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1. सुभद्य
े वगग (Vulnerable Sections) ______________________________________________________________ 4
2. सुभद्य
े वगों के जलए कल्याणकाकारय यनजनाओं का औजचत्य __________________________________________________ 4
3. समाज के सुभद्य
े वगग ___________________________________________________________________________ 5
3.3. अनुसूजचि जाजि यााँ, अनुसूजचि जनजाजि यााँ ि था अन्य जपछड़ा वगग________________________________________ 19
3.3.1. अनुसूजचि जाजि यााँ (Scheduled Castes) __________________________________________________ 19
3.3.2. अनुसूजचि जनजाजि यााँ (Scheduled Tribes) ________________________________________________ 19
3.3.3. अन्य जपछड़ा वगग (OBCs) ______________________________________________________________ 20
3.3.4. अनुसूजचि जाजि यों/ अनुसूजचि जनजाजि यों/ अन्य जपछड़े वगों के जलए यनजनाएं __________________________ 20
3.3.5. अनुसूजचि जाजि यों के जलए जवजिष्ट यनजनाएं __________________________________________________ 21
3.3.6. अनुसूजचि जनजाजि यों के जलए जवजिष्ट यनजनाएं _______________________________________________ 22
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3.3.7. अन्य जपछड़ा वगों के जलए जवजिष्ट यनजनाएं ___________________________________________________ 23
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3.4. वठरष्ठ नागठरक/वृद्ध लनग (Senior Citizens/Aged) _______________________________________________ 23
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3.4.1. यनजनाएं (Schemes)_________________________________________________________________ 24
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3.7.2. भारि में LGBT समुदाय के जहि ों कन प्रनत्साजहि करने के जलए सरकार/ न्यायपाजलका की पहल_______________ 31
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3.8.1. जनधगन लनगों के जलए यनजनाएं (Schemes for Poor Persons) __________________________________ 32
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4.1. राष्ट्रयय ग्रामयणका स्वास््य जमिन (National Rural Health Mission: NRHM) _____________________________ 33
4.2. प्रधान मंत्रय उज्ज्वला यनजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana: PMUY) _____________________________ 34
4.3. जवजभन्न यनजनाओं की जनगरानय में सुधार के जलए हाल में की गईं पहलें _____________________________________ 35
5. इन सुभद्य
े वगों की सुरक्षा और बेहि रय के जलए गठिि ि ंत्र, कानून, संस्थान और जनकाय____________________________ 36
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6. जवगि वषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सयरयज में पूछे गए प्रश्न___________________________________________ 50
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1. सु भे द्य वगग (Vulnerable Sections)
सुभद्य
े ि ा िधद कन "बाह्य बलों के कारणका हनने वालय हाजन या क्षजि की प्रवृजि" के रूप में पठरभाजषि
ककया जाि ा है। व्ापक रूप से उद्धृि जववरणका के अनुसार, सुभेद्य समूह: "वे समूह हैं जन सामान्य
जनसंख्या की ि ुलना में गरयबय और सामाजजक बजहष्करणका के उच्च जनजखम का अनुभव करि े हैं।
नृजाि यय अल्पसंख्यकों, प्रवाजसयों, जनिःिक्त जनों, आश्रयहयनों, मादक पदाथों के व्सजनयों, एकाकी
वृद्धजनों और बच्चों कन प्राय: जिक्षा के जनम्न स्ि र और बेरनजगारय या अल्परनजगार जैसय कठिनाइयों का
सामना करना पड़ि ा है जजसके कारणका उनका और भय सामाजजक बजहष्करणका हन सकि ा है।’’
सामान्य समझ में, सुभद्य
े वगग जनसाँख्या के वे वगग हैं जन अपूणकाग या अन्यायपूणकाग प्रणकाालय- सामाजजक,
राजनयजि क, सांस्कृ जि क, आर्थथक, भौजि क, पाठरवाठरक संरचना, पयागवरणकायय या ककसय अन्य कारक से
पयजड़ि हनने के उच्च जनजखम का सामना करि े हैं और जजनका इन समूहों पर प्रभाव पड़ि ा है।
इन सुभेद्य वगों की सुभेद्यि ा की कु छ सामान्य जविेषि ाएं इस प्रकार हैं:
ये एक समूह के रूप में सुभेद्य हनि े हैं।
यह सुभेद्यि ा कई कारकों- सामाजजक-सांस्कृ जि क, आर्थथक के कारणका हनि य है।
यह सुभेद्यि ा व्वजस्थि और संरजचि हनि य है।
भारि में जवजभन्न समूहों कन सुभद्य
े वगों में रखा जा सकि ा है जैसे बच्चे, मजहलाएं, अनुसूजचि जाजि यां,
अनुसूजचि जनजाजि यां, अन्य जपछड़े वगग, अल्पसंख्यक, वठरष्ठ नागठरक, जवकलांग व्जक्त, LGBT
समुदाय, गरयब लनग आकद।
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2. सु भे द्य वगों के जलए कल्याणकाकारय यनजनाओं का औजचत्य
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(Rationale of Welfare Schemes for Vulnerable Sections) 9@
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संवध
ै ाजनक और दािगजनक आधार (Constitutional and Philosophical Basis)
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भारि के संजवधान की प्रस्ि ावना का लक्ष्य "सामाजजक, आर्थथक और राजनयजि क न्याय" एवं
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जवजभन्न अनुच्छेदों में जनजहि मूल अजधकार जवजभन्न अजधकार प्रदान करि े हैं जैसे - समि ा का
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राज्य के नयजि -जनदेिक ि त्वों के अनुसार भय राज्य के सभय नागठरकों का कल्याणका राज्य का
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प्राथजमक उिरदाजयत्व है जन वस्ि ुि : इसे एक कल्याणकाकारय राज्य के रूप में स्थाजपि करि े हैं।
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संयक्त
ु राष्ट्र के अंि गगि जवजभन्न अजभसमय भय सुभेद्य वगों के जलए राज्य द्वारा सहायि ा का प्रावधान
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इन सुभेद्य वगों के कल्याणका हेि ु राज्य से जविेष सहायि ा और देखभाल की आवश्यकि ा है।
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राज्य की सहायि ा के जबना, इन्हें कई प्रजि कू ल पठरजस्थजि यों का सामना करना पड़ेगा जजसके
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कारणका ये उन समान ि था जनष्पक्ष अवसरों का लाभ नहीं उिा पाएंगे जन अन्य नागठरकों कन
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उपलधध हैं।
आर्थथक अजनवायगि ा (Economic Imperative)
समावेिय जवकास - उच्च आर्थथक जवकास के जलए समावेिय जवकास आवश्यक है और वास्ि व में इन
दननों के मध्य एक सहजयवय संबध ं है।
समावेिय जवकास का उद्देश्य अपूणकाग बना रहेगा यकद इन वगों कन सहायि ा नहीं प्रदान की जाि य है।
कल्याणकाकारय यनजनाएं गरयबों और वंजचि लनगों की रक्षा करि य हैं ि था कौिल/आर्थथक कल्याणका के
जनम्न सनपान पर श्रम बल कन सुसजिि करि य हैं। इस प्रकार ये यनजनाएाँ उन्हें आर्थथक जवकास कन
त्वठरि करने की प्रकिया में बेहि र प्रजि भाजगि ा के जलए सक्षम बनाि य हैं।
बच्चे अपनय कम आयु के कारणका िनषणका, दुव्गवहार, हहसा और उपेक्षा के प्रजि सुभेद्य हनि े हैं। हालांकक,
अनाथ और बेघर बच्चों, िरणकााथी या जवस्थाजपि बच्चों, बाल श्रजमकों, वेश्यावृजि या यौन दुव्गवहार में
फं से बच्चों, कदव्ांग बच्चों और अपराधय बच्चों सजहि कठिन पठरजस्थजि यों में रहने वाले बच्चे जविेष रूप से
सुभेद्य हनि े हैं।
िधद ‘सुभेद्य बच्चे’ उस आयु वगग कन संदर्थभि करि ा है जन जनजखमपूणकाग जस्थजि में है। ककन्ि ु सुभेद्यि ा कन
मात्र आयु के अनुसार पठरभाजषि नहीं ककया जा सकि ा है। वास्ि व में बच्चों की सुभेद्यि ा जनम्नजलजखि
कारकों से और बढ़ जाि य है:
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िारयठरक जनिःिक्ति ा
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मानजसक जनिःिक्ति ा
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उकसाने वाला व्वहार: बच्चों के मानजसक स्वास््य या व्वहार संबंधय समस्याओं के सम्बन्ध में 9@
अज्ञानि ा या गलि फहमय के कारणका कु छ लनग जचढ़कर या कुं ठिि हनकर या ि न बच्चों पर िनध करि े
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िजक्तहयनि ा: िजक्तहयनि ा बच्चों के आस-पास के लनगों और पठरजस्थजि यों की उपज हनि य है। यकद
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राज्य, पठरवार या समुदाय द्वारा बच्चे कन सहभागय बनने और अपने अजधकारों एवं दाजयत्वों कन
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संरक्षणका का अभाव: यह जस्थजि राज्य या माि ा-जपि ा अथवा समुदाय द्वारा सुरक्षा न प्रदान करने के
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कारणका उत्पन्न हनि य है। यकद बच्चों के साथ दुव्वग हार के जखलाफ कनई कानून हय न हन ि ब कनई बच्चा
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जनजष्ियि ा: बच्चे की जस्थजि या व्यवहार के कारणका। उदाहरणका के जलए दासि ा या दमन से उत्पयजिि
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बयमारय
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अदृश्य: दुभागग्यवि अनेक बच्चे ऐसे हैं जजनकी व्वस्था की नज़र में कनई पहचान नहीं है। ऐसे बच्चे
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छनटे बच्चे, जविेष रूप से छह वषग से कम आयु के बच्चे, सुरक्षा ि ंत्र पर अत्यजधक अजधक जनभगर हनि े
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हैं।
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भारि में सुभेद्य बच्चों कन आगे और समस्याओं का सामना करना पड़ि ा है, जैसे:
उनमें से कु छ बच्चों का बाल श्रजमकों के रूप में िनषणका ककया जाि ा है।
गरयबय और भेदभाव का सामना करने वाले बच्चे कु पनषणका, खराब स्वास््य, घठटया िैजक्षक
सुजवधाओं, गरयब संसाधनों के प्रजि अजधक सुभद्य
े हनि े हैं। इस प्रकार उनकी स्वि ंत्रि ा और अवसर
सयजमि हन जाि े हैं।
प्रचजलि सामाजजक मानदंिों के कारणका लड़ककयां अजधक प्रजि कू ल जस्थजि में हनि य हैं। ये मानदंि
लड़ककयों की ि ुलना में लड़कों कन अजधक महत्व देि े हैं। यहय कारणका है कक पठरवारों में बेटय के
स्थान पर बेटे कन अजधक वरययि ा दय जाि य है।
प्रजि कदन, लगभग 150 बच्चे भारि में लापि ा हन जाि े हैं - अपहरणका और बंधक बनाना हमारे देि
में बच्चों के जवरूद्ध सबसे बड़ा अपराध है। (राष्ट्रयय अपराध ठरकॉिग धयूरन 2016)
भारि में 6 वषग से कम आयु के 19.8 जमजलयन बच्चे अल्पपनजषि हैं। (ICDS 2015)
देि में 0-5 वषग के बयच के 38% बच्चे (3 में से 1) छनटे कद के हैं। (NFHS 4, 2015-16)
भारि में 42% जववाजहि मजहलाओं का जववाह बाल्यावस्था में हुआ था। (जजला जिक्षा सूचना
प्रणकाालय (DISE) 3)
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एकीकृ ि बाल जवकास सेवाएं (ICDS-Integrated Child Development Services) यनजना
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प्रारं जभक बचपन की देखभाल के जलए 2 अक्टू बर 1975 कन यह कें द्र प्रायनजजि यनजना आरं भ की गई
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थय। इसके अंि गगि बच्चों कन पूरक पनषणका, टयकाकरणका और पूव-ग जवद्यालयय जिक्षा प्रदान की जाि य है।
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उद्देश्य
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0-6 वषग आयु वगग के बच्चों की पनषणका और स्वास््य जस्थजि में सुधार करना;
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मृत्यु दर, रूग्णकाि ा, कु पनषणका और जवद्यालय छनड़ने की घटनाओं में कमय लाना;
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बाल जवकास कन बढ़ावा देने के जलए जवजभन्न जवभागों के मध्य नयजि और कायागन्वयन का प्रभावय
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उजचि पनषणका और स्वास््य जिक्षा के माध्यम से बच्चे के सामान्य स्वास््य और पनषणका संबंधय
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लाभाथी
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ICDS यनजना छह सेवाओं का पैकेज प्रदान करि य है, जैसे पूरक पनषणका; जवद्यालय से पूवग की
अनौपचाठरक जिक्षा; पनषणका और स्वास््य जिक्षा; प्रजि रक्षणका; स्वास््य जांच; और रे फरल सेवाएं।
ICDS का जनष्पादन मूल्यांकन
ICDS यनजना के अधयन सेवाएं आंगनवाड़य कें द्र (AWC-Anganwadi Centre) के मंच से उपलधध
कराई जाि य हैं। जून 2015 में प्रस्ि ुि NITI आयनग के कायगिम मूल्यांकन संगिन (PEO-
Programme Evaluation Organization) की ठरपनटग के अनुसार, ICDS 7966 पठरयनजनाओं
और 13.42 लाख आंगनवािय के न्द्रों के माध्यम से देि में 6 वषग से कम आयु के 16.45 करनड़ बच्चों में से
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ककराए के स्थलों पर जस्थि हैं।
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अध्ययन में पाया गया कक 86.3% AWCs में पेयजल सुजवधाएं उपलधध हैं और िेष 13.7% में 9@
सुरजक्षि पेयजल सुजवधाएं नहीं हैं। इसके अजि ठरक्ि , AWCs की स्वच्छि ा जस्थजि में सुधार की
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सुझाव
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नामांककि बच्चों कन समायनजजि करने के जलए पयागप्त स्थान उपलधध कराया जाना चाजहए और
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कें द्रों कन स्थानयय क्षेत्र के सुजवधाजनक और स्वच्छ इलाकों में जस्थि हनना चाजहए।
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AWCs आवासों कन उजचि सुजवधाओं से सुसजज्ज्ि ककया जाना चाजहए जैसे-स्वच्छि ा सुजवधाएं,
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सुरजक्षि पेयजल, िौचालय, पयागप्त दवाएं, जवद्युि आपूर्थि , उपकरणका/जखलौने आकद। कें द्रों कन
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प्रत्येक AWCs में पयागप्त संख्या में मजहला कायगकि ागओं कन पठरजनयनजजि करना चाजहए। AWC
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कायगकि ागओं/सहायकों के जलए जनयि माजसक मानदेय में वृजद्ध की आवश्यकि ा है। इसके अजि ठरक्ि ,
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AWC कायगकि ागओं कन अन्य कायों में नहीं लगाया जाना चाजहए।
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AWC कायगकि ागओं और उनके पयगवेक्षकों कन जनयजमि प्रजिक्षणका प्रदान ककया जाना चाजहए। इसके
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अजि ठरक्ि उन्हें स्वि ंत्र रूप से पंजजकाओं और अन्य अजभलेखों कन संभालने के जलए पूरक प्रजिक्षणका
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के सवोिम जहि " के आधारभूि जसद्धांि ों पर आधाठरि है। इसका उद्देश्य अपनय गजि जवजधयों के कारणका
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जवजधक कारग वाई का सामना करने वाले बच्चों एवं साथ हय देखभाल और संरक्षणका की आवश्यकि ा
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अनुभव करने वाले बच्चों के जलए एक जनरापद और सुरजक्षि वाि ावरणका का जनमागणका करना है। यह अनेक 9@
वि गमान बाल संरक्षणका कायगिमों कन बेहि र मानदंिों के साथ एक छत्र के नयचे लाने हेि ु व्ापक यनजना
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प्रायनजन, पालन–देखभाल, गनद लेने और अनुरक्षणका के माध्यम से पठरवार आधाठरि गैर संस्थागि
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देखभाल।
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बाल-गृहों, आश्रय-गृहों, प्रेक्षणका-गृहों, जविेष गृहों और जविेष आवश्यकि ा वाले बच्चों के जलए जविेष
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ICPS)
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"सेव द जचल्रन" द्वारा प्रकाजिि एक ठरपनटग ने समेककि बाल संरक्षणका यनजना (ICPS) कायागन्वयन के
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लाभ
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समेककि बाल संरक्षणका यनजना (ICPS) के कायागन्वयन के पठरणकाामस्वरूप बाल देखभाल संस्थाओं
(CCIs) के जविपनषणका और जनगरानय एवं साथ हय साथ बाल कल्याणका सजमजि यों (CWCs) और
ककिनर न्याय पठरषदों (JJBs) जैसे वैधाजनक जनकायों की कायगप्रणकाालय में उल्लेखनयय सुधार हुआ
है।
एक कायगिम के रूप में समेककि बाल संरक्षणका यनजना (ICPS) बाल संरक्षणका के जलए मौजूदा
बुजनयादय ढांचे के सुधार में सहायक रहय है। हालााँकक यह यनजना अभय भय जवकास की अवस्था में
हय है।
ककन्ि ु इस सन्दभग में समेककि बाल संरक्षणका यनजना (ICPS) के अंि गगि बजट एक प्रमुख बाधा है।
वि गमान में, सड़क पर रहने वाले बच्चों के जलए इस यनजना के महत्वपूणकाग ि था अत्यजधक प्रासंजगक
घटक जैसे - पालन-पनषणका सम्बन्धय देखभाल, प्रायनजन कायगिम एवं बड़े बच्चों के जलए अनुरक्षणका
अत्यजधक अजवकजसि जस्थजि में हैं।
चाइल्िलाइन 1098 हेल्पलाइन के माध्यम से आपाि कालयन आउटरयच सेवाएं भय, जविेषकर
मनबाइल फ़नन के आगमन एवं PCOs का प्रचलन समाप्त हनने के बाद, पयजड़ि बच्चों के जलए सुगम्य
नहीं रह गयय हैं। सड़क पर रहने वाले और बेघर बच्चों के जलए इन नंबरों पर पहुंच कठिन हन गई
है।
कायगकि ागओं के प्रजिक्षणका और संवद
े यकरणका एवं जागरूकि ा सृजन संबंधय कायगकलापों पर भय अत्यल्प
ध्यान कदया जाि ा रहा है।
पठरणकाामस्वरूप, इसके सराहनयय लक्ष्य के बाद भय, समेककि बाल संरक्षणका यनजना (ICPS) में
अग्रसकिय और जनरं ि र प्रयासों के माध्यम से देखभाल और संरक्षणका की आवश्यकि ा वाले बच्चों ि क पहुंच
स्थाजपि करने में सुव्वजस्थि ि ंत्र का अभाव एक मुख्य बाधक है।
सवग जिक्षा अजभयान (Sarva Siksha Abhiyan -SSA)
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यह कायगिम स्कू लय जिक्षा से वंजचि वासस्थानों में नए स्कू ल खनलने और अजि ठरक्त कक्षा गृहों (क्लास
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रूम), िौचालयों, पेयजल, अनुरक्षणका अनुदान एवं स्कू ल सुधार अनुदान के प्रावधान के माध्यम से
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मौजूदा स्कू ल अवसंरचना कन सुदढ़ृ करने का प्रयास करि ा है। अपयागप्त जिक्षक संख्या वाले मौजूदा
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स्कू लों कन अजि ठरक्त जिक्षक प्रदान ककए जाि े हैं। इसके साथ हय व्ापक प्रजिक्षणका, जिक्षणका-अजधगम
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सामजग्रयों के जवकास के जलए अनुदान और समूह (क्लस्टर), प्रखण्ि एवं जजला स्ि र पर जवद्यमान
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िैक्षजणकाक समथगन संरचना कन सुदढ़ृ करने के माध्यम से मौजूदा जिक्षकों की क्षमि ा कन मजबूि ककया जा
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रहा है। सवग जिक्षा अजभयान (SSA) जयवन कौिलों सजहि गुणकाविापूणकाग प्राथजमक जिक्षा प्रदान करने
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का प्रयास करि ा है। सवग जिक्षा अजभयान (SSA) का लड़ककयों और जविेष आवश्यकि ा वाले बच्चों की
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जिक्षा पर जविेष ध्यान है। सवग जिक्षा अजभयान (SSA) जिजजटल अंि राल कन भरने के जलए कं प्यूटर
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सवग जिक्षा अजभयान (SSA) के हस्ि क्षेपों के कारणका स्कू लय जिक्षा प्रणकाालय से बाहर (आउट-ऑफ-
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स्कू ल) बच्चों की संख्या में उल्लेखनयय कमय देखय गई है। सामाजजक एवं ग्रामयणका अनुसंधान संस्थान
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(SRI-Social and Rural Research Institute) - अंि रागष्ट्रयय जवपणकान अनुसंधान धयूरन
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अनुसार स्कू लय प्रणकाालय से बाहर जस्थि (आउट-ऑफ-स्कू ल) बच्चों की संख्या वषग 2005 में 134.6
जिक्षा का अजधकार अजधजनयम प्रत्येक आवासयय स्थल (बस्ि य) से 1 ककमय के भयि र स्कू ल की
उपजस्थजि अजनवायग करि ा है ि ाकक हर बच्चे कन उसके आवासयय स्थल (बस्ि य) के अंि गगि स्कू ल
प्राप्ि हन सके । इस जनधागरणका ने स्कू लों की उपलधधि ा में वृजद्ध की है।
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जिक्षा अजभयान (SSA) बड़े राज्यों जैसे राजस्थान, पजिम बंगाल, जबहार, उिर प्रदेि और
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झारखण्ि में अपने लक्ष्यों कन प्राप्त करने में जवफल रहा है।
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जिक्षा की वार्थषक जस्थजि ठरपनटग (ASER) के अनुसार जिक्षा के अजधकार संबंधय जवजभन्न मानदंिों
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में अभय अजधक प्रगजि नहीं हुई है। सवग जिक्षा अजभयान अवसंरचना बजट में वृजद्ध हनने के बाद भय,
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पयागप्ि जिक्षक संख्या, कक्षाओं हेि ु कक्ष, पेयजल सुजवधाओं, रसनई/िेि, खेल का मैदान,
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चाहरदयवारय, प्रधानाध्यापक के जलए पृथक कक्ष आकद से युक्त स्कू लों का अनुपाि अजधक नहीं बढ़ा
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आगे की राह
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इस बाि का ध्यान रखना हनगा कक कहीं प्रत्येक आवासयय स्थल से 1 ककमय भयि र स्कू ल के
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खुलने लगें।
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सकें ।
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मध्यान्ह भनजन (MDM) सरकारय और सरकारय सहायि ा प्राप्त स्कू लों में बच्चों कन संपूणकाग आहार के रूप
में कदया जाने वाला दनपहर का भनजन हनि ा है। मध्यान्ह भनजन यनजना का उद्देश्य है:
कक्षा में कनई बच्चा भूखा ना रहे
स्कू लों में नामांकन बढ़े
स्कू ल में बच्चों की उपजस्थजि बढ़े
जवजभन्न जाजि यों के बयच समाजयकरणका में सुधार हन
कु पनषणका की समस्या से जनपटा जा सके
रनजगार के माध्यम से मजहलाओं का सिजक्तकरणका ककया जा सके
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है।
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कु छ स्कू लों में पयागप्त अवसंरचना नहीं है और ि ाज़े प्रवाजहि जल की व्वस्था नहीं है।
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यह यनजना संरचनात्मक समस्याओं से पयजड़ि है इनमें सबसे बड़य समस्या उजचि जनगरानय ि ंत्र का
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अभाव और उजचि जजम्मेदारय का अभाव है।
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कनई स्पष्ट पठरभाजषि संरचना नहीं है, और प्रत्येक राज्य अपनय इच्छा अनुसार अपना कायग
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संचालन करि ा है। इसके अजि ठरक्त सभय स्ि रों पर व्ाप्त व्ापक भ्रष्टाचार इस यनजना कन
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अजधकि र राज्यों कन यकद देखा जाए ि न वे सावगजजनक जवि रणका प्रणकाालय के ियलरों द्वारा स्कू ल पर
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खाद्यान्नों का जवि रणका करने के भारि सरकार के कदिा-जनदेिों का पालन नहीं करि े हैं, पठरणकााम
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स्वरुप बड़य मात्रा में खाद्यान्नों का उपयनग अन्य उद्देश्यों के जलए हनि ा है।
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बाल मजदूरय जनषेध पनटगल के कारगर कायागन्वयन के जलए मंच (PENCIL) एक इलेक्रॉजनक प्लेटफॉमग
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है जजसका उद्देश्य कें द्र, राज्य, जजला, सरकारों, नागठरक समाज और आम जनि ा कन बाल श्रम मुक्त
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समाज साकार करने के जलए जमलजुल कर कायग करने में संलग्न करना है।
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PENCIL के अवयव
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जिकायि के न्द्र
राज्य सरकार
राष्ट्रयय बाल श्रम पठरयनजना एवं
अजभसरणका
राष्ट्रयय बाल श्रम पठरयनजना (National Child Labour Project-NCLP)
NCLP श्रम मंत्रालय की एक पठरयनजना है। इसका मूल उद्देश्य बाल श्रम की सघनि ा वाले ज्ञाि क्षेत्रों
से बाल श्रम की व्ापकि ा कन कम करने के जलए, बाल मजदूरय से मुक्त कराए गए बच्चों का पुनवागस
करना है।
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लजक्षि क्षेत्र में एक सक्षम वाि ावरणका बनाना, जहााँ बच्चों कन काम करने से बचाने और स्कू लों में
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नामांकन के जलए जवजभन्न उपायों से प्रेठरि ककया जाि ा है और सिक्त बनाया जाि ा है।
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आय स्ि र में सुधार के जलए पठरवारों कन जवकल्प प्रदान ककए जायेंगे।
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आवश्यकि ा है। SABLA एक व्ापक रूप से कजल्पि यनजना है, जजसमें स्वास््य, जिक्षा और रनजगार
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जैसे प्रमुख क्षेत्रों के इनपुट सजम्मजलि हैं ि था ये ककिनठरयों के समग्र जवकास के प्रत्येक मुद्दे कन सम्बनजधि
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करि े हैं। इसके अपेजक्षि लाभाथी देि के सभय राज्यों/संघ िाजसि प्रदेिों के चयजनि 200 जजलों में सभय
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ICDS पठरयनजनाओं से 11-18 वषग की आयु की ककिनठरयााँ हैं। इस यनजना की मुख्य जविेषि ाओं में
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सजम्मजलि हैं:
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पनषणका का प्रावधान
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पठरवार कल्याणका, ARSH, बाल देखभाल प्रथाओं और गृह प्रबन्धन पर परामिग / मागगदिगन
व्वसाजयक कौिल के जलए राष्ट्रयय कौिल जवकास कायगिम (NSDP) के साथ गृह-आधाठरि
कौिल, जयवन कौिल कन अद्यि न और समेककि करना।
औपचाठरक/अनौपचाठरक जिक्षा के जलए ककिनठरयों कन मुख्यधारा में लाना।
वि गमान सावगजजनक सेवाओं जैसे PHC, CHC, िाकघर, बैंक पुजलस स्टेिन आकद के बारे में
जानकारय / मागगदिगन प्रदान करना।
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जहि धारकों कन इस यनजना की जानकारय थय।
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अजधकांि उिरदाि ा मजहलाएं (75%) घर पर हय अपनय IFA की गनलय खा लेि य थीं, जबकक
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AWC पर के वल 24.5% हय गनजलयां लेि य थीं। 9@
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अध्ययन से पि ा चलि ा है कक स्कू ल छनड़ चुकी लड़ककयों में से 48 प्रजि िि (161) कन स्कू ल जाने
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15-18 वषग के आयु वगग की पात्र लड़ककयों के लगभग (44.1%) कन व्वसाजयक प्रजिक्षणका के बारे
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समाज संगिनों और अन्य जहि धारकों में SABLA के सम्बन्ध में सकारात्मक धारणकाा है।
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पनषणका घटक: ICD के पूव-ग जवद्यमान ि न्त्र पर जवि रणका की सुव्वजस्थि ि ा के कारणका पनषणका घटक कन
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अच्छा अजभसरणका: वि गमान पठरदृश्य में अजभसरणका ने स्वास््य जवभाग और स्वास््य जााँच-
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पड़ि ाल,पनषणका और स्वास््य जिक्षा (NHE) जैसय यनजना के घटकों के साथ जमल कर कायग ककया है
और IFA गनजलयों का जवि रणका सुचारू हन गया है।
ठरपनटग के नकारात्मक जनष्कषग
गैर-पनषणका घटक: गैर-पनषणका घटक के कायागन्वयन और सेवा जवि रणका कन और बेहि र करने की
आवश्यकि ा है।
आंगनबाड़य कायगकि ागओं की सयजमि क्षमि ा: AWW कन राज्यों में के वल सयजमि और संधारणकायय
प्रजिक्षणका और सहायि ा प्राप्त हुई है, जजसके कारणका उनकी क्षमि ा सयजमि है।
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बेटय बचाओं, बेटय पढ़ाओ (BBBP) यनजना कन घटि े बाजलका अनुपाि (CSR) की समस्या कन
सम्बनजधि करने के जलए अक्टू बर 2014 में प्रारम्भ ककया गया था।
‘सुकन्या समृजद्ध यनजना’ बाजलकाओं के जलए एक छनटय राजि जमा करने की यनजना है, जजसे बेटय
बचाओ, बेटय पढ़ाओ यनजना के एक भाग के रूप में प्रारम्भ ककया गया था, जजसे 9.1 प्रजि िि का
धयाज प्राप्त हनगा और आयकर में छू ट भय जमलेगय।
कें द्र द्वारा प्रायनजजि यनजना – लड़ककयों की माध्यजमक जिक्षा के जलए राष्ट्रयय प्रनत्साहन यनजना कन
मई 2008 में प्रारम्भ ककया गया था। इसका उद्देश्य माध्यजमक चरणका में 14-18 वषग के आयु वगग
की बाजलकाओं के (जविेषकर जन आिवीं कक्षा पास कर चुकी हैं) नामांकन कन प्रनत्साजहि करना है।
ककिनर लड़ककयों (AG-Adolescent Girls) के जलए यनजना: ICDS, का मुख्य उद्देश्य पौजष्टक
और लैंजगक-अलाभ के अंि र-पयढ़य चि कन ि नड़ना और स्व-जवकास हेि ु अनुकूल वाि ावरणका प्रदान
करना है।
िैक्षजणकाक रूप से जपछड़े प्रखंिों में लड़ककयों की छात्रावास यनजना कन देि भर के िैक्षजणकाक रूप से
जपछड़े 3479 प्रखंिों (EBB) में से प्रत्येक में 100-जबस्ि र वाले मजहला छात्रावास की स्थापना के
जलए 2009-10 से लागू ककया जा रहा है।
उड़ान उच्चि र जिक्षा ि क पहुाँच बनाने में लिककयों कन सक्षम करने और अंि ि िः भजवष्य में जवजभन्न
अग्रणकाय भूजमकाओं के जलए ि ैयार करने हेि ु के न्द्रयय माध्यजमक जिक्षा बनिग (CBSE) की एक पहल
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है।
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3.2. मजहलाएं (Women) s9@
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भारि परम्परागि रूप से एक जपि ृसिात्मक समाज रहा है और इसजलए मजहलाएं चाहे ककसय वगग,
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जाजि या धमग से हों, सदैव सामाजजक बन्धनों और अक्षमि ाओं से पयजड़ि रहय हैं। परम्परागि रूप से
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पुरुष वचगस्व वाले समाज में मजहलाओं की जस्थजि में सुधार के जलए कु छ सुधारात्मक कदम उिाना
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आवश्यक है।
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मजहलाओं कन जवजभन्न प्रकार की हहसाओं का सामना करना पड़ि ा है जैसे कक बाल-हत्या; पनषणका
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उनके नाम पर नगण्य या कनई भय सम्पजि नहीं है और कम या खराब औपचाठरक जिक्षा के कारणका
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उनका संसाधनों और अपने जयवन से सम्बजन्धि महत्वपूणकाग जनणकागयों पर बहुि कम जनयन्त्रणका हनि ा
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है।
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कम आयु में जववाह और गभगधारणका मजहलाओं के स्वास््य पर प्रजि कू ल प्रभाव िालि ा है। माि ृ-मृत्यु
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वयस्क मजहलाओं कन अवांजछि गभगधारणका, घरे लू हहसा, कायगस्थल पर यौन िनषणका और वैवाजहक
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यहााँ ि क कक कामकाजय मजहलाओं से भय घरे लू कायग करने की आिा की जाि य है (कायग का दनगुना
बनझ)।
सामान्य रूप से मजहलाओं कन भारि यय समाज में पुरुषों की ि ुलना में कमि र दजाग प्रदान ककया
जाि ा है।
मजहलाओं के सम्बन्ध में ि ्य
मजहलाओं के जवरुद्ध अपराध के अजधकांि मामले “उनके पजि या सम्बजन्धयों” द्वारा हनि े हैं
(NCRB 2016)
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ककसय भय क्षेत्रक में उपलधध हनगय, जजसमें कृ जष, बागवानय, खाद्य प्रसंस्करणका, हथकरघा, जसलाई, कढ़ाई,
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जरय आकद हस्ि जिल्प, कम्प्यूटर और IT सक्षम सेवाएं, कायग स्थल के जलए सॉफ्ट जस्कल जैसे अंग्रेजय 9@
भाषा में वाि ागलाप, रत्न एवं आभूषणका, यात्रा एवं पयगटन उद्यनग, हॉजस्पटैजलटय आकद सजम्मजलि हैं, परन्ि ु
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स्वाधार गृह –कठिन पठरजस्थजि यों में रह रहय मजहलाओं के जलए यनजना
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स्वाधार गृह यनजना कठिन पठरजस्थजि यों की जिकार मजहलाओं कन लजक्षि करि य है। इस यनजना के
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अंि गगि , प्रत्येक जजले में 30 मजहलाओं की क्षमि ा वाले स्वाधार गृह स्थाजपि ककए जाएंगे। इस स्कीम का
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लक्ष्य, आश्रय, भनजन, वस्त्र, परामिग, प्रजिक्षणका, स्वास््य ि था कानून से संबंजधि सहायि ा प्रदान करके
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कठिन पठरजस्थजि यों से जघरय हुई मजहलाओं अथागि ् पाठरवाठरक कलह या अनबन, अपराध, हहसा,
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मानजसक ि नाव, सामाजजक बजहष्कार, वेश्यावृजि की ओर बलपूवगक धके ले जाने और नैजि क खि रों के
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जबना ककसय सामाजजक और आर्थथक सहायि ा वालय पयजड़ि मजहलाओं कन आश्रय, भनजन, वस्त्र
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उन दुभागग्यपूणकाग पठरजस्थजि यों की जिकार एवं पयजड़ि मजहलाओं में उनके भावनात्मक मननबल कन
सुदढ़ृ कर उन्हें समथग बनाना।
जबना ककसय सामाजजक और आर्थथक सहायि ा वालय पयजड़ि मजहलाओं कन आश्रय, भनजन, वस्त्र
स्वास््य जचककत्सा संबंधय मांग पूरा करना।
आर्थथक एवं भावनात्मक दृजष्टकनणका पुन:स्थाजपि करना।
पयजड़ि मजहलाओं की जवजभन्न आवश्यकि ाओं कन समझने और उन्हें पूरा करने के जलए सहायक ि ंत्र
के रूप में काम करना।
उन्हें सम्मान एवं जवश्वासपूवक
ग नए जसरे से जयवन आरं भ करने के यनग्य बनाना।
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िहरों में प्रवास करने वालय कामकाजय मजहलाओं की जनसंख्या में वृजद्ध हनने के कारणका और अजधक
छात्रावासों का प्रावधान।
छात्रावास के भवनों और उपकरणकाों का जनयजमि रख-रखाव सुजनजिि करने के जलए एक
ठरवॉहल्वग फं ि और / या रख-रखाव के जलए अनुदान का प्रावधान करना।
मेरनपनजलटन िहरों में वेि न सयमा कन 50,000 से बढ़ाकर 75,000 करने ि था छात्रावास में रहने
की अजधकि म अवजध कन वि गमान के 3 वषग से बढ़ाकर 5 वषग करने के जलए पात्रि ा जनयमों में
पठरवि गन ककया जाना चाजहए।
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उज्ज्वला यनजना (Ujjwala Scheme)
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यह मजहला ि था बाल जवकास मंत्रालय द्वारा व्वसाजयक यौन िनषणका हेि ु मानव ि स्करय की जिकार
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मजहलाओं की ि स्करय रनकने, उनकी ठरहाई (मुक्त कराना), पुनवागस, पुनिः एकीकरणका ि था स्वदेि भेजने 9@
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के जलए कायागजन्वि की जा रहय व्ापक यनजना है। इस यनजना के अंि गगि संरक्षणका ि था सुधार एवं
