हैं और इस प्रकार उत्पादक संगठनों की स्थायी साख बन पाती है .

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9.15 डीपीआर तैयार करने हे तु नमन
ू ा फामेट दें

पररयोजना परू ा करने के शलए पररयोजना ररपोटि अननिायि है . अतः इसे सािधानी से तैयार ककया जाना
चाहहए और इसमें पयािप्त जानकारी होनी चाहहए ताकक पररयोजना के मप
ू यांकन, अनम
ु ोदन और अंततः
वित्त्पोिण का ननणिय शलया जा सके. पररयोजना ररपोटि में किर ककए जाने िाले बबंद ु नीचे हदए गए हैं

क. उधारकताि/कंपनी की पटृ ठभशू म, िेयर-होल्पर्ंग पैटनि, मौजद


ू ा बैंक आहद की जानकारी

ख. प्रबंधन टीम का वििरण

ग. सम्बद्घ क्षेत्र की पटृ ठभशू म तथा पररयोजना का औधचत्य

घ. पररयोजना का वििरण तथा गज


ंु ायि

ङ. अिल्स्थनत

च. कारखाना/संयत्र
ं का खाका

छ. संयत्र
ं ि मिीनरी

ज. तकनीकी व्यिस्था

झ. प्रस्तावित क्षमता

ञ. प्रोर्तट शमतस

ट. कच्चे माल की जरूरत, भंर्ारण तथा इसका प्रबंधन

ठ. तैयार उत्पादों के शलए मौजद


ू ा ि भािी बािार

र्. प्रदि
ू ण ननयंत्रण उपकरण

ढ. बबजली ि पानी आपनू ति

ण. पज
ूं ीगत लागत ल्जसमें एक कायििील पज
ूं ी चि के शलए माल्जिन भी िाशमल हो.

त. अन्य सहायक जरूरतें और सवु िधाएं जैसे विपणन

थ. क्षमता ननमािण आकलन

द. पररयोजना के विशभन्न चरण तथा उनकी अिधध

ध. पररयोजना पररचालन तथा अनरु क्षण की योजना

न. पररयोजना की वित्तीय अथिक्षमता तथा व्यिहायिता

प. विस्तत
ृ व्यिसाय योजना -ननिेि तथा पररचालन लागत अनम
ु ान सहहत

80
1. भमू मका

क. कंपनी/संगठन की संक्षक्षप्त पटृ ठभशू म

ख. उद्यशमयों की पटृ ठभशू म

ग. िेयर-होल्पर्ंग पैटनि

घ. पररयोजना के लोकेिन का वििरण

2. उद्यमी/प्रबंधतंत्र का वववरण

प्रबंधन टीम का वििरण (कायिकाररणी तथा ननदे िक मंर्ल का लयौरा, उनकी िैक्षखणक अहिता तथा अनभ
ु ि)

3. सम्बद्ध क्षेत्र की पष्ट्ृ ठभमू म तथा पररयोजना का औधचत्य

4. पररयोजना का वववरण तथा कायधगत संभावनाएं

क. पररयोजना स्थल का वववरण

क. लोकेिन ि भशू म विलेख

ख. मौसम संबध
ं ी आंकड़े

ग. सड़क, रे ल ि िायु संपकि मागि

घ. कच्चे माल के स्रोत तथा अन्य महत्िपण


ू ि सवु िधाओं के स्रोतों से दरू ी

ङ. उतत कायिस्थल का चयन करने के कारण

ख. संयत्र
ं का खाका

पररयोजना ररपोटि के इस भाग में समच


ू ी रूपरे खा, ढांचा तथा उत्पादन संबध
ं ी अन्य सवु िधाओं का उपलेख
होगा. इस भाग में रूपरे खा भी अिश्य होना चाहहए.

ग. तकनीकी पहलू

क. आम तौर पर इस प्रकार की अन्य कंपननयों द्िारा उत्पाद तैयार करने हे तु इस्तेमाल की जा रही
तकनीकें.

ख.. इस्तेमाल की जा रही विशभन्न तकनीकों के गण


ु ि अिगण

ग. सम्बि पररयोजना में इस्तेमाल की जाने िाली तकनीक और उसके इस्तेमाल के कारण.

घ. संपण
ू ि प्रकिया चि तथा चाटि

घ. प्रोडक्ट ममक्स

क. कौनसा सवििस या एंर् प्रोर्तट तैयार ककया जाना है

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ख. प्रस्तावित उत्पादन ि विननमािण प्रकिया

ङ. कच्चा माल

कच्चे माल का वििरण,उसकी खरीद की योजना तथा भौनतक आिश्यकता, बािार में उसकी उपललधता.

च. कच्चे माल की प्राक्प्त, भंडारण तथा हैंडमलंग

क. हैंर्शलंग शसस्टम, फीर् शसस्टम

ख. भंर्ारण व्यिस्था (क्षमता) गोदाम पर – संयत्र


ं पर

ग. पररिहन व्यिस्था

छ. तैयार उत्पाद का अनप्र


ु योग

क. तया अपने ही संयत्र


ं में उसका प्रयोग ककया जाएगा.

ख. लक्षक्षत बािार – स्िदे ि में ननयाित

ग. उद्योग संबध
ं ी वििरण, जहां इसका इस्तेमाल ककया जाता है .

ज. पयाधवरण संबध
ं ी पहलू

क. तया सम्बि उद्योग के शलए पयाििरण संबध


ं ी सभी अनापल्त्त पत्र प्राप्त कर शलए गए हैं तथा
उनका वििरण.

ख. सरकार द्िारा ननधािररत सीमा से अधधक प्रदि


ू ण न होने दे ने संबध
ं ी इंतिाम

झ. जल ऊजाध तथा सहायक सेवाएं

उतत की आिश्यकता, उपललधता, सरकारी या ननजी स्रोतों से उसकी व्यिस्था करना, िैकल्पपक व्यिस्था
करना आहद.

ञ. गण
ु वत्ता ननयंत्रण

नमन
ू े बनाना, प्रयोगिाला की व्यिस्था तथा िोध एिं विकास

ट. परू क सवु वधाएं

क. मरम्मत ि रखरखाि की सवु िधाएं

ख. हिा प्रकाि की व्यिस्था तथा िातानक


ु ू लन प्रणाली

ग. पंजीकरण तथा दरू संचार

घ. स्िचाशलत प्रणाली तथा कंप्यट


ू र ननयंत्रण

ङ. सरु क्षा तथा अल्ग्निमन व्यिस्था

82
च. बम्बा-नल (हाइिन्ट) व्यिस्था

ठ. बबिी/ववपणन व्यवस्था

पररयोजना ररपोटि के इस भाग में अंनतम उत्पाद के संबध


ं में सम्पण
ू ि बाजार संबध
ं ी विश्लेिण होना चाहहए.
सम्बि उत्पादक संगठन अपने उत्पादों की बबिी के शलए तया (क) ितिमान में और (ख) भविटय में
रणनीनत अपनाने िाला है, उसका ल्जि भी इसमें होना चाहहए.

ड. प्रदष
ू ण ननयंत्रण

िाय,ु जल, िोर प्रदि


ू ण आहद से बचने के शलए कोई व्यिस्था, उल्त्सल्जित पदाथों के ननपटान के शलए
व्यिस्था, यहद की गई हो..

ढ. श्रमशक्क्त आयोजना

प्रत्येक संिगि के दानयत्िों का उपलेख करते हुए िगि-िार अलग अलग वििरण हदया जाए.

क. श्मिल्तत आिश्यकता : िररटठ प्रबंध तंत्र, तकनीकी स्टाफ, विपणन स्टाफ, अनरु क्षण स्टाफ,
उत्पादन स्टाफ, गण
ु ित्ता ननयंत्रण स्टाफ

ख. उतत पर आने िाला खचि

ग. प्रशिक्षण व्यिस्था

घ. कमिचाररयों के कपयाण के शलए की गई व्यिस्था

ण. ननमाधण कायध की योजना

ननम्नशलखखत के लक्ष्य माह-िार हदए जाएं

क. प्रत्येक ननमािण चरण

ख. संयत्र
ं ि मिीनरी लगाना

ग. व्यािसानयक आधार पर उत्पादन आरं भ करना

5. पररयोजना लागत तथा ववत्तीय व्यवस्था

पज
ूं ी लागत : प्रत्येक पज
ूं ीगत व्यय, जो करने का विचार हो, की अनम
ु ाननत लागत दी जाए.

1 भशू म रामश
क भशू म की लागत
ख व्यिसाय-स्थल विकास की लागत
2 भिन
क ननमािण लागत, आंतररक साज-सज्जा लागत

3 संयत्र
ं ि मिीनरी
83
क खरीदे गए सामान की लागत
ख संस्थापना तथा कायि आरं भ करने की लागत
ग तकनीकी जानकारी
4 अन्य लागत

क फनीचर ि कफतसचर

ख कायािलय उपकरण

ग िाहन तथा अन्य चल उपकरण

5 पररचालन-पि
ू ि के व्यय

क ननमािण अिधध में लयाज

ख आकल्स्मक व्यय आहद

ग कायििील पज
ंू ी माल्जिन

6. ववत्त के स्रोत
इल्तिटी अंिदान रामश
1 क. मौजूदा
ख. प्रस्तावित
उधार ली गई धनराशि
2 क. मौजूदा
ख. प्रस्तावित
अनद
ु ान तथा सल्लसर्ी अंिदान
3 क. मौजूदा
ख. प्रस्तावित

7. ववत्तीय मप
ू यांकन

क. अगले 5 ििों के शलए अनम


ु ाननत बैलेंसिीट, लाभ-हानन खाता, फंर्/कैि-फ्लो वििरणी (चक
ु ौती
अिधध सहहत)

ख. लाभ-अलाभ बबंद ु (अथाित न लाभ न हानन िाली ल्स्थनत)

ग. अनम
ु ाननत लाभप्रदता के आधार पर ननकाली गई आंतररक प्रनतफल दर

घ. र्ेट सवििस किरे ज रे शियों (र्ीएससीआर) की गणना

ङ. ु ाननत वित्तीय वििरखणयॉ ं तैयार करने हे तु अपनाई गई मान्यताओं का वििरण


अनम

च. संिेदनिीलता विश्लेिण – यह विश्लेिण अनम


ु ाननत लक्ष्य प्राप्त न हो पाने की ल्स्थनत में ककया
जाता है ताकक लाभप्रदता की जॉचं की जा सके.

छ. क्षमता उपयोग हे तु ििि-िार बजट

84
8. पररयोजना ररपोटध के साथ प्रस्तत
ु ककए जाने वाले दस्तावेजों की सच
ू ी

क. िांनछत ऋण/अनद
ु ान लेने हे तु आिेदन पत्र तथा विस्तत
ृ पररयोजना ररपोटि -दो प्रनतयों में .

ख. संगठन/प्रमोटरों की चल/अचल आल्स्तयों की सच


ू ी.

ग. प्रस्तत
ु की गई भारग्रस्तता-रहहत संपाल्श्ििक प्रनतभनू तयों की सच
ू ी. भू संपल्त्त होने की ल्स्थनत में
- बबिी विलेख की प्रनत तथा भशू म ररकार्ि का लयौरा

घ. वपछले 3 ििों के आयकर ि संपल्त्तकर का वििरण, कर ननधािरण वििरणी सहहत, यहद संभि
हो.

ङ. अधधननयमों के तहत दी गई कर राहत के प्रमाणपत्र (आयकर, बबिी कर आहद)

च. अन्य संस्थाओं, सरकारी एजेंशसयों, विदे िी एजेंशसयों द्िारा सम्बि व्यापार के शलए मंजरू ककए
ु ान या अन्य सहायक सेिाओं के स्िीकृनत-पत्र की प्रनतयॉ ं
गए ऋण/अनद

छ. सम्बि प्राधधकारी अथाित पंजीयक - कंपनीि, पंजीयक - सहकारी सशमनतयॉ ल्जला उद्योग केन्र
आहद से प्राप्त अनंनतम पंजीकरण प्रमाणपत्र.

ज. सक्षम विधध प्राधधकारी से प्राप्त संस्थापना प्रमाणपत्र ननगमों के मामले में , कम्पनी रल्जस्रार
द्िारा जारी व्यापार प्रारं भ करने से संबधं धत प्रमाणपत्र
झ. संगम ज्ञापन और अनच्
ु छे द / सशमनत के उप ननयम

ञ. सक्षम प्राधधकारी से अनम


ु नत/अनज्ञ
ु ल्प्त (िस्त्र, खाद्य, औिधधयााँ, िन आहद के शलए)

ट. भशू म के वििय में अद्यतन भशू म अशभलेख के सार के साथ वििय विलेख की प्रमाखणत
प्रनतशलवप/(िमीन कंपनी/संस्था जो भी लागू हो के नाम पर होनी चाहहए) या

ठ. यहद भिन ककराये पर शलया गया तो, न्यन


ू तम आठ ििों के शलए या परू ी ऋण अिधध के शलए
ककराया करार

र्. खरीदी जाने िाली संयत्र


ं एिं मिीनरी और कच्चा माल की प्रत्येक मद के वििय में तीन कोटे िन
ढ. आयात, ननयाित अनज्ञ
ु ल्प्तयााँ

न. बबजली आिश्यकताओं और राज्य बबजली बोर्ि के साथ टाइ-अप का वििरण

त. जल और प्रदि
ू ण ननयंत्रण बोर्ि से अनम
ु नत

थ. िास्तवु िद् से लागत अनम


ु ानों सहहत सक्षम प्राधधकारी से अनम
ु ोहदत भिन योजना

9.16 ववस्तत
ृ पररयोजना ररपोटध में प्रभाव के अपेक्षक्षत संकेतकों का ववशेष उपलेख कैसे ककया जाना है?

प्रभाि के अपेक्षक्षत संकेतक हर पररयोजना के शलए शभन्न रहते हैं. कफर भी, पररयोजना के कायािन्ियन
से पहले संकेतकों को ननधािररत कर लेना चाहहए और संकेतकों के आधार पर पररयोजना के प्रभाि की
ननगरानी करनी होगी. पररयोजना क्षेत्र में आधथिक एिं सामाल्जक पररितिनों का आकलन करने के शलए
85
विस्तत
ृ पररयोजना ररपोटि में लॉग-िेम विश्लेिण का उपयोग ककया जा सकता है . लॉग-िेम प्रणाली में
पररयोजना के प्रभाि को पररयोजना के प्रारं भ में पररयोजना लक्ष्यों के रूप में पररभावित ककया जाता है .
इन लक्ष्यों के आधार पर, प्रभाि, पररणाम, उत्पादन और ननविल्टटयों की पहचान की जाती है . वििरण
ननम्नानस
ु ार हैं :

प्रभाव – वांनछत प्रभाव पररयोजना लक्ष्यों में दशाधया जाता है . वास्तववक प्रभाव पररणामों के ववश्लेषण पर
आधाररत रहता है .

पररणाम - आँकड़ों का ववश्लेषण – मानदं डो के मप


ू यों में ववृ द्ध या कमी को आकमलत कीक्जए.

उत्पादन - पररयोजना पश्चात संवीक्षा आँकड़े. पररयोजना के कायाधन्वयन के उपरांत चयननत मापदण्डों के
मलए वैसे ही आँकड़े संगह
ृ ीत करें जैसे आधार-रे खा सवेक्षण के मलए ककया गया है ताकक पररवतधनों की
तल
ु ना की जा सके.

ननववक्ष्ट्टयाँ- आधार सवेक्षण – प्रभाव के आकलन के मलए मापदण्डों का चयन करें और तदनस
ु ार आधार
रे खा आँकड़ें संगह
ृ ीत करें .

9.17 उत्पादक संगठन पररयोजनाओं के संबध


ं में प्रभाव आकलन मापदण्ड क्या हैं?

पररयोजना के व्यापक लक्ष्य प्रभाि के मानदण्र्ों को ननधािररत करें गे. प्रभाि पररयाजना के लक्ष्यों से मेल
खाना चाहहए और एसे परू ा करना चाहहए. प्रभाि के आकलन के शलए ननम्नशलखखत मानदण्र्ों पर विचार
ककया जा सकता है :

क. ककसान/उत्पादक की आय

ख. कृवि और ग्रामीण विकास

ग. विस्थापन

घ. बाजार

ङ. जीिन की गण
ु ित्ता

च. पयाििरण संबध
ं ी

छ. महहला संबध
ं ी मद्द
ु ों के विशिटट संदभि में महहला विकास

9.18 उत्पादक की आय पर इसका क्या प्रभाव पड़ा है ?

उत्पादक की पररयोजना - पि
ू ि आय की तल
ु ना में पररयोजना के उपरांत की आय में िवृ ि का पररयोजना
के प्रभाि से सीधा संबध
ं है . आय में िवृ ि 'प्रत्यक्ष आय' और 'परोक्ष आय' हो सकती है . प्रत्यक्ष आय
उत्पादकता और उत्पादन में िवृ ि से प्राप्त होती है . परोक्ष आय ककसान को ननविल्टटयााँ समय पर उपललध
कराने से और विपणन व्यिस्था उपललध कराने से प्राप्त होती है . इसे 'श्म हदिस' के रूप में आकलन
ककया जा सकता है और आय भी ननधािररत की जा सकती है . परोक्ष आय को प्रत्यक्ष आय से जोड़ा जा

86
सकता है और कुल आय की तल
ु ना पररयोजना-पि
ू ि आय से की जा सकती है . पररयोजना से प्रनत उत्पादक
िावििक कुल आय की तल
ु ना की जा सकती है एिं आय स्तरों में आधार रे खा आय से तल
ु ना की जा
सकती है . उत्पादक-िार आाँकड़े घरे लू फामेट में एकत्र करने हैं. आाँकड़े जोत भशू म के आकार-िार संगह
ृ ीत
करके विश्लेिण ककया जा सकता है और उनकी तल
ु ना अन्तर का आकलन ककया जा सकता है . इसके
अलािा, इन आाँकड़ों से यह सच
ू ना भी शमल सकती है कक इस पररयोजना से कैसे छोटे उत्पादकों को
सहायता शमली.

9.19 बचत, ननवेश और ऋण पर क्या प्रभाव है ?

क. विशिटट उत्पादक ने ककतनी बचत की, उसने कहााँ बचत की और बचत की मात्रा तया है ? इनका
आकलन करने की जरूरत है .

ख. िमीन, पिओ
ु ,ं कृवि उपकरणों की खरीद, कुओं का ननमािण, गह
ृ ननमािण, गहनों की खरीद, वििाह
एिं बच्चों की शिक्षा आहद के शलए ननिेि ककया जा सकता है . इनमें होने िाले पररितिनों के आकलन
की आिश्यकता है .

ग. तया ककसानों/उत्पादकों ने बैंकों से कोई ऋण शलया है या मोलतोल करने की ताकत बढ़ने की


िजह से ऋण ककसी अन्य स्रोत से शलया है . उत्पादक संगठनों से ऋण शमलने की िजह से बैंकों द्िारा
हदये जानेिाले ऋण में कोई कमी आई है ? ऐसे पहलओ
ु ं को दे खा जाए.

9.20 कृवष और ग्रामीण ववकास पर इसका प्रभाव क्या पड़ा है ?

कृवि से संबधं धत प्रभाि का उत्पादकता, उत्पादन, खेती क्षेत्र में िवृ ि, शसंधचत क्षेत्र और फसल सघनता में
िवृ ि पर पड़ सकता है . उदाहरण के शलए ककसान उत्पादक संगठन कायि के मामले में , बढ़ी उपज,
उत्पादन, कृवि क्षेत्र, शसंधचत क्षेत्र और फसल सघनता के शलए ककसान /उत्पादक–िार आाँकड़े दे खे जा सकते
हैं. इसके अलािा, भशू म–समतलीकरण, जल संसाधनों के सज
ृ न आहद में ककए गये ननिेि से यह पता
चलेगा कक ककतना अनतररतत क्षेत्र खेती के अंतगित लाया गया है . इससे यह पता चलता है कक पररयोजना
क्षेत्र में बंजर भशू म के विकास के कारण गण
ु ित्ता िाली भशू म का ककतना विकास हुआ है . ककसानों/उत्पादकों
के प्रशिक्षण और क्षमता ननमािण के कारण, उत्पादन, फसल-कटाई और भंर्ारण के स्तर पर उत्पाद की
गण
ु ित्ता में सध
ु ार हो सकता है . चीिों के मप
ू य पर सध
ु री गण
ु ित्ता से लाभ का आकलन ककया जा
सकता है .
(क) इसके अलािा, इन क्षेत्रों में स्थावपत नए उद्योगों और रोजगार प्राप्त लोगों की संख्या से यह शसि
ककया जा सकता है कक सक्ष्
ू म उद्यमों की स्थापना, अधधक नौकररयों के सज
ृ न के रूप में ग्रामीण
अथिव्यिस्था में तया कुछ विकास हुआ है . प्रशिक्षण से संबधं धत आाँकड़े जैसे प्रशिक्षणों की संख्या,
प्रशिक्षक्षत लोगों की संख्या, उपललध कराए गए कौिल. विकास प्रशिक्षणों के प्रकार का भी आकलन
ककया जा सकता है और खेती कायों पर हदए गए प्रशिक्षणों के प्रभाि का विश्लेिण भी ककया जा सकता
है .

87
9.21 ववस्थापन पर इसका प्रभाव क्या पड़ा है ?
पररयोजना क्षेत्रों में साधारणतया यह पाया गया है कक विस्थाप में कमी आई है और कुछ मामलों लोग
बाहर से िापस भी आए हैं. विस्थापन में कमी का स्तर और विस्तार के आकलन की जरूरत है . इसके
शलए, विस्थापन के स्तर का आकलन पररयोजना-पि
ू ि और पररयोजना-पश्चात करने की जरूरत है .

9.22 बाजार/मंडी पर इसका प्रभाव क्या होगा ?


बािार/मंर्ी प्रबंधन में उत्पादक संगठन की अच्छी भशू मका हो सकती है . उत्पादक संगठन बािार की
मााँग के अनस
ु ार अच्छी गण
ु ित्ता और मात्रा िाले उत्पाद का िय-वििय कर सकता है . उत्पादक संगठन
को अपने उत्पाद के शलए बेहतर मप
ू य शमलता है और इस प्रकार तैयार उत्पाद को अस्िीकार करने की
नौबत कम आती है .

9.23 उत्पादक के जीवन की गण


ु वत्ता पर प्रभाव क्या है ?

पररयोजनाओं के कायािन्ियन से जीिन की गण


ु ित्ता में पररितिन आता है जैसे खाद्य सरु क्षा में सध
ु ार
आता है , उपभोग स्िरूप में पररितिन आता है , गह
ृ , स्िास््य ि स्िास््य-विज्ञान, बच्चों की शिक्षा आहद
में पररितिन आता है . पररयोजना क्षेत्र के लोगों के जीिन स्तर का आकलन करने हे तु इन पहलओ
ु ं से
संबधं धत आाँकड़ों का अध्ययन एिं विश्लेिण करना जरुरी है .

क) खाद्य सरु क्षा : 'खाद्य असरु क्षा' एक महत्िपण


ू पहलू है . पररयोजना-पि
ू ि और पररयोजना के उपरांत
की अिधध में खाद्यान्न की कमी का आकलन करने से खाद्यान्न सरु क्षा और खाद्यान्न उपभोग पर
उसके प्रभाि का संकेत शमलता है .

ख) उपभोग के स्िरूप में बेहतरी : विकासात्मक पररयोजनाओं के अंतगित यह दे खा गया है कक खाद्यान्न


व्यय की प्रनतितता में आनप
ु ानतक कमी आई है और अखाद्य उपभोग चीिों और अन्य चीजों के व्यय
में िवृ ि आई है और यह पररयोजना पश्चात अिधध में उत्पादकों के जीिन की गण
ु ित्ता में आये सध
ु ार
को दिािता है . उपभोग स्िरूप में आए पररितिन जैसे विशभन्न तरह की सल्लजयों, दध
ू , दग्ु ध-उत्पाद,
पोपरी, मांस, मछली आहद का उपभोग होंगे जो अिश्य बेहतर जीिन स्तर की ओर संकेत करते हैं.

ग) आिास ल्स्थनत एिं साफ-सफाई सवु िधा : बेहतरीन जीिन स्तर को दिािनेिाली चीिों में आिास
पहला है और सफाई भी इसी के साथ जुड़ी रहती है . पररयोजना पि
ू ि और पररयोजना पश्चात अचल
संपल्त्तयों जैसे आिास और सफाई सवु िधाओं का आकलन करने से आिास की ल्स्थनतयों और स्िास््य
सध
ु ार का पता चलता है .

घ) पयािप्त सरु क्षक्षत पेय जल : सरु क्षक्षत पेय जल पररिार के स्िस्थ जीिन के शलए महत्िपण
ू ि है . यह
महहलाओं के शलए एक बड़ी राहत भी है तयोंकक बहुत दरू से पानी लाना महहलाओं के शलए अशभिाप है .
प्रत्येक उत्पादक के घर में पेय जल के स्रोत का अध्ययन और पररयोजना क्षेत्र में आधार भत
ू सवु िधाओं
के विकास पर पररयोजना के प्रभाि के अध्ययन से पररयोजना से प्राप्त पररितिनों को दिािता है .

88
ङ) स्िास््य एिं पररिार ननयोजन

ककतने लोगों ने यह ररपोटि ककया कक उन्हें पोशलयो, बीसीजी, टे टेनेस आहद का टीका लगाया गया है .
गह
ृ ों/स्थानीय ग्राम स्तर पर, सरकारी अस्पतालों और ननिी अस्पतालों में हो रहे प्रसिों की प्रनतितता
तया ह ? सिेक्षणाधीन घरों में पररिार ननयोजन के प्रनत जानकारी और स्िीकृनत ककतनी है ?

9.24 पयाधवरण पर इसका प्रभाव क्या पड़ा है ?

जल-संग्रहण प्रणाली की स्थापना की िजह से या तकनीकों को अपनाने से या जानकारी के कारण शसंचाई


जल के कुिल उपयोग में िवृ ि, जल के कुिल उपयोग में िवृ ि, जैि उििरकों का उपयोग, मद
ृ ा की
गण
ु ित्ता में सध
ु ार लाने हे तु रासायननक उििरकों और कीटनािों के उपयोग में कमी, भ-ू जल की गण
ु ित्ता,
पौधारोपण या निीकरणीय ऊजाि स्रोतों आहद का उपयोग पर इसका ककतने ककसान/उत्पादक इन तकनीकों
को अपना रहे हैं. कृवि के हटकाऊ विकास से संबधं धत जागरुकता कायििमों में ककतने ककसान/उत्पादक
भाग ले रहे हैं.

9.25 महहला उत्थान संबध


ं ी ववषयों के ववमशष्ट्ट संदभध में महहला ववकास पर क्या प्रभाव पड़ा है ?

पररयोजना में महहलाओं की भागीदारी के कारण महहला विकास संबध


ं ी प्रभाि की जांच महहला उत्थान
संबध
ं ी मामलों के विशिटट संदभि में सविस्तार करने की आिश्यकता है . महहलाओं की सामाल्जक ल्स्थनत,
दानयत्ि, ननणिय लेने में भशू मका, पाररिाररक गनतविधधयों में भागीदारी, अपनी क्षमता ननमािण, आधथिक
स्ितंत्रता आहद से संबधं धत मामलों का आकलन करने की आिश्यकता है . इनका आकलन ननम्नानस
ु ार
ककया जा सकता है :

क. पररयोजना /कायििम में भाग ले रही महहलाओं का प्रनतित तया है ?


ख. ग्राम स्तर, पररसंघ स्तर और उत्पादक संगठन स्तर संस्थाओं में ककतनी महहलाएाँ हैं ? शलंग
समानता के मामले में पररयोजना कैसे सहायक है ?
ग. स्ियं सहायता समह
ू कायििम में ककतनी महहलाएाँ भाग ले रही हैं ?
घ. लड़ककयों की शिक्षा यानी पाठिालाओं में लड़ककयों के प्रिेि में कोई िवृ ि हुई.
च. पररिार ननयोजन उपायों को ककतनी महहलाओं ने अपनाया?
छ. अपनी आय के उपयोग के संबध
ं में ननणिय लेने में , ककतनी महहलाओं ने ननणिय खद
ु शलया,
ककतनी महहलाओं ने अपने पररिार से परामिि शलया और ककतनी महहलाओं ने कोई परामिि नहीं
शलया ?

9.26 ववकास और कायध संस्कृनत पर प्रभाव क्या है?


गरीब ककसानों /उत्पादकों की भागीदारी से सकारात्मक विकास माहौल की ओर गण
ु ित्तापरक पररितिन
लाने में पररयोजना का तया कुछ प्रभाि है ?
िराब पीने और अन्य व्यसनों में तया कुछ कमी आई है या उन्हें बंद ककया है .
सामहू हक विपणन, ननविटटयों की खरीद के मामले में इस पररयोजना के कारण ककसानों/उत्पादकों के बीच
कैसे एकता आई ?
इन पहलओ
ु ं के संबध
ं में सध
ु ार का आकलन ननम्नानस
ु ार ककया जा सकता है ः

89
क. उन पररिारों की संख्या तया है जो अपने आप काम कर सकते हैं.
ख. ग्राम विकास में ल्जम्मेदारी लेने के शलए ककतने लोगों ने अपनी इच्छा जाहहर की ?
ग. विकास में महहलाओं की भागीदारी का समथिन ककतने लोगों ने ककया?
घ. अपने समाज में सकारात्मक सामाल्जक-सांस्कृनतक पररितिन को ककतनों ने समथिन ककया ?
ङ. ग्राम समद
ु ाय के विकास में उत्पादक संगठन की सकारात्मक भशू मका को ककतने लाभाधथियों ने
स्िीकार ककया ?
च. ककतने लाभाधथियों ने यह स्िीकार ककया कक ितिमान पररयोजना अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा
दे ने में सहायक होगा ?
छ. उत्पादक संगठन/ पररसंघ /तलस्टर ग्राम स्तर सशमनत के कायि में ककतने उत्तर दे नेिाले सकिय
रूप से भाग ले रहे हैं?

9.27 घरे लू सवेक्षण फामेट की रूपरे खा कैसे बनानी है?


नीचे एक नमन
ू ा घरे लू सिेक्षण फामेट हदया गया है . यह केिल ककसान उत्पादक संगठन को ध्यान में
रखकर तैयार ककया गया एक ननदे िात्मक फामेट है . यह मागिदििक के रूप में काम करे गा और अन्य
पररयोजनाओं की आिश्यकताओं के आधार पर अलग से फामेटों को तैयार करने की आिश्यकता है .
घरे लू सवेक्षण फामेट
पररिार कोर् संख्या
नाम नतः अन्य जानत/वपछड़ी जानत /अजा/अजजा

गॉि/ननिास स्थान पररिार संख्या गांिों का ननिासी/अननिासी

I. कृवष पररवारों का वववरण


क) पररवार के सदस्य
ि नाम पुरुष / उम्र पररवार मशक्षा* अपंग पेशा* म.गां.रा.ग्रा.रो.गा.यो. काडध
सं स्त्री प्रधान ता काडध / संख्या
के साथ हाँ/नहीं
ररश्ता

*शिक्षाः एसएससी/इन्टर/स्नातक/तकनीकी; पेिाः कृवि /कृवि श्शमक/मिदरू

II. भमू म, जल संसाधन, फसल आहद का वववरण


क. भ–ू वववरण :
भूमम (एकडों मसंचाई समनुदेमशत अपनी भूमम पट्टे पर पट्टे पर अन्य कुल
में ) का स्रोत भूमम (पास बुक ली गई दी गई
के अनस
ु ार) भमू म भमू म
ििािधीन
शसंधचत

90
परती
बागबानी
बंिरभशू म

जल संसाधन :
स्रोत मसंचाई के अंतगधत क्षेत्र मौसम जल उपलब्धता हदनों
की संख्या
बोरिेल (संख्या)
र्गिेल (संख्या)

फसल :
धान मक्का कपास जवार मँग
ू फली दालें अन्य कुल

क्षेत्र (हे तटरों


में )
उपज
(ल्तिंटलों
में )
आय (रुपयों
में )
बबिी स्थान

कृवष उपकरण : (धचह्न () लगाएँ)


हल रै तटर छं टाई यंत्र नछर्काि यंत्र
बैलगाड़ी नछड़काि यंत्र अन्य अन्य

स्रोतवार वावषधक आय एवं इनके प्रनतशत


कृवष मजदरू ी पशध
ु न ववस्थावपत नौकरी कुशल कायध /
आय अजधक
गनतववधध
आय % आय % आय % आय % आय % आय %

कुल पररवार की आय (प्रनत वषध रुपयों में )


से कम >30000 से <50000 से <100000 से >200000 से >300000 से
30,000 <50000 <100000 <200000 <300000 >500000

91
ऋण :
ऋण स्रोत ऋण रामश ऋण दर क्जस प्रयोजन अभ्यक्ु क्तयॉ ं
के मलए मलया है
बैंक
स्ियं सेिा समह

व्यल्तत
कुल ऋणग्रस्तता

बचत समह
ू ों की सदस्यता
समह
ू का नाम (1)

एसएचजी हां नहीं समह


ू का नाम (2)
की सदस्यता
एसएचजी का नाम
बचत धन हां नहीं

पशध
ु न
नाम संख्या छोटा बडा
सांर्
गायें
भैंस
भेड़
बकरी
मग
ु ी
कमी :
मद एक वषध के ककतने माह के मलए खरीद ? (हां/नहीं)
खाद्यान्न
मजदरू ी कायि
चारा
जलािन
अन्य

पररसंपक्त्त
पररसंपक्त्त पररसंपक्त्त का प्रकार मप
ू य (रुपये)

92
आिास कच्चा/पतका
पेय जल का स्रोत
बाइसाइकल/दो पहहए/ चार पहहए िाहन
रे किजरे टर
टे लीवििन
अन्य

9.28 पररयोजना कायाधन्वयन योजना के घटक क्या है?


आदिि रूप से पररयोजना कायािन्ियन योजना में ननम्नशलखखत तत्ि रहते हैं :
क. पररयोजना के लक्ष्य और प्राथशमकतां ं
ख. समीक्षात्मक विश्लेिण
ग. संगठन, भशू मकां ं और ल्जम्मेदाररयॉ ं
घ. पररयोजना कायिनीनत, कायािन्ियन, पयििेक्षण और अनि
ु ीक्षण

9.29 पररयोजना के लक्ष्य और प्राथममकतां ं क्या है ?


प्रायोजक के नाम सहहत पररयोजना वििरण, पररयोजना का नाम और व्यापार अनम
ु ोदनों के संदभि और
वििरण.
क. पररयोजना के लक्ष्य : पररयोजना के कायािन्ियन से प्राप्त होने िाले पररयोजना के महत्िपण
ू ि
लक्ष्य
ख. बजट एिं कायििम : पररयोजना के घटक और लागत. घटक-िार लागत और पररयोजना की कुल
लागत
ग. ननधीयन स्रोत : बजट की राशि की व्यिस्था कैसे की जाएगी? इसमें प्रत्येक स्रोत से अपेक्षक्षत
ननधधयों के स्रोत और ननधधयों की मात्रा िाशमल है .
घ. अनम
ु ोदन एिं सहमनत : प्रदि
ू ण-ननयंत्रण बोर्ों से अनापल्त्त प्रमाणपत्र अपेक्षक्षत है. उसी तरह,
व्यापार करने के शलए अनज्ञ
ु ल्प्त की जरूरत हो सकती है .

9.30 समीक्षात्मक ववश्लेषण से क्या तात्पयध है ?


समीक्षात्मक विश्लेिण में प्रत्याशित आिंकाओं एिं बाधाओं की पहचान की जाती है और विशिटटीकृत
ककया जाता है . ककसी भी पररयोजना में महत्िपण
ू ि मामले, जोखखम और अननल्श्चतताएं रहती हैं जो
पररयोजना को संकट में र्ाल सकती हैं. इन जोखखमों को कैसे दरू ककया जाएगा ? इन जोखखमों के
आकलन हे तु और समय समय पर ननिारणात्मक उपाय करने के शलए उधचत संस्थागत ननगरानी की
व्यिस्था होनी चाहहए.

9.31 संगठन की भमू मका और दानयत्वों का बताएं ?


पररयोजना के हहतधारकों सहहत पररयोजना में िाशमल सभी विभागों/अनभ
ु ागों के सभी वििरण जैसे नाम,
पता, टे लीफोन, फैतस आहद का उपलेख होना चाहहए. प्रत्येक विभाग में मख्
ु य कमिचाररयों के नाम एिं
उनकी ल्जम्मेदाररयों का उपलेख ककया जाना चाहहए. पररयोजना की रूपरे खा की तैयारी, अधधप्राल्प्त,
ननमािण के शलए और उसे चालू करने एिं सौंपने के ननशमत्त भशू मकाओं, ल्जम्मेदाररयों, उत्तरदानयत्िों,

93
प्रत्यायोल्जत वित्तीय प्राधधकारी का उपलेख ककया जाना चाहहए, योजना के कारगर कायािन्ियन के शलए
उत्पादक संगठन को एक पररयोजना प्रबंधक के अधीन पररयोजना कायािन्ियन टीम का गठन करना
चाहहए/ यह पररयोजना प्रबंधक पररयोजना और उसके कायािन्यिन के शलए प्रभारी होंगे.

पररयोजना कायाधन्वयन टीम - यह िह इकाई है जो पररयोजना के पण


ू ि कायािन्ियन, पररचालन, रखरखाि,
वित्त पोिण तथा अनप्र
ु ितिन के शलए उत्तरदायी है े् यह पररयोजना के कायािन्ियन तथा विशभन्न विभागों
के बीच कायि आबंटन के शलए ल्जम्मेदार है . पररयोजना प्रबंधक की अध्यक्षता में गहठत पररयोजना
कायािन्ियन टीम की सहायता ननम्नशलखखत तीन इकाइयॉ ं करें गी.

डडजाइन और कायाधन्वयन इकाई - कायों को प्राप्त करना, मानक उपलल्लधयां और डर्जाइन कायििम के
साथ उनका तालमेल, ननविदा प्रकिया एिं अधधप्राल्प्त, सरु क्षा एिं पयाििरण, प्रगनत की ररपोहटिं ग, मानकों
की पररभािा, गण
ु ता प्रबंधन, स्थल ननयंत्रण और ननरीक्षण, त्रहु टयों का संिोधन / पररयोजना को चालू
करना, पररचालन और अनरु क्षण/ पररयोजना के कायािन्ियन के शलए समय-सीमा का ननधािरण/मिीनरी
की खरीद, स्थापना, पररचालन एिं रखरखाि.

लागत परामशधदाता – सनदी लेखाकार और लेखा-परीक्षक - वित्तीय एिं लागत तथा व्यय ननयंत्रण,
लागत, ननविदा संबध
ं ी कायि, बीमा, जोखखम ननधािरण एिं ननयंत्रण तंत्र का विकास और ननधध प्रबंधन

अनप्र
ु वतधन टीम - समय-समय पर पररयोजना के कायािन्ियन की और पररणामों/प्रभाि की ननगरानी और
सच
ू ना और आिश्यक कारि िाई के शलए प्रबंध तंत्र को ररपोटि करना.

9.32 उत्पादक संगठन का सामान्य संगठनात्मक चाटध प्रदान करें ?

उत्पादक संगठन का बोडध

प्रोजेक्ट मैनेजर

फेडरे शन फेडरे शन
कायधननष्ट्पादन ववत्त अनप्र
ु वतधन
टीम टीम टीम

क्लस्टर स्तरीय क्लस्टर स्तरीय


संगठन संगठन

सदस्य सदस्य सदस्य सदस्य सदस्य सदस्य

94
अध्याय 10

उत्पादक संगठन, पीओपीआई एवं ववत्तपोषक एजेंमसयों द्वारा अनप्र


ु वतधन

10.1 अनप्र
ु वतधन क्या है ?

अनप्र
ु ितिन का तात्पयि है ककसी चल रही पररयोजना के संबध
ं में सच
ू नाओं का व्यिल्स्थत संग्रहण करने
एिं उनके विश्लेिण करने का अनप्र
ु ितिन कहा जा सकता है . इसका उद्देश्य पररयोजना के कायािन्ियन
की क्षमता और प्रभाििीलता को बढ़ाकर उत्पादकों / उत्पादक संघों को अधधकतम लाभ पहुंचाना है .

10.2 सक्षमता क्या है ?

सक्षमता यह बताती है कक लाभ की दृल्टट से तया प्राल्प्तयां व्यय से अधधक हैं. यह प्राल्प्तयों और
ननविल्टटयों का अनप
ु ात है. वित्तपोिक एजेंसी इस बात का अनप्र
ु ितिन करे गी कक पररयोजना को लागू
करने में उत्पादक संगठन और पीओपीआई ककतना सक्षम हैं. इसी प्रकार, उत्पादक संगठन भी ककसानों
(उत्पादक) के स्तर पर अनप्र
ु ितिन करें ग.े कुछ मानदं र्ों जैसे कक प्रनत ककसान पर ककया गया व्यय और
उसके आय में हुई िवृ ि सक्षमता का एक संकेतक हो सकता है . खचि की गई राशि की तल
ु ना में आय
में ल्जतनी िवृ ि हुई है, उसकी क्षमता भी उतनी अधधक मानी जाएगी.

