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अर्थव्यवस्र्ा (Economy)
ववषय-सूची
1. संववृ ि और ववकास (Growth and Development) _____ 4 5.5. वनवेशक सेवा कोष और वनवेशक सुरक्षा कोष _______ 38
1.1. भारत में सकल घरे लू उत्पाद (GDP) का अनुमान _____ 4 5.6. सोशल स्टॉक एक्सचेंज _______________________ 40
1.2. राष्ट्रीय बहुआयामी वनर्थनता सूचकांक - अद्यतन ______ 5 6. बाह्य क्षेत्रक (External Sector) __________________ 42
1.3. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण __________________________ 7 6.1. भारत में वववनमय दर प्रबंर्न __________________ 42
1.4. स्वयं-सहायता समूह __________________________ 8 6.2. ववदेश व्यापार नीवत 2023 ___________________ 43
1.4.1. स्वयं-सहायता समूह बैंक ललंकेज (SHG-BL) 6.2.1. व्यापार सुववर्ा और व्यापार सुगमता, FTP 2023 44
पररयोजना __________________________________ 9 6.2.2. ववदेश व्यापार नीवत-2023 के तहत वनयाथत को बढ़ावा
2. राजकोषीय नीवत (Fiscal Policy) _________________ 11 देने के वलए शुरू की गई पहलें ____________________ 45
2.1. राज्य ववत्त _______________________________ 11 6.2.3. ववदेश व्यापार नीवत-2023 के तहत शुरू की गई अन्य
2.1.1. राज्यों का पूज
ं ीगत व्यय ___________________ 11 पहलें _____________________________________ 46
2.2. सावथजवनक ऋण ___________________________ 12 6.3. भारत के मुक्त व्यापार समझौते _________________ 48
2.2.1. बजटेतर उर्ाररयां ______________________ 14 6.4. वैविक ट्रेर् बैररयसथ _________________________ 49
2.3. चालू खाता घाटा ___________________________ 14 6.5. ववि व्यापार संगठन ________________________ 51
2.4. ददनांदकत प्रवतभूवतयां ________________________ 15 6.6. वव-र्ॉलरीकरण ___________________________ 52
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
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8. खनन और उद्योग (Mining and Industry) ___________ 75 11.1.2. ववद्युत क्षेत्रक में शुरू की गई अन्य पहलें _____ 107
8.1. खान और खवनज (ववकास और वववनयमन) संशोर्न ववर्ेयक, 11.1.2.1. ववद्युत क्षेत्रक में सुर्ार के वलए राज्यों को
2023 ______________________________________ 75 ववत्तीय प्रोत्साहन _________________________ 107
8.2. महत्वपूणथ खवनज ___________________________ 76 11.1.2.2. माके ट कपललंग ___________________ 107
8.3. अपतटीय क्षेत्र खवनज (ववकास और वववनयमन) संशोर्न 11.1.2.3. ववद्युत (उपभोक्ताओं के अवर्कार) संशोर्न
अवर्वनयम, 2023______________________________ 77 वनयम, 2023 ____________________________ 108
8.4. नेशनल वजयोसाइं स र्ेटा ररपोवजटरी पोटथल_________ 78 11.1.2.4. हाई प्राइस र्े अहेर् माके ट एंर् सरप्लस पावर
8.5. ववशेष आर्र्थक क्षेत्र __________________________ 78 पोटथल _________________________________ 108
8.6. उत्पादन-से-संबि प्रोत्साहन (PLI) योजना _________ 80 11.2. राष्ट्रीय गैस वग्रर् _________________________ 108
8.6.1. आई.टी. हार्थवेयर के वलए उत्पादन से संबि प्रोत्साहन 12. व्यवसाय, नवाचार और उद्यमशीलता (Business,
2.0 (PLI 2.0) योजना (PLI 2.0 for IT Hardware Innovation and Entrepreneurship) ______________ 110
Scheme) _________________________________ 81 12.1. कॉपोरे ट सामावजक उत्तरदावयत्व______________ 110
8.7. भारत में सेमीकं र्क्टर उद्योग __________________ 81 12.1.1. अंतराथष्ट्रीय ववत्तीय सेवा कें ि (IFSC) पर भारतीय
8.8. राष्ट्रीय फामेसी आयोग ववर्ेयक, 2023 ___________ 82 कं पवनयां _________________________________ 111
8.9. राष्ट्रीय वचदकत्सा उपकरण नीवत, 2023 ___________ 83 12.2. प्रवतस्पर्ाथ (संशोर्न) अवर्वनयम, 2023 ________ 112
9. अवसंरचना (Infrastructure) ____________________ 86 12.3. जन वविास (प्रावर्ानों का संशोर्न) ववर्ेयक, 2023114
9.1. वर्वजटल पवललक इं फ्रास्ट्रक्चर __________________ 86 12.4. ट्रांसफर प्राइलसंग_________________________ 114
9.2. राष्ट्रीय लॉवजवस्टक्स नीवत _____________________ 87 12.5. वैविक नवाचार सूचकांक (GII) 2023 _________ 115
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9.2.1. लीड्स ररपोटथ 2023 _____________________ 88 12.6. भारत में स्टाटथ-अप्स ______________________ 116
9.3. पी.एम. गवत शवक्त पहल______________________ 89 12.7. भारतीय मानक लयूरो _____________________ 117
9.4. समर्पथत माल ढु लाई गवलयारा __________________ 90
9.5. रीजनल रै वपर् ट्रांवजट वसस्टम (RRTS) पररयोजना___ 92
9.5.1. कोवि वाटर मेट्रो _______________________ 92
9.6. नेशनल कॉमन मोवबवलटी कार्थ _________________ 93
9.7. मैरीटाइम अमृत काल ववजन 2047 ______________ 94
9.7.1. हररत पत्तन ददशा-वनदेश 2023 _____________ 95
9.8. भारत में रेलवे सुरक्षा ________________________ 95
9.9. भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम _________________ 97
9.10. भारत में महापत्तन की कायथ-प्रणाली_____________ 98
10. सेवा क्षेत्रक (Services) _______________________ 101
10.1. बीमा क्षेत्रक ____________________________ 101
10.1.1. भारतीय बीमा वववनयामक और ववकास प्रावर्करण
________________________________________ 102
10.2. वचदकत्सा और आरोग्य/ कल्याण पयथटन _________ 102
10.3. ओपन नेटवकथ फॉर वर्वजटल कॉमसथ ____________ 103
11. ऊजाथ क्षेत्रक (Energy) ________________________ 105
11.1. राष्ट्रीय ववद्युत योजना______________________ 105
11.1.1. अंतराथज्यीय पारेषण प्रणाली (ISTS) शुल्क ___ 106
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2014-15 में GDP की गणना के तरीके में बदलाव दकए गए
• 2015 में, कें िीय सांवययकी कायाथलय (CSO) ने राष्ट्रीय लेखा सांवययकी की नई श्रृख
ं ला की शुरुआत की।
• GDP गणना का आर्ार वषथ पहले 2004-05 र्ा, वजसे संशोवर्त करके 2011-12 कर ददया गया।
o अर्थव्यवस्र्ा में हो रहे संरचनात्मक पररवतथनों को ध्यान में रखने और अर्थव्यवस्र्ा की सही वस्र्वत को दशाथने के वलए आर्ार वषथ को समय-समय
पर संशोवर्त दकया जाता है।
• नई श्रृंखला में राष्ट्रीय लेखा प्रणाली, 20083 की नवीनतम वसफाररशों तर्ा राष्ट्रीय खातों के संकलन पर अंतराथष्ट्रीय ददशा-वनदेशों को शावमल दकया गया
है।
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नीवत आयोग ने “2005-06 से भारत में बहुआयामी गरीबी4” नाम से एक वर्स्कशन पेपर जारी दकया है। बहुआयामी गरीबी का आकलन करने के वलए
इसमें राष्ट्रीय MPI का उपयोग दकया गया है।
• पॉवटी हेर् काउं ट रे श्यो (Poverty Headcount Ratio: HCR) में भारी वगरावट दजथ की गई है। यह 2013-14 के 29.17% से घटकर 2022-23
में 11.28% हो गया है।
o वपछले 9 वषों में 24.82 करोड़ भारतीय बहुआयामी गरीबी से बाहर आए हैं।
o गरीबी की गहनता में भी कमी आ रही है, वजससे पता चलता है दक वंवचत आबादी के बीच अभाव का स्तर कम हो रहा है।
o गरीबी के सकल अनुपात में वगरावट का स्तर 2005-06 से 2015-16 की तुलना में 2015-16 से 2019-21 के बीच अवर्क तीव्र रही र्ी।
• उत्तर प्रदेश, वबहार, मध्य प्रदेश, ओवर्शा, और राजस्र्ान राज्यों में बहुआयामी गरीबी में तेजी से वगरावट दजथ की गई है।
• सभी 12 बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) संकेतक सुर्ार के महत्वपूणथ संकेत दशाथ रहे हैं।
o अभाव का सबसे अवर्क स्तर- खाना पकाने के ईंर्न और आवास संबर्
ं ी संकेतकों में है।
o अभाव का सबसे कम स्तर- बाल एवं दकशोर मृत्यु दर, वबजली और बैंक खाते के संकेतकों में है।
• यह संभावना व्यक्त की गई है दक भारत सतत ववकास लक्ष्य (SDG)-1.2 को 2030 से काफी पहले हावसल कर सकता है। SDG 1.2 में बहुआयामी
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• राष्ट्रीय MPI मॉर्ल में वैविक MPI मॉर्ल के 10 मूल संकेतकों का उपयोग दकया गया है। हालांदक, इनके अलावा इसमें दो अन्य संकेतक, मातृ स्वास््य
और बैंक खाता जोड़े गए हैं।
आयाम 12 संकेतक (भारांश) कोई पररवार वंवचत माना जाएगा, यदद-
मातृ स्वास््य (1/12) • सवे की तारीख से पांच साल पहले की अववर् में कोई मवहला वजसने बिे को जन्म ददया हो और उसने
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कम-से-कम चार प्रसवपूवथ देखभाल6 प्राि न की हो।
वशक्षा (1/3) स्कू ली वशक्षा के वषथ • पररवार का 10 वषथ या उससे अवर्क आयु का एक भी सदस्य 6 वषथ की स्कू ली वशक्षा पूरी नहीं कर
(1/6) पाया हो।
स्कू ल अटेंर्ेंस (1/6) • स्कू ल जाने योग्य एक भी बिा उस उम्र तक स्कू ल नहीं जा पाया हो जब तक उसे कक्षा 8 में होना
चावहए।
जीवन स्तर कु ककं ग फ्यूल (1/21) • पररवार गोबर, कृ वषगत फसलों, झावड़यों, लकड़ी, चारकोल या कोयले से भोजन पकाता हो।
(1/3)
सैवनटेशन (1/21) • पररवार के पास सार्ारण या कोई भी सैवनटेशन सुववर्ा नहीं हो, या उसके पास बेहतर सुववर्ा तो है
लेदकन वह अन्य पररवारों के सार् साझा करता है।
पेयजल (1/21) • पररवार के पास पेयजल की बेहतर सुववर्ा नहीं है या पेयजल की अच्छी व्यवस्र्ा घर से कम-से-कम
30 वमनट की दूरी पर है।
आवास (1/21) • पररवार के पास उपयुक्त आवास नहीं हो अर्ाथत् फशथ, प्राकृ वतक सामवग्रयों से बनाई गई हो और/ या
छत या दीवारें वमट्टी या लकड़ी की हैं।
पररसंपवत्त (1/21) • पररवार के पास वनम्नवलवखत में से एक से अवर्क संपवत्त नहीं हैः रे वर्यो, टेलीववजन, टे लीफोन, कं प्यूटर,
बैलगाड़ी, साइदकल, मोटरसाइदकल या रे दफ्रजेरेटर और कार या ट्रक।
बैंक खाता (1/21) • पररवार के दकसी भी सदस्य के पास बैंक खाता या र्ाकघर खाता नहीं है।
(*नोट: प्रवत व्यवक्त आय, साक्षरता दर और जीवन प्रत्याशा को MPI संकेतक के रूप में शावमल नहीं दकया जाता है।)
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• MPI वस्तुतः 110 देशों में 10 संकेतकों के आर्ार पर अभावों (Deprivations) को ट्रैक करता है।
o 110 देशों में 6.6 अरब आबादी में से 1.1 वबवलयन लोग बहुआयामी वनर्थन की श्रेणी में शावमल हैं।
• कु ल वनर्थन लोगों में से लगभग दो-वतहाई (73 करोड़) लोग मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं और कम आय वाले देशों में MPI का के वल 10%
• नोर्ल एजेंसी: DBT वमशन और उससे संबंवर्त मामलों को मंवत्रमंर्ल सवचवालय में सवचव (समन्वय और लोक वशकायत) के अर्ीन रखा गया है।
लोगों को र्न का भुगतान लोक ववत्त प्रबंर्न प्रणाली (PFMS)8 के माध्यम से दकया जाता है।
o चूंदक, आर्ार एक वववशि पहचान प्रदान करता है और इवच्छत लाभार्र्थयों को लवक्षत करने में उपयोगी है , इसवलए आर्ार को प्रार्वमकता दी
जाती है तर्ा लाभार्र्थयों को आर्ार रखने के वलए प्रोत्सावहत दकया जाता है।
• JAM (जन-र्न, आर्ार और मोबाइल) रट्रवनटी: JAM त्रयी की सहायता से लाभ अंतरण में ररसाव की समस्या समाि हो गई है, लवक्षत लोगों तक
योजना का लाभ पहुंचने लगा है। सार् ही, इससे नकदी रवहत और समयबि ढंग से लाभ का हस्तांतरण संभव हो पाया है।
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• वबजनेस कॉरे स्पॉन्र्ेंट्स (BC) इं फ्रास्ट्रक्चर: वबजनेस कॉरे स्पॉन्र्ेंट्स यह सुवनवित करते हैं दक लाभार्र्थयों को समय पर, उनके घर पर ही और पूरा
पैसा ट्रांसफर दकया जाए।
• भुगतान बैंक: इसके चलते देश के दूर-दराज के इलाकों में ववत्तीय सेवाओं के ववस्तार में वृवि हुई है।
• मोबाइल मनी: पहचान के वलए आर्ार का उपयोग करके मोबाइल प्लेटफॉमथ पर कै शलेस लेन-देन हेतु एक व्यापक इकोवसस्टम ववकवसत करना।
हाल ही में, सरकार द्वारा घोषणा की गई दक ‘लखपवत दीदी’ योजना के तहत 2 करोड़ मवहलाओं को कौशल प्रवशक्षण प्रदान दकया जाएगा। इस योजना का
उद्देश्य मवहलाओं को सूक्ष्म-उद्यम (Micro-enterprises) शुरू करने के वलए प्रोत्सावहत करना है।
• उद्देश्य: ग्रामीण SHG से जुड़ी मवहलाओं को प्रवत वषथ कम-से-कम 1 लाख रुपये कमाने में सक्षम बनाना।
• दृविकोण: यह पहल मवहलाओं के नेतत्ृ व वाले ववकास दृविकोण पर आर्ाररत है।
• शावमल की गई गवतवववर्यां: मवहलाओं को प्लंलबंग, LED बल्ब बनाने तर्ा ड्रोन के संचालन और उसकी मरम्मत करने जैसे कौशल प्रदान दकए जाएंगे।
• SHG गांव-आर्ाररत अनौपचाररक ववत्तीय मध्यवती सवमवत होती है। यह आमतौर पर 10-20 स्र्ानीय मवहलाओं से वमलकर बनी होती है।
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• यह प्रकृ वत में स्वैवच्छक होती है।
• आर्र्थक सवेक्षण 2022-23 के अनुसार, भारत में लगभग 12 वमवलयन SHGs कायथरत हैं। इनमें से 88 प्रवतशत SHGs की सभी सदस्य मवहलाएं हैं।
• भारत में SHG की सफलता के कु छ उदाहरणों में- के रल में कु दुम्बश्री, वबहार में जीववका, महाराष्ट्र में मवहला आर्र्थक ववकास महामंर्ल, लद्दाख में लूम्स
आदद शावमल हैं।
• सामूवहक वजम्मेदारी: दकसी SHG में, समूह के सभी सदस्य दकसी एक सदस्य द्वारा वलए गए ऋण की वजम्मेदारी लेते हैं।
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1.4.1. स्वयं - सहायता समू ह बैं क ललं के ज (SHG-BL) पररयोजना {Self Help Group Bank Linkages (SHG -
BL) Project}
सुर्ख़थयों में क्यों?
कें िीय ग्रामीण ववकास मंत्रालय के अनुसार, SHG-BL प्रोग्राम के तहत ववत्त वषथ 2013-14 से नवंबर, 2023 तक SHGs को लगभग 7.68 लाख करोड़
रुपये का बैंक ऋण ददया जा चुका है।
SHG बैंक ललंकेज (SHG-BL) पररयोजना के बारे में
• SHG-BL बचत आर्ाररत सूक्ष्म-ववत्त का एक मॉर्ल है। इसकी शुरुआत 1992 में नाबार्थ (NABARD)9 ने की र्ी।
o इस कायथक्रम के तहत, बैंकों को स्वयं-सहायता समूहों (SHGs) के वलए ररयायती लयाज दर पर ऋण देने व बचत खाते खोलने हेतु अवर्कृ त दकया
गया र्ा।
• SHG-BL के घटक
o सदस्यों को प्रवशवक्षत करना और बैंक शाखा-प्रबंर्कों के सार् समन्वय।
o ग्रामीण बैंक शाखाओं में बैंक सवखयों का प्रवशक्षण और पदस्र्ापन।
o ग्रामीण बैंक शाखाओं में “समुदाय आर्ाररत पुनभुथगतान तंत्र” (CBRM)10 आरं भ करना।
o SHGs का क्रेवर्ट ललंकेज यानी बैंकों से ऋण वमलना।
9 National Bank for Agriculture and Rural Development/ राष्ट्रीय कृ वष और ग्रामीण ववकास बैंक
10 Community Based Repayment Mechanism
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हाल ही में, भारतीय ररजवथ बैंक ने ‘राज्य ववत्त: 2023-24 के बजट का अध्ययन13’ शीषथक से एक वार्षथक ररपोटथ जारी की है। इस ररपोटथ की र्ीम है-
‘भारतीय राज्यों की राजस्व र्ायनावमक्स और राजकोषीय क्षमता14’।
• बजटीय अनुमान के अनुसार, 2023-24 में पूंजीगत पररव्यय में 42.6% की वृवि होगी। यह GDP के 2.9 प्रवतशत के बराबर है।
• राज्यों का ऋण-GDP अनुपात माचथ 2023 के अंत तक कम होकर 27.5% रह गया। माचथ 2021 के अंत में यह 31% र्ा। राजस्व सुर्ारों यानी
राजस्व संग्रह और राजस्व व्यय में सुर्ारों ने इस कमी में मुयय भूवमका वनभाई है।
• ‘सकल घरे लू उत्पाद’ (GDP) की तुलना में राज्यों के ‘सकल राजकोषीय घाटा’ (GFD) अनुपात में वगरावट आई है। यह अनुपात 2020-21 में 4.1%
र्ा, जो कम होकर 2021-22 में 2.8% हो गया। इस वगरावट की मुयय वजहें हैं- राजस्व व्यय में कमी तर्ा राजस्व संग्रह में वृवि।
• कर संग्रह में उछाल (Tax Buoyancy): वस्तु एवं सेवा कर (GST) के लागू होने से राज्यों के कर उछाल में वृवि हुई है।
o राष्ट्रीय आय में वृवि के अनुपात में कर संग्रह में वृवि को टैक्स बोयेंसी (कर उछाल) कहते हैं।
▪ टैक्स बोयेंसी के 1 से अवर्क होने से आशय है- राष्ट्रीय आय में वृवि की तुलना में कर राजस्व अवर्क तीव्र दर से बढ़ रही है।
• कें ि और राज्यों का संयुक्त “ऋण-GDP अनुपात” 2023 तक कम करके 60 प्रवतशत दकया जाना चावहए। इसमें कें ि के वलए 40 प्रवतशत और राज्यों
के वलए 20% की सीमा वनर्ाथररत र्ी।
• सवमवत ने ‘एस्के प क्लॉज’ का प्रावर्ान करने का भी सुझाव ददया र्ा। इसके तहत राष्ट्रीय सुरक्षा, युि, आपदा जैसी ववशेष पररवस्र्वतयों में
राजकोषीय लक्ष्यों (राजकोषीय घाटा, राजस्व घाटा संबंर्ी) में छू ट दी जा सकती है।
हाल ही में, कें िीय ववत्त मंत्रालय के व्यय ववभाग ने चालू ववत्त वषथ में 16 राज्यों में 56,415 करोड़ रुपये के पूज
ं ीगत वनवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी है। यह
मंजूरी “पूंजीगत वनवेश के वलए राज्यों को ववशेष सहायता15, 2023-24” योजना के तहत दी गई है।
पूज
ं ीगत वनवेश के वलए राज्यों को ववशेष सहायता (2023-24) योजना के बारे में
• योजना की शुरुआत: इस तरह की योजना पहली बार ववत्त मंत्रालय ने 2020-21 में कोववर्-19 महामारी के दौरान शुरू की र्ी।
• उद्देश्य:
o राज्यों द्वारा पूज
ं ीगत व्यय को बढ़ावा देना,
o सार् ही, इसका उद्देश्य पूंजीगत व्यय के उि गुणक प्रभाव (Multiplier effect) को प्राि करना है।
• सहायता: इस योजना के तहत राज्य सरकारों को 50 वषथ के वलए लयाज मुक्त ऋण के रूप में ववशेष सहायता प्रदान की जा रही है।
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• योजना के भाग: इस योजना के आठ भाग हैं। भाग-I के तहत सवाथवर्क यावन एक लाख करोड़ रुपये का आवंटन दकया गया है। योजना के अन्य भाग या
तो सुर्ारों से जुड़े हैं या क्षेत्रक-वववशि पररयोजनाओं से संबंवर्त हैं।
o भाग-I के तहत राज्यों को कें िीय करों और शुल्कों में उनकी वहस्सेदारी के अनुपात में रावश आवंरटत की गई है। यह आवंटन 15वें ववत्त आयोग की
वसफाररशों के अनुसार दकया गया है।
• उितर सवलसर्ी व्यय: राज्यों के पूंजीगत व्यय में ववत्त वषथ 2022 में 29% की वृवि हुई र्ी, जबदक ववत्त वषथ 2023 में वृवि सामान्य या सपाट रही
है।
o ववत्त वषथ 2023 में पूंजीगत व्यय में कमी आने के बावजूद
सवलसर्ी पर राज्यों का खचथ तेज गवत से बढ़ा है।
o कै पेक्स को पूज
ं ीगत व्यय के रूप में भी जाना जाता है। यह
सरकारी खचथ का ऐसा वहस्सा है जो स्कू लों, कॉलेजों,
अस्पतालों, सड़कों, पुलों, बांर्ों, रे लवे लाइनों, हवाई अड्डों
और बंदरगाहों जैसी पररसंपवत्तयों के वनमाथण में व्यय होता
है।
• पूज
ं ीगत व्यय का लक्ष्य: बैंक ऑफ बड़ौदा के एक अध्ययन के
अनुसार, 25 राज्यों ने ववत्त वषथ 2023 में समग्र रूप से अपने
पूज
ं ीगत व्यय के वनर्ाथररत लक्ष्य का 76% हावसल कर वलया है।
• पूज
ं ीगत पररव्यय-GDP अनुपात16: राज्यों का पूंजीगत पररव्यय-
GDP अनुपात 2021-22 के 2.3% से बढ़कर 2022-23 में
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2.9% होने की उम्मीद है।
पूज
ं ीगत व्यय हेतु राज्यों को प्रोत्साहन देने के वलए उपाय
हाल ही में, अंतराथष्ट्रीय मुिा कोष (IMF)17 ने अपनी एनुअल आर्टथकल IV कं सल्टेशन ररपोटथ जारी की है। इस ररपोटथ के अनुसार, सामान्य सरकारी स्तर पर
भारत का सावथजवनक ऋण-GDP अनुपात वषथ 2005-06 के 81% से बढ़कर वषथ 2021-22 में 84% हो गया। हालांदक, यह वषथ 2022-23 में पुनः 81%
हो गया।
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• IMF के आर्टथकल्स ऑफ अग्रीमेंट के अनुच्छेद IV के तहत आमतौर पर IMF हर साल सदस्यों के सार् वद्वपक्षीय चचाथ करता है।
• इस ररपोटथ में यह संभावना जताई गई है दक मैक्रोइकोनॉवमक एवं ववत्तीय वस्र्रता के कारण भारत में ठोस आर्र्थक संववृ ि देखने को वमलेगी।
कारण वनवहतार्थ
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
• कोववर्-19 महामारी के दौरान अर्थव्यवस्र्ा को समर्थन देने के वलए राजकोषीय • इससे जलवायु पररवतथन अनुकूलन, ग्रीन ट्रांजीशन जैसी उभरती
प्रोत्साहन ददया गया। प्रार्वमकताओं को पूरा करने के वलए राजकोषीय संसार्न सीवमत
• भारत द्वारा आर्र्थक संवृवि को बढ़ावा देने के वलए अवसंरचना से जुड़ी हुई हो जाते हैं।
पररयोजनाओं में वनवेश को बढ़ाया गया है। • भारत में, लयाज भुगतान पर GDP का 5% खचथ होता है। यह
• राजस्व प्रावियों में पयाथि वृवि के वबना सामावजक कल्याण से जुड़े हुए कायथक्रमों उभरते बाजारों और ववकासशील देशों के औसत से लगभग दोगुना
को व्यापक स्तर पर जारी रखने के कारण सरकार को और अवर्क ऋण लेना है।
पड़ सकता है। • इससे क्राउलर्ंग आउट प्रभाव पड़ता है यानी इससे लयाज दरों में
• लयाज चुकाने की लागत में होने वाली वृवि। बढ़ोतरी के कारण वनवेश संबंर्ी वनजी व्यय में कमी आती है।
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हाल ही में, सेंटर फॉर सोशल एंर् इकोनॉवमक प्रोग्रेस (CSEP) ने “भारत सरकार द्वारा बजटेतर उर्ाररयों” पर एक ररपोटथ जारी की है।
• बजटेतर (Off-Budget) उर्ार से आशय उन उर्ाररयों से है, वजनका बजट में उल्लेख नहीं होता है, भले ही उनके पुनभुथगतान के वलए बजटीय संसार्नों
का उपयोग दकया जाता हो।
o इस प्रकार, राजकोषीय वनवहतार्ों के बावजूद बजटेतर उर्ार राजकोषीय संकेतकों की गणना का वहस्सा नहीं है।
• सरकार प्रत्यक्ष रूप से बजटेतर उर्ार नहीं लेती है, बवल्क उसके वनदेश पर दकसी अन्य सावथजवनक संस्र्ान द्वारा उर्ार वलया जाता है।
o उदाहरण के वलए- खाद्य सवलसर्ी वबल का भुगतान करने के वलए FCI द्वारा वलया गया उर्ार (यह व्यवस्र्ा ववत्त वषथ 2020-21 से बंद कर दी
गई है)।
• राजकोषीय उत्तरदावयत्व और बजट प्रबंर्न (FRBM) अवर्वनयम, 2003 के तहत राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को दरदकनार करना।
• संववर्ान के अनुच्छे द 293(3) के तहत उर्ार लेने की सीमा से बचना।
o इस अनुच्छेद के अनुसार यदद राज्य सरकारों के पास कें ि का कोई बकाया ऋण है या ऐसे ऋण हैं जहां कें ि गारं टर है, तो उस वस्र्वत में राज्यों
को नए ऋण प्राि करने के वलए कें ि की सहमवत प्राि करने की आवश्यकता होती है।
कें िीय अनुदान में देरी या राजस्व के अन्य स्रोतों में कटौती से बचना।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
•
OBB के अवर्क होने के प्रभाव
• यह एक अदृश्य देनदारी है जो सरकार के वलए ऋण जाल का कारण बन सकती है।
• इससे जवाबदेही पर प्रवतकू ल प्रभाव पड़ता है क्योंदक आम तौर पर इसकी जांच नहीं की जाती है।
बजटेतर उर्ार के तरीके : राष्ट्रीय बचत योजनाएं, सरकारी फु ल सर्वथस्र् (गारं टी प्राि) बॉण्र्, घरे लू/ ववदेशी बाजार से उर्ार लेना आदद।
ववत्त वषथ 2024 की पहली वतमाही में भारत का चालू खाता घाटा (CAD) बढ़कर 9.2 वबवलयन र्ॉलर हो गया, जो पहले 1.3 वबवलयन र्ॉलर र्ा। हालांदक,
बाद में यह दूसरी वतमाही (2023-24) में घटकर GDP के 1% पर आ गया।
• भुगतान संतल
ु न (Balance of Payments: BoP): इसमें दकसी देश के वनवावसयों और शेष ववि के बीच दकसी वववशि समय अववर्, आमतौर पर
एक वषथ में वस्तुओं, सेवाओं और पररसंपवत्तयों के लेनदेन को शावमल दकया जाता है।
• चालू खाता भुगतान संतुलन (BoP) के दो खातों में से एक है। इसमें वस्तुओं और सेवाओं के वनयाथत एवं आयात तर्ा अंतरण भुगतान को दजथ दकया
जाता है।
o अंतरण भुगतान (Transfer payments) ऐसी प्रावियां हैं, जो वनवावसयों द्वारा दकसी वतथमान या भावी भुगतान के वबना, ‘वनःशुल्क’ प्राि की
जाती हैं। इसमें प्रेषण, उपहार और अनुदान शावमल हैं।
• पूज
ं ी खाता में एक वववशि समय, आमतौर पर एक वषथ में संपवत्त की अंतराथष्ट्रीय खरीद और वबक्री, जैसे- र्न, स्टॉक, बॉण्ड्स, आदद को दजथ दकया जाता
है।
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• उि व्यापार घाटा: बढ़ते आयात और घटते वनयाथत के कारण CAD बढ़ा है।
• सेवा प्रावियों (Services Receipts) में वगरावट: मुयय रूप से कं प्यूटर, यात्रा और व्यावसावयक सेवाओं के वनयाथत में कमी के कारण वनवल सेवा
प्रावियों में कमी आई है।
• वैविक कारकों का प्रभाव: र्ीमी वैविक संवृवि का भारत की वनयाथत-उन्मुख सेवाओं और रे वमटेंसेंस पर प्रभाव पड़ता है, वजससे CAD के स्तर को
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
ऐवतहावसक पररप्रेक्ष्य के आर्ार पर, भारत दकसी बाह्य क्षेत्रक संकट में आए वबना GDP के 2.5-3.0% के CAD को बनाए रख सकता है (आर्र्थक सवेक्षण
2021-22)। हालांदक, बढ़ते भू-राजनीवतक जोवखम, वैविक कमोवर्टी की कीमतों में वृवि, कोववर्-19 के नए वेररएंट का र्र और अमेररकी मौदिक नीवत
के सामान्यीकरण के खतरों के सार् वनम्नवलवखत अन्य खतरे CAD को बढ़ा सकते हैं:
• ववदेशी वनवेश: ववदेशी संस्र्ागत वनवेशकों द्वारा अपनी पूंजी वनकाला जाना या सीवमत पूंजी का ही वनवेश।
• वववनमय दर: लंबी अववर् के वलए उि चालू खाता घाटा मुिा की वैविक मांग को कम कर देता है। इससे मुिा वववनमय दर में तीव्र वगरावट की वस्र्वत
पैदा हो सकती है।
• मुिास्फीवत: मुिास्फीवत संबर्
ं ी लचंताओं के कारण घरे लू बचत में और वगरावट आना, वजससे वनवेश में कमी आती है या ववकास संबंर्ी जरूरतों को
पूरा करने के वलए ववदेशी उर्ार लेना पड़ता है।
• भुगतान असंतल
ु न: इससे भुगतान असंतल
ु न या भुगतान संकट की वस्र्वत पैदा हो सकती है, जैसा दक एवशयाई ववत्तीय संकट (1997) और हाल ही में
श्रीलंकाई संकट के दौरान देखा गया।
कें ि सरकार चालू ववत्तीय वषथ की दूसरी छमाही में बाजार से 6.55 रट्रवलयन रुपये उर्ार लेगी। इस बाज़ार उर्ारी से सरकार राजकोषीय घाटे को पूरा
करे गी, जो दक GDP का 5.9% है।
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• G-Sec कें ि या राज्य सरकारों द्वारा जारी दकया जाने वाला एक व्यापार योग्य वलखत (Tradeable instrument) है। यह सरकार के ऋण दावयत्व
से जुड़ा होता है।
• सरकारी प्रवतभूवतयों में व्यावहाररक रूप से चूक का कोई जोवखम नहीं होता है और इसवलए, इन्हें जोवखम मुक्त वगल्ट-एज वलखत कहा जाता है।
• ददनांदकत G-Secs ऐसी प्रवतभूवतयां होती हैं वजनमें एक वनवित लयाज दर या फ्लोटटंग कू पन (लयाज दर) प्राि होता है। इसका भुगतान अिथ-वार्षथक
आर्ार पर अंदकत मूल्य पर दकया जाता है।
o आमतौर पर, ददनांदकत प्रवतभूवतयों की अववर् 5 वषथ से 40 वषथ तक होती है।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
ट्रेजरी वबल (टी-वबल): • ट्रेजरी वबल्स मुिा बाजार से संबंवर्त ववपत्र होते हैं। इसवलए ये भारत सरकार द्वारा जारी अल्पाववर्क
ऋण ववपत्र होते है। वतथमान में 91 ददवसीय, 182 ददवसीय आऔर 364 ददवसीय ट्रेजरी वबल्स जारी
दकये जाते हैं।
• ट्रेजरी वबल्स शून्य कू पन प्रवतभूवतयााँ होती हैं और उन पर लयाज का भुगतान नहीं दकया जाता है।
• ये अंदकत मूल्य से कम पर (बट्टे पर) जारी दकए जाते हैं और इनका मोचन (Redeemed) अंदकत मूल्य
पर होता है।
कै श मैनज
े मेंट वबल्स (CMBs) • CMBs, T-वबल के ही समान होते हैं, हालांदक इन्हें 91 ददनों से कम की पररपक्वता अववर् के वलए जारी
दकया जाता है।
राज्य ववकास ऋण (State • SDLs ददनांदकत G-Secs के समान ही होते हैं। ये राज्य सरकारों द्वारा सामान्य नीलामी के माध्यम से
Development Loans: SDLs) जारी की गई ददनांदकत प्रवतभूवतयां होती हैं।
• जारी करने का तरीका: सरकारी प्रवतभूवतयों को RBI द्वारा ई-कु बेर नामक इलेक्ट्रॉवनक प्लेटफॉमथ पर आयोवजत नीलामी के जररए जारी दकया जाता
है।
• भागीदारी: RBI के तहत फं ड्स अकाउं ट (चालू खाता) और वसक्युररटीज अकाउं ट र्ारण करने वाले वावणवज्यक बैंक , अनुसूवचत शहरी सहकारी बैंक,
प्राइमरी र्ीलसथ, बीमा कं पवनयां और प्रोववर्ेंट फं ड्स ई-कु बेर के सदस्य होते हैं और वे नीलामी में भाग लेते हैं।
o ववदेशी पोटथफोवलयो वनवेशकों (FPIs) और कापोरे ट्स को भी G-Secs बाजार में भाग लेने की अनुमवत होती है।
o इन्हें समय-समय पर तय की गई मात्रात्मक सीमा के अनुसार जारी दकया जाता है। इसमें भाग लेने के वलए अनुसवू चत बैंक, प्रार्वमक र्ीलर या
वववशि स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से प्रदक्रया पूरी की जाती है।
• RBI ओपन माके ट ऑपरे शन (OMOs) के तहत बाजार में सरकारी प्रवतभूवतयों की वबक्री या बाजार से इनकी खरीद करता है। RBI देश की अर्थव्यवस्र्ा
में पैसे की आपूर्तथ को वनयंवत्रत रखने के वलए ओपन माके ट ऑपरे शन का इस्तेमाल करता है।
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हाल ही में, GST पररषद20 की 50 वीं बैठक में ऑनलाइन गेलमंग, हॉसथ रे लसंग तर्ा कै सीनो पर 28 प्रवतशत GST लागू करने का वनणथय वलया है।
प्रमुख लबंदओं
ु पर एक नज़र
ऑनलाइन गेम्स के प्रकार
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
• कर की दर: इलेक्ट्रॉवनक गेलमंग, कै सीनो और हॉसथ रे लसंग पर 28 प्रवतशत की दर से • गेम ऑफ वस्कल: ऐसा गेम वजसका पररणाम प्लेयर की
ववशेषज्ञता, अभ्यास एवं अनुभव पर वनभथर करता है न
GST लागू दकया गया है। यह GST दर गेम में एंट्री के दौरान भुगतान की गई
दक के वल संयोग (चांस) पर।
प्रारं वभक रावश पर लगाया जाएगा, न दक लगाए गए प्रत्येक दांव के कु ल मूल्य पर।