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पुनवागस गृहों कन आश्रय ि था आधारभूि सुजवधाएं यथा भनजन, वस्त्र, जचककत्सकीय देख-भाल, कानूनय
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सहायि ा के जलए जवियय सहायि ा प्रदान की जाि य है। पयजड़ि ा के बाल्यावस्था में हनने पर उसे जिक्षा
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भय प्रदान की जाि य है। पयजड़ि ा कन जयजवका के वैकजल्पक साधन प्रदान करने के जलए व्वसाजयक
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प्रजिक्षणका ि था आय सृजन संबंधय गजि जवजधयों में संलग्न कराया जाि ा है।
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मजहला उद्यजमयों के जलए उद्यम-सखय पनटगल (Udyam Sakhi Portal for Women
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Entrepreneur)
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उद्यम-सखय भारि यय मजहलाओं कन व्वसाय आरम्भ करने, उसे जवकजसि करने ि था उसे आगे बढ़ाने में
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सहायि ा करि य है। यह इस बाि की पहचान करि ा है कक राष्ट्र के भजवष्य का जनमागणका करने ि था
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वि गमान बाज़ार पठरदृश्य में भारि कन प्रजि स्पद्धाग में बनाए रखने के जलए उद्यनग जगि में मजहला
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मदर एंि चाइल्ि रैककग यनजना (Mother and Child Tracking Scheme -MCTS)
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MCTS स्वास््य एवं पठरवार कल्याणका मंत्रालय की पहल है जजसका उद्देश्य गभगवि य मजहलाओं ि था 5
वषग की आयु ि क के बच्चों कन स्वास््य सेवा ि था टयकाकरणका का पूणकाग लाभ प्रदान करने हेि ु सूचना
प्रौद्यनजगकी का लाभ उिाना है। यह सेवा जवि रणका एवं उसकी जनगरानय में सहायि ा करि ा है ि था सेवा
प्रदाि ा एवं लाभार्थथयों के बयच जद्वमागी संवाद स्थाजपि करि ा है।
प्रधान मंत्रय माि ृत्व वंदना यनजना (Pradhan Mantri Matritiva Vandana Yojana)
पूवग में इं कदरा गांधय माि ृत्व सहयनग यनजना के रूप में जानय जाने वालय इस यनजना के अंि गगि गभगवि य
मजहलाओं कन अस्पि ाल में जचककत्सा लाभ हेि ु रहने, टयकाकरणका एवं पनषणका के जलए 6000 रूपए प्रदान
ककए जाि े हैं।
3.3. अनु सू जचि जाजि यााँ , अनु सू जचि जनजाजि यााँ ि था अन्य जपछड़ा वगग
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अनुसूजचि जनजाजि यों के ग्रामयणका पठरवारों में से के वल 4.37% का कनई न कनई सदस्य सरकारय
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नौकरय में है। (SECC 2011)
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3.3.1. अनु सू जचि जाजि यााँ (Scheduled Castes)
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ये वन जाजि यााँ हैं जजन्हें संजवधान के अनुच्छेद 341 में जनजहि प्रावधानों के अंि गगि अनुसूजचि जाजि के
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अस्पृश्यि ा की युगों पुरानय प्रथा के कारणका ये जाजि यां सामाजजक, िैक्षजणकाक ि था आर्थथक जपछड़ेपन
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का जिकार हैं।
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अनुसूजचि जाजि यों की भांजि , अनुसूजचि जनजाजि यााँ भय ऐसा सामाजजक वगग हैं जजन्हें भारि यय
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संजवधान द्वारा जनधगनि ा, जवविि ा ि था सामाजजक कलंक से त्रस्ि समूह के रूप में मान्यि ा दय गयय है।
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भारि यय संजवधान का अनुच्छेद 366 (25) अनुसूजचि जनजाजि यों कन “ऐसय जनजाजि यों या
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जनजाि यय समुदायों अथवा ऐसय जनजाजि यों या जनजाि यय समुदायों के भाग के रूप में पठरभाजषि
करि ा है जजन्हें संजवधान के प्रयनजनों के जलए अनुच्छेद 342 के अधयन अनुसूजचि जाजि यााँ समझा जाि ा
है।” इन समुदायों की जविेषि ाएाँ जनम्नजलजखि हैं:
आकदम जवजिष्टि ाएं
भौगनजलक पृथक्करणका
जभन्न संस्कृ जि
बड़े स्ि र पर मुख्य धारा से संपकग करने में अरुजच
आर्थथक जपछड़ापन
जपछड़े वगों से ि ात्पयग अनुसूजचि जाजि यों और जनजाजि यों से जभन्न नागठरकों के ऐसे जपछड़े वगग से है,
जजसे समय-समय पर कें द्र सरकार द्वारा नागठरकों के उन जपछड़े वगों के संबंध में जनयुजक्तयों या पदों में
आरक्षणका प्रदान करने के जलए जनर्ददष्ट ककया जाि ा है जजन्हें सरकार की राय में भारि यय क्षेत्र या भारि
सरकार के अधयन सेवाओं या अन्य स्थानयय जनकायों अथवा अन्य प्राजधकरणकाों में पयागप्त प्रजि जनजधत्व
प्राप्त नहीं है।
3.3.4. अनु सू जचि जाजि यों/ अनु सू जचि जनजाजि यों/ अन्य जपछड़े वगों के जलए यनजनाएं
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वगग के जलए अलग से कायागजन्वि ककया जाि ा है। ऐसय यनजनाओं में से कु छ का जववरणका जनम्नजलजखि है।
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इन यनजनाओं के पिाि ्, हम इन वगों से संबंजधि जवजिष्ट यनजनाओं का धयौरा देखेंगे। समान उद्देश्य
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वालय यनजनाएं जनम्न हैं: 9@
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नागठरक अजधकारों का संरक्षणका अजधजनयम, 1955 (PCR एक्ट) ि था अनुसजू चि जाजि ि था अनुसजू चि
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जनजाजि (अत्याचार जनवारणका) अजधजनयम, 1989 (PoA एक्ट) के कायागन्वयन हेि ु कें द्र द्वारा
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प्रायनजजि यनजनाएं।
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Act, 1955 (PCR) and the Scheduled Castes and the Scheduled Tribes
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चूाँकक इन PCR एवं PoA अजधजनयमों कन उनके प्रभावय कायागन्वयन के जलए संबंजधि राज्य सरकारों
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एवं कें द्र िाजसि प्रदेिों की सरकारों द्वारा कायागजन्वि ककया जाि ा है, अि िः उन्हें PCR एवं PoA
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अजधजनयमों के कायागन्वयन हेि ु कें द्र प्रायनजजि यनजनाओं के अंि गगि मुख्य रूप से जनम्नजलजखि उद्देश्यों से
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अनुसूजचि जाजि यों एवं अनुसूजचि जनजाजि यों के संरक्षणका सेल ि था जवजिष्ट पुजलस थानों की
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इन गांवों कन अंि राल पूर्थि जनजध के रूप में औसि न 20 लाख रुपये प्रजि गांव ि क कें द्रयय सहायि ा
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प्रदान करने के माध्यम से।
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उन कायगकलापों कन आरं भ करने के जलए अंि राल-पूर्थि घटक प्रदान करके , जन के न्द्र एवं राज्य
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बाबू जगजयवन राम छात्रावास यनजना (Babu Jagjivan Ram Chhatrawas Yojana)
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जवद्यालयों, उच्चि र माध्यजमक जवद्यालयों, कॉलेजों एवं जवश्वजवद्यालयों में अध्ययनरि अनुसूजचि जाजि
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अनुसजू चि जाजि यों के जलए वेंचर कै जपटल फं ि (Venture Capital Fund for Scheduled
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Castes)
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वेंचर कै जपटल फं ि, सरकार द्वारा भारि में अनुसूजचि जाजि यों (SC) की आबादय के बयच उद्यमियलि ा
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कन बढ़ावा देने के जलए 200 करनड़ रुपये की प्रारं जभक पूंजय के साथ आरं भ की गई एक सामाजजक क्षेत्र
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की पहल है। इस यनजना के अंि गगि SC उद्यजमयों कन 6 वषग ि क की अवजध के जलए 15 करनड़ रुपये
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2018 में एक संसदयय स्थायय सजमजि ने ध्यानाकर्थषि ककया कक 2017-18 में इस जनजध से एक पैसा भय
खचग नहीं ककया गया था। सजमजि ने बि ाया, "अनुसूजचि जाजि के उद्यजमयों के जलए वेंचर कै जपटल फं ि
अनुसूजचि जाजि यों के बयच उद्यमियलि ा कन बढ़ावा देने ि था SC उद्यजमयों के जलए जवियय समावेि
बढ़ाने की एकमात्र यनजना है। इसका उद्देश्य अनुसूजचि जाजि के उद्यजमयों कन समाज में और जवकास के
जलए प्रेठरि करना है। 2014-15 में इस यनजना के आरं भ के बाद से हय यनजना के जलए आवंटन जनरं ि र
कम हनि ा गया है ... ि ब से, हर वषग इस यनजना के अंि गगि बहुि कम राजि आवंठटि की गई है ि था
2017-18 में जनजध का 'िून्य' उपयनग रहा।"
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जनजाि यय छात्रों के जलए उच्च स्ि रयय जिक्षा (Top Class Education for ST Students)
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यह एक कें द्रयय छात्रवृजि यनजना है, जजसे अनुसूजचि जनजाजि के मेधावय छात्रों कन जनजाि यय मामलों
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के मंत्रालय द्वारा जनधागठरि ककसय भय संस्थान में जिग्रय ि था स्नाि कनिर स्ि र पर अध्ययन के जलए
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प्रनत्साजहि करने के उद्देश्य से अकादजमक वषग 2007-08 से प्रस्ि ुि ककया गया था।
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जनजाि यय क्षेत्रों में व्ावसाजयक प्रजिक्षणका कें द्र (Vocational Training Centres in Tribal Areas)
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इस यनजना का मुख्य उद्देश्य जनजाि यय युवाओं के जवजभन्न पारं पठरक/आधुजनक व्वसायों में कौिल कन
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- उनकी िैजक्षक यनग्यि ा, वि गमान आर्थथक रुझान एवं बाजार की क्षमि ा के आधार पर - उन्नि बनाना
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अनुसजू चि जनजाजि (ST) के जिक्षार्थथयों के छात्रावास हेि ु के न्द्र प्रायनजजि यनजना (Centrally
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संिनधन का प्राथजमक उद्देश्य माध्यजमक जवद्यालयों, उच्च माध्यजमक जवद्यालयों, कॉलेजों एवं
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जवश्वजवद्यालयों में पढ़ रहय ST छात्राओं की पढ़ाई बयच में हय छनड़ देने की प्रवृजि कन जनयंजत्रि करने या
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उसमें कमय लाने के जलए छात्रावास जनमागणका की ओर कायागन्वयन एजेंजसयों का ध्यान आकर्थषि करना है।
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इस यनजना का उद्देश्य जनजाि यय छात्रों के बयच साक्षरि ा दर बढ़ाना एवं उन्हें देि की अन्य आबादय के
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समि ुल्य लाना है। इसके जलए PTGs समेि अनुसूजचि जनजाि यय छात्रों कन जिक्षणका के अनुकूल
वाि ावरणका प्रदान करने हेि ु आवासयय जवद्यालयों की स्थापना करना इस यनजना का उद्देश्य है।
एकलव् आदिग आवासयय जवद्यालय (Eklavya Model Residential School)
देि के सभय क्षेत्रों में जिक्षा के प्रचार-प्रसार के जलए गुणकाविापूणकाग आवासयय जवद्यालयों की स्थापना की
कड़य में अनुसूजचि जनजाजि के जिक्षार्थथयों के जलए एकलव् आदिग आवासयय जवद्यालयों (EMRS) की
स्थापना की गई है, ये जवाहर नवनदय जवद्यालयों, कस्ि ूरबा गांधय बाजलका जवद्यालयों ि था के न्द्रयय
जवद्यालयों के समकक्ष हैं।
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पर धयाज की वार्थषक दर 6% ि था 5 लाख रुपये से ऊपर एवं 10 लाख रुपये ि क के ऋणका पर धयाज की
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वार्थषक दर 8% है। 9@
जिल्प संपदा (Shilp Sampada)
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इस यनजना का उद्देश्य प्रजिक्षणका एवं सावजध ऋणका यनजना के अन्ि गगि जवियय सहायि ा प्रदान करके
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परम्परागि कला इत्याकद में स्व-रनजगार हेि ु जपछड़े वगों के पात्र व्जक्तयों के ि कनयकी एवं उद्यमयय
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कौिल में अजभवृजद्ध करना है। गरयबय रे खा से नयचे रहने वाले जपछड़े वगग के कारयगर एवं हस्ि जिल्पय
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इस यनजना के अंि गगि 10 लाख रुपये ि क ऋणका प्राप्त कर सकि े हैं। 5 लाख रुपये ि क के ऋणका पर धयाज
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की वार्थषक दर 6% ि था 5 लाख रुपये से ऊपर एवं 10 लाख रुपये ि क के ऋणका पर धयाज की वार्थषक
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दर 8% है।
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एक “वठरष्ठ नागठरक” का अथग है, भारि का कनई भय नागठरक जजसने साि या उससे अजधक की आयु
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प्राप्त कर लय है। वृद्धों के बयच सुभेद्यि ा उनमें रुग्णकाि ा और जवकलांगि ा की अजधकि ा, पजि /पत्नय, बच्चों
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2011 की जनगणकाना के अनुसार, भारि में लगभग 104 जमजलयन वृद्ध लनग (60 वषग या उससे अजधक
आयु के ) हैं; इनमें से 53 जमजलयन मजहलाएं और 51 जमजलयन पुरुष हैं। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या फण्ि और
हेल्पेज इजण्िया द्वारा जारय एक ठरपनटग के अनुसार वषग 2026 ि क वृद्ध व्जक्तयों की संख्या 173
जमजलयन ि क बढ़ने की सम्भावना है।
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सहायि ा प्रदान करने हेि ु के न्द्रयय क्षेत्रक की यनजना है। इस यनजना के कायागन्वयन के जलए व्य “वठरष्ठ
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नागठरक कल्याणका कनष” से प्राप्त हनगा। इस यनजना का कायागन्वयन एकमात्र एजेंसय– कृ जत्रम अंग
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जवजनमागणका जनगम (ALIMCO) करे गय, ALIMCO सामाजजक न्याय और अजधकाठरि ा मन्त्रालय के
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अंि गगि एक PSU है। इस यनजना के अंि गगि वठरष्ठ नागठरकों कन उनकी िारयठरक क्षजि के आधार पर
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वाकर / बैसाजखयााँ
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जि पाइयां/चौपाइयां
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सुनने की मियन
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व्हयल चेयर
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कृ जत्रम दांि
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चश्मे
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वृद्ध लनगों के जलए एक समेककि कायगिम (An Integrated Programme for Older Persons)
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इस यनजना का मुख्य उद्देश्य आश्रय, भनजन, जचककत्सा देखभाल और मननरं जन के अवसर प्रदान करके
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वृद्ध व्जक्तयों के जयवन की गुणकाविा में सुधार करना और सरकारय/गैर सरकारय संगिनों/पंचायि य राज
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संस्थाओं/स्थानयय जनकायों और बड़े पैमाने पर समुदाय की क्षमि ा जनमागणका के जलए सहायि ा प्रदान
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जवकलांग व्जक्तयों के अजधकारों पर संयुक्त राष्ट्र घनषणकाा (1975): “कनई भय व्जक्त जन स्वयं, पूणकागि िः या
आंजिक रूप से ककसय सामान्य व्जक्त या सामाजजक जयवन की आवश्यकि ाओं कन जन्मजाि या गैर-
जन्मजाि िारयठरक या मानजसक अक्षमि ाओं के कारणका सुजनजिि करने में असमथग है, उसे जवकलांग
व्जक्त के रूप में वर्थणकाि ककया जा सकि ा है।”
हालााँकक जवकलांगि ा अजधकारों के क्षेत्र में अत्यजधक प्रगजि हुई है, लेककन जवकलांग लनगों कन अभय भय
समाज द्वारा प्रस्ि ुि कई बाधाओं का सामना करना पड़ि ा है, ये बाधाएं उनकी “अक्षमि ा” के कारणका नहीं
हैं। जवकलांग व्जक्तयों के जनधगनि ा में रहने, बेरनजगार हनने औऱ कायगस्थल पर भेदभाव का सामना
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करने की अजधक सम्भावना है। ये बाधाएं सामाजजक हैं, व्जक्तगि नहीं, और के वल “इच्छािजक्त” के बल
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पर इनसे पार नहीं पाया जा सकि ा। s 9@
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2011 की जनगणकाना (2016 ि क अपिेटेि) के अनुसार, भारि में जवकलांग व्जक्तयों की जनसंख्या
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जवश्व भर में जवकलांगि ा और समय-पूवग मृत्यु के दस प्रमुख कारणकाों में पांच मानजसक जवकलांगि ा के
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कारणका हैं।
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उन्हें जिक्षा, रनजगार और अन्य सामाजजक-आर्थथक अवसरों ि क कम पहुाँच प्राप्त हनि य है।
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वे जहााँ रहि े हैं, वहााँ उन्हें सामाजजक कलंक और भेदभाव का सामना करना पड़ि ा है।
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उन्हें समाज के अन्य सदस्यों के साथ घुलने-जमलने में कठिनाई हन सकि य है, जन उनके अवसाद और
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अपंग व्जक्तयों कन प्रायिः कमजनर और बेकार माना जाि ा है और कु छ मामलों में उन्हें समाज द्वारा
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जवकलांकि ा के जिकार लनगों के जलए सुलभ प्रारूपों में उपलधध हैं। इसमें जवजभन्न भाषाओं में 2 लाख से
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अजधक पुस्ि कें उपलधध हैं। यह सबसे बड़े अंि रागष्ट्रयय पुस्ि कालय “बुकिेयर” भारि और सम्पूणकाग जवश्व के
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पुस्ि कालयों कन एकीकृ ि करि य है। s 9@
दयनदयाल जवकलांग पुनवागस यनजना (Deendayal Disabled Rehabilitation Scheme)
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यह एक संिनजधि यनजना है जजसका नाम पहले – “जवकलांग व्जक्तयों के जलए स्वैजच्छक कायग कन
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इस यनजना का दृजष्टकनणका जवकलांगों के पुनवागस के जलए आवश्यक सेवाओं की पूरय श्रृंखला उपलधध
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करने के जलए स्वैजच्छक संगिनों कन जवियय सहायि ा प्रदान करना है। जजसमें प्रारजम्भक हस्ि क्षेप,
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दैजनक जयवन संबंधय कौिलों का जवकास, जिक्षा, रनजगार-परक कौिल जवकास, प्रजिक्षणका और
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जागरूकि ा सृजन सजम्मजलि हैं। जवकलांग लनगों कन समाज की मुख्यधारा में सजम्मजलि करने और
उनकी क्षमि ा कन वास्ि जवक बनाने के दृजष्टकनणका के साथ, जिक्षा और प्रजिक्षणका कायगिमों पर जनर कदया
जाएगा। इस यनजना के उदेश्यों कन प्राप्त करने के जलए प्रमुख रणकानयजि यां जनम्नानुसार होंगय:
सभय स्ि रों पर और सभय रूपों में िैक्षजणकाक अवसरों कन बढ़ाने और व्वसाजयक व पेिेवर अवसरों,
आय उत्पादन और लाभकारय व्वसायों के दायरे कन बढ़ाना।
कदव्ांग व्जक्तयों के सिजक्तकरणका हेि ु राष्ट्रयय सम्मान (National Awards for Empowerment of
कदव्ांग व्जक्तयों के जलए सहायक उपकरणकाों/यंत्रों की खरयद/कफटटग (AIDP) संबंधय यनजना का उद्देश्य
ज़रूरि मंद जवकलांग व्जक्तयों कन ठटकाऊ, पठरष्कृ ि ि था वैज्ञाजनक रूप से जनर्थमि , आधुजनक ि था
मानक सहायक उपकरणका ि था यंत्र प्राप्त कर पाने में सहायि ा करना है, जजससे उनकी जवकलांगि ा का
प्रभाव कम करके उनके िारयठरक, सामाजजक ि था मननवैज्ञाजनक पुनवागस कन बढ़ावा कदया जा सके और
उनकी आर्थथक क्षमि ा में वृजद्ध की जा सके । इस यनजना के अंि गगि आपूर्थि ककए गए सहायक उपकरणकाों
ि था यंत्रों कन यथासंभव BIS मापदंिों के अनुरूप हनना चाजहए। इस यनजना कन NGOs, मंत्रालय के
)
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अंि गगि आने वाले राष्ट्रयय संस्थानों और ALIMO (एक PSU) जैसय कायागन्वयन एजेंजसयों के माध्यम से
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लागू ककया जाि ा है। 9@
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भारि यय संजवधान में कहीं भय “अल्पसंख्यक” िधद कन पठरभाजषि नहीं ककया गया है, ककन्ि ु के वल कु छ
अनुच्छेदों जैसे अनुच्छेद 29 से 30 ि था 350A से 350B में इसका उल्लेख ककया गया है। अल्पसंख्यकों
कन संदर्थभि करने वाले अनुच्छेद 29 में “अपनय जविेष भाषा, जलजप ि था संस्कृ जि वाले नागठरकों के
ककसय भय अनुभाग” का उल्लेख ककया गया है। अनुच्छेद 30 में दन श्रेजणकायों के अल्पसंख्यकों की चचाग है–
धार्थमक ि था भाषाई, जबकक अनुच्छेद 350 में भाषाई अल्पसंख्यकों का सन्दभग प्रदान ककया गया है।
Development Programme: MsDP) का पुनगगठिि संस्करणका है जजसे नया नाम प्रदान ककया गया
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है।
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नयय रनिनय (Nai Roshni) 9@
यह यनजना गैर-सरकारय संगिनों के माध्यम से मजहलाओं ि क पहुाँचने के जलए पठरकजल्पि की गयय है।
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यनजना के ि हि इन संगिनों कन नेि ृत्व जवकास प्रजिक्षणका कायगिम के संचालन के जलए जवियय सहायि ा
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प्रदान की जाएगय ि ाकक मजहलाओं कन घर ि था समुदाय की चारदयवाठरयों से बाहर जनकलने हेि ु सिक्त
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एवं साहसय बनाया जा सके और वे नेि ृत्व की भूजमका में आ कर वैयजक्तक या सामूजहक स्ि र पर अपने
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पाठ्यिम के जलए)
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अल्पसंख्यक समुदायों की प्रजि भािालय बाजलकाओं के जलए बेगम हज़रि महल राष्ट्रयय छात्रवृजि
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यनजना। इसे मौलाना आजाद एजुकेिन फाउं िेिन (Maulana Azad Education
Foundation: MAEF) द्वारा कायागजन्वि ककया जाि ा है (ग्यारहवीं ि था बारहवीं में अध्ययन-रि
अल्पसंख्यक समुदाय की बाजलकाएं)।
सयखन और कमाओ (Seekho aur Kamao)
भारि सरकार के अल्पसंख्यक कायग मंत्रालय ने 23 जसि म्बर 2013 कन अल्पसंख्यकों के कौिल जवकास
हेि ु के न्द्रयय क्षेत्रक यनजना का आरं भ ककया था। इस यनजना के मुख्य उद्देश्य जनम्नजलजखि हैं:
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चाजहए।
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नालंदा यनजना (Nalanda Scheme)
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के न्द्रयय अल्पसंख्यक कायग मंत्रालय ने अल्पसंख्यकों के उच्च जिक्षा संस्थानों के जलए 4 माचग 2014 कन
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नालंदा प्रनजेक्ट का आरम्भ ककया है। नालंदा प्रनजेक्ट एक नवाचारय संकाय (फै कल्टय) जवकास कायगिम
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है। नालंदा प्रनजेक्ट अलयगढ़ मुजस्लम जवश्वजवद्यालय द्वारा लागू ककया जा रहा है जन जवश्व स्ि र का एक
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प्रमुख अल्पसंख्यक जवश्वजवद्यालय है। अलयगढ़ मुजस्लम जवश्वजवद्यालय, जवश्वजवद्यालय अनुदान आयनग
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MCG (Minority Cyber Gram) कायगिम का उद्देश्य अल्पसंख्यक के जन्द्रि समूहों ि था लाभार्थथयों के
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ज्ञान सिजक्तकरणका ि था अजधकार लाभ के जलए प्राजधकृ ि जिजजटल फे लनज़ (Digital Fellows) के
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माध्यम से भारि के जचजन्हि अल्पसंख्यक क्लस्टसग के बयच जिजजटल साक्षरि ा का आरम्भ करना है।
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इस यनजना के अंि गगि मौलाना आज़ाद एजुकेिन फाउं िेिन (MAEF) द्वारा जवियय सहायि ा प्राप्त
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अन्य यनजनाएं
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हमारय धरनहर: इस यनजना का उद्देश्य भारि यय संस्कृ जि के सन्दभग में अल्पसंख्यक समुदायों की
समृद्ध जवरासि कन संरजक्षि करना है।
ख्वाज़ा ग़रयब नवाज़ उच्चि र माध्यजमक जवद्यालय की स्थापना अजमेर में मौलाना आज़ाद
एजुकेिन फाउं िेिन (MAEF) के द्वारा अल्पसंख्यकों कन प्रनत्साहन देने के जलए की जा रहय है।
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स्वास््य देखभाल सेवाओं ि क सयजमि पहुाँच इत्याकद।
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बलाि ् या बंधुआ मज़दूरय, सावगजजनक स्थलों का उपयनग न करने देना, पठरवारों ि था ग्रामों में
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रहने से वंजचि रखा जाना इत्याकद।
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SWEEKRUTI
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“SWEEKRUTI” उड़यसा सरकार द्वारा आरं भ की गयय एक अम्रेला यनजना है जजसे जवजवध उद्देश्यों
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के साथ जमिन मनि में संचाजलि ककया जाना है। रांसजेंिर व्जक्तयों के जलए समि ापूणकाग न्याय कन
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सुजनजिि करने के जलए SWEEKRUTI यनजना जनम्नजलजखि व्ापक उद्देश्यों पर फनकस करि य है:
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राज्य के रांसजेंिर व्जक्तयों के जलए समान अवसर, समि ा एवं सामाजजक न्याय सुजनजिि करने
ि था उनके सिजक्तकरणका के जलए एक सक्षम वाि ावरणका ि ैयार करना।
रांसजेंिर व्जक्तयों के प्रभावय सामाजजक समेकन कन सुजनजिि करने हेि ु स्वैजच्छक कारग वाई और
सभय जहि धारकों की प्रजि भाजगि ा कन प्रनत्साजहि करना।
राज्य में रांसजेंिर व्जक्तयों के अजधकारों और पात्रि ा के संरक्षणका के जलए आउटरयच गजि जवजधयों
का जवस्ि ार करना।
रनजगार, रनजगार एवं अन्य सामाजजक-िैजक्षक सेवाओं के जलए रांसजेंिर व्जक्तयों के व्जक्तगि
और सामूजहक प्रयासों कन प्रनत्साजहि करना।
3.7.2. भारि में LGBT समु दाय के जहि ों कन प्रनत्साजहि करने के जलए सरकार/
)
न्यायपाजलका की पहल
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(Initiatives by Government/Judiciary to Promote Interests of LGBT Community in
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India)
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NALSA मामले में सुप्रयम कनटग ने रांसजेंिरों की पहचान वैध ि यसरे हलग के रूप में की और उनके
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इसने इस ‘अजधकारहयन’ वगग के जलए OBC कनटा के अंि गगि आरक्षणका के अवसर कन संभव बनाया
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है।
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उड़यसा रांसजेंिर कन सामाजजक कल्याणका लाभ प्रदान करने वाला प्रथम राज्य बन गया– जैसे कक
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वेि न, आवास और अनाज– प्रायिः जजनका आवंटन के वल सवागजधक गरयब लनगों के जलए ककया
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जाि ा है।
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LGBT समुदायों के अजधकारों कन संरक्षणका प्रदान करने के जलए संसद में रांसजेंिर व्जक्त
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सरकार द्वारा आरं भ की गयय साजथया यनजना, जिष्टि ा और बुजद्धमिा से समान-हलग आकषगणका कन
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संबनजधि करि य है और व्ाख्या करि य है कक अपने समान हलग वाले व्जक्त के प्रजि आकषगणका
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जनधगन लनग संसाधन जुटाने में अपने असाम्यग के कारणका कई समस्याओं का सामना करि े हैं, चाहे वह –
स्वास््य देखभाल हन, जिक्षा हन, मननरं जन हन, जयवन की बेहि र गुणकाविा हन या कफर कु छ और। इससे
उन्हें जनधगनि ा के दुष्चि में फाँ से रहना पड़ि ा है जहााँ कम पैसा हनने के कारणका वे बेहि र जिक्षा प्राप्त करने
में सक्षम नहीं हन पाि े हैं, जजससे उन्हें कम मजदूरय वाला काम करना पड़ि ा है या बेरनजगार हय रहना
मनरे गा (MGNREGA)
महात्मा गााँधय नरे गा (NREGA) या मनरे गा सरकार का प्रमुख रनजगार सृजन कायगिम है। यह
रनजगार के अवसर उत्पन्न करने और समाज के ऐसे वंजचि वगों एवं गरयबों कन अजि ठरक्त आय प्रदान
करने में महत्वपूणकाग भूजमका जनभाि ा है जन स्वैजच्छक रूप से अकु िल काम करना चाहि े हैं। इसके ि हि
प्रत्येक जवियय वषग में प्रत्येक पंजयकृ ि ग्रामयणका पठरवार कन 100 कदनों की मजदूरय वाला अकु िल काम
या रनजगार प्रदान ककया जाि ा है।
अपेजक्षि लाभाथी
ग्रामयणका आबादय
अकु िल मैन्युअल श्रजमक
मौसमय बेरनजगार
मुख्य जविेषि ाएं
मजदूरों कन ि य सांजवजधक न्यूनि म मजदूरय प्रदान की जाि य है।
सुभेद्य समूहों के जलए सुदढ़ृ सामाजजक सुरक्षा संजाल।
कृ जष अथगव्वस्था के रनजगार का संधारणकायय जवकास जन सूखा, वनों की कटाई और जमट्टय के
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कटाव, जल और मृदा संरक्षणका, वनयकरणका और भूजम जवकास कायों कन संबनजधि करि ा है।
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60:40 मजदूरय और सामग्रय अनुपाि बनाए रखा जाना आवश्यक है। कांरेक्टर और यंत्रों की 9@
अनुमजि नहीं है।
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कें द्र सरकार अकु िल िारयठरक श्रम की 100 प्रजि िि मजदूरय और कु िल व अकु िल श्रजमकों की
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जनम्नजलजखि हैं:
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जविेषरूप से वाटरिेि गजि जवजधयों में आर्थथक पठरणकाामों में सुधार करना।
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o ग्रामयणका पठरवारों के माजसक प्रजि व्जक्त खपि व्य में उल्लेखनयय वृजद्ध करना।
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यह अनुसूजचि जाजि (SC) और अनुसूजचि जनजाजि (ST) सजहि अन्य अजधकारहयन समूहों से
अजधक प्रजि भाजगि ा के साथ स्व-लक्ष्ययकरणका कायगिम के रूप में सफल हन रहा है।
SC और ST के मामले में, प्रजि भाजगि ा दर उनकी कु ल आबादय की जहस्सेदारय से अजधक हन गयय
है।
इसने मजदूरय के परं परागि लैंहगक आधार पर मजदूरय संबंधय भेदभाव कन कम ककया है, जविेषि िः
सावगजजनक कायों में। इसने मजहलाओं की सामाजजक-आर्थथक जस्थजि पर सकारात्मक प्रभाव िाला
है।
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बाजार में मजदूरय की दर कहीं अजधक है, इसके पठरणकाामस्वरूप बड़े प्रनजेक्ट की बजाय के वल छनटे
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काम जलये जा रहे हैं। 9@
कु छ ऐसे मामले भय हैं जहां प्रकियाओं का सहय ढंग से पालन नहीं ककया जा रहा है, उजचि
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एकल लाभार्थथयों और के वल मनरे गा जनजध का उपयनग करने के जलए ग्राम पंचायि ों द्वारा कायों
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रनजगार के प्रावधान में मौसमय पहलू कन भय नजरअंदाज कर कदया गया था और कु छ जजलों में
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जनष्कषग
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यद्यजप आमि ौर पर मनरे गा अपने उद्देश्य की पूर्थि करने में सफल रहा है, ि थाजप इस कायगिम कन और
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अजधक उपयनगय और जवकास उन्मुख बनाने के जलए बेहि र प्रबंधन ि था इसमें और अजधक संिनधन की
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आवश्यकि ा है। कु छ स्थानों पर, इस कायगिम का उपयनग पयगटन के जवकास के जलए भय करने की
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गुंजाइि है क्योंकक उन स्थानों पर समुदाय से संबंजधि अन्य कृ जष-भूजम गजि जवजधयों कन अब ि क पूरा
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ककया जा चुका है। इससे के वल एक या कु छ लाभार्थथयों के स्थान पर अनेक लाभाथी होंगे और यहां ि क
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4.1. राष्ट्रयय ग्रामयणका स्वास््य जमिन (National Rural Health Mission: NRHM)
NRHM के आगमन के साथ, भारि ने ग्रामयणका गरयबों कन वहनयय स्वास््य सुजवधाएाँ प्रदान करने में
उल्लेखनयय उपलजधधयां प्राप्त की हैं और इसके साथ-साथ
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जैसे कु छ राज्यों में काफी कु िलि ापूवगक काम करि य प्रि यि हनि य है। हालांकक, उिर प्रदेि, उड़यसा
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और जम्मू-कश्मयर के अजधकांि जजलों में मनबाइल स्वास््य इकाईयां (Mobile Medical Units)
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काम नहीं कर रहीं हैं। इसके अजि ठरक्त, अक्षम आपाि कालयन पठरवहन प्रणकाालय स्वास््य देखभाल 9@
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जचककत्सालय अनुरक्षणका: कई जजलों में साफ-सफाई, कपड़े धनने, खान-पान इत्याकद जैसय गौणका
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सुजवधाओं के सभय स्ि रों पर स्टाफ नसों की कमय के चलि े सेवाओं की गुणकाविा गंभयर रूप से
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प्रभाजवि हुई है। स्वच्छि ा, जबजलय, पेय जल आकद जैसय आधारभूि सुजवधाओं के अभाव के कारणका
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नवजाि जििुओं कन जन्म देने वालय मजहलाएं, प्रसव के बाद न्यूनि म 48 घंटे ि क भय अस्पि ालों में
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क्षमि ा जनमागणका: हालांकक सभय राज्यों में प्रजिजक्षि आिा (ASHA) कायगकि ागओं की जनयुजक्त की
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जाि य है, कफर भय कु छ राज्यों में उन्हें उजचि ि रयके से प्रजिजक्षि नहीं ककया जाि ा है और कु छ
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राज्यों में, आिा कायगकि ागओं के चयन के जलए जनधागठरि कदिाजनदेिों का उजचि अनुपालन नहीं
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ककया जाि ा है। जवद्यमान प्रजिक्षणका अवसंरचना जैसे मेजिकल कॉलेज, नर्ससग रेहनग इं स्टयट्यूट आकद
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अवसंरचना के आवश्यक स्ि र से मेल नहीं खाि े हैं। इसके अजि ठरक्त, जचककत्सा और स्वास््य प्रबंधन
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कर्थमयों के जलए जनयुजक्तयों और स्थानांि रणका नयजि यों का कनई ि ार्दकक आधार नहीं है जजससे
स्वास््य देखभाल की जवश्वसनययि ा और जनरं ि रि ा प्रभाजवि हनि य है।
