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बीमा का प रचय

बीमा – सरल भाषा म इसका अथ है उसे जो खम का  ह तां तरण करना  जो इससेनपटने म स म है और यह  सामा यता बीमाकता (बीमा कं पनी)
होता है।
A) जीवन बीमा इ तहास और वकास: –
बीमा कारोबार का उ व लं दन के “लॉयड कॉफ हाउस” सेआ ।
नया क थम जीवन बीमा कं पनी  अ मके ब्
अबल सोसाइट फॉर पे रपेटू
अल असोरं स थी।
भारत क थम जीवन बीमा कं पनी ओ रएं टल लाइफ इं योरस कं पनी ल. थी।
भारत म था पत थम गै र­जीवन बीमा कं पनी ाइटन इं योरस कं पनी ल मटे ड थी।
भारत क थम बीमा कं पनी बं बई यु चुअल असोरस सोसायट ल मटे ड थी जसे मुबई म 1870 म था पत कया गया था।

भारत क सबसे पुरानी बीमा कं पनी  नेशनल इं योरस कं पनी ल मटे ड हैजसे 1906 म था पत कया गया था।
1912 म, जीवन बीमा कं पनी अ ध नयम और भ व य न ध अ ध नयम बीमा वसाय को व नय मत करने केलए पा रत कए गए।
जीवन बीमा कं प नय अ ध नयम 1912 म ी मयम क दर क टे बल और आव धक मूयां कन को अ नवाय कर दया गया तथा उसे एक मू यां
कनकता
ारा मा णत कया जाना आव यक कर दया गया।
बीमा अ ध नयम 1938 म भारत म बीमा कं प नय के संचालन को व नय मत करने केलए अ ध नय मत थम कानू न था।
जीवन बीमा कारोबार 170 बीमा कं प नय और 75 ो वडट फं ड सोसाइट को मलाकर 1 सतं बर 1956 को रा ीयकृ त कया गया था और भारतीय
जीवन बीमा नगम (एलआईसी) का गठन कया गया था।
गै
र­जीवन बीमा कारोबार का 106 बीमा कं प नय को मलाकर 1972 म रा ीयकरण कया गया था, और भारत म (जीआईसी) सामा य बीमा नगम
और इसक 4 सहायक क प नय का गठन कया।
म हो ा  स म त और आईआरडीए: – म हो ा  स म त – 1993 म वकास केलए प रवतन केलए ग ठत क गई और  इसने 1994 म रपोट तु त
क।
IRDAI – बीमा व नयामक और वकास अथॉ रट ऑफ इं डया को   आईआरडीए अ ध नयम 1999 ारा जीवन और गै र­जीवन बीमा हेतु एक
सां व धक नयामक नकाय के प म ग ठत कया गया।
जीवन बीमा उ ोग वतमान म: 1. a) भारतीय जीवन बीमा नगम (एलआईसी) एक सावज नक ेक कं पनी है । 2. b) नजी ेम 23 जीवन बीमा
कं प नयांह।
c) डाक वभाग भी , भारत सरकार के अधीन जीवन बीमा कारोबार डाक जीवन बीमा के मा यम से करता हो, , लेकन नयामक के दायरेसेमु है ।
बीमा कै से काम करता है
एक प रसं प का आ थक मूय होना चा हए (कार­शारी रक, स ावना­ गै र­शारी रक, ने गत)। ये  प रसं प यां अ न त घटना के कारण मूय
खो सकते ह। यह हा न/ त  जो खम के प म जाना जाता है । जो खम का कारण खतरा (peril) के प म जाना जाता है ।  समान जो खम पू ल
(योगदान) वाले एक साथ पै से ( ी मयम) का योगदान करते ह।
जो खम दो   कार के होते  ह
a) जो खम का ाथ मक बोझ – वा तव म आ घाटा, जै सेफैटरी म आग लगना।
b) जो खम का मा य मक बोझ­ घाटा जो हो सकता है , जैसेशारी रक / मान सक तनाव ।
जो खम बं धन तकनीक: – तकनीक केव भ कार जो जो खम का बं धन करने केलए इ ते माल कए जाते ह:
जो खम से बचाव – एक नु कसान क थ त से बचने केलए जो खम को नयंत करना
जो खम तधारण – इसम जो खम के भाव का बं धन करता है और जो खम और इसके भाव को सहन करता है ।
c) जो खम क कमी और नयंण – यह जो खम प रहार क तु लना म अ धक ावहा रक और ासं गक कोण यु है । इसका अथ है नु
कसान और /
या इसके भाव क गं भीरता को कम करने केलए या इस तरह के नु
कसान हो जाने क घटना क सं भावना को कम करते ह।
बीमा एक जो खम ह तां तरण तंहै ।
जो खम बं धन केलए एक उपकरण के प म बीमा: – जरा केलए ब त अ धक जो खम न ल. उदाहरण केलए , एक बॉल पे न का बीमा करने क
कोई ज रत नह हैय क इसका मूय ब त अ धक नह है ।
जतना नु कसान हम बदा त नह कर सकते उससे अ धक जो खम नह ले न ा चा हए, जैसे हम अपने मकान का बीमा नह करने का जो खम नह ले
सकतेय क हमारे मकान क क मत ब त अ धक है .
बना सोचे समझे बीमा मत ल, या कोई अ त र उप ह का बीमा कर सकता है ?
सोसायट म बीमा क भू मका:
बीमा आ थक और सामा जक प से समाज को लाभ प ँ चता है ।
यह रोजगार भी दान करता है
ी मयम सेा त पै सा बु नयाद सु वधा क ज रत केवकास केलए नवे श कया जाता है .
यह भय, चता और भ व य के साथ जु डी चता को र करता है ।
सरकार ारा ायो जत बीमा योजनाय
कमचारी बीमा नगम, फसल बीमा योजना (RKBY), ामीण बीमा योजनाएं
बीमा कं पनी ारा सं चा लत और सरकारी योजना ारा सम थत नह
जनता गत घटना, जन आरो य
अ याय 2    ाहक से वा
ाहक से वा
ाहक ापार का जी वका दान करता है और कोई भी उ म उनक उपेा नह कर सकता।
बीमा के मामले म ाहक से व ा और सं बधं क भू मका अ य उ पाद क तु लना म कह अ धक मह वपू ण है।
य क बीमा एक से व ा है
। बीमा एक अमू त व तुहै।
यह बीमा कं प नय और उनके क मय , जनम उनके एजट भी शा मल है ,  केलए आव यक हैक उ च गु णव ा यु से व ा दान करके ाहक को
स कर।
ाहक से व ा और बीमा:
1
बीमा ब म सफलता का राज अपनेाहक क से व ा करनेकेलए तब ता है ।
ाहक आजीवन मूय को उस आ थक लाभ  के प म प रभा षत कया जा सकता है जो समय क एक लं बी अव ध म एक ाहक के साथ एक उ म
संबधंबनाने सेा त होती है ।
उ म ाहक से व ा दान करने म बीमा एजट क भू मका
i)  ब केवाइं ट – सेव ा केलए थम ब ब केब ह। एजट को ाहक क आव यकता को समझाने और उ म उ पाद के लाभ को सु झाव दे ने
म स म होना चा हए। एक एजट क भू मका एक नजी व ीय योजनाकार और सलाहकार क तरह होती है ।
ii)  ताव केतर – एजट को ताव फाम भरने म ाहक क मदद करनी चा हए । यह मह वपू ण ह क एजट को ताव फॉम भरते समय तावक
के सम त संदे
ह को प करना चा हए।
iii)  वीकृत चरण – ाहक को FPR स पने म ाहक के मन म एजट के त एक न तता और व ास उ प होता है । पॉ लसी बां
ड क ड लवरी
एक अ य मु ख अवसर है ।
iv) ी मयम भु गतान – पा लसी केनरसन से बचने हेतु दे
य ी मयम केलए एजट अनु मारक कॉल के मा यम से अपनेाहक के साथ लगातार सं पक
म रह सकता है ।
v) दाव का नपटान – एजट दावा नपटान के समय जां च चरण केदौरान पॉ लसी धारक क आव यक जानकारी उपल ध करा कर मह वपू ण भू मका
नभाता है।
संचार कौशल – एक एजट के भावी दशन केलए एक मु ख कौशल जो होना चा हए वह है वहार  कु शलता। वहार  कु शलता अ य कमचा रय ,
ाहक के साथ भावी ढं ग सेबातचीत करने क मता से सं
बंधत एक कौशल है । एक अ छे संबध
ं नमाण म व ास मु ख भू मका नभाता हैजसे
आप आकषण; समय पर अपनी से व ा दे
नेहे
तुउप थत होकर,  अपनेाहक म उ प कर सकते ह।
संचार के कई प हो सकते ह – मौ खक; ल खत; गै र­मौ खक; शारी रक हाव­भाव।
भावी वण के त व– यान दे न ा ,   त या उपल ध कराना, उ चत प से जवाब देन ा, सहानु
भूतपूण वण और आलोचना मक नह होना.
गैर मौ खक सं चार 1. i) उ म थम  सं पक बनाना हमे शा समय पर होनाअपने आप को उ चत ढं ग तु त करना एक गमजोशीयु, आ म व ास और
वजयी  मु कान।खु ल,ेआ म व ास और सकारा मक होतेए   सरे म च ले न ा।
शारी रक भाव् भं गमा – यह ग त व धय , सं केत ,  इशार ,  व चे
हरेके  भाव को करता है । जस तरह से हम बात करते ह, चलतेह, बै
ठते ह और
खड़े होते
ह को शा मल करता है ।
वण कौशल: स य होकर सु नना:जहां हम न के वल श द को  ब क उससे भी अ धक मह वपू ण, बात या कसी अ य के ारा भे जा जा  रहा पू
रा  
संदेश को सुनने केलए यास करते ह।

1. यान दे
ना
2. दशन करना क आप सु न रहेह – शारी रक भाषा का योग यहाँएक मह वपूण भूमका नभाता है
।iii.
3. तपु दान करना आलोचना मक नह होना – इस तरह के कोण सेोता को न चाहतेए भी व ा को बोलने दे
न ा तथा इसे
समय क बबाद
समझना।
4. उ चत प से त या देन ा3. सहानु
भू तपूण सु
नना – वा त वक प से सहानु
भुत करना तथा वं य को सरे
केथान पर रख कर उसकेदद
 केअनुभव को महसू
स करना।
अ याय 3   शकायत नवारण तं

शकायत नवारण तं – आईआरडीए के पास पॉ लसी धारक के संर ण हत व नयमन­2002 के   अंतगत उपभो ा क शकायत को तु त करने
केलए व भ व नयम ह।
1. i) एक कृ त शकायत बं धन णाली (IGMS) – आईआरडीए ने एक एक कृ त शकायत बं धन णाली (IGMS), जो बीमा शकायत आं कड़ के
एक क य भं डार के प म और उ ोग  म शकायत क नगरानी केलए एक उपकरण के प म काय करता है , शुक है। पॉ लसीधारक अपनी
पा लसी  केववरण इस स टम पर र ज टर कर सकते ह। उसके बाद शकायत सं बंधत बीमा कंपनी को भे जी जाती ह।
2. ii) उपभो ा सं र ण अ ध नयम 1986 – “उपभो ा केहत को बे हतर सु र ा उपल ध कराने केलए और उपभो ा केववाद का
नपटारा करने हेतुयह अ ध नयम पा रत कया गया।
सेव ा – ब कग, व , प रवहन, बीमा आ द म सं भा वत उपयोगकता केलए ावधान उपल ध कराया जाना ।
उपभो ा – कोई भी जो कोई सामान खरीदता है या कोई सेव ा का लाभ उठाता है या उसेकराये पर लेत ा है।
दोष – इसका अथ हैकसी क गलती , दोष और कमी या कसी भी से व ा या ाहक ारा ली गई से व ा क गुणव ा, कृत, ढं ग या दशन म
अपया तता।
शकायत –  इसका अथ कसी भी अनु चत ापार, व तु या माल म दोष,  से व ा म कमी या  उपभो ा से अ त र मूय ले न ा आ द के बारेम ल खत
प म दए गए कसी भी आरोप से है।
उपभो ा ववाद – यह एक ववाद है , जहांजनकेखलाफ शकायत क जाती है वेउससे इनकार करते ह और उन पर लगाए गए आरोप से इनकार
करते ह।
लोकपाल • भारत म लोकपाल के कु
ल कायालय – 12।• लोकपाल के तहत 20 लाख मूय से अ धक का दावा तबं धत है
।• शकायत ा त होने के 1
महीने के भीतर सफा रश क जानी चा हए।• शकायतकता ारा ऐसी सफा रश को ा त के 15 दन के भीतर ल खत म वीकार करना आव यक
है।• बीमा कंप नय ारा लोकपाल ारा पा रत नणय के  15 दन के भीतर उस पर कायवाई करनी आव यक ह।• ववाद का नपटारा नह कया जाता
है तो लोकपाल शकायत ा त होने क तारीख से 3 महीने/90 दन  के भीतर बी मत . को   नणय/सु नवाई करना आव यक है ।• बी मत को
ऐसा नणय  दे नेके 1 महीने
के भीतर पावती क सू चना देन ा ज री है।  लोकपाल को शकायत क जा सकती ह य द: शकायतकता ने बीमा कंपनी को
पछली बार ल खत म शकायत दान क थी और बीमा कं पनी ने:• शकायत को अ वीकार कर दया।• शकायतकता को बीमा कं पनी से एक महीने
के भीतर कोई जवाब नह मला।• शकायतकता बीमा कं पनी ारा दए गए जवब से संत ुनह है।• शकायत बीमा कं पनी ारा अ वीकृत क त थ से
एक वष के भीतर क जाती है ।• शकायत कसी भी अदालत या उपभो ा फोरम म लं बत नह है ।
या यक या (चै
नल)
रा ीय आयोग
 क सरकार क अ धसू चना ारा था पत
2
 एक करोड पये मूय से अ धक दावे क शकायत और
 कसी भी रा य आयोग के आदे श केखलाफ अपील करना।
रा य आयोग
 एक अ धसू चना ारा रा य सरकार ारा था पत।
 20 लाख पए से अ धक दावा मूय क शकायत, ले कन 100 लाख पए से अ धक नह और रा य के भीतर कसी भी जला फोरम के आदे श
केखलाफ अपील करना
जला फोरम
 रा य सरकार ारा था पत। ये क जले म।
 20 लाख पये तक दावा मूय क शकायत।
मह वपू ण दन:
1. 10 दन – बीमा कं पनी को पॉ लसी धारक क कसी भी जानकारी का जवाब दे न ा आव यक है ।
2. 15 दन – ाहक (कूलग ऑफ़ अव ध/मु नज़र अव ध) पा लसी को ा त करने के 15 दन के भीतर अनु बध
ंर कर सकतेह।
3. 15 दन – बीमा कं पनी ारा ताव क वीकृत या अ वीकृत के बारे
म पॉ लसी धारक को संे षत करना आव यक है ।
4. 15 दन – दावे के मामले म  बीमा कंपनी  स ब दावे के द तावेज को ा त करने के 15 दन के भीतर अ त र द तावे ज केबारेम पू छ सकती
है।
5.  15 दन – बीमा कं पनी को लोकपाल ारा पा रत फै सले के 15 दन के भीतर इसे पूरा करना आव यक है ।
6. 15 दन – ी मयम भु गतान क मा सक मोड के मामले म अनुह अव ध (grace period)।
7. 31 दन या एक महीना – म ैा सक / छमाही / वा षक मोड के मामले म अनुह अव ध।
8. 30 दन – लोकपाल को अनु शशंा करनी होती है

9. 30 दन – बीमा कं पनी को दावे केद तावेज ा त होने के बाद 30 दन के भीतर दावा नपटाना होता है ।
10.  90 दन – लोकपाल को 90 दन के भीतर एक पु र कार पा रत करना होता है ।
11. 180 दन • – ववा दत दाव के मामले म अ धक से अ धक समय।
अ याय 4 बीमा एजट केव नयम:
बीमा एजट नयु व नयम 1 अ ल ै2016 सेभावी आ।
 कसी भी केलए बीमा एजट के प म काय करने केलए नयु प जारी कया जाता है ।
 बीमा एजट का अथ है एक बीमा कं पनी ारा नयु एक जसका काय पा ल सय क खरीद करवाना, उनका नवीकरण या बीमा पा लसी का
पुननवीनीकरण करना है ।
 सम बीमा एजट से ता पय उस से हैजो दो या दो सेअ धक बीमा कं प नय ारा एजट के प म नयु कया जाता हैक तु उस पर यह शत होती है
क वह जीवन बीमा कं पनी , सामा य बीमा कंपनी, वा य बीमा कं पनी, मोनोलाईन वा य कं पनी म से एक से अ धक क प नय हेतुकाय नह करे ग ा।
 एजटो क क कृ त सूचना का अथ एजटो क उस सू ची से हैजो ा धकरण ारा बनाई जाती हैजसम बीमा क पनी ारा नयु कए गए एजटो के सम त
ववरण होते ह।
 ना मत/ ा धकृत अ धकारी से ता पय उस अ धकारी से है जो एजट को नयु करने हेत ुा धकृ त होता है।
 बीमा कं
पनी म एक बीमा एजट के प म नयु हे तु एक को बीमा कंपनी के ना मत/ ा धकृ त अ धकारी केसम फॉम I-A के ारा आवे दन करना
होगा।
 एक ा धकृ त अ धकारी को कसी भी को एजट के प म नयु न दान करने का कारण आवे दन ा त के 21 दन केअंतगत आवे दक को सू चत
करना आव यक होगा ।
बीमा कंपनी ारा सम बीमा एजट क नयु
 एक आवे दक ारा सम बीमा एजट के प म नयु केलए जीवन, सामा य , वा य बीमा, मोनोकलाइन इ या द से संब आवे दन करना होगा ।
 सम एजट को I-B आवे दन प भरना होगा |
बीमा कंपनी परी ा
एक आवे दक को बीमा एजट के प म काय करने केलए परी ा न य ारा आयो जत जीवन, सामा य, वा य  आ द वषय म परी ा दे न ा होगा
बीमा एजट के प म काय करने क नहरता/अयो यता :
अयो यता क शत अ ध नयम क धारा 42 (3) के अंतगत उ ले खेन ीय ह ।