10.3 प्रभावशीलता क्या है ?

पररयोजना के ननधािररत विशिटट लक्ष्यों को ल्जस सीमा तक प्राप्त ककया जाता है , उसे प्रभाििीलता
कहते हैं.
उदाहरण के शलए, पररयोजना का उद्देश्य यहद उत्पादक संगठन से सम्बि सभी ककसानों / उत्पादकों के
आय स्तर में िवृ ि करना है तो आय में ककस हद तक िवृ ि हुई है , उसे हमें मापना होगा. इसी तरह,
यहद उपज की मात्रा में िवृ ि करनी है तो हमें उपज में हुई िवृ ि को मापना होगा. ये आकलन यह
दिािते हैं कक कायििम ककतना प्रभािी रहा. आय स्तर ल्जतना ऊंचा होगा, पररयोजना की प्रभाििीलता
भी उतनी ही ऊंची मानी जाएगी.

10.4 पररयोजना का अनप्र


ु वतधन कौन करे गा ?

पररयोजना का अनप्र
ु ितिन उत्पादक संगठन, पीओपीआई तथा वित्तपोिक एजेंसी द्िारा ककया जाएगा.

10.5 उत्पादक संगठन द्वारा क्या अनप्र


ु वतधन ककया जाएगा ?

उत्पादक संगठन पहले खद


ु को संतटु ट करे कक िह सभी हहतधारकों की अपेक्षाओं को परू ा करने हे तु
सही ढं ग से काम करने में सक्षम है . उसे उत्पादक स्तर पर भी कायि का अनप्र
ु ितिन करने की जरूरत
है . उसे पीओपीआई के परामिि से ननविल्टटयों की उपललधता, कायिननटपादन, उत्पादों की माकेहटंग
इत्याहद के शलए एक कायि सच
ू ी / समय सच
ू ी बनानी होगी. तदनस
ु ार, उसे प्रत्येक स्तर पर इसकी
समीक्षा एिं अनप्र
ु ितिन करना होगा. समीक्षा एिं अनप्र
ु ितिन हे तु आिश्यक र्ाटा संग्रह करने के शलए
उत्पादक संगठन को उत्पादक संगठन को उपयत
ु त प्रारूप तैयार करने होंगे.

95
10.6 पीओपीआई द्वारा क्या अनप्र
ु वतधन ककया जाएगा ?

पीओपीआई को उत्पदक संगठन के कायि एिं आधार स्तरीय उपलल्लधयों का अनप्र


ु ितिन करना होगा.
उसे समय-समय पर काम की प्रगनत का आकलन करना होगा और जरूरत पड़े तो आिश्यक सझ
ु ाि भी
दे ना होगा. ननहदि टट प्रारूपों को तैयार करिाकर उत्पदक संगठन को दे ना होगा ल्जसमें उत्पादक संगठन
आिश्यक र्ाटा भरकर पीओपीआई एिं वित्तपोिक एजेंसी को प्रस्तत
ु करे गा. प्रगनत ररपोटि के अनतररतत,
िह पररयोजना हे तु स्टाफ की उपललधता का व्यल्ततिः उत्पादकों का र्ाटा, लागत, ननविल्टटयों की
उपललधता, उत्पादों की मात्रा, आय, उत्पादक संगठन के बही-खातों इत्याहद का अनप्र
ु ितिन करे गा और
इसकी एक विस्तत
ृ ररपोटि आिश्यकतानस
ु ार हर दो अथिा तीन महीने पर वित्तपोिक एजेंसी को प्रस्तत

करे गा.

10.7 ववत्तपोषक एजेंसी द्वारा क्या अनप्र


ु वतधन ककया जाएगा ?

वित्तपोिक एजेंसी उत्पादक संगठन / पीओपीआई द्िारा प्रस्तत


ु की जाने िाली ररपोटों के शलए उपयत
ु त
प्रारूप तैयार करे गी. यह एजेंसी लक्ष्यों के समक्ष उपलल्लधयां, कायािन्ियन की गण
ु ित्ता, सदस्यों की
सहभाधगता एिं प्रशिक्षण कायििमों की पयािप्तता का भी अनप्र
ु ितिन करे गी. इससे वित्तपोिक एजेंसी को
यह पता लगाने में सवु िधा होगी कक तया इसके शलए पयािप्त संसाधन उपललध हैं और पररयोजनाओं के
कायािन्ियन हे तु तया पयािप्त मानि संसाधन उपललध है . यह अनप्र
ु ितिन र्ेस्क स्तर (कायािलय में )
अथिा फीपर् स्तर पर हो सकता है .

10.8 डेस्क स्तर अनप्र


ु वतधन क्या है ?

र्ेस्क अनप्र
ु ितिन में वित्तपोिक एजेंसी द्िारा पररयोजना की आंतररक समीक्षा िाशमल है. वित्तपोिक
एजेंसी अथिा पीओपीआई द्िारा बार-बार फीपर् विल्जट करना मल्ु श्कल है, अतः एजेंसी द्िारा प्रस्तत

वििरखणयों के आधार पर पररयोजना के प्रगनत की र्ेस्क समीक्षा की जा सकती है तथा ननटकिों पर
उत्पादक संगठन एिं पीओपीआई के साथ बैठकों में चचाि की जा सकती है. चचाि के दौरान पररयोजना
कायािन्ियन संबध
ं ी कशमयों को उजागर ककया जा सकता है और उन्हें दरू करने हे तु कदम उठाए जा
सकते हैं.

उत्पादक संगठन द्िारा प्रस्तत


ु ररपोटि एिं फीपर् में तैनात उसके अपने स्टाफ से प्राप्त ररपोटों के आधार
पर पी ओ पी आई समीक्षा करे गी. समीक्षा में समय-समय पर उत्पादक संगठन को िाशमल ककया जा
सकता है ल्जससे पररयोजना कायािन्ियन में सध
ु ार लाया जा सके.

प्रत्येक स्तर पर यानन वित्तपोिक एजेंसी, पीओपीआई तथा पीओ स्तर पर आंकड़ों की प्रस्तनु त हे तु
उपयत
ु त प्रारूप एिं प्रदििन हे तु टे म्पले्स बनाने की जरूरत है . पीओ द्िारा प्रस्तत
ु ररपोटि में
ननम्नशलखखत वििरण होने चाहहए :

(क) प्रस्तावित व्यिसाय का प्रोजेतिन, अनम


ु ान और िास्तविक प्रगनत से तल
ु ना

(ख) संवितरण - लक्ष्य और उपलल्लधयां

96
(ग) चुकौनतयााँ - दे य तथा उनकी चुकौती और अनतदे य राशि

(घ) नाशमत खाते का पररचालन; और उधारकताि के साथ अद्यतन पत्राचार

(ङ) स्टॉक वििरखणयााँ, िावििक ररपोटि , निीनतम बैलेन्स िीट तथा लाभ एिं हानन वििरखणयााँ (यहद
िावििक समापन के बाद समीक्षा हुई हो तो)

(च) ननयम और ितों के तहत कोई लंबबत अनप


ु ालना

वववरखणयाँ प्राप्त करने के पश्चात पीओपीआई तथा ववत्तपोषक एजेंसी को ननम्नमलखखत बातों पर ध्यान
दे ना चाहहए :

(क) प्रगनत की समीक्षा करना.

(ख) योजना बनाने और/अथिा उसके कियान्ियन में आनेिाली समस्याओं की पहचान करना.

(ग) यहद आिश्यक हो तो, उत्पादक संगठनों के शलए जारी ननधधयों में समायोजन करें .

10.9 क्या डेस्क स्तरीय अनप्र


ु वतधन 'ककसी प्रकार की पव
ू ध चेतावनी का संकेत दे ता है ' ? यहद हाँ, तो
वे क्या हैं?

र्ेस्क स्तरीय ननगरानी का एक उद्देश्य 'पि


ू ि चेतािनी के संकेतों' की पहचान करना है . योजना के
कायािन्ियन में विचलन हो सकता है , ननयम और ितों का उपलंघन हो सकता है , उपलल्लधयों में कमी
आ सकती है , उत्पादक संगठन स्तर पर अनतदे य राशि हो सकती है , नाशमत खातों का संचालन, अनभ
ु िी
फीपर् स्टाफ अपयािप्त हो सकते है , उत्पादक संगठन अथिा पीओपीआई अथिा उत्पादकों के सहभाधगता
में कमी हो सकती है . इनका बारीकी से अनप्र
ु ितिन करना चाहहए और यहद आिश्यक हो तो, तत्काल
फीपर् स्तर पर ननगरानी करनी चाहहए.

10.10 फीपड स्तरीय अनप्र


ु वतधन क्या है ?

फीपर् स्तर ननगरानी में मख्


ु य रूप से िास्तविक आंकड़ों का संग्रहण िाशमल है . इसमें ककसानों /
उत्पादकों तथा अन्य हहतधारकों से संपकि कर फीपर् स्तर से विस्तत
ृ र्ाटा इकट्ठा करना होता है . र्ाटा
संग्रहण हे तु अध्याय 9 में सझ
ु ाए गए प्रारूप की तजि पर अथिा अपनी जरूरत के अनस
ु ार वििेि प्रोफामाि
बनाया जा सकता है.

कभी-कभी फीपर् स्तरीय र्ाटा ननम्नशलखखत पहलओ


ु ं के शलए भी महत्िपण
ू ि हो सकता है ल्जनपर
पररयोजना की सफलता अथिा असफलता ननभिर कर सकती है :

(क) ननविल्टटयों की समय पर उपललधता

(ख) सदस्यों के शलए उपललध तकनीकी सहायता - लक्ष्य गत बनाम िास्तविक आपनू ति

(ग) भंर्ारण एिं प्रसंस्करण व्यिस्था - योजना बनाम उपलल्लध

97
(घ) माकेहटंग संबिता - योजना गत लाभ बनाम िास्तविक लाभ

(ङ) लक्ष्य गत उत्पादकता / आय में िवृ ि बनाम िास्तविक उपलल्लध

(च) उत्पादक संगठन द्िारा दी गयी सेिाओं के प्रनत सदस्यों का अपना दृल्टटकोण और उसकी
प्रभाििीलता

10.11 पररयोजनाओं के अनप्र


ु वतधन की योजना कैसे बनाएँ ?

अनप्र
ु ितिन योजना प्रकिया का एक हहस्सा होना चाहहए. योजना के आरं भ में ही अनप्र
ु ितिन के मानदं र्ों
का ननधािरण करना चाहहए. ये मानदं र् पररयोजना के उद्देश्यों के अनक
ु ू ल हों. अतः उत्पादक संगठन,
पीओपीआई एिं वित्तपोिक एजेंशसयों द्िारा आरं भ से ही लक्ष्य के प्रनत ननटपादन संबध
ं ी जानकारी लेना
िरू
ु कर दे ना चाहहए. िस्तत
ु ः पहली जानकारी योजना बनाते समय ही लेनी चाहहए.

10.12 हम ककन संकेतकों हे तु सझ


ु ाव दे सकते हैं ?

संकेतक एक ऐसे मापक अथिा मत


ू ि संकेतक होते हैं जहां तक पररयोजना अथिा उत्पादक संगठन का
पहुाँचना लक्ष्य होता है . उदाहरण के शलए कुछ संकेतक इस प्रकार हैं : जैसे - उत्पादकता तथा उत्पादन
में िवृ ि, उत्पादकों के स्तर पर आय में िवृ ि, उस क्षेत्र की अथिव्यिस्था में ऐसा सध
ु ार कक िहां छोटे
उद्यमों को स्थावपत ककया जा सके, विस्थापन रोकने की दृल्टट से सामद
ु ानयक सिल्ततकरण, स्िास््य
एिं स्िच्छता, आधारभत
ू सवु िधाओं, महहला भागीदारी, महहला सिल्ततकरण इत्याहद में सध
ु ार, संकेतकों
के माध्यम से कोई भी व्यल्तत ननम्नशलखखत प्रश्न पछ
ू सकता है अथिा उत्तर दे सकता है ; जैसे -

कौन - पररयोजना से कौन लाभाल्न्ित हो रहे हैं ?

ककतने - ककतने लोगों को लाभ हुआ है ?

ककतना - ककतना लाभ हुआ है ?

संकेतक के कुछ अन्य उदाहरण इस प्रकार हैं :

कृपया यह नोट करें कक ये संकेतक उदाहरण स्िरूप हैं और कृवि पररयोजनाओं से ही संबल्न्धत हैं. ये
गैर- कृवि आधाररत पररयोजनाओं की जरूरतों के अनक
ु ू ल हो भी सकते हैं अथिा नहीं भी हो सकते हैं.

आधथधक ववकास संकेतक

(क) भे-जोत का औसत आकार

(ख) शसंधचत क्षेत्र का औसत आकार

(ग) प्रमख
ु फसलें - क्षेत्र और उपज के साथ

(घ) ननिेि की मदें

(ङ) उत्पादों का बािार मप


ू य

98
(च) माकेहटंग सवु िधा

(छ) ग्रामीण संपकि सवु िधाएं - माकेहटंग केन्रों के साथ संपकि

(ज) बबजली की उपललधता - प्रनतहदन घंटों में

(झ) पररिार की िावििक औसत आय

(ञ) आय स्तर में िवृ ि

(ट) ग्रामीण आिागमन - विपणन केंरों से संपकि

(ठ) प्रनतहदन घंटों में बबजली की उपललधता

(र्) औसत िावििक पाररिाररक आय

(ढ) आय स्तर में िवृ ि

(ण) नए सक्ष्
ू म उद्यम/ छोटे कारोबार

(त) ननयोल्जत व्यल्ततयों की संख्या में िवृ ि

(थ) औसत साप्ताहहक/ माशसक मजदरू ी

(द) उम्र समह


ू , पेिा, सीजन और शलंगिार रोजगार/ बेरोजगारी

(ध) ऋणों की चक
ू दरें

(न) गरीबी रे खा से नीचे लोगों की प्रनतितता

सामाक्जक ववकास संकेतक

क. पररयोजना/ संघों/पीओ में महहलाओं की सहभाधगता

ख. शििु मत्ृ यु दर

ग. साक्षरता दर, उम्र एिं शलंग िार

घ. स्कूल में बने रहने की दर

र्. स्कूली शिक्षा परू ी करने की दर

च. ककसानों/ उत्पादकों द्िारा आत्महत्या की संख्या और कारण

छ. आिास, पेयजल, स्िच्छता एिं बबजली यत


ु त आिास स्थान

ज. बेघर लोगों की संख्या

99
संस्थागत/ संगठनात्मक ववकास के संकेतक

क. पररयोजना में सकिय रूप से भाग लेने िाले उत्पादकों की संख्या

ख. बैठकों में उपल्स्थनत

ग. प्रशिक्षण में उपल्स्थनत

घ. स्ियं सहायता समह


ू ों की संख्या/ ऋण संयोल्जत स्ियं सहायता समह
ू ों की संख्या

ङ. पररयोजना के क्षेत्र में उपललध प्राथशमक कृवि सहकारी सशमनत, अन्य सहकारी संस्थाएं, जैसे बन
ु कर,
मछुआरे , अजा और अजजा सहकारी सशमनतयां, अन्य संस्थाएं

च. विशभन्न संस्थाओं की संरचना

छ. उम्र और शलंगिार चन
ु ािों में सहभाधगता दर

ज. उम्र और शलंगिार जनसभाओं में सहभाधगता

10.13 संकेतक कैसे तैयार करें ?

पररयोजना के उद्देश्य/ प्रभाि आकलन के आधार पर संकेतक तैयार ककए जाते हैं. उदाहरणाथि, कृवि
आधाररत पररयोजना में ननम्नशलखखत उद्देश्य हो सकते हैं-

क. उत्पादक की आय में सध
ु ार करना

ख. कृवि के अंतगित आने िाले क्षेत्रों का विकास करना

ग. पलायन रोकना

घ. लोगों के जीिन की गण
ु ित्ता में पररितिन लाना

ङ. प्राकृनतक संसाधनों की ननरं तरता पर जागरूकता सज


ृ न

च. महहलाओं से जुड़े मद्द


ु ों के समाधान हे तु विकास की प्रकिया में महहलाओं की सहभाधगता बढ़ाना

छ. बचत, ननिेि एिं ऋण उपललधता पर जागरूकता बढ़ाना

ज. सामाल्जक ल्स्थनत (आिास, स्िास््य सेिाओं, शिक्षा इत्याहद) के बारे में जागरूकता पैदा करना

झ. संगठनात्मक ल्स्थनत (स्थानीय अशभिासन, पररयोजनाओं में सामद


ु ानयक सहभाधगता, महहलाओं की
सहभाधगता, इत्याहद) में सध
ु ार

ञ. भण्र्ारण, विपणन तथा ननविल्टटयों की उपललधता जैसी बनु नयादी सवु िधाओं में सध
ु ार

उदाहरणाथि, ककसी भी कृवि पररयोजना के कुछ प्रत्यक्ष लाभ ननम्नशलखखत हैं :

100
 उत्पादकता में िवृ ि के कारण आय में िवृ ि
 पररिहन लागत में बचत
 ग्राम स्तर पर ननविल्टटयों के वितरण, सामहू हक विपणन आहद के कारण मानि हदिसों के रूप
में ननजी श्म की बचत
इसी तरह, अप्रत्यक्ष लाभ भी हैं जैसे -

 वििय (मप
ू य) की तत्काल प्राल्प्त
 ऋण की आसान उपललधता
इन लाभों का आकलन करने और रूपए में इसकी गणना करने की जरूरत है . अंततः, उत्पादक संगठन
(पीओ) के सहयोग की सफलता अथिा असफलता िवृ ििील आय से ननधािररत होगी. िवृ ििील आय का
ननधािरण ननम्नानस
ु ार ककया जा सकता है :

उत्पादक संगठन के सहयोग से पि


ू ि

िम सं. ककसान/ उत्पादक फसल फसली क्षेत्र पैदािार/ हे . कुल पैदािार कीमत/ कुल आय
का नाम (हे .) (ल्तिंटल) ल्तिंटल

िम सं. ककसान/ फसल फसली पैदािार/ हे . कुल पैदािार कीमत/ कोई अन्य कुल आय ननिल
उत्पादक क्षेत्र (हे .) (ल्तिंटल) ल्तिंटल आय/ लाभांि िवृ ििील
का नाम बोनस आय

10.14 अनप्र
ु वतधन प्रणाली कैसे तैयार की जाए ?

उदाहरण के रूप में, संगठन अथिा पररयोजना के शलए अनप्र


ु ितिन प्रणाली तैयार करने के शलए कदम-
दर-कदम प्रकिया प्रदान की जा रही है.

कदम 1 - फंडर्ंग एजेंसी उपयत


ु त स्टाफ अथिा पीओ/ पीओपीआई/ प्रोड्यस
ू सि फेर्रे िन्स/ तलस्टर स्तरीय
सशमनत और प्रोड्यस
ू सि के कंसलटें ट के साथ एक कायििाला आयोल्जत करे . उसको किर करने के शलए
अनप्र
ु ितिन प्रणाली की जरूरतों के रूप में

क. पररयोजना के उद्देश्यों के बारे में विश्लेिण करें ,

ख. प्रत्येक उद्देश्य के शलए संकेतकों की एक सच


ू ी तैयार करें .

ग. ककन पररिती पहलओ


ु ं को इससे सहबि ककया जाए यह स्पटट करें .

101
घ. स्पटट करें कक पररयोजना अथिा उत्पादक संघ पहले ही ककन सच
ू नाओं का संग्रहण कर रहे हैं तथा
और ककन सच
ू नाओं का संग्रहण करने की जरूरत है.

कदम 2- प्राथशमक और हद्ितीयक स्रोतों से सच


ू ना के संग्रह के शलए एक अनप्र
ु ितिन फामेट तैयार करें .
कायििाला से यह भी जानने में मदद शमल सकती है कक ककन चीजों का अनप्र
ु ितिन ककया जाए. क्षमता,
पररणाम एिं प्रभाि के संकेतकों को प्राथशमकता हदए जाने की जरूरत है .

कदम 3 - यह ननणिय लें कक आंकड़ों का संग्रह ककस प्रकार ककया जाएगा. तया इसका संग्रह व्यल्ततयों
द्िारा अथिा कम्प्यट
ू सि द्िारा ककया जाएगा. तदनस
ु ार उपयत
ु त फामे्स तैयार करें . विश्लेिण के शलए
फामेट के मॉर्ल आसान होने चाहहए.

कदम 4- यह ननल्श्चत करें कक आंकड़ों के विश्लेिण की जरूरत कब होगी, मौसम-िार अथिा िावििक.
फसल िार, ककस्म-िार सच
ू ना का विश्लेिण करें - इसका अथि यह है कक समग्र रूप से उन सभी प्रश्नों
का उत्तर दे ने का प्रयास है जो इस पररयोजना की सफलता हे तु महत्िपण
ू ि है.

कदम 5- संग्रह, विश्लेिण और ररपोटि करें .

10.15 अनप्र
ु वतधन की क्या प्रकिया है ?

प्राथशमक आंकड़ा संग्रहण - यह कृिक/ उत्पादक के स्तर पर ककया जाता है.

क. सिेक्षण द्िारा अथिा

ख. वििय केल्न्रत समह


ू चचाि के माध्यम से

हद्ितीयक आंकड़े - उत्पादक संगठन द्िारा प्रेवित वििरखणयां, सरकारी विभागों से प्राप्त आंकड़े तथा
अन्य पररयोजनाओं के प्रकाशित आंकड़े

10.16 सैम्पमलंग की क्या ववधध है ?

सैम्पशलंग की 3 तकनीके हैं - रैंर्म सैम्पशलंग, श्ेणीिार सैम्पशलंग तथा तलस्टर सैम्पशलंग

रैंडम सैम्पमलंगः सरसरी जांच के आधार पर पररिारों का नमन


ू ा तैयार करना.

श्रेणीवार सैम्पमलंगः उत्पादकों को विशभन्न श्ेखणयों में िगीकृत ककया जाता है जैसे िह्
ृ त े्, मझौले तथा
लघ.ु प्रत्येक श्ेणी से एक विननहदिटट अनप
ु ात में आंकड़ों का संग्रह ककया जाता है , उदाहरणाथि िह
ृ त े्
उत्पादकों के मामले में प्रत्येक पांचिें उत्पादक के पररिार के आंकड़े, लघु उत्पादकों के मामले में प्रत्येक
तीसरे उत्पादक के पररिार के आंकड़े, बहुत छोटे उत्पादक की श्ेणी में प्रत्येक दस
ू रे पररिार के आंकड़े.

क्लस्टर सैम्पमलंगः इस मामले में शसफि उन उत्पादकों के पररिारों के आंकड़ों का संग्रह ककया जाएगा
जो एक विननहदिटट अिधध के शलए तलस्टर में हैं –

102
10.17 आंकड़ों का ववश्लेषण कैसे करें ?

विश्लेिण का अथि है विस्तत


ृ आंकड़ों को समझने योग्य पिनतयों, प्रिल्ृ त्तयों एिं व्याख्या में पररिनतित
करने की प्रकिया. अनप्र
ु ितिन विश्लेिण में िाशमल कदम-दर-कदम प्रकिया का वििरण ननम्नशलखखत है ः

अनप्र
ु ितिन प्रकिया हे तु प्रमख
ु संकेतक ननधािररत करें - आिश्यकतानस
ु ार फामेट तैयार करें .

संकेतकों के संबध
ं में सच
ू ना का संग्रह करें .

उभरते विियों एिं मद्द


ु ों को समझ के आधार पर विश्लेिण की प्रकिया विकशसत करें .

विियों और मद्द
ु ों के अंतगित समन्िय स्थावपत कर, आंकड़ों का अिलोकन करें .

प्रकिया प्रिल्ृ त्तयां तथा संभावित व्याख्या की पहचान करें .

ननटकिों तथा उपसंहार का वििरण शलखखत रूप में रखें .


इस संबध
ं में कुछ करने हेतु और तया संभािनाएं हैं.
(उपसंहार और संस्तनु तयां)

103
अनब
ु ध
ं – I - उत्पादक कंपनी अधधननयम प्रावधान

कंपनी अधधननयम 2013 की धारा 465(1) का संदभध

कंपनी अधधननयम 1956 का भाग IXक- उत्पादक कंपननयां

अध्याय I - उत्पादक कंपननया

581.क. पररभािाएाँ

अध्याय II - उत्पादक कंपननयों का ननगम व अन्य मामले

581 ख. उत्पादक कंपनी के उद्देश्य

581 ग. उत्पादक कंपनी का गठन और उसका रल्जस्रीकरण

581 घ. उत्पादक कंपनी के सदस्यों के सदस्यता और मतदान सम्बन्धी अधधकार

581 र्. सदस्यों को हदये जाने िाले लाभ


(धारा- 581-च) उत्पादक कंपनी का संगम ज्ञापन

(धारा 581-छ) संगम अनच्


ु छे द

धारा 581-ज संगम ज्ञापन में संिोधन

धारा 581-झ - संगम अनच्


ु छे दों में संिोधन

धारा 581-ञ अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनतयों का उत्पाद कंपनी होना

581 ट - उत्पादक कंपनी के ननगमन का प्रभाि एिं रूपांतरण नतधथ


धारा 581-ठ- उपिम का उत्पादक कंपनी में ननहहत होना

581. र् - उत्पादन कंपनी को ररयायतें हदए जाना मानना


धारा 581- ढ - अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत के अधधकाररयों और अन्य कमिचाररयों के संबध
ं में उपबंध
अध्याय III उत्पादक कंपनी का प्रबंध

धारा 581-ण - ननदे िकों की संख्या


धारा 581-त- ननदे िकों की ननयल्ु तत
धारा 581-थ - ननदे िकों द्िारा पद ररल्तत
धारा 581-द- बोर्ि की िल्ततयां और कृत्य
धारा 581-ध - साधारण अधधिेिन पर सम्पाहदत ककये जाने िाले मामले
धारा 581-न - ननदे िकों का दानयत्ि
धारा 581-प - ननदे िकों की सशमनत
धारा 581-फ - बोर्ि के अधधिेिन (Meetings) और गणपनू ति
धारा 581-ब - मख्
ु य कायिकारी और उसके कायि

104
धारा 581-भ - उत्पादक कम्पनी का सधचि
581 म - गणपनू ति (कोरम)
धारा 581-य- मतदान का अधधकार

अध्याय IV साधारण अधधवेशन

धारा 581-यक - िावििक साधारण अधधिेिन


अध्याय V अंश पज
ूं ी और सदस्य अधधकार

धारा 581-यख अंि पज


ूं ी
धारा 581-यग - उपयोग के वििेि अधधकार
धारा 581-यघ - अंिों की अंन्तरणीयता और पररचर (attendant) के अधधकार

अध्याय VI ववत्त, लेखा और संपरीक्षा (लेखा परीक्षा)

धारा 581-यर्. - लेखा पस्


ु तकें
धारा 581-यच - आन्तररक संपरीक्षा (Audit)
धारा 581-यछ - इस भाग के अधीन संपरीक्षक (Auditor) के कतिव्य
धारा 581-यज - उत्पादक कंपनी द्िारा हदए जाने िाले दान (Donations) या चन्दे (Subscriptions)
धारा 581-यझ- साधारण और अन्य आरक्षक्षत ननधधयां (Reserves)
धारा 581-यञ - बोनस अंिों का ननगिम (Issue of bonus shares)

अध्याय VII सदस्यों को ऋण और ववननधान

धारा 581-यट- सदस्यों को ऋण आहद हदया जाना

धारा 581-यठ अन्य कंपननयों में विननधान, समनि


ु ग
ं ी कंपननयों का सज
ृ न आहद

105
अध्याय I - उत्पादक कंपननया

581.क. पररभाषाएँ ( धारा 581 – क )

इस भाग में , जब तक अन्यथा अपेक्षक्षत न हो :

(क) ''सकिय सदस्य'' से तात्पयि ऐसे सदस्य से हैं जो उत्पादक कंपनी के संरक्षण की अिधध
और गण
ु को परू ा करता है जैसा कक कंपनी के अनच्
ु छे दों द्िारा अपेक्षक्षत हो ;
(ख) ''मख्
ु य कायिकार'', से तात्पयि ऐसे व्यल्तत से है जो धारा 581ब की उपधारा (1) के अंतगित
पथ
ृ क (individual ) रूप से ननयत
ु त ककया गया है,
(ग) ''सीशमत िापसी'' (Limited return) से तात्पयि उस अधधकतम लाभांि से है जो अनच्
ु छे दों
द्िारा विननहदिटट ककये जा सकते हैं,
(घ) ''सदस्य'', से तात्पयि ऐसे व्यल्तत या उत्पाद संस्था (ननगशमत हो या नहीं) से है जो एक
उत्पादक कंपनी में सदस्य के रूप में सल्म्मशलत है और ऐसा बने रहने की अननिायि अहिताओं
को रखता है ,
(र्.) “अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत” से तात्पयि ऐसी बहुराल्ज्यिक सहकारी सशमनत से है जो
बहुराल्ज्यक सहकारी सशमनत अधधननयम, 1984 की धारा 3-ट में पररभावित है और उसमें
तत्समय प्रभािी ककसी अन्य विधध के अंतगित रल्जस्रीकृत सहकारी सशमनत भी आती है ल्जसने
अपने ननमािण के पश्चात अपने उद्देश्यों का विस्तार एक से अधधक राज्यों तक ककया हुआ है ,
व्यल्ततयों के भाग-ग्रहण को सच
ू ीबि करके या अपने कियाकलापों का राज्य से बाहर विस्तार
कर के चाहे प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से अथिा उस संस्था के माध्यम से जो उसका एक
घटक है ,
(च) “आपसी सहयोग के शसिांत” से तात्पयि धारा 581-छ की उपधारा (2) में विहहत ककए गए
शसिांत से है,
(छ) “अधधकारी'' में कोई भी ननदे िक या मख्
ु य कायिकारी या सधचि अथिा कोई व्यल्तत आता
है ल्जसके ननदे ि या आदे ि से उत्पादक कम्पनी का कारोबार भागत: या पण
ू त
ि : चलाया जाता
है ,
(ज) “संरक्षण” तात्पयि ऐसी सेिाओं का उपयोग करने से है जो उत्पादक कम्पनी द्िारा अपने
सदस्यों को उसकी कारोबारी कियाकलापों में उसके भाग लेने पर दी गयी है ।
(झ) “संरक्षण” (बोनस) से तात्पयि उत्पादक कम्पनी द्िारा सदस्यों को ककये गये ऐसे संदाय से
है जो िह अपनी अधधिेि आय (surplus income) में से उनमें अपने-अपने संरक्षण के अनप
ु ात
में करती है ।
प्राथशमक उत्पाद, से तात्पयि –

(i) ककसान के उत्पाद से है जो कृवि से उत्पन्न है (ल्जसमें पिप


ु ालन, उद्यान कृवि, पटु प
उत्पादन,मत्स्य पालन, अंगरू उत्पादक, िन कृवि, िन उपज, पन
ु प्रिरोहण, मधम
ु तखी पालन,

106
बागान कृवि उत्पादन सल्म्मशलत है ) या ककसी अन्य प्राथशमक कियािीलता या कायि से उत्पन्न
उत्पाद से है जो ककसानों या उपभोतताओं के हहत को बढ़ािा दे ता है ।
(ii) ऐसे व्यल्तत के उत्पाद से है जो हथकरघा, हस्तशिपप और दस
ू रे कुटीर उद्योग में लगा
हुआ है ।
(iii) ऐसे उत्पाद से है जो उपरोतत कियाकलापों का प्रनतफल है ल्जनमें ऐसे उत्पादों के उप-
उत्पाद सल्म्मशलत हैं ।
(iv) ऐसे उत्पाद से है जो ऐसे सहायक कियाकलापों के पररणाम हैं जो उपरोतत कियाकलापों
या उनके सहायक कायि को बढ़ािा दे ने िाली है ।
(v) ऐसे कायिकलाप से जो उपधारा (1) से (5) तक ननहदि टट ककसी िस्तु के उत्पादन को बढ़ाने
अथिा उसकी गण
ु ित्ता सध
ु ारने हे तु अभीटट है ।
(ट) “उत्पादक” से तात्पयि ऐसे व्यल्तत से है जो ऐसे कायिकलाप में लगा हुआ है जो ककसी
प्राथशमक उत्पाद से संबल्न्धत है या सम्बि हो सकती है ।
(ठ) “उत्पादक कंपनी'' से तात्पयि ऐसे ननगशमत ननकाय से है जो धारा 581-ख में विननहदि टट
उद्देश्यों या कियाकलापों से है और इस अधधननयम के अंतगित एक उत्पादक कंपनी के रूप में
रल्जस्रीकृत है ।
(र्) “उत्पादक संस्था'' से तात्पयि उत्पादक कंपनी या ककसी अन्य संस्थान से है जो अपने सदस्य
के रूप में केिल उत्पादनकताि या उत्पादनकतािओं या उत्पादक कंपनी या उत्पादक कंपननयों को
रखती है चाहे ननगशमत हो या नहीं या धारा 581-ख में विननहदिटट प्रयोजनों को नहीं रखती है
और जो उत्पादक कंपनी या उत्पादक कंपननयों की सेिाओं के उपयोग करने हे तु सहमत है जैसा
कक अनच्
ु छे दों में उपबंधधत है ।
(ढ) “विधाररत मप
ू य” से तात्पयि ककसी सदस्य द्िारा उत्पादक कंपनी को हदये गये माल के दे य
मप
ू य का िह भाग है,ल्जसे उत्पादक कंपनी द्िारा बाद की नतधथ पर भग
ु तान ककए जाने हेतु
रोक रखा गया है ।
अध्याय II - उत्पादक कंपननयों का ननगम व अन्य मामले
581 ख. उत्पादक कंपनी के उद्देश्य
(1) उत्पादक कंपनी के उद्देश्य ननम्नशलखखत सभी विियों से अथिा इनमें से ककसी एक से
संबल्न्धत होंगे, जो इस प्रकार हैं ---
(क) सदस्यों के प्राथशमक उत्पाद का उत्पादन, फसल काटना, कुटनापा करना, बराबर करना,
एकीकरण करना या शमलाना, प्रबंध करना या संभालना, विपणन, वििय, ननयाित या उनके लाभ
हे तु माल या सेिा का आयात करना,
उत्पादक कंपनी खण्र् में विननहदि टट ककसी भी प्रकार का कायिकलाप या तो स्ियं या ककसी अन्य
संस्थान के माध्यम से जारी रख सकती है ,

(ख) सदस्यों के उत्पाद को तैयार करना ल्जसमें परररक्षण करना (Preserving), फैलाना , सख
ु ना,
आसिन करना या चुलाना ककं िासन, राक्षा संचयन िाशमल है ,

107
(ग) अपने सदस्यों के शलए यंत्र-समह
ू , उपकरण या उपभोज्य िस्तओ
ु ं का ननमािण करना, उनकी आपनू ति
करना या वििय करना,

(घ) आपसी सहयोग के शसिान्त के आधार पर अपने सदस्यों ि अन्य को शिक्षा उपललध कराना ,

(र्.) अपने सदस्यों के हहतों के संिधिन हे त,ु तकनीकी सेिाओं, ि अन्य को शिक्षा उपललध करना,

(च) प्राथशमक उत्पादक हे तु विद्यत


ु का उत्पादन, प्रेिण ि वितरण, भशू म ि जल स्त्रोतों का पन
ु रुिार,
उनका उपयोग, संरक्षण और संचारण,

(छ) उत्पादकों का या उनके प्राथशमक उत्पाद का बीमा,

(ज)पारस्पररक सहयोग ि सहोपकाररता की कायि प्रणाली के संिधिन को बढ़ािा दे ना,

(झ) सदस्यों के हहत के शलए कपयाणकारी सवु िधाएं जैसा कक बोर्ि द्िारा विननल्श्चत ककया जाए, कोई
अन्य कियाकलाप जो उपधारा (क)से (झ) तक ननहदि टट कियाकलापों के अनि
ु ग
ं ी या सहायक है अथिा
जो सदस्यों में आपसी सहयोग, पारस्पररकता के शसिान्त को ककसी अन्य रीनत से बढ़ािा दें ,

(ट) सदस्यों को उपापन, प्रसंस्करण,विपणन या अन्य कियाकलापों के शलए वित्त प्रबंधन करना जो
उपधारा (क)से(ञ) तक ननहदि टट हैं ल्जनमें ऋण सवु िधाओं को ककसी अन्य आधथिक सेिाएं आती हैं,

(2) प्रत्येक उत्पादक कंपनी इस धारा में ननहदिटट उद्देश्यों के शलए मख्
ु यतया अपने सकिय सदस्यों के
उत्पाद का सौदा करे गी [उपधारा (2)] I

581 ग. उत्पादक कंपनी का गठन और उसका रक्जस्रीकरण

1. कोई भी दस या अधधक व्यल्तत ल्जनमें से प्रत्येक उत्पादक होकर अथिा कोई भी दो या अधधक
उत्पादक संस्थानों, अथिा दस या अधधक व्यल्ततयों और उत्पादक संस्थानों का संयोजन, जो उत्पादक
कंपनी बनाने के शलए इच्छुक है, उद्देश्यों के शलए धारा 581-ख में विननहदिटट है , इस अधधननयम के
अधीन उत्पादक कंपनी के रूप में एक ननगशमत कंपनी का गठन कर सकते हैं [ उपधारा(1)] ।

2. यहद रल्जस्रार को यह समाधान हो जाता है की रल्जस्रीकरण, उसके पि


ू ि
ि ती और प्रासंधगक मामलों
के संबध
ं में अधधननयम में विननहदिटट सभी अपेक्षाएाँ परू ी कर ली गयी हैं, तब िह रल्जस्रीकरण के शलए
अपेक्षक्षत दस्तािेि प्राप्त कर लेने के 30 हदनों के भीतर ज्ञापन, अनच्
ु छे द और अन्य दस्तािेजों को,
रल्जस्टर में दजि करे गा और इस अधधननयम के अधीन ननगमन का प्रमाण-पत्र जारी करे गा । [ उपधारा
(2)]

3. इस प्रकार गहठत एक उत्पादक कंपनी के सदस्यों का दानयत्ि िमि: उनके द्िारा धाररत ककए गये
अंिों पर असंदत्त (Unpaid) धनराशि तक सीशमत रहे गा और िह अंिों द्िारा सीशमत कंपनी कहलायेगी
[उपधारा (3)] ।

108
4. उत्पादक कंपनी अपने संप्रितिकों को उन सभी अन्य प्रत्यक्ष व्ययों की प्रनतपनू ति करे गी जो कंपनी के
रल्जस्रीकरण और संप्रितिन से संबि
ं हैं ल्जसमें रल्जस्रीकरण, विधधक िप
ु क, ज्ञापन और अनच्
ु छे द की
छ्पाई के व्यय आते हैं और अपने सदस्यों की प्रथम साधारण अधधिेिन पर ककये अनम
ु ोदन के अधीन
उसका संदाय करे गी [उपधारा(4)] ।

5. उपधारा (1) के अधीन ककये गये रल्जस्रीकरण पर, उत्पादक कंपनी एक ननगशमत ननकाय हो
जाएगी मानो िह बबना ककसी सदस्य संख्या की सीमा के एक प्राइिेट शलशमटे र्, कंपनी है ल्जस पर इस
भाग में अंतवििटट उपबंध लागू होते हैं और ककसी भी पररल्स्थनत में, जो भी हो, इस अधधननयम के
अधीन एक पल्ललक शलशमटे र् कम्पनी नहीं होगी या नहीं मानी जायेगी [ उपधारा (5)] ।

581 घ. उत्पादक कंपनी के सदस्यों के सदस्यता और मतदान सम्बन्धी अधधकार

(1) (क) जहां सदस्यता एक मात्र व्यल्ततगत सदस्यों की है िहां मताधधकार, प्रत्येक सदस्य के
अंिधारण या उत्पादक कंपनी के संरक्षण को विचार में लाये बबना, उसके एकल मत पर आधाररत
होंगे।
(ख) जहां सदस्यता केिल उत्पादक संस्थानों की है िहां ऐसे उत्पादक संस्थानों के मताधधकार,
उत्पादक कम्पनी के कारोबार में गतििि में उनके भाग लेने के आधार पर ननल्श्चत ककये जायेंगे जो
अनच्
ु छे द में विननहदिटट ककये जा सकते हैं ।
परं तु उत्पादक कम्पनी के रल्जस्रीकरण से एक ििि की अिधध तक मताधधकार, ऐसे उत्पादक
संस्थाओं द्िारा शलये गये अंिों के आधार पर अिधाररत ककये जायेंगे ।
(ग) जहां सदस्यता व्यल्ततयों और उत्पादक संस्थानों की है , िहां मताधधकार, प्रत्येक सदस्य के मत
के आधार पर संगहठत ककये जायेंगे। [ उपधारा(1)]

(2) ककसी भी उत्पादक कंपनी के अनच्


ु छे दों में उन ितों को उपबंधधत ककया जा सकेगा ल्जनके अधीन
सदस्य अपनी सदस्यता बनाये रख सकता है और उस रीनत को भी, ल्जसके अनस
ु ार सदस्य द्िारा
मताधधकार का प्रयोग ककया जाना है । [उपधारा (2)]