• गेम ऑफ चांस: ये ऐसे गेम्स हैं, वजनके ररजल्ट
o वस्कल एवं लक या चांस दोनों के आर्ार पर खेले जाने वाले खेलों को कवर करता
संयोगवश या अकस्मात घटनाओं (Randomised
है। दोनों प्रकार के खेलों में जीत पर 30% का TDS भी काटा जाता है।
• ऑफशोर ऑनलाइन गेलमंग कं पवनयों पर कर-आरोपण: भारतीय गेमसथ को अपनी events) द्वारा वनर्ाथररत होते हैं। इन्हें सट्टेबाजी, जुआ
सेवाएं प्रदान करने के वलए ऐसी कं पवनयों को स्वयं को GST प्रावर्करणों के पास और हॉसथ-रे स के समान माना जाता है।
• GST पूरे देश के वलए एकल घरे लू अप्रत्यक्ष कर कानून है। यह एक बहु-स्तरीय, गंतव्य-आर्ाररत कर है। यह वस्तु के मूल्यवर्थन के प्रत्येक स्तर पर
लगाया जाता है।
• इसे 1 जुलाई, 2017 को 101वें संवैर्ावनक संशोर्न के जररए भारत में उत्पाद शुल्क, वैट, सेवा कर जैसे अप्रत्यक्ष करों की जगह लागू दकया गया।
o अप्रत्यक्ष करों पर गरठत के लकर टास्क फोसथ ने भारत में राष्ट्रव्यापी स्तर पर एकल GST को लागू करने का ववचार पहली बार वषथ 2000 में
प्रस्ताववत दकया र्ा।
• प्रवतददन (Pratidin): यह GST के वलए एक वेब आर्ाररत दैवनक प्रदशथन प्रबंर्न प्रणाली है। इसे हाल ही में कें िीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्थ
(CBIC) के तहत स्र्ावपत दकया गया है।
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GST की संरचना
• कें िीय GST (CGST): यह कें ि सरकार द्वारा दकसी राज्य के भीतर होने वाली वबक्री (Intra-state) पर वसूला जाता है।
o इसके तहत एकवत्रत राजस्व कें ि और राज्य के बीच समान रूप से साझा दकया जाता है।
• राज्य GST (SGST): यह राज्य सरकार द्वारा राज्य के भीतर होने वाली वबक्री (Intra-state) पर वसूला जाता है।
o राजस्व कें ि और राज्य के बीच समान रूप से साझा दकया जाता है।
• अंतर-राज्यीय GST (IGST): यह कें ि सरकार द्वारा एक राज्य से दूसरे राज्य में की जाने वाली वबक्री (Inter-state) के वलए वसूला जाता है।
o कें ि सरकार वस्तु के गंतव्य के आर्ार पर राज्यों के सार् IGST राजस्व को साझा करती है।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
के पास होगा।
GST अपीलीय • GSTAT, कें िीय GST अवर्वनयम, 2017 के तहत एक वैर्ावनक वनकाय है।
अवर्करण (GSTAT) • यह GST कानूनों के तहत अपील का दूसरा मंच है और कें ि एवं राज्यों के बीच वववाद समार्ान का पहला साझा मंच
है। पहले स्तर पर अपीलीय प्रावर्करण हैं।
o यह अपीलीय प्रावर्करण या पुनरीक्षण प्रावर्करण द्वारा पाररत आदेशों के वखलाफ अपीलों की सुनवाई करे गा।
• कें िीय वस्तु एवं सेवा कर (दूसरा संशोर्न) (GSTAT) अवर्वनयम, 2023 में कु छ बदलाव पेश दकए गए।
o GSTAT के सदस्यों के वलए योग्यता में बदलाव: यह कम-से-कम 10 साल के अनुभव वाले अवर्वक्ताओं को
न्यावयक सदस्य के रूप में वनयुक्त करने का प्रावर्ान करता है। उसे अप्रत्यक्ष करार्ान से संबवं र्त मामलों में
पयाथि अनुभव होना चावहए।
▪ GSTAT के सदस्य या अध्यक्ष के रूप में वनयुक्त होने के वलए न्यूनतम आयु 50 वषथ होगी।
o GSTAT के अध्यक्ष के वलए अवर्कतम आयु सीमा 67 से बढ़ाकर 70 वषथ और सदस्यों के वलए 65 से बढ़ाकर
67 वषथ की गई है।
GST पररषद • संववर्ान के अनुच्छेद 279A के उपबंर्ों के अर्ीन GST पररषद की स्र्ापना की गई है। इस प्रकार, यह एक संवर्
ै ावनक
(GSTC) वनकाय है। अनुच्छेद 279A को 101वें संववर्ान संशोर्न अवर्वनयम, 2016 के माध्यम से संववर्ान में जोड़ा गया है।
• यह कें ि और राज्यों का एक संयुक्त मंच है।
o अध्यक्ष: कें िीय ववत्त मंत्री।
o सदस्य:
▪ कें िीय ववत्त राज्य मंत्री या राजस्व प्रभारी।
▪ ववत्त या करार्ान के प्रभारी मंत्री या प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा नावमत कोई अन्य मंत्री।
• कायथ: GST के कायाथन्वयन से संबंवर्त मुद्दों पर वसफाररशें करना।
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o मतदान के माध्यम से वनणथय लेना: वनणथय के वलए उपवस्र्त और मतदान करने वाले सदस्यों के 3/4 बहुमत की
आवश्यकता होती है।
▪ र्ाले गए मतों में कें ि की वहस्सेदारी 33% होती है।
• पररषद कें ि और राज्य सरकारों के बीच कर दरों, छू ट और राजस्व बंटवारे सवहत GST के वववभन्न पहलुओं पर वनणथय
करती है।
हाल ही में, कें िीय ववत्त मंत्री ने आयकर ववभाग से कर आर्ार को ववस्तृत करने के वलए तीन व्यापक वसिांतों-‘पारदर्शथता, वनष्पक्षता और करदाता-अनुकूल
व्यवस्र्ा’ का पालन करने के वलए कहा है।
▪ प्रत्यक्ष कर: 6%
▪ अप्रत्यक्ष कर: 5.1%
o यह दकसी देश की अर्थव्यवस्र्ा के आकार के संबंर् में कर राजस्व उत्पन्न करने की क्षमता की एक उपयोगी माप है। सामान्यता देश के कर-GDP
अनुपात में कमी र्ीमी आर्र्थक संववृ ि दर को दशाथती है।
• आयकर ररटनथ (ITR) दावखल करने वाले: कु ल जनसंयया का 5.3%
o भारत में सबसे पहले आय कर की अवर्ारणा 1860 में जेम्स ववल्सन द्वारा प्रस्तुत की गई र्ी। वह विरटश भारत सरकार के प्रर्म ववत्त मंत्री र्े।
o 1865-1886 के बीच इस कर को अस्र्ायी तौर पर वनरस्त कर ददया गया र्ा। हालांदक, इसके बाद से यह कर लगातार आरोवपत / वसूला जाता
रहा है।
• कें िीय प्रत्यक्ष कर बोर्थ (CBDT) द्वारा जारी दकए गए प्रमुख आंकड़े:
o ववत्त वषथ 2013-14 की तुलना में ववत्त वषथ 2021-22 में वनवल प्रत्यक्ष कर संग्रह 121.18% बढ़ गया है।
o प्रत्यक्ष कर-GDP अनुपात ववत्त वषथ 2013-14 के 5.62% से बढ़कर ववत्त वषथ 2021-22 में 5.97% हो गया है।
o प्रत्यक्ष कर में 2.52% का उछाल23 दजथ दकया गया, जो वपछले 15 वषों में सबसे अवर्क वृवि है।
कम कर आर्ार के कारण
• वृहत आकार के अनौपचाररक क्षेत्रक की उपवस्र्वत: इस क्षेत्रक में लेन-देन अक्सर नकदी में दकया जाता है, वजससे उनका पता लगा पाना काफी करठन
हो जाता है।
• कृ वष आय पर कर छू ट: यह क्षेत्रक लगभग 60% भारतीयों के वलए आय का प्रार्वमक स्रोत है।
• कर मुकदमेबाजी की अवर्क घटनाएं: देश में कर मुकदमेबाजी के चलते लगभग 5 लाख मामले लंवबत हैं।
• तकनीकी ववशेषज्ञता और संसार्नों (ववत्तीय और जन शवक्त) की कमी: इसके पररणामस्वरूप कर प्रशासन कम प्रभावी है।
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हाल ही में, सांवययकी और कायथक्रम कायाथन्वयन मंत्रालय (MoSPI)24 ने “आवर्काररक सांवययकी पर राष्ट्रीय नीवत (NPOS)” का संशोवर्त मसौदा तैयार
दकया है।
• यह नीवत आवर्काररक
सांवययकी पर संयुक्त राष्ट्र के
मौवलक वसिांतों
(UNFPOS)25 का
समर्थन करती है। भारत ने
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
2016 में UNFPOS को
अपनाया र्ा।
o नवाचार कें ि: आर्टथदफवशयल इंटेवलजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी उभरती प्रौद्योवगदकयों के इस्तेमाल के वलए।
o कोर आवर्काररक सांवययकी: मुयय सांवययकीय उत्पादों, जैसे- GDP, मूल्य सूचकांक, SDGs आदद को कोर सांवययकी के रूप में वर्जाइन दकया
जाएगा।
• सांवययकी और कायथक्रम कायाथन्वयन मंत्रालय (MoSPI) राष्ट्रीय स्तर पर देश में सांवययकीय प्रणाली के एकीकृ त ववकास की योजना बनाने के वलए
नोर्ल एजेंसी है।
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• शीषथ स्तर पर, आर्र्थक एवं सांवययकी वनदेशालय (DES)26 राज्य/ कें ि शावसत प्रदेशों में सांवययकीय गवतवववर्यों का समन्वय करता है।
• राष्ट्रीय सांवययकी आयोग (NSC)27: यह सांवययकीय मामलों पर एक शीषथ सलाहकारी वनकाय है। कें ि सरकार ने 2006 में NSC का गठन दकया र्ा।
o इसे सी. रं गराजन आयोग की वसफाररशों के आर्ार पर गरठत दकया गया र्ा।
• सातवीं अनुसच
ू ी में स्र्ान: ‘सांवययकी’ ववषय संघ सूची (सूची-I) की प्रवववि 94 और समवती सूची (सूची-III) की प्रवववि 45 में शावमल है।
• कानून: सांवययकी से संबंवर्त ववशेष कानूनों के तहत संबंवर्त सांवययकीय गवतवववर्यों का संचालन दकया जाता है। इन कानूनों में जनगणना अवर्वनयम
1948; जन्म और मृत्यु पंजीकरण अवर्वनयम, 1969; तर्ा सांवययकी संग्रह अवर्वनयम28, 2008 शावमल हैं।
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हाल ही में, आववर्क श्रम बल सवेक्षण (PLFS) 2022-23 जारी दकया गया। वपछले वषथ की तुलना में 2022-23 में LFPR 55.2% से बढ़कर 57.9%
(पुरुष - 78.5% और मवहला - 37%) हो गया है।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
की वस्र्वत पर दकया जाता है-
o शहरी क्षेत्रों के वलए 'वतथमान सािावहक
वस्र्वत' (CWS)32 के आर्ार पर के वल
तीन महीने के अंतराल के वलए।
o वार्षथक आर्ार पर ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में ‘सामान्य वस्र्वत (Usual Status)’ (प्रमुख कायथकलाप की वस्र्वत + सहायक आर्र्थक
कायथकलाप की वस्र्वत) तर्ा ‘वतथमान सािावहक वस्र्वत’ (CWS) दोनों के आर्ार पर रोजगार एवं बेरोजगारी संकेतकों का अनुमान लगाना।
• श्रम बल भागीदारी दर (LFPR): यह कु ल आबादी में श्रम बल में शावमल व्यवक्तयों का प्रवतशत है। इसमें कायथरत या काम की तलाश में लगे लोग या
काम करने के वलए उपललर् लोग शावमल हैं।
• श्रवमक जनसंयया अनुपात ( WPR): कु ल जनसंयया में रोजगार प्राि व्यवक्तयों का प्रवतशत।
• बेरोजगारी दर (UR): इसे श्रम बल में शावमल कु ल लोगों में बेरोजगार व्यवक्तयों के प्रवतशत के रूप में पररभावषत दकया जाता है।
• कायथकलाप की वस्र्वत (Activity Status): यह वनर्दथि संदभथ अववर् के दौरान व्यवक्त द्वारा की गई कायथ गवतवववर्यों के आर्ार पर वनर्ाथररत की जाती
है।
o सामान्य वस्र्वत (Usual Status)- कायथ गवतवववर् का वनर्ाथरण सवेक्षण की तारीख से ठीक पहले के 365 ददनों की संदभथ अववर् के आर्ार पर
दकया जाता है।
o वतथमान सािावहक वस्र्वत (CWS)- कायथ गवतवववर् का वनर्ाथरण सवेक्षण की तारीख से ठीक पहले के सात ददनों की संदभथ अववर् के आर्ार पर
दकया जाता है।
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• वषथ 2023 में, स्व-रोज़गार आर्ाररत श्रवमकों के वलए काम के घंटों में अंतर सबसे अवर्क (पुरुषों के मामले में यह 50% अवर्क) र्ा, जबदक यह वनयवमत
• सभी प्रकार के कायों में पुरुष, मवहलाओं की तुलना में अवर्क कमाते हैं। स्व-रोज़गार के मामले में भी यह अंतर सबसे अवर्क है।
o 2023 में, स्व-रोज़गार वाले पुरुष श्रवमकों ने मवहलाओं की तुलना में 2.8 गुना अवर्क कमाया, जबदक वनयवमत वेतनभोगी पुरुष श्रवमकों ने 24%
अवर्क कमाया र्ा।
• ग्रामीण मवहलाओं के वलए श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) में वृवि हुई है। सार् ही, स्व-रोज़गार वाली मवहलाओं के अनुपात में भी उल्लेखनीय वृवि हुई
है।
o हालांदक, ग्रामीण स्व-रोज़गार वाली मवहलाओं के वलए प्रवत सिाह काम करने के औसत घंटे 2019 के 37.1 से वगरकर 2023 में 30.1 हो गए हैं।
3.2 अर्थ शास्त्र में नोबे ल पु र स्कार (2023): श्रम बल में मवहलाएं (Nobel Prize in Economics:
Women in Labour Force)
“अल्फ्रेर् नोबेल की स्मृवत में अर्थशास्त्र का स्वेररजेस ररक्सबैंक पुरस्कार 33 2023” क्लाउवर्या गोवल्र्न को देने की घोषणा की गई। गोवल्र्न को यह पुरस्कार
“श्रम बाजार में मवहलाओं की भागीदारी के आउटकम्स के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने” के वलए ददया गया है।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
• ये पुरस्कार पहली बार 1901 में ददए गए र्े। यह पुरस्कार उन लोगों को ददया जाता है वजन्होंने वपछले वषथ के दौरान मानव जावत के सवाथवर्क कल्याण
में योगदान ददया है। ये पुरस्कार प्रवतवषथ पांच श्रेवणयों, यर्ा- भौवतकी, रसायन ववज्ञान, वचदकत्सा, सावहत्य और शांवत के वलए ददए जाते हैं।
o गौरतलब है दक छठी श्रेणी, अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार “रॉयल बैंक ऑफ स्वीर्न” ने 1968 में स्र्ावपत दकया र्ा। इसे पहली बार 1969 में ददया
गया र्ा।
• कौन-सी संस्र्ाएं पुरस्कार देती हैं?
o भौवतकी, रसायन ववज्ञान और अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार रॉयल स्वीवर्श एके र्मी ऑफ साइं सज
े प्रदान करती है।
o सावहत्य का नोबेल पुरस्कार स्वीवर्श एके र्मी, स्टॉकहोम (स्वीर्न) प्रदान करती है।
o वचदकत्सा या दफवजयोलॉजी का नोबेल पुरस्कार कारोललंस्का इंस्टीट्यूट, स्टॉकहोम (स्वीर्न) प्रदान करती है।
o नोबेल शांवत पुरस्कार के ववजेता का चयन नॉवेवजयन नोबेल कमेटी (नॉवेवजयन संसद द्वारा गरठत) करती है।
o एक नोबेल पदक; और
o पुरस्कार रावश: 2023 के वलए नोबेल पुरस्कार के तौर पर 11 वमवलयन स्वीवर्श क्रोनर की र्नरावश प्रदान की गई।
• नोबेल संवववर् (Nobel statutes) के अनुसार, ववजेताओं के चयन में शावमल जजों को 50 वषथ तक अपने वनणथय पर सावथजवनक ववचार-ववमशथ की मनाही
है।
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गोवल्र्न के U-आकार के कवथ ने प्रदर्शथत दकया दक श्रम बाजार में मवहलाओं की भागीदारी और आर्र्थक संववृ ि के बीच ऐवतहावसक रूप से कोई सुसंगत
संबंर् नहीं है। श्रम बाजार में मवहलाओं की भागीदारी वनम्नवलवखत से प्रभाववत हैं-
• सामावजक मानदंर्: कानून या रीवत-ररवाज वजन्हें “वववाह के
U-आकार का संबर्
ं : ववकास प्रदक्रया में, मवहला श्रम शवक्त की भागीदारी पहले
बाद प्रवतबंर् (Marriage bars)” के रूप में जाना जाता है। ये घटती है और दफर बढ़ती है।
अक्सर वववावहत मवहलाओं को श्रम की बढ़ती मांग के बावजूद वनम्न आय वाले देशों में मवहलाओं की श्रम बल भागीदारी अवर्क (कृ वष में अवर्क
रोजगार में बने रहने से रोकते हैं।
वहस्सेदारी) होती है, मध्यम आय वाले देशों में भागीदारी कम हो जाती है, और उि
• पेरेंटहुर् प्रभाव: बिों की देखभाल (के यर इकोनॉमी) में पुरुषों की
आय वाले देशों में यह भागीदारी दफर अवर्क हो जाती है।
तुलना में मवहलाएं अवर्क वजम्मेदारी उठाती हैं। इससे उनके
कररयर में प्रगवत करना और आय में वृवि करना करठन हो जाता
है।
• तकनीकी नवाचार: गभथवनरोर्क दवाओं का सेवन बढ़ने से
मवहलाएं देर से वववाह करने लगी हैं और वववावहत मवहलाएं भी
बिों के जन्म में जल्दबाजी करने से बच रही हैं। इसके चलते
उनकी वशक्षा और कररयर की संभावनाओं में वृवि हुई है।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
अवकाश बढ़ाकर 26 सिाह कर ददया गया है। सार् ही, 50 या
उससे अवर्क कमथचाररयों वाले प्रवतष्ठानों में अवनवायथ क्रेच
सुववर्ा जैसे प्रावर्ान दकए गए हैं।
• व्यावसावयक सुरक्षा, स्वास््य और कायथदशा पर सलहंता34, 2020: भूवम के ऊपर की खदानों में तर्ा जमीन के नीचे जहां वनरं तर उपवस्र्वत अवनवायथ
नहीं है, वहां तकनीकी, पयथवेक्षी और प्रबंर्कीय कायों में मवहलाओं को रोजगार ददया जा सकता है।
• वेतन संवहता 2019: इसके अंतगथत दकसी प्रवतष्ठान में लैंवगक आर्ार पर मवहला और पुरुष कमथचाररयों के बीच भेदभाव को प्रवतबंवर्त दकया गया है।
हाल के ददनों में वगग श्रवमकों से जुड़े हुए कई मुद्दे सामने आए हैं वजनमें लललंदकट कं पनी के श्रवमकों की हड़ताल, जोमैटो और वस्वगी वर्लीवरी राइर्सथ द्वारा
दकया गया ववरोर् प्रदशथन शावमल हैं।
• वगग अर्थव्यवस्र्ा एक मुक्त बाजार प्रणाली है वजसमें रोजगार सामान्यतः अस्र्ायी होता है। इसके अंतगथत संगठन अल्पकावलक वनयुवक्तयों के वलए मुक्त
श्रवमकों के सार् कॉन्ट्रैक्ट करते हैं।
• वगग श्रवमक ऐसे श्रवमक होते हैं, जो पारं पररक वनयोक्ता-कमथचारी व्यवस्र्ा से अलग, अन्य रोजगार गवतवववर्यों में संलग्न होते हैं। इन्हें व्यापक तौर पर
वनम्नवलवखत में वगीकृ त दकया जा सकता है:
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o प्लेटफॉमथ वगग श्रवमक35: ऐसे श्रवमक वजनके कायथ ऑनलाइन सॉफ्टवेयर, ऐप या फू र् एग्रीगेटर प्लेटफॉमथ जैसे दक वर्वजटल प्लेटफॉमथ आदद पर
आर्ाररत होते हैं। ऐसे प्लेटफॉम्सथ में शावमल हैं- जोमैटो, वस्वगी, ओला आदद।
o नॉन-प्लेटफ़ॉमथ वगग श्रवमक36: ये सामान्यतः पारं पररक क्षेत्रक में वनयोवजत सामवयक वेतन र्ारी तर्ा ओन-अकाउं ट वकथ सथ37 होते हैं। ये पाटथ-टाइम
या फु ल-टाइम कायथ करते हैं।
• मजदूरी संवहता, 2019: यह वगग श्रवमकों सवहत संगरठत और असंगरठत क्षेत्रकों में वनयोवजत सभी श्रवमकों को यूवनवसथल न्यूनतम वेतन तर्ा फ्लोर
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वगग इकोनॉमी और वगग श्रवमकों के बेहतरी के वलए हाल ही में हुए कु छ अन्य सकारात्मक ववकास
• हाल ही में, श्रम, वस्त्र एवं कौशल ववकास संबर्
ं ी संसदीय स्र्ायी सवमवत ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से देश में वगग श्रवमकों के वलए कल्याणकारी योजनाएं
बनाने तर्ा उन्हें लागू करने का आग्रह दकया है।
• इसके अलावा, हाल ही में G-20 के श्रम और रोजगार मंवत्रयों की बैठक (2023) संपन्न हुई। इस बैठक में “वगग एवं प्लेटफ़ॉमथ श्रवमकों के वलए स्र्ायी
• राजस्र्ान सरकार ने “प्लेटफॉमथ आर्ाररत वगग वकथ सथ (पंजीकरण और कल्याण) ववर्ेयक, 2023” पाररत दकया है। इस प्रकार राजस्र्ान सरकार ने वगग
श्रवमकों के वलए एक कल्याणकारी ववर्ेयक लाने में अग्रणी भूवमका वनभाई है।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
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भारतीय ररज़वथ बैंक (RBI) ने बैंककं ग वसस्टम में मौजूद अवर्शेष तरलता को अवशोवषत करने के वलए ICRR का उपयोग दकया र्ा। बाद में, जब नकदी की
वस्र्वत वस्र्र हो गई, तो ICRR को चरणबि तरीके से बंद कर ददया गया।
• CRR: बैंकों को अपनी कु ल जमा रावश का एक वनवित प्रवतशत RBI के पास नकद के तौर पर रखना पड़ता है, वजसे CRR कहा जाता है। बैंकों के
वलए अपनी NDTL अर्ाथत् नेट वर्मांर् और टाइम लायवबवलटी का एक वनवित प्रवतशत RBI के पास CRR के रूप में बनाए रखना आवश्यक है।
o वनवल मांग और मीयादी देयताएं (NDTL): यह दकसी बैंक की वर्मांर् और टाइम लायवबवलटीज या ODTL38 तर्ा सावथजवनक क्षेत्रक के या
दकसी और बैंक में उसके द्वारा रखी गई पररसंपवत्तयों के रूप में जमा रावश के बीच के अंतर को दशाथता है।
o RBI अवर्वनयम, 1934 के अनुसार, सभी अनुसवू चत वावणवज्यक बैंकों (वजनमें सावथजवनक और वनजी क्षेत्रक के बैंक, ववदेशी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण
बैंक तर्ा सहकारी बैंक शावमल हैं) के वलए CRR बनाए रखना अवनवायथ है।
• ICRR: ICRR वस्तुतः नकद आरवक्षत अनुपात (CRR) के समान है। इसमें बैंकों को अपने र्न का एक वनवित वहस्सा RBI के पास अलग रखना
पड़ता है। इस रावश पर उन्हें कोई लयाज नहीं वमलता है। इसके वनम्नवलवखत अंतर हैं-
o RBI के पास CRR के अलावा ICRR को भी लागू करने का ववकल्प है।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
ICRR का प्रभाव
• तरलता में हुई वृवि को संभालने के वलए: हाल ही में सरकारी व्यय में बढ़ोतरी, ववदेशी वनवेश में वृवि, 2000 रुपये के नोट की वापसी आदद कारणों
से अर्थव्यवस्र्ा में तरलता में वृवि दजथ की गई है।
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• मुिास्फीवत पर वनयंत्रण: CPI39 आर्ाररत भारत की खुदरा मुिास्फीवत जून के 4.9% की तुलना में जुलाई 2023 में बढ़कर 7.5% हो गई र्ी। इसे
वनयंत्रण में लाने के वलए सयत मौदिक नीवत अपनाने की आवश्यकता है।
• बैंककं ग को मजबूत बनाना: CRR में वृवि से ‘नकदी का बफर’ बनता है। इससे आर्र्थक संकट के समय बैंक रन जैसे जैसे खतरों से वनपटने में मदद
वमलती है।
o बैंक रनः दकसी बैंक या अन्य ववत्तीय संस्र्ान के ददवावलया होने के र्र से जब बड़ी संयया में उसके ग्राहक अपनी जमा रावश वनकालने लगते हैं तो
इसे बैंक रन कहते हैं।
• ऋण ववतरण में कमी: ऋण ववतरण में कमी से, वस्तुओं और सेवाओं की मांग में कमी आएगी। इससे अर्थव्यवस्र्ा में कु ल/ समग्र मांग कम हो जाएगी।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
वलए कें ि सरकार को
अवर्शेष के रूप में
87,416 करोड़ रुपये
ट्रांसफर दकए। यह 2021-
22 से 188% अवर्क है।
• चूंदक, RBI को
आयकर का भुगतान
करने की आवश्यकता
नहीं होती है, इसवलए
यह RBI अवर्वनयम,
1934 की र्ारा 47
(अवर्शेष लाभ का आवंटन) के अनुसार, अवर्शेष रावश सरकार को अंतररत करता है।
o RBI का कु ल व्यय लयाज से प्राि होने वाले इसके कु ल आय की तुलना में काफी कम है। इससे RBI के पास अवतररक्त पैसा (अर्ाथत् अवर्शेष) बच
जाता है।
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• इससे पहले, RBI इस अवर्शेष का एक बड़ा वहस्सा अपनी आकवस्मकता वनवर् (CF)43 और पररसंपवत्त ववकास वनवर् (ADF)44 के रूप में अपने पास
रखता र्ा।
• हालांदक, मालेगाम सवमवत (2013) की वसफाररशों के पिात् और आगे चलकर वबमल जालान सवमवत द्वारा पेश की गई संशोवर्त आर्र्थक पूज
ं ी फ्रेमवकथ
45 (2014-15) के तहत RBI द्वारा सरकार को दकए जाने वाले अवर्शेष के अंतरण में वृवि हुई है।
हाल ही में, भारतीय ररज़वथ बैंक (RBI) ने बैंकों और RBI द्वारा वववनयवमत अन्य संस्र्ाओं के वलए एक एर्वाइजरी जारी की है। इसमें उन्हें LIBOR से
पूणथतः बाहर वनकलने के वलए कदम उठाने हेतु कहा गया है।
• LIBOR और मुंबई इंटरबैंक फॉरवर्थ आउटराइट रे ट (MIFOR) का इस्तेमाल चरणबि तरीके से बंद कर ददया जाएगा।
o MIFOR, घरे लू लयाज दर के वलए एक बेंचमाकथ है। इसे वतथमान में फाइनेंवशयल बेंचमाकथ इं वर्या प्राइवेट वलवमटेर् (FBIL) द्वारा जारी दकया
जाता है।
• बैंकों/ ववत्तीय संस्र्ानों (FIs) को यह सुवनवित करने की सलाह दी गई है दक उनके या उनके ग्राहकों द्वारा दकया गया कोई भी नया ट्रांजक्
ै शन या दकसी
ट्रांजैक्शन का मूल्य-वनर्ाथरण ‘अमेररकी र्ॉलर आर्ाररत LIBOR’ या ‘MIFOR’ पर वनभथर न हो।
• गौरतलब है दक 2017 में विरटश ववत्तीय अवर्काररयों को एक जांच से यह पता चला र्ा दक कु छ बड़े बैंकों ने गलत र्ेटा प्रदान करके “संदभथ दर
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
(Reference Rate)” को ज्यादा या कम दकया है। इस हेर-फे र के बाद यह आवश्यक हो गया र्ा दक वैविक आर्र्थक प्रणाली में LIBOR का उपयोग
समाि दकया जाए।
• बेंचमाकथ दर: LIBOR एक वैविक बेंचमाकथ लयाज दर है। सरल शलदों में, LIBOR का इस्तेमाल वैविक स्तर पर लयाज दर को तय करने के वलए एक
बेंचमाकथ (या संदभथ दर) के तौर पर दकया जाता है। इसी दर पर प्रमुख वैविक बैंक अंतराथष्ट्रीय इंटरबैंक बाजार में एक-दूसरे को ऋण देते हैं। ये ऋण
अल्पाववर् के वलए ददए जाते हैं।
o ववत्तीय बेंचमाकथ ः मूल्य वनर्ाथरण, वनपटान और ववत्तीय अनुबंर्ों के मूल्यांकन के उद्देश्य से उपयोग में लाए जाने वाले सूचकांकों, मूल्यों या संदभथ
दरों को ववत्तीय बेंचमाकथ कहा जाता है।
• वववनयमन: 2014 से पहले, LIBOR को विरटश बैंकसथ एसोवसएशन (BBA) द्वारा तय दकया जाता र्ा। बाद में, बेंचमाकथ के रख-रखाव को यू.के .
फाइनेंवशयल कं र्क्ट अर्ॉररटी (FCA) के दायरे में लाया गया।
• गणना: 31 ददसंबर, 2021 से पहले, LIBOR की गणना पांच मुिाओं (अमेररकी र्ॉलर, यूरो, पाउं र्, वस्वस फ्रैंक और जापानी येन) के वलए की जाती
र्ी। इसके अलावा, इसकी गणना इनमें से प्रत्येक मुिा के संबंर् में सात अववर्यों (ओवरनाइट/ स्पॉट नेक्स्ट, एक सिाह, एक महीना, दो महीना, तीन
महीना, छह महीना और 12 महीना) के वलए की जाती र्ी।
o माचथ 2021 में इसे चरणबि रूप से वापस लेने की घोषणा कर दी गई, वजसके बाद के वल यू.एस. र्ॉलर आर्ाररत LIBOR को जारी करने की
अनुमवत दी गई र्ी।
43 Contingency Fund
44 Asset Development Fund
45 Economic Capital Framework
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• ववत्त-पोषण की लागत में कमी: LIBOR पर वनभथरता की समावि के पररणामस्वरूप ववत्त-पोषण की लागत में कई तरीकों से कमी आ सकती है, क्योंदक
इसके बाद संदभथ दरों की गणना अवर्क बेहतर और पारदशी तरीके से होगी।
• ऋण लेने की लागत में कमी: इसके पररणामस्वरूप, उर्ार देने वालों और वनवेशकों द्वारा कम लयाज दर (या लयाज दर स्प्रेर्) की मांग की जा सकती
है।
• अवर्क प्रवतस्पर्ाथ: वैकवल्पक संदभथ दरों की शुरुआत से संदभथ दरों के वलए बाजार में अवर्क प्रवतस्पर्ाथ शुरू हो सकती है। इससे ववत्तीय उत्पादों का
अवर्क पारदशी और प्रवतस्पर्ी मूल्य वनर्ाथरण हो सकता है।
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भारत के संदभथ में होने वाला बदलाव
• वैकवल्पक संदभथ दरें (ARRs)46: RBI ने ARR की एक प्रणाली स्र्ावपत की है। यह प्रणाली बैंकों को अंतराथष्ट्रीय ववत्तीय लेन-देन के वलए विरटश पाउं र्
के बजाय मुिाओं की एक बास्के ट से दरें चुनने की सुववर्ा प्रदान करती है।
o MIFOR, घरे लू लयाज दर के वलए एक बेंचमाकथ है। इसे वतथमान में फाइनेंवशयल बेंचमाकथ इं वर्या प्राइवेट वलवमटेर् (FBIL) द्वारा जारी दकया
जाता है।
• फॉलबैक क्लॉज़: RBI ने उन सभी पुराने ववत्तीय अनुबंर्ों में फॉलबैक क्लॉज़ को शावमल करने पर जोर ददया है, वजनमें संदभथ दर के तौर पर LIBOR
या MIFOR का प्रयोग हुआ है।
o चूंदक इस संदभथ दर का अब इस्तेमाल नहीं दकया जाएगा, इसवलए फॉलबैक क्लॉज संशोवर्त शतों के वलए एक समझौता के समान होगा। यह
पारदर्शथता और वनरं तरता के वलए महत्वपूणथ है।
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सरकारी योजनाएं
त्रैमा�सक
�रवीजन
�स�वल सेवा परी�ा म� आपके �ान, एना�ल�टकल ��ल और सरकारी नी�तय� तथा पहल� क� ग�तशील प्रकृ�त के साथ अपडेटेड रहने क�
�मता को जांचा जाता है। इस�लए इस चुनौतीपूणर् परी�ा के �लए एक �ापक और सु�नयो�जत दृ��कोण काफ� आव�क हो जाता है।
“सरकारी योजनाएं त्रैमा�सक �र�वजन” डॉ�ूम�ट के साथ �स�वल सेवा परी�ा म� सफलता क� अपनी यात्रा शुरू क��जए। यह �वशेष
पेशकश आपको परी�ा क� तैयारी म� एक प�रवतर्नकारी अनुभव प्रदान करेगी। सावधानीपूवर्क तैयार �कया गया हमारा यह डॉ�ूम�ट न
केवल आपक� सीखने क� प्र�क्रया को आगे बढ़ाने के �लए ब�� टाइम मैनेजम�ट और याद रखने क� �मता को बढ़ाने के �लए भी �डज़ाइन
�कया गया है। इस डॉ�ूम�ट को त्रैमा�सक आधार पर तैयार �कया जाता है। यह डॉ�ूम�ट फाइनल परी�ा के �लए �नरंतर सुधार और तनाव
मु� तैयारी हेतु अ��थ� य� के �लए एक आधार के रूप म� कायर् करेगा।
यह सीखने क� प्र�क्रया को बाधार�हत और आसान यात्रा म� बदल देता है। इसके प�रणाम�रूप, आप परी�ा क�
तैयारी के साथ-साथ सरकारी योजनाओ ं, नी�तय� और उनके �न�हताथ� क� गहरी समझ �वक�सत करने म�
सफल होते ह�।
‘सरकारी योजनाएं त्रैमा�सक �रवीजन’ एक डॉ�ूम�ट मात्र नह� है; ब�� यह आपक� परी�ा क� तैयारी म� एक रणनी�तक साथी भी है। यह आपक�
ल�न� ग एप्रोच म� बदलाव लाता है, �जससे यह एक सतत और कुशल प्र�क्रया बन जाती है। परी�ा क� तैयारी के आ�खरी चरण� म� आने वाले तनाव को
अल�वदा क�हए, प्रोए��व ल�न� ग ए�पी�रयंस को आपनाइए और आ��व�ास के साथ सफलता क� ओर आगे ब�ढ़ए।
अहमदाबाद | ब�गलू रु | भोपाल | चंडीगढ़ | �द�ी | गुवाहाटी | हैदराबाद | जयपुर | जोधपुर | लखनऊ | प्रयागराज | पुणे | रांची
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हाल ही में, RBI और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) इनोवेशन हब ने G20 टे क-लस्प्रंट 2023 का आयोजन दकया। इसका उद्देश्य सीमा-पार भुगतान
में सुर्ार के वलए नवीन समार्ानों को बढ़ावा देना है।
नोट: G20 से संबंवर्त टॉवपक को PT 365 श्रृंखला के अंतराथष्ट्रीय संबंर् (IR) वाले संस्करण में ववस्तार से शावमल दकया जाएगा।
• यह एक प्रकार का ववत्तीय लेन-देन है, जो ववत्तीय संस्र्ानों, व्यवसायों और व्यवक्तयों के बीच होता है। इस प्रकार के लेन-देन में प्रेषक (Sender) और
प्रािकताथ (Recipient) अलग-अलग देशों में वस्र्त होते हैं।
• 2030 तक सीमा-पार भुगतान बाजार के 290 रट्रवलयन र्ॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
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सीमा-पार भुगतान प्रणाली को मजबूत करने के वलए भारत द्वारा दकये गए उपाय
• RBI पेमटें ववजन 2025: इसमें वद्वपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों या व्यवस्र्ाओं का उपयोग करके सीमा-पार भुगतान को सुगम बनाने पर ध्यान
ददया गया है।
• NPCI इं टरनेशनल पेमट्ें स वलवमटेर् (NIPL) ने BHIM UPI-QR कोर् के माध्यम से सीमा-पार भुगतान को बढ़ावा देने के वलए अलग-अलग देशों,
वहां की कं पवनयों व व्यापाररक संस्र्ाओं के वमलकर कई पहलें शुरू की हैं।
o वतथमान में, लसंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, मॉरीशस, नेपाल और भूटान में BHIM UPI-QR कोर् के माध्यम से भुगतान को स्वीकृ वत वमल गई
है।
• RBI ने भारत आने वाले ववदेशी नागररकों और NRIs को UPI49 के इस्तेमाल की अनुमवत दी है।
• सीमा-पार भुगतान के वलए सेंट्रल बैंक वर्वजटल करें सी (CBDC) के उपयोग पर भारत-UAE समझौता ज्ञापन हुआ।
5.2. भारतीय प्रवतभू वत और वववनमय बोर्थ {Securities and Exchange Board of India
(SEBI)}
सुर्ख़थयों में क्यों?
