Professional Documents
Culture Documents
VisionIAS Hindi Magazine January 2024 January 2024
VisionIAS Hindi Magazine January 2024 January 2024
1. राजव्यिस्था एिं शासन (Polity and Governance) _____ 5 3.5. पेरोवलयम अन्िेषण एिं उत्पादन ________________ 47
1.1. भारत में अविकरण प्रणाली _____________________ 5 3.6. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग ______________________ 50
1.2. पंचायती राज संस्थाओं की वित्तीय वस्थवत___________ 7 3.7. प्रिान मंत्री ग्राम सड़क योजना _________________ 52
1.3. स्रीट िेंडसस (जीविका संरक्षण और स्रीट िेंडडंग विवनयमन) 3.8. संवक्षप्त सुर्खसयां ____________________________ 54
अविवनयम, 2014_______________________________ 9 3.8.1. भारत, विश्व का चौथा सिसे िड़ा शेयर िाजार िन
1.4. प्रशासवनक सुिारों के वलए पुनोत्थान योजना________ 11 गया _____________________________________ 54
1.5. संवक्षप्त सुर्खसयां ____________________________ 13 3.8.2. सािसजवनक भारतीय कं पवनयों की डायरेक्ट वलडस्टंग 55
1.5.1. दोहरी नागररकता_______________________ 13 3.8.3. मनरे गा के तहत मजदूरी का भुगतान अि के िल आिार
1.5.2. सुप्रीम कोटस विविक सेिा सवमवत _____________ 13 आिाररत भुगतान प्रणाली (ABPS) के माध्यम से ही ककया
1.5.3. सुप्रीम कोटस ने विलककस िानो मामले में पररहार को जाएगा ___________________________________ 55
रद्द ककया __________________________________ 13 3.8.4. सोलहिां वित्त आयोग ____________________ 56
1.5.4. अनुसूवचत जावतयों के िीच लाभों के समान वितरण 3.8.5. प्रत्यक्ष कर-GDP का अनुपात 15 साल के सिोच्च स्तर
हेतु पैनल __________________________________ 14 पर ______________________________________ 56
1.5.5. MPLADS ई-साक्षी मोिाइल एवललके शन ______ 15 3.8.6. ररिसस वफ्लप __________________________ 57
1.5.6. सोशल ऑवडट सलाहकार वनकाय ____________ 15 3.8.7. मोंमेटम इन्िेडस्टंग ______________________ 57
2. अंतरासष्ट्रीय संिि
ं (International Relations) _________ 17 3.8.8. मॉडल आिाररत ऋण प्रकिया ______________ 57
2.1. गुटवनरपेक्ष आंदोलन _________________________ 17 3.8.9. आिुवनक मौकिक वसद्ांत _________________ 58
2.2. इन्फॉमेशन फ्यूज़न सेंटर फॉर इं वडयन ओशन रीज़न ___ 19 3.8.10. भारतीय लौह अयस्क िाजार______________ 58
2.3. भारत-नेपाल संिंि _________________________ 20 3.8.11. ऑवडट गुणित्ता में कवमयां _______________ 59
2.3.1. भारत-नेपाल जलविद्युत सहयोग ____________ 22 3.8.12. भारतमाला के पहले चरण को िढ़ाया ________ 59
2.4. भारत-रूस संिंि ___________________________ 23 3.8.13. D-SIBs, 2023 की सूची________________ 60
2.5. भारत-इटली संिंि __________________________ 26 3.8.14. पेमेंट इंफ्रास्रक्चर डेिलपमेंट फं ड (PIDF) योजना60
2.6. जेनोसाइड कन्िेंशन _________________________ 27 3.8.15. नेशनल रांवजट पास वसस्टम ______________ 61
2.7. “ग्लोिल कोऑपरे शन िैरोमीटर 2024” ररपोटस ______ 29 3.8.16. अटल सेतु न्हािा शेिा सी डलंक ____________ 62
2.8. संवक्षप्त सुर्खसयां ____________________________ 32 3.8.17. भारत में मानकीकरण ___________________ 62
2.8.1. अंगोला ने “ओपेक/OPEC” छोड़ने की घोषणा की 32 3.8.18. यूररया गोल्ड _________________________ 63
2.8.2. संयुक्त राष्ट्र सांवययकी आयोग _______________ 32 3.8.19. प्रोटेक्शन ऑफ ललांट िेरायटीज एंड फामससस राइट्स
2.8.3. हेग एपोवस्टल कन्िेंशन, 1961 ______________ 32 एक्ट _____________________________________ 63
2.8.4. पविम एवशयाई देशों में ईरान के जिािी हमले और 3.8.20. विशेष रूप से संिेदनशील जनजातीय समूह
उनका क्षेत्र में भारत के वहतों पर प्रभाि _____________ 33 (PVTGs) के वलए नई सौर ऊजास योजना ___________ 64
2.8.5. UAE-इं वडया CEPA काउं वसल _____________ 33 3.8.21. विद्युत (संशोिन) वनयम, 2024 अविसूवचत ___ 65
2.8.6. हेनले पासपोटस इं डेक्स (HPI) 2024 __________ 34 3.8.22. ग्लोिल हाइड्रोजन रेडडंग मैकेवनज्म _________ 66
3. अथसव्यिस्था (Economy) _______________________ 35 3.8.23. राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के सब्सिाइिसस के
3.1. राष्ट्रीय िहुआयामी गरीिी सूचकांक ______________ 35 वलए “पॉइं ट ऑफ प्रेजेंस” _______________________ 66
3.2. यूवनफाइड पेमेंट इं टरफे स _____________________ 38 3.8.24. फ्यूचर ऑफ ग्रोथ ररपोटस 2024 ____________ 67
3.3. गैर-वनष्पाकदत पररसंपवत्तयां ___________________ 41 3.8.25. अत्यािुवनक आर्टसकफवशयल इं टेवलजेंस (AI) तक
3.4. सरकारी प्रवतभूवतयां ________________________ 43 समािेशी पहुंच _____________________________ 67
नोट:
वप्रय अभ्यर्थसयों,
करें ट अफे यसस को पढ़ने के पिात् दी गयी जानकारी या सूचना को याद करना और लंिे समय तक स्मरण में रखना आर्टसकल्स को समझने
वजतना ही महत्िपूणस है। मावसक समसामवयकी मैगज़ीन से अविकतम लाभ प्राप्त करने के वलए, हमने वनम्नवलवखत नई विशेषताओं को इसमें
शावमल ककया है:
विवभन्न अििारणाओं और विषयों की आसानी से पहचान तथा उन्हें स्मरण में िनाए रखने के वलए मैगज़ीन में िॉक्स,
तावलकाओं आकद में विवभन्न रंगों का उपयोग ककया गया है।
विषय को आसानी से समझने और सूचनाओं को याद रखने के वलए विवभन्न प्रकार के इंफोग्राकफक्स को भी जोड़ा गया है।
इससे उत्तर लेखन में भी सूचना के प्रभािी प्रस्तुतीकरण में मदद वमलेगी।
सुर्खसयों में रहे स्थानों और व्यवक्तयों को मानवचत्र, तावलकाओं और वचत्रों के माध्यम से िस्तुवनष्ठ तरीके से प्रस्तुत ककया
गया है। इससे तथ्यात्मक जानकारी को आसानी से स्मरण रखने में मदद वमलेगी।
• प्रकृ वत: अविकरण अिस-न्यावयक (Quasi-judicial) वनकाय होते हैं। इनका उद्देश्य न्यायपावलका पर मुकदमों का भार कम करना है। इसके अलािा,
अविकरणों में तकनीकी विषयों से जुड़े मामलों के वनपटान के वलए विषय विशेषज्ञ भी शावमल होते हैं, वजससे फै सला सुनाना आसान हो जाता है।
• संिैिावनक मान्यता: 1976 में, 42िें संवििान संशोिन के जररए अनुच्छे द 323A और 323B को भारत के संवििान में जोड़ा गया था।
o अनुच्छेद 323A: यह संसद को लोक सेिकों की भती और उनकी सेिा शतों से संिवं ित मामलों से वनपटने के वलए प्रशासवनक अविकरण गरित
करने का अविकार देता है। संसद कें ि और राज्य, दोनों स्तरों पर अविकरणों का गिन कर सकती है।
o अनुच्छेद 323B: इसके तहत अन्य विषयों (जैस-े करािान, भूवम सुिार आकद) के वलए अविकरणों की स्थापना से संिंवित प्राििान ककए गए
हैं। इन विषयों के वलए संसद या राज्य वििान-मंडल कानून िनाकर अविकरणों का गिन कर सकते हैं।
▪ 2010 में, सुप्रीम कोटस ने स्पष्ट ककया था कक अनुच्छेद 323B के तहत वनिासररत विषयों पर के िल संसद का ही अनन्य अविकार नहीं हैं।
राज्य वििान-मंडल संवििान की सातिीं अनुसच ू ी में उवल्लवखत उनके अविकार-क्षेत्र के अिीन आने िाले ककसी भी विषय पर अविकरण
का गिन कर सकते हैं।
• अविकरणों की संरचना: पारं पररक अदालतों के विपरीत, अविकरणों में न्यावयक सदस्यों के साथ-साथ विशेषज्ञ सदस्य (यानी तकनीकी सदस्य) भी
वनयुक्त ककए जाते है।
• क्षेत्राविकार: प्रत्येक अविकरण को उसकी विशेषज्ञता के घोवषत क्षेत्र के भीतर मामलों की सुनिाई करने और वनणसय लेने के वलए विवशष्ट क्षेत्राविकार
कदया गया है।
o कु छ अविकरणों के पास अपीलीय क्षेत्राविकार भी प्राप्त है। इसका अथस है कक िे अविकरण अपने से नीचे के प्राविकरणों या प्राविकाररयों या
सरकारी वनकायों द्वारा कदए गए वनणसयों के वखलाफ अपील सुन सकते हैं।
• अपील: सामान्यतः अविकरणों के फै सलों के वखलाफ अपील संिंवित हाई कोटस में की जाती है। हालांकक, कु छ ऐसे कानून भी हैं वजनके अंतगसत अपीलों
की सुनिाई सुप्रीम कोटस द्वारा की जाएगी।
o चंि कु मार िाद (1997) में, सुप्रीम कोटस ने अविकरणों के फै सलों के वखलाफ संिंवित हाई कोटस की खंडपीि में अपील करने की अनुमवत प्रदान
की थी।
• ितसमान में, अविकरणों को हाई कोटस के विकल्प और हाई कोटस के अिीनस्थ, दोनों के रूप में स्थावपत ककया गया है।
अविकरणों का महत्त्ि
• विशेषज्ञता: अविकरणों में मामलों का वनपटारा प्रासंवगक कानूनी और तकनीकी मुद्दों की गहरी समझ रखने िाले व्यवक्तयों द्वारा ककया जाता है।
इससे न्यावयक विशेषज्ञता सुवनवित होती है।
• शीघ्र समािान: यह व्यिस्था उन क्षेत्रों यथा- सेिा मामले, कर वििाद, पयासिरणीय मुद्दे आकद के वलए काफी महत्िपूणस है, जहां समय पर वनणसय देना
जरूरी होता है।
• कायस भार को कम करना: विशेष प्रकार के मामलों का वनपटारा करके अविकरण पारं पररक न्यायालयों के कायस भार को कम करते हैं। साथ ही, इससे
न्यायालयों में लंवित मामलों से वनपटने में मदद वमलती है।
• पहुंच: भौगोवलक रूप से अविकरणों और इनकी पीिों को देश भर में स्थावपत ककया गया है।
• सेिा मामलों में दक्षता: कें िीय प्रशासवनक अविकरण (CAT)2 जैसे प्रशासवनक अविकरण, सरकारी कमसचाररयों के वलए सेिा-संिि
ं ी मामलों का
वनपटान शीघ्रता से करते हैं।
अविकरणों के संिि
ं में डचंताएं
• स्ितंत्रता का अभाि: आलोचकों का तकस है कक कु छ अविकरण पूणसतया स्ितंत्र नहीं हो सकते हैं। ऐसा इसवलए, क्योंकक अविकरण के सदस्यों की
वनयुवक्त प्राय: सरकार द्वारा की जाती है।
o इससे अविकरण द्वारा वनणसय लेने की क्षमता पर अनुवचत प्रभाि या सरकार द्वारा हस्तक्षेप होने की संभािना िनी रहती है।
o 2019 में, सुप्रीम कोटस ने कहा था कक अविकरणों के सदस्यों की वनयुवक्त के वलए िनी चयन सवमवतयों में न्यावयक पृष्ठभूवम के सदस्यों की कमी
शवक्तयों के पृथक्करण के वसद्ांत का उल्लंघन है।
आगे की राह
• स्ितंत्रता में िृवद्: अविकरणों के सदस्यों की वनयुवक्त और हटाने के वलए एक तंत्र िनाया जाना चावहए। साथ ही, इनके कायसकाल को वििायी और
कायसकारी हस्तक्षेप से पयासप्त संरक्षण प्रदान करने आिश्यकता है।
• अविकरणों का प्रशासन: कार्मसक, लोक वशकायत, कानून और न्याय पर स्थायी सवमवत (2015) ने भारत में सभी अविकरणों के प्रशासन के वलए
राष्ट्रीय अविकरण आयोग (NTC)3 नामक एक स्ितंत्र वनकाय के वनमासण की वसफाररश की थी।
o 2020 में, शीषस न्यायालय ने अविकरणों में वनयुवक्तयों के साथ-साथ इनके कामकाज और प्रशासन की वनगरानी के वलए NTC के गिन पर भी
िल कदया था।
• समय पर वनयुवक्तयां: मामलों को वनपटाने में होने िाली देरी को रोकने और संवचत कायसभार को कम करने के वलए अविकरणों के सदस्यों की वनयुवक्त
प्रकिया में तेजी लाने की आिश्यकता है।
o एक नए कानून के अविवनयमन के िाद जो नए मुद्दे सामने आएंगे िहां न्यावयक प्रभाि मूल्यांकन सहायता प्रदान कर सकता है।
• क्षेत्राविकार संिि
ं ी स्पष्ट सीमाएं: वनयवमत अदालतों के अवतव्यापन और विरोिाभासी फै सलों से िचने के वलए प्रत्येक अविकरण के क्षेत्राविकार को
स्पष्ट रूप से पररभावषत और सीमांककत ककया जाना चावहए।
• प्रवशक्षण और योग्यताएं: यह सुवनवित करने की आिश्यकता है कक अविकरण के तकनीकी सदस्यों के पास पयासप्त कानूनी योग्यताएं हों। साथ ही,
सदस्यों को कानूनी वसद्ांत वसखाने के वलए प्रवशक्षण भी प्रदान ककया जाना चावहए। इससे कानूनी मामलों के िारे समझ िेहतर होगी।
हाल ही में, भारतीय ररज़िस िैंक (RBI) ने “पंचायती राज संस्थाओं की वित्तीय वस्थवत”
शीषसक से अपनी ररपोटस जारी की। इस ररपोटस में 2020-21 से 2022-23 के वलए PRIs
की वित्तीय वस्थवत पर चचास की गई है।
राजस्ि के आंतररक/ स्ियं के स्रोत • कर राजस्ि: भूवम (कृ वष भूवम के अलािा) या भिन अथिा दोनों पर सम्पवत्त कर, वनजी शौचालयों पर कर, प्रकाश
कर, पंचायत क्षेत्र में व्यिसाय या िृवत्त करने िाले व्यवक्तयों पर कर, आकद।
• गैर-कर राजस्ि: पंचायत क्षेत्र में वििय के वलए िाहर से माल मंगाने िाले व्यवक्तयों पर िाजार कर, पंचायत क्षेत्र में
पशुओं के वििय के पंजीयन पर शुल्क आकद।
कें िीय वित्त आयोग और राज्य वित्त • शतों के तहत कदया गया अनुदान: स्िच्छता, वशक्षा आकद जैसे विवशष्ट उद्देश्यों या क्षेत्रों के वलए वनिासररत।
आयोग से िन का अंतरण • गैर-शतस अनुदान (सामान्य प्रयोजन अनुदान): ये अनुदान विवशष्ट शतों या प्रवतिंिों के विना कदए जाते हैं। इनका
उपयोग स्थानीय आिश्यकताओं और प्राथवमकताओं के वलए ककया जा सकता है।
• प्रदशसन-आिाररत अनुदान: कें िीय वित्त आयोग की वसफाररशों और विवशष्ट प्रदशसन मानदंडों के आिार पर PRIs
को अवतररक्त िनरावश दी जाती है।
• विशेष श्रेणी अनुदान: ये अनुदान अवतररक्त वित्तीय सहायता के तौर पर कदए जाते हैं। ये विवशष्ट क्षेत्रों या संदभों में
PRIs की अनूिी चुनौवतयों या विशेष जरूरतों का समािान करने के वलए कदए जाते हैं।
अन्य स्रोत • मनरे गा, प्रिान मंत्री आिास योजना (ग्रामीण), सांसद आदशस ग्राम योजना जैसी विवभन्न योजनाओं के तहत कें ि
सरकार और राज्य सरकार से अंतररत वनवि।
• विश्व िैंक जैसे अंतरासष्ट्रीय वनकायों से कदए जाने िाले अनुदान।
• संरचनात्मक चुनौवतयां: PRIs के वलए आिंरटत वित्तीय संसािन अपयासप्त हैं। ये वित्तीय संसािनों के वलए राज्य सरकारों और कें ि सरकार पर
अत्यविक वनभसर हैं। इसके अलािा, खराि अिसंरचना PRIs के कामकाज में िािा डालती है।
o PRIs के राजस्ि का लगभग 95% वहस्सा कें ि और राज्य सरकार से अनुदान के रूप में वमलता है।
• डेटा में असंगवत: PRIs की आय और व्यय पर डेटा की कमी है तथा मानकीकृ त प्रारूपों में डेटा िनाए रखने के वलए कु शल कमसचाररयों का भी अभाि
है। इसके कारण PRIs के वित्तीय स्िास्थ्य का आकलन करना काफी करिन कायस है।
o गौरतलि है कक 2019-20 के वलए के िल 46% ग्राम पंचायतों हेतु ही लेखा-परीक्षा ररपोट्सस तैयार की गई थी।
• स्ियं के राजस्ि के सीवमत स्रोत: पंचायतों के स्ियं के राजस्ि स्रोत सीवमत हैं। इनमें मुयय रूप से संपवत्त कर, शुल्क, जुमासना आकद शावमल हैं।
o PRIs के वलए स्थानीय कर राजस्ि सृजन में अग्रवलवखत चुनौवतयां विद्यमान हैं: सीवमत कर आिार, प्रशासवनक अिसंरचना की कमी,
प्रवशवक्षत कमसचाररयों का अभाि, नए कर लागू करने के वलए अस्पष्ट कदशा-वनदेश आकद।
• भ्रष्टाचार: PRIs में व्यवक्तगत लाभ के वलए वनवियों के दुरुपयोग के कई मामले सामने आए हैं। इसके कारण PRIs को अपनी भूवमकाओं और
वजम्मेदाररयों को प्रभािी ढंग से पूरा करने में िािा उत्पन्न हुई है।
आगे की राह
• िजटीय सहायता: कें ि और राज्य सरकारों द्वारा PRIs को उनकी वजम्मेदाररयों को पूरा करने के वलए पयासप्त वित्तीय संसािन आिंरटत करने
चावहए। इसके अलािा, PRIs के विविि वित्त-पोषण स्रोतों के वलए कदम उिाए जाने चावहए।
• कौशल विकास: PRIs के सदस्यों के वित्त प्रिंिन कौशल में िढ़ोतरी करनी चावहए। इसके वलए एक प्रवशक्षण और क्षमता वनमासण कायसिम चलाने
की जरूरत है। इससे वनवि का प्रभािी और पारदशी उपयोग सुवनवित होगा।
• जिािदेही: वनवि के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार पर रोकथाम के वलए सयत वित्तीय जिािदेही उपाय अपनाने चावहए। साथ ही, वनयवमत और स्ितंत्र
लेखा-परीक्षा की व्यिस्था करनी चावहए तथा पारदशी ररपोर्टिंग तंत्र स्थावपत करना चावहए।
• SFC को मजिूत करना: SFC का गिन प्रत्येक पांच िषस में ककया जाना चावहए। इनकी ररपोट्सस वनयवमत रूप से राज्य वििावयका के समक्ष पेश की
जानी चावहए। यह कदम PRIs की वित्तीय वस्थवत को मजिूत कर सकता है और उन्हें अपनी वजम्मेदाररयों को िेहतर ढंग से पूरा करने में मदद कर
सकता है।
• जागरूकता: स्थानीय स्िशासन प्रकियाओं में PRIs की िढ़ती भागीदारी को प्रोत्सावहत करना चावहए। साथ ही, उनके कायों और महत्त्ि के िारे में
नागररकों के िीच जागरूकता का प्रसार भी करना चावहए।
1.3. स्रीट िें ड सस (जीविका सं र क्षण और स्रीट िें डडं ग विवनयमन) अविवनयम, 2014 {Street
Vendors (Protection of Livelihood and Regulation of Street Vending) Act,
2014}
सुर्खसयों में क्यों?
हाल ही में, आिासन और शहरी कायस मंत्री ने स्रीट िेंडसस (जीविका संरक्षण और स्रीट िेंडडंग विवनयमन) अविवनयम, 2014 के प्राििानों के कायासन्ियन
की िीमी गवत का उल्लेख ककया है।
• इस दौरान एक संशोवित PAiSA पोटसल डैशिोडस और पी.एम. स्िवनवि (PM SVANidhi) वमशन मॉवनटटरं ग पोटसल भी शुरू ककया गया।
o पोटसल फॉर अफोडेिल िे वडट और इं टरे स्ट सििेंशन एक्सेस (PAiSA) एक प्रकार का पोटसल है। इसे पी.एम. स्िवनवि, स्िरोजगार कायसिम
आकद के तहत पात्र लाभार्थसयों को ब्याज सवब्सडी की प्रोसेडसंग के वलए एक कें िीकृ त मंच प्रदान करने हेतु वडजाइन ककया गया है।
• स्रीट िेंडसस के अविकार: प्रत्येक स्रीट िेंडर (पथ वििे ता) को िेंडडंग (वििय) प्रमाण-पत्र में उवल्लवखत वनयमों और शतों के अनुसार, स्रीट िेंडडंग
गवतविवियां संचावलत करने का अविकार है।
• स्रीट िेंडसस के कतसव्य:
o िेंडर को प्रवतकदन उसे दी गई समयािवि के अंत में अपना सामान और माल हटाना होगा।
o िेंडडंग जोन एिं आस-पास के क्षेत्रों में साफ-सफाई और सािसजवनक स्िच्छता िनाए रखनी होगी।
o िेंडडंग जोन में नागररक सुवििाओं और सािसजवनक संपवत्त को िेहतर वस्थवत में िनाए रखना होगा।
o स्थानीय प्राविकरणों द्वारा वनिासररत नागररक सुवििाओं और सुख-सािनों के वलए रख-रखाि शुल्क का भुगतान करना होगा।
• टाउन िेंडडंग सवमवतयां (TVCs)7: अविवनयम में प्रत्येक स्थानीय प्राविकरण में इनका गिन ककए जाने का प्राििान ककया गया है। ये सवमवतयां
ककसी शहर में िेंडडंग जोन की गणना, पहचान और आिंटन का काम करें गी।
o TVCs को वमवश्रत रूप से गरित ककया जाने का प्राििान ककया गया है। इनमें कम-से-कम 40% वनिासवचत सदस्य स्रीट िेंडसस होंगे, वजनमें से
एक-वतहाई मवहलाएं होंगी।
• स्रीट िेंडसस का सिेक्षण: यह कायस वचवन्हत ककए गए िेंडसस को िेंडडंग प्रमाण-पत्र जारी करने के वलए प्रत्येक पांच साल में कम-से-कम एक िार ककए
जाने का प्राििान ककया गया है।
• िेंडसस की संयया पर अविकतम सीमा: यह संिंवित िेंडडंग जोन में िेंडसस को समायोवजत करने के वलए िाडस या जोन या कस्िे या शहर की आिादी का
2.5% वनिासररत की गई है।
• वशकायत वनिारण सवमवतयां: इनका गिन राज्यों द्वारा ककया जाना है। सवमवतयों की अध्यक्षता एक सेिावनिृत्त न्यावयक अविकारी करे गा। इनका
काम स्रीट िेंडसस की वशकायतों की वनष्पक्ष जांच करना है।
• असमान कायासन्ियन: कानून िन जाने के एक दशक िाद भी के िल 17 राज्यों ने ही स्रीट िेंडसस के कल्याण के वलए वशकायत वनिारण सवमवतयों का
गिन ककया है।
o कई शहरी स्थानीय वनकायों में तो अि तक TVCs का गिन ही नहीं ककया गया है। इसके अलािा, कई राज्यों में मौजूदा TVCs में स्रीट िेंडसस
का उवचत प्रवतवनवित्ि भी नहीं है।
• िेंडसस की अविकतम संयया: अविवनयम के अंतगसत स्रीट िेंडसस की अविकतम संयया िाडस/ शहर की कु ल आिादी का 2.5% वनिासररत की है। यह
संयया कदल्ली, मुंिई जैसे प्रमुख महानगरों के वलए काफी कम है।
• रे लिे की भूवम और उसके पररसर को शावमल न करना: यह अविवनयम रे लिे के स्िावमत्ि और वनयंत्रण िाली ककसी भी भूवम, पररसर और रेनों पर
लागू नहीं होता है, जो िेंडसस के वलए एक िड़ा व्यािसावयक क्षेत्र है।
• एकरूपता का अभाि: ितसमान में, स्रीट िेंडडंग को राज्य वििान-मंडल द्वारा अविवनयवमत नगरपावलका कानूनों के तहत विवनयवमत ककया जाता है।
इसके पररणामस्िरूप, इस अविवनयम के कायासन्ियन में एकरूपता की कमी है।
o उदाहरण के वलए- िृहन्मुि
ं ई नगर वनगम ने 2022 तक अवििास (Domicile) प्रमाण-पत्र के आिार पर िेंडडंग प्रमाण-पत्र जारी ककए थे।
ज्ञातव्य है कक 2014 के अविवनयम के तहत अवििास िेंडडंग प्रमाण-पत्र के वलए एक मानदंड नहीं है।
आगे की राह
हाल ही में, सरकार ने प्रशासवनक सुिार और लोक वशकायत विभाग (DARPG)8 की “प्रशासवनक सुिारों के वलए पुनोत्थान योजना” हेतु फं ड्स को
स्िीकृ वत प्रदान की है।
o OCI काडसिारकों को आजीिन िीजा की सुवििा उपलब्ि है। o यह एक िैिावनक वनकाय है।
िे भारत में कई िार आ-जा सकते हैं। िास्ति में यह ▪ इसका गिन राष्ट्रीय विविक सेिा प्राविकरण13 ने
िहुउद्देशीय काडस है। विविक सेिा प्राविकरण अविवनयम, 1987 की िारा
o उन्हें भारत में ककसी भी अिवि तक रहने के वलए स्थानीय 3A के तहत ककया है।
पुवलस के पास पंजीकरण कराने से छू ट दी जाती है।
o उद्देश्य: इसका उद्देश्य वनिसनों, िंवचत िगों और समाज में
o आर्थसक, वित्तीय और वशक्षा से जुड़े क्षेत्रों में उन्हें अवनिासी
हावशए पर रहने िाले लोगों को वनःशुल्क कानूनी सेिाएं
भारतीयों (NRIs) के समान सुवििाएं दी जाती हैं। प्रदान करना है।
▪ हालांकक, OCI काडसिारकों को भारत में कृ वष-भूवम या o भारत के मुयय न्यायािीश इस सवमवत के मुयय संरक्षक
िागान जैसी पररसंपवत्तयों की खरीद की अनुमवत नहीं (Patron-in-Chief) होते हैं।
है।
• सदस्य: इसमें एक अध्यक्ष और 9 सदस्य शावमल होते हैं।
• वनम्नवलवखत विदेशी नागररक OCI के वलए आिेदन करने हेतु पात्र
o अध्यक्ष: सुप्रीम कोटस का मौजूदा न्यायािीश होता है।
हैं:
o जो व्यवक्त 26 जनिरी, 1950 को भारत का नागररक िनने o सदस्य: भारत के मुयय न्यायािीश द्वारा नावमत होते हैं।
के वलए पात्र था। 1.5.3. सु प्रीम कोटस ने विलककस िानो मामले में
o जो व्यवक्त 26 जनिरी, 1950 को या उसके िाद ककसी भी पररहार को रद्द ककया (SC Annuls Remission
समय भारत का नागररक रह चुका हो। in Bilkis Bano Case)
o उपयुसक्त दोनों पात्रताओं के तहत आने िाले नागररकों की
संतान या पोते-पोती या परपोते-परपोती। • विलककस िानो मामले के 11 दोवषयों को गुजरात सरकार द्वारा
समय से पहले ररहाई के फै सले को सुप्रीम कोटस ने रद्द कर कदया है।
power) के तहत आने िाले कानून के दायरे में कदया शावमल ककया गया है। सूची में जावतयों की संयया अविक
होने से िास्तविक लाभार्थसयों तक लाभ नहीं पहुंच पा रहा
गया है; और है।
▪ यकद ककसी व्यवक्त को मृत्युदड
ं की सजा दी गई है। • यह सवमवत आरक्षण से जुड़े मुद्दों पर विचार नहीं करे गी। हालांकक,
o इस मामले में संवििान के अनुच्छेद 161 के तहत, राज्यपाल SCs के उप-िगीकरण की मांग के िीच इस सवमवत का गिन
की शवक्तयां भी राष्ट्रपवत के ही समान हैं। हालांकक, राज्यपाल अपने-आप में महत्त्ि रखता है।
की ये शवक्तयां के िल राज्य की कायसपावलका शवक्त के अिीन o गौरतलि है कक सुप्रीम कोटस की 7 न्यायािीशों की संवििान
ही होती हैं। पीि इस िात पर सुनिाई करे गी कक क्या राज्यों के पास
SCs को अलग-अलग उप-िगों में िगीकृ त करने की शवक्त है
• पररहार (Remission) से संिवं ित कानूनी आिार:
या नहीं।
o आपराविक प्रकिया संवहता (CrPC), 1973 की “िारा 432” • SCs के उप-िगीकरण पर न्यायालय के वनणसय/ कानूनी प्राििान:
सरकार को ककसी व्यवक्त को दी गई सजा को ‘वनलंवित’ करने o ई.िी. वचन्नैया िनाम आंध्र प्रदेश राज्य िाद: सुप्रीम कोटस ने
या ‘पररहार’ की शवक्त प्रदान करती है। वनणसय कदया है कक राज्य द्वारा SCs का उप-िगीकरण
o हालांकक, CrPC की िारा 433A में 14 साल की सजा काट संवििान के तहत कदए गए “समानता के अविकार” और
चुके लोगों के वलए ‘पररहार’ का प्राििान है। अनुच्छेद 341 का उल्लंघन है।
▪ संवििान का अनुच्छेद 341 राष्ट्रपवत को ‘आरक्षण हेतु
पररहार (Remission) को लेकर सुप्रीम कोटस का फै सला
SC समुदायों की सूची िनाने’ की शवक्त देता है।
• लक्ष्मण नस्कर िनाम भारत संघ िाद (2000): सुप्रीम कोटस ने कहा था
कक दंड के पररहार के वलए वनम्नवलवखत पांच आिारों पर विचार o पंजाि राज्य िनाम दडिंदर डसंह िाद (2020): सुप्रीम कोटस ने
ककया जाना चावहए: वनणसय कदया था कक पहले से अविसूवचत SCs/ STs की
o क्या घरटत अपराि से समाज िड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ है; सूवचयों में लाभ वितरण की मात्रा पर वनणसय लेना SCs/
o क्या अपराि को कफर से दोहराए जाने की संभािना है;
STs की सूवचयों के साथ "छेड़छाड़" नहीं है। राज्य इस
मामले में वनणसय ले सकता है।
14 www.visionias.in ©Vision IAS
o जरनैल डसंह िनाम लक्ष्मी नारायण गुप्ता िाद (2018): 1.5.6. सोशल ऑवडट सलाहकार वनकाय (Social
सुप्रीम कोटस ने SCs के भीतर भी पदोन्नवत में आरक्षण के Audit Advisory Body: SAAB)
वलए “िीमी लेयर” की अििारणा को अपनाने को सही • सोशल ऑवडट सलाहकार वनकाय (SAAB) की पहली िैिक
िहराया था। आयोवजत की गई।
o विशेषज्ञों का यह भी मानना है कक संवििान के अनुच्छेद
• SAAB भारत में अपनी तरह का पहला सलाहकारी वनकाय है।
16(4) में पहले से ही राज्यों को शवक्त दी गई है कक िे उन
o इसका गिन राष्ट्रीय सामावजक रक्षा संस्थान (NISD) में
वपछड़े िगों के वलए विशेष कानून िना सकते हैं, वजनका
ककया गया है।
रोजगार में प्रवतवनवित्ि कम है।
▪ NISD सामावजक न्याय और अविकाररता मंत्रालय के
1.5.5. MPLADS ई-साक्षी मोिाइल एवललके शन सामावजक न्याय एिं अविकाररता विभाग (DoSJE) के
(MPLADS e-SAKSHI Mobile Application) अिीन कायस करता है।
o MPLADS वनवि का उपयोग पेयजल, प्राथवमक वशक्षा आकद o सोशल ऑवडट के प्रमुख मागसदशसक वसद्ांत वनम्नवलवखत हैं:
क्षेत्रों में रटकाऊ सामुदावयक पररसंपवत्तयों के वनमासण के वलए
▪ एक्सेस टू इन्फॉमेशन (जानकारी);
ककया जाता है।
o संसद सदस्य प्रवतिषस MPLADS वनवि का कम-से-कम 15 ▪ पार्टसवसपेशन (भागीदारी);
प्रवतशत अनुसवू चत जावत की आिादी िाले क्षेत्रों में और कम- ▪ प्रोटेक्शन ऑफ वसटीजन्स (सुरक्षा) इत्याकद।
से-कम 7.5 प्रवतशत अनुसवू चत जनजावत की आिादी िाले • सोशल ऑवडट को लागू करना:
क्षेत्रों में खचस के वलए वसफाररश करे गा। o कें ि सरकार ने महात्मा गांिी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारं टी
o MPLADS के तहत वनवियां गैर-व्यपगत (non-lapsable) अविवनयम (मनरे गा) जैसे कई मुयय कायसिमों के वलए सोशल
प्रकृ वत की होती हैं। इसका तात्पयस यह है कक िची हुई ऑवडट का प्राििान ककया है।
आिंरटत रावश अगले िषस भी खचस की जा सकती है। o DoSJE ने नेशनल ररसोसस सेल फॉर सोशल ऑवडट
o इस योजना के तहत प्रत्येक सांसद को प्रवतिषस 5 करोड़ रुपये (NRCSA) की स्थापना की है। इसका उद्देश्य राज्य स्तर पर
समर्पसत सोशल ऑवडट इकाइयों के माध्यम से सोशल ऑवडट
आिंरटत ककए जाते हैं। यह िनरावश 2.5 करोड़ रुपये की दो
सुवनवित करना है।
ककस्तों में प्रदान की जाती है।
o मेघालय सोशल ऑवडट कानून को लागू करने िाला देश का
o वजलाविकारी के वलए प्रत्येक िषस योजना के कायासन्ियन के
पहला राज्य है।
तहत सभी कायों के कम-से-कम 10 प्रवतशत का वनरीक्षण
• सोशल ऑवडट का महत्त्ि:
करना अवनिायस है।
o यह पारदर्शसता और जिािदेही को िढ़ािा देता है,
त्रैमा�सक
�रवीजन
�स�वल सेवा परी�ा म� आपके �ान, एना�ल�टकल ��ल और सरकारी नी�तय� तथा पहल� क� ग�तशील प्रकृ�त के साथ अपडेटेड रहने क�
�मता को जांचा जाता है। इस�लए इस चुनौतीपूणर् परी�ा के �लए एक �ापक और सु�नयो�जत दृ��कोण काफ� आव�क हो जाता है।
“सरकारी योजनाएं त्रैमा�सक �र�वजन” डॉ�ूम�ट के साथ �स�वल सेवा परी�ा म� सफलता क� अपनी यात्रा शुरू क��जए। यह �वशेष
पेशकश आपको परी�ा क� तैयारी म� एक प�रवतर्नकारी अनुभव प्रदान करेगी। सावधानीपूवर्क तैयार �कया गया हमारा यह डॉ�ूम�ट न
केवल आपक� सीखने क� प्र�क्रया को आगे बढ़ाने के �लए ब�� टाइम मैनेजम�ट और याद रखने क� �मता को बढ़ाने के �लए भी �डज़ाइन
�कया गया है। इस डॉ�ूम�ट को त्रैमा�सक आधार पर तैयार �कया जाता है। यह डॉ�ूम�ट फाइनल परी�ा के �लए �नरंतर सुधार और तनाव
मु� तैयारी हेतु अ��थ� य� के �लए एक आधार के रूप म� कायर् करेगा।
यह सीखने क� प्र�क्रया को बाधार�हत और आसान यात्रा म� बदल देता है। इसके प�रणाम�रूप, आप परी�ा क�
तैयारी के साथ-साथ सरकारी योजनाओ ं, नी�तय� और उनके �न�हताथ� क� गहरी समझ �वक�सत करने म�
सफल होते ह�।
‘सरकारी योजनाएं त्रैमा�सक �रवीजन’ एक डॉ�ूम�ट मात्र नह� है; ब�� यह आपक� परी�ा क� तैयारी म� एक रणनी�तक साथी भी है। यह आपक�
ल�न� ग एप्रोच म� बदलाव लाता है, �जससे यह एक सतत और कुशल प्र�क्रया बन जाती है। परी�ा क� तैयारी के आ�खरी चरण� म� आने वाले तनाव को
अल�वदा क�हए, प्रोए��व ल�न� ग ए�पी�रयंस को आपनाइए और आ��व�ास के साथ सफलता क� ओर आगे ब�ढ़ए।
अहमदाबाद | ब�गलू रु | भोपाल | चंडीगढ़ | �द�ी | गुवाहाटी | हैदराबाद | जयपुर | जोधपुर | लखनऊ | प्रयागराज | पुणे | रांची
2. अं त रास ष्ट्रीय सं िं ि (International Relations)
2.1. गु ट वनरपे क्ष आं दोलन (Non-Aligned Movement: NAM)
सुर्खसयों में क्यों?
हाल ही में, गुटवनरपेक्ष आंदोलन (NAM) का 19िां वशखर सम्मेलन युगांडा के कं पाला में
आयोवजत ककया गया।
अन्य संिवं ित तथ्य
• इस िषस का NAM वशखर सम्मेलन “साझा िैवश्वक समृवद् के वलए सहयोग में
िृवद्14” विषय (थीम) पर कें कित था।
• इस वशखर सम्मेलन में कं पाला घोषणा-पत्र को अपनाया गया। इसके घोषणा-पत्र के
तहत-
o सदस्य देशों ने संयुक्त राष्ट्र को प्राथवमक िहुपक्षीय संगिन के रूप में मजिूत
करने के वलए प्रवतिद्ता व्यक्त की।
o सदस्य देशों ने सतत विकास के वलए एजेंडा, 2030 और अदीस अिािा एक्शन
एजेंडा (AAAA) को साकार करने हेतु संयुक्त प्रयास करने पर सहमवत व्यक्त की
गई।
▪ अदीस अिािा एक्शन एजेंडा सतत विकास के वित्त-पोषण के वलए एक
िैवश्वक ढांचा प्रदान करता है। इसके वलए, यह एजेंडा सभी प्रकार के वित्त-पोषण प्रिाह और नीवतयों को आर्थसक, सामावजक एिं
पयासिरणीय प्राथवमकताओं के साथ संरेवखत करता है।
o सदस्य देशों ने गाजा पट्टी पर अिैि इजरायली सैन्य आिमण की कड़ी डनंदा की। साथ ही, तत्काल और स्थायी मानितािादी युद् विराम का
आह्िान ककया।
• साउथ सूडान NAM का नया सदस्य (121िां) िन गया है।
• उत्पवत्त: इसकी उत्पवत्त 1955 में िांडुंग (इं डोनेवशया) में आयोवजत
एवशया-अफ्रीका सम्मेलन से मानी जाती है।
• NAM के िारे में: NAM का गिन शीत युद् के चरम दौर के समय
अफ्रीका, एवशया, लैरटन अमेररका और दुवनया के अन्य क्षेत्रों के
स्ितंत्रता संग्राम के दौरान ककया गया था।
o जिाहरलाल नेहरू (भारत), सुकणो (इंडोनेवशया), जोवसप ब्रोज़ टीटो (यूगोस्लाविया), गमाल अब्देल नावसर (वमस्र) और िामे निू मा (घाना)
जैसे नेताओं ने NAM के गिन की प्रकिया में प्रमुख भूवमका वनभाई थी। आगे चलकर ये सभी नेतागण NAM के संस्थापक सदस्य िने।
o इसके गिन के पीछे यह विचार यह था कक ये देश दो सैन्य गुटों (अमेररका के अिीन नाटो और सोवियत संघ के अिीन िारसॉ पैक्ट) में से ककसी
के भी साथ गििंिन नहीं करें गे।
• वसद्ांत: िांडुंग सम्मेलन के दौरान घोवषत “िांडुंग के दस वसद्ांतों” को िाद में गुटवनरपेक्ष आंदोलन के मुयय लक्ष्यों/ वसद्ांतों के रूप में अपनाया गया
था (इन्फोग्रकफक देखें)।
• 1961 में NAM का पहला सम्मेलन िेलग्रेड में आयोवजत ककया गया था। िेलग्रेड ितसमान में सर्िसया की राजिानी है।
• सदस्यता: ितसमान में इसमें भारत सवहत 121 सदस्य हैं। इनमें अफ्रीका के 54, एवशया के 39, लैरटन अमेररका और कै ररवियन के 26 तथा यूरोप के
2 देश शावमल हैं।
• संयुक्त राष्ट्र में सुिार और उसका लोकतंत्रीकरण: • िाड (QUAD) का मतलि है- िाड्रीलेटरल वसक्योररटी डायलॉग (Quadrilateral
NAM संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा पररषद के सुिार में तेजी Security Dialogue)। यह भारत, संयुक्त राज्य अमेररका, ऑस्रेवलया, और जापान का
लाने की िकालत करता है। इससे यह संयुक्त राष्ट्र का एक अनौपचाररक रणनीवतक फोरम है।
अविक लोकतांवत्रक, पारदशी और प्रवतवनविक अंग िन • I2U2 भारत, इज़राइल, संयुक्त अरि अमीरात (UAE) और संयुक्त राज्य अमेररका के
वनष्कषस
NAM को स्ियं को पुनपसररभावषत करने और समकालीन विश्व व्यिस्था में अपने उद्देश्यों में निाचारी पररितसन लाने की आिश्यकता है। गुटवनरपेक्ष
आंदोलन ति तक प्रासंवगक िना रहेगा, जि तक विश्व में शोषण, युद्, भुखमरी, गरीिी और रोग व्याप्त हैं।
15 Active Non-Alignment
हाल ही में, IFC-IOR ने अरि सागर में हाईजैक ककए गए माल्टा के जहाज एम.िी. रूएन की मदद की है।
नोट: समुिी व्यापार मागों के िारे में और अविक जानने के वलए, कृ पया मावसक समसामवयकी मैगजीन के कदसंिर, 2023 संस्करण के आर्टसकल “4.3.
