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सससिल सेिा के सलए ऄसभरुसि तथा बुसनयादी मूल्य एिं


सािवजसनक सेिा के प्रसत समर्वण भाि
सिषय सूिी
1. ऄसभरुसि (Aptitude) ________________________________________________________________________ 119
1.1. ऄसभरुसि के प्रकार ___________________________________________________________________________ 120
1.1.1. सससिल सेिाओं के सलए ऄसभरुसि (Aptitude for Civil Services) _____________________________________ 121
1.2. ऄन्य गुणों के साथ ऄसभरुसि का संबंध ______________________________________________________________ 121
1.2.1. ऄसभरुसि और रुसि (Aptitude and Interest) ___________________________________________________ 121
1.2.2. ऄसभरुसि एिं क्षमता (Aptitude & Ability) _____________________________________________________ 121
1.2.3. ऄसभरुसि एिं बुसिमत्ता (Aptitude and Intelligence) ____________________________________________ 122
1.2.4. ऄसभरुसि और ऄसभिृसत्त (Aptitude and Attitude) _______________________________________________ 122
1.2.5. ऄसभरुसि एिं मूल्य (Aptitude and Values) ___________________________________________________ 122
1.2.6. ऄसभरुसि, सनर्ुणता तथा ईर्लसधध ____________________________________________________________ 123
2. सससिल सेिाओं के सलए बुसनयादी मूल्य _____________________________________________________________ 123
2.1. ये मूल्य क्या हैं? (What are they?) ______________________________________________________________ 123
2.2. हमें आनकी अिश्यकता क्यों है? (Why we need them?) _______________________________________________ 123
2.3. बुसनयादी मूल्यों के प्रकार _______________________________________________________________________ 124
2.4. सससिल सेिाओं के सलए मुख्य बुसनयादी मूल्य __________________________________________________________ 124
3. सससिल सेिाओं के सलए बुसनयादी मूल्यों का ससिस्तार िणवन _______________________________________________ 126
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3.1. सत्यसन्‍ ा (Integrity) ________________________________________________________________________ 126


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3.2. िस्तुसनष्ठता (Objectivity) _____________________________________________________________________ 131


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3.3. लोक सेिा के प्रसत समर्वण (Dedication to Public Service) ____________________________________________ 132
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3.4. समानुभूसत (Empathy) _______________________________________________________________________ 132


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3.5. संिेदना (Compassion) ______________________________________________________________________ 133


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3.6. सन्‍र्क्षता (भेदभाि रसहत) तथा गैर-तरफदारी ________________________________________________________ 134


3.7. तटस्थता (Neutrality) ________________________________________________________________________ 136
3.8. ससह्‍णुता (Tolerance)_______________________________________________________________________ 139
3.9. ऄनासमकता (Anonymity) _____________________________________________________________________ 140
3.10. जिाबदेसहता एिं ईत्तरदासयत्ि (Accountability and Responsibility) ___________________________________ 141
3.11. सिसिध मूल्य (Miscellaneous Values) _________________________________________________________ 144
3.12. मूल्यों के क्षरण के र्ररणाम (Consequences of Erosion of Values)____________________________________ 145
4. सिगत िषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में र्ूछे गए प्रश्न ____________________________________________ 146
5. सिगत िषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में र्ूछे गए प्रश्न: के स स्टडीज़ ___________________________________ 156
6. सिगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग द्वारा र्ूछे गए प्रश्न __________________________________________________ 161
7. सिगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग द्वारा र्ूछे गए प्रश्न: के स स्टडी ___________________________________________ 161

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खुद को खोजने का सबसे ऄच्छा तरीका है कक अर् दूसरों की सेिा में खुद को खो दें।
– महात्मा गांधी

1. ऄसभरुसि (Aptitude)
र्ृष्ठभूसम
हम सनश्चयर्ूिक
व यह नहीं कह सकते हैं कक एक व्यसि कु छ सनसश्चत गसतसिसधयों/कायों/व्यिसायों के सलए कु छ
खास कौशल या प्रिृसत्त के साथ जन्म लेता है। हम के िल आतना कह सकते हैं कक कु छ कायों के सलए
प्राथसमकताएं सिकससत करने में ककसी व्यसि के शैशि काल से ही हुए ऄनुभिों की महत्िर्ूणव भूसमका ऄिश्य
होती है। आसके ऄसतररि, दो व्यसि यकद समान ऄनुभिों से गुजरें तो ईनमें सदैि एक जैसी भािनात्मक एिं

व्यिहारात्मक ऄनुकिया ईत्र्न्न नहीं होगी। आसके साथ ही ककसी सिसशष्ट घटना से सिसभन्न व्यसि सिसभन्न
प्रकार के ऄनुभि प्राप्त करते हैं। प्रत्येक व्यसि िास्तसिकता को ऄर्नी दृसष्ट से देखता है, ऄर्ने र्ूिव ज्ञान और

ऄनुभि के अधार र्र ईस र्र प्रसतकिया करता है और ऄंत में ईससे सन्‍कषव रूर् में के िल िही ऄनुभि प्राप्त
करता है जो िह ईसित समझता है। आस प्रकार हमारे र्ुराने ऄनुभि हमारे ितवमान दृसष्टकोण का सनमावण
करते हैं और हमारी प्रिृसत्त का सिकास करते हैं कक भसि्‍य में हमारी प्रसतकिया कै सी होगी। ईदाहरण के
सलए, जब बलात्कार जैसा जघन्य ऄर्राध घरटत होता है तो कु छ लोग र्ीसड़ता को दोषी हराते हैं तथा

ऄन्य लोग र्ुसलस, र्ररिार और समाज अकद को सजम्मेदार मानते हैं। घटना िही है ककन्तु ऄलग-ऄलग लोग

आसे ऄलग-ऄलग ढंग से देखते हैं। आसके ऄसतररि, ऄलग-ऄलग लोग एक ही घटना से ऄलग-ऄलग प्रकार की

सीख प्राप्त करते हैं। संभि है कक कोइ व्यसि कानून और व्यिस्था में सुधार करने के ईद्देश्य से र्ुसलस बल का
भाग बनना िाहे तो कोइ ऄन्य व्यसि र्ीसड़ता की दुदश
व ा से द्रसित हो जाए और र्ुनिावस कें द्र खोलने को
तैयार हो जाए। संभि है कक कोइ मसहलाओं के व्यार्क मुद्दों के सलए ऄसभयान िलाने का आच्छु क हो और
कोइ ऄन्य व्यसि के िल मसहलाओं की स्ितंत्रता को प्रसतबंसधत करना िाहे। व्यार्क तथ्य यह है कक – हमारे

ऄनुभि हमारी सििार प्रणाली को सिसशष्ट रूर् से अकार प्रदान करते हैं। यह ऄििेतन सििार प्रणाली
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हमारी िरीयताओं को अकार प्रदान करती है और आस प्रकार ऄंतत: भसि्‍य में ककसी घटना के प्रसत
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ऄनुकिया करने की हमारी कायवप्रणाली को प्रभासित करती है (ककन्तु सनधावररत नहीं करती)।
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र्ररभाषा और व्याख्या
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ऑक्सफोडव सडक्शनरी के ऄनुसार, ‘ऄसभरुसि’ कु छ करने की स्िाभासिक क्षमता या स्िाभासिक प्रिृसत्त है।
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यहााँ र्र ‘स्िाभासिक’ (natural) शधद आसके (ऄसभरुसि के ) साधारण ऄथव 'जन्म से’ (by birth) के बजाये

व्यसि के जीिन के संर्ूणव ऄनुभिों को ऄसधक संदर्भभत करता है। मुक्केबाजी के सलए ऄसभरुसि धारण करने
िाले व्यसि को, यकद अिश्यक प्रसशक्षण प्रदान ककया जाए, तो िह ईस क्षमता को ऄत्यसधक सिकससत कर

सकता है। दूसरी ओर, यकद ककसी व्यसि में मुक्केबाजी के सलए ऄसभरुसि ही नहीं है तो ईसे िाहे ककतना भी

प्रसशक्षण प्रदान ककया जाए कफर भी ईसके प्रदशवन में कोइ भी प्रशंसनीय सुधार नहीं अ सकता। ऄसभरुसि
ऐसी र्ैदाआशी या ऄर्भजत क्षमताओं और ऄन्य सिशेषताओं का संयोजन है, जो ककसी सिशेष क्षेत्र में प्रिीणता

सिकससत करने में व्यसि की क्षमता की संकेतक मानी जाती हैं। यह ककसी सिशेष क्षेत्र में कौशल ऄथिा ज्ञान
प्राप्त करने की क्षमता या योग्यता को संदर्भभत करती है, सजसके अधार र्र भसि्‍य के प्रदशवनों का र्ूिावनम
ु ान

लगाया जा सकता है।


शैसक्षक ऄनुसंधान सिश्वकोश (1960) के ऄनुसार, ऄसभरुसि को 'ककसी कायव के सन्‍र्ादन, सजसके संदभव में

एक व्यसि र्ास ऄल्र् या ककसी भी प्रकार का र्ूिव प्रसशक्षण नहीं है, के सलए एक सनसश्चत सीमा तक ऄसधक

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ऄथिा कमतर सुर्ररभासषत र्ैटनव या व्यिहार के ऄसभग्रहण हेतु एक व्यसि की क्षमता या र्ररकसल्र्त
सामथ्यव के रूर् में र्ररभासषत ककया जा सकता है।’ साधारण शधदों में, ऄसभरुसि ऐसे ऄसभलक्षणों का समूह
है जो ककसी सिशेष क्षेत्र में प्रिीणता प्राप्त करने के सलए व्यसि की क्षमता के सूिक माने जाते हैं। आस प्रकार
आसका भसि्‍यिादी संदभव होता है। दूसरी ओर कौशल को प्रसशक्षण के माध्यम से प्राप्त ककया जाता है।
ऄसभरुसि कौशल नहीं है। कौशल ऄर्भजत ककया जाता है और प्रसशक्षण एिं ऄसधगम के माध्यम से ईसे सनरंतर
ईन्नत ककया जाता है। ऄसभरुसि र्हले से सिद्यमान होती है ककन्तु आसे र्ोसषत ककया जा सकता है।
जैसा कक शुरू में ही बताया जा िुका है कक ‘ऄसभरुसि न तो र्ूणत
व ः जन्मजात (innate) होती है और न ही

र्ूणवतः ऄर्भजत’। यह कु छ सीमा तक जन्मजात होती है, ककन्तु साथ ही यह जन्मजात और अस-र्ास के
र्ररसस्थसतयों के ऄंतसंबध
ं का ईत्र्ाद भी होती है। ऄसभरुसि का स्तर सभी व्यसियों में एकसमान नहीं होता
है। प्रत्येक व्यसि में ककसी सिसशष्ट कायव के सलए कु छ ऄसभरुसि होती है; ककन्तु लोगों में ककसी सिसशष्ट कायव

हेतु ऄसभरुसि का स्तर सभन्न-सभन्न होता है। ईदाहरण के सलए, ऄनेक लोग सशस्त्र बलों में ऄसधकारी बनना
िाहते हैं ककन्तु ईनमें से के िल कु छ ही लोग ऄर्ने प्रयास में सफल हो र्ाते हैं। ऐसा आससलए है क्योंकक गुणों
के र्ूिव सनधावररत समुच्िय के अधार र्र सशस्त्र बलों हेतु सेिा ियन बोडव (SSB) द्वारा ऄसफल ऄभ्यर्भथयों
को ऄर्ेसक्षत ऄसभरुसि के मामले में दूसरों की तुलना में कमतर अंका जाता है। ऄसभरुसि ककसी के द्वारा
प्रदर्भशत की जाने िाली िरीयता मात्र नहीं है। यह कु छ ऐसे गुणों को धारण करना है जो ककसी व्यसि को
ककसी कायव में दूसरों की तुलना में बेहतर प्रदशवन करने में सहायता करते हैं।
रक्षा या र्ुसलस सेिाओं में ऄसधकारी बनने के सलए ककसी व्यसि में शारीररक ि मानससक दोनों प्रकार की
ऄसभरुसियों का होना अिश्यक है। ऄच्छा सखलाड़ी बनने के सलए व्यसि को मनोप्रेरणा (psycho-motor)
समन्िय संबंधी ऄसभरुसि की अिश्यकता होती है। जब व्यसि ऐसे व्यिसाय में होता है जो ईसकी ऄसभरुसि
के ऄनुरूर् नहीं है तो समस्या ईत्र्न्न होती है। एक व्यसि के िल आससलए किके टर बनना िाहे कक ईसके सर्ता
बेहतरीन किके टर थे, तो हो सकता है कक िह श्रे्‍ तम प्रदशवन करने में सक्षम न हो सके जब तक कक ईसमें
स्ियं ही ईस खेल के सलए अिश्यक ऄसभरुसि न हो। यह सदैि याद रखना िासहए कक ऄसभरुसि भािी
संभािनाओं को देखती है। हालांकक, यह ितवमान सस्थसत - ितवमान में सिद्यमान और भसि्‍य की संभािनाओं
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के संकेतक माने जाने िाले लक्षणों (सिसशष्टताओं) के र्ैटनों, को संदर्भभत करती है।
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1.1. ऄसभरुसि के प्रकार


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ऄसभरुसि को सामान्यतः शारीररक या मानससक ऄसभरुसि के रूर् में िगीकृ त ककया जाता है।
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शारीररक ऄसभरुसि (ऄसभक्षमता) से तात्र्यव कु छ सिसशष्ट कायव को सफलतार्ूिवक संर्न्न करने के सलए
अिश्यक शारीररक सिशेषताओं से है। ईदाहरण के सलए, सशस्त्र बलों को शारीररक सिशेषताओं के एक

सिसशष्ट समुच्िय, जैस-े लंबाइ, बल अकद की अिश्यकता होती है।


मानससक ऄसभरुसि से अशय मानससक गुणों के एक सिसशष्ट समुच्चय से है जो कु छ कायों को सफलतार्ूिवक
सन्‍र्ाकदत करने हेतु अिश्यक होते हैं। सिशेषताओं के अधार र्र आसे सामान्य मानससक क्षमता और मूल्य-
ऄसभमुखता (value-orientation) के रूर् में िगीकृ त ककया जाता है। सामान्य मानससक क्षमता का अशय

तकव संगत रूर् से सििार करने की क्षमता से है, जबकक मूल्य-ऄसभमुखता में कु छ मूल्य अधाररत व्यिहार भी

ससम्मसलत होते हैं, जैस-े सहानुभूसत, करुणा, सत्यसन्‍ ा, जिाबदेही, ईत्तरदासयत्ि अकद द्वारा सनदेसशत ककए
जाने िाले व्यिहार।
आस ऄंतर को कु छ ईदाहरणों के माध्यम से समझा जा सकता है। ईदाहरणाथव- एक बैंकर को संख्याओं के
मामले में कु शल होना िासहए जबकक एक प्रभािी नेता िह होता है जो सहानुभूसत रखने िाला और
इमानदार हो। दूसरी ओर एक िोर को संभित: झू बोलने की कला में कु शल होना िासहए।

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1.1.1. सससिल से िाओं के सलए ऄसभरुसि (Aptitude for Civil Services)

कु छ सिशेषज्ञों का मानना है कक सससिल सेिकों में तीन प्रकार की ऄसभरुसियााँ होनी िासहए: बौसिक,
भािनात्मक और नैसतक। ये ऄसभरुसियााँ सससिल सेिक को र्ेशि
े र मूल्यों की प्रासप्त में सक्षम बनाती हैं।
बौसिक ऄसभरुसि यह सुसनसश्चत करती है कक संबंसधत सससिल सेिक तकव संगत ढ़ंग से सििार करे , ईद्देश्यर्ूणव
रूर् से कारविाइ करे और ऄर्ने अस-र्ास के र्ररिेश के साथ प्रभािी ढंग से व्यिहार करे। आस प्रकार, आसे

साधन-ऄसभमुख ऄसभरुसि (means oriented aptitude) माना जा सकता है।


भािनात्मक ऄसभरुसि ऄर्ने सहकर्भमयों, ऄधीनस्थों और जनता के साथ सससिल सेिकों के प्रभािी अिरण
को सुसनसश्चत करती है। आस प्रकार आसे व्यिहार-ऄसभमुख ऄसभरुसि (behavior oriented aptitude)
माना जा सकता है।
नैसतक ऄसभरुसि में िांछनीय मूल्यों, जैस-े न्याय, सहानुभूसत, करुणा अकद को ससम्मसलत ककया जाता है। आसे
सससिल सेिाओं के सलए बुसनयादी मूल्य भी कहा जाता है और यह सुसनसश्चत करती है कक सससिल सेिक
ऄर्ने कतवव्यों का सन्‍र्ादन न के िल कु शलता से ऄसर्तु जनसहत को ध्यान में रखते हुए प्रभािी ढंग से भी
करें। आस प्रकार आसे लक्ष्य-ऄसभमुख ऄसभरुसि माना जा सकता है।

1.2. ऄन्य गु णों के साथ ऄसभरुसि का सं बं ध

(Relationship of Aptitude with Other Qualities)

1.2.1. ऄसभरुसि और रुसि (Aptitude and Interest)

लोगों की कइ बातों में रुसि होती है, लेककन आसका ऄथव यह नहीं है कक ईनके र्ास ईसके सलए ऄसभरुसि है।
ककसी को किके ट बहुत र्संद हो सकता है– लेककन टेलीसिजन र्र देखने के स्थान र्र मैदान र्र आसे खेलना
बहुत ऄलग बात है। ककसी व्यसि में ऄच्छी कमेंट्री करने की ऄसधक ऄसभरुसि हो सकती है या लेखन कौशल
हो सकता है और ईसके बाद कोइ व्यसि ऐसा व्यिसाय िुन सकता/सकती है सजसमें ईसकी रूसि और
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ऄसभरुसि मेल खाती हो, जैस-े कमेंट्रेटर या खेल र्त्रकार बनना।


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1.2.2. ऄसभरुसि एिं क्षमता (Aptitude & Ability)


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ऄसभरुसि को प्राय: मानससक क्षमता के ऐसे सिसश्‍ट ईर्समुच्िय का प्रसतसनसधत्ि करने िाला माना जाता है
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जो सिशेष रूर् से सशक्षा और रोजगार के संबध


ं में, व्यसि की क्षमता के सिषय में ईर्योगी जानकारी प्रदान

करता हो। क्षमता बुसिमत्ता के बहुत सनकट होती है। यह ितवमान से संबंसध त होती है। यह कौशल, ऄभ्यासों
(अदतों) और शसियों का ऐसा संयोजन है जो व्यसि में ितवमान में सिद्यमान है और ईसे कु छ करने में सक्षम
बनाता है। ऄसभरुसि यह संकेत करती है कक व्यसि क्या सीखने/करने में सक्षम होगा और क्षमता आसका
प्रमाण प्रस्तुत करती है कक कोइ व्यसि ितवमान में (या भसि्‍य में सबना ऄसतररि प्रसशक्षण के ) क्या करने में
सक्षम है। व्यािहाररक दृसष्टकोण से, ककसी व्यसि ने र्हले से जो प्रसशक्षण प्राप्त कर सलया है ईसके स्तर र्र
सििार ककए सबना ऄसभरुसि का मार्न ऄसंभि है। ऐसा माना जाता है कक व्यसियों को प्राप्त होने िाले कु छ
ऄनुभि, ऄसभरुसि का मार्न करने के दौरान आसमें िृसि कर देते हैं।

ईदाहरण के सलए, सससिल सेिाओं के सलए ककसी ईम्मीदिार की ऄसभरुसि का र्रीक्षण करने के प्रयोजन से

अयोसजत की जाने िाली सससिल सर्भिसेज ऄसभरुसि र्रीक्षण (CSAT) र्रीक्षा ऄभ्यास न करने िाले
ईम्मीदिारों की तुलना में ऄभ्यास करने िालों के सलए बेहतर स्कोर प्रदर्भशत करेगी। यह ईम्मीदिारों को
सससिल सेिक बनने के बाद ऄनुभि ककए जाने िाले दबाि की र्ररसस्थसत में लाकर (सीसमत समय में ऄनेक

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प्रश्नों को हल करिाकर) ऄसभरुसि का र्रीक्षण करती है। आसके ऄसतररक्त, सजस व्यसि ने आसका ऄभ्यास

ककया है ईसके सलए यह र्ररक्षण ईसकी तैयारी और र्ररश्रम को बताते हैं, जो र्ुन: एक सससिल सेिक में
िांछनीय सिशेषताएं होती हैं। आससलए यद्यसर् आसका प्रयोजन ऄसभरुसि का मार्न करना होता है लेककन यह
क्षमता का भी मार्न करती है। आस प्रकार कु छ मनोिैज्ञासनकों के ऄनुसार क्षमता में ऄसभरुसि एिं ईर्लसधध
समासि्‍ट होती है। क्षमता संदर्भभत करती है कक व्यसि अज क्या कर सकता है। यह एक सनसश्चत समय र्र,
ककसी कायव का सन्‍र्ादन करने की शसि होती है।

1.2.3. ऄसभरुसि एिं बु सिमत्ता (Aptitude and Intelligence)

ऄसभरुसि भसि्‍य में ईसित प्रसशक्षण प्रदान ककए जाने र्र, व्यसि में कु छ कायव करने हेतु सिद्यमान जन्मजात

क्षमता होती है। बुसिमत्ता का प्रमुख ऄियि ऄर्ने ितवमान र्ररिेश में तकव संगत रूर् से सििार करने,
ईद्देश्यर्ूणव कायव करने एिं प्रभािी रूर् से व्यिहार करने की क्षमता है। बुसिमत्ता का कायवक्षत्र
े व्यार्क होता है
क्योंकक यह सामान्य मानससक क्षमता से संबंसधत होती है। दूसरी ओर, ऄसभरुसि का कायवक्षेत्र संकीणव होता है

– यह कायव-सिसशष्ट होती है। यह ककसी व्यसि द्वारा भसि्‍य में ककसी कायव को सम्र्न्न करने की एक सिसशष्ट

क्षमता को संदर्भभत करते हुए, बुसिमत्ता को सिसभन्न ऄसभलक्षणों में सिभासजत करती है। आस प्रकार,

ऄसभरुसि बुसिमत्ता के समान नहीं होती है। एक समान बौसिक स्तर (IQ) िाले दो लोगों की ऄसभरुसि

सभन्न-सभन्न हो सकती है, ईदाहरण के सलए, एक की ऄसभरुसि िैज्ञासनक बनने की और दूसरे की


ईर्न्यासकार बनने की हो सकती है।

1.2.4. ऄसभरुसि और ऄसभिृ सत्त (Aptitude and Attitude)

ऄसभरुसि भसि्‍य में ईसित प्रसशक्षण प्रदान ककए जाने र्र, व्यसि में कु छ कायव करने हेतु सिद्यमान जन्मजात

क्षमता होती है। ऄसभिृसत्त िस्तुतः लोगों (स्ियं को ससम्मसलत करते हुए), सिषय-िस्तुओं या समस्याओं का
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स्थायी ि सामान्य मूल्यांकन होता है। यह एक सिसश्‍ट प्रकार से व्यिहार करने की प्रिृसत्त ऄथावत् ककसी
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सनसश्चत सििार, िस्तु, व्यसि, या सस्थसत के प्रसत सकारात्मक या नकारात्मक ऄनुकिया करने की प्रिृसत्त होती
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है। ऄसभिृसत्त को कु छ ऄथों में र्ररिर्भतत ककया जा सकता है, लेककन यकद ऄसभरुसि र्हले से सिद्यमान नहीं है
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तो ईसे सिकससत नहीं ककया जा सकता, क्योंकक यह जन्मजात (स्िाभासिक) क्षमता भी है।
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1.2.5. ऄसभरुसि एिं मू ल्य (Aptitude and Values)

मूल्य, ऄसभरुसि से आस दृसष्ट से सभन्न होते हैं कक मूल्यों के माध्यम से ककसी िस्तु या कायव के महत्ि के स्तर का
बोध होता है। मूल्यों का ईद्देश्य यह सनधावररत करना होता है कक कौन-सा कायव सिवश्रे्‍ है या कौन-सी जीिन
शैली सिोत्तम है। यद्यसर् मूल्य "सकारात्मक" या "नकारात्मक" हो सकते हैं, जैस-े कमजोर िगव के प्रसत
सहानुभूसत सकारात्मक है जबकक ऄर्नी ही जासत को सिोच्ि मानना नकारात्मक है। लेककन अम तौर र्र
मूल्यों का सन्दभव सकारात्मक और िांछनीय मूल्यों के रूर् में ही सलया जाता है। ऄतः, िे सही अिरण एिं

एक ऄच्छा जीिन व्यतीत करने का आस रूर् में सनधावरण करते हैं कक ककसी ईच्च, या कम से कम ऄर्ेक्षाकृ त

ईच्ि मूल्यर्रक कायव को नैसतक रूर् से "ऄच्छा" माना जा सकता है। आसी प्रकार सनम्न मूल्यर्रक कायव, या

कु छ हद तक ऄर्ेक्षाकृ त सनम्न मूल्यर्रक कायव को “बुरा” माना जा सकता है। आससलए, मूल्यों को ईर्युि
कायविासहयों या र्ररणामों से संबंसधत व्यार्क िरीयताओं के रूर् में र्ररभासषत ककया जा सकता है। आस

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प्रकार, मूल्य ककसी व्यसि के सही और गलत के सििेक या क्या “ईसित होना िासहए” को प्रसतबबसबत करते

हैं। "सभी के सलए समान ऄसधकार", "ईत्कृ ष्टता प्रशंसा की ऄसधकारी है" तथा "लोगों के साथ अदर और

गररमा के साथ व्यिहार ककया जाना िासहए" अकद मूल्यों का प्रसतसनसधत्ि करते हैं।
मूल्यों में ऄसभिृसत्त और व्यिहार को प्रभासित करने की प्रिृसत्त होती है। मूल्यों के प्रकारों में नीसतर्रक/नैसतक
मूल्य, सैिांसतक/िैिाररक (धार्भमक, राजनीसतक) मूल्य, सामासजक मूल्य एिं सौन्दयवर्रक मूल्य ससम्मसलत हैं।

ऄगले खण्ड में हम "सससिल सेिाओं के सलए बुसनयादी मूल्यों" र्र ििाव करेंगे।

1.2.6. ऄसभरुसि, सनर्ु ण ता तथा ईर्लसधध

(Aptitude, Proficiency & Achievement)


सनर्ुणता का तात्र्यव ककसी कायव को सरलता तथा सटीकता के साथ सन्‍र्ाकदत कर र्ाने की क्षमता से है।
िहीं ईर्लसधधयों का संबध
ं ऄतीत में सन्‍र्ाकदत एिं संर्न्न कायों से है।

2. सससिल सेिाओं के सलए बु सनयादी मूल्य


(Foundational Values for Civil Services)

2.1. ये मू ल्य क्या हैं ? (What are they?)

मूल्य, मानदंडों के िे समुच्चय होते हैं सजनके अधार र्र हम ककसी कायव के ईसित या ऄनुसित होने की जांि

करते हैं। मूल्यों के ऄनेक प्रकार हैं और ईन्हें एक र्दानुिम में रखा जा सकता है। ईदाहरण के सलए, गांधी जी
ने सत्य को र्रम (सिोच्च) मूल्य माना और ईसके बाद ऄबहसा को स्थान कदया। सससिल सेिाओं से संबंसधत
मूल्य ककसी संस्कृ सत के संदभव में प्रासंसगक होते हैं, यथा- लोकतांसत्रक संस्कृ सत सािवजसनक सिश्वास के ससिांत
र्र अधाररत है ऄथावत् संप्रभु शसि जनता में सनसहत होती है। जनता ने आस शसि को राज्य को सौंर् रखा है
सजसका ईर्योग राज्य ऄर्ने ऄसधकाररयों (सनयुि तथा सनिावसित) के माध्यम से जनता के सिोत्तम सहत में
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करता है। मूल्य, समय के संदभव में भी प्रासंसगक या ऄप्रासंसगक हो सकते हैं ऄथावत् िे सिकससत होते रहते हैं।
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ईदाहरण के सलए, सससिल सेिाओं में ितवमान में कामकाज संबंधी र्ररिेश को ईन्नत बनाने र्र ध्यान कदया
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जा रहा है जबकक र्ूिव में ऐसा नहीं था।


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2.2. हमें आनकी अिश्यकता क्यों है ? (Why we need them?)