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भारतीय प्रवतभूवत और वववनमय बोर्थ (SEBI) ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में इन्वेस्टर ररस्क ररर्क्शन एक्सेस (IRRA) प्लेटफॉमथ शुरू दकया है।
• सेबी ने IRRA प्लेटफ़ॉमथ को मुयय रूप से ट्रेलर्ंग के समय आने वाले टेदिकल वग्लच से वनवेशकों को बचाने के वलए आरं भ दकया है। ट्रेलर्ंग के समय
टेदिकल वग्लच के चलते वनवेशक अपना आर्थर एग्जीक्यूट नहीं कर पाते हैं। इसमें दो फे स होते हैं - एक प्राइमरी साइट और एक वर्जास्टर ररकवरी
साइट।
o यह प्लेटफ़ॉमथ सभी ट्रेलर्ंग कें िों से ट्रेलर्ंग मेंबसथ के ट्रे ड्स को र्ाउनलोर् करता है। सार् ही, इं टरनेट के माध्यम से ट्रेलर्ंग या वायरलेस तकनीक का
उपयोग करने वाले वनवेशकों को IRRA एक्सेस करने के वलए एक ललंक के सार् SMS/ ईमेल भेजता है।
o इसे देश के सभी स्टॉक एक्सचेंजों- BSE, NSE, NCDEX, MCX और मेट्रोपॉवलटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इं वर्या ने संयक्त
ु रूप से ववकवसत
दकया है।
• स्र्ापना: सेबी की स्र्ापना भारतीय प्रवतभूवत और वववनमय बोर्थ अवर्वनयम, 1992 के प्रावर्ानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992 को हुई र्ी। इस कानून
के जररए इसे एक सांवववर्क वनकाय बना ददया गया। हालांदक, इसे भारत सरकार के एक संकल्प (Resolution) के माध्यम से 1988 में गरठत दकया
गया र्ा।
• संगठनात्मक संरचना: बोर्थ में नौ सदस्य होते हैं:
o अध्यक्ष, कें ि सरकार द्वारा वनयुक्त दकया जाता है।
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o 4 पूणक
थ ावलक सदस्य और 4 अंशकावलक सदस्य होते हैं। इनमें से बोर्थ के एक सदस्य को RBI वनयुक्त करता है और 2 बोर्थ सदस्य ववत्त मंत्रालय
द्वारा तर्ा 5 सदस्य कें ि सरकार द्वारा वनयुक्त दकए जाते हैं।
सेबी की शवक्तयां
• सेबी एक अिथ-ववर्ायी और अिथ-न्यावयक वनकाय है। यह प्रार्वमक और वद्वतीयक बाजार के काम-काज को वववनयवमत करने के वलए वववनयम तैयार
कर सकता है, पूछताछ कर सकता है, वनयमों को पाररत कर सकता है और जुमाथना लगा सकता है।
• प्रवतभूवत कानून (संशोर्न) अवर्वनयम, 2014 के आर्ार पर सेबी 100 करोड़ रुपये या उससे अवर्क मूल्य की दकसी भी मनी पूललंग योजना को
वववनयवमत कर सकता है। सार् ही, वनयमों के गैर-अनुपालन के मामलों में यह पररसंपवत्तयों को अटैच कर सकता है।
• सेबी, दकसी भी प्रवतभूवत लेन-देन के संबंर् में जांच के दौरान दकसी भी व्यवक्त या संस्र्ा से टेलीफोन कॉल र्ेटा ररकॉर्थ जैसी जानकारी मांग सकता है।
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• जुमाथना लगाने, दकसी संस्र्ा या व्यवक्त को अस्र्ायी या स्र्ायी रूप से बाजार से प्रवतबंवर्त करने जैसी कोई भी अनुशासनात्मक कायथवाही कर सकता
है।
• वनवेशकों के वहत में ऐसे दकसी भी मध्यवती या व्यवक्त का उवचत प्रबंर्न सुवनवित करने के वलए वनदेश जारी कर सकता है।
इवनवशयल पवललक • भारतीय प्रवतभूवत एवं वववनमय बोर्थ (SEBI/ सेबी) ने कं पवनयों की IPO वललस्टंग की समय सीमा छह ददन से घटाकर तीन
ऑफटरंग (IPO) के ददन कर दी है। इसे T+6 की जगह T+3 कर ददया गया है।
वलए संशोवर्त समय-
o IPO का तात्पयथ प्रार्वमक बाजार में जनता को प्रवतभूवतयों की वबक्री से है।
सीमा {Revised
o यह कं पवनयों के वलए र्न जुटाने के सबसे बड़े स्रोत के रूप में कायथ करता है।
Timeline for Initial • सेबी का नया कदम IPO जारीकताथओं के वलए ईज़ ऑफ र्ू इंग वबजनेस को बढ़ाएगा। सार् ही, यह कं पवनयों को पूंजी और
Public Offering तरलता तक त्वररत पहुंच प्रदान करे गा।
(IPO)})
BRSR कोर - फ्रेमवकथ • भारतीय प्रवतभूवत और वववनमय बोर्थ (सेबी/ SEBI) ने “BRSR कोर- आिासन के वलए फ्रेमवकथ और मूल्य श्रृंखला के वलए
ESG प्रकटीकरण” की शुरुआत की।
• पयाथवरण, सामावजक और गवनेंस (ESG) एक फ्रेमवकथ है,जो वहतर्ारकों को यह समझने में मदद करता है दक कोई संगठन
ESG मानदंर्ों से संबंवर्त जोवखमों और अवसरों का प्रबंर्न कै से कर रहा है।
• सेबी ने इसके वलए भारतीय प्रवतभूवत और वववनमय बोर्थ (सूचीबिता दावयत्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएं) वववनयम, 2015
में संशोर्न दकया है। संशोर्न के जररए वनम्नवलवखत बदलाव दकए गए हैं:
BRSR (वबजनेस • BRSR कोर, BRSR का एक सब-सेट है। इसमें 9 ESG ववशेषताओं के तहत मुयय
ररस्पॉवन्सवबवलटी एंर् प्रदशथन संकेतकों (KPIs) का एक सेट शावमल है।
सस्टेनवे बवलटी ररपोटथ) कोर
o BRSR ररपोर्टिंग के माध्यम से, सेबी ने सूचीबि कं पवनयों के वलए मानकीकृ त
और अपर्ेटेर् BRSR
तरीके से ESG प्रकटीकरण को पररभावषत दकया है।
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• भारतीय/ उभरते हुए बाजारों की प्रासंवगकता को ध्यान में रखते हुए छोटे शहरों में
रोजगार सृजन, व्यवसाय का खुलापन, मवहलाओं को भुगतान दकया जाने वाला
सकल वेतन जैसे आिासन के वलए कु छ नए KPIs की पहचान की गई है।
मूल्य श्रृख
ं ला के वलए ESG • ववत्त वषथ 2024-25 से सूचीबि शीषथ 250 कं पवनयों (बाजार पूज
ं ीकरण के आर्ार
प्रकटीकरण पर) पर लागू होगा।
• सूचीबि कं पनी अपनी वार्षथक ररपोटथ में BRSR कोर के अनुसार मूल्य श्रृंखला के
वलए प्रकटीकरण करें गी।
o मूल्य श्रृंखला में दकसी सूचीबि कं पनी के शीषथ अपस्ट्रीम और र्ाउनस्ट्रीम
साझेदारों को भी शावमल करना होगा, जो कु ल वमलाकर क्रमशः इसकी खरीद/
वबक्री के 75 प्रवतशत (मूल्य के अनुसार) वहस्से को कवर करते हैं।
हाल ही में, सेबी (SEBI)51 ने उि जोवखम वाले कु छ वचवन्हत ववदेशी पोटथफोवलयो वनवेशकों (FPIs)52 की ओर से अवतररक्त प्रकटीकरण को अवनवायथ करने
का प्रस्ताव पेश दकया है। इस फ्रेमवकथ या प्रस्ताव को एक परामशथ पत्र के तौर पर जारी दकया गया है।
• सेबी द्वारा वववनयवमत: यह सेबी (ववदेशी पोटथफोवलयो वनवेशक) वववनयम, 2019 (FPI वववनयम) के तहत वववनयवमत है।
o सेबी ने भारतीय प्रवतभूवतयों/ शेयर में FPI द्वारा दकए जाने वाले वनवेश पर कु छ सीमाएं वनर्ाथररत की हैं।
• कानूनी प्रावर्ान: ववदेशी मुिा प्रबंर्न अवर्वनयम, 199953 भारत में FPI को प्रबंवर्त करने वाला प्रार्वमक कानून है।
o र्न शोर्न वनवारण अवर्वनयम (PMLA)54, 2002 और र्न शोर्न वनवारण (ररकॉड्सथ का रख-रखाव वनयम), 200555
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• प्रेस नोट 3 (PN3) की शतों का उल्लंघन/ दुरुपयोग: PN3 के तहत यह अवनवायथ बनाया गया है दक भारत के सार् भूवम सीमा साझा करने वाले देश
की कोई कं पनी के वल सरकारी मागथ के जररए ही भारत में वनवेश कर सकती है।
o चूंदक PN3 ववदेशी पोटथफोवलयो वनवेश पर लागू नहीं होता है, इसवलए PN3 की शतों से बचने के वलए FPI मागथ का दुरुपयोग दकया जा सकता
है।
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• संबवं र्त पाटी लेन-देन (RPTs)56 के प्रकटीकरण में ववफलता: RPT का तात्पयथ दो पक्षों/ कं पवनयों के बीच दकए गए दकसी सौदे या व्यवस्र्ा से है, जो
पहले से मौजूद व्यावसावयक संबंर् या सामान्य वहत के चलते एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। हाल ही में, लहंर्नबगथ ररपोटथ में RPT के गैर-प्रकटीकरण पर
आपवत्त उठाई गई र्ी।
o FPI के वलए जो वतथमान फ्रेमवकथ है, उससे FPIs को RPT प्रकटीकरण (Disclosure) की आवश्यकताओं को अप्रत्यक्ष रूप से दरदकनार करने
की अनुमवत वमली हुई है।
हाल ही में, सेबी (SEBI) ने कॉपोरे ट ऋण बाजार ववकास फं र् (CDMDF)58 को शुरू करने के वलए एक फ्रेमवकथ जारी दकया है।
• कोष: इसका गठन एक वैकवल्पक वनवेश फं र् (AIF)59 के रूप में दकया गया है। इसके तहत बाजार में संकट/ दबाव के दौरान वनवेश-ग्रेर् वाली कॉपोरे ट-
ऋण प्रवतभूवतयों60 की खरीद की जाएगी।
o वैकवल्पक वनवेश फं र् (AIF) वस्तुतः वनजी तौर पर एकत्र दकए गए फं ड्स होते हैं। इन्हें भारत में वनवेश करने के वलए स्र्ावपत या वनगवमत दकया
जाता है। ऐसे फं र् के वलए आवश्यक र्नरावश अनुभवी वनवेशकों (जैसे- एंजेल वनवेशक, वेंचर कै वपटवलस्ट्स आदद) से जुटाई जाती है।
o इं वस्े टमेंट ग्रेर् एक प्रकार की रे टटंग है जो दशाथती है दक नगरपावलका या कॉपोरे ट बॉण्र् में वर्फ़ॉल्ट का जोवखम बहुत कम है।
• CDMDF को शुरू करने का उद्देश्य: प्रायः बाजार में संकट/ दबाव के दौरान ऋण बाजार को कई दबावों का सामना करना पड़ता है। ऐसे संकट के
समय सबसे पहले खुले बाजार में बॉण्ड्स और प्रवतभूवतयों (ववशेष रूप से लंबी पररपक्वता अववर् वाले बॉण्ड्स और प्रवतभूवतयां) की वबक्री होने लगती
है, वजससे तरलता संकट की वस्र्वत उत्पन्न हो जाती है। ऐसे समय में CDMDF तरलता पहुंच प्रदान करके बाजार की मदद करे गा।
o वजस प्रकार संकट आने पर RBI बैंकों के वलए तरलता उपललर् कराता है, उसी प्रकार यह फं र् कॉपोरे ट ऋण बाजार की मदद करे गा।
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• योगदान (Contribution): कु छ ववशेष ऋण-उन्मुख म्यूचुअल फं र् योजनाओं और पररसंपवत्त प्रबंर्न कं पवनयों (AMCs)61 के वलए इस फं र् में योगदान
करना अवनवायथ होगा।
• अववर् (Tenure): इसकी अववर् शुरुआत में 15 वषथ होगी। हालांदक, इसे सेबी के वनदेशों के अनुसार ववस्ताररत दकया जा सकता है।
• ऋण बाजार को प्रायः बॉण्र् बाजार या दफक्स्र्-इनकम माके ट या क्रेवर्ट माके ट कहा जाता है।
o ऋण बाजार को मोटे तौर पर सरकारी ऋण/ बॉण्र् बाजार और कॉपोरे ट ऋण/ बॉण्र् बाजार में वगीकृ त दकया जा सकता है।
• इश्यू/ जारी करना: कं पवनयां प्रायः अपने काम-काज को बढ़ाने, नए उत्पाद बनाने या नई वववनमाथण सुववर्ाएं खोलने के वलए कॉपोरे ट बॉण्र् जारी
करती हैं।
• प्रकृ वत: कॉपोरे ट बॉण्ड्स आमतौर पर लंबी अववर् के ऋण वलखत (Debt instruments) होते हैं। इनकी पररपक्वता अववर् (Maturity) एक वषथ से
अवर्क होती है।
• वववनयमन: कॉपोरे ट ऋण बाजार के वववनयमन का अवर्कार सेबी (SEBI) के पास है।
o 2002 में सेबी और RBI के बीच वनयामकीय क्षेत्रावर्कार को प्रवतभूवत अनुबर्
ं (वववनयमन) अवर्वनयम62, 1956 में संशोर्न करके स्पि दकया
गया र्ा।
o इसके बाद, मुिा बाजार और सरकारी प्रवतभूवतयों को RBI के वववनयामकीय क्षेत्रावर्कार में स्पि रूप से लाया गया र्ा।
• भारत में बॉण्र् बाजार की वस्र्वत: माचथ 2022 तक, भारत में आउटस्टैंलर्ंग कॉपोरे ट बॉण्ड्स GDP के लगभग 17 प्रवतशत के बराबर र्ा।
o अन्य उभरती हुई एवशयाई अर्थव्यवस्र्ाओं के वलए यही आंकड़े काफी अवर्क हैं: साउर् कोररया (80 प्रवतशत से अवर्क), मलेवशया (50 प्रवतशत
से अवर्क), चीन (लगभग 40 प्रवतशत)।
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• वनवेश के वलए आवश्यक: आर्र्थक सवेक्षण 2018-19 में इस बात पर बल ददया गया र्ा दक भारत को उपभोग-आर्ाररत अर्थव्यवस्र्ा से वनवेश-
आर्ाररत अर्थव्यवस्र्ा में बदलने की जरूरत है।
• संसार्नों का कु शल आवंटन: यह कॉपोरे ट्स हेतु लागत-प्रभावी ढंग से र्न जुटाने और बैंक ववत्त पर वनभथरता कम करने के वलए अवतररक्त मागथ के रूप
में कायथ करता है।
• कॉपोरे ट बैलस
ें शीट में सुर्ार: अच्छी तरह से ववकवसत कॉपोरे ट ऋण बाजार से बाह्य वावणवज्यक उर्ारी (ECBs)63 पर कॉपोरे ट जगत की वनभथरता
में कमी आती है। गौरतलब है दक अंतराथष्ट्रीय बाजार में ECBs पर अवर्क वनभथरता को अवस्र्रता का सूचक भी माना जाता है।
5.5. वनवे श क से वा कोष और वनवे श क सु र क्षा कोष {Investor Services Fund (ISF) and
Investor Protection Fund (IPF)}
सुर्ख़थयों में क्यों?
हाल ही में, सेबी (SEBI) ने स्टॉक एक्सचेंज एवं वर्पॉवजटरी द्वारा देख-रे ख दकए जाने वाले वनवेशक सुरक्षा कोष (IPF) और वनवेशक सेवा कोष (ISF) के
वलए व्यापक ददशा-वनदेश प्रस्तुत दकए हैं।
IPF की स्र्ापना का उद्देश्य स्टॉक एक्सचेंज के भागीदारों (जैस-े स्टॉकिोकर और वनवेशक) के वहतों की रक्षा करना है।
• स्र्ापना: सभी स्टॉक एक्सचेंज एवं वर्पॉवजटरी एक IPF की स्र्ापना करें गे।
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o वर्पॉवजटरी (Depository): वर्पॉवजटरी एक ववत्तीय संस्र्ान या संगठन होता है, जो व्यवसायों और व्यवक्तयों से ववत्तीय वलखतों की वर्पॉवजट
स्वीकार करता है। वह स्टॉक तर्ा बॉण्र् जैसे ववत्तीय वलखतों को खरीदने और बेचने में सहायता भी करता है।
▪ उदाहरण के वलए र्ीमैट खाते भारत में के वल अग्रवलवखत वर्पॉवजटरी में ही खोले जा सकते हैं- सेंट्रल वर्पॉवजटरी सर्वथसेज (इंवर्या) वलवमटेर्
(CDSL) और नेशनल वसक्योररटीज वर्पॉवजटरी वलवमटेर् (NSDL)
• प्रशासन: स्टॉक एक्सचेंज और वर्पॉवजटरी के IPF के प्रशासवनक काम-काज की देख-रे ख इसी उद्देश्य से बनाए गए अलग-अलग ट्रस्टों द्वारा की जाएगी।
• पृर्क्कृ त वनवर् (Segregated Funds): स्टॉक एक्सचेंज और वर्पॉवजटरी यह सुवनवित करें गे दक IPF में र्नरावश पूरी तरह से अलग रहे। सार् ही,
उन्हें यह भी देखना होगा दक उनके IPF क्रमशः स्टॉक एक्सचेंज और वर्पॉवजटरी की दकसी भी देयता (Liabilities) से मुक्त हो।
• समीक्षा: स्टॉक एक्सचेंज और वर्पॉवजटरी यह सुवनवित करने के वलए अिथ-वार्षथक समीक्षा करें गे दक IPF की रावश अपने उवचत स्तर पर है या नहीं।
स्टॉक • प्राि हुए वललस्टंग शुल्क का 1 प्रवतशत। • वर्फॉल्ट होने वाले ट्रेलर्ंग मैनेजसथ (TMs) के ग्राहकों के वैर्
एक्सचेंज • आम जनता के समक्ष सलसदक्रप्शन के वलए प्रवतभूवतयों की पेशकश के वनवेश दावों का वनपटान करने में।
समय जारीकताथ कं पवनयों द्वारा रखी गई 1 प्रवतशत वसक्यूररटी • वनवेशकों को अंतररम राहत संबर्
ं ी भुगतान करने में।
वर्पॉवजट पर प्राि लयाज का 100 प्रवतशत।
• सेबी (SEBI) के वनयमों का पालन न करने पर ट्रेलर्ंग करने वाले
सदस्यों और सूचीबि कं पवनयों से वसूला गया जुमाथना।
• IPF से दकए गए दकसी भी वनवेश से प्राि लयाज या आय का कम-से-
कम 70 प्रवतशत।
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वर्पॉवजटरी • वर्पॉवजटरी के काम-काज से उन्हें प्राि लाभ का 5 प्रवतशत। • वनवेशक वशक्षा और वनवेशक जागरूकता कायथक्रमों को
• वर्पॉवजटरी प्रवतभावगयों और अन्य सदस्यों से प्राि सभी जुमाथने व बढ़ावा देने में।
दंर्। o इसका उद्देश्य प्रवतभूवत बाजार (या शेयर माके ट) संबंर्ी
• IPF से दकए गए दकसी भी वनवेश से प्राि लयाज या आय। साक्षरता को बढ़ाना और प्रवतभूवत बाजार में खुदरा
भागीदारी को बढ़ावा देना है।
• बेवनदफवशयल ऑनर के वैर् दावों को पूरा करने में।
ISF का उद्देश्य वनवेश करने वाली जनता को ववववर् प्रकार की सेवाएं प्रदान करना है , जैसे- वनवेशक वशक्षा और जागरूकता कायथक्रम, कं पवनयों की
जानकारी का प्रसार करना आदद।
• ववत्त-पोषण: स्टॉक एक्सचेंज को ISF के वलए प्राि वललस्टंग शुल्क का कम-से-कम 20% वनवेश करने वाली जनता को सेवाएं प्रदान करने के वलए
अलग रखना होगा।
• पयथवक्ष
े ण (Supervision): ISF की वनगरानी वववनयामकीय वनरीक्षण सवमवत64 द्वारा की जाएगी।
o वववनयामकीय वनरीक्षण सवमवत, स्टॉक एक्सचेंजों और वक्लयटरं ग कॉपोरे शन वववनयम, 2018 द्वारा घोवषत बाजार अवसंरचना संस्र्ानों (MII)65
के वलए सात सवमवतयों में से एक है।
▪ माके ट इं फ्रास्ट्रक्चर इं स्टीट्यूशन (MII): यह एक प्रकार की ववत्तीय संस्र्ा है। यह स्टॉक माके ट / पूंजी बाजार में दैवनक संचालन या काम-
काज के वलए आवश्यक अवसंरचना प्रदान करती है। स्टॉक एक्सचेंज, वर्पॉवजटरी और वक्लयटरं ग हाउस सभी माके ट इं फ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन
के उदाहरण हैं।
• स्टॉक एक्सचेंज के ISF का उपयोग:
o वनवेशक वशक्षा और वनवेशक जागरूकता कायथक्रमों को बढ़ावा देने में।
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o कोष का कम-से-कम 50% वहस्सा रटयर-II और रटयर-III शहरों में खचथ दकया जाएगा।
o मध्यस्र्ों के प्रवशक्षण पर होने वाले खचथ में।
• खचथ न हो पाए IPF/ ISF का ट्रांसफर: यदद कोई स्टॉक एक्सचेंज या वर्पॉवजटरी बंद हो जाता/ जाती है या उसकी मान्यता समाि हो जाती है या वह
अपना काम-काज बंद कर देता है, तो स्टॉक एक्सचेंज और वर्पॉवजटरी के पास खचथ में न आने वाली IPF और/ या ISF की शेष रावश सेबी के वनवेशक
• IPEF की स्र्ापना सेबी द्वारा 2007 में की गई र्ी। इसे सेबी (IPEF) वववनयम, 2009 के तहत वववनयवमत दकया जाता है।
• इसका उपयोग वनवेशकों की सुरक्षा तर्ा वनवेशक वशक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देने के वलए दकया जाता है।
• इसे सेबी द्वारा ददए गए अंशदान, कें ि सरकार या राज्य सरकारों द्वारा ददए गए अनुदान एवं दान, सुरक्षा जमा (Security Deposits) और गैर-मान्यता
प्राि स्टॉक एक्सचेंजों के IPF/ ISF में जमा रावश आदद के माध्यम से ववत्त-पोवषत दकया जाता है।
हाल ही में, भारतीय प्रवतभूवत और वववनमय बोर्थ (सेबी/ SEBI) ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) से जुड़े फ्रेमवकथ को लचीला बनाने की वसफाररश को
फ्रेमवकथ को लचीला बनाने से पता चलता है दक SSE का ववत्त-पोषण वनम्नवलवखत के माध्यम से दकया जा सकता है:
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• NPOs के मामले में: म्यूचअ
ु ल फं र् के माध्यम से दान देकर और जीरो कू पन जीरो लप्रंवसपल (ZCZP) बॉण्ड्स जारी करके ।
o ZCZPs को के वल SSE पर पंजीकृ त NPO ही जारी कर सकता है। इन बॉण्ड्स की एक ववशेष अववर् होती है।
o ZCZP बॉण्र् की पररपक्वता अववर् पर मूलर्न का भुगतान नहीं दकया जाता है। इस तरह के दान के पीछे का उद्देश्य कल्याण एवं कर संबंर्ी
• SSE वस्तुतः स्टॉक एक्सचेंज का ही एक अलग सेगमेंट है। यह सामावजक उद्यमों को स्टॉक एक्सचेंज तंत्र के जररए जनता से र्न जुटाने में मदद करता
है। जैसे- यहां लाभ अजथक सामावजक उद्यम (FPEs) और NPOs सामावजक उद्देश्यों से र्न जुटा सकते हैं।
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• सेबी के ददशा-वनदेशों के तहत SSE में सूचीबि होने के वलए सामावजक उद्यमों को वनर्ाथररत सूचीबि सामावजक कायों में से दकसी एक सामावजक
कायथ में शावमल होना होगा। इनमें शावमल कु छ मुयय कायथ वनम्नवलवखत हैं:
o भुखमरी, गरीबी, कु पोषण और असमानता को समाि करना;
o स्वास््य देखभाल को बढ़ावा देना;
o वशक्षा का समर्थन करना;
o ववत्तीय समावेशन करना,
o स्लम क्षेत्र का ववकास करना आदद।
• एक सामावजक उद्यम के रूप में मान्यता प्राि करने के वलए एक संगठन को वनम्नवलवखत मानदंर् को पूरा करना होगा:
राजस्व व्यय ग्राहक आर्ार/ लाभार्ी
वपछले 3 वषों के औसत राजस्व का कम-से-कम 67% वपछले 3 वषों के औसत व्यय का कम-से-कम 67% वपछले 3 वषों में वजतने ग्राहकों और/ या
वहस्सा, लवक्षत आबादी के सदस्यों को पात्र वहस्सा, लवक्षत आबादी के सदस्यों को पात्र लाभार्र्थयों को पात्र गवतवववर्यां प्रदान की गई हैं,
गवतवववर्यां प्रदान करने से आया हो। गवतवववर्यां प्रदान करने के वलए खचथ दकया गया उनमें से लवक्षत आबादी के सदस्य कम-से-कम
हो। 67% हों।
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�कसी भी �ूज़ से जुड़े �ूज पढ़ने का एक ऐसा नज�रया टे ��कल ट�र् और �ूज़ से
घटनाक्रम� के बारे मे बेहतर �वक�सत करने के �लए, �जससे अ�थ� जुड़े ज�टल कॉ�ेप्ट्स के बारे
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बनाता है। साथ ही, MCQs आधा�रत प्र�ो�री आपक� ल�न� ग को और मजबूत
बनाती है।
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रोजाना 9 PM पर �ूज टु डे �ूज़ टु डे ��ज़ के �लए
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भारतीय रुपये का सापेक्ष मूल्य (Valuation) भारत के प्रमुख व्यापाररक साझेदार देशों की मुिाओं की तुलना में लगभग दो साल के उितम स्तर पर पहुंच
गया है। कें िीय बैंक के हस्तक्षेप और घरे लू मुिास्फीवत के अवर्क रहने के कारण ऐसा हुआ है।
• यह एक मुिा के दकसी अन्य मुिा के सापेक्ष कीमत या मूल्य के वनर्ाथरण की प्रदक्रया है।
• मुिा का मूल्य जानने का सबसे आम तरीका वववनमय दर है।
o यह मूल्य या कीमत कई कारकों द्वारा प्रभाववत होता है। इन कारकों में लयाज दर, मुिास्फीवत, पूज
ं ी वनवेश और मुिा की आपूर्तथ, इत्यादद शावमल
हैं।
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वववनमय दर वनर्ाथरण की वववर्यां
• वनयत (यानी वनवित/ वस्र्र/ तय) वववनमय दर (Fixed Exchange Rates): इस प्रणाली में एक मुिा का मूल्य दकसी अन्य मुिा, मुिाओं की एक
बॉस्के ट या सोने जैसी वस्तु के मूल्य से वनर्ाथररत या तय दकया जाता है।
o इस प्रणाली में कें िीय बैंक मुिा की वनयत दर को बनाए रखने के वलए समय-समय पर हस्तक्षेप करता रहता है।
• लचीली (या वतरती) वववनमय दर (Flexible Exchange Rates): इसे फ्लोटटंग या वतरती वववनमय दरों के रूप में भी जाना जाता है। इसमें मुिा
की वववनमय दर बाजार की शवक्तयों द्वारा वनर्ाथररत होती है। इसका आशय है दक वववनमय दर अंतराथष्ट्रीय बाजारों में मुिा की मांग और आपूर्तथ की
शवक्तयों द्वारा वनर्ाथररत होती है।
o इस प्रणाली में कें िीय बैंक वववनमय दर के स्तर को प्रभाववत करने के वलए प्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप नहीं करता है।
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• प्रबंवर्त वववनमय दर (Managed Exchange Rates): यह एक ऐसी प्रणाली है जहां मुिा का मूल्य मुयय रूप से बाजार की शवक्तयों द्वारा वनर्ाथररत
दकया जाता है, लेदकन कें िीय बैंक कभी-कभी वववनमय दरों
को वस्र्रता प्रदान करने या प्रभाववत करने के वलए
हस्तक्षेप कर सकता है।
हाल ही में, कें िीय वावणज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने ववदेश व्यापार नीवत-2023 (FTP 2023) को अवर्सूवचत दकया है।
• अवर्सूचना: FTP 2023 को कें ि सरकार द्वारा अवर्सूवचत दकया गया है। कें ि सरकार ने यह अवर्सूचना ववदेश व्यापार (ववकास और वववनयमन)
अवर्वनयम, 199268 की र्ारा 5 के तहत प्रदत्त शवक्तयों का प्रयोग करते हुए जारी की है।
• वसिांत: यह समय के सार् अनुकूवलत योजनाओं की वनरं तरता पर आर्ाररत है। इसमें व्यापार की आवश्यकताओं के प्रवत जवाबदेही और वनयाथतकों के
सार् ‘वविास’ एवं ‘साझेदारी’ जैसे वसिांतों को अपनाया गया है।
• FTP 2015-20: कोववर्-19 महामारी और अवस्र्र भू-राजनीवतक पररदृश्य के कारण FTP 2015-20 को माचथ 2023 तक बढ़ा ददया गया र्ा।
o इस दौरान भारत का वनयाथत अपने उि स्तर पर पहुंच गया।
• नए FTP दृविकोण के चार स्तंभ
o इसमें प्रोत्साहन से लेकर कर छू ट सभी शावमल हैं।
o प्रौद्योवगकी, ऑटोमेशन और री-इंजीवनयटरं ग की वनरं तर प्रदक्रया के जररए अवर्क-से-अवर्क व्यापार सुववर्ा।
o वनयाथत को बढ़ावा देने के वलए उवचत सहयोग: वनयाथतक, राज्य और वजले।
o उभरते क्षेत्रों पर ववशेष फोकस, जैस-े ई-कॉमसथ के माध्यम से वनयाथत, वनयाथत कें िों के रूप में वजलों का ववकास करना, SCOMET (स्पेशल
के वमकल्स, ऑगथवनज्म, सामग्री, उपकरण एवं प्रौद्योवगदकयों का वनयाथत) मदों के वनयाथत को सुव्यववस्र्त करना।
67 Over-valued currency
68 Foreign Trade (Development & Regulation) Act, 1992
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*नोट: कृ पया ध्यान दें दक ददए गए इन्फोग्रादफक में शावमल आंकड़े 2022-23 से संबवं र्त हैं। हालांदक, इन क्षेत्रों से जुड़े आंकड़े मावसक आर्ार पर अपर्ेट
होते हैं। 2023-24 के वलए वार्षथक संकलन अभी तक उपललर् नहीं है।
अगले तीन आर्टथकल्स में, FTP 2023 के संबर्
ं में शुरू की ववववर् पहलों को कवर दकया गया है।
6.2.1. व्यापार सु ववर्ा और व्यापार सु ग मता, FTP 2023 (Trade Facilitation and Ease of Doing
Business, FTP 2023)
व्यापार सुववर्ा और व्यापार सुगमता (EoDB) के वलए शुरू की गई पहलें
• व्यापार सुववर्ा पर राष्ट्रीय सवमवत (NCTF)69: इस सवमवत की स्र्ापना ववि व्यापार संगठन (WTO) के व्यापार सुववर्ा समझौते (TFA)70 के
कायाथन्वयन और इससे संबंवर्त समन्वय को सरल बनाने के वलए की गई है।
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o WTO के TFA को 2017 में लागू दकया गया र्ा। इसका उद्देश्य सीमाओं के पार ‘लालफीताशाही’ के मुद्दे को हल करना और वस्तुओं की सुगम
आवाजाही को सुवनवित करना है।
• ववदेश व्यापार महावनदेशालय (DGFT)71 द्वारा शुरू की गई पहलें: DGFT, वनयाथत और आयात के संचालन की ददशा में समन्वयक/सहायक के रूप
में कायथ करता है। यह अलग-अलग वनयाथत संवर्थन पररषदों72 और व्यापार एवं उद्योग वनकायों से परामशथ भी करता है।
o वनयाथत बंर्ु योजना: इसे नए और संभाववत वनयाथतकों को सलाह देने के वलए लागू दकया जा रहा है।
o इलेक्ट्रॉवनक-आयातक वनयाथतक कोर् (e-IEC)73 जारी करना: IEC दकसी वनकाय को आवंरटत 10 अक्षरों की एक अल्फा-न्यूमेररक संयया होती
है। यह संयया दकसी भी वनयाथत/ आयात गवतवववर् के वलए अवनवायथ होती है।
o मूल स्र्ान का ई-प्रमाणपत्र (e-Certificate of Origin: e-CoO): CoO को प्राि करने के वलए यह एक ऑनलाइन सुववर्ा है। e-CoO में
वववशि संयया होती है, अर्ाथत् इसमें वववशि दस्तावेज पहचान संयया (UDIN)74 होती है जो सत्यापन के वलए एक QR कोर् की तरह काम
करती है।
• वनयाथत उत्कृ िता शहर (Towns of Export Excellence: TEE): इन्हें वनयाथत उत्पादन कें िों के ववकास और संवृवि के वलए चुना गया है।
o वावणज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, 750 करोड़ रुपये या
उससे अवर्क के सामान का उत्पादन करने वाले शहरों को TEE के
रूप में मान्यता दी जा सकती है। हालांदक, हर्करघा, हस्तवशल्प,
कृ वष और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रकों हेतु TEE में शावमल होने के
वलए न्यूनतम सीमा 150 करोड़ रुपये वनर्ाथररत की गई है।
• स्टेटस होल्र्र सर्टथदफके ट के मापदंर्ों का युवक्तकरण: “स्टेटस होल्र्र”
सर्टथदफके ट ऐसी वनयाथतक फमों को वबजनेस लीर्सथ के रूप में मान्यता
देता है, वजन्होंने अंतराथष्ट्रीय व्यापार में उत्कृ ि प्रदशथन दकया है और देश
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6.2.2. ववदे श व्यापार नीवत-2023 के तहत वनयाथ त को बढ़ावा दे ने के वलए शु रू की गई पहलें (Export
Promotion Initiatives by FTP 2023)
‘वनयाथत हब के रूप में वजले’ पहल (Districts as Export Hubs Initiative)
• सरकार ने वनयाथत को बढ़ावा देने के वलए राज्य/ वजला स्तर पर कई कदम उठाए हैं। इसके वलए सरकार ने राज्य वनयाथत प्रोत्साहन सवमवत (SEPC)75
और वजला वनयाथत प्रोत्साहन सवमवत (DEPC)76 का गठन दकया है।
o DEPCs द्वारा वजला वनयाथत कायथ योजना (DEAP)77 को तैयार की जायेगी और उनकी ऑनलाइन वनगरानी की जाएगी।
• वचवननत उत्पादों और सेवाओं की िांलर्ंग, पैकेलजंग, वर्जाइन एवं माके टटंग पर ध्यान कें दित करने के वलए वजलों में वनयाथत संवर्थन आउटरीच कायथक्रम
की शुरुआत की गई है।
• इन पहलों का समर्थन करने के वलए चल रही योजनाओं में भी आपसी समन्वय स्र्ावपत दकया जाना है।
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पूज
ं ीगत वस्तु वनयाथत संवर्थन (Export Promotion of Capital Goods: EPCG) योजना
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o रोजगार सृवजत करना।
• पात्र इकाइयां: वे इकाइयां जो अपनी वस्तु और सेवाओं के संपण
ू थ उत्पादन का वनयाथत करती हैं, उन्हें वनम्नवलवखत योजनाओं के तहत स्र्ावपत दकया जा
सकता है:
o वनयाथतोन्मुख इकाई (Export Oriented Unit: EOU) योजना;
o इलेक्ट्रॉवनक्स हार्थवय
े र प्रौद्योवगकी पाकथ योजना (EHTP);
o सॉफ्टवेयर टेिोलॉजी पाकथ योजना (STP); या
o जैव प्रौद्योवगकी पाकथ योजना (BTP)।
▪ इन योजनाओं के तहत ट्रेलर्ंग इकाइयां शावमल नहीं हैं।
र्ीम्र् एक्सपोट्सथ
• पररभाषा: र्ीम्र् एक्सपोटथ उन लेन-देन को संदर्भथत करता है वजसमें आपूर्तथ (वनयाथत) की गई वस्तुएं देश से बाहर नहीं जाती हैं। ऐसी आपूर्तथ के वलए
भुगतान या तो भारतीय रुपये में या ववदेशी मुिा में होता है।
o सरल शलदों में र्ीम्र् एक्सपोटथ के तहत, वस्तु को भारत में ही दकसी ऐसे व्यवक्त को बेचा जा सकता है वजसके पास इन मूल वस्तुओं के आयात के वलए
लाइसेंस है।
▪ ऐसा ववक्रेता र्ीम्र् वनयाथतक है और खरीदार र्ीम्र् आयातक कहलाता है। इसके वलए खरीदार के पास इम्पोटथ लाइसेंस होना जरूरी होता है।
• उद्देश्य: घरेलू वववनमाथताओं को समान अवसर प्रदान करना और मेक इन इंवर्या को बढ़ावा देना।
6.2.3. ववदे श व्यापार नीवत-2023 के तहत शु रू की गई अन्य पहलें (Other initiatives by FTP 2023)
वर्वजटल इकोनॉमी के वलए सीमा-पार व्यापार को बढ़ावा देने हेतु पहलें
• ई-कॉमसथ वनयाथत हब (E-Commerce Export Hubs: ECEHs): वनर्दथि क्षेत्रों को ECEHs के रूप में स्र्ावपत दकया जाएगा। ECEHs अनुकूल
व्यावसावयक अवसंरचना के वलए एक कें ि के रूप में कायथ करें गे और सीमा-पारीय ई-कॉमसथ गवतवववर्यों के वलए उपयुक्त सुववर्ाएं प्रदान करें ग।े
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o ECEH की स्र्ापना: ECEH को वनजी क्षेत्रक की पहल के तहत सावथजवनक-वनजी भागीदारी (Public-Private Partnership: PPP) मोर् में
स्र्ावपत दकया जा सकता है।
o ECEH संचालन की प्रकृ वत: ECEH, ई-कॉमसथ वनयाथतकों के वलए समूह आर्ाररत लाभ (Agglomeration benefits) अर्जथत करने का कायथ
करे गा। ECEH वनम्नवलवखत सुववर्ाओं को उपललर् कराएगा:
▪ वनयाथत के वलए प्रमाणन एवं परीक्षण और अन्य सामान्य सुववर्ाएं,
▪ वनकटतम लॉवजवस्टक्स हब/ हबों से जुड़ने और सेवाओं का लाभ उठाने के वलए समर्पथत लॉवजवस्टक्स अवसंरचना।
o ववत्तीय सहायता: ECEH को बाजार पहुंच पहल (MAI)80 योजना के तहत ववत्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
• र्ाक मागथ (Postal Route) से ई-कॉमसथ वनयाथत को बढ़ावा देना: इसके वलए पूरे देश में र्ाक घर वनयाथत कें िों को संचावलत दकया जाएगा। ये वनयाथत
कें ि ववदेशी र्ाकघरों (FPOs) के सार् वमलकर हब-एंर्-स्पोक मॉर्ल की तजथ पर काम करें गे। इससे सीमा-पारीय ई-कॉमसथ वनयाथत को बढ़ावा वमलेगा।
• अवग्रम प्रावर्करण (Advance Authorisation: AA): AA के तहत आयात को वनम्नवलवखत भुगतान (जहां भी लागू हों) से छू ट दी गई है:
o बुवनयादी सीमा शुल्क,
o अवतररक्त सीमा शुल्क,
o वशक्षा उपकर,
o एंटी-र्ंलपंग ड्यूटी,
o काउं टरवेललंग ड्यूटी,
o सेफगार्थ ड्यूटी,
ट्रांवजशन प्रोर्क्ट स्पेवसदफक सेफगार्थ ड्यूटी।
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o
• शुल्क मुक्त आयात प्रावर्करण (Duty-Free Import Authorization: DFIA): DFIA को के वल बुवनयादी सीमा शुल्क (BCD)81 के भुगतान से छू ट
दी जाएगी।
• वनयाथवतत उत्पादों पर शुल्क और करों की छू ट योजनाएं (Schemes for Remission of Duties and Taxes on Exported Products:
RoDTEP): इसका उद्देश्य कें ि, राज्य और स्र्ानीय स्तर पर वनयाथत दकए गए उत्पाद पर वतथमान में ररफं र् नहीं दकए गए शुल्कों/ करों/ आरोवपत
अन्य रावशयों को वापस करना है।
o इसे वावणज्य ववभाग (वावणज्य और उद्योग मंत्रालय) द्वारा अवर्सूवचत दकया गया र्ा। इसे राजस्व ववभाग (ववत्त मंत्रालय) द्वारा प्रशावसत दकया
जाता है।
स्कोमेट (SCOMET) अर्ाथत् ववशेष रसायन, जीव, सामवग्रयां, उपकरण तर्ा प्रौद्योवगदकयां (Special Chemicals, Organisms, Materials,
Equipment and Technologies: SCOMET)
• दोहरे उपयोग की वस्तुओं का वववनयमन: हाल ही में, भारत ने स्कोमेट सवहत सॉफ्टवेयर एवं प्रौद्योवगकी जैसे दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं और परमाणु
संबंर्ी वस्तुओं के वनयाथत को वववनयवमत दकया है। यह कायथ अंतराथष्ट्रीय अवभसमयों और दावयत्वों के सार्-सार् बहुपक्षीय वनयाथत वनयंत्रण व्यवस्र्ाओं
(MECRs)82 के ददशा-वनदेशों तर्ा वनयंत्रण सूवचयों के अनुसार दकया गया है।
o दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं के वनयाथत पर प्रवतबंर् है। हालांदक, ववशेष छू ट और उवचत प्रावर्करण से अनुमवत के बाद इनके वनयाथत की अनुमवत
है।
• स्कोमेट सूची: यह भारत की राष्ट्रीय वनयाथत वनयंत्रण सूची83 है। यह सूची सभी MECRs और अवभसमयों की वनयंत्रण सूवचयों के अनुरूप है।
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o स्कोमेट मदों को सामूवहक ववनाश के हवर्यारों और उनके वर्लीवरी वसस्टम्स (गैर-कानूनी गवतवववर्यों का वनषेर्) अवर्वनयम, 2005 के तहत
वववनयवमत दकया जाता है।
o स्कोमेट सूची के अंतगथत आने वाली आयावतत वस्तुओं के वनयाथत की अनुमवत नहीं है।
• स्कोमेट पर आउटरीच कायथक्रम: इस कायथक्रम को DGFT द्वारा प्रशासवनक मंत्रालयों/ ववभागों और व्यापार संघों के सहयोग से आयोवजत दकया
जाएगा। इसका उद्देश्य व्यापार और वववनमाथण से संबंवर्त वनयाथतकों/ आयातकों के बीच ववशेष रूप से स्कोमेट मदों के बारे में जागरूकता को बढ़ाना
है।
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6.3. भारत के मु क्त व्यापार समझौते {Free Trade Agreements (FTA) of India}
सुर्ख़थयों में क्यों?