अ याय 5   बीमा अनु बधंके कानू


न ी स ां

बीमा अनुबधं– भारतीय सं वदा अ ध नयम 1872 के अनु
सार , बीमा पॉ लसी दो  प , बीमा कं पनी और बी मत (पॉ लसी धारक) केबीच एक अनुबध
ंहै।
कसी भी अनु बध
ंको वै ध अनुबध
ंहोने केलए उसम न न ल खत त व होने चा हए –
1) ताव और वीकृत – दो प म से एक को पे शकश करनी चा हए और अ य को उसेवीकार करना चा हए। आमतौर पर पे शकश तावक (पॉ लसी धारक)
ारा क जाती है और वीकृत बीमा कं पनी ारा क जाती है

2) वचार – पॉ लसी धारक ारा देय ी मयम और बीमा कं पनी ारा तपू त का वादा वचार के प म जाना जाता है ।
3) प के बीच समझौते – दोन प को एक ही बात पर सहमत होना चा हए।
4) वतंसहम त –  पॉ लसी ले ते
समय तावक पर कोई दबाव नह होना चा हए। सहम त तब मु मानी  जानी चा हए जब पा लसी जबरन, अनु चत भाव;
धोखा; गलत बयानी; गलती से नह ली जानी चा हए।
5) दल क मता –  तावक को कानू न ी प से स म होना चा हए। अथात उसे मान सक प सेव थ होना चा हए तथा  कानू न ारा अयो य नह करार होना
चा हए तथा उसे नाबा लग नह होना चा हए।
6) वैधता – अनुबध
ंक व तु कानून ी होना चा हए।
बीमा अनुबधंक वशे ष सुवधाएँ
1) परम स ाव (या) (Uberima Fides)  – इसका ता पय  हैक अनु बधंसे स ब हर प को बीमा क वषय व तु से
संबंधत सम त त या मक जानकारी

3
होनी चा हए, चाहेउ ह पु छा गया हो या नह ।
2) त या मक सू चना –  तावक के प रवार केइ तहास; च क सा का इ तहास; व ीय यौरा ; ावसा यक यौरा ; बीमारी य द कोई हो ;  आ द को त या मक
जानकारी कहा जाता है ।
उ म अ छा व ास का उ लं घन:
गैर कट करण – कु छ ववरण को नह बताना।
छपाव – जानबू झकर ववरण को छु पाना।
म यकथन­
1. a) अ ान/मासू म – अ ानतावश गलत जानकारी दे ना
2. b) धोखाधड़ी – जानबू झकर गलत जानकारी दे न ा।
3) बीमा यो य याज – यह तावक  का अपने सेस ब लोग /व तु  अथात वयं , प त या प नी; माता­ पता; मकान; कार आ द को बीमायो य   याज के प
म मन जाता है ।
 जीवन बीमा म   –  बीमा यो य ाज  पा लसी क शुवात म होना चा हए
 गै
र-जीवन बीमा म – बीमायो य हत शुम और के दावे दोन के दौरान व मान  होना चा हए
 समुबीमा म – बीमायो य   याज दावे केसमय मौजू द होना चा हए।
4) आस ख ड – यह व भ ग त व धय के पीछे मुय कारण है तथा इससे कोई भी घटना हो सकती है .
न: शुक देखो­ अव ध (या) कूलग ऑफ़ अव ध – अगर कसी तावक  को एक पा लसी के अनुबधंकरने के बाद वह या तो उसे र या तो पॉ लसी को
अ वीकार करना  चाहता है   तो वह पा लसी ा त करने से15 दन के भीतर इस सं धभ म नणय ले सकता है ।
5. लुक-इन अव ध (या) कुलग ऑफ अव ध – य द तावक सं वदा करने के बाद अथात पा लसी ले नेके बाद उसेनर त या अ वीकृ त करना चाहता है
तो
इस संदभ म वह पा लसी ले ने के बाद 15 दन के भीतर अ वीकार कर सकता है ।
6)  तपू त – इसका मतलब हैक पॉ लसीधारक, जो नु कसान भु गत रहा है, उसे उतना  मुआवजा दया जाता ह   जससे रानी व ीय थ त म अथात
 वह  पु
नुकसान से पूव क घटना म आ जाये  ।

7)  थापन: यह वह या हैजो एक बीमा कंपनी ारा  एक लापरवाह तीसरी पाट सेएक पॉ लसी धारक को भु गतान कया दावा रा श क वसू ली केलए
उपयोग कया जाता है
अ याय -6 जीवन बीमा मेशा मल घटक
जीवन बीमा वसाय के घटक
1. प रस प त – कोई भी भौ तक अथवा गै र-भौ तक व तुजसका मूय है जै
सेजसे धन के प म मापा जा सके । ये क मानव का मूय हैजसे मानव जीवन
मूय (HLV) के नाम सेजाना जाता है
। मानव जीवन मूय (HLV) नधा रत करता हैक कसी को पू ण सं
र ण हेत ुकतना बीमा आव यक है ।
उदाहरण :  म टर महेश त वष 120000 पए कमाता है और अपने पर 2400 पए कमाता है । म टर महेश क मृ युक दशा म कुल कमाई 96000 पए  है
। माना क याज 8% है तब मानव जीवन मूय (HLV) = 96000/0.8=12,00,000.
2. जो खम- मानव से संब कई कार के जो खम ह जै सा ब त ज द मर जाना; ब त अ धक जीवन जीना, अपं गता का जीवन जीना ।
3. तपूत – हा न क घटना म उसको मापना अथवा उसका अनु मान लगाना तथा उसक भरपाई करना तपू त कहलाता है ।
4. समान/ न त ी मयम – यह नधा रत ी मयम होता है तथा आयु बढ़नेकेसाथ इसम वृ नह होती तथा सम त अनु बधंअव ध म यह एकसमान रहता है ।
5. जो खम पू लग का स दांत – यह सौहादता / पर परता केस दांत पर काय करता है
। इसके तहत व भ लोग से समान पूल म ी मयम एक कया जाता
हैतथा सामान जो खम पू ल म उसेयु कया जाता है तथा सामान कार जो खम दावे केलए यु कया जाता है । कसी भी दशा म एक जो खम पू ल से
एक
धन को अ य कार के पू
ल म यु नह कया जा सकता । वतीय बाज़ार म पर परता/सौहादता जो खम कम करने हेतुएक मह वपूण तरीका है
, तथा सरा
व व धकरण है. दोन मूल प से एक सरे सेभ ह।
सं वदा/अनु
बधं
बीमा लेने
का अथ सं वदा म शा मल होना है
। यहाँ
बीमा कंपनी और बी मत (पा लसीधारक) के बीच संवदा/अनु
बधं  होता है

अ याय 7 आ थक योजना
व ीय योजना  ल य , नवल मू य का आकलन; भ व य क व ीय ज रत का आकलन; और उन ज रत को पू रा करनेक दशा म काय क पहचान करने
केलए एक या है,।
 ल य
 लघुअव ध – एलसीडी ट वी खरीदना, पा रवा रक अवकाश
 म यम अव ध – एक घर खरीदना
 द घका लक – ब च क श ा / शाद ; से व ा नवृ के बाद ावधान।
A) आ थक जीवन च : –
छा चरण – यह  नौकरी करने से पू
व का चरण है
। इसम कमाने केलए तैयार होता  है

काय चरण – यह  चरण उ के 20­25  केआसपास शु होता है और 35­40 वष तक रहता है ।
सेव ा नवृ चरण – इस चरण म काम करना बं द कर दे
त ा है।
B)  गत जीवन च –
श ाथ [25 साल क उ तक] – यह का सीखने का चरण है ।
अजक [25 के बाद] – इस चरण म धन का अजन करता है ।
भागीदार [28­30 वष ] – इस चरण म का ववाह हो जाता है ।
जनक/अ भवावक  [30­35 ] – इस आयु म माता­ पता क भू मका नभाता है

दाता [35­55 ] – इस चरण म माता­ पता ब च  क ज रत को पू रा करतेह।
खाली व ान (ने टर) [55­65] – इस चरण म ब च केववाह हो जाते ह।
सेव ा नवृ [60 के बाद] – इस चरण म सेव ा नवृहो जाता है और उसक आय का कोई नय मत ोत नह होता है
। वा य भी बगड़ रहा होता है

4
C)  क आव यकता
भ व य के लेन­देन – जै सेश ा, ववाह के प म भ व य के ले
न­देन केलए ावधान कया जाता है ।
आक मकता का सामना करना – बे रोजगारी, अ पताल म भत , मृ युआ द क तरह अ या शत घटना केलए पै से
रखने
धन सं चय – यह पै से के मूय म वृ केलए कया जाता है ।
D)  व ीय उ पाद – उपरो ज रत को पू रा करने  केलए न न उ पाद का इ ते माल कया जा सकता है :
वहार/लेनदे न  उ पाद – बक म जमा रा श नकद आव यकता क पू त केलए इ ते माल क जा सकती है ।
आक मकता उ पाद – बीमा अ या शत घटना का सामना करने केलए इ ते माल कया जा सकता है ।
 धन सं चय उ पाद – शे यर ; बां
ड आ द को सं प नमाण हे त ुनवे
श करने केलए इ ते माल कया जा सकता है ।
फाइन शयल ला नग क भू मका: – इस या के अ तगत मौजू दा ाहक और भ व य क ज रत जसम  जो खम ोफाइल और आय के आकलन के साथ­
साथ मूयां कन कया जाता है ।
व ीय योजना म शा मल है –  नवे श, जो खम बं धन, ए टेट योजना, सेव ा नवृ योजना, कर योजना और दै नक और नय मत प से आव यकता का
व पोषण।
व ीय योजना शु करने केलए सही समय है जब को उसका पहला वे तन ा त होता है ।
व ीय योजना क ज रत: – सं यु प रवार केवघटन; ब ­ नवे श वक प; बदलती जीवन शै ली;  मुा फ त; अ य आक मक ज रत।
व ीय योजना – कार:
 नकद नयोजन
 नवेश योजना
 बीमा क योजना बना
 सेव ा नवृ योजना
 जायदाद क योजना
 कर योजना
अ याय-8  जीवन बीमा उ पाद  -I
उ पाद या है ?
 वपणन क सेएक उ पाद वशे षता का एक सं चय या बंडल है ।
 एक उ पाद (एक वपणन अथ म योग कया जाता है ) और एक व तु केबीच अंतर यह हैक एक उ पाद को अलग कया जा सकता है पर तु
एक व तु को
नह कया जा सकता।
उ पाद हो सकता है
 मूत
 अमू त
जीवन बीमा एक उ पाद है जो क अमू त है
पारंप रक जीवन बीमा उ पाद
 टम इं योरस लान
 स पू ण जीवन बीमा योजना
 बंदोब ती बीमा योजना
व भ साव ध बीमा
 साव ध बीमा म घटाव
 साव ध बीमा म वृ
 ी मयम क वापसी के साथ साव ध बीमा
स पू ण जीवन बीमा
 , कवर क कोई न त अव ध नह है , ले कन बी मत क मौत क दशा म बीमा कं पनी सहमत कए मृ युलाभ का भु
गतान करती है
, इससेकोई मतलब नह
क बी मत क मृ युकब होती है ।
सा व ध बीमा पॉ लसी
 एक सा व ध इं योरस पॉ लसी एक आय त थापन योजना के प म काम आती है ।
एंडोमट एसोरस : दो योजना का सं योजन
एक सा व ध बीमा योजना
एक साव ध बीमा योजना म मृ यु क दशा म  सम त बी मत रा श का भु गतान कया जाता है ।
एक शुबं दोब ती (एं डोमट) योजना
अव ध के अंत म अगर बी मत जी वत रहता है तो  इस रा श का भुगतान कया जाता है
धन वापस योजना (मनी बे क लान )
यह आमतौर पर एक एं डोमट योजना हैजसके तहत  बी मत रा श व भ अव धय के दौरान समय­समय पर क त म दान क जाती है और शेष रा श अव ध
के अंत म दान क जाती है ।  साव ध एसोर स का अ तीय ब ताव (यू नक सेलं ग ोपो जसन)  इसका कम मूय, तथा सी मत बजट म अपेतया
बड़ी जीवन बीमा पा लसी ले सकता है ।
कम होता साव ध बीमा
ये योजनाएं मृयु लाभ दान करती ह जसके रा श कवरेज क अव ध के साथ कम हो जाती है , जैसे, एक 10 साल क अ व ध क पा लसी  थम वष म 1,
00,000 पये क रा श  का लाभ दान कर सकती है जो तवष पा लसी क वषगां ठ पर 10,000 पए कम हो जाती है तथा इस तरह दसव वष के अं
त म यह
रा श शू यहो जाती है ।
बंधक मोचन:
बंधक मु आ ासन पा लसी  योजना के तहत जस नेऋण लया है उसक मृ यु क दशा म शे ष
5
बंधक ऋण  उसकेनधन क घटना म  कम होता जाता है तथा हर क़ त म उस मू ल धन के ऋण म कमी होती जाती है।
पारंप रक उ पाद केलए इरडा के नए दशा नदश
यू पारं
प रक उ पाद एक उ च मृ यु कवर दगे ।
1. एकल ी मयम पॉ ल सय  केलए 45 वष से कम आयु केलोग केलए यह 125% या और 45 वष से ऊपर के
लोग केलए एकल ी मयम का 110%
होगा।
2. नय मत ी मयम पॉ ल सय  केलए कवर, 45 वष से कम आयु हेतुभु
गतान कए गए सालाना ी मयम का दस गु न ा होगा तथा अ य हे तुसात गुन ा अ धक
होगा।
एक राइडर इं डोसमट के ारा जोड़ा गया ावधान है जो तब अनु बध
ंका एक ह सा बन जाता है ।
अ याय – 9 जीवन बीमा उ पाद –II
नकद मूय घटक
परंपरागत जीवन बीमा पॉ ल सय म बचत या नकद मूय घटक अ छ तरह से प रभा षत नह है ।
तफल दर
परंपरागत जीवन बीमा पॉ ल सय पर रटन क दर का पता लगाना आसान नह है ।
समपण मूय
नकद और आ मसमपण मूय (समय केकसी भी ब पर) इन अनु बध
ं के तहत कु छ न त मूय पर (बीमां कक रजव क रा श और पा लसी क यथानु प ात
प रसं प शे यर) नभर होता है।
ा त
अं त म इन पॉ लसीय पर ा त का मुा है
अपील:
नया भर म उभर रहे नई शै
ली के उ पाद क अपील के मु ख ोत न न ल खत ह:
 नवे
श बढ़त के साथ सीधा सं बधं
 मुा फ त को काम करने वालेरटन
 लचीलापन
 समपण मूय
गैर­परंपरागत जीवन बीमा उ पाद : यू नवसल लाइफ इं योरस (सावभौ मक जीवन बीमा )
 सावभौ मक जीवन पा लसी (यू नवसल लाइफ इं योरस) सबसे पहले संयु रा य अमे रका म पे
श कया गया था।
 यूनवसल जीवन बीमा थायी जीवन बीमा का एक प हैजसकेवशे षताएंइसका लचीलेी मयम ,लचीली अं कत रा श और मृ युलाभ रा श और इसके
मूय नधारण कारक क   व छ ता (उनब ड लग) है ।
गैर­परंपरागत जीवन बीमा उ पाद
a) प रव तनीय  बीमा योजनाएं
b) यू नट ल ड बीमा योजनाएं
यू लप ी मयम का क े­अप
 य
 मृयु
 नवे

 यू लप इ वट फं ड ारा तु त नवे श फं ड वक प
यह फं ड पैसेका बड़ा ह सा इ वट और इ वट सं बं धत उपकरण म नवे श करता है।
प रवतनीय  जीवन बीमा
यह पा लसी सव थम 1977 म  सं यु रा य अमे रका म पे श क गई थी।  प रवतनीय जीवन बीमा  एक कार से स पूण जीवन पा लसी है    जसम मृ यु लाभ
और पा लसी का नकद मूय नवे श खाते केनवे श दशन केहसाब से घटता­बढ़ता रहता हैजसम ी मयम जमा होता है ।
सैां तक प से ,  नकद मूय शू य से नीचेजा सकता है , इस दशा म पॉ लसी समा त हो   जाएगी।
यू नट  ल ड बीमा
यू नट ल ड योजना   को “यू लप ”  नाम से भी  जाना जाता हैजो सबसे लोक य और मह वपू ण उ पाद म सेएक के प म उभरे ह, तथा इ ह ने  बाजार से
परंपरागत योजना को व था पत/कम  कर दया है ।  ये
  योजनाएं  टेन म जीवन बीमा कं प नय ारा साधारण इ वट शे यर और बड़े पूजंीगत लाभ म  भारी
नवेश  करने और लाभ ा त करने के   फल व प तु त क गई थी।
इस कार  यू नट ल ड पॉ लसीयाँ   सीधे और तु रं
त  जीवन बीमा कं पनी केनवे श के दशन के साधन का नमाण करती ह ।
इ वट  फं ड:  धन  का बड़ा ह सा नवे श इ वट और इ वट सं बंधत उपकरण म नवे श कया जाता है ।
डेट फंड: धन   का बड़ा ह सा सरकारी बां ड, कॉप रेट बॉ ड और फ ड डपॉ जट आ द म नवे श कया जाता है