4.2. प्रधान मं त्रय उज्ज्वला यनजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana: PMUY)
प्रधान मंत्रय उज्ज्वला यनजना के ि हि , सरकार का उद्देश्य देि में गरयबय रे खा से नयचे के (BPL)
पठरवारों कन LPG कनेक्िन प्रदान करना है ि ाकक भारि के ग्रामयणका क्षेत्रों में खाना पकाने में
उपयनग ककए जाने वाले अस्वच्छ ईंधन कन स्वच्छ व अजधक प्रभावय LPG (ि रलयकृ ि पेरनजलयम
गैस) से प्रजि स्थाजपि ककया जा सके ।
4.3. जवजभन्न यनजनाओं की जनगरानय में सु धार के जलए हाल में की गईं पहलें
सामाजजक और कल्याणका संकेि कों पर आर्थथक जवकास के प्रभाव में सुधार करने के जलए, सामाजजक
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सुरक्षा कायगिमों में मुख्य प्रिासजनक और संचालन अक्षमि ाओं कन संबनजधि ककया जाना चाजहए। इसे
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सामाजजक कल्याणका के बजट कन बहुि अजधक बढ़ाये जबना प्राप्त ककया जा सकि ा है और इसके
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पठरणकाामस्वरूप दक्षि ा में भय वृजद्ध हनगय। 9@
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5.2.1. बच्चे (Children)
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संवध
ै ाजनक प्रावधान
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अनुच्छेद 15 (3): राज्य बच्चों की उन्नजि के जलए जविेष प्रावधान कर सकि ा है।
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अनुच्छेद 21 A: राज्य छह से चौदह वषग के सभय बच्चों कन जन:िुल्क और अजनवायग जिक्षा प्रदान
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करे गा।
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अनुच्छेद 23: ि स्करय ककए जाने और बंधुआ मज़दूरय के जलए मजबूर ककए जाने से संरजक्षि ककए
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जाने का अजधकार।
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अनुच्छेद 45: राज्य छह वषग से काम आयु के बालकों के प्रारं जभक बचपन की देखभाल और जिक्षा
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प्रावधान करि ा है।
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बाल अजधकार संरक्षणका आयनग अजधजनयम, 2005
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o भारि ने वषग 1992 में संयुक्त राष्ट्र बाल अजधकार सम्मेलन की पुजष्ट की है और इस अजधजनयम कन
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देि के बच्चों के अजधकारों के संरक्षणका के जलए आवश्यक कदमों में से एक के रूप में पाठरि ककया
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गया था। यह राष्ट्रयय बाल अजधकार संरक्षणका आयनग की स्थापना करि ा है।
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o यह अजधजनयम बाल जववाह कन अवैध मानि ा है और इसके जलए दंि का प्रावधान करि ा है।
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आयु पूरय नहीं की है और एक ऐसय मजहला से है जजसने अिारह वषग की आयु पूरय नहीं की है।
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अन्य प्रपत्र
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इस नयजि ने एकाग्र अवधान के जलए चार प्रमुख प्राथजमक क्षेत्रों की पहचान की है:
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चूंकक बच्चों की जरूरि ें बहु-क्षेत्रयय, परस्पर संबद्ध हनि य हैं और इन्हें सामूजहक कारग वाई की
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आवश्यकि ा हनि य है, यह नयजि िासन के जवजभन्न क्षेत्रों और स्ि रों में उद्देश्यपूणकाग अजभसरणका
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संवध
ै ाजनक प्रावधान (Constitutional Provisions)
अनुच्छेद 15 (3): राज्य मजहलाओं के जलए जविेष प्रावधान कर सकि ा है।
अनुच्छेद 23: दुव्यागपार और बालाि ् श्रम के जलए जववि ककए जाने से संरजक्षि हनने का अजधकार।
माि ृत्व लाभ (संिनधन) अजधजनयम, 2017 - 26 माह के भुगि ानयुक्ि माि ृत्व लाभ का प्रावधान
करि ा है।
दहेज प्रजि षेध अजधजनयम, 1961- दाजण्िक प्रावधान प्रदान करके दहेज प्रथा का उन्मूलन करने के
जलए।
अनैजि क दुव्यागपार (रनकथाम) अजधजनयम 1986 - मजहलाओं के दुव्यागपार के जलए दाजण्िक
प्रावधान।
मजहलाओं का अश्लयल जनरूपणका (जनषेध) अजधजनयम 1986 - मजहलाओं की गठरमा की रक्षा करने के
जलए।
सि य प्रथा (रनकथाम) अजधजनयम 1987 - सि य प्रथा कन समाप्ि ककया।
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राष्ट्रयय मजहला आयनग अजधजनयम 1990 – राष्रयय मजहला आयनग की स्थापना करि ा है।
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घरे लू हहसा से मजहलाओं की सुरक्षा अजधजनयम, 2005 - मजहलाओं कन घरे लू हहसा से बचाने के
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जलए।
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अन्य प्रपत्र
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5.2.3. अनु सू जचि जाजि , अनु सू जचि जनजाजि और अन्य जपछड़ा वगग
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संवध
ै ाजनक प्रावधान (Constitutional Provisions)
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अनुच्छेद 16 (4): राज्य अनुसजू चि जाजि /अनुसूजचि जनजाजि यों के जलए जनयुजक्तयों/पदों में
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अनुच्छेद 17: ककसय भय रूप में अस्पृश्यि ा और उसके व्यवहार कन समाप्त करि ा है।
अनुच्छेद 46: SC, ST और कमजनर वगों के िैजक्षक और आर्थथक जहि ों का संवधगन।
अनुच्छेद 243D: SC/ST उम्मयदवारों के जलए पंचायि ों में सयटों का आरक्षणका।
अनुच्छेद 275: जनजाि यय कल्याणका के जलए राज्यों कन जविेष सहायि ा अनुदान।
अनुच्छेद 335: िैजक्षक संस्थानों में प्रवेि या पदनन्नजि के जलए अहगि ा प्राप्तांकों में छू ट।
संजवधान का अनुच्छेद 330 और 332 लनकसभा और राज्यों की जवधाजयकाओं में अनुसूजचि
जाजि यों और अनुसूजचि जनजाजि यों के पक्ष में सयटों के आरक्षणका का प्रावधान करि ा है।
संवध
ै ाजनक प्रावधान (Constitutional Provisions)
राज्य सूचय की मद संख्या 9 व समवि ी सूचय की मद संख्या 20, 23 और 24 सामाजजक सुरक्षा
और सामाजजक बयमा, वृद्धावस्था पेंिन और आर्थथक और सामाजजक जनयनजन से संबंजधि हैं।
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अनुच्छेद 41: राज्य बुजुगों के अजधकारों जविेष रूप से सामाजजक सुरक्षा के अजधकारों की रक्षा
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करे गा।
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वठरष्ठ नागठरकों/वयनवृद्धों से संबजं धि कानून (Legislation Related to Aged/Senior Citizens)
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o बच्चों का अपने माि ा-जपि ा का भरणका-पनषणका करने का दाजयत्व ि ाकक ऐसे माि ा-जपि ा
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उिराजधकारय है।
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अन्य प्रपत्र
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सृजन
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संवध
ै ाजनक प्रावधान (Constitutional Provisions)
प्रस्ि ावना, अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 21 और DPSP सभय व्यजक्तयों के जलए समानि ा, न्याय और
गठरमा का अजधकार प्रदान करि े हैं जन समावेिय जवकास का मागग प्रिस्ि करि ा है जजसमें
जवकलांग व्जक्त भय सजम्मजलि हैं।
संवध
ै ाजनक प्रावधान (Constitutional Provisions)
प्रस्ि ावना: न्याय - अपने सभय नागठरकों के जलए सामाजजक, आर्थथक ि था राजनयजि क न्याय
अनुच्छेद 14,15 और 16: समानि ा के अजधकार की गारं टय देि े हैं और भेदभाव जनजषद्ध करि े हैं
अनुच्छेद 25-28: धमग की स्वि ंत्रि ा का अजधकार
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अनुच्छेद 29: भाषा, जलजप और संस्कृ जि का संरक्षणका करने का अजधकार और यह कक उन्हें अपने
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मूलवंि, भाषा, धमग या जाजि के आधार पर िैजक्षक संस्थानों में प्रवेि से वंजचि नहीं ककया जाएगा
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अनुच्छेद 30: िैजक्षक संस्थानों की स्थापना और प्रिासन करने करने का अजधकार और राज्य द्वारा
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ऐसे संस्थानों कन सहायि ा अनुदान प्रदान करने के प्रकरणकाों में ककसय भय भेदभाव पर प्रजि बंध
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जवजभन्न व्जक्तगि कानून जवजभन्न धमों से संबंजधि व्जक्तयों के जववाह, ि लाक और उिराजधकार
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अजधकारों कन जनयंजत्रि करि े हैं, जैसे कक - भारि यय ईसाई जववाह अजधजनयम, 1872; पेठरस
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राष्रयय अल्पसंख्यक िैजक्षक संस्थान आयनग अजधजनयम, 2004 - यह अजधजनयम कें द्रयय
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अल्पसंख्यक संस्थानों में गुणकाविापूणकाग जिक्षा प्रदान करने के जलए यह अजधजनयम बनाया गया था।
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भारि का संजवधान सभय व्जक्तयों के जलए समानि ा, स्वि ंत्रि ा, न्याय और गठरमा सुजनजिि करि ा है
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राष्रयय बाल अजधकार संरक्षणका आयनग (National Commission for Protection of Child
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Rights: NCPCR)
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यह CPCR अजधजनयम, 2005 (Commissions for Protection of Child Rights: CPCR) के
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अंि गगि सौंपय गई िजक्तयों और कायों का प्रयनग और जनष्पादन करने के जलए बाल अजधकार संरक्षणका
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आयनग (CPCR) अजधजनयम, 2005 के अंि गगि सृजजि सांजवजधक जनकाय है। इसका लक्ष्य यह
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सुजनजिि करना है कक सभय कानून, नयजि यां, कायगिम और प्रिासजनक ि ंत्र भारि के संजवधान के साथ-
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साथ बाल अजधकारों पर संयुक्त राष्ट्र अजभसमय में यथा प्रगजणकाि बाल अजधकार पठरप्रेक्ष्य के अनुरूप हन,
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आयनग की वेबसाइट ncpcr.gov.in में यौन हहसा के प्रकरणकाों की सूचना देने के जलए एक ई-
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है।
राष्ट्रयय आयनग की िजक्तयां और कायग जनम्नजलजखि हैं:
बाल अजधकारों के संरक्षणका के जलए ककसय भय कानून द्वारा या इसके अंि गगि प्रदान ककए गए कानूनय
रक्षनपायों की जांच और समयक्षा और उनके प्रभावय कायागन्वयन के जलए उपायों की अनुिस
ं ा करना
बाल अजधकारों के उल्लंघन की जांच और ऐसे प्रकरणकाों में कायगवाहय आरं भ करने की अनुिंसा
करना
समाज के जवजभन्न वगों के बयच बाल अजधकारों के संबध में जागरूकि ा फै लाना
बाल अजधकारों के क्षेत्र में अनुसंधान कन बढ़ावा देना और आरं भ करना
ककिनरों / बच्चों के जलए बने संस्थानों का जनरयक्षणका करना
राष्रयय लनक समन्वय व बाल जवकास संस्थान (National Institute of Public Cooperation and
Child Development: NIPCCD)
NIPCCD मजहला और बाल जवकास के समग्र कायगक्षेत्र में स्वैजच्छक कारग वाई अनुसंधान, प्रजिक्षणका और
प्रलेखन कन बढ़ावा देने के जलए समर्थपि एक प्रमुख संगिन है। 1860 के सनसायटय पंजयकरणका अजधजनयम
के अंि गगि वषग 1966 में नई कदल्लय में स्थाजपि , यह मजहला एवं बाल जवकास मंत्रालय के ि त्वाधान में
कायग करि ा है। यह संस्थान एकीकृ ि बाल जवकास सेवा (ICDS) कायगिम के प्रजिक्षणका अजधकाठरयों के
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जलए ियषग संस्था के रूप में कायग करि ा है।
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कें द्रयय दिक ग्रहणका संसाधन प्राजधकरणका (Central Adoption Resource Authority: CARA)
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कें द्रयय दिक ग्रहणका संसाधन प्राजधकरणका (CARA) भारि सरकार के मजहला एवं बाल जवकास मंत्रालय
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का एक सांजवजधक जनकाय है। यह भारि यय बच्चों के दिक ग्रहणका के जलए प्रधान जनकाय के रूप में कायग
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करि ा है और अंि :देियय और अंि र-देियय दिक ग्रहणका की जनगरानय और जवजनयमन करने के जलए
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अजधदेजिि है। CARA अपनय संबद्ध दिक ग्रहणका एजेंजसयों के माध्यम से मुख्य रूप से अनाथ, पठरत्यक्त
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और अध्यर्थपि बच्चों के दिक ग्रहणका से संबंजधि है। यह दिक ग्रहणका कायगिम के जवजभन्न जहि धारकों द्वारा
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अनुसठरि की जाने वालय प्रकियाओं और प्रिमों कन जनधागठरि करि े हुए दिक ग्रहणका के जलए कदिाजनदेि
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ककिनर न्याय अजधजनयम, 2015 द्वारा बाल कल्याणका सजमजि यों (CWC) कन देखभाल और सुरक्षा की
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आवश्यकि ा वाले बच्चों (Children in Need of Care and Protection: CNCP) की देखभाल,
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सुरक्षा, उपचार, जवकास और पुनवागस के जलए अंजि म जजला स्ि रयय प्राजधकरणका के रूप में जनर्ददष्ट ककया
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गया है। इस प्रकार CWC के पास CNCP से संबंजधि प्रकरणकाों से जनपटने का एकमात्र अजधकार है और
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अंि गगि मान्यि ा प्राप्त बालगृह, खुले आश्रय, जनरयक्षणका गृह, जविेष गृह, सुरक्षा स्थान, जविेषज्ञ दत्ि क
ग्रहणका एजेंसय और उपयुक्ि सुजवधा से है। जवजध से संघषगरि बच्चों कन जनरयक्षणका गृहों, जविेष गृहों और
सुरक्षा स्थानों में आवासयय देखभाल और सुरक्षा प्रदान की जाि य है।
साथ साझेदारय में काम करने वाले संघयय मजहला एवं बाल जवकास मंत्रालय, गैर सरकारय संगिनों,
अंि रागष्ट्रयय संगिनों, कॉपोरे ट क्षेत्र, संबंजधि व्जक्तयों और बच्चों कन एक साथ लाने वाला मंच है।
राष्ट्रयय मजहला आयनग की स्थापना जनवरय 1992 में राष्ट्रयय मजहला आयनग अजधजनयम, 1990 के
अंि गगि की गई थय। इसके उद्देश्य थे:
मजहलाओं के जलए संवैधाजनक और कानूनय सुरक्षा सम्बन्धय प्रावधानों की समयक्षा करना;
उपचारात्मक वैधाजनक उपायों की अनुिंसा करना;
जिकायि ों के जनवारणका की सुजवधा प्रदान करना और
मजहलाओं कन प्रभाजवि करने वाले सभय नयजि गि मामलों में सरकार कन परामिग देना।
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मजहलाओं के अजधकारों का हनन;
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o मजहलाओं कन सुरक्षा प्रदान करने के साथ हय समानि ा और जवकास के उद्देश्य की प्राजप्त के 9@
जलए अजधजनयजमि कानूनों का गैर- कायागन्वयन।
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मजहलाओं की कठिनाइयों के िमन के साथ उनका कल्याणका सुजनजिि करने और उन्हें राहि
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सभय क्षेत्रों में मजहलाओं के उपयुक्त प्रजि जनजधत्व कन सुजनजिि करने हेि ु उपायों का सुझाव देने के
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पहचान करना।
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मजहलाओं के सामाजजक-आर्थथक जवकास हेि ु यनजना जनमागणका की प्रकिया में भागयदारय करना और
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कारागार, ठरमांि हनम या जहरासि में रखे जाने वाले अन्य स्थानों (जहां मजहलाओं कन कै कदयों के
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रूप में या ककसय अन्य प्रकार से रखा जाि ा है) का जनरयक्षणका कराना या स्वयं जनरयक्षणका करना और
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संबंजधि अजधकाठरयों के साथ जमलकर उपचारात्मक कारग वाई हेि ु कायग करना।
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मजहलाओं के एक बड़े वगग कन प्रभाजवि करने वाले मुद्दों कन सजम्मजलि करने वालय याजचकाओं या
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अजभयनजनों का जनधययन ।
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मजहलाओं के सामाजजक-आर्थथक सिजक्तकरणका के जलए वषग 1993 में राष्ट्रयय स्ि र के संगिन के रूप में
मजहला और बाल जवकास मंत्रालय के ि त्वाधान में राष्ट्रयय मजहला कनष (RMK) की स्थापना की गई
थय। राष्ट्रयय मजहला कनष (RMK) अनौपचाठरक क्षेत्र में मजहलाओं कन आय सृजन गजि जवजधयों के जलए
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जबना कु छ जगरवय रखे सरल ि रयके से ग्राहक अनुकूल सूक्ष्म-ऋणका प्रदान करि ा है। यह सुजवधा प्रदाि ा
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एजेंसय के रूप में कायग करि ा है। यह मध्यवि ी संगिन (IMO) कहे जाने वाले NGO-MFIs (गैर
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सरकारय संगिन- सूक्ष्म जवि संस्थानों) कन ऋणका प्रदान करि ा है। ि त्पिाि ये मध्यवि ी संगिन
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मजहलाओं के स्वयं सहायि ा समूहों (SHGs) कन ऋणका प्रदान करि े हैं। राष्ट्रयय मजहला कनष (RMK) ने
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सूक्ष्म जविपनषणका, उद्यम जवकास, बचि और ऋणका, मध्यवि ी संगिनों के माध्यम से मजहला- स्वयं
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सहायि ा समूहों (SHGs) के गिन एवं सुदढ़ृ यकरणका की अवधारणकाा कन लनकजप्रय बनाने के जलए ने कई
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5.3.4. अनु सू जचि जाजि / अनु सू जचि जनजाजि / अन्य जपछड़ा वगग ( SCs/STs/OBCs)
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संजवधान ने अनुच्छेद 338 के अंि गगि अनुसूजचि जाजि यों एवं जनजाजि यों कन प्रदि रक्षनपायों का
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उजचि कियान्वयन सुजनजिि करने, इनसे संबंजधि सभय मामलों की जांच करने ि था राष्ट्रपजि कन इन
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रक्षनपायों के जवषय में ठरपनटग करने हेि ु जविेष अजधकारय की जनयुजक्त करने का प्रावधान ककया गया है।
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इस प्रावधान के अनुपालन में 18 नवंबर 1950 कन पहलय बार अनुसूजचि जाजि एवं जनजाजि आयुक्त
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भारि यय संजवधान के अनुच्छेद 338 के अंि गगि आयनग के जलए जनम्नजलजखि कि गव् एवं कायग जनधागठरि
ककये गए हैं:
अनुसूजचि जाजि यों कन संजवधान या ि त्समय प्रभावय ककसय अन्य कानून अथवा सरकार के ककसय
आदेि के अंि गगि प्रदान ककए गए समस्ि रक्षनपायों के जवषय में जांच और जनगरानय करना ि था
रक्षनपायों की कायगप्रणकाालय का मूल्यांकन करना;
अनुसूजचि जाजि यों कन उनके अजधकारों और रक्षनपायों से वंजचि करने से संबंजधि जवजिष्ट
जिकायि ों के जवषय में जांच करना;
एक 'गैर-लाभकारय' (not for profit) कं पनय के रुप में स्थाजपि ककया गया है। यह िबल पावटी लाइन
(गरयबय रे खा के जलए जनधागठरि आय का दनगुना) से नयचे जयवन यापन करने वाले अनुसूजचि जाजि यों
के पठरवारों से संबंजधि व्जक्तयों के आर्थथक सिजक्तकरणका हेि ु जवि पनषणका प्रदान करने और जनजधयों की
सुजवधा प्रदान करने ि था उसे जुटाने के जलए सामाजजक न्याय एवं सिजक्तकरणका मंत्रालय भारि सरकार
के अंि गगि कायग करि ा है। राष्ट्रयय अनुसूजचि जाजि जवि एवं जवकास जनगम (NSFDC) राज्य चैनहलग
एजेंजसयों (SCAs) के माध्यम से लजक्षि समूह हेि ु उत्पादन यनजनाओं का जविपनषणका करि ा है।
राष्ट्रयय अनुसजू चि जाजि जवि एवं जवकास जनगम (NSFDC Operations) के कायग :
राज्य चैनहलग एजेंजसयों (SCAs) और संबंजधि राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र सरकारों द्वारा नाजमि अन्य
मान्यि ा प्राप्त संस्थानों के माध्यम से अनुसूजचि जाजि यों के जलए आय सृजन करने वालय यनजनाओं
का जविपनषणका करना।
लजक्षि समूह कन राष्ट्रयय अनुसूजचि जाजि जवि एवं जवकास जनगम (NSFDC) सूक्ष्म ऋणका जवि
प्रदान करना।
अनुसूजचि जाजि के अहग छात्रों कन, भारि या जवदेि में पूणकाक
ग ाजलक पेिेवर/ ि कनयकी िैजक्षक
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पाठ्यिम संपन्न करने के जलए िैजक्षक ऋणका प्रदान करना।
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राष्ट्रयय अनुसूजचि जाजि जवि एवं जवकास जनगम (NSFDC) के माध्यम से कौिल जवकास
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कायगिमों हेि ु अनुदान प्रदान करना। 9@
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लजक्षि समूह और राज्य चैनहलग एजेंजसयों (SCAs) कन परामिग सेवाएं प्रदान करना।
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राष्ट्रयय सफाई कमगचारय जवि जवकास जनगम (National Safai Karamacharis Finance
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राष्ट्रयय सफाई कमगचारय जवि जवकास जनगम (NSKFDC) सामाजजक न्याय एवं सिजक्तकरणका
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जनजधयों की चैनहलग करने हेि ु सवोच्च संस्थान के रूप में कायग करि ा है।
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लजक्षि समूह के उत्थान के जलए जवजवध प्रकार की ऋणका आधाठरि और गैर-ऋणका आधाठरि
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यनजनाओं का संचालन करने के अजि ठरक्त, राष्ट्रयय सफाई कमगचारय जवि जवकास जनगम
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(NSKFDC) अस्पृश्यि ा के जनकृ ष्टि म प्रि यक - मैनुअल (हाथ से की जाने वालय) सफ़ाई के उन्मूलन
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इसे सामाजजक न्याय और सिजक्तकरणका मंत्रालय के ि त्वाधान में मैनुअल मेहि रों के पुनवागस के
जलए के न्द्रयय क्षेत्रक स्व-रनजगार यनजना (SRMS) के कायागन्वयन के जलए ननिल एजेंसय के रूप में
नाजमि ककया गया है।
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खजनज संसाधनों, जल संसाधनों इत्याकद पर जनजाि यय समुदायों के जवजधसम्मि अजधकारों
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की रक्षा करने हेि ु आवश्यक उपाय करना। 9@
o आकदवाजसयों के जवकास के जलए उपाय और अजधकाजधक व्वहायग आजयजवका सम्बन्धय
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बेदखल ककया जा चुका है उन्हें प्रभावय रूप से पुनवागजसि करने हेि ु आवश्यक उपाय करना।
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o वनों की रक्षा करने और सामाजजक वनयकरणका का उपिम करने में आकदवासय समुदायों का
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अजधकि म सहयनग और उनकी सकिय संलग्नि ा प्राप्त करने हेि ु आवश्यक उपाय करना।
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पंचायि ों के प्रावधान (अनुसजू चि क्षेत्रों पर जवस्ि ार) अजधजनयम, 1996 (पेसा) का पूणकाग
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आकदवाजसयों द्वारा अपनाई जाने वालय झूम कृ जष (स्थानांि रय कृ जष) की प्रथा कन कम करने
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और अंि ि िः समाप्त करने के जलए ककए जाने यनग्य उपाय करना।यह प्रथा उनके जनरं ि र गैर-
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जांच और पूछि ाछ के जलए आयनग कन जसजवल न्यायालय की िजक्तयााँ दय गयय हैं जजनके अंि गगि उसे
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सामाजजक और िैजक्षक रूप से जपछड़े वगों की पठरभाषा: अनुच्छेद 366 के अंि गगि “सामाजजक
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और िैजक्षक रूप से जपछड़े वगों” कन पठरभाजषि (उसय प्रकार से जैसे उन्हें 342A के अंि गगि जपछड़े
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वगों के रूप में माना गया है) करने के जलए खंि (26C) कन िाजमल करना।
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राष्ट्रयय जपछड़ा वगग जवि एवं जवकास जनगम (National Backward Classes Finance and
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राष्ट्रयय जपछड़ा वगग जवि एवं जवकास जनगम (NBCFDC) सामाजजक न्याय एवं सिजक्तकरणका मंत्रालय
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के ि त्वाधान में कायग करने वालय एक “गैर-लाभकारय कं पनय” है। इसका उद्देश्य जपछड़े वगों के लाभ के
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जलए आर्थथक और जवकास गजि जवजधयों कन बढ़ावा देना और इन वगों के जनधगन संभागों कन कौिल
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जवकास और स्वरनजगार उद्यमों हेि ु सहायि ा प्रदान करना है। राष्ट्रयय जपछड़ा वगग जवि एवं जवकास
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माध्यम से जवियय सहायि ा प्रदान करि ा है। जनगम जनम्नजलजखि व्ापक क्षेत्रों के अंि गगि कौिल जवकास
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कृ जष और सम्बंजधि कियाकलाप
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लघु व्वसाय
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यह आयनग अद्धग -न्याजयक जनकाय है और इसे दयवानय न्यायालय की िजक्तयां प्रदान की गई हैं।
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इसकी अध्यक्षि ा ऐसा व्जक्त करि ा है जन उच्च न्यायालय का न्यायाधयि रह चुका हन और ि यन
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अन्य सदस्यों कन कें द्र सरकार द्वारा मनननयि ककया जाि ा है।
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आयनग की 3 भूजमकाएं हैं यथा अजधजनणकाागयक कायग, सलाहकारय कायग और अनुिस
ं ात्मक िजक्तयां।
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वक्फ मुजस्लम कानून द्वारा धार्थमक, पजवत्र या धमागथग के रूप में मान्यि ा प्राप्त प्रयनजनों के जलए चल या
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अचल संपजि का स्थायय समपगणका है। इन धार्थमक पहलुओं के अजि ठरक्ि , वक्फ सामाजजक और आर्थथक
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वक्फ के जलए कें द्रयय कानून का प्रिासन सामाजजक न्याय और अजधकाठरि ा मंत्रालय का उत्ि रदाजयत्व
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है। वक्फ बनिों के कामकाज और देि में वक्फ के उजचि प्रिासन से संबंजधि प्रकरणकाों पर इसे सलाह देने
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के उद्देश्य से सांजवजधक जनकाय के रूप में कें द्रयय वक्फ पठरषद की स्थापना की गई है। यह पठरषद िहरय
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नयजि गि मुद्दों पर ध्यान कें कद्रि करने और कदव्ांगजनों के कल्याणका एवं सिजक्तकरणका की कदिा में लजक्षि
गजि जवजधयों कन साथगक आवेग देने के जलए, सामाजजक न्याय और अजधकाठरि ा मंत्रालय से अलगकर
जवकलांगि ा प्रकरणकाों का एक अलग जवभाग बनाया गया है। इस जवभाग कन कदव्ांगजन अजधकाठरि ा
जवभाग का नाम कदया गया है। यह जवभाग जवकलांगि ा और कदव्ांगजनों से संबंजधि प्रकरणकाों के जलए
ननिल एजेंसय के रूप में कायग करि ा है।
कदिा (Disha)
कदिा यनजना का उद्देश्य राष्ट्रयय न्यास अजधजनयम के अंि गगि अच्छाकदि 0-10 वषग की आयु के
कदव्यांगजनों (Person with Disability: PwD) के जलए उपचार, प्रजिक्षणका और पठरवार के सदस्यों
कन सहायि ा प्रदान करने के माध्यम से प्रारं जभक हस्ि क्षेप के जलए कदिा कें द्रों की स्थापना करना है।
राष्ट्रयय कदव्यांगजन जवि और जवकास जनगम (National Handicapped Finance and
)
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की है। यह पूणकाि
ग िः भारि सरकार के स्वाजमत्वाधयन है और सरकार की इसमें 400 करनड़ रूपए की
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अजधकृ ि िेयर पूंजय है। यह राज्य सरकार (सरकारों) द्वारा नाजमि राज्य चैनहलग एजेंजसयों (State
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Channelising Agencies: SCA) के माध्यम से कदव्यांगजन के जलए जनजध जुटाने के जलए ियषग
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जवकलांगि ा के क्षेत्र में काम करने वाले गैर-सरकारय संगिनों के जवि पनषणका की यनजना।
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'जविेष उद्यमय जमत्रों’ के माध्यम से जभन्न ि रयके से सक्षम उद्यजमयों कन आरं जभक सहायि ा प्रदान
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करने की यनजना।
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'जविेष प्रजिक्षणका जमत्र' के माध्यम से कौिल प्रजिक्षणका/कौिल उन्नयन का लाभ उिाने के जलए जभन्न
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जभन्न ि रयके से सक्षम व्जक्तयों की रनजगारपरि ा बढ़ाने ओर स्व-रनजगार के बढ़े अवसरों के जलए
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यह कनष वृद्धाश्रम, वठरष्ठ नागठरकों की कदवाकालयन देखभाल से संबंजधि यनजनाओं और
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वयनवृद्धि ा से संबंजधि अनुसंधान गजि जवजधयों का भय जवत्त्पनषणका करे गा।
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इस कनष द्वारा PPF, कमगचारय भजवष्य जनजध और जवजभन्न लघु बचि यनजनाओं में पड़य 9@
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अनुमाजनि 9,000 करनड़ रुपये से अजधक दावारजहि धनराजि का उपयनग ककया जाएगा।
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गए प्रश्न
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है, जजनसे भारि में मजहला आंदनलन ने कई दिकों ि क संघषग ककया है। चचाग कीजजए।
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दृजष्टकनणका:
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IPC की धारा 498A की संजक्षप्त व्ाख्या करि े हुए इस जविेष धारा के संबंध में सवोच्च
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राजेि िमाग और अन्य बनाम UP राज्य वाद (2007) में सवोच्च न्यायालय ने पजि या उसके
ठरश्ि ेदारों के जवरुद्ध धारा 498A का दुरुपयनग करने पर रनक लगाने हेि ु जनदेि कदए हैं। यह
कदिा-जनदेि सवोच्च न्यायालय के जनम्नजलजखि अवलनकनों पर आधाठरि हैं:
पजत्नयों और उसके ठरश्ि ेदारों द्वारा कानून का दुरुपयनग ककया गया है और इस प्रकार
पुरुषों के मूल मानवाजधकारों का उल्लंघन हुआ है।
न्यायालय ने NCRB के 2005, 2012 और 2013 के आंकड़ों के आधार पर जगरफ्ि ार
ककए गए दनषय एवं सुनवाई के बाद जनदोष पाए लनगों की संख्या के आधार पर यह
जनष्कषग जनकाला है कक चूाँकक दनष-जसजद्ध की दर अत्यजधक कम है इसजलए 498A के
अंि गगि दजग ककए गये अजधकांि मामले झूिे हैं।
पासपनटग कन जधि करना और इंटरपनल द्वारा ननठटस जारय करने कन समस्या के रूप में
देखा गया है।
इन अवलनकनों के आधार पर न्यायालय द्वारा जनम्नजलजखि कदिा-जनदेि जारय ककए गये हैं:
संज्ञेय अपराधों कन गैर-संज्ञेय अपराधों में पठरवर्थि ि कर कदया गया है।
पजि यों की जमानि के जलए कु छ जविेष जनयम बनाए गए हैं।
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पासपनटग अजधजनयमों के प्रावधानों कन पठरवर्थि ि कर कदया गया है।
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हालााँकक इस जनणकागय के साथ कु छ गम्भयर मुद्दे भय जुड़े हुए हैं क्योंकक यह धारा 498A के
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अंि गगि आने वाले अजधकांि मामलों के जमथक कन संस्थागि बनाि ा है। इसे जनम्नजलजखि
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NCRB आंकड़ों से वास्ि जवकि ा प्रदर्थिि नहीं हनि य है क्योंकक दनष मुक्त हनने के कई
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कारणका हन सकि े हैं। उदाहरणका के जलए अकु िल अन्वेषणका, मध्यस्थों के माध्यम से मुक़दमों
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का जनपटारा आकद।
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न्यायालय ने अन्य स्रनि ों जैसे- NFHS-3 (नेिनल फॅ जमलय हेल्थ सवे-3), मजहलाओं से
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सम्बंजधि जवषयों के अध्ययन के न्द्रों आकद से प्राप्त आाँकड़ों का जमलान नहीं ककया है। ये
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जनणकागय में प्रत्येक जजले में समाज के सदस्यों से जनर्थमि ‘पठरवार कल्याणका सजमजि ’ के गिन
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का प्रावधान ककया गया है। यह अप्रत्यक्ष रूप से पुजलस के कायों का जनजयकरणका है। इन
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सजमजि यों के कारणका जााँच में जवलम्ब भय हन सकि ा है। इसके अजि ठरक्त सजमजि के सदस्य
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जवजध प्रवि गन एजेंजसयों में पहले से हय मजहलाओं के जवरुद्ध पूवागग्रह हैं। अथागि एक पूवग-
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Th
1980 के दिक में दहेज के कारणका उच्च संख्या में हन रहय मौि ों कन ध्यान में रखि े हुए यह
कानून पाठरि ककया गया था। पूवग में इस कानून के अंि गगि अजभयुक्तों कन ि त्काल
जगरफ्ि ार ककया जाि ा था और स्वयं कन जनदोष जसद्ध करने का दाजयत्व भय उन पर था।
2. भारि में मानव दुव्ागपार एक गंभयर समस्या के रूप में उभरा है, जन समस्या की जठटलि ा कन
समझने एवं इससे मुकाबला करने के जलए एक प्रभावय रणकानयजि ि ैयार करने का आह्वान
करि ा है। चचाग कीजजए।
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दृजष्टकनणका:
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मानव दुव्यागपार कन पठरभाजषि करि े हुए उत्ि र का आरं भ कीजजए।
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इस समस्या से जुड़य जठटलि ाओं के साथ-साथ भारि में मानव दुव्यागपार के मुद्दे पर भय चचाग
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कीजजए।
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उत्ि र:
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संपूणकाग जवश्व में मादक द्रव्ों और हजथयार व्ापार के बाद मानव दुव्यागपार ि यसरा सबसे बड़ा
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संगठिि अपराध है। संयुक्त राष्ट्र की पठरभाषा के अनुसार ‘ककसय व्जक्त कन िराकर, बलप्रयनग
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कर या उसकी दनषपूणकाग ि रयके से भि ी, उसका पठरवहन या उसे िरणका में रखने की गजि जवजध
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मानव दुव्प
ग ार की श्रेणकाय में आि य हैं। सम्पूणकाग जवश्व में लगभग 80% मानव दुव्ागपार यौन
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भारि कन एजिया में मानव दुव्यागपार का कें द्र माना जाि ा है जहााँ 2016 में लगभग 20,000