कें िीय मंवत्रमंर्ल ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के सार् वद्वपक्षीय वनवेश संवर् (BIT) पर हस्ताक्षर और अनुसमर्थन को मंजूरी प्रदान की।
• BIT एक देश के नागररकों और कं पवनयों द्वारा दूसरे देश में दकए गए वनवेश की सुरक्षा के वलए एक पारस्पररक समझौता है।
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हाल ही में, ववि व्यापार संगठन (WTO) ने अंतराथष्ट्रीय व्यापार में बढ़ते वबखराव या ववखंर्न की बात कही है। WTO के अनुसार, 2015 और 2022 के
बीच व्यापार संबर्
ं ी वशकायतों की संयया में नौ गुना वृवि हुई है।
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• पररभाषा: ट्रेर् बैररयसथ अंतराथष्ट्रीय व्यापार को प्रवतबंवर्त करने वाली नीवतयां या वववनयम होती/ होते हैं। अंतराथष्ट्रीय व्यापार में लगाए जाने वाले
प्रशुल्क (टैररफ), कोटा, लाइसेंस आदद को मुययतः ट्रेर् बैररयसथ का वहस्सा माना जाता है।
• प्रकार: व्यापार में टैररफ और नॉन-टैररफ बैररयसथ हो सकते हैं।
o टैररफ बैररयसथ: सरल शलदों में, टैररफ बैररयर एक प्रकार का कर है, जो आयावतत उत्पादों पर लगाया जाता है। इस कर के कारण उत्पाद की
लागत बढ़ जाती है और इस बढ़ी हुई लागत का उपभोक्ताओं द्वारा वहन दकया जाता है।
o नॉन-टैररफ बैररयसथ (NTBs): नॉन-टैररफ उपाय (NTMs)85 टैररफ के अवतररक्त वे नीवतगत उपाय हैं, जो दकसी देश में आयात को प्रभाववत करते
हैं। जब NTMs तार्कथ क औवचत्य से परे व मनमाने ढंग से काम करने लगते हैं और व्यापार में बार्ा उत्पन्न करते हैं, तो उन्हें NTBs कहा जाता
है।
▪ संयुक्त राष्ट्र व्यापार और ववकास सम्मेलन (UNCTAD/ अंकटार्) ने 16 प्रकार के गैर-टैररफ बैररयसथ को वगीकृ त दकया है, इनमें वनम्नवलवखत
शावमल हैं-
✓ तकनीकी बैररयसथ: जैसे दक सैवनटरी और फाइटोसैवनटरी (SPS) उपाय आदद।
✓ गैर-तकनीकी बैररयसथ: जैसे दक व्यापार-सुरक्षात्मक उपाय, उत्पवत्त के वनयम (RoO)86, व्यापार से संबंवर्त वनवेश उपाय आदद।
✓ वनयाथत संबंर्ी उपाय।
• एक आकलन के अनुसार, भारत का 80% व्यापार दकसी-न-दकसी प्रकार के NTB के अर्ीन है।
• भारत से वनयाथत दकए जाने वाले वनम्नवलवखत उत्पाद वनयवमत रूप से उि NTBs का सामना कर रहे हैं:
o यूरोपीय संघ को वनयाथत की जाने वाली चाय, बासमती चावल, पशु उत्पाद, रसायन उत्पाद आदद;
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o जापान को वनयाथत दकए जाने वाले वतल के बीज, झींगा, दवाइयां, पररर्ान आदद;
o चीन को वनयाथत दकए जाने वाले मांस, मछली, र्ेयरी और औद्योवगक उत्पाद;
o संयुक्त राज्य अमेररका को वनयाथत दकए जाने वाले फल और झींगा;
• सैवनटरी और फाइटोसैवनटरी उपाय उन्नत अर्थव्यवस्र्ाओं में भारतीय वनयाथत के समक्ष मुयय बार्ाएं हैं।
अन्य सुर्ख़थयां
व्यापार और ववकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (अंकटार्/
UNCTAD ने “व्यापार और ववकास ररपोटथ-2023”
जारी की गई।
• ररपोटथ के मुयय लबंदओं
ु पर एक नज़र:
o वैविक पररदृश्य में: 2023 में वैविक
अर्थव्यवस्र्ा की संववृ ि दर 2.4% रहने का
अनुमान है।
o भारत की आर्र्थक संववृ ि दर 2023 में 6.6%
और 2024 में 6.2% रहने का अनुमान है।
• UNCTAD के बारे में:
o उत्पवत्त: यह संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्र्ावपत एक स्र्ायी अंतर-सरकारी वनकाय है। इसकी स्र्ापना 1964 में हुई र्ी।
o सदस्य: भारत सवहत 195 सदस्य देश।
o सौंपे गए कायथ (Mandate): अंकटार् के कायथ मुययतः वनम्नवलवखत चार क्षेत्रकों पर कें दित हैं-
85 Non-Tariff Measures
86 Rules of Origin
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o व्यापार और ववकास,
o वनवेश और उद्यम,
o प्रौद्योवगकी और नवाचार, तर्ा
o समवि अर्थशास्त्र एवं ववकास संबंर्ी नीवतयां।
o कायथ (Function):
▪ ववकासशील देशों को वैविक अर्थव्यवस्र्ा में अवर्क न्यायसंगत रूप से भाग लेने में मदद करना।
▪ व्यापार, वनवेश, ववत्त और प्रौद्योवगकी हस्तांतरण की सहायता से ववकासशील देशों में समावेशी एवं संर्ारणीय ववकास को बढ़ावा देना।
• WTO अंतराथष्ट्रीय व्यापार के वलए वनयम बनाने वाला एकमात्र वैविक मंच है।
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o यह व्यापार वाताथ को सुववर्ाजनक बनाता है, व्यापार समझौतों के कायाथन्वयन की वनगरानी करता है और देशों के बीच व्यापार वववादों को
वनपटाने के वलए एक मंच के रूप में कायथ करता है।
• अंतराथष्ट्रीय व्यापार से जुड़े वनयमों को लेकर 1987 से 1994 तक बहुपक्षीय व्यापार वाताथ का उरुग्वे दौर आयोवजत दकया गया र्ा। वषथ 1994 में इस
वाताथ के समापन पर माराथकेश समझौते पर हस्ताक्षर दकए गए र्े। इस समझौते के जररए ही WTO को स्र्ावपत दकया गया र्ा। यह समझौता 1
जनवरी, 1995 को लागू हुआ र्ा।
o WTO को जनरल अग्रीमेंट ऑन टैररफ्स एंर् ट्रेर् (GATT) के स्र्ान पर लाया गया है। गौरतलब है दक GAIT एक व्यापाररक समूह र्ा। इसे
1948 में स्र्ावपत दकया गया र्ा। इसके वनयमों ने आर्ुवनक बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की शुरुआत की र्ी।
• सदस्य: इस संगठन में भारत सवहत 164 सदस्य हैं।
• WTO में वनवेश सुववर्ा समझौता (Investment Facilitation Agreement):
o ववकासशील एवं सबसे कम ववकवसत WTO सदस्यों के एक समूह द्वारा 2017 में लॉन्च दकया गया। यह एक संयुक्त पहल है वजसका उद्देश्य
ववकास के वलए वनवेश सुववर्ा पर एक बहुपक्षीय समझौता तैयार करना है जो वनवेश और व्यापार माहौल में सुर्ार करे गा।
o इसमें भारत शावमल नहीं है।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
स्वतंत्र हैं दक वे 'ववकवसत' हैं या 'ववकासशील'।
o संयुक्त राष्ट्र ने भी ववकासशील देशों की कोई औपचाररक पररभाषा वनर्ाथररत नहीं की है। दफर भी वह वनगरानी संबर्
ं ी कायों के वलए इस शलद का
उपयोग करता रहता है।
विक्स देश (िाजील, रूस, भारत, चीन और साउर् अफ्रीका) अंतराथष्ट्रीय व्यापार में भुगतान के वलए एक नई मुिा ववकवसत करने का प्रयास कर रहे हैं।
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• इसके अवतररक्त, भारत और मलेवशया भुगतान के अन्य वतथमान माध्यमों के अलावा भारतीय रुपये में व्यापार का भुगतान करने के वलए सहमत हुए
हैं।
• इन कदमों को वव-र्ॉलरीकरण की ददशा में एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है।
• व्यापार का शस्त्रीकरण (Weaponization of Trade): ऐसे देश वजन पर प्रवतबंर् लगाए गए हैं और वजन्हें वविव्यापी अंतर बैंक ववत्तीय दूरसंचार
सोसायटी (SWIFT)87 से बाहर कर ददया गया है, उन्हें व्यापार करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के वलए- यूक्रेन युि के
बाद रूस पर कई प्रवतबंर् लगाए गए र्े।
• नई उभरती अर्थव्यवस्र्ाएं: आर्र्थक महाशवक्त के रूप में एवशया के उदय ने भारतीय रुपये और युआन जैसी मुिाओं के महत्व को बढ़ा ददया है।
• ववववर्ता: यदद ववदेशी मुिा भंर्ार ववववर् मुिाओं से पररपूणथ होगा, तो बाहरी क्षेत्रकों पर दबाव कम पड़ेगा।
• अमेररका द्वारा वैविक ववत्तीय प्रणाली में हेर-फे र: अमेररकी र्ॉलर के प्रभुत्व से अमेररका को अपने वनजी लाभ के वलए वैविक ववत्तीय प्रणाली में हेर-
फे र करने का भी मौका वमल जाता है। इससे प्रायः अन्य देशों को नुकसान उठाना पड़ता है।
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हाल ही में, ववि बैंक ने “माइग्रेशन एंर् र्ेवलपमेंट िीफ: वनजी पूज
ं ी जुटाने के वलए प्रवावसयों के ववत्त का लाभ उठाना 89शीषथक से एक वार्षथक ररपोटथ जारी
की है।
• वैविक रे वमटेंस/ ववप्रेषण (Global Remittance): 2023 में ववि में रे वमटेंस के रूप में 860 वबवलयन र्ॉलर भेजे जाने का अनुमान है। यह वषथ 2022
की तुलना में 3 प्रवतशत अवर्क है।
• वनम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMICs)90 को रे वमटेंस: 2023 में LMICs को रे वमटेंस के रूप में 669 वबवलयन र्ॉलर प्राि होने का अनुमान है।
यह 2022 की तुलना में 3.8 प्रवतशत अवर्क है।
o 2023 में भी LMICs में प्रत्यक्ष ववदेशी वनवेश (FDI) और आवर्काररक ववकास सहायता (ODA)91 की तुलना में रे वमटेंस ववदेशी स्रोतों से ववत्त
प्रावि का मुयय स्रोत बना रहा है।
o 2024 में सभी LMICs में दवक्षण एवशया में रे वमटेंस में सवाथवर्क वृवि (89 वबवलयन र्ॉलर) होने का अनुमान है। इस अनुमावनत वृवि का कारण
भारत को अवर्क रे वमटेंस प्राि होना है।
• पररवारों की प्रयोज्य आय
(Disposable Income) बढ़ने के
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
सार्-सार् रे वमटेंस से अर्थव्यवस्र्ा
में खपत बढ़ती है। इससे GDP
वृवि को आगे बढ़ाने में मदद
वमलती है।
o भारत की GDP का 3%
रे वमटेंस के रूप में आता है।
जब भारत का व्यापार घाटा
बढ़ता है, तो रे वमटेंस एक
बहुत जरूरी सहारा प्रदान
करता है।
o प्रयोज्य आय (Disposable
income) वह र्नरावश है
वजसे दकसी व्यवक्त या पररवार
को आयकर में कटौती के बाद
खचथ करना या बचाना होता
है।
• रे वमटेंस ववकासशील देशों के वलए
बाह्य ववत्त (External Finance) का एक प्रमुख स्रोत है।
o सेवाओं के वनयाथत के बाद रे वमटेंस बाह्य ववत्त-पोषण का दूसरा सबसे बड़ा प्रमुख स्रोत है। (आर्र्थक सवेक्षण 2022-23)।
89 Migration and Development Brief: Leveraging Diaspora Finances for Private Capital Mobilization”
90 Low and Middle-income Countries
91 Official development assistance
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र्ू इंग वबजनेस ररपोटथ ग्लोबल इकोनॉवमक प्रॉस्पेक्ट्स ग्लोबल फाइनेंवशयल र्ेवलपमेंट ररपोटथ
कमोवर्टी माके ट्स आउटलुक पावटी एंर् शेयर्थ प्रोस्पैररटी वल्र्थ र्ेवलपमेंट ररपोटथ
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
हाल ही में, कें िीय ववत्त मंत्रालय ने भारतीय वनवावसयों द्वारा ववदेशों में क्रेवर्ट कार्थ से दकए जाने वाले खचथ को भारतीय ररजवथ बैंक (RBI) की ‘उदारीकृ त
ववप्रेषण योजना’ (LRS)97 में शावमल कर ददया है। गौरतलब है दक LRS के तहत एक ववत्तीय वषथ में 2,50,000 र्ॉलर तक ववप्रेषण (ववदेशों में पैसा भेजने
या खचथ करने) की अनुमवत है।
• वतथमान वस्र्वत: अब तक वनवासी भारतीय द्वारा ववदेशों में क्रेवर्ट कार्थ के उपयोग को ववप्रेषण संबर्
ं ी 2,50,000 र्ॉलर की सीमा से बाहर रखा गया
र्ा। क्रेवर्ट कार्थ र्ारकों को यह छू ट ववदेशी मुिा प्रबंर्न (चालू खाता लेन-देन) {FEM(CAT)} वनयम, 200098 के तहत वमली र्ी।
o गौरतलब है दक ववदेशों में ‘र्ेवबट कार्थ’ से होने वाले लेन-देन को LRS में पहले ही शावमल दकया जा चुका है।
• FEM(CAT) वनयम: इन वनयमों को ववदेशी मुिा प्रबंर्न अवर्वनयम99, 1999 के तहत जारी दकया गया है।
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o फे मा के तहत, सभी वनवासी भारतीय दकसी भी चालू खाते के लेन -देन हेतु ववदेशी मुिा खरीदने या बेचने के वलए स्वतंत्र हैं। इसमें ऐसे लेन-देन
शावमल नहीं होते हैं वजनके वलए कें ि सरकार द्वारा ववदेशी मुिा की वनकासी पर प्रवतबंर् लगाया गया हो।
• इससे प्रभाववत होने वाले व्यवक्त: यह वववनयमन र्नाढ्य व्यवक्तयों (HNIs)100 द्वारा ववदेश यात्राओं के दौरान दकए जाने वाले खचथ को प्रभाववत करे गा।
LRS की पृष्ठभूवम
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
में भारतीय
वनवावसयों द्वारा र्न
के सुचारू हस्तांतरण
की सुववर्ा प्रदान
करना है।
• उपयोग: LRS के
तहत, सभी वनवासी
व्यवक्तयों को अनुमवत
प्राि दकसी भी चालू
या पूज ं ी खाता लेन-
देन या दोनों के जररए
प्रवत ववत्तीय वषथ अवर्कतम 2,50,000 र्ॉलर के ववप्रेषण की अनुमवत है।
o इस सीमा से ऊपर कोई भी ववप्रेषण करने के वलए RBI की पूवथ अनुमवत की आवश्यकता होती है।
o यह योजना कॉपोरे ट्स, पाटथनरवशप फम्सथ, HUF, ट्रस्टों आदद के वलए उपललर् नहीं है।
o ववप्रेषण दकसी भी मुक्त रूप से पररवतथनीय ववदेशी मुिा में दकया जा सकता है।
6.8. क्रे वर्ट रे टटं ग एजें वसयां (Credit Rating Agencies: CRAs)
सुर्ख़थयों में क्यों?
क्रेवर्ट रे टटंग एजेंसी ‘मूर्ीज’ ने भारत की Baa3 रे टटंग की पुवि की है और भारतीय अर्थव्यवस्र्ा को लेकर “वस्र्र” दृविकोण बनाए रखा है।
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• सॉवरे न या संप्रभु रे टटंग के जररए वनवेशक दकसी देश में वनवेश करते समय उस देश की ऋण चुकाने की क्षमता (Creditworthiness) को मुयय पैमाने
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
• वतथमान में, तीन प्रमुख क्रेवर्ट रे टटंग एजेंवसयों {स्टैं र्र्थ एंर् पूअसथ (S&P), मूर्ीज और दफच} ने भारत को वनवेश-ग्रेर् की रे टटंग प्रदान की हुई है।
• दकसी सरकार की ऋण चुकाने की क्षमता का आकलन करने के वलए कई मानदंर् होते हैं। इनमें से कु छ मुयय मानदंर् वनम्नवलवखत हैं:
o राजनीवतक जोवखम, कर व्यवस्र्ा, राष्ट्रीय मुिा की वैल्यू, और श्रम कानून;
o संप्रभु जोवखम (जहां दकसी देश का कें िीय बैंक अपने ववदेशी मुिा वववनयमों को बदल सकता है) आदद।
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6.9. अं त राथ ष्ट्रीय मु िा कोष (IMF) के कोटे में वृ वि (Increase in IMF Quota)
सुर्ख़थयों में क्यों?
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
IMF के कायथकारी बोर्थ ने सदस्य देशों के कोटे में वृवि करने से संबंवर्त प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की
है।
• कायथकारी बोर्थ ने सदस्य देशों के वतथमान कोटे में 50% की वृवि का प्रस्ताव ददया है। यह वृवि
देशों के मौजूदा कोटे के अनुपात में होगी।
o मंजूरी के बाद, इस प्रस्ताव पर बोर्थ ऑफ गवनथसथ द्वारा ववचार और मतदान दकया जाएगा।
इसके उपरांत इसे प्रभावी बनाया जाएगा।
• कोटे में बढ़ोतरी का महत्त्व:
o इसके जररए IMF के स्र्ायी संसार्नों को बढ़ाया जा सके गा। इससे वैविक ववत्तीय वस्र्रता को बनाए रखने में मदद वमलेगी।
o इससे ऋण के माध्यम से जुटाए जाने वाले संसार्नों पर वनभथरता कम होगी।
▪ वतथमान में, IMF बाइलेटरल बॉरो अरें जमेंट्स पर वनभथर है। अब वह ‘न्यू अरें जमेंट्स टू बॉरो’ (NAB) नामक एक संकटकालीन ऋण वनवर्
बनाने पर ववचार कर रहा है। इसमें वह अपने जुटाए गए संसार्नों का 60 प्रवतशत वहस्सा रखेगा।
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▪ सदस्यों को कोटे के प्रवत SDR100,000 पर एक वोट और मूल वोट वमलता है। यह सभी सदस्यों के वलए समान हैं।
o इससे यह भी तय होता है दक एक सदस्य IMF से दकतना ऋण प्राि कर सकता है।
o SDRs का सामान्य आवंटन वनर्ाथररत होता है।
• वतथमान में, भारत को 2.63% मतदान अवर्कार और SDR कोटा का 2.75% प्राि है।
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7. कृ वष (Agriculture)
7.1. भारत में उवथ र क क्षे त्र क (Fertilisers Sector in India)
सुर्ख़थयों में क्यों?
हाल ही में, आर्र्थक मामलों की मंवत्रमंर्लीय सवमवत (CCEA) ने दकसानों के वलए नवीन योजनाओं के एक ववशेष पैकेज को मंजरू ी दी है। इस पैकेज के
तहत कु ल पररव्यय (Total outlay) 3.70 लाख करोड़ रुपये है।
• पी.एम. प्रणाम (PM-PRANAM): PM-PRANAM103को 2023-24 के बजट में घोवषत दकया गया र्ा। इस कायथक्रम का उद्देश्य वैकवल्पक उवथरकों
और रासायवनक उवथरकों के संतुवलत उपयोग को बढ़ावा देने के वलए राज्यों/ कें ि शावसत प्रदेशों को प्रोत्सावहत करना है।
• गोबर-र्न (GOBAR-Dhan)104 संयत्र
ं ों के प्राि जैववक उवथरकों के वलए बाजार ववकास सहायता (MDA) हेतु स्वीकृ त दकए गए हैं।
o गोबर-र्न योजना को स्वच्छ भारत वमशन (ग्रामीण) (SMB-G) के तहत 2018 में शुरू दकया गया र्ा। इसका उद्देश्य गांव की स्वच्छता पर
सकारात्मक प्रभाव र्ालना और मवेवशयों से उत्पन्न अपवशि एवं अन्य जैववक अपवशि से र्न व ऊजाथ पैदा करना है।
• सल्फर लेवपत यूररया (यूररया गोल्र्) की शुरुआत: मृदा में सल्फर की कमी को दूर करने और दकसानों के वलए इनपुट लागत को कम करने हेतु पहली
बार सल्फर लेवपत यूररया (यूररया गोल्र्) के उपयोग की शुरुआत की गई है।
o यूररया गोल्र् वतथमान में उपयोग दकए जाने वाले नीम-लेवपत यूररया की तुलना में अवर्क दकफायती और दक्ष है।
• सरकार ने यूररया सवलसर्ी योजना को माचथ 2025 यानी अगले दो वषों के वलए बढ़ा ददया है। यह कें िीय क्षेत्रक की एक योजना है। इसका उद्देश्य
2025-26 तक आत्मवनभथरता प्राि करने के वलए यूररया के स्वदेशी उत्पादन को अवर्कतम करना है।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
भारत में उवथरक उद्योग
कई सवेक्षण और शोर् यह दशाथते हैं दक भारत को फास्फोरस प्राि करने में करठनाई का सामना करना पड़ रहा है।
103 PM Programme for Restoration, Awareness Generation, Nourishment and Amelioration of Mother Earth/ र्रती माता की
उवथरता की बहाली, जागरूकता, पोषण और सुर्ार हेतु प्रर्ान मंत्री कायथक्रम
104 Galvanizing Organic Bio-Agro Resources-Dhan
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• भारत ववि में फॉस्फोरस का सबसे बड़ा आयातक है। इसका अवर्कतर वहस्सा पविम अफ्रीका के कै र्वमयम से भरे भंर्ारों से आता है।
o भारत में फॉस्फे ट की चट्टानें मुयय रूप से के वल दो राज्यों राजस्र्ान और
मध्य प्रदेश में पाई जाती हैं।
o कु छ वनक्षेप प्रायद्वीपीय भारत के मध्य भाग में भी मौजूद हैं। जैसे लवलतपुर
(उत्तर प्रदेश), मसूरी अवभनवत (Syncline) और कड़प्पा बेवसन (आंध्र प्रदेश)
आदद।
• फॉस्फोरस की उपललर्ता को लेकर लचंताएं:
o अवर्कतर स्र्ानों पर फॉस्फोरस कै र्वमयम के सार् मौजूद होता है। कै र्वमयम
एक भारी र्ातु है, वजसे अलग करना एक महंगी प्रदक्रया है।
o मोरक्को, पविमी सहारा (गैर-स्वशासी राज्यक्षेत्र), चीन, अल्जीररया जैसे कु छ
ही देशों का फॉस्फोरस के अवर्कतर वैविक भंर्ार पर वनयंत्रण होना एक
प्रमुख भू-राजनीवतक लचंता का ववषय है।
• फॉस्फोरस के हावनकारक प्रभाव:
o अवर्कतर फॉस्फोरस कृ वष अपवाह के रूप में और सीवेज के माध्यम से सीर्े जल वनकायों में पहुंच जाता है। इससे ववषाक्त शैवालों की वृवि होती
है।
o अक्सर कै र्वमयम युक्त उवथरकों को वमट्टी में र्ाला जाता है। फसलें इन्हें अवशोवषत कर लेती हैं। जब मनुष्य ऐसी फसलों का उपभोग करता है तो,
इससे उनके शरीर में इनका जैव संचय होने लगता है। इससे हृदय रोग में वृवि होती है।
हाल ही में, जल शवक्त मंत्रालय ने लघु लसंचाई योजनाओं पर छठी गणना ररपोटथ जारी की है। लघु लसंचाई योजनाओं की पहली गणना संदभथ वषथ 1986-87
के सार् की गई र्ी। इस गणना की ररपोटथ नवंबर 1993 में प्रकावशत की गई र्ी।
• वगीकरण: भारत में लसंचाई पररयोजनाओं को तीन श्रेवणयों अर्ाथत् प्रमुख, मध्यम और लघु लसंचाई105 में वगीकृ त दकया गया है।
o प्रमुख लसंचाई पररयोजनाएं: 10,000 हेक्टेयर से अवर्क का कृ वष योग्य कमान क्षेत्र (CCA)106
▪ कृ वष योग्य कमान क्षेत्र (CCA)107: यह दकसी लसंचाई योजना के तहत भौवतक रूप से लसंवचत और खेती के वलए उपयुक्त क्षेत्र होता है।
o मध्यम लसंचाई पररयोजनाएं: 2,000 हेक्टेयर से अवर्क लेदकन 10,000 हेक्टेयर से कम का CCA
o लघु लसंचाई पररयोजनाएं: 2,000 हेक्टेयर या उससे कम का CCA
• स्रोत: लघु लसंचाई पररयोजनाओं में सतही और भूजल दोनों तरह के जल स्रोतों को शावमल दकया जाता है, वहीं प्रमुख तर्ा मध्यम पररयोजनाओं में
अवर्कतर सतही जल संसार्नों का दोहन दकया जाता है।
• लघु लसंचाई (MI) क्षेत्रक संबंर्ी योजनाएं समग्र रूप से राज्य सरकारों द्वारा कायाथवन्वत की जाती हैं। इसके अवतररक्त राज्यों की स्वयं की राज्य-वववशि
लघु लसंचाई योजनाएं होती हैं।
• लघु लसंचाई सांवययकी का युवक्तकरण (RMIS):
o इसकी शुरुआत 1987-88 में की गई र्ी। यह एक कें ि प्रायोवजत योजना है।
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o हालांदक, यह योजना बाद में कें िीय क्षेत्रक की एक योजना “जल संसार्न सूचना प्रणाली का ववकास” (DWRIS)108 का वहस्सा बन गई।
o RMIS योजना का मुयय उद्देश्य प्रभावी योजना और नीवत वनमाथण के वलए लघु लसंचाई (MI) क्षेत्रक में एक व्यापक तर्ा वविसनीय र्ेटाबेस का
वनमाथण करना है।
• जल वनकायों की पहली गणना: इसे छठी लघु लसंचाई योजनाओं के सहयोग से दकया गया है। गणना के वलए संदभथ वषथ के रूप में 2017-18 का
इस्तेमाल दकया गया है।
o इसका उद्देश्य जल वनकायों के वलए एक राष्ट्रीय र्ेटाबेस ववकवसत करना है।
• भारत में लघु लसंचाई योजनाएं:
o देश के 695 वजलों में 23.14 वमवलयन लघु लसंचाई योजनाएं ववद्यमान हैं।
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o 94.8% लघु लसंचाई योजनाएं भूजल आर्ाररत हैं, जबदक शेष 5.2% सतही जल आर्ाररत योजनाएं हैं।
o उत्तर प्रदेश (17.2%) में सबसे अवर्क लघु लसंचाई योजनाएं हैं। इसके बाद महाराष्ट्र (15.4%), मध्य प्रदेश (9.9%) और तवमलनार्ु (9.1%) का
स्र्ान हैं।
o MI योजनाओं में कु ओं की वहस्सेदारी सबसे अवर्क है। इसके बाद कम गहरे ट्यूबवेल्स, मध्यम गहरे ट्यूबवेल्स और गहरे ट्यूबवेल्स का स्र्ान है।
• पांचवीं गणना की तुलना में छठी गणना में लघु लसंचाई योजनाओं में 1.42 वमवलयन की वृवि दजथ की गई है।
• लघु लसंचाई योजनाओं का स्वावमत्व: 96.6 वनजी स्वावमत्व के अर्ीन हैं जबदक 3.4% सावथजवनक स्वावमत्व के अर्ीन हैं।
o व्यवक्तगत स्वावमत्व वाली सभी योजनाओं में से 18.1% का स्वावमत्व मवहलाओं के पास है।
• योजनाओं का उपयोग: 97% लसंचाई योजनाएं ‘उपयोग में’ हैं।
7.3. भारतीय बीज सहकारी सवमवत वलवमटे र् (Bharatiya Beej Sahakari Samiti Ltd:
BBSSL)
सुर्ख़थयों में क्यों?