सुरवक्षत समुिी व्यापार मागस” का संदभस लें।
• उत्पवत्त: IFC-IOR की स्थापना 2018 में हुई थी। यह सूचना प्रिंिन ि विश्लेषण कें ि (IMAC)16 में अिवस्थत है। इसकी मेजिानी भारतीय नौसेना
द्वारा की जाती है।
o IMAC की स्थापना 2014 में की गई थी। यह गुरुग्राम में अिवस्थत है। भारत ने 26/11 के हमले के तुरंत िाद, IMAC की स्थापना के वलए डहंद
महासागर के देशों को एक साथ लाया था।
o IMAC को भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक िल द्वारा संयुक्त रूप से प्रशावसत ककया जाता है।
• उद्देश्य: व्हाइट वशडपंग समझौतों का उपयोग करके एक साझे सुसंगत समुिी वस्थवत पररदृश्य का वनमासण करके क्षेत्र में समुिी सुरक्षा को मजिूत
करना।
o व्हाइट वशडपंग समझौते के तहत िावणवज्यक असैन्य व्यापारी जहाजों के िारे में जानकारी साझा की जाती है।
• किर ककया गए क्षेत्र: डहंद महासागर क्षेत्र और वनकटिती समुिी क्षेत्र।
o 25 देशों में 67 डलंकेज स्थावपत ककए गए हैं। इस कदम का उद्देश्य सभी के कल्याण की कदशा में शांवतपूणस, वस्थर और समृद् क्षेत्र के वलए ग्लोिल
कॉमन्स (महासागर, िातािरण आकद) को सुरवक्षत रखना है।
o IFC-IOR में 12 साझेदार देशों के इं टरनेशनल लायजन अविकारी (Liaison Officers) तैनात रहते हैं। इनका उद्देश्य िेहतर सहयोग करना,
प्रासंवगक सूचना तैयार करना और समय पर सूचना संिंिी इनपुट प्रदान करना है। इसके ये 12 साझेदार देश हैं- ऑस्रेवलया, फ्रांस, इटली,
जापान, मालदीि, मॉरीशस, म्यांमार, सेशेल्स, डसंगापुर, श्रीलंका, यूनाइटेड ककं गडम और संयुक्त राज्य अमेररका।
• चार सेक्टर: वगनी की खाड़ी, अदन की खाड़ी, अरि सागर और िंगाल की खाड़ी तथा दवक्षण-पूिस एवशया।
• मेरीटाइम इन्फॉमेशन शेयटरं ग िकस शॉप (MISW): यह IFC-IOR का प्रमुख मंच है। यह प्रवशक्षण कायसिम आयोवजत करता है। इसमें िड़ी संयया में
देशों के प्रवतवनवि भाग लेते हैं।
• रणनीवतक साझेदारी: भारत के रणनीवतक साझेदारों जैसे संयुक्त राज्य अमेररका, फ्रांस आकद ने अपने अंतरासष्ट्रीय लायजन अविकाररयों को गुरुग्राम
वस्थत कें ि में तैनात ककया है।
• पड़ोसी देशों के साथ संिि ं ों को मजिूत करना: यह कायस सूचना-साझाकरण ढांचे के माध्यम से ककया जाता है। उदाहरण के वलए श्रीलंका के तटीय
वनगरानी रडारों को IFC-IOR में एकीकृ त ककया जा रहा है।
• क्षेत्रीय सहयोग: IFC-IOR समुिी सुरक्षा से संिंवित सूचना के आदान-प्रदान को सुवििाजनक िना कर क्षेत्रीय सहयोग को िढ़ािा दे रहा है।
o भारत श्रीलंका, मालदीि, मॉरीशस और सेशल्े स में 32 तटीय वनगरानी रडार स्टेशन विकवसत कर रहा है। ये सभी IFC-IOR को डेटा प्रदान
करें गे।
• जानकारी साझा करने में चुनौवतयां: जैसे मानकीकरण, डु वललके ट प्रयासों और अलग-अलग संगिनात्मक स्िरूपों से जुड़े मुद्दे। इससे एकीकृ त
पररचालनात्मक पररदृश्य के वनमासण में िािा उत्पन्न होती है।
• डेटा संलयन (Fusion) और विश्लेषण: सदस्य देशों को क्षेत्र से िाहर के प्रभािों पर कािू पाने और घरे लू राजनीवतक प्रेरणाओं को संिोवित करने के
वलए सूचना की समझ विकवसत करने में करिनाई आती है।
• विश्वास और समन्िय से संिवं ित मुद्दे: िहुपक्षीय सहयोग को अक्सर प्रवतिंवित समन्िय दायरे का सामना करना पड़ता है। साथ ही, डेटा को समान
रूप से साझा करने की अवनच्छा से उत्पन्न होने िाली चुनौवतयों को भी झेलना पड़ता है।
आगे की राह
• पारस्पररक तैनाती: भारत को अपने अंतरासष्ट्रीय लायजन अविकाररयों को अन्य देशों के कें िों में भी तैनात करना चावहए।
• समन्िय और मानकीकरण को सक्षम करना: िैवश्वक स्तर पर सूचना-साझाकरण पैटनस को मानकीकृ त करने और प्रयासों के दोहराि को कम करने के
वलए सहयोगी व्यिस्था िनाने के प्रयास ककए जा सकते हैं।
• वनरं तर विस्तार: इस पहल को और अविक िैवश्वक चररत्र देने के वलए, इसे डहंद महासागर क्षेत्र के भीतर और िाहर अविक देशों के साथ अपने
सूचना-साझाकरण का विस्तार करना चावहए।
• उन्नत समुिी वनगरानी: सतही स्तर पर ग्रे वशडपंग (सैन्य) और डाकस वशडपंग (पहचान-वछपे हुए जहाजों) को किर करने के वलए समुिी डोमेन
जागरूकता (MDA)17 को िढ़ाना चावहए।
हाल ही में, 7िीं भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की िैिक कािमांडू में आयोवजत हुई है। इस िैिक के दौरान भारत और नेपाल ने अनेक समझौतों पर
हस्ताक्षर ककए।
• भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की स्थापना 1987 में की गई थी। यह आयोग वद्वपक्षीय साझेदारी की समीक्षा करने के वलए दोनों देश के विदेश मंवत्रयों
हेतु एक साझा मंच के रूप में कायस करता है।
• भारत-नेपाल के िीच हस्ताक्षररत मुयय समझौतों में वनम्नवलवखत शावमल हैं:
o दोनों देश निीकरणीय ऊजास के विकास में सहयोग करें गे।
o नेपाल अगले 10 िषों तक भारत को 10,000 मेगािाट पनविजली (Hydroelectricity) का वनयासत करे गा।
o इसरो अपने ध्रुिीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) से नेपाल के मुनाल उपग्रह का प्रक्षेपण करे गा।
1950 में हस्ताक्षररत भारत-नेपाल शांवत और वमत्रता संवि दोनों देशों के िीच संिंिों का आिार है। यह संवि दोनों देशों के िीच खुली सीमा ि लोगों के
मध्य नातेदारी और संस्कृ वत के घवनष्ठ संिि
ं ों को प्रदर्शसत करती है।
व्यापार और विकास • व्यापार और वनिेश: भारत, नेपाल का एक प्रमुख विकास भागीदार रहा है। भारत नेपाल का सिसे िड़ा व्यापाररक भागीदार देश है
और इसके प्रत्यक्ष विदेशी वनिेश (FDI) का सिसे िड़ा स्रोत भी है।
o दोनों देशों के िीच व्यापार घाटा भारत के पक्ष में है। इसी के साथ वित्त िषस 2019-20 में वद्वपक्षीय व्यापार 7 विवलयन
अमेररकी डॉलर को पार कर गया था।
• कनेवक्टविटी और विकास साझेदारी: भारत सीमा अिसंरचना के विकास में नेपाल की मदद करता रहा है। भारत द्वारा यह कायस
सड़कों का सुिार करने, सीमा-पार रेल संपकस का विकास करने और समग्र आर्थसक सहायता में िृवद् करने के माध्यम से ककया जाता
है।
o भारत ने नेपाल में तीन प्रमुख रांसवमशन गवलयारों को वित्त-पोवषत करने के वलए 680 वमवलयन डॉलर की ऋण सहायता
प्रदान की है। ये गवलयारे हैं- भेरी गवलयारा, वनजगढ़-इनारुिा गवलयारा और गंडक-नेपालगंज गवलयारा।
o 2023 में भारत के रुपईडीहा और नेपाल के नेपालगंज में वट्िन इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट्स (ICP) स्थावपत ककए गए थे।
o जून 2023 में ‘पारगमन की संशोवित संवि’ पर हस्ताक्षर ककए गए थे। यह नेपाल को भारत के अंतदेशीय जलमागों तक पहुंच
प्रदान करे गी।
राजनीवतक और • राजनीवतक सहयोग: दोनों देशों के िीच वनयवमत उच्च स्तरीय यात्राएं आयोवजत की जाती हैं। भारत की 'नेिरहुड फस्टस' नीवत के
सुरक्षा
तहत नेपाल भारत का प्राथवमकता िाला भागीदार देश है।
• रक्षा सहयोग:
o भारतीय थल सेना की गोरखा रे वजमेंट में नेपाली सैवनकों की भती की जाती है।
o संयुक्त िार्षसक सैन्य अभ्यास जैसे कक सूयस ककरण और आपदा सहायता आयोवजत ककए जाते हैं।
• िहुपक्षीय सहयोग: जैसे कक BBIN (िांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल), विम्सटेक/ BIMSTEC (िहु-क्षेत्रीय तकनीकी और
आर्थसक सहयोग के वलए िंगाल की खाड़ी पहल), गुटवनरपेक्ष आंदोलन, साकस आकद मंचों पर सहयोग। नेपाल भी भारत के नेतृत्ि
िाले अंतरासष्ट्रीय सौर गििंिन (ISA) में शावमल हो गया है।
ऊजास • विद्युत: भारत और नेपाल के िीच 1971 में विद्युत विवनमय समझौता हुआ था। इसका उद्देश्य सीमािती क्षेत्रों में विद्युत
आिश्यकताओं को पूरा करना था।
o िषस 2023 में, भारत के माध्यम से नेपाल से िांग्लादेश तक 40 मेगािाट तक विजली के पहले वत्रपक्षीय विद्युत व्यापार पर
भारत ने सहमवत व्यक्त की थी।
• जलविद्युत सहयोग: भारत और नेपाल के िीच जलविद्युत सहयोग दीघसकावलक और सफल रहा है (इसके वलए नीचे कदया गया लेख
देखें)।
अन्य क्षेत्र • संस्कृ वत:
o विशेष रूप से दोनों देशों के सीमािती क्षेत्रों में लोगों के िीच गहरा जुड़ाि है।
o स्िदेश दशसन योजना में िौद् और रामायण सर्कस ट जैसे घटक हैं। ये घटक नेपाल के लुवं िनी और जनकपुर जैसे िार्मसक शहरों
को भारत से जोड़ते हैं।
• आपदा प्रिंिन:
o नेपाल में 2015 के भूकंप के तुरंत िाद, भारत ने सिसे पहले नेपाल की मदद की थी। भारत ने नेपाल की सहायता के वलए
ऑपरे शन मैत्री संचावलत ककया था।
o भारत ने अपनी िैक्सीन मैत्री पहल के तहत नेपाल को कोविशील्ड की आपूर्तस की थी।
भारत-नेपाल संिि
ं ों में प्रमुख मुद्दे/ चुनौवतयां
• सीमा वििाद: नेपाल सरकार ने 2020 में एक नया राजनीवतक मानवचत्र प्रकावशत ककया था। इस मानवचत्र में तीन भारतीय क्षेत्रों नामतः
वलवम्पयािुरा, कालापानी और वलपुलख
े को नेपाल के राज्य-क्षेत्र में दशासया गया था। इसके िाद दोनों देशों के िीच संिंिों में अत्यविक तनाि उत्पन्न
हो गया है।
• चीन का प्रभाि: चीन ने अपनी िेल्ट एंड रोड इवनवशएरटि (BRI) नीवत के अिीन चल रही पररयोजनाओं के माध्यम से नेपाल के साथ अपनी
आर्थसक भागीदारी में िृवद् की है।
o इसके अलािा, नेपाल की राजनीवत में चीनी हस्तक्षेप को लेकर भी डचंताएं िनी हुई हैं।
• सुरक्षा संिंिी मुद्दे: भारत ि नेपाल के िीच खुली/ अव्यवस्थत सीमा के कारण हवथयारों की तस्करी, आतंकिादी गवतविवियों और जाली भारतीय
मुिा के प्रिाह को िढ़ािा वमलता है। ये सभी भारत के समक्ष गंभीर सुरक्षा जोवखम पैदा करते हैं।
• गोरखा संिंिी मुद्दे: हाल ही में, नेपाल सरकार ने भारतीय थल सेना की गोरखा रे वजमेंट के वलए नेपाली गोरखाओं की भती को रोक कदया है। इसके
कारण दोनों देशों के संिंिों में तनाि उत्पन्न हो गया है। नेपाल का आरोप है कक अवग्नपथ योजना निम्िर‚ 1947 में भारत, वब्रटेन एिं नेपाल के िीच
हुए वत्रपक्षीय समझौते का उल्लंघन करती है।
• शांवत और वमत्रता की संवि, 1950: शांवत और वमत्रता की यह संवि तनािग्रस्त नेपाल-भारत संिंिों के इवतहास के कें ि में रही है। नेपाल ने इस संवि
को "ितसमान समय के अनुरूप नहीं" घोवषत ककया है।
आगे की राह
• सीमा वििाद जैसे वििादास्पद मुद्दों पर चचास के वलए वद्वपक्षीय तंत्र की आिश्यकता है।
o इसके वलए, भारत और िांग्लादेश के िीच सीमा वििाद समािान एक आदशस के रूप में कायस कर सकता है।
• BBIN, विम्सटेक (BIMSTEC), साकस जैसे िहुपक्षीय मंचों का उपयोग जलिायु पररितसन, आपदा प्रिंिन और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे साझा वहतों की
पूर्तस के वलए ककया जाना चावहए।
• दोनों देशों के िीच हिाई कनेवक्टविटी में िृवद् ककए जाने की आिश्यकता है। यह नेपाल की अथसव्यिस्था के वलए महत्िपूणस है।
• दोनों देशों द्वारा संयुक्त रूप से गरित प्रवतवष्ठत व्यवक्तत्ि समूह18 द्वारा अनुशंवसत मैत्री संवि पर पुनः विचार ककया जाना चावहए।
• जलविद्युत सहयोग: पारस्पररक लाभ के वलए नेपाल की जलविद्युत क्षमता का दोहन करने हेतु संयुक्त जलविद्युत पररयोजनाओं का अन्िेषण करना
और उन्हें कायासवन्ित करना चावहए।
• प्राकृ वतक िािाएं: नाजुक भूिैज्ञावनक विशेषताएं और अपयासप्त जल विज्ञान डेटा, नेपाल में नकदयों में उच्च तलछट जमाि, और वहमनदीय गाद की
उपवस्थवत।
• अिसंरचना का अभाि: पररिहन सुवििाओं तक पयासप्त पहुंच का अभाि और विजली वनकासी (Power evacuation) के वलए रांसवमशन वग्रड की
कमी से पररयोजनाओं की व्यिहायसता कम हो जाती है।
• चीन से संिवं ित डचंता: भारत नेपाल में चीनी कं पवनयों द्वारा संचावलत जलविद्युत पररयोजनाओं द्वारा उत्पाकदत ऊजास खरीदने के प्रवत अवनच्छु क है।
• वग्रड तक तीसरे पक्ष की पहुंच के वलए नीवत और विवनयामक तंत्र का अभाि है।
• जल साझाकरण से जुड़े मुद्दे: िड़ी िहुउद्देशीय पररयोजनाओं के साथ-साथ डाउनस्रीम जल के उपयोग और िाढ़ वनयंत्रण आकद का मुद्दा भी उिाया
जाता है।
आगे की राह
• लचीला और प्रभािी िुवनयादी ढांचा: देश (नेपाल) के भीतर अपने रांसवमशन नेटिकस को विकवसत करने और भारत के साथ अंतर-संिंि विकवसत
करने में नेपाल की सहायता करनी चावहए।
• दीघसकावलक सहयोग के रूप में जलविद्युत: दोनों देशों को नेपाल में जलविद्युत पररयोजनाओं को दीघसकावलक सहयोग और क्षेत्रीय वस्थरता के प्रितसक
के रूप में देखना चावहए।
• अविक किरे ज: सीमा-पार ऊजास सहयोग के वलए िांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) मंच के माध्यम से पररयोजनाओं को अन्य क्षेत्रीय
भागीदारों तक भी िढ़ाया जा सकता है।
• यह प्रोटोकॉल सैन्य ि आर्थसक सहयोग, ऊजास व्यापार, कनेवक्टविटी, लोगों के पारस्पररक संपकों आकद में प्रगवत को िढ़ािा देगा।
o इस प्रोटोकॉल की अिवि चार िषस (2024-2028) है।
• इस यात्रा के दौरान भारत और रूस ने कु डनकु लम परमाणु ऊजास संयत्र
ं ों से संिंवित दो अन्य दस्तािेजों पर भी हस्ताक्षर ककए थे। इसके अलािा, दोनों
देशों ने फामासस्यूरटकल्स और स्िास्थ्य देखभाल में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर ककए थे।
भारत और रूस के िीच लंिे समय से चली आ रही समय-परीवक्षत (Time-tested) भागीदारी िहुपक्षिाद एिं िैवश्वक शांवत ि समृवद् के साझा वहतों से
प्रेररत है।
भारत-रूस सहयोग के प्रमुख क्षेत्र एिं इसका महत्त्ि
रक्षा और सुरक्षा • रूस भारतीय सशस्त्र िलों के वलए रक्षा उपकरणों का एक प्रमुख आपूर्तसकतास है। दोनों देश उन्नत रक्षा उपकरणों के संयक्त
ु अनुसि
ं ान,
सहयोग
विकास और उत्पादन में संलग्न हैं, उदाहरण के वलए- ब्रह्मोस वमसाइल प्रणाली।
o वद्वपक्षीय पररयोजनाओं में S-400 की आपूर्तस, T-90 टैंकों और Su-30 MKI का लाइसेंस प्राप्त उत्पादन, भारत में Ak-203
राइफलों का उत्पादन और ब्रह्मोस वमसाइलों का उत्पादन शावमल है।
• दोनों देशों के िीच रक्षा सहयोग को “2021-2031 के वलए सैन्य तकनीकी सहयोग कायसिम पर समझौते” से मागसदशसन प्राप्त होता
है।
• इंि (INDRA) नामक वद्वपक्षीय सैन्य अभ्यास में दोनों देशों की तीनों सेनाएं भाग लेती हैं।
व्यापार एिं आर्थसक • वित्त िषस 2021-22 में दोनों देशों के िीच वद्वपक्षीय व्यापार 13.2 विवलयन डॉलर था। िषस 2025 के वलए दोनों देशों के िीच
सहयोग
वद्वपक्षीय व्यापार का लक्ष्य 30 विवलयन डॉलर वनिासररत ककया गया है।
• वद्वपक्षीय वनिेश 2018 में 30 विवलयन डॉलर के वपछले लक्ष्य को पार कर गया। अि दोनों देशों ने वद्वपक्षीय वनिेश को िढ़ाकर
2025 तक 50 विवलयन डॉलर करने का लक्ष्य रखा है।
• वित्त िषस 2022-2023 के दौरान भारत और रूस के िीच व्यापार 44.4 विवलयन अमेररकी डॉलर के ररकॉडस स्तर पर पहुंच गया
था।
• रक्षा संिि
ं ी चुनौवतयां: भारत को रक्षा आिुवनकीकरण, विवििीकरण और CAATSA के तहत संयुक्त राज्य अमेररका के प्रवतिंिों से िचने के वलए
रूस से अपनी रक्षा आपूर्तस को कम करने की आिश्यकता है।
CAATSA के िारे में
• िदलती विश्व व्यिस्था: संयक्त
ु राज्य अमेररका-चीन प्रवतद्वंवद्वता विश्व व्यिस्था को
एक वद्वध्रुिीय विश्व की ओर ले जा रही है। यह भारत-रूस के दृवष्टकोण के वखलाफ है, • संयुक्त राज्य अमेररका ने CAATSA20 को 2017 में
क्योंकक दोनों देश एक िहुध्रुिीय विश्व व्यिस्था के पक्षिर हैं। अविवनयवमत ककया था। इसे तीन देशों यानी रूस, ईरान
• भू-सामररक वहतों का विस्तार: जैसे-जैसे भारत एक क्षेत्रीय शवक्त से िैवश्वक शवक्त की और नॉथस कोररया पर प्रवतिंि लगाने के वलए पाररत
और िढ़ रहा है, िैसे-िैसे इसके भू-सामररक वहत भी डहंद महासागर और दवक्षण ककया गया था। CAATSA अविवनयम को प्रवतिंिों के
एवशया से आगे िढ़ रहे हैं। उदाहरण के वलए- माध्यम से अमेररका के विरोवियों को प्रवतसंतुवलत करने
o भारत डहंद-प्रशांत क्षेत्र और यूरेवशयाई क्षेत्र में रूस के साथ तनािपूणस संिंि रखने के अविवनयम के नाम से जाना जाता है।
िाले देशों के साथ साझेदारी कर रहा है। • यह इन तीन देशों से व्यापाररक संिंि रखने िाले देशों
• पविम की ओर स्िाभाविक झुकाि: कई विशेषज्ञों का मानना है कक भारत का दुवनया पर भी प्रवतिंि लगाने की अनुमवत देता है।
का सिसे िड़ा लोकतंत्र होने के नाते तथा अपने लोकतांवत्रक ढांचे के कारण पविमी o उदाहरण के वलए- भारत को रूस से S-400 िायु
देशों, यथा- संयुक्त राज्य अमेररका और प्रमुख यूरोपीय देशों के प्रवत झुकाि होना रक्षा प्रणाली की खरीद पर CAATSA प्रवतिंिों
आगे की राह
• उन्नत हवथयारों के संयुक्त विकास और सह-उत्पादन के माध्यम से रूस से रक्षा आपूर्तस का आिुवनकीकरण ककया जाना चावहए। साथ ही,
आत्मवनभसरता को िढ़ािा देना चावहए तथा मेक इन इं वडया के तहत आिुवनकीकरण और विवििता के वलए दूसरों पर भारत की वनभसरता को कम
ककया जाना चावहए।
o स्पेयर पाट्सस के संयक्त
ु वनमासण और रक्षा सहयोग में िृवद् के वलए पारस्पररक लॉवजवस्टक्स समथसन को भी इसमें शावमल ककया जा सकता है।
• अविक वनयम-आिाररत अंतरासष्ट्रीय व्यिस्था के वलए संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों (जैसे कक वब्रक्स, SCO आकद) पर िहुपक्षिाद/ िहुध्रुिीयता का
समथसन ककया जाना चावहए।
• उच्च व्यापार घाटे के साथ-साथ सीवमत आर्थसक संिंिों के मुद्दों को दूर करने के वलए दोनों देशों द्वारा व्यापार का विवििीकरण ककया जाना चावहए।
o रूस ने संभावित वनयासत के वलए भारत को 500 उत्पादों की एक सूची भेजी है। यह कदम दोनों देशों के मध्य व्यापाररक संिंिों को मजिूत करने
में महत्िपूणस वसद् हो सकता है।
• व्यापार और वनिेश संिंिी िािाओं को दूर करने के साथ आर्थसक संिंिों में वनजी क्षेत्रक की भागीदारी को िढ़ािा कदया जाना चावहए।
• पूिी समुिी गवलयारे का पररचालन करना: चेन्नई और व्लाकदिोस्तोक (रूस के सुदरू पूिस) को जोड़ने िाले प्रस्तावित समुिी मागस के पररचालन से
लॉवजवस्टक कनेवक्टविटी में सुिार होगा।
• वद्वपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर सहयोग को व्यापक िनाने के प्रयास करने चावहए। साथ ही, िैवश्वक शांवत और वस्थरता पर साझा सामान्य
उत्तरदावयत्िों के वहस्से के रूप में सहयोग के नए मंचों को शावमल करना चावहए।
20 Countering America's Adversaries Through Sanctions Act/ कॉउं टटरं ग अमेररकाज़ एडिससरीज़ थ्रू सैंक्शंस एक्ट
हाल ही में, कें िीय मंवत्रमंडल ने भारत और इटली के िीच प्रिासन ि आिाजाही समझौते को मंजूरी प्रदान की है।
• राजनीवतक संिि
ं : दोनों देशों के िीच राजनीवतक और आविकाररक यात्राएं वनयवमत रूप से आयोवजत होती रहती हैं।
o उदाहरण के वलए, भारतीय प्रिान मंत्री ने अक्टूिर 2021 में G-20 वशखर सम्मेलन में भाग लेने के वलए इटली की अपनी पहली आविकाररक
यात्रा की थी। माचस 2023 में, इटली की प्रिान मंत्री ने रायसीना डायलॉग गेस्ट ऑफ़ ऑनर के रूप में भारत की अपनी पहली राजकीय यात्रा
की थी।
• आर्थसक संिि
ं : इटली यूरोपीय संघ में भारत का चौथा सिसे िड़ा व्यापाररक भागीदार है।
o 2022-23 में दोनों देशों के िीच वद्वपक्षीय व्यापार 14.25 विवलयन अमेररकी डॉलर था। इसमें व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में रहा था।
• रक्षा संिि
ं : भारत-इटली सैन्य सहयोग समूह (MCG) दोनों देशों के िीच रक्षा सहयोग को िढ़ािा देने के वलए स्थावपत एक मंच है।
o भारत और इटली ने 2023 में रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर ककए थे। इसका उद्देश्य सुरक्षा ि रक्षा नीवत एिं रक्षा औद्योवगक सहयोग जैसे
विविि रक्षा क्षेत्रों में सहयोग को िढ़ािा देना है।
• सीवमत व्यापार: रोमन युग से ऐवतहावसक व्यापाररक संिंि होने के िािजूद भारत और इटली के िीच ितसमान में व्यापार और वनिेश अपेक्षाकृ त कम
है।
• पहले से मौजूद मुद्दों के कारण विश्वास की कमी:
o इटावलयन मैररनसस मामला: इस मामले ने कानूनी क्षेत्राविकार और कायासत्मक उन्मुवक्त पर संघषस को जन्म कदया था। यह मामला 2020 में
स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के फै सले के िाद समाप्त हुआ था।
o अगस्ता िेस्टलैंड हेलीकॉलटर घोटाला: इटली की कं पनी वलयोनाडो के स्िावमत्ि िाली रक्षा क्षेत्रक की एक फमस पर ररश्वतखोरी का आरोप
लगाया गया था। इसके पररणामस्िरूप, भारत ने खरीद सौदे को रद्द कर कदया था। िषस 2015 में वलयोनाडो को भारतीय रक्षा िाजार में
प्रवतिंवित कर कदया गया था।
• अिास्तविक गििंिन: 2021 में, भारत-इटली-जापान वत्रपक्षीय साझेदारी की शुरुआत की गई थी, कफर भी इसे कायासवन्ित नहीं ककया जा सका।
आगे की राह
• आर्थसक साझेदारी: व्यापार की मात्रा िढ़ाने, वनिेश के नए माध्यम तलाशने और आर्थसक सहयोग को िढ़ािा देने के वलए व्यापार संिंिों को मजिूत
करने की आिश्यकता है।
• यूरोपीय संघ-भारत साझेदारी को मजिूत करना: यकद भारत और यूरोपीय संघ आने िाले समय में व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करते हैं, तो इटली
और भारत व्यापक वद्वपक्षीय व्यापार का लाभ उिा सकते हैं। इससे पुनजीवित हुई यूरोपीय संघ-भारत साझेदारी को भी िढ़ािा वमलेगा।
• साझा िैवश्वक एजेंडा: इटली और भारत िहुपक्षीय मुद्दों पर एकजुट हो सकते हैं। इसके अलािा, िे एक साथ वमलकर एक नए िैवश्वक एजेंडे को
आकार देने और उसका समथसन करने की साझा अवनिायसता में भागीदारी कर सकते हैं।
• व्यंजन संिि
ं ी आदान-प्रदान: खाद्य उत्सिों और पाक-कला कायसिमों के माध्यम से दोनों देशों को पाक विरासत का जश्न मनाना चावहए और उसे
प्रचाररत करना चावहए। इससे इतालिी पास्ता और वपज्जा भारतीय रे स्तरां में प्रमुख व्यंजन के तौर पर परोसे जाएंगे तथा भारतीय मसाले भी
इतालिी व्यंजनों में महत्िपूणस स्थान ग्रहण करें गे।
अंतरासष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने इजरायल के वखलाफ दायर नरसंहार के के स में अंतररम फै सला सुनाया है। ध्यातव्य है कक दवक्षण अफ्रीका ने ICJ में
इजरायल पर जेनोसाइड कन्िेंशन का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था।
अंतरासष्ट्रीय न्यायालय (ICJ)24 के िारे में अंतरासष्ट्रीय अपराि न्यायालय (ICC)25 के िारे में
• उत्पवत्त: इसका गिन 1945 में संयक्त
ु राष्ट्र के चाटसर द्वारा ककया गया • उत्पवत्त: 1998 में अंतरासष्ट्रीय अपराि न्यायालय रोम संविवि द्वारा स्थावपत।
था। इस संगिन ने 1946 से अपना कायस आरं भ कर कदया था। • मुययालय: हेग (नीदरलैंड)।
• इसके िारे में: यहां आपराविक मामलों पर मुकदमा चलाया जाता है। ऐसे
• मुययालय: द पीस पैलेस, द हेग (नीदरलैंड्स)
अपरािों में नरसंहार, मानिता के वखलाफ अपराि, युद् अपराि तथा
o यह संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंगों में से एक है। यह संयुक्त राष्ट्र का
आिामकता के अपराि शावमल हैं। यहां व्यवक्तयों पर आपराविक मुकदमा
एकमात्र ऐसा प्रमुख अंग है, जो न्यूयॉकस में वस्थत नहीं है।
चलाया जाता है।
• भूवमका: यह वनकाय अंतरासष्ट्रीय विवि के अनुसार कानूनी वििादों का
• सदस्य: विश्व के 123 देश रोम संविवि के पक्षकार हैं।
वनपटारा करता है और सलाह प्रदान करता है।
o इसके वनणसय िाद से जुड़े पक्षकारों पर िाध्यकारी होते हैं। इसके o भारत इसका सदस्य नहीं है।
विश्व आर्थसक मंच (WEF)26 ने मैककन्से एंड कं पनी के सहयोग से यह ररपोटस तैयार की है।
ग्लोिल कोऑपरे शन िैरोमीटर के िारे में
• यह िैवश्वक नेताओं के वलए ग्लोिल कनेक्शन के 42 संकेतकों का
उपयोग करके पांच स्तंभों में सहयोग की रूपरे खा को िेहतर ढंग से
समझने का एक सािन है (तावलका देखें)
o इन पांच स्तंभों को िैवश्वक विकास पर इनके प्रभािों तथा विश्व
के अलग-अलग देशों और अथसव्यिस्थाओं के िीच सहकारी
प्रयासों पर उनकी स्पष्ट वनभसरता के कारण चुना गया था।
• यह ररपोटस 2012 से 2022 तक के सहयोग का मापन करती है।
इससे व्यिसाय एिं सरकारी वहतिारकों को वनम्नवलवखत में मदद
वमल सकती है, जैस:े
o िैवश्वक चुनौवतयों का सामना करने में: उदाहरण के वलए िढ़ता
िैवश्वक तापमान, िढ़ता जिरन विस्थापन (2012 में 42
निाचार और निाचार एिं फायदेमंद • डेटा और िौवद्क संपदा के आदान-प्रदान तथा अंतरासष्ट्रीय छात्रों की आिाजाही ने 2020 तक सहयोग को
तकनीक तकनीकी प्रगवत में िढ़ाया था।
तेजी लाना o महामारी ने व्हाइट-कॉलर िकस र के वलए ऑकफस से दूर रहकर घर से काम करने का व्यापक रूप से
अिसर प्रदान ककया था। इस कारण से सीमा-पार डेटा प्रिाह में वनरं तर िृवद् और अपेक्षाकृ त मजिूत
आई.टी. सेिाओं के विकास को िल वमला था।
• हालांकक, अिसरों का लाभ उिाने के वलए वमलकर कै से काम ककया जाए, इस िारे में नए प्रश्न उि खड़े हुए
हैं।
o निीनतम प्रौद्योवगकी के विकास के क्षेत्र में आविपत्य स्थावपत करने की प्रवतस्पिास के कारण 5G
नेटिकस प्रौद्योवगककयों के आयात और वनयासत पर प्रवतिंि लगा कदया गया है, अिसचालकों
(Semiconductors) के व्यापार को सीवमत कर कदया गया है आकद। साथ ही, कु छ सोशल मीवडया
ललेटफॉम्सस को भी प्रवतिंवित ककया गया है।
o सीमा-पार पेटेंट्स की वहस्सेदारी में भी वगरािट आई है। यह वगरािट विगत दशक में अपने सिसे
वनचले स्तर पर पहुंच गई है।
जलिायु एिं जलिायु और प्राकृ वतक • िैवश्वक जलिायु संिंिी समस्याओं के समािान तथा प्राकृ वतक पूंजी के संरक्षण से संिद् प्रवतिद्ताओं में
प्राकृ वतक पूज
ं ी पूंजी संिंिी चुनौवतयों िृवद् के कारण इस क्षेत्रक में सहयोग लगातार िढ़ रहा है। हालांकक, उत्सजसन में भी िृवद् जारी है।
के समािान का समथसन
o ग्लासगो फाइनेंवशयल अलायंस फॉर नेट ज़ीरो (GFANZ) जैसे समूहों के कारण वनजी क्षेत्र में भी
करना
नेट-जीरो प्रवतिद्ताएं िढ़ी हैं।
o वपछले दशक में उत्सजसन तीव्रता (GDP के सापेक्ष उत्सजसन) में सुिार हुआ है। यह सुिार विश्व भर में
विद्युतीकरण के क्षेत्र में हुई प्रगवत, भारी उद्योग में कमी और निीकरणीय ऊजास स्रोतों की िढ़ती
वहस्सेदारी को दशासता है।
स्िास्थ्य एिं िैवश्वक आिादी को • कोविड महामारी से वनपटने के वलए ककए गए उपायों के कारण इस क्षेत्र में सहयोग में तेजी से िृवद् हुई है।
कल्याण दीघसकावलक एिं हालांकक, ऐसा प्रतीत हो रहा है कक यह सहयोग कफर से अपने पहले के पैटनस पर िापस आ रहा है।
िेहतर जीिन जीने में o मातृ मृत्यु दर में विगत तीन दशकों में पहली िार िृवद् दजस की गई है।
सक्षम िनाना o WHO की महामारी तैयारी संवि अंतरासष्ट्रीय सहयोग में प्रगवत का एक प्रमुख उदाहरण है। इस संवि
शांवत एिं सुरक्षा संघषों को रोकना और • 2016 के िाद से शांवत और सुरक्षा में सहयोग में वगरािट आई है तथा हाल ही में इसमें और भी वगरािट
उनका समािान करना दजस की गई है।
o यह प्रिृवत्त जिरन विस्थावपत लोगों की संयया में िृवद्, साइिर हमलों में िढ़ोतरी और हाल ही में
संघषस ि संघषस से हुई मौतों में िृवद् से प्रेररत है।
• सहयोगात्मक प्रवतस्पिास (Coopetition) को िढ़ािा देना: वहतिारकों को अपने साझा वहतों को आगे िढ़ाने के वलए ऐसे माध्यमों ि मागों की
पहचान करनी चावहए, जो प्रवतस्पिास होने के िािजूद भी लाभदायक वसद् हो सकते हैं। ऐसी व्यिस्था को वनजी क्षेत्र में सहयोगात्मक प्रवतस्पिास
कहते हैं।
• प्रिंिन की क्षमताओं को िढ़ाना: अंतरासष्ट्रीय संिंिों, भू-राजनीवतक िास्तविकताओं और व्यापार के वलए वनवहताथस की समझ प्रत्येक िहुराष्ट्रीय
कॉपोरे शन के सी-सूट (C-suite ) एग्जीक्यूरटि (कं पनी के शीषस प्रिंिन पदों) के वलए एक मुयय योग्यता होनी चावहए।
• विवििता लाने के िारे में सोचना, अलगाि के िारे में नहीं:
व्यापक विवििीकरण न के िल आघात सहने की क्षमता को
िढ़ाता है, िवल्क अविक समािेशी व्यापार प्रणाली और
अथसव्यिस्था को भी िढ़ािा देता है। इससे अलग-अलग देशों की
व्यापक भागीदारी संभि हो सके गी।
• निाचार को िढ़ािा देना: वनम्नवलवखत के माध्यम से अविक-से-
अविक सीमा-पार सहयोग के वलए प्रवतिद्ता प्रदर्शसत करनी
चावहए-
o िुवनयादी अनुसंिान एिं विकास,
o अंतरासष्ट्रीय छात्र विवनमय,
o सीमा-पार पेटेंट आिेदन,
o जेनरे रटि AI जैसी निाचारी प्रौद्योवगककयों के िैवश्वक
विवनयमन के वलए सरलीकृ त दृवष्टकोण को अपनाना आकद।
• परस्पर-वनभसर जलिायु उद्देश्यों को प्राप्त करने के वलए सहयोग
िढ़ाना: कम लागत िाले समािान (जैसे- सौर/ पिन ऊजास) को
विकवसत करने तथा महंगी तकनीक की लागत को कम करने
(जैसे- पैसेंजर िैटरी EVs; तटिती पिन ऊजास आकद) के वलए
प्रोत्साहन पर ध्यान कें कित करना चावहए।
• महामारी के दौरान सहयोग िढ़ाना: महामारी के दौरान और
उससे पहले स्थावपत िैवश्वक स्िास्थ्य मानदंडों एिं
अिसंरचनाओं को संरवक्षत ककया जा सकता है। इससे स्िास्थ्य
पररणामों को सुिारने; तथा भविष्य की महामाररयों, िृद्जनों
की िढ़ती आिादी एिं दीघसकावलक रोगों का समािान करने में
मदद वमल सके गी।
• सुभद्य े आिादी के वलए सहायता: यह कायस संघषस के क्षेत्रों से
शरणाथी आिादी के एकीकरण का प्रिंिन करके और संघषस के
क्षेत्रों में प्रभावित व्यवक्तयों की सहायता करने के वलए तंत्र की
पहचान करके ककया जा सकता है।
• साइिर सहयोग: साइिर सुरक्षा से संिंवित खतरों से वनपटने के वलए डेटा प्रिाह के साझाकरण को िढ़ािा देना चावहए। इसके वलए सािसजवनक और
वनजी क्षेत्र के वहतिारकों को एकीकृ त करना चावहए।
पर तय मूल्य पर तेल की वनवित मात्रा की खरीद-वििी ▪ इन पवब्लक डाक्यूमेंट्स में जन्म, वििाह और मृत्यु
के वलए सहमत होता है। पंजीकरण प्रमाण-पत्र तथा शैवक्षक दस्तािेज शावमल हैं।
o कॉन्रै क्ट करने िाले पक्षकार ककसी डॉक्यूमटें के मूल स्रोत को
सत्यावपत करने के वलए एक एपोवस्टल प्रमाण-पत्र जारी
27 Organization of the Petroleum Exporting Countries/ करते हैं। इस प्रमाण-पत्र की मदद से इस डॉक्यूमेंट को विदेश
पेरोवलयम वनयासतक देशों का संगिन
हाल में, नीवत आयोग ने “2005-06 से भारत में िहुआयामी गरीिी30” शीषसक
से एक चचास-पत्र जारी ककया।
• िहुआयामी गरीिी सूचकांक (MPI) में व्यवक्तगत स्तर पर गरीिी का आकलन ककया जाता है। MPI की गणना के वलए अवल्करे -फोस्टर विवि का
सिसे अविक उपयोग ककया जाता है।
• ग्लोिल MPI (GMPI): यह िैवश्वक स्तर पर गरीिी मापन की एक मान्यता प्राप्त विवि है। इसकी सहायता से मुिा संिंिी (आय-व्यय) पहलुओं के
अलािा कई आयामों के आिार पर गरीिी को मापा जाता है।
o GMPI ररपोटस को पहली िार 2010 में ऑक्सफोडस पॉिटी एंड ह्यूमन डेिलपमेंट इवनवशएरटि (OPHI) और संयुक्त राष्ट्र विकास कायसिम
(UNDP) ने संयुक्त रूप से जारी ककया था।
o इसमें 100 विकासशील देशों को शावमल ककया जाता है। इसमें व्यवक्त द्वारा एक साथ सामना ककए जाने िाले स्िास्थ्य, वशक्षा और जीिन स्तर
में गंभीर अभािों को दशासया जाता है।
o यकद कोई व्यवक्त दस (भाररत) संकेतकों में से एक-वतहाई या उससे अविक अभाि संकेतकों का सामना कर रहा होता है, तो GMPI उस व्यवक्त
को ‘MPI गरीि’ के रूप में मानता है।
• राष्ट्रीय MPI (NMPI): इसमें िैवश्वक MPI मॉडल के 10 मूल संकेतकों के अलािा भारत की राष्ट्रीय प्राथवमकताओं के अनुरूप दो अवतररक्त संकेतक
जोड़े गए हैं। ये हैं: मातृ स्िास्थ्य और िैंक खाता।
o MPI िैल्यू का वनिासरण हेडकाउं ट रे वशयो (H) और वनिसनता की तीव्रता यानी इं टेंवसटी ऑफ पािटी (A) को गुणा करके वनकाला जाता है। इससे
कु ल आिादी में गरीि लोगों की वहस्सेदारी तथा उनके अभाि के स्तर, दोनों के िारे में पता चल जाता है।
▪ हेडकाउं ट रे वशयो (H): यह कु ल जनसंयया की तुलना में िहुआयामी गरीिों की संयया का अनुपात है।
▪ इं टेंवसटी ऑफ पािटी (A): यह िहुआयामी गरीि व्यवक्तयों द्वारा सामना ककए जा रहे अभािों के औसत अनुपात को इंवगत करती है।
o सरकार की ग्लोिल इं डेक्स फॉर ररफॉम्सस एंड ग्रोथ (GIRG) पहल के तहत, नीवत आयोग MPI के वलए नोडल एजेंसी है।
• MPI में वगरािट: हेड काउं ट रे वशयो 2013-14 के 29.17% से घटकर 2022-23 में 11.28% हो गया।
o वपछले 9 िषों में 24.82 करोड़ भारतीय िहुआयामी गरीिी से िाहर आए हैं।
o इंटेंवसटी ऑफ पािटी में भी कमी आ रही है। इससे यह पता चलता है कक अभािग्रस्त आिादी में अभाि के स्तर कम हो रहे हैं यानी उनके अभाि
कम हुए हैं।
o गरीिों के मामले में हेड काउं ट रे वशयो में वगरािट की गवत 2005-06 से 2015-16 के िीच की तुलना में 2015-16 से 2019-21 के िीच िहुत
तेज थी।
• सभी संकेतकों में गरीिी में वगरािट दजस की गई: MPI के सभी 12 संकेतकों में महत्िपूणस सुिार दजस ककया गया है।
o अभाि का सिसे अविक स्तर- खाना पकाने के ईंिन और आिास संिि
ं ी संकेतकों में है।
o अभाि का सिसे कम स्तर- िाल एिं ककशोर मृत्यु दर, विजली और िैंक खाते के संकेतकों में है।
• MPI में वगरािट का क्षेत्रीय रुझान: अपेक्षाकृ त गरीि राज्यों में वनिसनता में तेजी से वगरािट दजस की गई। यह असमानताओं में कमी का संकेत है।
o उत्तर प्रदेश, विहार, मध्य प्रदेश, ओवडशा और राजस्थान में िहुआयामी गरीिों के अनुपात में सिसे तेजी से कमी देखी गई है।
• सतत विकास लक्ष्य (SDG) की प्रावप्त: भारत, िषस 2030 से काफी पहले SDG 1.2 (िहुआयामी गरीिी अनुपात को कम-से-कम आिा करना) को
प्राप्त करने की राह पर है।
• MPI में वगरािट के वलए उत्तरदायी कारक: अलग-अलग सरकारी कायसिमों (जैसे- प्रिान मंत्री उज्ज्िला योजना, सौभाग्य) तथा पररितसनकारी
अवभयानों (जैस-े स्िच्छ भारत वमशन और जल जीिन वमशन) ने सामूवहक रूप से लोगों के जीिन-यापन और समग्र कल्याण के स्तरों को ऊपर
उिाया है।
NMPI का महत्त्ि
• यह देश में गरीिी के स्तर पर अविक सूक्ष्म वस्थवत प्रदान करता है। इसका कारण यह है कक गरीिी आकलन का पारं पररक तरीका मौकिक मापदंड पर
यानी उपभोग सिेक्षणों पर आिाररत रहा है, िहीं NMPI वजला स्तर तक अभािों को शावमल करता है।
• यह तीव्र गरीिी (Acute Poverty) को दूर करने और समािेशन के वसद्ांत को िढ़ािा देने के वलए लवक्षत उपाय करने में मदद करता है।
• यह व्यवक्तयों द्वारा एक साथ सामना ककए जा रहे कई अभािों की पहचान करता है। ये अभाि प्रत्यक्ष तौर पर व्यवक्तयों के जीिन-यापन की गुणित्ता
और समग्र कल्याण को प्रभावित करते हैं।
• यह अविक समािेशी नीवत वनमासण में मदद करता है।
• कम संिेदनशील: िहुआयामी गरीि माने जाने के वलए, पररिारों को कम-से-कम 1/3 अभाि संकेतकों का सामना करना चावहए। यह शतस MPI को
छोटी-मोटी गलवतयों के प्रवत कम संिेदनशील िनाती है अथासत् छोटी-मोटी त्रुरटयां डेटा को प्रभावित कर सकती हैं।
• कोविड-19 का प्रभाि: कु छ अथसशावस्त्रयों ने तकस कदया है कक 2020-21 में ररिसस माइग्रेशन के कारण आजीविका की हावन तथा स्िास्थ्य-देखभाल
सेिाएं प्राप्त नहीं होने के कारण हुई मौतों को इस सूचकांक में शावमल नहीं ककया गया है।
• मजदूरी का नहीं िढ़ना: िास्तविक मजदूरी छह िषों से वस्थर रही है। इसका उपभोग जवनत मााँग पर गंभीर प्रभाि पड़ा है। यह गरीिी के स्तर में
वगरािट संिंिी डेटा से मेल नहीं खाता।
• डेटा के विश्वसनीय होने पर भी सिाल उिाए गए हैं।
• MPI की गणना में नए आयामों को शावमल करना: जैसे कक लर्निंग आउटकम, सामावजक भेदभाि, असंगरित श्रवमक, पयासिरण का क्षरण आकद को
शावमल करना।
37 www.visionias.in ©Vision IAS
• मापन के वलए नए सिेक्षण का उपयोग: राष्ट्रीय MPI के आकलन के समय NFHS के साथ-साथ नेशनल सैंपल सिे (NSS) के 75िें चि के डेटा को
भी शावमल करना चावहए।
• प्रभािी वनगरानी: संकेतकों में प्रगवत की ररयल टाइम के आिार पर वनगरानी के वलए व्यापक उपाय ककए जाने चावहए।
o इसके अलािा, िहुआयामी गरीिी को खत्म करने के वलए कायसिमों का सोशल ऑवडट, विकास कायसिम के िारे में जागरूकता पैदा करना आकद
महत्िपूणस हैं।
सुर्खसयों में क्यों? भारतीय राष्ट्रीय भुगतान वनगम (National Payments Corporation of
India: NPCI) के िारे में
हाल ही में, भारतीय ररजिस िैंक (RBI) ने UPI पेमटें का दायरा िढ़ाने के
• NPCI भारत में खुदरा भुगतान और वनपटान प्रणावलयों के संचालन के
वलए नए वनयमों और विवनयमों की घोषणा की है।