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मजहलाएाँ और बच्चे इससे पयजड़ि थे। इन मामलों में 2015 की ि ुलना में लगभग 25% की
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वृजद्ध दजग की गयय थय। मजहला एवं बाल जवकास मंत्रालय के अनुसार 2015 के 15,448 की
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ि ुलना में वषग 2016 में 19,223 मजहलाओं और बच्चों का अवैध व्ापार ककया गया था।
Th
मानव दुव्यागपार की समस्या कन समझने के जलए इसके पयछे के आधारभूि अंि र्थनजहि कारकों
कन समझना आवश्यक है। उदाहरणका के जलए:
जनधगनि ा: एजेंटों द्वारा अजधकांिि : जनधगन क्षेत्रों के बच्चों, जविेषकर लड़ककयों कन यौन
िनषणका के जलए और बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने हेि ु भारि के दूर-दराज के राज्यों
में बेच कदया जाि ा है। इन बच्चों के माि ा-जपि ा कन बच्चों जलए जिक्षा, बेहि र जयवन और
धन का लालच कदया जाि ा है।
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भारि यय संजवधान का अनुच्छेद 23 स्पष्ट रूप से मानव दुव्यागपार और बलाि श्रम कन
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प्रजि बंजधि और गैर-कानूनय घनजषि करि ा है। 9@
भारि यय संजवधान के अनुच्छेद 23 (1) के अंि गगि मानवों या व्जक्तयों का दुव्यागपार
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जनजषद्ध ककया गया है। अनैजि क दुव्यागपार (रनकथाम) अजधजनयम (ITPA), 1956
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वाजणकाजज्यक यौन िनषणका हेि ु दुव्यागपार की रनकथाम के जलए प्रमुख कानून है।
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आपराजधक कानून (संिनधन) अजधजनयम, 2013 लागू ककया गया, जजसमें भारि यय दंि
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संजहि ा की धारा 370 कन IPC की धारा 370 और 370A से प्रजि स्थाजपि ककया गया
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है। इनके अंि गगि मानव दुव्यागपार के खि रों से जनपटने हेि ु व्ापक उपाय ककए गए हैं।
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मजहलाओं और बच्चों के दुव्यागपार से संबंजधि अन्य जवजिष्ट कानून भय हैं: IPC की जवजिष्ट
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संबंजधि धारा 372 और 373 के अजि ठरक्ि बाल जववाह जनषेध अजधजनयम, 2006;
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बंधुआ मजदूरय प्रथा (उन्मूलन) अजधजनयम, 1976; बाल श्रम (जनषेध एवं जवजनयमन)
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अजधजनयम, 1986; मानव अंग प्रत्यारनपणका अजधजनयम, 1994 आकद कानून बनाये गए
हैं।
राज्य सरकारों ने भय इस मुद्दे से जनपटने के जलए जवजिष्ट कानून बनाए हैं (जैसे पंजाब
मानव दुव्यागपार जनवारणका अजधजनयम, 2012)।
सरकारय प्रयासों के साथ-साथ नेपाल में मैि य नेपाल और भारि में देहाि प्रहरय
पठरयनजना जैसे स्थानयय गैर-सरकारय संगिनों के प्रयासों से दुव्यागपार जनवारणका के प्रयास
ककए जा रहे है।
3. जवगि वषों के दौरान अपने नागठरकों के जलए सुरजक्षि एवं िनषणका मुक्त बचपन सुजनजिि
करने के जलए सरकार द्वारा उिाए गए कदमों का परयक्षणका कीजजए। पुनि, जवश्लेषणका कीजजए
कक हाल हय में अनुसमर्थथि दन प्रमुख ILO अजभसमयों से बाल श्रम के जवरुद्ध भारि की लड़ाई
में कै से सहायि ा जमलेगय।
दृजष्टकनणका:
भारि में सामान्य रूप से बाल कल्याणका हेि ु सरकार द्वारा उिाए गए कदमों का उल्लेख
कीजजए।
इन कदमों का संजक्षप्त जवश्लेषणका प्रस्ि ुि कीजजए।
ि त्पिाि हाल हय में सरकार द्वारा अनुसमर्थथि दन प्रमुख ILO अजभसमयों की चचाग कीजजए
और बि ाइए कक ककस प्रकार ये बालश्रम के जवरुद्ध लड़ाई में सहायक हैं।
उिर:
बच्चों पर जनवेि करना एक बेहि र भजवष्य के जलए जनवेि करने के समान है। अि िः जवगि वषों
में भारि सरकार ने देि के बच्चों का सुरजक्षि बचपन सुजनजिि करने के जलए कई कदम उिाए
हैं। इनमें से कु छ कदम जनम्नजलजखि हैं:
ककिनर न्याय (बच्चों की देखरे ख एवं संरक्षणका) अजधजनयम, 2015 - यह अजधजनयम ऐसे
)
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बच्चों जजन्हें देखभाल एवं सुरक्षा की आवश्यकि ा है ि था ऐसे बच्चे जन कानूनय प्रकिया का
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सामना कर रहे हैं, दननों के जलए सिक्त प्रावधान करि ा है। 9@
बाल श्रम (प्रजि षेध एवं जवजनयमन) संिनधन अजधजनयम, 2016 - इसका उद्देश्य 14 वषग
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से कम आयु के बच्चों की जिक्षा के अजधकार की रक्षा करना है। इसके अजि ठरक्त, यह 14-
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18 वषग की आयु वगग के ककिनरों कन भय संरक्षणका प्रदान करने वाला पहला कानून है।
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मसौदा मानव ि स्करय रनधय जवधेयक – जजला, राज्य और कें द्रयय स्ि र पर समर्थपि
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उत्पयड़न कन समाप्त करना। इसके अजि ठरक्त न्याजयक प्रकिया के प्रत्येक स्ि र पर बच्चों के
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इन सबके अजि ठरक्त भारि सरकार द्वारा लापि ा बच्चों के जलए खनया-पाया पनटगल कन प्रारं भ
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सरकार द्वारा उिाए गए संयुक्त कदमों के कारणका, बाल मृत्यु-दर में उल्लेखनयय कमय हुई है
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ि था प्राथजमक स्ि र पर जिक्षा हेि ु दाजखलों में वृजद्ध हुई है। ककन्ि ु इसके साथ हय स्वास््य,
Th
पनषणका और बाल भागयदारय से संबंजधि मुद्दों का समाधान करने हेि ु और अजधक प्रयास ककये
जाने की आवश्यकि ा है। इसके अजि ठरक्त, बच्चों से संबंजधि इंटरनेट आधाठरि खि रे और
जलवायु पठरवि गन के कारणका बढ़ि य अजि संवेदनियलि ा जैसे नई और उभरि य हुई चुनौजि यां
भय जवद्यमान हैं। इसजलए यह महत्वपूणकाग है कक पहले बच्चों से संबंजधि प्रमुख अंि रालों और
मुद्दों की पहचान की जाए ि त्पिाि व्ापक रूप से इनका समाधान ककया जाए। कु छ समय
पूवग प्रारं भ की गयय बच्चों के जलए राष्ट्रयय कायग यनजना, 2016 का लक्ष्य इस प्रकार के अंि रालों
कन कम करने और साथ हय ककए जा रहे प्रयासों कन अजधकि म करने हेि ु एक जनगरानय और
मूल्यांकन ढांचा प्रदान करना है।
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सुरजक्षि बचपन आकद। ककन्ि ु अंि ि िः बच्चों का िनषणका समाप्त करने के प्रयासों में सफलि ा
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समाज की संवेदनियलि ा के स्ि र, राजनयजि क इच्छािजक्त और बच्चों के जवकास एवं संरक्षणका
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पर जनवेि ककए गए संसाधनों पर जनभगर करि य है। इसका समाधान के वल ि भय ककया जा 9@
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4. घरे लू हहसा से मजहलाओं का संरक्षणका अजधजनयम, 2005 में संिनधन से संबजं धि उच्चि म
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न्यायालय के हाजलया जनणकागय से जवजभन्न प्रकार की अनुकियाएं सामने आई हैं। उक्त संिनधन
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परयक्षणका कीजजए।
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दृजष्टकनणका:
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घरे लू हहसा से मजहलाओं का संरक्षणका अजधजनयम, 2005 में सवोच्च न्यायालय द्वारा कदए गए
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मूल्यांकन कीजजए।
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जनष्कषग में आगे उिाये जा सकने वाले क़दमों का संजक्षप्त वणकागन प्रस्ि ुि कीजजए।
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उिर:
घरे लू हहसा से मजहलाओं का संरक्षणका अजधजनयम (PWDVA), 2005 का उद्देश्य एक वयस्क
पुरुष द्वारा की जाने वालय घरे लू हहसा या उत्पयड़न से मजहलाओं की रक्षा करना था। इस
अजधजनयम की धारा 2(q) के अंि गगि के वल ‘एक वयस्क पुरुष’ के जवरुद्ध हय जिकायि दजग की
जा सकि य है।
हाल हय में जहराल हरसनरा बनाम कु सुम हरसनरा मामले में सवोच्च न्यायालय द्वारा “वयस्क
पुरुष” िधद कन हटा कर धारा 2(q) कन लैंजगक रूप से जनरपेक्ष बनाया गया है। अब कनई
)
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संिनधन के नकारात्मक प्रभाव:
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यह पजि यों कन, अपनय माि ाओं एवं बहनों के माध्यम से पजत्नयों द्वारा ककये गए मुक़दमे
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के जवरुद्ध मुकदमा दजग (counter cases) करने के जलए प्रेठरि कर सकि ा है।
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घरे लू हहसा के अजधकि र मामले मजहलाओं द्वारा पुरुषों के जवरुद्ध दायर ककए जाि े हैं।
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इसके अजि ठरक्ि , राष्ट्रयय अपराध ठरकॉिग धयूरन, 2013 की ठरपनटग के अनुसार जपछले कु छ
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वषों में घरे लू हहसा के मामलों में वृजद्ध हुई है। इसजलए कानून के हलग-जवजिष्ट स्वरुप से
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हनि य हैं।
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जब पठरवार में िजक्ि असंि ल ु न जवद्यमान हन ि न हलग ि टस्थ कानून उपयुक्त जसद्ध नहीं
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हैं। यह संिनधन संजवधान के अनुच्छे द 15(3) से सुसंगि नहीं है, जन मजहलाओं के संबंध
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इससे PWDVA का प्रयनग घरे लू हहसा करने वालों वास्ि जवक दनषय के जवरुद्ध न कर
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इससे न्यायपाजलका पर कायग संबध ं य बनझ में वृजद्ध हन सकि य है ि था साथ हय न्याय प्रदान
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करने में जवलंब हन सकि ा है। इसके कारणका फजी मामलों में वृजद्ध हन सकि य है।
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बंधआ
ु मजदूरय के कारणका:
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आर्थथक: अत्यजधक जनधगनि ा, श्रम के अवसर प्राप्त करने में अक्षमि ा, छनटय जनि , ग्रामयणका
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और िहरय जनधगन वगग के जलए वैकजल्पक रूप से छनटे ऋणका की कमय, सूखा, बाढ़ जैसय
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मुद्रास्फीजि आकद।
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सामाजजक कारक: जववाह, मृत्यु, दावि , बच्चे के जन्म इत्याकद जैसे अवसरों पर उच्च व्य
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गांव में प्रभाविालय व्जक्तयों या जाजि यों द्वारा िनषणका भय प्रजि कू ल पठरजस्थजि यों में
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बंधुआ मजदूरों कन बाध्य करने के जलए धार्थमक और जाजि आधाठरि ि कों का उपयनग
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बंधआ
ु मजदूरों के समक्ष व्ाप्त समस्याएं
अपने जनयनक्ता के अजि ठरक्त ककसय और के जलए श्रम करने की अनुमजि नहीं।
उन्हें श्रम करने हेि ु बाध्य करने के जलए बल प्रयनग ककया जाि ा है। कई बार उन्हें कड़य
जनगरानय में बंदय के रूप में रखा जाि ा है।
ये एक कदन में 12-14 घंटे ि क श्रम करने और दयनयय पठरजस्थजि यों में रहने के जलए
बाध्य हैं।
बंधआ
ु मजदूरय के उन्मूलन के जलए उिाए गए कदम
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भारि में अनुबंध आधाठरि और प्रवासय श्रजमकों की श्रम संबंधय िि ों कन जवजनयजमि करने,
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खि रनाक उद्यनगों में बाल श्रम कन प्रजि बंजधि करने ि था न्यूनि म मजदूरय के जलए अनेक श्रम
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कानून अजधजनयजमि ककए गए हैं। ककन्ि ु इन कानूनों का एक बड़ा जहस्सा लागू नहीं ककया
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जाि ा है। अि िः इस सम्बन्ध में जनयनक्ताओं ि था श्रजमक संघों, जसजवल सनसाइटय ि था सरकार
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के घजनष्ठ सहयनग द्वारा कानूनों के प्रभावय कियान्वयन के जलए समजन्वि प्रयास ककए जाने की
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आवश्यकि ा है।
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अन्याय कन समाप्त करने का प्रयास करि ा है। अपने लक्ष्यों का आिय अच्छा हनने के बावजूद
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यह अजधजनयम वांजछि सफलि ा प्राप्त करने में नाकाम रहा है। आलनचनात्मक जवश्लेषणका
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कीजजए।
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दृजष्टकनणका:
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वन अजधकार अजधजनयम (FRA) की आवश्यकि ा पर चचाग करि े हुए संजक्षप्त पठरचय दयजजए।
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FRA के प्रावधानों और कै से इसने ऐजि हाजसक अन्याय कन दूर करने के प्रयास ककय हैं इस पर
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चचाग कीजजए।
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लघु वन उपज पर जनबागध अजधकार, पारगमन परजमट जैसे प्रजि बंध आकद चुनौजि यों का
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उल्लेख कीजजए जजनके कारणका अजधजनयम के प्रभावय कायागन्वयन में बाधा उत्पन्न हुई है।
उिर:
वन में जनवास करने वालय अनुसूजचि जनजाजि यों या अन्य परं परागि वनवाजसयों के
ककसय सदस्य या ककन्हीं सदस्यों द्वारा जनवास के जलए या आजयजवका हेि ु स्वयं खेि य करने
के उद्देश्य से व्जक्तगि या सामूजहक अजधभनग के अधयन वन भूजम कन धाठरि करने और
उसमें रहने का अजधकार।
जनस्ि ार के रूप में सामुदाजयक अजधकार, चाहे वह ककसय नाम से ज्ञाि हों, जजनके अंि गगि
ि त्कालयन ठरयासि ों के राजाओं, जमींदारय या इस ि रह के मध्यवि ी िासनों में प्रयुक्त
अजधकार भय सजम्मजलि हैं।
लघु वननपज, जजनका गांव की सयमा के भयि र या बाहर पारं पाठरक रूप से संग्रह ककया
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जाि ा रहा है, के स्वाजमत्व, संग्रह करने के जलए पहुाँच, उपयनग करने और उसका व्यन
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करने का अजधकार।
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वनों के सभय वन ग्रामों, पुराने आवासों, असवेजक्षि ग्रामों और अन्य ग्रामों के बसने और
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संपठरवि गन के अजधकार, चाहे वे राजस्व ग्रामों में लेखबद्ध एवं अजधसूजचि हों अथवा
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नहीं।
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फरवरय 2016 ि क, दायर ककए गए 44.15 लाख दावों में से 89.90 लाख एकड़ वन भूजम
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पर 17.20 लाख लनगों कन स्वत्वाजधकार प्रदान ककए जाने के बावजूद, FRA का कायागन्वयन
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चुनौि यपूणकाग रहा है - इनमें से कु छ चुनौजि यां वास्ि जवक हैं जबकक अन्य नौकरिाहय और
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राजनयजि क जड़ि ा, अक्षमि ा और द्वेष का पठरणकााम हैं। जनम्नजलजखि इसकी सयजमि सफलि ा
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कन दिागि े हैं:
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जनधागठरि करने हेि ु आवश्यक साक्ष्यों के अभाव कन उिरदायय िहराया जाि ा है।
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(हालांकक भौजि क भूजम सवेक्षणका और मनबाइल एप जैसे उपाय उपलधध हैं, जनकक इसका
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FRA के प्रभावय कायागन्वयन के जलए ननिल आकदवासय जवभागों कन सिक्त बनाने, राज्य और
जजला प्रिासन कन स्पष्ट जनदेि देने और नागठरक समाज के कि ागओं कन प्रनत्साजहि करने की
स्पष्ट आवश्यकि ा है। यह ऐजि हाजसक पठरवि गन मजबूि राजनयजि क इच्छािजक्त के जबना संभव
नहीं है।
7. रांसजेंिर समुदाय भारि में सवागजधक वंजचि समुदायों में से एक रहा है। चचाग कीजजए। कद
रांसजेंिर पसगन (प्रनटेक्िन ऑफ़ राईट) जबल 2016 {रांसजेंिर व्जक्त (अजधकारों का संरक्षणका)
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जवधेयक-2016} रांसजेंिरों के साथ हनने वाले भेदभाव से संरक्षणका एवं उनके द्वारा सामना की
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जाने वालय समस्याओं कन ककस प्रकार संबनजधि करने का प्रयास करि ा है? 9@
दृजष्टकनणका:
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ि त्पिाि , भारि में रांसजेंिर समुदाय की वंचन या उपेक्षा से संबंजधि मुद्दों कन जचजन्हि
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कीजजए।
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जवधेयक में स्वास््य, जिक्षा, पहचान प्रमाणका पत्र आकद के संदभग में ककये गए प्रावधानों का
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वणकागन कीजजए।
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संक्षेप में जवधेयक की कजमयों कन उजागर कीजजए और भजवष्य में ककए जा सकने वाले उपायों
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का सुझाव दयजजए। सुझाव हेि ु उच्चि म न्यायलय के जनणकागय का भय उपयनग ककया जा सकि ा
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है।
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उिर:
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रांसजेंिर व्जक्तयों में उन सभय कन िाजमल ककया जाि ा है जजनकी लैंजगक जविेषि ाएं उनके
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जन्म के समय जनयि हलग से जभन्न हनि य है। वे कई सामाजजक-सांस्कृ जि क पहचान रखि े हैं
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इनके साथ हनने वाले वगग और हलग आधाठरि भेदभाव ने रांसजेंिर समुदाय कन भारि यय
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समाज के सबसे अजधक अिक्त और वंजचि समहों में से एक बना कदया है। भारि में रांसजेंिर
द्वारा सामना ककए जाने वाले जवजभन्न मुद्दों में िाजमल हैं:
इनके साथ घृजणकाि व्वहार ककया जाि ा है एवं इन्हें उपहास और यहााँ ि क कक
अन्धजवश्वास के कारणका भय का जवषय भय माना जाि ा है।
ये मूलभूि अजधकारों जैसे कक व्जक्तगि स्वि ंत्रि ा, गठरमा, अजभव्जक्त की स्वि ंत्रि ा,
जिक्षा और सिजक्तकरणका का अजधकार, हहसा, भेदभाव और िनषणका के जवरुद्ध अजधकार,
काम का अजधकार आकद से वंजचि हैं। कौिल जवकास की कमय इन्हें जभक्षावृजि या देह
व्ापार में जलप्त हनने के जलए बाध्य करि य है।
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Reside) और उसके पठरवार में समाजवष्ट ककए जाने का भय अजधकार हनगा। यकद
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जनकटि म पठरवार रांसजेंिर व्जक्त की देखभाल करने में असमथग है, ि न ककसय सक्षम 9@
न्यायालय के आदेि पर ऐसे व्जक्त कन पुनवागस कें द्र में रखा जा सकि ा है।
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रांसजेंिर व्जक्त के जलए पहचान प्रमाणका पत्र: एक रांसजेंिर व्जक्त एक ऐसे पहचान
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प्रमाणका पत्र जजसमें उसकी लैंजगक पहचान 'रांसजेंिर' के रूप में उजल्लजखि की गयय हन, के
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स्वरनजगार के जलए कदम उिाने चाजहए। ऐसय यनजनाओं का जनमागणका ककया जाना
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चाजहए जन रांसजेंिर के प्रजि संवेदनियल हों और सांस्कृ जि क गजि जवजधयों में उनकी
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अपराध और दंि: जवधेयक जनम्नजलजखि अपराधों की पहचान करि ा है: (i) जभक्षावृजि ,
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बलाि ् या बंधआ
ु मजदूर (सावगजजनक उद्देश्यों के जलए अजनवायग सरकारय सेवा कन
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छनड़कर); (ii) सावगजजनक स्थान के उपयनग से वंजचि करना; (iii) घर, गांव आकद में
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िनषणका।
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इनमें से ककसय भय एक कसौटय कन संि ुष्ट करने वाले जनजाि यय समूहों कन PTGs माना गया,
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जजन्हें बाद में PVTGs कहा गया। PVTGs की सुभेद्यि ा के जलए मुख्य रूप से उनकी 9@
परं परागि आजयजवका, आवास और प्रथागि संसाधन अजधकारों की हाजन कन जजम्मेदार
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वि गमान में 75 आकदवासय समूहों की पहचान करके उन्हें PVTGs के रूप में वगीकृ ि ककया
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गया है। ये आंध्र प्रदेि, जबहार, झारखंि, गुजराि , कनागटक, के रल, मध्य प्रदेि, छियसगढ़,
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महाराष्ट्र, मजणकापुर, उड़यसा, राजस्थान, ि जमलनािु , जत्रपुरा, उिर प्रदेि, उिराखंि, पजिम
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बंगाल और अंिमान एवं जनकनबार द्वयप समूह राज्यों / के न्द्र िाजसि प्रदेिों में जनवाजसि हैं।
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जबरजजया, ग्रेटर अंिमानयज, ओंगे और जारवा आकद PVTGs के कु छ उदाहरणका हैं जजनकी
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अजधजनयम के ि हि आपराजधक जनजाजि यों के रूप में अजधसूजचि ककया गया था। इस
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अजधसूचना कन 1952 में जनरस्ि कर कदया गया, ि ब से इन्हें गैर-अजधसूजचि जनजाजि कहा
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खानाबदनि जनजाजि यों" के रूप में जचजह्नि ककया जाि ा है। स्वि ंत्रि ा के बाद भय इस
समुदायों के सदस्यों कन अभ्याजसक अपराधय अजधजनयम, 1952 का प्रयनग करके कलंककि
ककया गया। अपराधय के लेबल ने इनके जलए उपलधध जनयजमि रनजगार के अवसर समाप्त कर
कदए, और DNT समुदाय सामाजजक और आर्थथक रूप से अन्य भारि यय समुदायों से अत्यजधक
जपछड़े बने रहे। वषग 2008 में इन समुदायों से संबंजधि मुद्दों पर जवचार करने हेि ु बालकृ ष्णका
रे णकाके आयनग गठिि ककया गया।
इस प्रकार यह देखा जा सकि ा है कक PVTGs, DNTs से जनम्नजलजखि रूप में जभन्न हैं:
DNTs काफी हद ि क भूजमहयन, खानाबदनि लनग हैं- हालांकक वि गमान में इनमें से कु छ
स्थायय रूप से बसे हुए हैं।
DNTs जरठटि औपजनवेजिक िासन काल में और बाद में भय जवजिष्ट कानूनय प्रावधानों
के कारणका जविेष उत्पयड़न के जिकार थे।
सरकारय यनजनाएं:
1. “जविेष रूप से सुभेद्य जनजाि यय समूहों (PVTGs) का जवकास”- इस यनजना में 2015
में संिनधन ककया गया। यनजना के ि हि , उनकी सुरक्षा ि था आजयजवका, स्वास््य, पनषणका
और जिक्षा जैसे सामाजजक संकेि कों के संदभग में सुधार कन प्राथजमकि ा दय गई है, ि ाकक
उनकी सुभेद्यि ा कन कम ककया जा सके ।
2. 2006 में, गैर-अजधसूजचि , खानाबदनि और अद्धग-खानाबदनि जनजाजि यों के जलए
राष्ट्रयय आयनग (NCDNT) गठिि ककया गया था।
3. DNTs के कु छ समूहों के जलए, जन SC/ST और OBCs की सूचय के ि हि कवर नहीं हैं,
)
सरकार ने 2015 में दन यनजनाओं की िुरूआि की है:
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गैर-अजधसूजचि , खानाबदनि और अद्धग खानाबदनि जनजाजि (DNTs) के जलए कें द्र
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प्रायनजजि िॉ. अम्बेिकर प्रय-मैठरक और पनस्ट-मैठरक छात्रवृजि यनजना, और
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DNTs के जलए छात्रावासों के जनमागणका की कें द्र प्रायनजजि नाना जय देिमुख यनजना।
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जवगि कु छ वषों में जवजभन्न यनजनाओं के प्रारं भ हनने के बावजूद PVTGs और DNTs बड़े
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पैमाने पर जवकास प्रकिया के दायरे से बाहर हैं। स्वास््य और जिक्षा जैसे संकेि कों पर ये समूह
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सबसे जनचले स्ि र पर हैं। PVTGs के जलए प्रारं भ जवजभन्न यनजनाओं के सि ि मूल्यांकन और
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जनगरानय की आवश्यकि ा है। DNTs के संदभग में भेदभावपूणकाग कानून कन जनरस्ि करने, प्रभावय
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प्रदान करने की कदिा में एक महत्वपूणकाग कानून के रूप में देखा गया था, लेककन कई लनगों का
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लैंजगक उत्पयड़न एवं पननोग्राफी के जलए उनके उपयनग के जवरुद्ध सुरक्षा प्रदान करना है।
इसमें ठरपनर्टटग, साक्ष्यों की ठरकार्सिग, जांच और अपराधों के जलए रायल जैसे प्रत्येक
स्ि र पर बच्चों के जहि ों की रक्षा करने हेि ु व्ापक प्रावधान ककए गए हैं।
इसका उद्देश्य जविेष ककिनर पुजलस यूजनट में जिकायि ककए जाने पर यथासंभव
ियघ्रि ापूवक
ग राहि और पुनवागस (पहले जैसय जस्थजि ) की व्वस्था करना है।
यह बच्चों के जवरुद्ध ककए गए लैंजगक अपराधों से संबंजधि मामलों के त्वठरि जनपटान हेि ु
जविेष न्यायालय की स्थापना का प्रावधान करि ा है।
)
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यह संयुक्त राष्ट्र बाल अजधकार सम्मेलन के हस्ि ाक्षरकि ाग के रूप में भारि के अजनवायग
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दाजयत्वों कन पूरा करि ा है।
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वैधाजनक कानून पाठरि ककया जाना कई कारणकाों से महत्वपूणकाग है, हालांकक इस अजधजनयम के
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पुजलस बल उजचि प्रजिक्षणका के अभाव के कारणका ऐसे अपराधों से जुड़े सूक्ष्म जवषयों से
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जनपटने में अक्षम है। POCSO द्वारा अक्सर बच्चों के लैंजगक िनषणका से संबंजधि मामलों
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से जनपटने हेि ु पुजलस और अन्य कानूनय अजधकाठरयों के जलए व्ापक प्रजिक्षणका कायगिम
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इस अजधजनयम के संबंध में जागरूकि ा की कमय है, क्योंकक ऐसा देखा गया है कक बच्चों से
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दुव्गवहार के अजधकि र मामलों कन POCSO के अंि गगि दजग नहीं ककया जाि ा है।
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बच्चों के लैजगक िनषणका से संबंजधि मामलों में जचककत्सा और स्वास््य देखभाल पेिेवरों
द्वारा किनरि ापूवक
ग अनुपालन ककए जाने यनग्य स्पष्ट जनयम और जसद्धांि ों कन प्रस्ि ुि
करने की कदिा में राज्य सरकारों द्वारा कनई प्रयास नहीं ककए गए हैं।
ऐसे देि में जहााँ 40% जनसंख्या 18 वषग से कम आयुवगग की है और लगभग 53% बच्चे ककसय
न ककसय प्रकार के लैंजगक िनषणका का जिकार हुए हैं, ऐसे में हमारे देि में POCSO का
समुजचि कायागन्वयन अपठरहायग है ।
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पूवोिर राज्यों में गनद लेने की जनम्न दर का मुख्य कारणका सरकार द्वारा मान्यि ा प्राप्त गनद
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लेने से संबंजधि एजेंजसयों की अनुपजस्थजि है। 9@
जबहार, जमजनरम, मजणकापुर, मेघालय और अरुणकााचल प्रदेि जैसे राज्यों में कनई भय
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पंजयकृ ि एजेंसय नहीं है, जजसके पठरणकाामस्वरूप इन राज्यों में बच्चा गनद लेने की संख्या में
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गनद लेने से संबंजधि कड़े मानदंिों और धयमय न्याजयक प्रकिया गनद लेने की प्रकिया कन
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और धयमा बना देि य है। लगभग 80 प्रजि िि मामलों में प्राथजमकी दजग हनि य है, अि :
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स्थानयय अदालि ों से मंजूरय प्राप्त हुए जबना ककसय बच्चे कन गनद नहीं जलया जा सकि ा है।
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प्राथजमकि ाएं हलग और गनरा रं ग कन लेकर हनि य है लेककन संबंजधि के न्द्रों का सवागजधक
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ध्यान, आयु और िारयठरक स्वास््य पर हनि ा है। इससे गनद लेने की प्रकिया में
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कृ जत्रम प्रजनन प्रौद्यनजगकी के कारणका गनद लेने कन कड़य प्रजि स्पधाग का सामना करना पड़
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रहा है।
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ककिनर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षणका) अजधजनयम, 2015 में बच्चा गनद लेने से
संबजं धि प्रावधान
बच्चों की त्वठरि और बाधा रजहि गनद लेने की सुजवधा के जलए, गनद लेने की संपणका
ू ग
प्रकिया कन ऑनलाइन और पारदिी बनाया गया है।
ठरश्ि ेदारों द्वारा गनद लेने की प्रकियाओं कन सरल बनाया गया है।
बाल देखभाल संस्थानों कन जविेष दिक ग्रहणका एजेंजसयों के साथ संबद्धि ा स्थाजपि करने
की आवश्यकि ा है ि ाकक गनद जलए जाने वाले बच्चों के समूह कन बढ़ाया जा सके और इन
बच्चों कन गनद लेने की प्रकिया के अंि गगि सजम्मजलि ककया जा सके ।
CARA, जन पूवग में एक सनसाइटय के रूप में कायगरि थय, इसे वि गमान में बेहि र ढंग से
कायग करने में सक्षम बनाने के जलए सांजवजधक जनकाय का दजाग प्रदान ककया गया है।
इसके सुचारू संचालन की सुजवधा के जलए CARA के राफ्ट जनयमों में एक व्ापक सूचय
जनधागठरि की गयय है।
इसमें गनद लेने से संबंजधि एक पृथक अध्याय कन सजम्मजलि ककया गया है जजसमें गनद
लेने से संबजं धि जवस्ि ृि प्रावधान और जनधागठरि प्रकिया का पालन न ककए जाने पर दंि
का प्रावधान ककया गया है।
प्रकियाओं कन देि में ि था अंि देियय दननों में गनद लेने के जलए समय-सयमा के साथ
सुव्वजस्थि ककया गया है जजसमें गनद लेने के जलए बच्चा कन कानूनय रूप से मुक्त करने
की घनषणकाा भय िाजमल है।
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लेककन कु छ हचि ाएं अभय िेष हैं
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संिनजधि ककिनर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षणका) अजधजनयम, 2015 के ि हि , 9@
न्यायालय के वैध आदेि के जबना जवदेजियों द्वारा गनद लेने कन अवैध माना जाि ा है। यह
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जुलाई, 2016 में कदल्लय उच्च न्यायालय ने देि में गनद लेने की जनम्न दर के जलए CARA कन
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फटकार भय लगाई। न्यायालि ने यह भय जनणकागय कदया कक जहां गनद लेने के मामलों में जैजवक
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माि ा-जपि ा स्वयं बच्चे कन गनद देने के जलए ि ैयार हैं, वहां 2015 का ककिनर न्याय (बच्चों की
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देखभाल एवं संरक्षणका) अजधजनयम लागू नहीं हनि ा है क्योंकक यह के वल अनाथ और पठरत्यक्त
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राष्ट्रयय राजधानय में जवजभन्न सामाजजक कायगकि ागओं का कहना है कक अवैध गनद लेने से
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संबंजधि व्वसाय में वृजद्ध हन रहय है, जजसे प्रवि गन एजेंजसयां रनकने में अक्षम रहय हैं। यह
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कु ल जमलाकर, संिनधन जनयम सहय कदिा में उिाया गया एक कदम है और भारि में गनद लेने
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की दर में वृजद्ध करने हेि ु जवद्यमान जवजभन्न कजमयों कन दूर ककया जाना चाजहए।
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11. आर्थथक जपछड़ेपन की बेजड़यों कन ि नड़ने की ि ुलना में सामाजजक भेदभाव की छाया से बचना
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अजधक कठिन है। दजलि पूज ं यवाद के संदभग में इस कथन पर चचाग कीजजए एवं दजलि
उद्यजमयों द्वारा सामना की जा रहय समस्याओं का वणकागन कीजजए। बाजार के माध्यम से दजलि
सिजक्तकरणका कन प्रनत्साजहि करने के जलए हाल हय में सरकार द्वारा उिाए गए कदमों कन
रे खांककि कीजजए।
दृजष्टकनणका:
पठरचय में दजलि पूज
ं यवाद के उद्भव के जलए उिरदायय ि कागधारों की व्ाख्या कीजजए।
सामाजजक जपछड़ेपन के कारणका उनके द्वारा सामना की जा रहय चुनौजि यों की चचाग कीजजए।
सरकार द्वारा उिाए गए जवजभन्न कदमों पर प्रकाि िाजलए।
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है। जाजि और सामुदाजयक संबंध, पूंजय प्राप्त करने से लेकर आपूर्थि श्रृंखला में एकीकरणका
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ि क भारि यय बाजार के जवजभन्न पहलुओं में भूजमका जनभाि े हैं।
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जाजि और जवजभन्न क्षेत्रों के मध्य संबध 9@
ं : बाजार में दजलि ों के उद्यमों की जस्थजि प्रायिः
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जाजि के आधार पर जनधागठरि हनि य है। उदाहरणका के जलए चमड़े से संबंजधि कियाकलाप
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दजलि उद्यमों के जलए सबसे अजधक महत्वपूणकाग रहा है। कु ल जमलाकर, दजलि उद्यजमयों
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द्वारा जनम्न उत्पादकि ा, जवजभन्न कियाकलापों के सबसे जनचले स्ि र पर बने रहना जैसय
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उद्यम प्रारं भ करने के समक्ष बाधा: पारं पठरक जवियय संस्थाओं द्वारा 'जगरवय रखकर ऋणका
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जलए उद्यमों कन प्रारं भ करने के समक्ष बाधा उत्पन्न करि ा है क्योंकक उनके पास जगरवय
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स्टैंि अप इं जिया: इस यनजना का मुख्य उद्देश्य दजलि ों के मध्य उन्हें 10 लाख रुपए से
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लेकर 1 करनड़ रुपए ि क जवि उपलधध कराकर उद्यमियलि ा कन बढ़ावा देना है। इस
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यनजना के कायागन्वयन में दजलि इं जियन चैंबर ऑफ कॉमसग ऐंि इं िस्रय (Dalit Indian
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मुद्रा यनजना: इस यनजना का उद्देश्य उन्हें आसान ऋणका उपलधध कराकर छनटे
व्ावसाजयक उद्यमों कन बढ़ावा देना है। इससे स्वयं के व्वसाय के जलए ऋणका प्राप्त करने
में दजलि समुदाय के उद्यजमयों कन सहायि ा जमलेगय।
12. जपछले कु छ वषों में, बाजलका जििु कन बढ़ावा देने और जनम्न बाल हलगानुपाि में सुधार करने
हेि ु देि भर में जवजभन्न पहलें आरं भ की गई हैं। इन यनजनाओं के नाम जभन्न-जभन्न है परन्ि ु
इनमें सामान्य कजमयां जवद्यमान हैं। परयक्षणका कीजजए। इस अंि र कन “बेटय बचाओ बेटय पढ़ाओ
यनजना” ककस प्रकार कम कर सकि य है?
