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जवषय सूचय

1. सुभद्य
े वगग (Vulnerable Sections) ______________________________________________________________ 4

2. सुभद्य
े वगों के जलए कल्याणकाकारय यनजनाओं का औजचत्य __________________________________________________ 4

3. समाज के सुभद्य
े वगग ___________________________________________________________________________ 5

3.1. बच्चे (Children) _________________________________________________________________________ 5


3.1.1. बच्चों से संबंजधि यनजनाएं ________________________________________________________________ 6

3.2. मजहलाएं (Women) ______________________________________________________________________ 15


3.2.1. यनजनाएं (Schemes)_________________________________________________________________ 16

3.3. अनुसूजचि जाजि यााँ, अनुसूजचि जनजाजि यााँ ि था अन्य जपछड़ा वगग________________________________________ 19
3.3.1. अनुसूजचि जाजि यााँ (Scheduled Castes) __________________________________________________ 19
3.3.2. अनुसूजचि जनजाजि यााँ (Scheduled Tribes) ________________________________________________ 19
3.3.3. अन्य जपछड़ा वगग (OBCs) ______________________________________________________________ 20
3.3.4. अनुसूजचि जाजि यों/ अनुसूजचि जनजाजि यों/ अन्य जपछड़े वगों के जलए यनजनाएं __________________________ 20
3.3.5. अनुसूजचि जाजि यों के जलए जवजिष्ट यनजनाएं __________________________________________________ 21
3.3.6. अनुसूजचि जनजाजि यों के जलए जवजिष्ट यनजनाएं _______________________________________________ 22

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3.3.7. अन्य जपछड़ा वगों के जलए जवजिष्ट यनजनाएं ___________________________________________________ 23

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3.4. वठरष्ठ नागठरक/वृद्ध लनग (Senior Citizens/Aged) _______________________________________________ 23

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3.4.1. यनजनाएं (Schemes)_________________________________________________________________ 24
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3.5. जवकलांग या जनिःिक्त जन/ कदव्ांग जन (Disabled Persons) ________________________________________ 25


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3.5.1. यनजनाएं (Schemes)_________________________________________________________________ 26


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3.6. अल्पसंख्यक समुदाय (Minorities) ____________________________________________________________ 28


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3.6.1. अल्पसंख्यकों के कल्याणका के जलए यनजनाएं ____________________________________________________ 28


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3.7. LGBT समुदाय (LGBT Community) ________________________________________________________ 30


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3.7.1 यनजनाएं (Schemes) _________________________________________________________________ 30


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3.7.2. भारि में LGBT समुदाय के जहि ों कन प्रनत्साजहि करने के जलए सरकार/ न्यायपाजलका की पहल_______________ 31
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3.8. जनधगन लनग (Poor Persons) _______________________________________________________________ 31


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3.8.1. जनधगन लनगों के जलए यनजनाएं (Schemes for Poor Persons) __________________________________ 32
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4. जवजभन्न अन्य यनजनाओं की उपलजधधयां_____________________________________________________________ 33


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4.1. राष्ट्रयय ग्रामयणका स्वास््य जमिन (National Rural Health Mission: NRHM) _____________________________ 33

4.2. प्रधान मंत्रय उज्ज्वला यनजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana: PMUY) _____________________________ 34

4.3. जवजभन्न यनजनाओं की जनगरानय में सुधार के जलए हाल में की गईं पहलें _____________________________________ 35

4.4. आगे की राह (Way Forward) ______________________________________________________________ 35

5. इन सुभद्य
े वगों की सुरक्षा और बेहि रय के जलए गठिि ि ंत्र, कानून, संस्थान और जनकाय____________________________ 36

5.1. सुभेद्य वगों के जलए भारि में जवद्यमान ि ंत्र ________________________________________________________ 36


5.2. सुभेद्य वगों की बेहि रय से संबंजधि कानून _________________________________________________________ 36
5.2.1. बच्चे (Children) _____________________________________________________________________ 36
5.2.2. मजहलाएं (Women) __________________________________________________________________ 37
5.2.3. अनुसूजचि जाजि , अनुसूजचि जनजाजि और अन्य जपछड़ा वगग _______________________________________ 38
5.2.4. वठरष्ि नागठरक/वयनवृद्ध (Senior Citizens/ Aged) ___________________________________________ 39
5.2.5. जवकलांग व्यजक्त (Disabled Persons) ____________________________________________________ 39
5.2.6. अल्पसंख्यक (Minorities) ______________________________________________________________ 40
5.2.7. LGBT से संबंजधि कानून (Laws Related to LGBT) _________________________________________ 40

5.3. इन सुभेद्य वगों की उन्नजि के जलए संस्थान और जनकाय _______________________________________________ 41


5.3.1. सामाजजक न्याय और अजधकाठरि ा मंत्रालय ___________________________________________________ 41
5.3.2. बच्चे (Children) ____________________________________________________________________ 41
5.3.3. मजहलाएाँ (Women) __________________________________________________________________ 43
5.3.4. अनुसूजचि जाजि / अनुसूजचि जनजाजि / अन्य जपछड़ा वगग (SCs/STs/OBCs) __________________________ 44
5.3.5. अल्पसंख्यक (Minorities) ______________________________________________________________ 47
5.3.6. कदव्ांगजन (Disabled Persons) ________________________________________________________ 48
5.3.7. वठरष्ठ नागठरक (Senior Citizens) _______________________________________________________ 50

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6. जवगि वषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सयरयज में पूछे गए प्रश्न___________________________________________ 50

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1. सु भे द्य वगग (Vulnerable Sections)
सुभद्य
े ि ा िधद कन "बाह्य बलों के कारणका हनने वालय हाजन या क्षजि की प्रवृजि" के रूप में पठरभाजषि
ककया जाि ा है। व्ापक रूप से उद्धृि जववरणका के अनुसार, सुभेद्य समूह: "वे समूह हैं जन सामान्य
जनसंख्या की ि ुलना में गरयबय और सामाजजक बजहष्करणका के उच्च जनजखम का अनुभव करि े हैं।
नृजाि यय अल्पसंख्यकों, प्रवाजसयों, जनिःिक्त जनों, आश्रयहयनों, मादक पदाथों के व्सजनयों, एकाकी
वृद्धजनों और बच्चों कन प्राय: जिक्षा के जनम्न स्ि र और बेरनजगारय या अल्परनजगार जैसय कठिनाइयों का
सामना करना पड़ि ा है जजसके कारणका उनका और भय सामाजजक बजहष्करणका हन सकि ा है।’’
सामान्य समझ में, सुभद्य
े वगग जनसाँख्या के वे वगग हैं जन अपूणकाग या अन्यायपूणकाग प्रणकाालय- सामाजजक,
राजनयजि क, सांस्कृ जि क, आर्थथक, भौजि क, पाठरवाठरक संरचना, पयागवरणकायय या ककसय अन्य कारक से
पयजड़ि हनने के उच्च जनजखम का सामना करि े हैं और जजनका इन समूहों पर प्रभाव पड़ि ा है।
इन सुभेद्य वगों की सुभेद्यि ा की कु छ सामान्य जविेषि ाएं इस प्रकार हैं:
 ये एक समूह के रूप में सुभेद्य हनि े हैं।
 यह सुभेद्यि ा कई कारकों- सामाजजक-सांस्कृ जि क, आर्थथक के कारणका हनि य है।
 यह सुभेद्यि ा व्वजस्थि और संरजचि हनि य है।
भारि में जवजभन्न समूहों कन सुभद्य
े वगों में रखा जा सकि ा है जैसे बच्चे, मजहलाएं, अनुसूजचि जाजि यां,
अनुसूजचि जनजाजि यां, अन्य जपछड़े वगग, अल्पसंख्यक, वठरष्ठ नागठरक, जवकलांग व्जक्त, LGBT
समुदाय, गरयब लनग आकद।

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2. सु भे द्य वगों के जलए कल्याणकाकारय यनजनाओं का औजचत्य

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(Rationale of Welfare Schemes for Vulnerable Sections) 9@
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संवध
ै ाजनक और दािगजनक आधार (Constitutional and Philosophical Basis)
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 भारि के संजवधान की प्रस्ि ावना का लक्ष्य "सामाजजक, आर्थथक और राजनयजि क न्याय" एवं
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"प्रजि ष्ठा ि था अवसर की समि ा" सुजनजिि करना है।


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 जवजभन्न अनुच्छेदों में जनजहि मूल अजधकार जवजभन्न अजधकार प्रदान करि े हैं जैसे - समि ा का
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अजधकार, गठरमापूणकाग जयवन का अजधकार, जिक्षा का अजधकार, अस्पृश्यि ा के जवरूद्ध अजधकार,


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िनषणका के जवरूद्ध अजधकार आकद।


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राज्य के नयजि -जनदेिक ि त्वों के अनुसार भय राज्य के सभय नागठरकों का कल्याणका राज्य का
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प्राथजमक उिरदाजयत्व है जन वस्ि ुि : इसे एक कल्याणकाकारय राज्य के रूप में स्थाजपि करि े हैं।
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 संयक्त
ु राष्ट्र के अंि गगि जवजभन्न अजभसमय भय सुभेद्य वगों के जलए राज्य द्वारा सहायि ा का प्रावधान
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करि े हैं, जैसे - बाल अजधकारों पर संयुक्त राष्ट्र अजभसमय।


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मानवि ावादय आधार (Humanitarian Grounds)


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इन सुभेद्य वगों के कल्याणका हेि ु राज्य से जविेष सहायि ा और देखभाल की आवश्यकि ा है।
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राज्य की सहायि ा के जबना, इन्हें कई प्रजि कू ल पठरजस्थजि यों का सामना करना पड़ेगा जजसके
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कारणका ये उन समान ि था जनष्पक्ष अवसरों का लाभ नहीं उिा पाएंगे जन अन्य नागठरकों कन
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उपलधध हैं।
आर्थथक अजनवायगि ा (Economic Imperative)
 समावेिय जवकास - उच्च आर्थथक जवकास के जलए समावेिय जवकास आवश्यक है और वास्ि व में इन
दननों के मध्य एक सहजयवय संबध ं है।
 समावेिय जवकास का उद्देश्य अपूणकाग बना रहेगा यकद इन वगों कन सहायि ा नहीं प्रदान की जाि य है।
 कल्याणकाकारय यनजनाएं गरयबों और वंजचि लनगों की रक्षा करि य हैं ि था कौिल/आर्थथक कल्याणका के
जनम्न सनपान पर श्रम बल कन सुसजिि करि य हैं। इस प्रकार ये यनजनाएाँ उन्हें आर्थथक जवकास कन
त्वठरि करने की प्रकिया में बेहि र प्रजि भाजगि ा के जलए सक्षम बनाि य हैं।

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राष्र जनमागणका (Nation Building)
 सुभेद्य वगग सदा प्रजि कू ल जस्थजि में होंगे जजसका पठरणकााम उनके द्वारा उपभनग ककए जाने वाले
जयवन और जवकल्पों की जनम्न गुणकाविा में पठरलजक्षि हनगा। इसके कारणका समाज में आिनि और
टकराव उत्पन्न हनगा।
 ये वगग सामाजजक-सांस्कृ जि क और राजनयजि क व्वस्था कन एक अन्यायपूणकाग व्वस्था के रूप में
देखेंगे जन राष्ट्र जनमागणका के कायग और सभय नागठरकों में एकि ा की भावना उत्पन्न करने में बाधक
जसद्ध हनगा।

3. समाज के सु भे द्य वगग


(Vulnerable Sections of Society)

3.1. बच्चे (Children)

बच्चे अपनय कम आयु के कारणका िनषणका, दुव्गवहार, हहसा और उपेक्षा के प्रजि सुभेद्य हनि े हैं। हालांकक,
अनाथ और बेघर बच्चों, िरणकााथी या जवस्थाजपि बच्चों, बाल श्रजमकों, वेश्यावृजि या यौन दुव्गवहार में
फं से बच्चों, कदव्ांग बच्चों और अपराधय बच्चों सजहि कठिन पठरजस्थजि यों में रहने वाले बच्चे जविेष रूप से
सुभेद्य हनि े हैं।
िधद ‘सुभेद्य बच्चे’ उस आयु वगग कन संदर्थभि करि ा है जन जनजखमपूणकाग जस्थजि में है। ककन्ि ु सुभेद्यि ा कन
मात्र आयु के अनुसार पठरभाजषि नहीं ककया जा सकि ा है। वास्ि व में बच्चों की सुभेद्यि ा जनम्नजलजखि
कारकों से और बढ़ जाि य है:

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 िारयठरक जनिःिक्ति ा

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 मानजसक जनिःिक्ति ा

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 उकसाने वाला व्वहार: बच्चों के मानजसक स्वास््य या व्वहार संबंधय समस्याओं के सम्बन्ध में 9@
अज्ञानि ा या गलि फहमय के कारणका कु छ लनग जचढ़कर या कुं ठिि हनकर या ि न बच्चों पर िनध करि े
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हैं या पूरय ि रह से उनकी उपेक्षा करने लगि े हैं।


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 िजक्तहयनि ा: िजक्तहयनि ा बच्चों के आस-पास के लनगों और पठरजस्थजि यों की उपज हनि य है। यकद
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राज्य, पठरवार या समुदाय द्वारा बच्चे कन सहभागय बनने और अपने अजधकारों एवं दाजयत्वों कन
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पूरा करने की िजक्त दय जाि य है ि न उनकी सुभेद्यि ा में कमय आि य है।


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 संरक्षणका का अभाव: यह जस्थजि राज्य या माि ा-जपि ा अथवा समुदाय द्वारा सुरक्षा न प्रदान करने के
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कारणका उत्पन्न हनि य है। यकद बच्चों के साथ दुव्वग हार के जखलाफ कनई कानून हय न हन ि ब कनई बच्चा
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दुव्गवहार के जवरूद्ध अपनय रक्षा कै से कर सकि ा है।


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 जनजष्ियि ा: बच्चे की जस्थजि या व्यवहार के कारणका। उदाहरणका के जलए दासि ा या दमन से उत्पयजिि
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बच्चे में सहायि ा या सुरक्षा मांगने की क्षमि ा नहीं हनि य है।


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 बयमारय
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अदृश्य: दुभागग्यवि अनेक बच्चे ऐसे हैं जजनकी व्वस्था की नज़र में कनई पहचान नहीं है। ऐसे बच्चे
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अत्यजधक सुभेद्य हनि े हैं।


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 छनटे बच्चे, जविेष रूप से छह वषग से कम आयु के बच्चे, सुरक्षा ि ंत्र पर अत्यजधक अजधक जनभगर हनि े
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हैं।
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भारि में सुभेद्य बच्चों कन आगे और समस्याओं का सामना करना पड़ि ा है, जैसे:
 उनमें से कु छ बच्चों का बाल श्रजमकों के रूप में िनषणका ककया जाि ा है।
 गरयबय और भेदभाव का सामना करने वाले बच्चे कु पनषणका, खराब स्वास््य, घठटया िैजक्षक
सुजवधाओं, गरयब संसाधनों के प्रजि अजधक सुभद्य
े हनि े हैं। इस प्रकार उनकी स्वि ंत्रि ा और अवसर
सयजमि हन जाि े हैं।
 प्रचजलि सामाजजक मानदंिों के कारणका लड़ककयां अजधक प्रजि कू ल जस्थजि में हनि य हैं। ये मानदंि
लड़ककयों की ि ुलना में लड़कों कन अजधक महत्व देि े हैं। यहय कारणका है कक पठरवारों में बेटय के
स्थान पर बेटे कन अजधक वरययि ा दय जाि य है।

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बच्चों के संबध
ं में ि ्य
 स्कू ल जाने वालय आयु के 4 बच्चों में से 1 बच्चा हमारे देि में स्कू ल से बाहर है (जनगणकाना 2011)
 भारि में 5-18 वषग की आयु के बयच के 33 जमजलयन और 5-14 वषग की आयु के बयच 10.13
जमजलयन बाल श्रजमक हैं। (जनगणकाना 2011)

 प्रजि कदन, लगभग 150 बच्चे भारि में लापि ा हन जाि े हैं - अपहरणका और बंधक बनाना हमारे देि
में बच्चों के जवरूद्ध सबसे बड़ा अपराध है। (राष्ट्रयय अपराध ठरकॉिग धयूरन 2016)
 भारि में 6 वषग से कम आयु के 19.8 जमजलयन बच्चे अल्पपनजषि हैं। (ICDS 2015)

 देि में 0-5 वषग के बयच के 38% बच्चे (3 में से 1) छनटे कद के हैं। (NFHS 4, 2015-16)
 भारि में 42% जववाजहि मजहलाओं का जववाह बाल्यावस्था में हुआ था। (जजला जिक्षा सूचना
प्रणकाालय (DISE) 3)

 बाजलकाओं कन हहसा के जवजभन्न रूपों का सामना करना पड़ि ा है जैसे-जििुहत्या, पनषणका

आवश्यकि ाओं की उपेक्षा, जिक्षा और स्वास््य सेवा सुजवधाओं की कमय आकद।

3.1.1. बच्चों से सं बं जधि यनजनाएं

(Schemes Related to Children)

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एकीकृ ि बाल जवकास सेवाएं (ICDS-Integrated Child Development Services) यनजना

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प्रारं जभक बचपन की देखभाल के जलए 2 अक्टू बर 1975 कन यह कें द्र प्रायनजजि यनजना आरं भ की गई
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थय। इसके अंि गगि बच्चों कन पूरक पनषणका, टयकाकरणका और पूव-ग जवद्यालयय जिक्षा प्रदान की जाि य है।
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उद्देश्य
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 0-6 वषग आयु वगग के बच्चों की पनषणका और स्वास््य जस्थजि में सुधार करना;
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 बच्चे के उजचि मननवैज्ञाजनक, िारयठरक और सामाजजक जवकास की नींव रखना;


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 मृत्यु दर, रूग्णकाि ा, कु पनषणका और जवद्यालय छनड़ने की घटनाओं में कमय लाना;
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 बाल जवकास कन बढ़ावा देने के जलए जवजभन्न जवभागों के मध्य नयजि और कायागन्वयन का प्रभावय
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समन्वय प्राप्त करना; ि था


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 उजचि पनषणका और स्वास््य जिक्षा के माध्यम से बच्चे के सामान्य स्वास््य और पनषणका संबंधय
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आवश्यकि ाओं की देखभाल करने की मााँ की क्षमि ा कन बढ़ाना।


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लाभाथी
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 0-6 वषग आयु वगग के बच्चे।


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गभगवि य मजहलाएं और स्ि नपान कराने वालय माि ाएं ।


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ICDS यनजना छह सेवाओं का पैकेज प्रदान करि य है, जैसे पूरक पनषणका; जवद्यालय से पूवग की
अनौपचाठरक जिक्षा; पनषणका और स्वास््य जिक्षा; प्रजि रक्षणका; स्वास््य जांच; और रे फरल सेवाएं।
ICDS का जनष्पादन मूल्यांकन
ICDS यनजना के अधयन सेवाएं आंगनवाड़य कें द्र (AWC-Anganwadi Centre) के मंच से उपलधध
कराई जाि य हैं। जून 2015 में प्रस्ि ुि NITI आयनग के कायगिम मूल्यांकन संगिन (PEO-
Programme Evaluation Organization) की ठरपनटग के अनुसार, ICDS 7966 पठरयनजनाओं
और 13.42 लाख आंगनवािय के न्द्रों के माध्यम से देि में 6 वषग से कम आयु के 16.45 करनड़ बच्चों में से

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8.4 करनड़ बच्चों और 1.91 करनड़ गभगवि य एवं स्ि नपान कराने वालय माि ाओं कन कवर करि ा है। इस
ठरपनटग की प्रमुख जविेषि ाएं जनम्नजलजखि हैं-
 यह पाया गया कक 75.7% AWCs सहय ि रयके से अजभलेखों का अनुरक्षणका कर रहे हैं, हालांकक,
िेष 24.3% AWCs द्वारा अनुरजक्षि अजभलेखों में समस्याएं देखय गईं।
 यह देखा गया था कक 99% AWCs बाल स्वास््य देखभाल पर माि ाओं कन परामिग प्रदान कर
रहे हैं और 68.6% AWCs बच्चों के कु पनषणका कन दूर करने की कदिा में कायग कर रहे हैं।
 इसके अजि ठरक्ि , 22.5% AWCs में बच्चों के जलए आवश्यक दवाएं उपलधध नहीं हैं।
 कदसम्बर, 2013 के महयने के जलए AWCs द्वारा अनुरजक्षि स्वास््य अजभलेखों की जांच से ज्ञाि
हुआ कक िमि: 74.6%, 19 .7% और 5.7% बच्चे सामान्य (N-Normal), मध्यम कु पनजषि
(MM-moderately malnourished) और गंभयर रूप से कु पनजषि (SM-severely
malnourished) थे।
 अप्रैल, 2014 के दौरान मूल्यांकन दलों द्वारा बच्चे के वजन मापन के दौरान यह देखा गया कक जजन
बच्चों का वजन मापा गया उनमें से िमि: 77.4%, 17.6% और 5% बच्चे N, MM और SM की
श्रेणकाय में थे।
 AWCs कन प्रदान की गई अवसंरचना और सहायि ा के भौजि क सत्यापन से पि ा चला कक इनमें से
59% के पास पयागप्त स्थान है, और इस प्रकार िेष 41% के पास या ि न स्थान की कमय है या
अनुपयुक्त स्थान है। यह भय पाया गया कक 40% AWCs के पास अपना स्थान है और िेष 60%

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ककराए के स्थलों पर जस्थि हैं।

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 अध्ययन में पाया गया कक 86.3% AWCs में पेयजल सुजवधाएं उपलधध हैं और िेष 13.7% में 9@
सुरजक्षि पेयजल सुजवधाएं नहीं हैं। इसके अजि ठरक्ि , AWCs की स्वच्छि ा जस्थजि में सुधार की
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आवश्यकि ा है क्योंकक इनमें से के वल 48.2% की स्वच्छि ा जस्थजि उपयुक्त है।


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सुझाव
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 नामांककि बच्चों कन समायनजजि करने के जलए पयागप्त स्थान उपलधध कराया जाना चाजहए और
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कें द्रों कन स्थानयय क्षेत्र के सुजवधाजनक और स्वच्छ इलाकों में जस्थि हनना चाजहए।
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 AWCs आवासों कन उजचि सुजवधाओं से सुसजज्ज्ि ककया जाना चाजहए जैसे-स्वच्छि ा सुजवधाएं,
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सुरजक्षि पेयजल, िौचालय, पयागप्त दवाएं, जवद्युि आपूर्थि , उपकरणका/जखलौने आकद। कें द्रों कन
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दयवारों या कांटेदार ि ारों से सुरजक्षि ककया जाना चाजहए।


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प्रत्येक AWCs में पयागप्त संख्या में मजहला कायगकि ागओं कन पठरजनयनजजि करना चाजहए। AWC
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कायगकि ागओं/सहायकों के जलए जनयि माजसक मानदेय में वृजद्ध की आवश्यकि ा है। इसके अजि ठरक्ि ,
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AWC कायगकि ागओं कन अन्य कायों में नहीं लगाया जाना चाजहए।
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 AWC कायगकि ागओं और उनके पयगवेक्षकों कन जनयजमि प्रजिक्षणका प्रदान ककया जाना चाजहए। इसके
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अजि ठरक्ि उन्हें स्वि ंत्र रूप से पंजजकाओं और अन्य अजभलेखों कन संभालने के जलए पूरक प्रजिक्षणका
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प्रदान ककये जाने चाजहए।


 जचककत्सकों कन जनयजमि रूप से AWC का भ्रमणका करना चाजहए।
 AWC कन अपने पास नामांककि सभय बच्चों का पूणकाग स्वास््य ठरकॉिग रखना चाजहए। वि गमान में,
AWC कन लगभग 30 पंजजकाओं का अनुरक्षणका करना हनि ा है जन एक बड़ा कायग है। इनकी संख्या
कम करने की कदिा में प्रयास ककया जाना चाजहए।
 कु पनजषि बच्चों की माि ाओं कन जनयजमि परामिग प्रदान ककया जाना चाजहए।
 खंि और जजला स्ि र के अजधकाठरयों द्वारा कें द्रों की मौके पर जनगरानय और पयगवेक्षणका जनयजमि रूप
से ककया जाना चाजहए।

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 AWC में उपलधध कराया जाने वाला भनजन अच्छय गुणकाविा और पनषणका वाला हनना चाजहए।
जवियय मानदंिों में वृजद्ध से AWC के भनजन की गुणकाविा में वृजद्ध हन सकि य है। खाना पकाने के
उद्देश्य के जलए प्रत्येक AWC कन LPG गैस की भय आपूर्थि की जा सकि य है।
जनष्कषग
कें द्र सरकार AWC नेटवकग के माध्यम से िून्य से पांच वषग ि क के बच्चों में कु पनषणका कम करने के जलए
प्रजि वषग हजारों करनड़ रुपये व्यय कर रहय है। इस अध्ययन का एक महत्वपूणकाग जनष्कषग यह है कक कु ल
नमूना आकार (सैंपल साइज़) के 77.4% बच्चे सामान्य श्रेणकाय में पाए गए हैं जजसका अथग है कक असंख्य
बाधाओं के बावजूद, 0 से 5 वषग के बच्चों के मध्य कु पनषणका में कमय आई है। जैसा कक क्षेत्रयय अध्ययन से
पठरकल्पना की गई है, लनग ICDS कायगिम के संबंध में भलयभांजि अवगि हैं और अपने बच्चों कन
AWC भेज रहे हैं। हालांकक, दूरदराज के इलाकों के बच्चे इन सुजवधाओं का लाभ नहीं उिा पा रहे हैं।
िहरय और ग्रामयणका क्षेत्रों में पजधलक नसगरय स्कू लों का खुलना आजकल AWC में बच्चों के नामांकन के
जलए बड़ा खि रा बन गया है जब ि क कक AWC की आधारभूि संरचना और अन्य सुजवधाओं का
उन्नयन नहीं ककया जाि ा है। AWC कायगकि ागओं की कायगजस्थजि यों और पाठरश्रजमक के प्रजि
सहानुभूजि पूणकाग दृजष्टकनणका अपनाया जाना चाजहए।
समेककि बाल संरक्षणका यनजना (Integrated Child Protection Scheme)
समेककि बाल संरक्षणका यनजना का कायागन्वयन कें द्रयय मजहला एवं बाल जवकास मंत्रालय द्वारा 2009-
10 से हय कें द्र प्रायनजजि यनजना के रूप में ककया जा रहा है। यह "बाल अजधकारों के संरक्षणका” एवं "बच्चे

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के सवोिम जहि " के आधारभूि जसद्धांि ों पर आधाठरि है। इसका उद्देश्य अपनय गजि जवजधयों के कारणका

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जवजधक कारग वाई का सामना करने वाले बच्चों एवं साथ हय देखभाल और संरक्षणका की आवश्यकि ा

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अनुभव करने वाले बच्चों के जलए एक जनरापद और सुरजक्षि वाि ावरणका का जनमागणका करना है। यह अनेक 9@
वि गमान बाल संरक्षणका कायगिमों कन बेहि र मानदंिों के साथ एक छत्र के नयचे लाने हेि ु व्ापक यनजना
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है। समेककि बाल संरक्षणका यनजना के जनम्नजलजखि प्रमुख घटक हैं:


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 चाइल्िलाइन 1098 हेल्पलाइन के माध्यम से आपाि कालयन आउटरयच सेवाएं।


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 िहरय और अद्धग िहरय क्षेत्रों में बच्चों के जलए खुले आश्रय।


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 प्रायनजन, पालन–देखभाल, गनद लेने और अनुरक्षणका के माध्यम से पठरवार आधाठरि गैर संस्थागि
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देखभाल।
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 बाल-गृहों, आश्रय-गृहों, प्रेक्षणका-गृहों, जविेष गृहों और जविेष आवश्यकि ा वाले बच्चों के जलए जविेष
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गृहों के माध्यम से संस्थागि देखभाल ।


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जवजिष्ट आवश्यकि ा आधाठरि या नवनन्मेषय पठरयनजनाओं के जलए सहायि ा अनुदान।


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समेककि बाल संरक्षणका यनजना (ICPS) का प्रदिगन मूल्यांकन (Performance Evaluation of


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ICPS)
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"सेव द जचल्रन" द्वारा प्रकाजिि एक ठरपनटग ने समेककि बाल संरक्षणका यनजना (ICPS) कायागन्वयन के
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जवषय में जनम्नजलजखि हबदुओं पर प्रकाि िाला है -


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लाभ
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 समेककि बाल संरक्षणका यनजना (ICPS) के कायागन्वयन के पठरणकाामस्वरूप बाल देखभाल संस्थाओं
(CCIs) के जविपनषणका और जनगरानय एवं साथ हय साथ बाल कल्याणका सजमजि यों (CWCs) और
ककिनर न्याय पठरषदों (JJBs) जैसे वैधाजनक जनकायों की कायगप्रणकाालय में उल्लेखनयय सुधार हुआ
है।
 एक कायगिम के रूप में समेककि बाल संरक्षणका यनजना (ICPS) बाल संरक्षणका के जलए मौजूदा
बुजनयादय ढांचे के सुधार में सहायक रहय है। हालााँकक यह यनजना अभय भय जवकास की अवस्था में
हय है।

8 www.visionias.in ©Vision IAS


चुनौजि यााँ
 यह यनजना सयजमि क्षमि ा और जनजधयों के अपयागप्ि उपयनग की समस्या से ग्रजसि रहय है।
 बच्चों की सुभेद्यि ा का मानजचत्रणका, सवेक्षणका जजला बाल संरक्षणका इकाइयों के जलए प्रमुख अजधदेि है।

ककन्ि ु इस सन्दभग में समेककि बाल संरक्षणका यनजना (ICPS) के अंि गगि बजट एक प्रमुख बाधा है।

 वि गमान में, सड़क पर रहने वाले बच्चों के जलए इस यनजना के महत्वपूणकाग ि था अत्यजधक प्रासंजगक

घटक जैसे - पालन-पनषणका सम्बन्धय देखभाल, प्रायनजन कायगिम एवं बड़े बच्चों के जलए अनुरक्षणका
अत्यजधक अजवकजसि जस्थजि में हैं।
 चाइल्िलाइन 1098 हेल्पलाइन के माध्यम से आपाि कालयन आउटरयच सेवाएं भय, जविेषकर

मनबाइल फ़नन के आगमन एवं PCOs का प्रचलन समाप्त हनने के बाद, पयजड़ि बच्चों के जलए सुगम्य
नहीं रह गयय हैं। सड़क पर रहने वाले और बेघर बच्चों के जलए इन नंबरों पर पहुंच कठिन हन गई
है।
 कायगकि ागओं के प्रजिक्षणका और संवद
े यकरणका एवं जागरूकि ा सृजन संबंधय कायगकलापों पर भय अत्यल्प
ध्यान कदया जाि ा रहा है।
पठरणकाामस्वरूप, इसके सराहनयय लक्ष्य के बाद भय, समेककि बाल संरक्षणका यनजना (ICPS) में
अग्रसकिय और जनरं ि र प्रयासों के माध्यम से देखभाल और संरक्षणका की आवश्यकि ा वाले बच्चों ि क पहुंच
स्थाजपि करने में सुव्वजस्थि ि ंत्र का अभाव एक मुख्य बाधक है।
सवग जिक्षा अजभयान (Sarva Siksha Abhiyan -SSA)

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यह कायगिम स्कू लय जिक्षा से वंजचि वासस्थानों में नए स्कू ल खनलने और अजि ठरक्त कक्षा गृहों (क्लास

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रूम), िौचालयों, पेयजल, अनुरक्षणका अनुदान एवं स्कू ल सुधार अनुदान के प्रावधान के माध्यम से
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मौजूदा स्कू ल अवसंरचना कन सुदढ़ृ करने का प्रयास करि ा है। अपयागप्त जिक्षक संख्या वाले मौजूदा
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स्कू लों कन अजि ठरक्त जिक्षक प्रदान ककए जाि े हैं। इसके साथ हय व्ापक प्रजिक्षणका, जिक्षणका-अजधगम
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सामजग्रयों के जवकास के जलए अनुदान और समूह (क्लस्टर), प्रखण्ि एवं जजला स्ि र पर जवद्यमान
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िैक्षजणकाक समथगन संरचना कन सुदढ़ृ करने के माध्यम से मौजूदा जिक्षकों की क्षमि ा कन मजबूि ककया जा
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रहा है। सवग जिक्षा अजभयान (SSA) जयवन कौिलों सजहि गुणकाविापूणकाग प्राथजमक जिक्षा प्रदान करने
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का प्रयास करि ा है। सवग जिक्षा अजभयान (SSA) का लड़ककयों और जविेष आवश्यकि ा वाले बच्चों की
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जिक्षा पर जविेष ध्यान है। सवग जिक्षा अजभयान (SSA) जिजजटल अंि राल कन भरने के जलए कं प्यूटर
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जिक्षा प्रदान करने का भय प्रयास करि ा है।


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सवग जिक्षा अजभयान (SSA) के प्रदिगन का मूल्यांकन


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 सवग जिक्षा अजभयान (SSA) के हस्ि क्षेपों के कारणका स्कू लय जिक्षा प्रणकाालय से बाहर (आउट-ऑफ-
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स्कू ल) बच्चों की संख्या में उल्लेखनयय कमय देखय गई है। सामाजजक एवं ग्रामयणका अनुसंधान संस्थान
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(SRI-Social and Rural Research Institute) - अंि रागष्ट्रयय जवपणकान अनुसंधान धयूरन
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(IMRB-International Marketing Research Bureau) द्वारा आयनजजि स्वि ंत्र अध्ययन के

अनुसार स्कू लय प्रणकाालय से बाहर जस्थि (आउट-ऑफ-स्कू ल) बच्चों की संख्या वषग 2005 में 134.6

लाख थय जन वषग 2009 में कम हनकर 81.5 लाख रह गई है।

 जिक्षा का अजधकार अजधजनयम प्रत्येक आवासयय स्थल (बस्ि य) से 1 ककमय के भयि र स्कू ल की
उपजस्थजि अजनवायग करि ा है ि ाकक हर बच्चे कन उसके आवासयय स्थल (बस्ि य) के अंि गगि स्कू ल
प्राप्ि हन सके । इस जनधागरणका ने स्कू लों की उपलधधि ा में वृजद्ध की है।

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 संयुक्त राष्ट्र िैजक्षक, वैज्ञाजनक और सांस्कृ जि क संगिन (UNESCO-United Nations
Educational, Scientific and Cultural Organization) के अनुसार भारि ने जिक्षा के
अजधकार कानून एवं सावगभौजमक प्राथजमक जिक्षा कायगिम के प्रजि बद्ध कायागन्वयन द्वारा बच्चों कन
स्कू ल भेजने के संदभग में जवश्व में सवागजधक प्रगजि की है।
 भारि ने जिक्षा प्रणकाालय से बाहर रह जाने वाले बच्चों की संख्या कन वषग 2000 के 20 जमजलयन से
कम कर 2006 में 2.3 जमजलयन ि क एवं 2017 में 1.7 जमजलयन ि क सयजमि कर इस कदिा में
जवश्व के ककसय भय अन्य देि से बेहि र प्रदिगन ककया है।
सवग जिक्षा अजभयान (SSA) में की गई प्रगजि के बाद भय, कु छ कजमयााँ और समस्याएाँ अभय भय मौजूद
हैं। जवजभन्न ठरपनटों में भारि में जिक्षा की जस्थजि जनम्नजलजखि ि ्यों कन उजागर करि य है:
 1 ककमय के भयि र स्थाजपि कई स्कू लों में प्रत्येक कक्षा के जलए पृथक कक्ष हेि ु वांजछि संख्या में
जवद्याथी नहीं थे। कु छ मामलों में, दन कक्षों में के वल दन जिक्षकों के माध्यम से चार कक्षाओं का
संचालन हन रहा था।
 यकद बेहि र अवसंरचना सुजवधाओं का संवद्धगन करने के जलए संसाधनों का अनुकूलन ककया गया
हनि ा ि न इस अजभयान का प्रयनजन कई स्कू लों के स्थान पर जनकटवि ी क्षेत्र में एक हय स्कू ल से
बेहि र ढंग से जसद्ध हनि ा।
 अजभभावक अपने बेटों कन जनजय स्कू लों में भेजना पसंद करि े हैं जबकक बेठटयों कन सरकारय स्कू लों
में भेजा जाि ा है।
 हालांकक नामांकन दर बढ़ गई है ककन्ि ु 2009-10 में उपजस्थजि दर लगभग 76.0 प्रजि िि थय और
उच्च प्राथजमक स्ि र पर स्कू ल छनड़ देने वालों की दर लगभग 40.6 प्रजि िि थय। इस प्रकार सवग

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जिक्षा अजभयान (SSA) बड़े राज्यों जैसे राजस्थान, पजिम बंगाल, जबहार, उिर प्रदेि और

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झारखण्ि में अपने लक्ष्यों कन प्राप्त करने में जवफल रहा है।

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 जिक्षा की वार्थषक जस्थजि ठरपनटग (ASER) के अनुसार जिक्षा के अजधकार संबंधय जवजभन्न मानदंिों
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में अभय अजधक प्रगजि नहीं हुई है। सवग जिक्षा अजभयान अवसंरचना बजट में वृजद्ध हनने के बाद भय,
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पयागप्ि जिक्षक संख्या, कक्षाओं हेि ु कक्ष, पेयजल सुजवधाओं, रसनई/िेि, खेल का मैदान,
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चाहरदयवारय, प्रधानाध्यापक के जलए पृथक कक्ष आकद से युक्त स्कू लों का अनुपाि अजधक नहीं बढ़ा
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है।
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आगे की राह
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 इस बाि का ध्यान रखना हनगा कक कहीं प्रत्येक आवासयय स्थल से 1 ककमय भयि र स्कू ल के
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प्रावधान के कारणका स्कू ल पयागप्त अवसंरचनाओं और जिक्षकों के जबना हय मिरूमों की भााँजि न


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खुलने लगें।
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 आवश्यकि ा के वल पठरवहन सुजवधाओं की है न कक वासस्थान से 1 ककमय की दूरय के अंदर स्कू ल


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स्थाजपि करने की।


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 ऐसे जिक्षक रखे जाने की भय आवश्यकि ा है जन गजणकाि और अंग्रज


े य जैसे जविेष जवषयों कन यह पढ़ा
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सकें ।
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मध्यान्ह भनजन (MDM) यनजना (Mid-Day Meal Scheme)


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मध्यान्ह भनजन (MDM) सरकारय और सरकारय सहायि ा प्राप्त स्कू लों में बच्चों कन संपूणकाग आहार के रूप
में कदया जाने वाला दनपहर का भनजन हनि ा है। मध्यान्ह भनजन यनजना का उद्देश्य है:
 कक्षा में कनई बच्चा भूखा ना रहे
 स्कू लों में नामांकन बढ़े
 स्कू ल में बच्चों की उपजस्थजि बढ़े
 जवजभन्न जाजि यों के बयच समाजयकरणका में सुधार हन
 कु पनषणका की समस्या से जनपटा जा सके
 रनजगार के माध्यम से मजहलाओं का सिजक्तकरणका ककया जा सके

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मध्यान्ह भनजन यनजना का प्रदिगन मूल्यांकन
मध्यान्ह भनजन यनजना के जनम्नजलजखि सकारात्मक पठरणकााम रहे हैं:
 मध्यान्ह भनजन यनजना कु छ स्कू लों में सुचारू रूप से कायग कर रहय है भले हय इस प्रयास के पूरक
के रूप में और बेहि र भनजन प्रदान करने के जलए दान की गयय धन राजियों का उपयनग ककया जा
रहा हन।
 जबकक कु छ स्कू लों में बेहि र भंिारणका सुजवधाएं हैं जैसे-ठटन के जिधबे। जबकक कु छ स्कू लों में टाट के
बनरों का उपयनग ककया जाि ा और यहााँ ि क कक भंिार गृहों के जलए उपयुक्त दरवाजे भय नहीं है।
 हालांकक, इस गजि जवजध में जिक्षक वगग की अजधकाजधक भागयदारय, अध्यापन करने की उनकी
प्राथजमक गजि जवजध की कीमि पर थय। इसजलए जिक्षक वगग कन के वल जवद्यार्थथयों कन प्रदान ककए
जाने वाले भनजन के पयगवक्ष
े णका में सजम्मजलि ककया जाना चाजहए।
 अच्छय गुणकाविा और पयागप्त मात्रा सुजनजिि करने के जलए पंचायि ों के पयगवेक्षणका के अंि गगि , स्कू लों
कन खाद्यान्नों के जवि रणका की जजम्मेदारय सावगजजनक जवि रणका प्रणकाालय के ियलरों की हननय चाजहए।
 मध्यान्ह भनजन यनजना, जविेषकर लड़ककयों और वंजचि समूहों (अनुसूजचि जाजि और जनजाजि )
के बच्चों के जलए, स्कू ल जाने वाले बच्चों की पनषणका संबंधय प्रजस्थजि में सुधार करने और स्कू ल
उपजस्थजि नामांकन एवं अवधारणका (retention) बढ़ाने में सफल हुई है।
मध्याह्न भनजन यनजना की चुनौजि यां
 अस्वच्छ ि रयके से पकाया गया और कम पनषक ि त्व युक्त भनजन इस यनजना कन प्रभाजवि करने
वाले प्रमुख मुद्दे हैं। सरकारय जवद्यालयों में भनजन पकाने वाले टनपय और दस्ि ाने नहीं पहनि े हैं,
और रनगों के जलए उनका नैदाजनक परयक्षणका नहीं ककया जाि ा है। इससे भनजन जवषाक्त हन सकि ा

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है।

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 कु छ स्कू लों में पयागप्त अवसंरचना नहीं है और ि ाज़े प्रवाजहि जल की व्वस्था नहीं है।

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 यह यनजना संरचनात्मक समस्याओं से पयजड़ि है इनमें सबसे बड़य समस्या उजचि जनगरानय ि ंत्र का
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अभाव और उजचि जजम्मेदारय का अभाव है।
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 कनई स्पष्ट पठरभाजषि संरचना नहीं है, और प्रत्येक राज्य अपनय इच्छा अनुसार अपना कायग
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संचालन करि ा है। इसके अजि ठरक्त सभय स्ि रों पर व्ाप्त व्ापक भ्रष्टाचार इस यनजना कन
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प्रभाजवि कर रहा है।


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अजधकि र राज्यों कन यकद देखा जाए ि न वे सावगजजनक जवि रणका प्रणकाालय के ियलरों द्वारा स्कू ल पर
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खाद्यान्नों का जवि रणका करने के भारि सरकार के कदिा-जनदेिों का पालन नहीं करि े हैं, पठरणकााम
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स्वरुप बड़य मात्रा में खाद्यान्नों का उपयनग अन्य उद्देश्यों के जलए हनि ा है।
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बाल मजदूरय जनषेध पनटगल के कारगर कायागन्वयन के जलए मंच


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(Platform for Effective Enforcement for No Child Labour-PENCIL)


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बाल मजदूरय जनषेध पनटगल के कारगर कायागन्वयन के जलए मंच (PENCIL) एक इलेक्रॉजनक प्लेटफॉमग
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है जजसका उद्देश्य कें द्र, राज्य, जजला, सरकारों, नागठरक समाज और आम जनि ा कन बाल श्रम मुक्त
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समाज साकार करने के जलए जमलजुल कर कायग करने में संलग्न करना है।
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PENCIL के अवयव
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 बच्चे की जनगरानय प्रणकाालय (चाइल्ि रैककग जसस्टम)


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 जिकायि के न्द्र
 राज्य सरकार
 राष्ट्रयय बाल श्रम पठरयनजना एवं
 अजभसरणका
राष्ट्रयय बाल श्रम पठरयनजना (National Child Labour Project-NCLP)
NCLP श्रम मंत्रालय की एक पठरयनजना है। इसका मूल उद्देश्य बाल श्रम की सघनि ा वाले ज्ञाि क्षेत्रों
से बाल श्रम की व्ापकि ा कन कम करने के जलए, बाल मजदूरय से मुक्त कराए गए बच्चों का पुनवागस
करना है।

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NCLP पठरयनजना के जनम्नजलजखि उद्देश्य हैं :
 पठरयनजना क्षेत्र से बाल श्रम में लगे सभय बच्चों की पहचान और मुजक्त द्वारा सभय प्रकार के बाल
श्रम का उन्मूलन करना, हटाये गये बच्चों कन व्वसाजयक प्रजिक्षणका के साथ मुख्य धारा की जिक्षा के
जलए ि ैयार करना, जवजभन्न सरकारय जवभागों/एजेंजसयों द्वारा प्रदान की जाने वालय सेवाओं के
अजभसरणका से बच्चों और उनके पठरवार का लाभ सुजनजिि करना।
 खि रनाक व्वसायों से सभय ककिनर श्रजमकों कन हटाना और कौिल जवकास की वि गमान
यनजनाओं द्वारा व्वसाजयक प्रजिक्षणका के अवसरों कन सुगम बना कर कौिल जवकास एवं उजचि
व्वसायों में समेकन के जलए यनगदान करना।
 जहि धारकों और लजक्षि समुदायों के बयच जागरूकि ा बढ़ाना, और ‘बाल श्रम’, एवं ‘खि रनाक
व्वसायों / प्रकियाओं’ में ककिनरों के रनजगार जैसे मुद्दों पर NCLP और अन्य पदाजधकाठरयों का

अनुस्थापन (orientation) करना।


 बाल श्रम जनगरानय, रैककग और ठरपनर्टटग ि ंत्र का सृजन करना।
लजक्षि समूह
 लजक्षि क्षेत्र में जचजन्हि 14 वषग से कम आयु के सभय ‘बाल श्रजमक।
 लजक्षि क्षेत्र में खि रनाक व्वसायों में लगे 18 वषग से कम आयु के ककिनर।
 लजक्षि क्षेत्र में जचजन्हि बाल श्रजमकों के पठरवार।
रणकानयजि

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 लजक्षि क्षेत्र में एक सक्षम वाि ावरणका बनाना, जहााँ बच्चों कन काम करने से बचाने और स्कू लों में

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नामांकन के जलए जवजभन्न उपायों से प्रेठरि ककया जाि ा है और सिक्त बनाया जाि ा है।
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 आय स्ि र में सुधार के जलए पठरवारों कन जवकल्प प्रदान ककए जायेंगे।
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ककिनठरयों के सिजक्तकरणका के जलए राजयव गााँधय यनजना (SABLA)


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[Rajiv Gandhi Scheme for Empowerment of Adolescent Girls (SABLA)]


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ककिनरावस्था की लड़ककयों का सिजक्तकरणका बहुआयामय है और इसके जलए बहु-क्षेत्रक अनुकिया की


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आवश्यकि ा है। SABLA एक व्ापक रूप से कजल्पि यनजना है, जजसमें स्वास््य, जिक्षा और रनजगार
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जैसे प्रमुख क्षेत्रों के इनपुट सजम्मजलि हैं ि था ये ककिनठरयों के समग्र जवकास के प्रत्येक मुद्दे कन सम्बनजधि
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करि े हैं। इसके अपेजक्षि लाभाथी देि के सभय राज्यों/संघ िाजसि प्रदेिों के चयजनि 200 जजलों में सभय
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ICDS पठरयनजनाओं से 11-18 वषग की आयु की ककिनठरयााँ हैं। इस यनजना की मुख्य जविेषि ाओं में
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सजम्मजलि हैं:
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 पनषणका का प्रावधान
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 आयरन और फनजलक एजसि (IFA) पूरक


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 स्वास््य जांच और रे फरल सुजवधाएाँ


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 पनषणका और स्वास््य जिक्षा (NHE)


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 पठरवार कल्याणका, ARSH, बाल देखभाल प्रथाओं और गृह प्रबन्धन पर परामिग / मागगदिगन

 व्वसाजयक कौिल के जलए राष्ट्रयय कौिल जवकास कायगिम (NSDP) के साथ गृह-आधाठरि
कौिल, जयवन कौिल कन अद्यि न और समेककि करना।
 औपचाठरक/अनौपचाठरक जिक्षा के जलए ककिनठरयों कन मुख्यधारा में लाना।
 वि गमान सावगजजनक सेवाओं जैसे PHC, CHC, िाकघर, बैंक पुजलस स्टेिन आकद के बारे में
जानकारय / मागगदिगन प्रदान करना।

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SABLA के कायग-प्रदिगन का मूल्यांकन
2013 में मजहला एवं बाल जवकास मंत्रालय कन प्रस्ि ुि एक ठरपनटग में जनम्नजलजखि जनष्कषों से SABLA
यनजना के प्रदिगन का मूल्यांकन ककया जा सकि ा है:
 SABLA ने ककिनठरयों कन जवजभन्न आवश्यकि ाओं वाले समूहों के रूप में मान्यि ा दय है। इस
यनजना के जिजाइन और जवि रणका में उनके स्वास््य, आर्थथक और मननवैज्ञाजनक आश्यकि ाओं कन
व्ापक रूप से सम्बनजधि करने का प्रयास ककया गया है।
 लाभार्थथयों कन रािन के जलए धन का जवि रणका जनयजमि आधार पर हनि ा है। गैर-पनषणका घटकों के
अंि गगि जवजभन्न गजि जवजधयों कन जवजभन्न राज्यों में अलग-अलग स्ि र की सफलि ा एवं सरलि ा के
साथ लागू ककया गया है। स्वास््य जााँच, IFA गनजलयां, पनषणका और स्वास््य परामिग, ARSH
परामिग, एक्सपनज़र जवजज़ट सजहि जयवन कौिल जिक्षा आकद जैसय गजि जवजधयां ककिनठरयों कन
स्कू ल की मुख्यधारा में लाने और व्वसाजयक प्रजिक्षणका जैसय गजि जवजधयों की ि ुलना में अजधक
सुचारू रूप से चल रहय हैं।
 स्वास््य जवभाग के साथ अजभसरणका भलयभांजि कायागजन्वि ककया गया है और जिक्षा, युवा मामलों
ि था श्रम व रनजगार क्षेत्रों के साथ समन्वय कन औऱ बेहि र बनाने की आवश्यकि ा है।
 सभय राज्यों ने NGO कन प्रभावय रूप में सजम्मजलि नहीं ककया है; वहीं ओजििा, कनागटक,
राजस्थान में यनजना के घटक भलय भांजि कायग कर रहे हैं।
 अध्ययन में पाया गया कक नमूने में सजम्मजलि लाभाथी, ‘पनषणका’, ‘स्वास््य जांच’ और ‘जयवन-
कौिल’ जैसे घटकों से पठरजचि थे। गैर-लाभार्थथयों के साथ साक्षात्कार में जागरूकि ा का स्ि र
लगभग 69% था। पंचायि सदस्यों, माि ाजपि ा और सामुदाजयक संगिनों के प्रजि जनजधयों जैसे अन्य

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जहि धारकों कन इस यनजना की जानकारय थय।

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अजधकांि उिरदाि ा मजहलाएं (75%) घर पर हय अपनय IFA की गनलय खा लेि य थीं, जबकक

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AWC पर के वल 24.5% हय गनजलयां लेि य थीं। 9@
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अध्ययन से पि ा चलि ा है कक स्कू ल छनड़ चुकी लड़ककयों में से 48 प्रजि िि (161) कन स्कू ल जाने
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हेि ु परामिग कदया जा रहा है।


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 15-18 वषग के आयु वगग की पात्र लड़ककयों के लगभग (44.1%) कन व्वसाजयक प्रजिक्षणका के बारे
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में जानकारय प्राप्त हुई थय।


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ठरपनटग के सकारात्मक जनष्कषग


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 सरकारय अजधकाठरयों, लाभार्थथयों, गैर-लाभार्थथयों, माि ा-जपि ा, समुदाय के सदस्यों, नागठरक


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समाज संगिनों और अन्य जहि धारकों में SABLA के सम्बन्ध में सकारात्मक धारणकाा है।
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 लाभार्थथयों और AWW, जहि धारकों और सरकारय अजधकाठरयों के बयच उच्च जागरूकि ा।


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पनषणका घटक: ICD के पूव-ग जवद्यमान ि न्त्र पर जवि रणका की सुव्वजस्थि ि ा के कारणका पनषणका घटक कन
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प्रभावय ढंग से कायागजन्वि ककया गया है।


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 अच्छय पठरकल्पना: कई स्ि रों पर प्रमुख जहि धारकों ने सहमजि जि ाई है और इस बाि पर बल


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कदया है कक यनजना व्ापक रूप से पठरकजल्पि है और ककिनर जवकास के िारयठरक, पनषणका,


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स्वास््य, मननजवज्ञान और सामाजजक आयामों कन आच्छाकदि और पठरकजल्पि करि य है।


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 अच्छा अजभसरणका: वि गमान पठरदृश्य में अजभसरणका ने स्वास््य जवभाग और स्वास््य जााँच-
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पड़ि ाल,पनषणका और स्वास््य जिक्षा (NHE) जैसय यनजना के घटकों के साथ जमल कर कायग ककया है
और IFA गनजलयों का जवि रणका सुचारू हन गया है।
ठरपनटग के नकारात्मक जनष्कषग
 गैर-पनषणका घटक: गैर-पनषणका घटक के कायागन्वयन और सेवा जवि रणका कन और बेहि र करने की
आवश्यकि ा है।
 आंगनबाड़य कायगकि ागओं की सयजमि क्षमि ा: AWW कन राज्यों में के वल सयजमि और संधारणकायय
प्रजिक्षणका और सहायि ा प्राप्त हुई है, जजसके कारणका उनकी क्षमि ा सयजमि है।

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 आंगनबाड़य के न्द्रों की सयमाएं भय इस यनजना की सयमाओं के रूप में कायग करि य हैं।
 पयागप्त फं ि: गैर-पनषणका घटकों के जलए बजटयय प्रावधानों की अपयागप्ति ा भय पाई गई है।
SABLA के व्ापक प्रदिगन कन जनम्नजलजखि टेबल से समझा जा सकि ा है:

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बाजलकाओं से सम्बजन्धि अन्य यनजनाएाँ

 बेटय बचाओं, बेटय पढ़ाओ (BBBP) यनजना कन घटि े बाजलका अनुपाि (CSR) की समस्या कन
सम्बनजधि करने के जलए अक्टू बर 2014 में प्रारम्भ ककया गया था।
 ‘सुकन्या समृजद्ध यनजना’ बाजलकाओं के जलए एक छनटय राजि जमा करने की यनजना है, जजसे बेटय
बचाओ, बेटय पढ़ाओ यनजना के एक भाग के रूप में प्रारम्भ ककया गया था, जजसे 9.1 प्रजि िि का
धयाज प्राप्त हनगा और आयकर में छू ट भय जमलेगय।
 कें द्र द्वारा प्रायनजजि यनजना – लड़ककयों की माध्यजमक जिक्षा के जलए राष्ट्रयय प्रनत्साहन यनजना कन
मई 2008 में प्रारम्भ ककया गया था। इसका उद्देश्य माध्यजमक चरणका में 14-18 वषग के आयु वगग
की बाजलकाओं के (जविेषकर जन आिवीं कक्षा पास कर चुकी हैं) नामांकन कन प्रनत्साजहि करना है।
 ककिनर लड़ककयों (AG-Adolescent Girls) के जलए यनजना: ICDS, का मुख्य उद्देश्य पौजष्टक
और लैंजगक-अलाभ के अंि र-पयढ़य चि कन ि नड़ना और स्व-जवकास हेि ु अनुकूल वाि ावरणका प्रदान
करना है।
 िैक्षजणकाक रूप से जपछड़े प्रखंिों में लड़ककयों की छात्रावास यनजना कन देि भर के िैक्षजणकाक रूप से
जपछड़े 3479 प्रखंिों (EBB) में से प्रत्येक में 100-जबस्ि र वाले मजहला छात्रावास की स्थापना के
जलए 2009-10 से लागू ककया जा रहा है।
 उड़ान उच्चि र जिक्षा ि क पहुाँच बनाने में लिककयों कन सक्षम करने और अंि ि िः भजवष्य में जवजभन्न
अग्रणकाय भूजमकाओं के जलए ि ैयार करने हेि ु के न्द्रयय माध्यजमक जिक्षा बनिग (CBSE) की एक पहल

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3.2. मजहलाएं (Women) s9@
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भारि परम्परागि रूप से एक जपि ृसिात्मक समाज रहा है और इसजलए मजहलाएं चाहे ककसय वगग,
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जाजि या धमग से हों, सदैव सामाजजक बन्धनों और अक्षमि ाओं से पयजड़ि रहय हैं। परम्परागि रूप से
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पुरुष वचगस्व वाले समाज में मजहलाओं की जस्थजि में सुधार के जलए कु छ सुधारात्मक कदम उिाना
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आवश्यक है।
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 मजहलाओं कन जवजभन्न प्रकार की हहसाओं का सामना करना पड़ि ा है जैसे कक बाल-हत्या; पनषणका
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की आवश्यकि ाओं, जिक्षा और स्वास््य देखभाल की उपेक्षा।


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 उनके नाम पर नगण्य या कनई भय सम्पजि नहीं है और कम या खराब औपचाठरक जिक्षा के कारणका
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वे अपने समकक्ष पुरुष पर जनभगर हन जाि य हैं।


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उनका संसाधनों और अपने जयवन से सम्बजन्धि महत्वपूणकाग जनणकागयों पर बहुि कम जनयन्त्रणका हनि ा
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है।
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 कम आयु में जववाह और गभगधारणका मजहलाओं के स्वास््य पर प्रजि कू ल प्रभाव िालि ा है। माि ृ-मृत्यु
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दर अभय भय बहुि अजधक है।


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 वयस्क मजहलाओं कन अवांजछि गभगधारणका, घरे लू हहसा, कायगस्थल पर यौन िनषणका और वैवाजहक
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बलात्कार और ऑनर ककहलग आकद का सामना करना पड़ि ा है।


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 यहााँ ि क कक कामकाजय मजहलाओं से भय घरे लू कायग करने की आिा की जाि य है (कायग का दनगुना
बनझ)।
 सामान्य रूप से मजहलाओं कन भारि यय समाज में पुरुषों की ि ुलना में कमि र दजाग प्रदान ककया
जाि ा है।
मजहलाओं के सम्बन्ध में ि ्य
 मजहलाओं के जवरुद्ध अपराध के अजधकांि मामले “उनके पजि या सम्बजन्धयों” द्वारा हनि े हैं
(NCRB 2016)

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 बाल हलगानुपाि 2001 के 927 से घट कर 2011 में 919 हन गया। (जनगणकाना 2011)
 2017 में मजहला श्रम की भागयदारय पुरुषों के 82% की ि ुलना में 28.5% थय।
 सहकमी पुरुषों द्वारा ककए जाने वाले समान कायग के जलए मजहलाएं उनकी ि ुलना में के वल 62%
हय अर्थजि करि य हैं।
 2012 में, 79% पुरुषों की ि ुलना में के वल 27% वयस्क मजहलाओं के पास नौकरय थय या वे सकिय
रूप से नौकरय की ि लाि कर रहय थीं।
 2017 में, नेि ृत्व की भूजमका में मजहलाओं की जस्थजि के मामले में भारि जवश्व में ि यसरे सब से
जनम्नि म स्थान पर था।

3.2.1. यनजनाएं (Schemes)

मजहलाओं के जलए प्रजिक्षणका और रनजगार कायगिम हेि ु सहायि ा


(Support to Training and Employment Programme for Women-STEP)
STEP कन 1986-87 से कें द्र सरकार द्वारा ‘के न्द्रयय क्षेत्रक की यनजना’ के रूप में प्रिाजसि ककया जा
रहा है। इसका उद्देश्य मजहलाओं कन रनजगार की क्षमि ा प्रदान करने और उन्हें स्व-जनयनजजि /उद्यमय
बनने में सक्षम बनाने हेि ु आवश्यक कौिल प्रदान करना है। इस यनजना का उद्देश्य देि भर में 16 वषग
या इससे अजधक आयु वगग की मजहलाओं कन लाभाजन्वि करना है। इस यनजना के अंि गगि अनुदान गैर-
सरकारय संगिनों सजहि सयधे संस्थाओं/संगिनों कन कदया जाि ा है, न कक राज्यों/कें द्र िाजसि प्रदेिों कन।
STEP यनजना के अंि गगि , रनजगार और उद्यजमि ा से सम्बजन्धि कौिल प्रदान करने के जलए सहायि ा

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ककसय भय क्षेत्रक में उपलधध हनगय, जजसमें कृ जष, बागवानय, खाद्य प्रसंस्करणका, हथकरघा, जसलाई, कढ़ाई,

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जरय आकद हस्ि जिल्प, कम्प्यूटर और IT सक्षम सेवाएं, कायग स्थल के जलए सॉफ्ट जस्कल जैसे अंग्रेजय 9@
भाषा में वाि ागलाप, रत्न एवं आभूषणका, यात्रा एवं पयगटन उद्यनग, हॉजस्पटैजलटय आकद सजम्मजलि हैं, परन्ि ु
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यह के वल इन्हीं क्षेत्रकों ि क सयजमि नहीं है।


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स्वाधार गृह –कठिन पठरजस्थजि यों में रह रहय मजहलाओं के जलए यनजना
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(Swadhar Greh - A Scheme for Women in Difficult Circumstances)


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स्वाधार गृह यनजना कठिन पठरजस्थजि यों की जिकार मजहलाओं कन लजक्षि करि य है। इस यनजना के
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अंि गगि , प्रत्येक जजले में 30 मजहलाओं की क्षमि ा वाले स्वाधार गृह स्थाजपि ककए जाएंगे। इस स्कीम का
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लक्ष्य, आश्रय, भनजन, वस्त्र, परामिग, प्रजिक्षणका, स्वास््य ि था कानून से संबंजधि सहायि ा प्रदान करके
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कठिन पठरजस्थजि यों से जघरय हुई मजहलाओं अथागि ् पाठरवाठरक कलह या अनबन, अपराध, हहसा,
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मानजसक ि नाव, सामाजजक बजहष्कार, वेश्यावृजि की ओर बलपूवगक धके ले जाने और नैजि क खि रों के
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कारणका बेघर हुई मजहलाओं या बाजलकाओं का पुनवागस करना है।


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यनजना के जनम्नजलजखि उद्देश्य हैं:


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 जबना ककसय सामाजजक और आर्थथक सहायि ा वालय पयजड़ि मजहलाओं कन आश्रय, भनजन, वस्त्र
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स्वास््य जचककत्सा संबंधय मांग पूरा करना।


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 उन दुभागग्यपूणकाग पठरजस्थजि यों की जिकार एवं पयजड़ि मजहलाओं में उनके भावनात्मक मननबल कन
सुदढ़ृ कर उन्हें समथग बनाना।
 जबना ककसय सामाजजक और आर्थथक सहायि ा वालय पयजड़ि मजहलाओं कन आश्रय, भनजन, वस्त्र
स्वास््य जचककत्सा संबंधय मांग पूरा करना।
 आर्थथक एवं भावनात्मक दृजष्टकनणका पुन:स्थाजपि करना।
 पयजड़ि मजहलाओं की जवजभन्न आवश्यकि ाओं कन समझने और उन्हें पूरा करने के जलए सहायक ि ंत्र
के रूप में काम करना।
 उन्हें सम्मान एवं जवश्वासपूवक
ग नए जसरे से जयवन आरं भ करने के यनग्य बनाना।

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कामकाजय मजहलाओं का छात्रावास (Working Women’s Hostel)
भारि सरकार ने रनजगार बाजार में मजहलाओं की गजि ियलि ा बढ़ाने के जलए 1972-73 में कामकाजय
मजहला छात्रावास यनजना प्रारम्भ की थय। इस यनजना का उद्देश्य कामकाजय मजहलाओं के जलए सुरजक्षि
और सुगम्य आवास की उपलधधि ा कन बढ़ावा देना है, जहााँ कदन में उनके बच्चों के जलए देखभाल की
सुजवधा उपलधध हन। ये छात्रावास रनजगार के अवसरों की उपलधधि ा वाले िहरय, अधग-िहरय, या यहााँ
ि क कक ग्रामयणका क्षेत्रों में भय खनले जा सकि े हैं।
कामकाजय मजहलाओं के छात्रावास के प्रदिगन का मूल्यांकन
2017 में मजहला एवं बाल जवकास मंत्रालय द्वारा ककए गए एक अध्ययन द्वारा कामकाजय मजहला
छात्रावास यनजना का SWOT (Strengths, Weaknesses, Opportunities, and Threats)
जवश्लेषणका नयचे प्रस्ि ुि ककया जा रहा है:

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इस यनजना कन और सुदढ़ृ बनाने के जलए सुझाव:


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 िहरों में प्रवास करने वालय कामकाजय मजहलाओं की जनसंख्या में वृजद्ध हनने के कारणका और अजधक
छात्रावासों का प्रावधान।
 छात्रावास के भवनों और उपकरणकाों का जनयजमि रख-रखाव सुजनजिि करने के जलए एक
ठरवॉहल्वग फं ि और / या रख-रखाव के जलए अनुदान का प्रावधान करना।
 मेरनपनजलटन िहरों में वेि न सयमा कन 50,000 से बढ़ाकर 75,000 करने ि था छात्रावास में रहने
की अजधकि म अवजध कन वि गमान के 3 वषग से बढ़ाकर 5 वषग करने के जलए पात्रि ा जनयमों में
पठरवि गन ककया जाना चाजहए।

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 कदव्ांग मजहलाओं के जलए आरक्षणका का प्रावधान और सुजवधाओं कन सुजनजिि करने हेि ु छात्रावास
प्रबन्धन सजमजि द्वारा किनर जनगरानय की जानय चाजहए।

 सुरक्षा सुजवधाओं का उन्नयन:


o सभय छात्रावासों में CCTV का प्रावधान।

o CCTV फु टेज का जनयजमि जनरयक्षणका सुजनजिि करना।


o प्रत्येक प्रवेि द्वार पर इन और आऊट रजजस्टर प्रदान करना, जजसकी जनयजमि जांच की जानय
चाजहए।
o छात्रावासों के बाहरय क्षेत्रों में स्रयट लाइटें सुजनजिि करना।
o हेल्पलाइन या अन्य ककसय माध्यम से 24x7 आपाि कालयन सुजवधाएं स्थाजपि करना।
 नई सुजवधाओं का प्रावधान
o छात्रावासों कन कपड़े धनने की सुजवधा सुजनजिि करनय चाजहए।
o छात्रावासों कन इं टरनेट कनेजक्टजवटय, वाई-फाई और हप्रठटग व स्कैं हनग सुजवधा सजहि
कम्प्यूटर रूम सुजनजिि करना चाजहए।
o छात्रावास पुस्ि कालय, कॉमन रूम, मननरं जन कक्ष, जजम जैसय अजि ठरक्त सुजवधाएाँ सजम्मजलि
कर सकि े हैं।
 जिकायि बॉक्स के माध्यम से फीिबैक ि न्त्र की स्थापना की अजवलम्ब आवश्यकि ा है ि ाकक वहां
रहने वालय मजहलाओं द्वारा छात्रावास में उपलधध सुजवधाओं के संबंध में फीिबैक प्राप्त हन सके ।

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उज्ज्वला यनजना (Ujjwala Scheme)

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यह मजहला ि था बाल जवकास मंत्रालय द्वारा व्वसाजयक यौन िनषणका हेि ु मानव ि स्करय की जिकार

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मजहलाओं की ि स्करय रनकने, उनकी ठरहाई (मुक्त कराना), पुनवागस, पुनिः एकीकरणका ि था स्वदेि भेजने 9@
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के जलए कायागजन्वि की जा रहय व्ापक यनजना है। इस यनजना के अंि गगि संरक्षणका ि था सुधार एवं
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पुनवागस गृहों कन आश्रय ि था आधारभूि सुजवधाएं यथा भनजन, वस्त्र, जचककत्सकीय देख-भाल, कानूनय
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सहायि ा के जलए जवियय सहायि ा प्रदान की जाि य है। पयजड़ि ा के बाल्यावस्था में हनने पर उसे जिक्षा
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भय प्रदान की जाि य है। पयजड़ि ा कन जयजवका के वैकजल्पक साधन प्रदान करने के जलए व्वसाजयक
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प्रजिक्षणका ि था आय सृजन संबंधय गजि जवजधयों में संलग्न कराया जाि ा है।
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मजहला उद्यजमयों के जलए उद्यम-सखय पनटगल (Udyam Sakhi Portal for Women
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Entrepreneur)
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उद्यम-सखय भारि यय मजहलाओं कन व्वसाय आरम्भ करने, उसे जवकजसि करने ि था उसे आगे बढ़ाने में
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सहायि ा करि य है। यह इस बाि की पहचान करि ा है कक राष्ट्र के भजवष्य का जनमागणका करने ि था
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वि गमान बाज़ार पठरदृश्य में भारि कन प्रजि स्पद्धाग में बनाए रखने के जलए उद्यनग जगि में मजहला
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उद्यजमयों की उपजस्थजि एवं भागयदारय महत्वपूणकाग है।


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मदर एंि चाइल्ि रैककग यनजना (Mother and Child Tracking Scheme -MCTS)
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MCTS स्वास््य एवं पठरवार कल्याणका मंत्रालय की पहल है जजसका उद्देश्य गभगवि य मजहलाओं ि था 5
वषग की आयु ि क के बच्चों कन स्वास््य सेवा ि था टयकाकरणका का पूणकाग लाभ प्रदान करने हेि ु सूचना
प्रौद्यनजगकी का लाभ उिाना है। यह सेवा जवि रणका एवं उसकी जनगरानय में सहायि ा करि ा है ि था सेवा
प्रदाि ा एवं लाभार्थथयों के बयच जद्वमागी संवाद स्थाजपि करि ा है।

प्रधान मंत्रय माि ृत्व वंदना यनजना (Pradhan Mantri Matritiva Vandana Yojana)
पूवग में इं कदरा गांधय माि ृत्व सहयनग यनजना के रूप में जानय जाने वालय इस यनजना के अंि गगि गभगवि य
मजहलाओं कन अस्पि ाल में जचककत्सा लाभ हेि ु रहने, टयकाकरणका एवं पनषणका के जलए 6000 रूपए प्रदान
ककए जाि े हैं।

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वन स्टॉप के न्द्र यनजना (One Stop Centre Scheme)
यह कें द्र द्वारा प्रायनजजि यनजना है जजसे मजहला ि था बाल जवकास मंत्रालय (MWCD) द्वारा मजहलाओं
के सिक्तीकरणका हेि ु राष्ट्रयय जमिन की अम्रेला यनजना के अंि गगि प्रजि पाकदि ककया गया है। इन के न्द्रों
कन पूरे देि में जनजय ि था सावगजजनक स्थलों पर हहसा पयजड़ि मजहलाओं कन एक छि के नयचे एकीकृ ि
सहायि ा ि था सहयनग प्रदान करने के जलए स्थाजपि ककया जाएगा।

3.3. अनु सू जचि जाजि यााँ , अनु सू जचि जनजाजि यााँ ि था अन्य जपछड़ा वगग

(Scheduled Castes, Scheduled Tribes and Other Backward Classes)


सरकार अपने कु छ नागठरकों कन उनकी सामाजजक ि था आर्थथक दिा के आधार पर अनुसूजचि जाजि
(SC), अनुसूजचि जनजाजि (ST) ि था अन्य जपछड़ा वगग (OBC) में जवभाजजि करि य है। इन
नागठरकों कन उनके जवरुद्ध ककए गए परम्परागि भेद-भाव के कारणका जवजिष्ट व्वहार के यनग्य समझा
जाि ा है।

SCs/ STs /OBCs से संबजं धि कु छ ि ्य


 अनुसूजचि जाजि यों के जवरुद्ध अत्याचारों/अपराधों में 2015 (38,670) की अपेक्षा 2016
(40,801) में 5.5 प्रजि िि की वृजद्ध दजग की गई।
 अनुसूजचि जाजि यों के ग्रामयणका पठरवारों में से के वल 3.96% का कनई न कनई सदस्य सरकारय नौकरय
में है। (SECC 2011)

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 अनुसूजचि जनजाजि यों के ग्रामयणका पठरवारों में से के वल 4.37% का कनई न कनई सदस्य सरकारय

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नौकरय में है। (SECC 2011)

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3.3.1. अनु सू जचि जाजि यााँ (Scheduled Castes)
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ये वन जाजि यााँ हैं जजन्हें संजवधान के अनुच्छेद 341 में जनजहि प्रावधानों के अंि गगि अनुसूजचि जाजि के
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रूप में अजधसूजचि ककया गया है।


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 अस्पृश्यि ा की युगों पुरानय प्रथा के कारणका ये जाजि यां सामाजजक, िैक्षजणकाक ि था आर्थथक जपछड़ेपन
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का जिकार हैं।
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 परम्परागि रूप से अवसंरचना की कमय ि था भौगनजलक पृथक्करणका के कारणका भय उन्हें नु कसान


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उिाना पड़ि ा है।


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3.3.2. अनु सू जचि जनजाजि यााँ (Scheduled Tribes)