शेष फ ड (बै लस फ ड) : इ वट और ऋण उपकरण म  म त प सेनवे श कया जाता है ।
मनी माकर फं ड: धन मुय प से   ेजरी बल, जमा माणप , वा ण यक प आ द के प म उपकरण म
नवेश कया जाता है |
अ याय 10    जीवन बीमा के  अनुयोग
ववा हत म हला सं प अ ध नयम:
ववा हत म हला सं प अ ध नयम1874 क धारा ६ म जीवन बीमा पॉ लसी के तहत प नी और ब च केलए लाभ क सु र ा का ावधान कया गया है । 
संप अ ध नयम, १८७४  क   धारा ६ ववा हत म हला हे तुएक ट केनमाण का भी उ ले ख करता है।
MWP अ ध नयम क धारा 6 के तहत लाभाथ :
मा ा प नी
 प नी और एक या एक से अ धक ब च को सं यु प सेमलाकर
 एक या अ धक ब चे
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MWP अ ध नयम के तहत पा लसी क वशे षताएं
1. येक पा लसी एक थक ट होगी । या तो प नी या ब चे (उ के 18 साल से अ धक) इसके ट हो सकते ह।
2. पा लसी अदालत क कु क अ धकार के तहत नह होगी और यहाँ तक क बी मत क नयंण म भी नह होगी ।
३. दावे क राशी या सय को भु गतान क जाएगी।
i . पॉ लसी को न तो समपण कया जा सकता और न ही नामां कन है और न ही असाइनमट केलए अनु म त होती है|
i व्. य द   पॉ लसीधारक पा लसी के अ तगत ा त हो रहे लाभ को ा त करने हे
त ुवशे ष ट नयु नह करता है तो इस दशा म  पा लसी के  तहत लाभ
रा श , उस रा य म थत कायालयी ट ,जहाँ बीमा  भावी  है को दे
य हो जाती है ।
मुय आदमी बीमा (क मन बीमा )
इसे ापार के मह वपूण सद य क मृ युया  ापक अ मता से उ पन ई हा न या व ीय नु कसान क    तपू त के प म व णत कया जा सकता है
क मै न Keyrnan  टम इं योरस पॉ लसी का एक श द है जहां बी मत रा श  बजाय मु ख क नजी  आय से कंपनी केमुन ाफेसेजुडी होती है
। इसम
ी मयम कं पनी ारा भु गतान कया जाता है ।
यह कर स म (टैस ए फसइं ट ) है
  य क पू रा ी मयम ापार य के प म माना जाता है ।
य द मु ख  क मृ युहो जाती है तो लाभ कंपनी को भु गतान कया जाता है । गत बीमा केवपरीत क मेन बीमा म मृ यु लाभ क   आय पर कर लगाया
जाता है ।
a) एक क मे न कौन हो सकता है?
एक क मे न या मु ख वह हो सकता हैजसके न होनेसे ापार को सीधे   व ीय नु कसान हो सकता है. उदाहरण केलए, कंपनी का एक नदे शक , 
साझीदार, एक मह वपू ण ब , मह वपूण प रयोजना बं धक, या कसी वशे ष कौशल या ान वाला जो वशे ष प से कं
पनी केलए मूयवान है ,
हो सकता है ।
बंधक मु बीमा (एमआरआई):
यह एक बीमा पॉ लसी है होम लोन ले नेवाल केलए व ीय सु र ा दान करती है । यह  मू
ल प से एक कम अव ध क   जीवन बीमा पा लसी हैजसे एक रा हन
(मोटगे र) ारा ली जाती है य द वह अपने पू
ण ऋण अदायगी से पहले मर जाता है

अ याय 11 जीवन बीमा म  मूय  नधारण और मूयां
कन
ी मयम
बीमा के  लए मूय:
मूय नधारण ी मयम क उस दर को सं केतत करता है जो बीमा  योजना पर शु क के प म भा रत होता है
यह सामा य प से बी मत रा श पर त हजार ी मयम क दर से   कया जाता है
पॉ लसीधारक कई तरीक सेी मयम का भु गतान कर सकते ह:
1. एकल ी मयम योजना
2. तर ी मयम योजना
3. लचीली ी मयम योजना
ी मयम के   कार: यह एक बीमां कक (actuary) ारा दर के अनु सार न पा दत कया जाता है
1. कायालय  ी मयम: ये दर बीमा कं
पन क ता लका म छपी होती ह। ये आम तौर पर सामान ी मयम होते ह जो जनका हर साल भु गतान करनेक
आव यकता होती है ।
2. जो खम  ी मयम: ी मयम वष केलए दावे को पू
रा करनेकेलये दे
न ा पड़ता है ।
जो खम ी मयम = मृ युदर X  बी मत रा श
1. समान/ तर  ी मयम: पॉ लसी क पू री अव ध केलए समान ी मयम चाज कया जाता है ।
2. ने ट  ी मयम: अ जत कया गया याज भी ी मयम क गणना केलएलगाया जाता है
नेट  ी मयम = ी मयम – याज से आय।
सकल  ी मयम: ने ट ी मयम + खच हे तु लो डग + आक मकता केलए लो डग  + बोनस लो डग
1. उ च मृ यु दर तो उ च ी मयम होगा।
2. उ च अनु मा नत याज दर तो न न ी मयम:
छूट:  जीवन बीमा कं प नया  देय ी मयम पर   छू ट क पेशकश कर सकती ह ।
ऐसी  दो छू ट  ह:
1. बी मत  रा श केलए
2. ी मयम के मोड/तरीके केलए।
 अतर भार: (लो डग):
शु ी मयम म कु छ जोड़ना  उदाहरण: शासन भार, च क सा य, सं करण फ स, लाभ मा जन बोनस आ द
ी मयम के  घटक:
 मृ यु
 बोनस लो डग
 रज़व
 बंधन का  य
 याज
 लो डग क  रा श का  नधारण करने  के  लए मागदशक  स ां त:
1. पया तता: सभी पा लसी से कु
ल लो डग कं पनी को सं
चा लत करने हे
त ु य को कवर करने केलए पया त होना चा हए । इसे
  सु
र ा के
एक मा जन दान
करना चा हए और अं त म इसे कं
पनी केअ धशे ष या लाभ केलए योगदान दे न ा चा हए ।
2. इ वट : योजना, लान के कार, उ और कायकाल आ द के अनुसार , य और सु र ा मा जन आ द समान प सेव भ कार क पा लसी म यु
कये जाने चा हए ।

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3. त पधा: अं तम सकल ी मयम को कं पनीक त पध थ त म सु धार करनेम स म होना चा हए।
4.  अ धशेष और बोनस के   नधारक
येक जीवन बीमा कं पनी से अपनी संप एवं दे
नदा रय का एक आव धक मूयां कन शु करने क अपेा क जाती है :
a)  जीवन बीमा कंपनी क व ीय थ त का आकलन करना , सरे श द म यह नधा रत करना क कह यह दवा लया तो नह है
b) पॉ लसीधारक के बीच उपल ध अ धशे ष केवतरण / शे यर का नधा रत करना
अ धशे ष :
अ धशे ष संप के मूय से अ धक दे नदा रय क अ धकता को करता है ।  अगर यह नकारा मक होता है
, यह े
न (तनाव) के प म जाना जाता है

अ धशे ष = संप  – दे नदा रया।
आ तय का न न ल खत तीन तरीक म से एक म मुयांकन कया जाता है:
A) बुक वै यू(संप क खरीद मूय)
B)  बाजार मूय (बाजार म सं प का मूय)
C) रयायती वतमान मूय ( व भ प रसं प य से भ व य क आय के ोत और उ ह वतमान म छू ट दे
ना )
बोनस :
एक अनु बधंके तहत   बुनयाद लाभ के अ त र   देय भुगतान को बोनस कहा जाता है ।
यावत  बोनस के   कार:
a) सरल बोनस
b) म त बोनस
c) ट मनल बोनस

अ याय – 12 द तावे


ज़ीकरण/ ले
खन  –  ताव चरण
A )  ताव  तर का  ले खन: –
i)  ा पेटस – यह औपचा रक कानू न ी द तावे
ज है जो हम उ पाद के बारेम जानकारी दान करता है । यह लाभ क सीमा , नयम और शत – गै रटे
ड- ग़ै र गै
रटे
ड,
लाभ / ा तय , अपवाद आ द के बारेम अवगत कराता है ।
ii)  ताव  प  – यह फाम तावक ारा आव यक त य / साम ी के साथ बीमा कं पनी को भर कर दया जाता है तथा फर बीमा कंपनी फैसला ले त ी हैक इस
ताव को वीकार कया जाय या नह ।
iii) एजट क   रपोट – एजट  ाथ मक डरराइटर) है
(अं ।  वह तावक के सभी त य के बारेम ववरण जैसेवा य, आदत , वसाय, आय, प रवार
आ द के बारेम जानकारी ा त करता है
iv) च क सा परी क क रपोट – च क सा परी क “ रपोट आम तौर पर तबआव यक है जब तावक असामा य हो, ता वत् रा श उ च हो , या आयु ब त
अ धक हो तथा ये कु
छ  वशेषताये ह  जसकेलए  च क सा ारा जां च और रपोट आव यक होती है
v) नै तक जो खम  रपोट – यह सं भावना हैक जीवन बीमा पॉ लसी क खरीद के बाद एक ाहक का वहार बदल जाय जससे नु
कसान क सं भावना बढ़ जाएगी
vi) धनशोधन  नवारण (एएमएल) – धनशोधन नवारण वह या हैजसके ारा अजन का ोत न बताकर उसे अथ व था म अवै ध प से वा पस लाया जाता
है । इसम कटौती करने केलए अ ध नयम वष 2002 म लाया गया और दोषी पाए जानेपर 3-7 साल के कारावास तथा 5 लाख के जुमाने के हक़दार ह गे
vii) अपने   ाहक को जा नए(के वाईसी) – यह ाहक के पहचान स या पत करने केलए इ ते माल क जानी वाली या है
।  इसका उ े य अपराधी य
ारा धनशोधन नवारण म काले धन के इ ते
माल  को रोकना है .
के वाईसी  या:
i. फोटो ाफ
ii. आयुमाण – कू ल या कॉले
ज के माण प , पासपोट, पै न काड, से व ा र ज टर, एक बप त मा माण प , एक प रवार के बाइबल सेमा णत रकॉड ,य द
इसम ज म त थ  द   हो , र ा कम के मामले म  पहचान क त थ , ववाह हे तु
रोमन  कैथो लक चच ारा जारी माण प ।
iii. पते का माण – ाइ वग लाइसस, पासपोट, टे लीफोन बल, बजली बल, बक पासबु क । पहचान  प ­  ाइ वग लाइसस, पासपोट, वोटर आईडी काड, पै न
काड, आ द –
iv उ च मूय के लेन­दे
न केमामले म आय माण के द तावेज
viii)  –लु क अव ध (या) कूलग ऑफ़ अव ध – मान ली जए एक नेएक नई जीवन बीमा पा लसी खरीद है तथा उसका द तावेज भी उसेा त हो गया है
और अगर पॉ लसीधारक पा लसी केनयम और शत से संत ुनह है तो वह पा लसी के द तावेज / बां
ड क ा त से 15 दन के भीतर उस पा लसी को  वा पस
कर सकता है ।
इस कार 15 दन का ­लु क अव ध पॉ लसीधारक को वशे षा धकार दान करती है वह उसे जारी रखना चाहता है
या नह ।

अ याय – 13    ले खन/द तावे ज़ीकरण – पा लसी क थ त –I


थम  ी मयम रसीद (FPR):
जब जीवन बीमा कं पनी थम ी मयम रसीद (FPR) जारी करती है तो  बीमा अनुबध
ंशु हो जाता है
। थम ी मयम रसीद (FPR)  इस बात का माण हैक
पा लसी का अनु बधंशु हो गया है।
थम ी मयम रसीद (FPR) म   न न ल खत सू चना शा मल होती है
:
1. बी मत का नाम और पता
2. पॉ लसी का नं बर
3. ी मयम के प म भु गतान क जानी वाली रा श
4. ी मयम भु गतान करनेक व ध और आवृ
5. ी मयम भु गतान क अगली तारीख
6. जो खम के ारं भ होनेक तथ
7. पा लसी क अं तम प रप वता क त थ
8. अं तम ी मयम के भुगतान क त थ
बी मत रा श : बी मत बीमा कं
पनी केअ धकारी से एक नैतक जो खम रपोट मां ग सकता है
8
पा लसी डॉ यूमट
यह बी मत एवं बीमा कं पनी केम य ए अनु बध
ंका माण है ।
य द बी मत मूल जीवन बीमा केपॉ लसी द तावेज खो दे
त ा है
तो  बीमा कंपनी केअनु
बध
ंम कसी भी कार बदलाव कए बना डुलके ट पा लसी का
डॉ यूमट जारी करेग ी।
यह स म ा धकारी ारा ह ता रयु होना चा हए तथा इस पर भारतीय टा प अ ध नयम के अनुसार मु
हर लगी होनी चा हए।
पा लसी संबध
ंी द तावे ज के घटक:
पॉ लसी अनुसचूी: – इसम पा लसी केवामी  का नाम व पता, ज म त थ, आयु , योजना और पा लसी क अव ध का ववरण होता है। या पा लसी सहभा गता
या गै
र सहभा गता वाली है , ी मयम का मोड, पा लसी क सं या, पा लसी के ारंभ होनेक त थ , बी मत रा श, भु
गतान कया जाने
वाला ी मयम, राइडर का
ववरण इ या द।
मानक ावधान:  येावधान साम यतया  सम त अनु बध
ंम होतेह।  येावधान  सभी अ धकार और वशे षा धकार और अ य शत को प रभा षत करते ह जै
स े
अनुह अव ध,  नर तीकरण क दशा म गै र­ज तीकरन।
वशेष पा लसी ावधान: – ये द तावे
ज़ के मु
ख पृपर मुत होते ह या एक अनु ल नक के प म अलग से उ ले खत होते ह।
उदाहरण : अनुबधंकरते / लखते समय ही एक म हला क गभाव था के कारण मौत, एक होनेसेसंबध  धारा।

अ याय 14   द तावे ज़ीकरण/ ले खन – पा लसी थ त –II


अनुह अव ध:
” अनुह अव ध ” खं ड पॉ लसीधारक को ी मयम का भु गतान करने केनधा रत समय क अव ध से अ त र दए गए समय को कहा जाता है ।
अनुअव ध का मानक समय एक महीने या 31 दन का होता है  जो नयत तारीख के बाद अगलेदन से माना जाता है

हालां क ी मयम दे य बनी रहता है  और य द  पॉ लसीधारक इस अव ध के दौरान मर जाता है , तो बीमा कं पनी मृयुलाभ सेी मयम क कटौती कर सकती है ।
अगर ी मयम अनुह अव ध के बाद भी नह जमा कराया जाता है तो पा लसी को नर त/समा त (lapsed) माना जाये ग ा  ऐसी दशा म बीमा कं पनी मृ युलाभ
का भुगतान करने हे
तुबा य नह है हाँ , गै
र ज ती ावधान के तहत जमा रा श वह दान करती है ।
चूक (lapse):
य द पा लसी का ी मयम अनुह केदन के दौरान भी भु गतान नह कया गया, तो पॉ लसी को नर त मान लया जा सकता है ।
बहाली / पुन ार:
बहाली या वह या हैजसमे जीवन बीमा कं पनी एक समा त (lapsed) ए पा लसी को पु न ः बहाल करती है जो या तो ी मयम का भु गतान न करने के
कारण या गै र­ज ती ावधान के तहत समा त कर द गई थी।
पा लसी क बहाली क शत:
 याज के साथ शे ष ी मयम का भु गतान
 बहाली केलए शु क
 नरंतर अ छेवा य और आय का माण
 जो खम के कवर म कोई वृ नह
 समय सीमा के अं तगत पा लसी केनर त होने क त थ से 5 वष तक भारत म नवास।
 शेष ऋण का भु गतान।
 अगर बी मत रा श बड़ी है नवीनतम मे डकल जां च क आव यकता हो सकती है ।
 पुन ार वा तव म अ धक लाभदयक होती हैय क एक पा लसी खरीदने हे
तु बहाली के समय आयु के आधार पर उ च ी मयम दे न ा होगा।
नी त के पुन ार के उपाय:
1. साधारण पु न ार: इसम याज के साथ ी मयम क शे ष का भुगतान शा मल है । जब पॉ लसी या पा लसीधारी ने सरडर वै यूा त कर ली है ।
2. वशे ष पु न ार: य द पॉ लसी 3 साल केलए सं चा लत क गई है और यू नतम समपण मूय ा त नह क गई है , तो वशे ष पुन ार कया जाता है ।  जब
नर त पॉ लसी के ारं भ होने क मू ल तारीख से दो साल के भीतर नई पा लसी लखी/ली गई है ।
3. ऋण सह पु न ार: ऋण दे न ा और पा लसी का पु न ार एक साथ करना
4. क त पु न ार: जब पॉ लसीधारक एकमु त ी मयम क बकाया रा श का भु गतान करने म स म नह है और वशे ष पु न ार योजना के तहत पा लसी को
पुनज वत नह कया जा सकता है ।
गैर ज ती ावधान:
य द ी मयम लगातार कम से कम 3 साल केलए भु गतान कया गया है ,तो  उपा जत समपण मूय का भु गतान कया जाएगा।
समपण मूय: यह चु कता मूय का एक तशत है । ी मयम भु गतान के तशत के प समपण मूय गारं ट समपण मूय कहलाता है ।
डुलके ट पा लसी:य द बी मत जीवन बीमा पॉ लसी के मूल द तावेज खो दे त ा हैतो  बीमा कंपनी  अनु बधंम कोई भी  बदलाव कए बना डुलके ट पा लसी
जारी करे ग ी।  दावे को ज़मानत या बना जमानत एक तपू त बां
ड तु त करने पर नपटाया जा सकता है ।
बदलाव: • पॉ लसीधारक पॉ लसी केनयम और शत म प रवतन केलए कह सकते ह।• यह बीमा कं पनी और बी मत दोन क सहम त के अधीन है । • आम तौर
पर ी मयम जमा करने के मोड , नाम व् पते  म प रवतन, DAB या PDB आ द के अनु दान केलए अनु रोध  जै
सेकुछ साधारण प रवतन को  छोड़कर पा लसी
म  1 वष के दौरान प रवतन क अनु म त नह द जाती है ।
प रवतन के मुय कार जनक अनु म त द जाती है : 1. बीमा या अव ध के कुछ वग म प रवतन [जहां जो खम बढ़ा नह है ] 2. बी मत रा श म कमी 3. ी मयम
के भुगतान क व ध (mode)  म प रवतन 4. पा लसी के   ारं
भ होने क त थ म प रवतन5. पा लसी को  दो या दो से अ धक म वभा जत करना 6. एक
अतर ी मयम या तबं धा मक धारा का हटाया जाना।7. नाम म सु धार भुगतान केलए नपटान वक प और  दावे और दोहरी   घटना लाभ के अनु दान ।
अ याय 15  हामीदारी (Underwriting)
1. A) हामीदारी: – आधारभू त अवधारणाएं
कसी ताव को वीकार कया जाए या नह ,  ताव क जानकारी और बीमा कं प नय क आव यकता पर नभर  होती है तथा यह बीमा कं प नय क यह
या हामीदारी (underwriting)  के प म जानी जाती है ।
1. i) हामीदारी उ े य
2. a) बीमा कं पनी केहत केखलाफ तो कोई ताव नह है तथा उसे रोकना ।

