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विश्व आवतहास
2019
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विषय सूची
18िीं शताब्दी से पूिव का विश्व ______________________________________________________________________ 6
1.4. वनष्कषव_________________________________________________________________________________ 8
3.4. पूज
ं ीिादी ऄथवव्यिस्था की कदशा में संक्रमण _______________________________________________________ 11
6.2. ऄंग्रज
े ों के प्रवत ऄमेररका िावसयों के अक्रोश के कारण ________________________________________________ 17
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क्रांवत के बाद, राजशाही की बजाय संसद की सिोच्चता थी)। कै थोवलक चचव की शवक्त में ह्रास हुअ।
िावणवययक पूंजीिाद का ईदय।
आं ललैंड और फ़्ांस की प्रवतिंविता चरम पर।
600 इ. से 1500 इ. तक की ऄिवध को यूरोपीय आवतहास में मध्य युग या मध्यकाल की संज्ञा दी गयी
है। विशेष रूप से पवश्चमी यूरोप में आस ऄिवध के दौरान कइ सामावजक और अर्सथक पररितवन हुए।
मध्यकाल के दौरान पवश्चमी यूरोप में ऐसी सामावजक व्यिस्था विकवसत हुइ जो शेष विश्ि से बहुत
वभन्न थी। आसे 'सामंतिाद' के नाम से जाना जाता है।
सामंतिाद शब्द 'feud' शब्द से वनकला है, वजसका ऄथव 'भूवम का सशतव स्िावमत्ि' होता है। सामंतिाद
ऐसी नइ सामावजक और अर्सथक व्यिस्था थी जो मध्यकाल (600-1500 इस्िी) में पवश्चमी यूरोप में
तथा अगे चलकर यूरोप के ऄन्य भागों में प्रचवलत हुइ।
आसके ऄंतगवत, समाज में िगों का विभाजन कठोर था, राजनीवतक रूप से देखें तो यहााँ कोइ कें द्रीय
शवक्त नहीं थी और ग्राम अधाररत ऄथवव्यिस्था का प्रचलन था। आस प्रकार ग्राम अधाररत ऄथवव्यिस्था
िस्तुतः अत्मवनभवर थी और ऄवधशेष ईत्पादन बहुत कम था वजससे व्यापार की संभािना न्यून हो गयी
थी। ऄतः व्यापार एिं शहरों के पतन को आसकी एक विशेषता के रूप में देखा गया है।
सामंतिाद के ऄंतगवत कें द्रीय राजनीवतक शवक्त के ऄभाि के कारण बहुत सारे सामंतों का राजनीवतक
िचवस्ि कायम था जो राजनीवतक, सामावजक एिं अर्सथक मामलों को वनयंवत्रत करते थे। आस समय
राजा बहुत शवक्तशाली नहीं था। सामंत ककसानों का शोषण करते थे और 'सिव डम' सामंतिाद की
महत्िपूणव विशेषता बन गइ थी। आसके ऄवतररक्त, यूरोप में चचव का प्रभाि धार्समक मामलों से परे भी
विस्तृत था।
पवश्चमी यूरोप में कें द्रीय राजनीवतक शवक्त के ऄभाि के कारण सामंतिाद का विकास हुअ क्योंकक आस
समय पवश्चमी यूरोप कइ छोिे और बड़े राययों में वबखर गया था। ऐसी व्यिस्था में स्थानीय सामंत
राजा की तुलना में ऄवधक शवक्तशाली हो गए और सामावजक मामलों को वनयंवत्रत करने लगे।
सामंती व्यिस्था में ऄथवव्यिस्था ग्राम अधाररत थी और ये ग्राम अत्मवनभवर थे। आस ऄिवध के दौरान
कस्बों के साथ व्यापार में वगरािि अइ। शवक्त का मुा य स्रोत भूवम थी, न कक मुद्रा।
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1.3.1. मै न र
ककसान सामंत की भूवम पर काम करते थे , वजसे कइ जागीरों या मैनरों में संगरठत ककया गया था।
प्रत्येक मैनर में एक गढ़ (सामंत का घर), ककसानों के वलए काम करने हेतु खेत , ककसानों के रहने के वलए
घर, ककसानों के वलए गैर-कृ वष िस्तुओं का ईत्पादन करने हेतु कायवशालाएं और लकड़हारों हेतु लकड़ी
कािने के वलए साझा जंगल होते थे। मैनर में जो भी ईत्पादन होता था, ईसका सामंत और वनिावसयों
िारा ईपभोग ककया जाता था, जबकक आसमें से बहुत कम िस्तुओं का व्यापार ककया जाता था।
मैनर के श्रवमकों में सिव और काश्तकार ककसान सवम्मवलत थे। खेत छोिे छोिे भू-खंडों में विभावजत थे।
हालांकक भूवम का कु छ भाग काश्तकारों को कदया गया था, जो सामंत को कर के रूप में ईपज के एक
वहस्से का भुगतान करते थे, शेष भूवम सामंत के ऄधीन होती थी।
सामावजक और अर्सथक प्रणाली:
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1.3.2. ककसान
सामंती पदानुक्रम में शीषव पर राजा होता था। राजा के नीचे सामंत लोग भी ऄवधपवत सामंत और
ऄधीनस्थ सामंतों के पदानुक्रम में व्यिवस्थत होते थे। प्रत्ये क सामंत के िल ऄपने ऄवधपवत के मातहत
भूवमधर होता था। मातहत होने का ऄथव वनष्ठा रखना या वनष्ठािान होना होता था, वजसके बदले में
ईसे कु छ औपचाररक ऄवधकार वमलते थे। यह पदानुक्रवमत प्रणाली ऄलं घनीय थी क्योंकक ऄधीनस्थ
सामंत के िल ऄपने तात्कावलक ऄवधपवत के अदेशों का पालन करता था, न कक पदानुक्रम में और उाँचे
सामंतों का। आस प्रकार दोहरे कमान की एक ऐसी व्यिस्था विकवसत हुइ वजसमें के िल दो क्रमागत
स्तरों के मध्य ही विवभन्न प्रकार के संबंध विकवसत हुए। राजा के िल ड्यूक और ऄलव को अदेश दे सकता
था, जो ऄपने ऄधीनस्थ सामंतों को अदेश देते थे। ड्यूक और ऄलव को बैरन से सैन्य सहायता वमलती
थी, जो सैन्य जनरलों की भांवत होते थे, जो अगे नाआट्स पर वनभवर होते थे जो िास्तविक योिा होते
थे।
आसके ऄवतररक्त, स्ियं कोइ भी सामंत ऄपने ऄधीन भूवम का प्रत्यक्ष स्िामी नहीं होता था। िह ऄपने
ऄवधपवत के नाम पर भूवम रखता था। आस प्रकार कानूनी रूप से , सभी प्रदेश राजा के ऄधीन थे। के िल
राजा को सामंत के बेिे को नाआि की पदिी देने का ऄवधकार होता था, जो तब ऄपने नाम के साथ ‘सर’
जोड़ सकता था।
प्रत्येक सामंत के पास ऄपने सैवनक होते थे और िह ऄपनी जागीर का एकमात्र ऄवधकारी होता था। आस
प्रकार कायावत्मक शब्दों में कोइ कें द्रीय शवक्त नहीं थी और राजा के िल कानूनी ऄथों में कें द्रीय शवक्त था।
पररणामस्िरूप आस समय राजनीवतक एकता की बहुत कमी थी।
धीरे -धीरे , यह पदानुक्रम िंशानुगत हो गया। सामंत के पुत्र ऄगले सामंत बन जाते थे और ईनके वपता
की जागीर ईनकी जागीर बन जाती थी।
1.4. वनष्कषव
यह वबल्कु ल स्पट ह है कक सामंती समाज में िगों का विभाजन कठोर था वजसमें सामावजक गवतशीलता के
वलए कोइ गुंजाआश नहीं थी। राजा के पास कोइ िास्तविक ऄवधकार नहीं था और शवक्तशाली सामंत
जनता (वजनमें से ऄवधकांश लोग ककसान थे) के कल्याण के वलए नहीं सोचते थे। ऄवधकांश ईपज
सामंतों िारा विलावसतापूणव जीिन जीने में बबावद कर दी जाती थी, आस कारण समाज में अर्सथक
जड़ता अ गइ थी। ककसानों के वलए गवतविवधयों की कोइ स्ितंत्रता नहीं थी क्योंकक िे भूवम से बंधे थे
और व्यवक्तगत ईद्यवमता की तो कोइ सम्भािना ही नहीं थी।
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शासनकला पर चीनी वनयम पुवस्तका, ताओ ते चचग में दो हजार चार सौ िषव पहले ईपदेश कदया गया
था: "प्राचीन लोगों की पररपािी ऐसी थी वजससे लोगों का ज्ञानिधवन नहीं हुअ; आससे घृणा करने की
बजाय िे आसका ईपयोग करते थे; क्योंकक जनता पर शासन करना तब करठन होता है जब ईनके पास
बहुत ऄवधक ज्ञान होता है। आसवलए, ज्ञान के माध्यम से रायय पर शासन करना रायय को दृढ़ बना देना
है। ऄज्ञानता के माध्यम से रायय पर शासन करने से रायय में वस्थरता अती है।" चचव ने ऄपना वशकं जा
बनाए रखने में आसी वसिांत का ईपयोग ककया। आसके साथ ही, जैसा कक हम बाद में देखेंगे, लोगों के
प्रबोधन या ज्ञानिधवन की यह शवक्त, ऄमेररका और फ़्ांस की क्रांवतयों को विचारों की क्रांवत बनाने में
बहुत ऄवधक महत्िपूणव थी।
मध्य युग में (600 इस्िी से 1500 इस्िी) चचव में वनम्नवलवखत बुराइयों का समािेश हुअ :
चचव के पदों के वलए धन।
प्रत्येक ऄनुष्ठान के वलए धन।
पाप धुलने के वलए धन। ईदाहरण के वलए, चचव ने "क्षमा पत्र" बेचना अरं भ कर कदया, वजसे खरीदने
पर पाप धुलने के वलए तीथवयात्रा करने की अिश्यकता नहीं रह जाती थी।
पोप, नन, वबशप आत्याकद भ्रट ह हो गए और राजाओं की तरह जीिन जीने लगे।
चचव के पास विशाल संपवत्त का स्िावमत्ि था।
वस्थवत में सुधार करने के वलए, चचव से जुड़े कु छ लोगों ने घुमन्तू पादररयों को प्रचवलत ककया। आन
पादररयों का घर-बार नहीं होता था और ये अत्म-त्याग और शुिता का ईदाहरण स्थावपत करते हुए
अम जनता के बीच यात्रा करते थे। लेककन शीघ्र ही, िे भी भ्रट ह हो गए। ईदाहरण के वलए, िे ककसी भी
वििाह को प्रमावणत कर देते थे और धन के वलए सभी पाप धो देते थे।
मध्यकाल में वशक्षा प्रदान करने िाला एकमात्र संस्थान चचव था। भविष्य में पादरी बनकर ही आस वशक्षा
का ईपयोग ककया जा सकता था। वशक्षा का माध्यम लैरिन होता था जो अम-जन की भाषा नहीं थी।
चचव ने "िषव में एक बार" पादरी के सामने पापों की स्िीकृ वत को ऄवनिायव बना कदया था और आस
वनयम के ईल्लंघन पर दड का प्रािधान था।
तकव , वििेक और विज्ञान को हतोत्सावहत ककया जाता था। विज्ञान और आवतहास के विषयों की कोइ
वशक्षा ईपलब्ध नहीं थी। यही कारण है कक विज्ञान और प्रौद्योवगकी में अगे चलकर होने िाला विकास
िैज्ञावनक क्रांवत के रूप में संदर्सभत ककया जाता है।
ऄंधविश्वास और जादू-िोने पर लोग बहुत ऄवधक विश्वास करते थे। चचव चहसक हो गया था। आसने ईन
लोगों को जलाने का अदेश कदया, जो परमेश्वर, धमव और यहां तक कक भौवतक घिनाओं के संबंध में
ईसके विचारों का विरोध करते थे। ऐसा "ऄपधमव" के अरोप पर ककया जाता था। चचव िारा प्रचाररत
परमेश्वर का मवहमामंडन करने िाले वसिांतों (जैसे पृ्िी सपाि है, या सम्पूणव िह्ांड पृ्िी के चारों
ओर घूमता है) का खंडन करने िाले िैज्ञावनक वसिांतों को प्रवतपाकदत करने िाले कइ िैज्ञावनकों को
चचव के कोप का वशकार होना पड़ा। डायन के रूप में और बुरी अत्माओं से ग्रस्त होने के रूप में पहचाने
जाने के बाद ईनमें से कआयों को जला कदया जाता था।
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7िीं सदी में हुए धमवयुिों से यूरोप ऄरब देशों के संपकव में अया। आससे यूरोप का पररचय समृ ि ऄरब
सभ्यता और ईसकी विलावसतापूणव सामावग्रयों से हुअ। पररणामस्िरूप सामंत स्िावमयों के मध्य पूिव
की विलावसतापूणव िस्तुओं की मांग बढ़ने लगी। आसके साथ ही ईत्पादन के तरीकों में सुधार के कारण
कृ वष ईत्पादकता में िृवि से भी ककसानों के वलए गैर -कृ वष िस्तुओं का खरीदार बनना संभि हुअ। आन
कारकों से पूिव के साथ व्यापार में िृवि हुइ है। वशल्प और कस्बों (जहां वशल्प सामावग्रयााँ तैयार की
जाती थीं) का भी महत्ि बढ़ने लगा। विशेषकर 11िीं शताब्दी के बाद की ऄिवध में शहरों, व्यापार और
वशल्प का तेजी से ईदय हुअ।
धीरे -धीरे , ककसानों ने कारीगरों (ऄथावत वशल्पकारों) के रूप में काम करना अरं भ कर कदया और आन
नए शहरों में व्यापारी अकर बसने लगे। जैसे -जैसे कस्बों में कारीगरों की संा या में िृवि हुइ िैसे -िैसे ये
कस्बे विस्तृत होकर शहर बनने लगे। सम्पूणव यूरोप में, मुा य रूप से भूवम अधाररत व्यापाररक मागों
या समुद्री बंदरगाहों के असपास आन शहरों का विकास हुअ। बंदरगाहों से , एवशया से अयावतत िस्तुएं
भू-मागों के िारा यूरोप की मुा य भूवम तक पहुाँचाइ जाने लगीं। ऄपनी ऄिवस्थवत और ऄचछे प्राकृ वतक
बंदरगाह होने के भौगोवलक लाभ के कारण आिली में शहरों का ऄवधकतम विकास हुअ (जैसे कक िेवनस
और जेनोिा जैसे समुद्री-बंदरगाह शहर), जो पूिव के साथ व्यापार की सुविधा देते थे। यूरोप में आस समय
विकवसत होने िाले समुद्री-बंदरगाह तथा व्यापार और िावणयय के ऄंतदेशीय कें द्र ऄभी भी यहााँ के
समृि शहर हैं।
बढ़ते व्यापार और कस्बों के साथ-साथ वशल्प में विशेषीकरण के कारण पैदा हुइ मांग को पूरा करने के
वलए, िस्तुओं के ईत्पादन की पिवत में पररितवन की अिश्यकता महसूस की गइ। कस्बों के व्यापाररयों
और कारीगरों ने स्ियं को वगल्डों में संगरठत करना अरं भ कर कदया, जो ईत्पाकदत की जा रही िस्तुओं
के वलए विवशट ह होते थे, ईदाहरण के वलए सुनार, नाइ, चमड़ा श्रवमकों के वगल्ड अकद। वगल्ड प्रणाली के
ऄंतगवत एक प्रमुख वशल्पकार होता था, वजसके ऄंतगवत तीन से चार कमवचारी या प्रवशक्षु काम करते थे।
व्यापार के पुनरुिार और शहरों के ईद्भि के पररणामस्िरूप मध्यम िगव नामक एक नए िगव का ईदय
हुअ, वजसमें मुा य रूप से व्यापारी सवम्मवलत थे। धीरे -धीरे शहरों ने सामंती वनयंत्रण से स्ियं को मुक्त
कर वलया। ईनकी ऄपनी सरकार, जनसेना और न्यायालय थे। ये लोग भूवम से नहीं बंधे थे, ईनके पास
व्यिसाय की स्ितंत्रता थी और ये स्ितंत्रतापूिवक चारों ओर अ-जा सकते थे। आन शहरों िारा प्रदान की
जाने िाली सामावजक गवतशीलता ने गांिों से ककसानों को भी अकर्सषत ककया।
सिव शहरों में स्ितंत्र थे और िे व्यापाररयों के वलए अिश्यक श्रमबल प्रदान करते थे। ऄवधक संा या में
ककसानों के अगमन ने शहरों में ईत्पाकदत िस्तुओं के वलए घरे लू बाजार प्रदान ककया। शहरों की
ऄथवव्यिस्था मुद्रा-अधाररत थी और भूवम सत्ता का मुा य स्रोत नहीं थी। स्िामी सामंत को ऄब श्रम के
बजाय नकद में भुगतान ककया जाता था। व्यापार से होने िाले लाभ में िृवि के कारण व्यापाररयों के
प्रभाि में िृवि हुइ। पूिव के साथ व्यापार से ऐसी िस्तु एाँ अ , जो पूरी तरह से यूरोप के लोगों के वलए
नइ थीं। आसके ऄवतररक्त, ऐसी िस्तुओं की मांग बढ़ी, क्योंकक िे जनता के बीच लोकवप्रय होने लगी थीं।
धीरे -धीरे , व्यापाररयों ने शहरों में न के िल सामावजक और अर्सथक, बवल्क राजनीवतक जीिन को भी
प्रभावित करना अरं भ कर कदया।
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शहरों में नकदी अधाररत अर्सथक प्रणाली प्रचवलत हुइ। यहां जीिन भूवम की बजाय धन के चारों ओर
घूमता था। भूवम का ईपयोग नकदी िसलों के ईत्पादन के वलए ककया जाता था, जो गैर-कृ वष िस्तुओं के
वनमावण के वलए कच्चे माल के रूप में काम करती थी और कस्बों के ककसानों को नकद में भुगतान वमलता
था। सोने और चांदी के बजाय मुद्रा धनसंपवत्त का प्रतीक हो गइ। सोने और चांदी के रूप में बेकार पड़ी
धनसंपवत्त के विपरीत मुद्रा के रूप में मुनािे का व्यापार होता था और आसे ईद्योग में पुन: वनिेश ककया
जा सकता था। ऐसी धनसंपवत्त या मुद्रा को 'पूाँजी' कहा जाता है। गांिों के स्थान पर शहर ईत्पादन का
कें द्र बन गए।
राजा और व्यापाररयों के बीच गठजोड़ में िृवि हुइ क्योंकक दोनों ही राजनीवतक और अर्सथक शवक्त की
अकांक्षा करते थे। जहां राजा सामंती स्िावमयों पर वनभवरता से छु िकारा पाना चाहते थे और चचव के
कम हस्तक्षेप की अकांक्षा रखते थे, िहीं व्यापारी व्यापार और िावणयय के माध्यम से प्राप्त मौकद्रक
लाभ िारा ऄपनी सामावजक वस्थवत की स्ितंत्रता का ईपभोग करना चाहते थे।
मध्य युग (600 इस्िी से 1500 इस्िी) के दौरान 14िीं शताब्दी में सामंती संस्थाओं के साथ ही चचव के
विरूि भी कइ ककसान विद्रोह हुए। कइ बार विद्रोही ककसान नेताओं ने ऐसे धार्समक वसिांतों का प्रचार
ककया, जो चचव से वभन्न था। आस प्रकार, आन सभी घिनाक्रमों के कारण सामंती व्यिस्था का पतन होने
लगा, हालांकक यह पूरी तरह से 19िीं शताब्दी तक ही समाप्त हो पाया।
4.1.1. पु न जाव ग रण
पुनजावगरण शब्द का ऄथव है 'किर से जागना'। पुनजावगरण लगभग 14िीं शताब्दी से अरं भ होकर 17िीं
शताब्दी तक चला। आसका अरं भ आिली में हुअ क्योंकक व्यापार ने आिली के शहरों में समृवि लाइ थी, जोकक
सामंती वनयंत्रण से स्ितंत्र थी (ऄपनी विशेष भौगोवलक वस्थवत के कारण आिली विदेशी व्यापार का कें द्र था।
15िीं शताब्दी के ऄंत में खोजी समुद्री यात्राओं के बाद पुतवगाल और स्पेन और बाद में हॉलैंड , फ्ांस और
वििेन ने व्यापार पर हािी होना अरं भ ककया)। बाद में , पुनजावगरण का विचार आिली से बाकी यूरोप तक
िै ल गया।
यह प्राचीन सावहत्य के पुनः ऄध्ययन और प्राचीन ग्रीस और रोम के बारे में जानने के वलए एक अंदोलन
के रूप में अरं भ हुअ। लेककन जल्द ही यह कला, धमव, सावहत्य, दशवन, विज्ञान और राजनीवत में नए
विचारों के अन्दोलन में बदल गया। आसके पररणामस्िरूप यूरोप के बौविक और सांस्कृ वतक जीिन में
चचव के प्रभाि में वगरािि अइ। चचव मृत्योपरांत जीिन में शांवत के बारे में बात करता था, जबकक
पुनजावगरण के विचारकों ने आस धरती पर प्रसन्नता की बात की और चचव के विचारों पर हमला ककया।
मानििाद पुनजावगरण की प्रमुख विशेषता थी। मानििाद का ऄथव है - मानि जीिन में रूवच लेना,
मानि की समस्याओं का ऄध्ययन करना, मानि का अदर करना, मानि जीिन के महत्त्ि को स्िीकार
करना तथा ईसके जीिन को सुधारने और समृि एिं ईन्नत बनाने का प्रयास करना। आसका ऄथव है
इश्वरत्ि के बजाय मानिता पर ध्यान कें कद्रत करना। पुनजावगरण ने धमवशास्त्र के बजाय मनुष्य और
प्रकृ वत को ऄध्ययन का के न्द्र बनाया। पार-लौककक मामलों की चचता का पररत्याग कर कदया गया और
ईनका ध्यान जीवित व्यवक्त, ईनके सुख-दुःख पर था। पुनजावगरण एक नइ मानितािादी और तकव संगत
सोच िाले विचार के रूप में अया वजसमें ऄंधविश्वास का कोइ स्थान नहीं था। मनुष्य की क्षमता,
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ईसकी गररमा और ईसके ऄवधकारों पर बल कदया गया। धीरे -धीरे , कला और संस्कृ वत की विषयिस्तु
भी मनुष्य और प्रकृ वत से संबंवधत हो गइ। जैसे मेरी और यीशु को धार्समक प्रतीकों के बजाय मनुष्य के
रूप में वचवत्रत ककया गया। दा चिसी, माआकल एंजेलो और रािे ल जैसे कलाकार पुनजावगरण अंदोलन
के प्रमुख कलाकार थे। चचों में वचत्रों का विषय स्िगव और नरक से मानिीय रूपों में स्थानांतररत हो
गया।
आस प्रकार, मानितािाद वनयवतिाद के विरुि था। पुनजावगरण के प्रभाि का पता पवश्चम के ितवमान
व्यवक्तिादी समाजों को देखकर लगाया जा सकता है, वजसके ऄंतगवत ऄपने जीिन को स्ियं बदलने की
क्षमता में विश्वास ऄभी भी ककसी व्यवक्त के मूल्य प्रणाली का एक महत्िपूणव ऄंग है।
पुनजावगरण के कारण सावहत्य में, लैरिन और यूनानी भाषाओं के स्थान पर स्थानीय यूरोपीय भाषाओं
की प्रगवत हुइ। आस प्रकार पुनजावगरण ने भाषाइ विकास और आसके माध्यम से राष्ट्रीय चेतना के विकास
में सहायता की। द चप्रस में, मैक्यािली ने रायय की एक नइ ऄिधारणा दी वजसके ऄनुसार रायय धमव से
उपर था और आसमें राजनीवतक मामलों के सिोच्च ऄवधकार वनवहत थे। राजनीवतक मामलों को धमव से
ऄलग माना जाने लगा। आस प्रकार धमववनरपेक्षता को पुनजावगरण से जोड़ा जा सकता है।
15िीं शताब्दी के पहले 50 िषों में चप्रटिग प्रेस (छपाइ खाना) के अविष्कार ने वशक्षा और नए विचारों
का प्रसार ककया। हालांकक, आसने ऄवशवक्षत गरीबों को कम प्रभावित ककया।
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ने सन् 1554 में िेलीस्कोप का अविष्कार ककया और अकाशीय चपडों का ऄध्ययन करने के वलए आसका
ईपयोग ककया। ईसने कॉपरवनकस के ऄिलोकन की पुवट ह की और वसि ककया कक िह्ांड एक खुली
प्रणाली या व्यिस्था है (चचव का कहना था कक िह्ांड एक बंद प्रणाली है और आसे भगिान िारा
गवतमान रखा गया है) और पृ्िी आसका एक छोिा-सा वहस्सा है। गैलीवलयो पर भी विधमी होने का
अरोप लगाया गया और ईसे अगे खगोल विज्ञान पर काम करने की ऄनुमवत नहीं दी गइ। जमवनी के
के प्लर ने गवणत की मदद से यह समझाया कक ग्रह कै से सूयव के चारों ओर घूमते हैं। न्यूिन ने के प्लर के
काम को जारी रखा और वसि ककया कक सभी अकाशीय चपड गुरुत्िाकषवण के वनयम के ऄनुसार गवत
करते हैं।
मानि शरीर के विचछेदन के ऄध्ययन के माध्यम से िेसेवलयस ने मानि शरीर की शारीररक रचना का
पूरा वििरण प्रदान ककया। 1628 में हािे ने रक्त पररसंचरण समझाया। आसने वचककत्सा विज्ञान में मदद
की। यंत्रों एिं नए प्रकार के कम्पास के अविष्कार और ईन्नत जहाजों के विकास ने 15िीं शताब्दी के
ऄंत में नइ भूवमयों की खोज में सहायता की। ये जहाज चाहे हिा की कदशा कु छ भी हो, ककसी भी कदशा
में चल सकते थे। िैज्ञावनक क्रांवत ने 17िीं शताब्दी के मध्य में अरं भ हुए एक नये अंदोलन “प्रबोधन” के
वलए मागव प्रशस्त ककया जोकक 18िीं शताब्दी के मध्य में ऄपने चरम पर पहुंच गया।
वचत्र : 1- कम्पास, 2- गैलीवलयो का िे लीस्कोप, 3- िेसवे लयस िारा मानि शरीर की शारीररक रचना एिं
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16िीं शताब्दी धार्समक सुधारों की भी साक्षी रही, वजसे प्रोिेस्िेंि सुधार और कै थोवलक सुधार में
िगीकृ त ककया जा सकता है।
प्रोिेस्िेंि सुधार (अरं वभक 16िीं शताब्दी) कट्टरपंथी कै थोवलक चचव की प्रथाओं और ऄवधकारों के विरुि
एक अंदोलन था। आसके पररणामस्िरूप प्रोिेस्िेंरिज़्म का ईदय हुअ और कै थोवलक चचव के विरोध में ,
प्रोिेस्िेंि नेताओं ने यूरोप के विवभन्न देशों में प्रोिेस्िेंि चचव स्थावपत करना अरं भ कर कदया। क्षमा पत्र
और चचव की ऄन्य बुराआयों का विरोध करने िाले एक पादरी मार्टिन लूथर के नेतृत्ि में पहला प्रोिेस्िेंि
चचव राजा के समथवन से जमवनी में (1520-1545 से) स्थावपत ककया गया।
राजनीवतक कारणों से भी जमवन शासकों ने लूथर का समथवन ककया। िे पोप के ऄवधकार से स्ितंत्रता
चाहते थे और चचव के धन पर वनयंत्रण रखना चाहते थे। आसके तुरंत बाद, प्रोिेस्िेंि सुधार यूरोप के
बाकी भागों में िै ल गया।
यूरोप के विवभन्न भागों में राष्ट्रिाद के विकास के कारण रोम वस्थत कै थोवलक चचव और पोप के
प्रावधकार के विरुि लोगों के मन में घृणा की भािना विकवसत हुइ। आं ललैंड में , राजा हेनरी VIII ने खुद
को चचव का प्रमुख घोवषत कर कदया। आसके पश्चात् रानी एवलजाबेथ ने रोमन चचव से ऄपनी स्ितंत्रता
की घोषणा कर और कु छ सुधारिादी वसिांतों को ऄपना कर आं ललैंड के चचव को अवधकाररक चचव
बनाया।
प्रोिेस्िेंि चचों ने संभ्रात लैरिन के बजाय लोगों िारा बोली जाने िाली भाषा को ऄंगीकार ककया।
बाआबल का स्थानीय भाषाओं में ऄनुिाद ककया गया (यह भारतीय पुनजावगरण के दौरान संस्कृ त के
स्थान पर स्थानीय भाषाओं के प्रयोग के समान था)। स्थानीय भाषाओं के ईपयोग ने राष्ट्रीय चेतना को
और बढ़ा कदया और आस प्रकार पुनजावगरण और सुधार अंदोलनों को यूरोप में राष्ट्रिाद का प्रणेता कहा
जा सकता है।
तकव शवक्त को धमव की तुलना में ऄवधक महत्ि कदया गया।
17िीं शताब्दी तक, अधे यूरोप ने ऄपने प्रोिेस्िेंि चचों की स्थापना कर ली थी।
कै थोवलक सुधार या प्रवत सुधार (काईं िर ररिॉमेशन- 16 िीं शताब्दी के ईत्तराधव में)
o यह प्रोिेस्िेंि चचों की बढ़ती हुइ लोकवप्रयता की प्रवतकक्रया में कै थोवलक चचव िारा अरं भ की गइ
एक सुधार प्रकक्रया थी। स्पेन में, सुधारिाकदयों ने "यीशु के सैवनक" के रूप में काम करने के वलए
पादररयों का एक संगठन बनाया। आस संगठन के सदस्यों को ‘इसाइ’ नाम से जाना जाने लगा और
िे ऄनुयावययों की िापसी हेतु फ्ांस और जमवनी गए। ईन्होंने भारत, चीन, ऄफ्ीका और ऄमेररका
में भी वमशन स्थावपत ककया।
o आन सुधारों के पश्चात्, दोनों संप्रदायों के ऄनुयावययों के बीच धार्समक युि अरं भ हुए, और दोनों
पक्षों के कइ ऄनुयायी मारे गए। आं ललैंड में प्रोिेस्िेंि के विरुि चहसा के पररणामस्िरूप ईत्तरी
ऄमेररका में ईनका प्रिास हुअ, जहां ईनके िारा स्थावपत ईपवनिेशों ने बाद में यू.एस.ए. की
स्थापना की नींि रखी। आं ललैंड में, राजा चाल्सव प्रथम की कै थोवलक समथवक धार्समक नीवतयों के
कारण, यह धार्समक चहसा विरिश गृह युि (1642-51) में पररिर्सतत हो गइ, जो संसद समथवकों
और राजशाही समथवकों के मध्य सरकार के प्रारूप को लेकर लड़ा गया था।
खोजी यात्राओं (15िीं शताब्दी के ऄंत में) ने यूरोप में अधुवनक युग के अरं भ को विवशट ह बनाया था।
आसके पररणामस्िरूप यूरोपीय लोगों ने एवशया और ऄमेररका में नए देशों की खोज की।
आिली दुवनया के शेष वहस्सों के साथ व्यापार में अभासी एकावधकार स्थावपत करने िाला प्रथम देश
था। बाद में 15िीं शताब्दी के ऄंत में ऄमेररका, एवशया और ऄफ्ीका के नए क्षेत्रों की खोज के कारण
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व्यापार को बढ़ािा वमला। आससे कइ यूरोपीय देशों की ऄथवव्यिस्था में पररितवन अया। आसके ऄवतररक्त,
आन नए क्षेत्रों की खोज के साथ, ईपवनिेशिाद का अरम्भ हुअ। प्रारं वभक औपवनिेवशक शवक्तयााँ
पुतवगाल और स्पेन थीं। वििेन, डच और फ्ांस शीघ्र ही आस होड़ में सवम्मवलत हो गए, तथा पुतवगाल और
स्पेन को कइ स्थानों पर ईनके ईपवनिेशों से प्रवतस्थावपत कर कदया।
राजा और मध्य िगव (ऄवधकांशतः व्यापारी) के गठजोड़ और मध्य युग (600 इस्िी से 1500 इस्िी) के
ऄंत तक सामंतिाद के पतन ने सत्ता पर ऄपनी पकड़ मजबूत करने में राजा की सहायता की। वनरं कुश
राजतंत्र के रूप में शवक्तशाली शासकों ने सामंतों को ऄपने ऄधीन कर वलया और चचव के राजनीवतक
हस्तक्षेप को खाररज कर कदया।
सन् 1665 में वनरं कुशता को एक वलवखत संविधान में सवम्मवलत करने िाला डेनमाकव प्रथम राष्ट्र बना।
आसके ऄवतररक्त, प्रशा (ितवमान जमवनी), आं ललैंड, हॉलैंड, ऑवस्िया, फ़्ांस अकद में शवक्तशाली राजतंत्र
थे। ईदाहरण के वलए, लुइ चौदहिें ने 17िीं शताब्दी में फ्ांसीसी साम्रायय को संगरठत ककया और 18िीं
सदी के पहले दशक तक फ्ांस की गणना एक शवक्तशाली देश के रूप में की जाने लगी।
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आं ललैंड में वनरं कुश राजतंत्र के स्थान पर लोकतांवत्रक शासन के वलए संघ षव हुअ। ऄंग्रेजी गृह-युि
(1642-51) संसद समथवकों और राजशाही समथवक के मध्य लड़ा गया था। संसद समथवक ककग चाल्सव
प्रथम के वनरं कुश शासन के विरुि थे। चाल्सव प्रथम शासन करने के राजा के दैिीय ऄवधकार में विश्वास
करता था। संसद समथवकों ने राजा िारा संसद की सहमवत के वबना करारोपण का विरोध ककया। आस
गृह-युि के पररणाम स्िरुप:
o राजा को प्राणदंड दे कदया गया,
o आं ललैंड में इसाइ पूजा (Christian worship) पर आं ललैंड के चचव (आं ललैंड का चचव कै थोवलक समथवक
था, आसने तलाक की आजाजत जैसे कु छ ही सुधारिादी वसिांतों को ऄपनाया था) के एकावधकार
का ऄंत हो गया।
o आस वसिांत की स्थापना हुइ कक राजा संसद की सहमवत के वबना शासन नहीं कर सकता है।
आं ललैंड में 1688 की गौरिपूणव क्रांवत ने कानूनी रूप से संसद की सिोच्चता स्थावपत की। आससे यह
सुवनवश्चत हुअ कक शासन-शवक्त की सिोच्च ऄवधकाररणी संसद है, न कक सम्राि। आस क्रांवत के दौरान
संसद ने पहली बार राजा को वनयुक्त ककया। राजा को हिा कदया गया और ईसके दामाद, हॉलैंड से
विवलयम ऑि ऑरें ज को राजा बनाया गया। विवलयम और ईसकी पत्नी मेरी दोनों को ऄवधकारों की
घोषणा की रक्षा की शपथ लेनी पड़ी और ऄवधकारों की आस घोषणा को वबल ऑर् राआट्स (1689) के
रूप में पररिर्सतत ककया गया। आस प्रकार, ऄंग्रेजी गृह युि (1642-1651) िारा स्थावपत एक सीवमत
संिैधावनक राजशाही के साथ, आं ललैंड संसद के िचवस्ि िाला एक लोकतंत्र बन गया।
5.1. भू वमका
िैवश्वक सप्त िषीय युि 1756 से 1763 तक लड़ा गया था। िास्ति में यह फ्ांस और वििेन के बीच नौ
िषों (1754-63) तक लड़ा गया एक युि था। स्पेन , प्रशा और ऑवस्िया जैसी ऄन्य यूरोपीय शवक्तयााँ
भी युि में सवम्मवलत थीं। आसे िैवश्वक युि कहा जाता है क्योंकक यह ईत्तरी ऄमेररका, कै रे वबयाइ देशों,
भारत, ऄफ्ीका के पवश्चमी ति और यूरोप में विवभन्न युि-क्षेत्रों में लड़ा गया था।
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5.2. यु ि के कारण
युि के पीछे का मुा य कारण वििेन और फ्ांस के बीच ईपवनिेशों पर अवधपत्य के वलए होड़ थी।
ईत्तरी ऄमेररका में, ऄिलांरिक महासागर के पवश्चमी ति पर ऄंग्रेजों की 13 कॉलोवनयााँ थीं। िे ऄवधक
कच्चे माल की चाह में पवश्चम की ओर विस्तार करना चाहते थे और ईत्तरी ऄमेररका में वनयावत का
बाजार बढ़ाना चाहते थे। परन्तु पवश्चमी वहस्सा फ्ांस के प्रभुत्ि में था। राजनीवतक और अर्सथक मामलों
में विरिश िचवस्ि को रोकने हेतु फ्ांसीसी ईत्तरी ऄमेररका के पवश्चमी वहस्से पर ऄपना प्रभुत्ि बनाए
रखना चाहते थे।
वििेन ईस समय औद्योवगक क्रांवत (1750 के बाद) के दौर से गुजर रहा था। यह विश्व के बाजारों में
विरिश माल को और ऄवधक प्रवतस्पधी बना रहा था। आसके ऄवतररक्त, वििेन एक प्रभािी समुद्री शवक्त
के रूप में ईभर रहा था और आसके समुद्री व्यापार से होने िाला लाभ भी बढ़ रहा था। आस प्रकार, फ़्ांस
को डर था कक ईत्तरी ऄमेररका में मजबूत वििेन जल्द ही कै रे वबयाइ देशों में स्थावपत फ्ांसीसी
ईपवनिेशों को चुनौती देगा। हालांकक ईनका डर सही सावबत हुअ और गन्ने की लाभदायक कृ वष िाले
ईनके कै रे वबयाइ ईपवनिेशों में ऄंग्रेजों ने स्पेन और फ्ांस के विरुि युि ककया।
पवश्चम ऄफ़्ीकी देश सेनेगल गोंद के प्राकृ वतक संसाधनों से समृि था और यहां के फ्ांसीसी व्यापाररक
बंदरगाह भी विरिश हमलों की चपेि में अए थे।
भारत में 1757 में प्लासी का युि बंगाल के निाब वसराजुद्दौला और इस्ि आं वडया कं पनी के बीच लड़ा
गया था। आस युि के पररणामस्िरूप इस्ि आं वडया कं पनी को बंगाल में विशेष व्यापाररक ऄवधकार प्राप्त
हुअ और आस क्षेत्र में ऄंग्रेजों िारा सम्पूणव व्यापार पर वनयंत्रण ने भारत में फ्ांसीवसयों के प्रभाि को कम
कर कदया। आसके ऄवतररक्त, 1760-61 में फ्ांसीवसयों और ऄंग्रेजों के बीच िांवडिाश की लड़ाइ ने
दवक्षण एवशया में विरिश िचवस्ि स्थावपत ककया, जबकक फ्ांस पांवडचेरी तक ही सीवमत हो गया।
सप्त िषीय युि के पश्चात् 1763 में पेररस की संवध पर हस्ताक्षर ककये गये थे वजसके पररणाम स्िरुप:
o वििेन को फ़्ांस से कनाडा और स्पेन से फ्लोररडा प्राप्त हुए।
o फ़्ांस को कै रे वबयन सुगर अआलैंड्स (गन्ने की कृ वष से संपन्न क्षेत्र) ऄपने पास रखने की ऄनुमवत
वमली।
o क्यूबा और किवलपींस पर स्पेन के वनयंत्रण को मान्यता वमल गइ।
विश्व राजनीवत पर सप्त िषीय युि का प्रभाि यह रहा कक फ़्ांस का प्रभुत्ि घि गया, िहीं वििेन ने
ऄपनी औपवनिेवशक शवक्त को संगरठत कर वलया। आसने ऄमेररकी क्रांवत (1765-83) और फ़्ांसीसी
क्रांवत (1789) के वलए भूवम भी तैयार कर दी थी।
ईत्तरी ऄमेररका में, ऄिलांरिक महासागर के पवश्चमी ति पर ऄंग्रेजों ने 13 ईपवनिेश स्थावपत कर वलए
थे। सप्त िषीय युि के पश्चात्, शेष ईत्तरी ऄमेररका में फ़्ांस का प्रभुत्ि समाप्त हो गया।
एक ओर जहााँ ऄंग्रेजों के िावणवययक पूंजीिाद ने श्वेत ऄमेररककयों में अक्रोश ईत्पन्न ककया, िहीं सप्त
िषीय युि से ऐसी वस्थवतयााँ ईत्पन्न हु वजन्होंने ऄमेररकी क्रांवत के वलए तत्काल चचगारी का कायव
ककया।
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18िीं शताब्दी में िावणवययक पूंजीिाद ऄंग्रेजों की औपवनिेवशक नीवत का एक प्रमुख वहस्सा था। यह
आस विचार पर अधाररत था कक सरकार को घरे लू ऄथवव्यिस्था और ईपवनिेशों को वनयंवत्रत करना
चावहए, ताकक राष्ट्रीय शवक्त में िृवि हो और एक सकारात्मक व्यापार संतुलन स्थावपत ककया जा सके ।
एक सकारात्मक व्यापार संतुलन तब प्राप्त होता है जब कोइ देश िस्तुओं का शुि वनयावतक (मूल्य के
सन्दभव में) होता है। यह नीवत ईपवनिेशों पर व्यापार प्रवतबंध लगाने और आन ईपवनिेशों में होने िाले
व्यापार में ऄंग्रेजी कम्पवनयों के एकावधकार की स्थापना के रूप में प्रकि हुइ। ये प्रवतबन्ध, ऄंग्रेजी
औपवनिेवशक नीवत के िावणवययक पूंजीिाद के ऄंग थे और ऄमेररककयों िारा ऄपने घरे लू ईद्योग
विकवसत करने की राह में बाधक थे। ऄंग्रेजी कानून के ऄंतगवत आन ईपवनिेशों पर ऄपने व्यापार हेतु
गैर-विरिश पोतों का ईपयोग प्रवतबंवधत था। ऄमेररकी ईपवनिेशों से कु छ कच्चे माल का वनयावत के िल
वििेन को ही ककया जा सकता था। आसके ऄवतररक्त गैर -विरिश िस्तुओं के ऄमेररका में अयात पर बहुत
भारी शुल्क लगाया गया था। आस प्रकार के व्यापार प्रवतबन्ध िावणययक पूंजीिाद के विवशट ह लक्षण हैं।
आसके ऄवतररक्त, ऄमेररककयों के उपर लौह और िस्त्र ईद्योग की स्थापना पर कानूनी प्रवतबंध था।
क्योंकक लौह और िस्त्र के तैयार माल का वनयावत ऄंग्रेज व्यिसावययों के वलए एक बहुत ही लाभप्रद
व्यिसाय था।
ऄमेररकी क्रांवत का ईद्देश्य ईत्तरी ऄमेररका में ऄंग्रेजी ईपवनिेशिाद को समाप्त करना था। ऄंग्रेजी संसद
ने सप्त िषीय के युि की समावप्त पर सशस्त्र विद्रोह प्रारम्भ करने िाले ऄमेररकी मूल वनिावसयों ऄथावत
रे ड आं वडयंस, के साथ युिविराम के रूप में “1763 की घोषणा” (Proclamation of 1763) जारी की
वजसमें ऄमेररकी ऄवधिावसयों पर ऄप्लेवशयन पिवत की ओर विस्तार करने पर प्रवतबन्ध लगा कदया
गया क्योंकक यह क्षेत्र ऄब रे ड आं वडयंस के वलए अरवक्षत था।
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प्रबोधन या “तकव का युग” एक अन्दोलन था। आसे 17िीं शताब्दी में हॉब्स और लॉक जैसे विचारकों ने
सरकार के प्रारूप और लोगों के ऄवधकारों को लेकर प्रस्तुत ककया था। 18िीं सदी के मध्य में यह ऄपने
चरम पर था।
हॉब्स वनरपेक्ष राजशाही का समथवक था और ईसने सामावजक ऄनुबंध की ऄिधारणा प्रस्तुत की,
वजसका ऄथव यह था कक चूंकक सभी लोग स्ि-वहत में व्यिहार करते हैं ऄतः लोगों को ऄपने कु छ
ऄवधकार सरकार के वलए छोड़ देने चावहए, वजसके बदले में सरकार िारा समाज को कानून और
व्यिस्था प्रदान करनी चावहए।
दूसरी ओर, लॉक ने मनुष्य के संबंध में सकारात्मक दृवट हकोण प्रस्तुत ककया और ईसका मानना था कक
मनुष्य ऄपने ऄनुभि से सीख सकता है। िह स्ि-शासन की ऄिधारणा का समथवक था। लॉक के ऄनुसार
जन्म से सभी लोग स्ितंत्र और समान हैं और ईनके पास तीन प्राकृ वतक ऄवधकार हैं – जीिन, स्ितंत्रता
और सम्पवत्त। लॉक का कथन था कक सरकार का कतवव्य है कक िह आन ऄवधकारों की रक्षा करे । यकद
सरकार ऐसा करने में वििल रहती है तो, नागररकों को ईसे ईखाड़ िें कने का ऄवधकार है। (विद्रोह का
यह ऄवधकार, फ़्ांवससी क्रांवत में जैकोवबयन संविधान का भाग भी था।)
आन अधुवनक विचारकों और दाशववनकों ने ऄमेररकी और फ़्ांसीसी क्रांवतयों में महत्त्िपूणव भूवमका वनभाइ
थी। 1750 के असपास, कइ विचारक यथावस्थवत को चुनौती दे रहे थे और लोगों के वलए स्ितंत्रता
(freedom) और स्िाधीनता (liberty) की मांग कर रहे थे। आन अधुवनक विचारकों और दाशववनकों ने
लोगों के समक्ष शासन के लोकतावन्त्रक स्िरूप का विचार प्रस्तुत ककया। ईन्होंने गणतंत्रिाद और
ईदारिाद के विचारों को विकवसत होने में सहायता की, जो ईपवनिेशिाद के विरुि प्रभािी थे। लॉक,
हैटरगिन और वमल्िन जैसे ऄंग्रेज दाशववनकों की यह मान्यता थी कक मनुष्यों के कु छ मौवलक ऄवधकार
होते हैं, वजनका कोइ भी सरकार ईल्लंघन नहीं कर सकती। 1690 में लॉक ने मनुष्यों के तीन प्राकृ वतक
ऄवधकारों को पररभावषत ककया। मॉन्िेस्क्यू ने शवक्तयों के पृथक्करण के वसिांत का िणवन ककया। फ़्ांस के
िॉमस पेन ने यह तकव कदया कक यह हास्यापद है कक एक महािीप (ईत्तरी ऄमेररका) पर एक िीप
(वििेन) का शासन है।
फ़्ांस में 18िीं शताब्दी के मध्य में प्रबुि विचारकों ने वनम्नवलवखत विचार प्रस्तुत ककए, वजन्होंने,
ऄमेररकी क्रांवत और फ़्ांसीसी क्रांवत दोनों ही को प्रभावित ककया था:
o तकव : प्रबुि विचारकों का विश्वास था कक सत्य की खोज तकव या तकव संगत सोच के माध्यम से की
जा सकती है। ईन्होंने कहा, कक तकव का ऄथव है ककसी की विचारधारा में ऄसवहष्णुता और पूिावग्रह
का ऄभाि।
o प्रकृ वत: ईनके वलए जो भी प्राकृ वतक था िह ऄचछा और ईवचत था। ईनका विश्वास था कक जैसे
गवत के प्राकृ वतक वनयम हैं, ईसी प्रकार से ऄथवशास्त्र और राजनीवत शास्त्र के भी प्राकृ वतक वनयम
हैं।
o प्रसन्नता: प्रकृ वत के वनयमों के ऄनुसार जीने िाला व्यवक्त प्रसन्नता प्राप्त कर ही लेगा। ये दाशववनक
चचव की आस मध्ययुगीन धारणा को लेकर क्षुब्ध थे कक लोगों को मृत्यु के पश्चात् प्रसन्नता प्राप्त करने
के वलए आस संसार में व्याप्त दुःखों को स्िीकार कर लेना चावहए। ये पृ्िी पर सबका कल्याण
चाहते थे और ईनका विश्वास था कक यह सम्भि है।
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o प्रगवत: समाज की प्रगवत में आन यूरोपीय दाशववनकों ने सिवप्रथम विश्वास ककया। एक िैज्ञावनक
दृवट हकोण के साथ ईनका यह मानना था कक, समाज और मानिता को पूणव बनाया जा सकता है।
कइ प्रकार के प्रवतबन्ध थे। ईनका मानना था की तकव के िारा समाज को मु क्त ककया जा सकता है।
सप्त िषीय युि में वििेन का बहुत धन व्यय हुअ था। जब ईसने युि के व्यय को ईत्तरी ऄमेररका के
ईपवनिेशों पर िैक्स थोप कर िसूलने का वनणवय ककया तो िहााँ के वनिावसयों ने आसका विरोध ककया।
विरिश संसद ने 1765 में स्िाम्प ऄवधवनयम पाररत ककया, वजसमें ऄमेररका के सभी विरिश ईपवनिेशों
में सभी प्रकार के व्यिसावयक लेन-देन पर स्िाम्प कर लगा कदया गया। ईदाहरण के वलए कु छ रावश की
रिकि सभी कानून दस्तािेजों ककए वलए ऄवनिायव बनाइ गयी। ऄमेररककयों ने आसके प्रवतकक्रया स्िरूप
विरिश िस्तुओं का बवहष्कार ककया और जल्द ही कइ शहरों में विद्रोह शुरू हो गए जहााँ से कर
ऄवधकाररयों को भगा कदया गया।
चूंकक, विरिश संसद में कोइ ऄमेररकी प्रवतवनवधत्ि नहीं था, आसवलए ऄमेररकी नेताओं ने वििेन िारा
हुए और ईन्होंने, प्रवतवनवधत्ि नहीं तो कर नहीं (No Taxation without Representation) के नारे
को ऄपनाया।
ऄमेररकी नेताओं िारा विरिश िस्तुओं के अयात को रोकने की धमकी ने ऄंग्रेजों को स्िाम्प ऄवधवनयम
वनरस्त करने के वलए वििश कर कदया।
पुनः, ऄमेररककयों ने ईपवनिेशों में ईपभोक्ता िस्तुओं के अयात पर शुल्क के विरोधस्िरूप विरिश
िस्तुओं के अयात को घिा कर अधा कर कदया, वजसने ऄंग्रेजों को चाय पर कर के ऄवतररक्त सभी करों
को िापस लेने के वलए वििश कर कदया। चाय पर कर बहुत ऄवधक नहीं था, किर भी विरिश सरकार ने
आसे िापस नहीं वलया, क्योंकक िे ऄमेररकी ईपवनिेशों पर ऄपने कराधान के ऄवधकार को बनाए रखना
चाहते थे। 1773 की बोस्िन िी पािी िस्तुतः चाय पर कर लगाए जाने के विरोधस्िरुप घरित हुइ थी।
बोस्िन बन्दरगाह पर चाय से भरे एक पोत ने लंगर डाला था। प्रारम्भ में तो ऄमेररककयों ने पोत को
खाली करने की ऄनुमवत नहीं दी, पररणामस्िरूप कइ कदन तक ऄवनश्चय की वस्थवत बनी रही। ऄंत में
जब बोस्िन के वििेन समथवक गिनवर ने पोत को खाली करने का अदेश कदया तो श्वेत प्रिावसयों ने
ऄमेररकी आं वडयंस जैसे पररधान पहन कर चाय के सभी वडब्बों को समुद्र में िें क कर नट ह कर कदया।
कु वपत विरिश सरकार ने आसके प्रवतकक्रया स्िरूप बोस्िन के सभी बन्दरगाहों को व्यापार के वलए बंद
कर कदया और 1774 का कोएर्ससि एक्ि (Coercive Acts) पाररत कर कदया। (ऄमेररककयों ने आन्हें
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बोस्िन िी पािी की घिना के वलए वििेन ने मैसाचुसेट्स को दंवडत करने एिं ईसके स्िशासन के
ऄवधकार को समाप्त करने के वलए कोएर्ससि एक्ि पाररत ककया था, वजसकी प्रवतकक्रया स्िरुप 12
ईपवनिेशों (जार्सजया ने आसमें भाग नहीं वलया था क्योंकक यह ऄमेररकी आं वडयन्स के अतंक से वनबिने में
ऄंग्रेजों की सहायता पाना चाहता था) ने वमलकर पहले महािीपीय कांग्रस
े या किलाडेवल्िया कांग्रस
े
(1774) का अयोजन ककया था। ऄमेररककयों ने सम्राि जाजव तृतीय से घरे लू ईद्योगों पर से प्रवतबन्ध
हिाने, सभी देशों के साथ कम दरों पर व्यापार करने और ऄमेररकी ईपवनिेशों पर ईनकी सहमवत के
वबना कर न लगाने की ऄपील भी की थी। वििेन ने आन मांगों का ऄथव एक विद्रोह के रूप में वलया और
ईपवनिेशों पर 1775 में हमला कर कदया। आसके कारण ऄमेररकी प्रवतवनवधयों ने 1776 में स्ितंत्रता का
घोषणापत्र बनाया (वजसका प्रारूप थॉमस जेिरसन िारा बनाया गया था), आसके वनम्नवलवखत चबदु थे:
o गणतंत्रिाद, ऄथावत सत्ता का स्रोत जनता है और दृढ़तापूिवक यह कहा गया कक जनता को ऄपनी
सरकार बनाने का पूणव ऄवधकार है।
o स्ितंत्रता ऄथावत ऄमेररकी ईपवनिेशों का विरिश सरकार ने दमन ककया था और आन ईपवनिेशों
को मुक्त और स्ितंत्र रायय होना चावहए (*ध्यान दें यहााँ ईपवनिेशों ने स्ियं को “स्ितंत्र रायय”
घोवषत ककया था। संयुक्त रायय संघ बनाने के वलए राययों के साथ अने का वसिांत आन पंवक्तयों में
स्पट ह रूप से देखा जा सकता है)।
स्ितंत्रता के घोषणापत्र ने दो कायव ककए – आसने “स्ि-प्रमावणत सत्य (self evident truths)” के रूप में
लॉक जैसे प्रबुि विचारकों के राजनीवतक दशवन का सार ईपलब्ध कराया और ईपवनिेशों और मातृ -देश
से संबंध विचछेद के औवचत्य को वसि करने के वलए वशकायतों को सूचीबि ककया।
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6.3. ऄमे ररकी क्रां वत यु ि या ऄमे ररकी स्ितं त्र ता सं ग्राम (1775)
आसके पश्चात् की घिना को ऄमेररकी स्ितंत्रता संग्राम कहा गया। राजभक्त ऐसे विरिश प्रिासी थे जो
वििेन के प्रवत वनष्ठािान रहे और ईनकी ओर से लड़े। फ़्ांस , स्पेन और डच गणरायय ने गुप्त रूप से
ऄमेररककयों की सहायता की। 1777 में वििेन ने कनाडा की ओर से हमला कर के ऄमेररका को घेरने का
प्रयास ककया। आस युि में ईनकी वििलता ऄमेररककयों के पक्ष में एक महत्त्िपूणव मोड़ वसि हुइ। स्पेन की
सेना ने विरिश सेना को फ्लोररडा से खदेड़ कदया। (फ्लोररडा सप्त िषीय युि से ऄंग्रेजों के पास था। बाद
में फ्लोररडा को ऄमेररका ने स्पेन से खरीद वलया था)।
1783 में विरिश कमांडर कानविावलस ने जाजव िाचशगिन के नेतृत्ि िाली सेना के समक्ष अत्मसमपवण
कर कदया।
ऄमेररकी स्ितंत्रता संग्राम आस संवध के साथ समाप्त हुअ। आस संवध के कु छ महत्त्िपूणव ऄनुचछे द आस
प्रकार थे:
o संयुक्त रायय ऄमेररका और वििेन के मध्य सतत शांवत।
o सभी ऄमेररकी ईपवनिेशों को स्ितंत्र, सािवभौम और स्ितंत्र राययों के रूप में मान्यता दी गइ,
आसके साथ ही वििेन ने सरकार, सम्पवत्त और क्षेत्र पर सभी दािों को छोड़ कदया।
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1789 में संयुक्त रायय का संविधान प्रभािी हो गया। यह पहला वलवखत गणरावययक संविधान था।
वबल ऑर् राआट्स संयुक्त रायय ऄमेररका के संविधान के पहले दस संशोधनों का समूह है और आसमें
ऄवभव्यवक्त की स्ितन्त्रता, प्रेस, धमव और न्याय की स्ितंत्रता सवम्मवलत है।
ऄमेररकी क्रांवत ने विश्व के पहले लोकतावन्त्रक गणरायय की स्थापना की। जल्द ही ऄमेररका औद्योवगक
क्रांवत के युग में प्रिेश कर गया। आसके साथ ही आसने ईत्तरी ऄमेररका में पवश्चमी की ओर ऄपने क्षेत्र का
विस्तार ककया और फ़्ांस से लुआवसयाना जैसे क्षेत्र को 1803 में और स्पेन से फ्लोररडा को 1819 में
खरीद वलया।
संयुक्त रायय ऄमेररका का गणतन्त्र भी पूिावग्रहों से मुक्त नहीं था। गणरायय िास्ति में लोकतावन्त्रक नहीं
था, क्योंकक मवहलाओं, ऄश्वेतों और रे ड आं वडयन्स को मतदान का ऄवधकार नहीं था। समानता के
वसिांत पर दासता एक धब्बा थी और ऄंततः दासता का ईन्मूलन ऄमेररका के ईत्तरी और दवक्षणी
राययों के बीच 1861-65 के गृहयुि के पश्चात् ही ककया जा सका। दवक्षणी रायय दासता ईन्मूलन के
विरुि थे, क्योंकक ईनकी ऄथवव्यस्था कृ वष अधाररत थी और ईसके वलए ईन्हें सस्ते ऄश्वेत श्रवमकों की
अिश्यकता थी। ईन्होंने दास व्यापार से लाभ भी ऄर्सजत ककया था और िे चाहते थे कक दास प्रथा का
विस्तार नए ऄवधग्रहीत क्षेत्रों में भी ककया जाए।
यह तकव कदया जा सकता है कक ऄमेररकी संविधान में वजस मनुष्य को संदर्सभत ककया गया है िह
सम्पवत्तिान मनुष्य है, क्योंकक ऄवधकार के िल ईन्हीं लोगों को कदए गये थे वजनके पास सम्पवत्त थी।
किर भी, ऄमेररकी क्रांवत का सबसे महत्त्िपूणव योगदान यह रहा कक आसने स्िाधीनता, समानता,
मौवलक ऄवधकार, राष्ट्रिाद और ईपवनिेशिाद विरोधी विचारों को अगे बढ़ाया। ईस समय में कु लीन
िगव को वबना ककसी विशेषावधकार के सभी के वलए समानता एक क्रवन्तकारी विचार था, जबकक समूचा
विश्व सामन्तिाद के ऄधीन था, जहााँ कु लीन िगव प्रमुख िगव था। सम्पवत्त पर कोइ भी कर न लगाने का
विचार, जो सम्पवत्त के ऄवधकार से प्रभािी हुअ था ऄपने समय में एक ऄनूठा विचार था। आस प्रकार से
ऄमेररकी क्रांवत विचारों और राजनीवतक व्यिस्था की क्रांवत थी और भविष्य की घिनाओं पर आसका
बहुत प्रभाि पड़ा, ईनमें सबसे प्रमुख 1789 की फ़्ांस की क्रांवत थी।
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‘पुरातन व्यिस्था’ शब्द का प्रयोग ककया जाता है। फ्ांसीसी क्रांवत वनरं कुश शासन, विशेषावधकार प्राप्त
समाज एिं संकिग्रस्त ऄथवव्यिस्था का ईत्पाद थी।
18िीं सदी के फ्ांस का समाज विशेषावधकार एिं विशेषावधकार विहीन िगों में विभक्त था। फ़्ांसीसी
समाज तीन िगों या एस्िेट्स में विभावजत था। पादरी लोग प्रथम स्िे ट्स में अते थे, कु लीन िगव वितीय
एस्िेट्स में और तृतीय एस्िेट्स के लोग जनसाधारण िगव से सम्बंवधत थे, वजसमें मध्यम िगव, कृ षक,
दस्तकार, शहरी श्रवमक, व्यापारी और बुविजीिी लोग सवम्मवलत थे। आस िगव में ही ऄवधकांश अबादी
सवम्मवलत थी।
पादरी लोग भी दो िगों में विभावजत थे - ईच्च एिं वनम्न। ईच्च पादरी िगव के पास ऄपार धन था तथा ये
सबसे बड़े भूस्िामी थे तो दूसरी ओर वनम्न िगव के पादरी चचव के सभी धार्समक कायों को संपाकदत करते
थे तथा सामान्य जीिन जीते थे। यह िगव जनसाधारण से सहानुभूवत रखता था तथा क्रावन्त के समय आन
लोगों ने क्रांवतकाररयों का साथ कदया। कु लीन िगव का सरकारी सेिा, सेना और ऄन्य सािवजवनक पदों के
सभी महत्िपूणव अवधकाररक पदों पर एकावधकार था। हालांकक, पादरी और कु लीन िगव के लोग ककसी
कर का भुगतान नहीं करते थे और कोइ ईत्पादक काम नहीं करते थे।
ककसान अबादी का 80 प्रवतशत थे। ककसानों में भी, भू-स्िामी ककसान, काश्तकार और भूवमहीन श्रवमक
अकद रूपों में कइ स्तरों पर ईप-विभाजन था। भू-स्िामी ककसानों का प्रवतशत बहुत कम था।
काश्तकारों को ऄपनी ईपज का 2/3 भाग लगान के रूप में भुगतान करना पड़ता था। िहीं दूसरी ओर,
भूवमहीन श्रवमक, बहुत ही तुचछ मजदूरी पर जीिन वनिावह करते थे। हालांकक, तकनीकी रूप से कोइ
भी सिव नहीं था, लेककन ऄभी भी सामंत के सामंती विशेषावधकार के रूप में बेगार ऄवस्तत्ि में था और
प्रायः यह सािवजवनक कायों के वलए वलया जाता था।
मध्यम िगव में लेखक, वचककत्सक, वसविल सेिक जैसे वशवक्षत लोग और व्यापाररयों जैसे संपन्न लोग थे।
हालांकक अर्सथक रूप से मध्यम िगव महत्िपूणव था, लेककन ईन्हें समाज में बहुत कम सामावजक प्रवतष्ठा
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और राजनीवतक ऄवधकार प्राप्त थे। दस्तकार और शहरी श्रवमक भी गरीबी में दुःखमय जीिन जी रहे
थे। ईन्हें कायवस्थल पर कोइ ऄवधकार नहीं प्राप्त था और वनयोक्ता िारा ऄचछे अचरण के प्रमाण पत्र के
वबना िे नौकरी नहीं बदल सकते थे। मध्य िगव की कु छ अर्सथक वशकायतें भी थीं। आस िगव ने व्यापार-
िावणयय से संपवत्त तो ऄर्सजत कर ली थी, परन्तु ईनके व्यापार पर कइ तरह के प्रवतबन्ध लगे थे और
आन्हें जगह-जगह चुंगी देनी पड़ती थी। व्यापार के वलए ईन्मुक्त िातािरण की चाह में ही आन लोगों ने
क्रावन्त को नेतृत्ि प्रदान ककया।
तृतीय एस्िेट्स के पास मतावधकार नहीं था। िहीं दूस री ओर, पादरी लोग और कु लीन िगव के लोग
ककसी भी तरह के कर का भुगतान नहीं करते थे और कर का बोझ पूरी तरह से तृतीय एस्िेट्स िारा
िहन ककया जाता था। यही लोगों की वशकायतों का प्रमुख कारण था। आस प्रकार 1789 इ. की फ्ांसीसी
क्रावन्त कइ मायनों में फ्ांसीसी समाज में व्याप्त ऄसमानता के विरुि संघषव थी।
राजा लुइ XIVिें (1643-1715) ने ‘मैं ही रायय हाँ’ (I am the state) की संकल्पना के अधार पर
वनरं कुश रायय की स्थापना की और शवक्त का ऄवतशय के न्द्रीकरण राजतंत्र के पक्ष में कर कदया। आसके
ईत्तरावधकारी राजा लुइ XVिां (1715-1774) ि लुइ XVIिां (1774-1793) विलासी, ऄदूरदशी
और वनवष्क्रय शासक थे। लुइ XVIिां वनकृ ष्ि बुविमत्ता िाला ऄकु शल, ऄयोलय तथा ऄकमवय शासक
था। लोग ईसकी पत्नी मैरी एंिोवनएि से घृणा करते थे। िह ऄवधकाररयों की वनयुवक्त में हस्तक्षेप ककया
करती थी। राजा भी ऄवधकाररयों को वनयुक्त करने में पक्षपात (भाइ-भतीजािाद) करता था। देश की
शासन पिवत पूरी तरह नौकरशाही पर वनभवर थी, जो िंशानुगत थी।
औद्योवगक क्रावन्त के ईभरते लक्षणों का लाभ ये राजा ऄपने ईद्योग-धंधों के वलए नहीं ले पाए और आसे
मात्र ऄपने व्यवक्तगत वहतों के वलए ही प्रयोग करते रहे। ईद्योगों पर रायय के कड़े वनयंत्रण के कारण
बेरोजगारी बढ़ी और आसने तस्करी और लूि -पाि की घिनाओं को भी बढ़ाया। राजा लुइ XVिें के
ऄधीन, अवस्िया के ईत्तरावधकार युि एिं सप्तिषीय युि जैसे महंगे युिों के कारण फ्ांस में वित्तीय
संकि व्याप्त था। ऄमेररकी क्रांवत में वििेन के विरूि फ्ांस िारा ककये गए ऄमरीककयों की सहायता ने
फ्ांस को कदिावलएपन के कगार पर पहुाँचा कदया था। जहां एक ओर फ्ांस ऄमेररकी क्रांवत का समथवक
था (वजसका ईद्देश्य लोगों के वलए स्िशासन, स्ितंत्रता, समानता और लोकतंत्र था), िहीं दूसरी ओर
फ्ांस में वनरं कुश राजतंत्र था। आस प्रकार यहााँ की शासन व्यिस्था ऄमेररकी क्रांवत की नींि रखने िाले
विचारों के साथ किि नहीं बैठती थी।
फ्ांस के मध्यिगव में पररितवन की संभािना और ईसके वलए अकांक्षा पैदा करने में फ्ांसीसी विचारकों ने
महत्िपूणव योगदान कदया। 18िीं शताब्दी में यूरोप में िैचाररक स्तर पर एक नया दृवट हकोण ऄपनाया
जा रहा था। ईनका नारा ‘तकव , सवहष्णुता और मानिता’ था। आस प्रकार क्रांवतकारी प्रबुि विचारकों ने
फ्ांसीसी क्रांवत को वसिव चहसात्मक होने से बचाया ही नहीं ऄवपतु आसे एक बौविक स्तर भी प्रदान
ककया। आन विचारकों में िाल्िेयर, मॉन्िेस्क्यू, रूसो अकद का नाम वलया जा सकता है। तार्कककता के
अधार पर आन विचारकों ने तकव कदया कक मनुष्य प्रसन्न रहने के वलए पैदा हुअ है, न कक पीड़ा भोगने
के वलए; जैसा कक चचव का कहना है। समाज में प्रचवलत पूिावग्रहों को समाप्त करके यह प्रसन्नता प्राप्त
की जा सकती है।
आसके ऄवतररक्त, ईन्होंने धमववनरपेक्षता पर ध्यान कें कद्रत ककया क्योंकक या तो िे इश्वर को मानते ही
नहीं थे या किर ऄपनी चचावओं में ईसकी ईपेक्षा करते थे। प्रकृ वत के वसिांत ने पादररयों को विचारकों
के हमले के दायरे में ला कदया। ईन्होंने बल कदया कक प्रकृ वत के वनयमों का ऄध्ययन करने की
अिश्यकता है और धमव आसमें कोइ सहायता नहीं कर सकता है बवल्क तकव की शवक्त प्रकृ वत की समझ
की कुं जी है।
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िाल्िेयर ने ऄपनी पुस्तक के माध्यम से वििेन की ईदार राजनीवत, धमव और विचार की स्ितंत्रता का
िणवन कर फ्ांस की पुरातन व्यिस्था में व्याप्त बुराइयों को ईजागर ककया। ईसका मानना था कक सभी
धमव व्यथव हैं क्योंकक िे वििेक ि तकव के विरूि थे। नावस्तक और भौवतकिादी लोकवप्रयता प्राप्त कर रहे
थे क्योंकक आसमें कदखाया जाता था कक मनुष्य की वनयवत ईसके ऄपने हाथों में है।
मॉन्िेस्क्यू ने ‘दैिीय ऄवधकारों के वसिांतों’ का खडन करते हुए ‘शवक्त के पृथक्करण’ का वसिांत
प्रवतपाकदत कर मात्र फ्ांसीसी राजनीवतक संस्थाओं की अलोचना ही नहीं की ऄवपतु एक विकल्प भी
प्रस्तुत ककया। ईसने न तो क्रावन्त की बात की और न ही राजतंत्र को समाप्त करने की िकालत की बवल्क
ईसने के िल वनरं कुश राजतंत्र के दोषों को ईजागर ककया और संिैधावनक राजतंत्र की बात की।
रूसो ने भी क्रावन्त की बात नहीं की लेककन ईसने मनुष्य की स्ितंत्रता और समानता का पक्ष वलया।
ईसने घोवषत ककया कक जनता की आचछा ही ककसी सरकार को िैध बनाती है। फ्ांसीसी क्रावन्त के नारे
स्ितंत्रता, समानता और बंधुत्ि ईसी के विचारों से प्रभावित थे। नेपोवलयन ने ईसके महत्ि को स्िीकार
करते हुए कहा कक यकद रूसो नहीं होता तो फ्ांस में क्रावन्त नहीं होती।
कददरो ने विश्वकोष (आनसाआक्लोपीवडया) के माध्यम से धार्समक ऄसवहष्णुता, दोषपूणव कर व्यिस्था,
गुलामों के व्यापार और वनमवम िौजदारी कानून जैसी व्यिस्थाओं पर प्रहार ककया। विचारकों का एक
िगव आस समय फ्ांस की अर्सथक ऄव्यिस्था और ईसके विश्लेषण पर भी के वन्द्रत था। आनमें तूजो, क्वेसने
और वमराबों प्रमुख हैं। क्वेसने मुक्त व्यापार, व्यापाररक ईत्पादन एिं वितरण की पूणव स्ितंत्रता का
समथवक था तथा चुंगी कर एिं ऄन्य करों का विरोधी था। आस प्रकार स्पट ह रूप से दाशववनकों और
विचारकों ने फ्ांसीसी क्रांवत की पृष्ठभूवम तैयार की।
1789 में, राजा लुइ XVIिें ने ऄवतररक्त कोष के वलए सहमवत प्राप्त करने हेतु एस्िेट्स जनरल की बैठक
बुलाइ। एस्िेट्स जनरल तीनों एस्िेट्स की पुरानी सामंती सभा थी। तृतीय एस्िेट्स के प्रवतवनवधयों ने
ऄवतररक्त कोष का विरोध ककया क्योंकक िही एकमात्र करदाता थे और ऐसे ककसी भी ऄवतररक्त वित्त से
पड़ने िाले कर का बोझ ईन्हें ही ईठाना पड़ता। हालांकक ईन्होंने सभा के वलए दोगुने प्रवतवनवधत्ि की
मांग की थी और प्राप्त भी कर वलया था, लेककन जब ईन्हें पता चला कक प्रवतवनवधयों की संा या से
वनरपेक्ष सभी तीनों एस्िेट्स को बराबर मत प्राप्त होगा तो िे क्रुि हो गए। जब िाद-वििाद में गवतरोध
पैदा हो गया, तो तृतीय एस्िेट्स के प्रवतवनवधयों ने ऄपने अपको नेशनल ऄसेंबली घोवषत कर कदया,
जो एस्िेट्स की सभा (जैसे एस्िेट्स जनरल) की बजाय लोगों की सभा थी। शीघ्र ही िे ऄपनी बैठक
वनकि के शाही िेवनस कोिव में लेकर चले गए। ईन्होंने घोषणा की कक िे के िल तृतीय िगव के नहीं सारे
राष्ट्र के प्रवतवनवध हैं। ईनका लक्ष्य फ्ांस के वलए संविधान तै यार करना था वजसमें तृतीय एस्िेट्स का भी
मतावधकार होता। वितीय एस्िेट्स ने आसे पुरातन व्यिस्था समाप्त करने के प्रयास के रूप में देखा और
राजा को नेशनल ऄसेंबली को कु चलने के वलए वििश ककया। जब राजा ने तृतीय एस्िेट्स के नेताओं को
वततर-वबतर करने के वलए सैवनकों को भेजा, तो लोग क्रुि हो गए और बास्तील ककले (यहां प्रायः
राजनीवतक बन्दी रखे जाते थे) को तोड़ने चल पड़े (14 जुलाइ 1789)। ईन्होंने कै कदयों को मुक्त करा
वलया और जेल में संग्रहीत हवथयारों और गोला-बारूद पर वनयंत्रण प्राप्त कर वलया। यह राजा के
विरूि प्रतीकात्मक विद्रोह था और िस्तुत: आसने ईसके ऄवधकार के ऄंत को प्रदर्सशत ककया। बास्तील
की घिना के बाद, नेशनल ऄसेंबली ने कानून बनाना अरं भ ककया और मनुष्य और नागररकों के
ऄवधकार (Rights of Man and Citizen) नामक फ्ांसीसी क्रांवत के प्रवसि प्रलेख को ऄंगीकृ त ककया।
नेशनल ऄसेंबली ने सामंतिाद का ईन्मूलन कर कदया, फ्ांसीसी चचव पर से रोमन वनयंत्रण को समाप्त
कर कदया और राजव्यिस्था में चचव का प्रभाि कम करने के वलए चचव की शवक्तयााँ कम कर दीं।
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मनुष्य और नागररकों के ऄवधकारों की घोषणा (27 ऄगस्त 1789) में वनम्नवलवखत चबदु वनवहत थे:
o सभी मनुष्य स्ितंत्र और समान हैं।
o कानून के समक्ष समानता।
o दोषवसवि तक वनदोषता का वसिांत।
o सभी लोग सािवजवनक पदों के वलए योलय हैं।
o भाषण और प्रेस की स्ितंत्रता।
o वनजी संपवत्त का ऄवधकार, जब तक कक सािवजवनक कल्याण आस ऄवधकार का ईल्लंघन करना
अिश्यक न बनाए।
o समाज के पास प्रत्येक वसविल सेिक से ईत्तरदावयत्ि की मांग करने का ऄवधकार है।
आस प्रलेख ने राष्ट्र शब्द को ईसका अधुवनक ऄथव कदया, ऄथावत् राष्ट्र एक प्रदेश में रहने िाले लोगों का
कु ल योग है, न कक स्ियं प्रदेश। राष्ट्र के विचार के बाद लोगों की संप्रभुता का विचार अया। आस प्रकार
लोग सभी शवक्तयों और प्रावधकारों का स्रोत थे और लोगों से उपर कोइ भी शासक नहीं हो सकता था,
वसिाय गणतंत्र के ।
फ्ांसीसी क्रांवतकारी युि (The French Revolutionary War) 1792 से 1802 तक लड़े गए कइ
युिों की एक श्रृंखला थी। फ्ांस ने ये युि ऑवस्िया, प्रशा और सेिाय (आिावलयन रायय) के वनरं कुश
राजतंत्रों के विरूि लड़े। आसके पीछे प्रमुख कारण यह था कक ये वनरं कुश राजतंत्र क्रांवत से व्युत्पन्न
स्ितंत्रता और समानता के विचारों के विरुि सत्ता पर ऄपनी पकड़ ढ़ीली होने से खुद को बचाने की
आचछा रखते थे। आन्हें क्रांवतकारी युिों के रूप में जाना जाता है क्योंकक फ्ांस 1789 की क्रांवत की रक्षा
करने का प्रयास कर रहा था, वजसे पड़ोसी राजतंत्रों से खतरा था। पड़ोसी राजतंत्रों को ऄपने देशों में
फ्ांसीसी क्रांवत िै लने का डर था। आसवलए िे फ्ांस में राजतंत्र पु नस्थाववपत करना चाहते थे। फ्ांसीसी
बलों ने सहायता प्रदान करके और स्ितंत्रता, समानता तथा बंधुत्ि के विचारों का प्रसार करके ईन क्षेत्रों
के लोगों का भी समथवन जुिाने का प्रयास ककया जो ईनके वनयंत्रण में अए। 1793 में राजा और फ्ांस
की रानी को मृत्यु के घाि ईतार कदया गया और किर फ्ांस ने वििेन , हॉलैंड, स्पेन और हंगरी के विरूि
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मतदाता के रूप में योलय होने के वलए, व्यवक्त की एक वनवश्चत सीमा से ऄवधक अय होनी चावहए थी।
आस सशतव मतावधकार के कारण तृतीय एस्िेट्स का बहुमत ऄभी भी मतदाता नहीं बन सका था।
ऄवभजात्य िगव का स्थान बुजुवअ िगव ने ले वलया था और ककसानों और शहरी श्रवमकों की वस्थवत में ईस
तरह का सुधार नहीं अया था जैसी ईन्होंने अशा की थी। आसके तुरंत बाद, 1793 में कट्टरपंथी, ईग्र
और संगरठत जैकोवबयन फ्ांस में सत्ता में अए। ईन्होंने अय खंड हिाकर मतावधकार को शतवरवहत बना
कदया।
जैकोवबयन के ऄधीन, फ्ांसीसी क्रांवत क्रांवतकारी चरण में पहुंच गया। जैकोवबयन दल का नेता
रॉब्सपीयर था, आसे अतंक के शासन (Reign of Terror) के प्रतीक रूप में जाना गया। यह वगलोरिन
के माध्यम से ईन सभी को मृत्यु के घाि ईतार देना चाहता था जो क्रांवत के विरोधी थे। राजा और रानी
को 1793 में मृत्यु के घाि ईतार कदया गया। सीधा सा विचार यह था कक सभी अलोचकों के विरूि
वगलोरिन का प्रयोग करके एक नइ शुरुअत की जा सकती थी। शीघ्र ही ऄसहमवत व्यक्त करने िाले
ककसी भी व्यवक्त को दवडत करने के वलए वगलोरिन का ईपयोग ककया जाने लगा। जैकोवबयन के ऄधीन
फ्ांस ने ऄराजकता के दौर में प्रिेश ककया जहां कानून के शासन के वलए बहुत कम गुंजाआश थी।
वचत्र: वगलोरिन
कइ जैकोवबयन्स को भी मृत्यु के घाि ईतार कदया गया। शीघ्र ही स्ियं जैकोवबयन दल भी रॉब्सपीयर के
विरूि खड़े हो गए और वगलोरिन के माध्यम से ईसका ऄंत कर कदया और आस प्रकार अतंक का शासन
समाप्त हो गया। बुजुवअ िगव किर सत्ता में अ गया और ईनकी सरकार को डाआरे क्िरी कहा गया। 1795
में ईन्होंने सशतव मतावधकार पुनस्थाववपत करते हुए किर से संविधान तैयार ककया। आसके साथ ही
फ्ांसीसी सेना की शवक्त और प्रवतष्ठा भी बढ़ रही थी। 1799 में, ता तापलि के माध्यम से नेपोवलयन
फ्ांस को सैन्य शासन के ऄधीन लाया। कु छ िषव बाद ईसने स्ियं को सम्राि घोवषत कर कदया और फ्ांस
में राजतंत्र पुन: स्थावपत हो गया।
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रॉब्सपीयर नेपोवलयन
1803 और 1815 के बीच के िषव नेपोवलयन के युिों के वलए जाने जाते हैं। आस काल में फ़्ांस शेष
यूरोप के विरूि लड़ा और फ्ांस की क्रांवत के विचारों को आसने ऄपने विवजत क्षेत्रों तक िै लाया।
नेपोवलयन की सेना ने सिव डम को समाप्त कर कदया और यूरोप में विवजत क्षेत्रों के प्रशासन का
अधुवनकीकरण ककया। 1815 में िािरलू (यूनाआिेड ककगडम ऑर् नीदरलैंड -ितवमान बेवल्जयम) में
नेपोवलयन की पराजय के बाद, शेष यूरोप के राजतंत्रों ने पुराने राजिंश की सत्ता में अने में सहायता
की। लेककन फ़्ांस का यह राजतंत्र कभी भी 1789 की क्रांवत से पूिव के स्तर पर ऄपना वनयंत्रण
पुनस्थाववपत नहीं कर पाया और शीघ्र ही फ्ांस क्रांवतयों की चार लहरों का साक्षी बना और ऄंततः
1871 में गणरायय बन गया।
7.3.1. पक्ष
फ्ांसीसी क्रांवत का न के िल फ्ांस पर बवल्क शेष विश्ि पर महत्िपूणव प्रभाि पड़ा। फ्ांस के साथ युिों ने
स्पेन और पुतवगाल जैसी यूरोपीय औपवनिेवशक शवक्तयों को दुबवल बना कदया और दवक्षण और मध्य
ऄमेररका में ईनके ईपवनिेशों ने ऄपने अप को स्ितंत्र गणरायय घोवषत कर कदया। मध्य ऄमेररका में
फ्ांसीसी क्रांवत से प्रेररत होकर हैती ने सशस्त्र विद्रोह के माध्यम से 1804 में स्ियं फ़्ांस से स्ितंत्रता
प्राप्त कर ली। यह विद्रोह 1792 में अरं भ हुअ था। 1813 से लेकर 1824 के दौरान साआमन बोलीिर
ने कइ दवक्षण ऄमेररकी देशों को स्ितंत्र कराया और अगे चलकर ईन्हें कोलंवबया (Gran Columbia)
के नेतृत्ि में संयुक्त रायय ऄमेररका के जैसे एक संघ के रूप में संगरठत करने का प्रयास ककया। ईसने
सशस्त्र विद्रोह के माध्यम से स्पेवनश शासन से िेनेजुएला, कोलंवबया, आक्वाडोर, पेरू और बोलीविया को
मुक्त कराया।
फ्ांसीसी क्रांवत के बाद दासता का ईन्मूलन आस दमनकारी व्यिस्था के विरूि पहला कदम था। वििेन ने
1833 में आस ओर कदम बढ़ाया जबकक संयुक्त रायय ऄमेररका ने 1865 में आस पर प्रवतबंध लगाया।
आसके चलते फ्ांस में सामंतिाद का विनाश हो गया क्योंकक पुरातन सामंती व्यिस्था के सभी कानूनों
को वनरस्त कर कदया गया था और चचव की भूवम जब्त कर ली गइ थी और ईसका पुनर्सितरण कर कदया
गया था। विशेषावधकार प्राप्त िगव, ऄथावत् प्रथम और वितीय एस्िेट्स का ईन्मूलन कर कदया गया। 19िीं
सदी में यूरोप में िै लने िाली सामंतिाद विरोधी लहर ऄपनी ईत्पवत्त के वलए फ्ांस में होने िाली
घिनाओं की ऊणी थी। आसके साथ ही, फ्ांसीसी क्रांवत ने प्रचवलत सामंतिाद के विरूि पूंजीिाद की
निीन अर्सथक व्यिस्था में प्रिेशक का कायव ककया।
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जैकोवबयन संविधान पहला िास्तविक लोकतांवत्रक संविधान था, हालााँकक यह कभी भी प्रभािी नहीं हो
पाया था। आसने सभी को मत देने का ऄवधकार और यहां तक कक विद्रोह करने का ऄवधकार कदया,
वजसका तात्पयव सरकार के विरूि विद्रोह करने या ईठ खड़े होने का ऄवधकार है। जैकोवबयन संविधान
के ऄधीन सरकार पर सभी को काम देने का भी ईत्तरदावयत्ि था और लोगों की 'प्रसन्नता' रायय की
ऄवत महत्िूपणव नीवत बनने िाली थी।
नेपोवलयन के शासन के ऄधीन, फ्ांस के वलए नागररक संवहता के रूप में नेपोवलयन संवहता प्रचवलत की
गइ। सरकारी नौकररयों के वलए योलयता अधाररत भती और स्पट ह रूप से वलवखत कानून जैसे आसके
कु छ प्रािधान फ्ांस और ऄन्य राष्ट्रों की ितवमान कानूनी प्रणाली पर ऄभी भी ऄपना प्रभाि डाल रहे हैं।
फ्ांसीसी क्रांवत ने पूरे विश्ि के ईपवनिेशों में ईपवनिेशिाद के विरूि अंदोलनों को प्रेररत ककया, जबकक
लोकतंत्र और स्िशासन का अंदोलन पूरे यूरोप में ईठ खड़ा हुअ। फ्ांसीसी क्रां वत में, श्रवमक िगव ने
महत्िपूणव भूवमका वनभाइ थी। क्रांवत लाने के वलए ईन्होंने गुप्त समाजों का गठन ककया था। अगे चलकर
पूरे यूरोप, विशेषकर औद्योवगक वििेन में श्रवमकों की एकता में िृवि देखी गइ (जैसा कक 1830 और
1840 के दशक के चार्टिस्ि अंदोलन में पररलवक्षत हुअ)। आसने श्रवमकों को मतावधकार और ऄन्य
कल्याणकारी ईपाय प्राप्त करने में सहायता की। फ्ांसीसी क्रांवत के समानता और स्ितंत्रता के विचारों ने
19िीं सदी में वििेन को और ऄवधक लोकतांवत्रक देश बनाने में सहायता की।
7.3.2. विपक्ष
आन सब के बािजूद ऄपने ईद्देश्यों को प्राप्त करने में फ्ांसीसी क्रांवत को सीवमत सिलता वमली। िास्ति
में, क्रांवत के बाद अने िाला शासन श्रवमकों की वशकायतें दूर करने में वििल रहा जो कक 1789 के
विद्रोह के दौरान महत्िपूणव थे। आससे के िल ककसानों को लाभ पहुाँचा था (क्योंकक िे विशेषावधकार प्राप्त
िगों से जब्त भूवम के स्िामी बन बैठे थे)। क्रांवत लोकतांवत्रक शासन लाने में वििल रही थी और
जैकोवबयन के ऄधीन अतंक के शासन के दौरान बड़े पैमाने पर अम लोगों को मौत के घाि ईतार कदया
गया था।
ऄपने वनरं तर युिों के कारण नेपोवलयन मुवक्तदाता के रूप में नहीं, बवल्क एक विजेता के रूप में देखा
गया वजसकी पररणवत अक्रांत क्षेत्रों में राष्ट्रिाद के ईदय के रूप में हुइ। यह राष्ट्रिाद 1870 के दशक में
जमवनी और आिली के एकीकरण के वलए लाभप्रद वसि होने िाला था।
फ्ांसीसी क्रांवत तक वििेन के ऄवतररक्त समस्त यूरोप सामंती व्यिस्था के ऄधीन था और राष्ट्र की कोइ
ऄिधारणा नहीं थी। लगभग पूरे यूरोप में राजाओं िारा शावसत वबखरे हुए प्रदेशों िाले साम्रायय थे ,
जहां सामंत ऄपनी जागीर के स्िामी थे और कस्बे और शहर शासन की आकाइ थे। आस प्रकार राष्ट्र-रायय
जैसी कोइ ऄिधारणा विद्यमान नहीं थी, जैसा कक आसे अज हम समझते हैं। फ्ांसीसी क्रांवत ने राष्ट्र की
ऄिधारणा प्रदान की वजसमें सम्पूणव जनता सवम्मवलत थी और आसी में संप्रभुता वनवहत थी। आस प्रकार,
फ्ांसीसी और ऄमेररकी क्रांवतयों के कारण राष्ट्रिाद का वनरूपण स्िशासन के रूप में ककया जाने लगा।
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आसके ऄवतररक्त, जब नेपोवलयन ने यूरोप के कु छ क्षेत्रों पर अक्रमण ककया तो िहां के वनरं कुश राजाओं
ने आस अक्रमण का विरोध ककया और आस अक्रमण के विरूि ऄपने प्रदेश की रक्षा करने की आचछा के
रूप में राष्ट्रिाद का ईदय हुअ। आस प्रकार, राजाओं ने सत्ता पर ऄपनी पकड़ मजबूत करने के वलए
राष्ट्रिाद का ईपयोग ककया और 19िीं सदी का यूरोप अक्रामक वनरं कुश राययों का साक्षी बना वजनका
ईद्देश्य क्षेत्रीय और औपवनिेवशक साम्रायय का विस्तार था। नेपोवलयन के युिों के बाद, यूरोप
लोकतांवत्रक क्रांवत की लहरों का साक्षी बना, लेककन यूरोप के राजतंत्र फ्ांसीसी क्रांवत के लोकतांवत्रक
विचारों के विरूि थे और ईन्होंने राष्ट्रिाद का ईपयोग ऄपने साम्रायय की रक्षा करने हेतु ही नहीं ऄवपतु
साम्रायय विस्तार करने के वलए ढाल के रूप में ककया। युि में विजयों (ईदाहरण के वलए, वबस्माकव ने
फ्ांसीसी-प्रशा युि के माध्यम से 1870 में जमवनी पर ऄपनी पकड़ मजबूत की) और ऄवधक ईपवनिेशों
के ऄवधग्रहण (ईदाहरण के वलए, गृहदेश में राजनीवतक लाभ के वलए आिली ने ऄफ्ीका में औपवनिेवशक
दौड़ में प्रिेश ककया) का ईपयोग सत्ता पर पकड़ बनाए रखने के वलए ककया गया।
अधुवनक विचारकों ने राष्ट्रिाद की ऄिधारणा में बहुत योगदान कदया। स्ि-शासन और राष्ट्रिाद का
विचार राष्ट्रीय सीमाओं में भी पररितवन ला रहा था। 1832 में यूनान ऑिोमन साम्रायय से स्ितंत्र हो
गया जबकक 1839 में ऄपनी लोकतांवत्रक क्रांवत की सहायता से बेवल्जयम, यूनाआिेड ककगडम ऑर्
थी। ईदाहरण के वलए, गैरीबाल्डी और मैवजनी ने आिली के एकीकरण में महत्िपूणव भूवमका वनभाइ थी,
जबकक ऄंग्रेज कवि बैरन ने ग्रीक (यूनान) की स्ितंत्रता के पक्ष में वलखा और आसके संघषव में भाग वलया।
लोगों को राष्ट्र की मवहमा के वनवमत्त ऄपनी सेनाओं, स्ितंत्रता सेनावनयों और राजशावहयों को ऄपना
19िीं सदी के दौरान यूरोप में औद्योवगक क्रांवत ने अर्सथक क्षेत्र में राष्ट्रीय प्रवतस्पधाव में िृवि की और
ईपवनिेशों के ऄवधग्रहण के वलए राष्ट्र-राययों को एक दूसरे के साथ संघषव में ईलझा कदया।
बेवल्जयम आस सदी में स्ितंत्र हो गए और जमवनी और आिली का संगरठत स्ितंत्र राययों के रूप में ईदय
हुअ।
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जमवनी की सामावजक वस्थवत ककसी भी सामंती समाज में कदखाइ देने िाली सामावजक वस्थवत की भांवत
ही थी। जमवनी में जमींदारों को जंकर (Junkers) कहा जाता था। ईनका रायय के मामलों पर प्रभुत्ि
था। जमवनी के विभाजन के पररणामस्िरूप कइ राययों में अर्सथक विकास वनम्नतम स्तर पर था क्योंकक
ये रायय िस्तुओं के मुक्त अिागमन पर प्रवतबंध अरोवपत करते थे। वपछड़ी सामावजक-राजनीवतक
व्यिस्था ने भी वनम्न अर्सथक वस्थवत में योगदान कदया।
18िीं सदी में, जमवनी कइ राययों में विभावजत था। नेपोवलयन के युिों ने कइ राययों की कृ वत्रम सीमाएं
समाप्त कर दी और ईन्हें संयुक्त कर कदया लेककन ऄभी भी 39 रायय बने रहे। प्रशा आनमें सबसे बड़ा
और सबसे शवक्तशाली था। फ्ांसीसी क्रांवत के बाद, जमवन लोग सरकार के लोकतांवत्रक स्िरूप और
अर्सथक सुधारों की मांग करने लगे। राष्ट्रिाद की लहर ने जमवनों को आन राययों के एकीकरण के वलए
ईत्सावहत ककया। आन सभी िैचाररक ऄंतप्रविाहों का पररणाम 1815 में जमवन पररसंघ के गठन के रूप में
सामने अया। आसमें ऑवस्िया और प्रशा साम्रायय के कु छ वहस्से तथा कु छ जमवन रायय सवम्मवलत थे।
प्रशा और ऑवस्िया का बड़ा वहस्सा आस पररसंघ में सवम्मवलत नहीं था। पररसंघ का ईद्देश्य संघिक
सदस्यों की अर्सथक नीवतयों का समन्िय करना था। लेककन वनम्नवलवखत कारणों से यह वििल हो गया:
o प्रत्येक घिक रायय ने ऄपनी स्ितंत्रता का दािा ककया और लोगों की सामंतिाद विरोधी
अकांक्षाओं को पूरा करने के वलए कु छ नहीं ककया।
o एकीकृ त जमवनी में लोकतंत्र की स्थापना के वलए 1848 का विद्रोह।
o जमवन पररसंघ के मामलों पर िचवस्ि के वलए ऑवस्िया और प्रशा के बीच प्रवतिंविता।
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1848 में लोकतंत्र की स्थापना के वलए ऄवधकांश यूरोप में विद्रोह हुए। आनमें से ऄवधकांश विद्रोहों का
नेतृत्ि श्रवमकों ने ककया। 1848 में, सभी जमवन राययों में राजतंत्रात्मक शासन की ितवमान राजनीवतक
व्यिस्था को ईखाड़ िें कने के वलए विद्रोह अरं भ हो गए और शासकों को शासन का लोकतांवत्रक स्िरूप
प्रदान करने के वलए वििश होना पड़ा। तत्पश्चात संविधान सभा का गठन ककया गया और आसकी बैठक
सभी जमवन राययों को एकजुि करने और नए संविधान का प्रारूप तैयार करने के लक्ष्य के साथ फ्ैं कििव
में हुइ। प्रशा के राजा ने संयुक्त जमवनी के वलए संिैधावनक राजशाही का प्रस्ताि ठु करा कदया। आसी बीच,
शासकों की वस्थवत में सुधार हुअ और ईन्होंने राष्ट्रिाकदयों का दमन अरं भ कर कदया। िलस्िरूप
राष्ट्रिाकदयों को संतुष्ि करने के वलए ऄभी तक कदए गए ऄवधकार िापस ले वलए गए और प्रशा की
राजशाही सबसे मजबूत बनकर ईभरी।
जमवनी का एकीकरण होना ऄभी भी बाकी था, लेककन लोकतांवत्रक सरकार के ऄधीन नहीं बवल्क प्रशा
के सैन्य कमांडर वबस्माकव के ऄधीन सैन्य शवक्त के माध्यम से ऄथावत् वबस्माकव की रक्त और लौह की
नीवत के ऄधीन। ईसकी नीवत रायय के मामलों में भूस्िामी ऄवभजात्य िगव के वहतों और सेना का िचवस्ि
सुरवक्षत करने की थी। वबस्माकव ने रक्त और लौह की नीवत का ऄनुसरण ककया। आसके ऄंतगवत ईसने
राययों को बल प्रयोग िारा एकजुि ककया। यह नीवत द्रुत गवत से और महान रणनीवतक विशेषज्ञता के
साथ कायाववन्ित की गइ। आस नीवत का ईद्देश्य प्रशा की राजशाही के ऄधीन जमवनी का एकीकरण करना
था और आसके वलए जमवन पररसंघ को नष्ि करना अिश्यक था।
वचत्र: वबस्माकव
ऄपनी नीवत कायाववन्ित करने के वलए वबस्माकव एिं ईसके नेतृत्ि में प्रशा ने वनम्नवलवखत कदम ईठाए:
o जमवन पररसंघ के ऄवधकांश प्रदेशों पर कब्जा करने के वलए वबस्माकव के नेतृत्ि में प्रशा ने सिवप्रथम
1864 में डेनमाकव के विरूि ऑवस्िया के साथ गठजोड़ बनाकर युि ककया।
o किर ईसने ऑवस्िया को हराने के वलए 1866 में आिली के साथ गठजोड़ ककया और ईसे जमवन
पररसंघ से बाहर वनकाल िें का। िलस्िरूप पररसंघ स्ितः समाप्त हो गया।
o 1867 में, वबस्माकव ने ईत्तरी जमवन पररसंघ का गठन ककया। ईसने 22 जमवन राययों को संयुक्त
ककया लेककन बिेररया जैसे दवक्षणी जमवन राययों को छोड़ कदया, जो स्ितंत्र बने रहे। आस पररसंघ
के संविधान ने प्रशा के राजा को रायय का िंशानुगत प्रमुख बनाया। दवक्षणी राययों ने ऑवस्िया
समथवक नीवत का ऄनुसरण ककया लेककन 1870 के फ्ांसीसी-प्रवशयाइ युि में जमवन विजय के बाद
ईन्हें संयुक्त होने के वलए वििश ककया गया।
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o 1870 में हुए फ्ांसीसी-प्रवशयाइ युि ने जमवनी के ऄंवतम एकीकरण का मागव प्रशस्त ककया। 1870
क्रांवत की पररवस्थवतयााँ तैयार हो ग थी। फ्ांसीसी राजा लुइ बोनापािव ने 1870 में जमवनी के
विरूि युि की घोषणा कर दी। िह अतंररक समस्याओं से जनता का ध्यान हिाने के वलए युि -
विजय का ईपयोग करना चाहता था और ऄपने शासन के प्रवत विश्वसनीयता बढ़ाने के वलए युि
के लाभों का ईपयोग करना चाहता था। िहीं दूसरी ओर, युि के वलए फ्ांसीवसयों को ईत्तेवजत
करने के वलए वबस्माकव भी अंवशक रूप से ईत्तरदायी था। पररणाम यह वनकला कक फ्ांस हार गया
और ईसने 1871 में स्ियं को गणतंत्र घोवषत कर कदया। आस युि में जमवनी की जीत ने वबस्माकव
को जमवनी के बाकी वहस्सों को संयुक्त जमवनी (1871) में वमलाने का सुऄिसर प्रदान ककया।
आिली का एकीकरण दो-चरणों की प्रकक्रया थी। पहले चरण में , ईसे ऑवस्िया से स्ितंत्रता प्राप्त करनी
पड़ी और दूसरे चरण में, आिली के स्ितंत्र राययों को एक आकाइ में एकजुि करना पड़ा। मैवजनी और
गैरीबाल्डी क्रांवतकारी थे वजन्होंने आस प्रकक्रया में महत्िपूणव भूवमका वनभाइ। मैवजनी ने आिली के
एकीकरण के वलए 1831 में यंग आिली नामक संगठन का गठन ककया। 1831 के बाद से, यंग आिली ने
बार-बार राजशाही के विरूि विद्रोह का प्रयास ककया लेककन ये सभी प्रयास लोकतांवत्रक और संयुक्त
आिली की स्थापना करने में वििल रहे। किर भी, यंग आिली ने लोगों को ईदार सरकार के ऄधीन संयुक्त
आिली के वलए प्रोत्सावहत ककया।
वचत्र: कािूर
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1848 के विद्रोह के बाद, साडीवनया के प्रधान मंत्री कािूर ने आिली के एकीकरण का प्रयास ककया।
ईसकी नीवत वबस्माकव की नीवत जैसी ही थी। 1859 में, साडीवनया ने ऑवस्िया के विरूि युि में फ्ांस
के साथ गठजोड़ बनाया, वजससे आिली के कइ रायय ऑवस्ियाइ शासन से मुक्त हो गए और ईनमें से
o दो वससवलयों का रायय (The Kingdom of two Sicilies) (दवक्षणी आिली में), जो वससली के
o रोम में ऄपनी राजधानी सवहत पोप के ऄधीन रायय, जो सीधे पोप के शासन के ऄधीन था, वजसे
फ्ांसीसी सेनाओं की सहायता प्राप्त थी।
गैररबाल्डी के नेतृत्ि में क्रांवतकारी सेनावनयों ने िर्सडनेंड वितीय के वनरं कुश शासन से वससली और
नेपल्स को मुक्त करा वलया और पररणामस्िरूप 1860 में ये रायय साडीवनया के राजतंत्र के ऄधीन हो
गए और आिली का साम्रायय स्थावपत हो गया। 1866 के ऑवस्ियाइ-प्रवशयाइ युि का लाभ ईठाते हुए
िेवनस पर भी आिली ने कब्जा कर वलया। ऄब के िल रोम बचा था। पोप को फ्ांसीसी सेनाओं की सुरक्षा
वमली थी। 1870 के फ्ांसीसी-प्रवशयाइ युद्घ के चलते कमजोर हो जाने के कारण, फ्ांस ऄब पोप की
सहायता नहीं कर सकता था पररणामस्िरूप 1871 में रोम पर कब्जा कर वलया गया और आसे आिली
की राजधानी बना कदया गया। आस प्रकार एकीकरण की प्रकक्रया पूरी हो गइ। एकीकरण के बाद, आिली
और जमवनी का औद्योवगकीकरण अरं भ हुअ और आन राययों में भी औद्योवगक क्रांवत का अगमन हुअ।
वचत्र: गैररबाल्डी
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िस्तुओं के ईत्पादन की विवध का विकास क्रम आस प्रकार रहा है - वगल्ड प्रणाली से लेकर पुटिग अईि
प्रणाली या घरे लू पिवत से लेकर कारखाना प्रणाली तक। जब व्यापार की मात्रा में और िृवि हुइ और
वगल्ड मांग का मुकाबला नहीं कर पाए तो वगल्ड प्रणाली में वगरािि अइ क्योंकक िे बड़े पैमाने पर
ईत्पादन के वलए ऄनुपयुक्त थे।
वगल्ड प्रणाली में वगरािि के पररणामस्िरुप पुटिग-अईि प्रणाली का अगमन हुअ। आस प्रणाली के
ऄंतगवत पूंजीपवत व्यापारी, कारीगरों को कच्चा माल ईपलब्ध करिाता था तथा कारीगर ऄपने वनिास
पर ही ऄपने औजारों से वनमावण करते थे। आस प्रकार कच्चे माल और ऄंवतम ईत्पाद का स्िामी व्यापारी
होता था और श्रवमक के िल मजदूरी कमाने िाले होते थे। मशीनों के अविष्कार ने सब कु छ बदलकर
रख कदया और आस प्रणाली का स्थान कारखाना प्रणाली ने ग्रहण कर वलया।
आस प्रणाली के ऄंतगवत, ईत्पादन का कें द्र घर से कारखाने में स्थानांतररत हो गया। पहली बार, श्रवमक
दैनंकदन अधार पर घर से कायवस्थल तक यात्रा करने लगे। पहली बार िे मशीनों पर काम करते हुए एक
छत के नीचे बड़ी संा या में एकवत्रत हुए। पूाँजी पर पूाँजीपवत का स्िावमत्ि होता था और कामगार मात्र
ईत्पादन का एक और पहलू थे और ईत्पादन का स्िामी पूाँजीपवत होता था।
आं ललैंड के अर्सथक आवतहासकार िायनबी ने सिवप्रथम ‘औद्योवगक क्रांवत’ शब्द का प्रयोग ककया। यह
सिवप्रथम 18िीं सदी के मध्य में आं ललैंड में घरित हुइ।
िस्तुतः औद्योवगक क्रांवत ईत्पादन प्रणाली में पररितवन थी, वजसमें वशल्प के स्थान पर मशीनों का भारी
मात्रा में प्रयोग प्रारम्भ हुअ। यह मूलतः तकनीकी निोन्मेषों की सहायता और ईनके प्रसार से
ऄथवव्यिस्था में िस्तुओं के ईत्पादन की अर्सथक प्रकक्रयाओं में क्रांवत है, वजसने िस्तुओं के ईत्पादन की
गवत को बढ़ािा कदया। मशीनीकृ त ईत्पादन में पररणत होने िाले निाचार, आन मशीनों को शवक्त देने के
नए स्रोतों का विकास, संचार और पररिहन के क्षेत्र में तकनीकी प्रयत्न िे कु छ प्रकक्रयाएं हैं, वजन्हें एक
साथ वमलाकर ‘औद्योवगक क्रांवत’ कहा जाता है। यह क्रांवत आसवलए थी क्योंकक आसने न के िल पूरी तरह
से अर्सथक क्षेत्र में बवल्क सामावजक और राजनीवतक क्षेत्र में भी सुधार ककया।
1750 से पहले आं ललैंड में होने िाली घिनाओं ने ऐसी वस्थवत तैयार की, जो औद्योवगक क्रांवत के ऄनुकूल थी।
सामंतिाद के ऄंत के बाद पूंजीिाद का ईदय औद्योवगक क्रांवत के वलए महत्िपूणव था। ऐसा आसवलए था
क्योंकक पूंजीिाद के साथ ऄवधक मौकद्रक लाभ कमाने की आचछा पैदा हुइ, वजसे कम लागत पर ऄवधक
िस्तुएाँ ईत्पाकदत करने के नए तरीकों का विकास करके प्राप्त ककया जा सकता था।
विकासशील कस्बों और शहरों में जीिन के नए तरीकों के कारण वनर्समत िस्तुओं की भारी मांग थी।
गांि के लोग औद्योवगक ईत्पादन के वलए श्रवमकों के रूप में शहरों में पलायन कर रहे थे। आससे ऐसे नए
विचारों की खोज को बल वमला वजनसे औद्योवगक दक्षता में िृवि की जा सकती थी। तकव पर अधाररत
पुनजावगरण और ररिॉमेशन (सुधार अन्दोलन) ने पहले ही लोगों पर नए विचारों की खोज का बीड़ा
ईठाने का मनोिैज्ञावनक प्रभाि डाला था।
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आसके ऄवतररक्त आं ललैंड का समाज लोकतंत्र (गौरिपूणव क्रांवत, 1688) की कदशा में बढ़ चला था, वजससे
विचारों की ऄवधक स्ितंत्रता की गुंजाआश पैदा हुइ और आसके बाद वििेन में संसदीय प्रजातंत्र मजबूती
के साथ स्थावपत हुअ।
शेष विश्ि के साथ व्यापार से होने िाले अर्सथक लाभ ने पूंजी वनमावण के वलए, पुनर्सनिेश के वलए और
निाचारी गवतविवधयों के वित्तपोषण के वलए धन की ईपलब्धता सुवनवश्चत की।
आं ललैंड की भौगोवलक ऄिवस्थवत ने भी आसमें महत्िपूणव भूवमका वनभाइ। एक िीपीय देश होने के नाते
आं ललैंड बाह्य अक्रमणों से सुरवक्षत था। फ्ांस और जमवनी के विपरीत आं ललैंड की प्राकृ वतक सीमाएाँ ईसे
सुरवक्षत बनाती थीं, वजसने ईसके वलए शांवत पूणव पररवस्थवतयों में रहना संभि बनाया। आसने शासकों
को ऄवधक लोकतंत्र समथवक बनाया क्योंकक ईन्होंने बल प्रयोग की कम अिश्यकता महसूस की क्योंकक
िे बाह्य अक्रमण के खतरों से सुरवक्षत थे।
वििेन में बहुत ऄचछे प्राकृ वतक बंदरगाह थे। आससे ईसके वलए समुद्री पत्तनों का विकास करना संभि
हुअ। आस प्रकार आं ललैंड समुद्री व्यापार से होने िाले मुनािे से लाभावन्ित हुअ।
आं ललैंड कोयला और लोहे जैसे प्राकृ वतक संसाधनों में भी समृि था।
आं ललैंड में सहायक नकदयों का बहुत ऄचछा प्राकृ वतक नेििकव था। ये नकदयााँ असानी से नौिहनयोलय थीं,
वजससे िस्तुओं और कच्चे माल का सस्ता पररिहन संभि हुअ।
औद्योवगक क्रांवत िस्त्र ईद्योग में हुइ क्रावन्त के साथ अरं भ हुइ। 17िीं शताब्दी में, इस्ि आं वडया कं पनी
भारत में तैयार सूती कपड़े वििे न को वनयावत करके बहुत लाभ कमा रही थी और आससे विरिश
व्यापाररयों को इष्याव हो रही थी। आसने ऄंग्रेज व्यापाररयों को भारत से कच्चा कपास अयात करने और
वििेन में कपास के कपड़े बनाने के वलए प्रेररत ककया ताकक िे कपास की तेज मांग से कु छ लाभ कमा
सकें । जब कताइ के पवहए और हथकरघा जैसी पुरानी मशीनरी मांग को पूरा नहीं कर सकी तो कइ
निोन्मेष हुए। िस्त्र ईद्योग में नइ मशीनें कच्चे कपास की तेज कताइ कर धागा बनाने में सहायता करने
लगीं।
हग्रीव्स ऐसी मशीन विकवसत करने िाले पहले शा स थे , वजन्होंने ‘वस्पचनग जेनी’ नामक चरखे का
अविष्कार ककया।
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अकव राआि ने ‘िािरफ्े म’ का अविष्कार ककया वजसका संचालन जलशवक्त से ककया जाता था। शीघ्र ही,
क्रॉम्प्िन ने दोनों मशीनों की विशेषताओं को वमलाकर ऄपनी ऄलग मशीन विकवसत कर ली। तेज
कताइ िाली मशीनों का प्रभाि यह था कक ईन्होंने िस्त्र कारखानों को िैसे धागे का ईत्पादन करने में
सक्षम कर कदया जो महीन और सस्ते थे। ईत्पादन लागत में हुइ कमी ने लाभ को बढ़ा कदया और शीघ्र
आसके ऄवतररक्त 1785 में, कािवराआि ने ‘पािरलूम’ विकवसत ककया वजसने िास्ति में धागे से कपड़ा
संशोवधत ककया गया। जल विद्युत के ईपयोग के वलए कारखानों को नकदयों और नहरों के पास स्थावपत
ककया गया था। कॉिन वजन एक ऄन्य अविष्कार था, वजसने हाथों की तुलना में 300 गुना तेजी से
कपास के बीज और िाआबर या धागे को ऄलग करने की प्रकक्रया विकवसत की। 1793 में एली वव्हिनी
िारा आस मशीन का अविष्कार ककया गया था। आसने कपास की गांठों से कपास के तंतु (िाआबर) को
ऄलग करने की हाथ-अधाररत धीमी प्रकक्रया के कारण कच्चे कपास के तंतु की अपूर्सत की कमी की
समस्या को हल कर कदया।
दूसरा और सबसे महत्िपूणव अविष्कार 1769 में जेम्स िाि िारा स्िीम या भाप के आं जन का विकास
रहा। स्िीम आं जन ने माल के ईत्पादन को बढ़ािा कदया और पररणामस्िरूप कच्चे माल की मांग में भारी
िृवि हुइ। ये िास्तविक चीजें थीं, वजससे बड़े पैमाने पर ईत्पादन हो सका क्योंकक मानिीय श्रम
अधाररत या पनवबजली अधाररत मशीनें कम कु शल थीं। शीघ्र ही, कताइ मशीन और पािरलूम चलाने
के वलए भाप आं जन ईपयोग ककए गए। आसके पररणामस्िरूप आं ललैंड ने 1840 तक पांच गुना ऄवधक कच्चे
कपास अयात ककए। स्िीम आं जन को कोयला खानों से पानी वनकालने लायक बनाया गया, वजससे
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एक ऄन्य क्रांवत लोहे के ईत्पादन में हुइ, वजसके पररणामस्िरूप ऄंततः सभी औद्योवगक प्रकक्रयाओं में
िृवि हुइ और मशीनीकरण सस्ता एिं सुलभ हुअ। स्िीम पािर ने ऄवधक मशीनरी की मांग की थी और
आस्पात (स्िील) बनाने के वलए आं ललैंड में लौह ऄयस्क और कोयले के भारी भंडार थे। लेककन जहां आं ललैंड
पीछे था िह था कच्चे लोहे का सस्ता प्रसंस्करण कर पाने की क्षमता। आस समस्या को ‘ब्लास्ि िनेस’ के
विकास से हल ककया गया, वजसमें चारकोल (काठकोयला) के स्थान पर कोक (पत्थर कोयला) का
ईपयोग ककया जाता था। आसने विरिश स्िील ईद्योग को के िल वपग अयरन के स्थान पर ईच्च-श्रेणी
िाले कास्ि अयरन (ढलिा लोहा) का ईत्पादन करने में भी सक्षम बनाया।
गया। ऄब कोयले को रे लिे के माध्यम से खानों से बंदरगाहों तक पहुंचाया जा सकता था। 1830 में,
स्िीम पािर पर चलने िाली पहली यात्री िेन ने ऄपनी यात्रा अरं भ की। आस अविष्कार ने व्यापाररयों
और भीतरी प्रदेशों से शहरों तक श्रवमकों के बेहतर अिागमन और िास्ति में एक जुड़ी हुइ ऄथवव्यिस्था
का विकास करने में मदद की। भारत में रे लिे की शुरुअत 1853 में हुइ। मैकएडमाआयड रोड या पक्की
सड़कें मैकएडम के आं जीवनयटरग कौशल का पररणाम थीं। बेहतर सड़कों ने माल की तेज ढु लाइ संभि
की। रे ल-सड़क ऄिसंरचना को कै नाल नेििकव वबचल्डग िारा पूररत ककया गया था। भाप चावलत जहाजों
के ईपयोग के कारण जल पररिहन, भू-पररिहन की तुलना में बहुत सस्ता था। डाक सेिाओं के अगमन
ने दूर-दराज के स्थानों से व्यापाररक लेन-देन को सकारात्मक रूप से प्रभावित ककया।
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10.4.5. कृ वष क्रां वत
औद्योवगक क्रांवत का एक ऄन्य पहलू भी है वजसे अम तौर पर भुला कदया जाता है , िह है कृ वष क्रांवत
जो औद्योवगक क्रांवत के पहले अरं भ हुइ थी। आसमें विरिश ईद्योगों की मांगों को पूरा करने के वलए
नगदी िसलों का ऄवधक ईत्पादन सवम्मवलत था। जमीन की जुताइ के वलए आस्पात के हल और हैरो
(पिेले) जैसी नइ मशीनरी, मशीनीकृ त सीड विल, घोड़े िारा खींचे जाने िाले कवल्ििेिर (जमीन जोतने
िाले यंत्र) वजसने हो (िािड़ा या कु दाली) तथा किाइ और मंजाइ के वलए प्रयुक्त हो रही मशीनों का
स्थान ले वलया और कृ वष क्षेत्र में मानि श्रम की अिश्यकता को कम कर कदया। बाड़बंदी अंदोलन
(The Encloser Movement) का नेतृत्ि बड़े जमींदारों ने ककया था, वजन्होंने संसद में सांसदों के
साथ वमलकर सीमांत ककसानों और गांिों के छोिे -छोिे भूखंडों पर कब्जा कर ऄपने कृ वष क्षेत्र के दायरे
में िृवि की। आस प्रकार कस्बों में वस्थत ईद्योगों के वलए श्रम की ईपलब्धता में िृवि हुइ और श्रम
ऄवधशेष ने श्रम लागत को सस्ता बना कदया वजससे व्यापाररयों का लाभ बढ़ गया। आसी प्रकार ईिवरकों
का गहन ईपयोग और सस्य अितवन जैसी खेती की नइ पररपारियों ने वमट्टी की ईिवरता बढ़ा कर वििे न
की खाद्य सुरक्षा सुवनवश्चत की।
“कहा जाता है कक पहली क्रांवत िह थी जब पाषाण काल में मनुष्य ने वशकार के स्थान पर कृ वष और
सकल घरे लू ईत्पाद ने विरिश व्यिसायों िारा िस्त्र के वनयावत और कच्चे माल के अयात को बढ़ाया। ऄब
वििेन ने स्ि-ईपभोग और वनयावत के वलए पयावप्त कोयला और वपग अयरन का ईत्पादन
ककया। औद्योवगक क्रांवत ने शीषव स्तर की औद्योवगक ऄथवव्यिस्था के रूप में वििेन के ईदय का नेतृत्ि
ककया। परं तु लोगों पर आसका प्रभाि बहुत सकारात्मक नहीं था। रोजगार की तलाश में गांिों से शहरों
की ओर प्रिास में िृवि हुइ। ऄब शहरी क्षेत्र ईत्पादन के कें द्र बन गए, िे व्यापार तथा प्रशासन के कें द्र
आस प्रकक्रया के पररणामस्िरुप शहरी भीड़भाड़ में िृवि हुइ, वजससे अिास और स्िचछता की समस्याएं
बढ़ ग । शहरी क्षेत्र ऄब दो ऄसमान वहस्सों में बंि गए थे। एक ओर व्यापाररयों और मैनेजर िगव के
लोगों के शानदार अिास थे तो दूसरी ओर स्लम (मवलन बवस्तयां)। प्रिास ने सामावजक जुड़ाि और
नैवतक संयम के विघिन के रूप में सामावजक तनाि की वस्थवत ईत्पन्न की। आसके कारण गरीबी के साथ-
साथ शहरों में ऄपराधों में भी िृवि हुइ। ईद्योगपवतयों ने मजदूरों को मशीनों के कलपुजे और ईत्पादन
के एक ऄन्य पहलू के रूप में देखा। ईनका ईद्देश्य लाभ को ऄवधकतम करना था और आसवलए मजदूरों
को बहुत कम मजदूरी दी जाती थी। श्रवमकों की सामावजक सुरक्षा और कारखानों में काम करने की
वस्थवत को बेहतर बनाने हेतु बहुत कम काम ककया गया। ऄसुरवक्षत मशीनों से बहुत-से लोग घायल
हुए। सस्ते िेतन पर ईपलब्ध होने के कारण श्रम बल में बाल श्रम और मवहलाओं की भागीदारी में िृवि
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पयाविरण प्रदूषण के स्तर में भी िृवि हो रही थी पररणामस्िरूप श्रवमकों को कइ स्िास््य समस्याओं का
सामना करना पड़ा। औद्योवगक लॉबी ने लंबे समय तक यह सुवनवश्चत ककया कक मजदूरों के कल्याण के
वलए संसद सदस्य कु छ न करें , वजसके कारण मजदूरों में ऄसंतोष ईत्पन्न हुअ और आं ललैंड में औद्योवगक
क्रांवत के बाद विकवसत हुए लुवडट्स और चार्टिस्ि जैसे कइ कामगार अंदोलन ऄवस्तत्ि में अए। यहााँ
यह याद रखना ईवचत है कक यह औद्योवगक क्रांवत के बाद अए पूंजीिाद का एक नकारात्मक पक्ष था,
वजसने समाजिाद के अगमन को गवत प्रदान की। आं ललैंड में श्रवमकों की दयनीय वस्थवतयों ने कालव
माक्सव के विचारों को प्रभावित ककया। मजदूर िगव के बीच व्यापाररक संघिाद में िृवि हुइ और एकता
में िृवि हुइ।
एक प्रकार से औद्योवगक क्रांवत ने आं ललैंड में लोकतंत्र के विकास को तीव्र ककया। श्रवमकों के बीच बढ़ते
ऄसंतोष और पररणामी अंदोलनों ने सरकार को सचेत ककया कक लेसेज िे यर (ऄहस्तक्षेप की नीवत) का
वसिांत सही नहीं है और यकद पूंजीिादी व्यिस्था को श्रवमक क्रांवत से सुरवक्षत रखना है तो रायय को
कमजोर िगों की रक्षा करने की वजम्मेदारी ईठानी पड़ेगी।
धीरे -धीरे , चार ऄवधवनयमों के पाररत होने के साथ, मतदान का ऄवधकार कामगारों सवहत समाज के
कइ िगों तक बढ़ा कदया गया और 1929 तक वििेन ने सािवभौवमक ियस्क मतावधकार को ऄपना
वलया। व्यापार संघों को 1824 में िैध कर कदया गया और कारखाना ऄवधवनयमों की एक श्रृंखला
पाररत की गइ, जैसे 1802 और 1819 में, वजसने अयु और काम के घंिे पर प्रवतबंध लगाया और
रोजगार की वस्थवत (विशेष रूप से मवहलाओं और बच्चों की) को विवनयवमत ककया।
औद्योवगक क्रांवत के पररणामस्िरूप औद्योवगक और गैर-औद्योवगकीकृ त दुवनया के बीच संपकव
बढ़ा। लेककन यह संपकव समानता पर अधाररत नहीं था। कच्चे माल की अिश्यकता तथा तैयार माल के
वनयावत हेतु बाजार की खोज ने कइ यूरोपीय देशों को औपवनिेवशक देश बनने के वलए प्रेररत ककया।
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19िीं सदी में जब शेष यूरोप में औद्योवगक क्रांवत का अरम्भ हुअ, तो िहीं दूसरी ओर ऄन्य कइ यूरोपीय
राष्ट्रों के बीच ईपवनिेशों के वलए होड़ लगी थी। आस प्रकार औद्योवगक क्रांवत ने साम्राययिाद के ईभरने में एक
महत्िपूणव भूवमका वनभाइ वजसके कारण औपवनिेवशक शवक्तयों ने मध्यस्थों िारा सैन्य शवक्त, प्रत्यक्ष वनयम
और शासन के ईपयोग से ईपवनिेशों पर ऄवधक मजबूत वनयंत्रण स्थावपत करने की कोवशश की। कइ
ईपवनिेशों को औपवनिेवशक शवक्तयों िारा ऄपने क्षेत्र का विस्तार माना जाता था।
1815 में नेपोवलयन के युिों के ऄंत के पश्चात् यूरोप में एक ऐसा िातािरण ईत्पन्न हुअ वजसमें राष्ट्र
औद्योवगक विकास पर ध्यान कें कद्रत कर सकते थे। 1815 के बाद कइ यूरोपीय राष्ट्रों में मशीनों का
अगमन हुअ, लेककन लोकतंत्र, स्ितंत्रता और प्रदेशों के एकीकरण के वलए अंदोलन ने 1871 तक
औद्योवगक क्रांवत को जड़ जमाने की आजाजत नहीं दी। फ्ांस में 1850 तक लौह-आस्पात के ईद्योग
विकवसत होना अरं भ हो चुके थे , लेककन कोयला और लौह ऄयस्क के रूप में कच्चे माल की कमी ने
आसकी प्रगवत को बावधत ककया।
जमवनी, आस्पात के ईत्पादन में वििेन के बाद दूसरे स्थान पर था, लेककन ऄब भी वििेन से कािी पीछे
था। वबस्माकव के नेतृत्ि में जमवन एकीकरण के बाद, जमवन ईद्योग कइ गुना विकवसत हुए और शीघ्र ही
वपग अयरन और कोयले के ईत्पादन में ऄंग्रेजों के प्रवतिंिी बन गए। 1871 में आिली के एकीकरण के
ईपरांत आिली में औद्योवगक क्रांवत का अरं भ हुअ। रूस में औद्योवगकीकरण सबसे ऄंत में हुअ।
रूस प्राकृ वतक संसाधनों में समृि था, लेककन पूंजी की कमी और दासता एिं वनःशुल्क श्रम के कारण
आसके औद्योवगकीकरण की प्रकक्रया धीमी थी। जब दासता को 1861 में समाप्त कर कदया गया तब रूसी
औद्योवगक ईत्पादन को बढ़ािा वमला। आसने विदेश से पूंजी ईधार ली, लेककन 1917 की ऄक्िू बर क्रांवत
के बाद ही रूस में िास्तविक औद्योवगक क्रांवत अ पाइ।
यूरोप के बाहर, 1783 में वििेन से स्ितंत्रता के बाद ऄमेररका में ईद्योग विकवसत हो रहे थे। लेककन
िवणकिाद या िावणययिाद (मकें िवलज़्म) की विरिश नीवत ने स्िदेशी ईद्योग के विकास को बावधत
ककया था और ऄमेररका क्षेत्रीय विस्तार की ऄपनी राजनीवतक ईथल-पुथल के साथ-साथ राष्ट्रपवत
चलकन िारा दासता पर प्रवतबंध लगाने के कारण गृह युि में िं सा हुअ था। ऄतः यहां 1870 के पश्चात्
ही औद्योवगक ईत्पादन को बढ़ािा वमला। ऄमेररका तब एक औद्योवगक शवक्त के रूप में ईभरा और
वितीय विश्व युि तक शेष विश्व के वलए तैयार िस्तुओं का एक प्रमुख अपूर्सतकताव बना रहा।
जापान एवशया का पहला देश था जहां सिवप्रथम औद्योवगकीकरण हुअ। यहां औद्योवगक क्रांवत बहुत देर
से लगभग 19िीं शताब्दी में हुइ। वितीय विश्व युि के बाद आसने ‘Little is the Best’ को ऄपना
मूलमंत्र बना वलया। यह रे शम, वखलौने और चीनी वमट्टी के बतवन के पारं पररक वनयावतक से आस्पात
आस प्रकार यह कहा जा सकता है कक राजनीवतक व्यिस्था, राजनीवतक स्ितंत्रता, अक्रमण से सुरक्षा, श्रम
और कानून व्यिस्था के साथ पूंजी की ईपलब्धता अकद औद्योवगक क्रांवत के प्रमुख वनधावरक थे। वििेन में
सबसे पहले औद्योवगकीकरण आसवलए नहीं हुअ कक आसके पास बेहतर बुविजीिी थे बवल्क ईपयुवक्त त्यों के
ऄनुकूल पररवस्थवतयों के विद्यमान होने के कारण ऐसा संभि हुअ। जब ये पररवस्थवतयां ऄन्य देशों में भी
अ तो ईन्होंने भी शीघ्र ही औद्योवगकीकरण की प्रकक्रया अरं भ कर दी।
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सामंतिाद की समावप्त के साथ-साथ 15िीं सदी के ऄंत में हुए ऄन्िेषणों या खोजी यात्राओं ने
ईपवनिेशिाद के ईदय में एक महत्िपूणव भूवमका वनभाइ। 13िीं सदी के अरं भ में आिली के माको पोलो
ने चीन की यात्रा की।
व्यापाररक लाभ ने यूरोपीय बंदरगाहों के महत्त्ि को बढ़ा कदया और व्यापाररयों ने आसे ऄपनी
गवतविवधयों का कें द्र बनाया। शीघ्र ही भू-मध्य सागर के तिीय आलाकों में नए शहरों का विकास हुअ
और िेवनस तथा जेनोिा जैसे शहरों की समृवि में िृवि हुइ। ये तिीय शहर सामंतिाद अधाररत
ग्रामीण प्रणाली से स्ितंत्र थे। आन कस्बों में कृ वषदास स्ितंत्र थे और आसवलए गांिों से शहरों की तरर्
प्रिास तीव्र हो गया। आन तिीय शहरों का अधार पैसा था न कक भूवम। राजा, जो सामंत प्रणाली में
ऄधीनस्थ सामंतों या सरदारों पर सैन्य सहायता के वलए वनभवर थे , ईन्होंने सामंतों और चचव की
शवक्तयों का वतरस्कार ककया और व्यापाररयों की यात्राओं का वित्त पोषण कर ईन्हें संरक्षण प्रदान