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अनुसूजचि जाजि यों की भांजि , अनुसूजचि जनजाजि यााँ भय ऐसा सामाजजक वगग हैं जजन्हें भारि यय
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संजवधान द्वारा जनधगनि ा, जवविि ा ि था सामाजजक कलंक से त्रस्ि समूह के रूप में मान्यि ा दय गयय है।
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भारि यय संजवधान का अनुच्छेद 366 (25) अनुसूजचि जनजाजि यों कन “ऐसय जनजाजि यों या
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जनजाि यय समुदायों अथवा ऐसय जनजाजि यों या जनजाि यय समुदायों के भाग के रूप में पठरभाजषि
करि ा है जजन्हें संजवधान के प्रयनजनों के जलए अनुच्छेद 342 के अधयन अनुसूजचि जाजि यााँ समझा जाि ा
है।” इन समुदायों की जविेषि ाएाँ जनम्नजलजखि हैं:
 आकदम जवजिष्टि ाएं
 भौगनजलक पृथक्करणका
 जभन्न संस्कृ जि
 बड़े स्ि र पर मुख्य धारा से संपकग करने में अरुजच
 आर्थथक जपछड़ापन

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उनसे संबजं धि मुद्दे:
 उन्हें सामाजजक ि था आर्थथक रूप से वंजचि समझा जाि ा है।
 वे कृ जष मजदूरों, अनौपचाठरक श्रजमकों, बागान श्रजमकों ि था औद्यनजगक श्रजमकों का एक बड़ा भाग
हैं।
 वे समाज के सबसे जनधगन स्ि र पर हैं ि था उनकी जिक्षा ि था स्वास््य का स्ि र जनम्न है एवं उन्हें
स्वास््य सेवाओं ि क उजचि पहुाँच प्राप्त नहीं है।
 वनक्षेत्र की हाजन, भूजम से वंजचि हनना ि था सि ि जवस्थापन ने उनकन सुभेद्य बना कदया है।

3.3.3. अन्य जपछड़ा वगग (OBCs)

जपछड़े वगों से ि ात्पयग अनुसूजचि जाजि यों और जनजाजि यों से जभन्न नागठरकों के ऐसे जपछड़े वगग से है,
जजसे समय-समय पर कें द्र सरकार द्वारा नागठरकों के उन जपछड़े वगों के संबंध में जनयुजक्तयों या पदों में
आरक्षणका प्रदान करने के जलए जनर्ददष्ट ककया जाि ा है जजन्हें सरकार की राय में भारि यय क्षेत्र या भारि
सरकार के अधयन सेवाओं या अन्य स्थानयय जनकायों अथवा अन्य प्राजधकरणकाों में पयागप्त प्रजि जनजधत्व
प्राप्त नहीं है।

3.3.4. अनु सू जचि जाजि यों/ अनु सू जचि जनजाजि यों/ अन्य जपछड़े वगों के जलए यनजनाएं

(Schemes for Scheduled Castes/Scheduled Tribes/ Other Backward Classes)


चूाँकक इन वगों कन समान प्रकार की प्रजि कू ल पठरजस्थजि यों का सामना करना पड़ि ा है, इसजलए सरकार
ने ऐसय जवजवध यनजनाओं का िुभारम्भ ककया है जजनका उद्देश्य समान है लेककन उन्हें इनमें से प्रत्येक

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वगग के जलए अलग से कायागजन्वि ककया जाि ा है। ऐसय यनजनाओं में से कु छ का जववरणका जनम्नजलजखि है।

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इन यनजनाओं के पिाि ्, हम इन वगों से संबंजधि जवजिष्ट यनजनाओं का धयौरा देखेंगे। समान उद्देश्य

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वालय यनजनाएं जनम्न हैं: 9@
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नागठरक अजधकारों का संरक्षणका अजधजनयम, 1955 (PCR एक्ट) ि था अनुसजू चि जाजि ि था अनुसजू चि
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जनजाजि (अत्याचार जनवारणका) अजधजनयम, 1989 (PoA एक्ट) के कायागन्वयन हेि ु कें द्र द्वारा
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प्रायनजजि यनजनाएं।
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[Centrally Sponsored Scheme for implementation of the Protection of Civil Rights


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Act, 1955 (PCR) and the Scheduled Castes and the Scheduled Tribes
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(Prevention of Atrocities) Act, 1989 (PoA)]


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चूाँकक इन PCR एवं PoA अजधजनयमों कन उनके प्रभावय कायागन्वयन के जलए संबंजधि राज्य सरकारों
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एवं कें द्र िाजसि प्रदेिों की सरकारों द्वारा कायागजन्वि ककया जाि ा है, अि िः उन्हें PCR एवं PoA
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अजधजनयमों के कायागन्वयन हेि ु कें द्र प्रायनजजि यनजनाओं के अंि गगि मुख्य रूप से जनम्नजलजखि उद्देश्यों से
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कें द्र सरकार द्वारा सहायि ा प्रदान की जाि य है:


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 अनुसूजचि जाजि यों एवं अनुसूजचि जनजाजि यों के संरक्षणका सेल ि था जवजिष्ट पुजलस थानों की
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कायगियलि ा ि था उन्हें सुदढ़ृ ि ा प्रदान करने के जलए।


do

 अलग से जवजिष्ट न्यायालयों की स्थापना ि था कायगियलि ा के जलए।


is
Th

 उत्पयड़न या अत्याचार के जिकार व्जक्तयों के राहि ि था पुनवागस के जलए।


 अंि रजाि यय जववाहों के जलए प्रनत्साहन हेि ु।
 जागरूकि ा उत्पन्न करने हेि ु।
स्टैंि-अप इं जिया यनजना (Stand-Up India Scheme)
स्टैंि-अप इं जिया यनजना प्रजि बैंक कम से कम एक अनुसूजचि जाजि (SC) एवं अनुसजू चि जनजाजि
(ST) के ऋणकाय ि था कम से कम एक मजहला ऋणकाय कन हठरि क्षेत्र उपिम की स्थापना के जलए 10 लाख
से 1 करनड़ रूपए ि क के बैंक ऋणका की सुजवधा प्रदान करि य है। यह उपिम जवजनमागणका, सेवा या व्ापार

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क्षेत्रक से संबंजधि हन सकि ा है। गैर-वैयजक्तक उपिमों के मामले में िेयर-धारणका एवं जनयंत्रक जहस्सेदारय
का 51% या ि न SC/ST या मजहला उद्यमय के पास हनना चाजहए।
सामान उद्देश्य वालय अन्य यनजनाएं/लाभ जन SC, ST ि था OBC के जलए अलग-अलग संचाजलि
हनि य हैं

3.3.5. अनु सू जचि जाजि यों के जलए जवजिष्ट यनजनाएं

(Specific Schemes for Scheduled Castes)


अनुसजू चि जाजि उप-यनजना (Scheduled Caste Sub-Plan-SCSP)
अनुसूजचि जाजि उप-यनजना, अनुसूजचि जाजि यों के लाभों के जलए जवकास के सभय सामान्य क्षेत्रों से
लजक्षि जवियय ि था भौजि क लाभों के प्रवाह कन सुजनजिि करने वालय एक अम्रेला रणकानयजि है। इस
रणकानयजि के अंि गगि राज्य/ कें द्र-िाजसि प्रदेिों कन अपनय वार्थषक यनजनाओं के एक जहस्से के रूप में
संसाधनों के जवजनियन के माध्यम से अनुसूजचि जाजि के जलए जविेष घटक यनजना (SCP) कन ि ैयार
करके उसका कियान्वयन करना हनगा।
प्रधानमंत्रय आदिग ग्राम यनजना (Pradhan Mantri Adarsh Gram Yojana)
कें द्र सरकार द्वारा प्रायनजजि ‘प्रधानमंत्रय आदिग ग्राम यनजना’ (PMAGY) का कायागन्वयन 50 प्रजि िि
से अजधक अनुसूजचि जाजि आबादय के संकेद्रणका वाले अनुसूजचि जाजि बाहुल्य गांवों के एकीकृ ि जवकास
हेि ु ककया जा रहा हैिः
 मुख्य रूप से प्रासंजगक कें द्रयय एवं राज्य यनजनाओं के अजभसारय कायागन्वयन के माध्यम से।

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 इन गांवों कन अंि राल पूर्थि जनजध के रूप में औसि न 20 लाख रुपये प्रजि गांव ि क कें द्रयय सहायि ा

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प्रदान करने के माध्यम से।
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 उन कायगकलापों कन आरं भ करने के जलए अंि राल-पूर्थि घटक प्रदान करके , जन के न्द्र एवं राज्य
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सरकार की वि गमान यनजनाओं के अंि गगि सजम्मजलि नहीं हैं।


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बाबू जगजयवन राम छात्रावास यनजना (Babu Jagjivan Ram Chhatrawas Yojana)
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यह यनजना ि ृि यय पंचवषीय यनजना के समय से हय कायागजन्वि है। इस यनजना का उद्देश्य माध्यजमक


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जवद्यालयों, उच्चि र माध्यजमक जवद्यालयों, कॉलेजों एवं जवश्वजवद्यालयों में अध्ययनरि अनुसूजचि जाजि
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के छात्रों एवं छात्राओं कन आवासयय सुजवधा प्रदान करना है।


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अनुसजू चि जाजि यों के जलए वेंचर कै जपटल फं ि (Venture Capital Fund for Scheduled
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Castes)
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वेंचर कै जपटल फं ि, सरकार द्वारा भारि में अनुसूजचि जाजि यों (SC) की आबादय के बयच उद्यमियलि ा
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कन बढ़ावा देने के जलए 200 करनड़ रुपये की प्रारं जभक पूंजय के साथ आरं भ की गई एक सामाजजक क्षेत्र
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की पहल है। इस यनजना के अंि गगि SC उद्यजमयों कन 6 वषग ि क की अवजध के जलए 15 करनड़ रुपये
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ि क की जवियय सहायि ा प्रदान की जाएगय।


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अनुसजू चि जाजि यों के जलए वेंचर कै जपटल फं ि का प्रदिगन मूल्यांकन


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2018 में एक संसदयय स्थायय सजमजि ने ध्यानाकर्थषि ककया कक 2017-18 में इस जनजध से एक पैसा भय
खचग नहीं ककया गया था। सजमजि ने बि ाया, "अनुसूजचि जाजि के उद्यजमयों के जलए वेंचर कै जपटल फं ि
अनुसूजचि जाजि यों के बयच उद्यमियलि ा कन बढ़ावा देने ि था SC उद्यजमयों के जलए जवियय समावेि
बढ़ाने की एकमात्र यनजना है। इसका उद्देश्य अनुसूजचि जाजि के उद्यजमयों कन समाज में और जवकास के
जलए प्रेठरि करना है। 2014-15 में इस यनजना के आरं भ के बाद से हय यनजना के जलए आवंटन जनरं ि र
कम हनि ा गया है ... ि ब से, हर वषग इस यनजना के अंि गगि बहुि कम राजि आवंठटि की गई है ि था
2017-18 में जनजध का 'िून्य' उपयनग रहा।"

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3.3.6. अनु सू जचि जनजाजि यों के जलए जवजिष्ट यनजनाएं

(Specific Schemes for Scheduled Tribes)


वनबंधु कल्याणका यनजना (Van Bandhu Kalyan Yojana)
भारि सरकार के आकदवासय मामलों के मंत्रालय ने आकदवाजसयों के कल्याणका के जलए वनबंधु कल्याणका
यनजना (VKY) आरं भ की। VKY का उद्देश्य जनजाि यय लनगों के आवश्यकि ा-आधाठरि ि था पठरणकााम-
उन्मुख समग्र जवकास के जलए सक्षम वाि ावरणका जनर्थमि करना है। वनबंधु कल्याणका यनजना का मनटे ि ौर
पर आिय एक रणकानयजि क प्रकिया से है, जन यह सुजनजिि करने की पठरकल्पना करि य है कक कें द्रयय एवं
राज्य सरकारों के जवजभन्न कायगिमों/स्कीमों के अंि गगि वस्ि ुओं एवं सेवाओं के सभय लाभ समुजचि
संस्थागि ि ंत्र के माध्यम से संसाधनों के ि ालमेल द्वारा वास्ि व में लजक्षि समूह ि क पहुंचे।
जनजाि यय उप यनजना के जलए जविेष कें द्रयय सहायि ा (SCA to TSP)
[Special Central Assistance to Tribal Sub Plan (SCA to TSP)]
आकदवासय मामलों के मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार कन राज्य जनजाि यय उप यनजना (TSP) के
सहायि ा के रूप में जविेष कें द्रयय सहायि ा (SCA) प्रदान की जाि य है। SCA सहयनग मुख्य रूप से
कृ जष, बागवानय, रे िम-उत्पादन एवं पिुपालन के क्षेत्रों में पठरवार-उन्मुख आय उपाजगन की यनजनाओं
के जलए है। SCA का एक जहस्सा (30% से अजधक नहीं) ऐसय आय उपाजगन यनजनाओं से संबंजधि
बुजनयादय ढांचे के जवकास के जलए भय इस्ि ेमाल करने की अनुमजि है।

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जनजाि यय छात्रों के जलए उच्च स्ि रयय जिक्षा (Top Class Education for ST Students)

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यह एक कें द्रयय छात्रवृजि यनजना है, जजसे अनुसूजचि जनजाजि के मेधावय छात्रों कन जनजाि यय मामलों

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के मंत्रालय द्वारा जनधागठरि ककसय भय संस्थान में जिग्रय ि था स्नाि कनिर स्ि र पर अध्ययन के जलए
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प्रनत्साजहि करने के उद्देश्य से अकादजमक वषग 2007-08 से प्रस्ि ुि ककया गया था।
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जनजाि यय क्षेत्रों में व्ावसाजयक प्रजिक्षणका कें द्र (Vocational Training Centres in Tribal Areas)
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इस यनजना का मुख्य उद्देश्य जनजाि यय युवाओं के जवजभन्न पारं पठरक/आधुजनक व्वसायों में कौिल कन
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- उनकी िैजक्षक यनग्यि ा, वि गमान आर्थथक रुझान एवं बाजार की क्षमि ा के आधार पर - उन्नि बनाना
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है, ि ाकक वे उपयुक्त रनजगार प्राप्त कर सकें या स्व-रनजगार के यनग्य बन सकें ।


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अनुसजू चि जनजाजि (ST) के जिक्षार्थथयों के छात्रावास हेि ु के न्द्र प्रायनजजि यनजना (Centrally
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Sponsored Scheme of Hostels for ST boys and ST Girls)


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संिनधन का प्राथजमक उद्देश्य माध्यजमक जवद्यालयों, उच्च माध्यजमक जवद्यालयों, कॉलेजों एवं
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जवश्वजवद्यालयों में पढ़ रहय ST छात्राओं की पढ़ाई बयच में हय छनड़ देने की प्रवृजि कन जनयंजत्रि करने या
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उसमें कमय लाने के जलए छात्रावास जनमागणका की ओर कायागन्वयन एजेंजसयों का ध्यान आकर्थषि करना है।
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जनजाि यय उप-यनजना क्षेत्रों में आश्रम स्कू लों की स्थापना


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(Establishment of Ashram Schools in Tribal Sub-Plan Areas)


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इस यनजना का उद्देश्य जनजाि यय छात्रों के बयच साक्षरि ा दर बढ़ाना एवं उन्हें देि की अन्य आबादय के
Th

समि ुल्य लाना है। इसके जलए PTGs समेि अनुसूजचि जनजाि यय छात्रों कन जिक्षणका के अनुकूल
वाि ावरणका प्रदान करने हेि ु आवासयय जवद्यालयों की स्थापना करना इस यनजना का उद्देश्य है।
एकलव् आदिग आवासयय जवद्यालय (Eklavya Model Residential School)
देि के सभय क्षेत्रों में जिक्षा के प्रचार-प्रसार के जलए गुणकाविापूणकाग आवासयय जवद्यालयों की स्थापना की
कड़य में अनुसूजचि जनजाजि के जिक्षार्थथयों के जलए एकलव् आदिग आवासयय जवद्यालयों (EMRS) की
स्थापना की गई है, ये जवाहर नवनदय जवद्यालयों, कस्ि ूरबा गांधय बाजलका जवद्यालयों ि था के न्द्रयय
जवद्यालयों के समकक्ष हैं।

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3.3.7. अन्य जपछड़ा वगों के जलए जवजिष्ट यनजनाएं

(Specific Schemes for Other Backward Classes)


मजहलाओं के जलए ‘नई स्वर्थणकामा’ जविेष यनजना (New Swarnima Special Scheme for
Women)
नई स्वर्थणकामा यनजना सावजध ऋणका यनजना के अन्ि गगि संचाजलि है। इसमें मजहलाओं कन ककसय भय लघु
उद्यनग के रूप में रनजगार के स्रनि ढू ंढकर अपनय जवियय जस्थजि कन मजबूि बनाने के जलए ऋणका कदया
जाि ा है। इस यनजना का उद्देश्य दनहरय गरयबय रे खा से नयचे जयवन यापन करने वालय जपछड़े वगग की
पात्र मजहलाओं में आत्मजनभगरि ा की भावना उत्पन्न करना है। "नई स्वर्थणकामा" की मुख्य जविेषि ाएं हैं:
 प्रजि लाभाथी ऋणका की अजधकि म सयमा 1,00,000 रुपये है ि था धयाज दर 5% प्रजि वषग हनगय।
 लाभाथी मजहला कन पठरयनजनाओं पर अपनय स्वयं की कनई भय राजि जनवेि करने की आवश्यकि ा
नहीं है।
अन्य जपछड़ा वगग के लड़के -लड़ककयों के जलए छात्रावास जनमागणका की कें द्र-प्रायनजजि यनजना
(Centrally Sponsored Scheme of Construction of Hostel for OBC Boys and Girls)
इस यनजना का उद्देश्य सामाजजक एवं िैक्षजणकाक रूप से जपछड़े वगों के , जविेषकर ग्रामयणका क्षेत्रों के ,
छात्र-छात्राओं कन माध्यजमक एवं उच्च जिक्षा प्राप्त करने में सक्षम बनाने के जलए छात्रावास की सुजवधाएं
प्रदान करना है।
सक्षम (Saksham)
यह लजक्षि समूह के जपछड़े वगग से संबंजधि युवा पेिेवरों के जलए सावजध ऋणका (टमग लनन) के अंि गगि एक
जविेष यनजना है। प्रजि लाभाथी ऋणका की अजधकि म राजि 10 लाख रुपये है। 5 लाख रुपये ि क के ऋणका

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पर धयाज की वार्थषक दर 6% ि था 5 लाख रुपये से ऊपर एवं 10 लाख रुपये ि क के ऋणका पर धयाज की

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वार्थषक दर 8% है। 9@
जिल्प संपदा (Shilp Sampada)
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इस यनजना का उद्देश्य प्रजिक्षणका एवं सावजध ऋणका यनजना के अन्ि गगि जवियय सहायि ा प्रदान करके
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परम्परागि कला इत्याकद में स्व-रनजगार हेि ु जपछड़े वगों के पात्र व्जक्तयों के ि कनयकी एवं उद्यमयय
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कौिल में अजभवृजद्ध करना है। गरयबय रे खा से नयचे रहने वाले जपछड़े वगग के कारयगर एवं हस्ि जिल्पय
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इस यनजना के अंि गगि 10 लाख रुपये ि क ऋणका प्राप्त कर सकि े हैं। 5 लाख रुपये ि क के ऋणका पर धयाज
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की वार्थषक दर 6% ि था 5 लाख रुपये से ऊपर एवं 10 लाख रुपये ि क के ऋणका पर धयाज की वार्थषक
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दर 8% है।
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3.4. वठरष्ठ नागठरक/वृ द्ध लनग (Senior Citizens/Aged)


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एक “वठरष्ठ नागठरक” का अथग है, भारि का कनई भय नागठरक जजसने साि या उससे अजधक की आयु
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प्राप्त कर लय है। वृद्धों के बयच सुभेद्यि ा उनमें रुग्णकाि ा और जवकलांगि ा की अजधकि ा, पजि /पत्नय, बच्चों
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और पठरवार के अन्य छनटे सदस्यों पर आर्थथक जनभगरि ा के कारणका है।


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वठरष्ठ नागठरकों की संख्या


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2011 की जनगणकाना के अनुसार, भारि में लगभग 104 जमजलयन वृद्ध लनग (60 वषग या उससे अजधक
आयु के ) हैं; इनमें से 53 जमजलयन मजहलाएं और 51 जमजलयन पुरुष हैं। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या फण्ि और
हेल्पेज इजण्िया द्वारा जारय एक ठरपनटग के अनुसार वषग 2026 ि क वृद्ध व्जक्तयों की संख्या 173
जमजलयन ि क बढ़ने की सम्भावना है।

वृद्ध व्जक्तयों के साथ दुव्व


ग हार के सामान्य रूप इस प्रकार हैं:
 िारयठरक दुव्व
ग हार: मारना, धक्का देना, लाि मारना।
 दवाओं या रनकथाम का अनुजचि उपयनग : दवाओं की अजधक या कम खुराक देना या दवा कन पूरय
ि रह बंद करना।

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 मानजसक या भावनात्मक दुव्व
ग हार: अपमान, धमककयां, जनरादर, एकांि वास, अलगाव ि था उन्हें
गठरमा से वंजचि करना (उदाहरणका के जलए, उन्हें गंदे कपड़ों में पड़े रहने देना)।
 जवियय दुव्व
ग हार: वृद्ध व्जक्तयों की धन या पठरसम्पजियों कन चुराना या उनका दुरूपयनग करना।
 उपेक्षा या त्याग देना: उन्हें भनजन, आवास या जचककत्सा सुजवधाएाँ न देना।
 यौन िनषणका: उनकी सहमजि के जबना उनसे यौन सम्पकग ।

3.4.1. यनजनाएं (Schemes)

प्रधानमन्त्रय वय वन्दना यनजना (Pradhan Mantri Vaya Vandana Yojana)


सरकार ने वृद्धावस्था के दौरान सामाजजक सुरक्षा प्रदान करने और बाजार की अजनजिि जस्थजि यों के
कारणका भजवष्य में उनकी धयाज आय में जगरावट के जवरुद्ध 60 वषग या उससे अजधक आयु के व्जक्तयों की
सुरक्षा के जलए जलए ‘प्रधानमन्त्रय वय वन्दना यनजना (PMVYY) प्रारम्भ की है। यह यनजना भारि यय
जयवन बयमा जनगम (LIC) कन सरकारय गारं टय के आधार पर अजभदान राजि से जुिय आश्वाजसि पेंिन /
ठरटनग के प्रावधान से वठरष्ठ नागठरकों के जलए वृद्धावस्था की आय सुरक्षा कन सक्षम बनाि य है। माचग
2018 ि क, PMVYY 2018 के अंि गगि कु ल 2.33 लाख लाभाथी (वठरष्ठ नागठरक) हैं। जपछलय वठरष्ठ
पेंिन बयमा यनजना 2014 में कु ल 3.11 लाख लाभाथी हैं।
राष्ट्रयय वयनश्रय यनजना (Rashtriya Vayoshri Yojana)
यह BPL श्रेणकाय से सम्बजन्धि वठरष्ठ नागठरकों के जलए िारयठरक सहायि ा और जयवन के जलए आवश्यक

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सहायि ा प्रदान करने हेि ु के न्द्रयय क्षेत्रक की यनजना है। इस यनजना के कायागन्वयन के जलए व्य “वठरष्ठ

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नागठरक कल्याणका कनष” से प्राप्त हनगा। इस यनजना का कायागन्वयन एकमात्र एजेंसय– कृ जत्रम अंग

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जवजनमागणका जनगम (ALIMCO) करे गय, ALIMCO सामाजजक न्याय और अजधकाठरि ा मन्त्रालय के
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अंि गगि एक PSU है। इस यनजना के अंि गगि वठरष्ठ नागठरकों कन उनकी िारयठरक क्षजि के आधार पर
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जनम्नजलजखि सहायि ा और सहायक-जयवन उपकरणका प्रदान ककए जाएंगे।


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 चलने के जलए छजड़यां


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 कनहनय वालय बैसाखय


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 वाकर / बैसाजखयााँ
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 जि पाइयां/चौपाइयां
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 सुनने की मियन
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 व्हयल चेयर
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 कृ जत्रम दांि
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 चश्मे
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वृद्ध लनगों के जलए एक समेककि कायगिम (An Integrated Programme for Older Persons)
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इस यनजना का मुख्य उद्देश्य आश्रय, भनजन, जचककत्सा देखभाल और मननरं जन के अवसर प्रदान करके
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वृद्ध व्जक्तयों के जयवन की गुणकाविा में सुधार करना और सरकारय/गैर सरकारय संगिनों/पंचायि य राज
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संस्थाओं/स्थानयय जनकायों और बड़े पैमाने पर समुदाय की क्षमि ा जनमागणका के जलए सहायि ा प्रदान
Th

करके उनकी उत्पादक और सकिय आयु में वृजद्ध करना है।


इं कदरा गााँधय राष्ट्रयय वृद्धावस्था पेंिन यनजना
(Indira Gandhi National Old Age Pension Scheme-IGNOAPS)
यह 60 वषग या उससे अजधक आयु के व्जक्तयों कन पेंिन प्रदान करने के जलए कें द्र सरकार द्वारा प्रारम्भ
की गयय गैर-यनगदानकारय पेंिन यनजना है और गरयबय रे खा (BPL) से नयचे की श्रेणकाय के जलए है।
इं कदरा गााँधय राष्ट्रयय वृद्धावस्था पेंिन यनजना (IGNOAPS) के अंि गगि पेंिन का के न्द्रयय यनगदान 79
वषग ि क की आयु के लनगों के जलए 200 रूपये प्रजि माह प्रजि लाभाथी और 80 वषग या उससे अजधक

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आयु के लाभार्थथयों के जलए 500 रूपये प्रजि माह प्रजि लाभाथी है और राज्य सरकारें इसमें इससे
अजधक और अजि ठरक्त यनगदान कर सकि य हैं।
वयनवठरष्ठ सम्मान – वठरष्ठ नागठरकों के जलए राष्ट्रयय पुरस्कार यनजना
(Vayoshreshtha Sammans - A Scheme of National Award for Senior Citizens.)
वठरष्ठ नागठरकों के जलए राष्ट्रयय पुरस्कार यनजना (वयनवठरष्ठ सम्मान) 2005 में प्रारम्भ की गयय थय
और यह वठरष्ठ नागठरकों कन समर्थपि है। इस यनजना कन कें द्र सरकार द्वारा जवि पनजषि ककया जाि ा है।
यह यनजना वृद्ध व्जक्तयों के कल्याणका के कायों में लगे प्रजि जष्ठि वठरष्ठ नागठरकों और संस्थानों के जलए
है। सामाजजक न्याय और अजधकाठरि ा मंत्रालय से सम्पकग करके संस्थान और वठरष्ठ नागठरक इस
यनजना का लाभ उिा सकि े हैं।

3.5. जवकलां ग या जनिःिक्त जन/ कदव्ां ग जन (Disabled Persons)

जवकलांग व्जक्तयों के अजधकारों पर संयुक्त राष्ट्र घनषणकाा (1975): “कनई भय व्जक्त जन स्वयं, पूणकागि िः या
आंजिक रूप से ककसय सामान्य व्जक्त या सामाजजक जयवन की आवश्यकि ाओं कन जन्मजाि या गैर-
जन्मजाि िारयठरक या मानजसक अक्षमि ाओं के कारणका सुजनजिि करने में असमथग है, उसे जवकलांग
व्जक्त के रूप में वर्थणकाि ककया जा सकि ा है।”
हालााँकक जवकलांगि ा अजधकारों के क्षेत्र में अत्यजधक प्रगजि हुई है, लेककन जवकलांग लनगों कन अभय भय
समाज द्वारा प्रस्ि ुि कई बाधाओं का सामना करना पड़ि ा है, ये बाधाएं उनकी “अक्षमि ा” के कारणका नहीं
हैं। जवकलांग व्जक्तयों के जनधगनि ा में रहने, बेरनजगार हनने औऱ कायगस्थल पर भेदभाव का सामना

)
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करने की अजधक सम्भावना है। ये बाधाएं सामाजजक हैं, व्जक्तगि नहीं, और के वल “इच्छािजक्त” के बल

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पर इनसे पार नहीं पाया जा सकि ा। s 9@
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जवकलांग व्जक्तयों के सम्बन्ध में ि ्य


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 2011 की जनगणकाना (2016 ि क अपिेटेि) के अनुसार, भारि में जवकलांग व्जक्तयों की जनसंख्या
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का प्रजि िि 2.21% है।


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 लगभग एक-जि हाई जवकलांग जनसंख्या में जन्म से हय जवकलांगि ा है।


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 मानजसक जवकलांगि ा कन अक्षमि ा का एक प्रमुख स्वरूप माना जाि ा है।


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 जवश्व भर में जवकलांगि ा और समय-पूवग मृत्यु के दस प्रमुख कारणकाों में पांच मानजसक जवकलांगि ा के
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कारणका हैं।
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जवकलांग व्जक्तयों कन कई प्रकार के भेदभावों का सामना करना पड़ि ा है, जैसे:


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 उन्हें जिक्षा, रनजगार और अन्य सामाजजक-आर्थथक अवसरों ि क कम पहुाँच प्राप्त हनि य है।
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 वे जहााँ रहि े हैं, वहााँ उन्हें सामाजजक कलंक और भेदभाव का सामना करना पड़ि ा है।
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 उन्हें समाज के अन्य सदस्यों के साथ घुलने-जमलने में कठिनाई हन सकि य है, जन उनके अवसाद और
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आत्म-ग्लाजन का कारणका बन सकि ा है।


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 अपंग व्जक्तयों कन प्रायिः कमजनर और बेकार माना जाि ा है और कु छ मामलों में उन्हें समाज द्वारा
Th

अमानुजषक माना जाि ा है।

जवकलांग व्जक्तयों के अजधकारों पर संयक्त


ु राष्ट्र अजभसमय (United Nations Convention on the
Rights of Persons with Disabilities (UNCRPD-UNCRPD)
यह सभय हस्ि ाक्षरकि ाग सरकारों पर जवकलांग जनों के जलए अन्य लनगों के समान समानि ा के आधार
पर भौजि क वाि ावरणका, पठरवहन प्रणकााजलयों, सूचना और संचार प्रौद्यनजगककयों, ि था िहरय और ग्रामयणका
क्षेत्रों दननों में जनि ा के जलए उपलधध या प्रदान की जाने वालय अन्य सुजवधाओं और सेवाओं ि क पहुंच
के जलए उजचि उपाय सुजनजिि करने का दाजयत्व जनधागठरि करि ा है।

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3.5.1. यनजनाएं (Schemes)

सुगम्य भारि अजभयान (Sugamya Bharat Abhiyan)


सामाजजक न्याय और अजधकाठरि ा मंत्रालय ने सावगभौजमक पहुंच प्रदान करने के जलए एक राष्ट्रव्ापय
प्रमुख अजभयान के रूप में “सुगम्य भारि अजभयान” की संकल्पना की है जन जवकलांग लनगों कन समान
अवसर प्रदान करने और स्वि ंत्र रूप से रहने एवं एक समावेिय समाज में जयवन के सभय पक्षों में पू रय
ि रह से भाग लेने में सक्षम बनाि ा है। इस अजभयान का लक्ष्य जनर्थमि वाि ावरणका, पठरवहन प्रणकाालय और
सूचना एवं संचार ईकन प्रणकाालय ि क जवकलांगों की पहुंच बढ़ाना है।
सुगम्य भारि अजभयान के घटक:
 जनर्थमि वाि ावरणका सुगम्यि ा
 पठरवहन प्रणकाालय सुगम्यि ा
 सूचना और संचार इकन प्रणकाालय सुगम्यि ा
सुगम्य पुस्ि कालय (Sugamya Pustakalaya)
“सुगम्य पुस्ि कालय” एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉमग है जन हप्रट-अक्षम लनगों के जलए सुलभ सामग्रय उपलधध
कराि ा है। पुस्ि कालय में जवजवध जवषयों और भाषाओं और कई सुलभ प्रारूपों में प्रकािन उपलधध हैं।
इसे सामाजजक न्याय और अजधकाठरि ा मंत्रालय के कदव्ांगजन सिजक्तकरणका जवभाग द्वारा ‘िेजय फनरम
ऑफ इं जिया’ (Daisy Forum of India) के सदस्य संगिनों के सहयनग से स्थाजपि ककया गया है और
TCS एक्सेस (TCS Access) द्वारा संचाजलि ककया जाि ा है। पुस्ि कें दृजष्टबाजधि और अन्य हप्रट-

)
जवकलांकि ा के जिकार लनगों के जलए सुलभ प्रारूपों में उपलधध हैं। इसमें जवजभन्न भाषाओं में 2 लाख से

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अजधक पुस्ि कें उपलधध हैं। यह सबसे बड़े अंि रागष्ट्रयय पुस्ि कालय “बुकिेयर” भारि और सम्पूणकाग जवश्व के

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पुस्ि कालयों कन एकीकृ ि करि य है। s 9@
दयनदयाल जवकलांग पुनवागस यनजना (Deendayal Disabled Rehabilitation Scheme)
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यह एक संिनजधि यनजना है जजसका नाम पहले – “जवकलांग व्जक्तयों के जलए स्वैजच्छक कायग कन
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बढ़ावा देने की यनजना” था। इस यनजना के उद्देश्य हैं:


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 समान अवसरों, जनष्पक्षि ा, सामाजजक न्याय और जवकलांग जनों के सिजक्तकरणका कन सुजनजिि


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करने के जलए एक सक्षम वाि ावरणका का जनमागणका करना।


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 जवकलांगजन (समान अवसर और अजधकारों का संरक्षणका) अजधजनयम, 1995 के प्रभावय


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कायागन्वयन कन सुजनजिि करने के जलए स्वैजछक कायगवाहय कन प्रनत्साजहि करना।


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दृजष्टकनणका और रणकानयजि (Approach and Strategy)


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इस यनजना का दृजष्टकनणका जवकलांगों के पुनवागस के जलए आवश्यक सेवाओं की पूरय श्रृंखला उपलधध
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करने के जलए स्वैजच्छक संगिनों कन जवियय सहायि ा प्रदान करना है। जजसमें प्रारजम्भक हस्ि क्षेप,
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दैजनक जयवन संबंधय कौिलों का जवकास, जिक्षा, रनजगार-परक कौिल जवकास, प्रजिक्षणका और
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जागरूकि ा सृजन सजम्मजलि हैं। जवकलांग लनगों कन समाज की मुख्यधारा में सजम्मजलि करने और
उनकी क्षमि ा कन वास्ि जवक बनाने के दृजष्टकनणका के साथ, जिक्षा और प्रजिक्षणका कायगिमों पर जनर कदया
जाएगा। इस यनजना के उदेश्यों कन प्राप्त करने के जलए प्रमुख रणकानयजि यां जनम्नानुसार होंगय:

 सभय स्ि रों पर और सभय रूपों में िैक्षजणकाक अवसरों कन बढ़ाने और व्वसाजयक व पेिेवर अवसरों,
आय उत्पादन और लाभकारय व्वसायों के दायरे कन बढ़ाना।

 औपचाठरक और अनौपचाठरक रनजगार और जनयनजन के अवसरों कन बढ़ावा देने के जलए सभय


आवश्यक उपायों का समथगन करना।

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 िहरय और ग्रामयणका पठरवेि में आउटरयच और व्ापक समुदाय-आधाठरि पुनवागस कायगिमों कन
कायागजन्वि करना।
 जवकलांगों के जलए सभय कायगिमों/पठरयनजनाओं/गजि जवजधयों में प्रत्येक स्ि र पर आवश्यक कर्थमयों
कन प्रजिजक्षि करने हेि ु मानव-श्रम जवकास गजि जवजधयों का समथगन करना।
 प्रजिक्षणका सामग्रय, सूचना और दस्ि ावेजों के जवकास, प्रकािन और प्रसार का समथगन करना।

कदव्ांग व्जक्तयों के सिजक्तकरणका हेि ु राष्ट्रयय सम्मान (National Awards for Empowerment of

Persons with Disabilities)


कदव्ांग व्जक्तयों के सिजक्तकरणका की प्रकिया में संलग्न लनगों एवं संस्थाओं के समर्थपि प्रयासों कन
पहचान प्रदान करने ि था दूसरों कन इस क्षेत्र में उत्कृ ष्टि ा प्राप्त करने हेि ु प्रनत्साहन देने के उद्देश्य से
प्रजि वषग कदव्ांगों के सिजक्तकरणका के जलए राष्ट्रयय सम्मान प्रदान ककया जाि ा है।
ADIP यनजना (ADIP Scheme)

कदव्ांग व्जक्तयों के जलए सहायक उपकरणकाों/यंत्रों की खरयद/कफटटग (AIDP) संबंधय यनजना का उद्देश्य

ज़रूरि मंद जवकलांग व्जक्तयों कन ठटकाऊ, पठरष्कृ ि ि था वैज्ञाजनक रूप से जनर्थमि , आधुजनक ि था

मानक सहायक उपकरणका ि था यंत्र प्राप्त कर पाने में सहायि ा करना है, जजससे उनकी जवकलांगि ा का

प्रभाव कम करके उनके िारयठरक, सामाजजक ि था मननवैज्ञाजनक पुनवागस कन बढ़ावा कदया जा सके और
उनकी आर्थथक क्षमि ा में वृजद्ध की जा सके । इस यनजना के अंि गगि आपूर्थि ककए गए सहायक उपकरणकाों
ि था यंत्रों कन यथासंभव BIS मापदंिों के अनुरूप हनना चाजहए। इस यनजना कन NGOs, मंत्रालय के

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अंि गगि आने वाले राष्ट्रयय संस्थानों और ALIMO (एक PSU) जैसय कायागन्वयन एजेंजसयों के माध्यम से

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लागू ककया जाि ा है। 9@
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3.6. अल्पसं ख्यक समु दाय (Minorities)

भारि यय संजवधान में कहीं भय “अल्पसंख्यक” िधद कन पठरभाजषि नहीं ककया गया है, ककन्ि ु के वल कु छ
अनुच्छेदों जैसे अनुच्छेद 29 से 30 ि था 350A से 350B में इसका उल्लेख ककया गया है। अल्पसंख्यकों
कन संदर्थभि करने वाले अनुच्छेद 29 में “अपनय जविेष भाषा, जलजप ि था संस्कृ जि वाले नागठरकों के
ककसय भय अनुभाग” का उल्लेख ककया गया है। अनुच्छेद 30 में दन श्रेजणकायों के अल्पसंख्यकों की चचाग है–

धार्थमक ि था भाषाई, जबकक अनुच्छेद 350 में भाषाई अल्पसंख्यकों का सन्दभग प्रदान ककया गया है।

3.6.1. अल्पसं ख्यकों के कल्याणका के जलए यनजनाएं

(Schemes for Welfare of Minorities)


प्रधानमंत्रय जन जवकास कायगिम (Pradhan Mantri Jan Vikas Karyakaram)
प्रधानमंत्रय जन जवकास कायगिम (PMJVK) का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों कन जविेष रूप से जिक्षा,
स्वास््य ि था कौिल जवकास के क्षेत्र में बेहि र सामाजजक-आर्थथक अवसंरचना प्रदान करना है जजसके
पठरणकाामस्वरूप जपछड़ेपन के पैमाने पर राष्ट्रयय औसि ि था अल्पसंख्यक समुदायों के बयच के अंि राल
कन कम ककया जा सके । PMJVK पूवगवि ी बहु-क्षेत्रक जवकास कायगिम (Multi-sectoral

Development Programme: MsDP) का पुनगगठिि संस्करणका है जजसे नया नाम प्रदान ककया गया

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है।

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नयय रनिनय (Nai Roshni) 9@
यह यनजना गैर-सरकारय संगिनों के माध्यम से मजहलाओं ि क पहुाँचने के जलए पठरकजल्पि की गयय है।
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यनजना के ि हि इन संगिनों कन नेि ृत्व जवकास प्रजिक्षणका कायगिम के संचालन के जलए जवियय सहायि ा
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प्रदान की जाएगय ि ाकक मजहलाओं कन घर ि था समुदाय की चारदयवाठरयों से बाहर जनकलने हेि ु सिक्त
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एवं साहसय बनाया जा सके और वे नेि ृत्व की भूजमका में आ कर वैयजक्तक या सामूजहक स्ि र पर अपने
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अजधकारों की प्राजप्त का दावा प्रस्ि ुि कर सकें ।


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छात्रवृजि यनजनाएं (Scholarship Schemes)


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अजधसूजचि अल्पसंख्यक समुदायों, यथा मुजस्लम/ईसाई/जसख/बौद्ध/जैन/पारसय समुदायों के छात्र अपनय


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पात्रि ा के अनुसार जनम्नजलजखि छात्रवृजियां प्राप्त कर सकि े हैं -


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 अल्पसंख्यकों के जलए मैठरक-पूवग छात्रवृजि यनजना (कक्षा I से ले कर X ि क के जलए )


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 अल्पसंख्यकों के जलए मैठरकनिर छात्रवृजि यनजना (कक्षा XI से ले कर Ph.D. ि क के जलए )


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मेठरट-सह-साधन आधाठरि (मेठरट कम मयन्स) छात्रवृजि यनजना (व्ावसाजयक ि था ि कनयकी


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पाठ्यिम के जलए)
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 अल्पसंख्यक समुदायों की प्रजि भािालय बाजलकाओं के जलए बेगम हज़रि महल राष्ट्रयय छात्रवृजि
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यनजना। इसे मौलाना आजाद एजुकेिन फाउं िेिन (Maulana Azad Education
Foundation: MAEF) द्वारा कायागजन्वि ककया जाि ा है (ग्यारहवीं ि था बारहवीं में अध्ययन-रि
अल्पसंख्यक समुदाय की बाजलकाएं)।
सयखन और कमाओ (Seekho aur Kamao)

भारि सरकार के अल्पसंख्यक कायग मंत्रालय ने 23 जसि म्बर 2013 कन अल्पसंख्यकों के कौिल जवकास
हेि ु के न्द्रयय क्षेत्रक यनजना का आरं भ ककया था। इस यनजना के मुख्य उद्देश्य जनम्नजलजखि हैं:

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 12वीं यनजना अवजध (2012-17) में अल्पसंख्यकों की बेरनजगारय दर में कमय लाना।
 अल्पसंख्यकों के परम्परागि कौिल कन संरजक्षि और अपिेट करना ि था उनका बाज़ार से सम्बन्ध
स्थाजपि करना।
 वि गमान श्रजमकों, जवद्यालयय जिक्षा कन बयच में हय छनड़ चुके लनगों इत्याकद की जनयनजनययि ा में
सुधार करना और उनका जनयनजन सुजनजिि करना।
 हाजिए पर जस्थि अल्पसंख्यकों के जलए बेहि र आजयजवका के साधनों का सृजन करना ि था उन्हें
मुख्य-धारा में लाना।
 जवकजसि हनि े बाज़ार में अवसरों का लाभ उिाने हेि ु अल्पसंख्यकों कन सक्षम बनाना।
 देि के जलए संभाव् मानव संसाधन का जवकास करना।
जजयन पारसय (Jiyo Parsi)
जजयन पारसय नामक के न्द्रयय क्षेत्रक यनजना का आरम्भ 2013 में अल्पसंख्यक कायग मंत्रालय द्वारा ककया
गया था। जजयन पारसय यनजना के मुख्य उद्देश्य वैज्ञाजनक प्रनटनकॉल अपना कर ि था संरजचि हस्ि क्षेप के
माध्यम से पारसय समुदाय की जनसंख्या में कमय की प्रवृजि कन पलटना, पारसय समुदाय की जनसंख्या
कन जस्थरि ा प्रदान करना ि था भारि में पारसय जनसंख्या में वृजद्ध करना है।
पढ़न परदेि (स्नाि कनिर, M.Phil. ि था Ph.D. स्ि र पर जवदेि में अध्ययन)
भारि सरकार के अल्पसंख्यक कायग मंत्रालय ने अल्पसंख्यक समुदाय के जवद्यार्थथयों के जलए जवदेि में
अध्ययन हेि ु ‘धयाज सजधसिय’ प्रदान करने के जलए एक यनजना प्रस्ि ुि की। यह यनजना 2013-14 से
आरं भ हुई। इस यनजना का लाभ उिाने के जलए माि ा-जपि ा की वार्थषक आय 6 लाख रुपए से कम हननय

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चाजहए।

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नालंदा यनजना (Nalanda Scheme)

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के न्द्रयय अल्पसंख्यक कायग मंत्रालय ने अल्पसंख्यकों के उच्च जिक्षा संस्थानों के जलए 4 माचग 2014 कन
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नालंदा प्रनजेक्ट का आरम्भ ककया है। नालंदा प्रनजेक्ट एक नवाचारय संकाय (फै कल्टय) जवकास कायगिम
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है। नालंदा प्रनजेक्ट अलयगढ़ मुजस्लम जवश्वजवद्यालय द्वारा लागू ककया जा रहा है जन जवश्व स्ि र का एक
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प्रमुख अल्पसंख्यक जवश्वजवद्यालय है। अलयगढ़ मुजस्लम जवश्वजवद्यालय, जवश्वजवद्यालय अनुदान आयनग
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का ननिल स्टॉफ कॉलेज भय है।


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अल्पसंख्यक साइबर ग्राम (MCG)


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MCG (Minority Cyber Gram) कायगिम का उद्देश्य अल्पसंख्यक के जन्द्रि समूहों ि था लाभार्थथयों के
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ज्ञान सिजक्तकरणका ि था अजधकार लाभ के जलए प्राजधकृ ि जिजजटल फे लनज़ (Digital Fellows) के
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माध्यम से भारि के जचजन्हि अल्पसंख्यक क्लस्टसग के बयच जिजजटल साक्षरि ा का आरम्भ करना है।
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मौलाना आज़ाद सेहि यनजना (Maulana Azad Sehat scheme)


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इस यनजना के अंि गगि मौलाना आज़ाद एजुकेिन फाउं िेिन (MAEF) द्वारा जवियय सहायि ा प्राप्त
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संस्थान के प्रत्येक छात्र कन सेहि कािग ज़ारय ककया जाएगा।


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अन्य यनजनाएं
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 उस्ि ाद (USTAAD): इस यनजना का उद्देश्य अल्पसंख्यकों की परम्परागि पैि क


ृ कला/जिल्प के
संरक्षणका के जलए प्रजिक्षणका प्रदान करना ि था उनके कौिल में सुधार करना है।

 हमारय धरनहर: इस यनजना का उद्देश्य भारि यय संस्कृ जि के सन्दभग में अल्पसंख्यक समुदायों की
समृद्ध जवरासि कन संरजक्षि करना है।
 ख्वाज़ा ग़रयब नवाज़ उच्चि र माध्यजमक जवद्यालय की स्थापना अजमेर में मौलाना आज़ाद
एजुकेिन फाउं िेिन (MAEF) के द्वारा अल्पसंख्यकों कन प्रनत्साहन देने के जलए की जा रहय है।

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 नई मंजज़ल: यह दयनय मदरसा से जिक्षा प्राप्त छात्रों ि था मुख्य धारा के छात्रों के मध्य के िैक्षजणकाक
एवं कौिल संबंधय अंि राल कन पाटने के जलए एक सेि ु पाठ्यिम (bridge course) है।
 राज्य वक्फ़ बनिों का सिजक्तकरणका: इस यनजना का लक्ष्य राज्य वक्फ़ बनिों के प्रजिक्षणका ि था
प्रिासजनक व्य के जलए सहायि ा प्रदान करना, वक्फ़ संपजियों पर से अजि िमणका हटाना ि था
वक्फ़ बनिों के ज़ननल/रयजनल कायागलयों कन सुदढ़ृ ि ा प्रदान करना भय है।

3.7. LGBT समु दाय (LGBT Community)

स्त्रय-समलैंजगक, पुरुष-समलैंजगक, उभयहलगय और रांसजेंिर (Lesbian, gay, bisexual and


transgender: LGBT) लनगों कन पूरे जवश्व में ऐजि हाजसक रूप से भेद-भाव ि था हहसा का जिकार
हनि े रहे हैं ि था वि गमान में भय उन्हें इसका सामना करना पड़ रहा है। 2011 की जनगणकाना के अनुसार,
भारि में लगभग 6 लाख रांसजेंिर जनवास करि े हैं। भारि यय दंि संजहि ा की धारा 377 समलैंजगक
गजि जवजधयों कन अपराध की श्रेणकाय में रखि य है जजससे वे और भय अजधक सुभेद्य हन जाि े हैं। जनजि ा के
अजधकार पर ऐजि हाजसक जनणकागय देि े हुए, सवोच्च न्यायालय ने कहा कक LGBT जनसंख्या के अजधकार
“सुदढ़ृ संवैधाजनक जसद्धांि ों पर आधाठरि वास्ि जवक अजधकार” हैं। ि थाजप, उन्हें जवजवध समस्याओं का
सामना करना पड़ि ा है, जैसे कक-
 सामाजजक भेद-भाव, स्वि न्त्रि ा से वंजचि रखा जाना, रनज़गार ि था िैक्षजणकाक अवसरों की कमय,

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स्वास््य देखभाल सेवाओं ि क सयजमि पहुाँच इत्याकद।

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 बलाि ् या बंधुआ मज़दूरय, सावगजजनक स्थलों का उपयनग न करने देना, पठरवारों ि था ग्रामों में

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रहने से वंजचि रखा जाना इत्याकद।
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 िारयठरक, यौन, मौजखक, भावनात्मक ि था आर्थथक उत्पयड़न।


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 धमककयां, धलैकमेल ि था धारा 377 के नाम पर हहसा जजसके संबध


ं में कनई सहायि ा या समाधान
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प्राप्त नहीं हनि ा।


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वे सि ि भय ि था मननवैज्ञाजनक ि नाव के बयच जयवन यापन करि े हैं।


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 यद्यजप धारा 377 के अंि गगि अजभयनग के मामले दुलभ


ग हैं, इस क़ानून का उपयनग LGBT समुदाय
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के लनगों कन परे िान करने के जलए ककया जाि ा है।


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3.7.1 यनजनाएं (Schemes)


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SWEEKRUTI
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“SWEEKRUTI” उड़यसा सरकार द्वारा आरं भ की गयय एक अम्रेला यनजना है जजसे जवजवध उद्देश्यों
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के साथ जमिन मनि में संचाजलि ककया जाना है। रांसजेंिर व्जक्तयों के जलए समि ापूणकाग न्याय कन
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सुजनजिि करने के जलए SWEEKRUTI यनजना जनम्नजलजखि व्ापक उद्देश्यों पर फनकस करि य है:
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 राज्य के रांसजेंिर व्जक्तयों के जलए समान अवसर, समि ा एवं सामाजजक न्याय सुजनजिि करने
ि था उनके सिजक्तकरणका के जलए एक सक्षम वाि ावरणका ि ैयार करना।
 रांसजेंिर व्जक्तयों के प्रभावय सामाजजक समेकन कन सुजनजिि करने हेि ु स्वैजच्छक कारग वाई और
सभय जहि धारकों की प्रजि भाजगि ा कन प्रनत्साजहि करना।
 राज्य में रांसजेंिर व्जक्तयों के अजधकारों और पात्रि ा के संरक्षणका के जलए आउटरयच गजि जवजधयों
का जवस्ि ार करना।
 रनजगार, रनजगार एवं अन्य सामाजजक-िैजक्षक सेवाओं के जलए रांसजेंिर व्जक्तयों के व्जक्तगि
और सामूजहक प्रयासों कन प्रनत्साजहि करना।

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 राज्य की वि गमान कायागन्वयन व्वस्था कन सुदढ़ृ करना और सभय रांसजेंिरों कन कवर करने के
जलए सुजवधाओं का जवकास करना।
इस यनजना का दृजष्टकनणका रांसजेंिरों के पुनवागस हेि ु आवश्यक सभय जवजवध सेवाओं कन उपलधध कराना
है। समाज की मुख्यधारा में रांसजेंिर व्जक्तयों कन सजम्मजलि करने ि था उनकी क्षमि ाओं कन
वास्ि जवकि ा में पठरणकाि करने के दृजष्टकनणका से जनम्नजलजखि प्रमुख रणकानयजि यों पर जनर हनगा:
 सवेक्षणका करना और राज्य में सभय रांसजेंिर व्जक्तयों की पहचान करना और उन्हें प्रमाणकापत्र,
बहुउद्देियय स्माटग कािग आकद जारय करना।
 रांसजेंिर बच्चों के माि ा-जपि ा कन सहायि ा देना और जिक्षा प्राप्त कर रहे सभय रांसजेंिर बच्चों के
जलए मैठरक-पूवग एवं मैठरकनिर छात्रवृजि का प्रावधान।
 कौिल उन्नयन एवं उद्यजमि ा जवकास प्रजिक्षणका, स्व रनजगार ककट की आपूर्थि और स्वयं सहायि ा
समूह कन सुदढ़ृ बनाना।
 रांसजेंिरों के जलए किठटकल हेल्थ के यर और सामूजहक बयमा सहायि ा के जलए समथगन।
 कठिनाई में फाँ से रांसजेंिर व्जक्तयों के जलए कानूनय सहायि ा, परामिग और मागगदिगन सेवाओं का
प्रावधान।
 सामुदाजयक जागरूकि ा का सृजन; रांसजेंिरों के अजधकारों के संबंध में लनगों कन संवेदनियल
बनाना और इस संबंध में अजभयान चलाना; ि था कमगचाठरयों व स्वयंसेवकों कन प्रजिक्षणका देना।

3.7.2. भारि में LGBT समु दाय के जहि ों कन प्रनत्साजहि करने के जलए सरकार/

)
न्यायपाजलका की पहल

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(Initiatives by Government/Judiciary to Promote Interests of LGBT Community in

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India)
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 NALSA मामले में सुप्रयम कनटग ने रांसजेंिरों की पहचान वैध ि यसरे हलग के रूप में की और उनके
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साथ समान व्वहार कन सुजनजिि करने के जलए सरकार से अपयल की।


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 इसने इस ‘अजधकारहयन’ वगग के जलए OBC कनटा के अंि गगि आरक्षणका के अवसर कन संभव बनाया
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है।
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 उड़यसा रांसजेंिर कन सामाजजक कल्याणका लाभ प्रदान करने वाला प्रथम राज्य बन गया– जैसे कक
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वेि न, आवास और अनाज– प्रायिः जजनका आवंटन के वल सवागजधक गरयब लनगों के जलए ककया
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जाि ा है।
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 LGBT समुदायों के अजधकारों कन संरक्षणका प्रदान करने के जलए संसद में रांसजेंिर व्जक्त
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(अजधकार संरक्षणका) जवधेयक, 2016 पेि ककया गया है।


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 सरकार द्वारा आरं भ की गयय साजथया यनजना, जिष्टि ा और बुजद्धमिा से समान-हलग आकषगणका कन
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संबनजधि करि य है और व्ाख्या करि य है कक अपने समान हलग वाले व्जक्त के प्रजि आकषगणका
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महसूस करना गलि नहीं है।

3.8. जनधग न लनग (Poor Persons)

जनधगन लनग संसाधन जुटाने में अपने असाम्यग के कारणका कई समस्याओं का सामना करि े हैं, चाहे वह –
स्वास््य देखभाल हन, जिक्षा हन, मननरं जन हन, जयवन की बेहि र गुणकाविा हन या कफर कु छ और। इससे
उन्हें जनधगनि ा के दुष्चि में फाँ से रहना पड़ि ा है जहााँ कम पैसा हनने के कारणका वे बेहि र जिक्षा प्राप्त करने
में सक्षम नहीं हन पाि े हैं, जजससे उन्हें कम मजदूरय वाला काम करना पड़ि ा है या बेरनजगार हय रहना

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पड़ि ा है। इससे उनकी जनधगनि ा बनय रहि य है और वे जनधगनि ा के जंजाल से बाहर जनकलने में सक्षम
नहीं हन पाि े हैं।

3.8.1. जनधग न लनगों के जलए यनजनाएं (Schemes for Poor Persons)

मनरे गा (MGNREGA)

महात्मा गााँधय नरे गा (NREGA) या मनरे गा सरकार का प्रमुख रनजगार सृजन कायगिम है। यह
रनजगार के अवसर उत्पन्न करने और समाज के ऐसे वंजचि वगों एवं गरयबों कन अजि ठरक्त आय प्रदान
करने में महत्वपूणकाग भूजमका जनभाि ा है जन स्वैजच्छक रूप से अकु िल काम करना चाहि े हैं। इसके ि हि
प्रत्येक जवियय वषग में प्रत्येक पंजयकृ ि ग्रामयणका पठरवार कन 100 कदनों की मजदूरय वाला अकु िल काम
या रनजगार प्रदान ककया जाि ा है।
अपेजक्षि लाभाथी
 ग्रामयणका आबादय
 अकु िल मैन्युअल श्रजमक
 मौसमय बेरनजगार
मुख्य जविेषि ाएं
 मजदूरों कन ि य सांजवजधक न्यूनि म मजदूरय प्रदान की जाि य है।
 सुभेद्य समूहों के जलए सुदढ़ृ सामाजजक सुरक्षा संजाल।
 कृ जष अथगव्वस्था के रनजगार का संधारणकायय जवकास जन सूखा, वनों की कटाई और जमट्टय के

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कटाव, जल और मृदा संरक्षणका, वनयकरणका और भूजम जवकास कायों कन संबनजधि करि ा है।

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 60:40 मजदूरय और सामग्रय अनुपाि बनाए रखा जाना आवश्यक है। कांरेक्टर और यंत्रों की 9@
अनुमजि नहीं है।
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 कें द्र सरकार अकु िल िारयठरक श्रम की 100 प्रजि िि मजदूरय और कु िल व अकु िल श्रजमकों की
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मजदूरय समेि सामग्रय लागि का 75 प्रजि िि वहन करि य है।


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 कम से कम एक जि हाई लाभाथी मजहलाएं होंगय।


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 ग्राम सभा द्वारा सामाजजक लेखा ककया जाि ा है।


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मनरे गा का जनष्पादन मूल्यांकन


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मनरे गा पर िनध अध्ययनों ने इस यनजना के कई सकारात्मक प्रभावों कन इं जगि ककया है। ये


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जनम्नजलजखि हैं:
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 मनरे गा ने जनम्नजलजखि में सहायि ा की है:


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o मजदूरय ि लािने वालों की मनल-भाव िजक्त में वृजद्ध करना।


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जविेषरूप से वाटरिेि गजि जवजधयों में आर्थथक पठरणकाामों में सुधार करना।
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कष्टदाई ग्रामयणका-िहरय प्रवासन कन कम करना।


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o ग्रामयणका पठरवारों के माजसक प्रजि व्जक्त खपि व्य में उल्लेखनयय वृजद्ध करना।
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 यह अनुसूजचि जाजि (SC) और अनुसूजचि जनजाजि (ST) सजहि अन्य अजधकारहयन समूहों से
अजधक प्रजि भाजगि ा के साथ स्व-लक्ष्ययकरणका कायगिम के रूप में सफल हन रहा है।
 SC और ST के मामले में, प्रजि भाजगि ा दर उनकी कु ल आबादय की जहस्सेदारय से अजधक हन गयय
है।
 इसने मजदूरय के परं परागि लैंहगक आधार पर मजदूरय संबंधय भेदभाव कन कम ककया है, जविेषि िः
सावगजजनक कायों में। इसने मजहलाओं की सामाजजक-आर्थथक जस्थजि पर सकारात्मक प्रभाव िाला
है।

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 मनरे गा अपने अंि र-क्षेत्रक दृजष्टकनणका के कारणका जवजभन्न कायगिमों के साथ अजभसरणका हेि ु एक
अवसर प्रदान करि ा है और सावगजजनक जनवेि कन इष्टि म करि ा है।
 आर्थथक जवकास और अन्य कारणकाों से हनने वाले प्रवासन की ि ुलना में कष्टदाई प्रवासन कन कम
करने में मनरे गा ने अजधक प्रत्यक्ष एवं सकारात्मक प्रभाव िाला है।
 यह आय के पूरक स्रनि के रूप में भय महत्वपूणकाग है एवं ग्रामयणका पठरवारों द्वारा अपना उद्यम आरं भ
करने के जलए इसका उपयनग ककया जा रहा है।
अलग-अलग स्थानों पर मनरे गा के कायागन्वयन में पायय गयय कु छ कजमयााँ :
 भले हय मनरे गा अजधजनयम पंचायि कें कद्रि और मांग पर आधाठरि है, पर वास्ि जवकि ा में, यनजना
जनमागणका में ग्राम सभा/ग्राम पंचायि की प्रमुख भूजमका नहीं रहय है।
 सभय सैंपल स्थलों पर, यनजना जनमागणका में ग्राम सभा की भूजमका औपचाठरक प्रकृ जि की रहय है और
कायगिम कन आपूर्थि प्रेठरि मनि में कायागजन्वि ककया जा रहा है ि था पंचायि प्रेठरि कायग चयन की
कमय है।
 मनरे गा के अंि गगि , सामुदाजयक पठरयनजनाओं की आवश्यकि ा कम महत्वपूणकाग हनि य जा रहय है
क्योंकक संभवि िः ऐसे काम पहले हय पूरे हन चुके हैं या पठरपूणकागि ा की कगार पर हैं या इन क्षेत्रों
सामान्य रूजच की कमय के कारणका और इसकी बजाय खेि ों में व्जक्तगि गजि जवजधयों कन
प्राथजमकि ा दय जाि य है।
 कु छ स्थानों पर मनरे गा के अंि गगि व्जक्तगि गजि जवजधयों के जलए लाभार्थथयों द्वारा बाजार और
मनरे गा की मजदूठरयों के अंि र का भुगि ान ककया जा रहा है।
 कु छ स्थानों पर मनरे गा के कायों में के वल मजहलाओं कन कदलचस्पय है क्योंकक पुरुषों के जलए

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बाजार में मजदूरय की दर कहीं अजधक है, इसके पठरणकाामस्वरूप बड़े प्रनजेक्ट की बजाय के वल छनटे

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काम जलये जा रहे हैं। 9@
कु छ ऐसे मामले भय हैं जहां प्रकियाओं का सहय ढंग से पालन नहीं ककया जा रहा है, उजचि
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जनयनजन की कमय और कु छ व्थग की पठरयनजनाएं भय हैं।


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 एकल लाभार्थथयों और के वल मनरे गा जनजध का उपयनग करने के जलए ग्राम पंचायि ों द्वारा कायों
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कन आरं भ करने के भय कई उदाहरणका हैं।


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रनजगार के प्रावधान में मौसमय पहलू कन भय नजरअंदाज कर कदया गया था और कु छ जजलों में
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वेि न के भुगि ान में दन महयनों ि क की देरय भय हुई थय।


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जनष्कषग
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यद्यजप आमि ौर पर मनरे गा अपने उद्देश्य की पूर्थि करने में सफल रहा है, ि थाजप इस कायगिम कन और
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अजधक उपयनगय और जवकास उन्मुख बनाने के जलए बेहि र प्रबंधन ि था इसमें और अजधक संिनधन की
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आवश्यकि ा है। कु छ स्थानों पर, इस कायगिम का उपयनग पयगटन के जवकास के जलए भय करने की
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गुंजाइि है क्योंकक उन स्थानों पर समुदाय से संबंजधि अन्य कृ जष-भूजम गजि जवजधयों कन अब ि क पूरा
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ककया जा चुका है। इससे के वल एक या कु छ लाभार्थथयों के स्थान पर अनेक लाभाथी होंगे और यहां ि क
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कक राष्ट्र जनमागणका में भय इससे सहायि ा जमल सकि य है।


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4. जवजभन्न अन्य यनजनाओं की उपलजधधयां


(Performance of Various Other Schemes)

4.1. राष्ट्रयय ग्रामयणका स्वास््य जमिन (National Rural Health Mission: NRHM)

NRHM के आगमन के साथ, भारि ने ग्रामयणका गरयबों कन वहनयय स्वास््य सुजवधाएाँ प्रदान करने में
उल्लेखनयय उपलजधधयां प्राप्त की हैं और इसके साथ-साथ

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 पूरे देि में स्वास््य प्रणकाालय में 1.56 लाख स्वास््य के जलए मानव संसाधनों कन जनड़ा (जसि ंबर
2013 ि क)।
 NRHM की अवजध के दौरान, लगभग सभय राज्यों में संस्थागि प्रसव में काफी वृजद्ध हुई है।
 भारि के सभय राज्यों में अजधकांि नवजाि जििुओं का टयकाकरणका ककया गया।
 इस अवजध के दौरान सभय स्ि रों पर NRHM जनजधयों के उपयनग में सुधार हुआ है।
 NRHM के ि हि जवके न्द्रयकरणका के कारणका उप-के न्द्रों (SCs) और सावगजजनक स्वास््य के न्द्रों
(PHCs) ने िि ग-रजहि अनुदानों का उपयनग करना आरं भ कर कदया।
हालांकक, जवजभन्न अध्ययनों और ठरपनटों में कु छ समस्याएं भय बि ाई गईं हैं जन जनम्नजलजखि हैं:
 भौजि क अवसंरचना: NRHM की स्थापना के बाद से, भारि में ग्रामयणका स्वास््य सेवाओं के अंि गगि
बड़य संख्या में CHCs, PHCs और SCs कन सजम्मजलि ककया गया है। हालांकक, 24x7 के आधार
पर CHCs, PHCs और SCs की कायगप्रणकाालय अभय भय आवश्यकि ा से कम है। अवसंरचना भय
भारि यय सावगजजनक स्वास््य मानकों (IPHS) के मानदंिों से पयागप्त कम है।
 मानव संसाधन: लगभग सभय राज्यों में जविेषज्ञों/स्नाि कनिर िॉक्टरों, स्त्रय रनग जविेषज्ञों, स्टाफ
नसों और जनिेि कों (anesthetists) की कमय के साथ-साथ सावगजजनक स्वास््य संस्थानों में
मानव संसाधनों की कमय है।
 परामिग और आपाि कालयन पठरवहन: यह प्रणकाालय मध्य प्रदेि, झारखंि, असम और ि जमलनािु

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जैसे कु छ राज्यों में काफी कु िलि ापूवगक काम करि य प्रि यि हनि य है। हालांकक, उिर प्रदेि, उड़यसा

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और जम्मू-कश्मयर के अजधकांि जजलों में मनबाइल स्वास््य इकाईयां (Mobile Medical Units)

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काम नहीं कर रहीं हैं। इसके अजि ठरक्त, अक्षम आपाि कालयन पठरवहन प्रणकाालय स्वास््य देखभाल 9@
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सुजवधाओं की पहुंच में बाधा िाल रहय है।


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 जचककत्सालय अनुरक्षणका: कई जजलों में साफ-सफाई, कपड़े धनने, खान-पान इत्याकद जैसय गौणका
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सेवाएं भय आउटसनसग नहीं की गई हैं।


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सुजवधाओं के सभय स्ि रों पर स्टाफ नसों की कमय के चलि े सेवाओं की गुणकाविा गंभयर रूप से
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प्रभाजवि हुई है। स्वच्छि ा, जबजलय, पेय जल आकद जैसय आधारभूि सुजवधाओं के अभाव के कारणका
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नवजाि जििुओं कन जन्म देने वालय मजहलाएं, प्रसव के बाद न्यूनि म 48 घंटे ि क भय अस्पि ालों में
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नहीं रहि य हैं।


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क्षमि ा जनमागणका: हालांकक सभय राज्यों में प्रजिजक्षि आिा (ASHA) कायगकि ागओं की जनयुजक्त की
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जाि य है, कफर भय कु छ राज्यों में उन्हें उजचि ि रयके से प्रजिजक्षि नहीं ककया जाि ा है और कु छ
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राज्यों में, आिा कायगकि ागओं के चयन के जलए जनधागठरि कदिाजनदेिों का उजचि अनुपालन नहीं
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ककया जाि ा है। जवद्यमान प्रजिक्षणका अवसंरचना जैसे मेजिकल कॉलेज, नर्ससग रेहनग इं स्टयट्यूट आकद
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अवसंरचना के आवश्यक स्ि र से मेल नहीं खाि े हैं। इसके अजि ठरक्त, जचककत्सा और स्वास््य प्रबंधन
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कर्थमयों के जलए जनयुजक्तयों और स्थानांि रणका नयजि यों का कनई ि ार्दकक आधार नहीं है जजससे
स्वास््य देखभाल की जवश्वसनययि ा और जनरं ि रि ा प्रभाजवि हनि य है।

4.2. प्रधान मं त्रय उज्ज्वला यनजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana: PMUY)

 प्रधान मंत्रय उज्ज्वला यनजना के ि हि , सरकार का उद्देश्य देि में गरयबय रे खा से नयचे के (BPL)
पठरवारों कन LPG कनेक्िन प्रदान करना है ि ाकक भारि के ग्रामयणका क्षेत्रों में खाना पकाने में
उपयनग ककए जाने वाले अस्वच्छ ईंधन कन स्वच्छ व अजधक प्रभावय LPG (ि रलयकृ ि पेरनजलयम
गैस) से प्रजि स्थाजपि ककया जा सके ।

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 2018 में, कें द्र ने LPG कनेक्िन प्रदान करने के अपने लक्ष्य कन पांच करनड़ पठरवारों से आि
करनड़ पठरवारों में संिनजधि कर कदया था।
 इस यनजना के ि हि अब ि क लगभग चार करनड़ (3,98,77,723) कनेक्िन प्रदान ककए गए हैं,
जजनमें से लगभग 80 लाख कनेक्िन जपछले पांच महयनों में हय प्रदान ककए गए हैं।

4.3. जवजभन्न यनजनाओं की जनगरानय में सु धार के जलए हाल में की गईं पहलें

(Recent Initiatives for Improving Monitoring of Various Schemes)


 यनजना जनमागणका में पृथक्कृ ि दृजष्टकनणका के जवपरयि एक क्षेत्र-व्ापय दृजष्टकनणका की कदिा में
स्थानांि रणका हुआ है। इसके ि हि एक हय ि रह की यनजनाओं कन एकीकृ ि ककया गया है और
यनजनाओं के कायागन्वयन में राज्यों कन एक बड़य भूजमका प्रदान की गयय है, जजसने यनजनाओं की
प्रभावकाठरि ा में वृजद्ध की है।
 जनगरानय करने (गवग और स्वच्छ भारि िैिबनिग), जवाबदेहय कन जनधागठरि करने (PRAGATI)
और सावगजजनक अंि र्दिया कन जवस्ि ाठरि करने (MyGoV) में ि कनयकों के बढ़ि े उपयनग के साथ
जिलयवरय में आने वाले अवरनधों कन भय संबनजधि ककया गया है।
 सनिल मयजिया और रे जियन कायगिम के माध्यम से प्रधानमंत्रय की भागयदारय सजहि सकिय संवाद
से कई कल्याणकाकारय यनजनाओं के जवषय में जागरूकि ा और भागयदारय में वृजद्ध हुई है।

4.4. आगे की राह (Way Forward)

सामाजजक और कल्याणका संकेि कों पर आर्थथक जवकास के प्रभाव में सुधार करने के जलए, सामाजजक

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सुरक्षा कायगिमों में मुख्य प्रिासजनक और संचालन अक्षमि ाओं कन संबनजधि ककया जाना चाजहए। इसे

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सामाजजक कल्याणका के बजट कन बहुि अजधक बढ़ाये जबना प्राप्त ककया जा सकि ा है और इसके

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पठरणकाामस्वरूप दक्षि ा में भय वृजद्ध हनगय। 9@
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5. इन सु भे द्य वगों की सु र क्षा और बे ह ि रय के जलए गठिि ि ं त्र ,
कानू न , सं स्थान और जनकाय
(Mechanisms, laws, institutions and Bodies constituted for the protection and
betterment of these vulnerable sections)

5.1. सु भे द्य वगों के जलए भारि में जवद्यमान ि ं त्र

(Mechanisms Existing in India for Vulnerable Sections)


सुभेद्य वगग के प्रजि सामाजजक न्याय कन सुजनजिि करने के जलए जवजभन्न ि ंत्र जनम्नजलजखि हैं-
 सरकार और उनकी कायागन्वयन एजेंजसयों द्वारा िुरू की गई जवजभन्न यनजनाएं
 जवधायय जनकायों द्वारा पाठरि जवजभन्न कानून
 सरकार द्वारा लायय गई जवजभन्न नयजि यां
 इन समूहों के कल्याणका के जलए स्थाजपि जवजभन्न जनकाय
 इन समूहों के अजधकारों के प्रवि गन की मांग करने और अपराध के जखलाफ न्याय की मांग करने के
जलए न्यायपाजलका।

5.2. सु भे द्य वगों की बे ह ि रय से सं बं जधि कानू न

(Laws Pertaining to Betterment of Vulnerable Sections)

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5.2.1. बच्चे (Children)

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ै ाजनक प्रावधान
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अनुच्छेद 15 (3): राज्य बच्चों की उन्नजि के जलए जविेष प्रावधान कर सकि ा है।
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 अनुच्छेद 21 A: राज्य छह से चौदह वषग के सभय बच्चों कन जन:िुल्क और अजनवायग जिक्षा प्रदान
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करे गा।
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 अनुच्छेद 23: ि स्करय ककए जाने और बंधुआ मज़दूरय के जलए मजबूर ककए जाने से संरजक्षि ककए
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जाने का अजधकार।
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 अनुच्छेद 24: कारखानों में 14 वषग से कम आयु के बच्चों के जनयनजन का जनषेध।


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 अनुच्छेद 45: राज्य छह वषग से काम आयु के बालकों के प्रारं जभक बचपन की देखभाल और जिक्षा
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का उपबंध करे गा।


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बच्चों से संबजं धि कानून (Legislations Related to Children)


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 बाल श्रम (जनषेध और जवजनयमन) अजधजनयम, 1986