(3) उपधारा (1) या (2) में ककसी बात के होते हुए भी कोई उत्पादक कंपनी ककसी वििेि या
साधारण अधधिेिन में सकिय सदस्यों को मताधधकर का प्रयोग करने से रोक सकती है , यहद
िह अपने अनच्
ु छे दों द्िारा प्राधधकृत हो । [उपधारा (3)]
(4) कोई व्यल्तत, ल्जसके ककसी कारोबारी हहत का उत्पादक कंपनी के कारोबार के साथ अंतवििरोध
है , िह उस कंपनी का सदस्य नहीं होगा । [ उपधारा (4)]
(5) कोई सदस्य, जो अपना कोई कारोबारी हहत अल्जित कर लेता है ल्जसका उत्पादक कंपनी
के कारोबार के साथ अंतवििरोध है , िह उस कंपनी का सदस्य होने से विरत कर हदया जायेगा
और अनच्
ु छे दों के अनस
ु ार उसको एक सदस्य के तौर पर पद से हटा हदया जायेगा । [उपधारा
(5)] ।

109
581 ड. सदस्यों को हदये जाने वाले लाभ
(1) अनच्ु छे द में हदये उपबंधों के अधीन, प्रत्येक सदस्य इकट्ठा ककये हुए और आपत ू ि ककये हुए
उत्पाद के शलए प्रारं भ में केिल िह मप ू य प्राप्त करे गा जो उत्पादक कंपनी का बोर्ि अिधाररत
करें , और उत्पादक कंपनी को हदये गये उत्पाद के अनप
ु ात में , उस पररणाम में और उस रीनत
से और उन ितों
के अधीन जो बोर्ि विननल्श्चत करे , कंपनी द्िारा विधाररत मप
ू य का संवितरण बाद में नकद
या साधारण अंिों के आिंटन के रूप में ककया जा सकेगा । [ उपधारा (1)]
(2) प्रत्येक सदस्य अशभदत्त अंि पज
ंू ी पर केिल सीशमत िापसी प्राप्त करे गा परं तु धारा 581-
यञ में अंतवििटट उपबंधों के अनस
ु ार प्रत्येक ऐसे सदस्य को बोनस अंि आिंहटत ककया जा
सकेगा। [उपधारा(2)]
(3) धारा 581- यझ में ननहदि टट आरक्षक्षत और सीशमत िापसी के भग
ु तान के शलए उपबंध बनाये
जाने के पश्चात बची हुई अधधिेि (surplus) आय की, सदस्यों में उत्पादक कंपनी के कारोबार
में उनके भाग लेने के अनप
ु ात में , बोनस (patronage bonus) के रूप में संवितररत ककया जा
सकता है , या तो नकदी में या साधारण िेयरों का आिंटन करके अथिा दोनों प्रकार से जो
साधारण अधधिेिन पर सदस्यों द्िारा ननल्श्चत ककया जा सकेगा । [ उपधारा (3)]
(धारा- 581-च) उत्पादक कंपनी का संगम ज्ञापन
प्रत्येक उत्पादक कंपनी के संगम ज्ञापन में ननम्नशलखखत बातों का उपलेख होगा ----
(क) कंपनी का नाम, ल्जसके अंत में “ उत्पादक शलशमटे र् कंपनी “ िलद जड़
ु ग
े ा,
(ख) िह राज्य, ल्जसमें उत्पादक कंपनी का रल्जस्रीकृत कायािलय ल्स्थनत होना है,
(ग) कंपनी का मख्
ु य उद्देश्य, जो धारा 581-ख में विननहदि टट उद्देश्यों में से एक या अधधक हो
सकेगा।
(घ) उन व्यल्ततयों का नाम ि ननिास स्थान ल्जनके संगम ज्ञापन पर हस्ताक्षर है ,
(र्.) अंि पज
ूं ी की राशि, ल्जसके सहहत उत्पादक कंपनी का रल्जस्रीकृत होना है, और उस अंि
पज
ूं ी का ननयत-राशि के अंिों में ककया गया विभाजन,
(च) उत्पादक हस्ताक्षरकतािओं के नाम, ननिास स्थान ि उपजीविका, जो धारा 581-ञ की
उपधारा (2) के अनस
ु ार प्रथम ननदे िकों के तौर पर कायि करें गे,
(छ) उसके सदस्यों का िह दानयत्ि जो सीशमत है ,
(ज) हस्ताक्षरकतािओं के नाम के समक्ष अंिों की संख्या जो प्रत्येक हस्ताक्षरकताि लेता है ,
(झ) उस ल्स्थनत में, जब उत्पादक कंपनी के उद्देश्य ककसी एक ही राज्य तक सीशमत नहीं रहते
हैं, उन राज्यों का उपलेख होगा ल्जनकी सीमा में उन उद्देश्यों का विस्तार होता है ,

(धारा 581-छ) संगम अनच्


ु छे द

उपधारा (1) उपबंधधत करती है कक ननम्नशलखखत दस्तािेि, रल्जस्रीकरण हे तु संगम ज्ञापन में
उल्पलखखत उस राज्य के रल्जस्रार को प्रस्तत
ु ककए जायेंगे जहां उत्पादक कंपनी का रल्जस्रीकृत कायािलय
ल्स्थनत होना है ---

110
(क) उत्पादक कंपनी का संगम ज्ञापन,

(ख) संगम ज्ञापन के हस्ताक्षरकतािओं द्िारा हस्ताक्षररत संगम अनच्


ु छे द ।

उपधारा (2) उपबंधधत करती है कक संगम अनच्


ु छे द में ननम्नशलखखत आपसी सहयोग के शसिांत अंतवििटट
होंगे [उपधारा (2)] ---

(क) सदस्यता स्िैल्च्छक होगी और उन सभी पात्रता प्राप्त व्यल्ततयों के शलए उपललध होगी जो उत्पादक
कंपनी की सेिाओं और सवु िधाओं का लाभ उठा सकते हैं और सदस्यता के कतिव्यों को स्िीकार करने
के इच्छुक हैं ,

(ख) इस भाग में अन्यथा उपबंधधत के शसिाय, प्रत्येक सदस्य का उसके द्िारा धारण ककये अंिों को
विचार में लाये बबना, एकल मत होगा ,

(ग) उत्पाद कंपनी, इस भाग के उपबंधों में दी गयी रीनत के अनरू


ु प ननदे िक के तौर पर चुने हुए या
ननयल्ु तत व्यल्ततयों से बने हुए बोर्ि द्िारा प्रिाशसत होगी और बोर्ि सदस्यों के प्रनत उत्तरदायी होगा,

(घ) इस भाग में उपबंधधत के शसिाय, अंि पज


ूं ी पर सीशमत िापसी कक जाएगी;

(र्.) उत्पादक कंपनी के कामकाज से प्राप्त अधधिेि (surplus) धन ननम्नशलखखत रीनत से समयापि
ू क
ि
वितररत ककया जायेगा---

 उत्पादक कंपनी के कारोबार के विकास हे तु उपबंध करके,

 समहू हक सवु िधाओं के शलए उपबंध करके,

 सदस्यों में वितरण करके, जो कारोबार में उनके अपने-अपने भाग लेने के अनप
ु ात में अनज्ञ
ु ेय हो,

(च) परस्पररकता के शसिान्तों और आपसी सहायता की तकनीकों के शसिान्त के आधार पर सदस्यों,


कमिचाररयों और अन्य लोगों की शिक्षा के शलए उपबंध ककये जायेंग,े
(छ) अपने सदस्यों और समह
ू ों के हहतों को सिािधधक लाभ पहुंचाने के अशभप्राय से उत्पादक कंपनी
अन्य दस
ू री उत्पाद कंपननयों के साथ, सकिय सहयोग करे गी और स्थानीय, राटरीय या अंतरािटरीय स्तर
पर दस
ू रे संगठन भी इसी शसिान्त का अनस
ु रण करें गे ।
उपधारा (3) यह उपबंधधत करती है कक उपधारा (1) और (2) के पि
ू ोतत उपबंधों की व्यापकता पर
प्रनतकूल प्रभाि र्ाले बबना, अनच्
ु छे द में ननम्नशलखखत उपबंध अंतवििटट होंगे ---
(क) सदस्यता के शलए अहिता, सदस्यता के जारी रहने या रद्द करने करने के संबध
ं में ितें और अंिों
के अंतरण के शलए ितें, प्रनतबंध और प्रकिया,
(ख) संरक्षण और संरक्षण पर आधाररत मताधधकार के अशभननश्चयन की रीनत,
(ग) धारा 581-ढ कक उपधारा (1) में अंतवििटट उपबन्धों के अधीन, बोर्ि के गठन की रीनत, उसकी
िल्ततयां और कतिव्य, ननदे िकों की न्यन
ू तम और अधधकतम संख्या, ननदे िकों के चन
ु ाि या ननयल्ु तत
और चिानि
ु म से उनकी सेिाननिनृ त की रीनत, ननदे िक के तौर पर चन
ु े जाने या बने रहने हे तु अहिता

111
और ऐसे ननदे िकों की पदािधध, ननदे िक की िल्ततयां और कतिव्य, ननदे िकों के चुनाि या सहयोजन
के संबध
ं में ितें, ननदे िकों को हटाये जाने और बोर्ि में ररतत पदों को भरे जाने की पिनत और ितें,
(घ) सभापनत का चुनाि, ननदे िकों और सभापनत की कालािधध, सदस्यों के साधारण या वििेि अधधिेिनों
पर मतदान की रीनत, बोर्ि के अधधिेिन पर ननदे िकों द्िारा मतदान की प्रकिया सभापनत की िल्ततयां
और िे पाररल्स्थनतयााँ ल्जनमें सभापनत अपने मत का प्रयोग कर सकता है,
(र्.) िे पाररल्स्थनतयााँ और रीनत ल्जनके अंतगित विधाररत मप
ू य कों अिधाररत और वितररत की रीनत,
(च) संरक्षण बोनस का नकद या साधारण अंिों का ननगिम करके या दोनों प्रकार से वितरण की रीनत,
(छ) अशभदाय में हहस्सा बंटाना और संबल्न्धत मामले जो धारा 581-यझ की उपधारा (2) में ननहदि टट
हैं,
(ज) सामान्य आरक्षक्षत (reserves) में से बोनस अंि के ननगिम संबध
ं ी मामले जो धारा 581-यञ में में
ननहदि टट हैं,
(झ) सदस्यों द्िारा आपत
ू ि ककये गये उत्पादों की सम्पण
ू ि या उसके ककसी भाग की बबिी के आगम के
बदले में उत्पाद कंपनी के साधारण अंिों (इल्तिटी िेयर) के आिंटन की रीनत और आधार,
(ञ) आरक्षक्षनत की राशि, स्त्रोत ल्जनसे ननधध कों बाध्य जा सकता है ननधध की बढ़ाये जाने की सीमा,
ऐसी ननधध के उपयोग पर ननबिंधन और ऋण का विस्तार और उसकी बातें ल्जस ऋण कों संविदाकृत
ककया जा सकता है,
(ट) उधर, ऋण या अधग्रम धन जो सदस्य कों हदया जा सकता है और ऐसे अनद
ु ान की ितें,
(ठ) ककसी भी सदस्य का कंपनी के सामान्य कारोबार से संबल्न्धत जानकारी कों प्राप्त करने का
अधधकार
(र्) उत्पाद कंपनी के विघटन और पररसमापन की दिा में दानयत्िों की पनू ति के उपरांत उपललध ननधध
के वितरण और व्ययन की रीनत,
(ढ) विभाजन, समामेलन, विलय, ग्राहकों का सज
ृ न, संयत
ु त जोखखम उठाने और उससे संबल्न्धत अन्य
मामलों के शलए साधधकार,
(ण) पंजीकरण के 90 हदनों के भीतर वििेि साधारण अधधिेिन का बल
ु ाया जाना और उसके समक्ष
उत्पादक कंपनी का ज्ञापन और अनच्
ु छे द रखा जाना,
(त) कोई अन्य उपबंध ल्जसको सदस्य वििेि संकपप द्िारा अनच्
ु छे दों में सल्म्मशलत ककये जाने हे तु
संस्तत
ु कर सकते हैं,

धारा 581-ज संगम ज्ञापन में संशोधन

(1) उत्पादक कंपनी उन ितों में पररितिन नहीं करे गी जो उसके ज्ञापन में अंतवििटट हैं शसिाय उन
मामलों के ल्जनके शलए ल्जस रीनत से और ल्जस सीमा तक इस अधधननयम में स्पटट उपबंध ककये गये
हैं [उपधारा (1)]

(2) उत्पादक कंपनी वििेि संकपप द्िारा अपने ज्ञापन में विननहदिटट उद्देश्यों में िे पररितिन कर सकती
है जो धारा 581-ख से असंगत न हों [उपधारा (2)]

112
(3) उपधारा (2) में ननहदिटट ककसी संकपप कों अंगीकृत ककये जाने की नतधथ से 30 हदनों के भीतर दो
ननदे िकों द्िारा सम्यक रूप से प्रभावित वििेि संकपप की प्रनतशलवप के साथ संिोधधत ज्ञापन की
प्रमाखणत प्रनतशलवप रल्जस्रार को प्रस्तत
ु की जाएगी । [उपधारा (3)]

उत्पादक कंपनी के रल्जस्रीकृत कायािलय के रल्जस्रार से दस


ू रे रल्जस्रार के क्षेत्राधधकार में अंतरण के
मामले में दो ननदे िकों द्िारा प्रमाखणत वििेि संकपप की प्रनतशलवपयां 30 हदनों के भीतर दोनों रल्जस्रारों
कों प्रस्तत
ु की जाएगी, और प्रत्येक रल्जस्रार उनको अशभशलखखत करे गा तब िह रल्जस्रार ल्जसके
क्षेत्राधधकार से कायािलय अंतररत हुआ है उत्पादक कंपनी से संबल्न्धत सभी दस्तािेजों से उस दस
ू रे
रल्जस्रार कों तत्काल अग्रसाररत करे गा। [उपधारा (3)]

(4) अपने रल्जस्रीकृत कायािलय के एक राज्य से दस


ू रे राज्य में स्थानांतरण से संबल्न्धत ज्ञापन के
उपबंधों में ककया गया पररितिन तब तक प्रभािी नहीं होगा जब तक िह *कंपनी विधध बोर्ि द्िारा
कंपनी के आिेदन पर पटु ट न कर हदया गया हो [ उपधारा (4)]।

* इसे राटरीय कंपनी विधध हरलयूनल पढ़ा जाए.

धारा 581-झ - संगम अनच्


ु छे दों में संशोधन

(1) अनच्
ु छे द में कोई भी संिोधन उत्पादक कंपनी के दो-नतहाई से कम ननिािधचत ननदे िकों द्िारा या
एक-नतहाई से कम सदस्यों द्िारा प्रस्तावित नहीं ककया जाएगा और िह संिोधन सदस्यों के वििेि
संकपप द्िारा अंगीकृत ककया जाएगा [ उपधारा (1)]।

(2) संिोधधत ज्ञापन और वििेि संकपप की प्रनतशलवपयां जो दो ननदे िकों द्िारा प्रमाखणत होंगी और
उसके अंगीकरण की नतधथ से 30 हदन के भीतर रल्जस्रार को प्रस्तत
ु की जाएंगी [ उपधारा (2)]।

धारा 581-ञ अंतराधक्ज्यक सहकारी सममनतयों का उत्पाद कंपनी होना

(1) धारा 581-ग की उपधारा (1) में अन्तवििटट ककसी बात के होते हुए भी कोई भी अंतरािल्ज्यक
सहकारी सशमनत अपने उद्देश्यों को लेकर एक राज्य तक ही सीशमत नहीं रहती है तब िह इस भाग के
अंतगित एक उत्पादक कंपनी के रूप में ककए जाने के शलए रल्जस्रार को आिेदन दे सकती है [उपधारा
(1)]।

(2) उपधारा (2) यह उपबल्न्धत करती है कक उपधारा (1) के अधीन कोई भी आिेदन ननम्नशलखखत
दस्तािेजों के साथ होगा -

(क) वििेि संकपप की एक प्रनतशलवप, जो इस अधधननयम के अधीन एक उत्पादक कंपनी के रूप में
ननगमन के शलए उस अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत के कुल सदस्यों की दो-नतहाई संख्या से कम सदस्यों
द्िारा प्रस्तावित नहीं होगा,

113
(ख) कथन, ल्जसमें ननम्नशलखखत को दशिित ककया जायेगा-

(i) मख्
ु य कायिकारी और ननदे िकों के नाम, ननिास-स्थान या उपजीविका, यहद हो,

(ii) ऐसी अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत के सदस्यों की सच


ू ी,

(ग) िह कथन, ल्जसमें यह उपदशिित होगा कक अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत धारा 581-ख में विननहदि टट
एक या अधधक उद्देश्यों को लेकर अपने कारोबार में लगी है ,
(घ) अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत के दो या अधधक ननदे िकों की यह घोिणा कक िे लयोरे जो उपधारा
(क) से (ग) तक में हदये गये हैं, सही हैं.

(3) जब एक अंतरािल्ज्यक उत्पादक कंपनी एक उत्पादक कंपनी के रूप में रल्जस्रीकृत हो जाती है तब
उसकी पि
ू ि
ि ती पहचान को प्रदशिित करने िाले ककसी िलद या अशभव्यल्तत के साथ ''उत्पादक कंपनी
शलशमटे र्'' िलद उसके नाम का भाग होंगे (उपधारा (3)).

(4) उपधारा (1) से (3) तक की अपेक्षाओं के अनप


ु ालन के पश्चात े् आिेदन प्राप्त होने के 30 हदन की
अिधध के भीतर रल्जस्रार अपने हस्ताक्षर द्िारा यह प्रमाखणत करे गा कक रल्जस्रीकरण के शलये आिेदन
करने िाली अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत रल्जस्रीकृत हो गयी है और तद्द्िारा इस भाग के अधीन एक
उत्पादक कंपनी के रूप में ननगशमत है (उपधारा (4)).

(5) एक सहकारी सशमनत जो उत्पादकों द्िारा, उत्पादकों की सहकारी सशमनतयों के या उत्पादकों के


सहकाररयों के संघ अथिा पररसंघ द्िारा ननशमित है और तत्समय प्रित्ृ त ककसी विधध द्िारा रल्जस्रीकृत
हैं, ल्जसके उद्देश्यों का विस्तार राज्य से बाहर तक है , या जो प्रत्यक्षत: या सहकाररयों के संघ या
पररसंघ के माध्यम से ल्जसके कक िह घटक हैं, और ऐसे सहकाररयों के ककसी संघ या पररसंघ के
माध्यम से ल्जसके कक िह घटक हैं, और ऐसे सहकाररयों के ककसी संघ या पररसंघ ल्जसके उद्देश्यों या
कायिकलापों का विस्तार राज्य के बाहर तक है , उपधारा (1) के अंतगित आिेदन करने के शलए और इस
भाग के अंतगित एक उत्पादक कंपनी के रूप में रल्जस्रीकरण के शलए पात्र होगी (उपधारा (5)).

(6) अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत उपधारा (1) के अधीन रल्जस्रीकरण (के बाद) पर, एक उत्पादक
कंपनी में पररिनतित हो जायेगी और तत्पश्चात उस विधध का उपिजिन करके ल्जससे िह पहले िाशसत
थी, इस भाग के उपबंधों द्िारा िाशसत होगी एिं कोई भी कृताकृत जो एक उत्पादक कंपनी के तौर पर
उसके रल्जस्रीकरण के पि
ू ि ककया जाना है उस विस्तार तक िहां तक के शसिाय, तत्समय प्रित्ृ त ककसी
अन्य विधध में अंतवििटट ककसी बात के होते हुए भी, कोई भी व्यल्तत ऐसे संपररितिन या रूपांतरण के
कारण ककसी सहकारी संस्थान या कंपनी के विरूि दािा नहीं कर सकेगा (उपधारा (6)).

(7) एक उत्पादक कंपनी के रूप में रल्जस्रीकरण के पश्चात कंपननयों का रल्जस्रार जो कंपनी को दजि
करता है , िह उस रल्जस्रार को, ल्जसके यहां अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत पहले रल्जस्रीकृत थी, उसके
रल्जस्टर से उस सशमनत के समधु चत विलोपन के शलये तत्काल सधू चत करे गा (उपधारा (7)).

114
581 ट - उत्पादक कंपनी के ननगमन का प्रभाव एवं रूपांतरण नतधथ – उत्पादक कंपनी के रल्जस्रीकरण
की नतधथ (एतत्पश्चात रूपांतरण नतधथ के रूप में ननहदिटट) के तत्काल पि
ू ि अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत
का प्रत्येक अंिधारक उस नतधथ पर और उसके बाद से, अपने अंिों के अंककत मप
ू य (face value)
तक एक उत्पादक कंपनी के अंिधारक के रूप में रल्जस्रीकृत माना जायेगा (धारा 581-ट).

धारा 581-ठ- उपिम का उत्पादक कंपनी में ननहहत होना

(1) अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत की सभी चल और अचल संपनतयां और आल्स्तयां, रूपांतरण नतधथ
पर, उत्पादक कंपनी में ननहहत हो जायेंगी (उपधारा (1)).

(2) अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत के सभी अधधकार, ऋण, दानयत्ि, हहत, वििेिाधधकार और
बाध्यताएं,यथा, रूपांतरण नतधथ पर उत्पादक कंपनी को अंतररत हो जायेंगे और िे अधधकार, दानयत्ि,
हहत, वििेिाधधकार और बाध्यताएं उत्पादक कंपनी के होंगे (उपधारा (2)).

(3) उपधारा (2) में अंतवििटट उपबंधों पर प्रनतकूल प्रभाि र्ाले बबना, उपगत ककये गये सभी ऋण,
दानयत्ि और बाध्यताएं, की गयी सभी संविदायें और सभी मामले और चीजें जो सशमनत के द्िारा, के
साथ या के शलए ककये जाने को िचनबि हैं, रूपांतरण नतधथ से उनके प्रयोजनों के बारे में या के शलये,
यह माना जायेगा कक िे उत्पादक कंपनी द्िारा उपगत की गयी हैं और जैसे कक उन्हें उत्पादक कंपनी
के द्िारा, के साथ, या के शलए ककया जाना िचनबि है (उपधारा (3)).

(4) यह सभी धनराशि जो अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत को दे य है , रूपांतरण नतधथ के तत्काल पि


ू ,ि
यह माना जायेगा कक उत्पादक कंपनी को दे य है (उपधारा (4)).

(5) प्रत्येक संगठन, जो रूपांतरण नतधथ के तत्काल पि


ू ि तक अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत द्िारा
प्रबंधधत ककए जा रहे थे, उत्पादक कंपनी द्िारा प्रबंधधत ककए जाएंग,े उस सीमा तक और उसी रीनत से
जैसा कक पररल्स्थनतयों द्िारा अपेक्षक्षत हो (उपधारा (5)).

(6) प्रत्येक संगठन जो अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत से वित्तीय, प्रबंधकीय या तकनीकी सहायता लेते
रहे हैं, रूपांतरण नतधथ के तत्काल पि
ू ि उत्पादक कंपनी द्िारा वित्तीय, प्रबंधकीय या तकनीकी सहायता
हदया जाना, यथाल्स्थनत जारी रखा जा सकेगा, उस अिधध तक, उस पररमाण तक और उस रीनत से
जैसा कक िह कंपनी उधचत समझे (उपधारा (6)).

(7) अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत की पज


ूं ी को जताने िाली राशि, उत्पादक कंपनी की पज
ूं ी का भाग
होगी (उपधारा (7)).

115
(8) अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत के प्रनत ननदे ि जो इस विधध से शभन्न ककसी अन्य विधध में है या
ककसी संविदा में या अन्य शलखत में है , उत्पादक कंपनी के प्रनत ननदे ि का होना माना जायेगा (उपधारा
(8)).

(9) यहद रूपांतरण नतधथ पर, अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत द्िारा या के विरूि कोई भी िाद, माध्यस्थम,
अपील या अन्य विधधक कायििाही लंबबत है तो धारा 581- ञ के अंतगित अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत
के एक उत्पादक कंपनी में रूपांतरण या धारा 581-ग के अंतगित एक उत्पादक कंपनी के ननगमन के
कारण से, यथाल्स्थनत, कोई प्रनतकूल प्रभाि नहीं पड़ेगा और िह समाप्त या उपिशमत नहीं होगा. िह
िाद, माध्यस्थम े् अपील या अन्य कायििाही उत्पादक कंपनी द्िारा या उसके विरूि जारी रह सकते हैं
या चलाये और प्रित्ृ त ककये जा सकते हैं, उसी रीनत से और उसी विस्तार तक जैसे कक िह अंतरािल्ज्यक
सहकारी सशमनत द्िारा या उसके विरूि जारी रहा होता या चलाया और प्रित्ृ त ककया गया होता अथिा
जारी रखा जा सकता था चलाया और प्रित्ृ त ककया जा सकता था मानो इस भाग में अंतवििटट उपबंध
लागू ही नहीं होते थे (उपधारा (9)).
581. ड. उत्पादन कंपनी को ररयायतें हदए जाना मानना

अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत के कायिकलाप और कारोबार के संबध


ं में तत्समय प्रित्ृ त ककसी अन्य
विधध के अधीन ऐसी सशमनत को दी गयी सभी राजस्ि संबध
ं ी और अन्य ररयायतें ,
अनज्ञ
ु ल्प्तयां(Licences), लाभ, वििेिाधधकार और छूट के बारे में यह माना जायेगा कक िे रूपांतरण
नतधथ से उत्पादक कंपनी को स्िीकृत की गयी हैं.

धारा 581- ढ- अंतराधक्ज्यक सहकारी सममनत के अधधकाररयों और अन्य कमधचाररयों के संबध


ं में उपबंध

(1) धारा 581-ण में अंतवििटट ककसी बात के होते हुए भी, अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत में सभी ननदे िक
उत्पादक कंपनी के ननगमन के पि ू ,ि रूपांतरण नतधथ से एक ििि की अिधध तक इस अधधननयम के
उपबंधों के अनस
ु ार कायि करें गे (उपधारा(1)).

(2) उपधारा (2) यह उपबंधधत करती है कक अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत का प्रत्येक अधधकारी या अन्य
कमिचारी (बोर्ि के ननदे िक, सभापनत या प्रबंध ननदे िक के शसिाय) जो रूपांतरण नतधथ से पि
ू ि अपने
ननयोजन में कायिरत है जो इस अधधननयम के आधार पर एक उत्पादक कंपनी में ननहहत हो गयी है ,
रूपांतरण नतधथ से उत्पादक कंपनी का अधधकारी या यथाल्स्थनत अन्य कमिचारी हो जायेगा और उसमें
अपना पद या सेिा उसी सेिाधनृ त (tenure) के अनस
ु ार, उसी पाररश्शमक पर, उन्हीं ितों और ननबन्धनों
पर, उन्हीं बाध्यताओं, उन्हीं अधधकारों और उन्हीं वििेिाधधकारों के साथ धारण करे गा और छुटाकी, यात्रा
छुटाकी ररयायत, कपयाण स्कीम/योजना, धचककत्सा सवु िधा स्कीम, बीमा, भविटय ननधध, अन्य ननधध
(Fund), सेिाननिल्ृ त्त, स्िैल्च्छक सेिा-ननिल्ृ त्त, उपदान (Gratuity) और अन्य प्रसवु िधाओं को उसी
है शसयत से धाररत करे गा जैसा कक िह पि
ू ि अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत में धाररत करता, यहद उसका
उपिम उत्पादक कंपनी में ननहहत न हुआ होता और िह उत्पादक कंपनी के अधधकारी के या यथाल्स्थनत
अन्य कमिचारी की है शसयत से ऐसा करना जारी रखेगा.

116
(3) जहां अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत का कोई अधधकारी या अन्य कमिचारी उपधारा (2) के अधीन
उत्पादक के ननयोजन या सेिा को नहीं चन
ु ता है तो ऐसे अधधकारी या अन्य कमिचारी के बारे में यह
माना जायेगा कक उसने अपने पद का त्याग कर हदया है (उपधारा (3)).

(4) औद्योधगक वििाद अधधननयम, 1947 या तत्समय प्रित्ृ त ककसी अन्य विधध में अंतवििटट ककसी
बात के होते हुए भी, ककसी अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत के अधधकारी या अन्य कमिचारी की सेिाओं
का अंतरण उत्पादक कंपनी को होने पर ऐसा अधधकारी या अन्य कमिचारी इस अधधननयम या तत्समय
प्रित्ृ त ककसी अन्य विधध के अधीन ककसी भी न्यायालय, अधधकरण या अन्य प्राधधकारी द्िारा ग्रहण
नहीं ककया जायेगा (उपधारा (4)).

(5) ऐसे अधधकारी और अन्य कमिचारी जो रूपांतरण-नतधथ के पि


ू ,ि अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत से
सेिाननित्ृ त हो गए हैं और ककसी भी प्रसवु िधाओं, अधधकारों या वििेिाधधकारों के हकदार हैं, िे उत्पादक
कंपनी से उन्हीं प्रसवु िधाओं, अधधकारों या वििेिाधधकारों के हकदार होंगे (उपधारा (5)).

(6) अधधकाररयों या कमिचाररयों के कपयाण के शलए बनाये गये, अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत की और
ककन्हीं अन्य ननकायों की उपदान ननधध (gratuity fund) या भविटय ननधध (provident fund) के
न्यासों के कृत्यों का ननििहन उत्पादक कंपनी में जारी रहे गा जो अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत में अब
तक ककया जाता रहा था और उस सशमनत को उसकी भविटय ननधध या उपदान ननधध के कर में दी
गयी कोई छूट उत्पादक कंपनी को दी जाती रहे गी (उपधारा (6)).

(7) इस अधधननयम में या तत्समय प्रित्ृ त ककसी अन्य विधध में या अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत के
विननयम में अंतवििटट ककसी बात के होते हुए भी, बोर्ि का कोई ननदे िक, सभापनत और प्रबंध ननदे िक
या कोई अन्य व्यल्तत जो अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत के कायिकलाप और कारोबार के सारभत ू भाग
या संपण
ू ि भाग के प्रबंध का हकदार था, िह अपनी पदहानन के शलए या उसके द्िारा अंतरािल्ज्यक
सहकारी सशमनत के साथ की गयी प्रबंध की संविदा के समय पि
ू ि पयििसान के शलए अंतरािल्ज्यक सहकारी
सशमनत या उत्पादक कंपनी के विरूि ककसी प्रनतकर का हकदार नहीं होगा (उपधारा (7)).

117
अध्याय III उत्पादक कंपनी का प्रबंध

इस अधधननयम के भाग 9 अध्याय 3 में धारा 581-ण से 581- य तक उत्पादक कंपनी के प्रबंध के
संबध
ं में उपबंध ककये गये हैं.

धारा 581-ण - ननदे शकों की संख्या

प्रत्येक उत्पादक कंपनी में कम से कम पांच ननदे िक होंगे ल्जनकी संख्या पन्रह से अधधक नहीं होगी.

परं तु अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत के मामले में जो एक उत्पादक कंपनी के तौर पर ननगशमत है.

ऐसी उत्पादक कंपनी अपने रूपांतरण की नतधथ से एक ििि की अिधध तक पंरह से अधधक ननदे िक
रख सकेगी.

धारा 581-त- ननदे शकों की ननयक्ु क्त

(1) यह उपबंधधत करती है कक धारा 581-ढ में उपबंधधत के शसिाय, िे सदस्य जो ज्ञापन और अनच्
ु छे दों
पर हस्ताक्षर करते हैं, तदन्तगित बोर्ि के ननदे िक (की है शसयत से पदाशभहहत हो सकेंगे/पांच से अनधधक)
जो उत्पादक कंपनी के कायिकलापों को ननयंबत्रत करें गे जब तक कक इस धारा के उपबंधों के अनस
ु ार
ननदे िक ननिािधचत नहीं हो जाते हैं (उपधारा (1)).

(2) ननदे िकों के ननिािचन का संचालन उत्पादक कंपनी के रल्जस्रीकरण के नलबे हदनों की अिधध के
भीतर ककया जायेगा.

परं तु अंतरािल्ज्यक सहकारी सशमनत के मामले में जो धारा 581-ञ की उपधारा (4) के अंतगित एक
उत्पादक कंपनी के रूप में रल्जस्रीकृत की गयी है ल्जसमें कम से कम पांच ननदे िक (ल्जसमें िे ननदे िक
भी हैं जो धारा 581-ढ की उपधारा (1) के अधीन ननदे िक के पद पर बने हुए हैं. पद धारण करते हैं
तो ऐसी कंपनी की रल्जस्रीकरण की नतधथ पर इस धारा के उपबंध ऐसे प्रभािी होंगे मानो उनमें अंतवििटट
िलद ''नलबे हदनों'' के स्थान पर ''तीन सौ'' और ''पैंसठ'' िलद रखे गये थे(उपधारा (2)).

(3) प्रत्येक व्यल्तत ननदे िक का पद एक ििि से कम अिधध तक धारण नहीं करे गा जो पांच ििि से
अधधक नहीं होगी जैसा कक अनच्
ु छे दों द्िारा विननहदि टट हो (उपधारा (3)).

(4) प्रत्येक ननदे िक जो अनच्


ु छे दों के अनस
ु ार सेिा ननित्ृ त होता है , ननदे िक के रूप में पन
ु ननियल्ु तत का
पात्र होगा (उपधारा (4)).

(5) उप धारा (2) में उपबंधधत के शसिाय बोर्ि के ननदे िकों का चयन या ननयल्ु तत िावििक साधारण
अधधिेिन में सदस्यों द्िारा ककया जाएगा.

118
(6) उपधारा (6) के अनस
ु ार बोर्ि एक या अधधक वििेिज्ञ ननदे िकों या अनतररतत ननदे िक को सहयोल्जत
कर सकेगा जो ननदे िकों की कुल संख्या के पांचिें भाग से अधधक नहीं होंगे या ककसी अन्य व्यल्तत
को ननदे िक के तौर पर ननयत
ु त कर सकेगा उस अिधध तक के शलए जो बोर्ि उधचत समझे:

परं तु उन वििेिज्ञ ननदे िकों को सभापनत के ननिािचन में मत दे ने का अधधकार नहीं होगा ककन्तु िे एक
सभापनत के तौर पर चुने जाने के पात्र होंगे, यहद ऐसा अनच्
ु छे दों में उपबंधधत हो:

परं तु यह और कक ल्जस अधधकतम अिधध तक वििेिज्ञ ननदे िक या अनतररतत ननदे िक पद धारण


करते हैं िह उस अिधध से, जो अनच्
ु छे दों में विननहदि टट की जा सकेगी, अधधक नहीं होगी.

धारा 581-थ - ननदे शकों द्वारा पद ररक्क्त

(1) उपधारा (1) के अनस


ु ार उत्पादक कंपनी के ननदे िक का पद ररतत हो जायेगा यहद-

(क) िह ननदे िक नैनतक अधमता (moral turpitude) के ककसी अपराध के शलए शसिदोि ककया गया
है और उसके शलये छ:मास से अधधक के कारािास से दण्र्ाहदटट ककया गया है,

(ख) उत्पादक कंपनी ने, ल्जसमें िह ननदे िक है, ककसी कंपनी या संस्था या अन्य व्यल्तत से शलये गये
श्शमक-धन (Advances) या ऋणों (Loans) के प्रनतसंदाय में व्यनतिम ककया है और ऐसा व्यनतिम
नलबे हदनों तक बना रहता है ,

(ग) उसने, ल्जस उत्पादक कंपनी में िह ननदे िक है उस कंपनी से ऋण या अधग्रम धन लेकर उनके
प्रनतसंदाय में व्यनतिम ककया है ,

(घ) ल्जस उत्पादक कंपनी में िह ननदे िक है, उस कंपनी ने-

(i) अप्रैल 2002 के प्रथम हदिस से प्रारं भ होनेिाले या बाद के ककन्हीं भी लगातार तीन
वित्तीय ििों से िावििक लेखाओं और िावििक वििरणी को फाइल नहीं ककया है , या
(ii) िह ननक्षेप (deposit) या ननधािररत मप
ू य (withheld price) या संरक्षण बोनस या उस
पर लयाज का ननयत नतधथ तक प्रनतसंदाय करने में या लाभांि दे ने में असफल रही है और
ऐसी विफलता एक ििि या उससे अधधक तक बनी रहती है ,

(र्.) ल्जस उत्पादक कंपनी में िह ननदे िक हैं, उस कंपनी में इस अधधननयम के उपबंधों और उस कंपनी
के अनच्
ु छे दों के अनस
ु ार ननदे िक पद के शलए ननिािचन कराने में व्यनतिम हुआ है ,
(च) ल्जस उत्पादक कंपनी में िह ननदे िक है , उस कंपनी के िावििक साधारण अधधिेिन या असामान्य
साधारण अधधिेिन, शसिाय ककसी प्राकृनतक विपल्त्त के कारण या ऐसे ही ककसी अन्य कारण के, इस
अधधननयम के उपबंधों के अनस
ु ार नहीं ककये गये हैं.
उपधारा (1) के उपबंध, जहां तक हो सके, उत्पादक संस्था के ननदे िक को भी लागू होंगे जो उत्पादक
संस्था उत्पादक कंपनी की सदस्य हैं (उपधारा (2)).

119
धारा 581-द- बोडध की शक्क्तयां और कृत्य

(1) इस अधधनयम और अनच्


ु छे दों के उपबंधों के अधीन रहते हुए, उत्पादक कंपनी के ननदे िकों का बोर्ि
ऐसी िल्ततयों का प्रयोग करे गा ओर ऐसे सभी कृत्यों को करे गा जो करने के शलए कंपनी ने उसे
प्राधधकृत ककया है.

(2) उपधारा (2) के अनस


ु ार विशिटटतया और पि
ू ग
ि ामी िल्ततयों की व्यापकता पर प्रनतकूल प्रभाि र्ाले
बबना, ऐसी िल्ततयों के अंतगित ननम्नशलखखत में से सभी या ककसी को सल्म्मशलत ककया जा सकता है -

(क) दे य लाभांि का अिधारण,

(ख) विधाररत (रोक रखे गये) मप


ू य की मात्रा का अिधारण और साधारण अधधिेिन पर संरक्षण का
अनम
ु ोदन ककये जाने हे तु शसफाररि करना,

(ग) नये सदस्यों का प्रिेि,

(घ) संगठनात्मक नीनत ि उद्देश्यों के अनस


ु ार कायि करना और उनको विननशमित करना, विशिटट
दीघिकाशलक और िावििक लक्ष्यों को स्थावपत करना और सामहू हक यल्ु ततयों ि वित्तीय योजनाओं का
अनम
ु ोदन करना,

(र्.) उत्पादक कंपनी के मख्


ु य कायिकारी और ऐसे अन्य अधधकाररयों की ननयल्ु तत, जो अनच्
ु छे दों में
विननहदिटट ककये जा सकते हैं,

(च) अपने द्िारा ननयत


ु त ककये गये मख्
ु य कायिकारी और अन्य अधधकाररयों का अधीक्षण, ननदे िन और
ननयंत्रण करना,

(छ) उधचत लेखा रखना, िावििक लेखाओं को, संपरीक्षक की ररपोटि के साथ िावििक साधारण अधधिेिन
के समक्ष रखे जाने के शलए, तैयार करना और संपरीक्षक की ररपोटि के संबध
ं में अपने जिाबों को तैयार
करना,

(ज) कारोबार के साधारण अनि


ु म में, उत्पादक कंपनी की सम्पल्त्त का अजिन या व्ययन,

(झ) कारोबार के साधारण अनि


ु म में, उत्पादक कंपनी की ननधध का विननधान (investment),

(ञ) उत्पादक कंपनी के कारोबारी कायिकलापों के संबध


ं में ककसी सदस्य को अधग्रम धन या ऋण की
मंजरू ी, जो ननदे िक या उसका संबध
ं ी न हो,

(ट) ऐसे उपायों को करना या ऐसे अन्य कायों को करना जो उसकी िल्ततयों के प्रयोग या उसके कृत्यों
के ननििहन में अपेक्षक्षत है.

(3) उपधारा (3) यह उपबंधधत करती है कक उपधारा (1) और (2) में विननहदिटट िल्ततयों का प्रयोग,
कंपनी की ओर से, उसके अधधिेिन पर पाररत संकपप के माध्यम से बोर्ि द्िारा ककया जायेगा.

120
स्पष्ट्टीकरण- संदेहों के ननराकरण हे तु यहां यह घोवित ककया गया है कक ननदे िक या ननदे िकों का समह

जो बोर्ि का गठन नहीं करता है , ककसी भी िल्तत का प्रयोग नहीं करे गा जो उसके द्िारा प्रयोततव्य हैं.

