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P.G.

S NATIONAL COLLEGE OF LAW,MATHURA


Paper Name- (Law Of Torts And Consumer Protection Including
Compehnsation Under Motor Vehicle)
Paper-III अऩकृत्म विधध Unit-
3
2011 (6)

प्र०-1 अऩरेख एवं अऩवचन को ऩरयबाषषत कीजिमे एवं इनभे अंतय कीजिमे !
भान हानी कामयवाही भें उऩरब्ध षवभबन्न फचावो का वर्यन कीजिमे I

इंगभरश षवधध-भुख्मतमा ऐततहाससक कायणों से ही इॊगसरश विधध भें भानहातन


की कामयिाहहमों को अऩभान रेख ( libel) औय अऩभान िचन ( slander) भें
विबाजजत ककमा गमा है । अऩभान रेख ऐसा अभ्मािेदन है जजसे ककसी स्थामी
स्िरूऩ अथात ् रेखन, भुद्रण, तस्िीय, प्रततभा अथिा ऩुतरे के रूऩ भें तनसभयत
ककमा गमा है ।

अऩभान िचन ककसी भानहातनकायक कथन का ऐसा प्रकाशन है , जजसका


स्िरूऩ अल्ऩकासरक है । इसके उदाहयण फोरे गमे शब्द अथिा सॊकेत हो सकते
हैं ।

अऩभान-रेख औय अऩभान िचन के फीच अन्तय स्थावऩत कयने का जो दस


ू या
भाऩदण्ड तनधायरयत ककमा गमा है , िह मह है कक अऩभान रेख का सम्फोधन
जहाॉ आॉखों को ककमा जाता है , िहीॊ अऩभान िचन का सम्फोधन कानों को
ककमा जाता है ।

ग्राभोपोन के तिे ऩय जजन फातों को असबरेखफद्ध ककमा जाता हैं, उसका


सम्फोधन कानों को होता है , आॉखों को नहीॊ, ऩयन्तु उसका स्िरूऩ स्थामी होता

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3
है । षवनपील्ड के अनुसाय मह असबरेखफद्ध फात अऩभान िचन है । रेककन
कुछ अन्म विद्िानों के अनस
ु ाय िह अऩभान रेख है ।

डडपाभेशन ऐक्ट, 1522 की धाया व्मिस्था कयती है कक फेताय का ताय सॊचाय


(Wireless Telegraphy) के भाध्मभ से शब्दों का प्रसायण स्थामी स्िरूऩ का
प्रकाशन भाना जामेगा ।

ककसी ससनेभा कपल्भ भें न केिर उसका धचत्रभम अॊश अऩभान रेख के रूऩ भें
भाना गमा है , ियन ् उसका िह सॊबाषण बी अऩभान रेख भाना गमा है जो
उसभें साभतमक ( Synchronise) ककमा गमा है । मुसुऩोक्क फनाभ एभ० िी०
एभ० षऩक्चसय भरभभटे ड के िाद भें भेट्रो गोल्डविन भेमय वऩक्चसय सरसभटे ड
नाभक एक अॊग्रेजी कम्ऩनी द्िाया प्रस्तुत की गई कपल्भ भें याजकुभाय नताशा
नाभक एक भहहरा का यै स्ऩुहटन नाभक एक तनकृष्ट चरयत्र के व्मजक्त के साथ
शीर प्रशात्भक अथिा फरात्सॊगी सम्फन्ध हदमा गमा था।

इॊगसरश विधध के अन्तगयत अऩभान रेख औय अऩभान िचन के फीच का


अन्तय दो कायणों से ताजत्त्िक है -

(1) दण्ड विधध के अन्तगयत केिर अऩभान रेख को ही अऩयाध के रूऩ भें
भान्म ककमा गमा है । अऩभान िचन अऩयाध नहीॊ है ।

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(2) अऩकृत्म विधध के अन्तगयत कुछ आऩिाहदत भाभरों को छोड़कय विशेष
ऺतत ससद्ध होने ऩय अऩभान िचन कामयिाही मोग्म फनता है । अऩभान रेख
सदै ि अऩने आऩ भें कामयिाही मोग्म है , इसके सरमे ककसी बी ऺतत का साबफत
ककमा जाना आिश्मक नहीॊ है ।

तनम्नसरखखत चाय आऩिाहदक भाभरों भें अऩभान िचन स्िमॊ अऩने आऩ भें
कामयिाही के मोग्म है । इन भाभरों भें विशेष ऺतत ससद्ध कयना आिश्मक नहीॊ
है (1) िादी ऩय दाजण्डक अऩयाध का आयोऩ रगाना।

(2) िादी ऩय ककसी छूत अथिा सॊक्राभक योग होने का आयोऩ रगाना, जजसके
ऩरयणाभस्िरूऩ सभाज के अन्म व्मजक्त िादी के साथ सहमक्
ु त होना सभाप्त
कय दें ।

(3) ककसी व्मजक्त ऩय मह आयोऩ रगाना कक िह जजस ऩद को धायण कयता


है , अथिा जजस िजृ त्त, उत्तभ, िाखणज्म अथिा व्माऩाय को चरा यहा है , उसभें
िह अऺभ, अमोग्म अथिा फेईभान है ।

(4) ककसी भहहरा अथिा फासरका ऩय अजस्तत्ि अथिा जायकभय का आयोऩ


रगाना बी अऩने आऩ भें कामयिाही मोग्म है । इस अऩिाद का सज
ृ न स्रैन्डय
ऑप िभ
ू ेन ऐक्ट, 1891 द्िाया ककमा गमा थाI

भानहानन के आवश्मक तत्व

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भानहातन अऩकाय की सॊयचना के तनम्नसरखखत प्रभुख आिश्मक तत्ि हैं

(1) कथन भानहातनकायक हो (The statement should be defamatory);

(2) कथन को िादी के प्रतत तनहदय ष्ट होना चाहहमे (The statement should refer
to the plaintiff);

(3) ऐसे कथन को प्रकासशत होना चाहहमे ( The statement should be


published)।

1. कथन का भानहाननकायक ( Defamatory) होना- भानहातनकायक कथन िह


है जजसकी प्रिजृ त्त िादी की प्रततष्ठा को ऺतत ऩहुॉचाना हो। भानहातन ककसी
कथन का िह प्रकाशन है जजसकी प्रिजृ त्त ककसी व्मजक्त को सभाज के ठीक
सभझने िारे सदस्मों के आॊकरन भें नीचा हदखराना हो, 8 मा जजनकी प्रिजृ त्त
ऐसे व्मजक्त के प्रतत सभाज भें घण
ृ ा उत्ऩन्न कयना अथिा सभाज के सदस्मों
को ऐसे व्मजक्त को िजयन अथिा उससे फचकय यहने को प्रिजृ त्त उत्ऩत्र कयना
हो। ऐसा कोई बी आयोऩ भानहातनकायक हो सकता है जो ककसी व्मजक्त ऩय
अऩमश, ततयस्काय, उऩहास अथिा अिभानना का अनाियण कयता हो । कोई
कथन भानहातनकायक है अथिा नहीॊ इस फात ऩय तनबयय कयता है , कक सभाज
के ठीक सभझने िारे व्मजक्त उस कथन को ककस रूऩ भें ग्रहण कयते हैं। इस
सम्फन्ध भें जो भाऩदण्ड रागू ककमा जाता है िह एक सभझदाय नागरयक का
मा एक औसत फुवद्ध िारे व्मजक्त का भाऩदण्ड होता है न कक ऐसे ककसी