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इसके जनम्नजलजखि दनहरे उद्देश्य हैं-


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o यह कु छ उद्यमों में बच्चों की जनयुजक्त कन प्रजि बंजधि करने के जनजमि है


o और जजन अन्य उद्यमों में बच्चों कन काम करने की अनुमजि है, वहााँ कायग की पठरजस्थजि यों कन
जनयंजत्रि करि ा है।
 पूवग गभागधान और प्रसव पूवग जनदान ि कनयक (हलग चयन का प्रजि षेध) अजधजनयम, 1994
(PCPNDT अजधजनयम, 1994)
o इस अजधजनयम कन गभगधारणका से पूवग या पिाि हलग चयन कन जनषेध करने के जलए और हलग
जनधागरणका करने के जलए गभगधारणका-पूवग व प्रसव-पूवग नैदाजनक ि कनयकों के दुरुपयनग की
रनकथाम के जलए अजधजनयजमि ककया गया था।

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 ककिनर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षणका) अजधजनयम, 2015- यह देखभाल एवं संरक्षणका की
आवश्यकि ा वाले बच्चों और जवजध से संघषगरि बच्चों, दननों के जलए, सुदढ़ृ प्रावधानों की व्वस्था
करि ा है। कु छ प्रमुख प्रावधानों में सजम्मजलि हैं:
o िधदावलय में ‘ककिनर’ से ‘बच्चे’ या ‘कानून के साथ संघषग कर रहे बच्चे’ में पठरवि गन।
o कई नई पठरभाषाओं का समावेिन जैसे अनाथ, पठरत्यक्त व आत्मसमर्थपि बच्चे और बच्चों
द्वारा ककए गए छनटे, गंभयर और जघन्य अपराध;
o ककिनर न्याय बनिग (JJB) और बाल कल्याणका सजमजि (CWC) की िजक्तयों, कायग और
जजम्मेदाठरयों में स्पष्टि ा;
o ककिनर न्याय बनिग (JJB) द्वारा पूछि ाछ के जलए स्पष्ट समय सयमा;
o सनलह वषग की आयु से ऊपर के बच्चों द्वारा ककए गए जघन्य अपराधों के जलए जविेष प्रावधान;
o अनाथ, पठरत्यक्त और आत्मसमर्थपि बच्चों के अजभग्रहणका कन सारं बनाने के जलए अजभग्रहणका पर
ख़ास नए प्रकरणका;
o बच्चों के जवरुद्ध ककए गए नए अपराधों का समावेिन; और बाल देखभाल संस्थानों का
अजनवायग पंजयकरणका।
 यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षणका के जलए अजधजनयम, 2012
o यह 18 वषग से कम आयु के व्जक्तयों के जखलाफ यौन अपराधों से संबंजधि है, जजन्हें बच्चा
समझा जाि ा है।
o यह यौन िनषणका, यौन उत्पयड़न और अश्लयल साजहत्य जैसे यौन अपराधों के जलए दंि का

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प्रावधान करि ा है।

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 बाल अजधकार संरक्षणका आयनग अजधजनयम, 2005

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o भारि ने वषग 1992 में संयुक्त राष्ट्र बाल अजधकार सम्मेलन की पुजष्ट की है और इस अजधजनयम कन
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देि के बच्चों के अजधकारों के संरक्षणका के जलए आवश्यक कदमों में से एक के रूप में पाठरि ककया
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गया था। यह राष्ट्रयय बाल अजधकार संरक्षणका आयनग की स्थापना करि ा है।
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 बाल जववाह जनषेध अजधजनयम, 2006


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o यह अजधजनयम बाल जववाह कन अवैध मानि ा है और इसके जलए दंि का प्रावधान करि ा है।
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o इस अजधजनयम के अनुसार, बालक से अजभप्राय एक ऐसे पुरुष से है जजसने इक्कीस वषग की


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आयु पूरय नहीं की है और एक ऐसय मजहला से है जजसने अिारह वषग की आयु पूरय नहीं की है।
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अन्य प्रपत्र
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 राष्ट्रयय बाल नयजि , 2013


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इस नयजि ने एकाग्र अवधान के जलए चार प्रमुख प्राथजमक क्षेत्रों की पहचान की है:
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उिरजयजवि ा, स्वास््य व पनषणका; जिक्षा व जवकास; संरक्षणका और भागयदारय।


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चूंकक बच्चों की जरूरि ें बहु-क्षेत्रयय, परस्पर संबद्ध हनि य हैं और इन्हें सामूजहक कारग वाई की
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आवश्यकि ा हनि य है, यह नयजि िासन के जवजभन्न क्षेत्रों और स्ि रों में उद्देश्यपूणकाग अजभसरणका
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और समन्वय की मांग करि य है।


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 ‘बाल अजधकार’ पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन


 अंि र-देियय अजभग्रहणका पर हेग समझौि ा, 1993

5.2.2. मजहलाएं (Women)

संवध
ै ाजनक प्रावधान (Constitutional Provisions)
 अनुच्छेद 15 (3): राज्य मजहलाओं के जलए जविेष प्रावधान कर सकि ा है।
 अनुच्छेद 23: दुव्यागपार और बालाि ् श्रम के जलए जववि ककए जाने से संरजक्षि हनने का अजधकार।

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 अनुच्छेद 39 (a): राज्य यह सुजनजिि करे गा कक, पुरुषों और मजहलाओं के जलए समान रूप से,
आजयजवका के जलए पयागप्त साधनों का अजधकार हन।
 अनुच्छेद 39 (d): राज्य मजहलाओं के जलए समान कायग के जलए समान वेि न सुजनजिि करे गा।
 अनुच्छेद 42: कायग की उजचि और मानवयय जस्थजि यों और माि ृत्व राहि के जलए प्रावधान।
 अनुच्छेद 243D: मजहलाओं के जलए सभय स्ि रों पर पंचायि ों में सयटों के आरक्षणका के जलए प्रावधान
करि ा है।

मजहलाओं से संबजं धि कानून (Legislations Related to Women)

 माि ृत्व लाभ (संिनधन) अजधजनयम, 2017 - 26 माह के भुगि ानयुक्ि माि ृत्व लाभ का प्रावधान
करि ा है।
 दहेज प्रजि षेध अजधजनयम, 1961- दाजण्िक प्रावधान प्रदान करके दहेज प्रथा का उन्मूलन करने के
जलए।
 अनैजि क दुव्यागपार (रनकथाम) अजधजनयम 1986 - मजहलाओं के दुव्यागपार के जलए दाजण्िक
प्रावधान।
 मजहलाओं का अश्लयल जनरूपणका (जनषेध) अजधजनयम 1986 - मजहलाओं की गठरमा की रक्षा करने के
जलए।
 सि य प्रथा (रनकथाम) अजधजनयम 1987 - सि य प्रथा कन समाप्ि ककया।

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 राष्ट्रयय मजहला आयनग अजधजनयम 1990 – राष्रयय मजहला आयनग की स्थापना करि ा है।

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 घरे लू हहसा से मजहलाओं की सुरक्षा अजधजनयम, 2005 - मजहलाओं कन घरे लू हहसा से बचाने के

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जलए।
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 कायगस्थल पर मजहलाओं का यौन उत्पयड़न अजधजनयम, 2013 - यह कायगस्थल पर यौन उत्पयड़न


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कन संबनजधि करि ा है।


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अन्य प्रपत्र
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 मजहलाओं के जवरूद्ध भेदभाव के सभय रूपों के उन्मूलन पर संयुक्त राष्ट्र अजभसमय


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5.2.3. अनु सू जचि जाजि , अनु सू जचि जनजाजि और अन्य जपछड़ा वगग
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(Scheduled Castes, Scheduled Tribes and Other Backward Classes)


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संवध
ै ाजनक प्रावधान (Constitutional Provisions)
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अनुच्छेद 15 (4): राज्य SC/ST के जलए जविेष प्रावधान कर सकि ा है।


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अनुच्छेद 16 (4): राज्य अनुसजू चि जाजि /अनुसूजचि जनजाजि यों के जलए जनयुजक्तयों/पदों में
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आरक्षणका का प्रावधान कर सकि ा है।


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 अनुच्छेद 17: ककसय भय रूप में अस्पृश्यि ा और उसके व्यवहार कन समाप्त करि ा है।
 अनुच्छेद 46: SC, ST और कमजनर वगों के िैजक्षक और आर्थथक जहि ों का संवधगन।
 अनुच्छेद 243D: SC/ST उम्मयदवारों के जलए पंचायि ों में सयटों का आरक्षणका।
 अनुच्छेद 275: जनजाि यय कल्याणका के जलए राज्यों कन जविेष सहायि ा अनुदान।
 अनुच्छेद 335: िैजक्षक संस्थानों में प्रवेि या पदनन्नजि के जलए अहगि ा प्राप्तांकों में छू ट।
 संजवधान का अनुच्छेद 330 और 332 लनकसभा और राज्यों की जवधाजयकाओं में अनुसूजचि
जाजि यों और अनुसूजचि जनजाजि यों के पक्ष में सयटों के आरक्षणका का प्रावधान करि ा है।

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SC, ST और OBC से संबजं धि कानून (Legislations Related to SCs, STs and OBCs)
 नागठरक अजधकार संरक्षणका अजधजनयम, 1955- यह अस्पृश्यि ा के जलए दाजण्िक प्रावधान प्रदान
करि ा है।
 अनुसूजचि जाजि /अनुसूजचि जनजाजि (अत्याचार जनवारणका) अजधजनयम- यह अनुसूजचि जाजि यों
और अनुसूजचि जनजाजि यों के सदस्यों के प्रजि अत्याचारों कन लजक्षि करि ा है।
 बंधुआ मज़दूरय प्रथा (उन्मूलन) अजधजनयम, 1976 - बंधुआ श्रम का उन्मूलन करि ा है।
 अनुसूजचि जाजि और अनुसूजचि जनजाजि (अत्याचार जनवारणका) अजधजनयम, 1989 - (ऊपर
उजल्लजखि )
 वन अजधकार अजधजनयम 2006 - वनभूजम रखने और में रहने के अजधकारों कन मान्यि ा देि ा है।
 पंचायि ों का प्रावधान (अनुसूजचि क्षेत्रों में जवस्ि ार) अजधजनयम, 1996 - यह पंचायि ों से संबंजधि
संजवधान के भाग IX के प्रावधानों का अनुसूजचि क्षेत्रों में जवस्ि ार का प्रावधान करने वाला
अजधजनयम है।

5.2.4. वठरष्ि नागठरक/वयनवृ द्ध (Senior Citizens/ Aged)

संवध
ै ाजनक प्रावधान (Constitutional Provisions)
 राज्य सूचय की मद संख्या 9 व समवि ी सूचय की मद संख्या 20, 23 और 24 सामाजजक सुरक्षा
और सामाजजक बयमा, वृद्धावस्था पेंिन और आर्थथक और सामाजजक जनयनजन से संबंजधि हैं।

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 अनुच्छेद 41: राज्य बुजुगों के अजधकारों जविेष रूप से सामाजजक सुरक्षा के अजधकारों की रक्षा

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करे गा।

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वठरष्ठ नागठरकों/वयनवृद्धों से संबजं धि कानून (Legislation Related to Aged/Senior Citizens)
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 माि ा-जपि ा और वठरष्ठ नागठरकों का भरणका-पनषणका और कल्याणका अजधजनयम, 2007


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o बच्चों का अपने माि ा-जपि ा का भरणका-पनषणका करने का दाजयत्व ि ाकक ऐसे माि ा-जपि ा
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सामान्य जयवन जय सकें ।


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o ककसय भय व्जक्त या संबंधय का वठरष्ठ नागठरकों का भरणका-पनषणका का दाजयत्व बिि े कक उक्ि


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व्जक्त/संबंधय ऐसे वठरष्ठ नागठरक की संपजि का कधजाधारय है या उसकी संपजि का


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उिराजधकारय है।
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अन्य प्रपत्र
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 वठरष्ठ नागठरकों पर राष्ट्रयय नयजि 2011-


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यह वि गमान नयजि यों के कायागन्वयन पर कें कद्रि है जजनमें सजम्मजलि हैं:


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o माि ा-जपि ा और वठरष्ठ नागठरकों का भरणका-पनषणका अजधजनयम, 2007 के प्रजि जागरूकि ा का


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सृजन
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o वठरष्ठ नागठरकों के जलए हेल्पलाइन स्थाजपि करना


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वठरष्ठ नागठरकों के जलए राष्ट्रयय आयनग की स्थापना करना, और


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o वयनवृद्धों के जलए राष्ट्रयय रस्ट की स्थापना करना।

5.2.5. जवकलां ग व्यजक्त (Disabled Persons)

संवध
ै ाजनक प्रावधान (Constitutional Provisions)
 प्रस्ि ावना, अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 21 और DPSP सभय व्यजक्तयों के जलए समानि ा, न्याय और
गठरमा का अजधकार प्रदान करि े हैं जन समावेिय जवकास का मागग प्रिस्ि करि ा है जजसमें
जवकलांग व्जक्त भय सजम्मजलि हैं।

39 www.visionias.in ©Vision IAS


जवकलांग व्जक्तयों के जलए अजधजनयजमि कानून (Legislations Enacted for Disabled
Persons)
 भारि यय उन्मिि ा अजधजनयम, 1912
 कु ष्िरनगय अजधजनयम, 1899
 जवकलांग व्जक्तयों का अजधकार अजधजनयम, 2016
 ऑठटज़्म, सेरेरल पाल्सय, मानजसक मंदि ा और एकाजधक जवकलांगि ा वाले व्जक्तयों के कल्याणका के
जलए राष्ट्रयय रस्ट अजधजनयम, 1999
 भारि का पुनवागस पठरषद अजधजनयम, 1992
 मानजसक स्वास््य सेवा अजधजनयम, 2017
अन्य प्रपत्र
 जवकलांग व्जक्तयों के अजधकारों पर संयुक्ि राष्र अजभसमय और इसका वैकजल्पक प्रनटनकॉल

5.2.6. अल्पसं ख्यक (Minorities)

संवध
ै ाजनक प्रावधान (Constitutional Provisions)
 प्रस्ि ावना: न्याय - अपने सभय नागठरकों के जलए सामाजजक, आर्थथक ि था राजनयजि क न्याय
 अनुच्छेद 14,15 और 16: समानि ा के अजधकार की गारं टय देि े हैं और भेदभाव जनजषद्ध करि े हैं
 अनुच्छेद 25-28: धमग की स्वि ंत्रि ा का अजधकार

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 अनुच्छेद 29: भाषा, जलजप और संस्कृ जि का संरक्षणका करने का अजधकार और यह कक उन्हें अपने

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मूलवंि, भाषा, धमग या जाजि के आधार पर िैजक्षक संस्थानों में प्रवेि से वंजचि नहीं ककया जाएगा
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 अनुच्छेद 30: िैजक्षक संस्थानों की स्थापना और प्रिासन करने करने का अजधकार और राज्य द्वारा
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ऐसे संस्थानों कन सहायि ा अनुदान प्रदान करने के प्रकरणकाों में ककसय भय भेदभाव पर प्रजि बंध
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अल्पसंख्यकों से संबजं धि कानून (Laws Related to Minorities)


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 जवजभन्न व्जक्तगि कानून जवजभन्न धमों से संबंजधि व्जक्तयों के जववाह, ि लाक और उिराजधकार
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अजधकारों कन जनयंजत्रि करि े हैं, जैसे कक - भारि यय ईसाई जववाह अजधजनयम, 1872; पेठरस
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जववाह और ि लाक अजधजनयम 1936


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 राष्रयय अल्पसंख्यक िैजक्षक संस्थान आयनग अजधजनयम, 2004 - यह अजधजनयम कें द्रयय
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जवश्वजवद्यालयों से अल्पसंख्यक िैजक्षक संस्थानों की सयधे संबद्धि ा की अनुमजि देि ा है।


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अल्पसंख्यक संस्थानों में गुणकाविापूणकाग जिक्षा प्रदान करने के जलए यह अजधजनयम बनाया गया था।
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5.2.7. LGBT से सं बं जधि कानू न (Laws Related to LGBT)


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भारि का संजवधान सभय व्जक्तयों के जलए समानि ा, स्वि ंत्रि ा, न्याय और गठरमा सुजनजिि करि ा है
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और रांसजेंिर व्जक्तयों समेि सभय के जलए समावेिय समाज कन जनिःसंदह


े अजनवायग बनाि ा है, (अनुचछे
14, 15 (1), 15 (2), 16 (2), 19 (1) 21 और 41)।
 रांसजेंिर व्यजक्त (अजधकार संरक्षणका) जवधेयक, 2016
o यह जवधेयक, जन व्यजक्त आंजिक रूप से मजहला या पुरुष; या मजहला और पुरुष का संयनजन; या न
ि न मजहला और न हय पुरुष है कन रांसजेंिर व्जक्त के रूप में पठरभाजषि करि ा है। इसके
अजि ठरक्ि , व्जक्त का हलग जन्म के समय जनर्ददष्ट हलग से मेल नहीं खाना चाजहए और इसमें रांस-
पुरूष, रांस-मजहला, अंि रलैंजगक जवजवधि ा वाले और हलग-संकदग्ध व्जक्त सजम्मजलि हैं।

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o यह जवधेयक जिक्षा, रनजगार और स्वास््य सेवा जैसे क्षेत्रों में रांसजेंिर व्जक्त के साथ भेदभाव
जनजषद्ध करि ा है। यह कें द्र और राज्य सरकारों कन इन क्षेत्रों में कल्याणकाकारय यनजनाएं प्रदान करने
का जनदेि देि ा है।
o रांसजेंिर व्जक्त कन भयख मांगने के जलए जववि करना, सावगजजनक स्थानों ि क पहुंच से वंजचि
करना, िारयठरक और यौन दुव्व
ग हार इत्याकद जैसे अपराध में दन वषग का कारावास और अथगदि

आरनजपि करे गा।

5.3. इन सु भे द्य वगों की उन्नजि के जलए सं स्थान और जनकाय

(Institutions and Bodies for the betterment of these vulnerable sections)

5.3.1. सामाजजक न्याय और अजधकाठरि ा मं त्रालय

(The Ministry of Social Justice and Empowerment)


जैसा कक नाम से स्पष्ट है, सामाजजक न्याय और अजधकाठरि ा मंत्रालय समाज के ऐसे वगों का
न्यायनजचि उपचार सुजनजिि करि ा है, जजन्होंने सामाजजक असमानि ा, िनषणका, भेदभाव और अन्याय
का सामना ककया है।

5.3.2. बच्चे (Children)

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राष्रयय बाल अजधकार संरक्षणका आयनग (National Commission for Protection of Child

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Rights: NCPCR)

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यह CPCR अजधजनयम, 2005 (Commissions for Protection of Child Rights: CPCR) के
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अंि गगि सौंपय गई िजक्तयों और कायों का प्रयनग और जनष्पादन करने के जलए बाल अजधकार संरक्षणका
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आयनग (CPCR) अजधजनयम, 2005 के अंि गगि सृजजि सांजवजधक जनकाय है। इसका लक्ष्य यह
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सुजनजिि करना है कक सभय कानून, नयजि यां, कायगिम और प्रिासजनक ि ंत्र भारि के संजवधान के साथ-
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साथ बाल अजधकारों पर संयुक्त राष्ट्र अजभसमय में यथा प्रगजणकाि बाल अजधकार पठरप्रेक्ष्य के अनुरूप हन,
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जजसकी भारि ने 1992 में पुजष्ट की थय।


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जनम्नजलजखि कानूनों और जनयमों के अंि गगि इसके जवजभन्न कायग हैं-


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 बाल अजधकार संरक्षणका आयनग (CPSR) अजधजनयम, 2005


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 बच्चों का जन: िुल्क और अजनवायग जिक्षा का अजधकार (RTE) अजधजनयम, 2009


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यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा (POCSO) अजधजनयम


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आयनग की वेबसाइट ncpcr.gov.in में यौन हहसा के प्रकरणकाों की सूचना देने के जलए एक ई-
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बॉक्स भय है जहां उपयनगकि ाग कन बस POSCO ई-बॉक्स नामक बटन कन दबाना भर हनि ा


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है।
राष्ट्रयय आयनग की िजक्तयां और कायग जनम्नजलजखि हैं:
 बाल अजधकारों के संरक्षणका के जलए ककसय भय कानून द्वारा या इसके अंि गगि प्रदान ककए गए कानूनय
रक्षनपायों की जांच और समयक्षा और उनके प्रभावय कायागन्वयन के जलए उपायों की अनुिस
ं ा करना
 बाल अजधकारों के उल्लंघन की जांच और ऐसे प्रकरणकाों में कायगवाहय आरं भ करने की अनुिंसा
करना
 समाज के जवजभन्न वगों के बयच बाल अजधकारों के संबध में जागरूकि ा फै लाना
 बाल अजधकारों के क्षेत्र में अनुसंधान कन बढ़ावा देना और आरं भ करना
 ककिनरों / बच्चों के जलए बने संस्थानों का जनरयक्षणका करना

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 वंजचि हनने और बाल अजधकारों के उल्लंघन की जिकायि ों, कानूनों के अकायागन्वयन और नयजि गि
जनणकागयों, कदिाजनदेिों या जनदेिों के अननुपालन की जिकायि ों की जांच करना
 बाल अजधकारों के संवधगन के जलए अन्य आवश्यक कायग आरं भ करना।
 आयनग के पास दयवानय न्यायालय की िजक्त है और इसके पास लाए गए सभय आपराजधक प्रकरणकाों
कन संबंजधि मजजस्रेट के पास अग्रेजषि करना हनि ा है, जजसके पास इस पर मुकदमा चलाने का
अजधकार क्षेत्र हनि ा है।

बच्चों के जलए POCSO ई-बॉक्स (POCSO e-Box for children)


यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा (POCSO) ई-बॉक्स बाल यौन िनषणका की सूचना देने के जलए एक
ऑनलाइन जिकायि पेठटका है। यह सयधे आयनग कन सूचना देने में बच्चों की सहायि ा करने के जलए
NCPCR की पहल है।

राष्रयय लनक समन्वय व बाल जवकास संस्थान (National Institute of Public Cooperation and
Child Development: NIPCCD)
NIPCCD मजहला और बाल जवकास के समग्र कायगक्षेत्र में स्वैजच्छक कारग वाई अनुसंधान, प्रजिक्षणका और
प्रलेखन कन बढ़ावा देने के जलए समर्थपि एक प्रमुख संगिन है। 1860 के सनसायटय पंजयकरणका अजधजनयम
के अंि गगि वषग 1966 में नई कदल्लय में स्थाजपि , यह मजहला एवं बाल जवकास मंत्रालय के ि त्वाधान में
कायग करि ा है। यह संस्थान एकीकृ ि बाल जवकास सेवा (ICDS) कायगिम के प्रजिक्षणका अजधकाठरयों के

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जलए ियषग संस्था के रूप में कायग करि ा है।

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कें द्रयय दिक ग्रहणका संसाधन प्राजधकरणका (Central Adoption Resource Authority: CARA)
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कें द्रयय दिक ग्रहणका संसाधन प्राजधकरणका (CARA) भारि सरकार के मजहला एवं बाल जवकास मंत्रालय
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का एक सांजवजधक जनकाय है। यह भारि यय बच्चों के दिक ग्रहणका के जलए प्रधान जनकाय के रूप में कायग
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करि ा है और अंि :देियय और अंि र-देियय दिक ग्रहणका की जनगरानय और जवजनयमन करने के जलए
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अजधदेजिि है। CARA अपनय संबद्ध दिक ग्रहणका एजेंजसयों के माध्यम से मुख्य रूप से अनाथ, पठरत्यक्त
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और अध्यर्थपि बच्चों के दिक ग्रहणका से संबंजधि है। यह दिक ग्रहणका कायगिम के जवजभन्न जहि धारकों द्वारा
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अनुसठरि की जाने वालय प्रकियाओं और प्रिमों कन जनधागठरि करि े हुए दिक ग्रहणका के जलए कदिाजनदेि
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भय जारय करि ा है।


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बाल कल्याणका सजमजि यां (Child Welfare Committees: CWC)


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ककिनर न्याय अजधजनयम, 2015 द्वारा बाल कल्याणका सजमजि यों (CWC) कन देखभाल और सुरक्षा की
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आवश्यकि ा वाले बच्चों (Children in Need of Care and Protection: CNCP) की देखभाल,
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सुरक्षा, उपचार, जवकास और पुनवागस के जलए अंजि म जजला स्ि रयय प्राजधकरणका के रूप में जनर्ददष्ट ककया
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गया है। इस प्रकार CWC के पास CNCP से संबंजधि प्रकरणकाों से जनपटने का एकमात्र अजधकार है और
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इन्हें प्रथम श्रेणकाय के न्याजयक मजजस्रेट की िजक्तयां प्रदान की गई हैं।


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बाल देखभाल संस्थान (Child Care Institution)


ककिनर न्याय अजधजनयम, 2015 के अंि गगि यथा पठरभाजषि बाल देखभाल संस्थान से आिय बच्चों के
जलए देखभाल और सुरक्षा प्रदान करने के जलए, जजन्हें ऐसय सेवाओं की आवश्यकि ा है, अजधजनयम के

अंि गगि मान्यि ा प्राप्त बालगृह, खुले आश्रय, जनरयक्षणका गृह, जविेष गृह, सुरक्षा स्थान, जविेषज्ञ दत्ि क
ग्रहणका एजेंसय और उपयुक्ि सुजवधा से है। जवजध से संघषगरि बच्चों कन जनरयक्षणका गृहों, जविेष गृहों और
सुरक्षा स्थानों में आवासयय देखभाल और सुरक्षा प्रदान की जाि य है।

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चाइल्ि लाइन (CHILDLINE)
चाइल्ि लाइन 1098 टेलय हेल्पलाइन मॉिल पर आधाठरि सहयनग और सहायि ा की आवश्यकि ा वाले
बच्चों के जलए भारि की पहलय 24 घंटे की, जन:िुल्क, आपाि कालयन फनन सेवा है। यह राज्य सरकारों के

साथ साझेदारय में काम करने वाले संघयय मजहला एवं बाल जवकास मंत्रालय, गैर सरकारय संगिनों,
अंि रागष्ट्रयय संगिनों, कॉपोरे ट क्षेत्र, संबंजधि व्जक्तयों और बच्चों कन एक साथ लाने वाला मंच है।

5.3.3. मजहलाएाँ (Women)

राष्ट्रयय मजहला आयनग (National Commission for Women)

राष्ट्रयय मजहला आयनग की स्थापना जनवरय 1992 में राष्ट्रयय मजहला आयनग अजधजनयम, 1990 के
अंि गगि की गई थय। इसके उद्देश्य थे:
 मजहलाओं के जलए संवैधाजनक और कानूनय सुरक्षा सम्बन्धय प्रावधानों की समयक्षा करना;
 उपचारात्मक वैधाजनक उपायों की अनुिंसा करना;
 जिकायि ों के जनवारणका की सुजवधा प्रदान करना और
 मजहलाओं कन प्रभाजवि करने वाले सभय नयजि गि मामलों में सरकार कन परामिग देना।

आयनग के जवजभन्न कायग जनम्नजलजखि हैं:

 जिकायि ों की जांच करना और जनम्नजलजखि जवषयों पर स्वि िः संज्ञान लेना:

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मजहलाओं के अजधकारों का हनन;

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o मजहलाओं कन सुरक्षा प्रदान करने के साथ हय समानि ा और जवकास के उद्देश्य की प्राजप्त के 9@
जलए अजधजनयजमि कानूनों का गैर- कायागन्वयन।
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मजहलाओं की कठिनाइयों के िमन के साथ उनका कल्याणका सुजनजिि करने और उन्हें राहि
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प्रदान करने के जलए लजक्षि नयजि गि जनणकागयों, कदिा-जनदेिों या जनदेिों का गैर-अनुपालन।


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 सभय क्षेत्रों में मजहलाओं के उपयुक्त प्रजि जनजधत्व कन सुजनजिि करने हेि ु उपायों का सुझाव देने के
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जलए संवद्धगनात्मक एवं िैजक्षक अनुसध


ं ान संपन्न करना और उनकी प्रगजि में बाधक कारकों की
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पहचान करना।
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 मजहलाओं के सामाजजक-आर्थथक जवकास हेि ु यनजना जनमागणका की प्रकिया में भागयदारय करना और
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इस सम्बन्ध में परामिग प्रदान करना;


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 कारागार, ठरमांि हनम या जहरासि में रखे जाने वाले अन्य स्थानों (जहां मजहलाओं कन कै कदयों के
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रूप में या ककसय अन्य प्रकार से रखा जाि ा है) का जनरयक्षणका कराना या स्वयं जनरयक्षणका करना और
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संबंजधि अजधकाठरयों के साथ जमलकर उपचारात्मक कारग वाई हेि ु कायग करना।
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 मजहलाओं के एक बड़े वगग कन प्रभाजवि करने वाले मुद्दों कन सजम्मजलि करने वालय याजचकाओं या
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अजभयनजनों का जनधययन ।
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 मजहलाओं से संबंजधि ककसय भय मामले पर सरकार कन आवजधक ठरपनटग देना।


इस आयनग कन जसजवल न्यायालय की सभय िजक्तयां प्राप्त होंगय जजनमें सजम्मजलि हैं:
 भारि के ककसय भय भाग से ककसय व्जक्त की उपजस्थजि के जलए उसे सम्मन जारय करना और उसे
उपजस्थजि के जलए बाध्य करना ि था िपथ कदलाि े हुए उसका परयक्षणका करना।
 ककसय भय दस्ि ावेज की खनज या उसके प्रस्ि ुि यकरणका की आवश्यकि ा जनधागठरि करना।
 िपथ पत्रों पर साक्ष्य प्राप्त करना
 कायागलय से ककसय भय सावगजजनक ठरकॉिग या उसकी प्रजि जलजप की मांग करना।
 साजक्षयों और दस्ि ावेजों के परयक्षणका के जलए आदेि जारय करना।

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आयनग ने कई पहलें की हैं जैसे -
 इसके द्वारा बाल जववाह का मुद्दा उिाया गया। इसके साथ हय इसने जवजधक जागरूकि ा कायगिमों,
पाठरवाठरक मजहला लनक अदालि ों कन प्रायनजजि ककया ि था
o 1961 के दहेज प्रजि षेध अजधजनयम ,
o 1994 के पूवग गभागधान और प्रसव पूवग जनदान ि कनयक (हलग चयन का प्रजि षेध) अजधजनयम,
o 1860 की भारि यय दंि संजहि ा ि था
o 1990 के राष्ट्रयय मजहला आयनग अजधजनयम जैसे कानूनों कन और किनर एवं प्रभावय बनाने के
जलए उनकी समयक्षा की।
 इसने मजहलाओं के आर्थथक सिजक्तकरणका के सम्बन्ध में कायगिालाओं/ परामिग-सत्रों का आयनजन
ककया और जविेषज्ञ सजमजि यों का गिन ककया। इसके साथ हय आयनग ने लैंजगक जागरूकि ा हेि ु
कायगिालाओं/ परामिों का आयनजन ककया ि था साथ हय समाज में मजहला भ्रूणका हत्या, मजहलाओं
के जवरुद्ध हहसा आकद सामाजजक बुराइयों के प्रजि जागरूकि ा उत्पन्न करने के जलए इनके जवरुद्ध
प्रचार अजभयान की जजम्मेदारय संभालय।

राष्ट्रयय मजहला कनष (Rashtriya Mahila Kosh: RMK)

मजहलाओं के सामाजजक-आर्थथक सिजक्तकरणका के जलए वषग 1993 में राष्ट्रयय स्ि र के संगिन के रूप में
मजहला और बाल जवकास मंत्रालय के ि त्वाधान में राष्ट्रयय मजहला कनष (RMK) की स्थापना की गई
थय। राष्ट्रयय मजहला कनष (RMK) अनौपचाठरक क्षेत्र में मजहलाओं कन आय सृजन गजि जवजधयों के जलए

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जबना कु छ जगरवय रखे सरल ि रयके से ग्राहक अनुकूल सूक्ष्म-ऋणका प्रदान करि ा है। यह सुजवधा प्रदाि ा

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एजेंसय के रूप में कायग करि ा है। यह मध्यवि ी संगिन (IMO) कहे जाने वाले NGO-MFIs (गैर

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सरकारय संगिन- सूक्ष्म जवि संस्थानों) कन ऋणका प्रदान करि ा है। ि त्पिाि ये मध्यवि ी संगिन
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मजहलाओं के स्वयं सहायि ा समूहों (SHGs) कन ऋणका प्रदान करि े हैं। राष्ट्रयय मजहला कनष (RMK) ने
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सूक्ष्म जविपनषणका, उद्यम जवकास, बचि और ऋणका, मध्यवि ी संगिनों के माध्यम से मजहला- स्वयं
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सहायि ा समूहों (SHGs) के गिन एवं सुदढ़ृ यकरणका की अवधारणकाा कन लनकजप्रय बनाने के जलए ने कई
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प्रचारात्मक उपाय ककए हैं।


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5.3.4. अनु सू जचि जाजि / अनु सू जचि जनजाजि / अन्य जपछड़ा वगग ( SCs/STs/OBCs)
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राष्ट्रयय अनुसजू चि जाजि आयनग (National Commission for SCs)


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संजवधान ने अनुच्छेद 338 के अंि गगि अनुसूजचि जाजि यों एवं जनजाजि यों कन प्रदि रक्षनपायों का
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उजचि कियान्वयन सुजनजिि करने, इनसे संबंजधि सभय मामलों की जांच करने ि था राष्ट्रपजि कन इन
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रक्षनपायों के जवषय में ठरपनटग करने हेि ु जविेष अजधकारय की जनयुजक्त करने का प्रावधान ककया गया है।
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इस प्रावधान के अनुपालन में 18 नवंबर 1950 कन पहलय बार अनुसूजचि जाजि एवं जनजाजि आयुक्त
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नामक अजधकारय की जनयुजक्त की गई थय।


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भारि यय संजवधान के अनुच्छेद 338 के अंि गगि आयनग के जलए जनम्नजलजखि कि गव् एवं कायग जनधागठरि
ककये गए हैं:
 अनुसूजचि जाजि यों कन संजवधान या ि त्समय प्रभावय ककसय अन्य कानून अथवा सरकार के ककसय
आदेि के अंि गगि प्रदान ककए गए समस्ि रक्षनपायों के जवषय में जांच और जनगरानय करना ि था
रक्षनपायों की कायगप्रणकाालय का मूल्यांकन करना;
 अनुसूजचि जाजि यों कन उनके अजधकारों और रक्षनपायों से वंजचि करने से संबंजधि जवजिष्ट
जिकायि ों के जवषय में जांच करना;

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राष्ट्रयय अनुसजू चि जाजि जवि एवं जवकास जनगम (National SC Finance and Development
Corporation: NSFDC)
राष्ट्रयय अनुसूजचि जाजि जवि एवं जवकास जनगम (NSFDC) कें द्रयय सावगजजनक क्षेत्र का उद्यम है जजसे

एक 'गैर-लाभकारय' (not for profit) कं पनय के रुप में स्थाजपि ककया गया है। यह िबल पावटी लाइन
(गरयबय रे खा के जलए जनधागठरि आय का दनगुना) से नयचे जयवन यापन करने वाले अनुसूजचि जाजि यों
के पठरवारों से संबंजधि व्जक्तयों के आर्थथक सिजक्तकरणका हेि ु जवि पनषणका प्रदान करने और जनजधयों की
सुजवधा प्रदान करने ि था उसे जुटाने के जलए सामाजजक न्याय एवं सिजक्तकरणका मंत्रालय भारि सरकार
के अंि गगि कायग करि ा है। राष्ट्रयय अनुसूजचि जाजि जवि एवं जवकास जनगम (NSFDC) राज्य चैनहलग
एजेंजसयों (SCAs) के माध्यम से लजक्षि समूह हेि ु उत्पादन यनजनाओं का जविपनषणका करि ा है।
राष्ट्रयय अनुसजू चि जाजि जवि एवं जवकास जनगम (NSFDC Operations) के कायग :
 राज्य चैनहलग एजेंजसयों (SCAs) और संबंजधि राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र सरकारों द्वारा नाजमि अन्य
मान्यि ा प्राप्त संस्थानों के माध्यम से अनुसूजचि जाजि यों के जलए आय सृजन करने वालय यनजनाओं
का जविपनषणका करना।
 लजक्षि समूह कन राष्ट्रयय अनुसूजचि जाजि जवि एवं जवकास जनगम (NSFDC) सूक्ष्म ऋणका जवि
प्रदान करना।
 अनुसूजचि जाजि के अहग छात्रों कन, भारि या जवदेि में पूणकाक
ग ाजलक पेिेवर/ ि कनयकी िैजक्षक

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पाठ्यिम संपन्न करने के जलए िैजक्षक ऋणका प्रदान करना।

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राष्ट्रयय अनुसूजचि जाजि जवि एवं जवकास जनगम (NSFDC) के माध्यम से कौिल जवकास

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कायगिमों हेि ु अनुदान प्रदान करना। 9@
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 लजक्षि समूह और राज्य चैनहलग एजेंजसयों (SCAs) कन परामिग सेवाएं प्रदान करना।
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 राज्य चैनहलग एजेंजसयों (SCAs) के कौिल स्ि रों का उन्नयन करना।


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राष्ट्रयय सफाई कमगचारय जवि जवकास जनगम (National Safai Karamacharis Finance
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Development Corporation: NSKFDC)


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 राष्ट्रयय सफाई कमगचारय जवि जवकास जनगम (NSKFDC) सामाजजक न्याय एवं सिजक्तकरणका
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मंत्रालय द्वारा स्थाजपि “गैर-लाभकारय” कं पनय है।


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 यह सफाई कमगचाठरयों/मेहि रों और उनके आजश्रि ों कन राज्य चैनहलग एजेंजसयों के माध्यम से


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जनजधयों की चैनहलग करने हेि ु सवोच्च संस्थान के रूप में कायग करि ा है।
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 लजक्षि समूह के उत्थान के जलए जवजवध प्रकार की ऋणका आधाठरि और गैर-ऋणका आधाठरि
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यनजनाओं का संचालन करने के अजि ठरक्त, राष्ट्रयय सफाई कमगचारय जवि जवकास जनगम
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(NSKFDC) अस्पृश्यि ा के जनकृ ष्टि म प्रि यक - मैनुअल (हाथ से की जाने वालय) सफ़ाई के उन्मूलन
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में महत्वपूणकाग भूजमका जनभा रहा है।


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 इसे सामाजजक न्याय और सिजक्तकरणका मंत्रालय के ि त्वाधान में मैनुअल मेहि रों के पुनवागस के
जलए के न्द्रयय क्षेत्रक स्व-रनजगार यनजना (SRMS) के कायागन्वयन के जलए ननिल एजेंसय के रूप में
नाजमि ककया गया है।

राष्ट्रयय अनुसजू चि जनजाजि आयनग (National Commission for STs)


राष्ट्रयय अनुसूजचि जनजाजि आयनग (NCST) की स्थापना संजवधान (89वााँ संिनधन) अजधजनयम,
2003 के माध्यम से की गयय थय। इस अजधजनयम द्वारा अनुच्छेद 338 में संिनधन ककया गया ि था

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संजवधान में एक नया अनुच्छेद 338 ए जनड़ा गया। इस संिनधन के माध्यम से, पूवगवि ी राष्ट्रयय
अनुसूजचि जाजि और अनुसूजचि जनजाजि आयनग कन दन पृथक आयनगों अथागि - (i) राष्ट्रयय अनुसूजचि
जाजि आयनग (NCSC) और (ii) राष्ट्रयय अनुसूजचि जनजाजि आयनग (NCST) से प्रजि स्थाजपि कर
कदया गया था।

इस आयनग के कायग (Functions of the Commission)


 अनुसूजचि जनजाजि यों कन प्रदान ककए गए रक्षनपायों के मामलों के संबंध में जांच और जनगरानय
करना।
 अनुसूजचि जाजि यों के अजधकारों और रक्षनपायों से संबंजधि जवजिष्ट जिकायि ों के जवषय में जांच
करना।
 अनुसूजचि जनजाजि यों के सामाजजक-आर्थथक जवकास से संबंजधि यनजनाओं के जनमागणका प्रकिया में
भागयदारय करना और परामिग देना, संघ एवं ककसय राज्य के अंि गगि उनके जवकास की प्रगजि का
मूल्यांकन करना।
 रक्षनपायों, अनुसूजचि जनजाजि यों के कल्याणका और सामाजजक-आर्थथक जवकास से संबंजधि
कायगिमों/ यनजनाओं के प्रभावय कायागन्वयन हेि ु वांजछि उपायों पर/ उनके कामकाज पर, राष्ट्रपजि
कन वार्थषक रूप से और अलग-अलग समय (जन आयनग उजचि समझे) पर ठरपनटग जमा करना।
 यह आयनग अनुसूजचि जनजाजि यों के संरक्षणका कल्याणका एवं जवकास ि था उन्नजि के संबंध में
जनम्नजलजखि अन्य कायों का भय जनवगहन करे गा, अथागि :-
o वन क्षेत्र में जनवास करने वालय अनुसूजचि जनजाजि यों कन लघु वननपज के संबंध में स्वाजमत्व
अजधकार प्रदान करने हेि ु आवश्यक उपाय करना।

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खजनज संसाधनों, जल संसाधनों इत्याकद पर जनजाि यय समुदायों के जवजधसम्मि अजधकारों

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की रक्षा करने हेि ु आवश्यक उपाय करना। 9@
o आकदवाजसयों के जवकास के जलए उपाय और अजधकाजधक व्वहायग आजयजवका सम्बन्धय
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रणकानयजि यों हेि ु कायग करना।


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जवकास पठरयनजनाओं के द्वारा जवस्थाजपि आकदवासय समूह के राहि और पुनवागस उपायों की


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प्रभावकाठरि ा कन सुधारने हेि ु आवश्यक उपाय करना।


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आकदवासय लनगों की भूजम से बेदखलय कन करने कन रनकने और जजन लनगों कन पहले से


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बेदखल ककया जा चुका है उन्हें प्रभावय रूप से पुनवागजसि करने हेि ु आवश्यक उपाय करना।
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o वनों की रक्षा करने और सामाजजक वनयकरणका का उपिम करने में आकदवासय समुदायों का
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अजधकि म सहयनग और उनकी सकिय संलग्नि ा प्राप्त करने हेि ु आवश्यक उपाय करना।
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पंचायि ों के प्रावधान (अनुसजू चि क्षेत्रों पर जवस्ि ार) अजधजनयम, 1996 (पेसा) का पूणकाग
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कायागन्वयन सुजनजिि करने हेि ु आवश्यक उपाय करना।


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आकदवाजसयों द्वारा अपनाई जाने वालय झूम कृ जष (स्थानांि रय कृ जष) की प्रथा कन कम करने
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और अंि ि िः समाप्त करने के जलए ककए जाने यनग्य उपाय करना।यह प्रथा उनके जनरं ि र गैर-
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सिजक्तकरणका और भूजम एवं पयागवरणका के जनम्नयकरणका का कारणका बनि य है।


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आयनग की िजक्तयााँ (Powers of the Commission)


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जांच और पूछि ाछ के जलए आयनग कन जसजवल न्यायालय की िजक्तयााँ दय गयय हैं जजनके अंि गगि उसे
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जनम्नजलजखि प्राजधकार प्राप्त हैं:


 ककसय व्जक्त कन आयनग के समक्ष उपजस्थि हनने के समन जारय करना और िपथ कदलाकर उसका
परयक्षणका करना।
 सभय प्रकार के दस्ि ावेजों की खनज और प्रस्ि ुि यकरणका।
 साक्ष्य और िपथ पत्र प्राप्त करना।
 ककसय भय न्यायालय या कायागलय से सावगजजनक अजभलेख या उसकी प्रजि जलजप की मांग करना।
 साजक्षयों और दस्ि ावेजों की परयक्षा के जलए के आयनगों कन आदेि जारय करना ।
 ऐसा कनई भय मामला, जन राष्ट्रपजि जनयमानुसार जनधागठरि कर सकि ा हन।

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राष्ट्रयय जपछड़ा वगग आयनग (National Commission for Backward Classes)
 भारि के सवोच्च न्यायालय ने इं कदरा साहनय वाद, 1992 में कदए गए जनणकागय में सरकार कन अन्य
जपछड़े वगों की सूचय में समावेि करने के अनुरनध एवं यथनजचि समावेि से अजधक एवं कम
समावेि संबंधय जिकायि ों पर जवचार करने, परयक्षणका करने और अनुिस
ं ा करने के जलए आयनग या
अजधकरणका की प्रकृ जि के स्थाई जनकाय का गिन करने हेि ु सरकार कन जनदेि कदया।
 सवोच्च न्यायालय के जनदेि के अनुसार, भारि सरकार ने राष्ट्रयय स्ि र पर स्थाई जनकाय के रूप में
एक आयनग अथागि “राष्ट्रयय जपछड़ा वगग आयनग” की स्थापना करने के जलए राष्ट्रयय जपछड़ा वगग
आयनग अजधजनयम, 1993 अजधजनयजमि ककया।
 मामलों का परयक्षणका करने के सन्दभग में राष्ट्रयय अनुसजू चि जाजि आयनग की िजक्त: वि गमान में
संजवधान के अंि गगि राष्ट्रयय अनुसूजचि जाजि आयनग कन अनुसूजचि जाजि यों और आंग्ल-भारि ययों
से संबंजधि जिकायि ों ि था कल्याणकाकारय उपायों से जुड़े मामलों के अवलनकन की िजक्त प्राप्त है।
 सरकार ने अनुच्छेद 338B के अंि गगि सामाजजक और िैजक्षक रूप से जपछड़े वगों हेि ु एक आयनग
का गिन करने के प्रावधान हेि ु संवध
ै ाजनक संिनधन जवधेयक प्रस्ि ुि ककया है।
 इस जवधेयक के पाठरि हनने के पिाि ् राष्ट्रयय जपछड़ा वगग आयनग का नाम बदलकर राष्रयय
सामाजजक और िैजक्षक जपछड़ा वगग आयनग कर कदया जाएगा। इसके द्वारा आयनग कन संवैधाजनक
प्रजस्थजि प्रदान की जाएगय। यह सामाजजक और िैजक्षक रूप से जपछड़े वगों की जिकायि ों की
सुनवाई करे गा। अभय ि क यह कायग अनुच्छेद 338 के अंि गगि राष्ट्रयय अनुसूजचि जाजि आयनग द्वारा
ककया जाि ा रहा है।
 इस जवधेयक ने आरक्षणकाों के अजि ठरक्त जवकास संबंधय आवश्यकि ाओं कन भय मान्यि ा प्रदान की है।

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 सामाजजक और िैजक्षक रूप से जपछड़े वगों की पठरभाषा: अनुच्छेद 366 के अंि गगि “सामाजजक

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और िैजक्षक रूप से जपछड़े वगों” कन पठरभाजषि (उसय प्रकार से जैसे उन्हें 342A के अंि गगि जपछड़े

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वगों के रूप में माना गया है) करने के जलए खंि (26C) कन िाजमल करना।
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राष्ट्रयय जपछड़ा वगग जवि एवं जवकास जनगम (National Backward Classes Finance and
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Development Corporation: NBCFDC)


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राष्ट्रयय जपछड़ा वगग जवि एवं जवकास जनगम (NBCFDC) सामाजजक न्याय एवं सिजक्तकरणका मंत्रालय
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के ि त्वाधान में कायग करने वालय एक “गैर-लाभकारय कं पनय” है। इसका उद्देश्य जपछड़े वगों के लाभ के
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जलए आर्थथक और जवकास गजि जवजधयों कन बढ़ावा देना और इन वगों के जनधगन संभागों कन कौिल
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जवकास और स्वरनजगार उद्यमों हेि ु सहायि ा प्रदान करना है। राष्ट्रयय जपछड़ा वगग जवि एवं जवकास
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जनगम (NBCFDC) राज्य चैनहलग एजेंजसयों (State Channelising Agencies: SCAs) के


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माध्यम से जवियय सहायि ा प्रदान करि ा है। जनगम जनम्नजलजखि व्ापक क्षेत्रों के अंि गगि कौिल जवकास
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और स्व-रनजगार उद्यमों में आय सृजन गजि जवजधयों की जवस्ि ृि श्रृख


ं ला हेि ु सहायक जसद्ध हन सकि ा है:
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 कृ जष और सम्बंजधि कियाकलाप
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 लघु व्वसाय
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 कारयगर और पारं पठरक व्वसाय


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 ि कनयकी और व्ावसाजयक रेि/ पाठ्यिम


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 पठरवहन और सेवा क्षेत्र आकद।

5.3.5. अल्पसं ख्यक (Minorities)

राष्ट्रयय अल्पसंख्यक आयनग (National Commission for Minorities)


देि में अल्पसंख्यकों के अजधकारों की रक्षा करने के जलए राष्रयय अल्पसंख्यक आयनग अजधजनयम,
1992 द्वारा स्थाजपि आयनग में एक अध्यक्ष ि था छिः अल्पसंख्यक समुदायों - मुजस्लम, जसख, बौद्ध,
ईसाई, पारसय और जैन के एक-एक प्रजि जनजध सदस्य िाजमल हैं।

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आयनग जवजभन्न कायों का जनष्पादन करि ा है जजसमें संघ और राज्यों के अंि गगि अल्पसंख्यक समुदायों के
जवकास का मूल्यांकन करना, संवैधाजनक कानूनों और अन्य कानूनों के अनुसार अल्पसंख्यक अजधकारों
की सुरक्षा सुजनजिि करना, अल्पसंख्यकों से संबंजधि प्रकरणकाों पर अध्ययन और िनध करना एवं इन
पहलुओं पर सरकार कन उपाय सुझाना सजम्मजलि है।
आयनग अल्पसंख्यक समुदाय के लनगों के जलए जिकायि जनवारणका मंच के रूप में भय कायग करि ा है। यह
आयनग साजक्षयों कन सम्मन भेजने, दस्ि ावेजों की खनज और प्रस्ि ुजि से संबंजधि प्रकरणकाों में दयवानय
न्यायालय के रूप में कायग करि ा है; यह िपथ पत्रों का साक्ष्य प्राप्ि करि ा है, सावगजजनक अजभलेखों
और प्रजि यों की मांग करि ा है, दयवानय न्यायालय की भांजि साजक्षयों एवं दस्ि ावेजों और ककसय भय
अन्य जनधागठरि प्रकरणका के परयक्षणका के जलए आदेि जारय करि ा है।
भाषाई अल्पसंख्यक आयुक्त (Commissioner for Linguistic Minorities)
संजवधान के अनुच्छेद 350B का अनुपालन करने के जलए 1957 में भाषाई अल्पसंख्यक आयुक्त की
जनयुजक्त का प्रावधान ककया गया। यह भाषाई अल्पसंख्यकों की जिकायि ें ग्रहणका करि ा है और सरकार
कन वार्थषक ठरपनटग प्रस्ि ुि करि ा है।
राष्रयय अल्पसंख्यक िैजक्षक संस्थान आयनग (National Commission for Minority Educational
Institutions)
 वषग 2004 में राष्ट्रयय अल्पसंख्यक िैजक्षक संस्थान आयनग की स्थापना की गई थय।
 यह अपनय पसंद के िैक्षजणकाक संस्थानों की स्थापना और प्रिासन करने के अल्पसंख्यकों के
अजधकारों के उल्लंघन और वंचना से संबंजधि ककसय भय जिकायि की जााँच कर सकि ा है।

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यह आयनग अद्धग -न्याजयक जनकाय है और इसे दयवानय न्यायालय की िजक्तयां प्रदान की गई हैं।

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 इसकी अध्यक्षि ा ऐसा व्जक्त करि ा है जन उच्च न्यायालय का न्यायाधयि रह चुका हन और ि यन

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अन्य सदस्यों कन कें द्र सरकार द्वारा मनननयि ककया जाि ा है।
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 आयनग की 3 भूजमकाएं हैं यथा अजधजनणकाागयक कायग, सलाहकारय कायग और अनुिस
ं ात्मक िजक्तयां।
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 जवश्वजवद्यालय से अल्पसंख्यक िैक्षजणकाक संस्थानों की संबद्धि ा के मामले में आयनग का जनणकागय


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अंजि म हनि ा है।


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कें द्रयय वक्फ पठरषद (Central Waqf Council)


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वक्फ मुजस्लम कानून द्वारा धार्थमक, पजवत्र या धमागथग के रूप में मान्यि ा प्राप्त प्रयनजनों के जलए चल या
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अचल संपजि का स्थायय समपगणका है। इन धार्थमक पहलुओं के अजि ठरक्ि , वक्फ सामाजजक और आर्थथक
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उत्थान के भय साधन हैं।


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वक्फ के जलए कें द्रयय कानून का प्रिासन सामाजजक न्याय और अजधकाठरि ा मंत्रालय का उत्ि रदाजयत्व
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है। वक्फ बनिों के कामकाज और देि में वक्फ के उजचि प्रिासन से संबंजधि प्रकरणकाों पर इसे सलाह देने
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के उद्देश्य से सांजवजधक जनकाय के रूप में कें द्रयय वक्फ पठरषद की स्थापना की गई है। यह पठरषद िहरय
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वक्फ संपजियों के जवकास की यनजनाओं और िैक्षजणकाक कायगिम की यनजनाओं का कायागन्वयन करि य


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है।
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5.3.6. कदव्ां ग जन (Disabled Persons)


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कदव्ांगजन सिजक्तकरणका जवभाग (Department of Empowerment of Persons with


Disabilities)

नयजि गि मुद्दों पर ध्यान कें कद्रि करने और कदव्ांगजनों के कल्याणका एवं सिजक्तकरणका की कदिा में लजक्षि
गजि जवजधयों कन साथगक आवेग देने के जलए, सामाजजक न्याय और अजधकाठरि ा मंत्रालय से अलगकर
जवकलांगि ा प्रकरणकाों का एक अलग जवभाग बनाया गया है। इस जवभाग कन कदव्ांगजन अजधकाठरि ा
जवभाग का नाम कदया गया है। यह जवभाग जवकलांगि ा और कदव्ांगजनों से संबंजधि प्रकरणकाों के जलए
ननिल एजेंसय के रूप में कायग करि ा है।

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यह जवभाग समावेिय समाज के जनमागणका की पठरकल्पना करि ा है जजसमें कदव्ांगजनों की संवृजद्ध और
जवकास के जलए समान अवसर प्रदान ककया जाि ा है ि ाकक कदव्ांगजन उत्पादक, सुरजक्षि और
सम्माजनि जयवन जय सकें ।
यह जवभाग जवकलांगि ा के जवजभन्न पहलुओं और कदव्ांगजनों के कल्याणका एवं सिजक्तकरणका कन जनयंजत्रि
करने वाले जनम्नजलजखि कानूनों से सम्बंजधि है:
 भारि यय पुनवागस पठरषद अजधजनयम, 1992,

 कदव्ांगजन (समान अवसर, अजधकारों का संरक्षणका और पूणकाग भागयदारय) अजधजनयम, 1995; ि था


 ऑठटज़्म, सेरेरल पाल्सय, मानजसक मंदि ा और एकाजधक जवकलांगि ा वाले व्जक्तयों के कल्याणका के
जलए राष्ट्रयय न्यास अजधजनयम, 1999

कदिा (Disha)
कदिा यनजना का उद्देश्य राष्ट्रयय न्यास अजधजनयम के अंि गगि अच्छाकदि 0-10 वषग की आयु के
कदव्यांगजनों (Person with Disability: PwD) के जलए उपचार, प्रजिक्षणका और पठरवार के सदस्यों
कन सहायि ा प्रदान करने के माध्यम से प्रारं जभक हस्ि क्षेप के जलए कदिा कें द्रों की स्थापना करना है।
राष्ट्रयय कदव्यांगजन जवि और जवकास जनगम (National Handicapped Finance and

Development Corporation: NHFDC)


सामाजजक न्याय और अजधकाठरि ा मंत्रालय ने "गैर-लाभकारय" कं पनय के रूप में NHFDC की स्थापना

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की है। यह पूणकाि
ग िः भारि सरकार के स्वाजमत्वाधयन है और सरकार की इसमें 400 करनड़ रूपए की

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अजधकृ ि िेयर पूंजय है। यह राज्य सरकार (सरकारों) द्वारा नाजमि राज्य चैनहलग एजेंजसयों (State

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Channelising Agencies: SCA) के माध्यम से कदव्यांगजन के जलए जनजध जुटाने के जलए ियषग
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संस्था के रूप में कायग करि ा है।


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NHFDC की यनजनाएं (Schemes of NHFDC)


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 सूक्ष्म जवत्ि पनषणका यनजना।


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 बौजद्धक अक्षमि ा वाले व्जक्तयों के अजभभावक संघ के जलए यनजनाएं।


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 जवकलांगि ा के क्षेत्र में काम करने वाले गैर-सरकारय संगिनों के जवि पनषणका की यनजना।
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 PwD के जलए व्ावसाजयक जिक्षा और प्रजिक्षणका के जलए यनजना।


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 'जविेष उद्यमय जमत्रों’ के माध्यम से जभन्न ि रयके से सक्षम उद्यजमयों कन आरं जभक सहायि ा प्रदान
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करने की यनजना।
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'जविेष प्रजिक्षणका जमत्र' के माध्यम से कौिल प्रजिक्षणका/कौिल उन्नयन का लाभ उिाने के जलए जभन्न
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ि रयके से सक्षम लनगों कन आरं जभक सहायि ा प्रदान करने की यनजना।


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 जभन्न ि रयके से सक्षम व्जक्तयों की रनजगारपरि ा बढ़ाने ओर स्व-रनजगार के बढ़े अवसरों के जलए
cu

सहायक उपकरणकाों का जवि पनषणका करने की यनजना।


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 छात्रवृजि यनजना (न्यास कनष ि था राष्ट्रयय कनष)।


Th

भारि यय पुनवागस पठरषद (Rehabilitation Council of India)


भारि यय पुनवागस पठरषद; भारि यय पुनवागस पठरषद अजधजनयम, 1992 के अंि गगि स्थाजपि एक
सांजवजधक जनकाय है। पठरषद पुनवागस और जविेष जिक्षा के क्षेत्र में पेिेवरों की जवजभन्न श्रेजणकायों के जलए
प्रजिक्षणका नयजि यों और कायगिमों का जवजनयमन करने के जलए उत्ि रदायय है। इसके कायों में सजम्मजलि
हैं: (i) सम्पूणकाग देि में सभय प्रजिक्षणका संस्थानों में जवजभन्न स्ि रों पर प्रजिक्षणका पाठ्यिमों का मानकीकरणका
और जवजनयमन, (ii) पारस्पठरक आधार पर देि के भयि र और बाहर कदव्यांगजनों के पुनवागस के क्षेत्र में
प्रजिक्षणका पाठ्यिम चलाने वाले संस्थानों/जवश्वजवद्यालयों की मान्यि ा, (iii) पुनवागस और जविेष जिक्षा

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में अनुसंधान कन बढ़ावा देना, (iv) पुनवागस के क्षेत्र में मान्यि ा प्राप्त यनग्यि ा रखने वाले पेिेवरों के जलए
कें द्रयय पुनवागस पंजय का रख-रखाव और (v) जवकलांगि ा के क्षेत्र में कायग करने वाले संगिनों के सहयनग
से जनरं ि र पुनवागस जिक्षा कायगिमों कन प्रनत्साहन।

5.3.7. वठरष्ठ नागठरक (Senior Citizens)

राष्रयय वठरष्ठ नागठरक पठरषद (National Council for Senior Citizens)


मंत्रालय द्वारा सामाजजक न्याय और अजधकाठरि ा मंत्रय की अध्यक्षि ा में राष्रयय वठरष्ठ नागठरक पठरषद
का गिन ककया गया है। राष्रयय वठरष्ठ नागठरक पठरषद का अजधदेि वठरष्ठ नागठरकों के कल्याणका से
संबंजधि मुद्दों और जनम्नजलजखि के जविेष संदभग के साथ उनके जयवन की गुणकाविा बढ़ाने के संबंध में कें द्र
और राज्य सरकारों कन सलाह देना है:
 नयजि यां, कायगिम और जवधायय उपाय
 िारयठरक और जवियय सुरक्षा, स्वास््य और स्वि ंत्र ि था उत्पादक जयवन का संवधगन
 जागरूकि ा सृजन और सामुदाजयक लामबंदय।
वठरष्ठ नागठरक कल्याणका कनष (Senior Citizen Welfare Fund)
 वठरष्ठ नागठरकों की जवियय सुरक्षा कन बढ़ावा देने, वृद्धावस्था पेंिन, स्वास््य सेवा, स्वास््य बयमा
और वयनवृद्ध जवधवाओं के कल्याणका के जलए सरकार द्वारा वठरष्ठ नागठरक कल्याणका कनष की
स्थापना की गई है।

)
 यह कनष वृद्धाश्रम, वठरष्ठ नागठरकों की कदवाकालयन देखभाल से संबंजधि यनजनाओं और

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वयनवृद्धि ा से संबंजधि अनुसंधान गजि जवजधयों का भय जवत्त्पनषणका करे गा।

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 इस कनष द्वारा PPF, कमगचारय भजवष्य जनजध और जवजभन्न लघु बचि यनजनाओं में पड़य 9@
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अनुमाजनि 9,000 करनड़ रुपये से अजधक दावारजहि धनराजि का उपयनग ककया जाएगा।
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6. जवगि वषों में Vision IAS GS में स टे स्ट सयरयज में पू छे


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गए प्रश्न
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(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions)


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1. यह ि कग कदया जा रहा है कक धारा 498A के दुरुपयनग कन रनकने के जलए सवोच्च न्यायालय


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का हाजलया आदेि वस्ि ुि िः उन पूवागग्रहों कन संस्थागि एवं उन जमथकों कन पुनस्थागजपि करि ा


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है, जजनसे भारि में मजहला आंदनलन ने कई दिकों ि क संघषग ककया है। चचाग कीजजए।
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दृजष्टकनणका:
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IPC की धारा 498A की संजक्षप्त व्ाख्या करि े हुए इस जविेष धारा के संबंध में सवोच्च
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न्यायालय के हाजलया आदेि की जवस्ि ारपूवक


ग चचाग कीजजए।
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 उच्चि म न्यायालय द्वारा कदए गये जनदेिों का आकलन कीजजए।


 भारि में मजहलाओं और उनके अजधकारों पर इन जनदेिों से पड़ने वाले प्रभावों का जवश्लेषणका
कीजजए।
उिर:
IPC की धारा 498A में यह प्रावधान ककया गया है कक “कनई भय व्जक्त, जन ककसय मजहला
का पजि है या पजि का ठरश्ि ेदार है, यकद उस मजहला के साथ िू रि ा करि ा है, ि न उसे
अजधकि म ि यन वषग के कारावास के साथ दंजिि ककया जाएगा। कारावास के साथ हय उस

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व्जक्त पर जुमागना भय लगाया जा सकि ा है।” ऐसे अपराध कन संज्ञेय, गैर-समाधेय (non-
compoundable) और गैर-जमानि य अपराध की श्रेणकाय में रखा गया है। इसे ‘दहेज जवरनधय
कानून’ के रूप में जाना जाि ा है।

राजेि िमाग और अन्य बनाम UP राज्य वाद (2007) में सवोच्च न्यायालय ने पजि या उसके
ठरश्ि ेदारों के जवरुद्ध धारा 498A का दुरुपयनग करने पर रनक लगाने हेि ु जनदेि कदए हैं। यह
कदिा-जनदेि सवोच्च न्यायालय के जनम्नजलजखि अवलनकनों पर आधाठरि हैं:
 पजत्नयों और उसके ठरश्ि ेदारों द्वारा कानून का दुरुपयनग ककया गया है और इस प्रकार
पुरुषों के मूल मानवाजधकारों का उल्लंघन हुआ है।
 न्यायालय ने NCRB के 2005, 2012 और 2013 के आंकड़ों के आधार पर जगरफ्ि ार
ककए गए दनषय एवं सुनवाई के बाद जनदोष पाए लनगों की संख्या के आधार पर यह
जनष्कषग जनकाला है कक चूाँकक दनष-जसजद्ध की दर अत्यजधक कम है इसजलए 498A के
अंि गगि दजग ककए गये अजधकांि मामले झूिे हैं।
 पासपनटग कन जधि करना और इंटरपनल द्वारा ननठटस जारय करने कन समस्या के रूप में
देखा गया है।
इन अवलनकनों के आधार पर न्यायालय द्वारा जनम्नजलजखि कदिा-जनदेि जारय ककए गये हैं:
 संज्ञेय अपराधों कन गैर-संज्ञेय अपराधों में पठरवर्थि ि कर कदया गया है।
 पजि यों की जमानि के जलए कु छ जविेष जनयम बनाए गए हैं।

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 पासपनटग अजधजनयमों के प्रावधानों कन पठरवर्थि ि कर कदया गया है।

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हालााँकक इस जनणकागय के साथ कु छ गम्भयर मुद्दे भय जुड़े हुए हैं क्योंकक यह धारा 498A के
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अंि गगि आने वाले अजधकांि मामलों के जमथक कन संस्थागि बनाि ा है। इसे जनम्नजलजखि
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हबदुओं के माध्यम से समझा जा सकि ा है:


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 NCRB आंकड़ों से वास्ि जवकि ा प्रदर्थिि नहीं हनि य है क्योंकक दनष मुक्त हनने के कई
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कारणका हन सकि े हैं। उदाहरणका के जलए अकु िल अन्वेषणका, मध्यस्थों के माध्यम से मुक़दमों
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का जनपटारा आकद।
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 न्यायालय ने अन्य स्रनि ों जैसे- NFHS-3 (नेिनल फॅ जमलय हेल्थ सवे-3), मजहलाओं से
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सम्बंजधि जवषयों के अध्ययन के न्द्रों आकद से प्राप्त आाँकड़ों का जमलान नहीं ककया है। ये
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आंकड़े इस मुद्दे पर एक जभन्न दृजष्टकनणका प्रस्ि ुि करि े हैं।


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 जनणकागय में प्रत्येक जजले में समाज के सदस्यों से जनर्थमि ‘पठरवार कल्याणका सजमजि ’ के गिन
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का प्रावधान ककया गया है। यह अप्रत्यक्ष रूप से पुजलस के कायों का जनजयकरणका है। इन
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सजमजि यों के कारणका जााँच में जवलम्ब भय हन सकि ा है। इसके अजि ठरक्त सजमजि के सदस्य
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अयनग्य और पक्षपाि पूणकाग भय हन सकि े हैं।


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 जवजध प्रवि गन एजेंजसयों में पहले से हय मजहलाओं के जवरुद्ध पूवागग्रह हैं। अथागि एक पूवग-
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धारणकाा यह है कक मजहलाएाँ इस कानून का दुरूपयनग कर रहय हैं।


 दनष-जसजद्ध की दर सभय मामलों में समान रूप से कम है इसजलए मजहलाओं के जवरुद्ध
अपराधों कन अलग करके देखना ि कग संगि नहीं है।

जनणकागय का मजहलाओं और उनके अजधकारों पर प्रभाव:

 1980 के दिक में दहेज के कारणका उच्च संख्या में हन रहय मौि ों कन ध्यान में रखि े हुए यह
कानून पाठरि ककया गया था। पूवग में इस कानून के अंि गगि अजभयुक्तों कन ि त्काल
जगरफ्ि ार ककया जाि ा था और स्वयं कन जनदोष जसद्ध करने का दाजयत्व भय उन पर था।

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हालााँकक संिनजधि आदेि एक प्रजि गामय कदम है, क्योंकक आरनपय कन जवजभन्न रक्षनपाय
प्रदान ककए गए हैं। यह मजहलाओं कन उत्पयड़न के मामलों में कानूनय सहायि ा प्राप्त करने
में बाधक हनगा।
 सवोच्च न्यायालय ने अनजाने में इस आिय कन पुनस्थागजपि ककया और इस बाि कन
वैधि ा प्रदान की है कक मजहलाएाँ मुकदमेबाजय और आपराजधक अजभयनजनों के पक्ष में
अजधक हैं I हालााँकक सामान्यि िः मजहलाओं पर लैंजगक संबंधों का दबाव रहि ा हैं और उन्हें
प्रायिः हहसा कन सहन करना पड़ि ा है।
 पासपनटग संबंधय प्रावधानों में पठरवि गन से आरनपय पजि यों और अजनवासय भारि ययों का
फरार हनना सरल हन जाएगा।
 भारि यय जपि ृसिात्मक सामाजजक सरं चना में कानून का महत्व जनर्थववाकदि है। दहेज
जनषेध अजधजनयम,1961 कन लागू करने के बावजूद भय दहेज़ व्वस्था अभय भय प्रचजलि
है। इसजलए हाल के कु छ आदेि वास्ि जवक पयजड़ि ों के आधार कन कमजनर कर सकि े हैं।
इसजलए कानून कन पुरुषों कन, अनजाने में पयजड़ि ककए जबना पयजड़ि मजहलाओं के पक्ष में
अपनय प्रगजि ियल मान्यि ाओं कन बनाए रखना चाजहए।

2. भारि में मानव दुव्ागपार एक गंभयर समस्या के रूप में उभरा है, जन समस्या की जठटलि ा कन
समझने एवं इससे मुकाबला करने के जलए एक प्रभावय रणकानयजि ि ैयार करने का आह्वान
करि ा है। चचाग कीजजए।

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दृजष्टकनणका:

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मानव दुव्यागपार कन पठरभाजषि करि े हुए उत्ि र का आरं भ कीजजए।

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 इस समस्या से जुड़य जठटलि ाओं के साथ-साथ भारि में मानव दुव्यागपार के मुद्दे पर भय चचाग
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कीजजए।
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 उपयुगक्त समस्या से जनपटने हेि ु उिाए गए कदमों का उल्लेख कीजजए।


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उत्ि र:
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संपूणकाग जवश्व में मादक द्रव्ों और हजथयार व्ापार के बाद मानव दुव्यागपार ि यसरा सबसे बड़ा
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संगठिि अपराध है। संयुक्त राष्ट्र की पठरभाषा के अनुसार ‘ककसय व्जक्त कन िराकर, बलप्रयनग
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कर या उसकी दनषपूणकाग ि रयके से भि ी, उसका पठरवहन या उसे िरणका में रखने की गजि जवजध
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मानव दुव्प
ग ार की श्रेणकाय में आि य हैं। सम्पूणकाग जवश्व में लगभग 80% मानव दुव्ागपार यौन
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िनषणका के जलए और िेष बंधुआ मजदूरय के जलए हनि ा है।


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भारि कन एजिया में मानव दुव्यागपार का कें द्र माना जाि ा है जहााँ 2016 में लगभग 20,000
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मजहलाएाँ और बच्चे इससे पयजड़ि थे। इन मामलों में 2015 की ि ुलना में लगभग 25% की
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वृजद्ध दजग की गयय थय। मजहला एवं बाल जवकास मंत्रालय के अनुसार 2015 के 15,448 की
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ि ुलना में वषग 2016 में 19,223 मजहलाओं और बच्चों का अवैध व्ापार ककया गया था।
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मानव दुव्यागपार की समस्या कन समझने के जलए इसके पयछे के आधारभूि अंि र्थनजहि कारकों
कन समझना आवश्यक है। उदाहरणका के जलए:

 जनधगनि ा: एजेंटों द्वारा अजधकांिि : जनधगन क्षेत्रों के बच्चों, जविेषकर लड़ककयों कन यौन
िनषणका के जलए और बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने हेि ु भारि के दूर-दराज के राज्यों
में बेच कदया जाि ा है। इन बच्चों के माि ा-जपि ा कन बच्चों जलए जिक्षा, बेहि र जयवन और
धन का लालच कदया जाि ा है।

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 पारगम्य सयमाएाँ और जनम्नस्ि रयय जद्वपक्षयय समन्वय: दुव्यागपार से जनपटने के जलए
जद्वपक्षयय ि ंत्र के अभाव के साथ पारगम्य सयमाएं बांग्लादेि और नेपाल जैसे पड़नजसयों
और भारि के सयमावि ी राज्यों कन मानव ि स्करय के जलए प्रमुख क्षेत्र बनाि य हैं।
 दनहरा उत्पयड़न: सयमा-पार दुव्यागपार से पयजड़ि लनगों का दनहरा उत्पयड़न हनि ा है
क्योंकक उनके पास अपने दस्ि ावेज नहीं हनि े हैं। इसके फलस्वरूप वे मेजबान देि में
अवैध प्रवासय बन जाि े हैं।
 अवैध व्ापार: दुव्यागपार का एक और कारणका अवैध अंग व्ापार या रग व्ापार रै केट हैं
जजसमें भनले और जनदोष लनग फाँ स जाि े हैं।
 ऋणकाग्रस्ि ि ा: अपने पठरवार कन सहारा देने या साहूकारों के प्रजि अपने ऋणका दाजयत्वों कन
पूरा करने के जलए, सदस्यों कन उनके जलए काम करने कन जववि हनना पड़ि ा है।
 आपदाओं का प्रभाव: आपदाओं से कई पठरवारों के जलए जस्थरि ा और अजगन अवसरों में
कमय आि य है। जवजभन्न एजेंट ऐसय जस्थजि से प्रभाजवि लनगों का लाभ उिाकर उनका
दुव्यागपार करि े हैं, क्योंकक वे बेहि र जयवन की आिा में आसानय से झूिे वादों के प्रभाव
में आ जाि े हैं।
 कौिल और रनजगार अवसरों की कमय उन्हें ऐसे प्रस्ि ाव कन स्वयकार करने के जलए
जववि करि य है।
मानव दुव्यागपार की समस्या का मुकाबला करने और मानव दुव्यागपार के पयजऺिि ों के पुनवागस
हेि ु सरकारय ि ंत्र और साथ हय गैर सरकारय संगिनों (NGOs) द्वारा अनेक उपाय ककए गए
हैं। उनमें से कु छ पहलें इस प्रकार हैं:

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 भारि यय संजवधान का अनुच्छेद 23 स्पष्ट रूप से मानव दुव्यागपार और बलाि श्रम कन

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प्रजि बंजधि और गैर-कानूनय घनजषि करि ा है। 9@
 भारि यय संजवधान के अनुच्छेद 23 (1) के अंि गगि मानवों या व्जक्तयों का दुव्यागपार
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जनजषद्ध ककया गया है। अनैजि क दुव्यागपार (रनकथाम) अजधजनयम (ITPA), 1956
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वाजणकाजज्यक यौन िनषणका हेि ु दुव्यागपार की रनकथाम के जलए प्रमुख कानून है।
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 आपराजधक कानून (संिनधन) अजधजनयम, 2013 लागू ककया गया, जजसमें भारि यय दंि
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संजहि ा की धारा 370 कन IPC की धारा 370 और 370A से प्रजि स्थाजपि ककया गया
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है। इनके अंि गगि मानव दुव्यागपार के खि रों से जनपटने हेि ु व्ापक उपाय ककए गए हैं।
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 लैंजगक अपराधों से बालकों का संरक्षणका (POCSO) अजधजनयम, 2012 यौन उत्पयड़न


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और िनषणका से बच्चों की रक्षा करने वाला जविेष कानून है।


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मजहलाओं और बच्चों के दुव्यागपार से संबंजधि अन्य जवजिष्ट कानून भय हैं: IPC की जवजिष्ट
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धाराओं, उदाहरणका के जलए वेश्यावृजि के प्रयनजन के जलए लड़ककयों के िय और जविय से


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संबंजधि धारा 372 और 373 के अजि ठरक्ि बाल जववाह जनषेध अजधजनयम, 2006;
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बंधुआ मजदूरय प्रथा (उन्मूलन) अजधजनयम, 1976; बाल श्रम (जनषेध एवं जवजनयमन)
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अजधजनयम, 1986; मानव अंग प्रत्यारनपणका अजधजनयम, 1994 आकद कानून बनाये गए
हैं।
 राज्य सरकारों ने भय इस मुद्दे से जनपटने के जलए जवजिष्ट कानून बनाए हैं (जैसे पंजाब
मानव दुव्यागपार जनवारणका अजधजनयम, 2012)।
 सरकारय प्रयासों के साथ-साथ नेपाल में मैि य नेपाल और भारि में देहाि प्रहरय
पठरयनजना जैसे स्थानयय गैर-सरकारय संगिनों के प्रयासों से दुव्यागपार जनवारणका के प्रयास
ककए जा रहे है।

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मानव दुव्यागपार की समस्या का मुकाबला करने के जलए सामाजजक समस्याओं जैसे कक लैंजगक
असमानि ा, बेरनजगारय, पाठरवाठरक संघषग आकद कन समझना चाजहए जन मानव दुव्यागपार के
पयजड़ि ों कन िनषणका के जलए सुभद्य
े बनाि य हैं।

3. जवगि वषों के दौरान अपने नागठरकों के जलए सुरजक्षि एवं िनषणका मुक्त बचपन सुजनजिि
करने के जलए सरकार द्वारा उिाए गए कदमों का परयक्षणका कीजजए। पुनि, जवश्लेषणका कीजजए
कक हाल हय में अनुसमर्थथि दन प्रमुख ILO अजभसमयों से बाल श्रम के जवरुद्ध भारि की लड़ाई
में कै से सहायि ा जमलेगय।
दृजष्टकनणका:
 भारि में सामान्य रूप से बाल कल्याणका हेि ु सरकार द्वारा उिाए गए कदमों का उल्लेख
कीजजए।
 इन कदमों का संजक्षप्त जवश्लेषणका प्रस्ि ुि कीजजए।
 ि त्पिाि हाल हय में सरकार द्वारा अनुसमर्थथि दन प्रमुख ILO अजभसमयों की चचाग कीजजए
और बि ाइए कक ककस प्रकार ये बालश्रम के जवरुद्ध लड़ाई में सहायक हैं।
उिर:
बच्चों पर जनवेि करना एक बेहि र भजवष्य के जलए जनवेि करने के समान है। अि िः जवगि वषों
में भारि सरकार ने देि के बच्चों का सुरजक्षि बचपन सुजनजिि करने के जलए कई कदम उिाए
हैं। इनमें से कु छ कदम जनम्नजलजखि हैं:
 ककिनर न्याय (बच्चों की देखरे ख एवं संरक्षणका) अजधजनयम, 2015 - यह अजधजनयम ऐसे

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बच्चों जजन्हें देखभाल एवं सुरक्षा की आवश्यकि ा है ि था ऐसे बच्चे जन कानूनय प्रकिया का

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सामना कर रहे हैं, दननों के जलए सिक्त प्रावधान करि ा है। 9@
बाल श्रम (प्रजि षेध एवं जवजनयमन) संिनधन अजधजनयम, 2016 - इसका उद्देश्य 14 वषग
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से कम आयु के बच्चों की जिक्षा के अजधकार की रक्षा करना है। इसके अजि ठरक्त, यह 14-
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18 वषग की आयु वगग के ककिनरों कन भय संरक्षणका प्रदान करने वाला पहला कानून है।
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 मसौदा मानव ि स्करय रनधय जवधेयक – जजला, राज्य और कें द्रयय स्ि र पर समर्थपि
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संस्थागि ि ंत्र का जनमागणका कर मानव दुव्ागपार के जवजभन्न पहलुओं से जनपटना।


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POCSO अजधजनयम – बच्चों के जवरुद्ध यौन अपराधों से जनपटना ि था उनके यौन


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उत्पयड़न कन समाप्त करना। इसके अजि ठरक्त न्याजयक प्रकिया के प्रत्येक स्ि र पर बच्चों के
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जहि ों की रक्षा के जलए उन्हें सहयनग उपलधध कराना।


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इन सबके अजि ठरक्त भारि सरकार द्वारा लापि ा बच्चों के जलए खनया-पाया पनटगल कन प्रारं भ
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करना, यौन दुव्गवहार के संबध


ं में छात्रों के मध्य जागरूकि ा कन बढ़ावा देने जैसे अन्य
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जवजभन्न कदम उिाए गए हैं।


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सरकार द्वारा उिाए गए संयुक्त कदमों के कारणका, बाल मृत्यु-दर में उल्लेखनयय कमय हुई है
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ि था प्राथजमक स्ि र पर जिक्षा हेि ु दाजखलों में वृजद्ध हुई है। ककन्ि ु इसके साथ हय स्वास््य,
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पनषणका और बाल भागयदारय से संबंजधि मुद्दों का समाधान करने हेि ु और अजधक प्रयास ककये
जाने की आवश्यकि ा है। इसके अजि ठरक्त, बच्चों से संबंजधि इंटरनेट आधाठरि खि रे और
जलवायु पठरवि गन के कारणका बढ़ि य अजि संवेदनियलि ा जैसे नई और उभरि य हुई चुनौजि यां
भय जवद्यमान हैं। इसजलए यह महत्वपूणकाग है कक पहले बच्चों से संबंजधि प्रमुख अंि रालों और
मुद्दों की पहचान की जाए ि त्पिाि व्ापक रूप से इनका समाधान ककया जाए। कु छ समय
पूवग प्रारं भ की गयय बच्चों के जलए राष्ट्रयय कायग यनजना, 2016 का लक्ष्य इस प्रकार के अंि रालों
कन कम करने और साथ हय ककए जा रहे प्रयासों कन अजधकि म करने हेि ु एक जनगरानय और
मूल्यांकन ढांचा प्रदान करना है।

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इसके अजि ठरक्त, बाल श्रम के प्रजि िि में जगरावट के बावजूद वि गमान में भारि में 0-18 वषग
आयु वगग के 33 जमजलयन बच्चे कायग कर रहे हैं। देि आज भय बाल श्रम संबंधय मामलों में
अजभयनजन और दनषजसजद्ध की जनम्न दर से जूझ रहा है।
परन्ि ु बाल श्रम उन्मूलन के प्रजि सरकार दृढ़ जनियय है ि था हाल हय में इसने बाल मजदूरय के
जनकृ ष्टि म रूपों पर ILO अजभसमय 182 और रनजगार की न्यूनि म आयु पर अजभसमय 138
का अनुसमथगन ककया है। बाल श्रम के उन्मूलन की कदिा में इनके जनम्नजलजखि प्रभाव
पठरलजक्षि होंगे -
 बच्चों के िनषणका के संबध
ं में िून्य सहनियलि ा की नयजि – सरकार बच्चों के स्वास््य,
सुरक्षा या नैजि कि ा कन हाजन पहुंचाने वाले बाल श्रम के जनकृ ष्टि म रूपों कन जनजषद्ध करने
और उनका उन्मूलन करने के जलए ि त्काल प्रभावय कदम उिाएगय।
 न्यूनि म आयु का जनधागरणका- भारि कन यह सुजनजिि करने की आवश्यकि ा है कक ककसय
भय बच्चे कन आसान कायों अथवा कलात्मक प्रदिगनों के अजि ठरक्त ककसय भय व्वसाय में
एक जनधागठरि आयु से कम आयु हनने पर संलग्न न ककया जाए।
 बाल श्रम के जनकृ ष्टि म रूपों कन जनजषद्ध करना - इसके जलए भारि कन दासि ा, ऋणका
वसूलय हेि ु बंधक बनाना, कृ जषदासि ा, बंधुआ मजदूरय ि था बलपूवगक या अजनवायग श्रम
कराने जैसे बाल श्रम के जनकृ ष्टि म रूपों पर रनक लगाने की आवश्यकि ा हनगय।
बाल श्रम के उन्मूलन के कई अन्य सकारात्मक पठरणकााम भय होंगे जैसे जवद्यालय छनड़ने (रॉप
आउट) की दरों में कमय, बच्चों की आर्थथक भूजमका के संदभग में उन पर दबाव में कमय ि था

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सुरजक्षि बचपन आकद। ककन्ि ु अंि ि िः बच्चों का िनषणका समाप्त करने के प्रयासों में सफलि ा

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समाज की संवेदनियलि ा के स्ि र, राजनयजि क इच्छािजक्त और बच्चों के जवकास एवं संरक्षणका

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पर जनवेि ककए गए संसाधनों पर जनभगर करि य है। इसका समाधान के वल ि भय ककया जा 9@
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सकि ा है जब बच्चों के िनषणका के जलए उिरदायय गरयबय, बेरनजगारय, सामाजजक सुरक्षा की


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कम, क़ानून का अपयागप्त प्रवि गन जैसय समस्याओं का समाधान ककया जाए।


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4. घरे लू हहसा से मजहलाओं का संरक्षणका अजधजनयम, 2005 में संिनधन से संबजं धि उच्चि म
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न्यायालय के हाजलया जनणकागय से जवजभन्न प्रकार की अनुकियाएं सामने आई हैं। उक्त संिनधन
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पर प्रकाि िालि े हुए, कानून के अनुप्रयनग पर इसके संभाजवि प्रभावों का आलनचनात्मक


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परयक्षणका कीजजए।
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दृजष्टकनणका:
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 घरे लू हहसा से मजहलाओं का संरक्षणका अजधजनयम, 2005 में सवोच्च न्यायालय द्वारा कदए गए
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जनणकागय के आधार पर संिनजधि प्रावधानों का उल्लेख कीजजए।


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 कानून के अनुप्रयनग पर संिनधन के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का आलनचनात्मक


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मूल्यांकन कीजजए।
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 जनष्कषग में आगे उिाये जा सकने वाले क़दमों का संजक्षप्त वणकागन प्रस्ि ुि कीजजए।
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उिर:
घरे लू हहसा से मजहलाओं का संरक्षणका अजधजनयम (PWDVA), 2005 का उद्देश्य एक वयस्क
पुरुष द्वारा की जाने वालय घरे लू हहसा या उत्पयड़न से मजहलाओं की रक्षा करना था। इस
अजधजनयम की धारा 2(q) के अंि गगि के वल ‘एक वयस्क पुरुष’ के जवरुद्ध हय जिकायि दजग की
जा सकि य है।
हाल हय में जहराल हरसनरा बनाम कु सुम हरसनरा मामले में सवोच्च न्यायालय द्वारा “वयस्क
पुरुष” िधद कन हटा कर धारा 2(q) कन लैंजगक रूप से जनरपेक्ष बनाया गया है। अब कनई

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मजहला अन्य मजहलाओं और अल्पवयस्क के जवरुद्ध भय घरे लू हहसा की जिकायि दजग कर
कानूनय कारग वाई की मांग कर सकि य है।
संिनधन के सकारात्मक प्रभाव:
 यह इस ि ्य कन मान्यि ा देि ा है कक घरे लू हहसा न के वल वयस्क पुरुष द्वारा बजल्क
पठरवार की मजहला सदस्यों एवं अल्पवयस्क द्वारा भय की जा सकि य है।
 यह घरे लू हहसा के पयजड़ि ों कन पठरवार के सभय सदस्यों द्वारा ककये गए िारयठरक िनषणका
से सुरक्षा प्रदान करि ा है।
 मूल अजधजनयम के प्रावधानों के अनुसार कनई वयस्क पुरुष प्रत्यक्ष रूप से ककसय कृ त्य में
िाजमल हुए जबना हय मजहला सदस्यों कन माध्यम बना कर इस कानून का दुरुपयनग कर
सकि ा था। इसके साथ हय अभय ि क उत्पयड़न करने वालय मजहला सदस्य जबना ककसय
कानूनय कायगवाहय के भय के ककसय पयजड़ि मजहला कन बलपूवक ग घर से बाहर कर सकि य
थय।
 सवोच्च न्यायालय की पयि ने इस मामले में ‘िॉजक्रन ऑफ़ सेवरे े जबजलटय’ (doctrine of
severability) का सहारा जलया (इस जसद्धांि के अनुसार यकद ककसय अजधजनयम का
कनई प्रावधान अवैध या अप्रवि गनयय हन जाए ि न भय अजधजनयम का िेष भाग प्रभावय
रहि ा है) क्योंकक इसके अनुसार इस धारा में लैंजगक आधार पर भेद-भाव अन्ि र्थनजहि है।
यह संजवधान के अनुच्छेद 14 में जनजहि समानि ा के जसद्धांि का उल्लंघन भय करि य थय।
ककन्ि ु घरे लू हहसा के जवरुद्ध कायग कर रहे एजक्टजवस्ट एवं कायगकि ाग इस संिनधन के अप्रत्यक्ष
पठरणकाामों कन लेकर हचजि ि हैं।

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संिनधन के नकारात्मक प्रभाव:

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 यह पजि यों कन, अपनय माि ाओं एवं बहनों के माध्यम से पजत्नयों द्वारा ककये गए मुक़दमे
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के जवरुद्ध मुकदमा दजग (counter cases) करने के जलए प्रेठरि कर सकि ा है।
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घरे लू हहसा के अजधकि र मामले मजहलाओं द्वारा पुरुषों के जवरुद्ध दायर ककए जाि े हैं।
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इसके अजि ठरक्ि , राष्ट्रयय अपराध ठरकॉिग धयूरन, 2013 की ठरपनटग के अनुसार जपछले कु छ
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वषों में घरे लू हहसा के मामलों में वृजद्ध हुई है। इसजलए कानून के हलग-जवजिष्ट स्वरुप से
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हलग-जनरपेक्ष स्वरुप की ओर पठरवि गन कन प्रजि गामय कदम माना जा सकि ा है क्योंकक


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यह जनणकागय इस ि ्य की अवहेलना करि ा है कक अजधकांिि : मजहलाएाँ हहसा से प्रभाजवि


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हनि य हैं।
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 जब पठरवार में िजक्ि असंि ल ु न जवद्यमान हन ि न हलग ि टस्थ कानून उपयुक्त जसद्ध नहीं
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हन सकि े। यह एक स्पष्ट ि ्य है कक मजहलाएाँ सामाजजक रूप से प्रजि कू ल पठरजस्थजि में


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हैं। यह संिनधन संजवधान के अनुच्छे द 15(3) से सुसंगि नहीं है, जन मजहलाओं के संबंध
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में जविेष प्रावधान करि ा है।


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 इससे PWDVA का प्रयनग घरे लू हहसा करने वालों वास्ि जवक दनषय के जवरुद्ध न कर
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मजहलाओं और नाबाजलकों के जवरुद्ध ककए जाने की संभावना है।


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इससे न्यायपाजलका पर कायग संबध ं य बनझ में वृजद्ध हन सकि य है ि था साथ हय न्याय प्रदान
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करने में जवलंब हन सकि ा है। इसके कारणका फजी मामलों में वृजद्ध हन सकि य है।

जब सामाजजक और जनजय क्षेत्र में लैंजगक समानि ा व्ाप्त हन ि ब हय प्रसंग के आधार पर


समानि ा के जसद्धांि का अनुप्रयनग ककया जाना चाजहए। यह संिनधन भारि यय दंि संजहि ा के
अंि गगि यौन उत्पयड़न, पयछा करने, ि ाक-झांक करने और बलात्कार जैसे अपराधों पर ध्यान
के जन्द्रि करने में जवफल रहा है। दृष्टव् है कक ये सभय हलग-जवजिष्ट एवं पुरुषों द्वारा ककये जाने
वाले अपराध हैं। मजहलाओं कन हहसा से संरक्षणका प्रदान करने हेि ु प्रचजलि जवजधक कानूनों के
उजचि प्रवि गन एवं उपलधध जवजधक उपचारों के प्रसार पर ध्यान के जन्द्रि ककया जाना चाजहए।

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5. बंधआ
ु मजदूर से आप क्या समझि े हैं? भारि में बंधआ
ु मजदूरय की जवद्यमानि ा के पयछे
जनजहि कारणकाों की व्ाख्या करि े हुए उनके द्वारा सामना की जाने वालय समस्याओं पर प्रकाि
िाजलए। साथ हय, देि में बंधआ
ु मजदूरय के उन्मूलन के जलए उिाए गए कदमों का जववरणका भय
दयजजए।
दृजष्टकनणका:
 सवगप्रथम भूजमका में बंधुआ मजदूर के अथग कन स्पष्ट कीजजए।
 ि दुपरांि भारि में बंधुआ मजदूरय के प्रचलन के जनजहि कारणकाों की व्ाख्या करि े हुए उनके
समक्ष व्ाप्त समस्याओं का वणकागन कीजजए।
 भारि में बंधुआ मजदूरय के उन्मूलन के जलए सरकार द्वारा उिाए गए क़दमों का जववरणका
दयजजए।
उिर:
बंधुआ मजदूर से आिय ककसय ऐसे श्रजमक से है जन ककसय आर्थथक कारणका से जविेष ि ौर पर
ककसय ऋणका या अजग्रम के पठरणकाामस्वरूप उत्पन्न ऋणकाग्रस्ि ि ा के कारणका, बाध्यि ा की जस्थजि में
श्रम के जलए बाध्य हनि ा है। ऋणका इस बाध्यि ा का मूल कारणका है अथागि श्रजमक (या आजश्रि
अथवा वाठरस) कजग देने वाले व्जक्त हेि ु ककसय जनजिि या अजनजिि समय के जलए ि ब ि क
कायग करने हेि ु बाध्य है जब ि क उसके ऋणका का पूणकाि
ग िः भुगि ान न हन जाये।
एक अनुमान के अनुसार भारि में बंधुआ मजदूरों की संख्या लगभग 32 लाख हैं। इनमें से 98
प्रजि िि लनग ऋणकाग्रस्ि ि ा के कारणका ि था िेष 2 प्रजि िि परम्परागि सामाजजक दाजयत्वों से
बंधे हनने के कारणका बंधआ
ु मजदूरय करि े हैं।

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बंधआ
ु मजदूरय के कारणका:

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आर्थथक: अत्यजधक जनधगनि ा, श्रम के अवसर प्राप्त करने में अक्षमि ा, छनटय जनि , ग्रामयणका
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और िहरय जनधगन वगग के जलए वैकजल्पक रूप से छनटे ऋणका की कमय, सूखा, बाढ़ जैसय
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प्राकृ जि क आपदाएाँ, वषाग का अभाव, कु ओं का सूख जाना, वन उपज से अल्प आय ि था


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मुद्रास्फीजि आकद।
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 सामाजजक कारक: जववाह, मृत्यु, दावि , बच्चे के जन्म इत्याकद जैसे अवसरों पर उच्च व्य
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के पठरणकाामस्वरूप अत्यजधक ऋणका की जस्थजि , जाजि आधाठरि भेदभाव, भूख और


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बयमारय से बचाव हेि ु सामाजजक कल्याणका यनजनाओं ि क सयजमि पहुाँच, गैर-अजनवायग


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और असमान जिक्षा प्रणकाालय ि था सरकारय अजधकाठरयों की उदासयनि ा और भ्रष्टाचार।


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 गांव में प्रभाविालय व्जक्तयों या जाजि यों द्वारा िनषणका भय प्रजि कू ल पठरजस्थजि यों में
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रनजगार की खनज में लनगों कन जवस्थापन के जलए बाध्य करि ा है।


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 बंधुआ मजदूरों कन बाध्य करने के जलए धार्थमक और जाजि आधाठरि ि कों का उपयनग
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ककया जाि ा है।


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 अजिक्षा, अज्ञानि ा, कौिल की कमय और कानूनय संरक्षणका का अप्रभावय कियान्वयन।


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बंधआ
ु मजदूरों के समक्ष व्ाप्त समस्याएं

 अपने जनयनक्ता के अजि ठरक्त ककसय और के जलए श्रम करने की अनुमजि नहीं।
 उन्हें श्रम करने हेि ु बाध्य करने के जलए बल प्रयनग ककया जाि ा है। कई बार उन्हें कड़य
जनगरानय में बंदय के रूप में रखा जाि ा है।
 ये एक कदन में 12-14 घंटे ि क श्रम करने और दयनयय पठरजस्थजि यों में रहने के जलए
बाध्य हैं।

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 अजधकांि बंधुआ मजदूर गांवों में कृ जष श्रजमक के रूप में कायग करि े हैं ि था ये दजलि या
आकदवासय समुदायों से सम्बंजधि हनि े हैं।
 बंधुआ कृ जष मजदूरों कन ग्रामयणका सामाजजक व्वस्था में सवागजधक जनम्न दजाग प्रदान ककया
जाि ा है।

बंधआ
ु मजदूरय के उन्मूलन के जलए उिाए गए कदम

 संजवधान के अनुच्छेद 21 एवं 23 ि था बंधुआ मज़दूरय प्रथा (उन्मूलन) अजधजनयम,


1976
 सवोच्च न्यायालय ने अपने जवजभन्न जनणकागयों में इस जस्थजि में सुधार करने हेि ु जनदेि कदए
हैं ि था वषग 1997 से राष्ट्रयय मानवाजधकार आयनग संबंजधि पठरजस्थजि पर जनगरानय
रखने एवं इसकी ठरपनटग सवोच्च न्यायालय कन प्रस्ि ुि करने हेि ु प्रत्यक्ष रूप से संलग्न है।
 सरकार द्वारा एक के न्द्र प्रायनजजि यनजना प्रारम्भ की गयय जजसके ि हि प्रत्येक बंधुआ
मजदूर के पुनवागस के जलए प्रारम्भ में 4,000 रुपये प्रदान ककए गए।
 माचग 2015 ि क 3 लाख बाँधुआ मजदूरों की पहचान कर उन्हें मुक्त करा जलया गया है।
 कें द्र संबंजधि सवेक्षणकाों, जागरूकि ा अजभयानों और मूल्यांकनों हेि ु भय सहायि ा प्रदान
करि ा है। मुक्त ककए गए बंधआ
ु मजदूरों कन सरकारय यनजनाओं में वरययि ा दय जाि य है।
 जून 2000 से अंि रराष्ट्रयय श्रम संगिन दजक्षणका एजिया में बंधुआ मजदूरय कन रनकने एवं
इसके उन्मूलन के जलए एक पठरयनजना ककयागजन्वि कर रहा है।

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भारि में अनुबंध आधाठरि और प्रवासय श्रजमकों की श्रम संबंधय िि ों कन जवजनयजमि करने,

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खि रनाक उद्यनगों में बाल श्रम कन प्रजि बंजधि करने ि था न्यूनि म मजदूरय के जलए अनेक श्रम
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कानून अजधजनयजमि ककए गए हैं। ककन्ि ु इन कानूनों का एक बड़ा जहस्सा लागू नहीं ककया
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जाि ा है। अि िः इस सम्बन्ध में जनयनक्ताओं ि था श्रजमक संघों, जसजवल सनसाइटय ि था सरकार
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के घजनष्ठ सहयनग द्वारा कानूनों के प्रभावय कियान्वयन के जलए समजन्वि प्रयास ककए जाने की
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आवश्यकि ा है।
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6. वन अजधकार अजधजनयम 2006 वनवाजसयों और आकदवाजसयों के साथ हुए ऐजि हाजसक


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अन्याय कन समाप्त करने का प्रयास करि ा है। अपने लक्ष्यों का आिय अच्छा हनने के बावजूद
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यह अजधजनयम वांजछि सफलि ा प्राप्त करने में नाकाम रहा है। आलनचनात्मक जवश्लेषणका
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कीजजए।
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दृजष्टकनणका:
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 वन अजधकार अजधजनयम (FRA) की आवश्यकि ा पर चचाग करि े हुए संजक्षप्त पठरचय दयजजए।
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 FRA के प्रावधानों और कै से इसने ऐजि हाजसक अन्याय कन दूर करने के प्रयास ककय हैं इस पर
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चचाग कीजजए।
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 लघु वन उपज पर जनबागध अजधकार, पारगमन परजमट जैसे प्रजि बंध आकद चुनौजि यों का
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उल्लेख कीजजए जजनके कारणका अजधजनयम के प्रभावय कायागन्वयन में बाधा उत्पन्न हुई है।
उिर:

वन अजधकार अजधजनयम (FRA) की उत्पजि भारि में आकदवाजसयों और वनों पर जनभगर


अन्य समुदायों के अजधकारों के ऐजि हाजसक हनन में जनजहि है। यह 19वीं सदय में
औपजनवेजिक िासन के साथ प्रारं भ हुआ। जंगलों कन आरजक्षि करने और लनगों के अजधकारों
कन सयजमि करने की यह नयजि स्वि न्त्रि ा के बाद भय जारय रहय।

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FRA का लक्ष्य वन में जनवास करने वालय ऐसय अनुसूजचि जनजाजि यों और अन्य परं परागि
वन जनवाजसयों; जन पयकढ़यों से वन में जनवास करि े हैं ककन्ि ु उनके अजधकारों कन अजभजलजखि
नहीं ककया जा सका है, के वन भूजम में अजधभनग के अजधकार और वन अजधकारों कन मान्यि ा
देना और उन्हें जनजहि करना है।
यह "वन अजधकारों की मान्यि ा से कहीं अजधक है और ककसय भय सामुदाजयक वन संसाधनों
की सुरक्षा, पुनरुत्थान, संरक्षणका और प्रबंधन के अजधकारों कन प्रदान कर वन अजधकार धारकों,
ग्राम सभाओं और स्थानयय स्ि र के संस्थानों कन सिक्त बनाि ा है’’।

अजधजनयम के ि हि उपलधध अजधकार:

 वन में जनवास करने वालय अनुसूजचि जनजाजि यों या अन्य परं परागि वनवाजसयों के
ककसय सदस्य या ककन्हीं सदस्यों द्वारा जनवास के जलए या आजयजवका हेि ु स्वयं खेि य करने
के उद्देश्य से व्जक्तगि या सामूजहक अजधभनग के अधयन वन भूजम कन धाठरि करने और
उसमें रहने का अजधकार।
 जनस्ि ार के रूप में सामुदाजयक अजधकार, चाहे वह ककसय नाम से ज्ञाि हों, जजनके अंि गगि
ि त्कालयन ठरयासि ों के राजाओं, जमींदारय या इस ि रह के मध्यवि ी िासनों में प्रयुक्त
अजधकार भय सजम्मजलि हैं।
 लघु वननपज, जजनका गांव की सयमा के भयि र या बाहर पारं पाठरक रूप से संग्रह ककया

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जाि ा रहा है, के स्वाजमत्व, संग्रह करने के जलए पहुाँच, उपयनग करने और उसका व्यन

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करने का अजधकार।

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 वनों के सभय वन ग्रामों, पुराने आवासों, असवेजक्षि ग्रामों और अन्य ग्रामों के बसने और
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संपठरवि गन के अजधकार, चाहे वे राजस्व ग्रामों में लेखबद्ध एवं अजधसूजचि हों अथवा
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नहीं।
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जैव जवजवधि ा ि क पहुाँच का अजधकार और जैव जवजवधि ा ि था सांस्कृ जि क जवजवधि ा से


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संबंजधि बौजद्धक संपदा और पारं पठरक ज्ञान का सामुदाजयक अजधकार।


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फरवरय 2016 ि क, दायर ककए गए 44.15 लाख दावों में से 89.90 लाख एकड़ वन भूजम
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पर 17.20 लाख लनगों कन स्वत्वाजधकार प्रदान ककए जाने के बावजूद, FRA का कायागन्वयन
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चुनौि यपूणकाग रहा है - इनमें से कु छ चुनौजि यां वास्ि जवक हैं जबकक अन्य नौकरिाहय और
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राजनयजि क जड़ि ा, अक्षमि ा और द्वेष का पठरणकााम हैं। जनम्नजलजखि इसकी सयजमि सफलि ा
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कन दिागि े हैं:
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 सामुदाजयक अजधकारों की सयजमि मान्यि ा: इसके जलए कभय-कभय संयुक्त स्वाजमत्व कन


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जनधागठरि करने हेि ु आवश्यक साक्ष्यों के अभाव कन उिरदायय िहराया जाि ा है।
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(हालांकक भौजि क भूजम सवेक्षणका और मनबाइल एप जैसे उपाय उपलधध हैं, जनकक इसका
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समाधान कर सकि े हैं)


 वन संसाधनों का जनम्नस्ि रयय उपयनग: सड़कों और बाजारों जैसे बुजनयादय ढांचे के
अभाव में के रल जैसे जवकजसि राज्य के आकदवासय भय वनों का बेहि र उपयनग करने के
जलए संघषग कर रहे हैं।
 लघु वन उपजों (MFP) पर अबाजधि पूणकाग अजधकार कन मान्यि ा प्रदान नहीं ककया जाना:
यह समस्या MFPs की ढु लाई के जलए पारगमन परजमट, िुल्क की उगाहय, प्रभार,
MFPs की जबिी पर रॉयल्टय, अजधजनयम में दय गई MFP की पठरभाषा का उल्लंघन
कर कु छ जनजिि प्रकार की MFPs का अपवजगन, जविेष रूप से उच्च मूल्य MFPs जैसे

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ि ेंदप
ु िा आकद के मामले में MFP के व्ापार में राज्य एजेंसय के एकाजधकार का बने
रहना जैसे जवजभन्न पहलुओं के कारणका बनय हुई है।
 जवजभन्न राज्यों और कें द्र िाजसि प्रदेिों में सुरजक्षि और संरजक्षि वनों में जनवास करने
वालय जनजाि यय आबादय के जनसांजख्यकीय जववरणका का अभाव; यह राज्य और कें द्र के
आंकड़ों के मध्य जनि ांि असंि ुलन से बढ़ रहा है।
 उिर-पूवग के राज्य FRA के प्रजि उदासयन हैं क्योंकक वहााँ के स्थानयय समुदाय पहले से
हय FRA द्वारा प्रदि अजधकारों की ि ुलना में कहीं अजधक अजधकारों का लाभ प्राप्त कर
रहे हैं।
 अजि िमणका कन जनयजमि करने के एक साधन के रूप में वन नौकरिाहय द्वारा FRA की
गलि व्ाख्या। यह प्रवृजि व्जक्त के दावे कन स्वयकार करि े हुए सामूजहक दावों की उपेक्षा
पर बल देने के रूप में स्पष्ट हनि य है।

FRA के प्रभावय कायागन्वयन के जलए ननिल आकदवासय जवभागों कन सिक्त बनाने, राज्य और
जजला प्रिासन कन स्पष्ट जनदेि देने और नागठरक समाज के कि ागओं कन प्रनत्साजहि करने की
स्पष्ट आवश्यकि ा है। यह ऐजि हाजसक पठरवि गन मजबूि राजनयजि क इच्छािजक्त के जबना संभव
नहीं है।

7. रांसजेंिर समुदाय भारि में सवागजधक वंजचि समुदायों में से एक रहा है। चचाग कीजजए। कद
रांसजेंिर पसगन (प्रनटेक्िन ऑफ़ राईट) जबल 2016 {रांसजेंिर व्जक्त (अजधकारों का संरक्षणका)

)
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जवधेयक-2016} रांसजेंिरों के साथ हनने वाले भेदभाव से संरक्षणका एवं उनके द्वारा सामना की

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जाने वालय समस्याओं कन ककस प्रकार संबनजधि करने का प्रयास करि ा है? 9@
दृजष्टकनणका:
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सवगप्रथम, संजक्षप्त रूप से रांसजेंिर समुदाय कन पठरभाजषि कीजजए।


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 ि त्पिाि , भारि में रांसजेंिर समुदाय की वंचन या उपेक्षा से संबंजधि मुद्दों कन जचजन्हि
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कीजजए।
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 जवधेयक में स्वास््य, जिक्षा, पहचान प्रमाणका पत्र आकद के संदभग में ककये गए प्रावधानों का
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वणकागन कीजजए।
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 संक्षेप में जवधेयक की कजमयों कन उजागर कीजजए और भजवष्य में ककए जा सकने वाले उपायों
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का सुझाव दयजजए। सुझाव हेि ु उच्चि म न्यायलय के जनणकागय का भय उपयनग ककया जा सकि ा
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है।
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उिर:
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रांसजेंिर व्जक्तयों में उन सभय कन िाजमल ककया जाि ा है जजनकी लैंजगक जविेषि ाएं उनके
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जन्म के समय जनयि हलग से जभन्न हनि य है। वे कई सामाजजक-सांस्कृ जि क पहचान रखि े हैं
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जैसे कक ककन्नर, जहजड़ा, अरवनय, जनगि ा (jogtas) आकद।


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इनके साथ हनने वाले वगग और हलग आधाठरि भेदभाव ने रांसजेंिर समुदाय कन भारि यय
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समाज के सबसे अजधक अिक्त और वंजचि समहों में से एक बना कदया है। भारि में रांसजेंिर
द्वारा सामना ककए जाने वाले जवजभन्न मुद्दों में िाजमल हैं:
 इनके साथ घृजणकाि व्वहार ककया जाि ा है एवं इन्हें उपहास और यहााँ ि क कक
अन्धजवश्वास के कारणका भय का जवषय भय माना जाि ा है।
 ये मूलभूि अजधकारों जैसे कक व्जक्तगि स्वि ंत्रि ा, गठरमा, अजभव्जक्त की स्वि ंत्रि ा,
जिक्षा और सिजक्तकरणका का अजधकार, हहसा, भेदभाव और िनषणका के जवरुद्ध अजधकार,
काम का अजधकार आकद से वंजचि हैं। कौिल जवकास की कमय इन्हें जभक्षावृजि या देह
व्ापार में जलप्त हनने के जलए बाध्य करि य है।

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 जचककत्सा सुजवधाओं जैसे HIV देखभाल और स्वच्छि ा का अभाव, अवसाद, हामोन की
गनलय का दुरूपयनग, ि म्बाकू और िराब के सेवन आकद।
 नागठरक अजधकारों (जववाह, संपजि के स्वाजमत्व और गनद लेने के संदभग में) के मामले में
अलग रखना।
 जनगणकाना में रांसजेंिर की जस्थजि कन ियक से दज़ग नहीं ककया जाि ा है। यह रांसजेंिर के
संबंध में पयागप्त अनुसंधान के जनष्पादन और कल्याणकाकारय नयजि यों के प्रजि पादन में बाधा
उत्पन्न करि ा है।
 ककन्नरों कन उनके 'गुरुओं' द्वारा दासि ा और बंधुआ मजदूरों का जयवन व्ि यि करने के
जलए बाध्य ककया जाि ा है।
राष्ट्रयय जवजधक सेवा प्राजधकरणका (नालसा) बनाम भारि संघ वाद के अपने ऐजि हाजसक फै सले
में उच्चि म न्यायालय ने रांसजेंिर व्जक्तयों के संवैधाजनक अजधकारों और स्वि ंत्रि ा की पुजष्ट
की है। जवजवध हलग पहचान कन मान्यि ा देकर न्यायालय ने भारि यय कानून में व्ाप्त ‘पुरुष'
और ‘मजहला’ के बाइनरय हलग की धारणकाा कन समाप्त कर कदया है। रांसजेंिसग के अजधकारों कन
बनाए रखने के जलए, रांसजेंिर व्जक्त (अजधकार संरक्षणका) जवधेयक, 2016 कन संसद में पेि
ककया गया है। इसके प्रमुख प्रावधान जनम्नजलजखि हैं:
 भेदभाव के जवरुद्ध जनषेध: जवधेयक रांसजेंिर व्जक्त के जवरुद्ध भेदभाव जैसे- जिक्षा,
रनजगार, स्वास््य आकद के संबध
ं में अनुजचि व्वहार एवं सेवा प्रदान करने से इंकार
करना आकद, कन प्रजि बंजधि करि ा है।
 जनवास का अजधकार: प्रत्येक रांसजेंिर व्जक्त कन जनवास का अजधकार (Right to

)
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Reside) और उसके पठरवार में समाजवष्ट ककए जाने का भय अजधकार हनगा। यकद

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जनकटि म पठरवार रांसजेंिर व्जक्त की देखभाल करने में असमथग है, ि न ककसय सक्षम 9@
न्यायालय के आदेि पर ऐसे व्जक्त कन पुनवागस कें द्र में रखा जा सकि ा है।
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 रांसजेंिर व्जक्त के जलए पहचान प्रमाणका पत्र: एक रांसजेंिर व्जक्त एक ऐसे पहचान
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प्रमाणका पत्र जजसमें उसकी लैंजगक पहचान 'रांसजेंिर' के रूप में उजल्लजखि की गयय हन, के
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जलए जजलाजधकारय कन आवेदन कर सकि ा है।


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 संबंजधि सरकार रांसजेंिर के समाज में समावेिन और भागयदारय सुजनजिि करने के


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जलए कदम उिाएगय। इसे उनके संरक्षणका और पुनवागस, व्ावसाजयक प्रजिक्षणका और


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स्वरनजगार के जलए कदम उिाने चाजहए। ऐसय यनजनाओं का जनमागणका ककया जाना
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चाजहए जन रांसजेंिर के प्रजि संवेदनियल हों और सांस्कृ जि क गजि जवजधयों में उनकी
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भागयदारय कन बढ़ावा दें।


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 अपराध और दंि: जवधेयक जनम्नजलजखि अपराधों की पहचान करि ा है: (i) जभक्षावृजि ,
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बलाि ् या बंधआ
ु मजदूर (सावगजजनक उद्देश्यों के जलए अजनवायग सरकारय सेवा कन
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छनड़कर); (ii) सावगजजनक स्थान के उपयनग से वंजचि करना; (iii) घर, गांव आकद में
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जनवास से वंजचि करना; (iv) िारयठरक, यौन, मौजखक, भावनात्मक और आर्थथक


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िनषणका।
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 राष्ट्रयय रांसजेंिर पठरषद (NCT) का सृजन- यह पठरषद, रांसजेंिर व्जक्तयों से संबंजधि


नयजि यों, कानूनों और पठरयनजनाओं के जनमागणका और जनगरानय के संदभग में के न्द्र सरकार
कन सलाह देगय।
हालांकक, जवधेयक में उच्चि म न्यायालय द्वारा कदए गए नालसा के जनणकागय के कु छ पहलुओं कन
िाजमल नहीं ककया गया है। इसमें आरक्षणका और स्व-पहचान के जलए कनई प्रावधान नहीं ककया
गया है। लेककन, रांसजेंिर व्जक्त (अजधकार संरक्षणका) जवधेयक, 2016 जनजिि रूप से भारि
में लंबे समय से अलगाव और उपेक्षा का सामना कर रहे एक समुदाय कन मुख्य धारा में
िाजमल करने के जलए एक महत्वपूणकाग मयल का पत्थर है।

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8. जविेष रूप से सुभद्य
े जनजाि यय समूह (PVTGs) क्या हैं? वे गैर-अजधसूजचि (िय-
ननटयफाइि) जनजाजि यों से ककस प्रकार जभन्न हैं? उनके सम्मुख उपजस्थि समस्याओं कन
संबनजधि करने हेि ु सरकार द्वारा उिाए गए कदमों का आलनचनात्मक जवश्लेषणका कीजजए।
दृजष्टकनणका:
 इस प्रश्न के प्रथम भाग में कु छ आदिग उदाहरणकाों सजहि (Particularly Vulnerable Tribal
Groups: PVTGs) PVTGs कन पठरभाजषि कीजजए।
 जद्वि यय भाग में PVTGs और गैर-अजधसूजचि जनजाजि यों के मध्य अंि र स्पष्ट कीजजए।
 अजनवायग पहलों की पहचान करने हेि ु सरकार द्वारा उिाये गए कदमों का आलनचनात्मक
जवश्लेषणका कीजजए और कु छ कजमयों का उल्लेख कीजजए।
 जनष्कषग के रूप में आगे की राह बि ाइए।
उिर:
2006 में सरकार ने आकदम जनजाि यय समूह (PTGs) का नाम पठरवर्थि ि कर जविेष रूप से
सुभेद्य जनजाि यय समूह (PVTGs) करने का प्रस्ि ाव रखा। 1960-61 में ढेबर आयनग द्वारा
आकदवासय समूहों की एक उप श्रेणकाय के रूप में आकदम जनजाि यय समूह (PTGs) का उल्लेख
ककया गया था, जजनकी जविेषि ा है:
 पुरानय कृ जष प्रौद्यनजगकी
 जस्थर और घटि य जनसंख्या
 अत्यजधक जनम्न साक्षरि ा
जयवन जनवागह स्ि र की अथगव्वस्था

)

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इनमें से ककसय भय एक कसौटय कन संि ुष्ट करने वाले जनजाि यय समूहों कन PTGs माना गया,

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जजन्हें बाद में PVTGs कहा गया। PVTGs की सुभेद्यि ा के जलए मुख्य रूप से उनकी 9@
परं परागि आजयजवका, आवास और प्रथागि संसाधन अजधकारों की हाजन कन जजम्मेदार
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िहराया जा सकि ा है।


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वि गमान में 75 आकदवासय समूहों की पहचान करके उन्हें PVTGs के रूप में वगीकृ ि ककया
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गया है। ये आंध्र प्रदेि, जबहार, झारखंि, गुजराि , कनागटक, के रल, मध्य प्रदेि, छियसगढ़,
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महाराष्ट्र, मजणकापुर, उड़यसा, राजस्थान, ि जमलनािु , जत्रपुरा, उिर प्रदेि, उिराखंि, पजिम
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बंगाल और अंिमान एवं जनकनबार द्वयप समूह राज्यों / के न्द्र िाजसि प्रदेिों में जनवाजसि हैं।
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जबरजजया, ग्रेटर अंिमानयज, ओंगे और जारवा आकद PVTGs के कु छ उदाहरणका हैं जजनकी
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आबादय 1000 से भय कम है।


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गैर-अजधसूजचि (िय-ननटयफाइि) जनजाजि यों कन जरठटि काल में आपराजधक जनजाजि


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अजधजनयम के ि हि आपराजधक जनजाजि यों के रूप में अजधसूजचि ककया गया था। इस
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अजधसूचना कन 1952 में जनरस्ि कर कदया गया, ि ब से इन्हें गैर-अजधसूजचि जनजाजि कहा
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जाि ा है। इन समूहों कन आजधकाठरक ि ौर पर "गैर-अजधसूजचि , खानाबदनि और अद्धग-


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खानाबदनि जनजाजि यों" के रूप में जचजह्नि ककया जाि ा है। स्वि ंत्रि ा के बाद भय इस
समुदायों के सदस्यों कन अभ्याजसक अपराधय अजधजनयम, 1952 का प्रयनग करके कलंककि
ककया गया। अपराधय के लेबल ने इनके जलए उपलधध जनयजमि रनजगार के अवसर समाप्त कर
कदए, और DNT समुदाय सामाजजक और आर्थथक रूप से अन्य भारि यय समुदायों से अत्यजधक

जपछड़े बने रहे। वषग 2008 में इन समुदायों से संबंजधि मुद्दों पर जवचार करने हेि ु बालकृ ष्णका
रे णकाके आयनग गठिि ककया गया।
इस प्रकार यह देखा जा सकि ा है कक PVTGs, DNTs से जनम्नजलजखि रूप में जभन्न हैं:

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 PVTGs के जवपरयि , DNTs के वल अनुसूजचि जनजाजि की एक उपश्रेणकाय मात्र नहीं हैं,
इनमे से कु छ "अनुसूजचि जाजि ” के रूप में भय सूचयबद्ध हैं। जबकक अन्य "अन्य जपछड़ा
वगग" या OBCs के रूप में सूचयबद्ध हैं। कु छ इस वगीकरणका के दायरे से बाहर भय हैं।

 DNTs काफी हद ि क भूजमहयन, खानाबदनि लनग हैं- हालांकक वि गमान में इनमें से कु छ
स्थायय रूप से बसे हुए हैं।
 DNTs जरठटि औपजनवेजिक िासन काल में और बाद में भय जवजिष्ट कानूनय प्रावधानों
के कारणका जविेष उत्पयड़न के जिकार थे।

सरकारय यनजनाएं:

1. “जविेष रूप से सुभेद्य जनजाि यय समूहों (PVTGs) का जवकास”- इस यनजना में 2015
में संिनधन ककया गया। यनजना के ि हि , उनकी सुरक्षा ि था आजयजवका, स्वास््य, पनषणका
और जिक्षा जैसे सामाजजक संकेि कों के संदभग में सुधार कन प्राथजमकि ा दय गई है, ि ाकक
उनकी सुभेद्यि ा कन कम ककया जा सके ।
2. 2006 में, गैर-अजधसूजचि , खानाबदनि और अद्धग-खानाबदनि जनजाजि यों के जलए
राष्ट्रयय आयनग (NCDNT) गठिि ककया गया था।
3. DNTs के कु छ समूहों के जलए, जन SC/ST और OBCs की सूचय के ि हि कवर नहीं हैं,

)
सरकार ने 2015 में दन यनजनाओं की िुरूआि की है:

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 गैर-अजधसूजचि , खानाबदनि और अद्धग खानाबदनि जनजाजि (DNTs) के जलए कें द्र

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प्रायनजजि िॉ. अम्बेिकर प्रय-मैठरक और पनस्ट-मैठरक छात्रवृजि यनजना, और
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DNTs के जलए छात्रावासों के जनमागणका की कें द्र प्रायनजजि नाना जय देिमुख यनजना।
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जवगि कु छ वषों में जवजभन्न यनजनाओं के प्रारं भ हनने के बावजूद PVTGs और DNTs बड़े
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पैमाने पर जवकास प्रकिया के दायरे से बाहर हैं। स्वास््य और जिक्षा जैसे संकेि कों पर ये समूह
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सबसे जनचले स्ि र पर हैं। PVTGs के जलए प्रारं भ जवजभन्न यनजनाओं के सि ि मूल्यांकन और
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जनगरानय की आवश्यकि ा है। DNTs के संदभग में भेदभावपूणकाग कानून कन जनरस्ि करने, प्रभावय
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पुनवागस प्रदान करने और आरक्षणका की ‘सकारात्मक कायगवाहय प्रणकाालय’ के भयि र पृथक


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वगीकरणका प्रदान करने की आवश्यकि ा है।


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9. लैंजगक अपराधों से बालकों का संरक्षणका (POCSO) अजधजनयम, 2012 कन बच्चों कन संरक्षणका


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प्रदान करने की कदिा में एक महत्वपूणकाग कानून के रूप में देखा गया था, लेककन कई लनगों का
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मानना है कक यह व्ापक रूप से अप्रभावय रहा। अजधजनयम के प्रमुख उद्देश्यों की पहचान


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करि े हुए, इसके अप्रभावय हनने के कारणकाों की चचाग कीजजए।


दृजष्टकनणका:
 लैंजगक अपराधों से बालकों का संरक्षणका (Protection of Children from Sexual
Offences: POCSO) अजधजनयम से पूवग भारि में लैंजगक अपराधों के जवरुद्ध बच्चों की
सुरक्षा की जस्थजि का संजक्षप्त पठरचय दयजजए ि था संदर्थभि कीजजए कक यह अजधजनयम क्यों
पाठरि ककया गया था।
 प्रश्न के अगले भाग में इस अजधजनयम के प्रमुख उद्देश्यों की चचाग कीजजए।

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 बच्चे के जवरुद्ध लैंजगक अपराधों कन रनकने में इस अजधजनयम की अप्रभाजवि ा के कारणकाों की
चचाग कीजजए।
 इस संदभग में आगे की राह का संजक्षप्त वणकागन कीजजए।
उिर:
2012 में, संसद द्वारा लैंजगक अपराधों से बालकों का संरक्षणका (POCSO) अजधजनयम पाठरि
ककया गया। उस समय ि क बच्चों के जवरुद्ध लैंजगक अपराधों से जनपटने के जलए भारि यय दंि
संजहि ा के प्रावधानों का उपयनग ककया जाि ा था और कानून के अंि गगि वयस्क और बच्चे के
मध्य कनई भेद नहीं ककया गया था।
अजधजनयम के उद्देश्यों का संजक्षप्त जववरणका जनम्नजलजखि है:
 इसका उद्देश्य बच्चों (18 से कम आयु के व्जक्त) कन लैंजगक हहसा अथागि ् लैंजगक हमला,

लैंजगक उत्पयड़न एवं पननोग्राफी के जलए उनके उपयनग के जवरुद्ध सुरक्षा प्रदान करना है।

 इसमें ठरपनर्टटग, साक्ष्यों की ठरकार्सिग, जांच और अपराधों के जलए रायल जैसे प्रत्येक
स्ि र पर बच्चों के जहि ों की रक्षा करने हेि ु व्ापक प्रावधान ककए गए हैं।
 इसका उद्देश्य जविेष ककिनर पुजलस यूजनट में जिकायि ककए जाने पर यथासंभव
ियघ्रि ापूवक
ग राहि और पुनवागस (पहले जैसय जस्थजि ) की व्वस्था करना है।
 यह बच्चों के जवरुद्ध ककए गए लैंजगक अपराधों से संबंजधि मामलों के त्वठरि जनपटान हेि ु
जविेष न्यायालय की स्थापना का प्रावधान करि ा है।

)
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 यह संयुक्त राष्ट्र बाल अजधकार सम्मेलन के हस्ि ाक्षरकि ाग के रूप में भारि के अजनवायग

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दाजयत्वों कन पूरा करि ा है।

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वैधाजनक कानून पाठरि ककया जाना कई कारणकाों से महत्वपूणकाग है, हालांकक इस अजधजनयम के
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सफल कायागन्वयन में कई बाधाएाँ जवद्यमान हैं, जैसे:


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 पुजलस बल उजचि प्रजिक्षणका के अभाव के कारणका ऐसे अपराधों से जुड़े सूक्ष्म जवषयों से
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जनपटने में अक्षम है। POCSO द्वारा अक्सर बच्चों के लैंजगक िनषणका से संबंजधि मामलों
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से जनपटने हेि ु पुजलस और अन्य कानूनय अजधकाठरयों के जलए व्ापक प्रजिक्षणका कायगिम
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की आवश्यकि ा पर बल देने के बावजूद इस प्रकार के कायगिमों का कियान्वयन लगभग


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नहीं के बराबर ककया जा रहा है।


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 इस अजधजनयम के संबंध में जागरूकि ा की कमय है, क्योंकक ऐसा देखा गया है कक बच्चों से
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दुव्गवहार के अजधकि र मामलों कन POCSO के अंि गगि दजग नहीं ककया जाि ा है।
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हमारे देि में फं ि की कमय और मननसामाजजक सेवाओं से संबंजधि दयनयय अवसंरचना


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के कारणका पयजड़ि और उसके पठरवार कन सरकार प्रायनजजि सेवाओं से बहुि कम


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क्षजि पूर्थि प्राप्ि हनि य है।


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 बच्चों के लैजगक िनषणका से संबंजधि मामलों में जचककत्सा और स्वास््य देखभाल पेिेवरों
द्वारा किनरि ापूवक
ग अनुपालन ककए जाने यनग्य स्पष्ट जनयम और जसद्धांि ों कन प्रस्ि ुि
करने की कदिा में राज्य सरकारों द्वारा कनई प्रयास नहीं ककए गए हैं।

ऐसे देि में जहााँ 40% जनसंख्या 18 वषग से कम आयुवगग की है और लगभग 53% बच्चे ककसय

न ककसय प्रकार के लैंजगक िनषणका का जिकार हुए हैं, ऐसे में हमारे देि में POCSO का
समुजचि कायागन्वयन अपठरहायग है ।

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10. भारि में बच्चा गनद लेने की दर में जगरावट के क्या कारणका हैं? चचाग कीजजए कक क्या संिनजधि
ककिनर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षणका) अजधजनयम, 2015 इस समस्या का समाधान
प्रस्ि ुि कर सकि ा है?
दृजष्टकनणका:
 भारि में बच्चा गनद लेने की घट रहय दर के कारणकाों की चचाग कीजजए।
 गनद लेने की प्रकिया कन सरल बनाने के संबंध में ककिनर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं
संरक्षणका) अजधजनयम, 2015 के प्रावधानों की चचाग कीजजए।
उिर:
भारि में देि के भयि र ि था साथ हय जवदेिय नागठरकों द्वारा गनद लेने की दर में जपछले पांच
वषों के दौरान लगभग 50 प्रजि िि की जगरावट हुई है।
हालांकक ि जमलनािु , आंध्र प्रदेि, कनागटक और के रल जैसे दजक्षणकाय भारि यय राज्यों में अभय भय
गनद लेने की दर अपेक्षाकृ ि उच्च है, वहीं जबहार, झारखंि, गनवा और उिराखंि राज्यों सजहि
पूवोिर के साि राज्यों में बच्चा गनद लेने की दर काफी कम है।
सरकारय आंकड़ों के अनुसार, 2010 में 6,321 बच्चों कन गनद जलया गया था। हालांकक, गनद
लेने की संख्या 2013 में घटकर 4,354 रह गयय थय। महाराष्ट्र में जगरावट की प्रवृजि के
बावजूद गनद लेने की दर उच्चि म है। जवदेिय राष्ट्रों में स.रा.अमेठरका भारि यय बच्चों कन गनद
लेने में अग्रणकाय है।

भारि में बच्चा गनद लेने की दर में जगरावट के कारणका

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पूवोिर राज्यों में गनद लेने की जनम्न दर का मुख्य कारणका सरकार द्वारा मान्यि ा प्राप्त गनद

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लेने से संबंजधि एजेंजसयों की अनुपजस्थजि है। 9@
 जबहार, जमजनरम, मजणकापुर, मेघालय और अरुणकााचल प्रदेि जैसे राज्यों में कनई भय
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पंजयकृ ि एजेंसय नहीं है, जजसके पठरणकाामस्वरूप इन राज्यों में बच्चा गनद लेने की संख्या में
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कमय हुयय है।


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 गनद लेने से संबंजधि कड़े मानदंिों और धयमय न्याजयक प्रकिया गनद लेने की प्रकिया कन
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और धयमा बना देि य है। लगभग 80 प्रजि िि मामलों में प्राथजमकी दजग हनि य है, अि :
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स्थानयय अदालि ों से मंजूरय प्राप्त हुए जबना ककसय बच्चे कन गनद नहीं जलया जा सकि ा है।
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 बाजलकाओं से संबंजधि मामले भय गनद लेने से संबंजधि एजेंजसयों कन अग्रसकिय रूप से


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कायग करने से रनकि े हैं।


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 अत्यजधक समृद्ध भारि यय माि ा-जपि ा की बच्चों के चयन से संबंजधि संभाजवि


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प्राथजमकि ाएं हलग और गनरा रं ग कन लेकर हनि य है लेककन संबंजधि के न्द्रों का सवागजधक
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ध्यान, आयु और िारयठरक स्वास््य पर हनि ा है। इससे गनद लेने की प्रकिया में
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अनावश्यक देरय हन जाि य है।


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 कृ जत्रम प्रजनन प्रौद्यनजगकी के कारणका गनद लेने कन कड़य प्रजि स्पधाग का सामना करना पड़
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रहा है।
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ककिनर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षणका) अजधजनयम, 2015 में बच्चा गनद लेने से
संबजं धि प्रावधान

कें द्रयय दिक-ग्रहणका संसाधन प्राजधकरणका (Central Adoption Resource Agency:


CARA) द्वारा गनद लेने से संबंजधि जवजनयमों का जनमागणका ककया जाएगा। इन जवजनयमों कन
राज्य और जजला एजेंजसयों द्वारा कियाजन्वि ककया जाएगा। भावय दिक माि ा-जपि ा कन

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िारयठरक और आर्थथक रूप से मजबूि हनना चाजहए। एकल या ि लाकिुदा व्जक्त बच्चे कन गनद
ले सकि े हैं। एकल पुरुष बाजलका जििु कन गनद नहीं ले सकि ा है।

 बच्चों की त्वठरि और बाधा रजहि गनद लेने की सुजवधा के जलए, गनद लेने की संपणका
ू ग
प्रकिया कन ऑनलाइन और पारदिी बनाया गया है।
 ठरश्ि ेदारों द्वारा गनद लेने की प्रकियाओं कन सरल बनाया गया है।
 बाल देखभाल संस्थानों कन जविेष दिक ग्रहणका एजेंजसयों के साथ संबद्धि ा स्थाजपि करने
की आवश्यकि ा है ि ाकक गनद जलए जाने वाले बच्चों के समूह कन बढ़ाया जा सके और इन
बच्चों कन गनद लेने की प्रकिया के अंि गगि सजम्मजलि ककया जा सके ।
 CARA, जन पूवग में एक सनसाइटय के रूप में कायगरि थय, इसे वि गमान में बेहि र ढंग से
कायग करने में सक्षम बनाने के जलए सांजवजधक जनकाय का दजाग प्रदान ककया गया है।
इसके सुचारू संचालन की सुजवधा के जलए CARA के राफ्ट जनयमों में एक व्ापक सूचय
जनधागठरि की गयय है।
 इसमें गनद लेने से संबंजधि एक पृथक अध्याय कन सजम्मजलि ककया गया है जजसमें गनद
लेने से संबजं धि जवस्ि ृि प्रावधान और जनधागठरि प्रकिया का पालन न ककए जाने पर दंि
का प्रावधान ककया गया है।
 प्रकियाओं कन देि में ि था अंि देियय दननों में गनद लेने के जलए समय-सयमा के साथ
सुव्वजस्थि ककया गया है जजसमें गनद लेने के जलए बच्चा कन कानूनय रूप से मुक्त करने
की घनषणकाा भय िाजमल है।

)
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लेककन कु छ हचि ाएं अभय िेष हैं

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संिनजधि ककिनर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षणका) अजधजनयम, 2015 के ि हि , 9@
न्यायालय के वैध आदेि के जबना जवदेजियों द्वारा गनद लेने कन अवैध माना जाि ा है। यह
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जवदेजियों द्वारा गनद लेने की प्रकिया कन जठटल बनाि ा है।


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जुलाई, 2016 में कदल्लय उच्च न्यायालय ने देि में गनद लेने की जनम्न दर के जलए CARA कन
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फटकार भय लगाई। न्यायालि ने यह भय जनणकागय कदया कक जहां गनद लेने के मामलों में जैजवक
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माि ा-जपि ा स्वयं बच्चे कन गनद देने के जलए ि ैयार हैं, वहां 2015 का ककिनर न्याय (बच्चों की
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देखभाल एवं संरक्षणका) अजधजनयम लागू नहीं हनि ा है क्योंकक यह के वल अनाथ और पठरत्यक्त
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बच्चों पर हय लागू हनि ा है।


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राष्ट्रयय राजधानय में जवजभन्न सामाजजक कायगकि ागओं का कहना है कक अवैध गनद लेने से
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संबंजधि व्वसाय में वृजद्ध हन रहय है, जजसे प्रवि गन एजेंजसयां रनकने में अक्षम रहय हैं। यह
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इससे संबंजधि आजधकाठरक आंकड़ों की कमय का करणका भय है।


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कु ल जमलाकर, संिनधन जनयम सहय कदिा में उिाया गया एक कदम है और भारि में गनद लेने
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की दर में वृजद्ध करने हेि ु जवद्यमान जवजभन्न कजमयों कन दूर ककया जाना चाजहए।
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11. आर्थथक जपछड़ेपन की बेजड़यों कन ि नड़ने की ि ुलना में सामाजजक भेदभाव की छाया से बचना
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अजधक कठिन है। दजलि पूज ं यवाद के संदभग में इस कथन पर चचाग कीजजए एवं दजलि
उद्यजमयों द्वारा सामना की जा रहय समस्याओं का वणकागन कीजजए। बाजार के माध्यम से दजलि
सिजक्तकरणका कन प्रनत्साजहि करने के जलए हाल हय में सरकार द्वारा उिाए गए कदमों कन
रे खांककि कीजजए।
दृजष्टकनणका:
 पठरचय में दजलि पूज
ं यवाद के उद्भव के जलए उिरदायय ि कागधारों की व्ाख्या कीजजए।
 सामाजजक जपछड़ेपन के कारणका उनके द्वारा सामना की जा रहय चुनौजि यों की चचाग कीजजए।
 सरकार द्वारा उिाए गए जवजभन्न कदमों पर प्रकाि िाजलए।

66 www.visionias.in ©Vision IAS


उिर:
हाल के कदनों में कु छ लनगों द्वारा ि कग कदया गया है कक अपने भाग्य का जनमागणका करने हेि ु
दजलि ों के जलए सबसे अच्छा उपाय स्वयं पूज ं यपजि बनना और खुले रूप से आर्थथक सुधारों एवं
वैश्वयकरणका का स्वागि करना है। इस दृजष्टकनणका के समथगकों का ि कग है कक पूंजयवाद मानव की
ि ुलना में अजधक ि यव्र गजि से जाजि कन पठरवर्थि ि कर रहा है। इसजलए, दजलि ों द्वारा
पूंजयवाद कन जाजि के जवरूद्ध समाजसुधारक के रूप में देखा जाना चाजहए। इस प्रकार, ि यव्र
औद्यनगयकरणका कन दजलि ों की उन्नजि के जलए एक आवश्यक िि ग के रूप में देखा जाि ा है।
लेककन, कृ जष से पृथक उद्यमों से संबंजधि जवजभन्न गणकाना ठरपनटों से ज्ञाि हनि ा है कक भारि की
जनसंख्या में उनकी जहस्सेदारय की ि ुलना में दजलि ों का अभय कु छ हय व्वसायों पर स्वाजमत्व
स्थाजपि हन पाया है। दजलि पूज
ं यवाद के प्रजि जनजध इस असंि ल
ु न कन दूर करना चाहि े हैं,
क्योंकक उनका मानना है कक आधुजनक अथगव्वस्था में जाजि वाद कन समाप्त करने के जलए पूज
ं य
सबसे बेहि र साधन है।
हालांकक, यह भय देखा गया है कक दजलि उद्यजमयों कन प्रगजि के जलए अनेक बाधाओं का
सामना करना पड़ि ा है।
दजलि उद्यजमयों द्वारा समाना की जा रहय समस्याएं
 जवद्यमान व्वसाय नेटवकग ि क पहुंच में कमय: भारि ऐसे कई देिों में से एक है जहां
उद्यमय व्वसाय का संचालन करने हेि ु जवश्वास आधाठरि सामुदाजयक नेटवकग पर जनभगर
हनि ा है। इस नेटवकग का दजलि उद्यमय द्वारा लाभ उिा पाना अत्यजधक कठिन कायग है।
 बाजार व्वस्था में जाजि : कु ल जमलाकर बाजार का महत्त्व सामाजजक संदभग में हय हनि ा

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है। जाजि और सामुदाजयक संबंध, पूंजय प्राप्त करने से लेकर आपूर्थि श्रृंखला में एकीकरणका

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ि क भारि यय बाजार के जवजभन्न पहलुओं में भूजमका जनभाि े हैं।

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 जाजि और जवजभन्न क्षेत्रों के मध्य संबध 9@
ं : बाजार में दजलि ों के उद्यमों की जस्थजि प्रायिः
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जाजि के आधार पर जनधागठरि हनि य है। उदाहरणका के जलए चमड़े से संबंजधि कियाकलाप
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दजलि उद्यमों के जलए सबसे अजधक महत्वपूणकाग रहा है। कु ल जमलाकर, दजलि उद्यजमयों
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द्वारा जनम्न उत्पादकि ा, जवजभन्न कियाकलापों के सबसे जनचले स्ि र पर बने रहना जैसय
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समस्याओं का सामना ककया जा रहा है।


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 उद्यम प्रारं भ करने के समक्ष बाधा: पारं पठरक जवियय संस्थाओं द्वारा 'जगरवय रखकर ऋणका
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देन'े के परं परागि मॉिल कन वरययि ा दय जाि य है जन महत्वाकांक्षय दजलि उद्यजमयों के


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जलए उद्यमों कन प्रारं भ करने के समक्ष बाधा उत्पन्न करि ा है क्योंकक उनके पास जगरवय
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रखने के जलए िायद हय कनई पठरसंपजि हनि य है।


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सरकार द्वारा उिाए गए कदम


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 स्टैंि अप इं जिया: इस यनजना का मुख्य उद्देश्य दजलि ों के मध्य उन्हें 10 लाख रुपए से
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लेकर 1 करनड़ रुपए ि क जवि उपलधध कराकर उद्यमियलि ा कन बढ़ावा देना है। इस
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यनजना के कायागन्वयन में दजलि इं जियन चैंबर ऑफ कॉमसग ऐंि इं िस्रय (Dalit Indian
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Chamber of Commerce and Industry: DICCI) भय सजम्मजलि है।


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 मुद्रा यनजना: इस यनजना का उद्देश्य उन्हें आसान ऋणका उपलधध कराकर छनटे
व्ावसाजयक उद्यमों कन बढ़ावा देना है। इससे स्वयं के व्वसाय के जलए ऋणका प्राप्त करने
में दजलि समुदाय के उद्यजमयों कन सहायि ा जमलेगय।

12. जपछले कु छ वषों में, बाजलका जििु कन बढ़ावा देने और जनम्न बाल हलगानुपाि में सुधार करने
हेि ु देि भर में जवजभन्न पहलें आरं भ की गई हैं। इन यनजनाओं के नाम जभन्न-जभन्न है परन्ि ु
इनमें सामान्य कजमयां जवद्यमान हैं। परयक्षणका कीजजए। इस अंि र कन “बेटय बचाओ बेटय पढ़ाओ
यनजना” ककस प्रकार कम कर सकि य है?