9
ख) जो खम को वग कृ त करना और जो खम के बीच इ वट सु न त करना । जो खम के बीच इ वट यहाँ उन आवे दक को इं गत करता ह जो  समान जो खम
उठाते ह और साथ म वग कृ त होते ह और समान   ी मयम ले ते(चाज) करते ह.
1. ii) जो खम वग करण –
2. a) तरीय जीवन – वे आवे दक / तावक जनक मृ युदर मानक आव यकता के अनुसार मानी जाती है ।
3. b) वरीयातापू ण जीवन – वे आवे दक / तावक जनक मृ यु दर काफ कम होती है और उनसे कम ी मयम चाज कया जा सकता है ।
4. c) उप – तरीय जीवन – वे आवे दक / तावक जनक मृ यु दर तरीय जीवन से काफ उ च होती है पर तु बीमयो य होती है । उनसे अतर ी मयम
चाज कया जा सकता है ।
5. d) उपेत जीवन – वे आवे दक / तावक जनक मृ यु दर काफ उ च होती है और बीमयो य होती है । उनसे अतर ी मयम चाज कया जा सकता है ।
iii) चयन या – हामीदारी क चयन या दो तर पर होता है ।
1. a) फ ड तर (या) ाथ मक तर – इसम एजट के मा यम से तावक क जानकारी एक क जाती है । इस लए एजट को भी ाथ मक underwriters
के प म माना जाता है । वह यह नरी ण करता ह क या तावक ारा द गई जानकारी सच है या नह य क वह तावक के साथ सीधे संपक म होता है। वह
उनक गोपनीय जानकारी जै से का   वसाय, आय, व ीय थ त आ द क रपोट भे जता है।
ख) वभागीय तर – कायालय तर पर एक वशे ष जो एक आं कड़ को पहचानने और इस ासं गक डे टा पर वचार करने म द होता  है । यह फैसला
करता हैक ताव को वीकार कया जाय या नह । इन वशे ष को हामीदार के नाम से जाना जाता है।
1. iv) हामीदारी का नणय –  ताव को वीकृ त या खा रज करने केअलावा हामीदार के पास न न व भ वक प इस कार ह।
2. a) साधारण दर पर वीकृत – यह सबसे आम कार का नणय है जहां ताव समान ी मयम पर वीकार कया जाता हैय क यह मानक जीवन केलए
लागू होता है।
3. b) अ त र दर (ईआर) पर वीकृत – इसम उप तरीय जीवन केलए अ त र ी मयम चाज करना शा मल है ।
4. c) धारणा धकार के साथ वीकृत – यह एक कार से बी मत रा श पर अ धकार है । इससे संकेत मलता हैक अगर एक पा लसी धारणा धकार के तहत
वीकार क जाती है और य द तावक क धारणा धकार अव ध के दौरान मृ युहो जाती है , तो नामांकत को बी मत रा श कम ा त होती है । धारणा धकार कु ल
अव ध के 1 / 3 अव ध केलए सामा य प से लागू होती है

5. d) गरावट या थगन – य द उपरो शत म से कोई भी तावक के अनुकूल नह है अथात वे ब त तकू ल ह और वहाँ सु धार क उ मीद ब त कम है तो
ऐसे मामल पर   नणय न त समय अव ध केलए थ गत कर दया जाता है ।
हामीदारी म रे टग कारक: –
i) म हला बीमा – म हला का बीमा व भ कारक जै सेआय ोत ( वयं क , उ रा धकार सेा त), गभाव था क सम याएं ; नै तक खतरे – घरेलूहसा पर
नभर करता है ।
ii) नाबा लग – नाबा लग का बीमा माता­ पता क मता पर नभर होता है उनक शारी रक काया ठ क सेवक सत होनी चा हए; प रवार का उ चत इ तहास एवं
माता पता पया त प से बी मत होने चा हये

iii) बड़ी बी मत रा श – बड़ी  बी मत रा श से संदेह म वृ होती है । आम तौर पर बी मत रा श  वा षक आय से  10­12 गु न ा अ धक हो सकती है ।
iv) आयु – अ धक आयु समू ह केलए बीमा यो यता पर यान सेवचार कया जाता है । य क नै तक जो खम क सं भावना ब त अ धक होती है । इस सं दभ म
कु छ वशे ष रपोट बनाई जा सकती है ।
v) नै तक जो खम – इसम एक क व ीय थ त, जीवन शै ली, आदत , त ा, मान सक वा य और उसके इराद के प म कया जा सकता है ।
vi)  ावसा यक जो खम – जो खम वाले ावसा यक काय से संब लोग केलए बीमा घटना हो सकती है । ये वसाय ह – ाइवर / सकस कलाकार /
टंटमैन; वा य े – रासाय नक कारखाने के कमचा रय / परमाणु संयं/ गहरे समुके गोताखोर; नै तक – आपरा धक दमाग / रात के   लब म काय करने
वाले कायकता।
vii) जीवन शै ली और आदत  – शराब पीना और धूपान।
viii) गैर­ च क सा हामीदारी: – अ धकतर ताव को बना   च क सा परी ा आयो जत कए वीकार कर लया जाता ह। ऐसे मामल को गै र च क सा ताव
के प म माना जाता है । ताव फाम म दत सू चना के अनुसार ऐसे  मामल को  गै र­ च क सा के मामले के तहत बीमा कराया जाता है ।
गै र च क सा हा मदार (underwriting) केलए शत – कु छ े णय क म हला जै स,ेकामकाजी म हलाएं  इसकेलए यो य हो सकती ह।
बी मत रा श क आयु क ऊपरी सीमा जै से5 लाख से ऊपर के मामल म च क सा प र ण से गुजरना पड़ सकता है ।
उ का वे श तर­  40­45 साल क उ से ऊपर के तावक् को च क सा प र ण क ज रत अ नवाय हो सकती है ।
पॉ लसी क अव ध­ बीमा कं पनी  20 साल क अव ध, 60 वष क आयु तक या प रप वता तक  अव ध को सी मत कर सकती है ।
जीवन का तर – काय ेको दे खतेए बीमा कं पनी च क सा केलए कह सकती है ।
vi)  च क सा हामीदारी: – वेच क सा कारक जो हामीदार (underwriter) केनणय को भा वत करगे ।
वे अ सर एक च क सा परी क क रपोट मां गते ह।
कारक शा मल ह
प रवार का इ तहास –  तावक के प रवार के इ तहास को समझने केलए तीन ब पर वचार कया जा सकता है ।
आनु वंशकता –  कु छ बीमा रयां एक पीढ़ सेसरे म थानात रत  हो जाती ह।
प रवार क औसत द घायु  – माता­ पता क कसर, दल क बीमारी से ज द मृ युहो जाना।
पा रवा रक वातावरण – वातावरण जसम प रवार रहता है ।
1. ii) गत इ तहास – यह मानव शरीर क व भ णा लय से संब हैजनका सामना तावक को करना पड़ा सकता है ।
iii)  गत वशे षताएं –
शरीर  – एक उ और ऊं चाई केलए एक मानक वजन नधा रत है ,  अगर मानक वजन ब त अ धक है या ब त कम है तो इस तरह के ताव क जां च क जानी
चा हए।
र चाप – यह एक और सं केतक ह जो   के शारी रक वशे षता को बताता है ।
औसत नाड़ी क दर 72 हो सकती है और 50­90 के बीच हो सकती है  ।
मू­ व श गुव क जाँ च –  का मूशरीर म लवण क मा ा  को इं गत करता है । इसक खराबी को व भ परी ण के मा यम से जांचा जा  सकता है ।
अ याय 16 :   जीवन बीमा पॉ लसी के तहत भु गतान
दावा:
दावा एक मां ग है   ज ह एक बीमा कं पनी ारा अनु बधंम कए गए  वाद के अनु सार  पू रा करना चा हए

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A) दाव के कार और दाव क या :
1) जी वत् रहने पर  दावा – यह वह दावा है जो बी मत को जी वत रहने पर ा त ओता है ।
2) मृ युका दावा – यह बी मत क मृ यु हो जाने पर देय दावा है

दावा क या तब मानी जाती है जब
i) जी वत रहने पर दावा  नधा रत शत के अनु सार हो ।
ii) प रप वता दावे और धन वापसी दाव  को नधा रत त थ के आधार पर नपटाया जाना चा हए।
iii) समपण मूय वे दावे ह जो बी मत ारा लए गए नणय के आधार पर दए जाते ह।
iv) गं भीर बीमारी के दावे  च क सा और अ य रकॉड के आधार पर कए जाते ह।
पॉ लसी क अव ध के दौरान कए गए भु गतान:
i) जीवन रहने पर लाभ भु गतान – पॉ लसी अव ध के दौरान न द समय पर बीमा कं पनी ारा नय मत अं तराल पर कए गए भु गतान।
ii) पॉ लसी का समपण – पा लसी अनु बधंको रोकने केलए पॉ लसी धारक ारा लए गए वैछक नणय । बी मत को दे य बीमाकृत रा श को समपण मूय कहा
जाता है ।
iii) राइडर लाभ –   नयम और शत के अनु सार वशे ष न द घटना पर बीमा कं पनी ारा कया गया भु गतान। पा लसी राइडर लाभ  भु गतान ा त के बाद भी
पा लसी जारी रहती है ।
iv) प रप वता दावा – बीमा पॉ लसी क पू री अव ध के प ात य द बी मत जी वत रहता है तो बीमा कंपनी को उसे भु
गतान करना पड़ता है । प रप व ा के
दावे का भुगतान करने के बाद बीमा अनु बधंसमा त हो जाता है ।
v) मृ यु
 दावा – य द बीमा पॉ लसी क अव ध के दौरान घटना या अ य कारण से बी मत क मृ युहो जाती है तो, बीमा कं पनी बी मत रा श, बोनस, आ द
नामां कत या assigneee या कानू न ी वा रस को भु गतान करना पड़ता है ; इस तरह के भुगतान को मृ यु दावा के प म जाना जाता है । इस कार अनु बध

समा त हो जाता है ।
a) शी मृ यु का दावा – पा लसी ारं भ होने के 3 वष के भीतर कया जा सकता है
b) शी मृ यु न होने पर दावा – पा लसी ारं भ होने के 3 वष के भीतर कया जा सकता है ।
नामां कत ारा तु त कया जाने वाले द तावे ज – दफ़नाने या दाह सं कार के माण प ; इलाज कर रहेच क सक के माण प ,  अ पताल के माण प ;
नयो ा के माण प ;   घटना के मामले म पु लस क रपोट,  नगर नगम ा धकारी ारा जारी मृ युमाण प ।
B) मृ युदावे का प र याग – अगर बीमा कं पनी को लगता हैक तावक ने कोई भी गलत जानकारी द थी या पा लसी से स बं धत ासं गक त य को दबा दया
था , तो ऐसे म अनु बधंसमा त/शू य हो जाता है । पा लसी के तहत सभी लाभ वा पस लेलये जाते ह।
C) न ववाद खं ड – एक पा लसी जो 2 वष से चल रही है उसे गलत या झू ठ जानकारी के आधार पर ववा दत नह समझा जा सकता है । बीमा कं पनी को 2 वष
क अव ध के बाद एक पा लसी का प र याग करने केलए जाँ च करनी होगी।
D.)  मृ तक मानना  – भारतीय सा य अ ध नयम 1872  मृ युसे संब है, इस अ ध नयम के तहत य द कसी के बारे म 7 वष से कुछ सुन ा नह गया या उसे
देखा भी नह गया तो  उसे त मान लया जाता है
 मृ । यह आव यक है जब तक अदालत मृ युके बारेम फैसला नह दे त ी तब तक ी मयम का भु गतान कया जाना
चा हए।
E) जीवन बीमा पॉ लसी केलए दावा या–
यह आईआरडीए व नयमन 2002 (पॉ लसी धारक केहत के सं र ण) म शा मल है ।
बीमा कं पनी   ाथ मक द तावे ज मां गती है , जो सामा य प से आव यक ह।
कसी भी कार का या अ त र द तावे ज  क आव यकता हो तो 15  दन  के भीतर मांग ी जा सकती है ।
एक दावे का भु गतान 30 दन   के भीतर कया जाना चा हए या य द कोई ववाद हो तो उसक सू चना भी इतनेदन के भीतर द जानी चा हए।
दावे का भुगतान कया जाना चा हए और य द कोई ववाद हो तो इसेशकायत करने के छह महीने  के भीतर सम त सां गत कारण दए जाने चा हए और कारवाही
पू री क जानी चा हए ।
य द दावा भु गतान केलए तै यार है
, ले कन उ चत पहचान क कमी के कारण उसका भु गतान नह कया जा सकता तो इस दशा म  जीवन बीमा कं पनी ऐसी रा श
को रोक ले ग ी  और अनु सू चत  बक के बचत खात क दर (सभी कागजात और जानकारी तु त करने के 30  दन के बाद  सेभावी) के अनुसार याज अ जत
करगी । य द दावे का  भु गतान देरी सेकया जाता ह तो बीमाकता को   याज क च लत दर से  2%  अ धक याज दया जाये गा
F) एजट क भू मका –
एक एजट नामां कत , कानून ी वा रस या लाभाथ को दावा प को सही प म भरने म हरसं भव से व ा दान करे ग ा और बीमा कं पनी के कायालय म तु त
करने म सहायता करे ग ा। दा य व का नवहन करने के अ त र , ऐसी थ त से स ावना भी उ प होती जससे एजट भ व य म बीमा ापार करने म या रे
फरल
ा त करने के अवसर ा त होते ह।

अ याय 17 – 21
वा य बीमा से
सं
ब  अवधारणाएं
वा य :
वा य सम त शारी रक, मान सक और सामा जक  प से   व थ रहना है न  क बीमारी का अभाव।
वा य श द “Hoelth” से   लया गया है जो शरीर क   व थता को  न द  करता है  ।
वा य के  नधारक
1. जीवनशै ली कारक: जीवन शैली कारक,  वे
 ह जो लोग  के   नयंण म होता है
 । उदाहरण के  लए: धूपान, स क  लत
2. पयावरणकारक: कु छ रोग पयावरणीय कारक  से  होते ह । उदाहरण; सुर त पे यजल,  व छता और पोषण आ द.
3. आनु वं शक कारक: रोग जीन के  मा यम से
 ब च  को माता- पता से   थानांत रत हो सकते ह।
वा य सेव ा के
  कार:
ाथ मक  वा य दे खभाल
ाथ मक  वा य दे खभाल डॉ टर , नस  और अ य छोटे    ली नक  ारा द  गई सेव ा  को संद भत करता है