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सससिल सेिक महत्िर्ूणव ईत्तरदासयत्िर्ूणव (सिश्वास संबध


ं ी) र्द धारण करते हैं। ईन्हें व्यार्क ऄसधकार प्राप्त
होते हैं तथा ईनके सिशेष कतवव्य भी होते हैं क्योंकक ईन्हीं र्र समुदाय द्वारा सौंर्े गए संसाधनों को प्रबंसधत
करने का ईत्तरदासयत्ि होता है। िे समुदाय को सेिाएं प्रदान करते हैं और सेिाओं का सितरण करते हैं तथा
सामुदासयक जीिन के प्रत्येक र्हलू को प्रभासित करने िाले सनणवय भी लेते हैं। आसके िलते, समुदाय को यह

ऄर्ेक्षा करने का ऄसधकार होता है कक सससिल सेिक न्यायर्ूिवक, सन्‍र्क्ष ढ़ंग से तथा दक्षता से कायव करें।
यह अिश्यक है कक समुदाय का सससिल सेिा की सनणवय-सनमावण प्रकिया की सत्यसनष्ठता में सिश्वास हो। स्ियं
सससिल सेिा के भीतर भी यह सुसनसश्चत ककया जाना अिश्यक है कक सससिल सेिकों के सनणवय और
कायविासहयों से तात्कासलक सरकार की नीसतयााँ तथा सरकारी सेिक के रूर् में समुदाय द्वारा ऄर्ेसक्षत मानक
प्रसतबबसबत हों। ध्यातव्य है कक सससिल सेिकों से ईत्तरोत्तर अने िाली राजनीसतक सरकारों के तहत कायव
करते हुए दक्षता, ऄनुकियाशीलता तथा भेदभाि-रसहत होने के एकसमान मानकों को बनाए रखने की

ऄर्ेक्षा; हमारी लोकतांसत्रक राजव्यिस्था की कायवर्िसत का मुख्य तत्ि है।

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एक लोकतंत्र में, ककसी कु शल सससिल सेिा में मूल्यों का ऐसा समुच्चय ऄिश्य सनसहत होना िासहए जो आसे

ऄन्य व्यिसायों से र्ृथक करता हो। सत्यसनष्ठा, लोक सेिाओं के प्रसत समर्वण भाि, भेदभाि-रसहत होना,

राजनीसतक तटस्थता, ऄनासमता आत्याकद ककसी भी कु शल सससिल सेिा के सिसशष्ट तत्ि होते हैं। सससिल

सेिकों को संसिधान तथा सिसध को बनाए रखना होता है; आससलए ईन्हें ऄर्ने अिरणों को सनदेसशत करने

हेतु कु छ मूल्यों की अिश्यकता होती है। संसिधान, सिसध, सनयम तथा सिसनयम सससिल सेिकों में आन
ऄर्ेसक्षत मूल्यों का समािेश करते हैं। आसके प्रभािी कियान्ियन हेतु यह अिश्यक है कक स्ियं सससिल सेिक
आन मूल्यों में सिश्वास करें तथा आन्हें व्यिहार में भी ऄर्नाएं। आसके ऄसतररि, ईन र्ररसस्थसतयों में जहां

सििेकाधीन सनणवय लेने होते हैं, िहां भी यह ऄर्ेक्षा की जाती है कक सससिल सेिक आन मूल्यों द्वारा सनदेसशत

हों। आस प्रकार के मूल्यों के ऄभाि में, संज्ञानात्मक ऄसंगसत (cognitive dissonance) तथा सत्ता के
दुरुर्योग की संभािनाएं ईत्र्न्न होती हैं।
सिनीत नारायण सनणवय में न्यायमूर्भत जे. एस. िमाव द्वारा सािवजसनक जीिन में नैसतकता को लेकर
सनम्नसलसखत सििार व्यि ककए गए, “सािवजसनक र्द धारक को शसियााँ के िल सािवजसनक सहत में ईर्योग

करने हेतु प्रदान की जाती हैं। आससलए, िे लोगों के सिश्वास के तहत र्द धारण करते हैं। ऄत: ककसी भी
सससिल सेिक का न्याय के मागव से सििसलत होना सिश्वासघात के समान है तथा ऐसे मामलों को नज़रऄंदाज़
कर कदए जाने की ऄर्ेक्षा ईनसे कड़ाइ से सनर्टा जाना िासहए।”

2.3. बु सनयादी मू ल्यों के प्रकार

(Types of Foundational Values)


सससिल सेिाओं के सलए बुसनयादी मूल्यों को दो मुख्य समूहों में िगीकृ त ककया जा सकता है:
i. लक्ष्य-ईन्मुख मूल्य (End-oriented values): ये मूल्य सससिल सेिकों द्वारा ऄर्ने कत्तवव्यों का सनिवहन
करते हुए प्राप्त ककए जाने िाले लक्ष्यों से संबंसधत होते हैं। आनका संबंध ऄंसतम र्ररणामों से होता है तथा
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ईनकी सिोत्तम ऄसभव्यसि राज्य की नीसत के सनदेशक तत्िों तथा मूल ऄसधकारों के ऄंतगवत शासमल मूल्यों के
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रूर् में की जा सकती है।


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ii. साधन-ईन्मुख मूल्य (Means-oriented values): ये ईन तरीकों से संबंसधत हैं सजस तरीके से सससिल
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सेिक व्यिहार करते हैं या ऄर्ने कत्तवव्यों के सनिवहन के दौरान कायव करते हैं। आनका संबध
ं साधनों से होता है
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तथा आसके ऄंतगवत र्ारदर्भशता, ऄनुकियाशीलता, दक्षता अकद मूल्य ससम्मसलत हैं।
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2.4. सससिल से िाओं के सलए मु ख्य बु सनयादी मू ल्य

(Major Foundational Values for Civil Services)

भारत में, नैसतक मानदंडों का ितवमान समुच्चय के न्द्रीय सससिल सेिा (अिरण) सनयमािली, 1964 में सनसहत
अिरण सनयमािली है तथा आसके समान सनयम ऄसखल भारतीय सेिाओं ऄथिा सिसभन्न राज्य सरकारों के
कमविाररयों र्र लागू हैं। अिरण सनयमािली में व्यिहार संसहता सजसमें कु छ साधारण मानदंड , यथा-

‘सत्यसनष्ठा बनाए रखना तथा कतवव्यों के प्रसत र्ूणव समर्वण भाि’, सरकारी कमविाररयों को ऄनुसित अिरणों
से दूर रहना अकद ससम्मसलत हैं। सामान्यत: यह सरकारी कमविाररयों के सलए ऄिांसछत समझी जाने िाली
सिसशष्ट गसतसिसधयों को सूिीबि करता है। यह अिरण सनयमािली नैसतक संसहता की स्थार्ना नहीं करती

है। लोक सेिा सिधेयक, 2007 के मसौदा में, नैसतक संसहता के सिकास हेतु अिश्यक प्रथम िरण की ऄनुशंसा
की गयी है। आसमें लोक सेिा संबध
ं ी मूल्यों को एक ऐसे मूल्यों समुच्चय के रूर् में िर्भणत ककया गया है जो लोक
सेिकों को ईनके कतवव्यों के सनिवहन में सनदेसशत करते हैं। ये सनम्नसलसखत हैं:

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i. देशभसि तथा राष्ट्रीय सहतों को बनाए रखना;

ii. संसिधान तथा राष्ट्रीय कानूनों के प्रसत सनष्ठा;

iii. सन्‍र्क्षता, भेदभाि-रसहत, इमानदारी, कमव ता, सिनम्रता तथा र्ारदर्भशता; तथा

iv. र्ूणव सत्यसनष्ठता बनाए रखना।

सससिल सेिाओं में नैसतक संसहता के ऄभाि के बािज़ूद, ऐसे कइ सिसभन्न स्रोत हैं सजनमें सससिल सेिकों के
सलए ऄर्ेसक्षत मूल्यों का प्रत्यक्ष या र्रोक्ष रूर् से समािेश है। आन मूल्यों का सबसे प्रमुख स्रोत भारत का
संसिधान है।
मुख्य संिध
ै ासनक मूल्य
हमारा संसिधान प्रस्तािना द्वारा सनधावररत ककए गए ऄनुसार ऄर्ने नागररकों के सलए कु छ मूल्यों/ससिांतों के
प्रसत प्रसतबि है। ऄर्ने असधकाररक कत्तवव्यों के सनिवहन के दौरान एक सससिल सेिक से आन मूल्यों को बनाए
रखने की ऄर्ेक्षा की जाती है। ये हैं:
 संप्रभुता: आसका मतलब यह है कक आस देश के लोग संप्रभु हैं तथा सिोत्तम संभि तरीके से स्ियं र्र
शासन करने हेतु ऄर्ने प्रसतसनसधयों का सनिाविन करते हैं।
 समाजिाद: आसका ऄथव यह है कक एक समतािादी समाज के सिकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए
सरकार ऄथवव्यिस्था में ईत्र्ादन के साधनों र्र सनयंत्रण रखती है।
 र्ंथसनरर्ेक्ष: राज्य को ककसी भी धमव के प्रसत नकारात्मक या सकारात्मक भेदभाि नहीं करना िासहए।
 लोकतंत्र: जनता का शासन।
 गणतंत्र: आसका ऄथव है- ‘सिोच्च शसि का जनता में सनसहत होना’। राज्य प्रमुख को सनिाविन के माध्यम
से िुना जाता है तथा ईसका र्द राजतंत्र की भांसत एक िंशानुगत संस्था नहीं होता है।
 न्याय: आसका ऄथव है- सामासजक, अर्भथक तथा राजनीसतक की प्रासप्त। आसका मूल ऄथव यही है कक ककसी
भी िगव को िंसित छोड़े सबना संर्ूणव समाज की एक साथ प्रगसत तथा संर्ूणव देश में सिसध का शासन
स्थासर्त हो।
 समानता: आसका तात्र्यव सस्थसत और ऄिसर की समानता के माध्यम से कु छ सकारात्मक कारविाइ के
साथ समाज के हासशए र्र सस्थत िगों को सशि बनाने से है।
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 भ्रातृत्ि: आसका ऄथव है सभी देशिाससयों के मध्य भ्रातृत्ि की भािना, ताकक सभी की गररमा सुसनसश्चत
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हो सके ।
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सससिल सेिा मूल्यों का सामान्य बसहािलोकन


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सद्वतीय प्रशाससनक सुधार अयोग (2nd ARC) ने ऄर्नी ररर्ोटव 'शासन में नैसतकता' में सससिल सेिकों में
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ऄर्ेसक्षत मूल्यों का ससिस्तार िणवन ककया है। साथ ही ईसने UK और ऑस्ट्रेसलया जैसे ऄन्य देशों की सससिल
सेिाओं का भी संदभव सलया है।
नोलन ससमसत (UK) द्वारा यथा ऄनुशसं सत सससिल सेिा मूल्य
यूनाआटेड ककगडम में सािवजसनक जीिन के मानदंडों र्र ससमसत (Committee on Standards in Public

Life) को लोकसप्रय रूर् से नोलन ससमसत के रूर् में जाना जाता है। नोलन ससमसत ने आस सिषय में सिावसधक
व्यार्क सििरण प्रस्तुत ककया था कक कौन-कौन से घटक सािवजसनक र्दधारकों के सलए नैसतक मानदंडों का
ग न करते हैं । आसने सािवजसनक जीिन के सनम्नसलसखत सात ससिांतों को रेखांककत ककया है:
i. सनःस्िाथवता (Selflessness): सािवजसनक र्दधारकों को र्ूणत
व या सािवजसनक सहत में सनणवय लेना
िासहए। ईन्हें सनणवय लेते समय स्ियं, ऄर्ने र्ररिार या ऄर्ने समत्रों के सलए सित्तीय या ऄन्य भौसतक लाभ
प्राप्त करने के सिषय में नहीं सोिना िासहए।
ii. सत्यसन्‍ ा (Integrity): सािवजसनक र्दधारकों को स्ियं को बाहरी व्यसियों या संग नों के प्रसत ककसी
भी ऐसे सित्तीय या ऄन्य दासयत्ि के ऄधीन नहीं रखना िासहए जो ईन्हें ऄर्ने असधकाररक कत्तवव्यों के
सन्‍र्ादन में बाधा डाले।

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iii. िस्तुसन्‍ ता (Objectivity): सािवजसनक सनयुसियां करने, े के देने, या र्ुरस्कार और लाभ के सलए लोगों
को ऄनुशंससत करने ससहत सािवजसनक दासयत्िों का सनिवहन करते हुए सािवजसनक र्दधारकों को योग्यता के
अधार र्र सनणवय करना िासहए।
iv. जिाबदेही (Accountability): सािवजसनक र्दधारक ऄर्ने सनणवयों और कायों के सलए जनता के प्रसत
ईत्तरदायी होते हैं और ईनके र्द के सलए जो भी संिीक्षा ईसित हो, ईसके सलए ईन्हें ऄर्ने अर्को प्रस्तुत
करना िासहए।
v. खुलार्न (Openness): सािवजसनक र्दधारकों को स्ियं के द्वारा सलए गए सनणवयों और संर्ाकदत कृ त्यों के
संबंध में सजतना संभि हो ईतना खुला होना िासहए। ईन्हें ऄर्ने सनणवयों के कारण बताने िासहए और
जानकारी के िल तभी रोकना िासहए जब व्यार्क सािवजसनक सहत के सलए ऐसा करना स्र्ष्ट रूर् से अिश्यक
हो।
vi. इमानदारी (Honesty): सािवजसनक र्दधारकों का कत्तवव्य है कक िे ईनके सािवजसनक कत्तवव्यों से संबंसधत
ककसी भी सनजी सहत की घोषणा करें और ईत्र्न्न होने िाले सहतों के ककसी भी टकराि का समाधान करने हेतु
ऐसे कदम ई ाएं सजनसे सािवजसनक सहतों की रक्षा हो।
vii. नेतत्ृ ि (Leadership): सािवजसनक र्दधारकों को नेतृत्ि प्रदान करके और स्ियं ईदाहरण स्थासर्त करके
आन ससिांतों को बढ़ािा देना िासहए और आनका समथवन करना िासहए।
‘’शासन में नैसतकता’’ र्र सद्वतीय प्रशाससनक सुधार अयोग (2nd ARC) की ररर्ोटव में एक व्यार्क सससिल
ं में ििाव की गइ है सजसकी संकल्र्ना तीन स्तरों र्र की जा सकती है। शीषव स्तर र्र,
सेिा संसहता के संबध
ककसी सससिल सेिक द्वारा अत्मसात करने योग्य मूल्यों और नैसतक मानदंडों का स्र्ष्ट और संसक्षप्त सििरण
होना िासहए। आन मूल्यों को राजनीसतक सन्‍र्क्षता, ईच्च नैसतक मानदंडों के ऄनुरक्षण और कायों के सलए
जिाबदेही के संदभव में ककसी सससिल सेिक से जनता द्वारा की जाने िाली ऄर्ेक्षाओं को प्रसतबबसबत करना
िासहए। दूसरे स्तर र्र, सससिल सेिकों के व्यिहार को सनयंसत्रत करने िाले व्यार्क ससिांतों को रेखांककत

ककया जा सकता है। आससे नीसतर्रक अिार संसहता (Code of Ethics) का सनमावण होगा। तीसरे स्तर र्र,
सटीक और स्र्ष्ट तरीके से सनधावररत एक सिसश्‍ट अिरण संसहता (Code of Conduct) होनी िासहए।
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सजसमें स्िीकायव और ऄस्िीकायव व्यिहार और कायों की एक स्र्ष्ट सूिी हो। सद्वत्तीय ARC ने यह भी
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ऄनुशंसा की है कक मूल्यों और नीसतर्रक अिार संसहता को प्रस्तासित सससिल से िा सिधेयक में ससम्मसलत
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कर आन्हें सांसिसधक समथवन प्रदान ककया जाए।


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3. सससिल सेिाओं के सलए बु सनयादी मूल्यों का ससिस्तार िणवन


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(Foundational Values for Civil Services in Detail)

3.1. सत्यसन्‍ ा (Integrity)

‘सत्यसन्‍ ा के सलए ऄंग्रेजी शधद ‘आंटेसग्रटी (Integrity)’ लैरटन शधद ‘आसन्टजर (Integer)’ से बना है। आसका
ऄथव संर्ूणव या र्ूणव होना है। नीसतशास्त्र में, सत्यसन्‍ होने का ऄथव इमानदारी तथा ऄर्ररितवनशील दृढ़
नैसतक ससिांतों का गुण रखने िाला व्यसि होना है। आसका ऄथव दृढ़ नैसतक मानदंड रखना और ईनको
कमजोर नहीं होने देने के सलए दृढ़ संकसल्र्त होना है। सत्यसन्‍ ा को कायों, मूल्यों, र्िसतयों, ईर्ायों,
ससिांतों, ऄर्ेक्षाओं और र्ररणामों के साथ सामंजस्य या संगतता की ऄिधारणा की ऄिधारणा के रूर् में

र्ररभासषत ककया जाता है। नीसतशास्त्र में, सत्यसन्‍ ा का तात्र्यव इमानदारी और ककसी व्यसि के कायों की
सत्यता या र्ररशुिता से है। यहााँ मुख्य र्द 'संगतता' (consistency), 'इमानदारी', और 'ककसी व्यसि के
कायों की सत्यता या र्ररशुिता' हैं। संगतता से अशय सस्थसत से सनरर्ेक्ष रहते हुए एकसमान होना है। ककसी
एक कदन शांत और रिनात्मक तरीके से सनणवय लेने िाले और दूसरे कदन जल्दीबाजी में सनणवय लेने िाले

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व्यसि को संगत नहीं कहा जा सकता है। नेतृत्िकताव ऄर्ने दृसष्टकोण में ऐसे समय में भी सस्थर बने रहते हैं
जब सस्थसत ईसके प्रसतकू ल हो (कृ र्या यह ध्यान दें कक संगतता ऄनम्यता नहीं है)।
इमानदारी, सत्यता और ककसी के कायों की र्ररशुिता, ऄच्छे मंतव्य और सििार की मांग करती है। दूसरों

के साथ कोइ व्यसि ककतना इमानदार और सच्िा है, यह ईसके मंतव्य र्र सनभवर करता है – आससलए कायों
को व्यसि के शधदों के साथ समन्िसयत होना िासहए और शधदों को व्यसि के सििारों के साथ समन्िसयत
होना िासहए। आससलए, सत्यसन्‍ ा में सििार, िाणी एिं कायों में आस प्रकार की संगतता का एक महत्िर्ूणव
घटक शासमल होता है सजससे कक व्यसि की अदशव सस्थसत और ईसकी िास्तसिक सस्थसत के बीि कोइ ऄंतर
न रह जाए; ऄथावत् हमारी सोि के ऄनुसार अिरण का जो िांछनीय तरीका है तथा जो हमारा िास्तसिक

अिरण है, ईनके बीि का ऄंतर समाप्त हो जाए। यह व्यसित्ि की िह सिशेषता है सजसकी हम प्रशंसा करते
हैं, क्योंकक आसका ऄथव है कक व्यसि के र्ास एक नैसतक कदग्दशवक है जो ककसी भी र्ररसस्थसत में ऄनु सित मागव

नहीं कदखाता। आसका ऄथव अदशों, अस्था, मानदंडों, मान्यताओं और व्यिहार का एकीकरण भी है। आससलए,
र्ूणव सत्यसन्‍ ा िाला व्यसि कभी भी प्रलोभन और बाय द दबाि से प्रभासित नहीं हो सकता, क्योंकक िह
ऄर्नी ऄंतरात्मा के ऄनुरूर् ही ऄनुकिया करता है। ध्यान दें कक भौसतक िस्तुएं भी सत्यसन्‍ ा को प्रदर्भशत
कर सकती हैं - यकद अर् ककसी जजवर र्ुराने र्ुल से गुजर रहे हैं जो हिा के प्रिासहत होने र्र झूलने लगता है
तो अर् आसकी संरिनात्मक सत्यसन्‍ ा (ऄखंडता) र्र संदहे कर सकते हैं।
सारतः, सत्यसन्‍ ा का अशय ससिांतों का र्ालन करने से है। यह तीन िरणीय प्रकिया है: अिरण के ईसित

तरीके का ियन; आस ियन के संगत कायवकरण - यहां तक कक जब ऐसा करना ऄसुसिधाजनक या लाभहीन

हो ऐसी सस्थसत में भी; तथा प्रत्यक्ष रूर् से घोसषत करना कक अर्का मत क्या है। तदनुसार, सत्यसनष्ठा को

नैसतक भािना, प्रसतबिताओं के प्रसत दृढ़ता, सिश्वसनीयता के समतुल्य माना जा सकता है। ये तीनों समान

रूर् से महत्िर्ूणव हैं- िोर ऄर्ने सििारों और कायों में संगत हो सकता है, र्रन्तु ईसका नैसतक मानदंड सनम्न
स्तर का होता है और ईसने सही कायव नहीं िुना होता है। यहााँ यह महत्ि नहीं रखता कक िह स्ियं आसे सही
मानता है या नहीं। यकद यह देखें कक ईसने ‘क्या सही और क्या गलत है’ आसका र्ता लगाने प्रयास ककया
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ऄथिा नहीं, तो शायद हम र्ाएंगे कक ईसने ऐसा नहीं ककया। ककसी भी सस्थसत में, िह सिश्िसनीयता के
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र्रीक्षण में भी सिफल रहता है।


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आसके ऄसतररक् त, सत्यसन्‍ ा में 'ऄखंडता' की ऄिधारणा संर्ूणत


व ा से सनसहत होती है। यकद व्यसि सत्यसनष्ठ है
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तो यह ईसके कायों, शधदों, सनणवयों, र्िसतयों और र्ररणामों के माध्यम से लोगों को स्र्ष्ट रूर् से कदखना
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िासहए। जब अर् 'ऄखंड' एिं सुसंगत होते हैं तो अर्का व्यसित्ि एकसमान रहता है। ककसी भी र्ररसस्थसत
में अर् ऄर्ना एक समान व्यसित्ि प्रस्तुत करते हैं। अर् ऄर्ने व्यसित्ि का कोइ भी ऄंश कहीं छोड़कर नहीं
अते- अर् 'काम करते समय', 'र्ररिार के साथ' या 'सामासजक रूर् में' सभन्न-सभन्न नहीं होते हैं तथा प्रत्येक

समय एक ही व्यसि ऄथावत् सदैि ‘के िल अर्’ होते हैं।


हर समय सौ प्रसतशत संर्ूणव होना कर न है। आससलए जब हम ककसी व्यसि के सत्यसन्‍ ा संबंधी मानदंडों को
संदर्भभत करते हैं तो हम सिशेषक के रूर् में ‘ईच्च’ और ‘सनम्न’ शधदों का ईर्योग करते हैं।

हाफोन (Halfon) सत्यसन्‍ ा को, नैसतक जीिन के ऄनुगमन के प्रसत व्यसि के समर्वण और आस प्रकार के
जीिन की मांगों को समझने के प्रयास में ईनके बौसिक ईत्तरदासयत्ि के रूर् में संदर्भभत करते हैं। िह सलखते
हैं कक एक सत्यसनष्ठ व्यसि:
“…नैसतक दृसष्टकोण को ऄंगीकृ त करता है जो ईसे ऄिधारणात्मक रूर् से स्र्ष्ट होने, तार्ककक रूर् से सस्थर

रहने, प्रासंसगक ऄनुभिजन्य साक्ष्य से ऄिगत होने और प्रासंसगक नैसतक मान्यताओं को स्िीकार करने के
साथ-साथ ईनका मूल्यांकन करने का अग्रह करता है। सत्यसन्‍ व्यसि आन प्रसतबंधों को ऄर्ने उर्र

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अरोसर्त करते हैं क्योंकक िे न के िल ककसी भी नैसतक दृसष्टकोण को ऄर्नाने, बसल्क जो सिोत्तम है ईसका
र्ालन करने की प्रसतबिता का ऄनुगमन करने के प्रसत सिन्तनशील होते हैं।”
नोलन ससमसत द्वारा सससिल सेिक के सलए सत्यसन्‍ ा को सनम्नसलसखत रूर् में र्ररभासषत ककया गया है:
‘सािवजसनक र्दधारकों को स्ियं को बाहरी व्यसियों या संग नों के प्रसत ककसी भी ऐसे सित्तीय या ऄन्य

दासयत्ि के ऄधीन नहीं रखना िासहए जो ईन्हें ईनके असधकाररक कतवव्यों के सन्‍र्ादन को प्रभासित करे’।

यह देखा जा सकता है कक एक सत्यसन्‍ सससिल सेिक होने के सलए (i) ककसी व्यसि का नैसतक मानदंड ईच्च

होना िासहए (ii) ईसे ऄर्ने ईद्देश्यों के प्रसत इमानदार होना िासहए, (iii) सनणवय लेने की प्रकिया में सुसंगत

होना िासहए - ईसे न के िल इमानदार और सत्यिादी होना िासहए, बसल्क ईसे ऐसा समझा भी जाना

िासहए। यह सािवजसनक सिश्वास की अधारसशला है, जो सािवजसनक र्दधारण करने िाले व्यसि के सलए

अिश्यक है। ईन्हें ऄर्ने सलए, ऄर्ने र्ररिार या ऄर्ने समत्रों के सलए सित्तीय या ऄन्य भौसतक लाभ प्राप्त
करने के सलए न तो कोइ ऐसा कायव करना िासहए न ही ईनके र्क्ष में स्िाथविश सनणवय लेने िासहए। ईन्हें
ककसी भी सहत और संबध
ं की घोषणा और तत्संबध
ं ी समाधान प्रस्तुत करना िासहए।
यह इमानदारी से ककस प्रकार सभन्न है?

इमानदारी: आसका ऄथव तथ्यों को ईसी रूर् में बनाए रखना है, सजस रूर् में िे हैं, ऄथावत् सत्य को बनाए

रखना है। यकद अर् सत्य बोलते हैं, तो अर् इमानदारी का गुण रखते हैं। इमानदार होने का ऄथव ककसी भी

प्रकार से झू न बोलने, िोरी न करने, धोखा न देने या छल न करने के सिकल्र् का ियन करना होता है।

सत्यसन्‍ ा: आसका ऄथव हर समय जो सही है िही सोिना और करना, िाहे आसका र्ररणाम कु छ भी हो।
अर् के ऄंदर सत्यसनष्ठा होने र्र ककसी के द्वारा न देखे जाने की सस्थसत में भी अर् ऄर्ने मानदंडों और
मान्यताओं के ऄनुसार जीने के आच्छु क होते हैं; अर् आस प्रकार जीना िाहते हैं कक अर्के सििार और
व्यिहार हमेशा र्रस्र्र सुसग
ं त बने रहें। ऄतः सत्यसनष्ठा के सलए न के िल सत्यता (इमानदारी) बसल्क सभी
र्ररसस्थसतयों में जो सही है, िही करने की सिशेषता की भी अिश्यकता होती है।
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सत्यसनष्ठा के ईर्-समूह के रूर् में इमानदारी: सत्यसनष्ठा में सिश्वसनीयता ऄथावत् ऄर्ने ससिांतों और मूल्यों में
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संगतता सनसहत होती है। ऐसे में इमानदारी सत्यसनष्ठा का एक अिश्यक मानदंड बन जाती है, हालांकक यह
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र्ूणवतया र्यावप्त मानदंड नहीं होती है। सत्यसनष्ठ होने के सलए व्यसि को इमानदार होना िासहए, लेककन
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के िल इमानदार होने से व्यसि सत्यसनष्ठ नहीं हो जाता। साधारण शधदों में कहा जाए तो, कोइ भी व्यसि
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ककसी एक कायव में इमानदार हो सकता है, लेककन सत्यसनष्ठा के सलए ईसे ऄर्ने समग्र अिरण में सत्यसनष्ठ
होने की अश्यकता होती है।
सत्यसनष्ठा के सबना इमानदारी: सत्यसनष्ठा व्यसि से िुनौतीर्ूणव र्ररसस्थसतयों का सामना करने की मांग
करती है। ईदाहरण के सलए, महाभारत के युि में ऄजुन
व भ्रसमत था कक क्या धमव/सच्चाइ/कत्तवव्य का र्ालन
करना िासहए या संबंधों/लगाि का ऄनुसरण करना िासहए। कत्तवव्य (जो सही कायव है) और लगाि के बीि
आस प्रकार का संघषव यह सनधावररत करने का महत्िर्ूणव र्रीक्षण है कक व्यसि की सत्यसन्‍ ा ईच्च है या सनम्न
है। िहीं दूसरी ओर इमानदारी के सलए आस प्रकार के संदभव की अिश्यकता नहीं होती है। व्यसि ऄसनिायव
रूर् से सत्यसनष्ठा प्रदर्भशत ककए सबना भी दैसनक जीिन में इमानदार हो सकता है। सत्यसनष्ठा का ऄथव नैसतक
िररत्र की सुदढ़ृ ता के साथ-साथ इमानदारी है - सत्यसनष्ठा में इमानदारी के ऄसतररि कु छ और भी शासमल
होता है। इमानदारी और सत्यसनष्ठा के बीि बड़ा ऄंतर यह है कक व्यसि सत्यसन्‍ ा के सलए अिश्यक गहन
बितन और ईसके र्ररलसक्षत होने के सबना भी र्ूरी तरह से इमानदार हो सकता है। इमानदार व्यसि ककसी
बात के सही या गलत के ऄसग्रम सनधावरण के सबना भी सत्यतार्ूिक
व यह बता सकता है कक िह ककसे मानता
है। ईदाहरण के सलए, कोइ व्यसि कहे कक "सभी एथलीट छल करते हैं" और िह िास्ति में आस कथन में

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सिश्वास भी करता हो तो यह इमानदारी है। लेककन, यह सनधावररत करने का प्रयास नहीं करना कक यह दािा

सही है या नहीं, सत्यसन्‍ ा की कमी को दशावता है। आस प्रकार, कोइ व्यसि सत्यसन्‍ हुए सबना भी
इमानदार हो सकता है।
सत्यसन्‍ ा के प्रकार
उर्र प्रस्तुत सत्यसनष्ठा का सििार नैसतक ईद्देश्य और एक समग्र सद्गुण के रूर् में सत्यसन्‍ ा का िणवन
करता है। ईदारता जैसे गुण हमें ककसी सिसशष्ट सििार की ओर ले जाते हैं। ककन्तु सत्यसन्‍ ा के गुण में सिशेष
रूर् से ऐसा कु छ भी नहीं होता जो आसे धारण करने िाले को ककसी सिसशष्ट सििार की ओर प्रेररत करे।
तथासर्, सत्यसन्‍ ा एक सिलक्षण गुण है जो ककसी भी सिसशष्ट ऄसभप्रेरणा और सििारों से संबंसधत नहीं है।
यह एक सिशेष प्रकार की सिशेषता और समूहबि ऄिधारणा है और आस प्रकार आसमें ऄनेक ऄसभप्रेरणाएं
और सििार ससम्मसलत हैं।
िूंकक सत्यसनष्ठा में सिसभन्न प्रसतबिताओं और मूल्यों का प्रबन्धन ससम्मसलत होता है। ऄतः यह कहा जा
सकता है कक सत्यसनष्ठा के ऐसे सिसभन्न प्रकार ककसी व्यसि की समग्र सत्यसनष्ठा, या ईसकी व्यसिगत

सत्यसनष्ठा की सभन्न-सभन्न ऄसभव्यसियााँ मात्र हैं। हालााँकक, कभी-कभी यह कहा जाता है कक ककसी व्यसि में
बौसिक सत्यसनष्ठा तो है र्रन्तु ईसके र्ास व्यसिगत सत्यसनष्ठा की कमी है या व्यसिगत सत्यसनष्ठा की तुलना
में बौसिक सत्यसनष्ठा ऄसधक है। यकद यह सत्य है और सत्यसनष्ठा के ईन प्रकारों में मौसलक भेद है सजनकी
जीिन के एक क्षेत्र या ककसी ऄन्य क्षेत्र में मांग होती है तो समग्र सत्यसनष्ठा या व्यसिगत सत्यसनष्ठा कमजोर
र्ड़ सकती है या ईसे गम्भीर िुनौती समल सकती है। ईदाहरण के सलए, सत्यसनष्ठा के सिसभन्न प्रकारों के मध्य
टकराि ईत्र्न्न हो सकता है, जैस-े बौसिक और नैसतक सत्यसनष्ठा के मध्य। आस प्रकार, यकद हम आसे सिसभन्न

प्रकारों में सिभासजत करते हैं तो “र्ूणवता” और “संगतता” र्र अधाररत सत्यसनष्ठा कमजोर र्ड़ सकती है।
हालााँकक, मानिीय क्षमता और िगीकरण की अिश्यकता के कारण या लोगों के जीिन के सिसभन्न भागों को
मनोिैज्ञासनक रूर् से र्ृथक करने के सलए हम सिसभन्न प्रकार की सत्यसनष्ठाओं का सनधावरण कर सकते हैं, जैसे:
i. नैसतक सत्यसनष्ठा: आसका ऄथव ईन मानकों में संगतता और इमानदारी से है, सजनका ईर्योग कोइ व्यसि
दूसरों के साथ-साथ स्ियं के ईसित या ऄनुसित होने का अकलन करने के सलए करता है। यह सत्यसनष्ठा का
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सिावसधक व्यार्क प्रकार है तथा यही उर्र िर्भणत व्यसिगत सत्यसनष्ठा भी है।
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ii. र्ेशि
े र सत्यसनष्ठा: आसका तात्र्यव संबंसधत र्ेशे की नैसतक संसहता, मानदंडों, मानकों और मूल्यों का
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ऄनुर्ालन करने से है। आस प्रकार आसका सम्बन्ध ईस र्ेशेिर से है जो ऄर्ने ियसनत र्ेशे में सनरंतर और
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स्िेच्छार्ूिवक सनधावररत कदशासनदेशों के ऄंतगवत कायव करता है।