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दृजष्टकनणका:
 पठरचय के अंि गगि , अनेक यनजनाओं के बावजूद भारि में बाजलका जििु के समक्ष
जवद्यमान चुनौि यपूणकाग पठरजस्थजि यों की पहचान कीजजए।
 उदाहरणकाों सजहि इन यनजनाओं की अक्षमि ा के पयछे जनजहि कारणकाों की चचाग कीजजए।
 उिर के अंजि म भाग में ‘बेटय बचाओ बेटय पढ़ाओ यनजना’ (BBBPY) की जवजिष्ट
जविेषि ाओं का वणकागन करि े हुए उिर समाप्त कीजजए।
उिर:
सामान्य रूप से बाजलका जििु से संबंजधि हचि ाओं का समाधान करने वालय जवजभन्न
यनजनाओं के बावजूद बाल हलगानुपाि की जस्थजि जविेष रूप से चुनौि यपूणकाग बनय हुई है
क्योंकक यह इस ि ्य से पठरलजक्षि हनि ा है कक भारि में बाल हलगानुपाि 1991 के 945 से
घटकर 2011 में 918 रह गया था। इसय प्रकार, जन्म के समय हलगानुपाि 2010-2012 के
जलए 908 था। इन यनजनाओं पर ककए गए अत्यजधक व्य और उत्कृ ष्ट लक्ष्यों की ि ुलना में
बहुि कम पठरणकााम प्राप्त हुए हैं जजसके कारणका इन यनजनाओं की अक्षमि ा के जलए आलनचना
की जा रहय है।
इन आलनचनाओं के जलए जनम्नजलजखि कारकों कन उिरदायय िहराया गया है:
 जनम्न आय वाले पठरवारों पर ध्यान के जन्द्रि करना:
धन लक्ष्मय यनजना जैसय जवजभन्न यनजनाओं में जनम्न आय वाले पठरवारों कन लजक्षि करने
वालय सिि ग नकद हस्ि ांि रणका यनजनाएं िाजमल थीं। क्या इन जवियय प्रनत्साहनों ने
वास्ि व में बेटों के समान बेठटयों कन भय सम्मान और महत्त्व प्रदान करने में भारि यय
पठरवारों की सहायि ा की है, यह ि ्य अभय अस्पष्ट है और के वल गहन िनध के माध्यम

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से हय इसका पि ा लगाया जा सकि ा है।

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 पाठरवार जनयनजन के साथ हलगानुपाि कन एकीकृ ि करना:
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कनागटक की भाग्यलक्ष्मय यनजना अथवा पंजाब की बालड़य रक्षक यनजना जैसय जवजभन्न
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यनजनाओं में एक सामान्य पात्रि ा िि ग यह है कक माि ा-जपि ा कन दन बच्चों के बाद


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बंध्याकरणका (sterilisation) कन स्वयकार करना चाजहए। इनमें से जवजभन्न यनजनाओं ने


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दूसरय बेटय के जलए कम प्रनत्साहन प्रदान ककया है।


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 पहुंच और कायागन्वयन संबध ं य कजमयां:


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कई पंजयकरणका और प्रमाणका पत्रों के प्रमाणकाों की आवश्यकि ा ने इन यनजनाओं कन गरयबों


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और प्रवाजसयों के जलए उपयनग करना कठिन बना कदया है। भ्रष्टाचार एक अन्य महत्वपूणकाग
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समस्या रहय है। हाल हय में CAG की लेखापरयक्षा ठरपनटग में मध्यप्रदेि सरकार की
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लाड़लय लक्ष्मय यनजना में जवियय अजनयजमि ि ाओं कन उजागर ककया गया है। इसमें ऐसे
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उदाहरणका सामने आए हैं जजनमें अपात्र उम्मयदवारों कन भय प्रनत्साहन प्रदान ककया गया
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था। इसके अजि ठरक्त इन यनजनाओं में जमयनय स्ि र पर जनगरानय और मूल्यांकन का
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अभाव पाया गया था।


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हाल हय में, आरं भ की गई BBBP यनजना के अंि गगि बाजलकाओं कन प्रभाजवि करने वाले मुद्दों
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के संदभग में सरकार द्वारा इस यनजना के महत्त्व कन रे खांककि ककया गया है। यह यनजना पूवग
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की यनजनाओं के संबंध में कु छ मुद्दों का समाधान करने का प्रयास करि य है:


 बाजलका जििु कन समान महत्त्व प्रदान करने और उसकी जिक्षा कन बढ़ावा देने के जलए
सामाजजक गजि ियलि ा और संचार अजभयान का कायागन्वयन और इसे सि ि बनाए
रखना।
 100 जेंिर किठटकल जिजस्रक्ट और जनम्न CSR वाले िहरों में गहन और एकीकृ ि
कारग वाई प्रारं भ करना।
 सामाजजक पठरवि गन के जलए स्थानयय जनकायों और जमयनय स्ि र के कायगकि ागओं की
गजि ियलि ा और प्रजिक्षणका।

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 खंि, जजला और जमयनय स्ि र पर कारग वाई के जलए अंि र-क्षेत्रयय और अंि र-संस्थागि
समेकन।
पूवग की यनजनाओं कन ध्यान में रखि े हुए पात्रि ा संबंधय मानदंिों, िि ों और पंजयकरणका
प्रकियाओं कन सरल बनाना आवश्यक है। इस यनजना कन सफल बनाने हेि ु यनजनाओं के
प्रभाव का अध्ययन करने के जलए जमयनय स्ि र पर जनगरानय व्वस्था के साथ-साथ जिकायि
जनवारणका ि ंत्र की आवश्यकि ा हनगय।
इसके समाधान हेि ु जनम्नजलजखि यनजनाओं का उल्लेख ककया जा सकि ा है-
 धन लक्ष्मय यनजना
 इं कदरा गांधय बाजलका सुरक्षा यनजना
 हठरयाणकाा की लािलय यनजना
 कनागटक की भाग्यलक्ष्मय यनजना
 आंध्र प्रदेि की बाजलका संरक्षणका यनजना
 पंजाब की बालड़य रक्षक यनजना
 मध्य प्रदेि की लाड़लय लक्ष्मय यनजना

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Value Addition Material-2018


PAPER II : सामाजजक न्याय
स्वास््य, जिक्षा, मानव संसाधन से संबंजधत सामाजजक क्षेत्रकों /
सेवाओं के जवकास और प्रबंधन से संबजं धत मुद्दे

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जवषय सूची
1. जिक्षा (Education) __________________________________________________________________________ 4
1.1. पररचय (Introduction) ____________________________________________________________________ 4
1.2. जिक्षा से संबजं धत महत्वपूणण उपाय ______________________________________________________________ 4
1.3. पूव-ण जवद्यालयी जिक्षा _______________________________________________________________________ 5
1.4. भारत में जवद्यालयी जिक्षा (School Education in India)____________________________________________ 6
1.5. जन:िुल्क और अजनवायण जिक्षा का अजधकार (RTE) अजधजनयम, 2009 _____________________________________ 8
1.6. स्कू ल एजुकेिन क्वाजलटी इं डक्े स _______________________________________________________________ 10
1.7. भारत में उच्च जिक्षा (Higher Education in India) _______________________________________________ 10
1.8. जनजी क्षेत्र ककस प्रकार से एक बडी भूजमका जनभा सकता है? ____________________________________________ 13
1.9. बजट 2018 और जिक्षा के प्रजत दृजिकोण में पररवतणन ________________________________________________ 14
1.10. समग्र जिक्षा अजभयान (Samagra Shiksha Abhiyan) ___________________________________________ 15
1.11. मसौदा राष्ट्रीय जिक्षा नीजत (Draft National Education Policy) ____________________________________ 15
1.12 जिक्षा क्षेत्र में चुनौजतयां (Challenges in Education Sector)_______________________________________ 17
1.13. जिक्षा क्षेत्र से संबंजधत संस्थान (Institutions Related to Education Sector) __________________________ 20
1.13.1. प्रिासजनक ढांचा (Administrative Framework) ___________________________________________ 20

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1.13.2. जनयामकीय जनकाय (Regulatory Bodies) ________________________________________________ 20

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1.13.3. जवश्वजवद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission) ______________________________ 21
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1.13.4. भारतीय उच्च जिक्षा आयोग अजधजनयम, 2018 का मसौदा _______________________________________ 21


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1.13.5. उच्च जिक्षा जवत्तपोषण एजेंसी (Higher Education Finance Agency: HEFA) _____________________ 21
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1.13.6. जिक्षा में बुजनयादी ढांचे और प्रणाजलयों का पुनरुद्धार ___________________________________________ 21


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1.14. आगे की राह (Way Forward) _____________________________________________________________ 21


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2. स्वास््य (Health) ___________________________________________________________________________ 24


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2.1 पररचय (Introduction) ____________________________________________________________________ 24


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2.2 स्वास््य से संबंजधत SDG (SDG Related to Health) _____________________________________________ 25


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2.3 भारत में स्वास््य देखभाल (Healthcare in India) _________________________________________________ 25


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2.4. भारतीय स्वास््य देखभाल क्षेत्र के समक्ष चुनौजतयां __________________________________________________ 26


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2.5. राष्ट्रीय स्वास््य नीजत 2017 (National Health Policy 2017) _______________________________________ 28
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2.6. जनजी स्वास््य देखभाल प्रणाली की भूजमका _______________________________________________________ 29


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2.7. व्यापक प्राथजमक स्वास््य देखभाल _____________________________________________________________ 30


2.8. आरएमएनसीएच + A दृजिकोण (RMNCH+A Approach) __________________________________________ 31
2.9. आयुष्मान भारत (Ayushman Bharat) ________________________________________________________ 31
2.9.1. स्वास््य और कल्याण कें द्र (Health and Wellness Centre) _____________________________________ 32
2.9.2. आयुष्मान भारत- राष्ट्रीय स्वास््य सुरक्षा जमिन ________________________________________________ 32
2.10. राष्ट्रीय स्वास््य जमिन (National Health Mission) _____________________________________________ 34
2.11. आयुष (AYUSH) _______________________________________________________________________ 35
2.12. जनयामक जनकाय (Regulatory Bodies) ______________________________________________________ 36
2.12.1. भारतीय जचककत्सा पररषद (Medical Council of India:MCI) __________________________________ 36
2.12.2 राष्ट्रीय जचककत्सा आयोग जवधेयक, 2017 ____________________________________________________ 36
2.13. आगे की राह (Way Forward) _____________________________________________________________ 38
2.14. जवजवध मुद्दे (Miscellaneous Issues) _______________________________________________________ 40
2.14.1. स्वास्थ का अजधकार (Right to Health) ___________________________________________________ 40
2.14.2. जहडेन हंगर (Hidden Hunger) _________________________________________________________ 41
3. मानव संसाधन (Human Resource) ____________________________________________________________ 43
3.1. पररचय (Introduction) ___________________________________________________________________ 43
3.2. जवकास के जलए अजधकार आधाररत दृजिकोण ______________________________________________________ 46
3.3. मानव संसाधन जवकास के जलए तंत्र_____________________________________________________________ 47
3.3.1. राष्ट्रीय कौिल जवकास जमिन (National Skill Development Mission: NSDM) _____________________ 47
3.3.2. राष्ट्रीय कौिल जवकास एजेंसी (National Skill Development Agency: NSDA) _____________________ 47
3.3.3. राष्ट्रीय कौिल जवकास जनगम _____________________________________________________________ 48
3.3.4. राष्ट्रीय कौिल योग्यता फ्रेमवकण ___________________________________________________________ 48
3.3.5. राष्ट्रीय कौिल जवकास जनजध (National Skill Development Fund)_______________________________ 48

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3.3.6. क्षेत्र कौिल पररषदें (Sector Skill Councils)________________________________________________ 49

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3.3.7. िारदा प्रसाद सजमजत (Sharda Prasad Committee) _________________________________________ 49
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3.3.8. भारतीय कौिल संस्थान (Indian Institute of Skills) __________________________________________ 50


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3.3.9. प्रधानमंत्री कौिल जवकास योजना _________________________________________________________ 50


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3.3.10. भारतीय कौिल जवकास सेवा (India Skill Development Service)______________________________ 51


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3.3.11. राष्ट्रीय कौिल जवकास एवं उद्यजमता नीजत, 2015 _____________________________________________ 52


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3.3.12. दीनदयाल उपाध्याय - ग्रामीण कौिल्य योजना _______________________________________________ 52


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3.3.13. प्रजिक्षु प्रोत्साहन योजना (Apprenticeship Protsahan Yojana) _______________________________ 53


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3.3.14. गरीब नवाज कौिल जवकास कें द्र (Garib Nawaz Skill Develoment Center) ______________________ 53
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3.3.15. मानव पूज


ं ी में पररवतणन लाने के जलए सतत कारण वाई ___________________________________________ 54
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3.4. कु छ क्षेत्रों में मानव संसाधन हेतु जवजिि हस्तक्षेपों की आवश्यकता ________________________________________ 54
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3.4.1. रचनात्मक एवं सांस्कृ जतक क्षेत्र (Creative and Cultural Sectors) ________________________________ 54
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3.4.2. रत्न और आभूषण क्षेत्र (Gems and Jewellery Sector) ________________________________________ 55


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3.4.3. पयणटन (Tourism) ___________________________________________________________________ 55


3.4.4. चमडा उद्योग (Leather Industry) _______________________________________________________ 56
3.5. आगे की राह (Way Forward) ______________________________________________________________ 56
4. जवगत वषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न___________________________________________ 58
5. जवगत वषों में UPSC मेंस में पूछे गए प्रश्न __________________________________________________________ 73
1. जिक्षा (Education)
1.1. पररचय (Introduction)

"स्वदेिे पूज्यते राजा, जवद्वान सवणत्र पूज्यते" -


"एक राजा की पूजा के वल उसके देि में होती है जबकक जवद्वान की सब जगह पूजा होती है।"
ये पंजियााँ प्राचीन काल से भारत द्वारा जिक्षा को प्रदान ककए जाने वाले महत्व को दिाणती हैं। यह
मानव बुजद्ध ही है जो स्वास््य प्रगजत एवं कृ जष संबंधी नवाचारों से लेकर सक्षम सावणजजनक प्रिासन एवं
जनजी क्षेत्र की संवृजद्ध तक की समस्त जवकास संबंधी उपलजधधयों को संभव बनाती है।

1960 में, यूनेस्को ने कन्वेंिन अगेंस्ट जडजस्िजमनेिन इन एजुकेिन अपनाया। यह सभी नस्लीय, राष्ट्रीय
या नृजातीय समूहों के सदस्यों के अवसरों की समानता को सुजनजित करने में जिक्षा की महत्वपूणण
भूजमका को स्वीकार करता है।

जिक्षा की भूजमका (Role of Education)


 जिक्षा, जवकास और संवृजद्ध का आधार है।
 यह समानता लाने का महत्वपूणण साधन है तथा यह गरीबी एवं असमानताओं को कम करने के
जलए एकमात्र सतत मागण प्रदान करती है।
 वैजश्वक अथणव्यवस्था में भारत की प्रजतस्पधाणत्मकता में वृजद्ध करने के जलए जिक्षा पररदृश्य में सुधार
करना समान रूप से आवश्यक है।

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 इसजलए, सभी के जलए गुणवत्ता युि जिक्षा तक पहंच सुजनजित करना भारत के आर्थथक और

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सामाजजक जवकास का कें द्र बबदु है।

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आजादी के समय, भारत की साक्षरता दर के वल 12% थी। जिक्षा क्षेत्र में हए अनुवती जवकास को
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सकदयों की उदासीनता और उपेक्षा के संदभण में देखा जाना चाजहए।


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2011 में 82.1% पुरुष साक्षरता दर और 65.5% मजहला साक्षरता दर के साथ भारत की कु ल
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साक्षरता दर 74% हो गई थी। हालांकक, यह स्तर 84% की वैजश्वक औसत साक्षरता दर से काफी नीचे
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है और वतणमान में भारत में जवश्व की सबसे बडी अजिजक्षत आबादी जनवास करती है। 93.91%
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साक्षरता दर के साथ के रल भारत में सवाणजधक साक्षर राज्य है, जबकक जबहार न्यूनतम साक्षर राज्य है
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जहााँ की साक्षरता दर 63.82% है।


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1.2. जिक्षा से सं बं जधत महत्वपू णण उपाय


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(Important Measures Related to Education)


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 एक जवषय के रूप में जिक्षा, संजवधान की सातवीं अनुसच


ू ी के तहत सूची III अथाणत् समवती सूची
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की प्रजवजि 25 में सजममजलत है।


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 भारतीय संजवधान का अनुच्छेद 21A मूल अजधकार के रूप में छह से चौदह वषण की आयु के सभी
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बच्चों के जलए जन:िुल्क और अजनवायण जिक्षा सुजनजित करता है।


 भारत की 1968 और 1986 की राष्ट्रीय जिक्षा नीजतयों ने जिक्षा को जवकास की पूवण ितण के रूप में
मान्यता दी और इन नीजतयों में तीन महत्वपूणण मुद्दों को जनर्ददि ककया- समता (equity),
अजभगमयता (accessibility) और गुणवत्ता (quality)।
 जन:िुल्क और अजनवायण बाल जिक्षा अजधकार अजधजनयम, 2009, अनुच्छेद 21A में उजल्लजखत
जन:िुल्क और अजनवायण जिक्षा सुजनजित करने के जलए प्रवतणनकारी कानून है।
 समय-समय पर जवजभन्न योजनाएं िुरू की गई हैं।

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जपछले बीस वषों में, िैजक्षक पररदृश्य में नई अवधारणाओं के उद्भव के साथ व्यापक बदलाव हए हैं जैसे
कक:
 प्राथजमक जिक्षा और छात्र पात्रता के जलए अजधकार-आधाररत दृजिकोण
 साक्षरता और बुजनयादी जिक्षा के स्थान पर माध्यजमक, उच्च, तकनीकी और व्यावसाजयक जिक्षा
पर अजधक ध्यान कदया जाना
 प्राथजमक जिक्षा के सावणभौमीकरण के अनुरूप माध्यजमक जिक्षा के सावणभौमीकरण की कदिा में
प्रयास
 उच्च जिक्षा को पुनगणरित करना।

1.3. पू वण - जवद्यालयी जिक्षा

(Pre-school Education)

पूव-ण प्राथजमक जिक्षा को ककडरगाटणन भी कहा जाता है। यह जिक्षा, औपचाररक जवद्यालय में प्रवेि करने
से पहले छोटे बच्चों के जवकास के जलए अत्यजधक महत्वपूणण होती है। पूवण-प्राथजमक जिक्षा का मुख्य
उद्देश्य बच्चों को िारीररक, भावनात्मक, सामाजजक और मानजसक रूप से औपचाररक स्कू ली जिक्षा के

जलए तैयार करना तथा जनम्नस्तरीय प्रदिणन और प्रारं जभक ड्राप-आउट में कमी लाना है। यह बडे बच्चों,
जविेष रूप से लडककयों को अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल की जजममेदारी से मुि करते हए उन्हें
जवद्यालय जाने में सहायता प्रदान करती है।

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हालांकक RTE अजधजनयम (2009) के तहत 6 वषण से कम उम्र के बच्चों को िाजमल नहीं ककया गया है,

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परन्तु इसमें प्रारं जभक बाल्यावस्था जिक्षा (Early Childhood Education: ECE) िाजमल है और
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इसके अनुसार, "तीन वषण से अजधक आयु के बच्चों को प्राथजमक जिक्षा हेतु तैयार करना है और 6 वषण तक
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की उम्र के सभी बच्चों को प्रारं जभक बाल्यावस्था देखभाल और जिक्षा प्रदान करना है। इस हेतु यथोजचत
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सरकार ऐसे बच्चों को जनिःिुल्क पूवण जवद्यालयी जिक्षा प्रदान करने के जलए आवश्यक व्यवस्था कर सकती
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है। "
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2013 में, भारत सरकार ने राष्ट्रीय प्रारं जभक बाल्यावस्था देखभाल और जिक्षा (Early Childhood
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Care and Education: ECCE) नीजत को मंजरू ी दी जजसमें नेिनल कररकु लम फ्रेमवकण एंड क्वाजलटी
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स्टैंडर्डसण फॉर ECCE (National Curriculum Framework and Quality Standards for
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ECCE) को भी िाजमल ककया गया।


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ECCE पर नीजत के जलए मजहला एवं बाल जवकास मंत्रालय (MWCD) उत्तरदायी है। MWCD,
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भारत में प्रारं जभक बाल्यावस्था जिक्षा हेतु सरकार द्वारा चलाए जा रहे एक फ्लैगजिप कायणिम,
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एकीकृ त बाल जवकास सेवाएं (Integrated Child Development Services: ICDS) योजना का
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प्रभारी है।
ICDS अपने लाभार्थथयों को छह बुजनयादी सेवाएं प्रदान करता है। इन सेवाओं में अनुपूरक पोषण,

पोषण और स्वास््य जिक्षा, स्वास््य जांच, पूव-ण जवद्यालयी गैर-औपचाररक जिक्षा, टीकाकरण और

रे फरल सेवाएं िाजमल हैं। 2014 तक, 3-6 वषण के 349.83 लाख बच्चे ICDS के पूव-ण जवद्यालयी घटक

से लाभाजन्वत थे। इसके अजतररि, कु छ ECCE कें द्र, SSA के तहत चल रहे हैं और कु छ पूवण-जवद्यालय

(pre-school) सरकारी के साथ-साथ जनजी स्कू लों से जुडे हए हैं।

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भारत में पूव-ण जवद्यालयी जिक्षा के जलए नीजतगत पहलें
(Policy Initiatives for Pre-School Education in India)

 संजवधान का अनुच्छेद 45, 6 वषण की उम्र तक के सभी बच्चों के जलए प्रारं जभक बाल्यावस्था की
देखभाल और जिक्षा का प्रावधान करने के जलए राज्य को जनदेजित करता है।
 राष्ट्रीय जिक्षा नीजत, 1986 के तहत पूव-ण जवद्यालयी जिक्षा को अत्यजधक महत्व कदया गया है।

 यह वतणमान में जारी प्रमुख िैजक्षक कायणिम सवण जिक्षा अजभयान (Sarva Siksha Abhiyan:

SSA) द्वारा समर्थथत है। इसके तहत ECCE का एक प्रमुख घटक सजममजलत है।

 भारत सरकार ने 1975 में एकीकृ त बाल जवकास सेवाएं (ICDS) योजना िुरू की थी।

1.4. भारत में जवद्यालयी जिक्षा (School Education in India)

राष्ट्रीय जिक्षा नीजत (1968 और 1986) और इसके संिोजधत संस्करण (1992) के तहत सभी राज्यों में

जवद्यालयी जिक्षा (10+2 पैटनण, 12 वषण की जवद्यालयी जिक्षा) हेतु एक समान प्रारूप पररकजल्पत ककया

गया।
समपूणण जवद्यालयी जिक्षा को चार भागों, अथाणत् प्राथजमक, उच्च प्राथजमक, माध्यजमक और उच्चतर

माध्यजमक स्तरों में जवभाजजत ककया जा सकता है।

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प्राथजमक जिक्षा में पांच वषण की जनम्न प्राथजमक जिक्षा (कक्षा 1-5) और तीन वषण की उच्च प्राथजमक

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जिक्षा (कक्षा 6-8) िाजमल है।

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माध्यजमक जवद्यालयी जिक्षा में दो वषण की जनम्न माध्यजमक (कक्षा 9-10) और दो वषण की उच्चतर
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माध्यजमक जिक्षा (कक्षा 11 और 12) िाजमल है।


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सतत जवकास लक्ष्य- 4.1 (SDG-4.1)


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2030 तक यह सुजनजित करना कक उपयुि एवं प्रभावी अजधगम पररणाम प्राप्त करने हेतु सभी बालक
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और बाजलकाएं जन:िुल्क, समतापूणण और गुणवत्तायुि प्राथजमक और माध्यजमक जिक्षा पूरी करें ।


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सतत जवकास लक्ष्य- 4.5 (SDG-4.5)


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2030 तक, जिक्षा क्षेत्र में लैंजगक असमानताओं को समाप्त करना तथा कमजोर, जवकलांग, देिज और
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अजतसंवेदनिील जस्थजत में रहने वाले बच्चों की प्रत्येक स्तर की जिक्षा एवं व्यावसाजयक जिक्षण तक समान
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पहाँच सुजनजित करना।


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मानवाजधकारों की सावणभौजमक घोषणा, 1948 का अनुच्छेद 26: 'प्रत्येक व्यजि को जिक्षा का अजधकार
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है। कम से कम प्राथजमक और बुजनयादी चरणों में जिक्षा जनिःिुल्क होनी चाजहए। प्रारं जभक जिक्षा अजनवायण
होनी चाजहए।'

जवद्यालयी जिक्षा की वतणमान जस्थजत


(Present Status of School Education)

 2015-16 में, कक्षा 1-5 के जलए सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio: GER)

99.2% और कक्षा 6-8 के जलए 92.8% था।

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 राष्ट्रीय स्तर पर प्राथजमक जवद्यालयों के जलए छात्र-जिक्षक अनुपात 24:1 था और माध्यजमक


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जवद्यालयों के जलए यह 27:1 था।


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 कक्षा 3 के ऐसे बच्चों; जो कम से कम घटाना (subtraction) जानते थे का अनुपात 2008 के 39%


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से घटकर 2014 में 25.4% हो गया, और 2016 में पुनिः कु छ बढ़कर 27.7% हो गया (ASER)।
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 राष्ट्रीय उपलजधध सवेक्षण (National Achievement Survey: NAS) सजहत कई अन्य स्रोतों से
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प्राप्त आाँकडे खराब अजधगम पररणाम (लनिंगनग आउटकम) प्रदर्थित करते हैं। राष्ट्रीय उपलजधध
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सवेक्षण के अनुसार, कक्षा 5 के अजधगम पररणामों के चि 3 (2012) की तुलना में चि 4 (2015)


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में अजधक खराब पररणाम प्राप्त हए।


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जवद्यालयी जिक्षा की असंतोषजनक गुणवत्ता में कई कारकों का योगदान है। इनमें से कु छ अग्रजलजखत हैं:
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ऐसे जवद्यालयों का बडी संख्या में अजस्तत्व जो जवद्यालयों के जलए जनधाणररत मानदंडों और मानकों के
अनुरूप नहीं हैं; छात्र और जिक्षक अनुपजस्थजत; जिक्षक अजभप्रेरण और प्रजिक्षण में गंभीर अंतराल
जजसके पररणामस्वरूप जिक्षकों की गुणवत्ता और प्रदिणन जनम्नस्तरीय बना रहता है; जिक्षा में सूचना
और संचार प्रौद्योजगककयों के उपयोग के संबंध में धीमी प्रगजत; उप-इितम कार्थमक प्रबंधन, प्रदिणन की
जनगरानी और पयणवेक्षण पर अपयाणप्त ध्यान इत्याकद। बेहतर गुणवत्ता की जिक्षा प्रदान करने के संबंध में
सरकारी प्रणाली में स्कू लों की कजथत जवफलता ने बडी संख्या में जनजी स्कू लों की स्थापना को प्रेररत
ककया, जजनमें से कई आवश्यक बुजनयादी ढांचे, िैक्षजणक पररवेि, और सक्षम जिक्षकों की कमी से ग्रस्त
हैं।

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1.5. जन:िु ल्क और अजनवायण जिक्षा का अजधकार (RTE) अजधजनयम, 2009

(Right to Free and Compulsory Education (RTE) Act, 2009)


संजवधान (86वां संिोधन) अजधजनयम, 2002 के तहत भारतीय संजवधान में अनुच्छेद 21A
अंत:स्थाजपत ककया गया। यह अनुच्छेद मूल अजधकार के रूप में, राज्य जवजध द्वारा अवधाररत रीजत के
अनुसार, छिः से चौदह वषण के आयु समूह में सभी बच्चों के जलए जन:िुल्क और अजनवायण जिक्षा का
प्रावधान करता है। पररणामस्वरूप, बच्चों के जलए जन:िुल्क और अजनवायण जिक्षा (RTE) का अजधकार
अजधजनयम, 2009, छिः से चौदह वषण की आयु के प्रत्येक बच्चे को प्राथजमक जिक्षा पूणण होने तक
जनकटवती स्कू ल में जन:िुल्क और अजनवायण जिक्षा का अजधकार प्रदान करता है।
RTE अजधजनयम, 2009 के अन्य प्रमुख प्रावधान
(Other Major provisions of Right to Education Act, 2009)
 मानजसक बीमारी, मानजसक मंदता, दृजिहीनता और श्रवण हाजन संबंधी अक्षमता युि बच्चों सजहत
कदव्यांग बच्चों को भी जिक्षा का अजधकार होगा।
 छिः वषण से अजधक आयु का बच्चा जो स्कू ल में नामांककत नहीं है या जो अपनी जिक्षा पूरी करने में
असमथण था, उसे उपयुि आयु वगण की कक्षा में नामांककत ककया जाएगा। इसके अजतररि, इन बच्चों
को अपने साथी समूह के स्तर तक पहंचने के जलए जविेष प्रजिक्षण प्राप्त करने का अजधकार है।
 हाल ही में, जवद्यालयों को ककसी बच्चे को पुनिः कक्षा 5, कक्षा 8, या दोनों कक्षाओं में बनाए रखने

)
की अनुमजत प्रदान करने हेतु कें द्र या राज्य सरकार को सिि बनाने के जलए इस अजधजनयम में

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संिोधन ककया गया। इससे पहले, प्राथजमक जवद्यालय (कक्षा 1-8) के पूरा होने तक ककसी भी बच्चे

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को पुनिः उसी कक्षा में नहीं रखा जा सकता था। 9@
 इस अजधजनयम में छात्र-जिक्षक अनुपात भी जनधाणररत ककया गया है:
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o प्राथजमक स्तर - 30:1


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o उच्च प्राथजमक स्तर - 35:1


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o माध्यजमक स्तर - 30:1 (राष्ट्रीय माध्यजमक जिक्षा अजभयान के अनुसार)


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 यह अजधजनयम ककसी भी बच्चे के प्रजत िारीररक दंड या मानजसक उत्पीडन को जनजषद्ध करता है।
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 जवद्यालय स्थानीय प्राजधकारी, माता-जपता और अजभभावक तथा जिक्षकों को सजममजलत करते हए


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जवद्यालय प्रबंधन सजमजतयों (School Management Committees: SMC) का गिन करें गे।
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SMC जवद्यालय और सरकारी अनुदानों के उपयोग की जनगरानी करें गी; जवद्यालय जवकास योजना
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को तैयार करें गी और अन्य जनर्ददि कायों का जनवणहन करें गी।


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 जनजी स्कू लों को कमजोर वगों और वंजचत समूहों के छात्रों के जलए जनिःिुल्क जिक्षा हेतु 25% कोटा
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आरजक्षत करना होगा।


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RTE अजधजनयम, 2009 के साथ समस्याएं (Issues with RTE ACT, 2009)
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यह जवद्यालयी जिक्षा और भौजतक अवसंरचना का अजधकार तो प्रदान करता है लेककन जिक्षा की


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गुणवत्ता की गारं टी नहीं देता है।
 यहां तक कक जिक्षक के कत्तणव्य के वल समय की पाबंदी, उपजस्थजत आकद से संबंजधत हैं और अपने
छात्रों की सीखने की उपलजधधयों से नहीं।
 आंकडे यह प्रदर्थित करते हैं कक सवण जिक्षा अजभयान (SSA) सजहत कई सरकारी कायणिमों के
बावजूद, कई छात्रों का प्रदिणन उनके ग्रेड स्तर (कक्षा) से काफी जनचले स्तर का है।
 जनकटवती जवद्यालयों के प्रावधान ने भौजतक अवसंरचना की कमी, अप्रजिजक्षत जिक्षकों और
अपयाणप्त छात्र-जिक्षक अनुपात के कारण जनम्नस्तरीय अजधगम पररणामों को जन्म कदया है।

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जवद्यालयी जिक्षा में सुधार के जलए आगे की राह
(Way Forward to Improve School Education)
 एक समयबद्ध कायणिम िुरू ककया जाना चाजहए ताकक सभी बच्चों में आयु के अनुसार उजचत
साक्षरता और संख्यात्मक कौिल सुजनजित ककया जा सके ।
 RTE अजधजनयम के तहत कु छ अन्य प्रावधान भी ककये गए हैं, जैस-े अवसंरचना का उन्नयन,
जिक्षण की गुणवत्ता को उन्नत करना और CCE के माध्यम से जनयजमत मूल्यांकन करना। इन्हें
साथ-साथ पूरा करने की आवश्यकता है।
 मेररट के आधार पर जिक्षकों की भती और मूल्यांकन, अजधगम पररणामों की किोर मैबपग और
अच्छा प्रदिणन करने वाले स्कू लों को पुरस्कृ त करके भारत में जिक्षा की गुणवत्ता में सुधार ककया जा
सकता है।
 NCERT ने सभी जवषयों को कवर करने वाले सभी कक्षाओं के अपेजक्षत अजधगम पररणामों को
जनधाणररत करने के जलए अजधगम संकेतक (learning indicators) जवकजसत ककए हैं।
 NCERT ने प्राथजमक जवद्यालय के जिक्षकों के जलए प्रदिणन संकेतकों (Performance
Indicators for Elementary School Teachers: PINDICS) हेतु एक फ्रेमवकण जवकजसत
ककया है और इसे राज्यों के साथ साझा ककया है।
 यकद जवद्यालय न्यूनतम अजधगम पररणामों को प्राप्त करने में जवफल रहते हैं तो जनिःिुल्क जिक्षण,
सावणजजनक जवद्यालय चयन (public school choice), जवद्यालय पुनगणिन, जिक्षकों की
पदच्युजत, या जवद्यालय बंद करने जैसे उपाय ककए जाने चाजहए।

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 प्रौद्योजगकी आधाररत अध्ययन मॉडल का पररचय ताकक माध्यजमक जवद्यालय से उत्तीणण होने वाले

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जवद्याथी उत्तरोत्तर प्रौद्योजगकी संचाजलत जवश्व में दैजनक कायण करने हेतु कु िल बन सकें ।
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 RTE को 18 वषण की पूरी आयु सीमा को कवर करना चाजहए। गारं टीकृ त समावेिन 14-18 वषण
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की आयु वगण के इन जवद्यार्थथयों को सिि बनाएगा और कायणबल में िाजमल होने के जलए
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महत्वपूणण आधारभूत ज्ञान प्राप्त करने में इनकी मदद करे गा।
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धन की कमी और जवद्यालय जाने संबंधी इच्छा के अभाव से जुडे ड्रॉप-आउट मामलों का समाधान
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रचनात्मक रूप से ककया जाना चाजहए। जिक्षकों के प्रजिक्षण की गजतिीलता, बुजनयादी ढांचे की
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उपलधधता, जवद्यालय और घर के पररवेि आकद में सुधार करके जबहार में जनिःिुल्क साइककल
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जवतररत करने जैसी नीजतयां नामांकन बढ़ाने में सफल रही हैं।
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2010-11 से 2014-15 तक की िैजक्षक उपलजधधयां (पंचवषीय योजना की नीजत आयोग की समीक्षा के


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अनुसार)
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1. SSA के तहत प्राथजमक स्तर पर नामांकन 19.28 करोड से बढ़कर 19.77 करोड हो गया है।
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2. जवद्यालयों की संख्या 13.62 लाख से बढ़कर 14.45 लाख हो गई है।


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3. औसत ड्रॉपआउट दर में उल्लेखनीय रूप से 4.17 प्रजतित की कमी आई है, जो प्रजतधारण दर
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(retention rate) में सुधार दिाणती है।


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4. SSA के पररणामस्वरूप जवद्यालयी व्यवस्था के बाहर बच्चों (Out Of School Children:


OoSC) की संख्या 2005 के 134 लाख से घटकर 2014 में 61 लाख हो गयी।
5. माध्यजमक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrollment Ratio: GER) 65 प्रजतित से
बढ़कर 80.01 प्रजतित हो गया है जबकक उच्च माध्यजमक स्तर पर यह 39 प्रजतित से बढ़कर 56.16
प्रजतित हो गया है।
6. माध्यजमक / उच्चतर माध्यजमक जवद्यालयों की संख्या 2.06 लाख से बढ़कर 2.53 लाख हो गई है।

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1.6. स्कू ल एजु के िन क्वाजलटी इं डे क्स

(School Education Quality Index: SEQI)


नीजत आयोग द्वारा जवकजसत, राज्य-स्तरीय 'स्कू ल एजुकेिन क्वाजलटी इं डक्
े स' (SEQI) का लक्ष्य भारत
में जिक्षा पररणामों (अजधगम, पहंच, समता) में सुधार पर फोकस को संस्थागत करना है। यह स्वीकार
करता है कक जवद्यालयी जिक्षा समवती सूची का एक जवषय है और लागत प्रभावी तरीकों से पररणामों
में सुधार करने हेतु राज्य-स्तरीय नेतृत्व महत्वपूणण है।
SEQI की मुख्य जविेषताएं (Salient features of the SEQI)
 इनपुट या जवजिि प्रकियाओं के बजाय पररणामों पर अजधक बल।
 समता को एक प्रकिया के बजाय पररणाम के दृजिकोण से देखना: वंजचत समूहों के जलए असमानता
को कम करने हेतु जवजिि योजनाओं पर फोकस करने के बजाय, यह इं डक्
े स वंजचत समूहों के जलए
पहाँच का जनधाणरण और अजधगम पररणाम के अंतराल में हई कमी को कै प्चर करता है। इसजलए,
संकेतक प्रजतधारण (retention), संिमण और अजधगम पररणामों पर फोकस करते हैं, जो इनपुट
और प्रकियाओं को स्वतिः ध्यान में रखते हैं।
 जनरं तर सुधार के जलए पुरस्कृ त करने का लक्ष्य: यह इं डक्
े स बाइनरी संकेतकों का उपयोग नहीं
करता है क्योंकक अजधकांि मैरिक्स पर प्रगजत एक सतत प्रकिया है।
 'स्तर' बनाम 'सुधार': समय-समय पर इं डक्े स में हए पररवतणनों की तुलना करने से राज्यों के
'सुधार' या प्रगजत को िैक करना संभव हो पाएगा। राज्यों में प्रारं जभक 'स्तरों' पर जभन्नता

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अपररहायण है, लेककन SEQI का प्राथजमक फोकस प्रारं जभक स्तर के सापेक्ष 'सुधार' पर होगा।

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1.7. भारत में उच्च जिक्षा (Higher Education in India) s9@
उच्च जिक्षा कें द्र और राज्य दोनों का उत्तरदाजयत्व है। वतणमान में जवश्वजवद्यालयों और कॉलेजों में मानकों
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के समन्वय और जनधाणरण का कायण UGC और अन्य वैधाजनक जनयामक जनकायों को सौंपा गया है।
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कें द्र सरकार UGC को अनुदान प्रदान करती है और देि में राष्ट्रीय महत्व के कें द्रीय
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जवश्वजवद्यालयों/संस्थानों की स्थापना करती है। कें द्र सरकार UGC की जसफाररि पर एक िैजक्षक
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संस्थान को "डीमड जवश्वजवद्यालय" के रूप में घोजषत करने के जलए भी उत्तरदायी है। हालांकक, सरकार
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UGC में सुधार करने के जलए प्रजतबद्ध है और इसे भारतीय उच्च जिक्षा आयोग (Higher Education
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Commission of India) से प्रजतस्थाजपत करने की प्रकिया में है।


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वतणमान में, जवश्वजवद्यालय/जवश्वजवद्यालय-स्तर के संस्थानों की मुख्य श्रेजणयां अग्रजलजखत हैं- कें द्रीय
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जवश्वजवद्यालय, राज्य जवश्वजवद्यालय, डीमड जवश्वजवद्यालय और जवश्वजवद्यालय-स्तर के संस्थान।


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भारत में उच्च जिक्षा की जस्थजत


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(Status of Higher Education in India)


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 सकल नामांकन अनुपात (GER): भारत में उच्च जिक्षा में GER, 25.2% (18-23 वषण का आयु
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वगण) है, इससे यह प्रदर्थित होता है कक पात्र जनसंख्या का एक बडा प्रजतित अभी भी कॉलेज में
नामांककत नहीं है।
 पुरुष जनसंख्या के जलए GER 26.3%, मजहलाओं के जलए 24.5%, अनुसूजचत जाजत के जलए
21.8% और अनुसूजचत जनजाजत के जलए 15.9% है।
 बलग समता सूचकांक: सभी श्रेजणयों के जलए बलग समता सूचकांक (Gender Parity Index:
GPI) में मामूली वृजद्ध हई है, यह 2012-13 के 0.89 से बढ़कर 2016-17 में 0.94 हो गया।

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 क्षेत्रीय असमानता: सभी राज्यों में कॉलेज घनत्व (प्रजत एक लाख पात्र जनसंख्या पर कॉलेजों की
संख्या) 28 के अजखल भारतीय औसत की तुलना में जबहार में 7 से लेकर तेलग
ं ाना में 59 के बीच
जभन्न-जभन्न है।
 इसके अजतररि, अजधकांि प्रमुख जवश्वजवद्यालय और कॉलेज महानगरों और िहरी क्षेत्रों में कें कद्रत
हैं, इससे उच्च जिक्षा तक पहाँच में जवद्यमान क्षेत्रीय असमानता में वृजद्ध होती है।
 छात्र-जिक्षक अनुपात (Pupil Teacher Ratio: PTR): जवश्वजवद्यालयों और कॉलेजों में यह
अनुपात 22 है जो 2012-13 के 21 की तुलना में लगभग जस्थर बना हआ है।
 जवदेिी छात्र नामांकन 2012-13 में 34,774 था, जो 2016-17 में बढ़कर 47,575 हो गया है।
इस वृजद्ध में जवदेिी छात्राओं की तुलना में जवदेिी छात्रों की संख्या में अजधक बढ़ोतरी हई है।
उच्च जिक्षा से संबद्ध मुद्दे
(Issues with Higher Education)
 भारतीय जिक्षा का प्रबंधन जवजभन्न चुनौजतयों यथा अजतके न्द्रीकरण, नौकरिाही संरचना तथा
जवाबदेजहता, पारदर्थिता एवं व्यावसाजयकता के अभाव आकद का सामना करता है।
 संबद्ध कॉलेजों (affiliated colleges) और छात्रों की संख्या में वृजद्ध के पररणामस्वरूप,
जवश्वजवद्यालयों के प्रिासजनक कायों का बोझ काफी बढ़ गया है और अकादजमक और िोध पर
फोकस कम हो गया है।
 यहााँ तक कक IISc, IITs और IIMs जैसे संस्थान जवश्व रैं ककग में खराब प्रदिणन करते हैं।

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 जिक्षा प्रणाली, जनम्नस्तरीय अजधगम तथा रोजगार एवं कौिल जवकास की कमी से ग्रस्त है। 2016

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में 1,50,000 इं जीजनयररग स्नातकों का मूल्यांकन करने के पिात यह पाया गया कक के वल 18%
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इं जीजनयर सॉफ्टवेयर सेवा क्षेत्र में कायाणत्मक भूजमका में जनयोजन के योग्य थे।
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जवश्वजवद्यालयों में पढ़ाए गए पाठ्यिमों और उद्योगों की आवश्यकताओं के बीच कोई मेल नहीं
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होने के पररणामस्वरूप प्रत्येक वषण इन संस्थानों से उत्तीणण होने वाले स्नातक बेरोजगार रह जाते हैं।
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 जिक्षकों (Faculty) की कमी तथा सुयोग्य जिक्षकों को आकर्थषत करने और उन्हें बनाए रखने के
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जलए राज्य िैक्षजणक प्रणाली की अक्षमता कई वषों से गुणवत्तापूणण जिक्षा के जलए चुनौती बनी हई
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है। जिक्षकों की कमी के कारण प्रमुख संस्थानों में भी ऐड-हॉक (ad-hoc) पदों में वृजद्ध हो रही है।
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 उच्च जिक्षा में जवद्यमान अनेक ररजियों के बावजूद भी बडी संख्या में NET/PhD उममीदवार
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बेरोजगार बने हए हैं।


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 भारत में जिक्षण और िोध कायण के बीच एक अंतराल जवद्यमान है। चूाँकक िोध कायण जवजभन्न
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सरकारी जवभागों के तहत जविेषीकृ त अनुसंधान संस्थानों में कें कद्रत है तथा इस संकेन्द्रण ने
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जवश्वजवद्यालयों की भूजमका को मुख्य रूप से जिक्षण कायण तक सीजमत कर कदया है।


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उच्च जिक्षा में सुधार हेतु आगे की राह


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(Way Forward to Improve Higher Education)


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नीजत आयोग ने हायर एजुकेिन एक्िन एजेंडा (Higher Education Action Agenda) प्रदान
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ककया है, जजसमें जनम्नजलजखत प्रमुख क्षेत्र िाजमल हैं:


A. िीषण कॉलेजों के जलए स्वायत्तता (Autonomy for top colleges)
1. अजधकांि प्रजतजित कॉलेजों को स्वायत्त कॉलेज योजना के तहत लाया जाना चाजहए जजससे उन्हें
उनके जवश्वजवद्यालय के कें द्रीकृ त जनयंत्रण से मुि ककया जा सके और अकादजमक मामलों में अजधक
लचीलापन प्रदान ककया जा सके ।
2. यह कॉलेजों को अपने ब्ांड नाम को जवकजसत करने तथा अच्छे छात्रों और जिक्षकों हेतु अजधक
प्रभावी ढंग से प्रजतस्पधाण करने की अनुमजत देगा।

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B. जनयामक प्रणाली का सुधार- जवश्वजवद्यालयों की स्तरीय प्रणाली

(Reform of the regulatory system - A tiered system of universities)

1. जवजनयमन की एक प्रणाली प्रस्तुत करना जो जवश्वजवद्यालयों के सूक्ष्म प्रबंधन की बजाय सूचना


प्रकटीकरण और अजभिासन पर कें कद्रत हो।
2. मौजूदा कानूनी ढांचे के भीतर, ककसी स्तरीय प्रणाली को जनम्नजलजखत तरीके से प्रस्तुत ककया जा

सकता है-
प्रथम स्तर: िीषण िोध-कें कद्रत जवश्वजवद्यालय, जो जवश्व स्तर पर प्रजतस्पधाण करने का भरोसा देते हैं।

i. इन जवश्वजवद्यालयों को पूणण स्वायत्तता प्रदान की जाती है तथा समय के साथ हए महत्वपूणण


सुधारों के आधार पर इन्हें अजतररि संसाधन प्रदान करने का भरोसा कदया जाता है।
ii. ये जवश्वजवद्यालय कोसण (course), पाठ्यिम (curriculum), जिक्षण घंटे और अध्यापन कला

(pedagogy) जैसे पररचालनात्मक मामलों में पूणण स्वतंत्रता के साथ पारदर्थिता के उच्च
मानकों के अधीन हो सकते हैं।
जवश्वजवद्यालयों का जद्वतीय स्तर: रोजगार-कें कद्रत जिक्षा वाले जवश्वजवद्यालय जो कु छ कम जवजनयमन के
अधीन हो सकते हैं।
i. इन जवश्वजवद्यालयों से बाजार में रोजगार संरचना में पररवतणन के प्रत्युत्तर में प्रवेि नीजतयों,

)
पाठ्यिम और कोसण को समायोजजत करने के जलए उन्हें प्रदत्त लचीलेपन का उपयोग करने की

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उममीद की जाएगी।

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ii. छात्रों के रोजगार जनयोजन में इनकी सफलता के अनुसार इनका मूल्यांकन भी ककया जाएगा। 9@
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जवश्वजवद्यालयों का अंजतम स्तर: इनका प्राथजमक कायण यह सुजनजित करना होगा कक सभी के जलए उच्च
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जिक्षा उपलधध हो। अन्य दोनों स्तरों की तुलना में यह सवाणजधक जवजनयजमत होना चाजहए।
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i. इस स्तर में ऐसे जवश्वजवद्यालय िाजमल होंगे जो वतणमान में खराब प्रदिणन कर रहे हैं और
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अनुसंधान या रोजगार के संबंध में इनके बेहतर प्रदिणन करने की संभावना नहीं है।
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ii. हालांकक इस स्तर के जवश्वजवद्यालयों की UGC द्वारा अत्यजधक समीक्षा (scrutiny) की जा


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सकती है, तथाजप पारदर्थिता को प्राथजमकता देने के साथ-साथ जनयंत्रण को कम करने की


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आवश्यकता है।
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C. पररयोजना और िोधकताण-जवजिि अनुसध


ं ान अनुदान की प्रणाली स्थाजपत करना
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(Establish a system of project- and scholar-specific research grants)


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1. सावणजजनक महत्व के जवजिि क्षेत्रों में अनुसंधान के जलए सावणजजनक जवत्त पोषण की एक प्रणाली ने
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अन्य देिों में जवज्ञान और प्रौद्योजगकी में नवाचार को प्रेररत ककया है। अतिः जवजिि िोधकताणओं को
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जवत्तपोषण के साथ बेहतर पररणामों के जलए अजधकतम लचीलापन और जवाबदेजहता दोनों प्रदान
कर भारत में भी इस प्रकार की एक प्रणाली स्थाजपत की जानी चाजहए।
2. एक और मॉडल जजसे अपनाया जाना चाजहए वह है 'पुरस्कार' प्रणाली। यह प्रणाली स्पि रूप से
जनर्ददि समस्याओं का जनराकरण करने वाले िोध/नवाचार समूहों को जवत्तपोषण प्रदान करती है।
इस तरह की प्रणाली का उपयोग भजवष्य में नवाचार और अनुसध
ं ान को प्रोत्साजहत करने, जरटल

समस्याओं का जनराकरण करने तथा प्रजतस्पधाण एवं गुणवत्ता आश्वासन हेतु एक तंत्र प्रदान करने के
जलए ककया जा सकता है।

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D. व्यावसाजयक और उद्यम उन्मुख जिक्षा पर अजधक ध्यान देना
(Increased focus on vocational and profession led education)
1. रोज़गार से जनकटता से जुडे कौिल और व्यवसाय पर ध्यान कें कद्रत करने वाले संस्थानों हेतु
मानदंडों/मानकों और/या पररणाम आधाररत प्रमाणीकरण की स्थापना करना और इन्हे प्रोत्साजहत
करना।
2. व्यावसाजयक जिक्षा के जलए अजधकाजधक स्वीकृ जत और उपयोजगता के जवचार से मुख्यधारा के
जवश्वजवद्यालयों में व्यावसाजयक जवषयों को िाजमल करना।
3. सावणजजनक क्षेत्र के उन कौिलों पर जविेष रूप से अजधक फोकस करना जजनकी आगामी वषों में
उच्च मांग अपेजक्षत है। उदाहरण के जलए- सावणजजनक स्वास््य कायणकताण, आधारभूत कौिल जिक्षण,
ननिंगसग और पैरामेजडक्स आकद।

1.8. जनजी क्षे त्र ककस प्रकार से एक बडी भू जमका जनभा सकता है ?

(How Can Private Sector Play a Bigger Role?)


उच्च जिक्षा में कॉपोरे ट क्षेत्र की भागीदारी पर नारायण मूर्थत सजमजत जनयुि की गई थी। इस सजमजत की
प्रमुख जसफाररिें जनम्नजलजखत हैं:
A. जनवेि आकर्थषत करने हेतु उच्च जिक्षा प्रणाली को मजबूत और उपयोगी बनाने के जलए सक्षमकारी
पररजस्थजतयों का जनमाणण करना (Creating enabling conditions to make the higher

)
education system robust and useful to attract investment):

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1. स्वायत्तता (Autonomy)- जवत्तीय, जनयाजमकीय, अकादजमक और प्रिासजनक दृजि से स्वायत्तता।

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2. संसाधन (Resources) - भूजम, बुजनयादी ढांचे और कनेजक्टजवटी की उपलधधता सुजनजित
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करना।
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3. आर्थथक प्रोत्साहन (Fiscal incentives)- जनवेि को प्रोत्साजहत करने और जवत्त पोषण को


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आकर्थषत करने के जलए।


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4. उदार पररवेि का जनमाणण (Enabling environment)- जवदेिों के जवश्व स्तरीय संस्थानों के साथ
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सहयोग को बढ़ावा देने के जलए जिक्षकों और छात्रों के जन:िुल्क आवागमन हेतु सुजवधाएाँ (जैसे
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वीजा) प्रदान करना।


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5. प्रमाणन की स्वतंत्रता (Freedom to accredit) - भारतीय संस्थानों को सवणश्रेि स्तर का बनाने


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के जलए वैजश्वक प्रमाणन एजेंजसयों से प्रमाणन कराने की स्वतंत्रता।


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6. छात्रों को अध्ययन हेतु चुने हए क्षेत्रों में अध्ययन जारी रखने में सक्षम बनाने हेतु छात्रवृजत्त के
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माध्यम से धन तक पहाँच।
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B. अनुसध
ं ान पर फोकस में वृजद्ध और फै कल्टी (जिक्षक) जवकास के रूप में गुणवत्ता सुधार में कॉपोरे ट
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भागीदारी (Corporate participation in improving quality by enhancing research


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focus and faculty development):


1. अनुसध
ं ान पर फोकस में वृजद्ध करना (Enhancing research focus) - अनुसंधान, प्रायोजजत
डॉक्टरे ट कायणिम तथा पाटण-टाइम परास्नातक एवं पीएचडी कायणिमों हेतु समर्थपत जवत्तपोषण के
माध्यम से अनुसंधान पर फोकस में वृजद्ध।
2. फै कल्टी जवकास (Faculty development)- जिक्षक जवकास कायणिमों, जविेषज्ञ जिक्षकों की
यात्राओं को प्रायोजजत करके और कॉपोरे ट क्षेत्र (कायणरत और सेवाजनवृत्त) से प्रजतभािाली जिक्षकों
के पूल का जनमाणण करके फै कल्टी जवकास।

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C. उच्च जिक्षा में कॉपोरे ट जनवेि के माध्यम से नए बुजनयादी ढांचे का जनमाणण (Creation of new

infrastructure through corporate investments in higher education):

1. कॉपोरे ट क्षेत्र द्वारा मौजूदा जवश्वजवद्यालयों और उच्च जिक्षा संस्थानों में उत्कृ िता कें द्रों (Centres

of Excellence: CoEs) या प्रौद्योजगकी पाकण के रूप में नई सुजवधाओं की स्थापना।

2. नए जवश्वजवद्यालयों और उच्च जिक्षा संस्थानों की स्थापना।

1.9. बजट 2018 और जिक्षा के प्रजत दृ जिकोण में पररवतण न

(Budget 2018 and Shift in Approach to Education)

 बजट 2018 में 1 अप्रैल से िुरू होने वाले वषण के जलए जिक्षा क्षेत्र को 85,010 करोड रुपये की

राजि आवंरटत की गई है। यह कु ल कें द्रीय बजट का 3.48% है।

 वषण 2017-18 के जलए जिक्षा पर व्यय GDP का 0.62% था। यह 1964 में कोिारी आयोग द्वारा

अनुिजं सत और बाद में राष्ट्रीय जिक्षा नीजत, 1986 द्वारा अनुमोकदत सरकार के जनर्ददि उद्देश्य

अथाणत GDP के 6% से अत्यंत कम था।

 जवत्त वषण 2018-19 के जलए कु ल जिक्षा पररव्यय में, जवद्यालयी जिक्षा को 50,000 करोड रुपये

)
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(जपछले संिोजधत बजट की तुलना में लगभग 3,000 करोड रुपये अजधक) का वृहद जहस्सा

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आवंरटत ककया गया है और िेष 35,010 करोड रुपये उच्च जिक्षा क्षेत्र को कदया गया है। 9@
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 जवद्यालयी क्षेत्र में, सवण जिक्षा अजभयान (SSA) को जपछले बजट के 23,500 करोड रुपये की
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तुलना में 26,128 करोड रुपये आवंरटत ककए गए हैं।


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 इसी प्रकार, राष्ट्रीय माध्यजमक जिक्षा अजभयान (RMSA) को जपछले बजट की तुलना में 300
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करोड रुपये अजधक अथाणत 4,213 करोड रुपये आवंरटत ककये जाएंगे।
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प्रमुख जवद्यालय भोजन कायणिम, जमड डे-मील को जवत्त वषण 2019 में 10,500 करोड रुपये
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आवंरटत ककया जायेगा। यह राजि जपछले बजट में आवंरटत राजि से 500 करोड रुपये अजधक है।
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दृजिकोण में पररवतणन (Shift in Approach)


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 बजट 2018 में पूव-ण जवद्यालय (pre-school) से कक्षा 12वीं तक की जवद्यालयी जिक्षा को एकीकृ त
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करने के जलए कायण करने और उसे जबना ककसी भी जवभाजन के समग्र रूप से देखने के बारे में बात
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की गयी है।
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 बजट 2018 में अन्य कई प्रावधानों के साथ ही एकीकृ त पाठ्यिम, अजधगम पररणाम, जिक्षक

जवकास, जडजजटल क्षेत्र में कु िलता, औपचाररक रोजगार को बढ़ावा, अनुसंधान और समावेि

(एकलव्य जवद्यालय) पर ध्यान कें कद्रत करने पर फोकस ककया गया है।
 यह जनकट भजवष्य में कई जवद्यालयी योजनाओं के जवलय का संकेत देता है।
 मानव संसाधन जवकास मंत्रालय ने समग्र जिक्षा अजभयान िुरू ककया है जजसमें - सवण जिक्षा
अजभयान, राष्ट्रीय माध्यजमक जिक्षा अजभयान और जिक्षक जिक्षा िाजमल हैं।

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1.10. समग्र जिक्षा अजभयान (Samagra Shiksha Abhiyan)

कें द्रीय बजट, 2018-19, में प्री-नसणरी से कक्षा 12 तक को जबना जवभाजन के समग्र रूप से जवद्यालयी
जिक्षा के रूप में रखने का प्रस्ताव ककया है।
इसजलए, समग्र जिक्षा अजभयान नामक एक व्यापक कायणिम तैयार ककया गया है जो जनम्नजलजखत
योजनाओं को िाजमल करता है-
 सवण जिक्षा अजभयान
 राष्ट्रीय माध्यजमक जिक्षा अजभयान
 जिक्षक जिक्षा
पालन हेतु जसद्धांत (Principles to be followed)

ये जसद्धांत SSA में सुधार के जलए श्री अजनल बोर्थडया सजमजत की ररपोटण पर आधाररत हैं।

 पाठ्यिम, जिक्षक जिक्षा, िैक्षजणक योजना और प्रबंधन पर महत्वपूणण प्रभाव के साथ पूरी सामग्री
और जिक्षा की प्रकिया के व्यवजस्थत सुधार के प्रभाव वाला जिक्षा का समग्र दृजिकोण।
 समता और पहाँच का अथण न के वल समान अवसर या जनर्ददि दूरी के भीतर जवद्यालय की सुलभता
है, बजल्क ऐसी पररजस्थजतयों का जनमाणण करना भी है जजसमें समाज के वंजचत वगण अथाणत SC,

ST, मुजस्लम अल्पसंख्यक, भूजमहीन कृ जष श्रजमक और जविेष आवश्यकता वाले बच्चे आकद भी
उपलधध अवसरों का लाभ उिा सकें ।

)
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 लैंजगक सरोकार का आिय न के वल लडककयों को लडकों के कदम से कदम जमलाने में सक्षम बनाने

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के जलए प्रयास करना है बजल्क जिक्षा को राष्ट्रीय जिक्षा नीजत 1986/92 में वर्थणत पररप्रेक्ष्य में

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देखना है अथाणत् मजहलाओं की जस्थजत में बुजनयादी पररवतणन लाने के जलए एक जनणाणयक हस्तक्षेप
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के रूप में देखना।


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 जिक्षकों की के न्द्रीयता, जो उन्हें कक्षा में और कक्षा के बाहर नवाचार हेतु तथा एक नयी संस्कृ जत के
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जनमाणण हेतु प्रेररत करे गी। इसके पररणामस्वरूप, बच्चों के जलए, जविेष रूप से पीजडत और वंजचत
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पृिभूजम वाली लडककयों के जलए, एक समावेिी पररवेि का जनमाणण संभव हो सके गा।
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 दंडात्मक प्रकियाओं पर बल देने के बजाय RTE अजधजनयम द्वारा माता-जपता, जिक्षकों, िैक्षजणक
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प्रिासकों और अन्य जहतधारकों पर नैजतक दबाव बनाया गया है।


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 RTE कानून के कायाणन्वयन के जलए िैजक्षक प्रबंधन की कें द्राजभमुख और एकीकृ त प्रणाली एक पूवण-
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आवश्यकता है। सभी राज्यों को उस कदिा में यथासंभव त्वररत रूप से आगे बढ़ना चाजहए।
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1.11. मसौदा राष्ट्रीय जिक्षा नीजत (Draft National Education Policy)


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के . कस्तूरीरं गन की अध्यक्षता में एक सजमजत राष्ट्रीय जिक्षा नीजत (NEP) का अंजतम मसौदा तैयार कर
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रही है। यह 31 अगस्त, 2018 तक इसका मसौदा प्रस्तुत करे गी। इससे पहले, टी.एस.आर. सुब्मण्यम

सजमजत ने मई 2016 में NEP का मसौदा प्रस्तुत ककया था। हालांकक, बाद में सरकार ने अपेक्षाकृ त
अजधक परामिण प्राप्त करने तथा इसका अंजतम मसौदा तैयार करने के जलए के . कस्तूरीरं गन सजमजत का
गिन ककया था।
टी.एस.आर. सुब्मण्यम सजमजत द्वारा तैयार मसौदा राष्ट्रीय जिक्षा नीजत के प्रमुख बबदु
(Major Highlights of Draft National Education Policy prepared by TSR

Subramanian Committee)

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जवज़न (Vision)
यह एक जवश्वसनीय और उच्च प्रदिणन वाली जिक्षा प्रणाली की कल्पना करता है। यह प्रणाली सभी के
जलए समावेिी गुणवत्तापूणण जिक्षा और आजीवन सीखने के अवसर सुजनजित करने की क्षमता वाली
होगी। साथ ही यह उत्पादक जीवन का नेतृत्व करने, देि की जवकास प्रकिया में भाग लेने तथा तेजी से

बदल रही व लगातार वैश्वीकृ त हो रही, ज्ञान-आधाररत अथणव्यवस्था और समाज की आवश्यकताओं के

प्रजत अनुकिया करने हेतु आवश्यक ज्ञान, कौिल, दृजिकोण और मूल्यों से लैस छात्रों/स्नातकों को उत्पन्न
करने वाली होगी।
जमिन (Mission)

 बच्चों, युवाओं और वयस्कों, सभी के जलए न्यायसंगत, समावेिी और गुणवत्तापूणण जिक्षा और


आजीवन सीखने के अवसर सुजनजित करना और समानता एवं उत्कृ िता के साथ देि की मानव
क्षमता को पूणण रूप से प्राप्त करने हेतु प्रोत्साहन प्रदान करना।
 सुजनजित करना कक स्कू ल जिक्षा, उच्च जिक्षा और साथ ही वयस्क जिक्षा कायणिम भारत की समृद्ध

जवरासत, इसके गौरविाली अतीत, महान परं पराओं और जवजवध संस्कृ जतयों के बारे में बच्चों,
युवाओं और वयस्कों के बीच जागरुकता पैदा करते हैं। साथ ही जिक्षार्थथयों के सभी स्तरों पर ऐसे
मूल्यों को सीखने को बढ़ावा देना जो जजममेदार नागररकता, िांजत, सजहष्णुता, राष्ट्रीय एकता,
सामजजक एकजुटता और सभी धमों के जलए पारस्पररक सममान को बढ़ावा दें। इसके अजतररि ऐसे

)
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वैजश्वक मूल्यों को भी बढ़ावा देना जो वैजश्वक नागररकता और सतत जवकास को बढ़ावा देने में

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सहायता करें ।
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जवज़न और जमिन की पूर्थत के जलए जिक्षा के मुख्य उद्देश्य जनम्नजलजखत हैं:
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 प्रारं जभक बाल्यावस्था जिक्षा सेवाओं का जवस्तार करना ताकक यह सुजनजित हो सके कक 4-5 वषण
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के सभी प्री-स्कू ल आयु के बच्चे सीखने और जवकास करने के जलए पूरी तरह से तैयार हो पा रहे हैं।
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 सावणभौजमक प्राथजमक एवं माध्यजमक जिक्षा का लक्ष्य प्राप्त करना तथा माध्यजमक जिक्षा प्राप्त सभी
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जवद्यार्थथयों की उच्च माध्यजमक जिक्षा तक और उच्चतर माध्यजमक जिक्षा प्राप्त सभी जवद्यार्थथयों की
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उच्च जिक्षा तक समानतापूणण पहाँच सुजनजित करना।


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 जिक्षा में सामाजजक, क्षेत्रीय और लैंजगक अंतराल की समाजप्त को सुजनजित करना तथा साथ ही
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समपूणण जिक्षा प्रणाली में लैंजगक समानता और लडककयों एवं मजहलाओं के सिजिकरण में वृजद्ध को
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सुजनजित करना।
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 कौिल जवकास के जलए अवसरों का जवस्तार करना तथा युवाओं और वयस्कों द्वारा जीवन एवं
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कायण के जलए तकनीकी और व्यावसाजयक कौिल सजहत कौिल और योग्यताओं की प्राजप्त सुजनजित
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करना।
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 यह सुजनजित करना कक औपचाररक जिक्षा प्रणाली से वंजचत युवाओं (15-24 वषण) और वयस्कों
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(15 वषण और उससे अजधक आयु) को जनयोजन के जलए कौिल प्राप्त करने के अवसर प्रदान ककए
जा रहे हैं।
 तृतीयक जिक्षा तक समानतापूणण पहंच सुजनजित करने हेतु हेतु उच्च जिक्षा प्रणाली में सुधार करना।
इस सुधार में तकनीकी जिक्षा और व्यावसाजयक जिक्षा, उच्च जिक्षा तक पहाँच में असमानता को कम

करना, जिक्षण तथा अनुसंधान में सुधार करना, नवाचार को बढ़ावा देना तथा नवीन ज्ञान का
सृजन सजममजलत है।

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1.12 जिक्षा क्षे त्र में चु नौजतयां (Challenges in Education Sector)

NGO प्रथम द्वारा प्रकाजित और CBSE द्वारा आयोजजत ASER वार्थषक ररपोटण 2017 और जवजभन्न
अन्य ररपोटों ने भारत में जिक्षा की प्राजप्त में जनम्नजलजखत चुनौजतयों का उल्लेख ककया है:
A. उच्च नामांकन अनुपात के बावजूद जनम्न अजधगम (सीखने समबन्धी) पररणाम (Poor learning

outcomes despite high enrolment ratio)

1. प्राथजमक और माध्यजमक जिक्षा में नामांकन में वृजद्ध के पररणामस्वरूप अजधगम गुणवत्ता में कोई
सुधार नहीं हआ है।
2. अजधगम की गुणवत्ता एक प्रमुख मुद्दा है और ररपोटें यह बताती हैं कक बच्चों को उनकी कक्षाओं के
अनुरूप अजधगम स्तर को प्राप्त नहीं कर रहे हैं।
3. प्राथजमक वषों से आई ये अजधगम की कमी ककिोरावस्था और वयस्कता तक बनी रहती है।
B. असंतोषजनक पूव-ण जवद्यालयी जिक्षा (Unsatisfactory Pre-School Education)

1. असंतोषजनक पाठ्यिम, प्रजिजक्षत जिक्षकों की कमी और अप्रभावी अध्यापन-कला (pedagogy)


पूव-ण जवद्यालयी (प्री-स्कू ल) जिक्षा से संबंजधत एक बडी चुनौती बनी हई है।
2. पूव-ण जवद्यालयी जिक्षा पूरी करने वाले बच्चों के एक महत्वपूणण अनुपात में प्राथजमक जवद्यालय में
प्रवेि करने पर संज्ञानात्मक और भाषा समबन्धी क्षेत्र में जवद्यालय में दाजखल होने की तैयारी
समबन्धी योग्यता नहीं होती है।

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3. पूव-ण जवद्यालय के अजधकांि जिक्षक अपयाणप्त रूप से प्रजिजक्षत होते हैं।

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राष्ट्रीय उपलजधध सवेक्षण और जिक्षा पर वार्थषक जस्थजत ररपोटण (Annual Status of Education s9@
Report: ASER) के मध्य तुलना
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(Comparison between National Achievement Survey and ASER)


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राष्ट्रीय उपलजधध सवेक्षण National जिक्षा पर वार्थषक जस्थजत ररपोटण (ASER)


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Achievement Survey
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 यह एक स्कू ल आधाररत सवेक्षण है  घरे लू सवेक्षण


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 कक्षा 3, 5 वीं और 8 वीं कक्षा के छात्रों के  ASER द्वारा आयोजजत


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जलए एनसीईआरटी द्वारा आयोजजत


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 यह पेन-पेपर टेस्ट पर आधाररत है  एक-एक करके मूल्यांकन


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 यह सरकारी स्कू लों में नामांककत बच्चों को  सभी बच्चे चाहे वे स्कू ल जा रहे हों या नहीं
ध्यान में रखता है।

 जवजभन्न प्रकार के कौिलों के आधार पर  आधारभूत कौिलों जैसे कक पढ़ने और


गजणत के आधार पर

4. कई मामलों में अभी भी पूव-ण जवद्यालयी जिक्षा के जलए पाठ्यिम प्राथजमक जिक्षा पाठ्यिम का
जनम्नतर रूप ही होता है।

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C. भौजतक अवसंरचना की कमी (Lack of Physical Infrastructure)
1. सरकारी प्राथजमक जवद्यालयों में बहत से िौचालय जल आपूर्थत की कमी के कारण कियािील नहीं
हैं। इसने जविेष रूप से छात्राओं के ड्रॉप-आउट को बढ़ाने में योगदान कदया है।
D. ड्रॉप आउट दरें (Drop Out Rates)
1. 2015-16 के जलए U-DISE आंकडों के मुताजबक, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक 100 प्राथजमक
जवद्यालयों पर के वल 14 जवद्यालय माध्यजमक स्तर और के वल छिः स्कू ल उच्चतर माध्यजमक स्तर की
जिक्षा प्रदान करते हैं।
2. जवद्यालय तक की लंबी दूरी माध्यजमक जवद्यालयों में ड्रॉप आउट के कारणों में से एक हो सकता है।
3. प्राथजमक जिक्षा की तुलना में माध्यजमक जिक्षा और उच्च जिक्षा में अपेक्षाकृ त कम नामांकन दर
बचता का एक जवषय है।
4. सावणभौजमक माध्यजमक जिक्षा प्राप्त करने के जलए प्राथजमक से माध्यजमक और माध्यजमक से उच्चतर
माध्यजमक और तृतीयक जिक्षा प्राप्त करने के जलए छात्रों की गजतिीलता सुजनजित करना एक
प्रमुख चुनौती है।
5. राष्ट्रीय माध्यजमक जिक्षा अजभयान (Rashtriya Madhyamik Shiksha Abhiyan: RMSA)
को सुदढ़ृ बनाना आवश्यक है, ताकक माध्यजमक स्तर पर स्कू ल छोडने की दरों को कम ककया जा
सके ।
E. समानता से समबंजधत मुद्दे (Equity Issues)
1. हालांकक पूव-ण जवद्यालयी जिक्षा में नामांकन बढ़ाने में पयाणप्त प्रगजत हाजसल की गई है, लेककन वंजचत

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समूहों के बच्चों की अभी भी पूव-ण जवद्यालयी जिक्षा तक पहंच नहीं है। आर्थथक रूप से वंजचत समूहों

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के बच्चों को पूव-ण प्राथजमक जिक्षा प्राप्त करने के जलए कम अवसर प्राप्त होने की संभावना अजधक है।

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2. हालांकक 2000 से स्कू ल से वंजचत रहने वाले बच्चों (out-of-school children: OOSC) की
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संख्या में काफी कमी आई है, लेककन कु छ राज्यों में स्कू ल से वंजचत रहने वाले बच्चों की संख्या और
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अनुपात राष्ट्रीय औसत से काफी अजधक है। अनुसूजचत जाजत, अनुसूजचत जनजाजत और मुजस्लम
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बच्चों के जलए स्कू ल से वंजचत रहने वाले बच्चों की संख्या का अनुपात राष्ट्रीय औसत से अजधक है।
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3. कदव्यांग बच्चे और जविेष आवश्यकता वाले बच्चे स्कू ल से वंजचत रहने वाले बच्चों की संख्या का एक
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महत्वपूणण भाग हैं। यह जस्थजत कदव्यांग बच्चों, जो सामाजजक और िैजक्षक दोनों तरह से वंजचत हैं,
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की चुनौतीपूणण जरूरतों को हल करने के जलए स्कू लों को तैयार करने की आवश्यकता को दिाणती
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है।
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4. उच्च जिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio: GER) में क्षेत्रीय
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असमानताएं बहत व्यापक हैं। 2011-12 में उच्च जिक्षा में GER झारखंड में 8.4 प्रजतित और
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चंडीगढ़ में 53 प्रजतित की सीमा के बीच था।


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F. प्रिासन और प्रबंधन (Governance and Management)


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1. जिक्षा प्रिासन में चुनौजतयों को जिक्षकों की अनुपजस्थजत, स्कू लों/कॉलेजों/जवश्वजवद्यालयों को फं ड


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प्राप्त होने में देरी और प्रिासजनक क्षमताओं के उदाहरणों से देखा जा सकता है। प्रभावी कायणिम
जनयोजन और कायाणन्वयन से संबंजधत क्षमता समबन्धी बाधाएं एक प्रमुख मुद्दा बनी हई हैं।
पररणामस्वरूप, योजनाबद्ध कायणिमों के कायाणन्वयन की प्रगजत असमान बनी हई है।
2. जवद्यालय जवकास और प्रबंधन सजमजतयों (School Development and Management
Committees: SDMCs) को जिक्षकों और उनके कतणव्यों की देखरे ख करने की जज़ममेदारी सौंपी
गई है। इस सजमजत में पररजन और स्थानीय समुदाय के सदस्य िाजमल होते हैं। हालांकक, िोध से
पता चलता है कक ऐसी सजमजतयां यदा कदा ही सफल होती हैं।

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G. कौिल और जनयोजन समबन्धी योग्यता (Skills and Employability)

1. तकनीकी और व्यावसाजयक जिक्षा कायणिमों का समथणन करने के जलए संस्थागत व्यवस्था काफी
हद तक अपयाणप्त है।
2. उच्च गुणवत्ता वाले व्यावसाजयक प्रजिक्षण की गररमा और सामाजजक स्वीकायणता को बढ़ावा देने
हेतु अजधक ध्यान देने की आवश्यकता है।
H. पाठ्यिम और मूल्यांकन (Curriculum and Assessment)

1. ज्यादातर मामलों में अजधगम उपलजधध का मूल्यांकन रटने और अंतवणस्तु जवषय ज्ञान को
पुनरुत्पाकदत करने की क्षमता का परीक्षण करने पर कें कद्रत है। छात्रों के व्यापक मूल्यांकन को
सुजनजित करने के जलए संपूणण मूल्यांकन प्रणाली को संिोजधत करने की आवश्यकता है। इस
व्यापक मूल्यांकन में िैजक्षक और सह-िैजक्षक डोमेन, दोनों से संबंजधत अजधगम पररणाम सजममजलत
होने चाजहए।
I. सूचना और संचार प्रौद्योजगकी (Information and Communication Technology: ICT)

1. जिक्षा में ICT का उपयोग सीजमत रहता है और गुणवत्तापूणण जिक्षा को बढ़ावा देने के जलए ICT
का उपयोग करने के प्रयासों में तेजी लाने की आवश्यकता है।
2. मोबाइल, कं प्यूटर और इं टरनेट तक पहाँच के साथ-साथ जडजजटल लेन-देन की आवृजत्त एक बडे
जडजजटल जवभाजन को प्रदर्थित करती है। यह जवभाजन जडजजटल भारत को बढ़ावा देने हेतु

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सरकार के अजभयान के जलए प्रासंजगक हो जाता है।

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J. जिक्षक जवकास और प्रबंधन (Teacher Development and Management)

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1. संस्थागत क्षमता और आवश्यक जिक्षकों की उपलधधता के बीच जनरं तर जवसंगजत मौजूद होने के
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पररणामस्वरूप जिक्षकों की कमी बनी रहती है। वतणमान जिक्षक जिक्षा और प्रजिक्षण कायणिम
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जिक्षकों को नई प्रोफाइल और जिक्षकों से अपेजक्षत भूजमकाओं के जनवाणहन के संदभण आवश्यक


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योग्यताएं प्रदान करने के जलए अनुपयुि माने जाते हैं। साथ ही ये जवजभन्न सामाजजक, आर्थथक,
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सांस्कृ जतक और तकनीकी पररवेिों में उन्हें उनके कतणव्यों को पूरा करने में सक्षम बनाने हेतु भी
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अनुपयुि माने जाते हैं।


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2. एड-हॉक जिक्षकों की जनयुजि, जजनको पूणक


ण ाजलक प्रजिजक्षत स्नातक जिक्षकों को प्राप्त होने वाले
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अच्छे पाररश्रजमक की तुलना में बहत कम भुगतान प्राप्त होता है।


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3. इसके अजतररि अस्थायी जिक्षकों के जलए आिाजनक कै ररयर की संभावनाएं, जो कक अत्यंत


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प्रेरणावधणक होती हैं, लगभग िून्य हैं। इससे असंतोष उत्पन्न होता है, जजसके पररणामस्वरुप
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जिक्षकों की कमी होती है क्योंकक वे अजधक स्थायी रोजगार की ओर अग्रसर हो जाते हैं।
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K. अनुसध
ं ान और जवकास (Research and Development)
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1. भारत में जवश्वजवद्यालयों में अनुसंधान और जवकास की पहलें कमज़ोर रहती हैं। मौजूदा जिक्षकों के
कौिल को अपग्रेड करने; जिक्षण और अनुसंधान दोनों के बीच उत्कृ िता को बढ़ावा देने के जलए

तालमेल के जनमाणण; अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार के जलए दुजनया भर के संस्थानों और जिक्षकों
के साथ अजधक गहराई से जुडने के जलए उच्च जिक्षा संस्थानों और उनके जिक्षकों को प्रोत्साहन और
समथणन प्रदान करके अंतराणष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने; िोध समबन्धी गिबंधनों का सृजन करने और
उन्हें सुजवधाजनक बनाने तथा ज्ञान जवकास की प्रकिया में तेजी लाने के जलए जवश्वजवद्यालय के
जवभागों को अनुसंधान संस्थानों और उद्योगों के साथ जोडने हेतु के वल सीजमत पहल ही की गई है।