ककया। आसके बदले सामंती वनयंत्रण से बचने हेतु व्यापाररयों ने राजा को सहायता प्रदान की और
व्यापाररयों की वस्थवत (दजाव) समाज में थोड़ी बेहतर हुइ और आन्हें राजनीवतक ऄवधकार प्राप्त हुए।
मौकद्रक लाभ ऄन्िेषण का सबसे महत्िपूणव कारण बन गया क्योंकक खोजी यात्री ऄपने शहर/देश में बहुत
ऄवधक लाभ पर बेची जा सकने िाली िस्तुएाँ लेकर लौिते थे। ईदाहरण के वलए िास्को-डी-गामा
(1498) ने िेवनस की ऄपेक्षा भारत में काली वमचव का मूल्य 1/20 गुना तक कम पाया। मसालों का
व्यापार सबसे अकषवक था। 13िीं शताब्दी के मध्य तक मसालों के प्राथवमक व्यापाररक बंदरगाह के
रूप में िेवनस का ईदय हुअ। मसालों को िेवनस से पवश्चमी और ईत्तरी यूरोप में ले जाया गया। िेवनस
(*ईल्लेखनीय है कक 14िीं सदी का पुनजावगरण सिवप्रथम आिली में ही अरं भ हुअ) ईच्च प्रशुल्क लेकर
ऄत्यंत समृि बन गया।
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मध्य-पूिव तक प्रत्यक्ष पहुंच न होने के कारण यूरोवपयों को िेवनस िारा अरोवपत ईच्च मुल्य का भुगतान
करने के वलए मजबूर ककया गया। यहां तक कक ऄमीरों को भी मसालों के ईच्च मूल्य का भुगतान करने में
परे शानी होती थी। पूिव के मागों को वसल्क रूट्स के नाम से जाना जाता था। िेवनस के ऄवतररक्त
बैजेन्िाआन साम्रायय की राजधानी कांस्िेंरिनोपल (कु स्तुन्तुवनया) ने भी पूिव के साथ व्यापार में मध्यस्थ
की भूवमका वनभाइ। ये दोनों शहर व्यापार मागों पर वस्थत थे और ऄपनी आचछानुसार आस व्यापार को
रोकने की शवक्त आनमें थी। 1453 में ऑिोमन साम्रायय ने बैजेन्िाआन साम्रायय को हरा कदया और समुद्री
मागों को ऄिरुि कर कदया।
ऄन्िेषण युग से पूिव के मागव: िषव 1453 में बैजेन्िाआन साम्रायय के पतन के बाद ऑिोमन साम्रायय िारा
अर्सथक रूप से महत्िपूणव वसल्क रोड (भू-मागव) और मसाला मागव (जल-मागव) बंद ककए जाने के पश्चात् ऄफ्ीका
के अस-पास से हो कर जाने िाले समुद्री मागों का ऄन्िेषण प्रोत्सावहत हुअ और आसने ऄन्िेषण युग को
सकक्रय ककया।
ऄन्िेषण युग से पश्चात् के मागव: 16िीं शताब्दी में ऄन्िेषण युग के दौरान की जाने िाली खोजों के कारण
पुतवगाल (गहरा) और स्पेन (ग्रे) समुद्री व्यापाररक मागों को दशावता मानवचत्र।
आसने 15िीं सदी के ऄंत में यूरोपीय यावत्रयों की खोजी यात्राओं का मागव प्रशस्त ककया। आस प्रकार
16िीं सदी से पहले ही आिली ने िैवश्वक व्यापार पर ऄपना प्रभुत्ि जमा वलया। आसका कारण ईसकी
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भौगोवलक ऄिवस्थवत और िावणवययक समुद्री मागों के संबंध में ज्ञान पर एकावधकार था। लेककन शीघ्र
ही समृि आतालिी व्यापाररक शहरों के प्रवत इष्याव और ऑिोमन साम्रायय िारा की ग नाके बंदी के
कारण नाविकों ने पूिव के वलए एक िैकवल्पक मागव खोजने के ईद्देश्य से यात्राएाँ अरं भ कीं। ईत्तर-पवश्चम
में मागव खोजने के वलए की गइ एक यात्रा से कनाडा की खोज हुइ। यह खोज वििेन के जॉन काबोि
िारा की गइ थी। ऄन्िेषण के साथ धीरे -धीरे दुवनया का भौगोवलक मानवचत्र ईभरा।
तकनीकी निाचारों ने नइ भूवम की ख़ोज करने में खोजकतावओं की सिलता में महत्िपूणव भूवमका
वनभाइ। 15िीं सदी के ऄंत तक कम्पास, एस्िेलेब (एक यंत्र जो जहाज के स्थान का वनधावरण करने में
मदद करता है), मानवचत्रण की कला और लंबे समय तक यात्रा कर सकने में सक्षम बेहतर जहाज अकद
का विकास हुअ। आन निोन्मेषों ने ककसी भी ऄन्िेषक के समुद्र संबंधी भौगोवलक ज्ञान को बढ़ाया। िे
समुद्री मागों के सिीक मानवचत्रों को विकवसत करने में सक्षम थे और मौसम प्रणाली से पररवचत थे
वजसने ईन्हें नइ भूवम तक सुरवक्षत रूप से पहुंचने में सक्षम बनाया।
आस प्रकार 15िीं सदी के ऄंत के असपास की ऄिवध को ऄन्िेषण युग के रूप में जाना जाने लगा। स्पेन
िारा वित्त पोवषत कक्रस्िोिर कोलंबस भारत की खोज में वनकला था, लेककन 1492 में िह मध्य
ऄमरीका में हैती के ति पर ईतरा। ईसने आसे भारत समझ वलया और यही कारण है कक ईसने यहााँ के
वनिावसयों को आं वडयन और आस िीप को आं डीज नाम कदया।
1498 में पुतवगाल िारा वित्तपोवषत िास्को डी गामा ने भारत की खोज की। िह के प ऑि गुड होप (दवक्षण
ऄफ्ीका) के रास्ते यूरोप से भारत अया।
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1500 इ. के असपास ऄमेररगो िेस्पुसी (कोलंबस नहीं) ने ऄमेररका की खोज की थी। पुतवगावलयों ने भी
आन खोजों से औपवनिेशीकरण का अरं भ हुअ। खोजी गइ नइ भूवमयााँ खवनज संसाधनों से समृि थीं
और यहााँ कइ ईत्कृ ट ह प्राकृ वतक बंदरगाह थे, वजन्हें पत्तनों के रूप में विकवसत ककया जा सकता था। आस
प्रकार ये व्यापार के नोडल चबदु के रूप में कायव कर सकते थे। यूरोपीय व्यापाररयों ने यहााँ ऄपने
प्रवतष्ठानों की स्थापना का प्रयास ककया और आन खोजी गइ नइ भूवमयों में ईपवनिेश बनाने लगे।
ऄमेररका, एवशया और ऄफ्ीका की नइ भूवमयों से अयात की गइ िस्तुओं से प्राप्त लाभ ने ऄन्िेषण हेतु
एक होड़ अरम्भ की और शीघ्र ही डच, फ्ें च और विरिश भी स्पेन और पुतवगाल के साथ आस होड़ में
शावमल हो गए।
गोल्ड, ललोरी और गॉड (3G)। गोल्ड ऄथावत सोना व्यापार से होने िाला लाभ ललोरी ऄथावत प्रवतष्ठा जो
ईस मान्यता की प्रवतवनवध थी जो एक यूरोपीय शवक्त विश्व की सिोच्च शवक्त के रूप में प्राप्त करती थी।
ककगडम के झंडे के साथ वमशनरी भी अए वजनका कायव इसाइ धमव (गॉड) को बढ़ािा देना था।
यहां यह ध्यातव्य है कक वजस देश का प्रभुत्ि समुद्र पर था ईसी ने औपवनिेवशक युग में सिाववधक लाभ
प्राप्त ककया। व्यापाररक जहाजों का बड़ा बेड़ा व्यापार की मात्रा और बाहरी बाजारों में िै लाि का
पररचायक था, जबकक एक मजबूत नौसेना ईसकी रक्षा कर सकती थी, प्रवतयोवगयों के जहाजों पर
हमला कर सकती थी और िावणवययक समुद्री मागों को ऄिरुि कर सकती थी। िे देश जो पोट्सव ऑि
कॉल के रूप में मैत्रीपूणव बंदरगाह पाने में समथव थे िे व्यापाररक प्रवतयोवगता में लाभपूणव वस्थवत में
होते थे। यहां ईनके जहाज धन भर सकते थे और चालक दल अराम कर सकते थे। आस प्रकार
िलने-िू लने हेतु एक सुरवक्षत क्षेत्र प्रदान ककया। ईल्लेखनीय है कक ईपवनिेशिाद के साथ कइ नइ
िस्तुएाँ व्यापार िोकरी (िेड बास्के ि) में अ । अलू, तम्बाकू , मक्का तथा मसाले जैसे ईत्पादों का व्यापार
शुरू हुअ वजनके बारे में यूरोपीय ऄभी तक ऄनवभज्ञ थे। यूरोपीय कारखानों के वलए ईपवनिेशों ने कच्चे
माल के स्रोत के रूप में कायव ककया। ईदाहरण के वलए ऄमेररका में गन्ने के बागानों की स्थापना ने चीनी
ईद्योग को बढ़ािा कदया। आसी प्रकार चािल, कॉिी और कपास जैसे संसाधनों का भी दोहन ककया गया।
यूरोपीय देशों ने नइ खोजी गइ भूवम के तिीय क्षेत्रों में व्यापाररक पोस्ट्स की स्थापना की। िावणवययक
पूंजीिाद की नीवत में ऄन्य राययों के व्यापाररक जहाजों पर हमला, व्यापाररक मागों में ऄिरोध,
ईपवनिेशों की स्थापना, व्यापाररक बाधाएं पैदा करना, ईपवनिेशों के साथ व्यापार एकावधकार शावमल
था। यकद ईपवनिेश स्थावपत करने में ऄसमथव हों तो नइ खोजी गइ भूवम के साथ विशेष व्यापार
ऄवधकारों को सुरवक्षत करना था ताकक व्यापाररक एकावधकार पाया जा सके । पुतवगावलयों ने 1498 में
के प ऑर् गुड होप के माध्यम से भारत के वलए व्यापार मागव की खोज के बाद एवशया के साथ
व्यापाररक एकावधकार स्थावपत कर वलया और आसने पूिव के व्यापार पर आतालिी एकावधकार को
प्रवतस्थावपत कर कदया। बाद में, पुतवगावलयों को आं डोनेवशया में डच और भारत में ऄंग्रेजों ने
प्रवतस्थावपत ककया। आसके बाद, सैन्य शवक्त और समुद्री शवक्त में िृवि ने फ्ांस और वििेन को बड़ी
औपवनिेवशक शवक्तयों के रूप में ईभरने में सहायता की।
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1789 में फ्ांसीसी क्रांवत के बाद फ्ांस में दास प्रथा समाप्त हो गइ क्योंकक क्रांवत मुा यतः स्ितंत्रता,
समानता और बंधुत्ि के विचारों पर अधाररत थी। वििेन ने 1833 में ऄपने सभी ईपवनिेशों में दासता
समाप्त करने के वलए दासता ईन्मूलन ऄवधवनयम पाररत ककया। संयुक्त रायय ऄमेररका में गृह युि
(1861-65) के बाद आसे प्रवतबंवधत कर कदया गया। दासता पर प्रवतबंध का कइ धड़ों िारा विरोध
ककया गया। दवक्षण ऄफ्ीका के डच औपवनिेशकों ने प्रवतबंध का विरोध ककया। आसके ऄवतररक दासता
के मुद्दे पर संयुक्त रायय ऄमेररका की संघीय सरकार और दवक्षणी राययों के बीच ऄमेररका में भी गृहयुि
लड़ा गया। दवक्षणी राययों ने दासता पर प्रवतबंध का विरोध ही नहीं ककया ऄवपतु USA िारा
ऄवधग्रहीत नए क्षेत्रों में भी दासता के विस्तार का प्रयास ककया।
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ईपवनिेशिाद का मुा य लक्ष्य ईपवनिेशों का अर्सथक दोहन करना था जबकक साम्राययिाद के ऄंतगवत
राजनीवतक वनयंत्रण शावमल होता है। आस प्रकार ईपवनिेशिाद ईन कं पवनयों िारा ककया जा सकता है
जो विशेष व्यापाररक विशेषावधकार रखती हैं और व्यापाररक के न्द्रों की स्थापना करती हैं, जबकक
साम्राययिाद रायय िारा सरकार की कू िनीवत के माध्यम से प्रदेशों, संरवक्षत क्षेत्रों और प्रभाि क्षेत्रों को
प्राप्त करने और औद्योवगक व्यापार और वनिेश को बढ़ािा देने के वलए ककया जाता है।
ईपवनिेशिाद का पररणाम राजनीवतक, अर्सथक, सांस्कृ वतक और सामावजक क्षेत्रों में मूलवनिावसयों के
जीिन पर वनयंत्रण होता है, जबकक साम्राययिाद ऄवधक औपचाररक और अक्रामक होता है।
ईपवनिेशिाद एिं साम्राययिाद के बीच के ऄन्तर को कइ आवतहासकार औद्योवगक क्रांवत से जोड़ कर
देखते हैं तथा औद्योवगक क्रांवत को दोनों के बीच एक विभाजन रे खा मानते हैं। औद्योवगक क्रांवत के बाद
औपवनिेवशक साम्रायय वनमावण की घिनाओं को नि साम्राययिाद का नाम कदया जाता है। ऄब प्रश्न
ईठता है कक आसमें नया क्या था? यूरोप में औद्योवगक क्रांवत के बाद अरं भ हुए नि साम्राययिाद में होड़
या रे स का घिक नइ बात थी। औपवनिेवशक प्रकक्रया के प्रत्येक पहलू में भी िृवि हुइ। आस होड़ ने
यूरोपीय शवक्तयों िारा वजतना संभि हो सके , ईतने ईपवनिेशों को ऄवधग्रहीत करने की अर्सथक
प्रवतस्पधाव को दशावया। यह कच्चे माल के स्रोतों और वनयावत बाजारों के वलए होड़ थी, वजसे ईपवनिेशों
िारा प्रदान ककया जाना था। यह व्यापार के वलए ऄन्य राष्ट्रों के साथ संवध के िारा या पोिव ऑि कॉल्स
को ईपवनिेश बना कर समुद्री गवलयारे सुरवक्षत कर िावणवययक जहाजों को सुरवक्षत बंदरगाह ईपलब्ध
कराने की भी होड़ थी। होड़ के आस घिक में नौसैवनक िचवस्ि और स्थलीय सैन्य बलों को स्थावपत करने
की होड़ भी सवम्मवलत थी। लेककन होड़ की यह पररघिना पहले आतने स्पट ह रूप में क्यों नहीं
हुइ? आसका ईत्तर औद्योवगक क्रांवत जैसे कारकों में है, जो 19िीं सदी में शेष यूरोप, ऄमेररका और
के वलए राजनीवतक वनयंत्रण को ऄवधक ऄवनिायव बनाया। राजनीवतक वनयंत्रण को सुरवक्षत रखने के
वलए सेना की अिश्यकता थी और आस प्रकार नि साम्राययिाद की एक ऄद्भुत विशेषता राष्ट्रीय शवक्त
का ईदय थी। इस्ि आं वडया कं पनी जैसी व्यापाररक कं पवनयां धीरे -धीरे ऄपनी सरकारों िारा
प्रवतस्थावपत कर दी ग ।
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फ़्ांसीसी क्रांवत के पश्चात् की ऄिवध साम्राययिाद में वगरािि का एक ऄस्थाइ दौर था, जो 1870 में
पुनः ईकदत हुअ।
यहााँ ईन कारकों का संक्षेप में ईल्लेख करना प्रासांवगक है, वजनके कारण नि-साम्राययिाद का ईदय
हुअ:
o राजनीवतक कारकों की भूवमका: नि साम्राययिाद के ईद्भि के पीछे राजनीवतक कारकों की बहुलता
थी। आनमें से एक, 1870-71 में जमवनी ि आिली के एकीकरण के पश्चात्, आिली और जमवनी में वनरं कुश
राजतंत्र का ईदय होना था। आस प्रकार के एकावधपत्य ने रायय की ओर से होने िाली अक्रामकता में
िृवि की। परन्तु, नि-साम्राययिाद के वलए पूरी तरह से वनरं कुश राजतंत्रों को ईत्तरदायी नहीं ठहराया
जा सकता है। िास्ति में, वििेन, जहााँ प्रजातांवत्रक व्यिस्था थी, ईसके पास सबसे बड़ा औपवनिेवशक
साम्रायय था। आस प्रकार सभी औद्योवगक शासन, भले ही िे लोकतावन्त्रक या वनरं कुश राजतंत्र हो,
साम्राययिाद में वलप्त थे। औद्योगीकरण ने औपवनिेवशक साम्रायय वनमावण के वलए ईनकी क्षुधा के साथ-
साथ ईनकी सम्भाव्यता में भी िृवि की थी। कु छ शासकों ने ऄपने देश में राजनीवतक वनयंत्रण बनाए
रखने के वलए साम्राययिाद को एक ईपकरण के रूप में देखा। ईपवनिेशों पर सैन्य विजय और साम्रायय
वनमावण, न के िल औपवनिेवशक शवक्तयों की ऄथवव्यस्था में सुधार ला रही थी, ऄवपतु शासकों की प्रवतष्ठा
में भी िृवि कर रही थी। आन्हीं दो कारकों, ऄथावत् एक सशक्त ऄथवव्यिस्था और राष्ट्रीय गौरि ने ईनके
शासन को िैधता प्रदान की। आसी प्रकार के कारकों के कारण आिली और जार िारा शावसत रूस भी
ईपवनिेशों की होड़ में सवम्मवलत हुए थे।
o राष्ट्रिाद की भूवमका: 1789 की फ़्ांसीसी क्रांवत के पश्चात् राष्ट्रिाद का ईत्थान हुअ। औद्योगीकरण के
युग में यह शीघ्र ही राष्ट्र-राययों के बीच अर्सथक प्रवतिंविता के रूप में प्रकि हुअ। राष्ट्रिादी विचारकों
िारा प्रवतपाकदत राष्ट्रीयता के विचारों से आस प्रवतिंविता को और ऄवधक बढ़ािा वमला। 1868-72 की
ऄिवध में वििेन, फ़्ांस, जमवनी और आिली में राष्ट्रिाद के पररणामस्िरूप औपवनिेवशक साम्रायय में
विस्तार की मांग ईठी। वनरं कुश शासक सत्ता पर ऄपनी पकड़ बनाए रखने और ऄपनी जनता के ध्यान
में भिकाि लाने के वलए साम्राययिाद और राष्ट्रिाद दोनों पर वनभवर थे।
o औद्योवगक क्रांवत/औद्योवगक पूंजीिाद की भूवमका: नि साम्राययिाद के ईद्भि में औद्योवगक क्रांवत प्रमुख
कारकों में से एक थी। औद्योवगक क्रांवत के पश्चात् व्यापक ईत्पादन से ऄवतररक्त लाभ वमला वजससे पूंजी
संवचत हुइ। आस धन को पूाँजी वनमावण के वलए पु न: वनिेश ककया गया। पररिहन और संचार ऄिसरं चना
में विकास से लोगों तथा िस्तुओं को तीव्र गवत से लाना-ले जाना सम्भि हो गया था और भाप के पोतों
के विकास से विश्व भर में व्यापाररक िस्तुओं के अिागमन में लगने िाले समय में कमी अइ। 19िीं
शताब्दी में यूरोपीय जनसंा या में तीव्रता से िृवि होने के कारण घरे लू बाजारों में भी िस्तुओं की मांग
बढ़ रही थी। कारखानों में कच्चे माल की मांग में िृवि हुइ, वजसके पररणामस्िरूप राष्ट्रीय सीमाओं के
बाहर कच्चे माल की खोज होने लगी। यूरोप में जनसंा या के बढ़ते दबाि के कारण और ऄवधक
ईपवनिेशों की खोज अरम्भ हुइ जहााँ यूरोपीय लोगों को बसाया जा सकता था। शीघ्र ही, कारखानों में
जो ईत्पादन हो रहा था िह घरे लू और विदेशी बाजारों की खपत से कहीं ऄवधक हो गया। आसने नये
ईपवनिेशों की अिश्यकता में और ऄवधक िृवि की। आस प्रकार से ईत्पाकदत माल की ऄवधक मांग ,
लाभ, पूाँजी वनमावण, कच्चे माल की मांग, ऄवतररक्त ईत्पादन और वनयावत बाजारों की मांग का एक चक्र
स्थावपत हो गया। ऄतः यह कहा जा सकता है कक औद्योवगक पूंजीिाद (औद्योवगक क्रांवत के पश्चात्
पूंजीिाद, जब कारखानों में मशीनों से ईत्पादन ककया जाने लगा) ने साम्रायय विस्तार पर बल कदया।
o प्रवतस्पर्सधयों की बढ़ी हुइ संा या: 1870 के दशक के पश्चात् शेष यूरोप, ऄमेररका और जापान में भी
औद्योवगक क्रांवतयााँ हु । औद्योवगक देशों ने कच्चे माल के स्रोतों और वनयावत बाजारों की अक्रामक तरीके
से खोज प्रारम्भ कर दी थी।
o भौगोवलक स्थानों में कमी: 19िीं शताब्दी के मध्य तक, जब ईपवनिेश के वलए पयावप्त स्थान ईपलब्ध थे
और साम्राययों का सुगमता से विस्तार हो सकता था तो विश्व ऄपेक्षाकृ त ऄवधक शांवतपूणव था। परन्तु ,
19िीं शताब्दी के ईत्तरािव में ककसी भी प्रकार का विस्तार ककसी ऄन्य औपवनिेवशक शवक्त की कीमत
पर ही हो सकता था। आस ‘दौड़’ में प्रवतस्पर्सधयों की संा या में भी िृवि हो गइ थी। आस प्रकार से
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आसका प्रबन्धन वनजी ईपवनिेश के रूप में ककया {1885 में कांगो का कांगो मुक्त रायय (Congo Free
State) के रूप में नामकरण कर कदया गया}। बेवल्जयम की सिलता ने ऄन्य यूरोपीय शवक्तयों की आसमें
रूवच बढ़ा दी और ईन्होंने भी ऄफ्ीका में ईपवनिेशों की खोज के वलए प्रिेश ककया। कांगो के
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ईपवनिेशीकरण के पश्चात् ऄफ्ीका के वलए होड़ प्रारम्भ हो गइ। 1914 तक ऄबीसीवनया (जहााँ 1876
में ऄडोिा के युि में राष्ट्रिाकदयों िारा आिली की हार हुइ थी) और लाइबेररया को छोड़ कर सम्पूणव
ऄफ्ीका - वििेन, बेवल्जयम, फ़्ांस, जमवनी, आिली और पुतवगाल में बंि चुका था।
ऄफ्ीका में भू-क्षेत्र और व्यापाररक ऄवधकारों को लेकर यूरोपीय शवक्तयों के बीच बहुत से वििाद थे।
वमस्र और सूडान में ऄंग्रेजों और फ्ांसीवसयों के वहतों में िकराि था। बेवल्जयम ने 1884 में वििेन और
पुतवगाल के बीच हुए समझौते का विरोध ककया। आसके तहत आन दोनों के प्रभाि क्षेत्रों की सीमा
वनधावररत की गइ थी। चूंकक आसके िारा बेवल्जयम को कांगो तक समुद्री पहुंच से िंवचत कर कदया गया
था, ऄतः ईसने आसका विरोध ककया था। ऄंतत: यूरोपीय औपवनिेवशक शवक्तयों के ऄवतव्यापी दािों को
विवभन्न सम्मेलनों में िातावओं के माध्यम से सुलझाया गया।
जमवनी में 1884-85 के बर्सलन सम्मेलन का अयोजन पवश्चमी और मध्य ऄफ्ीका, विशेषकर नाआजर
और कांगो नकदयों के वििादों के समाधान के वलए ककया गया था। यह एक महत्त्िपूणव घिना थी वजसके
पररणामस्िरूप ऄफ्ीका में प्रत्येक औपवनिेवशक शवक्त के प्रभाि क्षेत्र को वनधावररत ककया गया।
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नाआजर नदी घािी को ऄंग्रेजों और फ्ांसीवसयों के बीच विभावजत ककया गया था, वनचला नाआजर
वििेन का सरं वक्षत रायय बन गया और उपरी नाआजर फ़्ांस का सरं वक्षत रायय बन गया।
नाआजर नदी को सभी हस्ताक्षरकतावओं के पोतों के वलए वनःशुल्क बनाया गया।
ऄंग्रेज, ट्युवनस को फ़्ांस का ईपवनिेश बनाने पर सहमत हो गये। स्पेन को अज के पवश्चमी सहारा का
तिीय क्षेत्र सौंप कदया गया।
आसके ऄवतररक्त, यूरोपीय शवक्तयों ने ऄफ़्ीकी लोगों के कल्याण और विकास के वलए कदम ईठाने का
िचन भी कदया। आस सम्मेलन में ऄश्वेत और आस्लावमक शवक्तयों िारा प्रयुक्त दास प्रथा को समाप्त करने
हेतु संकल्प वलया गया। साथ ही प्रत्येक औपवनिेशक शवक्त िारा ऄपने प्रभाि क्षेत्र में आसको समाप्त
ककया जाना था।
यह वनणवय वलया गया कक कांगो मुक्त रायय का शासन आं िरनेशनल एसोवसएशन िॉर एक्सप्लोरे शन
एंड वसविलाआजेशन ऑर् सेंिल ऄफ़्ीका (International Association for Exploration and
Civilization of Central Africa) िारा ककया जायेगा। आस संघ की स्थापना बेवल्जयम के सम्राि
वलयोपोल्ड वितीय िारा की गयी थी और आस प्रकार कांगो को सम्राि वलयोपोल्ड वितीय के वनजी
ईपवनिेश के रूप में मान्यता प्राप्त हो गयी (बेवल्जयम सरकार िारा आसे 1908 में वलयोपोल्ड वितीय से
िावपस वलया जाना था)।
कांगो नदी घािी में सबके वलए व्यापार और जहाजरानी की स्ितंत्रता की गारं िी थी। ककसी भी राष्ट्र को
कांगो में ककसी विशेषावधकार का दािा नहीं वमला था और सम्राि वलयोपोल्ड ने सभी हस्ताक्षरकताव
राष्ट्रों को वनिेश की स्ितंत्रता प्रदान कर दी थी। समझौते के ऄनुपालन की वनगरानी के वलए एक
ऄंतरावष्ट्रीय अयोग भी स्थावपत ककया गया था।
फ़्ांस ने ईत्तर-पवश्चमी ऄफ्ीका में ऄपना साम्रायय स्थावपत ककया। ऄल्जीयसव (1830), गावम्बया के कु छ
वहस्से, और ट्युवनस (1881) को ऄपना ईपवनिेश बनाने के पश्चात् ऄब यह मोरक्को पर ऄपना वनयंत्रण
स्थावपत करना चाह रहा था। प्रारम्भ में फ़्ांस को विरोध का सामना करना पड़ा। 1880 के मैविड
सम्मेलन में मोरक्को की स्ितंत्रता की गारं िी दी गयी और सभी यूरोपीय देशों को व्यापार की स्ितंत्रता
का ऄवधकार कदया गया। परन्तु 1900 में फ़्ांस ने आिली के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर ककये ,
वजसके ऄंतगवत आिली ने मोरक्को में फ़्ांस के प्रभाि का विरोध न करने पर ऄपनी सहमवत दे दी और
फ़्ांस ने आसके बदले में लीवबया पर आिली के वनयंत्रण का विरोध न करने के वलए िचन कदया।
बर्सलन सम्मेलन में वििेन ने ट्युवनस पर फ़्ांस के विशेषावधकार के वलए सहमवत दे दी। आसके ऄवतररक्त
1904 में वििेन और फ़्ांस ने एक समझौते पर हस्ताक्षर ककये , वजसके ऄंतगवत फ़्ांस ने वमस्र और सूडान
मान्यता वमल गयी। आसी िषव, एक समझौते के ऄंतगवत मोरक्को में स्पेन और फ़्ांस की सीमाएं वनधावररत
की ग । ईपवनिेशिाद की होड़ में जमवनी का प्रिेश सबसे बाद में हुअ और िह ऄपने अप को आस होड़
में वपछड़ा हुअ ऄनुभि कर रहा था। 1911 में जब फ़्ांस ने मोरक्को में ऄपनी सेना तैनात की तो जमवनी
ने ऄपने युिपोत को वनकििती िीप ऄगाकदर में भेज कदया। िाताव के पश्चात् जमवनी को फ़्ांसीसी कांगो
का कु छ क्षेत्र दे कदया गया और ईसके बदले में ईसने मोरक्को पर फ़्ांस के वनयंत्रण को मान्यता दे दी।
1912 में फ़्ांस ने मोरक्को को ऄपना सरं वक्षत रायय बना वलया और मोरक्को ऄब स्ितंत्र नहीं था।
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दवक्षणी, पूिी एिं पवश्चमी ऄफ्ीका में ऄंग्रेजों के ईपवनिेश थे। पवश्चम में गोल्ड कोस्ि (घाना) का आसका
ईपवनिेश कोको के ईत्पादन में बहुत समृि था, िहीं नाइजीररया में तेल के बहुत बड़े भंडार थे। स्िेज
नहर के कारण वमस्र में ऄंग्रेजों की विशेष रूवच थी, जहााँ से ईसे ऄपने एवशयाइ ईपवनिेशों के वलए,
विशेषकर भारत के वलए छोिा समुद्री मागव वमलता था। स्िेज नहर का प्रबन्धन एक कम्पनी कर रही
थी, वजसमें फ़्ांस और वमस्र के गिनवर की सहभावगता थी। 19िीं शताब्दी में वमस्र अर्सथक संकि से गुजर
रहा था और ईसे स्िेज नहर में ऄपनी शेयरधाररता 1875 में ऄंग्रेजों को बेचनी पड़ी। 1876 में वमस्र;
वििेन और फ़्ांस से वलए गये ऄपने ऊण की ककश्त िापस करने में ऄसिल रहा पररणामस्िरूप दोनों
यूरोपीय शवक्तयों ने वमस्र की सरकार के बजि प्रबन्धन के वलए एक पररषद की स्थापना की और आस
प्रकार वमस्र ईनके अर्सथक वनयंत्रण में अ गया। कराधान की ईच्च दरों और िेतन भुगतान में देरी के
कारण वमस्र की सेना ने 1882 में विद्रोह कर कदया। विरिश सेना ने आस विद्रोह को कु चल कदया और
वमस्र ऄंग्रेजों के वनयंत्रण में अ गया। 1904 में फ़्ांस ने मोरक्को पर ऄपने ऄवधकार की मान्यता के बदले
में वमस्र और सूडान पर ऄंग्रेजों के वनयंत्रण को मान्यता दे दी। 1922 में, वमस्र को स्ितंत्रता दे दी गयी
परन्तु वििेन ने स्िेज नहर पर ऄपना वनयंत्रण बनाए रखा।
ऄफ्ीका के वलए संघषव में जमवनी ने 1870 में ऄपने एकीकरण के पश्चात् प्रिेश ककया। 1882 से 1884
तक जमवनी दवक्षणी पवश्चमी ऄफ्ीका, कै मरुन और भूमध्यरे खीय ऄफ्ीका में िोगोलैंड और जमवन पूिी
ऄफ्ीका में ईपवनिेश स्थावपत करने में सिल रहा।
प्रथम विश्वयुि के पश्चात् जमवन औपवनिेवशक साम्रायय का ऄंत हो गया और आसके ईपवनिेशों को वमत्र
राष्ट्रों के बीच मैंडेट्स के रूप में बााँि कदया गया। मैंडेट्स िे पूिव ईपवनिेश थे , वजन्हें लीग ऑर् नेशंस
िारा बाद में स्ितंत्रता प्रावप्त हेतु तैयार करने के वलए विकवसत देशों को सौंप कदया गया था। ईदाहरण
के वलए जमवनी के कब्जे िाले दवक्षणी-पवश्चमी ऄफ्ीका को मैंडेि के रूप में दवक्षणी ऄफ्ीका को सौंप
कदया गया था।
जमवनी की भांवत, आिली भी देर से प्रिेश करने िालों में से था। यह ट्युवनस को ईपवनिेश बनाने में
ऄसिल रहा, क्योंकक फ़्ांस ने 1881 में आसे ऄपने ऄवधकार में ले वलया था। यह ईत्तरी-पूिी ऄफ्ीका में
इरीरिया को ईपवनिेश बनाने में सिल रहा। विवभन्न संवधयों के माध्यम से 1880 के दशक में आसने
बीच में पड़ता है। आिली आसे ईपवनिेश बनाने में वििल रहा और 1896 में यहााँ के राष्ट्रिाकदयों ने आिली
को हरा कदया। 1911 में, आिली ने वनबवल ऑिोमन तुकी साम्रायय से लीवबया को ऄपने कब्जे में ले
वलया। 1935 में आिली ने आवथयोवपया पर हमला करके ईसे ऄपने वनयंत्रण में ले वलया। वितीय विश्व
युि में पराजय के पश्चात् आिली ने ऄपने सभी ईपवनिेशों से हाथ धो वलए।
बेवल्जयम जैसा छोिा-सा राष्ट्र भी ऄफ़्ीकी के क में ऄपना भाग प्राप्त करने में सिल रहा। पहले आसने
कांगो को ऄपना ईपवनिेश बनाया और किर रिांडा और बुरुंडी में ऄपने वनयंत्रण का विस्तार कर
वलया।
ऄंगोला, वगनी और मोजाम्बीक पुतवगाल के ईपवनिेश थे ; िहीं स्पेन के पास मोरक्को, स्पेवनश सहारा
(ररओ डी ओरो आसका भाग था) और स्पेवनश वगनी थे।
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19.5.1. औपवनिे वशक श्वे त लोग कु लीन बन गए और ईन्होंने दे शी ऄश्वे तों का शोषण ककया
ऄफ्ीका में ईपवनिेशिाद ऄपने साथ व्यिसायी, व्यापारी, प्रचारक, सैन्य और प्रशासवनक ऄवधकारी
साथ ले कर अया। ईनमें से ऄनेक ऄफ्ीका की समृि कृ वष-योलय भूवम और व्यापार के लाभ के अकषवण
के कारण िहीं बस गए। प्रचारकों ने ऄपने धमव के प्रचार के वलए यहााँ का रुख ककया और चचों की
स्थापना की। आसवलए अज हम कइ ऄफ़्ीकी देशों को मुवस्लम और इसाइ िचवस्ि िाले क्षेत्रों में
विभावजत देखते हैं। यूरोप िासी ऄफ्ीका में कु लीन बन गए थे और विलावसतापूणव जीिन का अनन्द
ईठाते थे वजसे िे स्िदेश में प्राप्त करने में ऄसमथव थे। दवक्षणी ऄफ्ीका में बोऄसव जैसे औपवनिेवशक श्वेत
लोग ऄफ्ीका में समृि और शवक्तशाली बन गए। ईनका सरकार पर वनयंत्रण था और ईन्होंने ऄफ्ीककयों
को ईनके ककसी भी राजनीवतक ऄवधकार से िंवचत कर कदया था। लगभग प्रत्येक ईपवनिेश में
ऄफ्ीककयों की भूवम को औपवनिेवशक श्वेत लोगों ने कृ वष और खनन के वलए ईनसे ले वलया था और
ऄश्वेत लोग ईनके दासों के रूप में कायव करते थे।
19.5.2. दासप्रथा
दास व्यापार ने कइ ऄफ्ीककयों को बलपूिवक ऄपने घरों को छोड़ने के वलए वििश कर कदया और िे किर
कभी ऄपने घर िापस नहीं लौि सके । आसने कइ पररिारों को नट ह कर कदया। स्थानीय ऄफ्ीककयों का
स्थानीय दास बाजारों में व्यापार होता था। ऄफ्ीका में यूरोपीय खेतों में िे श्रवमकों की भांवत कायव करते
थे। दासप्रथा का मनोिैज्ञावनक कु प्रभाि हीन भािना थी, वजसे सुव्यिवस्थत रूप से समाज में पहुंचाया
जा रहा था और स्िामी और दास के िणवभेद की ऄिधारणा को चचव तक का समथवन प्राप्त था। दवक्षण
ऄफ्ीका और वजम्बाब्िे में ऄफ्ीककयों को ईनके ऄवधकारों से िंवचत करने के वलए िणवभेद के वसिांत की
रं गभेद नीवत को संस्थागत रूप से प्रचाररत ककया गया।
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ऄफ्ीककयों ने बहुत िीरता के साथ औपवनिेवशक सेनाओं का विरोध ककया, परन्तु िे यूरोपीय लोगों की
बंदक
ू की तकनीक के विरुि खड़े नहीं हो सके । यूरोपीय सेनाओं िारा कइ ऄफ्ीककयों को ऄपनी भूवमयों
को छीने जाने, दासता, और यूरोवपयों िारा प्रस्तावित प्रवतकू ल संवधयों और यूरोपीय संस्कृ वत को लागू
करने का विरोध करने के कारण हत्याएाँ की ग । जब कभी भी स्थानीय वनिावसयों ने ईपवनिेवशयों की
मांगों को मानने से मना ककया तो पूरे गााँि को नट ह कर कदया जाता था। बेवल्जयम कांगो ने शायद
अधुवनक युग का पहला जनसंहार देखा था। 1876 से 1910 तक बेवल्जयम के सम्राि वलयोपोल्ड
वितीय के प्रशासवनक ऄवधकाररयों ने लगभग 10 वमवलयन ऄफ्ीककयों को बेवल्जयम कांगो में मौत के
घाि ईतार कदया था।
विवभन्न भौगोवलक कारकों के कारण ऄफ्ीका में विवभन्न अकदिासी संस्कृ वतयााँ देखने को वमलती हैं।
ऄफ्ीका की खींचतान ने ऄफ्ीका को मनमानी सीमाओं के साथ कइ ईपवनिेशों में विभावजत कर कदया
था, वजनमें भौगोवलक वनरन्तरता, सांस्कृ वतक एकता या अर्सथक व्यिहायवता का ऄभाि था। आन
ईपवनिेशों में विवभन्न जनजावतयााँ वनिास करती थीं वजनकी वबलकु ल ही वभन्न-वभन्न संस्कृ वतयााँ थीं। िे
स्ियं को एक राष्ट्र के भाग के रूप में नहीं देखते थे। आसके ऄवतररक्त, ईपवनिेशिाकदयों ने बांिो और राज
करो की शासकीय नीवत का ईपयोग ककया। ईन्होंने एक जनजावत को ककसी ऄन्य जनजावत के मूल्य पर
सरं वक्षत ककया। ऄभीट ह जनजातीय लोगों को शस्त्र और धन ईपलब्ध कराया गया वजसका ईपयोग ऄन्य
जनजावतयों को बलपूिवक ऄधीनता में लाने के वलए ककया जाता था। आसके कारण जनजातीय समूहों में
परस्पर शत्रुता ईत्पन्न हुइ। ईदाहरण के वलए, रिांडा में बेवल्जयम ने आस नीवत का पालन ककया और
स्िाधीनता के पश्चात् देश में वनरं तर जनजातीय चहसा की घिनाएाँ देखने में अ । हाल ही के आवतहास में
यह देखा गया कक 1994 में, आस प्रकक्रया ने सबसे विकृ त नृजातीय संघषव का रूप वलया, वजसमें हुतू
जनजावत के लोगों ने तुत्सी कबीले के लाखों लोगों की हत्या कर दी। ऄफ़्ीकी राष्ट्रों में अज भी राष्ट्रीय
एकता की कमी भयाक्रांत करती है, वजसके कारण एक कायावत्मक लोकतंत्र को सुवनवश्चत करना करठन
हो गया है।
ईपवनिेशिाकदयों और श्वेत ईपवनिेवशयों ने यह सुवनवश्चत ककया कक देशी ऄश्वेत वशवक्षत न हो सकें । ईच्च
वशक्षा की विशेष रूप से ईपेक्षा की गयी। जहााँ भी रं गभेद की नीवत का ऄनुसरण ककया गया, ऄफ्ीककयों
को वभन्न विद्यालयों में वनम्न स्तर की वशक्षा प्रदान की गइ। ऄफ़्ीकी देशों की स्िाधीनता के पश्चात् यकद
सांवा यकीय रूप में कहा जाए तो प्राथवमक, माध्यवमक और ईच्च स्तर पर प्रिेश का ऄनुपात बहुत ही
कम था। ईदाहरण के वलए 1960 में बेवल्जयम कांगो की स्िाधीनता के समय के िल 17 स्नातक थे और
कोइ भी वचककत्सक, िकील, आं जीवनयर नहीं था। आसके ऄवतररक्त सेना में ऄवधकारी पद पर कोइ भी
ऄफ़्ीकी नहीं था। आसके पररणामस्िरूप, स्िाधीनता के पश्चात् प्रशासवनक ऄक्षमता देखने को वमली
वजसकी पररवणवत लोकतावन्त्रक सरकारों के वनरं तर पतन में हुइ। वनिाववचत सरकारें विकास के बड़े
लक्ष्यों को पूरा करने में वििल रहीं और िे सहायता के वलए विकवसत विश्व पर वनभवर हो गए, वजसके
कारण ऄफ़्ीकी देशों में एक नि-ईपवनिेशिाद अया। अज ऄफ्ीका की जनसंा या तेजी से बढ़ रही है
और आसकी ऄवधकांश जनसंा या कायवशील अयुिगव में है। वशक्षा की कमी के चलते आस कायवशील
अयुिगव के ढांचे को जनसांवा यकीय लाभांश में पररिर्सतत करने का प्रयास ककया जा रहा है , यकद यह
कायव अरं भ में हुअ होता तो ितवमान में एक कु शल कायवबल सुवनवश्चत ककया जा सकता था।
स्िास््य क्षेत्रक को भी बहुत ऄवधक ईपेवक्षत ककया गया। ये ईपवनिेश भूमध्यरे खीय अद्रव जलिायु के
कारण वनयवमत रूप से कइ महामाररयों से ग्रस्त रहते हैं। HIV- AIDS ऄफ्ीका में सिाववधक प्रचवलत
बीमारी है और अज WHO तथा वबल एिं वमचलडा गेट्स िाईं डेशन जैसे गैर-सरकारी संगठनों के वलए
यह सबसे बड़ा कायवक्षेत्र है।
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िषव 1900 तक प्रशांत महासागर के लगभग सभी िीप औपवनिेवशक वनयंत्रण में अ गए थे।
संयुक्त रायय ऄमेररका: 1823 में संयुक्त रायय ऄमेररका ने मुनरो वसिांत प्रस्तुत ककया। आसमें दो बातों
पर विशेष बल कदया गया था: सम्पूणव ऄमेररका (ईत्तर और दवक्षण) में ऄलगाि और यू.एस. ऄवधपत्य
की नीवत। आसमें कहा गया था कक संयुक्त रायय ऄमेररका यूरोपीय मामलों या ईनके ईपवनिेशों में
हस्तक्षेप नहीं करे गा और ऄपने बैकयाडव (ईत्तर और दवक्षण ऄमेररका) में ककसी भी प्रकार के हस्तक्षेप को
अक्रामक कायविाही मानेगा। परन्तु 1890 तक, ऄमेररका एक नइ साम्राययिादी शवक्त के रूप में ईभरा।
आसने ऄमेररका के बाहरी क्षेत्रों को भी ऄपने प्रभाि में लाना प्रारम्भ कर कदया ऄथावत आसने ऄपनी
‘बैकयाडव’ ऄिधारणा का विस्तार प्रशांत महासागर और सुदरू पूिव (चीन) तक कर कदया।
1881 तक यू.एस.ए. ने हिाइ िीप समूह पर यह कहते हुए दािा करना प्रारं भ कर कदया कक ये िीप
ऄमेररका के ऄंग हैं। स्पेन-ऄमेररकी युि (वजसे स्पेन के ईपवनिेश क्यूबा पर ऄवधपत्य के वलए लड़ा गया
था) के पररणामस्िरूप:
o प्रशांत महासागर में स्पेन के ईपवनिेश:
किलीपींस पर यू.एस.ए. ने अक्रमण ककया और आसका ऄवधग्रहण कर वलया।
प्युिो ररको और गुअम को ऄमेररका को सौंप कदया गया।
o यद्यवप क्यूबा को स्ितंत्र कर कदया गया परन्तु आसकी विदेश नीवत यू.एस.ए. के वनयंत्रण में अ गइ
और आसपर ककसी ऄन्य देश के साथ संवध करने पर प्रवतबन्ध लगा कदया गया।
हिाइ िीप समूह (प्रशांत क्षेत्र) पर 1898 में अवधकाररक रूप से यू.एस. का वनयंत्रण हो गया। (*गुअम
और हिाइ िीप अज भी ऄमेररका की एवशया नीवत के वलए रणनीवतक रूप से महत्त्िपूणव हैं)।
ऄमेररका, जमवनी और वििेन के मध्य सामोअ िीप पर वनयंत्रण को लेकर वििाद था। 1899 में सामोअ
िीपों को यू.एस. और जमवनी के मध्य विभावजत कर कदया गया। (वििेन को आसकी क्षवतपूर्सत कहीं और
की गइ)।
वििेन के मामले में न्यूजीलैंड और ऑस्िेवलया के ऄवधिासी चाहते थे कक ईनके असपास के क्षेत्रों को
वििेन ऄपना ईपवनिेश बनाए। वनरं कुश शासन का विरोध करने िाले किजी के मूल वनिावसयों की मांग
पर वििेन ने 1885 में किजी पर ऄवधकार कर वलया। 1885 में वििेन और जमवनी ने न्यू वगनी के पूिी
भाग को ऄपने मध्य विभावजत कर वलया, जबकक पवश्चम भाग पर हॉलैंड का वनयंत्रण था। प्रशांत
महासागर के कु छ िीपों को जमवनी ने स्पेन से खरीद वलया।
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मध्य और पवश्चमी एवशया में ईपवनिेशों को लेकर प्रवतिंकदता मुा य रूप से रूस और वििेन के मध्य थी।
व्यापार की सुगमता के वलए रूस समुद्र तक असान पहुंच चाहता था, आसवलए िह आन क्षेत्रों के
बन्दरगाहों को वनयंवत्रत करना चाहता था। िह विस्तारिादी नीवत का पालन कर रहा था, जो वििेन के
भारतीय साम्रायय के वलए खतरा थी। 1907 तक दोनों प्रवतिवन्दयों के संबंध तनािपूणव थे। एवशया में
रुसी विस्तार क्रीवमया युि (1853-56) के पश्चात् प्रारम्भ हुअ, वजसमें फ़्ांस, वििेन, ऑिोमन साम्रायय
और सार्सडवनया (आिली) के गठबंधन से रूस की पराजय हुइ। क्रीवमया युि में रूस वनबवल ऑिोमन
साम्रायय के वहतों के मूल्य पर विस्तार करना चाहता था जबकक यूरोपीय शवक्तयााँ रूस के आस विस्तार
के विरुि थीं, क्योंकक आससे पूिी यूरोप के रुसी प्रभाि में अने का खतरा था। 1858 में रूस ने ऄपने
सुदरू पूिी क्षेत्र और मंचूररया (चीन) के बीच अधुवनक सीमा की स्थापना के वलए, चीन को ऄमूर नदी
के ईत्तर में एक विशाल क्षेत्र रूस को सौंपने पर वििश कर कदया। चीन अज भी रूस से आस क्षेत्र को
िापस लेने के वलए प्रयासरत है।
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19िीं शताब्दी के ऄिीम युिों ने चीन को विश्व के साथ खुलने पर वििश कर कदया ऄथावत् व्यापार,
विदेवशयों का अिागमन और राजनवयक सम्बन्धों की स्थापना होने लगी।
ऐवतहावसक रूप से, चीन में राष्ट्रीय एकता थी और मांचू िंश ने 1640 से 1911 तक िहां शासन ककया।
परन्तु, 1840 से 1949 की ऄिवध में चीन विदेशी हस्तक्षेप, गृहयुि और विघिन का साक्षी बना।
ताइचपग विद्रोह (1850-64) एक धार्समक-राजनीवतक अन्दोलन था, वजसे चीन की प्रादेवशक सेनाओं ने
कु चल कदया था।
1858 में ऄमूर नदी के ईत्तर का क्षेत्र रूस को सौंपना पड़ा।
जापान ने 1894-95 में चीन पर अक्रमण ककया और चीन के कइ भागों को ऄपने वनयंत्रण में कर
1899-1900 में बॉक्सर विद्रोह हुअ। यह विदेशी लोगों की ईपवस्थवत एिं हस्तक्षेप विरोधी और
आसाइ-विरोधी था। आसे दबाने के वलए ऄंग्रेजों ने भारतीय सैवनकों को तैनात ककया।
1904-05 के रूस-जापान युि में जापान विजयी रहा और रूस िारा वनयंवत्रत क्षेत्रों को ऄपने वनयंत्रण
में ले वलया।
1911 में मांचू राजिंश को सत्ता से बाहर कर कदया गया और गणतन्त्र की घोषणा कर दी गइ।
1916 से 1928 तक चीन में कोइ भी के न्द्रीय सत्ता ऄवस्तत्ि में नहीं थी और विवभन्न प्रान्तों में वनजी
सेनाओं िाले जनरलों का वनयंत्रण था। आस युग को िॉरलॉडव युग (Warlord Era) के रूप में जाना
जाता है।
कु ओवमन्तांग या KMT या नेशनवलस्ि पािी का ईद्भि िॉरलॉडव युग में हुअ और आसने िॉरलॉडव युग को
1928 तक पूणव रूपेण समाप्त कर कदया। सन यात सेन और ईसके पश्चात् चयांग काइ शेक आसके
महत्त्िपूणव नेता थे।
1920 के दशक के ईपरांत KMT और चीनी कम्युवनस्ि पािी के मध्य गृह-युि लड़ा गया, वजसमें 1949
में चीनी कम्युवनस्ि पािी विजयी हुइ, चीन में कम्युवनस्ि सरकार की स्थापना हुइ, चयांग काइ शेक भाग
कर ताइिान चले गए और िहीं से वनिाववसत सरकार का संचालन ककया।
1514 में पुतवगावलयों ने चीन की खोज की और 1557 में कैं िन में एक व्यापाररक कें द्र की स्थापना के
साथ ही आन्होंने चीन के साथ व्यापाररक संबंध स्थावपत ककए। 1730 तक, सभी यूरोपीय राष्ट्र चीन के
साथ व्यापार में संलग्न हो गए थे, जबकक संयुक्त रायय ऄमेररका ने 1784 में चीन के साथ व्यापार
प्रारम्भ ककया। परन्तु जब यूरोपीय राष्ट्रों, विशेषकर रोम (1870 तक रोम को फ़्ांस का समथवन प्राप्त
था। आसवलए फ़्ांस की भी चीन में संवलप्तता थी।) के इसाइ प्रचारकों ने चीन के अंतररक मामलों में
हस्तक्षेप करना प्रारम्भ कर कदया तो चीन ने पृथकतािादी नीवत का ऄनुसरण ककया। चीन ने कु छ
चयवनत चीनी व्यापाररयों के माध्यम से के िल कैं िन बन्दरगाह से सीवमत व्यापार की ऄनुमवत प्रदान
की।
19िीं शताब्दी में, चीन में मांचू िंश की वनबवल सरकार थी। आस समय तक वििेन चीन का प्रमुख
व्यापाररक सहभागी बन गया था परन्तु चीन के अत्मवनभवर होने और पवश्चम से कम अयात के कारण
यह व्यापार संतुलन वििेन के पक्ष में नहीं था। चूंकक चीनी लोग वििेन को वनयावत (विशेषरूप से चाय
और रे शम) के भुगतान के रूप में के िल सोने जैसी मूल्यिान धातुओं को स्िीकार करते थे ऄतः ऄंग्रेजों
को व्यापाररक घािे का सामना करना पड़ रहा था। आस समस्या के समाधान के रूप में ऄंग्रेजों ने
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भुगतान के रूप में ऄिीम का विवनमय प्रारम्भ कर कदया। चीन ने आसका विरोध ककया और
पररणामस्िरूप 1840-42 और 1858 में ऄिीम युि हुए। ऄिीम युिों के पश्चात्, ऄंग्रेजों ने हांगकांग
पर ऄवधकार कर वलया और चीन से बलपूिवक व्यापाररक सुविधाएाँ प्राप्त कर लीं। ईन्होंने व्यापाररक
के न्द्रों पर ऄंग्रेजी सम्प्रभुता की स्थापना भी कर ली। पवश्चमी देशों के साथ व्यापार के विरोध की नीवत
को समाप्त करने के वलए चीन को वििश ककया गया। विरिश व्यापार एिं विरिश लोगों के चीन में बसने
हेतु चीन के प्रमुख बन्दरगाहों को खोल कदया गया। चीन पर मुक्त व्यापार थोप कदया गया। आसका ऄथव
था कक ऄंग्रेज ऄब ककसी भी चीनी व्यापारी के साथ व्यापार कर सकते थे और साथ ही अयात शुल्क भी
कम कर कदए गए। आसके ऄवतररक्त एक ऄंग्रेज राजनवयक स्थायी रूप से चीन में वनयुक्त कर कदया गया।
चीन में रहने िाले विरिश नागररकों पर के िल विरिश कानून के ऄंतगवत ही ऄवभयोग चलाया जा
सकता था।
दो ऄिीम युिों के मध्य, ऄन्य यूरोपीय राष्ट्र और संयुक्त रायय ऄमेररका ने भी चीन के साथ व्यापाररक
ऄनुबंधों पर हस्ताक्षर ककए, परन्तु िे ऄवधक ऄनुकूल संवधयााँ चाहते थे वजसके पररणामस्िरूप वितीय
ऄिीम युि हुअ।
वितीय ऄिीम युि के पश्चात्, व्यापाररक संवधयों में संशोधन ककये गए और पहले से ऄवधक चीनी
बन्दरगाहों को व्यापार के वलए खोल कदया गया। यूरोपीय पोतों को चीनी नकदयों में अिागमन का
ऄवधकार प्राप्त हो गया और यूरोपीय लोग स्ितंत्र रूप से चीन में यात्रा कर सकते थे। चीन को इसाइ
धमव प्रचारकों की सुरक्षा का िचन देना पड़ा और ईन्हें चीन में कहीं भी चचव स्थावपत करने का ऄवधकार
प्राप्त हो गया। यह विडम्बना ही थी कक चीन में धार्समकता के अयात के साथ ऄिीम के व्यापार को भी
िैध बना कदया गया। वितीय ऄिीम युि के पश्चात् , कइ ऄन्य यूरोपीय राष्ट्र, कु छ दवक्षणी ऄमेररकी राष्ट्र
और जापान ने चीन के साथ व्यापाररक संबंध स्थावपत ककये। आस प्रकार चीन को विवभन्न साम्राययिादी
शवक्तयों के वलए खोल कदया गया, वजन्होंने धीरे -धीरे सम्पूणव चीन में ऄपने प्रभाि क्षेत्र स्थावपत कर
वलए।
22.2.1. 1858 में ऄमू र नदी के ईत्तर का क्षे त्र रूस को सौंपना पड़ा
1858 में चीन वनबवल था। यह वितीय ऄिीम युि में हार रहा था और साथ ही ताइचपग विद्रोह का भी
सामना कर रहा था। 1858 में रूस ने अक्रमण की धमकी दी और पररणामस्िरूप चीन को ऄमूर नदी
के ईत्तर का बहुत बड़ा क्षेत्र रूस को सौंपने के वलए वििश होना पड़ा।
मांचू राजिंश ने चीन पर 1640 से 1911 तक शासन ककया। 1840 के दशक में प्रथम ऄिीम युि तक
मांचू शासकों ने पृथकतािाद या ऄलगाि की नीवत का ऄनुसरण ककया। यह ऄपनी ऄलगाििादी नीवत
को बनाए रखने में सक्षम था, क्योंकक चीन सभी िस्तुओं के वलए अत्मवनभवर था और िास्ति में ईसका
शेष विश्व के साथ व्यापार संतुलन (BoT) बहुत ही सकारात्मक था। आसकी चाय ऄंग्रेजों िारा ऄपने
साम्रायय और शेष विश्व में पहुंचा दी गइ। िास्ति में , बोस्िन िी पािी की चाय भी चीनी चाय थी। चीन
में कोइ बड़ा ईथलपुथल नहीं हुअ था और 1840 के दशक तक यह सामान्यतः शांत ही रहा। 1840 में
यूरोपीय राष्ट्रों ने व्यापाररक सम्भािनाओं का लाभ ईठाने के वलए चीन में बलपूिवक ऄपना मागव प्रशस्त
ककया। ईनका ईद्देश्य चीन को कच्चे माल का वनयावतक और तैयार माल का अयातक बनाना था। चीन में
हस्तक्षेप करने िाला पहला देश वििेन था। आसने ऄिीम युि लड़ा और आसमें विजय प्राप्त की आसके
पररणामस्िरूप चीन को ऄपनी ऄलगाििादी नीवत को समाप्त करने के वलए वििश होना पड़ा। ऄन्य
यूरोपीय राष्ट्रों ने भी वििेन का ऄनुसरण ककया और चीन को ऄपने प्रभाि क्षेत्रों में विभावजत कर कदया।
प्रभाि क्षेत्र िे क्षेत्र थे जहााँ विवशट ह यूरोपीय राष्ट्रों को विशेष बन्दरगाहों पर विशेष ऄवधकार और
सुविधाएाँ प्राप्त थी। आसके पश्चात् 19िीं और 20िीं शताब्दी के अरम्भ में संयुक्त रायय ऄमेररका ने खुले
िार की नीवत (Open Door Policy) थोप दी, जहााँ ककसी ऄन्य राष्ट्र के मामलों में हस्तक्षेप ककए
वबना, सभी राष्ट्र चीन से व्यापार करने के वलए स्ितंत्र थे।
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1850-64 की ऄिवध में दवक्षणी चीन में ताइचपग विद्रोह हुअ। यह अंवशक रूप से धार्समक और अंवशक
रूप से राजनीवतक अन्दोलन था, वजसका ईद्देश्य मांचू राजिंश के विरुि सशस्त्र विद्रोह के माध्यम से
पूणव शांवत का कदव्य साम्रायय (Heavenly Kingdom of Great Peace) स्थावपत करना था। इसाइ
ताइचपग विद्रोवहयों ने सम्पवत्त में सहभावगता (पररिार के सदस्यों की संा या के ऄनुसार भूवम का
वितरण), मवहलाओं को समानता और कन्फ्यूवशयसिाद, बौि धमव तथा चीनी लोक धमव को इसाइ धमव
से प्रवतस्थावपत करने की मांग की। ताइचपग विद्रोह को कु चल कदया गया, परन्तु के न्द्रीय सरकार िारा
नहीं, ऄवपतु प्रांतीय सेनाओं िारा। मााँचू शासकों के वनयंत्रण और ईनकी प्रवतष्ठा में वगरािि ने प्रान्तों को
के न्द्रीय सरकार से स्ितंत्र होने के वलए प्रोत्सावहत ककया। यह प्रकक्रया िॉरलॉडव युग में (1916-28)
अरम्भ हुइ, जहााँ िास्तविक शवक्त क्षेत्रीय सेनाओं के पास थी वजनका नेतृत्ि विवभन्न िॉरलॉडवस करते
थे।
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वमली। एक ओर तो एक एवशयाइ देश के हाथों रूस की पराजय ने एवशयाइ लोगों को ईनके स्ितन्त्रता
संघषों में मानवसक रूप से प्रोत्सावहत ककया तो दूसरी ओर रूस में जार के शासन को वनबवल कर कदया।
यह पराजय जार के पतन का एक महत्त्िपूणव कारण बनी और 1905 में रूसी क्रांवत के पररणामस्िरूप
जार का शासन समाप्त हो गया। 1905 की रूसी क्रांवत के िलस्िरूप रूस में सीवमत संविधावनक
राजतन्त्र ऄवस्तत्ि में अया और ऄंततः 1917 में कम्युवनस्ि शासन की स्थापना हुइ।
1900 के प्रारम्भ में पवश्चम में वशवक्षत चीनी युिक ईग्र क्रवन्तकारी विचारों के साथ चीन अए। िे मांचू
राजिंश को ईखाड़ िें कना चाहते थे और ईनमें से सन यात सेन जैसे कु छ लोग संयुक्त रायय ऄमेररका
जैसा लोकतंत्र स्थावपत करना चाहते थे। सन यात सेन ने कु ओवमन्तांग या KMT या नेशनवलस्ि पािी
का गठन ककया।
1911 में गणतन्त्र: 1911 की क्रांवत में ऄवधकांश प्रान्तों ने स्ियं को स्ितंत्र घोवषत कर कदया और आसी
के साथ मांचू राजिंश का शासन समाप्त हो गया। नइ सरकार ने युिा बुविजीवियों िारा मांगे गए
लोकतावन्त्रक सुधारों को लाने का प्रयास ककया। परन्तु प्रांतीय सेनाओं ने आन सुधारों का विरोध ककया
और 1911 के सैन्य ता तापलि में नइ सरकार को सत्ता से बाहर कर कदया। युअन शी काइ नामक सैन्य
जनरल ने स्ियं को राष्ट्रपवत घोवषत करते हुए चीन को गणतन्त्र घोवषत कर कदया। परन्तु जब प्रांतीय
सेनाओं की आचछा के विरुि, युिान ने स्ियं को 1915 में सम्राि घोवषत ककया तो ईसे सत्ताचयुत कर
प्रथम विश्व युि (1914- 19) के दौरान, जापान ने ककयाचो िीपों और शान्तुंग प्रांत के रूप में और
ऄवधक चीनी प्रदेशों पर कब्जा कर वलया। हालांकक, 1921 में िाचशगिन सम्मेलन के दौरान प्रशांत
महासागर में ऄमेररकी, विरिश और फ्ांसीसी नौसेनाओं की ईपवस्थवत को सीवमत करने के बदले
जापान आन प्रदेशों को मुक्त करने पर सहमत हो गया।
आस समय चीन कइ राययों में विभावजत था, प्रत्येक रायय एक िॉरलॉडव के वनयंत्रण में था जो ऄपनी
वनजी सेना के सहयोग से अपस में लड़ते रहते थे। िॉरलॉडव युग में चीन में ऄराजकता पैदा हुइ वजससे
ककसानों को सबसे ऄवधक करठनाआयों का सामना करना पड़ा।
4 मइ का अंदोलन (1919) सामंतों और प्रवतगामी चीनी संस्कृ वत के विरूि चीनी युिाओं िारा अरं भ
ककया गया एक अंदोलन था। आस अन्दोलन में छात्रों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदशवन ककया। 1921 में
चीनी कम्युवनस्ि पािी की स्थापना की गइ और यह ककसानों के वहतों के प्रवत सहानुभूवत रखती थी, जो
िॉरलॉडव युग के दौरान समाज का सबसे शोवषत िगव था। आसके साथ ही, चयांग काइ शेक के नेतृत्ि में
कोवमन्तांग स्ियं को सैन्य दृवट ह से मजबूत बना रहा था और आसने 1927-28 के ऄंत तक िॉरलॉडव का
शासन समाप्त करने और देश में एकता कायम करने में सिलता प्राप्त कर ली। कोवमन्तांग चीनी
कम्युवनस्ि पािी की साम्यिादी विचारधारा के विरूि था। चीनी कम्युवनस्ि पािी ने भूवम के पुनर्सितरण
जैसे ईपायों के माध्यम से कृ षक कल्याण पर ध्यान कें कद्रत ककया, जबकक कोवमन्तांग जमींदार समथवक
था और यह भूवम के पुनर्सितरण जैसे ईपायों का विरोधी था। सैन्य रूप से मजबूत होने के कारण 1927
तक कोवमन्तांग कम्युवनस्िों पर हािी रहा।
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कोवमन्तांग दल का गठन 1912 में डॉ. सन यात सेन ने ककया था। िह 1911 की क्रांवत के बाद चीन
िापस लौि अए थे। कोवमन्तांग का लक्ष्य संयुक्त, लोकतांवत्रक और अधुवनक चीन की स्थापना करना
था। हालांकक कोवमन्तांग की विचारधारा साम्यिादी नहीं थी, लेककन प्रारं वभक चरण में यह
साम्यिाकदयों के साथ सहयोग करने के वलए तैयार था। डॉ. सन यात सेन ने िॉरलॉडव युग के दौरान
चीनी विघिन का विरोध ककया था। ईनकी नीवत का विश्लेषण राष्ट्रिाद, लोकतंत्र और भूवम सुधार के
तीन वसिांतों में ककया जा सकता है। राष्ट्रिाद िारा, िह चीनी मामलों में विदेशी हस्तक्षेप का ऄंत और
एक महान राष्ट्र का वनमावण करना चाहते थे, जबकक लोकतंत्र िारा िह िॉरलॉडवस का शासन समाप्त
करना चाहते थे। भूवम सुधार के वसिांतों के ऄंतगवत, िह जमींदारों से भूवम की तत्काल जब्ती के पक्ष में
नहीं थे, बवल्क ईन्होंने ककसानों से िादा ककया कक िे ककसानों के पक्ष में भविष्य में भूवम के पुनर्सितरण
का प्रयास करें गे साथ ही ईनके अर्सथक विकास और लगान कम करने के वलए भी प्रयास करें गे।
डॉ. सन यात सेन ऄपने लक्ष्य में के िल अंवशक रूप से सिल रहे। 1912 में, िह दवक्षणी िॉरलॉडवस की
सहायता से दवक्षण चीन के कैं िन में सैन्य सरकार बनाने में सिल रहे। आस प्रकार, लोकतंत्र का ईद्देश्य
नहीं प्राप्त हो सका। पुनः कोवमन्तांग के पास शवक्तशाली सेना के ऄभाि के कारण दवक्षणी चीन के
बाहर डॉ. सन यात सेन का प्रभाि अंवशक ही था। दवक्षणी सामंतों के साथ ईनका गठजोड़ 1921 में
समाप्त हो गया और ईसके बाद ईन्हें कैं िन से पलायन करना पड़ा और चीन के एकीकरण के वलए
सोवियत रूस की सहायता मांगनी पड़ी, वजसने कोवमन्तांग की सेना का अधुवनकीकरण करने और
प्रवशवक्षत करने में सहायता प्रदान की। िह राष्ट्रिाद की भािना पैदा करने में सिल रहे और बौविक
राजनीवतज्ञ के रूप में प्रवसि हुए लेककन विदेशी हस्तक्षेप समाप्त नहीं कर पाए तथा चीन को महान राष्ट्र
नहीं बना पाए। 1925 में 59 िषव की अयु में ईनकी मृत्यु हो गइ, वजसके बाद चयांग काइ शेक
कोवमन्तांग का नेता बना।
1925 के बाद, सैन्य रूप से प्रवशवक्षत चयांग काइ शेक ने सोवियत सहायता से कोवमन्तांग की सेना का
अधुवनकीकरण ककया। हालांकक ईसने सोवियत रूस की कम्युवनस्ि पािी और लाल सेना की
कायवप्रणाली का ऄध्ययन ककया था परन्तु ईसकी विचारधारा दवक्षणपंथी थी और िह पूंजीिादी िगव का
समथवक था। ईसने 1925 में कोवमन्तांग से सभी कम्युवनस्ि सदस्यों को वनकाल कदया और आससे वसि
होता है कक िह ऄपने पूिविती सन यात सेन की तुलना में कम सवहष्णु था।
कोवमन्तांग का लक्ष्य चीन में लोकतंत्र की स्थापना करना था। सोवियत रूस ने 1921 के बाद से
कोवमन्तांग के नेतृत्ि में एक वमत्रित और संयुक्त चीन की ईम्मीद के साथ नकदी, सैन्य प्रवशक्षण और
हवथयारों के रूप में कोवमन्तांग की सहायता करना अरं भ कर कदया। िहीं दूसरी ओर, 1921 में
िामपंथी बुविजीवियों ने चीनी कम्युवनस्ि पािी का गठन ककया। कोवमन्तांग और चीनी कम्युवनस्ि पािी
दोनों को िॉरलॉडवस युग के दौरान कृ षकों और मजदूरों का समथवन वमला।
ईत्तरी ऄवभयान (Northern March: 1926) िॉरलॉडवस के विरूि कोवमन्तांग और चीनी कम्युवनस्ि
पािी का सैन्य ऄवभयान था। 1927 में, िॉरलॉडवस के विरूि ऄपनी विजय के बाद, कोवमन्तांग ने
शुिीकरण अंदोलन अरं भ ककया। यह चीनी कम्युवनस्ि पािी के विरूि कोवमन्तां ग का ऄवभयान था।
आस दौरान मजदूर और ककसान नेताओं के साथ-साथ चीनी कम्युवनस्ि पािी के सदस्यों का भी संहार
ककया गया। िस्तुत: आस दौरान चीनी कम्युवनस्ि पािी को कािी हद तक समाप्त कर कदया गया।
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लेककन सत्ता में अने िाली ऄनुिती कोवमन्तांग सरकार जनता की अकांक्षाएं पूरा करने में वििल रही।
यह सरकार ऄक्षम और भ्रट ह थी। जमींदारों, ईद्योगपवतयों और सरकारी ऄवधकाररयों के मध्य गठजोड़
विकवसत हुअ, वजसका पररणाम गरीबों के शोषण के रूप में सामने अया। श्रवमक कायव की खराब
वस्थवतयों से पीवड़त थे, जबकक कृ षक भूवम सुधारों के ऄभाि, उंचे करों और बेगार से त्रस्त थे।
1930 से लेकर 1934 तक, चीनी कम्युवनस्ि पािी को नट ह करने के वलए कोवमन्तां ग ने घेराबंदी
ऄवभयान (Encirclement Campaigns) चलाया। आसकी रणनीवत चीनी कम्युवनस्ि पािी को ईसके
अधार पर घेरने और युि में ईन्हें नष्ि करने की थी। 1934 में कम्युवनस्ि पलायन आस संदभव में प्रवसि
है, वजसमें चीनी कम्युवनस्ि पािी के 1 लाख कायवकताव दवक्षण-पवश्चम चीन में कोवमन्तांग की घेराबंदी के
बािजूद चीनी कम्युवनस्ि पािी के मुा यालय से वनकलने में सिल रहे और िे दवक्षण-पवश्चम चीन से
ईत्तर में पहाड़ों तक 6000 मील लॉन्ग माचव पर वनकल पड़े। चीनी कम्युवनस्ि पािी के कायवकतावओं ने
एक िषव में 6000 मील की दूरी तय की (लगभग 9600 कक.मी.) तथा ऄपने मागव में ईन्होंने पहाड़ों और
नकदयों को पार ककया एिं कोवमन्तांग के सहयोगी िॉरलॉडवस से युि करते हुए कइ प्रदेशों पर ऄवधकार
कर वलया। 1 लाख में से के िल 20 हजार सदस्य जीवित बचे और ईन्होंने सेंसी प्रांत में ऄपना नया
अधार स्थावपत ककया।
ककसानों की सहायता से चीनी कम्युवनस्ि पािी के शेष बचे नेतृत्ि ने , विशेषकर माओ त्से तुंग ने पािी
को पुनःस्थावपत ककया। आसके पश्चात् चीनी कम्युवनस्ि पािी ने धीरे -धीरे और ऄवधक क्षेत्रों को ऄपने
वनयंत्रण में लाना अरं भ ककया। ईन्होंने ईवचत प्रशासन प्रदान ककया और ऄपने वनयंत्रणाधीन क्षेत्रों में
कृ षकों के वहत में भूवम सुधारों को प्रारं भ ककया, वजससे ईन्हें अम जनता का और ऄवधक समथवन प्राप्त
हुअ।
1931 में जापान ने मंचूररया पर अक्रमण कर कदया और िहां कठपुतली सरकार (मंचुकुओ) की
स्थापना की। 1931 से, चीन के विरूि जापानी अक्रामकता की छोिी-छोिी स्थानीय "घिनाएं" होती
रहीं। लेककन कोवमन्तांग ने जापावनयों के विरूि पूरी उजाव लगाने की बजाय चीनी कम्युवनस्ि पािी के
कायवकतावओं पर हमला करना जारी रखा। ऄपने ही सैवनकों के दबाि के चलते , कोवमन्तांग को 1936 में
चीनी कम्युवनस्ि पािी के साथ युिविराम करना पड़ा और आसके बाद दोनों ने जापानी अक्रमण के
विरूि एक साथ वमलकर लड़ाइ लड़ी, वजसने 1937 में चीन पर जापानी अक्रमण के दौरान पूणवव्यापी
युि का रूप धारण कर वलया। आसे वितीय चीन-जापान युि (1937-45) कहा जाता है जोकक वितीय
विश्व युि का ही एक भाग था।
कोवमन्तांग बलों को शीघ्रतापूिक
व जापानी सेना ने हरा कदया जबकक चीनी कम्युवनस्ि पािी के
कायवकतावओं को ऄपनी गुररल्ला युि रणनीवत के कारण ऄवधक सिलता वमली। आससे कम्युवनस्िों का
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समथवन अधार बढ़ गया और आन्हें ऄब देशभक्तों के रूप में देखा जाने लगा। आसके साथ ही, माओ (जो
1931 से ही चीनी कम्युवनस्ि पािी का ऄध्यक्ष था) ने सुधार प्रकक्रया शुरू करने में विलंब नहीं ककया
और युि के बीच में ही वजतनी जल्दी संभि हुअ आसे अरं भ कर कदया। ईदाहरण के वलए, 1942 में
आसने एक पररशोधन कायवक्रम (Rectification programme) अरं भ ककया वजसके ऄंतगवत ककसानों के
जीिन की करठनाआयों को समझने और समानुभूवत प्रकि करने के वलए बुविजीवियों, छात्रों और शहरी
युिाओं को कृ षकों के साथ खेतों पर काम करने के वलए दूर -दराज के गांिों में भेजा गया। आस प्रकार,
चीन-जापान युि के दौरान चीनी कम्युवनस्ि पािी ऄपनी गुररल्ला युि नीवत के माध्यम से एिं ऄवधक
से ऄवधक चीनी ककसानों और श्रवमकों को भती करके चीन पर ऄपना सैन्य वनयंत्रण बढ़ाने में सिल
रही।
1945 के बाद, चीनी कम्युवनस्ि पािी और कोवमन्तांग के बीच पुन: गृहयुि अरं भ हो गया। जापान को
हराने के बाद ऄमेररका और सोवियत संघ ने चीन में जापान के वनयंत्रण िाले क्षेत्रों पर कब्जा कर वलया
था। चूंकक ऄमेररका साम्यिाद के विरूि था, ऄत: ईसने ऄपने कब्जे िाला क्षेत्र कोवमन्तांग को सौंप
कदया जबकक रूस ने मंचुररया को चीनी कम्युवनस्ि पािी को सौंप कदया। आस प्रकार, ऄब चीनी गृहयुि
शीत युि का भाग बन गया, वजसमें ऄमेररका कोवमन्तांग का समथवन कर रहा था और सोवियत संघ
चीनी कम्युवनस्ि पािी का समथवन कर रहा था।
1949 तक, चीनी कम्युवनस्ि पािी का वनयंत्रण लगभग सम्पूणव चीन पर हो चूका था क्योंकक ईसकी
लाल सेना ऄपेक्षाकृ त बड़ी और सोवियत हवथयारों से भलीभांवत सुसवित थी। आसने चयां ग काइ शेक
को ताआिान भागने के वलए वििश ककया जहां चयांग काइ शेक ने वनिाववसत चीनी सरकार की स्थापना
की। संयुक्त रायय ऄमेररका ने आस सरकार को चीन की िैध सरकार के रूप में मान्यता दी, जबकक विश्ि
के मानवचत्र पर चीन के मुा य भूवम िाले क्षेत्र में एक नए साम्यिादी देश का ईदय हुअ।
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जापान एक छोिा सा िीपीय देश था, जहां ऄवधकांश लोग बहुत मामूली मजदूरी पर वनिावह करते थे।
आस प्रकार जापान में घरे लू बाजार का ऄभाि था। जापान को ऄपने नए विकवसत हो रहे ईद्योगों का
पोषण करने के वलए वनयावत बाजारों और कच्चे माल की अिश्यकता थी, वजसकी तलाश में ईसे
ईपवनिेशिाद का अश्रय लेना पड़ा। कोयला और खवनज के समृि भंडारों के कारण मंचूररया बहुत
महत्िपूणव था। साथ ही यह प्रशांत महासागर तक पहुंच भी प्रदान करता था। 1858 के बाद से मंचूररया
पर रूस के वनयंत्रण से जापान ऄसंतुट ह था।
चीन-जापान युि (1894-95): यह युि मुा यतः कोररया के वलए लड़ा गया था, जो ऄब तक चीन के
वनयंत्रण में था। हार के पश्चात् चीन ने कोररया को एक स्ितंत्र रायय के रूप में मान्यता प्रदान कर दी
(*जापान ने 1910 में कोररया पर ऄवधकार ककया)। आसके ऄवतररक्त चीन को दवक्षणी चीन के कु छ क्षेत्र
जापान को देने हेतु वििश ककया गया। िॉमोसा (ताइिान) पर जापान ने ऄवधकार कर वलया। आस युि
के पश्चात् दवक्षण चीन सागर में वस्थत सेनकाकू िीप पर जापान ने कब्जा कर वलया। यह िीप अज भी
चीन और जापान के मध्य वििाद का मुद्दा बना हुअ है। आसके ऄवतररक्त मंचूररया भी जापान के अर्सथक
प्रभाि में अ गया।
रूस-जापान युि (1904-05): यह युि मंचूररया पर ऄवधकार के वलए लड़ा गया था। जापान आस युि
में विजयी हुअ और चीन में वस्थत रूसी सम्पवत्तयों का ऄवधग्रहण कर वलया। आस प्रकार और ऄवधक
चीनी क्षेत्र जापान के वनयंत्रण में अ गया। आस युि के पररणामस्िरूप:
o जापान को दवक्षण मंचूररया में विशेषावधकार की वस्थवत प्राप्त हो गइ (ऄथावत दवक्षण मंचूररया को
जापान ने ऄपने प्रभाि क्षेत्र में पररिर्सतत कर कदया) और ईसे ऑथवर बन्दरगाह भी प्राप्त हो गया।
o 1905 में जापान ने स्ितंत्र कोररया को ऄपने सरं वक्षत क्षेत्र में पररिर्सतत कर कदया और वलओतुंग
प्रायिीप पर वनयंत्रण स्थावपत कर वलया।
o रूस ने सखावलन िीपों का अधा क्षेत्र जापान को सौंप कदया।
जापान ने 1910 में कोररया पर ऄवधकार स्थावपत कर वलया। प्रथम विश्ियुि के दौरान, जापान चीन
को ऄपने संरवक्षत रायय में पररिर्सतत करना चाहता था लेककन ऐसा करने में िह वििल रहा।
जापान ने 1931 में मंचूररया पर अक्रमण कर कदया और मांचकु ओ के कठपुतली रायय की स्थापना की।
चीन-जापान युि (1937-45): 1937 में जापान ने चीन पर अक्रमण कर कदया। बाद में यह युि
वितीय विश्व युि का भाग बन गया।
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1930 के दशक की शुरुअत में अर्सथक और सामावजक समस्याओं के कारण जापान में सैन्य तानाशाही
की स्थापना हुइ। आसने चीन में ऄपने साम्राययिादी ऄवभयानों को बढ़ािा कदया। 1921 के मध्य तक
जापान अर्सथक रूप से कािी मजबूत हो चुका था। जापान प्रथम विश्व युि (1914-1919) से
लाभावन्ित हुअ था क्योंकक युि के बाद यूरोपीय शवक्तयााँ अर्सथक रूप से कमजोर हो ग थीं और
िसावय की संवध को लेकर हुए वििादों में व्यस्त थीं। यूरोपीय देशों की अर्सथक कमजोरी ने ईनके
वनयावतों को कम प्रवतस्पधी बना कदया। आसके साथ ही, िे सैन्य रूप से भी कमजोर हो चुके थे और आस
कारण जापानी अक्रामकता पर लगाम लगाने की वस्थवत में नहीं थे। जापान के साम्राययिादी ऄवभयान
पर लगाम लगाने के वलए एकमात्र पयावप्त शवक्तशाली देश ऄमेररका था, लेककन िह स्ियं प्रथम विश्व
युि से वनराश था और ऄलगाि की नीवत का पालन कर रहा था, वजसके कारण ऄमेररका िैवश्वक
मामलों में ऄहस्तक्षेप की नीवत का पालन कर रहा था और ककसी भी कीमत पर ककसी भी ऄन्य देश के
साथ सैन्य संघषव को िाल रहा था। िलस्िरूप, जापान ने आस वस्थवत का पूरा लाभ ईठाया। प्रथम विश्ि
युि के दौरान 1918 तक वमत्र देशों को नौिहन और ऄन्य िस्तुओं का वनयावत करके जापान अर्सथक
रूप से लाभावन्ित हुअ था। ईसने वनयावत बाजारों में, विशेषकर एवशया में, यूरोपीय कं पवनयों को
प्रवतस्थावपत कर कदया और ऐसी िस्तुओं के सप्लाइ ऑडवसव प्राप्त करने लगा, वजनकी अपूर्सत यूरोपीय
नहीं कर सकते थे। प्रथम विश्व युि के दौरान, जापान का सूत वनयावत तीन गुना हो गया था और
व्यापारी जहाज दोगुने हो गए थे।
जापान की सामावजक वस्थवतयां भी ईसकी साम्राययिादी प्रिृवत्तयों के वलए ईत्तरदायी थीं। सेना और
रूकढ़िाकदयों जैसे समाज के प्रभािशाली िगव लोकतंत्र के विरूि थे और प्राय: सरकार की अलोचना
करते थे। सेना चीन के प्रवत सरकार के नरम और सौहाद्रवपूणव दृवट हकोण के विरूि थी, क्योंकक िह
औपवनिेवशक साम्रायय का विस्तार करने के वलए चीन में चल रहे गृहयुि का लाभ ईठाना चाहती थी।
सैन्य तानाशाही की स्थापना में जापान की अर्सथक वस्थवतयों ने भी भूवमका वनभाइ। अर्सथक ईत्कषव
1921 तक समाप्त हो गया था, क्योंकक यूरोपीय देश अर्सथक रूप से पुन: संभल गए थे और ऄब ऄपने
खोए वनयावत बाजारों पर पुनः कब्जा कर रहे थे। जापान में, बेरोजगारी बढ़ गइ और ककसान भरपूर
िसल के कारण चािल की कीमतों में हुइ तीव्र कमी से प्रभावित हुए। मजदूरों और ककसानों के प्रदशवनों
को क्रूरतापूिवक दबा कदया गया था वजसके पररणामस्िरूप िे भी सरकार के विरूि हो गए। िैवश्वक
अर्सथक संकि ने आन घिनाओं के ईत्प्रेरक के रूप में कायव ककया क्योंकक अयातक देश अयात के वलए
भुगतान करने की वस्थवत में नहीं थे वजससे जापानी वनयावत बुरी तरह से प्रभावित हुअ। मंचूररया में
चीनी कं पवनयां जापानी कं पवनयों का स्थान लेने का प्रयास कर रहीं थीं और यहााँ पर भी जापानी
व्यापार और कारोबार खतरे में था। 1929 के अर्सथक संकि की पृष्ठभूवम में यह ऄसहनीय था। सरकार
की जानकारी के वबना सेना ने 1932 में मंचूररया पर अक्रमण कर कदया और अक्रमण का विरोध करने
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पर 1932 में प्रधान मंत्री की हत्या कर दी गइ। 1945 तक जापान की सेना ने देश पर िासीिादी
तरीके से शासन ककया। सम्राि को ईच्च प्रवतष्ठा प्राप्त थी, लेककन िह भी जापानी साम्राययिाद को
वनयंवत्रत करने में वििल रहा क्योंकक ईसे भय था कक ईसके अदेशों का पालन नहीं ककया जाएगा। आस
प्रकार 1930 के दशक में होने िाले जापानी साम्राययिाद के वलए जापान की सेना ईत्तरदायी थी। आसके
ऄवतररक्त, अर्सथक समस्याएं और जापान का छोिा भौगोवलक क्षेत्र जापानी साम्राययिाद की िृवि के
वलए ईत्तरदायी था।
1865 से 1895 के दौरान संयुक्त रायय ऄमेररका का एक औद्योवगक शवक्त के रूप में ईदय हुअ। आसके
विशाल घरे लू बाजार के कारण कु छ समय तक ऄंतरावष्ट्रीय ऄथवव्यिस्था में संयुक्त रायय ऄमेररका का
प्रभाि महसूस नहीं ककया गया। आस घरे लू बाजार के कारण आसका कािी ऄवधक ईत्पादन अंतररक रूप
से ईपभोग कर वलया जाता था। विशाल घरे लू बाजार का कारण 19िीं शताब्दी और 20िीं शताब्दी के
प्रथम दशक में यूरोपीय और ऄन्य समूहों का बड़े पैमाने पर ईत्प्रिास था, वजसके कारण संयुक्त रायय
ऄमेररका की जनसंा या में िृवि हुइ। एक ऄन्य कारण ऄलगाि की नीवत थी वजसके चलते यह विश्व
मामलों में सामान्यतः कम रूवच लेता था।
लेककन 1890 के दशक तक ऄमेररका एक नइ साम्राययिादी शवक्त के रूप में ईभरा। आसका मुा य कारण
यह था कक औद्योवगक क्रांवत ने वनयावत बाजारों और कच्चे माल के वलए मांग प्रेररत की। ऄमेररका ने भी
श्िेत व्यवक्त के कन्धों पर बोझ (White Man’s Burden) की ऄिधारणा का ईपयोग ककया और विश्व
के विवभन्न देशों में ऄमेररकी हस्तक्षेप के कारण के रूप में अधुवनक सभ्यता के प्रसार का तकव कदया।
प्रकृ वत के वनयम के रूप में शवक्तशाली राष्ट्रों िारा वनबवलों पर प्रभुत्ि का औवचत्य सही ठहराया गया।
प्रशांत क्षेत्र में ऄमेररका का विस्तार कािी पहले ही अरं भ हो चुका था।
(*प्रशांत क्षेत्र में ईपवनिेशिाद से संबंवधत ऄध्याय देखें)
1890 के दशक में जब यूरोपीय देश चीन का बाँििारा करना चाहते थे तो ऐसी पररवस्थवत में संयक्त
ु
रायय ऄमेररका को लगा कक िह आस बंदरबांि में पीछे रह जाएगा। ऄतः ईसने 'खुले िार की नीवत' की
घोषणा की। आसका वनवहताथव यह था कक चीन में सभी साम्राययिादी शवक्तयों के समान ऄवधकार होंगे
और कोइ भी साम्राययिादी शवक्त ककसी भी क्षेत्र को ऄपने प्रभाि क्षेत्र के रूप में ईद्धृत करते हुए दूसरी
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शवक्त के साथ भेदभाि नहीं करे गी। आस प्रकार चीन एक ऄंतरावष्ट्रीय ईपवनिेश बन गया। बॉक्सर विद्रोह
(1899-1900) के दमन के वलए संयुक्त रायय ऄमेररका की सेना भी यूरोपीय शवक्तयों के साथ शावमल
थी।
1893 में संयुक्त रायय ऄमेररका ने संपूणव ऄमेररकी महािीप पर ऄपने प्रभुत्ि की घोषणा कर दी। ईसने
स्ियं को पूरे ऄमेररका में व्यिहाररक रूप से संप्रभु घोवषत कर कदया और कहा कक ईसके अदेश को
क़ानून माना जाना चावहए। ईसने वििेन को िेनेजुएला और विरिश गयाना (ितवमान गुयाना) के बीच
के क्षेत्रीय वििाद में मध्यस्थता हेतु सहमत होने के वलए वििश कर कदया।
ऄमेररका चीन में रूसी िचवस्ि के विरूि था। 1904-05 के रूस-जापान युि में ऄमेररकी राष्ट्रपवत
रूजिेल्ि ने मध्यस्थता की और आस युि में जापान ने वजन क्षेत्रों पर कब्जा कर वलया था ईन पर ईसके
िचवस्ि को स्िीकार करने के वलए रूस को राजी ककया। रूजिेल्ि ने जापान के साथ एक गुप्त समझौता
भी ककया वजसके िलस्िरूप ऄमेररका को ईस क्षेत्र में वनबावध रूप से व्यापार करने की सुविधा वमल
गइ। आस प्रकार ऄमेररका ने जापान के प्रवत तुष्िीकरण की नीवत अरं भ की। आसने जापान के
साम्राययिाद को बढ़ािा कदया और जापान के वलए प्रशांत महासागर की प्रमुख शवक्त और ऄमेररका का
प्रवतिंदी बनना संभि बनाया।
मुनरो वसिांत का पररणाम: 1904 में मुनरो वसिांत (1823) का विस्तार ककया गया। रूजिेल्ि ने ऄब
तकव कदया कक ऄमेररका को न के िल लैरिन ऄमेररकी मामलों में यूरोपीय हस्तक्षेप का विरोध करने का
ऄवधकार है बवल्क दवक्षणी ऄमेररकी देशों के अंतररक मामलों में भी हस्तक्षेप करने का ऄवधकार है।
1906-09 के दौरान ऄमेररकी सैवनकों ने क्यूबा में ‘कानून और व्यिस्था की पुनस्थावपना’ के वलए
हस्तक्षेप ककया।
कोलंवबया में पनामा नहर: पनामा नहर 1914 में पूरी हुइ। आससे ऄमेररका के व्यापार को बड़े पैमाने
पर बढ़ािा वमला। आस नहर ने प्रशांत और ऄिलांरिक महासागरों के बीच संपकव संभि बनाया। पहले
ऄमेररका ने नहर का वनमावण कर रही फ्ांसीसी कं पनी के शेयर खरीदे। जब कोलंवबयाइ सरकार ने
ऄमेररका के साथ समझौते की शतों का विरोध ककया, तो ऄमेररका ने पनामा में एक क्रांवत की सावजश
रची और व्यिस्था बनाए रखने के नाम पर (लेककन िास्ति में कोलंवबया को आस तथाकवथत क्रांवत को
दबाने से रोकने के वलए) पनामा में ऄमेररकी सैवनक भेज कदए। पररणामस्िरूप, शीघ्र ही पनामा को
एक स्ितंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता प्रदान कर दी गइ। पनामा की नइ सरकार ने ऄमेररका के साथ
पनामा नहर के बारे में एक समझौते पर हस्ताक्षर ककए। आस समझौते की शतें ऄमेररका के वलए ईन
शतों से भी ऄवधक ऄनुकूल थीं जो वपछले समझौते में कोलंवबया के सामने रखी ग थीं।
दवक्षण ऄमेररका में नि-ईपवनिेशिाद: रूजिेल्ि के बाद अने िाले राष्ट्रपवतयों, ऄथावत,् विवलयम हॉिडव
िैफ्ि और िुिो विल्सन ने ऄमेररकी कं पवनयों िारा वनिेश को बढ़ािा देने और आन वनिेशों की सहायता
से लैरिन ऄमेररकी ऄथवव्यिस्था को ऄपने वनयंत्रण में लाने की नीवत का पालन ककया। ऄमेररका ने
लोकवप्रय रूप से वनिाववचत नेता मैिो (1910 में वनिाववचत, 1913 में हिाकर हत्या कर दी गइ) के
विरूि ता तापलि में सहायता करके मेवक्सको में हस्तक्षेप ककया। आस घिना के बाद मेवक्सको वनिासी
ऄमेररका के शत्रु बन गए (मेवक्सको 1821 में स्पेन से स्ितंत्र हुअ था)।
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विषय सूची
1. वितीय विश्व युद्ध के मुख्य कारण __________________________________________________________________ 5
9.1. पूज
ां ीिाद _______________________________________________________________________________ 19
19.2. पूिी यूरोप और सोवियत सांघ में साम्यिाद की ाअर्थथक विफलता ________________________________________ 52
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19.4. वमखााआल गोबाणचेि की नीवतयों के कारण USSR का पतन क्यों हुाअ? ___________________________________ 54
22. 1976 में माओ की मृत्यु के बाद चीन में साम्यिाद ____________________________________________________ 63
23. चीन में साम्यिाद क्यों जीवित रहा और सोवियत सांघ में क्यों विफल हुाअ? __________________________________ 67
24.2. एसरबो कानून (ACERBO LAW) ने सत्ता पर मजबूत पकड़ बनाने में मुसोवलनी की सहायता की (1923) ____________ 70
25.5. वहिलर के ाईदय एिां नावजयों की लोकवप्रयता के वलए ाईत्तरदायी कारण ___________________________________ 78
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o तुविकताणओं की भूवमका: तुविकताण वहिलर के समान ही दोषी हैं। तुिीकरण की नीवत ने ाईसके
देश में ाईसकी प्रवतष्ठा को बढाया। वहिलर को म्यूवनख सम्मेलन (1938) में वजतनी सरलता से
सुडिे ेनलैंड की पेशकश की गाइ ाईसे देखते हुए ाईसने जब 1939 में पौलैंड पर ाअक्रमण दकया
तो ाईसे वब्रटिश और फ्राांसीसी वनवरक्रयता पर दृढ विश्वास था। ाआसके ाऄवतटरि, यह तकण ददया
जा सकता है दक वब्रटिश प्रधानमतत्री चेम्बरलेन ने जमणनी के विरुद्ध सैतय कारण िााइ के वलए एक
गलत मुद्दा ाईठाया। डैनज़िंग और पोवलश कॉटरडोर सुडिे ेनलैंड की तुलना में ाऄवधक िास्तविक
माांग थी क्योंदक डैनज़िंग की ाअबादी में जमणन लोगों का 95% वहस्सा था और पूिी प्रशा को
शेष जमणनी के साथ जोड़ने के वलए पोवलश कॉटरडोर महत्िपूणण था। म्यूवनख सम्मेलन में
वहिलर को तुि करने के वब्रटिश फै सले को ाआस ाअधार पर सही नहीं ठहराया जा सकता दक
वब्रिेन को पुनसैतयीकरण के वलए और ाऄवधक समय की ाअिश्यकता थी क्योंदक
चेकोस्लोिादकया सैतय रूप से सशि था और जमणनी के ाअक्रमण के विरुद्ध सुडिे नलैंड में
ाईत्कृ ि दकलेबांदी थी। ाआस प्रकार, सुडिे ेनलैंड की घिना के समय चेकोस्लोिादकया पोलैंड की
तुलना में बेहतर सहयोगी हो सकता था। ाआसके ाऄवतटरि, चेकोस्लोिादकया पर कब्जे के
दौरान वब्रिेन और फ्राांस की वनवरक्रयता ज़नदनीय है।
o िसाणय की सांवध और जमणन जनता: यह तकण ददया जा सकता है दक जमणन जनता के समथणन के
वबना, वहिलर का ाईदय सांभि ही नहीं हो पाता। वहिलर ने सत्ता में ाअने के वलए कोाइ
तख्तापलि नहीं दकया, िह चुनािों के लोकताांवत्रक प्रदक्रया के माध्यम से सत्ता में ाअया। ाईसने
नािंी पािी की ाऄध्यक्षता की और चुनाि लड़ा और ाऄच्छी-खासी सीिें जीतीं। ऐसा कहा जा
सकता है दक वहिलर ने िे बातें कहीं जो जमणन सुनना चाहते थे। िसाणय की सांवध के विरुद्ध
ाईसके प्रचार ने जमणनों के बीच ाआस सांवध से वमले ाऄपमान के कारण पल रहे क्रोध को भड़काने
का काम दकया। जमणन जनता ने वहिलर की कारण िााइ को मांजूरी प्रदान की थी। ाऄताः यह कहा
जा सकता है दक वहिलर के ाईत्थान के वलए जनता वजम्मेदार थी, लेदकन वहिलर िारा दकए
गए ाऄत्याचारों के वलए जनता को वजम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। वहिलर का एक
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काफी सुरवक्षत होते हैं और ाईतहें तोप को गोलों से भी काफी सुरक्षा वमलती है}, वितीय विश्व युद्ध
तेज गवतविवधयों िाला युद्ध था। सैवनक िैंकों, ट्रकों ाअदद से लैस मैकेनााआज्ड वडिीजनों में चलते थे।
हालाांदक युद्ध में सभी प्रवतभावगयों को ाईनकी सैतय सहायता के वलए यह तकनीकी लाभ नहीं था।
जब जमणनी और USSR ने 1939 में पोलैंड पर हमला दकया था तो पोलैंड ने ाऄपने सैवनकों को
स्थानाांतटरत करने के वलए घुड़सिार सेना का ाईपयोग दकया। ाआसी प्रकार, फ्राांस ाऄपने सैवनकों को
तैनात करने में सुस्त था, जो जमणनी से वमली हार का एक प्रमुख कारण था। युद्ध प्रशाांत महासागर,
सुदरू पूि,ण ाऄिलाांटिक महासागर, ाईत्तरी ाऄफ्रीका, रूस की मुख्य भूवम, मध्य और पवश्चमी यूरोप में
लड़ा गया था, वजसके कारण यह एक विश्व युद्ध बना।
युद्ध को वनम्नवलवखत चार चरणों में विभावजत दकया जा सकता है:
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वब्रिेन की लड़ााइ (Battle of Britain) जमणन और वब्रटिश िायु सेना के बीच लड़ी गयी।
मुसोवलनी ने वमर और ग्रीस पर हमला दकया।
वितीय चरण: धुरी देशों की ाअक्रामकता में िृवद्ध:
1941 में जमणनी ने रूस पर ाअक्रमण दकया।
पलण हाबणर पर जापानी िायु सेना िारा बमबारी की गाइ, वजससे सांयुि राज्य ाऄमेटरका ने वितीय
विश्व युद्ध में प्रिेश दकया।
दवक्षण-पूिण एवशया के महत्िपूणण क्षेत्रों पर जापानी कब्जा। ाआसके वनयांत्रण में था - दफलीपींस, बमाण,
मलाया और ज़सगापुर।
जमणनी और जापान ाऄपराजेय लग रहे थे, जबदक ाआिली कम सफल था।
तृतीय चरण: धुरी शवियों की तीन प्रमुख हार:
सांयुि राज्य ाऄमेटरका ने वमडिे िीप के युद्ध में जापान को हराया।
जमणनी ने सांघषणरत ाआिली की मदद के वलए वमर पर हमला दकया। शीघ्र ही जमणनी को ाईत्तरी
ाऄफ्रीका से वब्रिेन और तयूजीलैंड िारा बाहर कर ददया गया।
रूस में, जमणन सेना 1942 तक स्िावलनग्राद तक पहुांच गाइ थी, लेदकन ाऄत्यवधक सदी के कारण
सांघषणरत जमणन सेना स्िावलनग्राद की लड़ााइ हार गयी।
दोनों पक्ष एक दूसरे के प्रमुख शहरों और प्रवतष्ठानों पर हिााइ बमबारी में सांलग्न थे।
ाऄमेटरका और वब्रिेन जमणन पनडु ब्बी खतरे को रोकने में सक्षम थे।
चतुथण चरण: धुरी देशों की वनणाणयक हार
ाआिली परावजत होने िाला पहला राष्ट्र था।
वब्रिेन और ाऄमेटरका ने नॉरमैंडी पर हमला दकया। वजस ददन वमत्र देशों की सेनाएां (Allied
forces) नॉरमैंडी के समुद्र तिों पर ाईतरीं, ाईसे डी-डे के रूप में जाना जाता है और ाआस ऑपरे शन
को ऑपरे शन ओिरलॉडण कहा जाता है। ाआस युद्ध में ाऄमेटरकी पैराट्रूपसण ने प्रमुख भूवमका वनभााइ।
ाऄमेटरका ने ाऄपने िैंकों को ाआस युद्ध के मैदान में ाईतारा। ाआस युद्ध के पटरणाम स्िरूप फ्राांस स्ितांत्र
हो गया, बेवल्जयम और हॉलैंड भी जमणन वनयांत्रण से मुि हुए।
ाआसी चरण में वमत्र राष्ट्रों दक सेना ने जमणनी में रााआन नदी पार कर ली।
रूस ने स्िावलनग्राद (1942) की लड़ााइ में जीत के बाद जमणनी को बाहर धके ल ददया और ाईसके
बाद, पोलैंड के माध्यम से जमणनी पर ाअक्रमण दकया। यह ाऄमेटरका और वब्रिेन से पहले बर्थलन
पहुांचने में सक्षम रहा।
1945 तक जमणनी युद्ध हार चुका था।
1945- जापान को ाअत्मसमपणण करने हेतु मजबूर करने के वलए ाऄमरीका ने वहरोवशमा पर
परमाणु बम से हमला दकया। ाआसके ाईपराांत भी जब जापान ने ाअत्मसमपणण नहीं दकया तो ाईसने
नागासाकी पर भी परमाणु बम से हमला दकया।
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दफनलैंड ने रूसी क्राांवत (1917) और रूसी गृह युद्ध (1918-20) के दौरान रूस से स्ितांत्रता ाऄर्थजत की
थी। रूस ने पूरे दफनलैंड पर कब्जा नहीं दकया था, लेदकन ाआसे ाऄपने क्षेत्र का एक बड़ा वहस्सा सौंपने के
वलए मजबूर दकया था। के िल ाईतहीं क्षेत्रों को द़िनलैंड से वलया गया था वजससे रूस को पवश्चम से होने
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िाले हमले से वनबिने में मदद वमलती। 1940 में रूस ने बावल्िक राज्यों (एस्िोवनया, लािीविया और
वलथुाअवनया) पर ाअक्रमण कर कब्जा कर वलया। ाईल्लेखनीय है दक ब्रेस्ि वलिोिस्क (1917) की सांवध के
तहत जमणनी ने ाआतहें रूस से प्राप्त दकया था और ाईसके बाद िसाणय की सांवध (1920) के तहत ाआतहें स्ितांत्र
राज्य बनाया गया था। स्िावलन ाईतहें पुनाः रूस के ाऄधीन करना चाहता था।
विश्व युद्ध के दौरान 1918 के युद्ध विराम के वलए दकया गया था। फ्राांस की सेना को तोड़ ददया
गया था यानी फ्राांस को वनाःशस्त्र बनाया गया था, ठीक िैसे ही जैसे िसाणय की सांवध िारा जमणनी
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को वनाःशस्त्र दकया गया था। जमणनी ने ाईत्तरी फ्राांस और ाऄिलाांटिक ति पर कब्जा कर वलया, वजससे
जमणनी को पनडु ब्बी हमलों के वलए महत्िपूणण ाअधार वमला।
फ़्ाांस का जो वहस्सा कब्जे में नहीं वलया गया था ाईसे एक कठपुतली सरकार के ाऄधीन रखा गया
और ाआसे विची फ्राांस (Vichy France) के रूप में जाना जाने लगा। यह 1940 से 1944 तक
ाऄवस्तत्ि में रहा, यानी वमत्र राष्ट्रों िारा फ्राांस को मुि दकये जाने तक। ाआस दौरान विची फ्राांस में
ाऄवधकारिादी शासन (authoritarian regime) देखने को वमला। विची फ्राांस के गठन के साथ ही
तृतीय फ्राांसीसी गणराज्य (1870-1940) का ाऄांत हुाअ। जब फ़्ाांस को मुि करा वलया गया तो
ाईसके बाद चतुथण फ्राांसीसी गणराज्य (1946-58) की घोषणा की गाइ।
फ्राांस जमणनी से ाआतनी जल्दी क्यों हार गया था, ाआसके कारणों पर चचाण करना महत्िपूणण है।
कारण
हालाांदक फ्राांसीसी जमणन खतरे से ाऄिगत थे दफर भी िे युद्ध के वलए मानवसक रूप से तैयार नहीं
थे। िामपांथ और दवक्षणपांथ के बीच िकराि के कारण न तो ाईनमें एकता थी और न ही सही तैयारी
थी। परस्पर विरोधी होने के बािजूद िामपांथी और दवक्षणपांथी दोनों जमणनी के साथ युद्ध के विरुद्ध
थे। 1939 के रूस-जमणन ाऄनाक्रमण सांवध के बाद िामपांथी युद्ध के पक्ष में नहीं थे, जबदक
दवक्षणपांवथयों ने वहिलर की ाईपलवब्धयों की प्रशांसा करते थे और युद्धविराम चाहते थे। ाआतहोंने तकण
ददया दक चूांदक जब पोलैंड हार ही चुका है तो जमणनी के विरुद्ध युद्ध लड़ने का कोाइ कारण नहीं
बनता क्योंदक फ्राांस की युद्ध में कोाइ भी भूवमका के िल पोवलश सीमाओं की गारां िी के कारण ही
थी।
फौज की धीमी लामबांदी: ाआनफै तट्री िारा ाऄपने साथ चल रहे यांत्रीकृ त वडिीजनों को धीमा कर
ददया गया। ाआसने जमणनी को एक फायदा पहुांचाया क्योंदक जमणनी की सैवनकों को लाने-ले जाने की
गवत फ्राांस की तुलना में तेज थी।
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फ्राांस ने ाऄपने सैवनकों के वलए हिााइ सहयोग की ाईपेक्षा की, जबदक जमणन हिााइ सहयोग बहुत
प्रभािी था।
सबसे महत्िपूणण बात यह दक प्रथम विश्व युद्ध में जमणनी एक साथ दो मोचों पर युद्ध लड़ रहा था
ाऄथाणत् पूिण में रूस और पवश्चम में फ्राांस के विरुद्ध। 1939 में रूस के साथ दकए गए ाऄनाक्रमण सांवध
से वहिलर की प्रवतभा ाईभर कर सामने ाअाइ वजसके तहत ाऄब ाईसने ाऄपनी सारी सेनाओं को के िल
फ्राांस के विरुद्ध एक ही मोचे पर ध्यान कें दद्रत करने की ाऄनुमवत दी थी। ाआस प्रकार फ्राांस को रूस
जैसा सहयोगी नहीं वमला वजसने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ाईसकी भली-भाांवत मदद की थी।
वब्रिेन की लड़ााइ (Battle of Britain: 1940)
यह युद्ध जमणन लुफ़्ििाफे ऺ (German Luftwaffe) और वब्रिेन के रॉयल एयर ़िोसण के बीच लड़ा
गया था। ाआस युद्ध में जमणनी को पहली बार पराजय का सामना करना पड़ा। हालाांदक लुफ़्ििाफे
िारा बमबारी के कारण वब्रिेन के शहरों में बुवनयादी ढाांचे को भारी क्षवत पहुांची दफर भी जमणनी
वब्रटिश एयरफोसण को परावजत नहीं कर सका। जमणनी ने 1400 हिााइ जहाज खो ददए जबदक
वब्रिेन को के िल 700 जहाजों का ही नुकसान हुाअ। वब्रटिश रडार स्िेशनों िारा वब्रटिश हिााइ
जहाजों को ाअरां वभक चेतािनी देने के कारण वब्रिेन यह युद्ध जीत गया। ाआसके ाऄवतटरि जमणन
हिााइ जहाजों ने लांदन पर बमबारी करने पर ाऄपना ध्यान कें दद्रत दकया और ाआस दौरान वब्रटिश
एयरफोसण को एकजुि होने का समय वमल गया।
वमर और ग्रीस (1940) पर मुसोवलनी का ाअक्रमण
लीवबया ाआिली का ाईपवनिेश था। ाआिली ने वमर पर लीवबया की ओर से और ग्रीस पर ाऄल्बावनया
की ओर से हमला दकया। ाऄल्बावनया 1939 से ाआिली के कब्जे में था। यह घिना महत्िपूणण रही
क्योंदक ाआससे ाआिली को हवथयारों, जहाजों, िैंकों और सैवनकों का भारी नुकसान पहुांचा। वब्रिेन ने
वमर से ाआिली को खदेड़ ददया और ग्रीस ाऄल्बावनया पर कब्जा करने में सफल रहा। यहााँ एक और
महत्िपूणण मुद्दा यह है दक वहिलर को ाआिली की हार के बाद ाईसकी मदद के वलए ाऄपनी सेना
भेजनी पड़ी। हालाांदक ाआन सैवनकों का जमणन ऑपरे शन के वलए कहीं और ाईपयोग दकया जा सकता
था। ाआस प्रकार मुसोवलनी के कारण वहिलर शर्ममदगी ाऄनुभि करने लगा।
धुरी शवियों के ाअक्रमण में तेजी (1941-42)
ाईत्तरी ाऄफ्रीका और ग्रीस: वहिलर ने ाआिली में मदद के वलए सेना भेजी। जमणन सेना ने वब्रिेन को
लीवबया से पूणणरूपेण और वमर से ाअांवशक रूप से बाहर कर ददया। ाईतहोंने ग्रीस पर भी हमला
दकया और वब्रटिश सैवनकों को भागने पर वििश दकया। युगोस्लाविया और ग्रीस पर जमणनी िारा
एक साथ हमला दकया गया। जमणनी की जीत का वनम्नवलवखत प्रभाि पड़ा :
o वमत्र राष्ट्रों के मनोबल में कमी ाअाइ क्योंदक ाईतहें सैवनकों की भारी क्षवत हुाइ थी।
o यह वमत्र राष्ट्रों के वलए ाऄप्रत्यक्ष कृ पादान भी सावबत हुाअ क्योंदक ाआससे रूस पर जमणन हमले
में देरी हुाइ थी। ाआस समय वहिलर ाआिली की सहायता करने में व्यस्त था।
ऑपरे शन बारबोसा (1941): यहााँ जमणनी ने 10 िषों के वलए हस्ताक्षटरत ाऄनाक्रमण सांवध
(1939) को तोड़ते हुए रूस पर ाअक्रमण दकया। जमणनी ने रूस पर हमला क्यों दकया? ाआसके काइ
कारण हो सकते हैं:
o कु छ वििानों का तकण है दक जमणनी जब पवश्चम में युद्धरत था तो ाईसे रूस के हमले का डर था।
िे रूस िारा ाआस तरह के ाऄवभयान को रोकना चाहते थे।
o जमणनी को ाअशा थी दक जापान सुदरू पूिण से एक साथ रूवसयों पर हमला करे गा, वजससे
ाईनकी हार जल्दी और वनवश्चत हो जाएगी।
o साम्यिाद से घृणा भी ाआसका एक कारण था।
o कु छ लोग तकण देते हैं दक वहिलर हमेशा रूस पर हमला करना चाहता था। यूराल पिणत तक
रूसी क्षेत्र पर कब्जा करना ाईसकी रणनीवत का वहस्सा था तादक जमणनों के वलए रहने की
जगह या लेबेतरम (Lebensraum) का सृजन दकया जा सके ।
o ाआसका एक ाऄतय कारण यह भी है दक जमणन रूसी सैवनकों को पकड़ना चाहते थे।
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जमणनी ने ाईत्तर, दवक्षण और मध्य से हमला दकया और क्रमशाः लेवननग्राद, यूक्रेन और मॉस्को की ओर
वब्लट्जदक्रग रणनीवत का ाईपयोग कर माचण दकया और हिााइ जहाज, िैंक और सौवनकों िारा एक साथ
तेजी से हमले दकए।
जमणन ाअरां भ में बेहद सफल रहे क्योंदक ाईतहोंने एक ाऄनुभिहीन रूसी सेना का सामना दकया। 1937 के
स्िावलन पजण (Stalin purges) के बाद ाऄनुभिी जनरलों की जगह ाऄनुभिहीन युिा ाऄवधकारी ाअ गए
थे। धीमी लामबांदी प्रदक्रया भी एक कारण था। लेदकन जमणनी 1941 में मॉस्को और लेवननग्राद (ाऄब सेंि
पीिसणबगण) पर कब्जा करने में ाऄसफल रहा। ाऄक्िू बर में काफी ाऄवधक बाटरश होने के कारण रूसी सड़कें
कीचड़ से पि गाइ थीं और दफर निांबर-ददसांबर (तापमान शूतय से 38 वडग्री सेवल्सयस नीचे था) में पाले
(frost) ने भी जमणनी को ाअगे माचण करने से रोक ददया। जमणन सेना के पास सर्ददयों के कपड़े की भी
कमी थी क्योंदक ाईतहें निांबर तक रूस को हराने की ाईम्मीद थी। 1942 में जमणन स्िेवलनग्राद की लड़ााइ
हार गए।
ाऄमेटरका का युद्ध में प्रिेश (ददसांबर 1941) : जापान ने पलण हाबणर पर हमला दकया और ाआस हमले
के साथ ाऄमेटरका ाऄलगाि की नीवत को समाप्त कर वमत्र राष्ट्रों की ओर से युद्ध में शावमल हो गया।
हालाांदक लैंड-लीज एक्ि (ाऄप्रैल 1941) के माध्यम से, सांयुि राज्य ाऄमेटरका पहले से ही वब्रिेन को
भारी वित्त और रूवसयों को युद्ध सामग्री देकर सहायता कर रहा था। पलण हाबणर हिााइ िीप में एक
नौसेना बेस था। िाज़शगिन सम्मेलन में जापान ने वब्रिेन, फ्राांस और सांयुि राज्य ाऄमेटरका के साथ
नौसैना को सीवमत करने को लेकर एक समझौते दकया था। 1930 में, ाईसने नौसेना की सीमा के
प्रवत ाऄपनी प्रवतबद्धता दोहरााइ थी, लेदकन जल्द ही ाआसका ाईल्लांघन दकया। ाआस प्रकार िाज़शगिन
सम्मेलन की प्रवतज्ञा को तोड़ ददया गया। यह िाज़शगिन सम्मेलन (1921-22) के तहत चीन की
तिस्थता को बनाए रखने पर भी सहमत था, लेदकन 1931 में ाआसने मांचूटरया पर ाअक्रमण कर
ददया।
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o ाआसने डच ाइस्ि ाआां डीज, दफलीपींस, गुाअम और िेक ाअाआलैंड पर कब्जा कर वलया, ये तीनों
ाऄमेटरकी ाईपवनिेश थे।
पलण हाबणर पर दकये गए हमले के बाद वहिलर ने सांयुि राज्य ाऄमेटरका के विरुद्ध युद्ध घोवषत कर
ददया। USSR पर हमला करने की पहली गलती के बाद यह दूसरी गांभीर गलती थी। ाऄगर
वहिलर ने सांयुि राज्य ाऄमेटरका के विरुद्ध युद्ध की घोषणा नहीं की होती तो सांभिताः िह सुदरू
पूिण ाऄथाणत जापान के साथ प्रशाांत युद्ध पर ाऄपना ध्यान कें दद्रत कर सकता था। वहिलर के ाआस
कदम ने जमणनी को USSR, ाऄमेटरका और वब्रटिश राष्ट्रमांडल के विशाल सांसाधनों के विरुद्ध खड़ा
कर ददया और ाआस घिना के बाद एक ऐसी वस्थवत विद्यमान हो गाइ, जहाां- वजतना लांबा युद्ध
हॉज़पग' के रूप में जाना जाने लगा। 1942-44 के बीच ाआसने जापान से प्रशाांत िीपों को एक-एक कर
जीत वलया। ाआसके वलए ाईसने हिााइ बमबारी के साथ-साथ जमीनी हमलों का भी सहारा वलया।
वमर [ाऄल ाऄलामेन की लड़ााइ ाऄिू बर 1942] में जमणनी की हार एक वनणाणयक मोड़ थी क्योंदक ाआसने
स्िेज नहर को जमणनी के वनयांत्रण में जाने से बचाया था। ाआसने धुरी शवियों और मध्य-पूिण के बीच
गठबांधन की सांभािना को भी समाप्त कर ददया। रे वगस्तान में हुए ाआस युद्ध ने जमणनी के सांसाधनों को
समाप्त कर ददया, वजसका सोवियत सांघ के विरुद्ध बेहतर ाईपयोग दकया जा सकता था। ाआस प्रकार
ाआिली के खराब प्रदशणन ने जमणनी को झिका ददया। सबसे महत्िपूणण बात यह है दक ाऄल ाऄलामेन की
लड़ााइ ने ाईत्तरी ाऄफ्रीका से धुरी शवियों को पूरी तरह से बाहर कर ददया। ाआसने वमत्र देशों की सेनाओं
को मोरक्को और ाऄल्जीटरया में ाईतरने का मौका ददया वजससे पवश्चम से धुरी देशों की सेनाओं पर हमला
दकया जा सके । ाआसके बाद लीवबया और ट्यूनीवशया को पुनाः जीत वलया गया और ाआिली पर ाअक्रमण
दकया गया।
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स्िावलनग्राद का युद्ध (1942) दवक्षणी रूस में लड़ा गया था। जमणनी ाऄगस्त 1942 तक स्िावलनग्राद
पहुांच गया और ाआसने यहाां के बुवनयादी ढाांचे को नि कर ददया। लेदकन रूवसयों ने ाअत्मसमपणण करने से
ाआनकार कर ददया और निम्बर में ाअक्रामक प्रवतरोध करना प्रारम्भ दकया। फरिरी 1943 तक जमणन
वघर चुके थे, ाईनकी ाअपूर्थत लााआनें काि दी गाइ थीं और ाईतहोंने ाअत्मसमपणण कर ददया। स्िावलनग्राद का
युद्ध एक वनणाणयक मोड़ था क्योंदक यदद जमणनी ाआस युद्ध में जीत जाता तो िह रूस के तेल की ाअपूर्थत
लााआनों को कािने में सक्षम हो जाता। रूस में काके शस से तेल पहुांचता था। स्िावलनग्राद के जमणनी के
वनयांत्रण में होने पर जमणनी दवक्षण-पूिण से मास्को पर हमला करने में सक्षम हो जाता। ाआस जीत ने रूसी
सैवनकों का मनोबल बढाया और जल्द ही जमणनी को लेवननग्राद से और रूस से बाहर कर ददया गया।
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ाईत्तरी ाऄफ्रीका में युद्ध के दौरान रॉयल एयरफोसण ने भूमध्य सागर में ाअपूर्थत जहाजों पर बमबारी
की थी।
विमानों के कारण पैराट्रूपरों को युद्ध क्षेत्र में ाईतारना सांभि हो सका और नॉमैंडी (1944) ि ाआिली
(1943) में विमानों ने ाईतहें हिााइ सुरक्षा भी प्रदान की।
वमत्र देशों के सामटरक हिााइ हमलेाः यह धुरी शवियों के शहरों, विशेष रूप से ाईनके सैतय और
औद्योवगक के तद्रों को लक्ष्य बनाकर की गाइ बमबारी थी। लेदकन ाआस हमले का 1944 तक जमणन
औद्योवगक ाईत्पादन पर कोाइ प्रभाि नहीं पड़ा। परां तु ाऄांतताः ाआसका पटरणाम यह हुाअ दक 1944 के
बाद जमणनी में तेल का ाऄभाि ाईत्पन्न हो गया।
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राज्य और समाज के सांचालन की पूज ाँ ीिादी व्यिस्था देश की सांपवत्त के वनजी स्िावमत्ि और
ाऄहस्तक्षेप की नीवत (लेसिं
े फे यर) पर ाअधाटरत ाऄथणव्यिस्था के वसद्धाांतों के ाऄनुसार कायण करती
है, वजसका तात्पयण यह हुाअ दक बाजार की शवियाां ाअर्थथक नीवतयों का वनधाणरण करती हैं और
कोाइ वनदेवशत ाऄथणव्यिस्था नहीं होती। ाआस प्रकार राज्य ाईद्योगों को यह नहीं बताता दक क्या
ाईत्पाददत करना है, कब करना है या दकस प्रकार ाईत्पादन करना है। साथ ही, पूाँजीिादी व्यिस्था
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के ाऄांतगणत, श्रमजीिी िगण को कोाइ विशेष सुरक्षा प्राप्त नहीं होती। श्रवमक भी पूज
ां ी और भूवम की
तरह ाईत्पादन का मात्र एक कारक माना जाता है (तैयार माल के ाईत्पादन के वलए ाअिश्यक सभी
वनिेश ाईत्पादन के कारक होते हैं)। वनजी ाईद्यम (ाईद्यमशीलता), वनजी धन की सुरक्षा और लाभ के
ाईद्देश्य से ाईत्पादन करना ही पूाँजीिादी व्यिस्था की प्रेरक शवियााँ हैं।
9.2. साम्यिाद
साम्यिादी ाअर्थथक प्रणाली की विशेषता समुदाय िारा सांपवत्त का सामूवहक स्िावमत्ि है, वजसका
ाऄांवतम लक्ष्य पूणण सामावजक समानता है। राज्य और समाज का सांचालन करने िाली साम्यिादी
प्रणाली कालण माक्सण के विचारों पर ाअधाटरत है। ाआसमें तीन चीजें महत्िपूणण हैं- सांपवत्त का
स्िावमत्ि, ाअर्थथक योजना और श्रवमक िगण की सुरक्षा। देश की सांपवत्त का सामूवहक रूप से
स्िावमत्ि होना चावहए। ाऄथणव्यिस्था कें द्रीय रूप से वनयोवजत की जानी चावहए (वनदेवशत
ाऄथणव्यिस्था) और राज्य को श्रवमक िगण के वहतों की सुरक्षा के वलए सकारात्मक कारण िााइ करनी
चावहए। समानता, सामूवहक स्िावमत्ि और समाज कल्याण के वलए ाईत्पादन साम्यिादी प्रणाली
की प्रेरक शवियााँ हैं। साम्यिाद और पूज
ां ीिाद दोनों ही ाऄलग-ाऄलग देशों िारा ाअिश्यकतानुसार
ाऄलग-ाऄलग तरीके से ाऄपनाए गए हैं।
9.3. समाजिाद
समाजिाद के ाईदय और विकास के बारे में चचाण करने से पहले ाआस शब्द के ाऄथण को स्पि रूप से
समझना महत्िपूणण है। साधारणताः, समाजिाद सािणजवनक सांपवत्त पर राज्य के स्िावमत्ि को
सांदर्थभत करता है या ाईत्पादन के साधनों पर राज्य के स्िावमत्ि को दशाणता है। िैकवल्पक रूप से,
समाजिाद सामावजक सांगठन की ऐसी प्रणाली है, वजसमें िस्तुओं के ाईत्पादन और वितरण के
साधन वनजी या सामूवहक स्िावमत्ि िाले हो सकते हैं या दफर एक कें द्रीकृ त सरकार िारा वनदेवशत
हो सकता है जो प्रायाः ाऄथणव्यिस्था का वनयोजन और वनयांत्रण करती हो। हालाांदक ऐसा नहीं है दक
समाजिाद के िल साम्यिादी या फासीिादी सरकारों के ही समकालीन होता है। काइ देशों में
समाजिाद के कायाणतियन के वलए ाऄवधकतर यह ाअिश्यक होता है दक ाआस दशणन को कायाणवतित
करने के वलए एक मजबूत कें द्रीय सरकार विद्यमान हो।
समाजिाद की वनम्नवलवखत विशेषताएाँ होती हैं:
o एक समतािादी समाजाः ाआसका ाऄथण है दक जावत, िगण या रां ग के ाअधार पर दकसी के साथ
भेदभाि नहीं दकया जाना चावहए। ’समानता के वबना कोाइ िास्तविक स्ितांत्रता नहीं हो
सकती।’
o बुवनयादी ाअिश्यकताओं की सांतवु िाः ‘लाभ का ाईद्देश्य’ के बदले ‘सेिा का ाईद्देश्य’ होना
चावहए। सांसाधनों के वितरण में राज्य का ध्यान ाआस पर नहीं होना चावहए दक कहाां ाआसे सबसे
ाऄच्छे मूल्य वमलेंग,े बवल्क ाआस पर होना चावहए दक कहाां ाईसकी ाअिश्यकता सबसे ाऄवधक है।
o सािणजवनक स्िावमत्िाः ाईत्पादन के सभी साधनों पर सािणजवनक स्िावमत्ि। समाजिाद के
ाऄनुसार, सामूवहक स्िावमत्ि िाला ाईद्योग ाऄवधक दक्षतापूणण और नैवतक दृवि से ाऄवधक
सांतोषजनक होता है।
o सेिा का ाअदशणाः समाजिाद सामातय कल्याण या सािणजवनक वहत की िकालत करता है। यह
पारां पटरक ाईदारिाददयों के व्यवििाद और कठोर भौवतकिाद का विरोध करता है।
एक विशुद्ध समाजिादी राज्य िह होगा वजसमें ाईत्पादन के साधनों का स्िावमत्ि और सांचालन
राज्य करे गा। हालाांदक, लगभग सभी ाअधुवनक पूाँजीिाद देश समाजिाद और पूज
ां ीिाद का
सवम्मश्रण हैं। कु छ ाऄथणव्यिस्थाएाँ बहुत कें द्रीकृ त हैं, जबदक कु छ पूरी तरह विकें द्रीकृ त हैं। िे सभी
समानता के पक्ष में ही खड़े हैं लेदकन ाईनके दृविकोण वभन्न-वभन्न हैं।
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गया, जहाां प्रत्येक देश ने ाऄपनी विवशि ाअिश्यकताओं, वस्थवतयों और ाआवतहास के ाऄनुसार
माक्सणिाद की ाऄपनी स्ियां की शैली को ाऄपनाया। ाईदाहरण के वलए, चीन ने 1958 तक रूसी
प्रवतमान ाऄपनाए रखा, लेदकन ाईसके बाद माओ ने पहले के प्रवतमानों की दुबणलताओं से मुवि पाने
और साम्यिाद / समाजिाद का ऐसा प्रवतमान लाने के वलए जो चीनी वस्थवतयों के वलए ाऄवधक
प्रासांवगक और विवशि चीनी समस्याओं को हल करने में ाऄवधक प्रभािी होता ग्रेि लीप फॉरिडण
(1958) का शुभारां भ दकया।
ाआस प्रकार, यह समझा जाना चावहए दक साम्यिाद का कोाइ एक ाअदशण प्रवतमान नहीं है और दकन
विशेषताओं को मूलरूप में ाअयात करना है, दकन विशेषताओं को पूरी तरह से ाऄपिर्थजत करना है
और दकन विशेषताओं को सांशोवधत करके ाऄपनाना है - ाआन प्रश्नों का ाईत्तर विवभन्न देशों के वलए
और विवभन्न समयों पर वभन्न-वभन्न होता है। साम्यिादी चीन ने डेंग वजयाओज़पग (1978-1992
तक नेता) के ाऄधीन बाजार समाजिाद को ाऄपनाया। बाजार समाजिाद ाऄवधक ाईदारिादी और
पूांजीिाद का ाऄपेक्षाकृ त कम विरोधी था और ाआसे दवक्षणपांथी साम्यिाद कहा गया। ाआस प्रकार डेंग
के ाऄधीन, पीपुल्स टरपवब्लक ऑफ चााआना समय की ाअिश्यकता के ाऄनुसार बाजार ाऄथणव्यिस्था
की ओर ाऄग्रसर हुाअ। बाजार समाजिाद, समाजिाद का एक ऐसा स्िरुप है वजसमें समाजिादी
बाजार ाऄथणव्यिस्था होती है और ाआसे खुली ाअर्थथक नीवतयों के माध्यम से प्राप्त दकया जाता है,
वजससे स्थानीय ाऄथणव्यिस्था वनिेश और व्यापार ाऄिरोधों में कमी के माध्यम से िैवश्वक
ाऄथणव्यिस्था से ाऄवधक एकीकृ त हो जाती है। बाजार समाजिाद के ाऄांतगणत ाअर्थथक शवि का