11
कसी भी बीमारी के   लए  ली नक पर मरीज सबसे  पहले  संपक करता है , अथात   ाथ मक
वा य से व ा  दाता एक  वा य  णाली के  भीतर सभी रो गय  के   लए सं पक का पहला  ब  है ।
ाथ मक  वा य दे खभाल के  सरकारी और  नजी दोन  प   ारा  था पत  कये  जाती  ह।
सरकार  ाथ मक  वा य दे खभाल के  जनसं या के  आकार के  आधार पर  था पत करती  है  तथा ये क   कसी न  कसी  प म गां व  तर तक भी मौजूद ह।
1. मा य मक हेथके यर
मा य मक  वा य दे खभाल  च क सा  वशे ष   ारा  दान क  जा रही  वा य से व ा  को सं द भत करता है   जनका
 सामा यतया  रोगी के  साथ पहले  से  सं
पक नह  होता है ।
अ धकां शतः , मरीज  को  ाथ मक  वा य दे खभाल  दाता /  ाथ मक  च क सक ारा  मा य मक दे खभाल क  के  पास भे जा जाता है।
C. तीयक  हेथके यर:
तृत ीयक  वा य दे खभाल सलाहकार  वा य  वशे ष ता  ा त होते  ह , आमतौर पर आतं रक रो गय  के   लए होते
 है या उ ह   ाथ मक / मा य मक दे खभाल  दा
ता
ारा रे
फेर  कया जाता है  । जै स ेकसर  व ान (कसर उपचार), अं ग  यारोपण क  सु वधा, उ च जो खम गभाव था के   वशेष  आ द
भारत म  वा य  णा लय  को  भा वत करने  वाले  कारण:
 जनसांयक य या जनसं या से  सं
बंधत  वृय
 सामा जक  वृय
 जीवन  याशा
भारत म  वा य बीमा का  वकास
a) कमचारीरा यबीमा योजना:
ईएसआई अ ध नयम, 1948  ारा शु क  गई ।
सभी कायकता 15,000  पये  तक मज री कमाते  है को अं शदायी योजना के  तहत कवर  कया जाता है
जसम कमचारी और  नयो ा  मश:1.75% और  4.75% योगदान का अं शदान करते  है
 ; रा य
सरकार  च क सा  य का 12.5%  योगदान करते  ह।
कवर म शा मल लाभ ह:
1. ESIS म   न: शु क  ापक  वा य सु वधाएँ
2. मातृ व लाभ
3. वकलां गतालाभ
4. बीमारीऔर उ रजी वता के  कारण मज री के कसान के
 नु   लए नकद मु आवजा
5. कायकताक मौत के  मामले  म अं तम सं कार का खच
B) के यसरकार  वा य योजना:
1975 म ार भ क  गई . यह योजना  पशनस स हत क  सरकार के  कमचा रय  और  उनके  प रवार के  सद य  के   लए है  जो  स व लयन
नौकरी कर रहे  है।कमचा रय  से  योगदान काफ  नाममा  है , हालां क यह उ रो र  प से  वेतन से  जु
ड़ा है ।
वेतनमान :  त माह ­Rs.15  से  150  पये
इसम दवा क  सभी  णा लय , एलोपै थक  णाली म आपातकालीन से व ा ,  न: शु क दवा  , पै थोलॉजी और रे डयोलॉजी,
गंभीर  प से  बीमार रो गय  के   नवास पर जाने  ,  वशे ष   आ द को शा मल  कया जाता है ।
c) वा ण यक वा य बीमा:
1986 म, मे ड ले म पॉ लसी अ पताल म भत  के   लए एक सीमा वा षक  य तक  तपू त क  कवरे ज  दान करने  के   लए  पेश क गई थी
तथा इसम मातृ व, पहले  से मौजू द बीमा रय  आ द को शा मल नह   कया गया था।
नजी कं प नयां  वष 2001 म बाजार आई।
आज, भारतीय बाजार म 300 से  अ धक  वा य बीमा उ पाद उपल ध ह।
वा य बीमा बाजार:
1. बु नयाद  सं रचना:
2. लोक  वा य क : (पीएचसी)
3. यह रा ीय  तर, रा य  तर,  जला  तर और  ाम  तर पर सं चा लत होती है ।
4. आं गनवाड़ीवकस: (हर 1000 क  आबाद  म 1) पोषण पू रकता के   लए काय म और एक कृ त बाल  वकास से व ा योजना।
5. श तज म अटडट (ट बीए) और  ाम  वा य गाइड (रा य  म  वा य  वभाग क  योजना।
D) आशा मा यता  ा त सामा जक  वा य कायकता)  वयं सवेक , एनआरएचएम (रा ीय  ामीण  वा य  मशन)  वयं सवेक  के  तहत समुदाय  ारा चय नत काय
म।
उप–के :
थापना: 5000 क  जनसं या ( ामीण), 3000 क  आबाद  (पहाड़ी, जनजातीय और  पछड़े   े म )।
एक म हला कायकता और एक पुष कायकता।
ाथ मक  वा य के :
लगभग छह उप के  के   लए रे फरल इकाइया 30,000 जनसं या ( ामीण),
20000 क  आबाद  (पहाड़ी, जनजातीय,  पछड़े ) म बाहरी रोगी से व ाएं
    दान करती है
4­6  ब तरे
14 पै रा मेडकल कायकता
एक  च क सा अ धकारी
सामु दा यक  वा य क  :
4  ाथ मक  वा य के  के   लए रे फरल इकाइया
1 लाख क  आबाद  पर 30  ब तरे
एक ऑपरे शन  थये टर, ए स रे  मशीन, ले बर  म और लै ब ।
12
चार  वशेष : एक सजन,  फ ज शयन, / सू त./म हला डॉ टर, एक ब च  का  च क सक।
ामीण अ पताल भी  था पत  कए गए ह  और इसम उप  जला अ पताल  ज ह उप  भागीय / तालु क ा अ पताल l /  वशे षता वाले  अ पतालो के   प म (सम त
दे
श म लगभग  2000 होने  का अनु मान) जाना जाता है , भी शा मल है  ।
पेश लट  और  श ण अ पताल कम हे  ह और इनम  मे डकल कॉले ज शा मल ह,  जनक  सं या वतमान म लगभग300 है   और अ य तृ त ीयक रे
फरल के ह 
।इनम से   यादातर  जले  के क ब  और शहरी  े म है   और उनम से  कु छ ब त ही  वशे ष और उ त च क सा से व ाएं
  दान करते  है

नजी  े  दाता:
भारत का एक ब त बड़ा   नजी  वा य  े है   जो सभी तीन  कार क   वा य से व ाएं   दान करता है  ­ ाथ मक, मा य मक और तृ त ीयक।
भारत म एलोपै थक के   (एमबीबीएस और ऊपर) 77 % डॉ टर  नजी  े  म अ यास कर रहे  ह।
भारत म   वा य पर सम त खच का 75% से  अ धक   नजी  वा य  य खात  से   स ब  है  ।
अ खल भारतीय  तर पर  नजी  े म 82%   बा  रोगी आते  है और उनम 52% रोगी भत  होते  ह।
औषधीय उ ोग :
भारत म एक बड़ा दवा उ ोग है  , जो  1950 म 10  पये  करोड़ उ ोग से  बड़ा होकर वतमान म
55,000 करोड़  पये  का कारोबार ( नयात स हत) कर रहा है  । यह लगभग 5 लाख लोग  को रोजगार   दान करता है  तथा
लगभग  6000 से  अ धक इकाइय  म दवा का   नमाण होता है  ।
रा ीय औष ध मूय  नधारण  ा धकरण (एनपीपीए) – फामसी उ ोग हे त ुनयामक
बीमा  दाता:
बीमा कंप नया  वशे ष  प से  सामा य बीमा  े  कई  कार क   वा य बीमा से व ाये
  दान
करती ह।
म य थ :
1. बीमाम य थ: ये   गाठ  या कॉरपोरे ट्
स हो सकते  है और  वतं  प से  बीमा कं प नयां। के   लय काम करते   ह । दलाल  ाहक  का  त न ध व करता है  त
था एक या एक से  अ धक बीमा कं पनी के  लए काम करता है .
2. आम तौर पर बीमा एजट   गत  प से  काम करते  है , लेकन कु छ कॉप रे ट एजट् स भी हो सकते  है
। एजट  बीमा कं पनी का  त न ध व करते  ह। (एक जी
वन , एक सामा य या एक  वा य बीमा कं पनी।)
3. तृ त ीयप  का   व थापक:  दाव हे तुट पीए  को  बीमा कं प नय   ारा  व  पो षत  कया जाता है और उ ह  फ स के प म जो ी मयम का एक तशत
होता है
, पा रतो षक या शु क दान कया जाता है ।
4. बीमा वे ब ए ीगे टर: अपनी वे ब साइट और / या टे लीमाक टग मा यम से , वेर वपणन ारा , सामनेमलेबना तावक से तथा इ छु क तावक , जनके
साथ उनका  समझौता है से वे बीमा  कं प नय का ापार करते ह ।  वेतु
लना केलए इस तरह क बीमा कं प नय के उ पाद को द शत  भी करते ह।
5. बीमा वपणन कं प नयां : वे बाजार केलए लाइसस ा त य को नौकरी पर रखकर इस तरह के उ पाद का वपणन , वत रत और से व ा कर सकते ह।
6. अ य मह वपू ण सं गठन:
भारत बीमा व नयामक और वकास ा धकरण (IRDAI)
जनरल बीमा और जीवन बीमा प रषद
भारतीय बीमा सू चना यू रो।
वा य बीमा उ पाद का वग करण:
“ वा य बीमा वसाय” या “ वा य कवर” का अथ बीमा अनु बधंका भावी होना हैजसम बीमारी या  च क सा  लाभ या लं बे समय तक दे खभाल, या ा बीमा
और गत घटना कवर स हत च क सा, श य च क सा या अ पताल के य लाभ  का ावधान होता है ।
वा य बीमा उ पाद को मोटे तौर पर 3 े णय म वग कृ त कया जा सकता है :
1. a) तपू त कवर: इन उ पाद म व भ वा य बीमा बाजार होते ह और अ पताल म भत क वजह सेए खच हे तु वा त वक च क सा य का भु गतान
करते ह।
2. b) फ ड लाभ म शा मल होता है : इसे ” नकद अ पताल ” भी कहा जाता है । ये उ पाद अ पताल म भत क अव ध केलए त दन एक न त रा श का
भुगतान करते ह। कुछ उ पाद म एक न त सजरी लाभ भी शा मल होते ह।
3. c) गं भीर बीमारी को शा मल करना:
यह दल का दौरा, ोक, कसर आ द जै सी पूव नधा रत गं भीर बीमारी के होने पर भु गतान करने क एक न त लाभ क योजना है ।
ाहक वग के आधार पर वग करण:
a) खुदरा ाहक और उनके प रवार के सद य को गत कवर दे नेक पे शकश
b) कॉप रे ट ाहक , उनके समू ह के कमचा रय और समू ह और उनके सद य को कवर दे ना
c) रा ीय वा य बीमा योजना क तरह सरकारी योजना केलए बड़े पैमाने पर पा ल सय ारा आबाद के ब त गरीब वग को कवर करना
वा य बीमा म मानक करण पर आईआरडीए केदशा नदश:
इन दशा नदश म न न के मानक करण के ावधान ह:
1. आमतौर पर इ ते माल बीमा शत
2. गं भीर बीमा रय क प रभाषाएं
3. अ पताल म भत होने पर तपू त पा लसी म शा मल नह कए गए मद क सू ची
4. दावे फॉम एवं पूव ा धकरण यु फॉम
5. ब लग ा प
6. अ पताल क ड चाज समरी
7. ट पीए, बीमा कं प नय और अ पताल के बीच मानक अनु बधं
8. IRDAI ा त करने हेतु नई पा ल सय हे तु मानक फाइल और उपयोग ा प
हॉ पटल म भत होने पर तपू त उ पाद:
बे सक वा य बीमा पॉ लसी – मे ड ले म पॉ लसी।
मे ड लेम दे श म सबसे अ धक बकने वाला वा य बीमा है
अ पताल म भत तपू त उ पाद य को उस य से बचाते ह जो उ ह अ पताल म भत होने क थ त करने पड़ सकते ह

13
मे ड ले म पॉ लसी क मुय वशे षताएं:
1.अ पताल म भत होने पर य:
सम त खच का भु गतान नह हो सकता है और अ धकांश उ पाद उन खच को  प रभा षत करते ह जनम सामा य प से शा मल होते ह:
i.कमरा, रहने और न सग खच के प म अ पताल / न सग होम ारा दान कया जाता है । इसम  न सग दे खभाल, आरएमओ भार, चतु थ तरल पदाथ /
र आधान / इं जेशन लगाने का  शु क और इसी तरह के खच भी शा मल होते ह।
ii.इंटसीव  केयर यू नट (आईसीयू ) के य
iii. सजन,  एने थेट ट, च क सक, सलाहकार, वशे ष क फस
iv . एने थेट ट , , र , ऑ सीजन, ऑपरे शन थयेटर, श य च क सा उपकरण भार,
v.मे ड सन एवं दवाएं
vi.डाए ल सस, क मोथे रेप ी, रेडयोथेरे
पी
vii.  पेसमेकर, आथ पे डक यारोपण, इंा दय वा व त थापन, नाड़ी टट क तरह श य च क सा क या केदौरान यारो पत कृम उपकरण क
क मत
vii. ासं गक लैब और च क सा परी ण।
1. हॉ पटल म भत का खच (अं ग क लागत को छोड़कर) अं ग यारोपण के संबधंम दाता का खच
2. दै नक देखभाल क या (अ पताल म भत होने के24 घं टे
केभीतर) – नेश य च क सा, , के मोथे रपी, डायल सस
3. पू व और बाद म अ पताल म भत होने का य
4. पहले सेअ पताल म भत होने का खच : अ पताल म भत होने का खच जसम परी ण, दवा , डॉ टर क फ स आ द शा मल होता है । ऐसे
अ पताल म
भत से संबंधत य वा य पा लसी के अं
तगत कवर होतेह।
5. अ पताल म भत होने के बाद य: अ पताल म रहने केबाद, यादातर मामल म य रकवरी और अ य अनु वत कारवाई पर होता है ।
4) आवासीय अ पताल म भत   का य :  
लाभ आमतौर पर पॉ लसीधारक ारा यु नह कया जाता है , एक गत पा लसी  म घर पर च क सा उपचार करने और हॉ पटल म भत ए बना कए
गए य को पू रा करने का ावधान होता है ।
इस कवर म घर पर आमतौर पर तीन से पां
च दन  हे
त ुकये गए उपचार क लागत बी मत ारा वहन कया जाता है ।
इस कवर म कु छ ो नक बमा रय जै स,ेअ थमा, काइ टस, ो नक ने ैटस और नेाइ टक स ोम, डाय रया और आंशोथ, मधु मे
ह, मग , उ च र चाप,
इ लू एं
जा, खांसी और सद , बु खार आ द केलए आवासीय उपचार शा मल नह है ।
सामा य शा मल नह कयेवषय :
1. पू व से मौजूद बीमा रयां:“कोई हालत, बीमारी या चोट या संबं धत हालत जसके संके
त या ल ण पहले से थेऔर / या उसका नदान कया गया था  और / या
बीमा कं पनी ारा जारी क गई पॉ लसी ले नेके48 महीन से पहलेच क सा सलाह / उपचार ा त कया हो ।”  पहले सेमौजूद बीमारी शा मल नह – पा लसी
शु होने के48 महीने पहले ।अव ध ती ा: जै से
मो तया बद, ह का ो टेट अ तवृ, गु दा मेन ोर्
हा गया,  या फाई ो यो यो, ह नया, हाइ ोसेल , ज मजात
आं त रक रोग, नाल ण केलए गभाशय, बवासीर, साइनसाइ टस, प ाशय क पथरी हटाने , ग ठया, पथरी रोग, ग ठया और ग ठया, उ से संबंधत पु
राने
ऑ टयोआथराइ टस, ऑ टयोपोरो सस एक / दो / चार साल क अव ध क इं तज़ार अव ध जो  उ पाद पर नभर करता है ।

उपल ध  कवरे ज वक प : गत कवरे जफैमली लोटर टॉप­अप कवर या उ च घटाने यो य बीमा योजना:      एक वा य पा लसी के तहत कवर क
अ धकतम रा श एक ब त लं बेसमय केलए 5,00,000 पये रही ।जो  उ च कवर चाहते ह उ ह  दो पा लसी ले नेव दोगु
न ा ी मयम का भुगतान करने केलए
मजबू र कया गया। इससे   बीमा कंप नय ारा टॉप­अप पा लसी केवकास का माग श त हो गया जससे बी मत रकम केलए उ च और एक नधा रत रा श
(सीमांकन) के ऊपर कवर दान कया जाता है ।
व र नाग रक नी त:कवरे ज: 60 वष से अ धक उ के लोग को ।बीमा रा श: 50,000 पये से5,00,000 पए । वे श आयुयादातर मामल म 60 साल है
तथा इसे आजीवन पु नरार भ कर सकते ह।
फ ड लाभ कवर­अ पताल नकद, गं भीर बीमारी:1. अ पताल का दै नक नकद पा लसी : त दन रा श क सीमा – 1500 – 5000 त दन।भु गतान केदन
क सं या बीमारी से जु डी हैजसकेलए इलाज कया जा रहा है ।अ पताल का दै नक नकद नी त एक टडअलोन पॉ लसी के प म कु छ बीमा कं प नय ारा
संचा लत क जाती है ।
2. गं भीर बीमारी  से  स ब  पॉ लसी
गं
भीर बीमारी पा लसी एक  लाभ पा लसी है    जसम कु छ ना मत गंभीर बीमारी के
  नदान हे
त ु
एकमु त रा श का भु गतान करने का  ावधान होता है