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से हय इसका पि ा लगाया जा सकि ा है।
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पाठरवार जनयनजन के साथ हलगानुपाि कन एकीकृ ि करना:
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कनागटक की भाग्यलक्ष्मय यनजना अथवा पंजाब की बालड़य रक्षक यनजना जैसय जवजभन्न
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और प्रवाजसयों के जलए उपयनग करना कठिन बना कदया है। भ्रष्टाचार एक अन्य महत्वपूणकाग
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समस्या रहय है। हाल हय में CAG की लेखापरयक्षा ठरपनटग में मध्यप्रदेि सरकार की
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लाड़लय लक्ष्मय यनजना में जवियय अजनयजमि ि ाओं कन उजागर ककया गया है। इसमें ऐसे
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उदाहरणका सामने आए हैं जजनमें अपात्र उम्मयदवारों कन भय प्रनत्साहन प्रदान ककया गया
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था। इसके अजि ठरक्त इन यनजनाओं में जमयनय स्ि र पर जनगरानय और मूल्यांकन का
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हाल हय में, आरं भ की गई BBBP यनजना के अंि गगि बाजलकाओं कन प्रभाजवि करने वाले मुद्दों
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के संदभग में सरकार द्वारा इस यनजना के महत्त्व कन रे खांककि ककया गया है। यह यनजना पूवग
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1.13.2. जनयामकीय जनकाय (Regulatory Bodies) ________________________________________________ 20
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1.13.3. जवश्वजवद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission) ______________________________ 21
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1.13.5. उच्च जिक्षा जवत्तपोषण एजेंसी (Higher Education Finance Agency: HEFA) _____________________ 21
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2.5. राष्ट्रीय स्वास््य नीजत 2017 (National Health Policy 2017) _______________________________________ 28
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3.3.6. क्षेत्र कौिल पररषदें (Sector Skill Councils)________________________________________________ 49
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3.3.7. िारदा प्रसाद सजमजत (Sharda Prasad Committee) _________________________________________ 49
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3.3.14. गरीब नवाज कौिल जवकास कें द्र (Garib Nawaz Skill Develoment Center) ______________________ 53
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3.4. कु छ क्षेत्रों में मानव संसाधन हेतु जवजिि हस्तक्षेपों की आवश्यकता ________________________________________ 54
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3.4.1. रचनात्मक एवं सांस्कृ जतक क्षेत्र (Creative and Cultural Sectors) ________________________________ 54
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1960 में, यूनेस्को ने कन्वेंिन अगेंस्ट जडजस्िजमनेिन इन एजुकेिन अपनाया। यह सभी नस्लीय, राष्ट्रीय
या नृजातीय समूहों के सदस्यों के अवसरों की समानता को सुजनजित करने में जिक्षा की महत्वपूणण
भूजमका को स्वीकार करता है।
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इसजलए, सभी के जलए गुणवत्ता युि जिक्षा तक पहंच सुजनजित करना भारत के आर्थथक और
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सामाजजक जवकास का कें द्र बबदु है।
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आजादी के समय, भारत की साक्षरता दर के वल 12% थी। जिक्षा क्षेत्र में हए अनुवती जवकास को
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2011 में 82.1% पुरुष साक्षरता दर और 65.5% मजहला साक्षरता दर के साथ भारत की कु ल
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साक्षरता दर 74% हो गई थी। हालांकक, यह स्तर 84% की वैजश्वक औसत साक्षरता दर से काफी नीचे
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है और वतणमान में भारत में जवश्व की सबसे बडी अजिजक्षत आबादी जनवास करती है। 93.91%
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साक्षरता दर के साथ के रल भारत में सवाणजधक साक्षर राज्य है, जबकक जबहार न्यूनतम साक्षर राज्य है
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भारतीय संजवधान का अनुच्छेद 21A मूल अजधकार के रूप में छह से चौदह वषण की आयु के सभी
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(Pre-school Education)
पूव-ण प्राथजमक जिक्षा को ककडरगाटणन भी कहा जाता है। यह जिक्षा, औपचाररक जवद्यालय में प्रवेि करने
से पहले छोटे बच्चों के जवकास के जलए अत्यजधक महत्वपूणण होती है। पूवण-प्राथजमक जिक्षा का मुख्य
उद्देश्य बच्चों को िारीररक, भावनात्मक, सामाजजक और मानजसक रूप से औपचाररक स्कू ली जिक्षा के
जलए तैयार करना तथा जनम्नस्तरीय प्रदिणन और प्रारं जभक ड्राप-आउट में कमी लाना है। यह बडे बच्चों,
जविेष रूप से लडककयों को अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल की जजममेदारी से मुि करते हए उन्हें
जवद्यालय जाने में सहायता प्रदान करती है।
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हालांकक RTE अजधजनयम (2009) के तहत 6 वषण से कम उम्र के बच्चों को िाजमल नहीं ककया गया है,
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परन्तु इसमें प्रारं जभक बाल्यावस्था जिक्षा (Early Childhood Education: ECE) िाजमल है और
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इसके अनुसार, "तीन वषण से अजधक आयु के बच्चों को प्राथजमक जिक्षा हेतु तैयार करना है और 6 वषण तक
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की उम्र के सभी बच्चों को प्रारं जभक बाल्यावस्था देखभाल और जिक्षा प्रदान करना है। इस हेतु यथोजचत
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सरकार ऐसे बच्चों को जनिःिुल्क पूवण जवद्यालयी जिक्षा प्रदान करने के जलए आवश्यक व्यवस्था कर सकती
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है। "
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2013 में, भारत सरकार ने राष्ट्रीय प्रारं जभक बाल्यावस्था देखभाल और जिक्षा (Early Childhood
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Care and Education: ECCE) नीजत को मंजरू ी दी जजसमें नेिनल कररकु लम फ्रेमवकण एंड क्वाजलटी
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स्टैंडर्डसण फॉर ECCE (National Curriculum Framework and Quality Standards for
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ECCE पर नीजत के जलए मजहला एवं बाल जवकास मंत्रालय (MWCD) उत्तरदायी है। MWCD,
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भारत में प्रारं जभक बाल्यावस्था जिक्षा हेतु सरकार द्वारा चलाए जा रहे एक फ्लैगजिप कायणिम,
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एकीकृ त बाल जवकास सेवाएं (Integrated Child Development Services: ICDS) योजना का
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प्रभारी है।
ICDS अपने लाभार्थथयों को छह बुजनयादी सेवाएं प्रदान करता है। इन सेवाओं में अनुपूरक पोषण,
पोषण और स्वास््य जिक्षा, स्वास््य जांच, पूव-ण जवद्यालयी गैर-औपचाररक जिक्षा, टीकाकरण और
रे फरल सेवाएं िाजमल हैं। 2014 तक, 3-6 वषण के 349.83 लाख बच्चे ICDS के पूव-ण जवद्यालयी घटक
से लाभाजन्वत थे। इसके अजतररि, कु छ ECCE कें द्र, SSA के तहत चल रहे हैं और कु छ पूवण-जवद्यालय
संजवधान का अनुच्छेद 45, 6 वषण की उम्र तक के सभी बच्चों के जलए प्रारं जभक बाल्यावस्था की
देखभाल और जिक्षा का प्रावधान करने के जलए राज्य को जनदेजित करता है।
राष्ट्रीय जिक्षा नीजत, 1986 के तहत पूव-ण जवद्यालयी जिक्षा को अत्यजधक महत्व कदया गया है।
यह वतणमान में जारी प्रमुख िैजक्षक कायणिम सवण जिक्षा अजभयान (Sarva Siksha Abhiyan:
SSA) द्वारा समर्थथत है। इसके तहत ECCE का एक प्रमुख घटक सजममजलत है।
भारत सरकार ने 1975 में एकीकृ त बाल जवकास सेवाएं (ICDS) योजना िुरू की थी।
राष्ट्रीय जिक्षा नीजत (1968 और 1986) और इसके संिोजधत संस्करण (1992) के तहत सभी राज्यों में
जवद्यालयी जिक्षा (10+2 पैटनण, 12 वषण की जवद्यालयी जिक्षा) हेतु एक समान प्रारूप पररकजल्पत ककया
गया।
समपूणण जवद्यालयी जिक्षा को चार भागों, अथाणत् प्राथजमक, उच्च प्राथजमक, माध्यजमक और उच्चतर
)
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प्राथजमक जिक्षा में पांच वषण की जनम्न प्राथजमक जिक्षा (कक्षा 1-5) और तीन वषण की उच्च प्राथजमक
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जिक्षा (कक्षा 6-8) िाजमल है।
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माध्यजमक जवद्यालयी जिक्षा में दो वषण की जनम्न माध्यजमक (कक्षा 9-10) और दो वषण की उच्चतर
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2030 तक यह सुजनजित करना कक उपयुि एवं प्रभावी अजधगम पररणाम प्राप्त करने हेतु सभी बालक
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2030 तक, जिक्षा क्षेत्र में लैंजगक असमानताओं को समाप्त करना तथा कमजोर, जवकलांग, देिज और
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अजतसंवेदनिील जस्थजत में रहने वाले बच्चों की प्रत्येक स्तर की जिक्षा एवं व्यावसाजयक जिक्षण तक समान
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मानवाजधकारों की सावणभौजमक घोषणा, 1948 का अनुच्छेद 26: 'प्रत्येक व्यजि को जिक्षा का अजधकार
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है। कम से कम प्राथजमक और बुजनयादी चरणों में जिक्षा जनिःिुल्क होनी चाजहए। प्रारं जभक जिक्षा अजनवायण
होनी चाजहए।'
2015-16 में, कक्षा 1-5 के जलए सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio: GER)
से घटकर 2014 में 25.4% हो गया, और 2016 में पुनिः कु छ बढ़कर 27.7% हो गया (ASER)।
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राष्ट्रीय उपलजधध सवेक्षण (National Achievement Survey: NAS) सजहत कई अन्य स्रोतों से
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प्राप्त आाँकडे खराब अजधगम पररणाम (लनिंगनग आउटकम) प्रदर्थित करते हैं। राष्ट्रीय उपलजधध
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जवद्यालयी जिक्षा की असंतोषजनक गुणवत्ता में कई कारकों का योगदान है। इनमें से कु छ अग्रजलजखत हैं:
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ऐसे जवद्यालयों का बडी संख्या में अजस्तत्व जो जवद्यालयों के जलए जनधाणररत मानदंडों और मानकों के
अनुरूप नहीं हैं; छात्र और जिक्षक अनुपजस्थजत; जिक्षक अजभप्रेरण और प्रजिक्षण में गंभीर अंतराल
जजसके पररणामस्वरूप जिक्षकों की गुणवत्ता और प्रदिणन जनम्नस्तरीय बना रहता है; जिक्षा में सूचना
और संचार प्रौद्योजगककयों के उपयोग के संबंध में धीमी प्रगजत; उप-इितम कार्थमक प्रबंधन, प्रदिणन की
जनगरानी और पयणवेक्षण पर अपयाणप्त ध्यान इत्याकद। बेहतर गुणवत्ता की जिक्षा प्रदान करने के संबंध में
सरकारी प्रणाली में स्कू लों की कजथत जवफलता ने बडी संख्या में जनजी स्कू लों की स्थापना को प्रेररत
ककया, जजनमें से कई आवश्यक बुजनयादी ढांचे, िैक्षजणक पररवेि, और सक्षम जिक्षकों की कमी से ग्रस्त
हैं।
)
की अनुमजत प्रदान करने हेतु कें द्र या राज्य सरकार को सिि बनाने के जलए इस अजधजनयम में
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संिोधन ककया गया। इससे पहले, प्राथजमक जवद्यालय (कक्षा 1-8) के पूरा होने तक ककसी भी बच्चे
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को पुनिः उसी कक्षा में नहीं रखा जा सकता था। 9@
इस अजधजनयम में छात्र-जिक्षक अनुपात भी जनधाणररत ककया गया है:
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यह अजधजनयम ककसी भी बच्चे के प्रजत िारीररक दंड या मानजसक उत्पीडन को जनजषद्ध करता है।
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जवद्यालय प्रबंधन सजमजतयों (School Management Committees: SMC) का गिन करें गे।
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SMC जवद्यालय और सरकारी अनुदानों के उपयोग की जनगरानी करें गी; जवद्यालय जवकास योजना
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जनजी स्कू लों को कमजोर वगों और वंजचत समूहों के छात्रों के जलए जनिःिुल्क जिक्षा हेतु 25% कोटा
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RTE अजधजनयम, 2009 के साथ समस्याएं (Issues with RTE ACT, 2009)
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गुणवत्ता की गारं टी नहीं देता है।
यहां तक कक जिक्षक के कत्तणव्य के वल समय की पाबंदी, उपजस्थजत आकद से संबंजधत हैं और अपने
छात्रों की सीखने की उपलजधधयों से नहीं।
आंकडे यह प्रदर्थित करते हैं कक सवण जिक्षा अजभयान (SSA) सजहत कई सरकारी कायणिमों के
बावजूद, कई छात्रों का प्रदिणन उनके ग्रेड स्तर (कक्षा) से काफी जनचले स्तर का है।
जनकटवती जवद्यालयों के प्रावधान ने भौजतक अवसंरचना की कमी, अप्रजिजक्षत जिक्षकों और
अपयाणप्त छात्र-जिक्षक अनुपात के कारण जनम्नस्तरीय अजधगम पररणामों को जन्म कदया है।
)
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प्रौद्योजगकी आधाररत अध्ययन मॉडल का पररचय ताकक माध्यजमक जवद्यालय से उत्तीणण होने वाले
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जवद्याथी उत्तरोत्तर प्रौद्योजगकी संचाजलत जवश्व में दैजनक कायण करने हेतु कु िल बन सकें ।
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RTE को 18 वषण की पूरी आयु सीमा को कवर करना चाजहए। गारं टीकृ त समावेिन 14-18 वषण
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की आयु वगण के इन जवद्यार्थथयों को सिि बनाएगा और कायणबल में िाजमल होने के जलए
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महत्वपूणण आधारभूत ज्ञान प्राप्त करने में इनकी मदद करे गा।
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धन की कमी और जवद्यालय जाने संबंधी इच्छा के अभाव से जुडे ड्रॉप-आउट मामलों का समाधान
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रचनात्मक रूप से ककया जाना चाजहए। जिक्षकों के प्रजिक्षण की गजतिीलता, बुजनयादी ढांचे की
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उपलधधता, जवद्यालय और घर के पररवेि आकद में सुधार करके जबहार में जनिःिुल्क साइककल
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जवतररत करने जैसी नीजतयां नामांकन बढ़ाने में सफल रही हैं।
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अनुसार)
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1. SSA के तहत प्राथजमक स्तर पर नामांकन 19.28 करोड से बढ़कर 19.77 करोड हो गया है।
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3. औसत ड्रॉपआउट दर में उल्लेखनीय रूप से 4.17 प्रजतित की कमी आई है, जो प्रजतधारण दर
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)
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अपररहायण है, लेककन SEQI का प्राथजमक फोकस प्रारं जभक स्तर के सापेक्ष 'सुधार' पर होगा।
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1.7. भारत में उच्च जिक्षा (Higher Education in India) s9@
उच्च जिक्षा कें द्र और राज्य दोनों का उत्तरदाजयत्व है। वतणमान में जवश्वजवद्यालयों और कॉलेजों में मानकों
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के समन्वय और जनधाणरण का कायण UGC और अन्य वैधाजनक जनयामक जनकायों को सौंपा गया है।
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कें द्र सरकार UGC को अनुदान प्रदान करती है और देि में राष्ट्रीय महत्व के कें द्रीय
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जवश्वजवद्यालयों/संस्थानों की स्थापना करती है। कें द्र सरकार UGC की जसफाररि पर एक िैजक्षक
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संस्थान को "डीमड जवश्वजवद्यालय" के रूप में घोजषत करने के जलए भी उत्तरदायी है। हालांकक, सरकार
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UGC में सुधार करने के जलए प्रजतबद्ध है और इसे भारतीय उच्च जिक्षा आयोग (Higher Education
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वतणमान में, जवश्वजवद्यालय/जवश्वजवद्यालय-स्तर के संस्थानों की मुख्य श्रेजणयां अग्रजलजखत हैं- कें द्रीय
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सकल नामांकन अनुपात (GER): भारत में उच्च जिक्षा में GER, 25.2% (18-23 वषण का आयु
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वगण) है, इससे यह प्रदर्थित होता है कक पात्र जनसंख्या का एक बडा प्रजतित अभी भी कॉलेज में
नामांककत नहीं है।
पुरुष जनसंख्या के जलए GER 26.3%, मजहलाओं के जलए 24.5%, अनुसूजचत जाजत के जलए
21.8% और अनुसूजचत जनजाजत के जलए 15.9% है।
बलग समता सूचकांक: सभी श्रेजणयों के जलए बलग समता सूचकांक (Gender Parity Index:
GPI) में मामूली वृजद्ध हई है, यह 2012-13 के 0.89 से बढ़कर 2016-17 में 0.94 हो गया।
)
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जिक्षा प्रणाली, जनम्नस्तरीय अजधगम तथा रोजगार एवं कौिल जवकास की कमी से ग्रस्त है। 2016
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में 1,50,000 इं जीजनयररग स्नातकों का मूल्यांकन करने के पिात यह पाया गया कक के वल 18%
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इं जीजनयर सॉफ्टवेयर सेवा क्षेत्र में कायाणत्मक भूजमका में जनयोजन के योग्य थे।
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जवश्वजवद्यालयों में पढ़ाए गए पाठ्यिमों और उद्योगों की आवश्यकताओं के बीच कोई मेल नहीं
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होने के पररणामस्वरूप प्रत्येक वषण इन संस्थानों से उत्तीणण होने वाले स्नातक बेरोजगार रह जाते हैं।
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जिक्षकों (Faculty) की कमी तथा सुयोग्य जिक्षकों को आकर्थषत करने और उन्हें बनाए रखने के
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जलए राज्य िैक्षजणक प्रणाली की अक्षमता कई वषों से गुणवत्तापूणण जिक्षा के जलए चुनौती बनी हई
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है। जिक्षकों की कमी के कारण प्रमुख संस्थानों में भी ऐड-हॉक (ad-hoc) पदों में वृजद्ध हो रही है।
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उच्च जिक्षा में जवद्यमान अनेक ररजियों के बावजूद भी बडी संख्या में NET/PhD उममीदवार
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भारत में जिक्षण और िोध कायण के बीच एक अंतराल जवद्यमान है। चूाँकक िोध कायण जवजभन्न
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सरकारी जवभागों के तहत जविेषीकृ त अनुसंधान संस्थानों में कें कद्रत है तथा इस संकेन्द्रण ने
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नीजत आयोग ने हायर एजुकेिन एक्िन एजेंडा (Higher Education Action Agenda) प्रदान
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सकता है-
प्रथम स्तर: िीषण िोध-कें कद्रत जवश्वजवद्यालय, जो जवश्व स्तर पर प्रजतस्पधाण करने का भरोसा देते हैं।
(pedagogy) जैसे पररचालनात्मक मामलों में पूणण स्वतंत्रता के साथ पारदर्थिता के उच्च
मानकों के अधीन हो सकते हैं।
जवश्वजवद्यालयों का जद्वतीय स्तर: रोजगार-कें कद्रत जिक्षा वाले जवश्वजवद्यालय जो कु छ कम जवजनयमन के
अधीन हो सकते हैं।
i. इन जवश्वजवद्यालयों से बाजार में रोजगार संरचना में पररवतणन के प्रत्युत्तर में प्रवेि नीजतयों,
)
पाठ्यिम और कोसण को समायोजजत करने के जलए उन्हें प्रदत्त लचीलेपन का उपयोग करने की
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उममीद की जाएगी।
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ii. छात्रों के रोजगार जनयोजन में इनकी सफलता के अनुसार इनका मूल्यांकन भी ककया जाएगा। 9@
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जवश्वजवद्यालयों का अंजतम स्तर: इनका प्राथजमक कायण यह सुजनजित करना होगा कक सभी के जलए उच्च
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जिक्षा उपलधध हो। अन्य दोनों स्तरों की तुलना में यह सवाणजधक जवजनयजमत होना चाजहए।
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i. इस स्तर में ऐसे जवश्वजवद्यालय िाजमल होंगे जो वतणमान में खराब प्रदिणन कर रहे हैं और
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अनुसंधान या रोजगार के संबंध में इनके बेहतर प्रदिणन करने की संभावना नहीं है।
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आवश्यकता है।
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1. सावणजजनक महत्व के जवजिि क्षेत्रों में अनुसंधान के जलए सावणजजनक जवत्त पोषण की एक प्रणाली ने
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अन्य देिों में जवज्ञान और प्रौद्योजगकी में नवाचार को प्रेररत ककया है। अतिः जवजिि िोधकताणओं को
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जवत्तपोषण के साथ बेहतर पररणामों के जलए अजधकतम लचीलापन और जवाबदेजहता दोनों प्रदान
कर भारत में भी इस प्रकार की एक प्रणाली स्थाजपत की जानी चाजहए।
2. एक और मॉडल जजसे अपनाया जाना चाजहए वह है 'पुरस्कार' प्रणाली। यह प्रणाली स्पि रूप से
जनर्ददि समस्याओं का जनराकरण करने वाले िोध/नवाचार समूहों को जवत्तपोषण प्रदान करती है।
इस तरह की प्रणाली का उपयोग भजवष्य में नवाचार और अनुसध
ं ान को प्रोत्साजहत करने, जरटल
समस्याओं का जनराकरण करने तथा प्रजतस्पधाण एवं गुणवत्ता आश्वासन हेतु एक तंत्र प्रदान करने के
जलए ककया जा सकता है।
1.8. जनजी क्षे त्र ककस प्रकार से एक बडी भू जमका जनभा सकता है ?
)
education system robust and useful to attract investment):
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1. स्वायत्तता (Autonomy)- जवत्तीय, जनयाजमकीय, अकादजमक और प्रिासजनक दृजि से स्वायत्तता।
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2. संसाधन (Resources) - भूजम, बुजनयादी ढांचे और कनेजक्टजवटी की उपलधधता सुजनजित
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करना।
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4. उदार पररवेि का जनमाणण (Enabling environment)- जवदेिों के जवश्व स्तरीय संस्थानों के साथ
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सहयोग को बढ़ावा देने के जलए जिक्षकों और छात्रों के जन:िुल्क आवागमन हेतु सुजवधाएाँ (जैसे
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6. छात्रों को अध्ययन हेतु चुने हए क्षेत्रों में अध्ययन जारी रखने में सक्षम बनाने हेतु छात्रवृजत्त के
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माध्यम से धन तक पहाँच।
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B. अनुसध
ं ान पर फोकस में वृजद्ध और फै कल्टी (जिक्षक) जवकास के रूप में गुणवत्ता सुधार में कॉपोरे ट
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1. कॉपोरे ट क्षेत्र द्वारा मौजूदा जवश्वजवद्यालयों और उच्च जिक्षा संस्थानों में उत्कृ िता कें द्रों (Centres
बजट 2018 में 1 अप्रैल से िुरू होने वाले वषण के जलए जिक्षा क्षेत्र को 85,010 करोड रुपये की
वषण 2017-18 के जलए जिक्षा पर व्यय GDP का 0.62% था। यह 1964 में कोिारी आयोग द्वारा
अनुिजं सत और बाद में राष्ट्रीय जिक्षा नीजत, 1986 द्वारा अनुमोकदत सरकार के जनर्ददि उद्देश्य
जवत्त वषण 2018-19 के जलए कु ल जिक्षा पररव्यय में, जवद्यालयी जिक्षा को 50,000 करोड रुपये
)
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(जपछले संिोजधत बजट की तुलना में लगभग 3,000 करोड रुपये अजधक) का वृहद जहस्सा
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आवंरटत ककया गया है और िेष 35,010 करोड रुपये उच्च जिक्षा क्षेत्र को कदया गया है। 9@
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जवद्यालयी क्षेत्र में, सवण जिक्षा अजभयान (SSA) को जपछले बजट के 23,500 करोड रुपये की
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इसी प्रकार, राष्ट्रीय माध्यजमक जिक्षा अजभयान (RMSA) को जपछले बजट की तुलना में 300
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करोड रुपये अजधक अथाणत 4,213 करोड रुपये आवंरटत ककये जाएंगे।
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प्रमुख जवद्यालय भोजन कायणिम, जमड डे-मील को जवत्त वषण 2019 में 10,500 करोड रुपये
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आवंरटत ककया जायेगा। यह राजि जपछले बजट में आवंरटत राजि से 500 करोड रुपये अजधक है।
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बजट 2018 में पूव-ण जवद्यालय (pre-school) से कक्षा 12वीं तक की जवद्यालयी जिक्षा को एकीकृ त
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करने के जलए कायण करने और उसे जबना ककसी भी जवभाजन के समग्र रूप से देखने के बारे में बात
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की गयी है।
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बजट 2018 में अन्य कई प्रावधानों के साथ ही एकीकृ त पाठ्यिम, अजधगम पररणाम, जिक्षक
जवकास, जडजजटल क्षेत्र में कु िलता, औपचाररक रोजगार को बढ़ावा, अनुसंधान और समावेि
(एकलव्य जवद्यालय) पर ध्यान कें कद्रत करने पर फोकस ककया गया है।
यह जनकट भजवष्य में कई जवद्यालयी योजनाओं के जवलय का संकेत देता है।
मानव संसाधन जवकास मंत्रालय ने समग्र जिक्षा अजभयान िुरू ककया है जजसमें - सवण जिक्षा
अजभयान, राष्ट्रीय माध्यजमक जिक्षा अजभयान और जिक्षक जिक्षा िाजमल हैं।
कें द्रीय बजट, 2018-19, में प्री-नसणरी से कक्षा 12 तक को जबना जवभाजन के समग्र रूप से जवद्यालयी
जिक्षा के रूप में रखने का प्रस्ताव ककया है।
इसजलए, समग्र जिक्षा अजभयान नामक एक व्यापक कायणिम तैयार ककया गया है जो जनम्नजलजखत
योजनाओं को िाजमल करता है-
सवण जिक्षा अजभयान
राष्ट्रीय माध्यजमक जिक्षा अजभयान
जिक्षक जिक्षा
पालन हेतु जसद्धांत (Principles to be followed)
ये जसद्धांत SSA में सुधार के जलए श्री अजनल बोर्थडया सजमजत की ररपोटण पर आधाररत हैं।
पाठ्यिम, जिक्षक जिक्षा, िैक्षजणक योजना और प्रबंधन पर महत्वपूणण प्रभाव के साथ पूरी सामग्री
और जिक्षा की प्रकिया के व्यवजस्थत सुधार के प्रभाव वाला जिक्षा का समग्र दृजिकोण।
समता और पहाँच का अथण न के वल समान अवसर या जनर्ददि दूरी के भीतर जवद्यालय की सुलभता
है, बजल्क ऐसी पररजस्थजतयों का जनमाणण करना भी है जजसमें समाज के वंजचत वगण अथाणत SC,
ST, मुजस्लम अल्पसंख्यक, भूजमहीन कृ जष श्रजमक और जविेष आवश्यकता वाले बच्चे आकद भी
उपलधध अवसरों का लाभ उिा सकें ।
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लैंजगक सरोकार का आिय न के वल लडककयों को लडकों के कदम से कदम जमलाने में सक्षम बनाने
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के जलए प्रयास करना है बजल्क जिक्षा को राष्ट्रीय जिक्षा नीजत 1986/92 में वर्थणत पररप्रेक्ष्य में
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देखना है अथाणत् मजहलाओं की जस्थजत में बुजनयादी पररवतणन लाने के जलए एक जनणाणयक हस्तक्षेप
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जिक्षकों की के न्द्रीयता, जो उन्हें कक्षा में और कक्षा के बाहर नवाचार हेतु तथा एक नयी संस्कृ जत के
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जनमाणण हेतु प्रेररत करे गी। इसके पररणामस्वरूप, बच्चों के जलए, जविेष रूप से पीजडत और वंजचत
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पृिभूजम वाली लडककयों के जलए, एक समावेिी पररवेि का जनमाणण संभव हो सके गा।
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दंडात्मक प्रकियाओं पर बल देने के बजाय RTE अजधजनयम द्वारा माता-जपता, जिक्षकों, िैक्षजणक
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RTE कानून के कायाणन्वयन के जलए िैजक्षक प्रबंधन की कें द्राजभमुख और एकीकृ त प्रणाली एक पूवण-
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आवश्यकता है। सभी राज्यों को उस कदिा में यथासंभव त्वररत रूप से आगे बढ़ना चाजहए।
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के . कस्तूरीरं गन की अध्यक्षता में एक सजमजत राष्ट्रीय जिक्षा नीजत (NEP) का अंजतम मसौदा तैयार कर
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रही है। यह 31 अगस्त, 2018 तक इसका मसौदा प्रस्तुत करे गी। इससे पहले, टी.एस.आर. सुब्मण्यम
सजमजत ने मई 2016 में NEP का मसौदा प्रस्तुत ककया था। हालांकक, बाद में सरकार ने अपेक्षाकृ त
अजधक परामिण प्राप्त करने तथा इसका अंजतम मसौदा तैयार करने के जलए के . कस्तूरीरं गन सजमजत का
गिन ककया था।
टी.एस.आर. सुब्मण्यम सजमजत द्वारा तैयार मसौदा राष्ट्रीय जिक्षा नीजत के प्रमुख बबदु
(Major Highlights of Draft National Education Policy prepared by TSR
Subramanian Committee)
प्रजत अनुकिया करने हेतु आवश्यक ज्ञान, कौिल, दृजिकोण और मूल्यों से लैस छात्रों/स्नातकों को उत्पन्न
करने वाली होगी।
जमिन (Mission)
जवरासत, इसके गौरविाली अतीत, महान परं पराओं और जवजवध संस्कृ जतयों के बारे में बच्चों,
युवाओं और वयस्कों के बीच जागरुकता पैदा करते हैं। साथ ही जिक्षार्थथयों के सभी स्तरों पर ऐसे
मूल्यों को सीखने को बढ़ावा देना जो जजममेदार नागररकता, िांजत, सजहष्णुता, राष्ट्रीय एकता,
सामजजक एकजुटता और सभी धमों के जलए पारस्पररक सममान को बढ़ावा दें। इसके अजतररि ऐसे
)
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वैजश्वक मूल्यों को भी बढ़ावा देना जो वैजश्वक नागररकता और सतत जवकास को बढ़ावा देने में
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सहायता करें ।
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जवज़न और जमिन की पूर्थत के जलए जिक्षा के मुख्य उद्देश्य जनम्नजलजखत हैं:
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प्रारं जभक बाल्यावस्था जिक्षा सेवाओं का जवस्तार करना ताकक यह सुजनजित हो सके कक 4-5 वषण
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के सभी प्री-स्कू ल आयु के बच्चे सीखने और जवकास करने के जलए पूरी तरह से तैयार हो पा रहे हैं।
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सावणभौजमक प्राथजमक एवं माध्यजमक जिक्षा का लक्ष्य प्राप्त करना तथा माध्यजमक जिक्षा प्राप्त सभी
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जवद्यार्थथयों की उच्च माध्यजमक जिक्षा तक और उच्चतर माध्यजमक जिक्षा प्राप्त सभी जवद्यार्थथयों की
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जिक्षा में सामाजजक, क्षेत्रीय और लैंजगक अंतराल की समाजप्त को सुजनजित करना तथा साथ ही
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समपूणण जिक्षा प्रणाली में लैंजगक समानता और लडककयों एवं मजहलाओं के सिजिकरण में वृजद्ध को
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सुजनजित करना।
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कौिल जवकास के जलए अवसरों का जवस्तार करना तथा युवाओं और वयस्कों द्वारा जीवन एवं
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कायण के जलए तकनीकी और व्यावसाजयक कौिल सजहत कौिल और योग्यताओं की प्राजप्त सुजनजित
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यह सुजनजित करना कक औपचाररक जिक्षा प्रणाली से वंजचत युवाओं (15-24 वषण) और वयस्कों
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(15 वषण और उससे अजधक आयु) को जनयोजन के जलए कौिल प्राप्त करने के अवसर प्रदान ककए
जा रहे हैं।
तृतीयक जिक्षा तक समानतापूणण पहंच सुजनजित करने हेतु हेतु उच्च जिक्षा प्रणाली में सुधार करना।
इस सुधार में तकनीकी जिक्षा और व्यावसाजयक जिक्षा, उच्च जिक्षा तक पहाँच में असमानता को कम
करना, जिक्षण तथा अनुसंधान में सुधार करना, नवाचार को बढ़ावा देना तथा नवीन ज्ञान का
सृजन सजममजलत है।
NGO प्रथम द्वारा प्रकाजित और CBSE द्वारा आयोजजत ASER वार्थषक ररपोटण 2017 और जवजभन्न
अन्य ररपोटों ने भारत में जिक्षा की प्राजप्त में जनम्नजलजखत चुनौजतयों का उल्लेख ककया है:
A. उच्च नामांकन अनुपात के बावजूद जनम्न अजधगम (सीखने समबन्धी) पररणाम (Poor learning
1. प्राथजमक और माध्यजमक जिक्षा में नामांकन में वृजद्ध के पररणामस्वरूप अजधगम गुणवत्ता में कोई
सुधार नहीं हआ है।
2. अजधगम की गुणवत्ता एक प्रमुख मुद्दा है और ररपोटें यह बताती हैं कक बच्चों को उनकी कक्षाओं के
अनुरूप अजधगम स्तर को प्राप्त नहीं कर रहे हैं।
3. प्राथजमक वषों से आई ये अजधगम की कमी ककिोरावस्था और वयस्कता तक बनी रहती है।
B. असंतोषजनक पूव-ण जवद्यालयी जिक्षा (Unsatisfactory Pre-School Education)
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3. पूव-ण जवद्यालय के अजधकांि जिक्षक अपयाणप्त रूप से प्रजिजक्षत होते हैं।
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राष्ट्रीय उपलजधध सवेक्षण और जिक्षा पर वार्थषक जस्थजत ररपोटण (Annual Status of Education s9@
Report: ASER) के मध्य तुलना
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Achievement Survey
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यह सरकारी स्कू लों में नामांककत बच्चों को सभी बच्चे चाहे वे स्कू ल जा रहे हों या नहीं
ध्यान में रखता है।
4. कई मामलों में अभी भी पूव-ण जवद्यालयी जिक्षा के जलए पाठ्यिम प्राथजमक जिक्षा पाठ्यिम का
जनम्नतर रूप ही होता है।
)
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समूहों के बच्चों की अभी भी पूव-ण जवद्यालयी जिक्षा तक पहंच नहीं है। आर्थथक रूप से वंजचत समूहों
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के बच्चों को पूव-ण प्राथजमक जिक्षा प्राप्त करने के जलए कम अवसर प्राप्त होने की संभावना अजधक है।
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2. हालांकक 2000 से स्कू ल से वंजचत रहने वाले बच्चों (out-of-school children: OOSC) की
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संख्या में काफी कमी आई है, लेककन कु छ राज्यों में स्कू ल से वंजचत रहने वाले बच्चों की संख्या और
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अनुपात राष्ट्रीय औसत से काफी अजधक है। अनुसूजचत जाजत, अनुसूजचत जनजाजत और मुजस्लम
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बच्चों के जलए स्कू ल से वंजचत रहने वाले बच्चों की संख्या का अनुपात राष्ट्रीय औसत से अजधक है।
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3. कदव्यांग बच्चे और जविेष आवश्यकता वाले बच्चे स्कू ल से वंजचत रहने वाले बच्चों की संख्या का एक
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महत्वपूणण भाग हैं। यह जस्थजत कदव्यांग बच्चों, जो सामाजजक और िैजक्षक दोनों तरह से वंजचत हैं,
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की चुनौतीपूणण जरूरतों को हल करने के जलए स्कू लों को तैयार करने की आवश्यकता को दिाणती
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है।
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4. उच्च जिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio: GER) में क्षेत्रीय
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असमानताएं बहत व्यापक हैं। 2011-12 में उच्च जिक्षा में GER झारखंड में 8.4 प्रजतित और
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प्राप्त होने में देरी और प्रिासजनक क्षमताओं के उदाहरणों से देखा जा सकता है। प्रभावी कायणिम
जनयोजन और कायाणन्वयन से संबंजधत क्षमता समबन्धी बाधाएं एक प्रमुख मुद्दा बनी हई हैं।
पररणामस्वरूप, योजनाबद्ध कायणिमों के कायाणन्वयन की प्रगजत असमान बनी हई है।
2. जवद्यालय जवकास और प्रबंधन सजमजतयों (School Development and Management
Committees: SDMCs) को जिक्षकों और उनके कतणव्यों की देखरे ख करने की जज़ममेदारी सौंपी
गई है। इस सजमजत में पररजन और स्थानीय समुदाय के सदस्य िाजमल होते हैं। हालांकक, िोध से
पता चलता है कक ऐसी सजमजतयां यदा कदा ही सफल होती हैं।
1. तकनीकी और व्यावसाजयक जिक्षा कायणिमों का समथणन करने के जलए संस्थागत व्यवस्था काफी
हद तक अपयाणप्त है।
2. उच्च गुणवत्ता वाले व्यावसाजयक प्रजिक्षण की गररमा और सामाजजक स्वीकायणता को बढ़ावा देने
हेतु अजधक ध्यान देने की आवश्यकता है।
H. पाठ्यिम और मूल्यांकन (Curriculum and Assessment)
1. ज्यादातर मामलों में अजधगम उपलजधध का मूल्यांकन रटने और अंतवणस्तु जवषय ज्ञान को
पुनरुत्पाकदत करने की क्षमता का परीक्षण करने पर कें कद्रत है। छात्रों के व्यापक मूल्यांकन को
सुजनजित करने के जलए संपूणण मूल्यांकन प्रणाली को संिोजधत करने की आवश्यकता है। इस
व्यापक मूल्यांकन में िैजक्षक और सह-िैजक्षक डोमेन, दोनों से संबंजधत अजधगम पररणाम सजममजलत
होने चाजहए।
I. सूचना और संचार प्रौद्योजगकी (Information and Communication Technology: ICT)
1. जिक्षा में ICT का उपयोग सीजमत रहता है और गुणवत्तापूणण जिक्षा को बढ़ावा देने के जलए ICT
का उपयोग करने के प्रयासों में तेजी लाने की आवश्यकता है।
2. मोबाइल, कं प्यूटर और इं टरनेट तक पहाँच के साथ-साथ जडजजटल लेन-देन की आवृजत्त एक बडे
जडजजटल जवभाजन को प्रदर्थित करती है। यह जवभाजन जडजजटल भारत को बढ़ावा देने हेतु
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सरकार के अजभयान के जलए प्रासंजगक हो जाता है।
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J. जिक्षक जवकास और प्रबंधन (Teacher Development and Management)
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1. संस्थागत क्षमता और आवश्यक जिक्षकों की उपलधधता के बीच जनरं तर जवसंगजत मौजूद होने के
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पररणामस्वरूप जिक्षकों की कमी बनी रहती है। वतणमान जिक्षक जिक्षा और प्रजिक्षण कायणिम
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योग्यताएं प्रदान करने के जलए अनुपयुि माने जाते हैं। साथ ही ये जवजभन्न सामाजजक, आर्थथक,
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सांस्कृ जतक और तकनीकी पररवेिों में उन्हें उनके कतणव्यों को पूरा करने में सक्षम बनाने हेतु भी
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प्रेरणावधणक होती हैं, लगभग िून्य हैं। इससे असंतोष उत्पन्न होता है, जजसके पररणामस्वरुप
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जिक्षकों की कमी होती है क्योंकक वे अजधक स्थायी रोजगार की ओर अग्रसर हो जाते हैं।
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K. अनुसध
ं ान और जवकास (Research and Development)
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1. भारत में जवश्वजवद्यालयों में अनुसंधान और जवकास की पहलें कमज़ोर रहती हैं। मौजूदा जिक्षकों के
कौिल को अपग्रेड करने; जिक्षण और अनुसंधान दोनों के बीच उत्कृ िता को बढ़ावा देने के जलए
तालमेल के जनमाणण; अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार के जलए दुजनया भर के संस्थानों और जिक्षकों
के साथ अजधक गहराई से जुडने के जलए उच्च जिक्षा संस्थानों और उनके जिक्षकों को प्रोत्साहन और
समथणन प्रदान करके अंतराणष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने; िोध समबन्धी गिबंधनों का सृजन करने और
उन्हें सुजवधाजनक बनाने तथा ज्ञान जवकास की प्रकिया में तेजी लाने के जलए जवश्वजवद्यालय के
जवभागों को अनुसंधान संस्थानों और उद्योगों के साथ जोडने हेतु के वल सीजमत पहल ही की गई है।
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प्राथजमक (कक्षा VI-VIII) जवद्यालय 30 से कम छात्रों के साथ चल रहे थे। साथ ही, 7,166 स्कू लों
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में नामांकन िून्य था। इसके अजतररि, 87,000 स्कू लों में के वल एक जिक्षक मौजूद है। 9@
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2. यह ध्यान देने योग्य है कक अजधिेष छोटे स्कू ल जनम्नजलजखत को प्रजतकू ल रूप से प्रभाजवत करते हैं:
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1.13. जिक्षा क्षे त्र से सं बं जधत सं स्थान (Institutions Related to Education Sector)
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कें द्र में जिक्षा समबन्धी नीजतयों का जनमाणण मानव संसाधन जवकास मंत्रालय (MHRD) करता है
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और देि में संबंजधत कानूनों और योजनाओं को लागू करता है। मंत्रालय के अंतगणत उच्च जिक्षा
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जवभाग उच्च जिक्षा क्षेत्र के जलए जज़ममेदार है। राज्य सरकार के स्तर पर इस तरह के कायों को
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जिक्षा जवभाग पूरा करते हैं। स्वास््य, कृ जष इत्याकद जैसे जविेष पेिेवर क्षेत्रों में अध्ययन की
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सुजवधा प्रदान करने वाले संस्थानों को उनके समबंजधत मंत्रालयों द्वारा जनयंजत्रत ककया जाता है।