वषथ 2023 में, भारतीय बीज सहकारी सवमवत वलवमटेर् (BBSSL) की स्र्ापना की गई। इसका मकसद देश के प्रत्येक दकसान को प्रमावणत और वैज्ञावनक
रूप से तैयार बीज उपललर् कराना है।
• इसकी स्र्ापना बहु-राज्य सहकारी सोसायटी (MSCS)109 अवर्वनयम, 2002 के तहत 2023 में की गई र्ी।
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हाल ही में, कें िीय मंवत्रमंर्ल ने “सहकारी क्षेत्रक में ववि की सबसे बड़ी अनाज भंर्ारण योजना 110” के वलए एक अंतर-मंत्रालयी सवमवत (IMC) के गठन
और उसे सशक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
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• कु ल उत्पादन: सरकारी आंकड़ों के मुतावबक, देश में प्रवतवषथ करीब 3,100 लाख टन अनाज का उत्पादन होता है।
• अनाज की खरीद के वलए सरकारी व्यवस्र्ा:
o कें िीकृ त खरीद प्रणाली113: कें िीय पूल में, अनाज की खरीद या तो सीर्े भारतीय खाद्य वनगम (FCI)114 द्वारा या राज्य सरकार की एजेंवसयों
द्वारा की जाती है। हालांदक, राज्य सरकार की ऐसी एजेंवसयां जो अनाज खरीदती हैं, उन्हें FCI को सौंप ददया जाता है।
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o ववकें िीकृ त खरीद योजना115: इस योजना को 1997-98 में शुरू दकया गया र्ा। इसके तहत अनाज की खरीद और ववतरण का कायथ स्वयं राज्य
सरकारों द्वारा दकया जाता है।
• खाद्यान्न का ववतरण:
o कें ि सरकार FCI के जररए खाद्यान्न की खरीद, भंर्ारण व पररवहन संबंर्ी कायथ-कलापों को देखती है। इसके बाद राज्य सरकारों को खाद्यान्न का
र्ोक आवंटन दकया जाता है।
o लाभार्र्थयों को खाद्यान्न ववतरण की वजम्मेदारी राज्य सरकारों को सौंपी गई है। इसके वलए राज्य सरकारें वनम्नवलवखत कायथ करती हैं:
▪ राज्य के भीतर खाद्यान्न आवंटन संबंर्ी कायथ;
▪ पात्र पररवारों की पहचान करना;
▪ राशन कार्थ जारी करना; तर्ा
▪ उवचत मूल्य की दुकानों के काम-काज की देख-रे ख करना।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
7.6. भारत में खाद्य मु िास्फीवत का प्रबं र् न (Managing Food Inflation in India)
सुर्ख़थयों में क्यों?
इंवर्यन काउं वसल फॉर ररसचथ ऑन इंटरनेशनल इकोनॉवमक ररलेशंस (ICRIER) के एक अनुमान के अनुसार, 2023 में अनाज वनयाथत पर प्रवतबंर् लगाने
से दकसानों को कम-से-कम 45,000 करोड़ रुपये की हावन हुई है।
• खाद्य मुिास्फीवत पर अंकुश लगाने के वलए, सरकार ने खाद्य वस्तुओं के व्यापार पर प्रवतबंर् लगा ददया और आपूर्तथ बढ़ाने के वलए वनयाथत कर लगा
ददया, वजससे दकसानों की आय में कमी आई है।
• सरकार द्वारा अपने अनाज के स्टॉक को बाजार दर से काफी कम कीमत पर जारी करने से दकसानों को अवतररक्त 548 रुपये प्रवत कक्वंटल का संभाववत
नुकसान हुआ।
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• अगस्त 2023 में खुदरा मुिास्फीवत 6.83% और खाद्य मुिास्फीवत 9.2% र्ी। इसे साल-दर-साल (Y-O-Y) आर्ार पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
(CPI)116 द्वारा मापा जाता है।
• वतथमान खाद्य मुिास्फीवत प्रमुख रूप से टमाटर, प्याज, अनाज (गेहं और चावल), मसाले एवं दूर् और र्ेयरी उत्पाद की बढ़ती कीमतों के कारण देखी
गई है।
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o गेहं की कीमतों में वृवि के वलए वजम्मेदार घरे लू कारकों में आंवशक रूप से हीट वेव्स तर्ा बेमौसम बाररश शावमल हैं, जबदक इसके बाह्य कारकों
में रूस-यूक्रेन युि जैसे कारणों से अंतराथष्ट्रीय मूल्य में पररवतथन शावमल हैं।
• मूल्य वनगरानी प्रभाग (Price Monitoring Division: PMD): उपभोक्ता मामलों के ववभाग के तहत गरठत मूल्य वनगरानी प्रभाग चयवनत आवश्यक
वस्तुओं की कीमतों की वनगरानी करता है।
o यह मूल्य की वस्र्वत का ववश्लेषण करता है। सार् ही, यह वनवारक उपाय करने के वलए अवग्रम फीर्बैक भी देता है।
o यह कमोवर्टी-वववशि बाजार हस्तक्षेप योजनाओं को लागू करता है तादक अस्र्ायी राहत दी जा सके ।
o कें ि ने 22 आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतों की वनगरानी के वलए 750 मूल्य वनगरानी कें िों (PMCs)117 की स्र्ापना का लक्ष्य वनर्ाथररत दकया
है। इसका अर्थ है दक लगभग प्रत्येक वजले में एक PMC की स्र्ापना की जाएगी।
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• आवश्यक वस्तु अवर्वनयम, 1955: यह कें ि सरकार को कु छ वस्तुओं के उत्पादन, उनकी आपूर्तथ, ववतरण, व्यापार एवं वावणज्य को वनयंवत्रत करने का
अवर्कार प्रदान करता है।
o इस अवर्वनयम के तहत बाजार में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों और उपललर्ता को वववनयवमत करने के वलए उनके भंर्ारण की सीमा वनर्ाथररत
की जा सकती है।
• ऑपरे शन ग्रीन्स: इसे ऑपरे शन फ्लर् की तजथ पर शुरू दकया गया है। इसका उद्देश्य भारत में टमाटर, प्याज़, और आलू (TOPs/ टॉप्स) की आपूर्तथ को
वस्र्र करना है। टॉप उत्पादन क्लस्टरों और उनके FPOs को मजबूत करना और उन्हें बाजार से जोड़ने के वलए लवक्षत हस्तक्षेप से टॉप्स का उत्पादन
करने वाले दकसानों को वमलने वाले मूल्य में वृवि करना भी इसका उद्देश्य है।
• मूल्य वस्र्रीकरण कोष (PSF): इसका उद्देश्य चुलनंदा उपजों की खरीद करके , बफर स्टॉक का रखरखाव करके तर्ा बाजार में उपजों को वनयंवत्रत रूप
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
से जारी करके मूल्यों में होने वाले उतार-चढ़ाव को रोकना करना है।
• वनयाथत को वनयंवत्रत दकया गया है, जैसे- वनयाथत पर प्रवतबंर्, न्यूनतम वनयाथत मूल्य (MEP) तय करना, आदद।
• दकसानों को प्रत्यक्ष सहायता: सवलसर्ी, आय सहायता और MSP के जररए।
• आपूर्तथ-पक्ष से संबवं र्त उपाय, जैसे- कृ वष उत्पादकता में सुर्ार करना, ववववर्ीकरण को बढ़ावा देना आदद।
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o 2005 के इस अवर्वनयम ने तटीय जलकृ वष को वववनयवमत करने के वलए CAA की स्र्ापना की र्ी।
• इसका उद्देश्य ईज ऑफ र्ू इंग वबजनेस को बढ़ावा देना और तटीय जलकृ वष प्रावर्करण की पररचालन प्रदक्रयाओं को व्यववस्र्त करना है।
• तटीय जलीय कृ वष (Coastal Aquaculture): संशोवर्त ववर्ेयक में “तटीय एक्वाकल्चर/ जलीय कृ वष” को पररभावषत दकया गया है। इसके अनुसार,
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लवणीय या खारे जल में एक वनयंवत्रत पररवेश में मत्स्य पालन और संग्रहण को तटीय एक्वाकल्चर कहा जाता है। पररभाषा के अंतगथत इस कृ वष में
इनर्ोर या आउटर्ोर, दोनों तरह की प्रदक्रयाएं शावमल हैं। सार् ही, इसके तहत क्रस्टेवशयन, मोलस्क, दफनदफश, समुिी शैवाल या अन्य जलीय जीवों
को भी शावमल दकया गया है।
o इसमें िूर्स्टॉक, बीज और ग्रो-आउट के उत्पादन जैसी गवतवववर्यां भी शावमल हैं, लेदकन ताजे जल की जलीय कृ वष शावमल नहीं है।
• दायरा: इसका उद्देश्य CAA अवर्वनयम के दायरे को बढ़ाना है। इस प्रकार इसमें जलीय कृ वष ‘फामों’ के सार् तटीय एक्वाकल्चर के सभी कायथक्षत्र
े ों और
गवतवववर्यों को कवर दकया जाएगा। इससे इनका संर्ारणीय ववकास सुवनवित हो सके गा।
• संबि तटीय एक्वाकल्चर गवतवववर्यों का वववनयमन: यह ववर्ेयक पाररवस्र्वतक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों, नो-र्ेवलपमेंट जोन (NDZ) और तटीय
वववनयमन क्षेत्रों (CRZ)119 के भीतर तटीय एक्वाकल्चर गवतवववर्यों पर रोक लगाता है।
o हालांदक, कु छ संबि गवतवववर्यों, जैसे- समुिी शैवाल की कृ वष, न्यूवक्लयस प्रजनन कें ि आदद को इन वनयमों से छू ट दी गई है।
• CAA में पररवतथन:
o CAA की संरचना: इस ववर्ेयक में मत्स्य पालन, पशुपालन और र्ेयरी मंत्रालय के एक प्रवतवनवर् को CAA में सदस्य के रूप में जोड़ा गया है।
o दायरे में वृवि: यह कानून अब उन सभी इकाइयों को भी वववनयमन के दायरे में लाता है , जो समुिी तट पर मछली पालन या उससे जुड़े दकसी
भी काम में लगी हैं। इन्हें “तटीय जलीय कृ वष इकाई” माना जाएगा।
o ववस्ताररत कायथ: ववर्ेयक में कहा गया है दक CAA, तटीय जलीय कृ वष आदानों को वववनयवमत करे गा, जलीय कृ वष यूवनट की वनगरानी करे गा
और पयाथवरणीय मानकों को तय करे गा।
• गैर-अपरार्ीकरण: यह ववर्ेयक अवर्वनयम के उल्लंघन के वलए कारावास के प्रावर्ानों को समाि करता है तर्ा उन्हें उपयुक्त मौदिक और अन्य दंर्ों
से प्रवतस्र्ावपत करता है।
• अवर्वनणथय और अपील: ववर्ेयक के अंतगथत, कें ि सरकार कम-से-कम अंर्र सेक्रेट्री स्तर के अवर्कारी को जुमाथने के अवर्वनणथय के वलए अवर्कृ त कर
सकती है।
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7.9. पशु र् न क्षे त्र क के वलए क्रे वर्ट गारं टी योजना (Credit Guarantee Scheme for The
Livestock Sector)
सुर्ख़थयों में क्यों?
हाल ही में, पशुपालन एवं र्ेयरी ववभाग (DAHD)120 ने पशुर्न क्षेत्रक के वलए पहली क्रेवर्ट गारं टी योजना शुरू की है। DAHD मत्स्य पालन, पशुपालन
और र्ेयरी मंत्रालय के अंतगथत आता है।
• DAHD ने 750 करोड़ रुपये के क्रेवर्ट गारं टी फं र् ट्रस्ट की स्र्ापना की है। यह MSME को प्रदान दकए जाने वाले ऋण के अवर्कतम 25% भाग का
क्रेवर्ट गारं टी कवरे ज प्रदान करे गा।
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• इसका उद्देश्य ऋण ववतरण प्रणाली को मजबूत करना तर्ा पशुर्न क्षेत्रक में संलग्न MSME को सुचारू रूप से ऋण प्राि करने की सुववर्ा प्रदान करना
है।
• यह योजना पशुपालन अवसंरचना ववकास वनवर् (AHIDF)121 के अर्ीन होगी।
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की तुलना में कु ल पशुर्न में 4.8% की वृवि हुई।
• पशुपालन के प्रकार-
o र्ेयरी फार्मिंग (गायों, भैंसों, भेड़ और बकररयों जैसे र्ेयरी
जानवरों की देखभाल);
o कु क्कु ट पालन (पवक्षयों का व्यावसावयक पालन और
प्रजनन),
o मछली पालन;
o मर्ुमक्खी पालन; आदद।
बुवनयादी पशुपालन सांवययकी 2023122: सवेक्षण (2018-19 से 2022-23 तक) के मुयय लबंदओं
ु पर एक नज़र
दूर् उत्पादन (िेत क्रांवत) 22.81% की वृवि उत्तर प्रदेश पहले स्र्ान पर है। इसके बाद राजस्र्ान, मध्य प्रदेश और गुजरात का स्र्ान आता है।
अंर्ा उत्पादन (रजत क्रांवत) 33.31% की वृवि आंध्र प्रदेश पहले स्र्ान पर है। इसके बाद तवमलनार्ु , तेलंगाना पविम बंगाल का स्र्ान आता है।
मांस उत्पादन (गुलाबी क्रांवत) 20.39% की वृवि उत्तर प्रदेश पहले स्र्ान पर है एवं उसके बाद पविम बंगाल है
ऊन उत्पादन 16.84% की कमीं पहले स्र्ान पर राजस्र्ान है, उसके बाद जम्मू और कश्मीर
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• वनम्न उत्पादकता: भारतीय मवेवशयों का औसत वार्षथक दुग्र् उत्पादन 1172 दकलोग्राम है जो वैविक औसत का मात्र 50% है।
• पशु आहार एवं चारे की कमी: ववि के कु ल पशुर्न का लगभग 10.7% भाग भारत में है, जबदक इनके भरण पोषण के वलए भारत के पास ववि के
कु ल भू-भाग का के वल 2.3% ही उपललर् है।
• पशु स्वास््य: ववदेशी बीमाररयों (Exotic diseases) के सार्-सार् वववभन्न बीमाररयों के प्रवत पशुर्न की सुभेद्यता बढ़ी है।
• राज्य द्वारा पयाथि सहायता उपललर् न होना: कु ल कृ वष-GDP में पशुर्न क्षेत्रक का योगदान 25.6% है। वहीं दूसरी ओर, कृ वष और संबि क्षेत्रक पर
दकए जाने वाले सावथजवनक व्यय का के वल लगभग 12% भाग ही पशुर्न क्षेत्रक को प्राि होता है।
• ववपणन, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्थन: आवश्यक अवसंरचनाओं, जैसे- दुग्र् प्रसंस्करण इकाइयों, मांस प्रसंस्करण संयंत्रों, पशु-शव उपयोग कें िों
(Carcass utilization centres) आदद का अभाव है।
• पशुर्न और पयाथवरण: जलवायु पररवतथन और ग्लोबल वार्मिंग का इस क्षेत्रक पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इन प्रभावों में हीट स्ट्रेस (Heat Stress),
तटीय क्षेत्रों में जीवों के पयाथवास की क्षवत और वेक्टर-जवनत रोगों के महामारी ववज्ञान पैटनथ में पररवतथन शावमल हैं।
हाल ही में, भारत सरकार ने तेलंगाना में राष्ट्रीय हल्दी बोर्थ (NTB) के गठन हेतु अवर्सूचना जारी की है।
• नए उत्पाद और मूल्य वर्थन को बढ़ावा देकर घरे लू एवं अंतराथष्ट्रीय बाजारों में हल्दी की मांग पैदा करना।
• हल्दी और हल्दी से संबंवर्त उत्पादों के वनयाथत के वलए अवसंरचना तर्ा लॉवजवस्टक्स का वनमाथण करना एवं उन्हें बेहतर बनाना।
• हल्दी की आपूर्तथ श्रृंखला में गुणवत्ता सुवनवित करना और सुरक्षा मानकों का वनर्ाथरण करना।
• हल्दी के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष उपयोग से संबंवर्त पारं पररक ज्ञान का वलवखत प्रमाण तैयार करना।
• हल्दी के औषर्ीय गुणों, स्वास््य और आरोग्य को बढ़ाने वाले गुणों का अध्ययन, नैदावनक परीक्षण और अनुसर्
ं ान को प्रोत्सावहत करना।
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7.11. राष्ट्रीय कृ वष एवं ग्रामीण ववकास बैं क (नाबार्थ ) {National Bank for Agriculture and
Rural Development: NABARD}
सुर्ख़थयों में क्यों?
राष्ट्रीय कृ वष और ग्रामीण ववकास बैंक (NABARD/ नाबार्थ) ने सामावजक प्रभाव बॉण्ड्स (SIBs) के माध्यम से 1,041 करोड़ रुपये जुटाए।
• SIBs एक प्रकार का ववत्त-पोषण तंत्र है। इसमें सरकारें सामावजक क्षेत्रक की पूवथ-वनर्ाथररत सेवाओं के ववतरण हेतु भुगतान करने के वलए सामावजक
सेवा प्रदाताओं (जैसे- NGOs) एवं वनवेशकों के सार् समझौते करती हैं।
• पुणे वजले के लपंपरी लचंचवर् नगर वनगम (PCMC) ने भारत के पहले सामावजक प्रभाव बॉण्र् (SIB) के सह-सृजन हेतु UNDP इं वर्या के सार् एक
समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर दकए हैं।
• उत्पवत्तः इसका गठन 1982 में बी. वशवरामन सवमवत की वसफाररश पर राष्ट्रीय कृ वष और ग्रामीण ववकास बैंक (नाबार्थ) अवर्वनयम, 1981 के तहत
दकया गया र्ा। इसे वनम्नवलवखत संस्र्ाओं से कायथ सौंपे गए र्े-
o कृ वष ऋण से संबंवर्त RBI के कायथ, और
o तत्कालीन कृ वष पुनर्वथत्त और ववकास वनगम (Agricultural Refinance and Development Corporation: ARDC) के पुनर्वथत्त संबंर्ी
कायथ ।
• मंत्रालयः ववत मंत्रालय द्वारा प्रशावसत।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
• स्वावमत्वः पूणथतः भारत सरकार के स्वावमत्व में।
• ववजनः ग्रामीण समृवि को बढ़ावा देने के वलए राष्ट्रीय ववकास बैंक के रूप में कायथ करना।
• वमशनः सहभागी ववत्तीय और गैर-ववत्तीय हस्तक्षेपों के माध्यम से संर्ारणीय एवं न्यायसंगत कृ वष और ग्रामीण ववकास को बढ़ावा देना।
नाबार्थ के कायथ
ऋण संबर्
ं ी कायथ गैर ऋण संबर्
ं ी कायथ
• ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण देने वाली संस्र्ाओं को पुनर्वथत्त (Refinance) उपललर् • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों के ववत्तीय समावेशन के
कराना। प्रयासों का समर्थन करना।
• आजीववका के अवसरों और सूक्ष्म उद्यमों को बढ़ावा देने पर जोर
• कृ वष, लघु उद्योग, कु टीर और ग्रामोद्योग, हस्तवशल्प एवं अन्य ग्रामीण वशल्प के
देना।
प्रचार व ववकास के वलए ऋण प्रवाह को सुववर्ाजनक बनाना।
• सहकारी सवमवतयों, दकसान उत्पादक संगठनों (FPOs), प्रार्वमक कृ वष ऋण • अनुसर्
ं ान एवं ववकास, ग्रामीण नवाचार आदद का समर्थन
• प्रोत्साहन एवं ववकास: देश की ग्रामीण अवसंरचना ववकास वनवर् (RIDF)123 के तहत लगभग 5 लाख करोड़ रुपये स्वीकृ त दकए गए हैं। RIDF को
नाबार्थ के तहत सृवजत दकया गया है।
• वाटरशेर् ववकास वनवर् और जनजातीय ववकास वनवर् आजीववका हेतु दकए गए अन्य महत्वपूणथ प्रयास हैं।
o जैस-े वार्ी मॉर्ल (Wasteland Development: Wadi Model): यह जनजातीय जनसंयया की आजीववका के वलए दकया गया एक महत्वपूणथ
प्रयास है।
• पुनर्वथत्तीयन: वपछले 42 वषों में, नाबार्थ ने ग्रामीण अर्थव्यवस्र्ा में 20 लाख करोड़ रुपये का पुनर्वथत्त (Refinance) प्रदान दकया है। ज्ञातव्य है दक
मौजूदा ऋण को चुकाने के वलए नया ऋण लेना पुनर्वथत्त कहलाता है।
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• ग्रामीण ववत्तीय संस्र्ानों (RFIs) को मजबूत बनाना: नाबार्थ ग्रामीण सहकारी बैंकों (RCBs)124 और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs)125 का वनरीक्षण
(Supervise) करता है।
हाल ही में, नई ददल्ली में एक अंतराथष्ट्रीय अनुसंर्ान सम्मेलन का आयोजन दकया गया। इस सम्मेलन का आयोजन ICAR126 और CGIAR जेंर्र इम्पैक्ट
प्लेटफॉमथ ने संयुक्त रूप से दकया र्ा। इस सम्मेलन की र्ीम र्ी- अनुसर्
ं ान से प्रभाव तक: न्यायसंगत और अनुकूल कृ वष-खाद्य प्रणावलयों की ओर127
भारतीय कृ वष अनुसर्
ं ान पररषद के बारे में
• फसल की दकस्में: ICAR ने अवर्क उपज देने वाली अलग-अलग फसलों की नई दकस्मों को ववकवसत करके हररत क्रांवत लाने में अग्रणी भूवमका वनभाई
र्ी। इनमें से कु छ वनम्नवलवखत हैं:
o र्ान की दकस्में, जैसे- जया, स्वणाथ, पूसा बासमती 1121 आदद;
▪ जया: यह भारत में जारी की गई र्ान की पहली संकर दकस्म है।
▪ पूसा बासमती 1121: इसमें ववि की र्ान की सभी दकस्मों में सबसे लंबा दाना वनकलता है अर्ाथत् चावल का दाना लंबा होता है।
o गेहं की दकस्में, जैसे- HD 2967, DBW 187, HD 3086 आदद;
o फलों की दकस्में, जैसे- आम्रपाली, भगवा अनार आदद।
• बीज कायथक्रम: ICAR ने बीजों को सेफ्टी र्ु प्लीके ट्स के रूप में सुरवक्षत रखने के वलए उन्हें स्वालबार्थ ग्लोबल सीर् वॉल्ट में जमा दकया है।
• जीनोवमक्स: ICAR ने नई ददल्ली में राष्ट्रीय जीन बैंक स्र्ावपत करने में मदद की है। यह ववि का दूसरा सबसे बड़ा जीन बैंक है।
o ICAR ने वैविक स्तर पर र्ान, गेहं, टमाटर और आलू के जीनोम अनुक्रमण128 में भागीदारी की है। इसके अवतररक्त इसने अपने स्तर पर अरहर,
जूट, आम और मछवलयों के जीनोम को भी अनुक्रवमत दकया है।
• जलवायु स्माटथ कृ वष में योगदान: इसे वषाथ जल संचयन, फसलों की जलवायु अनुकूल दकस्मों की सहायता से बढ़ावा ददया जा रहा है। फसलों की
जलवायु अनुकूल दकस्मों में रवत ML 365; अरहर BRG 1, BRG 2 और BRG 5 आदद शावमल हैं।
• जैव-प्रौद्योवगकी समार्ान: बायोफोर्टथफाइर् फसलों में सोलापुर लाल (बायोफोर्टथफाइर् अनार की पहली दकस्म), मूंगफली वगरनार 4 व 5, पूसा र्बल
जीरो मस्टर्थ 31 आदद शावमल हैं। पूसा र्बल जीरो मस्टर्थ 31 कै नोला गुणवत्ता वाली सरसों की पहली भारतीय दकस्म है।
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o कृ वष अपवशि/ पराली जलाने की समस्या को कम करने के वलए फसल अवशेष के स्व-स्र्ाने (In situ/ यानी खेत में ही) और बाह्य-स्र्ाने (Ex
situ/ यानी खेत से बाहर) अपघटन हेतु पूसा र्ीकम्पोजर ववकवसत दकया है।
o भारत ने दुवनया की पहली क्लोन भैंस ववकवसत की है। सार् ही, भारत ने ववि में पहली बार इन-ववट्रो फर्टथलाइजेशन तकनीक से भैंस के बिे
का जन्म करवाया है। इसका नाम ‘प्रर्म’ रखा गया है।
अंतराथष्ट्रीय कृ वष अनुसर्
ं ान सलाहकार समूह (Consultative Group on International Agricultural Research: CGIAR)
• इसे 1971 में स्र्ावपत दकया गया र्ा। यह दानदाताओं की एक रणनीवतक साझेदारी है। यह उन 15 अंतराथष्ट्रीय अनुसंर्ान कें िों का समर्थन करता है, जो
सरकार, नागररक समाज संगठनों और वनजी व्यवसायों के सहयोग से कायथ करते हैं।
• CGIAR एक वैविक अनुसर्
ं ान साझेदारी है। इसका मुयय उद्देश्य खाद्य-सुरवक्षत भववष्य सुवनवित करना है। यह जलवायु संकट की वस्र्वत में भोजन, भूवम
और जल प्रणावलयों का पुनरुिार करने के प्रवत समर्पथत है।
• यह पांच प्रभाव क्षेत्रों पर अपना ध्यान कें दित दकए हुए है (इन्फोग्रादफक्स देखें)।
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समसाम�यक�
�ैमा�सक
011010
100101
�रवीजन
�स�वल सेवा परी�ा क� तैयारी करने वाले अ��थ� य� क� पृ�भू�म, आयु, व�क�ग शे�ूल और पा�रवा�रक �ज�ेदा�रयां अलग-अलग होती ह�।
इसे �ान म� रखते हुए हमने समसाम�यक�: त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट को तैयार �कया है। इससे उन अ��थ� य� को तैयारी म� काफ� सहायता
�मले गी, �जनका शे�ूल अ�धक �� होता है, �ज�� मा�सक समसाम�यक� मैगजीन को पढ़ने व �रवीजन करने के �लए कम समय �मलता है और
�सले बस के बारे म� बु�नयादी एवं थोड़ी बहुत समझ होती है।
त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट को काफ� सावधानीपूवर्क और बारीक� से तैयार �कया गया है। इससे आपको �स�वल
सेवा परी�ा क� तैयारी के �लए आव�क ल�न� ग एवं �रवीजन के �लए मजबूत आधार �मले गा।
इस डॉ�ूम�ट म� हमने �वगत तीन माह क� मा�सक समसाम�यक� मैगजीन से सभी मह�पूणर् आ�ट�क� को कवर
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हाल ही में, संसद ने खान और खवनज (ववकास और वववनयमन) संशोर्न ववर्ेयक, 2023 पाररत दकया है।
अन्य संबवं र्त त्य
• यह ववर्ेयक खान और खवनज (ववकास और वववनयमन) (MMDR) अवर्वनयम, 1957 में संशोर्न करे गा।
• खवनज क्षेत्रक में कई प्रकार के सुर्ार लाने के वलए 2015 में MMDR अवर्वनयम में व्यापक संशोर्न दकए गए र्े। इन संशोर्नों द्वारा वजला खवनज
फाउं र्ेशन और राष्ट्रीय खवनज अन्वेषण ट्रस्ट की स्र्ापना की गई र्ी।
• इस क्षेत्रक में अन्य सुर्ारों हेतु अवर्वनयम को 2016, 2020 और 2021 में भी संशोवर्त दकया गया र्ा। इन सुर्ारों में शावमल हैं:
o कै वप्टव और मचेंट खानों (Mines) के बीच के अंतर को समाि करना,
o खवनज खनन लाइसेंस या लीज (Mineral concessions) के हस्तांतरण पर लगे प्रवतबंर् को हटाना।
I. गहराई में पाए जाने वाले और महत्वपूणथ खवनजों के वलए अन्वेषण लाइसेंस
(Exploration Licence: EL) की शुरुआत:
• लाइसेंस: यह महत्वपूणथ (दक्ररटकल) और गहराई में पाए जाने वाले खवनजों का पता
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
लगाने के वलए संभाववत स्र्ल की जांच तर्ा सवेक्षण करने की अनुमवत देगा।
• नीलामी: MMDR अवर्वनयम की सातवीं अनुसूची में सूचीबि खवनजों के वलए
नीलामी के द्वारा अन्वेषण लाइसेंस (EL) ददया जाएगा।
o सातवीं अनुसच
ू ी में 29 खवनज शावमल हैं, वजनमें वलवर्यम-युक्त खवनज, तांबा-
युक्त खवनज, पोटाश और जस्ता-युक्त खवनज शावमल हैं।
• अन्वेषण लाइसेंस की वैर्ता: यह लाइसेंस पांच वषथ के वलए ददया जाएगा।
o राज्य सरकार के पास आवेदन कर लाइसेंस को दो अवतररक्त वषों के वलए बढ़ाया
जा सकता है।
• खनन पट्टा: लाइसेंस-र्ारक द्वारा खोजे गए ललॉक को वनर्ाथररत समय सीमा के भीतर खनन हेतु पट्टे पर देने के वलए नीलाम दकया जाएगा। इससे राज्य
सरकारों को बेहतर राजस्व प्राि होगा।
o अन्वेषण एजेंसी खनन पट्टा र्ारक द्वारा देय नीलामी प्रीवमयम में एक वहस्सा पाने की हकदार होगी।
II. परमाणु खवनजों की सूची में शावमल 12 खवनजों में से 6 खवनजों को बाहर दकया गया:
• परमाणु खवनजों की सूची से कु छ खवनजों को बाहर करना: MMDR अवर्वनयम की पहली अनुसूची के भाग-B में सूचीबि 12 परमाणु खवनजों की
सूची से 6 खवनजों को हटाने का प्रस्ताव दकया गया है (इन्फोग्रादफक देखें)।
o इन खवनजों का अंतररक्ष उद्योग, इलेक्ट्रॉवनक, संचार आदद में उपयोग दकया जाता है। ये भारत की नेट जीरो उत्सजथन प्रवतबिता को पूरा करने
के वलए भी महत्वपूणथ हैं।
• महत्वपूणथ खवनजों के खनन हेतु वनजी क्षेत्रक को अनुमवत देना: दकसी खवनज के परमाणु खवनजों की सूची में शावमल होने से उसका खनन और अन्वेषण
सरकारी उपक्रमों के वलए आरवक्षत हो जाता है।
o इन खवनजों को परमाणु खवनज की सूची से हटाने से वनजी क्षेत्रक द्वारा भी इनकी खोज और खनन का कायथ दकया जा सके गा।
III. महत्वपूणथ खवनजों को खनन लाइसेंस/ पट्टे (कन्सेशन) पर देने हेतु नीलामी करने का ववशेषावर्कार कें ि सरकार को ददया गया:
• कें ि सरकार की भूवमका: नए संशोर्न में कें ि सरकार को MMDR अवर्वनयम की पहली अनुसूची के नए भाग-D में सूचीबि कु छ महत्वपूणथ (दक्ररटकल)
खवनजों के खनन पट्टे और समेदकत लाइसेंस की नीलामी का ववशेषावर्कार ददया गया है।
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o पहली अनुसच
ू ी के भाग-D में ‘महत्वपूणथ खवनज’ की सूची में शावमल खवनज हैं;
▪ टंगस्टन, कै र्वमयम, दुलथभ भू-तत्व (Rare earth) समूह के खवनज, उवथरक खवनज और परमाणु खवनजों की सूची से बाहर दकए गए खवनज।
• राज्य सरकार की भूवमका: भले ही महत्वपूणथ खवनजों की नीलामी कें ि सरकार करे गी, लेदकन सफल बोलीदाताओं को इन खवनजों के वलए खनन पट्टा
अर्वा समेदकत लाइसेंस के वल राज्य सरकार द्वारा ही प्रदान दकया जाएगा।
o सार् ही, राज्य सरकार को नीलामी प्रीवमयम और अन्य वैर्ावनक भुगतान प्राि होते रहेंगे।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
REEs (HREE)132 के रूप में वगीकृ त दकया जाता
है।
o कोई खवनज दकतना महत्वपूणथ है, इसका आकलन मुयय
रूप से दो मापदंर्ों के आर्ार पर दकया जाता है
(इंफोग्रादफक देखें)।
• यह सूची खनन क्षेत्रक में नीवत वनमाथण, रणनीवतक योजना और
वनवेश संबंर्ी वनणथय लेने में एक मागथदशथक फ्रेमवकथ के रूप में काम करे गी।
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8.3. अपतटीय क्षे त्र खवनज (ववकास और वववनयमन) सं शोर्न अवर्वनयम, 2023 {Offshore
Areas Mineral (Development and Regulation) Amendment Act, 2023}
सुर्ख़थयों में क्यों?