यह बेची जाती है: एक  टडअलोन पा लसी के   प म या कु छ   वा य बीमा पॉ ल सय  म एक ऐड­ऑन कवर के    प म
कुछ  जीवन बीमा पॉ ल सय  म एक ऐड­ऑन कवर के    प म
गं
भीर बीमा रय  को कवर करने  के मामले म बीमा कंप नय  और उ पाद  म  भ ता है कन
, ले
सब म कु छ बात समान ह:
न द  गंभीरता का कसर
ती  रोधगलन
कोरोनरी धमनी क  सजरी
हाट वा व  त थापन
न द  गंभीरता से कोमा
वृक य  वफलता
ोक   जसके  प रणाम व प  थायी ल ण हो जाएं
मुख अं ग / अ थ म जा  यारोपण
म ट पल  ले रो सस
मोटर  यू
रॉन बीमारी
अंग  म  थायी प ाघात
बड़ी  घटना  के  कारण  थायी  वकलां गता
आयु  समूह:  21  वष से   ६५
14
ती ा अव ध: पॉ लसी के  लागू  होने  के  समय से  90  दन  के   लए।
जी वत्  रहने क  धारा/ख ड: बीमारी के   नदान के  बाद 30  दन।
45 वष क  आयु  अ धक हे
  से त ुकठोर मे डकल जां च होगी  ।
द घाव ध दे खभाल बीमा:
द घाव ध दे खभाल  का अथ है  उन लोग   क   गत  प से  दे
खभाल करना जो   बना सहायक के   वयं  क  देखभाल करने  म असमथ होते
 ह और  जनका  वा
य आगे  भी बेहतर नह  रहने  क  आशं क ा है ।
द घाव ध दे खभाल के   लए दो  कार क  योजना  ह:
क) पूव  व  पो षत योजना जो  व थ बी मत    ारा अपने  भ व य क   च क सा  य क  दे खभाल करने  के  लए खरीद  जाती है
, और
1. b) त कालज रतयोजनाये  जो एकमु त रा श  ी मयम  ारा खरीद  जाती जब बी मत को
लंब े
समय तक दे खभाल क  आव यकता होती है ।
भ व य आरो य पा लसी :
वष 1990 म  तु त क  गई ।
आयु :  25 साल से  55 साल
इस योजना म असाइनमट है ।
इस  पा लसी म  पू व मौजू द रोग  को शा मल नह करती है ।
गरीब  वग  के   लए  माइ ो बीमा और वा य बीमा:
जन आरो य बीमा पा लसी :
जन आरो य बीमा पा लसी क    वशे षताएं   न न ल खत ह:
a. यह पा लसी समाज के  गरीब वग  के   लए स ते   च क सा बीमा उपल ध कराने  के  लए बनाई गई है
b. इसम  गत मे ड ले म पॉ लसी क  तज पर  कवरे ज  कया जाता है । संचयी बोनस और च क सा जां च के  लाभ इसम  शा मल नह  होते
 ह।
c.यह पा लसी  य  और प रवार के  सद य  के   लए उपल ध है ।
d  आयु  सीमा पांच से  स र वष है ।
e. तीन महीने  और पां च वष से  कम उ  के  ब च  को कवर  कया जा सकता बसत  उनके   माता  पता को समवत  कवर उपल ध हो ।
f. त बी मत   क  बी मत रा श 5,000 तक ही सी मत है  और  ी मयम  न न ता लका के  अनुसार देय  होगा।
1. सावभौ मक  वा य बीमा योजना (UHIS):
यह पा लसी 100 या उससे  अ धक प रवार  के  समू ह  के  लए उपल ध है । अभी हाल ही म   गत   सावभौ मक  वा य
बीमा पा लसी को जनता के   लए उपल ध कराया गया था। इस पा लसी के  तहत लाभ ह ­ च क सा  तपू त,  गत  घटना कवर, वकलांगता कवर,
3. रा ीय  वा य बीमा योजना (आरएसबीवाई):
4. फैमली  लोटर आधार पर  त बीपीएल प रवार क कु ल बी मत रा श 30,000
5. पहले  से मौजूद बीमा रय  को कवर  कया जाना।
6. अ पताल म भत  से  संबं धत  वा य से व ा   और श य  च क सा जै सी सेव ा  का कवरे ज  ज ह   दन म दे खभाल के आधार पर  दान  कया जा सकता है

7. सभीयो य  वा य से व ा  के   लए कै शले स कवरे ज।
8. माटकाडके   ावधान ।
9. पहले औरबाद म अ पताल म भत  के   य  का  ावधान ।
10. त या ा 100 / –  पए का यातायात भ ा ।
11. के  और रा य सरकार बीमा कं पनी को  ी मयम का भु गतान करती है ।
12. बीमा कं पनी का चयन  त पध  बोली के  आधार पर रा य सरकार  ारा  कया जाता है  ।
13.  सावज नक और  नजी अ पताल  के  बीच लाभाथ  को चयन क  सु वधा ।
14. ी मयम 3:1 के  अनु प ात म के  और रा य सरकार   ारा वहन  कया जाएगा:
15. के  सरकार  त प रवार 565 / –  पये  क  अ धकतम रा श का योगदान करती है  ।
16. 750  पये स े
अ धक  ी मयम होने  पर   वा षक  ी मयम का 25    तशत रा य सरकार   ारा वहन  कया जाता है
17. लाभाथ को 30 / –  तवष पं जीकरण शु क / नवीकरण शु क के  प म भु गतान करना होता है  ।
18. रा यसरकार  ारा  शासक य लागत वहन  कया जाएगा।
19. इस उ े य हे
त ु  माट काड के   लए अ त र  60 / –  पए क  रा श  उपल ध होगी ।
20. दाव  का अनु सचूी म  नपटान ट पीए के  मा यम से  बीमा कं पनी  ारा  कया जाएगा।
धान मंी सु र ा बीमा योजना (PMSBY)
1.  यह बीमा  गत  घटना मृ यु और  वकलां गता   को कवर करता है  ।
2.  उ : 18 साल से   70 साल
3. बीमा रा श: 2,00,000
4.   ी मयम:  तवष 12 पए
5.  एक साल क  अव ध के   लए कवर ,  1 जू न से  31 मई तक
धानमंी जन धन योजना  (RMJDY)
1. जमा पर  याज ।
2. 1 लाख  पए का  घटना  बीमा कवर
3. यू
नतम शे ष रा श क  आव यकता नह  है ।
4. 30,000  पये  का जीवन बीमा कवर
5. भारत भर म पै स े का आसान  थानां तरण
6. सरकारीयोजना  के  लाभाथ  को  इन खात  म  य  लाभ अं तरण  मल जाएगा।
7. महीने केलए खाते  के संत ोषजनक काय सं चालन के  बाद, एक ओवर ा ट सु वधा क  अनु म त होगी
8. पशन, बीमा उ पाद  तक प ँ च ।

15
9. घटनाबीमा कवर
10. पए डे बट काड जो 45  दन  म कम से  कम एक बार इ ते माल  कया जाना चा हए
11. त घर से  केवल एक ही खाते   म, इसम म हला को वरीयता द  जाएगी, 5000  पए तक के  ओवर ा ट क  सु वधा उपल ध होगी
गत घटना कवर और  वकलां गता
वकलां गता के   कार है  जो सामा य  प से  पॉ लसी के  तहत कवर  कये  जाते  ह:
1. थाईपू ण  वकलां गता (PTD): का अथ है  जीवन भर के   लए पू री तरह से  अपं ग हो जाना
2. थायीआं शक  वकलां गता (पीपीडी): का अथ है , आं शक  प से  जीवन भर के   लए अ म बनना अथात
3. उं ग लय ,  पै र क  उं ग लय , फलां गे(phalanges) आ द का नु कसान।
4. अ थायी पू ण  वकलां गता (ट ट डी): अथात एक समय अव ध हे त ुपूरी तरह से  जीवन भर के   लए अ थायी  प से  अपं ग
बनना । कवर का यह खं ड हा न  वकलां गता क  अव ध के   दौरान आय के  नुकसान को कवर करने  से  स ब  है ।
अं डरराइ टग (हामीदारी)
हामीदारी जो खम चयन और जो खम मूय  नधारण क  एक  या है।
हामीदारी जो खम का  उ चत  प से  आकलन करने  और उन शत  पर  नणय ले न े
क  या है  जनके  आधार पर बीमा कवर दान  कया जाता है ।
अं डरराइटर का काय जो खम को वग कृ त करना है  और एक उ चत मू य पर  वीकृत क  शत का  फै सला ले न ा होता है । यह नोट करना मह वपू ण हैक जो खम
क वीकृत बी मत को भ व य हे तु दावा नपटान का वादा दे नेक तरह है । कारक जो बीमारी क सं भावना को भा वत करते ह : आयु, लग, आदत , वसाय,
पा रवा रक इ तहास, अतीत क  बीमारी या श य च क सा, वतमान वा य थ त।
हामीदारी (Underwriting) उ े य:i. चयन को रोकने से बचना जो बीमा कं पनी केखलाफ हो ii. जो खम को वग कृ त करना और जो खम के बीच इ वट
सु न त करना    जो खम क अव ध का चयन इसके ारा   जो खम के आकार के मामले म वा य बीमा केलए ये क ताव का मूयां कन करने और
उसके बाद तय कया जाए  क बीमा क अनु म त द जाय या नह , य द हाँ तो कस शत पर ,क या को दशाता है ।
तकू ल चयन (या एं ट सलेशन ) उन लोग क वृ त को करता है जो सं दे
ह करते ह  क उनक नु कसान  होने   क आशं क ा अ धक है और वे या म
लाभ पाने हेतुशी ता से बीमा ले ते ह।
जो खम वग करण:i. तरीय ( टैडड) जो खम: इनमे वे लोग शा मल होते ह जनक या शत णता (बीमार पड़ने क सं भावना) औसत होती है ।
ii.वरीयता वाले जो खम: ये वही लोग हैजनक   या शत णता औसत क तु लना म काफ कम है और इस लए  कम ी मयम चाज कया जा सकता है ।
iii.उप तरीय जो खम: ये वही लोग ह जनक या शत णता औसत से अ धक होती है , लेकन फर भी उ ह बीमायो य  माना जाता है । उ ह कु छ तबं ध के
अधीन उ च  (या अ त र ) ी मयम के साथ बीमा केलए वीकार कया जा सकता है ।
iv. इं क ार जो खम: ये वही लोग ह जनके दोष और या शत अ त र णता इतनी अ धक होती हैक उ ह बीमा  कवरे ज दान नह कया जा सकता है ।
हामीदारी या चयन या:नै तक जो खम या है :आयु , लग, आदत आ द जै से कारको को  भौ तक खतरा कहा जाता है इसके अलावा कु छ और भी हैजसे
बारीक से दे
खे जाने क ज रत है ।  यह   ाहक का नै तक जो खम है जो बीमा कं पनी को ब त महं ग ा सा बत हो सकता है ।
हामीदारी के बीमा के आधारभू त स ां त और उपकरण1. हामीदारी के मूल स ां त ह:A.  परम स ाव (Uberrima Fides) औरB.  बीमायो य हत2.
अं डरराइटर केलए उपकरण:
a)  ताव फाम:यह द तावे ज अनु बधंका आधार है जहां तावक केवा य और गत जानकारी से संबंधत सभी मह वपू ण जानकारी (जै स,ेउ , वसाय,
नमाण, आदत , वा य क थ त, आय, ी मयम भु गतान क जानकारी आ द) एक क जाती है ।
ख) आयुमाण: टडड आयुमाण : इनम से कु छ कू ल माण प , पासपोट, अ धवास माण प , पै न काड आ द ह।
अमानक आयुमाण: इनम से कुछ राशन काड, मतदाता पहचान प , कसी व र क   “घोषणा, ाम पं चायत का माणप आ द शा मल होते ह।
1. व ीय द तावे ज: लाभ उ पाद केलए तावक क व ीय थ त को जानना और नै तक जो खम को कम करना वशे ष प सेासं गक है ।
2. मे डकल रपोट: मे डकल रपोट क आव यकता बीमा कं पनी के मानदं ड पर आधा रत होती है , और आमतौर पर बी मत और कभी­कभी कवर क रा श पर
नभर करता है ।
1. ब क मय क रपोट: कं पनी हे त ुब क मय को भी जमीनी तर पर अं डर राइटर के प म दे खा जा सकता है .   उनके ारा  रपोट म द गई जानकारी
मह वपू ण हो सकती है ।
बीमा ेम बं धन दावाबीमा एक “वादा” है और पा लसी उस वादे का का  एक “ माण” है ।बीमा  बीमा कं पनी क दावा भु गतान करने क मता है ।
दावा या म हतधारक ाहक: वह जो बीमा खरीदता है तथा पहला  हतधारक और “दावे का ा तक ा ” है ।
वामी: बीमा कं पनी के मा लक जो दाव के भुगतान करते ह । यहां तक  क अगर दाव का नपटान पॉ लसी धारक   के धन सेकया जाता है , यादातर मामल म,
यह वे ह जो अपना वादा पू रा करने केलए ज मे दार ह।
अं डरराइटस: बीमा कं पनी के भीतर सभी बीमा कं प नय के भीतर अं डरराइटस का काम  दाव को समझना और उ पाद को डजाइन करना , पा लसी के शत व्  
नयम और मूय नधारण करना है
रेगलुटे र नयामक (भारतीय बीमा नयामक एवंवकास ा धकरण)  एक मु ख साझीदार है , इसके उ े य ह :बीमा वातावरण म व था बनाए रखना बीमाधारक
केहत क र ा करना  बीमा कं प नय के द घका लक व ीय वा य को सु न त करना।
तीसरे  प  के   शासक
से व ा म य थ  , जो वा य बीमा या करते ह उ ह तीसरे प के शासक के प म जाना जाता है ।
बीमा एजट / दलाल
बीमा एजट / दलाल न के वल पा लसी बे चते ह ब क उनसे यह भी अपेा क जाती है   क  वे   दावे क थ त म ाहक को से व ा दान कर।
दाता / अ पताल
वे यह सु न त करते ह  क  ाहक को दावा ा त करते समय एक आसानी का अनु भव हो , खासकर जब अ पताल ट पीए के पैनल  म हो तथा अ पताल म
भत करते समय भी बीमा कं पनी क से व ा उ म होनी चा हए।
बीमा कं पनी म दावा  बं धन क  भू मका
व भ बीमा कं प नय क वा य बीमा नु कसान का अनु प ात, 65% से 120% ऊपर तक तथा बाजार स चालन का य  100%  हा न के अनु प ात से
ऊपर  हो
सकता है ।
इसका मतलब यह हैक दाव के बं धन म उ म कार क हामीदारी प त और कु शल बं धन को अपनाया जाये ता क बीमा कं पनी और पॉ लसीधारक को
बे हतर प रणाम ा त हो।
1. वा य बीमा दाव  का  बं धन