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L. बजटीय बाधाएं (Budgetary constraints)
1. जिक्षा का अपयाणप्त जवत्तपोषण, जिक्षा तक पहंच बढ़ाने और गुणवत्तापूणण जिक्षा को बढ़ावा देने के
प्रयासों को बाजधत करता रहा है।
2. सरकार ने जिक्षा पर सकल घरे लू उत्पाद का 6% खचण करने का उद्देश्य जनधाणररत ककया है लेककन
जिक्षा पर वास्तजवक व्यय 6% के कहीं आस-पास भी नहीं है। यह 1% से नीचे ही बना हआ है।
M. व्यावसाजयक जिक्षा और प्रजिक्षण को सुधारना (Reforming Vocational Education and
Training)
वतणमान में रोजगार के जलए युवाओं को पयाणप्त रूप से तैयार करने हेतु बेहतर गुणवत्ता वाली
व्यावसाजयक जिक्षा की आवश्यकता है। इसके जलए जनम्नजलजखत अपेजक्षत हैं:
1. मौजूदा कौिल की कमी को दूर करने के जलए उच्च जवकास वाले क्षेत्रों में व्यावसाजयक प्रजिक्षण का
जवस्तार करना।
2. जनजी क्षेत्र की अजधक भागीदारी के जलए प्रजिक्षण और संस्थागत िासन में सुधार हेतु सामान्य
मानकों को स्थाजपत करना ताकक प्रजिक्षण श्रम बाजार की बदलती हई मांग के जलए गजतिील रूप
से अनुकूल हो सके ।
3. जवाबदेही सुजनजित करना और संसाधनों का बेहतर उपयोग करना।
N. स्कू लों को समेककत करना (Consolidating Schools):
स्कू लों को समेककत करने और उपलधध संसाधनों को तकण संगत बनाने की आवश्यकता है।
1. 2015-16 तक, कम से कम 187,006 प्राथजमक जवद्यालय (कक्षा I-V) और 62,988 उच्च

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प्राथजमक (कक्षा VI-VIII) जवद्यालय 30 से कम छात्रों के साथ चल रहे थे। साथ ही, 7,166 स्कू लों

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में नामांकन िून्य था। इसके अजतररि, 87,000 स्कू लों में के वल एक जिक्षक मौजूद है। 9@
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2. यह ध्यान देने योग्य है कक अजधिेष छोटे स्कू ल जनम्नजलजखत को प्रजतकू ल रूप से प्रभाजवत करते हैं:
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 संसाधनों के आवंटन (provisioning of resources) को


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 अजधगम प्रकिया (learning process) को और


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जनगरानी और पयणवेक्षण (monitoring and supervision) को।


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1.13. जिक्षा क्षे त्र से सं बं जधत सं स्थान (Institutions Related to Education Sector)
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1.13.1. प्रिासजनक ढां चा (Administrative Framework )


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 कें द्र में जिक्षा समबन्धी नीजतयों का जनमाणण मानव संसाधन जवकास मंत्रालय (MHRD) करता है
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और देि में संबंजधत कानूनों और योजनाओं को लागू करता है। मंत्रालय के अंतगणत उच्च जिक्षा
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जवभाग उच्च जिक्षा क्षेत्र के जलए जज़ममेदार है। राज्य सरकार के स्तर पर इस तरह के कायों को
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जिक्षा जवभाग पूरा करते हैं। स्वास््य, कृ जष इत्याकद जैसे जविेष पेिेवर क्षेत्रों में अध्ययन की
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सुजवधा प्रदान करने वाले संस्थानों को उनके समबंजधत मंत्रालयों द्वारा जनयंजत्रत ककया जाता है।
1.13.2. जनयामकीय जनकाय (Regulatory Bodies)

 उच्च जिक्षा के जलए मुख्य जनयामक जवश्वजवद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और अजखल भारतीय
तकनीकी जिक्षा पररषद (AICTE) हैं। इसके अजतररि, जवजभन्न पेिेवर पाठ्यिमों को जवजनयजमत
करने वाली 15 पेिेवर पररषदें हैं। ये संसद के जवजभन्न अजधजनयमों जैसे कक भारतीय जचककत्सा
पररषद, बार काउं जसल ऑफ इं जडया, काउं जसल ऑफ आर्दकटेक्चर इत्याकद द्वारा स्थाजपत सांजवजधक
जनकाय हैं।

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1.13.3. जवश्वजवद्यालय अनु दान आयोग (University Grants Commission)

 जवश्वजवद्यालयी जिक्षा के मानकों के समन्वय, जनधाणरण और रख-रखाव के जलए 1956 में संसद के
एक अजधजनयम द्वारा स्थाजपत जवश्वजवद्यालय अनुदान आयोग एक वैधाजनक संगिन है।
जवश्वजवद्यालयों और कॉलेजों को अनुदान प्रदान करने के अजतररि, आयोग कें द्र और राज्य सरकारों
को उच्च जिक्षा के जवकास के जलए अपनाए जाने वाले आवश्यक उपायों पर भी सलाह देता है।
1.13.4. भारतीय उच्च जिक्षा आयोग अजधजनयम, 2018 का मसौदा

(Draft Higher Education Commission of India Bill, 2018)


 यह जवधेयक उच्च जिक्षा आयोग (HECI) द्वारा UGC को प्रजतस्थाजपत करना चाहता है। UGC के
जवपरीत HECI द्वारा अनुदान कायण नहीं ककये जाएंगे, अनुदान कायण मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा
ककये जाएंगे। HECI को पररणाम आधाररत जिक्षा पर जवजिि ध्यान देने, संस्थानों के अकादजमक
प्रदिणन का मूल्यांकन करने, संस्थानों को सलाह देने, जिक्षकों को प्रजिक्षण प्रदान करने, िैक्षजणक
प्रौद्योजगकी के उपयोग को बढ़ावा देने आकद के साथ अकादजमक मानकों में सुधार हेतु कायण करने के
जलए अजधदेजित ककया गया है। यह नए संस्थान खोलने और संस्थानों को बंद करने के मानकों को
स्थाजपत करने के मानदंड जवकजसत करे गा, संस्थानों को अजधक लचीलापन और स्वायत्तता प्रदान
करे गा, ककसी भी क़ानून के तहत (राज्य कानून सजहत) िुरू ककये गए जवश्वजवद्यालय में संस्थागत
स्तर पर महत्वपूणण उच्च पदों पर जनयुजियों के जलए मानक जनधाणररत करे गा।

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1.13.5. उच्च जिक्षा जवत्तपोषण एजें सी (Higher Education Finance Agency:

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HEFA) s 9@
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 यह भारत सरकार के MHRD और कै नरा बैंक का संयुि उद्यम है।


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 RBI ने इसे गैर-बैंककग जवत्तीय कं पनी (NBFC) के रूप में काम करने का लाइसेंस कदया है।
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 यह बाजार आधाररत जिक्षा जवत्त पोषण संरचना (माके ट बलक्ड एजुकेिन फाइनेंबसग स्िक्चर) को
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स्थाजपत करना चाहती है।


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 इसका लक्ष्य सरकारी उच्च जिक्षा संस्थानों को कम लागत वाले ऋण प्रदान करना है।
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1.13.6. जिक्षा में बु जनयादी ढां चे और प्रणाजलयों का पु न रुद्धार


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(Revitalization Infrastructure and Systems in Education: RISE)


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 कें द्रीय जवत्त पोजषत संस्थानों यथा IITs, कें द्रीय जवश्वजवद्यालय और इनके जैसे अन्य संस्थानों में
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जनवेि को बढ़ाने के जलए यह एक नई पहल है।


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 इसे उच्च जिक्षा जवत्तपोषण एजेंसी (HEFA) के माध्यम से जवत्त पोषण प्रदान ककया जाएगा।
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1.14. आगे की राह (Way Forward)


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चार आवश्यक घटकों- मूल्य के जवकास, जागरुकता, ज्ञान और कौिल को िाजमल करना आने वाले वषों
में जिक्षा के मुख्य उद्देश्यों में होना चाजहए।
A. जिक्षा प्रणाली में सुधार (Reforms in the Education System)
1. जनयामक, जवत्तप्रदाता और जिक्षा प्रदाता के रूप में सरकार की भूजमकाओं को अलग-अलग करना।
2. सावणजजनक खचण की दक्षता और जवाबदेही में सुधार लाने और पररजनों को अजधक जवकल्प प्रदान
करने के जलए प्रजत छात्र जवत्त पोषण के उपायों जैसे वाउचर, डायरे क्ट कै ि िांसफर, छात्रवृजत्त
आकद का उपयोग करना।

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3. सरकारी और जनजी, दोनों प्रकार प्रकार के स्कू लों को मान्यता प्रदान करना तथा उनका जवजनयमन
अजधगम पररणामों के आधार पर करना।
4. सभी छात्रों, जिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को जविेष ID प्रदान की जाए और उनके कायों, प्रजिक्षण
और प्रदिणन का ऑनलाइन पोटणफोजलयो बनाया जाए, जजससे जिक्षा क्षेत्र अजधक डेटा-संचाजलत
जनणणयन की तरफ बढ़ सके ।
B. जवद्यालयों और छात्रों के जलए सुधार (Reforms for Schools and Students)
1. औपचाररक जवद्यालयी जिक्षा प्रणाली में पूवण-जवद्यालयी जिक्षा को एकीकृ त करना, जविेष रूप से
सरकारी स्कू लों में।
2. यह सुजनजित ककया जाए कक कक्षा 3 तक का प्रत्येक छात्र पढ़ने, जलखने और सामान्य गजणतीय
गणनाएं करने में सक्षम हो।
3. जिक्षा के साथ-साथ व्यावसाजयक प्रजिक्षण को वैयजिकृ त बनाने के जलए ICT, MOOCs, जमजश्रत
और स्व-अध्ययन के अजभनव उपयोग को प्रोत्साजहत ककया जाए और प्रमाणीकरण में जनष्पक्षता
लाने के जलए CBSE बोडण परीक्षा को सभी छात्रों के जलए खोल कदया जाये।
4. जनजी स्कू लों की 25% सीटों के जलए कें द्रीकृ त ऑनलाइन प्रवेि प्रकिया का उपयोग ककया जाए
तथा प्रजत छात्र व्यय की पारदिी गणना की जाए और इसके जलए कदया जाने वाला अनुदान
पररजनों को प्रदान ककया जाए न कक जवद्यालयों को।
C. जिक्षकों और प्रधानाध्यापकों के जलए सुधार (Reforms for teachers and principals)
1. प्रधानाध्यापकों को उनके जवद्यालयों का वास्तजवक नेतृत्वकताण बनाने के जलए स्कू ल के

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प्रधानाध्यापकों की भूजमका और उनकी िजियों को बढ़ाना।

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2. प्रदिणन क्षमताओं के आधार पर जिक्षकों और प्रधानाध्यापकों का चयन/भती करना, न कक के वल

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जडग्री और वररिता के आधार पर।
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3. जिक्षकों और प्रधानाध्यापकों के प्रदिणन के आकलन और प्रोत्साहनों की एक मजबूत प्रणाली का


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जवकास करना जजसमें माता-जपता और छात्रों का फीडबैक भी िाजमल हो।


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4. जिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को व्यजिगत और आवश्यकता-आधाररत कोबचग (बडे पैमाने पर


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प्रजिक्षण नहीं) प्रदान करना, प्रजिक्षण और प्रमाणीकरण के जलए मााँग आधाररत ऑनलाइन
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मॉड्यूल उपलधध कराना और एक दूसरे से अपने अनुभव साझा करने तथा एक दूसरे से सीखने के
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जलए प्लेटफॉमण जवकजसत करना।


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D. जवद्यालयी जिक्षा में बलग और समानता आधाररत मुद्दों को हल करने के जलए उिाये गए कदम
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(Steps Taken to Address Gender and Equity issues in School Education)


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1. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृजद्ध योजना जैसी योजनाओं का कायाणन्वयन महत्वपूणण है।
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2. ऐसी स्कू ल प्रबंधन सजमजत (School Management Committee: SMC) को 1 लाख रुपये
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का पुरस्कार कदया जा सकता है जो प्राथजमक जवद्यालय के आस-पास की सभी बाजलकाओं


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(100%) का नामांकन करती हो और इनको पहले वषण बनाए रखती हो।


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3. ऐसे प्राथजमक जवद्यालय की SMC को पुरस्कार के रूप में 1 लाख रुपये कदए जा सकते हैं, जो कक्षा
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5 में अध्ययन करने वाली 100% बाजलकाओं का सफल स्थानांतरण उसी क्षेत्र या पडोस के ककसी
अन्य क्षेत्र के उच्च प्राथजमक जवद्यालय की कक्षा 6 में करते हैं।
4. मानव संसाधन जवकास मंत्रालय ने 2015 में अंतराणष्ट्रीय मजहला कदवस के अवसर पर ‘जडजजटल
जेंडर एटलस फॉर एडवांबसग गल्सण एजुकेिन इन इं जडया’ तैयार ककया था।
5. राष्िीय बाजलका माध्यजमक जिक्षा की प्रोत्साहन योजना (National Scheme of Incentive to
Girls for Secondary Education: NSIGSE) 16 वषण से कम आयु की योग्य अजववाजहत

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बाजलकाओं के नाम पर सावजध जमा के रूप में 3000.00 रुपये प्रदान करती है। इन बाजलकाओं
को इस राजि को धयाज सजहत जनकालने का अजधकार कक्षा 10 उत्तीणण करने के पिात और 18
वषण की उम्र पूणण होने पर जमलता है।
6. 'सवण जिक्षा अजभयान (SSA) ने बाजलकाओं से समबंजधत हस्तक्षेपों को लजक्षत ककया है जजसमें
बाजलकाओं के जलए पहंच को आसान बनाने के जलए पडोस में स्कू ल खोलना, मजहला जिक्षकों
सजहत अजतररि जिक्षकों की जनयुजि करना, जनिःिुल्क पाठ्यपुस्तक, जनिःिुल्क गण-वेि
(uniforms), बाजलकाओं के जलए पृथक िौचालय, 'बाजलकाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के
जलए जिक्षकों हेतु संवद
े निीलता (sensitisation) कायणिम तथा पाठ्यपुस्तकों सजहत बलग-
संवेदनिील जिक्षण सामग्री िाजमल है।
7. इसके अजतररि, बाजलकाओं को आवासीय उच्च प्राथजमक जवद्यालय उपलधध कराने के जलए
कस्तूरबा गांधी बाजलका जवद्यालय (Kasturba Gandhi Balika Vidyalayas: KGBV)
िैजक्षक रूप से जपछडे ऐसे जवकास-खण्डों (Educationally Backward Blocks: EBBs) में
खोले गए हैं जहााँ ग्रामीण मजहला साक्षरता राष्ट्रीय औसत से नीचे है।
8. उच्च जिक्षा क्षेत्र में जवश्वजवद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने जवश्वजवद्यालयों में मजहला
छात्रावासों के जनमाणण के जलए जविेष अनुदान आवंरटत ककए हैं।
9. CBSE ने देि के प्रमुख इंजीजनयररग कॉलेजों की प्रवेि परीक्षा की तैयारी करने के जलए कक्षा XI
और कक्षा XII की छात्राओं को जनिःिुल्क ऑनलाइन संसाधन प्रदान करने के जलए "उडान

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(Udaan)" योजना िुरू की है।

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2. स्वास््य (Health)
2.1 पररचय (Introduction)

"ॎ सवे भवन्तु सुजखनिः, सवे सन्तु जनरामयािः।"

अथाणत् "सभी सुखी रहें, सभी रोगमुि रहें," प्राचीन काल से ही यह श्लोक भारत के कल्याणकारी राज्य

में स्वास््य देखभाल क्षेत्र का मूल बना हआ है।


WHO स्वास््य को पूणण रूप से िारीररक, मानजसक और सामाजजक कल्याण की जस्थजत के रूप में

पररभाजषत करता है, न कक के वल रुग्णता या बीमारी की अनुपजस्थजत के रूप में। अच्छे स्वास््य के

जनधाणरक हैं: जवजभन्न प्रकार की स्वास््य सेवाओं तक पहंच, ककसी व्यजि द्वारा चयजनत जीवन िैली तथा

वैयजिक, पाररवाररक और सामाजजक संबंध।

वतणमान में, भारत की स्वास््य देखभाल प्रणाली में स्वास््य सेवाओं के सावणजजनक और जनजी क्षेत्र के

प्रदाताओं का जमश्रण िाजमल है। प्राथजमक, माध्यजमक और तृतीयक स्तर पर स्वास््य देखभाल

सुजवधाओं के नेटवकण मुख्य रूप से राज्य सरकारों द्वारा संचाजलत हैं तथा ये मुफ्त या बहत कम लागत
वाली जचककत्सा सेवाएं प्रदान करते हैं। एक व्यापक जनजी स्वास््य देखभाल क्षेत्र भी है जजसमें सामान्य

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अस्पतालों और सुपर स्पेजियजलटी अस्पतालों सजहत व्यजिगत डॉक्टरों और उनके क्लीजनकों के पूरे

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स्पेक्िम को सजममजलत ककया जाता है।
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भारत ने कई स्वास््य संकेतकों में पयाणप्त प्रगजत की है। जन्म के समय जीवन प्रत्यािा में बढ़ोत्तरी हई है ,
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जििु मृत्यु दर और अिोजधत मृत्यु दर में पयाणप्त कमी आई है, स्माल पॉक्स, पोजलयो और जगनी वमण जैसे
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रोगों का उन्मूलन कर कदया गया है तथा कु ि रोग (leprosy) लगभग समाप्त हो गया है। देि
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सावणभौजमक स्वास््य कवरे ज प्राप्त करने की कदिा में प्रयासरत है।


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भारत के संजवधान में स्वास््य देखभाल (Healthcare in the Constitution of India)


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 हमारा संजवधान राज्य से राज्य की नीजत के जनदेिक जसद्धांतों के जवजभन्न अनुच्छेदों के अंतगणत
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इसके कतणव्य के रूप में सभी लोगों के स्वास््य और पोषण संबंधी कल्याण को सुजनजित करने की
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अपेक्षा करता है-


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अनुच्छेद 39 (e): मजहला और पुरुष कामगारों के स्वास््य की सुरक्षा।


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o अनुच्छेद 41: बीमार और जनिःिि लोगों के जलए लोक सहायता।


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अनुच्छेद 42: मातृत्व लाभ द्वारा जििु और मां के स्वास््य की रक्षा।


Th

o अनुच्छेद 47: पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊाँचा करना तथा लोक स्वास््य का सुधार

करना।
 जवजभन्न जनणणयों (जैसे CESC जलजमटेड बनाम सुभाष चंद्र बोस; पजिम बंगाल खेत मजदूर

सजमजत; मुरली एस. देवडा; एन. डी. जयल इत्याकद) में सवोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 21 के क्षेत्र

का जवस्तार ककया है जजससे स्वास््य का अजधकार भी इसमें सजममजलत हो सका है।

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2.2 स्वास््य से सं बं जधत SDG (SDG Related to Health )

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2.3 भारत में स्वास््य दे ख भाल (Healthcare in India)

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 जपछले कु छ वषों में, भारतीय स्वास््य देखभाल पररदृश्य ने जीवन प्रत्यािा और मातृ तथा बाल9@
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मृत्यु दर जैसे कई स्वास््य संकेतकों में आिातीत प्रगजत प्रदर्थित की है। वषण 2014 में जब जवश्व
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स्वास््य संगिन (WHO) द्वारा भारत को पोजलयो मुि राष्ट्र घोजषत ककया गया तो भारतीय
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सावणजजनक स्वास््य देखभाल प्रणाली में एक उल्लेखनीय उपलजधध दज़ण हई। जििु मृत्यु दर (IMR)
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2004 में 57 प्रजत हज़ार जीजवत जन्म थी, जो 2016 में घट कर 34 रह गयी है। इसी अवजध के
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दौरान जन्म के समय जीवन प्रत्यािा 63.80 वषण से बढ़कर 68.35 वषण हो गई है। भारत में
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स्वास््य देखभाल प्रणाली द्वारा की गई इस महत्वपूणण प्रगजत के जलए सावणजजनक और जनजी क्षेत्र के
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संयुि प्रयास उत्तरदायी हैं।


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 उपयुणि सफलताओं के बावजूद, भारत में वतणमान स्वास््य देखभाल प्रणाली कई सामाजजक,
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आर्थथक और राजनीजतक कारकों के कारण बडी चुनौजतयों का सामना कर रही है।


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प्राथजमक स्वास््य देखभाल (Primary Healthcare)


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 प्राथजमक स्वास््य देखभाल 1,55,069 उप कें द्रों (sub centers: SCs) और 25,354 प्राथजमक
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स्वास््य कें द्रों (Primary Health Centres: PHCs) के नेटवकण के माध्यम से प्रदान की जाती है।
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इस तरह के एक जविाल नेटवकण के बावजूद, सामान्य नागररकों हेतु प्राथजमक देखभाल की


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उपलधधता बुजनयादी ढांचे और अपयाणप्त मानव संसाधनों के कारण सीजमत है। जनसंख्या मानदंडों
(बुलेरटन ऑफ रूरल हेल्थ स्टेरटजस्टक्स 2016) के अनुसार 35,110 उप कें द्रों (20 प्रजतित) और
6,572 प्राथजमक स्वास््य कें द्रों (22 प्रजतित) की कमी है। 31 माचण, 2016 तक, स्वास््य
कायणकताण (मजहला) और सहायक नसण जमडवाइफ (HWF/ANM) के पदों में कु ल कमी कु ल
आवश्यकता का 2.53 प्रजतित थी। इसी प्रकार 8.14 प्रजतित PHCs जबना डॉक्टर के थे, 44.59
प्रजतित जबना ककसी प्रयोगिाला तकनीजियन के थे और 27.10 प्रजतित जबना फामाणजसस्ट के थे,
जजससे सेवा जवतरण प्रजतकू ल रूप से प्रभाजवत होता है।

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जद्वतीयक स्वास््य देखभाल (Secondary Healthcare)
 स्वास््य देखभाल का जद्वतीयक स्तर प्रथम रे फरल यूजनटों (First Referral Units: FRUs) के
रूप में कायण करने वाले 5,510 सामुदाजयक स्वास््य कें द्रों (Community Health Centres:
CHCs) के नेटवकण ; 1,065 उप-जजला अस्पतालों (Sub-District Hospitals: SDHs) और
773 जजला अस्पतालों (District Hospitals: DHs) के माध्यम से उपलधध कराया जाता है।
बुलेरटन ऑफ रूरल हेल्थ स्टेरटजस्टक्स, 2015 के अनुसार 2,210 (30 प्रजतित) CHCs की कमी
है। समग्र रूप से CHCs में जविेषज्ञ-सजणनों (specialists-surgeons), प्रसूजत-जवज्ञाजनयों
(obstetricians) और स्त्री रोग जविेषज्ञों (gynaecologists), जचककत्सकों (physicians) और
बाल रोग जविेषज्ञों (paediatricians) के स्वीकृ त पदों का 81.19 प्रजतित खाली था, जो उनकी
सेवा जवतरण क्षमताओं को गंभीर रूप से बाजधत करता है।
तृतीयक देखभाल (Tertiary Healthcare)
 भारत में तृतीयक देखभाल िहरी क्षेत्रों की ओर झुकी हई है। इसके अजतररि, सरकारी प्रदाताओं
की तुलना में जनजी प्रदाताओं द्वारा देखभाल काफी अजधक महाँगी है। राष्ट्रीय नमूना सवेक्षण
(National Sample Survey: NSS) के 60 वें दौर के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में 365
कदनों की अवजध के दौरान उपचार के जलए 'अस्पताल में भती के प्रत्येक मामले में औसत कु ल
व्यय', ग्रामीण क्षेत्रों में 3,238 रुपए और िहरी क्षेत्रों में 3,877 रुपए है। जनजी सुजवधाओं से
इलाज में होने वाले व्यय से संबजं धत आाँकडे इससे बहत अजधक हैं, यह ग्रामीण क्षेत्रों में 7,408

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रुपए और िहरी क्षेत्रों में 11,553 रुपए है। NSSO के 71 वें दौर के अनुसार, यह लागत

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सावणजजनक स्वास््य सुजवधाओं में 6,120 रुपये और जनजी सुजवधाओं में 25, 850 रुपये हो गई।
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लागत अंतर के बावजूद, 70% से अजधक बीमाररयों का इलाज जनजी क्षेत्र के क्लीजनक और
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अस्पतालों तथा धमाणथण संस्थानों में ककया गया। संस्थागत प्रसवों के मामले में, ग्रामीण क्षेत्रों में
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लगभग 70% तथा िहरी क्षेत्रों में लगभग 47% सरकारी अस्पतालों में ककये में ककये गए।
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2.4. भारतीय स्वास््य दे ख भाल क्षे त्र के समक्ष चु नौजतयां


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(Challenges Faced by Indian Healthcare Sector)


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A. स्वास््य पर सावणजजनक व्यय का जनम्न स्तर (Low level of Public expenditure on Health)-
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1. स्वास््य देखभाल पर भारत का सावणजजनक व्यय 2017-18 में GDP का 1.4% था जो अन्य
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जब्क्स देिों (ब्ाजील: 3.8%, चीन: 3.1%, रूस: 3.7%, दजक्षण अफ्रीका: 4.2%) की अपेक्षा
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काफी कम था।
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2. WHO के आंकडों से पता चलता है कक के वल 30 देि ऐसे हैं जो GDP प्रजतित के रूप में
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भारत से कम राजि आवंरटत करते हैं। इनमें से ज्यादातर देि उप-सहारा अफ्रीका और भारत
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के पडोसी देि हैं।


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3. राष्ट्रीय स्वास््य नीजत, 2017 ने 2025 तक स्वास््य व्यय को GDP के 2.5% तक बढ़ाने का
लक्ष्य जनधाणररत ककया है और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के जलए व्यय का वतणमान स्तर बहत
कम है।
B. स्वास््य पर उच्च आउट ऑफ पॉके ट व्यय (High out of Pocket Expenditure on Health)-
1. ग्रामीण क्षेत्रों में अस्वस्थ आबादी के 70% से अजधक लोग और िहरी क्षेत्रों में लगभग 80%
जनजी स्वास््य सुजवधाओं का उपयोग करते हैं।
2. कु ल स्वास््य देखभाल व्यय का 80% जनजी क्षेत्र में होता है वहीं सावणजजनक क्षेत्र की
जहस्सेदारी मात्र 20% है।

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3. स्वास््य देखभाल पर कु ल जनजी व्यय का 94% आउट ऑफ पॉके ट व्यय है, जो दुजनया में
सबसे ज्यादा है।
C. स्वास््य क्षेत्र के बुजनयादी ढांचे की कमी (Lack of Health Infrastructure)
1. चीन के 2.3, ब्ाजील के 2.6 और अमेररका के 3.2 की तुलना में भारत प्रजत 1000 आबादी
पर 0.5 के अनुपात के साथ अस्पताल बेडों की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं।
2. यह अनुपात WHO द्वारा कम आय वाले देिों के जलए पररभाजषत आवश्यकता 1 बेड प्रजत
1000 आबादी से काफी कम है।
D. मानव पूज
ं ी की कमी (Human Capital Crunch)
स्वास््य देखभाल क्षेत्र को डॉक्टरों से लेकर नसण, प्रयोगिाला तकनीजियनों, फामाणजसस्टों इत्याकद जैसे
अन्य सहायक जचककत्सा कमणचाररयों के जलए अत्यजधक कु िल मानव संसाधन की आवश्यकता होती है।
1. हालांकक भारत में हर 921 लोगों के जलए एक डॉक्टर है (WHO का मानक 1: 1000)
लेककन इसमें आयुवेद, होमयोपैथी और यूनानी जचककत्सक भी िाजमल हैं।
2. भारत में जसफण एलोपैजथक डॉक्टरों के जलए डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1: 11,097 है।
E. क्षेत्रीय असमानता (Regional Disparities)
क्षेत्रीय असमानता ग्रामीण-िहरी अंतराल और अंतर-राज्य अंतराल के रूप में स्पि है।
1. KPMG ररपोटण के अनुसार, 74% भारतीय डॉक्टर िहरी आबादी के एक जतहाई भाग की
आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

)
2. नतीजतन, भारत के ग्रामीण समुदाजयक स्वास््य कें द्रों में 81% जविेषज्ञों की कमी है।

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3. भारत के ग्रामीण इलाकों में फै ले 25,308 प्राथजमक स्वास््य कें द्र (PHCs) जपछले 10 वषों

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में 200% की बढ़ी हई कमी के साथ 3,000 से अजधक डॉक्टरों की कमी से ग्रस्त हैं। 9@
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4. NHP, 2018 के अनुसार, जबहार में 28,391 की जनसंख्या पर 1 डॉक्टर उपलधध है जबकक
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कदल्ली में यही आंकडा 1: 2203 है।


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F. उपचार की बढ़ती लागत (Rising Cost of Treatment)


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1. सामान्य जस्थजतयों में भी स्वास््य पर प्रजत व्यजि सावणजजनक व्यय 2009-10 में 621 रुपये से
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बढ़कर 2015-16 में 1112 रूपये हो गया है।


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2. अजधकांि आबादी स्वास््य देखभाल के तृतीयक स्तर पर जवत्तीय समस्याओं का सामना करती
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है।
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G. स्वास््य देखभाल सेवाओं की गुणवत्ता (Quality of health care services)


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सावणजजनक और जनजी क्षेत्रों के जलए जनयामकीय मानक पयाणप्त रूप से पररभाजषत और प्रभावी रूप से
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लागू नहीं ककये गए हैं।


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H. स्वास््य के सामाजजक जनधाणरक (Social Determinants of Health)


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जनसंख्या का स्वास््य मुख्य रूप से जीवन िैली (50%) तथा जैजवक और पयाणवरणीय कारकों (20%
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प्रत्येक) द्वारा जनधाणररत ककया जाता है, जबकक स्वास््य प्रणाजलयों से संबंजधत कारक के वल 10% का
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योगदान करते हैं।


I. स्वास््य बीमा (Health Insurance)
1. वार्थषक संवृजद्ध में वृजद्ध के बावजूद, 80% से अजधक आबादी के पास अभी भी कोई महत्वपूणण
स्वास््य बीमा कवरे ज नहीं है।
2. इसके अलावा, भारत में वाजणजज्यक स्वास््य बीमा अत्यजधक कम है क्योंकक उनमें से
अजधकांि अत्यजधक सीजमत अस्पताल उपचार जैसी बडी लागतों को ही िाजमल करते हैं।
सामान्यतिः बाह्य रोगी उपचार और जचककत्सकीय दवाएं इसमें िाजमल नहीं होती हैं।

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2.5. राष्ट्रीय स्वास््य नीजत 2017 (National Health Policy 2017)

2017 की नीजत का लक्ष्य एक नई स्वास््य नीजत की आवश्यकता को पूरा करने हेतु वृजद्धमान
आश्वासन-आधाररत दृजिकोण पेि करना है ताकक भारत की अबाध स्वास््य देखभाल जवतरण प्रणाली
में प्राथजमकताओं में पररवतणन लाया जा सके । इसमें एक 'मजबूत स्वास््य देखभाल उद्योग' का सृजन,

आउट-ऑफ-पॉके ट हेल्थके यर लागत के रूप में 'जवनािकारी व्यय' को कम करना और हेल्थके यर

जवत्तपोषण के बढ़ते हए घाटे को पूरा करने के जलए 'राजकोषीय क्षमता' को बढ़ाना भी िाजमल है।
पॉजलसी द्वारा जनधाणररत कु छ जवजिि लक्ष्य और उद्देश्य जनम्नजलजखत हैं:
 2025 तक जन्म के समय जीवन प्रत्यािा 67.5 से बढ़कर 70 होना।

 जििु मृत्यु दर को 2019 तक 28 तक घटाना।

 2025 तक सावणजजनक स्वास््य सुजवधाओं के उपयोग को मौजूदा स्तर से 50 % तक बढ़ाना।

 2025 तक राष्ट्रीय और उप राष्ट्रीय स्तर पर पररवार जनयोजन की आवश्यकता के 90% से अजधक


भाग को पूरा करना।
 2020 तक सभी के जलए सुरजक्षत पानी का उपयोग और स्वच्छता (स्वच्छ भारत जमिन)।

 सरकार द्वारा 2025 तक स्वास््य पर व्यय को सकल घरे लू उत्पाद की प्रजतितता के वतणमान

1.15% से बढाकर 2.5% करना।

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 2020 तक स्वास््य क्षेत्र में राज्यों के व्यय को बजट का > 8% करना।

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 2025 तक उच्च प्राथजमकता वाले जजलों में मानक के अनुसार प्राथजमक और जद्वतीयक स्तर की
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सुजवधाएाँ स्थाजपत करना। (जनसंख्या और उपचार कें द्र तक की दूरी तय करने के समय का मानक)
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 2020 तक जजला स्तर पर स्वास््य प्रणाली समबंजधत जानकारी का इलेक्िॉजनक डेटाबेस सुजनजित
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करना।
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2020 तक स्वास््य जनगरानी प्रणाली का सुदढ़ृ ीकरण और जन स्वास््य समबन्धी महत्ता रखने
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वाले रोगों की रजजस्िी स्थाजपत करना।


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 2025 तक संघीय एकीकृ त स्वास््य सूचना संरचना का जनमाणण, स्वास््य सूचना एक्सचेंज और
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राष्ट्रीय स्वास््य सूचना नेटवकण स्थाजपत करना।


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NHP 2017 के प्रमुख बबदु (Major Highlights of NHP 2017)


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 नीजत के व्यापक जसद्धांत व्यावसाजयकता, सत्यजनिा और नैजतकता, सामयता, वहनीयता,


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सावणभौजमकता, रोगी कें कद्रत और गुणवत्तायुि देखभाल, उत्तरदाजयत्व और बहलवाद पर कें कद्रत हैं।
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 सावणजजनक स्वास््य देखभाल जडलीवरी संगिन के तहत पॉजलसी का बल व्यापक देखभाल, रोजगयों
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की अजधकता को जवजनयजमत करने के जलए रे फरल प्रणाली, सभी सावणजजनक सुजवधाओं में जनदान
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और आपातकालीन सेवाओं, िहरी स्वास््य को बेहतर बनाने, अजवकजसत क्षेत्रों में जनिजि और

अवसंरचना को मजबूत बनाने, सभी राष्ट्रीय स्वास््य कायणिमों को एकीकृ त करने और आयुष
सेवाओं को एक जवकल्प बनाने पर है।
 माध्यजमक और तृतीयक देखभाल स्तरों पर पहंच और जवत्तीय सुरक्षा प्रदान करने के जलए, नीजत

सभी सावणजजनक अस्पतालों में जनिःिुल्क दवाओं, जन:िुल्क जनदान (diagnostics) और जनिःिुल्क
आपातकालीन देखभाल सेवाओं का उपबंध करती है।

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 यह जद्वतीयक और तृतीयक देखभाल सेवाओं के पूरक के रूप में, एक अल्पकाजलक उपाय के तौर

पर, रणनीजतक खरीद के माध्यम से राष्ट्रीय लक्ष्यों को पूरा करने में व्याप्त अंतरालों को दूर करने के

जलए जनजी क्षेत्र के साथ एक सकारात्मक और अग्र-सकिय संलग्नता की वकालत करती है।

 यह क्षमता जनमाणण, कौिल जवकास कायणिम, जागरुकता बढ़ाने, मानजसक स्वास््य सेवाओं को
मजबूत करने और आपदा प्रबंधन को सिि बनाने हेतु समुदाय के जलए सतत तंत्र जवकजसत करने
के जलए भी जनजी क्षेत्र के सहयोग पर जवचार करती है।
 नीजत जनजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साजहत करने के जलए जवत्तीय और गैर-जवत्तीय प्रोत्साहनों
की भी वकालत करती है।

2.6. जनजी स्वास््य दे ख भाल प्रणाली की भू जमका

(Role of Private Healthcare System)

जनजी स्वास््य देखभाल उद्योग में बीमा और उपकरण लगभग 15%, फामाणस्यूरटकल्स लगभग 25%,

जनदान लगभग 10% और अस्पतालों और क्लीजनकल देखभाल लगभग 50% की जहस्सेदारी रखते हैं।

जनजी स्वास््य देखभाल उद्योग का मूल्य $ 40 जबजलयन है और बाजार स्रोतों के मुताजबक 2020 तक

इसके $ 280 जबजलयन तक बढ़ने का अनुमान है।

जपछले 25 वषों में सकारात्मक आर्थथक दृजिकोण बनाने में सरकार द्वारा उिाए गए कदमों में जनम्न

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प्रत्यक्ष कर; जचककत्सा उपकरणों के मूल्य में उच्च कमी; ग्रामीण अस्पतालों हेतु 5 वषण के जलए आयकर

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छू ट; और जीवन रक्षा उपकरणों के जलए कस्टम ड्यूटी छू ट िाजमल हैं। सहायता के अन्य रूप हैं - भूजम s 9@
का अजधमानी और सजधसडीयुि आवंटन, सरकारी संस्थानों में सजधसडीयुि पेिेवर जिक्षा; और 100%
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एफडीआई के जलए प्रावधान। इस सकिय नीजत ने जनजी स्वास््य देखभाल उद्योग को 2012-13 में 2
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अरब डॉलर से अजधक FDI आकर्थषत करने में सक्षम बनाया, जो बाजार स्रोतों के मुताजबक ज्यादातर
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उद्यम पूज
ं ी के रूप में था। अंतराणष्ट्रीय जवत्त जनगम के जलए भारतीय जनजी स्वास््य देखभाल उद्योग
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स्वास््य में इसके वैजश्वक जनवेि का दूसरा सबसे बडा गंतव्य है।
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भारत में जनजी स्वास््य देखभाल प्रणाली से जुडे मुद्दे


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(Issues with Private Healthcare System in India)


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71 वें राष्ट्रीय नमूना सवेक्षण (NSS) के अनुसार 2014 में जनजी अस्पतालों में भती होने वाले कु ल
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रोजगयों का प्रजतित ग्रामीण और िहरी इलाकों में िमििः 58% और 68% है। हालांकक, जनजी क्षेत्र
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जवजभन्न मुद्दों से ग्रजसत है जैसे कक-


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 देखभाल की लागत एक बडी चुनौती है(Cost of care is a major challenge): भारत की


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नेिनल हेल्थ प्रोफाइल ऑफ इं जडया ररपोटण के अनुसार जनजी अस्पतालों में जाने वाले 75% रोगी

अपनी घरे लू आय या बचत से जचककत्सा जबलों का जनपटारा करते हैं, जबकक 18% जनजी
उधारदाताओं से उधार लेकर इसका भुगतान करते हैं जो उच्च गरीबी का कारण बनता है।
 दवा की अलग-अलग कीमतें (Differential Drug prices): आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची

(National List of Essential Medicines: NLEM) और गैर NLEM श्रेणी के तहत अलग-
अलग कीमतें अस्पिता उत्पन्न करती हैं और मरीजों का िोषण करने के जलए जनजी अस्पतालों को
और मौके प्रदान करती हैं।

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 सेवा प्रदाताओं के मध्य स्वास््य देखभाल जवतरण में जभन्नता (Variation in Healthcare

Delivery across Providers): क्षमता और करुणा समबन्धी पेिेवर मानकों की कमी के कारण
रोगी सुरक्षा और प्रकिया में पारदर्थिता से समझौत ककया जाता है।
 रोगी और डॉक्टर के बीच अलगाव (Disconnect between patient and doctor): िुरुआत
में जवजभन्न संबंजधत प्रकियात्मक लागतों और िुल्कों के संदभण में जानकारी का स्पि आदान-प्रदान न
ककये जाने के कारण दोनों पक्षों के मध्य एक स्पि अलगाव होता है जो समग्र जचककत्सा प्रकिया को
कमजोर बनाता है।
 जचककत्सीय जवजधक न्यायिास्त्र (medical legal jurisprudence) का जवकास देि के जनजी

संस्थानों के उदय के साथ समन्वजयत नहीं हआ है जो सबसे महान व्यवसायों में से एक ‘जचककत्सा’
में कदाचार और भ्रिाचार के जलए जगह छोड देता है।
आगे की राह (Way forward)
 जवश्वव्यापी अनुभव हमें जसखाता है कक जनजी क्षेत्र के वल तभी जजममेदारी से कायण करता है और
अच्छी गुणवत्ता वाली सेवाएं प्रदान करता है जब सरकार अच्छी गुणवत्ता का मानदंड प्रदान करे ।
जब सरकारी क्षेत्र अच्छे मानदंड जनधाणररत करने में जवफल रहता है तो जनजी क्षेत्र अजधक
अत्याचारपूणण हो जाता है।
 जनयामक को पारदर्थिता पर जोर देना चाजहए - अस्पतालों को मानक उपचार और प्रकियाओं के
जलए अपनी दरों को स्पि रूप से प्रचाररत करना चाजहए। साथ ही, जवजभन्न प्रकार के अस्पतालों के

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जलए मानक दरें होनी चाजहए क्योंकक सभी जनजी अस्पताल महंगे िहरों में जस्थत नहीं हैं।

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 अस्पताल को पंजीकृ त ककए गए अजतररि िुल्क के औजचत्य को स्पि करना चाजहए और मानक

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पैकेज के बारे में सूचना प्रदान करनी चाजहए। जनयामक को मानक पैकेज से जवचलन के प्रजतित पर
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जनयजमत डेटा प्राप्त करना चाजहए।
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 अंत में, भारतीय जचककत्सा पररषद को अपने मरीजों के जहतों की रक्षा करने और डॉक्टरों को
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जवजनयजमत करने में सकिय भूजमका जनभानी होगी।


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2.7. व्यापक प्राथजमक स्वास््य दे ख भाल


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(Comprehensive Primary Healthcare)


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 सावणजजनक स्वास््य देखभाल प्रणाजलयों में चयजनत जवतरण के स्थान पर व्यापक प्राथजमक
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स्वास््य देखभाल सेवाएं प्रदान करने से एक महत्वपूणण बदलाव आया है।


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 पहल का उद्देश्य प्रजननिील मातृ, नवजात जििु, बाल और ककिोरावस्था स्वास््य


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(RMNCH+A), संिमणीय और गैर-संिमणीय बीमाररयों, घातक सामान्य बीमाररयों के प्रबंधन


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और बुजग
ु ों की देखभाल सजहत पुरानी बीमाररयों की जनरं तर देखभाल को कवर करने वाली 12
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सेवाओं के पैकेज के जलए सुजनजित, जनिःिुल्क व व्यापक प्राथजमक स्वास््य देखभाल सेवाएं प्रदान
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करना है।
 समग्र योजना की दृजि से, स्वास््य और कल्याण कें द्रों (आयुष्मान भारत के जहस्से के रूप में) को
िुरू करने के जलए कें द्रों का चयन और प्रबंधन -

o पंजाब को छोडकर सभी राज्यों में स्वास््य और कल्याण कें द्रों (Health and Wellness

centres: HWC) के रूप में कायण करने के जलए उप कें द्रों की पहचान पूणण कर ली गयी है।

यहां तक कक जबहार, जहां HWC पर कम संवेदनिीलता ररपोटण की गयी थी, ने भी कु छ

30 www.visionias.in ©Vision IAS


मध्य-स्तर के हेल्थके यर प्रदाताओं की भती और जब्ज कायणिम के कायाणन्वयन के साथ कारण वाई
िुरू की है।
o HWCs के संचालन हेतु उन्नयन के जलए चुने गए कें द्रों के सिि मूल्यांकन और मानव

संसाधन, दवाओं, बुजनयादी ढांचे और रसद समथणन की उपलधधता की आवश्यकता होती है।
सकारात्मक पक्ष यह है कक कोई भी राज्य उप-कें द्र स्तर पर आवश्यक मानव संसाधनों
(बहउद्देिीय श्रमबल और आिा) की महत्वपूणण कमी का संकेत नहीं देता है।
 जनसंख्या की गणना की सावणभौजमक प्रणाजलयााँ (Universal Population enumeration

Systems): अजधकांि राज्य पररवार जनयोजन, गभाणवस्था/प्रसव और टीकाकरण तक सीजमत


सेवाओं की जनगरानी के संदभण में जनसंख्या की गणना कर रहे हैं। के वल कु छ राज्यों ने सावणभौजमक
जनसंख्या गणना िुरू करने के प्रयास ककए हैं।
 सामुदाजयक स्वास््य पर जब्ज कायणिम और क्षमता जनमाणण पर प्रगजत(Bridge programme on

community health and progress on capacity buliding)

o सभी इनपुट उपायों में से, मध्य-स्तर के स्वास््य देखभाल प्रदाताओं/सामुदाजयक स्वास््य
अजधकाररयों के कै डर के गिन और सामुदाजयक स्वास््य में प्रमाण पत्र के जलए जब्ज कायणिम
में उनके नामांकन को अजधकांि राज्यों द्वारा प्राथजमकता दी गई है।

2.8. आरएमएनसीएच + A दृ जिकोण (RMNCH+A Approach)

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 आरएमएनसीएच + A रणनीजत पांच स्तंभों प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल और ककिोरावस्था

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स्वास््य के माध्यम से व्यापक देखभाल के प्रावधान पर आधाररत है तथा समानता, सावणभौजमक

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देखभाल, पात्रता और जवाबदेही के कें द्रीय जसद्धांतों द्वारा जनदेजित है।
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 रणनीजत के भीतर "प्लस (plus)" जनम्नजलजखत पर कें कद्रत है:


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o एक जवजिि जीवन चरण के रूप में ककिोरावस्था को पहली बार िाजमल करना।
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o प्रजनन स्वास््य, पररवार जनयोजन, ककिोर स्वास््य, HIV, बलग, और गभणधारण पूवण एवं
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प्रसवपूवण नैदाजनक तकनीकों से मातृ और जििु स्वास््य को जोडना;


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o घर और समुदाय-आधाररत सेवाओं को सुजवधा-आधाररत देखभाल से जोडना; तथा


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o प्राथजमक (प्राथजमक स्वास््य कें द्र), जद्वतीयक (सामुदाजयक स्वास््य कें द्र) और तृतीयक स्तर
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(जजला अस्पताल) की स्वास््य सुजवधाओं के मध्य बलके ज, रे फरल, और काउं टर रे फरल


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सुजनजित करना।
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2.9. आयु ष्मान भारत (Ayushman Bharat)


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 आयुष्मान भारत, जजसे प्रधानमंत्री जन आरोग्य अजभयान भी कहा जाता है, कें द्रीय बजट 2018 में
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घोजषत ककया गया था और 25 जसतंबर 2018 को आरमभ ककया जाएगा।


 आयुष्मान भारत योजना एक कें द्र प्रायोजजत स्वास््य योजना है जजसमें दो घटक हैं-
(a) स्वास््य और कल्याण कें द्र (Health and Wellness Centre)

(b) राष्ट्रीय स्वास््य संरक्षण जमिन (National Health Protection Mission)

 पात्रता सामाजजक-आर्थथक जाजत जनगणना (Socio-Economic Caste Census: SECC)


डेटाबेस पर आधाररत है।

31 www.visionias.in ©Vision IAS


2.9.1. स्वास््य और कल्याण कें द्र (Health and Wellness Centre)

)
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 राष्ट्रीय स्वास््य नीजत, 2017 के तहत स्वास््य और कल्याण कें द्रों की कल्पना की गई है।

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 इसके तहत 1.5 लाख
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 कें द्र स्वास््य देखभाल प्रणाली को लोगों के घरों के करीब लाएंगे।
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 ये कें द्र गैर-संिमणीय बीमाररयों और मातृ एवं जििु स्वास््य सेवाओं सजहत व्यापक स्वास््य
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देखभाल प्रदान करें गे।


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 CSR और परोपकारी संस्थानों द्वारा इन कें द्रों को गोद लेने के माध्यम से जनजी क्षेत्र के योगदान
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की भी पररकल्पना की गई है।
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 मौजूदा स्टाफ के अजतररि गैर-जचककत्सक स्वास््य देखभाल प्रदाताओं जैसे नसण पेिेवरों को
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िाजमल कर के HWC आवश्यक दवायें और बुजनयादी नैदाजनकी जनिःिुल्क प्रदान करे गा।
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 जवजभन्न ऊध्वाणधर रोग जनयंत्रण कायणिमों को इस जवतरण बबदु पर अजभसरण जमलेगा।


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 HWCs प्रौद्योजगकी का उपयोग करके जवजभन्न स्वास््य संकेतकों की जनगरानी के जलए वास्तजवक
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समय डेटा (real time data) उत्पन्न कर सकते हैं।


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 चुनौजतयां - कम बजट आवंटन से संबंजधत बचताओं के साथ मानव संसाधन की कमी।


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2.9.2. आयु ष्मान भारत- राष्ट्रीय स्वास््य सु र क्षा जमिन


do
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(Ayushman Bharat- National Health Protection Mission)


 आयुष्मान भारत- राष्ट्रीय स्वास््य सुरक्षा जमिन (AB-NHPM) यह सुजनजित करते हए गरीब
और कमजोर आबादी को स्वास््य कवर प्रदान करने के जलए एक अग्रणी पहल है कक स्वास््य
सेवाओं का उपयोग करने के दौरान उन्हें ककसी जवत्तीय करिनाई का सामना न करना पडे।
 AB-NHPM में अन्य जचककत्सा बीमा योजनाओं के जवपरीत पहले से मौजूद बीमाररयों के जलए
प्रतीक्षा अवजध नहीं है।
 AB-NHPM राष्ट्रीय स्वास््य बीमा योजना को िाजमल करे गा।

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राष्ट्रीय स्वास््य बीमा योजना (RSBY)

 RSBY 2007 में पेि की गई थी, यह मूल रूप से गरीबी रे खा से नीचे के (BPL) पररवारों तक

सीजमत थी, लेककन बाद में इसे भवन और अन्य जनमाणण श्रजमकों, मनरे गा लाभार्थथयों, स्िीट वेंडसण,
बीडी श्रजमकों और घरे लू श्रजमकों तक बढ़ा कदया गया।
 RSBY प्रत्येक नामांककत पररवार को '30,000 रुपये प्रजतवषण' का स्माटण काडण आधाररत स्वास््य

बीमा कवर प्रदान करती है, जजसमें पांच व्यजि िाजमल होते हैं।

 लाभाथी पररवार पंजीकरण / नवीनीकरण िुल्क के रूप में के वल 30 रुपये प्रजत वषण का भुगतान
करता है।
 इस योजना में अस्पताल में होने वाले खचण िाजमल हैं (ककतु वाह्य-रोगी व्यय िाजमल नहीं है),
जजनमें मातृत्व लाभ और पूवण से मौजूद बीमाररयां भी िाजमल हैं।
 100 रुपये प्रजत जवजज़ट की पररवहन लागत का भुगतान भी ककया जाता है।

 अगर वे कु छ मानकों को पूरा करते हों और नकद रजहत उपचार प्रदान करने के जलए सहमत हों,
तब यह जसस्टम में िाजमल होने के जलए जनजी स्वास््य सेवा प्रदाताओं को भी अनुमजत प्रदान
करता है।
RSBY की कजमयााँ:

 बीमा मध्यस्थों के कारण लेन-देन की उच्च लागत, प्रदाता प्रेररत मांग को जनयंजत्रत करने में

)
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असमथणता और प्राथजमक स्वास््य एवं वाह्य-रोगी देखभाल के जलए कवरे ज की कमी।

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 RSBY रोग प्रोफाइल और स्वास््य आवश्यकताओं में राज्य जवजिि बदलावों को ध्यान में नहीं 9@
रखता है।
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AB-NHPM के प्रमुख बबदु (Major Highlights of AB-NHPM)


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 सरकार प्रजत वषण प्रजत पररवार 5,00,000 रुपये तक का स्वास््य बीमा कवर प्रदान करती है।
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 जनधाणररत मानदंडों के अनुसार SECC डेटाबेस में सूचीबद्ध सभी पररवारों को कवर ककया
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जाएगा। पररवार के आकार और सदस्यों की उम्र पर कोई सीमा नहीं होगी।


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 देि भर में 10.74 करोड से अजधक गरीब और कमजोर पररवार (लगभग 50 करोड लाभाथी)
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इसमें िाजमल हैं।


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 बाजलका, मजहलाओं और वररि नागररकों को प्राथजमकता।


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 जरूरत के समय सभी सावणजजनक और सूचीबद्ध जनजी अस्पतालों में मुफ्त उपचार उपलधध होगा।
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 सजणरी, जचककत्सा और डे-के यर उपचार, दवाइयों और जनदान की लागत को कवर करने वाले
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1,350 जचककत्सा पैकेज उपलधध हैं।


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 जनजी देखभाल प्रदाताओं, जविेष रूप से गैर-लाभकारी प्रदाताओं, से स्वास््य देखभाल की कमी
वाले क्षेत्रों में सेवाओं की मानक रणनीजतक खरीद और सावणजजनक अस्पतालों के संयोजन के
माध्यम से गुणवत्ता युि माध्यजमक और तृतीयक देखभाल सेवाओं तक बेहतर पहंच और
वहनीयता सुजनजित की जाएगी।
 सभी पहले से मौजूद बीमाररयों को कवर ककया गया है। अस्पताल उपचार से इनकार नहीं कर
सकते हैं।
 गुणवत्ता युि स्वास््य देखभाल सेवाओं के जलए नकद रजहत और कागज रजहत पहंच।
 अस्पतालों द्वारा इलाज के जलए लाभार्थथयों से कोई अजतररि पैसा नहीं जलया जाएगा।

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 पात्र लाभाथी भारत भर में सेवाओं का लाभ उिा सकते हैं, राष्ट्रीय पोटेजबजलटी का लाभ उिा

सकते हैं और 24X7 हेल्पलाइन नंबर - 14555 पर जानकारी व सहायता प्राप्त कर सकते हैं और
जिकायतें दजण करा सकते हैं।
 यह भारत को सावणभौजमक स्वास््य कवरे ज (UHC) और सतत जवकास लक्ष्य (SDGs) प्राप्त करने
में सहायता करे गा।
 अस्पताल में भती के जलए आउट ऑफ पॉके ट व्यय को उल्लेखनीय रूप से कम करे गा। गंभीर
स्वास््य प्रकरणों से गरीब और कमजोर पररवारों के समक्ष उत्पन्न होने वाले जवत्तीय जोजखमों और
पररणामी गरीबी को कम करे गा।
 एक प्रबंधक के रूप में कायण करते हए, सावणजजनक स्वास््य लक्ष्यों के साथ जनजी क्षेत्र के जवकास को
संरेजखत करे गा।
 बीमा राजस्व के सजममश्रण के माध्यम से सावणजजनक स्वास््य देखभाल प्रणाली को सुदढ़ृ बनाएगा।
 ग्रामीण, दूरस्थ और वंजचत क्षेत्रों में नए स्वास््य बुजनयादी ढांचे के जनमाणण को संभव बनाएगा।

पूरी तरह कायाणजन्वत होने पर, AB-NHPM दुजनया का सबसे बडा सरकारी जवत्त पोजषत स्वास््य
सुरक्षा जमिन बन जाएगा।

2.10. राष्ट्रीय स्वास््य जमिन (National Health Mission)

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास््य जमिन की सफलता के बाद, 2012 में राष्ट्रीय स्वास््य जमिन (NHM) की

)
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घोषणा की गई जो देि के सभी गांवों और कस्बों को आच्छाकदत करता है। राष्ट्रीय स्वास््य जमिन के दो

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उप-जमिन हैं:
9@
1.राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास््य जमिन (National Rural Health Mission) : गााँव के लोगों, जविेषकर
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कमजोर समूहों को सुलभ, ककफायती और गुणवत्तायुि स्वास््य देखभाल प्रदान करने के जलए इसे
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सवणप्रथम 2005 में प्रारं भ ककया गया था।


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2.राष्ट्रीय िहरी स्वास््य जमिन (National Urban Health Mission)- िहरी जनसंख्या की स्वास््य
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देखभाल के साथ-साथ िहरी गरीबों के ऊपर ध्यान के जन्द्रत करने के जलए उन्हें प्राथजमक स्वास््य
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देखभाल सेवाएं उपलधध कराना और उनके इलाज में आने वाले आउट ऑफ पॉके ट खचों को कम करना।
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NHM के मूल जसद्धांत (The core principles of NHM are):


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 सावणभौजमक कवरे ज के तहत िहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों को कवर करता है और प्राथजमक से
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तृतीयक स्तर तक नकद रजहत स्वास््य सेवाओं की सतत सावणभौजमक पहंच को बढ़ावा देता है।
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 गुणवत्ता मानकों को प्राप्त करना जजसमें आपातकालीन सेवा, RCH, आवश्यक दवाओं का उपयोग
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करते हए संिमणीय और गैर-संिमणीय बीमाररयों की रोकथाम और प्रबंधन तथा आवश्यक और


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आपातकालीन सर्थजकल के यर (EESC) को कवर करने वाली पररजस्थजतयों की पूरी श्रृंखला


Th

िाजमल होगी।
 मेजडकल कॉलेजों द्वारा व्यापक दृजिकोण, नेतृत्व और कौिल उन्नयन के अवसर प्रदान करने के साथ
ककसी क्षेत्र की जवजभन्न स्वास््य सुजवधाओं के मध्य संबध
ं स्थाजपत करना ताकक उस क्षेत्र की सभी
स्वास््य देखभाल सुजवधाएं एक दूसरे के साथ संघरटत रूप से जुडी हों।
 राज्यों और जजलों को उनके समक्ष उपजस्थत स्वास््य समस्याओं को हल करने और स्वास््य को
बढ़ावा देने के उपायों के जलए योजना बनाने हेतु पयाणप्त लचीलापन प्रदान करते हए जवकें द्रीकृ त
योजना का जनमाणण।

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2.11. आयु ष (AYUSH)

आयुष भारत में गैर-एलोपैजथक जचककत्सा प्रणाली है जजसमें आयुवद


े , योग, प्राकृ जतक जचककत्सा, यूनानी,
जसद्ध और होमयोपैथी िाजमल हैं।

आयुष प्रणाली से होने वाले लाभ (Benefits of AYUSH system are):


 यह स्वास््य सेवाओं में अंतराल की ओर ध्यान देती है।
 यह सुदरू क्षेत्रों में कम लागत वाली सेवाएं प्रदान करती है।
 जविेष रूप से योग के माध्यम से आयुष द्वारा तमबाकू और मादक पदाथों के सेवन की समस्या का
समाधान ककया जा सकता है।
 जीवनिैली से समबंजधत रोगों जैसे मधुमह
े और उच्च रिचाप में उपयोगी।
 जनसंख्या का बडा जहस्सा आयुष को पसंद करता है क्योंकक इसके दुष्प्रभाव न्यून हैं, साथ ही इसे
ज्यादा प्राकृ जतक और लागत अनुकूल माना जाता है।
वतणमान प्रणाली में जवद्यमान चुनौजतयां (Challenges in the present system are) :
 मानक गुणवत्ता की दवायें - अतीत में कई वषों से समर्थपत व्यय के बावजूद आयुष को वैज्ञाजनक
मान्यता प्राप्त नहीं है।
 मानव संसाधनों की कमी - जचककत्सक बेहतर अवसरों के जलए पारं पररक प्रणाली से दूर होते जा
रहे हैं।

)
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 मौजूदा अवसंरचनात्मक तंत्र का अभी तक उजचत रूप से उपयोग नहीं ककया गया है।

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हाल ही में आयुष को बढ़ावा देने के जलए उिाए गए कदम (Recent Steps Taken to Boost

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AYUSH):
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आयुष मंत्रालय के नाम से एक अलग मंत्रालय का गिन।


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2018-19 में 13% की वृजद्ध के साथ बजटीय समथणन कदया गया।


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अंतरराष्ट्रीय सहयोग के जलए कें द्रीय क्षेत्र की योजना के तहत आयुष उद्योग को प्रोत्साहन:
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o अपने जनयाणत को बढ़ाने के जलए USFDA/ EMEA/UK-MHR इत्याकद जैसे जवजभन्न देिों के
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जनयामक जनकायों में अपने उत्पादों हेतु बाजार अनुमजत/पंजीकरण प्राप्त करना।
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o अपने उत्पादों की प्रभावकाररता के जवषय में जागरुकता पैदा करने के जलए अंतराणष्ट्रीय
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प्रदिणनी, व्यापार मेलों, सडक िो (road show) आकद में भागीदारी।


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 सरकार आयुष उत्पादों के प्रमाणीकरण को प्रोत्साजहत कर रही है।


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फामाणस्युरटकल उत्पादों का स्वैजच्छक गुणवत्ता प्रमाणन।


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भारतीय गुणवत्ता पररषद (QCI) द्वारा लागू गुणवत्ता प्रमाणन योजना।


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 अजखल भारतीय आयुवद


े संस्थान को एक िीषण संस्थान का दज़ाण कदया गया है, जजसका उद्देश्य
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आयुवेद तथा आधुजनक साधनों और प्रौद्योजगकी के पारं पररक ज्ञान के मध्य सामंजस्य स्थाजपत
करना है।
आयुष प्रणाली से प्राप्त होने वाले लाभों को पूरी तरह से उपयोग करने हेतु सुझाव (Suggestions to

completely utilize the benefits of AYUSH system are):


 अनुसध
ं ान और जवकास (Research and Development)- आयुष उपचार को मान्यता देने के
जलए और अजधक िोध की आवश्यकता है और जचककत्सा के अन्य क्षेत्रों के साथ अंतर्थवषयक िोधों
के माध्यम से सवणश्रेि स्वास््य पद्धजतयों का जवकास हो सके गा।

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 जनयामक तंत्र (Regulatory framework)-
o सभी सरकारी स्वास््य देखभाल सुजवधाओं को जनधाणररत मानकों के अनुसार उपयुि आयुष
सेवाओं को उपलधध कराना चाजहए।
o जवजनयामकीय ढांचे के सभी स्तरों पर आयुष जविेषज्ञों के प्रजतजनजधत्व का होना महत्वपूणण है।
 जनवारक और प्रोत्साहक स्वास््य देखभाल के जलए समुदाय-आधाररत आयुष हस्तक्षेपों की
आवश्यकता है।
 मानव संसाधन जवकास (Human resources development)-
o स्नातकोत्तर स्तर पर आधुजनक और आयुष प्रणाली के बीच अंतर जवषयगत जिक्षा।
o स्नातक स्तर पर पाठ्यिम में संिोधन जवजभन्न पेिेवर पररषदों के जविेषज्ञों की एक टीम द्वारा
ककया जाना चाजहए।
o पारस्पररक जिक्षण के जलए आयुष जिक्षण कॉलेजों और मेजडकल कॉलेजों के बीच सहयोग को
प्रोत्साजहत ककया जाना चाजहए।
2.12. जनयामक जनकाय (Regulatory Bodies)

2.12.1. भारतीय जचककत्सा पररषद (Medical Council of India:MCI)

यह भारतीय जचककत्सा पररषद अजधजनयम, 1956 के तहत स्थाजपत एक सांजवजधक जनकाय है जो


जचककत्सा जिक्षा के मानकों को जनयंजत्रत करता है; कॉलेजों, पाठ्यिमों या सीटों की संख्या में वृजद्ध
करने की अनुमजत देता है; और जचककत्सकों के पंजीकरण जैसे पेिव
े र आचरण के मानक तय करता है।

)
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MCI से संबजं धत अन्य मुद्दे(Issues with MCI) :

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2016 में स्वास््य और पररवार कल्याण के जलए संसद की स्थायी सजमजत के अनुसार:
9@
 यह डॉक्टरों की पयाणप्त संख्या की पूर्थत करने में असफल रहा है, उदाहरणस्वरुप, WHO मानक के
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अनुसार प्रत्येक 1000 लोगों पर एक डॉक्टर की सुजवधा होनी चाजहए जो है परन्तु यहााँ प्रत्येक
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1,674 लोगों पर एक डॉक्टर उपलधध है।


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 मेजडकल कॉलेजों में जिक्षकों की कमी और स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यिमों का जनम्नस्तरीय


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जवजनयमन।
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जवाबदेजहता की कमी, कजथत भ्रिाचार और अजनवायण उत्तरदाजयत्वों का जनवणहन करने में


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जवफलता।
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अनुिस
ं ाएाँ (Recommendations):
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 प्रो. रणजीत रॉय चौधरी सजमजत (2015) ने MCI के कायों को संरचनात्मक रूप से पुन:
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व्यवजस्थत करने की जसफाररि की थी और राष्ट्रीय जचककत्सा आयोग के गिन का सुझाव कदया था।
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 डॉ.अरबवद पनगजऺडया की अध्यक्षता वाली सजमजत का गिन जचककत्सा जिक्षा की गुणवत्ता के जलए
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ककया गया था। इसने भारतीय जचककत्सा पररषद अजधजनयम, 1956 को जनरस्त ककए जाने की
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अनुिस
ं ा की।
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2.12.2 राष्ट्रीय जचककत्सा आयोग जवधे य क, 2017

(National Medical Commission Bill, 2017)


यह जवधेयक MCI के स्थान पर राष्ट्रीय जचककत्सा आयोग की स्थापना करना चाहता है।
जवधेयक की मुख्य जविेषताएं (Key Features of the Bill):
 राष्ट्रीय जचककत्सा आयोग (NMC) की स्थापना करना(Establishing National Medical
Commission): यह एक अमब्ेला जनकाय के समान होगा। MCI को इसी में सजममजलत कर कदया
जाएगा और इसके द्वारा भारत में जचककत्सा जिक्षा और प्रैजक्टस को जनयंजत्रत ककया जायेगा।

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 राज्य जचककत्सा पररषद (State Medical Councils; SMC): प्रत्येक राज्य अपने यहााँ तीन वषों

के अंदर SMC को स्थाजपत करें गे जजसकी भूजमका राज्य स्तर पर NMC के समान होगी।

 मेजडकल एडवाइजरी काउं जसल (Medical Advisory Council; MAC): यह NMC के समक्ष
अपने जवचारों और बचताओं को व्यि करने के जलए राज्यों / कें द्र िाजसत प्रदेिों को मंच प्रदान
करे गा और समग्र जिक्षा, नीजत और जचककत्सा जिक्षा और प्रजिक्षण से संबंजधत कारण वाई का मागण
प्रिस्त करे गा।
NMC की देखरे ख में चार स्वायत्त बोडों का गिन ककया जाएगा :

 अंडर ग्रेजए
ु ट मेजडकल एजुकेिन बोडण (UGMEB)

 स्नातकोत्तर मेजडकल एजुकेिन बोडण (PGMEB)

 मेजडकल असेसमेंट एंड रे रटग बोडण (MARB)


 एजथक्स और मेजडकल रजजस्िेिन बोडण
 जवधेयक द्वारा जनयंजत्रत सभी जचककत्सा संस्थानों में स्नातक जचककत्सा जिक्षा में प्रवेि हेतु राष्ट्रीय
पात्रता -सह-प्रवेि परीक्षा (NEET) आयोजजत की जाएगी।
 जचककत्सा संस्थानों से स्नातक की जिक्षा पूरी कर चुके छात्रों के जलए स्नातकोत्तर पाठ्यिमों में
प्रैजक्टस और प्रवेि हेतु लाइसेंस प्राप्त करने के जलए राष्ट्रीय लाइसेंस परीक्षा की व्यवस्था।
 जब्ज कोसण(Bridge course)- यह होमयोपैथी के जचककत्सकों और प्रैजक्टस करने वालों को

)
जनधाणररत पाठ्यिमों को पूरा करने के बाद एलोपैजथक दवा जलखने की अनुमजत देता है।

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 जवजनयमन में सुगमता(Ease of regulation)- वार्थषक नवीनीकरण की आवश्यकता के जबना,

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जचककत्सा महाजवद्यालयों की स्थापना करने और मान्यता के जलए के वल एक बार अनुमजत की 9@
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आवश्यकता होगी। कॉलेज स्नातक सीटों की संख्या में भी वृजद्ध कर सकते हैं और स्नातकोत्तर
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पाठ्यिम िुरू कर सकते हैं।


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महत्व(Significance):
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जवधेयक का उद्देश्य भारतीय जचककत्सा अजधजनयम, 1956 को जनरस्त करना, वतणमान भारतीय
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जचककत्सा पररषद् (MCI) को समाप्त करना और एक ऐसी जचककत्सा जिक्षा प्रणाली प्रदान करना है जो
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जनम्नजलजखत को सुजनजित करे :


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 जविेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में पयाणप्त और उच्च गुणवत्ता वाले जचककत्सा पेिेवरों की उपलधधता।
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 जचककत्सा पेिेवरों द्वारा नवीनतम जचककत्सा अनुसंधान को अपनाना।


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 एक प्रभाविाली जिकायत जनवारण तंत्र।


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उत्तरदाजयत्व और पारदर्थिता में सुधार(Improve Accountability and Transparency): मेजडकल


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कॉलेजों का वार्थषक आधार पर अजनवायण मूल्यांकन और रे रटग, पररणाम आधाररत जनगरानी में मदद
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करें गे।
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जचककत्सकीय पद्धजतयों का एकीकरण(Integration of medical practices): यह वषण में एक बार

राष्ट्रीय जचककत्सा आयोग, होमयोपैथी कें द्रीय पररषद और भारतीय जचककत्सा पररषद् की संयुि बैिक

का प्रावधान करता है, जजससे होमयोपैथी, भारतीय जचककत्सा पद्धजत और आधुजनक जचककत्सा पद्धजत के
बीच समन्वय स्थाजपत हो सके ।
आपातकालीन प्रावधान(Emergency provision):अप्रत्याजित पररजस्थजत में, NMC राष्ट्रीय
लाइसेंसधारक परीक्षा अहणता प्राप्त ककए जबना भी एक पेिेवर जचककत्सक को िल्य जचककत्सा या प्रैजक्टस
करने की अनुमजत प्रदान कर सकता है।

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2.13. आगे की राह (Way Forward)

 2025 तक स्वास््य पर होने वाले व्यय को GDP का 2.5% करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के
उद्देश्य के साथ स्वास््य के क्षेत्र में सावणजजनक जवत्तीय संसाधनों का पयाणप्त जनवेि।
 उपचारात्मक जचककत्सा (curative care) की अपेक्षा जनवारक स्वास््य (preventive health)
उपायों पर अजधक बल देने के साथ व्यय की प्राथजमकता कु िलतापूवणक तय करना।
 स्वास््य के महत्वपूणण सामाजजक जनधाणरकों (पोषण, पेयजल और स्वच्छता) से समबंजधत कायणिमों

के साथ संरेखण पर पयाणप्त ध्यान कदया जाए।


 सावणजजनक क्षेत्र में स्वास््य संबध
ं ी संस्थानों को सुदढ़ृ बनाना:
o सावणजजनक अस्पतालों (जजला अस्पतालों के स्तर तक) की गुणवत्ता को प्रमाजणत ककया जाना
चाजहए। सावणजजनक अस्पतालों को रैं क प्रदान करने की व्यवस्था और इसके सुधार की कदिा में
कायण ककया जाना चाजहए।
o मौजूदा जजला अस्पतालों का भारतीय सावणजजनक स्वास््य मानकों के अनुरूप सुदढ़ृ ीकरण
ककया जाना चाजहए। "कायाकल्प" पुरस्कार का उपयोग सावणजजनक स्वास््य सुजवधाओं में

जल, साफ-सफाई और स्वच्छता से संबंजधत आधारभूत संरचना में सुधार हेतु योजना जनमाणण

(planning) के जलए भी ककया जाना चाजहए न कक के वल एक मूल्यांकन उपकरण के रूप में।


यह पुरस्कार स्वास््य पररणामों में होने वाले सुधार से भी जुडा होना चाजहए उदाहरण स्वरुप

)
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सेजप्सस और टेटनस के कारण नवजात जििुओं की मृत्यु में कमी से।

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जजला स्तर पर सुजवधाओं का लाभ उिाने हेतु समुदायों को सक्षम बनाने के जलए, लगभग

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20% जजला अस्पतालों के को तीन साल की समयावजध तक मेजडकल कॉलेजों से जुडा होना
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चाजहए। इससे तृतीयक स्तर के देखभाल संस्थानों पर भार कम करने में मदद जमलेगी।
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नौ स्वीकृ त अजखल भारतीय आयुर्थवज्ञान संस्थानों (AIIMS) को पूणण रूपेण प्रारं भ ककया जाना
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चाजहए।
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50% प्राथजमक स्वास््य कें द्रों (PHCs), 60% सामुदाजयक स्वास््य कें द्रों (CHCs) और
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100% जजला अस्पतालों में आयुवेद-योग-यूनान-जसद्ध-होमयोपैथी (आयुष) सेवाएं भी


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सुजनजित की जानीं चाजहए। अभी तक आयुष सुजवधाएं 37% PHCs, 14% CHCs और
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63% जजला अस्पतालों में ही उपलधध हैं।


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 जजला अस्पताल का सुदढ़ृ ीकरण (District Hospital Strengthening):


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o राज्यों को प्रत्येक 10 लाख की जनसंख्या (पहाडी तथा पूवोत्तर क्षेत्र हेतु 5 लाख पर जवचार
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ककया जा सकता है) के जलए सामान्य ICUs (Intensive Care Units) तथा हाई जडपेंडस
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यूजनट्स (HDUs) स्थाजपत करने हेतु प्रोत्साजहत ककया जाना चाजहए।


o प्रजिक्षकों की मांग की पूर्थत करने हेतु जनकटवती सरकारी तथा जवश्वसनीय जनजी मेजडकल
कॉलेजों के जिक्षकों को बुलवाया जा सकता है।
o जजला अस्पतालों और जवश्वसनीय गैर-लाभकारी जमिनरी / िस्ट अस्पतालों को प्रजिक्षण
स्थलों के रूप में चयजनत ककया जा सकता है।
 चूकं क जनजी क्षेत्र के सहयोग को राष्ट्रीय स्वास््य नीजत, 2017 द्वारा समथणन प्रदान ककया गया है,
अतिः सरकार को जनजी क्षेत्र का सहयोग बढ़ाने के जलए जनम्नजलजखत उपाय करने चाजहए :