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र्ेशेिर सत्यसनष्ठा नैसतक सत्यसनष्ठा से कमजोर होती है। ईदाहरण के सलए, यह तकव कदया जा सकता है कक
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र्ेशेिर सत्यसनष्ठा का र्ालन करने िाले व्यसि का ईत्तरदासयत्ि ऄिव-नैसतक होता है या िे िास्तसिक रूर् से
नैसतक नहीं होते हैं क्योंकक आस प्रकार की नैसतकता र्ेशे का अंतररक सिषय है। तथासर्, यह स्िीकायव प्रतीत
होता है कक र्ेशेिर सत्यसनष्ठा को नैसतक जीिन जीने हेतु एक महत्िर्ूणव योगदान के रूर् में समझा जाना
बेहतर होगा। र्ेशेिर सत्यसनष्ठा ककसी र्ेशेिर क्षेत्र के सलए सिसशष्ट तो होती है, र्रन्तु नैसतकता से र्ूणवतः
स्ितंत्र नहीं होती।
iii. बौसिक सत्यसनष्ठा: बौसिक सत्यसनष्ठा’ र्द, बुसि की सत्यसनष्ठा और बुसिजीिी की सत्यसनष्ठा के मध्य की
एक ऄस्र्ष्ट सस्थसत को िर्भणत करता है। व्यार्क ऄथव में, बौसिक सत्यसनष्ठा सििार करने में सक्षम प्रत्येक
व्यसि र्र लागू होती है और आससलए यह ऄत्यसधक सामान्य हो जाती है। सिसशष्ट रूर् से समझने हेतु ,
बौसिक सत्यसनष्ठा एक ऄकादसमक गुण के रूर् में सत्यसनष्ठा है। बुसिजीसियों में बौसिक गुणों, जैसे-
इमानदारी, सन्‍र्क्षता, िस्तुसस्थसत का सम्मान करने और अलोिनात्मक सििारों के सलए खुलेर्न के स्तरों
में सभन्नता हो सकती है। ऐसे में बौसिक सत्यसनष्ठा को एक ऐसे व्यार्क गुण के रूर् में माना जा सकता है जो
आन व्यसिगत गुणों को सक्षम बनाए, ईनके मध्य ईसित संतुलन बनाए रखे और ईन्हें बढ़ािा दे। ईदाहरण के

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सलए, सुकरात बौसिक सत्यसनष्ठा िाले व्यसि का एक ईत्कृ ष्ट ईदाहरण हो सकता है। ईनमें सत्य और ज्ञान की
खोज करने की प्रसतबिता थी और ईन्होंने स्ियं र्र लग रहे अक्षेर्ों के बािजूद ऄर्नी बौसिक सत्यसनष्ठा को
बनाए रखा। बौसिक सत्यसनष्ठा की ऄिधारणा के कें द्र में रहने िाले कु छ सामान्य रूर् से ईद्धृत बौसिक
सद्गुण सनम्नसलसखत हैं – इमानदारी, साहस, सन्‍र्क्षता, संिेदनशीलता, बोध क्षमता या कु शाग्रता, बौसिक
सिनम्रता, दृढ़ता, ऄनुकूलन क्षमता और संिादशीलता। ककसी व्यसि में बौसिक सत्यसनष्ठा के होने का ऄथव
ईसमें आन सद्गुणों की सिद्यमानता है। हालााँकक, ककसी व्यसि की समग्र बौसिक सत्यसनष्ठा को कमजोर ककए
सबना ये ईनमें सभन्न-सभन्न र्ररमाण में सिद्यमान हो सकते हैं। साथ ही, बौसिक सत्यसनष्ठ व्यसि से सिसभन्न
प्रकार के कायों की ऄर्ेक्षा की जा सकती है; ईदाहरण के सलए- सासहत्यक िोरी का सिरोध करना, प्रसतिादों
को न दबाना और सहायता के सलए सदैि अभार व्यि करना। आस प्रकार यह कहा जा सकता है कक बौसिक
सत्यसनष्ठा िह गुण है जो ककसी व्यसि को बौसिक कायों की सिसभन्न मांगों को संतुसलत करने और आन
सद्गुणों को ईसित िम में ऄसभव्यि करने में सक्षम बनाता है।
iv. कलात्मक (Artistic) सत्यसनष्ठा: यह ऄसनिायव रूर् से एक कलाकार द्वारा ऄर्ने कायव के प्रसत प्रदर्भशत
सत्यसनष्ठा है। कायव की सम्र्ूणत
व ा - सटीकता, सािधानीर्ूिवक सन्‍र्ादन, ककसी भी घटक को ईसके स्थान से
आतर प्रदर्भशत न करना अकद कलात्मक सत्यसनष्ठा की कसौरटयां हैं। एक सित्रकार के ईदाहरण र्र सििार
कीसजए। िह ऄर्ना र्ररिार, घर, देश अकद को छोड़ कर सिदेश िला जाता है ताकक िह कै निास र्र
सिसत्रत करने हेतु ऄसाधारण दृसष्टकोण की खोज कर सके । क्या िह व्यसि सत्यसनष्ठा के ऄनुरूर् अिरण कर
रहा है? क्या ऄर्ने ियसनत व्यिसाय के प्रसत ईसकी प्रसतबिता को ईसके र्ररिार/देश के प्रसत ईसके
ईत्तरदासयत्ि का स्थान ले लेना िासहए। आसका कोइ स्र्ष्ट ईत्तर नहीं कदया जा सकता है। यकद ईसकी
कलात्मक योजना सिफल हो जाती है तो हम ईसे नैसतक रूर् से कमजोर मान सकते हैं, ऄन्यथा हमारे द्वारा
ईसके कायों को ऄसधक ऄनुकूल नैसतक र्ररप्रेक्ष्य में देखे जाने की सम्भािना है। हालााँकक, ऐसा सोिने का
कोइ कारण नहीं है कक िह के िल तभी सफल हो सकता है जब िह ऄर्ने घर को छोड़ देगा। ककसी भी मामले
में, ईसकी कलात्मक सत्यसनष्ठा के संबध
ं में हमारा मूल्यांकन ईसे व्यसिगत/नैसतक सत्यसनष्ठा की कमी से
दोषमुि नहीं करता है।
नैसतक मूल्य, सजन्हें कलाकार द्वारा सनर्भमत या प्रोत्सासहत ककया जाता है, कलात्मक सत्यसनष्ठा र्र सििार
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करने हेतु प्रासंसगक होते हैं। आस प्रकार, सिशेष रूर् से कलात्मक सत्यसनष्ठा के मानकों के ईच्च होने की सस्थसत
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में कलात्मक और नैसतक सत्यसनष्ठा का ऄसतव्यार्न हो सकता है। दूसरी ओर, ऄत्यसधक दबाि की सस्थसतयों
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में कलात्मक और नैसतक सत्यसनष्ठा में टकराि भी ईत्र्न्न हो सकता है। र्ररस्थसतयााँ भी सभन्न-सभन्न होती हैं
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और ईनके साथ सत्यसनष्ठा में कर नाइ और ईसके गुणों को लेकर हमारे अकलन, दोनों में सभन्नता हो सकती
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है। एक सिवसत्तािादी (totalitarian) राज्य में ररर्ोर्टटग करने िाला एक र्त्रकार र्यावप्त दबाि में होता है।
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ईसे ऄर्ने कायों में कु छ समझौते करने र्ड़ सकते हैं। कोइ व्यसि ऄर्नी नैसतक सत्यसनष्ठा को कलात्मक
सत्यसनष्ठा से ऄसधक अाँक सकता है – संभि है कक ईसके द्वारा कोइ समझौता ककया गया हो सजससे एक
कलाकार (र्त्रकार) के रूर् में ईसकी सत्यसनष्ठा प्रभासित हुइ हो।
सत्यसनष्ठा के स्रोत
सत्यसनष्ठा एक ऐसा मूल्य है, सजसे ककसी बाहरी सनयंत्रण के माध्यम से लागू नहीं ककया जा सकता है क्योंकक
आसके स्रोत लाभ-हासन के तकों के सिर्रीत नैसतक तकों र्र अधाररत होते हैं।
सत्यसनष्ठा को कै से सिकससत ककया जाए?
हालााँकक, हमारे व्यिहार के सलए एक मागवदशवक के रूर् में सत्यसनष्ठा का स्रोत नैसतक तकव होता है, र्रन्तु यह
एक मूल्य है सजसे ऄन्य मूल्यों की भांसत सिकससत ककया जा सकता है। ईनमें कु छ की ििाव नीिे की गयी है:
i. मॉडल लर्ननग के माध्यम से: यकद ककसी युिा नि सनयुि व्यसि की र्हली र्ोबस्टग एक इमानदार
ऄसधकारी के ऄधीन की जाती है, तो एक ऄच्छे रोल मॉडल के द्वारा सनदेशन प्रदान ककए जाने के कारण
ईसके इमानदार बने रहने की संभािना ऄसधक होगी।

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ii. र्ुरस्कार और दंड: नए सिकससत मूल्य को सुदढ़ृ बनाने हेतु िमशः ईसित व्यिहार को र्ुरस्कृ त और
ऄनुसित व्यिहार को दंसडत ककया जाना िासहए। आसे ‘र्ुरस्कार एिं दंड’ की नीसत कहा जाता है।
iii. संिद
े नशीलता प्रसशक्षण: आस प्रकार के प्रसशक्षण के ऄंतगवत, ककसी व्यसि को भूसमका-सनिवहन के माध्यम
से िांसछत मूल्यों को ससखाया जाता है, ताकक िह आनके मध्य के सूक्ष्म ऄंतरों को समझ सके ।
iv. नैसतक संसहता और अिार संसहता: सद्वतीय प्रशाससनक सुधार अयोग द्वारा सरकार के सभी सिभागों के
सलए नैसतक संसहता की संस्तुसत की गइ थी। आस संसहता में व्यार्क ससिांत शासमल होंगे, सजनका ऄनुर्ालन
सभी सहभासगयों को करना होगा। आससे संबंसधत ररर्ोटें प्रदान की जाएंगी सजनका मूल्यांकन सिभागाध्यक्ष
द्वारा ककया जाएगा।

3.2. िस्तु सनष्ठता (Objectivity)

िस्तुसनष्ठता से तात्र्यव है- तथ्यों ऄथावत् साक्ष्यों के साथ जुड़े रहना। आसका ऄथव साक्ष्यों द्वारा सनदेसशत होना
और यह मानना कक कोइ घटना सत्य के ईतना ही समीर् होगी, सजतने ईसके समथवन में साक्ष्य होंगे। यह
व्यसि की िह सिशेषता है सजसमें तथ्यों र्र सििार-सिमशव एिं ईन्हें प्रस्तुत करते समय व्यसि के सनणवय
व्यसिगत भािनाओं या सििारों से प्रभासित नहीं होते हैं। आसका ऄथव सबना ककसी र्ूिावग्रह, व्यसिगत
मान्यताओं, भािनाओं या बाय द प्रभाि के तथ्यों के अधार र्र सन्‍र्क्ष रूर् से ककसी सस्थसत का अकलन
करना है। आससलए यह तकव संगत और ऄसधकांशतः प्रकृ सत में ऄनुभिजन्य होती है। यह व्यसिसनष्ठता, ऄथावत्
भािनाओं, मूल्यों, मनोभािों अकद के सिर्रीत है। व्यिहार में सससिल सेिकों को सािवजसनक सनयुसियां
करने, े के देने या र्ुरस्कार और लाभ के सलए लोगों को ऄनुशंससत करने ससहत सािवजसनक दासयत्िों का
सनिवहन करते हुए योग्यता के अधार र्र सनणवय करना िासहए।
आसकी अिश्यकता क्यों है?
सससिल सेिक स्र्ष्ट रूर् से र्ररभासषत सनयमों के अधार र्र ऄर्ने कतवव्यों का सनिवहन करते हैं। ये सनयम
ईनके ईत्तरदासयत्िों का सनधावरण करते हैं और साथ ही आनके सनिवहन हेतु अिश्यक ऄसधकार भी प्रदान करते
हैं। ककसी लोक र्द में िैधता और सािवजसनक सिश्वास ऄन्तर्भनसहत होता है क्योंकक आसमें सनसहत ईत्तरदासयत्ि
और ऄसधकार सनरंकुश नहीं होते हैं (मैक्स िेबर की लीगल-रैशनल ऄथॉररटी)। आससलए लोक र्द र्र असीन
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होने के सलए अिश्यक है कक व्यसि सनणवय सनमावण में स्िेच्छािारी होने के स्थान र्र तार्ककक हों। तकव संगतता
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र्ूिावग्रहों के बजाय तथ्यों र्र अधाररत होती है, दूसरे शधदों में व्यसि के मसस्त्‍क को ककसी र्ूिव-सनधावररत
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धारणाओं से प्रभासित हुए सबना खुले कदमाग से तथ्यों का अकलन करना िासहए। र्ूिावग्रह हमें सििेकशून्य
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बना देते हैं और सनणवय लेने एिं ईनके सन्‍र्ादन में बाधक के रूर् में कायव करते हैं। नोलन ससमसत ने
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िस्तुसनष्ठता के महत्ि को सनम्नसलसखत प्रकार से िर्भणत ककया है:


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‘लोक र्द के कत्तवव्य ऄथावत् सनयुसियां करने, ऄनुबंध प्रदान करने, लाभ की ऄनुशंसा करने अकद समेत सनणवय
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लेने की शसियााँ ईसके धारक में सनसहत होती हैं। योग्यता के ऄसतररि ककसी भी ऄन्य मानदंड र्र ियन की
ऄनुमसत नहीं दी जा सकती है। सनणवय तकव अधाररत एिं अिेग रसहत होने िासहए। कायवकारी ऄर्नी प्रत्येक
कायविाही के सलए स्ि-प्रेररत तकव प्रदान करने की न्यायर्ासलका की र्रंर्रा का ऄनुकरण कर सकते हैं। तकों
को ररकाडव करने की अिश्यकता ही ऄर्ने अर् में एक बड़ा रक्षोर्ाय है, जो सनणवयकताव को व्यसिसनष्ठ होने
से रोकता है।’
आसे कै से सुसनसश्चत ककया जाता है?
िस्तुसनष्ठता को सुसनसश्चत करने हेतु सससिल सेिकों से कु छ सलसखत सनयमों, सिसनयमों और कानूनों के अधार
र्र कायव करने की ऄर्ेक्षा की जाती है ताकक सििेकासधकारों को समाप्त या कम ककया जा सके । ईन सस्थसतयों
में जहााँ सििेकासधकार से सनणवय सलए जाने हैं, सनणवय तथ्यों र्र अधाररत होने िासहए न कक व्यसिगत
मान्यताओं या ककसी ऄन्य सििार र्र।
आसे कै से सिकससत ककया जा सकता है?
 र्ारदर्भशता (Transparency): यकद सनणवयों एिं ईनके र्ीछे के तकों को सािवजसनक ककया जाता है, तो
सससिल सेिक ऄर्नी आच्छाओं और महत्िाकांक्षाओं के स्थान र्र तथ्यों के अधार र्र सनणवय लेने के

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सलए और ऄसधक सतकव रहेंगे। ईदाहरण के सलए, RTI एक्ट के ऄसधसनयमन के साथ आस प्रिृसत्त को देखा
जा सकता है।
 सूिना प्रबन्धन प्रणाली (Information Management System: IMS): यकद संग न घटनाओं,
सूिनाओं एिं अंकड़ों का ऄसभलेखन और दस्तािेजीकरण नहीं करता है तो िह ईसित जानकारी के
अधार र्र सनणवय-सनमावण में सक्षम नहीं होगा।

3.3. लोक से िा के प्रसत समर्व ण (Dedication to Public Service)

समर्वण िस्तुत: ककसी सिशेष गसतसिसध, व्यसि या कारण के प्रसत ऄर्ने समय, ध्यान ऄथिा स्ियं को र्ूणवतः
संलग्न करने में सक्षम होने का गुण है। यह ककसी और्िाररक बाय द माध्यम के सबना व्यसिगत आच्छा और
ऄंतःकरण के अधार र्र ककसी कायव को संर्न्न करने की प्रसतबिता है। हालााँकक िास्ति में समर्वण,
प्रसतबिता से सभन्न है। जहााँ प्रसतबिता में और्िाररक रूर् से बाध्यता/सििशता शासमल होती है, िहीं
समर्वण कतवव्य की भािना से सनदेसशत होता है तथा राज्य या समाज के अदशों से प्रेररत होता है। आस प्रकार
समर्वण व्यसि के ककसी और्िाररक प्रसतबिता या बाय द र्ुरस्कार की ऄनुर्सस्थसत में भी ऄर्ने कायव में संलग्न
रहने को सुसनसश्चत करता है।
सससिल सेिाओं में, समर्वण व्यसि को सािवजसनक कल्याण/सहत के सििार से एकीकृ त कर देता है। आस प्रकार
समर्वण यह सुसनसश्चत करता है कक सससिल सेिक के कतवव्य की भािना ईसके असधकाररक ईत्तरदासयत्ि के
साथ एकीकृ त हो तथा आसके र्ररणामस्िरूर् सससिल सेिक ऄरुसिकर, ऄिांसछत, थकानभरे या शत्रुतार्ूणव
र्ररिेश में भी ऄर्ना कायव जारी रख सके । ऐसा आससलए होता है क्योंकक ईसका कतवव्य ईसका ईद्देश्य बन
जाता है और िह ‘कांट’ के “कतवव्य के सलए कतवव्य” के ससिांत को िास्तसिकता में िररताथव करता है।
िस्तुतः जनता तथा राष्ट्र के प्रसत सेिा भािना तथा बसलदान की भािना सािवजसनक सेिा के अिश्यक तत्ि हैं
और सससिल सेिकों को आस तथ्य से प्रोत्सासहत और प्रेररत होना िासहए कक िे ऄर्ना जीिन एक महान
ईद्देश्य के सलए समर्भर्त कर रहे हैं (यकद ईन्होंने आसका भाग बनना िुना है)।
आसकी अिश्यकता क्यों है?
i. आसके सबना सससिल सेिकों के सलए जरटल र्ररसस्थसतयों में ऄर्ने कतवव्यों का सनिवहन करना कर न होगा।
ii. सससिल सेिकों को ईनके कायव में प्रभािी और लोगों के प्रसत सहानुभूसत र्ूणव बनाने के सलए।
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iii. संसिधान में ईसल्लसखत अदशों, जैस-े न्याय, समानता अकद को प्राप्त करने के सलए।
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आसे कै से सिकससत करें?


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लोक सेिा के प्रसत समर्वण एक प्रकार से ऄसभरुसि के समान है। आससलए यह ऄन्तः प्रेरणा का एक घटक है,
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जो यकद ईर्सस्थत नहीं है तो सिकससत करना कर न है। हालााँकक समर्भर्त सससिल सेिाएाँ सुसनसश्चत करने के
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सलए सनम्नसलसखत ईर्ाय ककये जा सकते हैं:


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i. र्रीक्षा र्िसत को आस प्रकार सनधावररत ककया जाना िासहए कक सम्भासित रूर् से सनयोसजत होने िाले
सदस्यों के दृसष्टकोण का अकलन ककया जा सके ।
ii. जनसंख्या के सिसभन्न िगों द्वारा सामना की जाने िाली समस्याओं एिं ईनके सम्बन्ध में सससिल सेिकों के
संभासित योगदान अकद से सम्बंसधत संिेदनशीलता का प्रसशक्षण प्रदान करके ।

3.4. समानु भू सत (Empathy)

आसका अशय है- ककसी व्यसि की र्ररसस्थसत को ईसके र्ररप्रेक्ष्य से समझना। साधारण शधदों में, समानुभूसत
का ऄथव स्ियं को ककसी ऄन्य व्यसि की सस्थसत में रखकर ईसके द्वारा सामना की जाने िाली र्ररसस्थसतयों
की ऄनुभूसत प्राप्त करना है।
कभी-कभी आसे सहानुभूसत (sympathy) मान सलया जाता है, लेककन यह सहानुभूसत से आस ऄथव में सभन्न है
कक सहानुभूसत सामासयक रूर् से स्ितः प्रिृत्त होती है और मुख्य रूर् से संज्ञानात्मक र्हलू (cognitive
aspect) को समासि्‍ट करती है। ईदाहरण के सलए, शीतऊतु की िषाव िाली रासत्र में एक सनधवन व्यसि को
देखकर अर् ईसके सलए कु छ करने की सोिेंगे, लेककन अिश्यक नहीं कक अर् कु छ करें भी। अर् दया या

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र्श्चातार् व्यि करते हुए ईसकी र्ररसस्थसत के प्रसत सहानुभूसत रख सकते हैं। लेककन समानुभूसत आससे कहीं
ऄसधक तीव्र होती है क्योंकक आसमें संज्ञानात्मक र्हलू के ऄसतररक्त भािनाएं भी शासमल होती हैं। ककसी
व्यसि के प्रसत समानुभूसत रखने का ऄथव है कक अर् ईस र्ररसस्थसत को ईसके र्ररप्रेक्ष्य से देखने में सक्षम हैं
और अर्को ईसकी र्ररसस्थसतयों एिं कर नाआयों का ज्ञान है। अर् एक ऄमूतव या सनर्भलप्त भाि से समानुभूसत
नहीं रख सकते – अर्को यह ज्ञान होना िासहए कक िह कौन है, िह क्या करने का प्रयास कर रहा है और
क्यों कर रहा है। आससलए, यह अर्को ईसकी समस्याओं, कारणों एिं र्ररणामों को समझकर ईनकी ऄनुभूसत
करने में सक्षम बनाती है। आस प्रकार, यह सहानुभूसत से एक कदम अगे है। समानुभूसत, सहानुभूसत की तुलना
में ऄसधक सशक्त ऄसभिृसत्त है, ऄत: यह व्यिहार का बेहतर संकेतक है।
आस ऄंतर को समझने के सलए जलिायु र्ररितवन र्र सििार ककया जा सकता है। सिकससत देश बढ़ते समुद्री
जलस्तर एिं तार्मान के कारण ईत्र्न्न तात्कासलक खतरों का सामना कर रहे सिकासशील देशों के साथ
बेहतर रूर् से सहानुभूसत रख सकते हैं। हालााँकक, कइ र्रस्र्र सिरोधी ईद्देश्यों (सनधवनता ईन्मूलन बनाम
र्याविरण संरक्षण) को र्ूरा करने के सलए संघषवरत सिकासशील देशों की र्ररसस्थसत में स्ियं को रखने की
सिकससत देशों की क्षमता के ऄभाि के कारण जलिायु र्ररितवन से सनर्टने और र्यावप्त जलिायु-संबंधी
सित्तर्ोषण प्रदान करने हेतु अिश्यक ईर्ायों को कियासन्ित करने में धीमी प्रगसत हुइ है। ऄतः आस र्ररप्रेक्ष्य
में सिकससत देशों में समानुभूसत का ऄभाि देखा गया है।
आसकी अिश्यकता क्यों है?
 नौकरशाही प्रणाली आतनी जरटल हो गइ है कक सनयमों के ऄनुर्ालन के माध्यम से प्राप्त ककए जाने िाले
साध्य के स्थान र्र सनयमों का ऄनुर्ालन करना ही स्ियं में साध्य बन गया है। लोगों के कल्याण के सलए
कायव करने के स्थान र्र ऄसधकांश समय और्िाररकता संबंधी कायवकलार्ों में व्यतीत हो जाता है।
 समानुभूसत हमें ऄन्य लोगों की भािनाओं को समझने में सहायता करती है। आससलए, स्ियं की
भािनात्मक समझ (EI) को सिकससत करने हेतु व्यसि को समानुभूसत की अिश्यकता होती है।
 समानुभूसत का ऄभाि सामासजक ऄशांसत तथा मसहलाओं/ऄल्र्संख्यकों/बच्िों/कदव्यांग जनों के प्रसत
ऄससह्‍णुता का कारण बन सकता है क्योंकक समानुभूसत के ऄभाि में हम ईनकी िास्तसिक समस्याओं
और सिसशष्ट अिश्यकताओं को नहीं समझ सकते।
 समािेशी सिकास की ओर ऄग्रसर होने के सलए समानुभूसतर्ूणव सससिल सेिा ितवमान समय की
अिश्यकता है।
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आसे ककस प्रकार सिकससत ककया जा सकता है?


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 संिद े नशीलता का प्रसशक्षण: भूसमका सनिवहन संबंधी ऄसभनय (नाट्य-कला अकद) के माध्यम से स्ियं को
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ऄन्य लोगों की र्ररसस्थसतयों में रखकर सििार करना।


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 खुला संिाद: जब सिसभन्न िगों के सदस्य खुले र्ररिेश में र्रस्र्र संिाद करते हैं तो दीघवकासलक र्ूिावग्रह
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समाप्त हो जाते हैं और आस प्रकार सहानुभूसत सिकससत होती है।


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 सिवधमव समभाि: जब सिसभन्न सांस्कृ सतक समूहों के सदस्य एक-दूसरे के सांस्कृ सतक ईत्सिों में भाग लेते
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हैं तो र्रस्र्र ससह्‍णुता का सिकास होता है और आस प्रकार सहानुभूसत सिकससत होती है।
 कला और सासहत्य: कला और सासहत्य भी कु छ सिसशष्ट समूहों की र्ररसस्थसतयों के संबंध में लोगों को
संिेदनशील बना सकते हैं।
 ऄन्य संस्कृ सतयों के प्रसत रुसि का संिधवन करना।

3.5. सं िे द ना (Compassion)

यह ककसी ऄन्य व्यसि की र्ीड़ा या सिर्सत्त के प्रसत दुःख और दया की भािना है, सजसमें आस र्ीड़ा को कम
करने की आच्छा भी शासमल होती है। आस प्रकार, समानुभूसत के सिर्रीत, संिेदना न के िल दूसरों की
समस्याओं को समझने का प्रयास है ऄसर्तु ईन्हें कम करने की सकिय आच्छा भी है। आस प्रकार, यह
समानुभूसत से एक कदम अगे है, क्योंकक आसमें प्रबल कायविाही संबध
ं ी घटक भी शासमल होता है।
आसकी अिश्यकता क्यों है?
 लोगों एिं लोक सेिकों के मध्य ऄलगाि की भािना को कम करने हेतु यह अिश्यक है, क्योंकक संिेदना
के ऄभाि में लोक सेिकों के सलए कमजोर और दबे-कु िले लोगों के सलए कु छ कर र्ाना कर न होगा।

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 सामान्यत: भारतीय समाज कमवफल के ससिांत में सिश्िास करता है। आससलए यकद कोइ व्यसि सनधवन
या शारीररक रूर् से ऄक्षम है तो हम यह मानते हैं कक यह ईसके स्ियं के कमों का र्ररणाम है। संिेदना
के ऄभाि में हम ककसी व्यसि की ितवमान र्ररसस्थसत से बाहर सनकलने में ईसकी सहायता करने हेतु
प्रयत्नशील नहीं होंगे।
आसका सिकास ककस प्रकार ककया जाए?
 कमजोर और दबे-कु िले लोगों के घरों, मसलन बसस्तयों अकद का दौरा करके प्रत्यक्ष रूर् से ईनसे
संबंसधत सूिना प्राप्त करनी िासहए।
 संिेदनशीलता का प्रसशक्षण कदया जाना िासहए।
 धार्भमक सशक्षाओं, जैस-े बौि धमव के िार अयव सत्य (दु:ख का ऄसस्तत्ि, आसका कारण, आसका सनरोध,
आसके सनरोध का मागव) अकद के माध्यम से।

3.6. सन्‍र्क्षता (भे द भाि रसहत) तथा गै र -तरफदारी

(Impartiality and Non-Partisanship)


सन्‍र्क्षता न्याय र्र अधाररत एक व्यार्क ऄिधारणा है सजसे सामान्यतः न्याय के ससिांत के रूर् में
स्िीकार ककया जाता है। यह ककसी व्यसि या समूह को ककसी ऄन्य की तुलना में ऄसधक समथवन न करने के
तथ्य को संदर्भभत करती है। साधारण शधदों में आसका ऄथव ककसी का भी र्क्ष न लेना होता है। सन्‍र्क्ष-
मनःसस्थसत के समानाथी के रूर् में यह आस र्र बल देती है कक सनणवय िस्तुसनष्ठ मानकों र्र अधाररत होने
िासहए न कक र्ूिावग्रह या र्क्षर्ात र्र, और न ही ककसी व्यसि को ऄनुर्युि कारणों से ऄन्यों की तुलना में
लाभ प्रदान ककया जाना िासहए।
हालांकक, सन्‍र्क्ष होना ऄत्यंत कर न है। ऄसधकांश मामलों में लोगों के र्ास स्ियं के र्ूिावग्रह होते हैं। लोक
सेिकों, राजनीसतज्ञों और न्यायर्ासलका के सलए सन्‍र्क्ष होना ऄत्यंत महत्िर्ूणव हो जाता है, क्योंकक
सामान्यत: आनके द्वारा ऐसे सनणवय सलए जाते हैं जो एक व्यसि या व्यसियों के समूह को लाभ र्हुंिा सकते
हैं। ईदाहरण के सलए, कोइ न्यायाधीश ककसी व्यसि को के िल आससलए दोषी नहीं मान सकता है कक िह
ककसी सिसशष्ट समुदाय से संबंसधत है। यह सिसध की सम्यक प्रकिया से समझौता करना होगा। आसी प्रकार,
एक लोक सेिक के िल ऄर्नी व्यसिगत र्संद के अधार र्र ककसी व्यसि को ऄन्य व्यसि की तुलना में
िरीयता प्रदान नहीं कर सकता है। आसके ईसित ि तार्ककक मानदंड होने िासहए। 'सािवजसनक ईद्देश्य' के सलए
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भूसम ऄसधग्रहण र्र सििार कीसजए। िे लोग कौन हैं सजनकी भूसम का ऄसधग्रहण ककया जाएगा? िे शहर के
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बाय द क्षेत्र की भूसम र्र कृ सष करने िाले ककसान हो सकते हैं या ये भूसम ऄनुसूसित जासत की जनसंख्या िाला
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एक र्ुरिा हो सकता है ऄथिा ये ककसी धार्भमक संस्था की भूसम हो सकती है। सजला मसजस्ट्रेट की ककसी
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समूह के प्रसत स्ियं की बिताएं या िरीयताएाँ हो सकती हैं, लेककन सनणवय सन्‍र्क्ष मानदंड, और सबसे
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महत्िर्ूणव रूर् से र्ररयोजना की अिश्यकताओं के अधार र्र करना होगा - िह के िल भूसम स्िामी के
अधार र्र तथ्यों का मूल्यांकन या सनयमों के ऄनुप्रयोग में र्क्षर्ात नहीं कर सकता/सकती। प्रभासित लोगों
के मत का र्ता लगाया जाना िासहए तथा भूसम ऄसधग्रहण ऄसधसनयम के ऄंतगवत स्थासर्त प्रकिया के ऄनुरूर्
ईनकी अर्सत्तयों का समाधान ककया जाना िासहए।
लोक सेिकों के सलए सन्‍र्क्षता सनम्नसलसखत दो सिसभन्न स्तरों र्र कायव करता है:
राजनीसतक सन्‍र्क्षता (Political Impartiality)
िूंकक, सन्‍र्क्ष होना र्ूणव रूर् से ककसी मामले के गुण-दोषों र्र अधाररत होता है, आससलए आसमें लोक सेिक
को स्ियं की व्यसिगत राय र्र सििार ककए सबना, सिसभन्न राजनीसतक धारणाओं िाली सरकारों की समान
रूर् से सेिा करना ऄंतर्भनसहत होता है। एक लोक सेिक को आस प्रकार कायव करना होता है जो ईसके सलए
सनधावररत हैं तथा साथ ही ईसे मंसत्रयों के सिश्वास को भी बनाए रखना िासहए। आसका अशय यह भी है कक
लोक सेिक द्वारा राजनीसतक गसतसिसध के संबंध में ईसके सलए सनधावररत प्रसतबंधों का ऄनुर्ालन ककया
जाएगा। साथ ही, लोक सेिकों र्र मंसत्रयों के 'सििारों’ का बिाि करने का कोइ दासयत्ि भी नहीं होता है,
लेककन मंसत्रयों द्वारा सलए गए ‘सनणवयों’ का कियान्ियन लोक सेिकों को र्ूणव िस्तुसनष्ठ और भेदभाि-रसहत
होकर तथा स्ियं की सिोत्तम क्षमताओं के साथ करना िासहए।