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विशेष िगय के व्मजक्तमों का जजनके भूल्म अथिा भान्मताओॊ को साभान्मत्
सभाज के सभझदाय सदस्मों का अनभ
ु ोदन अथिा सत्काय नहीॊ प्राप्त होता I
कथन का सम्बाव्म प्रबाि महद िादी की प्रततष्ठा को ऺततग्रस्त कयता है तो
मह कहना प्रततयऺा के रूऩ भें स्िीकामय नहीॊ है कक िह भानहातन के सरमे
आशतमत नहीॊ था महद कथन के ऩरयणाभस्िरूऩ ककसी व्मजक्त के प्रतत
अिभानना, उऩहास, बम, अऩसन्द अथिा अिभल्
ू मन उत्ऩन्न होता है , तो िह
कथन भानहातनकायक है । भानहातन का सायतत्ि ककसी व्मजक्त के चरयत्र
अथिा उसकी ख्मातत की ऺतत है ।

एस० एन० एभ० आब्दी फनाभ प्रपुल्र कुभाय भहन्ता के िाद भें मह तनणयम
हदमा गमा कक मह आिश्मक नहीॊ है कक आयोऩ ऩूणय िक्तव्म िादी को सभाज
के प्रत्मेक व्मजक्त अथिा उससे ऩरयधचत प्रत्मेक व्मजक्त की नजय से धगया दे ।
भानहातन के सरमे इतना कापी है कक प्रकाशन ककमा गमा कथन िादी को
सभाज के ऩमायप्त प्रततजष्ठत िगय के आॊकरन भें नीचा हदखाए, चाहे िह िगय
ऩूये सभाज की तुरना भें कभ सॊख्मा भें हो।

उक्त िाद भें 8-9-1990 के Illustrated weekly of India के अॊक भें एक रेख
छाऩा गमा जजसभें असभ के ऩद से हटाए गमे deposed) भख्
ु मभॊत्री, प्रपुल्र
कुभाय भहन्ता, अनधु चत फर प्रमोग के आयोऩ रगामे गमे थे।

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अऩीर ने बी मही तनष्कषय तनकारा कक सभाचाय-ऩत्र के भाध्मभ से िक्रोजक्त
प्रकासशत की गई थी। प्रततिादीगण का प्रत्मऺ तनदोषऩन प्रततयऺा के रूऩ भें
स्िीकाय नहीॊ ककमा गमा। प्रततिादी उत्तयदामी ठहयामे गमे।)

कथन वादी के प्रनत ननर्दय ष्ट हों (The Statement should refer to the plaintiff)
भानहातन की ककसी कामयिाही भें िाद को मह ससद्ध कयना आिश्मक है कक
शब्द, जजनका उसने ऩरयिाद ककमा है , उसे तनहदय ष्ट थे। मह भहत्िऩूणय नहीॊ है
कक प्रततिादी का आशम िादी का भानहातन कयना नहीॊ था महद िे व्मजक्त,
जजनके फीच शब्दों का प्रकाशन ककमा गमा था, मुजक्तमुक्तत् मह अनुभान कय
सकते थे, कक िह कथन िादी को तनहदय ष्ट ककमा गमा था, तो उस जस्थतत भें
प्रततिादी उत्तयदामी होता है ।

हल्टन एण्ड कम्ऩनी फनाभ िोन्स के िाद भें प्रततिादीगण ने अऩने सभाचाय-
ऩत्र सण्डे क्रातनकर भें एक ऩरयकल्ऩनात्भक रेख प्रकासशत ककमा मह रेख
उनके ऩेरयस के सॊिाददाता द्िाया सरखा गमा था इस रेख की विषम-िस्तु भें
डीप्ऩ भें आमोजजत एक भोटय उत्सि का िणयन ककमा गमा था। इस रेख भें
एक काल्ऩतनक व्मजक्त आटे सभस जोन्स के चरयत्र की तनन्दा की गई थी, जजसे
ऩेखभ की चचय का िाडयन फतरामा गमा था औय उस उत्सि भें उसका
उऩजस्थत होना असबकधथत ककमा गमा था ।

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इस भानहातनकायक कथन के आधाय ऩय आटे भस जोन्स नाभक एक फैरयस्टय
ने प्रततिादीगण के विऩयीत िाद सॊजस्थत ककमा। उसके सभत्रों ने शऩथ ऩय मह
फमान ककमा कक उन्हें मह विश्िास हो गमा था कक मह रेख उसी ऩय
(आटे भस जोन्स फैरयस्टय) तनहदय ष्ट था। प्रततिादीगण ने मह असबिाक् प्रस्तुत
ककमा कक उनके द्िाया प्रकासशत रेख भें "आटे भस िोन्स' एक काल्ऩतनक
अथिा ऩरयकल्ऩनात्भक नाभ था। उन्हें िादी के फाये भें कबी बी कोई
जानकायी नहीॊ थी औय न ही उनका आशम िादी को फदनाभ कयना था।
प्रततिादीगण को इस तकय के फािजूद बी उत्तयदामी भाना गमा।

सद्भािऩूिक
य औय िादी को अऩभातनत कयने के ककसी आशम के बफना कामय
कयना प्रततयऺा के असबिाक के रूऩ भें भान्म नहीॊ है I मह तनखणयत कयने के
सरए की क्मा असबकधथत विषम िस्तु भानहातनकायक है अथिा नहीॊ मा मह
तनणीत कयने के सरए की क्मा िह िादी के सरए भानहातनकायक है अथिा
नहीॊ, रेखक का आशम ऩूणत
य ् सायहीन है I

3. कथन को प्रकाभशत होना चार्हमे (The statement should be published)

प्रकाशन का तात्ऩमय भानहातनकायक विषम-िस्तु को कुछ ऐसे अन्म


व्मजक्तमों की जानकायी भें राना है जो स्िमॊ िह व्मजक्त नहीॊ है जजसकी
भानहातन हुई है , औय महद ऐसा नहीॊ ककमा गमा है तो भानहातन की कोई बी

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कामयिाही नहीॊ हो सकती भानहातनकायक शब्दों का सॊसूचना िादी तक कयना
कामयिाही के सरमे ऩमायप्त नहीॊ है , क्मोंकक भानहातन एक ऐसी ऺतत है जो
ख्मातत के विऩयीत की गई है , औय ख्मातत अथा प्रततष्ठा अन्म कतयव्मों के उस
आॊकरन भें तनहहत यहती है , जो ऐसे व्मजक्त के सम्फन्ध भें अन्म व्मजक्त
धायण कयते हैं। अऩने टॊ कक को श्रत
ु रेख फोरना प्रकाशन के सरमे ऩमायप्त है ।
महद ऐसा श्रत
ु रेखन दे ना विशेषाधधकाय की कोहट भें आता हो I िादी के ऩास
भानहातनकायक ऩत्र बेजना भानहातन नहीॊ है महद कोई अन्म व्मजक्त गरती से
ऐसे ऩत्र को ऩढ़ रेता है , जो फादी की सरखा गमा है , तो उसके सरमे प्रततिादी
उत्तयदामी नहीॊ है ।जफ वऩता अऩने ऩत्र
ु का ऩत्र खोर रेता है . मा कोई
खानसाभा अऩने तनमोजक के भुहयफन्द ऩत्र को खोर कय ऩढ़ रेता है तफ मह
नहीॊ भाना जामेगा कक भानहातनकायक शब्दों का प्रकाशन प्रततिादी ने ककमा है
औय उसे उत्तयदामी नहीॊ भाना जामेगा।

िादी को बेजा गमा भानहातनकायक ऩत्र महद सम्बाव्मत् ककसी अन्म व्मजक्त
द्िाया ऩढ़ा जा सकता है , तो उसे प्रकाशन भाना जामेगा 18 भानहातनकायक
विषम िस्तु जफ ककसी ऩोस्टकाडय अथिा ताय भें सजम्भसरत यहती है , तो
प्रततिादी उसके सरमे उत्तयदामी है , चाहे बरे ही इस फात का कोई प्रभाण न
हो कक ककसी अन्म व्मजक्त ने उसे ऩढ़ा है , क्मोंकक डाकखाने के उस कभयचायी
द्िाया ऩढ़ा जाता है , तो उसका प्रसायण कयता है , औय प्रास कयता है , औय इसी
प्रकाय ऩोस्टकाडय के सन्दबय भें बी इस फात की फहुत अधधक सम्बािना यहती