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2. वा य बीमा  े म चु न ौ तयां: आम धारणा – “ वा य बीमा व थ लोग केलए नह है
वा य बीमा उ पाद के बारे म जाग कता का अभाव।
वा य दे खभाल वतरण णाली भारत म के वल  शीष 20 शहर पर यान क त करता है ।
व सनीय डाटा का अभाव
खरीदने केलए मूय सं वदे नशीलता।
कु शल दावा  बं धन यह सु न त करता है   क सही दावा सही   को सही  समय पर  ा त हो जाए ।
वा य बीमा म दावा  या:
एक दावा या तो बीमा कं पनी से सीधे या एक बीमा कं पनी ारा अ धकृ त थड पाट एड म न े टर (ट पीए) ारा कया जा सकता है
दावा  या को मोटे  तौर पर  न न ल खत चरण  शा मल होते  ह :
a) सू चना
दावे क  सू चना  ाहक और दावे   नपटान ट म के  बीच सं पक का  थम उदाहरण है । 
ाहक बीमा कं पनी को सू चत कर सकता है    क वह एक अ पताल म भत  होने  या लाभ उठाने  के   लए योजना बना रहा है  .
वशे ष  प से  आपातकालीन  वे श के  दौरान यह सू चना  अ पताल म भत  होने  के  बाद द  जाती है
b) पंजीकरण
एक दावे  का पं जीकरण  णाली म दावे  को  वे श कराने   और सं दभ  सं या 
ा त करने   क   या है
  जसके   ारा दावे  के  म  कसी भी समय पता लगाया जा सकता है
 बारे  ।
यह सं या दावा सं या, दावा  सं दभ सं या या दावा   नयंण सं या कही जा सकती है । यह दावा सं या उन  सं करण  वाली
या    ारा इ ते माल के  आधार पर  यू मे रक या अ फा­ यू मे रक  णाली पर आधा रत हो सकती है  ।
c) द तावे ज के स यापन
एक बार जब दावा पं जीकृ त हो जाता है , अगला चरण  सभी आव यक द तावे ज  क  जाँ च करना होता  है  ।   दावा / तु
त /
संसा धत करने  के   लए  न न ल खत आव यकता  को  सं कृ त  कया जाना चा हए।
सबसे  मह वपू ण आव यकताएं ह:
1. बीमारीके  द तावे जी  माण
2. दान  कया जाने  वाला उपचार
3. आतं रक रोगी क  अव ध
4. जां च  रपोट
5. अ पताल को  कया गया भु गतान
6. उपचार के   लए आगे  क  सलाह
7. यारोपण आ द के   लए भु गतान का  माण
d)  ब लगजानकारी  ा त करना
 ब लग दावा  सं करण च  का एक मह वपू ण  ह सा है ।
  पं जीकरण और से व ा शु क स हत क , बोड और न सग का  य ।
  आईसीयू  और  कसी भी गहन दे खभाल क म आपरे शन  हे त ु
 शु क।
  ऑपरे शन  थये टर  भार, संाहरण, र , ऑ सीजन, ऑपरे शन  थये टर  भार, श य उपकरण , दवा  और दवा , नै दा नक साम ी और ए स-
रे
, डाय ल सस, क मोथे रे
प ी, रे डयोथे रे
प ी, पे
समे कर क  लागत, कृम अं ग क  खरीद और  कसी
भी  कार का  च क सा खच  जो आपरे शन के   लए अ भ  व मह वपू ण है। सजन, एने थे ट ट,  च क सक, सलाहकार और अ य  वशे ष  क  फ स।
 ए बु लस का शु क ।
 प र ण के  शु क  जसम खू न क  जां च, ए स-रे ,  कैन, आ द को कवर  कया जाता है
 दवाये  और  स
पैकेज दर
कई अ पताल  म कु छ बीमा रय  के  उपचार के   लए पै के ज क  दर  क   था है  ।यह अ पताल क   मता, उपचार  या और  तरीय सं साधन  के
 उपयोग पर 
आधा रत है  ।
हाल के   दन , रा ीय  वा य बीमा योजना के  मामले  म, पसं द दा  दाता के टवक म इलाज के
 ने   लए कई  या  म
लागत पै केज पहले सेही नधा रत कर  दया गया है ।
उदाहरण
क) का डएक पै के ज: एं जयो ाम, एं जयो ला ट , CABG या खु ल ेदय क  सजरी, आ द
ख) गयनाकॉलो जकल  पै के ज: सामा य  सव, सीजे रयन  सव, गभाशय, आ द
ग) ह ी रोग पै के ज
घ) ने  रोग का  पै केज
e) दाव  क  को डग
सबसे  मह वपू ण  यु  नधा रत कोड   व   वा य सं गठन (ड यू एचओ)
का है  जो  रोग   के  अंतरा ीय वग करण  (आईसीडी)  ारा  वक सत है   जब क
आईसीडी एक मानक कृ त  व प म बीमारी का पता लगाने हेत ु योग  कया जाता है ,  या कोड जै से
वतमान या श दावली (सीपीट ) कोड उस या  का पता लगाता हैजससे बीमारी को ठ क कया जाता है
f) दावे का सं करण
कसी भी बीमा पॉ लसी म दावा  सं करण का क ब , दो  मु ख सवाल  का जवाब दे न े
म है:
या दावा नी त के  तहत दे य है ?
य द हाँ , शु दे य रा श  या है ?
एक दावे  क   वीकायता
1. सद य अ पताल म भत  बीमा पॉ लसी के  तहत कवर  कया जाना चा हए
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2. बीमाक अव ध के  भीतर मरीज का भत होना
3. अ पतालक प रभाषा
4. आवासीय अ पताल म भत
5. अ पताल म भत  क  अव ध
6. ओपीडी
7. उपचार  या / उपचार क   दशा
8. पू व मौजू दा बीमा रयां
पूव मौजू दा बीमा रयांकसी भी हालत, बीमारी या चोट या सं बं धत हालात जसकेलए बी मत म पहले सं
केत या ल ण थे और/या वा य बीमा पा लसी
लेने सेपहले 48 महीने के भीतर च क सा सलाह / उपचार ा त कया था या उसका नदान कया गया,  चाहे उसेइसके बारे
म उसे पता था या नह ।
ारंभक ती ा अव ध
एक वा य बीमा पॉ लसी ( घटना सं बं धत अ पताल म भत छोड़कर) बमा रय को   ारं भक 30 दन के बाद शा मल करती है ।  इन बीमारय क सू ची इस
कार है – मो तया बद, , ह नया, हाइ ोसे ल, नाल ण, साइनसाइ टस, बवासीर, घु टनेया हप का बदलना – एक वष / दो वष / या एक वष से अ धक बीमा कंपनी
पर नभर करता है ।
ब ह करण (exclusions)पा लसी क सू ची म कु छ  ब ह करण ह ज ह सामा य प से इस कार  वग कृ त कया जा सकता है : मातृ व लाभ (हालां क यह कुछ
पा लसी म कवर कया जाता है ) बा और दं त च क सा उपचार। बीमा रयांज ह कवर नह कया गया जै सेएचआईवी, हाम न थे रे
प ी, मोटापे का इलाज, जनन
उपचार, कॉ मे टक सजरी, आ द। शराब/मादक पदाथ के सेवन क वजह से उ प रोग।
भारत से बाहर च क सा उपचारउ च खतरा वाली ग त व धयां ,  आ मह या का यास, रे डयोधम सं षणके वल परी ण / जां च के उ े य हेत ुवे श
g) अं तम दे य  दावा 1. पॉ लसी के तहत सद य केलए उपल ध बीमा2. पहले ही भुगतान कया गया दावे को यान म रखतेए पा लसी के तहत सद य केलए
शेष बी मत रा श  3. उपसीमा (Sub­limit)  – बी मत रा श क तशतता।4.. बीमारी केलए व श कसी भी सीमा को रोकना  5. यह जाँ च करना क सं चयी
बोनस के हकदार ह या नह ,6. सीमा के साथ कवर कए गए अ य य 7. सह­भु गतान
वा य के दावे म गैर­देय मद एक बीमारी के इलाज म कए गए खच को वग कृ त कया जा सकता है :इलाज केलए खच , औरदे खभाल केलए य।अं तम देय
दावे  का अनु मान/आकलन करने का  म इस कार है :
चरण I सभी बल और  रसीद क सू ची व भ मद के तहत जै से, कमरे का कराया, सलाहकार शु क, आ द
चरण II  ये क शीष म दावा कए गए गै र दे
य मद (item) क रा श को घटाना
चरण III ये क  य शीष हे तु कोई भी सीमा लागू करना
चरण IV कु ल दे य रा श नकालना और जां चना क या यह बी मत रा श के भीतर है
चरण V  शु दावा दे य रा श नकालने केलए कसी भी सह­भु गतान को घटाना
h) दावे का भु गतान एक बार दे य दावेक रा श का पता लग जाय तो उसका  भु गतान ाहक या अ पताल को कर दया जाता है   । अनु मो दत दावा रा श   
व /अकाउं ट वभाग को कायवाही हे त ुद जाती है और भु गतान  चे क ारा या ाहक के   बक खाते म  ह तांतरण के ारा कया जा सकता है ।
द तावे ज क कमी / अ त र जानकारी क आव यकता का बं धन  करना एक दावे के  सं करण म मह वपू ण द तावेज क   सू ची क जां च क आव यकता
होती है। य़े ह:• एड मशन ववरण के साथ ड चाज का  सारां श• जां च रपोट • व भ भाग म क ेअप के साथ अं तम समे कत बल• नु खे और फामसी के
बल• भु गतान ा त•दावा प • ाहक पहचानj )
दावे  से इनकार   वा य दाव के अनु भव बताते ह क तु त 10% से 15%  दावे पा लसी क शत   के भीतर नह आते ह । इसके कई  कारण हैजनम से कु
छ ह:
1. वे श क तारीख बीमा क अव ध के भीतर नह है ।
2. सद य जनकेलए दावा कया गया है शा मल नह ह ।
3. पूव सेव मान बीमारी के कारण (जहाँ पा लसी म ऐसी शत शा मल नह होती)
4. बना कारण बताये जमा करने म अनु चत देरी
5.  केवल जां च के उ े य सेभत , कोई स य उपचार नह 6. उपचार क गई  बीमारी पा लसी म  शा मल नह होती है ।.
7.  बीमारी का कारण अ कोहल और मादक का से वन
8 .  24  घं टे
  से कम हे तुअ पताल म भत होना
बीमा कं पनी के पास त न ध व के अलावा, ाहक के पास दावे के इनकार के मामले म न न ल खत के पास अपील करने का   वक प है :
बीमा लोकपाल या उपभो ा मं च
IRDAI या    यायालय ।
k) सं द ध दाव   हे तुअ धक व तृ त जांच   वा य बीमा म तब धोखाधड़ी के कुछ उदाहरण  ह: 
1. त पण, जस का इलाज आ है वह बी मत से अलग है ।
2. नकली द तावे ज ारा बना  अ पताल म भत ए दावा करना ।
3.  खच म वृ या तो अ पताल क मदद से या धोखे सेबाहरी  ोत सेबल क रा श म वृ ।
4.. नदान क लागत कवर करने हेतुआउट पे शट को आतं रक रोगी म बदलना / अ पताल म भत   करना , जो कु छ प र थ तय म यह लागत उ च हो सकती
है
।जाँ च के आधार पर दाव को दो तरीक के आधार पर  चु न ा जा सकता  है : नय मत दावे   और बढेए दावे
ट पीए ारा बना कै शले स/नकद नपटान क या
तीसरे प शासक या ट पीए का अथ है कोई जो IRDAI (तीसरे प शासक – वा य से व ाएं
) व नयम, 2001  के तहत लाइसस ा त है तथा वा य
के योजन केलए बीमा कं पनी ारा पा र मक दे कर नयु कया गया है ।
चरण 1 एक ाहक वा य बीमा के तहत कवर है और कसी  बीमारी से त है या उसे कोई चोट लगी ए है तो उसेअ पताल म भत होने क सलाह द जाती
है
।  वह (उसक ओर से कोई अ य)इस दशा म बीमा ववरण के साथ अ पताल  के बीमा डे क पर जाकर सं पक कर सकता है ।   उसेन न ल खत ववरण दान
करने ह गे :1. ट पीए का नाम,2. उसक सद यता सं या,3. बीमा कं पनी का नाम, आ द
चरण 2 अ पताल सम त  आव यक जानकारी एक करता  है ,  जैस:े
1. बीमारी नदान2. उपचार3. इलाज करने वालेडॉ टर का नाम,4. ता वत अ पताल म
भत केदन क सं या और5. अनु मा नत लागत. यह एक ा प म तु त कया जाता हैजसे  कैशले स ा धकरण फाम कहा जाता है ।
चरण 3 ट पीए कै शलस ा धकरण के प म उपल ध कराई गई जानकारी का अ ययन करता है । यह बीमा क शत के अनु सार अ पताल से सहमत ए शु क
स बं धत सू चना क जाँ च करता है और यह फै सला ले त ा हैक कै शले स ा धकरण दान कया जाए या नह य द हो तो कतनी रा श दान क जा सकती
है
।ट पीए कसी नणय पर प ं चने सेपहले और अ धक जानकारी केलए कह सकता है । एक बार नणय हो जाने के बाद , यह बना कसी दे री केअ पताल को
18
अवगत करा दे त ा है।दोन प को अब IRDAI  के   वा य बीमा मानक करण केदशा नदश के तहत मानक कृ त कया जा चु क ा है।
चरण 4  रोगी के खाते म ेडट के प म ट पीए ारा अ धकृ त रा श के अनुसार मरीज का अ पताल म  इलाज कया जाता है । सद य को पा लसी के तहत जो
इलाज नह है उसकेलए रा श जमा करने हे
तुकहा जा सकता है ।
चरण 5 जब रोगी को ड चाज कया जाता तो अ पताल TPA ारा अनु मो दत ेडट क जाँ च करता है । अगर ेडट कम होता है , तो हॉ पटल कै शले स इलाज
हेत ुअ त र रा श क मां ग करता है ।   ट पीए इसका   व ष ेण करता है और अ त र रा श को मं जूरी दे त ा है

चरण 6 रोगी गै र­ वीकाय शु क का भु गतान करता है और उसेड चाज कर दया जाता है ।  उसे दावा प और बल पर ह ता र करने केलए कहा जाता है ।
चरण 7   अ पताल सभी द तावे ज को समे कत करता है और बल के सं करण केलए न न ल खत द तावे ज को ट पीए को तु त करता है :1. दावा प 2.
ड चाज समरी / वे श केववरण 3. रोगी / तावक को ट पीए ारा जारी पहचान काड और फोटो 4.  अं तम समे कत बल 5.   व तृ त बल 6. जां च रपोट7.
  शन और फामसी केबल 8. ट पीए ारा भे जे गए अनु मोदन  प
चरण 8   ट पीए दावे को सं कृत करगे और न न ल खत ववरण क पु करने केबाद अ पताल को भु गतान केलए सफा रश करगे :   1. जस रोगी का
इलाज आ है वह वही हैजसकेलए अनु मोदन दान कया गया था। 2. रोगी का वही इलाज आ हैजसकेलए अनु मोदन का अनु रोध कया गया था 3. जो
बीमारी शा मल नह है उसके इलाज केलए खच नह दया गया। 4. वे  सभी सीमाएं जो अ पताल को सू चत क ग थी उं नका पालन कया गया ।5. अ पताल
के साथ सहम त वाले दर का पालन कया गया है , शु दे य रा श क गणना क जाये ग ी। ाहक को यह सु न त करना चा हए क उसके पास बीमा के सभी
कार केववरण ह।  इसम TPA काड, पा लसी कॉपी, कवर क शत शा मल है । बीमा कंपनी क ट पीए सेन न ल खत अपेाएं होती ह:
दाता नेटव कग से व ाएं
 ट पीए से अपेा क जाती हैक वह दे शभर म अ पताल के ने
टवक के साथ सं बध ंव सं पक बनाये , ता क बीमाकृ त य को वा य
स बं धत दाव केलए कै शले स दावा भु गतान उपल ध सु चा प सेकया जाय।
कॉल सटर से व ाएं ट पीए से अपेा क जाती हैक उनके पास आमतौर पर रात, स ताहां त और छुय केदन भी अथात 24x7x365  काम करने हेतु टोल
नंबर यु एक कॉल सटर होना चा हए।कॉल सटर का एक रा ीय टोल नं
बर होना चा हय और ाहक से व ा म  कमचारी होने चा हए तथा उन कमचा रय को
  मु ख भाषा ,  सामा य प सेाहक ारा बोली जानी वाले भाषा म संव ाद करने म स म होना चा हए। “कै शलेस सु वधा” का अथ उस सु वधा से हैजहाँ
बीमा कं पनी ारा पॉ लसी केनयम और शत के अनु सार भु गतान, उपचार क लागत पू व ा धकृ त अनु मोदन के अनुसार सीधे नेटवक दाता  को दान कर दया
जाता है ।
ट पीए पा र मक1. a) ाहक सेलए गए ी मयम  (से व ा कर को छोड़कर) का तशत 2. b) TPA ारा ये क सद य केलए न त रा श का एक नधा रत
समय अव ध केलए एक नधा रत रा श   3. c) ट पीए ारा दान क गई से व ा के ये क ले नदेन केलए एक न त रा श – जै से त सद य को जारी काड क
लागत, त दावा आ द
दावा बं धन – गत घटना गत घटना एक लाभ पा लसी है और घटना म मृ यु, वकलां गता ( थायी / आं शक), अ थाई पू ण वकलां गता को शा मल
करती है और वशे ष उ पाद पर नभर आक मक च क सा य, अं तम सं कार का खच, श ा के खच आ द को add­on कवरे ज करती है ।दावा बं धक को
सावधानी बरतनी चा हए और दावे क अ धसू चना ा त होने पर न न े क जां च करनी चा हए:a) जस ारा दावा कया जा रहा है वह पॉ लसी के तहत
कवर है b) अब तक पॉ लसी वै ध हैऔर ी मयम भरा आ है c) नुकसान पॉ लसी क अव ध के भीतर है d) हा न “ घटना” सेइ है न क  बीमारी से e) कसी
भी धोखाधड़ी को आं कना और ज री हो तो उसक जाँ च करनाf) दावे को पंजीकृ त करना और उसकेलए रजव बनाना g) प रवतन समय (turnaround time )
को बनाए रखना  (दावे का स व सग समय) और ाहक को  दावे केवकास के बारे
म सू चत करना ।
दावा ले खन – का मक घटना:मृ यु
  दावा
a. दावेदार/प रवार केकसी सद य ारा दावा गत घटना प पर व धवत ह ता र
b) थम सू चना रपोट (एफआईआर / पं चनामा / तहक कात पं चनामा क स या पत त ल प) क मू ल या स या पत त।
c) मृ युमाण प क मू ल या स या पत त।
d) पो टमाटम रपोट क  स या पत त
e) एएमएल द तावे ज (धनशोधन नवारण) क स या पत त ल प – नाम स यापन केलए (पासपोट / पै न काड / मतदाता पहचान / ाइ वग लाइसस)  पता
स यापन हे तु (टेलीफोन बल / बक खाते का ववरण / बजली बल/ राशन काड)।
f) कानून ी वा रस का हलफनामा और तपू त बांड यु माण प , दोन व धवत प से सभी कानू न ी उ रा धका रय और नोटरी ारा ह ता र कए गये ह ।
थायी पूण वकलां गता (PTD) और थायी आं शक वकलां गता (पीपीडी) दावा
a) दावेा त करने वालेारा व धवत गत घटना दावे दार ारा ह ता र कए गए ह
b) थम सू चना रपोट क स या पत तc) एक स वल सजन या कसी भी समक  स म डॉ टर ारा बी मत क   थायी वकलां गता मा णत करने सेसं

  वकलां गता माण प ।
अ थायी सम त वकलां गता (ट ट डी) दावा
a) इलाज कर रहे डॉ टर ारा   वकलां गता के कार एवं अव ध सेा त मे डकल माण प ; नयो ा ारा अवकाश क अव ध का ह ता र कए व सी ड
(sealed) ा त माण प ,
b) इलाज कर रहे डॉ टर ारा फटने स माण प
दावा बं धन­ वदे श या ा बीमा  बीमा पॉ लसी के तहत कवर को मोटे तौर पर न न वग म बां टा जा सकता है ।
a. मे डकल एवं बीमारी
b. यावतन और नकासी
c) गत घटना कवर
d) गत दा य व
e) अ य गै र च क सा कवर
f. या ा का र होना /करना
g. अपहरण कवरh  या ा म दे री
i ायोजक का सं र ण
j. या ा म कावट
k. अनु कं पा/दयालातापू ण  भट/या ा
l. म ड कनेशन m. अ ययन म कावट
n.  घर म चोरी
o. जाँच कए गये सामान क हा न
19
p. पासपोट क हा न
q.आपातकालीन अ म नकद
r. अपहरण भ ा
s. जमानत बां
ड बीमा

Test - 13

1. Q. उ मा फदे स (Uberrima Fides) का मतलब है एक बीमा अनुबधंकेलए हर पाट को सम त जानकारी का खु लासा करना चा हए।
2. Q. एक त य का उदाहरण जो जब तक बीमा कं पनी के ारा पू
छा न जाय खु लासा करने क ज रत नह आग बु झानेके उप थ त _है .
3. Q. लोकपाल के पास शकायत दज कराने केलए या कोई शु क / भार भु गतान करने क ज रत है कोई शुक भुगतान करने क आव यकता नह है
4. Q. TAT या है ? Turn Around Time
5.Q. अमल के पास एक बीमा एजसी का दनांक 01.05.2012 का लाइसस है. उसने 4/4/2015 को नवीकरण श ण शु कया था। श ण केलए उसक फ स
या होगी ? Rs.350/-
6. Q. न न म से कौन सा कथन दावे क अवधारणा का वणन करता है ? सबसे उपयु वक प चु न। दावा एक मां
ग हैजो बीमा कंपनी ारा अनुबधंम न द वादेके
अनुसार पूरी क जानी चा हए
7. Q. शंकर ने एक 10 साल का यूनट ल ड इं योरस लान खरीदा. य द वह पॉ लसी क प रप वता से पहले मर जाता है
, जो न न म सेया भु गतान कया जाएगा?
बी मत रा श से अ धक या फ ड मूय
8. Q. अमृ त ा गभवती है
। उसनेएक टम इं योरस कवर केलए आवे दन कया है । न न म सेवक प म से कौन सा अंडररायटर हेतुअमृ
त ा को बीमा क पे
शकश करने
केलए सबसे अ छा वक प होगा? सबसे अ धक सं भावना वाला वक प चु न। एक तबं धक खंड केसाथ वीकृत
9. Q. आप य सेनपटने केलए सही तकनीक न नानु सार हैसु
नना , वीकारना , जां
च, उ र और पु
20
10. Q. MWP अ ध नयम के
तहत त मलनाडु
म XYZ कं
पनी से
एक पा लसी ली गई ले
कन ट नयु नह कया गया। प रवार द ली आ गया । य द पा लसी के