वलए एक प्रमुख संगिन है।
अन्य संिवं ित तथ्य
• NPCI, भारतीय ररजिस िैंक (RBI) और भारतीय िैंक संघ (IBA) की एक
• नए वनयमों के मुयय डिंदओं
ु पर एक नज़र पहल है। इसे भुगतान और वनपटान प्रणाली अविवनयम, 2007 के
o UPI से लेन-देन की सीमा में िृवद्: प्राििानों के तहत स्थावपत ककया गया है।
▪ UPI से अस्पतालों और शैक्षवणक संस्थानों को ककए जाने • इसे कं पनी अविवनयम, 2013 की िारा 8 के प्राििानों के तहत “नॉट फॉर
रुपये से िढ़ाकर 5 लाख रुपये कर कदया गया है। • इसने रुपे (RuPay) काडस, IMPS, UPI, BHIM, BHIM आिार, भारत-
विल-पे जैसे भुगतान संिंिी प्रोडक्ट लॉन्च ककए हैं।
▪ सामान्य लेन-देन के मामले में 24 घंटे में UPI पेमेंट के
वलए अविकतम वलवमट 1 लाख रुपये ही है। हालांकक, पूंजी िाजार (ब्रोककं ग, म्यूचुअल फं ड, आकद), कलेक्शन (िे वडट काडस भुगतान, ऋण
पुनभुसगतान, EMI), िीमा आकद जैसी श्रेवणयों इसका अपिाद हैं, जहां लेन-देन की सीमा 2 लाख रुपये है।
o आिती (रे कटरं ग) ऑनलाइन लेन-देन के वलए ई-मैंडेट्स में िृवद् (Increased e-Mandates for Recurring Online Transactions):
िे वडट काडस विल भुगतान, म्यूचुअल फं ड सब्सकिलशन और िीमा प्रीवमयम भुगतान के वलए एवडशनल फै क्टर ऑफ ऑथेंरटके शन (AFA) के
विना ई-मैंडेट्स से भुगतान की सीमा 15,000 रुपये से िढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है।
• UPI एक ऐसी प्रणाली है जो कई िैंक खातों को एक ही मोिाइल एवललके शन (भागीदार िैंकों के ) से जोड़ती है। ऐसे में एक एवललके शन से ही फं ड
रांसफर जैसी कई िैंककं ग सुवििाएं उपलब्ि कराई जाती हैं।
o इसे 2016 में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान वनगम (NPCI) द्वारा विकवसत ककया गया था। इसे तत्काल भुगतान सेिा (IMPS)33 ललेटफॉमस पर
िनाया गया है।
o यह िैवश्वक स्तर पर सिसे सफल ररयल टाइम पेमेंट वसस्टम है। साथ ही, यह
पेमेंट वसस्टम व्यवक्त-से-व्यवक्त (P2P) और व्यवक्त-से-व्यापारी (P2M) लेन-
देन को काफी आसान िनाती है और सुरक्षा भी सुवनवित करती है।
o UPI आई.डी. को वनवष्िय करना: NPCI ने िैंकों एिं • UPI चलेगा अवभयान: NPCI ने UPI को आसान, सुरवक्षत और तत्काल
भुगतान माध्यम के रूप में िढ़ािा देने के वलए यह अवभयान चलाया है। इसके
मोिाइल भुगतान एवललके शन (जैसे- गूगल-पे) से उन UPI
आई.डी. और खातों को वनवष्िय करने के वलए कहा है अंतगसत यूजसस को UPI LITE जैसी सुवििाओं के िारे में भी िताया जा रहा है।
वजनमें एक िषस से कोई लेन-देन नहीं ककया गया है। यह कम रावश के लेन-देन को आसान िनाता है।
o यकद कोई यूजसस 2,000 रुपये से अविक का पहला भुगतान • गूगल इंवडया वडवजटल सर्िससज
े और NPCI इंटरनेशनल पेमट्ें स के िीच
ककसी नए यूजसस को कर रहा होता है ति उसे पेमटें प्रोसेस समझौता ज्ञापन: UPI भुगतान के उपयोग के दायरे को िढ़ाने, पयसटकों को
पूरा करने के वलए चार घंटे की समय सीमा दी गई है। ऐसा विदेश में लेन-देन करने में सक्षम िनाने एिं देशों के िीच रेवमटेंस प्रॉसेस को
UPI लेन-देन को अविक सुरवक्षत िनाने के वलए ककया गया आसान िनाने के उद्देश्य से यह समझौता ककया गया है।
• विदेशी िाजारों में भारत का UPI: ओमान, संयुक्त अरि अमीरात, फ्रांस,
है।
नेपाल, भूटान जैसे देशों में कु छ क्षेत्रों में भुगतान के वलए UPI वसस्टम का
▪ इसके जररए भुगतान में कं रोल और सुरक्षा की एक
नई परत जोड़ी गई है। यह यूजसस को तय समय के उपयोग ककया जा रहा है।
भीतर लेन-देन को रोकने या िदलने की सुवििा देती • UPI 123PAY: यह फीचर फोन यूजसस के वलए एक त्िररत भुगतान प्रणाली
है। है। ऐसे यूजसस सुरवक्षत तरीके से UPI भुगतान सेिा का उपयोग कर सकते हैं।
o QR कोड को स्कै न करके कै श वनकालने की सुवििा देने के
वलए UPI ATM की शुरुआत की गई है।
• विवनयमन: िैवश्वक स्तर पर UPI से भुगतान की सुवििा देने से विश्व के अन्य देशों के यूजसस इससे जुड़ेंगे। इससे डेटा की सुरक्षा सुवनवित करने तथा
अलग-अलग देशों के वित्तीय कानूनों और वनयमों के पालन की आिश्यकता पड़ेगी। इससे विवनयामकीय एिं वनयमों के पालन संिंिी चुनौवतयां
सामने आएंगी।
o इसके अलािा, सॉफ्टिेयर और नेटिकस को िड़े स्तर पर विस्तार करने तथा साझेदार िैंकों के साथ तालमेल की भी आिश्यकता है।
• विदेशी स्िावमत्ि िाले UPI ऐलस का प्रभुत्ि: हाल ही में एक संसदीय पैनल ने ‘डेटा सुरक्षा के वलए वडवजटल भुगतान और ऑनलाइन सुरक्षा उपाय’
शीषसक से एक ररपोटस प्रकावशत की। ररपोटस में इस िात पर प्रकाश डाला गया है कक फोन पे और गूगल-पे जैसी विदेशी स्िावमत्ि िाली संस्थाएं
भारतीय कफनटेक क्षेत्र पर हािी हैं।
o अक्टूिर-निंिर 2023 में लेन-देन की मात्रा के आिार पर फोन-पे की िाजार वहस्सेदारी 46.91% और गूगल-पे की वहस्सेदारी 36.39% थी,
जिकक BHIM UPI की वहस्सेदारी के िल 0.22% थी।
• सुरक्षा और िोखािड़ी: साइिर अपरािी, वसस्टम में मौजूद कवमयों का फायदा उिा सकते हैं या संिेदनशील जानकारी प्राप्त करने के वलए सोशल
इंजीवनयटरं ग तकनीकों का उपयोग कर सकते हैं। इससे वित्तीय नुकसान हो सकता है।
• विवनमय दर: ककसी अन्य देश के वलए भुगतान करने हेतु िॉलेट में पैसे डालते समय करें सी िदलने एिं विवनमय दरों का प्रिंिन करने संिंिी िड़ी
चुनौती मौजूद है।
आगे की राह
• विवनयमन: साझेदार देशों के िीच एक-समान वनयम अनुपालन एिं विवनयामक फ्रेमिकस विकवसत करने के वलए राष्ट्रों के िीच सहयोग तथा वित्तीय
संस्थानों एिं सेिा प्रदाताओं के िीच साझेदारी िढ़ाने की आिश्यकता है।
• अिसंरचना: िैंकों एिं भुगतान सेिा प्रदाताओं को प्रवत सेकंड उच्च रावश का लेन -देन की सुवििा देने तथा विश्व के अन्य देशों के यूजसस को जोड़ने के
वलए अपने सॉफ्टिेयर, नेटिकस अिसंरचना का विस्तार करना चावहए।
• िोखािड़ी से सुरक्षा: UPI लेन-देन में िोखािड़ी की पहचान करने और उसका जिाि देने के वलए UPI सेिा प्रदाताओं, िैंकों और यूजसस के िीच
सहयोग िढ़ाने की आिश्यकता है।
• लेन-देन की सीमाएं: अलग-अलग क्षेत्रों में UPI को व्यापक रूप से अपनाने के वलए सुरक्षा एिं लेन -देन के उदार वनयम के िीच संतुलन स्थावपत
करना महत्िपूणस है।
• वशक्षा एिं जागरूकता: UPI भुगतान की प्रकिया के िारे में जनता को वशवक्षत करने एिं इससे जुड़े खतरों को कम करने के वलए प्रवशक्षण कायसिम
तथा समझने में आसान मागसदर्शसकाएं तैयार की जानी चावहए। साथ ही, आम लोगों के िीच UPI के उपयोग से जुड़ी डचंताओं को दूर करने का भी
प्रयास ककया जाना चावहए।
40 www.visionias.in ©Vision IAS
3.3. गै र -वनष्पाकदत पररसं प वत्तयां (Non-Performing Assets: NPAs)
हाल ही में, भारतीय ररजिस िैंक (RBI) ने वित्त िषस 2022-23 के वलए • वित्तीय पररसंपवत्तयों का प्रवतभूवतकरण और पुनर्नसमासण और सुरक्षा वहत
प्रितसन अविवनयम (SARFAESI Act)34, 2002: यह वसक्योडस ऋणदाताओं
“रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ िैंककं ग इन इं वडया” शीषसक से ररपोटस जारी की।
को मूलिन और/ या ब्याज के पुनभुसगतान में वडफॉल्ट होने पर ऋणी द्वारा
इस ररपोटस में िताया गया है कक भारत के अनुसूवचत िावणवज्यक िैंकों
जमानत (कोलेटरल) के रूप में रखी गई पररसंपवत्त को कब्जे में लेने का
(SCBs) का GNPA37 अनुपात 2022-2023 में कम होकर 3.9 अविकार देता है।
प्रवतशत रह गया है। • ऋण िसूली अविकरण: इसे ऋण िसूली और कदिावलयापन अविवनयम35,
गैर-वनष्पाकदत पररसंपवत्तयों (NPAs) के िारे में 1993 के तहत स्थावपत ककया गया था। इस कानून के तहत शीघ्र न्याय करने
और ऋणों की िसूली के वलए अविकरणों (ररब्यूनल) की स्थापना का
• NPA ऐसा ऋण या अवग्रम है वजसके मूलिन या उस पर देय प्राििान ककया गया है।
ब्याज के भुगतान में वडफॉल्ट ककया जाता है या तय अिवि से • कदिाला और शोिन अक्षमता संवहता (IBC)36, 2016: इसके तहत कॉपोरेट
िकाया (Arrears) रहता है। सािारण भाषा में, एक वनवित व्यवक्तयों, साझेदारी फमों और व्यवक्तयों के ऋण पुनगसिन तथा कदिाला
अिवि से अविक समय तक जि िैंकों के ऋण पर ब्याज का समािान को समयिद् तरीके से यानी 180 कदनों के भीतर समािान करने
भुगतान नहीं वमलता है या मूलिन को नहीं चुकाया जाता है तो
का प्राििान ककया गया है। इस अिवि को और 90 कदनों के वलए िढ़ाया जा
िैंक के ऋण को NPA कहा जाता है। ऋण के मूलिन/ ब्याज की
सकता है।
िकाया अिवि के आिार पर NPA को अलग-अलग श्रेवणयों में
• नेशनल एसेट ररकं स्रक्शन कं पनी (NARCL): इसका लक्ष्य िैंकों के NPA को
िांटा गया है:
कम करना तथा वित्तीय प्रणाली की वस्थरता और दक्षता में सुिार करना है।
o कोई ऋण ति िकाया माना जाता है जि उसके मूलिन या
o इसे कं पनी अविवनयम, 2013 के तहत वनगवमत ककया गया है। इसकी
देय ब्याज के भुगतान में देरी होती है या भुगतान नहीं ककया
अविकांश शेयरिाररता सािसजवनक क्षेत्रक के िैंकों (PSBs) के पास है।
जाता है। िहीं, ककसी ऋण पर देय ब्याज और/ या मूलिन
• इंििनुष योजना शुरू की गई है। इसका उद्देश्य PSBs में सुिार करना तथा
की ककस्त 90 कदनों से अविक समय तक िकाया होने पर िह
उनका पुनपूिंजीकरण करना है।
NPA में िदल जाता है।
o GNPA उन सभी ऋण पररसंपवत्तयों का जोड़ है, वजन्हें NPA के रूप में िगीकृ त ककया गया है।
NPA के कारण
• ऋण देने की दोषपूणस प्रकिया: ककसी व्यवक्त या संस्था के ऋण िापस चुकाने की क्षमता या उसके पुराने िे वडट वििरण (लोन चुकाने) को अच्छी तरह
से जांच ककए विना ऋण कदया जाता रहा है। इस िजह से PSBs में NPA की समस्या पैदा होती है।
o वित्तीय संस्थानों के िीच आपस में सहयोग की कमी के कारण, ऋणी एक से अविक िैंकों में वडफॉल्ट करते हैं।
• विलफु ल वडफॉल्टर: ऐसे ऋवणयों की संयया िढ़ती जा रही है वजनके पास अपने सािन से ऋण चुकाने के वलए िन तो है लेककन कफर भी िे ऋण नहीं
चुकना चाहते हैं तथा ऋण के पुनभुसगतान में वडफॉल्ट करते हैं।
• औद्योवगक रुग्णता (Industrial sickness): कं पनी का प्रिंिन सही से नहीं करना, पयासप्त संसािनों की कमी और तकनीकी प्रगवत की कमी तथा
िदलती सरकारी नीवतयां औद्योवगक रुग्णता का कारण िनती हैं। ऐसे उद्योगों को ऋण देने िाले िैंक कम ऋण की ही िसूली कर पाते हैं। इसका
असर िैंकों के लाभ और नकदी (वलकिवडटी) पर पड़ता है।
• विवनयामकीय मुद्दे: RBI के कदशा-वनदेशों का उल्लंघन करने और PSBs द्वारा िैंककं ग संचालन में विवनयामकीय कदशा-वनदेशों का पालन नहीं करने
से िोखािड़ी िढ़ती है तथा NPA में भी िृवद् होती है।
NPA के प्रभाि
• आर्थसक संिवृ द्: NPA में िृवद् की िजह से िैंक अन्य उत्पादक (विकास
संिंिी) गवतविवियों के वलए ऋण नहीं दे पाते हैं। इससे आर्थसक
गवतविवियां िीमी हो जाती हैं, रोजगार के अिसरों में कमी आती है और
मुिास्फीवत जैसी समस्या उत्पन्न होती है।
• अविक ब्याज दर: NPA में िृवद् होने से िैंकों के घाटे को कम करने के
वलए ब्याज दरों में िृवद् की जाती है। इससे व्यवक्तयों और कं पवनयों के
वलए उिार लेना महंगा हो सकता है।
• िैंकों पर जनता का भरोसा कम होना: NPA में िृवद् के कारण िैंकों की
प्रवतष्ठा, संचालन और व्यिसाय प्रभावित होता है। इससे िैंकों पर ग्राहकों
का भरोसा भी कम होता है। साथ ही, वित्तीय वस्थरता पर भी िुरा असर
पड़ता है।
• लंवित मामले: अदालतों की ितसमान व्यिस्था ऋण िसूली की समस्या से वनपटने के वलए अविक दक्ष नहीं है। इस िजह से अदालतों में ऐसे लंवित
मामलों की संयया काफी िढ़ गई है। साथ ही ऋण िसूली के मामलों की अविक संयया का वनपटान करने के वलए पयासप्त कायसिल उपलब्ि नहीं है।
• पूज
ं ी पयासप्तता से संिवं ित मुद्दे: NPAs से िैंकों का पूज
ं ी-आिार कम होता है। जि NPA िढ़ता है, तो िैंक पूंजी पयासप्तता (Capital adequacy) से
संिंवित मानदंडों को पूरा करने में समस्या का सामना करते हैं।
“रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ िैंककं ग इन इंवडया 2022-23” ररपोटस के अन्य मुयय डिंद ु
• अनुसवू चत िावणवज्यक िैंकों की संयुक्त िैलेंस शीट 2022-23 में 12.2% िढ़ी है। यह विगत नौ िषों में सिसे अविक िृवद् है।
• 2022-23 में, शहरी सहकारी िैंकों (UCBs)38 की संयक्त
ु िैलस
ें शीट में 2.3% की िृवद् हुई है। िहीं गैर-िैंककं ग वित्तीय कं पवनयों (NBFCs)39 की संयक्त
ु
िैलेंस शीट में 14.8% की िृवद् हुई है।
• असुरवक्षत माने जाने िाले ररटेल सेगमेंट में िैंक ऋण िृवद् दर, कु ल िैंक ऋण िृवद् से आगे वनकल गई है।
o NBFCs द्वारा ऋण कदए जाने में दोहरे अंकों की िृवद् दजस की गई, और ऐसा असुरवक्षत ऋणों (अनवसक्योडस लोन) की िृवद् के कारण हुआ है। यह
सुरवक्षत ऋणों की तुलना में दोगुने से भी अविक तेजी से िढ़ी है।
• 2022-23 के दौरान, िैंकों द्वारा ररपोटस की गई िोखािड़ी की कु ल रावश छह साल के वनचले स्तर पर आ गई। िहीं िोखािड़ी में शावमल औसत रावश एक
दशक में सिसे कम रही।
• अनुसवू चत िावणवज्यक िैंकों का CRAR40 वसतंिर, 2023 के अंत में 16.8% तक पहुंच गया। यह अनुपात यह सुवनवित करने में मदद करता है कक िैंकों के
पास जमाकतासओं के पैसे की सुरक्षा के वलए पयासप्त पूंजी मौजूद है।
ररपोटस में िताई गई मुयय डचंताएं वनम्नवलवखत हैं:
• िैंकों के वनदेशकों का लंिा कायसकाल, जोवखम प्रिंिन पर व्यापक नीवत का अभाि और शहरी सहकारी िैंकों द्वारा वनयमों के पालन में कोताही की समस्या
मौजूद है।
आगे की राह
• सरकारी समथसन: एक व्यापक “4R रणनीवत” अपनाकर NPAs को कम और PSBs को मजिूत ककया जा सकता है। ये 4R हैं:
o Recognition (पहचान): NPAs की पहचान में पारदर्शसता लाना,
o Resolution (समािान): स्रेस्ड खातों का समािान करना और वजतना संभि हो सके ऋण की ररकिरी करना,
o Recapitalising (पुनपूिंजीकरण): सािसजवनक क्षेत्रक के िैंकों (PSBs) में कफर से पूंजी डालना, तथा
o Reforms (सुिार): PSBs और वित्तीय कायस-प्रणाली में सुिार करना।
• ऋण देने के िाद उस पर वनगरानी व्यिस्था को मजिूत करना: एक प्रारं वभक चेतािनी व्यिस्था और व्यापक “प्रिंिन सूचना प्रणाली (MIS)41
विकवसत करनी चावहए। इनका उद्देश्य संकट िाले ऋण खातों का समय पर पता लगाने , वडफॉल्ट के शुरुआती संकेतों को पहचानने तथा प्रिंिन को
इन पहलुओं की समय पर जानकारी प्रदान करने में सक्षम िनाना है।
• ऋण को मंजरू ी देने की प्रकिया: नए ऋण देने तथा पहले के ऋण को नए ऋण में िदलने (Re-financing of loans) के वलए “ऋण मंजरू ी की
वनिासररत प्रकिया” होनी चावहए। ऋण की री-फाइनेंडसंग के तहत पहले के ऋण को आसान शतों, कम ब्याज दर तथा िापस करने के नए विकल्पों के
साथ नए ऋण में िदल कदया जाता है।
o ऋण लेने िाले की वित्तीय वस्थवत तथा मूलिन और ब्याज भुगतान करने की उसकी क्षमता का समय-समय पर समीक्षा की जानी चावहए।
• संस्थागत तंत्र: िड़ी औद्योवगक और अिसंरचना पररयोजनाओं तथा लंिे समय के वलए वित्त-पोषण की आिश्यकता को पूरा करने के वलए, नए
विकास वित्तीय संस्थानों (DFIs)42 की स्थापना की जा सकती है।
• जोवखम प्रिंिन: िैंकों को ककसी एक समूह, एक क्षेत्रक, एक क्षेत्र (जगह) को कदए अविक ऋण अथिा समान पररपिता अिवि िाले अविक ऋण से
जुड़े कं संरेशन ररस्क को कम करने पर विचार करना चावहए।
o कं संरेशन ररस्क को कम करने के वलए िैंकों को अपने ऋण पोटसफोवलयो में विवििता लाने के वलए प्रोत्सावहत करना चावहए। अथासत् ककसी एक
समूह के िदले अविक समूह को, ककसी एक क्षेत्रक के िजाय कई क्षेत्रक को ऋण देना चावहए। इससे ककसी एक क्षेत्रक में मंदी या संकट से िैंक के
काम-काज पर असर नहीं पड़ेगा। िहीं, ककसी एक क्षेत्रक को अविक ऋण दे देने से NPA का खतरा िढ़ जाता है।
हाल ही में, भारतीय ररजिस िैंक (RBI) ने “RBI (सरकारी प्रवतभूवत ऋण) कदशा-वनदेश43, 2023” जारी ककए। इसके जररए सरकारी प्रवतभूवतयों (G-
Sec) को उिार देने और उिार लेने की अनुमवत दी गई है।
• सरकारी प्रवतभूवत ऋण (GSL)44 से आशय है कक G-Secs िारक (यानी उिार देने िाला) ककसी व्यवक्त को शुल्क के िदले पात्र G-Secs उिार दे
सकता है। हालांकक, G-Secs उिार लेने िाले व्यवक्त को इसके िदले में कोई अन्य G-Secs जमानत (Collateral) के तौर पर रखनी पड़ेगी। G-
Secs तय अिवि के वलए उिार दी जा सकती है।
सरकारी प्रवतभूवतयों से जुड़ी डचंताएं क्या हैं? सरकारी प्रवतभूवतयों से जुड़े जोवखमों को कम करने की तकनीकें कौन-सी हैं?
• पररपिता अिवि तक प्रवतभूवतयों को अपने पास रखने की रणनीवत से िाजार के उतार-चढ़ाि के
• अविकांश सरकारी प्रवतभूवतयां कु छ
जोवखमों से िचा जा सकता है।
संस्थाओं के पास: िाजार में प्रवतभूवतयों के
• पररसंपवत्त देयता प्रिंिन (ELM)49 के जररए िाजार जोवखम और पुनर्नसिेश जोवखम से िेहतर
अविक लेन-देन और इनकी मांग को वस्थर
तरीके से वनपटा जा सकता है। ELM के तहत वजतनी देनदाररयां (लायविवलटी) होती हैं उसी
िनाए रखने हेतु वनवित या कफक्स्ड आय
अनुपात में नकदी िनाए रखा जाता है।
िाली प्रवतभूवतयों के वलए वनिेशकों की
• अपनी प्रवतभूवत पोटसफोवलयो में हमेशा संतल
ु न िनाए रखना चावहए। प्रवतभूवत से संिंवित जोवखमों
संयया अविक होना जरूरी है। हालांकक,
से िचने तथा संतुलन िनाए रखने के वलए पररपिता अिवि कम होने पर इन्हें िेच देना चावहए,
ितसमान में, सरकारी प्रवतभूवतयों का एक और इनके िदले लंिी पररपिता अिवि की नई प्रवतभूवतयां खरीदी जा सकती हैं।
िड़ा वहस्सा कु छ िैंकों और िीमा कं पवनयों • मजिूत जोवखम प्रिंिन तकनीकों को अपनाना चावहए। इनमें “ब्याज दर स्िैप (IRS)50” जैसे
के पास पड़ा हुआ है। इन्हें कै वलटि इन्िेस्टसस डेररिेरटि का उपयोग शावमल है। इसके जररए नकदी के स्रोतों को िनाए रखा जा सकता है।
कहा जाता है।
• एकीकृ त िाजार: G-Secs और कॉरपोरे ट िॉण्ड िाजारों को एकीकृ त करने से G-Secs से कॉरपोरे ट िॉण्ड तक मूल्य वनिासरण की जानकारी विना
िािा के पहुंच सके गी। कॉरपोरे ट िॉण्ड और G-Secs के व्यापार, क्लीयरें स और सेटलमेंट के वलए समान विवनयामक व्यिस्था होने से इकोनॉमीज
ऑफ स्के ल (िॉण्ड माके ट का विस्तार होने से कॉस्ट एडिांटेज) और इकोनॉमीज ऑफ स्कोप (अलग-अलग यानी विभावजत व्यिस्था के िजाय साझी
व्यिस्था होने से कॉस्ट एडिांटेज) का लाभ वमलेगा। इससे िाजारों में अविक प्रवतस्पिास , दक्षता और वलकिवडटी (िॉण्ड का अविक लेन-देन) आएगी।
• रेडडंग: िॉण्ड िाजार में अविक वनिेशकों की भागीदारी सुवनवित करने तथा ईज ऑफ डू इंग विजनेस के वलए, G-Secs को स्टॉक एक्सचेंज व्यिस्था
के माध्यम से जारी ककया जाना चावहए और उसी के माध्यम से कारोिार ककया जाना चावहए।
• वनिेश: सरकार को G-Secs को डीमैट के जररए जारी करना चावहए ताकक डीमैट खाता िारक आसानी से G-Secs में वनिेश कर सकें । गौरतलि
है कक ितसमान में, 12 करोड़ से अविक डीमैट खाता िारक हैं और अभी इनका विस्तार हो ही रहा है। ररटेल वनिेशकों की भागीदारी िढ़ाने के वलए
G-Secs-आिाररत एक्सचेंज-रेडेड फं ड भी विकवसत ककए जाने चावहए।
o डीमैट एक प्रकार का खाता है वजसमे शेयर और अन्य प्रवतभूवतयों को इलेक्रॉवनक यानी वडवजटल रूप में रखा जाता है।
• पारदशी राजकोषीय अिसंरचना: राजकोषीय उत्तरदावयत्ि और िजट प्रिंिन (FRBM)51 कानून में पारदशी और जिािदेह तरीके से सरकारी ऋण
को कम करने के तरीकों और कदमों का उल्लेख करना चावहए ताकक वनिेशकों के सामने िास्तविक वस्थवत स्पष्ट हो। इससे सरकारी प्रवतभूवतयों में
उनका श्वास िढ़ेगा।
• कर प्रोत्साहन: G-sec से प्राप्त ब्याज आय पर कर छू ट के रूप में आर्थसक प्रोत्साहन देने से िाजार में G-sec की मांग को िढ़ाया जा सकता है।
• तेल और प्राकृ वतक गैस संसािनों के मजिूत प्रिंिन को िढ़ािा देने के वलए हाइड्रोकािसन महावनदेशालय (DGH) का गिन ककया गया है।
• अनुिंि प्रावप्त के वलए आिेदन जमा करने की प्रकिया को वडवजटल और मानकीकृ त िना कदया गया है। इसके वलए ई-ललेटफॉमस विकवसत ककया गया
है।
• नेशनल डेटा ररपॉवजटरी (NDR) को 2017 में आम जनता के वलए शुरू ककया गया था। यह अन्िेषण और उत्पादन कायों को िढ़ािा देने िाले
सरकारी डेटा िैंक के रूप में कायस करता है।
• वनिेशकों के वलए E&P डेटा तक सभी कदन और सभी समय (24x7) पहुंच के वलए NDR को क्लाउड-आिाररत ि िचुसअल डेटा रूम के साथ
अत्यािुवनक सुवििा में अपग्रेड करने का कायस प्रगवत पर है।
• भारत हाइड्रोकािसन विजन-2025 के अनुसार, हाइड्रोकािसन के विकास के वलए व्यापक रूपरे खा/ लक्ष्य वनिासररत ककया है।
• तेल और प्राकृ वतक गैस आिाररत क्षेत्रों के अन्िेषण से जुड़े कायों, पेरोवलयम उत्पादों एिं प्राकृ वतक गैस के विपणन से संिंवित अिसंरचना विकास
आकद के वलए स्िचावलत मागस के जररए 100% प्रत्यक्ष विदेशी वनिेश की अनुमवत दी गई है।
• नेशनल वसवस्मक प्रोग्राम (NSP) का लक्ष्य पूरे भारत में सभी तलछट िेवसनों
का नए वसरे से आकलन करना है।
• पूज
ं ी: तेल उत्पादन इकाइयों के संचालन में अविक पूंजी की आिश्यकता होती
है। इसके वलए महंगे उपकरण और अत्यविक कु शल श्रवमकों की आिश्यकता
होती है।
• तकनीकी: चुनौतीपूणस भू-िैज्ञावनक संरचनाओं से पेरोवलयम वनकालने के वलए
अत्यािुवनक वड्रडलंग प्रौद्योवगककयों की आिश्यकता पड़ती है।
• दुघटस नाएं: E&P गवतविवियों में तेल के ररसाि, फै लने और अन्य दुघसटनाओं
का जोवखम शावमल होता है। इसका एक हावलया उदाहरण तवमलनाडु में एन्नोर
तेल ररसाि की घटना है ।
• पयासिरण: वड्रडलंग, पाइपलाइन विछाने तथा अन्य अिसंरचनाओं के विकास के
कारण िन्यजीि पयासिास और विवििता को नुकसान पहुंचता है।
• समुदायों का विस्थापन: E&P गवतविवियों की िजह से स्थानीय समुदायों का
विस्थापन होता है। इससे सामावजक और सांस्कृ वतक चुनौवतयां पैदा होती हैं।
आगे की राह
• वनिेश: िैवश्वक कं पवनयों के साथ वमलकर तेल और गैस पररसंपवत्तयों के संयुक्त
E&P के अिसरों का पता लगाया जाना चावहए।
o इसके अलािा, वस्थर कर प्रशासन तथा कर छू ट जैसे प्रोत्साहनों से अविक
वनजी वनिेश आकर्षसत करने में मदद वमलेगी।
• उद्योग-अकादवमक सहयोग: यह निीनतम अनुसंिान और प्रौद्योवगककयों तक
पहुंच प्रदान करता है। साथ ही यह वसद्ांत और व्यिहार के िीच के अंतराल को
कम करता है।
o उदाहरण के वलए- अमगुरी और ऊपरी असम के आस-पास के क्षेत्रों में
आर्टसकफवशयल इं टेवलजेंस/ मशीन लर्निंग के उपयोग के वलए DGH और
िावडया इंस्टीट्यूट ऑफ वहमालयन वजयोलॉजी के िीच समझौता ज्ञापन पर
हस्ताक्षर ककए गए हैं।
• संिारणीय E&P: उदाहरण के वलए- ऑयल इंवडया वलवमटेड ने असम राज्य जैि
विवििता िोडस और IUCN के साथ साझेदारी करके संिारणीय तेल उत्पादन के
वलए कदम उिाए हैं।
o इसने वडब्रू सैखोिा-राष्ट्रीय उद्यान (असम) पर तेल उत्पादन के प्रभाि का
अध्ययन करने और इसके वनष्कषों के जिाि में “तेल उत्पादन योजना” विकवसत करने के वलए एक समझौते पर हस्ताक्षर ककए हैं।
वपछले नौ िषों में भारत से प्रसंस्कृ त खाद्य पदाथों के वनयासत में 150% की िृवद् दजस की गई है। इससे कृ वष वनयासत का मूल्य िढ़कर लगभग 53 विवलयन
डॉलर तक पहुंच गया है।
56 Profit-Sharing Model
57 Revenue Sharing Contract model
• खाद्य प्रसंस्करण ऐसी विवियों और तकनीकों का समूह है वजनका उपयोग कृ वष उत्पादों (अनाज, मांस, सवब्जयों, दूि, फल इत्याकद) को खाने, पकाने
या भंडाररत करने लायक उत्पादों में िदलने के वलए ककया जाता
है।
• कें िीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) के अनुसार,
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में शावमल होने के वलए कृ वष, पशुपालन या
मावत्स्यकी से संिवं ित ककसी भी कच्चे उत्पाद को इस तरह से
पररिर्तसत ककया जाना चावहए, कक
o इसके मूल भौवतक गुणों में िदलाि आए,
o िदला हुआ उत्पाद खाने योग्य हो, और
o उत्पाद का कु छ व्यािसावयक मूल्य हो।
• प्रसंस्करण के कारण खाद्य पदाथों के शेल्फ-लाइफ (उपयोग-समय) को िढ़ाया जा सकता है। इससे खाद पदाथों को ििासद होने या उनके अपवशष्ट िन
जाने से रोकने में मदद वमलती है।
• इससे खाद्य पदाथों के पोषण मूल्यों को िढ़ाया जा सकता है। जैसे कक- विशेष आहार की आिश्यकता को देखते हुए फोर्टसकफके शन तकनीक के द्वारा
अनाजों में विटावमन जैसे पोषक तत्ि शावमल ककए जाते हैं।
o यह िच्चों के साथ-साथ पूरी आिादी में कु पोषण और अल्प पोषण की समस्या से वनपटने में सहायक है।
• रोजगार में िृवद्: खाद्य प्रसंस्करण से लॉवजवस्टक्स और व्यापार के कई घटकों को भी िढ़ािा वमलता है। जावहर है कक इससे रोजगार के अवतररक्त
अिसर भी उत्पन्न होते हैं।
• ग्रामीण विकास: दुवनया भर में प्रसंस्कृ त खाद्य पदाथों के संस्थागत उपाय
िढ़ते वनयासत और मांग से ककसानों की आय िढ़ाई जा • कृ वष और प्रसंस्कृ त खाद्य उत्पाद वनयासत विकास प्राविकरण (APEDA)58: इसकी
सकती है। जि ककसानों की आय िढ़ेगी तो इससे ग्रामीण
स्थापना APEDA अविवनयम, 1985 के अनुसार की गई है। इस संगिन का उद्देश्य
विकास को भी िढ़ािा वमलेगा और गरीिी में भी कमी
कृ वष और प्रसंस्कृ त खाद्य उत्पादों के वनयासत को िढ़ािा देना है। इसके वलए यह
आएगी, आकद।
वित्तीय सहायता देता है, मानकों को तय करता है, पैकेडजंग में सुिार करता है, आकद।
• प्रसंस्करण के वलए नई-नई प्रौद्योवगककयों को अपनाने से
• समुिी उत्पाद वनयासत विकास प्राविकरण (MPEDA)59: यह एक िैिावनक वनकाय है।
इस सनराइज क्षेत्रक की दक्षता में सुिार होता है।
इसका प्राथवमक कायस समुिी उत्पादों के वनयासत को िढ़ािा देना है।
o सनराइज ऐसे क्षेत्रक को कहा जाता है जो पयासप्त
• भारतीय पैकेडजंग संस्थान (IIP)60: यह फलों और सवब्जयों के वनयासत हेतु पैकेडजंग के
और तेज संिृवद् की संभािना दशासते हैं।
वलए मानक विकवसत करता है।
• वनयासत से विदेशी मुिा आय में िृवद् हो सकती है। इससे
• वनयासत वनरीक्षण पररषद (EIC)61: यह भारत की आविकाररक वनयासत प्रमाणन संस्था
भारत के व्यापार संतुलन को सकारात्मक िनाए रखने में
मदद वमलेगी तथा आर्थसक संिृवद् को िढ़ािा वमल सकता है। इसे िैवश्वक स्तर पर मान्यता प्राप्त है। यह वनयासत ककए गए उत्पादों की गुणित्ता
है। और संरक्षा सुवनवित करती है।
• कृ वष वनयासत नीवत (2018): इसका उद्देश्य भारतीय कृ वष को िैवश्वक िैल्यू-चेन के
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में विद्यमान चुनौवतयां
साथ एकीकृ त करके िैवश्वक कृ वष वनयासत में भारत की वहस्सेदारी को दोगुना करना है।
• भारत में खाद्य प्रसंस्करण से संिवं ित अत्यािुवनक
अिसंरचना का अभाि है। इस क्षेत्रक के कई व्यिसाय लघु और मध्यम श्रेणी के हैं। इनके पास अक्सर नई तकनीकों को अपनाने के वलए संसािनों की
कमी होती है।
3.7. प्रिान मं त्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana: PMGSY)
सुर्खसयों में क्यों?
हाल ही में, एक संसदीय पैनल ने कें िीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से यह कहा है कक िह PMGSY के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में िन रही सड़कों की वनगरानी
िढ़ाए और सड़क वनमासण में खराि गुणित्ता िाली सामग्री के इस्तेमाल पर ‘रोक’ लगाए।
• इसे िषस 2000 में 100% कें ि प्रायोवजत योजना के रूप में शुरू ककया गया था। इसका उद्देश्य पात्र िवस्तयों को हर मौसम में उपयोगी ग्रामीण सड़क
कनेवक्टविटी प्रदान करना है।
• कियान्ियन मंत्रालय: कें िीय ग्रामीण विकास मंत्रालय
• पात्रता: मैदानी क्षेत्रों में 500 से अविक जनसंयया िाली िवस्तयां तथा पहाड़ी एिं अन्य दुगसम क्षेत्रों में 250 से अविक आिादी िाली िवस्तयां।
• वित्त-पोषण का तरीका: 2015-16 में संशोवित वित्त-पोषण तरीका लागू ककया गया था। यह इस प्रकार है:
o पूिोत्तर राज्यों और वहमालयी राज्यों के मामले में कें ि-राज्य व्यय अनुपात: 90:10
o अन्य राज्यों के मामले में कें ि-राज्य व्यय अनुपात: 60:40
• इस योजना के चार घटक हैं: (i) PMGSY-I, (ii) PMGSY-II, (iii) िामपंथी उग्रिाद से प्रभावित क्षेत्रों के वलए सड़क कनेवक्टविटी पररयोजना
(RCPLWEA)64, और (iv) PMGSY III पररयोजना
o PMGSY I (2000): इसे 2001 की जनगणना के अनुसार पात्र ग्रामीण िवस्तयों को एकल िारहमासी सड़क के माध्यम से कनेवक्टविटी प्रदान
करने के वलए शुरू ककया गया था।
o PMGSY-II (2013): इसे अलग-अलग राज्यों और कें ि शावसत प्रदेशों में कु ल 50,000 ककलोमीटर सड़कों में सुिार (अपग्रेड) करने के लक्ष्य के
साथ शुरू ककया गया था।
o RSPLWEA (2016): इसे सामररक रूप से महत्िपूणस सड़कों के वनमासण और सुिार के वलए शुरू ककया गया था। इसका एक अन्य उद्देश्य
िामपंथी उग्रिाद से प्रभावित वजलों और आस-पास के क्षेत्रों में सड़क कनेवक्टविटी में सुिार करना है।
o PMGSY-III (2019): इसे 1,25,000 ककलोमीटर सड़कों को अलग-अलग सुवििाओं से जोड़ने के वलए आरं भ ककया गया था। उदाहरण के
वलए- ग्रामीण िवस्तयों से ग्रामीण कृ वष िाजारों (GrAM)65, उच्चतर माध्यवमक विद्यालयों और अस्पतालों तक पहुंचने के वलए मुयय सड़कों से
कनेवक्टविटी प्रदान करना।
• इससे लोगों की आिाजाही िढ़ी है। इससे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को कृ वष के अलािा अन्य क्षेत्रों में भी रोजगार के नए और िैकवल्पक अिसर प्राप्त हुए
हैं। इससे गांि के लोगों की आय में भी िृवद् हुई है।
• िाजारों तक आसान और व्यापक पहुंच: सड़क संपकस होने से कृ षकों को अच्छी कीमतों पर अपना उत्पाद िेचने के वलए नए िाजार प्राप्त हुए हैं। इससे
पाररिाररक आय िढ़ाने में मदद वमली है।
• ग्रामीण सड़कें समृवद् की ओर ले गई हैं: सड़क संपकस होने से ग्रामीण लोग आजीविका के नए अिसरों की तलाश में अन्य कस्िों और िड़े शहरों की
ओर जाने लगे हैं।
• स्िास्थ्य और वशक्षा तक िेहतर पहुंच: ग्रामीण सड़कें िन जाने से स्कू ल िसें अि दूर-दराज के गांिों तक पहुंच रही हैं। इससे ग्रामीण िच्चे पास के अच्छे
स्कू लों में पढ़ने लगे हैं।
• गााँि की सड़कें मवहलाओं को स्ितंत्रता और अन्य विकल्प प्रदान करती हैं: गांि की अविक मवहलाएाँ और लड़ककयााँ स्कू ल जा रही हैं, अलग-अलग
सुवििाओं का लाभ उिा रही हैं और आर्थसक रूप से स्ितंत्र हो रही हैं।
• राज्यों द्वारा समय पर फं ड जारी न करना: राज्य सरकारों द्वारा पयासप्त वित्त • वनरं तर फं डडंग के वलए राज्यों की उवचत वनगरानी करनी चावहए
उपलब्ि न कराने के कारण 41% ग्रामीण सड़कें जजसर वस्थवत में हैं। तथा समय पर फं ड जारी करने के वलए कें िीय वित्त मंत्रालय के
साथ तालमेल िनाए रखना चावहए।
• टेंडटरंग और िे केदारों से जुड़े मुद्दे: िे केदार सड़क वनमासण का कॉन्रैक्ट प्राप्त करने • “लो-टेंडटरंग” को रोकने हेतु उवचत िोली प्रकिया के वलए उपाय
के वलए ‘लो-टेंडटरंग’ का तरीका अपनाते हैं। इसके तहत िे िहुत कम िोली ककए जाने चावहए। साथ ही वनगरानी प्रणाली को किोरता से
लगाते हैं। इससे उन्हें सड़क वनमासण का िे का तो वमल जाता है लेककन लाभ लागू ककया जाना चावहए।
कमाने के वलए िे सड़क वनमासण में घरटया सामवग्रयों का इस्तेमाल करते हैं।
• सड़क वनमासण के िाद का रखरखाि: योजना के प्राििान के अनुसार, एक सड़क • योजना के प्राििानों के अनुसार, सड़क वनमासण के िाद 10 िषों
को 10 िषस तक अच्छी अिस्था में रहने के वलए वडज़ाइन ककया जाना चावहए। तक सड़क का रखरखाि सुवनवित ककया जाए। इसका पालन नहीं
करने िाले िे केदारों को काली सूची में डाला जाना चावहए।
हालांकक, ज्यादातर िे केदार इसका पालन नहीं करते हैं वजसके कारण सड़क की
गुणित्ता खराि हो जाती है।
• जनगणना के पुराने आंकड़े का उपयोग करना: PMGSY के तहत सड़क वनमासण • 2011 की जनगणना के आंकड़ों को आिार िनाना: 2011 की
हेतु िवस्तयों के चयन के वलए 2001 की जनगणना को आिार िनाया गया है। जनगणना के अनुसार पात्र िवस्तयों को शावमल करने के वलए
इसकी िजह से ितसमान जनसंयया के आिार पर पात्र हो सकने िाली िवस्तयां योजना में एक नया घटक शावमल ककया जाना चावहए।
भी इस योजना के दायरे में नहीं आ पाती हैं।
3.8.1. भारत, विश्व का चौथा सिसे िड़ा शे य र ▪ िॉम्िे स्टॉक एक्सचेंज (BSE), नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
िाजार िन गया (India Becomes Fourth- (NSE) भारत के िड़े स्टॉक एक्सचेंजों के उदाहरण हैं।
Largest Stock Market) • स्टॉक माके ट का महत्त्ि:
o व्यिसावययों के वलए: यह पूंजी जुटाने का माध्यम है, जोवखम
• हांगकांग को पीछे छोड़ते हुए भारत, विश्व का चौथा सिसे िड़ा
शेयर िाजार िन गया है। को एक व्यवक्त की िजाय कई लोग साझा कर लेते हैं, वनिेश
• ब्लूमिगस द्वारा संकवलत आंकड़ों के अनुसार, भारतीय स्टॉक प्राप्त होने से व्यिसाय का विस्तार करने में मदद वमलती है
आकद।
एक्सचेंजों में सूचीिद् शेयरों का संयुक्त मूल्य 22 जनिरी, 2024
o वनिेशकों के वलए: िचत के पारं पररक तरीकों, कर छू ट,
को 4.33 ररवलयन अमेररकी डॉलर तक पहुंच गया था। इसी कदन
कै वपटल ग्रोथ आकद की तुलना में िेहतर ररटनस प्राप्त होते हैं।
हांगकांग में सूचीिद् शेयरों का कु ल मूल्य 4.29 ररवलयन अमेररकी
o समाज के वलए: सोशल इम्पैक्ट िॉण्ड, ग्रीन िॉण्ड आकद के
डॉलर था। माध्यम से सामावजक कल्याण के क्षेत्र में सतत वनिेश प्राप्त
o मूल्य के वहसाि से विश्व के तीन सिसे िड़े शेयर िाज़ार हैं:
होता है।
संयुक्त राज्य अमेररका, चीन और जापान। o अथसव्यिस्था के वलए: िचत खातों में रखे िन को स्टॉक
• स्टॉक माके ट िह जगह है, जहां व्यवक्तगत और संस्थागत वनिेशक एक्सचेंज में वनिेश करने से िेहतर ररटनस प्राप्त होते हैं, िेंचर
स्टॉक (शेयर), िॉण्ड्स, एक्सचेंज रेडेड फं ड्स (ETFs), कै वपटल फं ड के माध्यम से उद्यवमता को िढ़ािा वमलता है
डेररिेरटव्स जैसी अलग-अलग प्रवतभूवतयों का लेन-देन करते हैं। आकद।
o शेयर िाजार दो प्रकार के होते हैं: • भारतीय स्टॉक माके ट से जुड़ी डचंताएं:
▪ प्राथवमक िाज़ार (Primary Market): जहां नए शेयर o िाजार में अविक उतार-चढ़ाि देखा जाता है, जो वनिेशकों के
(IPOs), िॉण्ड्स आकद पहली िार जारी ककए जाते हैं। वहत में नहीं है।
▪ वद्वतीयक िाज़ार (Secondary Market): इसके तहत o नए शेयर कम जारी ककए जाते हैं और िाजार में वनिेशकों की
स्टॉक एक्सचेंजों में पहले से सूचीिद् प्रवतभूवतयों भी कमी है। इससे खरीद-वििी के वलए कम शेयर उपलब्ि
(इकिटी, िॉण्ड आकद) का लेन-देन ककया जाता है। होते हैं।
o िॉण्ड िाजार में सरकारी िॉण्ड्स का प्रभुत्ि होने से कॉपोरे ट
ऋण िाजार अविक पररपि नहीं हो पाया है।
54 www.visionias.in ©Vision IAS
वजसका ियस्क सदस्य स्िेच्छा से अकु शल शारीररक श्रम करने का
भारत में शेयर िाजारों का विवनयमन
इच्छु क होता है।
• भारतीय प्रवतभूवत एिं विवनमय िोडस (सेिी/SEBI): यह स्टॉक ब्रोकर,
• 2017 से मनरे गा के तहत ABPS का उपयोग ककया जा रहा है। 1
स्टॉक एक्सचेंज जैसे िाजार मध्यिर्तसयों को विवनयवमत करता है।
जनिरी, 2024 से मनरे गा में ABPS के उपयोग को अवनिायस कर
o सेिी अविवनयम, 1992 के तहत सेिी एक िैिावनक संस्था है।
कदया गया है।
• भारतीय ररज़िस िैंक (RBI): यह सरकारी प्रवतभूवत िाजार आकद को
o यकद ककसी ग्राम पंचायत ने कोई तकनीकी समस्या या आिार
विवनयवमत करता है।
से संिंवित परे शानी व्यक्त की है, तो सरकार मामलों के
आिार पर छू ट पर विचार कर सकती है।
3.8.2. सािस ज वनक भारतीय कं पवनयों की डायरे क्ट
वलडस्टं ग (Direct Listing of Public Indian • ABPS की कायस प्रणाली:
Companies) o ABPS, श्रवमक की 12 अंकों की विवशष्ट आिार संयया का
उसके वित्तीय पते (िैंक खाते का पता लगाना) के रूप में
• कें ि ने GIFT-इं टरनेशनल फाइनेंवशयल सर्िससज
े सेंटर (GIFT-
उपयोग करती है।
IFSC) के एक्सचेंजों में भारतीय सािसजवनक कं पवनयों की
o ABPS के तहत भुगतान के वलए,
प्रवतभूवतयों की डायरे क्ट वलडस्टंग की अनुमवत दी है। इसके वलए