हाल ही में, राष्ट्रपवत ने अपतटीय क्षेत्र खवनज (ववकास और वववनयमन) संशोर्न ववर्ेयक, 2023 को मंजूरी दी है।
• इसके जररए अपतटीय क्षेत्र खवनज (ववकास और वववनयमन) अवर्वनयम, 2002 में संशोर्न दकया जाएगा।
o यह भारत के प्रादेवशक जल, महाद्वीपीय मग्न तट, अनन्य आर्र्थक क्षेत्र (EEZ)133 और अन्य समुिी क्षेत्रों में खवनज संसार्नों के ववकास तर्ा
वववनयमन का प्रावर्ान करता है।
• अपतटीय खवनज संसार्नों को “संघ” द्वारा वनयंवत्रत और वववनयवमत दकया जाता है।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
o 200 मीटर से अवर्क की गहराई पर गहरे समुि तल से खवनज भंर्ार को प्राि करने की प्रदक्रया अपतटीय खनन कहलाती है।
क्षेत्र अपतटीय क्षेत्र खवनज (ववकास और वववनयमन) अवर्वनयम, अपतटीय क्षेत्र खवनज (ववकास और वववनयमन) संशोर्न अवर्वनयम, 2023
2002
लाइसेंस पूवथ-परीक्षण, अन्वेषण और उत्पादन134 के वलए अलग-अलग अन्वेषण के सार्-सार् उत्पादन का अवर्कार देने के वलए एक समग्र लाइसेंस
लाइसेंस। (Composite licence)।
वैर्ता उत्पादन पट्टा (Production lease) 30 वषथ की अववर् के वलए समग्र लाइसेंस के तहत उत्पादन पट्टा 50 वषथ के वलए वैर् होगा।
ददया जाता है, वजसे आगे 20 वषथ के वलए नवीनीकृ त दकया जा
सकता है।
नीलामी की प्रशासवनक आवंटन के तहत ररयायतें प्रदान करने का प्रावर्ान यह प्रवतस्पर्ाथत्मक बोली (Bidding) द्वारा वनजी क्षेत्रक को दो प्रकार के
प्रदक्रया है। पररचालन अवर्कार (Operating rights) प्रदान करता है, जैस-े उत्पादन
पट्टा और समग्र लाइसेंस।
आरवक्षत क्षेत्रों यह ववर्ेयक सरकार को उन अपतटीय क्षेत्रों को आरवक्षत करने यह प्रशासवनक प्रावर्कारी को अनुमवत देता है दक वह सरकार या सरकारी
में खनन की अनुमवत देता है जो दकसी पररचालन अवर्कार के तहत नहीं कं पनी को एक समग्र लाइसेंस या उत्पादन पट्टा दे सकता है।
आते हैं।
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• परमाणु खवनजों का खनन: के वल सरकार या सरकारी कं पवनयों को ही अन्वेषण, उत्पादन और समग्र लाइसेंस ददए जाएंगे।
• अपतटीय क्षेत्र खवनज ट्रस्ट (Offshore Areas Mineral Trust): यह भारत के लोक लेखा के तहत फं ड्स का प्रबंर्न करे गा। यह फं र् गैर-व्यपगत (Non-
lapsable) प्रकृ वत का होगा।
o इस फं र् का उपयोग अपतटीय क्षेत्रों में अन्वेषण आदद के सार्-सार् अन्य उद्देश्यों की पूर्तथ के वलए दकया जाएगा।
• इसे राष्ट्रीय खवनज अन्वेषण नीवत (NMEP), 2016 के एक भाग के रूप में लॉन्च दकया गया है।
• यह पोटथल एक ही वर्वजटल भू-स्र्ावनक प्लेटफॉमथ पर सभी भू-वैज्ञावनक, भू-रासायवनक, भू-भौवतकीय और खवनज अन्वेषण संबर्
ं ी र्ेटा सावथजवनक
रूप से उपललर् कराएगा।
• इस पोटथल के ववकास की वजम्मेदारी भारतीय भूवज्ञ
ै ावनक सवेक्षण (GSI) को दी गई र्ी।
• इस नीवत का उद्देश्य वनजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाकर देश में खवनज अन्वेषण कायों में तेजी लाना है।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
• NMEP के मुयय लबंदओं
ु पर एक नज़र:
o पहचाने गए अन्वेषण ललॉक्स को अन्वेषण हेतु वनजी क्षेत्र को सौंपने के वलए ललॉक्स की नीलामी की जाएगी। वनजी क्षेत्रों को ये अन्वेषण ललॉक्स
राजस्व-साझा करने की नीवत के आर्ार पर आवंरटत दकए जाएंगे।
o बेसलाइन भूवज्ञ
ै ावनक र्ेटा को पवललक गुर् माना जाएगा।
o अवर्क गहराई में पाए जाने वाले तर्ा वछपे हुए स्वणथ, चांदी, तांबे जैसे खवनज भंर्ार की पहचान के वलए कम ऊंचाई से और क्लोज स्पेस फ्लाइट
की मदद ली जाएगी। इसके वलए राष्ट्रीय एयरोवजयोदफवजकल मैलपंग कायथक्रम शुरू दकया जाएगा।
भारतीय भूवज्ञ
ै ावनक सवेक्षण (Geological Survey of India)
• उत्पवत्तः इसकी स्र्ापना 1851 में हुई र्ी।
• मंत्रालयः यह खान मंत्रालय के तहत कायथ करता है।
• कायथः
o राष्ट्रीय भूवैज्ञावनक र्ेटा संग्रह करना और अपर्ेट करना,
o खवनज संसार्नों का आकलन करना,
o हवाई और समुिी सवेक्षण करना।
• क्षेत्रीय कायाथलयः लखनऊ, जयपुर, नागपुर, हैदराबाद, वशलांग और कोलकाता
हाल ही में, वावणज्य और उद्योग मंत्रालय ने ववशेष आर्र्थक क्षेत्र (पांचवां संशोर्न) वनयम, 2023 अवर्सूवचत दकए। ये वनयम SEZ अवर्वनयम, 2005 की
र्ारा 55 के अर्ीन दी गई शवक्तयों का प्रयोग करके अवर्सूवचत दकए गए हैं।
अन्य संबवं र्त त्य
• SEZs (पांचवां संशोर्न) वनयम, 2023 के जररए SEZ वनयम, 2006 में संशोर्न दकए गए हैं।
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• संशोवर्त वनयम के तहत सूचना प्रौद्योवगकी (IT) या सूचना प्रौद्योवगकी सक्षम सेवाओं (ITES)135 वाले SEZ में “वबल्ट-अप एररया” के एक वहस्से को
‘नॉन-प्रॉसेलसंग एररया’ घोवषत दकया जा सकता है। हालांदक, इसके वलए शतथ यह होगी दक ऐसे क्षेत्र को जो कर ररयायतें वमली हुई र्ीं, उनका
पुनभुथगतान करना होगा।
o गौरतलब है दक SEZ में वस्र्त प्रॉसेलसंग एररया में वस्तुओं का उत्पादन या सेवा प्रदान करने संबर्
ं ी कायथ दकए जाते हैं। वहीं, नॉन-प्रॉसेलसंग
एररया में सहायक अवसंरचना उपललर् कराई जाती है।
o वजन SEZs में नॉन-प्रॉसेलसंग एररया घोवषत करने के बाद बचा हुआ प्रॉसेलसंग एररया कु ल SEZ एररया के पचास प्रवतशत से कम या तय क्षेत्र
से कम हो जाता है, उनमें नॉन-प्रॉसेलसंग एररया नहीं बनाया जाएगा।
• IT/ ITES गवतवववर्यों वाले SEZ के नॉन-प्रॉसेलसंग एररया में संचावलत व्यावसावयक गवतवववर्यों को SEZ यूवनट्स के समान कोई अवर्कार या
अन्य सुववर्ाओं का लाभ नहीं ददया जाएगा।
• SEZ एक प्रकार का शुल्क-मुक्त अवर्सूवचत क्षेत्र होता है। व्यापार संबंर्ी गवतवववर्यों के संचालन तर्ा कर एवं प्रशुल्क के मामले में यह एक प्रकार का
“ववदेशी क्षेत्र” माना जाता है। उदाहरण के वलए-
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
• कोई भी वनजी/ सावथजवनक/ जॉइं ट सेक्टर या राज्य सरकार या उसकी एजेंवसयां SEZ स्र्ावपत कर सकती हैं।
o गौरतलब है दक भारत के अलावा चीन, जॉर्थन, पोलैंर्, कजादकस्तान, दफलीपींस, रूस जैसे कई देशों ने भी SEZ स्र्ावपत दकए हैं।
• SEZ अवर्वनयम, 2005 के लागू हो जाने के बाद SEZ वनयम अवर्सूवचत दकए गए र्े। ये वनयम 2006 में लागू हुए र्े।
• ‘SEZ’ के अंतगथत आने वाले क्षेत्र में अलग-अलग प्रकार के ज़ोन शावमल होते हैं। इनमें वनयाथत प्रसंस्करण ज़ोन (EPZ)136, फ्री-ज़ोन (FZ), इंर्वस्ट्रयल
एस्टेट्स (IE), मुक्त व्यापार ज़ोन (FTZ)137, मुक्त बंदरगाह, शहरी उद्यम ज़ोन आदद शावमल हैं।
• भारत में दफलहाल 276 SEZs कायथरत हैं।
o 2022-23 में SEZs से कु ल वनयाथत 155.8 वबवलयन र्ॉलर का रहा। SEZs से 61.6 अरब र्ॉलर का वस्तु वनयाथत और 94.2 अरब र्ॉलर का
सेवा वनयाथत हुआ।
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कें ि सरकार ने अब दकसी नए क्षेत्रक के वलए उत्पादन-से-संबि प्रोत्साहन (PLI) योजना शुरू नहीं करने का वनणथय वलया है। इसके अलावा वजन क्षेत्रकों में
यह योजना शुरू हो चुकी है, उनमें से कु छ
क्षेत्रकों में योजना के स्तर पर सुर्ार की
आवश्यकता का आकलन दकया जाएगा।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
प्रोत्साहन देती है।
• PLI योजना को कई क्षेत्रकों को ध्यान में
रखकर तैयार दकया गया है। इसका कु ल
पररव्यय 1.97 लाख करोड़ रुपये
(लगभग 26 वबवलयन अमेररकी र्ॉलर) है। इसका उद्देश्य अलग-अलग क्षेत्रकों की उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाना और उन्हें वैविक चैंवपयन (वववनमाथता)
बनाने में मदद करना है।
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8.6.1. आई.टी. हार्थ वे य र के वलए उत्पादन से सं ब ि प्रोत्साहन 2.0 (PLI 2.0) योजना (PLI 2.0 for IT
Hardware Scheme)
सुर्ख़थयों में क्यों?
इलेक्ट्रॉवनक्स और सूचना प्रौद्योवगकी मंत्रालय (MeitY) ने आई.टी. हार्थवेयर के वलए PLI 2.0 योजना को अवर्सूवचत दकया है। इसका उद्देश्य भारत की
वववनमाथण क्षमताओं और वनयाथत को बढ़ाना है।
o
o प्रवत कं पनी प्रोत्साहन: एक आर्ार वषथ (ववत्त वषथ 2022-23) वनर्ाथररत करते हुए वववनर्मथत वस्तुओं की वनवल वृविशील वबक्री के आर्ार पर
प्रोत्साहन ददया जाएगा।
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• बाजार का आकार: एक ररपोटथ के अनुसार, भारत का सेमीकं र्क्टर बाजार 2026 तक लगभग 64 वबवलयन र्ॉलर तक पहुंच जाएगा। यह आंकड़ा वषथ
2019 की तुलना में तीन गुना अवर्क वृवि को दशाथता है।
• वचप वववनमाथण: भारत सेमीकं र्क्टर वर्जाइन का कें ि बन गया है। यहां हर साल लगभग 2,000 वचप्स वर्जाइन दकए जा रहे हैं।
• उद्योग में अनुसर्
ं ान एवं ववकास (R&D): इस उद्योग ने इलेक्ट्रॉवनक उत्पाद तर्ा एम्बेर्ेर् वसस्टम सवहत R&D में लगभग 2.5 वबवलयन अमेररकी
र्ॉलर का राजस्व प्राि दकया है।
वैविक सेमीकं र्क्टर पररदृश्य और भारत की भूवमका
• प्रमुख वववनमाथता: वतथमान में, ताइवान माइक्रोवचप्स के वववनमाथण में ववि में अग्रणी है। यह दुवनया के 60% से अवर्क सेमीकं र्क्टर और 90% से अवर्क
सबसे उन्नत सेमीकं र्क्टर का उत्पादन करता है।
• भारत की भूवमका: भारत ने खुद को दक्ररटकल सेमीकं र्क्टर प्रौद्योवगकी क्षेत्र में एक प्रमुख पक्ष के रूप में स्र्ावपत दकया है। यह कं पवनयों को उनके उत्पादन
कें ि को चीन के बाहर अन्य देशों में स्र्ावपत कर आपूर्तथ श्रृंखला में ववववर्ता लाने का अवसर प्रदान करता है।
o 2022 में, भारत ने ‘इंवर्या-US इवनवशएरटव ऑन दक्ररटकल एंर् इमर्जिंग टेिोलॉजीज (iCET)’ समझौते पर हस्ताक्षर दकए।
o भारत ने 2021 में इं वर्या सेमीकं र्क्टर वमशन (ISM) शुरू दकया र्ा। इसके अलावा, सेमीकं र्क्टर उद्योग के वलए उत्पादन-से-संबि प्रोत्साहन (PLI)
योजना आरं भ की गई है।
8.8. राष्ट्रीय फामे सी आयोग ववर्े य क, 2023 (National Pharmacy Commission Bill
2023)
सुर्ख़थयों में क्यों?
स्वास््य और पररवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय फामेसी आयोग ववर्ेयक, 2023 का मसौदा जारी दकया है। इसका उद्देश्य फामेसी अवर्वनयम, 1948 को
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प्रवतस्र्ावपत करना और मौजूदा फामेसी काउं वसल ऑफ इं वर्या (PCI) की जगह राष्ट्रीय फामेसी आयोग141 की स्र्ापना करना है।
प्रस्ताववत ववर्ेयक के अन्य उद्देश्य हैं:
• स्वास््य संबर्
ं ी राष्ट्रीय लक्ष्यों को बढ़ावा देना।
• गुणवत्तापूणथ और वहनीय फामाथस्युरटकल वशक्षा तक पहुंच में सुर्ार लाना।
• पयाथि संयया में और उि गुणवत्ता वाले फामेसी पेशव
े रों की उपललर्ता सुवनवित करना।
• प्रासंवगक मामलों के वलए एक प्रभावी वशकायत वनवारण तंत्र की स्र्ापना करना।
• फामेसी संस्र्ानों का पारदशी आकलन सुवनवित करना और भारत के वलए फामेसी रवजस्टर के रख-रखाव को सुगम बनाना।
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• इसे भारत में फामेसी के पेशे को वववनयवमत करने के वलए लागू दकया गया है।
• इसके तहत फामेसी के पेशे में प्रवेश करने वाले व्यवक्तयों के वलए समान प्रवशक्षण और वशक्षा का मानकीकरण दकया गया है।
• इसमें यह प्रावर्ान दकया गया है दक कें ि सरकार फामेसी काउं वसल ऑफ इं वर्या (PCI) नामक एक कें िीय पररषद का गठन करे गी।
o इस अवर्वनयम में फामाथवसस्टों के पंजीकरण के वलए 'राज्य फामेसी काउं वसल' के गठन और उसके कायों का भी प्रावर्ान दकया गया है।
भारतीय फामेसी पररषद (PCI)
• उत्पवत्त: इसे फामेसी अवर्वनयम, 1948 के प्रावर्ानों के तहत एक वैर्ावनक वनकाय के रूप में स्र्ावपत दकया गया है।
• मंत्रालय: स्वास््य और पररवार कल्याण मंत्रालय
• उद्देश्य: इसका उद्देश्य फामेसी वशक्षा और फामेसी के पेशे एवं पेशे से जुड़े कायों का वववनयमन करना है।
• कायथ:
o शैवक्षक मानकों का वनर्ाथरण करना तर्ा उनके कायाथन्वयन में एकरूपता लाना।
o फामेसी संस्र्ानों का वनरीक्षण करना, फामाथवसस्टों के अध्ययन और परीक्षा के वलए पाठ्यक्रम को मंजूरी प्रदान करना।
o फामाथवसस्टों के एक कें िीय रवजस्टर का रख-रखाव करना।
राष्ट्रीय फामेसी आयोग ववर्ेयक, 2023 के मसौदे में शावमल प्रमुख प्रावर्ान
• कें ि सरकार राष्ट्रीय फामेसी आयोग का गठन करे गी। आयोग के वनम्नवलवखत कायथ हैं:
o फामेसी वशक्षा और प्रवशक्षण के वलए नीवतयां तैयार करना प्रशासवनक मानकों का वववनयमन करना।
o अत्यार्ुवनक प्रौद्योवगकी के उपयोग के वलए उद्योग एवं अन्य संस्र्ानों के सार् सहयोग करना।
o वववभन्न बोर्थ के वनणथयों के संबंर् में अपीलीय क्षेत्रावर्कार का प्रयोग करना।
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• कें ि सरकार NPS के अर्ीन कायथ करने वाले तीन बोड्सथ का गठन करे गी। ये हैं-
8.9. राष्ट्रीय वचदकत्सा उपकरण नीवत, 2023 (National Devices Policy, 2023)
कें िीय मंवत्रमंर्ल ने राष्ट्रीय वचदकत्सा उपकरण नीवत, 2023 को मंजूरी दी।
• भारत को अगले 25 वषों में वचदकत्सा उपकरणों के वववनमाथण और नवाचार में ववि में अग्रणी देश बनाना है।
• वषथ 2030 तक वचदकत्सा उपकरण क्षेत्र को वतथमान 11 वबवलयन र्ॉलर से बढ़ाकर 50 वबवलयन र्ॉलर तक पहुंचाने में मदद करना है।
• वचदकत्सा उपकरण क्षेत्र के व्यववस्र्त ववकास में मदद करना है। इससे लोक स्वास््य के ‘पहुंच, वहनीयता, गुणवत्ता और नवाचार’ से संबवं र्त उद्देश्यों
• भारतीय वचदकत्सा उपकरण उद्योग वतथमान में जापान, चीन और दवक्षण कोररया के बाद चौर्ा सबसे बड़ा एवशयाई वचदकत्सा उपकरण बाजार है।
• हालांदक, भारत में कई बहु-राष्ट्रीय कं पवनयां उपवस्र्त भी हैं, वजनकी कु ल वबक्री में आयावतत वचदकत्सा उपकरणों की वहस्सेदारी लगभग 75-80%
है।
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इस नीवत के तहत नीवतगत उपायों के वलए वनम्नवलवखत छ: व्यापक क्षेत्रकों को शावमल दकया गया है:
वववनयामकीय तंत्र को सुव्यववस्र्त • इसके तहत लाइसेंलसंग के वलए लसंगल लवंर्ो क्लीयरें स वसस्टम का वनमाथण दकया जाएगा; BIS जैसे भारतीय
करना मानकों की भूवमका बढ़ाई जाएगी तर्ा एक सुसग
ं त मूल्य वनर्ाथरण वववनयमन तैयार दकया जाएगा।
सक्षमकारी बुवनयादी ढांचा • आर्र्थक क्षेत्र (Economic zones) के वनकट ववि स्तरीय सामान्य बुवनयादी सुववर्ाओं से सुसवित बड़े
वचदकत्सा उपकरण पाक्सथ और क्लस्टसथ की स्र्ापना की जाएगी और उन्हें मजबूती प्रदान की जाएगी।
अनुसर्
ं ान एवं ववकास (R&D) तर्ा • इसके तहत अकादवमक और शोर् संस्र्ानों में उत्कृ िता कें ि स्र्ावपत दकए जाएंगे। सार् ही, नवाचार कें िों और
नवाचार में सहायता करना 'प्लग एंर् प्ले' अवसंरचनाओं की भी स्र्ापना की जाएगी तर्ा स्टाटथ -अप्स को समर्थन ददया जाएगा।
वचदकत्सा उपकरण क्षेत्र में वनवेश • इसके तहत वनजी वनवेश, उद्यम पूंजीपवतयों से वनरंतर ववत्त-पोषण और सावथजवनक-वनजी भागीदारी (PPP)
आकर्षथत करना
को बढ़ावा ददया जाएगा।
मानव संसार्न ववकास • वचदकत्सा उपकरण क्षेत्र में पेशेवरों के कौशल ववकास, पुनकौशल ववकास तर्ा कौशल उन्नयन के वलए कौशल
ववकास और उद्यमशीलता मंत्रालय में उपललर् संसार्नों का लाभ उठाया जाएगा।
• ववदेशी अकादवमक/उद्योग संगठनों के सार् साझेदारी ववकवसत की जाएगी।
• मौजूदा संस्र्ानों में वचदकत्सा उपकरणों के प्रवत समर्पथत बहु-ववषयक पाठ्यक्रम शुरू दकए जाएंगे।
िांर् पोवजशलनंग और जागरूकता • वचदकत्सा उपकरण क्षेत्रक के वलए एक समर्पथत वनयाथत संवर्थन पररषद स्र्ावपत की जाएगी।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
सृजन • वववनमाथण और कौशल ववकास के वलए सवोत्तम वैविक प्रर्ाओं से सीखने पर बल ददया जाएगा।
“सामान्य सुववर्ाओं के वलए वचदकत्सा उपकरण क्लस्टर हेतु सहायता (Assistance for Medical Devices clusters for Common
• हाल ही में शुरू AMD-CF योजना का उद्देश्य ववत्तीय सहायता प्रदान करके वचदकत्सा उपकरण क्लस्टसथ को मजबूत करना है। सार् ही,
वचदकत्सा उपकरणों के वलए अवर्क परीक्षण प्रयोगशालाएं स्र्ावपत करना और उन्हें मजबूत करना भी इसका उद्देश्य है।
• AMD-CF योजना की शुरुआत रसायन और उवथरक मंत्रालय के औषर् ववभाग के तहत की जाएगी।
सामान्य सुववर्ाओं के सामान्य अवसंरचना सुववर्ाओं का वनमाथण करके • आर्र्थक सहायता की अवर्कतम सीमा स्वीकृ त पररयोजना
वलए सहायता वचदकत्सा उपकरण क्लस्टसथ के सतत ववकास के वलए लागत की 70 प्रवतशत या 20 करोड़ रुपये, जो भी कम हो,
उनकी क्षमताओं को मजबूत करना। होगी।
• वहमालयी और पूवोत्तर क्षेत्र के राज्यों के वलए सहायता
अनुदान 20 करोड़ रुपये प्रवत क्लस्टर या पररयोजना लागत
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पररक्षण सुववर्ाओं की गुणवत्तापूणथ वचदकत्सा उपकरणों के वनमाथण को बढ़ावा • आर्र्थक सहायता की अवर्कतम सीमा स्वीकृ त परीक्षण
वलए सहायता देने के वलए अवर्क वचदकत्सा उपकरण परीक्षण प्रयोगशाला पररयोजना लागत की 70 प्रवतशत या 5 करोड़
प्रयोगशालाओं की उपललर्ता सुवनवित करना।
रुपये, जो भी कम हो, होगी।
• वहमालयी और पूवोत्तर क्षेत्र के राज्यों के वलए सहायता
अनुदान 5 करोड़ रुपये प्रवत क्लस्टर या पररयोजना लागत का
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भारत के प्रर्ान मंत्री ने भारत के नेतृत्व में “ग्लोबल वर्वजटल पवललक इं फ्रास्ट्रक्चर ररपॉवजटरी (GDPIR)” और “सोशल इम्पैक्ट फं र् (SIF)” नामक पहलों
की शुरुआत की घोषणा की। इन पहलों की घोषणा G-20 लीर्सथ के एक वचुथअल वशखर सम्मेलन में की गई।
अन्य संबवं र्त त्य
• G-20 के नई ददल्ली लीर्सथ घोषणा-पत्र में DPI को अमल में लाने के वलए तीन पहलों की घोषणा की गई र्ी। GDPRI उन तीन पहलों में से एक है।
• अन्य दो हैं:
o DPI के वनमाथण के वलए एक फ्रेमवकथ तैयार करना, तर्ा
o वनम्न एवं मध्यम आय वाले देशों (LMICs)142 में DPI के ववकास हेतु ववत्त जुटाना।
• ववकास: इसका ववकास इलेक्ट्रॉवनक्स और सूचना प्रौद्योवगकी • उद्देश्य: SIF सरकार के नेतृत्व वाली एक बहु-वहतर्ारक पहल होगी। यह ग्लोबल
मंत्रालय ने दकया है।
साउर् में DPIs को तेजी से अमल में लाने में मदद करे गा।
• उद्देश्य: इसका उद्देश्य DPIs के वर्जाइन, वनमाथण, उपयोग और
o यह सभी प्रासंवगक वहतर्ारकों को इस फं र् में योगदान करने के वलए एक मंच
गवनेंस के वलए आवश्यक ववकल्पों एवं तकनीक के स्तर पर ज्ञान
प्रदान करे गा। सार् ही, यह DPI के जररए वनम्न एवं मध्यम आय वाले देशों
की कमी को दूर करना है।
में सतत ववकास लक्ष्यों (SDGs) की प्रावि में तेजी लाने में मदद भी करे गा।
• घटक: GDPIR उन देशों से प्राि जानकारी को मानकीकृ त
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• ववत्त-पोषण: भारत ने SIF के वलए शुरू में 25 वमवलयन अमेररकी र्ॉलर देने की
प्रारूप में प्रदर्शथत करे गी, वजन्होंने मैच्योररटी स्के ल, सोसथ कोर्
घोषणा की है।
व गवनेंस फ्रेमवकथ को शावमल करते हुए बड़े पैमाने पर DPIs
o यह DPI प्रणाली ववकवसत करने के वलए देशों को तकनीकी और गैर-तकनीकी
ववकवसत दकए हैं।
सहायता प्रदान करने हेतु ववत्तीय मदद करे गा।
o वतथमान में, GDPIR में 16 देशों के 54 DPIs शावमल हैं।
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हाल ही में, भारत की राष्ट्रीय लॉवजवस्टक्स नीवत (NLP) की शुरुआत का एक वषथ पूरा हुआ।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
• NLP वसतंबर, 2022 में जारी की गई र्ी। इसके उद्देश्य हैं: देश भर में वस्तुओं की वनबाथर् आवाजाही को बढ़ावा देना तर्ा घरे लू और वैविक बाजारों
में भारतीय वस्तुओं की प्रवतस्पर्ाथत्मकता में सुर्ार करना।
• इसके ववजन हैं: एकीकृ त, वनबाथर्, दक्ष, वविसनीय, हररत, संर्ारणीय और लागत प्रभावी लॉवजवस्टक्स नेटवकथ के माध्यम से आर्र्थक संवृवि को बढ़ावा
देना। इसके वलए सवोत्तम प्रौद्योवगदकयों, प्रदक्रयाओं और कु शल जनशवक्त का लाभ उठाया जा रहा है।
• NLP के लक्ष्य:
o भारत में लॉवजवस्टक्स की लागत को 2030 तक वैविक मानकों के अनुरूप करना।
o लॉवजवस्टक्स प्रदशथन सूचकांक रैं ककं ग में सुर्ार करना तर्ा 2030 तक भारत को शीषथ 25 देशों में शावमल करना।
o एक दक्ष लॉवजवस्टक्स इकोवसस्टम की स्र्ापना के वलए र्ेटा आर्ाररत वनणथय समर्थन प्रणाली का ववकास करना।
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• राष्ट्रीय लॉवजवस्टक नीवत का कायाथन्वयन: NLP के लक्ष्यों को प्राि करने के वलए एक व्यापक लॉवजवस्टक्स एक्शन प्लान (CLAP)144 शुरू दकया गया
है। इसमें कु छ वनर्ाथररत कायथ क्षेत्रों के वलए अलग-अलग उपायों की पहचान की गई है (इन्फोग्रादफक देखें)।
• वर्वजटलीकरण: उद्योग जगत के 614 से अवर्क भागीदारों ने यूवनफाइर् लॉवजवस्टक्स इं टरफ़े स प्लेटफ़ॉमथ (ULIP) पर पंजीकरण कराया है।
o यह एक र्ेटा आर्ाररत प्लेटफ़ॉमथ है। यह वववभन्न ववभागों में GST र्ेटा सवहत लॉवजवस्टक्स-से-संबि 34 वर्वजटल वसस्टम को एकीकृ त करता
है।
• राज्यों की भागीदारी: अब तक 22 राज्यों ने अपनी लॉवजवस्टक नीवतयों को अवर्सूवचत दकया है।
• मुद्दे एवं वशकायत वनवारण: ईज ऑफ लॉवजवस्टक्स सर्वथस (E-logs) पोटथल शुरू दकया गया है, वजस पर अब तक लगभग 29 व्यावसावयक संघों को
सूचीबि दकया जा चुका है।
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9.2.1. लीड्स ररपोटथ 2023 (Leads Report 2023)
सुर्ख़थयों में क्यों?
हाल ही में, वावणज्य और उद्योग मंत्रालय ने “अलग-अलग राज्यों में लॉवजवस्टक्स ईज (LEADS)145” ररपोटथ 2023 जारी की।
LEADS (लीड्स) के बारे में
• इसे ववि बैंक के लॉवजवस्टक्स परफॉमेंस इं र्ेक्स (LPI) की तजथ पर वावणज्य और उद्योग मंत्रालय ने 2018 में शुरू दकया र्ा।
o ववि बैंक की LPI 2023 ररपोटथ में 139 देशों में भारत 38वें स्र्ान पर है।
▪ LPI 2023 व्यापार के छह आयामों पर देशों को रैं क प्रदान करता है। ये हैं: सीमा शुल्क, बुवनयादी ढांचा, वशपमेंट की व्यवस्र्ा में आसानी,
लॉवजवस्टक्स सेवाओं की गुणवत्ता, ट्रैककं ग और ट्रेलसंग तर्ा समयबिता146।
• LEADS राज्यों और कें ि शावसत प्रदेशों को उनके लॉवजवस्टक्स इकोवसस्टम की दक्षता के आर्ार पर रैं क प्रदान करता है।
• लॉवजवस्टक्स प्रदशथन को मापने के वलए उपयोग दकए जाने वाले प्रमुख स्तंभ:
o वस्तुवनष्ठ मूल्यांकन (Objective assessment)
▪ लॉवजवस्टक्स इकोवसस्टम की नीवत और प्रदक्रया में सुर्ार के वलए राज्य/ कें ि शावसत प्रदेशों द्वारा प्रदान दकया गया समर्थन।
▪ लॉवजवस्टक्स को मजबूत करने वाले भौवतक अवसंरचना का वनमाथण।
o र्ारणा मूल्यांकन (Perception Assessment)
▪ लॉवजवस्टक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर,
▪ लॉवजवस्टक सेवाएं,
▪ पररचालन और वववनयामकीय व्यवस्र्ा।
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▪ 15 राज्यों और 1 कें ि शावसत प्रदेश ने लॉवजवस्टक्स क्षेत्रक को उद्योग का दजाथ ददया है।
o 2014-15 के बाद से सड़कों और रे लवे ट्रै क की कु ल लंबाई लगभग क्रमशः 21% और 9% बढ़ी है।
पी.एम. गवत शवक्त पहल ने अपनी शुरुआत के दो वषथ पूरे कर वलए हैं। इसकी शुरुआत अक्टूबर, 2021 में हुई र्ी। इसने लास्ट माइल कनेवक्टववटी को
सुववर्ाजनक बनाया है और लॉवजवस्टक्स लागत में काफी कमी आई है।
• कायाथन्वयन प्रदक्रयाओं में तेजी लाना: इस पहल के माध्यम से सभी पररयोजनाओं में तेजी आयी है। उदाहरण के वलए- अवसंरचना पररयोजनाओं के
वलए रुपरे खा को स्वीकृ वत देने की अववर् 3-4 महीने से घटकर अब 1 माह हो गई है।
• सूचना की उपललर्ता में वृवि: इसके तहत आगामी कनेवक्टववटी पररयोजनाओं, व्यापार कें िों और औद्योवगक क्षेत्रों पर महत्वपूणथ र्ेटा उपललर् कराया
जा रहा है।
o उदाहरण के वलए- भास्कराचायथ राष्ट्रीय अंतररक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना ववज्ञान संस्र्ान (BISAG-N)147 द्वारा र्ायनेवमक भौगोवलक सूचना
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प्रणाली (GIS) पर आर्ाररत वर्वजटल मास्टर प्लालनंग टू ल बनाया गया है। इसका उपयोग सभी मंत्रालयों/ ववभागों द्वारा दकया जा रहा है।
• मल्टी-मॉर्ल लॉवजवस्टक्स तंत्र ववकवसत करना: उदाहरण के वलए- भारतमाला, सागरमाला, अंतदेशीय जलमागथ, शुष्क/ भूवम बंदरगाह जैसी
अवसंरचनात्मक योजनाओं को एकीकृ त दकया गया है।
• पी.एम. गवत शवक्त राष्ट्रीय मास्टर प्लान (PMGS-NMP) का उद्देश्य भारत के वववभन्न आर्र्थक क्षेत्रों (Economic zones) के वलए मल्टी-मॉर्ल
कनेवक्टववटी अवसंरचना का वनमाथण करना है।
o आर्र्थक क्षेत्र का आशय ऐसे क्लस्टर से है जहां वववनमाथण या मूल्य संवर्थन सेवाओं या अन्य सेवाओं के रूप में कई आर्र्थक गवतवववर्यां चलाई जा
रही हैं।
• पी.एम. गवत शवक्त योजना के उद्देश्य:
o इसका उद्देश्य PMGS-NMP में टेक्सटाइल्स क्लस्टर, फामाथस्युरटकल क्लस्टर, रक्षा गवलयारे , इलेक्ट्रॉवनक पाकथ जैसे आर्र्थक क्षेत्रों को शावमल
करना है।
o एक एकीकृ त पोटथल शुरू दकया गया है। रे लवे, सड़क पररवहन सवहत 16 मंत्रालयों को इस पोटथल से जोड़ा जाएगा।
• प्रार्वमक फोकस: योजना के अंतगथत मुयय ध्यान रणनीवतक योजना, ववत्त-पोषण के नवाचार तरीकों, प्रौद्योवगकी का लाभ उठाने और योजना संचावलत
करने की प्रदक्रयाओं में तेजी लाने पर जोर ददया जाएगा।
• दायरा: इसके तहत राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP)148 के सात इं जन शावमल होंगे। ये हैं: सड़क, रे लवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह, मास ट्रांसपोटेशन,
जलमागथ और लॉवजवस्टक्स अवसंरचना।
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9.4. समर्पथ त माल ढु लाई गवलयारा (Dedicated Freight Corridors: DFCs)
सुर्ख़थयों में क्यों?
अक्टूबर, 2023 में ईस्टनथ र्ेवर्के टेर् फ्रेट कॉररर्ोर (EDFC) का वनमाथण कायथ पूरा हो गया।
• यह एक प्रकार का रे लवे कॉररर्ोर है। इसे वस्तुओं और अन्य कमोवर्टी के तीव्र और दक्ष पररवहन के वलए बनाया जा रहा है। ये रे लवे कॉररर्ोसथ उि
• उद्देश्य: DFCs का उद्देश्य भारत के रे लवे नेटवकथ पर माल ढु लाई यातायात को यात्री यातायात से अलग करके मौजूदा रे लवे नेटवकथ पर भीड़भाड़ को
कम करना है।
• कायाथन्वयन एजेंसी: इस पररयोजना का दक्रयान्वयन र्ेवर्के टेर् फ्रेट कॉररर्ोर कॉपोरे शन ऑफ इं वर्या वलवमटेर् (DFCCIL) कर रही है।
o DFCCIL का गठन 2006 में दकया गया र्ा। DFCCIL रे ल मंत्रालय के पूणथ स्वावमत्व वाला उद्यम है। यह DFC के वनमाथण, रख-रखाव और
• र्ेवर्के टेर् कोल कॉररर्ोर: इन्हें समर्पथत माल भाड़ा गवलयारों की तजथ पर बनाया जाएगा। DCCs के माध्यम से ओवर्शा, झारखंर् और छत्तीसगढ़ जैसे
राज्यों से देश के अन्य भागों में अनन्य रूप से कोयले का ही पररवहन दकया जाएगा।
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9.5. रीजनल रै वपर् ट्रां वजट वसस्टम (RRTS) पररयोजना {Regional Rapid Transit System
(RRTS) Project}
सुर्ख़थयों में क्यों?