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है कक िह ककसी न ककसी व्मजक्त द्िाया ऩढ़ सरमा जामेगा ककन्तु महद
ऩोस्टकाडय भें सजम्भसरत विषम िस्तु ककसी ऐसे अऩरयधचत व्मजक्त को सभझ
भें भानहातनकायक बािफोध उत्ऩन्न नहीॊ कयती, जो ऐसी ऩरयजस्थततमों से
ऩरयधचत नहीॊ है , जो ऩोस्टकाडय भें उजल्रखखत नहीॊ है , तो फह विषम िस्तु
भानहातनकायी नहीॊ भाना जामेगा, चाहे बरे ही उसे डाककमे अथा ककसी अन्म
व्मजक्त ने ऩढ़ा हो, जजनके हाथों भें िह ऩोस्टकाडय गज
ु या है ।50 इसी प्रकाय की
जस्थतत उस सभम बी होगी जफ िह विषम िस्तु ऐसी बाषा भें हो जजसे ऩत्र
ऩाने िारा व्मजक्त सभझता नहीॊ है , मा उसकी दृजष्ट इतनी कभजोय हो गई है
कक िह उसे ऩढ़ नहीॊ सकता मा फहया होने के कायण िह फोरे गमे शब्द सन

सकने भें बी असभथय है ।

जफ िादी को प्रेवषत ककमे गमे अऩभानकायी ऩत्र के साभान्म अनक्र


ु भ भें इस
फात की सम्बािना है कक िह ऩत्र जजसे बेजा गमा है , उसके सरवऩक। अथिा
उसकी ऩत्नी अथिा ऩजक्त द्िाया खोरा जा सकता है , तो उस सभम भानहातन
का अऩकाय फन जाता है जफ िह ऩत्र सरवऩक अथिा ऩत्नी मा ऩतत द्िाया
खोरा औय ऩढ़ा जाता है । ककसी ऩत्र का प्रकाशन उस जस्थतत भें बी होता है
जफ प्रततिादी मह जानता अथिा जान सकता था कक ऩत्र मद्मवऩ िादी को
बेजा गमा है , ऩयन्तु िह ककसी तीसये व्मजक्त द्िाया ऩढ़ा जा सकता है , अथायत ्
िह ककसी ऐसी बाषा भें सरखा गमा है , जजसे िादी नहीॊ जानता औय उसे िह
ऩत्र ककसी अन्म व्मजक्त से ऩढ़िाना ऩड़ेगा।)

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भहे न्र याभ फनाभ हयनन्दन प्रसाद के िाद भें प्रततिादी ने उदय ू भें सरखा गमा
एक भानहातनकायक ऩत्र िादी को बेजा। िादी उदय ू नहीॊ जानता था, अत: िह
ऩत्र एक अन्म व्मजक्त द्िाया ऩढ़ा गमा। मह धारयत ककमा गमा कक प्रततिादी
तफ तक उत्तयदामी नहीॊ हैं जफ तक मह ससद्ध नहीॊ कय हदमा जाता कक िह
ऩत्र उदय ू सरवऩ भें सरखते सभम प्रततिादी मह जानता था कक िादी उदय ू सरवऩ
नहीॊ जानता औय उसके सरमे मह आिश्मक हो जामेगा कक िह उस ऩत्र को
ककसी अन्म व्मजक्त से ऩढ़िामे।

अरुभग
ु ा भद
ु ाभरमय फनाभ अन्नाभराई भद
ु ाभरमय के िाद भें भद्रास उच्च
न्मामारम द्िाया मह धारयत ककमा गमा कक जफ दो व्मजक्त िादी से
सम्फजन्धत भानहातनकायक विषम-िस्तु से मुक्त ऩत्र सॊमुक्तत: सरखते हैं औय
उस ऩत्र को ऩॊजीकृत डाक द्िाया िादी को बेज हदमा जाता है तो िहाॉ मह
नहीॊ भाना जामेगा कक भानहातनकायक विषम िस्तु को एक अऩकृत्मकायी
द्िाया दस
ू ये अऩकृत्मकायी को प्रकासशत ककमा गमा है , क्मोंकक सॊमुक्त अऩकृत्म
के फीच न तो प्रकाशन का होना स्िीकाय ककमा जा सकता है औय महद इसकी
ऩि
ू य कल्ऩना नहीॊ की जा सकती तो मह बी स्िीकाय नहीॊ ककमा जा सकता कक
महद िादी को प्रेवषत ऩॊजीकृत ऩत्र ककसी अन्म व्मजक्त के हाथों भें ऩड़ जाता है
औय िह व्मजक्त उस ऩत्र को अन्म व्मजक्तमों की उऩजस्थतत भें ऩढ़ता है तो
मह ऩत्र को प्रकासशत कयना है ।

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2012-(5)

प्र०-2 संषवदा बंग की दशा भें संषवदा के ऩऺकाय को प्राप्त होने वारे उऩचायों
को स्ऩष्ट कीजिमे।

1. संषवदा-बंग के भरमे उत्प्रेयर् (Inducing Breach of Contract)

जानफूझकय औय बफना ककसी विधधक न्मामानुभतत के एक व्मजक्त को ककसी


दस
ू ये व्मजक्त के साथ की गई अिजस्थत सॊविदा बॊग के सरमे उत्प्रेरयत कयना,
जजसके ऩरयणाभस्िरूऩ ऐसा दस
ू या व्मजक्त ऺततग्रस्त होता है . एक
अऩकृत्मकायी कामय है मही रभरे फनाभ गाई। के िाद भें हदमे गमे तनणयम का
साय है । इसके ऩूिय स्िाभी उस व्मजक्त के प्रतत प्रततकूर कामयिाही कय सकता
था जजसने दोषऩूणय यीतत से उसको उसके सेिक को सेिाओॊ से िॊधचत कय
हदमा था, ऩयन्तु मह तनमभ अन्म सॊविदाओॊ भें रागू नहीॊ होता था रभरे
फनाभ गाईं इस तनमभ भें ऩरयितयन का एक भहत्िऩूणय केन्द्र बफन्द ु है औय
सॊविदा बॊग का उत्प्रेयण महीॊ से एक स्ितन्त्र अऩकृत्म के रूऩ भें भान्म हुआ
है । इस िाद भें जोहन्ना फैगनय, जो एक प्रससद्ध कक्रमाशीर गातमका थी, िादी के
तनसभत्त गाने की एक सॊविदा के अधीन थी। प्रततिादी ने उसे एक अच्छी
धनयासश का बुगतान कयके उत्प्रेरयत ककमा कक िह िादी के साथ अऩनी
सॊविदा बॊग कय दे औय प्रततिादी के सरमे गामे इसके सरमे प्रततिादी को
उत्तयदामी ठहयामा गमा।

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मह अऩकृत्म कई तयह से ककमा जा सकता है

(क) प्रत्मऺ उत्प्रेयर्ा द्वाया ( By direct inducement)- प्रततिादी द्िाया उत्प्रेयण