▪ एक श्रवमक की आिार संिि
ं ी जानकारी उसके जॉि
वनम्नवलवखत कदम उिाए गए हैं:
o कॉरपोरे ट कायस मंत्रालय ने कं पनी (अनुमय े क्षेत्राविकार में काडस से जुड़ी होनी चावहए;
इकिटी शेयरों की सूची) वनयम, 2024 जारी ककए हैं; तथा ▪ उसका आिार वििरण उसके िैंक खाते से जुड़ा होना
o वित्त मंत्रालय के आर्थसक प्रभाग ने विदेशी मुिा प्रिंिन (गैर- चावहए;
ऋण वलखत) वनयम, 2019 में संशोिन ककया है। ▪ श्रवमक के आिार को भारतीय राष्ट्रीय भुगतान वनगम
▪ गौरतलि है कक फे मा वनयम, 2019 के तहत डायरे क्ट (NPCINCPI) के डेटािेस के साथ मैप ककया जाना
वलडस्टंग योजना के वलए एक फ्रेमिकस प्रदान ककया गया चावहए।
है। इस फ्रेमिकस के तहत अंतरासष्ट्रीय एक्सचेंजों में • इस वनणसय का महत्त्ि:
भारतीय सािसजवनक कं पवनयों के इकिटी शेयरों को जारी o फजी लाभार्थसयों को िाहर कर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया
करने और सूचीिद् करने की अनुमवत दी गई है। जा सके गा।
▪ इससे पहले, भारतीय कं पवनयां के िल वडपॉवजटरी o इससे श्रवमकों को शीघ्र भुगतान सुवनवित हो सके गा।
ररसीट्स के माध्यम से या विदेशी िाजारों में अपनी o लाभार्थसयों के िैंक खाते में पररितसन के कारण उनकी मजदूरी
ऋण प्रवतभूवतयों को सूचीिद् करके विदेशी इकिटी नहीं रुके गी।
िाजारों तक पहुंच सकती थीं।
• डायरे क्ट वलडस्टंग के लाभ:
o इससे भारतीय कं पवनयों को कम लागत पर विदेशी पूज
ं ी
जुटाने में आसानी होगी; तथा
o भारत में विदेशी वनिेश को िढ़ािा वमलेगा।
280(1) के तहत ककया गया है। अप्रैल, 2026 से पांच साल की अिवि के वलए लागू रहेंगी।
• सरकार ने नीवत आयोग के पूिस उपाध्यक्ष अरडिंद पनगकढ़या को
3.8.5. प्रत्यक्ष कर-GDP का अनु पात 15 साल के
16िें वित्त आयोग का अध्यक्ष वनयुक्त ककया है। आयोग के अन्य
सिोच्च स्तर पर (Direct Tax to GDP Ratio
सदस्यों के नामों को अलग से अविसूवचत ककया जाएगा।
Rose to 15-Year High)
• वित्त आयोग के कायों में शावमल हैं:
o कें ि सरकार की करािान शवक्तयों तथा राज्यों के व्यय संिंिी • कें िीय प्रत्यक्ष कर िोडस के डेटा के अनुसार, वित्त िषस 2023 में
उत्तरदावयत्िों के िीच व्याप्त ऊध्िासिर असंतुलन को समाप्त
“प्रत्यक्ष कर-GDP” का अनुपात 15 साल के सिोच्च स्तर पर पहुंच
करना;
गया।
o कें ि सरकार की ओर से सभी राज्यों के वलए वित्त अंतरण में • जारी ककए गए डेटा पर एक नज़र:
समानता लाना, ताकक सभी राज्य सािसजवनक सेिाओं का एक o सकल घरे लू उत्पाद (GDP) की तुलना में प्रत्यक्ष कर का
मानक सेट प्रदान कर सकें ।
अनुपात यानी “प्रत्यक्ष कर-GDP” अनुपात वित्त िषस 2023
में 6.11% पर पहुंच गया है। यह वपछले 15 साल का सिोच्च
स्तर है।
▪ “प्रत्यक्ष कर-GDP” अनुपात एक तरह से विकास को
िढ़ािा देने के वलए ककसी देश की संसािन जुटाने की
क्षमता को दशासता है।
o कर उछाल (Tax Buoyancy): यह 2021-22 में 2.52 था,
जो 2022-23 में घटकर 1.18 हो गया।
▪ कर उछाल GDP में िृवद् के सापेक्ष कर संग्रह में दक्षता
या िृवद् के माप को इंवगत करता है।
▪ कर राजस्ि को ति उछालपूणस (Buoyant) माना जाता
है, जि कर की दरें अपररिर्तसत रहने पर भी GDP में
संिवृ द् की तुलना में कर संग्रह में आनुपावतक रूप से
अविक िृवद् होती है।
▪ कर उछाल में हावलया वगरािट से संकेत वमलता है कक
मौजूदा आर्थसक संिवृ द् से वित्त िषस 2023 में प्रत्यक्ष कर
संग्रह में उतनी िृवद् नहीं हुई वजतनी वित्त िषस 2022 में
दजस की गई थी।
• GDP की तुलना में प्रत्यक्ष कर को िढ़ाने हेतु सरकार द्वारा शुरू o भारत की विशाल और िढ़ती अथसव्यिस्था का लाभ उिाना;
o वित्तीय समािेशन को िढ़ािा वमलता है, लौह (Fe) िातु प्राप्त होता है।
o ऋण एवललके शन पर तेजी से कारस िाई की जाती है, • CCI के इस अध्ययन से कु छ तथ्य सामने आए हैं, जैसे:
o कफनटेक के साथ सहयोग को िढ़ािा वमलता है, o भारत लौह अयस्क के उत्पादन में आत्मवनभसर है।
o नए ऋण उत्पादों को लॉन्च करना आसान होता है। o लौह अयस्क के िैवश्वक उत्पादन में भारत की वहस्सेदारी
o पयासप्त सूचना उपलब्ि नहीं होने की वस्थवत में सटीक o भारत विश्व में चौथा सिसे िड़ा लौह उत्पादक देश है।
3.8.11. ऑवडट गु ण ित्ता में कवमयां (Audit • भारतमाला के पहले चरण को पूरा करने की समय सीमा िढ़ाकर
Quality Deficiencies) 2027-28 कर दी गई है।
• भारतमाला पररयोजना को सड़क पररिहन और राजमागस मंत्रालय
• राष्ट्रीय वित्तीय ररपोर्टिंग प्राविकरण (NFRA)69 ने चार िड़ी
के अिीन शुरू ककया गया था। यह राजमागस क्षेत्रक के वलए एक
ऑवडट फमों की ऑवडट गुणित्ता में कवमयों को रे खांककत ककया है। अम्ब्रेला कायसिम है।
• NFRA ऑवडटटंग (लेखा परीक्षा) के पेशे से जुड़ी एक विवनयामक o 2017 में इसके चरण-I को मंजरू ी दी गई थी। इसका उद्देश्य
संस्था है। यह भारत में लेखांकन (Accounting) मानकों के 2022 तक 34,800 कक.मी. के राष्ट्रीय राजमागों का विकास
अनुपालन की वनगरानी करता है। करके महत्िपूणस अिसंरचना की कमी को समाप्त करना था।
o NFRA कं पनी अविवनयम, 2013 की िारा 132 के तहत o निंिर-2023 तक इस पररयोजना का 42% काम पूरा हो
2018 में गरित एक िैिावनक वनकाय है। चुका था।
o इस अविवनयम के तहत NFRA को ऑवडटटंग मानकों के • भारतमाला पररयोजना के उद्देश्य:
अनुपालन की वनगरानी करने और संिवं ित व्यिसायों की o महत्िपूणस अिसंरचना की कवमयों को समाप्त करके देश भर में
माल ढु लाई और यात्री आिाजाही की दक्षता सुवनवित
सेिा की गुणित्ता का पयसिक्ष
े ण करने का कायस सौंपा गया है।
करना।
o इस वजम्मेदारी के तहत, NFRA ने चार िड़ी ऑवडट फमों o पूिोत्तर भारत में कनेवक्टविटी में सुिार लाना।
की ऑवडट गुणित्ता का वनरीक्षण ककया। इन चार ऑवडट o मल्टीमॉडल लॉवजवस्टक्स पाक्सस का विकास करके मौजूदा
फमों के नाम इस प्रकार हैं: गवलयारों की दक्षता में सुिार लाना।
▪ वडलॉइट, हवस्कन्स एंड सेल्स LLP; • भारतमाला पररयोजना की विशेषताएं:
o गवलयारों को अपग्रेड करने की जरूरत है या नहीं इसका
▪ BSR एंड कं पनी LLP;
वनिासरण करने के वलए गवलयारों की सेटेलाइट मैडपंग की
जाएगी।
68 Mines and Minerals (Development and Regulation) o 1,500 से अविक पॉइंट्स का प्रौद्योवगकी की सहायता से
Amendment Act स्िचावलत रैकफक सिेक्षण ककया जाएगा।
69 National Financial Reporting Authority o 600 वजलों में माल ढु लाई का स्रोत-गंतव्य अध्ययन ककया
जाएगा।
59 www.visionias.in ©Vision IAS
• राजमागस अिसंरचना में क्या कवमयां हैं? • D-SIBs का दजास अग्रवलवखत आिारों पर कदया जाता है- उनका
o संसािनों की कमी और एक राष्ट्रीय योजना के अभाि के आकार, उनकी अंतसिंिि
ं ता, उनका विकल्प या वित्तीय संस्थान
कारण राष्ट्रीय राजमागस नेटिकस ि सड़क नेटिकस का अनुकूलन अिसंरचना आसानी से उपलब्ि न होना और जरटलता।
अपयासप्त है।
o यकद D-SIBs विफल हो जाते हैं, तो िैंककं ग प्रणाली और
o प्रमुख गवलयारों और िंदरगाहों को भीतरी इलाकों से जोड़ने
समग्र अथसव्यिस्था के वलए आिश्यक सेिाओं में व्यापक िािा
िाली एकीकृ त योजना का अभाि है।
o राजमागस के कई वहस्सों में भीड़-भाड़ िाले डिंद ु मौजूद हैं। उत्पन्न हो जाएगी।
पहले से विकवसत गवलयारों पर भी स्थानीय रूप से भीड़- • D-SIBs की घोषणा/ विवनयमन:
भाड़ िाले डिंद ु मौजूद हैं। o RBI ने पहली िार 2014 में D-SIBs के वलए फ्रेमिकस जारी
o दुघसटना की वस्थवत में प्रवतकिया के वलए िुवनयादी ढांचे का
ककया था।
अभाि है।
▪ यह फ्रेमिकस D-SIBs से संिंवित िैंककं ग पयसिक्ष
े ण पर
िेसल सवमवत (BCBS) फ्रेमिकस पर आिाररत है।
o िैंकों को 5 िके ट्स में रखा जाता है।
▪ निीनतम सूची के अनुसार, भारत के D-SIBs भारतीय
स्टेट िैंक (SBI) (िके ट 4), HDFC िैंक (िके ट 2) और
ICICI िैंक (िके ट 1) हैं।
o िैंकों को उनकी D-SIB की श्रेणी के आिार पर उनकी
जोवखम भाररत पररसंपवत्तयों (RWAs) का कु छ वहस्सा
अवतररक्त कॉमन इकिटी रटयर-1 (CET-1) के रूप में रखना
होता है।
o िके ट-1 िैंकों को सिसे कम CET-1 यानी 0.20% िनाए
रखना होता है और िके ट-5 को उच्चतम CET-1 यानी 1%
िनाए रखना होता है।
• इसी प्रकार, यकद ककसी विदेशी िैंक की भारत में शाखा है और
यकद िह िैवश्वक-प्रणालीगत रूप से महत्िपूणस िैंक (G-SIB) है, तो
उसे G-SIB से संिंवित वनयमों के अनुरूप भारत में अवतररक्त
CET-1 पूंजी अविभार को िनाए रखना होगा।
o वित्तीय वस्थरता िोडस (FSB) G-SIBs की सूची जारी करता
है।
3.8.13. D-SIBs, 2023 की सू ची (2023 List of
D-SIBs) 3.8.14. पे में ट इं फ्रास्रक्चर डे ि लपमें ट फं ड (PIDF)
योजना {Payments Infrastructure
• भारतीय ररज़िस िैंक (RBI) ने 2023 के “घरे ल-ू प्रणालीगत रूप से Development Fund (PIDF) Scheme}
महत्िपूणस िैंकों (D-SIBs)70” की सूची जारी की है।
• भारतीय ररज़िस िैंक (RBI) ने ‘पेमटें इं फ्रास्रक्चर डेिलपमेंट फं ड
• D-SIBs परस्पर संिद् संस्थाएं होती हैं। ये इतनी िड़ी संस्थाएं
(PIDF) योजना को 2025 तक के वलए िढ़ाया है।
होती हैं कक इनकी विफलता पूरी वित्तीय प्रणाली को प्रभावित कर
सकती है और अवस्थरता पैदा कर सकती है। इस कारण इन्हें • PIDF योजना के िारे में:
असफल नहीं होने कदया जा सकता। o इसे पहली िार 2021 में तीन िषों के वलए शुरू ककया गया
था।
o इसका उद्देश्य रटयर-3 से रटयर-6 कें िों, पूिोत्तर राज्यों तथा
70 Domestic Systemically Important Banks
कें ि शावसत प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में भुगतान
(पेसा/PESA एक्ट) तथा FRA, 2006 के तहत िनिावसयों को हावलया प्रगवत को भी रे खांककत ककया।
MFP के स्िावमत्ि और प्रिंिन से संिंवित कानूनी अविकार कदए o गौरतलि है कक आभूषणों की हॉलमार्किं ग को देश के 343
3.8.17. भारत में मानकीकरण o मानकीकरण के वलए भारतीय राष्ट्रीय रणनीवत (INSS)
(Standardisation in India) िनाई गई है;
• हाल ही में, भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) का 77िां स्थापना कदिस o भारतीय गुणित्ता पररषद (QCI) की स्थापना की गई है।
मनाया गया। इस अिसर पर कें िीय मंत्री ने भारत को उत्पादों इसकी “मानक विकास संगिनों (SDOs) के एिे वडटेशन
और सेिाओं के वलए मानक वनिासरण में अग्रणी िनाने की िात (प्रत्यायन या मान्यता) के वलए योजना” चलाई जा रही है
o BIS की एक राष्ट्र एक मानक योजना लागू की गई है।
62 www.visionias.in ©Vision IAS
▪ इससे उिसरकों की दक्षता में िृवद् होगी और िार-िार
उिसरकों का वछड़काि नहीं करना होगा। इससे मृदा को
उपजाऊ िनाए रखने में मदद वमलेगी।
o भारतीय कृ वष अनुसि
ं ान पररषद (ICAR) के अध्ययन के
अनुसार, SCU के उपयोग से यूररया की खपत में 25% की
कमी आएगी।
• पयासिरण अनुकूल उिसरक (EFFs) ऐसे उिसरक होते हैं, जो मृदा में
पोषक तत्िों की आपूर्तस को िीमा करके या वनयंवत्रत करके पोषक
तत्िों के नुकसान और ररसाि को कम करते हैं। इससे उिसरकों से
होने िाले पयासिरण प्रदूषण को कम ककया जा सकता है।
o EFFs में िायो-कम्पोस्ट, िमी-कम्पोस्ट जैसे जैविक उिसरक
भी शावमल हैं।
• भारत में EFFs के वलए शुरू की गई अन्य मुयय पहलें:
o प्रणाम/ PM PRANAM (पीएम प्रोग्राम फॉर रे स्टोरे शन,
अिेयरनेस, नौररश्मेंट एंड एमेवलयरे शन ऑफ मदर अथस) ”
योजना की घोषणा की गई है।
o नैनो यूररया और नीम लेवपत यूररया के उपयोग को मंजूरी दी
गई है।
▪ प्रिान मंत्री ककसान समृवद् कें ि (PMKSK) स्थावपत
ककए गए हैं। इन कें िों पर ककसानों को उपयुसक्त उिसरक
उपलब्ि कराए जा रहे हैं।
o गोिरिन/ GOBARdhan (गैल्िनाइडजंग ऑगेवनक िायो-
3.8.18. यू ररया गोल्ड (Urea Gold) एग्रो ररसोसेज िन), योजना जैविक खाद तैयार करने में मदद
करती है।
• आर्थसक मामलों की मंवत्रमंडलीय सवमवत (CCEA) ने “यूररया
गोल्ड” को िाजार में लाने की मंजूरी दी है।
• गौरतलि है कक सरकार ने पयासिरण अनुकूल उिसरकों (EFFs) के
उपयोग को िढ़ािा देने के वलए कई पहलें शुरू की हैं। यूररया गोल्ड
का लॉन्च ककया जाना एक ऐसी ही पहल है।
• यूररया गोल्ड सल्फर-लेवपत यूररया (SCU)71 उिसरक है।
o यह जैविक उिसरक नहीं है। इसमें मृदा में नाइरोजन की
आपूर्तस िीरे -िीरे होती है। इससे खेतों में नाइरोजन की पयासप्त
आपूर्तस सुवनवित हो पाती है।
▪ इसे सामान्यतः पहले से गमस ककए गए यूररया के दानों
को वपघले हुए सल्फर के साथ कोटटंग करके तैयार ककया
जाता है।
o सल्फर कोटटंग, खेतों में नाइरोजन की अविक दक्षता से
आपूर्तस सुवनवित करती है। 3.8.19. प्रोटे क्शन ऑफ ललां ट िे रायटीज एं ड फामस सस
▪ इसमें अविक समय तक पौिों को पोषक तत्ि प्राप्त होते राइट्स एक्ट (Protection of Plant Varieties
रहते हैं। इससे पौिों को लंिे समय तक हरा-भरा रखने and Farmers’ Rights Act)
में मदद वमलती है।
• हाल ही में, कदल्ली हाई कोटस ने पेवलसको (PepsiCo) को आलू की
एक ककस्म के वलए पेटेंट क्लेम करने की अनुमवत दी।
71 Sulphur-Coated Urea
विकवसत आलू की एक खास ककस्म “FL 2027” के पेटेंट को रद्द o पौिों की नई ककस्मों का पंजीकरण करना,
o पौिों के आनुिंवशक संसािनों के संरक्षण तथा परररक्षण में लगे
कर कदया था।
ककसानों को पुरस्कृ त करना,
• इसके िाद पेवलसको ने PPVFR अथॉररटी के आदेश के वखलाफ
o पौिों की ककस्मों के राष्ट्रीय रवजस्टर और राष्ट्रीय जीन िैंक का
कदल्ली हाईकोटस में अपील दायर की थी। कदल्ली हाईकोटस ने अपना रख-रखाि करना।
हावलया वनणसय PPVFR अविवनयम, 2001 के तहत कदया है।
o FL 2027 वचलस िनाने के वलए इस्तेमाल होने िाले आलू की 3.8.20. विशे ष रूप से सं िे द नशील जनजातीय समू ह
एक ककस्म है। आलू की इस ककस्म की कु छ खास विशेषताएं (PVTGs) के वलए नई सौर ऊजास योजना (Solar
होती हैं। इसे देश के कु छ ककसानों द्वारा के िल पेवलसको के Power Scheme for PVTGs Habitations)
वलए ही उगाया जाता है। • विशेष रूप से संिेदनशील जनजातीय समूह (PVTGs)72 की
▪ FL 2027 ककस्म के आलू में अन्य ककस्मों की तुलना में िवस्तयों/ गांिों के वलए नई सौर ऊजास योजना शुरू की जाएगी।
नमी की मात्रा कम होती है। साथ ही, इसमें शकस रा की o राष्ट्रपवत ने “प्रिान मंत्री जनजावत आकदिासी न्याय महा-
o इसके अनुपालन में भारत ने PPVFR अविवनयम, 2001 जररए विजली प्रदान की जाएगी।
लागू ककया है। ▪ PVTGs क्षेत्रों में दूर-दराज िाले इलाकों में अलग-
o जि ककसी पौिे की कोई ककस्म विवशष्टता, एकरूपता और अलग िसे और विजली से िंवचत PVTGs पररिारों के
वस्थरता (Distinctiveness, Uniformity and Stability: वलए सोलर होम लाइटटंग वसस्टम (SHLS) स्थावपत
अविवनयम के तहत पंजीकृ त कराया जा सकता है। ▪ PVTGs िस्ती/ टोले में पास-पास िसे PVTGs
• PPVFR अविवनयम वनम्नवलवखत अविकारों को मान्यता देता है: पररिारों हेतु सोलर वमनी वग्रड स्थावपत ककया जाएगा।
o ककसानों के अविकार: इसमें ककसानों द्वारा उपयोग की जाने ▪ PVTGs इलाकों में वस्थत मल्टी-पपसज सेंटसस (MPCs)
िाली फसलों की ककस्मों, मौजूदा ककस्मों और फसल की नई में विजली की आपूर्तस हेतु िैटरी िैंक िाले ऑफ-वग्रड
सोलर पािर पैक स्थावपत ककए जाएंग।े
ककस्मों के पंजीकरण एिं संरक्षण का अविकार शावमल है।
साथ ही, इसमें पौिों के आनुिंवशक संसािनों के संरक्षण हेतु o कायासन्ियन एजेंसी: PVTG क्षेत्र में कायसरत वडस्कॉम्स
पुरस्कार का भी प्राििान ककया गया है। (DISCOMs) इस नई योजना को लागू करें गे।
o शोिकतासओं के अविकार: शोिकतासओं को एक्सपेररमेंट हेतु o योजना की अिवि: यह योजना 2023-24 से 2025-26 तक
ककसी भी पंजीकृ त ककस्म के उपयोग का अविकार कदया गया की अिवि के वलए है।
है।
o ब्रीडसस यानी प्रजनकों के अविकार (Breeders’ rights):
ब्रीडसस को उत्पादन, वििी, आयात या वनयासत आकद का
विशेष अविकार कदया गया है।
72 Particularly Vulnerable Tribal Groups
• समझौते के तहत एक “ग्लोिल हाइड्रोजन प्राइस इं डेक्स” विकवसत • राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के िारे में:
ककया जाएगा। o कें ि सरकार ने 2004 में इसकी शुरुआत की थी। इसका
o यह इंडेक्स भारत में ग्रीन हाइड्रोजन की कीमत तय करने में उद्देश्य व्यवक्तयों को पेंशन के रूप में आय प्राप्त करने में मदद
िेंचमाकस की भूवमका वनभाएगा। साथ ही, यह इंडेक्स भारत करना है।
के विकवसत होते ग्रीन हाइड्रोजन माके ट के िारे में िाजार o भारत का कोई भी नागररक, चाहे िह भारत का वनिासी हो
संिंिी सूचना भी प्रदान करे गा। या अवनिासी (NRI), NPS में शावमल हो सकता है।
• लाभ: o यह 1 जनिरी 2004 को या उसके िाद कें ि सरकार की
o ग्रीन हाइड्रोजन के मूल्य वनिासरण में पारदर्शसता िढ़ाएगा, सेिाओं (सशस्त्र िलों को छोड़कर) और कें िीय स्िायत्त
o वनिेशकों का विश्वास मजिूत करे गा और वनकायों में भती होने िाले सभी कमसचाररयों के वलए
अवनिायस है।
o िैवश्वक स्तर पर ग्रीन हाइड्रोजन िाजार के विकास में मदद
करे गा। o पेंशन वनवि विवनयामक और विकास प्राविकरण PFRDA
अविवनयम, 2013 के तहत NPS को विवनयवमत करता है।
3.8.23. राष्ट्रीय पें श न प्रणाली (NPS) के
सब्सिाइिसस के वलए “पॉइं ट ऑफ प्रे जें स ” {Point of
Presence (PoP) Regulations for NPS
Subscribers}
• हाल ही में, PFRDA73 ने NPS के सब्सिाइिसस के वलए निीन
“पॉइंट ऑफ प्रेजेंस” विवनयमों को अविसूवचत ककया।
• PFRDA ने “पॉइं ट ऑफ प्रेजस
ें (PoP) विवनयम, 2023”
अविसूवचत ककए हैं। इनके तहत राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के
वलए के िल एक पंजीकरण की आिश्यकता होगी।
है। इसमें भारत का स्कोर 40.2 है। अत्यािुवनक आर्टसकफवशयल इंटेवलजेंस (AI) तक समािेशी पहुंच के
समािेवशता • यह संदर्भसत करता है कक ककसी अथसव्यिस्था के वलए िैवश्वक प्रयास करने की वसफाररश की है।
(Inclusiveness) प्रक्षेप पथ में उसके द्वारा सृवजत लाभों और • AIGA का गिन 2023 में ककया गया था। इसका लक्ष्य जेनेरेरटि
अिसरों में सभी वहतिारक ककस हद तक AI के वलए नैवतकता संिि
ं ी कदशा-वनदेश और गिनेंस फ्रेमिकस
शावमल हैं।
विकवसत करने में तेजी लाना है।
• समािेवशता का िैवश्वक औसत 55.9 है। इसमें
o जेनेरेरटि AI एक प्रकार की AI तकनीक है। यह टे क्स्ट, इमेज,
भारत का स्कोर 41.7 है।
ऑवडयो और डसंथरे टक डेटा सवहत अलग-अलग प्रकार के
o भारत में 75% से अविक लोगों के पास कं टेंट िनाने में सक्षम है।
िुवनयादी सामावजक सुरक्षा का अभाि है। o विश्व आर्थसक मंच (WEF) एक अंतरासष्ट्रीय गैर-लाभकारी
o भारत की शीषस 10 प्रवतशत आिादी के
संगिन है। यह वजनेिा (वस्िट्जरलैंड) में वस्थत है। यह संगिन
स्िावमत्ि िाली संपवत्त का वहस्सा 0.55 विश्व की िेहतरी के वलए काम करता है।
(1995) से िढ़कर 0.65 (2021) हो गया • हाल ही में WEF की िार्षसक िैिक (2024) में, AIGA ने
है। अत्यािुवनक AI पर नई ररपोट्सस जारी की है। इसमें जेनरे े रटि AI
संिारणीयता • यह संदर्भसत करता है कक ककसी अथसव्यिस्था का
गिनेंस पर ध्यान कें कित ककया गया है। इस ररपोटस के मुयय डिंद ु
(Sustainability) प्रक्षेप पथ ककस सीमा तक अपने इकोलॉवजकल
वनम्नवलवखत हैं:
फु टडप्रंट को वनिासररत पयासिरणीय सीमाओं के
o चुनौवतयां: जेनेरेरटि AI मॉडल की लाइफ-साइककल पर एक
भीतर रख सकता है।
• संिारणीयता का िैवश्वक औसत 46.8 है। इसमें समान मानकों का अभाि है। इनकी पररभाषाएं भी स्पष्ट नहीं
हैं। इन िजहों से सुरवक्षत जेनेरेरटि AI का विकास प्रभावित
भारत का स्कोर 56.0 है।
हो रहा है।
o ितसमान प्रक्षेप पथ पर, दुवनया ग्लोिल
o AI गिनेंस: AI गिनेंस के वलए मौजूदा िैवश्वक पररदृश्य
िार्मिंग के वलए तय ककए गए पेररस
समझौते के लक्ष्यों से भटक गई है। काफी जरटल है और यह वस्थवत तेजी से िदल भी रही है।
AIGA ने वनम्नवलवखत वसफाररशें की हैं:
सुवनवित करने हेतु सरकार, नागररक समाज, वशक्षा भती, संघषस िाले क्षेत्रों से नागररकों को सुरवक्षत िापस लाने
जगत, उद्योग जगत जैसे वहतिारकों को शावमल करने के “भारतीय लोकाचार” (Indian ethos) के वखलाफ है।
सोना आकद शावमल हैं। कर सकता है। हालांकक, EgoS कु ल पररव्यय में िदलाि नहीं
o लाइसेंस प्रदाता: राज्य सरकार प्रवतस्पिी िोली के माध्यम से कर सकता।
लाइसेंस प्रदान करती है। • कोयला गैसीकरण के िारे में:
o अिवि: अन्िेषण लाइसेंस का उपयोग शुरू करने की तारीख
o भूवमगत कोयला गैसीकरण एक ऐसी प्रकिया है, वजसके
से 5 िषस तक।
अंतगसत खानों में कोयले का खनन ककए विना उसे उपयोगी
o कें ि सरकार वनयमों के माध्यम से नीलामी के तरीके , िोली के
गैसों में िदल कदया जाता है।
मापदंडों जैसे वििरण वनिासररत कर सकती है। o इन गैसों का इस्तेमाल िाद में ऊष्मा तथा विजली पैदा करने
• MMDR अविवनयम,1957 भारत में खानों और खवनज क्षेत्रक के या अलग-अलग प्रकार के रासायवनक उत्पादों के संश्लष
े ण में
विवनयमन के वलए प्रमुख कानून है। ककया जा सकता है।
o यह खनन संिि
ं ी गवतविवियों को वनम्नवलवखत में िगीकृ त o कोयला गैसीकरण प्रकिया की मदद से गहराई में वस्थत, दूर-
करता है- दूर फै ले और िन आिरण िाले खदानों के कोयला भंडारों का
▪ भूमीक्षण: इसमें खवनज संसािनों का आकलन करने के उपयोग ककया जा सकता है।
वलए प्रारं वभक सिेक्षण करना शावमल है। o भारत ने 2030 तक 100 वमवलयन टन कोयले के गैसीकरण
▪ पूिक्ष
े ण: इसमें खवनज भंडारों का अन्िेषण करना, उनकी का लक्ष्य वनिासररत ककया है।
अिवस्थवत पता करना या वसद् करना शावमल हैं।
74 Viability Gap Funding
▪ खनन: इसमें िावणवज्यक खनन शावमल है।
िंगाल में स्थावपत ककया जाएगा। • स्टील स्िै प पुनचसिण नीवत, 2019: इसका लक्ष्य इस्पात वनमासण
में कोयले की खपत को कम करने के वलए घरे लू स्तर पर उत्पन्न
o SNG प्राकृ वतक गैस के समान होती है। SNG में मीथेन की
स्िै प की उपलब्िता को िढ़ािा देना है।
मात्रा अविक होती है। इसका उत्पादन कोयला, िायोमास,
पेरोवलयम कोक और िोस अपवशष्ट से ककया जा सकता है।
• कोयले-से-अमोवनयम नाइरेट पररयोजना के वलए कोल इं वडया और
BHEL का संयुक्त उद्यम। इसे झारसुगड़
ु ा, ओवडशा में स्थावपत ककया
जाएगा।
कामकाजी अविकार-क्षेत्र75 को िढ़ाने के फै सले को चुनौती दी गई तलाशी लेना, जब्ती करना और वगरफ्तारी अवभयान चलाना।
है। o अपने अविकार-क्षेत्र में BSF दंड प्रकिया संवहता (1973), पासपोटस (भारत
में प्रिेश) अविवनयम (1920) और पासपोटस अविवनयम (1967) के कु छ
अन्य संिवं ित तथ्य
प्राििानों को लागू कर सकती है।
• गौरतलि है कक BSF के कामकाजी क्षेत्राविकार को िढ़ाने • अविकार-क्षेत्र का सीवमत विस्तार: इस अविसूचना के तहत शवक्तयों का विस्तार
हेतु गृह मंत्रालय ने अक्टूिर 2021 में एक अविसूचना जारी शस्त्र अविवनयम 1959, सीमा शुल्क अविवनयम 1962 और नारकोरटक्स ड्रग्स
एंड साइकोरोवपक सब्स्टेन्सेस (NDPS) अविवनयम, 1985 तक नहीं है।
की थी। यह अविसूचना सीमा सुरक्षा िल अविवनयम, 1968
• ककसी प्रकार की जांच करने की शवक्तयां नहीं दी गई है: िढ़े हुए अविकार-क्षेत्र के
की िारा 139(1) के तहत जारी की गई थी। पंजाि सरकार
िािजूद भी यह अविसूचना BSF को जांच शवक्तयां प्रदान नहीं करती है।
ने सुप्रीम कोटस में इसी अविसूचना की संिैिावनक िैिता को
o संकदग्िों और आरोपी व्यवक्तयों को अभी भी आगे की जांच ि कानूनी
चुनौती दी है।
कारसिाई के वलए पुवलस को सौंपा जाना होगा।
o सीमा सुरक्षा िल अविवनयम, 1968 की िारा 139(1)
के तहत कें ि सरकार को यह अविकार प्राप्त है कक िह अंतरासष्ट्रीय सीमाओं से सटे देश के भीतरी भागों में BSF के अविकार-क्षेत्र के संिंि में
आदेश जारी कर सकती है।
संवििान के अनुच्छेद 131 के तहत प्राििान
• ितसमान अविसूचना को जारी कर कें ि सरकार ने पंजाि, पविम िंगाल और • यह वनम्नवलवखत वििादों के संिंि में सुप्रीम कोटस के मूल
असम में BSF के अविकार-क्षेत्र को िढ़ाया है। अि इन तीनों राज्यों में BSF क्षेत्राविकार से संिवं ित है:
o भारत सरकार और एक या अविक राज्यों के िीच वििाद।
का कामकाजी अविकार-क्षेत्र अंतरासष्ट्रीय सीमा से अंदर की ओर 15
o एक ओर भारत सरकार तथा ककसी राज्य या राज्यों और
ककलोमीटर से िढ़ाकर 50 ककलोमीटर कर कदया गया है। साथ ही, गुजरात में दूसरी ओर एक या अविक अन्य राज्यों के िीच वििाद।
इसके कामकाजी अविकार-क्षेत्र के दायरे को 80 ककलोमीटर से घटाकर 50 o दो या दो से अविक राज्यों के िीच वििाद।
ककलोमीटर कर कदया गया है।
o उल्लेखनीय है कक राजस्थान में BSF के कामकाजी अविकार-क्षेत्र का दायरा पहले से ही 50 ककलोमीटर था।
• इस मामले में अि सुप्रीम कोटस यह आकलन करे गा कक BSF के कामकाजी क्षेत्राविकार में हुई िृवद् BSF अविवनयम की िारा 139 के तहत “भारत
की अंतरासष्ट्रीय सीमाओं के वनकटिती क्षेत्र की स्थानीय सीमाओं” का अवतिमण करती है या नहीं।
• यह ककसी भी सीमािती राज्य के भीतर उन कारकों पर भी विचार करे गा, जो BSF के अविकार-क्षेत्र के सीमांकन को प्रभावित करें ग।े
• BSF को पुवलडसंग संिंिी शवक्तयां पहली िार 1969 में सीमा सुरक्षा िल अविवनयम, 1968 के प्राििानों के तहत दी गई थी। इसके िाद 1973
और 2014 में आविकाररक अविसूचनाओं के तहत िवमक समायोजन (Adjustments) ककए गए थे।
75 Operational jurisdiction
गई थीं।
o सीमा-पार अपरािों पर किोर वनयंत्रण और जिािी कारस िाई संिंिी क्षमताओं को मजिूत करने के वलए अग्रसकिय उपाय करने िहुत जरूरी हो
गए हैं।
• सूचना एकत्रण और अग्रसकिय कारस िाई: BSF को अक्सर अपने वपछले अविकार-क्षेत्र से िाहर अथासत राज्यों के और अविक भीतर तक आपराविक
घटनाओं के िारे में सूचना प्राप्त होती रहती है। इनसे वनपटने के वलए विस्ताररत पहुंच की आिश्यकता पड़ती है।
• संघिाद से संिवं ित डचंताएं: राज्यों के अनुसार कानून और व्यिस्था राज्य-सूची का विषय है और BSF के अविकार-क्षेत्र के विस्तार से इससे
समझौता ककया गया है। इसवलए, यह संघीय ढांचे के समक्ष एक चुनौती उत्पन्न करता है।
• स्थानीय आिादी के प्रवत जिािदेही और संिद
े नशीलता संिि
ं ी मुद्दे: गृह मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय जिािदेही तंत्रों की स्थापना की गई है, लेककन अगर
उन तक पहुंच की िात की जाए तो उनकी तुलना में राज्य पुवलस िलों द्वारा स्थावपत जिािदेही तंत्रों तक पहुंच आसान है।
• BSF के मुयय कायों पर प्रभाि: BSF के मुयय कायों पर प्रवतकू ल प्रभाि पड़ने की संभािना व्यक्त की गई है। ऐसा इस कारण, क्योंकक सीमा
चौककयों पर तैनात कार्मसकों को राज्य के अंदर तक ऑपरे शन्स के वलए चौककयों से पीछे हटना पड़ सकता है। इससे सीमा सुरक्षा प्रभावित हो ने का
खतरा है।
• राज्य पुवलस िलों के साथ समन्िय की कमी: BSF ि राज्य पुवलस के िीच समन्िय की कमी संिंिी डचंता व्यक्त की जा रही है। इससे कें ि ि राज्य
सरकारों द्वारा वनयंवत्रत दो अलग-अलग िलों के समान अविकार-क्षेत्र हो जाने के कारण संघषस उत्पन्न हो सकता है।
• मानिाविकारों का संभावित उल्लंघन: पयासप्त सुरक्षा उपायों के विना BSF के अविकार-क्षेत्र के विस्तार के कारण मानिाविकारों के उल्लंघन में िृवद्
हो सकती है। ऐसा इस कारण, क्योंकक पयासप्त सुरक्षा उपायों के विना शवक्तयों का मनमाना उपयोग हो सकता है।
आगे की राह
• समािेशी वनणसय-वनमासण: भारत की विस्तृत सीमाओं और भू-राजनीवतक महत्त्ि को देखते हुए सीमा सुरक्षा से संिंवित वनणसयों में समािेशी वनणसय-
वनमासण को प्राथवमकता दी जानी चावहए।
• िेहतर सुरक्षा के वलए कें ि-राज्य के िीच संयुक्त पहल करना: इसके तहत पुवलस िलों की क्षमता िढ़ाना तथा CAPFs और राज्य पुवलस के िीच
अविक सहयोग को िढ़ािा देना शावमल है।
• संघीय संचार माध्यमों का पुनरुद्ार करना: संघीय संचार के संस्थागत माध्यमों का पुनरुद्ार करने की आिश्यकता है। इससे यह सुवनवित ककया
जा सके गा कक वनणसयों में अलग-अलग राज्यों के दृवष्टकोणों को शावमल ककया जाए। उदाहरण के वलए अंतरासज्यीय पररषद।
इसरो आसूचना या खुकफया जानकारी एकवत्रत करने के वलए अगले 5 िषों में 50 उपग्रह लॉन्च करने की योजना िना रहा है।
• इस योजना के तहत पृथ्िी की अलग-अलग कक्षाओं में उपग्रहों के एक समूह को स्थावपत ककया जाएगा। इसका उद्देश्य सैवनकों की गवतविवियों की
वनगरानी करना और हजारों ककलोमीटर क्षेत्र की इमेज लेना है।
• भू-स्थावनक आसूचना या खुकफया जानकारी एक इं टेवलजेंस संिंिी विषय क्षेत्र है। इसके
तहत विवशष्ट भौगोवलक क्षेत्रों में मानिीय गवतविवियों को िेहतर ढंग से िर्णसत करने
और इमेज प्राप्त करने के वलए भू-स्थावनक डेटा का विश्लेषण ककया जाता है।
• इसमें पृथ्िी पर कहीं भी मानिीय गवतविवियों और भौवतक भूगोल का सिेक्षण ि
आकलन करने के वलए इमेजरी का उपयोग ककया जाता है।
• भू-स्थावनक आसूचना या खुकफया जानकारी में आमतौर पर विविि प्रौद्योवगककयों से
वमलकर िने नेटिकस से डेटा एकवत्रत ि समेककत ककया जाता है। इन प्रौद्योवगककयों में
अलग-अलग उपग्रहों, मोिाइल सेंसर, ग्राउं ड-कं रोल स्टेशन, हिाई छवियों
आकद को शावमल ककया जाता है।
o इस डेटा का उपयोग ररयल टाइम मानवचत्रण और वसमुलश े न मॉडल
िनाने के वलए ककया जाता है। इससे भविष्य में ककसी प्रकार का संकट
उत्पन्न होने की संभािना पता लगाया जा सके गा। उदाहरण के वलए
कि, कहां और ककस स्तर तक विविि प्रकार के संकट (जैसे- आपदा,
िनावग्न, हाइवब्रड युद् आकद) उत्पन्न होने की संभािना है।
महासागर क्षेत्र को सुरवक्षत रखने में सहायता वमलेगी। • राष्ट्रीय भू-स्थावनक नीवत: यह नीवत भू-स्थावनक क्षेत्रक का समथसन करने िाले
कानूनी ढांचे का वनमासण करती है। साथ ही, यह िढ़ते व्यिसायीकरण के वलए
वनष्कषस डेटा के लोकतंत्रीकरण का समथसन करती है।
भारत के संदभस में देखा जाए तो यहां कई सकिय मोचों के साथ एक विविितापूणस िड़ी सीमा (15000 ककमी भूवम सीमा और 7500 ककमी समुि तट)
मौजूद है, जहां पररवस्थवतयां तेजी से विकवसत हो रही हैं। ऐसे में सिसे प्रभािी ढंग से भूवम पर सैवनकों की सहायता करने के वलए भू -स्थावनक आसूचना
या खुकफया जानकारी का उपयोग एक आदशस उपकरण िन जाता है।
हाल ही में, अडानी वडफें स एंड एयरोस्पेस ने भारतीय नौसेना के वलए दृवष्ट 10 स्टारलाइनर
मानिरवहत हिाई िाहन (UAV)76 शुरू ककया है।
• इस ड्रोन ने हैदरािाद से पोरिंदर तक अपनी यात्रा शुरू की, जो इसके नौसेना के समुिी
अवभयानों में शावमल होने को वचवन्हत करता है।
• यह पहला स्िदेशी रूप से वनर्मसत UAV है, जो भारतीय नौसेना के िेड़े में शावमल हुआ
है। इसमें 60% से अविक स्िदेशी सामग्री का इस्तेमाल हुआ है।
• वनगरानी और आसूचना एकत्रण: सुरक्षा एजेंवसयों द्वारा ड्रोन का उपयोग दूरस्थ वनगरानी, टोह और आसूचना एकत्रण में ककया जा सकता है।
• आिामक सैन्य अवभयान: ड्रोन का उपयोग अत्यंत दुगसम ि खतरनाक स्थानों पर दुश्मन या उसकी अिसंरचना पर हमला करने के वलए ककया जा
सकता है।
• मानियुक्त विमानों को प्रवतस्थावपत करना: यह सुरक्षा अवभयानों के दौरान पायलटों के जीिन को जोवखम में डाले विना सैन्य लक्ष्यों को प्राप्त करने
में सहायता करता है।
• सैन्य लॉवजवस्टक प्रदान करना: भारतीय थल सेना ने सीमा चौककयों जैसे लद्दाख, लेह और पूिोत्तर भारत में िास्तविक वनयंत्रण रे खा (LAC) पर
लॉवजवस्टक प्रदान करने के वलए खच्चरों और हेवलकॉलटसस की जगह ड्रोन का इस्तेमाल करने की योजना िनाई है।
• सैन्य िलों की प्रभािशीलता िढ़ाने में सहायक: कृ वत्रम िुवद्मत्ता सक्षम ड्रोन एक-दूसरे के साथ संचार करने, स्िचावलत लक्ष्य पहचान (ATR) से युक्त
होने और जमीन आिाररत पारं पररक सैन्य अवभयानों के साथ समन्िय करने में सक्षम होते हैं। इससे सैन्य िलों की प्रभािकाररता में िढ़ोतरी होती
है।
• कानून और व्यिस्था िनाए रखने के वलए उपयोगी: पुवलस द्वारा ड्रोन का उपयोग भीड़ की वनगरानी, अिैि गवतविवियों पर नजर रखने, खोज ि
िचाि अवभयान आकद के वलए ककया जा सकता है।
• राष्ट्रीय सुरक्षा के वलए खतरा: ड्रोन का अपरावियों या गलत हाथों में पड़ना राष्ट्रीय सुरक्षा के वलए जोवखम उत्पन्न कर सकता है।
o उदाहरण के वलए- पाककस्तान से लगती अंतरासष्ट्रीय सीमा पर इम्प्रोिाइज्ड एक्सललोवसि, हवथयार और नशीले पदाथस वगराने के वलए पाककस्तान
की ओर से ड्रोन की सीमा-पार घुसपैि कराई गई थी।
भारत में ड्रोन विवनयमन
o ऐसे ड्रोन वसविवलयन एयरोस्पेस और परमाणु प्रवतष्ठानों जैसी महत्िपूणस
• राष्ट्रीय काउं टर रोग ड्रोन कदशा-वनदेश (National Counter
अिसंरचना के वलए भी खतरा पैदा करते हैं।
Rogue Drone Guidelines): िषस 2019 में, नागर
• ड्रोन इकोवसस्टम में दक्षता की कमी: भारत में कु शल ड्रोन संचालकों, ड्रोन
विमानन मंत्रालय ने यह दस्तािेज जारी ककया था। इसका
इंजीवनयरों, सेिा इंजीवनयरों, गुणित्ता वनरीक्षकों आकद की कमी है। उद्देश्य ड्रोन से संिवं ित खतरों का आकलन करने के वलए
• ग्लोिल पोवजशडनंग वसस्टम (GPS) वडनायड पररिेश: GPS नेविगेशन कदशा-वनदेश तैयार करना था।
उपकरणों का उपयोग करने िाले आयावतत ड्रोन्स के GPS-वडनायड पररिेश में • ड्रोन वनयम 2021: ये भारतीय हिाई क्षेत्र को तीन जोन
पररचालन संिंिी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। GPS-वडनायड (ग्रीन, येलो और रेड) में विभावजत करते हैं। ये ड्रोन उड़ाने की
पररिेश ऐसा स्थान या वस्थवत है, जहां GPS वसग्नल विल्कु ल भी उपलब्ि नहीं स्िीकायसता के आिार पर वनिासररत है।
होते हैं। o रे ड जोन में ड्रोन नहीं जा सकता (no go zones) है।
o उदाहरण के वलए, इजरायल से खरीदा गया हेरोन MK II MALE यहां कें ि सरकार द्वारा दी गई अनुमवत के अलािा ककसी
भी ड्रोन का संचालन नहीं ककया जा सकता है।
मानिरवहत हिाई िाहन।
• ड्रोन िैटररयों की कमी: कम िजन संिंिी आिश्यकताओं के कारण, अि ड्रोन विवनमासण में पारं पररक वनकल-कै डवमयम और वसल्िर-डजंक िैटररयों का
उपयोग नहीं ककया जा रहा है। इसकी िजाय उन्नत वलवथयम-आयन िैटरी प्रौद्योवगककयों का उपयोग ककया जा रहा है। ऐसा इसवलए, क्योंकक
पारम्पररक िैटररयों से ड्रोन का िजन िढ़ जाता है।
o DRDO और इसरो वलवथयम-आयन सेल विकास पर काम कर रहे हैं, लेककन यह अभी भी प्रारं वभक चरण में है।
रक्षा क्षेत्र में ड्रोन प्रौद्योवगकी के उपयोग के वलए भारत द्वारा शुरू की गई पहलें
• विदेशी ड्रोन्स का अविग्रहण: भारत ने अलग-अलग देशों से ड्रोन तकनीक का आयात ककया है, जैसे संयुक्त राज्य अमेररका और इजरायल से ड्रोन की
खरीद की जाती है।
o हेरॉन माकस -II ड्रोन (Heron Mark-II drone): यह एक मीवडयम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरें स (MALE) ड्रोन है। इसे भारतीय िायु सेना द्वारा
पाककस्तान और चीन के साथ लगती उत्तरी सीमाओं पर सर्िसलांस के वलए शावमल ककया गया है।
o सचसर एमके II ड्रोन (Searcher Mk II drone): इसे इजरायल एयरोस्पेस इं डस्रीज ने विकवसत ककया है। यह भारतीय थल सेना और नौसेना
द्वारा उपयोग ककया जाने िाला एक टोही ड्रोन है।
• ड्रोन वडटे क्ट, डेटर एंड डेस्रॉय वसस्टम (D4 वसस्टम): यह DRDO द्वारा विकवसत स्िदेशी एंटी-ड्रोन वसस्टम है। इसे भारतीय सशस्त्र िलों में शावमल
ककया गया है।
• सीमा सुरक्षा: सीमा सुरक्षा िल (BSF) ने भारत-पाक सीमा पर ड्रोन के िढ़ते खतरे से वनपटने के वलए हाथों से संचावलत वस्थर (handheld
static) और िाहनों पर लगे एंटी-ड्रोन वसस्टम तैनात ककए हैं।
• स्िदेशी UAV वसस्टम: DRDO कई UAV वसस्टम विकवसत कर रहा है, जो विकास के अलग-अलग चरणों में हैं।
रक्षा अनुसि
ं ान एिं विकास संगिन (DRDO) द्वारा विकवसत स्िदेशी ड्रोन
DRDO लक्ष्य • इस ड्रोन का उपयोग िायु में संभावित खतरे की साििानीपूणस पहचान और उसे समाप्त करने के वलए ककया जाता है।
• इसे एक सॉवलड प्रोपेलटें रॉके ट मोटर द्वारा लॉन्च ककया जाता है और एक टिोजेट इं जन द्वारा उड़ान की गवत िनाई रखी जाती है।