विके तद्रीकरण (क्योंदक यह साम्यिादी दल के वलए ाऄथणव्यिस्था के प्रबांधन में वनणणय लेने से पीछे
हिना ाअिश्यक बनाता है), भूवम का ाऄवधक वनजी स्िावमत्ि और पूज
ां ीिाद की ाऄतय विशेषताएाँ
शावमल होती हैं। लेदकन, यह समता की ाईस दृवि को ओझल नहीं होने देता है, जो साम्यिादी
राज्य का प्राथवमक लक्ष्य है।
समाजिाद और साम्यिाद की ाऄिधारणा स्पि रूप से समझने के वलए दोनों के बीच ाऄांतर करना
महत्िपूणण है।
माक्सणिाद बनाम समाजिाद: माक्सणिाद को िैज्ञावनक समाजिाद या माक्सणिादी समाजिाद के
नाम से भी जाना जाता है। यह कम्युवनस्ि मैवनफे स्िो (1848) में यथा प्रवतपाददत माक्सण और
एांगल्स का दशणन है। ाआस सांबांध की रूपरे खा को वनम्नवलवखत ज़बदुओं के माध्यम से समझा जा सकता
है:
o माक्सणिाद समाज में समाजिाद लाने के सांबांध में चचाण करता है।
o समाजिाद एक व्यापक शब्द है और समाजिाद लाने के वलए ाऄतय विचारकों िारा सुझाए
गए ाऄतय तरीकों की भाांवत ही माक्सणिाद भी ाआसका एक ाऄियि मात्र है।
o एक ाऄिधारणा के रूप में समाजिाद माक्सणिाद से पुराना है। माक्सण से पहले समाजिाद का
ाऄपना सांस्करण प्रस्तुत करते हुए रॉबिण ओिन जैसे युिोवपयन समाजिादी और ाऄतय
समाजिादी काम कर चुके थे।
o माक्सणिाद माक्सण िारा यथा िाांवछत समाजिाद है।
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ाऄथाणत रूस, चीन, भारत, वियतनाम, क्यूबा और ाऄांगोला जैसे ाऄफ्रीकी देशों िारा ाऄपनाया
गया है।
o माक्सणिाद राज्य विरोधी है और राज्यहीन समाज की स्थापना करना चाहता है, जबदक
समाजिाद के वलए ऐसी कोाइ ाऄवनिायणता नहीं है। समाजिाद ाऄपेक्षाकृ त ाऄवधक सामातय
ाऄिधारणा है और यह राज्य के पटरत्याग की माांग नहीं करता है। समाजिाद राज्य विरोधी
नहीं है बवल्क के िल सभी की समानता पर ध्यान कें दद्रत करता है। िहीं भारतीय समाजिाद ने
तो समाज में ाऄवधक समानता लाने के वलए राज्य नामक सांस्था का ाईपयोग दकया है।
o विवध (Method): माक्सण का तकण था दक माक्सणिाद लाने के वलए ज़हसक क्राांवत एकमात्र
ाईपाय है लेदकन समाजिाद के वलए ऐसी कोाइ ाऄवनिायणता नहीं है। ाईदाहरण के वलए, ाऄलेतडे
के ाऄधीन वचली जैसे देश समाजिाद के वलए शाांवतपूणण क्राांवत के साक्षी बने और िो भी
लोकताांवत्रक राजनीवत के ाऄांतगणत।
o ाऄांवतम ाईद्देश्य: समाजिाद के ाईद्देश्य प्रकृ वत में व्यापक हैं। जहााँ समाजिाद का एक सांस्करण
पूाँजीिादी व्यिस्था के िचणस्ि में कमी मात्र का लक्ष्य रख सकता है िहीं माक्सणिाद पूज
ां ीिाद
का पूणण विनाश चाहता है।
o समानता ाआस तथ्य में वनवहत है दक माक्सणिाद का ाईद्देश्य ऐसा समाजिाद है वजसका
वनवहताथण समानता ाअधाटरत गैर-शोषणात्मक समाज है। दोनों ाऄिधारणाएाँ मात्र दशणन हैं
और िास्ति में समाज को सांगटठत करने के तरीके के सांबांध में कायाणत्मक वििरणों की कमी से
ग्रस्त हैं। ाआस प्रकार दोनों ाऄिधारणाओं में ाईनके पटरचालन के स्तर पर ाऄभी भी सुधार करने
की सांभािनाएां ाईपवस्थत हैं।
फे वबयन समाजिाद समाजिाद का एक ाऄतय रूप है और ाआसके सांबांध में नीचे सांक्षप
े में चचाण की गाइ
है: फे वबयन समाजिाद शब्द की ाईत्पवत्त वब्रिेन में फे वबयन सोसााआिी (1883) के गठन में देखी जा
सकती है। फे वबयन सोसााआिी ने वब्रिेन में लेबर पािी के ाअधारभूत वसद्धाांतों की स्थापना की थी।
फे वबयनिाद ने समाजिाद लाने के वलए क्राांवत की बजाय विकास को ाऄवनिायण तत्ि बनाया। यहाां
दो बातें महत्िपूणण हैं: एक, समाजिाद लाना और दूसरा, विकास। फे वबयन समाजिादी लोकतांत्र
को ाईखाड़ फें कने और एक-दलीय साम्यिादी राज्य की स्थापना की िकालत नहीं करते हैं। ाईनका
मानना था दक प्रवतवनवध मूलक लोकतांत्र सबसे ाऄच्छी राजनीवतक व्यिस्था है। ाआसके साथ ही, िे
क्राांवत लाने के वलए ज़हसा का ाईपयोग ाऄस्िीकार करते थे और समाजिादी व्यिस्था की ददशा में
समाज को ाऄग्रसर करने के वलए िाताण, यावचकाओं और लोकताांवत्रक प्रदक्रया के माध्यम से प्राप्त
क्रवमक सुधारों में विश्वास करते थे। समानता का ाईनका लक्ष्य साम्यिादी राज्यों के समथणकों के
समान था लेदकन ाईनके साधन वभतन थे। सामातयत: फे वबयन समाजिादी के रूप में सांदर्थभत दकए
जाने िाले प्रमुख नामों में एनी बेसेंि और जिाहरलाल नेहरू के नाम सवम्मवलत हैं।
लोकताांवत्रक समाजिादी और सामावजक लोकतांत्र िस्तुत: समाजिाद से जुड़े दो ाऄत्यांत महत्िपूणण
पद हैं। ाआन दोनों शब्दों की ाईत्पवत्त वितीय ाऄांतराणष्ट्र (2nd International) के समय में
सुधारिाददयों और क्राांवतकारी समाजिाददयों के बीच विभाजन में खोजी जा सकती है। वितीय
ाऄांतराणष्ट्र/ाऄांतराणष्ट्रीय को विश्ि भर के समाजिादी और श्रवमक दलों का सांगठन समझा जा सकता है।
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सुधारिाददयों को सामावजक लोकतांत्रिादी भी कहा जाता है। लोकताांवत्रक समाजिाद में बहस का
मुख्य मुद्दा लोकताांवत्रक बनाम सिण सत्तािादी समाजिाद है, जबदक सामावजक लोकतांत्र में मुख्य
बल समाजिादी व्यिस्था प्राप्त करने के वलए क्राांवतकारी ज़हसक साधनों के विरूद्ध सुधारिादी
ाऄज़हसक साधनों पर ददया गया है।
o लोकताांवत्रक समाजिाद: लोकताांवत्रक समाजिाद के समथणक ऐसी समाजिादी व्यिस्था के
वलए तकण प्रस्तुत करते हैं जो िास्ति में लोकताांवत्रक हो। ाईनके विचार में, सच्चे समाजिादी
समाज में ाऄथणव्यिस्था के प्रबांधन के सांबांध में वनणणय लेने की शवि जनता के पास होगी।
ाआसवलए ाईनका बल "सोशवलज्म फ्रॉम वबलो" (नीचे से समाजिाद) पर है, वजस पर ाअगे और
प्रकाश डाला गया है:
यह ाऄथणव्यिस्था के प्रबांधन में सांपूणण ाअबादी और विशेषकर श्रवमकों की सदक्रय
भागीदारी का पक्षधर है। यह लोकताांवत्रक समाजिाद या नीचे से समाजिाद की मूलभूत
विशेषता है। ाआसके साधन प्रकृ वत में वितीयक हैं और सुधारिादी या क्राांवतकारी साधनों
के माध्यम से ऐसी समाजिादी व्यिस्था प्राप्त की जा सकती है। लोकताांवत्रक
समाजिाददयों के भीतर काइ ाईप-समूह हैं जो साधनों के एक समुच्चय की तुलना में दूसरे
का समथणन करते हैं, हालाांदक क्राांवतकारी साधनों के पक्षधर सबसे ाऄवधक हैं, दफर भी
ाईनका िास्तविक बल साधनों की बजाय ाऄांवतम ाईद्देश्य पर है।
नीचे से समाजिाद िस्तुताः स्िावलनिाद और सामावजक लोकतांत्र के विपरीत समाजिाद
का एक गैर-तानाशाही दृविकोण है। जबदक स्िावलनिाद और सामावजक लोकतांत्र दोनों
ही तानाशाही राज्य समाजिाद के रूप हैं। तानाशाही से यहाां तात्पयण सत्ता के
विकें द्रीकरण के विपरीत सत्ता के कें द्रीकरण से है। ाऄतय बातों के साथ-साथ, स्िावलनिाद
का वनवहताथण सिोच्च नेता के हाथों में सत्ता का सांकेंद्रण है जो राज्य पर शासन करता है।
ाऄथणव्यिस्था कें द्रीय रूप से वनयोवजत होती है जहाां ाऄथणव्यिस्था के प्रबांधन में ाउपर से
नीचे वनणणय वलया जाता है। सामावजक लोकतांत्र में भी, ाअर्थथक वनणणयन राज्य और
पूांजीपवतयों में सांकेंदद्रत होता है। यहाां भी सांपवत्त के िास्तविक ाईत्पादकों, ाऄथाणत श्रवमकों
की वनणणयन में भागीदारी नहीं होती है। ाआस प्रकार लोकताांवत्रक समाजिाददयों के
ाऄनुसार, सामावजक लोकतांत्र और स्िावलनिाद दोनों ही जनता के हाथों में सत्ता के
विके तद्रीकरण की भािना के विरूद्ध हैं।
लोकताांवत्रक समाजिाद राज्य समाजिाद के विपरीत है। राज्य समाजिाद में ाईद्योगों का
राष्ट्रीयकरण और वनदेवशत ाऄथणव्यिस्था (कें द्रीय रूप से वनयोवजत ाऄथणव्यिस्था, जहाां
राज्य ाईद्योगों को ाअदेश देता है दक क्या, कब, दकतना और कै से ाईत्पादन करना है)
सवम्मवलत होती है। पूज
ां ीिाद में ाअर्थथक ाईत्पादन के प्रश्नों पर वनणणय लेने की शवि
पूांजीपवतयों के हाथों में होती है। लोकताांवत्रक समाजिाददयों का तकण है दक राष्ट्रीयकरण
के माध्यम से पूांजीपवतयों को राज्य िारा प्रवतस्थावपत कर ददया जाता है और श्रवमकों
को पुनाः बाहर छोड़ ददया जाता है।
o सामावजक लोकतांत्र: यह ऐसी राजनीवतक विचारधारा है वजसमें सामावजक लोकतांत्रिाददयों
का मुख्य बल ाऄपने ाऄांवतम ाईद्देश्य ाऄथाणत् समाजिादी समाज को प्राप्त करने के साधन पर
होता है। िे ज़हसक साधनों के विरोधी होते हैं और मानते हैं दक समतापूणण समाजिादी
व्यिस्था ाऄज़हसात्मक तरीके से क्रवमक सुधारों के माध्यम से प्राप्त की जानी चावहए।
सामावजक लोकतांत्र की कु छ महत्िपूणण विशेषताओं को नीचे सूचीबद्ध दकया गया है:
ाआसके लक्ष्य लोकताांवत्रक सामाजिाद के लक्ष्यों की भाांवत ही होते हैं ाऄथाणत, समाजिादी
समाज की प्रावप्त जहाां धन का कम सांकेद्रण और ाऄवधक समानता हो।
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ाआनके साधन सुधारिादी हैं - ाऄथाणत् ज़हसक साधनों के बजाय क्रवमक सुधारात्मक
विवधयााँ। िे पूाँजीिाद ाऄथणव्यिस्था से समाजिादी ाऄथणव्यिस्था की ददशा में शाांवतपूणण
और विकासिादी पटरितणन का समथणन करते हैं।
सामावजक लोकतांत्र को ऐसी राजनीवतक विचारधारा के रूप में भी पटरभावषत दकया जा
सकता है वजसका लक्ष्य समाजिादी नीवतयों िाला कल्याणकारी राज्य हो और जहाां
श्रवमकों के पास पूाँजीिाद ाऄथणव्यिस्था और लोकताांवत्रक ढाांचे के ाऄांतगणत सामूवहक
सौदेबाजी की शवि हो।
राजव्यिस्था का िरीय रूप कानून के शासन के साथ लोकतांत्र होता है। यहाां पर
ाईवल्लवखत लोकतांत्र राजनीवतक और ाअर्थथक दोनों ही पक्षों में है।
ये वमवश्रत ाऄथणव्यिस्था के पक्षधर होते हैं लेदकन राज्य िारा ाऄवतहस्तक्षेप के विरूद्ध हैं।
ाआतना ही नहीं ये 100 प्रवतशत मुक्त बाजार ाऄथणव्यिस्था और 100 प्रवतशत वनयोवजत
ाऄथणव्यिस्था के भी विरूद्ध होते हैं।
दो राजनीवतक लोकताांवत्रक समाजिाद सामावजक लोकतांत्र
विचारधाराएां
िोि बैंक श्रवमक और गरीब दकसान मध्यम िगण
ाऄवतिाद की काफी ाऄवधक ाऄवतिादी कम ाऄवतिादी
मात्रा
िरीय पूणत
ण ाः समाजिादी ाऄथणव्यिस्था वमवश्रत ाऄथणव्यिस्था। पूणत
ण ाः
ाऄथणव्यिस्था की समाजिादी ाऄथणव्यिस्था नहीं
प्रणाली बवल्क सामूवहक सौदेबाजी और
कल्याणकारी राज्य जैसी
समाजिादी विशेषताओं िाली
पूाँजीिाद ाऄथणव्यिस्था।
साधन दो समूह- क्रवमक; सुधारिादी; शाांवतपूण;ण
1. सुधारिादी लोकताांवत्रक समाजिादी - क्राांवत के बजाय विकास
शाांवतपूणण क्रवमक सुधारों को िरीयता देते
हैं।
2. क्राांवतकारी लोकताांवत्रक समाजिादी –
तत्काल ज़हसक क्राांवत को िरीयता देते हैं।
िे "ाउपर से समाजिाद" का समथणन करने
िाले सुधारिादी लोकताांवत्रक
समाजिाददयों की ाअलोचना करते हैं
क्योंदक लोकताांवत्रक समाजिाद पूांजीिाद
का तात्कावलक ाऄांत नहीं चाहता है।
राज्य की राज्य की तयूनतम भूवमका। यहाां तक दक राज्य की कु छ भूवमका। 100
भूवमका कल्याणकारी राज्य भी ाऄस्थायी ाईपाय ही प्रवतशत मुि बाजार ाऄथणव्यिस्था
होना चावहए।
के साथ-साथ 100 प्रवतशत राज्य
वनयोवजत ाऄथणव्यिस्था के
विरूद्ध।
राजव्यिस्था सत्ता का विकें द्रीकरण मुख्य मुद्दा है, चाहे यह कानून के शासन के साथ
लोकतांत्र के ाऄधीन हो या साम्यिादी राज्य के । लोकतांत्र।
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ाऄभी तक हमने विवभन्न राजनीवतक, ाअर्थथक प्रणावलयों और समाजिाद के विवभन्न रूपों के सांबध
ां में
जाना। ाऄब, हम विश्ि ाआवतहास में विवभन्न महत्िपूणण घिनाओं के माध्यम से समाजिाद का विकास
समझने का प्रयास करें ग।े
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की सबसे वनकृ रि विशेषताओं के विरूद्ध कानून पाटरत करने के वलए वििश होना पड़ा। ाईदाहरण
के वलए, काइ देशों में काम की ाऄसुरवक्षत दशाओं के विरूद्ध कानून पाटरत दकए गए और काम के
ाऄवधकतम घांिों पर सीमाएाँ ाअरोवपत की गईं।
यूरोप में समाजिाद के ाईदय से जुड़े कु छ ाअांदोलन और प्रमुख समाजिादी विचारक:
ल्युवडट्स (1811-17): यह लुड की ाऄगुिााइ में ाआां ललैंड के श्रवमकों का समूह था। लुड यह मानता था
दक मशीनें ही श्रवमकों के दुाःख दैतय का कारण हैं। ाईतहोंने कारखानों में मशीनें तोड़ने के वलए
ाअांदोलन ाअरां भ दकया। यह एक सीधा-सरल विचार था और शीघ्र ही ाईतहोंने ाऄनुभि दकया दक
ाईनका ाअांदोलन व्यथण था।
चार्टिस्ि ाअांदोलन (1830 - 40): श्रवमकों के वलए मतावधकार की माांग को लेकर ाआां ललैंड में यह
ाअांदोलन ाअरां भ हुाअ। 1850 के दशक तक ाआस ाअांदोलन का ाऄांत हो गया, लेदकन ाआसका दूरगामी
प्रभाि पड़ा और ाआसने ाऄपने ाऄवधकारों की माांग करने के वलए श्रवमकों को ाईत्सावहत दकया और
ाईतहें और ाऄवधक जागरूक बनाया। सांसद िारा पाटरत चार ाऄवधवनयमों के माध्यम से वब्रिेन
मतावधकार के प्रश्न पर धीरे -धीरे ाअगे बढा और 1929 तक सभी ियस्कों को मतावधकार प्राप्त हो
गया।
यूरोप में 1848 के विद्रोह: 1848 में ाऄवधकाांश यूरोप में विरोध-प्रदशणन और विद्रोह हो रहे थे।
कम्युवनस्ि लीग (ाअगे चचाण की गाइ है) ने माक्सण और एांजल्े स िारा वलवखत कम्युवनस्ि मैवनफे स्िो
(1848) प्रकावशत करते हुए श्रवमकों को प्रेटरत दकया। श्रवमकों ने ाईत्साहपूिक
ण भागीदारी की और
ाईनकी माांगों में न वसफण स्िेच्छाचारी शासन का, बवल्क पूांजीिाद का ाऄांत भी सवम्मवलत था।
मध्यिगण ने श्रवमकों िारा राज्य के ाऄवधग्रहण से डरकर ाऄांवतम क्षणों में वनरां कुश शासकों के साथ
समझौता कर वलया और ये विद्रोह लोकतांत्र की स्थापना करने में विफल रहे।
प्रारां वभक समाजिादी: सामातयत: हम कालण माक्सण के साथ समाजिादी ाअांदोलन का तादात्म्य
स्थावपत करते हैं लेदकन सेंि सााआमन, चाल्सण ़िोटरयर (Charles Fourier), रॉबिण ओिन, ऑगस्िे
ब्लाांकी (Auguste Blanqui), और लीग ऑफ जस्ि जैसे यूिोवपयन समाजिाददयों; बाबूफ जैसे
प्रारां वभक विचारकों, क्राांवतकाटरयों और ाईनके सांगठनों िारा समाजिादी विचारों के विकास की
ददशा में महत्िपूणण कायण दकया गया था। श्रवमकों, ाईनके नेताओं और काइ विचारकों ने श्रवमक िगण
की दशा में सुधार लाने का प्रयास दकया। धीरे -धीरे , यह विश्वास जड़ पकड़ने लगा दक पूांजीिाद
ाऄपने ाअप में ही बुरा है। ाआसवलए एक नाइ सामावजक-ाअर्थथक व्यिस्था की िकालत की गयी, जहाां
ाईत्पादन के साधन सामूवहक रूप से समाज के स्िावमत्ि में हों न दक मुठ्ठीभर पूांजीपवतयों के हाथ
में।
फ्राांसीसी क्राांवत और श्रवमक ाअांदोलन: फ्राांसीसी क्राांवत (1789) से पहले ही काइ विचारक ऐसे
समाज के सांबांध में वलख रहे थे वजसमें समानता होती। लेदकन फ्राांसीसी क्राांवत होने तक यह एक
ाऄव्यिहाटरक स्िप्न प्रतीत होता था। फ्राांसीसी क्राांवत ने समानता पर बहुत बल ददया और
सामांतिाद को समाप्त करने में ाआसकी सफलता ने समानता के विचार को बढािा ददया। हालाांदक
हमें यह ध्यान रखना चावहए दक फ्राांसीसी क्राांवत पूजां ीिाद के विरूद्ध नहीं थी बवल्क ाआसने मुक्त
व्यापार और पूज ां ीिाद का पक्ष ही वलया था। दफर भी सामांतिाद के विरुद्ध रही फ्राांसीसी क्राांवत में
समानता का विचार कें द्रीय तत्ि था। (ाऄमेटरकी क्राांवत के समय स्ितांत्रता की घोषणा ने सांपवत्त के
ाऄवधकार का ाऄलांघनीय ाऄवधकार के रूप में िणणन दकया, जबदक फ्राांसीसी क्राांवत के समय मनुरय
और नागटरक ाऄवधकारों के घोषणापत्र ने तकण प्रस्तुत दकया दक व्यवि को सांपवत्त का ाऄवधकार है
लेदकन सािणजवनक कल्याण के पक्ष में ाआसका ाईल्लांघन दकया जा सकता है)। लेदकन फ्राांसीसी क्राांवत
वस्थर गणराज्य प्रदान करने में विफल रही। यह के िल लुाइ 16िें का वनरां कुश शासन समाप्त कर
पााइ और ाआसका पटरणाम ाऄवधक तयायसांगत समाज के रूप में सामने नहीं ाअया। श्रवमकों को क्राांवत
का लाभ नहीं वमला। क्राांवत का लाभ के िल दकसानों को वमला क्योंदक ाईतहें सामांतों और पादरी िगण
से जब्त की गाइ भूवम वमली। फ्राांसीसी क्राांवत के तुरांत बाद सत्ता बुजुणाअ िगण (मध्यम िगण) के हाथ में
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ाअ गाइ। सांविधान में तयूनतम ाअय मानदांडों के कारण श्रवमकों को मतावधकार नहीं वमला। ाआस
ाऄसांतोष के पटरणामस्िरूप जैकोवबन सत्ता में ाअए, लेदकन िे कानून का शासन प्रदान करने में
विफल रहे और फ्राांस ाअतांक के शासन में चला गया। ाआस शासन में प्रत्येक ाऄसहमवतपू णण ाअिाज
को दबाने के वलए वगलोटिन का ाईपयोग दकया गया। ाआसके बाद, बुजुणाअ िगण पुनाः सत्ता में ाअया।
ाआस प्रकार फ्राांसीसी क्राांवत के िास्तविक पटरणामों और ाईसके विचारों में व्यापक ाऄांतर था। ाआस
ाऄसांतोष ने बाबूफ के षड्यांत्र (1796) को जतम ददया।
बाबूफ का षडयांत्र और बाबूफ की घोषणा (Babeuf’s conspiracy and Babeuf’s
Manifesto): बाबूफ का षडयांत्र फ्राांसीसी सरकार को ाईखाड़ फें कने और समाजिाद के वसद्धाांतों के
ाअधार पर समाज का वनमाणण करने का एक प्रयास था। बाबूफ ने फ्राांसीसी क्राांवत में भाग वलया था
और "सोसााआिी ऑफ ाआक्वल्स" नामक गुप्त समाज का गठन दकया था। सरकार िारा ाअांदोलन दबा
देने के कारण बाबूफ ाऄसफल रहा और 1797 में ाईसे मार ददया गया। बाबूफ की घोषणा ने समाज
में समानता के विचार पर बल ददया। ाआसमें तकण ददया गया था दक ाऄथणव्यिस्था की सभी िस्तुओं
का ाईपभोग करने के वलए हर कोाइ समान ाऄवधकार के साथ पैदा होता है। सच्चे समाज में ाऄमीर
और गरीब के वलए कोाइ स्थान नहीं होता है। ाआसवलए ाऄमीर-गरीब का विभाजन समाप्त करने के
वलए एक और क्राांवत ाअिश्यक है।'
यूिोवपयन समाजिादी: ाआसमें सेंि सााआमन, चाल्सण ़िोटरयर और रॉबिण ओिन जैसे विचारक
सवम्मवलत हैं। ये एक नया सामूवहक समाज चाहते थे। सेंि सााआमन ने "प्रत्येक से ाईसकी क्षमता के
ाऄनुसार और प्रत्येक को ाईसके काम के ाऄनुसार" नारा ददया। ाआतहें यूिोवपयन समाजिादी के नाम से
ाआसवलए जाना जाता है क्योंदक ाआस प्रकार का समाज स्थावपत करने के वलए ाईतहोंने जो ाईपाय
सुझाए थे िे ाऄव्यिहाटरक और प्रभािहीन थे।
ऑगस्िे (1805-81): िह समाजिादी व्यिस्था स्थावपत करने के वलए एक ाईपकरण के रूप में
ज़हसक क्राांवत के विचार का प्रवतपादक था। ऑगस्िे 1830 के दशक से लेकर 1871 तक तृतीय
फ्राांसीसी गणराज्य की स्थापना होने तक पेटरस में होने िाले विद्रोहों में बहुत सदक्रय रहा था।
ाईसने समाजिाद की स्थापना के वलए क्राांवतकारी षडयांत्र के विचार का समथणन दकया। िह बहुत
लोकवप्रय था और 1881 में ाईसके ाऄांवतम सांस्कार के दौरान लगभग दो लाख श्रवमक ाऄपना सम्मान
प्रकि करने के वलए एकवत्रत हुए थे।
लीग ऑफ द जस्ि: यह काइ समाजिादी सांगठनों में से एक था। ाआसका प्रमुख योगदान
ाऄांतराणष्ट्रीयतािाद का विचार था। ाऄांतराणष्ट्रीयतािाद का वनवहताथण सभी देशों के सभी श्रवमकों की
एकता और श्रवमकों के बीच ाऄनेकता के रोत के रूप में सीमाओं को ाऄस्िीकार करना था। सम्पूणण
यूरोप से ाआसके सदस्य थे। ाआसने नारा ददया "सभी लोग भााइ हैं” (all men are brothers)।
कम्युवनस्ि लीग: लीग ऑफ द जस्ि ने 1847 में एक नया नाम कम्युवनस्ि लीग ाऄपनाया। ाआसने
"सिणहारा का शासन" (Rule of Proletariat) का नारा ददया और ाआसे ही ाऄपना लक्ष्य बनाया।
ाआस लक्ष्य का वनवहताथण बुजुणाअ िगण का पतन और श्रवमकों के शासन की स्थापना थी। ाआसका ाईद्देश्य
िगण भेद की विशेषता रखने िाले मध्य िगण के िचणस्ि िाले समाज को ाईखाड़ फें कना था। यह
िगणहीन समाज की स्थापना करना चाहता था, वजसमें वनजी सांपवत्त के वलए कोाइ स्थान नहीं होता।
ाआसने ाऄांतराणष्ट्रीयतािाद की भािना को ाअगे बढाया और नारा ददया "सभी देशों के सिणहारा एक हो
जाओ!"।
समाजिाद और साम्यिाद शब्द का प्राय: एक दूसरे के वलए ाईपयोग दकया जाता है। ाआसका प्रमुख
कारण कालण माक्सण का प्रभाि है। ाआसवलए ाआन शब्दों की बेहतर समझ विकवसत करने के वलए ाऄलग से
कालण माक्सण के विचारों का ाऄध्ययन करना महत्िपूणण है।
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माक्सणिाद को िैज्ञावनक समाजिाद भी कहा जाता है क्योंदक माक्सण ने ाऄपने वसद्धाांत पर पहुांचने से
पहले ाआसका ाऄनुभिजतय िैज्ञावनक विश्लेषण भी दकया था। ाईसने दशाणया दक श्रवमकों िारा सृवजत
मूल्य में से पूज
ां ीपवतयों िारा श्रवमकों को दी गाइ मजदूरी को घिाने के ाईपराांत जो शेष बचता है
िही पूज
ां ीपवतयों का लाभ है और यही समाज में सांघषण का प्राथवमक रोत है।
कम्युवनस्ि मैवनफे स्िो (1848): कम्युवनस्ि लीग के वनदेश पर माक्सण और एांजेल्स ने कम्युवनस्ि
मैवनफे स्िो तैयार दकया था। ाआसने "प्रत्येक से ाईसकी क्षमता के ाऄनुसार और प्रत्येक को ाईसके काम
के ाऄनुसार" के नारे को बदलकर "प्रत्येक से ाईसकी क्षमता के ाऄनुसार और प्रत्येक को ाईसकी
ाअिश्यकता के ाऄनुसार" कर ददया। ऐसा ाऄवधक समािेशी समाज प्राप्त करने के वलए दकया गया
था, जो ाईन लोगों की देखभाल करता जो िृद्धािस्था, विकलाांगता ाअदद के कारण पयाणप्त योगदान
नहीं दे सकते हैं।
दास कै वपिल (1867): यह माक्सण िारा पूज
ां ीिाद पर दकया गया ाऄध्ययन है और ाऄपने ाआस
प्रकाशन में ाईतहोंने पूज
ां ीिाद की विशेषताओं को ाईद्धृत दकया है, जो ाऄपने ही विनाश का कारण
बनती है।
पूज
ाँ ीिाद समाज का मूल सांघषण क्या है?- पूज
ाँ ीिाद समाज की मूल समस्या यह है दक श्रवमक
समाज में मजदूरी के रूप में जो िापस पाते हैं, ाईसकी तुलना में िे ाऄवधक मूल्य सृवजत करते हैं।
मजदूरी और ाईत्पाददत मूल्य के बीच का ाऄांतर पूांजीपवतयों का लाभ होता है। पूजां ीपवत मजदूरी की
कीमत पर लाभ को बढाने का प्रयास करते हैं और ाआसवलए श्रवमकों और पूज ां ीपवतयों के बीच न
वमि सकने िाला सांघषण होता है।
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पूज
ाँ ीिाद समाज में ाअर्थथक सांकि ाऄपटरहायण क्यों है?- ऐसा ाआसवलए है क्योंदक मजदूरी ाईत्पाददत
िस्तुओं के मूल्य से काफी कम होती है। ाऄवधकाांश ाअबादी (ाऄथाणत श्रवमकों) की क्रय शवि और
बाजार से खरीदी जाने िाली िस्तुओं के कु ल मूल्य के बीच विसांगवत होती है। ाआस प्रकार ाअर्थथक
सांकि ाऄिश्यम्भािी है। ाईत्पादन के साधनों का वनजी स्िावमत्ि समाप्त करना और के िल लाभ के
ाईद्देश्य का ाऄांत करना ही ाआस समस्या का समाधान है। ाआससे कु छ लोगों के लाभ की बजाय
सामावजक कल्याण के वलए ाईत्पादन होगा। जहाां व्यवि के वलए जो ाऄच्छा है और समाज के वलए
जो ाऄच्छा है, के बीच कोाइ ाऄांतर नहीं होगा; वजससे िगणहीन समाज ाऄवस्तत्ि में ाअएगा। वनजी
स्िावमत्ि के ाऄांत से पूज
ाँ ीिाद शोषण का भी ाऄांत हो जाएगा। हालाांदक ाआस सांदभण में माक्सण का तकण
यह है दक ऐसा के िल श्रवमक िगण िारा दकया जा सकता है क्योंदक यही िगण औद्योवगक समाज में
सबसे क्राांवतकारी िगण है।
वनम्नवलवखत शीषणकों के ाऄांतगणत माक्सण के विचारों पर ाअगे चचाण की जा सकती है:
पूज
ां ीिाद, सांघषण और िगण (Capitalism, conflict and classes): कालण माक्सण ने ाआस बात का
विश्लेषण करने का प्रयास दकया दक समाज में सांघषण क्यों है। ाईसने यह वनरकषण वनकाला दक समाज
का िगों में विभाजन का पटरणाम सांघषण है। ाआसके ाऄवतटरक्त ाईसने समाज का िगों में विभाजन
के वलए पूज
ां ीिाद को दोषी ठहराया। ाआस प्रकार पूांजीिाद िगों में समाज के स्तरीकरण के वलए होने
िाले सांघषण हेतु ाईत्तरदायी है। कालण माक्सण के ाऄनुसार िस्तुओं के ाईत्पादन के वलए लोगों का एक
साथ ाअना स्िाभाविक है। ाआस प्रकार सांयुि ाईत्पादन के वलए लोगों के बीच मूल रूप से सामांजस्य
होता है, लेदकन पूांजीिाद ाआस सामांजस्य को नि कर देता है और ाआसका पटरणाम समाज में सांघषण के
रूप में सामने ाअता है। दूसरे शब्दों में सांघषण का कारण िगण नहीं होता है बवल्क यह सांघषण ही है जो
लोगों को "हम" बनाम "ाईतहें" की श्रेष्ठता प्राप्त करने के वलए िगों में स्ियां को सांगटठत करने हेतु
बाध्य करता है। ाआस प्रकार एक िगणहीन समाज िगण ाअधाटरत समाज में पटरिर्थतत हो जाता है।
कालण माक्सण ने सांघषणरवहत, पूांजीिादरवहत और िगणहीन समाज की ाअकाांक्षा की [पूज
ां ीिाद नहीं -->
सांघषण नहीं --> िगणहीन समाज]।
श्रवमकों का शोषण (Exploitation of Workers): कालण माक्सण का तकण है दक श्रवमक (ाऄथाणत
सिणहारा िगण) ाऄथणव्यिस्था में मूल्य के िास्तविक ाईत्पादक हैं और पूज
ां ीपवतयों (यानी मध्यम िगण
या बुजाअुण िगण) िारा सिणत्र ाईनका शोषण दकया जाता है। ाआस प्रकार ाऄांतताः िे ाआस शोषण के
विरूद्ध ाईठ खड़े होंगे और सिणहारा की तानाशाही स्थावपत हो जाएगी। ाआससे माक्सण का ाअशय यह
है दक जब कोाइ समाज "पूणण रूप से औद्योवगकीकृ त" हो जाएगा तो श्रवमक ाऄांतताः ाआस व्यिस्था पर
वनयांत्रण प्राप्त करने के वलए विद्रोह कर देंगे और ाऄपने वहत में सरकार ाऄथिा समाज का सांचालन
करें गे। ाआसी को माक्सण ने "सिणहारा की तानाशाही" कहा है।
औद्योवगकीकरण (Industrialization): हमें यहाां यह ध्यान रखना है दक माक्सण औद्योवगकीकरण
के विरूद्ध नहीं था बवल्क के िल औद्योवगक समाज पर प्रभुत्ि रखने िाले औद्योवगक पूज
ां ीिाद के
विरूद्ध था।
साध्य हेतु साधन (Means for Ends): माक्सण का मानना था दक चूदां क राज्य सभी शवियों को
वनयांवत्रत करता है और यह (राज्य) स्ियां बुजुणाअ िगण का एक ाईपकरण है, ाआसवलए पूज
ां ीिाद नि
करने के वलए ज़हसक क्राांवत एकमात्र ाईपाय है।
साम्यिादी समाज (Communist Society): माक्सण ने राज्यविहीन समाज का तकण ददया। िह
सभी विद्यमान सांस्थाओं ाऄथाणत; सेना, सरकार और नौकरशाही के विरूद्ध था क्योंदक िह ाईतहें ऐसे
सांस्थानों के रूप में देखता था वजस पर राज्य ाऄपने ाऄवस्तत्ि के वलए वनभणर था। माक्सण का मानना
था दक राज्य के िल बुजुणाअ िगण के वहतों की रक्षा करता है। पुनाः माक्सण के ाऄनुसार नौकरशाही
तिस्थ नहीं होती है और धीरे -धीरे यह ाऄपना िगीय वहत विकवसत करने लगती है। गोपनीयता में
ाआसका वहत होता है और जानकारी वछपाकर यह ाऄपनी शवि प्राप्त करती है।
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पूाँजीिाद समाज के स्थान पर माक्सण ने साम्यिादी समाज की ाअकाांक्षा की। कम्यून का ाऄथण है-
एक साथ सद्भाि से रहने िाले और सब कु छ साझा करने िाले लोगों का समूह। माक्सण ने तकण
ददया दक साम्यिादी समाज में "प्रत्येक व्यवि ाऄपनी क्षमता के ाऄनुसार योगदान करे गा और
ाऄपनी ाअिश्यकता के ाऄनुसार प्राप्त करे गा।" लेदकन माक्सण ने ाआस बात पर विस्तृत चचाण नहीं की
दक साम्यिादी समाज कै से सांगटठत होगा। ाईसका प्रस्ताि काफी हद तक िैचाटरक था वजसमें ाआस
साम्यिादी विचार को व्यिहार में लाने के वलए एक व्यापक कायाणतियन योजना का ाऄभाि था।
विवध के शासन का विरोधी (Anti-Rule of Law): लोकतांत्र विवध के शासन के वसद्धाांत पर
फलते-फू लते हैं और ाआसका समथणन करते हैं। माक्सण का मानना था दक कानून सदैि मानि ाआच्छा
और विशेषकर सत्ताधारी सामावजक िगण की मनमानीपूणण ाआच्छा के ाईत्पाद होते हैं। ाआसवलए िह
विवध के शासन के ाअदशण को विस्थावपत करना चाहता है। कालण माक्सण ने कहा दक "कानून, धमण,
कला, नैवतकता और सावहत्य जनता के वलए ाऄ़िीम के समान हैं, जो मात्र सिणहारा िगण को ाऄधीन
करने के वलए बुजाअ
ुण िगण िारा गढी गाइ रचनाएाँ हैं”। माक्सण राज्य और कानून को वनचले िगण का
दमन करने के वलए ाऄवभजात्य िगण के एक साधन के रूप में देखता है और कहता है दक ये (राज्य
और कानून) मानि विकास की क्षमता को ाईसके चरमोत्कषण पर पहुाँचने में बाधा पैदा करते हैं। ाआस
प्रकार माक्सण विवध का शासन समाप्त करना चाहता है और ाआसके स्थान पर एक सेक्युलर
यूिोवपया स्थावपत करना चाहता है जहाां धन और शवि के मामले में समानता होगी। ाआस प्रकार
जहाां ाईदारिाद दृढतापूिक
ण कहता है दक कानून तिस्थ और गैर-पक्षपाती होता है, िहीं माक्सण
कानून को लोगों का दमन करने के वलए ाऄवभजात्य िगों िारा ाईपयोग दकया जाने िाला एक
छद्मािरण कहते हुए ाआसका विरोध करता है।
ाऄांतराणष्ट्रीयतािाद (Internationalism): माक्सण ने यह जोर देते हुए कहा दक सभी देशों के सभी
श्रवमकों का ाईद्देश्य पूज
ां ीिाद को ाईखाड़ फें कना है। ाईसका तकण था दक प्रत्ये क का मुक्त विकास सभी
के मुक्त विकास की पूिण शतण है। ाआस प्रकार प्रत्येक श्रवमक को कॉमरे ड या भााइ के रूप में देखा जाना
चावहए।
समाजिाद की ाऄपटरहायणता (Inevitability of Socialism): माक्सण समाजिाद की ाऄपटरहायणता
में विश्वास करता था क्योंदक पूज
ां ीिाद मनुरय की ाअिश्यकताओं की पूर्थत नहीं करता है, ाऄताः
सामांतिाद की भाांवत पूज
ां ीिाद भी समाप्त हो जाएगा।
ाऄवधशेष ाईत्पादन (Surplus Production): माक्सण ाऄवधशेष ाईत्पादन के विरूद्ध था क्योंदक ाईसके
वलए यह ाईपवनिेशिाद और प्राकृ वतक सांसाधनों के दोहन का कारण था।
कम्युवनस्ि मैवनफे स्िो का प्रभाि (1848)
ाआसने 1848 में यूरोप में हुए विद्रोहों में मध्यमिगीय लोगों के साथ कां धे से कां धा वमलाकर भाग लेने
िाले श्रवमकों का मनोबल बढाया। ाआन विद्रोहों का ाईद्देश्य था-
कु लीन िगण का िचणस्ि समाप्त करना।
वनरां कुश सरकारों का शासन समाप्त करना और लोकतांत्र की स्थापना करना।
ाआिली और जमणनी के प्रकरण में प्रदशणनकारी ाऄपने सांबांवधत देशों का एकीकरण चाहते थे।
विशेष रूप से, ाआन विद्रोहों के माध्यम से श्रवमक स्ियां पूज
ां ीिाद को समाप्त करना चाहते थे।
माक्सण के सभी विचारों में ाऄांतराणष्ट्रीयतािाद का प्रधान महत्ि है। ाआसवलए हमें ाअगे बढने से पहले ाआस
विचार की समझ प्राप्त कर लेनी चावहए।
ाऄांतराणष्ट्रीयतािाद (Internationalism)
ाऄांतराणष्ट्रीयतािाद िस्तुताः एक माक्सणिादी सामावजक िगण (a Marxist social class concept)
ाऄिधारणा है, जो ाआस विचार पर ाअधाटरत है दक पूज
ां ीिाद ाऄब एक िैवश्वक प्रणाली है और
ाआसवलए यदद ाआसे हराना (ाऄथाणत् यदद ाआसे ख़त्म करना) है तो श्रवमक िगण को एक िैवश्वक िगण के
रूप में सांगटित होकर कायण करना चावहए। राष्ट्रीयता से वनरपेक्ष सभी श्रवमकों के बीच एकता,
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समाजिादी ाअांदोलन की एक महत्िपूणण विशेषता है। 1846 में वब्रिेन में द सोसााआिी ऑ़ि फ्रिनणल
डेमोक्रेट्स (Society of Fraternal Democrats) का गठन दकया गया। ाऄतय यूरोपीय देशों में
भी ाआसी तरह की ाऄतय सोसााआटियााँ विद्यमान थीं। ाईनमें से सभी का एक दूसरे से सांपकण था। ये
सभी श्रवमकों की िैवश्वक एकता पर बल देती थीं। यहाां तक दक िे श्रवमकों और दकसानों की
एकजुिता पर भी बल देती थीं।
प्रथम ाऄततराणष्ट्र/ाऄांतराणष्ट्रीय (1st International), वितीय ाऄततराणष्ट्र/ाऄांतराणष्ट्रीय (2nd
International) ाअदद जैसे सांगठनों का ाऄध्ययन कर हम ाऄांतराणष्ट्रीयतािाद की ाऄिधारणा को
बेहतर ढांग से समझ सकते हैं।
प्रथम ाऄततराणष्ट्र/ाऄांतराणष्ट्रीय (1864): ाऄांतराणष्ट्रीय श्रवमक सांघ (International Workingmen's
Association: IWA) वजसे कभी-कभी प्रथम ाऄततराणष्ट्र भी कहा जाता है, का गठन करने िाले ट्रेड
यूवनयनिाददयों ने माना दक श्रवमक िगण एक ाऄांतराणष्ट्रीय िगण है वजसे ाऄांतराणष्ट्रीय स्तर पर ाऄपने
सांघषों को जोड़ना है। प्रथम ाऄततराणष्ट्र का ाईद्देश्य 'िगण शासन' का पूणण ाईतमूलन करना था। ाआसने
श्रवमक िगण और समाजिादी नेताओं की ाऄांतराणष्ट्रीय एकता पर भी बल ददया। प्रथम ाऄततराणष्ट्र ने
यूरोप और ाईत्तरी ाऄमेटरका में श्रवमकों के ाअांदोलन को प्रभावित दकया और साथ ही ाईतहें सहायता
भी प्रदान की। ाआसने एक देश के श्रवमकों की दूसरे देशों के श्रवमकों से धन एकत्र करके सहायता
करने की व्यिस्था भी की। ाआसने युद्ध का विरोध दकया। प्रशा और फ्राांस के श्रवमकों ने फ्राांस-प्रशा
युद्ध (1870) और तत्पश्चात जमणनी िारा फ्राांस से ाऄल्सेस लॉरे न छीने जाने का विरोध दकया।
पेटरस कम्यून (1871): फ्राांस-प्रशा युद्ध (1870) के दौरान ही फ़्ाांस में राजतांत्रात्मक शासन
व्यिस्था समाप्त हो गाइ और तृतीय फ्राांसीसी गणराज्य की स्थापना हो गाइ। नाइ सरकार में
सांपवत्तशाली िगण का प्रभुत्ि था और ाआसने सम्राि के पदत्याग के बाद भी प्रशा से युद्ध जारी रखा।
श्रवमकों ने प्रशा पर फ्राांसीसी ाअक्रमण के कारण ाअरम्भ हुए युद्ध का विरोध दकया था। लेदकन युद्ध
ाअरां भ हो जाने के बाद िे साम्राज्यिादी प्रशा के समक्ष फ्राांस िारा ाअत्मसमपणण दकए जाने का
विरोध करने लगे जो फ़्ाांसीसी प्रदेशों पर ाअवधपत्य जमाना चाहता था। निगटठत फ्राांसीसी
सरकार िारा वबस्माकण की युद्धविराम की शतें स्िीकार कर लेने पर श्रवमकों ने पेटरस पर कब्िंा कर
वलया। ाईल्लेखनीय है दक वबस्माकण की युद्धविराम की शतों में प्रशा को ाऄल्सेस-लॉरे न का क्षेत्र
सौंपना और विशाल युद्ध क्षवतपूर्थत का भुगतान करना सवम्मवलत था। ाआसके ाईपराांत श्रवमकों ने एक
वनिाणवचत पटरषद का गठन दकया वजसे पेटरस कम्यून (1871) के नाम से भी जाना जाता है। पेटरस
कम्यून के ाऄांतगणत:
o सभी सािणजवनक पदों के ाऄवधकाटरयों को सािणभौवमक ियस्क मतावधकार के माध्यम से चुना
जाता था,
o लोगों के पास सभी सरकारी सेिकों को िापस बुलाने का ाऄवधकार था,
o वनिाणवचत पटरषद या पेटरस कम्यून में श्रवमकों और पेटरस के वनम्न मध्यम िगण का
प्रवतवनवधत्ि था।
पेटरस कम्यून का ाईद्देश्य शेयर बाजार की सट्टेबाजी, एकावधकार और ाईन सभी विशेषावधकारों को
समाप्त करना था जो श्रवमकों के ाईत्पीड़न हेतु ाईत्तरदायी थे। ाआसके बाद पेटरस के ाऄवतटरक्त शेष फ्राांस
पर वनयांत्रण रखने िाली फ्राांसीसी सरकार ने पेटरस कम्यून (1871) को कु चलने के वलए प्रशा की
सहायता माांगी। फ्राांसीसी सेना ने प्रशा की सेना के साथ पेटरस पर धािा बोल ददया और पेटरस कम्यून
का पतन हो गया। ाआस सांघषण में 30,000 से भी ाऄवधक श्रवमक मारे गए। प्रथम ाऄततराणष्ट्र ने पेटरस कम्यून
का समथणन दकया और कम्यून के पतन के बाद बचकर भागने िाले शरणार्थथयों को सहायता प्रदान की।
ाआसके फलस्िरूप सम्पूणण यूरोप की सरकारें प्रथम ाऄततराणष्ट्र के विरूद्ध हो गईं और ाआसकी गवतविवधयों
पर ाऄाँकुश लगाने का प्रयत्न करने लगीं।
प्रथम ाऄततराणष्ट्र का पतन क्यों हुाअ?
सांगठन की पद्धवत और ाईद्देश्य को लेकर प्रथम ाऄततराणष्ट्र में 1872 में विभाजन हो गया। ाऄांतताः
1876 में ाआसका विघिन ही हो गया। लेदकन 1876 तक श्रवमकों के बीच जागरूकता फै लाने में
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प्रथम ाऄततराणष्ट्र ने महत्िपूणण भूवमका वनभााइ थी। ाऄब िे राजनीवतक रूप से ाऄवधक मुखर हो गए
थे। 1876 तक काइ देशों में मजबूत समाजिादी दल ाऄवस्तत्ि में ाअ चुके थे और ाईनकी सदस्यता
भी बढ गाइ थी।
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ाआसने पूज
ां ीिाद को युद्ध, साम्राज्यिाद और ाईपवनिेशिाद का मूल कारण ठहराया।
वितीय ाऄततराणष्ट्र ने प्रथम विश्ि युद्ध को रोकने का भी प्रयास दकया। ाआसने युद्ध में भाग लेने से
सांबांवधत देशों को रोकने के वलए सामातय हड़ताल का ाऄह्िान दकया। ाआसने ाआस युद्ध के कारण
सामने ाअए ाअर्थथक और राजनीवतक सांकि को हवथयार बनाते हुए श्रवमकों, समाजिादी दलों और
ाईनके नेताओं से पूज
ां ीिाद और ाईसे समथणन देने िाली सरकारों को ाईखाड़ फें कने का ाऄह्िान दकया।
ाआस प्रकार काइ सरकारें वितीय ाऄततराणष्ट्र का समथणन करने िाले समाजिादी नेताओं के विरूद्ध हो
गईं। युद्ध का विरोध करने के वलए प्रथम विश्व युद्ध की पूिण सांध्या पर फ्राांसीसी समाजिादी नेता
जीन जारे स की हत्या कर दी गाइ।
प्रथम ाऄततराणष्ट्र के विपरीत वितीय ाऄततराणष्ट्र िस्तुताः विवभन्न देशों के समाजिादी दलों का एक
ढीला-ढाला सांघ था। ाआसके विपरीत प्रथम ाऄततराणष्ट्र सुगटठत, ाऄवधक एकजुि और छोिा समूह था
तथा ाआस प्रकार ाईसका समतिय और प्रबांधन करना ाअसान था।
ाआसके ाऄवतटरक्त कु छ ाअांतटरक मतभेद भी थे, वजतहोंने वितीय ाऄततराणष्ट्र को दुबणल बनाया।
o यह समाजिाद लाने के वलए दकये जाने िाले सांघषण की विवध के प्रश्न पर विभावजत था। कु छ
ज़हसक क्राांवत की विवध को िरीयता देते थे, जबदक ाऄतय सरकारों पर दबाि डालकर और
पैरिी करके धीरे -धीरे दकये जाने िाले सुधारों के पक्षधर थे। जो लोग धीरे -धीरे सुधारों का
समथणन करते थे, िे ाऄपनी सरकारों का भी समथणन करते थे।
o वितीय ाऄततराणष्ट्र के कु छ िगण ाईपवनिेशिाद के पक्षधर थे, वजसमें ाईनके देश लगे हुए थे।
o युद्ध के मुद्दे पर वितीय ाऄततराणष्ट्र के भीतर विवभन्न समूहों के बीच युद्ध के विरोध के मूल
वसद्धाांत पर तो मतैक्य था लेदकन क्या कारण िााइ की जानी चावहए, ाआसके सांबांध में मतभेद था।
ाईदाहरण के वलए कु छ समाजिादी दलों को ाआस बात का डर था दक यदद िे युद्ध का विरोध
करते हैं तो ाईनकी सरकारें ाईनका दमन कर देंगी। ाआसके साथ ही कु छ समाजिादी दल ाऄपनी
क्राांवत ाअगे बढाने के वलए युद्ध जवनत सांकि का ाईपयोग करने के वलए तैयार नहीं थे।
o जब प्रथम विश्व युद्ध ाअरां भ हुाअ तो ाऄवधकाांश समाजिादी दलों ने ाऄपनी सरकारों का समथणन
दकया। ाआससे वितीय ाऄततराणष्ट्र का ाऄांत हो गया। ाआस प्रकार यह तकण ददया जा सकता है दक
राष्ट्रिाद वितीय ाऄततराणष्ट्र के पतन का एक प्रमुख कारण था। ाऄांतराणष्ट्रीयतािाद और राष्ट्रिाद
(Internationalism and Nationalism) के बीच की खााइ वितीय ाऄततराणष्ट्र के ाऄांवतम िषों
में और चौड़ी हो गाइ वजसने ाआसके पतन का मागण सुवनवश्चत दकया।
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बोल्शेविक बनाम मेंशवे िक: रूस में सोशल डेमोक्रेटिक लेबर पािी के विघिन से बोल्शेविक और
मेंशेविक का ाईदय हुाअ। यह दोनों ही गुि सोशल डेमोक्रेटिक लेबर पािी के झांडे तले ही विकवसत
हुए थे, वजसका दृविकोण माक्सणिादी था। पािी िारा चलाए जा रहे एक समाचार पत्र के
सम्पादकीय बोडण के चुनाि के समय बोल्शेविक और मेंशेविक के बीच दरार पड़ गाइ। रूसी भाषा में
बोल्शेविक का ाऄथण है “बहुसांख्यक” और मेंशेविक का ाऄथण है “ाऄल्पसांख्यक” और ाआस प्रकार से
बहुसांख्यक समूह बोल्शेविक कहलाया और ाऄल्पसांख्यक समूह को मेंशेविक कहा जाने लगा।
बोल्शेविकों का नेता लेवनन था।
बोल्शेविक मेंशवे िक
बोल्शेविकों का तकण था दक पािी को के िल मेंशेविकों को क्रावततकारी गवतविवधयों में दकसानों के
औद्योवगक श्रवमकों के वलए ही कायण नहीं करना सहयोग का बहुत कम विश्वास था क्योंदक रूसी
चावहए ाऄवपतु दकसानों को भी क्रावततकारी समाज में दकसान िगण सिाणवधक रूदढिादी था।
गवतविवधयों में सवम्मवलत करना चावहए। ाआसवलए मेंशेविक श्रवमक विद्रोह के ाऄथों में
माक्सणिाद के कट्टर ाऄनुयायी थे।
बोल्शेविकों का मानना था दक पािी को पेशेिर मेंशेविक एक ऐसी बड़ी पािी चाहते थे वजसकी
क्राांवतकाटरयों का एक छोिा ाऄनुशावसत समूह सदस्यता सभी के वलए खुली होती। पुनाः ाईनका
होना चावहए, जो पूणणकावलक रूप में क्राांवत मानना था दक जो ाआसमें सवम्मवलत होना चाहते हैं
लाने का कायण करें गे। सदस्यता के वलए प्रमुख ाईनके वलए सांगठन के प्रवत प्रवतबद्धता और सांगठन
की गवतविवधयों के वलए ददए जाने िाले समय को
मापदांड यही होना चावहए, भले ही ाअिेदक
सदस्यता का प्रमुख मानदांड नहीं बनाना चावहए।
श्रवमक हो या दकसान।
िे क्राांवत का ाऄविलम्ब ाअरम्भ चाहते थे। ाईनका विश्वास था दक क्राांवत तब तक नहीं हो सकती,
जब तक रूस का सम्पूणण औद्योवगकीकरण न हो जाए
और श्रवमकों की सांख्या दकसानों से ाऄवधक न हो
जाए। ऐसा ाआसवलए था क्योंदक ाईतहें दकसानों से
समथणन की ाअशा नहीं थी।
रूसी क्राांवत :
त्सार या िंार (Tsar or Czar) का ाऄथण है रोमानोि राजिांश का सम्राि (स्लाि िांश)।
20िीं सदी के प्रथम दो दशकों की वस्थवत: रूस पर िंार वनकोलस वितीय का शासन था जो एक
वनरां कुश शासक था। यह एक प्रकार से एक व्यवि का शासन था, जहाां िंार को सांसद के प्रवत वबना
दकसी ाईत्तरदावयत्ि के ाईच्च वििेकाधीन शवियााँ प्राप्त थीं (दूसरे शब्दों में कहें तो रूस में सांसद ही
नहीं थी)।
जनसामातय की वशकायतें: िंार वनकोलस वितीय के शासनकाल में विवभन्न कारणों से जनसामातय
ाऄप्रसन्न था और सािणजवनक ाऄसांतोष व्याप्त था। कारखानों में काम की वस्थवतयाां बहुत ही खराब
थीं ाआसवलए श्रवमकों का जीिन किमय था। ाआसी प्रकार से दकसानों की भी वस्थवत ाऄत्यवधक खराब
थी। यद्यवप सफण डम (कृ वष दासता) की प्रथा 1861 में एलेक्जेंडर िारा समाप्त कर दी गाइ थी परततु
दासता से मुि होने के पश्चात सफण (कृ वष दास) भारी ाऊण से दबे हुए थे और वनताांत वनधणनता में
जी रहे थे। यह ाआसवलए था क्योंदक ाईतहें प्रवतदान (redemptions) का भुगतान करना पड़ता था।
यह एक प्रकार का िार्थषक भुगतान था, वजसे दकसानों को स़िण डम की समावप्त (1861) के ाईपराांत
प्राप्त हुाइ स्ितांत्रता और भूवम के एिज में सरकार को देना पड़ता था। प्रेस, िाक् एिां ाऄवभव्यवि की
कोाइ स्ितांत्रता नहीं थी। ाअर्थथक विकास के मामले में रूस वपछड़ रहा था। ाआसवलए लोग एक
प्रवतवनवधत्ि स्िरूप िाली सरकार, ाऄथाणत प्रजातांत्र के रूप में पटरितणन चाहते थे।
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1905 की क्राांवत: 1905 में सािणजवनक ाऄशाांवत ाऄपने चरम पर पहुांच गाइ थी। 1904-05 का रूस-
जापान युद्ध ाआसका प्रमुख कारण था क्योंदक ाआससे रूसी ाऄथणव्यिस्था का और ाऄवधक पतन हुाअ।
युद्ध में रूस की पराजय ने िंार शासन के प्रवत सािणजवनक विश्वास को और भी कम कर ददया।
ाआसका प्रत्युत्तर जनता ने एक सामातय हड़ताल के रूप में ददया और िंार के शासन को ाईखाड़ कर
प्रजातांत्र की स्थापना का प्रयास दकया। 1905 की यह क्राांवत वनम्नवलवखत कारणों से ाऄसफल रही:
o सेना िंार के प्रवत वनष्ठािान रही।
o िंार ने ाऄक्िू बर घोषणापत्र (October Manifesto-1905) के रूप में सुविधाएाँ प्रदान कीं।
o विरोवधयों के बीच एकता का ाऄभाि था।
o क्राांवतकाटरयों के बीच के तद्रीय नेतृत्ि का ाऄभाि था, क्योंदक क्राांवत वबना दकसी योजना और
नेता के ाऄनायास ही प्रस्फु टित हो गाइ थी।
ाऄक्िू बर घोषणापत्र (1905): 1905 की क्राांवत के समय िंार िारा प्रदान की गाइ सुविधाओं को
ाऄक्िू बर घोषणापत्र (1905) के रूप में जाना जाता है। ाआसमें सम्राि िारा भविरय में प्रदान की
जाने िाली घोषणा शावमल थी।
o िंार ने एक वनिाणवचत सांसद (वजसे रूसी भाषा में ड्यूमा कहा जाता है) की स्थापना का िचन
ददया।
o ाईसने श्रवमकों के िेतन में िृवद्ध और कारखानों में काम की वस्थवतयों में सुधार का िचन ददया।
o ाईसने भूतपूिण सफण िारा दकए जाने िाले करों के भुगतान को रद्द करने का िचन ददया।
o ाईसने प्रेस को और ाऄवधक स्ितांत्रता देने का िचन ददया।
o ाईसने एक िास्तविक लोकतांत्र का िचन ददया, जहाां देश के शासन को चलाने में ड्यूमा की
महत्त्िपूणण भूवमका होनी थी।
ाऄक्िू बर घोषणापत्र का कायाणतियन: यद्यवप िंार ने ड्यूमा की स्थापना कर दी थी और प्रवतदान
भुगतान को रद्द कर ददया था परततु ाईसने ाऄक्िू बर घोषणापत्र में दकए गए काइ ाऄतय िचनों को
पूरा नहीं दकया। सुधार के सांदभण में ड्यूमा के विचारों और माांगों की ाईपेक्षा की गयी। पहली दो
वनिाणवचत ड्यूमाओं को िंार की सेना ने वछन्न-वभन्न कर ददया था। तीसरी और चौथी ड्यूमा ने
ाऄपना पाांच िषण का कायणकाल के िल ाआसवलए पूरा दकया क्योंदक ाआसका गठन िंार-समथणक सदस्यों
िारा दकया गया था। यह ाआसवलए हुाअ क्योंदक वितीय ड्यूमा को भांग करने के पश्चात ाईसके
मतदान व्यिस्था में पटरितणन कर ददया गया था। नाइ मतदान व्यिस्था में दकसानों और शहरी
श्रवमकों को मतदान के ाऄवधकार से िांवचत कर ददया गया था, वजसके पटरणामस्िरूप ाऄवभजात्य
िगण के िे ही रुदढिादी सदस्य चुने गये, जो िंार समथणक थे।
1917 की क्राांवतयााँ
िषण 1917 में रूस में दो क्राांवतयााँ हुईं – फरिरी क्राांवत और ाऄक्िूबर क्राांवत। फरिरी क्राांवत के ाईपराांत
िंार के शासन का ाऄांत हो गया और एक ाऄांतटरम सरकार की स्थापना हुाइ। ाऄक्िू बर क्राांवत के
पटरणामस्िरूप बोल्शेविकों ने तख्तापलि की एक कायणिाही में ाऄांतटरम सरकार को ाऄपदस्थ कर रूस में
समाजिादी राज्य की स्थापना की।
फरिरी क्राांवत (1917): ाऄक्िू बर घोषणापत्र (1905) का कायाणतियन न दकया जाना ाआस क्राांवत का एक
प्रमुख कारण था। ाआसके ाऄवतटरि यहााँ दो प्रश्नों को सम्बोवधत दकया जाना महत्त्िपूणण है, पहला – िंार
के विरुद्ध क्राांवत दकसानों और श्रवमकों की क्राांवत क्यों थी? और दूसरा – 1905 की क्राांवत के तुरांत पश्चात
िंार ने ाऄक्िू बर घोषणापत्र (1905) में दकये गये िादों को पूरा क्यों नही दकया?
िंार के विरुद्ध क्राांवत दकसानों और श्रवमकों की क्राांवत क्यों थी?
प्रथम ड्यूमा का गठन 1906 में हुाअ था। प्रथम ड्यूमा के वलए हुए चुनािों में सभी िगों को मतदान का
ाऄवधकार था। परततु ाआन चुनािों में धाांधली हुाइ थी वजसके कारण जमींदारों और मध्यिगण के लोगों को
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बहुमत प्राप्त हुाअ। प्रथम ड्यूमा ने जनता की माांगों को ाअगे बढाने का प्रयास दकया। िंार से की गाइ
ाआसकी माांगों में ये सवम्मवलत थे:
भूवम का पुनर्थितरण
एक िास्तविक लोकतांत्र
श्रवमकों को हड़ताल का ाऄवधकार
मृत्युदड ां का ाईतमूलन
ड्यूमा को िंार के मांवत्रयों के ाऄनुमोदन का ाऄवधकार।
जल्द ही प्रथम ड्यूमा को भांग कर ददया गया। वितीय ड्यूमा का भी यही हाल हुाअ।
तृतीय (1907-12) और चतुथण ड्यूमा (1912-17) के पास कोाइ भी शवि नहीं थी और ये रुदढिादी थीं।
मतदान का ाऄवधकार न होने के कारण श्रवमकों और दकसानों के वहतों की ाईपेक्षा हुाइ। यही कारण है दक
ाअतदोलन मध्यिगीय लोगों के नेतृत्ि में नहीं हुाअ था ाऄवपतु दकसानों और श्रवमकों िारा दकया गया था।
ाआसके ाऄवतटरि गुप्तचर, पुवलस और मांवत्रयों की वनयुवियाां िंार िारा ही वनयांवत्रत होती थीं और िह
शविशाली बना रहा।
ाऄक्िू बर घोषणापत्र के कायाणतियन न होने के तुरांत पश्चात कोाइ ाअतदोलन क्यों नहीं हुाअ?
ाआसकी व्याख्या वनम्नवलवखत वबतदुओं के ाऄांतगणत की जा सकती है:
1906 के पश्चात हुए ाअर्थथक सुधारों ने दकसानों और श्रवमकों को शाांत कर ददया था।
जो नेता िंार का विरोध करते थे और ाअतदोलन करना चाहते थे, ाईनके पास धन की कमी थी।
ाईनमें से काइ या तो जेल में थे या वनिाणसन का वशकार थे। ाईदाहरण के वलए, लेवनन वनिाणसन में
गया और दफर 1917 में जमणन विदेश मांत्री विंम्मरमैन की सहायता से िापस ाअया। (जमणनी यह
चाहता था दक रूस प्रथम विश्व युद्ध से ाऄलग हो जाए ाऄथिा ाअांतटरक ाऄशाांवत से यह कमजोर हो
जाए)।
िंार के प्रधानमतत्री स्िोलीवपन ने कु छ सुधार प्रस्तुत दकये:
o दकसानों का समथणन प्राप्त करने के वलए ाईसने प्रवतदान का भुगतान समाप्त कर ददया।
o भूवम सुधार ाअरां भ दकये गये: दकसानों को ाऄपनी भूवम खरीदने के वलए प्रोत्सावहत दकया
गया। ाईदाहरण के वलए, दकसानों को सााआबेटरया में स्थानाांतटरत होने के वलए प्रोत्सावहत
दकया गया जहााँ िे बीहड़ भूवम को सस्ते मूल्यों पर खरीद सकते थे। परततु ाआससे ाऄमीर
दकसानों या कू लक जैसे नए िगण का ाईदय हुाअ, जो सरकार के समथणक थे।
o ाईसने श्रवमकों का समथणन प्राप्त करने का प्रयास दकया। वनरीक्षकों को यह सुवनवश्चत करने के
वलए वनयुि दकया गया दक कारखानों में काम करने की वस्थवतयों में सुधार हो। 1906 के
पश्चात ाऄत्यवधक औद्योवगक विकास के कारण पूज
ां ीपवत श्रवमकों के िेतन को बढाने में सक्षम
हो गये। 1912 में बीमारी और दुघणिना बीमा योजना का ाअरम्भ दकया गया।
विरोधी नेताओं के बीच मतभेद: बोल्शेविकों और मेंशेविकों के बीच विवभन्न मुद्दों पर मतभेद थे।
मेंशेविक तत्काल क्राांवत नहीं चाहते थे। ाईनका मानना था दक जब तक रूसी ाऄथणव्यिस्था पूरी तरह
से औद्योवगकीकृ त न हो जाये और जनसांख्या में श्रवमक बहुमत न हो जाए, तब तक क्राांवत नहीं
होनी चावहए। दूसरी ओर लेवनन के नेतृत्ि में बोल्शेविक; श्रवमकों और दकसानों के समथणन से
तत्काल क्राांवत चाहते थे।
फरिरी क्राांवत के कारण (1917): क्राांवत के कारणों को वनम्नवलवखत प्रकार से सूचीबद्ध दकया जा सकता
है:
दीघणकालीन वशकायतें:
o ाऄक्िू बर घोषणापत्र (1905) का कायाणतियन सही से नहीं दकया गया। पुनाः िास्तविक
प्रजातांत्र के िादे को भी पूरा नहीं दकया गया था।
o 1911 तक भूवम सुधार विफल हो गये थे। ाईल्लेखनीय है दक दकसानों को भू-स्िामी बना कर और
गरीबों को सबसे ाऄवधक ाअहत करने िाली खाद्य मुद्रास्फीवत में कमी के िारा दकसानों के जीिन में
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सुधार लाने के ाईद्देश्य से भूवम सुधार दकये गये थे। हालाांदक ये भूवम सुधार विफल हो गये क्योंदक
दकसानों की जनसांख्या में कृ वष क्षेत्र के विकास की तुलना में ाऄवधक िृवद्ध हुाइ। यह ाऄक्षम कृ वष
पद्धवतयों के कारण खाद्य मुद्रास्फीवत को रोकने में विफल रही। प्रधानमतत्री स्िोलीवपन के िारा
प्रारम्भ दकए गए सुधारों के पटरणामस्िरूप जनसांख्या में तीव्रता से िृवद्ध हुाइ।
o श्रवमकों के वलए चलाया गया कल्याण कायणक्रम ाईनकी सभी वशकायतों को समाप्त करने के वलए
पयाणप्त नहीं था। प्रथम विश्व युद्ध के ाअरां भ से पहले के तीन िषों (1912-14) के दौरान औद्योवगक
ाऄशाांवत और हड़तालें हुईं। यह ाऄशाांवत 1912 में सोने की एक खदान में खवनकों पर गोलीबारी की
घिना से प्रारम्भ हुाइ।
o गुप्त पुवलस के ाईपयोग िारा सरकारी दमन का प्रयास दकया गया। ाआसने समाज के तीन महत्त्िपूणण
िगों ाऄथाणत – दकसान, श्रवमक और बुवद्धजीिी िगण (वशवक्षत िगण) को ाअहत दकया। ये क्रावततकारी
छात्र, ाऄध्यापक ाअदद थे वजतहें या तो बांदी बना वलया गया था या गुप्त पुवलस ने मार ददया था।
नृशांसता के एक और ाईदाहरण में यहूददयों का सामूवहक वनिाणसन शावमल था। 1917 तक समाज
के काइ िगण िंार विरोधी हो गये थे।
o 1912 के पश्चात विवभन्न क्रावततकारी दलों ने ाअपस में हाथ वमला वलए वजसके पटरणामस्िरूप
विरोधी दलों के मध्य रहने िाले वििाद समाप्त हो गए। ाईदाहरण के वलए बोल्शेविक, मेंशेविक
और सोशवलस्ि रे िोल्युशनरी पािी – तीन प्रमुख दलों ने ाऄपने मतभेद कम से कम ाऄस्थााइ रूप से
समाप्त कर ददए और िंार के विरोध में एकजुि होने का वनणणय कर वलया।
o शाही पटरिार में व्याप्त भ्रिाचार के कारण ाईसकी विश्वसनीयता समाप्त हो गयी थी। ाईदाहरण के
वलए, ाआस बात को लेकर भी िाद-वििाद हुाअ दक क्या सुधारिादी प्रधानमतत्री स्िोलीवपन की
हत्या के पीछे िंार का हाथ था। कवथत रूप से यह ाअरोप भी लगाया गया था दक जो पादरी िंार
के बीमार बालक की सहायता दकया करता था, िंार के सभी वनणणयों में ाईसकी भूवमका महत्िपूणण
हो गयी थी।
तात्कावलक कारण:
o प्रथम विश्व युद्ध में भागीदारी ने िंार को सत्ता से ाईखाड़ फें कने की प्रदक्रया को तीव्र कर ददया,
क्योंदक युद्ध में हुए भारी व्यय ने जनता की ाअर्थथक वस्थवत को और वबगाड़ ददया था। ाईदाहरण के
वलए युद्ध के िषों में खाद्य मुद्रास्फीवत में तीव्रता से िृवद्ध हुाइ। सेंि पीिसणबगण (तब पेत्रोग्राद) में ब्रे ड
के वलए दांगे प्रारम्भ हो गए थे। प्रथम विश्व युद्ध में विफलता और युद्ध सांचालन में िंार के ाऄक्षम
नेतृत्ि (ाईदाहरण के वलए युद्धरत सैवनक ाआकााइयों के वलए शस्त्र ाअपूर्थत का धीमी गवत से पटरिहन)
के कारण सेना और पुवलस में भी विद्रोह हो गया। ाआस प्रकार 1905 की क्राांवत के विपरीत, िषण
1917 की फरिरी क्राांवत के समय सेना और पुवलस िंार के प्रवत वनष्ठािान नहीं थी।
o फरिरी की क्राांवत एक सहज विस्फोि थी। क्राांवत को दबाने के वलए जार वनकोलस वितीय ने ाऄपने
सैवनकों को भेजा, वजतहोंने शीघ्र ही गोली चलाने से मना कर ददया। ाआस प्रकार पेत्रोग्राद की पूरी
सेना ने विद्रोह कर ददया। जल्द ही भीड़ ने सािणजवनक भिनों पर ाऄवधकार कर वलया। चतुथण
ड्यूमा ने िंार को एक सांिैधावनक राजतांत्र की स्थापना का परामशण ददया परततु ाईसने मना कर
ददया और पहले से ाऄवधक सेना को भेजा, जो भीड़ को हिाने में विफल रही। सेना के िटरष्ठ
जनरलों ने राजतांत्र को बचाने के वलए वनकोलस वितीय को ज़सहासन छोड़ने के वलए मनाने का
प्रयास दकया। वनकोलस वितीय सहमत हो गया परततु ाईसके ाऄगले ाईत्तरावधकारी (िंार का भााइ)
ने ज़सहासन को ाऄस्िीकार कर ददया और ाआस प्रकार रोमानोि राजिांश का शासन एक घटिया
राज्यारोहण योजना के कारण समाप्त हो गया।
o फरिरी क्राांवत के सहज विस्फोि के समय विशेषावधकार प्राप्त िगण (ड्यूमा के सदस्य,
ाईद्योगपवत, ाऄवभजात्य िगण और सेना के िटरष्ठ जनरल) के िल ाऄपनी जान बचाने के वलए
िंार के विरुद्ध हो गये थे।
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़िै ल जाएगा। ाआसके ाऄवतटरि िे यह भी चाहते थे दक रूस प्रथम विश्व युद्ध में पुन: प्रिेश करे {रूस
ने ाऄक्िू बर क्राांवत के पश्चात बोल्शेविकों िारा हस्ताक्षटरत ब्रेस्ि वलिोिस्क की सांवध (Treaty of
Brest Litovsk- 1917) के माध्यम से स्ियां को प्रथम विश्व युद्ध से ाऄलग कर वलया था)।
ाऄक्िू बर क्राांवत के पश्चात कु छ सैवनक और श्रवमक बोल्शेविकों िारा सोवियत के साथ क्रूर व्यिहार
दकए जाने के कारण बोल्शेविकों के विरुद्ध थे। बोल्शेविकों ने रे ड गार्डसण की सहायता से सोशल
टरिोल्युशनटरयों और मेंशेविकों को सोवियत से बाहर का रास्ता ददखा ददया और एक कॉवमसार
(Commissar- कें द्र िारा वनयुि) को सोवियत का प्रमुख बना ददया। ाआस प्रकार सभी सोवियत
बोल्शेविकों के सम्पूणण वनयतत्रण में ाअ गए। ाऄगस्त 1918 में लेवनन की हत्या का प्रयास दकया
गया। ाआसके पश्चात बोल्शेविक के रे ड गार्डसण ने जो कु छ दकया ाईसे रे ड िेरर (लाल ाअांतकिाद) के
नाम से जाना गया, वजसमें काइ व्हााआट्स की हत्या की गयी थी। गृह युद्ध के समय यूक्रेन और
जार्थजया को दफर से रूस के साथ जुड़ने के वलए वििश दकया गया। रूस ने ाआन क्षेत्रों को जमणनी के
साथ हुए ब्रेस्ि वलिोिस्क की सांवध (1917) में गांिा ददया था। गृह युद्ध के दौरान ही ाऄमेवनया और
ाऄजरबैजान में चल रहे स्िाधीनता सांघषण को कु चल ददया गया था। ाआन दोनों ने प्रचवलत सांकि से
प्राप्त ाऄिसरों का लाभ ाईठाते हुए स्ियां को स्ितांत्र घोवषत कर ददया था।
बोल्शेविकों की विजय के कारण
व्हााआट्स भलीभाांवत सांगटठत नहीं थे और ाईनका कोाइ एकल के तद्रीय नेतृत्ि भी नहीं था।
रे ड ाअमी के पास ाऄवधक सैवनक थे और ाआनके पास ट्रॉट्स्की के रूप में एक सक्षम नेता भी था।
गृह युद्ध के दौरान व्हााआट्स िारा की गयी क्रूरताओं के कारण ाईतहोंने दकसानों का समथणन भी खो
ददया था।
लेवनन बोल्शेविकों को विदेशी सेना से लड़ रहे राष्ट्रिाददयों के रूप में प्रस्तुत करने में सफल रहा।
युद्ध साम्यिाद (war communism) ने बोल्शेविकों को युद्ध के दौरान सांसाधनों की बचत में
सहायता की। युद्ध साम्यिाद के ाऄांतगणत सभी कारखानों का राष्ट्रीयकरण दकया गया और सभी
प्रकार के वनजी व्यापार को प्रवतबांवधत कर ददया गया तादक सभी सांसाधन सीधे पािी को प्राप्त हों।
ाआसके ाऄवतटरि दकसानों से सभी खाद्यान्नों को सेनाओं और ाईन श्रवमकों को वखलाने के वलए जब्त
दकया गया जो बोल्शेविकों के समथणन का ाअधार थे।
ाआस प्रकार रूस में साम्यिादी क्राांवत सफल रही और 1920 तक ाऄपनी वस्थरता तक पहुांच गाइ थी।
वचत्र: लेवनन
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गृहयुद्ध (1918-20) की समावप्त के पश्चात लेवनन ाऄपनी दो ाआच्छाएां पूरी करना चाहता था।
पहली, ाअर्थथक सुधार की और दूसरी, कृ षकों और श्रवमकों के बीच सामांजस्य जोदक युद्ध साम्यिाद
से ाअहत हुए थे। कम्युवनस्िों के प्रमुख समथणक श्रवमक थे, िहीं गृह-युद्ध में कृ षक बोल्शेविकों के
विरुद्ध लड़े थे, क्योंदक लेवनन ने 1917 के लोकतावतत्रक चुनािों के पश्चात सांविधान बनाने के वलए
गटठत सांविधान सभा को भांग कर ददया था। ाआन चुनािों में सोशल टरिोल्युशनरी पािी (कृ षकों के
समथणन पर ाअधाटरत) ने ाऄवधकतम सीिों पर विजय प्राप्त की थी। साथ ही सदन की चचाणओं में
ाईतहोंने बोल्शेविकों को ाऄपनी ाअलोचना का लक्ष्य बनाया। ाआसका कारण था दक जनसांख्या में
बहुमत कृ षकों का था, श्रवमकों का नहीं। पुनाः ाआसका कारण यह भी था दक रूसी ाऄथणव्यिस्था मुख्य
रूप से कृ वष ाअधाटरत थी। युद्ध साम्यिाद ने दकसानों को बोल्शेविकों से और दूर कर ददया था। ाआन
दोनों ाईद्देश्यों की प्रावप्त के वलए लेवनन ने वनम्नवलवखत कदम ाईठाये:
o लेवनन ने वब्रटिश वनिेश (FDI) प्राप्त करने के वलए वब्रिेन के साथ 1921 में एक व्यापार
समझौते पर हस्ताक्षर दकए। ाआसका ाईद्देश्य रूस के औद्योवगक विकास को प्रोत्सावहत करना
था।
o लेवनन ने नाइ ाअर्थथक नीवत (NEP: 1921-27) ाअरम्भ की वजसकी वनम्नवलवखत विशेषताएां
थीं:
मुख्य रूप से यह नीवत दकसान कल्याण और विकास को बढािा देने के वलए थी।
विकास को प्रोत्सावहत करने के वलए NEP एक ाऄस्थााइ ाईपाय था।
भूवम के वनजी स्िावमत्ि की ाऄनुमवत प्रदान की गयी और खाद्यान्न के ाईत्पादन के वलए
पूाँजीिाद प्रोत्साहन का ाईपयोग करना। कर भुगतान (जो ाऄवतटरि ाईपज पर देय था) के
पश्चात दकसानों को ाऄवतटरि ाईत्पादन ाऄपने पास रखने की ाऄनुमवत थी।
लघु ाईद्योगों के वलए वनजी स्िावमत्ि प्रदान दकया गया। जबदक कोयला, लोहा और
ाआस्पात तथा रसायन जैसे ाईद्योग राज्य के स्िावमत्ि में थे। ाआसी प्रकार से ाउजाण, पटरिहन,
बैंककग भी राज्य के वनयतत्रण में थे।
लघु कारखानों िारा ाईत्पाददत माल के व्यापार में वनजी स्िावमत्ि।
लेवनन ने बोनस, प्रवत नग िेतन दर (piece wage rates) ाअदद जैसे पूज
ां ीपवत ाईपायों
को प्रारम्भ करने की ाऄनुमवत दी।
वजन प्रबांधकों को 1917 की क्राांवत के पश्चात हिा ददया गया था ाईन पुराने प्रबांधकों को
लेवनन ने िापस बुलाया। यह कारखानों के ाईत्पादन में सुधार लाने के वलए दकया गया
था।
पािी के िामपांथी सदस्यों ने NEP का विरोध दकया क्योंदक ाईतहें लगता था दक ाआसके
कारण कु लकों (समृद्ध कृ षक जमींदार) की सांख्या में िृवद्ध होगी।
लेवनन के दीघणकालीन समाधानों में शावमल थे- ाऄथणव्यिस्था पर राज्य का वनयतत्रण,
कृ वष ाईत्पादन में बड़े स्तर के लाभ प्राप्त करने के वलए खेतों का सामूवहकीकरण
(collectivization)। सामूवहकीकरण को 1924 में लेवनन की मृत्यु के पश्चात ही प्राप्त
दकया जा सका था।
NEP बहुत ाऄवधक सफल नहीं हुाइ। सामातय लोगों की वस्थवत यद्यवप बेहतर थी परततु
भोजन की कमी लगातार बनी रही।
लेवनन िारा प्रारम्भ दकए गए राजनीवतक पटरितणन
1921 में गुिबांदी पर प्रवतबतध लगा ददया गया। यह पािी के ाऄांदर ाऄसहमवत को रोकने के वलए
दकया गया था। जब तक वनणणय न हो जाये स्ितांत्र चचाण की ाऄनुमवत थी। परततु वनणणय हो जाने के
पश्चात सभी पािी के सदस्यों को ाईस वनणणय का समथणन करना था और ाईसके कायाणतियन के वलए
पूरी प्रवतबद्धता से कायण करना था।
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शुवद्धकरण (Purging) (पािी से बलात वनरकासन): 1921 के दौरान गुप्त पुवलस के सहयोग से
लगभग एक वतहााइ पािी सदस्यों को या तो देश से वनरकावसत कर ददया गया या दफर ाईतहें मौत के
घाि ाईतार ददया गया। काइ सदस्यों ने NEP के विरोध में त्यागपत्र दे ददया।
लेवनन के शासन के ाऄांतगणत ट्रेड यूवनयन 100 प्रवतशत स्ितांत्र नहीं थे: लेवनन ने ट्रेड यूवनयनों की
ाआस माांग को वनरस्त कर ददया था दक ाईतहें कारखाने चलाने देने चावहए (क्योंदक NEP के ाऄांतगणत
पुराने प्रबांधकों को िापस लाया गया था)। लेवनन के ाऄनुसार ट्रेड यूवनयन का कायण के िल ाईत्पादन
िृवद्ध में सहायता करना और सरकार के ाअदेशों का कठोरता से पालन करना था।
लेवनन की ाअलोचना
जब 1917 की क्राांवत के पश्चात ाईसने सांविधान सभा को भांग दकया तो ाईसने प्रजातांत्र की स्थापना
में व्यिधान डाला था।
गृह युद्ध के दौरान रे ड िेरर में काइ विरोवधयों को मौत के घाि ाईतारा गया था।
ाईसकी काइ ऐसी नीवतयाां थीं, वजनका कालाततर में स्िावलन िारा दुरूपयोग दकया गया था जैसे:
o एकल पािी राज्य,
o गुिबांदी पर प्रवतबतध, वजसका ाऄथण था पािी के ाऄांदर ाऄसहमवत को रोकना।
o ाऄपने विरोवधयों के विरुद्ध गुप्त पुवलस का ाईपयोग और
o ट्रेड यूवनयनों की शवि और ाअिाज को कम करना।
1924 में लेवनन की मृत्यु के पश्चात भविरय में कायण करने के ाईपायों और समाज में समानता लाने हेतु
कु छ ाऄतय दृविकोणों पर चचाण हुाइ। ाआसके तहत समाजिाद के मुख्य लक्ष्य का सुझाि ददया गया:
त्िटरत औद्योवगकीकरण: चचाण के दौरान एक दृविकोण यह था दक दकसान समथणक NEP को छोड़
कर त्िटरत औद्योवगकीकरण पर ध्यान देना चावहए। ाआस दृविकोण के समथणकों का तकण था दक एक
साम्यिादी राज्य श्रवमकों के समथणन पर ाअधाटरत होता है, कृ षक समथणन पर नहीं। ाईतहें डर था
दक NEP से कु लकों (समृद्ध दकसान जमींदार) की सांख्या में िृवद्ध होगी, जो न के िल समानता के
लक्ष्य बवल्क कम्युवनस्ि क्राांवत के वलए भी सांकि बन जायेंगे। यह विचार मेंशेविकों िारा प्रस्तावित
विचार जैसा ही था ाऄथाणत् श्रवमकों और औद्योवगकीकरण पर ध्यान दो।
सम्पूणण देश में समाजिाद (Socialism in One Country): यह दवक्षणपांथी कम्युवनस्ि नेताओं
का दृविकोण था जो दकसान समथणक और NEP समथणक थे। िे सांपवत्त के सीवमत वनजी स्िावमत्ि
और विकास में िृवद्ध के वलए पूांजीिाद की विशेषताओं का ाईपयोग भी करना चाहते थे। ाआस
दृविकोण के तहत वनम्नवलवखत बातों पर बल ददया गया:
o दकसानों की समृवद्ध (Prosperity of Peasants): ाआसके तहत दकसानों की समृवद्ध पर ध्यान
के वतद्रत करके ाईतहें वनजी सांपवत्त के स्िावमत्ि का ाऄवधकार प्रदान करके रूस में सोवियत की
शवि को सांगटठत करने की सांकल्पना प्रस्तुत की गयी। क्योंदक ाआस दृविकोण के समथणकों का
मानना था दक दकसान ही जनसांख्या के बहुसांख्यक भाग हैं और कम्युवनस्ि पािी को सशि
बनाने के वलए ाईनका समथणन ाअिश्यक है। {सोवियत; पटरषद के वलए रूसी भाषा का शब्द
है। स्थानीय स्तर पर प्रशासन के वलए सोवियतों की स्थापना हुाइ थी। ाईनमें श्रवमकों एिां
कृ षकों दोनों की सदस्यता थी (कृ षकों को सवम्मवलत दकया जाना ाअिश्यक था क्योंदक िे
जनसांख्या का ाऄवधकतम भाग थे)। माक्सणिादी विचारकों और लेवनन के ाऄनुसार सोवियत
िह सांस्थाएां हैं जो श्रवमकों की प्रजाताांवत्रक ाआच्छा का प्रवतवनवधत्ि करते हैं और ाआसवलए ये
(सोवियत) प्रोलीिेटरयि की तानाशाही लाने के वलए ाअिश्यक हैं}।
o क्रवमक औद्योवगकीकरण (Gradual Industrialization): तीव्र गवत से प्राप्त दकए जाने िाले
औद्योवगकीकरण के बजाए क्रवमक (धीमे) औद्योवगकीकरण का सुझाि ददया गया। कु छ ाआसी
प्रकार का दृविकोण माओ ने ाऄपने ग्रेि लीप फॉरिडण (1958) में भी ाऄपनाया था वजसकी
चचाण ाअगे की जाएगी।
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o 1931 के कराची सत्र में राष्ट्रीय ाअर्थथक कायणक्रम में ाऄमीर-गरीब की खााइ पािने के वलए 'प्रमुख
ाईद्योगों के राष्ट्रीयकरण' और ाऄतय ाईपायों का ाईल्लेख दकया गया था। ाआसके साथ ही ाआस सत्र में
विकास के समाजिादी ढाांचे को भारत का लक्ष्य वनधाणटरत दकया गया था।
o हमने पांचिषीय योजनाओं के माध्यम से वनदेवशत ाऄथणव्यिस्था ाऄपनााइ। हटरपुरा सत्र (1938) में
भारतीय राष्ट्रीय काांग्रेस के ाऄध्यक्ष सुभाषचांद्र बोस ने राष्ट्रीय योजना सवमवत की स्थापना की थी
वजसके ाऄध्यक्ष जिाहरलाल नेहरू थे।
o प्रधानमांत्री नेहरू ने “समाज का समाजिादी ढाांचा" (socialist pattern of society) शब्द का
प्रयोग दकया था। यह कहा जा सकता है दक भारतीय समाजिाद को िगीकृ त करना मुवश्कल है और
यह ाऄवितीय है:
ाआसका ाईद्देश्य न के िल िगणहीन समाज का वनमाणण करना है बवल्क जावत-रवहत समाज का भी
वनमाणण करना है। ाआस प्रकार हमने समाज में ाऄसमानता कम करने के वलए ाअरक्षण की नीवत
ाऄपनााइ। यह कहा जा सकता है दक हमारे समाज की विवशरि विशेषताओं के कारण हमने दोनों
प्रकार की ाऄसमानताओं को लवक्षत दकया है, चाहे यह िगण ाअधाटरत (जमींदारी पर प्रवतबांध) हो
या जावत ाअधाटरत (ाऄस्पृश्यता पर प्रवतबांध और सािणजवनक वनयोजन में ाअरक्षण)।
ाआसका लक्ष्य गरीबी कम करना, साांप्रदावयक सौहादण बढाना और तयायसांगत ाअर्थथक विकास करना
है।
गाांधीिाद के ाऄज़हसा, सत्ता के विके तद्रीकरण और विशेष रूप से ट्रस्िीवशप और मध्यस्थता के
विचार का भारतीय समाजिाद पर गहरा प्रभाि पड़ा है। ट्रस्िीवशप की ाऄिधारणा यह प्रवतपाददत
करती है दक पूज
ां ीपवत ट्रस्िी है और िह के िल श्रवमकों की ओर से धन-सांपवत्त रखता है। ये श्रवमक
वहतों का ध्यान रखना चावहए और ाईनके कल्याण के वलए कायण करना चावहए। मध्यस्थता की
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ाऄवधकाांश नेता जैसे दक जिाहरलाल नेहरू, जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोवहया
समाजिाद के प्रबल पक्षधर थे। ाआसवलए समाज का समाजिादी ढाांचा वनयोवजत ाऄथणव्यिस्था के
लक्ष्यों में से एक लक्ष्य के रूप में घोवषत दकया गया। ाईस समय भारत ने फे वबयन प्रकार के
सामूवहक वनयांत्रण के साथ लोकतांत्र को सांयोवजत करने का प्रयास दकया; वजसने ाअयात और
देने का प्रयास दकया। हालाांदक, 1991 के बाद भूमांडलीकरण की बाध्यताओं के चलते भारत को
स्ितांत्रता के बाद कोयला, ाआस्पात, बैंक और वबजली जैसे ाअधारभूत ाईद्योगों का राष्ट्रीयकरण करने
के वलए भी कदम ाईठाए गए। सरकार ने ाअिास, वशक्षा, सािणजवनक स्िास्थ्य ाअदद के वलए
कायणक्रम ाअरां भ दकए। लेदकन ाआस प्रकार के समाजिाद को के िल ाआस ाऄथण में हम समाजिादी राज्य
कह सकते हैं दक यहाां राज्य ने कु छ सांसाधनों का पुनर्थितरण दकया लेदकन समाजिाद की ाअदशण
पटरभाषा के ाऄनुसार हम ाआसे समाजिादी राज्य नहीं कह सकते।
ाऄथणव्यिस्था पर सरकारी वनयांत्रण से समाजिाद नहीं ाअता है। भारत में ाऄपनाया गया के तद्रीकृ त
वनयोजन एक समान ाअर्थथक विकास की प्रणाली का वनमाणण करता है, जो व्यविगत ाअकाांक्षाओं
की स्थानीय विविधता का पूरी तरह से ध्यान नहीं रखता है। ाआसवलए देश में समाजिाद का लक्ष्य
प्राप्त करने के वलए राजनीवतक सत्ता का विकें द्रीकरण महत्िपूणण है। यह भी ाऄनुभि दकया गया दक
सािणजवनक स्िावमत्ि और ाअर्थथक ाऄनुदान ाऄपना मुनाफा बढाने में के िल बड़े-बड़े वनगमों की
सहायता करते हैं। ाआनसे व्यािसावयक प्रवतस्पधाण का जोवखम कम हो जाता है। यहाां तक दक
प्रगवतशील कराधान प्रणाली पर भी मजदूरी ाऄजणन करने िाले की तुलना में ाऄवत-समृद्ध लोगों का
पक्ष लेने का ाअरोप लगाया जाता है। ाआस प्रकार की व्यिस्था ने जनता के बीच ाऄवत-समृद्ध लोगों
की सांपवत्त के पुनर्थितरण में बहुत कम योगदान ददया है।
ाआसवलए भारत में यदद समाजिाद िास्तविकता में ाऄपना लक्ष्य प्राप्त करना चाहता है तो ाआसे सबसे
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मुख्य विषय िस्तु 1: स्िावलनिाद ाअवधकाटरक रूप से माक्सणिाद-लेवननिाद का पालन करते हुए
साम्यिादी समाज विकवसत करने की नीवत थी, वजसकी कल्पना और कायाणतियन जोसफ स्िावलन ने
की था। सोवियत सांघ की स्िावलनिादी नीवतयों में सवम्मवलत थीं: भारी ाईद्योगों पर ध्यान देने के साथ
तेजी से औद्योवगकीकरण, राज्य का कें द्रीकरण और कृ वष का सामूवहकीकरण। स्िावलन िारा की गाइ
16. स्िावलनिाद
1922 में जोसफ स्िावलन को पािी की कें द्रीय सवमवत का महासवचि वनयुि दकया गया। लेदकन
स्िावलनिाद का ाअरां भ 1929 से हुाअ। जब 1924 में स्िावलन ने ट्रॉट्स्की और ाऄतय नेताओं को
लेवनन की मृत्यु के बाद होने िाले सत्ता सांघषण में परावजत कर ाऄपनी सत्ता को सुदढृ कर वलया।
वजस समय स्िावलन सत्ता में ाअया, रूस चार प्रमुख चुनौवतयों का सामना कर रहा था। ये चुनौवतयााँ
थीं- खाद्यातनों की कमी, वनकृ रि सेना, घटिया ाईद्योग और पूज
ाँ ीिादी पवश्चमी देशों का बढता प्रभाि।
स्िावलन ने ाआन चुनौवतयों से वनपिने का ाआस प्रकार प्रयास दकया:
ाईसने भारी ाईद्योगों पर बल देने के साथ पांचिषीय योजनाएां ाअरां भ कीं।
ाईद्योगों का राष्ट्रीयकरण।
1929 में नाइ ाअर्थथक नीवत का पटरत्याग।
कु लकों (बड़े और समृद्ध दकसान) की ज़हसक बेदखली िारा कृ वष का सामूवहकीकरण।
ाऄवधनायकिादी शासन का प्रारां भ, वजसकी विशेषता गुप्त पुवलस का ाऄवधक से ाऄवधक ाईपयोग और
ाऄसांतोष प्रकि करने िाली दकसी भी ाअिाज का गला घोंिना था। लेवनन के महत्िपूणण सहयोगी
ट्रॉट्स्की को रूस से वनिाणवसत कर ददया गया।
पुनसैतयीकरण।
विज्ञान और प्रौद्योवगकी के विकास पर बल।
ाअक्रामक विदेश नीवत जो पवश्चमी शवियों विेशेषकर ाऄमेटरका को शत्रु के रूप में देखती थी।
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स्िावलन ने भारी ाईद्योगों पर बल देने की नीवत ाऄपनााइ। सोवियत सांघ ने कोयला, ाआस्पात, तेल,
लोहा ाअदद जैसे भारी ाईद्योगों में ाऄवधक पूाँजी वनिेश दकया और हल्के ाईद्योगों की ाईपेक्षा की। हल्के
ाईद्योग भारी ाईद्योगों की तुलना में कम पूज ाँ ी गहन और ाऄवधक ाईपभोिा ाईतमुख और व्यापार
ाईतमुख होते हैं। ाआस प्रकार टिकााउ और गैर-टिकााउ ाईपभोिा िस्तुओं की सोवियत सांघ में कमी थीं
और ाआससे दैवनक ाअिश्यकताओं और सामातय लोगों के जीिन को हावन पहुाँची। िहीं दूसरी ओर
भारी ाईद्योगों ने ाऄथणव्यिस्था में ाअधारभूत सांरचना का वनमाणण दकया और ाअर्थथक विकास के वलए
ाअधार प्रदान दकया।
सोवियत सांघ ने भारी ाईद्योगों पर बल देने की यह नीवत ाआसवलए ाऄपनााइ क्योंदक:
o स्िावलन का मानना था दक पूज ाँ ीिादी पवश्चम के साथ साम्यिादी रूस का युद्ध ाऄपटरहायण था।
जब 1941 में जमणनी ने रूस पर ाअक्रमण दकया तो यह सही वसद्ध हुाअ।
o ाऄत्यवधक औद्योवगकीकरण से कायणबल में श्रवमकों की सांख्या, दकसानों की सांख्या से ज्यादा
होती है। ये औद्योवगक श्रवमक ही थे जो साम्यिाद का समथणन करते थे। स्िावलन दकसानों,
विशेषकर कु लकों (समृद्ध दकसान) को समाजिाद के शत्रु के रूप में देखता था (माओिाद ाआसी
ज़बदु पर रूसी मॉडल से दूर हो जाता है)। ाआस प्रकार स्िावलन का मानना था दक भारी
औद्योवगकीकरण से साम्यिादी राज्य की वस्थरता का मागण प्रशस्त होगा।
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o कारखानों का ाईत्पादन बढाने के वलए मुख्यालय िारा ददया गया कोिा पूरा करने की बजाय
प्रबांधकों को लाभ कमाने के वलए प्रोत्साहन रावश दी गाइ।
o गुलग श्रवमक वशविरों को बांद कर ददया गया, वजनका ाईपयोग कै ददयों से बलात श्रम कराने के
वलए दकया जाता था।
कृ वष: 1954 में िर्थजन लैंड योजना ाअरां भ की गाइ। ाआसका तात्पयण सााआबेटरया और कजादकस्तान में
विशाल भू-क्षेत्र पर पहली बार खेती करना था। भूवम की खराब गुणित्ता और धूलभरी ाअांवधयों से
वमट्टी का ाऄपरदन (वमट्टी की सबसे ाउपरी परत सबसे ाऄवधक ाईपजााउ होती है) के कारण 1963
तक यह योजना बांद कर दी गाइ। ाआसके ाऄवतटरक्त कृ वष ाईत्पादन में िृवद्ध करने के वलए सरकार ने
खरीदी गाइ फसलों के वलए सामूवहक फामों को ाऄवधक भुगतान दकया। ाआससे सामूवहक फामों को
ाऄवधक ाईत्पादन करने के वलए प्रोत्साहन वमला। ाआसके साथ ही सामूवहक फामों के दकसानों को
ाऄपने वनजी भू-खांडों पर ाईगााइ गाइ फसलें रखने या बेचने की ाऄनुमवत दी गाइ। लेदकन ाऄभी भी
कृ वष क्षेत्र में बहुत ाऄवधक कें द्रीकरण बना हुाअ था वजससे कृ वष क्षेत्र में वपछड़ापन बना हुाअ था।
सोवियत सांघ को ाऄमेटरका से ाऄनाज का ाअयात करना पड़ता था।
सांशोधनिाद (Revisionism): ाऄवतिादी माक्सणिाददयों िारा ख्रुश्चेि पर साम्यिाद के मूलभूत
वसद्धाांतों में सांशोधन करने का ाअरोप लगाया गया। ऐसा ाआसवलए था क्योंदक ख्रुश्चेि का कहना था
दक समाजिाद के लक्ष्य तक पहुांचने के वलए ाऄलग-ाऄलग मागण विद्यमान हैं। ाईसने सैिेलााआि राज्यों
को समाजिाद का लक्ष्य प्राप्त करने के वलए ाऄपनी विवधयों का पालन करने की ाऄनुमवत दी।
(सैिेलााआि राज्य से ाअशय ाईन राज्यों से था जो औपचाटरक रूप से स्ितांत्र थे लेदकन राजनीवतक,
ाअर्थथक और सैतय रूप से विदेशी शवि के प्रभाि के ाऄांतगणत थे। सोवियत सांघ के सांदभण में ाआस शब्द
का ाईपयोग पोलैंड, बुल्गाटरया, हांगरी, रोमावनया, चेकोस्लोिादकया और पूिी जमणनी जैसे मध्य
और पूिी यूरोप के देशों के वलए दकया जाता था। कभी-कभी क्यूबा जैसे यूरोप के बाहर वस्थत देशों
को भी सोवियत सैिेलााआि राज्यों की सूची में सवम्मवलत दकया जाता था)। ाआसके साथ ही ख्रुश्चेि ने
पूरे विश्ि में साम्यिाद के वलए ज़हसक क्राांवत का समथणन करने की बजाय पूज
ाँ ीिाद पवश्चम के साथ
शाांवतपूणण सह ाऄवस्तत्ि का समथणन दकया। ाअलोचकों ने पूाँजीिाद ाईपायों के प्रचलन और
प्रबांधकीय िगण को बढािा देने पर भी विलाप दकया - ख्रुश्चेि ने कारखानों का ाईत्पादन बढाने के
वलए ाआन तरीकों का ाईपयोग दकया था। ाअलोचकों का मानना था दक ये ाईपाय साम्यिाद के
मूलभूत वसद्धाांतों के विरूद्ध हैं। चीन में माओ 1956 से सोवियत सांघ का प्रमुख ाअलोचक था और
िह रूस के ाईस ाअर्थथक मॉडल से परे हि गया वजसका चीन ने ाऄभी तक ाऄनुसरण दकया था।
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पोलैंड (1989) में साम्यिाद के पतन का दूरगामी प्रभाि पड़ा और एक-एक करके पूिी यूरोप के राज्यों
में और ाऄांततोगत्िा सोवियत सांघ में साम्यिादी शासन का पतन हो गया।
पोलैंड: ाऄगस्त 1988 में सॉलीडटरिी ट्रेड यूवनयन िारा बड़े पैमाने पर की गयी सरकार विरोधी
हड़तालों ने सरकार को 1989 में स्ितांत्र चुनाि करिाने के वलए वििश कर ददया वजसमें
साम्यिाददयों की पराजय हुाइ।
ाआसके बाद सािणजवनक क्राांवतकारी विरोध रूस के सभी सैिेलााआि राज्यों में फै ल गया। हांगरी में
स्ितांत्र चुनाि ाअयोवजत दकए गए वजसमें साम्यिाददयों की पराजय हुाइ। पूिी जमणनी में 1989 में
साम्यिादी सरकार को त्यागपत्र देना पड़ा और बर्थलन की दीिार (1961 में वनर्थमत) तोड़ दी गाइ।
1990 की गर्थमयों में सोवियत सांघ ने पूिी और पवश्चमी जमणनी के एकीकरण के वलए सहमवत
व्यक्त की (ाआसका कारण यह था दक गोबाणचोि रूसी ाऄथणव्यिस्था को बढािा देने के वलए पवश्चमी
जमणनी से सहायता और वनिेश चाहता था)। 1989 के ाऄांत में चेकोस्लोिादकया, बुल्गाटरया और
रोमावनया में साम्यिादी सरकारों को ाईखाड़ फें का गया। यूगोस्लाविया (1990) और ाऄल्बावनया
(1991) में स्ितांत्र बहु-दलीय चुनाि ाअयोवजत दकए गए। ददसांबर 1991 में सोवियत सांघ स्ियां ही
विघटित हो गया।
सोवियत सांघ के विघिन का प्रमुख कारण ाअर्थथक विफलता थी। ाऄथणव्यिस्था ाऄत्यवधक-कें द्रीकृ त
थी और राज्य िारा व्यापार पर बड़े-बड़े प्रवतबांध लगाए गए थे, वजसका पटरणाम ाऄनिरत
ाऄक्षमता के रूप में सामने ाअया। ाआन साम्यिादी देशों में सांसाधनों के ाऄकु शल ाईपयोग के कारण
जनता के जीिन स्तर में बहुत धीमी गवत से सुधार हुाअ था। ाईदाहरण के वलए ाआस्पात, ईंधन और
ाउजाण का सिोच्च ाईत्पादक होने के बािजूद सोवियत सांघ में मूलभूत ाईपभोिा िस्तुओं की भारी
कमी थी। ाआसके ाऄवतटरि सोवियत सांघ के सैिेलााआि राज्यों पर व्यापाटरक प्रवतबांध लगे हुए थे।
ाआसके ाऄांतगणत ाईतहें के िल साथी कम्युवनस्ि देशों के साथ व्यापार करने की ाऄनुमवत थी। ाआससे
ाईनकी ाअर्थथक सांिृवद्ध प्रभावित हुाइ। यह भी तकण ददया जा सकता है दक श्रवमकों ने साम्यिाद को
विफल बनाया क्योंदक पवश्चमी यूरोप के श्रवमकों के विपरीत साम्यिादी विश्ि में श्रवमक िगण
ाऄपेक्षाकृ त खराब वस्थवत में रह रहा था। ाआसके साथ ही साम्यिादी पूिी यूरोप की तुलना में
पूाँजीिाद पवश्चमी यूरोप में स्िास्थ्य, वशक्षा, ाअिास और सामावजक सेिाओं के सामावजक सांकेतक
बेहतर थे। 1980 के दशक में पूिी और पवश्चमी यूरोप के लोगों के बीच सांपकण में िृवद्ध होने के
कारण पूिी यूरोप के लोगों ने पवश्चम की समृवद्ध और पूिण की गरीबी में भारी ाऄांतर देखा। ाईतहोंने
ाआसके वलए साम्यिाद और ाऄपने नेताओं को दोषी ठहराया।
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वनदकता ख्रुश्चि
े ने ाऄथणव्यिस्था को पुनजीवित करने का प्रयास दकया लेदकन ाईसके बाद ाअर्थथक
िृवद्ध धीमी हो गाइ। वनदकता के कृ वष सुधार विफल रहे। शीतयुद्ध, ाऄांतटरक्ष की दौड़, हवथयारों की
दौड़, ाऄतय देशों के सांघषों में भागीदारी और सहयोगी देशों को सहायता देने के दबाि का -
सोवियत सांघ की ाऄथणव्यिस्था पर नकारात्मक प्रभाि पड़ा। ाऄत्यवधक-कें द्रीकरण, राज्य
एकावधकार, हल्के ाईद्योगों की ाईपेक्षा और मूल ाईपभोिा िस्तुओं में मुद्रास्फीवत के कारण सोवियत
सांघ की वस्थवत वबगड़ती चली गाइ।
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ाआां िरप्रााआजेज (1987) के माध्यम से सािणजवनक क्षेत्र की कां पवनयों का पुनगणठन दकया गया
वजसके ाऄांतगणत बाजार की माांग के ाऄनुसार यह वनधाणटरत होना था दक क्या और दकतना
ाईत्पादन हो। ाआससे पहले कारखानों को सीधे ग्राहकों से ऑडणर लेने की ाऄनुमवत दी गाइ थी,
लेदकन नए कानून के ाऄवधवनयमन के बाद कच्चे माल की खरीद और ाईत्पादन के सांबांध में
वनणणय लेने में कें द्रीय योजनाकारों का वनयांत्रण समाप्त कर ददया गया।
o पेरेस्त्रोाआका के ाऄांतगणत राजनीवतक पटरितणन:
सोवियतों के भीतर लोकतांत्र: स्थानीय कम्युवनस्ि पािी िारा वनयुि दकए जाने के बजाय
स्थानीय सोवियतों के सदस्यों का लोगों िारा वनिाणचन दकया जाना था। ाआस प्रकार ाऄब
ाईम्मीदिारों का विकल्प था (हालाांदक पािी का नहीं)।
कारखानों में लोकतांत्र: कारखानों के प्रबांधन पदों के वलए चुनाि ाअरां भ दकए गए।
सिोच्च सोवियत (सांसद) में पटरितणन: पहले के 1450 सदस्यों के मुकाबले सिोच्च
सोवियत को 450 सदस्यों का काफी छोिा समूह बनाया गया। ाआसे िास्तविक सांसद के
रूप में कायण करने के वलए ाऄवधक बार बैठकें करनी थी (ाऄथाणत पहले के प्रवत िषण 2
सप्ताह के सत्र की बजाए 8 महीने तक)। पहले सिोच्च सोवियत दो छोिे वनकाय वनयुि
दकया करती थी जो िास्तविक रूप से नीवत वनमाणता वनकायों के रूप में कायण करते थे।
ाऄब सिोच्च सोवियत का ाऄध्यक्ष राज्य का प्रमुख होता। जनप्रवतवनवधयों िाली एक नाइ
काांग्रेस (2250 सदस्यों िाली) की स्थापना की गाइ और ाआसका कायण नाइ सिोच्च
सोवियत का चुनाि करना था।
सिणप्रथम यह कहा जा सकता है दक USSR का विघिन ाईसके पूिणिती नेताओं िारा ाऄपनााइ गाइ
नीवतयों के कारण व्यिस्था में व्याप्त दुबल
ण ताओं के कारण हुाअ और ाऄके ले गोबाणचोि को ाआसके वलए
दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। ाईसकी नीवतयों ने सम्भिताः एक ऐसे सांघ के ाऄांत को त्िटरत कर
ददया, वजसके भालय में विफलता वलखी थी। िैकवल्पक रूप से यह तकण भी ददया जा सकता है दक
गोबाणचोि िास्ति में दोषी था क्योंदक चीन में ाईसका समकक्ष डेंग वजयाओज़पग सामावजक क्राांवत के
पश्चात चीन में बाजार ाऄनुकूल सुधारों की लहर प्रारम्भ करने के बािजूद भी एकल पािी
कम्युवनस्ि राज्य को बनाए रखने में स़िल रहा था।
पहला तकण ाईपयुणि घिनाक्रमों िारा वसद्ध दकया जा सकता है। गोबाणचोि की नीवतयों के कारण
USSR का ाऄांत हुाअ, ाआस दूसरे तकण की पाांच प्रमुख कारकों के ाईल्लेख िारा वििेचना की जा
सकती है। ाऄथाणत् गोबाणचोि को ाऄवतिाददयों और रूदढिाददयों दोनों ही के विरोध का सामना
करना पड़ा; त्िटरत पटरणामों के वलए दकये गए ाअर्थधक सुधारों की विफलता; सोवियत गणराज्यों
के बीच राष्ट्रिादी भािना; गोबाणचोि और बोटरस येल्तवसन के बीच प्रवतिांददता और 1991 का
तख्तापलि।
o ाऄवतिाददयों और रूदढिाददयों िारा विरोध: जब गोबाणचोि ने ाऄपने सुधारों का कायाणतियन
प्रारम्भ दकया तो पािी के ाऄवतिादी सदस्यों ने ाईसका विरोध दकया िहीं पािी के ाईदारिादी
सदस्यों ने पयाणप्त सुधार न करने के वलए ाईसकी ज़नदा की। जब एक दमनकारी शासन सुधार
प्रारम्भ करता है तो शासन के वलए यह सबसे खतरनाक होता है। जो लोग सुधारों की ाआच्छा
करते हैं िे कभी भी सांतुि नहीं होते हैं और िे ाऄवधक टरयायतों की माांग करते हैं, िहीं
ाऄवतिादी तत्ि शासन के विरुद्ध खड़े हो जाते हैं। ऐसा ही कु छ गोबाणचोि के साथ हुाअ।
बोटरस येल्तवसन पािी का दवक्षण पांथी सदस्य था। िह रूसी सोवियत गणराज्य में पािी का
नेता था और भ्रिाचार का विरोध करने के कारण लोकवप्रय हो गया था। येल्तवसन
शीघ्रावतशीघ्र पवश्चमी शैली की बाजार व्यिस्था लागू करना चाहता था। शीघ्र ही िामपांथी
रूदढिाददयों और दवक्षणपांथी ाईदारिाददयों के बीच विभाजन हो गया। ललास्नोस्त िारा
प्रस्तुत ाऄिसर से लाभ ाईठाते हुए येल्तवसन ने और ाऄवधक ाईग्र सुधारों के वलए सािणजवनक
प्रदशणनों का नेतृत्ि करना प्रारम्भ कर ददया और जनता में रूदढिाददयों की ाअलोचना की।
ाऄताः यह स्पि है दक गोबाणचोि पािी के िामपांथी और दवक्षणपांथी दोनों ही को सांतुि करने में
विफल रहा।
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o ाअर्थथक सुधारों से त्िटरत पटरणाम नहीं प्राप्त हुए: 1980 के दशक का USSR 1930 के
दशक के ाऄमेटरका जैसी ाअर्थथक समस्याओं का सामना कर रहा था। ाआन िषों में राष्ट्रीय ाअय
में वनरां तर वगरािि देखी गाइ। रूस की एक चौथााइ जनसांख्या गरीबी रे खा से नीचे जीिन
यापन कर रही थी। लॉ ऑन स्िेि ाआां िरप्रााआजेज (1987) के कारण भी कु छ समस्याएां थीं। ाआस
कानून के पश्चात िेतन प्रदान करना भी कारखानों का एक कायण हो गया। ाआस कानून का
ाईद्देश्य यह था दक कारखाने ाईत्पादन िृवद्ध पर ाऄपना ध्यान के वतद्रत करें । परततु समस्या यह
थी दक ाईत्पादन की गणना ाईत्पाददत िस्तुओं के मूल्य के ाअधार पर की जाती थी जोदक रूबल
(रूसी मुद्रा) में होती थी। ाआस प्रकार कारखानों ने साबुन, कप ाअदद जैसी सस्ती िस्तुओं के
स्थान पर माँहगी िस्तुओं पर ध्यान कें ददत दकया। ाआसके कारण मूलभूत ाईपभोिा िस्तुओं में
कमी ाअाइ और मुद्रास्फीवत में िृवद्ध हुाइ। स्िोरों में लम्बी कतारें लगती थीं। सााआबेटरया कोयला
खदान हड़ताल (1989) ाआसी का पटरणाम थी। जब श्रवमकों के पास स्ियां को धोने के वलए भी
साबुन नहीं था तो िे ाअक्रोवशत हो गए और हड़ताल पर चले गए। जल्द ही ाईनकी हड़ताल में
किंादकस्तान, यूक्रेन और सााआबेटरया की ाऄतय खदानों के लगभग 5 लाख खवनक और शावमल
हो गए। 1917 की बोल्शेविक क्राांवत के पश्चात यह ऐसी पहली बड़ी हड़ताल थी। गोबाणचोि ने
श्रवमकों को कारखाने का सम्पूणण वनयतत्रण जैसी खवनकों की माांग को स्िीकार कर वलया। यह
घिना ाआसवलए भी महत्त्िपूणण है, क्योंदक हड़ताली खवनकों की एक प्रमुख माांग एकल पािी
व्यिस्था का ाऄांत करना भी थी। चुनाि लड़ने के वलए िे पोलैंड की सॉवलडटरिी ट्रेड यूवनयन
की शैली पर ाऄपनी स्ियां की एक पािी बनाना चाहते थे।
o सोवियत गणराज्यों के बीच राष्ट्रिादी भािनाएां: सोवियत सांघ 15 सोवियत गणराज्यों का
एक सांघ था, वजनमें प्रत्येक की ाऄपनी स्ियां की एक सांसद थी। ़िे डरल सुप्रीम सोवियत और
काांग्रेस ऑ़ि पीपल्स डेपुिीज मास्को में वस्थत था। ललास्नोस्त और पेरेस्त्रोाआका के कारण
सोवियत सांघ के देशों ने ाऄपनी-ाऄपनी सांसद के वलए और ाऄवधक स्िायत्तता की माांग प्रारम्भ
कर दी। गोबाणचोि ाईनकी माांगों के प्रवत ाआस शतण पर सहानुभूवत रखता था दक सोवियत सांघ
की कम्युवनस्ि पािी सिोच्च रहे। परततु छोिी-छोिी टरयायतों का दूरगामी प्रभाि हुाअ और
गणराज्य ाऄवनयांवत्रत हो गये।
ाऄिंरबैजान और ाऄमेवनया: बहुसांख्यक मुवस्लम जनसाँख्या िाले सोवियत गणराज्य
ाऄिंरबैजान की ाऄल्पसांख्यक ाइसााइ जनसाँख्या ने ाऄपने वनिास क्षेत्र को बहुसांख्यक ाइसााइ
जनसाँख्या िाले सोवियत गणराज्य ाऄमेवनया में वमलाने की माांग की। परततु पािी के
रूदढिादी सदस्य सोवियत गणराज्यों की सीमाओं में पटरितणन के विरुद्ध थे और
गोबाणचोि ने ाऄजरबैजान के ाइसााआयों की माांग को मानने से मना कर ददया।
पटरणामस्िरुप शीघ्र ही ाआन दो सोवियत गणराज्यों के बीच युद्ध वछड़ गया और मास्को
ने ाआन पर से ाऄपना वनयतत्रण खो ददया।
एस्िोवनया, लािविया और वलथुाअवनया: 1990 में ाआन तीन राज्यों ने ाऄपनी स्िततत्रता
की घोषणा कर दी। पटरणाम स्िरुप USSR ने ाआस विरोध को दबाने के वलए ाऄपनी
सेना भेजी।
शीघ्र ही सोवियत गणराज्यों के एक स्िैवच्छक सांघ के प्रस्तािक बोटरस येल्तवसन
सोवियत गणराज्य रूस (Soviet Republic of Russia) के राष्ट्रपवत चुने गये
(गोबाणचोि USSR के राष्ट्रपवत थे)।
o गोबाणचोि और येल्तवसन के बीच प्रवतिांविता: दोनों ही रूस की प्रमुख हवस्तयााँ थी और यदद ये
दोनों एक साथ वमल कर कायण करने में सक्षम होते तो शायद USSR की ाऄखांडता बनी रहती,
परततु ाआन दोनों में काइ मतभेद थे। येल्तवसन का मानना था दक सांघ स्िैवच्छक होना चावहए
और यदद कोाइ एक सोवियत गणराज्य स्ितांत्रता चाहता है तो ाईसे यह वमलनी ही चावहए।
रूदढिाददयों के प्रभुत्ि िाली कम्युवनस्ि पािी में येल्तवसन का विश्वास समाप्त हो गया था और
िह एकल पािी व्यिस्था के विरुद्ध हो गया था। दूसरी ओर, गोबाणचोि पािी के भीतर ही दो
शवियों को सांतुवलत करना चाहता था। यद्यवप िह बहु-पािी व्यिस्था के विरुद्ध नहीं था,
परततु िह सािधानी पूिक
ण धीमी गवत से सुधार करना चाहता था। ाआसके ाऄवतटरि, जहााँ
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मुख्य विषय िस्तु 4: प्रारवम्भक िषों में कम्युवनस्ि पािी ऑ़ि चााआना ने रूसी राजनीवतक दशणन का
वनकिता से पालन दकया। परततु माओ ने यह ाऄनुभि दकया दक चीन एक कृ षक समाज था और कृ वष
ाअधाटरत कृ षक क्राांवत चीनी वहतों के ाऄवधक ाऄनुकूल थी। ाआसवलए माओ ने चीनी साम्यिाद के लक्ष्य को
कृ षक क्राांवत की ाऄिधारणा की तरफ मोड़ ददया। ाआन मतभेदों के बािजूद भी, दोनों देश 1950 के दशक
तक काइ समान मूल्यों को साझा करते रहे। 1950 के दशक में ाआन दोनों देशों के मध्य एक प्रमुख
िैचाटरक मतभेद विकवसत हुाअ। ाआस समय ख्रुश्चि
े के नेतत्ृ ि में सोवियत सांघ ने पूज
ाँ ीिाद के साथ
शाांवतपूणण सह-ाऄवस्तत्ि का समथणन दकया और रूस की वनदेवशत ाऄथणव्यिस्था में कवथत पूज ाँ ीिाद
विशेषताओं को प्रस्तुत दकया। ाआन दोनों मोचों पर सैद्धाांवतक मतभेद दुाःसाध्य वसद्ध हुए और कम्युवनस्ि
पािी ऑ़ि चााआना ने औपचाटरक रूप से सोवियत शैली के साम्यिाद की ाअलोचना की और ाआसे माक्सण
की वशक्षाओं से एक खतरनाक विचलन बताया।
लम्बी ाऄिवध तक हुए ाअतांटरक एिां बाह्य युद्धों ने चीन को तबाह कर ददया था। 1916-28 की
ाऄिवध को चीन में िॉरलाडण युग के रूप में जाना जाता है। ाआस ाऄिवध में चीन में बहुत कम विकास
हुाअ, लगभग हरतरफ बाधाएां मौजूद थीं। ाआसके तुरांत बाद 1931 में िह जापान के साथ युद्ध में
ाईलझ गया। ाआसी समय कु ओवमतताांग (KMT) और चीनी कम्युवनस्ि पािी (CCP) के मध्य गृहयुद्ध
चल रहा था और यह 1949 तक चला। 1949 में माओ िंेडोंग (माओत्से तुांग) के नेतृत्ि में CCP
के सत्ता में ाअने के ाईपराांत यह गृह-युद्ध समाप्त हुाअ। हालाांदक ाआसके बाद भी चीन को युद्ध से कोाइ
राहत नहीं वमली थी क्योंदक ाआसे दफर से ाईत्तर कोटरया के पक्ष में कोटरयन युद्ध (1950) में
हस्तक्षेप करना पड़ा। चीन ने सांयि
ु राज्य ाऄमेटरका को चेतािनी दी थी दक िह ाईत्तर कोटरया पर
ाअक्रमण न करे , परततु दोनों कोटरया को एक करने के ाईत्साह में सांयुि राष्ट्र सांघ िारा स्िीकृ त
सेनाएाँ ाऄमेटरका के नेतृत्ि में ाईत्तर कोटरया की सीमाएां पार कर गईं और चीनी सीमाओं के बहुत
वनकि ाअ गईं। चीन ाऄपने वनकि पड़ोसी देश (कोटरया) को पूज ां ीिाद का समथणक बनते देख खतरा
ाऄनुभि करने लगा था, ाऄताः ाईसने सांयुिराष्ट्र की सेनाओं को पीछे धके ल ददया। ाऄांतताः ाईत्तरी और
दवक्षणी कोटरया के मध्य 38िीं समानाांतर (38 वडग्री ाईत्तरी ाऄक्षाांश रे खा) को दोनों के मध्य की
सीमा मान ली गयी।
चीन को मूलभूत ढाांचे के विकास की बहुत ाऄवधक ाअिश्यकता थी।
ाआसे ाऄपने कृ वष और औद्योवगक क्षेत्र में व्याप्त ाऄक्षमता से भी वनबिना था।
खराब कृ वष ाईत्पादन विशाल जनसांख्या की खाद्य सुरक्षा को पूरा करने में विफल हो रहा था और
ाआसवलए चीन को खाद्य सामग्री की कमी और ाईससे ाईपजी खाद्य मुद्रास्फीवत की दोहरी चुनौती का
सामना भी करना पड़ रहा था।
1949 के चीनी समाज में ाऄसमानता व्याप्त थी। कु ओवमतताांग समृद्ध जमींदारों और ाईद्योगपवतयों
का समथणन कर रहे थे। ाआसवलए, भूवम सुधार चीनी कम्युवनस्ि पािी के तत्कावलक एजेंडे का भाग
था।
चीन िारा ाऄपनाया गया मॉडल (प्रारूप) 1958 तक रूस में ाऄपनाए गए मॉडल जैसा ही था। माओ
िारा शुरू दकए गए “100 फ्लािर कैं पेन’ (1957) का ाईद्देश्य यह था दक लोग व्यिस्था के प्रवत ाऄपने
विचार प्रकि करें । 100 फ्लािर कैं पेन के पश्चात माओ ने ाऄनुभि दकया दक जनता में ाऄसांतोष बढता जा
रहा था। ाआसवलए ाईसने 1958 में ग्रेि लीप फॉरिडण कायणक्रम प्रारम्भ दकया, जो बाद में चीन के
समाजिाद का मूलभूत कायणक्रम बन गया था।
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प्रथम पांचिषीय योजना (1953-58) को रूसी सलाहकारों की सहायता से तैयार दकया गया था।
रूस ने चीन के औद्योवगकीकरण में भी ाईसको सहायता प्रदान की। रूसी मॉडल की भााँवत प्रथम
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योजना में भारी ाईद्योगों पर ध्यान ददया गया और तुलनात्मक रूप से ाईपभोिा िस्तुओं के
ाईत्पादन पर कम ध्यान ददया गया। चीन ने USSR की भााँवत पांचिषीय योजनाओं को ाऄपना कर
कमाांड ाऄथणव्यिस्था प्रारूप को ाऄपनाया। ाआस प्रकार रूस की भााँवत चीन ने भी कें द्रीकृ त ाअर्थथक
वनयोजन को ाऄपनाया।
चीन ने भूवम सुधार कायणक्रम को दो चरणों में पूरा दकया। पहले चरण में, दकसानों के बीच भूवम
पुनर्थितरण के वलए कायणक्रम लाया गया। ाआसके कायाणतियन में कु छ ज़हसा का ाईपयोग भी हुाअ,
क्योंदक समृद्ध दकसानों ने ाऄपनी भूवम जब्त दकए जाने का विरोध दकया। दूसरे चरण में, सहकारी
सवमवतयों का ाअरां भ दकया गया। सहकारी सवमवतयों के गठन में खेतों के विखांवडत छोिे िु कड़ों के
एकीकरण िारा सामूवहक फामण बनाना सवम्मवलत था। परततु चीन ने रूस में ाऄपनाये गये ज़हसक
ाईपायों के स्थान पर ाऄनुनय की विवध को ाऄपनाया। दकसानों की प्रत्येक सहकारी सवमवत में खेतों
और ाईपकरणों का सांयुि स्िावमत्ि 100-300 पटरिारों के पास था। 1956 तक 95 प्रवतशत चीनी
दकसान ाआन सहकारी सवमवतयों के सदस्य थे।
प्रथम पांचिषीय योजना में, चीन ने ाऄवधकतर व्यिसायों का राष्ट्रीयकरण कर ददया था और रूस ने
भी कोयला, ाआस्पात और लोहे ाअदद भारी ाईद्योगों में बहुत ाऄवधक वनिेश दकया था।
प्रथम योजना के पटरणाम ाऄच्छे थे और ाईद्योगों में लक्ष्य से 120 प्रवतशत ाऄवधक िृवद्ध हुाइ। चीनी
ाऄथणव्यिस्था में सुधार होना ाअरम्भ हो गया था। सभी सांचार व्यिस्थाएाँ बहाल हो गईं थीं और
मुद्रास्फीवत वनयतत्रण में ाअ गयी थी। परततु ाआसके साथ कु छ नकारात्मक पक्ष भी जुड़े थे। 1957 के
100 फ्लािर कैं पेन में लोगों ने सरकार की नीवतयों की ाअलोचना की थी और ाआसवलए माओ को
सांदह
े हुाअ दक क्या भारी ाईद्योगों पर विशेष ध्यान ददया जाना चीन के वलए ाऄच्छा है। ाआसके
ाऄवतटरि जब माओ ने रूस पर सांशोधनिाद (माक्सण की वशक्षाओं से खतरनाक/ाअपवत्त जनक
प्रस्थान) का ाअरोप लगाया, तो ाईसने चीन को दी जाने िाली सहायता में कमी कर दी और ाईसके
पश्चात USSR और चीन के बीच सम्बतधों में प्रवतकू ल मोड़ ाअ गया। ाआसके ाईपराांत चीन ने िैवश्वक
समाजिादी कै म्प से रूस के नेतृत्ि में बदलाि की माांग की।
माओ पवश्चम के साथ शाांवतपूणण सह-ाऄवस्तत्ि की नीवत के विरुद्ध था, वजसका समथणन ख्रुश्चेि ने
ाऄपने 1956 के भाषण में दकया था। िह USSR िारा ाऄपनाए गये पूाँजीिादी ाईपायों के ाईपयोग
के भी विरुद्ध था और ाईसका यह तकण था दक पूाँजीिाद के प्रवत USSR का दृविकोण नमण था। माओ
रूस िारा पूज
ाँ ीिादी मागण का ाऄनुसरण दकए जाने के भी विरुद्ध था। ाईदाहरण के वलए ख्रुश्चेि ने
कारखानों के प्रबतधन के वलए एक विशेषज्ञ और तकनीकी रूप से एक बेहतर प्रबतधकीय िगण के
सृजन का समथणन दकया था। माओ के ाऄनुसार ाआससे कारखानों के कामगारों के बीच िगण
ाऄसमानता में िृवद्ध होगी और तकनीकी रूप से बेहतर िगण कारखानों में कामगारों को ाऄपने ाऄधीन
कर लेगा। माओ विभेदीकृ त िेतन (differential piece wage rate), कायण प्रदशणन से जुड़े
प्रोत्साहन और भूवम के वनजी स्िावमत्ि के विरुद्ध था (हालाांदक िह छोिे भूवमखांडों पर दकसानों के
वनजी स्िावमत्ि के पूणतण ाः विरुद्ध नहीं था)। माओ के ाऄनुसार रूस ाऄपनी ाअिश्यकताओं के ाऄनुरूप
माक्सण और लेवनन के मूल विचारों में (ाऄथाणत माक्सणिाद) सांशोधन कर रहा था। माओ पूज ां ीिाद के
साथ सह-ाऄवस्तत्ि के स्थान पर साम्यिाद को प्राप्त करने के वलए ज़हसक क्राांवत को साधन के रूप में
ाईपयोग करने के पक्ष में था।
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ग्रेि लीप फॉरिडण (1958): 100 फ्लािर कैं पेन के दौरान जब माओ को ाअलोचनाएाँ झेलना पड़ा
तब माओ ने ग्रेि लीप फॉरिडण कायणक्रम प्रारम्भ दकया वजसमें माओिाद देखने को वमला। 100
फ्लािर कैं पेन के दौरान लोगों को ाऄपने विचार प्रकि करने की ाऄनुमवत थी, बहुत से लोगों ने पािी