1.13.2. जनयामकीय जनकाय (Regulatory Bodies)
उच्च जिक्षा के जलए मुख्य जनयामक जवश्वजवद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और अजखल भारतीय
तकनीकी जिक्षा पररषद (AICTE) हैं। इसके अजतररि, जवजभन्न पेिेवर पाठ्यिमों को जवजनयजमत
करने वाली 15 पेिेवर पररषदें हैं। ये संसद के जवजभन्न अजधजनयमों जैसे कक भारतीय जचककत्सा
पररषद, बार काउं जसल ऑफ इं जडया, काउं जसल ऑफ आर्दकटेक्चर इत्याकद द्वारा स्थाजपत सांजवजधक
जनकाय हैं।
जवश्वजवद्यालयी जिक्षा के मानकों के समन्वय, जनधाणरण और रख-रखाव के जलए 1956 में संसद के
एक अजधजनयम द्वारा स्थाजपत जवश्वजवद्यालय अनुदान आयोग एक वैधाजनक संगिन है।
जवश्वजवद्यालयों और कॉलेजों को अनुदान प्रदान करने के अजतररि, आयोग कें द्र और राज्य सरकारों
को उच्च जिक्षा के जवकास के जलए अपनाए जाने वाले आवश्यक उपायों पर भी सलाह देता है।
1.13.4. भारतीय उच्च जिक्षा आयोग अजधजनयम, 2018 का मसौदा
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1.13.5. उच्च जिक्षा जवत्तपोषण एजें सी (Higher Education Finance Agency:
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HEFA) s 9@
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RBI ने इसे गैर-बैंककग जवत्तीय कं पनी (NBFC) के रूप में काम करने का लाइसेंस कदया है।
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यह बाजार आधाररत जिक्षा जवत्त पोषण संरचना (माके ट बलक्ड एजुकेिन फाइनेंबसग स्िक्चर) को
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इसका लक्ष्य सरकारी उच्च जिक्षा संस्थानों को कम लागत वाले ऋण प्रदान करना है।
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कें द्रीय जवत्त पोजषत संस्थानों यथा IITs, कें द्रीय जवश्वजवद्यालय और इनके जैसे अन्य संस्थानों में
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इसे उच्च जिक्षा जवत्तपोषण एजेंसी (HEFA) के माध्यम से जवत्त पोषण प्रदान ककया जाएगा।
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चार आवश्यक घटकों- मूल्य के जवकास, जागरुकता, ज्ञान और कौिल को िाजमल करना आने वाले वषों
में जिक्षा के मुख्य उद्देश्यों में होना चाजहए।
A. जिक्षा प्रणाली में सुधार (Reforms in the Education System)
1. जनयामक, जवत्तप्रदाता और जिक्षा प्रदाता के रूप में सरकार की भूजमकाओं को अलग-अलग करना।
2. सावणजजनक खचण की दक्षता और जवाबदेही में सुधार लाने और पररजनों को अजधक जवकल्प प्रदान
करने के जलए प्रजत छात्र जवत्त पोषण के उपायों जैसे वाउचर, डायरे क्ट कै ि िांसफर, छात्रवृजत्त
आकद का उपयोग करना।
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प्रधानाध्यापकों की भूजमका और उनकी िजियों को बढ़ाना।
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2. प्रदिणन क्षमताओं के आधार पर जिक्षकों और प्रधानाध्यापकों का चयन/भती करना, न कक के वल
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जडग्री और वररिता के आधार पर।
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प्रजिक्षण नहीं) प्रदान करना, प्रजिक्षण और प्रमाणीकरण के जलए मााँग आधाररत ऑनलाइन
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मॉड्यूल उपलधध कराना और एक दूसरे से अपने अनुभव साझा करने तथा एक दूसरे से सीखने के
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D. जवद्यालयी जिक्षा में बलग और समानता आधाररत मुद्दों को हल करने के जलए उिाये गए कदम
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1. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृजद्ध योजना जैसी योजनाओं का कायाणन्वयन महत्वपूणण है।
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2. ऐसी स्कू ल प्रबंधन सजमजत (School Management Committee: SMC) को 1 लाख रुपये
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3. ऐसे प्राथजमक जवद्यालय की SMC को पुरस्कार के रूप में 1 लाख रुपये कदए जा सकते हैं, जो कक्षा
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5 में अध्ययन करने वाली 100% बाजलकाओं का सफल स्थानांतरण उसी क्षेत्र या पडोस के ककसी
अन्य क्षेत्र के उच्च प्राथजमक जवद्यालय की कक्षा 6 में करते हैं।
4. मानव संसाधन जवकास मंत्रालय ने 2015 में अंतराणष्ट्रीय मजहला कदवस के अवसर पर ‘जडजजटल
जेंडर एटलस फॉर एडवांबसग गल्सण एजुकेिन इन इं जडया’ तैयार ककया था।
5. राष्िीय बाजलका माध्यजमक जिक्षा की प्रोत्साहन योजना (National Scheme of Incentive to
Girls for Secondary Education: NSIGSE) 16 वषण से कम आयु की योग्य अजववाजहत
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(Udaan)" योजना िुरू की है।
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अथाणत् "सभी सुखी रहें, सभी रोगमुि रहें," प्राचीन काल से ही यह श्लोक भारत के कल्याणकारी राज्य
पररभाजषत करता है, न कक के वल रुग्णता या बीमारी की अनुपजस्थजत के रूप में। अच्छे स्वास््य के
जनधाणरक हैं: जवजभन्न प्रकार की स्वास््य सेवाओं तक पहंच, ककसी व्यजि द्वारा चयजनत जीवन िैली तथा
वतणमान में, भारत की स्वास््य देखभाल प्रणाली में स्वास््य सेवाओं के सावणजजनक और जनजी क्षेत्र के
प्रदाताओं का जमश्रण िाजमल है। प्राथजमक, माध्यजमक और तृतीयक स्तर पर स्वास््य देखभाल
सुजवधाओं के नेटवकण मुख्य रूप से राज्य सरकारों द्वारा संचाजलत हैं तथा ये मुफ्त या बहत कम लागत
वाली जचककत्सा सेवाएं प्रदान करते हैं। एक व्यापक जनजी स्वास््य देखभाल क्षेत्र भी है जजसमें सामान्य
)
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अस्पतालों और सुपर स्पेजियजलटी अस्पतालों सजहत व्यजिगत डॉक्टरों और उनके क्लीजनकों के पूरे
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स्पेक्िम को सजममजलत ककया जाता है।
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भारत ने कई स्वास््य संकेतकों में पयाणप्त प्रगजत की है। जन्म के समय जीवन प्रत्यािा में बढ़ोत्तरी हई है ,
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जििु मृत्यु दर और अिोजधत मृत्यु दर में पयाणप्त कमी आई है, स्माल पॉक्स, पोजलयो और जगनी वमण जैसे
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रोगों का उन्मूलन कर कदया गया है तथा कु ि रोग (leprosy) लगभग समाप्त हो गया है। देि
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हमारा संजवधान राज्य से राज्य की नीजत के जनदेिक जसद्धांतों के जवजभन्न अनुच्छेदों के अंतगणत
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इसके कतणव्य के रूप में सभी लोगों के स्वास््य और पोषण संबंधी कल्याण को सुजनजित करने की
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o अनुच्छेद 47: पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊाँचा करना तथा लोक स्वास््य का सुधार
करना।
जवजभन्न जनणणयों (जैसे CESC जलजमटेड बनाम सुभाष चंद्र बोस; पजिम बंगाल खेत मजदूर
सजमजत; मुरली एस. देवडा; एन. डी. जयल इत्याकद) में सवोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 21 के क्षेत्र
)
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2.3 भारत में स्वास््य दे ख भाल (Healthcare in India)
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जपछले कु छ वषों में, भारतीय स्वास््य देखभाल पररदृश्य ने जीवन प्रत्यािा और मातृ तथा बाल9@
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मृत्यु दर जैसे कई स्वास््य संकेतकों में आिातीत प्रगजत प्रदर्थित की है। वषण 2014 में जब जवश्व
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स्वास््य संगिन (WHO) द्वारा भारत को पोजलयो मुि राष्ट्र घोजषत ककया गया तो भारतीय
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सावणजजनक स्वास््य देखभाल प्रणाली में एक उल्लेखनीय उपलजधध दज़ण हई। जििु मृत्यु दर (IMR)
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2004 में 57 प्रजत हज़ार जीजवत जन्म थी, जो 2016 में घट कर 34 रह गयी है। इसी अवजध के
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दौरान जन्म के समय जीवन प्रत्यािा 63.80 वषण से बढ़कर 68.35 वषण हो गई है। भारत में
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स्वास््य देखभाल प्रणाली द्वारा की गई इस महत्वपूणण प्रगजत के जलए सावणजजनक और जनजी क्षेत्र के
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उपयुणि सफलताओं के बावजूद, भारत में वतणमान स्वास््य देखभाल प्रणाली कई सामाजजक,
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प्राथजमक स्वास््य देखभाल 1,55,069 उप कें द्रों (sub centers: SCs) और 25,354 प्राथजमक
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स्वास््य कें द्रों (Primary Health Centres: PHCs) के नेटवकण के माध्यम से प्रदान की जाती है।
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उपलधधता बुजनयादी ढांचे और अपयाणप्त मानव संसाधनों के कारण सीजमत है। जनसंख्या मानदंडों
(बुलेरटन ऑफ रूरल हेल्थ स्टेरटजस्टक्स 2016) के अनुसार 35,110 उप कें द्रों (20 प्रजतित) और
6,572 प्राथजमक स्वास््य कें द्रों (22 प्रजतित) की कमी है। 31 माचण, 2016 तक, स्वास््य
कायणकताण (मजहला) और सहायक नसण जमडवाइफ (HWF/ANM) के पदों में कु ल कमी कु ल
आवश्यकता का 2.53 प्रजतित थी। इसी प्रकार 8.14 प्रजतित PHCs जबना डॉक्टर के थे, 44.59
प्रजतित जबना ककसी प्रयोगिाला तकनीजियन के थे और 27.10 प्रजतित जबना फामाणजसस्ट के थे,
जजससे सेवा जवतरण प्रजतकू ल रूप से प्रभाजवत होता है।
)
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रुपए और िहरी क्षेत्रों में 11,553 रुपए है। NSSO के 71 वें दौर के अनुसार, यह लागत
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सावणजजनक स्वास््य सुजवधाओं में 6,120 रुपये और जनजी सुजवधाओं में 25, 850 रुपये हो गई।
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लागत अंतर के बावजूद, 70% से अजधक बीमाररयों का इलाज जनजी क्षेत्र के क्लीजनक और
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अस्पतालों तथा धमाणथण संस्थानों में ककया गया। संस्थागत प्रसवों के मामले में, ग्रामीण क्षेत्रों में
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लगभग 70% तथा िहरी क्षेत्रों में लगभग 47% सरकारी अस्पतालों में ककये में ककये गए।
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A. स्वास््य पर सावणजजनक व्यय का जनम्न स्तर (Low level of Public expenditure on Health)-
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1. स्वास््य देखभाल पर भारत का सावणजजनक व्यय 2017-18 में GDP का 1.4% था जो अन्य
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जब्क्स देिों (ब्ाजील: 3.8%, चीन: 3.1%, रूस: 3.7%, दजक्षण अफ्रीका: 4.2%) की अपेक्षा
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काफी कम था।
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2. WHO के आंकडों से पता चलता है कक के वल 30 देि ऐसे हैं जो GDP प्रजतित के रूप में
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भारत से कम राजि आवंरटत करते हैं। इनमें से ज्यादातर देि उप-सहारा अफ्रीका और भारत
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3. राष्ट्रीय स्वास््य नीजत, 2017 ने 2025 तक स्वास््य व्यय को GDP के 2.5% तक बढ़ाने का
लक्ष्य जनधाणररत ककया है और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के जलए व्यय का वतणमान स्तर बहत
कम है।
B. स्वास््य पर उच्च आउट ऑफ पॉके ट व्यय (High out of Pocket Expenditure on Health)-
1. ग्रामीण क्षेत्रों में अस्वस्थ आबादी के 70% से अजधक लोग और िहरी क्षेत्रों में लगभग 80%
जनजी स्वास््य सुजवधाओं का उपयोग करते हैं।
2. कु ल स्वास््य देखभाल व्यय का 80% जनजी क्षेत्र में होता है वहीं सावणजजनक क्षेत्र की
जहस्सेदारी मात्र 20% है।
)
2. नतीजतन, भारत के ग्रामीण समुदाजयक स्वास््य कें द्रों में 81% जविेषज्ञों की कमी है।
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3. भारत के ग्रामीण इलाकों में फै ले 25,308 प्राथजमक स्वास््य कें द्र (PHCs) जपछले 10 वषों
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में 200% की बढ़ी हई कमी के साथ 3,000 से अजधक डॉक्टरों की कमी से ग्रस्त हैं। 9@
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4. NHP, 2018 के अनुसार, जबहार में 28,391 की जनसंख्या पर 1 डॉक्टर उपलधध है जबकक
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1. सामान्य जस्थजतयों में भी स्वास््य पर प्रजत व्यजि सावणजजनक व्यय 2009-10 में 621 रुपये से
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2. अजधकांि आबादी स्वास््य देखभाल के तृतीयक स्तर पर जवत्तीय समस्याओं का सामना करती
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सावणजजनक और जनजी क्षेत्रों के जलए जनयामकीय मानक पयाणप्त रूप से पररभाजषत और प्रभावी रूप से
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जनसंख्या का स्वास््य मुख्य रूप से जीवन िैली (50%) तथा जैजवक और पयाणवरणीय कारकों (20%
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प्रत्येक) द्वारा जनधाणररत ककया जाता है, जबकक स्वास््य प्रणाजलयों से संबंजधत कारक के वल 10% का
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2017 की नीजत का लक्ष्य एक नई स्वास््य नीजत की आवश्यकता को पूरा करने हेतु वृजद्धमान
आश्वासन-आधाररत दृजिकोण पेि करना है ताकक भारत की अबाध स्वास््य देखभाल जवतरण प्रणाली
में प्राथजमकताओं में पररवतणन लाया जा सके । इसमें एक 'मजबूत स्वास््य देखभाल उद्योग' का सृजन,
जवत्तपोषण के बढ़ते हए घाटे को पूरा करने के जलए 'राजकोषीय क्षमता' को बढ़ाना भी िाजमल है।
पॉजलसी द्वारा जनधाणररत कु छ जवजिि लक्ष्य और उद्देश्य जनम्नजलजखत हैं:
2025 तक जन्म के समय जीवन प्रत्यािा 67.5 से बढ़कर 70 होना।
सरकार द्वारा 2025 तक स्वास््य पर व्यय को सकल घरे लू उत्पाद की प्रजतितता के वतणमान
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2020 तक स्वास््य क्षेत्र में राज्यों के व्यय को बजट का > 8% करना।
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2025 तक उच्च प्राथजमकता वाले जजलों में मानक के अनुसार प्राथजमक और जद्वतीयक स्तर की
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सुजवधाएाँ स्थाजपत करना। (जनसंख्या और उपचार कें द्र तक की दूरी तय करने के समय का मानक)
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2020 तक जजला स्तर पर स्वास््य प्रणाली समबंजधत जानकारी का इलेक्िॉजनक डेटाबेस सुजनजित
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करना।
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2020 तक स्वास््य जनगरानी प्रणाली का सुदढ़ृ ीकरण और जन स्वास््य समबन्धी महत्ता रखने
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2025 तक संघीय एकीकृ त स्वास््य सूचना संरचना का जनमाणण, स्वास््य सूचना एक्सचेंज और
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सावणभौजमकता, रोगी कें कद्रत और गुणवत्तायुि देखभाल, उत्तरदाजयत्व और बहलवाद पर कें कद्रत हैं।
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सावणजजनक स्वास््य देखभाल जडलीवरी संगिन के तहत पॉजलसी का बल व्यापक देखभाल, रोजगयों
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की अजधकता को जवजनयजमत करने के जलए रे फरल प्रणाली, सभी सावणजजनक सुजवधाओं में जनदान
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और आपातकालीन सेवाओं, िहरी स्वास््य को बेहतर बनाने, अजवकजसत क्षेत्रों में जनिजि और
अवसंरचना को मजबूत बनाने, सभी राष्ट्रीय स्वास््य कायणिमों को एकीकृ त करने और आयुष
सेवाओं को एक जवकल्प बनाने पर है।
माध्यजमक और तृतीयक देखभाल स्तरों पर पहंच और जवत्तीय सुरक्षा प्रदान करने के जलए, नीजत
सभी सावणजजनक अस्पतालों में जनिःिुल्क दवाओं, जन:िुल्क जनदान (diagnostics) और जनिःिुल्क
आपातकालीन देखभाल सेवाओं का उपबंध करती है।
पर, रणनीजतक खरीद के माध्यम से राष्ट्रीय लक्ष्यों को पूरा करने में व्याप्त अंतरालों को दूर करने के
जलए जनजी क्षेत्र के साथ एक सकारात्मक और अग्र-सकिय संलग्नता की वकालत करती है।
यह क्षमता जनमाणण, कौिल जवकास कायणिम, जागरुकता बढ़ाने, मानजसक स्वास््य सेवाओं को
मजबूत करने और आपदा प्रबंधन को सिि बनाने हेतु समुदाय के जलए सतत तंत्र जवकजसत करने
के जलए भी जनजी क्षेत्र के सहयोग पर जवचार करती है।
नीजत जनजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साजहत करने के जलए जवत्तीय और गैर-जवत्तीय प्रोत्साहनों
की भी वकालत करती है।
जनजी स्वास््य देखभाल उद्योग में बीमा और उपकरण लगभग 15%, फामाणस्यूरटकल्स लगभग 25%,
जनदान लगभग 10% और अस्पतालों और क्लीजनकल देखभाल लगभग 50% की जहस्सेदारी रखते हैं।
जनजी स्वास््य देखभाल उद्योग का मूल्य $ 40 जबजलयन है और बाजार स्रोतों के मुताजबक 2020 तक
जपछले 25 वषों में सकारात्मक आर्थथक दृजिकोण बनाने में सरकार द्वारा उिाए गए कदमों में जनम्न
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प्रत्यक्ष कर; जचककत्सा उपकरणों के मूल्य में उच्च कमी; ग्रामीण अस्पतालों हेतु 5 वषण के जलए आयकर
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छू ट; और जीवन रक्षा उपकरणों के जलए कस्टम ड्यूटी छू ट िाजमल हैं। सहायता के अन्य रूप हैं - भूजम s 9@
का अजधमानी और सजधसडीयुि आवंटन, सरकारी संस्थानों में सजधसडीयुि पेिेवर जिक्षा; और 100%
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एफडीआई के जलए प्रावधान। इस सकिय नीजत ने जनजी स्वास््य देखभाल उद्योग को 2012-13 में 2
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अरब डॉलर से अजधक FDI आकर्थषत करने में सक्षम बनाया, जो बाजार स्रोतों के मुताजबक ज्यादातर
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उद्यम पूज
ं ी के रूप में था। अंतराणष्ट्रीय जवत्त जनगम के जलए भारतीय जनजी स्वास््य देखभाल उद्योग
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स्वास््य में इसके वैजश्वक जनवेि का दूसरा सबसे बडा गंतव्य है।
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71 वें राष्ट्रीय नमूना सवेक्षण (NSS) के अनुसार 2014 में जनजी अस्पतालों में भती होने वाले कु ल
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रोजगयों का प्रजतित ग्रामीण और िहरी इलाकों में िमििः 58% और 68% है। हालांकक, जनजी क्षेत्र
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नेिनल हेल्थ प्रोफाइल ऑफ इं जडया ररपोटण के अनुसार जनजी अस्पतालों में जाने वाले 75% रोगी
अपनी घरे लू आय या बचत से जचककत्सा जबलों का जनपटारा करते हैं, जबकक 18% जनजी
उधारदाताओं से उधार लेकर इसका भुगतान करते हैं जो उच्च गरीबी का कारण बनता है।
दवा की अलग-अलग कीमतें (Differential Drug prices): आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची
(National List of Essential Medicines: NLEM) और गैर NLEM श्रेणी के तहत अलग-
अलग कीमतें अस्पिता उत्पन्न करती हैं और मरीजों का िोषण करने के जलए जनजी अस्पतालों को
और मौके प्रदान करती हैं।
Delivery across Providers): क्षमता और करुणा समबन्धी पेिेवर मानकों की कमी के कारण
रोगी सुरक्षा और प्रकिया में पारदर्थिता से समझौत ककया जाता है।
रोगी और डॉक्टर के बीच अलगाव (Disconnect between patient and doctor): िुरुआत
में जवजभन्न संबंजधत प्रकियात्मक लागतों और िुल्कों के संदभण में जानकारी का स्पि आदान-प्रदान न
ककये जाने के कारण दोनों पक्षों के मध्य एक स्पि अलगाव होता है जो समग्र जचककत्सा प्रकिया को
कमजोर बनाता है।
जचककत्सीय जवजधक न्यायिास्त्र (medical legal jurisprudence) का जवकास देि के जनजी
संस्थानों के उदय के साथ समन्वजयत नहीं हआ है जो सबसे महान व्यवसायों में से एक ‘जचककत्सा’
में कदाचार और भ्रिाचार के जलए जगह छोड देता है।
आगे की राह (Way forward)
जवश्वव्यापी अनुभव हमें जसखाता है कक जनजी क्षेत्र के वल तभी जजममेदारी से कायण करता है और
अच्छी गुणवत्ता वाली सेवाएं प्रदान करता है जब सरकार अच्छी गुणवत्ता का मानदंड प्रदान करे ।
जब सरकारी क्षेत्र अच्छे मानदंड जनधाणररत करने में जवफल रहता है तो जनजी क्षेत्र अजधक
अत्याचारपूणण हो जाता है।
जनयामक को पारदर्थिता पर जोर देना चाजहए - अस्पतालों को मानक उपचार और प्रकियाओं के
जलए अपनी दरों को स्पि रूप से प्रचाररत करना चाजहए। साथ ही, जवजभन्न प्रकार के अस्पतालों के
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जलए मानक दरें होनी चाजहए क्योंकक सभी जनजी अस्पताल महंगे िहरों में जस्थत नहीं हैं।
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अस्पताल को पंजीकृ त ककए गए अजतररि िुल्क के औजचत्य को स्पि करना चाजहए और मानक
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पैकेज के बारे में सूचना प्रदान करनी चाजहए। जनयामक को मानक पैकेज से जवचलन के प्रजतित पर
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जनयजमत डेटा प्राप्त करना चाजहए।
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अंत में, भारतीय जचककत्सा पररषद को अपने मरीजों के जहतों की रक्षा करने और डॉक्टरों को
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सावणजजनक स्वास््य देखभाल प्रणाजलयों में चयजनत जवतरण के स्थान पर व्यापक प्राथजमक
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और बुजग
ु ों की देखभाल सजहत पुरानी बीमाररयों की जनरं तर देखभाल को कवर करने वाली 12
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सेवाओं के पैकेज के जलए सुजनजित, जनिःिुल्क व व्यापक प्राथजमक स्वास््य देखभाल सेवाएं प्रदान
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करना है।
समग्र योजना की दृजि से, स्वास््य और कल्याण कें द्रों (आयुष्मान भारत के जहस्से के रूप में) को
िुरू करने के जलए कें द्रों का चयन और प्रबंधन -
o पंजाब को छोडकर सभी राज्यों में स्वास््य और कल्याण कें द्रों (Health and Wellness
centres: HWC) के रूप में कायण करने के जलए उप कें द्रों की पहचान पूणण कर ली गयी है।
संसाधन, दवाओं, बुजनयादी ढांचे और रसद समथणन की उपलधधता की आवश्यकता होती है।
सकारात्मक पक्ष यह है कक कोई भी राज्य उप-कें द्र स्तर पर आवश्यक मानव संसाधनों
(बहउद्देिीय श्रमबल और आिा) की महत्वपूणण कमी का संकेत नहीं देता है।
जनसंख्या की गणना की सावणभौजमक प्रणाजलयााँ (Universal Population enumeration
o सभी इनपुट उपायों में से, मध्य-स्तर के स्वास््य देखभाल प्रदाताओं/सामुदाजयक स्वास््य
अजधकाररयों के कै डर के गिन और सामुदाजयक स्वास््य में प्रमाण पत्र के जलए जब्ज कायणिम
में उनके नामांकन को अजधकांि राज्यों द्वारा प्राथजमकता दी गई है।
)
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आरएमएनसीएच + A रणनीजत पांच स्तंभों प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल और ककिोरावस्था
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स्वास््य के माध्यम से व्यापक देखभाल के प्रावधान पर आधाररत है तथा समानता, सावणभौजमक
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देखभाल, पात्रता और जवाबदेही के कें द्रीय जसद्धांतों द्वारा जनदेजित है।
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o एक जवजिि जीवन चरण के रूप में ककिोरावस्था को पहली बार िाजमल करना।
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o प्रजनन स्वास््य, पररवार जनयोजन, ककिोर स्वास््य, HIV, बलग, और गभणधारण पूवण एवं
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o प्राथजमक (प्राथजमक स्वास््य कें द्र), जद्वतीयक (सामुदाजयक स्वास््य कें द्र) और तृतीयक स्तर
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सुजनजित करना।
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आयुष्मान भारत, जजसे प्रधानमंत्री जन आरोग्य अजभयान भी कहा जाता है, कें द्रीय बजट 2018 में
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राष्ट्रीय स्वास््य नीजत, 2017 के तहत स्वास््य और कल्याण कें द्रों की कल्पना की गई है।
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इसके तहत 1.5 लाख
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कें द्र स्वास््य देखभाल प्रणाली को लोगों के घरों के करीब लाएंगे।
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ये कें द्र गैर-संिमणीय बीमाररयों और मातृ एवं जििु स्वास््य सेवाओं सजहत व्यापक स्वास््य
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CSR और परोपकारी संस्थानों द्वारा इन कें द्रों को गोद लेने के माध्यम से जनजी क्षेत्र के योगदान
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की भी पररकल्पना की गई है।
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मौजूदा स्टाफ के अजतररि गैर-जचककत्सक स्वास््य देखभाल प्रदाताओं जैसे नसण पेिेवरों को
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िाजमल कर के HWC आवश्यक दवायें और बुजनयादी नैदाजनकी जनिःिुल्क प्रदान करे गा।
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HWCs प्रौद्योजगकी का उपयोग करके जवजभन्न स्वास््य संकेतकों की जनगरानी के जलए वास्तजवक
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RSBY 2007 में पेि की गई थी, यह मूल रूप से गरीबी रे खा से नीचे के (BPL) पररवारों तक
सीजमत थी, लेककन बाद में इसे भवन और अन्य जनमाणण श्रजमकों, मनरे गा लाभार्थथयों, स्िीट वेंडसण,
बीडी श्रजमकों और घरे लू श्रजमकों तक बढ़ा कदया गया।
RSBY प्रत्येक नामांककत पररवार को '30,000 रुपये प्रजतवषण' का स्माटण काडण आधाररत स्वास््य
बीमा कवर प्रदान करती है, जजसमें पांच व्यजि िाजमल होते हैं।
लाभाथी पररवार पंजीकरण / नवीनीकरण िुल्क के रूप में के वल 30 रुपये प्रजत वषण का भुगतान
करता है।
इस योजना में अस्पताल में होने वाले खचण िाजमल हैं (ककतु वाह्य-रोगी व्यय िाजमल नहीं है),
जजनमें मातृत्व लाभ और पूवण से मौजूद बीमाररयां भी िाजमल हैं।
100 रुपये प्रजत जवजज़ट की पररवहन लागत का भुगतान भी ककया जाता है।
अगर वे कु छ मानकों को पूरा करते हों और नकद रजहत उपचार प्रदान करने के जलए सहमत हों,
तब यह जसस्टम में िाजमल होने के जलए जनजी स्वास््य सेवा प्रदाताओं को भी अनुमजत प्रदान
करता है।
RSBY की कजमयााँ:
बीमा मध्यस्थों के कारण लेन-देन की उच्च लागत, प्रदाता प्रेररत मांग को जनयंजत्रत करने में
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असमथणता और प्राथजमक स्वास््य एवं वाह्य-रोगी देखभाल के जलए कवरे ज की कमी।
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RSBY रोग प्रोफाइल और स्वास््य आवश्यकताओं में राज्य जवजिि बदलावों को ध्यान में नहीं 9@
रखता है।
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सरकार प्रजत वषण प्रजत पररवार 5,00,000 रुपये तक का स्वास््य बीमा कवर प्रदान करती है।
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जनधाणररत मानदंडों के अनुसार SECC डेटाबेस में सूचीबद्ध सभी पररवारों को कवर ककया
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देि भर में 10.74 करोड से अजधक गरीब और कमजोर पररवार (लगभग 50 करोड लाभाथी)
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जरूरत के समय सभी सावणजजनक और सूचीबद्ध जनजी अस्पतालों में मुफ्त उपचार उपलधध होगा।
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सजणरी, जचककत्सा और डे-के यर उपचार, दवाइयों और जनदान की लागत को कवर करने वाले
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जनजी देखभाल प्रदाताओं, जविेष रूप से गैर-लाभकारी प्रदाताओं, से स्वास््य देखभाल की कमी
वाले क्षेत्रों में सेवाओं की मानक रणनीजतक खरीद और सावणजजनक अस्पतालों के संयोजन के
माध्यम से गुणवत्ता युि माध्यजमक और तृतीयक देखभाल सेवाओं तक बेहतर पहंच और
वहनीयता सुजनजित की जाएगी।
सभी पहले से मौजूद बीमाररयों को कवर ककया गया है। अस्पताल उपचार से इनकार नहीं कर
सकते हैं।
गुणवत्ता युि स्वास््य देखभाल सेवाओं के जलए नकद रजहत और कागज रजहत पहंच।
अस्पतालों द्वारा इलाज के जलए लाभार्थथयों से कोई अजतररि पैसा नहीं जलया जाएगा।
सकते हैं और 24X7 हेल्पलाइन नंबर - 14555 पर जानकारी व सहायता प्राप्त कर सकते हैं और
जिकायतें दजण करा सकते हैं।
यह भारत को सावणभौजमक स्वास््य कवरे ज (UHC) और सतत जवकास लक्ष्य (SDGs) प्राप्त करने
में सहायता करे गा।
अस्पताल में भती के जलए आउट ऑफ पॉके ट व्यय को उल्लेखनीय रूप से कम करे गा। गंभीर
स्वास््य प्रकरणों से गरीब और कमजोर पररवारों के समक्ष उत्पन्न होने वाले जवत्तीय जोजखमों और
पररणामी गरीबी को कम करे गा।
एक प्रबंधक के रूप में कायण करते हए, सावणजजनक स्वास््य लक्ष्यों के साथ जनजी क्षेत्र के जवकास को
संरेजखत करे गा।
बीमा राजस्व के सजममश्रण के माध्यम से सावणजजनक स्वास््य देखभाल प्रणाली को सुदढ़ृ बनाएगा।
ग्रामीण, दूरस्थ और वंजचत क्षेत्रों में नए स्वास््य बुजनयादी ढांचे के जनमाणण को संभव बनाएगा।
पूरी तरह कायाणजन्वत होने पर, AB-NHPM दुजनया का सबसे बडा सरकारी जवत्त पोजषत स्वास््य
सुरक्षा जमिन बन जाएगा।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास््य जमिन की सफलता के बाद, 2012 में राष्ट्रीय स्वास््य जमिन (NHM) की
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घोषणा की गई जो देि के सभी गांवों और कस्बों को आच्छाकदत करता है। राष्ट्रीय स्वास््य जमिन के दो
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उप-जमिन हैं:
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1.राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास््य जमिन (National Rural Health Mission) : गााँव के लोगों, जविेषकर
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कमजोर समूहों को सुलभ, ककफायती और गुणवत्तायुि स्वास््य देखभाल प्रदान करने के जलए इसे
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2.राष्ट्रीय िहरी स्वास््य जमिन (National Urban Health Mission)- िहरी जनसंख्या की स्वास््य
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देखभाल के साथ-साथ िहरी गरीबों के ऊपर ध्यान के जन्द्रत करने के जलए उन्हें प्राथजमक स्वास््य
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देखभाल सेवाएं उपलधध कराना और उनके इलाज में आने वाले आउट ऑफ पॉके ट खचों को कम करना।
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सावणभौजमक कवरे ज के तहत िहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों को कवर करता है और प्राथजमक से
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तृतीयक स्तर तक नकद रजहत स्वास््य सेवाओं की सतत सावणभौजमक पहंच को बढ़ावा देता है।
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गुणवत्ता मानकों को प्राप्त करना जजसमें आपातकालीन सेवा, RCH, आवश्यक दवाओं का उपयोग
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िाजमल होगी।
मेजडकल कॉलेजों द्वारा व्यापक दृजिकोण, नेतृत्व और कौिल उन्नयन के अवसर प्रदान करने के साथ
ककसी क्षेत्र की जवजभन्न स्वास््य सुजवधाओं के मध्य संबध
ं स्थाजपत करना ताकक उस क्षेत्र की सभी
स्वास््य देखभाल सुजवधाएं एक दूसरे के साथ संघरटत रूप से जुडी हों।
राज्यों और जजलों को उनके समक्ष उपजस्थत स्वास््य समस्याओं को हल करने और स्वास््य को
बढ़ावा देने के उपायों के जलए योजना बनाने हेतु पयाणप्त लचीलापन प्रदान करते हए जवकें द्रीकृ त
योजना का जनमाणण।
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मौजूदा अवसंरचनात्मक तंत्र का अभी तक उजचत रूप से उपयोग नहीं ककया गया है।
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हाल ही में आयुष को बढ़ावा देने के जलए उिाए गए कदम (Recent Steps Taken to Boost
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AYUSH):
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अंतरराष्ट्रीय सहयोग के जलए कें द्रीय क्षेत्र की योजना के तहत आयुष उद्योग को प्रोत्साहन:
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o अपने जनयाणत को बढ़ाने के जलए USFDA/ EMEA/UK-MHR इत्याकद जैसे जवजभन्न देिों के
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जनयामक जनकायों में अपने उत्पादों हेतु बाजार अनुमजत/पंजीकरण प्राप्त करना।
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o अपने उत्पादों की प्रभावकाररता के जवषय में जागरुकता पैदा करने के जलए अंतराणष्ट्रीय
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आयुवेद तथा आधुजनक साधनों और प्रौद्योजगकी के पारं पररक ज्ञान के मध्य सामंजस्य स्थाजपत
करना है।
आयुष प्रणाली से प्राप्त होने वाले लाभों को पूरी तरह से उपयोग करने हेतु सुझाव (Suggestions to
)
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MCI से संबजं धत अन्य मुद्दे(Issues with MCI) :
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2016 में स्वास््य और पररवार कल्याण के जलए संसद की स्थायी सजमजत के अनुसार:
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यह डॉक्टरों की पयाणप्त संख्या की पूर्थत करने में असफल रहा है, उदाहरणस्वरुप, WHO मानक के
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अनुसार प्रत्येक 1000 लोगों पर एक डॉक्टर की सुजवधा होनी चाजहए जो है परन्तु यहााँ प्रत्येक
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जवजनयमन।
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जवफलता।
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अनुिस
ं ाएाँ (Recommendations):
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प्रो. रणजीत रॉय चौधरी सजमजत (2015) ने MCI के कायों को संरचनात्मक रूप से पुन:
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व्यवजस्थत करने की जसफाररि की थी और राष्ट्रीय जचककत्सा आयोग के गिन का सुझाव कदया था।
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डॉ.अरबवद पनगजऺडया की अध्यक्षता वाली सजमजत का गिन जचककत्सा जिक्षा की गुणवत्ता के जलए
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ककया गया था। इसने भारतीय जचककत्सा पररषद अजधजनयम, 1956 को जनरस्त ककए जाने की
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अनुिस
ं ा की।
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के अंदर SMC को स्थाजपत करें गे जजसकी भूजमका राज्य स्तर पर NMC के समान होगी।
मेजडकल एडवाइजरी काउं जसल (Medical Advisory Council; MAC): यह NMC के समक्ष
अपने जवचारों और बचताओं को व्यि करने के जलए राज्यों / कें द्र िाजसत प्रदेिों को मंच प्रदान
करे गा और समग्र जिक्षा, नीजत और जचककत्सा जिक्षा और प्रजिक्षण से संबंजधत कारण वाई का मागण
प्रिस्त करे गा।
NMC की देखरे ख में चार स्वायत्त बोडों का गिन ककया जाएगा :
अंडर ग्रेजए
ु ट मेजडकल एजुकेिन बोडण (UGMEB)
)
जनधाणररत पाठ्यिमों को पूरा करने के बाद एलोपैजथक दवा जलखने की अनुमजत देता है।
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जवजनयमन में सुगमता(Ease of regulation)- वार्थषक नवीनीकरण की आवश्यकता के जबना,
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जचककत्सा महाजवद्यालयों की स्थापना करने और मान्यता के जलए के वल एक बार अनुमजत की 9@
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आवश्यकता होगी। कॉलेज स्नातक सीटों की संख्या में भी वृजद्ध कर सकते हैं और स्नातकोत्तर
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महत्व(Significance):
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जवधेयक का उद्देश्य भारतीय जचककत्सा अजधजनयम, 1956 को जनरस्त करना, वतणमान भारतीय
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जचककत्सा पररषद् (MCI) को समाप्त करना और एक ऐसी जचककत्सा जिक्षा प्रणाली प्रदान करना है जो
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जविेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में पयाणप्त और उच्च गुणवत्ता वाले जचककत्सा पेिेवरों की उपलधधता।
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कॉलेजों का वार्थषक आधार पर अजनवायण मूल्यांकन और रे रटग, पररणाम आधाररत जनगरानी में मदद
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करें गे।
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राष्ट्रीय जचककत्सा आयोग, होमयोपैथी कें द्रीय पररषद और भारतीय जचककत्सा पररषद् की संयुि बैिक
का प्रावधान करता है, जजससे होमयोपैथी, भारतीय जचककत्सा पद्धजत और आधुजनक जचककत्सा पद्धजत के
बीच समन्वय स्थाजपत हो सके ।
आपातकालीन प्रावधान(Emergency provision):अप्रत्याजित पररजस्थजत में, NMC राष्ट्रीय
लाइसेंसधारक परीक्षा अहणता प्राप्त ककए जबना भी एक पेिेवर जचककत्सक को िल्य जचककत्सा या प्रैजक्टस
करने की अनुमजत प्रदान कर सकता है।
2025 तक स्वास््य पर होने वाले व्यय को GDP का 2.5% करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के
उद्देश्य के साथ स्वास््य के क्षेत्र में सावणजजनक जवत्तीय संसाधनों का पयाणप्त जनवेि।
उपचारात्मक जचककत्सा (curative care) की अपेक्षा जनवारक स्वास््य (preventive health)
उपायों पर अजधक बल देने के साथ व्यय की प्राथजमकता कु िलतापूवणक तय करना।
स्वास््य के महत्वपूणण सामाजजक जनधाणरकों (पोषण, पेयजल और स्वच्छता) से समबंजधत कायणिमों
जल, साफ-सफाई और स्वच्छता से संबंजधत आधारभूत संरचना में सुधार हेतु योजना जनमाणण
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सेजप्सस और टेटनस के कारण नवजात जििुओं की मृत्यु में कमी से।
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जजला स्तर पर सुजवधाओं का लाभ उिाने हेतु समुदायों को सक्षम बनाने के जलए, लगभग
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20% जजला अस्पतालों के को तीन साल की समयावजध तक मेजडकल कॉलेजों से जुडा होना
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चाजहए। इससे तृतीयक स्तर के देखभाल संस्थानों पर भार कम करने में मदद जमलेगी।
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नौ स्वीकृ त अजखल भारतीय आयुर्थवज्ञान संस्थानों (AIIMS) को पूणण रूपेण प्रारं भ ककया जाना
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चाजहए।
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50% प्राथजमक स्वास््य कें द्रों (PHCs), 60% सामुदाजयक स्वास््य कें द्रों (CHCs) और
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सुजनजित की जानीं चाजहए। अभी तक आयुष सुजवधाएं 37% PHCs, 14% CHCs और
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o राज्यों को प्रत्येक 10 लाख की जनसंख्या (पहाडी तथा पूवोत्तर क्षेत्र हेतु 5 लाख पर जवचार
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ककया जा सकता है) के जलए सामान्य ICUs (Intensive Care Units) तथा हाई जडपेंडस
ें ी
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स्वास््य नसण, जनरीक्षक और बहउद्देश्यीय पुरुष कार्थमकों वाली सहायक टीम के साथ एक समर्थपत
सावणजजनक स्वास््य कै डर की तत्काल आवश्यकता है।
o स्वीकृ त पदों पर ररजियों को भरने की तीव्र आवश्यकता है।
o जविेषज्ञों की कमी को दूर करने के जलए राज्यों द्वारा जविेषज्ञों के पाररश्रजमक हेतु लचीले मानदंडों
का उपयोग ककया जाना चाजहए।
o प्रदिणन मूल्यांकन तंत्र (Performance Appraisal Mechanism) को जनष्पक्षता के साथ कायण-
जवजिि संकेतकों के साथ जोडा जाना चाजहए और मूल्यांकन प्रकिया को अनुबंध नवीनीकरण तथा
प्रदिणन-आधाररत प्रोत्साहन पुरस्कारों के साथ जुडा होना चाजहए।
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‘स्वास््य के जलए मानव संसाधनों पर मॉडल नीजत’ का जनमाणण(formulation of a model
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policy on human resources for health by the Centre) करना एक महत्वपूणण कदम है
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जजसे कें द्र सरकार द्वारा उिाया जाना चाजहए, इसके पिात राज्यों को कदिा-जनदेि जारी ककए
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जाने चाजहए।
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सावणजजनक रूप से प्रदत्त स्वास््य सेवाओं के कु िल प्रबंधन हेतु िासन में सुधार करना:
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इनका खराब प्रबंधन, प्रिासन तथा संपूणण अजभिासन संरचना भारतीय स्वास््य सेवा प्रणाली की
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आवश्यकता है।
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एक पूणत
ण िः कायाणत्मक स्वास््य सूचना प्रणाली (Health Information System: HIS) का
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जनमाणण जजसमें जन्म, मृत्यु एवं इसके कारणों का सावणभौजमक पंजीकरण िाजमल होना चाजहए।
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मातृ और जििु मृत्यु की समीक्षाओं; मजहलाओं एवं बच्चों के पोषण के जनरीक्षण; आपातकालीन