का कामय ककमा जाना आिश्मक है । इस तनसभत्त सॊविदा के एक ऩऺकाय को
अऩनी सॊविदा-बॊग के सरमे कुछ प्ररोबन हदमा जा सकता है , उदाहयण के सरमे,
ककसी सेिक को ऩरयरजब्धमों से अधधक दे ने का प्रस्ताि कयना जो कक िह
ककसी अिजस्थत सॊविदा के अन्तगयत ऩहरे से ही प्राप्त कय यहा है , अथिा
ककसी हातन की धभकी दे ना, महद िह सॊविदा को फनामे यखता है , उदाहयण के
सरमे उसे हड़तार की तफ तक के सरमे धभकी दे ना जफ तक कक िादी को
सेिा भुक्त नहीॊ कय हदमा जाता केिर ऩयाभशय का दे ना ही कामयिाही मोग्म
नहीॊ है महद कोई व्मजक्त धचककत्सीम ऩयाभशय के कायण अऩनी सेिा सॊविदा को
बॊग कयता है अथिा कोई फासरका अऩने भाता वऩता की सराह ऩय वििाद की
अऩनी सॊविदा बॊग कयती है तो धचककत्सक अथिा भाता वऩता के विरुद्ध सॊविदा
बॊग के उत्प्रेयण के तनसभत्त कोई कामयिाही नहीॊ की जा सकती। ककन्तु मह
सम्बि है कक ककसी जस्थतत भें िह व्मजक्त जजसने सेिा अथिा वििाह की
सॊविदा को बॊग ककमा है , िह स्िमॊ सॊविदा बॊग के सरमे उत्तयदामी हो।

(ख) कोई ऐसा कामय कयना, जिससे संषवदा का ऩारन वास्तषवकत: असम्बव हो
िामे-इस तयह के कामय का उदाहयर् है - सॊविदा का ऩारन तनिारयत कयने के

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उद्देश्म से उसके एक ऩऺकाय को िास्तविकत: तनरुद्ध कयना अथिा ऐसे
औजायों को हटा दे ना, जो सॊविदा के ऩारन के सरमे आिश्मक हों।

मह तनमभ कक सॊविदा बॊग का उत्प्रेयण एक अऩकृत्म है , तनप्र प्रततिन्धों से


मक्
ु त है -

(1) मद्मवऩ ककसी अिजस्थत सॊविदा बॊग का उत्प्रेयण एक अऩकृत्म है , ककन्तु


ककसी व्मजक्त को सॊककमा। प्रविष्ट होने से योकने के सरमे प्रेरयत कयना
अऩकाय नहीॊ है । ककसी व्मजक्त को विधधऩूणय ढॊ ग से ककसी विद्मभान सॊविदा
की सभाजप्त के सरमे प्रेरयत कयना बी अऩकृत्म नहीॊ है । ऐरन फनाभ प्रड का
िाद इस

प्रस्थाप्म का तनदे शक िाद है । इस िाद भें िादी को, जो ऩोत तनभायता थे, ऩोत
स्िासभमों द्िाया ऩोत ऩय कुछ रकड़ी का काभ कयने के सरमे तनमक्
ु त ककमा
गमा था ऩोत स्िासभमों की इच्छा ऩय इनकी सेिामें कबी बी सभा की जा
सकती थीॊ। अतीत की कुछ सशकामतों के कायण कुछ रौहकसभयमों ने इस ऩोत
ऩय िादी के महाॉ कामय कयने भें आऩजत्त की ओय अऩने प्रतततनधध (प्रततिादी)
द्िाया उन रोगों के ऩोत स्िासभमों को अऩनी चेतािनी प्रेवषत कय दी कक महद
िादी को तनमोजन से हटामा न गमा तो िे रोग हडतार ऩय चरे जामेंगे। िादी
की उसी हदन तनमोजन भुक्त कय हदमा गमा। िादी की सेिामें चूॊकक विधधऩूणय
ढॊ ग से सभाप्त की जा सकती थीॊ, अत: हाउस ऑप राईस ने मह धारयत

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ककमा कक प्रततिादी के भजस्तष्क भें चाहे जजतना बी विद्िेषऩूणय प्रमोजन यहा
हो, फादी उनके विऩयीत कामयिाही नहीॊ कय सकता था।

(2) ऐसे अनुफन्धों के बॊग का उत्प्रेयणा कामयिाही मोग्म नहीॊ है जो शून्म है ।


इस प्रकाय ऩणमभ अथिा फाजी सॊविदा (wagering agreement) के बॊग अथिा
ककसी सशशु के उस अनुफन्ध के बॊग का उत्प्रेयक कामयिाही मोग्म नहीॊ है जो
उत्ऩीड़क औय अमुजक्तमुक्त है ।

(3) सॊविदा बॊग का उत्प्रेयण जफ बफना ककसी न्मामानुभत के होता है तो


कामयिाही की जा सकती है । ऩयन्तु न्मामानुभत के साथ सॊविदा बॊग का
उत्प्रेयण एक अच्छी प्रततयऺा है । इस प्रकाय ब्राइभरो फनाभ कैसन के फाद भें
मह धारयत ककमा गमा था कक कराकाय सॊयऺण सभाज ( actor's protection
society) के सदस्मों द्िाया धथमेटय प्रफन्धक को िादी के साथ की गई सॊविदा
बॊग के सरमे उत्प्रेरयत कयना न्मामसम्भत था, क्मोंकक िादी अऩनी गामक दर
की गातमकाओॊ (chorus girls) को इतना कभ िेतन दे ता था कक िे वििश होकय
िेश्मािजृ त्त की शयण भें चरी गमी थीॊ। उस वऩता का कामय न्मामसम्भत है जो
अऩनी ऩुत्री को ककसी आिाया के साथ की गई वििाह की सॊविदा बॊग के सरमे
प्रेरयत कयता है ।

(4) तनमभ का एक अऩिाद ( इॊगसरश) ट्रे ड डडस्प्मूट ऐक्ट, 1906 द्िाया बी


सजृ जत ककमा गमा है । इस अधधतनमभ की धाया 3 के अनस
ु ाय " ककसी

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व्मिसाम-वििाद के धचन्तन अथिा अनुसयण भें ककसी व्मजक्त द्िाया ककमा
गमा कोई कामय केिर इस आधाय ऩय कामयिाही मोग्म नहीॊ होगा कक उस कामय
ने ककसी अन्म व्मजक्त को तनमोजन की सॊविदा बॊग के सरमे उत्प्रेरयत ककमा
है , अथिा मह कक िह कामय ककसी अन्म व्मजक्त के िाखणज्म, व्माऩाय अथिा
तनमोजन के साथ अऩनी इच्छा ऩय अऩनी ऩॊज
ू ी अथिा श्रभ के व्ममन के
ककसी अन्म व्मजक्त के अधधकाय के साथ हस्तऺेऩ है ।"

इसी प्रकाय का एक प्रािधान (बायतीम) व्मिसाम सॊघ अधधतनमभ, 1926


की धाया 18 (1) भें बी उऩफजन्धत ककमा गमा है , जो मह कहता है कक

(ऺनत एवं नक
ु सानी के भरमे प्रनतकय - सॊविदा के बॊग के सरमे प्रततकय को
केिर उस हातन मा नुकसानी को ऩूया कयने के सरमे ही प्रदान ककमा जाता है ,
जो चीजों के प्राकृततक अनुक्रभ भें प्रोद्भत
ू हुआ हो अथिा नहीॊI

संषवदा का षवननर्दय ष्ट ऩारन- वितनहदय ष्ट अनुतोष अधधतनमभ की धाया 16 (ग)
अधधकधथत कयती है कक सॊविदा के वितनहदय ष्ट ऩारन को उस व्मजक्त के ऩऺ
भें प्रिततयत नहीॊ ककमा जा सकता, जो मह प्रकथन कयने औय साबफत कयने के
सरमे असपर यहता है कक िह तनफन्धनों, जजसके ऩारन का प्रततिादी द्िाया
तनिायण ककमा गमा है मा अधधत्मजन ककमा गमा है , के अततरयक्त सॊविदा के
अन्म आिश्मक तनफन्धनों, जजनका उसके द्िाया ऩारन ककमा जाना है , ऩारन
ककमा है मा सदै ि ऩारन कयने के सरमे तैमाय औय इच्छुक है । इस उऩधाया