की ाअलोचना करनी प्रारम्भ कर दी और ाईतहोंने लोकतांत्र की ओर बढने की माांग की। माओ ने
ाऄनुभि दकया दक साम्यिादी क्राांवत की रक्षा के वलए और ाअम ाअदमी की ाअर्थथक समृवद्ध के वलए
साम्यिाद पर लोगों के विश्वास को बढाना होगा। चीन की ाऄवधकाांश जनसांख्या कृ षक थी। ाआस
प्रकार ग्रेि लीप फॉरिडण का ाईद्देश्य औद्योवगक विकास का पटरत्याग दकये वबना कम्युवनस्ि क्राांवत
को बचाने के वलए कृ वष विकास पर ाऄवधक ध्यान के वतद्रत करना था। ग्रेि लीप फॉरिडण के साथ
चीनी साम्यिाद रूसी मॉडल से दूर होता चला गया।
o ग्रेि लीप फॉरिडण का ाअशय था दक चीन धीरे -धीरे औद्योगीकरण के साथ-साथ बड़े स्तर पर
कृ वष ाऄथणव्यिस्था पर भी ध्यान के वतद्रत करे गा। यह श्रवमक बहुल िाली ाऄथणव्यिस्था को
ाऄपनाना चाहता था, और कारखानों में ाऄत्यवधक मशीनरी के ाईपयोग को घिाना चाहता था,
तादक लोगों को और ाऄवधक रोजगार प्रदान दकया जा सके । वजस औद्योगीकरण के मॉडल को
ाऄपनाया जाना था ाईसमें कु छ चुने हुए के तद्रों पर भारी ाईद्योगों के स्थान पर ग्रामीण क्षेत्रों में
वछतराए हुए लघु ाईद्योगों पर ध्यान के वतद्रत करना था।
o ग्रेि लीप फॉरिडण में कम्यून के रूप में एक नाइ पद्धवत सवम्मवलत थी:
ाआसका ाईद्देश्य शवि के ाऄवत-के तद्रीकरण को रोकना था और ाआस हेतु कम्यून नामक एक
पहल को ाऄपनाया गया। कम्यून सामूवहक फामण (खेत) से बड़ी ाआकााइ थी। ाआसमें ाऄनेकों
सामूवहक फामण सवम्मवलत दकए गए थे (प्रत्येक सामूवहक फामण से 100 से 300 दकसान
पटरिार सांबद्ध थे) और ाआस प्रकार से प्रत्येक कम्यून में 30,000 से 75,000 के बीच की
जनसांख्या सवम्मवलत होती थी। प्रत्येक कम्यून में दकसान, िृद्ध, मवहलाएां, बच्चे, श्रवमक
और 30-40 स्नातक तथा 30-40 तकनीवशयनों िाली एक िैज्ञावनक िीम शावमल होती
थी।
कम्यूतस के िल साधारण खेतों (फामों) का जमािड़ा भर नहीं थे, िे स्थानीय स्ि-शासन
की सांस्थाओं के रूप में भी कायण करते थे। स्थानीय ाअिश्यकताओं के ाऄनुसार कम्यूनों को
बााँधों, ज़सचााइ पटरयोजनाओं और स्थानीय सड़क वनमाणण जैसे मूलभूत ढाांचागत
पटरयोजनाओं के कायाणतियन का कायण भी करना होता था। िे घरों के वपछले वहस्से में
ाआस्पात भटठ्ठयों जैसे ाऄपने स्ियां के कारखाने चलाते थे (ग्रामीण क्षेत्रों में लघु ाईद्योग
मॉडल)। माओ ने 6 लाख घरों के वपछले वहस्से में ाआस्पात भटठ्ठयों की स्थापना की बात
की थी। ाआन लघु ाईद्योगों / कारखानों ने कम्यून के दकसानों को फामण ाईपकरण प्रदान
दकये।
सामावजक सेिाएाँ प्रदान करने में भूवमका: ये कम्यून ाऄपने सदस्यों को मूलभूत सेिाएाँ
प्रदान करने के वलए वशक्षा के प्रसार का कायण करते थे, मवहलाओं को बेहतर ाऄिसर
प्रदान करना और ाऄतय कल्याणकारी सेिाओं के वलए क्रैच, विद्यालय और प्राथवमक सेिा
के तद्रों का सांचालन करना ाआनके ाऄतय कायण थे।
कम्यूनों के राजनीवतक ढाांचे में एक वनिाणवचत पटरषद, वब्रगेड और कायणकारी िीमें
सवम्मवलत थीं। दूसरे शब्दों में कम्यूनों का गठन एक वनिाणवचत पटरषद सवहत, वब्रगेडों
और कायणकारी िीमों के रूप में होता था।
o ग्रेि लीप फॉरिडण का ाअकलन:
ाआसके ाऄांतगणत लोगों को ाऄल्पािवध में कटठनााइयों का सामना करना पड़ा, परततु ग्रेि लीप
फॉरिडण ने वनवश्चत रूप से चीन को दीघणकावलक लाभ पहुांचाए थे।
पािी कायणकताणओं को सौंपे गये कायों को करने में ाईनकी ाऄनुभिहीनता के कारण
ाऄल्पािवध में कु छ कटठनााआयााँ भी ाअईं। ाआसके ाऄवतटरि 1959 से 1961 तक फसलें भी
वनरां तर रूप से खराब हुईं। 1956 में रूस िारा सहायता से हाथ खींच लेने से चीन को
ाअर्थथक कटठनााइयों का सामना करना पड़ा। ग्रेि लीप फॉरिडण से सम्बवतधत कटठनााइयों
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के कारण लगभग 20 वमवलयन लोगों की समय से पूिण मृत्यु हो गाइ। फलस्िरूप माओ के
वखलाफ लोगों का ाअक्रोश बढता गया।
दीघणकालीन रूप से ग्रेि लीप फॉरिडण चीन के वलए एक महत्त्िपूणण मील का पत्थर वसद्ध
हुाअ।
दीघाणिवध में कृ वष और औद्योवगक ाईत्पादन में महत्त्िपूणण िृवद्ध हुाइ और ाआन सबसे लाभ ाईठाने के
वलए प्रयास ाअरम्भ हो गये थे।
ग्रेि लीप फॉरिडण ने कम्यून जैसी नाइ पद्धवत के माध्यम से ाऄवत-के तद्रीकरण पर रोक लगााइ जो
दकसी भी प्रकार की पहल को दबा देता है। सामूवहक खेती के वलए कम्यून बहुत ही सरल ाईपकरण
है। ाआनसे स्थानीय सरकार में जनता की भागीदारी सम्भि हो गयी और ाईनकी वशकायतों को शाांत
करने में सहायता वमली। िे स्थानीय स्ि-शासन की कु शल ाआकााइयों के रूप में कायण करने में सफल
रहे और चीन की कम्युवनस्ि पािी को स्थानीय विचार और जनता की ाऄपेक्षाओं से जोड़े रखा।
वबखरे हुए और श्रवमक बहुल औद्योवगक मॉडल के कारण ग्रेि लीप फॉरिडण बेरोजगारी पर रोक
लगाने में सक्षम रहा।
वशक्षा प्रसार, मवहलाओं की वस्थवत में सुधार, बेहतर कल्याणकारी सेिाएां – ग्रेि लीप फॉरिडण के
कु छ ाऄतय लाभ थे।
ाआसे महान सिणहारा साांस्कृ वतक क्राांवत (Great Proletarian Cultural Revolution) के रूप में भी
जाना जाता है। क्राांवत के ाईत्साह को बढाने, कम्युवनस्ि क्राांवत को बचाने, ग्रेि लीप फॉरिडण के पक्ष में
जनता का समथणन जुिाने और ग्रेि लीप फॉरिडण को विशुद्ध रूप से माक्सणिाद और लेवननिाद की
पटरपािी पर बनाए रखने के वलए माओ िारा प्रारम्भ दकया गया यह एक विशाल प्रचार ाऄवभयान था।
ाआसके वनम्नवलवखत ाईद्देश्य थे:
कम्युवनस्ि क्राांवत की रक्षा करना और ग्रेि लीप फॉरिडण को माक्सणिाद की पटरपािी पर बनाए
रखना: कम्युवनस्ि पािी को बचाए रखने के वलए यह माओ का प्रयास था, वजसे कम्युवनस्ि पािी के
दवक्षण पांथी नेताओं से खतरा था, जो रूसी पद्धवत पर पूाँजीिादी विशेषताओं को सवम्मवलत करना
चाहते थे (ख्रुश्चेि के शासनकाल में रूस ने कवथत रूप से साम्यिाद के वलए पूज
ाँ ीिाद का मागण चुन
वलया था)। ाआस प्रकार से साांस्कृ वतक क्राांवत का ाईद्देश्य दवक्षण पांथी नेताओं का विरोध करना था, जो
िेतन में ाऄत्यवधक ाऄांतर और दकसानों को बड़े वनजी भूखांड जैसे प्रोत्साहनों को प्रारम्भ करने की
माांग कर रहे थे, जो ाईनके ाऄनुसार कम्यूनों की दक्षता में िृवद्ध के वलए ाअिश्यक थे। ाईतहोंने रूसी
पद्धवत के ाऄनुसार विशेषज्ञ प्रबतधन िगण के सृजन के पक्ष में तकण ददया तादक भारी ाईद्योगों की िृवद्ध
के वलए ाऄनुभिहीन पािी कायणकताणओं पर वनभणर न रहना पड़े। ाआस चचाण के समाधान के वलए 100
फ्लािर कै म्पेन स्पि रूप से चलता रहा। परततु ाआस प्रकार के ाईपायों में ख्रुश्चेि िारा ाऄपनाए गये
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पूाँजीिादी मागण की झलक थी, वजसकी माओ ने सांशोधनिाद कह कर ाअलोचना की थी। माओ के
ाऄनुसार, ाआस प्रकार के दृविकोण से समृद्ध िगण और समृद्ध दकसान और प्रबांधकों के समृद्ध िगण
ाईभरने लगेंग,े जो वनबणल िगों का शोषण करें ग,े वजससे कम्युवनस्ि क्राांवत प्रभािी रूप से समाप्त हो
जाएगी।
ग्रेि लीप फॉरिडण के वलए समथणन जुिाना: माओ ने जब ग्रेि लीप फॉरिडण का प्रयोग दकया तो ाआसके
प्रारवम्भक चरणों में (1959 से 1963 में ाऄल्पविवध के वलए) कु छ कटठनााआयााँ सामने ाअईं, जबदक
दीघणकाल में ग्रेि लीप फॉरिडण का पटरणाम सामने ाअना बाकी था। ाआस प्रकार से पािी के भीतर
माओ का विरोध बढ रहा था और ग्रेि लीप फॉरिडण पर बड़ी चचाण चल रही थी और काइ लोग ाआस
बात का समथणन कर रहे थे दक पूज ाँ ीिादी ाईपायों को प्रारम्भ करने का समथणन दकया जाए। ाआसवलए
माओ को ग्रेि लीप फॉरिडण कायणक्रम के वलए जनता का समथणन जुिाने हेतु प्रचार कायणक्रम की
ाअिश्यकता थी।
साांस्कृ वतक क्राांवत की विशेषताएाँ: चीनी कम्युवनस्ि पािी के ाऄध्यक्ष के रूप में माओ ने 1966 में
साांस्कृ वतक क्राांवत का शुभारम्भ दकया। माओ के समथणक रे ड गाडण कहलाते थे (ाईनमें से ाऄवधकाांश ने
माओ की साांस्कृ वतक क्राांवत के समथणन में विद्यालय और महाविद्यालय छोड़ ददए थे), ाईतहोंने सांपण
ू ण
चीन का (ाईत्तर-दवक्षण, पूि-ण पवश्चम) भ्रमण दकया और माओ के पक्ष में चचाणएाँ कीं। साांस्कृ वतक
क्राांवत के दौरान चार ‘प्राचीनों’ (four ‘olds’) की ाअलोचना की गयी थी – ाऄथाणत प्राचीन
सांस्कृ वत, प्राचीन ाअदतें, प्राचीन विचार और प्राचीन रीवत टरिाज। ाआसके ाऄवतटरि बुवद्धजीवियों
को ग्रामीण क्षेत्रों और ाईनकी चुनौवतयों और ाईपलब्ध ाऄिसरों को समझने के वलए भेजा गया।
साांस्कृ वतक क्राांवत की ाअलोचना: साांस्कृ वतक क्राांवत ने चीन में कु छ सीमा तक ाऄव्यिस्था और
गृहयुद्ध जैसी वस्थवतयााँ ाईत्पन्न कर दीं। प्रारम्भ में रे ड गार्डसण (ाऄवधकाांश छात्र) ने ाऄपनी ज़हसा के
िारा माओ के ाअलोचकों को लवक्षत दकया परततु शीघ्र ही ाऄवत ाईत्साह में ाईतहोंने दकसी पर भी
और सब पर ाअक्रमण करना ाअरम्भ कर ददया। वशक्षक, पेशेिर लोग, स्थानीय पािी ाऄवधकारी –
सब को लवक्षत दकया गया। एक बार छात्र समूह ाईत्तेवजत हो जाता था तो ाईन पर वनयतत्रण करना
कटठन हो जाता था। कु ख्यात ‘चार लोगों का वगरोह’ (Gang of four) में महत्त्िपूणण नेता और
माओ की पत्नी शावमल थे। ाआतहोंने माओ समथणकों को ाऄत्याचार करने के वलए ाईकसाया। ऐसा कहा
जाता है दक चार लोगों का यह वगरोह माओ से भी ाऄवधक माओिादी था। ाआसके कारण लाखों
लोगों का जीिन बबाणद हो गया। साांस्कृ वतक क्राांवत के दौरान ाऄराजकता के कारण ाअर्थथक विकास
ाऄिरुद्ध हो गया था। लाखों लोगों को परे शान दकया गया और िे बबाणद हो गये। एक िषण के भीतर
ही ाऄथाणत 1967 तक रे ड गार्डसण के ाऄवतिादी ाऄवनयांवत्रत हो गये और माओ को सेना बुलाना पड़ा
वजसने वस्थवत को वनयांवत्रत दकया। माओ ने रे ड गार्डसण के नेताओं और रक्षा मांत्री को ाआस वस्थवत के
ाऄवनयांवत्रत होने के वलए दोषी ठहराया और पटरणामस्िरूप काइ रे ड गार्डसण पर ाऄत्याचारों के वलए
ाऄवभयोग चलाया गया और ाईतहें मृत्युदड
ां ददया गया। 1969 में साांस्कृ वतक क्राांवत को औपचाटरक
रूप से समाप्त कर ददया गया और माओ को सभी दोषों से मुि घोवषत कर ददया गया।
साांस्कृ वतक क्राांवत के सकारात्मक प्रभाि: यद्यवप साांस्कृ वतक क्राांवत ने लगभग दस िषण तक ाअर्थथक
प्रगवत को रोक कर रखा, लेदकन 1970 के दशक के मध्य में कु छ ाअर्थथक सुधार हुाअ। 1976 में
माओ की मृत्यु के समय तक चीन ाअर्थथक सुधार के मागण पर चल पड़ा था।
o छोिे ाईद्योगों पर ध्यान के वतद्रत करने से िहाां ाईपभोिा िस्तुओं की कमी नहीं हुाइ, जैसी रूस में
हुाइ थी।
o जनसांख्या का एक ाईच्च प्रवतशत ग्रामीण क्षेत्रों में रहता था और यह जनसांख्या भलीभाांवत
वशवक्षत, कु शल और कम्यूनों के रूप में सांगटठत थी।
o ाआस दौरान चीन में कोाइ भी ाऄकाल नहीं पड़ा और खाद्यान्नों का ाईत्पादन िृवद्धमान जनसांख्या
की ाअिश्यकताओं की पूर्थत करने में सक्षम रहा।
o औद्योवगक विकास से चीन में ाआस्पात के ाईत्पादन में तीन गुना िृवद्ध हुाइ और पेट्रोवलयम
ाईद्योग के वलए एक महत्त्िपूणण नींि रखी जा चुकी थी। चीन शूतय से ाअरां भ कर स्ियां को
मशीन वनमाणण ाईद्योग में पटरिर्थतत करने में सक्षम रहा। औद्योवगक विकास ने चीन को
परमाणु ाउजाण के क्षेत्र में एक शवि बनने के वलए ाअधार प्रदान दकया।
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मुख्य विषय िस्तु 5: माओ के ाईत्तरावधकारी डेंग वजयाओज़पग ने साांस्कृ वतक क्राांवत के कारण हुए ाअर्थथक
सांकि के पश्चात चीन के ाअर्थथक पुनर्थनमाणण में महत्त्िपूणण भूवमका का वनिाणह दकया। ाईसकी ाअर्थथक
नीवतयााँ माओ की राजनीवतक विचारधाराओं के प्रवतकू ल थीं। चीन को विदेशी वनिेश के वलए खोलना,
प्रशासन का विकें द्रीकरण और सीवमत वनजी प्रवतयोवगता प्रारम्भ करने जैसे सुधारों की श्रृख
ां ला के िारा
डेंग वजयाओज़पग के शासनकाल के ाऄांतगणत चीन एक साम्यिादी बाजार ाऄथणव्यिस्था के रूप में विकवसत
हुाअ। वथयानमेन विरोध और ाऄतय प्रजातांत्र समथणक विरोधों को डेंग वजयाओज़पग िारा कठोरता से
वनबिने के कारण चीन साम्यिाद को ऐसे समय में जारी रखने में सफल रहा जब िैवश्वक कम्युवनस्ि
ढााँचा 1980 के दशक के ाऄांवतम समय में सांकि से ग्रस्त हो रहा था।
कर रही थी, के विरुद्ध साांस्कृ वतक क्राांवत के दौरान दकए गए ाऄत्याचार के वलए मुकदमा चलाया
गया। तात्कालीन पािी नेतृत्ि पर गौर करें तो ऐसा लगता है दक यह एक माओ विरोधी कदम था,
जो दक स्िावलनिाद को प्रभािहीन करने जैसे ही माओ (िाद) के व्यवित्ि के प्रभाि को भी कम
करना चाहता था। 1978 के मध्य के बाद से डेंग वजयाओज़पग चीन का सिोच्च नेता बन गया।
पूाँजीिादी नीवत का समथणक होने के कारण साांस्कृ वतक क्राांवत के दौरान, डेंग को पािी में ाऄपने सभी
पदों से ाऄिकाश लेने के वलए बाध्य होना पड़ा था। डेंग वजयाओज़पग को साांस्कृ वतक क्राांवत के दौरान
रे ड गार्डसण िारा पीिा गया था और ाईनके बेिे के प्रतावड़त दकया गया था। ाईतहें चार साल तक एक
साधारण कमणचारी के रूप में काम करने के वलए ग्रामीण क्षेत्र में भेज ददया गया था।
डेंग के नेतत्ृ ि में नीवतयों में नािकीय पटरितणनाः सत्ता में ाअने के बाद 1978 में डेंग वजयाओज़पग ने
ाअकवस्मक नीवतगत बदलाि लाने ाअरां भ कर ददए। डेंग िारा प्रिर्थतत नीवतयााँ पूज
ाँ ीिाद-समथणक
और माओिाद ि ाईसकी साांस्कृ वतक क्राांवत के विपरीत थीं। ाअर्थथक क्षेत्र में, चीन ने वजन नीवतयों
चार पहलुओं; जैस-े कृ वष, ाईद्योग, विज्ञान एिां प्रौद्योवगकी और रक्षा; को ाऄपना लक्ष्य बनाया।
ाआन चार ाअधुवनकीकरणों के वलए वनम्नवलवखत कदम ाईठाए गए:
विदेशी सरकारों और विदेशी बैंकों से ाऊण प्राप्त करना।
1980 में चीन ाऄांतराणष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक में सवम्मवलत हो गया।
ाअधुवनक ाईपकरणों के ाअयात के वलए विदेशी कां पवनयों के साथ ाऄनुबांध पर हस्ताक्षर
दकए गए।
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o विकें द्रीकरण को बढािा ददया गयााः सरकारी वनयांत्रण िाले फामों को वनयोजन, वित्तपोषण
और मुनाफे के ाईपयोग पर ाऄवधक वनयांत्रण ददया गया।
o दक्षता और औद्योवगक ाईत्पादन को प्रोत्साहनाः-
पूाँजीिादी ाईपायों जैसे बोनस, प्रवत नग िेतन दर (piece wage rates) और लाभ के
बाँििारे को प्रोत्साहन ददया गया।
राज्य ने ाऄब कम्यून से ाईत्पादों की खरीद के वलए ाईच्च मूल्य चुकाने ाअरां भ दकए।
ाऄवधक ाईत्पादन के वलए कम्यून को प्रोत्सावहत करने के वलए ाईन पर लगने िाले करों
को घिा ददया गया।
डेंग वजयाओज़पग के भविरय के लक्ष्याः 1986 में डेंग ने भविरय के वलए ाऄपने विचारों को सूचीबद्ध
दकया। डेंग की भविरय की पटरकल्पनाओं या ाईनके मुख्य लक्ष्यों को वनम्नानुसार सूचीबद्ध दकया जा
सकता है:
o िह चाहते थे दक लोग ाऄमीर बनें और ाईनका मानना था दक ाऄमीर होना कोाइ ाऄपराध नहीं
है।
o ाईतहें पूरा विश्वास था दक भविरय में ाईद्योगों को और ाऄवधक स्ितांत्रता देने और वनणणय लेने की
शवि का विके तद्रीकरण करने की ाअिश्यकता होगी।
o ाईनका मानना था दक के िल पूज
ाँ ीिादी वनिेश ही एक ाअधुवनक चीन बनाने में मदद कर
सकता है।
o ाईनका तकण था दक पािी को प्रशासवनक कायों से हाथ खींच लेना चावहए; ाआसे स्थानीय स्तर
पर कम वनदेश जारी करने चावहए और वनचले स्तर पर ाऄवधक से ाऄवधक पहल करनी
चावहए।
o ाईतहोंने तकण ददया दक चीन को शाांवतवप्रय राष्ट्रों के साथ वमलकर सोवियत सांघ और सांयुि
राज्य ाऄमेटरका दोनों का सामना करने की ाअिश्यकता है।
डेंग की नीवतयों के नािकीय पटरणाम हुए:
o 1979 में ाऄनाज का ाऄभूतपूिण ाईत्पादन हुाअ वजससे दकसान ाऄवधक समृद्ध हुए।
o हालाांदक सरकार िारा ाअर्थथक क्षेत्र में दकए गए सुधारों से राजनीवतक क्षेत्र में भी ाअमूल
सुधार की माांग ाईत्पन्न हुाइ। ’लोकतांत्र की दीिार’ (Democracy Wall) (निांबर 1978)
नामक ाऄवभयान से राजनीवतक क्षेत्र में ाअमूल सुधार की माांग की गाइ वजस पर लोगों ने
गुमनाम पोस्िर वचपकाकर एकल-पािी प्रणाली समाप्त करने और लोकतांत्र बहाल करने की
माांग की थी।
लोकतांत्र की दीिार (Democracy Wall: 1978): 1978 में डेंग वजयाओज़पग की प्रशांसा और
समथणन में पोस्िर ाऄवभयान (दीिारों पर) चलाए गए और रै वलयााँ वनकाली गईं। लेदकन जल्द ही
ाऄवधक कट्टरपांथी सुधारों की माांग और भारी प्रदशणन को देखते हुए सरकार िारा ाआन पोस्िर
ाऄवभयानों और रै वलयों पर प्रवतबांध लगा ददया गया। लेदकन ’दीिार’, जो दक डेंग के वनिाणचन क्षेत्र
बीज़जग में थी, को चालू रखने की ाअज्ञा वमली हुाइ थी, क्योंदक ाऄब तक ाआस दीिार का ाईपयोग
लोगों िारा गैंग ाअॅफ फोर पर हमला करने के वलए दकया जा रहा था। समस्याएाँ 1979 में तब
ाअरां भ होने लगीं, जब दीिार पर लगाए जाने िाले पोस्िर ाऄवधक वनभीक हो गए। लोग माओ पर
ाअक्षेप लगाने और विवभन्न ाऄवधकारों की माांग करने लग गए थे जैसे (a) सरकार की ाअलोचना का
ाऄवधकार, (b) नेशनल पीपल्स काांग्रेस (सांसद) में गैर-कम्युवनस्ि पार्टियों का प्रवतवनवधत्ि, (c)
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कम्युतस का ाईतमूलन और (d) नौकटरयााँ बदलने और विदेश यात्रा की स्ितांत्रता। डेंग की प्रवतदक्रया
करुणाशूतय थी। िह एकल-पािी प्रणाली का कट्टर समथणक था। ाऄसांतुि लोगों को वहरासत में ले
वलया गया और जेल में डाल ददया गया। ध्यातव्य है दक लोकतांत्र की दीिार को 1979 में ध्िस्त
कर ददया गया।
बाजार समाजिाद (Market Socialism): वब्रिावनका में बाजार समाजिाद को ाआस प्रकार
पटरभावषत दकया गया हैाः “बाजार समाजिाद, वजसे ाईदारिादी समाजिाद भी कहते हैं, एक
शवियों िारा वनदेर्थशत होती हैं, न दक सरकारी योजनाओं िारा।” बाजार समाजिाद के साथ,
चीन धीरे -धीरे बाजार ाऄथणव्यिस्था की तरफ बढने लगा। व्यापाटरक बाधाओं को कम करके और
ाऄांतराणष्ट्रीय व्यापार को बढािा देकर ाअर्थथक क्षेत्र में विश्व के साथ िृहद् सांपकण स्थावपत करने के
वलए चीन ने मुि-िार की नीवत को ाऄपनाया। बाजार समाजिाद तक के पटरितणनकाल का
विश्लेषण दो चरणों में दकया जा सकता है - (a) 1979 में लोकतांत्र की दीिार के विध्िांस तक डेंग
िारा ाऄनुसरण की जाने िाली नीवतयााँ और ( b) डेंग िारा ाईसके बाद ाऄनुसरण की जाने िाली
नीवतयााँ। ाआस सांदभण में 1984 को महत्िपूणण बदलािों का िषण माना जा सकता है। दूसरे चरण में
कु छ महत्िपूणण ाअर्थथक सुधारिादी ाईपायों को सवम्मवलत दकया गयााः
o कम्यून पद्धवत को समाप्त कर ददया गया। ाआसके पटरणामस्िरूप प्राप्त भूवम दकसानों के बीच
वितटरत की गाइ तादक िे बड़े वनजी भूखांडों को प्राप्त कर सकें । ाआसका मतलब था दक, कम्यूतस
िाली भूवम (हालाांदक ाऄब भी यह राज्य के स्िावमत्ि में ही थी) को ाऄलग-ाऄलग दकसान
पटरिारों में बाांि ददया गया और ाईनको ाऄवधक लाभ रखने की ाऄनुमवत दी गाइ। ाआससे ाईनके
जीिन स्तर में सुधार ाअया।
o 1984 में बाजार समाजिाद के पक्ष में वनम्नवलवखत महत्िपूणण बदलाि दकए गए:
प्रभाि ददखााइ देने ाअरां भ हो गए। वनयाणत की तुलना में ाअयात बहुत तेजी से बढने लगा और
ाआस तरह चालू खाता घािे (करां ि ाऄकााईां ि डेदफवसि) में भी िृवद्ध होने लगी। विदेशी मुद्रा
भांडार में तेज वगरािि ाअाइ। हालाांदक सरकार ने सीमा शुल्क (कस्िम ड्यूिी) में िृवद्ध कर
ाअयात पर वनयांत्रण करने का प्रयास दकया, परां तु ाआससे मुद्रास्फीवत में िृवद्ध हो गाइ (1986 में
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वथयानमेन चौक प्रोिेस्ि (Tiananmen Square Protests: 1989): यह विरोध प्रदशणन चीन में
ाईद्देश्य से की जा रही थीं और वजनमें सुधार लाकर सािणजवनक समथणन प्राप्त करने में (डेंग को)
सहायता वमलती। ाआस प्रकार डेंग के लेफ्ि-रााइि सांतल
ु न की नीवत को ाअघात पहुाँचाने िाली
ाअलोचना को स्िीकार नहीं दकया गया और ाआसे सीमारे खा का ाईल्लांघन माना गया। ऐसे
ाअलोचकों पर कठोर वनयांत्रण भी लगाया गया {ाईदाहरण के वलए लोकतांत्र की दीिार
(Democracy Wall) की घिना में}। ाआसी तरह, 1986 में डेंग ने ाऄपने 4 ाअधुवनकीकरणों
ने ाऄवधक क्राांवतकारी सुधारों की माांग करना ाअरां भ दकया और पोस्िर ाऄवभयान पर प्रवतबांध
का ाईल्लांघन दकया तो ाईतहोंने ाईन पर दफर से पाबांदी लगा दी।
o दुविधा (The Dilemma): डेंग और ाईसके सहयोवगयों के सामने दुविधा यह थी दक क्या
समकालीन राजनीवतक सुधारों के वबना ाअर्थथक सुधार लाना सांभि होगा? क्या लोग मात्र
बाजार में प्राप्त विकल्पों से सांतुि हो जाएांगे और क्या यह सांभि है दक राज्य राजनीवतक क्षेत्र
(बहु-दलीय व्यिस्था) में विकल्प न दे? पवश्चमी विचारकों और सोवियत सांघ के वमखााआल
गोबाणचि
े का मानना था दक दोनों तरह के सुधारों - ाअर्थथक और राजनीवतक - को एक साथ
लाया जाना चावहए और ाऄके ले ाअर्थथक सुधार सांभि नहीं हैं क्योंदक ाअर्थथक सुधार कें द्रीकृ त
राजनीवत की समावप्त पर वनभणर है और ाऄथणव्यिस्था की खराब वस्थवत को लोग राजनीवतक
व्यिस्था के पटरणाम के तौर पर देखते हैं।
प्रदशणन ाअरां भ हुाअ। हू याओबाांग डेंग प्रशासन का एक ाऄवधकारी था, परां तु पोवलत ब्यूरो
के रूदढिादी ाऄवधकाटरयों ने ाईसे प्रशासन से बेदखल होने पर बाध्य दकया था। परां तु शीघ्र
ही सुधारों की धीमी गवत, कवथत भााइ-भतीजािाद और हू के प्रशासन से बेदखल होने के
कारण सािणजवनक विरोध बढ गया। 1988-89 में ाअर्थथक सुधार में समस्याएाँ ाअने लग
गईं। मुद्रास्फीवत में ाईछाल ाअ गया था और िस्तुओं की कीमतों की तुलना में विशेष रूप
से सािणजवनक कमणचाटरयों की मजदूरी बहुत कम रह गाइ थी। सोवियत सांघ में, वमखााआल
गोबाणचि
े ने राजनीवतक सुधार लाने के प्रवत तत्परता ददखााइ थी। पड़ोसी देश सोवियत
सांघ में गोबाणचेि के सुधारों से प्रोत्सावहत होकर और गोबाणचि
े की 1989 की ाअगामी
यात्रा का लाभ ाईठाते हुए विद्यार्थथयों ने वथयानमेन चौक पर प्रदशणन ाअरां भ कर ददया।
यह विरोध प्रदशणन गोबाणचेि की यात्रा के दौरान भी जारी रहे।
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23. चीन में साम्यिाद क्यों जीवित रहा और सोवियत सां घ में
क्यों विफल हुाअ?
माओ की 1976 में मृत्यु हो गाइ। माओ के जाने के बाद, डेंग वजयाओज़पग ने वजन नीवतयों को ाऄपनाया,
ाईनका समापन बाजार समाजिाद के रूप में हुाअ। ाईसकी नीवतयों में सवम्मवलत था- पूाँजीिादी ाईपायों
को ाऄपनाना और व्यापार बाधाएाँ कम करके ाऄथणव्यिस्था को खोलना। ाआस प्रकार, डेंग के नेतृत्ि में चीन
’धीरे -धीरे ’ एक बाजार ाऄथणव्यिस्था मॉडल की तरफ ाऄग्रसर हुाअ।
यह ध्यान देना महत्िपूणण होगा दक चीन ने जनता को ाऄवधक राजनीवतक स्ितांत्रता प्रदान कर
सकने िाले राजनीवतक सुधारों के सूत्रपात्र से पहले ही ाअर्थथक सुधारों का कायाणतियन कर वलया।
राजनीवतक सुधारों का सूत्रपात्र दकए वबना ही ाअर्थथक सुधारों का कायाणतियन चीन में साम्यिाद
को बनाए रखने में सहायक वसद्ध हुाअ। डेंग ने लोगों को राजनीवत में कोाइ विकल्प ददए वबना
बाजार में विकल्प प्रदान दकए, ाऄथाणत् खरीदने-बेचने तथा िस्तुओं ि व्यिसायों का वनजी स्िावमत्ि
रखने का विकल्प। ाआस प्रकार चीन ने एकल दलीय व्यिस्था जारी रखी। ाअर्थथक समृवद्ध और
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ाअर्थथक स्ितांत्रता ने लोगों की राजनीवतक स्ितांत्रता की माांगों को शाांत कर ददया। ाआसके विपरीत,
वमखााआल गोबाणचेि ने 1991 में ललास्तनोस्त (सामावजक मुद्दों पर बहस की नीवत) और पेरेस्त्रोाआका
(ाऄथाणत पुनर्थनमाणण) के माध्यम से राजनीवतक और ाअर्थथक सुधार लाने का प्रयास दकया। लोगों ने
सोवियत सांघ की दयनीय ाऄथणव्यिस्था के वलए राजनीवतक व्यिस्था को दोषी ठहराया और वजसके
पटरणामस्िरूप सोवियत सांघ का विघिन हो गया।
कम्युवनस्ि पािी के भीतर लेफ्ि-रााइि (िामपांथी-दवक्षणपांथी) विभाजन कभी ाआतना नहीं गहराया
दक िह पािी के विभाजन का कारण बने। ाआसके विपरीत, रूस में लेफ्ि-रााइि के बीच विभाजन
बहुत गहरा था। सोवियत सांघ के ाऄांवतम िषों में बोटरस येल्तवसन ने पािी की समाजिादी नीवतयों
की खुल-े ाअम ाअलोचना की।
डेंग वजयाओज़पग बनाम वमखााआल गोबाणचि
े ाः दोनों ने पूज
ाँ ीिादी मागण का समथणन दकया और दोनों
ाअर्थथक सुधारों के पक्षधर थे। लेदकन वजयाओज़पग ने 1976 से ही ाऄपनी नीवतयों को ाऄांवतम रूप
करने के वलए भी तैयार थे और एकल दलीय व्यिस्था में दृढता से विश्वास रखते थे, लेदकन
गोबाणचि
े के साथ ऐसा नहीं था। ाईदाहरण, वथयानमेन चौक (1989) प्रदशणन के दौरान डेंग ने बल
प्रयोग दकया, जबदक गोबाणचेि बहुदलीय व्यिस्था की माांगों के ाअगे झुकने लगे थे। ऐसे में पटरितणन
विरोवधयों ने तख्तापलि कर ाईसे ाऄपदस्थ कर ददया। ाआसके ाऄवतटरि, गोबाणचेि बल प्रयोग के वलए
तैयार नहीं थे और सोवियत गणराज्यों की स्िायत्तता की माांगों के प्रवत सहानुभूवत भी रखते थे।
सोवियत सांघ, जहाां की लगभग ाअधी ाअबादी गैर रूसी थी, की तुलना में चीन जातीय और
साांस्कृ वतक रूप से एक ाऄवधक समरूप समाज था। विवभन्न सोवियत गणराज्यों में सांस्कृ वतयााँ और
भाषाएाँ वभन्न-वभन्न थीं। ाआस प्रकार ाऄलगाि की माांग सोवियत सांघ में कहीं ाऄवधक थी।
100 फ्लािसण कैं पेन (1957) के कारण चीन के प्रमुख साम्यिादी नेताओं (माओ एिां ाऄतय) ने सही
समय पर सही कदम ाईठाया। ाआसके ाईपराांत चीनी क्राांवत को बचाए रखने के वलए ग्रेि लीप फॉरिडण
(1958) के रूप में एक सुधारात्मक कदम ाईठाया गया। पुनाः चीन ने ाऄपनी ाअिश्यकताओं के
ाऄनुरूप साम्यिाद के प्रारूप को ाऄपनाया। दूसरी ओर, रूसी ाऄथणव्यिस्था वजन समस्याओं का
सामना कर रही थी, ाईनके समाधान के वलए ाअिश्यक नीवतयााँ विकवसत करने में स्िावलन, ख्रुश्चेि
और ाऄतय नेता विफल रहे थे।
चीनी नेतत्ृ ि ने सोवियत सांघ की तुलना में ाऄवधक मजबूती के साथ ’जनता के साथ सांपकण ’ पर बल
ददया। ’कम्यून’ जैसे निाचार ने जनता के साथ सांपकण बनाने में पािी की मदद की।
चीनी साम्यिाद लचीला था और पािी नेताओं के बीच एकता थी, जो ाआसे जीवित बनाए रखने में
सहायक रहा। बदलती ाअिश्यकताओं के साथ-साथ चीनी साम्यिाद का रूप भी बदलता रहा।
ाईदाहरण के तौर पर, 1958 तक रूसी मॉडल का ाऄनुसरण दकया गया, वजसके बाद ग्रेि लीप
फॉरिडण के रूप में माओिाद ने चीनी साम्यिाद को प्रभावित दकया। 1976 से डेंग वजयाओज़पग ने
बाजार के ाऄनुकूल ाअर्थथक नीवतयों को ाऄपनाया, वजनका समापन धीरे -धीरे बाजार समाजिाद को
ाऄपनाने के रूप में हुाअ।
शीत युद्ध में रूस की बड़ी भूवमका होने के कारण ाईसके बहुमूल्य सांसाधन ाऄतयत्र पहुांच गए, वजससे
ाईसकी ाऄपनी ाऄथणव्यिस्था को भारी नुकसान पहुांचा।
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फासीिाद (FASCISM)
ाआसके ाऄवतटरक्त, प्रथम विश्ियुद्ध से ाऄथणव्यिस्था पर बहुत दबाि पड़ा था। ाआिली पेटरस शाांवत
सम्मेलन {के तद्रीय शवियों (Central Powers) के विरूद्ध शाांवत शतों पर विचार-विमशण करने के
वलए प्रथम विश्ियुद्ध के बाद ाअयोवजत} से खाली हाथ लौिा था। पुनाः युद्ध के बाद बेरोजगारी में
काफी ाऄवधक िृवद्ध हुाइ, साथ ही साम्यिादी क्राांवत की िास्तविक सांभािनाएां भी मौजूद थीं।
ाआस माचण का नेतृत्ि मुसोवलनी ने दकया था वजसके बाद राजा ने ाईसे सरकार बनाने के वलए ाअमांवत्रत
दकया। ाईन ददनों, ाआिली में सरकार पर साम्यिाददयों का कब्जा हो जाने का काफी भय था। साम्यिादी
पहले ही 1922 में ाअम हड़ताल का प्रयास कर चुके थे। ाआसने मुसोवलनी को साम्यिाद विरोधी,
पूांजीिाद का समथणक और साथ ही ाआिली के ाईद्धारक के रूप में स्ियां को प्रस्तुत करने का ाऄिसर ददया।
मुसोवलनी ने रोम माचण का नेतृत्ि करके ाआस ाऄिसर का लाभ ाईठाया। 50,000 ब्लैक शट्सण (ाआतालिी
फासीिादी दल का जत्था) रोम में ाअकर वमले, जबदक ाऄतय जत्थों ने ाईत्तर में महत्िपूणण शहरों पर
कब्जा कर वलया। तात्कालीन प्रधानमांत्री मुसोवलनी का प्रवतरोध करना चाहता था, लेदकन राजा ने
मुसोवलनी को सरकार बनाने के वलए ाअमांवत्रत दकया।
वनम्नवलवखत िे कु छ कारण हैं वजनसे ाईन पहलुओं पर प्रकाश पड़ता है वजतहोंने मुसोवलनी के सत्तारोहण
में योगदान ददया:
िसाणय की सांवध से वनराशा: वमत्र देशों की ओर से प्रथम विश्ियुद्ध में प्रिेश करने के बदले 1915 में
दकये गए िादे के ाऄनुसार सभी क्षेत्र ाआिली को नहीं ददए गए। ाईदाहरण के वलए, ाआिली को ददए
जाने िाले कु छ प्रदेश यूगोस्लाविया को दे ददए गए। साथ ही ाऄल्बावनया को ाआिली को सौंपने का
िादा दकया गया था, परां तु ाऄल्बावनया को एक स्ितांत्र देश बना ददया गया। ाआससे सरकार की
प्रवतष्ठा में वगरािि ाअाइ और सािणजवनक भािनाएां सरकार के विरूद्ध हो गईं।
दयनीय ाऄथणव्यिस्था: मुसोवलनी के ाईदय का एक प्रमुख कारण ाआिली की ाऄथणव्यिस्था की दयनीय
वस्थवत थी। भारी युद्ध व्यय के कारण ाअर्थथक वस्थवत वबगड़ गाइ थी। साथ ही, ाआिली ने ाऄपने युद्ध
प्रयासों का वित्तपोषण करने के वलए ाऄमेटरका से भारी ाऊण वलया था। ाऄब यह ाऊण डॉलर में
चुकाया जाना था। ाआसके साथ ही बड़े पैमाने पर बेरोिंगारी भी व्याप्त थी क्योंदक युद्धकालीन
ाईत्पादन में कमी ाअ गयी थी। प्रथम विश्व युद्ध के बोझ, युद्ध के बाद ाअए ाअर्थथक सांकि और
ाऄमेटरका से वलए गए ाऊण, वजसे ाऄब चुकाया जाना था, के कारण ाआिली की मुद्रा "लीरा" का मूल्य
वगर गया (डॉलर के बाहर जाने और ाईत्पादन में वगरािि के कारण)। ाआसके फलस्िरूप मुद्रास्फीवत
की वस्थवत ाईत्पन्न हुाइ, वजससे सामातय लोगों को समस्या हुाइ जो पहले ही बेरोजगारी से जूझ रहे
थे। 2.5 लाख पूिण सैवनकों को नौकरी खोजने में समस्या ाअ रही थी।
ाअनुपावतक प्रवतवनवधत्ि प्रणाली: - 1919 के चुनािों में सािणभौवमक "पुरुष" मतावधकार और
ाअनुपावतक प्रवतवनवधत्ि प्रणाली लागू की गाइ थी (मवहलाओं को कहीं जाकर वितीय विश्वयुद्ध के
बाद 1945 में मतावधकार प्राप्त हुाअ)। ाअनुपावतक प्रवतवनवधत्ि प्रणाली के ाऄांतगणत चुनाि में प्रत्येक
दल को वमलने िाले मतों के ाऄनुपात में सांसद में सीिें ाअिांटित की जाती थीं। ाआस प्रणाली के
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24.2. एसरबो कानू न (Acerbo Law) ने सत्ता पर मजबू त पकड़ बनाने में मु सोवलनी
की सहायता की (1923)
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मुसोवलनी के ाऄधीन, सांविधान में पटरितणनों के माध्यम से ाआिली ाऄवधनायकिादी राज्य की ददशा में बढ
चला। ाआनमें वनम्नवलवखत बातें सवम्मवलत थीं:
प्रधानमांत्री ाऄब के िल राजा के प्रवत ाईत्तरदायी था न दक सांसद के प्रवत।
नए कानूनों के वलए ाऄब सांसद की मांजरू ी की ाअिश्यकता नहीं थी।
मतदाताओं की सांख्या 1 करोड़ से घिाकर वसफण 30 लाख कर दी गाइ, क्योंदक ाऄब के िल समाज के
समृद्ध िगों को ही मतावधकार ददया गया।
सांिैधावनक सांशोधनों के माध्यम से, मुसोवलनी ने ाआल ड्यूस (Il Duce) (नेता) की ाईपावध धारण
की।
मुसोवलनी के ाऄधीन, ाआिली वनगवमत राज्य बनने की ददशा में ाअगे बढा। ाआसकी वनम्नवलवखत कु छ
विशेषताएाँ थीं:
वनगवमत राज्य की ाऄिधारणा का लक्ष्य िस्तुताः िगण-सांघषण को ख़त्म करने के ाईद्देश्य से श्रवमकों और
वनयोिाओं के बीच सहयोग बढाना था।
श्रवमकों के व्यापार सांघों और वनयोिा सांघों को "वनगमों" (corporations) में िगीकृ त दकया
गया, जहाां दोनों समूहों के सदस्यों से ाअपस में वमलकर काम करने और ाऄपने वििादों का
समाधान करने की ाअशा की जाती थी।
श्रवमकों को हड़तालों की ाऄनुमवत नहीं थी और ाआसी तरह वनयोिा कारखानों में तालाबांदी लागू
नहीं कर सकते थे। के िल, ़िासीिादी दल िारा वनयांवत्रत व्यापार सांघों को ही श्रवमकों की ओर से
बातचीत करने की ाऄनुमवत दी गाइ।
श्रवमकों की स्ितांत्रता की समावप्त के चलते ाईनके वलए क्षवतपूर्थत सांबांधी योजनाएां ाअरां भ की गईं
वजनमें ाईतहें वनाःशुल्क छु टट्टयााँ दी गईं। ाईनकी मजदूरी बढा दी गाइ और ाईतहें सामावजक सुरक्षा
प्रदान करने के वलए कु छ ाईपाय दकए गए।
विरूद्ध था, क्योंदक ाआिली के एकीकरण के दौरान, पोप के राज्यों (Papal states) (वजनकी
राजधानी रोम में थी और जो सीधे पोप के शासन के ाऄधीन थे) को बलपूिणक ाआिली के राज्य में
वमला वलया गया था। ाआसके ाईपराांत पोप ाऄपने ाअप को िेटिकन का बांदी कहता था।
लेिरन सांवध िह सांवध थी वजसके माध्यम से मुसोवलनी ने पोप के साथ समझौता दकया और
राजनीवतक क्षेत्र में ाऄपनी सिोच्चता को पुन: सुदढृ दकया:
o ाआिली ने िेटिकन वसिी को सांप्रभु राज्य के रूप में मातयता दी।
o पोप को 1870 के बाद क्षेत्र और सांपवत्त की हावन के कारण ाईसकी सभी हावनयों के वलए बड़ी
रावश का भुगतान दकया गया।
o मुसोवलनी ने कै थोवलक धमण को राज्य धमण के रूप में स्िीकार दकया।
o ाआस सांवध िारा सभी स्कू लों में धार्थमक वशक्षा ाऄवनिायण बना दी गाइ।
o बदले में, पोप ने ाआिली को मातयता दी।
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24.6. पटरितण न
स्थानीय सरकार
चुनी हुाइ नगर पटरषदों और महापौर के पद का ाईतमूलन कर ददया गया। रोम से वनयुि
ाऄवधकाटरयों िारा शहरों का शासन चलाया जाना था। स्थानीय फासीिादी दल के मुवखया {वजतहें
रास (ras) भी कहा जाता था} ाआन ाऄवधकाटरयों वजतने ही शविशाली थे।
सेंसरवशप
फासीिाद विरोधी समाचार पत्रों और पवत्रकाओं पर या तो प्रवतबांध लगा ददया गया या ाईनके
सांपादकों को फासीिाद समथणकों िारा प्रवतस्थावपत कर ददया गया। मीवडया को युद्ध का
मवहमामांडन करने और फासीिादी दल की ाईपलवब्धयों का प्रचार-प्रसार करने का वनदेश ददया
गया। व्यवि पूजा ाऄथाणत् मुसोवलनी (ाआल ड्यूस) की भवि का प्रचार करने के वलए मीवडया का
ाईपयोग दकया गया।
वशक्षा व्यिस्था
गुप्त पुवलस िारा वशक्षा पर वनकिता से दृवि रखी गाइ। "विश्वास करो, पालन करो, लड़ो" के विचार
को बढािा देने पर ध्यान कें दद्रत दकया गया क्योंदक सब कु छ सांघषण की दृवि से देखा जाता था।
फासीिाद विरोधी वशक्षकों को तांत्र से वनकाल ददया गया और बच्चों को युिा सांगठनों में सवम्मवलत
होने के वलए वििश दकया गया जो ाईनमें ाआल ड्यूस और चरम राष्ट्रिादी विचारधारा के पक्ष में
मतारोपण करते थे।
मुसोवलनी के शासन से ाआिलीिावसयों को कु छ सकारात्मक लाभ हुए थे। ाईसने ाऄथणव्यिस्था और लोगों
का जीिन सुधारने के वलए विवभन्न कदम ाईठाए। वनम्नवलवखत को मुसोवलनी के शासन के सकारात्मक
लाभों के रूप में सूचीबद्ध दकया जा सकता है:
ाईद्योग: मुसोवलनी की सरकार ने जहाां ाअिश्यक था सवब्सडी देकर ाईद्योगों को बढािा ददया।
1930 तक लोहा और ाआस्पात का ाईत्पादन 1922 के स्तर से दोगुना हो गया। कपड़ा क्षेत्र में
होनेिाला सुधार महत्िपूणण था। 1930 तक कृ वत्रम रे शम का ाईत्पादन दस गुना बढ चुका था। ाआसी
तरह, ाउजाण क्षेत्र में सुधार दृविगोचर होता था। काइ जल विद्युत पटरयोजनाएां ाअरां भ की गईं और
1937 तक जल विद्युत ाईत्पादन दोगुना हो गया।
कृ वष: मुसोवलनी के ाऄधीन ाआिली में गेहूां के ाईत्पादन में ाऄभूतपूिण िृवद्ध दजण की गयी, वजसे ाऄक्सर
िैिल ऑ़ि व्हीि (wattle of wheat) कहा जाता है। ाआसे खाद्य पदाथों के मामले में ाअत्मवनभणरता
प्राप्त करने के वलए मुसोवलनी िारा ाअरां भ दकया गया था। दकसानों को गेहूां ाईगाने के वलए काइ
प्रोत्साहन ददए गए लेदकन ाआस सफलता की कहानी का नकारात्मक पक्ष यह था दक डेयरी ाईद्योग
और ाऄतय फसलों की कीमत पर गेहूां ाईत्पादन में िृवद्ध हुाइ थी, क्योंदक दकसानों ने ाआतहें कम ाअकषणक
पाया और गेहूां ाईत्पादन हेतु और ाऄवधक भूवम का ाईपयोग दकया।
भूवम सुधार कायणक्रम ाअरां भ दकया गया। ाऄवधकतम भूवम को ाईत्पादक गवतविवधयों में शावमल
करने के वलए काइ गवतविवधयाां ाअरां भ की गईं। ाआसमें पहाड़ी क्षेत्रों में िनारोपण और दलदल सुखाने
जैसी गवतविवधयाां सवम्मवलत थीं। ाआस कायणक्रम को ाअांवशक सफलता वमली क्योंदक 1939 तक
योजना लक्ष्य का के िल 1/10 ही प्राप्त हो पाया था।
लोक वनमाणण कायणक्रम: यह बहुत ही प्रभािशाली कायणक्रम था और बेरोजगारी की चुनौती से
वनपिने और ाऄिसांरचना के वनमाणण में सफल रहा था।
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लोक मनोबल: प्रचार में राष्ट्रिाद पर बल, ाअर्थथक सुधार, बेरोजगारी में कमी और बेहतर फसल
ाईत्पादन से जनता का मनोबल बढा। मुसोवलनी का शासन कानून और व्यिस्था की वस्थरता प्रदान
करने में सक्षम रहा था।
"काम के बाद" सांगठन (After work Organization): यह सांगठन श्रवमकों के वलए
ाऄिकाशकालीन गवतविवधयाां ाईपलब्ध कराने के वलए बनाया गया था। ाईदाहरण के वलए, यह
सांगठन समुद्री यात्राओं का ाअयोजन करता था और श्रवमकों को छु टट्टयों पर जाने के वलए भत्ते ददए
जाते थे। ाआससे श्रवमकों के बीच मनोबल और सामातय सुख गुणाांक और काम की सांतुवि बढाने में
सहायता वमली।
विदेशी नीवत में सफलता: मुसोवलनी कम से कम ाअरां भ में कोफूण घिना (1923), 1924 में फ्युम
पर कब्जे और ाऄबीसीवनया पर हमले के मामले में ाऄपनी विदेश नीवत में भी सफल रहा था। ाआन
घिनाओं से ाआिली िावसयों की प्रवतष्ठा बढी क्योंदक ाआससे िे ाऄपने ाअपको मजबूत शवि के
नागटरक के रूप में देखने लगे।
ाआन सभी सफलताओं के बािजूद, मुसोवलनी के शासन के ाऄांतगणत ाऄभी भी काइ समस्याएां ाऄनसुलझी थीं।
ाआनमें से कु छ समस्याएां भौवतक भूगोल में वनवहत थीं, जबदक ाऄतय या तो प्रशासवनक ाऄक्षमता के कारण
या ाऄांतरराष्ट्रीय घिनाओं के कारण थीं।
ाअर्थथक समस्याएां: -
o ाआिली में कोयला और तेल जैसे महत्िपूणण कच्चे माल की कमी बनी रही। ाआस प्रकार ाउजाण
सुरक्षा ाआिली के वलए हमेशा एक चुनौती रही। जलविद्युत में क्षमता वनमाणण के वलए ाऄवधक
प्रयास दकया जाना चावहए था।
o वनयाणत को हावन पहुाँची क्योंदक मुसोवलनी ने ाआिली की मुद्रा को मजबूत ददखाने के प्रयास में
‘लीरा’ को ाईसके िास्तविक मूल्य से काफी ाउाँचा दशाणया। ाआस प्रकार, बाजार पर राज्य
वनयांत्रण का विदेशी मुद्रा ाऄजणन पर नकारात्मक प्रभाि पड़ा।
1929 का ाअर्थथक सांकि: ाआिली की ाऄथणव्यिस्था पर महामांदी का नकारात्मक प्रभाि पड़ा।
ाआतालिी वनयाणत वगरने लगा क्योंदक यूरोप और ाऄमेटरका के वनयाणत गांतव्य मांदी की जकड़ में थे
और व्यापाटरक बाधाएां खड़ी कर दी गाइ थीं। दफर भी, ाआल ड्यूस ने लीरा का ाऄिमूल्यन करने की
ाऄनुमवत नहीं दी वजससे वनयाणत ाऄप्रवतस्पधी हो गया। ाआसकी बजाय, मुसोवलनी ने मजदूरी और
िेतन में किौती की वजससे सधारण जनता को समस्या हुाइ। ाअर्थथक सांकि के चलते बेरोजगारी फै ल
गाइ और लोगों की क्रयशवि और कम हो गाइ। यद्यवप "मांदी" के कारण वनिाणह की लागत कम हो
रही थी, लेदकन िस्तुओं की कीमतों की तुलना में मजदूरी में तेिं वगरािि ाअाइ, पटरणामस्िरूप
लोगों िारा "िास्तविक" मुद्रास्फीवत ाऄनुभि की गाइ।
ाऄसमानता: ाआिली में ाअर्थथक समृवद्ध में क्षेत्रीय ाऄसमानता भी थी। ाईत्तर समृद्ध था और िहाां
ाऄवधकाांश ाईद्योग ाऄिवस्थत थे जबदक दवक्षण गरीब था और िहाां कृ वष ाऄथणव्यिस्था थी। यह ध्यान
रखना ाअिश्यक है दक ाअज भी दवक्षण ाआिली ाअर्थथक विकास के मामले में ाईत्तरी भाग से पीछे है।
सामावजक सेिाएां: मुसोवलनी सामावजक सेिाओं के प्रबांध में विफल रहा। ाईदाहरण के वलए, 1943
तक सरकारी स्िास्थ्य बीमा की कोाइ योजना नहीं थीं और ाआस प्रकार मुसोवलनी का ाआिली
कल्याणकारी राज्य नहीं था।
भ्रिाचार: शासन ाऄकु शल और भ्रि था और काफी पैसा ाअवधकाटरयों की जेब में चला जाता था।
प्रशासन का ाऄवत-कें द्रीकरण: एक प्रमुख समस्या यह थी दक मुसोवलनी काम प्रत्यायोवजत नहीं
करता था, वजससे िह काम के बोझ के तले दब गया। िह बहुत सारे ाअदेश देता था और ाऄवधकारी
ाईन ाअदेशों को लेते थे लेदकन कु छ करते नहीं थे क्योंदक मुसोवलनी ने कायाणतियन की वनगरानी
करने के वलए व्यापक तांत्र नहीं खड़ा दकया था।
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मुसोवलनी का कायणकाल तब समाप्त हो गया जब राजा ने ाईसे पदच्युत कर ददया। यह जानते हुए
भी दक ाआिली दूसरे युद्ध में भागीदारी का बोझ नहीं ाईठा सकता, वितीय विश्ियुद्ध में प्रिेश करना
ाईसकी सबसे बड़ी भूल थी। प्रथम विश्ियुद्ध के बाद होने िाली कटठनााआयों को देखते हुए ाऄवधकाांश
जनता युद्ध में ाआिली की भागीदारी के विरूद्ध थी। साथ ही, 1938 में यहूदी-विरोधी नीवतयााँ
ाऄपनाने और यहूददयों को सरकारी नौकटरयों से वनकालने पर मुसोवलनी ने लोकवप्रयता खो दी।
ाआससे सािणजवनक धारणा पैदा हुाइ दक मुसोवलनी ने ाआिली को जमणनी का वपछललगू राज्य बना ददया
है। युद्ध में भागीदारी से ाअम जनता के वलए ढेर सारी कटठनााआयाां पैदा हुईं। भोजन की कमी थी
और जनता को करों के बढते बोझ का सामना करना पड़ा वजतहें युद्ध का वित्तपोषण करने के वलए
ाईगाहा जा रहा था। युद्ध में ाआिली के प्रिेश करने के बाद िास्तविक मजदूरी में 30% वगरािि
ाअाइ। वितीय विश्ियुद्ध के दौरान, कु छ प्रारां वभक सफलताओं के बाद ाआिली का सैतय प्रदशणन घटिया
वनकला। जब ाआतालिी सैवनकों ने ाईत्तरी ाऄफ्रीका (1943) में वब्रटिश बलों के समक्ष ाअत्मसमपणण
कर ददया तो ाआिली को शर्ममदगी का सामना करना पड़ा। शीघ्र ही वमत्र राष्ट्रों ने वससली (1943)
पर कब्जा कर वलया लेदकन मुसोवलनी ने ाऄब भी ाअत्मसमपणण नहीं दकया। ाआसके बाद महापटरषद
मुसोवलनी के विरूद्ध हो गाइ और राजा ने ाईसे पदच्युत कर ददया(1943)।
लेदकन ाआसके बाद वहिलर ने ाईसे बचा वलया (1943) और जमणन सैवनकों की सुरक्षा में ाईसे ाईत्तरी
ाआिली में शासक के रूप में पदस्थावपत दकया। 1945 में, जब वमत्र राष्ट्र (वब्रिेन और सांयुि राज्य
ाऄमेटरका) ाईत्तर की ओर बढने लगे तो मुसोवलनी ने वस्िट्जरलैंड भागने का प्रयास दकया, लेदकन
ाऄपने शत्रुओं (वजतहें पार्टिजतस भी कहा जाता है) िारा पकड़ वलया गया और गोली मारकर मृत्यु
के घाि ाईतार ददया गया।
ाऄपने सिोत्तम प्रयासों के बािजूद, मुसोवलनी ाआस फासीिादी ाऄथण में दक "कोाइ भी व्यवि या समूह
नहीं होना चावहए जो राज्य िारा वनयांवत्रत न हो" या जैसा नावजयों ने जमणनी में दकया था, पूरी
तरह से ाऄवधनायकिादी प्रणाली का वनमाणण करने में विफल रहा था। मुसोवलनी ने कभी भी राजा
विक्िर ाआमैतयूएल या पोप का प्रभाि पूरी तरह से समाप्त नहीं दकया। 1930 के दशक के ाईत्तराद्धण
में जब ाईसने यहूददयों पर हमला करना ाअरां भ दकया तो पोप मुसोवलनी का ाऄत्यवधक ाअलोचक हो
गया। साधारण जनता ने के िल तब तक फासीिाद को सहन दकया जब तक दक ाईतहें ाआससे लाभ
वमला। वनगम राज्य व्यापाटरयों पर राज्य का पूणण वनयांत्रण नहीं लागू कर पाया क्योंदक िे के िल
ाऄधीनता का ददखािा करते थे और फासीिादी दल के फां ड में बड़ा ाऄांशदान करके ाऄपनी स्ितांत्रता
खरीद लेते थे।
यह निांबर 1918 से लेकर ाऄगस्त 1919 तक चलने िाले िकराि की ाऄिवध थी वजसके
पटरणामस्िरुप जमणनी में राजशाही का ाऄांत हुाअ और गणतांत्र की स्थापना हुाइ।
प्रथम विश्ियुद्ध के ाऄांत में जब जमणनी हार की ओर बढने लगा तब जनमत िहााँ के सम्राि कै सर के
विरूद्ध हो गया। निांबर 1918 में एक क्राांवत हुाइ वजसके पटरणामस्िरूप कै सर विल्हेम वितीय को
गद्दी छोड़नी पड़ी और हॉलैंड वनिाणवसत होना पड़ा। जनिरी 1919 में हुए लोकताांवत्रक चुनािों के
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बाद िामपांथी सोशल डेमोक्रेि पािी सत्ता में ाअाइ। (सोशल डेमोक्रेि् : वजनके कु छ विचार
माक्सणिादी थे, लेदकन ाईनका मानना था दक ज़हसात्मक क्राांवत के बजाय शाांवतपूणण साधनों और
सांसदीय लोकतांत्र के माध्यम से समाजिाद प्राप्त दकया जा सकता है)। ाईसी समय जमणनी में
स्पािाणिादी विद्रोह (4 जनिरी 1919 से 19 जनिरी 1919) हुाअ। यह ाऄवतिादी कम्युवनस्िों की
ज़हसक क्राांवत (ाअम हड़ताल और गली युद्ध) थी जो रूसी क्राांवत (1917) से प्रेटरत थी और ाईतहोंने
बर्थलन सवहत काइ शहरों पर कब्जा कर वलया। स्पािाणिादी विद्रोह से सरकार की विश्वसनीयता का
क्षरण हुाअ क्योंदक ाआसे कु चलने के वलए सरकार को फ्री-कॉप्सण (कम्युवनस्ि विरोधी भूतपूिण सैतय
ाऄवधकाटरयों िारा खड़ी की गाइ वनजी सेना) की सहायता लेनी पड़ी। ाऄगस्त 1919 में िााआमर में
एक नया सांविधान ाऄपनाया गया ( 1919 में बर्थलन में ाईथल-पुथल थी, ाआसवलए सांविधान सभा
की बैठक िााआमर में हुाइ ाआसवलए ाआसका नाम "िााआमर गणतांत्र" पड़ा)। ाआस प्रकार िााआमर गणतांत्र
ाऄवस्तत्ि में ाअया और 1919 से लेकर 1933 तक बना रहा।
जमणन समाज के कु छ िगण िााआमर गणतांत्र से घृणा करते थे और ाईतहोंने ाआसे ाईखाड़ फें कने के काइ प्रयास
दकए। िााआमर गणतांत्र की सरकार िसाणय की सांवध पर सहमत हो गाइ थी और ाआससे चरम दवक्षणपांथी
िगण ाऄप्रसतन थे। ाऄवतिादी िामपांथी जमणनी को एक कम्युवनस्ि देश के रूप में देखना चाहते थे। िााआमर
गणतांत्र के विरूद्ध हुए कु छ विफल प्रयास वनम्नवलवखत हैं-
कम्युवनस्िों िारा स्पािाणिादी विद्रोह (1919)
दवक्षणपांथी िगों िारा कप्प पुत्स्च (Kapp Putsch-1920): पुत्स्च का ाऄथण ाऄिैध रूप से या
बलपूिक
ण सरकार को ाऄचानक ाईखाड़ फें कना है। ऐसा ाआसवलए हुाअ क्योंदक सरकार ने फ्री-कॉप्सण
को भांग करने प्रयास दकया। परततु फ्री-कॉप्सण ने विघटित होने से मना कर ददया और डॉ कप्प को
चाांसलर घोवषत कर ददया। जमणन सेना दवक्षणपांथी राष्ट्रिाददयों के प्रवत सहानुभूवत रखती थी
ाआसवलए ाईसने कोाइ कारण िााइ नहीं की। ाऄांतताः सरकार को कम्युवनस्िों की सहायता वमली वजतहोंने
ाअम हड़ताल से बर्थलन को पांगु बना ददया। कप्प को त्यागपत्र देना पड़ा और फ्री-कॉप्सण को भांग कर
ददया गया और िााआमर गणतांत्र बच गया।
वहिलर का म्यूवनख बीयर हॉल पुत्स्च (1923):
o ल्यूडन
े डॉफण : ल्यूडन
े डॉफण प्रथम विश्ियुद्ध के दौरान जमणनी का बहुत ही महत्िपूणण जनरल था
और बेवल्जयम में लीज की लड़ााइ में जमणन विजय के वलए ाईत्तरदायी था। िह ाऄसीवमत
पनडु ब्बी युद्ध का समथणक था। ाईसने 1917 में रूस के साथ कठोर शतों पर हुाइ ब्रेस्ि
वलिोिस्क की सांवध में भी महत्िपूणण भूवमका वनभााइ थी। ल्यूडन े डॉफण को प्रथम विश्ियुद्ध के
बाद त्यागपत्र देने के वलए वििश होना पड़ा। ाईसकी राय थी दक सरकार में सवम्मवलत
िामपांथी तत्िों िारा सेना की पीठ में छू रा घोंपने के कारण जमणनी युद्ध हारा था। िह सोशल
डेमोक्रेि सरकार का बड़ा ाअलोचक था।
o बीयर हॉल पुत्स्च िस्तुताः ल्यूडन े डॉफण की सहायता से म्यूवनख में बािेटरयन राज्य सरकार का
तख्तापलि करने का वहिलर का एक प्रयास था। ाईसके पश्चात एक राष्ट्रीय क्राांवत के िारा
बर्थलन की राष्ट्रीय सरकार को ाईखाड़ फें कने की योजना भी बीयर हॉल पुत्स्च में शावमल थी।
रुर क्षेत्र पर फ्राांसीसी कब्जे और पटरणामस्िरूप जमणन मुद्रा के ाऄिमूल्यन की पृष्ठभूवम में यह
पुत्स्च ाअरां भ दकया गया था। यह पुत्स्च विफल हो गया और वहिलर पर राजद्रोह का मुकदमा
चलाया गया। वहिलर ने ाऄपने विचारों का प्रचार करने के वलए ाआस मुकदमे िारा प्रदान दकए
गए मांच का ाईपयोग दकया। पुत्स्च की विफलता से वहिलर को पहली बार राष्ट्रीय प्रचार
वमला। ाईसे 5 िषण के कारािास का दण्ड वमला, लेदकन के िल 9 महीने ही िह जेल में रहा
क्योंदक बािेटरया के ाऄवधकारी ाईसके लक्ष्यों के प्रवत सहानुभूवत रखते थे। पुत्स्च का स्थायी
पटरणाम नाजी प्रचार में ाऄत्यवधक िृवद्ध थी।
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ाऄवस्थरता (1919-23): ाआस चरण के दौरान िााआमर गणतांत्र को ाईखाड़ फें कने के विवभन्न प्रयासों
के कारण िााआमर गणतांत्र ाऄपने ाऄवस्तत्ि के वलए सांघषण कर रहा था। ाआन प्रयासों में स्पािाणिादी
विद्रोह, कप्प पुत्स्च और बीयर हॉल पुत्स्च शावमल थे। िसाणय की सांवध की कठोर शतों ने जमणनी
की ाऄथणव्यिस्था को ाऄत्यांत दुबणल बना ददया, सरकार की छवि को धूवमल कर ददया और लोगों के
ाअत्मसम्मान को चोि पहुाँचााइ।
वस्थरता और ाअर्थथक विकास (1923- 29): ाऄपने विदेश मांत्री गुस्ताि स्ट्रेसमान के सक्षम नेतृत्ि में
जमणनी ने वब्रिेन, फ्राांस और सांयक्
ु त राज्य ाऄमेटरका के साथ तनाि कम दकया। जमणनी को डेविस
प्लान (1924) के ाऄांतगणत ाऄमेटरकी ाऊण वमला और ाईसका ाअर्थथक पुनरुद्धार ाअरां भ हुाअ।
ाऄवस्थरता (1929-33): 1929 की महामांदी के कारण ाऄमेटरकी ाऄथणव्यिस्था चरमरा गाइ,
पटरणामस्िरूप जमणनी के वलए ाऄमेटरकी ाऊण की ाईपलब्धता समाप्त हो गाइ। ाआससे जमणन
ाऄथणव्यिस्था को हावन पहुांची। ाईसके वनयाणत में वगरािि ाअाइ और मुद्रा का मूल्य वगर गया। ाआसके
ाऄवतटरक्त बेरोजगारी में भी िृवद्ध हुाइ। ाआसके साथ ही नाजी पािी जमणनी की सभी समस्याओं के
वलए सरकार को दोषी ठहराते हुए सरकार विरोधी प्रचार कर रही थी।
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लगीं और कामगारों ने ज़हसक हड़तालों का ाअयोजन दकया। ाऄतय घिनाओं में स्पािाणिादी विद्रोह,
कप्प पुत्स्च और म्यूवनख बीयर हॉल पुत्स्च सवम्मवलत थे। ाआसके ाऄवतटरक्त राजनीवतक हत्याओं का
वसलवसला शुरू हो गया विशेषकर पूिण फ्री-कॉप्सण के लोगों िारा कम्युवनस्ि नेताओं की हत्या।
दवक्षणपांथी दलों के विरोध के कारण सरकार ाऄपरावधयों पर लगाम नहीं लगा पा रही थी।
तयायालय भी पूिण फ्री-कॉपण के लोगों को ाअसान दण्ड देकर छोड़ देते थे क्योंदक तयायपावलका भी
दवक्षणपांथी राष्ट्रिाददयों के प्रवत सहानुभूवत रखती थी। 1923-29 के दौरान जब समृवद्ध का काल
था तब ज़हसा कम थी। लेदकन 1929 के ाअर्थथक सांकि के बाद ज़हसा बढ गाइ्; विशेषकर नावजयों
और कम्युवनस्िों के मध्य।
िााआमर गणराज्य की ाअर्थथक समस्याएां:
o युद्ध में हुए ाऄत्यवधक व्यय के कारण 1919 में जमणनी के ददिावलया होने की वस्थवत थी। ाआस
प्रकार िााआमर गणतांत्र को विरासत में बहुत ही खराब ाऄथणव्यिस्था वमली थी।
o प्रथम विश्ियुद्ध की क्षवतपूर्थत: िसाणय की सांवध िारा ाअरोवपत युद्ध क्षवतपूर्थत की ाईच्च लागत से
जमणन मुद्रा माकण का मूल्य वगर गया।
o युद्ध क्षवतपूर्थत: 1921 तक जमणनी को िार्थषक दकश्तों के ाऄस्थायी वनलांबन का ाऄनुरोध करना
पड़ा। 1922 में जमणनी िार्थषक भुगतान करने में विफल रहा। 1923 में फ्राांस ने महत्िपूणण
औद्योवगक क्षेत्र रूर पर कब्जा कर वलया। यहााँ पर जमणन लोगों ने फ्राांस के वलए कु छ भी
ाईत्पादन करने से मना कर ददया और वनवरक्रय प्रवतरोध के साथ ाआसका ाईत्तर ददया। ाआससे
जमणनी में मुद्रास्फीवत बहुत बढ गाइ और माकण का मूल्य वगर गया।
o 1923-29: डेविस प्लान (1924) और यांग प्लान (1929) के कारण 1923-29 तक का
समय समृवद्ध का िषण था। डेविस प्लान के माध्यम से जमणनी को ाऄमेटरकी ाऊण वमलने लगा।
ाऄपनी क्षमतानुसार ाआस ाऊण का िार्थषक भुगतान करने की ाईसे छू ि प्राप्त थी। साथ ही फ्राांस ने
रुर क्षेत्र खाली करने पर सहमवत व्यक्त की। फलस्िरूप जमणनी में ाअर्थथक पुनरुद्धार ाअरां भ
हुाअ। यांग प्लान (1929) के ाऄनुसार जमणनी िारा भुगतान की जाने िाली कु ल युद्ध क्षवतपूर्थत
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करता था। ाईसने लगातार िसाणय सांवध की शतें मानने िाले राजनेताओं को 'निांबर ाऄपराधी' के
रूप में सांदर्थभत दकया। वहिलर ाऄपने प्रचार में कहता था दक निांबर ाऄपरावधयों िारा जमणनी की
"पीठ में छू रा भोंका" गया था क्योंदक ाईतहोंने सांवध पर हस्ताक्षर दकया था। (निांबर 1918 में
सोशल डेमोक्रेिों ने जमणन क्राांवत के पटरणामस्िरुप सत्ता पर कब्जा कर वलया था और वमत्र देशों के
साथ युद्धविराम पर हस्ताक्षर दकया था)।
वचत्र: वहिलर
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का मानना था दक नावजयों का ाऄनुशासन ाईच्च ाअर्थथक विकास प्राप्त करने में ाईनके देश की
सहायता करे गा।
साम्यिाद का डर: जमणनी में फै ल रहे साम्यिाद के डर से न के िल वनम्न मध्यम िगण के बीच बवल्क
ाईन श्रवमकों के बीच भी नावजयों के वलए बड़े पैमाने पर समथणन बढा जो सोशल डेमोक्रेिों की
बजाय नावजयों का समथणन करने लगे थे। साम्यिाद के डर से समृद्ध िंमींदारों और ाईद्योगपवतयों
का समथणन भी वहिलर को वमला। ाआतहीं ाईद्योगपवतयों और जमींदारों ने वहिलर का वित्तपोषण
दकया; विशेषकर ाईसके सत्तारोहण के बाद।
नाजी प्रचार: नाजी कु शल प्रचारक थे और जनता की मनोभािना गढने और प्रभावित करने का
यही ाईनका तरीका था। ाईनके प्रचार के वनम्नवलवखत तत्ि थे:
o नाजी जमणनी की सभी सामावजक, ाअर्थथक और राजनीवतक समस्याओं और साथ ही िसाणय की
ाऄपमानजनक सांवध पर हस्ताक्षर करने के वलए भी सरकार को दोषी ठहराते थे। ाईतहोंने "पीठ
में छू रा भोंकने" की भािना को लोकवप्रय बनाया वजसके ाऄनुसार जमणनी को प्रथम विश्ियुद्ध में
ाअत्मसमपणण करने की ाअिश्यकता नहीं थी और िह युद्ध जीत सकता था।
o नावजयों ने 'निम्बर ाऄपरावधयों' (िसाणय की सांवध पर हस्ताक्षर करने िाले सोशल डेमोक्रेि,
माक्सणिाददयों, यहूदी और जेसुाआि) से जमणनी को मुवि ददलाकर राष्ट्रीय एकता, समृवद्ध और
पूणण रोजगार का िादा दकया। नावजयों ने युद्ध क्षवतपूर्थत का भुगतान न करके और िसाणय की
सांवध को न मानते हुए वस्थवत को पलिने का िादा दकया। ाआसके साथ ही पोलैंड,
चेकोस्लोिादकया और ऑवस्ट्रया में रहने िाले सभी जमणनों को एक साथ रााआख में लाने का भी
िादा दकया।
वहिलर के पास ाऄसाधारण राजनीवतक योलयता और िाक-पिु ता के माध्यम से सािणजवनक
भािनाओं को प्रभावित करने की क्षमता थी। िह ाऄनतत ाउजाण िाला व्यवि प्रतीत होता था और
ाईसे बहुत मजबूत ाआच्छा शवि िाला व्यवि कहा जाता था।
नाजी वनजी सेना ाऄथाणत Sturmabteilung ाऄथिा S.A. (स्िॉमण ट्रूपसण) ने बेरोजगार युिाओं को
कम िेतन और एक ाऄवधक ाअकषणक िदी का प्रलोभन ददया। ाआस प्रकार बहुत से बेरोजगार युिा
S.A. की ओर ाअकर्थषत हुए।
िााआमर गणतांत्र और नावजयों की सरकार के बीच भारी ाऄांतर था। जहाां िााआमर सरकारें
ाऄवनणाणयक थीं और एकता से रवहत एिां गुिबाजी से ग्रस्त थीं, िहीं नावजयों ने कानून और
व्यिस्था, वनणाणयक सरकार और राष्ट्रीय गौरि का पुनस्थाणपन सुवनवश्चत दकया।
नाजी दकसी भी राजनीवतक विकल्प या कम्युवनस्िों या कै थोवलक सेंिर पािी का विरोध भी
कु चलने में सफल रहे।
1932 में दवक्षणपांथी (राष्ट्रिादी) सत्ता में ाअए। ाईतहोंने वहिलर की नाजी पािी को एक गठबांधन सरकार
बनाने के वलए ाअमांवत्रत दकया, वजसमें पहली बार ाईसे ाईप-चाांसलर के पद का प्रस्ताि ददया गया परततु
बाद में ाईसके ाअग्रह पर ाईसे चाांसलर का पद देने पर सहमवत बनी। दवक्षणपांथी राजनेता वहिलर को
ाऄपने साथ ाआसवलए जोड़ना चाहते थे क्योंदक:
ाईतहें नाजी नेतृत्ि िाले पुत्स्च िारा ज़हसात्मक रूप से ाईखाड़ फें के जाने से डर लगता था।
नावजयों को सवम्मवलत दकए जाने से ाईतहें सुविधाजनक बहुमत प्राप्त हो सकता था, जो न के िल
वस्थरता प्रदान करे गा ाऄवपतु रााइखस्िैग की कम शवियों िाली पूिण-िााआमर वस्थवत में िापस लाने
का मागण प्रशस्त कर सकता था।
ाआससे ाईतहें कम्युवनस्िों की लोकवप्रयता को रोकने में सहायता प्राप्त होगी।
काइ लोगों का यह मानना था दक वहिलर को वनयांवत्रत करने का सिणश्रेष्ठ ाईपाय ाईसे ाऄपने साथ
वमला लेना है।
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1933 में चाांसलरवशप प्राप्त होने के पश्चात, वहिलर ने नावजयों के वलए एकल पािी बहुमत से जीतने
की ाअशा में ाअम चुनािों की माांग की।
ाईसने नावजयों को लाभ पहुाँचाने के वलए राज्य की मशीनरी का ाईपयोग दकया। जब ज़हसक SA
और SS ने कम्युवनस्िों की हत्या की तो ाईसने पुवलस को ाईनके विरुद्ध कायणिाही न करने के वलए
कहा। ाईसने पुवलस के शीषण पदों पर भी नावजयों को वनयुि दकया।
रााइखस्िैग का ाऄवग्नकाांड (1933): रााइखस्िैग में कु छ ाईग्र कम्युवनस्िों ने ाअग लगा दी थी परततु यह
कम्युवनस्ि पािी िारा सुवनयोवजत कायण नहीं था। दफर भी वहिलर ने ाआस ाअगजनी का दोष
कम्युवनस्ि पािी को ददया और ाआस घिना का ाईपयोग कम्युवनज्म के प्रवत भय ाईत्पन्न करने और
चुनािों में बड़े स्तर पर समथणन प्राप्त करने के वलए दकया।
1933 के चुनािों में वहिलर कु ल 44 प्रवतशत िोिों से विजयी हुाअ।
एनेबज़लग ला (कानून िारा सक्षम दकया जाना) 1933: ाआस कानून से वहिलर को वनरां कुश शवियााँ
प्राप्त हो गईं और िााइमर सांविधान का ाऄांत हो गया। ाआस कानून के ाऄांतगणत:
o सरकारी कानूनों को चार िषों तक रााइखस्िैग की ाऄनुमवत की ाअिश्यकता नहीं थी। ाआसका
ाअशय यह था दक वहिलर ाऄब तानाशाह बन गया था और िााइमर गणराज्य का ाऄांत हो गया
था चाांसलर या सरकार का कानून सांविधान के विरुद्ध होकर भी िैध हो सकता था क्योंदक ाआन
कानूनों को प्रभािी होने के वलए सांसद की ाऄनुमवत की ाअिश्यकता नहीं थी।
o ाआस कानून को पाटरत करने के वलए 2/3 बहुमत की ाअिश्यकता थी वजसे ाईसने बलपूिक
ण प्राप्त
कर वलया था। मतदान के दौरान SA सैवनकों को रााइखस्िैग पर तैनात कर ददया गया और
ाईसके बाहर SS सैवनकों ने “विधेयक या गोली (हत्या)” का नारा लगाया, वजससे िहाां
ाऄत्यवधक भय िाला िातािरण ाईत्पन्न हो गया।
एनेबज़लग विधेयक पाटरत होने के पश्चात वहिलर ने “ललीकस्कालिांग की नीवत” (बलात समतिय)
की नीवत का ाऄनुसरण दकया वजसने जमणनी को एक सिाणवधकारिादी / फासीिादी राज्य बना
ददया। ाईसने विपक्ष को कु चलने के वलए कु ख्यात गेस्िापो (गुप्त पुवलस) का भी ाईपयोग दकया।
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o वहिलर यूथ (लड़कों के वलए) और लीग ऑ़ि जमणन मेडते स (लडदकयों के वलए): सभी बच्चों को
14 िषण की ाअयु प्राप्त करते ही ाआन सांगठनों में सवम्मवलत होना ाऄवनिायण था।
o “फ़्युहरर सदैि सही हैं”, “फ़्युहरर की ाअज्ञा का पालन करना चावहए” ाअदद जैसे नारों को
लोकवप्रय बनाया गया।
मीवडया पर प्रचार मांत्रालय का वनयतत्रण था।
देश के ाअर्थथक जीिन को घवनि रूप से दो प्रमुख ाईद्देश्यों के वलए सांगटठत दकया गया था –
बेरोजगारी को घिाना और चालू खाते घािे (CAD) को कम करने के वलए वनयाणत में िृवद्ध और
जमणनी को ाअत्मवनभणर बनाने के वलए तयूनतम ाअयात। ाआसकी विशेषताओं में सवम्मवलत थे:
o ाईद्योगों को यह बताना दक क्या ाईत्पादन करना है।
o भोजन की कीमतों पर वनयतत्रण।
o मुद्रास्फीवत से बचने के वलए विदेशी मुद्रा के मूल्यों पर वनयतत्रण; ाईदाहरणाथण मुद्रा को वस्थर
दकया गया।
o स्िच्छता, सडक वनमाणण और स्लम बवस्तयों को हिाने जैसी सािणजवनक कायों की बड़ी
योजनाएाँ।
o तेल ाअयात को कम करने के वलए जैि ईंधन के ाईत्पादन के प्रयास दकये गए।
o व्यापाटरक सहभावगयों से ाअयात के बदले में ाईतहें जमणन सामान खरीदने के वलए वििश
करना। ऐसा करने के वलए नकद भुगतान मना दकया गया और जमणनी में विदेवशयों के बैंक
खातों को जब्त दकया गया।
धमण को राज्य के वनयतत्रण में लाया गया और वहिलर ने नन, पुजाटरयों को बांदी बना कर और ाईतहें
बांदी वशविरों में भेज कर ाईन पर कड़ी कायणिाही की।
ाआच्छामृत्यु ाऄवभयान: यहााँ नावजयों ने मानवसक रोवगयों की हत्या की। यह नाजी पािी की “जातीय
स्िच्छता” की नीवत पर ाअधाटरत था, वजसमें यह विश्वास दकया जाता था दक जमणन लोगों को
‘जातीय रूप से ाऄस्िस्थ’ और विकलाांगता से मुि दकया जाना है। यह सामावजक डार्थिनिाद में
नावजयों के विश्वास का ाईदाहरण था, यह एक ऐसा वसद्धाांत है वजसमें ‘प्राकृ वतक चयन’ और
‘योलयतम की ाईत्तरजीविता’ की जैविक ाऄिधारणाओं को राजनीवत और समाजशास्त्र में लागू दकया
जाना है।
वहिलर के ाऄधीन जमणनी एक पुवलस राज्य बन गया था।
1933 में यातना गृह प्रारम्भ दकये गये।
यहूदी विरोधी नीवत:
o नाजी प्रचार में यहूददयों को जमणनी की हर समस्या के वलए दोषी ठहराया गया।
o नौकटरयों से यहूददयों को हिा ददया गया।
o ाआन प्रचार ाऄवभयानों को तयूरेम्बगण कानूनों (1935) िारा कानूनी वस्थवत प्रदान की गाइ,
वजसमें:
यहूददयों को जमणन नागटरकता से िांवचत कर ददया गया।
ाअयण जावत की शुद्धता के सरां क्षण के वलए यहूददयों को गैर-यहूददयों से वििाह करने से
मना कर ददया गया।
वजस व्यवि का एक भी दादा-दादी/नाना-नानी यहूदी थे, ाईसे यहूदी की ही श्रेणी में रखा
गया।
o “ाऄांवतम समाधान” यहूददयों का सिणनाश था, वजसका ाईद्देश्य सभी यहूददयों को भूखा रख कर
मारना या ाईनसे बांदी वशविरों में ाईनकी मृत्यु तक श्रम कराना और ाईतहें विषैली गैस चैम्बरों
में डाल कर मार देना था।
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प्रत्येक िषण भव्य जुलूसों, परे ड और रै वलयों के िारा राज्य की शवि का ददखाििी प्रदशणन।
1939 में वहिलर बेरोजगारी को समाप्त करने में सफल हुाअ ाआस सफलता के वनम्नवलवखत कारण
थे:
o लोक वनमाणण योजनाएाँ
o विशाल पािी नौकरशाही ने ाऄवतटरि रोजगार के ाऄिसर वनर्थमत दकए।
o यहूदी और नाजी विरोवधयों को नौकटरयों से हिा ददया गया था। ाआससे नए स्थान टरि हुए।
o ाऄवनिायण सैतय सेिा (कोंवस्क्रप्शन) 1935 में प्रारम्भ की गाइ थी, वजससे ाऄवतटरि नौकटरयााँ
सृवजत हुईं।
o 1934 में पुन:शस्त्रीकरण प्रारम्भ दकया गया वजससे ाईद्योगों में रोजगार को बढािा वमला।
वहिलर को सभी िगों से समथणन प्राप्त हुाअ ाऄथाणत:
o दकसान – ाईत्पादन के ाईवचत मूल्य वनधाणटरत दकये गए। ाआसके ाऄवतटरि खाद्य में
ाअत्मवनभणरता लाने के वलए दकसानों को प्रोत्साहन ददया गया।
o कामगार – “Strength Through Joy (स्ट्रेंथ थ्रू जॉय)” नामक सांगठन ने टरयायती छु टट्टयााँ,
वनाःशुल्क वसनेमा टिकि ाअदद वितटरत दकए गए।
o व्यिसावययों ने वहिलर का समथणन ाआसवलए दकया क्योंदक ाईसने ाईतहें कम्युवनस्िों से और
प्रवतबांवधत ट्रेड यूवनयनों से सुरक्षा प्रदान की।
o सेना वहिलर से ाआसवलए प्रसन्न थी क्योंदक ाईसने पुन:सशस्त्रीकरण और ाऄवनिायण सैतय सेिा
प्रारम्भ की थी। वहिलर ने SS का ाईपयोग करके “नााइि ऑ़ि लॉतग नााइव्स” में रोह्म
(Rohm) की हत्या कर दी। रोह्म SA का मुवखया था, िह SA और सेना का विलय कर के
एक जनरल बनना चाहता था। ाआसका सेना के जनरलों िारा विरोध दकया जाता था। सेना के
जनरल कु लीन िगण से थे और िे SA को ाऄपरावधयों का एक समूह मानते थे। ाआसके ाऄवतटरि
िे रोह्म को ाऄपने समकक्ष नहीं देखना चाहते थे, क्योंदक िह कवथत रूप से समलैंवगक था।
पहले चचाण की जा चुकी है दक वहिलर की विदेश नीवत सफल थी। ाईदाहरण के वलए पुन:
सशस्त्रीकरण और ाऄवनिायण सैतय सेिा, ाऄांग्रेज-जमणन नौसेना समझौते (1935) के िारा स्ट्रेसा मोचे
को भांग करना, ाअवस्ट्रया के साथ ाऄतसच्ल्स (1938), म्यूवनख सम्मेलन (1938) चेकोस्लोिादकया
पर ाऄवधकार (1939), USSR के साथ ाऄनाक्रमण सांवध ाअदद।
सकारात्मक : ाईसने ाऄथणव्यिस्था के क्षेत्र में बेरोजगारी, कानून और व्यिस्था में सफलता प्राप्त की।
यदद वहिलर वितीय विश्व युद्ध को रोकने में सफल हो जाता तो िह पूणत ण ाः सफल होता।
नकारात्मक:
o ाअर्थथक सफलता के िल वनम्नवलवखत ाईपायों के माध्यम से प्राप्त की गाइ थी:
ज़हसक ाईपाय।
रोजगार के ाऄिसर यहूददयों को हिा कर बनाए गये थे।
लोक वनमाणण योजनाओं के िारा रोजगार सृजन, श्रवमकों की िेतन िृवद्ध और ाईतहें
टरयायती ाऄिकाश और ाऄतय सुविधाएाँ प्रदान करने, सशस्त्रीकरण प्रारम्भ करने (1934),
ाऄवनिायण सैतय सेिा (1935) और दकसानों को ाईनकी ाईपज का ाईच्च मूल्य प्रदान करने –
जैसे ाईपायों ने व्यय में िृवद्ध की वजससे राजकोषीय घािे में िृवद्ध हुाइ। ाआस प्रकार युद्ध
ाऄवनिायण हो गया क्योंदक ाईपयुि ण ाईपायों के व्यय को पूरा करने के वलए युद्ध ही एकमात्र
समाधान था। युद्ध में विजय से वहिलर को परावजत क्षेत्रों से कच्चे माल की ाअपूर्थत हो
सकती थी और तेजी से बढती हुाइ जमणन जनसांख्या के वलए कृ वष योलय भूवम एिां लेबेतरम
(रहने का स्थान) प्राप्त हो सकता था।
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1933 में दवक्षणपांथी सत्ता में ाअए और ाईतहोंने वपछली गठबतधन सरकार िारा ाईठाये गये सभी
कदमों को पलि ददया। ाआससे िामपांथी गुि क्रोवधत हो गया और ाईतहोंने स्ियां को लोकवप्रय मोचे के
रूप में सांगटठत कर वलया और क्रावततकारी गवतविवधयााँ बढा दी गईं। दवक्षण पांथी सरकार और
जनरल फ्रैंको के ाऄधीन सेना ने लोकवप्रय मोचे का क्रूरता से दमन दकया। ाईदाहरण के वलए, फ्रैंको ने
हड़ताली खवनकों पर गोली चलाने का ाअदेश दे ददया। ाआसी बीच दवक्षणपांथी फासीिाददयों ने स्ियां
को एक नाइ फलाांगे पािी के रूप में सांगटठत कर वलया।
गम्भीर दमन के कारण लोकवप्रय मोचाण 1936 में सत्ता में ाअया। दवक्षणपांथी नेताओं में से एक की
हत्या हो गयी और ाआससे गृहयुद्ध ाअरम्भ हो गया, वजसे सेना और फलाांगे पािी (Falange party)
िारा सरकार को पलिने और सैतय तानाशाही स्थावपत करने के ाईद्देश्य से प्रारम्भ दकया गया था।
गृह युद्ध दवक्षणपांथी और िामपांथी शवियों के बीच लड़ा गया था। दवक्षणपांथी स्ियां को राष्ट्रिादी
कहते थे और िामशवियााँ स्ियां को टरपवब्लकन कहती थीं।
समस्या तब बढ गाइ जब जनरल फ्रैंको के ाऄधीन राष्ट्रिाददयों ने स्पेवनश मोरक्को में विद्रोह ाअरम्भ
कर ददया।
गृह युद्ध के दौरान ाआिली और जमणनी ने राष्ट्रिाददयों का िैंकों, सेनाओं, हिााइ हमलों, भोजन
ाअपूर्थत और कच्चे माल से सहायता की। जमणनी ने 1937 में गुएर्थनका शहर पर बमबारी की और
ाआस कारण िााइ में 1600 वनदोष नागटरकों की जान चली गयी।
रूस ने टरपवब्लकन का समथणन दकया, िहीं वब्रिेन और फ़्ाांस ने हस्तक्षेप करने से मना कर ददया।
ाऄमेटरका और यूरोप से फासीिादी स्ियांसेिक टरपवब्लकन के समथणन के वलए स्पेन ाअए।
जिाहरलाल नेहरू ाऄपनी पुत्री ाआां ददरा गाांधी के साथ 1938 में बर्थसलोना ाअए थे। बाद में ाईतहोंने
ाऄपनी ाअत्मकथा में वलखा, यह 1938 का यूरोप था, श्री नेविले चैम्बरवलन तुिीकरण में लगे हुए
थे और विश्वासघात के मारे कु चले राष्ट्रों के शिों पर, म्यूवनख में ाअयोवजत ाऄांवतम दृश्य की ओर बढ
रहे थे। िहाां मैंने एक सांघषणरत यूरोप में सीधी ाईड़ान से सीधा बार्थसलोना में प्रिेश दकया। िहाां मैं
पाांच ददन रुका और रात में हिा से सीधे वगरते हुए बमों को देखता था। िहाां मैंने और कु छ भी
देखा, वजसने मुझे बहुत ाऄवधक प्रभावित दकया; और िहाां, ाआच्छा और विनाश के बीच कभी भी ाअ
जाने िाली ाअपदा, मुझे यूरोप में कहीं और से ाऄवधक ाऄपने साथ शाांवत ाऄनुभि कराती थी। िहाां
प्रकाश था, साहस और दृढ सांकल्प और कु छ साथणक करने का प्रकाश।”
गृहयुद्ध में राष्ट्रिाददयों की वनम्नवलवखत कारणों से विजय हुाइ:
o फ्रैंको का समथण नेतृत्ि
o िामपांवथयों में एकता का ाऄभाि (ाईदाहरण – ाऄराजकतािादी और समाजिादी बर्थसलोना में
एक दूसरे के विरुद्ध लड़े)
o ाआिली और जमणनी ने फ्रैंको को ाआस ाअशा से समथणन ददया दक यूरोप में एक और फासीिादी
सरकार बनेगी।
गृहयुद्ध का ाऄांत स्पेन में एक फासीिादी सरकार की स्थापना के साथ हुाअ, वजसका ाऄवस्तत्ि 1975 में
फ्रैंको की मृत्यु तक रहा। ाआस सम्बतध में कु छ महत्त्िपूणण ज़बदु ाआस प्रकार हैं:
फ्रैंको ाआतना ाऄवधक चतुर था दक ाईसने स्पेन को वितीय विश्व युद्ध से बाहर रखा। ाआससे वहिलर
बहुत वनराश हुाअ।
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फ्रैंको का शासन वहिलर और मुसोवलनी के शासन जैसा ही था, वजसमें दमन, सैवनक ाऄदालतें और
सामूवहक फाांसी जैसे लक्षण थे। ाईसने मुसोवलनी और वहिलर की भाांवत “कॉडीलो” (नेता) जैस-े ाआल
ड्यूस और फ्यूहरर की ाईपावध धारण की।
1960 के दशक में, कॉवडलो ने शासन की दमनकारी नीवत को कम करने के वलए कु छ कदम ाईठाये।
ाईदाहरण के वलए – सैवनक ाऄदालतें समाप्त की गईं, कामगारों को हड़ताल का सीवमत ाऄवधकार
ददया गया और सांसद के वलए चुनाि प्रारम्भ दकये गए।
फ्रैंको का स्पेन पूरी तरह से फासीिादी नहीं था। ाईदाहरण के वलए:
o फ्रैंको ने चचण का समथणन दकया और ाईसकी शवियााँ ाईसे लौिा दीं (ाईदाहरणस्िरुप वशक्षा को
दफर से चचण के वनयतत्रण में लाना)। ऐसा दकसी भी फासीिादी सरकार में सम्भि नहीं था,
वजसमें सभी वनयतत्रण और शवियााँ सरकार के हाथों में होती हैं।
o युद्ध-विरोधी रुख: फ्रैंको ने वितीय विश्वयुद्ध में भाग लेने से मना कर ददया और यु द्ध के समय
में स्पेन वनरपक्ष रहा। यह युद्ध को एक महान राष्ट्र के जतम के ाईपकरण के रूप में ाईपयोग करने
की फासीिादी नीवत के विरुद्ध है।
1977 में सांिैधावनक राजशाही के साथ लोकतांत्र स्थावपत करने के वलए पहले बहु-दलीय चुनाि
ाअयोवजत दकये गये थे। 1986 में स्पेन यूरोपीय ाअर्थथक समुदाय में सवम्मवलत हो गया और ाआसका
पयणिन ाईद्योग बहुत ही तेजी से विकवसत हुाअ।
‘फै सेस’ या फावसस (Fasces) शब्द का ाऄथण है छड़ों का एक बांडल, वजसमें एक कु ल्हाड़ी बाहर
वनकली हुाइ है, जो प्राचीन रोमन कोंसुल की शवि का प्रतीक थी। एक महान राष्ट्र के वनमाणण की
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ददशा में सभी िगों के लोगों का एकता के साथ कायण करने के रूप में ाआस वचत्र का विश्लेषण दकया
जा सकता है।
मुसोवलनी 1923 से पूिण ाऄपने ाईद्देश्यों को पटरिर्थतत करता रहा। प्रारम्भ में िह श्रवमक-िगण का
समथणक था परततु बाद में िह साम्यिाद के विरुद्ध हो गया। ाआसवलए यह कहा जा सकता है दक
ाईसका मुख्य ाईद्देश्य सत्ता प्राप्त करना था न दक फासीिाद का प्रचार। दफर भी फासीिाद को
मुसोवलनी ने वजस प्रकार व्यिहार में ाईपयोग दकया ाईसके मूलभूत वसद्धाांत ाआस प्रकार हैं:
o चरम राष्ट्रिाद के ाऄिशेषों से एक महान राष्ट्र को वनर्थमत करने पर ध्यान के वतद्रत दकया गया।
ाआसमें एक राष्ट्र के ाऄतय राष्ट्रों से ाऄवधक श्रेष्ठ होने की ाऄिधारणा का प्रचार भी सवम्मवलत है।
o ाऄवधनायकिादी सरकार: वजतना सम्भि हो सके राज्य लोगों के जीिन के काइ पक्षों को
वनयांवत्रत करता है। ाआसका कारण यह है दक राज्य की महानता सुवनवश्चत करने के वलए यह
ाअिश्यक है, क्योंदक राज्य दकसी व्यवि के वहतों की तुलना में ाऄवधक महत्त्िपूणण है।
o एकल पािी व्यिस्था: मुसोवलनी के फासीिादी राज्य में प्रजातांत्र के वलए कोाइ स्थान नहीं था
और साम्यिाद से ाआनकी विशेष रूप से शत्रुता थी। साम्यिाद से शत्रुता भी एक कारण था
वजसने फासीिाद को लोकवप्रयता ददलााइ, क्योंदक ाआसने मध्यिगण के बीच साम्यिादी
ाऄवधग्रहण के भय को रोक ददया था। के िल एक ही पािी थी और िह थी फासीिादी पािी।
राष्ट्र के कु लीन िगण फासीिादी पािी के सदस्य थे।
o चमत्कारी या कटरश्मााइ नेता: ाईस नेता के कटरश्मााइ व्यवित्ि पर बहुत बल ददया जाता था
जो जनता के बीच मजबूत छवि बनाने के वलए ाऄपने रोमाांचकारी भाषणों और कु शल प्रचार
से जनता के बीच सशि छवि प्रस्तुत करता था। ाईसे सिोच्च नेता या ाआल ड्यूस (Il Duce) के
रूप में प्रस्तुत दकया जाता था।
o ऑिाकी (Autarchy): ाआसके ाऄांतगणत ाअर्थथक स्िाधीनता को राष्ट्रीय नीवत के रूप में माना
जाता है। देश के ाअर्थथक रूप से ाअत्मवनभणर होने से सभी ाईत्पादन देश के भीतर ही होंगे और
बेरोजगारी समाप्त हो जाएगी। यदद देश में सभी ाअर्थथक ाईत्पादन हो रहे हैं तो देश हर
नागटरक को रोजगार ाईपलब्ध करा कर ाईसकी पूणण क्षमता का ाईपयोग कर सके गा। ाअयात
कम करने और वनयाणत में िृवद्ध करने पर ध्यान के वतद्रत दकया जाता है तादक देश ाऄपनी
ाअिश्यकताओं को स्ियां ही पूरा कर सके । ाआसवलए देश की ाअर्थथक ाअत्मवनभणरता पर बल
ददया गया और ाईसे प्राप्त करने के वलए – बाजार, राज्य और ाऄथणव्यिस्था पर पूणण वनयतत्रण
का समथणन दकया गया था।
फासीिाद का विकास क्यों हुाअ? काइ विचारकों का तकण है दक फासीिाद मध्यिगीय लोगों का
ाअतदोलन था, वजसे ाईतहोंने ाऄपनी ाअर्थथक समृवद्ध के ाईद्देश्य से चलाया था। ाआसी प्रकार कु छ लोगों
का तकण है दक पूज
ां ीिाद के कारण फासीिाद ाईत्पन्न हो सकता है, क्योंदक पूांजीिाद का ाअधारभूत
लक्षण पूज
ां ीपवत िगण की समृवद्ध है।
ाईपयोग फासीिाद के वलए ही दकया जाता है, जोदक वहिलर के समय जमणनी में प्रवसद्ध था। ाआसवलए
नाजीिाद कु छ और नहीं है बवल्क यह एक प्रकार का फासीिाद ही है। नाजीिाद के कु छ मूलभूत
वसद्धाांतों को वनम्नवलवखत रूप में सूचीबद्ध दकया जा सकता है:
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रूस-जापान युद्ध (1904-05) और प्रथम विश्व युद्ध ाअदद का विरोध दकया क्योंदक युद्ध को िे
पूांजीिाद का ाईप-ाईत्पाद मानते थे। यद्यवप पहले का USSR और ाअज का चीन एक ाअक्रामक
विदेश नीवत का ाऄनुसरण करते हैं – लेदकन िे महान राष्ट्र के पुनर्थनमाणण के वलए युद्ध को मातयता
नहीं देते हैं। स्िावलन ने ाऄपनी ाअक्रामक विदेश नीवत के पक्ष को ाईवचत ठहराने के वलए साम्यिादी
क्राांवत को पूांजीिाद से बचाने की बात कही। ाआसके विपरीत वितीय विश्व युद्ध में फासीिादी
शवियों ने युद्ध को राष्ट्र के गौरि के पुनर्थनमाणण के वलए ाऄपटरहायण ाईपकरण के रूप में देखा।
दोनों प्रकार की व्यिस्थाओं ने वजस ाअर्थथक व्यिस्था का ाऄनुकरण दकया िह दोनों के बीच प्रमुख
ाऄांतर ज़बदु है। साम्यिादी धन के सामूवहक स्िावमत्ि पर विश्वास करते थे, िहीं फासीिादी धन के
वनजी स्िावमत्ि के पक्ष में थे (यद्यवप देश की ाऄथणव्यिस्था पर राज्य का वनयतत्रण दोनों ही
व्यिस्थाओं की समान विशेषता है)।
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VISIONIAS
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विषय सूची
25. 1914 में विश्व ______________________________________________________________________________ 4
28. आकष ड्यूक की हत्या और प्रथम विश्व युद्ध में इसकी पररणवत के वलए उत्तरदायी कारण _____________________________ 8
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41. संयि
ु राज्य अमेररका की विदेश नीवत ____________________________________________________________ 36
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1914 ई. में शेष विश्व पर यूरोप का प्रभुत्ि कायम था, लेदकन यूरोप से बाहर संयुि राज्य
अमेररका और जापान जैसी महत्िपूणष शवियााँ भी उपव्थत थीं। इसके अवतररक्त यूरोप के भीतर
सभी यूरोपीय देश शविशाली नहीं थे। जमषनी, फ्ांस और विटेन ही प्रमुख शवियााँ थे। शेष यूरोप
अभी भी आर्थथक आधुवनकीकरण की प्रदिया में था।
1914 तक, जमषनी कच्चे लोहे और ्टील के उत्पादन के मामले में विटेन से आगे था, लेदकन
कोयले के उत्पादन में पीछे था। िहीं दूसरी ओर फ्ांस, इटली, बेवल्जयम और ऑव्ट्रया-हंगरी जैसे
देश विटेन और जमषनी से काफी पीछे थे। रूस औद्योगीकरण आरं भ करने िाला अंवतम देश था।
1914 में रूसी उद्योगों का तेजी से वि्तार हो रहा था लेदकन दफर भी इसकी अथषव्यि्था प्रमुख
रूप से कृ वष अथषव्यि्था थी एिं जमषनी और विटेन से बत त पीछे थी। रूस राजनीवतक अशांवत का
भी सामना कर रहा था। 1905 में एक रूसी िांवत हो चुकी थी और दूसरी 1917 में त ई थी।
यूरोप से बाहर, संयुि राज्य अमेररका और जापान ने 1870 के दशक के आसपास औद्योगीकरण
आरं भ दकया। 1914 में जमषनी और विटेन की तुलना में संयुि राज्य अमेररका कच्चे लोहे, इ्पात
और कोयले का अवधक उत्पादन कर रहा था। संयुि राज्य अमेररका ने 1823 में मुनरो वसद्धांत
अपनाया था और 1914 तक इसने लगभग सारे अमेररकी महाद्वीप पर अपना िचष्ि सुवनवित
कर वलया था, लेदकन यूरोप के मामलों से यह काफी अलग-थलग था। जापान एक प्रमुख ि्त्र
वनयाषतक देश के रूप में उभर चुका था। 1904-05 के रूस-जापान युद्ध में रूस को हराकर जापान
एक प्रमुख विश्व शवि के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका था। जापानी साम्राज्यिाद चीन की ओर
वनदेवशत था। जापान के प्रवत तुिीकरण की अमेररकी नीवत ने उसे प्रशांत क्षेत्र में मजबूत प्रवतद्वंद्वी
बना ददया था। इस प्रकार 1914 तक, संयुि राज्य अमेररका और जापान दोनों साम्राज्यिादी
शवियों के रूप में उभर चुके थे।
1870 के दशक में औद्योवगक िांवत के बाद, कई यूरोपीय राष्ट्र अपने औपवनिेवशक साम्राज्य में
िृवद्ध करने के वलए उत्सुक थे। 1914 तक प्रमुख यूरोपीय शवियााँ पूरे अफ्ीका का बंदरबांट कर
चुकी थीं। यद्यवप, चीन मांचू राजिंश उखाड़ फें के जाने के बाद 1911 से ही नाममात्र का एक
गणराज्य था, लेदकन इसे संयि
ु राज्य अमेररका, जापान, फ्ांस, विटेन और जमषनी द्वारा एक
अंतराषष्ट्रीय उपवनिेश में पररिर्थतत कर ददया गया था।
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बाल्कन में हैब्सबगष साम्राज्य की महत्िाकांक्षा पर रूस को संदह े था। बाल्कन भूमध्य सागर के उत्तर
पूिष में व्थत क्षेत्र है। यहााँ ्लाि लोगों की जनसंख्या सिाषवधक थी। रूसी जार शासन / रोमनोि
राजिंश ्लािों के समूह से संबंवधत था और बाल्कन में उसकी अपनी महत्िाकांक्षाएं भी थीं।
सर्थबयाई राष्ट्रिाद: सर्थबया ्लाि लोगों द्वारा आबाद बाल्कन क्षेत्र को यूगो्लाविया के रूप में
एकीकृ त करना चाहता था। इस प्रकार के यूगो्लाविया के वनमाषण हेतु हैब्सबगष साम्राज्य से कु छ
भागों को अलग करने की आिश्यकता पड़ती, वजसमें ्लाि सवहत विवभन्न नृजातीय समूहों के
लोग वनिास करते थे। एक बार जब ्लाि लोग यूगो्लाविया के रूप में एकीकृ त हो जाते तो अन्य
समूह भी अलग होने की मांग करते। ऐसे एकल यूगो्लाविया के विचार से हैब्सबगष साम्राज्य की
अखंडता को खतरा उत्पन्न हो गया था।
यूरोप ्ियं दो गठबंधनों में विभावजत हो गया था: रट्रपल एलायंस वजसमें जमषनी, ऑव्ट्रया-हंगरी
और इटली थे और रट्रपल एंटेंट वजसमें विटेन, फ्ांस और रूस सवम्मवलत थे। लेदकन इन गठबंधनों में
दृढता नहीं थी। िा्ति में, प्रथम विश्व युद्ध में इटली ने विटेन और फ्ांस की ओर से युद्ध लड़ा था।
प्रथम विश्व युद्ध धुरी शवियों (Central Powers) (जमषनी, ऑव्ट्रया-हंगरी, ऑटोमन साम्राज्य
और बुल्गाररया) और वमत्र राष्ट्रों (Allied Powers) (इटली, विटेन, फ्ांस, रूस और संयुि राज्य
अमेररका) के बीच लड़ा गया था।
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तो जमषनी अगादीर पर कब्जा कर लेगा। विटेन को इस बात की चचता थी दक यदद जमषनी अगादीर
पर कब्जा कर लेगा तो िह विरटश व्यापाररक मागों के वलए खतरा पैदा करने की व्थवत में आ
जाएगा। विटेन ने पुन: फ्ांस का पक्ष वलया। समझौते के अंतगषत, जमषनी को फ्ांसीसी कांगो में एक
छोटी सी पट्टी दे दी गई और बदले में जमषनी को मोरक्को पर फ्ांसीसी वनयंत्रण को मान्यता देने के
वलए वििश दकया गया। जमषन जनमत फ्ांस और विटेन के विरूद्ध कटु हो गया और इस घटना ने
विटेन और जमषनी के बीच नौसैवनक प्रवतद्वंवद्वता को और बढािा ददया।
प्रथम बाल्कन युद्ध (1912): बाल्कन लीग (मोंटेनेरेजो, सर्थबया, रेजीस, बुल्गाररया) ने तुकी पर
आिमण कर ददया और यूरोप में ऑटोमन साम्राज्य (तुकष साम्राज्य) के अवधकांश क्षेत्रों पर कब्जा
कर वलया। जमषनी और विटेन ने युद्ध विराम करने के वलए मध्य्थता की। शांवत समझौते के
अंतगषत, यूरोप में ऑटोमन साम्राज्य का क्षेत्र बाल्कन राज्यों के बीच विभावजत कर ददया गया।
सर्थबया अप्रसन्न था क्योंदक िह अल्बावनया चाहता था जो उसे समुद्र तक पत ंच प्रदान करता
लेदकन अल्बावनया को एक ्ितंत्र राज्य बना ददया गया। ्पष्ट्रट रूप से सर्थबया के विरूद्ध ऑव्ट्रया
काम कर रहा था, वजसका माध्यम जमषनी था।
वद्वतीय बाल्कन युद्ध 1913: यह युद्ध बुल्गाररया के विरूद्ध रेजीस, रोमावनया, तुकी और सर्थबया ने
लड़ा था। बुल्गाररया ने सर्थबया पर आिमण कर ददया क्योंदक िह प्रथम बाल्कन युद्ध के अंत में
मकदूवनया (मेसीडोवनया) का अवधकांश भाग सर्थबया को ददए जाने से अप्रसन्न था। युद्ध में अपनी
हार के बाद बुल्गाररया ने प्रथम बाल्कन युद्ध से प्राप्त सभी क्षेत्रों को खो ददया। जमषनी ने ऑव्ट्रया-
हंगरी को बुल्गाररया की सैन्य सहायता करने से रोक ददया था। िहीं दूसरी ओर, विटेन सर्थबया की
सहायता के वलए नहीं आया। जमषनी ने इसे रूवसयों से अंरेजज
े ों के विलगाि के संकेत के रूप में
वलया। वद्वतीय बाल्कन युद्ध के पररणाम ्िरूप एक मजबूत सर्थबया उभरा, जो अब यूगो्लाविया
का लक्ष्य साकार करने के वलए हैब्सबगष साम्राज्य के िोट और सबष (दोनों ्लाि) को उकसाने के
वलए करटबद्ध था।
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ऑव्ट्रया के आकष ड्यूक फ्ै न्ज फर्थडनेंड की बोविया की राजधानी सेराजेिो में हत्या (28 जून
1914): बोविया को हैब्सबगष साम्राज्य ने हड़प वलया था और बोवियाई लोग सर्थबया के साथ थे।
एक गुप्त समाज ने हत्या की सावजश रची और बोवियाई सरकार इस षडयंत्र से अिगत थी लेदकन
इसे रोकने के वलए उसने कु छ नहीं दकया। यह घटना वनवित रूप से एक आतंकिादी कृ त्य थी।
ऑव्ट्रया-हंगरी ने इस घटना को सर्थबया पर कब्जे का प्रयास करने के एक अिसर के रूप में वलया।
उसने सर्थबया के समक्ष कु छ मांगें रखीं और इसके वलए समय सीमा वनधाषररत की। सर्थबया ने
अवधकांश मांगों को ्िीकार कर वलया, लेदकन िह सभी मांगों पर सहमत नहीं था क्योंदक सभी
मांगों को ्िीकार करने का अथष था हैब्सबगष साम्राज्य के समक्ष सर्थबया की संप्रभुता का
आत्मसमपषण। आिमण से डरकर सर्थबया ने सैन्य लामबंदी का आदेश दे ददया। समय सीमा समाप्त
होने के बाद, ऑव्ट्रया-हंगरी ने सर्थबया के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। इस हत्याकांड ने प्रथम
विश्व युद्ध के तात्कावलक कारण के रूप में कायष दकया।
वचत्र: आकष ड्यूक फ्ै न्ज फर्थडनेंड अपनी सेराजेिो यात्रा के दौरान
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जमषन युद्ध योजना को श्लीफे न योजना के रूप में भी जाना जाता है, वजसका उद्देश्य मात्र 6 सप्ताह
में फ्ांस पर जमषनी की विजय थी। ऐसा के िल तभी संभि था जब जमषनी बेवल्जयम से होकर फ्ांस
पर हमला करता, जो फ़्ांस और जमषनी के बीच अिव्थत था। चूाँदक विटेन बेवल्जयम का वमत्र था
और इसने उसकी तट्थता की गारं टी दी थी, अत: उसने बेवल्जयम पर हमला होने पर जमषनी के
विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। जापान ने विटेन के साथ अपने गठबंधन का सम्मान करते त ए युद्ध
में प्रिेश दकया। इस प्रकार, गठबंधन प्रणाली के कारण सभी प्रमुख शवियां एक-दूसरे के साथ
युद्धरत हो गईं। लेदकन यही एकमात्र कारण नहीं था क्योंदक इससे पहले भी ऐसे संघषष हो चुके थे
और िे विश्व युद्ध में पररणत नहीं त ए थे।
साम्राज्यिाद: अफ्ीका और सुदरू पूिष में औपवनिेवशक प्रवतद्वंवद्वता भी इसके वलए उत्तरदायी थी।
फ़्ांस, विटेन और अन्य देशों ने जमषनी की औपवनिेवशक महत्िाकांक्षाओं का गला घोंटते त ए मोरक्को
संकट में उसके विरूद्ध गठबंधन बना वलया था। जापान प्रशांत महासागर क्षेत्र में अिव्थत जमषनी
के वनयंत्रण िाले द्वीपों पर कब्जा चाहता था। अतिः इसने वमत्र शवियों के पक्ष में युद्ध में प्रिेश
दकया। इटली ने और अवधक भू-क्षेत्र वमलने के िादे पर 1915 में वमत्र शवियों की ओर से युद्ध में
प्रिेश दकया।
जमषनी और विटेन के बीच नौसैवनक प्रवतद्वंददता से तनाि में िृवद्ध त ई और दोनों प्रवतद्वंदी बन गए।
समुद्री युद्ध में एक-दूसरे को हराकर दोनों शवियााँ सदैि के वलए अपना नौसैवनक िचष्ि ्थावपत
करने की महत्िाकांक्षा रखती थीं।
लेवनन ने लाभ के उद्देश्य से हो रही आर्थथक प्रवतद्वंवद्वता को युद्ध के मूल कारण के रूप में देखा, अतिः
उसने पूज
ं ीिाद को युद्ध के वलए दोषी ठहराया।
रूस ने सर्थबया का समथषन करके युद्ध की संभािना को और अवधक बढा ददया। यदद रूस ने सर्थबया
को ऑव्ट्रया से अके ले वनपटने ददया होता तो शायद जमषनी ने युद्ध में प्रिेश नहीं दकया होता। रूस
हमेशा पूिी यूरोप में अपना प्रभाि ्थावपत करना चाहता था। लेदकन साथ ही उसकी कु छ
िा्तविक चचताएं भी थीं। ऑटोमन साम्राज्य पहले से ही जमषनी और ऑव्ट्रया के प्रभाि में था।
यदद ऑव्ट्रया सर्थबया को परावजत कर देता तो डारडेनल्स ऑव्ट्रया और जमषनी के वनयंत्रण में आ
जाता। डारडेनल्स काला सागर से होकर रूस के वलए वनकास का मागष प्रदान करता था और इस
प्रकार यह रूसी व्यापार के वलए अत्यवधक महत्िपूणष था। अतिः ऑव्ट्रया और जमषनी यदद इस पर
वनयंत्रण प्राप्त कर लेते तो िे रूसी व्यापार पर वनयंत्रण प्राप्त कर सकते थे।
जमषनी द्वारा ऑव्ट्रया को ददया गया समथषन भी वनणाषयक रूप से महत्िपूणष था। जमषनी ्ियं को
रूस, फ्ांस और विटेन से वघरा त आ महसूस करता था। रूस और फ्ांस ने 1894 में एक समझौते
पर ह्ताक्षर दकए थे। 1904 में इस क्षेत्र के पारं पररक प्रवतद्वंदी विटेन और फ्ांस ने एंटेंट कॉर्थडयल
नामक एक वमत्रता समझौते पर ह्ताक्षर दकया था। इस समझौते के अंतगषत इन्होंने अफ्ीका में
उपवनिेशों के संबंध में अपने वििादों का वनपटारा दकया। 1907 में रूस और विटेन ने एक
समझौते पर ह्ताक्षर दकया वजससे एवशया में उनका वििाद समाप्त हो गया। इस प्रकार 1907
तक जमषनी इस क्षेत्र में अन्य प्रमुख शवियों के बीच बढती वनकटता के कारण बत त चचवतत था।
यद्यवप दक तकनीकी रूप से ये समझौते सैन्य समझौते न होकर क्षेत्रीय वििादों और व्यापार एिं
वनिेश से संबंवधत समझौतों तक ही सीवमत थे।
बड़ी शवियों की लामबंदी की योजना से तनाि और आपसी संदह
े में िृवद्ध त ई। यूरोप में सर्थबया
और आव्ट्रया के झगड़े के अवतररक्त भी कई आंतररक वििाद थे। जब एक शवि सेनाओं की
लामबंदी का आदेश देती थी तो प्रवतद्वंद्वी शवियों को भी अपनी लामबंदी करनी पड़ती थी, वजससे
िे अपनी सीमाओं के वलए उत्पन्न होने िाले दकसी भी संभावित सैन्य खतरे से वनपटने में सक्षम हो
सकें ।
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है। इस प्रकार दूसरों की तुलना में अपनी श्रेष्ठता की भािना ने युद्ध के पक्ष में लोगों को लामबंद
दकया।
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जमषनी द्वारा छह सप्ताह के वनयोवजत समय में फ़्ांस को परावजत करने में विफल रहने के कारण ्ीफे न
योजना असफल रही। इसके पिात् यह ्पि हो गया था दक यह लम्बे समय तक चखचने िाला युद्ध है।
खाई युद्ध (Trench Warfare) और समुद्री-युद्ध (war at the sea), प्रथम विश्वयुद्ध की दो महत्त्िपूणष
विशेषताएं थी।
खाई युद्ध मुख्य रूप से फ़्ांस में त आ था वजसमें दोनों पक्षों की सेनाएं खाईयां (खंदकें ) खोदती थीं।
सैवनक इन खाईयों में बैठ कर गोलीबारी करते थे। जब कभी सैवनक टु कवडयां खाईयों के बाहर शत्रु
के विरुद्ध कायषिाही करती थीं तो खुले मैदान में शत्रु के समक्ष आ जाने से िे शत्रु का सहज लक्ष्य
बन जाती थीं। इस प्रकार से, बड़ी संख्या में दोनों पक्षों के सैवनक हताहत त ए। शी्र ही दोनों पक्षों
की खाईयों में तैनात सैवनकों के वलए गवतरोध उत्पन्न हो गया। खाईयों में रहने िाले सैवनकों का
जीिन काफी दयनीय था। जलभराि से कई रोग उत्पन्न होने लगे, वजनके पररणाम्िरूप उनकी
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31.1. िसाष य की सं वध
क्षेत्रों के कु छ भाग डेनमाकष , बेवल्जयम, पोलैंड और वलथुआवनया को ददए गए। सार और डैंवजग में
जमषन जनसंख्या थी, परन्तु उनको लीग ऑफ़ नेशस
ं (राष्ट्र संघ) के अधीन कर ददया गया। सार को
15 िषष तक राष्ट्रसंघ के अधीन रहना था और उसके पिात् एक जनमत संरेजह से यह वनणषय होना
था दक यह फ़्ांस या जमषनी दकसी के साथ भी शावमल हो सकता था। तब तक के वलए सार प्रदेश
की कोयला खानों से 15 िषष तक कोयला प्राप्त करने का अवधकार फ़्ांस को दे ददया गया। डैंवजग
पविमी प्रशा का एक प्रमुख बन्दरगाह था। इसे एक ्ितंत्र नगर के रूप में पररिर्थतत दकया गया
और एक संवध द्वारा डैंवजग के बंदरगाह को प्रयोग करने का अवधकार पोलैंड को प्राप्त हो गया।
ऑव्ट्रया में जमषन जनसंख्या अवधक थी, परन्तु दफर भी ऑव्ट्रया और जमषनी के बीच संघ वनमाषण
को प्रवतबंवधत दकया गया।
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जमषनी के अफ़्ीकी उपवनिेशों को उससे ले वलया गया और उन्हें राष्ट्र संघ की मैंडटे प्रणाली के
अधीन रख ददया गया। इन मैंडटे प्रदेशों का शासन मैंडटे री शवियों को तब तक चलाने का
अवधकार ददया गया जब तक िे ्िशासन के योग्य न हो जाएं। इस प्रकार जमषनी से के िल यूरोप में
ही उसके प्रदेश नहीं छीने गए बवल्क यूरोप के बाहर भी उसके सम्त उपवनिेशों से उसे िंवचत कर
ददया गया।
जमषनी का वनिःशस्त्रीकरण: जमषनी को अवनिायष सैन्य सेिा आरम्भ करने से प्रवतबंवधत कर ददया
गया। राइनलैंड (जमषनी) को फ़्ांस और जमषनी के बीच मध्य्थ क्षेत्र बनाया गया और जमषनी का
्थाई रूप से असैन्यीकरण दकया गया। जमषनी को के िल छह युद्धपोत और अवधकतम एक लाख
सैवनक रखने की अनुमवत थी। इसे िायुयान, टैंक और पनडु वब्बयां रखने की भी अनुमवत नहीं थी।
इस प्रकार जमषनी के विरुद्ध कठोर वनिःशस्त्रीकरण लागू कर इसे सैवनक रूप से पंगु बना ददया गया।
युद्ध अपराध अनुच्छेद: प्रथम विश्व युद्ध के वलए अके ले जमषनी और उसके सहयोवगयों को उत्तरदायी
घोवषत दकया गया।
युद्ध क्षवतपूर्थतयााँ: विल्सन युद्ध हजाषने के विरुद्ध थे, अतिः जमषनी से युद्ध का पूरा हजाषना लेने का
विचार त्याग ददया गया। बत त मंत्रणा के पिात् यह वनणषय वलया गया दक जमषनी को 6600
वमवलयन पाउं ड का भुगतान करना होगा। परन्तु इसे घटा कर 2000 वमवलयन पाउं ड कर ददया
गया क्योंदक पहली रावश अनुपातहीन रूप से अवधक थी और जमषनी इतनी बड़ी रावश के भुगतान
की व्थवत में नहीं था। इस क्षवतपूर्थत का मुख्य उद्देश्य यह था दक जमषनी लम्बे समय तक अपनी
अथषव्यि्था में ही उलझा रहे और वनकट भविष्ट्रय में िह कभी भी फ़्ांस और विटेन के वलए संकट न
बन सके ।
सेंट जमेन की संवध वमत्र राष्ट्रों द्वारा 1919 में ऑव्ट्रया के साथ संपन्न की गई और ट्रायनॉन की
संवध 1920 में हंगरी के साथ की गई। इन संवधयों के वनम्नवलवखत पररणाम वनकले:
o हैब्सबगष साम्राज्य की तुलना में ऑव्ट्रया और हंगरी का आकार घट कर बत त ही छोटा हो
गया।
o अन्य यूरोपीय देशों के बीच क्षेत्रों का बंटिारा आत्मवनणषय के वसद्धांत पर दकया गया। इस
प्रकार इन क्षेत्रों के लोग अपनी राष्ट्रीयता से संबंवधत सरकार के अंतगषत रहने लगे।
o ऑव्ट्रया और हंगरी का वनिःशस्त्रीकरण कर ददया गया।
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यह संवध टकी (तुकी) के साथ की गई थी। इसमें वनम्नवलवखत महत्त्िपूणष चबदु थे:
तुकी को भू-क्षेत्र की बत त अवधक हावन त ई। ई्टनष थ्रेस और व्मनाष रेजीस को देना पड़ा। इटली को
भी कु छ क्षेत्र प्राप्त त ए।
डारडेनल्स जलडमरूमध्य को ्थाई रूप से खोल ददया गया (इस प्रकार काला सागर से वनकास का
मागष प्रदान दकया गया)।
ऑटोमन साम्राज्य के उपवनिेशों को मैंडटे में पररिर्थतत दकया गया और उन्हें विटेन तथा फ़्ांस को
दे ददया गया। सीररया फ़्ांस का मैंडटे बना और विरटश मैंडटे में ट्रांस जॉडषन, इराक और
दफवल्तीन को शावमल दकया गया।
शांवत थी।
जमषनी के वनिःशस्त्रीकरण के उपबंध ने उसे लगभग वनिःशि बना ददया था और जमषनी पर लगाई
गयी क्षवतपूर्थत भी सिषथा अनुवचत थी। विल्सन के 14 सूत्रों में ‘हवथयारों की व्यापक कटौती’ का
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o इटली अपने आप को ठगा त आ अनुभि कर रहा था क्योंदक उसे 1915 में युद्ध में प्रिेश करने
के वलए िह सभी क्षेत्र प्राप्त नहीं त ए वजनके वलए उसे गुप्त संवध में िचन ददया गया था।
लीग ऑफ़ नेशन्स (राष्ट्र् संघ) की रचना विश्व शांवत और सामावजक कायष सुवनवित करने के वलए
की गई थी।
रूस ने कम्युवन्ट विचारधारा को अपना वलया: प्रथम विश्व युद्ध बोल्शेविक विद्रोवहयों के उद्भि में
सहायक रहा। युद्ध में रूस की भागीदारी के कारण िहां की जनता आर्थथक संकट का सामना करने
पर वििश थी, अतिः बोल्शेविक विद्रोही युद्ध में रूस की भागीदारी के विरुद्ध थे। 1917 की रूसी
िांवत के दो चरण थे। फरिरी की िांवत (1917) में सैवनक विद्रोहों और नागररक अशांवत के कारण
जार को सत्ता से बाहर कर ददया गया था। एक अंतररम सरकार की ्थापना की गई, परन्तु यह
िादे के अनुसार चुनाि आयोवजत करने में विफल रही। जमषनी की सहायता से लेवनन वनिाषसन को
छोड़कर रूस िापस आ गया और अक्टू बर िांवत (1917) का मागष प्रश्त त आ वजसने अ्थाई
सरकार को उखाड़ फें का। लेवनन के नेतृत्ि में बोल्शेविक सत्ता में आए और जमषनी के साथ 1917 में
एक अलग शांवत संवध (िे्ट वलटोि्क की संवध) पर ह्ताक्षर दकए गए। यह संवध रूवसयों के प्रवत
बत त ही कठोर थी। जब जमषनी ने िसाषय की संवध को अनैवतक और अत्यवधक कठोर होने की बात
की तो रूस ने इस बात को जमषनी के विरुद्ध उपयोग दकया गया।
वचत्र: लेवनन
अमेररका का सामररक शवि के रूप में उदय: स. रा. अमेररका ने युद्ध में 1917 में प्रिेश दकया जब
अटलांरटक महासागर में जमषनी द्वारा पोतों की नाके बंदी (1917) में अमेररका सवहत सभी देशों के
व्यापाररक पोतों को वनशाना बनाना प्रारं भ कर ददया गया। वजम्मरमैन योजना (Zimmerman
Plan) एक अन्य कारक थी वजसने अमेररका के जनमानस की राय को युद्ध में प्रिेश करने के पक्ष में
पररिर्थतत कर ददया। यह योजना जमषन राजनवयक वजम्मरमैन के मव्तष्ट्रक की उपज थी। इस
योजना में मैवक्सको को अमेररका पर आिमण करने के वलए सहमत करना था। इसके पूिष स. रा.