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जस्थजत में प्रजतकिया समय में कटौती करने एवं अस्पताल प्रिासन की सहायता करने के जलए
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इलेक्िॉजनक मेजडकल ररकॉडण (EMR) के माध्यम से बाह्र्य रोजगयों और भती ककए हए रोजगयों की
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जानकारी संगह
ृ ीत करने; सावणजजनक और जनजी स्वास््य प्रणाली में मानव संसाधन संबंधी डेटा;
सावणजजनक स्वास््य प्रणाली में जवत्तीय प्रबंधन; जिक्षण मॉड्यूलों के एक राष्ट्रीय आधान
(repository); तृतीयक कें द्रों द्वारा प्राथजमक एवं माध्यजमक सुजवधाओं में जचककत्सकों को टेली-
स्वास््य को एक मौजलक अजधकार बना देने से स्वास््य सुजवधाओं से वंचना को “न्यायोजचत” बनाया जा
सके गा- जजसका मूल तात्पयण है कक यकद कोई रोगी स्वास््य सेवा तक पहंच प्राप्त करने में असमथण होगा
तो वह राज्य पर मुकदमा दजण कर सकता है। स्वास््य को मौजलक अजधकार बनाने का जवचार एक
प्राचीन, सुजवधाजनक एवं सुखद जवचार-जवमिण रहा है।
स्वास््य को मौजलक अजधकार बनाने के पक्ष में तकण (Argument in favour of making health as
fundamental right)
स्वास््य का अजधकार जीवन के अजधकार का एक प्राकृ जतक उपजसद्धांत है, इसजलए, ककसी व्यजि
को स्वास््य देखभाल से वंजचत करना, उसे उसकी प्राकृ जतक उम्र तक जीवन जीने के अजधकार से
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वंजचत करने के समान है।
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अपने सभी नागररकों की रक्षा एवं सुरक्षा हेतु एक उत्तरदायी अजभभावक के रूप में, राज्य का यह
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उत्तरदाजयत्व है की वह अपने नागररकों को रोग के कारण होने वाली मृत्यु और जवकृ जत से सुरक्षा
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स्वास््य को मौजलक अजधकार बना देने से नागररकों को यह अजधकार प्राप्त होगा की वे सरकार को
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नागररक ही अपने स्वास््य के प्रजत उत्तरदायी नहीं होता है अजपतु उसके स्वास््य के प्रजत वे
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पररजस्थजतयााँ भी जजममेदार होती हैं जजनमें वह जनवास करता है और कायण करता है तथा इन
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पररजस्थजतयों पर प्रायिः उसका जनयंत्रण नहीं होता है। उदाहरणाथण- कदल्ली जैसे प्रदूजषत िहर।
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उपचार की लागत अजधकांि नागररकों के जलए समय पर स्वास््य सेवा की प्राजप्त में व्यवधान
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उत्पन्न करती है और उच्च लागत के कारण कई लोगों की जनधणनता में वृजद्ध हो जाती है, जजसके
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स्वास््य को मौजलक अजधकार बनाने के जवरोध में तकण (Argument in against of making health
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as Fundamental Right)
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यद्यजप, महामाररयों और सवाणजधक खतरनाक संिामक रोगों तथा स्वच्छ जवश्व जैसे स्वास््य के
कु छ जनवारक पहलुओं में एक सीमा तक राज्य के समथणन की आवश्यकता हो सकती है, परन्तु, कोई
भी व्यजि अपने व्यजिगत स्वास््य के जलए स्वयं उत्तरदायी होता है।
धन अथवा पूज
ाँ ी की आपूर्थत, अस्पतालों की अवजस्थजत, प्रजिजक्षत स्वास््य कमणचारी इत्याकद जैसे
कु छ मुद्दों का समाधान करने की पयाणप्त क्षमता राज्य के पास भी नहीं है।
'जिक्षा के अजधकार' के मामले की भााँजत ही, जब राज्य पयाणप्त क्षमता प्राप्त कर लेगा तब 'स्वास््य के
अजधकार' को भी मौजलक अजधकार बनाया जा सकता है।
2017 में भी िाजमल ककया गया है। जवश्व स्वास््य संगिन (World Health Organization :
अजधकार बनाता है या नहीं क्योंकक यह कोई वास्तजवक बहस ही नहीं है। वस्तुतिः, 'स्वास््य के
अजधकार' को मौजलक अजधकार बनाने हेतु कानून बनाने के बजाए सभी नागररकों को वहनीय
)
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स्वास््य सेवाएं उपलधध कराए जाने पर ध्यान कें कद्रत ककया जाना चाजहए।
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2.14.2. जहडे न हं ग र (Hidden Hunger) 9@
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जहडेन हंगर (जछपी हई भूख) को सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के रूप में भी जाना जाता है। जब बच्चों के
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अच्छे स्वास््य एवं जवकास तथा वयस्कों के सामान्य िारीररक और मानजसक कायों हेतु आवश्यक
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जवटाजमन, प्रोटीन और खजनजों का अल्प मात्रा में ग्रहण ककया जाता है अथवा उनका कम सेवन ककया
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कायणिमों के कायाणन्वयन में जवसंगजतयााँ मौजूद हैं, उदाहरणाथण; अजधकांि राज्यों में बच्चों के जलए
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आयरन जसरप की भारी कमी है, जजसमें सुधार करने की आवश्यकता है।
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राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अजधजनयम (National Food Security Act:NFSA) के तहत सावणभौजमक
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मातृत्व अजधकार (Universal maternity entitlements) को सुजनजित ककया गया है, परं तु
इसके कायाणन्वयन में भी कई जवसंगजतयााँ मौजूद हैं।
जहडेन हंगर से जनपटने के जलए सवण जिक्षा अजभयान, जमड-डे-मील स्कीम व राष्ट्रीय ग्रामीण
स्वास््य जमिन के रूप में पहले से ही संस्थागत कायणिम मौजूद हैं, जजन्हें सुदढ़ृ करने की
आवश्यकता है।
बाजलकाओं में एनीजमया को कम करने हेतु उन्हें साप्ताजहक तौर पर आयरन फोजलक एजसड
सप्लीमेंट प्रदान करना जहडेन हंगर से जनपटने के जलए एक अच्छा कदम है।
जैसे बाजरा को बढ़ावा दे रहा है। इसमें जवटाजमन B, आयरन, पोटैजियम, मैग्नीजियम तथा बज़क
प्रचुर मात्रा में होता है।
ककसी लजक्षत जनसंख्या में जवजिि सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को सुधारने के उद्देश्य से
फोर्टटकफके िन (सुदढ़ृ ीकरण) एवं बायोफोर्टटकफके िन (जैवसुदढ़ृ ीकरण) जैसी अजभनव कृ जष
प्रकियाओं को बढ़ावा कदया जाना चाजहए।
फू ड फोर्टटकफके िन एवं बायोफोर्टटकफके िन (Food Fortificationand Bio-fortification)
फू ड फोर्टटकफके िन या खाद्य संवधणन एक ऐसी प्रकिया है जजसके अंतगणत खाद्य पदाथों में सूक्ष्म
पोषक तत्वों (आवश्यक सूक्ष्ममाजत्रक तत्व तथा जवटाजमन) को सजममजलत ककया जाता है।
मुख्य भोजन (स्टेपल्स) एवं मसालों में सूक्ष्म पोषक तत्वों को सजममजलत कर देने से वृहत पैमाने पर
कु पोषण जजनत रोगों की रोकथाम की जा सकती है।
उनके पोषण मूल्य (nutritional value) में वृजद्ध की जाती है। इसे पारं पररक चयनात्मक प्रजनन
अथवा जेनेरटक इंजीजनयररग के माध्यम से ककया जा सकता है।
बायोफोर्टटकफके िन सामान्य फोर्टटकफके िन से जभन्न होता है क्योंकक यह खाद्य पदाथों के प्रसंस्करण
के दौरान उनमें पोषण सजममजलत करने की बजाए पौधों के जवकास के साथ उनको अजधक पौजिक
बनाने पर कें कद्रत होता है।
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संसाधन में ककया गया जनवेि कम है, तो जजस दर पर अजतररि भौजतक पूज
ं ी का लाभदायक ढंग से
उपयोग ककया जा सकता, वह सीजमत रहेगी, क्योंकक भौजतक संसाधनों का प्रभावी उपयोग करने के
यद्यजप 2050 तक भारत के दूसरी सबसे बडी अथणव्यवस्था बनने की उममीद है, साथ ही यहााँ जवश्व की
सबसे बडी कायणिील आबादी होगी जजसके 2030 तक 962 जमजलयन तक पहंचने की संभावना है।
इसके अजतररि, भारत 2020 तक 29 वषण की औसत आयु वाला जवश्व का सबसे युवा देि होगा। यह
"जनांकककीय लाभांि" ऐसे समय प्राप्त हआ है, जब िेष जवश्व वृद्धावस्था की ओर अग्रसर है, जहााँ
2020 तक संयुि राज्य अमेररका में औसत आयु 40 वषण , यूरोप में 46 वषण और जापान में 47 वषण
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होने की उममीद है। इसजलए, भारत में घरे लू अवश्यकताओं को पूरा करने के जलए न के वल युवा
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कायणबल होगा, बजल्क इसके पास कु िल श्रजमकों के जलए वैजश्वक कें द्र बनने का अवसर भी होगा।
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यह अवसर एक चुनौती भी है। भारत "जनांकककीय लाभांि" का लाभ उिाने में तभी सक्षम होगा, यकद
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वह अपनी जनसंख्या को मानव संसाधन में बदलने में सफल होता है, अन्यथा यह "जनांकककीय आपदा"
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की जस्थजत उत्पन्न हो सकती है। भारत के युवाओं को अपने वादे को पूरा करने सक्षम होने के जलए जिक्षा
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एवं कौिल की आवश्यकता है और वतणमान प्रणाली में बडे स्तर पर इन्हें (कौिल एवं जिक्षा) प्रदान
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करने हेतु पयाणप्त संसाधन मौजूद नहीं हैं। मानव संसाधन जवकास का सार जिक्षा है, जो देि के
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सामाजजक-आर्थथक ढााँचे को संतजु लत करने में एक महत्वपूणण और उपचारात्मक भूजमका जनभाती है।
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चूंकक भारत की आबादी ही इसका सबसे मूल्यवान संसाधन है, इसजलए 1 जबजलयन से अजधक की
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जनसंख्या वाले हमारे देि को गुणवत्तापूणण जीवन प्राप्त करने के जलए आधारभूत जिक्षा एवं कौिल के
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भारत में, लगभग प्रत्येक वषण 12 जमजलयन लोग श्रम बाजार में प्रवेि करते हैं। जनांकककीय लाभांि
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प्राप्त करने, सामाजजक सद्भाव और राजनीजतक जस्थरता बनाए रखने के जलए इतने बडे कायणबल को
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दो मंत्रालय - मानव संसाधन जवकास मंत्रालय और कौिल जवकास एवं उद्यजमता मंत्रालय- दोनों के ही
मानव संसाधन जवकास हेतु स्पि एवं जवजिि उद्देश्य हैं।
कौिल जवकास और उद्यजमता मंत्रालय (Ministry of Skill Development and
Entrepreneurship: MSDE) समपूणण देि में सभी प्रकार के कौिल जवकास संबंधी प्रयासों के
समन्वय, कु िल श्रजमकों की मांग एवं आपूर्थत में व्याप्त असमबद्धता को समाप्त करने, व्यावसाजयक और
तकनीकी प्रजिक्षण फ्रेमवकण का जनमाणण करने, कौिल उन्नयन, नवीन कौिल के जनमाणण तथा मौजूदा
रोज़गार के अवसरों के साथ-साथ सृजजत ककए जाने वाले अवसरों हेतु अजभनव सोच हेतु उत्तरदायी है।
(SSCs) के साथ-साथ NSDC के साथ पंजीकृ त 187 िेबनग पाटणनसण द्वारा सहायता प्राप्त है।
मानव संसाधन जवकास मंत्रालय के मुख्य उद्देश्य जनम्नजलजखत हैं :
जिक्षा पर राष्ट्रीय नीजत का जनमाणण और यह सुजनजित करना की इसे अक्षरििः लागू ककया जाए।
समपूणण देि में (जविेषतिः उन क्षेत्रों में, जहां लोगों की जिक्षा तक सुगम पहंच नहीं है) जिक्षण
संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार एवं उन तक पहाँच में वृजद्ध सजहत योजनाबद्ध जवकास करना।
जनधणन, मजहलाओं और अल्पसंख्यकों जैसे वंजचत समूहों पर जविेष ध्यान देना।
समाज के वंजचत वगण के योग्य छात्रों के जलए छात्रवृजत्त, ऋण सजधसडी आकद के रूप में जवत्तीय
सहायता प्रदान करना।
देि में जिक्षा के अवसरों को बेहतर बनाने के जलए जिक्षा के क्षेत्र में अंतराणष्ट्रीय सहयोग को
प्रोत्साजहत करना, जजसके अंतगणत यूनेस्को एवं जवदेिी सरकारों एवं जवश्वजवद्यालयों के साथ
जमलकर घजनिता से कायण करना िाजमल है।
भारत को कौिल जवकास की आवश्यकता क्यों है? (Why India need skill development?)
हाल ही में प्रारं भ ककये गए - मेक इन इं जडया, जडजजटल इं जडया और स्माटण जसटीज जैसे जमिनों की
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सफलता के जलए कु िल श्रजमक एक महत्वपूणण आवश्यकता है।
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जनांकककीय लाभांि(Demographic Dividend): यह 'जनांकककीय अवसर' के वल कु छ दिकों 9@
के जलए ही है। कौिल युि युवाओं के माध्यम से जनांकककीय लाभांि को जनांकककीय आपदा बनने
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में सुधार होता है कृ जष क्षेत्र में कायण करने हेतु कम लोगों की आवश्यकता होगी। इसके
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पररवर्थतत करने के जलए, भारत को अन्तराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप गुणवत्ता एवं उत्पादकता वाले
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एक कु िल और उत्पादक कायणबल को जनर्थमत करने की आवश्यकता है। इसके जलए कौिल एवं
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बेहतर रोजगार(Better Employment): वतणमान में कॉलेज में अध्यनरत युवाओं को बेहतर
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जनसंख्या की अजधकता के कारण भारत के पास उभरते बाजार को सेवा प्रदान करने का एक बडा
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अवसर है।
भारत में कु िल श्रमबल की कमी क्यों? – चुनौजतयां एवं मुद्दे (Why there is dearth of skill
labour in India?-challenges and issues)
भारत में फोकस हमेिा जिक्षा पर रहा है. लेककन दुभाणग्यवि समग्र कौिल जवकास पर नहीं।
उन लोगों की संख्या का अजधक होना, जजन्हें कौिल प्रदान ककए जाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय
कौिल जवकास पररषद् (NSDC) द्वारा ककए गए अध्ययन से ज्ञात होता है कक 2022 तक 24
प्रमुख क्षेत्रों में लगभग 12 करोड कु िल श्रजमकों की आवश्यकता होगी।
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nature)- व्यावसाजयक जिक्षा में प्रमाण पत्र से जडप्लोमा और जडप्लोमा से जडग्री पाठ्यिम में
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ऊध्वाणधर गजतिीलता का अभाव है। इसके पररणामस्वरूप, जजन अजभभावकों को उनके बच्चों में
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पहले से जनजहत कौिल के जवषय में जानकारी होती है वे भी अपने बच्चों को व्यावसाजयक कररयर
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उन्हें अपग्रेड नहीं ककया गया है। इसजलए उद्योगों की आवश्यकता और प्रजिक्षण हेतु प्रयुि
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जनम्न गुणवत्तायुि प्रजिक्षक(Poor quality of trainers): कौिल प्रजिक्षण प्रदान करने वाले
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इसजलए प्रजिक्षण के पररणाम भी वांजछत गुणवत्ता के अनुरूप नहीं है। इस जस्थजत में, इन
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पाठ्यिमों को पूणण करने वाले छात्र भी रोजगार प्राप्त करने में सक्षम नहीं होते हैं।
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उद्योगों द्वारा ककए जाने वाले प्रयासों में कमी(Lack of Initiatives from industry): उद्योग,
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मुख्यतिः सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम (SMEs), व्यावसाजयक प्रमाणीकरण या औपचाररक प्रजिक्षण पर
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ध्यान नहीं देते क्योंकक यह प्रायिः श्रमबल की लागत को बढ़ाता है। कभी-कभी यह देखा जाता है कक
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सामाजजक और सांस्कृ जतक अजधकारों का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।"
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अमत्यण सेन का क्षमता समबन्धी दृजिकोण (Capacity rleated approach of Amrtya Sen) s 9@
क्षमता दृजिकोण एक सैद्धांजतक फ्रेमवकण है, जजसमें मूलतिः दो मानक दावों को िाजमल ककया गया है:
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o प्रथम दावा यह कक कल्याण प्राप्त करने की स्वतंत्रता का प्राथजमक नैजतक महत्व है, और
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जद्वतीय, कल्याण प्राप्त करने की स्वतंत्रता को लोगों की क्षमताओं के संदभण में समझा जाना
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चाजहए, अथाणत,् वैसा करने और बनने के जलए उनके पास उपलधध वास्तजवक अवसरों के संदभण
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ककसी व्यजि की सुजवधायुि जीवन जीने की क्षमता को उन मूल्यवान वस्तुओं के संदभण में पररभाजषत
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ककया जाता है जजन तक उनकी पहाँच वास्तजवक होती है, जैस-े बेहतर स्वास््य होना या अन्य लोगों
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इसे जवकास के संबंध में सरकार के दृजिकोण में एक बदलाव के रूप में देखा जा सकता है। नागररकों के
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स्वास््य, रोजगार और पोषण के न्यूनतम स्तर की मूलभूत अजधकार के रूप में उपलजधध, और इन्हें देि
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के प्रत्येक ज़रूरतमंद नागररक को प्रदान करने में राज्य की महत्वपूणण भूजमका को स्वीकार करता है।
संक्षेप में, यह पररवतणन सावणभौमीकरण और अजधकार की कदिा में है। अजधकार आधाररत दृजिकोण के
माध्यम से प्रदान ककए जाने वाले अजधकारों के कु छ उदाहरण जनम्नजलजखत हैं-
बच्चों को जनिःिुल्क एवं अजनवायण जिक्षा अजधकार अजधजनयम, 2009
‘अजधकारों’ से समबद्धत्ता
जवाबदेही
सिजिकरण
भागीदारी, और
गैर-भेदभाव और सुभेद्य समूहों पर ध्यान के जन्द्रत करना
NSDM)
कौिल प्रजिक्षण गजतजवजधयों के संदभण में जवजभन्न क्षेत्रों एवं राज्यों के मध्य समन्वय स्थाजपत करने
हेतु राष्ट्रीय कौिल जवकास जमिन जवकजसत ककया गया है।
इसके अजतररि, यह न के वल कौिल प्रदान करने संबंधी प्रयासों को समेककत एवं समजन्वत करे गा,
बजल्क जवजभन्न क्षेत्रों में िीघ्र एवं मानकों के साथ आवश्यक कौिल प्राप्त करने हेतु जनणणय-जनमाणण
प्रकिया में तीव्रता लाएगा।
जमिन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के जलए प्रमुख संस्थागत तंत्र को तीन स्तरों में जवभाजजत ककया
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गया है, जजसमें िीषण स्तर पर नीजत मागणदिणन हेतु एक िासी पररषद (गवनिंगनग काउं जसल),
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पररचालन सजमजत और जमिन की कायणकारी िाखा के रूप में एक जमिन जनदेिालय (एक 9@
कायणकारी सजमजत सजहत) सजममजलत होंगे।
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जमिन जनदेिालय को तीन अन्य संस्थानों द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी: राष्ट्रीय कौिल जवकास
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एजेंसी (NSDA), राष्ट्रीय कौिल जवकास जनगम (NSDC) और प्रजिक्षण महाजनदेिालय (DGT)।
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ये सभी संस्थाएं जमिन जनदेिालय के साथ क्षैजतज रूप से संयोजजत होंगी ताकक राष्ट्रीय संस्थागत
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जमिन के समग्र उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु आधार स्तमभ के रूप में कायण करने के जलए आरं भ में
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सात उप-जमिन प्रस्ताजवत ककए गए थे। ये उप-जमिन हैं: (i) संस्थागत प्रजिक्षण (ii) अवसंरचना
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(iii) समन्वय (iv) प्रजिक्षक (v) समुद्रपारीय रोजगार (vi) स्थायी आजीजवका (vii) सावणजजनक
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NSDA)
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राष्ट्रीय कौिल जवकास एजेंसी (NSDA), सोसायटी पंजीकरण अजधजनयम, 1860 के तहत एक
सोसायटी के रूप में पंजीकृ त एक स्वायत्त जनकाय है। इसे देि में कौिल जवकास गजतजवजधयों के मध्य
समन्वय और सामंजस्य स्थाजपत करने के अजधदेि के साथ गरित ककया गया था। यह एजेंसी कौिल
जवकास और उद्यजमता मंत्रालय (MSDE) का एक अंग है।
NSDA द्वारा संचाजलत गजतजवजधयााँ (Activities operated by NSDA)
राष्ट्रीय कौिल योग्यता फ्रेमवकण (NSQF) के संचालन और कायाणन्वयन के अजतररि, NSDA द्वारा कु छ
अन्य कायों का जनष्पादन भी ककया जाता है जो जनम्नजलजखत हैं:
भारत सरकार की कौिल जवकास योजनाओं को तकण संगत बनाना
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अग्रसकिय रूप से उत्प्रेररत करना।
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o जवत्तीयन (Fund): अनुदान और इकक्वटी सजहत पयाणप्त पूज
ं ी प्रदान करके जोजखम को कम
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करना। 9@
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सक्षम बनाना (Enable): कौिल जवकास के जलए आवश्यक सहायक प्रणाजलयों का सृजन
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करना एवं उन्हें स्थाजयत्व प्रदान करना। इसमें उद्योग के नेतृत्व वाली क्षेत्र कौिल पररषदें
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यह ज्ञान, कौिल और अजभवृजत्त के स्तर के अनुरूप योग्यताओं को संयोजजत करने हेतु एक फ्रेमवकण
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है।
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इसका उद्देश्य सभी संस्थानों में जवद्यमान जवजभन्न योग्यताओं से संबद्ध पररणामों में एकरूपता प्राप्त
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करना है।
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NSQF का संचालन राष्ट्रीय कौिल जवकास एजेंसी द्वारा ककया जाता है।
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बनाएगा जजसकी वतणमान जिक्षा और प्रजिक्षण पररदृश्य में प्रायिः कमी है।
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वषण 2009 में भारत सरकार द्वारा इसकी स्थापना देि में कौिल जवकास के जलए सरकारी एवं
गैर-सरकारी दोनों क्षेत्रों से धन जुटाने हेतु की गई थी।
भारत सरकार द्वारा स्थाजपत एक सावणजजनक न्यास इस जनजध का संरक्षक है। न्यासी बोडण द्वारा इस
जनजध का संचालन एवं प्रबंधन ककया जाता है। कौिल जवकास एवं उद्यजमता मंत्रालय के सजचव
इस न्यास के अध्यक्ष होते हैं।
क्षेत्र कौिल पररषदें (SSCs) उद्योग आधाररत एवं उद्योग िाजसत जनकाय हैं जजन्हें यह सुजनजित
करने के जलए अजधदेजित ककया गया है कक सभी जहतधारकों द्वारा कौिल जवकास हेतु ककये जा रहे
प्रयास उद्योगों की वास्तजवक आवश्यकताओं के अनुरूप हैं।
ये राष्ट्रीय व्यावसाजयक मानकों/सक्षमता मानकों और योग्यता पैक्स को जवकजसत करते हैं।
इनके दो मूलभूत उद्देश्य हैं - कौिल और रोजगार प्रदान करना।
राष्ट्रीय कौिल जवकास जनगम (NSDC) द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों में जवजभन्न SSCs के गिन की
स्वीकृ जत प्रदान की गई है।
3.3.7. िारदा प्रसाद सजमजत (Sharda Prasad Committee)
िारदा प्रसाद सजमजत का गिन क्षेत्र कौिल पररषदों (SSCs) की समीक्षा, युजिकरण और उनकी कायण
पद्धजत को इष्टतम बनाने हेतु ककया गया था।
पृिभूजम (Background)
राष्िीय कौिल जवकास एवं उद्यमिीलता नीजत, 2015 के अनुरूप SSCs के अजभसरण एवं इष्टतम
कायण पद्धजत सुजनजित करने हेतु 2016 में एक सजमजत के गिन का जनणणय ककया गया था। इस सजमजत
का कायण SSC की कायण पद्धजत की समीक्षा करना तथा उसे सुव्यवजस्थत कौिल पररवेि जवकजसत करने
हेतु एक रोड मैप उपलधध कराना था।
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अनुिस
ं ाएं (Recommendation)
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सजमजत ने सुझाव कदया कक SSCs पर िोनी कै जपटजलज्म का अत्यजधक प्रभाव है जजसके द्वारा s 9@
'सावणजजनक जनजध से अजधकतम लाभ’ प्राप्त करने का प्रयास ककया गया है। उदाहरण के जलए,
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इसी पररप्रेक्ष्य में इसके द्वारा कें द्र सरकार को जनम्नजलजखत अनुिंसाएं की गयी हैं:
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रहा है।
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पंजीकृ त है।
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प्रधानमंत्री की बसगापुर के िीषण तकनीकी जिक्षा संस्थान की यात्रा के पिात्, कदसमबर 2016 में
यह देि में इस प्रकार का पहला संस्थान है। इसकी स्थापना इं जस्टट्यूट ऑफ टेकिकल एजुकेिन,
बसगापुर की संयुि भागीदारी के साथ कौिल जवकास एवं उद्यजमता मंत्रालय द्वारा की गई है।
भारतीय कौिल संस्थान की कल्पना एक ऐसे प्रभावी मंच के रूप में की गयी है जजसके माध्यम से
युवा स्वयं को जनयोजन योग्य एवं आत्मजनभणर बना सके ।
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(Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana: PMKVY)
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प्रधानमंत्री कौिल जवकास योजना (PMKVY) को 2016 में आरं भ ककया गया था जो कौिल
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इस योजना का उद्देश्य देि के युवाओं को उद्योगों की मांग के अनुरूप कौिल प्रजिक्षण प्राप्त करने में
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सक्षम बनाना है जो उन्हें बेहतर रोजगार प्राप्त करने में सहायता करे गा।
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पूवण अनुभव को मान्यता (Recognition of Prior Learning: RPL) के तहत पूवण अनुभव या
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PMKVY को 24 लाख युवाओं को प्रजिक्षण और कौिल प्रदान करने हेतु 15 जुलाई, 2015 को
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इस योजना की समीक्षा के पिात्, अक्टू बर 2016 को PMKVY 2.0 को प्रारं भ ककया गया था।
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इसका लक्ष्य 2016 से 2020 तक की अवजध में 10 जमजलयन युवाओं को कौिल प्रजिक्षण प्रदान
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स्कू ल/कॉलेज ड्रॉप आउट या बेरोजगार भारतीय राष्ट्रीयता प्राप्त उममीदवारों को अल्पावजध
प्रजिक्षण प्रदान करना।
पूवण अनुभव या कौिल वाले व्यजियों के जलए पूवण अनुभव को मान्यता (RPL)।
PMKVY के जविेष पररयोजना घटक के अंतगणत एक ऐसे प्लेटफॉमण की स्थापना की पररकल्पना
की गई है जो कु छ जविेष क्षेत्रों में प्रजिक्षण की सुजवधा प्रदान करे गी। इन क्षेत्रों की आवश्यकताएं
PMKVY के अंतगणत ककसी भी जहतधारक को प्रदान की जाने वाले अल्पावजध प्रजिक्षण से संबंजधत
जनयम और ितों से कु छ जभन्न होती हैं।
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कायण नैजतकता सजममजलत होंगे।
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सभी प्रजिक्षण कें द्रों के प्रजिक्षण स्थान और पाठ्यिमों की एक जनजित गुणवत्ता को सत्याजपत और
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ररकॉडण करने के जलए कौिल जवकास प्रबंधन प्रणाली (SDMS) की स्थापना की जायेगी।
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जहां संभव होगा वहां प्रजिक्षण प्रकिया की बॉयोमीरिक प्रणाली और वीजडयो ररकॉनिंगडग द्वारा
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जनगरानी की जाएगी।
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योजना के कायाणन्वयन से संबंजधत जिकायतों के जनवारण हेतु एक सुदढ़ृ जिकायत जनवारण प्रणाली
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राज्य सरकारों, नगर पाजलकाओं, पंचायती राज संस्थानों और समुदाय आधाररत संगिनों की
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सहभाजगता से स्थानीय स्तर पर आयोजजत कौिल मेलों के माध्यम से लोगों को जोडा जाएगा।
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PMKVY से PMKVY 2.0 में पररवतणन (Transformation from PMKVY to PMKVY 2.0)
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जजले में प्रधानमंत्री कौिल कें द्र (PMKKs) नाम से मॉडल कौिल के न्द्रों की स्थापना।
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राज्यों की अजधक भागीदारी प्राप्त करने, जजले स्तर पर जडलीवरी सुजनजित करने हेतु जजला
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कलेक्टरों की भागीदारी को बढ़ावा देने की कदिा में फोकस ककया गया है।
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प्रत्येक जजले के जलए जवजिि मांग-आपूर्थत की जस्थजत की जानकारी प्राप्त करने हेतु जजला स्तर पर
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is
उद्योग को, जविेष रूप से MSME क्षेत्र को, क्लस्टर-आधाररत मॉडल के तहत िाजमल करना,
उदाहरणस्वरुप- ककसी जवजिि क्षेत्र में उममीदवारों को एक समूह में प्रजिक्षण प्रदान करना।
कौिल जवकास और उद्यजमता मंत्रालय (MSDE) द्वारा भारतीय कौिल जवकास सेवाओं (ISDS) की
स्थापना के जलए एक अजधसूचना जारी की गई है।
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(National Skill Development and Entrepreneurship Policy, 2015)
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यह कौिल जवकास और उद्यजमता के जलए भारत की प्रथम एकीकृ त राष्ट्रीय नीजत है जो श्रजमकों के
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रोजगार प्राजप्त (employability) में सुधार और रोजगार सृजन को प्रोत्साजहत करती है।
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इस नीजत का उद्देश्य मांग के साथ आपूर्थत को संरेजखत करना, मौजूदा कौिल अंतराल को कम
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करना, उद्योग से संबंध को बढ़ावा देना, गुणवत्ता आश्वासन फ्रेमवकण का पररचालन, प्रौद्योजगकी का
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लाभ उिाना और पहचाने गए मुद्दों के समाधान हेतु प्रजिक्षुता को बढ़ावा देना है।
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नीजत में चार महत्वपूणण क्षेत्र होंगे। यह नीजत जनम्न अपेजक्षत मूल्य, औपचाररक जिक्षा के साथ
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एकीकरण का अभाव, पररणामों पर ध्यान के जन्द्रत करने का अभाव, प्रजिक्षण के जलए गुणवत्तापूणण
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नीजत में जनष्पक्षता (Equity) पर ध्यान कदया गया है, जजसका उद्देश्य सामाजजक/भौगोजलक रूप से
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हाजिये पर जस्थत और वंजचत वगों के जलए कौिल अवसरों को बढ़ावा देना है। मजहलाओं के जलए
कौिल जवकास और उद्यजमता कायणिम पर नीजत में जविेष ध्यान कदया गया है।
3.3.12. दीनदयाल उपाध्याय - ग्रामीण कौिल्य योजना
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Construction Workers)
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यह श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा प्रारं भ की गई एक राष्ट्रीय योजना है जजसमें जनम्नजलजखत
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सजममजलत हैं: 9@
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राष्िीय व्यावसाजयक प्रजिक्षण पररषद (National Council of Vocational
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प्रजिक्षण कक्षाओं और मूल्यांकन के जलए उपजस्थत होने हेतु मजदूरी की क्षजतपूर्थत करना
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यह भारत में प्रजिक्षुता योजना का पुनर्थनमाणण वाली एक प्रमुख पहल है। इस पहल के प्रमुख घटक
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जनम्नजलजखत हैं:
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उद्योग और युवा दोनों के जलए कानूनी ढांचे को अनुकूल बनाने हेतु प्रजिक्षु अजधजनयम 1961 में
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संिोधन।
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अधण-कु िल श्रजमकों की न्यूनतम मजदूरी के जलए वेतन की दर और सूचीकरण में सुधार करना।
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जविेष रूप से जवजनमाणण कायों में संलग्न योग्य प्रजतिानों के प्रजिक्षण से संबंजधत पहले दो वषों के
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जलए भारत सरकार द्वारा पचास प्रजतित वेतन साझा ककया जाता है।
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इसे और अजधक प्रभावी बनाने हेतु वैज्ञाजनक जसद्धांतों पर आधारभूत प्रजिक्षण पाठ्यिमों का
Th
देि के 100 जजलों में अल्पसंख्यक कायण मंत्रालय के तहत गरीब नवाज कौिल जवकास के न्द्रों की
स्थापना की जाएगी।
3.3.15. मानव पूं जी में पररवतण न लाने के जलए सतत कारण वाई
)
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कायणिम का दृजिकोण जिक्षा और स्वास््य के क्षेत्रों में रूपांतरण की िुरुआत करना है।
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यह कायणिम कई राज्यों द्वारा व्यि की गई नीजत आयोग से तकनीकी सहायता की आवश्यकता का
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समाधान करता है। 9@
‘‘साथ’’ का लक्ष्य स्वास््य प्रणाजलयों के जलए तीन भावी ‘रोल मॉडल’ राज्यों का चयन करना और
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अंजतम लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु नीजत आयोग राज्य मिीनरी के साथ सहयोग करते हए हस्तक्षेप
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का एक सुदढ़ृ रोडमैप तैयार करे गा, कायणिम कायाणन्वयन का ढांचा जवकजसत करे गा तथा जनगरानी
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एवं जनरीक्षण तंत्र की स्थापना करे गा, जनष्पादन चरण से लेकर राज्यों की संस्थाओं तथा जवजभन्न
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यह कायणिम मैककसे एंड कं पनी और IEP ग्लोबल कं सोर्टटयम के साथ नीजत आयोग द्वारा
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कायाणजन्वत ककया जाएगा, जजनका चयन प्रजतस्पधी बोली प्रकिया के माध्यम से ककया गया था।
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3.4. कु छ क्षे त्रों में मानव सं साधन हे तु जवजिि हस्तक्षे पों की आवश्यकता
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3.4.1. रचनात्मक एवं सां स्कृ जतक क्षे त्र (Creative and Cultural Sectors)
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इस क्षेत्र में कु िल श्रम बल के जनमाणण द्वारा रोजगार सृजन, सांस्कृ जतक प्रथाओं एवं जवरासतों के
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संरक्षण तथा परमपरागत कौिलों से युि कारीगरों हेतु आजीजवका सृजन में योगदान प्राप्त होगा।
समान लक्ष्य की प्राजप्त हेतु एक समर्थपत क्षेत्र कौिल पररषद (SSC) की स्थपाना द्वारा सांस्कृ जतक
क्षेत्र में कौिल जवकास को प्रोत्साहन कदया जाना चाजहए।
यह क्षेत्र कौिल पररषद (SSC) पुरातत्व, अजभलेखीय अध्ययन, संरक्षण, संग्रहालय जवज्ञान
(Museology) और जनष्पादन कलाओं तथा अन्य क्षेत्रों में कौिल जवकास को िाजमल करे गा।
संबंजधत कौिलों को व्यावसाजयक रूप से व्यवहायण बनाने के उद्देश्य से कौिल जवकास कायणिमों को
भी जवकजसत ककया जाना चाजहए।
इस क्षेत्र हेतु कौिल प्रजिक्षण में ककए जाने वाले जनवेि में वृजद्ध करने की आश्यकता है। इस क्षेत्र में उच्च
उत्पादकता सुजनजित करने हेतु हमें यह सुजनजित करना होगा कक इस क्षेत्र के श्रजमकों के जलए पयाणप्त
कौिल प्रजिक्षण सुजवधाएं उपलधध हों। वतणमान में इस क्षेत्र में प्रयुि होने वाले कच्चे माल तथा मिीनरी
की लागत अत्यजधक है। इस प्रकार, एक प्रजिक्षण संस्थान की स्थापना पर उच्च लागत आती है।
सह-जवत्त प्रजिक्षण कें द्र- इस उद्योग में प्रजिक्षण संस्थाओं की स्थापना तथा एक मांग-आधाररत
पाठ्यिम के जवकास के जलए सह-जवत्त हेतु राष्ट्रीय कौिल जवकास जनगम (NSDC) को जविाल
फमों के साथ भागीदारी करनी चाजहए।
क्षेत्र में एक प्रजिक्षक कोसण की स्थापना- मौजूदा प्रजिक्षण कें द्र कु िल प्रजिक्षकों के अभाव का
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सामना कर रहे हैं। NSDC को क्षेत्र में प्रजिक्षकों के प्रजिक्षण हेतु एक कोसण स्थाजपत करना
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चाजहए।
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अन्य िीषण जनयाणतकों में उद्योग जविेषज्ञों और संगिनों के साथ आदान-प्रदान को सुजवधाजनक 9@
बनाना क्योंकक यह अग्रणी वैजश्वक प्रथाओं तथा प्रौद्योजगककयों के समपकण में आने की अनुमजत प्रदान
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करे गा।
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क्षेत्र में ररकजग्निन ऑफ प्रायर लनिंगनग (Recognition of Prior Learning RPL) को तीव्रता से
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अपनाना जो कारीगरों को उपयुि अवसर प्रदान करने में सहायता करे गी।
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पयणटन में देि के एक प्रमुख आर्थथक बल के रूप में उभरने की क्षमता जवद्यमान है। यह अनुमान लगाया
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गया है कक रोजगार सृजन में जनमाणण क्षेत्र के पिात् पयणटन का ही स्थान है। प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय
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कौिल जवकास पररषद ने एक पररकल्पना व्यि की है कक पयणटन क्षेत्र में वषण 2022 तक पांच जमजलयन
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पयणटन मंत्रालय ने प्रजिजक्षत श्रमबल अन्तराल की समस्या के समाधान हेतु एक छह-आयामी दृजिकोण
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नए होटल प्रबंधन संस्थानों (IHMs) तथा खाद्य कौिल संस्थानों (FCIs) की स्थापना;
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फु टजवयर जडज़ाइन एंड डेवलपमेंट इं जस्टट्यूट (FDDI) के माध्यम से चमडा जवकास कायणिम के
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तहत प्राथजमक कौिल जवकास प्रजिक्षण प्रदान ककया जा चुका है।
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राष्ट्रीय कौिल जवकास जनगम तथा प्रधानमंत्री कौिल जवकास योजना (PMKVY) की राष्ट्रीय
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कौिल प्रमाणन नीजत तथा नकद पुरस्कार योजना के तहत चमडा और फु टजवयर उद्योग में जवजभन्न
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जनधाणररत अवसंरचना के प्रयोग सजहत कौिल/हस्तकौिल प्रदान करने हेतु ऑनलाइन लनिंगनग
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प्रणाली का उपयोग ककया जा सकता है। कौिल जवकास पर ई-सामग्री हेतु एक ओपन प्लेटफॉमण
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अवसंरचना तथा पररवहन संबध ं ी बाधाओं के समाधान हेतु जस्कल्स ऑन व्हील जैसी पहलों का
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उपयोग ककया जा सकता है। ब्ाज़ील में संचाजलत जस्कल िक्स उत्कृ ि उदाहरण प्रस्तुत करते हैं जो
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देि के ग्रामीण तथा सुदरू क्षेत्रों को कौिल प्रजिक्षण प्रदान करते हैं।
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तत्पिात जडग्री कोसेज तक एक ऊध्वाणधर गजतिीलता का जनमाणण करना। जवद्यालय स्तर से सीधे
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जविेषीकृ त जडग्री कायणिम प्रारमभ करने हेतु कौिल जवकास जवश्वजवद्यालय की स्थापना करना जो
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पार्थश्वक गजतिीलता(Lateral Mobility): जविेष रूप से बारहवीं कक्षा स्तर पर व्यवसाजयक कोसण
के जवद्यार्थथयों को समानता प्रदान करते हए पार्थश्वक गजतिीलता उपलधध करवाना ताकक वे
स्नातक कायणिम में प्रवेि ले सकें ।
उद्योग की भूजमका(Role of Industry): व्यावसाजयक प्रजिक्षण के सभी पहलुओं में उद्योग की
भूजमका में वृजद्ध करना- प्रजिक्षण एवं िासन हेतु नवीनतम साधन उपलधध करवाना, उद्योगों से
प्रजिक्षक उपलधध करवाना तथा प्रत्येक स्तर पर गुणवत्ता सुजनजित करने हेतु मूल्यांकन करना।
उद्योगों को भती करते समय तथा कररयर उन्नयन हेतु औपचाररक व्यावसाजयक प्रजिक्षण तथा
प्रमाणन पर बल देना चाजहए।
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प्रभाजवत क्षेत्रों में पहंच एवं प्रवेि में सुधार करे गा।
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1. कमजोर जिक्षक जिक्षा प्रणाली, स्कू ली जिक्षा के क्षेत्र में भारत की समस्याओं के मूल में है।
मूल्यांकन कीजजए। इस संदभण में, भारत के सवोच्च न्यायालय द्वारा जिक्षक जिक्षा पर गरित
उच्च-स्तरीय आयोग की अनुिस
ं ाओं को भी सूचीबद्ध कीजजए।
दृजिकोण:
स्कू ली जिक्षा की योजना में जिक्षक जिक्षा के महत्व को समझाइए।
भारत के वतणमान पररदृश्य में इसकी कजमयों का मूल्यांकन कीजजए।
जिक्षक जिक्षा पर वमाण आयोग की अनुिंसाओं को सूचीबद्ध कीजजए।
उत्तर:
जिक्षक जिक्षा या जिक्षक प्रजिक्षण से आिय जिक्षकों के व्यवसाजयक जवकास से है। इसके तहत
जिक्षकों के ज्ञान, अजभवृजत्त, जविेषज्ञता एवं कु िलता में वृजद्ध करना और उनके प्रदिणन में
सुधार करना सजममजलत है। अतिः यह स्वाभाजवक है कक स्कू ली जिक्षा की गुणवत्ता प्रत्यक्ष रूप
से जिक्षक जिक्षा की गुणवत्ता पर जनभणर करती है।
इस समस्या से जनपटने हेतु, भारत में जिक्षक जिक्षा प्रणाली को जवजनयजमत करने के जलए
)
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1993 में एक सांजवजधक जनकाय अथाणत राष्िीय जिक्षक जिक्षा पररषद (National Council
l.