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सािवजसनक सन्‍र्क्षता (Public Impartiality)


सािवजसनक रूर् से सन्‍र्क्ष होने का अशय यह है कक एक लोक सेिक स्ियं के सलए सनधावररत ईत्तरदासयत्िों
का सनिवहन सन्‍र्क्ष, न्यायोसित, िस्तुसनष्ठ और न्यायसंगत रूर् से करता है। ईसे आस प्रकार कायव नहीं करना
िासहए जो सिसश्‍ट व्यसियों या सहतों के सिरुि ऄन्यायर्ूणव तरीके से र्क्षर्ात या भेदभाि करता हो।
सािवजसनक सन्‍र्क्षता का ससिांत भारतीय संसिधान में प्रसतष्ठासर्त योग्यता, समानता ि न्याय के मूल्यों से
भी व्युत्र्न्न होता है।
दूसरे शधदों में, सन्‍र्क्ष होने का अशय यह है कक लोक सेिक को खरीद, भती, सेिाओं के सितरण जैसे कायों
ससहत ऄर्ने असधकाररक कायों के सन्‍र्ादन हेतु के िल मेररट (योग्यता या गुणों) के अधार र्र ही सनणवय
करना िासहए।
गैर-तरफदारी (Non-Partisanship)
गैर-तरफदारी को राजनीसतक तटस्थता (अगे सिस्तृत सििरण प्रस्तुत ककया गया है) भी कहा जा सकता है।
गैर-तरफदारी से यह सन्‍कषव सनकलता है कक लोक ऄसधकारी को ऄर्ना कायव ककसी राजनीसतक दल के भय
के सबना या र्क्षर्ात रसहत होकर करना िासहए, भले ही ईसका ककसी राजनीसतक सििारधारा के प्रसत दृढ़
सिश्वास क्यों न हो। प्रशासक के मूल्यों का स्रोत संसिधान होना िासहए न कक ककसी राजनीसतक दल का
दशवन। आससे यह सुसनसश्चत हो सके गा कक राजनीसतक र्ररितवन के बािजूद लोक सेिक राजनीसतक
कायवकाररणी को समान रूर् से ऄर्नी सेिाएाँ प्रदान करते रहेंगे।
सन्‍र्क्षता और गैर-तरफदारी में क्या ऄंतर है?
तटस्थता एक संकीणव ऄिधारणा है, क्योंकक आसका सरोकार के िल राजनीसतक कायवकाररणी के साथ लोक
ऄसधकाररयों के संबंध से है तथा आसे गैर-तरफदारी भी कहा जाता है। जबकक, सन्‍र्क्ष होना एक व्यार्क शधद
है तथा आसका सरोकार लोक ऄसधकाररयों के ईनके संर्ण
ू व र्ररिेश के साथ संबंध से है, सजसके ऄंतगवत न
के िल राजनीसतक कायवकाररणी बसल्क ऄन्य सहतधारक ऄथावत् जनता भी शासमल है। व्यािहाररक रूर् से यह
कहा जा सकता है कक गैर-तरफदारी एक प्रकार की ऄसभिृसत्त है, जबकक सन्‍र्क्षता का संबध ककसी सिशेष
र्ररसस्थसत में ककए जाने िाले व्यिहार से ऄसधक होता है।
आनकी अिश्यकता क्यों है?
i. आनसे लोक सेिा की कायवप्रणाली के प्रसत जनता में सिश्वसनीयता एिं भरोसा ईत्र्न्न होता है।
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ii. ये लोक सेिकों को के िल सक्षम बनने के स्थान र्र साहसी बनाती हैं, ताकक िे नीसत, कानून अकद के संबध

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में प्रासंसगक प्रश्नों को ई ा सकें । सक्षम होने और साहसी होने के मध्य ऄंतर यह है कक सक्षमता यह सुसनसश्चत
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करती है कक लोक सेिक कायों का सही प्रकार से सन्‍र्ादन करें, जबकक साहसी होना यह सुसनसश्चत करता है
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कक िे सही कायों का सन्‍र्ादन करें।


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iii. आनसे समाज के सिसभन्न िगों के मध्य समानता और न्याय सुसनसश्चत होता है।
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iv. ये सससिल सेिाओं का मनोबल बढ़ाती हैं तथा ईसकी प्रभािकाररता और दक्षता सुसनसश्चत करती हैं,
क्योंकक आनसे यह सुसनसश्चत हो सके गा कक ककसी लोक सेिक का स्थानांतरण, र्दस्थार्न (र्ोबस्टग) अकद
ककन्हीं बाय द कारकों के स्थान र्र के िल योग्यता के अधार र्र ही ककया जाए।
आन्हें ककस प्रकार सुसनसश्चत ककया जाता है?
i.के न्द्रीय सससिल सेिा (अिरण) सनयमािली, 1964 और ऄसखल भारतीय सेिाएं (अिरण) सनयमािली,
1968: लोक सेिा में सत्यसनष्ठा बनाए रखने के सलए अिरण सनयमािली को 1964 में ऄसधसूसित ककया
गया था, सजसके ऄंतगवत लोक सेिकों के सलए ऄर्ने कतवव्य का र्ूणव सनष्ठा के साथ सन्‍र्ादन करने हेतु कु छ
कदशा-सनदेशों का सनधावरण ककया गया है तथा लोक सेिकों को जनता के साथ व्यिहार के िम में ककसी
प्रकार की सिलंबकारी युसियों का प्रयोग न करने तथा ररश्वत लेने आत्याकद जैसी ककसी भी प्रकार ऄनुसित
गसतसिसधयों से दूर रहने का सनदेश कदया गया है। आसके ऄंतगवत सन्‍र्क्षता और गैर-तरफदारी स्िाभासिक
रूर् से सनसहत हैं।
ii.यद्यसर् हमारे र्ास लोक सेिकों के सलए ईनके कतवव्य का सनिवहन करने के संबध
ं में कु छ कदशा-सनदेशों के
रूर् में अिरण सनयमािसलयााँ सिद्यमान हैं, तथासर् िे नैसतक अिार संसहता के रूर् में ऐसे मूल्यों और नैसतक

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ससिांतों का सनधावरण नहीं करती हैं जो लोक सेिकों को लोक सेिा के साथ न्याय करने हेतु ऄर्ने व्यसित्ि में
अत्मसात करने िासहए।
iii.नैसतक अिार संसहता, 1997: यह भारत में लोक सेिकों के सलए नैसतक अिार संसहता लागू करने हेतु की
गइ प्रथम र्हल थी, सजसे शासन व्यिस्था को बेहतर बनाने की कदशा में एक कदम माना गया था। आस
संसहता की मुख्य सिशेषताएं सनम्नसलसखत थीं:
 सिसध के शासन को बनाए रखना तथा मानिासधकारों का सम्मान करना।
 लोगों के साथ ऄर्ने अिरण तथा ऄर्ने कतवव्यों के सनिवहन के िम में िस्तुसनष्ठता एिं र्ारदर्भशता बनाए
रखना।
 सेिा मामलों के संदभव में र्ूणव रूर् से सन्‍र्क्ष होना।

3.7. तटस्थता (Neutrality)

सरदार र्टेल ने स्ितंत्रता र्ूिव की सससिल सेिा संरिना को बनाए रखने का समथवन करते हेतु संसिधान सभा
में सनम्नसलसखत सििार व्यि ककए थे:
“आस बात र्र बल कदए जाने की शायद ही कोइ अिश्यकता है कक एक कु शल, ऄनुशाससत और संतुष्ट सससिल
सेिा, जो ऄर्ने र्ररश्रम और इमानदारी से ककए गए कायव के र्ररणामस्िरूर् ऄर्नी संभािनाओं के प्रसत
अश्वस्त होती है, िह लोकतांसत्रक व्यिस्था के ऄंतगवत समथव प्रशासन के सलए एक सत्तािादी शासन की
तुलना में ऄसधक अिश्यक है। सेिाएं राजनीसतक दलों से उर्र होनी िासहए और हमें यह सुसनसश्चत करना
िासहए कक भती में ऄथिा ईनके ऄनुशासन और सनयंत्रण में राजनीसतक हस्तक्षेर् को यकद र्ूरी तरह समाप्त न
ककया जा सके तो ईन्हें न्यूनतम ककया जाए।”
सससिल सेिा की तटस्थता राजनीसतक सन्‍र्क्षता को संदर्भभत करती है। जैसे उर्र र्ररभासषत ककया गया है,
सन्‍र्क्षता एक व्यार्क ऄिधारणा है, जबकक तटस्थता सिसशष्ट रूर् से सससिल सेिकों और
सरकारों/राजनेताओं के मध्य संबंधों को संदर्भभत करती है। आसके ऄसतररि न्याय में सन्‍र्क्षता का ऄथव है
न्यासयक सनणवय का र्क्षर्ातर्ूणव न होना। तटस्थता का तात्र्यव राजनीसतक कायवर्ासलका को तथ्यों, प्रसतर्ुसष्ट,
सििार अकद प्रदान करने में र्क्षर्ाती न होना, साथ ही, सरकार द्वारा अदेसशत कायों का कमव ता से र्ालन
करना, िाहे शासन ककसी भी दल का हो। आसका तात्र्यव यह है कक लोक ऄसधकारी के रूर् में कायव करते हुए,
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एक सससिल सेिक राजनीसतक रूर् से सन्‍र्क्ष और गैर-र्क्षर्ाती रहेगा। ईसे एक प्रकार से राजनीसतक
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बंध्याकरण (political sterilization) के रूर् से कायव करना है ऄथावत् नौकरशाहों को राजनीसतक र्ररितवनों
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से ऄप्रभासित रहना िासहए। आसके सिर्रीत ईन्हें प्रदत्त नीसत को यथाित सबना ककसी व्यसिगत
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सििारधारा के कायावसन्ित करना है।


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मौसलक सििार यह है कक राजनीसतक कायवर्ासलका ही जनता की राय का प्रसतसनसधत्ि करती है क्योंकक


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ईसका िुनाि ितवमान सािवजसनक मुद्दों के प्रसत ईनके समथवन या सिरोध के अधार र्र ही होता है। कानून
और नीसतयााँ र्रामशव प्रकिया का ही र्ररणाम हैं, सजनमें राजनीसतक कायवर्ासलका, संबंसधत ऄसधकारी और
सहतधारक ससम्मसलत होते हैं। एक बार तैयार होने के र्श्चात, ईन्हें सससिल सेिकों और राज्य की
कायवर्ासलका द्वारा कायावसन्ित ककया जाता है। आससलए नीसत सनधावरण का सिशेषासधकार के िल राजनीसतक
कायवर्ालक को ही प्राप्त है और सससिल सेिकों का कायव ईसे सबना कोइ प्रश्न ककए कायावसन्ित करना है।
प्रशाससनक भाषा में आसे राजनीसत-प्रशासन सद्वभाजन (politics-administration dichotomy) का नाम
कदया जाता है। आसके साथ ही नौकरशाह को राजनेता को सही राह कदखाने या इमानदारी से ऄर्नी राय
प्रस्तुत करने में संकोि नहीं करना िासहए। ईसका कायव राजनेता का ‘सर्ट् ू ’ या ‘प्रसतबि नौकरशाह’ (बाद में
व्याख्या की गयी है) बन कर कायव करना नहीं है।
सद्वतीय प्रशाससनक सुधार अयोग की 10िीं ररर्ोटव में सनम्नसलसखत सििार प्रस्तुत ककए गए हैं:
“सससिल सेिा का यह तटस्थ दृसष्टकोण, दुभावग्यिश ितवमान में ऄब मायने नहीं रखता है, सिशेष रूर् से राज्य
स्तर र्र सरकारों में र्ररितवन प्रायः सससिल सेिकों के बार-बार स्थानांतरण का कारण बनता है। सससिल
सेिकों के , सही या गलत कारणों से राजनीसतक व्यिस्था से संबि होने के कारण राजनीसतक तटस्थता ऄब
एक स्िीकायव मानदंड नहीं रह गया है। ऐसी धारणा है कक ऄसधकाररयों को संघीय सरकार में भी ईर्युि र्द

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र्ाने हेतु राजनेताओं से संबध


ं बनाना एिं ईनका संरक्षण प्राप्त करना र्ड़ता है। र्ररणामस्िरूर् अम धारणा
में आसे सससिल सेिाओं के राजनीसतकरण के रूर् में देखा जाता है।
आसमें अगे कहा गया है कक:
अयोग का मत है कक, सससिल सेिाओं की राजनीसतक तटस्थता और सन्‍र्क्षता को संरसक्षत करने की
अिश्यकता है। आसका भार राजनीसतक कायवर्ासलका और सससिल सेिकों र्र समान रूर् से है। अयोग ने
“शासन में नैसतकता” र्र ऄर्नी ररर्ोटव में ऄनुशंसा की थी कक मंसत्रयों के सलए एक नैसतक संसहता में ऄन्य
बातों के साथ-साथ सनम्नसलसखत को शासमल ककया जाना िासहए:
“मंसत्रयों को सससिल सेिकों की राजनीसतक सन्‍र्क्षता बनाए रखनी िासहए और सससिल सेिकों से आस प्रकार
के कायों को करने के सलए नहीं कहना िासहए, सजससे सससिल सेिकों के कतवव्यों और ईत्तरदासयत्िों में
सििाद ईत्र्न्न हो सके ।”
महत्िर्ूणव रूर् से, आसमें र्ॉल ऐर्ल्बी का ईिरण देते हुए कहा गया है कक -
‘सससिल सेिकों को ‘कायवकरण तटस्थता’ (programme neutrality)और ‘राजनीसतक तटस्थता’ (political
neutrality) में भ्रसमत नहीं होना िासहए। नीसत सनमावण करने के िरण में, सससिल सेिकों की भूसमका स्ितंत्र
और स्र्ष्ट र्रामशव देने की है, जो ककसी भी राजनीसतक सििारधारा द्वारा प्रभासित नहीं होनी िासहए। ककसी
नीसत या कायविम को सनिावसित सरकार द्वारा ऄनुमोकदत कर कदए जाने के बाद इमानदारी और ईत्साहर्ूणव
तरीके से आसका कायावन्ियन सुसनसश्चत करना सससिल सेिकों का कतवव्य है। आस कृ त्य को सही भािना से
कायावसन्ित न करना कदािार कहा जायेगा और आस संबंध में ईसित कायविाही की जा सकती है।’
राजनीसतक कायवर्ासलका और सससिल सेिकों के मध्य द्वंद्व के क्षेत्र
भारत के संदभव में सससिल सेिकों द्वारा राजनीसतक व्यिस्था के प्रसत तटस्थ रहने की ऄिधारणा र्र ििाव की
गइ है। सरकारों के र्ररितवन के बािजूद एक प्रसतबि नौकरशाही की मांग, यद्यसर् बहुत स्र्ष्ट नहीं, तो
ऄंतर्भनसहत तो रही ही है। आसके ऄसतररि, कायव प्रणाली में तटस्थता की सीमा क्या है? सससिल सेिकों और
राजनीसतक कायवर्ासलका के मध्य संभासित संघषव ईत्र्न्न होने के सनम्नसलसखत कारण हो सकते हैं:
i. ककन लक्ष्यों को प्राप्त करने की कदशा में प्रयास करना है आस संबध
ं में सिसभन्न िगों के मध्य सामासजक
सहमसत सभन्न-सभन्न होती है। र्सश्चमी देशों में, सिकास के लक्ष्यों र्र एक सनसश्चत सहमसत है। सामासजक ग न
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में भी एक सनसश्चत कोरट की एकरूर्ता र्ाइ जाती है। लक्ष्यों और सिकास के मागव र्र सिवसम्मसत का ऄभाि,
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प्राथसमकताओं में ऄस्र्ष्टता ईत्र्न्न करता है। आससे तदथविाद (adhocism) बढ़ता है, जो स्थायी
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कायवर्ासलका को स्र्ष्ट कदशा प्रदान नहीं कर र्ाता है। आसके सिर्रीत राजनीसतक प्रकिया सससिल सेिकों का
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स्थान लेने (ऄथावत् ईनके कायों में ऄसधक हस्तक्षेर् करने) लगती है। आससे स्थायी कायवर्ासलका एिं
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राजनीसतक कायवर्ासलका के संबंधों में तनाि ईत्र्न्न हो सकता है।


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ii. राजनीसतक कायवर्ासलका सससिल सेिकों या स्थायी कायवर्ासलका र्र स्ियं ऄर्ने ही द्वारा बनाए गए
सनयमों का ईल्लंघन करने हेतु दबाि डाल सकती है। सससिल सेिक सनयम अधाररत व्यिस्था से बंधे होने के
कारण आस दबाि का प्रसतरोध करते हैं। यह दोनों के मध्य संघषव का कारण बन सकता है।
iii. साझे सिश्वास प्रणाली की ईर्सस्थसत: आसका ऄथव है कक महत्िर्ूणव सामासजक मुद्दों के संबध
ं में एक साझा
सिश्वास प्रणाली होती है। यह सिश्वास व्यिस्था सिसभन्न कारकों का ईत्र्ाद है, ईनमें से कु छ महत्िर्ूणव हैं –
संस्कृ सत, समाज और र्ररिेश सजसमें ककसी का र्ालन-र्ोषण हुअ है, सशक्षा प्रणाली सजसमें व्यसि सशसक्षत
होता है अकद। भारत में सससिल सेिा में ऄसधकांश लोग शहरी मध्यम िगव से अते हैं, िहीं राजनीसतक िगव
ऄसधक सिसिध है। यद्यसर्, नौकरशाही का िररत्र र्ररिर्भतत हो रहा है, लेककन यह र्ररितवन ऄत्यंत मंद है।
राजनीसतक कायवर्ासलका के ऄसधकांश सदस्य, सिशेषकर राज्य स्तर र्र ग्रामीण और कृ सष क्षेत्र से अते हैं,
शीषव और मध्यम स्तर के प्रशासक शहरी मध्यम या ईच्च मध्यम िगव से अते हैं - सससिल सेिाओं के सलए
ईत्तीणव होने िाले ऄसधकतर लोग शहरों ि कस्बों से अते हैं, जबकक राजनीसतक प्रसतसनसधत्ि का समान रूर्
से सितरण होता है, और िूंकक लगभग 32 प्रसतशत जनसंख्या शहरी है, सीटों का सितरण भी समान ही

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होगा। यह ऄंतर ईनकी जीिन शैली, संप्रेषण के तरीकों, िस्तुओं को देखने का नजररए और ईनके व्यिहार से
ऄसभव्यि होता है। आन दोनों के मध्य के संबंध ऄंशतः मूल्य व्यिस्था के आस कारक से अकार ग्रहण करते हैं।
आसके ऄसतररि, यह तकव कदया जाता है कक सिकासशील समाजों में, यकद सनर्भमत नीसतयााँ सनधवनों की
अिश्यकताओं के ऄनुरूर् न हों तो प्रशासन द्वारा ईनके सलए ईर्युि नीसत का समथवन ककया जाना िासहए।
आस सन्दभव में, हमारे र्ूिव प्रधानमंसत्रयों में से एक ने कहा था, “सिकासशील देशों में, सससिल सेिकों को
िास्तसिक रूर् से तटस्थ होने के सलए, ईन्हें सनधवनों का र्क्ष लेना िासहए।”
हालााँकक, यह स्मरण रखना िासहए की तटस्थता, प्रजातंत्र के ऄन्य अदशों की भांसत ही एक अदशव ससिांत
है, ऄब िूंकक यह मात्र एक ‘अदशव’ है आससलए यह ऄर्नी र्ूणवता के साथ सिद्यमान नहीं हो सकता। र्रन्तु
आसका ऄथव यह नहीं है कक हम आसका आस कारण मात्र से र्ररत्याग कर दें। सजस प्रकार लोकतंत्र की
ऄनुर्सस्थसत व्यसिगत ऄसधकारों के सिनाश का कारण बनती है, िैसे ही तटस्थता की ऄनुर्सस्थसत
सािवजसनक प्रशासन के कायवकरण में ऄराजकता का कारण बनती है। यह अदशव, ईसित सांस्कृ सतक संदभव में
सदैि र्ालन करने योग्य है।
प्रसतबि नौकरशाही (Committed Bureaucracy)
आसे दो र्ररप्रेक्ष्यों में समझा जा सकता है:
i. सकारात्मक: आसका तात्र्यव है कक सससिल सेिकों को राष्ट्र ि संसिधान के ईद्देश्यों के प्रसत प्रसतबि होना
िासहए और यकद िे िास्ति में सामासजक र्ररितवन लाना िाहते हैं तो ईन्हें राजनीसतक कायवर्ासलका के
कायविम और प्रयोजन में सिश्वास होना िासहए। आस प्रकार के प्रसतबि नौकरशाह को ऄर्ने कायवकरण में
र्क्षर्ात करने की अिश्यकता नहीं है, ईसे के िल ऄर्ने राजनीसतक ऄसधकारी के मनो-मसस्त्‍क को
समानुभूसत द्वारा समझने और राजनीसतक रूर् से ऄनुकियाशील होने की अिश्यकता है। आससलए, ईसे
सत्ताधारी दल के राजनीसतक दशवन के ऄनुरूर् तकनीकी र्रामशव देने की अिश्यकता है।
ii. नकारात्मक: आसका तात्र्यव राजनीसतकृ त नौकरशाही से है, जहााँ प्रशासन के िल सत्ताधारी दल के संकुसित
सहतों के सलए ही कायव करता है। ईदाहरण के सलए, नाजी जमवनी में प्रशाससनक व्यिस्था की कायव-र्िसत।
सामान्यतः, प्रसतबि नौकरशाही को नकारात्मक ऄथव में सलया जाता है – एक ऐसी नौकरशाही जो लोगों की
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बजाय, राजनीसतक दल/नेता के लक्ष्यों के सलए प्रसतबि होती है।


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तटस्थता के प्रकार
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कभी-कभी आसे दो भागों में िगीकृ त ककया जाता है:


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i. सनस्‍िय तटस्थता: आसके तहत एक लोक ऄसधकारी िह सभी कायव करेगा सजसके सलए राजनीसतक
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कायवकारी द्वारा ईसे अदेश कदया जाएगा। र्रन्तु ऐसे में िह कु छ सिसधक/संिध
ै ासनक प्रािधानों का ईल्लंघन
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कर सकता है। आसी तटस्थता को नाजी नौकरशाही द्वारा िास्तसिकता प्रदान की गयी। आससलए सनस्‍िय
तटस्थता ऄिांछनीय है।
ii. सकिय तटस्थता: आसके तहत एक ऄसधकारी ककसी भी सिशेष दल का ऄनुसरण ककए सबना, संसिधान,
सनयम और कायावलय सनयमािली के ऄनुसार कायव करता है। कभी-कभी, यह सससिल सेिा सकियता (civil
services activism) को बढ़ािा देता है।
तटस्थता के सलए अिरण सनयम
के न्द्रीय सससिल सेिा (अिरण) सनयमािली, 1964 और ऄसखल भारतीय सेिा (अिरण) सनयमािली
1968 में सससिल सेिकों की तटस्थता सुसनसश्चत करने के सलए सनम्नसलसखत प्रािधान ककए गए हैं:
 सरकारी कमविाररयों को राजनीसत में भाग नहीं लेना िासहए।
 ईन्हें राजनीसतक दलों को िुनािी िंदा/सहायता नहीं देनी िासहए।
 िे मतदान कर सकते हैं, र्रन्तु ऄन्य लोगों को ऄर्नी प्राथसमकता नहीं बतानी िासहए।
 ईन्हें स्ियं, ऄर्ने िाहन ऄथिा घर र्र ककसी िुनािी प्रतीक को प्रदर्भशत नहीं करना िासहए।
 सरकारी ऄनुमसत के सबना, ईन्हें रैसलयों और प्रदशवनों में भाग नहीं लेना िासहए।

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तटस्थता के समक्ष िुनौसतयााँ


 स्थानातंरण, र्द स्थार्न (र्ोबस्टग) और ऄन्य सेिा शतों के सलए एक स्ितंत्र संस्था का ऄभाि है।
फलस्िरूर्, सससिल सेिक ऄर्नी र्संद की र्ोबस्टग और ऄन्य भत्तों को प्राप्त करने के सलए स्ियं को
ककसी दल के साथ संरेसखत कर लेते हैं।
 सरकारी कायवकरण में गोर्नीयता, आसके िलते राजनीसतक कायवर्ासलका और सससिल सेिक ऄर्नी
ऄिैध तुसष्ट के सलए ग जोड़ कर लेते हैं।
 एक ही सेिा के ऄंतगवत और ऄंतर-सेिा प्रसतद्वंकदता: प्रत्येक सरकारी सेिा में भाषा, धमव, जासत और क्षेत्र
के अधार र्र सिसभन्न गुट सिद्यमान हैं। ऄर्ने-ऄर्ने गुट के सलए र्दोन्नसत और भत्ते प्राप्त करने के सलए िे
राजनेताओं की आच्छाओं के अगे झुक जाते हैं।
 प्रसतबि नौकरशाही की गलत धारणा, सजसमें सससिल सेिक ककसी सिशेष राजनीसतक दल के
राजनीसतक एजेंडे को र्ूरा करने का प्रयास करते हैं।
 िुनाि और भ्रष्टािार: मंसत्रयों को ऄर्ने िुनाि ऄसभयान के सित्त र्ोषण के सलए ऄत्यसधक धन की
अिश्यकता होती है, आससलए िे ऄर्नी सुसिधानुसार ऄधीनस्थों को िरीयता देते हैं। साथ ही ईन
ऄसधकाररयों को र्संद नहीं करते जो स्ितंत्र और स्र्ष्ट राय देते हैं।
आस मूल्य क्षरण की रोकथाम कै से करें ?
 सिोच्च न्यायालय के सनदेशानुसार, सेिा मामलों में सन्‍र्क्षता और राजनीसतक सििारधारा से र्रे
स्ितंत्र रूर् से सििार करने हेतु स्ितंत्र सससिल सेिा बोडों की स्थार्ना की जानी िासहए।
 असधकाररक कायवप्रणाली में र्ारदर्भशता लाने के सलए, ग जोड़ को तोड़ने के सलए तथा ऄग्रसकिय
प्रकटीकरण के सलए RTI ऄसधसनयम को गम्भीरतार्ूिवक कायावसन्ित करना।
 ककसी स्ितंत्र सनकाय द्वारा सससिल सेिकों के प्रभािी प्रदशवन मूल्यांकन और आसे ईनकी र्दोन्नसत,
प्रोत्साहन और ऄन्य सेिा शतों से संबि करना।

3.8. ससह्‍णु ता (Tolerance)


ससह्‍णुता के ऄंतगवत व्यसियों को ईनके धार्भमक या संिैधासनक ऄसधकारों के प्रयोग की स्िीकृ सत प्रदान
करना सम्मसलत है। यह ईस स्र्ेक्ट्रम का मध्य बबदु है सजसका सिस्तार सनषेध/ऄस्िीकृ सत से लेकर स्िीकृ सत
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तक है। ईदाहरण के सलए, एक शाकाहारी आस बात से सहमत हो सकता है कक जानिरों को खाना गलत है।
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हो सकता है ऐसा व्यसि मांसाहार को ऄर्ने जीिन में कभी भी स्िीकार नहीं करे। कफर भी, ऐसा संभि है
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कक िह दूसरों को मांस खाने से रोकना न िाहे।


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यह हमें संिेदनशील मामलों में संयसमत रहने का र्ा ससखाती है। ससह्‍णुता को ईन लोगों के प्रसत
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न्यायसंगत और िस्तुसनष्ठ दृसष्टकोण के रूर् में र्ररभासषत ककया गया है, सजनकी जीिनशैली ककसी ऄन्य
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व्यसि/समुदाय से सभन्न होती है। यह ईस कौशल को संदर्भभत करता है जो व्यसि को सभी के साथ समलकर
शांसतर्ूिक
व जीिन यार्न हेतु सक्षम बनाता है। जैन धमव में ससह्‍णुता को स्यादिाद के अदशव रूर् में व्यि
ककया गया है, सजसका ऄथव है “सभी का दृसष्टकोण ईनके र्ररप्रेक्ष्य से सही है, र्रन्तु कोइ भी सिसशष्ट दृसष्टकोण
र्ूणवतः सही नहीं है।”
आसका ऄथव है, ऄन्य लोगों या समूहों के मूलिंश, बलग, मत, धमव और सििारधाराओं का सम्मान करना और
दूसरों के ऄच्छे गुणों ि ऄच्छे कायों की प्रशंसा करना एिं ईनकी भािनाओं का सम्मान करते हुए एक सभ्य
और सम्मानजनक रूर् से ऄर्ने दृसष्टकोण को व्यि करना।
आसकी अिश्यकता क्यों है?
i. ससह्‍णुता और सामंजस्य के सबना, समाज में स्थायी शांसत सुसनसश्चत नहीं की जा सकती है।
ii. ससह्‍णुता ऄसभव्यसि की स्ितंत्रता को प्रोत्सासहत करती है, जो सत्य और प्रगसत के ऄिलोकन हेतु
अिश्यक है। आसके ऄभाि में सभन्न-सभन्न सििारों को स्ितंत्र रूर् से व्यि नहीं ककया जा सकता और समाज
की सस्थसत यथासस्थसतिादी और र्तनोन्मुख हो जाएगी, जहााँ निािार के सलए कोइ स्थान नहीं होगा।