तहत दावा द ली म कया जाता है


, तो इसका भु
गतान कहाँकया जाएगा ? त मलनाडु
केसरकारी यासी
11. Q. आवे दक को एक बीमा एजट बननेकेलए _50 घं टेका श ण आव यक है ।
12. Q. बीमा कं
पनी का पं
जीकरण माणप अं डररायटर केलए जानकारी का एक ोत नह है।
13. Q. सोने और चां
द के गहनेगृ
ह वा मय के बीमा म न न म से
कौन कवर नह है
14 Q. एक बीमा एजट या सम बीमा एजट के प म काय करने केलए __________ फ स लाइसस जारी / नवीकरण केलए ा धकरण को दे
य है
। 250

15. Q. न न ल खत म से कौन सा एक वै ध उपभो ा शकायत केलए आधार नह बन सकता ?   कानदार ारा ाहक को एक वग म से सबसे अ छा उ पाद
लेनेहे
तुसलाह नह दे ना
16. Q. एक कार बीमा पॉ लसी खरीदने सेजब तक एक भा यपू ण घटना नह होती लाभ का अनु भव नह कया जा सकता
17. Q. एक ‘यो य’ संभा वत्( ाहक) के संबधंम गलत कथन को पहचान। एक यो य सं भावना ( ाहक) वह है जो बीमा खरीदनेहे
तुपू
री तरह अहक होता है
18. Q. बीमा क खरीद पर आधा रत होती है : भय और चता
19. Q. कानदार बीमा म न न म सेकसे छोड़कर कवर कया जाता हैाहक ारा धन ावसा यक प रसर को ले जाना
20. Q. आवे दन ताव बनाने केलए इ ते माल द तावे
ज़ आमतौर पर ताव प के प म जाना जाता है ।
21. Q. क मेन बीमा एक ापार ारा बाहर ले जाया व ीय घाटा है जो क ापार के एक मह वपू ण सद य क मृ युया व ता रत अ मता से उ प होती हैक
ापार केलए तपू त करनेकेलए एक बीमा पॉ लसी के प म व णत कया जा सकता है ।
22. Q. बीमा अनुबध
ंम बीमा कं पनी ारा ‘ वचार’ से काया अ भ ाय है ? तपू त हे
तुवादा
23. Q. बीमा अनुबध
ंम जो ताव दे त ा हैवह तावक_कहलाता है और जो उसेवीकार करता है उसेबीमा कं
पनी काहते ह.
24. Q. आम तौर पर जीवन बीमा पा लसी का म ण है : संर ण और कर राहत
25. Q. कस कार के अनु
बध
ंम घटना का होना न त है पर इसका समय ात नह होता है ? जीवन बीमा
26. Q. बीमा कं
प नय को अपनेाहक क असली पहचान का नधारण करने क ज रत है । एजट को सु न त करना चा हए क तावक के वाईसी या के
ह सेके प म न न ल खत के साथ ताव फाम जमा कर: उ के माण, पते का माण फोटो
27. Q. न न म से कौन अ पताल केलए एक मापदं ड है ?

  10,00,000 से
कम आबाद वाले
क ब म कम से
कम 10 रोगी केब तरे
होना

  रो गय के
दैनक रकॉड रखना और बीमा कं
पनी के
अ धकृ
त क मय को इ ह सु
लभ बनाना

  अ य सभी थान म कम से
कम 15 रो गय केब तरे
होना

  ऊपर सभी

28 Q.एक पा लसी त मलनाडु म XY कंपनी सेMWP अ ध नयम के तहत ली गई थी , ले


कन ट नयु नह कया गया. प रवार द ली आ गया. य द दावा द ली
म कया जाता तो इसका भुगतान त मलनाडुके सरकारी यासी म कया जाएगा
29. Q.नी त द तावे
ज केसरे घटक, मानक ावधान से बना है
, जो आम तौर पर सभी जीवन बीमा अनु
बध
ंम मौजू द ह, जब तक क वशे ष प से अपव जत न कया
गया ।
30. Q. एक को अपनेप त और ब च के लाभ केलए MWP अ ध नयम के तहत एक पॉ लसी ली है
। प त या ब चे(बा लग), पॉ लसी धारक ारा नयु
कसी कोई भी , बक यहाँ ट हो सकता है
31. Q. द प धन सं चय उ पाद म नवेश करना चाहता है
। न न म सेकस उ पाद म उसेनवे श करना चा हए?  शेयर

32. Q.एक बीमा कं


पनी सेसरी कं
पनी म एजट के
लाइसस ह तां
तरण केलए या शत है
? एजट को ह तां
तरण से
एक महीने
पहले
स य होना चा हए

33. Q. बीमा अ ध नयम के अनु सार, एक एजट वह है जो अ ध नयम क धारा 42 के तहत लाइसस ा त है ,और बीमा केलए एक व े ता केलए अ धकृत है

34. Q. य वपणन म न न म सेया शा मल है ? मे
ल वपणन
35. Q. कमचा रय को तपू त बीमा को कमकार तपू त बीमा _ के प म भी जाना जाता है.
36. Q. बकाया ऋण का भु गतान: बी मत को कोई भी बकाया ऋण का भु गतान करना होगा और कोई मौजू द ऋण तता को बहाल करना चा हए।
37. Q. न न म से कौन पू व मृ युदावा के प म माना जाएगा? अगर पॉ लसी क अव ध के तीन साल के भीतर बी मत मर जाता है
38. Q. सं या मक व ध: इस व ध के तहत अंडरराइटस सभी नकारा मक या तकू ल कारक केलए सकारा मक रे टग अं
क आवं टत करता है
(कोई भी
सकारा मक या अनु कूल कारक केलए नकारा मक अं क)।
39. Q. वह पॉ लसी जसम वमान को नु कसान या त को शा मल कया जाता हैवमानन बीमा
Test - 12
1. Q.भारत म जीवन बीमा उ ोग को व नय मत करने केलए कौन सा अ ध नयम था? जीवन बीमा कं पनी अ ध नयम, 1912
2. Q.नीचेदए गए कथन म से कौन सा कथन घरे लूबीमा के बारेम सही है? एक नाम जो खम पा लसी (named peril policy) अ धक खतर को कवरे ज दान करने
वाली ापक कवरे ज पा लसी क अपेा कम वक प के प म खरीद जा सकती है .
3. Q.बीमा ेम पहचाने गए अनै तक वहार के चार मु ख ेह गलतबयानी, प ीकरण, बदलना, सलाह
5. Q. न न म से कौन सा इकाई आईआरडीए के दायरेसेछू ट ा त है? डाक जीवन बीमा
6. Q. म टर रॉय क 20 लाख क एक जीवन बीमा पॉ लसी थी । उनके आक मक नधन के बाद उनके प रवार नेबीमा कं
पनी सेदावा कया लेकन बीमा कं
पनी ने
उसे
खा रज कर दया। तब उ ह ने कोपा जला तर म याय केलए आवे दन कया। कोपा के फै
सलेसे नाखु
श होनेके कारण उ होनेलोकपाल म आवे दन. कया. या
लोकपाल इस मामले को सुनगेा ? नह , य क मामला कोपा म था
7. Q. ाकृतक बाजार म शा मल होते ह: – 1.एक जा त या समु दाय एसो सएशन के सद य,
2.एक चच म डली या एक स सं ग केसमूह केसद य
21
8. Q.सम बीमा एजट वे होतेह जनके पास एक जीवन बीमा कं पनी और एक सामा य बीमा कं पनी के एजट के प म काय करने केलए लाइसस होता है .
9. Q.स य कथन का चयन कर टडअलोन वा य बीमा कं प नयां जीवन बीमा एजट को सम एजट म बदल सकते ह। आईसी­38 माणीकरण पर, इस तरह के
एजट को 50 घं टे
क एक यू नतम अव ध केलए वा य बीमा पर एक आं त रक श ण काय म पू रा करना होता है
10. Q.बीमा लोकपाल क सीमा या है ? 20 लाख
11. Q. पू लग म अने क लोग से कुछ हे त ु तपू त केलए कई य सेी मयम एक त करना शा मल होता है ।
12. Q.भारतीय सं वदा अ ध नयम क धारा 182 के अनु सार, कसी तीसरे के साथ वहार करने केलए एक एजट कसी सरे केलए कोई काय करने
केलए या उसका त न ध व करने केलए कायरत होता है
13. Q.लाभाथ ारा दावे के सं करण क सु वधा केलए न न प को बीमा कं पनी के पास जमा कया जाता है
मृयुके माण के प म नगर नगम के अ धका रय आ द ारा जारी कए गए मृ युमाण प ,
पुलस रपोट क मा णत तयां जैसेथम सू चना रपोट (एफआईआर), जां च रपोट, पो टमाटम रपोट, अं तम रपोट जो घटना सेई मृ युके मामले म आव यक ह.
14. Q. न न ल खत म से कौन सा गृ ह वामी के बीमा म बीमा रा श तय करने का एक तरीका है ? बहाली मूय. बाजार मूय
15. Q. सं या मक व ध: इस व ध के तहत अं डरराइटस सभी नकारा मक या तकू ल कारक केलए सकारा मक रे टग अंक आवं टत करता है (कोई भी
सकारा मक या अनु कू ल कारक केलए नकारा मक अं क)।
16. Q. ाहक सं बध
ंम व ास पै दा करने केलए थम कु ंजी या है ? आकषण
17. Q.नाबा लग केलए बीमा पर वचार करने हे
त ुन न म से कौन सी थ त पर यान दया जाये गा ?
या प रवार का पया त प से बीमा है, प रवार का उ चत इ तहास और गत इ तहास
18. Q.जो खम के तीयक बोझ म लागत और तनाव होते ह तथा को हा न क थ त म उसे सहन करना पड़ता है ।
19. Q. न न म से कौन सा सामा य बीमा म ी मयम क गणना करने का एक कारक है ? एक हा न क घटना ( कसी बीमाकृ त खतरे क वजह से ) केकारण नु कसान क
सं
भावना
20. Q.जीवन बीमा पॉ लसी के संबधंम न न म से कौन एक दावा या है?
 दावेा त करने पर एक जीवन बीमा कं पनी बना कसी दे री के दावेपर कारवाई करे ग ी. कसी भी या अ त र द तावे ज क आव यकता ,
जहां तक  सभंव हो,दावे क ा त के 15 दन क अव ध के भीतर एक बार म उठाया जाएगा न क क क कर
 उप­ व नयम (iv) ारा कवर एक दावे के अलावा जहाँ बीमा कं पनी ारा दे री होती है, तो बीमा कं
पनी दावा रा श वतीय वष के ारंभ म बक से 2%
अ धक क दर से ाज भु गतान करे गी
 अ ध नयम क धारा 47 के उपबंध म जहां एक दावा भु गतान हे तुतै
यार है
, ले कन भु गतान ा तकता क एक उ चत पहचान केकसी भी कारण से
नह कया जा सकता, जीवन बीमा कं पनी ा तकता के लाभ केलए रा श रोक ले ग ी और इस तरह क रा श पर एक बचत बक खाते केलए लागू
एक अनु सूचत बक क ाज क दर (30 दन सेभावी सभी कागजात और जानकारी तु त करनेके बाद) दान क जाएगी.
21. Q.दावा एक मां ग हैजो बीमा कं पनी को अनु बधंम न द वादे के अनुसार करना चा हए.
22. Q.नामांकन बीमा कं पनी को असाइनमट पर लागू होता है ।
23. Q. ताव केतर म, कभी­कभी जब पा लसी को पू रा करने हे
तु अ त र सू चना क आव यकता होती है , या कया जा सकता है ?
 कंपनी एजट और सलाहकार को य या एजट के मा यम सेाहक को सीधे ही सू चत कर सकती है ।
 ाहक को औपचा रकता को पू रा करने और यहां तक   क वेय ज री ह केलए या सब समझाया जाता है .
24. Q.जो खम का बं धन करने केलए कौन से तरीके ह ? 1. जो खम म कटौती 2. जो खम धारण 3. जो खम से आनाकानी
25. Q. नामांकन के वल बी मत ारा अपनी ही पा लसी पर कया जा सकता है ।
26. Q. यामल अपने कारखाने के नाम पर एक बीमा ले न ा चाहता है । उसे ताव प म या ववरण दे न ा है?1. नामां
कन 2. उसेकस तरह का बीमा चा हए 3. वह
कौन है
27. Q. पॉ लसी नं बर नी त अनुबधंक अनू ठ पहचान सं या है ।
28. Q. नै तक जो खम एक सं भावना हैक जीवन बीमा पॉ लसी खरीदने केबाद ाहक का वहार बदल सकता है और इस कार के बदलाव से नुकसान क सं भावना
बढ़ जाएगी.
29. Q. न न म से कौन सा पा लसी नधारण का एक ह सा है ?
1. पा लसी क सं या­ जो पा लसी अनु बध
ंका एक व श सं या है
2. बीमा कंपनी का भुगतान करने का वादा. यह बीमा सं वदा का दय है
3. ी मयम भु गतान अव ध­ वा षक, अधवा षक, तमाही , मा सक, वे तन सेकटौती
30. Q.घो षत कए गए लाभां श को न न ल खत म से एक तरीके सेइ तेमाल कया जा सकता है :
1. ी मयम भु गतान अव ध­ वा षक, अधवा षक, तमाही , मा सक, वे तन से कटौती
2. समायोजन के प म और भ व य के ी मयम म कमी
3. यह नकद म लाभां श के प म भु गतान कया जा सकता
31. Q. न न म से कौन सी सरकार क सामा जक सु र ा योजना का एक उदाहरण नह है ?

  जन आरो य योजना

    जनता गत घटना

  राजीव गां
धी इ वट क म

  कमचारी रा य बीमा नगम


32. Q.एक नेअपने प नी और ब च के लाभ केलए MWP अ ध नयम के तहत एक पॉ लसी ली है
। यहाँ
1.प नी या ब चे(बा लग) 2. पॉ लसी धारक ारा
नयु कोई भी 3. बक सभी ट हो सकत है
33. Q.पा लसी द तावे
ज के तीसरेभाग म   व श पा लसी के ावधान है
जो गत पा लसी अनु
बध
ंकेलए व श है .येद तावे
ज़ के ार भ म मुत होते ह या
एक अनुल नक के प म अलग से संलगन होते ह.
34. Q. रयायती वतमान मूय: व भ प रसं प य से भ व य क आय धारा का आकलन करना और उ ह वतमान म नकाल ले ना
22
36. Q.एक मानक बीमा पॉ लसी द तावे
ज म न न म से
कौन सी सू
चना मानक ावधान अनु
भाग म होगी ? अ धकार और वशे
षा धकार और अ य प र थ तयां
जो
अनुबध
ंके तहत लागू
होते ह
37. Q.कै
सेएक प रसंप का एक आ थक मूय होता है ? आय सृजन करके

38. Q.जीवन बीमा कस कार सं भव है ? मृयुन त है लेकन इसका समय अ न त है


39. Q. न न म सेकौन सा वा य बीमा पॉ लसी केलए आम वजन (exclusion) है ?1. हाम न र ले समट 2. पूव मौजू
दा रोग ( ती ा अव ध केलए) 3. घर क
या ा केआरोप
40. Q.उ वृ के साथ ी मयम म वृ , व थ लोग अ व थ लोग को पीछे छोड़तेदखाई दे त ेतीत होते ह. इससे का वकास होता है : तर ी मयम
41. Q. नवेश जो खम_: एक तीसरी आक मकता नवे श जो खम सेउ प होता है – कसी क से व ा नवृ बचत क सं भावना बु रे
अंत न हत नवे
श के कारण
अपया त होती हैया समा त हो जाती है. यह देनदार डफ़ॉ ट केकारण या नवे श के बाजार मूय म गरावट से हो सकता है । फ ड गारं ट पशन ऐसी आक मकता
को र करने का एक तरीका है । बीमा कंपनी नवे श केजो खम को मान लेत ी है
.
42. Q. न न म से कौन सा एक कै शले स सु वधा ा त करनेकेलए एक पू व अपेत त य है ?
 कु छ बीमा कंप नय को अ पताल म भत होने से 48 घं
टे पहले अ धसू चत करना होता है
 या तो बीमा कं पनी ारा या कसी तीसरे प शासक ारा जारी कए गए काड को ने टवक अ पताल के सम तुत कया जाना
 बी मत को एक ने टवक अ पताल म जाना चा हए और इलाज करवाना चा हए

43. Q.वा ण यक अनुबधं म, स ां त मनाया जाता है


: ेता सावधान (Caveat Emptor)
46. Q.वतमान धन व ध म return (लाभ) कए गए नवे श पर नभर करता हैजसेनवे श केसमय सु
र त रखा गया था। इसे
खंड या नवे
श लॉक प त भी कहा
गया य क व भ नवे श लॉक अलग रटन ा त करते ह.

47. Q. न न म से कौन तपू त का एक अनुबध


ंनह है ? गत घटना
48. Q. म टर कु मार अपनेपु वजय के नाम पर अपनी सं
प ह तां
तरण करना चाहते ह, इसे
ए टे
ट योजना योजना के प म जाना जाता है
49. Q. न न मे सेकोन सा सही नह है
? जब MRI केअधीन लेम तु त कया जाता हैपै
सा कजदार को भु
गतान कया जाता है
और उसे वह ले
नदार को पु
नभु
गतान
करना पड़ता है.
50. Q. कागजी मूय व भ प रसं प य से भ व य क आय धारा का आकलन करना और उ ह वतमान म नकाल ले ना

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