अमेररका वनरं कुश जार की ओर से युद्ध में प्रिेश नहीं करना चाहता था। स. रा. अमेररका की
अवनच्छा के पीछे अमेररकी िांवत की भािना थी, परन्तु रूस में जार के शासन के पतन से यह
बाधा भी समाप्त हो गयी थी। वनम्नवलवखत कारकों ने स. रा. अमेररका की प्रथम विश्व युद्ध में
िा्तविक विजेता के रूप में उभरने में सहायता की थी:
o युद्ध स. रा. अमेररका की भूवम पर नहीं लड़ा गया था। इसवलए स. रा. अमेररका आधारभूत
ढांचे को होने िाली सामान्य क्षवत और युद्ध के पररणाम्िरूप पुनर्थनमाषण पर होने िाले
आर्थथक व्यय से बच गया।
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o अमेररका ने सैन्य ह्तक्षेप के िल प्रथम विश्व युद्ध के अंवतम चरण में ही दकया था। इस प्रकार
युद्ध में अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में इसने अपने न्यूनतम सैवनकों को ही खोया, वजन्हें
बमबारी और खाई युद्ध से नहीं वनबटना पड़ा था।
o स. रा. अमेररका ने वमत्र शवियों को युद्ध के दौरान तथा जमषनी को युद्ध के पिात् िसाषय की
संवध के अंतगषत उन पर लगाई गई क्षवतपूरक लागत की भरपाई के वलए ऋण ददए। इस प्रकार
अमेररका ने प्रथम विश्व युद्ध के माध्यम से बत त सा धन अर्थजत दकया। इसकी युद्ध मशीनों
अथाषत सैन्य उद्योगों ने युद्ध के समय और युद्ध के पिात् हवथयार बेच कर सबसे अवधक लाभ
अर्थजत दकया। 1929 की आर्थथक मंदी में वघरने से पूिष का दशक स. रा. अमेररका के वलए
सबसे अवधक समृद्ध समय था।
o िसाषय की िाताषओं में राष्ट्रपवत िुडरो विल्सन द्वारा वनभाई गयी अरेजणी भूवमका प्रथम विश्व
युद्ध के समय और इसके बाद स. रा. अमेररका की महत्ता और उसके बढते िचष्ि की
पररचायक है।
इस प्रकार यद्यवप प्रथम विश्व युद्ध की संध्या पर अमेररका एक प्रमुख औद्योवगक अथषव्यि्था था परन्तु
विश्व मंच पर इसके एक िा्तविक िैवश्वक शवि के रूप में आगमन को प्रथम विश्व युद्ध ने ही उत्प्रेररत
दकया था।
युद्ध के कारण यूरोपीय अथषव्यि्था को संकट का सामना करना पड़ा और िे पुनर्थनमाषण के वलए
स. रा. अमेररका के ऋण पर वनभषर हो गये।
ऑटोमन (तुकष) साम्राज्य का विभाजन: प्रथम विश्व युद्ध में पराजय के चलते ऑटोमन साम्राज्य का
विघटन हो गया, तत्पिात एक नये राष्ट्र के रूप में तुकी का उदय त आ।
हैब्सबगष साम्राज्य का विघटन: प्रथम विश्व युद्ध की समावप्त से पूिष ही आव्ट्रया एिं हंगरी ्ियं ही
अलग हो गये थे। इस प्रकार हैब्सबगष साम्राज्य का अंत हो गया।
नए राष्ट्र राज्यों का उदय: जैसा दक ऊपर उल्लेख दकया गया है; तुकी, आव्ट्रया और हंगरी जैसे नए
राष्ट्र-राज्यों का उदय त आ। इसके अवतररि चेको्लोिादकया और पौलैंड का भी गठन त आ।
सर्थबया ने युगो्लाविया के अंतगषत ्लाि लोगों को एकजुट करने के अपने ्िप्न को पूरा दकया,
वजसे सर्थबया और मॉन्टेनरेज
े ो का विलय कर के बनाया गया था। ए्टोवनया और वलथुआवनया को
भी ्िाधीन राष्ट्र बनाया गया। िे्ट वलटोि्क की संवध (1917) के पिात् जमषनी ने उन्हें रूस से
ले वलया था।
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साम्राज्यिाद का अव्तत्ि बना रहा: जमषन उपवनिेशों को मैंडटे में पररिर्थतत कर ददया गया था।
भविष्ट्रय में एक उपयुि वतवथ को उन्हें ्िाधीन करने के वलए तैयार करने हेतु उन्हें मैनडेट्स के रूप
में विजयी राष्ट्रों को सौंप ददया गया था। विटेन को जमषनी के अफ़्ीकी उपवनिेश प्राप्त हो गए।
ऑटोमन साम्राज्य के क्षेत्र इराक, सीररया, ट्रांस-जॉडषन और दफवल्तीन को फ़्ांस और विटेन के
बीच मैंडटे के रूप में वितररत कर ददया गया था।
नए हवथयारों का इ्तेमाल: प्रथम विश्व युद्ध में कई नए प्रकार के हवथयारों का उपयोग दकया गया
था। कांटेदार तार, मशीन गन, टैंक, विषैली गैस आदद का उपयोग दकया गया था। इसने विश्व को
शांवत से और दूर कर ददया और भविष्ट्रय में होने िाले युद्धों को बत त ज्यादा खतरनाक बना ददया।
प्रथम विश्व युद्ध ने युद्ध के प्रवत लोगों के दृविकोण को पररिर्थतत कर ददया: बत त अवधक संख्या में
नागररकों के मारे जाने से अब कई विचारकों ने युद्ध की चनदा की। प्रथम विश्व युद्ध से पहले युद्ध को
गौरिशाली कहा जाता था और प्रकावशत सावहत्य में रूमावनयत के पुट की प्रधानता होती थी।
प्रथम विश्व युद्ध के पिात् हेचमग्िे जैसे लेखकों ने युद्ध को अमानिीय करार देते त ए उसकी चनदा
करनी आरम्भ कर दी थी। अवधकांश लोगों ने प्रथम विश्व युद्ध को त्रासदी के रूप में देखा, वजसका
होना कोई आिश्यक नहीं था। इसने के िल ऐसी सामावजक-आर्थथक व्थवतयााँ उत्पन्न कीं वजसने
वद्वतीय विश्व युद्ध की सम्भािनाओं को बढा ददया।
यह उन वनयमों की सूची थी, वजनसे राष्ट्रसंघ को संचावलत दकया जाना था। इन वनयमों को एक
अंतराषष्ट्रीय सवमवत द्वारा बनाया गया था, वजसमें विश्व के महत्त्िपूणष नेता सम्मवलत थे।
सद्यता: 42 सद्य राष्ट्रों के साथ इसका आरम्भ त आ था। 1926 तक जब जमषनी को इसकी
सद्यता प्रदान की गयी तो सद्यों की कु ल संख्या 55 तक पत ंच गई थी।
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सुरक्षा पररषद: राष्ट्र्संघ में सुरक्षा पररषद जैसी एक संयुि सुरक्षा पररषद थी। आरम्भ में इसमें
आठ सद्य थे, चार ्थाई सद्य और चार अ्थाई सद्य। अ्थाई सद्यों को तीन िषष की
अिवध के वलए महासभा द्वारा चुना गया था। 1926 तक इस पररषद के तेरह सद्य थे, वजनमें
अ्थाई सद्यों की सीटों की संख्या को बढा कर अब 9 कर ददया गया। चार ्थाई सद्य फ़्ांस,
इटली, जापान और विटेन थे। पररषद में सभी वनणषय सिषसम्मवत से होने थे। राष्ट्रसंघ के इस सुरक्षा
पररषद का अवधदेश (मुख्य कायष) राजनीवतक मुद्दों से वनबटना था।
शांवत बनाए रखने का कायष: िे सभी वििाद जो युद्ध का कारण बन सकते थे, उन्हें पररषद को
भेजा जाना था। कोई भी सद्य जो युद्ध छेड़ता है उसे शेष सद्यों की सामूवहक कायषिाही का
सामना करना पड़ता था। सुरक्षा पररषद को उन नौसेवनक, िायु और सैन्य संसाधनों की अनुशंसा
का अवधकार होगा वजनका योगदान प्रत्येक सद्य को आिमणकारी के विरुद्ध कायषिाही के वलए
करना होगा।
महासभा: राष्ट्रसंघ के सद्यों द्वारा महासभा का गठन दकया गया। महासभा की बैठकें िार्थषक रूप
से होती थी और सभी वनणषय सिषसम्मवत से वलए जाते थे। महासभा के सभी सद्यों का एक िोट
था। महासभा लीग की नीवत वनमाषणकारी सं्था थी और इस प्रकार इसे सामान्य नीवत के मुद्दों पर
वनणषय करने का अवधदेश प्राप्त था। यह राष्ट्र्संघ की वित्तीय व्यि्था को भी वनयंवत्रत करती थी
और इसे दकसी शांवत संवध में संशोधन करने का अवधकार भी प्राप्त था। महासभा के विशेष
अवधकारों में; नये सद्यों का प्रिेश, पररषद के अ्थाई सद्यों का आिवधक चुनाि, ्थायी
न्यायालय के न्यायाधीशों की पररषद का चुनाि और बजट पर वनयन्त्रण सवम्मवलत था। व्यिहार
में महासभा के पास राष्ट्र्संघ की गवतविवधयों के सामान्य वनदेशन की शवि थी।
अंतराषष्ट्रीय न्याय का ्थायी न्यायालय: इसकी ्थापना हेग (नीदरलैंड) में की गई थी। इसका
अवधदेश के िल राष्ट्रों के बीच कानूनी वििादों को वनपटाना था न दक राजनैवतक वििादों का
वनपटान। इसमें विवभन्न राष्ट्रीयताओं के पन्द्रह न्यायाधीश थे। यह आज भी संयुि राष्ट्र संघ के भाग
के रूप में कायषरत है और इसे अंतराषष्ट्रीय न्यायालय के रूप में जाना जाता है।
सवचिालय: इसकी ्थापना एक सहायक इकाई के रूप में की गई थी। यह कागजी कायषिाही,
ररपोट्सष और एजेंडा तैयार करने का कायष करता था।
आयोग और सवमवतयााँ: कई आयोगों की ्थापना की गयी थी वजसमें प्रत्येक आयोग एक विवशि
सम्या से वनबटता था। जैस-े 'मैंडट्े स', वनिःशस्त्रीकरण, सैन्य मामलों आदद से सम्बंवधत मुद्दों से
वनपटने के वलए कु छ महत्िपूणष आयोगों का गठन दकया गया था। दूसरी ओर कु छ महत्िपूणष
सवमवतयााँ ्िा्थ्य, श्रम, मवहलाओं के अवधकारों, नशीली दिाओं, बालकल्याण आदद विषयों से
सम्बवन्धत थीं।
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वमत्र राष्ट्रट्रों का संगठन: राष्ट्रट्रसंघ को वमत्र राष्ट्रों- विशेषकर फ्ांस और विटेन के संगठन के रूप में
देखा जाने लगा था, वजसकी ्थापना अन्यायपूणष शांवत संवधयों के कायाषन्ियन के वलए की गई थी।
इसवलए यह सभी देशों को संतुि करने में विफल रहा।
o तुकी और इटली दोनों शांवत संवधयों से असंतुि थे। जहां तुकी उन क्षेत्रों को रेजीस को सौंपे जाने
से व्यवथत था, वजन्हें िह अपना अवभन्न अंग मानता था; िहीं इटली 1915 में वमत्र राष्ट्रट्रों के
पक्ष में युद्ध में प्रिेश करने के एिज में प्रादेवशक लाभ न वमलने के कारण असंतुि था।
o ह्ताक्षररत शांवत संवधयााँ आत्म-वनणषय के वसद्धांत के विरूद्ध थीं। उदाहरण के वलए शांवत
संवधयों के बाद लाखों जमषन जमषनी से बाहर चेको्लोिादकया और पोलैंड में रह रहे थे। इसी
तरह कई तुकष अब रेजीस के वनिासी थे।
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आिमण कर ददया, 1935 में इटली ने अबीसीवनया पर आिमण कर ददया, 1936 का ्पेन
का गृहयुद्ध फ्ैं कों के पक्ष में मुसोवलनी और वहटलर द्वारा सैन्य ह्तक्षेप का साक्षी बना।
1937 में जापान ने चीन पर आिमण कर ददया और वहटलर ने 1938 में ऑव्ट्रया को हड़प
वलया। इन सभी प्रकरणों में राष्ट्रट्रसंघ शविहीन वसद्ध त आ और ऐसे सैन्य आिामणों को
रोकने में विफल रहा। 1931 में मंचरू रया पर जापानी आिमण के प्रकरण में राष्ट्रट्रसंघ का यह
वनणषय था दक जापान को मंचूररया को खाली कर देना चावहए। जापान ने इस वनणषय को
अ्िीकार कर ददया और पररणाम्िरूप इसने 1933 में राष्ट्रट्रसंघ की सद्यता त्याग दी।
जापान के विरूद्ध सैन्य या आर्थथक प्रवतबंधों पर चचाष तक नहीं की गई क्योंदक महामंदी के
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कारण विटेन और फ्ांस आर्थथक दबाि में थे। इसी तरह जब अबीसीवनया ने 1935 में इटली
के आिमण के विरूद्ध राष्ट्रट्रसंघ में अपील की तो राष्ट्रट्रसंघ ने प्रवतबंध लगाया, लेदकन के िल
आधे मन से। इटली को अभी भी कोयला, तेल और इ्पात जैसी महत्िपूणष ि्तुएाँ आयात
करने की अनुमवत दी गई और इस प्रकार ये प्रवतबंध इटली को अबीसीवनया से पीछे हटने के
वलए वििश करने में विफल रहे।
उपयुि
ष चचाष से तीन बातें ्पि होती हैं तथा विश्व राजनीवत पर 1929 के आर्थथक संकट के
वनम्नवलवखत प्रभाि पड़े:
दवक्षणपंथी सरकारों; विशेषकर जापान, इटली और जमषनी में फासीिादी शासन व्यि्थाओं ने
विश्व आर्थथक संकट का लाभ उठाया क्योंदक उन्हें पता था दक आर्थथक चचताओं के कारण विटेन
और फ्ांस जैसे राष्ट्रट्रसंघ के महत्िपूणष सद्य कायषिाही नहीं करें गे।
युद्ध रोकने के वलए विटेन, फ्ांस और संयुक्त राज्य अमेररका फासीिादी शासन व्यि्थाओं के प्रवत
तुिीकरण की नीवत अपना रहे थे। यह विनाशकारी सावबत त आ और धीरे -धीरे फासीिादी शासन
व्यि्थाएाँ विश्व शांवत को चुनौती देने के वलए शविशाली होती गईं।
साथ ही यह ्पि है दक राष्ट्रट्रसंघ के समथषक राष्ट्रों सवहत प्रत्येक राष्ट्रट्र अपने ्ियं के आर्थथक वहतों
को लेकर चचवतत था। चाहे यह अलगाि की अमेररकी नीवत हो या जेनेिा प्रोटोकॉल का विरटश
पररत्याग हो, प्रमुख शवियााँ ऐसा कोई उत्तरदावयत्ि नहीं उठाना चाहती थीं वजससे कोई प्रत्यक्ष
क्षेत्रीय या आर्थथक लाभ न हो। यहां तक दक राष्ट्रट्रसंघ में महत्िपूणष भूवमका वनभाने िाले विटेन और
फ्ांस ने भी तब तक कायषिाही नहीं की जब तक दक उन्हें संयुक्त राज्य अमरीका, सोवियत रूस
आदद जैसी अन्य महत्िपूणष आर्थथक और सैन्य शवियों का समथषन नहीं वमल गया। इस काल में
राष्ट्रीय आर्थथक चचताएं और राजनीवतक लाभ विश्व शांवत की तुलना में अवधक महत्िपूणष हो गए
थे।
राष्ट्र संघ िा्ति में कोई प्रवतवनवध संगठन नहीं था और इसकी सद्यता सीवमत थी। इसका
पररणाम राष्ट्रट्रसंघ के कायों के वलए धन की कमी के रूप में भी सामने आया। 1920 में राष्ट्रट्रसंघ के
गठन के समय तीन प्रमुख विश्व शवियााँ अथाषत् संयुि राज्य अमेररका, सोवियत रूस और जमषनी
इसके सद्य नहीं थे। इस प्रकार यह फ्ांसीवसयों और अंरेजज
े ों का संगठन बनकर रह गया था,
फलतिः एक िा्तविक विश्व संगठन कहलाने के वलए इसके पास िैधता का अभाि था। जमषनी को
कहीं 1926 में जाकर प्रिेश ददया गया, जबदक सोवियत रूस को 1934 में सद्यता वमली। संयुक्त
राज्य अमेररका कभी भी राष्ट्रट्रसंघ में सवम्मवलत नहीं त आ और न ही उसने शांवत संवधयों की पुवि
ही की। प्रथम विश्व युद्ध के बाद अमेररकी जनता ने िुडरो विल्सन और उसके चौदह सूत्रों को
अ्िीकार कर ददया और अमेररका अलगाि की अपनी नीवत पर िापस लौट गया। ररपवब्लकन
राष्ट्रट्रसंघ को एक विश्व सरकार के रूप में देखते थे, वजससे अमेररका की राष्ट्रीय संप्रभुता और
्ितंत्रता के वलए खतरा था। िे भविष्ट्रय के दकसी भी सैन्य संघषष में सवम्मवलत नहीं होना चाहते थे
या यूरोपीय मामलों में सवम्मवलत नहीं होना चाहते थे। 1933 तक जापान राष्ट्रट्रसंघ से बाहर
वनकल चुका था और इसके तुरंत बाद ही वहटलर के समय जमषनी ने भी राष्ट्रट्रसंघ को छोड़ ददया।
इस प्रकार वद्वतीय विश्व युद्ध की पूिष संध्या पर राष्ट्र संघ खंडहर बन गया था और विफल हो चुका
था।
सारांश: जहां भी राष्ट्रट्रसंघ का वनणषय दकसी भी प्रमुख शवि के विरूद्ध होता था, राष्ट्रसंघ ऐसे
वििादों में अपने वनणषय लागू कराने में विफल रहता था। जापान, इटली और जमषनी जैसी
आिामक शासन व्यि्थाओं ने राष्ट्रट्रसंघ की अिहेलना की। विटेन और फ्ांस ने राष्ट्रट्रसंघ को
प्रभािी बनाने के वलए कु छ विशेष नहीं दकया। इस हेतु 1929 का आर्थथक संकट भी अपने तरीके से
उत्तरदायी था। राजदूतों के सम्मेलन ने राष्ट्रट्रसंघ का प्रावधकार कम दकया। जमषनी, अमेररका,
सोवियत रूस जैसी महत्िपूणष शवियााँ इसके सद्य नहीं थे। राष्ट्रट्रसंघ की प्रसंविदा कमजोर थी
और यह िा्तविक सामूवहक सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहा।
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मंचरू रया और अबीसीवनया में आिमण के विरूद्ध इसकी वनवष्ट्रियता के कारण धीरे -धीरे छोटे
राज्यों ने राष्ट्र संघ में अपना विश्वास खो ददया।
फासीिादी शासन व्यि्थाओं को प्रोत्साहन वमला। वहटलर िसाषय की संवध का उल्लंघन करने को
लेकर आश्व्त हो गया।
वद्वतीय विश्व युद्ध नहीं रोका जा सका।
संयि
ु राष्ट्र संघ राष्ट्रट्रसंघ
वद्वतीय विश्व युद्ध के बाद 1945 में ्थावपत प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1920 में ्थावपत
संयुि राष्ट्र चाटषर राष्ट्रट्रसंघ प्रसंविदा
स. रा. अमेररका और सोवियत रूस की सदिय स. रा. अमेररका सवम्मवलत नहीं त आ। सोवियत रूस
भागीदारी का भी बत त वबलंब से प्रिेश त आ (1934)
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संयुि राष्ट्र सुरक्षा पररषद के ्थायी सद्य राष्ट्रट्रसंघ की पररषद के ्थायी सद्य फ्ांस, विटेन,
संयुक्त राज्य अमेररका, फ्ांस, विटेन, रूस जापान और इटली थे। 1926 में अ्थायी सद्यों की
और चीन हैं। अ्थायी सद्यों की संख्या 10 संख्या 9 थी जबदक 1920 में जब राष्ट्रट्रसंघ का गठन
है जो 2 िषों के वलए चुने जाते हैं। त आ था तो इनकी संख्या 4 थी। इन्हें 3 िषों के वलए
चुना जाता था।
आर्थथक और सामावजक विकास कायों के प्रवत अवधक समय और धन समर्थपत दकए जाने के कारण
संयुक्त राष्ट्रट्र अवधक सफल रहा। साथ ही, राष्ट्रट्रसंघ की तुलना में सामावजक-आर्थथक विकास के
क्षेत्र में संयुि राष्ट्र का दायरा भी काफी अवधक व्यापक है। ILO को छोड़कर, संयुि राष्ट्र की सभी
विशेषज्ञ एजेंवसयों की ्थापना 1945 के बाद त ई। संयुि राष्ट्र सुशासन पर अवधक कें दद्रत है।
उदाहरण के वलए इसने सतत विकास लक्ष्यों जैसे विकास संबंधी लक्ष्यों की प्रावप्त के वलए सद्य
राष्ट्रों के साथ कायषिम तैयार दकया है और इस ददशा में प्रमुख कायष कर रहा है। संयुि राष्ट्र
महत्िपूणष वनणाषयक कारष िाई करने में सक्षम रहा है क्योंदक संयि
ु राष्ट्र महासभा (UNGA) को
सिषसम्मवत िाले मतों की आिश्यकता नहीं होती है। 1950 के यूनाइटटग फॉर पीस रे जोल्यूशन
(1950 के कोररयाई युद्ध के दौरान) के प्रािधानों के चलते संयि
ु राष्ट्र महासभा (UNGA) अब
संयुि राष्ट्र सुरक्षा पररषद (UNSC) के िीटो को भी रद्द कर सकता है। उल्लेखनीय है दक
साम्यिादी चीन को UNO में प्रिेश न ददए जाने के कारण सोवियत रूस UNSC का बार-बार
बवहष्ट्रकार कर रहा था, इसीवलए यह प्रािधान लाया गया था। कु छ वि्ेषकों का तकष है दक प्र्ताि
पर मतदान नहीं करने का अथष िीटो करना है। इस प्रकार UNGA से परामशष दकया गया और
UNGA ने यह धारा (यूनाइटटग फॉर पीस रे जोल्यूशन) पाररत की वजसने िीटो को रद्द करना
संभि बनाया और इस प्रकार संयुि राष्ट्र कोररया युद्ध में ह्तक्षेप कर सका। प्र्ताि में कहा गया
दक "ऐसी दकसी भी व्थवत में जहां सुरक्षा पररषद, अपने पांच ्थायी सद्यों में मतैक्य की कमी
के कारण अंतराषष्ट्रीय शांवत और सुरक्षा बनाए रखने के वलए आिश्यक कायषिाही करने में विफल
रहती है, महासभा तुरंत उस मामले पर विचार करे गी और ऐसी कोई भी अनुशंसा कर सकती है
जो िह अंतराषष्ट्रीय शांवत और सुरक्षा पुन्थाषवपत करने के वलए आिश्यक समझे।"
इसके साथ ही संयुि राष्ट्र के महासवचि की उसके राष्ट्रट्रसंघ के समकक्ष की तुलना में बत त अवधक
प्रवतष्ठा है। कोफी अन्नान (1997-2006) अपनी संघषष समाधान की क्षमता के वलए बत त प्रवसद्ध
हो गए थे। यहां तक दक यदद संयुि राष्ट्र युद्ध नहीं भी रोक पाया तो भी िह विवभन्न अिसरों पर
युद्धविराम के वलए मध्य्थता करके त्िररत समावप्त में सफल रहा।
िैवश्वक शासन के युग में संयक्
ु त राष्ट्रट्र और अवधक महत्िपूणष बन गया है और क्योंदक उदारीकरण,
वनजीकरण और िैश्वीकरण तथा पयाषिरण और अन्य ग्लोबल कॉमन्स की सुरक्षा जैसी िैवश्वक
चचताओं के मुद्दों के कारण विश्ि अवधक एकीकृ त हो गया है।
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पविम समथषक
शविशाली राष्ट्रों के अधीन होना
अमेररका और यूरोप पर वित्तीय वनभषरता: संयुि राष्ट्र मुख्य रूप से अमेररकी वित्त पोषण पर वनभषर है,
जबदक राष्ट्रट्रसंघ विटेन और फ्ांस पर वनभषर था।
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35. प्रथम विश्व यु द्ध के बाद अं त राष ष्ट्रीय सं बं धों में सु धार की
ददशा में दकए गए प्रयास
राष्ट्रसंघ (लीग ऑफ़ नेशन्स): बातचीत के माध्यम से वििादों के समाधान के जररए विश्व शांवत
्थावपत करने के उद्देश्य से 1920 में राष्ट्रट्रसंघ की ्थापना की गई। सामूवहक सुरक्षा के वसद्धांत के
अंतगषत आिमणकारी राष्ट्र के विरूद्ध सेना का उपयोग और आर्थथक प्रवतबंध अपररहायष था।
राष्ट्रसंघ छोटे वििादों का समाधान करने में सफल रहा परन्तु बड़ी शवियों की आिामकता की
रोकथाम करने में यह विफल रहा।
आंग्ल-रूसी व्यापार संवध (1921): रूसी गृहयुद्ध (1918-20) के बाद, विटेन और रूस के बीच
सौहादषपूणष सम्बन्ध थे। शेष यूरोप में साम्यिादी िांवत विफल रही थी, पविमी शवियााँ रूसी
गृहयुद्ध में बोल्शेविकों को हराने में असफल रहीं थीं और रूस गृहयुद्ध से थक गया था। अब िह
विटेन से वनिेश और वमत्रता चाहता था।
िाचशगटन सम्मेलन (1921-22): सुदरू पूिष में बढते जापानी प्रभाि को रोकने के वलए िाचशगटन
सम्मेलन अमेररका द्वारा आयोवजत दकया गया था। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, जापान वमत्र
शवियों के पक्ष में लड़ा था और उसने चीन के दकयाचाओ द्वीप और शांतगुं प्रांत पर कब्जा कर
वलया था। साथ ही उसने प्रशांत महासागर में व्थत जमषनी के अवधकार िाले सभी द्वीपों पर भी
कब्जा कर वलया था। इस प्रकार, प्रथम विश्व युद्ध के बाद जापान प्रशांत क्षेत्र में अमेररका का
प्रवतद्वंद्वी बनकर उभरा था और उसने मजबूत नौसेना का विकास कर वलया था जो अमेररकी वहतों
को खतरे में डाल सकती थी। िाचशगटन सम्मेलन के माध्यम से अमेररका जापान के साथ युद्ध और
नौसैवनक प्रवतद्वंददता रोकना चाहता था। इस सम्मेलन के बाद सहमवत व्यक्त की गई दक जापान
चीन के दकयाचाओ द्वीप और शांतुंग प्रांत से हट जाएगा। बदले में, जापान को जमषनी के अवधकार
िाले प्रशांत महासागर के द्वीपों पर कब्जा बनाए रखने की अनुमवत दी गई। इसके साथ ही, विटेन,
फ्ांस और अमेररका ने जापान की सीमा के समीप नौसैवनक बेस का वनमाषण न करने पर सहमवत
व्यक्त की। अमेररका, जापान, विटेन और फ्ांस द्वारा चीन पर तट्थ रहने की गारं टी दी गई।
इसके साथ ही इन शवियों ने सुदरू पूिष में एक-दूसरे के अवधकार क्षेत्रों का सम्मान करने पर भी
सहमवत व्यक्त की। यह समझौता अमेररका, विटेन और जापान के नौसैवनक बेड़े पर सीमा
आरोवपत करता था वजनकी नौसेना 5:5:3 के अनुपात में होनी थी, अथाषत जापानी नौसेना विटेन
और अमेररका की नौसेना का ⅗ िां भाग होती।
िाचशगटन सम्मेलन का प्रभाि:
हालांदक जापान की नौसेना का आकार विटेन और अमेररका की नौसेना का 3/5 था दफर भी
जापान प्रशांत क्षेत्र में सिोच्च शवि के रूप में उभरा क्योंदक जापानी नौसेना प्रशांत क्षेत्र में संकेंदद्रत
थी, जबदक विटेन और अमेररका की नौसैनाएाँ सभी महासागरों में फै ली थीं।
1930 के दशक में जापान द्वारा चीन पर आिमण करने पर जब अमेररका ने जापान के विरूद्ध
ह्तक्षेप करने से मना कर ददया तो विटेन और फ्ांस ने भी कोई कायषिाही नहीं की क्योंदक उन्हें
लगा दक अमेररका के वबना जापान के विरुद्ध युद्ध करने में उन्हें भारी क्षवत उठानी पड़ेगी।
जेनोिा सम्मेलन (1922): जेनोिा सम्मेलन विटेन द्वारा आयोवजत दकया गया था। वनम्नवलवखत
सम्याओं का समाधान करना इस सम्मेलन का उद्देश्य था:
o फ्ांस-जमषनी की शत्रुता: जमषनी फ्ांस को युद्ध क्षवतपूर्थत का भुगतान रोकने की धमकी दे रहा
था।
o अमेररकी युद्ध ऋण: अमेररका ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान संबद्ध वमत्रशवियों को मुक्त रूप
से ऋण ददया था और युद्ध के बाद कमजोर अथषव्यि्था के कारण, विटेन और फ्ांस के वलए
पुनभुषगतान करना मुवश्कल हो रहा था।
o विटेन रूस के साथ राजनवयक संबंध ्थावपत करना चाहता था।
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जेनोिा सम्मेलन का पररणाम: जेनोिा सम्मेलन उपरोि सम्याओं का समाधान करने में विफल रहा
क्योंदक फ्ांस जमषनी से पूणष युद्ध क्षवतपूर्थत की मांग कर रहा था। इसके साथ ही, अमेररका ने सम्मेलन में
भाग लेने से मना कर ददया और सभी ऋणों का पूणष भुगतान करने की मांग की। युद्ध क्षवतपूर्थत के प्रश्न
पर फ्ांस द्वारा लचीलापन न ददखाने के कारण जमषनी ने सम्मेलन का पररत्याग कर ददया। रूस ने भी
सम्मेलन का पररत्याग कर ददया क्योंदक विटेन ने मांग की दक प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जार शासन
द्वारा वलए गए युद्ध ऋणों का भुगतान बोल्शेविक करें ।
जेनोिा सम्मेलन का प्रभाि
जमषनी और रूस ने एक अलग समझौते {रै पलो (Rapallo) समझौता 1922} पर ह्ताक्षर दकया
वजसके माध्यम से उन्होंने एक दूसरे को दी जाने िाली दकसी भी युद्ध क्षवतपूर्थत को रद्द कर ददया।
फ्ांस ने 1923 में रूर क्षेत्र पर कब्जा कर वलया और लगभग 40 वमवलयन पाउं ड कीमत की
ि्तुओं को जब्त कर वलया। रुर एक महत्िपूणष औद्योवगक क्षेत्र था। फ़्ांस इस पर कब्जा कर जमषनी
को युद्ध क्षवतपूर्थत का भुगतान करने के वलए वििश करना चाहता था। इस घटना के उपरांत िहां
के जमषन वनिावसयों ने वनवष्ट्रिय प्रवतरोध का मागष अपनाया और िहां दकसी भी प्रकार का कायष
करने से मना कर ददया। इससे न के िल फ्ांसीसी कब्जा विफल हो गया बवल्क जमषन अथषव्यि्था
पर भी इसका प्रभाि पड़ा। ि्तुओं की आपूर्थत में कमी के कारण जमषनी में मुद्रा्फीवत में अत्यवधक
िृवद्ध त ई और इस कारण जमषन फ्ैं क का इतना अिमूल्यन त आ दक ि्तुतिः िह मूल्यहीन हो गई।
डेविस योजना (Dawes Plan-1924): इस योजना का उद्देश्य रुर पर फ्ांसीसी कब्जे से उत्पन्न
सम्याओं और इसके फल्िरूप जमषनी में आई गैलोचपग मुद्रा्फीवत एिं जमषन फ्ैं क के भारी
अिमूल्यन का समाधान करना था। अमेररका ने इसका नेतृत्ि दकया और डेविस योजना के अंतगषत
यह सहमवत व्यक्त की गई दक जमषनी पयाषप्त समृद्ध होने तक प्रवतिषष उतनी ही धनरावश का
भुगतान करे गा वजतना िह िहन कर सकता है। लेदकन जमषनी द्वारा भुगतान की जाने िाली कु ल
रावश में कोई कमी नहीं की गई। जमषनी को अपनी अथषव्यि्था का पुनर्थनमाषण करने के वलए
अमेररकी ऋण भी वमला। इसके साथ ही, फ्ांस ने रुर से हट जाने पर सहमवत व्यक्त की। डेविस
योजना सफल रही और अमेररकी ऋणों के कारण जमषनी की अथषव्यि्था सुधरने लगी। डेविस
योजना के बाद अंतराषष्ट्रीय संबंधों में सुधार आया और इसने 1925 की लोकानो की संवधयों के
वलए जमीन तैयार की।
लोकानो की संवधयााँ (1925): इसमें सवम्मवलत होने िाली मुख्य शवियों में विटेन, फ्ांस, जमषनी
और इटली थे। पोलैंड, बेवल्जयम और चेको्लोिादकया इसमें शावमल होने िाले अन्य देश थे। इन
संवधयों को यूरोप में शांवत और वमत्रता के नए युग की पूिष-संध्या के रूप में देखा गया। लोकानो
संवधयों के अंतगषत ह्ताक्षरकताष देशों ने प्रथम विश्व युद्ध के बाद शांवत संवध द्वारा वनधाषररत
सीमाओं को मान्यता प्रदान करने पर सहमवत व्यक्त की। इसका अथष यह था दक राष्ट्रों ने एक दूसरे
पर आिमण नहीं करने का िचन ददया और यदद दकसी एक देश पर आिमण होता तो अन्य राष्ट्र
आिामक देश के विरूद्ध एिं पीवड़त राष्ट्रट्र के पक्ष में ह्तक्षेप करते। जमषनी ने दफर से पुवि की दक
िह िसाषय की संवध के अनुसार राइनलैंड को विसैन्यीकृ त रखना जारी रखेगा।
लोकानो संवधयों का प्रभाि
o यूरोप में इन संवधयों को लोकानो भािना या फ़्ांस और जमषनी के बीच लोकानो हनीमून के रूप
सराहा गया। 1926 में जमषनी को राष्ट्रट्रसंघ में प्रिेश करने की अनुमवत दी गईय। यूरोप में आर्थथक
समृवद्ध आई और वमत्रता का िातािरण बना। ्ट्रेसमैन (जमषनी), वियान्ड (फ्ांस) और चेम्बरलेन
(विटेन) ने 1929 तक अनिरत मुलाकात की।
o कवमयााँ: विटेन और जमषनी ने पोलैंड और चेको्लोिादकया के साथ लगी जमषन सीमाओं की गारं टी
नहीं दी। यह िह क्षेत्र था जहां वििाद होने की संभािना सिाषवधक थी। इस सम्या की उपेक्षा
करके , विटेन ने यह संदश
े ददया दक यदद जमषनी पोलैंड या चेको्लोिादकया पर आिमण करे गा तो
िह ह्तक्षेप नहीं करे गा। लोकानो भािना भ्रम थी, क्योंदक यह आर्थथक समृवद्ध पर इतना अवधक
वनभषर थी दक जब 1929 की महामंदी में आर्थथक समृवद्ध का काल समाप्त हो गया तो पुरानी
शत्रुताएं पुनिः जागृत हो गईं।
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1929 का आर्थथक संकट जमषनी में भारी बेरोजगारी लाया। 1932 तक जमषनी में 6 वमवलयन
बेरोजगार पुरुष थे। इससे नावजयों के विकास को बढािा वमला और िाईमर गणतंत्र का पतन हो
गया। नावजयों के उदय के साथ, जमषनी के प्रवत फ्ांसीसी व्यिहार कठोर हो गया क्योंदक नावजयों
ने चरम राष्ट्रिादी प्रचार के आधार पर सफलता प्राप्त की थी। नाजी सभी जमषन क्षेत्रों को राइख के
अंतगषत लाना चाहते थे।
इस सम्मेलन में विटेन और फ्ांस ने जमषनी को शेष बचे युद्ध क्षवतपूर्थत का भुगतान करने की
वजम्मेदारी से मुि कर ददया। ऐसा इसवलए दकया गया था क्योंदक महामंदी के चलते 1932 तक
छह वमवलयन जमषन लोग बेरोजगार हो चुके थे।
विश्व वनिःशस्त्रीकरण सम्मेलन 1932-33 में आयोवजत दकया गया। राष्ट्रट्रसंघ की प्रसंविदा के
अंतगषत सभी सद्यों ने शस्त्रीकरण में कमी करने पर सहमवत व्यि की, लेदकन िसाषय की संवध के
अनुसार के िल जमषनी का वनिःशस्त्रीकरण होना था। जमषनी ने मांग की दक या तो सभी का
वनिःशस्त्रीकरण होना चावहए या शस्त्रीकरण के मामले में उसे कम से कम फ्ांस के समान व्थवत दी
जानी चावहए। विटेन और इटली जमषनी के साथ सहानुभूवत रखते थे। अंत में, जब फ्ांस टस से मस
नहीं त आ, तो वहटलर ने जमषनी को इस सम्मेलन के साथ-साथ राष्ट्रट्रसंघ से भी बाहर वनकाल वलया
(दोनों 1933 में)।
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मेल-वमलाप / मैत्री: डेविस योजना (1924), लोकानो की संवधयााँ (1925), यंग योजना (1929)
और लॉसेन सम्मेलन (1932) आदद के माध्यम से मेल-वमलाप और मैत्री का प्रयास दकया गया।
्ट्रासमान 1923 से लेकर 1929 तक जमषन विदेश मंत्री था। िह बत त ही महत्िपूणष नेता था और
प्रथम विश्व युद्ध के बाद के मुवश्कल दशक के दौरान उसने जमषन विदेश नीवत का संचालन दकया
था। फ़्ांस और जमषनी के बीच के संबंध डेविस योजना (1924) तक कड़िे बने रहे। डेविस योजना
के बाद िाईमर गणतंत्र के अंतगषत जमषनी में आर्थथक सुधार त आ और पररणाम्िरूप दोनों राष्ट्रों के
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राइनलैंड
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1929 के संकट के बाद, नावजयों का प्रभाि बढ गया और इसवलए जमषनी में चरम राष्ट्रिाद भी बढ
गया। फ्ांस का व्यिहार जमषनी के विरूद्ध कठोर हो गया और उसने सोवियत रूस जैसे संभावित
भािी सहयोवगयों के वनकट आना आरं भ दकया:
ऑव्ट्रया जमषन सीमा-शुल्क संघ (1931): इसका प्र्ताि जमषनी ने दकया था और इसका अत्यवधक
आर्थथक महत्ि था। फ्ांस ने हेग में अंतराषष्ट्रीय ्थायी न्यायालय में अपील की, वजसने सीमा-शुल्क
संघ के विरूद्ध वनणषय ददया।
विश्व वनिःशस्त्रीकरण सम्मेलन (1932-33): सम्मेलन में जमषनी ने सभी देशों द्वारा वनिःशस्त्रीकरण के
वलए सहमवत न व्यि करने पर फ्ांस के समान मात्रा में हवथयार रखने के अवधकार की मांग की।
फ़्ांस ने इस पर असहमवत व्यक्त की और पररणाम्िरूप वहटलर के नेतृत्ि में जमषनी
वनिःशस्त्रीकरण सम्मेलन और राष्ट्र संघ दोनों से बाहर वनकल गया।
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रूसी गृह युद्ध (1918-20): फ़्ांस ने बोल्शेविकों के साथ युद्धरत व्हाइट्स के पक्ष में अपनी सैवनक
टु कवड़यां भेजी थीं।
रूस-पोलैंड युद्ध (1920): फ़्ांस ने पोलैंड की सहायता के वलए अपनी सैवनक टु कवड़यााँ भेजी थीं जो
बाद में रूवसयों को िारसा (पोलैंड की राजधानी) से िावपस धके लने में सक्षम रहीं।
वलरटल एंटेंट (1921-27): वलरटल एंटेंट के अंतगषत फ़्ांस-पोलैंड संवध (1912 में ह्ताक्षररत)
वजतनी जमषनी के विरुद्ध थी उतनी ही यह रूस के विरुद्ध भी थी।
1930 के पिात् जमषनी में नावजयों के उदय के कारण फ़्ांस-रूस सम्बन्धों में सकारात्मक िृवद्ध त ई थी।
40.1. िसाष य की सं वध
प्रमुख विषय 1:
िसाषय की संवध जमषनी के गौरि को आहत करती है और नाजीिाद के विकास को गवत प्रदान करती है।
यह संवध “तीन बड़ों” अथाषत अमेररका, विटेन और फ़्ांस को संतुि करती त ई प्रतीत होती है,
क्योंदक उनकी दृवि में यही शांवत थी। इन्हें यह लगता था दक यह संवध जमषनी को वनबषल तो बनाए
रखेगी, परन्तु इतना सशि भी रखेगी दक िह समाजिाद के प्रसार को रोक सके । साथ ही यह
फ़्ांसीसी सीमा को जमषन आिमण से सुरवक्षत भी रखेगी। राष्ट्रसंघ जैसे संगठन की ्थापना भी हो
गयी थी वजससे विश्व भर में युद्ध की समावप्त हो जाएगी।
परन्तु, इसके कारण सम्पूणष जमषनी में िोध व्याप्त हो गया, क्योंदक ऐसा लग रहा था दक एक राष्ट्र
के रूप में जमषनी के साथ अनुवचत व्यिहार त आ था। इन सबसे अवधक जमषनी पर युद्ध के कारण के
रूप में दोषारोपण करने िाले अनुच्छेद और उसके पररणाम्िरूप इस संवध में लगाये गए आर्थथक
दंड पर जमषनी में घृणा व्याप्त थी। जमषनी के सामान्य नागररकों का यह मत था दक अग्त 1914 में
की गई जमषन सरकार की गलवतयों के वलए उन्हें दंवडत दकया जा रहा था, जबदक सरकार ने युद्ध
की घोषणा की थी न दक लोगों ने।
संवध की अपमानजनक शतें जमषनी को िषों तक भड़काती रहीं और इसने विवभन्न प्रकार से
नाजीिाद के उदय में सहायता प्रदान की।
प्रमुख विषय 2:
संयुि राज्य ने अमेररका पृथकतािाद की नीवत अपनाया और यूरोपीय राजनीवतक मामलों से दृवि
फे र वलया।
अमेररका की आर्थथक मंदी विश्व आर्थथक संकट में तब्दील हो गयी वजसने शी्र हीं कई यूरोपीय देशों
को अपने चपेट में ले वलया और आने िाले िषों में यूरोप के राजनीवतक वनणषयों को प्रभावित दकया।
िाचशगटन सम्मेलन (1921-22): सुदरू पूिष में जापान के बढते प्रभाि को रोकने के वलए अमेररका
द्वारा िाचशगटन सम्मेलन का आयोजन दकया गया था। िाचशगटन सम्मेलन के आयोजन के पीछे
प्रमुख उद्देश्य यह था दक इसके द्वारा अमेररका जापान के साथ युद्ध और नौसैवनक दौड़ को रोकना
चाहता था। इस सम्मेलन के पिात् यह सहमवत बनी दक जापान दकआचाओ द्वीप (Kiachow
Island) और चीन के शानतुग
ं प्रान्त से सेना हटा लेगा और उसके बदले में जापान को जमषन
प्रशांत द्वीपों को अपने पास रखने की अनुमवत प्राप्त हो गयी। इसके अवतररि विटेन, फ़्ांस और
अमेररका; जापान की सीमा के समीप नौसैवनक बेस न बनाने के वलए भी सहमत हो गए।
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अमेररका, जापान, विटेन और फ़्ांस द्वारा चीन की तट्थता की गारं टी दी गई। इन शवियों ने
सुदरू पूिष में एक दूसरे की संपवत्तयों का सम्मान करने के वलए भी अपनी सहमवत दी। इस समझौते
में अमेररका, विटेन और जापान के समुद्री बेड़ों की सीमा भी वनधाषररत की गई, वजसे िमशिः
5:5:3 के अनुपात में रखा जाना था। इसके कारण अमेररका और विटेन के मध्य तनाि उत्पन्न त आ,
क्योंदक अंरेजज
े विरटश नौसेना पर सीमा लगाए जाने से प्रसन्न नहीं थे। 1930 में जापान ने
िाचशगटन समझौते के प्रवत अपनी प्रवतबद्धता की पुवि की लेदकन शी्र ही इसने नौसेना पर लगाई
गयी सीमा का उल्लंघन दकया।
पृथकतािाद की नीवत: प्रथम विश्व युद्ध में अमेररका बत त अवधक उलझा त आ था। युद्ध के पिात्
ररपवब्लकन को सत्ता प्राप्त त ई और उन्होंने पृथकतािाद की नीवत का अनुसरण दकया। ररपवब्लकन
के अंतगषत अमेररका ने राष्ट्रसंघ में सवम्मवलत नहीं होने का वनणषय वलया। इसने दकसी भी शांवत
संवध की पुवि नहीं की और फ़्ांस की सीमाओं की गारं टी देने से भी मना कर ददया। पृथकतािाद
की इस नीवत का कारण यह था दक अमेररकी युद्ध से तंग आ गए थे और उन्हें यूरोपीय राष्ट्रों के
प्रवत संदह
े भी था दक िे शांवतपूिषक रहेंगे। िे नहीं चाहते थे दक अमेररका दकसी भी प्रकार के सैन्य
वििाद में सवम्मवलत हो। पुनिः उन्होंने राष्ट्रसंघ के विचार को भी अ्िीकार कर ददया, क्योंदक िे
इसे एक अवतररि सरकार के रूप में देखते थे। इसी आधार पर उन्होंने फ़्ांस और विटेन द्वारा
तैयार दकये गये जेनेिा प्रोटोकॉल का विरोध दकया, जो सब के वलए सामूवहक सुरक्षा प्रदान कर
सकता था। इसके अंतगषत सद्य राष्ट्रों को “राष्ट्रसंघ के पक्ष में उनकी सािषभौवमकता पर महत्त्िपूणष
सीमाएं लगाने की सहमवत देनी थी।”
पृथकतािाद की नीवत के पररणाम्िरूप इसने फासीिादी शासकों द्वारा 1930 के दशक में दकए
गए विवभन्न आिामक गवतविवधयों के प्रवत वनवष्ट्रियता का प्रदशषन दकया। जापान द्वारा 1931 में
मंचरू रया पर दकये गए आिमण के विरुद्ध अमेररका ने दकसी भी तरह की कायष िाही नहीं की। यहााँ
तक दक विटेन और फ़्ांस ने भी कोई कायषिाही नहीं की। जब जापान ने मंचूररया से बाहर वनकलने
से मना कर ददया तो राष्ट्रसंघ कु छ भी नहीं कर सका।
िाल ्ट्रीट के ध्ि्त होने एिं इसके विश्व आर्थथक संकट में पररिर्थतत होने के कारण:
o यूरोपीय देशों का युद्ध ऋण: यूरोपीय देश युद्ध ऋण चुका पाने में करठनाई का अनुभि कर रहे थे।
विटेन और फ़्ांस को अमेररका से ऋण माफ़ी की अपेक्षा थी क्योंदक अमेररका को प्रथम विश्व युद्ध
से बत त लाभ प्राप्त त आ था। इसने यूरोप के पूि-ष वनयाषत बाजारों पर अवधकार कर वलया था। परन्तु
अमेररका ने पूणष भुगतान पर बल ददया। जब तक फ़्ांस ने रूर पर अवधकार नहीं दकया था,
अमेररका वमत्रराष्ट्रों द्वारा अमेररका के ऋण का भुगतान करने और जमषनी द्वारा वमत्रराष्ट्रों को युद्ध
क्षवतपूर्थत दकये जाने में कोई सम्बन्ध नही देख पा रहा था। इसके अवतररि अमे ररका ने विदेशी
व्यापार शुल्कों की दरें बत त ऊंची रखी थीं। इन कारकों ने यूरोपीय अथषव्यि्था को आघात
पत ंचाया।
o यद्यवप अमेररका ने प्रथम विश्व युद्ध के पिात् पृथकतािाद की नीवत पर लौटने का प्रयास दकया,
परन्तु शी्र ही उसे यह आभास त आ दक िह अपनी सीमाओं के बाहर होने िाली घटनाओं से आाँख
नहीं चुरा सकता क्योंदक इन घटनाओं से उसकी अथषव्यि्था प्रभावित हो रही थी। 20िीं शताब्दी
का दूसरा दशक यूरोपीय अथषव्यि्था के वलए बत त समृद्ध था अतिः अमेररका ने यूरोप में अपना
वनिेश और व्यापार बढाने का प्रयास दकया। यूरोप की आर्थथक समृवद्ध और राजनीवतक व्थरता
अमेररका के व्यापाररक वहतों, वनिेशों और वमत्रराष्ट्रों को ददए गये ऋणों की िापसी के वलए बत त
ही महत्त्िपूणष थी और अमेररका यूरोपीय राष्ट्रों में घट रही घटनाओं की उपेक्षा भी नहीं कर सकता
था। 1923 में रूर औद्योवगक क्षेत्र पर फ़्ांस के अवधरेजहण से जमषनी में मुद्रा्फीवत तेजी से बढने
लगी, क्योंदक जमषनी के श्रवमकों ने अपने वनवष्ट्रिय प्रवतरोध के रूप में काम करना बंद कर ददया
था। पररणाम्िरूप जमषन अथषव्यि्था में मांग और आपूर्थत के असंतुलन द्वारा त ए फ्ैं क के तीव्र
अिमूल्यन ने जमषन अथषव्यि्था को उथलपुथल कर ददया था। फ़्ांस को अमेररकी ऋणों को
चुकाना करठन लग रहा था। इस घटना के पिात् ही अमेररका को जमषनी द्वारा युद्ध क्षवतपूर्थत और
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वमत्रराष्ट्रों द्वारा अमेररकी ऋण चुकाए जाने में सम्बन्ध समझ में आया। इस प्रकार अमेररका डेविस
योजना (1924) के माध्यम से जमषनी की सहायता के वलए आगे आया, वजसने जमषनी को युद्ध
क्षवतपूर्थत भुगतान में सहायता की और फ़्ांस ने रूर पर अवधकार छोड़ने के वलए सहमवत दे दी।
जब एक वििाद के कारण मैवक्सको ने अमेररकी ्िावमत्ि िाले तेल के कु ओं का अवधरेजहण करने
की धमकी दी तब मैवक्सको में संकट की व्थवत उत्पन्न हो गई। अमेररकी सरकार ने ह्तक्षेप दकया
और समझौता हो गया। इस प्रकार अपनी सीमाओं के बाहर बढ रहे आर्थथक वहतों के कारण
अमेररका को अपनी पृथकतािाद की नीवत से हटना पड़ा।
o ऋणों का मकड़ जाल: जैसेदक पहले चचाष की जा चुकी है, अमेररका ने प्रथम विश्व युद्ध के
समय वमत्र राष्ट्रों को धन उधार ददया था। वमत्र शवियााँ ्ियं अमेररका से प्राप्त अपने ऋण
चुकाने के वलए जमषनी द्वारा की जाने िाली युद्ध क्षवतपूर्थत पर वनभषर थीं। इस प्रकार जब
जमषनी ने युद्ध क्षवतपूर्थत के भुगतान में चूक करना प्रारम्भ दकया तो अमेररका को जमषनी की
सहायता के वलए डेविस योजना (1924) और यंग योजना (1929) के माध्यम से ऋण प्रदान
करने पड़े। इस प्रकार से ऋणों के मकड़जाल से बन गये थे, जहााँ अमेररका जमषनी को युद्ध
क्षवतपूर्थत के वलए ऋण देता था, वजससे िह विटेन और फ़्ांस को भुगतान करता था, वजससे
दफर ये देश अमेररका को ऋण िापसी के रूप में उसी धन का भुगतान करते थे। संयुि राज्य
अमेररका के संकट का प्रमुख कारण ऋणों का यह मकड़ जाल था जो उसे तेजी से भीषण
आर्थथक मंदी की ओर ले जा रहा था। एक बार जब अमेररका जमषनी को और अवधक ऋण देने
की व्थवत में नहीं था तो उसने यूरोपीय देशों से अपने ऋणों के तुरंत भुगतान की मांग की
वजससे पूरे यूरोपीय राष्ट्रों की अथषव्यि्था चरमराने लगी। 1929 की िैवश्वक आर्थथक मंदी का
अमेररका ही उत्तरदायी था।
प्रमुख विषय 3: 1930 के दशक में जमषनी, इटली और जापान की धुरी शवियों की फासीिादी शासनों
द्वारा आिामक गवतविवधयों में िृवद्ध देखी गई। दमदार आिामकता और चतुर कू टनीवत के एक चतुर
वमश्रण के माध्यम से धुरी शवियााँ पड़ोसी देशों के छोटे-छोटे क्षेत्रों को हवथयाने के साथ-साथ अपनी
सैन्य शवियों का भी वि्तार कर रहे थे।
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भूवमका: 1933-39 की अिवध इटली, जमषनी और जापान जैसे फासीिादी शासनों द्वारा शावसत
आिामकता की अिवध थी। यह ऐसा समय था वजसमें जमषनी ने िसाषय की संवध का उल्लंघन
करना प्रारम्भ कर ददया था। लोकानो की भािना जो विटेन, फ़्ांस और जमषनी के बीच सम्बन्धों का
सकारात्मक लक्षण थी, 1929 की महान आर्थथक मंदी और ्ट्रेसमैन (जमषन विदेश मंत्री, वजन्होंने
जमषनी और फ़्ांस के बीच सामंज्य ्थावपत दकया था) की मृत्यु के पिात् समाप्त हो गयी थी।
20िीं शताब्दी के तीसरे दशक में जापान, इटली और जमषनी में राष्ट्रिाद अपने चरम पर पत ंच गया
था।
घटनािम को संक्षप
े में इस प्रकार बताया जा सकता है:
o जापान ने मंचूररया पर आिमण दकया (1931) और राष्ट्रसंघ जापान को पीछे हटने के वलए
वििश नहीं कर सका।
o 1933 में जमषनी ने ्ियं को विश्व वनिःशस्त्रीकरण सम्मेलन से बाहर कर वलया। 1933 में ही
जापान और जमषनी ने अपने आप को राष्ट्रसंघ से बाहर कर वलया। धीरे -धीरे राष्ट्र संघ के
अवधकार घटते रहे और 1939 तक यह एक मृतप्राय संगठन बन गया था।
o 1935 में जमषनी ने अवनिायष सैन्य सेिा प्रारम्भ कर दी।
o जमषनी द्वारा अवनिायष सैन्य सेिा प्रारम्भ दकए जाने के विरोध में इटली, विटेन और फ़्ांस के
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जापान का प्रसार
मंचरू रया पर आिमण (1931): यह समझना महत्त्िपूणष है दक जापान ने मंचूररया पर आिमण
(1931) क्यों दकया? आर्थथक मंदी के कारण जापान अत्यावधक आर्थथक तनाि से रेज्त था। इसके
वनयाषत नाटकीय ढंग से कम हो गये थे और भरपूर फसल के उत्पादन के कारण चािल के मूल्यों में
कमी आ गयी थी। जापान के लोग अत्यावधक आर्थथक करठनाइयों से जूझ रहे थे। मंचूररया में च्यांग
काई शेक का प्रभाि भी बढ रहा था। वजसके कारण मंचूररया में जापानी वहतों के वलए संकट
उत्पन्न हो रहा था। रूस-जापान युद्ध (1904-05) के पिात् जब जापान को दवक्षणी मंचूररया और
आथषर बन्दरगाह पर विशेष अवधकार प्राप्त त ए थे तो जापान ने मंचूररया के उद्योगों और
आधारभूत ढांचे के विकास की योजनाओं में (विशेषरूप से दवक्षणी मंचूररया में) वनिेश दकया था।
(*1931 तक मंचूररया के रे लिे और बैंककग व्यि्था पर जापान का वनयन्त्रण हो गया था)। अतिः
सेना ने जापानी सरकार की आपवत्तयों की अिहेलना करते त ए मंचूररया पर आिमण कर ददया।
मंचरू रया पर आिमण के पररणाम: जापान ने मंचूररया को ्िाधीन मान्चुको राज्य के रूप में
घोवषत कर ददया और िहां एक कठपुतली सरकार की ्थापना कर दी। राष्ट्रसंघ का मत था दक
मंचरू रया क्षेत्र के प्रशासन को उसके वनयन्त्रण में लाया जाना चावहए, परन्तु जापान ने इसकी
उपेक्षा की। संघ कु छ भी नहीं कर सका क्योंदक अमेररका जापान से युद्ध नहीं चाहता था और विटेन
तथा फ़्ांस ने वबना अमेररका के समथषन के दकसी भी कायषिाही से मना कर ददया। इस प्रकार से यह
पविमी शवियों द्वारा जापान के तुिीकरण का एक कायष बन गया।
उत्तरी-पूिी चीन पर आिमण (1933): 1933 में जापान चीन के उत्तरी-पूिी क्षेत्रों की ओर बढा।
इसका कोई औवचत्य नहीं था और यह विशुद्ध रूप से एक आिामक कायषिाही थी। 1935 तक
जापान कु ओवमन्तांग सरकार (KMT) और माओ-जेडोंग (माओत्से तुंग) की चीनी कम्युवन्ट पाटी
(CCP) के बीच वछड़े गृहयुद्ध का लाभ उठाते त ए चीन के बत त बड़े क्षेत्र पर अवधकार करने में
सफल रहा था।
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चीन पर आिमण (1937): 1936 में जमषनी के साथ कोवमनटनष विरोधी संवध पर ह्ताक्षर करने
के पिात् जापान ने चीन पर आिमण करने की योजना बनाई। जापान ने पीककग में चीनी और
जापानी सैवनकों के बीच त ई छोटी सी घटना को आिमण के वलए एक बहाना बना वलया। 1938
तक शंघाई और नानककग (च्यांग काई शेक की राजधानी) जापावनयों के वनयन्त्रण में आ गये थे।
परन्तु, इससे सम्पूणष विजय प्राप्त नहीं त ई थी। ऐसा इसवलए त आ क्योंदक 1936 तक CCP और
KMT के बीच जापानी आिमण का प्रवतरोध करने के वलए एक युद्धविराम समझौते पर सहमवत
त ई थी। इससे पूिष च्यांग काई शेक ने जापावनयों से वनबटने के ्थान पर माओ को हराने पर अपना
ध्यान के वन्द्रत कर रखा था वजससे 1936 तक की जापानी सफलता की व्याख्या हो जाती है। इसके
अवतररि रूस ने भी चीन की सहायता की, परन्तु िह इसमें पूरी तरह सवम्मवलत नहीं त आ क्योंदक
िह ्ियं भी जापान से पूणत ष िः उलझना (चौतरफा युद्ध) नहीं चाहता था।
वनष्ट्रकषष: वद्वतीय विश्व युद्ध की पूिष संध्या पर पूिी चीन का अवधकांश क्षेत्र जापान के वनयन्त्रण में
था, िहीं च्यांग काई शेक और माओ का वनयन्त्रण मध्य और पविमी भागों पर था। यह तकष ददया
जा सकता है दक यद्यवप राष्ट्रसंघ ने जापान की चनदा की परन्तु यह इतना सशि नहीं था दक
जापान के विरुद्ध कोई कठोर कायषिाही कर सके , क्योंदक:
o अमेररका पृथकतािाद की नीवत का अनुसरण कर रहा था।
o रूस (संयुि समाजिादी सोवियत गणतन्त्र-USSR) जापान के साथ पूणत
ष िः उलझना नहीं
चाहता था।
o विटेन और फ़्ांस वहटलर से ही वनबटने में अत्यवधक व्य्त थे।
मुसोवलनी की विदेश नीवत:
1919-24: मुसोवलनी ने 1922 में सत्ता रेजहण की और तुरंत ही एक आिामक विदेश नीवत लागू
करनी प्रारम्भ कर दी। उसने 1923 की कोफूष घटना (*पहले चचाष की जा चुकी है) को लेकर रेजीस
पर बमबारी की, जहााँ इटली द्वारा रेजीस को युद्ध की सम्पूणष क्षवतपूर्थत के वलए वििश दकया गया।
यहीं पर राजदूतों के सम्मेलन में राष्ट्रसंघ के मत को अ्िीकृ त कर ददया गया। फ्यूम: 1924 में
इटली ने फ्यूम पर आिमण दकया और उसपर अवधकार कर वलया। 1920 के पिात् से फ्यूम
युगो्लाविया और इटली के बीच वििाद की जड़ बना त आ था। एक समझौते के रूप में रपालो की
संवध (1920) पर ह्ताक्षर दकए गये, वजसमें फ्यूम के ्ितंत्र नगर को इटली और फ़्ांस द्वारा
संयुि रूप से उपयोग दकये जाने का प्रािधान दकया गया था। 1920-24 तक इसका अव्तत्ि एक
्ितंत्र नगर का था। इसके पिात् इटली ने अपने सैवनक बल िहां भेज ददए और युगो्लाविया ने
इटली द्वारा फ्यूम के अवधरेजहण को मान्यता प्रदान कर दी।
1924-34: इस अिवध में इटली की विदेश नीवत की दो महत्िपूणष चचताएं थीं। पहली – इटली-
फ़्ांस प्रवतद्वंवद्वता, क्योंदक फ़्ांस युगो्लाविया का सहयोगी था (वलरटल एंटेन्ट को ्मरण करें ) और
भूमध्यसागर और बाल्कन में इटली भी प्रभाि बनाने के वलए फ़्ांस के साथ प्रवत्पधाष कर रहा था।
दूसरी, इटली को यह आशंका थी दक जमषनी आव्ट्रया पर अवधकार कर सकता है, जो इटली के
उत्तर-पूिष में था और इटली और जमषनी के बीच एक तट्थ राज्य का कायष करता था।
लोकानो सवन्धयााँ और इटली: इटली 1925 की लोकानो संवध में प्रवतभागी था। लोकानो सवन्धयों
पर राष्ट्रसंघ के अवधकार-क्षेत्र से बाहर ह्ताक्षर दकये गये थे:
o जमषनी ने राइनलैंड के असैन्यीकरण की पुन: पुवि की थी।
o इसके अवतररि, जमषनी, फ़्ांस और बेवल्जयम ने एक दूसरे की सीमाओं का सम्मान करने का
िचन ददया। इटली और विटेन ने इसका उत्तरदावयत्ि वलया था। तीनों में से (फ़्ांस, बेवल्जयम,
जमषनी) दकसी के द्वारा भी आिमण की व्थवत में अन्य सभी आिमण के पीवड़त की सहायता
करें गे।
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इटली और विटेन: इटली ने विटेन से भी, विशेषकर उपवनिेशों के प्रश्न पर अच्छे सम्बन्ध विकवसत
करने का प्रयास दकया। उसने इराक के मोसुल प्रान्त पर विटेन के दािे का समथषन दकया, वजसमें
टकी भी अपना वहत देखता था। राष्ट्रसंघ ने इस वििाद में विटेन का पक्ष वलया और 1926 में टकी
इस वनणषय से सहमत हो गया। इसके बदले में विटेन ने सोमालीलैंड इटली को दे ददया। इसके
अवतररि इटली ने सोवियत संघ (USSR) के साथ 1933 में अनािमण संवध पर ह्ताक्षर कर
वलए। इस प्रकार से इस दशक में इटली ने ्ियं को आिामक विदेशी नीवत के ्थान पर कू टनीवत
में अवधक व्य्त रखा।
1934 के पिात्: प्रारवम्भक विरोध के पिात् मुसोवलनी का झुकाि वहटलर की ओर हो गया और
इटली ने कई आिामक कायषिावहयााँ कीं।
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साम्यिाद के प्रसार को रोकना चाहता था। परन्तु फ्ैं को को समथषन देने के पीछे उसके िा्तविक
उद्देश्य इस प्रकार थे:
o फ़्ांस को धमकाने के वलए मुसोवलनी ्पेन में अपना नौसैवनक अड्डा बनाना चाहता था।
o मुसोवलनी यूरोप में एक और फासीिादी राज्य चाहता था जो उसके सहयोगी के रूप में कायष करे
और शवि संतुलन इटली के पक्ष में झुक जाए।
रोम-बर्थलन धुरी: 1936 में मुसोवलनी ने रोम-बर्थलन धुरी की घोषणा के साथ ही वहटलर से हाथ
वमला वलया। इसका अथष यह था दक यूरोप के सभी शांवतवप्रय देश इटली और जमषन गठबन्धन की
काल्पवनक रे खा से वनर्थमत धुरी के चारों ओर घूमते रहेंगे। इस प्रकार से इटली और जमषनी का मुख्य
उद्देश्य वजतना संभि हो सके उतने राज्यों को इस गठबन्धन व्यि्था के प्रभाि के अंतगषत लाना
था।
कोवमन्टनष विरोधी समझौता: 1937 में इटली कोवमन्टनष विरोधी समझौते में सवम्मवलत हो गया
वजसमें अब जापान, इटली और जमषनी सद्य थे। इस समझौते पर ह्ताक्षर करने से इटली के
लोगों के बीच मुसोवलनी की लोकवप्रयता घट गयी क्योंदक जनसामान्य इसे अंतराषष्ट्रीय मामलों में
एक आिामक ददखािे के रूप में देखता था। इटली की जनता को यह भय था दक कहीं मुसोवलनी
इटली को एक और युद्ध में न धके ल दे।
म्यूवनख सम्मेलन (1938): इसके पररणाम्िरूप जमषनी को जमषन जनसंख्या िाला क्षेत्र सुडटे नलैंड
(चेको्लोिादकया) प्राप्त त आ। सम्मेलन में भाग लेने के फल्िरूप घरे लू मोचे पर मुसोवलनी की
लोकवप्रयता में िृवद्ध त ई क्योंदक यह सम्मेलन युद्ध से बचाि का प्रतीक था।
अल्बावनया पर आिमण (1939): मुसोवलनी ने 1939 में अल्बावनया पर आिमण कर ददया। यह
एक अनािश्यक आिामक कायषिाही थी। इसका कारण यह था दक अल्बावनया पहले से ही इटली
के आर्थथक प्रभाि में था तथा दोनों देशों के बीच वमत्रित सम्बन्ध थे और इसके अवधरेजहण से कोई
िा्तविक लाभ भी नहीं वमलने िाला था। यहााँ इसका विशेष उद्देश्य के िल वहटलर की सफलताओं
के समकक्ष पत ंचना था वजसने हाल ही (1938) में आव्ट्रया पर अवधकार दकया था। वहटलर के
साथ लोकवप्रयता की इस दौड़ में मुसोवलनी वपछड़ा त आ नहीं ददखना चाहता था तथा िह उसके
समकक्ष व्थवत प्राप्त करने की अवभलाषा रखता था।
इ्पात का समझौता (Pact of Steel- 1939): यह समझौता इटली और जमषनी के बीच दकया
गया था। इस संवध के द्वारा इटली पूणष रूप से जमषनी का सहयोगी बन गया था और युद्ध की व्थवत
में उसने पूणष सैन्य समथषन देने का िचन ददया था।
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1933-39 तक की घटनाओं का आगे वििरण देने से पहले इस प्रश्न का उत्तर देना प्रासंवगक है दक
“वहटलर के उद्देश्य क्या थे?”
वहटलर 1933 में चांसलर बन गया था। वहटलर ने यह पहले ही ्पि कर ददया था दक यदद नाजी
पाटी सत्ता में आई तो उसके उद्देश्य क्या होंगे। वहटलर जमषनी को एक महान शवि बनाना चाहता
था और उसकी प्रवतष्ठा को पुनिः ्थावपत करना चाहता था। उसके उद्देश्यों के पहले समूह में
वनम्नवलवखत लक्ष्यों को रखा जा सकता है:
o िसाषय की संवध को समाप्त करना।
o शविशाली सेना का वनमाषण करना।
o सभी जमषन मूल के लोगों को थडष राइख़ के अंतगषत लाने के वलए आव्ट्रया एिं पोलैंड और
चेको्लोिादकया के कु छ भागों का अवधरेजहण करना, इन दोनों क्षेत्रों में काफी बड़ी मात्रा में
जमषन जनसंख्या अल्पसंख्यकों के रूप में वनिास करती थी।
o सार क्षेत्र, डेनचजग बन्दरगाह और पोलैंड गवलयारे को िापस प्राप्त करना।
चूाँदक इनमें से अवधकांश उद्देश्यों को 1938 तक वबना दकसी युद्ध के प्राप्त कर वलया गया था तो अब
प्रश्न यह उठता है दक वद्वतीय विश्व युद्ध को क्यों रोका नही जा सका। यह प्रश्न हमें वहटलर के लक्ष्यों
के दूसरे समूह की ओर ले जाता है, वजन पर विद्वानों में कु छ असहमवत है। ये उद्देश्य इस प्रकार थे:
o लेबेन्स्रम (Lebensraum अथाषत् रहने का ्थान): कु छ विद्वानों का तकष है दक आव्ट्रया और
चेको्लोिादकया एिं पोलैंड के कु छ भागों पर अवधकार का लक्ष्य, वहटलर के लक्ष्यों का
आरम्भ मात्र था, उसके पिात् उसका उद्देश्य सम्पूणष चेको्लोिादकया और पोलैंड पर
अवधकार करना था। िह रूस में यूराल पिषत तक अवधकार करना चाहता था। जमषनी के इन
मंसूबों के भय से रूस ने अपने कई कारखानों को यूराल के पूिष में ्थानांररत कर ददया। इन
क्षेत्रों पर जमषनी के अवधरेजहण से जमषनी को लेबन्े स्रम या रहने का ्थान प्राप्त हो जाता। इससे
जमषनी की खाद्य सुरक्षा भी सुवनवित हो जाती और यह ऐसे क्षेत्र का कायष करता, जहााँ
भविष्ट्रय में बढी त ई जमषन जनसंख्या को बसाया जा सकता था। इस प्रकार की योजना का एक
अवतररि लाभ साम्यिाद का विनाश भी होता।
o अगला चरण था- अन्य यूरोपीय शवियों के अफ़्ीकी उपवनिेशों पर विजय और अटलांरटक
महासागर में नौसैवनक अड्डों की ्थापना।
कु छ विद्वानों का तकष है दक वहटलर एक विश्व युद्ध नहीं, अवपतु पोलैंड के साथ सीवमत युद्ध चाहता
था। वहटलर को यह पता नहीं था दक विटेन पोलैंड की रक्षा करने के िचन के प्रवत गम्भीर है।
चेको्लोिादकया की तुलना में पोलैंड सैन्य रूप से कमजोर था और जब वहटलर ने
चेको्लोिादकया पर अवधकार दकया तो विटेन ने तुिीकरण की नीवत का अनुसरण दकया। इससे
पहले म्यूवनख सम्मेलन (1938) में विटेन ने सुडटे नलैंड को ि्तुतिः वहटलर को भेंट में दे ददया था।
यदद विटेन जमषन वि्तार को रोकना चाहता तो पोलैंड की तुलना में चेको्लोिादकया एक बेहतर
सहयोगी हो सकता था।
विश्व वनिःशस्त्रीकरण सम्मेलन (1932-33): जब फ़्ांस शस्त्रीकरण में जमषनी को समान व्थवत ददए
जाने पर सहमत नहीं त आ तो वहटलर ने जमषनी को विश्व वनिःशस्त्रीकरण सम्मेलन से अलग कर
वलया। विटेन जमषनी की मांग के प्रवत सहानुभूवत रखता था, क्योंदक उसे जमषन मांग उवचत लगती
थी। इसमें जमषनी की एक कु टनीवतक विजय थी, क्योंदक इस सम्मेलन के बाद वहटलर को जमषनी
का पुनिः शस्त्रीकरण करने का बहाना वमल गया था।
पोलैंड के साथ दस िषीय अनािमण संवध (1934): पोलैंड सदा से ही जमषनी की चालों के प्रवत
सशंदकत था। उसे डर था दक जमषनी पोवलश गवलयारे को िापस लेने का प्रयास करे गा, वजसमें
वनम्नवलवखत क्षेत्र सवम्मवलत थे:
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जैसा दक मानवचत्र से ्पि है, पोवलश गवलयारे ने पूिी प्रशा को जमषनी के शेष भागों से अलग कर
ददया था और यह व्थवत जमषनी की असंतुवि का कारण बनी। वमत्र राष्ट्रों द्वारा युद्ध उद्देश्य के रूप
में दकये गए िादे के अनुसार बावल्टक सागर तक पत ाँच प्रदान करने के वलए िसाषय की संवध में
पोलैंड को पोवलश गवलयारा प्रदान दकया गया था। पोवलश गवलयारा प्राप्त हो जाने के पिात्
पोवलश लोगों द्वारा दकये गए दमन के कारण इस क्षेत्र से अल्पसंख्यक जमषन लोगों का अत्यवधक
पलायन त आ। इस क्षेत्र की जनसंख्या में पोवलश लोग बत संख्यक थे। चूाँदक पोवलश गवलयारा
पोलैंड को बावल्टक सागर तक पत ंच प्रदान करता था अतिः पोलैंड की आर्थथक ्ितंत्र ता के वलए
पोवलश गवलयारा बत त महत्िपूणष था। डेनचजग शहर पोलैंड और जमषनी दोनों ही से ्ितंत्र था।
इस दस िषीय अनािमण संवध के प्रभाि वनम्नवलवखत थे :
o विटेन ने इसे वहटलर की शांवतपूणष भािना के प्रमाण के रूप में वलया।
o इस संवध ने वलरटल एंटेट (लघु सुदढ
ृ संघ) को नि कर ददया, वजस पर सहयोवगयों के एक
समूह के रूप में फ़्ांस, युगो्लाविया, चेको्लोिादकया, रोमावनया और पोलैंड ने ह्ताक्षर
दकए थे। जमषनी के आिमण की व्थवत में वनिारक के रूप में वलरटल एंटेन्ट पोलैंड पर बत त
अवधक वनभषर था।
o इस संवध में चेको्लोिादकया और आव्ट्रया के विरुद्ध जमषन आिमण की व्थवत में पोवलश
तट्थता की गारं टी दी गई थी। इस प्रकार यह जमषनी की रणनीवतक जीत थी। उसका इरादा
पहले चेको्लोिादकया से सुडटे नलैंड लेना और दफर आव्ट्रया पर अवधकार करना था।
पोलैंड को संघषष से बाहर रख कर उसने अपने इन लक्ष्यों की प्रावप्त की ददशा में अपनी व्थवत
को सुदढृ कर वलया।
o इस संवध ने फ़्ांस और रूस के सम्बन्धों में सुधार दकया क्योंदक दोनों ही जमषनी की
महत्िाकांक्षाओं से खतरा अनुभि करते थे।
सार क्षेत्र (1935): िसाषय की संवध के अंतगषत यह िादा दकया गया था दक 15 िषष पिात् (1920
से) सार में जनमत संरेजह कराया जायेगा। तब तक इसकी कोयला खदानों का उपयोग फ़्ांस द्वारा
दकया जायेगा। लीग ऑफ़ नेशन्स के मैंडटे कमीशन ने सफलता पूिक
ष जनमत संरेजह आयोवजत दकया
और जब 90% लोगों ने जमषनी के पक्ष में मत ददया तो उसे यह क्षेत्र सौंप ददया गया। पोलैंड के
साथ गैर-आिामक संवध (1934) के पिात् वहटलर ने फ़्ांस को शांत करने के वलए कहा दक सार के
ह्तांतरण के पिात् फ़्ांस और जमषनी के सभी वगले-वशकिे समाप्त हो गये हैं।
कांव्िपशन (Conscription-1935): कांव्िपशन का अथष अवनिायष सैन्य सेिा है। िसाषय की
संवध में जमषनी द्वारा इसे आरम्भ दकये जाने पर प्रवतबन्ध लगा ददया गया था। परन्तु वहटलर ने
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1935 में अवनिायष सैन्य सेिा प्रारम्भ कर दी। ऐसा करने के पीछे उसका बहाना था दक विटेन ने
अभी ही अपनी िायु सेना की शवि में िृवद्ध की है और फ़्ांस ने अवनिायष सैन्य सेिा की अिवध 12
महीने से बढा कर 18 महीने कर दी है। यहााँ यह ्पि है दक फ़्ांस और विटेन भी भविष्ट्रय की दकसी
भी सम्भावित आिामकता का सामना करने के वलए अपनी सेना को तैयार कर रहे थे। अवनिायष
सैन्य सेिा प्रारम्भ करने के पिात् वहटलर ने घोषणा की दक िह 6 लाख की संख्या में सैन्यबल
तैयार करे गा। यह पुनिः िसाषय की संवध का उल्लंघन था, वजसमें इसकी सीमा 1 लाख सैवनक
वनधाषररत की गयी थी। विटेन, फ़्ांस और इटली जो वहटलर की चालों के प्रवत सशंदकत थे, उन्होंने
अपने आप को 1935 में ्ट्रेसा मोचे (Stresa Front) के रूप में संगरठत कर वलया, वजसने वहटलर
की अवनिायष सैन्य सेिा की चनदा की और आव्ट्रया पर अवधकार करने की दकसी भी जमषन योजना
के विरुद्ध आव्ट्रया की सीमाओं की रक्षा करने की गारं टी दी।
विरटश-जमषन नौसैवनक संवध (1935): यह दफर से वहटलर की कू टनीवतक जीत थी, क्योंदक इसके
पररणाम्िरूप ्ट्रेसा मोचे को भंग (1935) कर ददया गया था। विटेन अपने सहयोवगयों से
परामशष दकये वबना ही इस समझौते पर आगे बढ गया था। इस संवध के अंतगषत वहटलर ने जमषन
नौसेना को विटेन की नौसेना के 35% तक सीवमत करने का प्र्ताि रखा। इस संवध पर सहमत
होने के पीछे विटेन का यह विचार था दक जब जमषनी ने अवनिायष सैन्य सेिा आरम्भ कर ही दी है
तो इस संवध के माध्यम से अब विटेन जमषनी के शस्त्रीकरण को वनयंवत्रत करने में सफल हो जाएगा।
चूाँदक विटेन युद्ध नहीं चाहता था अतिः उसके अनुसार एक शांत जमषनी सुवनवित करने का यह
सिषश्रेष्ठ उपाय था। विरटश-जमषन नौसैवनक संवध के प्रभाि से ही जमषनी के शस्त्रीकरण में अत्यवधक
िृवद्ध त ई। 1938 तक, जमषनी के पास 8 लाख एवक्टि और ररजिष सैवनक, 5000 िायुयान, 47 यु-
बोट (पनडु वब्बयााँ) और 21 विशाल पोत थे, वजनमे युद्ध-पोत, िू जर और वड्ट्रॉयर थे।
राइनलैंड का पुनिः सैन्यीकरण (1936): विटेन और फ़्ांस के एबीसीवनया के संकट में व्य्त होने का
लाभ उठाते त ए वहटलर ने राइनलैंड में सैन्यबल भेज ददया। यह िसाषय संवध का और लोकानो
संवधयों (1925) में ्ट्रेसमेन की िचनबद्धता का उल्लंघन था।
रोम-बर्थलन धुरी (1936): यह इटली और जमषनी के बीच एक संवध थी। इसका आशय यह था दक
यूरोप के सभी शांवतवप्रय देश इटली और जमषनी के मध्य एक काल्पवनक रे खा के इदष-वगदष घुमते
रहेंगे।
कोचमटनष विरोधी संवध (1936): यह गठबंधन बनाने की ददशा में एक कदम था। जमषनी और
जापान इसके मूल ह्ताक्षरकताष थे। 1937 में इटली भी इस कोचमटनष विरोधी संवध में सवम्मवलत
हो गया। इस गठबंधन का लक्ष्य सम्बवन्धत देशों में साम्यिाद के प्रसार को रोकना था। यह फ़्ांस
और विटेन के वलए एक संकेत भी था दक सद्यों का आिामक रुख रूस की ओर अवधक था न की
फ़्ांस और विटेन की ओर।
्पेन का गृह युद्ध (1936): जमषनी ने फ्ैं को के पक्ष में युद्ध में भाग वलया। वहटलर ने ्पेन पर
बमबारी का आदेश ददया, वजसके पररणाम्िरूप बड़ी संख्या में वनदोष नागररकों को जान गंिानी
पड़ी। इससे विटेन और फ़्ांस भयभीत हो गये और इस प्रकार के दकसी भी विनाशक युद्ध को टालने
के वलए वहटलर को प्रसन्न रखने का प्रयास करने लगे।
आव्ट्रया के साथ अंसचल्स (Anschluss) (1938): अंसचल्स का अथष है संघ। आव्ट्रया में लाखों
की संख्या में जमषन वनिास करते थे। िसाषय की संवध में जमषनी और आव्ट्रया के एकीकरण को
प्रवतबंवधत कर ददया गया था। 1931 में जमषनी ने इस एकीकरण की ददशा में पहला कदम
आव्ट्रया-जमषनी के मध्य सीमा शुल्क संघ की ्थापना करने के सुझाि के रूप में उठाया। फ़्ांस ने
अंतराषष्ट्रीय न्यायालय में अपील की, वजसने सीमा शुल्क एकीकरण के विरुद्ध वनणषय ददया। रूस और
इटली भी सीमा शुल्क एकीकरण के विरुद्ध थे क्योंदक यह जमषन राष्ट्रिाद का प्रतीक था। 1934 में
वहटलर ने आव्ट्रया पर अवधकार करने का पहला प्रयास दकया। इस प्रयास को इटली ने विफल कर
ददया, क्योंदक जब आव्ट्रया के नावजयों ने आव्ट्रया के चांसलर की हत्या कर दी और जमषनी
आव्ट्रया पर आिमण करने िाला था तो इटली ने आव्ट्रया की सीमाओं पर व्थत िेनर पास (दरे )
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पर अपनी सेना भेज दी। इटली से युद्ध होने के भय से वहटलर आगे नहीं बढा। परन्तु शी्र ही उसने
इटली के विरोध को वनष्ट्रप्रभािी करने के प्रयास दकए। जब मुसोवलनी ने अबीसीवनया पर आिमण
दकया (1935) तो वहटलर ने कोई आपवत्त नहीं की। इसके अवतररि 1936 में उसने रोम-बर्थलन
धुरी बनाकर के इटली को अपना सहयोगी बना वलया। अबीसीवनया पर अवधकार करने पर
वहटलर द्वारा प्रवतबन्ध न लगाए जाने के बदले में इटली ने आव्ट्रया पर अवधकार के अपने दािों
को िापस ले वलया। 1938 में अंततिः अंसचल्स संपन्न त आ। आव्ट्रया के नावजयों ने आव्ट्रया में
सरकार के विरुद्ध विशाल प्रदशषन दकया। जमषनी ने आव्ट्रया के सम्मुख 10 मांगें प्र्तुत कीं, वजनमें
से एक मांग थी की गृह मंत्री के पद पर एक नाजी को वनयुि दकया जाए। चांसलर ने शी्र ही
आव्ट्रया एिं जमषनी के एकीकरण के प्रश्न पर जनमत संरेजह आयोवजत दकया। चांसलर कु छ हद तक
एक नकारात्मक पररणाम के वलए आश्व्त था। पररणामों की अवनवितता से वहटलर ने आव्ट्रया
पर आिमण की धमकी दी। उसने कहा दक िह “वियना को आव्ट्रया का ्पेन बना देगा”
पररणाम्िरूप चांसलर ने त्यागपत्र दे ददया, वजसके बाद आव्ट्रया की नाजी सरकार ने आव्ट्रया
पर अवधकार करने के वलए वहटलर को आमंवत्रत दकया। विटेन और फ़्ांस ने मौवखक रूप से विरोध
दकया। उन्हें जमषनी के साथ युद्ध का भय था और ्पेन के गृह युद्ध (1936) में वहटलर द्वारा वनदोष
नागररकों पर की गई बमबारी को देखते त ए िह युद्ध से होने िाली नागररकों की जान की
संभावित क्षवत को रोकना चाहते थे।
विलय का प्रभाि:
o चेको्लोिादकया के वलए यह एक गम्भीर खतरा था, वजस पर अब तीन ददशाओं से आिमण हो
सकता था अथाषत दवक्षण से (आव्ट्रया), पविम और उत्तर से (जमषनी)।
o शी्र ही जमषनी ने म्यूवनख सम्मेलन (1938) में सुडटे नलैंड की मांग की और उसे प्राप्त कर वलया
और इस प्रकार चेको्लोिादकया के बत त से उद्योग जमषनी को चले गए।
म्यूवनख सम्मेलन (1938): इसके पररणाम्िरूप जमषन जनसंख्या िाला क्षेत्र सुडटे नलैंड
(चेको्लोिादकया) जमषनी को प्राप्त हो गया। चेको्लोिादकया में लोकतंत्र के कारण वहटलर
चेको्लोिादकया से घृणा करता था, क्योंदक इसकी रचना िसाषय की संवध से त ई थी। जमषनी के
वलए लेबेन्स्राम के अपने ्िप्न को पूरा करने हेतु वहटलर चेको्लोिादकया पर अवधकार करना
चाहता था। उसे विशेषरूप से सुडटे नलैंड चावहए था, क्योंदक यह औद्योवगक रुप से बत त समृद्ध था
और िहां जमषन जनसंख्या भी अवधक थी। वहटलर ने यह तकष देना प्रारम्भ दकया दक सुडटे नलैंड में
सरकार जमषन लोगों से भेदभाि करती है। यह इस तकष पर आधाररत था दक अन्य समूहों की तुलना
में जमषन लोगों में बेरोजगारी अवधक थी। सुडटे नलैंड में नावजयों ने विशाल विरोध प्रदशषन
आयोवजत दकए। ऐसा महसूस दकया जा रहा था दक सुडटे नलैंड पर अवधकार करने के वलए वहटलर
चेको्लोिादकया पर आिमण करे गा और इसवलए म्यूवनख में एक सम्मेलन आयोवजत दकया गया।
म्यूवनख सम्मेलन में, इटली, फ़्ांस और जमषनी ने भाग वलया। USSR और चेको्लोिादकया को
आमंवत्रत भी नहीं दकया गया था। सम्मेलन का यह वनणषय था दक जमषनी सुडटे नलैंड पर तो
अवधकार कर सकता है परन्तु िह चेको्लोिादकया पर इससे अवधक दािा नहीं करे गा। विटेन और
फ़्ांस ने चेको्लोिादकया को यह भी बता ददया दक यदद िे म्यूवनख समझौते को ्िीकार नहीं
करते तो जमषनी द्वारा आिमण की व्थवत में िे उसकी सहायता के वलए नहीं आएंगे। यह लोकानों
संवधयों के विरुद्ध था। हालांदक लोकानों संवध में जमषनी ने चेको्लोिादकया के साथ अपनी
सीमाओं को लेकर कोई गारं टी नहीं दी थी परन्तु फ़्ांस ने पोलैंड और चेको्लोिादकया पर जमषनी
के आिमण की व्थवत में उनकी सहायता के वलए प्रवतबद्धता व्यि की थी। विटेन और फ्ांस द्वारा
सहायता से इनकार करने के फल्िरूप चेको्लोिादकया म्यूवनख संवध पर सहमत हो गया।
सुडटे नलैंड को गंिा कर उसने अपने भारी उद्योगों का 70% और जमषनी के विरुद्ध अपनी दकलेबद
ं ी
को खो ददया था। पररणाम्िरूप सरकार के प्रभाि में कमी और आर्थथक सम्याओं के कारण
्लोिादकया ने भी अलगाि की मांग प्रारम्भ कर दी। शी्र ही, कानून और व्यि्था की सम्याएं
भी खड़ी होने लगी थीं।
शेष चेको्लोिादकया का अवधरेजहण (1939): म्यूवनख सम्मेलन के पिात् उत्पन्न पररव्थवतयों में,
वहटलर ने चेको्लोिादकया के राष्ट्रपवत को कानून व्यि्था बहाल करने के वलए जमषन सैवनकों से
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अनुरोध करने के वलए वििश दकया। शी्र ही जमषन सेना चेको्लोिादकया में प्रिेश कर गई और
उस पर अवधकार कर वलया। विटेन और फ़्ांस ने के िल मौवखक विरोध ही दकया। विटेन ने कहा दक
शेष चेको्लोिादकया पर गारं टी लागू नहीं होती है, क्योंदक उसने ्ियं ही जमषन सेनाओं को आने
का अनुरोध दकया था और तकनीकी रूप से यह आिमण नहीं था।
पोलैंड पर आिमण (1939): चेको्लोिादकया पर अवधकार के पिात्, विटेन ने यह वनणषय वलया
दक अब जमषनी का और अवधक तुिीकरण नहीं दकया जाएगा। पोलैंड का अवधरेजहण अनुवचत था।
अब तक वहटलर ने अपने सभी क्षेत्रीय अवधरेजहणों को जातीयता और िसाषय की संवध के आधार पर
उवचत ठहराया था। गैर-जमषन जनसंख्या िाले क्षेत्र के अवधरेजहण की यह पहली कायषिाही थी। जब
वहटलर ने घोषणा की, दक उसे डेनचजग चावहए तो विटेन और फ़्ांस ने पोलैंड की रक्षा के वलए
अपनी प्रवतबद्धता दोहराई। वहटलर पोवलश गवलयारे के मध्य से रे ल और सड़क मागष चाहता था,
तादक शेष जमषनी को पूिी प्रशा से जोड़ा जा सके । यद्यवप यह मांग अनुवचत नहीं थी, क्योंदक
डेनचजग में 95% जमषन जनसंख्या रहती थी और पूिी प्रशा से कनेवक्टविटी तार्ककक थी, परन्तु यह
मााँग चेको्लोिादकया की हार के तुरंत बाद उठी थी, इसवलए पोलैंड इसके पिात् होने िाले
सम्पूणष आिमण की आशंका से भयभीत था। विटेन ने पोलैंड िावसयों पर दबाि बनाने का प्रयास
दकया, परन्तु उन्होंने जमषन मांगों को अ्िीकार कर ददया। वहटलर ने रूस को तट्थ रखने के वलए
1939 में रूस के साथ एक अनािमक संवध पर ह्ताक्षर दकये और पोलैंड पर पूणष आिमण कर
ददया। इसके साथ ही वद्वतीय विश्व युद्ध आरम्भ हो गया।
नीवत अपनाई। इटली और जापान भी अपने आिामक कृ त्यों के पररणामों से बच वनकलते हैं, क्योंदक
राष्ट्रसंघ वि्तारिादी प्रिृवत्तयों की धमदकयों से वनबटने में पूणत
ष िः विफल रहा।
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जमषनी द्वारा िसाषय की संवध का उल्लंघन और जापान एिं इटली का आिामक कायषिावहयों के वलए
प्रवतबंधों से बच वनकलना सीधे तौर पर तुिीकरण की नीवत का पररणाम था। इस नीवत का अनुसरण
करने के वनम्नवलवखत कारण हैं:
युद्ध को टालना: अन्य शवियााँ युद्ध से बचना चाहती थीं, क्योंदक िे आर्थथक और सैन्य रूप में
सशि नहीं थीं इसवलए िे उस प्रकार के युद्ध में विजय प्राप्त नहीं कर सकती थीं। इस प्रकार के युद्ध
का पररणाम सम्भितिः गवतरोध ही होता। विटेन और फ़्ांस अपने नगरों पर बमबारी और
नागररकों की मृत्यु से भयभीत थे, वजसका विभत्स प्रदशषन जमषनी द्वारा ्पेन के गृह-युद्ध (1936)
में दकया जा चुका था।
आर्थथक संकट (1929): अन्य यूरोपीय शवियााँ शस्त्रीकरण के अत्यवधक खचष का िहन नहीं कर
सकती थीं। िे अभी पूरी तरह से आर्थथक संकट से उबर नहीं पाईं थीं।
जनमत: विटेन के लोग युद्ध के विरुद्ध थे। प्रथम विश्व युद्ध के पिात् युद्ध के प्रवत लोगों के दृविकोण
में नाटकीय पररितषन आया था। व्यिसायी भी युद्ध के विरुद्ध थे क्योंदक यह उनके आर्थथक वहतों को
ठे स पत ाँचाता था। एक युद्ध पूरी अथषव्यि्था को सैन्य उत्पादन के अनुकूल बना देता है और
बमबारी से मूलभूत ढांचों एिं औद्योवगक वहतों को हावन पत ाँचती है।
सहानुभवू त: कई समूह यह महसूस कर रहे थे दक जमषनी और इटली की वशकायतें िा्तविक थीं।
इसने जमषनी और इटली से वनबटने के वलए सैन्य बल का प्रयोग रोक ददया। विशेषकर, विटेन में
कई नेताओं का दृविकोण सहानुभूवतपूणष था और संभावित युद्ध को रोकने के वलए इसके कई नेता
्ियं ही िसाषय संवध की कठोर शतों को संशोवधत करने की मांग कर रहे थे। इस प्रकार अंरेजज े
िसाषय की संवध को ही युद्ध के िा्तविक कारण के रूप में देख रहे थे और इसवलए उन्होंने जमषनी
की उन मांगों के प्रवत सहमवत जताई, जो संवध के कठोरतम शतों को वनर्त करने के वलए लवक्षत
की जा रही थी। इसवलए उन्होंने तुिीकरण की नीवत का अनुसरण दकया।
राष्ट्रसंघ की विफलता: राष्ट्रसंघ वनष्ट्रप्रभािी वसद्ध त आ और इसका संकेत 1937 में वनिाषवचत
प्रधानमन्त्री चैम्बरलेन के कथन से वमलता है दक “अंतराषष्ट्रीय कानून का सम्मान करने के वलए िाताष
के माध्यम से विवभन्न नेताओं के साथ व्यविगत सम्पकष महत्त्िपूणष है।” उसने जमषनी के साथ
वििादों को सुलझाने के वलए युद्ध के ्थान पर कू टनीवत का समथषन दकया।
आर्थथक सहयोग: विटेन के वलए जमषनी एक वनयाषत बाजार था और इसवलए विरटश यह मानते थे
दक आर्थथक सहयोग दोनों देशों के वहत में है। विटेन का विश्वास था दक यदद िह जमषनी की आर्थथक
बहाली में सहायता करे गा तो जमषनी विटेन के प्रवत वमत्रतापूणष सम्बन्ध रखेगा।
साम्यिादी रूस का भय नावजयों के भय से कहीं अवधक था। यह विशेष रूप से विटेन और फ़्ांस के
रूदढिादी समूहों के सम्बन्ध में सत्य था। उन्होंने नाजी जमषनी को पविम की ओर बढने िाले
साम्यिादी वि्तार के प्रवतरोधक के रूप में देखा। इसवलए उन्होंने जमषन शस्त्रीकरण का विरोध
नहीं दकया।
विलम्ब करना: कु छ विद्वानों का तकष है दक अंरेजेजों ने तुिीकरण की नीवत का अनुसरण ्ियं का
शस्त्रीकरण करने के वलए समय प्राप्त करने के वलए दकया। आर्थथक संकट के कारण आर्थथक
सम्याओं और प्रथम विश्व युद्ध के पररणामों के कारण, विटेन और फ़्ांस में कु छ नेताओं का यह
मत था दक तुिीकरण की प्रदिया वजतनी अवधक लम्बी होगी, उतना ही समय उन्हें शस्त्रीकरण के
वलए वमल सके गा। चैम्बरलेन ने तुिीकरण की नीवत के साथ साथ शस्त्रीकरण में भी िृवद्ध की।
उसका यह मत था दक शस्त्रीकरण और तुिीकरण की दोहरी तलिार एक वनिारक का कायष करे गी।
प्रमुख विषय 5 : तुिीकरण की नीवत फासीिाददयों की सहायता करती है, परन्तु इसके कारण गलत
पूिाषनुमान भी हो जाता है, जो अंततिः वद्वतीय विश्व युद्ध की ओर ले जाता है। जमषनी को रोकने के वलए
यूरोपीय शवियों का प्रयास अंततिः वनरथषक वसद्ध त आ।
तुिीकरण के अन्य पक्ष
इसने फासीिादी शवियों के बीच एक धारणा उत्पन्न दकया वजसके कारण गलत अनुमान लगाए
गए। वहटलर विटेन और फ़्ांस की सु्ती और वनबषलता के विषय में आश्व्त था। उसने सोचा था
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o फ़्ांस ने यह सुवनवित दकया था दक USSR 1934 में राष्ट्रसंघ में प्रिेश करे । इसे जमषनी के
विरुद्ध उपयोग दकया गया था। फ़्ांस इटली तथा सोवियत संघ के साथ वमलकर एक जमषन
विरोधी गठबन्धन बनाना चाहता था।
o इटली ने 1933 में USSR के साथ एक अनािमण संवध पर ह्ताक्षर दकया था। परन्तु रूस-
फ़्ांस गठबन्धन में सैन्य सहयोग के वलए कोई प्रािधान नहीं था क्योंदक फ़्ांस का नेतृत्ि
कम्युवन्टों पर विश्वास नहीं करता था। ऐसा इसवलए था क्योंदक मा्को ने लम्बे समय तक
कम्युवन्टों को यह वनदेश दे रखा था दक िे फ़्ांस के अन्य िामपंथी दलों के साथ सहयोग न
करें ।
होअरे -लिाल संवध (Hoare-Laval pact- 1935): यह विटेन और फ़्ांस के बीच एक गुप्त संवध
थी। इस संवध का उद्देश्य अबीसीवनया का विभाजन करना और इसका अवधकांश भाग इटली को
देना था। यह समझौता असफल हो गया क्योंदक इसकी जानकारी लीक हो गई थी जोदक विटेन
और फ़्ांस की जनता में आिोश का कारण बनी।
फ़्ांस ने तुिीकरण की नीवत का अनुसरण क्यों दकया?: फ़्ांस तुिीकरण को रोकने में विफल रहा
और कई बार ्ियं भी तुिीकरण की नीवत पर चला, क्योंदक फ़्ांस दवक्षणपंवथयों और िामपंवथयों
में विभावजत हो चुका था। दवक्षणपंथी साम्यिादी रूस के विरुद्ध प्रवतरोधक के रूप में वहटलर का
समथषन करते थे।
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विषय सूची
34. शीत युद्ध (Cold War) ____________________________________________________________________________ 5
41.2. 1961 के बाद विटेन आसमें क्यों सवममवित होना चाहता था? ______________________________________________ 54
41.3. 1961 के पश्तात् जनरि डी गॉि (फ्रेंच राष्ट्रपवत) ने विटेन के प्रिेश को क्यों ऄिरुद्ध ककया? __________________________ 54
45.1. यूरोपीय संघ में ककस प्रकार सवममवित हुअ जाता है? ____________________________________________________ 58
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48.9. ऄफ्रीका में आताििी साम्राज्य का विऔपवनिेशीकरण (आवथयोवपया, िीवबया, आरररिया, सोमाविया) ___________________ 71
48.9.1. स्ितंत्रता पश्चात् ऄशांवत ___________________________________________________________________ 72
49. ऄंग्रज
े ों िारा ऄफ्रीका के बाहर ककए गए विऔपवनिेशीकरण के प्रयास ___________________________________________ 72
49.2. िेस्ट आं डीज (कै रीवबया), मिाया (दवक्षण पूिव एवशया) और साआप्रस (मध्य पूिव) ___________________________________ 72
52. पूिि
व ती ईपवनिेशों में अज की वस्थवत _________________________________________________________________ 77
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35. प्रस्तािना
शीत युद्ध िस्तुतः वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के पश्चात् 1991 में USSR (यूवनयन ऑफ़
सोवियत सोशविस्ट ररपवलिक्स ऄथावत् सोवियत संघ) के विघटन तक की घटनाओं का एक क्रम
था, वजसमें दो महाशवियों {USSR और USA (यूनाआटेड स्टेट्स ऑफ़ ऄमेररका)} के बीच
अर्थथक, विज्ञान एिं प्रौद्योवगकी, राजनीवत, सैन्य क्षेत्र और विचारधारा के स्तर पर प्रभुता के विए
प्रवतस्पधाव बनी हुइ थी। आस दौरान प्रत्येक पक्ष ने वबना ककसी िास्तविक युद्ध के स्ियं को सशि
और दूसरे को कमजोर करने की नीवतयाँ ऄपनायी।
आसे “शीत युद्ध” आसविए कहा जाता है क्योंकक आस ऄिवध में USA और USSR ने कोइ भी प्रत्यक्ष
युद्ध नहीं ककया। आस ऄिवध में जो भी युद्ध हुए िे तीसरे पक्षों के बीच िड़े गये और ये युद्ध स्थानीय
स्तर तक सीवमत रहे। आस प्रकार आन युद्धों का कोइ व्यापक प्रसार नहीं हुअ।
शीत युद्ध के समय विश्व दो भागों में विभावजत हो गया था; पहिा, USSR के नेतृत्ि में
सामयिादी विश्व और दूसरा, USA के नेतृत्ि में पूज
ं ीिादी विश्व। आस ऄिवध के दौरान यूरोप भी
सामयिादी पूिी यूरोप और पूज
ं ीिादी पवश्चमी यूरोप में विभावजत हो चुका था।
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वचत्र: याल्टा सममेिन में वमत्र राष्ट्रों के नेता: बाएं से- विरटश प्रधानमंत्री विस्टन चर्थचि, यू. एस.