DRDO • यह एक मल्टी-वमशन UAV है। यह कदन ि रात दोनों समय कायस करने में सक्षम है। इसे मोिाइल हाइड्रो न्यूमरे टक लॉन्चर का उपयोग
वनशांत करके लॉन्च ककया जाता है।
• यह युद्क्षेत्र की वनगरानी और टोह लेने, लक्ष्य रैककं ग ि उसके स्थान की पहचान करने तथा आर्टसलरी फायर में सुिार के वलए उपयोग
ककया जाता है।
• इसे भारतीय थल सेना में शावमल ककया गया है।
रुस्तम-1 • यह एक कम्पोवज़ट ि 800 ककलोग्राम श्रेणी की शॉटस रें ज रेमॉटली पायलेटेड एयरिाफ्ट वसस्टम (SR-RPAS) है।
• यह सर्िसलांस, इंटेवलजेंस, टोह लेन,े लक्ष्य प्रावप्त/ रैककं ग और इमेज के उपयोग द्वारा सूचना प्राप्त करने की क्षमताओं से युक्त है।
तपस/ रुस्तम-2 • यह मीवडयम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरें स (MALE) UAV है।
• यह खुकफया, वनगरानी, लक्ष्य की खोज, रैककं ग और टोही (ISTAR) सेिाएं प्रदान कर सकता है। यह अपने विकासात्मक परीक्षणों के
अवग्रम चरण में है।
आचसर • इसे शाटस रें ज अनमैन्ड एररयल व्हीकल-िेपनाइज्ड (SR-UAV-W) के नाम से जाना जाता है।
(Archer) • यह खोज (टोह लेन)े , वनगरानी और कम तीव्रता िाले संघषस से वनपटने के वलए विकवसत ककया जा रहा है।
आगे की राह
• अनुसि
ं ान और विकास: स्िदेशी ड्रोन/ UAV और काउं टर-ड्रोन/ UAV प्रौद्योवगकी के तेजी से विकास ि तैनाती की सुवििा के वलए अनुसि
ं ान एिं
विकास पर ध्यान कदया जाना चावहए।
• वनजी क्षेत्र की भागीदारी िढ़ाना: ड्रोन में उपयोग ककए जाने िाले प्रमुख घटकों के स्िदेशी विवनमासण के वलए घरे लू स्तर पर वनमासण के वलए वनजी
क्षेत्र की क्षमता को उन्नत करना चावहए।
o इसके अवतररक्त, रक्षा उत्कृ ष्टता के वलए निाचार (iDEX) पहल जैसी पहलों के तहत रक्षा क्षेत्रक के स्टाटस -अलस को सैन्य ग्रेड ड्रोन विकवसत
करने के वलए प्रोत्सावहत ककया जाना चावहए।
• ड्रोन तैनाती पर वत्रसेिा संयक्त
ु सैद्ांवतक फ्रेमिकस : यह ड्रोन संचालन में समन्िय को िढ़ािा देगा। साथ ही, ड्रोन के सैन्य उपयोग संिंिी जिािदेही
ढांचे को वनिासररत करके नैवतक मुद्दों का समािान करे गा।
गुजरात का अपराि जांच विभाग (CID) भारतीयों को लेकर वनकारागुआ जाने िाले विमान से संिंवित संभावित अिैि आप्रिासन (Immigration) के
मामले की जांच कर रहा है। ज्ञातव्य है कक इस विमान को फ्रांस में जांच के वलए लैंड करिाया गया था।
• अिैि प्रिासन का तात्पयस लोगों द्वारा विना िैि दस्तािेजों के गैर-कानूनी तरीकों का उपयोग करके एक देश से दूसरे देश में सीमा-पार प्रिास करने से
है।
• भारतीय संदभस में नागररकता अविवनयम, 1955 के अनुसार एक विदेशी को वनम्नवलवखत आिारों पर अिैि प्रिासी के रूप में पररभावषत ककया
जाता है-
o िह िैि पासपोटस या अन्य वनिासररत यात्रा संिंिी दस्तािेजों के विना भारत में प्रिेश करता है, या
o िैि पासपोटस या अन्य वनिासररत यात्रा संिंिी दस्तािेजों के साथ भारत में प्रिेश करता है , लेककन अनुमत समयािवि पूरी होने के िाद भी भारत
में रहता है।
• आर्थसक कारक: इन कारकों में गरीिी, आर्थसक अिसरों की कमी, आय में िृवद् न होना आकद शावमल हैं। ये कारक ककसी व्यवक्त या समूह को िेहतर
आर्थसक अिसरों की प्रावप्त के वलए अपने गृह देश से िाहर जाने के वलए मजिूर कर सकते हैं।
• िेहतर जीिन स्तर: इसके तहत गंतव्य देशों में िेहतर अिसरों की िास्तविक या कवथत जानकारी के कारण प्रिासन होता है।
o उदाहरण के वलए, 'द अमेररकन ड्रीम' का िादा अभी भी िहुत से िैि और अिैि प्रिावसयों को अमेररका की ओर आकर्षसत करता है। 'द
अमेररकन ड्रीम' आदशों का एक समूह है, वजसमें समानता, स्ितंत्रता, अविकार आकद शावमल हैं।
• मानि तस्करी नेटिकों की उपवस्थवत: प्रिावसयों की तस्करी एक अत्यविक लाभदायक अिैि गवतविवि है। इसके पता चलने का जोवखम अपेक्षाकृ त
कम होता है।
o ई-माइग्रेट पोटसल के माध्यम से अक्टूिर 2023 तक, भारत में 2925 अिैि एजेंटों को अविसूवचत ककया गया था, जो अिैि प्रिासन को िढ़ािा
देते हैं।
• राजनीवतक और िार्मसक उत्पीड़न: इसके कारण वतब्ित, अफगावनस्तान, श्रीलंका, म्यांमार, पाककस्तान और िांग्लादेश के शरणार्थसयों एिं अिैि
आप्रिावसयों को भारत में शरण लेनी पड़ी है।
• अविक जनसंयया: इससे आिासीय स्थान की कमी जैसी वस्थवत उत्पन्न हो सकती है।
o उदाहरणस्िरूप- िांग्लादेश जैसे देश में उच्च जनसंयया घनत्ि होने के कारण भारत के पूिोत्तर राज्यों में अिैि आप्रिासन हुआ है।
• प्राकृ वतक आपदाएं: ये लोगों को जीवित रहने और जीिन के वलए िेहतर वस्थवतयों की खोज के वलए पलायन करने को मजिूर कर सकती हैं।
o उदाहरण के वलए, लगातार सूखे के कारण अफ्रीका के साहेल क्षेत्र से अिैि प्रिासन िढ़ रहा है।
o िांग्लादेश में िार-िार आने िाली िाढ़ और चििात लोगों को भारत की ओर प्रिास करने के वलए मजिूर करते हैं।
• सोशल नेटिकस की मौजूदगी: पहले से प्रिास ककए गए लोगों से जान-पहचान द्वारा एक सोशल नेटिकस स्थावपत हो जाता है। यह नेटिकस उन लोगों से
जुड़े समुदायों को प्रिास के वलए अविक आकर्षसत करता है। इसके पररणामस्िरूप प्रायः िैि विकल्पों की अनुपवस्थवत में अिैि मागों से प्रिास होता
है।
• आर्थसक शोषण: अिैि और विना दस्तािेज िाले प्रिावसयों के पास कानूनी सुरक्षा का अभाि होता है। इस कारण िे अनौपचाररक, अस्थायी या
असुरवक्षत नौकररयों और यहां तक कक िलात श्रम के प्रवत सुभेद्य हो जाते हैं।
• मानिाविकारों का उल्लंघन: अिैि प्रिासी अपनी करिन प्रिास यात्राओं के दौरान या गंतव्य स्थान पर कई अमानिीय वस्थवतयों या अपरािों के प्रवत
सुभेद्य हो जाते हैं। जैसे- हमले, िलात्कार या जिरन िसूली जैसे अपराि।
• वहरासत और वनिाससन का जोवखम: अिैि प्रिावसयों को प्राविकाररयों द्वारा वनिासवसत ककए जाने तथा वहरासत के दौरान उनके साथ दुव्यसिहार ककए
जाने का डर लगातार िना रहता है।
79 www.visionias.in ©Vision IAS
o उदाहरण के वलए, अिैि प्रिावसयों हेतु िने अमेररका के वहरासत कें िों पर अक्सर आरोप लगता रहता है कक िहां रहने की वस्थवत खराि है।
इससे िच्चों सवहत िंकदयों के शारीररक, मानवसक ि सामावजक स्िास्थ्य पर प्रभाि पड़ रहा है।
• सामावजक तनाि: िड़े स्तर पर अिैि प्रिासन गंतव्य स्थान की जनसांवययकी को िदल सकता है और पहले से वनर्मसत सामावजक-सांस्कृ वतक पहचान
के समक्ष खतरा पैदा कर सकता है।
o जैसे िांग्लादेश से अिैि आप्रिास के कारण असवमया पहचान पर खतरे ने असम में अलग-अलग सामावजक-राजनीवतक तनािों को जन्म कदया
है।
• संगरित अपरािों को िढ़ािा: अक्सर संगरित आपराविक समूह प्रिावसयों की सीमा-पार तस्करी में शावमल होते हैं। उदाहरण के वलए संयुक्त राज्य
अमेररका-मेवक्सको सीमा पर संगरित आपराविक समूह सकिय हैं।
अिैि प्रिासन को रोकने के वलए आरं भ की गई पहलें
• 'सुरवक्षत जाएं प्रवशवक्षत जाएं’ अवभयान: यह विदेश मंत्रालय की एक पहल है। इसका उद्देश्य रोजगार के वलए विदेश जाते समय सुरवक्षत और िैि मागों का
उपयोग करने के िारे में जागरूकता का प्रसार करना है।
• प्रिासन और गमनागमन साझेदारी समझौते: इस तरह के समझौतों का उद्देश्य िैि और व्यिवस्थत प्रिासन को प्रोत्सावहत करना है। साथ ही, पहचाने गए
अिैि प्रिावसयों की उनके देश में िापसी का आश्वासन देना और अवनयवमत प्रिासन को समाप्त करना है। ऐसा समझौता फ्रांस जैसे देशों के साथ ककया गया
है।
• सीमा प्रिंिन: इसका उद्देश्य अिैि आप्रिावसयों की घुसपैि को रोकना है। इसमें वनम्नवलवखत पहलें शावमल हैं-
o सीमा पर िाड़ लगाना, फ्लडलाइटटंग आकद के रूप में भौवतक अिसंरचना का वनमासण करना;
o व्यापक एकीकृ त सीमा प्रिंिन प्रणाली (CIBMS), यह सीमािती क्षेत्रों में वस्थवतजन्य जागरूकता में सुिार के वलए एक तकनीकी समािान है।
o अिैि घुसपैि को रोकने के वलए सीमा सुरक्षा िल, असम राइफल्स आकद द्वारा वनयवमत गश्त और सुरंग-रोिी अभ्यास।
िैवश्वक पहलें
• सुरवक्षत, व्यिवस्थत और वनयवमत प्रिासन के वलए ग्लोिल कॉम्पैक्ट: यह अंतरासष्ट्रीय प्रिासन संगिन (IOM) के तहत ककया गया एक िैवश्वक समझौता है।
यह सभी आयामों जैसे रोजगार, पयसटन आकद में अंतरासष्ट्रीय प्रिास के वलए एक सामान्य वनयम पालन पर कें कित है।
o 'अंतरासष्ट्रीय प्रिासन के संदभस में मानि तस्करी को रोकना, उससे वनपटना और उसका उन्मूलन करना' इसके मुयय उद्देश्यों में से एक है।
• सीमा-पार संगरित अपराि के वखलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्िेंशन (UNTOC) के तहत भूवम, समुि और िायु द्वारा प्रिावसयों की तस्करी के वखलाफ प्रोटोकॉल का
वनमासण ककया गया है।
• अंतरासष्ट्रीय आपराविक पुवलस संगिन (INTERPOL/ इंटरपोल) जैसे संगिन प्रिावसयों की तस्करी के पीछे के आपराविक नेटिकस को तोड़ने में राष्ट्रीय पुवलस
प्राविकाररयों के प्रयासों में सहायता प्रदान करते हैं।
• डेटा का अभाि: कें ि सरकार ने सुप्रीम कोटस में दायर एक शपथ-पत्र में कहा था कक अिैि प्रिावसयों की संयया का सटीक डेटा संग्रह करना मुवश्कल हो
जाता है। ऐसा इस कारण, क्योंकक अिैि प्रिासी 'गुप्त और चोरी-वछपे' तरीकों से देश में प्रिेश करते हैं।
• अव्यिवस्थत सीमाएं: अिैि प्रिासी डंकी मागों/ उड़ानों का उपयोग करते हैं। इससे उनका विविि देशों में अिैि प्रिास कम करिन हो जाता है।
• रैिल एजेंवसयों का अप्रभािी विवनयमन: इसके कारण िेईमान रैिल और ललेसमेंट एजेंटों की संयया िढ़ी है। ये अिैि प्रिासन को िढ़ािा दे रहे हैं। ये
विशेषकर उन क्षेत्रों में अविक हैं, जहां विदेश जाने की मांग ज्यादा है।
• समन्िय से संिवं ित मुद्दे: अंतरासष्ट्रीय मानि तस्करी नेटिक्सस के सीमा-पारीय आयाम के कारण कानून प्रितसन एजेंवसयों के व्यापक अंतरासष्ट्रीय सहयोग
की कमी है।
• संगरित आपराविक समूहों की भागीदारी: संगरित अपरावियों ने पेशेिर नेटिकस स्थावपत कर वलए हैं। ये नेटिकस देशों की सीमाओं के पार तक फ़ै ल
गए हैं तथा लगभग सभी क्षेत्रों को किर करते हैं।
• कानूनी कवमयां: विश्व के कई वहस्सों में प्रिावसयों की तस्करी को रोकने के वलए राष्ट्रीय कानून अनुपवस्थवत हैं या िे अल्प प्रभािी हैं।
आगे की राह
• अंतरासष्ट्रीय सहयोग: अिैि प्रिासन की प्रकृ वत अंतरासष्ट्रीय है। इस कारण अिैि प्रिासन के संदभस में अंतरासष्ट्रीय सहयोग, डेटा लेन-देन, मानिाविकारों
की सुरक्षा आकद के वलए एक संस्थागत तंत्र आिश्यक हो जाता है।
4.5.1. ऑपरे श न सिस श वक्त (Operation • पीर पंजाल श्रेणी के िारे में:
o प्राकृ वतक सीमा: पीर पंजाल कश्मीर और जम्मू को रे खांककत
Sarvashakti)
करता है। यह िहां के लैंडस्के प और सांस्कृ वतक तत्िों को भी
• भारतीय थल सेना ने जम्मू-कश्मीर के राजौरी-पुंछ सेक्टर में प्रभावित करता है।
सैवनकों पर िार-िार हो रहे हमलों के िीच आतंकिाकदयों को o पिसत चोरटयां: देि रटब्िा (6,001 मी.) और इं िासन (6,221
वनशाना िनाते हुए ऑपरे शन सिसशवक्त शुरू ककया है। मी.) यहां की सिसे ऊंची चोरटयां हैं।
• ‘ऑपरे शन सिसशवक्त’ के िारे में: o दरे : िवनहाल दरास और पीर की गली कश्मीर और जम्मू को
o भारतीय थल सेना 2003 में शुरू ककए गए “ऑपरे शन आपस में जोड़ते हैं। इससे क्षेत्रीय कनेवक्टविटी िढ़ती है।
o नकदयां: यह पिसत श्रेणी झेलम से वचनाि के िीच फै ली हुई है।
सपसविनाश” की तजस पर “ऑपरे शन सिसशवक्त” की योजना
इसके भारतीय क्षेत्र में राजौरी, िुद्ल और पुंछ जैसे क्षेत्र आते
िना रही है।
हैं।
o इस ऑपरे शन के तहत भारतीय थल सेना पीर पंजाल पिसत
श्रेणी के दोनों ओर सकिय आतंकिाकदयों से वनपटेगी।
o इस ऑपरे शन का उद्देश्य वचनार कॉलसस और व्हाइट नाइट
कॉलसस के साथ संयक्त
ु आतंकिाद-रोिी अवभयान चलाना है।
इसके वलए जम्मू-कश्मीर पुवलस, CRPF, स्पेशल ऑपरे शस
ं
ग्रुप और खुकफया एजेंवसयों के साथ समन्िय ककया जाएगा।
• इस क्षेत्र का महत्त्ि:
o उग्रिाकदयों के वलए रणनीवतक क्षेत्र: पीर पंजाल क्षेत्र के घने
जंगल उग्रिाकदयों को वछपने की जगह प्रदान करते हैं। इससे
उग्रिाकदयों को वहट-एंड-रन ऑपरे शन चलाने और वछपने की
सुवििा वमलती है।
o प्राकृ वतक विभाजन और प्रमुख प्रिेश मागस: यह कश्मीर घाटी
और जम्मू के िीच एक प्राकृ वतक विभाजन के रूप में कायस
करता है। साथ ही यह घाटी में प्रिेश करने के वलए प्रमुख
मागों को वनयंवत्रत करता है।
o आतंकिाकदयों के फोकस क्षेत्र में िदलाि: 2019 के िाद,
आतंकिाकदयों ने पीर पंजाल क्षेत्र पर ध्यान कें कित ककया है।
स्थानीय लोगों से वमलने िाली मदद में कमी आने पर िे पीछे
हटकर जंगलों में वछप जाते हैं।
81 www.visionias.in ©Vision IAS
4.5.2. आकाश-NG (न्यू जनरे शन) वमसाइल o आयात पर वनभसरता कम होगी: वसपरी (SIPRI) की एक
{Akash-NG (New Generation) Missile} ररपोटस के अनुसार, भारत 2018-22 के िीच दुवनया में
हवथयारों का सिसे िड़ा आयातक देश रहा है। स्िदेशी
• रक्षा अनुसंिान एिं विकास संगिन (DRDO) ने आकाश-NG
वमसाइल का सफल परीक्षण ककया। वनमासण को िढ़ािा देने से कम हवथयार आयात करने पड़ेंगे।
• आकाश-NG िस्तुतः सतह-से-हिा में मार करने िाली वमसाइल ▪ इसके अलािा, भारत ने 2025 तक 5 विवलयन
है। यह अत्यविक तीव्र गवत से आने िाले हिाई खतरों को नष्ट अमेररकी डॉलर का रक्षा वनयासत करने का लक्ष्य भी रखा
करने में सक्षम है। हुआ है। स्िदेशी वनमासण को िढ़ािा देने से इस लक्ष्य को
o इसकी रें ज लगभग 80 कक.मी. है। प्राप्त करने में मदद वमलेगी।
• इसमें एवक्टि इलेक्रावनकली स्कै न्ड अरे (AESA) मल्टी-फं क्शन o सललाई चेन में िािा से िचा सके गा: भविष्य में पैदा होने
रडार लगा हुआ है। इसवलए यह सचस, रै क और फायर कं रोल जैसे िाली िािाओं (उदाहरण के वलए अप्रत्यावशत रूस-यूिेन
तीन कायों करने में सक्षम है। संघषस) के िाद भी रक्षा आपूर्तस जारी रखी जा सकती है।
• आकाश हवथयार प्रणाली कम दूरी की सतह-से-हिा में मार करने o अन्य लाभ:
िाली वमसाइल (SRSAM) िायु रक्षा प्रणाली है। इसे DRDO ने ▪ चीन जैसे दुश्मन पड़ोवसयों से वनपटने में मदद वमलेगी,
स्िदेशी रूप से वडजाइन और विकवसत ककया है। ▪ वमत्र राष्ट्रों को रक्षा हवथयार उपलब्ि कराकर उनकी
मदद की जा सकती है।
4.5.3. आई.एन.एस. इं फाल (INS Imphal)
भारतीय नौसे ना में शावमल (Indian Navy
Commissioned INS Imphal)
• INS इं फाल, विशाखापत्तनम श्रेणी का तीसरा स्िदेशी स्टील्थ-
गाइडेड वमसाइल विध्िंसक पोत है। प्रोजेक्ट 15B के तहत
विशाखापत्तनम श्रेणी के चार जहाजों का विकास ककया जाना है।
o गौरतलि है कक प्रोजेक्ट 15B (विशाखापत्तनम श्रेणी) प्रोजेक्ट
15A (कोलकाता श्रेणी) और प्रोजेक्ट 15 (कदल्ली श्रेणी) की
सीरीज में नई स्िदेशी विध्िंसक पोत श्रेणी है।
▪ प्रोजेक्ट 15B के पोत अपग्रेडेड क्षमताओं से लैस हैं। साथ
ही, इनमें पहले के जहाजों की तुलना में अविक स्िदेशी
सामवग्रयों का उपयोग ककया गया है।
o प्रोजेक्ट 15B के अन्य दो विध्िंसक पोत हैं: INS
विशाखापट्टनम और INS मोरमुगाओ।
• INS इं फाल की मुयय विशेषताएं:
o इसे भारतीय नौसेना के िॉरवशप वडजाइन ब्यूरो ने वडजाइन
ककया है। इसका वनमासण मुि ं ई वस्थत मझगांि डॉक
वशपविल्डसस वलवमटेड (MDL) ने ककया है।
o यह मध्यम दूरी की सतह से हिा में मार करने िाली
वमसाइलों, सतह से सतह पर मार करने िाली ब्रह्मोस
वमसाइलों, स्िदेशी टारपीडो लांचर आकद से लैस है।
• इसके वनमासण में इस्तेमाल सामग्री में लगभग 75% सामग्री • रक्षा क्षेत्र के स्िदेशीकरण में मुयय चुनौवतयां:
स्िदेशी है। यह उपलवब्ि रक्षा क्षेत्र में आत्मवनभसर िनने के भारत o रक्षा वनमासण क्षेत्र में वनजी क्षेत्र की भागीदारी कम है।
के प्रयासों को दशासती है। o अनुसि
ं ान एिं विकास (R&D) के वलए िन का कम आिंटन
• रक्षा क्षेत्र के स्िदेशीकरण की आिश्यकता क्यों है? ककया जाता है। िास्ति में यह भारत के सकल घरे लू उत्पाद
o स्िायत्तता: इससे भू-सामररक मुद्दों पर खुद से वनणसय लेने में (GDP) 1% से भी कम है। अमेररका, चीन जैसे देशों की
मदद वमलती है।
तुलना में भारत में R&D पर व्यय िहुत कम है।
• पयासिास को नुकसान एिं विखंडन: स्टेटस टाइगर ररपोटस 2022 के अनुसार, िाघों के प्राकृ वतक पयासिास िाले राज्यों के लगभग चार लाख िगस
ककलोमीटर िन क्षेत्रों में से के िल एक-वतहाई ही िेहतर वस्थवत में है।
• मानि-िन्यजीि संघषस: जैसे-जैसे मानि कीआिादी िढ़ रही है, िैसे-िैसे िाघों के आिासों पर अवतिमण िढ़ता जा है। इसके पररणामस्िरूप मानि
एिं िन्यजीिों में मध्य संघषस उत्पन्न हो रहे है।
• वशकार, अिैि वशकार एिं अिैि व्यापार: वशकारी िाघों को उनकी खाल, हवियों एिं शरीर के अन्य दूसरे अंगों के वलए उनका वशकार करते हैं।
• जलिायु पररितसन: तापमान में पररितसन के कारण वहमालयी राज्यों, सुंदरिन और पविमी घाट में िाघों के पयासिासों में िदलाि आ रहा है।
o जलिायु पररितसन काफी तीव्र गवत से हो रहा है। इसवलए िनावग्न की घटनाएं उन पाररवस्थवतक तंत्रों में भी घरटत हो रही हैं , जहां आम तौर पर
िनावग्न की घटनाएं नहीं देखी जाती थीं।
• वनगरानी: कु छ टाइगर ररजिस, जैसे- मुकुंदरा, रणथंभौर, नागरहोल आकद राज्यों की सीमाओं पर वस्थत हैं। इससे िाघों की वनगरानी करना एक
करिन कायस हो जाता है क्योंकक िाघ एक राज्य से दूसरे राज्य में विचरण करते रहते हैं।
• अन्य: टाइगर ररजिस को लैंटाना कै मारा (Lantana Camara) जैसी आिामक पादप प्रजावतयों से भी खतरा है।
आगे की राह
राष्ट्रीय स्िच्छ गंगा वमशन (NMCG)81 ने गंगा नदी (पुनरुद्ार, संरक्षण और प्रिंिन) प्राविकरण आदेश82, 2016 में संशोिन करने के वलए एक
अविसूचना जारी की है। यह वमशन जल शवक्त मंत्रालय के अिीन संचावलत ककया जा रहा है।
• इस संशोिन के जररए NMCG को वनिासररत मानकों के अनुरूप “उपचाररत अपवशष्ट जल को गंगा नदी में प्रिावहत करने की अनुमवत” प्रदान की गई
है।
o गौरतलि है कक इससे पहले ककसी भी वस्थवत में उपचाररत या अनुपचाररत सीिेज जल को नदी में प्रिावहत करने पर रोक थी।
• इस कदम का उद्देश्य नदी के अविरल प्रिाह को िनाए रखना है ताकक नदी की जैि विवििता में सुिार ककया जा सके ।
नोट: राष्ट्रीय स्िच्छ गंगा वमशन (NMCG) के िारे में और अविक जानकारी के वलए कृ पया Vision IAS मावसक समसामवयकी मैगजीन के वसतंिर,
2023 संस्करण के आर्टसकल 5.1. नमावम गंगे कायसिम (NGP) का संदभस लें।
• सातिीं अनुसच
ू ी (अनुच्छेद 246) के तहत जल ‘राज्य सूची का
विषय’ है। इसवलए नकदयों की स्िच्छता और उनका विकास करने
का काम राज्यों/ कें ि शावसत प्रदेशों का है।
o राष्ट्रीय शहरी स्िच्छता नीवत (2008) के अंतगसत स्थानीय
सरकारों को स्िच्छता के प्रवत अपने व्यिहार में पररितसन
लाने, पूणस स्िच्छता और शत-प्रवतशत सुरवक्षत अपवशष्ट
वनपटान के वलए वजम्मेदार िनाया गया है।
• ULBs में क्षमता का अभाि: शहरी स्थानीय वनकाय अपने प्रशासवनक क्षेत्र के भीतर सीिेज उपचार पररयोजनाओं की योजना िनाने एिं उन्हें लागू
करने में पयासप्त रूप से सक्षम नहीं हैं।
o कै ग की लेखा-परीक्षण ररपोटस (2016) के अनुसार, झारखंड में ककसी भी ULBs के पास एक भी सीिेज नेटिकस नहीं था। इसके कारण रोजाना
175 वमवलयन लीटर अनुपचाररत अपवशष्ट जल खुली नावलयों में प्रिावहत ककया जा रहा था।
• राज्यों द्वारा अनुपातहीन कायासन्ियन: देश में स्थावपत सीिेज उपचार क्षमता के आिार पर राज्यों में काफी असमानता है। देश के पांच राज्य कु ल
स्थावपत सीिेज उपचार क्षमता के 60 प्रवतशत के वलए उत्तरदायी हैं। इन पांच राज्यों में- महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय राजिानी क्षेत्र
• विवशष्ट फ्रेमिकस का अभाि: ितसमान में देश में प्रदूवषत जल के उपचार तथा नकदयों की पाररवस्थवतक पुनिसहाली सुवनवित करने के वलए, कें िीय या
राज्य स्तर पर कोई विशेष नीवत नहीं है।
• वडस्चाजस के मानकों में अंतर: उदाहरण के वलए- CPCB द्वारा अविसूवचत “सामान्य वडस्चाजस मानदंडों” के अनुसार, सतही जल वनकायों का
विवनयमन 35 मानदंडों के आिार पर ककया जाता है। िहीं, भूवम उपयोग (डसंचाई) के वलए अपवशष्ट जल का विवनयमन मात्र 10 मानदंडों के आिार
• कम अनुपालन दर: यह पाया गया है कक देश की कु ल सीिेज उपचार क्षमता में से मात्र 23 प्रवतशत उपचार क्षमता ही राज्य प्रदूषण वनयंत्रण िोडों
• आर्थसक रूप से लाभकारी कम होना: STPs स्थावपत करने और संचावलत करने में काफी लागत आती है। इस लागत के िरािर आय सृवजत करने में
लगभग 3 - 8 साल का समय लग जाता है। यहीं कारण है कक STPs स्थावपत करने के वलए वनजी वनिेश के रूप में िन नहीं वमल पाता है।
आगे की राह
• अविक वनगरानी कें ि स्थावपत करना: इन वनगरानी के न्िों की स्थापना प्रदूषण स्रोतों, पयासिरणीय प्रणावलयों, सीिेज के संपकस में आने िाली जगहों के
वनकट की जानी चावहए।
5.3. स्िच्छ सिे क्ष ण पु र स्कार 2023 (Swachh Survekshan Awards 2023)
सुर्खसयों में क्यों ?
88 Nature-based Solutions
• स्िच्छ सिेक्षण पुरस्कार क्या है: स्िच्छता सिेक्षण देश भर के शहरों और कस्िों में सफाई, स्िास्थ्य और स्िच्छता की वस्थवत का पता करने से जुड़ा
एक सिेक्षण है।
• शुरुआत: इसकी शुरुआत 2016 में स्िच्छ भारत वमशन (शहरी) के तहत की गई थी।
• शावमल संस्थान: यह सिेक्षण आिासन और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) द्वारा हर साल आयोवजत ककया जाता है।
• उद्देश्य: कायसिम का उद्देश्य स्िच्छता के िारे में नागररक भागीदारी को प्रोत्सावहत करना एिं लोगों के िीच जागरूकता का प्रसार करना है ताकक
कस्िों और शहरों को रहने के वलए िेहतर जगह िनाई जा सके ।
• 2023 का मूल्यांकन: पहली िार यह सिेक्षण चार चरणों में 4,477 शहरों में आयोवजत ककया गया। िषस 2022 के मुकािले (7500 अंक) इस िार
कु ल अंक 9500 वनिासररत ककए गए थे।
• इस िषस शीषस स्थान संयुक्त रूप से इं दौर (मध्य प्रदेश) और सूरत (गुजरात)) ने प्राप्त ककया है। इसके िाद रैं ककं ग में तीसरा स्थान निी मुंिई (महाराष्ट्र)
का रहा है।
o इं दौर को लगातार 7िीं िार सिसे स्िच्छ शहर घोवषत ककया गया है।
• 1 लाख से कम आिादी िाले शहरों में, सासिड (महाराष्ट्र), पाटन (गुजरात) और लोनािाला (महाराष्ट्र) ने शीषस तीन स्थान हावसल ककया है।
• महाराष्ट्र को देश का सिसे स्िच्छ राज्य घोवषत ककया गया। इसके िाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का स्थान रहा।
• महू (मध्य प्रदेश) को सिसे स्िच्छ छािनी िोडस के रूप में चुना गया। इसके िाद देिलाली (महाराष्ट्र) और अहमदािाद (गुजरात) का स्थान रहा।
• िाराणसी (उत्तर प्रदेश) को सिसे स्िच्छ गंगा शहर घोवषत ककया गया। इसके िाद प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) का स्थान रहा।
• चंडीगढ़ को सिसश्रष्ठ
े सफाईवमत्र सुरवक्षत शहर घोवषत ककया गया।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अपनी स्थापना की 150िीं िषसगांि मनायी।
IMD की उपलवब्ियां
अिलोकन (Observations)
• 2023 में, WMO ने तीन IMD िेिशालाओं, अथासत्, द्वारका ि िेरािल (गुजरात) और कटक (ओवडशा) को 100 से अविक िषों के हाइड्रोलॉवजकल
अिलोकनों के वलए दीघसकावलक अिलोकन स्टेशन के रूप में मान्यता दी है।
• गंभीर मौसमी घटनाओं (2023 तक) की वनगरानी के वलए पूरे देश में 39 डॉपलर मौसम रडार (DWRs)92 स्थावपत ककए गए हैं।
• गवत शवक्त और उड़ान योजना का समथसन करने के वलए, IMD ने सभी 117 हिाई अिों के वलए विमानन मौसम की वनगरानी और पूिासनम
ु ान के माध्यम से
हिाई यात्रा को सुरवक्षत िनाने में महत्िपूणस योगदान कदया है।
पूिासनुमान सटीकता में सुिार
• वपछले 5 िषों के दौरान गंभीर मौसमी घटनाओं के सटीक पूिासनम
ु ान में 40-50% का उल्लेखनीय सुिार हुआ है।
• िायु गुणित्ता के वलए वनणसय समथसन प्रणाली (DSS) के साथ एकीकृ त एक हाई-ररज़ॉल्यूशन (400 मीटर) िायु गुणित्ता प्रारंवभक चेतािनी प्रणाली
(AQEWS)93 विकवसत की गई है। यह प्रणाली अत्यंत प्रदूषणकारी घटनाओं की भविष्यिाणी के वलए 88% की सटीकता से अनुमान प्रदर्शसत करती है।
• उष्णकरटिंिीय चििातों के पूिासनुमान के वलए एक नई मल्टी मॉडल एन्सेम्िल तकनीक विकवसत की गई है।
संचार प्रणाली नेटिकस
• IMD ने ब्लॉक-स्तरीय मौसम पूिासनुमान पर अलटस जारी करने तथा ककसानों, मछु आरों और पशुपालकों को सलाह प्रदान करने के वलए एक िेिसाइट शुरू
की है।
प्रशंसनीय कायस
• संयुक्त राष्ट्र ने 2020 में आए सुपर चििात ‘अम्फान’ और 2023 में चििात ‘मोचा’ के दौरान IMD द्वारा प्रदान की गई प्रारं वभक चेतािनी सेिाओं के वलए
सराहना की थी।
• मौसम पूिासनम
ु ान के सीवमत मॉडल: IMD पूिासनुमान लगाने के वलए मौसम मॉडल पर वनभसर करता है। हालांकक, इन मॉडलों की क्षमता सीवमत है
और इनमें िीरे -िीरे सुिार ककया जा रहा है।
• डेटा प्रस्तुतीकरण (डाटा इं टरवप्रटेशन): सटीकता िढ़ाने के वलए पूिासनम
ु ानकतासओं को कई सेटेलाइट इमेजज
े , रडार डेटा और मॉडल से संकेतों का
विश्लेषण करने की आिश्यकता है।
o कभी-कभी, गलत व्यायया के कारण पूिासनुमान संिंिी त्रुरटयां हो जाती हैं।
आगे की राह
• एडिांस डेटा जुटाना: सैटेलाइट अिलोकन, जमीन-आिाररत माप और महासागर वनगरानी सवहत क्लाइमेट डेटा की सटीकता और उपलब्िता में
सुिार के वलए एडिांस प्रौद्योवगककयों और िुवनयादी अिसरं चना में वनिेश करना चावहए।
• िैवश्वक सहयोग: डेटा, प्रौद्योवगकी और विशेषज्ञता को साझा करने तथा क्षेत्रीय विवििताओं एिं िैवश्वक जलिायु चुनौवतयों से सामूवहक रूप से
वनपटने के वलए अंतरासष्ट्रीय सहयोग और सहभावगता को िढ़ािा देना आिश्यक है।
• पूिासनम
ु ान आिाररत विश्लेषण और कृ वत्रम िुवद्मत्ता: जलिायु पूिासनुमानों की प्रमावणकता िढ़ाने और जरटल जलिायु प्रणावलयों में पैटनस की पहचान
करने के वलए उन्नत पूिासनुमान विश्लेषण तकनीक और कृ वत्रम िुवद्मत्ता (AI) उपकरणों का लाभ उिाना चावहए।
• पूिस चेतािनी प्रणावलयां (EWS): विशेष रूप से संिेदनशील क्षेत्रों में तीव्र मौसमी घटनाओं के प्रभाि को प्रभािी ढंग से संचाररत करने और कम
करने के वलए मजिूत EWS को विकवसत और कायासवन्ित करना।
• क्षमता वनमासण: जलिायु प्रिृवत्तयों की वनगरानी और पूिासनुमान की क्षमता को िढ़ाने के वलए प्रवशक्षण कायसिमों, ज्ञान साझाकरण और कौशल
विकास के माध्यम से मौसम विज्ञान एजेंवसयों और संस्थानों की क्षमता को मजिूत करना चावहए।
हाल ही में, IIT कदल्ली ने भारत के वलए पहला हाई-रे जोल्यूशन िाला मानवचत्र तैयार ककया है। इसे भारत का भूस्खलन संिद
े नशील मानवचत्र (ILSM)
नाम कदया गया है।
• भूस्खलन संिेदनशील मानवचत्र के तहत भविष्य में भूस्खलन के घटनाओं की संभािना के आिार पर भौगोवलक क्षेत्रों को अलग-अलग जोन (भाग) में
िांटा गया है।
• हाई-ररज़ॉल्यूशन भूस्खलन मानवचत्रण के वलए इनोिेरटि फ्रेमिकस : इसे विग डेटा और अलग-अलग वसद्ांतों पर आिाररत कई मशीन लर्निंग मॉडल्स
का उपयोग करके तैयार ककया गया है। भूस्खलन सुभेद्यता िाले क्षेत्रों को सरल भाषा में भूस्खलन की संभािना िाले या भूस्खलन संिद
े नशील क्षेत्र
भी कह सकते हैं।
o इस मानवचत्र के मॉडल में भूस्खलन की घटना के वलए उत्तरदायी 16 कारक शावमल ककए गए हैं। इनमें ऊंचाई, ढलान, मृदा की संरचना, सड़क
की दूरी, नदी से वनकटता, िनस्पवत आिरण, िषसण, आकद शावमल हैं।
• हाई स्पेवशयल ररज़ॉल्यूशन मैडपंग: यह मानवचत्र 95% से अविक सटीकता के साथ 100 मीटर का स्पेवशयल ररज़ॉल्यूशन प्रदान करता है।
• भूस्खलन सुभद्य
े ता की प्रिलता के आिार पर िगीकरण (Multi-Class Vulnerability Classification): इस मानवचत्र में देश को भूस्खलन की
संभािना के आिार पर पांच भागों में िांटा गया है (मानवचत्र देखें)।
भूस्खलन की घटना को रोकने या इसके प्रभािों को कम करने हेतु भारत सरकार द्वारा की गई पहलें
• राष्ट्रीय भूस्खलन जोवखम प्रिंिन रणनीवत, 2019: इसे राष्ट्रीय आपदा प्रिंिन प्राविकरण (NDMA)96 द्वारा जारी ककया गया है। इसमें भूस्खलन
आपदा के मामले में तैयारी, शमन, कारस िाई और राहत प्रणाली को मजिूत करने एिं उसे मुययिारा में लाने की आिश्यकता पर िल कदया गया है।
इसके वलए वनम्नवलवखत उपाय िताए गए हैं:
o भूस्खलन जोवखम क्षेत्रों का वनिासरण: इसके तहत भारत में भूस्खलन जोवखम क्षेत्रों के मानवचत्रों की विश्वसनीयता और सत्यापन के पहलुओं को
शावमल ककया जाता है। इसमें भूस्खलन प्रिण क्षेत्रों के वनिासरण हेतु गवतविवियों की एक योजना का प्रस्ताि ककया गया है।
o भूस्खलन वनगरानी और अवग्रम चेतािनी प्रणाली का विकास करना।
o जागरूकता पैदा करना और क्षमता-वनमासण को िढ़ािा देना।
o पिसतीय जोन विवनयम और नीवतयां तैयार करना।
o भूस्खलन-प्रिण क्षेत्र में वस्थरीकरण और शमन कारस िाइयां अपनाना तथा भूस्खलन प्रिंिन के वलए समर्पसत वनकाय की स्थापना करना, आकद।
• नेशनल लैंडस्लाइड ससेवलटविवलटी मैडपंग (NLSM) प्रोग्राम: इसे 2014-15 में शुरू ककया गया था। इसके तहत भारतीय भूिैज्ञावनक सिेक्षण ने देश
में 4.3 लाख िगस कक.मी. भूस्खलन-प्रिण क्षेत्रों की भूस्खलन सुभेद्यता का मानवचत्रण का कायस पूरा कर वलया है।
• भारत का भूस्खलन एटलस: इस एटलस में भारत के वहमालय और पविमी घाट क्षेत्र में आने िाले 17 राज्यों और 2 कें ि शावसत प्रदेशों में भूस्खलन-
सुभेद्य क्षेत्रों की जानकारी दी गई है।
o इस एटलस को इसरो के नेशनल ररमोट सेंडसंग सेंटर (NRSC) द्वारा तैयार ककया गया है।
वनष्कषस
भूस्खलन की रोकथाम के वलए क्षेत्र-विवशष्ट उपाय करना महत्िपूणस है। भूस्खलन के प्रवत सुभेद्य क्षेत्रों में वनमासण कायस संिंिी गवतविवियों, सड़कों और
िांिों के वनमासण पर रोक लगानी चावहए। साथ ही, जल प्रिाह वनयंत्रण के वलए अिरोिों का वनमासण, िड़े पैमाने पर िनीकरण करके पहाड़ी ढाल को
वस्थरता प्रदान करनी चावहए। इसके अलािा, पूिोत्तर के पहाड़ी राज्यों में लोगों को झूम खेती (स्थानांतररत कृ वष) के स्थान पर सीढ़ीदार खेती पद्वत को
अपनाने के वलए प्रोत्सावहत करना चावहए।
हाल ही में, कें िीय मंवत्रमंडल ने पृथ्िी विज्ञान मंत्रालय की व्यापक योजना “पृथ्िी विज्ञान (PRITHvi VIgyan)” को मंजूरी दे दी है।
एिॉस/ मौसम संिंिी • मानसून संिहन, िादल और जलिायु पररितसन (Monsoon Convection, Clouds, and Climate
ACROSS पूिासनुमान के वलए
Change: MC4): मानसूनी िषसण में पररितसनों और इसके प्रभािों के िारे में पूिासनुमान संिंिी समझ को िढ़ाने
विश्व स्तरीय
के वलए ऑब्जिेशनल डेटािेस एिं क्लाइमेट मॉडल्स में सुिार करना।
एडिांसड मॉडल का
• हाई परफॉरमेंस कं लयूटटंग प्रणाली (High Performance Computing System: HPCS): आिुवनक सुपर
विकास करना
कं लयूटर, कृ वत्रम िुवद्मत्ता और मशीन लर्निंग एल्गोररदम विकवसत करना।
ओ-स्माटस/ हमारे महासागरीय • महासागर अिलोकन और नेटिकस (Ocean observation and network): िोस पूिासनुमान, िैज्ञावनक
O-SMART संसािनों के अनुसंिान और उपयोग के वलए महत्िपूणस डेटा प्रदान करना।
संिारणीय उपयोग
• समुिी सजीि संसािन (Marine Living Resources: MLR) कायसिम: भारत के अनन्य आर्थसक क्षेत्र (EEZ)
के वलए सेिाएं और
में जीवित समुिी संसािनों के प्रिंिन के वलए इकोवसस्टम मॉडल विकवसत करना।
पूिासनुमान हेतु समुि
विज्ञान • ‘समुिी जल गुणित्ता वनगरानी’ कायसिम (Programme on ‘Sea Water Quality Monitoring): समुिी
(Oceanographic) जल की गुणित्ता में समय-समय पर होने िाले पररितसनों का पता लगाना।
संिंिी अनुसंिान • “ओशन-मॉडडलंग डेटा एवसवमलेशन एंड प्रॉसेस स्पेवसकफक ऑब्जिेशन” प्रोग्राम: भारत के आस-पास के तटीय
गवतविवियों को जल में संिारणीय रूप से जल गुणित्ता मापदंडों का मापन करना।
आयोवजत करना • डीप ओशन वमशन (DOM): संसािनों के वलए गहरे समुि का अन्िेषण करना और समुिी संसािनों के
संिारणीय उपयोग हेतु डीप ओशन प्रौद्योवगककयों का विकास करना।
• अन्य गवतविवियां:
o लिणीय जल से स्िच्छ जल िनाने के वलए समुिी ऊजास का उपयोग करना
o सीफ्रंट ररसचस फै वसवलटी
o गैस हाइड्रेट्स के िारे में अध्ययन करना
पेसर/ PACER ध्रुिीय क्षेत्र के • भारतीय अंटाकस रटक कायसिम (Indian Antarctic Programme): अंटाकस रटका में भारतीय िैज्ञावनक अवभयान
अध्ययन के संिंि में
भेजना, अंटाकस रटका में अनुसंिान स्टेशन स्थावपत और उसका रख-रखाि करना आकद।
सभी िैज्ञावनक
• भारतीय आकस रटक कायसिम (Indian Arctic Programme): आकस रटक में कफयोड्सस स्थलाकृ वतयों, जलिायु
कायसिमों को
एकीकृ त करना पररितसन, समुि जलस्तर में पररितसन आकद का अध्ययन करना।
• दवक्षणी महासागर के वलए भारतीय िैज्ञावनक अवभयान (Indian Scientific Expeditions to the
Southern Ocean: ISESO): पररध्रुिीय यानी सकस मपोलर जल िारा का अध्ययन करना और कािसन
प्रच्छादन, जैि-भू-रसायन और जलिायु पररितसन में पररध्रुिीय जल िारा की भूवमका का अध्ययन करना।
• पृथ्िी प्रणाली विज्ञान की समझ में सुिार करना: यह सुिार पृथ्िी प्रणाली के सभी पांच घटकों का समग्र रूप से अध्ययन करके ककया जाएगा।
• एकीकृ त िहु-विषयक पृथ्िी विज्ञान अनुसि
ं ान और निाचार कायसिमों का विकास: यह MoES के विवभन्न संस्थानों में एकीकृ त ि िहु-विषयक पृथ्िी
विज्ञान अनुसंिान और निाचार कायसिमों के विकास को सक्षम करने में सहायता करे गा।
• पृथ्िी प्रणाली विज्ञान में अनुसि
ं ान को िढ़ािा देना: अविक वित्त की उपलब्िता और योजनाओं को एक एक ढांचे में लाकर पृथ्िी प्रणाली विज्ञान में
अनुसंिान को िढ़ािा कदया जाएगा।
• िड़ी चुनौवतयों का समािान: इसकी सहायता से मौसम और जलिायु, महासागर, िायोस्फीयर, भूकंपीय विज्ञान जैसी िड़ी चुनौवतयों का समािान
करना संभि होगा।
• भविष्य की आपदाओं के वलए अनुसि
ं ान को व्यािहाररक समािान में पररिर्तसत करना: इसकी सहायता से जलिायु पररितसन, प्रदूषण, समुि स्तर में
िृवद् आकद से उत्पन्न होने िाली भविष्य की आपदाओं के वलए अनुसंिान को व्यािहाररक समािान में पररिर्तसत ककया जा सके गा ।
• मौसम का सटीक पुिासनम
ु ान: अंतर-विषयक समन्िय और अिलोकन डेटा में िृवद् के कारण मौसम विज्ञान को सटीक रूप से समझकर पूिासनुमान
ककया जा सके गा।
• सतत उपयोग: योजना की सहायता से जीवित और वनजीि संसािनों के सतत उपयोग के वलए अन्िेषण करने में मदद वमलेगी।
• कु शल कायसिल तैयार करना: यह भविष्य के वलए पृथ्िी प्रणाली के िैज्ञावनकों के एक कु शल कायसिल का वनमासण करने में सहायक होगा।
• विज्ञान से प्राप्त जानकारी को समाज की सेिाओं में िदलना: यह विज्ञान से प्राप्त जानकारी को समाज की सेिाओं में िदलने के अपने अविदेश को पूरा
करने में MoES की सहायता करे गा।
• हाल के एक अध्ययन में LDG के मामले में माइकोररजल किक के (GSP)” का वहस्सा है।
प्रमुख िगों जैसे कक अिुस्स कु लर (Arbuscular) माइकोररजल और o इसका प्राथवमक उद्देश्य भारत में संिारणीय ऊजास के विकास
को िढ़ािा देना है। इसके वलए दोनों देशों के उद्योगों,
एक्टो-माइकोररजल (Ectomycorrhizal) की भूवमका की जांच
की गई। सरकारी संस्थाओं, अनुसंिान संस्थानों आकद के िीच आपसी
• LDG क्या है: यह भूमध्य रे खा पर अत्यविक जैि-विवििता और सहयोग को िढ़ािा कदया जाएगा।
ध्रुिों की ओर जाने पर घटती जैि विवििता को दशासती है। o यह पहल भारत-डेनमाकस एनजी पाटसनरवशप और हररत ईंिन
• अध्ययन में पाया गया है कक: पर संयुक्त अनुसंिान एिं विकास जैसे प्रयासों का अगला
o िैवश्वक स्तर पर माइकोररजल किक अविकांश पौिों की जड़ों चरण है।
में पारस्पररक रूप से लाभप्रद संिि
ं (सहजीविता) िनाते हुए • लक्ष्य और महत्त्ि:
रहते हैं। o ऊजास के संिारणीय उपायों और समािान में आपसी सहयोग
को मजिूत करना।
99 www.visionias.in ©Vision IAS
o कािसन तटस्थता (Carbon neutrality) संिि
ं ी दोनों देशों के ▪ कें िीय प्रदूषण वनयंत्रण िोडस (यानी CPCB) ने नॉन-