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o जनजी क्षेत्र को कायण करने हेतु सुदढ़ृ बनाया जा सकता है, उदाहरण के जलए िहरी क्षेत्रों में जहां
उपभोिाओं के पास िय-िजि अजधक होती है और तृतीयक स्वास््य सेवाएाँ मौजूद होती हैं।
o सरकार ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों, छोटे िहरों तथा मूलभूत स्वास््य देखभाल सेवाओं पर ध्यान कें कद्रत कर
सकती है जहां जनजी व्यवसाय लाभदायक नहीं है।
o इसके अजतररि सरकार स्वास््य बीमा इत्याकद तंत्रों के माध्यम से सभी नागररकों को वहनीय
स्वास््य सेवाएं प्रदान करने के जलए जनजी सेवा प्रदाताओं से स्वास््य देखभाल सेवाओं की खरीद
कर सकती है।
 मानव संसाधन की समस्या का समाधान करना(Addressing Human Resource Problem)

o एजपडेजमओलॉजजस्ट्स (epidemiologists), एंटोमोलॉजजस्ट्स (entomologists), सावणजजनक

स्वास््य नसण, जनरीक्षक और बहउद्देश्यीय पुरुष कार्थमकों वाली सहायक टीम के साथ एक समर्थपत
सावणजजनक स्वास््य कै डर की तत्काल आवश्यकता है।
o स्वीकृ त पदों पर ररजियों को भरने की तीव्र आवश्यकता है।
o जविेषज्ञों की कमी को दूर करने के जलए राज्यों द्वारा जविेषज्ञों के पाररश्रजमक हेतु लचीले मानदंडों
का उपयोग ककया जाना चाजहए।
o प्रदिणन मूल्यांकन तंत्र (Performance Appraisal Mechanism) को जनष्पक्षता के साथ कायण-
जवजिि संकेतकों के साथ जोडा जाना चाजहए और मूल्यांकन प्रकिया को अनुबंध नवीनीकरण तथा
प्रदिणन-आधाररत प्रोत्साहन पुरस्कारों के साथ जुडा होना चाजहए।

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‘स्वास््य के जलए मानव संसाधनों पर मॉडल नीजत’ का जनमाणण(formulation of a model

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policy on human resources for health by the Centre) करना एक महत्वपूणण कदम है
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जजसे कें द्र सरकार द्वारा उिाया जाना चाजहए, इसके पिात राज्यों को कदिा-जनदेि जारी ककए
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जाने चाजहए।
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 सावणजजनक रूप से प्रदत्त स्वास््य सेवाओं के कु िल प्रबंधन हेतु िासन में सुधार करना:
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इनका खराब प्रबंधन, प्रिासन तथा संपूणण अजभिासन संरचना भारतीय स्वास््य सेवा प्रणाली की
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प्रमुख समस्याओं में से एक है।


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नई अजभिासन संरचना को उत्तरदाजयत्व, जवाबदेही तथा लचीलेपन को संतुजलत करने की


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आवश्यकता है।
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एक पूणत
ण िः कायाणत्मक स्वास््य सूचना प्रणाली (Health Information System: HIS) का
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जनमाणण जजसमें जन्म, मृत्यु एवं इसके कारणों का सावणभौजमक पंजीकरण िाजमल होना चाजहए।
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मातृ और जििु मृत्यु की समीक्षाओं; मजहलाओं एवं बच्चों के पोषण के जनरीक्षण; आपातकालीन
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जस्थजत में प्रजतकिया समय में कटौती करने एवं अस्पताल प्रिासन की सहायता करने के जलए
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इलेक्िॉजनक मेजडकल ररकॉडण (EMR) के माध्यम से बाह्र्य रोजगयों और भती ककए हए रोजगयों की
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जानकारी संगह
ृ ीत करने; सावणजजनक और जनजी स्वास््य प्रणाली में मानव संसाधन संबंधी डेटा;

सावणजजनक स्वास््य प्रणाली में जवत्तीय प्रबंधन; जिक्षण मॉड्यूलों के एक राष्ट्रीय आधान

(repository); तृतीयक कें द्रों द्वारा प्राथजमक एवं माध्यजमक सुजवधाओं में जचककत्सकों को टेली-

मेजडजसन एवं परामिीय सहायता प्रदान करना; नैदाजनक प्रजतिानों (clinical

establishments), धलड बैंकों, औषजध परीक्षण प्रयोगिालाओं के राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकरण


इत्याकद को भी इसमें िाजमल ककया जाना चाजहए।

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 अंततिः, चूंकक सावणजजनक एवं जनवारक स्वास््य हस्तक्षेप स्पि रूप से जनजहत के कायण हैं, अतिः
ककसी बाजार तंत्र द्वारा सावणजजनक स्वास््य स्वाभाजवक रूप से अल्प मात्रा में ही उपलधध कराया
जाता है। अतिः सरकार के जलए यह अजनवायण हो जाता है कक वह अपनी देखभालकताण की भूजमका
के एक भाग के रूप में एक सुदढ़ृ सावणजजनक स्वास््य प्रणाली की स्थापना को सवोच्च प्राथजमकता
बनाए।

2.14. जवजवध मु द्दे (Miscellaneous Issues)

2.14.1. स्वास्थ का अजधकार (Right to Health)

स्वास््य को एक मौजलक अजधकार बना देने से स्वास््य सुजवधाओं से वंचना को “न्यायोजचत” बनाया जा
सके गा- जजसका मूल तात्पयण है कक यकद कोई रोगी स्वास््य सेवा तक पहंच प्राप्त करने में असमथण होगा
तो वह राज्य पर मुकदमा दजण कर सकता है। स्वास््य को मौजलक अजधकार बनाने का जवचार एक
प्राचीन, सुजवधाजनक एवं सुखद जवचार-जवमिण रहा है।

स्वास््य को मौजलक अजधकार बनाने के पक्ष में तकण (Argument in favour of making health as
fundamental right)
 स्वास््य का अजधकार जीवन के अजधकार का एक प्राकृ जतक उपजसद्धांत है, इसजलए, ककसी व्यजि

को स्वास््य देखभाल से वंजचत करना, उसे उसकी प्राकृ जतक उम्र तक जीवन जीने के अजधकार से

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वंजचत करने के समान है।

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 अपने सभी नागररकों की रक्षा एवं सुरक्षा हेतु एक उत्तरदायी अजभभावक के रूप में, राज्य का यह

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उत्तरदाजयत्व है की वह अपने नागररकों को रोग के कारण होने वाली मृत्यु और जवकृ जत से सुरक्षा
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प्रदान करे और साथ ही अस्वस्थता से भी बचाए।


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 स्वास््य को मौजलक अजधकार बना देने से नागररकों को यह अजधकार प्राप्त होगा की वे सरकार को
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उसकी जजममेदाररयों का जनवणहन करने हेतु उत्तरदायी िहरा सकें गे।


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 अपने स्वास््य के प्रजत नागररक के स्वयं उत्तरदायी होने संबध


ं ी तकों के जवपरीत, एक मात्र
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नागररक ही अपने स्वास््य के प्रजत उत्तरदायी नहीं होता है अजपतु उसके स्वास््य के प्रजत वे
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पररजस्थजतयााँ भी जजममेदार होती हैं जजनमें वह जनवास करता है और कायण करता है तथा इन
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पररजस्थजतयों पर प्रायिः उसका जनयंत्रण नहीं होता है। उदाहरणाथण- कदल्ली जैसे प्रदूजषत िहर।
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उपचार की लागत अजधकांि नागररकों के जलए समय पर स्वास््य सेवा की प्राजप्त में व्यवधान
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उत्पन्न करती है और उच्च लागत के कारण कई लोगों की जनधणनता में वृजद्ध हो जाती है, जजसके
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कारण उन्हें आवश्यक स्वास््य सेवाओं से वंजचत होना पडता है।


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स्वास््य को मौजलक अजधकार बनाने के जवरोध में तकण (Argument in against of making health
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as Fundamental Right)
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 यद्यजप, महामाररयों और सवाणजधक खतरनाक संिामक रोगों तथा स्वच्छ जवश्व जैसे स्वास््य के
कु छ जनवारक पहलुओं में एक सीमा तक राज्य के समथणन की आवश्यकता हो सकती है, परन्तु, कोई
भी व्यजि अपने व्यजिगत स्वास््य के जलए स्वयं उत्तरदायी होता है।
 धन अथवा पूज
ाँ ी की आपूर्थत, अस्पतालों की अवजस्थजत, प्रजिजक्षत स्वास््य कमणचारी इत्याकद जैसे
कु छ मुद्दों का समाधान करने की पयाणप्त क्षमता राज्य के पास भी नहीं है।
 'जिक्षा के अजधकार' के मामले की भााँजत ही, जब राज्य पयाणप्त क्षमता प्राप्त कर लेगा तब 'स्वास््य के
अजधकार' को भी मौजलक अजधकार बनाया जा सकता है।

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 अन्यथा, यह के वल प्रतीकात्मक रह जाएगा और इससे कानूनी जववादों में भी वृजद्ध होगी, जजसके
कारण सेवाओं का वास्तजवक जवतरण प्रभाजवत होगा।
आगे की राह (Way Forward)
 एक कल्याणकारी राज्य होने के नाते यह भारत का उत्तरदाजयत्व है कक वह अपने सभी नागररकों
को स्वास््य सेवा प्रदान करे ।
 सावणभौजमक स्वास््य कवरे ज सरकार के जनर्ददि लक्ष्यों में से एक है, जजसे राष्ट्रीय स्वास््य नीजत,

2017 में भी िाजमल ककया गया है। जवश्व स्वास््य संगिन (World Health Organization :

WHO) ने भी एक बीमा-कें कद्रत (अजनवायण पुनभुग


ण तान के माध्यम से धन एकजत्रत करना)
सावणभौजमक स्वास््य कायणिम की आवश्यकता पर बल कदया है।
 एक सक्षम वातावरण का जनमाणण कर जनजी स्वास््य सेवा प्रदाताओं को सुजवधाएाँ प्रदान करने के
साथ सावणजजनक स्वास््य सेवा प्रणाली को सुदढ़ृ बनाया जाना चाजहए।
 सभी नागररकों को स्वास््य का अजधकार प्रदान करने हेतु जनजी सेवा प्रदाताओं से स्वास््य सेवा
की रणनीजतक खरीद और आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास््य सुरक्षा जमिन जैसी स्वास््य सेवा
बीमा योजनाओं को प्रभावी ढंग से कायाणजन्वत ककया जाना चाजहए।
 अन्य िधदों में, वास्तजवक तौर पर इस बात से कोई फकण नहीं पडता कक भारत स्वास््य को मौजलक

अजधकार बनाता है या नहीं क्योंकक यह कोई वास्तजवक बहस ही नहीं है। वस्तुतिः, 'स्वास््य के

अजधकार' को मौजलक अजधकार बनाने हेतु कानून बनाने के बजाए सभी नागररकों को वहनीय

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स्वास््य सेवाएं उपलधध कराए जाने पर ध्यान कें कद्रत ककया जाना चाजहए।

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2.14.2. जहडे न हं ग र (Hidden Hunger) 9@
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जहडेन हंगर (जछपी हई भूख) को सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के रूप में भी जाना जाता है। जब बच्चों के
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अच्छे स्वास््य एवं जवकास तथा वयस्कों के सामान्य िारीररक और मानजसक कायों हेतु आवश्यक
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जवटाजमन, प्रोटीन और खजनजों का अल्प मात्रा में ग्रहण ककया जाता है अथवा उनका कम सेवन ककया
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जाता है, तब कु पोषण का यह रूप प्रकट होता है।


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जहडेन हंगर को कम करने में चुनौजतयााँ (Challanges to tackle hidden hunger)


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 समजन्वत बाल जवकास सेवाएाँ (Integrated Child Development Services:ICDS),


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सावणजजनक जवतरण प्रणाली (Public Distribution System:PDS) और खाद्य सुरक्षा जैसे


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कायणिमों के कायाणन्वयन में जवसंगजतयााँ मौजूद हैं, उदाहरणाथण; अजधकांि राज्यों में बच्चों के जलए
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आयरन जसरप की भारी कमी है, जजसमें सुधार करने की आवश्यकता है।
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 राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अजधजनयम (National Food Security Act:NFSA) के तहत सावणभौजमक
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मातृत्व अजधकार (Universal maternity entitlements) को सुजनजित ककया गया है, परं तु
इसके कायाणन्वयन में भी कई जवसंगजतयााँ मौजूद हैं।
 जहडेन हंगर से जनपटने के जलए सवण जिक्षा अजभयान, जमड-डे-मील स्कीम व राष्ट्रीय ग्रामीण

स्वास््य जमिन के रूप में पहले से ही संस्थागत कायणिम मौजूद हैं, जजन्हें सुदढ़ृ करने की
आवश्यकता है।
 बाजलकाओं में एनीजमया को कम करने हेतु उन्हें साप्ताजहक तौर पर आयरन फोजलक एजसड
सप्लीमेंट प्रदान करना जहडेन हंगर से जनपटने के जलए एक अच्छा कदम है।

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 इसके अजतररि आयरन की व्यापक कमी से जनपटने के जलए, भारत आयरन समृद्ध खाद्य फसलों

जैसे बाजरा को बढ़ावा दे रहा है। इसमें जवटाजमन B, आयरन, पोटैजियम, मैग्नीजियम तथा बज़क
प्रचुर मात्रा में होता है।
 ककसी लजक्षत जनसंख्या में जवजिि सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को सुधारने के उद्देश्य से
फोर्टटकफके िन (सुदढ़ृ ीकरण) एवं बायोफोर्टटकफके िन (जैवसुदढ़ृ ीकरण) जैसी अजभनव कृ जष
प्रकियाओं को बढ़ावा कदया जाना चाजहए।
फू ड फोर्टटकफके िन एवं बायोफोर्टटकफके िन (Food Fortificationand Bio-fortification)
 फू ड फोर्टटकफके िन या खाद्य संवधणन एक ऐसी प्रकिया है जजसके अंतगणत खाद्य पदाथों में सूक्ष्म
पोषक तत्वों (आवश्यक सूक्ष्ममाजत्रक तत्व तथा जवटाजमन) को सजममजलत ककया जाता है।
 मुख्य भोजन (स्टेपल्स) एवं मसालों में सूक्ष्म पोषक तत्वों को सजममजलत कर देने से वृहत पैमाने पर
कु पोषण जजनत रोगों की रोकथाम की जा सकती है।

 बायोफोर्टटकफके िन फसलों के उत्पादन से (breeding crops) से संबंजधत अवधारणा है, जजसमें

उनके पोषण मूल्य (nutritional value) में वृजद्ध की जाती है। इसे पारं पररक चयनात्मक प्रजनन
अथवा जेनेरटक इंजीजनयररग के माध्यम से ककया जा सकता है।
 बायोफोर्टटकफके िन सामान्य फोर्टटकफके िन से जभन्न होता है क्योंकक यह खाद्य पदाथों के प्रसंस्करण
के दौरान उनमें पोषण सजममजलत करने की बजाए पौधों के जवकास के साथ उनको अजधक पौजिक
बनाने पर कें कद्रत होता है।

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3. मानव सं साधन (Human Resource)

3.1. पररचय (Introduction)

"राष्ट्र जनमाणण का समबन्ध मानव पूज


ं ी जनमाणण से है।"
मानव संसाधन जवकास ककसी भी देि के आर्थथक जवकास में एक महत्वपूणण भूजमका जनभाता है। वास्तव
में, भौजतक पूज
ं ी का प्रभावी उपयोग मानव संसाधनों पर ही जनभणर है। इसका कारण है कक यकद मानव

संसाधन में ककया गया जनवेि कम है, तो जजस दर पर अजतररि भौजतक पूज
ं ी का लाभदायक ढंग से

उपयोग ककया जा सकता, वह सीजमत रहेगी, क्योंकक भौजतक संसाधनों का प्रभावी उपयोग करने के

जलए तकनीकी, पेिेवर और प्रिासजनक लोगों की आवश्यकता होगी।

यद्यजप 2050 तक भारत के दूसरी सबसे बडी अथणव्यवस्था बनने की उममीद है, साथ ही यहााँ जवश्व की

सबसे बडी कायणिील आबादी होगी जजसके 2030 तक 962 जमजलयन तक पहंचने की संभावना है।

इसके अजतररि, भारत 2020 तक 29 वषण की औसत आयु वाला जवश्व का सबसे युवा देि होगा। यह

"जनांकककीय लाभांि" ऐसे समय प्राप्त हआ है, जब िेष जवश्व वृद्धावस्था की ओर अग्रसर है, जहााँ

2020 तक संयुि राज्य अमेररका में औसत आयु 40 वषण , यूरोप में 46 वषण और जापान में 47 वषण

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होने की उममीद है। इसजलए, भारत में घरे लू अवश्यकताओं को पूरा करने के जलए न के वल युवा

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कायणबल होगा, बजल्क इसके पास कु िल श्रजमकों के जलए वैजश्वक कें द्र बनने का अवसर भी होगा।

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यह अवसर एक चुनौती भी है। भारत "जनांकककीय लाभांि" का लाभ उिाने में तभी सक्षम होगा, यकद
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वह अपनी जनसंख्या को मानव संसाधन में बदलने में सफल होता है, अन्यथा यह "जनांकककीय आपदा"
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की जस्थजत उत्पन्न हो सकती है। भारत के युवाओं को अपने वादे को पूरा करने सक्षम होने के जलए जिक्षा
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एवं कौिल की आवश्यकता है और वतणमान प्रणाली में बडे स्तर पर इन्हें (कौिल एवं जिक्षा) प्रदान
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करने हेतु पयाणप्त संसाधन मौजूद नहीं हैं। मानव संसाधन जवकास का सार जिक्षा है, जो देि के
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सामाजजक-आर्थथक ढााँचे को संतजु लत करने में एक महत्वपूणण और उपचारात्मक भूजमका जनभाती है।
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चूंकक भारत की आबादी ही इसका सबसे मूल्यवान संसाधन है, इसजलए 1 जबजलयन से अजधक की
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जनसंख्या वाले हमारे देि को गुणवत्तापूणण जीवन प्राप्त करने के जलए आधारभूत जिक्षा एवं कौिल के
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रूप में पोषण और देखभाल की आवश्यकता है।


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भारत में, लगभग प्रत्येक वषण 12 जमजलयन लोग श्रम बाजार में प्रवेि करते हैं। जनांकककीय लाभांि
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प्राप्त करने, सामाजजक सद्भाव और राजनीजतक जस्थरता बनाए रखने के जलए इतने बडे कायणबल को
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गुणवत्तापूणण रोजगार उपलधध कराना महत्वपूणण है।


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दो मंत्रालय - मानव संसाधन जवकास मंत्रालय और कौिल जवकास एवं उद्यजमता मंत्रालय- दोनों के ही
मानव संसाधन जवकास हेतु स्पि एवं जवजिि उद्देश्य हैं।
कौिल जवकास और उद्यजमता मंत्रालय (Ministry of Skill Development and
Entrepreneurship: MSDE) समपूणण देि में सभी प्रकार के कौिल जवकास संबंधी प्रयासों के
समन्वय, कु िल श्रजमकों की मांग एवं आपूर्थत में व्याप्त असमबद्धता को समाप्त करने, व्यावसाजयक और

तकनीकी प्रजिक्षण फ्रेमवकण का जनमाणण करने, कौिल उन्नयन, नवीन कौिल के जनमाणण तथा मौजूदा
रोज़गार के अवसरों के साथ-साथ सृजजत ककए जाने वाले अवसरों हेतु अजभनव सोच हेतु उत्तरदायी है।

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मंत्रालय, 'कु िल भारत' जनमाणण के उद्देश्य को प्राप्त करने के जलए तीव्रता से एवं उच्च मानकों के साथ
व्यापक स्तर पर कौिल को लजक्षत कर रहा है।
यह इन पहलों को इसकी कायाणत्मक िाखाओं- राष्ट्रीय कौिल जवकास एजेंसी (NSDA), राष्ट्रीय कौिल
जवकास जनगम (NSDC), राष्ट्रीय कौिल जवकास कोष (NSDF), और 33 क्षेत्रीय कौिल पररषदों

(SSCs) के साथ-साथ NSDC के साथ पंजीकृ त 187 िेबनग पाटणनसण द्वारा सहायता प्राप्त है।
मानव संसाधन जवकास मंत्रालय के मुख्य उद्देश्य जनम्नजलजखत हैं :
 जिक्षा पर राष्ट्रीय नीजत का जनमाणण और यह सुजनजित करना की इसे अक्षरििः लागू ककया जाए।
 समपूणण देि में (जविेषतिः उन क्षेत्रों में, जहां लोगों की जिक्षा तक सुगम पहंच नहीं है) जिक्षण
संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार एवं उन तक पहाँच में वृजद्ध सजहत योजनाबद्ध जवकास करना।
 जनधणन, मजहलाओं और अल्पसंख्यकों जैसे वंजचत समूहों पर जविेष ध्यान देना।
 समाज के वंजचत वगण के योग्य छात्रों के जलए छात्रवृजत्त, ऋण सजधसडी आकद के रूप में जवत्तीय
सहायता प्रदान करना।
 देि में जिक्षा के अवसरों को बेहतर बनाने के जलए जिक्षा के क्षेत्र में अंतराणष्ट्रीय सहयोग को
प्रोत्साजहत करना, जजसके अंतगणत यूनेस्को एवं जवदेिी सरकारों एवं जवश्वजवद्यालयों के साथ
जमलकर घजनिता से कायण करना िाजमल है।
भारत को कौिल जवकास की आवश्यकता क्यों है? (Why India need skill development?)
 हाल ही में प्रारं भ ककये गए - मेक इन इं जडया, जडजजटल इं जडया और स्माटण जसटीज जैसे जमिनों की

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सफलता के जलए कु िल श्रजमक एक महत्वपूणण आवश्यकता है।

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 जनांकककीय लाभांि(Demographic Dividend): यह 'जनांकककीय अवसर' के वल कु छ दिकों 9@
के जलए ही है। कौिल युि युवाओं के माध्यम से जनांकककीय लाभांि को जनांकककीय आपदा बनने
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से बचाने की आवश्यकता है।


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 श्रम-बल का अन्य क्षेत्रकों की ओर स्थानान्तरण(Sectoral mobilization): जैस-े जैसे उत्पादकता


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में सुधार होता है कृ जष क्षेत्र में कायण करने हेतु कम लोगों की आवश्यकता होगी। इसके
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पररणामस्वरूप कायणबल कृ जष क्षेत्र से जद्वतीयक और तृतीयक क्षेत्रक की ओर स्थानान्तररत होगा।


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 जवश्व की कौिल राजधानी(Skill Capital of World): इस दृजिकोण को वास्तजवकता में


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पररवर्थतत करने के जलए, भारत को अन्तराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप गुणवत्ता एवं उत्पादकता वाले
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एक कु िल और उत्पादक कायणबल को जनर्थमत करने की आवश्यकता है। इसके जलए कौिल एवं
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प्रजिक्षण को जिक्षा के साथ एकीकृ त करने की आवश्यकता है।


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 बेहतर रोजगार(Better Employment): वतणमान में कॉलेज में अध्यनरत युवाओं को बेहतर
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रोजगार हेतु कौिल प्रदान ककए जाने की आवश्यकता है।


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 युवा जनसंख्या(Younger Population): जवश्व की अजधकांि अथणव्यवस्थाओं में वृद्ध होती


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जनसंख्या की अजधकता के कारण भारत के पास उभरते बाजार को सेवा प्रदान करने का एक बडा
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अवसर है।
भारत में कु िल श्रमबल की कमी क्यों? – चुनौजतयां एवं मुद्दे (Why there is dearth of skill
labour in India?-challenges and issues)
 भारत में फोकस हमेिा जिक्षा पर रहा है. लेककन दुभाणग्यवि समग्र कौिल जवकास पर नहीं।
 उन लोगों की संख्या का अजधक होना, जजन्हें कौिल प्रदान ककए जाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय
कौिल जवकास पररषद् (NSDC) द्वारा ककए गए अध्ययन से ज्ञात होता है कक 2022 तक 24
प्रमुख क्षेत्रों में लगभग 12 करोड कु िल श्रजमकों की आवश्यकता होगी।

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 क्लस्टसण में औद्योजगक मांग के आधार पर देि के अलग-अलग भौगोजलक क्षेत्रों में जवजवधतापूणण
कौिलों की आवश्यकता होती है, जो भजवष्य में कौिल से संबंध में स्थान-जवजिि रणनीजत जनमाणण
को आवश्यक बनाती है।
 कौिल संबंधी पहलों के जलए लजक्षत जनांकककीय समूह भी जवजवधतापूणण है क्योंकक इसके अंतगणत
जवजभन्न िैजक्षक पृिभूजम के लोग सजममजलत है, जो कौिल प्राप्त करने के इच्छु क हैं।
 उच्च जिक्षा की तुलना में व्यावसाजयक कौिल के बारे में धारणा बदलने की आवश्यकता है।
 सामाजजक स्वीकायणता(Social Acceptability): व्यावसाजयक पाठ्यिम और कौिल जवकास
पाठ्यिमों को अन्य पाठ्यिमों की तुलना में कमतर समझा जाता है और अन्य पाठ्यिमों की
तुलना में व्यावसाजयक पाठ्यिमों के छात्रों की कोई सामजजक स्वीकायणता नहीं होती है।
 लंजबत श्रम सुधार(Pending Labour reforms): श्रम कानूनों की बहतायत और जरटलता एक
प्रमुख बाध्यकारी कारक है। सामान्यतिः जनयोिा श्रम कानूनों से बचने के जलए स्थायी श्रजमकों की
अपेक्षा स्वचालन (ऑटोमेिन) और अनुबंध श्रजमकों को वरीयता देते हैं। इस प्रकार का बढ़ता चलन
भारत में कौिल जवकास को बाजधत कर रहा है।
 तीव्रता से पररवर्थतत होती तकनीक(Rapidly changing technology): तीव्रता से पररवर्थतत
होती तकनीक के युग में कु िल श्रजमकों की आवश्यकता वाले क्षेत्रों और आवश्यक श्रजमकों की
संख्या का पूवाणनुमान करना जरटल है। तकनीकी पररवतणन उच्च स्तरीय कौिल क्षमताओं की
आवश्यकता में भी वृजद्ध करता है।
 व्यावसाजयक पाठ्यिम की टर्थमनल प्रकृ जत(The vocational courses are terminal in

)
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nature)- व्यावसाजयक जिक्षा में प्रमाण पत्र से जडप्लोमा और जडप्लोमा से जडग्री पाठ्यिम में

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ऊध्वाणधर गजतिीलता का अभाव है। इसके पररणामस्वरूप, जजन अजभभावकों को उनके बच्चों में

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पहले से जनजहत कौिल के जवषय में जानकारी होती है वे भी अपने बच्चों को व्यावसाजयक कररयर
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चुनने हेतु प्रेररत नहीं करते।


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 बुजनयादी ढांचे की कमी और पाठ्यिमों की जनम्नस्तरीय गुणवत्ता(Lack of infrastructure and


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poor quality of courses): अजधकांि कौिल प्रजिक्षण के न्द्रों की गुणवत्ता जनम्नस्तरीय है और


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उन्हें अपग्रेड नहीं ककया गया है। इसजलए उद्योगों की आवश्यकता और प्रजिक्षण हेतु प्रयुि
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मिीनरी में व्यापक अंतराल जवद्यमान है।


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 जनम्न गुणवत्तायुि प्रजिक्षक(Poor quality of trainers): कौिल प्रजिक्षण प्रदान करने वाले
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प्रजिक्षकों की गुणवत्ता उद्योगों की आधुजनक कौिल संबंधी आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं है


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इसजलए प्रजिक्षण के पररणाम भी वांजछत गुणवत्ता के अनुरूप नहीं है। इस जस्थजत में, इन
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पाठ्यिमों को पूणण करने वाले छात्र भी रोजगार प्राप्त करने में सक्षम नहीं होते हैं।
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 उद्योगों द्वारा ककए जाने वाले प्रयासों में कमी(Lack of Initiatives from industry): उद्योग,
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मुख्यतिः सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम (SMEs), व्यावसाजयक प्रमाणीकरण या औपचाररक प्रजिक्षण पर
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ध्यान नहीं देते क्योंकक यह प्रायिः श्रमबल की लागत को बढ़ाता है। कभी-कभी यह देखा जाता है कक
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Th

SMEs, औपचाररक या कु िल श्रजमक की तुलना में कम वेतन पर काम करने को तैयार


अप्रजिजक्षत या अद्धण-प्रजिजक्षत श्रजमक को जनयोजजत करने को वरीयता देते हैं।
 मानकीकरण का अभाव(Lack of standardization): कई मंत्रालयों द्वारा छात्रों को कौिल
संबंधी पाठ्यिम उपलधध कराए गए हैं जो मानकीकरण की कमी के कारण छात्रों के मध्य भ्रम की
जस्थजत उत्पन्न करते हैं। इसके अजतररि, इस क्षेत्र की सभी बचताओं का समाधान करने वाला कोई
एक समग्र मॉडल उपलधध नहीं है।
 लैंजगक असमानता(Gender disparities): कौिल कायणिम उन िेर्डस के प्रजत पक्षपातपूणण हैं जो
पुरुषों के अजधक अनुकूल और मजहलाओं के प्रजतकू ल हैं। मजहलाओं की बेहतर भागीदारी के जलए

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लचीले पाठ्यिम (समय के सन्दभण में) प्रारं भ करने के साथ-साथ मजहला जिक्षक, छात्रावास और
पररवहन जैसी सुजवधाएं प्रदान करना एक चुनौती है।
 पूवण अजधगम की मान्यता(Recognition of Prior Learning): यद्यजप जवजभन्न श्रजमक, जैसे पुणे
में डायमंड कटर श्रजमक पीकढ़यों से चले आ रहे कौिल में अपेजक्षत रूप से दक्ष होते हैं, लेककन वे
ककसी प्रमाण पत्र के अभाव में बेहतर रोजगार प्राप्त करने अथवा व्यवसाय प्रारं भ करने में असमथण
होते हैं।
3.2. जवकास के जलए अजधकार आधाररत दृ जिकोण

(Right based approach for the development)


जवकास के अजधकार आधाररत दृजिकोण में मानवाजधकारों का प्रयोग जवकासात्मक मुद्दों के जनदेिन हेतु
एक ढांचे के रूप में ककया जाता है। "एक अजधकार-आधाररत दृजिकोण इस धारणा पर आधाररत है कक
मानव होने के कारण प्रत्येक व्यजि को अजधकार प्राप्त है। एक अजधकार सरकार पर इसका (अजधकार
का) सममान करने, इसकी रक्षा करने और इसे पूरा करने का दाजयत्व आरोजपत करता है। अजधकारों और
संबंजधत सरकारी दाजयत्वों का कानूनी और जनदेिात्मक चररत्र अंतरराष्ट्रीय मानवाजधकार संजध और
अन्य मानकों के साथ ही मानवाजधकार संबंधी राष्ट्रीय संवैधाजनक प्रावधानों पर भी आधाररत है। अतिः,
अजधकार आधाररत दृजिकोण एक अनुदान या साधारण आर्थथक जवकास नहीं है, बजल्क यह उन लोगों
को अपने अजधकारों का दावा करने के जलए सक्षम और सिि बनाने की प्रकिया है, जो अपने आर्थथक,

)
सामाजजक और सांस्कृ जतक अजधकारों का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।"

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अमत्यण सेन का क्षमता समबन्धी दृजिकोण (Capacity rleated approach of Amrtya Sen) s 9@
 क्षमता दृजिकोण एक सैद्धांजतक फ्रेमवकण है, जजसमें मूलतिः दो मानक दावों को िाजमल ककया गया है:
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o प्रथम दावा यह कक कल्याण प्राप्त करने की स्वतंत्रता का प्राथजमक नैजतक महत्व है, और
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जद्वतीय, कल्याण प्राप्त करने की स्वतंत्रता को लोगों की क्षमताओं के संदभण में समझा जाना
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चाजहए, अथाणत,् वैसा करने और बनने के जलए उनके पास उपलधध वास्तजवक अवसरों के संदभण
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में, जजसे महत्व देने का उनके पास कारण हो।


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 ककसी व्यजि की सुजवधायुि जीवन जीने की क्षमता को उन मूल्यवान वस्तुओं के संदभण में पररभाजषत
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ककया जाता है जजन तक उनकी पहाँच वास्तजवक होती है, जैस-े बेहतर स्वास््य होना या अन्य लोगों
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के साथ अच्छे मैत्रीपूणण संबंध होना।


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इसे जवकास के संबंध में सरकार के दृजिकोण में एक बदलाव के रूप में देखा जा सकता है। नागररकों के
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जीवन स्तर को उन्नत करने हेतु सामान्य समृजद्ध पर पूणत


ण िः जनभणर होने के बजाय, यह दृजिकोण जिक्षा,
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स्वास््य, रोजगार और पोषण के न्यूनतम स्तर की मूलभूत अजधकार के रूप में उपलजधध, और इन्हें देि
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के प्रत्येक ज़रूरतमंद नागररक को प्रदान करने में राज्य की महत्वपूणण भूजमका को स्वीकार करता है।
संक्षेप में, यह पररवतणन सावणभौमीकरण और अजधकार की कदिा में है। अजधकार आधाररत दृजिकोण के
माध्यम से प्रदान ककए जाने वाले अजधकारों के कु छ उदाहरण जनम्नजलजखत हैं-
 बच्चों को जनिःिुल्क एवं अजनवायण जिक्षा अजधकार अजधजनयम, 2009

 राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारं टी अजधजनयम, 2005

 सूचना का अजधकार, 2005


 जमड-डे मील स्कीम

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अजधकार-आधाररत ‘जवकास’ की जनम्नजलजखत जविेषताएं होंगी:

 ‘अजधकारों’ से समबद्धत्ता
 जवाबदेही
 सिजिकरण
 भागीदारी, और
 गैर-भेदभाव और सुभेद्य समूहों पर ध्यान के जन्द्रत करना

3.3. मानव सं साधन जवकास के जलए तं त्र

(Mechanisms for Human Resource Development)

3.3.1. राष्ट्रीय कौिल जवकास जमिन (National Skill Development Mission:

NSDM)

 कौिल प्रजिक्षण गजतजवजधयों के संदभण में जवजभन्न क्षेत्रों एवं राज्यों के मध्य समन्वय स्थाजपत करने
हेतु राष्ट्रीय कौिल जवकास जमिन जवकजसत ककया गया है।
 इसके अजतररि, यह न के वल कौिल प्रदान करने संबंधी प्रयासों को समेककत एवं समजन्वत करे गा,
बजल्क जवजभन्न क्षेत्रों में िीघ्र एवं मानकों के साथ आवश्यक कौिल प्राप्त करने हेतु जनणणय-जनमाणण
प्रकिया में तीव्रता लाएगा।
जमिन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के जलए प्रमुख संस्थागत तंत्र को तीन स्तरों में जवभाजजत ककया

)

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गया है, जजसमें िीषण स्तर पर नीजत मागणदिणन हेतु एक िासी पररषद (गवनिंगनग काउं जसल),

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पररचालन सजमजत और जमिन की कायणकारी िाखा के रूप में एक जमिन जनदेिालय (एक 9@
कायणकारी सजमजत सजहत) सजममजलत होंगे।
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 जमिन जनदेिालय को तीन अन्य संस्थानों द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी: राष्ट्रीय कौिल जवकास
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एजेंसी (NSDA), राष्ट्रीय कौिल जवकास जनगम (NSDC) और प्रजिक्षण महाजनदेिालय (DGT)।
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ये सभी संस्थाएं जमिन जनदेिालय के साथ क्षैजतज रूप से संयोजजत होंगी ताकक राष्ट्रीय संस्थागत
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तंत्र का सुचारू रूप से संचालन हो सके ।


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 जमिन के समग्र उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु आधार स्तमभ के रूप में कायण करने के जलए आरं भ में
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सात उप-जमिन प्रस्ताजवत ककए गए थे। ये उप-जमिन हैं: (i) संस्थागत प्रजिक्षण (ii) अवसंरचना
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(iii) समन्वय (iv) प्रजिक्षक (v) समुद्रपारीय रोजगार (vi) स्थायी आजीजवका (vii) सावणजजनक
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अवसंरचना का लाभ उिाना।


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3.3.2. राष्ट्रीय कौिल जवकास एजें सी (National Skill Development Agency:


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NSDA)
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राष्ट्रीय कौिल जवकास एजेंसी (NSDA), सोसायटी पंजीकरण अजधजनयम, 1860 के तहत एक
सोसायटी के रूप में पंजीकृ त एक स्वायत्त जनकाय है। इसे देि में कौिल जवकास गजतजवजधयों के मध्य
समन्वय और सामंजस्य स्थाजपत करने के अजधदेि के साथ गरित ककया गया था। यह एजेंसी कौिल
जवकास और उद्यजमता मंत्रालय (MSDE) का एक अंग है।
NSDA द्वारा संचाजलत गजतजवजधयााँ (Activities operated by NSDA)
राष्ट्रीय कौिल योग्यता फ्रेमवकण (NSQF) के संचालन और कायाणन्वयन के अजतररि, NSDA द्वारा कु छ
अन्य कायों का जनष्पादन भी ककया जाता है जो जनम्नजलजखत हैं:
 भारत सरकार की कौिल जवकास योजनाओं को तकण संगत बनाना

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 एक एकीकृ त श्रम बाजार सूचना प्रणाली का जनमाणण
 राज्यों की कौिल जवकास कायण योजनाओं के जनमाणण हेतु उनके साथ जमलकर कायण करना, उन्हें
स्वयं की कौिल जवकास नीजतयों को जवकजसत करने और उपयुि प्रिासजनक तंत्र स्थाजपत करने में
सहायता करना।
 कौिल नवाचार पहल
3.3.3. राष्ट्रीय कौिल जवकास जनगम

(National Skill Development Corporation: NSDC)

 यह कं पनी अजधजनयम की धारा 25 के तहत जवत्त मंत्रालय द्वारा स्थाजपत एक गैर-लाभकारी


कं पनी है तथा कौिल जवकास और उद्यजमता मंत्रालय के तहत कायणरत है।
 इसका इकक्वटी बेस 10 करोड रुपये का है, जजसमें 49% जहस्सेदारी भारत सरकार की और िेष
51% जहस्सेदारी जनजी क्षेत्र की है।
 NSDC एक सावणजजनक जनजी भागीदारी (PPP) कं पनी है जजसका प्राथजमक अजधदेि देि में
कौिल पररदृश्य को उत्प्रेररत करना है। यह व्यावसाजयक प्रजिक्षण संस्थानों का जनमाणण करता है,
पेटेंट हेतु जवत्तपोषण करता है तथा कौिल जवकास के जलए सहायता प्रदान करता है।
 NSDC, जनम्नजलजखत स्तंभों पर आधाररत अंतर्थनजहत दिणन के माध्यम से बेहतर जवचार प्रकिया
द्वारा जनर्थमत एक अजद्वतीय मॉडल है:
o जनमाणण (Create): बडे, गुणवत्तापूणण व्यावसाजयक प्रजिक्षण संस्थानों के जनमाणण को

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अग्रसकिय रूप से उत्प्रेररत करना।

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o जवत्तीयन (Fund): अनुदान और इकक्वटी सजहत पयाणप्त पूज
ं ी प्रदान करके जोजखम को कम

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करना। 9@
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सक्षम बनाना (Enable): कौिल जवकास के जलए आवश्यक सहायक प्रणाजलयों का सृजन
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करना एवं उन्हें स्थाजयत्व प्रदान करना। इसमें उद्योग के नेतृत्व वाली क्षेत्र कौिल पररषदें
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(Sector Skill Councils) सजममजलत हैं।


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3.3.4. राष्ट्रीय कौिल योग्यता फ्रे मवकण


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(National Skills Qualifications Framework: NSQF)


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 यह ज्ञान, कौिल और अजभवृजत्त के स्तर के अनुरूप योग्यताओं को संयोजजत करने हेतु एक फ्रेमवकण
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है।
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 इसका उद्देश्य सभी संस्थानों में जवद्यमान जवजभन्न योग्यताओं से संबद्ध पररणामों में एकरूपता प्राप्त
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करना है।
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 NSQF का संचालन राष्ट्रीय कौिल जवकास एजेंसी द्वारा ककया जाता है।
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 यह ‘पूवण अनुभव को मान्यता’ (Recognition of Prior Learning: RPL) को भी सुजवधाजनक


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बनाएगा जजसकी वतणमान जिक्षा और प्रजिक्षण पररदृश्य में प्रायिः कमी है।
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3.3.5. राष्ट्रीय कौिल जवकास जन जध (National Skill Development Fund)

 वषण 2009 में भारत सरकार द्वारा इसकी स्थापना देि में कौिल जवकास के जलए सरकारी एवं
गैर-सरकारी दोनों क्षेत्रों से धन जुटाने हेतु की गई थी।
 भारत सरकार द्वारा स्थाजपत एक सावणजजनक न्यास इस जनजध का संरक्षक है। न्यासी बोडण द्वारा इस
जनजध का संचालन एवं प्रबंधन ककया जाता है। कौिल जवकास एवं उद्यजमता मंत्रालय के सजचव
इस न्यास के अध्यक्ष होते हैं।

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3.3.6. क्षे त्र कौिल पररषदें (Sector Skill Councils)

 क्षेत्र कौिल पररषदें (SSCs) उद्योग आधाररत एवं उद्योग िाजसत जनकाय हैं जजन्हें यह सुजनजित
करने के जलए अजधदेजित ककया गया है कक सभी जहतधारकों द्वारा कौिल जवकास हेतु ककये जा रहे
प्रयास उद्योगों की वास्तजवक आवश्यकताओं के अनुरूप हैं।
 ये राष्ट्रीय व्यावसाजयक मानकों/सक्षमता मानकों और योग्यता पैक्स को जवकजसत करते हैं।
 इनके दो मूलभूत उद्देश्य हैं - कौिल और रोजगार प्रदान करना।
 राष्ट्रीय कौिल जवकास जनगम (NSDC) द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों में जवजभन्न SSCs के गिन की
स्वीकृ जत प्रदान की गई है।
3.3.7. िारदा प्रसाद सजमजत (Sharda Prasad Committee)

िारदा प्रसाद सजमजत का गिन क्षेत्र कौिल पररषदों (SSCs) की समीक्षा, युजिकरण और उनकी कायण
पद्धजत को इष्टतम बनाने हेतु ककया गया था।
पृिभूजम (Background)
राष्िीय कौिल जवकास एवं उद्यमिीलता नीजत, 2015 के अनुरूप SSCs के अजभसरण एवं इष्टतम
कायण पद्धजत सुजनजित करने हेतु 2016 में एक सजमजत के गिन का जनणणय ककया गया था। इस सजमजत
का कायण SSC की कायण पद्धजत की समीक्षा करना तथा उसे सुव्यवजस्थत कौिल पररवेि जवकजसत करने
हेतु एक रोड मैप उपलधध कराना था।

)
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अनुिस
ं ाएं (Recommendation)

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 सजमजत ने सुझाव कदया कक SSCs पर िोनी कै जपटजलज्म का अत्यजधक प्रभाव है जजसके द्वारा s 9@
'सावणजजनक जनजध से अजधकतम लाभ’ प्राप्त करने का प्रयास ककया गया है। उदाहरण के जलए,
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SSC के बोडण का एक सदस्य इसका प्रमोटर भी है।


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 इसी पररप्रेक्ष्य में इसके द्वारा कें द्र सरकार को जनम्नजलजखत अनुिंसाएं की गयी हैं:
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o सभी जवद्यमान कौिल पररषदों को समाप्त कर


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कदया जाना चाजहए, इनमें से कई पररषदों द्वारा


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अजतव्यापी भूजमकाओं का जनवणहन ककया जा


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रहा है।
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o NSDC पर जविेष रूप से RBI द्वारा एक


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जनरीक्षण तंत्र की स्थापना की जानी चाजहए,


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क्योंकक यह गैर-बैंककग जवत्त कं पनी के रूप में


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पंजीकृ त है।
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 प्लंबबग और जनमाणण, हथकरघा एवं हस्तजिल्प,


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दूरसंचार और सूचना प्रौद्योजगकी (IT) एवं ITeS,


स्वचाजलत एवं लॉजजजस्टक्स, स्वास््य देखभाल एवं
सौंदयण और कल्याण क्षेत्र, तथा कई अन्य SSCs का
जवलय ककया जाना चाजहए।
 सजमजत के अनुसार NSDC में जनम्न स्तरीय गवनेंस
है क्योंकक यह 100% सरकार द्वारा जवत्त पोजषत है,
ककन्तु एक ऐसे बोडण के प्रजत उत्तरदायी है जजसके अजधकांि सदस्य जनजी क्षेत्र के उद्योग संघों से हैं।

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 इसके द्वारा अनुिस
ं ा की गयी है कक सरकार द्वारा NSDC की भूजमका और कायण पद्धजत की इसके
मेमोरें डम ऑफ एसोजिएिन के संदभण में व्यापक रूप से समीक्षा करनी चाजहए।
 सजमजत ने इस पर भी ध्यान कदया कक SSC को संसदीय जनगरानी, कै ग लेखा परीक्षण, RBI
पयणवेक्षण के बाहर रखा गया है।
 सजमजत द्वारा राष्ट्रीय कौिल जवकास कोष (NSDF) के गवनेंस में जवद्यमान कजमयों को भी

रे खांककत ककया गया है।


 अन्य अनुिंसाओं के जलए जचत्र देखें।

3.3.8. भारतीय कौिल सं स्थान (Indian Institute of Skills)

 प्रधानमंत्री की बसगापुर के िीषण तकनीकी जिक्षा संस्थान की यात्रा के पिात्, कदसमबर 2016 में

कानपुर में भारतीय कौिल संस्थान (IIS) की स्थापना की गई।

 यह देि में इस प्रकार का पहला संस्थान है। इसकी स्थापना इं जस्टट्यूट ऑफ टेकिकल एजुकेिन,
बसगापुर की संयुि भागीदारी के साथ कौिल जवकास एवं उद्यजमता मंत्रालय द्वारा की गई है।
 भारतीय कौिल संस्थान की कल्पना एक ऐसे प्रभावी मंच के रूप में की गयी है जजसके माध्यम से
युवा स्वयं को जनयोजन योग्य एवं आत्मजनभणर बना सके ।

3.3.9. प्रधानमं त्री कौिल जवकास योजना

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(Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana: PMKVY)

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 प्रधानमंत्री कौिल जवकास योजना (PMKVY) को 2016 में आरं भ ककया गया था जो कौिल
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जवकास और उद्यजमता मंत्रालय (MSDE) की एक प्रमुख योजना है।


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 इस योजना का उद्देश्य देि के युवाओं को उद्योगों की मांग के अनुरूप कौिल प्रजिक्षण प्राप्त करने में
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सक्षम बनाना है जो उन्हें बेहतर रोजगार प्राप्त करने में सहायता करे गा।
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 पूवण अनुभव को मान्यता (Recognition of Prior Learning: RPL) के तहत पूवण अनुभव या
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कौिल वाले व्यजियों का मूल्यांकन और प्रमाणन ककया जाएगा।


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 PMKVY को 24 लाख युवाओं को प्रजिक्षण और कौिल प्रदान करने हेतु 15 जुलाई, 2015 को
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प्रारं भ ककया गया था।


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इस योजना की समीक्षा के पिात्, अक्टू बर 2016 को PMKVY 2.0 को प्रारं भ ककया गया था।
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इसका लक्ष्य 2016 से 2020 तक की अवजध में 10 जमजलयन युवाओं को कौिल प्रजिक्षण प्रदान
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करने के जलए 12,000 करोड रुपये व्यय करना है।


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योजना के मुख्य घटक (Main Component of the Scheme)


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 स्कू ल/कॉलेज ड्रॉप आउट या बेरोजगार भारतीय राष्ट्रीयता प्राप्त उममीदवारों को अल्पावजध
प्रजिक्षण प्रदान करना।
 पूवण अनुभव या कौिल वाले व्यजियों के जलए पूवण अनुभव को मान्यता (RPL)।
 PMKVY के जविेष पररयोजना घटक के अंतगणत एक ऐसे प्लेटफॉमण की स्थापना की पररकल्पना
की गई है जो कु छ जविेष क्षेत्रों में प्रजिक्षण की सुजवधा प्रदान करे गी। इन क्षेत्रों की आवश्यकताएं
PMKVY के अंतगणत ककसी भी जहतधारक को प्रदान की जाने वाले अल्पावजध प्रजिक्षण से संबंजधत
जनयम और ितों से कु छ जभन्न होती हैं।

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 प्रेस/मीजडया कवरे ज के साथ प्रत्येक छह माह पर कौिल और रोजगार मेले का आयोजन करने हेतु
उन्हें राष्ट्रीय कररयर सेवा मेला और जमीनी स्तर की गजतजवजधयों में सकिय रूप से भाग लेने की
भी आवश्यकता है।
 जनयोजन संबध
ं ी कदिा-जनदेि (Placement Guidelines): PMKVY स्वयं के द्वारा जनर्थमत
कु िल श्रमबलों की अजभरूजच, महत्वाकांक्षा और ज्ञान को रोजगार अवसरों और बाजार में मांग से
समबद्ध करने की पररकल्पना करता है। योजना के तहत प्रजिजक्षत और प्रमाजणत उममीदवारों को
जनयोजन के अवसर प्रदान करने के जलए PMKVY प्रजिक्षण के न्द्रों (TCs) के द्वारा प्रभावी प्रयास
ककए जाने की आवश्यकता है। प्रजिक्षण भागीदारों (TPs) द्वारा उद्यजमता जवकास के जलए भी
सहायता प्रदान की जाएगी।
PMKVY का कायाणन्वयन (Implementation of PMKVY)
 यह योजना NSDC प्रजिक्षण भागीदारों के माध्यम से कियाजन्वत की जाएगी। वतणमान में NSDC
के तहत 187 प्रजिक्षण भागीदार हैं जजनके द्वारा 2300 से अजधक के न्द्रों का संचालन ककया जा
रहा है।
 इसके अजतररि, इस योजना के तहत प्रजिक्षण प्रदान करने हेतु कें द्र/राज्य सरकारों द्वारा मान्यता
प्राप्त प्रजिक्षण प्रदाताओं का भी उपयोग ककया जाएगा।
 PMKVY के तहत बेहतर पाठ्यिम, बेहतर जिक्षण और बेहतर प्रजिजक्षत प्रजिक्षकों पर प्रमुखता
से ध्यान कदया जायेगा।
 प्रजिक्षण के अंतगणत सॉफ्ट जस्कल, वैयजिक जवकास, स्वच्छता के जलए व्यवहार पररवतणन, उत्तम

)
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कायण नैजतकता सजममजलत होंगे।

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 सभी प्रजिक्षण कें द्रों के प्रजिक्षण स्थान और पाठ्यिमों की एक जनजित गुणवत्ता को सत्याजपत और
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ररकॉडण करने के जलए कौिल जवकास प्रबंधन प्रणाली (SDMS) की स्थापना की जायेगी।
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 जहां संभव होगा वहां प्रजिक्षण प्रकिया की बॉयोमीरिक प्रणाली और वीजडयो ररकॉनिंगडग द्वारा
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जनगरानी की जाएगी।
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योजना के कायाणन्वयन से संबंजधत जिकायतों के जनवारण हेतु एक सुदढ़ृ जिकायत जनवारण प्रणाली
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को स्थाजपत ककया जाएगा।


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 राज्य सरकारों, नगर पाजलकाओं, पंचायती राज संस्थानों और समुदाय आधाररत संगिनों की
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सहभाजगता से स्थानीय स्तर पर आयोजजत कौिल मेलों के माध्यम से लोगों को जोडा जाएगा।
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PMKVY से PMKVY 2.0 में पररवतणन (Transformation from PMKVY to PMKVY 2.0)
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 जनयोजन की जनगरानी को अजनवायण बना कदया गया है।


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 जजले में प्रधानमंत्री कौिल कें द्र (PMKKs) नाम से मॉडल कौिल के न्द्रों की स्थापना।
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राज्यों की अजधक भागीदारी प्राप्त करने, जजले स्तर पर जडलीवरी सुजनजित करने हेतु जजला
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कलेक्टरों की भागीदारी को बढ़ावा देने की कदिा में फोकस ककया गया है।
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प्रत्येक जजले के जलए जवजिि मांग-आपूर्थत की जस्थजत की जानकारी प्राप्त करने हेतु जजला स्तर पर
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डेटा-िं बचग (आकडों की स्वचाजलत प्रोसेबसग) का उपयोग ककया जाएगा।


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 उद्योग को, जविेष रूप से MSME क्षेत्र को, क्लस्टर-आधाररत मॉडल के तहत िाजमल करना,
उदाहरणस्वरुप- ककसी जवजिि क्षेत्र में उममीदवारों को एक समूह में प्रजिक्षण प्रदान करना।

3.3.10. भारतीय कौिल जवकास से वा (India Skill Development Service)

कौिल जवकास और उद्यजमता मंत्रालय (MSDE) द्वारा भारतीय कौिल जवकास सेवाओं (ISDS) की
स्थापना के जलए एक अजधसूचना जारी की गई है।

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इस सेवा की आवश्यकता (Need of this service)
 कौिल भारत जमिन का लक्ष्य 2022 तक 500 जमजलयन कु िल श्रजमकों की वृजद्ध करना है। ISDS
के तहत कु िल प्रिासकों की एक इकाई द्वारा इस लक्ष्य को प्रोत्साजहत ककया जायेगा।
 ISDS द्वारा ऐसे क्षेत्र में सरकारी जनयंत्रण को अजधक सुदढ़ृ ककया जायेगा जो 2014 तक बडे
पैमाने पर जनजी क्षेत्र के अधीन थे।
 भारत में सवाणजधक युवा जनसंख्या जवद्यमान है तथा साथ ही यह न्यूनतम कौिल दक्षता वाले देिों
में से एक है। यह कदम जनसांजख्यकीय लाभांि का लाभ उिाने और कायणबल के कौिल में सुधार
करने में सहायता करे गा।
महत्व (Imprtance)
 यह कौिल जवकास के जलए युवा और प्रजतभािाली प्रिासकों को आकर्थषत करने का एक प्रयास है।
 यह कौिल भारत जैसे सरकार के कौिल जवकास से संबजं धत पररवेि को नई ऊजाण प्रदान करे गा।
 यह योजनाओं के कु िल और प्रभावी कायाणन्वयन में सहायता करे गा।
 यह कु िल युवाओं की संख्या में वृजद्ध करने के लक्ष्य को प्रोत्साजहत करने हेतु प्रजिजक्षत कु िल
प्रिासकों का एक समर्थपत कायणबल सृजजत करे गा।
 यह अन्य देिों की तुलना में भारतीय श्रमिजि की बेहतर प्रजतस्पधाण को बढ़ावा देगा।
 कु िल प्रिासकों का एक समर्थपत कै डर, MSDE में सामान्यज्ञ नौकरिाही को जविेषज्ञता प्राप्त
करने में सहायता करे गा। यह बेहतर जनयोजन, बेहतर कायाणन्वयन और भजवष्य की योजनाओं के
बेहतर लक्ष्यीकरण को बढ़ावा देगा।
3.3.11. राष्ट्रीय कौिल जवकास एवं उद्यजमता नीजत, 2015

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(National Skill Development and Entrepreneurship Policy, 2015)

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 यह कौिल जवकास और उद्यजमता के जलए भारत की प्रथम एकीकृ त राष्ट्रीय नीजत है जो श्रजमकों के
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रोजगार प्राजप्त (employability) में सुधार और रोजगार सृजन को प्रोत्साजहत करती है।
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 इस नीजत का उद्देश्य मांग के साथ आपूर्थत को संरेजखत करना, मौजूदा कौिल अंतराल को कम
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करना, उद्योग से संबंध को बढ़ावा देना, गुणवत्ता आश्वासन फ्रेमवकण का पररचालन, प्रौद्योजगकी का
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लाभ उिाना और पहचाने गए मुद्दों के समाधान हेतु प्रजिक्षुता को बढ़ावा देना है।
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 नीजत में चार महत्वपूणण क्षेत्र होंगे। यह नीजत जनम्न अपेजक्षत मूल्य, औपचाररक जिक्षा के साथ
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एकीकरण का अभाव, पररणामों पर ध्यान के जन्द्रत करने का अभाव, प्रजिक्षण के जलए गुणवत्तापूणण
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अवसंरचना और प्रजिक्षकों का अभाव सजहत कौिल के समक्ष जवद्यमान प्रमुख अवरोधों का


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समाधान करती है।


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 इसका उद्देश्य उद्यजमयों को परामिणदाताओं, इनक्यूबटे र और ऋण बाजारों से जोडना, नवाचार


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और उद्यजमता संस्कृ जत को प्रोत्साजहत करना, ईज ऑफ डू इंग जबजनेस में सुधार करना और


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सामाजजक उद्यजमता पर ध्यान कें कद्रत करना भी है।


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 नीजत में जनष्पक्षता (Equity) पर ध्यान कदया गया है, जजसका उद्देश्य सामाजजक/भौगोजलक रूप से
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हाजिये पर जस्थत और वंजचत वगों के जलए कौिल अवसरों को बढ़ावा देना है। मजहलाओं के जलए
कौिल जवकास और उद्यजमता कायणिम पर नीजत में जविेष ध्यान कदया गया है।
3.3.12. दीनदयाल उपाध्याय - ग्रामीण कौिल्य योजना

(Deen Dayal Upadhyaya – Grameen Kaushalya Yojana: DDU-GKY)


ग्रामीण जवकास मंत्रालय द्वारा गरीब ग्रामीण पररवारों के युवाओं के कौिल जवकास और उत्पादक
क्षमता के जवकास के माध्यम से राष्ट्रीय समावेिी जवकास एजेंडा के संचालन हेतु DDU-GKY को
आरं भ ककया गया है।

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दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौिल्य योजना की जविेषताएं:
(Features of DDU-GKY)
 गरीब और हाजिये पर जस्थत लोगों को लाभ प्राप्त करने हेतु सक्षम बनाना(Enable Poor and
Marginalized to Access Benefits): गरीब ग्रामीण लोगों को मांग-प्रेररत जन:िुल्क कौिल
प्रजिक्षण प्रदान करना।
 सामाजजक रूप से वंजचत समूहों (50% - SC/ST, 15% - अल्पसंख्यक, 33% - मजहलाएं,3%
कदव्यांग जन ) को अजनवायण रूप से िाजमल करना।
 प्रजिक्षण के स्थान पर कररयर प्रगजत पर बल देना(Shifting Emphasis from Training to
Career Progression): रोजगार में स्थाजयत्व, कररयर प्रगजत एवं जनयोजन के जलए प्रोत्साहन
प्रदान करना।
 जनयोजन के पश्चात सहायता, प्रवासन सहायता और पूव-ण छात्रों का नेटवकण जनमाणण करना।
 क्षेत्रीय फोकस(Regional Focus): जममू-कश्मीर (जहमायत), पूवोत्तर क्षेत्र और वामपंथी
उग्रवाद से प्रभाजवत 27 जजलों (रोिनी) के जनधणन ग्रामीण युवाओं से संबंजधत पररयोजनाओं पर
अजधक बल देना।
 मानक आधाररत जवतरण(Standards-led Delivery): कायणिम से संबंजधत सभी गजतजवजधयां
मानक संचालन प्रकिया पर आधाररत होंगी जजनकी व्याख्या स्थानीय जनरीक्षकों द्वारा नहीं की
जाएगी। सभी प्रकार के जनरीक्षण जजयो-टैग, टाइम स्टैमप्ट जवजडयो/फोटोग्राफी द्वारा समर्थथत होंगे।
जनमाणण श्रजमकों के पूवण अनुभव को मान्यता (Recognition of Prior Learning (RPL) of

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Construction Workers)

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यह श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा प्रारं भ की गई एक राष्ट्रीय योजना है जजसमें जनम्नजलजखत

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सजममजलत हैं: 9@
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 राष्िीय व्यावसाजयक प्रजिक्षण पररषद (National Council of Vocational
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Training:NCVT) प्रमाणपत्र प्रदान करना


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 जनमाणण स्थलों को परीक्षण के न्द्रों के रूप में नाजमत करना


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लगभग 15 कदनों का कौिल अंतराल प्रजिक्षण प्रदान करना


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 प्रजिक्षण कक्षाओं और मूल्यांकन के जलए उपजस्थत होने हेतु मजदूरी की क्षजतपूर्थत करना
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3.3.13. प्रजिक्षु प्रोत्साहन योजना (Apprenticeship Protsahan Yojana)


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यह भारत में प्रजिक्षुता योजना का पुनर्थनमाणण वाली एक प्रमुख पहल है। इस पहल के प्रमुख घटक
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जनम्नजलजखत हैं:
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 उद्योग और युवा दोनों के जलए कानूनी ढांचे को अनुकूल बनाने हेतु प्रजिक्षु अजधजनयम 1961 में
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संिोधन।
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 अधण-कु िल श्रजमकों की न्यूनतम मजदूरी के जलए वेतन की दर और सूचीकरण में सुधार करना।
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 जविेष रूप से जवजनमाणण कायों में संलग्न योग्य प्रजतिानों के प्रजिक्षण से संबंजधत पहले दो वषों के
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जलए भारत सरकार द्वारा पचास प्रजतित वेतन साझा ककया जाता है।
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 इसे और अजधक प्रभावी बनाने हेतु वैज्ञाजनक जसद्धांतों पर आधारभूत प्रजिक्षण पाठ्यिमों का
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पुनगणिन ककया जा रहा है।


 प्रजिक्षुता प्रोत्साहन योजना के द्वारा माचण 2017 तक की अवजध तक एक लाख प्रजिक्षुओं को
सहायता प्रदान की जाएगी।
3.3.14. गरीब नवाज कौिल जवकास कें द्र (Garib Nawaz Skill Develoment
Center)

 देि के 100 जजलों में अल्पसंख्यक कायण मंत्रालय के तहत गरीब नवाज कौिल जवकास के न्द्रों की
स्थापना की जाएगी।

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 इन के न्द्रों के द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के युवाओं के जलए प्रभावी रोजगार उन्मुख कौिल जवकास
को सुजनजित ककया जायेगा।
 मोबाइल एवं लैपटॉप ररपेयररग, सुरक्षा गाडण प्रजिक्षण, हाउस कीबपग िेबनग जैसे क्षेत्रों में
अल्पावजध (2 से 6 माह) के पाठ्यिमों की व्यवस्था होगी।
अल्पसंख्यकों के जलए अन्य कौिल जवकास योजनाएं: (Other skill development schemes for
the minorities)
 सीखो और कमाओ
 उस्ताद (पारं पररक कलाओं/जिल्पों के जवकास हेतु कौिल जवकास एवं प्रजिक्षण योजना-
Upgrading the Skills and Training in Traditional Arts/ Crafts for
Development:USTTAD)
 नई मंजजल
 मौलाना आजाद नेिनल एके डमी फॉर जस्कल्स (MANAS)

3.3.15. मानव पूं जी में पररवतण न लाने के जलए सतत कारण वाई

(Sustainable Action for Transforming Human Capital: SATH)


नीजत आयोग द्वारा ''साथ'' कायणिम को लांच ककया गया है, यह एक ऐसा कायणिम है जो राज्य सरकारों
के साथ 'मानव पूज
ं ी में पररवतणन लाने के जलए सतत कारण वाई' प्रावधान करता है।
कायणिम के बारे में (About the programme)

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 कायणिम का दृजिकोण जिक्षा और स्वास््य के क्षेत्रों में रूपांतरण की िुरुआत करना है।

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 यह कायणिम कई राज्यों द्वारा व्यि की गई नीजत आयोग से तकनीकी सहायता की आवश्यकता का

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समाधान करता है। 9@
 ‘‘साथ’’ का लक्ष्य स्वास््य प्रणाजलयों के जलए तीन भावी ‘रोल मॉडल’ राज्यों का चयन करना और
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उनका जनमाणण करना है।


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 अंजतम लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु नीजत आयोग राज्य मिीनरी के साथ सहयोग करते हए हस्तक्षेप
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का एक सुदढ़ृ रोडमैप तैयार करे गा, कायणिम कायाणन्वयन का ढांचा जवकजसत करे गा तथा जनगरानी
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एवं जनरीक्षण तंत्र की स्थापना करे गा, जनष्पादन चरण से लेकर राज्यों की संस्थाओं तथा जवजभन्न
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संस्थागत उपायों के माध्यम से जवजभन्न प्रकार की सहायता करे गा।


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 यह कायणिम मैककसे एंड कं पनी और IEP ग्लोबल कं सोर्टटयम के साथ नीजत आयोग द्वारा
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कायाणजन्वत ककया जाएगा, जजनका चयन प्रजतस्पधी बोली प्रकिया के माध्यम से ककया गया था।
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3.4. कु छ क्षे त्रों में मानव सं साधन हे तु जवजिि हस्तक्षे पों की आवश्यकता
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(Specific Interventions Needed For Human Resource in Some Sectors)


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3.4.1. रचनात्मक एवं सां स्कृ जतक क्षे त्र (Creative and Cultural Sectors)
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 इस क्षेत्र में कु िल श्रम बल के जनमाणण द्वारा रोजगार सृजन, सांस्कृ जतक प्रथाओं एवं जवरासतों के
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संरक्षण तथा परमपरागत कौिलों से युि कारीगरों हेतु आजीजवका सृजन में योगदान प्राप्त होगा।
 समान लक्ष्य की प्राजप्त हेतु एक समर्थपत क्षेत्र कौिल पररषद (SSC) की स्थपाना द्वारा सांस्कृ जतक
क्षेत्र में कौिल जवकास को प्रोत्साहन कदया जाना चाजहए।
 यह क्षेत्र कौिल पररषद (SSC) पुरातत्व, अजभलेखीय अध्ययन, संरक्षण, संग्रहालय जवज्ञान
(Museology) और जनष्पादन कलाओं तथा अन्य क्षेत्रों में कौिल जवकास को िाजमल करे गा।
 संबंजधत कौिलों को व्यावसाजयक रूप से व्यवहायण बनाने के उद्देश्य से कौिल जवकास कायणिमों को
भी जवकजसत ककया जाना चाजहए।

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 तृतीयक संस्थानों (महाजवद्यालयों या जवश्वजवद्यालयों) तथा प्रमाणन कायणिमों में रचनात्मक
उद्योगों हेतु पाठ्यिम जवकजसत करके परमपरागत ज्ञान प्रणाजलयों को भी सुदढ़ृ ककया जाना
चाजहए।
 इसके अजतररि हस्तजिल्प एवं कालीन क्षेत्र कौिल पररषद (Handicrafts and Carpet
Sector Skills Council) के माध्यम से कौिल प्रदान करने हेतु हस्तजिल्प तथा बुनाई में दक्ष
चयजनत युवाओं को प्रजतजित संस्थाओं जैसे कक नेिनल इं स्टीट्यूट ऑफ जडजाइन या नेिनल
इं स्टीट्यूट ऑफ फै िन टेिोलॉजी में उनके कौिल को और अजधक जवकजसत करने हेतु सरकारी
सहायता प्रदान की जानी चाजहए।
 यह इन युवा कारीगरों को समकालीन जडज़ाइन बोध के साथ परमपरागत हस्तजिल्प प्रथाओं को
एकरूप करने हेतु आवश्यक कौिल प्रदान करे गा।
3.4.2. रत्न और आभू ष ण क्षे त्र (Gems and Jewellery Sector)

इस क्षेत्र हेतु कौिल प्रजिक्षण में ककए जाने वाले जनवेि में वृजद्ध करने की आश्यकता है। इस क्षेत्र में उच्च
उत्पादकता सुजनजित करने हेतु हमें यह सुजनजित करना होगा कक इस क्षेत्र के श्रजमकों के जलए पयाणप्त
कौिल प्रजिक्षण सुजवधाएं उपलधध हों। वतणमान में इस क्षेत्र में प्रयुि होने वाले कच्चे माल तथा मिीनरी
की लागत अत्यजधक है। इस प्रकार, एक प्रजिक्षण संस्थान की स्थापना पर उच्च लागत आती है।
 सह-जवत्त प्रजिक्षण कें द्र- इस उद्योग में प्रजिक्षण संस्थाओं की स्थापना तथा एक मांग-आधाररत
पाठ्यिम के जवकास के जलए सह-जवत्त हेतु राष्ट्रीय कौिल जवकास जनगम (NSDC) को जविाल
फमों के साथ भागीदारी करनी चाजहए।
 क्षेत्र में एक प्रजिक्षक कोसण की स्थापना- मौजूदा प्रजिक्षण कें द्र कु िल प्रजिक्षकों के अभाव का

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सामना कर रहे हैं। NSDC को क्षेत्र में प्रजिक्षकों के प्रजिक्षण हेतु एक कोसण स्थाजपत करना

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चाजहए।

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 अन्य िीषण जनयाणतकों में उद्योग जविेषज्ञों और संगिनों के साथ आदान-प्रदान को सुजवधाजनक 9@
बनाना क्योंकक यह अग्रणी वैजश्वक प्रथाओं तथा प्रौद्योजगककयों के समपकण में आने की अनुमजत प्रदान
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करे गा।
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 क्षेत्र में ररकजग्निन ऑफ प्रायर लनिंगनग (Recognition of Prior Learning RPL) को तीव्रता से
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अपनाना जो कारीगरों को उपयुि अवसर प्रदान करने में सहायता करे गी।
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3.4.3. पयण ट न (Tourism)


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पयणटन में देि के एक प्रमुख आर्थथक बल के रूप में उभरने की क्षमता जवद्यमान है। यह अनुमान लगाया
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गया है कक रोजगार सृजन में जनमाणण क्षेत्र के पिात् पयणटन का ही स्थान है। प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय
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कौिल जवकास पररषद ने एक पररकल्पना व्यि की है कक पयणटन क्षेत्र में वषण 2022 तक पांच जमजलयन
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कु िल व्यजि िाजमल होंगे।


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पयणटन मंत्रालय ने प्रजिजक्षत श्रमबल अन्तराल की समस्या के समाधान हेतु एक छह-आयामी दृजिकोण
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सूत्रबद्ध ककया है। दृजिकोण में जनम्नजलजखत िाजमल हैं:


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 नए होटल प्रबंधन संस्थानों (IHMs) तथा खाद्य कौिल संस्थानों (FCIs) की स्थापना;
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 मौजूदा के न्द्रीय IHMs की अवसंरचना को सुदढ़ृ तथा उन्नयन करना;


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 हॉजस्पटैजलटी संबंधी जिक्षा/प्रजिक्षण का व्यापक आधार;


 हनर से रोजगार के तहत लघु अवजध के कौिल जवकास प्रजिक्षण कायणिम तथा
 जवद्यमान सेवा प्रदाताओं का कौिल प्रजिक्षण तथा प्रमाणन।
सेवा प्रदाताओं हेतु क्षमता जनमाणण योजना: कियान्वयन
(Skill formation scheme for service providers: implementation)
 हनर से रोजगार(Hunar Se Rozgar): इस कायणिम की िुरुआत जनयोजनीय कौिलों हेतु
अगस्त 2009 में की गई थी। यह कायणिम खाद्य एवं पेय पदाथण सेवा, खाद्य उत्पादन, बेकरी तथा
हाउस कीबपग जैसे लघु समयावजध के (6-8 सप्ताह) गुणवत्तापूणण प्रजिक्षण कोसेज प्रस्तुत करता है।

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 सर्टटफाइड हॉजस्पटैजलटी िेनसण प्रोग्राम(Certified Hospitality Trainers Programme): यह
कायणिम आजत्य जिक्षा हेतु जवजिि जिक्षकों की कमी की पूर्थत के जलए एक उपाय के रूप में
आरमभ ककया गया था।
 अनण ह्वाइल यू लनण प्रोग्राम(Earn While You Learn Programme): पयणटन मंत्रालय के इस
कायणिम के तहत भारतीय पयणटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान (Indian Institute of Tourism
and Travel Management) कॉलेज जाने वाले जवद्यार्थथयों हेतु 21 कदनों की अवजध का
प्रजिक्षण कायणिम संचाजलत करता है। प्रजिक्षण का मौजलक उद्देश्य देि में पयणटन हेतु युवाओं को
संवेदनिील बनाना तथा पयणटन से संबंजधत कायों के संचालन के जलए कौिल भी प्रदान करना है।
 टैक्सी/ऑटो ररक्िा चालकों का प्रजिक्षण(Training of Taxi/Auto Rickshaw Drivers):
वतणमान में ये प्रजिक्षण, हररयाणा लोक प्रिासन संस्थान (HIPA), उत्तर प्रदेि तथा मध्य प्रदेि
सरकारों द्वारा संचाजलत ककए जाते हैं। प्रत्येक प्रजिक्षण कोसण चार कदनों तक चलता है। प्रजिक्षण
का उद्देश्य न के वल चालकों एवं अन्यों के जििाचार और दृजिकोण में सुधार लाना बजल्क संचार,
प्राथजमक उपचार तथा योग में कौिल भी प्रदान करना है।
अनुिस
ं ाएं (Recommendation)
 जिक्षकों के प्रजिक्षण को समर्थपत संस्थानों की स्थापना।
 कु छ होटल प्रबंधन संस्थानों को जिक्षक प्रजिक्षण संस्थानों के रूप में पदनाजमत करना।
 ग्रामीण क्षेत्रों में प्रजिक्षण संस्थानों की स्थापना।
3.4.4. चमडा उद्योग (Leather Industry)

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 फु टजवयर जडज़ाइन एंड डेवलपमेंट इं जस्टट्यूट (FDDI) के माध्यम से चमडा जवकास कायणिम के