राष्ट्रपवत फ्रैंकविन डी. रूजिेल्ट, और सोवियत नेता जोसेफ स्टाविन
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o स्टाविन ने सभी पूिी यूरोपीय राष्ट्रों में स्ितंत्र और वनष्पक्ष चुनाि कराने का िचन कदया। आसे
“स्ितंत्र यूरोप की घोषणा” (Declaration of Liberated Europe) भी कहा जाता है। आस
घोषणा के ऄनुसार, ये तीनों सहयोगी शवियाँ स्ितंत्र चुनािों के माध्यम से िोकतांवत्रक
संस्थानों की स्थापना के विए स्ितंत्र देशों की सहायता करें गे।
o संयिु राष्ट्र संघ का गठन ककया जाएगा (ऄक्टू बर 1945 में आसकी स्थापना भी हुइ) जो राष्ट्र
संघ (िीग ऑफ़ नेशन्स) का स्थान िेगा।
o ऄवधकृ त क्षेत्र (Occupation Zones): अवस्िया, वियना, जमवनी और बर्थिन को विटेन,
ऄमेररका और सोवियत संघ के ऄवधकृ त क्षेत्रों में विभावजत ककया जाएगा (फ़्ांस के विए
ऄवधकृ त क्षेत्र बाद में तैयार ककये गये थे)। ऐसा आसविए था क्योंकक अवस्िया और जमवनी में
भािी शासकीय प्रणािी (पूंजीिादी या सामयिादी) पर वनणवय नहीं हुअ था। स्टाविन के िि
सहयोगी राष्ट्रों की सेनाओं की यहाँ पर ईपवस्थवत के विए सहमत हुअ था।
o पोिैंड के संबध ं में: पोिैंड से जमवन िावसयों को वनकाि कर रूस ने िहां एक पोविश
सामयिादी सरकार की स्थापना की थी, जबकक िंदन में पहिे से ही एक वनिाववसत पोविश
सरकार थी। यह सहमवत हुइ कक िंदन में वनिाववसत पोविश सरकार के कु छ सदस्य पोविश
सामयिादी सरकार में सवममवित होंगे। परन्तु स्टाविन िारा पोिैंड को ओडर और नीस
(Oder & Neisse) नदी के पूिव में वस्थत सभी जमवन क्षेत्र कदए जाने की मांग को विटेन और
ऄमेररका िारा ऄस्िीकार कर कदया गया।
o जापान के संबध ं में: स्टाविन जापान के विरुद्ध युद्ध में आस शतव पर सवममवित हुअ था कक ईसे
तेि से समृद्ध समपूणव सखाविन िीप (सखाविन िीप का अधा क्षेत्र जापान िारा 1904-05 के
रूस-जापान युद्ध के पश्चात् हड़प विया गया था। भारत की OVL ने यहाँ वनिेश ककया है),
क्यूराआि िीप और चीन के मंचूररया के कु छ भाग प्राि होंगे।
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संख्या में ईद्योगों को विघरटत ककया जायेगा यह वनणवय बाद में ककया जाना था। आसमें
जमवनी में आस्पात ईत्पादन की सीमा वनधावररत करना, जमवनी के भारी ईद्योगों के स्तर
को 1938 के स्तर का 50% करना और ऄन्य कइ ईपाय सवममवित थे। परन्तु बाद में
सहयोगी राष्ट्रों ने आस नीवत को त्याग कदया और यूरोप में पूज
ं ीिाद को बढ़ािा देने के
विए माशवि योजना (1947) के िारा पूिी जमवनी की समृवद्ध के विए कायव ककया।
ऄवधकांश जमवन क्षवतपूर्थत USSR को प्राि हुइ क्योंकक ईसे ऄवधकतम क्षवत पहुंची थी।
साथ ही USSR को गैर-खाद्य िस्तुओं को जमवनी में आसके ऄवधकृ त क्षेत्र एिं पवश्चमी क्षेत्र
से िे जाने का ऄवधकार प्राि हुअ। िेककन आस संबंध में USSR को पवश्चमी क्षेत्र की
खाद्य अिश्यकताओं को पूरा करने की वजममेदारी भी ईठानी पड़ी।
o जमवन सीमाएं:
ऄवधकृ त क्षेत्र (Occupation Zones): जमवनी और ऑवस्िया तथा ईनकी समबवन्धत
राजधावनयों (बर्थिन और वियना) को 4 ऄवधकृ त क्षेत्रों में विभावजत ककया गया। याल्टा
सममेिन में आसे सैद्धांवतक रूप में स्िीकार ककया गया था और पोट्सडैम सममेिन के िारा
कायाववन्ित ककया गया।
ओडर-नीस रे खा (Oder-Neisse line): जमवनी की पूिी सीमा को ऄस्थाइ रूप से
पवश्चम की ओर ओडर-नीस रे खा पर स्थानांतररत ककया जाना था। आस प्रकार ओडर-नीस
रे खा ऄस्थाइ थी और आस बात पर सहमवत हुइ कक जमवनी की पूिी सीमा को ऄंवतम रूप
बाद में कदया जायेगा {1990 में ‘जमवनी से समबवन्धत ऄंवतम वनपटान संवध’ (Treaty of
Final Settlement with respect to Germany) के तहत आसे ऄंवतम रूप कदया
गया}। आस प्रकार जमवनी का अकार ईसकी 1937 की सीमाओं से तीन चौथाइ कम हो
गया था। नइ सीमा रे खा से पूिव में ऄिवस्थत क्षेत्र को पोिैंड को कदया जाना था, वजसमें
पूिी प्रशा, वसिेवसया, पवश्चमी प्रशा और पोमेरावनअ के दो वतहाइ भाग सवममवित थे।
ये क्षेत्र मुख्यतः कृ वष संपन्न क्षेत्र थे, वजसमें उपरी वसिेवसया ऄपिाद था जो जमवनी के
भारी ईद्योग का दूसरा बड़ा कें ि था।
जमवन ऄवधग्रहण को रद्द करना: वितीय विश्व युद्ध के दौरान और ईसके पहिे वजन क्षेत्रों
का जमवनी ने ऄवधग्रहण ककया था ईन्हें िापस िे विया गया, वजनमें सुडटे निैंड, अवस्िया
और पोिैंड के पवश्चमी भाग सवममवित थे।
o नाजीिाद से मुवि: नाजी पाटी को भंग ककया जाना था और नावजयों पर युद्ध ऄपरावधयों के
रूप में ऄवभयोग चिाया जाना था। यह ऄवभयोग न्यूरेमबगव मुकदमा (Nuremberg trials)
के नाम से विख्यात हुअ।
o जनसांवख्यकीय पररितवन: आसके कारण ओडर-नीस रे खा के बाहर (ऄथावत् पोिैंड, हंगरी और
चेकोस्िोिाककया) ऄथावत् पूिी सीमा के बाहर रहने िािे जमवनों का एक प्रकार से मानिीय
वनष्कासन हुअ।
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िाक् युद्ध (War of words): फरिरी 1946 में स्टाविन ने कु ख्यात भाषण कदया, वजसमें ईसने
तकव कदया कक “पूज
ं ीिाद पर ऄंवतम विजय तक पवश्चम के साथ सह-ऄवस्तत्ि ऄसमभि है”। आसका
ऄथव था कक भविष्य में सोवियत रूस और पूंजीिादी पवश्चमी देशों के बीच युद्ध ऄवनिायव था। आसके
प्रवतईत्तर में, चर्थचि ने माचव 1946 में ऄपनी ऄमेररकी यात्रा के दौरान “िौह अिरण” िािा
भाषण (Iron Curtain speech) कदया। यहाँ ईसने पूिी यूरोप में छाए ‘िौह अिरण’ की बात
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की। ईसने सामयिाद के खतरे का सामना करने के विए पवश्चमी देशों के एक गठबंधन की मांग की।
स्टाविन और विरटश संसद में िेबर पाटी के सदस्यों ने चर्थचि को एक और युद्ध भड़काने िािा कह
कर अिोचना की।
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आटिी: 1948 के चुनािों में CIA ने ऄवधकाररक रूप से यह स्िीकार ककया कक आसने
कक्रवश्चयन और ऄन्य सामयिादी विरोधी प्रत्यावशयों को 1 वमवियन डॉिर की सहायता
दी थी, जो पूज
ं ीिाद समथवक बहुदिीय िोकतांवत्रक व्यिस्था को पसंद करते थे। सभी
ऄनुमानों के ऄनुसार आटिी की सामयिादी पाटी चुनािों में विजयी होने ही िािी थी,
परन्तु CIA की सहायता से कक्रवस्चयन डेमोक्रेरटक पाटी ने सहज ऄंतर से विजय प्राि
की।
मध्य ऄमेररका: वनकारागुअ में 1981-90 तक ऄमेररका ने CIA के माध्यम से िामपंथी
सरकार को ऄपदस्थ करने में वििोवहयों की सहायता की। 1980 में ऄि साल्िाडोर में
ऄमेररका ने एक सिाववधकारिादी शासन (authoritarian regime) की सहायता की
थी, वजसे िामपंथी गुररल्िाओं से खतरा था।
दवक्षण ऄमेररका: यहां की दवक्षणपंथी सरकार को ऄमेररकी समथवन से बहुत ऄवधक वहसा
और ऄवस्थरता देखने को वमिी।
िेबनान और जॉडवन: 1950 के दशक के ऄंत में आजराआि को पवश्चमी देशों के समथवन
और साथ ही स्िेज युद्ध (1956) में स्पष्ट तौर पर (आन पूज
ं ीिादी देशों के ) समथवन के
कारण ऄरब देश पवश्चमी देशों के विरोध में अ गए। ऄमेररका और विटेन ने िेबनान
तथा जॉडवन में आन देशों की पवश्चम समथवक सरकारों को वगरने से बचाने के विए ऄपनी
सेनाएं भेजीं।
इरान: इरान में 1941 से मोहममद रजा पहििी का शासन था। 1951 में, इरान की
संसद (मजविस) ने विरटश वनयंत्रण िािी कमपनी, एंग्िो इरानी तेि कमपनी के
राष्ट्रीयकरण का अदेश कदया और मोहममद मुस्साकदक को इरान का प्रधानमंत्री बनाया
गया। िोकतांवत्रक ढंग से वनिाववचत प्रधानमंत्री मुस्साकदक के विरुद्ध तख्ता पिट में CIA
ने महत्िपूणव भूवमका वनभाइ थी और ईसके पश्चात् इरान के शाह पहििी को ऄपना
वनरं कुश शासन स्थावपत करने में सहायता की। तख्ता पिट की कायविाही आसविए की
गयी थी, क्योंकक ऄमेररका को यह िग रहा था कक मुस्साकदक सोवियत संघ से वनकट
गठबंधन में संविि था। ईसके पश्चात् शाह का ऄमेररका से वनकट का संबंध हो गया।
ईसने इरान को बगदाद संवध (1955) से जोड़ा। यह इरान, आराक, तुकी, पाककस्तान और
ऄमेररका के बीच एक सैन्य संवध थी। ईसने आरान में तेि के भंडार विकवसत करने के
विए ऄमेररकी तेि कमपवनयों को ररयायतें प्रदान की। ऄन्ततः शाह को 1979 में एक
आस्िावमक क्रांवत में सत्ताच्युत कर कदया गया, क्योंकक ईसने वशया मौिवियों से झगड़ा
कर विया था जो इरानी समाज की पवश्चमी शैिी में अधुवनकीकरण के विए ककये गये
सुधारों के विरुद्ध थे।
माशवि योजना (Marshall Plan: जून 1947)
अवधकाररक रूप से आसे यूरोपीय सुधार कायवक्रम कहा जाता था। आसका ईद्देश्य यूरोप को अर्थथक
रूप से मदद कर ईसे समृद्ध बनाना ि यूरोप में USA के प्रभाि में िृवद्ध कर सामयिाद के प्रसार को
रोकना था।
अवधकाररक रूप से यह “भूख, वनधवनता और ऄराजकता को दूर करने” का भी एक प्रयास था।
1947-51 तक माशवि योजना के ऄंतगवत पवश्चमी यूरोप को 1,30,000 वमवियन डॉिर कदए गए
थे। माशवि योजना के वनम्नविवखत प्रभाि थे:
o पवश्चमी यूरोप जो युद्ध से तबाह हो गया था ईसकी वस्थवत में आसके कारण तेजी से सुधार
हुअ।
o आसके कारण पवश्चमी जमवनी और पवश्चमी बर्थिन की अर्थथक वस्थवत में सुधार हुअ। दूसरी ओर
सोवियत संघ के ऄधीन पूिी जमवनी की अर्थथक वस्थवत और बदतर हो गइ। सोवियत संघ ने
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पूिी जमवनी की समृवद्ध के विए पयावि कायव नहीं ककया और सोवियत संघ के विकास के विए
ईसका शोषण ककया।
o माशवि सहायता के दीघवकाविक पररणाम भी हुए, जैस-े बर्थिन की दीिार का ढहना (1961-
89) और ऄंतत: पूिी यूरोप में सामयिाद का ऄंत।
o आससे ऄमेररकी वनयावत में िृवद्ध हुइ, क्योंकक जीिन स्तर में सुधार और पवश्चमी यूरोप में
अर्थथक विकास से ऄमेररकी व्यिसायों को एक िृहद् बाजार प्राि हुअ।
ट्रूमैन वसद्धांत और माशवि योजना को स्टाविन का प्रवतईत्तर
माशवि सहायता या माशवि योजना के ऄंतगवत ईपिलध सहायता तकनीकी रूप से सभी आच्छु क
यूरोपीय राष्ट्रों को ईपिलध थी, परन्तु स्टाविन ने सोवियत प्रभाि िािे राज्यों (ऄथावत् पूिी
यूरोपीय देश) को माशवि योजना के ऄंतगवत सहायता स्िीकार करने के विए मना ककया था।
स्टाविन ने माशवि योजना को “डॉिर साम्राज्यिाद” का एक रूप बताया तथा आसकी वनदा की।
साथ ही ईसने आसे पवश्चमी यूरोप में ऄमेररकी प्रभाि बढ़ाने िािी और सोवियत प्रभाि के क्षेत्र में
(ऄथावत् पूिी यूरोप) ऄमेररकी हस्तक्षेप िािी एक योजना करार कदया।
आस प्रकार ऄमेररका के ट्रूमैन वसद्धांत और माशवि योजना के प्रवतईत्तर में स्टाविन ने मोिोटोि
योजना (Molotov Plan, 1947), कॉवमन्फॉमव (Cominform, 1947) एिं कॉमकॉन
(Comecon, 1949) की घोषणा की।
o मोिोटोि योजना (1947): आसका ईद्देश्य सोवियत संघ के वपछिग्गू देशों को सहायता प्रदान
करना था।
o कॉवमन्फॉमव (कमयुवनस्ट आन्फोमेशन लयूरो 1947-56): यह कॉवमन्टनव (1919-43) का परिती
था और यूरोप की सभी सामयिादी पार्टटयां आसमें सवममवित थीं। कॉवमन्फॉमव का ईद्देश्य पूिी
यूरोप में सोवियत संघ के वपछिग्गू देशों में सोवियत संघ का वनयंत्रण बढ़ाना था। एक
सामयिादी राष्ट्र होना ही काफी नहीं था, ऄवपतु आसके तहत रूसी शैिी िािे सामयिादी राष्ट्र
की पररकल्पना की गयी ऄथावत् आन देशों के सामयिादी पार्टटयों को सोवियत संघ के अदेशों
का पािन करना पड़ता था। आसके ऄंतगवत हम वनम्नविवखत ईपायों को देखते हैं:
पूिी यूरोप का औद्योगीकरण, एकसूत्रीकरण और के न्िीकरण ककया जाना था।
सदस्य राष्ट्रों से यह ऄपेक्षा की जाती थी कक िे मुख्य रूप से कॉवमन्फॉमव देशों से ही
व्यापार करें गे। गैर-सामयिादी देशों से सभी प्रकार के समपकों को हतोत्सावहत करने की
संकल्पना भी आसमें वनवहत थी।
युगोस्िाविया ने जब आस पर अपवत्त की तो आससे ईसका वनष्कासन कर कदया गया।
1956 में जब वनककता ख्रुश्चेि सत्ता में अया तो कॉवमन्फॉमव को भंग कर कदया। ईसने
ऄपने 1956 के विख्यात भाषण में यह तकव कदया कक सामयिाद की ओर कइ मागव जाते
हैं, आसविए ऄन्य सामयिादी देशों पर रूसी शैिी थोपने की अिश्यकता नहीं है।
o कॉमकॉन (Comecon - काईं वसि फॉर मयुचऄ
ु ि आकोनॉवमक ऄवसस्टेंस - 1949-1991):
आसका गठन कॉवमन्फॉमव की अर्थथक नीवतयों में समन्िय करने के विए ककया गया था।
चेकोस्िोिाककया में सामयिाकदयों का सत्ता में अना (1948)
पूिी यूरोप में चेकोस्िोिाककया एकमात्र बहुदिीय िोकतांवत्रक देश था। यहाँ की 1946 में वनिाववचत
सरकार िस्तुतः सामयिादी और दवक्षणपंथी पार्टटयों के गठबंधन की सरकार थी। चेकोस्िोिाककया को
अशा थी कक िह पवश्चमी और पूिी यूरोप के बीच एक सेतु का कायव करे गा। 1948 में चुनाि होने थे
और सामयिाकदयों की विजय की कोइ भी संभािना नहीं थी क्योंकक सोवियत संघ के दबाि में माशवि
सहायता को ऄस्िीकार करने के कारण यहां का जनमत ईनके (सामयिाकदयों) विरुद्ध था। चुनाि से
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पहिे सामयिाकदयों ने एक सशस्त्र तख्तापिट कायविाही की। आसी बीच सोवियत संघ ने अवस्िया में
ऄपने वनयंत्रण िािे क्षेत्र से चेकोस्िोिाककया के साथ अवस्ियाइ सीमा पर ऄपनी सेना भेज दी, ताकक
यह सुवनवश्चत ककया जा सके कक तख्तापिट की कायविाही वनर्थिघ्न पूरी हो जाए। आस चुनाि में
सामयिादी विजयी हुए, क्योंकक के िि सामयिाकदयों को ही चुनाि िड़ने की ऄनुमवत दी गयी थी।
संयुि राष्ट्र संघ ने विरोध ककया परं तु यह कोइ कायविाही न कर सकी क्योंकक यह रूसी संवििता वसद्ध
नही कर सकी (सोवियत संघ का तकव था कक तख्तापिट एक अंतररक मामिा था)। आस प्रकार यह स्पष्ट
था कक यकद कोइ वपछिग्गू देश पूंजीिादी राष्ट्र बनने का प्रयास करे गा तो सोवियत सं घ िहां हस्तक्षेप
करे गा।
जमवनी का विभाजन
याल्टा सममेिन (1945) के पश्चात् जमवनी और बर्थिन को विटेन, फ्रांस, ऄमेररका एिं सोवियत संघ के
ऄमेररका, फ्रांस और विटेन ने जमवनी में ऄपने ऄवधग्रवहत क्षेत्रों में अर्थथक सुधारों का प्रयास ककया, िहीं
सोवियत संघ ने ठीक आसके विपरीत कायव ककया। आसके वनम्नविवखत पररणाम देखने को वमिे:
o नीवत में आस ऄंतर के कारण जमवनी के पवश्चमी क्षेत्रों और रूस िारा ऄवधग्रवहत क्षेत्रों की समृवद्ध में
जमीन असमान का ऄंतर व्याि हो गया। आससे सोवियत संघ पर दबाि बना और आसके वनयंत्रण
िािे क्षेत्र के वनिावसयों के ऄसंतोष में िृवद्ध हुइ।
o ऄमेररका, विटेन और फ्रांस ने पवश्चमी क्षेत्रों में नइ मुिा प्रारमभ की। सोवियत संघ के विए एक ही
शहर में दो मुिाओं को चिाना ऄसमभि िग रहा था। शीघ्र ही ऄमेररका, विटेन और फ्रांस ने
सोवियत संघ पर चार क्षेत्रों का वििय करके एक एकीकृ त जमवनी के विए दबाि बनाना प्रारमभ
कर कदया। पूिी जमवनी सोवियत संघ के हाथों से कफसिा जा रहा था। फितः सोवियत संघ ने
आसका प्रवतईत्तर कु ख्यात पवश्चमी बर्थिन के नाके बंदी से कदया (1948-49)।
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सोवियत संघ की आस नाके बंदी को हम वनम्नविवखत तरीके से विस्तार में समझ सकते हैं:
o यह क्या था: 1948 में सोवियत संघ ने पवश्चमी बर्थिन और पवश्चमी जमवनी के बीच सभी मागों
(रे ि, सड़क, नहर) को बंद कर कदया। आसे ही पवश्चमी बर्थिन की नाके बंदी के रूप में जाना गया।
o ईद्देश्य: आस नाके बंदी के माध्यम से सोवियत संघ पवश्चमी बर्थिन िावसयों को भूखा मारना
चाहता था। आसके िारा िह ऄमेररका, विटेन और फ्रांस को बर्थिन से िापस जाने के विए
वििश करना चाहता था, ताकक सोवियत संघ पूरे बर्थिन पर ऄपना ऄवधकार कर िे।
o क्यों: सोवियत संघ ने यह कायविाही आसविए की क्योंकक ईसे पूिी जमवनी/पूिी बर्थिन और
पवश्चमी जमवनी/पवश्चमी बर्थिन के समृवद्ध स्तर में ऄंतर होने के कारण पूिी बर्थिन पर वनयंत्रण
रखने के करठनाइ हो रही थी। पवश्चमी देशों के वनयंत्रणाधीन शहरों में विवभन्न अर्थथक
नीवतयों और माशवि योजना के ऄंतगवत पयावि सहायता कदए जाने के कारण सोवियत संघ क्रुद्ध
हो गया था। जब पवश्चमी शवियों ने नइ मुिा प्रारमभ की तो सोवियत संघ को एक ही शहर
में दो मुिाएँ चिाना ऄसमभि िग रहा था।
o एयरविफ्ट (Airlift) का ईपयोग: बर्थिन की नाके बंदी को वनष्प्रभािी करने के विए ऄमेररका
और ऄन्य पवश्चमी देशों ने ऄपने िायुयानों िारा िगभग एक िषव तक खाद्य सामग्री को
पवश्चमी बर्थिन में पहुँचाया। आस प्रकार नाके बंदी ऄसफि हो गइ और सोवियत संघ को
नाके बंदी समाि करना पड़ा।
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पवश्चमी जमवनी में पवश्चमी राष्ट्रों की नीवत: ऄमेररका, विटेन और फ्रांस ने पवश्चमी जमवनी और
पवश्चमी बर्थिन के अर्थथक सुधार के विए वनम्नविवखत प्रयास ककए:
o ऄमेररका ने 1947 में माशवि सहायता प्रारमभ की।
o 1948 में आन तीनों शवियों ने जमवनी में ऄपने ऄवधग्रहीत क्षेत्रों को एक अर्थथक आकाइ के रूप
में एकजुट कर विया था।
o 1949 में बर्थिन की नाके बंदी (1948-49) की ऄसफिता के पश्चात् ऄमेररका, विटेन और
फ्रांस ने पहि करते हुए ऄपने तीनों क्षेत्रों को एकीकृ त पवश्चमी जमवनी या जमवन फे डरि
ररपवलिक के रूप में वििय कर कदया (1949)।
पूिी जमवनी में सोवियत संघ की अर्थथक नीवत: स्टाविन वितीय विश्व युद्ध में रूस की तबाही के
विए जमवनी से क्षवतपूर्थत िसूिने हेतु ऄवडग था।
o ईसने पूिी जमवनी के साथ एक वपछिग्गू के समान व्यिहार ककया और आसके ऄवधकांश
संसाधनों का दोहन कर के रूस में जमा कर कदया।
o स्टाविन ने पूिी जमवनी के अर्थथक सुधार के विए कोइ ध्यान नहीं कदया। आसे के िि एक कच्चे
माि के स्रोत और रूसी माि के विए वनयावत बाजार के रूप में ईपयोग ककया।
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साथ वमिीभगत कर परमाणु बम की तकनीक प्राि करने में सफिता पायी थी। मैकाथी एक
ऄमेररकी वसनेटर था, वजसने गुिचर दृवष्टकोण को अगे रखने में प्रमुख भूवमका का वनिावह ककया।
वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् िह सामयिाद विरोधी प्रचार से जुड़ा हुअ था और ईसे ऄमेररकी
प्रशासन में हर स्थान पर रूसी गुिचर होने का संदह
े था। सामयिाकदयों के प्रवत िह आतना सशंककत
हो गया था कक ईसने ऄमेररका की हरे क समस्या के पीछे गुिचर दृवष्टकोण को ईभारना प्रारमभ कर
कदया।
मैकार्थथज्म िह शलद है वजसका ईपयोग वितीय विश्वयुद्ध के बाद के समय का िणवन करने के विए
ककया जाता है, जब ऄमेररका के कइ िगों को यह संदह
े था कक ऄमेररकी सरकार में स्टाविन के
गुिचर प्रिेश कर गए हैं। कोइ भी व्यवि जो सामयिादी नीवतयों के बारे में बात करता था या
ऄमेररकी विदेश नीवत में सामयिाकदयों के विरुद्ध कठोर कदम के वखिाफ बात करता था तो ईस
पर सामयिादी या सोवियत संघ के समथवक होने का ठप्पा िगा कदया जाता था। प्रत्येक ऄसफिता
और ऄमेररकी प्रशासन की ककसी भी ऄक्षमता का दोष सोवियत गुिचरों पर मढ़ कदया जाता था।
मैकाथी ने ऄपने हर अिोचक को सामयिादी कह कर वनदा की। ईसने परमाणु प्रक्षेपण की जांच के
विए सीनेट में पूछताछ के दौरान सेना के जनरिों को भी सामयिादी समथवक कह कदया। सीनेट की
बहुमत ने एक प्रस्ताि पाररत कर मैकाथी की वनदा की। राष्ट्रपवत अआजनहािर (1953-61) ने जब
सीनेट की कायविाही का समथवन ककया तो मैकाथी ने ईसकी भी अिोचना की वजसे ईसकी भारी
भूि करार कदया जाता है। आस प्रकार 1954 तक मैकाथी की ऄमेररका में बहुत बदनामी हुइ।
1956 में वनककता ख्रुश्चेि के भाषण और ईसके पररणामस्िरूप ऄमरीका और सोवियत संघ के
समबन्धों में अए सुधार के ईपरांत मैकार्थथज्म समाि हो गया। हािांकक गुिचरों का भय पूरे शीत
युद्ध के दौरान चिता रहा। ऄमेररका एिं रूस के समबन्धों में पूरे शीत युद्ध के दौरान ईतार चढ़ाि
देखने को वमिता रहा। सोवियत संघ में भी ऄमेररकी गुिचरों का भय व्याि था। 1960 में
सोवियत संघ ने ऄमेररकी U2 गुिचर विमान को रूस के मुख्य भूवम क्षेत्र में मार वगराया। आस
घटना ने ऄमेररकी एिं सोवियत समबन्धों को और खराब कर कदया था।
ितवमान में मैकार्थथज्म शलद को वबना ईवचत साक्ष्य की ईपवस्थवत में ऄवनष्ठा, ईिटाि या राजिोह
के अरोप िगाने के विए ककया जाता है। आसका ऄथव “ऄनुवचत अरोप िगाना या पक्षपात पूणव
ऄन्िेषक तकनीकों का ईपयोग करना, विशेष रूप से मतभेदों को या राजनीवतक अिोचना को
दबाने के विए भी आसका ईपयोग ककया जाता है”।
स्टाविन के पश्चात् शीत युद्ध में वशवथिता (Partial Thaw in Cold War post-Stalin, 1953)
1953 में स्टाविन की मृत्यु के ईपरांत संयुि राज्य ऄमेररका एिं सोवियत संघ के बीच के
तनािपूणव संबंधों में थोड़ी वशवथिता (नरमी/वपघिाि) अइ।
आस वशवथिता (thaw) के कारणः
सोवियत संघ में वनककता ख्रुश्चि
े और बुिगावनन जैसे नए नेताओं का ईदय, जो ऄमेररका के साथ
संबंधों में सुधार चाहते थे।
1953 तक ऄमेररका और सोवियत संघ, दोनों ने हाआड्रोजन बम बना विया था। आस प्रकार
परमाणु युद्ध से बचने हेतु दोनों पक्षों के विए अपसी संबंधों में सुधार िांवछत हो गया था।
ख्रुश्चेि के नेतृत्ि में रूस ने सामयिाद के प्रसार के विए ऄपनी नीवतयों में बदिाि ककया। सामयिाद
को ऄभी भी बढ़ािा कदया जाना था िेककन पूज
ं ीिादी राष्ट्रों को युद्ध में परावजत करके नहीं, बवल्क
सोवियत अर्थथक प्रणािी की श्रेष्ठता को सावबत करके । ख्रुश्चि
े ने तटस्थ राज्यों का रूझान
सामयिाद की ओर करने के विए ईन्हें वमिने िािी सहायता बढ़ा दी।
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1954 तक ऄमेररका में मैकाथी ऄविश्वस्त सावबत हो चुके थे वजसके कारण कमयुवनस्ट-विरोधी
प्रचार में वगरािट अइ। आससे अपसी संबंधों में सुधार के विए ईपयुि िातािरण बनाने में
सहायता वमिी।
आस वशवथिता को वचवननत करने िािे घटनाक्रमः
कोररयाइ युद्ध 1953 तक समाि हो चुका था। साथ ही 1954 तक वियतनाम और फ्रांस के बीच
पहिा वहन्द-चीन युद्ध (Indo-China War, 1946-54) भी समाि हो गया था।
1955 में रूस ने कु छ ररयायतें बरतीं:
o सोवियत संघ ने कफनिैंड में ऄपने सैन्य रठकानों को त्याग कदया।
o आसने ऄपना िीटो हटा विया, वजससे 16 नए राष्ट्रों को संयुि राष्ट्र में प्रिेश करने का ऄिसर
वमिा। सोवियत संघ अयरिैंड, पुतवगाि, आटिी, ऑवस्िया, श्रीिंका और ऄन्य कइ देशों को
प्रिेश नहीं करने दे रहा था क्योंकक ये देश पवश्चम-समथवक थे। अयरिैंड के सोवियत संघ के
साथ राजनवयक संबंध नहीं थे। ऄमेररका ने माओ की पीपुल्स ररपवलिक ऑफ चाआना को
संयुि राष्ट्र सुरक्षा पररषद में स्थायी सीट कदए जाने के विए पक्ष में ऄपना िीटो ककया था।
1955 में एक समझौता ककया गया वजससे पवश्चम-समथवक देशों के साथ-साथ सोवियत
ऄनुषंगी राज्यों को भी संयुि राष्ट्र की सदस्यता प्राि हुइ।
o ख्रुश्चेि ने टीटो से मुिाकात कर यूगोस्िाविया के साथ संबंधों को सुधारने का प्रयास ककया।
यूगोस्िाविया ने कॉवमन्फॉमव देशों पर िगाए गए व्यापार प्रवतबंधों का विरोध ककया था
वजसके कारण आसे 1948 में कॉवमन्फॉमव से वनष्कावसत कर कदया गया था।
o 1956 में कॉवमन्फॉमव को भंग कर कदया गया था और आस प्रकार सोवियत ऄनुषग
ं ी देशों को
व्यापार और अर्थथक नीवतयों के मामिे में ऄवधक स्ित्रंता वमि गइ थी। यह 1956 में ख्रुश्चि
े
के भाषण के ऄनुरूप था वजसमें ईसने प्रत्येक सामयिादी देश िारा ऄपने ऄनुसार समाजिाद
का पािन करने के पक्ष में तकव कदया था।
ऑवस्िया के संबध
ं में समझौता (1955)
ऑवस्िया को जमवनी की तरह हीं चार ऄवधकृ त क्षेत्रों में विभावजत ककया गया था। परं तु जमवनी के
विपरीत ऑवस्िया को ऄपनी सरकार बनाने की ऄनुमवत दी गइ थी क्योंकक आसे एक अक्रमणकारी
के बजाए नाजी अक्रामकता का वशकार देश माना गया था। आसकी अर्थथक वस्थवत जमवनी के
समान ही थी। पवश्चमी देश यहां के ऄपने वनयंत्रणाधीन क्षेत्रों में अर्थथक सुधार का प्रयास कर रहे थे
जबकक सोवियत संघ आसके संसाधनों का दोहन कर रहा था।
सोवियत संघ और पवश्चमी देशों ने 1955 की ऑवस्ियाइ राज्य संवध (Austrian State Treaty
of 1955) के माध्यम से ऑवस्िया को िेकर होने िािे ऄपने वििादों का समाधान ककया। सोवियत
संघ दो कारणों से संवध पर सहमत हुअ था। पहिा, ऑवस्ियाइ सरकार स्टाविन की मृत्यु के बाद
ऄब ऄवधक नम्र सोवियत संघ को मनाने में सक्षम थी। दूसरा, सोवियत संघ को पवश्चम ऑवस्िया
और पवश्चम जमवनी के बीच एक संभावित वििय का भय था। आस प्रकार ऐसी ककसी भी घटना को
रोकने के विए सोवियत संघ एक संयुि ऑवस्िया के वनमावण के विए सहमत हो गया।
ऑवस्ियाइ राज्य संवध (Austrian State Treaty, 1955)
ऑवस्िया को आसकी 1937 की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए एक स्ितंत्र देश बना कदया गया।
हािांकक आसके साईथ टायरॉि (South Tyrol) को आटिी को दे कदया गया, वजससे ऑवस्िया
ऄप्रसन्न था। 1915 में साईथ टायरॉि को, जो तब ऑवस्िया में था, आटिी को देने का िादा ककया
गया था। 1919 में आटिी ने ईस पर कलजा कर विया था। िहां बहुसंख्यक जमवन भाषी होने पर भी
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जमवनी ने आसे ऄपने राज्य में वमिाने का प्रयास नहीं ककया, क्योंकक आटिी ईसका एक साथी राष्ट्र
था। बाद में वमत्र राष्ट्रों ने भी ऐसा नहीं ककया क्योंकक आटिी 1943 में ईनसे संबद्ध हो चुका था।
आसके विए सोवियत संघ के पक्ष में एक ररयायत बरती गयी। ऑवस्िया को नाटो या यूरोपीय
अर्थथक समुदाय (European Economic Community) (1957 में बेवल्जयम, फ्रांस, आटिी,
िक्जेमबगव, नीदरिैंड और पवश्चम जमवनी िारा हस्ताक्षररत एक संवध िारा 1958 में स्थावपत
यूरोपीय संघ का एक पूिविती) में शावमि होने की ऄनुमवत नहीं थी।
अंवशक’ वशवथिता (“Partial” in the Thaw):
ऄमेररका और सोवियत संघ के संबंधों में ’अंवशक’ नरमी की ईपयुवि चचाव एिं ऄन्य घटनाक्रमों से
यह स्पष्ट है कक यह वशवथिता मात्र अंवशक था, जैसा कक वनम्नविवखत घटनाओं से स्पष्ट ककया गया
है:
o हंगरी के िोगों िारा िहां के कमयुवनस्ट सरकार के विरुद्ध ककए गए ’हंगरी वििोह’ (1956)
को रूसी टैंकों िारा कु चि कदया गया था।
o िारसॉ संवध (1955) का सूत्रपात िास्ति में पवश्चमी जमवनी को नाटो में शावमि करने के
जिाब में सोवियत संघ िारा ककया गया था। युगोस्िाविया को छोड़कर सोवियत संघ और
सभी ऄनुगामी देशों िारा आस पर हस्ताक्षर ककए गए। िारसॉ संवध के ऄंतगवत सदस्यों ने
ककसी भी बाहरी हमिे के विरुद्ध एक-दूसरे का बचाि करने का प्रण विया था। साथ ही सभी
सदस्य देशों की सेनाएं मॉस्को के संपूणव वनयंत्रण में अ गईं।
o सोवियत संघ ने परमाणु हवथयारों का वनमावण जारी रखा।
o 1961 में बर्थिन की दीिार बनाइ गइ।
o क्यूबा वमसाआि संकट (1962): आस दौरान विश्व परमाणु युद्ध के कगार पर पहुंच गया था
(आसकी अगे विस्तार में चचाव की गइ है)।
बर्थिन की दीिार (1961)
1960 में ऄमेररका के एक U2 जासूसी विमान (U2 spy plane) को रूस में ध्िस्त कर कदया
गया, िेककन अआजनहािर ने क्षमा मांगने से मना कर कदया था। 1961 में ख्रुश्चेि ने ऄमेररका के
नि-वनिाववचत राष्ट्रपवत जॉन एफ. कै नेडी से ऄनुरोध ककया कक बर्थिन से पवश्चमी शवियों को
िापस बुिा विया जाए। यह एक ऐसा समय था जब सोवियत संघ िगातार आस बात से शर्ममदा
हो रहा था कक पूिी जमवनी से िोग भारी संख्या में पवश्चम बर्थिन को पिायन कर रहे थे। आस
प्रकार जब ऄमेररका ने रूस की मांग को पूरा करने से मना कर कदया तब सोवियत संघ ने पूिी
जमवनी से पवश्चम बर्थिन की ओर पिायन के रास्ते को ऄिरुद्ध करने के विए बर्थिन की दीिार खड़ी
कर दी।
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प्रधानमंत्री को बंदी बना विया गया (1949)। चेकोस्िोिाककया में कु छ कै वबनेट मंवत्रयों को मार
डािा गया (1952)। पोिैंड में कमयुवनस्ट पाटी के नेताओं को कै द कर विया गया और ऄल्बावनया
में कमयुवनस्ट पाटी के प्रधान को मार डािा गया क्योंकक िे दोनों टीटो का समथवन करते थे।
पोिैंड (1956): यहां श्रवमकों ने वनम्न जीिनस्तर, मजदूरी में कटौती और ईच्च करों के विरुद्ध
सोवियत संघ-विरोधी प्रदशवन ककए। जल्द ही रूसी टैंकों ने िारसा को घेर विया और ऄंत में रूस ने
समझौता ककया। पोिैंड को सामयिाद के ऄपने तरीके का चयन करने की ऄनुमवत दी गइ और
बदिे में पोिैंड ने विदेश मामिों में सोवियत संघ के साथ गठबंधन ककया।
हंगरी वििोह (1956): वनम्नविवखत कइ कारणों से िोग ऄक्टू बर 1956 में यहां की सरकार के
विरुद्ध खड़े हो गए:
o दमनकारी और क्रूर शासन।
o खराब जीिनस्तर।
o रूस-विरोधी तीव्र भािना।
o ख्रुश्चेि के 1956 के भाषण ने हंगरी िावसयों को ऄपनी सरकार का विरोध करने के विए
प्रोत्सावहत ककया।
o हंगरी के सामयिादी नेता को ईखाड़ फें का गया था और एक ऄवधक ईदार नेता आम्र नैगी ने सत्ता
संभािी। पोिैंड में हुए समझौतों की भांवत रूस यहां भी समझौता करने के विए तैयार था। िेककन
रूस तब क्रुद्ध हो गया जब नैगी ने ऄन्य राजनीवतक दिों के सदस्यों के साथ वमिकर एक सरकार
बनाने की ऄपनी योजना की घोषणा की तथा िारसा संवध से हंगरी को ऄिग करने की बात की।
जल्द ही रूसी टैंकों ने बुडापेस्ट (हंगरी की राजधानी) को घेर विया। हंगरी ने िड़ाइ िड़ी और
संघषव भी ककया िेककन सोवियत संघ की ताकत के सामने रटक नहीं सका। ईसके बाद नैगी की
हत्या कर दी गइ और हंगरी पर वनयंत्रण कर विया गया।
चेकोस्िोिाककया (1968): हंगरी के वििोह के बाद रूस ने 1968 तक प्रत्यक्ष रूप से कोइ हस्तक्षेप
नहीं ककया। ऄनुषंगी राज्यों को रूस ने ऄपने ऄनुसार समाजिाद का पािन करने की ऄनुमवत दी
थी। चेकोस्िोिाककया में सरकार मास्को समथवक थी परं तु कफर भी प्रवतरोध ईत्पन्न हुअ, क्योंकक
िहां की जनता ने ऄपनी ऄथवव्यिस्था पर रूसी वनयंत्रण का विरोध ककया था। ईदाहरण के विए,
रूस ने चेकोस्िोिाककया को यह तक वनदेश कदया था कक िौह ऄयस्क का अयात ईसे कहां से
करना चावहए। आसके ऄवतररि चेकोस्िोिाककया के िोगों में ऄपने ऄवधकारों पर िगे प्रवतबंधों के
विरुद्ध अक्रोश था, जैस-े भाषण और ऄवभव्यवि की स्ितंत्रता का ऄभाि, मीवडया पर वनयंत्रण
अकद। एक शांवतपूणव प्रदशवन को पुविस ने क्रूरता से कु चि कदया। 1968 में यहां के सामयिादी नेता
को एक ईदार नेता डु बचेक के पक्ष में त्यागपत्र देना पड़ा। ईन्होंने एक नया कायवक्रम प्रस्तावित
ककया वजसे ईन्होंने ’मानिीय चेहरे के साथ समाजिाद’ कहा। आस कायवक्रम के कु छ पहिू आस प्रकार
थेः
o कमयुवनस्ट पाटी ऄब नीवत वनधावररत नहीं करे गी।
o ईद्योगों को विके न्िीकृ त कर कदया जाएगा और आन्हें पाटी ऄवधकाररयों के बजाय श्रवमक
पररषदों की देखरे ख में रखा जाना था। मजदूर संघों (िेड यूवनयनों) को ऄवधक शवियां दी
जाएंगी।
o खेत ऄब सामूवहक नहीं रहेंग,े बवल्क आसके विए स्ितंत्र सहकारी सवमवतयां बनाइ जाएंगी।
o पवश्चम के साथ ऄवधक व्यापार और विदेश यात्रा की स्ितंत्रता प्रदान की गइ। 1948 के बाद
से बंद हो चुकी पवश्चम जमवनी के साथ िगने िािी सीमा को तुरंत खोि कदया गया।
o भाषण और प्रेस की स्ितंत्रता प्राि हो गइ। सरकार की अिोचना को प्रोत्सावहत ककया गया।
डु बचेक ने सोवियत संघ को अश्वस्त ककया कक िह िारसा संवध के प्रवत प्रवतबद्ध रहेगा और ईसका कट्टर
सहयोगी बना रहेगा। आस प्रकार आस कायवक्रम को 1968 में िागू ककया गया था। िेककन ’भाषण की
स्ितंत्रता’ के प्रािधान से सोवियत संघ वचढ़ गया था। रूस आसे िेकर जल्द ही वचवतत हो गया और
ऄगस्त 1968 में ईसने चेकोस्िोिाककया पर अक्रमण कर कदया। चेकोस्िोिाककया ने रिपात (जैसा कक
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1956 में हंगरी में हुअ था) से बचने के विए सोवियत संघ का विरोध नहीं ककया। आस प्रकार यहां नए
कायवक्रमों का पररत्याग कर कदया गया और डु बचेक को एक रूसी कठपुतिी िारा प्रवतस्थावपत का कदया
गया। जल्द ही िेझनेि (1964-82) ने िेझनेि वसद्धांत की घोषणा की। आस वसद्धांत के ऄनुसार ऄगर
ककसी सामयिादी राष्ट्र में समाजिाद को खतरा ईत्पन्न हो जाए तो ऐसी वस्थवत में रूस को ईस देश के
अंतररक मामिों में हस्तक्षेप करने का ऄवधकार है।
1970 के दशक में ’तनाि शैवथल्य’ (Detente) का अरं भ क्यों हुअ?
1970 के दशक में सामयिादी गुट और स्ितंत्र विश्व (जैसा कक पूज
ं ीिादी गुट ऄपने अप को कहना पसंद
करता था) के बीच संबंधों में सुधार अरं भ हो गया था। 1972 में SALT I (Strategic Arms
Limitation Talks) संवध पर हस्ताक्षर ककया गया। तनाि में कमी के वनम्नविवखत कारण थेः
पवश्चमी यूरोपीय देश पवश्चम जमवनी के ओस्टोपोविरटक (OSTPOLITIK ऄथावत् नइ पूिी नीवत)
पर सहमत हुए वजसका ईद्देश्य विशेष रूप से पूिी और पवश्चमी जमवनी के बीच तथा सामान्य रूप
में पूिी और पवश्चमी यूरोप के बीच सबंधों को बेहतर बनाना था। आसका कारण यह था कक यूरोप
के सभी वहस्से रूस िारा ककये जाने िािे ककसी भी परमाणु हमिे के वनशाने पर थे और ऐसे में
यूरोप के भीतर गैर-टकराियुि अपसी संबंध का होना अिश्यक था।
चीन रूस के साथ वबगड़ते संबंधों के कारण वचवतत था और वियतनाम में ऄमेररकी भागीदारी से
घबराया हुअ था। ईसे ऄिग-थिग पड़ जाने का खतरा कदखाइ दे रहा था। आसविए ऄमेररका के
साथ संबंध सुधारने की ईसे अिश्यकता महसूस हुइ।
संयुि राज्य ऄमेररका और सोवियत संघ, दोनों को परमाणु युद्ध का डर सताने िगा था, विशेषकर
1962 के क्यूबा वमसाआि संकट के बाद से। िे दोनों वियतनाम युद्ध (1961-75) की भयािहता से
पीवड़त थे, वजसमें नेपाम जेिी (Napalm jelly) और रासायवनक हवथयार प्रयोग ककए गए थे।
वियतनाम में ऄपनी ऄसफिता के बाद ऄमेररका को समझ में अ गया कक युद्ध सामयिाद हि नहीं
था और ऄिगाि की नीवत पर िापस िौटने की िाताव शुरू हो गइ।
अयुध स्पधाऺव (अमसव रे स) के चिते सोवियत संघ के संसाधन समाि होते जा रहे थे। 1970 के
दशक के अरं भ में अर्थथक वस्थवत वबगड़ने के कारण पोिैंड में ऄशांवत ईत्पन्न हो गयी थी। आस
प्रकार सोवियत संघ को सामयिादी गुट के देशों में ऄवस्थरता की अशंका हुइ।
सोवियत संघ के चीन के साथ संबंध ऄच्छे नहीं थे। आसविए जब चीन 1971 के बाद ऄमेररका के
करीब जा रहा था तब आसने ऄमेररका और रूस के संबंधों को मजबूत करना चाहा।
अयुध स्पधाव / हवथयारों की होड़ (Arms Race)
ऄंतरावष्ट्रीय शवियों के बीच अयुध स्पधाव िस्तुतः प्रवतिंविता की एक प्राचीन परं परा है।
ईपवनिेशिाद, साम्राज्यिाद और नि साम्राज्यिाद के दौरान यह बि प्रयोग में तलदीि हो गया।
परं तु दो विश्व युद्धों के दौरान आसने एक महत्िपूणव रूप िे विया। प्रथम विश्व युद्ध में जहां बड़े
पैमाने पर विषैिी गैसों, मशीनगनों, टैंकों अकद का ईपयोग हुअ था, िहीं िीज की िड़ाइ (Battle
of Liege) में बेवल्जयम ककिों पर जमवन तोपों (होवित्जर) िारा हमिा ककया गया। वितीय विश्व
युद्ध के दौरान तवड़त युद्ध में दुश्मन पर टैंकों, सैवनकों के मशीनीकृ त वडिीजनों और बड़े पैमाने पर
हिाइ समथवन के साथ तूफानी हमिा हुअ। वितीय विश्व युद्ध के ऄंत में जापान पर परमाणु बम का
प्रयोग एक और मीि का पत्थर वचवननत हुअ।
शीत युद्ध के दौरान अयुध स्पधाऺव ने भयािह रूप िे विया। कोररयाइ युद्ध (1950-53) के पश्चात्
ऄमेररका की विदेश नीवत पर ऄमेररकी विदेश मंत्री ड्यूिस (Dulles) का िचवस्ि था, वजनके
प्रस्तािों, जैस-े रोविग बैक कमयुवनज्म, MAD, विकमैनवशप, परमाणु प्रवतरोधकता और
अआजननहािर वसद्धांत ने अयुध स्पधाऺव को बढ़ािा कदया था।
शीत युद्ध के दौरान विवभन्न प्रकार के खतरनाक ऄस्त्र विकवसत होने िगे थे, जैस-े परमाणु बम,
हाआड्रोजन बम, आं टर कॉवन्टनेंटि बैविवस्टक वमसाआि, पनडु लबी से दागे जाने िािे बैविस्टक
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वमसाआि, एंटी बैविवस्टक वमसाआि, क्रूज, िाइडेंट और पर्मशग वमसाआिें। एकावधक स्ितंत्र रूप से
िवक्षत करने योग्य पुनः प्रिेश िाहन (Multiple Independently Targetable Re-entry
Vehicles: MIRVs) और SS20s के विकास ने अयुध स्पधाव या हवथयारों की होड़ को ऄपने
चरम पर पहुंचा कदया। ऄमेररका की ’स्टार िासव’ की ऄिधारणा जहां यह ऄंतररक्ष से वमसाआिों को
िॉन्च करना चाहता था, एक और मीि का पत्थर था। हवथयारों के विकास के क्रम को नीचे प्रस्तुत
ककया गया है:
क्रमविकास हवथयार (Weapons)
(Timeline)
1949 USA और ईसके बाद USSR ने परमाणु बम विकवसत ककए।
1957 USSR 1957 में ICBM (आं टरकांरटनेंटि बैविवस्टक वमसाआि) विकवसत करने
िािा सबसे पहिा देश बना। ICBM एक रॉके ट िारा िे जाया जाने िािा एक
न्यूवक्ियर िॉरहेड था जो आतना शविशािी था कक िह USSR से USA तक
पहुंच सकता था। जल्द ही ऄमेररका ने भी ईसकी बराबरी िािे वमसाआि के रूप
में एटिस वमसाआिें विकवसत कर िी।
1950 के दशक ऄमेररका ने जुवपटर और थोर नामक कम दूरी तक मार कर सकने िािी परमाणु
और 1960 के वमसाआिें विकवसत कीं और ईन्हें तुकी में तैनात कर USSR को धमकी दी थी।
1961-75 सामान्य रूप से USSR हवथयारों की प्रवतस्पधाव में अगे वनकिने में सक्षम था
क्योंकक ऄमेररकी व्यय वियतनाम युद्ध की ओर िवक्षत था।
1962 क्यूबा वमसाआि संकट: जहां रूस ने ऄमेररका के सवन्नकट (क्यूबा में) परमाणु
वमसाआिें तैनात की थीं।
1963 वनःशस्त्रीकरण: रूस, विटेन और ऄमेररका ने परमाणु परीक्षण प्रवतबंध संवध
(Nuclear Test Ban Treaty: NTBT) पर हस्ताक्षर ककए और िे आस बात पर
सहमत हुए कक ऄब से के िि भूवमगत परमाणु परीक्षण ककए जाएंगे और कोइ
परीक्षण जि, िायु या बाह्य ऄंतररक्ष में नहीं ककए जाएंगे। क्यूबा वमसाआि संकट
के बाद ऄमेररका तुकी से थोर और जुवपटर (कम दूरी तक मार कर सकने िािी
परमाणु वमसाआिें) वमसाआिों को हटाने के विए सहमत हो गया।
1967 वनःशस्त्रीकरण: आस समझौते के तहत बाह्य ऄंतररक्ष में परमाणु हवथयारों के
आस्तेमाि पर प्रवतबंध िगा कदया गया।
1970 का दशक जैसा कक पहिे चचाव की जा चुकी है, USA एिं USSR के बीच 1970 के दशक
के अरं भ से ही तनाि कम होने िगे थे।
वनःशस्त्रीकरण (Disarmament): 1970 में परमाणु ऄप्रसार संवध (NPT,
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1968) प्रभाि में अइ। आसने के िि मौजूदा परमाणु हवथयार रखने िािे देशों को
परमाणु हवथयार रखने की ऄनुमवत दी। आस पर हस्ताक्षर करने िािे देशों को गैर-
परमाणु हवथयार िािे देशों को परमाणु हवथयार विकवसत करने िािी
प्रौद्योवगकी ईपिलध कराने से प्रवतबंवधत कर कदया। गैर-परमाणु हवथयार िािे
देशों (Non-Nuclear Weapon States: NNWS) को के िि नागररक ईद्देश्यों
के विए परमाणु तकनीक विकवसत करने का ऄवधकार कदया जाना था, जैस-े
विद्युत ईत्पादन, प्रयोगशािाओं में ईपयोग अकद।
NSG: परमाणु अपूर्थतकताव समूह (Nuclear Supplier Group: NSG) की
स्थापना 1974 में हुइ थी। ईसी िषव भारत ने परमाणु परीक्षण ककया था। NSG
ऐसे देशों का एक समूह है वजनके पास परमाणु प्रौद्योवगकी है। आसका ईद्देश्य
परमाणु ऄस्त्रों के प्रसार को वनयंवत्रत करना है।
SLBMs (Submarine Launched Ballistic Missiles): आसे सिवप्रथम USA
ने विकवसत ककया था (जैसे- पोसाआडन और पोिाररस वमसाआि)। पूिी भूमध्य
सागर में वस्थत पनडु वलबयों से SLBMs का प्रक्षेपण ककया जा सकता था। जल्द ही
रूस ने भी SLBMs और ICBMs का भंडारण करना शुरू कर कदया।
ABMs (एंटी बैविवस्टक वमसाआि): यह हिा में बैविवस्टक वमसाआिों को नष्ट कर
सकता था। आसे सिवप्रथम USSR िारा विकवसत ककया गया था।
MIRVs (मल्टीपि आं वडपेंडटें िी टागेटेड री-एंिी व्हीकि): आसे सिवप्रथम USA ने
विकवसत ककया था। ये व्हीकि कइ वमसाआिों को िे जाने में सक्षम हैं वजन्हें
स्ितंत्रतापूिक
व विवभन्न कदशाओं में कइ िक्ष्यों की ओर हिा में िॉन्च ककया जा
सकता है। आसके प्रवतईत्तर में USSR ने SS-20 नामक वमसाआि विकवसत ककया।
िेककन यह वमसाआि ईन्नत प्रकृ वत की नहीं, क्योंकक ईनका ईपयोग के िि तीन
िक्ष्यों के विए ककया जा सकता था।
वनःशस्त्रीकरण: परमाणु वनःशस्त्रीकरण की कदशा में 1972 में एक महत्िपूणव कदम
ईठाया गया। SALT-1 संवध {SALT-1 treaty (Strategic Arms Limitation
Talks)} िारा दोनों देशों ने ICBMs, ABMs और SLBMs की संख्या को
सीवमत ककया, िेककन आसमें MIRVs पर कोइ समझौता नहीं हुअ वजससे
वनःशस्त्रीकरण की भािना को ठे स पहुँची।
साल्ट-1 की कवमयों को दूर करने के विए, साल्ट 2 पर बातचीत अरं भ हुइ।
िेजनेि और वनक्सन के बीच वशखर स्तर की िाताव से आसकी शुरूअत हुइ। आसका
ईद्देश्य MIRVs और SS-20s को सीवमत करना था, िेककन 1979 में USSR
की ओर से, ऄफ़गावनस्तान पर अक्रमण के कारण, साल्ट-2 संवध ऄमेररकी सीनेट
िारा वनरस्त कर दी गयी।
हेिवसकी समझौता (1975): आस समझौते पर कनाडा, यूरोप के कु छ राष्ट्रों,
USSR (िेझनेि) और USA (जेराल्ड फोडव) ने हस्ताक्षर (हस्ताक्षर करने िािे
कु ि 35 देश) ककए। यहां रूस ने सामयिादी देशों में मानिावधकार, संिाद का
ऄवधकार और देश छोड़ने के ऄवधकार का सममान करने का िचन कदया था।
सदस्य देशों ने भी यूरोप में मौजूदा सीमाओं के ऄवस्तत्ि को स्िीकार कर विया
(और आस प्रकार जमवनी के विभाजन को स्िीकार ककया गया)। िेककन यह
समझौता गैर-बाध्यकारी था क्योंकक आसमें ककसी संवध को शावमि नहीं ककया गया
था।
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क्रूज वमसाआिों को 1970 के दशक के ऄंत में ऄमेररका िारा विकवसत ककया गया
था। ये वमसाआिें कम उंचाइ पर ईड़ सकती थीं और आस तरह रूसी राडारों िारा
आनका पता िगाने से बचा जा सकता था।
USSR िारा 1979 में ऄफगावनस्तान पर अक्रमण ककया गया वजससे ऄमेररका
और USSR के बीच तनाि बढ़ गया था।
1979-83 1979-83 के दौरान पवश्चमी देश और सोवियत संघ युद्ध के कगार पर थे।
1979 में USSR िारा ऄफ़गावनस्तान पर अक्रमण के कारण पवश्चमी देश
USSR को संदह
े की दृवष्ट से देखने िगे, वजससे दोनों तरफ परमाणु
हवथयारों का जखीरा जमा होने िगा।
नाटो ने USSR िारा SS-20 (MIRVs के प्रवतईत्तर में विकवसत हवथयार)
की तैनाती के विरोध में यूरोप में पर्मशग और क्रूज वमसाआिें तैनात कर दी।
USA के सीनेट ने SALT-2 िाताव को वनरस्त कर कदया। SALT-2 से दोनों
देश MIRVs में कमी कर सकते थे।
रोनाल्ड रीगन (1981-89) ने 1983 में स्टार िासव (या रणनीवतक रक्षा
पहि कायवक्रम) की शुरुअत की, वजसने ऄमेररका को ऄंतररक्ष से वमसाआिों
को िॉन्च करने की क्षमता प्रदान की।
1985-91 1980 के दशक में परमाणु हवथयारों के विकास के वखिाफ यूरोप में सािवजवनक
विरोध हुए थे।
ऄमेररका-सोवियत संघ के संबधं ों में तनाि शैवथल्य: गोबावचेि ने ऄमेररका के साथ
संबंधों को और ऄवधक वस्थर तरीके से सुधारने की कोवशश की।
वनःशस्त्रीकरण: INF संवध (1987): 1987 में ऄमेररका (रीगन) और USSR
(गोबावचेि) िारा आंटरमीवडएट-रें ज न्यूवक्ियर फ़ोसव िीटी पर हस्ताक्षर ककए गए
थे। आसका ईद्देश्य ऄगिे 15 िषों में दुवनया को वडन्यूवक्ियराआजेशन
(denuclearization) की ओर िे जाना था। INF संवध के तहत ऄमेररका और
USSR मध्यम दूरी के सभी “स्थि अधाररत (land based)” परमाणु हवथयारों
को नष्ट करने के विए सहमत हो गए थे, ऄथावत् चेकोस्िोिाककया और पूिी जमवनी
में वस्थत रूसी वमसाआिों तथा पवश्चमी यूरोप में वस्थत ऄमेररकी क्रूज और पर्मशग
वमसाआिों को नष्ट करने पर सहमवत। संवध में आस कदशा में दोनों देशों िारा ककए
जाने िािे प्रयासों की पारस्पररक सत्यापन की सख्त प्रकक्रया की व्यिस्था की गइ
थी।
INF संवध की अिोचना: ईस समय रूस और ऄमेररका के पास स्थि अधाररत
मध्यम दूरी तक मार कर सकने िािी वमसाआिों की संख्या विश्व की कु ि परमाणु
हवथयारों की संख्या का के िि 4% थी। आसके ऄिािा विटेन और फ्रांस आस संवध
का वहस्सा नहीं थे। िास्ति में विटेन की तत्कािीन प्रधानमंत्री मागवरेट थैचर,
विटेन के वडन्यूवक्ियराआजेशन के वखिाफ थीं। ईनके काि में विटेन ने िाआडेंट
वमसाआिों को विकवसत करना शुरू ककया जो कक ऄमेररका की क्रूज वमसाआिों से
बेहतर थीं।
नाटो-िारसा समझौते (1990) के तहत दोनों पक्ष आस बात पर सहमत हुए थे कक
िे एक-दूसरे के विरुद्ध के िि अत्मरक्षा के प्रयोजनों से ही ऄपने हवथयारों का
आस्तेमाि करें गे।
1991 में USSR के विघटन के बाद रूस को सोवियत संघ के परमाणु हवथयारों
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आस प्रकार यह कहा जा सकता है कक शीत युद्ध के दौरान हवथयारों की होड़ में ईनकी संख्या एिं
गुणित्ता के साथ-साथ ईनके प्रक्षेपण/तैनाती स्थि के विस्तार के संदभव में भी एक होड़ या प्रवतस्पधाव
देखी गइ:
संख्या: परमाणु, रासायवनक और परं परागत हवथयारों की संख्या में िृवद्ध हुइ।
गुणित्ता: सटीकता, सुस्पष्टता और वमसाआिों की श्रेणी में िृवद्ध हुइ।
विविध प्रक्षेपण स्थि: ऄब वमसाआिों को न के िि स्थि से बवल्क जि, ऄंतररक्ष और गवतशीि
माििाहकों (mobile trucks) से भी प्रक्षेवपत ककया जा सकता था। आस समय के वमसाआिों को
वनम्नविवखत रूपों में िगीकृ त ककया जा सकता है:
o सतह से सतह
o सतह से हिा
o हिा से हिा
o हिा से सतह
o पनडु लबी से प्रक्षेपण
हवथयारों की होड़ का नकारात्मक ऄसर गरीबों पर हुअ। आस धन का प्रयोग िाखों वनधवन िोगों के
ईत्थान के विए ककया जा सकता था, ख़ासकर तृतीय विश्व के राष्ट्रों के विकास पर ध्यान कें कित करके
वजन्होंने ईत्तर-दवक्षण सहयोग की स्थायी नींि रखी थी। शस्त्रों की आस स्पधाव में USSR के संसाधन
ररि हो गए जो USSR के पतन का एक महत्िपूणव कारण बना। पुनः शस्त्रों की आस स्पधाव ने विश्व में
परमाणु हवथयारों की होड़ को जन्म कदया वजसने अज के ितवमान हािात पैदा ककए, जहां गैर-राज्य
कतावओं के हाथों में परमाणु हवथयार चिे जाने का खतरा बना हुअ है।
युद्ध की कगार/वस्थवत: शीत युद्ध के दौरान विश्व कइ बार युद्ध के कगार पर पहुँचा:
पवश्चम बर्थिन की नाके बंदी और एयरविफ्ट (1948-49): ऄमेररका ने ककसी भी अकवस्मकता से
वनपटने के विए विटेन में ऄपने बमिषवक विमानों को तैनात रखा था।
क्यूबाइ वमसाआि संकट (1962): आस दौरान ऄमेररका और USSR के बीच प्रत्यक्ष सैन्य संघषव
का भी एक दौर अया था। हािांकक संयुि राष्ट्र की मध्यस्थता से यह टि गया।
1979: ऄफगावनस्तान पर USSR के अक्रमण के प्रकरण में पूज
ं ीिादी और सामयिादी लिॉक के
बीच तनाि बढ़ गया था। रूस िारा SS-20 वमसाआिों को तैनात ककए जाने के बाद नाटो ने यूरोप
में पर्मशग और क्रूज वमसाआिें तैनात कीं।
1983: 1983 में ऄमेररका युद्ध क्रीड़ा को वनयंवत्रत कर रहा था और रूस का मानना था कक
ऄमेररका ने सबसे पहिे परमाणु हमिे का खेि खेिा था। आसने विश्व को एक परमाणु युद्ध के
कगार पर िा खड़ा ककया, जब तक कक आस गित धारणा को सुिझा नहीं विया गया।
विशेषज्ञों का यह मानना है कक शस्त्र की प्रवतस्पधाव शीत युद्ध के ऄंत होने के बाद भी समाि नहीं हुइ
और यह ऄभी भी बदस्तूर जारी है। भारत हवथयार अयात करने िािा विश्व का एक प्रमुख देश बन
गया है। चीन की बढ़ती हठधर्थमता के चिते जापान दवक्षण पूिी एवशयाइ देशों, जैस-े वियतनाम,
कफिीपींस अकद के साथ-साथ धीरे -धीरे और ऄवधक अक्रामक रुख ऄपना रहा है। रूस और ऄमेररका के
बीच प्रवतस्पधाव ऄभी भी जारी है तथा हाि के िषों में इरान और सीररया के मामिे को िेकर रूस और
ऄवधक हठधमी हो गया है। परमाणु हवथयारों तक पहुंच रखने िािे गैर-राज्य कतावओं से गंभीर डर बना
हुअ है। यहां तक कक अर्थथक रूप से कमजोर देशों, जैस-े िेबनान में ऄत्यवधक सैन्यीकरण हो रहा है।
हाि के िषों में, ऄप्रसार और परमाणु वनःशस्त्रीकरण के प्रयास विफि रहे हैं क्योंकक परमाणु हवथयार
िािे नए देशों, जैस-े भारत, पाककस्तान और ईत्तर कोररया का ईद्गम हुअ है।
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पृष्ठभूवम: 1910 में जापान िारा कोररया का ऄवधग्रहण ककया गया था और वितीय विश्व युद्ध की
समावि तक यह जापान के अधीन रहा। आसके पश्चात् कोररया का विभाजन ककया गया ताकक
ऄमेररका और रूस संयुि रूप से जापानी अत्मसमपवण और ऄमेररकी तथा रूसी सेनाओं की
िापसी की व्यिस्था कर सकें । ईत्तरी कोररया पर रूसी सेनाओं ने ऄवधकार कर विया और दवक्षणी
कोररया ऄमेररका के िचवस्ि में अ गया। यह विभाजन स्थाइ नहीं रहना था। संयुि राष्ट्र और
ऄमेररका संपण
ू व कोररया में स्ितंत्र चुनाि चाहते थे। ऄमेररका को पता था कक दवक्षणी कोररया की
जनसंख्या संपूणव कोररया का 2/3 भाग थी, आसीविए ऄमेररका स्ितंत्र चुनाि चाहता था। ऐसे में
चुनाि की वस्थवत में िह पूज
ं ीपवतयों की विजय के प्रवत अश्वस्त था। यही कारण है कक जमवनी की
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भांवत कोररया भी शीत युद्ध का एक भाग बन गया। 1948 में स्ितंत्र ररपवलिक ऑफ़ कोररया
(दवक्षणी कोररया) का गठन ककया गया और UNO के पयविक्ष
े ण में चुनाि अयोवजत ककये गये।
आसके तुरंत पश्चात् रूस ने ककम आि सुंग की सामयिादी सरकार के ऄंतगवत डेमोक्रेरटक पीपल्स
ररपवलिक ऑफ़ कोररया का गठन ककया।
1949 में रूसी और ऄमेररकी सैवनकों की िापसी हुइ, परन्तु एक ऄवस्थर वस्थवत में। कोररयाइ
िोगों ने विभाजन का विरोध ककया और ईत्तरी एिं दवक्षण कोररया दोनों के नेताओं ने समपूणव
कोररया पर शासन करने का दािा ककया।
कोररयाइ युद्ध का प्रारमभ
जब ईत्तरी कोररया ने देश के एकीकरण के प्रयास में दवक्षणी कोररया पर अक्रमण ककया तो आस
युद्ध का अरं भ हुअ। ईत्तरी कोररया ने यह कठोर कदम क्यों ईठाया आसका कारण स्पष्ट नहीं है,
परन्तु वनम्नविवखत पहिुओं ने आसे प्रोत्सावहत ककया:
o बर्थिन की नाके बंदी की विफिता के पश्चात् और प्रशांत क्षेत्र में ऄपना प्रभाि बढ़ाने के विए
रूस ने हाि ही में गरठत ईत्तरी कोररया में सामयिाद को सशि करने के ईद्देश्य से टैंको की
अपूर्थत की थी। आस प्रकार ईत्तरी कोररया स्ियं को सैन्य रूप से श्रेष्ठ समझ रहा था।
o ऄमेररकी विदेश सवचि ने एक भाषण में ईल्िेख ककया था कक ऄमेररका प्रशांत क्षेत्र की रक्षा
करे गा, परन्तु ईसने दवक्षणी कोररया का ईल्िेख नहीं ककया था।
o चीन ताआिान िीप के सामने िािे प्रान्त में ऄपने सैवनकों को एकवत्रत कर रहा था, वजससे
ऐसा प्रतीत हो रहा था कक चीन ताइिान पर अक्रमण करने के तैयारी कर रहा है। आससे
ईत्तरी कोररया प्रोत्सावहत हुअ और ईसे यह अशा थी कक निगरठत सामयिादी चीन ईत्तरी
कोररया की सहायता करे गा।
o ईत्तरी कोररया ने युद्ध प्रारमभ करने के विए दवक्षणी कोररया पर अरोप िगाया कक दवक्षणी
कोररया के सैवनकों ने 38िीं समानांतर रे खा (38th parallel) पहिे पार की थी।
संयि
ु राष्ट्र संघ की भूवमका
एक नये सामयिादी देश के ईदय की समभािना पर ऄमेररका चौकन्ना हो गया। जब ऄमेररका ने
ऄपने सैवनकों को भेजने का वनणवय िे विया तब ईत्तरी कोररया जीत के कगार पर था। आस वनणवय
के एक कदन पश्चात् ऄमेररका ने सैन्य हस्तक्षेप के विए संयुि राष्ट्र की स्िीकृ वत प्राि करने का
प्रयास ककया परन्तु ईस समय सोवियत रूस संयुि राष्ट्र की सुरक्षा पररषद की बैठकों से स्ियं को
ऄिग रख रहा था तथा ईस समय यह चचाव चि रही थी कक क्या ऄिग रहने का ऄथव िीटो का
ईपयोग है। आसी समय में UNGA ने “शांवत के विए एकजुटता” के ऐवतहावसक प्रस्ताि को ऄपना
विया और रूस के ऄिग रहने से ककसी भी प्रकार के समभावित िीटो को ऄस्िीकृ त कर कदया।
आससे सुरक्षा पररषद में प्रस्ताि के पाररत होने का मागव प्रशस्त हो गया। यहाँ यह ध्यान देने योग्य
है कक ऄमेररका ने संयुि राष्ट्र सुरक्षा पररषद (UNSC) की बैठक से एक कदन पूिव ही हस्तक्षेप करने
का वनणवय विया था और आस प्रकार UNSC का प्रस्ताि के िि आसविए पाररत हुअ क्योंकक रूस ने
स्ियं को ऄिग रखा। यह एक प्रकार से संयुि राष्ट्र की अड़ में ऄमेररका का हस्तक्षेप था। आसके
ऄवतररि UNSC प्रस्ताि के िि 38िीं समानांतर रे खा को बहाि करने के विए था, परन्तु आस
ईद्देश्य की प्रावि के पश्चात् ऄमेररका ने ईत्तरी कोररया पर अक्रमण करने के विए UNSC की
स्िीकृ वत प्राि कर िी। आस प्रकार संयुि राष्ट्र को ऄमेररका िारा वनदेवशत ककया जा रहा था।
ऄमेररका ईत्तरी कोररया के सैवनकों को पीछे धके िने में सफि रहा, परन्तु ऄब यह कोररया का
एकीकरण चाह रहा था। ऄमेररका ने ईत्तरी कोररया के क्षेत्र में प्रिेश कर विया और चीनी सीमाओं
के वनकट यािू नदी तक पहुंच गया।
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कइ ऄिोकतांवत्रक सत्ताओं का समथवन करने के विए ककया गया था। ऄमेररका ने आन सत्ताओं
को पूरी तरह शस्त्रों से सुसवित कर कदया। आससे आन गठजोड़ों के सदस्यों के ईन पड़ोसी देशों
में तनाि ईत्पन्न हुअ, वजन्होंने आस गठजोड़ में सवममवित होने से मना कर कदया था। आस
सन्दभव में NAM (1961) का ईदय हुअ। ईदाहरण के विए भारत जैसे देशों ने SEATO में
सवममवित होने से मना कर कदया और गुट-वनरपेक्षता की नीवत का पािन ककया वजसकी
पराकाष्ठा गुट-वनरपेक्ष अन्दोिन (1961) के रूप में देखने को वमिी।
क्यूबा
क्यूबा की क्रांवत ने क्यूबा वमसाआि संकट के विए एक ऄग्रदूत के रूप में कायव ककया। आसविए आसके
पीछे के आवतहास को समझना महत्िपूणव है:
क्यूबा की क्रांवत या ऄमेररका के प्रवत ऄसंतोष के कारण (1953-1959)
अंतररक मामिों में हस्तक्षेप: 1898 में ऄमेररका ने स्पेन से स्ितंत्रता प्राि करने में क्यूबा की
सहायता की थी (स्पेन-ऄमेररकी युद्ध, 1898)। तब से क्यूबा के कइ िोगों को यहां ऄमेररका के
ऄत्यवधक प्रभाि से ऄप्रसन्नता थी। शांवत बहाि करने के विए प्रायः ऄमेररकी सैवनकों को तैनात
करना पड़ता था। आसके ऄवतररि क्यूबा की ऄथवव्यिस्था पर भी ऄमेररका का िचवस्ि था।
क्यूबाइ ऄथवव्यिस्था पर ऄमेररकी वनयंत्रण: ऄमेररकी कमपवनयों ने क्यूबाइ ऄथवव्यिस्था में बहुत
ऄवधक वनिेश ककया था। क्यूबा की भूवम का 50%, रे ििे का 3/5िां भाग और समपूणव विद्युत
ईत्पादन ईनके स्िावमत्ि में था। ऄमेररकी कमपवनयों की क्यूबा के सभी ईद्योगों में (वनककि, तांबा,
चीनी, तमबाकू , िोहा अकद) भागीदारी थी और क्यूबा के तेि शोधन ईद्योग में तो ईनका
एकावधकार था। यकद आसके कारण क्यूबाइ िोगों में कु छ समृवद्ध अइ होती तो ऄमेररकी प्रभाि से
ईतनी ऄप्रसन्नता शायद न होती वजतनी थी।
दयनीय सामावजक संकेतक: देश में धन और भूवम का स्िावमत्ि सकें कित था। जनता की वनधवनता
और भ्रष्ट ऄवधकाररयों की समपवत्त में बहुत ऄवधक ऄसमानता थी। आस प्रकार सामावजक ऄसंतोष
बढ़ रहा था। क्यूबा में सामावजक संकेतकों की वस्थवत ऄत्यंत दयनीय थी। क्यूबाइ समाज में
बेरोजगारी में काफी िृवद्ध हुइ थी। यहां मौसमी बेरोजगारी एक गमभीर समस्या बन गयी थी
क्योंकक िषव भर में गन्ने की कटाइ के समय यह 8% रहती थी, तो िषव के शेष समय में बढ़कर यह
30% हो जाती थी। िेड यूवनयनों पर चीनी वमि श्रवमकों का िचवस्ि था वजनके पास पूरे िषव भर
रोजगार ईपिलध रहता था और िे ऄन्य क्षेत्रों के श्रवमकों के विए पयावि कायव करने में विफि रहे।
ऄथवव्यिस्था की कमजोररयां: क्यूबा चीनी के वनयावत पर बहुत ऄवधक वनभवर था, ऄतः ऄथवव्यिस्था
में पयावि औद्योवगक विविवधता देखने को नहीं वमि सकी। ऄपने वनयावत (विशेषकर चीनी) के विए
क्यूबा मुख्य रूप से ऄमेररका और ऄमेररकी सहायता पर वनभवर था।
सुशासन का ऄभाि: कोइ प्रभािी राजनीवतक व्यिस्था विकवसत नहीं हुइ थी। ऐसे संगठनों का
ऄभाि था जो सुशासन सुवनवश्चत कर सकें । 1952 में एक पूिव सैवनक साजेंट बवतस्ता ने सत्ता पर
ऄिैध ऄवधकार कर विया और एक तानाशाह की भांवत शासन करने िगा। ईसकी सरकार को
ऄमेररका िारा सरिता से मान्यता वमि गइ। बवतस्ता का शासन क्रूर और भ्रष्ट था। विशेषकर छात्र
बवतस्ता के विरोधी थे।
एक ऄवहसक वििोह अिश्यक हो गया: 1952 में चुनाि होने िािे थे और छात्रों िारा भ्रष्टाचार
विरोधी प्रदशवन भी साथ-साथ चि रहे थे। मध्यमिगीय पृष्ठभूवम से एक िकीि कफदेि कास्त्रो का
एक नेता के रूप में ईदय हुअ। बवतस्ता ने कास्त्रो की भ्रष्टाचार विरोधी पाटी को चुनािों में जीतने
से रोकने के विए तख्तापिट कर कदया। कास्त्रो ने बवतस्ता के विरुद्ध विरोध प्रदशवन प्रारमभ कर
कदया और 1953 में बवतस्ता को सत्ता से हटाने का एक विफि प्रयास ककया। बवतस्ता पर जनता
के बढ़ते हुए दबाि के कारण दो िषो के पश्चात् कास्त्रो को मुि करना पड़ा और सभी राजनीवतक
बंकदयों को क्षमा करना पड़ा। कास्त्रो ने ऄमेररका में बसे क्यूबाइ िोगों के बीच समथवन पाने और
धन जुटाने के विए ऄमेररका का दौरा ककया। िह मैवक्सको भी गया जहाँ ईसकी भेंट चे ग्िेरा से
हुइ और चे के साथ वमिकर ईसने एक क्रावन्तकारी संगठन बनाया, वजसमें चे ग्िेरा; कास्त्रो की
गुररल्िा फ़ोसव का प्रथम कमांडर था। कास्त्रो 82 िोगों के साथ समुिी मागव से क्यूबा िौटे तथा एक
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और तख्तापिट का प्रयास ककया। बवतस्ता की सेनाओं ने कआयों को बंदी बना विया, परन्तु चे
ग्िेरा और कास्त्रो सवहत 21 िोग बच वनकिे। कास्त्रो और चे ग्िेरा ने ककसानों को युद्धकिा में
प्रवशवक्षत ककया और ईन्होंने एक मवहिा बटावियन का भी गठन ककया। जो पहाड़ी क्षेत्र कफदेि
कास्त्रो के वनयंत्रण में अ गये थे ईनमें ईसने भूवम सुधार िागू ककए। आस कायव से ईसे जनता का
व्यापक समथवन प्राि हुअ।
बवतस्ता का दमन: िह बहुत ही क्रूर शासक था। ईसके शासनकाि में कइ संकदग्धों पर ऄत्याचार
हुए और ऄनेकों संकदग्ध मारे गए। आससे जनता की राय (विशेषकर मध्यिगीय िोग जो बवतस्ता के
विए महत्िपूणव थे) बवतस्ता के और विरुद्ध हो गयी। 1958 तक कास्त्रो की सेनाओ को परावजत
करने में ऄसफि रहने के कारण बहुत ही ऄसंतोषजनक िेतन प्राि करने िािी सेना (जो
व्यापाररयों और मध्यिगव के साथ-साथ बवतस्ता के समथवन का मुख्य अधार था) का मनोबि वगर
चुका था। ऄमेररका जो पहिे बवतस्ता का समथवक था ऄब ईसने मानिावधकारों के घोर ईल्िंघन के
पश्चात् हवथयारों की अपूर्थत बंद कर दी। बवतस्ता के विए यह बहुत बड़ा धक्का था और गुररल्िा
िड़ाकु ओं की विजय ऄब सुवनवश्चत कदख रही थी।
क्रांवत की सफिता (1959): ऄजेंटीना के चे ग्िेरा ने कास्त्रो के ऄवभयान में महत्िपूणव सहायता
प्रदान की। 1959 में 32 िषव की अयु में कास्त्रो ने बवतस्ता के शासन को ईखाड़ फें का। बवतस्ता
भागकर डोवमवनकन ररपवलिक चिा गया। ईसके कइ समथवक ऄमेररका के वमयामी (आस प्रकार से
अज तक वमयामी में एक सशि क्यूबा-विरोधी िॉबी है) भाग गए। क्यूबा में कास्त्रो के नेतृत्ि में
एक ईदारिादी सरकार की स्थापना हुइ।
सत्ता में कफदेि कास्त्रो (1959-2010): बवतस्ता के जो समथवक क्यूबा से नहीं भागे थे ईन पर
ऄवभयोग चिाया गया। ईनमें से कु छ CIA के एजेंट भी थे, आसविए ऄमेररका आन ऄवभयोगों के
विरुद्ध था। ऄमेररका के साथ बेहतर तािमेि बनाने के विए कास्त्रो ऄमेररका गए। ईस समय
अआजनहािर राष्ट्रपवत थे और वनक्सन ईपराष्ट्रपवत। अआजनहािर ने कास्त्रो से वमिने से मना कर
कदया और वनक्सन ने ईस पर सामयिादी का ठप्पा िगा कदया। ईसके दौरे के दौरान हािेम में
ऄिवस्थत एक होटि िािे ने ईसे िहां रुकने की ऄनुमवत देने से मना कर कदया। तब एक ऄश्वेत के
स्िावमत्ि िािे थेरेसा नामक होटि में कास्त्रो को रुकने के विए अमंवत्रत ककया गया। आस होटि में
विश्व के कइ नेता वजनमें वनककता ख्रुश्चेि भी सवममवित थे ईसे वमिने अये। वनककता ने कहा, “मुझे
पता नहीं है कक कास्त्रो सामयिादी है या नहीं परन्तु मैं एक कफदेििादी हँ”। ऄश्वेत ऄमेररकी नेता
माल्कोल्म भी ईसे वमिने थेरेसा होटि अए। कास्त्रो के शासनकाि की कु छ महत्िपूणव ईपिवलधयां
आस प्रकार थीं:
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o कफदेि कास्त्रो के सुधार कायवक्रम: वनराश हो कर घर िापसी पर कफदेि ने ऄपने सुधार कायवक्रम
प्रारमभ ककए:
भूवम सुधार: भू-स्िावमत्ि के सकें िण को कम करने के विए कफदेि ने भूवम का पुनर्थितरण
प्रारमभ ककया। क्यूबा की 70% भूवम पर विदेवशयों का कलजा था, विशेषकर ऄमेररकी िोगों
का और आसविए ऄमेररकी सरकार कास्त्रो के भूवम सुधारों के विरुद्ध थी।
सामावजक सुधार: भूवम सुधारों के पश्चात् क्यूबा ने वशक्षा और स्िास्थ्य क्षेत्रक को िवक्षत
ककया। कइ नियुिक सुदरू क्षेत्रों में ककसानों के बच्चों को वशवक्षत करने गए।
राष्ट्रीयकरण: आसके पश्चात् कास्त्रो सोवियत कच्चे तेि के शोधन के विए एक ऄमेररकी तेि
शोधन आकाइ चाहता था, परन्तु ऄमेररका ने आसके विए मना कर कदया। फितः कास्त्रो ने तेि
शोधन आकाइयों का राष्ट्रीयकरण प्रारमभ कर कदया। आसके प्रत्युत्तर में ऄमेररका ने क्यूबा पर
प्रवतबन्ध िगा कदए। क्रोवधत कास्त्रो ने आसका प्रत्युत्तर सभी ईपयोवगताओं के राष्ट्रीयकरण से
कदया।
ऄमेररका िारा व्यापाररक प्रवतबन्ध: आसके प्रत्युत्तर में ऄमेररका ने क्यूबा पर व्यापार प्रवतबन्ध
िगा कदए (1960 से ऄमेररका ने क्यूबा से चीनी का अयात बंद कर कदया)। क्यूबा की
ऄथवव्यिस्था सदा से ही चीनी के वनयावत पर अधाररत थी और ईसका मुख्य वनयावत बाजार
ऄमेररका था। आस प्रवतबन्ध ने क्यूबा की ऄथवव्यिस्था को क्षवत पहुंचाइ। आसके बाद रूस ने
क्यूबाइ चीनी खरीदने का िचन कदया।
कास्त्रो ने सदा ही खेिों को प्रोत्सावहत ककया। क्यूबा के कइ नागररकों के ऄफ्रीकी प्रिावसयों के
िंशज होने के कारण, ओिवमपक पदकों की ताविका में क्यूबा वनरं तर पहिे दस शीषव स्थान
प्राि करता रहा है।
o वपग्स की खाड़ी (Bay of Pigs): यह घटना िस्तुतः ऄमेररका के समथवन से ऄमेररका में वनिावसन
में रह रहे क्यूबाइयों िारा क्यूबा पर ककया गया एक अक्रमण था। आस अक्रमण की योजना
अआजनहािर ने बनाइ थी और आसका कक्रयान्ियन के नेडी के कायवकाि में हुअ था। के नेडी ने
ऄमेररकी सेनाओं के ईपयोग के विए िीटो का ईपयोग ककया और आस प्रकार वनिाववसत क्यूबाइ
िोगों िारा (विशेषकर वमयामी में) ‘वपग्स की खाड़ी’ की घटना को मूतव रूप कदया गया। स्ियं
कफदेि कास्त्रो ने रक्षा पंवि का नेतृत्ि ककया और 72 घंटों में युद्ध में विजय प्राि की। आसमें शावमि
ऄपरावधयों को बंदी बनाया गया और बाद में क्यूबाइ बच्चों के भोजन के बदिे में ईनका ऄमेररका
से अदान-प्रदान ककया गया।
o सामयिाद का क्यूबाइ स्िरूप: 1961 के वपग्स की खाड़ी की घटना के पश्चात् क्यूबा एक
सामयिादी राष्ट्र बन गया और एकि पाटी व्यिस्था को सशि ककया। (यहाँ यह बात ध्यान देने
योग्य है कक “सामयिादी राष्ट्र” शलद का प्रयोग पवश्चम में ही ककया जाता है और स्ियं तथाकवथत
सामयिादी सत्ताएं आसका प्रयोग नहीं करती हैं, क्योंकक ईनका मानना है कक समाज में समाजिाद
के समेकन या पूणव पररपक्वता के पश्चात् ही सामयिाद का अरमभ होगा। आसविए िे “डेमोक्रेरटक
पीपल्स ररपवलिक”, “ररपवलिक”, “सोशविस्ट ररपवलिक” अकद जैसे शलदों का ईपयोग करते हैं।
ईदहारण के विए क्यूबा को ररपवलिक ऑफ़ क्यूबा कहा जाता है)।
क्यूबा में के िि एक ही पाटी ऄथावत् सामयिादी पाटी को ऄनुमवत प्राि है। हािांकक यहां आस पाटी
को भी प्रत्यावशयों के विए प्रचार करने की ऄनुमवत नहीं है, यह चुनाि में प्रत्यावशयों को नहीं
ईतार सकती है। पाटी की औपचाररक भागीदारी के वबना ही व्यविगत जनमत संग्रह के अधार पर
प्रत्यावशयों का चुनाि होता है और आस प्रकार वनिाववचत विधान सभाओं में िह प्रत्याशी भी हो
सकते हैं जो सामयिादी पाटी के सदस्य नहीं है।
कफदेि की घोषणा (Fidel’s declaration) वपग्स की खाड़ी (1961) की घटना के पश्चात् हुइ थी
क्योंकक कफदेि क्यूबाइ क्रांवत के सरं क्षण तथा सािवभौम स्िास्थ्य और वशक्षा सुधारों को चिाने के
विए रूसी सहायता चाहता था। आसविए प्रारमभ में कास्त्रो सामयिादी नहीं था (एक ईदार
राष्ट्रिादी था) परन्तु बाद में बन गया था। ईसने घोषणा की कक िह एक माक्सविादी है और क्यूबा
एक समाजिादी देश है। ईसकी नीवत समाजिाद की नीवत है।
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o क्यूबा और सोवियत संघ: जैस-े जैसे क्यूबा और ऄमेररका के संबंध खराब होते गए, क्यूबा और
सोवियत संघ के समबन्धों में सुधार होता गया तथा सोवियत संघ की सहायता भी बढ़ने िगी।
सोवियत संघ से ऄपनी विदेश नीवत को स्ितंत्रत बनाए रखने के विए कफदेि ने वनरं तर प्रयास
ककया और क्यूबाइ स्िायत्तता एिं समप्रभुता के साथ सोवियत संघ पर वनभवरता के बीच संतिु न
बनाए रखा। निीन क्यूबा के गठन के पहिे ही िषव में ईसने NAM (1961) की सदस्यता ग्रहण
की। परन्तु विडमबना यह रही कक शीघ्र ही िह क्यूबाइ वमसाआि संकट (ऄक्टू बर 1962) में ईिझ
गया।
o क्यूबाइ वमसाआि संकट (ऄक्टू बर 1962): आस दौरान क्यूबा ने ऄपने यहां सतह से सतह तक मार
करने िािी सोवियत वमसाआिें तैनात करने के विए सहमवत दी (सतह से सतह पर मार करने
िािी वमसाआिों को अक्रामक माना जाता है, जबकक सतह से हिा में मार करने िािी वमसाआिों
को रक्षात्मक वमसाआिों की श्रेणी में रखा जाता है)। वनककता ख्रुश्चेि ने 1956 में पवश्चम के साथ
शांवतपूणव सह-ऄवस्तत्ि के वसद्धांत का समथवन ककया था, िेककन वनककता के आस वनणवय के पीछे
वनम्नविवखत घटनाओं का योगदान रहा:
ऄमेररकी गुिचर विमान U2 को मार वगराना (1960),
बर्थिन में तनाि (1961 में बर्थिन की दीिार खड़ी की गयी। ख्रुश्चेि शायद ऄमेररका, विटेन
और फ़्ांस पर पवश्चमी बर्थिन से िापस जाने के विए दबाि बनाने हेतु क्यूबा में वमसाआिों का
ईपयोग करना चाहता था)।
1961 में वियतनाम युद्ध प्रारमभ हो गया था। आस युद्ध में जहाँ एक ओर ऄमेररका
सामयिाकदयों के विरुद्ध सैन्य हस्तक्षेप करना शुरू कर चुका था, िहीं दूसरी ओर चीन और
रूस सामयिाकदयों का समथवन कर रहे थे।
सोवियत संघ कफदेि कास्त्रो के प्रवत एकजुटता प्रदर्थशत करना चाहता था, वजसे ऄमेररका
िारा प्रतावड़त ककया जा रहा था। ईल्िेखनीय है कक 1961 में ऄमेररका ने क्यूबा के साथ
ऄपने राजनवयक संबंध समाि कर विए थे। ऄमेररका िारा िगाए गए व्यापाररक प्रवतबन्ध
क्यूबा के चीनी वनयावत को प्रभावित कर रहे थे। 1961 में ही वपग्स की खाड़ी की घटना घटी।
सोवियत संघ की ICBMs (आं टर-कांरटनेंटि बैविवस्टक वमसाआि) ATLAS वमसाआि से
वपछड़ गइ थी।
आसका एक ऄन्य महत्िपूणव कारण यह था कक ऄमेररका ने रूस से सटे तुकी के भूभाग में
जुवपटर और थोर वमसाआिें तैनात कर दी थी। ऄतः सोवियत संघ ऄमेररका को यह सबक
वसखाना चाहता था कक ऄपने सीमा के सवन्नकट शत्रु की वमसाआि की तैनाती से कै सा िगता
है और आन वमसाआिों को हटिाने के विए िह सौदेबाजी करना चाहता था।
वचत्र: 22 ऄक्टू बर 1962 को क्यूबा वमसाआि संकट के दौरान राष्ट्र को संबोवधत करते हुए राष्ट्रपवत जे.
एफ. के नेडी
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ऄमेररका ने शीघ्र ही सोवियत वमसाआिों का पता िगा विया। यह िह समय था जब विश्व परमाणु युद्ध
के कगार पर खड़ा था। ऄमेररका ने रूसी जहाजों को वमसाआिों को िेकर क्यूबा अने से रोकने के विए
क्यूबा की नाके बंदी प्रारमभ कर दी। ऄंत में 1963 में संयुि राष्ट्र ने जे. एफ. के नेडी और ख्रुश्चेि के बीच
एक समझौता कराया, वजसके ऄंतगवत:
रूस ने वमसाआिें हटाने का वनणवय ककया। हािांकक यह वनणवय कफदेि को विश्वास में विए वबना ही
ककया गया था। आससे कफदेि क्रोवधत हुअ, परन्तु बाद में ख्रुश्चि
े ने ईसे सोवियत संघ अमंवत्रत
ककया और पुराने मधुर संबंध कफर से बहाि हो गए। कु छ िोगों का तकव है कक ऄमेररका-सोवियत
संघ समझौते में एक गोपनीय धारा थी, वजसमें ऄमेररका ने क्यूबा पर पुनः अक्रमण न करने का
िचन कदया था।
ऄमेररका ने तुकी से थोर और जुवपटर (वनकट दूरी की परमाणु वमसाआिें) को हटा विया।
िावशगटन और मॉस्को के बीच एक हॉटिाआन स्थावपत की गयी।
रूस, ऄमेररका और विटेन ने 1963 में एक परमाणु परीक्षण प्रवतबन्ध संवध (Nuclear Test Ban
Treaty) पर हस्ताक्षर ककये। परमाणु परीक्षण से पयाविरण को प्रदूवषत होने से से बचाने के विए
ऄब के िि भूवमगत परीक्षणों की ही ऄनुमवत थी।
o दवक्षणी ऄफ़्ीकी सीमा युद्ध (South African Border War, 1966-89): यह युद्ध शीत युद्ध का
ही एक भाग था और यह ऄंगोिा तथा दवक्षण-पवश्चम ऄफ्रीका (ऄब नामीवबया) में िड़ा गया था।
आस युद्ध में जहां एक ओर ऄमेररका की सहायता से दवक्षण ऄफ्रीका िड़ रहा था तो िही दूसरी ओर
ऄंगोिा, साईथ-िेस्ट ऄफ़्ीका पीपल्स ऑगवनाआजेशन (SWAPO) और ईनके कु छ वमत्र देश
(मुख्यतः क्यूबा) िड़ रहे थे। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान दवक्षण ऄफ्रीका ने जमवनी के दवक्षणी-
पवश्चमी ऄफ्रीकी ईपवनिेशों पर अक्रमण ककया और वमत्र शवियों की ओर से ईस पर ऄवधकार कर
विया तथा बाद में िीग ऑफ़ नेशन की ओर से दवक्षण ऄफ्रीका को आसे एक मैंडटे के रूप में सौंप
कदया गया। यही कारण था कक SWAPO दवक्षण-पवश्चम ऄफ्रीका में स्ितंत्रता प्रावि हेतु संघषव कर
रहा था। 1975 में ऄंगोिा ने पुतवगाि से स्िाधीनता प्राि कर िी और माक्सविादी MPLA
(पीपल्स मूिमेंट फॉर द विबरे शन ऑफ़ ऄंगोिा) की सरकार सत्ता में अ गयी। MPLA ने 1961-
75 तक ऄंगोिा की स्िाधीनता के विए युद्ध ककया था। 1975 के पश्चात् MPLA ने SWAPO के
गुररल्िाओं को सुरवक्षत अिास प्रदान ककये थे और सोवियत संघ ने SWAPO की सहायता के
विए ईसके िड़ाकों को प्रवशक्षण देने के माध्यम से समथवन ककया, वजसके कारण ऄंगोिा पर दवक्षण
ऄफ्रीका का अक्रमण हुअ।
ऄंगोिा पर दवक्षण ऄफ़्ीका की सेना के अक्रमण को रोकने के विए क्यूबा ने ऄपनी सेनाओं को भेजा।
ईन्होंने दवक्षण ऄफ़्ीका की सेनाओं को परावजत कर कदया और दवक्षण ऄफ्रीका में रं गभेद की समावि की
प्रगवत में एक महत्िपूणव घटना का कायव ककया।
o दवक्षण ऄमेररकी क्रांवतयाँ: पुनः कु छ िैरटन ऄमेररकी देशों में वहसक क्रांवतयाँ देखने को वमिीं,
ईदाहरण के विए बोिीविया।
o चे ग्िेरा का वनधन (1967): 1959 के पश्चात् चे कइ महत्िपूणव पदों पर असीन रहा, जैस-े वित्त
मंत्री, राष्ट्रीय बैंक का ऄध्यक्ष। िह क्यूबाइ सैवनकों के प्रवशक्षण के विए भी ईत्तरदायी था। चे वपग्स
की खाड़ी के युद्ध में भाग नहीं िे सका था, क्योंकक अक्रमण से एक कदन पहिे ईसे ऄमेररकी युद्ध
पोतों के एक अक्रमण (जो नकिी था) से वनबटने के विए भेजा गया था। बाद में 1965 में चे ने
ऄन्य सामयिादी क्रांवतयों के समथवन के विए क्यूबा को छोड़ कदया। आस क्रम में ईसने सबसे पहिे
ररपवलिक ऑफ़ कांगो में सामयिादी क्रांवत िाने का एक ऄसफि प्रयास ककया। यहाँ ईसने ऄमेररका
विरोधी गुररल्िा िड़ाकु ओं का समथवन ककया। ईसने आस क्रांवत की विफिता के विए ऄफ़्ीकी
क्रांवतकाररयों के बीच व्याि भ्रष्टाचार को दोषी ठहराया। आसके बाद ईसने बोिीविया में िहां की
सैन्य तानाशाही के विरुद्ध क्रांवत हेतु प्रयास ककया जहाँ ईसे CIA िारा सहायता प्राि बोिीवियाइ
सेनाओं ने बंदी बना विया और बोिीविया में ही 1967 में ईसे मार कदया गया।
o दवक्षणी ऄमेररका में सामयिादी क्रांवतयों का दूसरा चरण शांवतपूणव रहा: िैरटन ऄमेररका की बाद
की क्रांवतयाँ शांवतपूणव तरीकों से संपन्न हो रही थीं (ईदाहरण: सल्िाडोर ऄल्िेंद के ऄधीन वचिी,
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1970-73)। कास्त्रो आस बात से सहमत था कक समाज में पररितवन के विए शस्त्रों की प्रभाविता
बहुत कम है क्योंकक जनता ऄवधक जागरूक और बौवद्धक है।
o सोवियत संघ के पश्चात् क्यूबा: USSR के पतन ने क्यूबा को संकट में डाि कदया और प्रत्येक
व्यवि यह सोच रहा था कक सरकार एक या दो िषों में ही वगर जाएगी। परन्तु कास्त्रो के नेतृत्ि ने
क्यूबाइ क्रांवत के सरं क्षण में सहायता की। क्यूबा ने यूरोपीय संघ और कनाडा के साथ व्यापार
संवधयों पर हस्ताक्षर ककए। आससे तमबाकू और गन्ने के क्षेत्र में कु छ संयुि ईद्यमों की स्थापना हुइ।
बेयर और DHL जैसी बहुराष्ट्रीय कमपवनयों ने यहाँ ऄपने प्रवतष्ठान स्थावपत ककए। आन सबसे
विदेशी मुिा का भी ऄजवन हुअ।
o कास्त्रो तीसरी दुवनया के िचीिेपन के महानतम प्रतीकों में से एक है। यकद डेविड को गोिायथ से
िड़ने के विए याद ककया जाता है, तो क्यूबा को एक बहुत ही छोटे डेविड के रूप में याद ककया
जायेगा वजसने एक बहुत बड़े गोिायथ से िड़ाइ िड़ी।
o क्यूबा के पक्ष में संयि
ु राष्ट्र: UN िारा कइ बार कइ प्रस्ताि पाररत ककये गये थे, वजनमें ऄमेररका
को क्यूबा पर िगाए गए व्यापाररक प्रवतबंधों को समाि करने के विए कहा गया था।
अज के क्यूबा में समाजिाद: राईि कास्त्रो (2010) के ऄधीन क्यूबा ने बाजार की शवियों की
ईपवस्थवत के साथ चीन के सामयिाद के प्रारूप की ओर कदम बढ़ाया है। बाद में 2013 में राईि ने
सामयिाद के सरं क्षण के विए एकि पाटी व्यिस्था की अिश्यकता को ईवचत ठहराया। ईनका तकव
है कक बहु-पाटी व्यिस्था में ऄंतत: पूंजीिादी िोग हािी हो जाते हैं और कफर िह वस्थवत सामयिाद
के विए संकट बन जाती है। राईि कास्त्रो ने एक ऄवधसूचना जारी की है वजसके ऄंतगवत महत्िपूणव
नेताओं की सत्ता में ऄिवध को दो िषों तक सीवमत कर कदया गया है। आस प्रकार चीन की भांवत
क्यूबा में भी राजनीवतक सुधारों के वबना ही अर्थथक सुधारों को िागू ककया गया है। वनम्नविवखत
कु छ सुधारों की पहि राईि कास्त्रो (2010) िारा की गयी थी:
o राज्य की संचािन गवतविवधयों को कम करना: राजकोषीय घाटा कम करने के विए सरकारी
कमपवनयों से कु छ िोगों को वनकािा जाना और वनकािे गये सरकारी कमवचाररयों को िघु
ईद्योग स्थावपत करने के विए प्रोत्सावहत करना।
o सरकार ने राजनीवतक बंकदयों को भी मुि ककया।
o ऄभी भी क्यूबा ने समाजिाद/सामयिाद को छोड़ा नहीं है। वबना सामयिाद को छोड़े हुए
वनजी क्षेत्र पर बि कदया गया है। मुि ऄथवव्यिस्था के स्थान पर सुवनयोवजत विकास को ही
सिोपरर स्थान कदया गया है। आस प्रकार राईि के नेतृत्ि में क्यूबा का ईद्देश्य एक वमवश्रत
ऄथवव्यिस्था को बनाए रखना है।
वियतनाम
वहदचीन (Indochina) िस्तुतः दवक्षण-पूिव एवशया के ईस क्षेत्र को संदर्थभत करता है वजसमें
िाओस, वियतनाम और कं बोवडया सवममवित हैं। यह क्षेत्र फ्रांस के औपवनिेवशक साम्राज्य का एक
भाग था। वितीय विश्व युद्ध के दौरान वहदचीन जापावनयों के कलजे में अ गया क्योंकक विची फ्रांस
ने वहदचीन का जापानी वनयंत्रण स्िीकार कर विया था। वितीय विश्व युद्ध के दौरान ईपवनिेशों में
स्ितंत्रता के विए संघषव का नेतृत्ि कइ बार कमयुवनस्ट संगठनों िारा ककया गया था। हो ची वमन्ह
के ऄधीन वियतवमन्ह (Vietminh) या वियतनाम स्ितंत्रता िीग (League for Vietnamese
Independence) वियतनाम में स्ितंत्रता संग्राम का नेतृत्ि कर रहा था। वितीय विश्व युद्ध में
जापानी हार के बाद फ्रांस ने वहदचीन का विऔपवनिेशीकरण करने से मना कर कदया। आस प्रकार
वियतवमन्ह ने वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान और कफर फ्रांस के विरूद्ध संघषव ककया।
वियतवमन्ह ने 1945 में फ्रांस से स्ितंत्रता घोवषत कर दी। आससे वियतनाम में संघषव का पहिा
चरण या वजसे प्रथम वहदचीन युद्ध (1946-54) के रूप में भी जाना जाता है, अरं भ हुअ।
USSR ने हो ची वमन्ह का समथवन ककया। 1950 के बाद चीन ने हवथयारों और ईपकरणों से
वियतवमन्ह की सहायता की। फिस्िरूप ऄमेररका ने हवथयारों और अर्थथक सहायता के रूप में
फ्रांस की मदद की क्योंकक िह चीन के हस्तक्षेप को शीत युद्ध के एक भाग के रूप में देखता था।
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पड़ोस में कोररया भी सामयिादी खतरे (कोररयाइ युद्ध 1950-53) के ऄधीन था। आस प्रकार
वियतनाम शीत युद्ध का भाग बन गया। िेककन फ्रांस वितीय विश्व युद्ध के बाद कमजोर हो गया
था और िह वियतवमन्ह की गुररल्िा युद्ध रणनीवत से वनपटने में ऄसमथव था। फ्रांस अर्थथक रूप से
भी कमजोर हो गया था और िंबा वखचनेिािा सैन्य संघषव झेि नहीं सकता था। ऄंत में जब
वियतवमन्ह ने कदएन वबएन फु नामक स्थान पर 12,000 फ्रांसीसी सैवनकों को घेर विया तब फ्रांस
िारा पराजय का सामना करने के बाद जेनि
े ा समझौते (1954) पर हस्ताक्षर ककए गए। आस
समझौते के ऄनुसार िाओस, वियतनाम और कं बोवडया को स्ितंत्रता दी गइ और वियतनाम को
ईत्तर वियतनाम एिं दवक्षण वियतनाम में 17िीं समानांतर रे खा के साथ-साथ विभावजत कर
कदया गया। यह विभाजन ऄस्थायी था और चुनाि करिाया जाना था, वजसके बाद देश का
एकीकरण होना था।
जेनि
े ा समझौते (1954) के बाद वियतनाम में गृहयुद्ध क्यों?