संयुक्त लक्ष्यों को हावसल करने हेतु आगे िढ़ाना। अटेनमेंट वसटीज (NAC) को पररभावषत ककया है।
o भारत में निीकरणीय ऊजास उत्पादन को सक्षम िनाना, ताकक CPCB के अनुसार, ऐसे शहर वजनकी िायु गुणित्ता
िैवश्वक स्तर पर भारत की हररत ऊजास मूल्य श्रृख
ं ला में अग्रणी लगातार 5 िषों तक राष्ट्रीय पररिेशी िायु गुणित्ता
िनने का लक्ष्य पूरा हो सके ।
मानकों (NAAQS) के अनुरूप नहीं रही है, उन्हें नॉन-
o 2070 तक वनिल शून्य उत्सजसन के लक्ष्य को हावसल करने के
अटेनमेंट वसटीज (NAC) के रूप में वचवन्हत ककया जाता
प्रयासों में तेजी लाने में मदद करना।
है।
o कं पवनयों, उद्योगों और सरकार के िीच निाचार, सहयोग
o टारगेट: इस योजना के तहत साल 2017 को आिार िषस
तथा साझेदारी को िढ़ािा देना।
मानते हुए 2025-26 तक पार्टसकुलेट मैटर (PM-10 और
• हररत ईंिन का उत्पादन अलग-अलग जैविक और थमोके वमकल
प्रकियाओं के जररए िायोमास स्रोतों से ककया जाता है। हररत PM-2.5) की सांिता में 40% तक की कमी लाने का टारगेट
ईंिन को हररत हाइड्रोकािसन या जैि ईंिन भी कहा जाता है। रखा गया है।
o कायासन्ियन: इसे CPCB द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर लागू ककया
जा रहा है।
▪ इसके तहत, राज्य सरकारों और उनकी एजेंवसयों द्वारा
राज्य तथा शहरी स्तर (नगर वनकाय) पर वसटी एक्शन
ललान (CAP) लागू ककया जाता है।
o NCAP के कायासन्ियन की वनगरानी के वलए ‘प्राण
(PRANA)’ नामक एक पोटसल भी शुरू ककया गया है। ‘प्राण
(PRANA)’ ‘पोटस ल फॉर रे गल
ु श
े न ऑफ एयर-पॉल्यूशन इन
NAC’ का संवक्षप्त रूप है।
o िैवश्वक अल्पकावलक जोवखम: गलत सूचना और दुष्प्रचार; अविक मात्रा में पहुंचती है । इससे चििाती तूफान काफी
प्रिल हो जाते हैं, पररणामस्िरूप चरम मौसम की घटनाएं
चरम मौसमी घटनाएं; सामावजक ध्रुिीकरण; साइिर
देखने को वमलती हैं।
असुरक्षा; आकद।
o यह जल में ऑक्सीजन के स्तर को कम करता है।
o िैवश्वक दीघसकावलक जोवखम: चरम मौसमी घटनाएं; पृथ्िी o समुि का िढ़ता तापमान सीिे तौर पर प्रिाल के अवस्तत्ि को
की प्राकृ वतक प्रणावलयों में व्यापक िदलाि; जैि विवििता भी प्रभावित करता है।
o महासागर ग्लोिल िार्मिंग के चलते उत्पन्न होने िाली 90% क्षेत्रों की तुलना में अविक जैि विवििता पाई जाती है।
हीट यानी ऊष्मा को अिशोवषत करते हैं। इसवलए अटलांरटक • हालांकक, पारं पररक मान्यता यह है कक दुवनया के उष्णकरटिंिीय
महासागर, उत्तरी एिं पविमी प्रशांत महासागर और सदनस क्षेत्रों में अविक उत्पादकता और जैि विवििता पाई जाती है।
• हम्िोल्ट एवनग्मा के समथसकों का मानना है कक उष्णकरटिंिीय क्षेत्र
ओशन िैवश्वक औसत की तुलना में अविक तेजी से गमस हो रहे
हैं। के िाहर के कई क्षेत्रों में भी अत्यविक जैि विवििता पाई जाती है ,
• ओशन हीट कं टेंट (OHC) के िारे में: उदाहरण के वलए- पिसतीय क्षेत्र।
o महासागरों द्वारा अिशोवषत और भंडाररत ऊष्मा की कु ल • इसका समथसन करते हुए िैज्ञावनकों ने यह भी पाया है कक पिसतीय
मात्रा को ओशन हीट कं टेंट कहा जाता है। समुिी जल के क्षेत्रों की भौगोवलक संरचना वजतनी अविक विविि होती है, िहां
उतनी ही अविक जैि विवििता पाई जाती है।
• वहमालयन िुल्फ (Canis lupus ssp. chanco) के िारे में: o इसे वतब्िती नीले भालू (Tibetan Blue Bear) के नाम से
भी जाना जाता है।
o यह भेवड़ये की एक उप-प्रजावत है।
o यह एक सिासहारी पशु है। यह पौिे और जानिरों, दोनों का
o पयासिास (Habitation): ये मुयय रूप से वहमालय (नेपाल भक्षण करता है।
और भारत) और वतब्ित के पिार के ऊंचाई िाले स्थानों o शारीररक विशेषता: इसकी छाती पर एक विवशष्ट ‘V’ आकार
(3,900 मीटर से ऊपर) पर पाए जाते हैं। का सफे द वनशान होता है।
o हाइपोवक्सक वस्थवतयों (यानी ऑक्सीजन की कमी) से o पयासिास: यह अल्पाइन िनों, घास-भूवमयों और स्टेपी क्षेत्रों
वनपटने के वलए इनमें आनुिवं शक अनुकूलन िनाए रखने की
में 2,000 से 4,500 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है।
क्षमता होती है।
o अन्य विशेषताएं: इनके पीि और पूंछ पर भूरे रं ग िाला मोटा ▪ यह भालू मुयय रूप से नेपाल, भूटान और वतब्िती पिार
फर होता है। इनके चेहरे , अंगों और वनचले वहस्से पर हल्का में पाया जाता है।
पीलापन रहता है। • संरक्षण वस्थवत:
o ये आकार में भारतीय और यूरोपीय भेवड़यों से भी िड़े होते o िन्यजीि संरक्षण अविवनयम, 1972: अनुसूची 1 में
हैं। सूचीिद्।
o वहमालयन िुल्फ घरे लू वशकार की अपेक्षा जंगली वशकार को o CITES: पररवशष्ट 1 में सूचीिद्।
प्राथवमकता देते हैं।
o संरक्षण की वस्थवत: 5.7.13. कु मकी हाथी (Kumki Elephants)
▪ ये IUCN की रे ड वलस्ट में ‘िल्नरे िल (सुभद्य
े )’ की श्रेणी
• ओवडशा सरकार ने राज्य में िढ़ते मानि-हाथी संघषस की समस्या
में शावमल हैं। से वनपटने के वलए तवमलनाडु से कु मकी हाथी भेजने का अनुरोि
ककया है।
▪ IUCN सूची: वनयर थ्रेटेन्ड। o मॉवस्कटोकफश को आंध्र प्रदेश, ओवडशा और पंजाि जैसे
राज्यों ने मच्छरों की आिादी से वनपटने के वलए स्थानीय
▪ िन्यजीि संरक्षण अविवनयम: अनुसच
ू ी I में सूचीिद्।
जल वनकायों में डाल कदया था।
▪ CITES: पररवशष्ट-I में शावमल ककया गया है। o मॉवस्कटोकफश की आहार संिंिी आदतों और पयासिास में
o खतरे : प्रदूषण, अिैि वशकार, पयासिास का नुकसान, आिामक व्यिहार अपनाने के कारण स्थावनक प्रजावतयां
विलुप्त हो रही हैं।
दुघसटनािश जाल में फं स जाना आकद।
• ऐसी जीि और पादप प्रजावतयों को आिामक विदेशी प्रजावत
5.7.16. डिं टू रॉन्ग (आकस रटवक्टस डिं टू रॉन्ग) और छोटे (IAS) कहा जाता है, वजन्हें उनकी मूल जगह या पयासिास से िाहर
पं जे िाला ऊदविलाि (एओवनक्स वसने ररयस) ककसी अन्य पाररतंत्र में लाया जाता है।
{Binturong (Arctictis binturong) and o इससे स्थानीय जैि विवििता, पाररवस्थवतकी-तंत्र सेिाओं या
Small-clawed otter (Aonyx cinereus)}
मानि के स्िास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाि पड़ता है। जलकुं भी,
• असम के काजीरं गा राष्ट्रीय उद्यान में डिंटूरॉन्ग (Binturong) और लैंटाना आकद ऐसी ही आिामक विदेशी प्रजावतयां हैं।
छोटे पंजे िाला ऊदविलाि (Small-clawed otter) नामक दो o व्यापार, पररिहन, यात्रा और पयसटन के विकास रूपी
िैश्वीकरण ने नए क्षेत्रों में आिामक प्रजावतयों के प्रिेश की
नई स्तनिारी प्रजावतयों को लाया गया है।
संयया में िृवद् की है।
o दोनों प्रजावतयां िन्यजीि संरक्षण अविवनयम, 1972 की
• आिामक विदेशी प्रजावतयों के प्रभाि:
अनुसच
ू ी-1 के तहत सूचीिद् हैं। o आर्थसक प्रभाि: 2019 के अनुमान के अनुसार इन प्रजावतयों
• डिंटूरॉन्ग भारत में सिसे िड़े आकार का वसिेट है। इन्हें “िेयरकै ट” की िजह से विश्व की अथसव्यिस्था को लगभग 423 विवलयन
भी कहा जाता है, क्योंकक इनका चेहरा विल्ली जैसा और शरीर डॉलर से अविक का िार्षसक नुकसान हुआ था।
o खाद्य सुरक्षा: आिामक प्रजावतयां फसलों को हावन पहुंचाती
भालू जैसा होता है।
हैंहै और मृदा की गुणित्ता में वगरािट लाती हैं।
o यह दवक्षण-पूिस एवशया मूल की प्रजावत है।
o पाररवस्थवतक प्रभाि: IUCN रे ड वलस्ट में शावमल 10 में से
o पयासिास क्षेत्र: भारत (मेघालय और वसकक्कम), इंडोनेवशया,
प्रत्येक 1 प्रजावत को आिामक विदेशी प्रजावतयों से खतरा है।
थाईलैंड, मलेवशया आकद।
o स्िास्थ्य पर प्रभाि: ये प्रजावतयां कभी-कभार संिामक रोगों
o संरक्षण वस्थवत: IUCN रे ड वलस्ट में िल्नरे िल के रूप में के िाहक के रूप में भी काम कर सकती हैं। उदाहरण के वलए;
िगीकृ त। CITES के पररवशष्ट-III में सूचीिद्। मलेररया, िेस्ट नाइल फीिर आकद।
• छोटे पंजे िाले ऊदविलाि को “एवशयाई छोटे पंजे िाला • आिामक प्रजावतयों को वनयंवत्रत करने के वलए ककए गए प्रयास:
o कु नडमंग-मॉवन्रयल िैवश्वक जैि विवििता फ्रेमिकस का लक्ष्य
ऊदविलाि” भी कहा जाता है।
िमांक 6: इसका उद्देश्य 2030 तक जैि विवििता और
104 www.visionias.in ©Vision IAS
पाररवस्थवतकी-तंत्र सेिाओं पर आिामक विदेशी प्रजावतयों के • विडलंग्डन द्वीप
प्रभािों को समाप्त करना है। o यह द्वीप कोवच्च शहर के नजदीक वस्थत है। यह भारत के सिसे
o िैवश्वक आिामक प्रजावत कायसिम, 1997: इसकी शुरुआत िड़े मानि-वनर्मसत द्वीपों में से एक है।
1997 में की गई थी। o इस द्वीप का वनमासण 1933 में ककया गया था। इसका नाम
5.7.18. कु रील द्वीप (Kuril Islands) • अंडरिाटर मैडपंग तकनीक समुि वनतल की 3D छवियां िनाने में
सक्षम िनाती हैं। यह 200 मीटर से 1,000 मीटर की गहराई पर
• हाल ही में, कु रील द्वीप समूह में ररक्टर पैमाने पर 6.3 तीव्रता का
प्रिाल वभवत्तयों की मैडपंग को सुगम िनाती है। उल्लेखनीय है कक
भूकंप दजस ककया गया है।
इतनी गहराई तक सूयस का प्रकाश प्रिेश नहीं करता है।
• कु रील द्वीप-समूह रूस के कामचटका प्रायद्वीप से जापान के o समुि वनतल का अविकांश भाग उष्णकरटिंिीय (उथले जल
होक्काइडो द्वीप तक फै ला हुआ है। िाले) प्रिालों की तुलना में गहरे समुिी प्रिालों से ढका हुआ
o यह द्वीप-समूह ओखोटस्क सागर को प्रशांत महासागर से है। उष्णकरटिंिीय समुिी प्रिाल 0-30 मीटर की गहराई पर
अलग करता है।
पाए जाते हैं, जहां तक प्रकाश प्रिेश कर सकता है।
o इसके कई द्वीप भूगर्भसक दृवष्ट से सकिय हैं।
▪ ऑस्रेवलया की ग्रेट िैररयर रीफ दुवनया की सिसे िड़ी
o रूस और जापान इसके चार द्वीपों पर अपनी-अपनी संप्रभुता
उष्णकरटिंिीय प्रिाल वभवत्त प्रणाली है।
का दािा करते रहे हैं।
• गहरे समुि में प्रिाल छोटे जीिों के पयासिास हैं, जो परस्पर जुड़े
▪ इन्हें जापान में नॉदनस टेररटरी और रूस में साउथ कु रील
हुए अवस्थपंजरों का वनमासण करते हैं। ये विविि आकृ वतयों और
कहा जाता है।
रं गों में विकवसत होते हैं। िे शाकस , स्िॉडसकफ़श, झींगा, मछली आकद
के वलए पयासिास प्रदान करते हैं।
• प्रिाल अकशेरुकी जीि होते हैं, जो वनडाररया (Cnidaria) नामक
रं गयुक्त जीिों के एक िड़े समूह से संिवं ित हैं।
o प्रिाल वभवत्तयां सैकड़ों से हजारों छोटे एकल प्रिालों की
कॉलोवनयों से िनी होती हैं। इन छोटे एकल प्रिालों को
पॉलीलस कहा जाता है।
o इन समुिी जीिों में कै वल्शयम कािोनेट से िने किोर िाह्य
कं काल (Exoskeleton) होते हैं।
o भारत में प्रिाल वभवत्तयां कच्छ की खाड़ी, मन्नार की खाड़ी,
अंडमान और वनकोिार, लक्षद्वीप द्वीप समूह तथा मालिण
(महाराष्ट्र) में पाई जाती हैं।
• प्रिालों का महत्त्ि:
5.7.19. विडलं ग्डन द्वीप (Willingdon Island) o ये तूफानों (चििातों) और अपरदन से तट रे खाओं की रक्षा
• हाल में, विडलंग्डन द्वीप का कायाकल्प करने की मांग उिी है। यह करते हैं;
द्वीप कं टेनर टर्मसनल संचालन को िल्लारपदम (के रल) में o स्थानीय समुदायों को रोजगार प्रदान करते हैं;
स्थानांतररत करने के िाद िीरान हो गया है। o मनोरं जन के अिसर उपलब्ि कराते हैं, आकद।
5.7.21. िन्यजीि (सं र क्षण) लाइसें डसं ग (विचार के ऐसे िन्यजीि वजन्हें कम स्तर का संरक्षण प्राप्त है।
अनुसच
ू ी-II
वलए अवतररक्त मामले ) वनयम, 2024 {Wildlife उदाहरण के वलए: नीलगाय, इंवडयन फ्लाइंग फॉक्स,
(Protection) Licensing (Additional अंडमान िुलिुल आकद।
Matters for Consideration) Rules, 2024}
अनुसच
ू ी-III संरवक्षत पादप-प्रजावतयां।
• पयासिरण, िन और जलिायु पररितसन मंत्रालय (MoEF&CC) ने
उदाहरण के वलए: नील कु टरं जी, वपचर ललांट, दारुहररिा
िन्यजीि (संरक्षण) लाइसेंडसंग (विचार के वलए अवतररक्त मामले) (Tree turmeric) आकद।
वनयम, 2024 को अविसूवचत ककया।
• इन वनयमों ने िन्यजीि (संरक्षण) लाइसेंडसंग (विचार के वलए अनुसच
ू ी-IV िन्य जीिों और िनस्पवतयों की संकटापन्न प्रजावतयों के
अवतररक्त मामले) वनयम, 1983 की जगह ली है। अंतरासष्ट्रीय व्यापार पर कन्िेंशन (CITES) के तहत
पररवशष्टों में सूचीिद् प्रजावतयां (सैम्पल्स)।
• 1983 के वनयमों के तहत िन्यजीि संरक्षण अविवनयम (WPA),
उदाहरण के वलए: ररिर डॉवल्फन, स्पाइडर मंकी आकद।
1972 के अंतगसत अनुसच
ू ी-I या अनुसच
ू ी-II के भाग-II के तहत
िगीकृ त िन्यजीिों के व्यापार के वलए लाइसेंस जारी करने पर
रोक लगाई गई थी।
5.7.22. िै ज िैं क इकोवसस्टम (Wadge Bank
o असािारण मामलों में कें ि सरकार की मंजरू ी प्राप्त करके Ecosystem)
व्यापार के वलए लाइसेंस कदए जा सकते थे।
• एक ररपोटस के अनुसार, तेल और गैस ब्लॉक्स के प्रस्तावित
o हावलया जारी वनयमों (2024) में उपयुसक्त उपिंिों को िदल
अन्िेषण ि विकास से “िैज िैंक इकोवसस्टम” पर प्रभाि पड़ सकता
कदया गया है।
है।
106 www.visionias.in ©Vision IAS
o इन ब्लॉक्स का अन्िेषण “हाइड्रोकािसन एक्सललोरे शन एंड 5.7.23. कू नो राष्ट्रीय उद्यान {Kuno National
लाइसेंडसंग पॉवलसी” (HELP) के तहत ककया जाएगा। Park (KNP)}
• िैज िैंक इकोवसस्टम के िारे में:
• प्रोजेक्ट चीता के तहत कू नो में नामीविया से लाई गई मादा चीता
o यह इकोवसस्टम कन्याकु मारी वजले (तवमलनाडु ) में के प
ने चार शािकों को जन्म कदया है।
कोमोररन के दवक्षण में वस्थत है।
• कू नो राष्ट्रीय उद्यान के िारे में:
o यह भारतीय महाद्वीपीय मग्नतट (Continental shelf) का o अिवस्थवत: यह मध्य प्रदेश में वस्थत है तथा मध्य भारत की
वहस्सा है। डिंध्य पहावड़यों का वहस्सा है।
o िन: शुष्क पणसपाती िन।
o यह दुवनया के सिासविक उत्पादक तटीय क्षेत्रों में से एक है।
o नदी: इस उद्यान के वलए जल का मुयय स्रोत कू नो नदी है।
o इस क्षेत्र में िंगाल की खाड़ी और अरि सागर की जलिाराएं
o िनस्पवत: यहां मुयय रूप से करिई, सलाई ि खैर के िृक्षों
वमलती हैं। ये जल िाराएं दवक्षण-पविम और उत्तर-पूिस
सवहत घास के विशाल मैदान भी पाए जाते हैं।
मानसून जैसे अलग-अलग मौसमों में अलग-अलग पैटनस की
o जीि-जंतु: वचत्तीदार वहरण, चौडसंघा, नीलगाय, ब्लैक िक,
होती हैं।
तेंदआ
ु , जंगली कु त्ता (ढोल) आकद।
हाल ही में, राष्ट्रपवत ने प्रययात समाजिादी नेता और विहार के पूिस मुययमंत्री कपूरस ी िाकु र को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मावनत करने की घोषणा
की।
प्रवतवष्ठत करने का प्रयास ककया था। ज्ञातव्य है कक इसके िाद 2001 में विहार में पंचायती राज चुनाि हुए थे।
• वशक्षा:
o उन्होंने िंवचत लोगों को आगे िढ़ने में सक्षम िनाने के वलए स्कू ली छात्रों के वलए अंग्रज
े ी भाषा की अवनिायसता को समाप्त ककया था।
o ईसाई वमशनरी स्कू लों में डहंदी पढ़ाना अवनिायस कर कदया था।
• समाजिाद उन वसद्ांतों से संिवं ित है, जो एक ऐसे समाज की स्थापना की पररकल्पना करते हैं, जहां सभी व्यवक्त जीिन के विविि क्षेत्रों (आर्थसक,
• प्रमुख भारतीय समाजिादी नेताओं में आचायस नरें ि देि, जय प्रकाश नारायण, राम मनोहर लोवहया आकद शावमल हैं।
o उल्लेखनीय है कक आचायस नरें ि देि ने िैनी (समस्तीपुर, विहार) में एक ककसान रै ली को संिोवित ककया था। आचायस नरें ि देि के इस संिोिन ने
कपूरस ी िाकु र को स्ितंत्रता आंदोलन और समाजिादी राजनीवत में शावमल होने के वलए प्रेररत ककया था।
• आजादी से पहले:
o उपवनिेशिाद-विरोिी, समानता, सामावजक न्याय जैसे समाजिादी आदशों ने स्ितंत्रता संग्राम के वलए िैचाररक ढांचा प्रदान ककया था।
o समाजिादी नेताओं और संगिनों ने राष्ट्रिादी आंदोलन में श्रवमकों, ककसानों और हावशए पर रहने िाले समुदायों को जमीनी स्तर पर संगरित
करने में महत्िपूणस भूवमका वनभाई थी।
• आजादी के िाद:
o संिैिावनक: संवििान में वनवहत समानता और सामावजक न्याय के आदशस समाजिादी वसद्ांतों से प्रेररत हैं।
o लोकतंत्र को मजिूत िनाना: समाजिादी नेताओं, दलों और आंदोलनों के कारण क्षेत्रीय राजनीवतक दलों का उदय हुआ था। इन्होंने भारतीय
▪ इससे दूसरी पंचिषीय योजना (1956-61) के अंतगसत महालनोविस मॉडल का विकास हुआ और सािसजवनक क्षेत्रक के उद्यमों (PSEs)97
का वनमासण हुआ।
o सामावजक कल्याण: समाजिादी वसद्ांतों ने कमजोर और हावशए पर मौजूद िगों के वलए विविि कल्याणकारी कायसिमों की शुरुआत को प्रेररत
ककया है, जैसे- सािसजवनक वितरण प्रणाली, आरक्षण नीवतयां आकद।
▪ आचायस विनोभा भािे के भूदान आंदोलन जैसे विवभन्न समाजिादी आंदोलनों ने न के िल िंवचतों को सीिे लाभ पहुंचाया, िवल्क देश की
नीवतयों और भूवम सुिार जैसी योजनाओं को भी प्रभावित ककया।
• आर्थसक असमानता: मजिूत आर्थसक समानता को आगे िढ़ाने के वलए समाजिादी वसद्ांतों जैसे कक िन का पुनर्िसतरण, िुवनयादी आिश्यकताओं तक
पहुंच की गारं टी आकद पर जोर देने की आिश्यकता है।
o उदाहरण के वलए- अवनिायस कॉपोरे ट सामावजक उत्तरदावयत्ि और प्रगवतशील करािान नीवत आर्थसक क्षेत्र में समाजिादी आदशों का प्रवतडिंि
हैं।
• पूज
ं ीिाद से जुड़े मुद्दे: संिृवद् का िाजार-संचावलत मॉडल कई प्रकार की समस्याओं से जुड़ा हुआ है , जैसे- श्रमिल का शोषण, पयासिरण को नुकसान
आकद।
o ऐसे संदभस में, समाजिाद व्यवक्तगत लाभ से ऊपर सामूवहक कल्याण को िढ़ािा देने का एक विकल्प सावित हो सकता है।
• अवनिायस सामावजक न्याय: जावतगत भेदभाि, स्िास्थ्य और वशक्षा जैसी आिारभूत आिश्यकताओं तक पहुंच में असमानता जैसे सामावजक मुद्दे राज्य
की नीवतयों में समाजिादी वसद्ांतों को शावमल करने की जरूरत को प्रकट करते हैं।
• LPG सुिार: 1990 के दशक की शुरुआत में LPG98 सुिारों के चलते आर्थसक उदारीकरण को िढ़ािा वमला। इसके पररणामस्िरूप अतीत की
समाजिादी नीवत अविक िाजार-उन्मुख दृवष्टकोण की तरफ़ स्थानांतररत हो गई।
• राजनीवतक: मजिूत क्षेत्रीय दलों के उद्भि के कारण एक दल के प्रभुत्ि में कमी आई है और चुनािी लाभ के वलए राजनीवतक विचारिाराओं में भी
विचलन पैदा होआ है।
• सामावजक-सांस्कृ वतक: मध्यमिगस में भौवतक समृवद् के वलए िढ़ती हुई व्यवक्तगत आकांक्षाएं समाजिाद द्वारा प्रेररत सामूवहक कल्याण की अििारणा
के साथ असंगत िन गई हैं।
आगे की राह
• िाजार अथसव्यिस्था के साथ संतवु लत समाजिाद: समािेशी और सतत विकास के वलए राज्य के हस्तक्षेप और िाजार तंत्र के िीच प्रभािी संतुलन
स्थावपत करना चावहए।
o कॉपोरे ट गिनेंस में CSR और ESG99 जैसी अििारणाओं के प्रभािी कायासन्ियन को सुवनवित कर सामावजक रूप से उत्तरदायी िाजार
अथसव्यिस्था को िढ़ािा देना चावहए।
• सािसजवनक क्षेत्र की दक्षता को मजिूत करना: पारदर्शसता िढ़ाकर, जिािदेही में सुिार लाकर और लालफीताशाही को कम करके भ्रष्टाचार पर अंकुश
लगाना चावहए। साथ ही, नागररकों के िीच सेिा वितरण की प्रभािशीलता को िढ़ाया जाना चावहए।
• लोकतांवत्रक समाजिाद को प्रोत्साहन: राज्य की नीवतयों में विविि आिश्यकताओं और आकांक्षाओं को दशासने के वलए नीवत वनमासण में भागीदारीपूणस
वनणसय लेना और नागररक सहभावगता को सुवनवित करना चावहए।
o दक्ष शासन व्यिस्था, नागररक सहभावगता और हावशए पर रहने िाले समुदायों को सशक्त िनाने के वलए वडवजटल ललेटफॉमस जैसी प्रौद्योवगकी
6.2. प्रिान मं त्री आकद आदशस ग्राम योजना (Pradhan Mantri Adi Adarsh Gram Yojana:
PMAAGY)
हाल ही में, सामावजक न्याय और अविकाररता पर एक संसदीय पैनल ने प्रिान मंत्री आकद आदशस ग्राम योजना (PMAAGY) के कायासन्ियन की िीमी
गवत को रे खांककत ककया है।
• विज़न: इस योजना का लक्ष्य 500 से अविक जनजातीय आिादी िाले और 50 प्रवतशत या उससे अविक अनुसवू चत जनजावत (ST) आिादी िाले
o यह योजना जनजातीय उप-योजना (2017) के वलए विशेष कें िीय सहायता का संशोवित संस्करण है। इसके तहत जनजातीय लोगों के विकास
और कल्याण के वलए अविसूवचत अनुसवू चत जनजावत िाले राज्यों को िन प्रदान ककया गया था।
आगे की राह
• कदशा-वनदेश/ मानक संचालन प्रकिया वनिासररत करना: एक वनर्दसष्ट समय सीमा के साथ जनजातीय गांिों के एकीकृ त विकास से संिंवित स्पष्ट कदशा-
वनदेश वनिासररत करने चावहए।
o साथ ही, पररयोजनाओं को मंजूरी देने और वनवि आिंटन में होने िाली देरी को कम करने के वलए ग्राम विकास योजनाओं का मानकीकरण
करना होगा।
• गांिों के चयन से संिवं ित मानदंडों की समीक्षा करना: योजना के अविक समग्र और समािेशी कायासन्ियन के वलए 50 प्रवतशत से कम ST आिादी
िाले गांिों को शावमल करने के वलए कदम उिाए जा सकते हैं।
• कायासन्ियन की वनगरानी करना: वजला/ मंडल स्तर पर आिश्यक सहायता प्रणाली िनाने की आिश्यकता है। इससे पररयोजना वनगरानी इकाई और
वजला स्तरीय सवमवत के िीच समन्िय में मदद वमल सके गी।
• विश्वसनीय डेटािेस का वनमासण और रख-रखाि: अलग-अलग राज्यों में PVTGs की वस्थवत और कायासवन्ित विकास योजनाओं से संिवं ित डेटािेस
का रखरखाि जनजातीय कायस मंत्रालय द्वारा कें िीय रूप से ककया जा सकता है।
6.3.1. जें ड र-आिाररत डहं सा (Gender-Based ▪ मवहलाओं के विरुद् सभी प्रकार के भेदभाि की समावप्त
Violence) पर कन्िेंशन; और
• इस कायसशाला के दौरान “जेंडर-आिाररत डहंसा (GBV) से मुक्त डहंसा से वनपटने िाली जेंडर-आिाररत योजना जेंडर
पंचायतें- वनिासवचत प्रवतवनवियों के वलए एक हैंडिुक” का समानता को िढ़ािा देगी।
विमोचन ककया गया।
o सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण (LSDGs) की थीम 9
�रवीजन
�स�वल सेवा परी�ा क� तैयारी करने वाले अ��थ� य� क� पृ�भू�म, आयु, व�क�ग शे�ूल और पा�रवा�रक �ज�ेदा�रयां अलग-अलग होती ह�।
इसे �ान म� रखते हुए हमने समसाम�यक�: त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट को तैयार �कया है। इससे उन अ��थ� य� को तैयारी म� काफ� सहायता
�मले गी, �जनका शे�ूल अ�धक �� होता है, �ज�� मा�सक समसाम�यक� मैगजीन को पढ़ने व �रवीजन करने के �लए कम समय �मलता है और
�सले बस के बारे म� बु�नयादी एवं थोड़ी बहुत समझ होती है।
त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट को काफ� सावधानीपूवर्क और बारीक� से तैयार �कया गया है। इससे आपको �स�वल
सेवा परी�ा क� तैयारी के �लए आव�क ल�न� ग एवं �रवीजन के �लए मजबूत आधार �मले गा।
इस डॉ�ूम�ट म� हमने �वगत तीन माह क� मा�सक समसाम�यक� मैगजीन से सभी मह�पूणर् आ�ट�क� को कवर
�कया है। इससे मह�पूणर् टॉ�प� का �रवीजन करने के �लए आपको एक समग्र और सटीक �रसोसर् �मले गा।
सं��� पृ�भू�म: प्र�ेक आ�ट�कल से �व�े षण और मह�पूणर् त�: इससे आपको �� एवं सं��� जानकारी: इसम�
संबं�धत एक सं��� पृ�भू�म दी गई है, मह�पूणर् नज़�रए और अलग-अलग पहलु ओ ं इ�ॉम�शन को सु�व��त तरीके से
�जससे आपको संबं�धत आ�ट�कल को से जुड़ी जानकारी तथा त�� के बारे म� पता प्र�ुत �कया गया है, �जससे ��क और
समझने और उसका �व�े षण करने के चले गा। इफे��व �रवीजन म� मदद �मले गी।
�लए एक मजबूत आधार �मले गा।
हम� पूरी उ�ीद है �क यह त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट समसाम�यक� घटनाक्रम� के �लए काफ� फायदेमंद होगा। PT 365 और
Mains 365 डा�ूम�ट्स के साथ-साथ इसे पढ़कर UPSC CSE क� तैयारी क� राह म� आपका आ��व�ास काफ� बढ़ जाएगा।
�ाटर् तरीके से तैयारी क��जए। “त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट” कुशल, टाग�टेड और प्रभावी �रवीजन के �लए सबसे बेहतर
साथी है। इसक� मदद से अपनी �स�वल सेवा परी�ा क� तैयारी क� राह म� आगे ब�ढ़ए।
अहमदाबाद | ब�गलू रु | भोपाल | चंडीगढ़ | �द�ी | गुवाहाटी | हैदराबाद | जयपुर | जोधपुर | लखनऊ | प्रयागराज | पुणे | रांची
7. विज्ञान एिं प्रौद्योवगकी (Science and Technology)
7.1. एक्स-रे पोले रीमीटर सै टे लाइट {X-Ray Polarimeter Satellite (XPoSat)}
सुर्खसयों में क्यों?
ISRO104 ने पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल (PSLV)-C58 से एक्स-रे पोलेरीमीटर सैटेलाइट (XPoSat) को सफलतापूिसक प्रक्षेवपत ककया।
• सामान्य प्रकाश (अनपोलराइज्ड प्रकाश) में विद्युत क्षेत्र और चुंिकीय क्षेत्र के िेक्टर शावमल होते हैं जो एक-दूसरे के लंिित कं पन करते हैं
(इन्फोग्राकफक देखें)।
• िास्ति में पोलराइजेशन तरं गों की एक विशेषता होती है। इसमें
एक्स-रे जैसी विद्युत चुंिकीय तरं गें भी शावमल होती हैं।
पोलराइजेशन के तहत तरं ग के दोलनों के वलए एक वनवित कदशा में
उन्मुख होने (Orientation) का िणसन ककया जाता है।
• दूसरे शब्दों में, अन-पोलराइज्ड प्रकाश को पोलराइज़्ड प्रकाश में
िदलने की प्रकिया को पोलराइजेशन कहते हैं। इसे प्रकीणसन,
पराितसन, अपितसन या पोलरॉइड/पोलराइडजंग कफल्टर के उपयोग
के माध्यम से ककया जा सकता है।
• एक्स-रे के पोलराइजेशन का अध्ययन/मापन करना एक्स-रे
पोलेरीमीटर कहलाता है।
o एक्स-रे , उच्च-ऊजास उत्सर्जसत करने िाली विद्युत-चुम्िकीय
तरं गें होती हैं।
• इसके अध्ययन में शावमल है:-
o पोलराइजेशन कोण का मापन: संदभस कदशा के सापेक्ष विद्युत तरं ग की कदशा।
o पोलराइजेशन वडग्री: प्रकाश स्रोत से विद्युत चुम्िकीय तरं ग का िह भाग, जो पोलराइज्ड होता है।
• XPoSat ब्लैक होल और न्यूरॉन तारों जैसे खगोलीय डपंडों से एक्स-रे उत्सजसन के अध्ययन और मापन को समर्पसत इसरो का पहला उपग्रह है।
• यह एक्स-रे पोलराइजेशन का अध्ययन करने िाला दुवनया का दूसरा उपग्रह है। ऐसा पहला उपग्रह नासा का इमेडजंग एक्स-रे पोलेरीमेटरी
एक्सललोरर (IXPE) है वजसे 2021 में लॉन्च ककया गया था।
• XPoSat के पेलोड्स:
o POLIX (पोलेरीमीटर इं स्ूमेंट्स इन एक्स-रे ): यह ऊजास िैंड 8-30keV में एक्स-रे के पोलराइजेशन को मापेगा।
▪ इस वमशन की अिवि पांच िषस है। इस दौरान यह पेलोड एक्स-रे स्रोतों के लगभग 40 चमकीले खगोलीय डपंडों का अध्ययन करे गा।
o XSPECT (एक्स-रे स्पेक्रोस्कोपी और टाइडमंग): यह सॉफ्ट एक्स-रे में फास्ट टाइडमंग और उच्च स्पेक्रोस्कोवपक ररजॉल्यूशन प्रदान कर सकता
है।
▪ यह ब्रह्मांडीय एक्स-रे स्रोतों का दीघसकावलक िणसिमीय (स्पेक्रल) और सामवयक (टेम्पोरल) अध्ययन करे गा। इन स्रोतों में, पल्सर, ब्लैक
होल िाइनरी, मैग्नेटर आकद शावमल हैं।
वमशन का महत्त्ि
• विककरण की प्रकृ वत को समझना: पोलराइजेशन के मापन से खगोलीय स्रोतों से उत्सर्जसत प्रकियाओं को िेहतर तरीके से समझने में मदद वमलेगी।
• उन्नत डेटा संग्रह में मदद: इससे पहले, खगोलीय डपंडों के पोलराइजेशन का अध्ययन या तो ऑवलटकल या रे वडयो िैंड में ककया जाता था। पहली िार
मीवडयम एनजी िैंड में एक्स-रे पोलराइजेशन का मापन (पोलेरीमेटरी) ककया जा रहा है।
• खगोलीय डपंडों की रासायवनक संरचना: एक्स रे पोलेरीमेटरी पल्सर, मैग्नेटसस जैसे खगोलीय डपंडों की भौवतक और तत्ि संिंिी संरचना का िणसन
करती है तथा चुंिकीय क्षेत्रों के साथ पदाथों की अंतर्िस या के िारे में अंतदृसवष्ट प्रदान करती है।
• ब्रह्मांड की िेहतर समझ: विशेष रूप से ब्लैक होल, न्यूरॉन तारे और सकिय गैलेवक्टक नावभक जैसे खगोलीय डपंड स्रोतों के एक्स-रे पोलराइजेशन के
मापन से उनके भौवतक की हमारी समझ िढ़ेगी।
वनष्कषस
जरटल ब्रह्मांड की पेचीदा कायस-प्रणावलयों को समझने की कदशा में XPoSAT वमशन एक महत्िपूणस कदम है। यह वमशन विज्ञान की अलग-अलग शाखाओं
और तकनीकी विकास के वलए काफी मायने रखता है।
रूस ने नासा के साथ अंतररक्ष यावत्रयों को अंतरासष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) भेजने के अपने िॉस-फ्लाइट कायसिम को 2025 तक िढ़ा कदया है।
• अनुसि
ं ान और विज्ञान: यह माइिोग्रैविटी पररिेश में डी.एन.ए. अनुिमण (वसिें डसंग), रोिोरटक्स और उपग्रहों जैसे विषयों पर ऐसे साथसक अध्ययन
करने का अिसर प्रदान करता है जो कक पृथ्िी पर संभि नहीं है।
अन्य स्पेस स्टेशन
o इस पर ककए जाने िाले अनुसंिान में दीघसकावलक अंतररक्ष
विककरण का मानि शरीर पर पड़ने िाले जोवखम के प्रभािों का • रूस का स्पेस स्टेशन: सैल्यूट 1 दुवनया का पहला स्पेस स्टेशन था। इसे
अध्ययन भी शावमल है। 19 अप्रैल, 1971 को पूिस सोवियत संघ द्वारा लॉन्च ककया गया था। कफर
• अंतरासष्ट्रीय सहयोग: विश्व की अंतररक्ष एजेंवसयों के िीच अंतरासष्ट्रीय रूस ने सैल्यूट 2 से सैल्यूट 7 सीरीज और मीर जैसे स्पेस स्टेशन लॉन्च
स्तर पर साझेदारी ने अंतररक्ष सुवििाओं, संचार नेटिकस और िैज्ञावनक ककए।
अनुसि
ं ान के विकास में िैवश्वक सहयोग को िढ़ािा कदया है। • चीन का स्पेस स्टेशन: 2011 में लॉन्च ककए गए वतयांगोंग-1 तथा
• मानि स्िास्थ्य: रोगों का अध्ययन करने, दिाओं और नैदावनक 2016 में लॉन्च ककए गए वतयांगोंग -2 परीक्षण अंतररक्ष-प्रयोगशालाएं
उपकरणों का परीक्षण करने तथा मानि शरीर की आंतररक थीं। वतयांगोंग स्पेस स्टेशन 2021 में लॉन्च ककया गया था। यह 2022 के
कायसप्रणाली की जांच करने के वलए अनुसंिान ककया जा रहा है।
उत्तरािस से पूरी तरह से कायस करना शुरू कर कदया है।
• पृथ्िी की वनचली-कक्षा आिाररत अथसव्यिस्था: ISS का उपयोग लघु • संयक्त
ु राज्य अमेररका (USA) का स्पेस स्टेशन: स्काईलैि यूएसए का
व्यिसावययों और उद्योगपवतयों द्वारा अंतररक्ष में अपनी प्रौद्योवगककयों
पहला स्पेस स्टेशन था। इसे 1973 में नासा द्वारा लॉन्च ककया गया था।
का परीक्षण करने के वलए ककया जाता है।
• भविष्य के वमशन:
o यह नए और िेहतर उत्पादों के विकास में मदद करता है। साथ
o चंिमा की सतह पर स्थावपत करने हेतु नासा का आटेवमस िेस कैं प
ही, व्यािसावयक उद्यमों के विकास में मदद करता है। और चंिमा की कक्षा में गेटिे।
• लंिी अिवि की अंतररक्ष उड़ान और मानि िास में मदद: यह लंिी o भारत का “भारतीय अन्तररक्ष स्टेशन”।
अिवि के वमशन पर अंतररक्ष यावत्रयों को सुरवक्षत और स्िस्थ रखने से
संिवं ित अध्ययन करने के वलए एक परीक्षण क्षेत्र के रूप में कायस करता है।
नासा ने 2040 तक चंिमा पर घर और मानि के रहने योग्य कॉलोवनयां िनाने की योजना िनाई है। इससे चंिमा तथा अन्य खगोलीय डपंडों (अन्य ग्रहों)
पर मानि आवशयाना यानी हैविटेशन को लेकर चचासएं शुरू हो गईं हैं।
• स्पेस हैविटेशन से तात्पयस पृथ्िी के अलािा चंिमा, मंगल ग्रह इत्याकद पर मनुष्यों के रहने के वलए आिास या आवशयाना स्थावपत करने से है।
• ऐसा दो तरीकों में/से संभि हो सकता है:-
o गोल्डीलॉक्स जोन में वस्थत मंगल ग्रह जैसे खगोलीय डपंडों पर हैविटेशन।
▪ “गोल्डीलॉक्स जोन” में वस्थत डपंड अपने तारे (सूयस) की इतनी दूरी से पररिमा कर रहे होते हैं कक िहां पानी तरल रूप में रह सके । इसका
मतलि है कक उस डपंड का तापमान न अविक िं डा होना
चावहए न अविक गमस। मनुष्यों के रहने के वलए इस तरह की
पररवस्थत अवनिायस है।
o कै लसूल मॉड्यूल (अंतररक्ष यान) के रूप में स्पेस हैविटेट्स का
वनमासण करना। ये कै लसूल मॉड्यूल मानि के रहने के वलए आिश्यक
पररिेश से युक्त होंगे और ये सौर मंडल में कहीं भी स्थावपत हो
सकते हैं। उदाहरण के वलए; अंतरासष्ट्रीय अंतररक्ष स्टेशन।
• स्टैनफोडस टोरस और ओ’नील वसलेंडर को अंतररक्ष में आत्मवनभसर
हैविटेट्स के रूप में प्रस्तावित ककया है। ये माइिोग्रैविटी पररिेश में कृ वष
एिं अन्य गवतविवियों के वलए अनुकूल हो सकते हैं।
o स्टैनफोडस टोरस नासा द्वारा प्रस्तावित है। यह एक टॉरॉयडल (डोनट के आकार का) स्पेस स्टेशन होगा। इसमें एक कें िीय कें ि (हि) होगा और
घूणसन करती एक िाहरी टरं ग होगी।
▪ घूणसन से टरं ग के आंतररक सतह पर कृ वत्रम गुरुत्िाकषसण पैदा होगा। यह मानि के हैविटेशन के वलए अनुकूल वस्थवत का वनमासण करे गा।
▪ ओ’नील वसलेंडर का नाम भौवतक विज्ञानी जेराडस के . ओ'नील के नाम पर रखा गया है। ओ’नील वसलेंडर में एक जोड़ी िड़े वसलेंडर होंगे। ये
विपरीत कदशाओं में घूणन
स करते हुए आंतररक सतह पर कृ वत्रम गुरुत्िाकषसण उत्पन्न करें गे।
• संयुक्त राज्य अमेररका, चीन और भारत जैसे देश अपने अंतररक्ष यावत्रयों को चंिमा पर भेजने और अंतररक्ष में उनके रहने की संभािनाओं का पता
लगाने के वलए पहल कर रहे हैं।
• इसके अवतररक्त, एलोन मस्क जैसे अंतररक्ष क्षेत्रक से जुड़े हुए वनजी उद्यवमयों ने भी मंगल ग्रह पर स्थायी मानि कॉलोनी के वनमासण और इस कदशा में
पहलों को समथसन करने की इच्छा व्यक्त की है।
• भारी लागत: अंतररक्ष अन्िेषण के वलए आिश्यक प्रौद्योवगकी और िुवनयादी अिसंरचना के विकास में अत्यविक लागत आती है।
o इसके अवतररक्त, ऐसी प्रौद्योवगकी के विकास और उपयोग के िीच की अिवि अविक होती है, वजससे वित्तीय िोझ िढ़ती जाती है।
• कियान्ियन: पृथ्िी से अंतररक्ष में ऑक्सीजन, भोजन, वचककत्सा आपूर्तस, विजली स्रोत ले जाने, संचार स्थावपत करने तथा इन उद्देश्यों के वलए राके ट
का प्रक्षेपण और उनकी िापसी के प्रिंिन में तकनीकी और पररचालन संिंिी चुनौवतयों का सामना करना पड़ता है।
• स्िास्थ्य पर प्रभाि: अन्य ग्रहों या डपंडों पर रहने िाले इंसान को ब्रह्मांडीय विककरण, सांस लेने योग्य िायुमंडल की अनुपवस्थवत, वनम्न गुरुत्िाकषसण,
शेष दुवनया से अलग-थलग रहना तथा मानवसक तनाि जैसे स्िास्थ्य जोवखमों का सामना करना पड़ सकता है।
• अन्य ग्रहों के पयासिरण को नुकसान: अन्य ग्रहों या चंिमा पर मानि कॉलोवनयां िसाने से िहां के पयासिरण में िदलाि संभि है। इससे उनके भू -क्षेत्र
को नुकसान पहुंच सकता है। साथ ही अंतररक्ष मलिे (Space Debris) भी
िाह्य अंतररक्ष के गिनेंस के वलए UNCOPUOS के तहत लागू
िढ़ेंगे, वजससे के सलर डसंड्रोम की वस्थवत उत्पन्न हो सकती है।
अंतरासष्ट्रीय संवियां
o के सलर डसंड्रोम एक ऐसी वस्थवत की कल्पना करता है जहां दो अंतररक्ष
डपंडों के िीच टकराि से अंतररक्ष में कई टु कड़ें िनेंग।े ये टु कड़ें आगे और • िाह्य अंतररक्ष संवि (Outer Space Treaty): यह चंिमा
डपंडों से टकरा सकते हैं। इससे संचार उपग्रहों, अंतररक्ष यावत्रयों पर खतरा और अन्य खगोलीय डपंडों सवहत िाह्य अंतररक्ष के अन्िेषण
और उपयोग हेतु देशों की गवतविवियों को शावसत करने िाले
िढ़ जाएगा।
वसद्ांतों से संिंवित है।
• कानूनी और राजनीवतक डचंताएं: इनमें अन्य आकाशीय डपंडों के संसािनों पर
• िचाि समझौता (Rescue Agreement:): यह अंतररक्ष
स्िावमत्ि, गिनेंस तथा अंतररक्ष गवतविवियों के विवनयमन से संिंवित मुद्दे
यावत्रयों के िचाि और उनकी पृथ्िी पर िापसी तथा िाह्य
शावमल हैं।
अंतररक्ष में प्रक्षेवपत िस्तुओं की िापसी के समझौते से संिंवित
• नैवतक मुद्दे: एवलयन ललैनेट्स के आंतररक मूल्यों के संभावित क्षरण से नैवतकता है।
संिंिी डचंताएं पैदा होती हैं। • मून एग्रीमेंट: इसे “चंिमा और अन्य खगोलीय डपंडों पर देशों
आगे की राह की गवतविवियों को शावसत करने िाले समझौता” के रूप में भी
• संसािनों का उपयोग: पृथ्िी से ही सभी ऑपरे शन लॉन्च करने के िजाय जाना जाता है। यह चंिमा और अन्य खगोलीय डपंडों पर देशों
अंतररक्ष में उपलब्ि संसािनों का उपयोग करके अंतररक्ष अध्ययन और दूसरे की गवतविवियों को भी प्रशावसत करता है।
ग्रह पर वमशन भेजने की योजना की कदशा में कायस करते हुए लागत को कम • लाइविवलटी कन्िेंशन: यह अंतररक्ष िस्तुओं (प्रक्षेवपत उपग्रहों)
करना चावहए। से होने िाली क्षवत के वलए दावयत्ि वनिासररत करने से संिंवित
• तकनीकी विकास: अंतररक्ष संसािनों के खनन और प्रसंस्करण के वलए नई है।
प्रौद्योवगककयों का विकास करना चावहए। • रवजस्रेशन कन्िेंशन: यह िाह्य अंतररक्ष में प्रक्षेवपत िस्तुओं के
o उदाहरण के वलए, चंिमा पर िफीली मृदा को खोदने के वलए वडज़ाइन रवजस्रेशन से संिंवित है।
स्पेस हैविटेशन के वलए, सभी देशों को रस्टीवशप वसद्ांत का पालन करना चावहए। इसके तहत पृथ्िी सवहत अन्य ग्रह पर तथा अंतररक्ष में मानि के
अलािा अन्य प्रावणयों और उन ग्रहों के पयासिरण के संरक्षण की वजम्मेदारी लेना भी शावमल है।
हाल ही में, राष्ट्रीय िांटम वमशन (NQM) की “वमशन गिर्निंग िोडस (MGB)” की पहली िैिक आयोवजत हुई। इसमें NQM के वलए कायासन्ियन रणनीवत
और समय-सीमा के साथ-साथ वमशन कॉर्डसनश
े न सेल (MCC) के गिन पर चचास हुई।
वमशन कॉर्डसनश
े न सेल (MCC) के िारे में
• वमशन कॉर्डसनेशन सेल को NQM को लागू करने के वलए एक समन्ियक एजेंसी के रूप में स्थावपत ककया जाएगा। यह वमशन सवचिालय (विज्ञान