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iii. प्रत्येक व्यसि के नैसतक मूल्य को बनाए रखना अिश्यक है, जैसा कक जे. एस. समल कहते हैं, सभी
व्यसियों के नैसतक मूल्य समान हैं और आससलए सबना ककसी बाधा के दूसरों को ईनके सििार व्यि करने की
ऄनुमसत प्रदान की जानी िासहए।
iv.मानि सिकास के िल तभी सम्भि है जब हम सभी को ऄर्ने सििार व्यि करने और ऄर्नी ऄसभरूसि का
ऄनुकरण करने की ऄनुमसत प्रदान करें।
v. हमारे जैसे सिसिधतार्ूणव समाज में सससिल सेिकों को सभी िगों की समान रूर् से सेिा करने की
अिश्यकता है और यकद िे ससह्‍णु नहीं हैं तो यह सम्भि नहीं होगा।
vi. िास्ति में ससह्‍णुता के सबना न्याय, सन्‍र्क्षता और िस्तुसनष्ठता के मूल्य संभि नहीं हैं।
आसे कै से सिकससत ककया जाए?
 संिेदनशीलता का प्रसशक्षण।
 सिवधमव-समभाि की धारणा को बढ़ािा देना, आसके सलए हमें समाज के सिसभन्न िगों के सांस्कृ सतक
त्योहारों में भाग लेना िासहए।
 दूसरों के सलए समानुभूसत का सिकास करने से ससह्‍णुता का गुण स्ितः ही सिकससत होगा।

3.9. ऄनासमकता (Anonymity)

सससिल सेिकों की ऄनासमकता या र्हिान जासहर ककये सबना कायव करने को र्ारंर्ररक रूर् से हमारी
संिैधासनक व्यिस्था का एक महत्िर्ूणव ससिांत माना गया है। मंत्रीगण के न्द्रीय कायवर्ासलका के र्दानुिम में
शीषव र्र सस्थत होते हैं और संसद के प्रसत ईत्तरदायी होते हैं। िे न के िल ऄर्ने अिरण एिं कायों के सलए
बसल्क ईनके नेतृत्ि िाले सिभागों के साथ-साथ ईनका संिालन करने िाली स्थायी कायवर्ासलका समूह के
कृ त्यों के सलए भी जिाबदेह होते हैं। ऄतः सससिल सेिकों की कोइ स्ितंत्र सस्थसत (राष्ट्रर्सत शासन लागू होने
के ऄसतररि) नहीं होती है। िे राजनीसतक कायवर्ासलका के नेतृत्ि में एक टीम के रूर् में कायव करते हैं।
ऄनासमकता का ससिांत आस बात र्र बल देता है कक स्थायी कायवर्ासलका को ऄर्नी र्हिान जासहर ककए
सबना कायव करते रहना िासहए। दूसरे शधदों में, ईन्हें स्ियं को सािवजसनक रूर् से प्रदर्भशत करने से बिना
िासहए। आसका ऄथव है कक ककसी कायव को करने या न करने, दोनों का र्ूणव ईत्तरदासयत्ि राजनीसतक
कायवर्ासलका का होता है। कायवर्ासलका ईर्लसधधयों का श्रेय तथा ऄसफलताओं का ईत्तरदासयत्ि स्िीकार
करती है। िुनािी व्यिस्था के माध्यम से जनता राजनीसतक कायवर्ासलका या कायवर्ासलका का प्रसतसनसधत्ि
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करने िाले राजनीसतक दलों को र्ुरस्कृ त या दसण्डत करती है। स्थायी कायवर्ासलका को राजनीसतक
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कायवर्ासलका के समग्र सनदेशन में कायव करना होता है। राजनीसतक कायवर्ासलका के र्ास स्थायी कायवर्ासलका
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से न के िल कायव करिाने बसल्क ईसे र्ुरस्कृ त या दसण्डत करने का र्ूणव ऄसधकार होता है। आस व्यिस्था के
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तहत ईत्तरदासयत्ि आस प्रकार से सितररत होता है कक जहां राजनीसतक कायवर्ासलका जनता के प्रसत र्ूणव रूर्
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से जिाबदेह होती है, िहीं स्थायी कायवर्ासलका राजनीसतक कायवर्ासलका के प्रसत जिाबदेह होती है। यही
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कारण है कक ऄनासमकता को राजनीसतक तथा स्थायी कायवर्ासलकाओं के मध्य संबंधों के संिालन मानदंडों में
से एक समझा जाता है।
सससिल सेिाओं की ऄनासमकता दो ऄिधारणाओं से संबि है: स्थासयत्ि तथा तटस्थता। सससिल सेिकों में से
ऄनेक सिसभन्न सरकारों के दौरान ऄर्नी नौकरी र्र बने रहते हैं, आससलए ईन्हें नीसतयों के प्रसत सभन्न-सभन्न
दृसष्टकोण रखने िाले सिसभन्न राजनीसतक दलों की सरकारों को र्रामशव प्रदान करना होता है। ईनके द्वारा
मंसत्रयों को यह र्रामशव स्ितंत्र रूर् से तथा प्रसतकू ल सािवजसनक या राजनीसतक प्रसतकियाओं के भय तथा
भसि्‍य में होने िाली कररयर की क्षसत के भय से मुि होकर प्रदान ककये जाने की अिश्यकता होती है। यह
मंत्रालयी ईत्तरदासयत्ि से संबि है, सजसके ऄनुसार मंसत्रयों को ऄर्ने तथा ऄर्ने सिभागों के कायों ि सनणवयों
के सलए ईत्तरदासयत्ि स्िीकार करने की र्रम्र्रा रही है।
आसकी अिश्यकता क्यों है?
 यह लोक सेिकों को सबना ककसी भय या भेदभाि के कायव करने में सक्षम बनाती है।
 यह सरकार के संसदीय स्िरुर् के ऄनुरूर् होती है, सजसमें मंत्री लोगों द्वारा सनिावसित प्रसतसनसधयों के
माध्यम से जनता के प्रसत प्रत्यक्ष रूर् से ईत्तरदायी होते हैं।
 यह ऄनुशासन, सशष्टता तथा सेिाओं से संबंसधत मनोबल को सुसनसश्चत करती है।

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आसे ककस प्रकार सुसनसश्चत ककया जाता है?


आसे सससिल सेिा अिरण सनयमािली के माध्यम से सुसनसश्चत ककया जाता है सजसके ऄंतगवत सनम्नसलसखत
प्रािधान हैं:
 ऄसधकारी नेकनीयती के तहत या सिसध/सिभागीय सनयमों के द्वारा अिश्यक होने के ऄसतररि ऄर्नी
असधकाररक दासयत्िों के सनिवहन के दौरान प्राप्त सूिनाओं को ऄन्य व्यसियों के समक्ष प्रकट नहीं
करेगा।
 ऄसधकारी को सासहसत्यक, कलात्मक या िैज्ञासनक सिशेषताओं के ऄसतररि ककसी ऄन्य प्रकार की
र्ुस्तक प्रकासशत करने/समािार र्त्र में सलखने/टेसलसिज़न या रेसडयो र्र प्रस्तुत होने से र्ूिव सरकार की
ऄनुमसत की अिश्यकता होती है।
 सरकारी ऄनुमसत के सबना ईसे स्ियं के सम्मान (या ककसी ऄन्य कमविारी के सम्मान) में अयोसजत
ककसी समारोह, सभा, रैली में न तो ससम्मसलत होना िासहए और न ही कोइ सम्मान स्िीकार करना
िासहए।
 असधकाररक कायविासहयों का ऄनुमोदन: मान लीसजए जनता/प्रेस द्वारा ईसके असधकाररक अिरण के
सिरुि कोइ रटप्र्णी की जाती है, तो िह सरकारी ऄनुमसत के सबना न तो आसके सिरुि कोइ मानहासन
का मुकदमा कर सकता है और न ही प्रेस में कोइ रटप्र्णी कर सकता है।
ऄनासमकता के समक्ष िुनौसतयां
हाल के िषों में कइ कारणों से सससिल सेिा ऄनासमकता का ाास हुअ है। आसके सनम्नसलसखत कारण हैं:
 मंसत्रयों को दी गइ सलाह के संबंध में सांसद प्रायः सससिल सेिकों से प्रश्न करते रहते हैं।
 सरकारी मामलों में मीसडया की बढ़ती रुसि, सजसके िलते कु छ सिशेष िररष्ठ सससिल सेिकों की
र्हिान ईजागर होने की संभािना बढ़ जाती है।
 ऄर्नी सिभागीय कारविाइ के ईत्तरदासयत्ि को स्िीकार करने के बजाय सससिल सेिकों र्र “दोषारोर्ण”
करने की मंसत्रयों की प्रिृसत्त बढ़ रही है।
 कु छ सससिल सेिकों द्वारा ऄर्नी सशकायतों को प्रकट करने तथा राजनीसतक कायवर्ासलका के दुव्यविहारों
को ईजागर करने हेतु प्रत्यक्ष रूर् से मीसडया के समक्ष ऄर्ने सििार व्यि कर कदए जाते हैं।
ऄनासमकता बनाम तटस्थता (Anonymity v/s Neutrality)
आन दोनों मानदंडों में सामंजस्य ककस प्रकार स्थासर्त ककया जा सकता है? क्या राजनीसतक कायवर्ासलका
om

द्वारा िांसछत जिाबदेही के र्ररप्रेक्ष्य में तटस्थ रह र्ाना संभि हो सकता है – ऄथावत् यकद स्थायी
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कायवर्ासलका र्ूणव रूर् से राजनीसतक कायवर्ासलका के प्रसत जिाबदेह है, तो क्या राजनीसतक कायवर्ासलका
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र्ूणवतः तटस्थ हो सकती है? यकद आसका ऄथव यह है कक ईन्हें सत्तासीन राजनीसतक कायवर्ासलका के प्रसत र्ूणव
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रूर् से प्रसतबि होना िासहए, तो क्या स्थायी कायवर्ासलका के सलए यह संभि हो र्ाएगा कक िह सिसभन्न
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सरकारों के प्रसत ऄर्नी प्रसतबिता में र्ररितवन करती रहें? या कफर स्थायी कायवर्ासलका के सदस्य ऄर्नी
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तटस्थता को आस स्तर तक बनाये रखें कक िे सिसभन्न सरकारों के प्रसत ईदासीन तक हो जाएं। आनका ईत्तर है,
नहीं! दोनों मूल्यों का एक साथ र्ालन ककया जाना होता है। तकनीकी तथा प्रबंधकीय कौशल राजनीसतक
नहीं होते हैं। प्रशासन के साधन ऄथावत् कायों को ऄसधक कु शलता तथा प्रभािी तरीके से करने की र्िसतयााँ
राजनीसतक रूर् से तटस्थ होती हैं। िस्तुतः आन कायों के कियान्ियन के सलए तत्र्रता के सम्बन्ध में मानिीय
र्क्षर्ात होता है। ऄनासमकता और आस प्रकार जिाबदेही आस र्ूिावग्रह को समाप्त करने हेतु अिश्यक है। गैर-
राजनीसतक समझे जाने िाले कौशल तथा तकनीकी ज्ञान का ईर्योग ककसी भी सििारधारा िाली सरकार
द्वारा ककया जा सकता है। ईदाहरण के सलए, लेसनन द्वारा सोसियत संघ की ऄथवव्यिस्था में औद्योसगक
र्ूाँजीिाद के कइ र्हलुओं को समासिष्ट ककया गया था या िीन द्वारा ऄर्नी राजव्यिस्था में साम्यिाद को
बनाए रखते हुए र्ूाँजीिाद के तत्िों को ऄथवव्यिस्था में शासमल ककया गया है।

3.10. जिाबदे सहता एिं ईत्तरदासयत्ि (Accountability and Responsibility)

जिाबदेसहता
जिाबदेसहता का ऄथव लोक ऄसधकाररयों को ईनके व्यिहार के सलए जिाबदेह और ईस संस्था, सजससे िे
ऄर्ना प्रसधकार प्राप्त करते हैं, के प्रसत प्रसतकियाशील बनाना है। सािवजसनक र्दधारक ऄर्ने सनणवयों और

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कायों के सलए ईत्तरदायी होते हैं और ईन्हें आसे सुसनसश्चत करने िाली अिश्यक समीक्षा के सलए ऄर्ने अर्को
प्रस्तुत करना िासहए। जिाबदेसहता का ऄथव लोक ऄसधकाररयों के प्रदशवन को मार्ने हेतु मानदंड स्थासर्त
करने के साथ-साथ आनके ऄनुर्ालन को सुसनसश्चत करने हेतु एक र्यविक्ष े ण तंत्र स्थासर्त करना है।
लोक सेिाओं में यह एक सिसधक ऄिधारणा है, क्योंकक आसकी रूर्रेखा सिसध द्वारा सनसश्ित की गइ है।
अदशव रूर् से आसमें सनम्नसलसखत तीन ऄिधारणाएाँ ससम्मसलत हैं:
i. ईत्तरदेयता (Answerability) : आसका ऄथव है कक कोइ व्यसि कानूनी रूर् से ऄर्ने कृ त्यों और
िूकों/गलसतयों के संबंध में ईत्तर देने के सलए बाध्य है।
ii. प्रितवनीयता (Enforceability): आसका ऄथव है कक संबंसधत सससिल सेिक यकद ऄर्ने असधकाररक कतवव्यों
के सनिवहन में दोषी र्ाया जाता है तो िह कानून के ऄनुसार दंसडत ककए जाने का र्ात्र है।
iii. सशकायत सनिारण (Grievance redressal): आसका ऄथव है कक र्ीसड़त व्यसि की सशकायतों की
सुनिाइ और समाधान के सलए र्यावप्त संस्थागत तंत्र होना िासहए।
जिाबदेसहता सरकार, ईसकी एजेंससयों और सरकारी ऄसधकाररयों को ईनके सनणवयों और कायों के संबंध में
जानकारी प्रदान करने तथा ईन्हें जनता और जिाबदेसहता का र्यविेक्षण करने िाले संस्थानों के समक्ष ईसित
हराने के दासयत्ि को संदर्भभत करती है।
प्रितवनीयता का अशय यह है कक जनता या जिाबदेसहता तय करने के सलए ईत्तरदायी संस्थाएाँ ऄर्राधी र्क्ष
को प्रसतबंसधत कर सकती हैं या ईल्लंघनकारी व्यिहार के सलए कोइ समाधान प्रदान कर सकती हैं। आस
प्रकार, जिाबदेसहता तय करने िाली सिसभन्न संस्थाएं आन दोनों िरणों में से ककसी एक या दोनों के सलए
ईत्तरदायी हो सकती हैं। र्ारदर्भशता के सबना जिाबदेसहता का कु छ भी ऄथव नहीं है। सािवज सनक क्षेत्र में र्ूणव
और सही जानकारी के सबना जिाबदेसहता का मूल्य कु छ नहीं होगा। जिाबदेसहता के िल 'ककसके प्रसत' और
'कै से' नहीं है, बसल्क यह 'ककस सलए' भी है। र्ारदर्भशता के माध्यम से 'ककस सलए' सम्बन्धी र्हलू प्रदान ककया
जाता है। यही कारण है कक र्ारदर्भशता और जिाबदेसहता का ऄसधकांशत: एक साथ सन्दभव सलया जाता है।
कृ त्यों और ऄकमवण्यता के सलए लोक सेिकों की जिाबदेसहता सुसनसश्चत करने िाली संस्थाएं
i. संग नात्मक स्तर र्र संग न का प्रमुख।
ii. सिभागीय स्तर र्र सिभागीय प्रमुख।
iii. मंत्रालयी स्तर र्र संबंसधत मंत्रालय।
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iv. राष्ट्रीय स्तर र्र संसदीय कायविाही।


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v. लोकसप्रय स्तर र्र जनमत।


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vi.सामासजक स्तर र्र मीसडया और नागररक समाज।


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vii.न्यासयक स्तर र्र न्यायालय।


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आससलए दोनों प्रकार की जिाबदेसहयााँ मौजूद हैं- एक सनयसमत जिाबदेही जो ऄसधकांशत: सिभागीय प्रकृ सत
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की होती है और दूसरी बाय द रूर् से प्रिर्भतत जिाबदेही जो अिश्यकता र्ड़ने र्र तय की जाती है।
आसकी अिश्यकता क्यों है?
लोक ऄसधकाररयों या सािवजसनक सनकायों की सतत प्रभािशीलता का मूल्यांकन करने से यह सुसनसश्चत होता
है कक िे ऄर्नी र्ूरी क्षमता से काम कर रहे हैं, लोक सेिाओं को ईर्लधध कराने के औसित्य को र्ूरा कर रहे
हैं, सरकार में जनता के सिश्वास में िृसि कर रहे हैं और संबंसधत समुदाय के प्रसत ईत्तरदायी हैं।
i.यह लोक सेिाओं को ऄत्यािारी होने से रोकती है, क्योंकक यह ईनके कृ त्यों और कु कृ त्यों के सलए ईनकी
जिाबदेसहता सुसनसश्चत करती है।
ii.सहतों के संघषव से सुरक्षा प्रदान करती है - जिाबदेसहता सनधावररत करने से व्यसि का कायवक्षत्र
े स्र्ष्ट रूर् से
सनधावररत होता है।
iii.लोक सेिाओं की प्रथम और ऄंसतम लाभाथी जनता ही है, क्योंकक लोक सेिाकों को जनता के सहत में कायव
करना होता है और िे जनता को ऄर्ने कृ त्यों के सलए जिाब देने हेतु बाध्य होते हैं।
iv.यह न्याय, समानता, और समतािाद को बढ़ािा देती है क्योंकक लोक सेिकों के सलए आन संिैधासनक
अदशों को र्ूरा करना अिश्यक होता है और साथ ही िे ऄर्ने कायों के सलए जिाब देने हेतु बाध्य भी होते
हैं।

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v.यह लोक सेिाओं को िैधता प्रदान करती है- जिाबदेसहता सेिा के प्रसत सन्‍ ा को बढ़ािा देती है क्योंकक
यह कायों का र्ररकलन सािधानीर्ूिवक करती है तथा मनमाने और दु्‍कसल्र्त कायों और नीसतयों र्र
सनयंत्रण रखती है।
vi. िाहे यह कानूनी र्ररणामों का भय हो या ककसी व्यसि की नैसतकता का र्ररणाम, ऄर्ने कायों के सलए
जिाबदेसहता लोकसेिकों को इमानदारी, सत्यसन्‍ ा और दक्षता के साथ ईनके कतवव्य का सनिवहन करने के
सलए प्रेररत करती है।
आसे कै से सुसनसश्चत ककया जा सकता है?
ककसी भी देश में जिाबदेही तंत्र को व्यार्क रूर् से राज्य के भीतर और बाहर सस्थत तंत्र के रूर् में िगीकृ त
ककया जाता है। संसद और देश के नागररकों के प्रसत सरकार की कायवकारी शाखा की जिाबदेही सनसश्चत रूर्
से लोकतंत्र की मूलभूत सिशेषता है।
लोकतंत्र में जिाबदेही की ऄसभव्यसि अिसधक िुनािों के माध्यम से होती है। ये िुनाि ितवमान सरकार को
दंसडत एिं र्ुरस्कृ त करने का साधन होते हैं। ऄतः, ये जिाबदेसहता के अधारभूत साधन के रूर् में कायव करते
हैं। एक स्ितंत्र न्यायर्ासलका शसियों के र्ृथक्करण के संिध
ै ासनक ससिांत को मूतव रूर् देती है और यह ककसी
भी लोकतांसत्रक देश में सिद्यमान सनयंत्रण एंि संतल
ु न की प्रणाली में एक ऄन्य महत्िर्ूणव घटक है। भारत में,
संिैधासनक और सांसिसधक सनकाय, जैस-े सनयंत्रक एिं महालेखा र्रीक्षक, सनिाविन अयोग और कें द्रीय
सतकव ता अयोग (CVC) का र्द ऄन्य सनरीक्षण तंत्रों के ईदाहरण हैं, जो स्िायत्त हैं र्रन्तु राज्य के ढांिे के
ऄंतगवत अते हैं। सिश्लेषकों ने आन जिाबदेही तंत्रों को "क्षैसतज" जिाबदेही तंत्रों और 'लंबित' जिाबदेही तंत्रों
में िगीकृ त ककया है। "क्षैसतज" जिाबदेही तंत्र राज्य के ऄंतगवत सस्थत तंत्रों को संदर्भभत करता है जबकक
"लंबित" जिाबदेही तंत्र राज्य के बाहर सस्थत तंत्रों को संदर्भभत करता है सजसमें मीसडया, नागररक समाज
और नागररक ससम्मसलत हैं।
 र्ारदर्भशता को प्रोत्साहन प्रदान कर: RTI के सन्‍र्क्षतार्ूणव कायावन्ियन, सिशेष रूर् से ऄग्रसकिय
प्रकटीकरण से सरकारी ऄसधकारी कानून और संसिधान की मूल भािना के ऄनुसार दृढ़तार्ूिवक कायव
करने के सलए ऄसधक सािधान होंगे। दूसरे , यह व्यसियों को ईनके ऄसधकारों, र्ात्रताओं और आनकी
र्ूर्भत के संदभव में जागरुक बनाएगा।
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 ऄर्ने असधकाररक कतवव्यों के सनिवहन के संबंध में सरकारी ऄसधकाररयों से प्रश्न करने के सलए
सहतधारकों का क्षमता सनमावण। ईदाहरण के सलए, MGNREGA के ऄंतगवत सामासजक लेखार्रीक्षा की
ऄिधारणा।
 भ्रष्टािार रोकथाम ऄसधसनयम जैसे कानूनों का प्रभािी कायावन्ियन।
सज़म्मेदारी
आसका ऄथव स्ियं के प्रसत ईत्तरदायी होने से है, ऄथावत् अंतररक ईत्तरदासयत्ि। यह एक नैसतक ऄिधारणा है
सजसमें व्यसि ऄर्ने सभी कायों के सलए स्ियं के प्रसत ईत्तरदायी महसूस करता है, भले ही ककसी भी कानून
के ऄंतगवत ईसके सलए ईत्तरदासयत्ि न तय की गयी हो। यह जिाबदेही से ऄसधक सिरस्थायी होती है क्योंकक
यह नैसतक तकव र्र अधाररत होती है। सज़म्मेदारी का सनिवहन करने िाला व्यसि सदा ईसित कायव करता है,

भले ही ईसके कायों की सनगरानी करने के सलए िहां कोइ भी न हो, क्योंकक िह स्ियं को ऄर्ने प्रसत
ईत्तरदायी मानता है। आसमें व्यसि ऄर्ने कायों और सनणवयों की र्ूरी सजम्मेदारी ग्रहण करता है।
हालांकक, आन शधदों का र्रस्र्र एक दूसरे के स्थान र्र ईर्योग ककया जाता है, लेककन आन दोनों के मध्य एक
सूक्ष्म ऄंतर सिद्यमान है। जिाबदेसहता व्यसि को ईसके द्वारा ककए गए कायों या सनणवयों के र्ररणामों के सलए
जिाबदेह बनाती है। आसके सिर्रीत, सज़म्मेदारी का र्ररणाम से अिश्यक रूर् से कोइ संबंध नहीं होता है।

साथ ही, जिाबदेसहता व्यसि से ईसके द्वारा ककये गये कृ त्यों के सलए ईत्तरदेयता की मांग करती है। आसके

सिर्रीत, सज़म्मेदारी के ऄंतगवत एक व्यसि से भरोसेमंद होने की ऄर्ेक्षा की जाती है तथा ईसे सौंर्े गए कायव
को र्ूरा करने के सलए ईसर्र सिश्वास ककया जाता है।
सज़म्मेदारी को नैसतक र्ररर्क्वता से ऄंतसंबंसधत माना जाता है। आससलए सज़म्मेदारी की भािना के सृजन हेतु
प्रसशक्षण, भूसमका सनिवहन अकद के माध्यम से नैसतक, नीसतशास्त्रीय मूल्य अकद प्रदान करने की अिश्यकता
होती है।

3.11. सिसिध मू ल्य (Miscellaneous Values)

निािाररता और सृजनात्मकता (Innovativeness and Creativity)


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प्रसत कदन नइ ICT प्रौद्योसगककयों के साथ तीव्रता से र्ररितवनशील होते र्ररिेश में सससिल सेिकों को ऄर्ने
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प्रशाससनक कायों को तीव्र, सुिारू और ऄसधक कु शल तरीके से सनिवहन करने के सलए आनका ईर्योग करने
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हेतु निािारी और सृजनात्मक होना िासहए। आसके ऄसतररक् त, प्रशासन को र्ररिेश अधाररत होना िासहए
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और जब र्ररिेश तीव्र गसत से र्ररिर्भतत हो रहा है तो सससिल सेिकों को आस र्ररितवनशील र्ररिेश से


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सामंजस्य स्थासर्त करने के सलए र्यावप्त सृजनात्मक होना िासहए ताकक िे ऄर्ने कतवव्यों का निािारी रूर् से
सनिवहन कर सकें । ईदाहरण स्िरुर्, तीव्र गसत से र्ररिर्भतत होते प्रौद्योसगकी युग में सससिल सेिकों को
तकनीक में प्रगसत के प्रभाि को र्हले समझने और कफर ईन र्र नीसत सनमावण के सलए ऄत्यंत कम समय होता
है। आसके बजाय ईन्हें र्ररसस्थसतयों से सामंजस्य स्थासर्त करने और र्हले से ही नीसत सनमावण में संल ग्न होना
िासहए।
साहस और बहादुरी (Courage and bravery)
यह दृढ़ नौकरशाहों की एक ऄन्य सिशेषता है, क्योंकक िे के िल तभी र्ररितवनकारी कदम ई ा सकते हैं, जब
ईनमें सिफलता की सजम्मेदारी स्िीकार करने का साहस हो। आसके ऄसतररक्त, सत्यसन्‍ ा के ईच्च स्तर को
बनाए रखने के सलए, ईन्हें साहसी होना िासहए, ऄन्यथा िे ऄसत दुबल
व बने रहेंग,े सजसका कोइ प्रयोजन नहीं
है।
ऄनुकियाशीलता (Responsiveness)
ईन्हें प्रसत कदन सृसजत होने िाले नए ऄिसरों और िुनौसतयों के प्रसत ऄनुकियाशील होना िासहए और जनता
की निीन अिश्यकताओं के प्रसत ऄनुकिया करने में सक्षम होना िासहए।

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दृढ़ता (Fortitude)
आसका तात्र्यव र्ीड़ादायक ऄथिा सिर्रीत र्ररसस्थसतयों में साहस का प्रदशवन करने से है। यह दीघाविसध तक
साहस को बनाए रखता है। सससिल सेिक र्ररिर्भतत र्ररिेश में कायव करते हैं जहां ईन्हें सिसभन्न बाय द प्रभािों
और दबािों का समाना करना र्ड़ सकता है। ईन्हें सनष्ठा और मूल्यों के प्रसत प्रसतबिता प्रदर्भशत करनी
िासहए सजसका िे र्ालन करते हैं।
गम्भीरता और ऄटलता (Perseverance and Tenacity)
आसका ऄथव है- सनरंतर प्रयास और दृढ़ संकल्र्। आसका तात्र्यव कर नाआयों ऄथिा सफलता प्रासप्त में सिलंब के
बािजूद सनरंतर प्रयास करते रहने से है। ऄनेक िषों तक एक ही प्रयोग को दोहराते रहने िाले शोधकतावओं
का लगातार एक ही कदशा में संर्ूणव फोकस बनाए रखना, गम्भीरता का एक ऄच्छा ईदाहरण है। सससिल

सेिाओं के सलए, गम्भीरता एक महत्िर्ूणव मूल्य है। नीसतयों द्वारा लाए जाने िाले र्ररितवन, ईदाहरण के
सलए- खुले में शौि से मुसि ऄथिा ककसी सजले में बलग ऄनुर्ात में सुधार लाना ऐसे लक्ष्य हैं सजन्हें रातों-रात
प्राप्त नहीं ककया जा सकता है। ऄनेक लोगों द्वारा ऐसी योजनाओं का सिरोध ककया जा सकता है क्योंकक ये
एक िषव या दो िषव में र्ररणाम प्रदान नहीं करती हैं। सससिल सेिकों को गम्भीर होना िासहए यकद ईन्हें
इमानदारी-र्ूिवक यह सिश्वास है कक ितवमान नीसत/योजना िांसछत लक्ष्यों को प्राप्त करने का सिोत्तम तरीका
है, हालांकक तत्काल रूर् से दृश्य प्रभाि नहीं भी हो सकते हैं।

ऄटलता भी आससे काफी समलता-जुलता है- यह दृढ़ संकल्र्ी होने, डटे रहने का गुण है।

लिीलार्न (Resilience)
लिीलार्न िस्तुतः शीघ्रता से संभलने और िार्सी करने का गुण है। यह संकट की सस्थसत में स्ियं को
ऄनुकूसलत करने और बेहतर तैयारी के साथ संकट र्ूिव सस्थसत में र्ुनः िार्सी की व्यसिगत क्षमता है। ऐसे
कायव में सिफलता ऄर्ररहायव है सजसमें ऄसनसश्चतता सिद्यमान हो और ऄर्ूणव जानकारी के अधार र्र सनणवय
सलया गया हो। सससिल सेिकों का कायव प्रयासों की संभासित सिफलता से हार मान लेना नहीं है बसल्क
ऄसफलता के कारणों का ऄिलोकन करना और भसि्‍य के सनणवयों में सुधार लाने के सलए नकारात्मक
प्रसतर्ुसष्ट (negative feedback) को ससम्मसलत करने के सलए एक तंत्र सिकससत करना है। सकारात्मक
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दृसष्टकोण, भािनाओं को प्रबंसधत करने की क्षमता और अशािादी होना नम्य व्यसियों के प्रमुख गुण हैं।
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3.12. मू ल्यों के क्षरण के र्ररणाम (Consequences of Erosion of Values)


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i. भ्रष्टािार तथा जन सेिा (जो ककसी भी प्रशाससनक प्रणाली के सलए सिवप्रमुख है) की ऄनुर्सस्थसत।
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ii. प्रशासन जनता की अिश्यकताओं के प्रसत ईदासीन बन जाता है, क्योंकक यह संबि राजनीसतक दलों के
ईद्देश्यों को र्ूरा करने का प्रयास करता है।
iii. आसके र्ररणामस्िरूर् मेररटोिे सी (जहां योग्यता को र्ुरस्कृ त ककया जाता है और सभी सेिा शतें योग्यता