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तहत प्राथजमक कौिल जवकास प्रजिक्षण प्रदान ककया जा चुका है।

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 राष्ट्रीय कौिल जवकास जनगम तथा प्रधानमंत्री कौिल जवकास योजना (PMKVY) की राष्ट्रीय
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कौिल प्रमाणन नीजत तथा नकद पुरस्कार योजना के तहत चमडा और फु टजवयर उद्योग में जवजभन्न
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रोजगार भूजमकाओं हेतु प्रजिक्षण।


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3.5. आगे की राह (Way Forward)


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 जनधाणररत अवसंरचना के प्रयोग सजहत कौिल/हस्तकौिल प्रदान करने हेतु ऑनलाइन लनिंगनग
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प्रणाली का उपयोग ककया जा सकता है। कौिल जवकास पर ई-सामग्री हेतु एक ओपन प्लेटफॉमण
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सृजजत करना चाजहए, जहााँ सामग्री िाउडसोसण हो सकती है।


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 अवसंरचना तथा पररवहन संबध ं ी बाधाओं के समाधान हेतु जस्कल्स ऑन व्हील जैसी पहलों का
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उपयोग ककया जा सकता है। ब्ाज़ील में संचाजलत जस्कल िक्स उत्कृ ि उदाहरण प्रस्तुत करते हैं जो
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देि के ग्रामीण तथा सुदरू क्षेत्रों को कौिल प्रजिक्षण प्रदान करते हैं।
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 ऊध्वाणधर गजतिीलता (Vertical Mobility): व्यावसाजयक जिक्षा में सर्टटकफके ट से जडप्लोमा


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तत्पिात जडग्री कोसेज तक एक ऊध्वाणधर गजतिीलता का जनमाणण करना। जवद्यालय स्तर से सीधे
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स्नातकोत्तर स्तर का जवकल्प उपलधध करवाना।


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जविेषीकृ त जडग्री कायणिम प्रारमभ करने हेतु कौिल जवकास जवश्वजवद्यालय की स्थापना करना जो
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उन्नत कौिल प्रदान करे गा।


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 पार्थश्वक गजतिीलता(Lateral Mobility): जविेष रूप से बारहवीं कक्षा स्तर पर व्यवसाजयक कोसण
के जवद्यार्थथयों को समानता प्रदान करते हए पार्थश्वक गजतिीलता उपलधध करवाना ताकक वे
स्नातक कायणिम में प्रवेि ले सकें ।
 उद्योग की भूजमका(Role of Industry): व्यावसाजयक प्रजिक्षण के सभी पहलुओं में उद्योग की
भूजमका में वृजद्ध करना- प्रजिक्षण एवं िासन हेतु नवीनतम साधन उपलधध करवाना, उद्योगों से
प्रजिक्षक उपलधध करवाना तथा प्रत्येक स्तर पर गुणवत्ता सुजनजित करने हेतु मूल्यांकन करना।
 उद्योगों को भती करते समय तथा कररयर उन्नयन हेतु औपचाररक व्यावसाजयक प्रजिक्षण तथा
प्रमाणन पर बल देना चाजहए।

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 व्यावसाजयक कोसेज उपलधध करवाने वाली जवजभन्न एजेंजसयों में मानक पाठ्यिम तथा आकलन
सृजजत करना।
 व्यावसाजयक जिक्षकों या प्रजिक्षकों हेतु औपचाररक प्रजिक्षण कायणिम ताकक वे इस अध्यापन को
समझ सकें ।
 उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यिम जवकजसत करने, कौिल प्रजिक्षण हेतु अवसंरचना
जनमाणण, पाठ्यिम जवकास के सभी पहलुओं में उद्योग को िाजमल करने, प्रजिक्षण आपूर्थत, जवद्याथी
मूल्यांकन तथा जवद्यार्थथयों द्वारा कौिल एवं उसी समय जडग्री प्राप्त करने हेतु मॉडल का जनमाणण
करके वतणमान जिक्षा प्रणाली का व्यावसायीकरण करना आवश्यक है।
 रोजगार अवसर(Job Opportunities): बेरोजगारी की समस्या के समाधान हेतु के वल कौिल
जवकास पयाणप्त नहीं है। इन कौिलों के जलए रोजगार अवसरों की उपलधधता भी आवश्यक है।
 ग्रामीण भारत(Rural India): यह देखते हए कक भारत में जनसंख्या का लगभग 69% ग्रामीण
क्षेत्रों में जनवास करता है, उनका कृ जष एवं संबंजधत गजतजवजधयों में उत्पाद, जवत्त और श्रम बाजार
के साथ उपयुि समपकों सजहत कौिल जवकास करना आवश्यक है। यह मजहला सहभाजगता में वृजद्ध
तथा ग्रामीण से नगरीय क्षेत्रों में संकट प्रवास को प्रजतबंजधत करने में सहायता प्रदान करे गा।
 दुगम
ण क्षेत्रों में लजक्षत हस्तक्षेप(Targeted intervention in Difficult Areas): उडान
(UDAAN), जहमायत (HIMAYAT) इत्याकद जैसे लजक्षत हस्तक्षेपों को प्रवर्थधत करने की
आवश्यकता है जो वामपंथ उग्रवाद (LWE) से प्रभाजवत क्षेत्रों, पहाडी क्षेत्रों तथा आतंकवाद से

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प्रभाजवत क्षेत्रों में पहंच एवं प्रवेि में सुधार करे गा।

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4. जवगत वषों में Vision IAS GS में स टे स्ट सीरीज में पू छे
गए प्रश्न
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions)

1. कमजोर जिक्षक जिक्षा प्रणाली, स्कू ली जिक्षा के क्षेत्र में भारत की समस्याओं के मूल में है।
मूल्यांकन कीजजए। इस संदभण में, भारत के सवोच्च न्यायालय द्वारा जिक्षक जिक्षा पर गरित
उच्च-स्तरीय आयोग की अनुिस
ं ाओं को भी सूचीबद्ध कीजजए।
दृजिकोण:
 स्कू ली जिक्षा की योजना में जिक्षक जिक्षा के महत्व को समझाइए।
 भारत के वतणमान पररदृश्य में इसकी कजमयों का मूल्यांकन कीजजए।
 जिक्षक जिक्षा पर वमाण आयोग की अनुिंसाओं को सूचीबद्ध कीजजए।
उत्तर:
जिक्षक जिक्षा या जिक्षक प्रजिक्षण से आिय जिक्षकों के व्यवसाजयक जवकास से है। इसके तहत
जिक्षकों के ज्ञान, अजभवृजत्त, जविेषज्ञता एवं कु िलता में वृजद्ध करना और उनके प्रदिणन में
सुधार करना सजममजलत है। अतिः यह स्वाभाजवक है कक स्कू ली जिक्षा की गुणवत्ता प्रत्यक्ष रूप
से जिक्षक जिक्षा की गुणवत्ता पर जनभणर करती है।
इस समस्या से जनपटने हेतु, भारत में जिक्षक जिक्षा प्रणाली को जवजनयजमत करने के जलए

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1993 में एक सांजवजधक जनकाय अथाणत राष्िीय जिक्षक जिक्षा पररषद (National Council

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for Teacher Education:NCTE) की स्थापना की गई थी। NCTE के गिन के पिात् s 9@
जिक्षक जिक्षा संस्थानों (Teacher Education Institutes:TEIs) की संख्या में अत्यजधक
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वृजद्ध हई। NCTE द्वारा जिक्षक जिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यिम प्रारूप भी तैयार ककया गया
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परन्तु जिक्षक जिक्षा की गुणवत्ता में अजधक सुधार नहीं हआ।


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जिक्षक जिक्षा प्रणाली की कजमयााँ


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 जिक्षकों की गुणवत्ता के बजाय उनकी संख्या पर अजधक ध्यान कें कद्रत ककया जाता है।
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 NCTE द्वारा TEIs को लाइसेंस प्रदान करने में भ्रिाचार ककया जाता है, जजसके
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पररणामस्वरूप इन संस्थानों के जनष्पादन की गुणवत्ता में जगरावट आई है।


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प्रजिक्षण अवसंरचना का अभाव तथा मौज़ूदा अवसंरचना में जनजी क्षेत्र के लगभग 90%
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जिक्षक प्रजिक्षण संस्थानों में प्रजिक्षण का स्तर जनमन है।


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कमजोर और भ्रि जिक्षक जिक्षा प्रणाली, भारत की स्कू ली जिक्षा की समस्याओं के कें द्र में है।
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जिक्षा प्रणाली पर प्रभाव


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 ASER की िमागत ररपोटों के अनुसार हमारे स्कू लों में सीखने के पररणामों की दर में
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जगरावट आई है। इसके साथ ही, अंतराणष्ट्रीय जवद्याथी मूल्यांकन कायणिम में भारत का
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दजाण लगभग जनमनतम था।


 प्रजिजक्षत पेिव
े रों की संख्या में कमी: देि में लगभग 6.6 लाख ऐसे जिक्षक हैं जजन्हें
प्रजिक्षण की आवश्यकता है। यह कमी जिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु जनधाणररत छात्र-
जिक्षक अनुपात को भी प्रभाजवत करती है।
 नई प्रौद्योजगकी या पद्धजत अपनाने का प्रजतरोध: यह प्रजतरोध सतत व्यापक मूल्यांकन की
जवफलता के साथ-साथ जिक्षण प्रकिया में ICT का उपयोग करने वाली नई
प्रौद्योजगककयों को अपनाने की कमी से स्पि होता है।

58 www.visionias.in ©Vision IAS


 जिक्षा प्रणाली के समक्ष उभरती स्वचालन आकद जैसी चुनौजतयों के कारण भजवष्य में दक्ष
कमणचाररयों का जनमाणण करना करिन हो जायेगा क्योंकक िजमक संयोजन (असेंबली
लाइन) जैसी नौकररयों की मांग में कमी हो जाएगी।
 जनम्नस्तरीय िोध पररणाम: ऐसा इसजलए क्योंकक ऐसे जिक्षक िोधकताणओं के साथ
सहयोग नहीं करते हैं।
इसी संदभण में सवोच्च न्यायालय (SC) ने 2011 में जिक्षक जिक्षा प्रणाली की समीक्षा करने के
जलए न्यायमूर्थत J.S. वमाण के नेतत्त्ृ व में एक उच्च-स्तरीय आयोग का गिन ककया था।
आयोग की अनुिस ं ाएाँ
 जिक्षक जिक्षा प्रणाली में सावणजजनक जनवेि में वृजद्ध करना।
 सेवा पूवण जिक्षक जिक्षा कायणिमों के जलए उममीदवारों के प्रवेि पूवण परीक्षण की पारदिी
प्रकिया।
 नए TEIs की स्थापना बह-अनुिासजनक िैक्षजणक पररवेि में की जानी चाजहए।
 जवजभन्न महत्वपूणण जवषयों की आवश्यक जरटलता और गहनता को प्रस्तुत करने हेतु
जिक्षक जिक्षा को उच्च जिक्षा का भाग बनाना।
 जिक्षक प्रजिक्षण कायणिम को अजधक प्रासंजगक बनाने हेतु इसे राष्ट्रीय पाठ्यिम प्रारूप
2009 के अनुरूप बनाया जाना चाजहए।
 जिक्षक प्रजिक्षण कायणिमों के जनरं तर जवश्लेषण और सुधार के जलए राष्ट्रीय स्तर पर
जविेषज्ञता प्राप्त अकादजमक जनकाय की स्थापना की जाए।
 मौज़ूदा अवसंरचना को मजबूत बनाकर और जिक्षकों के जलए आवजधक सेवारत प्रजिक्षण

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को अजनवायण बनाकर सेवारत जिक्षक जिक्षा पर भी ध्यान कें कद्रत ककया जाना चाजहए।

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NCTE के कामकाज में सुधार हेतु जवाबदेही में वृजद्ध, अध्यक्ष के कायणकाल में बढ़ोत्तरी

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और NCTE के सदस्यों की जनयुजि प्रकिया में सुधार जैसे उपाय ककये जाने चाजहए।
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कें द्र सरकार द्वारा आयोग की अनुिंसाओं को स्वीकार कर जलया गया हैI इसमें जिक्षक जिक्षा
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(TE) प्रणाली में मौजलक पररवतणन को िाजमल ककया गया है। हालांकक, अपयाणप्त जवत्तीय और
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मानव संसाधनों के साथ-साथ अजधकांि जनजष्िय TEIs पर महत्वपूणण राजनीजतक िजि वाले
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लोगों का स्वाजमत्व होने के कारण पररवतणन जिजथल गजत से हो रहा है। इस प्रकार, इन
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अनुिस
ं ाओं के त्वररत कायाणन्वयन के जलए इन अवरोधों को दूर ककए जाने की आवश्यकता है।
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2. भारत में स्वास््य सेवाओं तक पहंच के संबध


ं में स्थाजनक और आर्थथक दोनों असमानताएं
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जवद्यमान हैं। सजवस्तार वणणन कीजजए। नई स्वास््य नीजत कै से इन स्वास््य समस्याओं का


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समाधान करने का प्रयास करती है?


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दृजिकोण:
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स्थाजनक और आर्थथक असमानताओं पर जविेष रूप से ध्यान के जन्द्रत करते हए भारत में
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स्वास््य सेवा क्षेत्र के समक्ष आने वाली समस्याओं को रे खांककत कीजजए।


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 भारत में स्वास््य सेवाओं तक पहाँच के समबन्ध में पयाणप्त आंकडों और उदाहरणों सजहत
स्थाजनक और आर्थथक असमानताओं का उल्लेख कीजजए।
 नई स्वास््य नीजत के प्रावधानों का उल्लेख कीजजए और स्पि कीजजए कक यह कै से इन
समस्याओं का समाधान है। िधद सीमा का ध्यान रखते हए के वल प्रासंजगक प्रावधानों का
उल्लेख कीजजए।
उत्तर:
घरे लू नीजत एवं सतत जवकास लक्ष्य (SDG लक्ष्य 3) हेतु भारत स्वास््य देखभाल सुजनजित
करने का प्रयास करता है।

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हालांकक, धरातल पर स्वास््य देखभाल सेवाओं के क्षेत्र में जस्थजत जवपरीत (Inverse Care
Law) है I अथाणत जजन्हें इन सुजवधाओं की सवाणजधक आवश्यकता है वही वगण इन सुजवधाओं से
सवाणजधक वंजचत है जबकक जो वगण इन सुजवधाओं को जुटाने में सक्षम है या जजन्हें इनकी कम
आवश्यकता है उन्हें ही ये सवोत्तम रूप में उपलधध हैंI भारत में जनसाँख्या के एक बडे भाग की
स्थाजनक और आर्थथक जवषमताओं के कारण स्वास््य सेवाओं तक उनकी पहाँच भी अपयाणप्त है।
 जवकजसत तथा जपछडे क्षेत्रों एवं राज्यों के बीच स्वास््य सुजवधाओं में व्यापक असमानता:
o इसका स्पि उदाहरण के रल और उत्तरप्रदेि के बीच स्वास््य सेवाओं में असमानता
है। के रल में जनसाँख्या तथा सरकारी अस्पताल के बेड का अनुपात 1300:1 है, वहीं
जबहार में यह 28000 के आसपास है।
 मांग और आपूर्थत की असमानता: KPMG के अनुसार भारत में जचककत्सकों की संख्या
वैजश्वक औसत से मेल खाती है,
o परन्तु 74 प्रजतित जचककत्सक एक जतहाई जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्थत
करते हैं।
o ग्रामीण सामुदाजयक स्वास््य के न्द्रों (CHC) में जविेषज्ञों की संख्या आवश्यकता से
81 प्रजतित कम है।
 स्वास््य पररणामों में जवद्यमान आर्थथक और स्थाजनक असमानता:
जनसंख्या के जनधणनतम 20% में जििु मृत्यु दर, जनसंख्या के सवाणजधक समृद्ध 20%

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भाग की तुलना में 2.5 गुना अजधक है।

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o मातृ मृत्यु दर (MMR) में क्षेत्रीय असमानताएाँ। असम, उत्तरप्रदेि, ओजडिा, 9@
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मध्यप्रदेि और जबहार राष्ट्रीय औसत से पीछे हैं।


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 स्वास््य सेवाओं के क्षेत्र में कम होता सावणजजनक व्यय और जनजी क्षेत्र पर बढती
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जनभणरता:
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o आर्थथक सवेक्षण, 2016-17 के अनुसार, भारत में स्वास््य सेवा पर वैजश्वक औसत
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5.99% की तुलना में GDP का के वल 1.4% व्यय ककया जाता है।


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 लगभग 60% भती रोगी (inpatient) और 70% बजहरं ग रोगी (outpatient) उपचार,
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जनजी क्षेत्र द्वारा प्रदान ककया जाता है। इससे जनम्न एवं मध्यम आय समूहों पर जवत्तीय
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बोझ बढ़ जाता है, क्योंकक जनजी क्षेत्र द्वारा वसूली जाने वाली रकम अजवजनयजमत होती
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है।
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 कम बीमा जनवेि: राष्ट्रीय स्वास््य प्रोफाइल, 2015 के अनुसार भारत की जनसंख्या के


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पांचवे भाग से भी कम स्वास््य बीमा के दायरे के तहत आता है। इससे आउट ऑफ पॉके ट
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व्यय में वृजद्ध होती है, जो कु ल स्वास््य व्यय का 60% है तथा जवश्व में सवाणजधक है।
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 जनवारक देखभाल के उपयोग में असमानताएाँ: राष्ट्रीय पररवार स्वास््य सवेक्षणों का


डाटा स्पि रूप से स्वास््य जस्थजत के समबन्ध में जातीय जवभेदों को उजागर करता है।
उदाहरण के जलए अनुसूजचत जाजतयों और अनुसूजचत जनजाजतयों के बीच गभण जनरोधक
उपायों के उपयोग का स्तर उच्च जाजतयों की तुलना में बहत ही कम है।
नई राष्ट्रीय स्वास््य नीजत, 2017 का उद्देश्य स्वास््य देखभाल असमानताओं और अस्पिताओं
से जनपटने हेतु सावणभौजमक स्वास््य कवरे ज को प्राप्त करना तथा सभी को वहनीय कीमत पर
गुणवत्तापूणण स्वास््य देखभाल सेवाएं प्रदान करना है। इसके जनम्नजलजखत प्रावधान हैं:

60 www.visionias.in ©Vision IAS


 यह इमें सावणजजनक स्वास््य व्यय को समयबद्ध तरीके से GDP के 2.5% तक बढ़ाने का
प्रस्ताव प्रस्तुत करता है।
 इसका उद्देश्य जनजी क्षेत्र के साथ रणनीजतक भागीदारी द्वारा समस्त समस्याओं का
समाधान करना है। यह देखभाल की गुणवत्ता में वृजद्ध का भी प्रयास करती है।
 उभरती हई बीमाररयों पर ध्यान के जन्द्रत करना तथा जनवारक एवं प्रोत्साहक स्वास््य
देखभाल में जनवेि करना।
 इसका उद्देश्य दवाओं और उपकरणों के क्षेत्र में मेक-इन-इजण्डया की अवधारणा का
प्रयोग करना है, जजससे लागत में कमी आएगी।
 यह स्वास््य देखभाल की कमी वाले क्षेत्रों में अंतराल को समाप्त करने हेतु अल्पकाजलक
उपायों के रूप में माध्यजमक और तृतीयक देखभाल सेवाओं की रणनीजतक खरीद
(स्िेटेजजक परचेज़) की सुजवधा का प्रावधान करती है।
 माध्यजमक और तृतीयक देखभाल स्तरों तक पहंच और जवत्तीय सुरक्षा प्रदान करने के
जलए; यह नीजत सभी सावणजजनक अस्पतालों में जनिःिुल्क दवा, जनिःिुल्क जनदान और
जनिःिुल्क आपातकालीन सेवाओं का प्रस्ताव करती है।
 यह नीजत 2020 तक स्वास््य जनगरानी प्रणाली को सिि बनाने तथा सावणजजनक
स्वास््य के दृजिकोण से महत्वपूणण रोगों के जलए एक रजजस्िी स्थाजपत करने का प्रयास
करती हैI रजजस्िी एक ऐसा साधन है जजसके माध्यम से स्वा्य देखभाल प्रणाली से
संबंजधत प्रयासों और पररणामों की जनयजमत रूप से जनगरानी की जा सकती हैI
 ग्रामीण और अपयाणप्त स्वास््य सेवाओं वाले (under-served) क्षेत्रों में यह स्वैजच्छक

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सेवाओं का समथणन करती है।

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जैसा कक नीजत के दस्तावेज में स्वयं ही कहा गया है कक नीजत की श्रेिता उसके कियान्वयन पर

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जनभणर करती है। अतिः राष्ट्रीय स्वास््य नीजत यह पररकल्पना करती है कक इन नीजतगत 9@
प्रजतबद्धताओं को पूरा करने के जलए एक कायाणन्वयन रूपरे खा का जनमाणण ककया जाए।
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कायाणन्वयन की यह रुपरे खा नीजत के लक्ष्यों को प्राप्त करने के जलए स्पि लक्ष्य तथा पररणाम
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जनधाणररत करे गी।


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3. यद्यजप ‘जिक्षा का अजधकार’ इस जवचार पर आधाररत है कक प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूणण


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जिक्षा प्राप्त करने का समान अजधकार होना चाजहए, इसके बावजूद यह जवजभन्न मोचों पर
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चुनौजतयों का सामना कर रहा है। रटप्पणी कीजजए। क्या जिक्षा का जनजीकरण कर देने से
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सामना की जा रही समस्याएं हल हो सकती हैं?


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दृजिकोण:
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 उत्तर के आरमभ में “जिक्षा के अजधकार” अजधजनयम का संजक्षप्त में उल्लेख कीजजए। जिक्षा की
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गुणवत्ता, मूलभूत सुजवधाओं का अभाव जैसे मुद्दों का प्रमुखता से उल्लेख कीजजए।


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 उत्तर के मुख्य भाग में जवस्तारपूवक


ण प्रश्नगत जवषय का जवस्तृत जवश्लेषण कीजजए और अध्ययनों
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या ररपोटों की सहायता से महत्वपूणण त्यों को स्थाजपत कीजजए। संबंजधत सन्दभण में इन मुद्दों
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के महत्व पर प्रकाि डाजलए। इन त्यों की सहायता से उपयुणि कथन पर एक जनष्पक्ष और


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तकण संगत जनणणय प्रदान कीजजए।


 उत्तर के अंजतम भाग में, जिक्षा के जनजीकरण के पक्ष और जवपक्ष का उल्लेख कीजजए। अपने
जनष्कषण के समथणन में अन्य देिों का उदाहरण प्रस्तुत कीजजए।
उत्तर:
 जनिःिुल्क और अजनवायण जिक्षा का अजधकार अजधजनयम, 2009, संजवधान के अनुच्छेद 21A
के जलए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है। परन्तु कु छ महत्वपूणण चुनौजतयााँ इसकी प्रगजत को
बाजधत करती है। वे चुनौजतयााँ जनम्नजलजखत हैं -

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o जनचले स्तरों पर प्राथजमक जवद्यालय चरण में बच्चों को जपछली कक्षा में न रोकने संबंधी
नीजत के कायाणन्वयन और जनरं तर व व्यापक मूल्यांकन के बारे में स्पिता का अभाव है।
यह भी धारणा है कक यह जिक्षा (अजधगम) को हतोत्साजहत करता है। सुब्मण्यम सजमजत
ने इसे बदलने के पक्ष में अनुिंसा की है।
o जिक्षकों का प्रजिक्षण अपयाणप्त रह जाता है तथा ये RTE के अजधदेि को इसके उद्देश्यों
को भली-भांजत समझे जबना कायाणजन्वत करते हैं।
o RTE के तहत अजनवायण छात्र-जिक्षक अनुपात 30:1 है, लेककन वास्तजवक संख्या बहत
अजधक है।
o RTE के जनयमों के अंतगणत न्यूनतम अवसंरचना आवश्यकताओं को पूरा नहीं ककया गया
है।
o इस अजधजनयम में गैर-सहायता प्राप्त जनजी जवद्यालयों में भती करने के जलए 25% गरीब
बच्चों के चयन के जलए उपयोग की जाने वाली पद्धजत का प्रावधान नहीं ककया गया है।
 जनजीकरण की जस्थजत:
o नीजतगत असफलताओं और जवत्त की कमी के कारण सावणजजनक जिक्षा की मांग में वृजद्ध
के अनुरूप सावणजजनक जिक्षा की आपूर्थत में वृजद्ध नहीं हई है।
o प्रजतस्पधाण से गुणवत्ता में सुधार होगा।
o संख्या में वृजद्ध और भौगोजलक जवस्तार से पहंच में सुधार होगा।
o बाजार द्वारा जनधाणररत वेतन के कारण, जनजी जवद्यालयों के संचालन हेतु आवश्यक
लागत में कमी आएगी।

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 जनम्नजलजखत जवचारों की दृजि से, जनजीकरण का समथणन नहीं ककया जा सकता है:

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o जनजी जिक्षा में गुणवत्ता और पहाँच संबंधी समस्याएाँ मौज़ूद हैं।

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o इस बात का समथणन करने के जलए पयाणप्त साक्ष्य उपलधध नहीं हैं कक भारत में जनजी 9@
जवद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे सरकारी जवद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों से बेहतर प्रदिणन
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करते हैं।
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o जनजी जवद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों के जनचली जाजत समूहों से होने की संभावना कम
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होती है।
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o इस बात के समथणन में कोई िोस साक्ष्य नहीं है कक जनजी जवद्यालयों को चलाने की लागत
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बहत कम होती है।


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o कम लागत वाले जनजी जवद्यालयों में अवसंरचना प्रायिः अपयाणप्त होती है।
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सरकार को जिक्षकों और जिक्षा के मानकों की जनगरानी में सुधार कर और राज्य जवद्यालय


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व्यवस्था के जवत्तीय प्रबंधन को जवजनयजमत कर सरकारी जवद्यालय प्रणाली में जवद्यमान


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समस्याओं का समाधान करना चाजहए। सरकारी जवद्यालयों में 70% भारतीय जवद्याथी जिक्षा
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प्राप्त करते हैं। जनजी जवद्यालय, जिक्षा प्रदान करने में सहायता कर सकते हैं परन्तु सभी बच्चों
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को जनजी जवद्यालयों तक पहंच सुजनजित करना करिन होगा।


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4. हाल की WHO ररपोटण के अनुसार, जवश्व में सवाणजधक आत्महत्याएं भारत में होती हैं। इस
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संबध
ं में, भारत की नवीन राष्ट्रीय मानजसक स्वास््य नीजत के उद्देश्यों तथा दृजिकोणों का
उल्लेख करें । इसके अजतररि, मानजसक स्वास््य कायण योजना 365 के संबध
ं में जवस्तार से
बताएं।
दृजिकोण:
 भारत में आत्महत्या दर की पृिभूजम का संजक्षप्त वणणन कीजजए।
 राष्ट्रीय मानजसक स्वास््य नीजत के जनमाणण की आवश्यकता और इसके उद्देश्यों को स्पि
कीजजए।
 मानजसक स्वास््य कायण योजना 365 की व्याख्या कीजजए।

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उत्तर:
जवश्व स्वास््य संगिन की हाजलया ररपोटण के अनुसार, 2012 में भारत में 258,075 लोगों ने
आत्महत्या की थी। इनमें से 158,098 पुरूष थे और 99,977 मजहलायें थीं। 15-29 वषण की
आयु वगण के युवाओं में आत्महत्या की दर सबसे ज्यादा थी।
आत्महत्या और मानजसक बीमारी का आपस में जनकट संबंध होता है। आत्महत्या अत्यजधक
अवसाद और बेबसी की जस्थजत का नतीजा होती है। यह जस्थजत दोषपूणण जवचार प्रकिया और
स्वयं को दोष देने की मानजसकता के कारण उत्पन्न होती है। साथ ही गरीबी, कजण, पुरानी
बीमारी, िारीररक जवकलांगता, व्यजिगत हाजन जैसी जीवन की महत्वपूणण घटनाओं में
असफलता भी ऐसी जस्थजत के उद्भव हेतु उत्तरदायी है। भारत की लगभग 20% जनसाँख्या
मानजसक बीमारी से ग्रस्त है जजससे आत्महत्या की प्रवृजत्त को बढ़ावा जमलता है।
मानजसक रूप से बीमार लोगों के जलए बनाए गए पहले के कानूनों (जैसे- भारतीय पागलपन
अजधजनयम 1912 और भारतीय पागलखाना अजधजनयम 1858) में मानव अजधकार के
जवजभन्न पहलुओं को नजरअंदाज कर कदया गया था। साथ ही इन कानूनों में आत्महत्या को
एक अपराध घोजषत ककया गया था।
इन कजमयों के आलोक में सरकार ने आत्महत्या को अपराध मुि कर कदया और संस्थागत
देखभाल के बाद मानजसक स्वास््य के जवस्तार हेतु एक व्यापक मानजसक स्वास््य नीजत
प्रस्ताजवत की।
इस नीजत के जनम्न उद्देश्य हैं:
 मानजसक स्वास््य देखभाल हेतु सावणभौजमक पहाँच का प्रावधान करना।
 व्यापक मानजसक स्वास््य सेवाओं (जनवारक सेवाओं सजहत) के उपयोग और पहाँच में

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वृजद्ध करना।

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 बेघर व्यजियों, दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों, िैजक्षक और सामाजजक रूप से

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वंजचत वगों के जलए मानजसक स्वास््य देखभाल की पहाँच बढ़ाना। 9@
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 मानजसक स्वास््य समस्याओं से जुडे जोजखम कारकों के प्रभाव और व्यापकता को कम
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करना।
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 आत्महत्या के जोजखम एवं घटनाओं तथा आत्महत्या के प्रयासों में कमी लाना।
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 मानजसक स्वास््य समस्याओं से पीजडत लोगों के अजधकारों का सममान और सुरक्षा


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सुजनजित करना।
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 मानजसक स्वास््य समस्याओं के साथ जुडे कलंक को कम करना।


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 मानजसक स्वास््य के जलए कु िल मानव संसाधनों का समान जवतरण और उपलधधता में


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वृजद्ध करना।
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यह नीजत "मानजसक स्वास््य कायण योजना 365" द्वारा समर्थथत है। यह कें द्र सरकार, राज्य
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सरकारों, स्थानीय जनकायों और नागररक समाज की जवजिि भूजमकाओं को स्पि रूप से


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जचजन्हत करती है।


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वतणमान में समाज के अमीर वगण की मानजसक स्वास््य सुजवधाओं तक आसान पहाँच है।
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इसजलए इस नीजत में गरीबों व वंजचतों के प्रजत अजधक ध्यान आकृ ि ककया गया है। पुनिः इसका
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उद्देश्य मानजसक स्वास््य के प्रजत समझ में वृजद्ध करने, मानजसक स्वास््य के क्षेत्र में सभी
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स्तरों पर नेतृत्व को मजबूत बनाने और मानव संसाधन जवकास द्वारा मानजसक स्वास््य
Th

देखभाल की सावणभौजमक पहाँच प्रदान करना है।

5. हाल के कदनों में, बढ़ते हए अनुबध


ं ीकरण, आउटसोनिंगसग और उद्योगों के अनौपचाररकीकरण के
मद्देनजर सामाजजक सुरक्षा के मुद्दे अपेक्षाकृ त महत्वपूणण हो गए हैं। इस संदभण में सामाजजक
सुरक्षा के लाभ को बढ़ाने हेतु सरकार द्वारा हाल में उिाए गए कदमों का परीक्षण कीजजए।
दृजिकोण:
उत्तर के आरमभ में सामाजजक सुरक्षा की संजक्षप्त व्याख्या कीजजए। कु छ त्यों और आंकडों का
प्रयोग करते हए, उल्लेजखत कायण की तात्काजलकता को प्रदर्थित कीजजए। तत्पिात संजक्षप्त में

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सरकार द्वारा आरमभ की गई योजनाओं का जवस्तृत जववरण दीजजये और उनके संभाजवत
लाभों का जवश्लेषण कीजजए। इसके बाद चुनौजतयााँ बताते हए कु छ उपायों का सुझाव दीजजये
जजन्हे अमल में लाना अत्यंत आवश्यक है।
उत्तर:
अनुबंधीकरण, आउटसोनिंगसग और उद्योगों के अनौपचाररकीकरण के कारण ऐसे कायणबल की
संख्या बढ़ रही है जजनके पास नौकरी की सुरक्षा और अन्य कमणचारी लाभों का अभाव है।
सामाजजक सुरक्षा की अवधारणा का उद्भव प्रत्येक व्यजि की सुभेद्यता और वंचना के जवरुद्ध
सुरक्षा सुजनजित करने की धारणा से हआ है। असंगरित क्षेत्र में 90% से अजधक श्रजमकों को
ककसी भी प्रकार की सुरक्षा प्राप्त नहीं है। भारत में वतणमान में के वल 11% जनसंख्या पेंिन
योजना में िाजमल है और के वल 20% का बीमा है। बढ़ते जचककत्सा व्यय की वजह से मजदूर,
जविेष रूप से असंगरित क्षेत्र के मजदूर, गरीबी के दुष्चि में फं स जाते हैं। सामाजजक सुरक्षा
लाभ सुजनजित करने की कदिा में सरकार द्वारा आरमभ की गई जनम्नजलजखत पहलें एक
सराहनीय कदम है:
योजना का योजना की जानकारी संभाजवत सामाजजक सुरक्षा लाभ
नाम

अटल पेंिन प्रजत माह 1,000 रूपये से 5,000 घरे लू कमणचारी और असंगरित मजदूरों की
योजना रूपये के बीच पेंिन। ओर से जनवेि ककया जा सकता है, जजनके
पात्रता: 18 से 40 के बीच की उम्र के पास काम करना बंद कर देने के बाद कोई

)
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देखरे ख के जलए ना हो।

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व्यजि जजन्हें 60 की उम्र होने तक

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योगदान करना होगा।

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प्रधानमंत्री
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12 रूपये प्रजत वषण के प्रीजमयम पर 2 वैसे तो यह सभी के जलए है, परन्तु जविेषत:
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सुरक्षा बीमा लाख रूपये का दुघणटनावि मृत्यु या


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यह योजना ड्राइवरों, सुरक्षा गाडण, अखबार


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योजना जवकलांगता का बीमा।


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जविे ताओं, सधजी जविे ताओं व अन्य उन


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लोगों के अनुकूल है जजन पर दुघणटनावि


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मृत्यु या जवकलांगता का जोजखम अजधक


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होता है।
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प्रधानमंत्री सुरक्षा अवजध बीमा कवर के तहत अजनवायण रूप से उन श्रजमकों के जलए जो
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जीवनज्योजत 330 रूपये प्रजत वषण के प्रीजमयम पर अपने पररवार में एकमात्र कमाने वाले
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बीमा योजना पॉजलसी धारक की मृत्यु की जस्थजत में सदस्य हैं।


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आजश्रतों को 2 लाख रुपये का


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भुगतान ककया जाता है।


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पात्रता: 18-70 वषण


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प्रधानमंत्री जन जबना ककसी न्यूनतम राजि के एक असंगरित क्षेत्र में कायणरत सभी लोग। उनमें
धन योजना बचत खाता। रूपये एटीएम-कम- बैंककग की आदत जवकजसत करने हेतु उनके
डेजबट काडण में िमि: 1 लाख रुपये व खातों में वेतन का प्रत्यक्ष हस्तांतरण ककया
30,000 रूपये का दुघणटना बीमा जा सकता है।
और जीवन बीमा िाजमल है।
पात्रता: आर्थथक रूप से कमजोर वगण
से संबंजधत कोई भी व्यजि।

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सुकन्या समृजद्ध 9.2% वार्थषक ररटनण की गारं टी। अनौपचाररक क्षेत्र के श्रजमक घर के काम में
योजना मदद करने के जलए अपनी लडककयों को
प्रजतवषण न्यूनतम अंिदान 1000
स्कू ल नहीं भेजते हैं। उनकी जगह लडकों को
रुपये और अजधकतम 1.5 लाख रुपये स्कू ल भेजा जाता है तथा लडकों की जिक्षा
है। को ही अजधक महत्वपूणण माना जाता है। यह
पात्रता: 10 वषण से कम उम्र की योजना बेटी की जिक्षा और जववाह हेतु धन
बाजलका की बचत करने में सहायता प्रदान करती है।

डाकघर बचत खाता और ककसान जवकास पत्र भी अल्पकाजलक और मध्यम अवजध की


आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं।
चुनौजतयां:
 जन धन योजना के खातों को संचालन में रखना।
 जवत्तीय साक्षरता
 पररचालन भाग- कायाणन्वयन के जलए तंत्र
 लक्ष्य का जनमाणण और इसे पूरा करने में होने वाली करिनाई
सुझाव:
 इन सेवाओं की उत्तरदायी प्रदायगी सुजनजित करने हेतु बीमा एजेंजसयों को जनयंजत्रत
करने के जलए जवजनयम जनजित ककये जाने चाजहए।
 बीमा एजेंजसयों को और अजधक सकिय रूप से िाजमल ककया जाना चाजहए।
 जनयोिा को िाजमल ककया जाना चाजहए और उनकी जजममेदारी सुजनजित की जानी
चाजहए।

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 लगभग आि करोड भारतीय ककसी भी पेंिन योजना के लाभाथी नहीं हैं। इनमें मुख्य

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रूप से 60 वषण की आयु से ऊपर की मजहलाएाँ हैं। यह एक महत्वपूणण मुद्दा है परन्तु इसे

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नज़रअंदाज कर कदया जाता है। इन लोगों को िाजमल करके इन लोगों की दुदि
ण ा का
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समाधान ककया जाना चाजहए।


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6. जिक्षा नीजत के जलए चार मुख्य प्राथजमकताएं- पहंच, समता, गुणवत्ता और िासन रही हैं। नई
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जिक्षा नीजतयों को भी इन चार क्षेत्रों को प्राथजमकता देना जारी रखना चाजहए, लेककन साथ
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ही, सभी स्तरों पर सीखने के पररणामों या आउटकम में सुधार पर अजधक बल होना चाजहए।
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चचाण कीजजए।
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दृजिकोणिः
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उत्तर के आरमभ में जिक्षा प्रणाली का वतणमान पररदृश्य प्रस्तुत कीजजए।


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 प्राथजमक, माध्यजमक और तृतीयक स्तर पर पहाँच, समता, गुणवत्ता और िासन की चचाण


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कीजजए।
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ASER या ककसी अन्य ररपोटण की सहायता से प्रदर्थित कीजजए कक सीखने के पररणाम


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जनम्नस्तरीय हैं।
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 उपयुणि उजल्लजखत प्राथजमकताओं और सीखने के पररणामों के मध्य संबंध स्थाजपत कीजजए।


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 जवद्यार्थथयों के सीखने के पररणामों में सुधार हेतु सुझाव प्रदान कीजजए।


उत्तरिः
जिक्षा की जनम्नस्तरीय गुणवत्ता के पररणामस्वरूप जिक्षा के प्रत्येक चरण में सीखने की जनम्न
गुणवत्ता प्राप्त होती है। यह भारतीय जिक्षा प्रणाली के समक्ष कें द्रीय चुनौती है। जवजभन्न
सवेक्षणों के अनुसार RTE (जिक्षा के अजधकार अजधजनयम) के बाद, जिक्षा के सभी स्तरों पर
नामांकन उच्चतर स्तर पर गया है और भौजतक अवसंरचना में भी उल्लेखनीय वृजद्ध हई है
ककन्तु औपचाररक जिक्षा से हए मूल्यवधणन की गुणवत्ता अब भी जनम्न है। सीखने के पररणामों
में सुधार लाना समावेिी जवकास के जलए महत्वपूणण है और िैजक्षक नीजतयों का प्रमुख फोकस
इसी पर होना चाजहए।

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भारत ने पहाँच और समता के मामले में लगभग सावणभौजमक प्राथजमक जिक्षा हाजसल कर ली
है। जद्वतीयक और तृतीयक जिक्षा इससे वंजचत है। मुख्य फोकस, जवद्यार्थथयों की उपजस्थजत में
वृजद्ध करने, जवद्यालय छोडने वाले बच्चों की संख्या को कम करने और माध्यजमक व उच्च स्तर
पर नामांकन बढ़ाने पर होना चाजहए। अब भी जवजभन्न समुदायों के बीच नामांकन अंतराल
मौज़ूद है। नीजत के तहत इस बाधा को दूर करने की आवश्यकता है।
गुणवत्ता और िासन के मुद्दे सभी स्तरों पर जवद्यमान हैं। गुणवत्तापूणण जिक्षा, भौजतक स्थान
की गुणवत्ता, जलजखत सामग्री, कक्षा में अपनाई जाने वाली प्रकियाएं और जिक्षकों को िैजक्षक
सहायता, मूल्यांकन प्रकिया और समुदाय की भागीदारी से संबंजधत है। जवद्यालयों में जिक्षकों
की अनुपजस्थजत, जवद्यालयों को जनजधयन में देरी और प्रिासजनक क्षमताएं, जिक्षा िासन के
समक्ष जवद्यमान मुख्य चुनौजतयां हैं।
सीखने के पररणामों के आंकलन से पता चला है कक छात्रों के बीच पिन और गजणतीय क्षमता
में िायद ही कोई सुधार हआ है। इस पर एक समग्र नीजत द्वारा ध्यान कदए जाने की
आवश्यकता है। सीखने से संबंजधत लक्ष्य जनधाणररत ककये जाने चाजहए। इन उपायों में, छात्र-
जिक्षक अनुपात को उजचत बनाने, जिक्षकों के प्रजिक्षण में सुधार करने और बेहतर िासन
प्रणाली के माध्यम से उनकी जवाबदेही पर ध्यान कें कद्रत करने को सजममजलत ककया जाना
चाजहए।
सीखने के बेहतर पररणाम, ऊपरी स्तरों पर उच्च नामांकन सुजनजित करते हैं। बच्चों के अनुकूल
जवद्यालयों एवं जिक्षण प्रणाली तथा साथ ही पानी, सफाई एवं स्वच्छता के बेहतर प्रावधान

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पर ध्यान कदया जाना चाजहए। िैक्षजणक प्रकियाओं, कक्षा में आकलन संबंधी रूपरे खा और

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जवद्यालय नेतृत्व व प्रबंधन के जवकास को अपनाया जाना चाजहए। सीखने के पररणामों में

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सुधार करने हेतु नई तकनीकों के जवकास के जलए िोध कायों को प्रोत्साजहत ककया जाना
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चाजहए।
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कु ल जमलाकर, सीखने के पररणाम पर ध्यान कें कद्रत करना जिक्षा नीजतयों का एकीकृ त जवषय
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होना चाजहए। जिक्षा तक पहंच, समता, गुणवत्ता और िासन एवं अन्य पहलू सामूजहक रूप से
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सीखने के बेहतर पररणामों को सुजनजित करते हैं। अतिः नीजत का दृजिकोण पररणामों को
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पररभाजषत करने व उनका मूल्यांकन करने तथा संसाधनों को इस प्रकार आवंरटत करने का
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होना चाजहए कक वह इन पररणामों को प्राप्त करने की कदिा में अजधकतम प्रगजत प्रदान कर
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सके ।
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7. अब तक, नवजातों के प्रजत भारतीय स्वास््य नीजत की आंखें बंद थीं। उपयुि
ण कथन के प्रकाि
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में भारत में नवजात मृत्यु की समस्या से जनपटने में आने वाली बाधाओं और इससे जनपटने के
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जलए उिाए गए कदमों का परीक्षण कीजजये।


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दृजिकोणिः
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उपरोि कथन से यह स्पि होता है कक, यद्यजप भारत अनेक प्रजतकू ल स्वास््य पररणामों की
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प्रजतकिया के रूप में नई नीजतयों और कायणिमों का जनमाणण कर रहा है, परन्तु नवजात
जििुओं के स्वास््य की समस्या अब भी जवद्यमान है जो ककसी भी अन्य देि की अपेक्षा भारत
की सबसे बडी स्वास््य चुनौती है।
 इस पृिभूजम में, नवजातों से संबजं धत स्वास््य देख-रे ख नीजतयों की वतणमान जस्थजत और
पहले से उिाए जा चुके कदमों के बारे में पररचय दीजजए;
 इसके पिात देि में NMR (नवजात मृत्यु दर) की जस्थजत और नवजात मृत्यु के जलए
उत्तरदायी जवजभन्न कारकों का जवश्लेषण कीजजए एवं अंत में समाधान व सुझाव प्रदान
कीजजए।

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उत्तरिः
 भारत में नवजात जििुओं की जनरािाजनक जस्थजत को इस त्य से व्यि ककया जा सकता है
कक जवश्वस्तर पर मरने वाले 2.8 जमजलयन नवजात जििुओं में से, भारत का योगदान
700,000 होता है, जो कु ल मृत्यु का लगभग 25% है। ये जनवायण (टाली जा सकने वाली)
मौतें हैं और सरकार ने हाल ही में भारत नवजात जििु कायण योजना (India New born
Action Plan:INAP) आरमभ ककया है, जो स्वास््य के मुद्दों से जनपटने की कदिा में नीजतगत
खाजमयों और खंजडत दृजिकोण को दिाणता है। इसके अलावा, NMR में होने वाली धीमी
जगरावट MDG -4 के लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक बडी बाधा है और यह उच्च और जस्थर
प्रसव-पूवण मृत्यु दर में पररलजक्षत होती है ,क्योंकक भारत में प्रजनन स्वास््य देखभाल के क्षेत्र
में काफी प्रगजत के बावजूद नवजात जििु स्वास््य पर ध्यान नहीं कदया गया है।

भारत में उच्च नवजात मृत्यु दर के जलए जजममेदार कारक

 नवजातों के स्वास््य से संबंजधत प्रमुख त्य जनम्नजलजखत हैं


o समय पूवण जन्म की जरटलताएाँ जो संस्थागत देखभाल हेतु स्वास््य सुजवधाओं की
जनरािाजनक जस्थजत के कारण और अजधक प्रबल हो जाती हैं।
o पोषण और स्वच्छता (रिाल्पता के मामले) की कमी से जजनत संिमण।
o प्रसव-काल के दौरान और प्रसव संबंधी जरटलताएं जजनमें पेिव े र कमणचाररयों की कमी
और स्वास््य देखभाल के न्द्रों पर बुजनयादी सुजवधाओं की अपयाणप्त उपलधधता भी िाजमल
है।

)
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बच्चे के जन्म के समय माताओं की उम्र कम होना जजससे IEC (सूचना (Information),

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जिक्षा (Education) और संवाद (Communication)) के संदभण में पहल की कमी प्रकट s9@
होती है।
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o लघु जन्म अंतराल।


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यह ग्रामीण-िहरी, गरीब-अमीर, और बलग भेद जैसे सामाजजक-सांस्कृ जतक और आर्थथक


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कारकों के द्वारा और भी अजधक जरटल हो जाती है। इस प्रकार यह उपयुणि समस्या से जनपटने
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के जलए एक समग्र नीजत की आवश्यकता को भी सामने लाती है।


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जनसांजख्यकीय, िैजक्षक, सामाजजक आर्थथक, जैजवक और देखभाल की मांग आकद अन्य कारक
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हैं जो भारत में नवजात मृत्यु के जलए जजममेदार हैं।


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समस्या से जनजात पाने हेतु समाधान और आगे की राह


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जििु स्वास््य के जलए नीजत प्रजतबद्धता को आरमभ करना ,आिा और आंगनवाडी कायणकताण के
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आसपास कें कद्रत समुदाय आधाररत हस्तक्षेप तथा बीमार नवजातों के गृह आधाररत और
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सुजवधा आधाररत प्रबंधन के मध्य सतकण तालमेल के माध्यम से, एकल अंक नवजात मृत्यु दर
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और समय पूवण जन्म दर की त्वररत उपलजधध पर राष्ट्रीय आम सहमजत की पुजि से आरमभ


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होना चाजहए।
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साथ ही सुधार के जलए मानव संसाधन एवं कौिल की आवश्यकता और साथ ही साथ
प्रौद्योजगकी तक अजधक पहाँच की आवश्यकता है। बीमार नवजात जििु और बच्चे के जलए इस
तरह की उच्च गुणवत्ता सुजवधा आधाररत देखभाल जवकजसत करने और साथ में बेहतर
प्राथजमक एवं जद्वतीयक देखभाल की सुजवधाओं का जवकास इसे और अजधक सिि करे गी।
 समुदाय आधाररत हस्तक्षेपिः- समुदाय आधाररत हस्तक्षेप रणनीजतयों को टीकाकरण से
परे जजनमें डायररया हेतु ORS व बजक की आसान उपलधधता एवं उन सुजवधाओं तक
पहंच, जनमोजनया के जलए उजचत एंटीबायोरटक दवाएाँ, एनीजमया की बेहतर पहचान व
प्रबंधन और जवकास संबंधी दोषों की जांच को िाजमल करना चाजहए।

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 सरकार की नीजत को नवजात जििु मृत्यु दर (जन्म से 28 कदनों तक) को एकल अंक तक
कम करने का लक्ष्य, जनधाणररत समय 2030 से पहले ही प्राप्त करने का प्रयास करना
चाजहए। वतणमान मृत्यु दर 29 प्रजत 1000 जीजवत जन्म है। इसके जलए प्रसव के पहले
और तुरंत बाद, साधारण, लागत-प्रभावी हस्तक्षेप की आवश्यकता है। उपयुणि जरटलता
के समाधान हेतु सरकार ने भारत नवजात जििु कायण योजना (INAP) को प्रारं भ ककया
है।
o यह एक ऐसे जवश्व की कल्पना करता है जजसमें नवजात जििुओं और मृत प्रसव से
कोई भी मृत्यु नहीं होगी, जहााँ कोई भी गभण अनैजच्छक नहीं होगा, हर जन्म की
खुिी मनायी जाती है और हर मजहला, जििु और बच्चा अपनी पूणण क्षमता को प्राप्त
करने हेतु जीजवत रहता है।
o INAP को जवद्यमान प्रजननात्मक, मातृत्व, बाल स्वास््य और ककिोरावस्था प्लस
(RMNCHA+) ढांचे के अंतगणत ही लागू ककया जाएगा।
o समय पूवण जन्म व नवजात स्वास््य को प्रभाजवत करने वाली छिः प्रमाण आधाररत
प्रभावी रणनीजतयां उपयोग की जाएंगी।
o इनमें गभणधारण से पूवण और प्रसव पूवण देखभाल, प्रसव-काल और प्रसव के समय
देखभाल, तत्काल नवजात देखभाल, स्वस्थ नवजात देखभाल, छोटे और रोगी
नवजातों की देखभाल और जन्म के पिात् नवजातों की देखभाल िाजमल है।
साथ ही, जचककत्सकों और सुप्रजिजक्षत कमणचारी-वगण वाले िीक प्रकार सुसजित सावणजजनक

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स्वास््य के न्द्र के तजमलनाडु मॉडल को अन्य राज्यों द्वारा भी अपनाया जा सकता है। यह

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भारत को पांच वषण से कम उम्र के जििुओं की मृत्यु दर को कम करने में सहयोग करे गा। इसे

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जागरूकता, सामाजजक गजतिीलता, JSSK को प्रोत्साजहत कर एवं प्रसव पूवण देखभाल हेतु 9@
जवजिि प्रोत्साहन आकद प्रयासों के द्वारा और भी आगे बढ़ाया जाना चाजहए। जवश्व स्वास््य
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संघटन द्वारा समर्थथत प्रत्येक नवजात कायण योजना (The Every Newborn Action Plan:
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ENAP) 2035 तक सभी देिों में प्रजत 1000 जीजवत जन्मों पर 10 से कम NMR हेतु
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आह्वान करती है।


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8. एक उच्च प्रजतस्पधी वैजश्वक अथणव्यवस्था में भारत को एक वैजश्वक जवजनमाणण हब बनाने का


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सपना एक संधारणीय कौिल पूल के अभाव में पूरा नहीं ककया जा सकता है। भारत में कौिल
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जवकास कायणिम के संदभण में संरचनात्मक और कायाणत्मक बाधाओं का परीक्षण कीजजए।


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दृजिकोण:
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 सबसे पहले कौिल जवकास की महत्ता पर बल कदया जाना चाजहए।


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 कौिल जवकास के जलए वतणमान दृजिकोणों की सीमाओं का उल्लेख कीजजये।


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संक्षेप में उपायों का सुझाव दें, इनमें वे उपाय भी सजममजलत करें जो हाल-कफलहाल में पहले
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से ही जलए जा चुके हैं, जैसे कौिल मंत्रालय, राष्ट्रीय कौिल जवकास नीजत में संिोधन आकद।
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उत्तरिः
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जवश्व स्तर पर, जवजनमाणण तेजी से बढ़ रहा है और प्रौद्योजगकी उन्मुख होता जा रहा है, जो
जवश्व अथणव्यवस्था में प्रजतस्पधाण करने के िम में कु िल श्रम के बडे पूल की आवश्यकता पर
प्रकाि डाल रहा है। यह समझ मौजूदा सरकार की आर्थथक दृजि में प्रजतदर्थित हो रही है जैसा
कक हाल ही के ‘मेक इन इं जडया’ कायणिम में पररकजल्पत है। यह जवजनमाणण क्षेत्र को
अथणव्यवस्था की आधारजिला के रूप में रूप में देखता है। हालांकक, जनसांजख्यकीय रूप से
समृद्ध होने का लाभ उिाने के जलए, भारत की युवा आबादी में कौिल की बढ़ती कमी पर
ध्यान देना संरचनात्मक और कायाणत्मक बाधा के रूप में एक प्रमुख नीजतगत चुनौती प्रस्तुत
करता है।

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संरचनात्मक बाधाएं
 भारत में अजवकजसत जवजनमाणण क्षेत्र कौिल जवकास हेतु प्रोत्साहन प्रदान करने में जवफल
रहा है। फमों के पास भी अपने प्रदिणन में सुधार के जलए कोई प्रोत्साहन उपलधध नहीं है।
 भारतीय अथणव्यवस्था में भी वृहद् रूप से अनौपचाररक क्षेत्र का प्रभुत्व है जहााँ अजधकांि
श्रम अल्प कु िल रोजगार क्षेत्रों में कायणिील है।
 गरीबी का व्यापक प्रसार जनसंख्या के बडे भाग को जिक्षा प्राप्त करने का लक्ष्य प्राप्त करने
के जलए हतोत्साजहत करता है।
 मौजूदा संस्थागत संरचना अजतव्यापी और परस्पर जवरोधी प्राथजमकताओं वाली अनेकों
एजेंजसयों से जमलकर बनी है। कौिल जवकास के प्रयास लगभग 20 अलग-अलग
मंत्रालयों और राज्य सरकारों और के न्द्र िाजसत प्रदेिों भर में फै ले हए हैं। राष्ट्रीय कौिल
जवकास एजेंसी को इस क्षेत्र में प्रयासों को मजबूत करने के जलए बनाया गया था। लेककन
इसकी मुख्य रूप से एक समन्वयक की भूजमका है, इसमें ककसी भी प्रभावी िजि का
अभाव है और संसाधनों का अभाव एक प्रमुख समस्या है।
कायाणत्मक बाधाएं
 भारत की वार्थषक प्रजिक्षण क्षमता 4.3 जमजलयन है, जो उद्योग की 22 जमजलयन कु िल

कमणचारी प्रजत वषण की आवश्यकता से 20% से भी कम है। यह 2022 तक 500 जमजलयन


की श्रमिजि के जनमाणण के लक्ष्य के संदभण में यह असाधारण रूप से नगण्य है।
 साथ ही, कौिल जवकास के क्षेत्र में बुजनयादी संरचना अजधकांि रूप से सरकार के

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स्वाजमत्व की है जबकक जनजी क्षेत्र के जनवेि को प्रोत्साजहत नहीं ककया गया है। उदाहरण

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स्वरूप दजक्षण कोररया के कायण कु िलता जवकास कायणिम के अंतगणत जनयोिाओं को
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जवद्यमान जनयुि कमणचाररयों को प्रजिक्षण प्रदान करने पर छू ट दी जाती है।
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 कौिल का उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार न होना।


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 अनौपचाररक श्रजमकों (जजनमें श्रम-िजि का 90% समाजहत होता है), जैसे कक भवन
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जनमाणण श्रजमकों में ग्रामीण क्षेत्रों से कम जिक्षा वाले या जबल्कु ल ही जिक्षा जवहीन
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अजधकांि ऐसे श्रजमक िाजमल होते हैं जजन्हें समथणन या प्रजिक्षण की आवश्यकता होती
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है। 2022 तक जनमाणण क्षेत्र द्वारा सूचना तकनीक और संबंजधत सेवा क्षेत्रों की अपेक्षा छिः
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गुना अजधक रोजगार जनर्थमत करने की संभावना है। कफर भी नीजत में सूचना तकनीक
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क्षेत्र को वरीयता दी गई है। चीनी सरकार ने जनमाणण जैसे क्षेत्रों के जलए अकु िल और
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अजिजक्षत प्रवासी श्रजमकों के प्रजिक्षण के जलए क्षेऺत्रीय सरकार के स्तर पर जवजिि पहलें
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आरमभ की हैं।
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 ग्रामीण जवकास मंत्रालय एक दिक से कौिल जवकास पाठ्यिमों को संचाजलत कर रहा


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है (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीजवका जमिन), जो प्रमुखतिः दैजनक वेतन जनयोजन लजक्षत थे,
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जजनमें गुणवत्ता का कोई आश्वासन नहीं था, कररयर प्रगजत या प्रजतधारण का कोई प्रश्न
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नहीं था।
भारत सरकार िीघ्र ही अपनी राष्ट्रीय कौिल जवकास नीजत, 2009 की समीक्षा करने जा रही
है जजसका पयणवेक्षण नवजनर्थमत कौिल मंत्रालय द्वारा ककया जाएगा। प्रजऺिक्षण ढांचे में जनवेि
करके संस्थागत ढांचे को सरल ककए जाने की आवश्यकता है एवं अनौपचाररक श्रम-िजि को
समथणन प्रदान करने पर बल होना चाजहए। इसके साथ ही, जनजी क्षेऺत्र की प्रजतभाजगता हेतु

प्रोत्साहन प्रदान ककए जाने चाजहए। हमें ‘मेक इन इं जडया’ जैसे महत्वाकांक्षी दिणन को
चररताथण करने के जलए ऐसी अनेकों पहलों और सुधारों की आवश्यकता होगी।

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9. सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय आयुष जमिन को मंजरू ी दी है। ऐसे कौन से महत्वपूणण लाभ हैं
जो भारत इसके माध्यम से प्राप्त कर सकता है? इसके कायाणन्वयन में प्रत्याजित चुनौजतयों के
साथ चचाण कीजजये।
दृजिकोणिः
 सवणप्रथम, राष्ट्रीय आयुष जमिन (National AYUSH Mission:NAM) के उद्देश्यों एवं
लाभों और उसके बाद इसके कायाणन्वयन से समबजन्धत चुनौजतयों के बारे में स्पि रूप से
जलजखए।
 उपलधधता, वहनीयता, जागरूकता और गुणवत्ता आकद के एकाजधक पररप्रेक्ष्यों के जररए
लाभों और चुनौजतयों की चचाण कीजजए।
उत्तरिः
आयुवेद, योग और प्राकृ जतक जचककत्सा, यूनानी, जसद्ध, और होमयोपैथी (आयुष) में जनवारक
और प्रोत्साहक स्वास््य देखभाल की परमपरागत और वैकजल्पक जचककत्सा प्रणाजलयााँ िाजमल
हैं। सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय आयुष जमिन (NAM) को मंजरू ी दी है, जजसका उद्देश्य हैिः
 आयुष देखभाल और जिक्षा को समथणन देकर स्वास््य सेवाओं के अन्तराल को पाटना।
 राज्य सरकारों के प्रयासों को समथणन देना।
NAM के जनम्नजलजखत समभाजवत लाभ हैं िः
 समर्थपत संसाधनों के आवंटन के जररए कमजोर और दूर-दराज के क्षेत्रों में जनम्न लागत
सेवाओं का जवस्तार और सुदढ़ृ ीकरण।

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 अस्पतालों और दवाखानों की संख्या में वृजद्ध से आयुष सेवाओं तक बेहतर पहंच।

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औषजधयों और कायणबल की जवस्तृत उपलधधता।

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 प्रथाजमक स्वास््य के न्द्रों और समुदाजयक स्वास््य के न्द्रों की संख्या में वृजद्ध।
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 उन्नत िैजक्षक संस्थानों की संख्या में वृजद्ध से आयुष जिक्षा में सुधार।
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आयुष औषजधयों के जलए गुणवत्ता पूणण कच्चे माल की लंबे समय तक उपलधधता।
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भारत में स्वास््य सेवा उपलधधता, जागरूकता, वहनीयता, गुणवत्ता और समता जैसे प्रमुख
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बचताजनक मुद्दों पर गमभीर चुनौजतयों का सामना कर रही है। इस सन्दभण में NAM के
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प्रभाविाली कायाणन्वयन के जलए कु छ सामान्य और जवजिि चुनौजतयों का सामना करना


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पडेगा जो जनम्नजलजखत रूप में सारांि रूप में जनम्न हैं :


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 यद्यजप जडी-बूरटयों की पहचान के प्रमाणीकरण और गुणवत्ता की कदिा में काफी प्रगजत


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हई है, लेककन आयुष जसद्धांतों, उपचारों और जचककत्सा पद्धजतयों का वैज्ञाजनक सत्यापन


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अभी भी काफी पीछे है।


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 औषजध के कच्चे माल के रूप में बेची जाने वाली 178 प्रमुख औषधीय पादप प्रजाजतयों में
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से के वल 20 ही खेतों में उगायी जाती हैं। अन्य प्राकृ जतक रूप से पाए जाने वाले पौधों में
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तेजी से कमी आ रही है।


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 प्रजिजक्षत मानविजि की कमी भी एक प्रमुख चुनौती है। बेहतर अवसरों की तलाि में
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जचककत्सक इन परमपरागत पद्धजतयों से दूर हो रहे हैं और इस तरह से परमपरागत ज्ञान


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समाप्त हो रहा है।


 NAM के जररए आयुष सेवा की सुलभता में अवसंरचना का समुजचत सदुपयोग और
पहंच एक प्रमुख चुनौती है।
 एलोपेथी जैसी लोकजप्रय और प्रचजलत औषजध प्रणाजलयों से प्रजतयोजगता भी NAM के
प्रभाविाली कायाणन्वयन में एक प्रमुख बाधा है।
 आयुष के लाभों का समान जवतरण सुजनजित करने के जलए वहनीयता तय करना एक
अन्य समस्या है जजसका सामना NAM को करना पड रहा है।

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इस सन्दभण में, परमपरागत ज्ञान जडजजटल पुस्तकालयों (Traditional Knowledge Digital
libraries:TKDL) या राष्ट्रीय औषधीय पौध पररषद (National Medicinal Plants
Board:NMPB) के साथ सहभागी समबन्ध NAM के प्रभाविाली कायाणन्वयन में सहायता
पहाँचाएगा जजससे आयुष के जररए भारत में अजतआवश्यक गुणवत्तापूणण और सामजयक
स्वास््य सेवा उपलधध हो सके गी।

10. भारत तथा अन्य जवकासिील देिों की स्वास््य-प्रणाली लगातार बढ़ रहे ‘कु पोषण के दोहरे
बोझ’ (अजतपोषण एवं अल्पपोषण) का एक-साथ सामना कर रही है। इस सन्दभण में जन
स्वास््य के समक्ष इस चुनौती से जनपटने के जलए आवश्यक रणनीजत सुझाइए।
दृजिकोणिः
कु पोषण की दोहरी समस्या के अन्तगणत कु पोषण के दोनों रूप अल्पपोषण एवं अजतपोषण
दोनों ही आते है। उत्तर में कु पोषण के दो रूपों से लडने के उपायों के बारे में सुझाव देना है।
उत्तरिः
अल्पपोषण और अजतपोषण दोनों ही कु पोषण के प्रकार हैं। इसमें ऊजाण और पोषक तत्व या तो
ज्यादा हो जाते हैं या कम हो जाते है। कु पोषण के दोनो प्रकार लोक स्वास््य के जलए एक
जविेष चुनौती को पेि करते है। ऐसे कायणिम होने चाजहए जो पौजिक खाद्य पदाथों और
स्वस्थ जीवन िैली को बढ़ावा दें, जजससे एक समय में दोनों ही प्रकार के कु पोषण का सामना
ककया जा सके ।
स्वास््य व्यवस्था को ऐसे लोगों के जााँच की जजममेदारी लेनी चाजहए जो अजतपोजषत हैं जबकक

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आईसीडीएस और स्वास््य कायणिम को अल्पपोजषत लोगों की जााँच की जजममेदारी लेनी

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चाजहए।

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गभणवती और दूध जपलाने वाली माताओं तथा तीन साल से कम उम्र के बच्चों पर जविेष ध्यान
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देने की आवश्यकता है और इसके साथ ही आईसीडीएस को मजबूत और पुगणरित करने की
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आवश्यकता है। आईसीडीएस को राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास््य जमिन के साथ एक मजबूत


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संस्थागत भागीदारी जवकजसत करने की जरूरत है, खासतौर से जजला और ग्रामीण स्तर पर
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समपूणण सफाई अजभयान चलाया जाना चाजहए।


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भारत के पोषण से संबंजधत चुनौजतयों पर प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय पररषद द्वारा अजनवायण रूप
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से स्वीकृ त, एक बहक्षेत्रीय पोषाहार कायणिम लागू ककया जाना चाजहए। इस बहक्षेत्रीय


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पोषाहार कायणिम अंतगणत अजतिीघ्र ही सुभेद्य आयु वगण के लागों के पूरे जीवन चि
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(गभाणवस्था, स्तनपान, बचपन, ककिोरावस्था) में अल्पोषण को रोकन एवं कम करने का


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प्रयास करना चाजहए। कु पोषण को जनधाणररत करने वाले मुख्य तत्वों को एक साथ उपलधध
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कराना ,स्थानीय लचीलापन उपलधध करना, एकीकृ त करने के जलए पायलट और पंचायत
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आधाररत माडल बनाना ,अत्याजधक कु पोषण प्रभाजवत जजलों पर ध्यान के जन्द्रत करना जजससे
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माताओं और बच्चों में कु पोषण को कम ककया जा सके ।


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स्तनपान के कई फायदे और इसको बढ़ावा देने के कई उपायों के बावजूद भारत के बहत से


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राज्यों में स्तनपान का स्तर कम है। नवजात जििुओं और छोटें बच्चों में स्तनपान को बढ़ावा
देने की जरूरत है।
बच्चों, औरतों और ककिोरावस्था की लडककयां में सूक्ष्म-पोषक तत्वों (आइरन, जवटाजमन ए
और आयोडीन) की कमी को रोकने के जलए नीजत की जरूरत है। एक जवस्तृत पद्धजत को
अपनाया जाना चाजहए जजसमें सूक्ष्म-पोषण कु पोषण से संबंजधत नीजतयों में पूरक उपाय को
िाजमल करना चाजहए- (1) नवजात और छोटे बच्चों को स्तनपान (2) खान-पान की जवजवधता
(3) फल एवं सजधजयों का उपयोग (4) पोषक संपरू क (5) भोजन सुदढ़ृ ीकरण और (6)
जनस्वास््य मापदण्ड, िाजमल हैं।

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सभी उपलधध संचार माध्यमों द्वारा पोषण और स्वास््य जिक्षा पर ध्यान कदए जाने की
जरूरत है- (1) खाने योग्य संतजु लत आहार (2) पयाणप्त िारीररक गजतजवजधयों को स्वस्थ
जीवन िैली में िाजमल ककया जाना चाजहए।
स्वास््य की देखभाल स्वास््य प्रणाली में कु छ चीजों को िाजमल करके , करना चाजहए।

जजनमें (1) अजत पोषण वाले व्यजियों की जााँच, जब भी वे अपने स्वास््य की जााँच कराना

चाहे। (2) अजतपोषण की प्रारजमभक जस्थजत में ही पता करने के जलए वयस्कों और जििुओं के

जलए तथा वयस्कता की तरफ बढ़ रहे बच्चों के जलए बीएमआई का प्रयोग। (3) अजतपोषण

वाले व्यजियों की पहचान और उन्हें, उनके खान-पान तथा जीवनिैली के बदलाव के समबन्ध

में व्यजिगत सलाह। (4) जजन लोगों को अपने जीवन िैली में बदलाव करने में परे िाजनयॉ आ

रही हैं, उनके बदलाव की देख-रे ख और उनका खास ध्यान रखना।


राष्ट्रीय पोषण कायणिम के प्रभावी जााँच के जलए प्रकियाओं एवं पररणामों की जानकारी और
मूल्यांकन दोनों की आवश्यकता है। एक उत्तदायी और गजतिील पोषण जनगरानी प्रणाली को
पोषण से समबजन्धत जानकारी प्राप्त करने के जलए तैयार ककया जाए। यह तत्कालीन
समस्याओं के कारणों का मूल्यांकन करने में सहायता करे गी और इस मूल्यांकन के आधार पर
तथा उपलधध संसाधनों और सुझाए गए उपायों से पररजस्थजत को सुधारे गी।
कु पोषण के जखलाफ देिव्यापी सूचना, जिक्षा और प्रचार-प्रसार अजभयान को िुरू करना

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चाजहए

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5. जवगत वषों में UPSC में स में पू छे गए प्रश्न
(Previous Year UPSC Mains Series Questions)
1. जल एवं स्वच्छता की आवश्यकताओं को लजक्षत करने वाली नीजतयों के प्रभावी कियान्वयन को
सुजनजित करने के जलए लाभाथी वगों की पहचान को प्रत्याजित पररणामों के साथ जोडना होगाI
‘वाि’ योजना के सन्दभण में इस कथन का परीक्षण कीजजये I 2017
2. राष्ट्रीय बाल नीजत के प्रमुख प्रावधानों का परीक्षण कीजजये तथा इसके कियान्वयन की प्राजस्थजत
पर प्रकाि डाजलए I 2016
3. “भारत में जनानकककीय लाभांि तब तक सैद्धांजतक ही बना रहेगा जब तक कक हमारी जनिजि
अजधक जिजक्षत, जागरूक , कु िल और सृजनिील नहीं हो जाती | ” सरकार नें हमे जनसंख्या को
अजधक उत्पादानिील और रोजगार-योग्य बनने की क्षमता में वृजद्ध के जलए कौन कौन से उपाय
ककये है ? 2016
4. प्रोफे सर अमृत्य सेन ने प्राथजमक जिक्षा तथा प्राथजमक स्वास््य देखभाल के क्षेत्रो में महत्वपूणण
सुधारों की वकालत की है | उनकी जस्थजत और कायण-जनष्पादन में सुधार हेतु आपके क्या सुझाव है?
2016
5. भारत में जिक्षा की गुणता को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर प्रजतयोगी बनाने ककये उसमे भरी सुधारों की
आवश्यकता है I क्या आपके जवचार में जवदेिी िैजक्षक संस्थाओं का प्रवेि देि में उच्च और

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तकनीकी जिक्षा की गुणता की प्रोन्नजत में सहायक होगा I चचाण कीजजये I 2015

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6. सार्थवक स्वास््य संरक्षण प्रदान करने में सावणजजनक स्वास््य प्रणाली की अपनी पररसीमाएं हैं I

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क्या आपके जवचार में खाई को पाटने में जनजी क्षेत्रक सहायक हो सकता ?आप अन्य कौन से
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व्यवहायण जवकल्प सुझायेंगे ? 2015


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7. जखलाडी ओलंजपक्स में व्यजिगत जवजय और देि के गौरव के जलए भाग लेता है ,वापसी पर
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जवजेताओं पर जवजभन्न संस्थाओं द्वारा प्रोत्साहनों की बौछार की जाती है Iप्रोत्साहन के तौर पर


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पुरस्कार कायणजवजध के तकाणधार के मुकाबले ,राज्य प्रायोजजत प्रजतभा खोज और उसके पोषणों के
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गुणावगुण पर चचाण कीजजये I 2014


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8. क्या आई आई टी /आई आई एम जैसे प्रमुख संस्थाओं को अपनी प्रमुख जस्थजत को बनाये रखने
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की,पाठ्यिमों को जडजाइन करने में अजधक िैजक्षक स्वतंत्रता की और साथ ही छात्रों के चयन की
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जवधाओं/कसौरटयों के बारे में स्वयं जनणणय लेने की अनुमजत दी जानी चाजहए ? बढती हई
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चुनौजतयों के प्रकाि में चचाण कीजजये I 2014


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9. मध्यान्ह भोजन की संकल्पना भारत में लगभग एक िताधदी पुरानी है जजसका आरमभ स्वतंत्रता
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पूवण भारत के मद्रास महाप्रांत (प्रेजसडेंसी )में ककया गया था I जपछले दो दिकों में अजधकांि राज्यों
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में इस योजना को पुनिः प्रोत्साजहत ककया जा रहा है I इसके दोहरे उद्देश्यों ,नवीनतम आदेिों एवं
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सफलता का समालोचनात्मक परीक्षण कीजजये I 2013


10. उन सहस्त्राधदी जवकास लक्ष्यों को पहचाजनए जो स्वास््य से समबंजधत हैं I इन्हें पूरा करने के जलए
सरकार द्वारा की गयी कायणवाई की सफलता की जववेचना कीजजये I 2013

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