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का स्ऩष्टीकयण प्रािधान कयता है कक िादी को सॊविदा के िास्तविक
अथायन्िमन के अनस
ु ाय सॊविदा के ऩारन मा ऩारन कयने की तैमायी औय
इच्छा का प्रकथन कयना चाहहमे। इस प्रािधान की अऩेऺा मह है कक िादी को
मह प्रकथन कयना चाहहमे कक िह सदै ि सॊविदा के अततरयक्त तनफन्धन का
ऩारन कयने के सरमे तैमाय औय इच्छुक यहा है । इससरमे न केिर िादऩत्र भें
ऐसा प्रकथन ककमा जाना चाहहमे फजल्क प्रततिेशी ऩरयजस्थततमों को बी मह
तनहदय ष्ट कयना चाहहमे कक तैमायी औय इच्छा सॊविदा की तायीख से िाद की
सुनिाई तक जायी है । मह सुस्थावऩत है कक वितनहदय ष्ट ऩारन का साम्माऩूणय
उऩचाय उन असबिचनों के आधाय ऩय नहीॊ हो सकता, जजसभें ससविर प्रकक्रमा
सॊहहता के प्ररुऩ 47 औय 48 के तनफन्धनों भें िादी की सॊविदा का ऩारन
कयने की तैमायी औय इच्छा का प्रकथन अन्तवियष्ट नहीॊ है ।

2. अभबत्रास (Intimidation)

असबत्रास अफ अऩकृत्म के रूऩ भें स्थावऩत हो गमा है ।16 मह "एक धभकी


का सॊऻाऩन है जजसभें एक व्मजक्त, हयण के सरमे 'अ' द्िाया दस
ू ये व्मजक्त"
उदाहयण के सरमे 'ि', को धभकी दी जाती है , जजसके भाध्मभ से 'अ' साशम 'फ'
को मा तो स्िमॊ अऩने सरमे अथिा ककसी अन्म व्मजक्त उदाहयण के सरमे स'
के सरमे अहहतकय कामय कयना अथिा कयने से वियत यहना कारयत कयता
है ।"7 इस अऩकाय का भूर तत्ि विधध विरुद्ध धभकी का प्रमोग है । धभकी
हदमा गमा व्मजक्त मा तो अऩने सरमे अथिा ककसी अन्म व्मजक्त के सरमे
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अहहतकय कामय कयने को वििश ककमा जाता है । हहॊसा के प्रमोग के साथ ककसी
व्मजक्त को धभकी दे ना कक िह एक विशेष यास्ते से न जामे, उसने व्माऩाय भें
रगा यहे अथिा ककसी विशेष सॊविदा का ऩारन न कये ऐसे उदाहयण हैं जजनभें
ककसी व्मजक्त को अऩने सरमे अहहतकय कामय कयने को वििश ककमा जाता है ।

प्रततिादी की ओय से मह तकय प्रस्तुत ककमा गमा कक असबत्रास की सॊयचना के


सरमे धभकी से ऩरयऩूणय विधधविरुद्ध कामय को तो कोई हहॊसा होनी चाहहमे
अथिा ककसी अऩकृत्म का ककमा जाना होना चाहहमे, भात्र सॊविदा बॊग की
धभकी ऩमायप्त नहीॊ हाउस आप रार्डयस ने इस तकय को अस्िीकाय कय हदमा।
राडय यीड ने कहा था

3. षड़मंत्र (Conspiracy)

जफ दो मा दो से अधधक व्मजक्त बफना ककसी विधधऩण


ू य न्मामानभ
ु तत के िादी
को जानफूझ कय ऺतत कारयत कयने के प्रमोजन से सॊमुक्त होते हैं औय उनके
सॊमोजन के ऩरयणाभस्िरूऩ िादी को िास्तविक ऺतत होती है , तफ िे षड़मॊत्र का
अऩकृत्म कयते हैं।22 षड़मॊत्र अऩकृत्म औय अऩयाध दोनों है । आऩयाधधक
षड़मॊत्र से सबन्न है जो अऩकृत्म है । दण्ड विधध के अन्तगयत दो ऩऺकायों के
फीच ककसी अिैध कामय को कयने के सरमे अथिा ककसी ऐसे कामय को कयने के
सरमे, जो अिैध नहीॊ है ऩयन्तु जजसे अिैध साधनों द्िाया ककमा जाना है , ककमा
गमा अनफ
ु न्ध भात्र ही कामयिाही के मोग्म होता है । मह आिश्मक नहीॊ है कक

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अनुफन्ध के अनुसयण भें षड़मॊत्रकारयमों ने अऩनी-अऩनी बूसभका बी तनबाई
हो। ककन्तु, षड़मॊत्र का अऩकृत्म केिर दो ऩऺकायों के फीच ककमे गमे अनफ
ु न्ध
भात्र से ही सम्ऩन्न नहीॊ हो जाता, अऩकृत्म केिर तबी ऩूणय होता है जफ िादी
को िास्तविक ऺतत हुई हो।

(4.) षवद्वेषऩूर्य भभथ्मोजक्त (Malicious Falsehood) -

विद्िेषऩण
ू य सभथ्मोजक्त ऐसे विद्िेषऩण
ू य कथन भें सजम्भसरत यहती है जो िादी
से सम्फजन्धत होती है औय ककसी तीसये व्मजक्त से कही गई होती है तथा
जजसके कायण िादी के आधथयक हहत प्रततकूरत् प्रबावित होते हैं। मह अऩकाय
भानहातन जैसा ही है क्मोंकक इस तयह के भाभरे भें , जैसा कक भानहातन भें
होता है , इस कथन के कायण िादी को ऺतत सहन कयनी ऩड़ती है , जो ककसी
तत
ृ ीम व्मजक्त से कहा गमा है ककन्तु इन दोनों अऩकायों भें अन्तय बी है -
भानहातन के भाभरे भें िादी का जो हहत प्रबावित होता है िह उसकी ख्मातत
होती है , ऩयन्तु विद्िेषऩण
ू य सभथ्मोजक्त भें िादी का आधथयक हहत प्रबावित होता
है । इसके अततरयक्त भानहातन के भाभरे भें एक फुये हे तुक अथिा प्रमोजन के
रूऩ भें विद्िेष का विद्मभान यहना आिश्मक नहीॊ है , ऩयन्तु विद्िेषऩूणय
सभथ्मोजक्त के अऩकाय भें दष्ु प्रमोजन अथिा फयु ा हे तु अऩकाय का एक
आिश्मक तत्ि है ।

5. अऩना भार दस
ू ये के नाभ ऩय चरा दे ना (Passing off)

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मह िह अऩकाय है जजसके भाध्मभ से व्माऩायी धोखे से ऩरयऩूणय मुजक्तमों
को अऩना कय अऩना विक्रम फढ़ा रेता है औय अऩने भार को इस प्रतत भद्र
ु ा
के अन्तगयत चरने दे ता है कक िह भार ककसी अन्म व्मजक्त का है । ककसी बी
व्मजक्त को मह अधधकाय नहीॊ है कक िह अऩने भार को ककसी अन्म व्मजक्त
के भार के रूऩ भें प्रस्तत
ु कये । महद कोई व्मजक्त अऩने उत्ऩादनों के सरमे मह
अथिा िैसा ही नाभ प्रमक्
ु त कये जैसा कक िादी का है अथिा अऩने उत्ऩादन
को इस प्रकाय की साज-सज्जा प्रदान कये कक उससे मह रगे कक िह िादी का
भार है तो इससे अऩना भार दस
ू ये के नाभ ऩय चरा दे ना (Passing off) का
अऩकाय फनता है प्रततिादी का उत्तयदातमत्ि धोखे के ऻान अथिा आशम की
ससवद्ध के अबाि भें बी उत्ऩन्न हो जाता है । मह बी ससद्ध कयना आिश्मक
नहीॊ है कक िादी ने इस अऩकाय के कायण ककसी प्रकाय की ऺतत सहन की है
क्मोंकक इस अऩकाय भें ऺतत की उऩधायणा होती है । इस अऩकाय भें जो कुछ
बी साबफत कयना आिश्मक होता है िह मह है कक प्रततिादी का भार इस
प्रकाय धचन्हाॊककत, तनसभयत अथिा िखणयत ककमा गमा है कक जजससे मह
आॊकसरत ककमा जा सकता हो कक उस धचन्हाॊकन, तनभायण अथिा िणयन के
कायण साधायण क्रेता भ्रसभत होकय प्रततिादी का भार िादी का ही भार सभझ
रेंगेI