के िस्तुसन्‍ मूल्यांकन र्र अधाररत होती हैं) का सिनाश होता है। आससलए, स्थानांतरण, तैनाती आत्याकद

सससिल सेिक की क्षमता के बजाय र्ूणवतः संबिताओं से सनदेसशत होती हैं। आसके र्ररणामस्िरुर् ऄक्षमता,
ऄप्रभासिता एिं मनोबल का ऄभाि ईत्र्न्न होता है।
iv. आससे लोक सेिाओं में जन सामान्य का सिश्वास कम हो जाता है, सजससे लोक सेिाओं की सिश्वसनीयता
को क्षसत र्हुाँिती है।
(आस सिषय में ऄसधक जानकारी के सलए, 'लोक प्रशासन में नैसतकता’ िाले नोट्स को देखें।)
मूल्यों का समािेशन: समािेशन की सिसशष्ट सिसधयों के सलए ईर्युवक्त प्रत्येक व्यसिगत मूल्य का संदभव
लीसजए।

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4. सिगत िषों में Vision IAS GS मेंस टे स्ट सीरीज में र्ू छे
गए प्रश्न
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions)
1. कमजोर िगों के प्रसत संिद
े ना का मूल्य नम्यता का समािेश करके लोक सेिक के कायवकरण की
सीमाओं को बढ़ाता है, र्रन्तु यह िस्तुसनष्ठता के ससिांत को कमजोर करता है। ििाव कीसजए।
यकद संिद
े ना के मूल्य तथा िस्तुसनष्ठता के ससिांत के मध्य द्वंद्व ईत्र्न्न होता है, तो अर् एक लोक
सेिक के रूर् में आस सस्थसत का समाधान ककस प्रकार करेंग।े
दृसष्टकोण:
 संिेदना एिं िस्तुसनष्ठता के मूल्यों की व्याख्या कीसजए।
 सिस्तृत िणवन कीसजए कक क्या आस प्रकार के द्वंद्व सिद्यमान होते हैं।
 यकद ककसी प्रकार का द्वंद्व हैं तो व्याख्या कीसजए कक ऐसा क्यों है तथा आसके समाधान के सलए
कायविाही का सुझाि दीसजए।
ईत्तर:
एक लोक सेिक में संिेदना के मूल्य का होना ऄसत अिश्यक है ताकक िह िंसित िगव के लोगों के
कष्टों के प्रसत बिसतत हो। संिेदना की भािना ईसे कमजोर िगों की सहायता करने हेतु सिशेष
प्रयास करने के सलए प्रेररत करती है। आसके सलए ईसे ऄर्ने कायवकरण में नम्य (लोिशील) होना
िासहए और सनयमों की सीमा के ऄंतगवत सख्ती से कायव करने के बदले सनयमों के आदव-सगदव रहकर
कायव करना िासहए। लेककन, आससे ईसकी िस्तुसनष्ठता प्रभासित हो सकती है।
िस्तुसनष्ठता का अशय यह है कक लोक सेिक के सनणवय और कायविासहयां मेररट और सन्‍र्क्षता र्र
अधाररत होने िासहए। आसमें सम्मान, समानता और सन्‍र्क्षता ससम्मसलत हैं। आस तथ्य से कोइ
फकव नहीं र्ड़ता कक कोइ व्यसि सनधवन है ऄथिा संर्न्न, ईनके साथ ऄसनिायव रुर् से सन्‍र्क्षता
र्ूिवक व्यिहार ककया जाना िासहए।
र्रन्तु, एक लोक सेिक के द्वारा कु छ कमजोर िगों को सहायता प्रदान करने के सलए कायव करते
समय ईनके प्रसत झुकाि का प्रदशवन ककया जा सकता है। आसके कारण कु छ नीसतयां और सनणवय
ऄलाभकारी और ऄनुर्योगी ससि हो सकते हैं तथा यहां तक कक कु छ ऄर्ेक्षाकृ त संर्न्न जनसंख्या
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के सलए प्रसतकू ल भी हो सकते हैं, लेककन िह जरुरतमंदों की सहायता करने के सलए ईन्हें अगे
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बढ़ाने की िाह रख सकता है। साथ ही, यकद ईसके सनणवय अगे िलकर गलत ससि होते हैं तो
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सनयमों की ऄनदेखी करने के सलए ईसे ऄनुशासनात्मक कारविाइ का भी सामना करना र्ड़ सकता
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है। आस प्रकार, आससे द्वंद्व की सस्थसत बन सकती है।


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ऐसी सस्थसत में, सनम्नसलसखत सिकल्र्ों का ऄनुसरण ककया जा सकता है:


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 ऄर्ने सििेक के ऄनुसार कायव करना और यह सनणवय करना कक ऐसी ककसी भी प्रकार की कोइ
कारविाइ अिश्यक है ऄथिा नहीं।
 सििार-सिमशव करना कक संिेदना की भािना से की गइ कायविाही जनता के ऄसहत में नहीं है।
 सनयमों से सििलन न्यूनतम होना िासहए और ककसी भी प्रकार के सििलन होने की सस्थसत में
ईससे िररष्ठ ऄसधकाररयों को ऄिगत कराना िासहए और यकद समयाभाि हो तो कोसशश की
जानी िासहए की सूिना को यथासंभि शीघ्रतार्ूिवक संप्रेसषत कर कदया जाए।
 ऄनुभि से सीखने का ईर्योग सनयम अधाररत तंत्र सनर्भमत करने के सलए ककया जाना िासहए
ताकक ऐसी कोइ सस्थसत भसि्‍य में ऄर्ने सलए या ककसी ऄन्य ऄसधकारी के सलए द्वंद्व की
सस्थसत ईत्र्न्न न करे।

2. सत्यसनष्ठा के सबना इमानदारी संभि है, लेककन इमानदारी के सबना सत्यसनष्ठा संभि नहीं है। क्या
अर् आससे सहमत हैं? ईदाहरणों के साथ ऄर्ने मत का औसित्य ससि कीसजए।
दृसष्टकोण:
 इमानदारी और सत्यसनष्ठा का ऄसभप्राय स्र्ष्ट कीसजए।
 व्याख्या कीसजए कक िे ककस प्रकार संबंसधत हैं और आनमें से कौन-सा ऄसधक महत्िर्ूणव है और
क्यों।
 ईदाहरण दीसजए।

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ईत्तर:
इमानदारी और सत्यसनष्ठा को प्राय: एक दूसरे का समानाथी माना जाता है लेककन ईनके ऄथव में
सभन्नता है। सत्यसनष्ठा ऄसधक समग्र दृसष्टकोण प्रदान करती है, सजसका अशय दृढ़ नैसतक ससिांतों
और अिरण के ऄनुर्ालन से है।
एक इमानदार व्यसि के सनम्नसलसखत लक्षण होते हैं:
 दूसरों के साथ ईदारतार्ूणव व्यिहार और न्यायसप्रयता;
 ऄसत्य नहीं बोलना, धोखा न देना, िोरी न करना तथा अिरण में सादगी; एिं
 सिश्वसनीय, सनष्ठािान, सन्‍र्क्ष और सन्‍कर्ट।
र्रन्तु, सत्यसनष्ठा का तात्र्यव ससिांतों का र्ालन होता है। यह एक तीन िरणीय प्रकिया है:
 अिरण की सही कायवप्रणाली का ियन करना;
 ियसनत सिकल्र् से सुसंगत कारविाइ करना- यहााँ तक कक जब ऐसा करना ऄसुसिधाजनक या
ऄलाभप्रद हो तब भी; तथा
 ऄर्ने मत की खुले तौर र्र घोषणा करना।
तदनुसार, सत्यसनष्ठा नैसतक भािना, प्रसतबिताओं के प्रसत दृढ़ता ि सिश्वसनीयता के समतुल्य
होती है।
यहााँ यह 'इमानदारी' के दृसष्टकोण के समान है।
इमानदारी और सत्यसनष्ठा के मध्य प्रमुख ऄंतर यह है कक कोइ व्यसि सत्यसनष्ठा हेतु अिश्यक
सििार और भािनाओं को प्रदर्भशत ककए बगैर र्ूरी तरह से इमानदार हो सकता है।
ईदाहरण के सलए, संभि है कक कोइ व्यसि ऄर्ने िररष्ठ के प्रसत इमानदार और सनष्ठािान हो र्रन्तु
िह ईसे दुभाविनार्ूणव गसतसिसधयों में संसलप्त होने में सहायता भी करता हो। यहां, ईस व्यसि की
इमानदारी के व्यसिगत लाभ हैं। ईसने ऄर्ने र्द की गररमा के साथ समझौता ककया है और
आसीसलए यहााँ ईसमें सत्यसनष्ठा का ऄभाि र्ाया जाएगा।
इमानदारी का ऄसस्तत्ि सत्यसनष्ठा के सबना भी हो सकता है क्योंकक सत्यसनष्ठा का ऄथव होता है
ऄर्नी प्रसतबिताओं का सम्मान करते हुए सनरंतर ईदार, सन्‍र्क्ष एिं र्ारदशी रूर् से व्यिहार
करना; और लोक सेिा के मूल्यों को बनाए रखने के सलए प्रयास करना।
सत्यसनष्ठा का ऄसस्तत्ि इमानदारी के सबना नहीं हो सकता, क्योंकक सत्यसनष्ठा में सनम्नसलसखत तत्ि
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ससम्मसलत होते हैं;


ai
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 लोकसहत बनाए रखने के सलए इमानदार और स्र्ष्ट राय प्रदान करना।


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 सभी र्ररसस्थसतयों में सिश्वसनीयता बनाए रखना।


11

सलए गये सनणवयों के राजनीसतक सनसहताथों को साझा करने के माध्यम से र्ूणव प्रकटीकरण
13


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करना।
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su

 ऐसी संस्कृ सत का सनमावण करना जो खुल,े इमानदार और नैसतक व्यिहार को प्रोत्सासहत


करती हो।
 लोगों के साथ ककसी राजनीसतक, सामासजक, जनसांसख्यकीय, भौगोसलक र्ररसस्थसत या
र्ूिावग्रह के सबना भेदभाि रसहत व्यिहार करना।
ककसी भी र्ररसस्थसत में, सत्यसन्‍ व्यसि सदैि इमानदारी के मूल्य को स्ितः बनाए रखता है।

3. समानुभसू त व्यसि की भािनात्मक बुसिमत्ता का के िल एक महत्िर्ूणव ऄियि ही नहीं ऄसर्तु


ईसका संकेतक भी है। सिस्तारर्ूिक
व िणवन कीसजए।
दृसष्टकोण:
समानुभूसत की ऄिधारणा को संसक्षप्त में स्र्ष्ट कीसजए और तत्र्श्चात सिस्तारर्ूिवक िणवन कीसजए
कक ककस प्रकार समानुभूसत भािनात्मक बुसिमत्ता का सिावसधक महत्िर्ूणव घटक है।
ईत्तर:
ककसी व्यसि की मानससकता और ईसके द्वारा ऄनुभि की जाने िाली र्ररसस्थसतयों को िास्तसिक
रूर् में समझना ही समानुभूसत है। समानुभूसत दूसरे व्यसि के सििारों, दृसष्टकोणों और भािनाओं
को समझकर संप्रष
े ण (सििारों के अदान-प्रदान) करने एिं ईसके ऄनुसार कायव करने की क्षमता है।

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समानुभूसत दीघवकाल से भािनात्मक बुसिमत्ता की अधारसशला रही है। समानुभूसत भािनात्मक


बुसिमत्ता का सबसे महत्िर्ूणव र्हलू है। यह भािनात्मक बुसिमत्ता का ऐसा घटक है जो सरकारी
कमविाररयों को समाज में िंसितों की समस्याओं का समाधान करने हेतु समथव बनाती है। भारत
जैसे समाज में जहााँ रूकढ़िाकदयों की बहुलता है, समानुभूसत व्यसि को बेहतर तरीके से समाज की
समस्याओं को समझने में सहायता कर सकती है। समानुभूसतर्ूणव सुनिाइ प्रभािशाली होती है,
क्योंकक यह हमारे समक्ष ऄन्य लोगों के साथ घरटत होने िाली र्ररसस्थसतयों का जीिंत सित्रण
प्रस्तुत करती है। जब हम ऄर्ने सििारों एिं आच्छाओं को ऄन्य व्यसियों र्र थोर्ने से मुि हो जाते
हैं तो आससे हमें ऄन्य व्यसियों की िास्तसिक मनःसस्थसत और ऄनुभूसतयों को नए ससरे से ऄनुभि
करने का ऄिसर प्राप्त होता है।
समान स्तर की जन्मजात भािनात्मक बुसिमत्ता िाले लोगों के मध्य, सजस व्यसि ने व्यार्क और
सिसिध प्रकार के ऄनुभिों, जैसे कक गहन सनराशा एिं संतुसष्ट के िरम अनन्द का िास्ति में
ऄनुभि ककया होता है, िही व्यसि जीिन के सभी क्षेत्रों से संबंसधत ऄसधकासधक लोगों के साथ
समानुभूसत प्रकट करने में सबसे ऄसधक समथव होता है। दूसरी ओर, जब हम कहते हैं कक कोइ
व्यसि ‘ऄन्य लोगों से समानुभूसत नहीं रख सकता’ तो आसका कारण संभित: यह है कक ईसने स्ियं
सिसभन्न भािनाओं को कभी ऄनुभत
ू , ऄसभस्िीकृ त या स्िीकार नहीं ककया होता है।
समानुभूसत ककसी लोक सेिक को नागररकों की ऄनुभूसतयों को गहराइ से समझने में समथव बनाती
है। ऐसा व्यसि ऄन्य व्यसियों के सििारों, ऄनुभूसतयों और भािनाओं का धैयवर्ि
ू वक ऄन्िेषण करता
है। कु छ हद तक, यह ईन्हें नागररकों के साथ संर्कव (संबध
ं ) स्थासर्त करने में समथव बनाती है। यहााँ
भािनात्मक बुसिमत्ता ईस संर्कव को ऄसधक सुदढ़ृ स्िरूर् प्रदान करती है। जहााँ समानुभूसत लोक
सेिक को नागररकों की ऄनुभूसतयों को समझने में सक्षम बनाती है, िहीं भािनात्मक बुसिमत्ता
ईन्हें यह संप्रेसषत करने में सक्षम करती है कक िे ईन भािनाओं और ईनके सनसहताथों को समझते
हैं।
ये सभी क्षमताएाँ समलकर ककसी लोक सेिक को न के िल दूसरे व्यसि के शासधदक संप्रष े ण ऄसर्तु
शधदों के र्ीछे छु र्ी भािनाओं को समझने में भी सक्षम बनाती हैं। ककसी ऄन्य व्यसि के सििारों,
ईसकी ऄनुभूसतयों और भािनाओं को समझने का प्रयास करना तथा भािनात्मक बुसिमत्ता के
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साथ संप्रष
े ण करना सिश्वास के सृजन की अधारसशला है।
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ये गुण सफल सससिल सेिकों में देखे जा सकते हैं। आन्हें ईस समय देखा जा सकता है जब नागररक
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लोक सेिक के साथ खुलकर ऄर्नी समस्याओं, िुनौसतयों और ऄिसरों को साझा करते हैं। आसे कु छ
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11

बेहतर करने का दृसष्टकोण सिकससत करने हेत,ु नागररकों के साथ ऄर्ने संबंध का ईर्योग कर
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नागररकों की भािनात्मक सस्थसत के प्रबंधन में सहायता करने की लोक सेिक की क्षमता में देखा
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जा सकता है। सिवश्रेष्ठ लोक सेिक ककसी व्यसि की ऄनुभूसत को महसूस कर सकते हैं तथा
समस्याओं का समाधान करने के सलए ईसके साथ-साथ ऄन्य लोगों से संप्रेषण करने हेतु ऄर्नी ईच्च
भािनात्मक बुसिमत्ता का ईर्योग करने की क्षमता का लाभ ई ाते हैं।

4. सत्यसनष्ठा की ऄिधारणा र्र ििाव कीसजए और बताइए कक ककस प्रकार यह न तो एकल


िाररसत्रक लक्षण है और न ही ककसी सिसशष्ट भूसमका तक ही सीसमत है।
दृसष्टकोण:
 सत्यसनष्ठा की ऄिधारणा के बारे में बताइए।
 ईसके बाद प्रश्न के दूसरे भाग र्र सिस्तार से ििाव कीसजए।
ईत्तर:
 सत्यसनष्ठा का सिकास ईस समय होता है जब कोइ व्यसि सनरंतर ईसित तकव और प्रभािी
अत्मसिश्वास का समािेश करने िाली र्िसत से कारविाइ करने का एक र्ैटनव सिकससत करता
है।
 सत्यसन्‍ व्यसि समझ-बूझ के साथ और व्यिसस्थत रूर् से सनणवय संबंधी सिकल्र्ों का
अकलन कर सकता है। िह प्रत्येक सिकल्र् का अकलन स्ियं के तकों की दृढ़ता और ऄर्ेसक्षत

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भािनाओं की गुणित्ता के संदभव में करता है। र्ररणामस्िरूर् िह ऐसे सकारात्मक या


नकारात्मक भािनाओं के स्रोतों की र्हिान करने में भी सक्षम हो सकता है।
 दूसरी ओर, सजनके कायव ईनकी धारणाओं से मेल नहीं खाते, ईनमें सत्यसन्‍ ा का ऄभाि
होता है। ईन र्र सिश्िास नहीं ककया जा सकता, क्योंकक ईनकी अंतररक सनयंत्रण प्रणाली
आतनी कमजोर होती है कक ईनका व्यिहार ऄप्रत्यासशत और ऄसंगत होता है।
 ईच्ि कोरट के व्यसिसनष्ठ ईत्तरदासयत्ि को बनाए रखना न के िल र्ररर्ूणवता, अत्मसम्मान
और र्हिान की भािना के सलए महत्िर्ूणव है – जो कक मानससक स्िास्थ्य के सलए अिश्यक
है - ऄसर्तु ऄर्ने िस्तुसनष्ठ ईत्तरदासयत्ि की र्ूर्भत के सलए भी महत्िर्ूणव है।
 ऐसा माना जाता है कक सत्यसन्‍ ा में न के िल हमारे ऄंतरतम की ऄसर्तु हमारे संबंधों की
र्ररर्ूणवता भी समासहत होती है।
 आसके ऄसतररक्त, सत्यसनष्ठा न तो एकल िाररसत्रक लक्षण है और न ही ककन्हीं सिशेष
भूसमकाओं तक सीसमत है, बसल्क यह “जगत में ऄनुभिों का प्रसंस्करण करने की एक र्रर्‍कृ त
सस्थसत है जो नैसतक सनणवय, रिनात्मकता तथा सहज ज्ञान युि क्षमता और साथ ही
तकव संगत सिश्लेषणात्मक शसियों को समासि्‍ट करती है”।
 सत्यसनष्ठा को सिसभन्न रूर्ों में समझा जा सकता है: (i) स्ियं के एकीकरण के रूर् में
सत्यसनष्ठा; (ii) र्हिान बनाए रखने के रूर् में सत्यसनष्ठा; (iii) ककसी मत र्र दृढ़ रहने की
सत्यसनष्ठा; (iv) नैसतक ईद्देश्य के रूर् में सत्यसनष्ठा; और (v) एक गुण के रूर् में सत्यसनष्ठा ।
 आस प्रकार सत्यसनष्ठा न तो एकल िाररसत्रक लक्षण है और न ही ककसी सिसश्‍ट भूसमका तक
सीसमत है।
 सत्यसनष्ठ प्रशासकों र्र लोग एिं ईनके सहकमी सिश्िास करते हैं क्योंकक ईनकी कथनी और
करनी में सुसंगतता होती है। सिश्िास का यही भाि िस्तुत: ककसी संग न को एकीकृ त
बनाता है।

5. सत्यसनष्ठा इमानदारी से सभन्न है तथा एक सससिल सेिक के सलए कदासित यह सबसे महत्िर्ूणव
सिशेषता है। ससिस्तार िणवन कीसजए।
दृसष्टकोण:
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सत्यसनष्ठा तथा इमानदारी को नीसतशास्त्र के ऄनुसार ऄलग-ऄलग र्ररभासषत कीसजए। तत्र्श्चात,


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ईनके मध्य ऄंतर स्र्ष्ट कीसजए। र्ुनः एक सससिल सेिक के र्ररप्रेक्ष्य से आन दोनों सिशेषताओं की
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ििाव कीसजए और ऄंततः सत्यसनष्ठा को सिावसधक िांसछत गुण के रूर् में स्थासर्त कीसजए।
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ईत्तर:
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सत्यसनष्ठा को ककसी व्यसि के द्वारा धाररत अिरण, मूल्यों, सिसधयों, ईर्ायों तथा ससिांतों के रूर्
su

में र्ररभासषत ककया जा सकता है। यकद ककसी व्यसि का अिरण ससिांतों के अंतररक सुसंगत
ढााँिे के ऄनुरूर् है तो कहा जा सकता है कक ईि व्यसि में सत्यसनष्ठा का गुण सिद्यमान है। आस
प्रकार यकद ककसी व्यसि में संगर त मूल्य व्यिस्था सिद्यमान है तथा िह आस प्रदत्त सीमा के भीतर
समनुरूर् ढंग से अिरण करता है तो ईसे सत्यसनष्ठ व्यसि कहा जाएगा।
आस प्रकार, सत्यसनष्ठा का संबंध व्यसि के िररत्र से है, जबकक इमानदारी एक गुण मात्र है। िूाँकक
िररत्र ऐसे ही व्यसिगत गुणों का योग होता है, ऄतः इमानदारी को सत्यसनष्ठता का एक ऄंग माना
जा सकता है। इमानदारी सच्चाइ के साथ कायव तथा संिाद करने का मानिीय गुण है। यह एक मूल्य
के रूर् में सत्य से संबंसधत है। आसमें सुनना तथा मानिीय गसतसिसधयों के प्रदशवन के साथ-साथ
बोलना भी ससम्मसलत है। सामान्यतः इमानदारी का ऄथव ककसी व्यसि द्वारा ऄर्नी दृढ़ मान्यताओं
के साथ तथ्यों एिं सििारों को प्रस्तुत करना है। आसमें दूसरों और स्ियं दोनों के प्रसत तथा ऄर्ने
ईद्देश्यों एिं अंतररक यथाथव के प्रसत ऄर्नाइ गइ इमानदारी ससम्मसलत होती है।
सत्यसनष्ठता का एक ईदाहरण, सबना रेफ़री के खेल खेलते समय ऄर्नी गलसतयों को स्िीकार
करना है। गलसतयााँ करने र्र, एक सत्यसनष्ठ व्यसि ईसे स्िीकार करेगा तथा सत्यसनष्ठा से रसहत
व्यसि ईसे ऄस्िीकार करेगा।

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एक समत्र दूसरे से कहता है कक, “के िल सनधवन लोग ही कू ड़ा ई ाने िाले ट्रकों र्र काम करते हैं”।
ऄर्नी आस धारणा की सत्यता की जांि ककए सबना भी िह ऄर्नी धारणा के प्रसत इमानदार हो
सकता है। आसके सिर्रीत यकद िह ऄर्नी धारणा की िास्तसिकता की जााँि करने का प्रयास करता
है तो िह सत्यसनष्ठा का प्रदशवन करता है।
आस प्रकार, आन र्ररभाषाओं से यह र्ूणत
व ः स्र्ष्ट है कक सत्यसनष्ठता का ईर्योग व्यसि के “कायों
ऄथिा सन्‍र्ादन प्रकिया” के स्तर र्र होता है, जबकक इमानदारी सोि तथा व्यिहार के प्राथसमक
स्तर र्र ऄसधक सिद्यमान होती है। एक सससिल सेिक से सािवजसनक सहत को सिोच्च प्राथसमकता
देने तथा ऄर्नी सेिा के स्तर र्र सही तथा इमानदार बने रहने की ऄर्ेक्षा की जाती है। आस प्रकार
यह सिावसधक महत्िर्ूणव हो जाता है कक िह न के िल आन ससिांतों के प्रसत इमानदार रहे, बसल्क
सत्यसनष्ठा सुसनसश्चत करने के सलए सभी बाधाओं का सामना करने की क्षमता भी रखे। आसके सलए
साहस और दबाि का सामना करने की क्षमता के साथ-साथ ईत्तरदासयत्ि की व्यार्क समझ होने
जैसे ऄसतररि गुणों की अिश्यकता होती है।
सससिल सेिाओं तथा सािवजसनक जीिन के संदभव में, सत्यसनष्ठा एिं इमानदारी को सससिल सेिक के
ईत्तरदासयत्ि के र्ररप्रेक्ष्य में र्ररभासषत ककया जाता है। यूनाआटेड ककगडम में नोलन ससमसत के
नाम से िर्भित ‘कसमटी ऑन स्टैण्डडव आन र्सधलक लाआफ’ सत्यसनष्ठा एिं इमानदारी को
सनम्नसलसखत प्रकार से िर्भणत करती है:
सत्यसनष्ठा: सािवजसनक र्दधारकों को स्ियं को बाहरी व्यसियों या संग नों के प्रसत ककसी भी ऐसे
सित्तीय या ऄन्य दासयत्ि के ऄधीन नहीं रखना िासहए जो ईन्हें ऄर्ने असधकाररक कत्तवव्यों के
सन्‍र्ादन में बाधा डाले।
इमानदारी: सािवजसनक र्दधारकों का कत्तवव्य है कक िे ईनके सािवजसनक कत्तवव्यों से संबंसधत ककसी
भी सनजी सहत की घोषणा करें और ईत्र्न्न होने िाले सहतों के ककसी भी टकराि का समाधान करने
हेतु ऐसे कदम ई ाएं सजनसे सािवजसनक सहतों की रक्षा हो।
आस प्रकार, सत्यसनष्ठा ककसी भी सससिल सेिक के सिावसधक िांसछत गुणों में से एक है। यकद ककसी
सससिल सेिक र्र ककसी सिशेष ढंग से कायव करने के सलए ऄनुसित राजनीसतक दबाि हो, जो
सन्‍र्क्षता, न्याय तथा ईसके कतवव्यों के सलए प्रदत्त ऄसधदेश के मूल्यों का सिरोधाभासी है, तो ईसे
र्द के प्रसत सत्यसनष्ठा बनाए रखने के सलए इमानदारी के ऄर्ने व्यसिगत मूल्य के साथ समझौता
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करना र्ड़ सकता है। आस प्रकार, लोक सेिकों को आस सिश्वास के साथ ऄर्ना र्द धारण करना
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िासहए सजससे िे सािवजसनक र्द का ईर्योग ऄर्ने सनजी लाभ के सलए नहीं करेंगे, सन्‍र्क्षतार्ूिक

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ऄर्ना कायव करेंगे तथा ककसी सनजी संग न या व्यसि को िरीयता नहीं देंगे। के िल ऄर्नी
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सत्यसनष्ठा को सुसनसश्चत करके ही व्यसि ऄर्ने कतवव्यों के प्रसत सच्चा हो सकता है तथा यह
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भ्रष्टािार को समाप्त करने का एक-मात्र ईर्ाय है।


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6. सससिल सेिाओं में तटस्थता से अर् क्या समझते हैं? एक सससिल सेिक के सलए तटस्थता
सिावसधक महत्िर्ूणव अधारभूत मूल्यों में से एक क्यों है?
दृसष्टकोण:
 ईत्तर में सनम्नसलसखत भाग समासिष्ट होने िासहए:
o सससिल सेिाओं में तटस्थता की व्याख्या कीसजए।
o सससिल सेिाओं में आस मूल्य के क्या लाभ हैं?
o तटस्थता के ऄनुर्ालन न करने से क्या हासन हो सकती है?
ईत्तर:
सससिल सेिाओं में तटस्थता ककसी सससिल सेिक द्वारा अत्मसात की जाने िाले अधारभूत मूल्यों
में से एक है। तटस्थता से तात्र्यव है कक ककसी सससिल सेिक की कोइ राजनीसतक सम्बिता नहीं
होनी िासहए तथा राजनीसतक नेतृत्ि को सन्‍र्क्ष तकनीकी र्रामशव प्रदान करने िाले एक सससिल
सेिक र्र राजनीसतक नेतृत्ि के र्ररितवन का कोइ प्रभाि नहीं र्ड़ना िासहए। तटस्थता हेतु यह
अिश्यक है कक कोइ भी सससिल सेिक िुनाि प्रिार ऄसभयानों या राजनीसतक दलों में शासमल

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नहीं हो सकता। ईसे सभी राजनीसतक दल के नेताओं के साथ सबना ककसी भय या र्क्षर्ात की
भािना से रसहत होकर कायव करना िासहए।
 सससिल सेिाओं में तटस्थता ने योग्यता अधाररत प्रणाली के सिकास में सहयोग ककया है। जो
यह सुसनसश्चत करता है कक के िल सिवश्रेष्ठ तथा सिावसधक प्रसतभा-संर्न्न व्यसि ही सससिल
सेिा का ऄंग बन सकते हैं।
 एक तटस्थ सससिल सेिक ऄर्ने द्वारा प्रदत्त र्रामशव की सन्‍र्क्षता तथा िस्तुसनष्ठता द्वारा ही
ऄर्ने राजनीसतक िररष्ठ का सिश्वास प्राप्त कर सके गा। ईसके द्वारा प्रदान की गइ सलाह को
ईसित महत्ि प्रदान ककया जायेगा। लोकतंत्र में, राजनीसतक कायवर्ासलका समय-समय र्र
बदलती रहती है, ककन्तु तटस्थ स्थायी कायवर्ासलका प्रशासन की सनरंतरता को बनाए रखने
हेतु अिश्यक होती है।
 यकद सससिल सेिकों द्वारा तटस्थता का ऄनुर्ालन न ककया जाए तो भाइ-भतीजािाद की
व्यिस्था को बढ़ािा समलेगा तथा लोक सेिाओं की गुणित्ता का शीघ्र ही र्तन हो जाएगा।
 आसके ऄसतररि, आसके र्ररणामस्िरूर् सससिल सेिक एिं मंत्री के मध्य र्रस्र्र संबंधों में
सगरािट अएगी तथा सससिल सेिकों में मंसत्रयों का भरोसा एिं सिश्वास कम हो जाएगा।
ककसी भी प्रणाली के कु शलतार्ूिवक कायव करने के सलए टीम के सदस्यों को एक समूह के रूर्
में कायव करना िासहए और यह तभी संभि होगा जब ईनमें से प्रत्येक एक-दूसरे के प्रयोजनों
र्र सिश्वास करेंगे। तटस्थता के ऄभाि में यह सिश्वास कभी स्थासर्त नहीं हो सकता।
स्थानान्तरण और र्द स्थार्न (र्ोबस्टग) के रूर् में भ्रष्ट ऄसधकाररयों को र्ुरस्कृ त तथा इमानदार
ऄसधकाररयों को दसण्डत करने का हासलया तरीका सससिल सेिाओं में तटस्थता के सलए एक बड़ा
ख़तरा है। आस प्रिृसत्त को रोके जाने की अिश्यकता है। सससिल सेिकों तथा मंसत्रयों दोनों के मध्य
सिश्वास को बनाए रखने हेतु एक सुदढ़ृ एिं प्रितवनीय नैसतक संसहता की अिश्यकता है।
प्रत्येक िुनाि के साथ दलों की सििारधारा र्ररिर्भतत होती रहती है। आस र्ररदृश्य में, एक तटस्थ
तथा गैर-राजनीसतक नौकरशाही की सिावसधक अिश्यकता होती है। आससलए, सभी सससिल सेिकों
को ऄर्नी ईसित योग्यता के ऄनुसार आस तंत्र को संिासलत करने हेतु सिवप्रथम तटस्थता के मूल्य
को अत्मसात करना िासहए।
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7. 'िस्तुसनष्ठता' और 'तटस्थता' सससिल सेिा के अधारभूत मूल्यों में से हैं। ईदाहरणों ससहत ििाव
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कीसजए।
@