हाल ही में, भारत के पहले रीजनल रै वपर् ट्रांवजट वसस्टम (RRTS) की शुरुआत हुई। इसके तहत उत्तर प्रदेश में सावहबाबाद से दुहाई वर्पो तक ‘नमो भारत
रै वपर्एक्स ट्रेन149 का पररचालन आरं भ हुआ।
• यह राष्ट्रीय राजर्ानी क्षेत्र (NCR) में क्षेत्रीय कें िों को जोड़ने वाली एक नई, समर्पथत, हाई स्पीर्, उि क्षमता वाली और आरामदायक रे ल यात्री
पररवहन सेवा है।
• इसमें रे लगावड़यों की गवत 160 दक.मी./ घंटा होगी। हालांदक, RRTS को इस तरह वर्ज़ाइन दकया गया है दक ये 180 दक.मी./ घंटा तक की गवत से
यात्रा तय कर सकती हैं।
• यह पररवहन सार्न मेट्रो और भारतीय रे लवे से वनम्नवलवखत प्रकार से अलग है:
o मेट्रो की तुलना में RRTS के तहत कम स्टेशन होते हैं, ट्रेन की गवत अवर्क होती है तर्ा यह अपेक्षाकृ त लंबी दूरी की यात्रा करने वाले यावत्रयों
को सेवा प्रदान करता है।
o पारं पररक रे लवे पररवहन की तुलना में RRTS एक र्ेवर्के टेर् मागथ पर उि गवत के सार् वविसनीय, कम समय अंतराल पर, पॉइं ट-टू-पॉइं ट
क्षेत्रीय पररवहन सेवा की सुववर्ा प्रदान करे गा।
• NCR में RRTS के ववकास का वजम्मा राष्ट्रीय राजर्ानी क्षेत्र पररवहन वनगम (NCRTC)150 को सौंपा गया है।
राष्ट्रीय राजर्ानी क्षेत्र पररवहन वनगम (National Capital Region Transport Corporation: NCRTC)
• NCRTC के बारे में: इसे कें ि सरकार तर्ा ददल्ली, हररयाणा, राजस्र्ान और उत्तर प्रदेश की एक संयक्त
ु उद्यम कं पनी के रूप में 2013 में स्र्ावपत दकया
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
गया र्ा।
o यह आवास और शहरी कायथ मंत्रालय (MoHUA) के प्रशासवनक वनयंत्रण के अर्ीन है।
• उद्देश्यः NCR में रीजनल रै वपर् ट्रांवजट वसस्टम (RRTS) पररयोजना को लागू करना।
• सरचनाः
o शहरी कायथ ववभाग का सवचव इसके वनदेशक मंर्ल का पदेन अध्यक्ष होता है।
o प्रबंर् वनदेशक, MOHUA द्वारा मनोनीत होता है।
o प्रत्येक भागीदार राज्य की ओर से 1-1 मनोनीत वनदेशक
o भारत सरकार से 4 मनोनीत वनदेशक
• कायथ और वजम्मेदाररयांः
o RRTS का वर्ज़ाइन, ववकास, कायाथन्वयन, ववत्त पोषण, संचालन और रखरखाव ।
o बेहतर कनेवक्टववटी और उपललर्ता के जररए संतुवलत एवं संर्ारणीय शहरी ववकास सुवनवित करना।
• कोवि वाटर मेट्रो पररवहन का एक अवभनव और संर्ारणीय तरीका है। इसके अंतगथत जलमागों के जरटल नेटवकथ के माध्यम से शहर के अलग-अलग
वहस्सों को जोड़ा गया है।
• बोट्स में वलवर्यम टाइटेनटे ऑक्साइर् (LTO) बैटरी का इस्तेमाल दकया गया है। इन बैटररयों को ववशेष रूप से वनर्मथत चार्जिंग वसस्टम की मदद से
के वल 15 वमनट में चाजथ दकया जा सकता है।
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o LTO बैटरी न के वल दुवनया में सबसे सुरवक्षत व्यावसावयक रूप से सुलभ बैटरी हैं, बवल्क ये दुवनया में सबसे लंबे समय (7-10 वषथ) तक काम
करने वाली बैटरी भी हैं।
• वपछले साल कोवि वाटर मेट्रो ने दुवनया में सवथश्रष्ठ
े व्यावसावयक यात्री इलेवक्ट्रक बोट के वलए फ्रांस का प्रवतवष्ठत गसीज़ अवार्थ जीता र्ा।
भारत में ऐसी अन्य अंतदेशीय जल पररवहन (IWT) सेवाएं
• जलमागों पर वाहनों और यावत्रयों की आवाजाही के वलए रो-रो (रोल-ऑन, रोल-ऑफ) फे री सेवा शुरू की गई है। यह सेवा अलग-अलग स्र्ानों जैसे
दक मुंबई, गोवा, के रल और असम में िह्मपुत्र नदी पर उपललर् हैं।
• मुंबई और मांर्वा (महाराष्ट्र) के बीच ईस्टनथ वाटरफ्रंट र्ेवलपमेंट के तहत रो-पैक्स (रोल ऑन-रोल ऑफ कम पैसज
ें र) फे री सेवा ववकवसत की गई।
• ररवर क्रूज सेवा: भारत में ररवर क्रूज पयथटन को बढ़ावा देने के वलए दुवनया के सबसे लंबे ररवर क्रूज ‘गंगा ववलास’ को हाल ही में शुरू दकया गया है।
यह भारत के 5 राज्यों और बांग्लादेश की 27 नदी प्रणावलयों के जररये 3,200 दकलोमीटर से अवर्क की दूरी तय करे गा।
हाल ही में, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने NCMC आर्ाररत रुपे प्रीपेर् कार्थ151 शुरू दकया है।
• NCMC को 2019 में शुरू दकया गया र्ा। इसे वन नेशन, वन कार्थ के रूप में भी जाना जाता है, जो देश के लोगों के आवागमन को आसान बनाता है।
o इसके तहत उपभोक्ता मेट्रो सेवा, बस सेवा, उपनगरीय रे लवे, टोल, पार्किं ग, स्माटथ वसटी और खुदरा सवहत सभी क्षेत्रकों में भुगतान के वलए एक
ही कार्थ का उपयोग कर सकते हैं।
• ये वचप आर्ाररत कार्थ बैंक द्वारा जारी दकए जाते हैं। इन्हें र्ेवबट/ क्रेवर्ट/ प्रीपेर् कार्थ प्लेटफॉमथ पर ही जारी दकया जाता है।
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• अन्य वचप आर्ाररत कार्ों के ववपरीत, NCMCs दोहरे इं टरफ़े स आर्ाररत कार्थ होते हैं। ये संपकथ आर्ाररत तर्ा संपकथ रवहत दोनों तरह के लेन -देन
की सुववर्ा प्रदान करते हैं।
• इसे आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा नेशनल पेमट्ें स कॉपोरे शन ऑफ इं वर्या (NPCI), सेंटर फॉर र्ेवलपमेंट ऑफ एर्वांस्र् कं प्यूटटंग (C-
DAC) और भारत इलेक्ट्रॉवनक्स वलवमटे र् (BEL) के सहयोग से ववकवसत दकया गया है।
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• यह कार्थ पररवहन के वलए स्वदेशी रूप से ववकवसत भुगतान इको-वसस्टम का उपयोग करता है, वजसमें वनम्नवलवखत शावमल हैं-
o NCMC कार्थ (रुपे, वीज़ा, मास्टर कार्थ जैसी भुगतान प्रणावलयों द्वारा जारी),
o स्वीकार (SWEEKAR) (स्वचावलत दकराया: स्वचावलत दकराया संग्रह प्रणाली) को C-DAC द्वारा ववकवसत दकया गया है।
o स्वागत (SWAGAT) (स्वचावलत दरवाजे) को BEL द्वारा ववकवसत दकया गया है।
• NCMC वचप कार्थ में एक इनवबल्ट रे वर्यो फ्रीक्वेंसी एंटीना होता है। इसमें भुगतान करने के वलए स्वीकार (SWEEKAR) और स्वागत (SWAGAT)
के सहयोग से एक सुरवक्षत कनेक्शन स्र्ावपत करने हेतु वनयर फील्र् कम्युवनके शन (NFC) तकनीक का उपयोग दकया जाता है।
o NFC कम दूरी की एक वायरलेस कनेवक्टववटी तकनीक है। इसमें उपकरणों के बीच संचार की सुववर्ा प्रदान करने के वलए ववद्युत चुम्बकीय प्रेरण
(Magnetic field induction) का उपयोग दकया जाता है। इसमें दो वर्वाइसेज के बीच संचार स्र्ावपत करने के वलए संपकथ में लाया जाता है
या कु छ सेंटीमीटर दूरी पर रखा जाता है।
9.7. मै रीटाइम अमृ त काल ववजन 2047 (Maritime Amrit Kaal Vision 2047)
सुर्ख़थयों में क्यों?
हाल ही में, ग्लोबल मैरीटाइम इं वर्या सवमट (2023) के तीसरे संस्करण का आयोजन मुंबई में दकया गया। इस सवमट में मैरीटाइम अमृत काल ववजन 2047
दस्तावेज जारी दकया गया।
• इसे 2047 तक भारत को ग्लोबल मैरीटाइम में अग्रणी बनाने के वलए पत्तन, पोत पररवहन और जलमागथ मंत्रालय ने तैयार दकया र्ा।
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• पहला मैरीटाइम इं वर्या वशखर सम्मेलन 2016 में मुब
ं ई में आयोवजत दकया गया र्ा, जबदक दूसरा वषथ 2021 में आयोवजत दकया गया र्ा।
इसमें भारत के समुिी क्षेत्रक को पूरी तरह से बदलने के वलए 11 व्यापक र्ीम (या ववषयों) से जुड़ी रणनीवतक पहलों की रूपरे खा तैयार की गई है। इनमें
शावमल हैं:
• संर्ारणीय और हररत समुिी क्षेत्रक: इसका उद्देश्य सभी 14 प्रमुख पत्तनों (Major ports) को काबथन न्यूट्रल बनाना है। सार् ही, इसका लक्ष्य हररत
ईंर्न को अपनाने और भारत को हाइड्रोजन के उत्पादन और ववतरण का कें ि बनाना भी है।
o एक अंतदेशीय पोत ग्रीन ट्रांवजशन कायथक्रम152 शुरू दकया जाएगा।
o 3 पत्तनों पर ग्रीन हाइड्रोजन बंकर स्र्ावपत दकए जाएंगे। इसमें शावमल हैं- पारादीप पत्तन (ओवर्शा), दीनदयाल पत्तन (गुजरात) और वी.ओ.
वचदंबरनार पत्तन (तवमलनार्ु )।
• पत्तनों का आर्ुवनकीकरण: पररचालन संबंर्ी दक्षता, वर्वजटलीकरण में तेजी लाने आदद के जररए प्रमुख पत्तनों को स्माटथ, स्वचावलत और भववष्य की
आवश्यकता के अनुकूल बनाया जाएगा। इसके अलावा, भारतीय पतनों को ववि के शीषथ 25 पतनों में शावमल करने का लक्ष्य रखा गया है।
• इसमें जहाज वनमाथण, मरम्मत और पुनचथक्रण के वलए वैविक भागीदारी में शावमल होने की बात कही गई है। इससे भारत को शीषथ 5 वैविक जहाज
वनमाथण कें िों में जगह बनाने में मदद वमलेगी।
• भारत के पत्तनों की पररवहन क्षमता में सुर्ार करना: प्रमुख पत्तनों पर 100% PPP153 मॉर्ल को लागू दकया जाएगा। इसके जररए प्रमुख पत्तनों की
पररवहन क्षमता में चार गुना वृवि करके 10,000 वमवलयन टन प्रवतवषथ तक करने का लक्ष्य रखा गया है।
• महासागर, तटीय और नदी क्रूज क्षेत्रक: भारत को एवशया प्रशांत क्षेत्र में क्रूज पयथटन क्षेत्रक में अग्रणी बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत 25 क्रूज
टर्मथनल ववकवसत करने की योजना है।
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• लॉवजवस्टक्स क्षमता में वृवि: प्रमुख पत्तनों पर ठहरने वाले जलयानों की संयया और अंतदेशीय जलमागों की वहस्सेदारी को 6% से बढ़ाकर 12% तक
दकया जाएगा।
o इसके तहत सरकार का लक्ष्य जलमागों के पररचालन में दोगुने से अवर्क की वृवि करना है।
• अन्य ववषय:
o समुिी कानून, ववत्त क्षेत्रक आदद में प्रवतस्पर्ाथ को बढ़ावा देकर पेशेवर समुिी सेवा प्रदान करना।
o ववि स्तरीय वशक्षा, अनुसर्
ं ान एवं प्रवशक्षण की उपललर्ता सुवनवित की जाएगी।
o समुिी क्लस्टर का ववकास करना: संपूणथ आपूर्तथ श्रृंखला का सवोत्तम उपयोग सुवनवित दकया जाएगा।
o वैविक मैरीटाइम में उपवस्र्वत के वलए भारत में समर्पथत IMO सेल का गठन दकया गया है।
o दक्षता में सुर्ार: प्रौद्योवगकी-संचावलत नवाचार से जुड़े एक इकोवसस्टम का वनमाथण करके दक्षता में सुर्ार दकया जाएगा।
पत्तन, पोत पररवहन और जलमागथ मंत्रालय (MoPSW) ने “हररत सागर” नाम से हररत पत्तन ददशा-वनदेश 2023 जारी दकए हैं।
• हररत सागर ददशा-वनदेश- 2023 में पत्तन ववकास, संचालन और रख-रखाव में इकोवसस्टम की कायथ क्षमता बढ़ाने की पररकल्पना की गई है। सार् ही,
'प्रकृ वत के सार् कायथ करने’ की अवर्ारणा को अपनाने और पत्तन इकोवसस्टम के जैववक घटकों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को कम करने की बात भी
कही गई है।
• इसमें पत्तन के संचालन में स्वच्छ/ हररत ऊजाथ के उपयोग पर बल ददया गया है। सार् ही ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रीन अमोवनया, ग्रीन मेर्नॉल/ इर्ेनॉल जैसे
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हररत ईंर्नों के भंर्ारण, कु शल प्रबंर्न और बंकटरं ग के वलए पत्तन की क्षमता को ववकवसत करने पर भी जोर ददया गया है।
• पत्तनों को अपने संचालन के वलए ववद्युत की जरूरतों का 2030 तक 60 प्रवतशत तर्ा 2047 तक 90 प्रवतशत नवीकरणीय ऊजाथ स्रोतों से पूरा करना
होगा।
• 2030 तक पत्तनों के पास कम-से-कम एक LNG बंकटरं ग स्टेशन अवश्य होना चावहए।
• 2025 तक पत्तन के भीतर और उसके आसपास के क्षेत्रों में इलेवक्ट्रक वाहन चार्जिंग स्टेशस
ं की स्र्ापना करनी होगी।
• इसमें ग्लोबल ग्रीन ररपोर्टिंग इवनवशएरटव (GRI) मानकों को अपनाने का प्रावर्ान दकया गया है।
• राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन वमशन के पत्तनों से संबवं र्त पहलुओं का भी उल्लेख दकया गया है।
हाल ही में, ओवर्शा के बालासोर वजले में हुई रे ल दुघथटना ने भारत में रे लवे सुरक्षा से जुड़े मुद्दे को दफर से चचाथ का ववषय बना ददया है।
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भारतीय रे लवे
• भारतीय रे लवे यू.एस.ए., चीन और रूस के बाद ववि का चौर्ा सबसे बड़ा रे लवे नेटवकथ है। इसका पूरा ट्रैक 67,000 दक.मी. से अवर्क की रूट लंबाई
को कवर करता है।
• ऐसे में नकारात्मक पररचालन अनुपात के कारण रे लवे में अपग्रेर्ेशन और सुरक्षा पर कम खचथ हो पाता है।
o 2021-22 में भारतीय रे लवे का पररचालन अनुपात 107.4 प्रवतशत र्ा। सार्ारण भाषा में, इसका मतलब यह है दक 2021-22 में रे लवे ने यात्री
पररवहन एवं माल की ढु लाई से 100 रुपये कमाने के वलए 107 रुपये खचथ दकए।
• पटरी से उतरना: भारत के वनयंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की ररपोटथ के अनुसार, चार साल की अववर् (2018-2021) में रे लवे से संबवं र्त
69 प्रवतशत दुघटथ नाएं ट्रेनों के पटरी से उतरने के कारण हुई र्ीं।
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• पटररयों पर क्षमता से अवर्क रे ल: देश भर में लगभग 10,000 दक.मी. रे लवे पटररयों का उनकी क्षमता से अवर्क उपयोग (125 प्रवतशत) होता है।
• राष्ट्रीय रे ल संरक्षण कोष (RRSK): इसे 2017-18 में रे लवे के वलए एक समर्पथत कोष के रूप में स्र्ावपत दकया गया र्ा। इस कोष का उद्देश्य रे लवे के
महत्वपूणथ सुरक्षा और संबवं र्त कायों के बैकलॉग को पूरा करना है।
• ललंके हॉफमैन बुश (LHB) वर्लबों के उपयोग को बढ़ाना: LHB वर्लबे पुराने ICF (इंटीग्रल कोच फै क्ट्री) वर्लबों की तुलना में कहीं अवर्क सुरवक्षत माने
जाते हैं।
o LHB वर्लबों की ववशेषताओं में उि वहन क्षमता, कम ढु लाई लागत, उि गवत, कम संक्षारण, रख-रखाव की कम लागत, बेहतर यात्री सुववर्ा,
बेहतर सुरक्षा आदद शावमल हैं।
• विज मैनज
े मेंट वसस्टम (BMS): यह वेब आर्ाररत एक आई.टी. एवप्लके शन है। इसे पुल से संबंवर्त जानकारी की 24x7 उपललर्ता सुवनवित करने
के वलए ववकवसत दकया गया है।
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• इलेक्ट्रॉवनक इं टरलॉककं ग: इंटरलॉककं ग एक ऐसी प्रणाली है वजसका उद्देश्य यह सुवनवित करना है दक गलत वसग्नल न भेजे जाएं।
• कवच प्रणाली की शुरुआत: यह एक सुरक्षा उपकरण है जो ट्रेनों के एक-दूसरे से टकराने से रोकने का काम करता है (बॉक्स देखें)।
कवच के बारे में
• ‘कवच’ भारतीय रे लवे की एक स्वचावलत सुरक्षा प्रणाली है वजसे 2012 में ववकवसत दकया गया र्ा। पहले इसका नाम ट्रेन कॉलीजन एवॉयर्ेंस वसस्टम
(TCAS) र्ा। बाद में इसका नाम बदलकर कवच (Armour) रख ददया गया।
• यह भारतीय उद्योग के सहयोग से अनुसर्
ं ान वर्जाइन एवं मानक संगठन (RDSO)154 द्वारा ववकवसत एक स्वदेशी तकनीक है।
• यह सेफ्टी इंटीवग्रटी लेवल-4 (SIL-4) मानकों वाला एक अत्यार्ुवनक इलेक्ट्रॉवनक वसस्टम है।
• कवच की मुयय ववशेषताओं पर एक नजर:
o यह ट्रेनों को लाल वसग्नल (खतरे का संकेत) पार करने से रोकने में मदद करता है।
o यदद लोको पायलट ट्रेन को वनर्ाथररत गवत सीमा में वनयंवत्रत रखने ववफल रहता है तो कवच स्वचावलत िेक को सदक्रय करके रेलगाड़ी की गवत को
वनयंवत्रत कर देता है।
o यह कायथशील अवस्र्ा वाले कवच वसस्टम से लैस दो ट्रेनों को आपस में टकराने से रोकता है।
o यह आपात वस्र्वत में SOS यानी आपात संदश
े भेजता है।
o इसने नेटवकथ मॉवनटर वसस्टम के जररए ट्रेनों की आवाजाही की लाइव वनगरानी को कें िीकृ त बनाया है।
o कवच में त्रुरट की संभावना नहीं के बराबर (10,000 साल में 1 गलती की संभावना) है।
9.9. भारत न्यू कार असे स में ट प्रोग्राम (Bharat New Car Assessment Program: Bharat
NCAP)
सुर्ख़थयों में क्यों?
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• दकस पर लागू होगा: यह प्रणाली ऐसे यात्री वाहनों पर लागू होगी, वजनमें ड्राइवर सीट के अलावा आठ (8+1) से अवर्क सीटें नहीं हों और वाहन का
कु ल वजन 3,500 दकलोग्राम से अवर्क नहीं हो। सार् ही, ये वाहन भारत में वववनर्मथत या भारत में वबकने वाले होने चावहए।
o इस कायथक्रम के तहत दहन इं जन वाहनों के सार्-सार् सी.एन.जी. और इलेवक्ट्रक वाहनों का परीक्षण भी दकया जा सकता है।
• टेस्ट प्रोटोकॉल: इसके अंतगथत एर्ल्ट ऑक्युपटें सेफ्टी (AOP), चाइल्र् ऑक्युपटें सेफ्टी (COP) और कार में लगाई गई सेफ्टी अवसस्ट टेिोलॉजी का
आकलन दकया जाएगा।
o इसके वलए तीन टेस्ट दकए जाएंग:े फ्रंटल इम्पैक्ट टेस्ट, साइर् इम्पैक्ट टेस्ट और साइर् पोल इम्पैक्ट टेस्ट।
o आकलन के आर्ार पर, AOP और COP के वलए दो अलग-अलग स्टार रे टटंग प्रदान की जाएगी।
o पोल इम्पैक्ट टेस्ट के वल 3 स्टार और उससे अवर्क रे टटंग प्राि करने वाली कारों का दकया जाएगा।
• टेस्ट का प्रारूप: वैसे तो यह टेस्ट स्वैवच्छक प्रकृ वत का है, लेदकन कार वववनमाथताओं को प्रोत्सावहत दकया जाएगा दक वे AIS-197 मानदंर्ों के अनुरूप
अपने वाहन मॉर्ल का सेफ्टी टेस्ट करवाएं।
o भारत NCAP की टीम रैं र्म सैंपललंग के जररए वाहन मॉर्ल के बेस वैररएंट का चयन करे गी।
o इस योजना के तहत वाहनों के सेफ्टी टेस्ट का कायथ ऑटोमोरटव ररसचथ एसोवसएशन ऑफ इं वर्या (ARAI) को सौंपा गया है। ARAI पुणे और
चाकन में वस्र्त अपनी प्रयोगशालाओं में वाहनों का टेस्ट करे गी।
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मुयय ददशा-वनदेशों पर एक नजर
• इसके वलए NHAI के प्रोजेक्ट र्ायरेक्टसथ को दुघटथ ना संभाववत स्पॉट्स को
ठीक करने का काम सौंपा गया है। प्रोजेक्ट र्ायरे क्टसथ इस प्रकार के एक स्पॉट को ठीक करने/ सुर्ारने के वलए अवर्कतम 10 लाख रुपये खचथ कर सकते हैं।
o ऐसे दुघथटना संभाववत स्पॉट्स/ स्र्ानों की पहचान और वसफाररश संबंवर्त राज्य पुवलस प्रमुख या वजला सड़क सुरक्षा सवमवत द्वारा की जाएगी।
• प्रवत स्पॉट 10 लाख रुपये से अवर्क और 25 लाख रुपये तक की लागत वाले अल्पकावलक उपायों का अवर्कार संबंवर्त क्षेत्रीय कायाथलय को सौंपा गया है।
• इन अल्पकावलक उपायों में अवग्रम चेतावनी देने वाले संकेतों में ज़ेबरा क्रॉलसंग, क्रैश बैररयसथ और रेललंग, सोलर लाइट/ लललंकर जैसी पैदल यात्री सुववर्ाओं
को उपललर् कराना शावमल हैं।
र्कार घोषणा-पत्र (DAKAR Declaration)
• सड़क सुरक्षा के वलए वैविक योजना को लागू करने पर प्रर्म अफ्रीकी उप-क्षेत्रीय सम्मेलन के बाद 21 अफ्रीकी देशों ने र्कार घोषणा-पत्र को सैिांवतक
रूप से अपनाया है।
• यह एक मागथदशथक दस्तावेज है, जो सड़क सुरक्षा के वलए कारथवाई के दशक 2021-2030 के कायाथन्वयन का समर्थन करता है।
• इसके तहत 2030 तक सड़क यातायात में होने वाली मौतों और चोटों में कम-से-कम 50 प्रवतशत तक की कमी करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य वनर्ाथररत
दकया गया है।
9.10. भारत में महापत्तन की कायथ - प्रणाली (Functioning of Major Ports in India)
सुर्ख़थयों में क्यों?
हाल ही में, पररवहन, पयथटन और संस्कृ वत ववभाग से संबवं र्त संसदीय स्र्ायी सवमवत ने “देश में महापत्तनों की कायथ-प्रणाली157” पर 352वीं ररपोटथ पेश
की है।
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• भारत में पत्तन को उनके द्वारा संभाले जाने वाले यातायात के आर्ार पर सामान्य तौर पर दो श्रेवणयों में वगीकृ त दकया गया है।
o महापत्तन या प्रमुख पत्तन (Major Ports): ये कें ि सरकार के प्रत्यक्ष प्रशासवनक वनयंत्रण में हैं। यह संववर्ान की 7वीं अनुसच
ू ी में संघ सूची का
ववषय है।
Act, 2021); और
Ports Act)
• टनथ अराउं र् टाइम (TRT): भारतीय पत्तनों पर टनथअराउं र् समय 94 घंटे (ववत्त वषथ 2013-14) से घटकर 52 घंटे (ववत्त वषथ 2023-24) हो गया है।
• यातायात: भारतीय पत्तनों पर कं टेनर यातायात में लगातार वृवि देखी जा रही है। यह 555 वमवलयन टन (ववत्त वषथ 2013-14) से बढ़कर 796
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• व्यापार सुववर्ा: राष्ट्रीय लॉवजवस्टक्स पोटथ ल (NLP) (समुिी: Marine) नामक राष्ट्रीय समुिी लसंगल लवंर्ो प्लेटफॉमथ शुरू दकया गया है। यह आयातकों,
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भारतीय बीमा वववनयामक और ववकास प्रावर्करण (IRDAI)158 “बीमा रट्रवनटी” नामक एक योजना शुरू करने पर काम कर रहा है।
बीमा • इसके तहत जीवन, स्वास््य, संपवत्त और जनहावन या दुघटथ नाओं के संयक्त
ु जोवखम को कवर दकया जाएगा।
ववस्तार • प्रत्येक जोवखम के वलए ‘लाभ’ पररभावषत होंगे। इनका भुगतान सवेक्षणकताथओं की आवश्यकता के वबना सामान्य से अवर्क तेज गवत से
दकया जा सकता है।
बीमा वाहक • प्रत्येक ग्राम सभा में मवहला-कें दित कमी मौजूद रहेंगी। ये प्रत्येक घर की बड़ी मवहला से वमलकर उन्हें समग्र बीमा उत्पाद के लाभों के बारे
में जानकारी देंगी।
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• कु ल प्रीवमयम: प्रीवमयम की कु ल मात्रा के आर्ार पर, भारत का बीमा क्षेत्रक वैविक स्तर पर 10वां सबसे बड़ा बाजार है। इसकी अनुमावनत बाजार
वहस्सेदारी 1.9% है।
• बीमा घनत्व: भारत में, यह 2001 के 11.1 र्ॉलर से बढ़कर 2021 में 91 र्ॉलर तक पहुंच गया। इसमें जीवन बीमा का वहस्सा 69 र्ॉलर, गैर-जीवन
बीमा का वहस्सा 22 र्ॉलर है।
o दकसी ददए गए वषथ में कु ल बीमा प्रीवमयम और उस देश की संपण
ू थ जनसंयया के बीच अनुपात बीमा घनत्व कहलाता है।
• बीमा पैठ (Insurance penetration): भारत में बीमा पैठ लगातार बढ़ रहा है। यह 2000 के 2.7% से बढ़कर 2021 में 4.2% तक पहुंच गया।
o दकसी ददए गए वषथ में कु ल बीमा प्रीवमयम का सकल घरे लू उत्पाद से अनुपात बीमा पैठ कहलाता है।
o जीवन बीमा क्षेत्रक में बीमा पैठ की दर 2021 में 3.2% र्ी। यह दर उभरते बाजारों की तुलना में दोगुनी, जबदक वैविक औसत से र्ोड़ी अवर्क
है।
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o दकसी वेतनभोगी व्यवक्त की अचानक मृत्यु होने पर उसके पररवार के वलए आवश्यक बीमा कवर तर्ा उनके पास उपललर् संसार्नों के बीच के अंतर
को MPG कहा जाता है।
• प्राकृ वतक आपदा बीमा: देश की लगभग 95% आबादी के पास प्राकृ वतक आपदाओं से संबंवर्त सुरक्षा बीमा उपललर् नहीं है।
• फसल बीमा: भारत में फसल बीमा के तहत आने वाले क्षेत्र तर्ा बीमा रावश में कमी आई है। सार् ही, बीवमत दकसानों की संयया में भी वगरावट आई है।
10.1.1. भारतीय बीमा वववनयामक और ववकास प्रावर्करण (Insurance Regulatory and Development
Authority of India: IRDAI)
IRDAI ने ‘जमानती बॉण्ड्स’ के मानदंर्ों में ढील प्रदान की है। इस कदम का उद्देश्य उत्पादों की उपललर्ता बढ़ाकर जमानती बीमा बाजार का ववस्तार
करना है।
• यह एक वत्रपक्षीय अनुबर्
ं है। इसमें एक पक्ष (जमानतकताथ/ श्योररटी) दूसरे पक्ष (लप्रंवसपल) के प्रदशथन या दावयत्वों की तीसरे पक्ष (ऑवललजी) को गारं टी
देता है।
• यह बुवनयादी ढांचा पररयोजनाओं के वलए जमानती व्यवस्र्ा के रूप में कायथ करता है। सार् ही, कान्ट्रै क्टर के सार्-सार् मूलर्न को भी सुरक्षा प्रदान
करता है।
• इं श्योरें स स्योररटी बॉण्ड्स (ISB) को बैंक गारं टी के बदले में लाया गया है। इसे अप्रैल 2022 में बीमा वववनयामक और ववकास प्रावर्करण (IRDAI)
ने अनुमवत प्रदान की र्ी।
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• उत्पवत्त: इसे संसद ने IRDAI अवर्वनयम, 1999 के तहत एक वैर्ावनक वनकाय के रूप में गरठत दकया है।
• मुययालय: हैदराबाद, तेलंगाना
• मंत्रालय: ववत्त मंत्रालय के ववत्तीय सेवा ववभाग के तहत कायथरत।
• सौंपे गए कायथ:
o बीमा कं पवनयों, पुनबीमा कं पवनयों और बीमा मध्यवर्तथयों को लाइसेंस प्रदान करना या उनके लाइसेंस का नवीनीकरण करना।
o बीमा कं पवनयों, पुनबीमा कं पवनयों व बीमा व्यवसाय से जुड़े पेशेवर संगठनों द्वारा र्न के वनवेश को वववनयवमत करना।
हाल ही में, गृह मंत्रालय ने वीजा की एक नई श्रेणी, आयुष वीजा (AYUSH Visa) बनाने की घोषणा की है। यह आयुष वचदकत्सा प्रणावलयों के तहत इलाज
के वलए भारत आने वाले ववदेशी नागररकों को सुववर्ा प्रदान करे गा।
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• वीजा मैनअ
ु ल, 2019 के मेवर्कल वीजा के तहत एक नया अध्याय, आयुष वीजा शावमल दकया गया है। यह भारतीय वचदकत्सा प्रणावलयों के तहत
उपचार से संबंवर्त है।
• इससे भारत में मेवर्कल वैल्यू ट्रैवल को बढ़ावा वमलेगा। सार् ही, यह
पारं पररक भारतीय वचदकत्सा को वैविक बनाने के हमारे प्रयास को
मजबूत करे गा।
• आयुष (AYUSH) ‘आयुवेद, योग और प्राकृ वतक वचदकत्सा, यूनानी,
वसि और होम्योपैर्ी’ (AYUSH)160 के वलए एक संवक्षि शलद है।
हालांदक, इसमें अन्य पारं पररक और गैर-पारं पररक स्वास््य देखभाल
प्रणावलयां, जैसे- सोवा ररग्पा आदद भी शावमल हैं।
• वचदकत्सा पयथटन एक ऐसा पद है, वजसका उपयोग स्वास््य सेवाओं की तलाश के वलए अंतराथष्ट्रीय यावत्रयों की आवाजाही का वणथन करने के वलए दकया
जाता है।
• आरोग्य पयथटन (Wellness Tourism) वस्तुतः दकसी व्यवक्त के कल्याण को बनाए रखने या उसे बढ़ाने से जुड़ी यात्रा है।
• पयथटन मंत्रालय ने वचदकत्सा और आरोग्य पयथटन के वलए एक राष्ट्रीय रणनीवत तर्ा रोर्मैप तैयार दकया है।
o इसके उद्देश्य वनम्नवलवखत हैं-
▪ एक संस्र्ागत ढांचा प्रदान करना,
▪ वचदकत्सा और आरोग्य पयथटन के वलए पररवेश को मजबूत करना, तर्ा
▪ एक िांर् ववकवसत करना तर्ा गुणवत्ता आिासन सुवनवित करना।
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10.3. ओपन ने ट वकथ फॉर वर्वजटल कॉमसथ (Open Network for Digital Commerce:
ONDC)
सुर्ख़थयों में क्यों?
हाल ही में, ONDCs के वलए नेटवकथ संचालन और अनुपालन प्रणाली (NOCS)164 प्लेटफॉमथ लॉन्च दकया गया।
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• NPCI भारत वबल पे वलवमटेर् (NBBL) ने NOCS प्लेटफॉमथ लॉन्च दकया है। यह प्लेटफॉमथ ONDC नेटवकथ पर दकए गए लेन-देन के वलए
समार्ान और वनपटान सेवाएं प्रदान करे गा।
o NOCS को भारतीय ररज़वथ बैंक के मागथदशथन में ववकवसत दकया गया है। यह नेटवकथ प्रवतभावगयों को र्न के सुचारू, सुरवक्षत और समय पर
अंतरण को सक्षम करे गा।
o यह बैंकों, दफनटेक और ई-कॉमसथ कं पवनयों के सार् एकीकृ त है तर्ा यह बहुत जल्द ही संचावलत हो जाएगा।
• ONDC को वावणज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्थन और आंतररक व्यापार ववभाग ने लॉन्च दकया र्ा। इसका उद्देश्य कु छ बहुराष्ट्रीय
कं पवनयों के वर्वजटल एकावर्कार को वनयंवत्रत करना है।
o यह वर्वजटल या इलेक्ट्रॉवनक नेटवकथ पर वस्तुओं और सेवाओं के वववनमय के सभी पहलुओं के वलए ओपन नेटवकथ को बढ़ावा देता है।
o ONDC पर ई-कॉमसथ प्लेटफॉमथ को एकीकृ त करने का कायथ भारतीय गुणवत्ता पररषद को सौंपा गया है।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
o ONDC पर व्यापार संबंर्ी लेन-देन करने के वलए खरीदार और ववक्रेता द्वारा एक ही प्लेटफॉमथ/ एप्लीके शन के उपयोग की आवश्यकता नहीं है।
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हाल ही में, कें िीय ववद्युत प्रावर्करण (CEA)165 ने 2022-32 की अववर् के वलए राष्ट्रीय ववद्युत योजना (NEP) को अवर्सूवचत दकया है।
• ववद्युत अवर्वनयम, 2003 के अंतगथत CEA को राष्ट्रीय ववद्युत नीवत के अनुसार एक NEP तैयार करनी होगी। सार् ही, इस तरह की योजना को पांच
वषथ में एक बार अवर्सूवचत करना होगा।
• NEP में वपछले पांच वषों (2017-22) की समीक्षा, अगले पांच वषों (2022-27) के वलए एक ववस्तृत योजना और उससे अगले पांच वषों (2027-
32) हेतु एक संभाववत योजना शावमल है। पहली NEP वषथ 2007 में अवर्सूवचत की गई र्ी।
• ऊजाथ की बढ़ती मांग: भारत में वपछले दशक के दौरान वबजली की मांग लगभग 4.1% की CAGR166 से बढ़ी है।
• स्र्ावपत क्षमता: वषथ 2026-27 के वलए ववद्युत की संभाववत स्र्ावपत क्षमता 610 गीगावाट होगी। इसमें 57.4% का योगदान गैर-जीवाश्म आर्ाररत
स्रोतों का होगा। माचथ 2022 में कु ल ववद्युत स्र्ावपत क्षमता में गैर-जीवाश्म आर्ाररत स्रोतों का योगदान लगभग 40% र्ा।
• काबथन उत्सजथन: कोयला आर्ाररत संयंत्रों से औसत CO2 उत्सजथन दर में वगरावट देखी जा रही है।
• नवीकरणीय ऊजाथ (RE) स्रोतों का योगदान: 2026-27 तक कु ल एनजी वमक्स (या ऊजाथ वमश्रण) में RE स्रोतों की कु ल स्र्ावपत क्षमता लगभग 35%
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o इसे 1951 में एक अंशकावलक वनकाय के रूप में स्र्ावपत दकया गया र्ा, जबदक 1975 में इसे पूणक
थ ावलक वनकाय के रूप में अपग्रेर् कर ददया गया।
o बाद में ववद्युत अवर्वनयम, 2003 की र्ारा 70 में औपचाररक रूप से इसके गठन का प्रावर्ान दकया गया।
• उद्देश्य: देश में ववद्युत क्षेत्रक के ववकास को वववनयवमत करना और उसकी वनगरानी करना।
o देश में सभी उपभोक्ताओं को पयाथि गुणवत्ता वाली व वविसनीय 24x7 ववद्युत आपूर्तथ सुवनवित करना।
o यह कें ि सरकार को राष्ट्रीय ववद्युत नीवत से संबंवर्त मामलों पर सलाह देता है।
o यह ववद्युत संयंत्रों और ववद्युत लाइनों के वलए तकनीकी मानक वनर्ाथररत करता है।
o यह मीटर लगाने की शतें भी वनर्थररत करता है।
o यह ववद्युत उद्योग में कायथरत व्यवक्तयों के कौशल को बढ़ाने हेतु उपायों का सुझाव देता है।
o यह योजनाओं एवं पररयोजनाओं को समय पर पूरा करने हेतु प्रोत्साहन एवं सहायता उपललर् कराता है।
11.1.1. अं त राथ ज्यीय पारे ष ण प्रणाली (ISTS) शु ल्क {Inter-State Transmission System (ISTS)
Charges}
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सुर्ख़थयों में क्यों?