6. नक
ु सानी की दयू स्थता (Remoteness of Damages)

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एल्डयसन फी० का है डरी फनाभ फैक्सेनडेर भें हदमा गमा तनम्नसरखखत कथन
मह तनजश्चत कयने के सरमे, कक क्मा नक
ु सानी सॊविदा बॊग का तनकट का मा
दयू स्थ ऩरयणाभ है , विधध का आधाय भाना जाता है :

"जहाॊ दो ऩऺकायों ने कोई सॊविदा की हो जजसका उनभें से ककसी एक


ऩऺकाय ने बॊग कय हदमा हो, ऐसे सॊविदा बॊग के सरमे दस
ू ये ऩऺकाय द्िाया
जो नुकसानी प्राप्त की जानी चाहहमे, िह ऐसी होनी चाहहमे जजसे ऋजुऩूिक

औय मजु क्तमक्ु त प्रकाय से मा तो प्रकृत्मा उत्ऩन्न हुआ मा ऐसी घटनाओॊ के
प्रातमक अनुक्रभ भें प्रकृत्मा ऐसे बॊग से उद्भत
ू हुआ हो, जजसका सॊविदा बॊग का
सम्बाव्म ऩरयणाभ होना ऩऺकाय उस सभम जानते थे जफ उन्होंने सॊविदा की
थी।

है डरी फनाभ फैक्सेनडेर के तनमभ के दो बाग हैं। ककसी सॊविदा बॊग ऩय ऐसी
नुकसानी िसूरी की जा सकती है

(1) जो कक ऋजुऩूिक
य औय मुजक्तमुक्त ऩूिक
य स्िाबाविक रूऩ से उत्ऩन्न भानी
जा सके मातन कक, ऐसे बॊग से ऐसी घटनाओॊ के प्रातमक अनक्र
ु भ भें उत्ऩन्न
भानी जा सके; मा

(2) जजसके होने की सम्बािना की मजु क्तमक्


ु त जानकायी ऩऺकायों को सॊविदा
कयने के सभम ही यही हो।

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7. नुकसानी का भाऩ (Measure of Damages)मह स्थावऩत हो जाने के ऩश्चात ्
कक सॊविदा बॊग का कोई अभक
ु ऩरयणाभ दयू स्थ नहीॊ है औय साभीप्म है औय
िादी को उसके सरमे प्रततकय हदमा जाना चाहहमे, अगरा प्रश्न जो उठता है िह
मह है : उसके सरमे नुकसानी का भाऩ क्मा है , मा दस
ू ये शब्दों भें सॊविदा बॊग
के सरमे प्रततकय तनधाययण का प्रश्न है ।

नुकसानी स्िबाि भें प्रततकायात्भक है । नुकसानी ऩॊचाट कयने का उद्देश्म


ऺततग्रस्त ऩऺकाय को उसी जस्थतत भें स्थावऩत कयता है जजसभें िह होता महद
सॊविदा का ऩारन हो जाता। अत: नुकसानी उस आधाय ऩय तनधायरयत की जाती
है । महद कोई एक ऩऺकाय सॊविदा के सही ऩारन के सरमे दस
ू ये से प्रततबू रेता
है , िह व्मततक्रभ के आधाय ऩय जभा यासश को जब्त कयने का हकदाय नहीॊ
होता है , जफ उसे व्मततक्रभ से कोई ऺतत कारयत नहीॊ होती है

8. ऩरयननधायरयत नुकसानी औय शाजस्त (Liquidated Damages & Penalty)

कबी-कबी ककसी सॊविदा के ऩऺकाय, सॊविदा कयते सभम सॊविदा बॊग होने की
घटना भें सॊदत्त ककमे जाने िारे प्रततकय की यासश के सरमे कयाय कय रेते हैं
। सॊदत्त ककमे जाने प्रततकय की यासश, जो कक ऩहरे ही कयाय की जा चुकी है ,
मा ऩरयतनधायरयत नुकसानी मा शाजस्त हो सकती है । महद सॊविदा-बॊग ऩय सॊदाम
ककमा जाने िारा प्रततकय बािी नुकसानी का िास्तविक ऩूिय प्राक्करन है , मह
ऩरयतनधायरयत नक
ु सानी कहराता है । महद सॊविदा-बॊग की घटना भें सॊदाम ककमे

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जाने के सरमे कयाय ककमा गमा सम्बि प्रततकय हातन से अधधक औय
अत्मधधक अननऩ
ु ाततक है , मातन कक, यासश सॊविदा-बॊग को हतोत्साहहत कयने के
विचाय शाजस्त की बाॉतत तनजश्चत की जाती है , मह शाजस्त कहराती है । कोई
अनुफन्ध शाजस्त है मा ऩरयतनधायरयत नुकसानी सॊविदा के तनभायण ऩय जफ
सॊविदा की गमी थी उस सभम ऩय तनणीत कयने ऩय तनबयय कयता है औय
शाजस्त मा ऩरयतनधायरयत नक
ु सानी का ससपय विियण चाहे सस
ु ॊगत था रेककन
तनजश्चत नहीॊ 69 शाजस्त औय ऩरयतनधायरयत नुकसानी के फीच का अन्तय की
रोप्स, न्मामाधीश द्िाया रॉ फनाभ ये डडच रोकर फोडय भें व्माख्मा की गमी थी:

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2013-(6)

प्र०-3 उन तत्वों की गर्ना कीजिमे िो भानहानन के अऩकृत्म का गठन कयते


हैंI

भानहानन के आवश्मक तत्व

भानहातन अऩकाय की सॊयचना के तनम्नसरखखत प्रभुख आिश्मक तत्ि हैं

(1) कथन भानहातनकायक हो (The statement should be defamatory);

(2) कथन को िादी के प्रतत तनहदय ष्ट होना चाहहमे (The statement should refer
to the plaintiff);

(3) ऐसे कथन को प्रकासशत होना चाहहमे ( The statement should be


published)।

1. कथन का भानहाननकायक ( Defamatory) होना- भानहातनकायक कथन िह


है जजसकी प्रिजृ त्त िादी की प्रततष्ठा को ऺतत ऩहुॉचाना हो। भानहातन ककसी
कथन का िह प्रकाशन है जजसकी प्रिजृ त्त ककसी व्मजक्त को सभाज के ठीक
सभझने िारे सदस्मों के आॊकरन भें नीचा हदखराना हो, 8 मा जजनकी प्रिजृ त्त
ऐसे व्मजक्त के प्रतत सभाज भें घण
ृ ा उत्ऩन्न कयना अथिा सभाज के सदस्मों
को ऐसे व्मजक्त को िजयन अथिा उससे फचकय यहने को प्रिजृ त्त उत्ऩत्र कयना
हो। ऐसा कोई बी आयोऩ भानहातनकायक हो सकता है जो ककसी व्मजक्त ऩय
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अऩमश, ततयस्काय, उऩहास अथिा अिभानना का अनाियण कयता हो । कोई
कथन भानहातनकायक है अथिा नहीॊ इस फात ऩय तनबयय कयता है , कक सभाज
के ठीक सभझने िारे व्मजक्त उस कथन को ककस रूऩ भें ग्रहण कयते हैं। इस
सम्फन्ध भें जो भाऩदण्ड रागू ककमा जाता है िह एक सभझदाय नागरयक का
मा एक औसत फवु द्ध िारे व्मजक्त का भाऩदण्ड होता है न कक ऐसे ककसी
विशेष िगय के व्मजक्तमों का जजनके भल्
ू म अथिा भान्मताओॊ को साभान्मत्
सभाज के सभझदाय सदस्मों का अनुभोदन अथिा सत्काय नहीॊ प्राप्त होता I
कथन का सम्बाव्म प्रबाि महद िादी की प्रततष्ठा को ऺततग्रस्त कयता है तो
मह कहना प्रततयऺा के रूऩ भें स्िीकामय नहीॊ है कक िह भानहातन के सरमे
आशतमत नहीॊ था महद कथन के ऩरयणाभस्िरूऩ ककसी व्मजक्त के प्रतत
अिभानना, उऩहास, बम, अऩसन्द अथिा अिभूल्मन उत्ऩन्न होता है , तो िह
कथन भानहातनकायक है । भानहातन का सायतत्ि ककसी व्मजक्त के चरयत्र
अथिा उसकी ख्मातत की ऺतत है ।