दृसष्टकोण:
11
13

 ऄर्ने ईत्तर को िस्तुसनष्ठता और तटस्थता का ऄथव स्र्ष्ट करते हुए प्रारंभ कीसजए। आसके
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ऄसतररक्त, ििाव कीसजए कक कै से आन मूल्यों को सससिल सेिाओं के अधारभूत मूल्यों के रूर्


su

में माना जाता है। साथ ही लोकतांसत्रक व्यिस्था में आनके महत्ि को दशावआए। साथ ही आस
तथ्य को भी रेखांककत कीसजए कक ये सरकार में सिश्वास सनर्भमत करने तथा ईसकी दक्षता में
सुधार करने में ककस प्रकार सहायता करते हैं। ऐसे र्ररसस्थसतयों के ईदाहरण दीसजए सजनमें
आन मूल्यों का ऄनुकरण ककया जाना िासहए।
ईत्तर:
सससिल सेिा के मूल्य ऐसे स्िीकृ त ससिांत और मानक हैं सजनका र्ालन करने की ऄर्ेक्षा लोक
सेिकों से की जाती है। िे अंतररक नैसतक कदग्दशवक की तरह कायव करते हैं और लोक सेिकों को
सिशेष रूर् से सािवजसनक कतवव्य और व्यसिगत सहत के बीि सिरोध या दुसिधा की सस्थसत का
सामना करने ि सािवजसनक सहत में सनणवय लेने हेतु मागवदशवन प्रदान करते हैं।
सससिल सेिा के कइ ऄन्य मूल्यों में दो के न्द्रीय मूल्य, यथा- िस्तुसनष्ठता एिं तटस्थता ससम्मसलत हैं।
यूनाआटेड ककगडम के सससिल सेिा कोड में िस्तुसनष्ठता को र्ररभासषत करते हुए कहा गया है कक
यह “साक्ष्यों के क ोर सिश्लेषण र्र अधाररत व्यसि के र्रामशव एिं सनणवय को आंसगत करता है।”
सिटेन की लॉडव नोलन ससमसत ने 1995 में िस्तुसनष्ठता को सससिल सेिा के सात अधारभूत मूल्यों
में ससम्मसलत ककया। आसने िस्तुसनष्ठता को सनम्नसलसखत रूर् में र्ररभासषत ककया है:

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“सािवजसनक सनयुसियां करने, े के देने, या र्ुरस्कार और लाभ के सलए लोगों को ऄनुशंससत करने
ससहत सािवजसनक दासयत्िों का सनिवहन करते हुए सािवजसनक र्दधारकों को योग्यता के अधार र्र
सनणवय करना िासहए।”
यकद सससिल सेिक िस्तुसनष्ठता का ऄनुर्ालन करता है तो िह मंसत्रयों को दी जाने िाली सलाह
ससहत समस्त सूिना साक्ष्यों के अधार र्र प्रदान करेगा; सिकल्र्ों और तथ्यों को सटीक रूर् से
प्रस्तुत करेगा; मामलों में मेररट के अधार र्र सनणवय लेगा; तथा सिशेषज्ञ और र्ेशेिर सलाह र्र
ईसित ध्यान देगा। िह सलाह प्रदान करने या सनणवय लेते समय अिश्यक तथ्यों या प्रासंसगक
सििारों की ईर्ेक्षा नहीं करेगा या सनणवय सलए जाने के बाद सनणवय के ऄनुसार की जाने िाली
कारविाआयों को करने से आन्कार करके या ऄलग रह कर नीसतयों के कियान्ियन को सिफल नहीं
करेगा।
अत्मसनष्ठ सििारों, जैस-े भािनाओं, र्ूिावग्रहों, व्यसिगत रुसियों अकद के अधार र्र सलए गए
सनणवय के स्थान र्र िस्तुसनष्ठ सनणवय के सफल होने और ईसके द्वारा सािवजसनक सहत की र्ूर्भत ककए
जाने की संभािना सदैि ऄसधक होती है। भारत जैसे संसदीय लोकतंत्र में, जहां एक सामान्य
राजनेता का मागवदशवन सिशेषज्ञ सससिल सेिक द्वारा ककया जाता है, यह मूल्य बहुत महत्िर्ूणव हो
जाता है। यह मंत्री को अश्िस्त करता है कक सससिल सेिक सािवजसनक सहत में सलाह दे रहा है
और ईसका कोइ गुप्त एजेंडा नहीं है। जनता सरकार के सनणवयों की गुणित्ता के संदभव में अश्वस्त
होगी और भले ही सलए गए सनणवय ऄर्ेसक्षत र्ररणाम प्रदान न करें , सरकारी सनणवयों की
इमानदारी और प्रयोजन के संदभव में लोगों के मध्य भ्रम नहीं ईत्र्न्न होगा।
तटस्थता को ऄर्ने कतवव्य का सनिवहन करते समय सससिल सेिक की ओर से ककसी भी प्रकार की
राजनीसतक संबिता या र्ूिावग्रह की ऄनुर्सस्थसत के रूर् में संदर्भभत ककया जाता है। एक सससिल
सेिक को भेदभाि-रसहत होकर कायव करना होता है तथा राजनीसतक कायवर्ासलका द्वारा सनधावररत
नीसतयों के तकव संगत ऄनुप्रयोग से र्ेशेिर रूर् से स्ियं को संबि रखना होता है।
तटस्थता का ससिांत यह सुसनसश्चत करता है कक लोक सेिक भय या र्क्षर्ात के सबना नैसतक
अिरण का र्ालन कर सके । लोकतंत्र में सरकार सािवजसनक सनसध के न्यासी के रूर् में कायव करती
है तथा यह सनरंकुश नहीं होती है। साथ ही यह सुसनसश्चत करती है कक नागररकों को ईनके
ऄसधकार प्रदान ककए जाएाँ। यह एक भेदभाि-रसहत नागररक प्रशासन द्वारा सुसनसश्चत ककया जा
om

सकता है। िस्तुसनष्ठता के समान, यह राजनीसतक कायवर्ासलका को अश्वस्त करती है कक सससिल


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सेिकों द्वारा गुण-दोषों र्र अधाररत स्ितंत्र, स्र्ष्ट और सन्‍र्क्ष सलाह प्रदान की जा रही है और
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िह सलाह गैर-राजनीसतक प्रकृ सत की है। तटस्थ प्रशासक सत्ताधारी दल की सििारधारा को अगे


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बढ़ाने के स्थान र्र समाज के िृहत्तर सहत में सलाह देने के सलए बेहतर सस्थसत में होगा। नागररक
13
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अश्वस्त रहते हैं कक िाहे जो भी राजनीसतक दल सत्ता में हो, शासन संसिधान और सिसध के शासन
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su

के ऄनुरूर् ही होगा। यह र्ररितवन के साथ सनरंतरता को भी सुसनसश्चत करती है ऄथावत् सरकारें


र्ररिर्भतत हो सकती हैं लेककन प्रशासन और नीसतयों में व्यार्क रूर् से सनरंतरता सिद्यमान रहती
है।
तटस्थता आससलए भी महत्िर्ूणव हो जाती है क्योंकक आसे प्राय: भ्रम िश नीसत और मूल्य के प्रसत
तटस्थता के रूर् में समझ सलया जाता है ऄथावत् लोक सेिक ऄर्ने मूल्यों र्र अधाररत सनणवयों एिं
नीसतगत मूल्यांकनों र्र सिश्वास नहीं करते बसल्क राजनीसतक कायवर्ासलका के अदेशों का
ऄंधानुकरण करने लगते हैं। आससलए सकारात्मक तटस्थता का र्ालन करने की अिश्यकता होती
है। सससिल सेिा में यह मूल्य आसे स्ितंत्र और सन्‍र्क्ष बनाता है, साथ ही साथ यह ऐसे मूल्यों की
मांग भी करता है जो समाज को लाभासन्ित करें। आस मूल्य के तहत सससिल सेिा राजनीसतक
कायवर्ासलका के ऄनैसतक सनणवयों के प्रसत सनस्‍िय नहीं होती है।
स्र्ेक्ट्रम अिंटन या कोयला धलॉक नीलामी के मामलों में, िस्तुसनष्ठता और तटस्थता की कमी देखी
गयी सजसके कारण सािवजसनक कोष को ऄर्ार क्षसत हुइ। नौकरशाहों ने राजनीसतक कायवकाररणी
के साथ सां -गां कर ली और ऐसे सनणवय सुझाए जो मेररट र्र अधाररत नहीं थे ऄसर्तु
सत्ताधारी दल का सहतसाधन करने के प्रयोजन से थे। यकद िस्तुसनष्ठता और तटस्थता के ससिांत

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का ऄनुर्ालन ककया गया होता तो सािवजसनक सनसध के साथ-साथ शासन में लोक सिश्वास की भी
क्षसत नहीं होती।
आस प्रकार, ये अधारभूत मूल्य सुशासन को समथवन प्रदान करते हैं और सससिल सेिा द्वारा संर्न्न
की जाने िाली सभी गसतसिसधयों में यथासंभि ईच्चतम मानकों की ईर्लसधध को सुसनसश्चत करते
हैं। यह ईर्लसधध बदले में सससिल सेिा को मंसत्रयों, संसद, जनता एिं लाभार्भथयों का सम्मान प्राप्त
करने और ईसे बनाए रखने में सहायता करती है।

8. ऄसभरुसि से अर् क्या समझते हैं? सससिल सेिा के सलए ककस प्रकार की ऄसभरुसि को महत्िर्ूणव
माना जाता है? एक सससिल सेिक बनने हेत ु योग्य होने के सलए अर्ने कौन-से ईर्ाय ऄर्नाये हैं?
दृसष्टकोण:
 ईत्तर को ऄसभरुसि की र्ररभाषा और आसके कु छ प्रकारों के साथ अरम्भ करना िासहए।
ईत्तर के दूसरे भाग में एक प्रभािी सससिल सेिक होने के सलए अिश्यक ऄसभरुसि/गुणों र्र
ििाव करनी िासहए। ईत्तर के ऄंसतम भाग में आस कदशा में ककये गए कु छ व्यसिगत प्रयासों र्र
ििाव की जानी िासहए। आस सििार के साथ ईत्तर समाप्त ककया जा सकता है कक िूाँकक
ऄसभरुसि जन्मजात भी होती है आससलए र्ूरी तरह से ऄनुर्सस्थत होने र्र आसे सिकससत नहीं
ककया जा सकता, लेककन यकद िह र्हले से सिद्यमान है तो व्यसि ऄर्नी क्षमताओं को र्ोसषत
या संिर्भित कर सकता है।
ईत्तर:
ऄसभरुसि को 'ककसी कायव के सन्‍र्ादन, सजसके संदभव में एक व्यसि र्ास ऄल्र् या ककसी भी प्रकार
का र्ूिव प्रसशक्षण नहीं है, के सलए एक सनसश्चत सीमा तक ऄसधक ऄथिा कमतर सुर्ररभासषत र्ैटनव
या व्यिहार के ऄसभग्रहण हेतु एक व्यसि की क्षमता या र्ररकसल्र्त सामथ्यव के रूर् में र्ररभासषत
ककया जा सकता है।’ ऄसभरुसि न तो र्ूणत
व ः जन्मजात (innate) होती है और न ही र्ूणत
व ः ऄर्भजत।
यह कु छ सीमा तक जन्मजात होती है, ककन्तु साथ ही यह जन्मजात और अस-र्ास के
र्ररसस्थसतयों के ऄंतसंबंध का ईत्र्ाद भी होती है। ऄसभरुसि शारीररक या मानससक हो सकती है।
ऄसभरुसि कोइ सिकससत ज्ञान, सीखी या ऄर्भजत की गइ क्षमताएाँ (कौशल) या ऄसभिृसत्त नहीं है।
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ऄसभरुसि की सहज प्रकृ सत ऄसधगम के माध्यम से प्राप्त ज्ञान या क्षमता का प्रसतसनसधत्ि करने िाली
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ईर्लसधध के सिर्रीत होती है।


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ऄसभरुसि की कु छ सिशेषताएं सनम्नसलसखत हैं:


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 ऄसभरुसि भसि्‍य की कु छ संभाव्यताओं को संदर्भभत करती है।


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 ऄसभरुसि जन्मजात क्षमता होती है।


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 ऄसभरुसि का सनसहताथव प्रश्नगत गसतसिसधयों के सलए ईर्युक्तता या ऄनुकूलता है।


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व्यार्क रूर् से, सससिल सेिा के सलए दो प्रकार की ऄसभरुसियों की अिश्यकता होती है:
 शारीररक ऄसभरुसि: यह ऄर्ने कतवव्यों को दक्षतार्ूिवक सन्‍र्ाकदत करने के सलए शारीररक
योग्यता होती है। यह ईन सेिाओं के सलए ऄसधक प्रासंसगक होती है, सजनके सलए फील्ड िकव
की अिश्यकता होती है।
 मानससक ऄसभरुसि: यह ईन गुणों को ससम्मसलत करती है, जो मनोिैज्ञासनक या संज्ञानात्मक
प्रकियाओं के साथ संबि होते हैं। आसे सभी प्रकार की सेिाओं के सलए महत्िर्ूणव माना जाता
है तथा सससिल सेिा के सलए ऄर्ेक्षाकृ त और भी ऄसधक महत्िर्ूणव माना जाता है। आसे अगे
सनम्नसलसखत रूर् में िगीकृ त ककया जा सकता है:
 सामान्य मानससक योग्यता: यह ककसी भी बौसिक कायव के सलए अिश्यक मूलभूत िैिाररक
क्षमता है। यही िह अधार है सजस र्र ऄसभरुसि के ऄन्य घटक अधाररत होते हैं।
 ईर्युि मूल्य प्रणाली: यह समानुभूसत, सन्‍र्क्षता, गैर-तरफदारी, प्रसतबिता, संिेदना जैसे
िांसछत मूल्यों का संयोजन है। सससिल सेिा के सलए ऄसभरुसि का यह ऄियि, ऄर्ने कायव को
न के िल दक्षतार्ूिवक ऄसर्तु प्रभािी रूर् से सन्‍र्ाकदत करने के सलए भी सिावसधक महत्िर्ूणव
है।

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सससिल सेिा के ईम्मीदिार के रूर् में, ऄर्ने अर्को योग्य बनाने के सलए मैंने सनम्नसलसखत ईर्ाय
ककए हैं:
 िूाँकक, स्िस्थ शरीर में ही स्िस्थ मन सनिास करता है; आससलए, स्ियं को शारीररक रूर् से
स्िस्थ रखने के सलए मैं सनयसमत रूर् से शारीररक व्यायाम करता ँाँ।
 हालााँकक, सामान्य मानससक क्षमता लगभग र्ूरे जीिन भर सस्थर रहती है, मूल्यसन्‍ ा के
र्हलू का सिकास सिसभन्न साधनों के माध्यम से ककया जा सकता, जैस-े महान व्यसित्िों,
दाशवसनकों और प्रशाससनक सििारकों की सशक्षाओं से सीखना; ऄर्ने समत्र-समूह को बदलना
और ऐसे समत्र बनाना जो कक सससिल सेिा हेतु ऄसधक योग्य और ईर्युक्त हों, क्योंकक हम
ऄिलोकन के माध्यम से सीखते हैं (ऄल्बटव बन्दूरा); एक सससिल सेिक द्वारा िांसछत कु छ
गसतसिसधयों का संर्ादन करना, जैस-े दूसरों के प्रसत समानुभूसत रखना, सदािार/नैसतकता के
मानदण्डों को बनाए रखना, देश के कानून का र्ालन करना अकद।
हालांकक, आन मूल्यों की बात करना ईन्हें अिरण में लाने की ऄर्ेक्षा असान है। ककसी के सलए
सदैि आनका र्ालन और ऄभ्यास करते रहना बहुत कर न है। आससलए, ऄर्ने अर् को ऄसभप्रेररत
रखने के सलए, जब भी मैं उर्र ईसल्लसखत कोइ भी कायव करता ँाँ, तो स्ियं को र्ुरस्कृ त करता ँाँ।
ईसित ऄसभिृसत्त सिकससत करने के कु छ ऄन्य तरीकों में र्ुस्तकें र्ढ़ना, सससिल सेिकों से समलना
और ईनके ऄनुभिों के सिषय में बात करना, सिसभन्न प्रकार के व्यिसायों के माध्यम से जीिन-
यार्न करने िाले लोगों के र्ररप्रेक्ष्य और सििारों को समझने के सलए ईनके साथ सिसभन्न मुद्दों र्र
बातिीत करना अकद ससम्मसलत हैं।
िूाँकक, ऄसभरुसि एक जन्मजात क्षमता भी होती है, आससलए यकद ककसी व्यसि के मनोशारीररक
(psycho-physical) तंत्र में कोइ ऄसभरुसि र्ूरी तरह से ऄनुर्सस्थत है तो िह ईस ऄसभरुसि को
सिकससत नहीं कर सकता है। लेककन, यकद ककसी को यह र्हले से प्राप्त है तो िह ऄर्नी आस क्षमता
का संििवन कर सकता/सकती है।

9. सससिल सेिक के सलए एक मूल्य के रूर् में कमव ता के महत्ि की व्याख्या कीसजए। सससिल सेिकों
में आसे कै से सिकससत ककया जा सकता है?
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दृसष्टकोण:
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 प्रश्न की मूल सिषयिस्तु स्र्ष्ट और स्ियं-ससि है ऄथावत् कायों के सन्‍र्ादन में कमव ता का
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महत्ि एिं सससिल सेिक के सलए आसकी ईर्योसगता। तदनुसार, ईत्तर को सनम्नसलसखत तरीके
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से सुसंरसित ककया जा सकता है:


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o कमव ता को र्ररभासषत कीसजए और सससिल सेिक के जीिन में आसके महत्ि की


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व्याख्या कीसजए।
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o आस मूल्य को सिकससत करने में र्ररिार, सिद्यालय और कायवस्थल र्र प्रसशक्षण में
ईर्योग की जाने िाली सिसभन्न सिसधयों की व्याख्या कीसजए।
ईत्तर:
कमव ता िस्तुतः सकिय सहभासगता प्रदर्भशत करते हुए एिं प्रत्येक सििरण र्र सािधानीर्ूिवक
ध्यान देते हुए ककसी कायव को संर्न्न करने में दृढ़ होकर लगे रहने का गुण है। कायव की जरटलता
और ईसके साथ अने िाली बड़ी सज़म्मेदारी र्र सििार करते हुए, यह गुण प्रत्येक सससिल सेिक के
सलए ऄसनिायव है। ईदाहरण स्िरूर्, सजला प्रशासन में भ्रष्टािार सिरोधी कानूनों को लागू करने,
जहां भ्रष्टािार जीिन शैली का एक ऄंग बन गया है, तथा अर्दाग्रस्त क्षेत्र में राहत और बिाि
कायों का संिालन करने जैसे कायों के सलए व्यसि को दृढ़ आच्छा-शसि के साथ ऄत्यंत सािधान
और सिेत रहने की अिश्यकता होती है। कमव ता सससिल सेिकों को दासयत्िों का सनिवहन करने
के सलए ऄत्यंत महत्िर्ूणव है लेककन आस मूल्य को सिकससत करना भी ईतना ही ऄसधक कर न है
क्योंकक अधुसनक जीिन शैली की प्रिृसत्त क ोर र्ररश्रम के स्थान र्र सुख-सुसिधा को ऄसधक
महत्ता देने की है।
हालांकक, आस तरह के मूल्य को सससिल सेिकों में सनम्नसलसखत तरीकों से सिकससत ककया जा
सकता है:

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 रोल मॉडल का ऄनुकरण करके : ऐसे कइ लोक व्यसित्ि रहें हैं सजन्होंने ऄर्ने सेिा काल मे
कमव ता के ऄनुकरणीय ईदाहरण प्रस्तुत ककए हैं। ईदाहरण के सलए- इ. श्रीधरन, टी.एन.
शेषन, जे. बलगदोह अकद। ऐसे व्यसित्िों के कायों के सिषय में सससिल सेिकों को जागरुक
करके आन्हें ईनके सलए रोल मॉडल के रूर् में प्रस्तुत ककया जाना िासहए।
 कायवसन्‍र्ादन में ईत्कृ ष्टता का प्रदशवन करने िाले सससिल सेिकों को सामासजक मान्यता: ऐसे
मूल्यों को धारण करने िाले तथा कायवक्षेत्र में ईनका प्रदशवन करने िाले व्यसियों को र्हिान
कदलाना और र्ुरस्कृ त करना। यह सहकमी सससिल सेिकों को ऐसे मूल्यों को ऄर्नाने के सलए
प्रेररत करेगा।
 सससिल सेिक को र्यावप्त स्िायत्तता प्रदान करना: राजनीसतक दबाि से मुसि, सससिल सेिक
को सकिय रूर् से ऄर्ने कायव सन्‍र्ादन में संलग्न होने के सलए प्रेरणा प्रदान करेगी।
 र्यावप्त संसाधन प्रदान करना: कमव ता हेतु न के िल व्यसिगत आच्छाशसि की अिश्यकता
होती है ऄसर्तु कायव को र्ूरा करने के सलए सूिना और साधनों के रूर् में संसाधनों की भी
अिश्यकता होती है। र्यावप्त संसाधनों के प्रािधान के माध्यम से कमव ता को व्यािहाररक
मूल्य के रूर् में सिकससत करने हेतु ऄनुकूल र्ररसस्थसत का सनमावण होगा।
10. “यकद अर् दूसरों को ख़़ुश देखना िाहते हैं, तो संिद
े नार्ूिक
व व्यिहार कीसजए। यकद अर् स्ियं खुश
रहना िाहते हैं, तो भी संिद
े नार्ूिक
व व्यिहार कीसजए"। लोक सेिा लक्ष्यों को साकाररत करने हेत ु
एक संिद
े नशील लोक ऄसधकारी ककस प्रकार से ऄसधक ईर्योगी हो सकता है?
दृसष्टकोण:
 संिेदना के ऄथव को र्ररभासषत करते हुए ईत्तर अरम्भ कीसजए।
 ििाव कीसजए कक ककस प्रकार संिेदना ख़़ुशी प्रदान करती है।
 व्याख्या कीसजए कक ककस प्रकार संिेदना लोक सेिाओं के सलए प्रासंसगक है।
 ईर्युवक्त बबदुओं के अधार र्र सन्‍कषव प्रस्तुत कीसजए।
ईत्तर:
संिेदना को ऐसी ऄनुभूसत के रूर् में र्ररभासषत ककया जाता है जो दूसरों को र्ीड़ाग्रस्त देखकर
जाग्रत होती है और यह ऄनुभूसत अर्को र्ीसड़त व्यसि को कष्ट से मुसि कदलाने के सलए ऄसभप्रेररत
करती है। यह "दूसरों के कल्याण की सनःस्िाथव बिता" है। संिेदना में समानुभूसत की भािना के
अधार र्र कारविाइ समासिष्ट होती है। आसमें स्ियं और दूसरों को ससम्मसलत ककया जाता है और
आस प्रकार आसमें सभी को खुश करने की क्षमता सिद्यमान होती है। संिेदना हमें खुशी प्रदान करती
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है, आसका एक कारण यह है कक यह हमारे संकीणव स्ि के दृसष्टकोण को व्यार्कता प्रदान करती है।
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साथ ही दूसरों के प्रसत समानुभूसत से प्रेररत होकर ककए गए हमारे कायव , सनम्नसलसखत के माध्यम से
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दूसरों को खुशी प्रदान करते हैं:


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 स्ियं और दूसरों के प्रसत दयाभाि में िृसि करके ।


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 सिकट र्ररसस्थसतयों में धैयव और नम्यता के गहरे स्तर का सिकास करके ।


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 मन:सस्थसत को शांत करने और सििारों को सकारात्मक कदशा में सनदेसशत करने में सहायता
करके ।
 ध्यान कें कद्रत करने और ऄसधक प्रभािी होने की क्षमता को बढ़ाकर।
 सिसभन्न प्रकार के स्ि-देखभाल कौशलों और तकनीकों तक र्हुाँि प्रदान करके ।
ईदाहरण के सलए, शीतकाल के दौरान लोक सेिकों या सामासजक कायवकतावओं द्वारा अश्रय घरों
की स्थार्ना करना संिेदनार्ूिवक कायविाही का ईदाहरण है। यह प्रदान करने िाले और प्राप्तकताव,
दोनों को ख़़ुशी प्रदान करता है।
लोक सेिा में संिद े ना की ईर्योसगता
 यह तनािर्ूणव कायव र्ररसस्थसतयों को सनयंसत्रत करने की क्षमता में िृसि करती है। आस प्रकार
की तनािर्ूणव र्ररसस्थसतयााँ एक लोक सेिक के कदन-प्रसतकदन के कायव संिालन में बहुत ही
सामान्य बात है। ईदाहरण के सलए, सिर्सत्त के समय या सािवजसनक सिरोध प्रदशवन के प्रसत
नम्यता।
 सेिा प्राप्तकतावओं के साथ बेहतर संलग्नता ि सहयोग को बढ़ािा देती है।
 समकक्षों और सहकर्भमयों के साथ बेहतर ऄंतदृसव ष्ट, सििार-सिमशव और निािार को बढ़ािा
देती है।

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 प्रसतकू ल र्ररसस्थसतयों में भी बेहतर रणनीसतक सोि और सनणवयन कौशल बनाए रखती है।
 कायव के दबाि में कमी तथा कायव संतुसष्ट में िृसि करती है।
 संिेदना युि व्यसि कायव के सिसभन्न क्षेत्रों में ऄसधगम (सीखने), ऄनुकूलनशीलता और सिकास
को महत्ि प्रदान करते हैं।
 यह कम होते बजट, सामुदासयक र्हुंि के नए तरीकों को सिकससत करने और प्राकृ सतक
अर्दाओं के प्रसत ऄनुकिया करने जैसी सिसभन्न िुनौतीर्ूणव समस्याओं से सनर्टने के सलए
अिश्यक है।
 संिेदना को सिकससत करने का प्रसशक्षण सिसभन्न सािवजसनक और लोक सेिा ऄसधकाररयों,
जैस-े सरकारी कमविाररयों, गैर-सरकारी संग नों, ऄंतरावष्ट्रीय संग नों, लोक सेिा
र्रामशवदाताओं एिं र्ेशेिरों, यथा- सिककत्सकों अकद की कइ प्रकार की अिश्यकताओं की
र्ूर्भत कर सकता है। संिेदना को सिकससत करने का प्रसशक्षण लोगों को धैयवर्ूिक
व अगे बढ़ने,
ध्यान देने और ऄर्ने अंतररक संसाधनों के सिषय में जागरुक बनने जैसे नए तरीकों से
कायविाही करने के सलए प्रोत्सासहत करता है।
 के रल में कोसझकोड के सजला प्रशासन द्वारा गांधीजी के मूलमंत्र का ईर्योग कर ‘कम्र्ैशनेट
कोसझकोड’ र्ररयोजना प्रारंभ की गइ है, जो मानससक स्िास्थ्य कें द्रों, बाल-गृहों, िृिाश्रमों
जैसे संस्थानों की सहायता करती है। यह आस बात का एक ईल्लेखनीय ईदाहरण है कक
संिेदना लोक सेिा का प्रभािी तत्ि हो सकती है।

5. सिगत िषों में Vision IAS GS मेंस टे स्ट सीरीज में र्ू छे
गए प्रश्न: के स स्टडीज़
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions: Case Studies)
1. अर्को भारत के एक सजले में सजला कलेक्टर के रूर् में सनयुक्त ककया गया है। अर्को यह सूिना
दी गइ है कक एक धार्भमक समुदाय के कु छ सदस्यों द्वारा ईसित ऄनुमसत प्राप्त ककए सबना
सािवजसनक भूसम र्र एक संरिना का सनमावण ककया गया है। सािवजसनक भूसम र्र ककसी भी स्थायी
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धार्भमक संरिना के सनमावण को ऄस्िीकृ त करने संबध


ं ी भारत के सिोच्ि न्यायालय के कदशासनदेशों
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को ध्यान में रखते हुए, अर् आसे हटाने र्र सििार कर रहे हैं। हालांकक, संबसं धत समुदाय के
@

नेताओं ने अर्को यह सनिेदन करते हुए संरिना की ऄनुमसत देन े का ऄनुरोध ककया है कक यह
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के िल महीने भर िलने िाले धार्भमक ईत्सि के सलए सनर्भमत की गयी है। आसके ऄसतररक्त, ईनका
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कहना है कक कोइ ऄन्य सनकटिती धार्भमक स्थान नहीं है जहां समुदाय के सदस्य ऄर्ने ईत्सि का
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अयोजन कर सकें । अर्के िररष्ठ ऄसधकारी और क्षेत्र के राजनीसतक नेता भी ईनके सििारों का
समथवन करते हैं। हालांकक, अर्को आस बात का संदह
े है कक ईत्सि समाप्त होने के बाद, बड़े र्ैमाने
र्र समुदाय के सदस्यों की भागीदारी के कारण सािवजसनक भूसम से धार्भमक संरिना को हटाना
सरल नहीं होगा।
i. मामले का िस्तुसनष्ठ और व्यसिसनष्ठ सिश्लेषण कीसजए।
ii. ऐसी सस्थसत में अर् क्या करेंग?