धारा 581-ध - साधारण अधधवेशन पर सम्पाहदत ककये जाने वाले मामले

(1) उत्पादक कंपनी के ननदे िकों का बोर्ि उस कंपनी की ओर से ननम्नशलखखत िल्ततयों का प्रयोग
करें गा,और ऐसा िह केिल संकपपों के माध्यम से करे गा जो कंपनी के सदस्यों द्िारा िावििक साधारण
अधधिेिन पर पाररत ककये गये हैं-

(क) उत्पादक कंपनी के बजट का अनम


ु ोदन और िावििक लेखाओं का अंगीकरण,
(ख) संरक्षण बोनस का अनम
ु ोदन,
(ग) बोनस अंिों का ननगिमन,
(घ) ''सीशमत िापसी'' की घोिणा और संरक्षण के वितरण का विननश्चय,
(र्.) ऋणों की पररसीमाओं और ितों को विननहदिटट करना जो बोर्ि द्िारा ककसी ननदे िक को हदये जा
सकते हैं, और
(च) ककसी संव्यिहार की प्रकृनत का अनम
ु ोदन ल्जसे सदस्यों के अनम
ु ोदन हे तु अनच्
ु छे दों में आरक्षक्षत
ककया जाना है.

धारा 581-न - ननदे शकों का दानयत्व

(1) जब ननदे िक संकपप के शलए मतदान करते हैं या अनम


ु ोदन करते हैं तब इस अधधननयम के या
तत्समय प्रित्ृ त ककसी अन्य विधध के अथिा अनच्
ु छे दों के उपबंधों के विपरीत की गयी ककसी बात के
पररणामस्िरूप उत्पादक कंपनी को हुई हानन या क्षनत के शलए िे संयत
ु त रूप से या अलग-अलग दे नदार
होंगे.

(2) उपधारा (2) यह उपबंधधत करती है कक उपधारा (1) में अंतवििटट उपबंधों पर प्रनतकूल प्रभाि र्ाले
बबना, उत्पादक कंपनी को अपने ननदे िकों से िसल
ू करने का अधधकार होगा-

i. जहां ऐसे ननदे िक ने उपधारा (1) में विननहदि टट उपलंघन के पररणामस्िरूप कोई लाभ प्राप्त
ककया है, िहां उस लाभ के बराबर की राशि,

ii. जहां उपधारा (1) में विननहदि टट उपलंघन के पररणामस्िरूप उत्पादक कंपनी ने हानन या क्षनत
उठाया हो, िहां उस हानन या क्षनत के बराबर की राशि.

(3) उपधारा (3) के अनस


ु ार इस धारा के अधीन अधधरोवपत दानयत्ि, इस अधधननयम के या तत्समय
प्रित्ृ त ककसी अन्य विधध के अधीन एक ननदे िक पर अधधरोवपत दानयत्ि के अनतररतत होगा और उसका
अपपीकरण करने िाला नहीं होगा.

121
धारा 581- प - ननदे शकों की सममनत

(1) उपधारा (1) के अनस


ु ार बोर्ि अपने कृत्यों के दक्षतापण
ू ि ननििहन में सहायता प्राप्त करने के प्रयोजन
से उतनी संख्या में सशमनतयों का गठन कर सकता है जो िह उपयत
ु त समझे.

(2) परं तु यह तब जबकक, बोर्ि अपनी ककसी भी िल्तत को, ककसी भी सशमनत को प्रत्यायोल्जत नहीं
करे गा या मख्
ु य कायिकारी की िल्ततयों को ककसी भी सशमनत को नहीं सौंपेगा.

उपधारा (2) के अनस


ु ार उपधारा (1) के अधीन गहठत की गयी सशमनत, बोर्ि के अनम
ु ोदन से उतनी
संख्या में व्यल्ततयों को सशमनत के सदस्य के तौर पर सहयोल्जत कर सकती है जो िह उपयत
ु त समझे.

परं तु यह तब जबकक, धारा 581-ब के अधीन ननयत


ु त ककया गया मख्
ु य कायिकारी या उत्पादक कंपनी
का ननदे िक ऐसी सशमनत का सदस्य होगा.

(3) उपधारा (3) यह उपबंधधत करती है कक प्रत्येक ऐसी सशमनत, बोर्ि के साधारण अधीक्षण, ननदे िन
और ननयंत्रण के अधीन रहते हुए उस अिधध तक और उस रीनत से कायि करे गी जैसा कक बोर्ि ननदे ि
दे .

(4) सशमनत के सदस्यों को हदए जाने िाले भत्ते और फीस िह होंगे जो बोर्ि अिधाररत करे [उपधारा
(4)].

(5) सशमनत की प्रत्येक सभा का कायिित्ृ त (minutes) बोर्ि के आगामी अधधिेिन में उसके समक्ष रखा
जाएगा [उपधारा (5)].

धारा 581-फ - बोडध के अधधवेशन (Meetings) और गणपनू तध

(1) बोर्ि का अधधिेिन प्रत्येक तीन मास में कम से कम एक बार और प्रत्येक ििि में कम से कम चार
बार आयोल्जत ककया जाएगा [उपधारा (1)].

(2) ननदे िक बोर्ि के प्रत्येक अधधिेिन की सच


ू ना शलखखत रूप में उस समय भारत में उपल्स्थत प्रत्येक
ननदे िक को दी जाएगी, और प्रत्येक अन्य ननदे िक को भारत में उसके सामान्य पते पर दी जाएगी.
[उपधारा (2)].

(3) मख्
ु य कायिकारी उपयत
ुि त सच
ू ना बोर्ि के अधधिेिन की नतधथ के कम से कम सात हदन पि
ू ि दे गा
और यहद िह ऐसा करने में विफल रहता है तो िह जम
ु ािने से दण्र्नीय होगा जो एक हजार रूपये तक
हो सकता है .

परन्तु बोर्ि का अधधिेिन लघत


ु र सच
ू ना पर भी बल
ु ाया जा सकेगा और उसके कारण को बोर्ि द्िारा
अशभशलखखत ककया जाएगा [उपधारा (3)].

(4) बोर्ि के अधधिेिन के शलए गणपनू ति ननदे िकों की कुल संख्या की एक नतहाई होगी, जो न्यन
ू तम
तीन के अधीन होगी [उपधारा (4)].

122
(5) अनच्
ु छे दों में उपबल्न्धत के शसिाय, ननदे िकों को ल्जनमें सहयोल्जत ननदे िक भी सल्म्मशलत हैं, बोर्ि
के अधधिेिन में उपल्स्थत होने के शलए िह फीस और भत्ते हदए जा सकेंगे जो साधारण अधधिेिन में
सदस्यों द्िारा ननल्श्चत ककया जाए [उपधारा (5)].

धारा 581- ब - मख्


ु य कायधकारी और उसके कायध

(1) प्रत्येक कम्पनी बोर्ि द्िारा सदस्यों के शभन्न व्यल्ततयों में से ननयत
ु त ककया जाने िाला एक
पण
ू क
ि ाशलक मख्
ु य कायिकारी होगा, िह ल्जस भी नाम से बल
ु ाया जाए [उपधारा (1)]
(2) मख्
ु य कायिकारी बोर्ि का पदे न ननदे िक होगा और ऐसा ननदे िक चिानि
ु म से सेिाननित्ृ त होगा
[उपधारा (2)].

(3) अनच्
ु छे दों में उपबल्न्धत के शसिाय, मख्
ु य कायिकारी की सेिा के शलए अहिताएं, अनभ
ु ि, ननबन्धन
और ितें िह होंगी जो बोर्ि द्िारा ननल्श्चत ककया जाए [उपधारा (3)].

(4) मख्
ु य कायिकारी के उन सारभत
ू प्रबन्धन िल्ततयां सौंपी जाएंगी जो बोर्ि अिधाररत करे [उपधारा
(4)].

(5) उपधारा (5) यह उपबल्न्धत करती है कक उपधारा (4) की व्यापकता पर प्रनतकूल प्रभाि र्ाले बबना,
मख्
ु य कायिकारी ननम्नशलखखत िल्ततयों का प्रयोग और कृत्यों का ननििहन कर सकता है -

(क) ननत्य प्रनत के प्रिासननक कृत्यों को करना ल्जसमें उत्पादक कम्पनी के हदन-प्रनतदनन के कामकाज
का प्रबंध करना भी सल्म्मशलत है ,

(ख) बैंक के खातों में धन जमा करना या ननकालना अथिा बोर्ि के साधारण या वििेि अनम
ु ोदन के
अध्यधीन रहते हुए बैंक के खाते के प्रचालन हे तु अपनी ओर से ककसी व्यल्तत को प्राधधकृत करना,

(ग) उत्पादक कम्पनी की नकदी और अन्य आल्स्तयों को सरु क्षक्षत अशभरक्षा का प्रबंध करना,

(घ) कम्पनी की ओर से और कम्पनी के शलए ऐसे दस्तािेजों पर हस्ताक्षर करना ल्जसके शलए िह
बोर्ि द्िारा प्राधधकृत ककया जाए,

(र्.) लेखा पस्


ु तकों का उधचत अनरु क्षण करना, िावििक लेखाओं को तैयार करना और उनकी संपरीक्षा
करना, संपरीक्षक्षत लेखाओं को बोर्ि के समक्ष और सदस्यों के िावििक साधारण अधधिेिन में रखना,

(च) उत्पादक कम्पनी के कायों और प्रचालन की उनके मप


ू यांकन करने हे तु सदस्यों को समय-समय
पर जानकारी दे ना,

(छ) बोर्ि द्िारा उसको प्रत्यायोल्जत की गयी िल्तत के अनस


ु ार पदों पर ननयल्ु ततयां करना,

(ज) लक्ष्यों, उद्देश्यों, यल्ु ततयों, योजनाओं और नीनतयों (Policies) को ननल्श्चत करने में बोर्ि की सहायता
करना,

123
(झ) प्रस्तावित और चालू कियाकलापों से सम्बि विधधक और विननयामक मामलों के संबध
ं में बोर्ि को
सलाह दे ना और उस संबध
ं में कारि िाइि करना,

(ञ) उन िल्ततयों का प्रयोग करना जो कारोबार के साधारण अनि


ु म में आिश्यक हों,

(ट) ऐसे अन्य कृत्यों का ननििहन करना और ऐसी अन्य िल्ततयों का प्रयोग करना, ल्जनके शलए उसे
बोर्ि द्िारा प्रत्यायोल्जत ककया जाए.

(6) मख्
ु य कायिकारी उत्पादक कंपनी के कायिकलापों का प्रबंध बोर्ि के साधारण अधीक्षण, ननदे िन और
ननयंत्रण के अधीन करे गा और उत्पादक कंपनी के कायि संपादन के शलए दानयत्िाधीन होगा [उपधारा
(6)].

धारा 581-भ - उत्पादक कम्पनी का सधचव

(1) प्रत्येक उत्पादक कंपनी ल्जसका औसत िावििक व्यापारािति (turnover) लगातार तीन वित्तीय
ििों में पांच करोड़ रुपये से अधधक है , एक पण
ू क
ि ाशलक सधचि रखेगी [उपधारा (1)].

(2) कोइि भी व्यल्तत एक पण


ू क
ि ाशलक सधचि के तौर पर ननयत
ु त नहीं ककया जाएगा जब तक कक िह
कंपनी सधचि अधधननयम, 1980 के अधीन गहठत कंपनी सधचि संस्थान की सदस्यता न रखता हो
[उपधारा (2)].

(3) यहद उत्पादक कंपनी उपधारा (1) के उपबन्धों का अनप


ु ालन करने में विफल रहती है तो कंपनी
और कंपनी का प्रत्येक अधधकारी, ल्जसने व्यनतिम ककया है , जुमािने से दण्र्नीय होगा जो प्रनतहदन पांच
सौ रुपये तक ककया जा सकता है जब तक कक ऐसा व्यनतिम जारी रहता है:

परन्तु ककसी व्यल्तत के विरुि इस उपधारा के अधीन ककए गए अपराध के संबध


ं में ककसी कायििाही में
प्रनतिादस्िरूप यह शसि करना पड़ेगा कक उपधारा (1) के उपबन्धों के अनप
ु ालन में सभी यल्ु ततयत
ु त
प्रयत्न ककए गए थे या कंपनी की आधथिक ल्स्थनत ऐसी कक पण
ू क
ि ाशलक सधचि रखना उसकी साम्यि से
परे था [उपधारा (3)].

581 म - गणपनू तध (कोरम)

जब तक अनच्
ु छे दों द्िारा और अधधक संख्या अपेक्षक्षत न हो, साधारण अधधिेिन में गणपनू ति (कोरम)
कुल सदस्यता की एक चौथाई से गहठत होगी.

धारा 581-य- मतदान का अधधकार

धारा 581-घ की उपधाराओं (1) और (3) में अन्यथा उपबल्न्धत के शसिाय प्रत्येक सदस्य का एक मत
होगा और मतों की समानता की ल्स्थनत में , सभापनत ननिािचन के मामले को छोड़कर, सभापनत या
पीठासीन व्यल्तत का मत ननणाियक होगा.

124
अध्याय IV साधारण अधधवेशन

धारा 581-यक - वावषधक साधारण अधधवेशन

(1) प्रत्येक उत्पादक कंपनी प्रनत ििि ककसी अन्य अधधिेिन के अनतररतत अपने िावििक साधारण
अधधिेिन के तौर पर एक साधारण अधधिेिन आयोल्जत करे गी और उसके बल
ु ाने की नोहटस में िह
अधधिेिन विननहदिटट करे गी, और उत्पादक कंपनी के एक िावििक साधारण अधधिेिन की नतधथ से अगले
अधधिेिन की नतधथ के मध्य पन्रह मास से अधधक का समय व्यतीत नहीं होना चाहहएः

परन्तु रल्जस्रार ककन्हीं वििेि कारणों से, ककसी िावििक साधारण अधधिेिन (प्रथम िावििक साधारण
अधधिेिन नहीं) को कराने हे तु तीन मास की अनधधक अिधध तक समय को बढ़ाने की अनज्ञ
ु ा दे सकता
है [उपधारा (1)].

(2) उत्पादक कंपनी अपने ननगमन की नतधथ से नलबे हदनों तक की अिधध के भीतर अपना प्रथम
िावििक साधारण अधधिेिन करे गी [उपधारा (2)].

(3) िावििक साधारण अधधिेिन में सदस्य, उत्पादक कंपनी के अनच्


ु छे दों को अंगीकृत करें गे और उसके
बोर्ि के ननदे िकों को ननयत
ु त करें गे [उपधारा (3)].

(4) उपधारा (4) यह उपबल्न्धत करती है कक िावििक साधारण अधधिेिन की आव्हान सच


ू ना ननम्नशलखखत
दस्तािेजों के साथ दी जाएगी जो इस प्रकार हैं -

(क) िावििक साधारण अधधिेिन की कायिसच


ू ी,

(ख) पि
ू ि
ि ती िावििक साधारण अधधिेिन या असामान्य साधारण अधधिेिन के कायिित्ृ त (minutes)

(ग) ननदे िक पद हे तु ( यहद हो), ननिािचन के शलए प्रत्याशियों के नाम और प्रत्येक प्रत्यािी की अहिताओं
के वििरण,

(घ) उत्पादक कंपनी और उसकी समनि


ु ग
ं ी कंपनी (यहद हो) के संपरीक्षक्षत तल
ु नपत्र (Balance sheet)
और लाभ-हानन लेखाओं के साथ-साथ ऐसी कंपनी के ननदे िक बोर्ि की ररपोटि ल्जसमें ननम्नशलखखत के
संबध
ं में वििरण होंगे -

I. उत्पादक कंपनी के कायिकलापों की दिा

ii. आरक्षक्षत (reserve) के शलए प्रस्तावित राशि,

iii. अंि पज
ंू ी पर 'सीशमत िापसी' के रूप में दी जाने िाली राशि,

iv. 'संरक्षण बोनस' के रूप में संवितररत की जाने िाली प्रस्तावित राशि,

v. उत्पादक कंपनी और उसकी समनि


ु ग
ं ी कंपनी की वित्तीय ल्स्थनत पर प्रभाि र्ालने िाली ताल्त्िक
तलदीशलयां और अधधबन्धन (Commitments) (यहद िे हों), और जो उत्पादक कंपनी के तल
ु न पत्र
से संबधं धत िावििक लेखाओं की नतधथ और बोर्ि की ररपोटि की नतधथ के मध्य कुछ हैं,

125
vi. कोई अन्य मामला जो ऊजाि संरक्षण, पयाििरण संरक्षा, विदे िी मर
ु ा के उपाजिन (earning) या
व्यय के महत्ि के बारे में हैं,

vii. कोई अन्य अपेक्षक्षत मामला जो बोर्ि द्िारा विननहदिटट ककया जाना है या ल्जसे विननहदि टट ककया
जा सकता है.

(र्.) संपरीक्षकों की ननयल्ु तत के संकपप के प्रारूप का पाठ,

(च) बोर्ि की शसफाररिों के साथ, ज्ञापन या अनच्


ु छे दों में संिोधन की प्रस्थापना करने िाले संकपप के
ककसी प्रारूप का पाठ, ल्जस पर साधारण अधधिेिन में विचार ककया जाना है .

(4) उपधारा (4) यह उपबल्न्धत करती है कक ककसी भी साधारण अधधिेिन में मतदान के हकदार
सदस्यों में से एक नतहाई सदस्यों द्िारा सम्यके् रूप से हस्ताक्षररत और विचार के शलए ननहदिटट ककए
गए मामलों की शलखखत अध्यपेक्षा (मांग पत्र) ननदे िक बोर्ि इस अधधननयम की धारा 169 से 186 तक
अन्तवििटट उपबन्धों के अनस
ु ार असामान्य साधारण अधधिेिन के आह्िान के शलए अग्रसर होगा.

(5) उपधारा (5) के अनस


ु ार प्रत्येक िावििक साधारण अधधिेिन, ऐसे हदन जो साििजननक अिकाि का
हदन नहीं है , कामकाज के समय बल
ु ाया जाएगा और उत्पादक कंपनी के रल्जस्रीकृत कायािलय या उस
नगर, नगरी या ग्राम में जहां पर कंपनी का रल्जस्रीकृत कायािलय ल्स्थत है, आयोल्जत ककया जाएगा.

(6) उपधारा (6) के अनस


ु ार उत्पादक कंपनी के साधारण अधधिेिन का आह्िान कम से कम 14 हदनों
की शलखखत पि
ू ि सच
ू ना पर ककया जाएगा.

(7) साधारण अधधिेिन आयोल्जत ककए जाने की नतधथ, समय और स्थान से उपदशिित सच
ू ना उत्पादक
कंपनी के प्रत्येक सदस्य और संपरीक्षक को भेजी जाएगी [उपधारा (7)]

(8) जब तक उत्पादक कंपनी के अनच्


ु छे दों में और अधधक संख्या के शलए उपबन्ध न हो, उत्पादक
कंपनी के सदस्यों की कुल संख्या के एक चौथाई सदस्य उसके साधारण अधधिेिन के शलए गणपनू ति
होंगे [उपधारा (8)].

(9) ननदे िकों की ररपोटि के साथ प्रत्येक िावििक साधारण अधधिेिन की कायििाही, संपरीक्षक्षत तल
ु न-पत्र,
लाभ-हानन लेखा और इस अधधननयम के अधीन लागू फाइल फीस के साथ िावििक वििरणी (Annual
Return) को िावििक साधारण अधधिेिन आयोल्जत ककए जाने की नतधथ से 60 हदनों के भीतर रल्जस्रार
के यहां फाइल ककया जाएगा [उपधारा (9)].

उस मामले में जहां एक उत्पादक कंपनी, उत्पादक संस्थाओं से बनी है , िहां ऐसी उत्पादक संस्थाओं का
उसके सभापनत या मख्
ु य कायिकारी द्िारा साधारण ननकाय (General body) में प्रनतननधधत्ि ककया
जाएगा जो उसकी ओर से इस अधधननयम के अधीन सक्षम होगाः

(10) परन्तु ऐसी उत्पादक संस्था का प्रनतननधधत्ि नहीं ककया जाएगा यहद उस संस्था द्िारा धारा 581
'थ' की उपधारा (1) के (थ) से (च) खण्र्ों तक ननहदि टट व्यनतिम या चक
ू हुई है [उपधारा (10)].

126
अध्याय V अंश पज
ूं ी और सदस्य अधधकार

धारा 581-यख अंश पज


ूं ी

(1) उत्पादक कंपनी की अंि पज


ूं ी केिल साधारण अंिों (equity shares) से बनेगी [उपधारा (1)]

(2) उत्पादक कंपनी में सदस्यों द्िारा धाररत ककए गए अंि (Share), जहां तक हो सके, उस कंपनी
के संरक्षण (Patronage) के अनप
ु ात में होंगे [उपधारा (2)].

धारा 581-यग - उपयोग के ववशेष अधधकार

(1) उत्पादक, जो सकिय सदस्य हैं, वििेि अधधकार रख सकेंगे यहद ऐसा अनच्
ु छे दों में उपबल्न्धत हो
और उत्पादक कंपनी ऐसे वििेि अधधकारों के संबध
ं में उन्हें समधु चत 'शलखत' (Instruments) जारी
कर सकेगी [उपधारा (1)].

(2) उपधारा (1) के अधीन जारी की गई उत्पादक कंपनी की शलखत, उसकी ओर से बोर्ि का अनम
ु ोदन
प्राप्त करने के पश्चात े्, उस कंपनी के ककसी अन्य सकिय सदस्य को अंतरणीय होगी [उपधारा (2)].

स्पष्ट्टीकरण - इस धारा के प्रयोजनाथि, ''वििेि अधधकार'' की अशभव्यल्तत से तात्पयि, सकिय सदस्य


द्िारा अनतररतत उत्पाद की आपनू ति करने से संबि ककसी अन्य अधधकार से है या उसके उत्पाद से
सम्बि ककसी अन्य अधधकार से है जो बोर्ि द्िारा उसे प्रदान ककया जा सकता है .

धारा 581-यघ - अंशों की अंन्तरणीयता और पररचर (attendant) के अधधकार

(1) उपधारा (1) यह उपबल्न्धत करती है कक उपधारा (2) और (4) में अन्यथा उपबल्न्धत के शसिाय
उत्पादक कंपनी के सदस्य के अंि अंतरणीय नहीं होंगे.

(2) उपधारा (2) के अनस


ु ार उत्पादक कंपनी का सदस्य, बोर्ि का पि
ू ि अनम
ु ोदन प्राप्त करने के पश्चात े्
अपने संपण
ू ि अंिों को या उनके ककसी भाग को अपने ककन्हीं वििेि अधधकारों के साथ, ककसी सकिय
सदस्य को सममप
ू य पर अंतररत कर सकता है .

(3) उपधारा (3) के अनस


ु ार प्रत्येक सदस्य उत्पादक कंपनी में अपने सदस्य हो जाने के तीन मास के
भीतर, अनच्
ु छे दों मं विननहदि टट रीनत से उस व्यल्तत का नाम ननहदिटट करे गा ल्जसको, उसे सदस्य की
मत्ृ यु हो जाने की दिा में, उसके अंिों को प्रदान ककया जाएगा.

(4) उपधारा (4) के अनस


ु ार यह नामननदे शिती (नामननहदि टट व्यल्तत), सदस्य की मत्ृ यु के पश्चात
उत्पादक कंपनी के अंिों में ननहहत सभी अधधकारों का हकदार हो जाएगा और उस कंपनी का बोर्ि
मत
ृ क सदस्य के अंिों को उसके नाम ननदे शिती (nominee) को अंतररत करे गाः

परन्तु उस मामले में जहां ऐसा नामननदे शिती एक उत्पादक नहीं है , िहां बोर्ि, सममप
ू य पर या ऐसे
अन्य मप
ू य पर जो बोर्ि अिधाररत करे , वििेि अधधकारों (यहद हो) के साथ उन अंिों को, उत्पादक
कंपनी को अभ्यवपित (Surrender) करने का ननदे ि दे गा.

127
(5) उपधारा (5) यह उपबल्न्धत करती है कक जहां उत्पादक कंपनी के बोर्ि को यह समाधान हो जाता
है कक -

(क) कोई सदस्य प्राथशमक उत्पादक नहीं रह गया है, या

(ख) कोई सदस्य, एक सदस्य के रूप में अपनी अहिता को बनाए रखने में विफल हो गया है , जो अहिता
अनच्
ु छे दों में विननहदिटट है,

िहां बोर्ि उसके अंिों को वििेि अधधकारों (यहद हदए गए हों) के साथ, उत्पादक कंपनी को अभ्यवपित
करने का ननदे ि दे गा ऐसे सममप
ू य पर (at par value) या ऐसे मप
ू य पर जो बोर्ि अिधाररत करे ः

परन्तु बोर्ि अंिों के ऐसे अभ्यपिण का ननदे ि नहीं दे गा जब तक सदस्य को शलखखत सच


ू ना की तामील
नहीं दी गई है और उसको सन
ु िाई का अिसर प्रदान नहीं कर हदया गया है.

128
अध्याय VI ववत्त, लेखा और संपरीक्षा (लेखा परीक्षा)

धारा 581-यड. - लेखा पस्


ु तकें

प्रत्येक उत्पादक कंपनी अपने रल्जस्रीकृत कायािलय पर ननम्नशलखखत विियों के संबध


ं में उधचत लेखा
पस्
ु तकों को रखेगी जो इस प्रकार हैं-

(क) उत्पादक कंपनी द्िारा प्राप्त की गई और व्यय की गई सभी धनराशियां और िे मामले ल्जनके
संबध
ं में प्राल्प्तयां और व्यय ककए जाते हैं,

(ख) उत्पादक कंपनी द्िारा माल की खरीद, और बबिी,

(ग) उत्पादक कंपनी द्िारा या उसकी ओर से ननटपाहदत दानयत्ि की शलखत,

(घ) उत्पादक कंपनी की आल्स्तयां और दानयत्ि,

(र्.) यहद उत्पादक कंपनी उत्पादन, प्रसंस्करण (Processing) और विननमािण में लगी हुई है तो माल
के उपयोग से संबि विशिल्टटयां (Particulars) या श्म अथिा अन्य मदों में लागत से सम्बि
विशिल्टटयां.

उपधारा (2) के अनस


ु ार, उत्पादक कंपनी के तल
ु न-पत्र और लाभ ि हानन लेखाओं को, जहां तक हो
सके, धारा 211 में अंतवििटट उपबन्धों के अनस
ु ार तैयार ककया जाएगा.

धारा 581-यच - आन्तररक संपरीक्षा (Audit)

प्रत्येक उत्पादक कंपनी अपने लेखाओं की आंतररक संपरीक्षा ऐसे चाटि र्ि एकाउण्टे ण्ट से कराएगी जो
चाटि र्ि एकाउण्टे ण्ट संस्थान अधधननयम, 1949 (अधधननयम की धारा 38) की धारा (2) की उपधारा (1)
के खण्र् (ख) में पररभावित है और ऐसी संपरीक्षा उस अंतराल पर और उस रीनत से होगी जो अनच्
ु छे दों
में विननहदि टट हो.

धारा 581- यछ - इस भाग के अधीन संपरीक्षक (Auditor) के कतधव्य

धारा 227 के उपबन्धों पर कोई प्रनतकूल प्रभाि र्ाले बबना, संपरीक्षक, उत्पादक कंपनी से संबि
ननम्नशलखखत अनतररतत विियों पर ररपोटि दे गा जो इस प्रकार है -

(क) दे य ऋणों की रकम के साथ र्ूबे ऋणों (bad debts) की विशिल्टटयां,

(ख) प्रनतभनू तयों और नकद बाकी (cash balance) का सत्यापन,

(ग) आल्स्तयों और दानयत्िों के लयोरे ,

(घ) िे संव्यिहार (transactions) ल्जनका इस भाग के उपबन्धों के प्रनतकूल होना प्रतीत होता है ,

(र्.) उत्पादक कंपनी द्िारा ननदे िकों को हदए गए ऋण,

129
(च) उत्पादक कंपनी द्िारा हदए गए दान या चन्दे ,

(छ) कोई अन्य वििय ल्जसे संपरीक्षक अननिायि समझे

धारा 581-यज - उत्पादक कंपनी द्वारा हदए जाने वाले दान (Donations) या चन्दे (Subscriptions)

उत्पादक कंपनी ककसी संस्था या व्यल्तत को दान या चन्दा अपने वििेि संकपप द्िारा ननम्नशलखखत
के प्रयोजन से दे सकेगी -

(क) उत्पादक सदस्यों या उत्पादकों या आम जनता के सामाल्जक और आधथिक कपयाण को बढ़ािा


दे ने के शलए, या

(ख) आपसी सहयोग के शसिांतों को बढ़ािा दे ने के शलएः

परन्तु ककसी भी वित्तीय ििि में सभी ऐसे दान और चन्दे की कुल रकम, उस वित्तीय ििि ल्जसमें ऐसा
दान और चन्दा हदया गया है , के तत्काल पि
ू ि के वित्तीय ििि में हुए उत्पादक कंपनी के िि
ु लाभ
(Net profit) का तीन प्रनतित से अधधक नहीं होगीः

परन्तु यह और कक कोई उत्पादक कंपनी प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः ककसी राजनैनतक दल को या ककसी


राजनैनतक प्रयोजन के शलए ककसी व्यल्तत को कोई अशभदाय (contribution) या चन्दा नहीं दे गी या
कोई सामग्री अथिा सवु िधा उपललध नहीं करायेगी.

धारा 581- यझ - साधारण और अन्य आरक्षक्षत ननधधयां (Reserves)

(1) प्रत्येक उत्पादक कंपनी ककसी भी आरक्षक्षत ननधध, जो उसके द्िारा रखी गई है और जो अनच्
ु छे दों
में विननहदिटट हो, के अनतररतत प्रत्येक वित्तीय ििि में एक साधारण आरक्षक्षत ननधध रखेगी [उपधारा
(1)]

(2) यहद ककसी वित्तीय ििि में उत्पादक कंपनी आरक्षक्षत ननधध को बनाए रखने के शलए पयािप्त ननधध
नहीं रखती है जैसा कक अनच्
ु छे दों में विननहदि टट थे, तो आरक्षक्षत ननधध के शलए अशभदाय (contribution)
सदस्यों के मध्य, उस ििि उस कंपनी के कारोबार में उनके संरक्षण के अनप
ु ात में, बांटा जाएगा [उपधारा
(2)].

धारा 581- यञ - बोनस अंशों का ननगधम (Issue of bonus shares)

कोई भी उत्पादक कंपनी बोर्ि की शसफाररि पर और साधारण अधधिेिन में पाररत संकपप पर, धारा
581-यझ में ननहदिटट साधारण आरक्षक्षत ननधध में से धनराशि के पज
ंू ीकरण द्िारा बोनस अंि जारी
करे गी और िे बोनस अंि सदस्यों द्िारा धाररत ककए गए अंिों के अनप
ु ात में , ऐसे अंिों को जारी
करने की नतधथ से, जारी ककए जाएंग.े

130
अध्याय VII सदस्यों को ऋण और ववननधान

धारा 581-यट- सदस्यों को ऋण आहद हदया जाना

अनच्
ु छे दों में ककए गए उपबन्धों के अधीन बोर्ि उत्पादक कंपनी के सदस्यों के शलए वित्तीय सहायता
की व्यिस्था करे गा जो ननम्नशलखखत रूप में दी जाएगी-

(क) उधार सवु िधा, जो ककसी सदस्य को उत्पादक कंपनी के कारोबार के संबध
ं में छः मास से
अनाधधक अिधध के शलए दी जा सकेगी,

(ख) ऋण और अधग्रम धन, जो ककसी सदस्य को प्रनतभनू त के बदले में जो अनच्


ु छे दों में विननहदि टट हो,
हदया जा सकेगा और जो संवितरण की नतधथ से तीन मास से अधधक परन्तु सात ििि से अनधधक
अिधध के भीतर प्रनतसंदेय (repayable) होगा,

परन्तु कोई भी ऋण या अधग्रम धन ककसी ननदे िक को या उसके ककसी संबंधी को केिल साधारण
अधधिेिन में सदस्यों के अनम
ु ोदन से ही मंजूर ककया जाएगा.

धारा 581-यठ अन्य कंपननयों में ववननधान, समनष


ु ग
ं ी कंपननयों का सज
ृ न आहद

(1) ककसी भी उत्पादक कंपनी की साधारण आरक्षक्षत ननधध (general reserves) का विननधान सरकार
या सहकारी या अनस
ु धू चत बैंक द्िारा ननगिशमत ककए गए सािधध ननक्षेपों (fixed deposits), अनम
ु ोहदत
प्रनतभनू तयों, इकाइयों (units) बन्धपत्रों से उपललध अधधकतम प्रत्यागम (returns) को सरु क्षक्षत रखने
के शलए ककया जाएगा अथिा ऐसे अन्य ढं ग से ककया जाएगा जो विहहत ककया जाए [उपधारा (1)].

(2) कोई भी उत्पादक कंपनी अपने उद्देश्यों की अशभिवृ ि (Promotion) के शलए दस


ू री उत्पादक कंपनी
के अंिों का अजिन कर सकती है [उपधारा (2)].

(3) कोई भी उत्पादक कंपनी अपने उद्देश्यों की अशभिवृ ि के प्रयोजन से वििेि संकपप द्िारा, अंि पज
ंू ी
में अशभदाय कर सकेगी, या कोई करार या समझौता कर सकेगी, चाहे अपनी समनि
ु ग
ं ी कंपनी के सज
ृ न
द्िारा या ककसी ननगशमत ननकाय के साथ संयत
ु त जोखखम उठाकर या ककसी अन्य रीनत से [उपधारा
(3)].

(4) कोई भी उत्पादक कंपनी या तो स्ियं या अपनी समनि


ु ग
ं ी कंपननयों के साथ अशभदाय, खरीद या
अन्यथा द्िारा उपधारा(2) के अधीन विननहदि टट एक उत्पादक कंपनी से शभन्न ककसी अन्य कंपनी में
अंिों का विननधान कर सकेगी अथिा उपधारा (3) के अधीन अंि पज
ंू ी के अशभदाय से शभन्न, अपनी
कुल 'समादत्त-पज
ंू ी' और 'खल
ु ी-आरक्षक्षनतयों' (free-reseves) के तीस प्रनतित से अनधधक धनराशि का
विननधान कर सकेगी.

परन्तु एक उत्पादक कंपनी अपने साधारण अधधिेिन में पाररत वििेि संकपप पर और केन्रीय सरकार
के पि
ू ि अनम
ु ोदन पर ही, इस धारा में विननहदि टट सीमा से अधधक विननधान कर सकेगी [उपधारा (4)]

131
(5) सभी विननधान, एक उत्पादक कंपनी द्िारा तभी ककए जा सकेंगे, यहद ऐसे विननधान उत्पादक
कंपनी के उद्देश्यों से संगत हों [उपधारा (5)].

(6) उत्पादक कंपनी का बोर्ि, वििेि संकपप द्िारा सदस्यों के पि


ू ि अनम
ु ोदन पर उपधारा (3) और (4)
में ननहदि टट अपने ककसी भी विननधान का व्यय (dispose) कर सकेगा [उपधारा (6)].

(7) प्रत्येक उत्पादक कंपनी एक रल्जस्टर रखेगी ल्जसमें , सभी विननधानों, उन कंपननयों के नाम ल्जनके
अंिों का अजिन ककया गया है , अंिों की संख्या और मप
ू य, अजिन की नतधथ और िह नतधथ और कीमत
ल्जस पर ककसी अंि के बाद में व्यय (dispose) ककया गया है की विशिल्टटयां होंगी [उपधारा (7)].

(8) उपधारा (7) में ननहदि टट रल्जस्टर उत्पादक कंपनी के रल्जस्रीकृत कायािलय में रखा जाएगा ल्जसका
ननरीक्षण ककसी भी सदस्य द्िारा ककया जा सकेगा और िह सदस्य उससे उिरण भी ले. सकेगा [उपधारा
(8)].

132
संदभि सं. राबैं.एनबी.एफएसपीर्ी/ 619 /एफएसपीर्ी-पॉशलसी/2014-15 हदनांक 15 जनिरी 2015

एफएसपीडी/ पररपत्र सं. हदनांक 15 जनवरी 2015

मख्
ु य महाप्रबंधक/प्रभारी अधधकारी
सभी क्षेत्रीय कायािलय/उप कायािलय एिं प्रशिक्षण संस्थान
राटरीय कृवि और ग्रामीण विकास बैंक

वप्रय महोदय

कृषक उत्पादक संगठनों के संवधधन हे तु योजना


पररचालनात्मक हदशा-ननदे श

केन्रीय बजट 2014-15 को प्रस्तत


ु करते समय माननीय केन्रीय वित्तमंत्री ने `200 करोर् की समह

ननधध से नाबार्ि में ''उत्पादक संगठन विकास और उन्नयन समह


ू ननधध (पीआरओर्ीयस
ू ीई) की स्थापना

की घोिणा की. इस ननधध का उपयोग आगामी दो ििों में 2000 कृिक उत्पादक संगठनों (एफपीओ)

के ननमािण और संिधिन हे तु ककया जाएगा. इस पहल कदमी से उभरते कृिक उत्पादक संगठनों की

प्रारं शभक आिश्यकताओं पर ध्यान हदया जा सकेगा और ल्जसके पररणाम स्िरूप वित्तीय संस्थानों के

शलए इन्हें सहायता दे ने के नए व्यिसाय अिसर उत्पन्न होंगे.

2. अनब
ु ध
ं -I में प्रोड्यस
ू फंर् के उपयोग हे तु कृिक उत्पादक संगठनों के संिधिन हे तु पररचालनात्मक

हदिा-ननदे ि हदए गए हैं. यह ननणिय शलया गया है कक उतत हदिा-ननदे िों के अनस
ु ार उत्पादक संगठन

विकास ननधध, िाटरिेर् विकास ननधध (`10 करोड़) जनजानत विकास ननधध (`5 करोड़) के तहत उपललध

ननधध का उपयोग कर कृिक उत्पादक संगठनों के संिधिन से संबधं धत कायि िरू


ु ककये जाए. िाटरिेर्

विकास ननधध और जनजानत विकास ननधध के तहत उततानस


ु ार िखणित ननधधयों का उपयोग केिल

िाटरिेर् और िार्ी पररयोजना के कमांर् क्षेत्र में कृिक उत्पादक संगठनों के संिधिन हे तु ककया जाना

है .

3. विशभन्न संिधिनात्मक कायि करने हे तु कृिक उत्पादक संगठनों/पीओपीआई को अनद


ु ान सहायता

दे ने संबध
ं ी स्िीकृनत क्षेत्रीय कायािलय के मख्
ु य महाप्रबंधक/प्रभारी अधधकारी द्िारा इस हे तु गहठत

पररयोजना स्िीकृनत सशमनत की शसफाररिों के आधार पर की जाएगी. पररशिटट–I में ननहदिटट मदिार

133
पररव्यय, पात्र अधधकतम सीमा है . अत: पीओपीआई के प्रस्तािों पर विचार करते समय, कृिक उत्पादक

संगठनों की प्रभािात्मकता से समझौता ककए बबना व्यल्ततगत मामलों में िास्तविक वित्तीय

आिश्यकताओं का ननधािरण करते समय अत्यधधक सािधानी बरती जाए. क्षेत्रीय कायािलय द्िारा

स्िीकृत अनद
ु ान सहायता राशि को पररशिटट – II में ननहदि टट कायािलय के अनस
ु ार जारी ककया जाए.

4. हमारी योजना के अंतगित कृिक उत्पादक संगठनों के गठन में हुई भौनतक प्रगनत की ररपोहटिं ग

के प्रयोजन से पंजीकरण हे तु आिेदन पत्र प्रेवित करने की तारीख को कृिक उत्पादक संगठन के गठन

की तारीख के रूप में माना जाए. विद्यमान कृिक संगठनों जो ककसी भी अन्य एजेंसी की वित्तीय

सहायता के बबना ही कृिक उत्पादक संगठन के रूप में स्थावपत हुए हैं और पहले से ही विधधक रूप में

पंजीकृत हो चुके है , उनका स्थायी रूप से व्यिसाय प्रनतटठान के रूप में उन्नयन सनु नल्श्चत करने हे तु

इस योजना के तहत इन कृिक उत्पादक संगठनों को भी अनद


ु ान सहायता दे ने पर विचार ककया जा

सकता है . तथावप, ऐसे मामलों में क्षेत्रीय कायािलयों को व्यिसाय प्रनतटठान के रूप में कायि करने हे तु

इन कृिक उत्पादक संगठनों की साख, संभाव्यता और भािी संभािनाओं को सनु नल्श्चत करने के शलए

पयािप्त सािधानी बरतनी होगी.

5. कृपया इस पररपत्र की वििय-िस्तु के बारे में सभी संबधं धतों को अिगत कराएं.

(डॉ. बी जी मख
ु ोपाध्याय)
मख्
ु य महाप्रबंधक

अनल
ु ग्नक: यथोक्त.

134
अनल
ु ग्नक- I

कृषक उत्पादक संगठनों के संवधधन की योजना: पररचालनात्मक हदशाननदे श

पष्ट्ृ ठभमू म:

ििि 2014-15 के शलए केन्रीय सरकार का बजट प्रस्तत


ु करते हुए केन्रीय वित्त मंत्री ने नाबार्ि में

`200 करोर् 'उत्पादक संगठन विकास' और उत्थान ननधध (प्रोड्यस


ू ) की स्थापना की घोिणा की ल्जसका

उपयोग दो ििों में 2000 कृिक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन और संिधिन के शलए ककया

जाएगा. इस पहल से उभरते हुए कृिक उत्पादक संगठनों की प्रारं शभक आिश्यकताओं को परू ा ककया

जा सकेगा और इससे वित्तपोिक संस्थानों के शलए ऋण सहायता दे ने के शलए कारोबार की नई

संभािनाएं भी खुलेगी.