एस० एन० एभ० आब्दी फनाभ प्रपुल्र कुभाय भहन्ता के िाद भें मह तनणयम
हदमा गमा कक मह आिश्मक नहीॊ है कक आयोऩ ऩण
ू य िक्तव्म िादी को सभाज
के प्रत्मेक व्मजक्त अथिा उससे ऩरयधचत प्रत्मेक व्मजक्त की नजय से धगया दे ।
भानहातन के सरमे इतना कापी है कक प्रकाशन ककमा गमा कथन िादी को

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सभाज के ऩमायप्त प्रततजष्ठत िगय के आॊकरन भें नीचा हदखाए, चाहे िह िगय
ऩयू े सभाज की तर
ु ना भें कभ सॊख्मा भें हो।

उक्त िाद भें 8-9-1990 के Illustrated weekly of India के अॊक भें एक रेख
छाऩा गमा जजसभें असभ के ऩद से हटाए गमे deposed) भख्
ु मभॊत्री, प्रपुल्र
कुभाय भहन्ता, अनुधचत फर प्रमोग के आयोऩ रगामे गमे थे।

भानहातन के सरमे आशम आिश्मक नहीॊ है - महद प्रकासशत शब्द


भानहातनकायक है तो प्रततिादी भानहातन के सरमे उत्तयदामी है चाहे बरे ही
ऐसे कथन कयने िारे व्मजक्त ने उन शब्दों का प्रकाशन भानहातन के आशम
से न ककमा हो। मह सायहीन है कक प्रततिादीगण उन तत्िों को नहीॊ जानते थे,
जजनके कायण कोई कथन, जो अन्मथा तनदोषऩूणय प्रतीत होता है िास्ति भें
भानहातन कायक है । कैससडी फनाभ डेरी सभयय न्मूज ऩेऩसय सरसभटे ड32 के िाद
भें सभस्टय कैससडी (जजन्हें सभस्टय कोरयगन के नाभ से बी जाना जाता था) का
वििाह एक भहहरा से हुआ था, जो अऩने को श्रीभती कैससडी अथिा श्रीभती
कोरयगन के नाभ से ऩरयचम दे ती थी। इस भहहरा के सन्दबय भें मह जाना
जाता था कक िह सभस्टय कैससडी की विधधसम्भत ऩत्नी है , जो उसके साथ
यहता नहीॊ है , ऩयन्तु कबी-कबी उसके ऩास आता है , औय उसके साथ आिास भें
रुकता है । प्रततिादीगण ने अऩने सभाचाय- ऩत्र भें सभस्टय कोरयगन औय एक
अवििाहहत रड़की कुभायी 'क' पोटोधचत्र इन शब्दों के साथ प्रकासशत कयिा
हदमा, 'घुड़दौड़ का स्िाभी, सभस्टय एभ० कोरयगन, औय कुभायी 'क' जजनकी सगाई
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उद्घोवषत हुई है ।' श्रीभती कोरयगन ने प्रततिादीगण के विऩयीत अऩभान रेख
के तनसभत्त इस असबकथन के साथ िाद सॊजस्थत ककमा कक इस प्रकासशत
िक्रोजक्त का प्रबाि मह था कक सभस्टय कोरयगन अबी त

अवििाहहत है , तथा िह उसका ऩतत नहीॊ है , औय उनका उसके साथ अनैततक


सम्फन्ध है । िादी की कुछ भहहरा ऩरयधचतों ने मह साक्ष्म बी हदमा कक इस
प्रकाशन के ऩरयणाभस्िरूऩ उन्होंने श्रीभती कोरयॊग के सम्फन्ध भें फुया असबभत
धायण ककमा है । जूयी ने मह तनष्कषय तनकारा कक सभाचाय-ऩत्र भें प्रकासशत
शब्द भानहातनकायक अथय से सॊमक्
ु त है औय उन्होंने नक
ु सानी का बग
ु तान
कयने का तनणयम प्रदान ककमा। कोटय ऑप अऩीर ने बी मही तनष्कषय तनकारा
कक सभाचाय-ऩत्र के भाध्मभ से िक्रोजक्त प्रकासशत की गई थी। प्रततिादीगण
का प्रत्मऺ तनदोषऩन प्रततयऺा के रूऩ भें स्िीकाय नहीॊ ककमा गमा। प्रततिादी
उत्तयदामी ठहयामे गमे।)

कथन वादी के प्रनत ननर्दय ष्ट हों (The Statement should refer to the plaintiff)
भानहातन की ककसी कामयिाही भें िाद को मह ससद्ध कयना आिश्मक है कक
शब्द, जजनका उसने ऩरयिाद ककमा है , उसे तनहदय ष्ट थे। मह भहत्िऩूणय नहीॊ है
कक प्रततिादी का आशम िादी का भानहातन कयना नहीॊ था महद िे व्मजक्त,
जजनके फीच शब्दों का प्रकाशन ककमा गमा था, मजु क्तमक्
ु तत् मह अनभ
ु ान कय

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सकते थे, कक िह कथन िादी को तनहदय ष्ट ककमा गमा था, तो उस जस्थतत भें
प्रततिादी उत्तयदामी होता है ।

हल्टन एण्ड कम्ऩनी फनाभ िोन्स के िाद भें प्रततिादीगण ने अऩने सभाचाय-
ऩत्र सण्डे क्रातनकर भें एक ऩरयकल्ऩनात्भक रेख प्रकासशत ककमा मह रेख
उनके ऩेरयस के सॊिाददाता द्िाया सरखा गमा था इस रेख की विषम-िस्तु भें
डीप्ऩ भें आमोजजत एक भोटय उत्सि का िणयन ककमा गमा था। इस रेख भें
एक काल्ऩतनक व्मजक्त आटे सभस जोन्स के चरयत्र की तनन्दा की गई थी, जजसे
ऩेखभ की चचय का िाडयन फतरामा गमा था औय उस उत्सि भें उसका
उऩजस्थत होना असबकधथत ककमा गमा था ।

इस भानहातनकायक कथन के आधाय ऩय आटे भस जोन्स नाभक एक फैरयस्टय


ने प्रततिादीगण के विऩयीत िाद सॊजस्थत ककमा। उसके सभत्रों ने शऩथ ऩय मह
फमान ककमा कक उन्हें मह विश्िास हो गमा था कक मह रेख उसी ऩय
(आटे भस जोन्स फैरयस्टय) तनहदय ष्ट था। प्रततिादीगण ने मह असबिाक् प्रस्तत

ककमा कक उनके द्िाया प्रकासशत रेख भें "आटे भस िोन्स' एक काल्ऩतनक
अथिा ऩरयकल्ऩनात्भक नाभ था। उन्हें िादी के फाये भें कबी बी कोई
जानकायी नहीॊ थी औय न ही उनका आशम िादी को फदनाभ कयना था।
प्रततिादीगण को इस तकय के फािजद
ू बी उत्तयदामी भाना गमा।