संयुक्त वियतनाम हेतु सरकार बनाने के विए 1956 में चुनाि होने थे। हो ची वमन्ह (वजसने ईत्तरी
वियतनाम में ऄस्थायी सरकार बनाइ थी) चुनाि में जीत को िेकर अश्िस्त था। िेककन जो
कोररया में हुअ था िही वियतनाम में भी हुअ। दवक्षण वियतनाम की सरकार ने सामयिाकदयों के
जीत के डर से चुनाि कराने से मना कर कदया। आससे देश को एकजुट करने के ईद्देश्य से दवक्षण
वियतनाम में गृह युद्ध वछड़ गया। ईत्तर वियतनाम की हो ची वमन्ह सरकार ने दवक्षण वियतनाम
के क्रांवतकाररयों का सकक्रय रूप से समथवन ककया, जबकक ऄमेररका सामयिादी शासन के ऄधीन
संयुि वियतनाम के ईदय को रोकने के विए दृढ़संकवल्पत था।
वियतनाम युद्ध (1961-75)
ऄमेररकी राष्ट्रपवत अआजनहािर (1953-61) डोवमनो वसद्धांत का समथवक था। ईसे िग रहा था
कक डोवमनो प्रभाि का खतरा बढ़ रहा है। चीन के बाद, ईत्तर कोररया भी एक कमयुवनस्ट देश के
रूप में ईभर चुका था और यकद दवक्षण वियतनाम भी सामयिादी मागव पर चिा जाता है तो शीघ्र
ही या बाद में सामयिादी क्रांवत ऄन्य सभी दवक्षण-पूिव एवशयाइ राष्ट्रों तक पहुंच जाएगी और संपण
ू व
एवशया सामयिाद के झंडे तिे अ जाएगा। जापान में आससे विशाि ऄमेररकी वनिेश के विए खतरा
पैदा होता (ऄमेररका ने सुदरू पूिव में सामयिाद का प्रसार रोकने के विए और एक संपन्न पूज ं ीिादी
देश बनाने हेतु वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान में भारी वनिेश ककया था)।
दवक्षण वियतनाम की कदएम सरकार शासन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और ऄक्षमता के कारण
ऄिोकवप्रय थी। ईसने ऄपनी सरकार की सभी अिोचनाओं की कमयुवनस्ट प्रचार के रूप में ईपेक्षा
की। आसके साथ ही तीन चौथाइ वियतनामी अबादी बौद्ध ककसानों की थी जो राष्ट्रपवत कदएम की
सरकार के ऄधीन भेदभाि महसूस करते थे, जो स्ियं समृद्ध रोमन कै थोविक पररिार से समबंवधत
था। दवक्षण वियतनाम के ककसानों ने चीन और ईत्तरी वियतनाम की तजव पर भूवम सुधारों की मांग
की िेककन यह मांग पूरी नहीं की गइ। आसके साथ ही िोग कदएम को ऄमेररकी कठपुतिी के रूप में
भी देखते थे।
फिस्िरूप यहां के सभी विपक्षी समूहों ऄथावत् पूिव वियतवमन्ह सामयिाकदयों और गैर-
सामयिाकदयों ने 1960 में राष्िीय मुवि मोचाव (नेशनि विबरे शन फ्रंट: NLF) का गठन ककया।
NLF ने गठबंधन सरकार की मांग की जो संयुि वियतनाम बनाने के विए ईत्तर वियतनाम के
साथ शांवतपूिक
व िाताव करने का प्रयास करे गी।
NLF की मांग ऄस्िीकार होने पर दवक्षण वियतनाम में कमयुवनस्ट संगठन वियतकांग ने गुररल्िा
युद्ध छेड़ कदया। कइ बौद्ध वभक्षुओं ने सरकार के विरूद्ध विरोध करने के विए अत्म-दाह कर विया।
कदएम ने कमयुवनस्ट प्रचार के रूप में प्रत्येक अिोचना को ऄस्िीकार कर कदया। 1963 में एक सैन्य
तख्तापिट में कदएम की हत्या कर दी गइ और 1975 तक दवक्षण वियतनाम पर सैन्य जनरिों ने
शासन ककया। आस बीच वियतकांग िारा गुररल्िा युद्ध जारी रहा।
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1961 से 1975 तक अआजनहािर, के नेडी, जॉन्सन, वनक्सन और फोडव के राष्िपवतत्ि काि में
ऄमेररका वियतकांग के विरूद्ध दवक्षण वियतनाम में सैन्य रूप से ईिझा रहा। ईल्िेखनीय है कक
यहां के िड़ाकु ओं को हो ची वमन्ह के ऄधीन ईत्तरी वियतनाम के िारा सैवनकों, हवथयारों तथा
अर्थथक सहायता के रूप में सकक्रय रूप से मदद की जा रही थी। सोवियत संघ और चीन भी आसमें
सवममवित हो गए और सामयिाकदयों की सहायता करने िगे।
वियतनाम में ऄमेररकी प्रयास
ऄमेररका ने वियतनाम युद्ध में क्रूर शवि का ईपयोग ककया। आसमें भारी मात्रा में बमबारी, नेपाम
जेिी का ईपयोग (जो िोगों को वजदा जिा देता था) और रासायवनक गैसों का ईपयोग ककया गया
था। आन गैसों से सभी िनस्पवतयां और जंगि नष्ट हो गए। ऐसा आसविए ककया गया क्योंकक
ऄमेररकी हमिों से बचने के विए यहां के गुररल्िा हमिािर खेतों और जंगिों में अश्रय िेते थे।
o के नेडी के ऄंतगवत (1961-63): सुरवक्षत गांि की नीवत (Safe Village Policy) अरं भ की गइ।
आसमें ककसानों को ककसी सुरवक्षत या ककिेबंद गांिों में िे जाकर ईन्हें वियतकांग कायवकतावओं से
ऄिग-थिग कर कदया जाता था और कफर मुक्त रूप से वियतकांग पर अक्रमण ककया जाता था।
के नेडी ने ऄमेररका की भूवमका को न्यूनतम और गुररल्िा विरोधी ऄवभयान तक ही सीवमत रखा।
ईसने दवक्षण वियतनाम की सरकार की सहायता करने के विए हेिीकॉप्टर और 16,000
"सिाहकार" भेजे।
o जॉनसन के ऄंतगवत (1963-69): ईसने 1965 से िेकर 1968 तक ईत्तरी वियतनाम पर बमबारी
करिाइ क्योंकक ईसका मानना था कक दवक्षण वियतनाम में वियतकांग और NLF की कोइ स्थानीय
ईपवस्थवत ऄथिा वनयंत्रण नहीं था। ऄतः दवक्षण वियतनाम में युद्ध जीतने के विए ईत्तरी
वियतनाम को नष्ट करना अिश्यक था। वितीय विश्ियुद्ध के दौरान जमवनी में वगराए गए बमों की
तुिना में जॉनसन के शासनकाि के ऄंतगवत ऄमेररका ने ईत्तरी वियतनाम पर ऄवधक बम वगराए।
ईसके ऄधीन ऄमेररका बहुत ऄवधक ईिझ गया और दस िाख ऄमेररकी सैवनक दवक्षण वियतनाम
भेजे गए। ऄमेररका के भीतर ऄत्यवधक जनविरोध के कारण जॉनसन को ईत्तरी वियतनाम पर
बमबारी रोकनी पड़ी। 1968 में ऄमेररकी सैवनकों ने 500 िोगों को बहुत वनकट से गोिी मार दी।
o वनक्सन के ऄंतगवत (1969-74): वनक्सन के काि में ऄमेररका ने वियतनाम में और ऄवधक सैवनक
नहीं भेजे। ईसने वियतनामीकरण की नीवत का पािन ककया। आसके ऄंतगवत ऄमेररकी सैवनकों की
क्रवमक तरीके से िापसी और साथ ही दवक्षण वियतनाम की सेना को दवक्षण वियतनाम की रक्षा के
विए पूरी तरह से ईत्तरदायी बनाने हेतु पुनशवस्त्रीकरण और प्रवशक्षण प्रदान करने का प्रािधान
शावमि था। वनक्सन ने ईत्तरी वियतनाम पर बमबारी पुन: अरं भ कर दी और हो ची वमन्ह िेि
पर भी बमबारी की। आस प्रकार िाओस, वियतनाम और कं बोवडया सभी ऄमेररकी गोिाबारी के
ऄंतगवत अ गए। कमबोवडया में सरकार को हटा कदया गया और ऄमेररका समथवक सैन्य तानाशाही
स्थावपत की गइ।
ऄब प्रश्न यह ईठता है कक वियतनाम में ऄमेररकी सैवनक विफिता के क्या कारण थे?
ऄमेररका वियतनाम में विफि रहा क्योंकक:
वियतकांग और NLF को व्यापक जनसमथवन प्राि था। NLF के भीतर कमयुवनस्ट के िि एक समूह
थे, न कक एकमात्र समूह। यकद ऄमेररका ने ऄक्षम प्रशासन के विरूद्ध जन वशकायतों का वनिारण
करने के विए सरकार को वििश करने पर ऄपनी उजाव व्यय की होती, तो ऄमेररका सामयिाद को
सीवमत रखने के विए बेहतर वस्थवत में होता। िेककन ऐसा न करके ईसने ऄप्रत्यक्ष रूप से
सामयिाद को प्रोत्सावहत ककया।
गुररल्िा रणनीवत और छद्मािरण: वियतवमन्ह की भांवत वियतकांग भी ऄपने गुररल्िा ऄवभयान
में बहुत कु शि थे। ऄमेररकी सैन्य ऄवभयानों पर अक्रमण करने िािे वियतकांग के सदस्य असानी
से ककसानों के साथ वमि जाते थे। आस छद्मािरण तकनीक ने वियतकांग गुररल्िा को ऄमेररका की
सुरवक्षत गांि की नीवत को ऄसफि करने में सहायता की। ईल्िेखनीय है कक सुरवक्षत गांि की नीवत
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में वियतकांग को ऄिग करने और कफर स्ितंत्र रूप से हमिा करने के विए ककसानों से गांि खािी
करिाया जाता था।
हो ची वमन्ह िेि:
यह ईत्तरी वियतनाम से दवक्षण वियतनाम के विए भोजन, हवथयार, अर्थथक सहायता अकद की अपूर्थत
करने के विए हो ची वमन्ह के ईत्तरी वियतनाम और वियतकांग िारा ईपयोग ककया जाने िािा एक
अपूर्थत मागव था। यह मागव ईत्तरी वियतनाम से िाओस-वियतनाम सीमा के समानांतर, कफर िाओस-
कं बोवडया सीमा के पार और कं बोवडया-वियतनाम सीमा के समानांतर जाता था और ऄंत में यह
दवक्षणी छोर पर दवक्षण वियतनाम में प्रिेश करता था। ऄमेररका ने हो ची वमन्ह िेि पर भारी बमबारी
की िेककन कफर भी िह यह मागव बंद करने में विफि रहा और आस प्रकार वियतकांग को ईत्तरी
वियतनाम, सोवियत संघ और चीन से अपूर्थत जारी रही।
हवथयारों और अपूर्थत की जाने िािी ऄन्य िस्तुओं के रूप में सोवियत संघ और चीन िारा की जा
रही सहायता महत्िपूणव थी। विशेष रूप से 1970 के बाद विमानरोधी वमसाआि, टैंक और
मशीनगनों के रूप में रूसी सैन्य सहायता वियतकांग की जीत में महत्िपूणव वसद्ध हुइ।
ईत्तर वियतनाम िावसयों का िचीिापन: ईन्हें भारी क्षवत का सामना करना पड़ा कफर भी ईन्होंने
ऄमेररका का प्रवतरोध करना जारी रखा। ईन्होंने शहर के बाहर कारखानों का वनमावण ककया और
ऄमेररकी गोिाबारी से हताहत होने िािे िोगों की संख्या कम करने के विए शहरों को खािी करा
विया।
युद्ध का ऄंत: 1973 तक ऄमेररका में जनमत युद्ध में ऄमेररकी भागीदारी को समाप्त करने का घोर
पक्षधर हो गया था। कइ ऄमेररकी सैवनकों को ऄपना जीिन खोना पड़ा था। ऄमेररकी सेना ने
नेपाम जेिी और रासायवनक हवथयारों जैसे ऄमानिीय तरीकों का ईपयोग ककया था, कफर भी
जीत कहीं कदखाइ नहीं दे रही थी। आसके साथ ही सोवियत संघ और चीन भी युद्ध से थक गए थे।
1973 में वनक्सन ने युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर ककया। सभी ऄमेररकी सैवनकों को िापस
बुिा विया जाना था, िेककन 17िीं समानांतर रे खा के साथ विभाजन का ईत्तर और दवक्षण
वियतनाम िारा सममान ककया जाना था। 1975 में वियतकांग ने दवक्षण वियतनाम को ऄपने
वनयंत्रण में िे विया और ईसके बाद ईत्तर वियतनाम एिं दवक्षण वियतनाम सामयिादी शासन के
ऄंतगवत एकजुट हो गए। 1975 में िाओस और कं बोवडया भी सामयिादी देशों के रूप में ईभरे । आस
प्रकार 1975 तक सामयिाद को सीवमत रखने की ऄमेररकी नीवत दवक्षण पूिव एवशया में विफि हो
गइ थी।
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वचिी
वचिी ऐसा पहिा बहु-दिीय िोकतंत्र बना जहां एक कमयुवनस्ट नेता को सत्ता के विए चुना गया।
आस प्रकार आसे प्रथम शांवतपूणव सामयिादी क्रांवत के रूप में जाना जाने िगा। यह माक्सविादी नेता
साल्िाडोर एिेंडे था वजसने 1970-73 तक वचिी पर शासन ककया। एिेंडे के चुनाि ने कफदेि
कास्त्रो को यह रटप्पणी करने के विए वििश ककया कक जैसे-जैसे समाज ऄवधक बौवद्धक बनता
जाता है, सामयिादी क्रांवत के वहसक तरीके ऄपनी प्रभािकाररता खोने िगते हैं।
साल्िाडोर एिेंडे का मानना था कक वहसक क्रांवत के वबना भी सामयिाद िाया जा सकता है।
ईल्िेखनीय है कक ऄन्य दवक्षण ऄमेररकी राष्ट्रों में ऄमेररका िारा समर्थथत क्रूर दवक्षणपंथी सरकारें
थीं, जबकक आसके विपरीत वचिी में पररपक्व िोकतंत्र था।
एिेंडे से पहिे फ्रेआ (Frei) वचिी का शासक था और 1965 से िेकर 1970 तक ईसकी सरकार
रही थी। ईसके शासन के दौरान ऄमेररका ने वचिी की अर्थथक सहायता की और वनिेश का मागव
प्रशस्त ककया, िेककन कफर भी फ्रेआ ने भूवम पुनर्थितरण और कु छ ऄमेररकी स्िावमत्ि िािी तांबा
खानों के राष्ट्रीयकरण के रूप में समाजिादी सुधारों का प्रयास ककया था। तांबा वचिी का सबसे
महत्िपूणव ईद्योग था। आसका कारण यह था कक फ्रेआ की सरकार ने तांबा खनन के क्षेत्र में कु छ ऄच्छे
काम ककए थे। िह मुिास्फीवत कम करने में सफि रहा था और ईसने अिासीय ऄिसंरचना तथा
स्कू िों के वनमावण में बहुत वनिेश ककया था। आसके ऄवतररक्त राष्ट्रीयकरण के कारण हुइ हावनयों के
विए ऄमेररकी कं पवनयों की मुक्त रूप से क्षवतपूर्थत की गइ थी।
तख्तापिट क्यों?
दवक्षणपंथी दिों के बीच यह डर व्याि था कक एिेंडे िारा राष्ट्रपवत के रूप में दूसरे कायवकाि को प्राि
करने के विए संिैधावनक संशोधनों का अश्रय विया जाएगा। आसके कु छ ऄन्य कारण भी थे:
भूवम के पुनर्थितरण से कृ वष ईत्पादन कम हो गया था, वजससे खाद्यानों की कमी हो गइ और
फिस्िरूप खाद्य मुिास्फीवत बढ़ गइ। ऐसा आसविए हुअ क्योंकक वजन ककसानों की भूवम जलत होने
िािी थी ईन्होंने स्टाविन के सोवियत संघ में सामूवहकीकरण के दौरान रूसी कु िकों की भांवत
बुिाइ बंद कर दी और मिेवशयों को मार कदया।
समाजिादी सुधारों ने वनजी वनिेशकों को भयभीत कर कदया और आस प्रकार ऄपने सामावजक
सुधार कायवक्रम के विए सरकार के पास धन की कमी हो गइ।
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वचिी की ऄथवव्यिस्था के मुख्य अधार ऄथावत् तांबा ईद्योग के राष्ट्रीयकरण के चिते श्रवमकों िारा
बार-बार हड़तािें की गईं वजससे तांबा ईत्पादन में कमी अ गइ और सरकार को राजस्ि की और
ऄवधक हावन हुइ।
एिेंडे के सािधानी भरे कायवकिापों से सामयिादी घबड़ा गए और ईन्होंने स्ियं भूवम पुनर्थितरण
का वहसक कायवक्रम अरं भ कर कदया।
संयुक्त राज्य ऄमेररका और दवक्षण ऄमेररका की शेष दवक्षणपंथी सरकारों को महािीप में
सामयिादी क्रांवत फै िने का डर व्याि हो गया था।
तख्तापिट: यहां के दवक्षणपंथी राजनीवतक नेताओं, सेना और बाह्य सहायता को आस तख्तापिट के
विए ईत्तरदायी माना जाता है। CIA और िाजीि की दमनकारी सैन्य सरकार ने तख्तापिट की
तैयारी में महत्िपूणव भूवमका वनभाइ थी। 1973 में ऄमेररकी सहायता से जनरि ऑगस्तो वपनोशे िारा
सैन्य तख्तापिट के माध्यम से एिेंडे को हटा कदया गया और बाद में ईसे मार कदया गया। वपनोशे का
सैन्य तानाशाही शासन (1973-89) क्रूर था और ईसके कायवकाि में मानिावधकारों का घोर ईल्िंघन
देखने को वमिा। विडंबना यह है कक िोकतंत्र और मानिावधकारों के झंडाबरदार, संयुि राज्य
ऄमेररका ने वचिी में वपनोशे के शासन का समथवन ककया। 1989 में वपनोशे ने चुनािों की ऄनुमवत दी
और ईसका ईममीदिार बुरी तरह से परावजत हुअ। वपनोशे ने विजेता को राष्ट्रपवत बनने कदया िेककन
िह सेना प्रमुख के पद पर बना रहा।
ऄफ्रीका: स्ितंत्रता के ईपरांत मोजावमबक और ऄंगोिा की सरकारें भी माक्सविादी विचारधारा के
करीब अईं।
शीत युद्ध के दौरान चीन-रूस संबधं
1956 तक ऄच्छे संबध
ं : स्टाविन ने माओ (के चीन) के साथ ऄच्छे संबध
ं बरकरार रखे।
o 1950: चीन और सोवियत संघ ने परस्पर सहायता और मैत्री संवध पर हस्ताक्षर ककए।
o सोवियत संघ ने चीन को अर्थथक सहायता प्रदान की और रूस के सिाहकारों ने चीन की
पहिी पंचिषीय योजना (1953-58) तैयार करने में मदद की।
o आस दौरान शीत युद्ध में चीन ने सोवियत संघ का सहयोग ककया। ईसने ईत्तर कोररया के
सामयिादी शासन के पक्ष में कोररयाइ युद्ध में भाग विया। सोवियत संघ ने पुनःशस्त्रीकरण में
ईत्तर कोररया की सहायता की।
1956 के बाद ये संबध
ं क्यों वबगड़े?
o चीन, वनककता ख्रुश्चि
े के नेतृत्ि में सोवियत संघ के संशोधनिाद के विरुद्ध था। माओ ने ख्रुश्चेि
िारा पूज ं ीिादी पवश्चमी देशों के प्रवत ऄपनाए गए शांवतपूणव ऄवस्तत्ि के सौमय दृवष्टकोण का
विरोध ककया।
o ख्रुश्चेि के नेतृत्ि में रूस का ईद्देश्य वहसक तरीकों से सामयिाद का प्रसार करना नहीं था बवल्क
सोवियत अर्थथक प्रणािी के िचवस्ि का प्रदशवन करना था।
o चीनी अिोचना के जिाब में सोवियत संघ ने चीन को वमिने िािी सहायता घटा दी।
o सीमा वििाद (1970): चीन ने 19िीं शतालदी में रूस िारा छीने गए विशाि क्षेत्र को िौटाने
की मांग की। 1858 में रूस ने चीन को अमूर नदी के ईत्तर में वस्थत एक विशाि क्षेत्र को
हस्तांतररत करने के विए वििश ककया था। यह क्षेत्र रूसी सूदरू पूिव और मंचूररया (चीन) के
बीच की अधुवनक सीमा का ऄवधकांश वहस्सा है।
o वियतनाम, सोवियत संघ और चीन: 1970 के दशक में सोवियत संघ और चीन दोनों
सामयिादी विश्व का नेतृत्ि करने के विए एक-दूसरे से प्रवतस्पधाव करने िग गए थे। वस्थवत तब
और जरटि हो गयी जब वियतनाम ने सोवियत संघ का समथवन ककया। ईल्िेखनीय है कक
चीन 1940 के दशक से ही वियतनाम के साथ दवक्षण चीन सागर के पासेि और स्प्रेटिी िीपों
से संबद्ध एक क्षेत्रीय वििाद में ईिझा हुअ था। 1974 के पासेि िीप युद्ध (Battle of
Paracel Islands) में चीन ने वियतनाम से समग्र पासेि िीप का ऄवधग्रहण कर विया।
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1988 में स्प्रटिी िीप को िेकर दोनों के बीच एक नौसैवनक संघषव हुअ था और चीनी नौसेना के
जहाजों ने वियतनामी पररिहन जहाजों को जिमग्न कर कदया तथा 64 वियतनामी सैवनकों की हत्या
कर दी। वियतनाम िारा पोि पॉट के शासन में कं बोवडया पर अक्रमण करने का बहाना बनाकर चीन ने
फरिरी 1979 में वियतनाम पर हमिा कर कदया। ऐसी दशा में चीन और सोवियत संघ के संबध
ं
संभितः टूटने की कगार तक पहुंच गए। ईल्िेखनीय है कक वियतनाम ने सामयिादी कं बोवडया पर
कदसंबर 1978 में अक्रमण कर पोि पॉट की खमेर रूज सरकार को िहां से ईखाड़ फें का था, जो कक एक
चीनी कठपुतिी सरकार थी तथा िहां एक वियतनाम समथवक सरकार का गठन ककया था। [*खमेर रूज
िस्तुतः कं बोवडया में कं पूवचया के सामयिादी दि के ऄनुयावययों को कदया गया नाम था। आसने
वियतनाम युद्ध में ईत्तर वियतनाम और वियतकांग का समथवन ककया था। कं बोवडया 1975 में एक
सामयिादी राज्य के रूप में ईभरा था। आस दि का गठन 1968 में हुअ था तथा पोि पॉट के नेतत्ृ ि में
1975 से िेकर 1979 तक आस दि का शासन रहा।] वियतनाम ने यह सब विचारोत्तेजक ईकसाि के
ऄंतगवत ककया था क्योंकक पोि पॉट का शासन वियतनाम के विए बेहद शत्रुतापूणव था। आसने कं बोवडया
में वियतनावमयों का जातीय संहार ककया था और सीमा-पार क्रमबद्ध हमिे ककए थे, वजसमें कइ
वियतनावमयों की जान गइ थी। वियतनाम और कं बोवडया के बीच सीमा वििाद था, वजसके चिते
कं बोवडया ने वियतनाम के एक िीप पर अक्रमण कर कदया। यहां कं बोवडयाइ सेनाएं नरसंहार करने
िगीं थीं। वियतनामी अक्रमण कं बोवडया के आसी सख्त रिैये पर अधाररत था, साथ ही यह
प्रवतकक्रयास्िरुप ककया गया हमिा भी था।
आन घटनाक्रमों के बीच चीन ने वियतनाम को सबक वसखाते हुए तीन सिाह बाद ऄपनी सेनाएं िापस
बुिा िीं िेककन िास्ति में यहाँ चीन की पराजय हुइ क्योंकक िह हनोइ को हावसि करने में विफि
रहा। 1989 में वियतनाम ने कं बोवडया से सैवनकों को िापस बुिा विया और ईसके बाद चीन-
वियतनाम के संबंधों में सुधार देखा गया, हािांकक आसके कु छ िषव बाद ही दवक्षण चीन सागर में
वििाकदत िीपों को िेकर दोनों देशों के बीच पुनः वििाद अरं भ हो गए।
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o 1984 में चीन ने रूस के विरुद्ध ऄपनी वनम्नविवखत वशकायतों को सूचीबद्ध ककया:
1979 के बाद से ऄफगावनस्तान में रूसी सैवनकों की ईपवस्थवत।
कं बोवडया (1978 से) में वियतनामी सैवनकों को रूसी सहायता।
मंगोविया और मंचूररया से सटे चीनी सीमाओं पर रूसी सैवनकों का जमािड़ा।
1985 के बाद तनाि शैवथल्य (संबध
ं ों में सुधार):
o गोबावचि
े ने चीन के साथ संबंधों में सुधार िाने की कोवशश की। दोनों देशों ने व्यापार और
अर्थथक सहयोग पर हुए समझौतों पर हस्ताक्षर ककए। गोबावचेि ने 1986 में ऄफगावनस्तान
से सैवनकों की िापसी शुरू की।
o 1989 में वियतनाम ने कं बोवडया से सैवनकों को िापस बुिा विया। आससे चीन और
वियतनाम तथा रूस के बीच तनाि कम हुअ।
शीत युद्ध के दौरान चीन-ऄमेररकी संबध
ं
1971 तक पारस्पररक शत्रुता
कोररयाइ युद्ध (1950-53) के बाद से दोनों देशों के बीच शत्रुतापूणव संबंध थे।
ऄमेररका ने च्यांग काइ शेक का समथवन ककया।
ताआिान में ऄमेररकी सैन्य संचािन कें ि हमेशा वििाद का विषय रहा।
ऄमेररका ने 1971 तक संयुि राष्ट्र सुरक्षा पररषद में पीपल्स ररपवलिक ऑफ़ चाआना के प्रिेश को
बावधत ककया और तकव कदया कक ताआिान (ररपवलिक ऑफ़ चाआना) ही चीन का िैध प्रवतवनवध है।
वियतनाम युद्ध के दूसरे चरण (1961-75) के दौरान चीन ने हो ची वमन्ह का समथवन ककया।
1971 के बाद से तनाि शैवथल्य
तनाि शैवथल्य (देतांत) का ऄथव है तनाि में कमी या वशवथिता।
1971 में चीन ने ऄमेररका की टेबि टेवनस टीम को अश्चयवजनक रूप से अमंवत्रत ककया वजसका
प्रत्युत्तर ऄमेररका ने चीन को संयुि राष्ट्र सुरक्षा पररषद (UNSC) में प्रिेश की ऄनुमवत देते हुए
कदया। आसे वपग पॉन्ग कू टनीवत के रूप में जाना जाने िगा। आस प्रकार चीन (पीपल्स ररपवलिक
ऑफ़ चाआना) ऄक्टू बर 1971 में UNSC का स्थायी सदस्य बन गया। िेककन आस गवतविवध का
ऄथव एक खेि कायवक्रम में अमंवत्रत करने की तुिना में कु छ ऄवधक था। ईस समय रूस और चीन के
बीच संबंध ऄवधक ईग्र नहीं हुए थे। 1970 के दशक में चीन और सोवियत संघ दोनों सामयिादी
विश्व का नेतृत्ि करने के विए ईभर रहे थे। दोनों राष्ट्रों के बीच पूिव-ईवल्िवखत सीमा वििाद भी
था। आसके ऄिािा 1971 में पाककस्तान से बांग्िादेश की स्िाधीनता में चीन और ऄमेररका ने
पाककस्तावनयों का समथवन ककया, जबकक भारत और सोवियत संघ बांग्िादेश की स्ितंत्रता के पक्ष
में थे। आसके ऄवतररि 1971 तक चीन और ऄमेररका वियतनाम में ऄपनी भागीदारी को िेकर
तंग अ चुके थे, आसीविए िे अपसी संघषों की समावि चाहते थे।
वनक्सन (1969-74), फोडव (1974-77) और काटवर (1977-81) – सभी ने चीन के साथ एक सुदढ़ृ
संबंध बनाए रखा। िेककन ताआिान सबकी अँखों में खटकता रहा। ऄमेररका का ताआिान में एक
सैन्य संचािन कें ि था और 1975 में च्यांग काइ शेक की मृत्यु के बाद भी ऄमेररकी सरकार ने
राष्ट्रिाकदयों (KMT) का समथवन करना जारी रखा। ऄंततः 1978 में ऄमेररकी राष्ट्रपवत काटवर ने
ताआिान में राष्ट्रिाकदयों की सरकार को पूरे चीन की सरकार के रूप में मानने से मना कर कदया।
1979 में ऄमेररका ने पीपुल्स ररपवलिक ऑफ़ चाआना को स्िीकृ वत दी और दोनों देशों ने एक-दूसरे
के देश में राजदूतों को भेजा।
1979 में ऄमेररका और चीन ऄफ़गावनस्तान पर हो रहे अक्रमण के विरुद्ध थे। 1980 के दशक में
सोवियत संघ और चीन के बीच खराब संबंधों (जैसे कक रूस 1979 में वियतनाम में चीनी अक्रमण
के विरोध में था क्योंकक िह वियतनाम को ऄपना एक वमत्र देश मानता था) के चिते दोनों के बीच
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संबंध बेहतर होते गए। 1985 में ऄमेररका और चीन ने एक महत्िपूणव नागररक परमाणु सहयोग
समझौते पर हस्ताक्षर ककए।
तनाि शैवथल्य का ऄंत
वथयानमेन चौक की घटना (1989) के दौरान डेंग वजयाओवपग ने िोकतंत्र के समथवक
प्रदशवनकाररयों पर बड़ी कायविाही की थी। ऄमेररका ने आस बात की घोर वनदा की। आसके ऄवतररि
1996 में ऄमेररका और चीन के बीच तनाि और ऄवधक बढ़ गया, जब चीन ने ताआिान में
अगामी िोकतांवत्रक चुनािों के विरुद्ध ताआिान स्िेट में ऄपना नौसैवनक ऄभ्यास अयोवजत ककया।
दवक्षण चीन सागर और पूिी चीन सागर में कु छ िीपों पर ऄपने दािों के संबंध में चीन की हाविया
अक्रामक वस्थवत ऄमेररका और ईसके सहयोगी गुटों के बीच अपवत्त का पूिस व ंकेत थी। ऄमेररका ने
आसके पररणामस्िरुप ऄटिांरटक की कीमत पर एवशया प्रशांत क्षेत्र के पक्ष में ऄपनी नौसैवनक
ईपवस्थवत का पुनगवठन ककया। आसे ऄमेररका के पाइिोट टू एवशया के रूप में जाना जाता है।
ऄमेररका ने चीन की राजकोषीय और मौकिक नीवतयों में पारदर्थशता की कमी का विरोध ककया।
यह मुिा की प्रशावसत विवनमय दर की चीन की नीवत का विरोध करता है क्योंकक ऄमेररका का
मानना है कक ऄपने वनयावत को ऄवधक प्रवतस्पधी बनाने के विए चीन जानबूझकर ऄपनी मुिा का
ऄिमूल्यन करता रहता है। जििायु पररितवन और साआबर सुरक्षा जैसे ऄन्य क्षेत्रों में ऄमेररका और
चीन में परस्पर कइ बार टकराि हुअ। कफर भी समय-समय पर दोनों देशों के बीच ऄच्छे सहयोग
की झिक कदखाइ देती है।
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1990 के ग्रीष्मकाि तक जमवनी एकजुट हो चुका था। आसी प्रकार चेकोस्िोिाककया, बुल्गाररया
और रोमावनया ने 1989 के ऄंत तक सामयिादी सरकारों को ईखाड़ फें का। 1990 में यूगोस्िाविया
में और 1991 में ऄल्बावनया में मुि बहुपक्षीय चुनाि संपन्न हुए तथा ऄंततः कदसंबर 1991 में
सामयिादी गुट के ऄगुअ सोवियत संघ ने 74 साि के सामयिादी शासन को समाि करते हुए
आसका विघटन कर कदया।
पूिी यूरोप और सोवियत संघ में सामयिाद की अर्थथक विफ़िता और वमखाआि गोबावचेि िारा
ऄपनाइ गयी नीवतयां कइ मायने में सामयिाद के पतन और शीत युद्ध के ऄंत की प्रमुख िजह थीं,
वजसकी चचाव सामयिाद विषय के ऄंतगवत की गयी है।
ऄंतरावष्ट्रीय संबध
ं ों पर शीत युद्ध के ऄंत का प्रभाि
पूि-व पवश्चम की शत्रुता में कमी: सोवियत संघ के विघटन के ईपरांत निोकदत राष्ट्रों को पवश्चमी देशों
िारा ऄब शत्रु के रूप में नहीं देखा जाता था। 1990 में दोनों गुटों {िॉरसॉ (1955) और नाटो
(1949)} ने एक समझौते पर हस्ताक्षर ककए। आसमें एक-दूसरे के विरुद्ध के िि अत्मरक्षा के विए
ही हवथयारों का प्रयोग करने के विचार पर सहमवत हुइ।
भूतपूिव सामयिादी देशों के बीच ऄिगाििाद और शत्रुता: यह भािना भूतपूिव सामयिादी देशों में
प्रत्येक के भीतर राष्ट्रिाद की िजह से था। आस राष्ट्रिाद की भािना का दमन सबसे पहिे सामयिाद
िारा ककया गया वजसने आन देशों को करीब िा कदया। कभी-कभी वििादों को शांवतपूणव ढंग से
सुिझाया गया, जैसे कक 1993 में चेकोस्िोिाककया (1918 में गरठत) को चेक गणराज्य और
स्िोिाककया में विभावजत कर कदया गया। िेककन कइ बार वििाद बेहद वहसक रहा जैसे कक-
o क्षेत्रीय वििादों पर ऄजरबैजान और अमेवनया (सोवियत संघ के दोनों पूिव गणराज्य) के बीच
युद्ध।
o जॉर्थजया में वहसक गृहयुद्ध क्योंकक आसका ईत्तरी भाग आससे ऄिग होना चाहता था।
o यूगोस्िाविया के विघटन से आसके पांच राज्यों - सर्थबया (मोंटेनीग्रो सवहत), बोविया-
हजेगोविना, क्रोएवशया, स्िोिेवनया और मैसेडोवनया - में विभावजत होना सबसे खराब
वहसक घटनाओं में से एक था।
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o बोविया में आसके विभाजन को िेकर सबव, क्रोट्स और मुसिमानों के बीच एक गृहयुद्ध देखने
को वमिा। युद्धविराम 1995 में ही िागू हो पाया। कु छ पवश्चमी देशों ने यह सोचा कक शीत
युद्ध के दौरान संयुि राज्य ऄमेररका हस्तक्षेप करे गा और ऄपने ऄंतरावष्ट्रीय ईत्तरदावयत्त्ि के
नाम पर सहायता करे गा िेककन यहां ईसने संयुि राष्ट्र शांवत बि में सैवनकों को भेजने से मना
कर कदया और आससे यूरोप तथा ऄमेररका के संबंधों में ऄस्थायी तनाि ईत्पन्न हुअ। आसी तरह
ईसने 1994 में रिांडा में नरसंहार रोकने के विए हस्तक्षेप करने से मना कर कदया क्योंकक
ईसे आस दांि में ऄपना कोइ वहत नजर नहीं अया।
आस प्रकार यह कहा जा सकता है कक जब पवश्चमी यूरोप सदी के ऄंत में अर्थथक एकजुटता की प्रकक्रया में
था तब पूिी यूरोप विघटन और ऄसंगवत की प्रकक्रया में था।
o परमाणु प्रसार का खतरा बढ़ गया था क्योंकक ऄब ऄन्य देशों पर वनयंत्रक के रूप में ऄमेररका के
साथ सोवियत संघ नहीं था।
o पूिव के कमयुवनस्ट राज्यों की अर्थथक समस्यायें ऄभी भी िैसी ही बनी रहीं।
संयुि जमवनी के बनने से प्रिासन संबंधी समस्याएं ईठ खड़ी हुईं। चूंकक शीत युद्ध के बाद पूिी यूरोप
ऄवस्थर था, ऄतः आन क्षेत्रों से कइ शरणाथी 1992 में जमवनी अने िगे थे। आससे नि-नावजयो ने जमवनी
में विरोध प्रदशवन ककया।
यूरोपीय एकता
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सपना धराशायी हो चुका था। 1947 के बाद स्टाविन िारा ऄवधरोवपत िौह-अिरण के कारण यूरोप
के दो ऄिग-ऄिग वहस्से विकवसत हुए।
अआए, ऄब हम पवश्चमी और पूिी यूरोप की एकता के विए ककए गए प्रयासों का ऄिग-ऄिग ऄध्ययन
करते हैं।
पवश्चमी यूरोप का पुनर्थनमावण: पवश्चमी यूरोप शीघ्र ही संभि गया, वजसका श्रेय माशवि सहायता
को जाता है। संयुि राज्य ऄमेररका ने सामयिाद और सोवियत संघ के विस्तार को रोकने के विए
ट्रूमैन वसद्धांत को िागू करते हुए यूरोपीय देशों की करठनाआयों को कम करने हेतु माशवि योजना
का शुभारं भ ककया। आसका िक्ष्य सामयिाद के विस्तार को ऄिरुद्ध करने के राजनीवतक ईद्देश्य के
साथ, एक तहस-नहस हो चुके यूरोप में अर्थथक विकास को बढ़ािा देना था। पवश्चमी यूरोप की
एकता को सुवनवश्चत करने के विए कइ प्रयास ककए गए। ईनमें से कु छ के विषय में नीचे विस्तार से
बताया गया है।
पवश्चमी यूरोप की एकता के विए ककए गए प्रयासः आसमें अर्थथक, राजनीवतक और सैन्य एकता के
विए ककये गए प्रयास सवममवित हैं। जो ठोस कदम ईठाए गए, ईनमें नाटो (नाथव ऄटिांरटक िीटी
अगेनाइजेशन: NATO, 1949), यूरोपीय पररषद (Council of Europe; 1949), यूरोपीय
अर्थथक सहयोग संगठन (Organization for European Economic Cooperation:
OEEC, 1948) और यूरोपीय अर्थथक समुदाय (European Economic Community,
1957) सवममवित थे। आनमें से कु छ के बारे में विवभन्न शीषवकों के ऄंतगवत नीचे बताया गया है।
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यह यूरोप में राजनीवतक एकता का पहिा प्रयास था। यह विदेश मंवत्रयों का एक समूहीकरण था।
विटेन, फ्रांस और आटिी आसके महत्िपूणव संस्थापक सदस्य (कु ि 10) थे।
1971 तक आसके 18 सदस्य थे। आसमें स्पेन और पुतवगाि को छोड़कर पवश्चमी यूरोप के शेष सभी
देश सवममवित थे।
शवि/प्रावधकार: आसके पास कोइ विवशष्ट शवि (प्रावधकार) नहीं थी, क्योंकक विटेन या ऄन्य कोइ
भी महाशवियां ऐसे ककसी संगठन में शावमि नहीं हो सकती थीं, वजससे ईनकी संप्रभुता खतरे में
पड़ती।
कायवः सभी महत्िपूणव मुद्दों पर आसने बहस अरं भ कर कु छ संस्तुवतयां प्रस्तुत कीं। िेककन
पररसंघिादी (Federalists ) आससे वनराश थे।
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EEC के कु छ संस्थान
यूरोपीय अयोग (European Commission): EEC के कदन-प्रवतकदन का काम यह अयोग
करता था और आसमें वसविि सेिक कायवरत थे। यह वनणवय िेने का मुख्य कें ि था। विटेन सबसे
ऄवधक आसी संगठन के विरुद्ध था, क्योंकक यह ईसकी अर्थथक नीवतयों में हस्तक्षेप कर सकता था।
ऄथावत् यह विटेन के अंतररक मामिों में हस्तक्षेप कर सकता था।
मंवत्रपररषद् (Council of Ministers: CoM): प्रत्येक सदस्य देश के प्रवतवनवध CoM में शावमि
थे।
o कायवः संबंवधत राष्ट्रीय अर्थथक नीवतयों में समन्यि तथा सूचना का अदान-प्रदान करना।
आसका मुख्य जोर सदस्य राष्ट्रों के विए साझी अर्थथक नीवतयां बनाने पर था।
o सैद्धांवतक रूप में CoM ने यूरोपीय अयोग के वसद्धांतों को मंजूरी दी, िेककन िास्ति में
यूरोपीय अयोग िारा बनाए गए वनयमों-विवनयमों पर CoM और यूरोपीय अयोग अपस में
प्रायः टकराते रहे।
यूरोपीय संसद (European Parliament: EP): सदस्य देशों के संसद िारा आसके सदस्यों को
नावमत ककया जाता था। आसका यूरोपीय अयोग या CoM पर कोइ वनयंत्रण नहीं था। 1979 से
अगे यूरोपीय संसद के सदस्यों को नामांककत नहीं ककया गया, बवल्क ऄब प्रत्येक 5 िषों के बाद
िोगों िारा आन्हें सीधे वनिाववचत ककया जाने िगा। प्रत्येक सदस्य राष्ट्र के विए EP में सीटें अबंरटत
की गइ हैं। देश के राजनीवतक दिों को EP के विए भी ठीक िैसे ही चुनाि िड़ने हैं जैसे कक िे
राष्ट्रीय संसद के विए िड़ते हैं।
यूरोपीय न्यायािय (European Court of Justice: ECJ): आसका ईद्देश्य रोम की संवध
(1957) (वजसके ऄंतगवत EEC का गठन हुअ था) की व्याख्या या कायावन्ियन से ईत्पन्न वििादों
का वनपटारा करना था। यहां तक कक िोग EEC के वनयमों का ईल्िंघन करने िािे ऄपने ही देश
के विरुद्ध भी ECJ में वशकायत कर सकते हैं।
िेखा परीक्षकों के न्यायािय (Court of Auditors): EEC के संस्थानों के खातों का िेखा
परीक्षण करने के विए।
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विटेन यूरोपीय अयोग को एक बाह्य वनकाय मानता था, वजसके साथ िह ऄपनी अर्थथक नीवतयों
का वनयंत्रण साझा नहीं करना चाहता था।
वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में आसकी ऄथवव्यिस्था सबसे बड़ी थी, यहां के िोगों का जीिन
स्तर ईच्च था और बेरोजगारी बहुत कम थी। विटेन एकमात्र ऐसा यूरोपीय देश था वजस पर वितीय
विश्व युद्ध के दौरान अक्रमण नहीं हुअ था। ऄन्य देशों की तरह आसे EEC की ईतनी अिश्यकता
नहीं थी। साथ ही वितीय विश्व युद्ध में जीत के बाद आसकी ऄंतरावष्ट्रीय प्रवतष्ठा 1919 के स्तर पर
िापस अ गइ थी। विश्व मामिों में दो महाशवियों के बाद विटेन को एक ऄग्रणी शवि के तौर पर
देखा जा रहा था। आस प्रकार यह ककसी भी संगठन के समक्ष ऄपनी संप्रभुता समर्थपत करने के पक्ष
में नहीं था।
राष्ट्रमंडि
o विटेन का राष्ट्रमंडि देशों के साथ बहुत बड़ा व्यापार था। विटेन को ऐसा िग रहा था कक यकद
यह EEC में सवममवित होता है तो आससे राष्ट्रमंडि के साथ ईसके संबंध वबगड़ सकते हैं।
EEC की तुिना में राष्ट्रमंडि की पांच गुना ज्यादा अबादी थी और आसविए राष्ट्रमंडि विटेन
के विए EEC की तुिना में ऄवधक अकषवक बाजार था।
o EEC में शावमि होने से विटेन और राष्ट्रमंडि देशों के मध्य संबध
ं ों को नुकसान हो सकता था
क्योंकक तब विटेन राष्ट्रमंडि देशों से िस्तुओं की अपूर्थत को िरीयता नहीं दे पाता। EEC में
सवममवित होने का तात्पयव था - EEC के छह देशों की िस्तुओं को कम सीमाशुल्क के कारण
ऄवधक प्राथवमकता वमिना।
विटेन-ऄमेररकाः विटेन के ऄमेररका के साथ ’विशेष संबंध’ थे। ऐसा संबंध ऄन्य ककसी यूरोपीय देश
के साथ नहीं था। विटेन यूरोप से ऄवधक ऄमेररका के साथ गठबंधन करना चाहता था। यह के िि
यूरोप से जुड़ा रहना चाहता था िेककन आसके िारा ऄिशोवषत नहीं होना चाहता था। विटेन को
िग रहा था कक यकद िह यूरोप के साथ अर्थथक रूप से ज्यादा एकीकृ त होता है तो आससे ऄमेररका
के साथ ईसके विशेष संबंध को क्षवत पहुंच सकती है।
भािी राजनीवतक एकता की अशंकाः विटेन को अशंका थी कक अर्थथक एकता जल्द ही
राजनीवतक एकता की ओर कदम बढ़ा देगी, वजसके पक्ष में िह कभी नहीं था।
यूरोपीय मुि व्यापार संघ (European Free Trade Association: EFTA, 1960): विटेन
आसका नेतृत्ि कर रहा था और आसने ऄन्य गैर-EEC देशों (ऑवस्िया, डेनमाकव , नॉिे, पुतवगाि,
स्िीडन और वस्िटजरिैंड) को आसमें सवममवित कर विया था। EFTA के गठन के वनम्नविवखत
कारण थेः
o गैर-सदस्य देशों पर िगाए जाने िािे ईच्च प्रशुल्क (टैररफ) के कारण यह डर था कक आन देशों
िारा EEC देशों को ककए जाने िािे वनयावत से गैर-EEC देशों को नुकसान होगा। आस प्रकार
EEC के साथ व्यापार से होने िािे नुकसान की क्षवतपूर्थत के विए आन देशों ने EFTA का
गठन ककया।
o विटेन को आसमें कोइ अपवत्त नहीं थी, क्योंकक EFTA को सदस्यों के बीच साझा अर्थथक
नीवतयों की अिश्यकता नहीं थी और यूरोपीय अयोग जैसा व्यापक प्रावधकरण भी नहीं था,
जो अंतररक मामिों में हस्तक्षेप कर पाता।
ितवमान EFTA: आसमें मात्र 4 सदस्य हैं - विचेंश्टीन, अआसिैंड, नॉिे और वस्िटजरिैंड।
वस्िट्जरिैंड को छोड़कर शेष सभी EFTA सदस्य यूरोपीय संघ (EU) के सदस्य हैं।
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41.2. 1961 के बाद विटे न आसमें क्यों सवममवित होना चाहता था?
41.3. 1961 के पश्तात् जनरि डी गॉि (फ्रें च राष्ट्रपवत) ने विटे न के प्रिे श को क्यों
ऄिरुद्ध ककया?
डी गॉि ने 1969 में त्यागपत्र दे कदया था वजससे EEC में विटेन का प्रिेश संभि हुअ। 1974 में
िेबर पाटी सत्ता में अ गइ थी। EEC में सवममवित होने के सिाि पर मत-विभाजन था और
1974 में यह तय करने के विए कक विरटश िोग EEC में रहना चाहते हैं या नहीं, एक जनमत
संग्रह अयोवजत ककया गया था। 67% िोट आसके पक्ष में वमिे थे।
चतुथव गणतंत्र (1946-58) के ऄंतगवत फ्रांस राजनीवतक और अर्थथक रूप से कमजोर था (कृ वष
गवतहीन हो गइ थी हािांकक ईद्योग ऄच्छा प्रदशवन कर रहे थे)।
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o राजनीवतक ऄवस्थरता: राष्ट्रपवत के पास बहुत कम शवियां थी। चतुथव गणतंत्र के 12 िषों की
ऄिवध में 25 गठबंधन सरकारें बनीं क्योंकक आस समय पांच बड़ी पार्टटयां थीं।
o 3 प्रमुख अपदाएं: प्रथम वहद-चीन युद्ध (1946-54) में फ्रांस की पराजय हुइ थी। स्िेज नहर
को िेकर वमस्र से िड़े गए स्िेज युद्ध (1956) में फ्रांस को िवित होना पड़ा था। ऄल्जीररया
में फ्रांसीसी सेना िारा वििोह (सेना ऄल्जीररया को स्ितंत्रता नहीं देना चाहती थी) सबसे
महत्िपूणव था। आन अपदाओं से चतुथव फ्रांसीसी गणतंत्र का पतन हो गया।
o 5िां गणतंत्र: कफर वितीय विश्ियुद्ध के ऄनुभिी जनरि डी गॉि से 1958 में सेिावनिृवत्त से
िापस अने के विए ऄनुरोध ककया गया। ईसने नया संविधान बनाने की शतव रखी वजसमें
राष्ट्रपवत के पास ऄवधक शवियां होतीं। आसे स्िीकार कर विया गया और 5िें गणतंत्र की
स्थापना की गइ। ऄल्जीररया को स्ितंत्रता दे दी गइ। डी गॉि को 1969 में ऄपने
ऄिोकतांवत्रक शासन के विरूद्ध विरोध प्रदशवन के कारण त्यागपत्र देना पड़ा। आसके बाद 5िें
गणतंत्र ने फ्रांस को वस्थर सरकारें प्रदान की।
नए संविधान ने 1946 से आटिी के विए नए गणतंत्र का मागव प्रशस्त ककया। 1946 से िेकर 1953
तक यहाँ समृद्धशािी और वस्थर सरकारें रहीं, िेककन ईसके बाद पुरानी समस्याएं कफर सतह पर
अ गईं। एक के बाद एक गठबंधन सरकारों की श्रृंखिा देखने को वमिी।
आसके ऄवतररि मुिास्फीवत और बेरोजगारी की समस्याएं हि करने में भी विफिता का सामना
करना पड़ा।
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o 1992 तक पूरी तरह से मुि और साझा बाजार (ऄथावत् अंतररक व्यापार और िस्तुओं की
अिाजाही पर ककसी भी प्रकार के प्रवतबंध के वबना एकि यूरोपीय बाजार)।
o यूरोपीय संसद को ऄवधक शवियां ताकक कानून जल्दी पाररत हो सकें । आस प्रकार राष्ट्रीय संसदें
ऄपने अंतररक मामिों पर कु छ वनयंत्रण खो रही थीं।
o स्िास्थ्य, पयाविरण संरक्षण और ईपभोिा संरक्षण के क्षेत्रों में यूरोपीय समुदाय को ऄवधक
शवियां।
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monetary union)।
o साझी विदेशी और सुरक्षा नीवत।
o यूरोपीय संघ में और यूरो जोन में सवममवित होने के विए मावस्िच मानदंड या ऄवभसरण
(कनिजेन्स) मानदंड की स्थापना।
o यूरोपीय संघ की संवध (संशोधन सवहत) यूरोपीय संघ के 7 संस्थानों की स्थापना का प्रािधान
करती है, वजनमें से कइ पहिे से ही पूिव यूरोपीय अर्थथक समुदाय (EEC) का ऄंग थे। आनमें
सवममवित हैं:
यूरोपीय कें िीय बैंक (European Central Bank): यह यूरोप की एकि मुिा के विए कें िीय
बैंक है। यह यूरो जोन की मौकिक नीवत का संचािन करता है।
यूरोपीय अयोग (European Commission): यह शीषव कायवकारी वनकाय है और यूरोपीय संघ
की मंवत्रमंडिीय सरकार के रूप में कायव करता है। आसमें यूरोपीय पररषद िारा वनयुि 28 अयुि
/ सदस्य होते हैं, वजसमें यूरोपीय संघ के प्रत्येक सदस्य देश से एक-एक प्रवतवनवध होते हैं। यूरोपीय
अयोग का ऄध्यक्ष यूरोपीय पररषद िारा प्रस्तावित ककया जाता है और यूरोपीय संसद िारा आन
28 सदस्यों में से चुना जाता है। आसके कायों में यूरोपीय संघ के कदन-प्रवतकदन के कायों का
संचािन, संवधयों का कायावन्ियन और कानून प्रस्तावित करना सवममवित है। वसविि सेिकों िारा
आसकी सहायता की जाती है।
यूरोपीय संघ की पररषद (Council of the European Union: CEU (पूिव में मंवत्रपररषद्):
यह यूरोपीय संघ की विसदनीय विधावयका (यूरोपीय संसद दूसरा विधायी वनकाय है) का उपरी
सदन है। आसमें यूरोपीय संघ के प्रत्येक सदस्य देश का प्रवतवनवधत्ि करने िािे मंत्री होते हैं। कृ वष,
विदेशी मामिों जैसे प्रत्येक क्षेत्र के विए एक ऄिग पररषद (CEU के भीतर) है, वजसमें क्रमश:
कृ वष और विदेशी मामिों के राष्ट्रीय मंत्री होते हैं। पररषद और संसद दोनों विधायी और बजटीय
शवियां समान रूप से साझा करते हैं, वजसका ऄथव है कक दोनों को प्रस्ताि पाररत होने के विए
सहमत होना होता है।
यूरोपीय संसद (European Parliament): संसद के सदस्य प्रत्येक 5 िषव बाद प्रत्यक्षतः जनता
िारा चुने जाते हैं। प्रत्येक सदस्य राष्ट्र को यूरोपीय संसद में सीटें अबंरटत की जाती हैं। देश के
राजनीवतक दि ईसी तरह यूरोपीय संसद के विए चुनाि िड़ते हैं जैसे िे राष्ट्रीय संसद के विए
िड़ते हैं।
यूरोपीय पररषद (European Council): आसमें सदस्य राष्ट्रों के राज्य प्रमुख, यूरोपीय पररषद का
ऄध्यक्ष (प्रेवसडेंट) और यूरोपीय अयोग का ऄध्यक्ष (प्रेवसडेंट) सवममवित होते हैं।
यूरोपीय संघ का न्यायािय (Court of Justice of the European Union): यह यूरोपीय संघ
की न्यावयक शाखा है और यूरोपीय संघ के कानूनों एिं संवधयों की व्याख्या करती है। यह कु छ
मामिों पर नागररकों िारा की गइ वशकायतों की भी सुनिाइ कर सकती है।
कोटव ऑफ ऑवडटसव: यूरोपीय संघ के सभी संस्थानों का िेखा परीक्षण करने के विए ऄन्य देशों में
यूरोपीय संघ के स्थायी वमशन हैं और साथ ही आसे संयुि राष्ट्र, G20, G-8, WTO अकद में भी
प्रवतवनवधत्ि प्राप्त है।
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यकद कोइ भी यूरोपीय राष्ट्र यह प्रदर्थशत करता है कक िह यूरोपीय संघ के सभी मानकों और वनयमों
का पािन करे गा तो िह आस संघ में सवममवित हो सकता है। ईसे EU के िोकतांवत्रक मूल्यों का
सममान करना चावहए और ईन्हें बढ़ािा देने के विए प्रवतबद्ध होना चावहए। अिेदक को EU के
संस्थानों और EU के सदस्य देशों की सहमवत वमिनी चावहए। ईसे राष्ट्रीय संसद में प्रस्ताि या
जनमत संग्रह के माध्यम से ऄपने नागररकों की सहमवत भी वमिनी चावहए।
प्रिेश के विए अिेदक को 1993 में स्थावपत "कोपेनहेगन मानदंड" (Copenhagen Criteria)
वस्थर संस्थान;
o कायवशीि बाजार ऄथवव्यिस्था और यूरोपीय संघ में प्रवतस्पधाव तथा बाजार बिों का मुकाबिा
करने की क्षमता;
यूरोपीय संघ का वमशन (The EU Mission): ितवमान में EU वमशन का ईद्देश्य ऄपने नागररकों के
विए समृवद्ध, स्ितंत्रता, संचार, यात्रा तथा िावणज्य की सुगमता को बनाए रखना है। विवभन्न
संवधयों, सदस्य राष्ट्रों से सहयोग और ऄपनी ऄनूठी सरकारी संरचना के माध्यम से यूरोपीय संघ आस
वमशन को कायवशीि बनाए रखने में सक्षम हो पाया है।
2008 के अर्थथक संकट के बाद कु छ यूरोपीय देशों (यथा- पुतवगाि, आटिी, ग्रीस, स्पेन और बाद में
साआप्रस) के बैंकों का बेि अउट करना पड़ा था।
आससे यूरोपीय संघ के भीतर तनाि ईत्पन्न हुअ। विशेष रूप से जमवनी (जो अज यूरोप की सबसे
बड़ी ऄथवव्यिस्था है) में जनमत विभावजत हो गया क्योंकक कइ जमवन िावसयों का मानना था कक
ईन्हें ऄन्य सदस्य देशों की गिवतयों के विए भुगतान करने हेतु बाध्य ककया जा रहा है।
IMF की सहायता से EU विवभन्न वमत्तव्यवयता ईपायों के बदिे में आन देशों को बचा पाया था।
अरोवपत वमत्तव्यवयता ईपायों ने स्ियं सदस्य राष्ट्रों में तनाि पैदा कर कदया वजन्हें बेि अउट
ककया जा रहा था क्योंकक आससे बेरोजगारी में िृवद्ध हुइ थी। ऄब यूरोपीय संघ यूरोपीय वस्थरता
तंत्र (European Stability Mechanism) बनाने की कदशा में अगे बढ़ गया है जो भविष्य में
सदस्य राष्ट्रों की सहायता करने के विए ईपयोग ककया जाने िािा स्थायी फं ड होगा।
ऄपनाया है। यूरो को 1999 में एकि मुिा के रूप में अरं भ ककया गया था।
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विटेन और डेनमाकव ('ऑप्ट-अईट' स्टेट्स) ने ऄपनी अर्थथक संप्रभुता को बचाए रखने के कारण
स्िेच्छा से ऄपने अप को आससे बाहर रखा है।
'डेरोगेशन स्टेट्स' यूरोपीय संघ के िे सदस्य राष्ट्र हैं जो यूरो ऄपनाने के विए कदम ईठा रहे हैं।
'ऑप्ट-अईट स्टेट्स' को छोड़कर सभी यूरोपीय संघ के सदस्य देशों को यूरो ऄपनाना है। हािांकक
प्रत्येक सदस्य को यूरो ऄपनाने के विए ऄहवता प्राप्त करने हेतु कदम ईठाने के विए समय कदया
जाता है, ऄथावत् ईन्हें ऄवभसरण मानदंड पूरा करने के विए समय कदया जाता हैI
यूरो के विए मौकिक नीवत यूरोपीय कें िीय बैंक (ECB) का एकमात्र विशेषावधकार है, ऄथावत्
यूरोजोन में सवममवित होने के बाद मौकिक नीवत का वनयंत्रण ECB के पास चिा जाता है।
यूरोपीय संघ के सभी सदस्य देश अर्थथक और मौकिक संघ का ऄंग हैं, वजसका ऄथव है कक िे समग्र
रूप से EU के िाभ के विए ऄपनी अर्थथक नीवतयों का समन्िय करते हैं। हािांकक, यूरोपीय संघ
के सभी सदस्य देश यूरो क्षेत्र में नहीं अते हैं - के िि यूरो ऄपनाने िािे सदस्य देश ही यूरो क्षेत्र के
सदस्य हैं।
o विवनमय दर वस्थरता;
o ऄन्य मानदंडों की पूर्थत करने से प्राि ऄवभसरण की स्थावयत्ि का अकिन करने के विए
दीघवकाविक लयाज दरें ।
बुल्गाररया, साआप्रस और रोमावनया (सभी यूरोपीय संघ के सदस्य) आसके मानदंड पूरा करने के
बाद आसमें सवममवित हो जाएंगे।
हाि की समस्याएं: ऄरब वस्प्रग के बाद संघषवग्रस्त क्षेत्र से कइ ऄिैध ऄप्रिासी फ्रांस और आटिी पार करके
ऄन्य देशों में पहुँच गए हैं।
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वमत्र शवियों (Allied powers) िारा वितीय विश्व युद्ध िोकतंत्र और स्िशासन के वसद्धांतों पर
िड़ा गया था, िेककन औपवनिेवशक शवियों ने यथासंभि ऄवधक से ऄवधक समय तक ऄपना
शासन जारी रखने का प्रयास ककया।
जब पररितवन की िहरों ने ऄफ्रीका में प्रिेश ककया तो औपवनिेवशक शवियां अगे
विऔपवनिेशीकरण की प्रकक्रया में वििंब नहीं कर सकीं और कइ ऄफ्रीकी ईपवनिेशों को संसदीय
िोकतंत्र की प्रणािी के साथ स्ितंत्र कर कदया गया।
ऐसा तीन कारकों ऄथावत् राष्ट्रीय अंदोिन, वितीय विश्व युद्ध और ऄमेररका, सोवियत संघ ि
संयुि राष्ट्र संघ की ओर से बाहरी दबाि के कारण संभि हुअ।
आसके ऄवतररक्त विटेन अश्वस्त था कक िह राष्ट्रमंडि के माध्यम से (ऄथावत् नि-ईपवनिेशिाद के
माध्यम से) स्ितंत्रता के बाद भी पूिव ईपवनिेशों पर ऄपने प्रभाि का ईपयोग करता रहेगा।
वितीय विश्व युद्ध से पहिे के िि भारत (1885 से), वियतनाम (1920 के दशक) और इस्ट आं डीज
अक्रामकता के विरूद्ध िड़ाइ िड़ने हेतु प्रेररत ककया गया था, वजससे िे गृहदेश में औपवनिेवशक
शवियों की अक्रामकता का विरोध करने के विए प्रेररत हुए। आस प्रकार वितीय विश्व युद्ध में
भागीदारी के बाद िे ऄपनी मातृभूवम की स्ितंत्रता के विए प्रेररत हुए।
1945 के बाद ऄफ्रीका में राष्ट्रिाद तेजी से फै िा क्योंकक ऄवधक से ऄवधक ऄफ्रीकी ऄब ऄमेररका
और विटेन में वशक्षा प्राप्त करने िगे थे। िहां ईन्होंने नस्िीय भेदभाि के संबंध में जानकारी प्राप्त
की।
ईपवनिेशिाद को विशेष रूप से श्रवमक िगव िारा ऄपमान के रूप में देखा गया, जो राष्ट्रिादी
विचारों के प्रवत ऄवधक ग्रहणशीि थे।
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ऄमेररका
o ऄमेररका ऄपने स्ियं के औपवनिेवशक ऄतीत के कारण औपवनिेवशक राष्ट्रों से स्ितंत्रता प्रावि
के विए संघषव करने िािे राष्ट्रों के प्रवत कु छ हद तक सहानुभूवत रखता था।
o चर्थचि ने जब यह तकव कदया कक ऄटिांरटक चाटवर का "स्िशासन" के िि यूरोपीय िोगों के
विए है तो ऄमेररका ने आस बात का विरोध ककया। ऄमेररका ने यह रुख आसविए ऄपनाया
क्योंकक िह ईपवनिेशों में सामयिाद का प्रसार सीवमत करना चाहता था। आसका कारण यह
था कक सोवियत संघ ईपवनिेशों में स्ितंत्रता संघषव का समथवन कर रहा था। आसके साथ ही
ऄमेररका नए देशों के रूप में वनयावत बाजार प्राि करना चाहता था जहां िह यूरोपीय
शवियों के बाहर वनकिने के बाद ही प्रिेश कर सकता था और अर्थथक तथा राजनीवतक
प्रभाि का ईपयोग कर सकता था।
संयुि राष्ट्र और सोवियत संघ ने िगातार साम्राज्यिाद की अिोचना की। कमयुवनस्ट दशवन हमेशा
साम्राज्यिाद और ईपवनिेशिाद का विरोध करने का रहा था और सोवियत संघ ने ऐसा करना
स्िाभाविक पाया।
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वशक्षा
o ऄफ्रीका में ऄन्य यूरोपीय ईपवनिेशों की तुिना में विरटश ऄफ्रीका में वशक्षा की धीमी, िेककन
ऄपेक्षाकृ त ऄवधक पैठ थी।
ऄफ्रीकी राष्ट्रिाद
o पवश्चमी वशक्षा के कारण ऄफ्रीकी राष्ट्रिाद का ईदय हुअ, वजसमें समानता और स्ितंत्रता के
विचार सवममवित थे। वशक्षा ने नस्िीय भेदभाि के प्रवत ईनकी जागरूकता बढ़ाइ। विशेषकर
शहरों का श्रवमक िगव राष्ट्रिाद के विचारों के प्रवत ऄवधक जागरूक था और ईन्होंने
ईपवनिेशिाद के विरूद्ध प्रमुख प्रवतरोधक बिों का गठन ककया।
o वितीय विश्वयुद्ध के बाद विटेन की वस्थवत कमजोर हो गयी, ऄतः राष्ट्रमंडि देशों के साथ िह
ऄच्छा संबंध रखना चाहता था। आस प्रकार विटेन को िगा कक स्ितंत्रता प्रदान करना बेहतर
विकल्प होगा।
48.4.3. 1957 तक पवश्चम ऄफ्रीका बनाम पू िव और मध्य ऄफ्रीका में विरटश नीवत
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यूरोपीय अबादी का ऄवधकतम संकेिण था। यही कारण था कक पवश्चमी ऄफ्रीका में स्ितंत्रता
सरितापूिक
व और साधारणतया शांवतपूिवक अइ, पूिी ऄफ्रीका में यह कु छ करठनाइ के साथ प्राप्त
हुइ और मध्य ऄफ्रीका में बहुत ही ऄवधक करठनाइ के साथ प्राप्त हुइ।
विटेन पवश्चमी ऄफ्रीका में स्ितंत्रता का समथवक था क्योंकक िहां बहुत कम यूरोपीय अबादी थी।
पूिी ऄफ्रीका और मध्य ऄफ्रीका में विटेन ने स्ितंत्रता देने में वबिंब ककया, क्योंकक यहां यूरोपीय
अबादी बड़ी संख्या में थी। आस प्रकार यहां के गोरे वनिासी जनसंख्या और क्षमता दोनों ही मामिे
में मजबूत वस्थवत में थे। फित: ऄफ्रीकी स्ितंत्रता संघषव को ऄप्रभािी बनाने में ईन्होंने महत्िपूणव
भूवमका वनभाइ।
आसके साथ ही यूरोपीय अबादी ऄपनी सिोच्चता जारी रखने तथा ऄपने जीिन और संपवत्त की
सुरक्षा के विए विरटश ईपवस्थवत चाहती थी। यहां तक कक जब विटेन एक विकल्प के रूप में
स्ितंत्रता पर विचार करता था, तो िे आस बात पर जोर देते थे कक स्ितंत्रता पश्चात बनने िािी
सरकार बहु-जातीय सरकार होनी चावहए, वजसमें एवशयाइ और यूरोपीय अबादी का पयावि
प्रवतवनवधत्ि हो।
1957 के पश्चात् - पररितवन की हिा: पररितवन की हिा से यहाँ तात्पयव यह है कक ऄंग्रेज ऄब यह
महसूस करने िगे थे कक ऄफ्रीका में स्ितंत्रता का ऄब और विरोध नहीं ककया जा सकता। आसका प्रमुख
कारण ऄफ्रीकी राष्ट्रिाद और ऄरब राष्ट्रिाद की बढ़ती ताकत थी। आसके साथ ही पूिोत्तर ऄफ्रीका में
विटेन का प्रभाि कम हो गया था और स्िेज युद्ध (1956) में ऄपनी ऄसफिता के कारण िह कमजोर
भी पड़ गया था। 1957 से 1963 तक पूिी और मध्य ऄफ्रीका में ईपवनिेशों की स्ितंत्रता के प्रवत
विरटश नीवत में बड़ा बदिाि अया।
गोल्ड कोस्ट (1957): 1951 से पहिे पवश्चमी ऄफ्रीका में गोल्ड कोस्ट के नेताओं ने विदेशी िस्तुओं
का बवहष्कार कर ऄपने स्िाधीनता संग्राम का नेतृत्ि ककया और श्रवमकों िारा वहसक प्रदशवन एिं
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हड़तािें की गईं। आस दबाि के कारण एक नया संविधान तैयार ककया गया और ियस्क मतावधकार
के ऄनुसार चुनाि कराये गए। 1952 में स्ि-शासन का प्रारमभ ककया गया परन्तु ईसमें पूणव
स्ितंत्रता नहीं थी। 1952-57 तक पवश्चमी वशक्षा प्राि प्रधानमंत्री एन्क्रूमाह (Nkrumah) के
ऄधीन ऄफ़्ीकी नेताओं ने शासन का ऄनुभि प्राि ककया और 1957 में गोल्ड कोस्ट एक नए नाम
घाना के साथ पूणव स्ितंत्रता प्राि करने िािा पहिा ऄफ़्ीकी ईपवनिेश बन गया, वजसके पहिे
राष्ट्रपवत एन्क्रूमाह थे।
नाआजीररया (1960): नाआजीररया एक तेि समृद्ध देश था। आसे क्षेत्र के बड़े अकार और
जनसांवख्यकी विभाजन की विशेष समस्याओं का सामना करना पड़ा, वजसमें तीन मुख्य नृजातीय
समूह सवममवित थे - ईत्तर में मुवस्िम और पवश्चमी ि पूिी भागों में ऄन्य दो जनजावतयाँ। पवश्चमी
देश में वशक्षा प्राि एक नेता ऄवजककिे ने 1945 में एक अम हड़ताि का सफितापूिवक नेतृत्ि
ककया था, वजसके पररणामस्िरूप ऄंग्रज
े नाआजीररया को विवभन्न चरणों में स्िाधीन करने की
तैयारी करने िगे। 1954 में एक नया संविधान तैयार ककया गया तथा 1960 में नाआजीररया को
पूणव स्िाधीनता प्राि हो गइ।
वसयरा वियोन और गावमबया: आसी प्रकार से 1961 तक, वसयरा वियोन और गावमबया ने
शांवतपूणव ढंग से स्िाधीनता प्राि की।
तंजावनया (1961): पूिी ऄफ़्ीकी विरटश ईपवनिेश तंगावनका में डा. न्यारे रे (Dr Nyerere) ने
स्िाधीनता संग्राम का नेतृत्ि ककया था। श्वेतों के प्रवत ईनका दृवष्टकोण सामंजस्यपूणव था और ऄश्वेत
बहुमत िािी सरकार के सत्ता में अने पर ईसने श्वेतों के साथ ईवचत व्यिहार का िचन कदया था।
तंगावनका को 1961 में पूणव स्िाधीनता प्राि हो गयी और 1964 में जंजीबार िीप को वमिाकर
अधुवनक तंजावनया बना।
युगांडा (1962): युगांडा में जनजातीय प्रवतिंकदता के कारण स्िाधीनता प्रावि में वििमब हुअ,
वजसमें बुगांडा के जनजातीय नेता ने सरकार के िोकतांवत्रक स्िरूप का विरोध ककया। संविधान के
माध्यम से एक समाधान पर पहुंचा गया, वजसमें बुगांडा के जनजातीय नेताओं को कु छ विशेष
शवियां प्रदान करते हुए एक संघीय सरकार की स्थापना की गइ। 1962 में डा. ओबोटे (Dr
Obote) स्ितंत्र युगांडा के प्रथम प्रधानमंत्री बने।
के न्या (1963): के न्या में ऄंग्रज
े ों को श्वेतों और ऄश्वेतों के बीच सामंजस्य बनाने के विए चुनौवतयों
का सामना करना पड़ा। के न्या में श्वेत प्रिावसयों का शासन था, जो ऄश्वेत बहुमत का स्पष्ट और
वहसक विरोध करते थे और ईन्हें विटेन की बड़ी व्यिसावयक िॉबी का समथवन भी प्राि था। ऄश्वेतों
ने माउ माउ नामक गुि सोसाआटी के ऄंतगवत एक अतंकिादी ऄवभयान प्रारमभ कर कदया। 1952
में अपातकाि की घोषणा की गइ, वजसके पररणामस्िरूप विटेन ने सैवनकों को के न्या भेजा, जो
1960 तक माउ माउ वििोह को दबाने में सफि रहे। के न्या के एक ऄत्यवधक सममावनत नेता
जोमो के न्यात्ता थे और 1952 से 1960 तक िे जेि में रहे। 1957 के पश्चात् के न्या के प्रवत विरटश
नीवत में पररितवन अया और ईन्होंने के न्या को स्िाधीनता प्रदान कर दी। जोमो के न्यात्ता प्रथम
प्रधानमंत्री बने और ईन्होंने श्वेतों और ऄश्वेतों के बीच सामंजस्यपूणव नीवत का पािन ककया।
स्िाधीनता में वििमब के प्रयास – के न्िीय ऄफ़्ीकी संघ (Central African Federation) की
ऄिधारणा: मध्य ऄफ्रीका के ईपवनिेशों में श्वेत प्रिावसयों का िचवस्ि था। विटेन के व्यिसावयक
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वहतों िारा समर्थथत श्वेतों ने 1953 में चर्थचि को के न्िीय ऄफ़्ीकी संघ बनाने के विए मना विया
था, वजसमें मध्य ऄफ्रीका के सभी वबरटश ईपवनिेशों को सवममवित ककया गया था ऄथावत्
न्यासािैंड, नाथव रोडेवशया और साईथ रोडेवशया। आस संघ को बनाने का ईद्देश्य स्पष्ट था – मध्य
ऄफ्रीका में श्वेतों का िचवस्ि बनाए रखना।
संघ के प्रवतईत्तर में ऄफ्रीककयों की प्रवतकक्रया: ऄश्वेत बहुमत िािी सरकार की मांग करते हुए
ऄश्वेतों ने वहसात्मक विरोध ककया वजसके पररणामस्िरूप 1959 में अपातकाि की घोषणा करनी
पड़ी।
संघ का भंग होना: 1963 में संघ को विघरटत कर कदया गया क्योंकक न्यासािैंड और नाथव
रोडेवशया ऄब आसका भाग नहीं बनना चाहते थे। 1962-63 तक न्यासािैंड और नाथव रोडेवशया में
एक नया संविधान िागू करना पड़ा, पररणामस्िरूप क्रमशः मिािी और जावमबया के रूप में दोनों
को ही स्िाधीनता प्रदान कर दी गइ।
वजमबालिे
o वजमबालिे में वस्थवत: मुख्य समस्या वजमबालिे ऄथावत् साईथ रोडेवशया में थी, जहाँ ऄश्वेतों के
विरुद्ध श्वेतों ने सबसे ऄवधक ऄवधक्रमण ककया था और ऄश्वेत शासन का विरोध सबसे िमबे
समय तक ककया। साईथ रोडेवशया के श्वेत देश के शासन में ऄश्वेतों को ककसी भी तरह की
वहस्सेदारी कदए जाने के विरुद्ध थे।
o विटेन और श्वेत प्रिावसयों के बीच ऄवनणवय की वस्थवत: जावमबया और मिािी की स्िाधीनता
के समय, विटेन साईथ रोडेवशया को आस शतव पर स्िाधीनता देने के विए तैयार था कक
प्रस्तावित संिैधावनक संशोधनों में श्वेत, ऄश्वेतों को संसद में न्यूनतम एक वतहाइ स्थान की
ऄनुमवत दें, परन्तु प्रधानमंत्री वस्मथ के ऄधीन एक श्वेत जातीय पाटी रोडेवशया फ्रंट ने विटेन के
आस प्रस्ताि को ऄस्िीकार कर कदया। श्वेतों ने रोडेवशया फ्रंट के ऄंतगवत, वबना विरटश सहमवत
के 1965 में स्िाधीनता की घोषणा कर दी (यद्यवप विरटश ताज के प्रवत वनष्ठा को बनाये रखा
गया)। प्रवतकक्रयास्िरुप विटेन ने साईथ रोडेवशया पर अर्थथक प्रवतबंध िगा कदया और साईथ
रोडेवशया से तमबाकू और चीनी खरीदना बंद कर कदया, जो यहाँ से वनयावत की मुख्य िस्तुएं
थी।
o संयि ु राष्ट्र सुरक्षा पररषद प्रिावसयों के विरुद्ध थी: संयुि राष्ट्र सुरक्षा पररषद ने एकपक्षीय
स्िाधीनता की घोषणा की वनदा की और साईथ रोडेवशया के विरुद्ध व्यापाररक प्रवतबंधों के
प्रस्ताि पाररत ककए।
o दवक्षण ऄफ्रीका और मोजावमबक: मोजावमबक पुतवगािी शासन के ऄधीन था जबकक दवक्षण
ऄफ्रीका के गोरे िोग ईपवनिेश समाि ककए जाने के विरोधी थे। आन्होंने रोडेवशया में श्वेतों का
समथवन ककया और व्यापाररक प्रवतबंधों के विए सुरक्षा पररषद िारा पाररत प्रस्तािों पर
कायविाही करने से मना कर कदया।
o सुरक्षा पररषद के प्रवतबंधो का प्रभाि: व्यिहार में ये व्यापाररक प्रवतबन्ध श्वेत शासन को
समाि करने में ऄसफि रहे, क्योंकक कइ कमपवनयों और सरकारों ने गुि व्यापार जारी रखा
तथा प्रवतबंधों को ऄिैध रूप से ऄनदेखा ककया। अर्थथक वहतों ने ऄश्वेत स्िाधीनता संघषव की
अिाज को दबा कदया।
संयि ु राज्य ऄमेररका को साईथ रोडेवशया से सस्ते क्रोम की अिश्यकता थी और विरटश
तेि कमपवनयों ने भी िाभ कमाने के विए प्रवतबंधों का ईल्िंघन ककया।
विरटश राष््मंडि पतन के कगार पर था क्योंकक ऄश्वेतों िारा शावसत राष्ट्रों ने साईथ
रोडेवशया के श्वेतों के प्रवत विटेन के ककसी भी ऄनुकूि व्यिहार का विरोध ककया।
दूसरी ओर जावमबया और तंजावनया ने ककसी भी प्रकार की सैवनक कायविाही का विरोध
ककया, िहीं घाना और नाआजीररया जैसे देशों ने सैवनक कायविाही की मांग की।
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ईपवनिेशों के संबंध में फ़्ांसीसी नीवत का विश्लेषण दो चरणों में ककया जा सकता है:
o 1954 तक: पहिे चरण में फ़्ांस ऄपने ईपवनिेशों में ककसी भी प्रकार के स्िशासन के पक्ष में
नहीं था। यह 1944 की िैजावििे घोषणा (Brazzaville Declaration) से चररताथव होता
है, वजसमें कहा गया था कक ककसी एक सुदरू वतवथ में भी फ़्ांसीसी ईपवनिेशों में कोइ
स्िशासन नहीं होगा। फ़्ांस ऄपने ईपवनिेशों एिं मैंडटे को ऄपना जागीर समझता था, मानो
ये फ़्ांस के ऄटू ट ऄंग हों। यहां ककसी भी प्रकार के स्िशासन का फ़्ांसीसी प्रिासी विरोध करते
थे। 1949 में फ़्ांस ने सभी राष्ट्रिादी अंदोिनों को कु चिने का वनणवय विया और कइ ऄफ़्ीकी
नेताओं को सामयिादी का ठप्पा िगा कर बंदी बना विया।
o 1954 के पश्चात्: 1954 में वहद-चीन (Indochina) युद्ध में हार के पश्चात् फ़्ांस की नीवत में
काफी पररितवन अया और दूसरे चरण में यह स्िीकार ककया गया कक ईपवनिेशों को समाि
करने में और ऄवधक वििमब नहीं ककया जा सकता है।
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एक सरं वक्षत (Protectorate) राज्य एक ऐसा राज्य या क्षेत्र होता है, वजसे एक सशि राज्य िारा
अंवशक रूप से वनयंवत्रत ककया जाता है (हािांकक आस पर ऄवधकार नहीं होता है), परन्तु ऄपने
अंतररक मामिों में यह राज्य स्िायत्त होता है।
ट्यूनीवशया और मोरक्को फ़्ांसीसी सरं वक्षत राज्य थे। ये सरं वक्षत राज्य पूणव स्िायत्तता चाहते थे
परन्तु यूरोपीय प्रिासी फ़्ांसीसी प्रभाि को समाि नहीं होने देना चाहते थे क्योंकक आससे ईन्हें
सरकार पर वनयंत्रण बनाये रखने में सहायता प्राि होती थी।
48.5.1.1. ट्यू नीवशया (1956)
ट्यूनीवशया में स्िाधीनता संघषव का नेतृत्ि हबीब बौर्थघबा नामक एक ईदारिादी नेता के हाथों में
था। आसके साथ ट्युनीवशयाइ िोगों ने सरकार के विरुद्ध गुररल्िा युद्ध भी छेड़ रखा था।
फ़्ांस ने अन्दोिन को विफि करने के विए सेना भेजी परन्तु िह गुररल्िा रणनीवत और
राष्ट्रिाकदयों के समथवन के कारण ईनसे वनबटने में ऄसफि रहा। ईसी समय फ़्ांस वहद-चीन और
मोरक्को में भी समस्याओं का सामना कर रहा था। आसके ऄवतररि गुररल्िा भी धीरे -धीरे िामपंथी
विचारधारा की ओर बह रहे थे।
िमबे समय तक संघषव के चिने की िागत और सामयिाकदयों िारा अन्दोिन के समभावित
ऄवधग्रहण के भय से, फ़्ांस ने स्िाधीनता की घोषणा कर दी और ईदारिादी नेता बौर्थघबा के हाथों
में सत्ता सौंप कदया। एक ईदारिादी नेता के सत्ता में होने से फ़्ांस को अशा थी कक िह नि-
ईपवनिेशिाद के माध्यम से ट्यूनीवशया पर ऄपना िचवस्ि जारी रख पाएगा।
48.5.1.2. मोरक्को (1956)
एक सरं वक्षत राज्य के रूप में मोरक्को एक राजा के ऄधीन था, जो फ़्ांस के नस्तक्षेप के विरुद्ध था
और ईसने पूणव स्िाधीनता की मांग की, वजसके कारण फ्रांसीवसयो ने ईसे बिपूिवक सत्ताच्युत कर
कदया।
आसके कारण गुररल्िा युद्ध और वहसक प्रदशवन अरमभ हो गये वजनमें िेड यूवनयनों ने महत्िपूणव
भूवमका वनभाइ। एक महंगे गुररल्िा युद्ध की समभािना का ऄहसास होते ही, फ़्ांस ने राजा को
पुनः सत्तारूढ़ कर कदया और मोरक्को को पूणव स्िाधीनता प्राि हो गयी।
यह 1830 से ही फ़्ांसीसी वनयंत्रण में था। फ़्ांसीसी प्रिावसयों को कोिोन के नाम से भी जाना
जाता था। यहाँ पर 1 वमवियन फ्रांसीसी प्रिासी और 9 वमवियन ऄल्जीररयाइ रहते थे।
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वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् मेस्सािी (Messali) के दस िषव के शांवतपूणव संघषव से थोड़ा िाभ
हुअ। फ़्ांसीसी प्रिावसयों ने मूि वनिावसयों को कोइ सुविधाएँ नहीं दीं और ऄल्जीररयाइ िोगों को
सत्ता में कोइ भी भूवमका देने से मना कर कदया गया।
आसके ऄवतररि, फ़्ांस ने ऄल्जीररया को एक सरं वक्षत राज्य के रूप में स्िीकार नहीं ककया और आसे
फ़्ांस का ऄटूट ऄंग मानता रहा।
1954 में, एक दशक के ऄवहसक विरोध प्रदशवनों के पश्चात्, ऄल्जीररयाइ िोगों ने नेशनि
विबरे शन फ्रंट (FLN) के तत्िाधान में गुररल्िा युद्ध अरमभ कर कदया, वजसे फ़्ांस में रह रहे 2
िाख ऄल्जीररयाआयों िारा वित्त पोवषत ककया गया।
1954 में वहद-चीन में ऄपनी ऄसफिताओं और 1956 में मोरक्को और ट्यूनीवशया के सरं वक्षत
राज्यों को बि पूिक
व छोड़ने के बािजूद भी, ककसी भी फ़्ांसीसी सरकार ने फ़्ांसीसी प्रिावसयों के
समभावित प्रवतरोध और फ़्ांस में ईनके समथवकों के भय से ऄल्जीररया को स्िाधीन करने का साहस
नहीं जुटाया। 1960 तक ऄल्जीररया में 7,00,000 से भी ऄवधक फ़्ांसीसी सैवनक एक विशाि युद्ध
िड़ रहे थे।
ऄल्जीररया के प्रवत फ्रांसीवसयों के आस दृवष्टकोण के कइ कारण थे।
o फ्रांसीसी सेना वहद-चीन में ऄपनी हार के पश्चात् ऄपनी प्रवतष्ठा को पुनः प्राि करना चाहती
थी। सेना ऄल्जीररया की मांगों के अगे झुकने के आतना ऄवधक विरुद्ध थी कक यकद सरकार
ऄल्जीररया की मांगों को स्िीकार करती तो फ़्ांस में तख्तापिट की समभािनाएं थी।
o जनमत ईन िोगों में बहुत ऄवधक विभावजत था, जो फ़्ांसीसी प्रिावसयों का समथवन करते थे
और िे जो ऄल्जीररया ऄवभयान का ऄंत चाहते थे। ऄल्जीररया के विषय पर फ़्ांस स्ियं भी
गृहयुद्ध के कगार पर खड़ा था।
ऄल्जीररयाइ युद्ध 1958 में फ़्ांस (चतुथव फ़्ांसीसी गणराज्य) के पतन का कारण बना। सेना ने
सरकार पर दबाि बनाया कक िे सत्ता छोड़े और साथ ही सेना पूिव जनरि डी गॉि को प्रधानमंत्री
बनाना चाहती थी। डी गॉि ने सरकार का नेतृत्ि करने के विए ऄपनी सहमवत तो दी परन्तु एक
शतव पर कक ईसे नया संविधान बनाने कदया जाए। आस मांग को स्िीकार ककया गया और चतुथव
फ़्ांसीसी गणराज्य का ऄंत हो गया। सत्ता में अने के पश्चात् डी गॉि ने ऄल्जीररयाइयों के साथ
िाताव करने का वनणवय ककया, वजसके कारण सेना के एक गुट ने ऄल्जीररया और फ़्ांस में
अतंकिादी गवतविवधयाँ अरमभ कर कदया। आसके पश्चात् जनरि डी गॉि सेना की िदी में
टेिीविजन पर अए। आस प्रतीकात्मक कायविाही ने प्रवतकू ि पररवस्थवत को वनयंत्रण में िाया।
फ़्ांसीसी जनता की राय थी कक ऄल्जीररया को स्िाधीनता दी जाए और 1962 में यह हुअ, बेन
बेिा प्रथम ऄल्जीररयाइ राष्ट्रपवत बने।
1958 में जनरि डी गॉि ने नि-ईपवनिेशिाद की नीवत को संस्थागत बनाने का प्रयास ककया। डी गॉि
ने विरटश कॉमनिेल्थ की तजव पर वनम्नविवखत वबन्दुओं पर फ़्ांसीसी समुदाय के गठन की एक नइ
योजना का प्रस्ताि कदया:
पवश्चम और आक्वेटोररयि ऄफ्रीका के 12 ईपवनिेशों (वजन्हें सरं वक्षत राज्य का दजाव प्राि था) में
ईनकी स्ियं की संसद के साथ अंतररक मामिों में स्ि-शासन चिता रहेगा।
फ़्ांसीसी समुदाय में यह सभी 12 ईपवनिेश सवममवित होंगे तथा फ़्ांस कराधान और विदेशी
मामिों में सभी महत्िपूणव वनणवय िेगा।
ईसके बदिे में फ़्ांसीसी समुदाय के सभी सदस्यों को फ़्ांस से वित्तीय सहायता प्राि होगी।
सदस्यों के पास समुदाय की सदस्यता को ऄस्िीकार करने का विकल्प होगा, िेककन ईस वस्थवत में
ईन्हें कोइ अर्थथक सहायता नहीं प्राि होगी।
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बेवल्जयम के दो ईपवनिेश बेवल्जयन कांगो और रिांडा-बुरुंडी थे। क्रमशः 1960 और 1962 में
स्ितंत्रता के बाद दोनों ऄराजकता और गृहयुद्ध की चपेट में अ गए। ऐसा स्ितंत्रता के विए तैयार
न होने के कारण हुअ।
ऄपने ईपवनिेशों में बेवल्जयम की नीवत दोहरी थी - मूि वनिावसयों को ककसी भी वशक्षा से िंवचत
रखना और ऄपने शासन को िंबे समय तक बनाये रखने के विए जनजातीय प्रवतिंविता का
ईपयोग करना। दूसरे कारक ने दोनों ईपवनिेशों में भिीभांवत कायव ककया।
o जनजातीय प्रवतिंविता का ईपयोग करना:
कांगो िगभग 150 ऄिग-ऄिग जनजावतयों का एक दहकता हुअ ज्िािामुखी था।
बेवल्जयम एक जनजावत के िड़ाकों का दूसरी जनजावत को वनयंवत्रत करने के विए
ईपयोग करता था और कृ पापात्र जनजावतयों को कानून और व्यिस्था बनाए रखने के
बदिे में संरक्षण प्राि होता था।
रिांडा-बुरुंडी में, बेवल्जयम ने हुतु जनजावत के िोगों को वनयंवत्रत करने के विए तुत्सी
जनजावत का ईपयोग ककया। कफर भी फ्रांस और विटेन के पड़ोसी ईपवनिेशों के राष्ट्रिादी
विचारों ने यहाँ के िोगों को प्रभावित ककया।
कांगो (1960)
o बेवल्जयम शावसत कांगो में बेरोजगारी और वनम्न जीिन स्तर के विरूद्ध 1959 में ऄचानक
विरोध-प्रदशवन होने िगा। आससे बेवल्जयम को 1960 में कांगो को स्ितंत्रता प्रदान करने के
विए वििश होना पड़ा क्योंकक एक तरफ जहाँ ईसे महंगे गुररल्िा युद्ध का डर था तो िहीं
दूसरी तरफ ईसे स्ितंत्र िेककन कमजोर कांगो पर नि-ईपवनिेशिाद की नीवत का ईपयोग
बेहतर िगा।
o स्ितंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रिाकदयों के बीच पयावि एकता के बािजूद आसके ईपरांत यहां
ऄराजकता क्यों पैदा हुइ? आसके वनम्नविवखत कारण थे:
मूि वनिावसयों के पास नौकरशाही के पदों को भरने के विए कोइ वशक्षा नहीं थी और
यहां ऐसा कोइ ऄफ्रीकी समूह नहीं था वजसे शासन का कोइ ऄनुभि हो।
कांगो में के िि 17 िातक थे और कोइ वचककत्सक, िकीि, आं जीवनयर ि सैन्य ऄवधकारी
नहीं था।
िहाँ पर ऐसा कोइ सुस्पष्ट अंदोिन देखने को नहीं वमिा जैसा कक ईवचत संगठनात्मक
संरचना के साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतत्ृ ि में भारत जैसे ऄन्य ईपवनिेशों में देखा
गया था। 1959 में िुममबा के नेतृत्ि में कांगो का राष्ट्रीय अंदोिन वसफव 1 िषव पुराना
था। कांगो में गृहयुद्ध 1960 से िेकर 1964 तक जारी रहा।
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फ्रैंको को ईपवनिेशों में बहुत कम रूवच थी और ईसने स्पेवनश ईपवनिेशों में स्ितंत्रता अंदोिनों का
प्रवतरोध नहीं ककया।
जब फ्रांस ने फ़्ांसीसी मोरक्को को स्ितंत्रता दी तो 1956 में स्पेवनश मोरक्को का संयुि मोरक्को में
वििय कर कदया गया। आफ्नी (Ifni) को 1969 में मोरक्को में वमिा कदया गया।
आक्वेटोररयि वगनी को 1968 में स्ितंत्रता दी गइ।
स्पेवनश सहारा: के िि स्पेवनश सहारा में फ्रैंको ने 1975 में ऄपनी मृत्यु तक स्ितंत्रता की मांग का
विरोध ककया। ऐसा आसविए था क्योंकक सहारा फॉस्फोरस संसाधनों से समृद्ध था जो स्पेन के विए
महत्िपूणव था। दुभावग्य से ईसकी मृत्यु के बाद, सहारा को विभावजत कर कदया गया तथा मोरक्को
और मॉररटावनया को सौंप कदया गया।
o पोविसाररयो फ्रंट (Polisario Front) िस्तुतः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अंदोिन की भांवत
सहारा क्षेत्र की स्ितंत्रता के विए एक अंदोिन था और आसने सहारा की स्ितंत्रता के विए
विरोध करना जारी रखा। आसने 1976 में िोकतांवत्रक ऄरब गणराज्य सहारा (या सहरािी
ऄरब िोकतांवत्रक गणराज्य) {Democratic Arab Republic of Sahara (or Sahrawi
Arab Democratic Republic: SADR)} की घोषणा की।
o िीवबया, ऄल्जीररया और सामयिादी गुट के देशों के साथ भारत SADR को मान्यता प्रदान
करने िािे देशों में ऄग्रणी था। बाद में पोविसाररयो अंदोिन का समथवन करने िािे
सामयिादी गुट के साथ सहारा, मोरक्को और मॉररटावनया शीत युद्ध में ईिझ गए।
o शीत युद्ध: ऄल्जीररया और िीवबया ने सैवनक दि भेजे वजसके पररणामस्िरूप मॉररटावनया ने
सहारा का ऄपना वहस्सा छोड़ कदया। आसी प्रकार मोरक्को हार की कगार पर था िेककन
ऄमेररका ने ईसे बचा विया। ऄमेररका ने सहारा को शीतयुद्ध के भाग के रूप में देखा क्योंकक
सोवियत संघ ने SADR को मान्यता दी थी।
o 1980 के दशक में युद्ध जारी रहा और मोरक्को ने मॉररटावनया शावसत सहारा पर भी कलजा
कर विया। 1990 में, संयुि राष्ट्र ने यह तय करने के विए एक जनमत संग्रह प्रस्तावित ककया
कक क्या िोग स्ितंत्रता चाहते हैं या मोरक्को के ऄंग के रूप में बने रहना चाहते हैं, िेककन
मोरक्को ने संयुि राष्ट्र के प्रस्ताि को ऄस्िीकार कर कदया।
o SADR की ितवमान वस्थवत यह है कक, िेस्टनव सहारा एक वििाकदत क्षेत्र है। SADR 25
प्रवतशत िेस्टनव सहारा पर वनयंत्रण रखता है और बाकी मोरक्को के वनयंत्रण में है। भारत
SADR के ऄधीन एक स्ितंत्र िेस्टनव सहारा का समथवन करता है जो गुट-वनरपेक्ष अंदोिन
का एक ऄंग है और वजसकी ऄल्जीररया में वनिाववसत सरकार है। पोविसाररयो फ्रंट अज
ऄल्जीररया में वस्थत एक राजनीवतक-सैन्य संगठन है। सबसे बुरी तरह से प्रभावित सहारा के
िोग हैं, वजनमें से कइ िोग ऄल्जीररया के शरणाथी वशविरों में रह रहे हैं।
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पुतग
व ाि विफि होने िगा: 1956 में जब सभी तीनों ईपवनिेशों में राष्ट्रिादी समूहों का गठन हुअ
तो पररवस्थवतयाँ सािाजार के विरूद्ध हो गईं। प्रारं भ में िे औपवनिेवशक शासन से बहुत कम प्राप्त
कर सके िेककन 1960 तक कइ ऄफ्रीकी ईपवनिेशों की स्ितंत्रता ने मूिवनिासी राष्ट्रिाकदयों का
मनोबि बढ़ाया और ईन्होंने ऄपना विरोध तीव्र कर कदया। सािाजार ने ऄवधक दमनकारी
प्रवतकार ककया और पररणामस्िरूप, 1961 में तीनों ईपवनिेशों में पुतग
व ावियों के विरूद्ध गुररल्िा
ऄवभयान अरं भ हो गया।
ऄंगोिा में, गुररल्िा युद्ध 1961 में नेतो (Neto) के ऄधीन अरं भ हुअ। मोजावमबक में फ्रेविमो
गुररल्िाओं का नेतृत्ि मंडिेन नामक नेता ने ककया। आसी तरह, कै िि ने पुतग
व ािी वगनी में गुररल्िा
बिों का नेतृत्ि ककया। गोररल्िा बिों को सोवियत सहायता वमिी क्योंकक िे सभी ऄपनी
विचारधारा में माक्सविादी थे।
स्ितंत्रता: तीन मोचों पर एक साथ गुररल्िा विरोधी प्रयासों की िागत 1973 तक पुतग
व ाि के
राष्ट्रीय बजट के 40 प्रवतशत तक पहुँच गइ। पुतवगािी िोगों और सेना के बीच ऄसंतोष के बािजूद,
सािाजार ने धन और सैवनकों को झोंकना जारी रखा। आसके पररणामस्िरुप ऄंततः एक सशस्त्र
तख्तापिट हुअ, वजसके िारा 1974 में सािाजार को सत्ता से िंवचत कर कदया गया। शीघ्र ही आन
तीनों ईपवनिेशों को स्ितंत्रता दे दी गइ। पुतवगािी वगनी 1974 में वगनी वबसाउ नाम से स्ितंत्र हो
गया जबकक मोजावमबक और ऄंगोिा 1975 में स्ितंत्र हो गए।
रं गभेद पर प्रभाि: ऄफ्रीका में पुतवगािी साम्राज्य का विऔपवनिेशीकरण रोडेवशया और दवक्षण
ऄफ्रीका में श्िेत अबादी के विए संकट का कारण बना क्योंकक ये स्ितंत्र देश ऄब श्िेत अबादी के
िचवस्ि िािे शेष बचे के िि दो ऄफ्रीकी देशों में स्ितंत्रता युद्ध िड़ने िािे गुररल्िाओं के विए
सुरवक्षत वशविर बन गए थे।
स्ितंत्रता के तुरंत बाद ऄंगोिा पर दवक्षण ऄफ्रीका ने अक्रमण कर कदया और यह शीत युद्ध का एक
भाग बन गया। बाद में ऄंगोिा पर कइ बार अक्रमण ककया गया और 1990 के दशक तक ऄंगोिा
गृहयुद्ध में ईिझा रहा।
दवक्षण ऄफ्रीका ने मोजावमबक पर भी अक्रमण ककया क्योंकक िह ऄश्वेत िोगों के फ्रेविमो अंदोिन
के विरूद्ध था। कइ ऄफ्रीकी देशों की भांवत मोजावमबक भी कइ िषों तक बाद में हुए गृहयु द्धों से
प्रभावित रहा।
आटिी का प्रकरण ऄिग था क्योंकक वितीय विश्व युद्ध में पराजय के बाद ईसे ऄपने सभी ईपवनिेश
खोने पड़े। ऄफ्रीका में आटिी के ईपवनिेशों को स्ितंत्रता के विए तैयार करने हेतु विटेन और फ्रांस
को मैंडटे के रूप में सौंप कदया गया। बाद में संयुि राष्ट्र ने आन राष्ट्रों को िेस्ट समथवक सरकारों के
ऄधीन कर कदया।
आवथयोवपया में 1941 में आताििी शासन समाि हो गया और 1951 में विरटश मैंडटे भी समाि
हो गया। 1935 में आताििी अक्रमण के बाद से वनिावसन में रह रहे सम्राट सेिासी को िापस
िाया गया और पुनबवहाि ककया गया।
1951 में राजा आकिस के ऄधीन िीवबया को स्ितंत्र कर कदया गया।
िहीं दूसरी ओर आरररिया अंतररक मामिों में स्िायत्तता के प्रािधान के साथ संघीय प्रणािी के
ऄंतगवत 1952 में आवथयोवपया का भाग बन गया।
1960 में आताििी सोमािीिैंड और विरटश सोमािीिैंड का वििय करके सोमाविया का स्ितंत्र
राज्य बनाया गया।
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स्ितंत्रता के शीघ्र पश्चात् ऄिोकवप्रय शासकों के घरटया शासन के कारण आन पूिव ईपवनिेशों में
शांवत की वस्थवत वबगड़ गइ। यहां के ईभरने िािे नए नेता सोवियत संघ समथवक थे और
अधुवनकीकरण के विए सोवियत सहायता चाहते थे।
o िीवबया में राजा आकिस घोर पवश्चम समथवक था। हािांकक 1969 में एक समाजिादी
क्रांवतकारी अंदोिन िारा ईसे ईखाड़ फें का गया। मुऄममर गद्दाफी के ऄनुिती शासन ने
िीवबया के तेि ईद्योग का राष्ट्रीयकरण ककया और शहरीकरण की प्रकक्रया अरं भ की।
o आवथयोवपया में सेिसे ी ने अधुवनकीकरण का कोइ भी प्रयास नहीं ककया। ईसने आरररिया की
स्िायत्तता और सीवमत स्िशासन से संबवं धत प्रािधानों को रद्द कर कदया, वजसके
पररणामस्िरुप आरररिया ने आवथयोवपया के विरूद्ध स्ितंत्रता संग्राम अरं भ कर कदया। 1974
में सेिस
े ी की सत्ता को ईखाड़ फें का गया।
o आरररिया में आवथयोवपया ने स्ितंत्रता की मांग पर ऄंकुश िगाने का प्रयत्न ककया, िेककन शीघ्र
ही दो ऄन्य आथोवपयाइ प्रांत ऄिग होने की मांग करने िगे। ऄिगाििादी अंदोिन को
वनयंवत्रत करने के विए आवथयोवपयाइ शासन को ऄपने बजट में सेना के व्यय पर ऄवधक
धनरावश अबंरटत करनी पड़ी, जबकक ऄकाि और गरीबी से अम अदमी त्रस्त थे।
ऄंततोगत्िा 1993 में आरररिया को स्ितंत्रता वमि गइ। आरररिया हॉनव ऑफ़ ऄफ्रीका का एक
भाग है, जो भयािह गरीबी से ग्रस्त है और िोग िमपेडुसा िीप के माध्यम से (खतरनाक नाि
यात्रा िारा) यूरोप भाग रहे हैं जो ऄफ्रीका और मध्य पूिी देशों से यूरोप के विए प्रिेश वबदु
बन गया है। ऄवनिायव अजीिन सैन्य भती के कारण आरररिया ऄत्यवधक सैन्यीकरण से भी
ग्रस्त है।
भारत को 1947 में दो भागों, भारत और पाककस्तान में बांट कदया गया। विऔपवनिेशीकरण
शांवतपूणव नहीं था और विभाजन के दौरान भारी कत्िेअम हुअ। ऄंग्रेज नरसंहार के ककसी भी
ईत्तरदावयत्ि से बचने के विए यहाँ से बाहर वनकिने की जल्दबाजी में थे।
49.2. िे स्ट आं डीज (कै रीवबया), मिाया (दवक्षण पू िव एवशया) और साआप्रस (मध्य पू िव )
आन सभी क्षेत्रों में ऄंग्रेज ऄपने ईपवनिेशों को एक पररसंघ (Federation) में संगरठत करना चाहते
थे, िेककन ईन्हें के िि अंवशक सफिता ही वमिी। पररसंघ राज्यों का ऐसा समूह होता है वजसमें
अंतररक मामिों का प्रबंधन करने के विए प्रत्येक राज्य की ऄपनी एक संसद (विधावयका) होती है,
िेककन घटक आकाइयां पररसंघीय सरकार (ईदाहरण के विए, यू.एस.ए., कनाडा, ऑस्िेविया
अकद) के समग्र प्रावधकार के ऄधीन काम करती हैं।
िेस्ट आं डीज: िेस्ट आं डीज कै ररवबयन क्षेत्र में िीपों का एक समूह है।
o कै रे वबयाइ िीपों के विए पररसंघ की मांग क्यों की गइ?
यहाँ प्रमुख समस्या ईपवनिेशों के अकार िेकर थी। ऄतः यहाँ ऄिग-ऄिग आकाइ के रूप में एक
ईपवनिेश की संकल्पना कोइ व्यिहायव विचार नहीं था। साथ ही िे अर्थथक और प्रशासवनक रूप से
व्यिहायव नहीं थे।
जहां एक ओर कु छ ईपवनिेशों ने पररसंघ के विचार पर अपवत्त की, िहीं ईनमें से कु छ ऄन्य विटेन
से स्ितंत्रता भी नहीं चाहते थे। कफर भी, 1958 में िेस्ट आं डीज फे डरे शन बनाया गया वजसमें मध्य
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ऄमेररका की मुख्य भूवम पर वस्थत विरटश होन्डु रास और दवक्षण ऄमेररका की मुख्य भूवम के ईत्तर-
पूिी तट पर वस्थत विरटश गुयाना को छोड़कर आस क्षेत्र के ऄन्य सभी विरटश ईपवनिेश (जैसे कक
जमैका, वत्रवनदाद, सेशेल्स, बारबाडोस, बहामास अकद) सवममवित थे। िेककन 1962 तक यह
विफि हो गया क्योंकक घटक सदस्य स्ितंत्र दजे के पक्ष में थे।
o िेस्ट आं डीज फे डरे शन विफि क्यों हुअ?