प्रौद्योवगकी विभाग-DST) के साथ वमलकर कायस करे गा।
• MCC की स्थापना विज्ञान प्रौद्योवगकी विभाग द्वारा वनिासररत संस्थानों में की जाएगी। ऐसे संस्थानों का चयन मेररट और इन संस्थानों की मौजूदा
अिसंरचना के आिार पर ककया जाएगा।
• यह वमशन प्रौद्योवगकी अनुसि
ं ान पररषद (MTRC)106 के समग्र पयसिेक्षण और मागसदशसन में कायस करे गा।
o MTRC, राष्ट्रीय िांटम वमशन का मागसदशसन करे गा और उसका वनरीक्षण भी करे गा। साथ यह, वमशन के तहत उन पररयोजना-प्रस्तािों का भी
चयन करे गा, वजन्हें इस वमशन के तहत फं ड प्रदान ककया जाएगा।
िांटम प्रौद्योवगकी के िारे में
नेशनल िांटम वमशन (NQM) के िारे में
• िांटम मैकेवनक्स एटॉवमक और सि-एटॉवमक पार्टसकल्स के स्तर पर
• NQM भारत सरकार की गई एक फ्लैगवशप पहल है। इसे 2023-2031 पदाथस का तथा उसकी ऊजास के साथ उसके (पदाथस) इंटरै क्शन का
की अिवि के िीच लागू ककया जाएगा। इसका उद्देश्य भारत को िांटम अध्ययन है।
प्रौद्योवगककयों में ग्लोिल लीडर िनाना है। • इसमें िांटम एंटेंगलमेंट और िांटम सुपरपोवजशन शावमल हैं:
• लक्ष्य: िैज्ञावनक और औद्योवगक अनुसंिान एिं विकास (R&D) को o एंटेंगलमेंट: यह एक भौवतकीय पररघटना है जहां दो (या
िढ़ािा देना तथा िांटम प्रौद्योवगकी (QT) में उपयोगी और निाचार अविक) िांटम वसस्टम्स एक-दूसरे के साथ सह-संिद्
आिाररत इकोवसस्टम स्थावपत करना। (Correlation) ककए जा सकते हैं वजससे कक एक वसस्टम को
• NQM के उद्देश्य: यह वमशन अपने आि साल की अिवि में वनम्नवलवखत मापने से दूसरे वसस्टम की वस्थवत तुरंत वनिासररत हो जाती है,
विशेष उद्देश्यों को प्राप्त करने पर कें कित है: भले ही िे अलग-अलग िहुत अविक दूरी पर हों। दूसरे शब्दों में
िांटम एंटेंगलमेंट िताता है कक दो पार्टसकल्स जुड़े हुए हैं और
o िांटम संचार नेटिकस : इसके तहत 2,000 ककलोमीटर तक एक
एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं, भले ही ये पार्टसकल्स एक-दूसरे
सुरवक्षत और हाई-िैंडविड्थ िाली संचार अिसंरचना की स्थापना
से प्रकाश िषस दूर हों।
की जानी है।
o सुपरपोवजशन: यह िांटम वसस्टम्स का एक मूलभूत गुण है।
o िांटम कं लयूटटंग पािर: इसके तहत 1,000 क्यूविट्स की प्रोसेडसंग इसमें कोई एक पार्टसकल एक ही समय में के िल एक वनवित
क्षमता िाले िांटम कं लयूटर विकवसत ककए जाएंगे तथा इनकी अिस्था के िजाय एक साथ कई अिस्थाओं में मौजूद होता है।
व्यापक कम्लयूटेशनल क्षमताओं का उपयोग ककया जाएगा।
o मैग्नटे ोमेटरी और परमाणु घवड़यां (Atomic Clocks): सटीक माप और सटीक समय िताने िाली परमाणु घवड़यों हेतु अत्यविक संिेदनशील
मैग्नेटोमीटर के विकास को आगे िढ़ाया जाएगा।
o िांटम मैटेररयल्स की वडज़ाइन: अत्यािुवनक वडिाइस के समरूप गुणों के अनुसार निीन िांटम मैटेररयल्स का संश्लेषण और उनके गुणों का िणसन
करना।
• इस वमशन की योजना चार थीमेरटक हि (T-हि) स्थावपत करने की भी है।
वमशन का महत्ि
• ग्लोिल लीडर िनना: यह वमशन िांटम प्रौद्योवगकी के विस्ताररत होते
क्षेत्र में भारत को एक प्रमुख भागीदार के रूप में स्थावपत कर सकता है।
• अनुसि
ं ान एिं विकास को िढ़ािा: िांटम कं लयूटटंग, संचार, सेंडसंग और
मैटेररयल्स के R&D की गवत को िढ़ाएगा।
• सुरवक्षत संचार: वनिासि तथा हाई िैंडविड्थ संचार के वलए िांटम नेटिकस
विकवसत करे गा।
NQM की चुनौवतयां
• अनुसि
ं ान पर कम व्यय: हालांकक, सरकार ने NQM के वलए िन आिंरटत जरूर ककया है, लेककन यह भी सच है कक भारत में R&D पर सकल घरे लू
उत्पाद (GDP) का के िल 0.64% व्यय ककया जाता है। यह अविकतर विकवसत देशों की तुलना में िहुत कम है जहां R&D पर GDP का 2% से
अविक व्यय ककया जाता है।
• वनजी वनिेश का अभाि: भारत में R&D पर अविकतर व्यय सरकार करती है, वनजी क्षेत्र का इसमें कम योगदान (40% से भी कम) होता है। िहीं
विकवसत देशों में वस्थवत इसके उलट है जहां वनजी क्षेत्र का योगदान 70% से अविक है। फं ड की कमी की िजह से महत्िपूणस संसािनों की प्रावप्त में
िािा उत्पन्न होती है और राष्ट्रीय िांटम वमशन की प्रगवत को िीमा करती है।
• कु शल कायसिल की कमी: NQM में िांटम भौवतकी, कं लयूटर विज्ञान और इंजीवनयटरं ग सवहत अलग-अलग विषयों में प्रवशवक्षत पेशेिरों की िड़ी
संयया में आिश्यकता होती है। हालांकक, भारत में ऐसे पेशेिरों को तैयार करने के वलए प्रवशक्षण कायसिमों की कमी है। साथ ही उद्योग जगत की
कु शल पेशेिरों की जरूरत और भारत में संस्थानों (एके डवमया) द्वारा तैयार प्रवशक्षुओं के िीच तालमेल की भी कमी है। इससे िड़े स्तर पर वस्कल-गैप
मौजूद है।
• अिसंरचना उपलब्ि नहीं होना: अत्यािुवनक प्रयोगशालाओं, विशेष उपकरणों और हाई-परफॉरमेंस कं लयूटटंग कें िों के विवनमासण और रखरखाि के
वलए अविक संसािनों की जरुरत पड़ती है। साथ ही इन्हें समय-समय पर अपग्रेड भी करना होता है।
• िौवद्क संपदा अविकार: िांटम क्षेत्र से संिंवित िौवद्क संपदा के वलए स्पष्ट स्िावमत्ि और लाइसेंडसंग फ्रेमिकस का विकास कायस अभी भी प्रगवत पर
है। इससे इनके िावणवज्यक उपयोग और निाचार करने के स्तर पर अवनवितता पैदा होती है।
• विवनयामक व्यिस्था: िांटम प्रौद्योवगककयों के गिनेंस में नैवतक और सुरक्षा संिंिी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए मौजूदा वनयमों को अपनाने और
नए फ्रेमिकस के विकास करने में अविक साििानी की जरूरत है। साथ ही इस कदशा में समय पर कारस िाई की भी आिश्यकता है।
• साइिर सुरक्षा से संिवं ित खतरे : मौजूदा एवन्िलशन विवियों के संभावित खतरों को कम करने के वलए िांटम-रोिी किलटोग्राफी का विकास और उसे
अपनाने को सुवनवित करना भी आिश्यक है।
आगे की राह
• वनजी वनिेश को आकर्षसत करना: िांटम अनुसंिान और विकास में वनजी कं पवनयों द्वारा वनिेश करने को प्रोत्साहन देने के वलए कर में छू ट और
अनुदान कदया जा सकता है तथा सािसजवनक-वनजी भागीदारी को िढ़ािा कदया जा सकता है।
• विशेष प्रवशक्षण कायसिमों को तैयार करना: िांटम विज्ञान, इंजीवनयटरं ग और प्रौद्योवगकी पर कें कित पाठ्यिम को वडजाइन और लागू करने के वलए
विश्वविद्यालयों, अनुसंिान संस्थानों और उद्योगों के साथ साझेदारी को िढ़ािा कदया जाना चावहए।
• क्षेत्रीय स्तर पर अिसंरचना के विकास को िढ़ािा देना: भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में िांटम अनुसंिान से संिंवित अिसंरचनाओं को विकवसत करने
के वलए संसािनों का आिंटन ककया जाना चावहए; व्यापक भागीदारी सुवनवित करनी चावहए तथा प्रत्येक क्षेत्र में कु शल प्रवतभा का विकास करना
चावहए।
• िौवद्क संपदा से संिवं ित स्पष्ट कदशावनदेश तैयार करना: िांटम से संिंवित िौवद्क संपदा के स्िावमत्ि, लाइसेंडसंग और प्रौद्योवगकी हस्तांतरण के
वलए पारदशी और कु शल फ्रेमिकस तैयार करना चावहए।
• एक समर्पसत विवनयामक संस्था की स्थापना करना: िांटम प्रौद्योवगककयों पर कें कित एक कें िीय विवनयामक संस्था स्थावपत की जानी चावहए। यह
संस्था आिश्यक वनयमों का मसौदा तैयार करने और इन्हें लागू करने के वलए वजम्मेदार होगी।
• प्रौद्योवगकी हस्तांतरण को सुवििाजनक िनाना: प्रौद्योवगकी संस्थानों में ककसी विषय और प्रौद्योवगकी पर अनुसंिान तथा उसके िावणवज्यक उपयोग
के िीच के अंतर को खत्म करने के वलए एक व्यिस्था विकवसत करनी चावहए। इससे वनजी कं पवनयों के वलए अत्यािुवनक िांटम प्रौद्योवगककयां प्राप्त
करना और उनका उपयोग करना आसान हो जाएगा।
• िांटम-रोिी किलटोग्राफी अनुसि
ं ान में वनिेश करना: िांटम कम्लयूटसस से होने िाले संभावित खतरों से अवत-महत्िपूणस डेटा की सुरक्षा के वलए िांटम-
रोिी एवन्िलशन एल्गोररदम के अनुसंिान एिं विकास में वनिेश को िढ़ािा देना चावहए।
• यह शब्द 2016 में विश्व आर्थसक मंच (WEF) के संस्थापक क्लॉस श्वाि द्वारा प्रयुक्त ककया गया था।
• 4IR का अथस है- कृ वत्रम िुवद्मत्ता, एवडरटि मैन्युफैक्चटरं ग, आभासी िास्तविकता (Augmented Reality) और इं टरनेट ऑफ डथंग्स (IoT)
जैसी नई प्रौद्योवगककयों के सहयोग से विवनमासण उद्योगों का वडवजटल पररितसन।
• इसका उपयोग “स्माटस फ़ै क्टररयों” की अििारणा को संदर्भसत करने के वलए ककया जाता है जो पूरी तरह साइिर-भौवतक वसस्टम से जुड़े होते हैं
और वजनमें भौवतक एिं वडवजटल पहलुओं भी एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।
भारत के वलए 4IR के लाभ
चौथी औद्योवगक िांवत के लाभों का दोहन करने में भारत के समक्ष चुनौवतयां
• आर्थसक चुनौवतयां:
o कम-कौशल ‘कम-िेतन’ और उच्च-कौशल ‘अविक-िेतन’ के कारण असमानता िढ़ती है वजससे सामावजक तनाि िढ़ रहा है।
o िड़े पैमाने पर िेरोजगारी का भय: विवनमासण गवतविवियों में पूंजीिादी उपकरणों की िढ़ोतरी श्रम िाजारों में िािा उत्पन्न कर सकती है।
▪ यह सस्ते श्रम लाभ में कटौती करके भारत जैसी अथसव्यिस्थाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।
▪ इसके अलािा, मशीनीकरण से श्रवमकों का विस्थापन पूंजी पर ररटनस और श्रम पर ररटनस के िीच अंतर को िढ़ा सकता है।
• वडवजटल पयासिरण फू टडप्रंट के कारण पड़ने िाले पयासिरणीय प्रभाि भी एक प्रमुख समस्या है।
• साइिर चुनौवतयों में वनजता को खतरा, फे क न्यूज़ का तेजी से फै लना आकद शावमल हैं। कॉपोरे ट अविग्रहण का खतरा होने से िड़ी तकनीकी कं पवनयों
को विवनयवमत करना मुवश्कल हो सकता है।
• भविष्य में औद्योवगक मांग के वलए कु शल कायसिल की कमी हो सकती है। इसके वलए इंटरनेट ऑफ डथंग्स, कृ वत्रम िुवद्मत्ता, 3D डप्रंटटंग पर आिाररत
विशेष कौशल की आिश्यकता होती है।
• नैवतक मुद्दे: वडवजटल प्रौद्योवगककयों की व्यापकता से असंतोष को िढ़ािा वमल सकता है।
o यह ककसी व्यवक्त या समूह की सफलता के वलए अिास्तविक उम्मीदें पैदा और उनका प्रचार कर सकता है।
o यह कट्टर विचारों और अन्य विचारिाराओं को फै लने का अिसर भी प्रदान कर सकता है।
• गोपनीयता संिि ं ी डचंताएं: जानकारी को रैक करने और साझा करने से ककसी व्यवक्त का अपने डेटा पर वनयंत्रण खो देने जैसे मूलभूत मुद्दों पर चचास
होने की संभािना है।
भारत द्वारा उिाए गए कदम
• द सेंटर फॉर फोथस इं डवस्रयल ररिॉल्यूशन (भारत): यह WEF और महाराष्ट्र सरकार के िीच एक सहयोग है, जो नीवत (NITI) आयोग द्वारा
समवन्ित है।
• कृ वष निाचार के वलए आर्टसकफवशयल इं टेवलजेंस (AI4AI)109 पहल भारत के कृ वष िदलाि का समथसन कर रही है।
o AI का उपयोग करके छोटे भूवमिारकों और मवहला ककसानों के जीिन को िेहतर िनाया जा सकता है।
o खम्मम वजले (तेलंगाना) में लगभग 7,000 वमची उगाने िाले ककसान मूल्य श्रृंखलाओं को िदलने के वलए वडवजटल संसािनों का उपयोग कर
रहे हैं।
• शहरी रूपांतरण: स्माटस वसटी वमशन के साथ साझेदारी कर इं वडया हि फॉर अिसन रांसफॉमेशन भविष्य के रटकाऊ शहरों के वलए उभरती
प्रौद्योवगककयों का उपयोग कर रहा है।
• UNICEF के साथ साझेदारी में एजुकेशन 4.0 फाउं डेशन साक्षरता और संययात्मकता, स्कू ल टू िकस रांवजशन आकद के वलए रोडमैप िना रहा है।
• मेघालय में FIRST हेल्थके यर110 की तजस पर FIRST कैं सर के यर विकवसत ककया गया है।
o इस पहल से मेघालय में पूिी खासी वहल्स के लगभग 7 लाख वनिावसयों पर प्रभाि पड़ेगा।
• स्माटस एडिांस्ड मैन्युफैक्चटरं ग एंड रै वपड रांसफॉमेशन हि (SAMARTH) - उद्योग भारत 4.0 भारी उद्योग मंत्रालय की एक पहल है। यह प्रदशसन
कें िों के माध्यम से उद्योग 4.0 के िारे में जागरूकता िढ़ाकर पूंजीगत िस्तुओं के क्षेत्र में प्रवतस्पिासत्मकता िढ़ाएगा।
आगे की राह
हाल ही में, MeitY113 के सवचि ने के रल में दो महत्िपूणस कें िों का शुभारं भ ककया। पहले कें ि का नाम सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन इंटेवलजेंट इं टरनेट ऑफ
डथंग्स (IIoT) सेंससस है, जिकक दूसरा भारत का प्रथम ग्राफीन कें ि है, वजसे “इं वडया इनोिेशन सेंटर फॉर ग्राफीन (IICG)” नाम कदया गया है।
• ग्राफीन ग्रेफाइट से प्राप्त होता है। पेंवसल की लेड ग्रेफाइट से ही िनी होती है।
o 1 वम.मी. ग्रेफाइट में ग्राफीन की लगभग 3 वमवलयन परतें होती हैं।
• यह कािसन परमाणुओं की एक परमाणु वजतनी मोटी परत होती है, जो शहद के छत्ते की तरह षट्कोणीय आकार में व्यिवस्थत होती है।
• यह कािसन का वद्व-आयामी रूप (एलोरोप) होता है।
• ग्राफीन को ग्रेफाइट, कोल टार या शेलैक या इन तीनों के वमश्रण को अकिय (Inert) िातािरण में गमस करके तैयार ककया जाता है।
• ग्राफीन के विशेषताएं:
o सिसे मजिूत सामग्री: यह स्टील से 200 गुना मजिूत होने के िािजूद छह गुना हल्का होता है।
o उच्च तापीय चालकता: ग्राफीन में कमरे के तापमान पर 5000 W/m/K तक की तापीय चालकता होती है, जो अविकांश अन्य सामवग्रयों की
तुलना में िहुत अविक है।
o उच्च विद्युत चालकता: ग्राफीन तांिे से भी िहुत अविक विद्युत चालकता प्रदर्शसत करता है।
o सतह का उच्च क्षेत्रफल: वद्व-आयामी संरचना के कारण ग्राफीन की सतह का क्षेत्रफल (Surface Area) असािारण रूप से उच्च होता है।
o अपारगम्य (Impermeable): यह गैसों के वलए अपारगम्य होता है, यहां तक कक हाइड्रोजन या हीवलयम जैसी हल्की गैसें भी इसे पार नहीं
कर सकती हैं।
113 Ministry of Electronics and Information Technology/ इलेक्रॉवनक्स और सूचना प्रौद्योवगकी मंत्रालय
114 Two-dimensional materials/ वद्व-आयामी सामग्री
ग्राफीन को 21िीं सदी की अद्भुत सामग्री के रूप में जाना जाता है, क्योंकक इसमें विवभन्न उद्योगों में िांवत लाने की विशाल क्षमता मौजूद है। इसका
वनम्नवलवखत क्षेत्रकों में उपयोग ककया जा सकता है:
• इलेक्रॉवनक्स: तेज़ और अविक कु शल इलेक्रॉवनक उपकरणों के वलए ग्राफीन-आिाररत रांवजस्टर, सर्कस ट और चालक तत्िों के वनमासण में इसका
उपयोग हो सकता है।
• ऊजास भंडारण: उच्च ऊजास घनत्ि और तीव्र चार्जिंग क्षमताओं िाली ग्राफीन-आिाररत िैटरी और सुपरकै पेवसटर के वनमासण में इसका उपयोग हो
सकता है।
• चालक कफल्में: टचस्िीन, लचीले वडस्लले और सोलर सेल में उपयोग के वलए पारदशी चालक कफल्मों के वनमासण में इसका उपयोग हो सकता है।
• सामग्री को मजिूत िनाने में: एयरोस्पेस और ऑटोमोरटि उद्योगों में यांवत्रक शवक्त िढ़ाने तथा िजन कम करने के वलए कं पोवजट तथा सामवग्रयों
सामग्री को मजिूत िनाने में इसका उपयोग हो सकता है।
• ऊष्मा के प्रिंिन में: इलेक्रॉवनक उपकरणों में कु शलता के साथ ऊष्मा को हटाने के वलए हीट डसंक और थमसल इंटरफ़े स सामग्री के वनमासण में इसका
उपयोग हो सकता है।
• सेंसर: गैसों, रसायनों और जैविक अणुओं का पता लगाने के वलए उच्च-संिेदनशीलता सेंसर के वनमासण में इसका उपयोग हो सकता है।
• िायोमेवडकल उपकरण: ग्राफीन की जैि अनुकूलता और अवद्वतीय गुणों के कारण दिा वडलीिरी प्रणाली, िायोसेंसर और इमेडजंग उपकरण के
वनमासण में इसका उपयोग हो सकता है।
• जल को साफ़ करने में: जल को साफ़ करने, खारे जल को सही करने और शुवद्करण प्रकियाओं के वलए ग्राफीन-आिाररत मेम्ब्रेन के वनमासण में
इसका उपयोग हो सकता है।
• कोटटंग्स और कफल्म्स: जंग रोिी कोटटंग्स, एंटी-फॉडगंग कफल्में और विवभन्न सतहों के वलए सुरक्षात्मक परतों के वनमासण में इसका उपयोग हो सकता
है।
• हल्की सामग्री: खेल संिंिी उपकरण, ऑटोमोरटि पाट्सस और संरचनात्मक घटकों में उपयोग के वलए हल्की तथा मजिूत सामग्री के वनमासण में
इसका उपयोग हो सकता है।
ग्राफीन पर िैज्ञावनकों द्वारा लगातार ककए जा रहे अनुसंिान वनरं तर सफलताओं की उम्मीद है। इं वडया इनोिेशन सेंटर फॉर ग्राफीन (IICG) भारत को
इस िांवत का अगुिा िनाने में महत्िपूणस भूवमका वनभाएगा। यह कें ि निाचार और अनुसंिान को िढ़ािा देगा, वजससे भारत ग्राफीन अनुसंिान में विश्व
में अग्रणी िन सके गा। यह निाचार के प्रवत प्रवतिद्ता और विविि क्षेत्रकों में ग्राफीन के उपयोग की पररितसनकारी क्षमता को प्रदर्शसत करता है।
संिवं ित सुर्खसयां:
• IICG के साथ, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन इंटेवलजेंट इंटरनेट ऑफ डथंग्स (IIoT) सेंससस का भी शुभारं भ ककया गया।
o इसके उद्देश्य हैं:
▪ इन्क्यूिेशन फै वसवलटी िनाना,
▪ इंटेवलजेंट इंटरनेट ऑफ डथंग्स सेंसर में क्षमता वनमासण करना,
▪ अनुसंिान और निाचार को िढ़ािा देना, आकद।
o रोज़मरास की डजंदगी के कं लयूटटंग उपकरणों को इंटरनेट से जोड़ने की प्रकिया को “इंटरनेट ऑफ डथंग्स (IoT)” कहा जाता है।
7.7. एडिां स्ड ड्राइिर अवसस्टें स वसस्टम (Advanced Driver Assistance Systems: ADAS)
सुर्खसयों में क्यों?
विवभन्न ररपोट्सस के अनुसार, भारत में एडिांस्ड ड्राइिर अवसस्टेंस वसस्टम (ADAS) की मांग में िढ़ोतरी हुई है। साथ ही, यह भारत के वलए एक उभरते
हुए िाजार के रूप में सामने आ रहा है।
• ADAS इलेक्रॉवनक वसस्टम का एक सेट है जो ड्राइिरों की सुरक्षा िढ़ाने, िाहन के प्रदशसन में सुिार करने तथा अन्य सुवििाएं प्रदान करने के वलए
िाहनों में लगाया जाता है।
• यह िाहन के आस-पास के पररिेश की वनगरानी करने और संभावित खतरों ADAS में प्रयुक्त उपकरण
का पता लगाने के वलए सेंसर, कै मरे , रडार और अन्य एडिांस • रडार (RADAR): इसमें आस-पास की िस्तुओं/ िाहनों का पता
प्रौद्योवगककयों के उपयोग से संभि हुआ है। लगाने और उनकी दूरी, गवत और कदशा को मापने के वलए रे वडयो
• ग्राहकों की मांग के अनुसार िाजार में विवभन्न स्तर के ADAS मौजूद हैं। तरं गों का उपयोग ककया जाता है।
• वलडार (LIDAR): इसमें िाहन के आस-पास के पररिेश का 3D
ADAS के प्रकार मानवचत्र िनाने के वलए लेजर लाइट का उपयोग ककया जाता है।
• कै मरा: यह तस्िीरें प्राप्त करने और लेन मार्किं ग, रैकफक संकेतों के
ADAS दो प्रकार के होते हैं:
िारे में जानकारी प्राप्त करने के वलए इनविल्ट ऑवलटकल सेंसर का
• सकिय ADAS: ये प्रणावलयां ड्राइडिंग की गंभीर पररवस्थवतयों में सकिय
उपयोग करता है।
रूप से हस्तक्षेप करती हैं और ड्राइिर को सहायता प्रदान करती हैं। साथ • अल्रासोवनक: यह आस-पास की िस्तुओं का पता लगाने और
ही, ये स्िचावलत सुिारात्मक कारस िाई में भी मदद कर सकती हैं। उनकी दूरी मापने के वलए उच्च आिृवत्त िाली ध्िवन तरं गों का
o उदाहरण के वलए- िाहनों को टकराने से िचाने के वलए उपयोग करता है।
• इन्फ्रारेड: इसके तहत कम रोशनी में भी आस-पास की िस्तुओं का
प्रणावलयां, लेन कीप अवसस्ट वसस्टम और स्िचावलत
पता लगाने के वलए हीट-सेंवसरटि सेंसर का उपयोग ककया जाता
आपातकालीन ब्रेककं ग वसस्टम आकद।
है।
• वनवष्िय ADAS: यह वसस्टम मुयय रूप से ड्राइडिंग प्रकिया में सीिे • GPS: यह िाहन की वस्थवत ि गवत का पता लगाता है तथा
हस्तक्षेप ककए विना ड्राइिर को जानकारी और अलटस प्रदान करने तक ही यातायात प्रिंिन के िारे में सूचना प्रदान करता है।
सीवमत होता है।
o उदाहरण के वलए- ब्लाइं ड स्पॉट मॉवनटटरं ग वसस्टम, लेन वडपाचसर चेतािनी प्रणाली, यातायात संकेत पहचानना, आकद।
• समग्र सड़क सुरक्षा में सुिार: ADAS आपातकालीन ब्रेककं ग में सहायता करता है तथा कु हरे आकद की वस्थवत में िाहनों को टकराने से िचाता है।
इससे एक्सीडेंट में होने िाली मौतों की संयया को कम ककया जा सकता है।
• िेहतर यातायात प्रिंिन: यह यातायात को सुवििाजनक िना सकता है। भीड़भाड़ को कम कर सकता है तथा सड़क नेटिकस की समग्र दक्षता को िढ़ा
सकता है।
• आराम और सुवििा में िृवद्: एडैवलटि िू ज कं रोल और स्िचावलत पार्किं ग जैसी
सुवििाएं ड्राइिरों के तनाि को कम कर सकती हैं। ऑटोनोमस ड्राइडिंग के विवभन्न स्तर
• पयासिरणीय प्रभाि: ADAS ड्राइडिंग पैटनस में अनुकूलन के माध्यम से ईंिन की • स्तर 0 (कोई स्िचालन नहीं ): इसमें ड्राइिर के पास
115
• गैर-मानकीकृ त सड़क अिसंरचना: भारत में अच्छे राजमागों से लेकर खराि गुणित्ता िाली ग्रामीण सड़कें भी मौजूद हैं , तथा असंगत सड़क वचन्हों के
कारण चुनौवतयां उत्पन्न होती हैं।
o भारतीय सड़कों पर पैदल चलने िाले, साइककल चालक और अन्य गैर-मोटर चावलत िाहन आकद मौजूद होते हैं। इससे ADAS को अपनाना
और भी अविक जरटल हो जाता है।
• िहनीयता से जुड़े मुद्दे: ADAS की लागत अविक होने के कारण, इसे ज्यादातर प्रीवमयम और लक्जरी कारों में ही उपयोग ककया जाता है। अविकांश
भारतीय उपभोक्ताओं के वलए इन सुवििाओं को ककफायती रूप से उपलब्ि कराना एक चुनौतीपूणस कायस है।
• कनेवक्टविटी और डेटा: ADAS के वलए ररयल-टाइम डेटा और विश्वसनीय कनेवक्टविटी की आिश्यकता होती है। भारत के सुदरू या खराि नेटिकस
िाले क्षेत्रों में इसकी उपलब्िता सुवनवित करना एक अन्य चुनौती है।
• साइिर खतरे : इसमें हाडसिेयर और सॉफ्टिेयर की विफलताएं शावमल हैं, जो हैककं ग, मैलिेयर और अनविकृ त वसस्टम एक्सेस का कारण िन सकता
है।
o साइिर हमले ADAS की कायसक्षमता को घटा सकते हैं या अप्रभािी िना सकते हैं। इससे यावत्रयों और ड्राइिर की सुरक्षा के वलए जोवखम पैदा
हो सकता है।
• त्रुरट और खरािी यह हाडसिेयर या सॉफ्टिेयर से संिंवित त्रुरटयों, सेंसर की विफलताओं, कै वलब्रेशन से संिंवित त्रुरटयां, गलत डेटा प्रोसेडसंग या
खराि मौसम जैसे िाहरी प्रभािों के कारण हो सकता है।
o इन कवमयों के पररणामस्िरूप ADAS प्रणाली गलत वनणसय ले सकती है या खतरों को पहचानने में विफल हो सकती है। इससे दुघसटनाओं की
संभािना िढ़ सकती है।
• मानिीय कारकों के चलते वसस्टम के सुरवक्षत और कु शल उपयोग में िािाएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसमें साििानी, अवतवनभसरता, ओिर-कॉवन्फडेंस
और ADAS की गलत व्यायया शावमल है।
115 No Automation
• सरकारी विवनयम: ADAS के कायासन्ियन के वलए स्पष्ट वनयम और मानक तैयार करने चावहए। नीवत-वनमासताओं को ADAS सुवििाओं से युक्त
िाहनों के वनमासण को प्रोत्सावहत करना चावहए तथा उन्हें वित्तीय सहायता भी प्रदान करनी चावहए।
• अनुसंिान और विकास (R&D) में वनरं तर वनिेश करने तथा वनमासताओं ि प्राविकाररयों की ओर से स्पष्ट और सतत संिाद द्वारा उपभोक्ताओं में
विश्वास पैदा करने की जरुरत है।
• िाहन के अंदर िैिे लोगों की सुरक्षा सुवनवित करने के वलए ADAS को साइिर हमलों से िचाना आिश्यक है।
o इसके वलए, सॉफ्टिेयर अपडेट और पैच, सुरवक्षत कोडडंग तकनीक, महत्िपूणस डेटा एवन्िलशन और नेटिकस सेगमेंट आकद जैसे कु छ िचाि तंत्र
मौजूद हैं।
• चालक का व्यिहार: ADAS की सफलता की वजम्मेदारी ड्राइडिंग व्यिहार पर भी वनभसर करती है। इसके वलए ड्राइिरों को वशवक्षत और जागरूक
करने के वलए जागरूकता अवभयानों के जररए उल्लेखनीय प्रयास करने की आिश्यकता है।
भारत ने स्िर्णसम चतुभुसज के तहत आने िाले राजमागों पर इलेवक्रक िाहनों (EVs) के चलने के वलए आिश्यक सुवििाएं उपलब्ि कराने हेतु इं डक्शन
चार्जिंग तकनीक को अपनाने की योजना िनाई है। इसका उद्देश्य ई-मोविवलटी को
िढ़ािा देना है।
इंडक्शन चार्जिंग (IC) को िायरलेस चार्जिंग के रूप में भी जाना जाता है।
इंडक्शन चार्जिंग, चार्जिंग की एक ऐसी तकनीक है वजसमें चार्जिंग वडिाइस को
िाहन के भौवतक संपकस में लाने की आिश्यकता नहीं होती है। इसमें दो कॉइल्स के
िीच ऊजास स्थानांतररत करने के वलए विद्युत चुम्िकीय क्षेत्र का उपयोग ककया
जाता है।
प्रकिया/ कायस
• विद्युत का संचरण सामान्यतः दो में से ककसी एक तरीके से होता है:
o विद्युत क्षेत्र द्वारा िातु के इलेक्रोड (कै पेवसरटि चार्जिंग) के िीच
कै पेवसरटि कपडलंग का उपयोग करके , या
o चुंिकीय क्षेत्र द्वारा तार के कॉइल्स (इंडक्शन चार्जिंग) के िीच इं डवक्टि कपडलंग का उपयोग करके ।
• इं डवक्टि चार्जिंग िड़े पैमाने पर उपयोग की जाने िाली एक िायरलेस तकनीक है।
• यह चुंिकीय प्रेरण (मैग्नरे टक इं डक्शन) के वसद्ांत पर कायस करता है। रांसफॉमसर भी इसी वसद्ांत पर कायस करता है।
• इसमें एक कॉइल चार्जिंग स्टेशन में और दूसरी कॉइल EV में होती है। ऊजास रांसवमटटंग कॉइल से ररसीडिंग कॉइल में स्थानांतररत होती है।
• प्राथवमक सर्कस ट को रांसमीटर भी कहा जाता है। इस सर्कस ट के चुंिकीय क्षेत्र में समय के साथ िदलाि होता रहता है।
• वद्वतीयक सर्कस ट इस चुंिकीय क्षेत्र को प्राप्त करता है। इसे ररसीिर कहा जाता है। यह उस उपकरण से जुड़ा होता है वजसे पॉिर सललाई देकर चाजस
करना होता है।
• चार्जिंग शुरू करने के वलए, ड्राइिरों को अपने EVs को के िल चार्जिंग पैड पर रोकना (पाकस करना) होता है।
• लगने िाले समय में कमी एिं सरल प्रकिया: यह तकनीक िाहन मावलकों को अपने EVs को चार्जिंग पैड पर पाकस करके चाजस करने की सुवििा प्रदान
करती है। इससे चाजसर को EVs में ललग-इन करके चाजस करने में लगने िाले समय में कमी आती है तथा चाजस करने की प्रकिया भी सरल होती है।
• अविक सुवििाजनक: इसमें चार्जिंग के िल को साथ रखने की आिश्यकता नहीं रहती है। यह चार्जिंग प्रकिया को अविक यूज़र- फ्रेंडली तथा कम समय
लगने िाला िनाता है।
• कम रखरखाि की आिश्यकता: इसमें कोई भौवतक कनेक्टर नहीं होता है। इससे चार्जिंग उपकरणों में टूट -फू ट कम होती है और लंिे समय तक इसके
रखरखाि की लागत में भी कमी आती है।
• हर मौसम में चार्जिंग की सुवििा: चूंकक इसमें ककसी खुले विद्युत कनेक्शन की आिश्यकता नहीं होती है। इसवलए िायरलेस चार्जिंग सभी मौसम के
वलए अनुकूल होता है, वजससे विना रुकािट के चार्जिंग की सुवििा प्राप्त होती है।
• इससे ई-मोविवलटी को अपनाने में तेजी लाने तथा ई-िसों के विस्तार में मदद वमलेगी। यह CO2 उत्सजसन में कमी लाने से संिवं ित लक्ष्यों को पूरा
करने में मदद करे गा।
• स्ि-चावलत ड्राइडिंग तकनीक के विकास में मदद: िायरलेस चार्जिंग तकनीक स्ि-चावलत इलेवक्रक िाहनों के वलए उपयुक्त है, क्योंकक इसमें विना
मानिीय हस्तक्षेप की आिश्यकता के वनिासि चार्जिंग की जा सकती है।
यद्यवप, िायरलेस EV चार्जिंग के कई लाभ हैं, कफर भी इसमें कु छ चुनौवतयां भी मौजूद हैं। इस तकनीक को व्यापक रूप से अपनाने और लागू करने से
पहले वनम्नवलवखत चुनौवतयों का समािान करना आिश्यक है:
• उच्च लागत: परं परागत चार्जिंग स्टेशनों की तुलना में िायरलेस चार्जिंग प्रणाली अविक खचीली है।
• दक्षता: पारं पररक तार आिाररत चार्जिंग की तुलना में िायरलेस चार्जिंग वसस्टम आमतौर पर कम दक्ष होती है , क्योंकक इं डक्शन के दौरान ऊजास की
हावन अविक होती है। इससे चार्जिंग में अविक समय लग सकता है और ऊजास की खपत भी अविक हो सकती है।
• इं टरऑपरे विवलटी (अंतर-संचालनीयता) से जुड़े मुद्दे: सड़कों पर विवभन्न प्रकार के रांसमीटर और ररसीिर पैड वडजाइनों के िीच ताल-मेल के वलए
अवतररक्त प्रयास करने की आिश्यकता होगी।
o इसके अलािा, िाहन और सड़क, दोनों के िीच पैड का इंटीग्रेशन एक अन्य प्रमुख चुनौती है। इसके वलए िड़े पैमाने पर कु शल इं जीवनयटरं ग
क्षमता की आिश्यकता होगी।
• स्थावयत्ि: चूंकक ये चार्जिंग वसस्टम आम लोगों के उपयोग के वलए सािसजवनक स्थानों (Outdoor) पर स्थावपत ककए जाएंगे। इसवलए इन्हें दुगसम
पयासिरणीय पररवस्थवतयों तथा अत्यविक उपयोग (ऑपरे टटंग) ककए जाने के वलए उपयुक्त तथा रटकाऊ होना चावहए।
• शील्ड वडजाइनों से जुड़ी सुरक्षा संिंिी डचंताएं: इस वसस्टम के साथ लगी िावत्िक िस्तुओं में उत्पन्न होने िाली ऊष्मा से सुरक्षा प्रदान करना एक
अन्य चुनौती है।
132 www.visionias.in ©Vision IAS
o इसके अलािा, पररचालन के दौरान ऊष्मा उत्पन्न करने िाले क्षेत्रों में पालतू एिं अन्य आिारा पशुओं की पहुंच को रोकने के वलए जीि-जंतुओं
का पता लगाने की विवि का उपयोग करना आिश्यक है।
• तकनीकी डचंताए: ऐसे सेंसर वसस्टम और वनयंत्रकों का विकास करने की आिश्यकता है वजनका उपयोग करके वसस्टम की दक्षता को िढ़ाया जा सके ।
ऐसी तकनीकों की सहायता से राजमागों पर विना ककसी त्रुरट के िैटरी चाजस करने के वलए EVs का पता लगाया जा सकता है।
आगे की राह
• लंिे समय तक कमजोर विद्युत और चुंिकीय क्षेत्रों के संपकस में रहने के कारण स्िास्थ्य पर पड़ने िाले नकारात्मक प्रभािों का आकलन करने के वलए
जरूरी शोि ककए जाने की आिश्यकता है।
• इंडक्शन चार्जिंग वसस्टम के आस-पास मौजूद जीि-जंतुओं और अन्य िस्तुओं का पता लगाने के वलए तकनीक विकवसत करने की आिश्यकता है।
• सरकारी एजेंवसयों, िाहन विवनमासताओं और तकनीकी कं पवनयों के िीच सहयोग को िढ़ािा कदया जाना चावहए। यह निाचार को िढ़ाने , लागत को
कम करने और दक्षता में सुिार करने के वलए महत्िपूणस होगा। ऐसा करने से भारत के EVs पररदृश्य के वलए िायरलेस चार्जिंग वसस्टम एक व्यिहायस
समािान िन सकता है।
हाल ही में, राष्ट्रीय रोग वनयंत्रण कें ि (NCDC)116 द्वारा एंटीिायोरटक दिाओं के
इस्तेमाल से संिंवित पहला मल्टीसेंररक पॉइं ट वप्रिैलस
ें सिे117 जारी ककया गया।
गौरतलि है कक NCDC, कें िीय स्िास्थ्य मंत्रालय के तहत कायस करता है।
• AMR का आशय उस वस्थवत से है, वजसमें िैक्टीररया और किक जैसे रोगजनक कु छ एंटीिायोरटक दिाओं के प्रवत प्रवतरोिक क्षमता विकवसत कर
लेते हैं। इससे इन रोगजनकों पर संिंवित एंटी-माइिोवियल दिाइयों का कोई असर नहीं होता है।
o रोगाणुरोिी प्रवतरोि क्षमता विकवसत करने िाले इन सूक्ष्मजीिों
(Microorganisms) को ‘सुपरिग’ कहा जाता है। कु छ सूक्ष्मजीि स्िाभाविक
रूप से कु छ विशेष प्रकार के एंटी-माइिोवियल दिाओं के प्रवत प्रवतरोिी
क्षमता विकवसत कर लेते हैं। इससे िे या तो उत्पररितसन (म्यूटेशन) या जीन के
स्थानांतरण (Genetic Exchange) से प्रवतरोिी जीन का विकास कर लेते
हैं।
• AMR के िढ़ते मामलों के पीछे कारण:
o मनुष्यों में एंटी-माइिोवियल दिाओं का अत्यविक प्रयोग तथा कु क्कु ट पालन
एिं फ़ामस में पाले जाने िाले पशुओं में इसके दुरुपयोग के कारण AMR के
मामलों में िृवद् हुई है।
o स्िास्थ्य देखभाल प्रणाली में संिमण की रोकथाम और वनयंत्रण के खराि
तरीकों को अपनाने के कारण भी AMR के मामले िढ़ रहे हैं।
o अस्पतालों, उद्योगों और शहरी िवस्तयों से वनकलने िाला अपवशष्ट भी इसका
एक कारण है।
▪ ग्रहण ककए गए एंटीिायोरटक्स की 75% से अविक मात्रा का उत्सजसन
मल-मूत्र के रूप में विना चयापचय के हो जाता है। यह िाद में सीिेज
वसस्टम और जल वनकायों में प्रिेश कर जाता है।
o उपचार हेतु कदशा-वनदेशों में अवनवितता:
▪ उदाहरण के वलए- दशकों तक यह वनिासररत नहीं ककया गया था कक
वनमोवनया जैसे सामान्य संिमण के वलए एंटीिायोरटक थेरेपी ककतने
कदनों तक दी जानी है।
आगे की राह
• दिाओं के उवचत उपयोग को प्रोत्साहन: उदाहरण के वलए- कें िीय स्िास्थ्य मंत्रालय और पररिार कल्याण मंत्रालय ने मेवडकल कॉलेजों और मेवडकल
एसोवसएशन से संिद् डॉक्टरों से एंटीिायोरटक दिाओं की सलाह देने के वलए उपयुक्त लक्षणों और कारणों का उल्लेख करना अवनिायस िनाने की
अपील की है।
• औषवि एिं प्रसािन सामग्री वनयम,1945 का सयत कायासन्ियन: हाल ही में, स्िास्थ्य सेिा महावनदेशक (DGHS) ने सभी फामासवसस्ट एसोवसएशन
से वनयमों का पालन करने और के िल िैि वप्रवस्िलशन होने पर ही एंटीिायोरटक दिाएं िेचने का आग्रह ककया है।
• एंटीिायोरटक दिाओं के प्रवत प्रवतरोि क्षमता को कम करने वलए मानक उपचार प्रणावलयों हेतु जारी कदशा-वनदेशों और संिमण को वनयंवत्रत करने
िाले उपायों का दृढ़तापूिसक पालन करना चावहए।
• रे वजस्टेंस स्रेन का शीघ्र पता लगाने के वलए रोगजनकों की वनगरानी और मॉवनटटरं ग करनी चावहए।
• मजिूत टीकाकरण कायसिम: संिामक रोगों की रोकथाम और वनयंत्रण के वलए रणनीवतक कायसिमों को अपनाना चावहए। इससे िैक्टीररया और
िायरस के संिमण के मामलों को कम ककया जा सकता है।
• खराि गुणित्ता और वनम्न-मानक िाले एंटीमाइिोवियल दिाओं के उत्पादन और वििी पर िैन लगाना: दिाओं की पूरी खुराक के दौरान खराि
गुणित्ता िाले एंटी माइिोवियल दिाओं के उपयोग से िैक्टीररया पूरी तरह से नष्ट नहीं होते हैं। दूसरी ओर, इससे िैक्टीररया में प्रवतरोि क्षमता भी
विकवसत हो सकती है।
• पशु चारे के उत्पादन में एंटीिायोरटक्स के स्थान पर अन्य विकल्पों के उपयोग को िढ़ािा देना चावहए।
• वशक्षा और जागरूकता कायसिम: सभी वहतिारकों यानी नीवत वनमासताओं, फामासस्युरटकल उद्योगों, वचककत्सा और पशु वचककत्सा पेशेिरों, उत्पादकों
और उपभोक्ताओं को शावमल करते हुए सूचना तंत्र और अन्य संसािनों को िेहतर िनाना चावहए।
कें िीय औषवि मानक वनयंत्रण संगिन (CDSCO)120 ने कं पवनयों को पांच कफक्स्ड डोज
कॉवम्िनेशन (FDC) दिाओं के उत्पादन और माके टटंग की अनुमवत दी है। इन दिाओं पर
वपछले साल प्रवतिंि लगा कदया गया था।
• औषवि एिं प्रसािन सामग्री वनयम, 1945 के वनयम 122-E के अनुसार, FDCs ऐसे उत्पाद होते हैं वजनमें दो या दो से अविक सकिय घटक होते
हैं। ये घटक ककसी विशेष लक्षण के वनदान के वलए उपयोगी होते हैं।
• यकद FDC दो शतों को पूरा करते हैं, तो इन्हें नई दिा माना जाता है-
o यकद पहले से स्िीकृ त दो या दो से अविक दिाओं को उनके अलग-अलग
प्रभाि के वलए एक वनवित अनुपात में वमलाकर कोई FDC दिा िनाई
जाती है।
o यकद पहले से स्िीकृ त ककसी FDC के प्रभािों में िदलाि करने के वलए इसके
सकिय घटकों के अनुपात में पररितसन ककया जाता है।
• अविकांश FDCs में खांसी, सदी और िुखार के वनदान; एंटीमाइिोवियल;
विटावमन और खवनज लिण आकद से संिंवित घटक शावमल होते हैं।
• 2015 में, आिश्यक दिाओं की राष्ट्रीय सूची में शावमल 376 दिाओं में से 24
FDCs शावमल थे।
• एक ही खुराक लेने से पररितसनशीलता का अभाि: FDCs की प्रत्येक खुराक में इसके घटकों की एक वनवित आनुपावतक मात्रा होती है। यह अनुपात
सभी रोवगयों के वलए समान रूप से उपयोगी नहीं हो सकता है। विशेष रूप से उन रोवगयों के मामले में वजन्हें उम्र, िजन या अन्य समस्याओं के
कारण अलग-अलग डोज लेने की आिश्यकता होती है।
• अस्िीकृ त और प्रवतिंवित FDC: भारत जैसे देश में विना लाइसेंस और विना टेडस्टंग के FDC तक आसान पहुंच सािसजवनक स्िास्थ्य के वलए
संभावित खतरे की वस्थवत पैदा करती है।
o उदाहरण के वलए- अहमदािाद में ककए गए एक अध्ययन से पता लगा कक प्रवतिंवित या वििादास्पद घटक िाले FDC िड़े पैमाने पर
वप्रस्िाईि हो रहे थे।
• एंटी-माइिोवियल रे वजस्टेंट (AMR) का िढ़ता खतरा: FDCs में दिाओं के संयोजन के संभावित अंतसिंिंि और अवत प्रयोग के कारण दिाओं के
प्रवतकू ल प्रभाि तथा AMR का खतरा िढ़ जाता है।
• पारदर्शसता में कमी तथा अिहनीयता संिि
ं ी डचंताएं: कु छ मामलों में, FDCs की कीमत उनमें इस्तेमाल ककए जाने िाले घटकों से अविक हो सकती
है। इससे संसािनों के अपव्यय से जुड़ी डचंताएं िढ़ जाती हैं।
• नैवतक डचंता: भारत ने कु छ FDCs पर प्रवतिंि लगा कदया है। हालांकक अफ्रीकी देशों या साकस देशों को वनयासत ककए जाने िाले FDCs पर कोई
प्रवतिंि नहीं है, अथासत् यकद आयातक देश को इस प्रवतिंि से कोई आपवत्त न हो तो प्रवतिंवित FDCs के वनयासत को िैि माना जाता है।
• रोवगयों के वलए सीवमत विकल्प: FDCs हमेशा रोगी की विशेष जरूरतों के वलए सिसे उपयुक्त विकल्प नहीं होते हैं। इससे उपचार के विकल्प
सीवमत हो जाते हैं।
आगे की राह
• किोर विवनयामक प्रणाली: सािसजवनक स्िास्थ्य की देखभाल के वलए CDSCO को दिाओं की प्रभािशीलता और सुरक्षा को ध्यान में रखना चावहए।
साथ ही FDC की मंजूरी के वलए किोर कदशा-वनदेश लागू ककए जाने चावहए।
• साक्ष्य-आिाररत प्राविकरण: FDC की प्रभािशीलता और सुरक्षा को िढ़ाने तथा अनुवचत कॉवम्िनेशन को रोकने के वलए िोस िैज्ञावनक प्रमाणीकरण
की आिश्यकता है। साथ ही, विवनयामकीय जांच को भी िढ़ािा कदया जाना चावहए।
• प्रमावणत उपचारात्मक लाभ: FDCs को मंजूरी के िल तभी कदया जाना चावहए जि अलग-अलग घटकों को अनािश्यक अनुपात में न वमलाया गया
हो और उनका वचककत्सीय लाभ भी स्पष्ट हो।