2.0 ''प्रोड्यस
ू फंड" का लक्ष्य

मौटे तौर से इस ननधध का उद्देश्य कृिक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को ननमािण/विकासात्मक अिस्था

के दौरान अपेक्षक्षत वित्तीय और गैर वित्तीय सहायता प्रदान करके उनका गठन, संिधिन और पोिण

करना है . कृिक उत्पादक संगठनों में जागरूकता पैदा करना, क्षमता ननमािण करना, तकनीकी सहायता,

पेिि
े र प्रबंधन, बाजार तक पहुंच, विननयामक अपेक्षाएं आहद के संबध
ं में सहायता दे ना और न्यन
ू तम

3 ििों तक हैंर् होल्पर्ंग प्रदान करना तथा इनके शलए इस ननधध के तहत अनद
ु ान प्रदान करना

महत्िपण
ू ि है . कृिक उत्पादक संगठनों को अपने कारोबार की आिश्यकताओं को अपनी ननधधयों,

इल्तिटी, ऋण, प्राप्त लाभ इत्याहद से परू ा करना होगा.

3.0 कृषक उत्पादक संगठन की ववशेषताएं:

एक संगठन को तभी कृषक उत्पादक संगठन कहा जाएगा यहद

 इसका गठन प्राथशमक उत्पादकों के समह


ू द्िारा ककया जाएगा.

 यह एक पंजीकृत ननकाय और एक विधधक ननकाय है .

 इस संगठन में प्राथशमक अंिधारक उत्पादक होंगे

 यह प्राथशमक उपज/उत्पाद/संबधं धत ननविल्टटयों से जुड़ी व्यापाररक गनतविधधयां करता हो

 यह सदस्य उत्पादकों सदस्यों के लाभ के शलए यह कायि करता हो.

135
 लाभ का अंि उत्पादकों के बीच बांटा जाता हो और िेि राशि, िेयर पज
ूं ी/प्रारक्षक्षत ननधध में

रखी जाती हो.

 पंजीकरण के समय िेयरधारक सदस्यों की संस्था न्यन


ू तम 50 हो ककं तु दीधिजीिी बनाने के

शलए 3 ििों की अिधध में िेयरधारक सदस्यों की संख्या बढ़ानी होगी.

4.0 सहायता के मलए मागधदशी मसद्ध ांत

इस ननधध के तहत सहायता के शलए मोटे तौर से मागिदिी शसिांत ननम्न हैं:

i. ककसी सांविधधक/विधधक रूप से पंजीकृत ककसान उत्पादक संगठन को सहायता दी जाएगी.

ii. ककसान उत्पादक संगठन उत्पादकों के लाभ के शलए कायि करे गा.

iii. इसमें सकिय सामद


ु ानयक सहभाधगता (स्िाशमत्ि, प्रबंधन/सिल्ततकरण) होगी.

iv. इस ननधध के तहत कृिक उत्पादक संगठनों के कृवि/र्ेयरी, कुतकुट, मत्स्यपालन सहहत

कृवि से संबधं धत अनि


ु ग
ं ी कियाकलाप सहायता के शलए पात्र होंगे और इसमें संपण
ू ि मप
ू य

श्ंख
ृ ला िाशमल होगी.

v. मोटे तौर से इस योजना के तहत कृिक उत्पादक संगठनों के संिधिन से संबधं धत लागत के

शलए सहायता दी जाएगी ल्जसमें उनका क्षमता ननमािण, लयापार योजना, पंजीकरण,

एमआईएस विकास, बाजार शलंकेज और मप


ू यिवृ ि श्ंख
ृ ला शलंकेज, संिधिक एजेंसी के

प्रिासननक व्ययों, विचार-विमिि-संिाद बैठकें, दस्तािेजीकरण, िोध, प्रचार, प्रगनत का

अनप्र
ु ितिन तथा कृिक उत्पादक संगठनों के संिधिन के शलए अपेक्षक्षत व्यों से जुड़ी मदें

होगी.

vi. पररयोजना के कायािन्ियन में समेककत दृल्टटकोण अपनाया जाएगा (आिश्यकता आधाररत

और लचीला, अन्य योजनाओं/कायििमों के साथ तालमेल करना.)

5. ककसान उत्पादक संगठनों के संवधधन के मलए कायधनीनत

i. सफल िाटरिेर् विकास पररयोजनाओं, िार्ी पररयोजनाओं और उनके संघों से संभािनािील

कृिक उत्पादक संगठनों की पहचान करना.

ii. ककसान उत्पादक संगठनों के गठन को सक


ु र बनाने के शलए कृिक समह
ू ों के स्िभाविक कलस्टरों

की पहचान करना.

136
iii. ककसान उत्पादक संगठनों की पहचान, संिधिन, पोिण, विकास, क्षमता ननमािण, मप
ू यांकन

इत्याहद के शलए गैर सरकारी संगठनों, सरकार के संबधं धत विभागों, पण्य ननदे िक मंर्ल, ननगमों,

कारपोरे टरों, कायिपरक विश्िविद्यालय, सहकारी संस्थाएं, संघों, व्यापार ननकायों जैसे हहतधारकों का

ननकट समािेिन.

iv. सिोत्कृटट प्रथाओं का विकास, प्रायोधगक पररयोजनाओं का विकास और व्यापक प्रचार और

फीपर् स्तर पर उनका अनक


ु रण करने के शलए सफलता की कहाननयां.

v. शमिन कोर् को अपनाना ल्जसमें आिधधक स्तर पर गण


ु ात्मक और मात्रात्मक उपलल्लधयां प्राप्त

हों.

vi. वप्रंट, इलेतरॉननक मीडर्या तथा जन संप्रेिण की अन्य विधाओं के माध्यम से कृवि उत्पादक

संगठनों का व्यापक प्रसार

vii. परं परागत/गैर-परं परागत प्रचार-प्रसार और जागरूकता ननमािण प्रणाशलयों का उपयोग

viii. ककसान उत्पादक संगठनों के विशभन्न मॉर्लों को सीखने और समझने के शलए प्रायोधगक

पररयोजनाओं, कायि अनस


ु ध
ं ान पररयोजनाओं, प्रयोगिील पररयोजनाओं, फीपर् परीक्षण

इत्याहद को िरू
ु करना और उनके अनक
ु रण के उद्देश्य से सफल रणनीनतयां तैयार करना.

6. प्रयोग में आनेवाली प्रकिया

6.1 संसाधन सहायक एजेंमसयों (आरएसए) की पहचान

नाबार्ि का क्षेत्रीय कायािलय एक राज्य स्तरीय संसाधन सहायक एजेंसी (आरएसए) की पहचान करे गा

ल्जसे कृिक उत्पादक संगठन के सफल संिधिन का पयािप्त अनभ


ु ि हो. नाबार्ि क्षेत्रीय कायािलय और

संसाधन सहायक एजेंसी के बीच राज्य में इस योजना के कायािन्ियन के शलए एक समझौता

ननटपाहदत ककया जाएगा.

6.1.1. संसाधन सहायक एजेंमसयों (आरएसए) की भमू मका

संसाधन सहायक एजेंशसयां, उत्पादक संगठन संिधिक संस्थानों (पीओपीआई) का क्षमता ननमािण करें गी

ल्जसमें राज्य में कृिक उत्पादक संगठनों के संिधिन कायि करने के शलए उत्पादक संगठन संिधिक

संस्थानों को आिश्यक प्रशिक्षण और हैंर् होल्पर्ंग सहायता दी जाएगी. इसके साथ ही संसाधन सहायक

एल्जंसयां इस योजना के समग्र कायािन्ियन को मागिदििन करें गी. उन पर ण्सरन दें गी तथा कृिक

137
उत्पादकों को मप
ू यिधिन, विपणन, स्टोरे ज और अपेक्षक्षत अन्य सेिाओं के शलए सहायता दें गी. उत्पादक

संगठन संिधिक संस्थानों को ऊपर बतायी गई सेिाओं को प्रदान करने के शलए पहचानी गयी संसाधन

सहायक एजेंशसयों के पास तकनीकी वििेिज्ञता और फीपर् का अनभ


ु ि होना चाहहए.

6.2 उत्पादक संगठन संवधधन संस्थान (पीओपीआई) की पहचान करना

ननम्नशलखखत न्यन
ू तम पात्रता मानदं र्ों के आधार पर राज्य नाबार्ि क्षेत्रीय कायािलय संसाधन सहायक

एजेंसी के परामिि से अपेक्षक्षत संख्या में उत्पादक संगठन संिधिक संस्थाओं की पहचान करे गा.

i. विधधक संस्था के रूप में प्रासंधगक अधधननयमों के तहत पंजीकरण

ii. न्यन
ू तम तीन ििों का लेखा परीक्षक्षत तल
ु न-पत्र/लाभ हानन-खाता

iii. नाबार्ि के कायििमों को फीपर् में कायािल्न्ित करने का अच्छा रैंक ररकार्ि/संबधं धत अनभ
ु ि

iv. विकासात्मक कायों को करने के शलए इसके पास समवपित और पेिि


े र सक्षम स्टाफ हो और

पयािप्त बनु नयादी सवु िधाएं हो

v इसे ककसी ननधध-पोिक एजेंसी/बैंक/सरकार/अन्य एजेंसी द्िारा ललैक शलस्ट न ककया गया हो.

vi इसकी ऋणात्मक माशलयत नहीं होनी चाहहए और ककसी वित्तीय संस्थान का चूककताि नहीं

होना चाहहए.

vii तकनीकी सहायता की व्यिस्था करने में इसे पयािप्त अनभ


ु ि होना चाहहए.

viii इसने कारोबार को सक


ु र बनाने अथिा बाजार शलंकेज के साथ बड़े स्तर पर जीविकोपाजिन

कियाकलापों को करने का कायि कर हदखाया हो.

6.2.1 उत्पादक संगठन संवधधक संस्थान (पीओपीआई) की भमू मका

उत्पादक संगठन संिधिक संस्था, सफल िाटरिेर् विकास पररयोजनाओं, िार्ी पररयोजनाओं और उनके

संघों, मौजद
ू ा कृिक तलबों, कृिक सहकारी संस्थानों, स्ियं सहायता समह
ू ों, संयत
ु त दे यता समह
ू ों, रायतू

शमत्र समह
ू ों, कृिक हहत समह
ू ों और अथिा उनके संघों इत्याहद से संभावित कृिक हहत समह
ू ों और

अथिा उनके संघों इत्याहद में से संभावित कृिक उत्पादक संगठनों की पहचान करें गी. यथा संभि

ककसी एक िाखा से वित्तपोवित एक कृिक उत्पादक संगठन के तहत िीर्लपयस


ू ी, िार्ी तलस्टर, स्ियं

सहायता समह
ू , संयत
ु त दे यता समह
ू , रायतू शमत्र समह
ू ों, कृिक हहत समह
ू ों आहद का संघ बनाने पर

विचार ककया जा सकता है . इसके बाद उत्पादक संगठन संिधिक संस्था कृिकों के बीच जागरूकता पैदा

138
करने पर ध्यान केल्न्रत करें गी और उन्हें कृिक उत्पादक संगठनों को गहठत करने के शलए प्रेररत करे गा.

तदप
ु रांत उत्पादक संगठन संिधिक संस्था कृिक उत्पादक संगठनों की सफलता के शलए उत्पादकों की

प्रशिक्षण आिश्यकताओं (टीएनए) और अपेक्षक्षत बनु नयादी सवु िधाओं, बाजार सहयोग तथा अन्य सहयोग

सवु िधाएं/ आिश्यक शलंकेज का आकलन करें ग.े इसके पश्चात क्षमता ननमािण कायििमों की डर्जाइन

और आयोल्जत करने, कृिक उत्पादक संगठनों के शलए व्यापार विकास योजना को तैयार करने, उपयत
ु त

अधधननयम के तहत उसे गहठत करने और पंजीकृत करने, ऋण और बाजार शलंकेज की सवु िधा हदलाने

का कायि ककया जाएगा. उत्पादक संगठन संिधिन संस्थाओं को संगठनात्मक चाटि , कारोबार योजना को

विकशसत करना होगा और न्यन


ू तम तीन ििों के शलए उत्पादक संगठनों को पोवित करना होगा तथा

हैंर् होल्पर्ंग सहायता प्रदान करनी होगी. ये एजेंशसयां गैर सरकारी संगठन, न्यास, कारपोरे ट, राज्य

सरकार के विभाग, नाबार्ि संिधधित सहायक संस्थाएं, केिीके, बड़ी कृिक उत्पादक कंपननयां, कृिक संघ,

पण्य बोर्ि/ संघ/ एतसचें ज, सहकारी दग्ु ध संघ तथा ननधािररत पात्रता मानदं र्ों को परू ा करने िाली अन्य

संस्थान हो सकती हैं.

6.2.3 उत्पादक संगठन संवधधक संस्थाओं को उपलब्ध सहायता

कृिक उत्पादक संगठनों के शलए जागरूकता पैदा करने, संगठन बनाने, क्षमता ननमािण करने तथा उनकी

अन्य आिश्यकताओं के शलए अपेक्षक्षत विशभन्न प्रयासों को ध्यान में रखते हुए उत्पादक संगठन संिधिक

संस्थाएं ननम्नशलखखत कायिकलापों को करने के शलए अनद


ु ान सहयोग हे तु पात्र होंगी. इस संबध
ं में

क्षेत्रीय कायािलय और उत्पादक संगठन संिधिक संस्थाओं के बीच एक सहमनत ज्ञापन पत्र ननटपाहदत

ककया जाएगा.

6.2.3.1 ककसानों को जुटाना

उत्पादक संगठन संिधिक संस्था द्िारा एक आधार स्तर पर सिेक्षण ककया जाएगा और राज्य सरकार
के विभागों, नाबार्ि, पण्य बोर्ों इत्याहद के परामिि से ककसी वििेि तलस्टर, पण्य, बाजार, प्रसंस्करण,
भंर्ारण इकाई इत्याहद के आसपास ककसानों को जट
ु ाकर उन्हें कृिक उत्पादक संगठन में पररिनतित
ककया जाए. मौजद
ू ा कृिक तलबों, स्ियं सहायता समह
ू ों, संयत
ु त दे यता समह
ू ों, ग्राम िाटर िेर् सशमनतयों,
िार्ी तलस्टरों को कृिक उत्पादक संगठनों के रूप में गहठत करने पर विचार ककया जा सकता है . ऐसी
जागरूकता पैदा करने/ इन्हें जुटाने िाले कियाकलापों के प्रारं शभक व्यय को परू ा करने के शलए अधधकाधधक
` 30,000/- प्रनत कृिक उत्पादक संगठन के शलए प्रदान ककये जाएंग.े

139
6.2.3.2 ककसानों का क्षमता ननमाधण/ प्रमशक्षण और एक्सपोजर दौरा

उत्पादक संगठन संिधिक संस्थाओं द्िारा कृवि उत्पादन, इनपट


ु / आउटपट
ु प्रबंधन, उत्पादन िवृ ि, प्रकिया
में सध
ु ार, कृवि-व्यिसाय संचालन/ प्रबंधन/ बही खाता लेखन, विननयामक अनप
ु ालना, आंतररक
संगठनात्मक संरचना, सि
ु ासन इत्याहद क्षेत्रों के संबध
ं में प्रशिक्षण/ क्षमता ननमािण/ कौिल विकास
सहयोग के साथ एतसपोजर दौरों की व्यिस्था की जाएगी. इसके शलए सदस्य ककसानों के शलए उत्पादक
संगठन संिधिक संस्थाओं को एतसआईएमबी/ अन्य एजेंशसयों द्िारा विकशसत मॉड्यल
ू को स्थानीय
आिश्यकताओं के अनक
ु ू ल उधचत संिोधन कर अपनाया जाएगा. पहले तीन ििों के दौरान उत्पादक
संगठन संिधिक संस्था द्िारा ` 75,000/- की कुल अनद
ु ान सहायता से प्रत्येक ििि में दो प्रशिक्षण
कायििम आयोल्जत ककए जाएंगे.

6.2.3.3 ककसान उत्पादक संगठन की स्थापना और पंजीकरण

ककसान उत्पादक संगठनों को व्यिसाय संस्थान के रूप में उधचत रूप से संगहठत करना अपेक्षक्षत होगा
और विधध के संगत अधधननयमों के तहत पंजीकृत कराना होगा. उधचत प्रबंधन को स्थावपत करने,
पंजीकरण िप
ु क (विधधक संस्था के रूप में) तथा सभी विधधक औपचाररकताओं के अनप
ु ालना की लागत
को इस ननधध के तहत प्रनत कृवि उत्पादक संगठन/ कृवि उत्पादक सशमनत को अधधकतम ` 30,000/-
प्रदान ककए जाएंग.े

6.2.3.4 ककसान उत्पादक संगठन के ननदे शक मंडल को प्रमशक्षण

ककसान उत्पदक संगठनों के ननदे िक मंर्लों को लगातार तीन ििों तक ििि में एक बार ककसान उत्पादक
संगठनों के कायि, संगठनात्मक ढांचा, व्यापार पररचालन और प्रबंधन, बाजार शलंकेज, कृवि उत्पादक
संगठन के विधधक पहल,ू विननयामक अनप
ु ालना, सि
ु ासन की प्रथाएं, पारदशििता और उत्तरदानयत्ि
ननधािरण, विजन ननमािण, नेतत्ृ ि विकास, संप्रेिण कौिल और एमआईएस जैसे क्षेत्रों के बारे में जागरूक
बनाया जाएगा. तीन प्रशिक्षण कायििम अथाित तीन ििों के शलए प्रत्येक ििि में एक बार उत्पादक
संगठन संिधिक संस्था द्िारा आयोल्जत करने के शलए कुल अनद
ु ान सहायता ` 75000/- होगी.

6.2.3.5 ककसान उत्पादक संगठन के मख्


ु य कायधपालक अधधकारी को प्रमशक्षण

कृिक उत्पादक संगठन के ननदे िक मंर्ल के मागिननदे ि में इसके मख्


ु य कायिपालक अधधकारी कृिक
उत्पादक संगठन के दै ननक पररचालन कायि प्रबंधन का दानयत्ि ननभाते हैं. कृिक उत्पादक संगठन के
मख्
ु य कायिपालक अधधकारी को प्रारं शभक दो ििों के दौरान प्रशिक्षण हदया जाएगा ल्जसके शलए उत्पादक
संगठन संिधिक संस्था को दो कायििमों के शलए प्रनत कायििम ` 10,000/- की दर से ` 20,000/- की
अनद
ु ान सहायता प्रदान की जाएगी.

140
6.2.3.6 उत्पादक संगठन संवधधक संस्था की प्रशासननक लागत

इसमें एक स्थानीय ररसोसि पसिन तथा उत्पादक संगठन संिधिक संस्था द्िारा ककए जाने िाले अन्य
प्रिासननक व्ययों तथा हैंर् होल्पर्ंग सहायता हे तु व्यय िाशमल होंगे. तीन ििों के शलए प्रनत ििि `
50,000/- की दर से कुल ` 1,50,000/- की राशि प्रदान की जाएगी.

6.2.3.7 अन्य व्यय – डीपीआर, एमआईएस तैयार करना और लेखा परीक्षा आहद का आयोजन:

पीओपीआई को कृिक उत्पादन संगठनों द्िारा तीन ििों की अिधध के शलए स्थायी व्यिसाय योजना,

समधु चत एमआईएस ररपोहटिं ग, खाता बहहयों हे तु उधचत प्रणाली विकास करने, तल


ु नपत्र और लाभ-हानन

खाता और समय पर लेखा परीक्षा सनु नल्श्चत करिाने हे तु सहायता प्रदान करना आिश्यक होगा. कारोबार

आयोजना को भागीदारी प्रकिया के माध्यम से तैयार ककया जाएगा और इसमें अन्य मदों के साथ-साथ

इनप्
ु स आिश्यकताओं का आकलन, मप
ू य संिधिन हे तु छोटे बनु नयादी ढांचों का ननमािण, बाजार शलंकेज,

बाजार आसच
ू ना, खरीदारों के साथ संिाद (बाजार तक पहुंचने में सहायता और एकत्रीकरण) प्रत्येक

गनतविधध हे तु लागत अनम


ु ान वित्तीय सहायता के साधन, रणनीनत को लागू करना और अनप्र
ु ितिन

प्रकिया को िाशमल ककया जा सकता है . उतत कायिकलापों के शलए पीओपीआई को ` 50,000/- की

अनद
ु ान सहायता मंजूर की जाएगी.

7.0 कृषक उत्पादक संगठनों को उपलब्ध सहायता

कृिक उत्पादक संगठनों को प्रोड्यस


ू फंर् में से ननम्नानस
ु ार संिधिनात्मक सहायता दी जाएगी.

7.1 प्रशासननक व्यय

कृिक उत्पादक संगठन के ननदे िक मंर्ल द्िारा अपने दै नहं दन कायों के शलए पण
ू क
ि ालीन आधार पर

मख्
ु य कायिकारी अधधकारी की ननयल्ु तत की जाएगी. इस हे तु नाबार्ि द्िारा कृिक उत्पादक संगठन को

तीन ििि की अिधध के शलए टे पररंग आधार पर संपनू ति की राशि को परू ा करने के शलए अनद
ु ान सहायता

प्रदान करे गा. मख्


ु य कायिकारी अधधकारी की संपनू ति हे तु अनद
ु ान सहायता के शलए प्रथम ििि में `

10,000/- प्रनतमाह की दर से, ` 1,20,000/-, दस


ू रे ििि में ` 84,000/- (अथाित प्रथम ििि की अनद
ु ान

सहायता का 70 प्रनतित) और तीसरे ििि में ` 72,000/- (अथाित प्रथम ििि की अनद
ु ान सहायता का

141
60 प्रनतित) हदया जाएगा. इसके अलािा, छोटे फनीचर, बबजली, र्ाक व्यय आहद का भग
ु तान सहहत

कायािलयीन व्ययों हे तु प्रनत ििि ` 50,000/- की दर से अनद


ु ान सहायता दी जाएगी.

7.2 पररिामी ननधध सहायता

कृिक उत्पादक संगठनों को अपने प्रारं शभक चरण में अपने उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने के शलए

तथा कृवि उत्पादों की विपणनीयता में सध


ु ार लाने के शलए प्राथशमक प्रसंस्करण/मप
ू य संिधिन/एकत्रीकरण

की सवु िधा के शलए ` 50,000/- की एकमश्ु त पररिामी ननधध सहायता दी जाएगी.

7.3 पीओपीआई का क्षमता ननमाधण

क्षेत्रीय कायािलयों द्िारा चुने गये आरएसए/वििेिज्ञ एजेंसी द्िारा पीओपीआई के शलए क्षमता ननमािण

कायििम आयोल्जत ककया जाएगा ल्जसका समग्र रूप से समन्िय आरएसए/क्षेत्रीय कायािलय द्िारा ककया

जाएगा.

पररमशष्ट्ट - I में पीओपीआई और कृिक उत्पादक संगठनों को उपललध मद-िार अधधकतम सहायता का

वििरण हदया है .

8.0 राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सममनतयों का गठन

राटरीय स्तर पर 15-20 सदस्यों/वििेिज्ञों की सलाहकार सशमनत का गठन ककया जाएगा ल्जसमें प्रनतल्टठत

संस्थानों/गैर सरकारी संगठनों, भारत सरकार, राज्य सरकारें , एसएफएसी, सहकाररताओं, िेपयू चेन

प्लेयसि और बैंकों के प्रनतननधधयों को िाशमल ककया जाएगा. इसी प्रकार राज्य स्तरीय पर 7 से 10

सदस्यों की सलाहकार सशमनत का गठन ककया जाएगा ल्जसमें नाबार्ि के मख्


ु य महाप्रबंधक, एसएलबीसी

संयोजक, ननदे िक कृवि, ननदे िक बागिानी ररसोसि सपोटि एजेंसी/पीओपीआई, बैंकों आहद को िाशमल

ककया जाएगा.

9.0 समीक्षा/अनप्र
ु वतधन

नाबार्ि के ननदे िक मंर्ल, ल्जसमें भारत सरकार, राज्य सरकार, भारतीय ररजिि बैंक का प्रनतननधधत्ि है ,

द्िारा ननधध के उपयोग और कृिक उत्पादक संगठनों के संिधिन में हुई प्रगनत का अनप्र
ु ितिन ककया

142
जाएगा. इसके उपरांत, नाबार्ि द्िारा पररयोजना अनप्र
ु ितिन इकाइयों की स्थापना की जाएगी जो राज्य

स्तरीय ररसोसि एजेंसी/पीएमयू की सहायता से आधार स्तर पर प्रगनत का अनप्र


ु ितिन करे गी. परामििदायी

संगठन की सहायता से उधचत सॉफ्टिेयर के माध्यम से समग्र रूप से भौनतक और वित्तीय प्रगनत का

अनप्र
ु ितिन और मैवपंग ककया जाएगा.

10.0 राज्य-वार भौनतक आबंटन

नाबार्ि की अन्य संिधिनात्मक योजनाओं के अंतगित विद्यमान कृिक तलबों, कमोडर्टी तलस्टरों, िाटरिेर्

विकास पररयोजनाओं िाड़ी पररयोजनाओं, कृिक संघों की संख्या और कृिक उत्पादक संगठनों के संिधिन

में विशभन्न राज्य सरकारों की पहल कदशमयां तथा उपललध संभािनाओं पर हमारे आकलन के आधार

पर राज्य-िार भौनतक आबंटन ककया गया है ल्जसका वििरण पररमशष्ट्ट – II में है .

11.0 कृषक उत्पादक संगठनों के मलए बैंक ववत्त

कृिक उत्पादक संगठनों को आिश्यकता के अनस


ु ार वित्तीय सहायता प्रदान करने के शलए बैंकों को

प्रोत्साहहत ककया जाए. इस योजना के बारे में जागरूकता लाने और सभी हहतधारकों के बीच इसे

प्रचाररत करने के शलए क्षेत्रीय कायािलयों द्िारा राज्य/ल्जला स्तरीय बैठकें आयोल्जत की जाए.

143
पररमशष्ट्ट I

उत्पादक संगठन के संवधधन हे तु व्यय वववरण

ि. सहायता हे तु पात्र कायधकलाप प्रत्येक उत्पादक संगठन हेतु सहायता की


सं. अधधकतम रामश (` लाख)

वषध 1 वषध 2 वषध 3 कुल


I उत्पादक संगठनों को सहायता
1 मख्
ु य कायिकारी अधधकारी को िेतन @
2 उत्पादक संगठन कायािलय को फनीचर, र्ाक, बबजली आहद हे तु
व्यय
3 पररिामी ननधध सहायता - प्राथशमक प्रसंस्करण/ मप
ू य संिधिन/
विपणीयता सध
ु ार हे तु एकत्रीकरण
4 स्थापना/ पंजीकरण (केिल नए कृिक उत्पादक संगठन)

पीओ के शलए उप-जोड़ (I)

II कृषक संगठन संवधधक संस्थाओं को क्षेत्रीय कायाधलयों की ओर से सहायता


1 कृिकों को जट
ु ाना (केिल नए कृिक उत्पादन संगठनों के शलए)
2 कृिकों को प्रशिक्षण और एतसपोजर विल्ज्स हे तु
3 उत्पादक संगठनों के ननदे िकों को प्रशिक्षण - प्रनत ििि एक
कायििम
4 उत्पादक संगठनों के सीईओ को प्रशिक्षण - प्रथम दो ििों में
एक कायििम
5 पीओपीआई ररसोसि पसिन को िेतन
6 अन्य व्यय - एमआईएस, ऑडर्ट, र्ीपीआर, आहद (एलएस)
7 एक उत्पादक संगठन के संवधधन हे तु पीओपीआई के मलए उप-
जोड़ (II)
8 कुल (I + II)

144
पररमशष्ट्ट II

ननधध जारी करने का तरीका और पररणाम

ककश्त समय सीमा कायधननष्ट्पादन जारी की गई रामश

I संकपपना नोट का अनम


ु ोदन और पीओपीआई के साथ समझौता प्रथम ििि की लागत का 25 %
करार पर हस्ताक्षर

II समझौता ज्ञापन पर तलस्टरों को धचल्ह्नत करना, मख्


ु य प्रथम ििि की लागत का 25% और
हस्ताक्षर के बाद 3 माह भशू मकाओं का ननधािरण करना, ककसानों का पि
ू ि में जारी की गई राशि का
र्ाटा कम्प्यट
ू रीकृत करना, जागरूकता संतोिजनक उपयोग
बैठकों और एतसपोजर विल्ज्स आयोल्जत
करना

III समझौता ज्ञापन पर ननदे िक मंर्ल का गठन एिं उनका प्रथम ििि की लागत का 25% और
हस्ताक्षर से छह माह प्रशिक्षण, सांविधधक प्रकियाओं को पण
ू ि पि
ू ि में जारी की गई राशि का
करना और पंजीकरण हे तु आिेदन करना संतोिजनक उपयोग

IV समझौता ज्ञापन पर सीईओ की ननयल्ु तत और प्रशिक्षण, प्रथम ििि के लागत की िेि राशि
हस्ताक्षर से 12 माह कायियोजना और एमआईएस तैयार करना और पि
ू ि में जारी की गई राशि का
संतोिजनक उपयोग

V ज्ञापन समझौता पर ननविल्टटयों हे तु लाइसेंस, आिेदन करना, दस


ू रे ििि की लागत का 50% और
हस्ताक्षर से 18 माह योजना के अनस
ु ार ऋण तक पहुंच, खरीदार- पि
ू ि में जारी की गई राशि का
बबिेता बैठक, फसल वििरण सहहत संतोिजनक उपयोग
िेयरधारकों की सच
ू ी तैयार करना, िावििक
ररपोटि को अंनतम रूप दे ना

VI समझौता ज्ञापन पर उत्पादों का एकत्रीकरण, मल


ू आधारभत
ू दस
ू रे ििि की लागत की िेि राशि
हस्ताक्षर से 24 माह सवु िधाओं का ननमािण, बाजार शलंकेज, और पि
ू ि में जारी की गई राशि का
सीईओ/ ननदे िक मंर्ल के सदस्यों और संतोिजनक उपयोग
ककसानों का प्रशिक्षण

VII समझौता ज्ञापन पर इल्तिटी संग्रहण, सांविधधक अनप


ु ालनाएं, तीसरे ििि की लागत का 50% और
हस्ताक्षर से 30 माह कायि योजना का कायािन्ियन, बाजार शलंकेज पि
ू ि में जारी की गई राशि का
का संस्थागतीकरण और ऋण तक पहुंच संतोिजनक उपयोग

VIII समझौता ज्ञापन पर कृिक उत्पादक संगठनों के कायिकलापों का तीसरे ििि की लागत की िेि राशि
हस्ताक्षर से 36 माह अनम
ु ोदन, व्यिसाय विस्तरण, लेखापरीक्षा और पि
ू ि में जारी की गई राशि का
और तल
ु नपत्र, लाभ ि हानन खाता, संतोिजनक उपयोग
पररयोजना समाल्प्त ररपोटि तैयार करना

145
अनब
ु ध
ं 3 - लघु कृषक कृवष कारोबार संघ (एसएफएसी) की योजना

क. कृषक उत्पादक कंपननयों (एफपीसी) के मलए इक्क्वटी अनद


ु ान ननधध (ईजीएफ)

1. योजना के कायाधन्वयन की अवधध क्या है?

यह वित्तीय ििि 2013-14 से और उसके आगे लागू होगा.


2. इसे कायाधक्न्वत करने वाली संस्था कौन है ?

इल्तिटी अनद
ु ान ननधध लघु कृिक कृवि-कारोबार सहायता संघ (एसएफएसी) द्िारा संचाशलत ककया
जाएगा.
3. इक्क्वटी क्या होती है?

इल्तिटी का अथि है कृिक उत्पादक कंपननयों (एफपीसी) के िेयरधारक सदस्यों (कृिक उत्पादक/कृिक
उत्पादक संस्थाएं) द्िारा प्रदान की गई िेयर पज
ूं ी की राशि
4. शेयर धारक (शेयर होपडर) क्या है?

िेयर होपर्र. इल्तिटी अनद


ु ान एिं ऋण गारं टी ननधध (EGCGFS) के अंतगित इल्तिटी अनद
ु ान हे तु
इसके आिेदन की नतधथ पर कृवि उत्पादक कंपननयों के िेयरधारक सदस्य होते हैं.
5. योजना के अंतगधत इक्क्वटी अनद
ु ान हे तु कौन पात्र है?

जो कृिक उत्पादक कंपनी ननम्नशलखखत मानदं र् को परू ा करे गी, िह आिेदन के शलए पात्र होगी.
 विधधित पंजीकृत एफपीसी (कृिक उत्पादक कंपनी) का तात्पयि ऐसी कृिक उत्पादक सदस्यों
की कंपनी से है ल्जसे भारतीय कंपनी अधधननयम, 1956 की धारा IXए (उसमें ककसी संिोधन अथिा
पन
ु अ
ि धधननयमन समेत) में पररभावित ककया गया है तथा जो रल्जस्रार आफ कंपनी के अंतगित ननगशमत
हो.

 ल्जसने अपनी संगम अनच्छे द (आहटि कपस आफ एसोशसएिन) / उप-ननयमों में ननधािररि त ितों
के अनस
ु ार अपने सदस्यों से इल्तिटी प्राप्त ककए हों.

 इसके व्यल्तति: िेयरधारकों की संख्या 50 से कम न हो.

 इसकी चक
ु ता इल्तिटी `30 लाख से अधधक न हो.

 इसके न्यन
ू तम 33 प्रनतित िेयर धारक कृवि जन-गणना, कृवि मंत्रालय, भारत सरकार द्िारा
यथा पररभावित लघ,ु सीमांत एिं भशू महीन काश्तकार ककसान होने चाहहए.

 संस्थागत सदस्य के अलािा ककसी एक सदस्य की अधधकतम िेयरधाररता 50 प्रनतित से


अधधक न हो तथा संस्थागत सदस्य की िेयरधाररता एफपीसी की कुल इल्तिटी के 10 प्रनतित से
अधधक न हो.

146
ए. इसके विधधित ननिािधचत ननदे िक बोर्ि (BoD) हों ल्जसमें न्यन
ू तम पांच सदस्य हों एिं कृिक सदस्यों
का पयािप्त प्रनतननधधत्ि हो तथा उसमें न्यन
ू तम एक महहला सदस्य हों.

ऐ. इसके यहां एफपीसी के कारोबार हे तु उत्तरदायी विधधित गहठत प्रबंध सशमनत हो.

ओ.इसके पास अगले 18 महीनों के शलए कारोबार योजना तथा बजट हो एिं कायािन्ियनकताि एजेंसी
द्िारा ननधािररत ककए गए अनस
ु ार हटकाऊ राजस्ि मॉर्ल पर आधाररत हो.

औ.एफपीसी का ककसी बैंक में खाता हो.

य. इसके पास सनदी लेखाकार द्िारा लेखा परीक्षक्षत कम से कम एक पण


ू ि ििि के लेखा का स्टे टमें ट
होना चाहहए.

6. इक्क्वटी अनद
ु ान ननधध क्या है ?

इल्तिटी अनद
ु ान ननधध के चलते पात्र एफपीसी को एफपीसी में उसके िेयर होपर्र सदस्यों की इल्तिटी
अंिदान की राशि के बराबर अनद
ु ान प्राप्त होने में सवु िधा होती है. इससे एफपीसी के समग्र पज
ूं ी
आधार में बढोत्तरी हो जाती है . इस स्कीम से नए एिं उभरते एफपीसी की समस्याओं का समाधान हो
सकेगा ल्जसकी चक
ू ता पज
ूं ी आिेदन की तारीख तक `30 लाख से अनधधक होगी.

7. इक्क्वटी अनद
ु ान ननधध के अंतगधत अधधकतम इक्क्वटी अनद
ु ान क्या है ?
इल्तिटी अनद
ु ान एक नकद सहायता है जो एफपीसी में िेयर होपर्र इल्तिटी की राशि के बराबर
होती है तथा प्रनत एफपीसी इसकी अधधकतम राशि `10 लाख होती है. मंजूर की गई इल्तिटी अनद
ु ान
की राशि एफपीसी के बैंक खाते में सीधे अंतररत कर दी जाएगी.
8. इक्क्वटी अनद
ु ान ननधध के मलए कैसे आवेदन करें ?
एफपीसी जो पात्रता मानदं र् परू ा करते हैं, िे एसएफएसी को शसफि ननधािररत आिेदन फामि (अनब
ु ध
ं ) में
आिेदन करें ग.े
9. आवेदन के साथ प्रेवषत ककए जानेवाले अननवायध दस्तावेज क्या हैं ?
 िेयरधारक की सच
ू ी तथा प्रत्येक सदस्य द्िारा िेयर पज
ंू ी अंिदान का वििरण जो प्रेवित करने
से पि
ू ि ककसी सनदी लेखाकार (सीए) द्िारा सत्यावपत एिं प्रमाखणत हो.

 सदस्यों के शलए इल्तिटी अनद


ु ान प्राप्त करने हे तु एफपीसी बोर्ि/िासी पररिद (गिननिंग काउं शसल)
का संकपप.

 िेयरधारकों की सहमनत, िेयरधारक के नाम, शलंग, धाररत िेयरों की संख्या के लयौरों समेत.

 िेयरों के अंककत मप
ू य, भज
ू ोत, एसएफएसी हे तु प्रदशिित सहमनत की एफपीसी को मंजरू की
गई इल्तिटी अनद
ु ान की राशि सीधे एफपीसी के बैंक खाते में अंतररत कर दी जाए जो ननयम के
अनस
ु ार िेयरों के एल्तजट रांसफर पर एफपी द्िारा उन्हें कम मप
ू य िाले अनतररतत िेयर जारी ककए
जाने थे यह उस राशि के समक्ष कंसीर्रे िन के रूप में है .

147
 प्रेवित करने से पि
ू ि ककसी सनदी लेखाकार द्िारा एफपीसी का न्यन
ू तम 1 ििि/यहद आिेदन से
पि
ू ि तीन ििि से कम समय में गहठत हो तो एफपीसी के अल्स्तत्ि में रहने के सभी ििों/ 3 ििि अथिा
इससे अधधक समय से अल्स्तत्ि में रहनेिाले एफपीसी के शलए वपछले 3 ििों के लेखा परीक्षक्षत वित्तीय
स्टे टमें ट.

 बैंक के िाखा प्रबंधक द्िारा साक्ष्यांककत वपछले छ: महीने के बैंक खाता स्टे टमें ट की छायाप्रनत.

 एफपीसी का अगले 18 महीने की व्यिसाय योजना तथा बजट.

 योजनांतगित सभी दस्तािेजों को ननटपाहदत करने तथा हस्ताक्षर करने के शलए बोर्ि द्िारा
प्राधधकृत प्रनतननधधयों/ननदे िकों के नाम, फोटोग्राफ तथा पहचान के सबत
ू (रािन कार्ि, आधार कार्ि,
चुनाि पहचान पत्र, पासपोटि में से कोई एक).

 आिेदन फामि के प्रत्येक पटृ ठ पर तथा संलग्न दस्तािेजों पर एफपीसी के कम से कम दो बोर्ि


सदस्यों/प्राधधकृत प्रनतननधधयों के हस्ताक्षर होने चाहहए.

10. मंजूरी के प्रस्ताव पर ववचार करने के मलए ककन महत्वपण


ू ध पहलओ
ु ं को ध्यान में रखना चाहहए
?

ननणिय लेने से पहले कायािन्ियनकताि एजेंसी प्राप्त दस्तािेजों तथा एफपीसी तथा प्रोमोटर संस्था के
फीपर् विल्जट के आधार पर र्ेस्क मप
ू यांकन के माध्यम से एफपीसी की विश्िसनीयता, धारणीयता एिं
आधथिक रूप से सक्षमता का पता लगाने के शलए इसकी व्यापक छानबीन करे गी.

ननम्नशलखखत महत्िपण
ू ि पहलओ
ु ं पर ध्यान दे ना आिश्यक है .

iii. गिनेस

iv. कारोबार तथा कारोबार आयोजना व्यिहायिता

v. प्रबंधन क्षमता

vi. वित्तीय ल्स्थनत

11. मंजरू ीकताि प्राधधकारी कौन है

अ. इल्तिटी अनद
ु ान मंजरू ी सशमनत आिेदन का मप
ू यांकन करे गी. एसएफएसी को इन आिेदनों के बारे
में ननणिय लेने का परू ा अधधकार है तथा इस बारे में इसका ननणिय अंनतम होगा.

आ. ईजीएससी के ननणिय 07 कायि हदिसों के अंदर जारी ककए गए मंजरू ी पत्र के माध्यम से एफपीसी
को मंजरू ी के बारे में सधू चत ककया जाएगा.