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सद्भािऩूिक
य औय िादी को अऩभातनत कयने के ककसी आशम के बफना कामय
कयना प्रततयऺा के असबिाक के रूऩ भें भान्म नहीॊ है I मह तनखणयत कयने के
सरए की क्मा असबकधथत विषम िस्तु भानहातनकायक है अथिा नहीॊ मा मह
तनणीत कयने के सरए की क्मा िह िादी के सरए भानहातनकायक है अथिा
नहीॊ, रेखक का आशम ऩण
ू त
य ् सायहीन है I

3. कथन को प्रकाभशत होना चार्हमे (The statement should be published)

प्रकाशन का तात्ऩमय भानहातनकायक विषम-िस्तु को कुछ ऐसे अन्म


व्मजक्तमों की जानकायी भें राना है जो स्िमॊ िह व्मजक्त नहीॊ है जजसकी
भानहातन हुई है , औय महद ऐसा नहीॊ ककमा गमा है तो भानहातन की कोई बी
कामयिाही नहीॊ हो सकती भानहातनकायक शब्दों का सॊसचू ना िादी तक कयना
कामयिाही के सरमे ऩमायप्त नहीॊ है , क्मोंकक भानहातन एक ऐसी ऺतत है जो
ख्मातत के विऩयीत की गई है , औय ख्मातत अथा प्रततष्ठा अन्म कतयव्मों के उस
आॊकरन भें तनहहत यहती है , जो ऐसे व्मजक्त के सम्फन्ध भें अन्म व्मजक्त
धायण कयते हैं। अऩने टॊ कक को श्रुतरेख फोरना प्रकाशन के सरमे ऩमायप्त है ।
महद ऐसा श्रुतरेखन दे ना विशेषाधधकाय की कोहट भें आता हो I िादी के ऩास
भानहातनकायक ऩत्र बेजना भानहातन नहीॊ है महद कोई अन्म व्मजक्त गरती से
ऐसे ऩत्र को ऩढ़ रेता है , जो फादी की सरखा गमा है , तो उसके सरमे प्रततिादी
उत्तयदामी नहीॊ है ।जफ वऩता अऩने ऩुत्र का ऩत्र खोर रेता है . मा कोई
खानसाभा अऩने तनमोजक के भुहयफन्द ऩत्र को खोर कय ऩढ़ रेता है तफ मह
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नहीॊ भाना जामेगा कक भानहातनकायक शब्दों का प्रकाशन प्रततिादी ने ककमा है
औय उसे उत्तयदामी नहीॊ भाना जामेगा।

िादी को बेजा गमा भानहातनकायक ऩत्र महद सम्बाव्मत् ककसी अन्म व्मजक्त
द्िाया ऩढ़ा जा सकता है , तो उसे प्रकाशन भाना जामेगा 18 भानहातनकायक
विषम िस्तु जफ ककसी ऩोस्टकाडय अथिा ताय भें सजम्भसरत यहती है , तो
प्रततिादी उसके सरमे उत्तयदामी है , चाहे बरे ही इस फात का कोई प्रभाण न
हो कक ककसी अन्म व्मजक्त ने उसे ऩढ़ा है , क्मोंकक डाकखाने के उस कभयचायी
द्िाया ऩढ़ा जाता है , तो उसका प्रसायण कयता है , औय प्रास कयता है , औय इसी
प्रकाय ऩोस्टकाडय के सन्दबय भें बी इस फात की फहुत अधधक सम्बािना यहती
है कक िह ककसी न ककसी व्मजक्त द्िाया ऩढ़ सरमा जामेगा ककन्तु महद
ऩोस्टकाडय भें सजम्भसरत विषम िस्तु ककसी ऐसे अऩरयधचत व्मजक्त को सभझ
भें भानहातनकायक बािफोध उत्ऩन्न नहीॊ कयती, जो ऐसी ऩरयजस्थततमों से
ऩरयधचत नहीॊ है , जो ऩोस्टकाडय भें उजल्रखखत नहीॊ है , तो फह विषम िस्तु
भानहातनकायी नहीॊ भाना जामेगा, चाहे बरे ही उसे डाककमे अथा ककसी अन्म
व्मजक्त ने ऩढ़ा हो, जजनके हाथों भें िह ऩोस्टकाडय गुजया है ।50 इसी प्रकाय की
जस्थतत उस सभम बी होगी जफ िह विषम िस्तु ऐसी बाषा भें हो जजसे ऩत्र
ऩाने िारा व्मजक्त सभझता नहीॊ है , मा उसकी दृजष्ट इतनी कभजोय हो गई है
कक िह उसे ऩढ़ नहीॊ सकता मा फहया होने के कायण िह फोरे गमे शब्द सन

सकने भें बी असभथय है ।

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जफ िादी को प्रेवषत ककमे गमे अऩभानकायी ऩत्र के साभान्म अनुक्रभ भें इस
फात की सम्बािना है कक िह ऩत्र जजसे बेजा गमा है , उसके सरवऩक। अथिा
उसकी ऩत्नी अथिा ऩजक्त द्िाया खोरा जा सकता है , तो उस सभम भानहातन
का अऩकाय फन जाता है जफ िह ऩत्र सरवऩक अथिा ऩत्नी मा ऩतत द्िाया
खोरा औय ऩढ़ा जाता है । ककसी ऩत्र का प्रकाशन उस जस्थतत भें बी होता है
जफ प्रततिादी मह जानता अथिा जान सकता था कक ऩत्र मद्मवऩ िादी को
बेजा गमा है , ऩयन्तु िह ककसी तीसये व्मजक्त द्िाया ऩढ़ा जा सकता है , अथायत ्
िह ककसी ऐसी बाषा भें सरखा गमा है , जजसे िादी नहीॊ जानता औय उसे िह
ऩत्र ककसी अन्म व्मजक्त से ऩढ़िाना ऩड़ेगा।)

भहे न्र याभ फनाभ हयनन्दन प्रसाद के िाद भें प्रततिादी ने उदय ू भें सरखा गमा
एक भानहातनकायक ऩत्र िादी को बेजा। िादी उदय ू नहीॊ जानता था, अत: िह
ऩत्र एक अन्म व्मजक्त द्िाया ऩढ़ा गमा। मह धारयत ककमा गमा कक प्रततिादी
तफ तक उत्तयदामी नहीॊ हैं जफ तक मह ससद्ध नहीॊ कय हदमा जाता कक िह
ऩत्र उदय ू सरवऩ भें सरखते सभम प्रततिादी मह जानता था कक िादी उदय ू सरवऩ
नहीॊ जानता औय उसके सरमे मह आिश्मक हो जामेगा कक िह उस ऩत्र को
ककसी अन्म व्मजक्त से ऩढ़िामे।

अरुभग
ु ा भद
ु ाभरमय फनाभ अन्नाभराई भद
ु ाभरमय के िाद भें भद्रास उच्च
न्मामारम द्िाया मह धारयत ककमा गमा कक जफ दो व्मजक्त िादी से
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सम्फजन्धत भानहातनकायक विषम-िस्तु से मुक्त ऩत्र सॊमुक्तत: सरखते हैं औय
उस ऩत्र को ऩॊजीकृत डाक द्िाया िादी को बेज हदमा जाता है तो िहाॉ मह
नहीॊ भाना जामेगा कक भानहातनकायक विषम िस्तु को एक अऩकृत्मकायी
द्िाया दस
ू ये अऩकृत्मकायी को प्रकासशत ककमा गमा है , क्मोंकक सॊमुक्त अऩकृत्म
के फीच न तो प्रकाशन का होना स्िीकाय ककमा जा सकता है औय महद इसकी
ऩि
ू य कल्ऩना नहीॊ की जा सकती तो मह बी स्िीकाय नहीॊ ककमा जा सकता कक
महद िादी को प्रेवषत ऩॊजीकृत ऩत्र ककसी अन्म व्मजक्त के हाथों भें ऩड़ जाता है
औय िह व्मजक्त उस ऩत्र को अन्म व्मजक्तमों की उऩजस्थतत भें ऩढ़ता है तो
मह ऩत्र को प्रकासशत कयना है ।

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