कें िीय ववद्युत मंत्रालय ने अपतटीय पवन ऊजाथ, ग्रीन हाइड्रोजन और अमोवनया पररयोजनाओं पर अंतराथज्यीय पारे षण प्रणाली (ISTS) शुल्क से 25 वषों
के वलए छू ट देने का वनणथय वलया है।
• इससे पहले, सरकार ने नई जलववद्युत पररयोजनाओं से उत्पाददत ववद्युत के पारे षण पर ISTS शुल्क माफ करने का आदेश ददया र्ा।
• अपतटीय पवन ऊजाथ प्रणावलयां, जल वनकायों में वनर्मथत पवन चदक्कयां हैं। ये पवन चदक्कयां आमतौर पर महासागर के महाद्वीपीय शेल्फ में स्र्ावपत की
जाती हैं। इन्हें पवन ऊजाथ से ववद्युत उत्पादन के वलए स्र्ावपत दकया जाता है।
• नवीकरणीय ऊजाथ स्रोतों का उपयोग कर जल से उत्पाददत हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है।
• ग्रीन अमोवनया ग्रीन हाइड्रोजन का उपोत्पाद है। इसका उपयोग पररवहन और भंर्ारण वाहकों में ऊजाथ के रूप में, पोत पररवहन ईंर्न तर्ा उवथरक
उत्पादन में दकया जाता है।
• 31 ददसंबर, 2032 को या उससे पहले चालू की गई अपतटीय पवन ऊजाथ (OWP) पररयोजनाओं को ISTS शुल्क भुगतान से पूरी छू ट दी गई है। यह
छू ट पररयोजना चालू होने की तारीख से 25 वषों के वलए होगी।
o हालांदक, 1 जनवरी, 2033 से चालू पररयोजनाओं को चरणबि रूप से ISTS शुल्क देना होगा।
• नवीकरणीय ऊजाथ (RE), पंप या बैटरी स्टोरे ज वसस्टम या इनकी दकसी भी हाइविर् प्रणाली का उपयोग करके ग्रीन हाइड्रोजन/ ग्रीन अमोवनया
उत्पादन करने वाली यूवनट्स को ISTS भुगतान से पूरी छू ट दी गई है।
o 31 ददसंबर, 2030 को या उससे पहले शुरू की गई पररयोजनाएं इस छू ट के वलए पात्र होंगी। 31 ददसंबर, 2030 के बाद की पररयोजनाओं को
चरणबि रूप से ISTS शुल्क देना होगा।
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11.1.2. ववद्यु त क्षे त्र क में शु रू की गई अन्य पहलें (Other initiatives in the Power sector)
11.1.2.1. ववद्यु त क्षे त्र क में सु र्ार के वलए राज्यों को ववत्तीय प्रोत्साहन (Financial incentives to states for reforms
in the power sector)
• ववत्त मंत्रालय ने ववद्युत क्षेत्रक में सुर्ारों के बदले राज्यों को उनके सालाना सकल राज्य घरे लू उत्पाद (GSDP) के 0.25-0.5% तक अवतररक्त ऋण
(या उर्ारी) लेने की अनुमवत दी है। (इन्फोग्रादफक्स देवखए)
• इस पहल की घोषणा कें िीय बजट 2021-22 में चार साल की अववर् (2021-22 से 2024-25 तक) के वलए की गई र्ी।
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• कें िीय ववद्युत मंत्रालय ने CERC167 को ववद्युत एक्सचेंजों की “माके ट कपललंग” की प्रदक्रया शुरू करने का वनदेश ददया है। इसका उद्देश्य अलग-अलग
ववद्युत एक्सचेंजों में एक-समान कीमतें बनाए रखना है।
• माके ट कपललंग से आशय, सरकार के स्वावमत्व में एकल पावर ट्रेलर्ंग इकाई की स्र्ापना से है।
o इसके तहत, देश के सभी ववद्युत एक्सचेंजों से खरीद और वबक्री संबंर्ी बोवलयों को एकीकृ त दकया जाएगा। दफर इनका वमलान करके ववद्युत् के
एक समान मूल्य या माके ट वक्लयटरं ग प्राइस (MCP) का वनर्ाथरण दकया जाएगा।
o वतथमान में, भारत के तीन पावर एक्सचेंजों में अलग-अलग MCPs हैं। ये तीन पावर एक्सचेंज हैं- इंवर्यन एनजी एक्सचेंज वलवमटेर् (IEX),
पावर एक्सचेंज इंवर्या वलवमटेर् (PXIL) और लहंदस्ु तान पावर एक्सचेंज वलवमटेर् (HPX)।
o वतथमान में IEX का ववद्युत बाजार में एकावर्कार है क्योंदक कु ल ववद्युत बाजार में इसकी वहस्सेदारी लगभग 90% है।
• माके ट कपललंग से वनम्नवलवखत का मागथ प्रशस्त होगा:
o माके ट-बेस्र्-इकोनॉवमक वर्स्पैच (MBED) तंत्र को अपनाकर “एक राष्ट्र, एक वग्रर्, एक फ्रीक्वेंसी, एक कीमत” फ्रेमवकथ को लागू दकया जा सके गा।
▪ MBED तंत्र में राज्य के भीतर और राज्यों के बीच, दोनों स्तरों पर वबजली की संपण
ू थ वार्षथक खपत को पूरा करने के वलए कें िीकृ त शेड्यलू लंग
की पररकल्पना की गई है।
167 Central Electricity Regulatory Commission/ कें िीय ववद्युत वववनयामक आयोग
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11.1.2.3. ववद्यु त (उपभोक्ताओं के अवर्कार) सं शोर्न वनयम, 2023 {Electricity (Rights of Consumers)
Amendment Rules, 2023}
• कें ि सरकार ने ववद्युत (उपभोक्ताओं के अवर्कार) वनयम, 2020 में संशोर्न दकया है। इन वनयमों को उपभोक्ताओं को वविसनीय सेवाएं और गुणवत्तापूणथ
ववद्युत आपूर्तथ प्रदान करने के वलए सरकार द्वारा अवर्सूवचत दकया गया र्ा।
• इन वनयमों का उद्देश्य यह सुवनवित करना है दक-
o ववद्युत के नए कनेक्शन, ररफं र् और अन्य सेवाएं समयबि तरीके से प्रदान की जाएं।
o उपभोक्ता अवर्कारों का जानबूझकर उल्लंघन करने पर सेवा प्रदाताओं पर जुमाथना लगाया जाएगा। इसके सार् ही उपभोक्ताओं को मुआवजा भी
प्रदान दकया जाएगा।
• ववद्युत मंत्रालय ने अब वनम्नवलवखत बदलाव करने के वलए ववद्युत (उपभोक्ताओं के अवर्कार) संशोर्न वनयम, 2023 पेश दकया है:
टाइम ऑफ र्े (ToD) • पूरे ददन के हर समय वबजली के वलए एक ही दर पर शुल्क वसूलने के बजाय, वबजली की कीमत समय ववशेष के अनुसार
प्रशुल्क की शुरुआत अलग-अलग होगी।
o सौर घंटों (राज्य ववद्युत वववनयामक आयोग द्वारा वनर्ाथररत एक ददन में आठ घंटे की अववर्) के दौरान वबजली टैररफ
20% कम होगा, जबदक अवर्क खपत वाले घंटों (पीक ऑवर) के दौरान यह 10-20% अवर्क होगा।
• इससे उपभोक्ता अपने वबजली का वबल कम कर सकें गे। सार् ही, इससे ववद्युत प्रणाली में संसार्नों का अवर्क कु शलता से
उपयोग करने में मदद वमलेगी।
स्माटथ मीटटरंग के • स्माटथ मीटर लगाने के बाद, लगाने की वतवर् से पहले की अववर् के वलए स्माटथ मीटर में दजथ की गई अवर्कतम मांग के आर्ार
प्रावर्ान में संशोर्न पर उपभोक्ता पर कोई दंर्ात्मक शुल्क नहीं लगाया जाएगा।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
11.1.2.4. हाई प्राइस र्े अहे र् माके ट एं र् सरप्लस पावर पोटथ ल {High Price Day Ahead Market and Surplus Power
Portal (Pushp Portal)}
• कें िीय ववद्युत मंत्रालय ने PUShP पोटथल लॉन्च दकया है। इसका उद्देश्य सीजन में पीक वर्मांर् के दौरान वबजली की अवर्क उपललर्ता सुवनवित
करना है।
o ववद्युत ववतरण कं पवनयां (DISCOMS/ वर्स्कॉम्स) ललॉक-टाइम/ ददन/ महीने के आर्ार पर पोटथल पर अपने अवर्शेष ववद्युत के आंकड़े दशाथ
सकें गी।
o वजन वर्स्कॉम्स को वबजली की जरूरत है, वे अवर्शेष वबजली की मांग कर सकें गे।
o इससे वर्स्कॉम्स पर दफक्स्र् कॉस्ट का बोझ कम होगा और उपललर् उत्पादन क्षमता का उपयोग दकया जा सके गा।
▪ दफक्स्र् कॉस्ट: यह एक प्रकार का व्यय है, जो वबक्री या उत्पादन की मात्रा बढ़ने या घटने पर नहीं बदलता है।
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• कें ि ने देश में प्राकृ वतक गैस की आपूर्तथ और मांग के सभी प्रमुख कें िों को जोड़ने के वलए राष्ट्रीय गैस वग्रर् की शुरुआत की है । प्राकृ वतक गैस का यह
पाइपलाइन नेटवकथ 33,764 दकलोमीटर लंबा होगा।
• इसे पेट्रोवलयम और प्राकृ वतक गैस वववनयामक बोर्थ (PNGRB)168 के अंतगथत शुरू दकया गया है।
पेट्रोवलयम और प्राकृ वतक गैस वववनयामक बोर्थ (PNGRB) के बारे में
• इसकी स्र्ापना पेट्रोवलयम और प्राकृ वतक गैस वववनयामक बोर्थ अवर्वनयम, 2006 के तहत की गई र्ी।
• इसका उद्देश्य पेट्रोवलयम, पेट्रोवलयम उत्पादों और प्राकृ वतक गैस से संबंवर्त वववशि गवतवववर्यों में संलग्न उपभोक्ताओं और संस्र्ाओं के वहतों की रक्षा
करना और प्रवतस्पर्ी बाजारों को बढ़ावा देना है।
• यह पेट्रोवलयम उत्पाद से जुड़े पाइपलाइन के वनमाथण एवं भारत में प्राकृ वतक गैस के व्यापार हेतु गैस एक्सचेंज की भी देख-रेख करता है।
• इसे भौगोवलक क्षेत्रों में वसटी गैस वर्स्ट्रीलयूशन (CGD) नेटवकथ के ववकास के वलए संस्र्ाओं को प्रावर्कृ त करने का अवर्कार प्राि है।
• यह पेट्रोवलयम और प्राकृ वतक गैस मंत्रालय के अर्ीन कायथरत एक इकाई है।
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हाल ही में, कॉपोरे ट कायथ मंत्रालय (MCA) ने अपने मावसक समाचार-पत्र में CSR के
बारे में वववभन्न जानकाररयां साझा की र्ी।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
• 22 जनवरी, 2021 से CSR से संबवं र्त प्रावर्ानों के गैर-अनुपालन को एक नागररक भूल (Civil wrong) के रूप में अवर्सूवचत दकया गया है।
• वनम्नवलवखत कोष/ वनवर्/ फं ड्स में दकए गए योगदान को CSR व्यय के रूप में स्वीकार दकया जाता है: स्वच्छ भारत कोष, स्वच्छ गंगा वनवर्, प्रर्ान
मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF), आपात वस्र्वतयों में प्रर्ानमंत्री नागररक सहायता और राहत कोष (पी.एम. के यसथ फं र्)।
• इसमें CSR के तहत वपछले तीन ववत्तीय वषों में 10 करोड़ रुपये या उससे अवर्क रुपये खचथ करने वाली कं पवनयों के वलए एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा
प्रभाव मूल्यांकन करने का प्रावर्ान दकया गया है।
• इसके तहत खचथ न की गई CSR रावश के अवनवायथ हस्तांतरण का प्रावर्ान दकया गया है।
• इसके तहत यह प्रावर्ान दकया गया है दक एक ववत्तीय वषथ में दकसी कं पनी के CSR गवतवववर्यों में प्रशासवनक व्यय का वहस्सा इसके कु ल व्यय के
5% से अवर्क नहीं होना चावहए।
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• “चालू पररयोजना (Ongoing Project)” का अर्थ ऐसी बहु-वषीय पररयोजनाओं से है वजसदक अववर् 3 वषथ से अवर्क हो। इसमें उस ववत्तीय वषथ को
शावमल नहीं दकया जाता है, वजसमें इस पररयोजना को शुरू दकया गया हो।
• खचथ न की गई CSR की रावश के वलए CSR सवमवत के गठन का प्रावर्ान दकया गया है।
• सामावजक प्रभाव आकलन की लागत को CSR व्यय माना जा सकता है। हालांदक, यह लागत चालू ववत् वषथ के वलए कु ल CSR व्यय का 2% या 50
लाख रुपये, जो भी अवर्क हो, से अवर्क नहीं होनी चावहए।
भारत में कॉपोरेट गवनेंस के वलए फ्रेमवकथ
• कं पनी अवर्वनयम, 2013: यह बोर्थ और उसकी बैठकों, लेखापरीक्षा सवमवतयों के गठन, ववत्तीय वववरणों में दकए जाने वाले प्रकटीकरण आदद को अवनवायथ
करता है।
• भारतीय प्रवतभूवत और वववनमय बोर्थ (SEBI): यह सूचीबि कं पवनयों के कॉपोरे ट गवनेंस की वनगरानी और उनका वववनयमन करता है।
• इं स्टीट्यूट ऑफ चाटथर्थ अकाउं टेंट्स ऑफ इंवर्या (ICAI): यह ववत्तीय र्ेटा के प्रकटीकरण से जुड़े मागथदशथन के वलए ददशा-वनदेश और मानक जारी करता है।
• भारतीय कं पनी सवचव संस्र्ान (ICSI)169: यह मुयय रूप से “बोर्थ ऑफ़ र्ायरे क्टसथ की बैठकों” और “जनरल मीटटंग्स” के संदभथ में सवचव स्तरीय मानक
जारी करता है।
• कॉपोरेट कायथ मंत्रालय: यह कानून के अनुसार, कॉपोरे ट क्षेत्रक के काम-काज का वववनयमन करता है।
12.1.1. अं त राथ ष्ट्रीय ववत्तीय से वा कें ि (IFSC) पर भारतीय कं पवनयां (Indian Companies on International
Financial Services Centre)
हाल ही में, कें िीय ववत्त मंत्री ने कहा है दक भारतीय कं पवनयां अंतराथष्ट्रीय ववत्तीय सेवा कें ि (IFSC) में सूचीबि हो सकती हैं।
• एक IFSC गृह देश की अवर्काररता से बाहर के ग्राहकों को सेवा प्रदान करता है। ऐसे कें ि सीमा-पार ववत्त, ववत्तीय उत्पादों और सेवाओं के प्रवाह
का प्रबंर्न करते हैं।
• यह फं र् जुटाने, पररसंपवत्तयों का प्रबंर्न करने, वैविक पोटथफोवलयो का ववववर्ीकरण करने, र्न प्रबंर्न करने आदद सवहत कई सेवाएं प्रदान करता
है।
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अन्य त्य
अंतराथष्ट्रीय ववत्तीय सेवा कें ि प्रावर्करण (International Financial Services Centres Authority: IFSCA)
• स्र्ापना: IFSCA की स्र्ापना 2020 में अंतराथष्ट्रीय ववत्तीय सेवा कें ि प्रावर्करण अवर्वनयम , 2019 के तहत की गई है।
o इसका मुययालय गुजरात में GIFT वसटी, गांर्ीनगर में है।
• IFSCA की भूवमका:
o IFSCA भारत में IFSC में ववत्तीय उत्पादों, ववत्तीय सेवाओं और ववत्तीय संस्र्ानों के ववकास तर्ा वववनयमन के वलए एक एकीकृ त प्रावर्करण है।
o वतथमान में, GIFT-IFSC भारत में पहला अंतराथष्ट्रीय ववत्तीय सेवा कें ि है।
12.2. प्रवतस्पर्ाथ (सं शोर्न) अवर्वनयम, 2023 {Competition (Amendment) Act 2023}
सुर्ख़थयों में क्यों?
कें ि सरकार ने प्रवतस्पर्ाथ (संशोर्न) अवर्वनयम, 2023 को लागू कर इसके कई प्रावर्ानों को अवर्सूवचत दकया है। इस संशोर्न अवर्वनयम के जररए
प्रवतस्पर्ाथ अवर्वनयम, 2002 में संशोर्न दकया गया है।
PT 365 - अर्थव्यवस्र्ा
कं पनी या उद्यम पर वनयंत्रण, ववलय और समामेलन172 पर रोक लगाता है, वजनका भारत में प्रवतस्पर्ाथ पर वास्तववक रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है
या पड़ने की संभावना है।
• कॉवम्बनेशस
ं या समुियों (Combination) की पररभाषा: प्रवतस्पर्ाथ (संशोर्न) अवर्वनयम (CAA) में 2,000 करोड़ रुपये से अवर्क मूल्य के लेन-देन
वाले कॉवम्बनेशस
ं की पररभाषा का ववस्तार दकया गया है। इसमें उद्यमों का ववलय, खरीद/ अवर्ग्रहण या समामेलन शावमल हैं।
• कॉवम्बनेशस
ं की मंजरू ी की समय सीमा में कमी: इसे 210 ददन से घटाकर 150 ददन कर ददया गया है।
o CCI के वलए अब यह अवनवायथ कर ददया गया है दक वह दकसी कॉवम्बनेशन को लेकर 30 ददनों के भीतर प्रर्म दृिया राय व्यक्त करे । ऐसा नहीं
होने पर समुिय को अनुमोददत (अर्ाथत् मंजूरी प्राि) माना जाएगा।
• “हब एंर् स्पोक अरें जमेंट्स” को शावमल करने के वलए व्यापाररक संघों (Cartels) के दायरे का ववस्तार: कई कं पवनयां समान या एक जैसी व्यावसावयक
गवतवववर्यों में शावमल नहीं होती हैं। यदद ऐसी कं पवनयां “हब एंर् स्पोक अरें जमेंट्स” के वलए दकसी समझौते में शावमल होती हैं या शावमल होने की
इच्छु क हैं, तो उन्हें काटे लाइज़ेशन (ऊपरी स्तर पर वमलीभगत या संघ बना कर प्रवतस्पर्ाथ-रोर्ी कायथ करना) के वलए उत्तरदायी ठहराया जा सकता
है।
• वशकायत करने की समयाववर्: वजस ददन कोई प्रवतस्पर्ाथ-रोर्ी कायथ हुआ है या उसके बारे में पता चला है, उस ददन से लेकर अगले 3 साल के भीतर
CCI के समक्ष प्रवतस्पर्ाथ-रोर्ी आचरण के वखलाफ वशकायत दजथ कराई जा सकती है। हालांदक, CCI चाहे तो इस समयाववर् का पालन न करने वाले
वशकायतकताथ को ववलंब के वलए क्षमा कर वशकायत दजथ कर सकता है।
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• जुमाथने की रावश में वृवि: झूठे बयान देन/े महत्वपूणथ सूचनाओं को वछपाने के वलए जुमाथना 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये कर ददया गया है।
• वैविक टनथओवर (कारोबार) के आर्ार पर जुमाथना: प्रवतस्पर्ाथ-रोर्ी समझौतों और बाजार या कॉपोरे ट जगत में मजबूत वस्र्वत के दुरुपयोग के वलए
दोषी व्यवक्त को अब उसके वैविक टनथओवर के आर्ार पर दंर् ददया जाएगा। दोषी व्यवक्त या उद्यम के वैविक टनथओवर की गणना उसके सभी उत्पादों
और सेवाओं के आर्ार पर की जाएगी।
• अपरार्ों का शमन (Compounding of Offences): प्रवतस्पर्ाथ (संशोर्न) अवर्वनयम में एक नया प्रावर्ान जोड़कर कु छ अपरार्ों के शमन की भी
अनुमवत दी गई है।
o अपरार्ों का शमन यह दशाथता है दक वजस व्यवक्त के सार् अपरार् दकया गया है, उसने आरोपी से कु छ मुआवजा प्राि दकया है।
• कु छ अपरार्ों का र्ीदक्रवमलाइजेशन: प्रवतस्पर्ाथ (संशोर्न) अवर्वनयम में कु छ अपरार्ों के वलए कै द की सजा को आर्र्थक दंर् में बदल ददया गया है।
इन अपरार्ों में वनम्नवलवखत शावमल हैं:
o प्रवतस्पर्ाथ-रोर्ी समझौतों के संबंर् में CCI के आदेशों और महावनदेशक के वनदेशों का पालन नहीं करना; तर्ा
o बाजार या कॉपोरे ट जगत में मजबूत वस्र्वत का दुरुपयोग करना।
• माफी का प्रावर्ान: अगर काटेल की जांच में शावमल कोई पक्ष दकसी संभाववत उल्लंघन या दकसी अन्य अज्ञात काटेल का सही और बड़ा खुलासा करता
है, तो CCI को यह अवर्कार है दक वह तहकीकात दकए जा रहे काटेल को कम दंर् दे।
• वनपटान और प्रवतबिता तंत्र: CAA के तहत, प्रवतस्पर्ाथ-ववरोर्ी समझौतों के आर्ार पर CCI द्वारा उद्यमों के वखलाफ कायथवाही शुरू की जा सकती
है।
• महावनदेशक (DG) की वनयुवक्त: CAA के अनुसार, महावनदेशक की वनयुवक्त अब कें ि सरकार की पूवथ मंजूरी से CCI द्वारा की जाएगी, जबदक पहले
यह शवक्त कें ि सरकार के पास र्ी।
• उत्पवत्त: CCI की स्र्ापना कें ि सरकार ने 2003 में की र्ी। इसे प्रवतस्पर्ाथ अवर्वनयम, 2002 के तहत एक वैर्ावनक वनकाय के रूप में स्र्ावपत दकया गया
र्ा।
• सौंपे गए कायथ: CCI को सौंपे गए मुयय कायथ वनम्नवलवखत हैं:
o प्रवतस्पर्ाथ पर प्रवतकू ल प्रभाव र्ालने वाली प्रर्ाओं को समाि करना;
o प्रवतस्पर्ाथ को बढ़ावा देना और उसे बनाए रखना;
o उपभोक्ताओं के वहतों की रक्षा करना; तर्ा
o भारत के बाजारों में व्यापार करने की स्वतंत्रता सुवनवित करना।
• मंत्रालय: कॉपोरे ट कायथ मंत्रालय
• संरचना/ सदस्य: CCI में कें ि सरकार द्वारा वनयुक्त एक अध्यक्ष और 2 से 6 सदस्य होते हैं।
o इसके अध्यक्ष और सदस्य या तो पांच साल या 65 साल की आयु तक (जो भी पहले हो) काम करते हैं। वे पुनर्नथयुवक्त के भी पात्र होते हैं।
• शवक्तयां: CCI कं पवनयों या उद्यमों के बीच हुए कु छ समझौतों, समुियों (Combinations) और दकसी उद्यम की प्रभुत्वशाली वस्र्वत की जााँच कर सकता
है।
o यह अपनी जााँच प्रदक्रया या काम-काज के तरीकों को वववनयवमत कर सकता है और कोई गलती हो जाने पर उसे सुर्ारने के वलए अपने आदेशों में
संशोर्न कर सकता है।
o आयोग के आदेशों या वनदेशों का पालन करने में ववफल रहने पर जुमाथना या कारावास हो सकता है।
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हाल ही में, संसद ने जन वविास (प्रावर्ानों का संशोर्न) ववर्ेयक, 2023 पाररत दकया है। इस ववर्ेयक का उद्देश्य ईज ऑफ़ वललवंग173 एवं ईज ऑफ़ र्ू इंग
वबजनेस174 को बढ़ावा देना है।
• इस ववर्ेयक द्वारा 42 कें िीय कानूनों के दायरे में आने वाले 183 प्रकार के कृ त्यों को गैर-आपरावर्क बना ददया गया है।
• कई जुमाथने को पेनाल्टी में बदल ददया गया है, वजसका अर्थ है दक सजा देने के वलए न्यावयक अवभयोजन आवश्यक नहीं है।
• भारतीय र्ाकघर अवर्वनयम, 1898 के तहत वर्णथत सभी प्रकार के अपरार्ों एवं दंर्ों को समाि कर ददया गया है।
• कु छ ववशेष अवर्वनयमों में वववभन्न अपरार्ों के वलए ज़ुमाथने और दंर् की समय-समय पर समीक्षा (प्रत्येक तीन वषथ में न्यूनतम रावश में 10% की वृवि)
का प्रावर्ान दकया गया है।
• वशकायत वनवारण और अपीलीय तंत्र में पररवतथन दकए गए हैं। सार् ही, कु छ कानूनों के तहत दंर् वनर्ाथररत करने के वलए एक या अवर्क वनणथय करने
वाले अवर्काररयों की वनयुवक्त का भी प्रावर्ान दकया गया है। इनमें शावमल हैं:
o वसनेमैटोग्राफ अवर्वनयम, 1952; पयाथवरण (संरक्षण) अवर्वनयम, 1986; मचेंट वशलपंग अवर्वनयम, 1958 आदद।
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सुर्ख़थयों में क्यों?
सुप्रीम कोटथ ने अपने एक फै सले से भारत में ट्रांसफर प्राइलसंग (अंतरण मूल्य वनर्ाथरण) संबंर्ी वववादों को हल करने के दृविकोण को बदल ददया है।
• सुप्रीम कोटथ ने कनाथटक हाई कोटथ के एक पुराने फै सले को खाररज कर ददया है। हाई कोटथ के फै सले में कहा गया र्ा दक ट्रांसफर प्राइलसंग संबंर्ी मामलों
में ITAT द्वारा आम्सथ लेंर् प्राइस (ALP) का वनर्ाथरण अंवतम होता है और इसे न्यावयक जांच के अर्ीन नहीं लाया जा सकता है।
o भारत में, ट्रांसफर प्राइलसंग और ALP प्रावर्ान आयकर अवर्वनयम, 1961 के अध्याय X में शावमल हैं।
o आम्सथ लेंर् प्राइस का वनर्ाथरण एसेलसंग ऑदफसर द्वारा की जाती है।
• सुप्रीम कोटथ ने यह फै सला सुनाया है दक आयकर अवर्वनयम में शावमल ट्रांसफर प्राइलसंग संबर्
ं ी प्रावर्ानों के दायरे से बाहर वनर्ाथररत दकसी भी ALP
को ‘ववकृ त (अन्यायपूण)थ ’ माना जा सकता है और ऐसे मामलों में अवर्करण का वनणथय अंवतम नहीं होगा।
o ऐसे मामलों में, भारतीय राजस्व अवर्कारी (IRA) और करदाता दोनों ITAT के वनणथय के बाद हाई कोटथ जा सकते हैं।
• सुप्रीम कोटथ के इस फै सले ने अन्य कर मुद्दों के समान ही भारत में ट्रांसफर प्राइलसंग संबर्
ं ी मुद्दों को भी दफर से सुर्ख़थयों में ला ददया है।
आयकर अपीलीय अवर्करण (Income Tax Appellate Tribunal: ITAT) के बारे में
• यह अवर्करण 1941 में स्र्ावपत एक अर्थ-न्यावयक संस्र्ान है।
• यह प्रत्यक्ष कर अवर्वनयमों के तहत दावखल अपीलों का वनपटान करता है।
• ITAT द्वारा ददए गए वनणथय अंवतम होते हैं। हाई कोटथ में अपील तभी की जा सकती है जब दकसी कानूनी प्रश्न या उलझनों का समार्ान करना हो।
• शुरुआत में ददल्ली, कोलकाता और मुब
ं ई में संस्र्ान की तीन पीठें र्ीं। हालांदक, पीठों की संयया में उत्तरोत्तर वृवि हुई है। वतथमान में ITAT की 63 पीठें
काम कर रही हैं। ये पीठें अलग-अलग 27 कें िों पर कायथरत हैं।
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• ट्रांसफर प्राइलसंग लेखांकन की एक वववर् है। इसकी सहायता से बड़े-बड़े उद्यमों या कं पवनयों के अलग-अलग अंगों, जैसे- वर्वीजनों, सहायक कं पवनयों
या संबि कं पवनयों के बीच आदान-प्रदान की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के वलए कीमतों का वनर्ाथरण दकया जाता है। सामान्यतः कर प्रावर्करण
अपने रूल्स में इसकी अनुमवत देते हैं।
• सामान्यतः, कं पवनयां अपनी पैरेंट
कं पनी के समग्र कर बोझ को कम करने
के वलए ट्रांसफर प्राइलसंग का उपयोग
करती हैं।
o यह कायथ उि कर वाले देशों में
सहायक कं पवनयों के वलए अवर्क
मुनाफा कम करके तर्ा कम कर
वाले देशों में सहायक कं पवनयों के
वलए मुनाफा बढ़ाकर दकया
जाता है।
• इसका अर्थ यह है दक एक कं पनी द्वारा अपनी सहायक या संबि कं पनी/ इकाई से वस्तुओं या सेवाओं की खरीद के वलए भुगतान की जाने वाली कीमत
वैसी ही होनी चावहए, जैसा दकसी और कं पनी से खरीदते समय भुगतान दकया जाता। इसे आम्सथ लेंर् प्राइस कहा जाता है।
o इस वसिांत के अनुसार, भले ही पक्षकार एक-दूसरे से संबि कानूनी संस्र्ाएं हैं, दफर भी उनके बीच होने वाले लेन-देन के वलए दकसी भी तरीके
से मूल्य को कम या एर्जस्ट नहीं दकया जाना चावहए या कोई ववशेष शतथ नहीं लगाया जाना चावहए।
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• इसका उद्देश्य कर आर्ार के क्षरण या कम टैक्स वाले देशों/ क्षेत्रावर्कारों में लाभ को ट्रांसफर करने पर रोक लगाना है।
12.5. वै विक नवाचार सू च कां क (GII) 2023 {Global Innovation Index (GII), 2023}
सुर्ख़थयों में क्यों?
ववि बौविक संपदा संगठन (WIPO) द्वारा जारी “वैविक नवाचार सूचकांक (GII)
2023” में भारत की 40वीं रैं क बरकरार रही।
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वावणज्य संबंर्ी संसदीय स्र्ायी सवमवत ने “भारत को लाभ पहुंचाने के वलए स्टाटथ -अप इकोवसस्टम175” शीषथक से एक ररपोटथ पेश की है।
ररपोटथ के मुयय लबंदओं
ु पर एक नज़र
• ववत्त तक पहुंच: स्टाटथ-अप्स में वनवेश की प्रकृ वत चक्रीय होती है। यह समवि-आर्र्थक (Macroeconomic) वस्र्वतयों, वनवेशकों की भावनाओं और
मौदिक नीवतयों जैसे वववभन्न कारकों के आर्ार पर बाजार में होने वाले बदलावों पर वनभथर होता है।
• कायाथन्वयन एजेंसी: वतथमान में 42 मंत्रालय/ ववभाग/ वनकाय स्टाटथ-अप्स से संबंवर्त वववभन्न योजनाओं और पहलों के कायाथन्वयन की देख-रे ख कर रहे
हैं।
• वनयामकीय सहायता: सवमवत ने कहा है, दक गैर-सूचीबि भारतीय स्टाटथ-अप्स की प्रत्यक्ष ववदेशी वललस्टंग की सुववर्ा के वलए वनयामक/ कानूनी
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फ्रेमवकथ को आसान बनाने से आर्र्थक पररवेश को बढ़ावा वमल सकता है।
* DPIIT से मान्यता प्राि स्टाटथ-अप्स को 3 साल के वलए कर छू ट प्रदान दकया जाता है।
भारत में स्टाटथ -अप्स का वववनयमन
• कॉपोरे ट कायथ मंत्रालय (MCA) ने कं पनी अवर्वनयम, 2013 के तहत एक कायथकारी आदेश के जररए “स्टाटथ-अप” को पररभावषत दकया है। सार् ही
यह “स्टाटथ-अप कं पवनयों” के काम-काज और वनयमों के पालन में कु छ छू ट176 भी प्रदान करता है।
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• भारतीय प्रवतभूवत और वववनमय बोर्थ (SEBI) स्टाटथ-अप्स की वललस्टंग के वलए वनयमों को अवर्सूवचत करता है।
• भारतीय ररजवथ बैंक (RBI) ने वनयामक फ्रेमवकथ के दायरे में सीमा-पार लेन-देन करने के वलए मागथदशथन/ सहायता प्रदान करने हेतु भारत के स्टाटथ-
अप्स के वलए एक समर्पथत हेल्पलाइन शुरू की है।
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सावथजवनक ववतरण मंत्रालय ने कहा है दक, 2024 से उत्पादों की अवतररक्त 115 श्रेवणयों के वलए BIS की मंजूरी अवनवायथ
होगी।
अन्य संबवं र्त त्य भारत में अवनवायथ ISI प्रमाणीकरण के तहत आने वाले मौजूदा उत्पाद
• सेललंग फै न, स्टेनलेस स्टील के कु कवेयर, एल्यूमीवनयम के बतथन, ललॉक बोड्सथ, लगभग 560 उत्पाद अवनवायथ प्रमाणन के अंतगथत आते हैं, वजन्हें
वनम्नवलवखत प्रमुख शीषथकों के अंतगथत शावमल दकया गया है:
पेय पदार्ों के वलए एल्यूमीवनयम के न आदद को BIS द्वारा अवर्सूवचत
• सीमेंट (सभी श्रेणी के )
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• BIS ने देश में 1,000 से अवर्क उत्पादों को स्वैवच्छक रूप से उत्पाद प्रमाणन प्रदान दकया है।
• BIS ने ववदेशी लाइसेंस र्ारकों के वलए एक ऑनलाइन कं साइनमेंट पोटथल (मैनकोनलाइन/ Manakonline) ववकवसत दकया है। इसके जररए भारतीय
मानकों के सार् इनकी एकरूपता की आसानी से जांच की जा सकती है।
• BIS ने देश में मानकीकरण की नींव के रूप में काम करने के वलए स्टैंर्ड्सथ नेशनल एक्शन प्लान (2022-27) जारी दकया है।
• 211 उत्पादों की सूची को छोड़कर, दकसी ववशेष उत्पाद के वववनमाथता को BIS मानक वचन्ह (ISI माकथ ) के तहत स्व-प्रमाणन का अवर्कार प्रदान
दकया गया है।
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