148
12. मंजूरी से संबधं धत प्रमख
ु ननयम एवं शतें क्या हैं ?

i. इल्तिटी अनद
ु ान की राशि प्राप्त होने पर एफपीसी 45 हदन की समय-सीमा के अंदर उतत योजना
में विननहदि टट आधार पर प्राप्त अनद
ु ान की राशि के मप
ू य के बराबर अपने िेयर धारकों को अनतररतत
िेयसि आबंहटत करे गी तथा इसके बारे में एसएफएसी को सधू चत करे गी.

ii. िेयर होपर्र की प्रनत श्ेणी के अनस


ु ार अधधकतम अनद
ु ान राशि ननम्नशलखखत है :

क.िैयल्ततक िेयर होपर्र `1000.00


ख. िैयल्ततक िेयर होपर्रों (एसएचजी,कृिक हहत समह
ू ,ककसानों के जेएलजी) के समह
ू – अधधकतम
`20000.00 के अधीन सदस्यों की संख्या को `1000.00 से गण
ु ा कर
ग. संस्थागत िेयरधारक (कृिक उत्पादक कंपननयां) – `1,00,000.00

iii. एफपीसी के साथ अपने करार की अिधध के दौरान ककसी भी समय लेखों तथा अन्य

दस्तािेजों की जांच करने हे तु एसएफएसी को प्राधधकृत ककया जाएगा. एसएफएसी के अनरु ोध पर


प्राप्तकताि उसे सभी संबधं धत सच
ू ना एिं विश्लेिण प्रदान करने के शलए सहमत है .

iv. इल्तिटी अनद


ु ान संवितररत शलए जाने से पि
ू ि एफपीसी, एसएफएसी के साथ एक करार

करे गी.

v. इल्तिटी अनद
ु ान (िेयर इकाई के मप
ू य तक पण
ू ािंककत (बबंद ु (iii) के ितों के अनस
ु ार एफपीसी के
प्रत्येक िेयरधारक सदस्य को (संबधं धत अधधनयम के लागू प्रािधानों के अनस
ु ार उत्पादक कंपनी द्िारा
रखरखाि ककए जा रहे िेयर होपर्लसि रल्जस्टर की अधधप्रमाखणत प्रनत के अनस
ु ार) की गणना के शलए
ननम्नशलखखत मानदं र् हैं:

क) िेयरों का आबंटन िेयर धारकों की मौजद


ू ा िेयरहोल्पर्ंग के आधार पर समतप
ु य/यथानप
ु ात आधार
पर ककया जाएगा, ल्जसकी अधधकतम सीमा उतत विननहदि टट ककए गए अनस
ु ार हागी तथा यह सनु नल्श्चत
ककया जाए कक प्रत्येक िेयरधारक सदस्य को न्यन
ू तम एक इल्तिटी प्राप्त हो.
ख) यहद एफपीसी को मंजरू की गई अनद
ु ान राशि इसके सभी िेयर धारक सदस्यों को न्यन
ू तम एक
िेयर सनु नल्श्चत करने के शलए पयािप्त नहीं है तो, अनद
ु ान का आबंटन िेयरधारक की मौजद
ू ा भ-ू जोत
के आधार पर ककया जाएगा, तथा इसकी िरू
ु आत सबसे कम भ-ू जोत के िेयरधारक से की जाएगी/सहबि
कायिकलापों के मामले में सबसे छोटे उत्पादक से िरू
ु आत की जाएगी. अथिा जहां इस तरह की पहचान
संभि नहीं है िहां पारदिी तरीके से लाटरी की पची ननकाल कर यह कायि ककया जाएगा.

vi. इल्तिटी अनद


ु ान की राशि आहहरत करने के शलए एफपीसी को अधधकतम चरणों (प्रथम आिेदन
के 2 ििों की अिधध के अंदर) में अनम
ु नत प्रदान की जाएगी ल्जसकी उच्चतम सीमा प्रनत एफपीसी
`10.00 लाख है तथा यह उस मात्रा में प्रदान की जाती है ल्जससे यह अनतररतत सदस्य इल्तिटी की
व्यिस्था करने योग्य हो जाए तथा `10.00 लाख की समग्र उच्चतम राशि के अंदर अनतररतत समतप
ु य

149
अनद
ु ान राशि हे तु पात्र हो सके. द्वितीय चरण के अनरु ोध को नया आिेदन समझा जाएगा तथा अच्छी
तरह जांच-पड़ताल की परू ी प्रकिया पन
ु : अपनाई जाएगी.

vii. ऐसी ल्स्थनत में जब कोई िेयरधारक, जो कायािन्ियनकताि एजेंसी द्िारा मंजूर इल्तिटी अनद
ु ान के
समक्ष एफपीसी द्िारा जारी अनतररतत िेयर प्राप्त करता है , िेयसि प्राप्त करने के पश्चात एफपीसी
छोड़ दे ता है तो इल्तिटी अनद
ु ान के बदले में इसके द्िारा प्राप्त अनतररतत िेयरों को तथा जो उसके
नाम से हो उसे खुले एिं पारदिी लाटरी के िा के माध्यम से उसके एफपीसी छोड़ने के 90 हदनों के
अंदर दस
ू रे िेयर होपर्र अथिा नये िेयरहोपर्र को अंतररत कर दे नी चाहहए. ऐसे मामलों में मल
ू िेयर
होपर्र अन्य/नए सदस्यों को अंतररत कर हदए गए. अनतररतत िेयरों का मप
ू य प्राप्त नहीं कर सकता
है .

13. मंजूर की गई रामश के संववतरण हे तु क्या प्रकिया है ?

मंजूरी की ितें स्िीकार करने के पश्चात एफपीसी, एसएफएसी के साथ करार करे गी तथा एसएफएसी
मंजूर की गई ननधध एफपीसी के खाते में अंतररत कर दे गा.

14. ककस पररक्स्थनत के अंतगधत एफपीसी से इक्क्वटी अनद


ु ान की रामश वापस ली जा सकती अथवा
ननरस्त की जा सकती है ?

एफपीसी द्िारा करार के ननयम एिं ितों का उपलंघन अथिा गैर-अनप


ु ालन करने की ल्स्थनत में
एसएफएसी को इल्तिटी अनद
ु ान की राशि िापस मांगने का अधधकार रहे गा:

1) 45 हदनों के अंदर इल्तिटी अनद


ु ान के समक्ष सदस्यों को अनतररतत िेयर जारी करने में असफल
रहने पर.

2) इल्तिटी अनद
ु ान प्राप्त होने के तीन ििों के अंदर एफपीस बंद/विघटन हो जाने पर.

3) इल्तिटी अनद
ु ान के दरू
ु पयोग/दवु ििननयोजन के मामलों में (अथाित, एफपीसी के मेमोरे न्र्म आफ
एसोशसएिन/आहटि कपस आफ एसोशसएिन/कारोबार योजना में उल्पलखखत कायिकलाप से हटर कर ननधधयों
का उपयोग).

15. वववाद ननवारण उपाय क्या है?

एसएफएसी तथा एफपीसी के बीच हुए करार को भारत के कानन


ू के अनस
ु ार अशभिाशसत एिं
विश्लेवित ककया जाता है. इस करार के चलते उत्पन्न होनेिाले वििादों तथा दािों अथिा इससे संबधं धत
उपलंघन को कानन
ू ी प्रकिया अथिा हदपली में मध्यस्थता से ननपटा शलया जाएगा. पक्षकार हर संभि
प्रयास करें गे तथा कानन
ू ी कारि िाई करने से पि
ू ि सीधे बातचीत द्िारा पारस्पररक तौर पर स्िीकायि
समाधान के शलए विचार-विमिि करें ग.े

(आ) ऋण गारं टी ननधध (सीजीएफ)

(iii) ऋण गारं टी ननधध का उद्देश्य क्या है?

150
इस ननधध का उद्देश्य पात्र ऋणदात्री संस्था को ऋण गारं टी किर प्रदान करना है ल्जससे िे अपने ऋण
संबध
ं ी जोखखम कम कर `100,00 से अनधधक संपाल्श्ििक मत
ु त ऋण एफपीसी को प्रदान कर सकें.
(iv) गारं टी कवर की अवधध क्या है ?

गारं टी किर की अधधकतम अिधध गारं टी के आरं भ होने से मीयादी ऋण की सहमत अिधध तक जारी
रहती है तथा जहां शसफि कायििील पज
ूं ी की सवु िधा प्रदान की जाती है और/अथिा मीयादी ऋण के साथ
कायििील पज
ूं ी की सवु िधा प्रदान की जाती है, ऐसे मामलों यह 5 ििि की अिधध तक अथिा 5 ििि के
ललॉक और/अथिा ऋण/कायििील पज
ूं ी ऋण अथिा अन्य सवु िधाओं की समाल्प्त की नतधथ तक, जो भी
पहले हो अथिा उस अिधध तक रहती है जैसा एसएफएसी द्िारा विननहदिटट ककया गया हो.
(v) कायाधन्वयनकताध एजेंसी कौन है ?

ऋणदाता संस्थाओं के माध्यम से लघु ककसान कृवि व्यिसाय सहायता संघ द्िारा योजना संचाशलत
होगी. योजना के ककसी भी प्रािधान अथिा ककसी ननदे िों अथिा अनद
ु े िों अथिा उसके बारे में हदए गए
स्पटटीकरणों के संबध
ं में एसएफएसी का ननणिय अंनतम होगा.
(vi) योजनातंगत
ध शाममल होने के मलए एफपीसी के मलए पात्रता मानदं ड क्या है ?

कोई भी पात्र ऋणदात्री संस्था ननम्नशलखखत एफपीसी के शलए ऋण गारं टी ले सकती है .


(1) जो धारा 3(कृिक उत्पादक कंपनी) में पररभावित एक विधधित पंजीकृत एफपीसी हो अथाित
भारतीय कंपनीज अधधननयम, 1956 (ककसी संिोधन अथिा उसके पन
ु अ
ि धधनयमन समेत) की धारा IXA
में यथा पररभावित कृिक उत्पादक सदस्यों की एक कंपनी और रल्जस्रार आफ कंपनीज के साथ
ननगशमत.

(2) ल्जसने इसके संगम अनच्


ु छे द (आहटि कपस आफ एसोशसएिन)/ उप ननयमों में ननधािररत ककए
गए ितों के अनस
ु ार अपने सदस्यों से इल्तिटी संग्रहीत ककया है.

(3) इसके िैयल्ततक िेयर होपर्रों की संख्या 500 से कम नहीं होगी.

iv. इसके न्यन


ू तम 33010 िेयर होपर्सि छोटे , सीमांत एिं भशू महीन काश्तकार कृिक हों

v. संस्थागत सदस्य के अलािा ककसी एक सदस्य द्िारा अधधकतम िेयर होल्पर्ंग एफपीसी की
कुल इल्तिटी के 50 प्रनतित से अधधक नहीं होनी चाहहए.

(4) इसका विधधित ननिािधचत/नाशमत बोर्ि हो ल्जसमें न्यन


ू तम पांच सदस्य हों ल्जसमें ककसानों का
पयािप्त प्रनतननधधत्ि हो तथा ल्जसमें न्यन
ू तम एक महहला सदस्य हो.

vii. इसके पास विधधित ननिािधचत प्रबंध सशमनत हो.


viii. इसका 18 महीनों के शलए कारोबार योजना एिं बजट हो.

ix. बैंक ईएलआई ने आिेदन की तारीख के छ: महीने के अंदर बबना ककए संपाल्श्ििक प्रनतभनू त
अथिा थर्ि पाटी गारं टी एिं बोर्ि सदस्यों की व्यल्ततगत गारं टी समेत मीयादी ऋण/कायििील पज
ंू ी/कंपोल्जट

151
ऋण सवु िधा मंजूर करने के शलए गारं टी अथिा/शसिांतत: शलखखत रूप से सहमनत व्यतत की है / शलखखत
रूप से मंजूरी प्रदान करने की इच्छा व्यतत की हो.

(vii) पात्र ऋण दाता संस्था (ईएलआई) कौन है ?

भारतीय ररजिि बैंक अधधननयम, 1934 की द्वितीय अनस


ु च
ू ी में िाशमल कोई भी अनस
ु धू चत िाखणज्य
बैंक तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, एनसीर्ीसी, नाबार्ि द्िारा इसकी सहायक संस्थाएं, एनईर्ीएफआई अथिा
एसएफएसी के बोर्ि द्िारा ननधािररत कोई अन्य संस्था(एं) अथिा समय-समय पर भारत सरकार द्िारा
जैसा ननदे ि हदया गया हो.
(viii) सीजीएफ एसएफएसी के अंतगधत ककस तरह की पात्र ऋण सवु वधाएं हैं ?

1. बबना ककसी संपाल्श्ििक प्रनतभनू त और/अथिा थर्ि पाटी गारं टी के ऋण सवु िधा प्रदान की जाती
है .

2. आिेदन की तारीख से छ: महीने के अंदर पहले ही ऋण सवु िधाएं (फंर् आधाररत और/अथिा
गैर फंर् आधाररत) मंजूर/प्रदान कर दी गई हैं ल्जससे मीयादी ऋण और/अथिा कायििील पज
ूं ी/कंपोल्जट
ऋण सवु िधाओं के द्िारा एकल पात्र एफपीसी उधारकताि को एक अथिा एक से अधधक पात्र ऋण दात्री
संस्था(ओ द्िारा अकेले अथिा संयत
ु त रूप से गारं टी किर की सवु िधा प्रदान की जा सकें.

3. ईएलआई बबना ककसी सीमा के ऋण प्रदान कर सकती है , तथावप, योजना के अंतगित विननहदि टट
ककए गए अनस
ु ार अधधकतम गारं टी किर के रूप में गारं टी किर सीशमत रहे गी.

(ix) ककस तरह की ऋण सवु वधाएं सीजीएस एसएफएसी के अंतगधत पात्र नहीं है?

अ. संपाल्श्ििक प्रनतभनू त और/अथिा थर्ि पाटी गारं टी के समक्ष मंजरू की गई ऋण सवु िधा.
आ. ऐसी ऋण सवु िधा ल्जसके संबध
ं में योजनांतगित अनतररतत तौर पर जोखखम किर ककया गया हो
और जो भारतीय ररििि बैंक द्िारा अथिा सरकार द्िारा/अथिा ककसी सामान्य इंस्योरर द्िारा अथिा
इंस्योरें स, गारं टी अथिा क्षनतपनू ति का कारोबार करनेिाले व्यल्तत अथिा एसोशसएिन आफ परसन्स द्िारा
संचाशलत/प्रिाशसत ककया जा रहा हो.
इ. कोई ऐसी ऋण सवु िधा जो मौजद
ू ा समय में प्रभाि में है तथा जो भारत सरकार अथिा भारतीय
ररििि बैंक द्िारा जारी ककए गए ककन्हीं ननदे िों अथिा अनद
ु े िों अथिा ककसी कानन
ू के प्रािधानों के
अनरू
ु प नहीं है अथिा ककसी भी तरह से असंगत है.
ई. ककसी उधारकताि को प्रदान की गई ऐसी ऋण सवु िधा ल्जसने स्ियं इस योजना के अंतगित िाशमल
कोई अन्य ऋण सवु िधा अथिा ककसी भी समय खण्र् (i) (ii) तथा (iii) में उल्पलखखत योजनाओं के
अंतगित ऋण सवु िधा प्राप्त की हो.
उ. कोई ऐसी ऋण सवु िधा जो चक
ु ौती हे तु अनतदे य हो गई हो/ ककसी अन्य लेंर्र से ईएलआई द्िारा
ककया गया एनपीए अथिा ऋण सवु िधा के रूप में पररिनतित कोई अन्य चक
ू .
ऊ. कोई ऐसी ऋण सवु िधा जो चक
ु ौती के शलए अनतदे य हो गई हो.
ए. कोई ऐसी ऋण सवु िधा ल्जसे अनतदे य होने पर रीिेड्यप
ू र् अथिा रीस्रतचर्ि ककया गया हो.

152
8. ऋण गारं टी कवर क्या है ?
अ. ईएलआई 5 ििों की अिधध के दौरान अधधकतम दो बार एकल उधारकताि के संबध
ं में मंजूर ऋण
सवु िधा हे तु गारं टी किर प्राप्त करने के शलए पात्र है .
आ. अधधकतम गारं टी किर पात्र मंजूर ऋण सवु िधा की राशि के 85 प्रनतित तक अथिा `35 लाख
तक, जो भी कम हो, सीशमत रहे गी.
इ. चूक के मामले में, उतत रूप से विननहदि टट ककए गए अधधकतम किर की िति के अनस
ु ार चूक की
राशि के 85 प्रनतित तक दािे की राशि का ननपटान ककया जाएगा. अन्य प्रभार जैसे दं र्ात्मक लयाज,
िचनबिता प्रभार, सेिा प्रभार, अथिा कोई अन्य लेिी/ व्यय अथिा कोई अन्य लागतें ल्जसके शलए
ईएलआई द्िारा एफपीसी के खाते को नामे ककया जाएगा तो संविदागत लयाज के अलािा कुछ भी गारं टी
किर हे तु पात्र नहीं रहे गा.

ई. एसएफएसी के साथ पात्र ऋणदाता संस्था के करार करने के बाद ही गारं टी किर प्रदान ककया
जाएगा और समय-समय पर जारी ननयम ि ितों के अनस
ु ार प्रदान की जाएगी.

9. गारं टी कवर के आवेदन हे तु प्रकिया क्या है ?

गारं टी किर के शलए पात्र ऋणदाता संस्था को केिल विननहदिटट प्रारूप (अनब
ु ध
ं 3) में एसएफएसी को
आिेदन करना होगा. ककसी भी नतमाही के दौरान उनके द्िारा मंजूर ऋण प्रस्तािों के शलए गारं टी किर
का आिेदन आगामी नतमाही की समाल्प्त के पहले ककए जाएाँ. उदाहरणाथि अप्रैल-जून नतमाही में स्िीकृत
ऋण के शलए गारं टी किर का आिेदन जल
ु ाई-शसतंबर के दौरान प्रस्तत
ु कर हदया जाए तभी िह योजना
के तहत विचार के शलए पात्र होगा.
10. मंजूरी हे तु प्रकिया क्या है ?

एसएफएसी ननम्नानस
ु ार काम करे गी.

क. योजना के ननयम और ितों के अनस


ु ार प्रस्ताि की संिीक्षा करना.

ख. ऋणदाता संस्था उससे ऋण लेनेिाली उधारकताि संस्था के खाता बहहयों और अन्य अशभलेखों की
प्रनतयों (कोई भी अनद
ु े ि पल्ु स्तका अथिा मैनअ
ु ल अथिा पररपत्र ल्जससे अधग्रम दे ने की प्रकिया ननयंबत्रत
होती हो सहहत) का ननरीक्षण या प्रनतयां मंगिाएगा.
ग. ननरीक्षण एसएफएसी और अथिा एसएफएसी द्िारा ननयत
ु त ककसी अन्य एजेंसी के अधधकाररयों के
माध्यम से ककया जाएगा.
घ. गारं टी किर ननिेि और दािा ननपटान सशमनत (बैंक िाखा प्रबंधक के स्तर पर) स्िीकृत
करें ग.े
र्. पात्र ऋणदाता संस्था एसएफएसी के साथ एक समझौता करे गी (बैंक िाखा प्रबंधक के स्तर पर)
11. गारं टी फीस क्या होगी?

क. पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा एसएफएसी को दे य िप


ु क एक बारगी गारं टी िप
ु क है ल्जसकी
गणना ऋण सवु िधा के 0.85% की दर से की जाएगी ल्जसकी अधधकतम सीमा `85,000/- (रुपये
पचासी हजार) है .

153
ख. िप
ु क प्रत्येक ऋण खाते के शलए पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा एसएफएसी को अधग्रम भग
ु तान
ककया जाएगा. यह भग
ु तान गारं टी की मंजरू ी की तारीख से 30 हदनों के भीतर या एसएफएसी द्िारा
ननहदि टट अन्य तारीख तक कर हदया जाएगा.

12. वावषधक सेवा शप


ु क क्या होगा?

क. एसएफएसी की गारं टी जारी रखने के शलए,पात्र ऋणदाता संस्था से ऋण खाते के अनस


ु ार,
एकबारगी गारं टी फीस के अलािा, प्रनत ििि प्रत्येक ऋण खाते पर 0.25 %,या एसएफएसी द्िारा
ननधािररत अन्य दर/ अथिा अन्य कोई दर या सीमा का िावििक सेिा िप
ु क शलया जाएगा ल्जसका समय-
समय पर ननधािरण ककया जाएगा.
ख. उधारकताि से गारं टी िप
ु क और िावििक सेिा िप
ु क शलया जाए या नहीं इसका ननणिय पात्र
ऋणदाता संस्था करे गी.
ग. िावििक सेिा िप
ु क प्रत्येक ििि 31 मई तक एसएफएसी को पात्र ऋण्दाता संस्था द्िारा
भग
ु तान ककया जाएगा. वपछले साल के सेिा िप
ु क का भग
ु तान यथानप
ु ानतक आधार पर गारं टी की
समाल्प्त की नतधथ तक की अिधध के शलए ककया जाएगा.
घ. ननयत तारीख तक िावििक सेिा िप
ु क का भग
ु तान न होने की ल्स्थनत में, यहद दे री की अिधध
के शलए िावििक सेिा िप
ु क पर, ल्जस दर पर पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा उधारकताि संस्था को ऋण
सवु िधा मंजूर की गई है उससे 1% से अधधक दर या एसएफएसी द्िारा समय-समय पर ननहदि टट अन्य
दर पर दं र्ात्मक लयाज का भग
ु तान पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा नही कर हदया जाता, तो गारं टी उपललध
नहीं रहे गी. इस राशि के भग
ु तान के बाद गारं टीकर जारी हो जाएगी और यह माना जाएगा कक बबना
टूटे िह जारी रही थी.

ङ. यह भी प्रािधान ककया जाता है कक ननधािररत समय या पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा आिेहदत
और एसएफएसी की ितों पर उसके द्िारा सहमत विस्ताररत समय के भीतर िावििक सेिा िप
ु क का
भग
ु तान न होने की ल्स्थनत में ल्जस ऋण सवु िधा के शलए िावििक नमन
ू ा िप
ु क दे य हुआ हो और उसका
भगु तान न ककया गया हो, उस ऋण सवु िधा की गारं टी लेने का एसएफएसी का दानयत्ि स्ित: समाप्त
हो जाएगा.
च. यह भी प्रािधान ककया जाता है कक एसएफएसी इस तरह के ऋण के शलए गारं टी किर के
निीकरण करने पर विचार कर सकता है, ल्जसकी ितों का ननधािरण िह खुद करे गा.
छ. गारं टी िप
ु क / िावििक सेिा िप
ु क की गणना में कोई त्रहु ट विसंगनत पाई जाती है या पात्र
ऋणदाता संस्था द्िारा दे य ककसी भी भग
ु तान की राशि कम हो जाती है (ल्जसका पता बाद में कभी
चले), तो पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा उस विसंगनत/ कमी की राशि का भग
ु तान ककया जाएगा. यहद यह
पाया जाता है की पात्र ऋण्दाता संस्था द्िारा एसएफएसी को अनतररतत भग
ु तान ककया गया है, तो
एसएफएसी द्िारा उस राशि को िापस ककया जाएगा. ऋणदाता संस्था द्िारा अभ्यािेदन ककए जाने पर,
एसएफएसी अपने पास उपललध सच
ू ना और ऋणदाता से प्राप्त स्पटटीकरण के आधार पर ननणिय लेगा
और उसका ननणिय अंनतम तथा ऋणदाता संस्था पर बाध्यकारी होगा.

154
ज. एक बार गारं टी िप
ु क और / या िावििक सेिा िप
ु क का एसएफएसी को भग
ु तान कर हदए
जाने के बाद िह राशि िापस नहीं की जाएगी. केिल उन मामलों को छोड़कर जहां ल्जस गारं टी किर
के शलए गारं टी का भग
ु तान ककया गया है, िह अनम
ु ोहदत नहीं ककया गया है.

13. इस योजना के तहत ऋणदाता संस्था के उत्तरदानयत्व क्या हैं?

क. िाखणल्ज्यक रूप से व्यिहायि पररयोजनाओं के चयन के शलए प्रत्येक ऋण प्रस्ताि का मप


ू यांकन
करना. पात्र ऋणदाता संस्था का मप
ू यांकन नोट योजना के तहत गारं टी किर के शलए आिेदन पत्र के
साथ होगा.
ख. ऋण की मंजरू ी के शलए पात्र ऋण्दाता संस्था की आिश्यकताओं और एसएफएसी के ननयम
और ितों के अनस
ु ार प्रसंस्करण, कानन
ू ी काम और प्रलेखन का कायि करना.
ग. इस योजना के तहत ककसी भी ऋण सवु िधा के शलए एसएफएसी को यथािश्यक वििरखणयााँ,
सच
ू ना, दस्तािेज, रसीदें , प्रमाण पत्र प्रस्तत
ु करना.

घ. प्रमाखणत करना/ प्रमाखणत ककया हुआ मान शलया जाना कक ऐसी वििरखणयों, सच ू नाओं,
दस्तािेज, रसीदों, प्रमाण पत्रों की सामग्री सत्य है , यह भी प्रािधान ककया जाता है कक ऋण्दाता संस्था
या उसके ककसी अधधकारी द्िारा सद्भाि से ककए गए ककसी कायि के शलए उसकी कोई दे यता नहीं होगी.
ङ. उधारकताि खाते की ननगरानी करे और समय-समय पर की गई ननगरानी तथा उसके प्रेक्षणों
पर िरू
ु ककए गए कायों, यहद कोई हो, का ररकॉर्ि रखे.
च. ऋण सवु िधा के संबध
ं में उधारकताि से अपने द्िारा ली गाए प्राथशमक प्रनतभनू तयों की हहफाजत
करे तथा उन्हें अच्छी लागू ककए जाने योग्य ल्स्थनत में रखे.

छ. यह सनु नल्श्चत करें कक एफपीसी उधारकताि को प्रदत्त ऋण सवु िधा के संबध


ं में गारं टी का
दािा एसएफएसी द्िारा ननहदि टट रूप में और ननहदिटट तरीके से और ननहदि टट समय के भीतर एसएफएसी
के पास प्रस्तत
ु कर हदया जाए. इसके अलािा, ऋण लेने िाले के खाते में डर्फ़ॉपट की ल्स्थनत में िह
एसएफएसी को सधू चत करने के शलए अपनी तरफ से कोई दे री नहीं करे गी. ऐसी दे री के पररणाम के
रूप में एसएफएसी को अधधक गारं टी धारण करनी होगी.
ज. ऋणदाता संस्था को एसएफएसी द्िारा गारं टी दािे का भग
ु तान ऋणदाता संस्था को उधारकताि
से ऋण की सम्पण
ू ि राशि की िसल
ू ी करने की ल्जम्मेदारी से ककसी भी तरह मत
ु त नहीं करता है .
ऋणदाता संस्था आिश्यक एहनतयात बरते ऋण लेने िाले के शलए दे य ऋण सवु िधा की परू ी राशि की
िसल
ू ी के शलए सभी उपायों का सहारा ले और एसएफएसी हहतों का संरक्षण करे गी और िह इस प्रकार
कायि करे गी जैसे कक गारं टी न लेने पर करती.
झ. गारं टीिद
ु ा खाते की िसशू लयां को सवु िधाजनक बनाने या एक गारं टर के रूप में अपने हहतों
की रक्षा के शलए एसएफएसी द्िारा समय-समय पर जारी ननदे िों का पालन करने के शलए उधारकताि
संस्था को बाध्य ककया जाएगा.
ञ. वििेि रूप से, ऋणदाता संस्था को, गारं टी आहूत ककए जाने से पहले या उसके बाद, ऐसे
ककसी भी कायि से बचना होगा जो गारं टर के रूप में एसएफएसी के हहतों पर प्रनतकूल असर र्ाल सकता
है .

155
ट. ऋणदाता संस्था इस योजना के तहत एसएफएसी को, अधग्रम रूप से यह सधू चत करने के
शलए बाध्य होगी कक िह ककसी समझौते या व्यिस्था में प्रिेि कर रही है जो प्राथशमक प्रनतभनू त के
पालन या छूट को प्रभावित करे गा.
ठ. उधारकताि संस्था भी उधारकताि के साथ एक समझौते के माध्यम से सनु नल्श्चत करे गा कक
ऋण लेने के शलए प्राथशमक प्रनतभनू त के रूप में रखी गई संपल्त्त पर, साथ ही गारं टी के द्िारा किर
ऋण सवु िधाओं, या ककसी अन्य लेनदारों के पक्ष में एसएफएसी की पि
ू ि अनम
ु नत के बबना कोई प्रभार
सल्ृ जत नहीं करे गा.
र्. इसके अलािा, ऋणदाता संस्था ऋण लेने िाले के साथ या अन्यथा एक समझौते की िति के
माध्यम से एसएफएसी या उसके द्िारा ननयत
ु त एजेंसी के शलए एसएफएसी की िेबसाइट पर चूककताि
उधारकतािओं के नाम ि वििरणों की सच
ू ी छापने का अधधकार लेगी.
14. गारं टी को वसल
ू करने की प्रकिया क्या है?

पात्र ऋणदाता संस्था एनपीए की नतधथ से अधधकतम एक ििि के अंदर ऋण सवु िधा के संबध
ं में
ननम्नशलखखत ितों को परू ा करने के अधीन गारं टी लागू कर सकते हैं-
क. दािों को पात्र ऋणदाता संस्था के आंचशलक कायािलय / अधधकृत कायािलय / व्यल्तत के
माध्यम से एसएफएसी को भेजा जाता है जैसा कक एसएफएसी ने सधू चत ककया हो.
ख. संबधं धत ऋण सवु िधा के संबध
ं में खाते के एनपीए होने के समय गारं टी प्रभािी होनी चाहहए.

ग. ऋण सवु िधा के संबध


ं में दे य राशि का पात्र ऋणदाता संस्था को उधारकताि द्िारा भग
ु तान
नहीं ककया गया है और बकायों को ऋणदाता संस्था द्िारा एनपीए के रूप में िगीकृत ककया गया हो.
घ. गारं टी प्रभािी होगीः-
 एसएफएसी और पात्र ऋणदाता संस्था आश्िस्त हैं, एफपीसी को िास्तविक व्यिहार घाटा उठाना
पड़ा है ल्जससे फसल/सदस्यों को संपल्त्त हानन और ल्जसकी गंभीरता और प्रभाि इस प्रकार के
हो सकते हैं जो इस तरह के नक
ु सान का संयत
ु त रूप से या स्ितंत्र रूप से या पात्र ऋणदाता
संस्था द्िारा आकलन ककया जा सकता है जैसा कक एसएफएसी और पात्र ऋणदाता संस्था के
बीच परस्पर सहमनत के आधार पर मामले-दर आधार पर ककया जाए और एफपीसी ऋण के
पन
ु गिठन/ पन
ु श्चरणीकरण/ पन
ु अिनस
ु च
ू ीकरण सहहत ककसी भी प्रस्तनु त में दयेताओं की चुकौती
करने की ल्स्थनत में नहीं हैं.

 अन्य सभी मामलों में एफपीसी के कारोबार की हदिाशलए के पररणामस्िरूप एसएफएसी को


सधू चत करने के साथ पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा ऋण सवु िधा से ऐसी राल्श्यों को बटाके खाते
र्ालने या लयाज की छूट के शलए.

 केिल तभी जब पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा िसल


ू ी के शलए मक
ु दमा िरू
ु ककया गया है आल्स्तयों
के अधधग्रहण, आल्स्तयों के बबिी आहद सहहत दे यताओं की िसल
ू ी की ल्जम्मेदारी पात्र ऋणदाता
संस्था की होगी.

156
15. दावा ननपटानों के मलए क्या प्रकिया है

क. एनपीए की तारीख से एक ििि की अधधकतम अिधध के भीतर या समय-समय पर एसएफएसी


द्िारा ननहदिटट ककए गए समय के अनस
ु ार पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा प्रस्तत
ु ककए गए ऐसे दािों पर
एसएफएसी द्िारा विचार ककया जाएगा.

ख. कोई दािा प्राप्त करने पर आई एंर् सीएससी द्िारा विस्तार से चूक के कारणों की समीक्षा की
जाएगी. सशमनत के पास ककसी भी प्रस्ताि ल्जसमें हदिाननदे िों का सख्ती से अनप
ु ालन न ककया हो
या कोई गलत बयानी या त्यों को नछपाया गया हो ल्जससे संबधं धत एफपीसी को अनधु चत लाभ शमला
हो, को अस्िीकार करने का अधधकार सरु क्षक्षत है.

ग. एसएफएसी पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा दािे की प्रस्तत


ु ी पर जहां िसल
ू ी के शलए समधु चत कारि िाई
िरू
ु की गई हो, िहां चूक में गारं टीिद
ु ा राशि के 75 प्रनतित राशि सकारी जाएगी जो गारं टीिद
ु ा सीमा
राशि के अधधकतम 75 प्रनतित की िति के तहत होगा. चूक या गारं टीिद
ु ा सीमा राशि का बकाया 25
प्रनतित जैसी भी ल्स्थनत हो, का भग
ु तान पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा िसल
ू ी मक
ु दमा के परू े होने पर
भग
ु तान ककया जाएगा.

घ. एसएफएसी सही और सभी प्रकार से परू े दािों का भग


ु तान 90 हदनों के भीतर करे गा.

र्. एसएफएसी द्िारा ननपटाए गए दािे की राशि को पात्र ऋणदाता संस्था को एफपीसी की बकाया
दे यताओं में से घटा हदया जाएगा.

च. पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा गारं टी के ननपटान के बाद भी चूककताि एफपीसी से बकाया दे य रकम
की िसल
ू ी के प्रयास जारी रखे जाएंग.े

छ. एसएफएसी को गारं टी राशि की ननपटान के बाद भी चक


ू कताि एफपीसी से पात्र ऋणदाता संस्था
द्िारा िसल
ू ी गई कोई भी राशि को उससे (पात्र ऋणदाता संस्था से) दािा करने का अधधकार है.

ज. पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा एफपीसी से िसल


ू ी गई कोई राशि एसएफएसी और पात्र ऋणदाता
संस्था के बीच 85%:15% के अनप
ु ात में बांटी जाएगी. ऐसी राशि जब भी िसल
ू ी जाती है उसका तभी
भग
ु तान ककया जाएगा बिते कक कोई राशि रूपये एक लाख से कम प्राप्त होने पर उसका नतमाही
आधार पर अथिा नतमाही के अंनतम हदन से पि
ू ि भग
ु तान करने की ररयायत होगी.

झ. एक बार दािे का भग
ु तान हो जाने पर एसएफएसी संबधं धत ऋण सवु िधा के संबध
ं में लागू गारं टी
के शलए अपनी सभी दे यताओं से मत
ु त हुआ समझा जाएगा.

ञ. यहद ककसी कारण से एसएफएसी द्िारा ल्जस अिधध के शलए जारी ककए गए दािे को िावपस मांगा
जाता है तो पात्र ऋणदाता संस्था पर एसएफएसी द्िारा जारी दािे की राशि को लौटाने की बाध्यता को
भी इसे ल्जस लयाज दर पर ऋण सवु िधा मंजरू की गई उस दर से एक प्रनतित अधधक दं र्ात्मक लयाज
के साथ लौटाना होगा. एसएफएसी द्िारा भल
ू से/ दब
ु ारा भग
ु तान ककए दािों को िावपस मांगे गए दािे
नहीं समझा जाएगा. तथावप, पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा दब
ु ारा ककए गए दािे और एसएफएसी द्िारा

157
उसके समक्ष ककए गए भग
ु तान को िावपस मांगा जाएगा और एसएफएसी के पास संदशभित ऋण सवु िधा
के समक्ष पात्र ऋण दाता संस्था को जारी ककए गए संपण
ू ि भग
ु तान को मांगने का अधधकार सरु क्षक्षत है.

16. भग
ु तान ककए गए दावों के संबध
ं में अधधकारों का प्रनतस्थापन और वसमू लयां

क. एसएफएसी द्िारा समय-यमय पर मांगी गई िसल


ू ी के शलए प्रयास, ननगिम और एसी अन्य
सच
ू नाओं के लयौरे पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा एसएफएसी को प्रस्तत
ु ककए जाएंगे.

ख. अपनी ओर से और एसएफएसी की ओर से पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा ऋणकताि को दी गई


ऋण सवु िधा से सल्ृ जत संपल्त्त पर ग्रहणाधधकार होगा.
ग. आल्स्तयों के अधधग्रहण, आल्स्तयों की बबिी सहहत बकाया राशि की िसल
ू ी की ल्जम्मेदारी
ऋणदाता संस्था की होगी.
घ. ऋणदाता संस्था के ककसी एक अथिा कई विशिटट और अलग-अलग ऋणों के शलए ऋणकताि
द्िारा ककए गए भग
ु तान को पात्र ऋणदाता संस्था की गारं टी द्िारा किर ऋण को विननयोल्जत समझा
जाएगा और ल्जसके संबध
ं में दािे को प्राथशमकता दी जाएगी और भग
ु तान ककया जाएगा चाहे ऐसे
ऋणकताि द्िारा ककए गए ऋणीयोजना का स्िरूप कुछ भी हो अथिा उस रूप में हो ल्जसमें ऐसे भग
ु तानों
को िास्तविक रूप से विननयोल्जत ककया गया हो.

17. अवमशष्ट्ट वसल


ू ी

पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा िसल


ू ी गई विननयोजन राशि के 85:15 अनप
ु ात में दािे के अंनतम ननपटान
से पहले सबसे पहले दािा एसएफएसी द्िारा ककया जाएगा.

18. कुछ मामलों में एसएफएसी की दे यता को खत्म करना

क. इस योजना के तहत ककसी एफएससी को पात्र ऋणदाता संस्था द्िारा प्रदान की गई ऋण


सवु िधा के संबध
ं में गारं टी को समाप्त समझा जाएगा यहद इस योजना के तहत गारं टीकृत पात्र ऋण
सवु िधा के शलए ऋणदाता संस्था पर ऋणकताि की दे यता को एसएफएसी की सहमनत के बबना ककसी
अन्य ऋणकताि को अंतररत या समनद
ु े शित ककया जाता है . इसे पात्र ऋणदाता संस्था अथिा ऋणकताि
द्िारा शलखखत रूप में उन कारणों सहहत मंगाया जाएगा ल्जसकी िजह से अंतरण/ समनद
ु े िन ककया
गया है और यहद ऋणकताि की पात्रता तथा सवु िधा संबध
ं ी राशि अथिा ककसी अन्य ननयम ि ितें उतत
अंतरण अथिा समनद
ु े िन के बाद, उतत अंतरण और समनद
ु े िन की तारीख से संतटु ट नहीं हो पाती है
तो उतत योजना के तहत गारं टीकृत ऋण सवु िधा यहद कोई है , को समाप्त समझा जाएगा.
ख. इसस योजना के तहत ऋणदाता संस्था द्िारा प्रदत्त ककसी भी ऋण सवु िधा के संबध
ं में
एसएफएसी का दानयत्ि ऋणदाता संस्था पर ऋणकताि की दे यता को उस तारीख तक सीशमत समझा
जाएगा जब ऋणकताि ककसी प्रकार के ऋण के शलए अपात्र हो जाता है.
ग. उसकी गनतविधध समाप्त होने के कारण अथिा उसकी गनतविधध, उसका कारोबार एफसीपी
की इकाई की पररभािा के तहत समाप्त होने पर इस योजना के तहत सवु िधाएं इसके तहत ननधािररत
एसएफएसी की ननधािररत दे यता की सीमा के अधीन होगी.

158
19. एसएफएसी द्वारा इक्क्वटी अनद
ु ान और ऋण गारं टी ननधध योजना प्रदान की गई सहायता क्या
है . ?
क. एसएफएसी सच
ू ीबि परामििदाता/ संस्थानों के माध्यम से ल्इतिटी अनद
ु ान अ़ािेदन और
विस्तत
ृ पररयोजना ररपोटि बनाने के शलए एफसीपी को वित्तीय सहायता प्रदान करे गा. एसएफएसी
विस्तत
ृ पररयाजना ररपोटि बनाने की परू ी लागत िहन करे गा.
ख. कृवि उत्पादन कंपनी ननकटम सच
ू ीबि परामििदाता अथिा एसएफएसी से सीधे संपकि कर सकते
हैं. बैंक साध्य विस्तत
ृ पररयोजना ररपोटि बनाने के पहले परामििदाता पि
ू ि अनम
ु ोदन के शलए एसएफएसी
से संपकि करें ग.े
ग. आिदे न अथिा विस्तत
ृ पररयोजना ररपोटि की लागत का भग
ु तान सच
ू ीबि परामििदाता को सीधे
ककया जाएगा.