पररसंघीय (फे डरि) संसद में प्रत्येक सदस्य के विए सीटों की संख्या और प्रत्येक सदस्य िारा
संघीय बजट में ककतनी रावश का योगदान करना चावहए, पर वििाद के कारण फे डरे शन विफि
विफि हो गया। 1961 में जब वत्रवनदाद और जमैका आससे बाहर वनकि गए तो सभी सदस्यों को
1962 में स्ितंत्रता दे दी गइ।
परिती संघ (Later Union): अगे चिकर जब ईन्हें अपसी सहयोग के िाभों ऄहसास हुअ, तो
ईन्होंने 1968 में कै रे वबयाइ मुक्त व्यापार संघ (Caribbean Free Trade Association) और
1973 में कै रे वबयाइ समुदाय और साझा बाजार (Caribbean Community & Common
Market) का गठन ककया।
मिाया: यहां पररसंघ (फे डरे शन) का विचार सफि रहा। 1945 में मिाया को जापान से मुि
कराया गया। मिाया को फे डरे शन में संगरठत करना एक चुनौतीपूणव कायव था क्योंकक:
o आसमें बहुनस्िीय समाज था।
o एकि आकाइ में संगरठत करने के विए यह भौगोविक रूप से एक जरटि राष्ट्र था। जैसे कक
वसगापुर मुख्य भूवम से कु छ मीि की दूरी पर वस्थत िीप था। आसके साथ ही, मिाया ऄिग-
ऄिग सुल्तानों के ऄधीन 9 राज्यों का एक समुच्च्य था।
o जापान के विरूद्ध िड़ने िािे कमयुवनस्ट गुररल्िा (मिाया के नृजातीय चीनी) ऄब सामयिादी
मिाया की स्थापना के विए विटेन से िड़ रहे थे।
o फे डरे शन ऑफ़ मिाया: विटेन ने 1948 में मिाया पररसंघ का गठन ककया (पूणव स्ितंत्रता के
वबना) और वसगापुर को एक पृथक ईपवनिेश के रूप में रखा गया। गुररल्िा ऄवभयान जारी
रहा और विटेन को 1948 से अपातकाि िागू करना पड़ा। 1955 के चुनािों में नृजातीय
भारतीय, चीनी और मिय चुनाि िड़ने के विए एक साथ अए तथा ईन्होंने विजय प्राप्त की।
आस प्रकार एकि पाटी के बहुमत में अने से वस्थरता के स्पष्ट संकेत वमिे और ऄंततोगत्िा
1957 में मिाया को स्ितंत्रता दे दी गइ।
o मिाया की पहि पर एक ऄस्थायी मिेवशयाइ पररसंघ (फे डरे शन ऑफ़ मिेवशया, 1963) का
गठन ककया गया। आसमें वसगापुर और िुनेइ को सवममवित करने का प्रस्ताि था। िेककन आसमें
िुनेइ सवममवित नहीं हुअ और ईसे 1984 में स्ितंत्रता दे दी गइ तथा िह राष्िमंडि में
सवममवित हो गया। वसगापुर ने पररसंघ त्याग कदया और 1965 में एक स्ितंत्र आकाइ बन
गया।
साआप्रस (1960): साआप्रस का विऔपवनिेशीकरण एक कष्टप्रद प्रकक्रया थी। यहाँ की 80%
अबादी यूनानी इसाआयों की थी जो ग्रीस के साथ संघ (यूवनयन) चाहते थे। शेष 20% तुकी
मुसिमान थे, जो ईत्तर में कें कित थे और तुकी के साथ संघ चाहते थे। 1960 में आसे स्ितंत्रता प्राि
हुइ। 1963 में इसाआयों और तुकों के बीच गृह-युद्ध वछड़ गया। तुकी सैन्यदिों ने 1974 में तुकी
मुसिमानों के पक्ष में हस्तक्षेप ककया और ईत्तरी साआप्रस ने स्ियं को एक ऄिग राष्ट्र घोवषत कर
कदया।
o अज भी तुकी की सेनाएं ईत्तरी साआप्रस में बनी हुइ हैं, वजसकी सरकार को के िि तुकी िारा
मान्यता प्रदान की गइ है। ईत्तरी साआप्रस और साआप्रस के बीच सीमा पर शुवचता और शांवत
सुवनवश्चत करने के विए संयुक्त राष्ि के बि तैनात हैं।
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o साआप्रस यूरोपीय संघ का एक ऄंग है। आसी राजनीवतक वििाद के कारण ग्रीस ने यूरोपीय संघ
में तुकी का प्रिेश ऄिरुद्ध कर रखा है।
फ़ॉकिैंड िीपसमूह: फ़ॉकिैंड िीप समूह के असपास का क्षेत्र तेि समृद्ध है। आसे विटेन ने छोड़ा
नहीं है।
o आवतहास: अरं भ में फ़ॉकिैंड िीप समूह फ़्ांस के ऄधीन था। बाद में स्पेन ने फ्रांस का स्थान िे
विया। फ़ॉकिैंड िीप समूह का कु छ भाग ऄंग्रेजों के ऄधीन भी था। ऄमेररकी स्ितंत्रता संघषव
के बाद ऄंग्रजे अर्थथक दबाि में थे। ऄतः ईन्होंने फ़ॉकिैंड िीप समूह को छोड़ कदया िेककन
साथ ही आसे विरटश संप्रभुता के ऄधीन बनाए रखने की एक घोषणा भी की। दवक्षण ऄमेररका
के ऄपने (स्पेवनश) ईपवनिेशों में स्ितंत्रता अंदोिनों के कारण पीछे हटने के विए वििश होने
तक स्पेन ने 1811 तक आन िीपों पर शासन ककया। ऄजेंटीना 1816 में स्ितंत्र हुअ तथा
ईसने 1833 तक फ़ॉकिैंड िीपसमूह पर वनयंत्रण बनाए रखा। ईल्िेखनीय है कक 1833 में
ऄंग्रेजों ने फ़ॉकिैंड िीपसमूह पर कफर से कलजा कर विया। आस प्रकार 1833 से फ़ॉकिैंड
िीपसमूह वनरं तर विटेन के वनयंत्रण में रहा है। समय बीतने के साथ विरटश अबादी आन िीपों
में रहने अ गइ और अज यहां की अबादी में ऄंग्रज े बहुमत में हैं।
o ऄजेंटीना िारा फ़ॉकिैंड िीपसमूह पर अक्रमण करने पर मागवरेट थैचर (1979-91 तक
पीएम) के नेतृत्ि में विटेन ने युद्ध अरं भ कर कदया। 1982 में विरटश विजय के बाद फ़ॉकिैंड
िीपिावसयों को 1983 में पूणव विरटश नागररकता दी गइ। 1983 में एक जनमत संग्रह
अयोवजत ककया गया और भारी संख्या में िोगों ने ( 99%) ऄंग्रज
े ों के ऄधीन रहने के विए
मतदान ककया।
डच िस्तुतः इस्ट आं डीज में ऄपने बागानों से होने िािी वनयावत अय पर ऄत्यवधक वनभवर थे।
बागानों के ककसानों को के िि वनयावत के विए फसिें ईगाने हेतु ऄपनी भूवम का 1/5 भाग
अरवक्षत रखना पड़ता था। आन वनयावतों से होने िािी अय का हॉिैंड की सरकार िारा ऄर्थजत कु ि
राजस्ि में महत्िपूणव योगदान होता था।
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यहां सुकणो जैसे नेता वितीय विश्ियुद्ध से पहिे से ही राष्ट्रिादी संघषव का नेतृत्ि कर रहे थे।
1930 के दशक में सुकणों सवहत कइ नेताओं को वगरफ्तार कर विया गया।
जापान की भूवमका: 1942 में इस्ट आं डीज पर अक्रमण करने के बाद जापान ने सुकणो को जेि से
मुक्त कर कदया और प्रशासन में मूि वनिावसयों को भी भगीदारी दी। जापान युद्ध के बाद
स्ितंत्रता के िचन के बदिे में युद्ध प्रयासों में सहायता चाहता था। सुकणो ने िोगों को जापान की
सहायता करने के विए िामबंद ककया।
वितीय विश्ियुद्ध के बाद: 1945 में जापान की हार के बाद सुकणो ने आं डोनेवशया को एक स्ितंत्र
गणराज्य घोवषत कर कदया िेककन डच ऄपना ईपवनिेश छोड़ने के वबल्कु ि आच्छु क नहीं थे, जो
ईनकी ऄथवव्यिस्था का एक प्रमुख अधार था। डच सेना िड़ी, विफि हुइ और बातचीत हुइ,
क्योंकक:
o िे गुररल्िा प्रवतरोध से िड़ने की ईच्च िागत नहीं िहन कर पा रहे थे।
o संयुि राष्ट्र का दबाि।
o ऄमेररका और ऑस्िेविया भी डचों पर दबाि डाि रहे थे क्योंकक िे डचों के बाहर वनकिने के
बाद आं डोनेवशया में वनयावत बाजार और प्रभाि चाहते थे।
o डच विरटश राष्िमंडि की भांवत आं डोनेवशया के साथ विशेष संबध ं बनाए रखना चाह रहे थे
(नि-ईपवनिेशिाद)।
डोवमवनयन स्टेटस (1949): डचों ने यूनाआटेड स्टेट्स ऑफ़ आं डोनवशया को मान्यता दी (पवश्चमी
इररयन को छोड़कर जो डच इस्ट आं डीज का एक और ईपवनिेश था)। बदिे में सुकणो ने डच
राजशाही के ऄधीन नीदरिैंड-आन्डोनेवशयाइ संघ {डोवमवनयन स्टेटस (ऄवधराज्य दजे)} पर
सहमवत व्यक्त की।
1950 में पूणव स्ितंत्रता: 1950 में सुकणो ने डोवमवनयन स्टेटस के दजे को समाि कर कदया और
डच संपवत्त जलत करके तथा यूरोवपयों को वनष्कावसत करके पवश्चम आररयन देने के विए डचों पर
दबाि डािा। 1963 में िह आं डोनेवशया में पवश्चमी इररयन का समामेिन करने में सफि रहा।
1965 सैन्य तख्तापिट: सुकणो को ऄमेररका प्रायोवजत तख्तापिट के माध्यम से सत्ता से हटा
कदया गया क्योंकक िह कमयुवनस्ट समथवक (चीन समथवक) नीवत पर चि रहा था। सत्ता में अने पर
जनरि सुहातो ने कमयुवनस्टों के विरूद्ध शुद्धीकरण (purges) अरं भ ककया।
जनरि सुहातो: ईसका शासन एक क्रूर सैन्य तानाशाही िािा था, िेककन कमयुवनस्ट विरोधी रुख
के कारण ऄमेररका ईसका समथवन करता था। 1975 में, आं डोनेवशया ने इस्ट वतमोर पर अक्रमण
करके कलजा कर विया। संयुि राष्ट्र, सोवियत संघ और ऄमेररका, सभी चुप रहे क्योंकक इस्ट
वतमोर का ऄमेररका और सोवियत संघ के विए कोइ महत्ि नहीं था।
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िॉवजवस्टक समस्याएं: जहां विऔपवनिेशीकरण का ऄथव विभाजन था, िहां प्रिासन से संबंवधत
िॉवजवस्टक समस्याएं विद्यमान थीं और साथ ही वहसा भी हुइ जैसे- भारत। कटु सांप्रदावयक
प्रवतिंविता के कारण भारत के प्रकरण में यह समस्या ज्यादा बढ़ गइ थी।
नि-ईपवनिेशिाद का अरं भ: नि स्ितंत्र राष्ट्र गरीब थे और ईन्हें वनिेश तथा ऄपने वनयावत,
ऄवधकांशत: एकि वनयावत िस्तु, के विए बाजार की अिश्यकता थी।
एकि वनयावत िस्तु पर ऄवतवनभवरता: कइ नि स्ितंत्र राष्ट्र ऄपने एकि िस्तु के वनयावत पर वनभवर
थे। ईदाहरण के तौर पर; घाना के विए कोकोअ, नाआजीररया के विए तेि, जायरे (ऄब कांगो के
नाम से जाना जाता है) के विए तांबा और क्यूबा के विए चीनी। आससे ऄसंतुवित अर्थथक विकास
हुअ। आन िस्तुओं की ऄंतरावष्ट्रीय कीमतें वगर जाने पर आन देशों की एकि वनयावत पर वनभवर
ऄथवव्यिस्थाओं को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ता था।
खाद्य संकट: आसके ऄवतररक्त, बाहरी ईधारदाताओं ने ऄफ्रीकी राष्ट्रों पर ऊण का भुगतान करने के
विए वनरं तर दबाि बनाए रखा वजससे ऄफ्रीकी देशों को वनयावत पर ध्यान कें कित करने के विए
वििश होना पड़ा, वजसमें सामान्यत: ऄवधक िाभकारी तैयार माि के बजाय कच्चा माि
सवममवित होता था। नकदी फसिों सवहत कच्चे माि के वनयावत पर बि देने से, खाद्य फसिों के
ईत्पादन में कमी अइ वजससे गृह देश में खाद्य की कमी हो गइ।
जनसांवख्यकीय कारक: जनसंख्या में ऄवत िृवद्ध के कारण मांग पक्ष का दबाि बढ़ गया। आससे
ईपभोिा िस्तुओं और खाद्य िस्तुओं में महँगाइ अइ। फिस्िरूप िोकतांवत्रक ढंग से चुनी गइ
सरकारों में जनता का विश्वास कम हुअ। कु शि जनशवि की कमी दूसरा जनसांवख्यकीय कारक
था वजसने विकास की गवत धीमी की।
स्ितंत्रता के विए तैयार न होना: खराब वशक्षा एिं सैन्य व्यिस्था और नौकरशाही के पदों को
भरने के विए ऄवधकारी िगव की कमी के कारण तथा प्रशासन के ऄनुभि की कमी के कारण कइ
नए देश स्ितंत्रता के विए तैयार नहीं थे। ऄंग्रज
े ों के विरूद्ध ऄपने वनरं तर संघषव के माध्यम से
भारतीयों िारा प्राि क्रवमक स्िशासन के कारण भारत आसका एक ऄपिाद था।
कृ वत्रम ऄतकव संगत सीमाएं: ऄफ्रीका के बंटिारे (छीनाझपटी) के दौरान ईपवनिेशिाद की तरह,
विऔपवनिेशीकरण भी भौगोविक दृवष्ट से ऄतकव संगत था। विऔपवनिेशीकरण की प्रकक्रया में
भौगोविक वनरं तरता, सांस्कृ वतक समानता, अर्थथक और प्रशासवनक व्यिहायवता जैसे कारकों के
विए कोइ भी सुवचवतत ि सुवनयोवजत राज्य पुनगवठन की प्रकक्रया को नहीं ऄपनाया गया।
फिस्िरूप, वबिकु ि ऄिग संस्कृ वतयों िािे जनजातीय समूहों ने ऄपने अपको एक ही देश में
पाया वजसके कारण ऄफ्रीका जनजावतयों के मध्य होने िािे गृहयुद्धों का वशकार हो गया, वजनमें से
कु छ ऄभी भी जारी हैं।
कोइ ईद्योग न होना: औपवनिेवशक शवियों ने कभी भी ईपवनिेशों में स्िदेशी ईद्योग के विकास
पर ध्यान नहीं कदया। यह विशेष रूप से ऄफ्रीका के संबंध में सही है, वजसका ईपयोग के िि आसके
कच्चे माि का दोहन करने के विए ककया गया। कइ नि स्ितंत्र राष्ट्रों में कोइ स्िदेशी ईद्योग नहीं
था। औपवनिेवशक शासन के कारण विरासत में वमिी विकास संबंधी मुख्य चुनौवतयों और वनम्न
ऄथवव्यिस्था ने ऄवस्थर सरकारों के ईदय के साथ साथ तख्तापिट के िारा िोकतंत्र की विफिता
का मागव प्रशस्त ककया। सािाजार की सेना (पुतवगाि) ने मोजावमबक से पीछे हटते समय
जानबूझकर िहां की ऄिसंरचना को नष्ट ककया।
घरटया प्रशासन: ऄवधकांश मामिों में नइ सरकारें स्थानीय िड़ाकों या स्थानीय ऄवभजात िगव
समूह िारा चिाइ जा रहीं थीं जो मानि विकास में रूवच नहीं रखते थे।
भारी ऊण और शीत युद्ध: तीसरी दुवनया के देश भारी भरकम विदेशी ऊण के ऄधीन अ गए।
वजस भी देश की सरकार ने िोगों के कल्याण के विए समाजिादी नीवतयां अरं भ की िहाँ पर
िैवश्वक पूज
ं ीिादी राष्ट्रों ने सहायता रोक दी। क्योंकक ऄमेररका, विटेन अकद ऐसे राष्ट्रों को सोवियत
संघ के सामयिादी सहयोगी के रूप में देखते थे। यहां तक कक पवश्चमी पूंजीिादी देश आन देशों में
सैन्य हस्तक्षेप भी करते थे, ईदाहरण के विए, दवक्षण ऄफ्रीका िारा ऄंगोिा पर अक्रमण, जो
संयुि राज्य ऄमेररका िारा समर्थथत था।
ऄश्वेतों से भेदभाि: ऐसे ऄफ्रीकी ईपवनिेशों में बहुमत का शासन अने में देरी हुइ, जहां यूरोपीय
अबादी ऄवधक संख्या में थी। विटेन समयबद्ध तरीके से ऄश्वेतों के नेतृत्ि में बहुमत का शासन िाने
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के विए दवक्षण ऄफ्रीका और दवक्षण रोडेवशया पर दबाि बनाने में ऄसफि रहा। जब विटेन ने
दवक्षण ऄफ्रीका की श्िेत सरकार पर दबाि बनाया, तो ईसने 1963 में विटेन की सहमवत के वबना
स्ितंत्रता की घोषणा कर दी और ऄश्वेत िोगों के प्रवत भेदभाि जारी रखा। 1965 में वजमबालिे ने
भी ऐसा ही ककया।
जनजातीय मतभेद: ईपवनिेशिाकदयों के दमनकारी शासन के विरुद्ध ऄिग-ऄिग जनजावतयां
एकजुट हुईं, िेककन स्ितंत्रता के बाद, जनजातीय मतभेद कफर से ईभर अए। अम अदमी,
ऄवधकारी और राजनेता राष्ट्र की तुिना में वपतृ जनजावत के प्रवत ऄवधक वनष्ठािान थे। खराब
अर्थथक वस्थवतयों के चिते ि जनजातीय कारकों ने गृहयुद्ध, जनजातीय नरसंहार और िोकतंत्र की
विफिता का मागव प्रशस्त ककया। रिांडा, बुरुंडी, जायरे और नाआजीररया में जनजातीय प्रवतिंवियों
ने िोकतंत्र की ऄसफिता में महत्िपूणव भूवमका वनभाइ।
नि-ईपवनिेशिाद: यह एक ऐसी नीवत है वजसके िारा औद्योवगक देश ऄविकवसत देश के अर्थथक
और सामावजक वहतों की ईपेक्षा करते हुए के िि अर्थथक िाभ (मुनाफाखोरी) के ईद्देश्य से
ऄविकवसत राष्ट्र की नीवतयों पर हािी रहते हैं। पूज
ँ ी की अिश्यकता ने ऄफ्रीका को पवश्चम पर
वनभवर बना कदया। यद्यवप, पवश्चमी देशों और ऄंतरावष्ट्रीय मुिा कोष (IMF) जैसे नए संस्थानों ने
ऊण कदया िेककन ऐसे ऊण कु छ शतों के पूरा होने से बंधे थे। आन शतों में ऄक्सर प्रािकताव राष्ट्रों से
विदेशी कं पवनयों के विए ऄपनी ऄथवव्यिस्थाएं खोिने तथा सामावजक कल्याण और सुरक्षा के
वनवमत्त राज्य की नीवतयां त्यागने की मांग की जाती थी। IMF िारा बाह्य रूप से अरोवपत कठोर
वनयमों के कारण आन देशों में भारी बेरोजगारी, मुिास्फीवत और खाद्य की कमी के समय सामावजक
व्यय में कमी अइ।
िैवश्वक अर्थथक वस्थवत का प्रभाि: 1980 के दशक के दौरान अर्थथक मंदी से वनपटने के विए गरीब
ऄफ्रीकी राष्ट्र तैयार नहीं थे। 1982-86 तक फसि ईत्पादन में कमी और सूखे जैसी प्राकृ वतक
अपदाओं के कारण यह समस्या विगुवणत हो गइ। वनयावत बाजारों में मंदी से ऄफ्रीकी देशों के
विदेशी मुिा ऄजवन को चोट पहुंची क्योंकक विकवसत विश्ि में विकास का आं जन धीमा होने से
ऄफ्रीका से तेि, तांबा, कोबाल्ट, कोकोअ आत्याकद जैसी वनयावत िस्तुओं की मांग वगर गइ थी।
अर्थथक मंदी के कारण वनयावत अय में कमी अइ वजससे आन गरीब देशों को सबसे ऄवधक नुकसान
हुअ। आस दौरान ऄफ्रीकी देशों ने IMF से कठोर शतों पर वित्तीय सहायता िी वजससे आन राष्ट्रों
पर नि-ईपवनिेशिाद की जकड़ और मजबूत हो गइ।
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मामिों में विदेशी हस्तक्षेप रोकने के विए AU एक व्यिस्था के रूप में कायव करता है
और आसका िक्ष्य ऄफ़्ीकी समस्याओं के समाधान के ईद्देश्य से ऄफ्रीककयों को एकजुट
करना है।
ऄफ़्ीकी ऄथवव्यिस्थाओं ने तेजी से विकवसत होना प्रारमभ कर कदया है, विशेषकर िषव
2000 के पश्चात्।
सामावजक संकेतकों में सुधार हुअ है, परन्तु समग्र विकास ऄभी भी एक चुनौती है। घरे िू
ईद्योगों पर ध्यान के वन्ित करने के अिश्यकता है।
ऄफ्रीका ने 1990 के दशक में रं गभेद को सफिता पूिवक समाि कर विया और ऄब ऄश्वेत
बहुमत की सत्ता है। यह ऄश्वेतों और यूरोपीय प्रिावसयों के बीच सामंजस्य स्थावपत करने
में सक्षम रहा है।
ितवमान में ऄफ्रीका भारत जैसे देशों के सहयोग से UNSC में सीट प्राि करने के विए
प्रयास कर रहा है।
एकि बाजार में भौवतक (सीमाएं), तकनीकी (मानक) और वित्तीय (करों) ऄिरोधों को हटा कदया
जाता है। यह एक व्यापार समूह (िेड लिॉक) होता है वजसकी विशेषताएँ आस प्रकार हैं:
o मुि व्यापार क्षेत्र (Free Trade Area: FTA): आसमें ईत्पाद वनयमों पर सामूवहक नीवतयों
के साथ िस्तुओं के विए मुि व्यापार क्षेत्र होता है।
o अिागमन की स्ितंत्रता (Freedom of Movement): पूँजी, श्रम, िस्तुओं, ईद्यमों और
सेिाओं के विए अिागमन की स्ितंत्रता।
साझा बाजार: एकि बाजार की ओर यह पहिा चरण है। आसमें ऄन्य ऄिरोधों को हटाए वबना भी
एक मुि व्यापार क्षेत्र (FTA) बनाया जा सकता है।
कै ररवबयाइ देश भी CELAC (2011, िैरटन ऄमेररकी और कै ररवबयाइ देशों का संगठन) (2011,
Community of Latin American and Caribbean states) के माध्यम से िैरटन ऄमेररकी
देशों के साथ एक कस्टम यूवनयन बनाने की कदशा में अगे बढ़ रहे हैं।
कै रीवबयाइ देशों की ितवमान समस्याएं वनम्नविवखत हैं:
o बेरोजगारी और ईच्च विदेशी ऊण।
o िैवश्वक और क्षेत्रीय मुि व्यापार समझौते।
o कै रीवबया में छोटे छोटे िीपीय राष्ट्र हैं, वजनमें अधारभूत ढांचे और कु शि श्रमशवि का
ऄभाि है तथा ये अर्थथक रूप से वनधवन हैं। आसविए िे वनयावत बाजारों में चीन से प्रवतस्पधाव
नहीं कर सकते।
o भारत CARICOM (कै रीवबयन कमयुवनटी एंड कॉमन मार्ककट) के साथ सहयोग कर रहा है
और ICT एिं स्िास्थ्य के क्षेत्र में सहायता प्रदान कर रहा है, साथ ही आस क्षेत्र की विकास
पररयोजनाओं का वित्त पोषण भी कर रहा है।
o तेि, गैस एिं खवनज संसाधनों में समृद्ध होने के कारण CELAC देश ऄत्यवधक सामथ्यविान
हैं।
1980 के दशक में दवक्षण-पूिी एवशया के देशों का बहुत तेजी से विकास हुअ। ईन्हें टाआगर
ऄथवव्यिस्थाएं कहा जाता है। अज भी, ASEAN एक अर्थथक शवि है। भारत की पूिव की ओर
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देखो नीवत (िुक इस्ट पॉविसी) के कें ि में ASEAN है। ASEAN का ईद्देश्य यूरोपीय संघ जैसा
एक समुदाय बनाना है, वजसमें िोगों और िस्तुओं का मुि अिागमन तथा एक सामूवहक विदेश
नीवत जैसी विशेषताएं शावमि होंगी। ईि ASEAN समुदाय के तीन प्रमुख स्तमभ होंगे:
o राजनीवतक सुरक्षा समुदाय (Political Security Community),
o अर्थथक समुदाय (Economic Community), तथा
o सामावजक-सांस्कृ वतक समुदाय (Socio-Cultural Community)।
दवक्षण एवशया: एवशया व्यापक ऄसमानताओं िािा एक क्षेत्र है।
o भारत अज दूसरी तेजी से ईभरती हुइ ऄथवव्यिस्था है।
o बांग्िादेश को BRICS जैसी ईभरती हुइ ऄथवव्यस्थाओं के ऄगिे समूह का भाग कहा जा रहा
है।
o सामयिादी क्रावन्त के माध्यम से राजशाही को ईखाड़ फें कने के पश्चात् नेपाि में संविधान
वनमावण का कायव पूणव हो चूका है।
o राजशाही के नेतृत्ि में भूटान शांवतपूिवक ढंग से िोकतंत्र की ओर बढ़ गया है।
o वहन्द महासागर में वस्थत मािदीि एक िीप समूह है जहाँ राजनीवतक ऄवस्थरता एक चुनौती
बनी हुइ है।
o मयांमार दवक्षण एवशयाइ देशों का वनकटतम पड़ोसी है। यह सैन्य जुंटा के िमबे शासन से
िोकतंत्र की ओर बढ़ गया है। यह भारत और ASEAN के बीच एक महत्िपूणव कड़ी है।
o साकव (SAARC): दवक्षण एवशया के देशों ने भी दवक्षणी एवशयाइ क्षेत्रीय सहयोग संगठन
(South Asian Association for Regional Cooperation) के नाम से एक साथ अने
का प्रयास ककया है। 1985 में साकव की स्थापना की गइ वजसका मुख्यािय काठमांडू में है।
साकव देशों ने प्रशुल्क ऄिरोधों को कम करने के ईद्देश्य से एक दूसरे को सबसे पसंदीदा राष्ट्र
(Most Favored Nation: MFN) का दजाव प्रदान करने पर सहमवत व्यि की है। भविष्य में
साकव क्षेत्र को उजाव सुरक्षा प्रदान करने के विए एक साकव विद्युत् वग्रड की स्थापना करना
आसका िक्ष्य है।
भारत और पाककस्तान जैसे सदस्य देशों के बीच सीमािती वििादों के कारण साकव के समक्ष
चुनौवतयाँ हैं। भारत और पाककस्तान के बीच परस्पर संदह े ने साकव को आस क्षेत्र की एक दुजय
े
शवि के रूप में ईभरने से रोक रखा है।
o दवक्षण एवशया की अज की चुनौवतयों में परस्पर शत्रुता, ईग्रिाद, अतंकिाद, मानि और
नशीिे पदाथों की तस्करी, बेरोजगारी, ईपयुि वशक्षा का ऄभाि, वित्तीय समािेश का
ऄभाि, राजनीवतक ऄवस्थरता, क्षेत्रीय समपकव का ऄभाि, युद्धों का आवतहास, परमाणु प्रसार
अकद सवममवित हैं। आसके साथ ही आस क्षेत्र में बढ़ता हुअ चीनी प्रभाि भी क्षेत्रीय एकता को
क्षवत पहुंचाने में सक्षम है।
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पारमपररक मध्य पूिव क्या है? (What is Traditional Middle East?): यह 16 सदस्य देशों का
एक समूह है (टकी, साआप्रस, िेबनान, आजराआि, सीररया, जॉडवन, वमस्र, आराक, इरान, कु िैत,
सउदी ऄरब, बहरीन, कतर, UAE, ओमान और यमन)। कइ बार सूडान को भी मध्य-पूिव में
सवममवित ककया जाता है।
अधुवनक मध्य पूिव (Modern Middle East) में पांच ऄरब राज्य मोरक्को, ऄल्जीररया, िीवबया,
ट्यूनीवशया, मॉररटावनया भी सवममवित हैं, वजससे आनकी संख्या 21 हो जाती है।
मध्य पूिव में इरान, तुकी और आजराआि गैर-ऄरब राज्य भी सवममवित हैं। इरान में फारस की
खाड़ी के चारों ओर ऄरब ऄल्पसंख्यक रहते हैं।
ऄरब िल्डव िस्तुतः 22 सदस्य राष्ट्रों के एक ऄरब िीग है। आसमें मध्य पूिव के बाहर के भी कु छ ऄरब
देश शावमि हैं, जैस-े वजबूती, सोमाविया, सूडान और कोमोरोस। मोरक्को एकमात्र ऄफ़्ीकी देश है
जो पवश्चमी सहारा (SADR) में ऄपने वििादों के चिते AU (ऄफ्रीकन यूवनयन) का भाग नहीं है।
SADR ऄरब िीग का भाग नहीं है, क्योंकक ऄरब िीग मोरक्को का समथवन करता है।
िेिान्त ऄथावत् इस्ट मेवडटरे वनयन (Levant aka Eastern Mediterranean): यह तुकी और
वमस्र के बीच के “पूिी भूमध्यसागरीय तट” को सवममवित करने िािा एक भौगोविक और
सांस्कृ वतक क्षेत्र है।
फटावआि कक्रसेंट (Fertile Crescent): यह एक ऄधव-चन्िाकर क्षेत्र है, वजसमें पवश्चमी एवशया की
शुष्क और ऄधव-शुष्क जििायु के विपरीत ऄपेक्षाकृ त नम और ईपजाउ भूवम िािा क्षेत्र तथा नीि
नदी घाटी और पूिोत्तर ऄफ्रीका का नीि डेल्टा सवममवित है। अधुवनक आराक, कु िैत, सीररया,
िेबनान, जॉडवन, आजराआि, कफविस्तीन, साइप्रस और वमस्र के महत्िपूणव क्षेत्रों के ऄवतररि तुकी के
दवक्षणी-पूिी ककनारे और इरान के पवश्चमी ककनारे फटावआि कक्रसेंट की पररवध में अते हैं।
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मध्य-पूिव (वमवडि इस्ट): 1945 से यह क्षेत्र युद्धों और गृह-युद्धों में ईिझा हुअ है।
विटेन ने आराक को 1932 में और जॉडवन को 1946 में स्िाधीनता प्रदान कर दी थी, परन्तु यह
दोनों विटेन के समथवक बने रहे।
फ़्ांस ने आस अशा के साथ सीररया और िेबनान को 1945 में स्िाधीनता प्रदान कर दी कक िह
मध्य-पूिव में ऄपना कु छ प्रभाि बनाए रखेगा।
मध्य पूिव की सामररक वस्थवत: स्िेज नहर और फारस की खाड़ी के महत्िपूणव व्यापाररक मागव होने
के कारण आनका सामररक महत्ि है। आसके ऄवतररि मध्य पूिव पूज
ं ीिादी गुट, सामयिादी गुट और
तीसरे विश्व के देशों, विशेषकर एवशया और दवक्षणी पूिी एवशया का सवममिन वबदु भी है।
तेि: इरान, आराक, सउदी ऄरब और कु िैत के तेि संसाधन विश्व की उजाव सुरक्षा के विए
अिश्यक हैं।
53.2.1. भू वमका
मध्य पूिव का यह एकमात्र देश है वजसकी सीमाएं सोवियत संघ से वमिती थीं।
यहाँ के 1906 के संविधान में ऄधव-वनरं कुश शासन का प्रािधान था। पवश्चम में वशवक्षत और US
समथवक, मोहममद रजा पहििी 1941 से आरान का शाह था।
1907 में विटेन और रूस, ईत्तरी इरान को रूसी प्रभाि का क्षेत्र, दवक्षणी इरान को विरटश प्रभाि
का क्षेत्र और मध्य इरान को दोनों प्रवतिवन्दयों के विए खुिा क्षेत्र बनाने पर सहमत हो गए थे।
1945 में सोवियत संघ ने ईत्तरी इरान में सामयिादी सरकार स्थावपत करने का प्रयास ककया जहाँ
एक सशि सामयिादी पाटी सकक्रय थी।
1955 में इरान के शाह ने बगदाद संवध (1955) पर हस्ताक्षर ककए, जो इरान, आराक, तुकी,
पाककस्तान और UK के बीच एक सैन्य गठ्बन्धन था (ऄमेररका ने आस संवध में प्रत्येक राष्ट्र के साथ
ऄिग-ऄिग संवधयों पर हस्ताक्षर ककए परन्तु औपचाररक रूप से आसमें सवममवित नहीं हुअ,
ऄवपतु एक पयविेक्षक की भांवत सवमवत की बैठकों में भाग िेता रहा)। शाह को ईत्तरी इरान में
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सामयिाद को रोकने के विए अर्थथक और सैन्य सहायता प्राि हो गयी। बदिे में शाह ने ऄमेररकी
तेि कमपवनयों को इरान के तेि भंडारों को विकवसत करने के विए ररयायतें प्रदान कीं।
इरान के राष्ट्रिादी विदेशी हस्तक्षेप के विरुद्ध थे। धीरे -धीरे िे सशि होते गए।
1951 में इरान की संसद (मजविस) ने मोहममद मोसादेक को प्रधानमंत्री चुन विया।
1951 में मजविस (इरानी संसद) ने प्रधानमंत्री मोसादेक के शासन में विरटश वनयंत्रण िािी
कमपनी एंग्िो इरानी तेि कमपनी का राष्ट्रीयकरण कर कदया, क्योंकक ईसका मानना था कक ऄंग्रज
े
बहुत ऄवधक िाभ ऄर्थजत कर रहे थे।
1951-53, प्रधानमंत्री मोसादेक ने शाह के ऄधव-वनरं कुश शासन में कमी िाकर पूणव िोकतंत्र िाने
की मांग की।
इरान के विरुद्ध प्रवतबन्ध: राष्ट्रीयकरण के पश्चात्, ऄवधकांश विश्व ने इरान से तेि खरीदना बंद कर
कदया।
तख्तापिट (1953): 1953 में िोकतांवत्रक रूप से वनिाववचत प्रधानमंत्री मोसादेक को तख्तापिट
की एक घटना में त्यागपत्र देने के विए वििश ककया गया। आस तख्तापिट में CIA ने महत्िपूणव
भूवमका वनभाइ थी। आसके पश्चात् एक सैन्य सरकार का गठन ककया गया और शाह ने एक वनरं कुश
सम्राट की भांवत शासन करना प्रारमभ कर कदया।
1954 का इरान-विटेन समझौता: शाह ने विटेन के साथ एक समझौता ककया, वजसके ऄनुसार:
o एंग्िो-इरानी कमपनी में विरटश पेिोवियम के के िि 40% शेयर होंगे।
o इरान 50% िाभांश ऄपने पास रखेगा (वजसे बाद में शाह ने इरान के अधुवनकीकरण और
भूवम सुधारों के विए ईपयोग ककया।)
1979 की आस्िावमक क्रांवत: शाह को ऄपदस्थ कर कदया गया क्योंकक:
o ईसने वशया मौिवियों से झगड़े कर विए, जो शाह िारा पवश्चमी शैिी में ककये जा रहे इरान
के अधुवनकीकरण के विरुद्ध थे।
o िामपंथी और कट्टरपंथी मुसिमान शाह के विरोधी थे, क्योंकक शाह ऄमेररका की कठपुतिी
था और ये शाह की विशाि व्यविगत समपवत्त के कारण भी नाराज थे।
o शाह इरान से बच कर वनकि गया और इरान को “ऄयातुल्िाह” (ईच्च मौििी) खामेनी के
ऄधीन एक आस्िावमक गणराज्य घोवषत कर कदया गया।
1979 में इरान NAM का भाग बन गया क्योंकक वमस्र के नावसर की ही तरह खामेनी भी शीत युद्ध
की ऄिवध में ऄपनी विदेश नीवत को गुट वनरपेक्ष बनाए रखना चाहते थे।
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1956 में स्िेज युद्ध के पश्चात् कनवि गमाि ऄलदुि नावसर (1970 में मृत्यु हुइ) ऄरब एकता
का एक ऐसा चेहरा बन कर ईभरे जो पवश्चमी िचवस्ि के समक्ष खड़ा हो सकता था।
वमस्र-सीररया संघ: नावसर की ऄध्यक्षता में संयुि ऄरब गणराज्य (United Arab
Republic, 1958-61) का गठन हुअ। आसका ऄंत नावसर के िचवस्ि के विरुद्ध सीररया की
वशकायतों से हुअ। बाद में ऐसे संघ बनाने के प्रयास विफि ही रहे।
यहाँ का राष्ट्रिादी िगव जॉडवन और सउदी ऄरब के विरुद्ध था, क्योंकक ये देश पवश्चम समथवक
रूकढ़िादी शाही पररिारों िारा शावसत थे। सीररया और वमस्र के राष्ट्रिाकदयों के विए यह
विशेषरूप से सत्य था, क्योंकक िे समाजिादी थे।
पुनः यहाँ के राष्ट्रिादी 1979 के कै मप डेविड समझौते के विरुद्ध थे (वमस्र-आजराआि शांवत संवध),
वजसके ऄंतगवत वमस्र ने आजराआि को मान्यता प्रदान की थी। शेष ऄरब राष्ट्र राष्ट्रपवत सादात के
विरुद्ध हो गये और पररणामस्िरूप वमस्र के दवक्षणपंथी राष्ट्रिाकदयों ने 1981 में ईन्हें फांसी पर
चढ़ा कदया।
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आसके कारण आस क्षेत्र में विरटश प्रभाि समाि हो गया। सद्दाम हुसैन 1979 में राष्ट्रपवत बने
(2003 तक रहे)। ईसने 1968 की तख्तापिट कायविाही में महत्िपूणव भूवमका वनभाइ थी वजसके
पररणामस्िरूप बाथ पाटी सत्ता में अइ थी। िह ऄरब राष्ट्रिाद का प्रवतपादक था। ईसने तेि,
बैंककग और ऄन्य ईद्योगों का राष्ट्रीयकरण ककया था।
CENTO (1959-1979): बगदाद संवध के ऄन्य हस्ताक्षरकतावओं ने सेन्िि िीटी ऑगवनाआजेशन
(CENTO) का गठन ककया। ऄमेररका ने CENTO को समथवन कदया ताकक आस क्षेत्र में ईसका
प्रभाि बना रहे।
शत-ऄि-ऄरब नामक ऄंतदेशीय जिमागव पर वििाद: 1975 में इरान ने आराक को आस जिमागव के
संयुि ईपयोग और वनयंत्रण के विए वििश ककया। यह जिमागव दोनों देशों के तेि वनयावत के विए
एक महत्िपूणव मागव था। यह जिमागव इरान और आराक के बीच की सीमा का वहस्सा बन गया।
आराक-इरान युद्ध के समय से यह जिमागव आराक के वनयंत्रण में है।
सद्दाम को तत्काि जीत की अशा थी: ईसे िगा कक 1979 की आस्िामी क्रांवत के बाद इरानी बि
कमजोर हो गए होंगे। िेककन िह गित सावबत हुअ और युद्ध 8 िषव तक चिा।
यह युद्ध 8 िषों तक चिा
सद्दाम के पास रूसी टैंक, हेिीकॉप्टर अकद थे।
इरान को ईत्तरी कोररया, चीन और ऄमेररका (गुि रूप से) से हवथयार प्राि हो रहे थे।
युद्ध के वशया-सुन्नी संघषव बनने के साथ ही सीमा वििाद पाश्वव में चिा गया।
आराक-इरान युद्ध के पररणाम
ऄरब एकता दुबि व हुइ: आस युद्ध से ऄरब राष्ट्रों की एकता को बड़ा झटका िगा।
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o आराक के समथवक देश (Pro-Iraq): ऄवधक रूकढ़िादी देश जैसे सईदी ऄरब, जॉडवन और कु िैत
आराक के समथवक बन गए। आसके ऄवतररि, सउदी ऄरब की एक सामररक रुवच भी थी। यह
फारस की खाड़ी पर इरान का कमजोर वनयंत्रण देखना चाहता था।
o इरान के समथवक देश (Pro-Iran): सीररया, िीवबया, ऄल्जीररया, दवक्षण यमन और
कफिीस्तीनी मुवि संगठन (PLO) इरान के समथवक बन गए। िे आराक के विरुद्ध थे क्योंकक
आराक अक्रमणकारी था और ईनका मानना था कक ऄरब विश्व को आजराआि पर ध्यान देना
चावहए।
तेि संकट: पूरे विश्व में तेि की अपूर्थत में कमी अइ, क्योंकक इरान पर आराकी अक्रमण के कारण
तेि वनयावत ऄिरुद्ध हो गया था। तेि की कमी के कारण ऄमेररका, सोवियत संघ, विटेन तथा फ्रांस
के युद्धपोत आस क्षेत्र में अए वजससे तनाि और बढ़ गया। 1987 तक, सभी तेि टैंकरों को सी-
माआं स का खतरा झेिना पड़ा।
संयि
ु राष्ट्र िारा युद्धविराम के विए मध्यस्थता (1988): संयि
ु राष्ट्र ऐसा करने में सक्षम था
क्योंकक 1988 तक दोनों पक्ष थक चुके थेेे। िेककन शांवत शतों को स्िीकार करने से पहिे ही
आराक ने कु िैत पर अक्रमण कर कदया और यह वििाद अगे चिकर खाड़ी युद्ध (1990-91) में
तलदीि हो गया।
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o ईसके पश्चात्, संयुि राष्ट्र ने सद्दाम को वनधावररत समय सीमा में सेना की िापसी की चेतािनी
दी और कहा कक ऐसा न होने पर ’कु िैत की क्षेत्रीय ऄखंडता की रक्षा के विए संयुि राष्ट्र कोइ
भी अिश्यक कदम ईठाएगा’।
ऄमेररका, फ्रांस और विटेन आराकी अक्रमण के विरोध में क्यों थे?
क्योंकक, कु िैत पर कलजा करने के कारण क्षेत्र के ऄवधकतम तेि भंडार पर सद्दाम का वनयंत्रण हो
गया था, वजससे मध्य पूिव में शवि संतुिन को अघात पहुंच रहा था और आराक की क्षमता में बहुत
िृवद्ध हो गइ थी।
सउदी ऄरब, सीररया और वमस्र आराकी अक्रमण के विरुद्ध क्यों थे?
िे सद्दाम हुसैन िारा अक्रमण के संभावित ऄगिे चरण को िेकर वचवतत थे, वजससे ईनकी क्षेत्रीय
ऄखंडता को भी खतरा ईत्पन्न हो सकता था। ईन्होंने संयुि राष्ट्र बि के साथ-साथ ऄमेररका,
विटेन, फ्रांस और आटिी की भी सैन्य सहायता की थी।
बाहरी शवियों की अिोचना
रूस, सीररया और तुकी में भी कु दव ऄल्पसंख्यक थे, आसविए जब कु दों का सद्दाम िारा क्रूरता से
दमन ककया गया, तो अरं भ में आन देशों िारा कु छ नहीं ककया।
पवश्चमी देशों ने आराक के विरुद्ध ऄपने तेि वहतों के कारण कायविाही की थी। 1975 में जब
आं डोनेवशया ने इस्ट वतमोर पर अक्रमण ककया था, तब ईन्होंने कु छ भी नहीं ककया क्योंकक ईससे
ईनका कोइ वहत नहीं था।
56. ऄरब-आजरायि सं घ षव
56.1. 1948 में आजराआि का गठन क्यों हुअ?
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आजराआि के वनमावण के तुरंत बाद आस पर सीररया, आराक, जॉडवन, वमस्र और िेबनान िारा संयि
ु
रूप से आसपर अक्रमण ककया गया।
पररणाम
वमस्रः युद्ध से वमस्र को कोइ िाभ नहीं हुअ। बवल्क, आजराआि ने वमस्र के ऐिात बंदरगाह पर
कलजा कर विया। वमस्र ने कफविस्तीनी शरणार्थथयों की समस्या का भी सामना ककया, क्योंकक युद्ध
के बाद कफविस्तीवनयों के साथ आजराआि के क्रूर व्यिहार के कारण बड़ी संख्या में शरणार्थथयों का
प्रिासन हुअ था। 1952 में वमस्र की सेना ने राजा फारूक को ऄपदस्थ करने के विए तख्तापिट
ककया क्योंकक ईसने स्िेज नहर में विरटश सैवनकों की ईपवस्थवत का समथवन ककया था। कनवि
गमाि ऄलदुि नावसर हुसैन 1954 में वमस्र के राष्ट्रपवत बने और विरटश प्रभाि को कम करने के
प्रयास में जुट गए।
आजराआि: कफविस्तीन का वजतना वहस्सा आसे संयुि राष्ट्र िारा कदया गया था, आसने ईससे कहीं
ऄवधक वहस्से (¾ भाग) पर कलजा कर विया।
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यरूशिमः पवश्चम यरूशिम पर आजराआि और पूिी यरूशिम पर जॉडवन िारा कलजा कर विया
गया।
िेस्ट बैंक: यह जॉडवन नदी के पवश्चम में वस्थत कफविस्तीनी क्षेत्र है। आस पर जॉडवन िारा कलजा कर
विया गया था।
शरणाथी प्रिाह: सीररया, आराक, जॉडवन, वमस्र और िेबनान में।
कफविस्तीवनयों की दुदश
व ा: कइ सारे कफविस्तीनी ितवमान में शरणाथी वशविरों में रह रहे हैं। काफी
िोग आजराआि और जॉडवन के आिाके में बसे हुए हैं।
स्िेज नहर का महत्िः स्िेज नहर को 1869 में खोिा गया था। व्यापार के विए यह एक बहुत ही
महत्िपूणव समुिी मागव था। आससे भारत जाने िािे विरटश व्यापारी जहाजों िारा तय की जाने
िािी दूरी काफी कम हो गइ थी। आसने भूमध्यसागर से वहद महासागर को जोड़ कदया। स्िेज नहर
के वबना एवशया पहुंचने के विए जहाजों को ऄफ्रीका के पवश्चमी तट का पूरा चक्कर िगाकर के प
ऑफ गुड होप होते हुए यात्रा करनी पड़ती थी।
स्िेज नहर पर अंग्ि-फ्रांसीसी वनयंत्रणः औद्योगीकरण का प्रयास करते हुए वमस्र 19िीं सदी तक
कदिाविया हो गया था, वजसके कारण वमस्र के गिनवर को स्िेज नहर का प्रबंधन करने िािी कं पनी
में ऄपनी वहस्सेदारी विरटश सरकार को बेचनी पड़ी। आस प्रकार 1875 से नहर का वनयंत्रण फ्रांस
और विटेन के हाथों में था। पररणामस्िरूप, विटेन ने वमस्र को ऄपना ईपवनिेश बना विया। आससे
आसे 1922 में स्ितंत्रता प्राि हुइ, िेककन विरटश सैवनक नहर पर वनयंत्रण बनाए रखने के विए
िहां बने रहे। विटेन वमस्र के अंतररक मामिों में ऄब भी हस्तक्षेप करता रहा।
स्िेज नहर पर विदेशी वनयंत्रण का वमस्र की राष्ट्रिादी सेना ने विरोध ककया।
स्िेज युद्ध - 1956: कनवि नावसर ऄपनी आस मांग पर ऄड़े हुए थे कक ऄंग्रेजों को स्िेज नहर छोड़
देना चावहए। पररणामस्िरुप विटेन, फ्रांस और आजराआि ने 1956 में वमस्र पर अक्रमण कर कदया।
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स्िेज नहर का राष्ट्रीयकरण: अर्थथक तनाि की वस्थवत और वमस्र के विए अस्िान बांध के महत्ि
को देखते हुए संयुि राज्य ऄमेररका िारा ऄनुदान रद्द ककए जाने के बाद कनवि नावसर स्िेज नहर
के राष्ट्रीयकरण के विए तत्पर हुए। कनवि नावसर स्िेज नहर से होने िािी अय का ईपयोग बांध के
वनमावण में करना चाहते थे। स्िेज नहर के राष्ट्रीयकरण के बदिे में कनवि नावसर ने शेयर धारकों को
पयावि मुअिजे का िचन कदया। ईन्होंने आजराआि को छोड़कर सभी देशों को स्िेज नहर का
ईपयोग करने देने का भी िचन कदया।
o आस प्रकार नावसर की नीवतयों का ईद्देश्य विरटश व्यापार व्यिस्था को चोट पहुँचाना नहीं था
ऄवपतु नि-ईपवनिेशिाद से ऄपने देश को मुि करना और स्िेज नहर समेत ऄपने संसाधनों
तथा बुवनयादी सुविधाओं के प्रबंधन हेतु वमस्र के संप्रभु ऄवधकार का प्रयोग करना था।
o िेककन ऄंग्रज े ों और फ्रांसीवसयों की मुख्य वचता पड़ोसी राज्यों में ऄपने प्रभाि को बनाए
रखना और नि-ईपवनिेशिाद से वनरं तर िाभ सुवनवश्चत करना था। ईन्हें ऄरब एकता की
अशंका थी, जो आजराआि के वनमावण के बाद से ही अकार िे रहा था। पवश्चमी शवियों के
बीच एक अशंका पनप रही थी कक वमस्र ऄपने वनयंत्रण में ‘संयुि ऄरब’ के वनमावण का
आच्छु क है, जो सोवियत संघ का समथवक हो सकता है। आस तरह का संयुि ऄरब पवश्चमी देशों
के अर्थथक वहतों के विपरीत था, क्योंकक मध्य-पूिव तथा ईत्तरी ऄफ्रीका तेि के मुख्य स्रोत थे
और ऄगर ऄरबों ने तेि का िाभ ईठाने का वनणवय विया तो पवश्चमी देशों पर ऄरब देशों का
िचवस्ि बढ़ जाएगा।
विरटश प्रभुत्ि का ऄंत: वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् विटेन कमजोर हो गया था। ईसे एक त्िररत
विजय की अशा थी परन्तु वमस्र की सेना ने िीरता और दृढ़ता से युद्ध ककया और ऄंगज े ों की शवि
को क्षीण कर कदया। स्िेज युद्ध वमस्र में विरटश प्रभाि के ऄंत को वचवन्हत करता है और आसके बाद
से विदेश नीवत के क्षेत्र में विटेन पूणत
व ः ऄमेररका पर वनभवर हो गया।
आजराआि को िाभ: आसने वमस्र के वसनाइ प्रायिीप पर वनयंत्रण कर विया और शांवत िातावओं में
आसे ऄपने िाभ के विए ईपयोग ककया। आजराआि पर होने िािे कफदाइन हमिे ऄस्थाइ रूप से
समाि हो गए।
युद्धविराम: ऄमेररका और सोवियत संघ ने संयुि राष्ट्र संघ के साथ वमि कर युद्धविराम के विए
मध्यस्थता की। आजराआि ने वसनाइ प्रायिीप वमस्र को िौटा कदया।
तेि अपूर्थत प्रभावित: विरटश और फ्रांस ऄपने युद्ध ईद्देश्यों में विफि रहे। वमस्र ने 1957 तक स्िेज
नहर को बंद कर कदया और ऄरब राज्यों ने यूरोपीय देशों को तेि की अपूर्थत कम कर दी।
रूसी प्रभुत्ि: आस क्षेत्र मे रूसी प्रभाि में िृवद्ध हुइ और ऄमेररकी सहायता के स्थान पर रूसी
सहायता वमिने िगी। आसके ऄवतररि विटेन ने एक सहयोगी के रूप में आराक को खो कदया।
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आराकी क्रांवत (1958): विटेन और फ्रांस की पराजय से ईत्सावहत होकर, आराक के राष्ट्रिाकदयों ने
विरटश समथवक प्रधानमंत्री सइद की हत्या कर दी।
ऄल्जीररयाइ स्िाधीनता संघषव: स्िेज युद्ध में फ्रांस की पराजय ने स्िाधीनता के विए संघषव कर रहे
राष्ट्रिाकदयों के मनोबि में िृवद्ध की और ईन्होंने 1962 मे स्ितंत्रता प्राि कर िी। नावसर ने आस
संघषव में ऄल्जीररयाइयों की सहायता की थी।
नावसर के नेतत्ृ ि में ऄरब एकता: आस प्रकार, िषव 1956 में कनवि गमाि ऄलदुि नावसर के रूप में
ऄरब एकता के एक नए चेहरे का ईदय हुअ। ऄरब संसार के एक ऐसे उंचे कद के नेता के रूप में
िह ईभर कर अया, जो पवश्चमी प्रभुत्ि के समक्ष खड़ा हो सकता था। भारत ने नि-ईपवनिेशिाद
के विरुद्ध संघषव में वमस्र का समथवन ककया और पंवडत जिाहरिाि नेहरु के कनवि नावसर के साथ
बहुत मधुर संबंध थे। आन दोनों ने घाना के एनक्रुमाह, यूगोस्िाविया के टीटो और आं डोनेवशया के
सुकाणो के साथ वमिकर 1961 मे गुट वनरपेक्ष अंदोिन (NAM) की स्थापना की।
56.4.1. पररणाम
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आजरायि: यह युद्ध कफविस्तीनी समस्या का सैन्य समाधान प्राि करने में विफि रहा। आजराआि ने
वनम्नविवखत क्षेत्रों पर ऄवधकार कर विया:
o वमस्र का वसनाइ प्रायिीप। सीररया के गोिन हाइट्स।
o कफविस्तीन में ईसने जॉडवन से संपूणव यरूशिम और िेस्ट बैंक प्राि कर विया। िह गाजा पट्टी
प्राि करने में भी सफि रहा जो पहिे कफविस्तीन के पास थी।
o आजराआि ने आन ऄवधकृ त क्षेत्रों को िापस करने का संयुि राष्ट्र संघ का प्रस्ताि ठु करा कदया।
ईसने कहा कक िह यह सुवनवश्चत करना चाहता है कक वसनाइ और गोिन हाइट्स एक
प्रवतरोधक का कायव करें गे।
रूस िारा आस क्षेत्र का सैन्यीकरण: रूस ने वमस्र और सीररया को अधुवनक शस्त्र देना प्रारमभ कर
कदया (ितवमान में सीररया ऄपने वििोवहयों के विरुद्ध आसीविए शविशािी है)।
स्िेज की नाके बंदी: वमस्र ने स्िेज नहर की नाके बंदी प्रारमभ कर दी (जो 1975 तक चिी)।
56.5.2. पररणाम
तेि संकट (1973): योम ककप्पर युद्ध के दौरान पेिोवियम वनयावतक देशों के संगठन (OPEC) ने
तेि की अपूर्थत कम कर दी। आसके पररणामस्िरूप तेि अयातक देशों में मुिास्फीवत बढ़ गइ और
तेि की कमी हो गइ। OPEC िस्तुतः आजराआि का समथवन करने िािे ऄमेररका और यूरोपीय
देशों पर आजराआि को समपवण करने के विए कहने हेतु दबाि बनाना चाह रहा था। हािांकक कु छ
िोगों का तकव है कक OPEC िास्ति में ऄपने दुिभ
व संसाधनों के सरं क्षण के विए वचवतत था।
ऄमेररका और सोवियत संघ ने संयुि राष्ट्र के माध्यम से हस्तक्षेप ककया और युद्ध विराम हो गया।
स्िेज नहर: आजराआि ने स्िेज नहर से ऄपनी सेनाएं िापस बुिा िीं और वमस्र 1975 में स्िेज नहर
को खोिने के विए सहमत हो गया (जो 1967 से बंद थी)। परन्तु आजराआिी पोतों को ऄभी भी
आसके ईपयोग की ऄनुमवत नहीं थी।
आजराआि ने 1967 के युद्ध मे ऄवधग्रहीत ककए गए सभी क्षेत्रों को ऄपने पास ही रखा (वसनाइ,
िेस्ट बैंक, गाजा और संपूणव यरुशिम)।
सादात के विए सफिता: वमस्र प्रवतिषव ऄक्टू बर 6 को जश्न मनाता है, क्योंकक आस कदन ऄक्टूबर
युद्ध के पश्चात् 1979 मे कै मप डेविड समझौतों के िारा वसनाइ प्रायिीप से आजराआिी सेनाओं की
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िापसी हुइ थी। 1979 के पश्चात् वसनाइ का विसैन्यीकरण ककया जाना था और आसकी वनगरानी
ऄमेररकी ईपग्रहों िारा की जानी थी।
1979 में ऄमेररकी राष्ट्रपवत काटवर की मध्यस्थता से वमस्र और आजरायि ने एक ऐवतहावसक शांवत
समझौता ककया, वजसे कै मप डेविड समझौता कहा जाता है।
कै मप डेविड समझौते के महत्िपूणव वबदु
वसनाइ से आजराआिी सेना िापस बुिा िी गइ और आसका विसैन्यीकरण ककया जाना था तथा
आसकी वनगरानी ऄमेररकी ईपग्रहों िारा की जानी थी। वमस्र को कु छ सीवमत सैन्य बिों को यहाँ
रखने की ऄनुमवत थी। ितवमान में वसनाइ मे संयुि राष्ट्र का एक सैन्य बि मौजूद है।
वमस्र ने वसनाइ प्रायिीप में नये खोजे गए तेि क्षेत्रों से आजराआि को तेि की अपूर्थत का िादा
ककया।
आजराआि और वमस्र के बीच युद्ध की वस्थवत समाि हो गइ (जो 1948 से चि रही थी)। वमस्र ने
आजराआि पर कफर से हमिा न करने का िचन कदया।
वमस्र ने आजराआिी पोतों को स्िेज नहर के ईपयोग की ऄनुमवत दे दी। परन्तु आजराआि और वमस्र
की यह सौजन्यता सैद्धांवतक रूप से ऄरबों को स्िीकायव नहीं थी और एक सािवजवनक समारोह में
राष्ट्रपवत सादात की हत्या कर दी गइ।
ितवमान वस्थवत
ऄिैध बवस्तयां: आजराआि ने िैध रूप से कफविस्तीनी भूवम (िेस्ट बैंक, पूिी यरुशिम ि गाजा) में
आजराआिी बवस्तयों के वनमावण को बढ़ािा कदया है। िेस्ट बैंक और गाजा में ऄिवस्थत शरणाथी
वशविरों में कफविस्तीन ने विरोध करना जारी रखा है।
1980 के दशक में आजराआि ने यह घोषणा की कक िह कभी भी सीररया को गोिन हाइट्स िापस
नहीं करे गा और िेस्ट बैंक को कफविस्तीन का भाग नहीं बनने देगा।
1967 से पूिव की िह कौन सी वस्थवत है वजसे कफविस्तीनी पाना चाहते हैं और आजराआि िारा आस
मांग का िगातार विरोध ककया जाता है?
o कफविस्तीन = िेस्ट बैंक, गाजा पट्टी, पूिी यरूशिम (Palestine = West Bank, Gaza
Strip, East Jerusalem)।
o आजराआि = पवश्चमी यरूशिम एिं गोिन हाइट्स के ऄवतररि शेष आजराआि (गोिन हाइट्स
पहिे सीररया के पास था)।
आजराआि और PLO के बीच ओस्िो समझौता (1993): आस समझौते में वनम्नविवखत वबदु शावमि
थे:
o PLO िारा आजराआि को मान्यता दी गयी। पुनः PLO ने आजराआि के ऄवस्तत्ि के ऄवधकार
(right to exist) को भी मान्यता दे दी।
o PLO ने अतंकिाद को त्यागने का िचन कदया।
o कफविस्तीनी प्रावधकरण (Palestinian Authority) की स्थापना की गइ।
o आजराआि ने कफविस्तीन को (कफविस्तीनी प्रावधकरण के ऄधीन) िेस्ट बैंक और गाजा पट्टी के
कु छ भागों (संपूणव गाजा पर नहीं) पर सीवमत स्िशासन का ऄवधकार कदया। हािांकक PLO
के कु छ चरम पंवथयों ने यहदी बवस्तयों का विरोध ककया क्योंकक िे पूणव स्िाधीनता चाहते थे।
1995 का वितीय ओस्िो समझौता:
o 1999 तक एक स्थायी समाधान प्राि ककया जाना था।
o आजराआि को िेस्ट बैंक और गाजा से िापस होना था। 1996 में हमास के अतंकिादी कृ त्यों
के कारण यह नहीं ककया जा सका।
o सभी ियस्क ऄरबों िारा सीधे चुनी जाने िािी एक कफविस्तीनी विधान पररषद
(Palestinian Legislative Council) (1993 के दौरान आसपर सहमवत हुइ थी) िारा
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खािी ककए गए क्षेत्रों (गाजा और िेस्ट बैंक के कु छ भाग) में शासन ककया जाना था। चुनाि
हुए और यासर ऄराफात कफविस्तीन के राष्ट्रपवत बने।
o पररणाम:
आजराआिी चरम पंवथयों ने आसका विरोध ककया और आजराआिी प्रधानमंत्री की 1995
में हत्या कर दी गयी।
हमास (एक सुन्नी संगठन) ने अतंकिादी ऄवभयान प्रारमभ कर कदया।
वहजबुल्िाह (दवक्षणी िेबनान का एक वशया संगठन) ने ईत्तरी आजराआि पर गोिीबारी
की।
एक दवक्षण पंथी नेता नेतान्यह 1996 में सत्ता में अए।
2005 में गाजा पट्टी के ऄपने ऄवधग्रवहत क्षेत्र से आजरायि ने एकपक्षीय िापसी कर िी और
कफविस्तीनी प्रावधकरण को वनयंत्रण सौंप कदया गया।
o आसका ईद्देश्य गाजा पट्टी के कफविस्तीवनयों को यहकदयों से ऄिग करना था।
o आसका पररणाम यह हुअ कक हमास ने आस क्षेत्र पर ऄपना वनयंत्रण स्थावपत कर कफविस्तीनी
प्रावधकरण का स्थान िे विया। बाद में आसने गाजा का ईपयोग आजराआि पर रॉके ट अक्रमणों
के विए ककया।
2007 में आजराआि िारा गाजा की नाके बंदी कर दी गइ ताकक गाजा के ऄंदर और बाहर िस्तुओं
की अपूर्थत ना हो सके । तुकी ने गाजा की ओर सामान िे जा रहे एक बेड़े पर आजराआि िारा की
गइ गोिीबारी की वनदा की। नाके बंदी के पररणामस्िरूप वमस्र के साथ ऄिैध व्यापार बढ़ा। आन
िस्तुओं को भारी कीमतों पर बेचा जा रहा था वजससे गरीब कफविस्तीनी प्रभावित हो रहे थे।
2012 में कफविस्तीन को एक “गैर-सदस्य पयविक्ष
े क आकाइ” (Non-member Observer
Entity) से “गैर-सदस्य पयविक्ष
े क राज्य” (Non-member Observer State) का दजाव: भारत ने
कफविस्तीन के दजे को गैर-सदस्य पयविेक्षक आकाइ से बढाकर गैर-सदस्य पयविेक्षक राज्य के रूप में
करने के प्रस्ताि का संयुि राष्ट्र महासभा में समथवन ककया था। नए दजे के साथ ऄब कफविस्तीन
की पहुंच संयुि राष्ट्र के विवभन्न एजेंवसयों तक और समभितः ICC (ऄंतरावष्ट्रीय न्यायािय) तक भी
होगी। यह ऄब UNGA की बैठकों में भाग िेने में सक्षम होगा। आस प्रकार यह कफविस्तीन के
प्रासंवगक क्षेत्र की एक समप्रभु राज्य के रूप में ऄंतरावष्ट्रीय मान्यता है। संक्षप
े में यह कफविस्तीन राष्ट्र
की ओर एक महत्िपूणव कदम है, वजसे 132 देशों ने पहिे ही मान्यता प्रदान कर दी है।
ितवमान वस्थवत:
o गाजा - हमास के ऄधीन; िेस्ट बैंक - अंवशक रूप से यह कफविस्तीनी प्रावधकरण के ऄधीन है
और आसके शेष भाग आजराआि के वनयंत्रणाधीन हैं; और पूिी यरूशिम - आसपर कफविस्तीन
का दािा है, परन्तु यह आजराआि के वनयंत्रण में है।
o कफविस्तीनी एक होमिैंड की मांग करते हैं, वजसकी राजधानी पूिी यरूशिम हो।
o आजराआि िेस्ट बैंक और पूिी यरूशिम में ऄपनी बवस्तयों का वनमावण करता जा रहा है।
o इरान गाजा के हमास का समथवन करता है।
o सीररया को गोिन हाइट्स िापस चावहए।
o भारत ने संयुि राष्ट्र सुरक्षा पररषद में कफविस्तीन के विए संयि
ु राष्ट्र की पूणव और समान
सदस्यता के विए समथवन कदया है। भारत सदा ही संयुि राष्ट्र में कफविस्तीन से समबंवधत
मुद्दों के पक्ष में रहा है।
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विषय सूची
दविण अफ्रीका में रं गभेद __________________________________________________________________________ 3
1. भूवमका ____________________________________________________________________________________ 3
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1. भू वमका
15िीं शताब्दी के अंत में खोजी यात्राओं से एवशया, अमेटरका और तटीय अफ्रीका की नई भूवमयों
की खोज हुई और यह शीघ्र ही औपवनिेवशक िचास्ि के अधीन हो गई। प्रारम्भ में अफ्रीका में
उपवनिेशिाद के िल तटीय अफ्रीका तक ही सीवमत था। अफ्रीका के आन्तटरक भूगोल, िहां के
वनिासी, उनकी भाषा और संस्कृ वत का ज्ञान न होने के कारण अफ्रीका के भीतरी भाग को डाका
कं टीनेंट (अंध महािीप) कहा जाता था।
अफ्रीका महािीप के सुदरू दविणी छोर पर के प ऑफ़ गुड होप की खोज के पटरणामस्िरूप दविण
अफ्रीका डच (हॉलैंड) के प्रभाि में आ गया। डच व्यापाटरक कम्पनी ने 1652 में के प कॉलोनी की
खोज की थी। दविणी अफ्रीका में जो डच बस गए उन्हें बोअसा के नाम से जाना जाता था।
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जब विटेन ने 1877 में ट्ांसिाल को अपना उपवनिेश घोवषत ककया तो डच सेटलसा ने इस बात का
हहसक विरोध ककया। आश्चयाजनक रूप से विटटश इस प्रकार के विद्रोह के वलए तैयार नहीं थे।
विद्रोह के बाद 1884 की शांवत संवध के अंतगात उन्हें ट्ांसिाल को एक फ्री स्टेट के रूप में घोवषत
करने के वलए वििश होना पडा।
प्रथम बोअर युद्ध के पश्चात् यहां दो बोअर गणरायय - ट्ांसिाल और ऑरें ज फ्री स्टेट - अवस्तत्ि में
थे, जबकक के प कॉलोनी और नटाल विटेन के आधीन था।
विटेन ट्ांसिाल और ऑरें ज फ्री स्टेट को अपने वनयंत्रण में लाने के वलए कटटबद्ध था। 1899 तक
डचों को डर सता रहा था कक विटटश उन पर आक्रमण करें गे। इसवलए ट्ांसिाल और ऑरें ज फ्री
स्टेट ने के प कॉलोनी और नटाल के विरुद्ध अचानक आक्रमण कर कदया। युद्ध तीन िषों चला और
इसमें गुटरल्ला युद्ध पद्धवत का भी प्रयोग ककया गया। परन्तु विटटश सेना के शस्त्रों और शवि के
समि बोअर कहीं नहीं ठहरे और 1902 तक विटेन ने विजय प्राि कर ली।
बोअसा ने अपने ऊपर विटेन की सम्प्रभुता स्िीकार कर ली और बदले में विटेन ने विस्थावपत
बोअसा के पुनिाास के वलए अनुदान कदया तथा कु छ समय के उपरांत सीवमत स्िायत्तता देने का
िचन कदया।
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o डच सेटलसा ने मूल अश्वेतों के साथ दासों जैसा व्यिहार ककया और उन्हें अपने खेतों में श्रवमकों के
रूप में वनयोवजत ककया। उन्होंने अश्वेतों को उनकी भूवमयों से िंवचत कर कदया और यह सुवनवश्चत
ककया कक अश्वेतों की वशिा पर अवत अल्प धन व्यय ककया जाये और विशेषकर उच्च वशिा पर
श्वेतों का एकावधकार बना रहे। भारत जैसे एवशयाई उपवनिेशों से लाए गये बंधुआ श्रवमकों की
वस्थवत भी कु छ बेहतर नहीं थी।
o राजनीवतक रूप से अश्वेतों को मतदान का अवधकार नहीं था और शासन में उनकी ककसी भी प्रकार
से भागीदारी पर भी मनाही थी। ट्ांसिाल और ऑरें ज फ्री स्टेट में के िल श्वेत लोग ही मतदान कर
सकते थे। नटाल और के प कॉलोनी में गैर-श्वेत लोग भी मतदान कर सकते थे, परन्तु िास्ति में
इसका अथा कु छ भी नहीं था क्योंकक एक मतदाता को सम्पवत्त और सािरता की योग्यता को भी
पूरा करना होता था। विधान मंडल में अश्वेतों का कोई सीधा प्रवतवनवधत्ि नहीं था और उनका
अप्रत्यि प्रवतवनवधत्ि कु छ श्वेत संसद सदस्यों िारा ककया जाता था। शासकीय नीवतयों में उनके
वहतों की अनदेखी होती थी और उनके वलए कल्याणकारी उपायों का अभाि था।
o सांस्कृ वतक रूप से स्िामी और दास के वसद्धान्तों का प्रचार ककया जाता था। अश्वेत जनजातीय
संस्कृ वत को वनम्न माना जाता था और उन्हें वनम्न प्रजावत के रूप में नावमत ककया जाता था। इसका
अथा यह था कक इनके भाग्य में ही श्वेतों का दास बनना वलखा हुआ था क्योंकक श्वेत स्िामी जावत से
थे। डच टरफॉमाड चचा (दविण अफ्रीका का अवधकाटरक चचा) ने विश्व के अन्य चचों के विपरीत इस
विचार का समथान ककया कक श्वेत स्िामी जावत से संबंवधत हैं और इसे वसद्ध करने के वलए उन्होंने
बाइबल की भी गलत व्यायया की। जबकक विश्व के अन्य चचा जातीय समानता में विश्वास करते थे।
o अश्वेतों के वलए आरवित वनिास स्थल श्वेतों के आिासीय िेत्रों से दूर अिवस्थत होते थे। इस नीवत
का अनुसरण इसवलए ककया गया था ताकक अश्वेतों को श्वेतों से दूर रखा जा सके । अश्वेतों िारा
अपने आरवित िेत्रों से बाहर भूवम खरीदने पर भी प्रवतबंध था। इसके कारण अश्वेत बवस्तयों में
कई सारी समस्याएं व्युत्पन्न हो गयीं, क्योंकक 70% जनसंयया दविण अफ्रीका के 7% िेत्र में रह
रही थी। स्िच्छ पेयजल की कमी, स्िच्छता के वलए उवचत मलजल की व्यिस्था के अभाि और
भीड की समस्या के कारण अश्वेतों के सामावजक संकेतकों की वस्थवत दयनीय हो गयी, जैस-े
स्िास््य, स्िच्छता और वशिा का खराब प्रदशान।
o श्वेत लोगों की सरकार ने अश्वेतों के आिागमन को वनयंवत्रत करने के वलए पास कानून व्यिस्था
(System of Pass Laws) का उपयोग ककया। उदाहरण के वलए एक अफ़्रीकी अश्वेत अपने
वनयोिा िारा कदए गए पास के वबना उस खेत को छोड कर कहीं नहीं जा सकता था, जहााँ िह
कायारत था और न ही िह ककसी अन्य शहर में रह सकता था, जहााँ िह काया नहीं करता था।
o अश्वेत श्रवमकों के पास अवत सीवमत अवधकार थे या यह कहा जा सकता है कक उनके अवधकार न के
बराबर थे। उनकी वस्थवत एक दास जैसी थी। 1911 के एक कानून के अंतगात अश्वेत श्रवमकों को
हडताल करने की मनाही थी और कु शल नौकटरयों पर उनकी वनयुवि प्रवतबंवधत थी। कु शल
नौकटरयों पर प्रवतबन्ध होने से अश्वेतों के वलए वशवित होने का कोई अथा नहीं रह गया था,
वजसके कारण िे के िल कम िेतन िाली नौकटरयों के वलए ही उपयुि थे। इस कमी ने उन्हें
अवतटरि आय अर्थजत करने से रोका और उनकी सामावजक गवतशीलता को प्रभावित ककया। इस
प्रकार अश्वेतों को वनधानता रे खा से नीचे बनाये रखने के वलए ऊपर से ही बहुत दबाि था।
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7.1. गााँ धी जी का सं घ षा
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(Transvaal Immigration Restriction Act, 1907) के तहत अन्य प्रान्तों से ट्ांसिाल में
प्रिेश करने िालों पर प्रवतबन्ध आरोवपत ककया गया था। अवधकांश भारतीय नटाल में रहते थे
परन्तु काम के बेहतर अिसरों के वलए अवधक समृद्ध प्रान्त ट्ांसिाल तक पहुंचना चाहते थे।
भारतीयों ने ट्ांसिाल में स्थानांतटरत होकर प्रिासी कानून का उल्लंघन ककया और
वगरफ्ताटरयां दी। ट्ांसिाल में भारतीयों ने वबना लाइसेंस के पटरी पर सामान बेचा। कई
भारतीयों को बंदी बनाया गया और कइयों को ट्ांसिाल से वनिाावसत ककया गया। स्ियं गााँधी
जी को 1908 में बंदी बनाया गया। शीघ्र ही जेल िमता से अवधक भर गयी थी।
o टाल्सटॉय फामा (1910): एक वनमाम सरकार के विरुद्ध संघषा करते हुए प्रदशानकारी शीघ्र ही
थकने लगे थे। आन्दोलन को जारी रखने के वलए और जनता का मनोबल बनाए रखने के वलए
गााँधी जी ने एक जमान िास्तुकार हमान कालेनबाख की आर्थथक सहायता से टाल्सटॉय फॉमा
की स्थापना की। इस हेतु मुवस्लम लीग, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और हैदराबाद के वनजाम तक
ने धन भेजा था। शीघ्र हीं टाल्सटॉय फॉमा सत्याग्रवहयों का अड्डा बन गया और उन्हें कौशल
विकास एिं स्ियं सहायता (self-help) िारा आत्मवनभारता प्रदान की गई। उन्हें वशवित
ककया गया और नैवतक वशिा भी प्रदान की गई। इस बीच टाल्सटॉय फॉमा के भारतीयों ने
वबना परवमट के ट्ांसिाल आना-जाना जारी रखा।
गोखले का आगमन (1912): जो आन्दोलन एक वनवरक्रय चरण में था, उसे 1912 में गोपाल कृ रण
गोखले के आगमन से ब ािा वमला। सरकार ने गोखले को िादा ककया कक भारतीयों के विरुद्ध
भेदभाि पूणा कानून शीघ्र ही हटा कदए जायेंगे, परन्तु िचन का पालन नहीं ककया गया और इस
घटना ने 1913 में सत्याग्रह पुनुः आरं भ करने के वलए ऊजाा प्रदान की। गोखले ने गााँधी जी को
परामशा कदया कक िे काले कानून के साथ पोल टैक्स का भी विरोध करें ।
पोल टैक्स अवभयान (1913): गांधीजी ने पोल टैक्सर (1895 के अप्रिासी कानून संशोधन
विधेयक के अंतगात 3 पाऊंड का िार्थषक कर) के विरुद्ध शांवतपूणा अवभयान प्रारम्भ ककया। इस
अवभयान ने एक विशाल स्िरूप ले वलया क्योंकक बहुत से कायाकताा इसमें सवम्मवलत हो गए।
सिोच्च न्यायालय का 1913 का वनणाय: इसने ईसाई धमा के अनुसार संपन्न नहीं ककए गए वििाहों
और रवजस्ट्ार के साथ अपंजीकृ त सभी वििाहों को रद्द कर कदया। इस वनणाय को भारतीयों ने
धार्थमक स्ितन्त्रता पर हमला माना वजसने सभी मुवस्लम, वहन्दू और पारसी वििाहों को अिैध
करार कदया था। संघषा के इस हबदु पर बहुत बडी संयया में मवहलाएं भी इस अवभयान में
सवम्मवलत हो गयीं।
अंवतम दौर (Final Countdown): भारतीयों ने अिैध रूप से आप्रिासी कानून के विरुद्ध
ट्ांसिाल पार करना प्रारम्भ कर कदया। कस्तूरबा गााँधी ने भी इसमें भाग वलया और उन्हें बंदी बना
वलया गया। शीघ्र ही दविण अफ्रीका में सभी श्रवमकों (खवनक, रे लिे श्रवमक आकद) से गााँधी जी ने
सम्पका ककया और उन्हें संगटठत ककया।
2000 श्रवमकों के एक समूह के साथ गांधीजी ने आप्रिासी कानून का उल्लंघन करते हुए एक माचा
का आयोजन ककया। उन सब को माचा के दौरान कई बार बंदी बनाया गया परन्तु हर बार जेल से
टरहा होते ही िे कफर से आंदोलनरत हो जाते। पुवलस का दमन क्रूर था और जेलों की वस्थवत भी
बहुत कठोर थी (भूखे रखना, कोडे मारना, पत्थर तोडना आकद)। शीघ्र ही सभी भारतीय खवनक
और बागान श्रवमक हडताल पर चले गए।
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जी. के . गोखले ने भारतीयों का समथान जुटाने के वलए सम्पूणा भारत की यात्रा की। अंततुः
भारतीय िायसराय लाडा हार्डडग (1910-1916) ने दविण अफ़्रीकी सरकार के कायों की हनदा की।
इसके पश्चात् गांधीजी और दविण अफ्रीका की सरकार में िाताा हुई।
विजय: सरकार ने पोल टैक्स और पंजीकरण प्रमाण पत्रों से जुडी गांधी जी की सभी प्रमुख मांगों
को स्िीकार कर वलया। भारतीय वििाहों को िैध करार कदया गया और सरकार ने सहानुभूवतपूिक
ा
भारतीय प्रिावसयों के प्रश्नों पर विचार करने के वलए सहमवत प्रदान की। इसके साथ ही दविण
अफ्रीका में गांधी जी के नेतृत्ि में ककये गये संघषा का सफलतापूिक
ा अंत हुआ और 1915 में उनका
भारत में आगमन हुआ।
दविण अफ्रीका में 1946-48 का भारतीय वनवरक्रय प्रवतरोध अवभयान (Indian passive
resistance campaign) स्मट्स सरकार के एवशयाई भूवम पट्टा कानून (Asiatic Land
Tenure Act; वजस Ghetto एक्ट भी कहा जाता है) के प्रवतकक्रया स्िरूप हुआ था, वजसने भूवम
के स्िावमत्ि और भूवम को अपने कब्जे में लेने के भारतीयों के अवधकार को गम्भीर रूप से
प्रवतबंवधत कर कदया था।
कु छ अफ़्रीकी, वमवश्रत रं ग िाले और श्वेतों ने भी इस अवभयान में भाग वलया और भारतीयों के
साथ ही बंदी बना वलए गए। इस अवभयान ने अफ़्रीकी और भारतीय संगठनों के बीच सहयोग की
आधारभूत नींि का काया ककया, विशेषकर नटाल ि ट्ांसिाल भारतीय कांग्रेस और अफ़्रीकी
नेशनल कांग्रेस के बीच।
1947 में भारत और पाककस्तान को अश्वेत बहुमत के शासन के अंतगात स्ितंत्रता प्राि हुई थी। इस
घटना ने दविण अफ्रीका के श्वेत लोगों को बहुत असहज कर कदया था, क्योंकक उन्हें विटटश
राष्ट्रमंडल के अन्य सदस्य राष्ट्रों में जावतगत समानता के प्रसाटरत होने का डर था। स्िाधीनता के
पश्चात् भारत में बसने िाले यूरोवपयों की वस्थवत यहााँ के मूलवनिावसयों से बेहतर नहीं रह गई।
स्ितंत्रता के पश्चात् यहााँ विवध का शासन था जो प्रत्येक व्यवि के साथ समान व्यिहार करता था।
दविण अफ्रीका में अश्वेतों, एवशयाई और अन्य िणा के लोगों िारा राजनीवतक तथा सामावजक
समानता की मांग ककए जाने का भय था।
यद्यवप अवधकांश श्वेत जावतगत समानता के विरोधी थे वजनमें विशेषकर डच शावमल थे। जातीय
िचास्ि की सबसे कट्टरपंथी समथाक अकफ्रकनर (Afrikaner) नेशनवलस्ट पाटी थी, जो “अश्वेत
तकनीकी रूप से 1948 के पश्चात् प्रधानमंत्री मलान की नई सरकार िारा संसद में पाटरत कई
कानूनों के माध्यम से रं गभेद प्रारम्भ ककया गया।
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अलगाि: 1948 के पश्चात् पूणा पृथक्करण की नीवत का यथासम्भि प्रयास ककया गया। ग्रामीण िेत्रों
में और अवधक पृथक आरवित िेत्र बनाए गए तथा नगरों में अश्वेत श्रवमकों के वलए पृथक
टाऊनवशप बनाए गए। पटरिहन के साधन के रूप में अश्वेतों के वलए पृथक बसें और ट्ेनें थीं।
मनोरं जन के वलए पृथक कै फे , समुद्र तट (बीच) और वसनेमाघर थे। चूंकक अश्वेतों को वनम्न माना
जाता था, अतुः उनके वलए पृथक शौचालय थे। सामावजक सेिाओं में भी पृथक्करण था, उदाहरण के
वलए- अश्वेतों के बच्चे पृथक विद्यालयों में घटटया वशिा ग्रहण करते थे और उनके वलए अस्पताल
भी पृथक होते थे, जहााँ आधारभूत सुविधाओं का भी अभाि पाया जाता था। पृथक्करण का धार्थमक
िेत्र में भी अनुसरण ककया गया क्योंकक अश्वेत के िल अपने वलए आरवित चचों में ही प्राथाना कर
सकते थे। परन्तु पूणा पृथक्करण को के िल आंवशक सफलता ही वमली क्योंकक इसे लागू करना
असम्भि था। अश्वेत दविण अफ्रीका की श्रमशवि का वनमााण करते थे और श्वेतों को उनकी
आिश्यकता थी। सम्पूणा पृथक्करण का पटरणाम आर्थथक पतन हो सकता था।
नस्लीय पहचान पत्र और पास कानून/वनयम: एवशयाई, अश्वेत और वमवश्रत नस्ल से सम्बन्ध रखने
िाले प्रत्येक व्यवि को पहचान पत्र कदए गये थे, वजसे उन्हें सदैि अपने साथ रखना होता था। पास
कानून िस्तुतुः अश्वेत आंदोलनों को प्रवतबंवधत करने का एक साधन था। कठोर पास कानून पाटरत
ककए गये वजसका आशय था कक अश्वेतों को अपने आरवित िेत्रों में ही तब तक रहना होता था जब
तक कक उन्हें काया के वलए श्वेत िेत्र में जाने की आिश्यकता न पडे। श्वेत िेत्र में जाने के वलए उन्हें
पास कदए जाते थे, अन्यथा वबना पुवलस की विशेष अनुमवत के श्वेत िेत्रों में या यहां से होकर ककए
जाने िाले सभी प्रकार के आिागमन प्रवतबंवधत थे।
नस्लीय शुद्धता: नस्लीय शुद्धता के सरं िण के वलए कानून के माध्यम से अंतरनस्लीय वििाहों पर
प्रवतबन्ध लगाया गया तथा श्वेतों और अश्वेतों के बीच िैिावहक सम्बन्धों पर भी प्रवतबन्ध लगा
कदया गया।
बंतस्ु तान नीवत (Bantustan Policy): 1959 में संसद ने बंतू स्ि-शासन अवधवनयम, 1959 पाटरत
ककया। बंतू अश्वेत लोगों के वलए एक पयााय था। इस अवधवनयम का कवथत लक्ष्य अपने आरवित िे त्रों में
अश्वेत लोगों को स्ि-शासन प्रदान करना था और बंतुस्तान बनाकर इसे कायाावन्ित ककया जाना था।
लेककन बंतुस्तान नीवत से दुवनया भर में दविण अफ्रीका की हनदा हुई। ऐसा इसवलए था क्योंकक यह
दुभाािनापूणा आशय से ककया गया एक स्िांग था। दविण अफ्रीका ने नि-उपवनिेशिाद प्रकार की नीवत
का पालन ककया वजसमें आर्थथक एिं अन्य नीवतयों पर वनयंत्रण बनाए रखना वनवहत था। इस नीवत का
उद्देश्य संसाधनों पर बलात अवधपत्य और सामान्यतुः नि-उपवनिेशिादी वहतों के वलए राष्ट्रीय वहतों का
दमन करना था। दविण अफ्रीकी सरकार ने बंतुस्तान की आर्थथक और विदेशी नीवतयों को वनयंवत्रत कर
रखा था। बंतुस्तान में अश्वेतों की बवस्तयां थीं। बंतुस्तान की वस्थवत के वलए कु ल सात िेत्रों की पहचान
की गई, जो दविण अफ्रीका के कु ल िेत्रफल का के िल 13 प्रवतशत था, वजसमें दविण अफ्रीका के 70
प्रवतशत से अवधक लोगों को वनिास करना था।
इसके अवतटरि बंतुस्तान आर्थथक रूप से सिम इकाई नहीं थी क्योंकक ऐसी बडी आबादी को आश्रय देने
के वलए भू-संसाधन पयााि नहीं थे। आर्थथक और लॉवजवस्टक संबध
ं ी दृविकोण को ध्यान में रखते हुए ककसी
भी तका संगत मानदंड का उपयोग नहीं ककया गया था। उदाहरण के वलए, बंतुस्तान की समुद्र तक पहुाँच
नहीं थी। इसके अवतटरि प्रत्येक बंतुस्तान को दविण अफ्रीकी िेत्र िारा घेरा गया था और दो बंतस्ु तानों
के बीच कोई संपका नहीं था।
इन सभी कारणों से संयुि राष्ट्र ने बंतुस्तान को एक िैध रायय मानने से इं कार कर कदया था। बािजूद
इसके दविण अफ्रीका आगे ब ा और उसने 1980 तक तीन बंतुस्तानों को स्ितंत्र घोवषत कर कदया।
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कोई राजनीवतक प्रवतवनवधत्ि नहीं: 1948 के बाद अश्वेत लोगों ने संसद में श्वेत सदस्यों िारा
अपने प्रवतवनवधत्ि के सीवमत राजनीवतक अवधकार तक को खो कदया क्योंकक अप्रत्यि प्रवतवनवधत्ि
के प्रािधान को अब समाि कर कदया गया था।
अश्वेत श्रवमकों का अत्यवधक दमन ककया गया क्योंकक ये ही ऐसे थे जो शहरी िेत्रों में बडी संयया में
वनिास करते थे। िे श्वेत लोगों की समृवद्ध और अश्वेतों की दयनीय वस्थवत के बीच अंतर को प्रत्यि
रूप से अनुभि कर सकते थे और श्वेतों की ययादवतयों के प्रवत उनका दृविकोण भी स्पि था। िे युिा
भी थे तथा कारखानों में उत्पादन के वलए ख़तरा पैदा कर सकते थे। इस प्रकार श्वेत सरकार ने
अपने लाभ के वलए शीत युद्ध के साम्यिाद विरोधी िातािरण का उपयोग करते हुए एक चतुराई
भरी चाल चली। इसने साम्यिाद दमन अवधवनयम, 1950 (सप्रेस्सन ऑफ़ कम्युवनस्ट एक्ट,
1950) अवधवनयवमत ककया और इसका प्रयोग अश्वेतों के बीच से उठने िाली ककसी भी रं गभेद-
विरोधी आिाज का दमन करने के वलए ककया। अवधवनयम का दुरूपयोग ककया गया और वजसने
भी इस रं गभेद नीवत का विरोध ककया उसे साम्यिादी घोवषत ककया गया और बंदी बना वलया
गया। साम्यिाद दमन अवधवनयम ने मजदूरों को हडताल करने से भी वनवषद्ध रखा।
9. रं ग भे द नीवत-विरोधी सं घ षा
अश्वेत दविण अफ्रीककयों ने अपने अवधकारों के वलए लडने हेतु साउथ अफ्रीकन नेटटि नेशनल
कांग्रस
े (SANNC) का गठन करते हुए 1912 में खुद को संगटठत ककया। जॉन ड्यूबे और सोल
प्लात्जे उस समय के प्रमुख अश्वेत नेता थे। 1923 में SANNC अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस (ANC) में
पटरिर्थतत हो गई।
1948 और इसके पश्चात् जब प्रधान मंत्री मलान एिं अन्य दविण अफ़्रीकी सरकारों ने दमनकारी
क़ानून पाटरत ककया तो अश्वेतों के मध्य असंतोष काफी ब गया। भारत जैसे स्ितंत्र राष्ट्रों के उद्भि
और स्ि-शासन के वसद्धांतों तथा मानिावधकारों की सुरिा की लोकवप्रयता (जैसा निगटठत संयि
ु
राष्ट्र िारा स्थावपत ककया गया था) के पटरणामस्िरूप रं गभेद के विरुद्ध जन आंदोलन उभरने लगा,
वजसका लक्ष्य बहुसंययक अश्वेत शासन को स्थावपत करना था।
o प्रारं भ में अश्वेत संघषा महात्मा गांधी की असहयोग की रणनीवत और सविनय अिज्ञा की तजा
पर चला। ANC के अलबटा लुथल
ु ी ने कई हडतालों का आयोजन ककया और सविनय अिज्ञा
आंदोलन का नेतृत्ि ककया वजससे अश्वेत उन िेत्रों में प्रिेश कर पाए जो श्वेतों के वलए
आरवित थे।
o 1955 में ANC ने अश्वेत, एवशयाई और अन्य िणा के लोगों के साथ एक गठबंधन कर ‘फ्रीडम
चाटार” की घोषणा की। यहीं से फ्रीडम चाटार ANC का प्रमुख कायाक्रम या मुद्दा बन गया।
इसने सभी को मतावधकार, धमा संबंधी आवधकार, अवभव्यवि की स्ितंत्रता, रोजगार का
अवधकार, क़ानून के समि समानता, समान काया के वलए समान िेतन, वनुःशुल्क वचककत्सा,
वनुःशुल्क और अवनिाया वशिा का अवधकार, न्यूनतम मजदूरी के साथ प्रवत सिाह चालीस
घंटों का काया तथा बेरोजगारी भत्ता देने की मांग की।
o जनसमूह के आिेग, दुवनया भर के देशों के दबाि और स्थानीय जागरूकता के चलते चचा के
नेताओं ने भी रं गभेद नीवत के वखलाफ बोलना आरं भ कर कदया था।
o ANC ने कई शांवतपूणा विरोध प्रदशान ककए, वजसमें से जोहान्सबगा में 1957 का बस बॉयकाट
कायाक्रम बेहद सफल रहा था। यह प्रदशान जोहान्सबगा में सरकार िारा ब ाए गए बस के
ककराए के विरोध में ककया गया था तथा जल्द ही अन्य िेत्रों में भी फ़ै ल गया। जोहान्सबगा के
80 प्रवतशत अफ्रीकी लोग गरीबी रे खा के नीचे रहते थे और इसवलए यह िृवद्ध अफ्रीककयों के
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वलए िहनीय नहीं थी। बॉयकाट कायाक्रम का लक्ष्य बस के ककराए में िृवद्ध के फै सले को
असफल बनाना और सरकार से अफ्रीककयों के वलए उच्च मजदूरी की आिश्यकता के बारे में
अध्ययन करने की मांग करना था। अश्वेत दविण अफ्रीककयों ने तीन माह तक सािाजवनक
पटरिहन त्याग कदया और रोज अपने कायास्थल तक का सफ़र पैदल तय ककया। अंततुः सरकार
को झुकना पडा और उसने ककराए में कटौती कर दी। यह अश्वेत लोगों के मनोबल को बढाने
िाली जीत थी तथा इसने श्वेत लोगों के उत्पीडन के विरुद्ध उनके ब ते प्रवतरोध को नई ऊजाा
प्रदान की।
o 1960 का शापाविले नरसंहार: इस घटना के बाद आंदोलन हहसक हो गया। गैर-श्वेत लोग
शापाविले शहर में शांवतपूिाक एकवत्रत हुए और उन्होंने अपनी आिाजाही की स्ितंत्रता को
सीवमत करने िाले पास कानून के विरुद्ध प्रदशान ककया। अगले कदन (21 माचा) लगभग 8000
लोग विरोध प्रदशान के वलए पुवलस स्टेशन के बाहर एकवत्रत हुए। लेककन पुवलस ने शांवतपूणा
प्रदशानकाटरयों पर गोली चला दी और उनमें से 69 लोग मारे गए। इस घटना के बाद अश्वेत
लोगों का नेतृत्ि विभि हो गया और नेल्सन मंडल
े ा समेत अवधकांश नेता जो अब तक
अहहसक माध्यम से संघषा पर विश्वास कर रहे थे, ‘फ्रीडम चाटार” के घोवषत लक्ष्य को प्राि
करने के वलए हहसक संघषा अपनाने की िकालत करने लगे। 21 माचा का कदन दविण अफ्रीका
में मानिावधकार संरिण का प्रतीक बन गया और प्रत्येक िषा इसे एक राष्ट्रीय अिकाश के रूप
में मनाया जाता है।
o रं गभेद नीवत के विरुद्ध हहसक आंदोलन: शापाविले के बाद ANC ने नेल्सन मंडल
े ा जैसे नेताओं
के नेतृत्ि में हहसक विरोध प्रदशान शुरू ककया। कई बम हमले और पुवलसकर्थमयों की
श्रृंखलाबद्ध हत्याएं हुईं। 1962 में नेल्सन मंडल
े ा को वगरफ्तार कर वलया गया और उन्हें
तोडफोड ि अन्य आरोपों का दोषी ठहराया गया तथा 1964 में उन्हें आजीिन कारािास की
सजा सुनाई गई। वजसमें से अवधकांश समय रोबेन िीप (Robben Island) पर वबताते हुए
उन्होंने जेल में कु ल 27 िषा काटे। यहां गांधीजी और नेल्सन मंडल
े ा के बीच के अंतर पर ध्यान
कदया जाना महत्त्िपूणा है। अहहसा गांधीजी की मूल्य प्रणाली का वहस्सा थी जबकक नेल्सन
मंडल
े ा के वलए यह एक सरकार विरोधी रणनीवतक उपकरण था। नेल्सन मंडल
े ा को यह
विश्वास हो गया था कक अफ्रीका में एवशयाई लोगों जैसे छोटे अल्पसंययक समूह के वलए
अहहसा का मागा सिोत्तम था क्योंकक िे रायय शवि के विरुद्ध हहसक रूप से विजय हावसल
करने में असफल रहते। अलबटा लुथुली जैसे कु छ नेताओं ने अहहसात्मक विरोध जारी रखा,
लेककन जब 1967 में लुथल
ु ी की हत्या कर दी गई तब सिासम्मवत से संघषा ने हहसक रुख
अपना वलया।
o मंडल
े ा के जेल में रहने के बािजूद आंदोलन जारी रहा:
1970 के दशक में ANC ने श्रवमकों िारा विरोध प्रदशान करिाया क्योंकक मजदूरी इतनी
कम थी कक मुद्रास्फीवत की मार झेलना मुवश्कल हो रहा था। लेककन डच अवधिावसयों की
श्वेत सरकार ने आंदोलन को दबाना जारी रखा।
1976 में डच अवधिावसयों की श्वेत सरकार ने अश्वेत स्कू लों में अफ्रीकांस भाषा
(Afrikaans language) अवनिाया कर दी। अफ्रीकांस भाषा दविण अफ्रीका में वनिास
करने िाले डच लोगों िारा बोली जाने िाली भाषा थी। यह अश्वेत दविण अफ्रीकी लोगों
की स्िदेशी भाषा नहीं थी। इसका अश्वेतों ने व्यापक विरोध ककया और पुवलस ने इसके
जिाब में 200 प्रदशानकाटरयों को मार कदया। इस प्रकार 200 प्रदशानकाटरयों की हत्या
के पटरणामस्िरूप दविण अफ्रीका के सभी वहस्सों में विरोध प्रदशान शुरू हो गए। पुवलस
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िारा इसका दमन ककया जाने लगा वजससे मृतकों की संयया में अनिरत िृवद्ध होती गई।
इस प्रकार यह विरोध और पुवलस की क्रूरता का दुरचक्र बन गया। 1976 में विरोवधयों के
एक महत्िपूणा नेता स्टीि वबको को के िल इसवलए मार कदया गया क्योंकक िह चाहते थे
कक अश्वेत लोग अपने काले रं ग पर गिा करें ।
o दविण अफ्रीका के बाहर रं गभेद विरोधी संघषा: दविण अफ्रीका के बाहर भी रं गभेद नीवत की
आलोचना हुई।
विटटश राष्ट्रमंडल: भारत समेत विटटश राष्ट्रमंडल के सभी सदस्यों ने रं गभेद नीवत और
क्रूर पुवलस की दमनकारी नीवत की आलोचना की। 1960 में दविण अफ्रीका को
राष्ट्रमंडल की सदस्यता छोडनी पडी। उसी िषा दविण अफ्रीका ने खुद को गणतंत्र घोवषत
कर कदया।
संयि ु राष्ट्र संघ: संयुि राष्ट्र महासभा ने रं गभेद नीवत की हनदा करते हुए कई प्रस्ताि
पाटरत ककए।
ऑगानाईजेशन ऑफ़ अफ्रीकन यूवनटी (OAU): अफ्रीकी महािीप के भीतर OAU ने
रं गभेद को त्यागने और सभी दविण अफ्रीककयों को मानिावधकार प्रदान करने के वलए
दविण अफ्रीकी सरकार पर दिाब ब ाया।
दविण-पवश्चम अफ्रीका का विऔपवनिेशीकरण/दविण अफ़्रीकी सीमािती युद्ध (1966-
89): नामीवबया भौगोवलक दृवि से अंगोला और दविण अफ्रीका के मध्य अिवस्थत है।
1914 में, प्रथम विश्व युद्ध के बाद मैंडटे के रूप में दविण अफ्रीका को जमान दविण-
पवश्चम अफ्रीका वमला, वजसे अब नामीवबया कहा जाता है। मैंडटे धुरी शवियों के पूिा
उपवनिेश थे वजन्हें प्रथम विश्व युद्ध में उनकी हार के बाद छीन वलया गया था और
स्ितंत्रता के वलए तैयार करने हेतु इन पूिा उपवनिेशों को लीग ऑफ़ नेशन्स के सदस्य
देशों के संरिण में रखा गया था।
जहां तक हो सका दविण अफ्रीका ने दविण पवश्चम अफ्रीका के विऔपवनिेशीकरण में वबलंब ककया और
इसके वलए संयुि राष्ट्र (इसने नमीवबया पर दविण अफ्रीका के कब्जे को अिैध घोवषत ककया),
ऑगानाईजेशन ऑफ़ अफ्रीकन यूवनटी और राष्ट्रमंडल देशों ने इसकी भत्साना की। साउथ-िेस्ट अफ्रीका
पीपुल्स ऑगेनाइजेशन (SWAPO) दविण-पवश्चम अफ्रीका की स्ितंत्रता के वलए लड रहा था। 1975
में अंगोला पुतागाल से स्ितंत्रता हो गया और माक्सािादी MPLA सरकार (पीपुल्स मूिमेंट फॉर द
वलिेशन ऑफ अंगोला) सत्ता में आई। 1961-75 के दौरान MPLA ने अंगोला की स्ितंत्रता के वलए युद्ध
लडा। 1975 के बाद से MPLA ने SWAPO गुटरल्लाओं को सुरवित आश्रय प्रदान ककया और सोवियत
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संघ ने भी आर्थथक सहायता तथा प्रवशिण के माध्यम से SWAPO की सहायता की – इसी कारण
दविण अफ्रीका ने अंगोला पर आक्रमण ककया था। अंगोला पर हमला करने से दविण अफ्रीका को रोकने
के वलए क्यूबा ने सैवनक भेजे। उन्होंने दविण अफ्रीकी सेना को परावजत कर कदया और इसने दविण
अफ्रीका में रं गभेद के अंत की कदशा में महत्िपूणा योगदान कदया। यह एक बडी नैवतक हार थी और इस
घटना ने दविण अफ्रीका में अश्वेत लोगों के आंदोलन में उत्साह भरा।
रं गभेद की समावि
ब ते आंतटरक और बाह्य दबािों के बीच 1980 तक दविण अफ्रीका की सरकार को रं गभेद की
नीवत को छोडना पडा।
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o 1984- एक नया संविधान अपनाया गया। इसके अंतगात संसद में तीन सदन बनाने का
प्रािधान ककया गया वजसमें से प्रत्येक सदन क्रमशुः श्वेत, एवशयाई और अन्य िणा िाले लोगों
के वलए था, लेककन अश्वेत अफ़्रीककयों के वलए कोई सदन नहीं था।
o 1985- अंतजाातीय वििाह और िैिावहक संबंधों को अपराधमुि कर कदया गया।
o 1986- पास कानून समाि कर कदए गए।
हहसक विरोध प्रदशान और ब गया क्योंकक ANC की मांग अपूणा ही रह गई थी। अश्वेतों को
मतावधकार एिं सरकार में भागीदारी नहीं वमली थी और 1984 के संविधान के अंतगात अश्वेतों के
वलए कोई राजनीवतक प्रवतवनवधत्ि नहीं था।
1980 के दशक के मध्य से बाहरी दबाि ब गया:
o 1986- विटेन के अवतटरि राष्ट्रमंडल के अन्य देशों ने दविण अफ्रीका के विरूद्ध कठोर
प्रवतबंधों पर सहमवत व्यि की। वजसके अंतगात दविण अफ्रीकी सरकार को ककसी भी तरह के
ऋण, तेल की वबक्री, ICT उपकरणों के वनयाात, ककसी भी तरह का परमाणु व्यापार और साथ
ही सांस्कृ वतक या िैज्ञावनक संपका पर प्रवतबन्ध लगा कदया गया। मौकद्रक मुआिजा के वसद्धांतों
का त्याग करने हेतु राजीि गांधी ने मागारेट थैचर की आलोचना की क्योंकक विटेन ने दविण
अफ्रीका में विटटश वनिेश पर के िल स्िैवच्छक प्रवतबंध के वलए सहमवत व्यि की थी। इससे
राष्ट्रमंडल के भीतर भी तनाि पैदा हो गया।
o 1986- अमेटरकी कांग्रेस ने वनम्नवलवखत के पि में मतदान ककया:
दविण अफ्रीका को और अवधक ऋण नहीं देने हेतु,
दविण अफ्रीका के साथ हिाई संपका बावधत करने हेत,ु और
दविण अफ्रीका से आयात (लोहा, वनकल, यूरेवनयम, इस्पात, कोयला, िस्त्र आकद) पर
प्रवतबंध लगाने हेतु।
o आंतटरक रूप से अश्वेतों में जागरूकता और आत्मविश्वास ब ता जा रहा था। िे अब अवशवित
नहीं थे और उच्च कु शलता िाली नौकटरयां कर रहे थे। 1984 में डेसमंड टू टू को नोबल शांवत
पुरस्कार वमला।
डच टरफामाड चचा अब रं गभेद विरोधी बन गया और सािाजवनक रूप से रं गभेद की हनदा करने
लगा।
इस प्रकार वस्थवत तेजी से बदल रही थी। श्वेत दविण अफ़्रीककयों का बहुसंययक िगा अब मानने
लगा कक राजनीवतक िेत्र से अश्वेतों का पूणा अपिजान असंभि था। हालांकक िे डरे हुए थे, कफर भी
उन्होंने भविरय में अश्वेत बहुमत के शासन का विचार छोड कदया।
एफ. डब्ल्यू. क्लाका 1989 में राष्ट्रपवत बने। उनके वलए वनधााटरत काया अश्वेत बहुमत शासन की कदशा
में शांवतपूणा संक्रमण सुवनवश्चत करना था। उन्हें दविणपंथी िगों से कठोर विरोध का सामना करना
पडा, कफर भी उन्होंने दविण अफ्रीका को अश्वेत बहुमत के शासन में पटरिर्थतत करने की प्रकक्रया आरं भ
की।
तैयारी:
o ANC के साथ संबंध सुधारने के वलए 1991 में नेल्सन मंडल
े ा को जेल से टरहा कर कदया गया
और ANC को िैध घोवषत ककया गया। पूरे विश्व में मंडल
े ा की टरहाई का स्िागत ककया गया
और मंडल
े ा को ANC के सदस्यों से भारी समथान वमला। उन्हें ANC का नेता चुना गया।
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o क्लाका ने रं गभेद की व्यिस्था समाि करने की प्रकक्रया पूरी की और शेष बचे अवधकांश
रं गभेदी कानूनों को त्याग कदया गया।
िाताा:
o सद्भािना का माहौल बनाने के बाद क्लाका ने 1991 में िाताा के वलए ANC को आमंवत्रत
ककया। िाताा की कायासच
ू ी में ऐसे नए संविधान का विकास करना सवम्मवलत था जो अश्वेतों
को पूणा राजनीवतक अवधकार देता। श्वेत आबादी के बीच भारी संदह
े था कक अश्वेत बहुमत
िाला शासन प्रवतशोधात्मक होगा और उनके जीिन और संपवत्त के वलए खतरा पैदा होगा।
o वस्थवत को समझते हुए नेल्सन मंडल
े ा के नेतृत्ि में ANC ने अश्वेत-श्वेत सामंजस्य पर बल
कदया और श्वेतों को आश्वस्त करने के वलए सकारात्मक कदम उठाया कक उन्हें समान नागटरक
माना जाएगा तथा उनके साथ कोई नस्लीय भेदभाि नहीं होगा। ANC ने अपने सदस्यों से
नए युग में अहहसा को पंथ के रूप में गले लगाने के वलए कहा। बल कदया गया कक अश्वेतों को
सवहरणु होना चावहए और सामूवहक शांवतपूणा समाज के वनमााण पर ध्यान कें कद्रत करना
चावहए।
o िाताा बहुत सुगम नहीं थी और इस प्रकक्रया को समस्याओं का सामना करना पडा, जो
ऐवतहावसक कारकों िारा वनर्थमत परस्पर संदह
े का पटरणाम थी। एफ. डब्ल्यू. क्लाका को
अपनी ही नेशनवलस्ट पाटी के भीतर विरोध का सामना करना पडा। अश्वेत नेतृत्ि के वलए भी
झगडा था क्योंकक ज़ुलु इंकता (Zulu Inkatha) नामक एक और अश्वेत दल ANC के साथ
सत्ता संघषा में उलझा था।
गृह-युद्ध के वबना अश्वेत बहुमत का शासन प्राि करने में सफलता (1993): 1993 तक नेल्सन
मंडल
े ा और एफ. डब्ल्यू. क्लाका के नेतृत्ि में िाताा सफल रही। समझौते में अश्वेत बहुमत का शासन
अपनाने की पटरकल्पना की गई और चुनािों के बाद ANC, नेशनवलस्ट पाटी और ज़ुलु इं कता की
गठबंधन सरकार होती।
ANC को आम चुनािों में विजय वमली और नेल्सन मंडल
े ा के रूप में दविण अफ्रीका के पहले
अश्वेत राष्ट्रपवत तथा उपराष्ट्रपवत के रूप में एफ.डब्ल्यू. क्लाका के साथ गठबंधन सरकार बनी।
बाद में 1999 में जब नया संविधान अवस्तत्ि में आया तो सरकार में अल्पसंययक दलों के वलए
आरिण का प्रािधान हटा कदया गया, अथाात् अवनिाया गठबंधन िाली सरकार की व्यिस्था
समाि कर दी गई।
1946 में रं गभेद नीवतयों का पालन करने िाली सरकार के साथ व्यापाटरक संबंध समाि करने
िाला भारत पहला देश था।
बाद में भारत ने सभी संपका (राजनवयक, िावणवययक, सांस्कृ वतक और खेल) समाि कर कदए जो
भारत ने संयुि राष्ट्र, NAM और अन्य बहुपिीय संगठनों में रं गभेद की हनदा की और यह दविण
अफ्रीका के विरूद्ध लगाये जाने िाले अंतरााष्ट्रीय प्रवतबंधों के पि में अग्रणी था।
1960 के दशक से ही ANC का कदल्ली में एक कायाालय था।
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10. खे ल में रं ग भे द
1963 में अंतरााष्ट्रीय ओलंवपक सवमवत (IOC) ने भारत िारा कदए गए प्रस्ताि को अपनाया,
वजसमें खेल में नस्लीय भेदभाि की दविण अफ्रीकी नीवत में संशोधन की मांग की गई थी। इसमें
विफल रहने पर दविण अफ्रीका की राष्ट्रीय ओलंवपक सवमवत को ओलंवपक खेलों से वनरकासन के
वलए वििश ककया जाना था। इस प्रकार 1964 में दविण अफ्रीका को टोक्यो ओलंवपक से बाहर
कर कदया गया। 1970 में दविण अफ्रीका को औपचाटरक रूप से IOC से वनरकावसत कर कदया
गया। 1968 में संयुि राष्ट्र महासभा ने सभी राष्ट्रों से "दविण अफ्रीका के नस्लिादी शासन के साथ
सांस्कृ वतक, शैविक, खेल और अन्य आदान-प्रदान वनलंवबत करने" का अनुरोध ककया। भारत और
कई अफ्रीकी तथा अन्य देशों ने घोषणा की कक िे 1970 के राष्ट्रमंडल खेलों में भाग नहीं लेंगे
क्योंकक दविण अफ्रीका इं ग्लैंड का दौरा करे गा। दविण अफ्रीका को कदया गया वनमंत्रण िापस लेने
के वलए विटेन को वििश ककया गया। 1973 में अफ्रीकी राष्ट्रमंडल देशों और भारत ने खेल का
बवहरकार करने की धमकी देकर न्यूजीलैंड को दविण अफ्रीका की रग्बी टीम का दौरा रोकने के
वलए वििश ककया।
भारतीय में खेल से जुडे नेताओं ने मांग की कक अंतरााष्ट्रीय खेलों में गैर-यूरोवपयों का भी
प्रवतवनवधत्ि होना चावहए। 1973 में दविण अफ्रीकी खेल पटरषद बनाई गई, वजसमें सभी गैर-
नस्लीय और रं गभेद विरोधी खेल महासंघों को एकजुट ककया गया। भारतीय वखलावडयों और खेल
प्रशासकों ने इन वनकायों में सकक्रय भूवमका वनभाई।
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विषय सूची
गुट वनरपेक्ष अंदोलन _____________________________________________________________________________ 3
4.3. बांडुग
ं सम्मेलन (1955) _____________________________________________________________________ 5
10. गुट वनरपेक्ष अंदोलन में ककए जाने िाले संभाव्य सुधार _________________________________________________ 11
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जाने के कारण आन निोकदत देिों के वलए ‘तृतीय विश्व’ पद का प्रयोग ककया गया।
NAM का गठन अवधकाररक रूप से 1961 में हुअ था। आस ऄिवध में विऔपवनिेिीकरण प्रगवत
पर था। यहााँ ईल्लेखनीय बात यह है कक िीतयुद् के दौरान तृतीय विश्व के कु छ नि-तितंत्र देिों
िारा ऄपनाइ गइ नीवत को गुट वनरपेक्ष अंदोलन से संबद् ककया जाता है। आन देिों िारा ऄपनी
तितंत्र विदेि नीवत के विकास एिं संचालन तथा तत्कालीन दो गुटों से पृथक रहने हेतु
गुटवनरपेक्षता का सहारा वलया गया।
2. NAM के मू ल वसद्ां त
NAM के मूल वसद्ांतों को संक्षप
े में वनम्नवलवखत रूप से िर्थणत ककया जा सकता है:
3. NAM क्यों?
विकास पर ध्यान कें कित करने हेत:ु निोकदत राष्ट्रों को औपवनिेविक िासन के कारण वपछड़ापन
विरासत में वमला था तथा ये ितचमान समय में भी ऄपनी सामावजक, अर्थथक और राजनीवतक
व्यितथाओं के वनमाचण की चुनौती का सामना कर रहे हैं। तितंत्रता के पश्चात् तृतीय विश्व के राष्ट्रों
के समक्ष ऄपने सीवमत संसाधनों के साथ अर्थथक विकास एिं राजनीवतक समेकन का दुरूह लक्ष्य
था। ये अर्थथक और राजनीवतक रूप से कमजोर थे, ऄतः दोनों विश्व िवियों में से ककसी के भी
प्रभाि में अने के वलए सुभेद्य थे। ऄतः, आनमें से ऄवधकांि देिों ने विकास लक्ष्यों पर ध्यान कें कित
करने और विदेि नीवत के तितंत्र संचालन हेतु गुट वनरपेक्ष अंदोलन को मूतच तिरूप प्रदान ककया।
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नये तितंत्र हुए राष्ट्रों के संरक्षण हेत:ु NAM का ईद्देश्य नि तितंत्र विकासिील राष्ट्रों को एक समूह
के रूप में संगरठत करना था, वजससे िे दोनों िैवश्वक गुटों में से ककसी के साथ भी गठबंधन न करके
िीत युद् की राजनीवत से पृथक रहने में सक्षम हो सकें । िीत युद् की प्रमुख वििेषताएाँ सैन्य
गठबंधन और हवथयारों के दौड़ थी, वजसके कारण आसमें नि तितंत्र देिों की तितंत्रता को खतरा
सामूवहक मत के माध्यम से ऄपनी एक सुदढ़ृ तितंत्र पहचान तथावपत करना चाहते थे।
आसका अयोजन नइ कदल्ली में हुअ था। आस सम्मेलन का कें ि बबदु तितंत्र विदेि नीवत, पवश्चम पर
वनभचरता में कमी और विश्व िांवत के वलए प्रयास करना था। आस सम्मेलन के दौरान पंवडत नेहरू ने
तकच कदया कक एवियाइ राष्ट्र दीघचकाल से पवश्चमी िवियों के ऄधीन रहें हैं और ऄब िह समय अ
गया है जब ईन्हें िैवश्वक मामलों में वनणचयन की तितंत्रता वमलनी चावहए। ईन्हें पवश्चम पर ऄपनी
वनभचरता को समाि करने के वलए प्रयास करना चावहए और आसके वलए ईन्हें ऄपनी जनता के
कल्याण के वलए एक साथ वमलकर कायच करने की अिश्यकता है।
युद् की विभीवषका को परमाणु हवथयारों के विकास से जोड़ कर देखा गया, वजसने संपूणच मानिता
को खतरे में डाल कदया था। आसवलए एवियाइ राष्ट्रों का प्राथवमक ईद्देश्य विश्व िांवत को बनाए
रखने के वलए कायच करना होना चावहए।
भारत और चीन ने पांच वसद्ांतों को 1954 में हतताक्षररत एक समझौते के अमुख (प्रततािना) में
सवम्मवलत ककया था। साथ ही िे NAM का ऄवभन्न ऄंग भी बन गए। ये वसद्ांत वनम्नवलवखत थे:
o सभी देिों िारा ऄन्य देिों की क्षेत्रीय ऄखंडता और प्रभुसत्ता का सम्मान करना,
में भारतीय मान्यता िहां हुइ मानि त्रासदी के प्रवत वििेक-िून्यता का संकेत नहीं थी।
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NAM की ऐवतहावसक प्रगवत में यह एक प्रमुख घटना है। आसमें भाग लेने िाले राष्ट्रों ने विश्व
जनसंख्या के लगभग अधे वहतसे का प्रवतवनवधत्ि ककया। यह एवियाइ और ऄफ्रीकी देिों का एक
सम्मेलन था वजसका अह्िान आंडोनेविया में, िहां के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष सुकणो िारा ककया गया
था।
यह सम्मेलन NATO (1949) और िारसा पैक्ट (1995) के ईद्भि, िीत युद् में तीव्रता, सोवियत
संघ (USSR) और संयुि राज्य ऄमेररका िारा हाआड्रोजन एिं परमाणु बम का विकास तथा विश्व
में ईत्पन्न दो प्रमुख संकटों, कोररया और वियतनाम संकट की पृष्ठभूवम में अयोवजत हुअ।
आस सम्मेलन के महत्िपूणच नेताओं में वमस्र के गमाल ऄब्दुल नावसर, भारत से जिाहर लाल नेहरू
और चीन के प्रधानमंत्री चाउ एन लाइ सवम्मवलत थे।
दवक्षण पूिच एविया संवध संगठन (Southeast Asia Treaty Organization: SEATO,
1954) और बगदाद पैक्ट (1955) के रूप में एविया में सैन्य गुटों का प्रसार प्रारं भ हो गया। आस
सम्मेलन में ऄमेररकी नेतृत्ि िाले सैन्य गुट के सदतयों, जैस-े इरान, आराक, पाककततान, थाइलैंड,
तुकी और कफलीपींस ने भाग वलया था। फलतः सम्मेलन के ऄंत में संयुि ििव्य में NAM के मूल
1960 में संयुि राष्ट्र में 17 नए देि िावमल हुए और विऔपवनिेिीकरण की गवत में िृवद् हुइ।
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5. NAM की सकारात्मकता
तृतीय विश्व के देिों िारा ककसी भी सैन्य गुट में सवम्मवलत होने से आंकार करने के कारण िैवश्वक
िांवत के वनमाचण में सहायता वमली। NAM के देि NATO, िारसा पैक्ट, SEATO, बगदाद पैक्ट
अकद जैसे ऄन्य सैन्य गुटों में सवम्मवलत नहीं हुए।
NAM ने ऄंतराचष्ट्रीय तनाि को कम करने, ईपवनिेििाद, साम्राज्यिाद एिं नतलिाद को समाि
करने में महत्िपूणच भूवमका वनभाइ।
USSR और NAM:
o िांवतपूणच सह-ऄवततत्ि: साम्यिादी नेता राष्ट्रीय नीवत के रूप में युद् के विरुद् थे परं तु ईनका
मानना था कक साम्राज्यिाद के ऄवततत्ि के समय तक युद् ऄवनिायच था। तटावलन के पश्चात्
USSR ने विवभन्न सामावजक, अर्थथक और राजनीवतक प्रणावलयों का ऄनुसरण करने िाले देिों
के मध्य "िांवतपूणच सह-ऄवततत्ि" की नीवत ऄपनाइ। िांवतपूणच सह-ऄवततत्ि की नीवत, भारत जैसे
नए तितंत्र देिों िारा ऄपनाइ गइ गुट वनरपेक्ष की नीवत के मूल वसद्ांत में से एक थी। आसका
तात्पयच "युद् की ऄवनिायचता" के वसद्ांत के त्याग से है। सोवियत नेताओं के साथ NAM के नेताओं
ने विवभन्न राजनीवतक, अर्थथक और सामावजक प्रणावलयों में िांवतपूणच प्रवततपधाच पर बल कदया।
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भारत ने पंचिील वसद्ांतों के माध्यम से ऄपनी विदेि नीवत में िांवतपूणच सह-ऄवततत्ि के वसद्ांत
को सवम्मवलत ककया। यह एक ऄलग विषय है कक िांवतपूणच सह-ऄवततत्ि की नीवत के बािजूद,
USSR ने हवथयारों की तपधाच जारी रखी और पूिी यूरोप को ऄपने प्रभाि क्षेत्र के रूप में प्रततुत
ककया (ईदाहरण के वलए 1956 का हंगरी वििोह, चेकोतलोिाककया संकट 1968 अकद)।
o NAM को सोवियत समथचन: सोवियत संघ िारा NAM की वनःिस्त्रीकरण संबंधी पहलों का
लगभग वनरं तर समथचन ककया गया। साम्यिाकदयों के युद् विरोधी दृविकोण और वनककता ख्रुश्चि
े के
ऄधीन िांवतपूणच सह-ऄवततत्ि पर बल कदए जाने के कारण ऄनेक NAM नेताओं ने USSR को
NAM के तिाभाविक सहयोगी के रूप में तिीकार ककया। टीटो के िासनकाल में युगोतलाविया (जो
NAM का संतथापक सदतय था) सोवियत संघ से घवनष्ठ संबंधों िाला एक साम्यिादी देि था।
o समता पर साझा ध्यान कें कित करना: सोवियत संघ ने ऄफ्रीका सवहत विवभन्न देिों को तितंत्रता
अंदोलनों के वलए राजनीवतक और भौवतक समथचन कदया। NAM िारा भी दृढ़ता से ईपवनिेििाद
का विरोध ककया गया। नि तितंत्र देिों और USSR के मध्य अर्थथक संबंध आन देिों के राष्ट्र
वनमाचण कायच में भी सहायक वसद् हुए। NAM और USSR एक समतापूणच समाज के वनमाचण हेतु
प्रयास करने के वसद्ांत पर परतपर सहमत थे। भारत की भााँवत ऄन्य गुट वनरपेक्ष देिों ने समाज के
समाजिादी प्रवतरूप को तथावपत करने का लक्ष्य वनधाचररत ककया।
ऄमेररका और NAM: िीत युद् के दौरान ऄमेररका िारा एक हठधमी दृविकोण- "यकद अप हमारे
साथ नहीं हैं, तो अप हमारे विरुद् हैं" ऄपनाया गया। आस प्रकार, US ने NAM को ऄपने
तिाभाविक ित्रु के रूप में देखा। यहााँ तक कक ितचमान में भी ऄमेररका NAM को संदह
े की दृवि से
देखता है क्योंकक NAM ने 1991 के बाद से एक-ध्रुिीय विश्व का विरोध ककया और एक बहु-
ध्रुिीय विश्व व्यितथा के वनमाचण की अिश्यकता का समथचन ककया।
NAM ने 'विकास' को ऄंतराचष्ट्रीय मंच पर मुख्य एजेंडे के रूप में तथावपत करने का प्रयास ककया।
रं गभेद और NAM: भारत ने संयि
ु राष्ट्र, NAM और ऄन्य बहुपक्षीय संगठनों के एजेंडे पर रं गभेद
के मुद्दे को ईठाने और दवक्षण ऄफ्रीका के विरुद् व्यापक ऄंतराचष्ट्रीय प्रवतबंध लगाने के वलए वनरं तर
प्रयास ककया। 1960 के दिक से ही नइ कदल्ली में ऄफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस का एक प्रवतवनवध
कायाचलय तथावपत है। भारत ने 1963 में दवक्षण ऄफ्रीका के साथ राजनवयक संबंध समाि कर
वलए थे। दवक्षण ऄफ्रीका 1994 में NAM का 109िां सदतय बना।
ईपवनिेििाद-विरोधी संघषच और NAM: NAM िारा ईपवनिेिों के तितंत्रता संग्राम को व्यापक
समथचन प्रदान ककया गया। SWAPO (साईथ िेतट ऄफ्रीका पीपुल्स ऑगचनाआजेिन) ने 1978 में
NAM के पूणच सदतय का दजाच प्राि ककया। आस संगठन िारा दवक्षण ऄफ्रीका से नामीवबया की
तितंत्रता के वलए संघषच ककया गया तथा नामीवबया 1990 में तितंत्र हुअ। 1976 में कफवलततीन
वलबरे िन ऑगचनाआजेिन (PLO) NAM का सदतय बन गया।
भारत और NAM:
o भारत ने ककसी भी सैन्य गठबंधन में प्रिेि न करने के NAM वसद्ांत का ऄनुसरण ककया।
हालााँकक रूस के साथ 1971 के समझौते पर हतताक्षर करने के वलए भारत की अलोचना भी
की गइ। भारत ने ऄपने पक्ष में तकच कदया कक आस समझौते को ककसी तीसरे देि की ओर
वनदेवित नहीं ककया गया था।
o भारत िारा सैन्य तानािाही को छोड़कर सभी देिों के साथ मैत्रीपूणच संबंध बनाए रखने के
NAM के एक ऄन्य वसद्ांत का भी ऄनुसरण ककया गया है। आस वसद्ांत के ऄपिाद-तिरूप,
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2005 में भारत ने म्यांमार के साथ संवध पर हतताक्षर ककये, परन्तु यह संवध आस क्षेत्र में बढ़
रहे चीन के प्रभुत्ि को प्रवतसंतुवलत करने के वलए की गयी थी।
o आं कदरा डॉवक्रन के ऄनुसार भारत ऄपने पड़ोवसयों के अंतररक मामलों में हततक्षेप नहीं
करे गा। आसके ऄवतररि भारत के अंतररक मामलों में ककसी ऄन्य देि के हततक्षेप को भी सहन
नहीं ककया जाएगा। ककसी भी सुरक्षा संबंधी समतया के संदभच में, ककसी भी सहायता के वलए
आस क्षेत्र (भारतीय ईपमहािीप) को ऄपनी अंतररक िवि की ओर पहले देखना चावहए।
o गुजराल डॉवक्रन (1997-98): पककततान के साथ मैत्रीपूणच संबंध बनाए रखने और भारत की
वबग ब्रदर की छवि को पररिर्थतत करने के ईद्देश्य से गुजराल वसद्ांत को प्रारं भ ककया गया
था। आस वसद्ांत के ऄनुसार:
भारत ऄपने पडोसी देिों को समथचन देगा, ककन्तु अर्थथक रूप से ऄवधक विकवसत होने के
कारण ईनसे समान समथचन या सहयोग की ऄपेक्षा नहीं करे गा।
दवक्षण एविया का कोइ भी देि ककसी बाह्य देि को दवक्षण एवियाइ देि के विरुद् ऄपनी
भूवम का प्रयोग करने की ऄनुमवत प्रदान नहीं करे गा।
भारत ककसी भी देि के अन्तररक मामलों में हततक्षेप नहीं करे गा।
सभी देि एक-दूसरे की संप्रभुता और ऄखंडता का सम्मान करें गे।
सभी देि ऄपनी समतयाओं का समाधान विपक्षीय िाताच के माध्यम से करें गे।
6. NAM की विफलता
वमस्र के नि-ईपवनिेििाद विरोधी संघषच का समथचन करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री जिाहरलाल
नेहरू ने कनचल नावसर के साथ घवनष्ठ सम्बन्ध तथावपत ककए। आन दोनों नेताओं के ऄवतररि घाना
के एन्क्रूमाह (Nkrumah), यूगोतलाविया के टीटो और आं डोनेविया के सुकणो 1961 में तथावपत
गुट वनरपेक्ष अंदोलन के संतथापक सदतय थे।
परन्तु NAM ऄरब-आज़राआल संघषच का िांवतपूणच समाधान करने में ऄसफल हो गया क्योंकक वमस्र,
ऄफ्रीकी देि ऄल्जीररया और ऄन्य मध्य-पूिच ऄरब राष्ट्रों के साथ 1967 में आजरायल के विरुद् युद्
में िावमल हो गया।
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7. NAM की अलोचना
ितचमान में गुटवनरपेक्षता की ऄपेक्षा विवभन्न गुटों के साथ संबद्ता की नीवत प्रचवलत है। ईदाहरण
के वलए, भारत NAM के साथ-साथ वब्रक्स (BRICS), दक्षेस (SAARC) आत्याकद का भी सदतय
है। हालााँकक NAM िारा ऄलगाि की नीवत का समथचन नहीं ककया गया है। NAM देिों ने तिंय को
ककसी गुट के साथ प्रवतबद् नहीं करते हुए विषयों की विवििता के अधार पर वनणचय वलया है।
आसी प्रकार, ितचमान में NAM के सदतय देि, जैस-े भारत, विषय अधाररत संगठन - IBSA
(जलिायु िाताच पर कें कित), BRICS (आसका ईद्देश्य ईभरती ऄथचव्यितथाओं को सुदढ़ृ ता प्रदान
करना है) अकद में िावमल हुए हैं। आसके विपरीत, भारत NATO (North Atlantic Treaty
NAM का सवचिालय या संविधान जैसी कोइ औपचाररक संरचना नहीं है। आसके कायों एिं
दावयत्ि का वनिचहन तत्कालीन िार्थषक ऄध्यक्ष िारा ककया जाता है।
प्रत्येक सदतय देि की समतयाएं वभन्न हैं (ईदाहरण के वलए कु छ देिों में गैर-कायचिील लोकतंत्र
विद्यमान हैं), आसवलए विवभन्न मुद्दों के सिचवनि समाधान को प्राि करना करठन हो जाता है।
NAM विखर सम्मेलन मेजबान देि की विदेि नीवत से प्रभावित होता है। ईदाहरण के वलए, यह
संभािना व्यि की जा रही है कक 2019 में ऄजरबैजान में प्रततावित 18िें NAM विखर सम्मेलन
में अमेवनया-ऄजरबैजान संघषच का मुद्दा चचाच के कें ि रह सकता है।
1992 में युगोतलाविया का विघटन होने से एक संतथापक सदतय की सदतयता को समाि कर
कदया गया, जबकक माल्टा और साआप्रस ने यूरोपीय संघ की सदतयता प्राि करने के वलए NAM से
ऄपनी सदतयता को िापस ले वलया। ऄजेंटीना और मेवक्सको जैसे प्रमुख दवक्षण ऄमेररकी देिों
तथा चीन को ऄभी तक के िल पयचिेक्षक का ही दजाच प्राि हुअ है। यूरोप और दवक्षण ऄमेररका में ,
वििेष रूप से िीत युद् के दौरान आन क्षेत्रों में गठबंधनों की भूवमका के कारण NAM की वतथवत
कमजोर हुइ है।
िृहद सदतयता के कारण NAM के सदतयों के मध्य समन्िय एिं आसके कायो में सामंजतय की
समतया बनी हुइ है। NAM िारा सदतयों के मध्य समन्िय तथावपत करने के वलए संयुि राष्ट्र संघ,
प्रत्येक NAM विखर सम्मेलन के ऄंत में एक जरटल दततािेज़ जारी ककया जाता है। ये दततािेज
प्रायः पूिचिती की पुनरािृवत होते हैं।
हुए कहा गया कक ‘िीत युद् के दौरान विश्व िांवत बनाए रखने में गुट वनरपेक्ष अंदोलन ने
महत्िपूणच भूवमका वनभाइ थी और िीत युद् की समावि के पश्चात् भी विश्व का तिरूप सुरवक्षत
और न्यायोवचत नहीं होने के कारण यह अज भी प्रासंवगक बना हुअ है’।
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बहसक संघषों की समतया के कारण िैवश्वक समाज एिं िैवश्वक प्रिासवनक संतथानों में ऄसमानता
व्याि है। बोवियाइ गृहयुद्, ऄज़रबैजान और ऄमेवनया के मध्य युद्, 1992 में युगोतलाविया का
बहसक विघटन (1980 में प्रवसद् नेता टीटो की मृत्यु) जैसे संघषों के कारण िीत-युद्ोत्तर काल में
भी गुटवनरपेक्ष अंदोलन पूणच प्रासंवगक है।
1992 के पश्चात् संपूणच विश्व में तथावपत नइ प्रिृवतयों, जैस-े िैश्वीकरण, मुि बाजार ऄथचव्यितथा,
अतंकिाद का विततार अकद के कारण नइ चुनौवतयााँ ईत्पन्न हुइ हैं। एक ध्रुिीय विश्व के
पररणामतिरूप भी कइ नइ चुनौवतयों का ईद्भि हुअ है।
हिाना विखर सम्मेलन (2006) में ऄंतराचष्ट्रीय कानून एिं संयि
ु राष्ट्र चाटचर के वसद्ांतों पर
अधाररत एक बहुध्रुिीय और बहुपक्षिादी विश्व के वनमाचण के समथचन में तकच कदए गए, वजससे
िैवश्वक िवि के एकपक्षिाद और िचचतििादी नीवत पर लगाम लग सके । हिाना विखर सम्मेलन में
गुट वनरपेक्ष अंदोलन के वलए वनम्नवलवखत मागचदिचक वसद्ांतों का वनधाचरण ककया गया:
o ककसी भी राज्य या राज्यों के समूह को ककसी ऄन्य राज्य के अंतररक मामलों में प्रत्यक्ष ऄथिा
परोक्ष रूप से हततक्षेप करने का ऄवधकार नहीं है।
o िासन पररितचन (तख्तापलट अकद) करने के प्रयासों को ऄतिीकृ त ककया जाना चावहए।
o अतंकिाद को आसके सभी रूपों में तथा ककसी भी व्यवि िारा, कहीं पर भी और ककसी भी
ईद्देश्य हेतु ककए जाने पर आसकी ऄतिीकृ वत और विरोध होना चावहए। परं तु राष्ट्रीय तितंत्रता
की प्रावि और औपवनिेविक िासन के विरुद् िैध संघषच को अतंकिाद के समान नहीं माना
जाना चावहए।
गुट वनरपेक्ष अंदोलन में सिाचवधक प्रवतवनवधत्ि ऄफ्रीका (53 सदतय देिों) और तत्पश्चात एविया
(39 सदतय देिों) और लैरटन ऄमेररका (26 सदतय देिों) िारा ककया जाता है। आसका नकारात्मक
पहलू यह है कक यूरोप के के िल दो देि - बेलारूस और ऄज़रबैजान ही आसके सदतय हैं।
आसमें दवक्षण-दवक्षण सहयोग के वलए एक मंच के रूप में कायच करने और विकासिील देिों के वहतों
का समथचन करने की क्षमता है।
ऄपनी तितंत्रता की सुरक्षा, विदेि नीवत का तितंत्र एिं राष्ट्रवहत में संचालन तथा ककसी भी
िैवश्वक िवि का प्रभुत्ि तिीकार ना करने का ईद्देश्य ऄंतराचष्ट्रीय राजनीवत में सदैि प्रासंवगक बना
रहेगा।
ईल्लेखनीय है कक गुट वनरपेक्ष अंदोलन ऄपने िाततविक िावब्दक ऄथच के संदभच में एक समूह न
होकर एक अंदोलन है। ितचमान पररदृश्य में अर्थथक ऄिांवत के कारण ईत्पन्न चुनौवतयों से
विकासिील देिों िारा सामूवहक रूप से वनपटने और अर्थथक मुद्दों पर विचार-विमिच के वलए गुट
वनरपेक्ष अंदोलन की भूवमका और ऄवधक महत्िपूणच हो गइ है।
िीत युद् के दौरान ऄमेररका िारा गुट वनरपेक्ष अंदोलन को ऄनैवतक ठहराया गया था। परन्तु
ितचमान में आसके प्रासंवगक होने के बािजूद भी पवश्चमी राष्ट्रों िारा आसके महत्ि का ईपहास ककया
जाता है। गुट वनरपेक्ष अंदोलन विकासिील देिों को एक ईवचत मंच प्रदान करता है। सामान्यतः
विकासिील देिों की समतयाओं को विवभन्न ऄंतराचष्ट्रीय मंचों में ऄपयाचि प्रवतवनवधत्ि एिं ईनके
विचारों को प्रदत्त कम महत्ि के कारण नजरं दाज़ कर कदया जाता है। गुट वनरपेक्ष अंदोलन विखर
सम्मेलन के दौरान संयुि राष्ट्र महासवचि की ईपवतथवत आसके महत्ि को प्रदर्थित करती है। दिकों
पश्चात प्रथम बार वमस्र के राष्ट्रपवत ने गुट वनरपेक्ष अंदोलन में भाग वलया।
ऄपने संगठन के कारण, गुट वनरपेक्ष अंदोलन संघषचरत देिों के अंतररक मामलों में हततक्षेप ककए
वबना सीररया तथा इरान में संघषच जैसी ऄविलंबनीय समतयाओं हेतु तथानीय समाधानों के वलए
एक मंच प्रदान करने में सक्षम है। ईदाहरणाथच- NAM Troika (वमस्र, इरान एिं िेनेजए
ु ला) का
गठन सीररया के वलए ककया गया था, हांलाकक यह वनधाचररत पररणाम प्राि करने में ऄसफल रहा
है।
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NAM की ऄध्यक्षता के संबंध में क्षेत्रीय अितचन (Regional Rotation) के वसद्ांत का पालन
ककया जाता है। ऄफ्रीका, एविया और दवक्षण ऄमेररका का कोइ भी देि रोटेिन के माध्यम से
गुटवनरपेक्ष अंदोलन की ऄध्यक्षता प्राि कर सकता है। पूिच, ितचमान तथा अगामी ऄध्यक्ष को
सामूवहक रूप से रोआका (Troika) कहा जाता है। ईदारणाथच 2012 के सम्मेलन में वमस्र-इरान-
िेनज़
े ुएला ने रोआका का गठन ककया था।
1995 के 11िें NAM विखर सम्मेलन में आस बात पर सहमवत बनी की सभी वनणचय सिचसम्मवत के
बजाय परतपर सहमवत िारा वलए जाएंगे।
NAM का समन्ियक ब्यूरो न्यूयॉकच में वतथत है जो NAM के कायच में समन्ियन तथावपत करने हेतु
कें ि बबदु के रूप में कायच करता है। लगातार दो NAM विखर सम्मेलनों के मध्य वनयवमत रूप से
आसकी बैठक होती है।
कु छ विविि कायों के वनपटान हेतु कइ क्षेत्रीय सवमवतयों का भी गठन ककया गया है।
10. गु ट वनरपे क्ष अं दोलन में ककए जाने िाले सं भाव्य सु धार
NAM को सुदढ़ृ बनाने हेतु आसकी रोआका व्यितथा पर पुनः विचार करने की अिश्यकता है।
NAM िारा ऄपने घोषणा पत्र को सीवमत करने का प्रयास ककया गया है, हालांकक सदतय देिों
िारा आसमें ऄपने घरे लू मुद्दों के समािेि के कारण यह संभि नहीं हो सका है।
NAM के लक्ष्यों का पुनर्थनधाचरण करना चावहए; यह सुझाि भारत िारा 2012 में अयोवजत
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