ईत्तर:
िस्तुसनष्ठ सिश्लेषण
 भारत का संसिधान धमव के अधार र्र भेदभाि ककए बगैर, सिसध के समक्ष सभी के प्रसत
समान व्यिहार का प्रािधान करता है। आस प्रकार, संबंसधत धार्भमक समुदाय के साथ ककसी
भी प्रकार का सिशेष व्यिहार नहीं ककया जाना िासहए।
 एक सससिल सेिक के रूर् में ककसी ऄसधकारी को सिोच्ि न्यायालय के कदशासनदेशों का
र्ालन करना िासहए क्योंकक भारत में सिोच्च न्यायालय द्वारा की गइ व्याख्या ऄंसतम और
बाध्यकारी है।

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 यकद िह कानून का ईल्लंघन करता है तो ईसे आस प्रकार के ईल्लंघन हेतु ऄर्ने िररष्ठ को
ईत्तर देना होगा।
 धार्भमक समुदाय भी भारतीय जनसंख्या का भाग हैं। आससलए, ईनके रीसत-ररिाजों और
मान्यताओं का सम्मान ककया जाना िासहए।
व्यसिसनष्ठ सिश्लेषण
भारत में धमव लोगों के जीिन में महत्िर्ूणव भूसमका सनभाता है। ऐसे में यकद धार्भमक संरिना हटा
दी जाती है, तो कारविाइ को सांप्रदासयक रूर् कदया जा सकता है। िूंकक हमारा धमवसनरर्ेक्ष मॉडल
सभी धमों का समान रूर् से सम्मान करता है, आससलए ईनकी भािना का भी सम्मान ककया जाना
िासहए। आसके साथ ही सससिल सेिा से संबंसधत नेतृत्ि का गुण भी ककसी भी समुदाय सिशेष में
ऄसिश्वास और बैर र्ैदा न करने की मांग करता है।
कायविाही
प्रथम दृसष्टकोण
सिवप्रथम, समुदाय के नेताओं को सहमत ककया जाना िासहए कक यद्यसर् सजला प्रशासन ईनके धमव
के मूल्यों और रीसत-ररिाजों का र्ूणव रूर् से सम्मान करता है, तथासर् संरिना को हटाना होगा
ऄन्यथा सख्त कदशा-सनदेशों के कारण प्रशासकों को दंडात्मक कारविाइ का सामना करना र्ड़ेगा।
यकद नेता सहमत नहीं होते हैं, तो आस मामले र्र िररष्ठ ऄसधकाररयों के साथ ििाव की जानी
िासहए कक क्या ऐसा कोइ प्रासधकरण है जो आसकी ऄनुमसत दे सकता है। यकद ऐसा संभि नहीं है,
तो ईस संरिना को हटाना ही श्रेयस्कर कदम होगा।
यकद संरिना को हटाना संभि नहीं है, तो मुझे देखना होगा कक क्या कानून और व्यिस्था को ध्यान
में रखते हुए और समुदाय के नेताओं की सहायता से ईत्सि में भाग लेने िाले लोगों की संख्या
सीसमत ककया जा सकता है? यकद यह संभि है तो ईस समुदाय को ईत्सि का अयोजन करने की
ऄनुमसत दी जा सकती है, क्योंकक यकद ससम्मसलत लोगों की संख्या बहुत ऄसधक नहीं है तो संरिना
को बाद में हटाया जा सकता है। यकद यह संभि नहीं है, तो संरिना को हटा कदया जाना िासहए।
सद्वतीय दृसष्टकोण
सरकारी भूसम र्र सामुदासयक गसतसिसधयों को अयोसजत ककया जा सकता है र्रन्तु ईसके सलए
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ईसित ऄनुमसत लेने की अिश्यकता होती है। आससलए मैं ईस समुदाय से सलसखत रूर् से अिश्यक
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ऄनुमसत लेने के सलए कँाँगा।


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सजला ऄसधकारी के रूर् में मेरा यह दासयत्ि है कक सजले में कानून व्यिस्था और शांसत बनी रहे
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और साथ ही समुदाय की भािनाओं को े स भी न र्हुंिे। आससलए आस प्रकार का संतुलन बनाए


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रखने के सलए ईत्सि के महीने तक ऄनुमसत प्रदान कर दी जाएगी। हालााँकक, ईसके बाद धार्भमक
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समुदाय के प्रभािशाली और महत्िर्ूणव सदस्यों के साथ िाताव के अधार र्र ईसित प्रकियाओं का
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ऄनुर्ालन करते हुए नगरर्ासलका ऄसधसनयम के ऄंतगवत संरिना को ध्िस्त कर कदया जाएगा,
ताकक शांसत भंग न हो।
2. अर् एक सनयामक एजेंसी में एक आकाइ के सनदेशक हैं, सजसे संभासित रूर् से हासनकारक
िासणसज्यक रसायनों के ईर्योग की सनगरानी करने का दासयत्ि सौंर्ा गया है। अर्के र्यविक्ष
े ण के
ऄधीन कसन्‍ र्ररयोजना प्रबंधक गीता एक व्यार्क स्र्ेक्ट्रम िाले कीटनाशक का ऄध्ययन करने
के सलए ईत्तरदायी है सजसका न के िल छोटे खाद्यान्न ईत्र्ादक ककसानों और कर्ास ईत्र्ादक
ककसानों द्वारा कृ सष में, बसल्क र्शुधन क्षेत्र में एसनमल स्प्रे (animal spray) के रूर् में भी ईर्योग
ककया जाता है। ईसे यह सनधावररत करने का ईत्तरदासयत्ि सौंर्ा गया है कक आस ईत्र्ाद को बाजार
से हटाया जाना िासहए या नहीं। एक सामासजक कायविम में, गीता की भेंट ससिाथव नामक एक
व्यसि से होती है। गीता को बाद में यह ज्ञात होता है कक ससिाथव ईस कीटनाशक सनमावता की
मुब
ं इ शाखा का प्रसतसनसध है। ससिाथव से कइ बार समलने के बाद, गीता का ईसके प्रसत कु छ लगाि
हो जाता है और िह आस संबध
ं को और अगे बढ़ाना िाहती है। हालांकक, गीता ऄनुभि करती है
कक ईनकी व्यािसासयक भूसमकाओं ने ईसके सलए सहतों का संभासित संघषव ईत्र्न्न कर कदया है और
िह अर्को आस सस्थसत के संबध
ं में बताने का सनणवय करती है। िह ससिाथव से समलना जारी रखना

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िाहती है और कहती है कक िह ऄर्ने व्यािसासयक और सनजी जीिन के मध्य र्ृथकता बनाए


रखने के सलए ऄर्ने अर्को र्यावप्त र्ररर्क्व मानती है। गीता दृढ़ता से कहती है कक ससिाथव के सलए
ईसकी भािनाएं ककसी भी प्रकार से ईसके व्यािसासयक सनणवय को प्रभासित नहीं करेंगी; िास्ति
में ईसने और ससिाथव ने कभी भी प्रश्नगत रसायन के संबध
ं में ििाव तक नहीं की है। ऐसी सस्थसत
में अर् क्या करेंग?
े अर्के द्वारा ऄर्ने सलए ईर्लधध सिकल्र्ों का मूल्यांकन करते समय, सनणवय
लेन े के सलए संदभव बबदु के रूर् में कौन-से नैसतक सनयम और ससिांत अर्के मसस्त्‍क में ईत्र्न्न हो
सकते हैं?
ईत्तर:
दृसष्टकोण
आस प्रकरण में नैसतक सस्थसत ऄसधक स्र्ष्ट नहीं है। क्या गीता ने कु छ भी ऐसा ककया है जो र्ेशि
े र
नैसतकता का ईल्लंघन करता है? ससिाथव के साथ ईसके संबंधों के कारण, ऄर्ने कतवव्यों के सनिवहन
में िस्तुसन्‍ ता बनाए रखना ईसके सलए थोड़ा कर न हो भी सकता है और संभितः नहीं भी;
क्योंकक लोगों की आस प्रकार के तनािों का प्रबंधन करने की क्षमता सभन्न-सभन्न होती है। ऐसे में
अर्का ईत्तरदासयत्ि क्या है? क्या अर्के सलए ऄर्ने संग न के भीतर संभासित ऄनैसतक अिरण
की एक झलक से भी बिना ऄसधक महत्िर्ूणव है या ऄर्ने कमविारी के सनजी जीिन की स्ितंत्रता
के ऄसधकार का समथवन करना ऄसधक महत्िर्ूणव है? क्या गीता र्र तब तक भरोसा ककया जाना
िासहए जब तक कक ईसका व्यिहार ऄन्यथा न हो? ऄर्ने सिकल्र्ों का र्रीक्षण कीसजए और एक
ईर्युि सन्‍कषव दीसजए।
ईत्तर:
प्रथम दृसष्टकोण
मुझे आस संबध ं में सििार करना होगा कक आस ऄत्यसधक संिेदनशील सस्थसत का ईसित प्रबंधन कै से
ककया जाए। ऐसे में कु छ सिकल्र् तत्काल ही मेरे समक्ष ईत्र्न्न हो सकते हैं:
i. गीता को ससिाथव से समलना बंद करने का अदेश देना।
ii. ईसे दूसरे कायव में स्थानांतररत कर देना।
iii. आस प्रकरण र्र ऄर्ने िररष्ठ से ििाव करना।
iv. गीता र्र सिश्वास करना कक ईसके द्वारा ऄर्ने संबंध से प्रभासित हुए सबना कायव ककया
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जायेगा।
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आसके ईर्रांत में सनम्नसलसखत संभासित र्ररणामों र्र सििार कर सकता ँाँ:
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 गीता त्यागर्त्र दे सकती है।


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 रसायन की जााँि संबंधी प्रगसत में सिलंब हो सकता है।


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 मीसडया द्वारा आस प्रकरण को ई ाया जा सकता है।


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 रसायन के संबंध में र्क्षर्ातर्ूणव सनणवय सलया जा सकता है सजसके जनता के सलए गंभीर
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र्ररणाम हो सकते हैं।


 यकद मेरे द्वारा सूसित ककए सबना आस संबंध के सिषय में मेरे िरर्‍ को र्ता िलता है तो मुझ
र्र गैर-सज़म्मेदारीर्ूणव अिरण का अरोर् लगाया जा सकता है।
 जैस-े जैसे मैं सिकल्र्ों और ईनके संभासित र्ररणामों का मूल्यांकन करूंगा, सनणवय तक र्हुंिने
के सलए संदभव बबदु के रूर् में सिसभन्न नैसतक सनयम और ससिांत मेरे मसस्त्‍क में ईत्र्न्न हो
सकते हैं, यथा:
 "मुझे ऄर्ने र्यविक्ष
े ण के ऄधीन कायवरत ऄधीनस्थों के साथ सन्‍र्क्ष होना िासहए।"
क्या मैं आस सस्थसत का समाधान ककसी सभन्न र्िसत से करता यकद आसमें मेरा कोइ र्ुरुष
ऄधीनस्थ ससम्मसलत होता?
 "ककसी हासन की संभािना से भी बिना।"
भले ही गीता िस्तुसन्‍ ि र्ेशि
े र तरीके से कायव करे, लेककन यकद आस प्रकरण को मीसडया
द्वारा ई ाया जाता है तो क्या मेरे संग न की सिश्वसनीयता का क्षरण होगा?
 "इमानदारी सिोत्तम नीसत है।"

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यकद मैं ऐसी कोइ भी कारविाइ करता ँाँ सजसे गीता, दंड या ऄसिश्वास के रूर् में समझे, तो क्या
आससे मेरे कमविाररयों द्वारा ककया जाने िाला इमानदार संिाद हतोत्सासहत होगा? क्या मुझे ऄर्ने
िरर्‍ को बताना िासहए ऄथिा गीता का सिश्वास बनाए रखना िासहए और स्ियं सस्थसत से
सनर्टने का ईत्तरदासयत्ि स्िीकार करना िासहए?
जब हम एक ओर प्रकरण के तथ्यों, कारविाइ के सिकल्र्ों और ईनके संभासित र्ररणामों की
समीक्षा करते हैं और दूसरी ओर ईन्हें प्रासंसगक नैसतक सनयमों के ऄर्ने संग्रह से संबि करते हैं, तो
सिकल्र्ों का क्षेत्र संकीणव होने लगता है और एक या दो सनयम सनणावयक रूर् में ईभरकर सामने
अते हैं। हम व्यािहाररक र्ररणामों और संबंसधत नैसतक औसित्य के साथ ककसी ऐसे सनणवय की
कदशा में अगे बढ़ सकते हैं जो हमें स्िीकायव हो सके ।
यथासंभि िस्तुसन्‍ रूर् से सस्थसत और नैसतक मुद्दे को र्ररभासषत करने के बाद, सिावसधक कर न
सस्थसत दो सिरोधाभासी सिकल्र्ों र्र सििार करने की है, ऄथावत् दो र्रस्र्र सिर्रीत सिकल्र्ों में
से ककसी एक का ियन करना है। या तो मैं गीता को ससिाथव से समलना बंद करने के सलए कँाँ या
ईस र्र र्ेशेिर तरीके से संबध
ं सनभाने के सलए सिश्वास करूाँ। दोनों सिकल्र्ों में से एक का ियन
करने समस्या नीसतशास्त्रीय प्रकिया में सिावसधक सामान्य दुसिधा है।
शायद ही कभी ऐसे नैसतक मुद्दे के के िल दो या तीन संभासित समाधान होते हों: यकद मैं गीता को
ससिाथव से समलना बंद करने के सलए कहता ँाँ तो संभासित र्ररणाम क्या होगा? क्या होगा यकद
मैं ईसे ककसी ऄन्य र्द र्र स्थानांतररत कर दू?
ाँ क्या ककसी ऄन्य सदस्य को ईसके साथ कायव करने
के सलए सनदेश दू?
ाँ ईसके कायव की सनगरानी को ऄसधक क ोर बना दूाँ? आससे ककस तरह की
घटनाओं की शृख
ं ला का अरम्भ होगा और यह कहााँ तक जाएगी?
आस प्रकरण र्र लागू होने िाले सहतों के संघषव से संबंसधत कु छ सिसनयम भी हो सकते हैं। आसके
ऄसतररक्त, सनजता के सम्मान के साथ व्यसिगत गररमा के महत्ि को भी स्िीकार ककया जाना
िासहए: ये िे मूल्य हैं जो ऄत्यसधक महत्िर्ूणव हैं। प्रश्न के िल यह नहीं है कक मुझे सनयमों का र्ालन
करना िासहए या गीता की आच्छाओं के प्रसत ऄनुकियाशील होना िासहए। बसल्क, सििारणीय
र्हलू यह है कक ककस प्रकार गीता की गररमा और सनजता के प्रसत सम्मान प्रदर्भशत करते हुए
सिसनयम का मंतव्य बनाए रखा जा सकता है।ककसी िररष्ठ ऄसधकारी के सलए आन दोनों दासयत्िों के
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मध्य सिद्यमान तनाि का समाधान करना तथा आस संबंध में ऄर्ना मत प्रकट करना एक ऄसधक
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बेहतर सिकल्र् है। गीता को ससिाथव से समलना बंद करने का अदेश देना गीता से ऄसंिेदनशील
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और ऄर्मानजनक तरीके से व्यिहार करना होगा, लेककन ईसकी बात को र्ूणत


व या स्िीकार लेना
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सहतों के िास्तसिक या कसथत संघषव का खतरा ईत्र्न्न करेगा।


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आस प्रकार एक समाधान यह अश्वासन देते हुए ईसके साथ बात करना हो सकता है कक मैं ईसकी
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दुसिधा को समझता ँाँ और सहायता करना िाहता ँाँ। साथ ही मैं कानून के प्रसत ऄर्ने कतवव्यों का
सनिवहन करते हुए ईसकी गररमा और गोर्नीयता की रक्षा करने हेतु सिसभन्न सिकल्र्ों र्र ििाव कर
सकता ँाँ। मेरे द्वारा ऐसे लाभप्रद समाधान की खोज की जानी िासहए, सजससे गीता को र्ेशि
े र
जीिन से आतर सनजी जीिन जीने के सलए दंसडत न ककया जाए।
सद्वतीय दृसष्टकोण
सिश्लेषण
 सनयामक संग न आस सन्दभव में ऄत्यसधक महत्िर्ूणव है क्योंकक यह मामला व्यसियों और
र्शुओं के जीिन और र्याविरण को प्रभासित कर सकता है। गीता के संबंध का सहतधारकों र्र
प्रसतकू ल प्रभाि र्ड़ सकता है।
 यकद यह मुद्दा सािवजसनक हो जाता है तो देश के सनयामकीय ढांिे में जनता का सिश्वास
समाप्त हो सकता है।
 हालांकक ससिाथव ने ईससे आस प्रकरण में सहायता करने के सलए नहीं कहा है, लेककन भसि्‍य
में ऐसा होने की संभािना हो सकती है।
 यकद ईसे ईसका संबध
ं जारी रखने की ऄनुमसत नहीं दी जाती है, तो आससे ईसकी कायवदक्षता
प्रभासित हो सकती है।

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मेरी कारविाइ
सिवप्रथम, मैं र्ता करूाँगा कक संग न की अिार संसहता या नीसतर्रक अिार संसहता स्र्ष्ट रूर् से
आस प्रकार के संबध ं ों का सनषेध करती है या नहीं। यकद ऐसा है तो मैं गीता को आस संदभव में सूसित
करूाँगा। मैं ईसे सनयामकीय कायों में तटस्थ रहने के महत्ि को भी समझाउंगा। आसके ऄसतररि
ईसे ककसी ऄन्य सिभाग में स्थानांतररत करने के सिकल्र्ों र्र सििार करूंगा। यकद कोइ ऄन्य
समाधान नहीं समलता है तो मैं ईससे संबध ं और र्द के मध्य ककसी एक का ियन करने के सलए
कँाँगा।
यकद कोइ संसहता आस प्रकार के संबध
ं के सिषय में कहीं भी ईल्लेख नहीं करती है, तब भी मेरा यह
दासयत्ि होगा कक स्िायत्तता और सन्‍र्क्षता के साथ सनयामकीय कायव संर्न्न हों। आस ईत्तरदासयत्ि
के तहत, मैं ससिाथव की कं र्नी के ईत्र्ाद का सनरीक्षण कायव गीता के बजाय ककसी ऄन्य ऄसधकारी
को स्थानांतररत कर दूग
ं ा।

3. एक कसनष्ठ कमविारी ऄर्नी िृि मां की देखभाल करने के सलए सिशेष छु ट्टी लेन े के र्श्चात हाल ही
में कायव र्र लौट अइ है। सित्तीय कारणों से िह र्ूणक
व ासलक कायव करना िाहती है। ईसे ऄर्नी मां
की ईसित देखभाल के सलए व्यिस्था करने में कर नाआयों का सामना करना र्ड़ रहा है, सजसके
कारण िह टीम की महत्िर्ूणव बै कों (सामान्यत: प्रत्येक कदन के अरंभ में होने िाली) में
ऄनुर्सस्थत रहती है और ईसे कायावलय को समयर्ूिव छोड़ कर जाना र्ड़ता है। िह ऄर्ने कायव में
ऄत्यसधक सनर्ुण है लेककन ईसकी ऄनुर्सस्थसत से ईसके स्ियं के साथ-साथ ईसके सहकर्भमयों र्र
भी ऄसतररि कायवभार का दबाि र्ड़ रहा है। अर् ईसके प्रबंधक होने के नाते आस बात से ऄिगत
हैं कक आस कारण से कायव की सनरंतरता र्र दबाि बढ़ रहा है। ईसके एक र्ुरुष सहकमी द्वारा आस
प्रकार की रटप्र्सणयां की जाने लगी हैं कक "एक मसहला का स्थान घर में है" तथा प्रत्येक संभि
ऄिसर र्र ईसे कमजोर ससि करने का प्रयास कर रहा है तथा यह सस्थसत ईस र्र और ऄसधक
दबाि ईत्र्न्न कर रही है। अर् आस सस्थसत से ककस प्रकार सनर्टेंग?

ईत्तर:
अधारभूत ससिांत
i. सत्यसन्‍ ा: मुझे आसमें शासमल सभी लोगों के प्रसत सन्‍र्क्ष होना िासहए और इमानदारी-र्ूिवक
कायव करना िासहए।
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ii. गोर्नीयता: मेरा कतवव्य है कक मैं ससम्मसलत स्टाफ की गोर्नीयता बनाए रखूाँ।
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iii .र्ेशि
े र व्यिहार: मेरे द्वारा आस प्रकार कायविाही की जानी िासहए कक मेरे, मेरे र्ेशे की या मेरे
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द्वारा ककये जाने िाले कायव की ऄिमानना न हो सके ।


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प्रासंसगक तथ्यों की र्हिान करना


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कं र्नी की नीसतयों (यकद अिश्यक हो तो सिसधक सहायता के साथ), प्रयोज्य सिसधयों और


ra
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सिसनयमों र्र सििार ककया जाना िासहए।


प्रभासित र्क्षों की र्हिान करना
i. कसन्‍ स्टाफ
ii. स्ियं मैं
iii. सदस्य स्टाफ
iv. र्ुरुष सहकमी और HR
आसके समाधान हेत ु ककसे शासमल ककया जाना िासहए?
मुझे न ससफव आस र्र सििार करना िासहए कक आसके समाधान हेतु ककसे ससम्मसलत ककया जाए,
बसल्क आस र्र भी सििार करना िासहए कक ईन्हें क्यों और कब ससम्मसलत ककया जाए। मुझे यह
देखना होगा क्या मेरी HR सिभाग में ईर्युि स्टाफ तक र्हुंि है? क्या मैं कायावलय में ककसी
सिश्वासर्ात्र व्यसि से र्रामशव कर सकता ँाँ?
संभासित कायविाही
i. प्रासंसगक तथ्यों की जांि करना: िररष्ठ HR प्रबंधक के साथ कमविारी संबंधी प्रकिया को स्र्ष्ट
करना। यकद अिश्यक हो तो सिसधक र्रामशव लेना।

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ii. आस प्रकरण र्र स्टाफ के सदस्यों से ििाव करना: टीम की बै कों के सलए और ऄसधक नम्य
दृसष्टकोण सुझाना - यह भी संभि है कक बै कों को प्रसतकदन सुबह के ही समय करना अिश्यक न
हो। यकद संभि हो तो घर से कायव करना कसन्‍ स्टाफ के सलए एक सिकल्र् हो सकता है।
iii. स्टाफ के ईस र्ुरुष सदस्य को ईसित अिरण के सन्दभव में ऄिगत कराया जाना िासहए और
बताया जाना िासहए कक ककस प्रकार ईसका व्यिहार ईत्र्ीड़न का कारण बन सकता है तथा आसके
र्ररणामस्िरूर् कं र्नी की प्रसतष्ठा खराब होने के साथ-साथ ईसे कानूनी कायविाही का सामना भी
करना र्ड़ सकता है।
iv. आस प्रकिया के दौरान मुझे सन्‍र्क्ष रूर् से कारविाइ करनी िासहए: स्टाफ की कसन्‍ सदस्य
(जो ऄर्नी मां की देखभाल के सलए ईत्तरदायी है) और स्टाफ के ऄन्य सदस्यों, दोनों के प्रसत
सन्‍र्क्ष रूर् से कारविाइ का दृसष्टकोण ऄर्नाया जाना िासहए।

6. सिगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग द्वारा र्ूछे गए प्रश्न
(Past Year UPSC Questions)
1. (a) लोक सेिा के संदभव में सनम्न शधदों से अर् क्या समझते हैं?
(i) सत्यसनष्ठा
(ii) ऄध्यिसाय
(iii) सेिा की भािना
(iv) प्रसतबिता
(v) दृढ़ सिश्वास का साहस
(b) दो ऐसे ऄन्य गुण बताआए सजन्हें अर् लोक सेिा के सलए महत्िर्ूणव समझते हैं। ऄर्ने ईत्तर का
औसित्य समझाआए।
2. सिश्वसनीयता और सहन-शसि के सद्गुण लोक सेिा में ककस प्रकार प्रदर्भशत होते हैं? ईदाहरण के
साथ स्र्ष्ट कीसजए।
3. क्या कारण है कक सन्‍र्क्षता और ऄर्क्षर्ातीयता को लोक सेिाओं में, सिशेषकर ितवमान
सामासजक-राजनीसतक संदभव में, अधारभूत मूल्य समझना िासहए? ऄर्ने ईत्तर को ईदाहरणों के
साथ सुस्र्ष्ट कीसजए।
4. सससिल सेिा के संदभव में सनम्नसलसखत की प्रासंसगकता का र्रीक्षण कीसजए :
(a) र्ारदर्भशता
(b) जिाबदेही
(c) सन्‍र्क्षता तथा न्याय
(d) दृढ़ सिश्वास का साहस
(e) सेिा भाि
5. समझौते से र्ूणव रूर् से आनकार करना सत्यसनष्ठा की एक र्रख है। आस संदभव में िास्तसिक जीिन
से ईदाहरण देते हुए व्याख्या कीसजए।

7. सिगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग द्वारा र्ू छे गए प्रश्न:
के स स्टडी
(Past Year UPSC Questions: Case Studies)

1. मान लीसजए कक अर्के सनकट समत्रों में से एक, जो स्ियं सससिल सेिा में जाने के सलए प्रयत्नशील
है, िह लोक-सेिा में नैसतक अिरण से सम्बसन्धत कु छ मुद्दे र्र ििाव करने के सलए अर्के र्ास
अता है। िह सनम्नसलसखत सबन्दुओं को ई ाता है:
(i) अज के समय में, जब ऄनैसतक िातािरण काफ़ी फै ला हुअ है, नैसतक ससिान्तों से सिर्के रहने
के व्यसिगत प्रयास, व्यसि के कै ररयर में ऄनेक समस्याएाँ र्ैदा कर सकते हैं। ये र्ररिार के सदस्यों

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र्र कष्ट र्ैदा करने और साथ ही साथ स्ियं के जीिन र्र जोसखम का कारण भी बन सकते हैं। हम
क्यों न व्यािहाररक बनें और न्यूनतम प्रसतरोध के रास्ते का ऄनुसरण करें , और सजतना ऄच्छा हम
कर सकें , ईसे ही करके प्रसन्न रहें?
(ii) जब आतने ऄसधक लोग गलत साधनों को ऄर्ना रहे हैं और तंत्र को भारी नुकसान र्हुंिा रहे हैं,
तब क्या फकव र्ड़ेगा। यकद के िल कु छ-एक लोग ही नैसतकता की िेष्टा करें, िे ऄप्रभािी ही रहेंगे
और सनसश्चत रूर् से ऄनन्तः सनराश हो जाएंगे।
(iii) यकद हम नैसतक सोि-सििार के बारे में ऄसधक बतंगड़ बनाएंगे तो क्या आससे देश की अर्भथक
ईन्नसत में रुकािट नहीं अएगी? ऄससलयत में, ईच्च प्रसतस्र्धाव के ितवमान युग में, हम सिकास की
दौड़ में र्ीछे छू ट जाने को सहन नहीं कर सकते।
(iv) यह तो समझ अता है कक भारी ऄनैसतक तौर-तरीकों में हमें फं सना नहीं िासहए, लेककन
छोटे-मोटे ईर्हारो को स्िीकार करना और छोटी-मोटी तरफदाररयां करना सभी के ऄसभप्रेरण में
िृसि कर देता है। यह तंत्र को और भी ऄसधक सुिारू बना देता है। ऐसे तौर-तररकों को ऄर्नाने में
गलत क्या है?
ईर्रोि दृसष्टकोण का समालोिनात्मक सिश्लेषण कीसजए। आस सिश्लेषण के अधार र्र ऄर्ने समत्र
को अर्की क्या सलाह रहेगी?
2. कल्र्ना करें कक अर् एक सामासजक सेिा योजना की कियासन्िती के कायव प्रभारी हैं, सजससे बूढ़ी
एिं सनराश्रय मसहलाओं की सहायता प्रदान करनी है। एक बूढ़ी एिं ऄसशसक्षत मसहला योजना का
लाभ प्राप्त करने के सलए अर्के र्ास अती है। यद्यसर्, ईसके र्ास र्ात्रता के मानदंडों को र्ूरा
करने िाले काग़जात कदखाने के सलए नहीं हैं। र्रन्तु ईससे समलने एिं ईसे सुनने से अर् यह
महसूस करते हैं कक ईसे सहायता की सनसश्चत रूर् से अिश्यकता है। अर्की जााँि में यह भी अया
है कक िास्ति में िह दयनीय दशा में सनरासश्रत जीिन व्यतीत कर रही है। अर् आस धमवसंकट में हैं
कक क्या ककया जाए। ईसे सबना अिश्यक कागजात के योजना में ससम्मसलत ककया जाना, सनयमों
का स्र्ष्ट ईल्लंघन होगा। ईसे सहायता के सलए मना करना भी सनदवयता एिं ऄमानिीय होगा।
(a) क्या अर् आस धमवसंकट के समाधान के सलए कोइ तार्ककक तरीका सोि सकते हैं?
(b) आसके सलए ऄर्ने कारण बतलाआए।
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3. रामेश्वर ने गौरिशाली सससिल सेिा र्रीक्षा को सफलतार्ूिवक र्ास कर सलया और िह ऐसे


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सुऄिसर से ऄसभभूत था जो सससिल सेिा के माध्यम से देश की सेिा करने के सलए ईसको समलने
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िाला था। र्रन्तु, सेिा का कायवग्रहण करने के शीघ्र बाद ईसने महसूस ककया कक िस्तुसस्थसत ईतनी
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सुन्दर नहीं हैं सजतनी ईसने कल्र्ना की थी।


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ईसने ऄर्ने सिभाग में व्याप्त ऄनेक ऄनािार र्ाए। ईदाहरण के रूर् में, सिसभन्न योजनाओं और
ऄनुदानों के ऄधीन सनसधयााँ दुर्भिसनयोसजत की जा रही थीं। सरकारी सुसिधाओं का ऄक्सर
ऄसधकाररयों और स्टाफ द्वारा व्यसिगत अिश्यकताओं के सलए आस्तेमाल ककया जा रहा था। कु छ
समय के बाद ईसने यह भी देखा कक स्टाफ को भती करने की प्रकिया भी दोषर्ूणव थी। भािी
ईम्मीदिारों को एक र्रीक्षा सलखनी होती थीं सजसमें काफ़ी नक़लबाज़ी िलती थी। कु छ
ईम्मीदिारों को र्रीक्षा में बाय द सहायता भी प्रदान की जाती थी। रामेश्वर ऐसी घटनाओं को
ऄर्ने िररष्ठों की नज़र में लाया। र्रन्तु, आस र्र ईसको ऄर्नी अाँख,ें कान और मुख बंद रखने और
आन सभी िीज़ों को नज़रऄंदाज़ करने की सलाह दी गइ। यह बताया गया कक सब ईच्चतर
ऄसधकाररयों की समलीभगत से िल रहा था। आससे रामेश्वर का भ्रम टूटा और िह व्याकु ल रहने
लगा। िह सलाह के सलए अर्के र्ास अता है।
ऐसे सिसभन्न सिकल्र् सुझाआए, जो अर्के सििार में, ऐसी र्ररसस्थसत में रामेश्वर के सलए ईर्लधध
हैं। आन सिकल्र्ों का मूल्यांकन करने और सिावसधक ईसित रास्ता ऄर्नाने में अर् ईसकी ककस
प्रकार सहायता करेंग?

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