159
संलग्न 4 : छतीसगढ़ राज्य के बबलासपरु क्जले में ककसान क्लबों के उत्पादक संगठनों में रूपांतरण का
प्रकरण अध्ययन

पररचय

1.1 छत्तीसगढ़ भारत के उन कुछ राज्यों में िाशमल है ल्जसने विगत ििों में कृवि में उपलेखनीय िवृ ि
अल्जित की है. ककसानों द्िारा अपनी आिश्यकताओं को परू ा करने हे तु अपने संस्थानों के स्ि– विकास
से कृवि के विकास को गनत शमली है. 30 शसतम्बर, 2014 तक राज्य में 3,679 ककसान तलब थे.
राज्य में ककसान तलबों के आठ संघ हैं, ल्जनमें से पांच महासमद
ुं में, दो बबलासपरु में ि एक मग
ुं ेली
ल्जले में है.बबलासपरु ि मग
ुं ल
े ी ल्जलों (िोध क्षेत्र) में , 300 ककसान तलब गहठत ककए गए थे, ल्जनमें से
201 कियािील पाए गए. अधधकांि ककसान तलब( 129 तलब ), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (ग्रामीण बैंक)
द्िारा गहठत ककए गए. अन्य प्रोत्साहक संस्थाओं में 1छत्तीसगढ़ एग्रीकान सशमनत (30), कमिदक्ष (12),
भारतीय स्टे ट बैंक (12), एआरर्ीिी(8), आईएफएफर्ीसी(5) िाशमल हैं. यद्यवप प्रारं शभक तीन ििों में
सभी तलब सकिय थे, तथावप अधधकांि तलब हाथों - हाथ शमलने िाली सहायता के अभाि में ननल्टिय
हो गए. इन तलबों के पास भविटय की कोई योजना भी नहीं थी.

1.2 1 छत्तीसगढ़ क्षेत्रीय कायािलय एिं ल्जला विकास प्रबंधक,बबलासपरु ; ककसान तलबों को हटकाऊ
अल्स्तत्ि प्रदान करने के प्रनत उत्सक
ु थे तथा चाहते थे कक तलबों को ऊंचे पायदान पर ले जाएं, ताकक
समग्र ककसान तलब कायििम दीघिकाशलक हो सके ि संगठन आधथिक रूप से सक्षम मॉर्ल में पररिनतित
ककया जा सके. अत: इसे ध्यान में रखते हुए ििि 2012 में , ककसान तलबों को चार ककसान तलब
महासंघों में संगहठत ककया गया एिं इन्हें ‘छतीसगढ़ सोसायटी रल्जस्रीकरण अधधननयम,1973’ के
अंतगित पंजीकृत ककया गया.

ककसान क्लबों के माध्यम से ववत्तीय साक्षरता

a. ककसानों ि स्कूल के विद्याधथियों में वित्तीय साक्षरता को प्रोत्साहहत करने के उद्देश्य से,
नाबार्ि के छत्तीसगढ़ क्षे.का. ने ककसान तलब महासंघों की सहायता ली तथा उन्हें वित्तीय सहायता
उपललध करायी. प्रारं शभक स्तर पर बबलासपरु ि मग
ंु ेली ल्जलों के शलए 10 जागरूकता कायििम एिं 20
ल्तिज कायििम मंजरू ककए गए तथा इन्हें ककसान तलब महासंघों (एफसीएफ) ने संचाशलत ककया. चंकू क
महासंघ ि ककसान तलब, ग्राम स्तरीय ननकाय हैं और इसमें स्थानीय लोगों की भागीदारी रहती है ,
अत: ये बड़ी संख्या में बच्चों ि उनके अशभभािकों को जट
ु ा सकते हैं. इसके उपरांत क्षेत्रीय कायािलय ने
उत्साहिििक पररणामों के आलोक में कई जागरूकता ि ल्तिि कायििम मंजरू ककए.इससे ल्जला विकास
प्रबंधकों, ककसान महासंघों, बैंक अधधकाररयों ि सरकारी अधधकाररयों के मध्य िांनछत पारस्पररक चचाि
–पररचचाि के अिसर उपललध हुए, ल्जससे महासंघों को वित्तीय रूप में हटकाऊ इकाइयां बनने की राह
बनी.

160
कृवष ववस्तार

1.4 ल्जला कृवि विभाग के सकिय सहयोग से, महासंघ धान (300 है तटे .), चना (500 है तटे .), ि हरा
चना (500 है तटे ) की खेती के क्षेत्र - प्रदििन हे तु तैयार हो सके. इसी तरह से कृवि विभाग ने महासंघों
को खद
ु रा लाईसेंस उपललध कराते हुए उन्हें प्रोत्साहहत ककया कक िे बीजों, कीटनािकों ि खादों जैसी
ननविटट िस्तओ
ु ं के वििय हे तु खुदरा बबिी केंर चलाएं.

1.5 ककसान तलबों के रूपांतरण की विविध प्रमख


ु घटनाएं ननचले ग्राकफक में दी गयी हैं :

यात्रा ...

2013 – उत्पादक संगठन : महासंघ ,हटकाऊ कारोबारी मार्ेल बनने के उद्देश्य से ककसान संगठन के
रूप में विकशसत ककए गए, ल्जन्हें खेती, प्राल्प्तयां, सफाई, ग्रेडर्ंग, बीजों के प्रमाणन ि विपणन पर
ध्यान केंहरत करना था. पी ओ छत्तीसगढ़ कापरे हटि सो. एटोनोमस अधधननयम,1999 के तहत पंजीकृत
हुए. ककयोस्क (ककयास्क बैंककं ग मार्ेल) ने ककसानों को बैंककं ग ि कृवि संबध
ं ी सभी सेिाएं एक ही
स्थान पर उपललध करायीं.

2013- भा. स्टे ट बैंक से मलंकेज: भारतीय स्टे ट बैंक ने महासंघ को 20 ककयोस्क (ककयास्क बैंककं ग
मार्ेल) मंजूर ककए. प्रत्येक महासंघ को 5 से 6 ककयोस्क (ककयास्क बैंककं ग मार्ेल) हदए गए, ल्जन्होंने
भारतीय स्टे ट बैंक के बबजनेस करे स्पोंर्ेंट के रूप में कायि करते हुए वित्तीय सेिाएं उपललध करायीं.
इससे कृवि महासंघ और मजबत
ू बने.

2013- सरकार से मलंकेज : महासंघों के जागरूकता कायििमों की सफलता को ध्यान में रखते हुए,ल्जला
कृवि विभाग ने दो चरणों (300+501 ) में 801 प्रदििन प्लाट मंजूर ककए, ल्जसमें प्रत्येक प्लाट के
शलए `7,500/- की वित्तीय सहायता भी दी गयी. विभाग ने 12 ककसान तलबों के शलए ननविटट
िस्तओ
ु ं की बबिी के 12 खद
ु रा केंर भी मंजरू ककए.

2012- ववश्वसनीयता ननमाधण: नाबार्ि छ. क्षे.का. ने वित्तीय साक्षरता कायििम के अंतगित,ककसान


महासंघों को, स्कूली बच्चों के शलए 40 ग्राम स्तरीय जागरूकता कायििम ि 90 ल्तिि कायििम मंजरू
ककए. नाबार्ि की मंजरू ी के प्रिासननक घटक एिं ककसानों से प्राप्त अंिदान को शमलाकर प्रारं शभक ननधध
स्थावपत की गयी और सदस्यों को उत्साहहत करते हुए उनकी विश्िसनीयता को पख्
ु ता ककया गया.

2011 /12 – समेकन: नाबार्ि छ. क्षे.का.ि र्ीर्ीएम ने धचल्न्हत ककसान तलबों के शलए औपचाररक ि
अनौपचाररक बैठकों की श्ख
ं ृ ला आयोल्जत की.सदस्यों से परामिि करने के उपरांत ककसान तलब 04
महासंघों में संगहठत ककए गए. इन्हें ‘छतीसगढ़ सोसायटी रल्जस्रीकरण अशभननयम,1973’ के अंतगित
पंजीकृत ककया गया.

2011 – धचक्न्हत करना : नाबार्ि छ. क्षे.का.ि र्ीर्ीएम बबलासपरु ने ल्जले के ितिमान 300 तलबों में से
सकिय तलबों का चयन ककया ि उनका पन
ु रुिार ककया.

161
बबजनेस करे स्पोंडेंट

1.6 गांिों में महासंघों के अभत


ू पि
ू ि स्िीकायि के मद्देनिर, भारतीय स्टे ट बैंक ने महासंघों के माध्यम से
बीसी मार्ेल के तहत ककयोस्क केंर (ककयास्क बैंककं ग मार्ेल) खोलने का अनम
ु ोदन हदया. शसतम्बर
2014 तक तीन ककसान तलब महासंघों के माध्यम से 16 ककयोस्क (ककयास्क बैंककं ग मार्ेल) कायिरत
थे. भारतीय स्टे ट बैंक, आगामी एक ििि के दौरान, ल्जले में अन्य ग्रामीण केंरों पर, 14 और ककयोस्क
केंर (ककयास्क बैंककं ग मार्ेल) खोलने की प्रकिया में है. ककयोस्क केंर (ककयास्क बैंककं ग मार्ेल) ननकटतम
िाखा से जुड़े होते हैं तथा संबधं धत िाखा प्रबंधक की ननगरानी में काम करते हैं. िाखा प्रबंधक
ककयोस्क (बीसी) का पयििेक्षण करता है.

1.7 अभी तक ककयोस्क केंर (ककयोस्क बैंककं ग मार्ेल) मख्


ु यत: बचत बैंक खाते ि आिती जमा खाते
खोलना, जमा स्िीकार करना ि आहरण पर भग
ु तान करने जैसी बैंक सेिाएं उपललध कराता रहा है.
ककयोस्क केंर (ककयोस्क बैंककं ग मार्ेल) सरकार द्िारा संचाशलत, बढ़
ु ापा – पें िन, विद्ध्याथी छात्रिनृ त,
मनरे गा भग
ु तान ि अन्य सामाल्जक भग
ु तान भी संचाशलत करता है. ितिमान में ककयोस्क (ककयोस्क
बैंककं ग मार्ेल) की माशसक आय (`8000 से `14000) मख्
ु यत: बैंककं ग सेिाओं से है . व्यय में आपरे टर
का िेतन, पररसर का ककराया, प्रारं शभक ननिेि आहद पर लयाज िाशमल है , जोकक लगभग `8000 से
`10000 के बीच है (आपरे टर का िेतन `4000 से `5000, पररसर ककराया अनम
ु ानत: `2000 से
`3000).

ककसान बीज उत्पादक संगठन

1.8 ककसान तलब महासंघों के अधधकांि नेता व्यल्ततगत रूप में बीज - ककसानों के रूप में कृवि
विभाग द्िारा पंजीकृत हैं. एफसीएफ ने महसस
ू ककया है कक अपने बीज प्रसंस्करण सवु िधा केंर स्थावपत
करने के शलए उनमें कुछ कारोबारी सझ
ू हो सकती है. ककसान सदस्यों की आिश्यकताओं को परू ा करने
के अलािा यह बीज मप
ू य िधिन श्ख
ं ृ ला का एक अगला चरण है.

1.9 यह उपलल्लध ‘ककसान बीज‘ के रूप में शमली, जोकक अरपानचल ककसान तलब महासंघ के ककसानों
द्िारा संचाशलत है. यह उत्पादक संगठन ‘छतीसगढ़ एटोननशमयस कापरे हटि एतट,1999 ‘के अंतगित
पंजीकृत हैं, जोकक ककसान समह
ू ों को कारोबारी इकाई के रूप में कायि करने ि लाभ अल्जित करने की
अनम
ु नत दे ता है. यह उत्पादक संगठन, धान (पांच ककस्में ), गेहूं, सोयाबीन, सरसों, चना, अरहर, मग
ंू ि
चना (नतबड़े) के प्रमाखणत बीजों के उत्पादन ि विपणन हे तु चलाए जा रहे कायििम का संचालन करता
है .

1.10 ििि 2013-14 के दौरान उत्पादक संगठन के 39 सदस्य, राज्य सरकार के बीज प्रमाणीकरण
प्राधधकरण के साथ पंजीकृत हुए(खरीफ के दौरान 153 है तटे . में 25 ककसान ि रबी के दौरान 106
है तटे . के शलए 14 ककसान), ताकक प्रमाखणत बीजों का उत्पादन हो सके. ििि के दौरान इन सदस्यों
के प्रमाखणत बीजों का उत्पादन खरीफ में 656 एमटी ि रबी में 394 एमटी हुआ. इन ककसानों द्िारा
उत्पाहदत कुल बीजों को उत्पादक संगठन ने `73.32 लाख में प्राप्त ककया.बीज - ककसानों को सल्लसर्ी

162
भी दी गयी ताकक िे अपने सभी बीज, बीज प्रापण संस्थानों (मंडर्यों की जगह) को ही बेचें. इसी तरह
से ककसानों में प्रमाखणत बीजों के उपयोग की प्रिल्ृ त्त को बढ़ािा दे ने के शलए सरकार, बीज प्रसंस्करण
केंरों को सल्लसर्ी मह
ु ै या कराती है ,ल्जससे उधचत दरों पर ककसानों को स्तरीय बीज उपललध कराए जा
सकें. ििि 2014-15 के शलए उत्पादक संगठन को अपने सदस्यों के शलए लगभग 2700 एमटी प्रमाखणत
बीज प्राप्त करने का कायििम बनाया जा चुका है . अभी तक खरीफ में 380 है तटे . धान हे तु एिं रबी
में 195 है तटे . धान हे तु बीज उत्पादक ककसानों से करार ककया जा चुका है .

1.11 उत्पादक संगठन ने सफाई,ग्रेडर्ंग ,पैककं ग, बीजों के प्रमाणीकरण ि भंर्ारण के शलए आधारभत

सवु िधाएं ननशमित की हैं. ककसान महासंघों के आऊटलैट केंरों द्िारा बीज बेचे जाते हैं, जोकक बीसी
ककयोस्क के करीब (ककयोस्क बैंककं ग मार्ेल) में स्थावपत हैं. उत्पादक संगठन ने अपनी सेिाएं उपललध
कराने के शलए ककसानों के मध्य ही अच्छा बािार ढूंढा है. उत्पादक संगठन 30% तक बीज बािार
हधथया सकते हैं.अभी भी ल्जले में उत्पादक संगठन के विस्तार की काफी संभािनाएं हैं.

ताशलका 3.5 : बी सी ककयोस्क (ककयास्क बैंककं ग मार्ेल) का मानक

िम मां नमिदा कृिक जै शमतन कृिक


संख्या वििरण बैगबाबा ि अरपानचल कृिक महासंघ महासंघ
महासंघ

िोध के दौरान दौरा


ककए गए कुश्क
1 केंर्ा कोटा पें रा लोरमी
केंर(ककयास्क बैंककं ग
मार्ेल )

खातों की संख्या बचता खाता- बा खा.– 5300 ब. खा- 2956 ब. खा.- 4038
3500 आ. जमा खाता - आ जमा. खाता.- आ. जमा खाता -
2
आ. जमा खाता- 98 105 148
25

जमा /हदन `30,000 से `60,000 से `75,000 से 80,000 `45,000 से


3
40,000 70,000 50,000

आहरण /हदन `50000 से `55,000 से `70,000 से 85,000 `40,000 से


4
60000 70000 50,000

प्रभार आहरण - `0.85 प्रनत आहरण


जमा – `1.00 - प्रनत आहरण
5
आिती जमा खाता खोलना- `20
बचत खाता खोलना- `20

163
योजना जहां पैसा 1. इंहदरा गांधी वििेि िि
ृ पें िन
ककयोस्क केंर 2. िि
ृ पें िन
(ककयास्क बैंककं ग
 3. विधिा पें िन
6 मार्ेल) द्िारा हदया
 4. सामाल्जक सरु क्षा पें िन
जाता है .  5. सख
ु द सहारा
 6. मनरे गा
 7. छात्रिनृ तयां

ककयोस्क केंर अभी तक प्रारं भ अभी तक प्रारं भ 1. `23,98,330 की 1. `3,68,500 की


(ककयास्क बैंककं ग नहीं हुई बीजों की नहीं हुई बीजों की लागत पर 5207बीजों लागत पर 800 बीजों
मार्ेल ) की अन्य बबिी ; बबिी ; के बैग बेचे गए ; के बैग बेचे गए ;
7 कारोबारी गनतविधधयां बीजों ,खादों ि बीजों ,खादों ि खादों ि कीटनािकों खादों , आम दक
ु ानों
कीटनािकों की कीटनािकों की की बबिी प्रारं भ करने ि कीटनािकों की
बबिी प्रारं भ करने बबिी प्रारं भ करने की योजना. बबिी प्रारं भ करने
की योजना. की योजना. की योजना.

बीजों की बबिी से
8 प्राप्त आढ़त िन्
ू य िन्
ू य `96,000 `12,000

बैंक सेिाओं से
9 औसत माशसक `8,000 `10,000 `14,000 `12,000
आय

◦ चूंकक ककसानों को उत्पादक संगठन से बीजों को प्राप्त करने के शलए आश्िासन की आिश्यकता
रहती है एिं इसी तरह से पी ओ को भी बीजों की आपनू ति सनु नल्श्चत करनी होती है , अत: पी ओ,
ननविल्टट िस्तओ
ु ं तथा उपभोग हे तु अधग्रम दे ते हैं. नाबार्ि ने 23 शसतम्बर, 2013 को उत्पादक संगठन
को आगे ककसानों को उधार दे ने के शलए `1,943 करोड़ (`1.85 करोड़ ऋण के रूप में ि `9.43 लाख
ग्रांट के रूप में) की वित्तीय सहायता उपललध करायी. यह अनद
ु ान सहायता बीजों के प्रापण, सफाई,
ग्रेडर्ंग, पैककं ग ि भंर्ारण एिं बीजों की बबिी तक लागत को रोकने हे तु थी. इस अनद
ु ान सहायता को
क्षमता ननमािण ि प्रशिक्षण इत्याहद हे तु बढ़ाया गया. मई 2014 के अंत तक `1.74 करोड़ संवितररत
ककए गए. उत्पादक संगठन के पदाधधकाररयों से विचार –विमिि से ज्ञात हुआ है कक वित्त-ििि 2014-
15 के शलए, अपने बढ़े हुए कारोबारी कायििम हे तु नाबार्ि से और अधधक मंजरू ी प्राप्त करने की योजना
है .

****************

164
ककसान उत्पादक संघ का वणधन –धचत्र

ककयोस्क केंर(ककयास्क बैंककं ग मार्ेल) - ककसान संघ - ककयोस्क केंर (ककयास्क बैंककं ग मार्ेल) – ककसान
तलब

*******************

बीज उत्पादन हे तु पंजीकरण

1.13 प्रमाणन एजेंसी, कृवि विभाग, छत्तीसगढ़ सरकार, ककसानों की खेती हेतु बीजों का पंजीकरण
करती है . ककसानों को भशू म दस्तािेिों सहहत प्रनत हैतटे . `300 की दर से फीस का भग
ु तान करते हुए
संबधं धत विभाग को आिेदन प्रस्तत
ु करना पड़ता है. ककसान तलब, महासंघ ि पी ओ ककसानों की
पंजीकरण में सहायता करते हैं. विभाग ककसानों को आधार बीज उपललध कराता है एिं समय –समय
पर स्थल ननरीक्षण भी करता है ताकक बीजों के उत्पादन के शलए सभी प्रथाओं का पालन परू ी ईमानदारी
से कराया जाना सनु नल्श्चत ककया जा सके. प्रमाणन ऐजेंसी के प्रनतननधध, एक फसल - चि के दौरान
कम से कम तीन बार (रोपण, फूल आने पर ि फसल आने पर), क्षेत्रीय स्थल का दौरा करते हैं.
इससे सनु नल्श्चत होता है कक बीजों का स्तरीय उत्पादन हो रहा है .

बीज प्रमाणीकरण

1.14 अनम
ु ोदन ि प्रमाणीकरन के उपरांत ,पी ओ, 30 ककलो के बोररयों में बीजों को र्ाल कर इन्हें
अच्छी तरह से सील कर दे ते हैं. इन बीजों का “ककसान बीज“ के ब्ांर् - नाम से विपणन ककया जाता
है . पी ओ के पास विकपप रहता है कक िे ककसानों, कृवि विभाग, पैतस, अथिा बीज ननगम को सीधे
प्रमाखणत बीज बेच सकते हैं. यहद बीज अनम
ु ोहदत नहीं होते हैं, तो इन्हें सरकारी खरीद हे तु पैतस
के पास भेजा जाता है, जहां पी ओ, एम एस पी के अनरू
ु प राशि प्राप्त करते हैं.यहद बीज अनम
ु ोहदत
हैं तो ककसान बीजों की खेती के शलए, प्रनत ल्तिंटल `2,090 (`1,310 एम एस पी, `450 उत्पादन
लागत, `330 बोनस) प्राप्त करता है. पी ओ द्िारा बीज उत्पादन सल्लसर्ी ि बोनस संचाशलत होता
है . इसी प्रकार,बीजों की संभाल के शलए पी ओ को प्रनत ल्तिंटल `740 (`50 उत्पादन, `500 प्रसंस्करण
ि संवितरण एिं `190 भंर्ारण ) की सरकारी सल्लसर्ी शमलती है. पी ओ की प्रनत ल्तिंटल कुल लागत
`650 (पररिहन लागत `100, सफाई, ग्रेडर्ंग, पैकेल्जंग ि भंर्ारण पर `450 तथा ऋण पर लयाज `90)
आयी. अत: पी ओ को प्रनत ल्तिंटल `90 का ननिल लाभ हुआ, जो प्रिासननक ि अन्य उपरी खचों के
शलए उपललध है.

1.15 उत्पादक संगठन ने ककसान महासंघों द्िारा खोले गए ककयोस्क केंरों (ककयास्क बैंककं ग मार्ेल)
को बीजों की बबिी के आऊटलेट केंरों के रूप में उपयोग कर रहा था. उत्पादक संगठन ने संघों को
बबिी पर 4% का कमीिन हदया. ितिमान में पररिहन लागत का िहन पी ओ द्िारा ककया जा रहा है .
ऐसे ककसान संघों के शलए यह अनतररतत आय का स्रोत था जो ककयोस्क केंर (ककयास्क बैंककं ग मार्ेल)
का पररचालन कर रहे हैं ताकक इससे ककयोस्क केंर (ककयास्क बैंककं ग मार्ेल) वित्तीय रूप में सक्षम हो

165
सकें. पी ओ, ककसान तलबों के ककसानों को उनकी चौखट पर प्रमाखणत बीज तो उपललध कराते ही हैं,
उन्हें धचर–प्रतीक्षक्षत बैंक-सेिाएं भी मह
ु ै या कराते हैं.

मॉडल का प्रभाव

1.16 आधार स्तर पर ककयोस्क (ककयास्क बैंककं ग मार्ेल)/ ननविल्टट िस्तओ


ु ं ि सेिाओं हे तु आऊटलेट
के इस पी ओ मॉर्ल को ननम्न कारणों के कारण हटकाऊ माना जा सकता है :

क. यह पण
ू त
ि या एक ककसान संगठन है , जोकक ककसान समद
ु ाय को िरूरी सेिाएं उपललध कराता है.अत:,
कृिक समद
ु ाय में इसकी स्िीकायिता का स्तर काफी ऊंचा है .

ख. वित्तीय समािेिन पर पन
ु ः बल दे ने की दृल्टट से ककसान तलब, अपने महासंघों की मदद से, बैंकों
के बीसी के रूप में कायि कर सकते हैं. इससे सनु नल्श्चत होगा कक ककसान एक ही समय में , एक ही
जगह पर, बैंक सेिाएं, कृवि ननविल्टट िस्तए
ु ं ि संबधं धत सच
ू नाएं प्राप्त कर सकेंगे.

ग. ककसानों की आिश्यकताओं की पनू ति हे तु प्रमाखणत बीज का उत्पादन, प्रसंस्करण ि उपयोग होता


है , ल्जससे स्थानीय स्तर पर रे र्ीमेर् माकेट का भी ननमािण हो रहा है. ककसानों को शमलने िाले लाभों
में यह भी िाशमल है कक उन्हें समय पर ि उधचत कीमत पर, उच्च स्तरीय बीज शमलते हैं.

घ. राज्य सरकार इन ककयोस्कों (ककयास्क बैंककं ग मार्ेल) के माध्यम से 7-8 योजनाओं के शलए भग
ु तान
/सल्लसर्ी को संचाशलत कर सकती है . अत: यह मॉर्ल ककसानों में काफी लोकवप्रय है .

ड़. उत्पादक संगठन स्तर पर पररचालानात्मक माल्जिन काफी संतोिजनक है . प्रथम ििि में यह लाभ
- अलाभ के स्तर को तो पार कर ही चुका है, कुछ बचत भी हुई है . राज्य सरकार, ककसानों को बीज
की खेती के शलए एिं पी ओ को बीज के प्रसंस्करण के शलए सहायता दे ती है . ितिमान में ककसान
बीजों का जो उत्पादन कर रहा है , मांग उससे कहीं अधधक है. अत: विकास की पयािप्त संभािना है .
ज्ञातव्य है कक इस गनतविधध में यह संभाव्यता भी है कक सल्लसर्ी के बबना ही यह आधथिक रूप से
सक्षम हो सके.

च. राज्य सरकार की ओर से ककसानों की कृवि संबध


ं ी ननविल्टट िस्तओ
ु ं का ध्यान रखने के शलए
ककसान संगठन समथि हैं. राज्य सरकार, अपनी कुछ कृवि योजनाओं को पी ओ/ ककसान संगठनों के
माध्यम से चलाते हुए, अंनतम िंधचत ग्रामीण जन तक पंहुच बना सकती है. इस संस्थागत व्यिस्था
का उपयोग करते हुए ककसानों की बड़ी संख्या तक, कम लागत में कृवि विस्तार सेिाएं भी पंहुचायी जा
सकती हैं.

166
संलग्नक 5 – एक उत्पादक संगठन गठन करने की प्रकिया का सच
ू क रूपरे खा

लाल बहादरु िास्त्री राटरीय प्रिासन अकादमी, मसरू ी के प्रोफेसर अमर केजेआर नायक ने उत्पादक
संगठन की दीघिजीविता को बनाए रखने की दृल्टट से ननम्न रूपरे खा तैयार की है.

िम कायधकलाप/गनतववधधयां ििि ििि 2 ििि ििि ििि ििि ििि


ााां 1 3 4 5 6 7

1 समद
ु ाय/क्लस्टर की पहचान करना एवं उनका आधारभत

सवेक्षण करना :
ग्रामों के तलस्टर/समद
ु ाय/ग्राम पंचायत की पहचान करना।
तकनीकी एिं व्यािसानयक रूप से सक्षम बनाने के शलए
इटटतम भौगोशलक आधार के साथ अधधक से अधधक
सहभाधगता हे तु इटटतम आकार के ककसानों/ उत्पादक
सदस्यों का संगठन बनाना.
आधारभत
ू सवेक्षण : उत्पादक-पररिार का सिेक्षण और
ग्राम संसाधनों का सिेक्षण (स्थानीय
पररिार,एकत्रण,गण
ु ित्ता आश्िासन प्रथाएाँ, इत्याहद)।
तलस्टर में स्थानीय संस्थाओं का सिेक्षण.

2 आधारभत
ू सेवाओं को जोड़ना :
चनु े हुए तलस्टर/ग्राम पंचायत में गरीबों एिं जरूरतमंदों
के साथ सरकार की बनु नयादी सामाल्जक एिं सामद ु ानयक
स्िास््य सेिाओं को जोड़ना.

3 स्थानीय संगठनात्मक एवं संस्थागत संरचनाओं का


ववकास :
ककसान/उत्पादक सदस्यों द्िारा सदस्यता/स्िाशमत्ि लेना।
उत्पादक संगठनों के पररचालन के शलए प्रोफेिनल अन द
जॉब प्रशिक्षण हे तु संभावित स्थानीय लोगों की पहचान
करना।
फ़ैशसशलटे टसि, ननदे िकों एिं िालंहटयसि की पहचान करना
तथा एक उत्पादक कोअपरे हटि अथिा एक उत्पादक कंपनी
के रूप में उत्पादक संगठन को प्रारम्भ करना, गहठत
करना तथा पंजीकरण करना।
उनके कायों के शलए विचाराथि वििय बनाना ।

167
4 ग्राम स्तर पर तथा क्लस्टर स्तर पर लोगों को संगहठत
कर उनमें ववश्वास, सहयोग एवं समद
ु ाय की भावना पैदा
करना :
सामाल्जक सहकार के रूप में लोगों की पहचान करना जो
समद
ु ाय में लोगों के बीच सामद
ु ानयक भािना पैदा कर
सके।
गहन कायों को संपाहदत करने के शलए गााँि के िालंहटयसि,
संभावित सामद
ु ानयक नेतत्ृ ि करने िालों, सेिाननित्ृ त
शिक्षकों आहद की पहचान करना।
समद
ु ाय को सतत रूप से सकिय रखने के शलए
सामद
ु ानयक भािना के महत्ि के बारे में लोगों में
जागरूकता पैदा करना। समद
ु ाय की साझा समस्याओं जैसे
सामद
ु ानयक स्िास््य, शिक्षा, कृवि, उत्पादन, विपणन,
साझा संसाधन अथिा बाह्य संसाधन आहद के समाधान
के शलए सामद
ु ानयक पहचान एिं एकजुटता के विचार को
बांटना। सभी मद्द
ु ों को साझा करना और सहभाधगता के
माध्यम से समद
ु ाय के शलए योजनाएाँ बनाना। गााँि एिं
परू े तलस्टर/समद
ु ाय में छोटे ककसानों/उत्पादकों के बीच
िमिः विश्िास एिं सहयोग की भािना पैदा करना।
विविध उत्पादन, मप
ू य िधिन, विपणन मद्द
ु ों की समाधान
के शलए तथा उत्पादकों के श्म के शलए बेहतर ननिल
आय की िसल
ू ी हे तु तलस्टर स्तर पर एक संस्थागत मंच
अथिा सीईएस के गठन के विचार को सब के साथ बांटना।
तलस्टर/ग्राम पंचायत/समद
ु ाय में विशभन्न सामाल्जक
समह
ू ों तथा इच्छुक समह
ू ों के बीच संिाद के शलए एक
मंच तैयार करना।

5 सामद
ु ानयक स्वास््य एवं प्राथममक मशक्षा की सवु वधा
करना :
प्रत्येक गााँि में दाइयों का एक नेटिकि विकशसत करना
और उन्हें परामिि तथा सलाह के शलए उत्पादक संगठनों
के माध्यम से र्ॉतटरों के नेटिकि से जोड़ना।
मोबाइल िैन, समद
ु ाय की स्िास््य संबध
ं ी आिश्यकताओं
की पनू ति के शलए ईंधन-व्यय के भग
ु तान हे तु स्थानीय
प्रिासन की सहायता के साथ तालमेल करना.
औिधधयों के शलए र्ॉतटरों एिं भेिजीय कंपननयों के
नेटिकि से जड़
ु ना।

168
समद
ु ाय के शलए एक समग्र हे पथकेयर सवु िधा विकशसत
करना।
संबल्न्धत गांिों में स्कूल के पश्चात बच्चों के मागिदििन
के शलए तथा उन्हें शसखाने के शलए ग्राम स्तर पर योग्य
यि
ु कों को चन
ु ना।
उत्पादक संगठनों के पेिि
े रों के माध्यम से प्रौढ़ शिक्षा के
शलए सवििसेस ऑफर करना।

6 भौनतक आधारभत
ू सवु वधाओं का ननमाधण :
ग्राम स्तर पर ककसानों/उत्पादकों के शलए सभा कक्ष एिं
िाइंग यार्ि।
बच्चों के शलए ्यट
ू ोररयल तथा सामद
ु ानयक स्िास््य,
उन्नत पि,ु रसोईघर बागान, चारा विकास के शलए ग्राम
स्तर पर सवु िधाएं।
तलस्टर/ग्राम पंचायत के स्तर पर ननम्नशलखखत प्रािधान
करें :
ररकार्ि के रखरखाि की आधारभत
ू सवु िधा यत
ु त छोटे
कायािलय।
कृवि उत्पादों की भंर्ारण सवु िधा।
बनु नयादी पररिहन (1 पीक-अप िैन, 2 मोटर साइकल, 2
साइकल)।
स्थानीय मप
ू य िधिन की सवु िधा।
छोटे नसिरी एिं सीर् बैंक

7 स्थायी बाजार नेटवकध का ववकास :


अधधिेि उत्पाद के विपणन के साथ इसकी िरु
ु आत
करना।
एक नहीं बल्पक कई उत्पादों का चयन करना।
यह चयन उत्पाद की िेपफ लाइफ एिं आधथिक मात्रा पर
आधाररत होगा।
मप
ू य, बबचौशलयों एिं आखखरी ख़रीदारों का पता लगाना।
नजदीकी िहरों में बबिी के शलए खुदरा दक
ु ानों तथा
ल्जला/राज्य कैवपटल में बबिी हे तु ढांचे स्थावपत करना।
ग्राम एिं स्थानीय साप्ताहहक हाटों में संगहठत माकेहटंग
प्लैटफॉमि का ननमािण करना।

169
राज्य विभागों एिं ल्िला प्रिासन द्िारा आयोल्जत
विशभन्न प्रदििनों के माध्यम से बबिी के शलए कैलेंर्र
तैयार करना।

8 कायधशील पज
ूं ी के मलए गठबंधन :
कम लयाज दर पर सरकार से कायििील पज
ूं ी प्राप्त करना।
खुले बाजार, बैंकों आहद से पज
ूं ी प्राप्त करना।

9 सक्ष्
ू म ऋण, सरु क्षा एवं समद
ु ाय बैंककं ग सेवाएँ प्रदान करना:
अस्िस्थता, शिक्षा आहद से उत्पन्न आपात ल्स्थनतयों के
शलए ऋण प्रदान करना।
कृवि और संबल्न्धत गनतविधधयों के शलए उत्पादन ऋण
प्रदान करना।
बच्चों की िादी, त्यौहार आहद के शलए उपभोग ऋण के
रूप में सीशमत ऋण प्रदान करना।
सामद
ु ानयक बैंककं ग सेिा विकशसत करना।
उत्पादक संगठन, समद
ु ाय की ओर से औपचाररक बैंककं ग
प्रणाली के साथ लेन-दे न कर सकता है ।

10 स्थानीय खपत आवश्यकताओं की पनू तध के मलए स्थानीय


खुदरा बबिी ढांचे का ववकास करना एवं सहायता करना :
जहां आिश्यक हो, गांिों में खद
ु रा बबिी के शलए दक
ु ानों
की स्थापना के शलए प्रत्येक गााँि से एक पररिार/एसएचजी
का चयन करना ।
यहद आिश्यक हो तो तलस्टर में प्रत्येक गााँि में एक
खुदरा दक
ु ान की स्थापना के शलए ऋण प्रदान करना ।
गााँि में स्थावपत खद
ु रा दक
ु ानों में सामधग्रयों की थोक
आपनू ति की व्यिस्था करना।

11 ननम्नमलखखत के मलए स्थानीय मप


ू य वधधन का ववकास :
कृवि उत्पाद
बागबानी उत्पाद
पिध
ु न/मत्स्यपालन
िन उत्पाद
स्थानीय कला एिं शिपप उत्पाद

12 समक्न्वत कृवष प्रणाली का प्रवतधन :

170
कम लागत िाली कृवि प्रथाओं को अपनाने िाली समल्न्ित
कृवि प्रणाली।
ऑन-फामि ननविल्टटयों के बारे में ककसानों को प्रशिक्षक्षत
करना।
उन्हें प्रशिक्षण दे ने के शलए तथा उत्पादक समद
ु ाय के
प्रशिक्षक/वििेिज्ञ बनने के शलए स्थानीय सफल ककसानों
की पहचान करना।

13 कृवष कायधकलापों का अन्य आधथधक गनतववधधयों के साथ


समन्वय :
समद
ु ाय में कृवि गनतविधधयों को विविध कृिीतर एिं
संबल्न्धत गनतविधधयों के साथ समल्न्ित करना ताकक
सीमांत एिं छोटे ककसान अपने द्िारा ककए गए श्म के
शलए अधधकतम मप
ू य प्राप्त कर सके।

14 समक्न्वत एवं समग्र ववकास के मलए राज्य एवं केंर


सरकार के योजनाओं के अंतगधत प्राप्त संसाधनों में
तालमेल स्थावपत करना :
तलस्टर स्तर पर एनआरएलएम, आईएपी एिं
एमजीएनआरईजीएस जैसी आजीविका योजनाओं को
एकाग्र करना।
स्िास््य एिं शिक्षा कायििम जैसे एनआरएचएम एिं
एसएसए को शमलाना।
तलस्टर स्तर पर िन एिं िाटरिेर् विकास को जोड़कर
समद
ु ाय की प्राकृनतक संसाधनों जैसे िन, मद
ृ ा एिं जल
में सध
ु ार लाना।
संयत
ु त िन प्रबंधन प्रथाओं को सकिय करना तथा िन में
आग लगने एिं अत्यधधक पेड़ के धगरने को रोकना।
तलस्टर स्तर पर ग्रामीण आधारभत
ू ढांचे जैसे सड़क, पल
ु ,
बबजली, साििजननक पररिहन एिं दरू संचार सेिाओं के साथ
तालमेल बबठाना ।
तलस्टर तथा उत्पादक सगठनों के स्तर पर सरकार की
विशभन्न विस्तार सेिाओं की गनतविधधयों, पीर्ीएस,
बागबानी, पिध
ु न इत्याहद को एकाग्र ककया जा सकता है ।

15 बाह्य चैंवपयन प्रत्याहार प्रकिया :

171
चूंकक स्थायी समद
ु ाय उद्यम प्रणाली(उत्पादक संगठन)
समद
ु ाय में अपना जड़ पकड़ती है अतः 5िे ििि से िमिः
बाह्य चैंवपयन की प्रत्याहार की प्रकिया िरू
ु कर दे नी
चाहहए और 7िे ििि तक सम्पण
ू ि रूप से उनका प्रत्याहार
हो जाना चाहहए। पहले 2 ििों में बाह्य संस्थागत चैंवपयन
समद
ु ाय में सहकारी आंदोलन को सकिय करें गे और कफर
िमिः अपने स्थान पर उत्पादक संगठनों के स्थानीय
फ़ैशसशलटे टर को प्रनतस्थावपत करें गे।

उपयक्
ुध त फ़्लो चाटध में सत्यापन हे तु जोखिम कारक एवं सच
ू क

िमांक गनतववधधयां/कायधकलाप कायधकलापों के सत्यापन जोखिम कारक


हे तु सच
ू क
1 समद
ु ाय/तलस्टर की पहचान करना तथा सिेक्षण ररकार्ि जैसे आधार स्तरीय सिेक्षण
आधार स्तरीय सिेक्षण करना प्रश्नािली आहद में अिास्तविक
पि
ू ािनम
ु ान
2 आधार सेिाओं का अशभसरण आधार सेिाओं के शलए सेिा की गण
ु ित्ता
की गई व्यिस्था
3 स्थानीय संगठनात्मक एिं संस्थागत विविध कायिकलापों में स्थानीय लोगों द्िारा
संरचनाओं का विकास करना ककतने लोग िाशमल हैं असहभाधगता
4 ग्राम स्तर एिं तलस्टर स्तर पर लोगों को सामद
ु ानयक विचार समद
ु ाय के विशभन्न
संगहठत कर उनमें विश्िास, सहकाररता विमिि के शलए प्लेटफ़ामि लोगों का आपस में
एिं समद
ु ाय की भािना पैदा करना की उपललधता विश्िास की कमी होना
5 सामद
ु ानयक स्िास््य एिं प्राथशमक शिक्षा सेिा के शलए ककतने स्िास््य एिं शिक्षा
को बढ़ािा दे ना र्ॉतटर, दाई, स्िास््य सेिाओं की अनप
ु ललधता
कमिचारी उपललध हैं?
ककतने बच्चे प्राथशमक
विद्यालय जा रहे हैं?
6 भौनतक इन्िास्रतचर का ननमािण करना उपललध इन्िास्रतचर पज
ूं ी एिं सरकारी
जैसे छोटा कायािलय, समथिन का अभाि
िाइंग यार्ि आहद
7 स्थायी बािार नेटिकि का विकास करना सम्बि व्यल्तत/माकेट उपयत
ु त बािार
का नाम, पता एिं ल्स्थनतयों की
दरू भाि संख्या अनप
ु ललधता

172
8 कायििील पज
ूं ी के शलए गठबंधन वित्तीयन एजेंसी का कायििील पज
ूं ी प्राप्त
नाम एिं कायििील पज
ंू ी होने में विलंब होना या
के शलए स्िीकृनत पत्र कफर प्राप्त न होना
9 सक्ष्
ू म ऋण सरु क्षा एिं सामद
ु ानयक बैंककं ग सदस्यों को प्रदत्त सक्ष्
ू म सामद
ु ानयक भािना एिं
सेिाएाँ प्रदान करना ऋण तथा एकत्रीत बचत बचत करने की इच्छा का
राशि अभाि
10 स्थानीय खपत आिश्यकताओं की पनू ति के उस क्षेत्र में ककतने ररटे ल स्थानीय उद्यशमयों का
शलए स्थानीय ररटे ल का विकास करना िॉप कायि कर रहे हैं ? अभाि अथिा उनके शलए
तथा उसका समथिन करना पज
ूं ी का अभाि
11 ननम्नशलखखतों के शलए स्थानीय मप
ू य मप
ू य िधिन के शलए चुनी मप
ू य िधिन के शलए आगे
िधिन का विकास करना : गई गनतविधधयां और बढ़ने हे तु समझदारी
कृवि उत्पाद उसमें िाशमल लोगों की अथिा माकेट सच
ू ना पर
बागबानी उत्पाद संख्या तथा इसके तहत भरोसे का अभाि
मिेिी/मत्स्यपालन सदस्यों द्िारा ककतनी
िनोत्पाद सवु िधाएं प्राप्त की गई हैं
स्थानीय कला एिं शिपपोत्पाद
12 समल्न्ित कृवि प्रणाली का प्रितिन करना समल्न्ित कृवि का समल्न्ित कृवि के संबध