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for Teacher Education:NCTE) की स्थापना की गई थी। NCTE के गिन के पिात् s 9@
जिक्षक जिक्षा संस्थानों (Teacher Education Institutes:TEIs) की संख्या में अत्यजधक
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वृजद्ध हई। NCTE द्वारा जिक्षक जिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यिम प्रारूप भी तैयार ककया गया
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जिक्षकों की गुणवत्ता के बजाय उनकी संख्या पर अजधक ध्यान कें कद्रत ककया जाता है।
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NCTE द्वारा TEIs को लाइसेंस प्रदान करने में भ्रिाचार ककया जाता है, जजसके
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प्रजिक्षण अवसंरचना का अभाव तथा मौज़ूदा अवसंरचना में जनजी क्षेत्र के लगभग 90%
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कमजोर और भ्रि जिक्षक जिक्षा प्रणाली, भारत की स्कू ली जिक्षा की समस्याओं के कें द्र में है।
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ASER की िमागत ररपोटों के अनुसार हमारे स्कू लों में सीखने के पररणामों की दर में
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जगरावट आई है। इसके साथ ही, अंतराणष्ट्रीय जवद्याथी मूल्यांकन कायणिम में भारत का
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को अजनवायण बनाकर सेवारत जिक्षक जिक्षा पर भी ध्यान कें कद्रत ककया जाना चाजहए।
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l.
NCTE के कामकाज में सुधार हेतु जवाबदेही में वृजद्ध, अध्यक्ष के कायणकाल में बढ़ोत्तरी
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gm
और NCTE के सदस्यों की जनयुजि प्रकिया में सुधार जैसे उपाय ककये जाने चाजहए।
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कें द्र सरकार द्वारा आयोग की अनुिंसाओं को स्वीकार कर जलया गया हैI इसमें जिक्षक जिक्षा
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(TE) प्रणाली में मौजलक पररवतणन को िाजमल ककया गया है। हालांकक, अपयाणप्त जवत्तीय और
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मानव संसाधनों के साथ-साथ अजधकांि जनजष्िय TEIs पर महत्वपूणण राजनीजतक िजि वाले
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लोगों का स्वाजमत्व होने के कारण पररवतणन जिजथल गजत से हो रहा है। इस प्रकार, इन
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अनुिस
ं ाओं के त्वररत कायाणन्वयन के जलए इन अवरोधों को दूर ककए जाने की आवश्यकता है।
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दृजिकोण:
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स्थाजनक और आर्थथक असमानताओं पर जविेष रूप से ध्यान के जन्द्रत करते हए भारत में
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भारत में स्वास््य सेवाओं तक पहाँच के समबन्ध में पयाणप्त आंकडों और उदाहरणों सजहत
स्थाजनक और आर्थथक असमानताओं का उल्लेख कीजजए।
नई स्वास््य नीजत के प्रावधानों का उल्लेख कीजजए और स्पि कीजजए कक यह कै से इन
समस्याओं का समाधान है। िधद सीमा का ध्यान रखते हए के वल प्रासंजगक प्रावधानों का
उल्लेख कीजजए।
उत्तर:
घरे लू नीजत एवं सतत जवकास लक्ष्य (SDG लक्ष्य 3) हेतु भारत स्वास््य देखभाल सुजनजित
करने का प्रयास करता है।
)
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भाग की तुलना में 2.5 गुना अजधक है।
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o मातृ मृत्यु दर (MMR) में क्षेत्रीय असमानताएाँ। असम, उत्तरप्रदेि, ओजडिा, 9@
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स्वास््य सेवाओं के क्षेत्र में कम होता सावणजजनक व्यय और जनजी क्षेत्र पर बढती
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जनभणरता:
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o आर्थथक सवेक्षण, 2016-17 के अनुसार, भारत में स्वास््य सेवा पर वैजश्वक औसत
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लगभग 60% भती रोगी (inpatient) और 70% बजहरं ग रोगी (outpatient) उपचार,
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जनजी क्षेत्र द्वारा प्रदान ककया जाता है। इससे जनम्न एवं मध्यम आय समूहों पर जवत्तीय
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बोझ बढ़ जाता है, क्योंकक जनजी क्षेत्र द्वारा वसूली जाने वाली रकम अजवजनयजमत होती
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है।
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पांचवे भाग से भी कम स्वास््य बीमा के दायरे के तहत आता है। इससे आउट ऑफ पॉके ट
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व्यय में वृजद्ध होती है, जो कु ल स्वास््य व्यय का 60% है तथा जवश्व में सवाणजधक है।
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सेवाओं का समथणन करती है।
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जैसा कक नीजत के दस्तावेज में स्वयं ही कहा गया है कक नीजत की श्रेिता उसके कियान्वयन पर
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जनभणर करती है। अतिः राष्ट्रीय स्वास््य नीजत यह पररकल्पना करती है कक इन नीजतगत 9@
प्रजतबद्धताओं को पूरा करने के जलए एक कायाणन्वयन रूपरे खा का जनमाणण ककया जाए।
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कायाणन्वयन की यह रुपरे खा नीजत के लक्ष्यों को प्राप्त करने के जलए स्पि लक्ष्य तथा पररणाम
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जिक्षा प्राप्त करने का समान अजधकार होना चाजहए, इसके बावजूद यह जवजभन्न मोचों पर
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चुनौजतयों का सामना कर रहा है। रटप्पणी कीजजए। क्या जिक्षा का जनजीकरण कर देने से
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दृजिकोण:
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उत्तर के आरमभ में “जिक्षा के अजधकार” अजधजनयम का संजक्षप्त में उल्लेख कीजजए। जिक्षा की
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या ररपोटों की सहायता से महत्वपूणण त्यों को स्थाजपत कीजजए। संबंजधत सन्दभण में इन मुद्दों
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जनम्नजलजखत जवचारों की दृजि से, जनजीकरण का समथणन नहीं ककया जा सकता है:
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o जनजी जिक्षा में गुणवत्ता और पहाँच संबंधी समस्याएाँ मौज़ूद हैं।
gm
o इस बात का समथणन करने के जलए पयाणप्त साक्ष्य उपलधध नहीं हैं कक भारत में जनजी 9@
जवद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे सरकारी जवद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों से बेहतर प्रदिणन
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करते हैं।
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o जनजी जवद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों के जनचली जाजत समूहों से होने की संभावना कम
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होती है।
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o इस बात के समथणन में कोई िोस साक्ष्य नहीं है कक जनजी जवद्यालयों को चलाने की लागत
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o कम लागत वाले जनजी जवद्यालयों में अवसंरचना प्रायिः अपयाणप्त होती है।
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समस्याओं का समाधान करना चाजहए। सरकारी जवद्यालयों में 70% भारतीय जवद्याथी जिक्षा
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प्राप्त करते हैं। जनजी जवद्यालय, जिक्षा प्रदान करने में सहायता कर सकते हैं परन्तु सभी बच्चों
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4. हाल की WHO ररपोटण के अनुसार, जवश्व में सवाणजधक आत्महत्याएं भारत में होती हैं। इस
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संबध
ं में, भारत की नवीन राष्ट्रीय मानजसक स्वास््य नीजत के उद्देश्यों तथा दृजिकोणों का
उल्लेख करें । इसके अजतररि, मानजसक स्वास््य कायण योजना 365 के संबध
ं में जवस्तार से
बताएं।
दृजिकोण:
भारत में आत्महत्या दर की पृिभूजम का संजक्षप्त वणणन कीजजए।
राष्ट्रीय मानजसक स्वास््य नीजत के जनमाणण की आवश्यकता और इसके उद्देश्यों को स्पि
कीजजए।
मानजसक स्वास््य कायण योजना 365 की व्याख्या कीजजए।
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वृजद्ध करना।
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बेघर व्यजियों, दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों, िैजक्षक और सामाजजक रूप से
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वंजचत वगों के जलए मानजसक स्वास््य देखभाल की पहाँच बढ़ाना। 9@
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मानजसक स्वास््य समस्याओं से जुडे जोजखम कारकों के प्रभाव और व्यापकता को कम
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करना।
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आत्महत्या के जोजखम एवं घटनाओं तथा आत्महत्या के प्रयासों में कमी लाना।
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सुजनजित करना।
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वृजद्ध करना।
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यह नीजत "मानजसक स्वास््य कायण योजना 365" द्वारा समर्थथत है। यह कें द्र सरकार, राज्य
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वतणमान में समाज के अमीर वगण की मानजसक स्वास््य सुजवधाओं तक आसान पहाँच है।
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इसजलए इस नीजत में गरीबों व वंजचतों के प्रजत अजधक ध्यान आकृ ि ककया गया है। पुनिः इसका
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उद्देश्य मानजसक स्वास््य के प्रजत समझ में वृजद्ध करने, मानजसक स्वास््य के क्षेत्र में सभी
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स्तरों पर नेतृत्व को मजबूत बनाने और मानव संसाधन जवकास द्वारा मानजसक स्वास््य
Th
अटल पेंिन प्रजत माह 1,000 रूपये से 5,000 घरे लू कमणचारी और असंगरित मजदूरों की
योजना रूपये के बीच पेंिन। ओर से जनवेि ककया जा सकता है, जजनके
पात्रता: 18 से 40 के बीच की उम्र के पास काम करना बंद कर देने के बाद कोई
)
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देखरे ख के जलए ना हो।
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व्यजि जजन्हें 60 की उम्र होने तक
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योगदान करना होगा।
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प्रधानमंत्री
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12 रूपये प्रजत वषण के प्रीजमयम पर 2 वैसे तो यह सभी के जलए है, परन्तु जविेषत:
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होता है।
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प्रधानमंत्री सुरक्षा अवजध बीमा कवर के तहत अजनवायण रूप से उन श्रजमकों के जलए जो
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जीवनज्योजत 330 रूपये प्रजत वषण के प्रीजमयम पर अपने पररवार में एकमात्र कमाने वाले
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प्रधानमंत्री जन जबना ककसी न्यूनतम राजि के एक असंगरित क्षेत्र में कायणरत सभी लोग। उनमें
धन योजना बचत खाता। रूपये एटीएम-कम- बैंककग की आदत जवकजसत करने हेतु उनके
डेजबट काडण में िमि: 1 लाख रुपये व खातों में वेतन का प्रत्यक्ष हस्तांतरण ककया
30,000 रूपये का दुघणटना बीमा जा सकता है।
और जीवन बीमा िाजमल है।
पात्रता: आर्थथक रूप से कमजोर वगण
से संबंजधत कोई भी व्यजि।
)
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लगभग आि करोड भारतीय ककसी भी पेंिन योजना के लाभाथी नहीं हैं। इनमें मुख्य
l.
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रूप से 60 वषण की आयु से ऊपर की मजहलाएाँ हैं। यह एक महत्वपूणण मुद्दा है परन्तु इसे
gm
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नज़रअंदाज कर कदया जाता है। इन लोगों को िाजमल करके इन लोगों की दुदि
ण ा का
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6. जिक्षा नीजत के जलए चार मुख्य प्राथजमकताएं- पहंच, समता, गुणवत्ता और िासन रही हैं। नई
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जिक्षा नीजतयों को भी इन चार क्षेत्रों को प्राथजमकता देना जारी रखना चाजहए, लेककन साथ
ja
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ही, सभी स्तरों पर सीखने के पररणामों या आउटकम में सुधार पर अजधक बल होना चाजहए।
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चचाण कीजजए।
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दृजिकोणिः
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कीजजए।
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जनम्नस्तरीय हैं।
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पर ध्यान कदया जाना चाजहए। िैक्षजणक प्रकियाओं, कक्षा में आकलन संबंधी रूपरे खा और
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जवद्यालय नेतृत्व व प्रबंधन के जवकास को अपनाया जाना चाजहए। सीखने के पररणामों में
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सुधार करने हेतु नई तकनीकों के जवकास के जलए िोध कायों को प्रोत्साजहत ककया जाना
s 9@
चाजहए।
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कु ल जमलाकर, सीखने के पररणाम पर ध्यान कें कद्रत करना जिक्षा नीजतयों का एकीकृ त जवषय
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होना चाजहए। जिक्षा तक पहंच, समता, गुणवत्ता और िासन एवं अन्य पहलू सामूजहक रूप से
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सीखने के बेहतर पररणामों को सुजनजित करते हैं। अतिः नीजत का दृजिकोण पररणामों को
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पररभाजषत करने व उनका मूल्यांकन करने तथा संसाधनों को इस प्रकार आवंरटत करने का
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होना चाजहए कक वह इन पररणामों को प्राप्त करने की कदिा में अजधकतम प्रगजत प्रदान कर
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सके ।
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7. अब तक, नवजातों के प्रजत भारतीय स्वास््य नीजत की आंखें बंद थीं। उपयुि
ण कथन के प्रकाि
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pe
में भारत में नवजात मृत्यु की समस्या से जनपटने में आने वाली बाधाओं और इससे जनपटने के
s
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दृजिकोणिः
cu
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उपरोि कथन से यह स्पि होता है कक, यद्यजप भारत अनेक प्रजतकू ल स्वास््य पररणामों की
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प्रजतकिया के रूप में नई नीजतयों और कायणिमों का जनमाणण कर रहा है, परन्तु नवजात
जििुओं के स्वास््य की समस्या अब भी जवद्यमान है जो ककसी भी अन्य देि की अपेक्षा भारत
की सबसे बडी स्वास््य चुनौती है।
इस पृिभूजम में, नवजातों से संबजं धत स्वास््य देख-रे ख नीजतयों की वतणमान जस्थजत और
पहले से उिाए जा चुके कदमों के बारे में पररचय दीजजए;
इसके पिात देि में NMR (नवजात मृत्यु दर) की जस्थजत और नवजात मृत्यु के जलए
उत्तरदायी जवजभन्न कारकों का जवश्लेषण कीजजए एवं अंत में समाधान व सुझाव प्रदान
कीजजए।
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बच्चे के जन्म के समय माताओं की उम्र कम होना जजससे IEC (सूचना (Information),
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जिक्षा (Education) और संवाद (Communication)) के संदभण में पहल की कमी प्रकट s9@
होती है।
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कारकों के द्वारा और भी अजधक जरटल हो जाती है। इस प्रकार यह उपयुणि समस्या से जनपटने
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जनसांजख्यकीय, िैजक्षक, सामाजजक आर्थथक, जैजवक और देखभाल की मांग आकद अन्य कारक
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जििु स्वास््य के जलए नीजत प्रजतबद्धता को आरमभ करना ,आिा और आंगनवाडी कायणकताण के
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आसपास कें कद्रत समुदाय आधाररत हस्तक्षेप तथा बीमार नवजातों के गृह आधाररत और
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सुजवधा आधाररत प्रबंधन के मध्य सतकण तालमेल के माध्यम से, एकल अंक नवजात मृत्यु दर
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होना चाजहए।
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साथ ही सुधार के जलए मानव संसाधन एवं कौिल की आवश्यकता और साथ ही साथ
प्रौद्योजगकी तक अजधक पहाँच की आवश्यकता है। बीमार नवजात जििु और बच्चे के जलए इस
तरह की उच्च गुणवत्ता सुजवधा आधाररत देखभाल जवकजसत करने और साथ में बेहतर
प्राथजमक एवं जद्वतीयक देखभाल की सुजवधाओं का जवकास इसे और अजधक सिि करे गी।
समुदाय आधाररत हस्तक्षेपिः- समुदाय आधाररत हस्तक्षेप रणनीजतयों को टीकाकरण से
परे जजनमें डायररया हेतु ORS व बजक की आसान उपलधधता एवं उन सुजवधाओं तक
पहंच, जनमोजनया के जलए उजचत एंटीबायोरटक दवाएाँ, एनीजमया की बेहतर पहचान व
प्रबंधन और जवकास संबंधी दोषों की जांच को िाजमल करना चाजहए।
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स्वास््य के न्द्र के तजमलनाडु मॉडल को अन्य राज्यों द्वारा भी अपनाया जा सकता है। यह
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भारत को पांच वषण से कम उम्र के जििुओं की मृत्यु दर को कम करने में सहयोग करे गा। इसे
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जागरूकता, सामाजजक गजतिीलता, JSSK को प्रोत्साजहत कर एवं प्रसव पूवण देखभाल हेतु 9@
जवजिि प्रोत्साहन आकद प्रयासों के द्वारा और भी आगे बढ़ाया जाना चाजहए। जवश्व स्वास््य
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संघटन द्वारा समर्थथत प्रत्येक नवजात कायण योजना (The Every Newborn Action Plan:
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ENAP) 2035 तक सभी देिों में प्रजत 1000 जीजवत जन्मों पर 10 से कम NMR हेतु
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सपना एक संधारणीय कौिल पूल के अभाव में पूरा नहीं ककया जा सकता है। भारत में कौिल
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दृजिकोण:
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संक्षेप में उपायों का सुझाव दें, इनमें वे उपाय भी सजममजलत करें जो हाल-कफलहाल में पहले
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से ही जलए जा चुके हैं, जैसे कौिल मंत्रालय, राष्ट्रीय कौिल जवकास नीजत में संिोधन आकद।
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उत्तरिः
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जवश्व स्तर पर, जवजनमाणण तेजी से बढ़ रहा है और प्रौद्योजगकी उन्मुख होता जा रहा है, जो
जवश्व अथणव्यवस्था में प्रजतस्पधाण करने के िम में कु िल श्रम के बडे पूल की आवश्यकता पर
प्रकाि डाल रहा है। यह समझ मौजूदा सरकार की आर्थथक दृजि में प्रजतदर्थित हो रही है जैसा
कक हाल ही के ‘मेक इन इं जडया’ कायणिम में पररकजल्पत है। यह जवजनमाणण क्षेत्र को
अथणव्यवस्था की आधारजिला के रूप में रूप में देखता है। हालांकक, जनसांजख्यकीय रूप से
समृद्ध होने का लाभ उिाने के जलए, भारत की युवा आबादी में कौिल की बढ़ती कमी पर
ध्यान देना संरचनात्मक और कायाणत्मक बाधा के रूप में एक प्रमुख नीजतगत चुनौती प्रस्तुत
करता है।
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स्वाजमत्व की है जबकक जनजी क्षेत्र के जनवेि को प्रोत्साजहत नहीं ककया गया है। उदाहरण
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स्वरूप दजक्षण कोररया के कायण कु िलता जवकास कायणिम के अंतगणत जनयोिाओं को
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जवद्यमान जनयुि कमणचाररयों को प्रजिक्षण प्रदान करने पर छू ट दी जाती है।
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अनौपचाररक श्रजमकों (जजनमें श्रम-िजि का 90% समाजहत होता है), जैसे कक भवन
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जनमाणण श्रजमकों में ग्रामीण क्षेत्रों से कम जिक्षा वाले या जबल्कु ल ही जिक्षा जवहीन
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अजधकांि ऐसे श्रजमक िाजमल होते हैं जजन्हें समथणन या प्रजिक्षण की आवश्यकता होती
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है। 2022 तक जनमाणण क्षेत्र द्वारा सूचना तकनीक और संबंजधत सेवा क्षेत्रों की अपेक्षा छिः
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गुना अजधक रोजगार जनर्थमत करने की संभावना है। कफर भी नीजत में सूचना तकनीक
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क्षेत्र को वरीयता दी गई है। चीनी सरकार ने जनमाणण जैसे क्षेत्रों के जलए अकु िल और
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अजिजक्षत प्रवासी श्रजमकों के प्रजिक्षण के जलए क्षेऺत्रीय सरकार के स्तर पर जवजिि पहलें
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आरमभ की हैं।
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है (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीजवका जमिन), जो प्रमुखतिः दैजनक वेतन जनयोजन लजक्षत थे,
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जजनमें गुणवत्ता का कोई आश्वासन नहीं था, कररयर प्रगजत या प्रजतधारण का कोई प्रश्न
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नहीं था।
भारत सरकार िीघ्र ही अपनी राष्ट्रीय कौिल जवकास नीजत, 2009 की समीक्षा करने जा रही
है जजसका पयणवेक्षण नवजनर्थमत कौिल मंत्रालय द्वारा ककया जाएगा। प्रजऺिक्षण ढांचे में जनवेि
करके संस्थागत ढांचे को सरल ककए जाने की आवश्यकता है एवं अनौपचाररक श्रम-िजि को
समथणन प्रदान करने पर बल होना चाजहए। इसके साथ ही, जनजी क्षेऺत्र की प्रजतभाजगता हेतु
प्रोत्साहन प्रदान ककए जाने चाजहए। हमें ‘मेक इन इं जडया’ जैसे महत्वाकांक्षी दिणन को
चररताथण करने के जलए ऐसी अनेकों पहलों और सुधारों की आवश्यकता होगी।
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अस्पतालों और दवाखानों की संख्या में वृजद्ध से आयुष सेवाओं तक बेहतर पहंच।
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औषजधयों और कायणबल की जवस्तृत उपलधधता।
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प्रथाजमक स्वास््य के न्द्रों और समुदाजयक स्वास््य के न्द्रों की संख्या में वृजद्ध।
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उन्नत िैजक्षक संस्थानों की संख्या में वृजद्ध से आयुष जिक्षा में सुधार।
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आयुष औषजधयों के जलए गुणवत्ता पूणण कच्चे माल की लंबे समय तक उपलधधता।
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भारत में स्वास््य सेवा उपलधधता, जागरूकता, वहनीयता, गुणवत्ता और समता जैसे प्रमुख
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बचताजनक मुद्दों पर गमभीर चुनौजतयों का सामना कर रही है। इस सन्दभण में NAM के
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औषजध के कच्चे माल के रूप में बेची जाने वाली 178 प्रमुख औषधीय पादप प्रजाजतयों में
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से के वल 20 ही खेतों में उगायी जाती हैं। अन्य प्राकृ जतक रूप से पाए जाने वाले पौधों में
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प्रजिजक्षत मानविजि की कमी भी एक प्रमुख चुनौती है। बेहतर अवसरों की तलाि में
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10. भारत तथा अन्य जवकासिील देिों की स्वास््य-प्रणाली लगातार बढ़ रहे ‘कु पोषण के दोहरे
बोझ’ (अजतपोषण एवं अल्पपोषण) का एक-साथ सामना कर रही है। इस सन्दभण में जन
स्वास््य के समक्ष इस चुनौती से जनपटने के जलए आवश्यक रणनीजत सुझाइए।
दृजिकोणिः
कु पोषण की दोहरी समस्या के अन्तगणत कु पोषण के दोनों रूप अल्पपोषण एवं अजतपोषण
दोनों ही आते है। उत्तर में कु पोषण के दो रूपों से लडने के उपायों के बारे में सुझाव देना है।
उत्तरिः
अल्पपोषण और अजतपोषण दोनों ही कु पोषण के प्रकार हैं। इसमें ऊजाण और पोषक तत्व या तो
ज्यादा हो जाते हैं या कम हो जाते है। कु पोषण के दोनो प्रकार लोक स्वास््य के जलए एक
जविेष चुनौती को पेि करते है। ऐसे कायणिम होने चाजहए जो पौजिक खाद्य पदाथों और
स्वस्थ जीवन िैली को बढ़ावा दें, जजससे एक समय में दोनों ही प्रकार के कु पोषण का सामना
ककया जा सके ।
स्वास््य व्यवस्था को ऐसे लोगों के जााँच की जजममेदारी लेनी चाजहए जो अजतपोजषत हैं जबकक
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आईसीडीएस और स्वास््य कायणिम को अल्पपोजषत लोगों की जााँच की जजममेदारी लेनी
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चाजहए।
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गभणवती और दूध जपलाने वाली माताओं तथा तीन साल से कम उम्र के बच्चों पर जविेष ध्यान
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देने की आवश्यकता है और इसके साथ ही आईसीडीएस को मजबूत और पुगणरित करने की
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संस्थागत भागीदारी जवकजसत करने की जरूरत है, खासतौर से जजला और ग्रामीण स्तर पर
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भारत के पोषण से संबंजधत चुनौजतयों पर प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय पररषद द्वारा अजनवायण रूप
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पोषाहार कायणिम अंतगणत अजतिीघ्र ही सुभेद्य आयु वगण के लागों के पूरे जीवन चि
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प्रयास करना चाजहए। कु पोषण को जनधाणररत करने वाले मुख्य तत्वों को एक साथ उपलधध
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कराना ,स्थानीय लचीलापन उपलधध करना, एकीकृ त करने के जलए पायलट और पंचायत
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आधाररत माडल बनाना ,अत्याजधक कु पोषण प्रभाजवत जजलों पर ध्यान के जन्द्रत करना जजससे
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राज्यों में स्तनपान का स्तर कम है। नवजात जििुओं और छोटें बच्चों में स्तनपान को बढ़ावा
देने की जरूरत है।
बच्चों, औरतों और ककिोरावस्था की लडककयां में सूक्ष्म-पोषक तत्वों (आइरन, जवटाजमन ए
और आयोडीन) की कमी को रोकने के जलए नीजत की जरूरत है। एक जवस्तृत पद्धजत को
अपनाया जाना चाजहए जजसमें सूक्ष्म-पोषण कु पोषण से संबंजधत नीजतयों में पूरक उपाय को
िाजमल करना चाजहए- (1) नवजात और छोटे बच्चों को स्तनपान (2) खान-पान की जवजवधता
(3) फल एवं सजधजयों का उपयोग (4) पोषक संपरू क (5) भोजन सुदढ़ृ ीकरण और (6)
जनस्वास््य मापदण्ड, िाजमल हैं।
जजनमें (1) अजत पोषण वाले व्यजियों की जााँच, जब भी वे अपने स्वास््य की जााँच कराना
चाहे। (2) अजतपोषण की प्रारजमभक जस्थजत में ही पता करने के जलए वयस्कों और जििुओं के
जलए तथा वयस्कता की तरफ बढ़ रहे बच्चों के जलए बीएमआई का प्रयोग। (3) अजतपोषण
वाले व्यजियों की पहचान और उन्हें, उनके खान-पान तथा जीवनिैली के बदलाव के समबन्ध
में व्यजिगत सलाह। (4) जजन लोगों को अपने जीवन िैली में बदलाव करने में परे िाजनयॉ आ
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तकनीकी जिक्षा की गुणता की प्रोन्नजत में सहायक होगा I चचाण कीजजये I 2015
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6. सार्थवक स्वास््य संरक्षण प्रदान करने में सावणजजनक स्वास््य प्रणाली की अपनी पररसीमाएं हैं I
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क्या आपके जवचार में खाई को पाटने में जनजी क्षेत्रक सहायक हो सकता ?आप अन्य कौन से
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7. जखलाडी ओलंजपक्स में व्यजिगत जवजय और देि के गौरव के जलए भाग लेता है ,वापसी पर
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पुरस्कार कायणजवजध के तकाणधार के मुकाबले ,राज्य प्रायोजजत प्रजतभा खोज और उसके पोषणों के
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8. क्या आई आई टी /आई आई एम जैसे प्रमुख संस्थाओं को अपनी प्रमुख जस्थजत को बनाये रखने
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की,पाठ्यिमों को जडजाइन करने में अजधक िैजक्षक स्वतंत्रता की और साथ ही छात्रों के चयन की
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जवधाओं/कसौरटयों के बारे में स्वयं जनणणय लेने की अनुमजत दी जानी चाजहए ? बढती हई
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9. मध्यान्ह भोजन की संकल्पना भारत में लगभग एक िताधदी पुरानी है जजसका आरमभ स्वतंत्रता
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पूवण भारत के मद्रास महाप्रांत (प्रेजसडेंसी )में ककया गया था I जपछले दो दिकों में अजधकांि राज्यों
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में इस योजना को पुनिः प्रोत्साजहत ककया जा रहा है I इसके दोहरे उद्देश्यों ,नवीनतम आदेिों एवं
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DEEPAK PHOTOSTAT
& Consultant
E-mail; deepakkumarnirala88@gmail.com