• वनगरानी प्रणाली: सािसजवनक सुरक्षा को प्राथवमकता देते हुए FDC से संिंवित प्रवतकू ल प्रभािों का शीघ्र पता लगाया जाना चावहए और उनके
समािान के वलए एक प्रभािी पोस्ट-माके ट वनगरानी तंत्र स्थावपत करना चावहए।
• वनयासत वनयंत्रण के वलए किोर वनयम: घरे लू स्तर पर प्रवतिंवित या वनयंवत्रत FDCs के विदेशी वनयासत पर रोक लगाने के वलए वनयासत नीवतयों को
घरे लू वनयमों के साथ सुसंगत िनाया जाना चावहए।
• पारदर्शसता और आर्थसक िहनीयता को िढ़ािा देना: FDCs की सामान्य उपलब्िता के वलए खुलापन और लागत में पारदर्शसता को िढ़ािा देना
चावहए। विशेष रूप से ऐसे क्षेत्रों में जहां संसािनों की कमी है।
• सािसजवनक जागरूकता: दिाओं की उपयोग प्रणाली को उत्तरदावयत्िपूणस िनाने तथा स्िास्थ्य देखभाल से जुड़े पेशेिरों और जनता को FDCs के
वििेकपूणस उपयोग के िारे में वशवक्षत करना चावहए।
7.11.1. स्िायर ककलोमीटर एरे ऑब्जिे ट री प्रोजे क्ट भारत में उिाए गए कदम
{Square Kilometre Array Observatory • डी-मेररट िस्तुओं पर वसन टैक्स: यह उन िस्तुओं और सेिाओं पर
(SKAO) Project} लगाया जाता है वजन्हें सामावजक रूप से हावनकारक माना जाता है।
तम्िाकू , जुआ, शराि, वसगरेट आकद ऐसे उत्पादों के उदाहरण हैं,
• कें िीय मंवत्रमंडल ने स्िायर ककलोमीटर एरे ऑब्जिेटरी (SKAO) वजन पर वसन टैक्स लगाया जा सकता है।
पररयोजना में भारत के सहयोग के वलए 1,250 करोड़ रुपये के o ितसमान में, भारत में िावतत पेय पदाथों (Aerated
व्यय को मंजूरी दी। beverages) पर 28% GST लगाया जाता है, चाहे उनमें
• SKAO रे वडयो एस्रोनॉमी को समर्पसत एक अंतर-सरकारी संगिन “एडेड शुगर” की मात्रा कु छ भी हो।
है। इसका मुययालय यूनाइटे ड ककं गडम में है। o भारत में हाई-फै ट शुगर सॉल्ट (HFSS) खाद्य पदाथों पर
o SKAO के तहत 1 ग्लोिल ऑब्जिेटरी तथा 2 टेलीस्कॉप 12% कर लगता है।
स्थावपत ककए जाने हैं। ये तीन जगहों पर वस्थत होंगे। • के रल में फै ट टैक्स: के रल ने भी 2016 में फै ट टैक्स लागू ककया था।
▪ दो SKA टेलीस्कॉप दवक्षण अफ्रीका और ऑस्रेवलया में आगे इसे 2017 में िस्तु एिं सेिा कर में शावमल कर वलया गया।
रे वडयो रांसवमशन वनवषद् स्थानों पर स्थावपत ककए
जाएंगे। 7.11.2. ओवसररस-एपे क्स (OSIRIS-Apex)
▪ िे दोनों एक िड़ी इकाई के रूप में काम करें गे।
o इनके 2029 तक चालू होने की उम्मीद है। • नासा का OSIRIS REx अंतररक्ष यान अि ओवसररस-एपेक्स
(एपोकफस एक्सललोरर) नाम से एक नए वमशन पर जाएगा।
• SKAO के वनम्नवलवखत उद्देश्य हैं:
o OSIRIS REx से आशय है- ओररडजंस स्पेक्रल इं टरवप्रटेशन,
o ब्रह्मांड की उत्पवत्त का पता लगाना;
ररसोसस आइडेंरटकफके शन एंड वसक्योररटी-रे गोवलथ
o गुरुत्िाकषसण तरं गों का पता लगाना;
एक्सललोरर।
▪ गुरुत्िाकषसण तरं गें स्पेस-टाइम में एक अदृश्य लहर
o हाल ही में, ओवसररस-रे क्स यान क्षुिग्रह िेन्नू से सैंपल लेकर
(Ripple in space) हैं। ये ब्रह्मांड में कु छ सिसे विशाल
पृथ्िी पर लौटा था।
और ऊजासिान पररघटनाओं के कारण उत्पन्न होती हैं।
• ओवसररस-एपेक्स के िारे में
o आकाशगंगाओं, डाकस मैटर और ब्रह्मांडीय चुि
ं कत्ि के विकास
o यह एपोकफस नामक क्षुिग्रह का अध्ययन ति करे गा जि िह
को समझना आकद।
पृथ्िी के सिसे करीि अथासत् 20,000 मील से गुजरे गा।
• भारत 2012 में एसोवसएट मेंिर के रूप में SKAO में शावमल
▪ एपोकफस S-टाइप का एक क्षुिग्रह है। यह वसवलके ट,
हुआ था। इसने SKA टेलीस्कॉलस के पूिस-वनमासण चरण में सकिय
वनकल और आयरन से वमलकर िना है।
रूप से वहस्सा वलया था। o इस वमशन का उद्देश्य पृथ्िी के गुरुत्िाकषसण डखंचाि से
o 2022 में, नेशनल सेंटर फॉर रे वडयो एस्रोनॉमी, पुणे और एपोकफस में होने िाले भौवतक पररितसनों का अध्ययन करना
SKAO ने सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर ककए थे। है।
o भारत में स्थावपत जायंट मीटर िेि रे वडयो टेलीस्कोप o अंतररक्ष एजेंसी: यह नासा (NASA) का एक वमशन है।
(GMRT) SKAO में महत्िपूणस भूवमका वनभा रहा है।
7.11.3. पे रे ग्रीन वमशन 1 (पे रे ग्रीन लू न र लैं ड र)
• SKAO पररयोजना का भारत के वलए महत्त्ि: {Peregrine Mission 1 (Peregrine Lunar
o भविष्य में भारतीय खगोलविदों को दुवनया की सिसश्रेष्ठ Lander)}
रे वडयो खगोल विज्ञान सुवििा तक सीिी पहुंच प्राप्त होगी।
• नासा (NASA) ने चंिमा की वस्टकनेस की खाड़ी का अन्िेषण
o इसके अलािा, यह एंटेना और इलेक्रॉवनक्स से लेकर डेटा ि
सॉफ्टिेयर तक कई प्रमुख क्षेत्रकों में प्रौद्योवगककयों के विकास करने के वलए ‘पेरेग्रीन लूनर लैंडर’ लॉन्च ककया है।
को िढ़ािा देगा। इन क्षेत्रकों में आर्टसकफवशयल इं टेवलजेंस (AI) • यह वमशन नासा की कमर्शसयल लूनर पेलोड सर्िसस पहल का
वहस्सा है। इस पहल के तहत चंिमा पर पेलोड ले जाने के वलए
भी शावमल हैं।
िावणवज्यक संस्थाओं के साथ साझेदारी की जाती है।
7.11.4. स्माटस लैं ड र फॉर इन्िे स्टीगे टटं ग मू न "मांग आिाररत" (Demand driven) उपग्रह होगा।
(Smart Lander for Investigating Moon: ▪ इससे पहले, NSIL ने अपना पहला मांग-आिाररत
SLIM) उपग्रह वमशन GSAT-24 को सफलतापूिसक लॉन्च
ककया था। TataPlay ने डायरे क्ट-टू-होम प्रसारण के
• जापानी अंतररक्ष यान SLIM ने चंिमा की सतह पर सफलतापूिसक
वलए इस उपग्रह की पूरी क्षमता को खरीद वलया था।
लैंडडंग की है। इससे जापान चंिमा की सतह पर अपने अंतररक्ष
यान की सॉफ्ट लैंडडंग कराने िाला विश्व का पांचिां देश िन गया • 2020 में भारत सरकार ने अंतररक्ष क्षेत्रक में सुिारों को लागू
है। ककया था। इसके अनुसार NSIL को "मांग-आिाररत मोड" में
o अन्य चार देश हैं: संयक्त
ु राज्य अमेररका, पूिस सोवियत संघ, उपग्रहों का वनमासण, लॉन्च, स्िावमत्ि और संचालन करना
चीन और भारत। आिश्यक है।
• SLIM के िारे में: o "मांग-आिाररत मोड” में जि कोई उपग्रह लॉन्च ककया
o इसने लैंडडंग के वलए ‘वपनपॉइं ट तकनीक’ का सफलतापूिसक जाता है, तो यह पहले से ही ज्ञात होता है कक इसकी
प्रदशसन ककया। सेिाओं का अंवतम ग्राहक कौन होगा।
▪ इस तकनीक के तहत लवक्षत लैंडडंग साइट के 100 मीटर o पहले यह मोड "आपूर्तस-आिाररत" अविक था। इसके
के दायरे में यान की लैंडडंग कराई जा सकती है। अंतगसत उपग्रह लॉन्च होने के िाद उसकी क्षमता को पट्टे
▪ इस उपलवब्ि को हावसल करने के कारण SLIM को ‘मून पर दे कदया जाता था।
स्नाइपर’ भी कहा गया है।
o वमशन का उद्देश्य: हल्की अन्िेषण प्रणावलयों का उपयोग
करके चंिमा और ग्रहों के अध्ययन में तेजी लाना।
• प्रक्षेपण एजेंसी: जापानी एयरोस्पेस एक्सललोरे शन एजेंसी
(JAXA)।
7.11.8. कवमवलयन रोजन (Chameleon o अनुसूची M फामासस्युरटकल उत्पादों के वलए GMP वनिासररत
Trojan) करती है। साथ ही, इसमें प्रवतष्ठानों और उनके रखरखाि;
कर्मसयों; विवनमासण; वनयंत्रण ि सुरक्षा परीक्षण; सामग्री के
• साइिर सुरक्षा शोिकतासओं ने कवमवलयन रोजन नामक नए
मैलिेयर के िारे में चेतािनी जारी की है। भंडारण एिं पररिहन; वलवखत प्रकियाओं और ररकॉडस;
• कवमवलयन रोजन अपनी पहचान छु पाने के वलए िैि एंड्रॉइड ऐलस रेसवे ब्लटी आकद से जुड़ी मानदंड आिश्यकताएं शावमल हैं।
से जुड़ जाता है और ऐलस के िैकग्राउं ड में कोड संचावलत करता है। • संशोवित वनयमों से जुड़े मुयय तथ्य:
o यह फोन का वपन (PIN) चुराने के वलए कफं गरडप्रंट और फे स o औषवि की नई श्रेवणयां शावमल की गई हैं: इनमें सेक्स
अनलॉक जैसी िायोमेररक प्रमाणीकरण विवियों को अक्षम हामोन, स्टेरॉयड, साइटोटॉवक्सक पदाथस जैसे खतरनाक
करने हेतु एंड्रॉइड वडिाइस पर 'एक्सेवसविवलटी सर्िसस' का पदाथों के उपयोग िाले फामासस्युरटकल उत्पाद; जैविक
उपयोग करता है। उत्पाद; रे वडयो-फामासस्युरटकल्स; फाइटो-फामासस्युरटकल्स
o यह वडिाइस को अनलॉक करने और िे वडट काडस पासिडस, और मनुष्यों के वलए नैदावनक परीक्षणों (Clinical trials)
लॉवगन िे डेंवशयल्स जैसी संिेदनशील जानकारी का पता हेतु अनुसि ं ानात्मक फामासस्युरटकल उत्पाद जैसे उत्पाद
लगाने के वलए चुराए गए वपन का इस्तेमाल करता है। शावमल हैं।
140 www.visionias.in ©Vision IAS
o कायासन्ियन: ये वनयम िड़े विवनमासताओं (250 करोड़ रुपये से • हेपटे ाइरटस की रोकथाम के वलए शुरू की गई पहलें:
अविक के िार्षसक टनसओिर) को 6 महीनों में और MSMEs o भारत में 2030 तक हेपटे ाइरटस-C का उन्मूलन करने के वलए
(250 करोड़ रुपये से कम टनसओिर) को 12 महीनों के भीतर “राष्ट्रीय िायरल हेपटे ाइरटस वनयंत्रण कायसिम, 2019” शुरू
लागू करने होंगे। ककया गया है।
o िाजार से दिा िापस मंगाने के िारे में लाइसेंडसंग प्राविकारी o वमशन इं ििनुष, 2014 के तहत हेपटे ाइरटस-B के साथ-साथ
को सूवचत करने का प्राििान ककया गया है। ितसमान में 7 अन्य संिमणों के के वखलाफ िैक्सीन को टीकाकरण
प्राविकारी को सूवचत करने की ऐसी कोई व्यिस्था नहीं है। कायसिम में शावमल ककया गया है।
o अन्य पररितसन: एक फामासस्युरटकल गुणित्ता प्रणाली, o हेपेटाइरटस संिमण के प्रवत जागरूकता फै लाने के वलए प्रत्येक
गुणित्ता जोवखम प्रिंिन, सभी दिा उत्पादों के वलए एक िषस 28 जुलाई को विश्व हेपटे ाइरटस कदिस के रूप में मनाया
कम्लयूटरीकृ त भंडारण प्रणाली आकद का प्राििान ककया गया जाता है।
है।
o नेशनल टोिैको किट लाइन सर्िससेज़ आकद। 'िायो-इमेडजंग िैंक' की स्थापना की है।
o इसके माध्यम से अस्पताल प्रारं वभक चरण में कैं सर का पता
तंिाकू सेिन को वनयंवत्रत करने के वलए शुरू की गई िैवश्वक पहलें:
लगाने के वलए कैं सर-विवशष्ट अनुकूवलत एल्गोररदम तैयार
• WHO फ्रेमिकस कन्िेंशन ऑन टोिैको कं रोल (FCTC), 2003 कर रहा है। इस एल्गोररदम को डीप लर्निंग और
अपनाया गया है। आर्टसकफवशयल इं टेवलजेंस (AI) की मदद से तैयार ककया
o भारत ने इस कन्िेंशन की 2004 में अवभपुवष्ट की थी। जाएगा।
7.11.17. कु ष्ठ रोग के वलए नई उपचार विवि (New o कु ष्ठ रोग के उन्मूलन के वलए राष्ट्रीय कायसिम: यह राष्ट्रीय
स्िास्थ्य वमशन के तहत एक कें ि प्रायोवजत योजना है।
Treatment Regimen for Leprosy)
o वनकु ष्ठ 2.0 पोटसल: यह कु ष्ठ रोग के मामलों के प्रिंिन के वलए
• स्िास्थ्य और पररिार कल्याण मंत्रालय ने कु ष्ठ रोग (Leprosy) के
एक एकीकृ त पोटसल है।
वलए नई उपचार विवि की घोषणा की है।
• कु ष्ठ रोग (हैनसेन रोग) के िारे में: भारत में कु ष्ठ रोग की वस्थवत पर एक नजर:
o कारण: यह एक दीघसकावलक (Chronic) संिामक रोग है। • भारत ने 2005 में कु ष्ठ रोग को “लोक स्िास्थ्य समस्या” के रूप में
यह माइकोिैक्टीररयम लेप्री नामक जीिाणु के कारण होता समाप्त करने का लक्ष्य हावसल कर वलया था। भारत द्वारा इस
है। रोग के उन्मूलन की घोषणा WHO के मानदंड के अनुसार थी।
o प्रभावित अंग: यह रोग मुयय रूप से त्िचा, पररिीय WHO मानदंड है- राष्ट्रीय स्तर पर प्रवत 10,000 जनसंयया पर
तंवत्रकाओं, ऊपरी श्वसन पथ और आंखों के म्यूकोसा को 1 मामले से भी कम।
प्रभावित करता है। • राष्ट्रीय स्तर पर प्रसार दर 2014-15 में 0.69 प्रवत 10,000
o फै लने का तरीका: अनुपचाररत रोगी के वनकट और लगातार
जनसंयया की तुलना में 2021-22 में घटकर 0.45 प्रवत 10,000
संपकस में रहने पर उस रोगी के नाक और मुंह से वनकली िूंदों
के माध्यम से इस रोग का संिमण फै लता है। जनसंयया रह गई थी।
हैं। ितसमान समय के अविकतर न्यूवक्लयर ररएक्टसस 5% तक o ANEEL का उपयोग भारत के मौजूदा दावित भारी जल
के संिर्िसत यूरेवनयम ईंिन पर कायस कर रहे हैं। ररएक्टसस (PHWRs) में ककया जा सकता है।
हाल ही में, सुप्रीम कोटस ने यह वनणसय कदया है कक शून्य या अमान्य वििाह121 से पैदा हुए िच्चों को डहंद ू उत्तराविकार अविवनयम, 1956 के तहत माता-
वपता की संपवत्त में वहस्सेदारी से िंवचत नहीं ककया जा सकता। न्यायालय ने कहा कक डहंदू उत्तराविकार अविवनयम, 1956 “वमताक्षरा कानून” को
मान्यता देता है।
• न्यायालय ने कहा कक ऐसे िच्चों को एक ही पूिसज (Common ancestor) के विस्ताररत पररिार के सदस्य के रूप में मान्यता देनी चावहए। इस
प्रकार, िे एक ही पूिसज की संपवत्त में िैि वहस्सेदार होंगे।
• डहंदू अविभावजत पररिार में उत्तराविकार संिंिी कानून दो प्राचीन विवियों या मान्यताओं पर आिाररत है: वमताक्षरा और दायभाग।
• वमताक्षरा कानून याज्ञिल्क्य स्मृवत पर विज्ञानेश्वर की टीका है। ऋवष याज्ञिल्क्य ने याज्ञिल्क्य स्मृवत की रचना की थी। विज्ञानेश्व र 11िीं सदी के
उत्तराद्स और12िीं सदी के पूिासद्स में सकिय थे।
• यह सहदावयक या हमिाररश या समुत्तराविकारी (Coparcenary) की अििारणा को मान्यता देता है। इस अििारणा में पैतक
ृ संपवत्त को पररिार
के सभी पुरुष सदस्यों द्वारा संयक्त
ु रूप से रखा जाता है और उन्हें संपवत्त में समान अविकार प्राप्त होता है। इसका मतलि है कक इस पर संयुक्त
अविकार होता है और कोई िंशज ही इस पर दािा कर सकता है।
• कोपासेनरी को अपने वहस्से को हस्तांतररत करने का पूणस अविकार नहीं है , क्योंकक उसका वहस्सा वनवित या वनिासररत नहीं होता है। इसका कारण
यह है कक कोपासेनरी के जन्म और मृत्यु के साथ उसके वहस्से में िदलाि होता रहता है।
• वमताक्षरा विवि के अनुसार, िेटी पैतृक संपवत्त में कोपासेनरी नहीं िन सकती है। अथासत कोपासेनरी संपवत्त में िेटी को अविकार नहीं वमलता है।
o हालांकक, डहंद ू उत्तराविकार (संशोिन) अविवनयम, 2005 ने िेरटयों को भी पैतक
ृ संपवत्त में पुरुषों के समान कोपासेनरी िनने का अविकार
प्रदान ककया है।
• वमताक्षरा कानून देश के कु छ पूिी वहस्सों को छोड़कर पूरे भारत में लागू है। देश के कु छ पूिी वहस्सों में दायभाग विवि के अनुसार पैतृक संपवत्त में
संतानों के अविकार का वनिासरण ककया जाता है।
• वमताक्षरा कानून की 5 उप-विवियां वनम्नवलवखत हैं:
o िविड़/ मिास स्कू ल ऑफ लॉ
o महाराष्ट्र स्कू ल ऑफ लॉ
o िनारस स्कू ल ऑफ लॉ
o वमवथला स्कू ल ऑफ लॉ
o पंजाि स्कू ल ऑफ लॉ
दायभाग विवि
पुत्र का जन्म होते ही पैतृक संपवत्त में उसका अविकार उसके वपता के वहस्से के पुत्र को पैतृक संपवत्त का अविकार के िल अपने वपता की मृत्यु के िाद ही प्राप्त
समान होता है। होता है।
पुत्र अपने जन्म के साथ ही सहदावयक िन जाता है। पुत्र, वपता की मृत्यु के िाद सहदावयक िन जाता है।
सहदावयक अविकार दादा और परदादा की संपवत्त पर लागू होता है। वपता अपने जीिनकाल में अपनी संपवत्त का पूणस स्िामी होता है।
कोई भी सदस्य अपना वहस्सा तीसरे पक्ष को हस्तांतररत नहीं कर सकता, क्योंकक कोई भी सदस्य अपना वहस्सा हस्तांतररत कर सकता है, क्योंकक उसका वहस्सा
उसका वहस्सा वनवित या वनिासररत नहीं होता है। वनिासररत होता है।
शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के दौरान िनाया गया था। • कालाराम मंकदर के िारे में:
o यह तीन मंकदरों के साथ वत्रकु ट शैली में वनर्मसत है। ये तीन o इसका वनमासण 1782 में सरदार रं गराि ओिेकर द्वारा एक
मंकदर हैं- िीरभि (अविष्ठाता देि भगिान वशि हैं), पुराने लकड़ी के मंकदर के स्थान पर ककया गया था।
जैसे देिी पािसती का वििाह आकद को वचवत्रत ककया गया है। 8.2.5. श्रीरं ग नाथस्िामी मं कदर (Sri
o यह मंकदर यूनस्े को (UNESCO) की विश्व विरासत स्थलों Ranganathaswamy Temple)
की संभावित सूची में शावमल है। • श्री रं गनाथस्िामी मंकदर के िारे में:
o इस मंकदर को वतरुिरं ग वतरुपवत के नाम से भी जाना जाता
8.2.3. गु रु िायू र मं कदर (Guruvayur Temple)
है। इस मंकदर के अविष्ठात्री देिता भगिान रं गनाथ (भगिान
विष्णु) हैं। इन्हे शयन मुिा में दशासया गया है।
• गुरुिायूर मंकदर को “दवक्षण भारत के द्वारका” के नाम से भी जाना o इस मंकदर का वनमासण िविड़ शैली में ककया गया है। मंकदर
जाता है। इस मंकदर के आराध्य देि भगिान विष्णु हैं। गौरतलि है पररसर में मूर्तसयक्त
ु 21 गोपुरम, 50 छोटे-छोटे देिालय और
कक मंकदर में भगिान गुरुिायूरलपन की पूजा की जाती है, जो 9 पवित्र कुं ड हैं।
भगिान कृ ष्ण का िाल रूप है। o यह के िल एक मंकदर भर नहीं है, िवल्क एक मंकदर-नगरी भी
o मंकदर के अविष्ठात्री देिता को खड़ी मुिा में स्थावपत ककया
है। यह अपने सप्त-प्राकारम (गभसगृह के चारों ओर का घेरा) के
गया है। उनके चार हाथ शंख, सुदशसन चि, कमल और गदा
वलए प्रययात है। यह भगिान विष्णु के 108 कदव्यदेशमों
िारण ककए हुए हैं। इस मूर्तस को पाताल अंजना नामक पत्थर
से िनाया गया है। (मंकदरों) में से एक है।
o मंकदर इस तरह िनाया गया है कक सूयस की पहली ककरणें सीिे o यह मंकदर कािेरी और कोवलदम नकदयों से वघरे श्रीरं गम द्वीप
भगिान विष्णु के चरणों पर पड़ती हैं। पर वस्थत है।
▪ कोवलदम कािेरी की सहायक नदी है।
लगभग 115-200 ककलोग्राम होता है। 8.2.8. िारली जनजावत (Warli Tribe)
o लघु आकार की डेयरी फार्मिंग और आगेवनक फार्मिंग के वलए
• िारली जनजावत ने महाराष्ट्र के संजय गांिी राष्ट्रीय उद्यान के
इस नस्ल को आदशस माना जाता है।
नजदीक तेंदओं
ु के साथ शांवतपूणस सह-अवस्तत्ि में रहने की एक
o इसका दूि उच्च गुणित्ता िाला माना जाता है क्योंकक इसमें
वमसाल कायम की है।
फै ट (िसा) प्रचुर मात्रा में होता है। इसके दूि में 8% तक फै ट
o यह जनजावत तेंदए
ु या िाघोिा को देिता मानकर उसका
की मात्रा हो सकती है जिकक आम नस्ल की गाय के दूि में संरक्षण करती है।
फै ट की मात्रा 3%-3.5% होती है। • िारली जनजावत के िारे में:
o दूि उत्पादन: यह गाय एक िार िछड़े को जन्म देने के िाद o यह महाराष्ट्र क्षेत्र की सिसे िड़ी जनजातीय आिादी में से एक
(प्रवत लैक्टेशन) औसतन 546 ककलोग्राम दूि देती है। इस है।
▪ यह मुंिई के िाहरी इलाके में उत्तरी सह्याकि क्षेत्र में
गाय के दूि में औसतन 5-8 प्रवतशत फै ट होता है।
रहती है।
o इसे ररयांग के नाम से भी जाना जाता है। • पोइला िोइसाख िंगाली कै लेंडर िषस के िैशाख माह का पहला
कदन है। इसे िांग्ला कदिस का नाम कदया गया है।
o यह पूिोत्तर भारत की स्थावनक जनजावत है। इनकी अविकांश
संयया वत्रपुरा, वमजोरम और असम में वनिास करती है। इसे o पोइला िोइसाख पविम िंगाल, वत्रपुरा, झारखंड और असम
में िंगाली समुदायों द्वारा मनाया जाने िाला एक महत्िपूणस
वत्रपुरा में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG)
त्यौहार है।
के रूप में मान्यता प्राप्त है।
o 2023 में यह 15 अप्रैल को मनाया गया था।
o ब्रू लोग कािरू भाषा िोलते हैं, वजसका संिंि वतब्िती-िमी
• िांग्लार माटी िांग्लार जोल गीत रिीन्िनाथ टैगोर ने वलखा था।
भाषा पररिार से है।
o यह समुदाय झूम कृ वष और खाद्य-संग्रह गवतविवियों पर 8.2.12. स्टै च्यू ऑफ सोशल जवस्टस (Statue of
वनभसर है। Social justice)
o यह जनजावत होजावगरी नृत्य करती है।
• आंध्र प्रदेश के विजयिाड़ा में ‘स्टैच्यू ऑफ सोशल जवस्टस’ का
8.2.10. मविका भाषा (Madhika Language) अनािरण ककया गया।
▪ हव्यक कन्नड़, कन्नड़ भाषा का प्राचीन रूप है। o स्टैच्यू ऑफ इिै वलटी (हैदरािाद के शमशािाद में, तेलंगाना):
मनाया जाएगा।
हाल ही में, भारत के उपराष्ट्रपवत ने ‘एवशयाई िौद् शांवत सम्मेलन (ABCP)122’ की 12िीं महासभा को संिोवित करते हुए िुद् की वशक्षाओं के महत्त्ि
पर जोर कदया।
िुद् की प्रमुख वशक्षाएं
• छिी शताब्दी ईसा पूिस में, महात्मा िुद् ने उपदेश कदया था कक जीिन में सिसत्र दुख है। इन दुखों से मुवक्त पाने के वलए व्यवक्त को अपनी इच्छाओं पर विजय
पाना होगा।
• िुद् की वशक्षाओं में “चार आयस सत्य” और “अष्टांवगक मागस” शावमल हैं।
• चार आयस सत्य:
o संसार में दुःख है और सारा संसार उससे पीवड़त है।
o दुःख का कारण है, जो एक इकाई नहीं है, िवल्क िारह कवड़यों का चि है, वजसका मूल कारण ‘अज्ञान’ है।
o यकद दु:ख का मूल कारण, अथासत् ‘अज्ञान’ दूर हो जाए तो दु:ख का अंत हो जाता है।
o “अष्टांवगक मागस” को अपना कर दु:खों का अंत ककया जा सकता है।
• “अष्टांवगक मागस” (दु:ख के अंत का रास्ता): दु:ख से मुवक्त के आि उपायों को िुद् ने आष्टांवगक मागस कहा है। ये हैं- सम्यक् दृवष्ट, सम्यक् संकल्प, सम्यक्
िाणी, सम्यक् कमस, सम्यक् आजीविका, सम्यक् व्यायाम, सम्यक् स्मृवत और सम्यक् समावि।
• िुद् ने “मध्यम मागस” (न तो िहुत किोर तप और न ही िहुत अविक विलावसतापूणस जीिन) के आिार पर सरल एिं सावत्िक जीिन जीने का उपदेश कदया
है।
• इसके अलािा, िौद् नीवतशास्त्र में चार आयस सत्य में चौथे का विस्तार से िणसन ककया गया है। इसमें मोक्ष के सािन के रूप में ‘वत्ररत्न (तीन रत्न)’- ज्ञान
(प्रज्ञा), शील (नैवतक आचरण) और समावि (एकाग्रता) का िणसन है।
• िौद् वभक्षुओं के वलए पांच वनयमों (पंचशील) का पालन करना िहुत महत्िपूणस है। ये पांच वनयम हैं: सत्य (झूि न िोलना), अडहंसा (डहंसा न करना),
अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचयस (व्यवभचार न करना), और मादक िव्यों का सेिन न करना।
• लालच एिं इच्छाओं से युक्त उपभोक्तािादी एिं भौवतकिादी मानवसकता को वनयंवत्रत करता है: िुद् ने आसवक्त और दुःख के मध्य के संिंि को
स्िीकार ककया और आंतररक संतुवष्ट की खोज करने के वलए प्रेररत ककया है।
o िुद् का यह दशसन उपभोक्तािाद की संस्कृ वत से उत्पन्न हो रही समस्याओं का समािान कर सकता है एिं संिारणीय/ रटकाऊ उपभोग को िढ़ािा
दे सकता है जैसा कक भारत के वमशन LiFE123 में पररकल्पना की गई है।
• िैज्ञावनक दृवष्टकोण को िढ़ािा देना: माइंडफु लनेस, एकाग्रता और सही समझ को प्रोत्सावहत करने से व्यवक्त में प्रश्न करने या ककसी घटना के कारण
को जानने की प्रिृवत्त को िढ़ािा वमल सकता है।
• नागररक-कें कित शासन: सम्यक् िाणी, कमस और आजीविका प्रशासन को नागररक कल्याण एिं समािेवशता को प्राथवमकता देते हुए अविक
संिेदनशील और सेिा-संचावलत िनाने में मदद कर सकती है।
o इसके अलािा, लोक सेिकों में “सम्यक् आचरण” को शावमल करने से भ्रष्टाचार से संिंवित डचंताओं को दूर करने में मदद वमल सकती है।
• िन संरक्षण: िौद् मिों के वनयमों में पौिों और पेड़ों की कटाई प्रवतिंवित है। इससे पता चलता है कक िुद् ककसी के वनिास स्थान एिं िनों की कटाई
से जुड़ी स्िदेशी समुदायों की पीड़ा के प्रवत ककतने संिेदनशील थे।
o इस तरह की मान्यता समुदाय आिाररत िन प्रिंिन के माध्यम से समकालीन िनोन्मूलन का समािान करने में मदद कर सकती है।
वनष्कषस
िुद् की वशक्षाएं के िल मानि जावत के अवस्तत्ि पर कें कित नहीं हैं, िवल्क िह संसार के सभी प्रावणयों एिं प्राकृ वतक जगत की भलाई के साथ-साथ नैवतक
अनुशासनों के पालन के माध्यम से मानि मुवक्त पर िल देती हैं।
गुड सेमेररटन (नेक व्यवक्त) से संिंवित एक मामले में , कदल्ली हाई कोटस ने कहा है
कक जो व्यवक्त संकट में फं से व्यवक्त की मदद करना चाहता है, उसे दया कदखाने के
वलए परे शान नहीं ककया जाना चावहए। इसके अलािा, कदल्ली हाई कोटस ने कहा कक
सािसजवनक सड़क/ राजमागस पर ककसी घायल की मदद करना हर व्यवक्त का मुयय
कतसव्य है।
गुड सेमरे रटन • संकट में पड़े लोगों की सहायता करना एक व्यवक्त का उत्तरदावयत्ि एिं कतसव्य है।
• यह अपेक्षा करना कक दूसरों की मदद करने के िदले में उन्हें अविकाररयों द्वारा परेशान नहीं ककया जाएगा या लंिी कानूनी
औपचाररकताओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
िह व्यवक्त वजसे सहायता • उम्मीद करना कक हर व्यवक्त करुणा और समानुभूवत (Empathy) कदखाते हुए एक गुड सेमरे रटन की तरह व्यिहार करेगा।
की आिश्यकता है
सरकार • सरकार को गुड सेमरे रटन के कायस से फायदा होता है, क्योंकक इससे नागररकों की जान िचती है।
o विवि आयोग के अनुसार, सड़क दुघसटना में घायल हुए व्यवक्तयों को यकद समय पर वचककत्सा देखभाल वमल जाती है,
विशेषकर गोल्डन आिर के दौरान तो इससे 50% से अविक मौतों को रोका जा सकता है।
पुवलस/ अन्य संिवं ित • गुड सेमरे रटन से सभी महत्िपूणस जानकारी एकवत्रत करता है।
प्राविकरण • साथ ही यह भी प्रयास करता है कक एक गुड सेमरे रटन को ककसी भी तरह से परेशान न ककया जाए, जैस-े जांच में शावमल न
करके , उन्हें संकदग्ि न मानकर, उन्हें प्रत्यक्षदशी िनने के वलए िाध्य न करके आकद के द्वारा।
कु छ ऐसे मुद्दे हैं, जो गुड सेमरे रटन के कायों में िािा डालते हैं
• उदासीनता: सामान्यतः लोग जरूरत के समय ककसी इंसान की डजंदगी को िचाने से ज्यादा अपने वहतों को प्राथवमकता देते हैं।
o उदाहरण के वलए- यकद कोई व्यवक्त ककसी महत्िपूणस व्यापाररक
सौदे के वलए जा रहा है और रास्ते में उसके सामने कोई व्यवक्त
सड़क दुघसटना में घायल पड़ा है, तो िहां पर इस तरह की
उदासीनता कदखाई पड़ सकती है।
• स्िाथस/ असंिद
े नशीलता: आिुवनक समय में समाज के अविकांश लोगों में
आत्म-कें कित (Self-centric) प्रिृवत्तयााँ िढ़ गई हैं। जैसे कक ितसमान
समय में देखा जा रहा है कक ककसी हादसे में लोग घायल की मदद करने
की िजाय सेल्फी ले रहे होते हैं या िीवडयो िना रहे होते हैं।
• दशसक की उदासीनता: यह वस्थवत वजम्मेदारी के प्रसार की ओर ले जाती
है, अथासत् जि घटना स्थल पर मौजूद कई लोग यह मानने लगते हैं कक
यहां पर िहुत सारे लोग मौजूद हैं वजसमें कोई-न-कोई व्यवक्त तो इसकी
मदद कर ही देगा।
• जनता का प्रवतकू ल वनणसय: इसमें घायल की मदद करने िाले व्यवक्त को लगता है कक कहीं भीड़ द्वारा उसे ही इस घटना के वलए दोषी न मान वलया
जाए।
• कानूनी मुद्दे: कानूनी मामलों में फं सने का डर लोगों में आगे आने और दूसरों की मदद करने के वलए एक प्रमुख िािा के रूप में कायस करता है।
o कई मामलों में यह पाया गया है कक पुवलस कई प्रकार से गुड सेमेररटन को परे शान करती है जैसे कक उन्हें घायल लोगों की देखभाल करने को
कहती है, अस्पताल के विलों का भुगतान करने एिं चश्मदीद गिाह िनने का दिाि िनाती है आकद।
• कानून में सुिार: गुड सेमेररटन की सुरक्षा के वलए मोटर िाहन अविवनयम, 1988 में किोर प्राििान जोड़े जा सकते हैं।
o यह लोगों को आगे आने और दूसरों की मदद करने के वलए प्रेररत करे गा।
है। साक्षात्कार के कदन, कायसिम स्थल के रास्ते में आपने एक दुघसटना देखी वजसमें एक मााँ और िच्चा िुरी तरह घायल हो गए हैं।
उपयुक्त
स मामले के आिार पर वनम्नवलवखत प्रश्नों के उत्तर दीवजए:
ऐसी वस्थवत में आप क्या करते? अपनी कारस िाई का औवचत्य वसद् कीवजए।
9.3. कु त्तों द्वारा काटने की घटनाएं : आिारा कु त्तों के वनयं त्र ण में उत्पन्न होने िाली नै वतक डचं ताएं
(Beyond Bites: Ethical Considerations In Stray Dogs Control )
भूवमका
2019 की पशुिन जनगणना के अनुसार, भारत में आिारा कु त्तों की आिादी लगभग 1.5 करोड़ है। इसके कारण िैवश्वक पटल पर भारत की छवि कु त्ते के
काटने एिं रे िीज की राजिानी के रूप में है। राष्ट्रीय अपराि ररकॉडस ब्यूरो के अनुसार, 2019 में भारत में कु त्तों के काटने के 4,146 ऐसे मामले सामने
आए जहां इंसानों की मौत हो गई। इस प्रकार, आिारा कु त्तों के प्रिंिन को लेकर डचंता िढ़ रही है।
पशु कल्याण संगिन/ • आिारा कु त्तों को आश्रय और भोजन उपलब्ि कराना तथा पशु संिंिी अपवशष्टों का प्रिंिन करना।
कायसकतास • िचाि और पुनिासस का प्रयास।
• मानिीय व्यिहार की िकालत करना और वजम्मेदार पालतू पशु स्िावमत्ि को िढ़ािा देना।
• कु त्तों को स्िास्थ्य सुवििाएं उपलब्ि कराना।
पालतू जानिर का मावलक • अपने पालतू जानिरों की वजम्मेदारी लेना तथा आिारा कु त्तों की आिादी को िढ़ाने में योगदान नहीं देना।
• अपने पालतू जानिरों का समय पर टीकाकरण कराना।
• सामुदावयक पहलों का समथसन करना और पालतू जानिरों के साथ अनुवचत व्यिहार के मामले में हस्तक्षेप करना।
सरकार • पशु वनयंत्रण के वलए उवचत नीवतयां एिं कानून तैयार करना।
• कु त्ते के काटने के मामलों एिं पागल कु त्तों से वनपटने के वलए मानक संचालन प्रकियाओं को अपनाना।
• पररत्याग: पालतू जानिरों को छोड़ देना एक अनैवतक कायस है, वजसे अक्सर अनैवतक और गैर-वजम्मेदाराना व्यिहार माना जाता है।
o मानि समाज में सामावजक-आर्थसक पररितसनों ने वशकाररयों और चरिाहों की ऐवतहावसक भूवमकाओं को काफी हद तक अप्रचवलत िना कदया
है।
o इस प्रकार, हजारों िषों में विकवसत हुए मानि-कु त्ते के आपसी संिंि में उपयोवगतािादी घटक काफी कमजोर हो गया है।
• विभेदक व्यिहार: कु त्तों की विवभन्न श्रेवणयों और नस्लों के साथ अलग-अलग व्यिहार को लेकर भी कु छ डचंताएं हैं। क्यों कु छ अच्छे नस्ल िाले
जानिरों को प्रवतष्ठा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है और उनके साथ पररिार के सदस्यों की तरह व्यिहार ककया जाता है , जिकक सड़कों पर रहने
िाले अन्य जानिरों को सामावजक िवहष्कार के रूप में देखा जाता है?
• साहचयस और वजम्मेदारी (Companionship and responsibility): कु त्तों का मनुष्य के विकासिादी इवतहास के साथ साहचयस का एक अनूिा
ररश्ता रहा है। यह उनके कल्याण के वलए वजम्मेदार होने की एक नैवतक दुवििा पैदा करता है।
• सािसजवनक स्िास्थ्य: मानि स्िास्थ्य और कु त्तों के स्िास्थ्य, दोनों के वलए डचंता व्यक्त की जाती है।
o इसके अलािा, भारत ने 2030 तक रे िीज को खत्म करने के वलए प्रवतिद्ता व्यक्त की है, लेककन आिारा कु त्तों के खतरों का समािान ककए
विना यह संभि नहीं है।
• पाररवस्थवतकी संिि
ं ी डचंताएं: पयासिरण की िहन क्षमता एक प्रजावत की िह जनसंयया है वजसे सीवमत संसािनों को देखते हुए एक विशेष
िातािरण द्वारा समर्थसत ककया जा सकता है।
o कु छ लोगों का मानना है कक मनुष्य सीिे तौर पर आिारा कु त्तों को खाना वखलाकर उनकी आिादी की क्षमता िढ़ा रहे हैं , वजससे समस्या िढ़
रही है।
• पशु वनयंत्रण के तरीके : पकड़ने, सामूवहक हत्या और इच्छामृत्यु के तरीकों का उपयोग नैवतक डचंताओं को जन्म देता है , क्योंकक इसमें जानिरों की
जान लेना शावमल है। नैवतक विकल्पों, जैसे कक रैप-न्यूटर-ररटनस (TNR) कायसिमों पर विचार ककया जाना चावहए।
• पशु िू रता वनिारण अविवनयम (PCA)124, 1960: PCA, 1960 के तहत आिारा कु त्तों को मारना दंडनीय है। इसमें आिारा कु त्तों को यातना देना
और उन्हें इस तरह से कहीं ले जाने से वजससे उन्हें पीड़ा होती है, िू रता की श्रेणी में रखा गया है।
• भारतीय पशु कल्याण िोडस (AWBI)125: यह पशु कल्याण को िढ़ािा देने के वलए 1962 में PCA,1960 के तहत गरित एक िैिावनक सलाहकारी
वनकाय है।
• पशु जन्म वनयंत्रण (ABC)126 कायसिम: इसका उद्देश्य नसिंदी एिं टीकाकरण के माध्यम से आिारा कु त्तों की आिादी को वनयंवत्रत करना है। ABC
कायसिम को PCA, 1960 के तहत पशु जन्म वनयंत्रण वनयम127, 2023 के अनुसार विवनयवमत ककया जाता है। इसके अन्य प्राििानों में शावमल हैं:
अविकार है। इसमें मानिीय आिश्यकता से परे , उसके जीिन से उसे िंवचत करना भी शावमल है।
• सद्गुण नीवतशास्त्र (Virtue Ethics): इसमें सहानुभूवत, करुणा जैसे गुणों को िढ़ािा देना और वजम्मेदारीपूणस स्िावमत्ि को प्रोत्सावहत करना शावमल हैं।
• अविकार-आिाररत नैवतकता: आिारा कु त्तों को भी कु छ अविकार प्राप्त प्राणी माना जाएगा तथा नैवतक कायों में उन अविकारों का सम्मान एिं सुरक्षा
शावमल होगी।
• उदारिादी दृवष्टकोण: हमारे आस-पास से कु त्तों को मारकर और उन्हें कू ड़े के ढेर में फें कना, उनके जीिन और सम्मान के मौवलक अविकार का उल्लंघन है।
आगे की राह
• पशु वनयंत्रण उपाय: सरकार को वसविल सोसायटी के साथ वमलकर आिारा कु त्तों के समुवचत टीकाकरण, नसिंदी कायसिम एिं पशु अपवशष्ट प्रिंिन
सवहत विवभन्न नीवतगत उपाय करने एिं उन्हें लागू करने की आिश्यकता है।
o पालतू जानिरों के पररत्याग को रोकने और उनके कल्याण को सुवनवित करने के वलए प्रभािी कानून भी िनाए जा सकते हैं।
o ब्लॉक और वजला स्तरों पर ध्यान कें कित करते हुए मानि-कु त्ते
संघषस का समािान करने के उद्देश्य से सभी प्रासंवगक वहतिारकों
के परामशस से एक राष्ट्रीय नीवत तैयार की जानी चावहए।
• अिसंरचनात्मक सहायता: आिारा पशुओं के वलए समर्पसत आहार
स्थलों एिं पशु वचककत्सा स्िास्थ्य सुवििाओं का वनमासण ककया जाना
चावहए। इसके अलािा, पशु कल्याण के कायस में लगे वसविल सोसायटी
संगिनों को भी सहायता प्रदान की जा सकती है।
• प्रवशक्षण और वशक्षा: संभावित/ ितसमान पालतू पशु मावलकों को पालतू
जानिरों के व्यिहार, उनके विकास चि तथा उनके स्िास्थ्य एिं
स्िच्छता के प्रिंिन के संिंि में वशवक्षत और प्रवशवक्षत ककया जाएगा।
• नए ररश्तों का विकास: कु त्तों में संज्ञानात्मक और सामावजक संचार
क्षमताएं अत्यविक विकवसत होती हैं। यह क्षमता उन्हें सर्िसस डॉग, नशीली दिाओं का पता लगाने िाले और िम-सूंघने िाले कु त्तों आकद की
भूवमकाओं में विवभन्न कायस करने में सक्षम िनाता है।
o इसके अलािा, कई अध्ययनों से पता चला है कक कु त्तों की संगवत से तनाि, डचंता और अिसाद के लक्षण कम हो सकते हैं।
गई हैं। नागररकों के कु छ समूहों में कु त्तों के प्रवत रोष िढ़ रहा है और आिारा कु त्तों को खाना वखलाने िाले या देखभाल करने िाले लोग, आम लोगों की डहंसा
का वशकार हो रहे हैं। प्रशासन पर सड़कों को आिारा कु त्तों से मुक्त कराने का दिाि है।
हाल ही में, वित्त मंत्रालय ने जनिरी-माचस (2024) वतमाही के वलए सुकन्या समृवद् खाता योजना के वलए ब्याज दर 8% से िढ़ाकर 8.2% कर दी है।
�कसी भी �ूज़ से जुड़े �ूज पढ़ने का एक ऐसा नज�रया टे ��कल ट�र् और �ूज़ से
घटनाक्रम� के बारे मे बेहतर �वक�सत करने के �लए, �जससे अ�थ� जुड़े ज�टल कॉ�ेप्ट्स के बारे
समझ �वक�सत करने के �लए आसानी से समझ सक� ह� �क �ूज पेपसर् म� सरल समझ �वक�सत
म� से कौन-सी �ूज पढ़नी है करने के �लए
स्रोत: इसम� द �ह� दू, इं �डयन ए�प्रेस, PIB, �ूज़ ऑन प्रमुख सु�ख़� यां: इसम� �दन क� छह सबसे मह�पूणर् सु�ख़� य� को सं�ेप म� प्र�ुत
ए.आई.आर., इकोनॉ�मक टाइ�, �ह� दु�ान टाइ�, द �कया जाता है। इससे आप ए�ाम के दृ��कोण से मह�पूणर् �ूज को खोजने म�
�म� ट जैसे कई स्रोत� से �ूज को कवर �कया जाता है। आपना क�मती समय बबार्द �कए �बना मु� घटनाक्रम� को बेहतर तरीके से समझ
भाग: इसके तहत 4 पेज म� �दन-भर क� प्रमुख सु�ख़� य�, सकते ह�।
अ� सु�ख़� य� और सु�ख़� य� म� रहे �ल एवं ���� को सु�ख़� य� म� रहे �ल/ ����: इसम� सु�ख़� य� म� रहे एक मह�पूणर् �ल या
कवर �कया जाता है। मशहूर ���� के बारे म� बताया जाता है।
प्रमुख सु�ख़� यां: इसके तहत लगभग 200 श�� म� पूरे �रणीय त�: इस भाग म� च�च� त �वषय� को सं�ेप म� कवर �कया जाता है, �जससे
�दन क� प्रमुख सु�ख़� य� को प्र�ुत �कया जाता है। इसम� आपको दु�नया भर के मौजूदा घटनाक्रम� क� जानकारी �मलती रहती है।
हा�लया घटनाक्रम को �व�ार से कवर �कया जाता है। प्र�ो�री: प्र�ेक �ूज टु डे वी�डयो बुले�टन के अंत म� MCQs भी �दए जाते ह�।
अ� सु�ख़� यां और सु�ख़� य� म� रहे �ल/ ����: इसके ज�रए हम �ूज पर आपक� पकड़ का परी�ण करते ह�। यह इं टरै��व चरण
इस भाग के तहत सु�ख़� य� म� रहे ����, मह�पूणर् आपक� ल�न� ग को �ानवधर्क के साथ-साथ मज़ेदार भी बनाता है। इससे आप
टमर्, संर��त �ेत्र और प्रजा�तय� आ�द को लगभग 90 घटनाक्रम� से जुड़े त�� आ�द को बेहतर तरीके से याद रख सकते ह�।
श�� म� प्र�ुत �कया जाता है। �रसोस�ज: वी�डयो के नीचे �ड��प्शन म� “�ूज़ टु डे” के PDF का �ल�क �दया जाता
है। �ूज़ टु डे का PDF डॉ�ूम�ट, �ूज टु डे वी�डयो के आपके अनुभव को और बेहतर
बनाता है। साथ ही, MCQs आधा�रत प्र�ो�री आपक� ल�न� ग को और मजबूत
बनाती है।
�ूज टु डे डॉ�ूम�ट को
रोजाना 9 PM पर �ूज टु डे �ूज़ टु डे ��ज़ के �लए
डाउनलोड करने के �लए QR
वी�डयो बुले�टन दे�खए �दए गए QR कोड को
कोड को �ैन क��जए
�ैन क��जए
अहमदाबाद | ब�गलू रु | भोपाल | चंडीगढ़ | �द�ी | गुवाहाटी | हैदराबाद | जयपुर | जोधपुर | लखनऊ | प्रयागराज | पुणे | रांची