कायािन्ियन करने िाले में विश्िास एिं
ककसान सदस्यों की समझदारी का अभाि
संख्या
13 कृवि कायिकलापों का अन्य आधथिक समल्न्ित गनतविधधयां, अन्य आधथिक
कायिकलापों के साथ समन्िय करना उसमें िाशमल लोग तथा गनतविधधयों के शलए
उनके द्िारा प्राप्त की माकेट अथिा
गई सवु िधाएं आत्मविश्िास का अभाि
14 समल्न्ित एिं समग्र विकास के शलए राज्य ककतने योजनाओं का नेटिककिंग कौिल/
एिं केंर सरकार की योजनाओं के अंतगित समेकन ककया गया है, विशभन्न सरकारी
प्राप्त संसाधनों को एकत्र करना उत्पन्न अनतररतत विभागों/विकास एजेंशसयों
सवु िधाएं तथा इन को मनिाने की योग्यता
सवु िधाओं को प्राप्त का अभाि
करने िाले सदस्यों के
नाम
15 बाहरी उत्कृटठ संगठनों की बाहर ननकलने उत्पादक संगठन का बाहर ननकलने के शलए
की प्रकिया कायि करने के शलए उत्कृटठ संगठनों की
स्थानीय यि
ु क को तैयार अननच्छा अथिा
करना पीओपीआई पर उत्पादक
संगठन की अधधक
ननभिरता

173
कृवि एिं सहकाररता विभाग, भारत सरकार द्िारा प्रकाशित ककसान उत्पादक संगठनों के शलए नीनत
एिं प्रकियागत हदिाननदे िों में दिािई गई एफ़पीओ संिधिन एिं विकास प्रकिया नीचे प्रस्तत
ु है ।

 तलस्टर की पहचान

 ननदानसच
ू क अध्ययन

 साध्यता विश्लेिण

 आधार स्तरीय आकलन

 कारोबार आयोजना

 सदस्यों को जुटाना

 आयोजन एिं औपचाररक रूप दे ना

 संसाधन जुटाना

 प्रणाली विकास

 व्यापार का पररचालन

 मप
ू यांकन एिं लेखा परीक्षा

174
संलग्नक 6 – संदभध

 मैन्यअ
ू ल फॉर प्रोड्यस
ू र कंपनी, िापयम
ू I और II, एएसए

 कृवि समद
ु ाय की ल्स्थरता के शलए सामद
ु ानयक उद्यम प्रणाली का कायािन्ियन

(iii) र्ॉ. अमर केजेआर नायक द्िारा तैयार मैनअ


ु ल

 र्ॉ.िें कटे ि तगत द्िारा नाबार्ि हे तु ककसान उत्पादक संगठनों के शलए रोड़ मैप

 ककसान उत्पादक संगठन के शलए इल्तिटी अनद


ु ान एिं ऋण गारं टी ननधध योजना का
पररचालनात्मक हदिाननदे ि – एसएफ़एसी, नई हदपली

 नाबार्ि के उत्पादक संगठन विकास ननधध हे तु मैनअ


ु ल

(संबंधधत राज्य के कानन


ू के अनस
ु ार समुधचत रामश का न्यानयक स्टै म्प पेपर)
राष्ट्रीय कृवष और ग्रामीण ववकास बैंक
और
उत्पादक संगठन संवधधक संस्था (पीओपीआई)
के बीच
करार का ज्ञापन

यह करार …………….. में …………….. माह के …………….. िे हदन को

एक पक्षकार के रूप में राटरीय कृवि और ग्रामीण विकास बैंक, जो राटरीय कृवि और ग्रामीण विकास बैंक
अधधननयम, 1981 के तहत स्थावपत सांविधधक संस्था है और इसका प्रधान कायािलय सी-24, जी ललॉक,
बान्रा कुलाि काम्प्लेतस, बान्रा (पूि)ि , मुंबई - 400 051 है ल्जसे इसके बाद नाबार्ि कहा जायेगा, इस
अशभव्यल्तत में जब तक संदभि से अन्यथा अशभप्रेत न हो, नाबार्ि के उत्तराधधकारी और समनद
ु े शिती िाशमल
माने जायेंगे
और
दस
ू रे पक्षकार …………….. एक कारपोरे ट ननकाय, सशमनत, साझेदार फमि, गैर सरकारी संगठन/ रस्ट, ……………..
अधधननयम के तहत स्थावपत/ननगशमत/पंजीकृत ल्जसका पंजीकृत कायािलय/मख्
ु यालय ………………. में है
ल्जसे इसके बाद उत्पादक संगठन संवधधन संस्था या ………………..कहा जायेगा (इस अशभव्यल्तत में , जब
तक संदभि से अन्यथा अशभप्रेत न हो, उसके उत्तराधधकारी और समनद
ु े शिती िाशमल माने जायेंग)े के
बीच ननटपाहदत ककया जायेगा.
(नाबार्ि और उत्पादक संगठन संवधधन संस्था अथिा …………….. को इसके बाद 'पक्षकार' संदशभित ककया
जायेगा)
यत:
1. नाबार्ि, राटरीय कृवि और ग्रामीण विकास अधधननयम, 1981 की धारा 38 के तहत, अन्य बातों के
साथ-साथ, ग्रामीण बैंककं ग, कृवि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में अध्ययनों, अनुसध
ं ानों, तकनीकी आधथिक

175
और अन्य सिेक्षण करने सहहत प्रशिक्षण, सूचनाओं के प्रसार और अनुसंधान के संिधिन के शलए सुविधा
प्रदान करने और कृवि और ग्रामीण विकास गनतविधधयों में लगे ककसी व्यल्तत का वित्तीय सहायता प्रदान
करने के शलए प्राधधकृत है .
2. नाबार्ि ने कृिक उत्पादक संगठनों के ननमािण ओर संिधिन के उद्देश्य से 'कृषक उत्पादक संगठनों के
मलए योजना' के कायािन्ियन के शलए पररचालनात्मक हदिाननदे ि जारी ककये है (ल्जसे इसके बाद पररचालन
हदिाननदे ि कहा जायेगा) इन हदिाननदे िों की एक प्रनत अनब
ु ंध I के रूप में संलग्न है और इस करार के
एक अशभन्न अंग के रूप में पढ़ा जाये.
3. …………………… अधधननयम के तहत …………….. , …………….. (कंपनी / सशमनत / साझेदारी फमि / ……………..)
पंजीकृत है और क्षमता ननमािण और कृिक उत्पादक संगठन (एफपीओ) के शलए ररसोसि सहायक एजेंसी के
रूप में माना गया है .
4. …………….. अधधननयम के तहत …………….. , …………….. (कंपनी / सशमनत / साझेदारी फमि / ……………..)
पंजीकृत है और कृिक उत्पादक संगठनों के संिधिन में लगी हुई है और उत्पादक संगठन संिधिन संस्था के
शलए पररचालन हदिाननदे िों की पात्र ितों को परू ा करता है .
5. …………….. ने हदनांक …………….. के अपने आिेदन पत्र के द्िारा नाबार्ि को …………….. राज्य के
…………….., …………….. ल्जलों (की संख्या) में …………….. कृिक उत्पादक संगठनों के गठन और पोिण के शलए
वित्तीय सहायता मांगी है .
6. नाबार्ि ने आरएसए के साथ विचार विमिि कर हदनांक …………………… के अपने मंजरू ी पत्र संख्या
………………… (ल्जसे इसके बाद 'मंजूरी पत्र' कहा जायेगा के अनुसार …………….. को उत्पादक संगठन संिधिक
संस्था अथिा पीओपीआई के रूप में कृिक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के संिधिन और पोिण के लए
…………….. राज्य के ननम्नशलखखत चन
ु ी हुई गनतविधधयों / क्षेत्रों में पररयोजना के कायािन्ियन के शलए चन
ु ा
है .

िम सं. क्जले का नाम क्षेत्र/ ब्लॉक प्रमुख गनतववधध एफपीओ की संख्या


क्पस्टर

इसके साथ अनब


ु ध
ं II के रूप में मंजूरी पत्र की प्रनत संलग्न है ल्जसे इस करार के अशभन्न अंग के रूप
में पढ़ा जाये.

176
7. पक्षकारों ने ननम्नशलखखत ननयम ि ितों पर वित्तीय सहायता दे ने का ननणिय शलया है :

I. उत्पादक संगठन संवधधक संस्थाओं (पीओपीआई) की भमू मका

(क) समग्र अपेक्षाएं

पीओपीआई सफल िाटरिेर्ों, िार्ी पररयोजनाओं और उनके महासंघों, ककसान तलबों, ककसान सहकारी
सशमनतयों, स्ियं सहायता समूहों, संयुतत दे यता समूहों, ककसान हहत समूहों अथिा उनके महासंघों आहद
जैसे संभाव्यता युतत समूहों/ ककसान तलस्टरों की पहचान करे गी तथा एफपीओ गहठत करने हे तु समधु चत
भौगोशलक खंर् पररभावित करे गी. यथासंभि ऐसे हहत समूहों, ल्जनका ककसी बैंक िाखा द्िारा पहले ही
वित्तपोिण ककया जा चक
ु ा हो, को एफपीओ के रूप में संगहठत करिाने पर विचार ककया जा सकता है .
इसके पश्चात े् पीओपीआई को सामाल्जक संगठन, जागरुकता सज
ृ न और एफपीओ गहठत करने हे तु प्रेररत
करने पर ध्यान केल्न्रत करना चाहहए. एफपीओ की सफलता के शलए आिश्यक बेंचमाककिंग, उत्पादकों
की प्रशिक्षण आिश्यकताओं का आकलन, आधारभत
ू संरचना आिश्यकताओं के आकलन, बािार
मध्यस्थता और अन्य सहयोगी सुविधाओं/ शलंकेजों के आकलन के शलए पीओपीआई द्िारा आधारस्तरीय
सिेक्षण ककया जाएगा. इसके पश्चात े् डर्िाइननंग और क्षमता ननमािण कायििमों के आयोजन, एफपीओ
के शलए व्यिसाय विकास योजना तैयार करने, समुधचत अधधननयमों के तहत उनके गठन और पंजीकरण,
ऋण और बािार सहबिताओं में सहायता करने और पररपतिता प्राप्त करने हे तु न्यन
ू तम 03 ििि की
अिधध तक उन्हें लगातार सहायता दे ते रहने का कायि करे गी.

(ख) ववमशष्ट्ट भमू मका

i. पीओपीआई, नाबार्ि और आरएसए के समग्र पयििेक्षण और मागिदििन में कायि करे गी. िह
पररचालनात्मक हदिाननदे िों के अनब
ु ंध में उल्पलखखत गनतविधधयां करे गी.

ii. पीओपीआई प्रारं शभक तौर पर बड़े पैमाने पर ककफायत के शलए प्रत्ये क एफपीओ के तहत सदस्यता
के शलए कम से कम 50 ककसान जट
ु ाएंगे जैसा कक ककसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन/ पंजीकरण
के शलए प्रस्ताि में पररकल्पपत ककया गया है . पीओपीआई 3 ििि की अिधध में धीरे -धीरे सदस्यों की संख्या
को एफपीओ के व्यिसाय को दीघिकाशलक बनाने हे तु अपेक्षक्षत इटटतम स्तर तक (जैसे 500-1000 सदस्य)
बढ़ाने में सहायता करे गी.

iii. पीओपीआई एफपीओ संिधिन के शलए स्थानीय प्रिासन, राज्य सरकार, नाबार्ि के क्षेत्रीय कायािलय
और आरएसए के साथ परामिि से ललॉकों और गांिों का चयन करे गी.

iv. पीओपीआई यह सुननल्श्चत करे गी कक एफपीओ के संिधिन का कायि नाबार्ि द्िारा जारी पररचालनात्मक
हदिाननदे िों/ कृवि मंत्रालय, भारत सरकार द्िारा जारी प्रकियात्मक हदिाननदे िों के व्यापक उद्देश्यों/ रूपरे खा
के अधीन ककया जाता है .

v. पीओपीआई उतत कायि के शलए अनुभिी और अहिता प्राप्त कशमियों को ननयुतत करे गी, ल्जनका
पयििेक्षण और मागिदििन पीओपीआई के समवपित स्टाफ द्िारा ककया जाएगा.

177
vi. पररयोजना अिधध के दौरान रखे गए सभी कमिचारी पीओपीआई द्िारा अनुबधं धत होंगे तथा उनका
नाबार्ि पर ककसी भी प्रकार का कोई भी दािा नहीं होगा.

vii. पीओपीआई यह सनु नल्श्चत करे गी कक सभी गनतविधधयां िांनछत गुणित्तात्मक प्रदे यों के साथ प्रत्येक
मध्यस्थता के शलए समग्र रूप से अनम
ु ोहदत बजट के अधीन समय पर परू ी की जाती हैं. ककसी भी पररल्स्थनत
में विशभन्न िीिों के बीच ननधधयों के पन
ु ःआबंटन की अनम
ु नत नहीं दी जाएगी. जहां कहीं भी नाबार्ि से
प्राप्त सहायता का उपयोग उन प्रयोजनों के शलए न ककया गया हो ल्जसके शलए उसे मंजरू / जारी ककया गया
हो, और न ही उसका संतोिजनक स्पटटीकरण हदया गया हो, िहां से नाबार्ि अनद
ु ान की संपूणि राशि और
उसपर लगने िाला यहद कोई लयाज हो तो उसकी एकमुश्त मांग करे गा.

viii. पीओपीआई यह सुननल्श्चत करे गी कक ननगिमन के प्रत्येक अनुरोध के साथ चरण पूणि होने की
विस्तत
ृ चरण-िार ररपोटि प्रस्तत
ु की जाती है .

ix. नाबार्ि के हदनांक …………….. के मंजूरी पत्र संख्या ………………. में उल्पलखखत गनतविधध के प्रत्येक चरण
को पूरा करने के पश्चात े् एफपीओ अथिा पीओपीआई को यथाल्स्थनत अनद
ु ान सहायता जारी की जाएगी.

x. पीओपीआई से यह अपेक्षक्षत होगा कक िह पि


ू ि में जारी ननधधयों के संबंध में अनब
ु ंध II के अनस
ु ार
उपयोग प्रमाण पत्र प्रस्तत
ु करे , ताकक द्वितीय ककश्त के शलए ननगिमन प्रस्ताि पर कारि िाई की जा सके.

xi. पीओपीआई प्रत्येक एफपीओ के संबंध में अनुमोहदत सभी मदों के व्ययों के शलए विस्तत
ृ लेखों का
अलग-अलग रखरखाि करे गी तथा सभी मूल िाउचर और रसीदें नाबार्ि और आरएसए द्िारा सत्यापन हे तु
सुरक्षक्षत रखेगी.

xii. पीओपीआई नाबार्ि के क्षेत्रीय कायािलय को परिती माह की 5िीं नतधथ से पहले अनब
ु ंध III के
अनुसार माशसक प्रगनत ररपोटि प्रस्तत
ु करे गी.

xiii. पीओपीआई एक ''पररयोजना अनप्र


ु ितिन सशमनत (पीएमसी)'' का गठन करे गी ल्जसमें पीओपीआई,
आरएसए, नाबार्ि के ल्जला विकास प्रबंधक, अग्रणी ल्जला प्रबंधक, एटीएमए, कृवि विभाग और एफपीओ
(संिधधित की जाने िाली) के बोर्ि के सदस्य होंगे. पीएमसी की बैठक नतमाही में एक बार होगी ल्जसमें प्रगनत
की समीक्षा की जाएगी, पररयोजना के ननटपादन पर मागिदििन हदया जाएगा और पीओपीआई/ एफपीओ को
अनद
ु ान जारी करने हे तु अनि
ु ंसा की जाएगी.

xiv. पीओपीआई द्िारा ऐसी सभी प्रकार की जानकारी या आंकड़े प्रेवित ककए जाएंगे जो नाबार्ि/उसके
प्रनतननधध द्िारा पररयोजना की मॉननटररंग करने के शलए अपेक्षक्षत होंगे. नाबार्ि से पि
ू ािनम
ु नत शलए बबना
पीओपीआई द्िारा ककसी भी ररपोटि / अध्ययन ननटकिों/पररणामों का प्रकािन नहीं ककया जाएगा. इसके साथ
ही, इन ररपोटों/ अध्ययन ननटकिों/पररणामों का परीक्षण, प्रचार आहद के शलए आंतररक उपयोग करने का
अधधकार नाबार्ि के पास सुरक्षक्षत है . इस हे तु इन स्रोतों का उपलेख करना होगा.

xv. पीओपीआई द्िारा पररयोजना के कायािन्ियन चरण का दस्तािेजीकरण ककया जाये और इसे जानकारी/
ररकार्ि हे तु नाबार्ि के क्षेत्रीय कायािलय को यथासमय भेजा जाये.

178
xvi. नाबार्ि से प्राप्त सहायता का उपलेख समुधचत रूप से एफपीओ कायािलय के बाहर सूचनापटाक लगाकर
करना होगा ल्जस पर ''नाबाडध से सहायता प्राप्त पररयोजना'' शलखा होगा और साथ ही प्रशिक्षण कायििमों
का आयोजन करते समय तथा पररयोजना के संबंध में प्रचार सामग्री/दस्तािेजीकरण करते समय भी इस
बात को रे खांककत करना होगा.

xvii. पीओपीआई द्िारा सौंपे गये कायि को ककसी अन्य संस्थान/ प्रनतटठान द्िारा उप-करार नहीं ककया
जाएगा.

xviii. एक ही पररयोजना के अन्य कायों के शलए ककसी दस


ू री एजेंसी से पीओपीआई द्िारा सहायता प्राप्त
करने के मामलों में, नाबार्ि की सहायता राशि को उस सीमा तक कम कर हदया जाएगा. इसके साथ ही,
इस संबंध में नाबार्ि से पूिािनुमनत लेनी होगी.

xix. पीओपीआई द्िारा यह सुननल्श्चत ककया जाए कक अनुदान सहायता मंजूरी की तारीख से 6 माह के
भीतर संबधं धत अधधननयमों के अंतगित एफपीओ का पंजीकरण अिश्य कराया जाएं.

xx. पीओपीआई द्िारा राज्य/केन्र सरकार/अन्य हहतधारकों के ितिमान योजनाओं के हस्तक्षेपों को


एकीकरण करने की संभािनाओं हे तु प्रयास ककया जाएगा और प्रभािी समन्िय के माध्यम से अपेक्षक्षत
सामंजस्य ककया जाएगा.

xxi. उततानुसार िखणित विशिटट ितों के अलािा, नाबार्ि द्िारा आिश्यक समझी जाने िाले ककसी विशिटट
ननयम ि ितों की अनुपालना करनी होगी.

नाबाडध की भूममका

i. ………………. (संख्या) एफपीओ के संिधिन और पोिण हे तु पररयोजना की कुल लागत `…………….. (रुपये
………… मात्र) है . नाबार्ि के क्षेत्रीय कायािलय द्िारा जारी ककए गए मंजूरी पत्र में िखणितानुसार और सहमनत
में हदए गए पररणामों के प्राप्त होने पर और समग्र रूप से प्रदत्त स्िीकृनत में ननधध ननगिमन प्रकिया के
अनुसार नाबार्ि द्िारा ननधधयां जारी की जाएगी. (संदभि मंजूरी पत्र का अनुबध
ं I और III)

ii. नाबार्ि द्िारा विशिटट वििरखणयों के माध्यम से प्रगनत का अनप्र


ु ितिन ककया जाएगा.
पीओपीआई/एफपीओ की खाता बहहयों का ननरीक्षण करने और स्िीकृनत के अंतगित कायों की ल्स्थनत और
हुई प्रगनत से संबंधधत ककसी भी प्रकार की जानकारी/स्पटटीकरण मांगने का विशिटट अधधकार नाबार्ि को
होगा.

iii. जहां तक आिश्यक हो, नाबार्ि द्िारा आरएसए के माध्यम से पीओपीआई की क्षमता ननमािण/प्रशिक्षण
हदया जाएगा.

iv. यहद पीओपीआई उततानुसार िखणित प्रमुख प्रगनत मानदं ड़ों को पूरा करने में विफल रहता है अथिा
वित्तीय अननयशमतताएं/ विश्िास-भंग के मामलों में ककसी भी चरण पर इस करार को समाप्त करने का
अधधकार नाबार्ि के पास सुरक्षक्षत है .

179
v. नाबार्ि का, मंजूरी पत्र की ककसी ननयम ि ितों या इस करार या पररचालनात्मक हदिाननदे िों की
अनप
ु ालना न करने की ल्स्थनत में अनद
ु ान को िावपस मांगने का अधधकार सरु क्षक्षत है .

vi. नाबार्ि वित्तीय सहायता को िावपस मांगने का अधधकार सुरक्षक्षत रखता है :

(क) यहद नाबार्ि को यह लगता है कक वित्तीय सहायता के शलए आिेदन पत्र में दी गई कोई सूचना
झूठी या भ्रामक है ; या
(ख) यहद वित्तीय सहायता ल्जस उद्देश्य के शलए दी गई थी उस के शलए वित्तीय सहायता का प्रयोग
नहीं ककया जाता या दरु
ु पयोग ककया जाता है .
(ग) यहद …………….. / पीओपीआई अनद
ु ान सहहत ऋण या अन्य वित्तीय सहायता के संबंध में नाबार्ि
के साथ की गई व्यिस्था या करार के ननयम ि ितों का पालन करने में असफल होता है; या
(घ) यहद ककसी कारण, नाबार्ि अपने हहतों की सरु क्षा के शलए ल्जसे करना िह उधचत समझे.

8. करार ज्ञापन (एमओए) इसके हस्ताक्षर की तारीख से तुरंत प्रभािी होगा.

9. दोनों पक्षकार सभी वििादों या करार ज्ञापन के संबंध में या इससे जुड़े ककसी पररभावित विधधक
संबंध या उससे उभरे ककसी वििाद को सौहादि पूिि तरीके से ननपटाने का प्रयास करें गे. यहद ककसी एक पक्ष
ने दस
ू रे पक्ष को शलखखत नोहटस हदया हे तो यहद पन्रह हदन (15 हदन) के भीतर सौहादि पण
ू ि तरीके से वििाद
दरू नहीं होता है तो ऐसे विचार विमिि िुरु करने का अनुरोध करे गी, कोई भी पक्षकार शलखखत में यह मांग
कर सकता है कक वििाद को आबबिरेिन एंर् कन्सीशलएिन एतट, 1996 के अनुसार मध्यस्थ द्िारा अंनतम
रूप से ननपटाया जाये. नाबार्ि द्िारा उठाये गये वििाद की ल्स्थनत में उसे ननपटाने के शलए नाबार्ि द्िारा
एकल मध्यस्थ की ननयल्ु तत पीओपीआई द्िारा नाशमत तीन व्यल्ततयों के पैनल में से की जायेगी. इसी
प्रकार पीओपीआई द्िारा उठाये गये वििाद की ल्स्थनत में, उसे ननपटाने के शलए पीओपीआई द्िारा एकल
मध्यस्थ की ननयुल्तत नाबार्ि द्िारा नाशमत तीन व्यल्ततयों के पैनल में से की जायेगी. मध्यस्थता की भािा
अंग्रेजी होगी और मध्यस्थ को धारा प्रिाह अंग्रेजी आनी चाहहए. मध्यस्थ एक ललध प्रनतटठ व्यल्तत और
ननटठािान होना चाहहए और मध्यस्ता का स्थान मंब
ु ई होगा.

10. नाबार्ि को इसी प्रकार का करार ककसी अन्य पीओपीआई / संस्था के साथ करने का अधधकार है .

11. इस करार के तहत हदया जाने िाला कोई नोहटस ककसी पक्षकार को नीचे हदये गये उनके पतों पर
हस्त सुपुदि या पंजीकृत र्ाक से भेजा जायेगा.

नाबार्ि के शलए पीओपीआई के शलए


एतद पक्षकारों की गिाही में उनके हस्ताक्षरों के समक्ष इंधगत तारीख, माह और ििि को यह करार ज्ञापन
ननटपाहदत ककया गया.

हस्ताक्षर: हस्ताक्षर:

नाम : नाम :

पदनाम : पदनाम :

180
राटरीय कृवि और ग्रामीण विकास बैंक पीओपीआई का नाम :

तारीख : तारीख :

साक्षी : साक्षी :

1. 1.

2. 2.

(संबंधधत राज्य के कानन


ू के अनस
ु ार समुधचत रामश का न्यानयक स्टै म्प पेपर)
राष्ट्रीय कृवष और ग्रामीण ववकास बैंक
और
संसाधन सहायक एजेंसी (आरएसए)
के बीच
करार का ज्ञापन

यह करार …………….. में …………….. माह के …………….. िे हदन को

एक पक्षकार के रूप में राष्ट्रीय कृवष और ग्रामीण ववकास बैंक, जो राटरीय कृवि और ग्रामीण विकास बैंक
अधधननयम, 1981 के तहत स्थावपत सांविधधक संस्था है और इसका प्रधान कायािलय सी-24, जी ललॉक,
बान्रा कुलाि काम्प्लेतस, बान्रा (पूि)ि , मुंबई - 400 051 है ल्जसे इसके बाद नाबार्ि कहा जायेगा, इस
अशभव्यल्तत में जब तक संदभि से अन्यथा अशभप्रेत न हो, नाबार्ि के उत्तराधधकारी और समनद
ु े शिती िाशमल
माने जायेंगे
और
दस
ू रे पक्षकार …………….. एक कारपोरे ट ननकाय, सशमनत, साझेदार फमि, गैर सरकारी संगठन/ रस्ट, ……………..
अधधननयम के तहत स्थावपत/ननगशमत/पंजीकृत ल्जसका पंजीकृत कायािलय/मख्
ु यालय (ल्जसे इसके बाद
संसाधन (ररसोसि) सहायक एजेंसी "आरएसए" कहा जायेगा और इस अशभव्यल्तत में , जब तक संदभि से
अन्यथा अशभप्रेत न हो, उसके उत्तराधधकारी और समनद
ु े शिती िाशमल माने जायेंग)े के बीच ननटपाहदत
ककया जायेगा.

यत:
1. नाबार्ि, राटरीय कृवि और ग्रामीण विकास अधधननयम, 1981 की धारा 38 के तहत, अन्य बातों के
साथ-साथ, ग्रामीण बैंककं ग, कृवि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में अध्ययनों, अनुसध
ं ानों, तकनीकी आधथिक
और अन्य सिेक्षण करने सहहत प्रशिक्षण, सूचनाओं के प्रसार और अनुसंधान के संिधिन के शलए सुविधा
प्रदान करने और कृवि और ग्रामीण विकास गनतविधधयों में लगे ककसी व्यल्तत के वित्तीय सहायता प्रदान
करने का प्राधधकृत है .

181
2. नाबार्ि ने कृिक उत्पादक संगठनों के ननमािण ओर संिधिन के उद्देश्य से 'कृषक उत्पादक संगठनों के
मलए योजना' के कायािन्ियन के शलए पररचालनात्मक हदिाननदे ि जारी ककये है (ल्जसे इसके बाद पररचालन
हदिाननदे ि कहा जायेगा) इन हदिाननदे िों की एक प्रनत अनब
ु ंध I के रूप में संलग्न है और इस करार के
अशभन्न अंग के रूप में पढ़ा जाये.

3. …………………… अधधननयम के तहत …………….. , …………….. (कंपनी / सशमनत / साझेदारी फमि / ……………..)
पंजीकृत है और कृिक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के संिधिन में लगी हुई है .

4. "…………….." ने हदनांक …………….. के अपने आिेदन द्िारा नाबार्ि को "संसाधन सहायक एजेंसी" के
रूप में `…………….. (रुपये …………………………………………. मात्र) की एकमुश्त प्रनतफल पर चयननत करने के शलए
आिेदन ककया है .
5. नाबार्ि ने ……………… को उपयत
ु त पाया और ……………….. की संसाधन सहायक एजेंसी या आरएसए के
रूप में उत्पादक संगठन संिधिक संस्था के क्षमता ननमािण के कायािन्ियन और कृिक उत्पादक संगठनों
(एफपीओ) के विकास समग्र पयििेक्षण के शलए चुना है .

6. दोनों पक्षकारों ने ननम्नशलखखत के अनुसार ननयम ि ितों को मानने का ननणिय शलया है :

(I) आरएसए की ववमशष्ट्ट भमू मका


i. करार ज्ञापन ननटपाहदत करते ही आरएसए को नाबार्ि के क्षेत्रीय कायािलय को कैलेण्र्र ििि के शलए
विस्तत
ृ गनतविधध-िार कायियोजना प्रस्तत
ु करनी होगी ल्जसमें अन्य बातों के साथ पीओपीआई, एफपीओ के
शलए संचाशलत ककये जाने िाले प्रशिक्षण / क्षमता ननमािण कायििमों की संख्या, प्रशिक्षण का प्रकार और
अिधध और योजना के सफल कायािन्ियन के शलए अपेक्षक्षत अन्य सहायक गनतविधधयों की जानकारी दे गा.

ii. संसाधन सहायक एजेन्सी उत्पादक संगठन संिधिक संस्थाओं (पीओपीआई) के क्षमता ननमािण
कायििम की डर्जाइन और आयोजन करे गी, उन्हें आिश्यक प्रशिक्षण दे ने और राज्य में ककसान उत्पादक
संगठनों का संिधिन करने के शलए लगातार सहायता प्रदान करने के कायि में िाशमल रहें गी. आरएसए
पीओपीआई के साथ संयुतत रूप से एफपीओ ननदे िकों, अग्रणी ककसानों, एफपीओ के सीईओ के शलए
आिश्यकतानुसार प्रशिक्षण और क्षमता ननमािण करे गी.

iii. आरएसए से यह अपेक्षक्षत होगा कक िे इस योजना के समग्र कायािन्ियन का मागिदििन करें / उसकी
दे खरे ख करें तथा एफपीओ के शलए आिश्यक मप
ू य संिधिन, विपणन, भंर्ारण और अन्य सेिाएं उपललध
कराने में सहायता करें .

iv. आरएसए नाबार्ि के समग्र पयििेक्षण और मागिदििन के अधीन कायि करे गी और मागिननदे िों के
अनस
ु ार समह
ू दृल्टटकोण से विशभन्न प्रशिक्षण कायििम संचाशलत करे गी. आरएसए द्िारा संचाशलत विशभन्न
प्रशिक्षण / क्षमता ननमािण कायििमों के शलए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के शलए नाबार्ि से पूिि अनुमोदन
लेना अपेक्षक्षत होगा.

182
II. नाबाडध की भमू मका
i. नाबार्ि विशिटट वििरखणयों के माध्यम से प्रगनत की समीक्षा करे गा. उसके पास आरएसए की
लेखाबहहयों का ननरीक्षण करने तथा योजना की ल्स्थनत और प्रगनत के संबध
ं में ककसी भी प्रकार की सच
ू ना/
स्पटटीकरण मांगने का अनन्य अधधकार होगा.

ii. नाबार्ि के पास इस करार को ककसी भी चरण में समाप्त करने का अधधकार होगा, यहद आरएसए
कायिननटपादन की न्यन
ू तम अपेक्षाओं को पूरा करने में असफल रहती है अथिा वित्तीय अननयशमतताओं/
विश्िास-भंग की ल्स्थनत आती है .

iii. नाबार्ि वित्तीय सहायता को िावपस मांगने का अधधकार सुरक्षक्षत रखता है :

(क) यहद नाबार्ि को यह लगता है कक वित्तीय सहायता के शलए आिेदन पत्र में दी गई कोई सच
ू ना
झूठी या भ्रामक है ; या
(ख) यहद वित्तीय सहायता ल्जस उद्देश्य के शलए दी गई थी उस के शलए वित्तीय सहायता का प्रयोग
नहीं ककया जाता या दरु
ु पयोग ककया जाता है .
(ग) यहद …………….. / आरएसए अनद
ु ान सहहत ऋण या अन्य वित्तीय सहायता के संबंध में नाबार्ि
के साथ की गई व्यिस्था या करार के ननयम ि ितों का पालन करने में असफल होता है; या
(घ) यहद ककसी कारण, नाबार्ि अपने हहतों की सुरक्षा के शलए ल्जसे करना िह उधचत समझे.

7. करार ज्ञापन (एमओए) इसके हस्ताक्षर की तारीख से तुरंत प्रभािी होगा.

8. दोनों पक्षकार सभी वििादों या करार ज्ञापन के संबंध में या इससे जड़


ु े ककसी पररभावित विधधक
संबंध या उससे उभरे ककसी वििाद को सौहादि पूिि तरीके से ननपटाने का प्रयास करें गे. यहद ककसी एक पक्ष
ने दस
ू रे पक्ष को शलखखत नोहटस हदया हे तो यहद पन्रह हदन (15 हदन) के भीतर सौहादि पूणि तरीके से वििाद
दरू नहीं होता है तो ऐसे विचार विमिि िुरु करने का अनुरोध करे गी, कोई भी पक्षकार शलखखत में यह मांग
कर सकता है कक वििाद को आबबिरेिन एंर् कन्सीशलएिन एतट, 1996 के अनस
ु ार मध्यस्थ द्िारा अंनतम
रूप से ननपटाया जाये. नाबार्ि द्िारा उठाये गये वििाद की ल्स्थनत में उसे ननपटाने के शलए नाबार्ि द्िारा
एकल मध्यस्थ की ननयल्ु तत पीओपीआई द्िारा नाशमत तीन व्यल्ततयों के पैनल में से की जायेगी. इसी
प्रकार पीओपीआई द्िारा उठाये गये वििाद की ल्स्थनत में, उसे ननपटाने के शलए पीओपीआई द्िारा एकल
मध्यस्थ की ननयल्ु तत नाबार्ि द्िारा नाशमत तीन व्यल्ततयों के पैनल में से की जायेगी. मध्यस्थता की भािा
अंग्रेजी होगी और मध्यस्थ को धारा प्रिाह अंग्रेजी आनी चाहहए. मध्यस्थ एक ललध प्रनतटठ व्यल्तत और
ननटठािान होना चाहहए और मध्यस्ता का स्थान मुंबई होगा.

9. नाबार्ि को इसी प्रकार का करार ककसी अन्य आरएसए / संस्था के साथ करने का अधधकार है .

10. इस करार के तहत हदया जाने िाला कोई नोहटस ककसी पक्षकार को नीचे हदये गये उनके पतों पर
हस्त सप
ु द
ु ि या पंजीकृत र्ाक से भेजा जायेगा.

नाबार्ि के शलए पीओपीआई के शलए

183
एतद पक्षकारों की गिाही में उनके हस्ताक्षरों के समक्ष इंधगत तारीख, माह और ििि को यह करार ज्ञापन
ननटपाहदत ककया गया.

हस्ताक्षर: हस्ताक्षर:

नाम : नाम :

पदनाम : पदनाम :

राटरीय कृवि और ग्रामीण विकास बैंक : आरएसए का नाम :

तारीख : तारीख :

साक्षी : साक्षी :

1. 1.

2. 2.

184
संलग्नक 7 – संक्षक्षप्त नाम

संक्षक्षप्त नाम परू ा नाम


एए संगम अनच्
ु छे द
एजीएम िावििक आम सभा
एओए संगम अनच्
ु छे द
एपीईर्ीए कृवि एिं संसाधधत खाद्य उत्पाद ननयाित विकास प्राधधकरण
एआरर्ीबी कृवि ग्रामीण विकास बैंक
एएसए सामाल्जक उन्ननत के शलए कारि िाई
बीसी बबजनेस करे सपांर्न्े ट
बीईपी लाभ-अलाभ बबंद ु
बीआईआरर्ी बैंकसि ग्रामीण विकास संस्थान
बीआईएस भारतीय मानक लयरू ो
बीओर्ी ननदे िक मण्र्ल
सीए सनदी लेखाकार
सीईओ मख्
ु य कायिपालक अधधकारी
सीएफ़टीआरआई केंरीय खाद्य प्रौद्योधगकी अनस
ु ध
ं ान संस्थान
सीजीएफ़ ऋण गारं टी ननधध
सीओबी कारोबार प्रारम्भ
सीओसी प्रारम्भ प्रमाणपत्र
सीओआई ननगमन प्रमाणपत्र
र्ीर्ीएम ल्जला विकास प्रबन्धक
र्ीईर्ीएस र्ेयरी उद्यमी विकास योजना
र्ीआईएन ननदे िक पहचान संख्या
र्ीपीआर विस्तत
ृ पररयोजना प्रनतिेदन
र्ीएससी डर्ल्जटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र
र्ीएससीआर ऋण-सेिा किरे ज अनप
ु ात
ईजीसीजीएफ़एस इल्तिटी अनद
ु ान एिं ऋण गारं टी ननधध योजना
ईजीएससी इल्तिटी अनद
ु ान स्िीकृनत सशमनत
ईएलआई पात्र ऋण वितरण संस्था
एफ़सी ककसान तलब
एफ़सीएफ़ ककसान तलब संघ
एफ़सीआरए विदे ि अंिदान (विननयमन) अधधननयम 2010
एफ़आईजी ककसान हहत समह

एफ़पीसी ककसान उत्पादक कंपनी
एफ़पीओ ककसान उत्पादक संगठन
एफ़पीओ माकि फलोत्पाद ऑर्िर माकि

185
एफ़एस कृवि क्षेत्र
एफ़एसपीएफ़ कृवि क्षेत्र संिधिन ननधध
एफ़एसएस एतट खाद्य सरु क्षा मानक अधधननयम
एफ़एसएसएआई भारतीय खाद्य सरु क्षा एिं मानक प्राधधकरण
एफ़िाई वित्त ििि
जीएपी अच्छी कृवि पिनतयााँ
जीबी आम सभा
जीपी ग्राम पंचायत
एचए हे तटे यर
एचएसीसीपी जोखख़म विश्लेिण महत्िपण
ू ि ननयंत्रण बबन्द ु
आई एंर् सीएससी ननिेि एिं दािा ननपटान सशमनत
आईएपी समल्न्ित कायि ओजना
आईसीएआर भारतीय कृवि अनस
ु ध
ं ान पररिद
आईईएम औद्योधगक उद्यशमयों का ज्ञापन
आईएफ़एफ़र्ीसी भारतीय कृवि िन विकास कोआपरे हटि शलशमटे र्
आईआरआर आंतररक प्रनतफल दर
आईटी आय कर
आईयस
ू ीएन अंतरािटरीय प्रकृनत संरक्षण संघ
जेएलजी संयत
ु त दे यता समह

केिीके कृवि विज्ञान केंर
एमए संगम ज्ञापन
एमसीए कंपनी मामलों के मंत्रालय
एमजीएनआरईजीएस महात्मा गांधी राटरीय ग्रामीण रोजगार गारं टी योजना
एमओए संगम ज्ञापन
एमएससी बहु सेिा केंर
एमएसपी न्यन
ू तम समथिन मप
ू य
एमटी मैहरक टन
नाबार्ि राटरीय कृवि और ग्रामीण विकास बैंक
एनएबीएल परीक्षण और अंिांकन प्रयोगिालाओं के शलए राटरीय प्रत्यायन बोर्ि
एनसीर्ीसी राटरीय सहकारी विकास कॉपोरे िन
एनईर्ीएफ़आई उत्तर पि
ू ी विकास वित्त कॉपोरे िन शलशमटे र्
एनएफ़एस कृिीतर क्षेत्र
एनजीओ गैर सरकारी संगठन
एनएचएम राटरीय बागबानी शमिन
एनपीए गैर ननटपादक आल्स्त
एनआरएचएम राटरीय ग्रामीण स्िास््य शमिन

186
एनआरएलएम राटरीय ग्रामीण आजीविका शमिन
ओएफ़एस कृवितर क्षेत्र
पी एंर् एल अकाउं ट लाभ-हानन खाता
पीएसीएस प्राथशमक कृवि ऋण सशमनतयां
पैन स्थायी खाता संख्या
पीएटी अनम
ु ाननत सालाना कारोबार
पीसी उत्पादक कंपनी
पीओ उत्पादक संगठन
पीओपीआई उत्पादक संगठन संिधिक संस्था
पीएसयू साििजननक क्षेत्र के उपिम
तयट
ू ीएल ल्तिंटल
आर एंर् र्ी अनस
ु ध
ं ान एिं विकास
आरबीआई भारतीय ररििि बैंक
आरओ क्षेत्रीय कायािलय
आरओसी कंपननयों का पंजीयक
एसबीआई भारतीय स्टे ट बैंक
एसएफ़एसी लघु कृिक की कृवि व्यिसाय संघ
एसएचजी स्ियं सहायता समह

एसएसए सिि शिक्षा अशभयान
टीएएन कर कटौती खाता संख्या
िीर्बपयर्
ू ीसी ग्राम िाटरिेर् विकास सशमनत

187

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